•   Saturday Jul 19
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Odisha university asks women faculty, students to leave campus before 5.30 pm, withdraws order after backlash
In National News

Odisha university asks women faculty, students to leave campus before 5.30 pm, withdraws order after backlash

Cuttack: Ravenshaw University, one of Odisha’s oldest and most prestigious institutions, has withdrawn a controversial directive that prohibited women faculty, staff, and students from remaining on campus after 5:30 pm. The decision came after widespread criticism and intervention by the state’s higher education department. The now-withdrawn order, issued earlier in the day by the university registrar, had stated: “No female faculty, staff and students are permitted to remain in the workplace or on campus after 5.30 pm. This decision will remain in place until a formal Standard Operating Procedure (SoP) is issued, which will outline the necessary guidelines and protocols for work hours and safety measures.” The directive sparked immediate outrage for being discriminatory and regressive, effectively restricting women's freedom on campus under the guise of safety. It was officially revoked through a subsequent order issued later the same day. Background and Possible Trigger According to sources, the order may have been a knee-jerk response to growing concerns over campus safety, following the recent suicide of a student who had allegedly faced sexual harassment at a college in Odisha. However, instead of addressing systemic issues or ensuring better safeguards, the university’s decision to impose restrictions on women drew sharp criticism from students, faculty, and rights activists. “The higher education department stepped in, stating that such an order sends the wrong message and contradicts the principles of gender equality,” said a senior government official. When contacted, the university registrar declined to elaborate on the rationale behind the directive and only confirmed that the order had been rescinded.

ED Arrests Bhupesh Baghel’s Son Chaitanya in Chhattisgarh Liquor Scam; Faces Money Laundering Charges
In National News

ईडी ने भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को किया गिरफ्तार, छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शुक्रवार को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद ईडी की टीम ने चैतन्य को रायपुर की अदालत में पेश किया। गिरफ्तारी की खबर के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक, नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत और स्वयं भूपेश बघेल, रायपुर जिला न्यायालय पहुंचे। यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र का आज अंतिम दिन था। ईडी की छापेमारी और गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया। 'साहब ने भेज दी ईडी': भूपेश बघेल का तंज पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ईडी की छापेमारी पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सुबह भिलाई स्थित अपने निवास पर ईडी के छापे की जानकारी देते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा: "ED आ गई। आज विधानसभा सत्र का अंतिम दिन है। अडानी के लिए तमनार में काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा उठाना था। भिलाई निवास में ‘साहेब’ ने ED भेज दी है।" बघेल ने यह भी याद दिलाया कि आज उनके बेटे चैतन्य का जन्मदिन है। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा: "जन्मदिन का जैसा तोहफ़ा मोदी और शाह जी देते हैं, वैसा दुनिया के किसी लोकतंत्र में और कोई नहीं दे सकता। मेरे जन्मदिन पर मेरे सलाहकार और ओएसडी के घरों पर ईडी भेजी गई थी, और आज मेरे बेटे के जन्मदिन पर मेरे घर पर रेड डाली गई है। इन तोहफों का धन्यवाद, ताउम्र याद रहेगा।" क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला? ईडी की जांच के मुताबिक, यह कथित घोटाला फरवरी 2019 में शुरू हुआ। आरोप है कि शराब डिस्टिलरियों से हर महीने 800 पेटी शराब अवैध रूप से भेजी जाती थी। समय के साथ यह संख्या 400 ट्रकों और 60 लाख पेटियों तक पहुंच गई। जांच में सामने आया कि इन तीन वर्षों में करीब 2,174.60 करोड़ रुपये का अवैध राजस्व अर्जित किया गया। प्रति पेटी की कीमत पहले 2,840 रुपये, बाद में बढ़कर 3,880 रुपये हो गई। ईडी का दावा है कि इस पूरे नेटवर्क में कई अधिकारी, कारोबारी और राजनीतिक हस्तियां शामिल हैं।

Bijli Mahadev Temple Doors Not Closed, Devotees Can Have Darshan from Main Gate: Kardar Vinendra Jambal
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बिजली महादेव मंदिर के कपाट नहीं हुए बंद, मुख्य द्वार से हो रहे भोले बाबा के दर्शन: कारदार विनेंद्र जंबाल

कुल्लू। सावन के पावन महीने में बिजली महादेव मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद नहीं किए गए हैं। मंदिर के कारदार विनेंद्र जंबाल ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि श्रद्धालु मुख्य द्वार से भोले बाबा के दर्शन कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर फैल रही इस भ्रांति का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि कपाट बंद होने की खबरें निराधार हैं।उन्होंने बताया कि देव आदेश के तहत इस बार श्रद्धालुओं को केवल मुख्य द्वार से दर्शन की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, मंदिर परिसर में शोर-शराबा, भजन कीर्तन, लंगर आयोजन और रात्रि ठहराव पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। उन्होंने ये भी कहा कि मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है, मगर मुख्या द्वार से शिवलिंग के दर्शन किए जा सकेंगे। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे परंपरा और मर्यादाओं का पालन करें तथा देवस्थल की गरिमा बनाए रखें। यह फैसला देव परंपराओं और लोक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जिससे श्रद्धा बनी रहे और व्यवस्था भी सुचारू रहे।

Crores Spent, Hi-Tech Machines Deployed… Yet Shimla Falls Behind in Cleanliness, Fails to Make It to the List of Top 300 Cities
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करोड़ों खर्च, हाईटेक मशीनें… फिर भी स्वच्छता में पिछड़ा शिमला, 300 शहरों की लिस्ट से भी बाहर

कभी देश के टॉप 30 स्वच्छ शहरों में गिना जाने वाला शिमला… आज 300  में भी नहीं है। करोड़ों की हाईटेक मशीनें, सफाई के तमाम दावे और योजनाएं…सब धरा का धरा रह गया और इस बार शिमला 347वें स्थान पर आ गया है। 2024 के स्वच्छता सर्वेक्षण में शिमला को 347वां स्थान मिला है, जो अब तक की सबसे निचली रैंकिंग है। इससे पहले 2023 में शहर 188वें और 2022 में 56वें पायदान पर था। 2016 में जब सर्वे में कम शहर शामिल थे, तब शिमला देश में 27वें स्थान पर था। करोड़ों रुपये की मशीनें और संसाधन झोंकने के बावजूद सफाई के मोर्चे पर यह गिरावट नगर निगम और जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है।   कभी मिसाल था शिमला, अब चिंता का विषय 2016 में शिमला ने स्वच्छता रैंकिंग में 27वां स्थान हासिल कर देशभर का ध्यान अपनी ओर खींचा था। इसे सफाई व्यवस्था, कचरा प्रबंधन और नागरिक सहभागिता के लिए एक आदर्श मॉडल माना गया। मगर बीते कुछ वर्षों में नगर निगम की सुस्त कार्यप्रणाली, राजनीतिक अस्थिरता और अभियानात्मक ढिलाई ने शिमला को इस गर्त में धकेल दिया है।   वर्ष        शिमला की रैंक 2016     27 2017     47 2018     144 2019     127 2020     65 2023     56 2024    188 2025    347   रिपोर्ट में किन बिंदुओं पर फेल हुआ शिमला? स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, शिमला डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण, कचरा निपटान और स्रोत स्तर पर कचरे की छंटाई जैसे मूलभूत मानकों पर बेहद कमजोर प्रदर्शन कर रहा है।   डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण: सिर्फ 42%   कचरे का निपटान: 44%   स्रोत स्तर पर कचरे की छंटाई: मात्र 2%   डंपिंग साइट की स्थिति: 0% (पूर्ण असंतोषजनक)   सार्वजनिक शौचालयों की सफाई: 67%   जबकि आवासीय और बाजार क्षेत्रों की सफाई रिपोर्ट में 100% अंक दिए गए हैं, लेकिन असल तस्वीर इससे अलग प्रतीत होती है।   नगर निगम ने बताया सर्वे को 'त्रुटिपूर्ण'   हाई कोर्ट के निर्देशों और राज्य सरकार की निगरानी के बावजूद जब यह रिपोर्ट सामने आई, तो नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. चेतन चौहान ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "इस सर्वे में कई तथ्यों को गलत दर्शाया गया है। शिमला में डोर-टू-डोर कूड़ा नियमित रूप से उठ रहा है, लेकिन आंकड़ों में सिर्फ 42% दिखाया गया है। हम इस रिपोर्ट को चुनौती देंगे।"

ChatGPT said: Majra Violence Case: Conditional Anticipatory Bail Granted to Bindal and Sukhram, Cannot Travel Abroad Without Permission
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माजरा हिंसा मामला : बिंदल और सुखराम को मिली सशर्त अग्रिम जमानत, बिना अनुमति के नहीं जा पाएंगे विदेश

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल, पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी और तीन अन्य को बड़ी राहत देते हुए अग्रिम जमानत मंजूर कर दी है। ये जमानतें सिरमौर जिले के माजरा थाना क्षेत्र में दर्ज एफआईआर और धारा 163 के उल्लंघन से जुड़े मामले में दी गई हैं। न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की एकल पीठ ने पांचों याचिकाकर्ताओं को 50,000 रुपये के निजी मुचलके के साथ सशर्त जमानत देते हुए निर्देश दिए हैं कि वे जांच में पूरा सहयोग करें, बिना कोर्ट की अनुमति के विदेश न जाएं और किसी भी गवाह को प्रभावित न करें। सरकार ने किया था जमानत का विरोध, समाज पर प्रभाव का तर्क दिया सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने इस अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोप गंभीर हैं और इनका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि आरोपियों को राहत देना गलत संदेश देगा। पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला 13 जून को माजरा पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जब एक विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था। इस दौरान पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई थीं। पुलिस का आरोप है कि 13 जून की घटना के बाद डॉ. बिंदल ने 14 जून को एक और प्रदर्शन का एलान किया था, जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ने की आशंका बनी।  डॉ. बिंदल, विधायक सुखराम चौधरी, अलका रानी, आशीष छतरी और इतिंदर ने अदालत में तर्क दिया कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है और यह सब राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है। उनका कहना है कि घटनास्थल पर उनकी कोई सक्रिय भूमिका नहीं थी। शर्तों के उल्लंघन पर जमानत रद्द करने की छूट अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई याचिकाकर्ता इन शर्तों का उल्लंघन करता है, तो राज्य सरकार अग्रिम जमानत रद्द करने के लिए उचित आवेदन दाखिल कर सकती है।

Now every government employee must serve at least once in a tribal or remote area.
In karamchari lehar

अब हर सरकारी कर्मचारी को एक बार जनजातीय या दुर्गम क्षेत्र में करनी होगी सेवा

हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक अहम प्रशासनिक निर्णय लेते हुए सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए सेवाकाल में कम से कम एक बार दुर्गम, ग्रामीण या जनजातीय क्षेत्रों में सेवाएं देना अनिवार्य कर दिया है। यह फैसला प्रदेश हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद लिया गया है, जिसमें कर्मचारियों की मनमानी और असमान तैनातियों पर गंभीर चिंता जताई गई थी। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इस संबंध में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, संभागीय आयुक्तों, उपायुक्तों, बोर्डों, निगमों, विश्वविद्यालयों और स्वायत्त निकायों के प्रमुखों को निर्देश जारी कर सख्त अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है। कर्मचारियों की मनमानी पर हाईकोर्ट की सख्ती यह निर्णय "भारती राठौर बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य" मामले में प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में लिया गया है। अदालत ने पाया कि कुछ कर्मचारी बार-बार दुर्गम और जनजातीय क्षेत्रों में तैनात किए जा रहे हैं, जबकि कई अन्य ऐसे क्षेत्रीय पोस्टिंग से पूरी तरह बचते रहे हैं। न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी कर्मचारियों को सेवा के दौरान कम से कम एक बार इन क्षेत्रों में तैनात किया जाए, ताकि तैनाती की प्रक्रिया निष्पक्ष, संतुलित और पारदर्शी हो। बार-बार दुर्गम पोस्टिंग पर भी लगी रोक मुख्य सचिव ने यह भी निर्देश दिए हैं कि एक ही कर्मचारी को बार-बार जनजातीय या दुर्गम क्षेत्रों में तैनात न किया जाए, ताकि असंतोष और पक्षपात की भावना से बचा जा सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि कोई विभाग इन निर्देशों का उल्लंघन करता है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। 2013 के निर्देशों की फिर से याद दिलाई गई सरकार ने सभी विभागों को वर्ष 2013 में जारी "सीजीपी-2013" के पैरा 12 और 12.1 की याद दिलाई है, जिसमें पहले से ही प्रत्येक कर्मचारी को सेवा के दौरान कम से कम एक बार दूरस्थ, दुर्गम या जनजातीय क्षेत्र में तैनाती देने का प्रावधान है। अब इन निर्देशों को और अधिक कड़ाई से लागू करने की बात कही गई है। पोस्टिंग पैटर्न की समीक्षा और डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम पर विचार मुख्य सचिव ने सभी विभागों को अपने मौजूदा पोस्टिंग पैटर्न की समीक्षा करने और आवश्यकतानुसार संशोधन करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही एक डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू करने का भी सुझाव दिया गया है, ताकि स्थानांतरण की निगरानी और कर्मचारियों की शिकायतों का प्रभावी समाधान सुनिश्चित किया जा सके।

Kinnaur's Braveheart Nayak Pushpendra Negi Laid to Rest with Full Military Honours; Son Performs Last Rites, Wife Offers Final Salute
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किन्नौर के सपूत को अश्रुपूरित विदाई: वीर नायक पुष्पेंद्र नेगी पंचतत्व में विलीन, बेटे ने दी मुखाग्नि, पत्नी ने दी सलामी

हिमाचल प्रदेश की वीरभूमि किन्नौर ने एक और सपूत को खो दिया। 29 वर्षीय नायक पुष्पेंद्र नेगी ने देश सेवा के पथ पर चलते हुए प्राणों की आहुति दे दी। गुरुवार को सांगला तहसील की थैमगारंग पंचायत स्थित उनके पैतृक गांव में उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। मासूम बेटे ने मुखाग्नि दी, पत्नी ने सैल्यूट कर विदा किया और आंखों में आंसू लिए सैकड़ों लोगों ने 'भारत माता की जय' और 'नायक पुष्पेंद्र अमर रहें' के नारों के बीच अपने वीर को अंतिम प्रणाम किया। नायक पुष्पेंद्र नेगी 19 डोगरा रेजीमेंट में तैनात थे और हाल ही में असम में अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। बीते दिनों वहां अचानक तेज हवाओं के चलते एक पेड़ की भारी टहनी उनके ऊपर गिर गई। गंभीर चोट लगने से उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। यह दुखद घटना परिवार और क्षेत्र के लिए एक असहनीय क्षति बनकर आई। उनकी पार्थिव देह असम से दिल्ली, फिर चंडीगढ़ लाई गई, और वहां से सेना के विशेष वाहन द्वारा उनके गांव थैमगारंग पहुंचाई गई। पार्थिव देह पहुंचते ही मातम, बेटे ने निभाया अंतिम फर्ज गांव पहुंचते ही जैसे ही पुष्पेंद्र की पार्थिव देह तिरंगे में लिपटी घर के आंगन में लाई गई, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। पत्नी कीर्ति ने शव से लिपटकर चीत्कार भरे स्वर में कहा – "हमेशा तुम्हारे नाम के साथ जिऊंगी, अपने जीवन में किसी और का नाम नहीं जुड़ने दूंगी।" इस विदाई को और अधिक मार्मिक उस क्षण ने बना दिया, जब उनके छह वर्षीय बेटे एतिक ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। वहां मौजूद हर आंख नम थी, और हर दिल गर्व और दुख से भरा हुआ। नेताओं ने दी श्रद्धांजलि, मंत्री ने व्यक्त किया शोक शहीद के अंतिम संस्कार में भाजपा नेता सूरत नेगी, मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा, यशवंत नेगी, शिशु भाई धर्मा समेत कई स्थानीय नेता और पार्टी कार्यकर्ता शामिल हुए। कांग्रेस की ओर से एपीएमसी निदेशक उमेश नेगी, सहकारी बैंक के निदेशक प्रीतांबर दास, अंकुश नेगी और किशोर सहित अनेक प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। हिमाचल प्रदेश के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने पुष्पेंद्र की शहादत पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा – "यह बलिदान न केवल परिवार, बल्कि पूरे प्रदेश की क्षति है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह शोकाकुल परिवार को यह असहनीय दुःख सहने की शक्ति दे।"  

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दिल्ली दरबार में सीएम-डिप्टी सीएम की दस्तक, संगठन की सूरत बदलने की कवायद तेज

In Politics
CM and Deputy CM Knock on Delhi Durbar, Push to Reshape Party Organization Gains Momentum

मुख्यमंत्री के बाद अब हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री भी दिल्ली दरबार में हाजिरी भर चुके हैं। मसला प्रदेश कांग्रेस संगठन में ताजपोशी का है। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों अपने करीबियों को संगठन में समायोजित करवाने की कोशिशों में जुटे हैं। दोनों नेता कांग्रेस हाईकमान के सामने एक ही कहानी अपने-अपने नजरिए से पेश कर रहे हैं। बीती शाम मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सांसद प्रियंका गांधी और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की थी। आज उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने दिल्ली पहुंचकर हिमाचल कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल से मुलाकात की। खबर यह है कि पिछले आठ महीनों से निष्क्रिय पड़े हिमाचल प्रदेश कांग्रेस संगठन को लेकर अब हाईकमान सक्रिय हो गया है। प्रदेश, जिला और ब्लॉक स्तर की सभी कार्यकारिणियां नवंबर से भंग पड़ी थीं। अब इन सभी स्तरों पर नए सिरे से संगठन तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो रही है और जल्द बदलाव की संभावना जताई जा रही है। हाईकमान की मंशा है कि नए चेहरों को जिम्मेदारी दी जाए और पार्टी को मैदान में फिर से मजबूती से उतारा जाए। हालांकि नेतृत्व को लेकर अब भी आम सहमति नहीं बन पाई है। एक ओर पार्टी का एक धड़ा मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को हटाने की मांग कर रहा है, वहीं हॉली लॉज खेमे की कोशिश है कि प्रतिभा सिंह की अध्यक्षीय पारी जारी रहे। यह फैसला अब पूरी तरह से हाईकमान के हाथ में है कि प्रतिभा सिंह को बनाए रखा जाएगा या किसी नए चेहरे को कमान सौंपी जाएगी। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस नेतृत्व अनुसूचित जाति कार्ड खेलने के विकल्प पर भी विचार कर रहा है। इस वर्ग से अध्यक्ष पद के लिए विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार, विधायक विनोद सुल्तानपुरी और सुरेश कुमार के नाम चर्चा में हैं। वहीं सामान्य वर्ग से कुलदीप राठौर, मंत्री अनिरुद्ध सिंह और विधायक संजय अवस्थी के नामों पर भी विचार किया जा रहा है। अब देखना यह है कि कांग्रेस हाईकमान हिमाचल संगठन की कमान किसे सौंपता है और क्या पार्टी अंदरूनी खींचतान से उबरकर जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ फिर से बना पाती है।

मोदी की स्वास्थ्य गारंटी : आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से जुड़े 56.67 करोड़ लोग

In Health
guarantee: 56.67 crore people connected to Ayushman Bharat Digital Mission

पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने साल 2021 में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की थी। मोदी के नेतृत्व में ही 2021-2022 से 2025-2026 तक 5 वर्षों के लिए 1,600 करोड़ रुपये की डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम बनाने के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शुरू किया गया था। इसकी वजह से पीएम मोदी के गारंटी का भी असर देखने को साफ मिला और इस योजना के तहत 29 फरवरी, 2024 तक 56.67 करोड़ लोगों के आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में भी प्रगति की है। 29 फरवरी, 2024 तक, 27.73 करोड़ महिलाएं और 29.11 करोड़ पुरुषों को आभा कार्ड से लाभ हुआ है। वहीं 34.89 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य दस्तावेजों को इससे जोड़ा गया है। क्या है आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन  आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य देश में यूनिफाइड डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की मदद करने के लिए जरूरी आधार तैयार करना है। इससे सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता खोलने के लिए ऑफलाइन मोड को मदद पहुंचती है। इसके अलावा भारत सरकार ने स्वास्थ्य सुविधा के लिए आभा ऐप और आरोग्य सेतु जैसे विभिन्न एप्लिकेशन भी लॉन्च किए गए हैं, जो आम लोगों को मदद पहुंचाती है। आभा ऐप एक प्रकार का डिजिटल स्टोरेज है, जो किसी भी व्यक्ति के मेडिकल दस्तावेजों का रखने का काम आता है। इस ऐप के जरिए मरीज रजिस्टर्ड स्वास्थ्य पेशेवरों से संपर्क भी कर सकते हैं।    भारत में बीजेपी की मोदी सरकार ने बीते 10 सालों के अपनी सरकार में कई सारे मील के पत्थर हासिल किया है। इन 10 सालों में पीएम मोदी के विजन ने भारत को अगले 23 साल बाद यानी साल 2047 तक विकसित भारत बनाने के ओर मजबूती से कदम भी बढ़ा लिया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने देश के हित में जो भी फैसले लिए है, उनमें से हेल्थ सेक्टर को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का प्रयास किया गया है।        

हिमाचल : प्रदेश में विद्यार्थियों की शून्य संख्या वाले 103 स्कूल होंगे बंद, सीएम ने दी मंजूरी

In Education
Himachal: 103 schools with zero number of students in the state will be closed, CM gave approval

प्रदेश में विद्यार्थियों की कम संख्या वाले 618 स्कूल बंद, मर्ज और डाउन ग्रेड होंगे। शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंजूरी दे दी है। प्रदेश में विद्यार्थियों की शून्य संख्या वाले 103 स्कूल बंद होंगे। दस बच्चों की संख्या वाले 443 स्कूल मर्ज किए जाएंगे और 75 स्कूलों का दर्जा घटाया जाएगा। मर्ज होने वाले स्कूलों के विद्यार्थियों का चार से पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले अधिक दाखिलों वाले स्कूलों में समायोजन किया जाएगा। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने बताया कि मुख्यमंत्री से मंजूरी मिल गई है और विभाग जल्द इस की अधिसूचना जारी करेगा। वही 618 स्कूल मर्ज, डाउन ग्रेड और बंद करने से 1,120 शिक्षक सरप्लस होंगे। इन शिक्षकों को अन्य आवश्यकता वाले स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा। विद्यार्थियों की शून्य संख्या वाले 72 प्राइमरी, 28 मिडल और 3 उच्च स्कूल डिनोटिफाई (बंद) करने का फैसला लिया गया। 203 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या पांच से उससे कम है। इन स्कूलों को दो किलोमीटर के दायरे में आने वाले अन्य स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। पांच से कम विद्यार्थियों की संख्या वाले 142 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जिनके दाे किलोमीटर के दायरे में अन्य स्कूल नहीं हैं। इन्हें तीन किलाेमीटर की दूरी पर मर्ज किया जाएगा। 92 मिडल स्कूलों में दस या उससे कम विद्यार्थी हैं, इन्हें तीन किमी, बीस विद्यार्थियों की संख्या वाले सात हाई स्कूलों को चार किलोमीटर के दायरे में मर्ज किया जाएगा। विद्यार्थियों की कम संख्या वाले 75 उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों का दर्जा कम किया जाएगा। रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में 100 विद्यार्थियों की संख्या वाले कॉलेजों को भी मर्ज किया जाएगा। जनजातीय और दुर्गम क्षेत्रों में स्थित कॉलेजों के लिए विद्यार्थियों की संख्या 75 रखी गई है। कई कॉलेजों में बीते कुछ वर्षों से नामांकन बहुत कम हो रहे हैं। ऐसे कॉलेजों को आगे चलाना अब आसान नहीं है। ऐसे में शिक्षा निदेशालय से कॉलेज मर्ज करने के लिए प्रस्ताव मांगा गया है।  

धर्मशाला को मिली 3 IPL मैचों की मेजबानी

In Sports
DHRAMSHALA-TO-HOST-THREE-IPL-MATCHES-IN-2025

 बीसीसीआई द्वारा इंडियन प्रीमियर लीग के 18वें सीजन आईपीएल-2025 के शैड्यूल का ऐलान कर दिया गया है।  एचपीसीए स्टेडियम धर्मशाला को 3 आईपीएल मैचों की मेजबानी करने का मौका मिला है।  धर्मशाला स्टेडियम में 4 मई को  पंजाब किंग्स की टीम लखनऊ सुपर जायंट्स के साथ अपना लीग मैच खेलेगी, जबकि 8 मई को पंजाब का मुकाबला दिल्ली कैपिटल्स के साथ होगा। ये दोनों ही मुकाबले शाम साढ़े 7 बजे शुरू होंगे। वहीं 11 मई को दोपहर साढ़े 3 बजे पंजाब की टीम मुंबई इंडियंस के खिलाफ स्टेडियम में उतरेगी। आईपीएल  चेयरमैन अरुण धूमल ने बीते दिनों बिलासपुर में आयोजित सांसद खेल महाकुंभ के शुभारंभ पर ही धर्मशाला स्टेडियम को आईपीएल के 3 मैचों की मेजबानी के संकेत दे दिए थे। अब इस पर आधिकारिक मुहर लग चुकी है। आईपीएल 2024 में धर्मशाला को मिले थे दो मैच वर्ष 2024 में धर्मशाला में पंजाब किंग्स की टीम के दो मैच चेन्नई सुपर किंग्स और रायल चैलेंजर बेंगलुरु से हुए थे। पहला मुकाबला पांच मई को भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स के साथ हुआ था। नौ मई को पंजाब का मुकाबला आरसीबी के साथ खेला गया था।

स्टीव जॉब्स से विराट कोहली तक, नीम करोली बाबा के आश्रम में सब नतमस्तक

In First Blessing
NEEM-KARORI-BABA

  नीम करोली बाबा के आश्रम में स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शान्ति भारत में कई ऐसे पावन तीर्थ हैं, जहां पर श्रद्धा एवं भक्ति के साथ जाने मात्र से व्यक्ति के समस्त मनोरथ पूरे हो जाते हैं। ऐसा ही एक पावन तीर्थ देवभूमि उत्तराखंड की वादियों में है, जिसे लोग 'कैंची धाम' के नाम से जानते हैं। कैंची धाम के नीब करौरी बाबा (नीम करौली) की ख्याति विश्वभर में है। नैनीताल से लगभग 65 किलोमीटर दूर कैंची धाम को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता। यहां पर हर मन्नत पूर्णतया फलदायी होती है। यही कारण है कि देश-विदेश से हज़ारों लोग यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं। बाबा के भक्तों में एक आम आदमी से लेकर अरबपति-खरबपति तक शामिल हैं। बाबा के इस पावन धाम में होने वाले नित-नये चमत्कारों को सुनकर दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में बाबा नीब करौरी के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। इनके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं।  कुछ माह पूर्व स्टार क्रिकेटर विराट कोहली और उनकी पत्नी और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के यहां पहुंचते ही इस धाम को देखने और बाबा के दर्शन करने वालों की होड़ सी लग गई। 1964 में बाबा ने की थी आश्रम की स्थापना  नीम करोली बाबा या नीब करोली बाबा की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में की जाती है। इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। कैंची, नैनीताल, भुवाली से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बाबा नीब करौरी ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा नीम करौरी 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया। इस धाम को कैंची मंदिर, नीम करौली धाम और नीम करौली आश्रम के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में बसा एक छोटा सा आश्रम है नीम करोली बाबा आश्रम। मंदिर के आंगन और चारों ओर से साफ सुथरे कमरों में रसीली हरियाली के साथ, आश्रम एक शांत और एकांत विश्राम के लिए एकदम सही जगह प्रस्तुत करता है। यहाँ कोई टेलीफोन लाइनें नहीं हैं, इसलिए किसी को बाहरी दुनिया से परेशान नहीं किया जा सकता है। श्री हनुमान जी के अवतार माने जाने वाले नीम करोरी बाबा के इस पावन धाम पर पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन हर साल 15 जून को यहां पर एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन होता है। यहां इस दिन इस पावन धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है। कई चमत्कारों के किस्से सुन खींचे आते है भक्त  मान्यता है कि बाबा नीम करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। बाबा नीब करौरी के इस पावन धाम को लेकर तमाम तरह के चमत्कार जुड़े हैं। जनश्रुतियों के अनुसार, एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो वह जल घी में बदल गया। ऐसे ही एक बार बाबा नीब करौरी महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचवाया। ऐसे न जाने कितने किस्से बाबा और उनके पावन धाम से जुड़े हुए हैं, जिन्हें सुनकर लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं। बाबा के दुनियाभर में 108 आश्रम  बाबा नीब करौरी को कैंची धाम बहुत प्रिय था। अक्सर गर्मियों में वे यहीं आकर रहते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। उस मन्दिर में हनुमान की मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। यहां बाबा नीब करौरी की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है। बाबा नीब करौरी महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम तथा अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है। स्टीव जॉब्स को आश्रम से मिला एप्पल के लोगो का आईडिया ! भारत की धरती सदा से ही अध्यात्म के खोजियों को अपनी ओर खींचती रही है। दुनिया की कई बड़ी हस्तियों में भारत भूमि पर ही अपना सच्चा आध्यात्मिक गुरु पाया है। एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स 1974 से 1976 के बीच भारत भ्रमण पर निकले। वह पर्यटन के मकसद से भारत नहीं आए थे, बल्कि आध्यात्मिक खोज में यहां आए थे। उन्हें एक सच्चे गुरु की तलाश थी।स्टीव पहले हरिद्वार पहुंचे और इसके बाद वह कैंची धाम तक पहुंच गए। यहां पहुंचकर उन्हें पता लगा कि बाबा समाधि ले चुके हैं। कहते है कि स्टीव को एप्पल के लोगो का आइडिया बाबा के आश्रम से ही मिला था। नीम करौली बाबा को कथित तौर पर सेब बहुत पसंद थे और यही वजह थी कि स्टीव ने अपनी कंपनी के लोगों के लिए कटे हुए एप्पल को चुना। हालांकि इस कहानी की सत्यता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शांति, शीर्ष पर पहुंचा फेसबुक  बाबा से जुड़ा एक किस्सा फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने 27 सितंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बताया था, तब पीएम मोदी फेसबुक के मुख्यालय में गए थे। इस दौरान जुकरबर्ग ने पीएम को भारत भ्रमण की बात बताई। उन्होंने कहा कि जब वे इस संशय में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने इन्हें भारत में नीम करोली बाबा के स्थान पर  जाने की सलाह दी थी। जुकरबर्ग ने बताया था कि वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान वह नीम करोली बाबा के मंदिर में भी गए थे। जुकरबर्ग आए तो यहां एक दिन के लिए थे, लेकिन मौसम खराब हो जाने के कारण वह यहां दो दिन रुके थे। जुकरबर्ग मानते हैं कि भारत में मिली अध्यात्मिक शांति के बाद उन्हें फेसबुक को नए मुकाम पर ले जाने की ऊर्जा मिली। बाबा की तस्वीर को देख जूलिया ने अपनाया हिन्दू धर्म  हॉलिवुड की मशहूर अदाकारा जूलिया रॉबर्ट्स ने 2009 में हिंदू धर्म अपना लिया था। वह फिल्म ‘ईट, प्रे, लव’ की शूटिंग के लिए भारत आईं थीं। जूलिया रॉबर्ट्स ने एक इंटरव्यू में यह खुलासा किया था कि वह नीम करौली बाबा की तस्वीर से इतना प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने हिन्दू धर्म अपनाने का फैसला कर डाला। जूलिया इन दिनों हिन्दू धर्म का पालन कर रही हैं।    

पाताल भुवनेश्वर मंदिर: रहस्य, आस्था और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम

In Entertainment
Patal Bhuvaneshwar Temple: A wonderful confluence of mystery, faith and spirituality

  क्या आपने कभी कल्पना की है कि कहीं ऐसा स्थान भी हो सकता है, जहां सृष्टि के अंत का रहस्य छिपा हो? कोई ऐसा मंदिर, जहां चारों धामों के दर्शन एक ही स्थान पर संभव हों? उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर मंदिर ऐसा ही एक रहस्यमयी और दिव्य स्थल है, जो हर भक्त को आस्था, रहस्य और आध्यात्मिकता की गहराइयों से जोड़ता है। यह मंदिर एक गुफा के भीतर स्थित है, जिसे प्राचीन काल से चमत्कारी और गूढ़ माना गया है। गुफा में प्रवेश करते ही ऐसा लगता है मानो आप किसी अद्भुत आध्यात्मिक संसार में प्रवेश कर चुके हों। मान्यता है कि यहां भगवान शिव के साथ-साथ 33 कोटि देवी-देवताओं का वास है। यहां स्थित भगवान गणेश का कटा हुआ मस्तक स्वयं में एक रहस्य है, जो इस स्थान की अलौकिकता को और भी गहरा बनाता है। यहां स्थित शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि वह निरंतर बढ़ रहा है, और जिस दिन वह गुफा की छत से टकराएगा, उस दिन प्रलय होगा। यह धारणा श्रद्धालुओं को एक अकल्पनीय आध्यात्मिक अनुभव और चेतना की गहराई से जोड़ती है।गुफा के भीतर चार रहस्यमयी द्वार मानव जीवन के चार प्रमुख पड़ावों का प्रतीक माने जाते हैं। कहा जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद पाप द्वार और महाभारत युद्ध के बाद रण द्वार बंद हो गए। अब केवल धर्म द्वार और मोक्ष द्वार खुले हैं, जो जीवन के सत्य और मोक्ष के मार्ग की ओर संकेत करते हैं। पौराणिक इतिहास की दृष्टि से इस मंदिर का उल्लेख त्रेता युग में मिलता है। सूर्य वंश के राजा ऋतुपर्ण ने सबसे पहले इस गुफा की खोज की थी। कहा जाता है कि पांडवों ने भी यहां भगवान शिव के साथ चौपड़ खेला था। बाद में 819 ईस्वी में जगत गुरु शंकराचार्य ने इस स्थल की पुनः खोज की और यहां पूजा आरंभ की। कैसे पहुंचे पाताल भुवनेश्वर? यह दिव्य स्थल पिथौरागढ़ से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है, जबकि सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर है। सड़क मार्ग से यह स्थान सुगम रूप से जुड़ा हुआ है और उत्तराखंड के खूबसूरत पर्वतीय रास्तों से होकर गुज़रता है, जो यात्रा को और भी आनंददायक बना देता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि रहस्य और आध्यात्मिकता के अनूठे संगम के कारण भी यह स्थल भक्तों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पाताल भुवनेश्वर की इस अद्भुत गुफा में जाकर आप स्वयं उस दिव्यता और रहस्यमय ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं, जो सदियों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती आ रही है।

बिजली महादेव मंदिर के कपाट नहीं हुए बंद, मुख्य द्वार से हो रहे भोले बाबा के दर्शन: कारदार विनेंद्र जंबाल

In News
Bijli Mahadev Temple Doors Not Closed, Devotees Can Have Darshan from Main Gate: Kardar Vinendra Jambal

कुल्लू। सावन के पावन महीने में बिजली महादेव मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद नहीं किए गए हैं। मंदिर के कारदार विनेंद्र जंबाल ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि श्रद्धालु मुख्य द्वार से भोले बाबा के दर्शन कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर फैल रही इस भ्रांति का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि कपाट बंद होने की खबरें निराधार हैं।उन्होंने बताया कि देव आदेश के तहत इस बार श्रद्धालुओं को केवल मुख्य द्वार से दर्शन की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, मंदिर परिसर में शोर-शराबा, भजन कीर्तन, लंगर आयोजन और रात्रि ठहराव पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। उन्होंने ये भी कहा कि मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है, मगर मुख्या द्वार से शिवलिंग के दर्शन किए जा सकेंगे। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे परंपरा और मर्यादाओं का पालन करें तथा देवस्थल की गरिमा बनाए रखें। यह फैसला देव परंपराओं और लोक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जिससे श्रद्धा बनी रहे और व्यवस्था भी सुचारू रहे।

Odisha university asks women faculty, students to leave campus before 5.30 pm, withdraws order after backlash

In National News
Odisha university asks women faculty, students to leave campus before 5.30 pm, withdraws order after backlash

Cuttack: Ravenshaw University, one of Odisha’s oldest and most prestigious institutions, has withdrawn a controversial directive that prohibited women faculty, staff, and students from remaining on campus after 5:30 pm. The decision came after widespread criticism and intervention by the state’s higher education department. The now-withdrawn order, issued earlier in the day by the university registrar, had stated: “No female faculty, staff and students are permitted to remain in the workplace or on campus after 5.30 pm. This decision will remain in place until a formal Standard Operating Procedure (SoP) is issued, which will outline the necessary guidelines and protocols for work hours and safety measures.” The directive sparked immediate outrage for being discriminatory and regressive, effectively restricting women's freedom on campus under the guise of safety. It was officially revoked through a subsequent order issued later the same day. Background and Possible Trigger According to sources, the order may have been a knee-jerk response to growing concerns over campus safety, following the recent suicide of a student who had allegedly faced sexual harassment at a college in Odisha. However, instead of addressing systemic issues or ensuring better safeguards, the university’s decision to impose restrictions on women drew sharp criticism from students, faculty, and rights activists. “The higher education department stepped in, stating that such an order sends the wrong message and contradicts the principles of gender equality,” said a senior government official. When contacted, the university registrar declined to elaborate on the rationale behind the directive and only confirmed that the order had been rescinded.

पांगी - हिमाचल की सबसे खतरनाक सड़क से जुड़ा गांव

In International News

पांगी - हिमाचल की सबसे खतरनाक सड़क से जुड़ा गांव **सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा - यहाँ हर व्यवस्था बेहाल **आरोप : HRTC बस ड्राइवर करते है मनमर्ज़ी, डिपू से नहीं मिलता पूरा राशन **सड़क बंद हो तो कंधे पर उठा कर ले जाते है मरीज़ **मुख्यमंत्री के दौरे के बाद जगी उम्मीद

शायरी के बादशाह कहलाते है वसीम बरेलवी, पढ़े उनके कुछ चुनिंदा शेर

In Kavya Rath
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  वसीम बरेलवी उर्दू के बेहद लोकप्रिय शायर हैं। उनकी ग़ज़लें बेहद मक़बूल हैं जिन्हें जगजीत सिंह से लेकर कई अजीज़ गायकों ने अपनी आवाज़ दी है। वसीम बरेलवी अपनी शायरी और गजल के जरिए लाखों दिलों पर राज करते हैं। कोई भी मुशायरा उनके बगैर पूरा नहीं माना जाता।     18 फरवरी 1940 को वसीम बरेलवी का जन्म बरेली में हुआ था।  पिता जनाब शाहिद हसन  के रईस अमरोहवी और जिगर मुरादाबादी से बहुत अच्छे संबंध थे। दोनों का आना-जाना अक्सर उनके घर पर होता रहता था। इसी के चलते वसीम बरेलवी का झुकाव बचपन से शेर-ओ-शायरी की ओर हो गया। वसीम बरेलवी ने अपनी पढ़ाई बरेली के ही बरेली कॉलेज से की। उन्होंने एमए उर्दू में गोल्ड मेडल हासिल किया। बाद में इसी कॉलेज में वो उर्दू विभाग के अध्यक्ष भी बने।  60 के दशक में वसीम बरेलवी मुशायरों में जाने लगे। आहिस्ता आहिस्ता ये शौक उनका जुनून बन गया। पेश हैं उनके कुछ चुनिंदा शेर   अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे   जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता     आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है   ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी   ग़म और होता सुन के गर आते न वो 'वसीम' अच्छा है मेरे हाल की उन को ख़बर नहीं   जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता     जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों से कहीं हयात इसी फ़ासले का नाम न हो     कुछ है कि जो घर दे नहीं पाता है किसी को वर्ना कोई ऐसे तो सफ़र में नहीं रहता                         उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए       दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता     वो मेरे सामने ही गया और मैं रास्ते की तरह देखता रह गया   अपने अंदाज़ का अकेला था इसलिए मैं बड़ा अकेला था  

जयसिंहपुर: लोअर लंबागांव की बेटी अलीशा बनी ऑडिट इंस्पेक्टर

In Job
Jaisinghpur: Lower Lambagaon's daughter Alisha becomes audit inspector

जयसिंहपुर विधानसभा के अंतर्गत आने वाले लोअर लंबागांव की अलीशा ने हिमाचल प्रदेश एलाइड सर्विसेज की परीक्षा पास कर प्रदेश का नाम रोशन किया है । अलीशा का चयन ऑडिट इंस्पेक्टर के पद हुआ है। अलीशा ने बाहरवीं ऐम अकादमी सीनियर सेकेंडरी स्कूल जयसिंहपुर से की है। उसके बाद अलीशा ने गवर्नमेंट डिग्री कालेज धर्मशाला से ग्रेजुएशन की । अलीशा के पिता सुमन कुमार हिमाचल पुलिस में कार्यरत हैं और माता स्नेहलता गृहिणी हैं। अलीशा के पिता सुमन कुमार ने बेटी की उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि यह परिवार के लिए गौरव का क्षण है। वही अलीशा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता व गुरुजनों को दिया है।

इस गांव में घर से भागे प्रेमी जोड़े को महादेव देते हैं शरण

In Banka Himachal
In This Village, Lord Mahadev Offers Shelter to Eloping Lovers

अगर कोई प्रेमी जोड़ा देव शंगचूल महादेव की शरण में आ जाए तो कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता। देवता के आशीर्वाद से कई प्रेमी जोड़े सकुशल अपने घरों को लौटे हैं। हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू की सैंज घाटी के शांघड़ गांव में विराजे हैं शंगचूल महादेव, और ये मंदिर घर से भागे प्रेमी जोड़ों के लिए शरणस्थली है। पांडवकालीन शांघड़ गांव में स्थित इस महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि किसी भी जाति-समुदाय के प्रेमी युगल अगर शंगचूल महादेव की सीमा में पहुंच जाते हैं, तो इनका कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। यहां के लोग प्रेमी जोड़े को मेहमान समझ कर उसका स्वागत करते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। शंगचूल महादेव मंदिर की सीमा लगभग 128 बीघा का मैदान है और मान्यता है कि इस सीमा में पहुंचे प्रेमी युगल को देवता की शरण में आया हुआ मान लिया जाता है। इस सीमा में समाज और बिरादरी की रिवाजों को तोड़कर शादी करने वाले प्रेमी जोड़ों के लिए यहां के देवता रक्षक हैं। दिलचस्प बात ये है कि यहां सिर्फ देवता का कानून चलता है। प्रेमी जोड़े, जो मंदिर में आश्रय लेने आते हैं, वह यहां शादी कर सकते हैं और तब तक रह सकते हैं, जब तक प्रेमियों के दोनों तरफ के परिवारों के बीच सुलह नहीं हो जाती। तब तक जोड़े के लिए यहां रहने और खाने-पीने की पूरी व्यवस्था की जाती है। इस मंदिर में आने वाले प्रेमी जोड़ों के लिए पुलिस भी दखलंदाजी नहीं कर सकती। इस मंदिर के पीछे रोचक कहानी है। जनश्रुति के अनुसार, अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां रुके थे और उसी दौरान कौरव उनका पीछा करते हुए यहां तक पहुंच गए। पांडवों ने शंगचूल महादेव की शरण ली और रक्षा के लिए प्रार्थना की। इसके बाद महादेव ने कौरवों को रोका और कहा कि यह मेरा क्षेत्र है और जो भी मेरी शरण में आएगा उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। महादेव के डर से कौरव वापस लौट गए और इसके बाद से यहां परंपरा शुरू हो गई और यहां आने वाले भक्तों को पूरी सुरक्षा मिलने लगी। शांघड़ पंचायत विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क क्षेत्र में होने के कारण भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि जंगल की रखवाली करने वाले वन विभाग के कर्मचारियों व पुलिस महकमे के कर्मचारियों को यहाँ अपनी टोपी व पेटी उतारकर मैदान से होकर जाना पड़ता है। देवता का ही फैसला सर्वमान्य शांघड़ गांव में हर नियम और कानून का बेहद सख्ती से पालन किया जाता है। कोई भी व्यक्ति इस गांव में ऊंची आवाज में बात नहीं कर सकता है। इसके साथ ही यहां शराब, सिगरेट और चमड़े का सामान लेकर आना भी मना है। यहां देवता का ही फैसला सर्वमान्य होता है। कहते हैं कि जब तक मामले का निपटारा न हो जाए ब्राह्मण समुदाय के लोग यहां आने वालों की पूरी आवभगत करते हैं और उनके रहने से खाने तक की पूरी जिम्मेदारी यहां के लोग ही उठाते हैं। 128 बीघा में एक भी कंकड़-पत्थर नहीं कहते हैं अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने कुछ समय शांघड़ में भी बिताया और उन्होंने यहां धान की खेती के लिए मिट्टी छानकर खेत तैयार किए थे। वे खेत आज भी विशाल शांघड़ मैदान के रूप में यथावत हैं और इस 128 बीघा में एक भी कंकड़-पत्थर नहीं है और न ही किसी प्रकार की झाड़ियां। वहीं, आधा हिस्सा गौ-चारे के रूप में खाली रखा गया है। यह मैदान अपने चारों ओर देवदार के घने पेड़ों से घिरा है, मानो इसकी सुरक्षा के लिए देवदार के वृक्ष पहरेदार बन खड़े हों। वहीं, मैदान के तीन किनारों पर काष्ठकुणी शैली में बनाए गगनचुंबी मंदिर बेहद दर्शनीय हैं। इस मैदान में शांघड़वासी अपनी गायों को रोज चराते हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि इस मैदान में गाय का गोबर कहीं भी नहीं मिलता। भूमि की खुदाई, देवता की अनुमति के बगैर नाचना और शराब ले जाने पर भी पाबंदी है। घोड़े के प्रवेश पर भी मनाही शांघड़ गांव में घोड़े के प्रवेश पर भी मनाही है। यदि किसी का घोड़ा शंगचूल देवता के निजी क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उसके मालिक को जुर्माना देना पड़ता है या फिर देवता कमेटी की ओर से उस पर कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाती है।

कांग्रेस संगठन : कार्यकर्त्ता हताश, बड़े नेताओं का एक ही जवाब - 'जल्द होगा'

In Siyasatnama
NO SANGTHAN FOR HIMACHAL CONGRESS SINCE EIGHT MONTHS

 6 नवंबर से बेसंगठन हैं कांग्रेस, जल्द होने हैं पंचायत चुनाव     करीब एक साल पहले हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव हुए और कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की थी। पुरे प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल दिखा। तब कई माहिरों ने कहा कि जो 1985  के बाद नहीं हुआ, मुमकिन है 2027 में हो। मुमकिन है सुखविंद्र सिंह सुक्खू , वीरभद्र सिंह के बाद रिपीट करने वाले पहले सीएम बन जाएं। पर अब उक्त तमाम माहिर चुप्पी ओढ़े है और इसका सबसे बड़ा कारण है कांग्रेस का संगठन, जो आठ महीने से है ही नहीं।     चुनाव के नतीजे संगठन की मेहनत और सरकारों के कामकाज से तय होते है। अब सत्ता का करीब आधा रास्ता ही तय हुआ है और चुनावी  चश्मे से मौजूदा सरकार के कामकाज का विशलेषण करना जल्दबाजी होगा। पर संगठन का क्या ? पार्टी के भीतर पनप रहे असंतोष का क्या ?  झंडे उठाने वाले आम कार्यकर्ताओं से लेकर पीसीसी चीफ, कैबिनेट मंत्री और अब तो खुद मुख्यमंत्री भी संगठन में देरी को नुकसानदायक मान रहे है। फिर ये देरी क्यों , ये समझ से परे है।  मान लेते है मसला पीसीसी चीफ पद अटका हैं, और खींचतान के चलते आलाकमान निर्णय नहीं ले पा रहा , लेकिन क्या ज़िलों अध्यक्षों और प्रदेश के महत्वपूर्ण पदों पर भी नियुक्तियां नहीं की जा सकती थी। इसी साल के अंत में पंचायत चुनाव होने हैं, नई गठित नगर निगमों के चुनाव भी अपेक्षित हैं। ऐसे में आठ महीने से पार्टी का बगैर संगठन होना समझ से परे हैं।   इस बीच संगठन के गठन को लेकर अब भी कोई पुख्ता जानकारी नहीं हैं। कार्यकर्ताओं की हताशा लाजमी हैं और धैर्य धरे बड़े नेताओं के पास सिर्फ एक ही जवाब हैं, 'जल्द होगा'।  

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