Reading ⇾
हिमाचल के CM सुक्खू ने की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात, लोन लिमिट बढ़ाने की रखी मांग
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंट कर हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति के दृष्टिगत वित्तीय सहायता, ऋण एवं अनुदान के लिए उदार दृष्टिकोण अपनाने तथा प्रदेश को वित्त वर्ष 2025-26 की शेष अवधि के लिए ऋण सीमा में दो प्रतिशत की वृद्धि का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार के सतत् प्रयासों से हालांकि राज्य के राजस्व में वृद्धि हो रही है लेकिन राजस्व घाटा अनुदान में नियमित कमी तथा पिछले तीन वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुए नुकसान के दृष्टिगत हिमाचल की वित्तीय स्थिति पर अत्यंत नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। सुक्खू ने कहा कि 15वें वित्त आयोग की अवधि में प्रदेश के राजस्व घाटा अनुदान में कमी आई है। वर्ष 2020-21 के 10249 करोड़ रुपए की तुलना में वर्ष 2025-26 में यह घटकर मात्र 3257 करोड़ रुपए रह गया है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के कारण लगभग 18000 करोड़ रुपए का नुकसान आंका गया है। इस अवधि में प्रदेश में 1321 लोगों की मृत्यु भी हुई। इस कारण प्रदेश के संसाधन एवं श्रम शक्ति में भी कमी आई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर दर के हाल ही में किए गए युक्तिकरण से कर आधार कम होने से प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया कि हिमाचल की कठिन परिस्थितियों के दृष्टिगत हिमाचल को उदार वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जाए। उन्होंने राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अपनाए जा रहे उपायों की जानकारी भी प्रदान की। वहीं केन्द्रीय वित्त मंत्री ने आश्वस्त किया कि प्रदेश की विभिन्न मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल को विशेष केन्द्रीय सहायता के अंतर्गत अतिरिक्त सहायता प्रदान करने और बाह्य वित्त पोषित परियोजनाओं के तहत विशेष रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र की योजनाओं के लिए अतिरिक्त स्वीकृति पर भी विचार किया जाएगा। राज्य सभा सांसद एवं हिमाचल कांग्रेस की प्रभारी रजनी पाटिल, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह, प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार, प्रधान आवासीय आयुक्त अजय कुमार यादव और केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
शिमला के सुन्नी, घरयाणा में आयोजित एक विवाह इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। निरंकारी रीति-रिवाजों से संपन्न हुआ यह विवाह आम शादियों से बिल्कुल अलग था। इस समारोह की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि दूल्हा बाउंसरों के दल के साथ बारात लेकर पहुंचा और पूरे समारोह स्थल को अभूतपूर्व सुरक्षा घेरे में रखा गया था। पंचकूला से आई बारात में दूल्हा वंश और दुल्हन सकीना की यह शादी थी। सूत्रों के अनुसार, समारोह में सुरक्षा इतनी कड़ी थी कि दूल्हा-दुल्हन के पास जाने की इजाजत किसी को नहीं थी। इसकी एक वजह यह भी बताई गई कि दूल्हे का सेहरा सोने और हीरे से जड़ा था, हालांकि, इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। फिर भी, मौके पर मौजूद लोगों ने बाउंसरों की तैनाती को सुरक्षा के लिए अनिवार्य बताया, जिन्होंने पूरे कार्यक्रम के दौरान कड़ी चौकसी रखी। इस हाई-प्रोफाइल शादी का एक वीडियो भी सामने आया है, जो इसकी अनोखी कहानी बयां करता है। वीडियो में दुल्हन सकीना अपनी एंट्री को यादगार बनाती हुई दिखती हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि इस दौरान भी उनके चारों ओर बाउंसरों का कड़ा सुरक्षा घेरा बना हुआ था। दुल्हन जैसे-जैसे दूल्हे की ओर बढ़ती हैं, बाउंसर भी साथ-साथ चलते हैं। अपनी दुल्हन को इस अंदाज में आता देख, दूल्हा वंश भी बेहद खुश नज़र आए और स्टेज पर पहुंचते ही उन्होंने दुल्हन के माथे को चूमकर उनका स्वागत किया। सुरक्षा के इस अनूठे प्रदर्शन और कथित 'हीरे जड़े सेहरे' के कारण, यह शादी अब सोशल मीडिया पर वायरल सेंसेशन बन गई है, जहां लोग इस अनोखी व्यवस्था पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
प्रदेश में नवंबर शुरू होने से पहले ही ठंडक बढ़ गई है। प्रदेश के कई इलाकों में न्यूनतम तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। इससे सुबह और शाम के समय ठंडक बढ़ गई है। प्रदेश के चार शहरों का न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से कम और 13 शहरों में 10 डिग्री से नीचे लुढ़क चुका है। केलांग का न्यूनतम तापमान माइनस 0.2 डिग्री सेल्सियस रह गया है। बीते 48 घंटे में प्रदेश का औसत न्यूनतम तापमान 2.1 डिग्री कम हुआ है। शिमला का न्यूनतम तापमान इस सीजन में पहली बार 9.4 डिग्री तक गिरा है। कल्पा का तापमान 3.8 डिग्री, कुकुमसेरी का 0.2 डिग्री और ताबो का न्यूनतम तापमान 0.8 डिग्री सेल्सियस तक गिर चुका है। वहीं नारकंडा का न्यूनतम तापमान 6 डिग्री, मनाली का 5.4 डिग्री, कुफरी का 7.1 डिग्री और रिकांगपियो का 6.6 डिग्री रह गया है। मौसम विभाग के अनुसार पहाड़ों पर अगले छह दिन मौसम पूरी तरह साफ रहेगा। इस दौरान बारिश व बर्फबारी के कोई आसार नहीं है। इससे दिन का तापमान सामान्य बना रहेगा, जबकि रात के तापमान में हल्की गिरावट आ सकती है। खासकर ऊंचे क्षेत्रों के तापमान में हल्की गिरावट आएगी। प्रदेश का औसत अधिकतम तापमान भी बीते 24 घंटे में 1.3 डिग्री कम हुआ है। बीते 24 घंटे में कुकुमसेरी के तापमान में सबसे ज्यादा 3.7 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई। इसके बाद कुकुमसेरी का अधिकतम तापमान 16.6 डिग्री रह गया है।
दिनांक 03.10.2025 को थाना मानपुरा के अंतर्गत गाँव ढेला निवासी कृष्ण कुमार पुत्र मेझ चन्द ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि रात्रि के समय अज्ञात चोरों ने उनके घर में चोरी की वारदात को अंजाम दिया है। शिकायत के आधार पर थाना मानपुरा में मामला दर्ज किया गया। घर से सोने और चाँदी के आभूषण चोरी हुए जिनकी अनुमानित कीमत लगभग ₹10,00,000/- है। घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस दल ने मौके का निरीक्षण किया और FSL टीम को बुलाकर भौतिक साक्ष्य एकत्रित किए। मामले की गहराई से जांच हेतु साइबर सेल एवं CCTV सेल की सहायता से एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया। SIT द्वारा अन्तर्राज्यीय चोरी गिरोहों की गतिविधियों का विश्लेषण किया गया। उपलब्ध तकनीकी व भौतिक साक्ष्यों के आधार पर अपराध में शामिल गिरोह की पहचान सुनिश्चित की गई। आरोपियों की तलाश हिमाचल प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा के विभिन्न स्थानों पर की गई। दिनांक 25.10.2025 को विशेष जांच दल की मेहनत से चोरी वारदात में शामिल गिरोह के दो सदस्य गिरफ्तार किए गए जिसमें सूरज पुत्र शाम, निवासी सरलोई, जिला अंबाला, हरियाणा (वर्तमान निवासी झुग्गी-झोपड़ी, चौक पोस्ट घनौली, पंजाब), आयु 32 वर्ष, दूसरा विजय कुमार उर्फ जाफी पुत्र शंकर दास, निवासी भरतगढ़, जिला रोपड़, पंजाब (वर्तमान निवासी झुग्गी-झोपड़ी, चौक पोस्ट घनौली, पंजाब), आयु 22 वर्ष शामिल है। आरोपियों की निशानदेही पर चोरी में प्रयुक्त दो मोटरसाइकिलें बरामद की गईं। जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ कि चोरी किया गया सोना-चाँदी रोपड़ स्थित “सुशील ज्वैलर्स” दुकान पर बेचा गया था। दुकान में दबिश देने पर लगभग ₹10 लाख मूल्य के सभी चोरीशुदा आभूषण बरामद किए गए। दुकान मालिक दीपक कुमार पुत्र सुशील कुमार, निवासी गुगा माड़ी मोहल्ला, वार्ड संख्या 1, रूपनगर (पंजाब) को भी गिरफ्तार किया गया। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि गिरफ्तार दोनों आरोपी एक सक्रिय अन्तर्राज्यीय चोरी गिरोह के सदस्य हैं, जो हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में कई चोरी की वारदातों में संलिप्त रहे हैं। तीनों राज्यों में इनके विरुद्ध कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। गिरोह के अन्य सक्रिय सदस्यों की पहचान की जा चुकी है और उनकी गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।
बांग्लादेश के ढाका में महिला कबड्डी विश्वकप आयोजित होने जा रहा है। जिसमें भारतीय टीम में सूबे की सात बेटियां जगह बना सकती हैं। इन्हें फाइनल कोचिंग कैंप के लिए बुलाया गया है। पूरे देश से कुल 25 खिलाड़ियों को बुलाया गया है। यहीं से फाइनल टीम सिलेक्ट होगी। उम्मीद जताई जा रही है कि सभी बेटियां टीम का हिस्सा हो सकती हैं। हालांकि, यह टीम घोषणा के बाद ही तय हो पाएगी। इतना साफ है कि टीम में पांच से छह खिलाड़ियों का चयन निश्चित है। यह सभी खिलाड़ी गुजरात के गांधीनगर में शिविर में भाग लेगी। 12 नवंबर को टीम का चयन होगा। इसके बाद टीम बांग्लादेश के लिए रवाना होगी। टीम ढाका में 15 से 25 नवंबर को होने वाले महिला कबड्डी विश्वकप में हिस्सा लेगी। देश के विभिन्न राज्यों से भारतीय टीम में चयन होने के लिए फाइनल कोचिंग शिविर में 25 महिला कबड्डी खिलाड़ियों को बुलाया गया है। इसमें सात खिलाड़ी हिमाचल प्रदेश से हैं। इनमें पुष्पा, ज्योति, चंपा और भावना धर्मशाला स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में अभ्यास करती हैं। साक्षी शर्मा, निधि शर्मा और रितू नेगी अन्य राज्यों और बोर्डों से खेलती हैं। फाइनल कोचिंग शिविर में चयनकर्ता खिलाड़ियों के प्रदर्शन को देखते हुए 12 नवंबर तक भारतीय टीम का चयन करेंगे। इसके लिए सभी खिलाड़ी गुजरात के गांधीनगर पहुंच गई हैं। विश्व कप पहले भारत में होना तय था। इसके लिए दो बार महिलाओं का फाइनल कैंप लग चुका है। यह जुलाई और सितंबर में लग चुका है। इसमें भी हिमाचल की इन सात खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। इसके बाद बांग्लादेश को इसकी मेजबानी मिली। इसीलिए कैंप फिर से लगाया जा रहा है।
प्रदेश में तीन दिन से खिल रही धूप के बाद मौसम सुहावना हो गया है। पहाड़ों पर इससे रौनक बढ़ने लगी है। मौसम विभाग की माने तो दो नवंबर तक मौसम पूरी तरह साफ रहेगा। इससे तापमान में सामान्य से हल्का उछाल आएगा। अभी प्रदेश का औसत अधिकतम तापमान सामान्य से 1.2 डिग्री ज्यादा और न्यूनतम तापमान 0.3 डिग्री अधिक चल रहा है। अगले एक सप्ताह के दौरान भी तापमान सामान्य से ज्यादा बना रहेगा। सुहावने मौसम का लुत्फ उठाने के लिए काफी संख्या में टूरिस्ट प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर पहुंच रहे हैं। बर्फ देखने की चाहत में टूरिस्ट खासकर मनाली का रुख कर रहे हैं। मनाली से पर्यटक सुबह रोहतांग पास व आसपास के पर्यटन स्थलों पर जा रहे हैं और शाम को वापस मनाली लौट रहे हैं। मनाली के मॉल रोड पर भी शाम के समय काफी चहल पहल बढ़ी है। इससे पर्यटन कारोबारियों के चेहरे पर भी रौनक लौट आई है। शिमला, कुफरी व नारकंडा में भी काफी समय बाद टूरिस्ट पहुंच रहा है। वहीं एक नवंबर से रात के तापमान में हल्की गिरावट आनी शुरू होगी। इससे ऊंचे क्षेत्रों के साथ साथ मैदानी इलाकों की रातें भी ठंडी पड़ने लगेगी। अभी प्रदेश के अधिकांश शहरों का न्यूनतम तापमान सामान्य से ज्यादा चल रहा है। अभी मनाली का न्यूनतम तापमान सामान्य की तुलना में सबसे ज्यादा 2.3 डिग्री अधिक के साथ 6.7 डिग्री सेल्यिस चल रहा है।
एक ऐसा पर्व जिसमें डूबते सूरज को भी अर्घ्य दिया जाता है अर्ध्य, जानिए छठ पर्व क्यों मनाया जाता है
छठ पर्व दिवाली के छह दिन बाद कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाने की परंपरा है। यह महापर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। पहला दिन नहाय-खाय, दूसरा दिन खरना, तीसरा दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य तथा चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर यह त्योहार संपन्न होता है। छठ पर्व 25 अक्टूबर से ही शुरू हो चुका है और आज इसका तीसरा दिन है। बीते कल खरना से ही व्रत रखने वाले लोगों का 36 घंटों का निर्जला उपवास शुरू हो चुका है। कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इस पर्व का समापन होगा। यह खासकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तरप्रदेश तथा नेपाल के तराई क्षेत्र में मनाया जाने वाला पर्व है। विदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय विदेशों में भी इसे मनाते हैं। छठ पूजा में मूर्तिपूजा नहीं बल्कि सूर्य तथा जल की पूजा की जाती है यानि प्रकृति की पूजा। छठ को शुद्धता तथा पवित्रता का महापर्व कहा जाता है। क्यों कि इसमें शुद्धता का बहुत ही ज्यादा ख्याल रखा जाता है। इस पर्व में पूरी श्रद्धा से मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ियों से शुद्ध घी से मिटटी या पीतल के बर्तन में प्रसाद बनाया जाता है। इस व्रत में चार दिनों तक बहुत ही कठोर नियम का पालन करना पड़ता है। इस वजह से इसे भक्ति और कठोर तप अद्भुत संगम कहा गया है। छठ महापर्व में डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर उनके व छठी मां के प्रति और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। इस पूजा में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है। सूर्य देवता को जीवन, ऊर्जा तथा स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है और वहीं छठी मां को संतान की रक्षा का प्रतीक। छठ पहला दिन इस दिन व्रती सिर्फ एक समय ही शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं। चावल, चना दाल एवं कद्दू की सब्जी का प्रसाद बनाया जाता है। छठ मां और सूर्यदेव को भोग लगाने के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं और इसके बाद परिवार के सदस्य इसे ग्रहण करते हैं। दूसरा दिन खरना खरना के दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं। सूर्यास्त के बाद दूध और गुड़ व चावल की खीर, रोटी तथा फल का प्रसाद छठी मां को अर्पित करते हैं। इसके बाद यह प्रसाद व्रतियों द्वारा ग्रहण किया जाता है। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद से ही 36 घंटे का कठोर निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। तीसरा दिन खरना के बाद से ही इस दिन भर निर्जला उपवास पर रहते हैं व्रती। सूर्य डूबने से पहले व्रती स्नान कर स्वच्छ बिल्कुल नए कपड़े पहनते हैं। इसके बाद बांस की सूप में घी से बना ठेकुआ, चावल और घी से बना लड्डू, नारियल, गन्ना समेत कई फल और साथ ही घी का दीपक इस सूप पर रखते हैं। फिर नदी किनारे घाट पर जाकर पानी में खड़े होकर हाथ में इस सूप को लेकर डूबता हुए सूर्य को देखते हुए परिक्रमा करते हुए आराधना करते हैं। व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान सूर्य व छठी मां का आभार व्यक्त करते हैं। चौथा दिन सुबह सूर्य देव के उगने से पहले व्रती स्नान कर फिर से बिल्कुल नए स्वच्छ कपड़े पहनते हैं। इसके बाद बांस की सूप में ठेकुआ, चावल और घी से बना लड्डू, नारियल, गन्ना समेत कई फल और साथ ही घी का दीपक इस सूप पर रखते हैं। फिर नदी किनारे घाट पर जाकर पानी में खड़े होकर हाथ में इस सूप को लेकर उगते हुए सूर्य को देखते हुए परिक्रमा करते हुए उपासना करते हैं। व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान सूर्य व छठी मां का आभार व्यक्त करते हैं। खरना के बाद से ही करीब 36 घंटे तक निर्जला उपवास के बाद इस दिन इस पर्व का समापन हो जाता है। इसे मनाने के पीछे पौराणिक कथाएं द्वापर युग में माना जाता है कि पांडव के कठिन वक्त में द्रौपदी ने छठ व्रत कर सूर्य देव से अपने परिवार के लिए प्रार्थना की थी। वहीं, दूसरी तरफ कर्ण रोज स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देते थे और साथ ही सूर्य उपासना करने वाले इन्हें प्रथम साधक कहा जाता है। तब से इसे मनाया जाने लगा। त्रेता युग में श्रीराम जब अयोध्या लौटे उसके बाद छठ व्रत शुरु हुई। रावण का वध करने पर माना जाता है कि श्रीराम को ब्रह्महत्या का पाप लग गया था। इससे मुक्ति पाने के लिए कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन श्रीराम व मां सीता ने छह दिनों तक सूर्य देव की पूजा की। तब से इसे छठ पर्व के रूप में मनाया जाने लगा। मार्कण्डेय पुराण के मुताबिक़, सृष्टि की रचना के वक्त देवी प्रकृति छह भागों में विभाजित हुए। छठा अंश सबसे बेहद शक्तिशाली माने गए, जिसे छठी मां कहा गया। इन्हें ब्रह्मा जी की मानस पुत्री के रूप में पूजा जाता है।
Featured Videos
Video
Latest
बिहार : महागठबंधन ने उतारे 243 सीटों पर 254 उम्मीदवार, उतरे एक-दूसरे के खिलाफ, जानें क्या है पूरा मामला
मोदी की स्वास्थ्य गारंटी : आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से जुड़े 56.67 करोड़ लोग
देश के 45 शिक्षकों को मिला 'राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार', राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया सम्मानित
Asia Cup 2025: आज दुबई में भारत-पाक के बीच होने वाले मैच को लेकर देशभर में विरोध
एक ऐसा पर्व जिसमें डूबते सूरज को भी अर्घ्य दिया जाता है अर्ध्य, जानिए छठ पर्व क्यों मनाया जाता है
पाताल भुवनेश्वर मंदिर: रहस्य, आस्था और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम
एक ऐसा पर्व जिसमें डूबते सूरज को भी अर्घ्य दिया जाता है अर्ध्य, जानिए छठ पर्व क्यों मनाया जाता है
बिहार : महागठबंधन ने उतारे 243 सीटों पर 254 उम्मीदवार, उतरे एक-दूसरे के खिलाफ, जानें क्या है पूरा मामला
नेपाल: अंतरिम PM बनाने के लिए सेना-प्रदर्शनकारियों के बीच शुरू हुई बातचीत, कुलमान घिसिंग व सुशीला कार्की का नाम आगे
शायरी के बादशाह कहलाते है वसीम बरेलवी, पढ़े उनके कुछ चुनिंदा शेर
जयसिंहपुर: लोअर लंबागांव की बेटी अलीशा बनी ऑडिट इंस्पेक्टर
कहते है चंबा के राजमहल में 17 साल बतौर शाही मेहमान रहा था एक भैंसा
11 साल बाद हरियाणा कांग्रेस को मिले जिला अध्यक्ष, हिमाचल में भी 9 महीने से इन्तजार













