प्रदेश में आज भी मौसम का मिजाज बदला रहेगा। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार, राज्य के कई जिलों में आज भी हल्की से मध्यम बारिश के साथ तेज हवाएं चलने की संभावना है। आज ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन, मंडी, कुल्लू, कांगड़ा, शिमला और सिरमौर जिलों में कुछ स्थानों पर गरज-चमक, बिजली गिरने और 30-40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाओं के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। वहीं, राज्य के बाकी जिलों में भी इक्का-दुक्का जगहों पर हल्की बारिश रिकॉर्ड की जा सकती है।
वही मैदानी इलाकों में बढ़ती गर्मी से राहत पाने के लिए पर्यटकों ने हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों का रुख करना शुरू कर दिया है। राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थल सैलानियों से गुलजार हो गए हैं। जून महीने के लिए भी होटलों और गेस्ट हाउसों में कमरों की बंपर एडवांस बुकिंग अभी से ही शुरू हो गई है। पर्यटकों की बढ़ती संख्या से प्रदेश के पर्यटन व्यवसायी काफी उत्साहित हैं।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के पूर्वानुमान के अनुसार प्रदेश में इस साल मानसून जून के आखिरी सप्ताह तक पहुंचने की संभावना है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार मानसून सामान्य से चार प्रतिशत अधिक रह सकता है। पिछले साल मानसून ने 27 जून को प्रदेश में दस्तक दी थी, और यदि स्थितियां अनुकूल रहीं, तो इस बार भी लगभग इसी समय मानसून की शुरुआत होने की उम्मीद है।
शिमला: हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की लेखन और पठन क्षमता का आकलन करने और उसमें सुधार लाने के उद्देश्य से समग्र शिक्षा द्वारा लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम (एलईपी) टेस्ट का आयोजन किया जा रहा है। इस पहल के तहत छठी से 12वीं कक्षा तक के बच्चों का आईक्यू स्तर परखने के लिए प्रदेश भर में ओसीआर शीट पर टेस्ट लिए जा रहे हैं। इन टेस्ट के परिणामों के आधार पर बच्चों में पाई जाने वाली कमियों को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। इसी कड़ी में, शिमला के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, लक्कड़ बाजार में भी छठी से लेकर 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों ने एलईपी टेस्ट में भाग लिया। स्कूल की प्रधानाचार्य डॉ. सुमन मच्छान ने बताया कि सरकारी स्कूलों में खराब परीक्षा परिणामों को बेहतर बनाने के लिए लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम शुरू किया गया है। उन्होंने जानकारी दी कि छठी से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के गणित, अंग्रेजी और विज्ञान विषयों के टेस्ट करवाए जा रहे हैं।डॉ. मच्छान ने आगे बताया कि एलईपी के माध्यम से बच्चों की लिखने-पढ़ने की क्षमता को परखा जाएगा और जहाँ भी सुधार की आवश्यकता होगी, वहाँ आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक शनिवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में शिमला में आयोजित की गई। बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं। मंत्रिमंडल की बैठक में गृहरक्षकों के 700 नए पद सृजित कर भरने की मंजूरीदी गई है। इनकी तैनाती अस्पतालों और मेडिकल काॅलेजों में होगी।
इसके अतिरिक्त कैबिनेट ने जिला परिषद काडर के करीब 200 अनुबंध पंचायत सचिवों की सेवाओं को नियमित करने का भी फैसला लिया है। अब इन्हें 12,000 की जगह 32,000 रुपये मासिक वेतन मिलेगा। कैबिनेट ने रेरा का कार्यालय शिमला से धर्मशाला शिफ्ट करने तथा बद्दी में नया शिक्षा खंड कार्यालय खोलने का भी निर्णय लिया है। साथ ही मंत्रिमंडल ने फैसला लिया है कि पंचायत चुनाव में इस बार आरक्षण रोस्टर नए सीरे से लागू होगा।
हिमाचल प्रदेश सरकार एक बार फिर 800 करोड़ रुपये का नया कर्ज लेने जा रही है। इस संबंध में राज्य के वित्त विभाग ने शुक्रवार को राजपत्र में आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है। यह कर्ज राशि आगामी 4 जून को राज्य सरकार के खाते में आ जाएगी। अधिसूचना के अनुसार, यह ऋण 20 वर्षों की लंबी अवधि के लिए लिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश सरकार को इस राशि का भुगतान 4 जून 2045 तक करना होगा। सरकार ने इस ऋण को लेने का मुख्य कारण विकास कार्यों को गति देना बताया है। इसके अतिरिक्त, माना जा रहा है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन और पेंशन का भुगतान करने के बाद राजकोष में धन का संतुलन बनाए रखने और किसी भी कमी को पूरा करने के लिए भी इस अतिरिक्त ऋण की व्यवस्था की जा रही है। हिमाचल प्रदेश पर कुल कर्ज का बोझ अब एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। इस बढ़ते कर्ज को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष कांग्रेस सरकार पर लगातार तंज कस रही है, जबकि कांग्रेस का कहना है कि जयराम सरकार ने उन्हें विरासत में सिर्फ कर्ज का बोझ सौंपा है।
हिमाचल प्रदेश में दो दिनों तक मौसम खराब बना रहेगा। मौसम विभाग ने आज और कल भारी बारिश की आशंका जारी की है, जिसके चलते मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इस दौरान कांगड़ा, चंबा, मंडी, कुल्लू, सोलन, सिरमौर और शिमला जिलों में भारी बारिश होने की संभावना है। कुछ स्थानों पर 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं और ओलावृष्टि भी हो सकती है। मौजूदा समय में हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक गर्मी से बचने के लिए हिमाचल प्रदेश आ रहे हैं। ऐसे में पर्यटकों और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा को देखते हुए विशेष एडवाइजरी जारी की गई है। मौसम विभाग ने लोगों को सलाह दी है कि वे नदी-नालों के आसपास, जलभराव वाले स्थानों और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में जाने से बचें और अपनी यात्रा की योजना बनाते समय मौसम का पूर्वानुमान अवश्य देखे।
कुल्लू जिला के मणिकर्ण घाटी में बीते साल 1 जुलाई को मलाणा डैम फटने से भरी नुकसान हुआ था। डैम फटने के चलते सड़कें और नदी किनारे कई गांव भी इसकी चपेट में आए। वहीं डैम फटने के दौरान मणिकर्ण घाटी के बलाधी गांव को जोड़ने वाला पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया। लेकिन हैरानी की बात यह कि इस घटना को एक साल बीत जाने के बाद भी इस पुल को दुरुस्त नहीं किया गया, और पुल न होने के कारण 40 छात्रों ने भी स्कूल जाना बंद कर दिया। एक साल तक पुल का निर्माण न होने के कारण ग्रामीणों ने अपने स्तर पर नदी के ऊपर एक पुलिया बना दी,लेकिन अचानक नदी का जलस्तर बढ़ने से उस पुलिया के बहने का भी खतरा बन गया है। जिसके बाद बलाधी गांव के ग्रामीणों ने शुक्रवार को डीसी कुल्लू और प्रदेश सरकार से मांग रखी है कि जल्द यहां पर पुल की व्यवस्था की जाए।
डीसी कुल्लू तोरुल एस रवीश से मिलने के बाद प्रतिनिधिमंडल में शामिल जिला परिषद सदस्य रेखा गुलेरिया ने बताया कि 1 साल बीत जाने के बाद भी पुल का निर्माण न होने के कारण स्थानीय लोगों को कई दिक्कते पेश आ रही है, साथ ही बच्चों कि पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों नदी का बहाव बढ़ने के चलते यहां स्कूल से घर वापस आ रहे स्कूली छात्र फंस गए. जिन्हें ग्रामीणों के द्वारा कड़ी मशक्कत से पुलिया के आर पार करवाया गया ,और ऐसी स्थिति देख ग्रामीणों ने फैसला लिया है कि जब तक पुल का निर्माण नहीं होता तब तक वह अपने बच्चों को स्कूल ना भेज कर घर पर ही रखेंगे।
जिला परिषद सदस्य रेखा गुलेरिया ने कहा कि पुल के निर्माण को ले कर ग्रामीणों ने कई बार स्थानीय विधायक के साथ भी मुलाकात की, लेकिन विधायक भी उनकी समस्या का समाधान नहीं कर रहे है। उन्होंने कहा कि जल्द ही प्रदेश में मानसून दस्तक देगा उससे नदी पर बनी पुलिया के बहने का भी खतरा बना हुआ है। ऐसे में नदी को पार करने के लिए पहले पुल की व्यवस्था की जानी चाहिए. ताकि बलाधी गांव के ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
हाईकोर्ट ने केवल सिंह पठानिया को भेजा नोटिस
कुछ समय पहले हिमाचल हाईकोर्ट ने सुक्खू सरकार के CPS की नियुक्तियों को असंवैधानिक ठहराया था। इससे बाद सीपीएस की कुर्सियां चली गई औरप्रदेश कांग्रेस में एक सियासी असंतुलन उभर आया। अब उसी तरह डिप्टी चीफ व्हिप केवल सिंह पठानिया की कुर्सी भी संकट में आ गई है। दरअसल केवल सिंह पठानिया की नियुक्ति को भी कोर्ट में चैलेंज किया गया है और न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने दायर याचिका पर केवल सिंह पठानिया को नोटिस भी जारी कर दिया है।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील रजनीश मनीकटाला ने दलील दी कि 2018 में कांग्रेस-भाजपा दोनों की सहमति से विधानसभा में जो कानून बना, जिसमें चीफ व्हिप और डिप्टी चीफ व्हिप को कैबिनेट दर्जा देने का प्रावधान था, वो न केवल गैरजरूरी था, बल्कि सीधे-सीधे संवैधानिक मूल्यों की अवहेलना थी। कहा गया कि जब प्रदेश पहले से 41 हजार करोड़ के कर्ज में डूबा था, तब ऐसे लाभकारी पदों का सृजन महज़ 'अपनों को समायोजित करने' का राजनीतिक स्टंट था। अब तो वो कर्ज 90 हज़ार करोड़ के पार पहुंच चुका है, लेकिन पद और फायदे कम होने की बजाय और भी बढ़ते जा रहे हैं।
बता दें की अपने वफादारों को पद बांटने की प्रवृत्ति पुरानी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कोई न कोई रास्ता निकालकर ये करते आये है। प्रदेश की सुक्खू सरकार पर तो शुरू से ही अपनों को सेटल करने के चक्कर में पैसा लुटाने के आरोप लगते रहे है। खैर, अब देखना ये है कि क्या केवल सिंह पठानिया इस कानूनी चक्रव्यूह से बच निकलेंगे, या फिर हाईकोर्ट एक और 'राजनीतिक नियुक्ति' को असंवैधानिक करार देगा।
सुधीर ने सोशल मीडिया को बनाया सियासी असला दागने का लांच पैड !
हर्ष महाजन कब ब्लफ करते है और कब हकीकत बयां, समझना मुश्किल !
हिमाचल में सत्तारूढ़ कांग्रेस पर भाजपा लगतार हमलावर है, पर 'अपनों' के वार कांग्रेस पर ज्यादा 'धारदार' दिख रहे है। दरअसल, मुद्दा कोई भी हो, जितना तीखे प्रहार कांग्रेस पर पुराने मूल भाजपाई नहीं करते, उसे कहीं ज्यादा वो नेता करते है जो कभी कांग्रेस के अपने थे। हर्ष महाजन और सुधीर शर्मा; खासतौर पर ये दो वो चेहरे है जो दशकों कांग्रेस में रहे, फिर भाजपाई हुए और अब ही अपनी पुरानी पार्टी के लिए सबसे बड़ा सरदर्द भी बन गए। भाजपा में अगर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को छोड़ दे, तो पुराने नेताओं में एकाध ही ऐसे चेहरे दीखते है जो हर मुद्दे पर और पूरी शिद्द्त से, कांग्रेस को घेरते भी है और असरदार भी दीखते है। बाकी तो मानो रस्म अदायगी चली हो। निसंदेह इसका कारण नेताओं की क्षमता नहीं, बल्कि भाजपा के भीतर के अपने कारण है। इस पर विस्तृत चर्चा फिर कभी। पर फिलहाल भाजपा के सियासी हमलो को जो धार 'पुराने वाले' भाजपाई नहीं दे पा रहे, उसकी कमी ये 'नए वाले' जरूर पूरी कर रहे है।
यदा-कदा प्रदेश के मुद्दों पर बोलने वाले हर्ष महाजन, जब भी बोलते है सियासी पारा चरम पर होता है। हर बार नया दावा और वार में ज्यादा धार। दिलचस्प बात ये है की हर्ष महाजन कब ब्लफ कर रहे है और कब हकीकत बयां कर रहे है, इसे समझना मुश्किल है। खासतौर से असंभव दिख रहा राज्यसभा चुनाव जीतकर उन्होंने साबित किया है कि उन्हें जरा भी हल्के में लेना कितना भारी साबित हो सकता है। ये कहना गलत नहीं होगा कि हर्ष महाजन जब भी मीडिया से मुखातिब होते है, कांग्रेस को खज्जल (व्यथित ) करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। किसी भी नाम का जिक्र करते है और मानो कांग्रेस को काम पर लगा देते है।
इसी तरह सुधीर शर्मा की बात करें तो सुक्खू सरकार के खिलाफ अमूमन हर मसले पर उनकी प्रतिक्रिया चर्चा में रहती है, कभी अंदाज के चलते तो कभी सटीक शब्द बाणों के चलते। सोशल मीडिया को एक किस्म से उन्होंने सियासी असला दागने का लांच पैड बना लिया है। सुधीर कोई मौका नहीं छोड़ते और लगभग हर बार, वार निशाने पर होता है। कब फिरकी लेनी है और कब आक्रमक होना है, इस सियासी अदा के वो माहिर है। इन दोनों नेताओं के अलावा राजेंद्र राणा भी लगातार कांग्रेस पर हमलावर दीखते है। हालाँकि राणा भाजपा से ही कांग्रेस में आये थे।
उधर कांग्रेस से काउंटर अटैक एक जिम्मा मुख्य तौर पर खुद सीएम सुक्खू संभालते दीखते है। वे भाजपा के पांच गुट भी गिनाते है, और भाजपा में हावी पुराने कोंग्रेसियों का जिक्र कर पुराने भाजपाइयों से सियासी ठिठोली भी करते है।
पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने साल 2021 में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की थी। मोदी के नेतृत्व में ही 2021-2022 से 2025-2026 तक 5 वर्षों के लिए 1,600 करोड़ रुपये की डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम बनाने के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शुरू किया गया था। इसकी वजह से पीएम मोदी के गारंटी का भी असर देखने को साफ मिला और इस योजना के तहत 29 फरवरी, 2024 तक 56.67 करोड़ लोगों के आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में भी प्रगति की है। 29 फरवरी, 2024 तक, 27.73 करोड़ महिलाएं और 29.11 करोड़ पुरुषों को आभा कार्ड से लाभ हुआ है। वहीं 34.89 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य दस्तावेजों को इससे जोड़ा गया है।
क्या है आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य देश में यूनिफाइड डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की मदद करने के लिए जरूरी आधार तैयार करना है। इससे सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता खोलने के लिए ऑफलाइन मोड को मदद पहुंचती है। इसके अलावा भारत सरकार ने स्वास्थ्य सुविधा के लिए आभा ऐप और आरोग्य सेतु जैसे विभिन्न एप्लिकेशन भी लॉन्च किए गए हैं, जो आम लोगों को मदद पहुंचाती है। आभा ऐप एक प्रकार का डिजिटल स्टोरेज है, जो किसी भी व्यक्ति के मेडिकल दस्तावेजों का रखने का काम आता है। इस ऐप के जरिए मरीज रजिस्टर्ड स्वास्थ्य पेशेवरों से संपर्क भी कर सकते हैं।
भारत में बीजेपी की मोदी सरकार ने बीते 10 सालों के अपनी सरकार में कई सारे मील के पत्थर हासिल किया है। इन 10 सालों में पीएम मोदी के विजन ने भारत को अगले 23 साल बाद यानी साल 2047 तक विकसित भारत बनाने के ओर मजबूती से कदम भी बढ़ा लिया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने देश के हित में जो भी फैसले लिए है, उनमें से हेल्थ सेक्टर को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का प्रयास किया गया है।
कुल्लू जिला के मणिकर्ण घाटी में बीते साल 1 जुलाई को मलाणा डैम फटने से भरी नुकसान हुआ था। डैम फटने के चलते सड़कें और नदी किनारे कई गांव भी इसकी चपेट में आए। वहीं डैम फटने के दौरान मणिकर्ण घाटी के बलाधी गांव को जोड़ने वाला पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया। लेकिन हैरानी की बात यह कि इस घटना को एक साल बीत जाने के बाद भी इस पुल को दुरुस्त नहीं किया गया, और पुल न होने के कारण 40 छात्रों ने भी स्कूल जाना बंद कर दिया। एक साल तक पुल का निर्माण न होने के कारण ग्रामीणों ने अपने स्तर पर नदी के ऊपर एक पुलिया बना दी,लेकिन अचानक नदी का जलस्तर बढ़ने से उस पुलिया के बहने का भी खतरा बन गया है। जिसके बाद बलाधी गांव के ग्रामीणों ने शुक्रवार को डीसी कुल्लू और प्रदेश सरकार से मांग रखी है कि जल्द यहां पर पुल की व्यवस्था की जाए।
डीसी कुल्लू तोरुल एस रवीश से मिलने के बाद प्रतिनिधिमंडल में शामिल जिला परिषद सदस्य रेखा गुलेरिया ने बताया कि 1 साल बीत जाने के बाद भी पुल का निर्माण न होने के कारण स्थानीय लोगों को कई दिक्कते पेश आ रही है, साथ ही बच्चों कि पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों नदी का बहाव बढ़ने के चलते यहां स्कूल से घर वापस आ रहे स्कूली छात्र फंस गए. जिन्हें ग्रामीणों के द्वारा कड़ी मशक्कत से पुलिया के आर पार करवाया गया ,और ऐसी स्थिति देख ग्रामीणों ने फैसला लिया है कि जब तक पुल का निर्माण नहीं होता तब तक वह अपने बच्चों को स्कूल ना भेज कर घर पर ही रखेंगे।
जिला परिषद सदस्य रेखा गुलेरिया ने कहा कि पुल के निर्माण को ले कर ग्रामीणों ने कई बार स्थानीय विधायक के साथ भी मुलाकात की, लेकिन विधायक भी उनकी समस्या का समाधान नहीं कर रहे है। उन्होंने कहा कि जल्द ही प्रदेश में मानसून दस्तक देगा उससे नदी पर बनी पुलिया के बहने का भी खतरा बना हुआ है। ऐसे में नदी को पार करने के लिए पहले पुल की व्यवस्था की जानी चाहिए. ताकि बलाधी गांव के ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
बीसीसीआई द्वारा इंडियन प्रीमियर लीग के 18वें सीजन आईपीएल-2025 के शैड्यूल का ऐलान कर दिया गया है। एचपीसीए स्टेडियम धर्मशाला को 3 आईपीएल मैचों की मेजबानी करने का मौका मिला है। धर्मशाला स्टेडियम में 4 मई को पंजाब किंग्स की टीम लखनऊ सुपर जायंट्स के साथ अपना लीग मैच खेलेगी, जबकि 8 मई को पंजाब का मुकाबला दिल्ली कैपिटल्स के साथ होगा। ये दोनों ही मुकाबले शाम साढ़े 7 बजे शुरू होंगे। वहीं 11 मई को दोपहर साढ़े 3 बजे पंजाब की टीम मुंबई इंडियंस के खिलाफ स्टेडियम में उतरेगी।
आईपीएल चेयरमैन अरुण धूमल ने बीते दिनों बिलासपुर में आयोजित सांसद खेल महाकुंभ के शुभारंभ पर ही धर्मशाला स्टेडियम को आईपीएल के 3 मैचों की मेजबानी के संकेत दे दिए थे। अब इस पर आधिकारिक मुहर लग चुकी है।
आईपीएल 2024 में धर्मशाला को मिले थे दो मैच
वर्ष 2024 में धर्मशाला में पंजाब किंग्स की टीम के दो मैच चेन्नई सुपर किंग्स और रायल चैलेंजर बेंगलुरु से हुए थे। पहला मुकाबला पांच मई को भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स के साथ हुआ था। नौ मई को पंजाब का मुकाबला आरसीबी के साथ खेला गया था।
नीम करोली बाबा के आश्रम में स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शान्ति
भारत में कई ऐसे पावन तीर्थ हैं, जहां पर श्रद्धा एवं भक्ति के साथ जाने मात्र से व्यक्ति के समस्त मनोरथ पूरे हो जाते हैं। ऐसा ही एक पावन तीर्थ देवभूमि उत्तराखंड की वादियों में है, जिसे लोग 'कैंची धाम' के नाम से जानते हैं। कैंची धाम के नीब करौरी बाबा (नीम करौली) की ख्याति विश्वभर में है। नैनीताल से लगभग 65 किलोमीटर दूर कैंची धाम को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता। यहां पर हर मन्नत पूर्णतया फलदायी होती है। यही कारण है कि देश-विदेश से हज़ारों लोग यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं। बाबा के भक्तों में एक आम आदमी से लेकर अरबपति-खरबपति तक शामिल हैं। बाबा के इस पावन धाम में होने वाले नित-नये चमत्कारों को सुनकर दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में बाबा नीब करौरी के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। इनके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं। कुछ माह पूर्व स्टार क्रिकेटर विराट कोहली और उनकी पत्नी और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के यहां पहुंचते ही इस धाम को देखने और बाबा के दर्शन करने वालों की होड़ सी लग गई।
1964 में बाबा ने की थी आश्रम की स्थापना
नीम करोली बाबा या नीब करोली बाबा की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में की जाती है। इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। कैंची, नैनीताल, भुवाली से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बाबा नीब करौरी ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा नीम करौरी 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया। इस धाम को कैंची मंदिर, नीम करौली धाम और नीम करौली आश्रम के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में बसा एक छोटा सा आश्रम है नीम करोली बाबा आश्रम। मंदिर के आंगन और चारों ओर से साफ सुथरे कमरों में रसीली हरियाली के साथ, आश्रम एक शांत और एकांत विश्राम के लिए एकदम सही जगह प्रस्तुत करता है। यहाँ कोई टेलीफोन लाइनें नहीं हैं, इसलिए किसी को बाहरी दुनिया से परेशान नहीं किया जा सकता है। श्री हनुमान जी के अवतार माने जाने वाले नीम करोरी बाबा के इस पावन धाम पर पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन हर साल 15 जून को यहां पर एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन होता है। यहां इस दिन इस पावन धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है।
कई चमत्कारों के किस्से सुन खींचे आते है भक्त
मान्यता है कि बाबा नीम करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। बाबा नीब करौरी के इस पावन धाम को लेकर तमाम तरह के चमत्कार जुड़े हैं। जनश्रुतियों के अनुसार, एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो वह जल घी में बदल गया। ऐसे ही एक बार बाबा नीब करौरी महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचवाया। ऐसे न जाने कितने किस्से बाबा और उनके पावन धाम से जुड़े हुए हैं, जिन्हें सुनकर लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं।
बाबा के दुनियाभर में 108 आश्रम
बाबा नीब करौरी को कैंची धाम बहुत प्रिय था। अक्सर गर्मियों में वे यहीं आकर रहते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। उस मन्दिर में हनुमान की मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। यहां बाबा नीब करौरी की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है। बाबा नीब करौरी महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम तथा अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है।
स्टीव जॉब्स को आश्रम से मिला एप्पल के लोगो का आईडिया !
भारत की धरती सदा से ही अध्यात्म के खोजियों को अपनी ओर खींचती रही है। दुनिया की कई बड़ी हस्तियों में भारत भूमि पर ही अपना सच्चा आध्यात्मिक गुरु पाया है। एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स 1974 से 1976 के बीच भारत भ्रमण पर निकले। वह पर्यटन के मकसद से भारत नहीं आए थे, बल्कि आध्यात्मिक खोज में यहां आए थे। उन्हें एक सच्चे गुरु की तलाश थी।स्टीव पहले हरिद्वार पहुंचे और इसके बाद वह कैंची धाम तक पहुंच गए। यहां पहुंचकर उन्हें पता लगा कि बाबा समाधि ले चुके हैं। कहते है कि स्टीव को एप्पल के लोगो का आइडिया बाबा के आश्रम से ही मिला था। नीम करौली बाबा को कथित तौर पर सेब बहुत पसंद थे और यही वजह थी कि स्टीव ने अपनी कंपनी के लोगों के लिए कटे हुए एप्पल को चुना। हालांकि इस कहानी की सत्यता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।
जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शांति, शीर्ष पर पहुंचा फेसबुक
बाबा से जुड़ा एक किस्सा फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने 27 सितंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बताया था, तब पीएम मोदी फेसबुक के मुख्यालय में गए थे। इस दौरान जुकरबर्ग ने पीएम को भारत भ्रमण की बात बताई। उन्होंने कहा कि जब वे इस संशय में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने इन्हें भारत में नीम करोली बाबा के स्थान पर जाने की सलाह दी थी। जुकरबर्ग ने बताया था कि वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान वह नीम करोली बाबा के मंदिर में भी गए थे। जुकरबर्ग आए तो यहां एक दिन के लिए थे, लेकिन मौसम खराब हो जाने के कारण वह यहां दो दिन रुके थे। जुकरबर्ग मानते हैं कि भारत में मिली अध्यात्मिक शांति के बाद उन्हें फेसबुक को नए मुकाम पर ले जाने की ऊर्जा मिली।
बाबा की तस्वीर को देख जूलिया ने अपनाया हिन्दू धर्म
हॉलिवुड की मशहूर अदाकारा जूलिया रॉबर्ट्स ने 2009 में हिंदू धर्म अपना लिया था। वह फिल्म ‘ईट, प्रे, लव’ की शूटिंग के लिए भारत आईं थीं। जूलिया रॉबर्ट्स ने एक इंटरव्यू में यह खुलासा किया था कि वह नीम करौली बाबा की तस्वीर से इतना प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने हिन्दू धर्म अपनाने का फैसला कर डाला। जूलिया इन दिनों हिन्दू धर्म का पालन कर रही हैं।
क्या आपने कभी कल्पना की है कि कहीं ऐसा स्थान भी हो सकता है, जहां सृष्टि के अंत का रहस्य छिपा हो? कोई ऐसा मंदिर, जहां चारों धामों के दर्शन एक ही स्थान पर संभव हों? उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर मंदिर ऐसा ही एक रहस्यमयी और दिव्य स्थल है, जो हर भक्त को आस्था, रहस्य और आध्यात्मिकता की गहराइयों से जोड़ता है। यह मंदिर एक गुफा के भीतर स्थित है, जिसे प्राचीन काल से चमत्कारी और गूढ़ माना गया है। गुफा में प्रवेश करते ही ऐसा लगता है मानो आप किसी अद्भुत आध्यात्मिक संसार में प्रवेश कर चुके हों। मान्यता है कि यहां भगवान शिव के साथ-साथ 33 कोटि देवी-देवताओं का वास है। यहां स्थित भगवान गणेश का कटा हुआ मस्तक स्वयं में एक रहस्य है, जो इस स्थान की अलौकिकता को और भी गहरा बनाता है।
यहां स्थित शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि वह निरंतर बढ़ रहा है, और जिस दिन वह गुफा की छत से टकराएगा, उस दिन प्रलय होगा। यह धारणा श्रद्धालुओं को एक अकल्पनीय आध्यात्मिक अनुभव और चेतना की गहराई से जोड़ती है।गुफा के भीतर चार रहस्यमयी द्वार मानव जीवन के चार प्रमुख पड़ावों का प्रतीक माने जाते हैं। कहा जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद पाप द्वार और महाभारत युद्ध के बाद रण द्वार बंद हो गए। अब केवल धर्म द्वार और मोक्ष द्वार खुले हैं, जो जीवन के सत्य और मोक्ष के मार्ग की ओर संकेत करते हैं। पौराणिक इतिहास की दृष्टि से इस मंदिर का उल्लेख त्रेता युग में मिलता है। सूर्य वंश के राजा ऋतुपर्ण ने सबसे पहले इस गुफा की खोज की थी। कहा जाता है कि पांडवों ने भी यहां भगवान शिव के साथ चौपड़ खेला था। बाद में 819 ईस्वी में जगत गुरु शंकराचार्य ने इस स्थल की पुनः खोज की और यहां पूजा आरंभ की।
कैसे पहुंचे पाताल भुवनेश्वर?
यह दिव्य स्थल पिथौरागढ़ से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है, जबकि सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर है। सड़क मार्ग से यह स्थान सुगम रूप से जुड़ा हुआ है और उत्तराखंड के खूबसूरत पर्वतीय रास्तों से होकर गुज़रता है, जो यात्रा को और भी आनंददायक बना देता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि रहस्य और आध्यात्मिकता के अनूठे संगम के कारण भी यह स्थल भक्तों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पाताल भुवनेश्वर की इस अद्भुत गुफा में जाकर आप स्वयं उस दिव्यता और रहस्यमय ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं, जो सदियों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती आ रही है।
शिमला: हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की लेखन और पठन क्षमता का आकलन करने और उसमें सुधार लाने के उद्देश्य से समग्र शिक्षा द्वारा लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम (एलईपी) टेस्ट का आयोजन किया जा रहा है। इस पहल के तहत छठी से 12वीं कक्षा तक के बच्चों का आईक्यू स्तर परखने के लिए प्रदेश भर में ओसीआर शीट पर टेस्ट लिए जा रहे हैं। इन टेस्ट के परिणामों के आधार पर बच्चों में पाई जाने वाली कमियों को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। इसी कड़ी में, शिमला के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, लक्कड़ बाजार में भी छठी से लेकर 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों ने एलईपी टेस्ट में भाग लिया। स्कूल की प्रधानाचार्य डॉ. सुमन मच्छान ने बताया कि सरकारी स्कूलों में खराब परीक्षा परिणामों को बेहतर बनाने के लिए लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम शुरू किया गया है। उन्होंने जानकारी दी कि छठी से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के गणित, अंग्रेजी और विज्ञान विषयों के टेस्ट करवाए जा रहे हैं।डॉ. मच्छान ने आगे बताया कि एलईपी के माध्यम से बच्चों की लिखने-पढ़ने की क्षमता को परखा जाएगा और जहाँ भी सुधार की आवश्यकता होगी, वहाँ आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की छोंज़िन एंगमो ने इतिहास रच दिया है। वह माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारत की पहली और दुनिया की पांचवीं नेत्रहीन महिला बन गई हैं। उन्होंने सबसे ऊंचे पर्वत पर तिरंगा फहराया। एंग्मो, हेलेन केलर को अपना आदर्श मानती हैं। उनकी यह असाधारण उपलब्धि अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प की एक जीवंत मिसाल है। छोंजिन अंगमो के लिए एवरेस्ट पर चढ़ना बचपन का सपना था। उन्होंने बताया कि इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने कई दरवाज़े खटखटाए, लेकिन हर जगह निराशा ही मिली। हालांकि, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया उनके लिए उम्मीद की किरण बना और उनके इस सपने को पूरा करने में आर्थिक मदद की। वर्तमान में, अंगमो दिल्ली में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में ग्राहक सेवा सहयोगी के पद पर कार्यरत हैं। 2016 में, उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान से प्रशिक्षण लिया और अपनी कड़ी मेहनत के लिए 'सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु' का पुरस्कार भी जीता। यह उनकी पर्वतारोहण यात्रा का पहला महत्वपूर्ण कदम था। जिसने उनके भीतर छुपी अदम्य शक्ति को पहचान दिलाई। छोंजिन अंगमो का जीवन चुनौतियों से भरा रहा है। जब वह तीसरी कक्षा में थीं, तब आठ साल की उम्र में एक दवा से एलर्जी के कारण उनकी आंखों की रोशनी चली गई। लेकिन इस शारीरिक बाधा ने उनके जज्बे को कभी कम नहीं किया। उनके माता-पिता, अमर चंद और सोनम छोमो, ने 2006 में उन्हें लेह के महाबोधि स्कूल और दृष्टिबाधित बच्चों के छात्रावास में दाखिला दिलाया, जहां से उनकी शिक्षा और जीवन को एक नई दिशा मिली। चंडीगढ़ से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह दिल्ली के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा के साथ-साथ अपने पर्वतारोहण के जुनून को भी जारी रखा। उन्होंने लद्दाख की कई चोटियों पर चढ़ाई की और 2021 में, सशस्त्र बलों के दिग्गजों के समूह, टीम क्लॉ के नेतृत्व में सियाचिन ग्लेशियर में एक विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों के अभियान 'ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम' का भी हिस्सा बनीं। 28 वर्षीय अंगमो पहले भी कई चुनौतीपूर्ण चोटियों को फतह कर चुकी हैं, जिनमें सियाचिन कुमार पोस्ट (15632 फीट) और लद्दाख की एक अज्ञात चोटी (19717 फीट) शामिल हैं। उनकी असाधारण उपलब्धियों को देखते हुए, 2024 में भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें 'सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन' के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया।
पांगी - हिमाचल की सबसे खतरनाक सड़क से जुड़ा गांव
**सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा - यहाँ हर व्यवस्था बेहाल
**आरोप : HRTC बस ड्राइवर करते है मनमर्ज़ी, डिपू से नहीं मिलता पूरा राशन
**सड़क बंद हो तो कंधे पर उठा कर ले जाते है मरीज़
**मुख्यमंत्री के दौरे के बाद जगी उम्मीद
वसीम बरेलवी उर्दू के बेहद लोकप्रिय शायर हैं। उनकी ग़ज़लें बेहद मक़बूल हैं जिन्हें जगजीत सिंह से लेकर कई अजीज़ गायकों ने अपनी आवाज़ दी है। वसीम बरेलवी अपनी शायरी और गजल के जरिए लाखों दिलों पर राज करते हैं। कोई भी मुशायरा उनके बगैर पूरा नहीं माना जाता।
18 फरवरी 1940 को वसीम बरेलवी का जन्म बरेली में हुआ था। पिता जनाब शाहिद हसन के रईस अमरोहवी और जिगर मुरादाबादी से बहुत अच्छे संबंध थे। दोनों का आना-जाना अक्सर उनके घर पर होता रहता था। इसी के चलते वसीम बरेलवी का झुकाव बचपन से शेर-ओ-शायरी की ओर हो गया। वसीम बरेलवी ने अपनी पढ़ाई बरेली के ही बरेली कॉलेज से की। उन्होंने एमए उर्दू में गोल्ड मेडल हासिल किया। बाद में इसी कॉलेज में वो उर्दू विभाग के अध्यक्ष भी बने। 60 के दशक में वसीम बरेलवी मुशायरों में जाने लगे। आहिस्ता आहिस्ता ये शौक उनका जुनून बन गया। पेश हैं उनके कुछ चुनिंदा शेर
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है
ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं
तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी
ग़म और होता सुन के गर आते न वो 'वसीम'
अच्छा है मेरे हाल की उन को ख़बर नहीं
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों से
कहीं हयात इसी फ़ासले का नाम न हो
कुछ है कि जो घर दे नहीं पाता है किसी को
वर्ना कोई ऐसे तो सफ़र में नहीं रहता
उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता
वो मेरे सामने ही गया और मैं
रास्ते की तरह देखता रह गया
अपने अंदाज़ का अकेला था
इसलिए मैं बड़ा अकेला था
हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग (एचपीआरसीए) ने पोस्ट कोड 928 के तहत स्टेनो टाइपिस्ट के 66 पदों की भर्ती के लिए अन्तिम परीक्षा परिणाम आज घोषित कर दिया है। प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों, बोर्डां और निगमों ने इन पदों को भरने के लिए सिफारिश की थी जिसके लिए 1 दिसंबर, 2021 को विज्ञापन जारी किया गया था।
इनमें सामान्य श्रेणी (अनारक्षित) के 16 पद, सामान्य श्रेणी (आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग) के सात पद, सामान्य श्रेणी (स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रित) का एक पद, सामान्य श्रेणी (पूर्व सैनिकों के आश्रित) के आठ पद, अन्य पिछड़ा वर्ग (अनारक्षित) के 11 पद, अन्य पिछड़ा वर्ग (बीपीएल) के पद, अन्य पिछड़ा वर्ग (पूर्व सैनिकों के आश्रित) के दो पद, अनुसूचित जाति (अनारक्षित) के 11 पद, अनुसूचित जाति (पूर्व सैनिकों के आश्रित) के तीन पद, अनुसूचित जनजाति (बीपीएल) का एक पद और अनुसूचित जनजाति (पूर्व सैनिकों के आश्रित) का एक पद शामिल हैं।
पोस्ट कोड 928 के तहत स्टेनो टाइपिस्ट के 66 पदों में से 15 पद सक्षम उम्मीदवार न मिलने के कारण रिक्त रखे गए हैं। लिए विज्ञप्ति परीक्षा परिणाम हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग की अधिकारिक वेबसाइट www.hprca.hp.gov.in पर भी उपलब्ध है।
हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के महासचिव एवं सिस्को संस्था के अध्यक्ष महेश सिंह ठाकुर को जवाहर बाल मंच का राज्य मुख्य संयोजक नियुक्त किया गया है।
चीफ स्टेट कॉडिनेटर बनाए जाने पर महेश सिंह ठाकुर ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी,प्रदेश के सीएम सुखविन्दर सिंह सूक्खु , राष्ट्रीय प्रभारी केसी वेणुगोपाल,जवाहर बाल मंच के राष्टीय अध्यक्ष जी.वी. हरि. सहित अन्य नेताओं के प्रति आभार जताया है।
महेश ठाकुर ने कहा कि जवाहर बाल मंच का मुख्य उद्देश्य 7 वर्षों से लेकर 17 वर्ष के आयु के लड़के लड़कियां तक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के विचार को पहुंचना। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से मौजूदा सरकार के द्वारा देश के इतिहास के साथ छेड़छाड़ हो रहा है देश के युवाओं को भटकाया जा रहा है जो की देश के लिए एक बहुत बड़ा चिन्ता का विषय है कांग्रेस पार्टी ने इस विषय को गंभीरता से लिया और राहुल गांधी के निर्देश पर डॉ जीवी हरी के अध्यक्षता में देशभर में जवाहर बाल मंच के द्वारा युवाओं के बीच में नेहरू जी के विचारों को पहुंचाया जाएगा।
उन्होंने कहा वर्ष 2024 के चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत हासिल कर केंद्र से भाजपा को हटाने का काम करेगी। इसमें हिमाचल प्रदेश राज्य की भी प्रमुख भुमिका रहेगी।
उन्होंने कहा कि पूरे देश में महंगाई के कारण आमलोगों का जीना मुश्किल हो गया है। गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार पर इस महंगाई का व्यापक असर पड़ रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।
बीजेपी को अब भी पहली महिला अध्यक्ष का इन्तजार
28 जुलाई 1948 को डॉ. यशवंत सिंह परमार हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के पहले अध्यक्ष बने थे। वर्तमान में प्रतिभा सिंह कांग्रेस की 32वीं प्रदेश अध्यक्ष हैं। पिछले 77 वर्षों में कुल 24 नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नेतृत्व किया है, जिनमें पांच महिलाएं शामिल हैं।
कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष सत्यवती डांग 18 जनवरी 1964 से 13 दिसंबर 1969 तक इस पद पर रहीं। इसके बाद 7 जुलाई 1979 से 18 अप्रैल 1983 तक सरला शर्मा पीसीसी अध्यक्ष रहीं। तीसरी महिला अध्यक्ष विद्या स्टोक्स थीं, जिन्होंने 17 दिसंबर 2000 से 28 नवंबर 2004 तक पार्टी की कमान संभाली। इसके बाद 25 जुलाई 2005 से 7 जुलाई 2008 तक विप्लव ठाकुर प्रदेश अध्यक्ष रहीं। वर्तमान अध्यक्ष प्रतिभा सिंह 26 अप्रैल 2022 से पद पर हैं। हालांकि, अब चर्चा है कि उन्हें फिर से मौका मिलेगा या नया नेतृत्व आएगा।
भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो करीब 45 साल के अपने इतिहास में पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में अब तक 13 नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। इनमें से कुछ एक बार, कुछ दो बार और कुछ तीन बार इस पद पर रहे हैं। लेकिन अब तक भाजपा ने किसी महिला को प्रदेश अध्यक्ष बनने का मौका नहीं दिया है।
दिलचस्प बात यह है कि जल्द ही दोनों ही पार्टियों यानी कांग्रेस और भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होने वाले हैं। कांग्रेस में मौजूदा अध्यक्ष प्रतिभा सिंह फिर से दावेदार हैं, जबकि भाजपा से इंदु गोस्वामी का नाम चर्चा में है। ऐसे में दोनों पार्टियों पर सबकी निगाहें टिकी हैं ।