Reading ⇾
Cuttack: Ravenshaw University, one of Odisha’s oldest and most prestigious institutions, has withdrawn a controversial directive that prohibited women faculty, staff, and students from remaining on campus after 5:30 pm. The decision came after widespread criticism and intervention by the state’s higher education department. The now-withdrawn order, issued earlier in the day by the university registrar, had stated: “No female faculty, staff and students are permitted to remain in the workplace or on campus after 5.30 pm. This decision will remain in place until a formal Standard Operating Procedure (SoP) is issued, which will outline the necessary guidelines and protocols for work hours and safety measures.” The directive sparked immediate outrage for being discriminatory and regressive, effectively restricting women's freedom on campus under the guise of safety. It was officially revoked through a subsequent order issued later the same day. Background and Possible Trigger According to sources, the order may have been a knee-jerk response to growing concerns over campus safety, following the recent suicide of a student who had allegedly faced sexual harassment at a college in Odisha. However, instead of addressing systemic issues or ensuring better safeguards, the university’s decision to impose restrictions on women drew sharp criticism from students, faculty, and rights activists. “The higher education department stepped in, stating that such an order sends the wrong message and contradicts the principles of gender equality,” said a senior government official. When contacted, the university registrar declined to elaborate on the rationale behind the directive and only confirmed that the order had been rescinded.
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शुक्रवार को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद ईडी की टीम ने चैतन्य को रायपुर की अदालत में पेश किया। गिरफ्तारी की खबर के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक, नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत और स्वयं भूपेश बघेल, रायपुर जिला न्यायालय पहुंचे। यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र का आज अंतिम दिन था। ईडी की छापेमारी और गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया। 'साहब ने भेज दी ईडी': भूपेश बघेल का तंज पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ईडी की छापेमारी पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सुबह भिलाई स्थित अपने निवास पर ईडी के छापे की जानकारी देते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा: "ED आ गई। आज विधानसभा सत्र का अंतिम दिन है। अडानी के लिए तमनार में काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा उठाना था। भिलाई निवास में ‘साहेब’ ने ED भेज दी है।" बघेल ने यह भी याद दिलाया कि आज उनके बेटे चैतन्य का जन्मदिन है। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा: "जन्मदिन का जैसा तोहफ़ा मोदी और शाह जी देते हैं, वैसा दुनिया के किसी लोकतंत्र में और कोई नहीं दे सकता। मेरे जन्मदिन पर मेरे सलाहकार और ओएसडी के घरों पर ईडी भेजी गई थी, और आज मेरे बेटे के जन्मदिन पर मेरे घर पर रेड डाली गई है। इन तोहफों का धन्यवाद, ताउम्र याद रहेगा।" क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला? ईडी की जांच के मुताबिक, यह कथित घोटाला फरवरी 2019 में शुरू हुआ। आरोप है कि शराब डिस्टिलरियों से हर महीने 800 पेटी शराब अवैध रूप से भेजी जाती थी। समय के साथ यह संख्या 400 ट्रकों और 60 लाख पेटियों तक पहुंच गई। जांच में सामने आया कि इन तीन वर्षों में करीब 2,174.60 करोड़ रुपये का अवैध राजस्व अर्जित किया गया। प्रति पेटी की कीमत पहले 2,840 रुपये, बाद में बढ़कर 3,880 रुपये हो गई। ईडी का दावा है कि इस पूरे नेटवर्क में कई अधिकारी, कारोबारी और राजनीतिक हस्तियां शामिल हैं।
बिजली महादेव मंदिर के कपाट नहीं हुए बंद, मुख्य द्वार से हो रहे भोले बाबा के दर्शन: कारदार विनेंद्र जंबाल
कुल्लू। सावन के पावन महीने में बिजली महादेव मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद नहीं किए गए हैं। मंदिर के कारदार विनेंद्र जंबाल ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि श्रद्धालु मुख्य द्वार से भोले बाबा के दर्शन कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर फैल रही इस भ्रांति का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि कपाट बंद होने की खबरें निराधार हैं।उन्होंने बताया कि देव आदेश के तहत इस बार श्रद्धालुओं को केवल मुख्य द्वार से दर्शन की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, मंदिर परिसर में शोर-शराबा, भजन कीर्तन, लंगर आयोजन और रात्रि ठहराव पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। उन्होंने ये भी कहा कि मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है, मगर मुख्या द्वार से शिवलिंग के दर्शन किए जा सकेंगे। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे परंपरा और मर्यादाओं का पालन करें तथा देवस्थल की गरिमा बनाए रखें। यह फैसला देव परंपराओं और लोक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जिससे श्रद्धा बनी रहे और व्यवस्था भी सुचारू रहे।
कभी देश के टॉप 30 स्वच्छ शहरों में गिना जाने वाला शिमला… आज 300 में भी नहीं है। करोड़ों की हाईटेक मशीनें, सफाई के तमाम दावे और योजनाएं…सब धरा का धरा रह गया और इस बार शिमला 347वें स्थान पर आ गया है। 2024 के स्वच्छता सर्वेक्षण में शिमला को 347वां स्थान मिला है, जो अब तक की सबसे निचली रैंकिंग है। इससे पहले 2023 में शहर 188वें और 2022 में 56वें पायदान पर था। 2016 में जब सर्वे में कम शहर शामिल थे, तब शिमला देश में 27वें स्थान पर था। करोड़ों रुपये की मशीनें और संसाधन झोंकने के बावजूद सफाई के मोर्चे पर यह गिरावट नगर निगम और जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है। कभी मिसाल था शिमला, अब चिंता का विषय 2016 में शिमला ने स्वच्छता रैंकिंग में 27वां स्थान हासिल कर देशभर का ध्यान अपनी ओर खींचा था। इसे सफाई व्यवस्था, कचरा प्रबंधन और नागरिक सहभागिता के लिए एक आदर्श मॉडल माना गया। मगर बीते कुछ वर्षों में नगर निगम की सुस्त कार्यप्रणाली, राजनीतिक अस्थिरता और अभियानात्मक ढिलाई ने शिमला को इस गर्त में धकेल दिया है। वर्ष शिमला की रैंक 2016 27 2017 47 2018 144 2019 127 2020 65 2023 56 2024 188 2025 347 रिपोर्ट में किन बिंदुओं पर फेल हुआ शिमला? स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, शिमला डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण, कचरा निपटान और स्रोत स्तर पर कचरे की छंटाई जैसे मूलभूत मानकों पर बेहद कमजोर प्रदर्शन कर रहा है। डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण: सिर्फ 42% कचरे का निपटान: 44% स्रोत स्तर पर कचरे की छंटाई: मात्र 2% डंपिंग साइट की स्थिति: 0% (पूर्ण असंतोषजनक) सार्वजनिक शौचालयों की सफाई: 67% जबकि आवासीय और बाजार क्षेत्रों की सफाई रिपोर्ट में 100% अंक दिए गए हैं, लेकिन असल तस्वीर इससे अलग प्रतीत होती है। नगर निगम ने बताया सर्वे को 'त्रुटिपूर्ण' हाई कोर्ट के निर्देशों और राज्य सरकार की निगरानी के बावजूद जब यह रिपोर्ट सामने आई, तो नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. चेतन चौहान ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "इस सर्वे में कई तथ्यों को गलत दर्शाया गया है। शिमला में डोर-टू-डोर कूड़ा नियमित रूप से उठ रहा है, लेकिन आंकड़ों में सिर्फ 42% दिखाया गया है। हम इस रिपोर्ट को चुनौती देंगे।"
माजरा हिंसा मामला : बिंदल और सुखराम को मिली सशर्त अग्रिम जमानत, बिना अनुमति के नहीं जा पाएंगे विदेश
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल, पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी और तीन अन्य को बड़ी राहत देते हुए अग्रिम जमानत मंजूर कर दी है। ये जमानतें सिरमौर जिले के माजरा थाना क्षेत्र में दर्ज एफआईआर और धारा 163 के उल्लंघन से जुड़े मामले में दी गई हैं। न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की एकल पीठ ने पांचों याचिकाकर्ताओं को 50,000 रुपये के निजी मुचलके के साथ सशर्त जमानत देते हुए निर्देश दिए हैं कि वे जांच में पूरा सहयोग करें, बिना कोर्ट की अनुमति के विदेश न जाएं और किसी भी गवाह को प्रभावित न करें। सरकार ने किया था जमानत का विरोध, समाज पर प्रभाव का तर्क दिया सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने इस अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोप गंभीर हैं और इनका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि आरोपियों को राहत देना गलत संदेश देगा। पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला 13 जून को माजरा पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जब एक विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था। इस दौरान पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई थीं। पुलिस का आरोप है कि 13 जून की घटना के बाद डॉ. बिंदल ने 14 जून को एक और प्रदर्शन का एलान किया था, जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ने की आशंका बनी। डॉ. बिंदल, विधायक सुखराम चौधरी, अलका रानी, आशीष छतरी और इतिंदर ने अदालत में तर्क दिया कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है और यह सब राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है। उनका कहना है कि घटनास्थल पर उनकी कोई सक्रिय भूमिका नहीं थी। शर्तों के उल्लंघन पर जमानत रद्द करने की छूट अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई याचिकाकर्ता इन शर्तों का उल्लंघन करता है, तो राज्य सरकार अग्रिम जमानत रद्द करने के लिए उचित आवेदन दाखिल कर सकती है।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक अहम प्रशासनिक निर्णय लेते हुए सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए सेवाकाल में कम से कम एक बार दुर्गम, ग्रामीण या जनजातीय क्षेत्रों में सेवाएं देना अनिवार्य कर दिया है। यह फैसला प्रदेश हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद लिया गया है, जिसमें कर्मचारियों की मनमानी और असमान तैनातियों पर गंभीर चिंता जताई गई थी। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इस संबंध में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, संभागीय आयुक्तों, उपायुक्तों, बोर्डों, निगमों, विश्वविद्यालयों और स्वायत्त निकायों के प्रमुखों को निर्देश जारी कर सख्त अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है। कर्मचारियों की मनमानी पर हाईकोर्ट की सख्ती यह निर्णय "भारती राठौर बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य" मामले में प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में लिया गया है। अदालत ने पाया कि कुछ कर्मचारी बार-बार दुर्गम और जनजातीय क्षेत्रों में तैनात किए जा रहे हैं, जबकि कई अन्य ऐसे क्षेत्रीय पोस्टिंग से पूरी तरह बचते रहे हैं। न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी कर्मचारियों को सेवा के दौरान कम से कम एक बार इन क्षेत्रों में तैनात किया जाए, ताकि तैनाती की प्रक्रिया निष्पक्ष, संतुलित और पारदर्शी हो। बार-बार दुर्गम पोस्टिंग पर भी लगी रोक मुख्य सचिव ने यह भी निर्देश दिए हैं कि एक ही कर्मचारी को बार-बार जनजातीय या दुर्गम क्षेत्रों में तैनात न किया जाए, ताकि असंतोष और पक्षपात की भावना से बचा जा सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि कोई विभाग इन निर्देशों का उल्लंघन करता है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। 2013 के निर्देशों की फिर से याद दिलाई गई सरकार ने सभी विभागों को वर्ष 2013 में जारी "सीजीपी-2013" के पैरा 12 और 12.1 की याद दिलाई है, जिसमें पहले से ही प्रत्येक कर्मचारी को सेवा के दौरान कम से कम एक बार दूरस्थ, दुर्गम या जनजातीय क्षेत्र में तैनाती देने का प्रावधान है। अब इन निर्देशों को और अधिक कड़ाई से लागू करने की बात कही गई है। पोस्टिंग पैटर्न की समीक्षा और डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम पर विचार मुख्य सचिव ने सभी विभागों को अपने मौजूदा पोस्टिंग पैटर्न की समीक्षा करने और आवश्यकतानुसार संशोधन करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही एक डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू करने का भी सुझाव दिया गया है, ताकि स्थानांतरण की निगरानी और कर्मचारियों की शिकायतों का प्रभावी समाधान सुनिश्चित किया जा सके।
किन्नौर के सपूत को अश्रुपूरित विदाई: वीर नायक पुष्पेंद्र नेगी पंचतत्व में विलीन, बेटे ने दी मुखाग्नि, पत्नी ने दी सलामी
हिमाचल प्रदेश की वीरभूमि किन्नौर ने एक और सपूत को खो दिया। 29 वर्षीय नायक पुष्पेंद्र नेगी ने देश सेवा के पथ पर चलते हुए प्राणों की आहुति दे दी। गुरुवार को सांगला तहसील की थैमगारंग पंचायत स्थित उनके पैतृक गांव में उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। मासूम बेटे ने मुखाग्नि दी, पत्नी ने सैल्यूट कर विदा किया और आंखों में आंसू लिए सैकड़ों लोगों ने 'भारत माता की जय' और 'नायक पुष्पेंद्र अमर रहें' के नारों के बीच अपने वीर को अंतिम प्रणाम किया। नायक पुष्पेंद्र नेगी 19 डोगरा रेजीमेंट में तैनात थे और हाल ही में असम में अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। बीते दिनों वहां अचानक तेज हवाओं के चलते एक पेड़ की भारी टहनी उनके ऊपर गिर गई। गंभीर चोट लगने से उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। यह दुखद घटना परिवार और क्षेत्र के लिए एक असहनीय क्षति बनकर आई। उनकी पार्थिव देह असम से दिल्ली, फिर चंडीगढ़ लाई गई, और वहां से सेना के विशेष वाहन द्वारा उनके गांव थैमगारंग पहुंचाई गई। पार्थिव देह पहुंचते ही मातम, बेटे ने निभाया अंतिम फर्ज गांव पहुंचते ही जैसे ही पुष्पेंद्र की पार्थिव देह तिरंगे में लिपटी घर के आंगन में लाई गई, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। पत्नी कीर्ति ने शव से लिपटकर चीत्कार भरे स्वर में कहा – "हमेशा तुम्हारे नाम के साथ जिऊंगी, अपने जीवन में किसी और का नाम नहीं जुड़ने दूंगी।" इस विदाई को और अधिक मार्मिक उस क्षण ने बना दिया, जब उनके छह वर्षीय बेटे एतिक ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। वहां मौजूद हर आंख नम थी, और हर दिल गर्व और दुख से भरा हुआ। नेताओं ने दी श्रद्धांजलि, मंत्री ने व्यक्त किया शोक शहीद के अंतिम संस्कार में भाजपा नेता सूरत नेगी, मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा, यशवंत नेगी, शिशु भाई धर्मा समेत कई स्थानीय नेता और पार्टी कार्यकर्ता शामिल हुए। कांग्रेस की ओर से एपीएमसी निदेशक उमेश नेगी, सहकारी बैंक के निदेशक प्रीतांबर दास, अंकुश नेगी और किशोर सहित अनेक प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। हिमाचल प्रदेश के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने पुष्पेंद्र की शहादत पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा – "यह बलिदान न केवल परिवार, बल्कि पूरे प्रदेश की क्षति है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह शोकाकुल परिवार को यह असहनीय दुःख सहने की शक्ति दे।"
Featured Videos
Video
Latest
दिल्ली दरबार में सीएम-डिप्टी सीएम की दस्तक, संगठन की सूरत बदलने की कवायद तेज

मोदी की स्वास्थ्य गारंटी : आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से जुड़े 56.67 करोड़ लोग

हिमाचल : प्रदेश में विद्यार्थियों की शून्य संख्या वाले 103 स्कूल होंगे बंद, सीएम ने दी मंजूरी

धर्मशाला को मिली 3 IPL मैचों की मेजबानी

स्टीव जॉब्स से विराट कोहली तक, नीम करोली बाबा के आश्रम में सब नतमस्तक

पाताल भुवनेश्वर मंदिर: रहस्य, आस्था और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम

बिजली महादेव मंदिर के कपाट नहीं हुए बंद, मुख्य द्वार से हो रहे भोले बाबा के दर्शन: कारदार विनेंद्र जंबाल

Odisha university asks women faculty, students to leave campus before 5.30 pm, withdraws order after backlash

पांगी - हिमाचल की सबसे खतरनाक सड़क से जुड़ा गांव

शायरी के बादशाह कहलाते है वसीम बरेलवी, पढ़े उनके कुछ चुनिंदा शेर

जयसिंहपुर: लोअर लंबागांव की बेटी अलीशा बनी ऑडिट इंस्पेक्टर

इस गांव में घर से भागे प्रेमी जोड़े को महादेव देते हैं शरण

कांग्रेस संगठन : कार्यकर्त्ता हताश, बड़े नेताओं का एक ही जवाब - 'जल्द होगा'
