कृषि विधेयक आने से किसान मनपसन्द दामों पर कहीं भी अपनी फसल बेचने के लिए स्वतंत्र : अंकुश दत्त शर्मा
कृषि विभाग के आने से किसान मनपसंद दामों पर देश में कहीं भी अपनी फसल किसी को भी बेचने के लिए स्वतंत्र हो जाएंगे। इससे पहले की व्यवस्था में किसान केवल अपने ही राज्य की मंडियों में अपनी फसल बेच पाते थे। हमीरपुर से जारी प्रेस नोट जारी करते हुए भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी अंकुश दत्त शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के लोग कृषि विधायकों के बारे में मनगढ़ंत बातें कहकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। कृषि विधायक आने के बाद किसानों के पास दो तरीके होंगे वह चाहे तो अपनी फसल मंडियों के माध्यम से बेचे और जिसका उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता रहेगा और दूसरा यह कि विदेश में किसी भी व्यापारी को अपने मनपसंद ऊंचे दामों पर अपनी फसल सीधा बेच सकते हैं।
जिला मीडिया प्रभारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि किसानों को आज तलक उनके अधिकारों से वंचित रखा गया, जब कपड़ा उत्पादक, बर्तन उत्पादक आदि या अन्य किसी भी प्रकार का उत्पादन करने वाले लोग अपने उत्पाद को देश में कहीं भी बेच सकते हैं तो केवल किसान ही क्यों केवल अपने ही राज्य में सिर्फ मंडियों के माध्यम से ही अपनी फसल को बेचने के लिए सीमित किए गए। नए प्रावधानों के लागू हो जाने के बाद किसान अपनी फसल को मंडियों में या फिर मनचाही कीमतों पर देश में कहीं भी किसी को बेच सकते हैं। अनाज मंडियों के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद पहले ही की तरह होती रहेगी।
उन्होंने कहा कि कृषि विभाग में अनुबंध पैदावार की जो बात की गई है उसमें स्पष्ट कहा गया है कि पैदावार खरीदने का समझौता ज्यादा से ज्यादा 5 वर्ष का होगा और इस समझौते में सिर्फ पैदावार खरीदने की बात होगी, ना की जमीन खरीदने या फिर जमीन को गिरवी रखने की। जब किसान बीज बोएगा उससे पहले उसकी फसल की कीमत का समझौता होगा और जब फसल तैयार हो जाएगी तो फसल उठाने से पहले व्यापारी फसल की दो तिहाई कीमत समझौते के अनुसार अदा करेगा और और उसके 3 दिन के भीतर ही बाकी की एक तिहाई कीमत भी किसान को अदा करेगा। किसान अपनी फसल की मनपसंद कीमत व्यापारी से पहले ही तय कर लेगा जो उसे निश्चित रूप से मिलेगी।
जिला मीडिया प्रभारी ने कहा कि बंपर फसल होने की सूरत में कई बार बहुत अधिक मात्रा में अनाज के सड़ने से किसानों की मेहनत बेकार हो जाने की समस्या भी कृषि विधेयक आ जाने से दूर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल ज्वाइन कृषि विधायकों का विरोध कर रहे हैं वह चाहते हैं कि किसान आज भी अनगिनत बंधनों में जकड़ा रहे और किसानों को उनकी फसल का सही दाम न मिले और वह सभी लोग बिचौलियों के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं जो किसानों की मेहनत की कमाई पर डाका डालते हैं।