बिलासपुर/सुनील: जिला मुख्यालय के बचत भवन में गुड गवर्नेंस इंडेक्स के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता उपायुक्त बिलासपुर आबिद हुसैन सादिक ने की। बैठक में जिला के सभी विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। उपायुक्त ने बिलासपुर को गुड गवर्नेंस इंडेक्स में शीर्ष स्थान दिलाने के लिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर दिया और उन संकेतकों पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए, जिनमें जिला पिछड़ गया है। उपायुक्त ने अपने संबोधन में कहा कि गुड गवर्नेंस इंडेक्स जिले की प्रगति का आईना है और यह शासन की गुणवत्ता को मापने का एक सटीक उपकरण है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि यह सूचकांक न केवल उनकी जिम्मेदारियों का आकलन करता है, बल्कि विकास की राह में आने वाली चुनौतियों और अवसरों को भी उजागर करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रत्येक विभाग को सूचकांक के मापदंडों पर ध्यान केंद्रित करते हुए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करना चाहिए। बैठक में उपायुक्त ने बताया कि महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य और पुलिस विभाग जैसे विभागों ने कई क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। हालांकि, उनके प्रयास सूचकांक में सही ढंग से परिलक्षित नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में सुधार के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा, ताकि आने वाले समय में बिलासपुर जिला शीर्ष स्थान पर आ सके। उपायुक्त ने उपस्थित अधिकारियों को यह निर्देश भी दिए कि वे सभी सूचनाओं और डेटा की प्रामाणिकता और सटीकता सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि गलत या अपूर्ण जानकारी न केवल शासन की प्रक्रिया को बाधित करती है, बल्कि जनता के विश्वास को भी प्रभावित कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि गुड गवर्नेंस इंडेक्स के माध्यम से शासन की नीतियों और कार्यक्रमों को और प्रभावी बनाया जा सकता है। उपायुक्त ने कहा कि यह सूचकांक विभागीय प्रदर्शन की तुलना करने और भविष्य की योजनाओं के लिए आधार तैयार करने में सहायक है। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे इसे केवल एक मूल्यांकन प्रणाली न समझें, बल्कि इसे अपने कार्यों को बेहतर बनाने के अवसर के रूप में देखें। बैठक के अंत में उपायुक्त ने सभी विभागों से अधिक समन्वय और सहयोग के साथ काम करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सूचकांक में सुधार न केवल जिले की प्रगति को प्रदर्शित करेगा, बल्कि जनता की उम्मीदों को पूरा करने में भी सहायक होगा। उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने विभागों को निर्देश दिए कि वे केवल निर्धारित प्रक्रियाओं और मापदंडों तक सीमित न रहें, बल्कि रचनात्मक और नवाचारपूर्ण विचारों पर काम करें। उन्होंने कहा कि हर विभाग को अपने कार्यक्षेत्र में सुधार और बेहतर परिणामों के लिए नई तकनीकों और योजनाओं को अपनाने की पहल करनी चाहिए। उपायुक्त ने जोर देकर कहा कि प्रशासन में गुड गवर्नेंस केवल एक लक्ष्य नहीं है, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है, जिसे रचनात्मक सोच और सक्रिय भागीदारी से ही हासिल किया जा सकता है। उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि वे पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़ते हुए ऐसे उपाय खोजें, जो जनता की सुविधा और विकास के उद्देश्यों को अधिक प्रभावी ढंग से पूरा कर सकें।
बिलासपुर/सुनील: नगर नियोजन, आवास तथा तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्मानी ने आज घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र की दधोल पंचायत में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने स्वर्गीय इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके विचारों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। राजेश धर्मानी ने कहा कि स्वर्गीय इंदिरा गांधी का जीवन देशसेवा और जनकल्याण को समर्पित था। उनकी दूरदर्शिता और साहस ने भारत को एक सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। उन्होंने हरित क्रांति के माध्यम से देश को कृषि में आत्मनिर्भर बनाया, बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया और भूमिहीन परिवारों को नो तोड़ भूमि देने जैसे ऐतिहासिक फैसले लिए। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व और साहसिक निर्णय आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने कहा, “1971 के युद्ध में भारत की ऐतिहासिक विजय, अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश की साख को मजबूत करना और महिलाओं को सशक्त बनाना, उनके अद्वितीय नेतृत्व के उदाहरण हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि साहस और निष्ठा के साथ हर बाधा को पार किया जा सकता है। इंदिरा जी को ‘आयरन लेडी’ के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने भारतीय राजनीति में महिलाओं के लिए एक नई राह खोली।” मंत्री ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार प्रदेश के विकास और जनता के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि सरकार ने अब तक 20,000 से अधिक युवाओं को रोजगार प्रदान किया है और समाज के हर वर्ग को लाभ पहुंचाने के लिए योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने युवाओं से सरकारी नौकरियों के पीछे भागने के बजाय स्वरोजगार अपनाने और ईमानदारी तथा कर्तव्यनिष्ठा के साथ आगे बढ़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी जैसे महान नेताओं की सोच को आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार हर व्यक्ति के विकास और उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है। इस अवसर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं और इंदिरा गांधी की जीवनी पर प्रकाश डाला गया। मंत्री ने ग्रामीणों की समस्याएं भी सुनीं और उनके समाधान के लिए हरसंभव प्रयास करने का आश्वासन दिया। कार्यक्रम में दधोल पंचायत की प्रधान कंचन लता, उप प्रधान पुरुषोत्तम शर्मा, कसारू पंचायत की प्रधान अंजना, डॉक्टर एल.आर. शर्मा, डॉक्टर जगदीश, लेखराज ठाकुर, रवि कौशल, बीडीओ घुमारवीं और सीडीपीओ रंजना शर्मा सहित अन्य अधिकारी और व्यक्ति उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने आज ऐतिहासिक रिज पर भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती पर उन्हें पुष्पाजंलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने राष्ट्र निर्माण में इंदिरा गांधी के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनके दूरदर्शी निर्णयों ने भारत को मजबूत आधार प्रदान कर सशक्त बनाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भूमि सुधार और बैंकों का राष्ट्रीयकरण इंदिरा गांधी की दूरदर्शी नीतियों का प्रमाण हैं, जिससे आम आदमी लाभान्वित हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। इस अवसर पर उप-मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया, विधायक हरीश जनारथा, रंजीत सिंह राणा, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार सुनील शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान, हिमुडा के उपाध्यक्ष यशवंत छाजटा, नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान, पार्षद, उपायुक्त अनुपम कश्यप और अन्य लोग उपस्थित थे।
हिमाचल प्रदेश में उद्योगों को सस्ती बिजली का प्रबंध करने के लिए सरकार बड़ा कदम उठा सकती है। हालांकि अभी तक यह केवल एक सुझाव है, लेकिन सामने आया है कि उद्योगों को बिजली देने के लिए अलग से नई कंपनी का गठन किया जाए। इसमें बिजली बोर्ड से ही उन पुराने प्रोजेक्टों को वापस लिया जाए, जो 40 साल से ज्यादा समय से उत्पादन में है। क्योंकि एक शर्त राज्य सरकार की निजी कंपनियों के लिए भी है कि 40 साल पुराने प्रोजेक्ट वह सरकार को सौंप देंगी। लिहाजा इसे बिजली बोर्ड पर भी लागू करने की सोच है। सूत्रों के अनुसार सरकार द्वारा बनाई गई कैबिनेट सब-कमेटी के सामने इस तरह का सुझाव आया है और उसने आगे सीएम से भी इस बात पर चर्चा की है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री सुक्खू ने इसको नकार दिया है और उनका मानना है कि बोर्ड के ढांचे से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, परंतु आने वाले समय में इस मामले को लेकर प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है, क्योंकि कुछ अधिकारी भी इस हक में है। अधिकारियों का मानना है कि इससे उद्योगों के लिए सरकार एक अलग व्यवस्था कर सकेगी और जो निवेशक यहां पर बिजली को लेकर अब परेशान हो रहे हैं, उनकी दिक्कत दूर हो सकती है। क्योंकि उद्योगों को अब दूसरे राज्य भी सस्ती बिजली देने लगे हैं और यहां पर बिजली का टैरिफ बढ़ रहा है, जिससे उद्योगपतियों में नाराजगी है। उनकी नाराजगी को दूर करने के लिए यदि सरकार बिजली क्षेत्र की नई कंपनी उद्योग क्षेत्रों में ही स्थापित कर दे और उसके माध्यम से केवल उद्योगों के लिए बिजली का वितरण करे, तो इससे उद्योगों को सस्ती बिजली का इंतजाम हो सकता है। वैसे यह इतना ज्यादा आसान नहीं है, परंतु फिर भी कैबिनेट सब-कमेटी अपनी ओर से सरकार के सामने इस तरह का सुझाव जरूर रखेगी। इसको लेकर सब-कमेटी ने काफी मंथन भी किया है। मुख्यमंत्री सुक्खू के साथ रविवार को अभियंताओं व कर्मचारियों के ज्वाइंट फ्रंट की जो बैठक हुई है, उसमें भी यह मुद्दा उठा है, मगर इस पर कोई बात नहीं बन पाई। क्योंकि बिजली बोर्ड में कर्मचारियों पर लगने वाली लागत काफी ज्यादा है और पेंशनरों का बड़ा खर्र्च बोर्ड पर है। उससे यहां बिजली के टैरिफ पर असर पड़ रहा है। बिजली का टैरिफ इससे महंगा हो गया है और अब उद्योगों को सरकार उस कद्र सस्ती बिजली नहीं दे पा रही है जितनी उसे देनी चाहिए। पिछले दिनों एक रूपए सबसिडी इसमें सरकार ने कम की थी, जोकि 100 किलोवॉट से ज्यादा बिजली इस्तेमाल करने वाले उद्योगों पर लागू हुई थी, मगर इस पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी, जिससे भी सरकार फंस गई है। हिमाचल प्रदेश में उद्योगों को भी सस्ती बिजली देना जरूरी है। बिजली बोर्ड के चार ऐसे प्रोजेक्ट बताए जा रहे हैं, जो 40 साल से ऊपर हो चुके हैं और उनसे उत्पादन हो रहा है। उनकी पूरी बिजली का इस्तेमाल बिजली बोर्ड ही करता है और उससे सरकार को कोई लाभ नहीं मिल रहा। ऐसे में अब कैबिनेट सब-कमेटी के सुझावों को सरकार मानती है या नहीं, यह देखना होगा।
चिट्टे के मामले में हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर से गिरफ्तार मुख्य तस्कर अनिल उर्फ पिंटू के बारे में सोलन पुलिस ने कई खुलासे किए हैं। पिंटू जंगल में अकेला रहता था, जब भी पुलिस टीम उसे पकड़ने के लिए जाती थी, वह टीम के पीछे अपने खूंखार कुत्तों को छोड़ देता था। पुलिस उसे पकड़ न पाए, इसलिए उसने दस कुत्ते पाल रखे थे। आरोपी ने तीन शादियां की हैं और उसके पांच बच्चे हैं। इसके बावजूद उसने पंजगाई के जंगल में घर बनाया हुआ है, जहां वह अकेला रहता था। 17 नवंबर को सोलन पुलिस टीम पूरी तैयारी के साथ गई और उसे घर के साथ लगती गोशाला से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार दाड़लाघाट में चिट्टे के मामले में पहले से गिरफ्तार बिलासपुर के दो आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने यह कार्रवाई की है। एसपी सोलन गौरव सिंह ने बताया कि जांच में पाया गया है कि अनिल उर्फ पिंटू नशे का एक बहुत बड़ा सप्लायर है, जो बिलासपुर समेत अन्य जिलों में युवकों को काफी समय से चिट्टे की सप्लाई कर रहा था। इस आरोपी ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए घर पर खूंखार कुत्ते पाल रखे हैं, जिन्हें पुलिस टीम पर छोड़ देता था। यह आरोपी घर से फरार चल रहा था। इसे दाड़लाघाट पुलिस की टीम ने गोशाला में छापा मारा। तलाशी के दौरान इस आरोपी से नकदी के अलावा चिट्टा तौलने के लिए रखी गई मशीन, एक खुखरी और फॉयल पेपर भी बरामद हुए हैं। आरोपी के खिलाफ कुल 41 आपराधिक मामले दर्ज है, जिनमें से 9 मामले एनडीपीएस एक्ट के हैं। आरोपी को कोर्ट में पेश कर तीन दिन की पुलिस रिमांड पर लिया है।
शिमला: हिमाचल में पिछले कई महीनों से कमर तोड़ महंगाई की समस्या से जूझ रहे लाखों लोगों को डिपुओं में भी राहत नहीं मिल रही है। हालत ये है कि नवंबर महीना बीतने को है, लेकिन प्रदेश भर के 4500 से ज्यादा डिपुओं में उपभोक्ताओं को इस महीने सरसों के तेल सहित तीन दालों का कोटा उपलब्ध नहीं हुआ है, जिसके चलते बाजार से महंगे रेट पर खाद्य वस्तुएं खरीद कर रसोई चलाने को उपभोक्ता मजबूर हैं। पिछले महीने फेस्टिव सीजन में लोगों का पहले ही जेब खर्च ज्यादा हुआ है। ऐसे में डिपुओं में तेल और दाल का कोटा न मिलने से लोगों की जेब और टाइट हो गई है। वहीं, प्रदेश के अधिकतर डिपुओं में तो उपभोक्ताओं को पिछले महीने भी सरसों का तेल नहीं दिया गया है, जिससे लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। वहीं, डिपुओं में सरसों का तेल और दालों का कोटा कब तक उपलब्ध होगा? इस बात की भी उपभोक्ताओं को कोई जानकारी नहीं मिल रही है। उचित मूल्यों की दुकानों से कोटा गायब होने से लाखों परिवार अब बाजार से 200 रुपए लीटर सरसों का तेल और 100 से 120 रुपए किलो दालें खरीदने के लिए मजबूर है। हालात ये है कि मंडी समेत अन्य जिलों में तो उपभोक्ताओं को पिछले कई महीने भी डिपुओं में सरसों का तेल और दालों का कोटा नहीं मिला है, जिससे उपभोक्ता पिछले दो महीनों से बाजार से महंगे भाव पर सरसों का तेल और दालें खरीदने को विवश हैं। खुले बाजार में सरसों के तेल की कीमतें आसमान छूने लगी हैं, लेकिन डिपुओं में उपभोक्ताओं को सस्ते रेट पर दिए जाने वाले सरसों के तेल के भाव में पिछले करीब तीन महीने से कोई बदलाव नहीं हुआ हैं। हिमाचल सरकार उपभोक्ताओं को एक राशन कार्ड पर अधिकतम दो लीटर सरसों का तेल दे रही है। इसमें एपीएल और बीपीएल उपभोक्ताओं को 123 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से सरसों का तेल उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं, टैक्स पेयर कार्ड धारकों को यही सरसों का तेल 129 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से दिया जा रहा है। पिछले महीने त्योहारी सीजन में सरकार ने उपभोक्ताओं को डिपुओं में जाकर जरूरत के मुताबिक सरसों का तेल खरीदने की सुविधा भी दी थी, लेकिन सरकार का ये दावा कुछ ही दिनों में ही हवा हो गया था। हिमाचल में डिपुओं में उपभोक्ताओं को दालें भी सस्ते भाव पर उपलब्ध करवाई जाती हैं। इसमें बीपीएल परिवारों को उड़द की दाल 58 रुपए किलो के हिसाब से दी जाती है। एपीएल परिवारों को उड़द की दाल 68 रुपए किलो मिलती है। इसके अलावा टैक्स पेयर को डिपुओं में 93 रुपए किलो उड़द की दाल उपलब्ध कराई जाती है। इसी तरह से बीपीएल परिवारों को मलका की दाल 56 रुपए प्रति किलो के हिसाब से दी जाती है। एपीएल परिवारों को मलका दाल 66 रुपए किलो और टैक्स पेयर के लिए मलका की दाल का भाव अभी 91 रुपए तय किया गया है। डिपुओं में एपीएल परिवारों को चना दाल अभी तक 48 रुपए किलो दी जाती है। वहीं, बाजार में इन तीनों ही दालों का भाव 100 से 120 रुपए प्रति किलो है। हिमाचल प्रदेश में कुल राशन कार्ड धारकों की संख्या 19 लाख 65 हजार 589 है। जो 4500 से ज्यादा डिपुओं के जरिए सस्ते राशन की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। डिपुओं के जरिए उपभोक्ताओं को आटा, चावल, तीन अलग-अलग किस्म की दालें, सरसों का तेल और नमक बाजार से सस्ते रेट पर उपलब्ध करवाया जाता है। महंगाई के कारण डिपुओं में सरसों के तेल की अधिक मांग रहती है। सरसों के तेल के कोटे को कोई भी उपभोक्ता नहीं छोड़ता है। ऐसे में प्रदेश में हर महीने डिपुओं में 34 लाख लीटर तेल की खपत रहती है, जिस पर सरकार सब्सिडी के तौर पर लाखों रुपए खर्च करती है।
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के उपमंडल झंडूता के नघ्यार गांव में रंगड़ों के काटने से एक बुजुर्ग व्यक्ति मौत हो गई है। बुजुर्ग व्यक्ति खेत में काम कर रहा था, इसी बीच रंगड़ों ने हमला कर दिया। तलाई थाना पुलिस की ओर से मामले में आगामी कार्रवाई की जा रही है। जानकारी के अनुसार निक्का राम (81) निवासी गांव नघ्यार तहसील झंडूता जिला बिलासपुर रविवार शाम को खेतों में काम कर रहा था। झाड़ियों को काटते समय रंगड़ों ने बुजुर्ग पर हमला कर दिया। इसके बाद परिजन बुजुर्ग को बड़सर अस्पताल ले गए, जहां से हमीरपुर रेफर किया गया। हमीरपुर अस्पताल में उपचार के दौरान बुजुर्ग की मौत हो गई। मामले की पुष्टि डीएसपी घुमारवीं चंद्रपाल सिंह ने की है।
हिमाचल में अब 70 साल से ज्यादा के बुजुर्गों का घरद्वार पर ही उपचार होगा। स्वास्थ्य विभाग को फोन पर सूचना देने के बाद मोबाइल एंबुलेंस घर जाएगी। इसमें एक डॉक्टर, फार्मासिस्ट और नर्स होंगी। इस एंबुलेंस में दवाइयां, ऑक्सीजन सिलिंडर और अन्य जरूरी उपकरण भी रहेंगे। मौके पर उपचार करने के बाद डॉक्टर को लगे कि मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है तो उन्हें साथ ही लाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक मरीजों के घर-द्वार पर ही टेस्ट भी होंगे। इसकी रिपोर्ट ऑनलाइन घर भेजी जाएगी। इसके लिए मरीज या उनके तीमारदारों का मोबाइल नंबर लिया जाएगा। सीएम सुक्खू ने स्वास्थ्य विभाग को इस योजना को जल्द शुरू करने को कहा है। जिलों में नजदीकी अस्पताल से लोगों के घरों में स्वास्थ्य विभाग की टीमें भेजी जाएंगी। यह सुविधा अभी उन क्षेत्रों व पंचायतों में होगी जहां सड़क सुविधा रहेगी। उपचार और दवाएं निशुल्क दी जाएंगी।मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि सीएम सुक्खू ने विभाग को इस दिशा में काम करने को कहा है।
हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग की पहली पायलट भर्ती की सीबीटी परीक्षा का नतीजा निकालने का पेच सुलझ गया है। अब आयोग को ट्रेजरी से कोड मिलने के बाद एडसिल एजेंसी को करीब 36 लाख के भुगतान का रास्ता साफ हो गया है। कोष विभाग से नवगठित आयोग के नामित कर्मचारी को ट्रेजरी कोड मिलने के बाद जल्द ही अब एजेंसी को भुगतान होगा। परीक्षा के आयोजन का 36 लाख का बिल कोष विभाग को भेजा गया है। हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग को अपना जीएसटी नंबर भी मिल गया है। ऐसे में परीक्षाओं के आयोजन से लेकर तमाम वित्तीय गतिविधियों को पूरा करने में दिक्कत पेश नहीं आएगी। हिमाचल प्रदेश नवगठित आयोग की ओर से ऑपरेशन थियेटर असिस्टेंट (ओटीए) पोस्ट कोड 1073 के 162 पदों की कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट (सीबीटी) का आयोजन बीते मार्च में किया गया था। सीबीटी के तहत पायलट आधार पर यह पहली भर्ती राज्य आयोग की ओर से एडसिल एजेंसी के जरिये करवाई गई थी। इस भर्ती को करवाने की एवज में एजेंसी ने आयोग को 36 लाख का बिल दिया था। इस बिल के भुगतान को लेकर पिछले सात माह से पेच फंसा हुआ था। आयोग का ट्रेजरी कोड सृजित नहीं होने से बिल नहीं बन पा रहा था। भंग कर्मचारी चयन आयोग में साल 2022 में इस भर्ती को विज्ञाप्ति किया गया था। पेपरलीक के चलते आयोग भंग हो गया था। नवगठित राज्य आयोग ने 30 मार्च 2024 को इसकी सीबीटी परीक्षा करवाई। इस भर्ती को पायलट भर्ती के तौर पर एडसिल एजेंसी के माध्यम से करवाया गया। दो साल बाद अभ्यर्थियों का परिणाम का इंतजार जल्द ही खत्म होगा। प्रदेश सरकार के कोष विभाग से किसी भी विभाग को फंड जारी करने के लिए विभाग अथवा सरकारी संस्था का ट्रेजरी कोड सृजित किया जाता है। उस संस्था के एक कर्मचारी को इस कोड को संचालित करने के लिए नामित किया जाता है। बाकायदा आईडी और पासवर्ड कर्मचारी के बनाए जाते हैं। हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग में यह औपचारिकताएं अब पूरी कर ली गई है। सीबीटी के परिणाम के बाद होगा दस्तावेजों का मूल्याकंन ओटीए की भर्ती की सीबीटी भर्ती के परीक्षा परिणाम को आउटसोर्स एजेंसी की ओर से घोषित किया जाएगा, लेकिन अंतिम परिणाम हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग की ओर से ही जारी किया जाएगा। आयोग के सचिव विक्रम महाजन ने कहा कि आयोग ने कोष विभाग के समक्ष ओटीए भर्ती के आयोजन का बिल प्रस्तुत कर दिया है। आयोग को अपना जीएसटी नंबर भी मिल गया है।
सिरमौर: कहते हैं कि मां जैसा इस दुनिया में कोई दूसरा नहीं है। एक मां अपने जिगर के टुकड़े के लिए कुछ भी कर सकती है या यूं कहे कि किसी भी हद तक जा सकती है। अपने बेटे की जिंदगी बचाने के लिए वो खुशी-खुशी मौत को भी गले लगा सकती है। मां की मामता का भावुक कर देने वाला एक मामला हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला से सामने आया है। मां का रिश्ता सभी रिश्तों से अनमोल यूं ही नहीं है। कई ऐसे उदाहरण हैं जब मां ने अपने लाल का जीवन बचाने के लिए हंसते-हंसते मौत को गले लगा लिया हो। ऐसा ही उदाहरण जिला सिरमौर के शिलाई क्षेत्र में सामने आया है। कांडो भटनोल पंचायत के गांव बोहल में शनिवार को रंगड़ों के हमले से मां ने अपने तीन साल के मासूम को बचाते हुए अपनी जान दे दी। जानकारी के अनुसार अनु (28) अपने घर के पास ही घास काटने गई थी। वह बेटे को भी साथ ले गई थी। अचानक घासन में खड़ीक के पेड़ पर बने छत्ते से रंगड़ों ने मां-बेटे पर हमला कर दिया। अनु ने अपने सिर से ढाठू उतारकर बेटे को ढका और अपनी आगोश में ले लिया। इससे बेटा बच गया, लेकिन रंगड़ों ने अनु को बुरी तरह काटा। उसने शिमला में मजदूरी कर रहे अपने पति को फोन के माध्यम से इसकी जानकारी दी। चीखने की आवाजें सुनकर आसपास के लोग पहुंचे महिला के चीखने की आवाजें सुनकर आसपास के लोग पहुंचे और उपचार के लिए उसे शिलाई अस्पताल ले जाया गया। यहां से महिला व बच्चे को हायर सेंटर रेफर किया गया, लेकिन महिला ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। बच्चे का नाहन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में उपचार चल रहा है। वह खतरे से बाहर है।
** सूखे की मार झेल रहे किसानों को मिलेगी राहत पर्यटन भी पकड़ेगा गति लंबे अरसे बाद मौसम ने करवट बदली है। शनिवार को रोहतांग सहित शिंकुला व बारालाचा दर्रे में बर्फ के फाहे गिरे हैं। बादल छा जाने से रोहतांग के निकटवर्ती स्थलों में भी हिमपात की उम्मीद बढ़ गई है। लंबे समय से सूखे की मार झेल रहे किसानों व पर्यटन कारोबारियों को भी राहत मिलने की उम्मीद है। शनिवार को बर्फ की उम्मीद लिए रोहतांग दर्रे में पांच सौ से अधिक पर्यटक वाहनों में लगभग चार हजार पर्यटक पहुंचे। बर्फ न पडऩे से उन्हें निराशा हुई, लेकिन ठंडा मौसम देख पर्यटक खासे उत्साहित हुए। देर शाम को दर्रे में बर्फ के फाहे गिरे। शनिवार को शिंकुला व बारालाचा दर्रे में बर्फ के फाहे गिरे, लेकिन लेह लद्दाख सहित जंस्कार घाटी की ओर वाहनों की आवाजाही सुचारू रही। देश भर के पर्यटक मनाली में हिमपात होने का इंतजार कर रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में विभिन्न श्रेणियों की 7,600 पदों की आउटसोर्स भर्तियों पर ब्रेक लग गई है। राज्य हाईकोर्ट के फैसले के बाद इलेक्ट्राॅनिक्स काॅरपोरेशन ने भर्ती प्रक्रिया बंद कर दी है। शिक्षा विभाग में 6,200 प्री प्राइमरी शिक्षकों सहित एनएचएम में नर्स, ओटी टैक्नीशियन और फार्मासिस्ट सहित अन्य श्रेणियों की 1400 पदों पर भर्तियां होनी हैं। दरअसल शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग ने इन भर्तियों का इलेक्ट्राॅनिक्स काॅरपोरेशन को जिम्मा सौंपा है। अब कोर्ट ने काॅरपोरेशन के माध्यम से भर्तियाें पर रोक लगा दी है।सरकार भर्तियों को शुरू करने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखने की तैयारियों में जुट गई है। 21 नवंबर को इस मामले की सुनवाई होनी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कॉरपोरेशन के तहत पंजीकृत सभी कंपनियों का डाटा बेवसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। जब तक सभी कंपनियों का डाटा वेबसाइट पर अपलोड नहीं होगा, तब तक आउटसोर्स भर्तियों पर रोक लगाई गई है। इस कारण इन दिनों काॅरपोरेशन के तहत होने वाली भर्तियों को लेकर प्रक्रिया थम गई है। शिक्षा विभाग ने बीते दिनों काॅरपोरेशन को 6200 प्री प्राइमरी शिक्षकों से संबंधित नियम तैयार कर भेजे थे। काॅरपोरेशन ने इन पदों पर भर्ती के लिए आउटसोर्स कंपनियों का चयन शुरू करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी। इसी बीच हाईकोर्ट की रोक के चलते यह काम बंद हो गया है। वहीं राज्य लोकसेवा आयोग की परीक्षा पास करने पर शिक्षा विभाग ने हिंदी विषय के 113 और फिजिक्स विषय के 45 नए स्कूल प्रवक्ताओं को नियुक्तियां दे दी हैं। शनिवार को उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से नियुुक्ति आदेश जारी किए गए। प्रवक्ताओं को 25,800 रुपये प्रतिमाह वेतन मिलेगा। इनकी नियुक्ति अनुबंध आधार पर की गई है। तय कार्यकाल को पूरा करने के बाद इन्हें नियमित किया जाएगा। सभी नवनियुक्त प्रवक्ताओं को दस दिनों के भीतर पद ग्रहण करने के निर्देश दिए गए हैं।
बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश में चिट्टे की लत कई युवाओं की जान ले चुकी है। ताजा मामला बिलासपुर जिले का है। घुमारवीं पुलिस थाने के तहत एक युवक की कथित तौर पर चिट्टे की ओवरडोज से मौत होने का मामला सामने आया है। पुलिस ने युवक के शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया है। वहीं, विसरा व यूरिन के सैंपल को जांच के लिए लैब भेज दिया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। हालांकि अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मौत चिट्टे की ओवरडोज से हुई है या फिर अन्य कारणों से हुई है, क्योंकि युवक के एक दोस्त ने पुलिस शिकायत में एक साथ चिट्टे का नशा करने की बात कही है। डीएसपी जिला मुख्यालय मदन धीमान ने बताया कि घुमारवीं पुलिस थाने के तहत एक युवक की मौत हो गई हैं। मृतक के दोस्त ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वो वीरवार देर शाम को घुमारवीं से बाइक पर अपने घर जा रहा था, जब रास्ते में उसे उसका दोस्त एक दोस्त मिला, जो कि एक अन्य लड़के के साथ बाइक पर था, जिसके बाद वो और उसका दोस्त उसके साथ उसके घर आया और तीसरी मंजिल पर स्थित उसके रिहायशी कमरे में आ गया, जबकि उसके दोस्त के साथ आया अन्य लड़का अपनी बाइक के साथ सड़क पर ही उनका इंतजार करने लगा। शिकायतकर्ता ने बताया, कमरे में आने के बाद उसने और उसके दोस्त (मृतक युवक) दोनों ने बैठ कर एक साथ चिट्टे का नशा किया। नशा करने के बाद जैसे ही उसका दोस्त घर जाने के लिए उठा तो वो अचानक लड़खड़ाने लगा। उसने शिकायतकर्ता को बताया कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है, जिस पर शिकायतकर्ता ने युवक को बेड पर लिटा दिया और युवक के साथ आए अन्य लड़के को फोन करके बता दिया कि युवक की तबीयत खराब हो गई है और वो सो गया है। उसने उस लड़के को घर जाने के लिए कह दिया। रात के 11 बजे के करीब उसके अपने दोस्त के पास जाकर उसे उठाया, लेकिन वो कोई बातचीत नहीं कर रहा था। शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि जब उसे अपने दोस्त की तबीयत खराब लगने लगी तो उसके 108 एंबुलेंस को फोन करके सूचित किया। सबसे पहले एंबुलेंस से युवक को सीएचसी हरलोग पहुंचाया गया, लेकिन वहां पर डॉक्टर मौजूद नहीं था, जिसके बाद युवक को तुरंत घुमारवीं अस्पताल पहुंचाया गय। जहां जांच के बाद डॉक्टरों ने युवक को मृत घोषित कर दिया। वहीं, परिजनों ने अभी तक किसी पर भी कोई शक जाहिर नहीं किया है। डीएसपी जिला मुख्यालय मदन धीमान ने बताया, "पुलिस ने युवक के शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों के हवाले कर दिया है। विसरा और यूरिन के सैंपल जांच के लिए लैब भेज दिए गए हैं। पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। मौत के सही कारणों का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चल पाएगा।
भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन का ट्रैक थलुह तक मार्च 2025 में बनकर तैयार हो जाएगा। इस 7.6 किलोमीटर ट्रैक लिंकिंग का काम कंपनी अगले सप्ताह शुरू करेगी। इसके निर्माण के लिए रेल, स्टील, स्लीपर, ट्रैक बलास्ट, गिट्टी जगह-जगह जमा कर दी गई है। खास बात यह है कि ट्रैक बिछाने के लिए छत्तीसगढ़ के भिलाई इस्पात संयंत्र से पटरी पहुंच गई है। थलुह से आगे पहाड़पुर तक ट्रैक बिछाने में अभी समय लगेगा। कारण यह है कि थलुह से आगे अभी कई जगह पर पुलों का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। इनका निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ही पहाड़पुर तक ट्रैक बिछाने का कार्य होगा। भानुपल्ली से पहाड़पुर तक की दूरी 24 किलोमीटर है। यहां तक ट्रैक बिछाने, लिंकिंग के लिए रेल विकास निगम ने शिवाकृति कंस्ट्रक्शन कंपनी को 74.64 करोड़ का टेंडर जारी किया है। इस टेंडर में पंजाब, हिमाचल प्रदेश में ट्रैक ब्लास्ट आपूर्ति, रेल वेल्डिंग और संबंधित पी-वे कार्य शामिल हैं। सुरंगों को छोड़कर भानुपल्ली, थलुह, धरोट, पहाड़पुर यार्ड शामिल होंगे। भानुपल्ली से पहाड़पुर तक के ट्रैक निर्माण के लिए लगभग 1,19,651 घन मीटर गिट्टी की आपूर्ति करनी होगी, ताकि ट्रैक की उचित स्थिरता,संरेखण सुनिश्चित हो सके। रेल वेल्डिंग के काम में कुल रेल जोड़ों के लिए मोबाइल फ्लैश बट वेल्डिंग, एल्युमिनो-थर्मिक वेल्डिंग दोनों शामिल हैं, जिससे निर्बाध ट्रैक कनेक्टिविटी, परिचालन दक्षता सुनिश्चित होती है। भानुपल्ली से थलुह तक सबसे पहले गिट्टी बिछाई जाएगी। उसके बाद ट्रैक बिछेगा। इसके साथ ही सिग्नल का काम भी पूरा किया जाएगा। वहीं पहाड़पुर तक इंडोर, आउटडोर सिग्नल और दूरसंचार कार्य की आपूर्ति, स्थापना के लिए करीब 54 करोड़ का टेंडर भी जारी किया है। दूरसंचार विभाग इसका कार्य जल्द शुरू करेगा। इस परियोजना में टनलों की कुल संख्या 20 है। टनल नंबर 10 की लंबाई सबसे अधिक 3810.5 मीटर है। वहीं टनल नंबर छह सबसे छोटी 165 मीटर है। इस परियोजना में प्रमुख और महत्वपूर्ण पुलों की संख्या आठ है, जबकि छोटे पुल 27 हैं। वर्तमान में करीब 7 हजार करोड़ की इस परियोजना की लंबाई बैरी तक 63.1 किलोमीटर है। जमीन पर इस परियोजना का 44.7 फीसदी हिस्सा यानि 27.93 किमी बनेगा। इसका 41.7 फीसदी हिस्सा टनलों में होगा, जिसकी लंबाई 26.13 किमी है। 13.6 फीसदी ट्रैक पुलों पर होगा, जिसकी लंबाई 08.54 किमी है। भानुपल्ली, थलुह, धरोट, पहाड़पुर, जकातखाना, बिलासपुर और बैरी स्टेशन होंगे। इसकी संभावित गति 100 किमी प्रति घंटा होगी।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार विपक्ष के दुष्प्रचार से विचलित नहीं होगी और प्रदेश की जनता की भलाई के लिए काम करती रहेगी। रामपुर के दत्तनगर में हिमाचल के सबसे बड़े मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट के लोकार्पण अवसर पर जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की मदद के बिना प्राकृतिक आपदा से प्रभावित 23 हजार परिवारों का पुनर्वास किया। सीएम ने कहा कि प्रदेश के किसानों से लिए जाने वाले दूध के दाम सरकार अगले साल के बजट में और बढ़ाएगी। अभी सरकार किसानों से गाय का दूध 45 रुपये और भैंस का दूध 55 रुपये प्रतिलीटर के हिसाब से खरीद रही है। पूर्व जयराम सरकार ने बिना बजट और पर्याप्त स्टाफ के शिक्षण और स्वास्थ्य संस्थान खोले। चुनावी लाभ के लिए 5,000 करोड़ की रेवड़ियां बांटीं। सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार पशुपालन विभाग में 900 पशु फार्मासिस्टों की भर्ती करने जा रही है, ताकि पशुपालकों को घरद्वार पर बेहतर सुविधाएं मिल सकें। उन्होंने कहा कि डबल इंजन सरकार के कार्यों के कारण ही हिमाचल गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं देने में देशभर में पिछड़ गया। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार देवी-देवताओं और जनता के आशीर्वाद से हर चुनौती पर विजय प्राप्त कर रही है। राजनीतिक चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करते हुए कांग्रेस पार्टी के विधायकों की संख्या फिर से 40 हो गई है।
हिमाचल में सैलानियों की संख्या में इजाफा हुआ है। वीकेंड पर एक साथ तीन छुट्टियों के चलते हिमाचल में टूरिस्ट की संख्या बढ़ी हैं। शिमला, कुफरी, कसौली, चायल, नारकंडा, मनाली और धर्मशाला में बड़ी संख्या में टूरिस्ट उमड़े हैं। प्रदेश के होटलों में ऑक्यूपेंसी बढ़कर 50 फीसदी तक पहुंच गई है। रोहतांग सहित प्रदेश की ऊंची चोटियों पर हल्की बर्फबारी के बाद सैलानियों का आकर्षण बढ़ा है। विंटर टूरिस्ट सीजन से पहले हिमाचल में सैलानियों की संख्या बढ़ने से पर्यटन कारोबारी उत्साहित हैं। रोहतांग में हुई बर्फबारी के बाद बाहरी राज्यों के सैलानियों ने मनाली का रुख करना शुरू कर दिया है। बीते एक सप्ताह में मनाली पहुंचने वाले सैलानियों की संख्या करीब दोगुनी हो गई है। शिमला, कसौली, चायल, कुफरी और नारकंडा में भी वीकेंड पर टूरिस्टों की आवाजाही बढ़ गई है। शिमला के रिज मैदान और मालरोड पर शुक्रवार को सैलानियों की खूब चहलपहल रही। कुफरी में सैलानियों ने घुड़सवारी का लुत्फ उठाया। नारकंडा की हाटू पीक पहुंचने वाले सैलानियों की संख्या बढ़नी शुरू हो गई है। शुक्रवार को कसौली में सैलानियों की संख्या बढ़ने से ट्रैफिक जाम की समस्या पेश आई। फेडरेशन ऑफ ऑल हिमाचल होटल एंड रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि लांग वीकेंड पर हिमाचल के पर्यटन स्थल सैलानियों से गुलजार हो गए हैं। विंटर टूरिस्ट सीजन से पहले वीकेंड पर टूरिस्टों की संख्या बढ़ने से आने वाले दिनों में अच्छे कारोबार की उम्मीद है। रोहतांग में हुई बर्फबारी के बाद मनाली में सैलानियों की संख्या में इजाफा हुआ है। वीकेंड पर तीन दिन की छुट्टियों के पैकेज के चलते भारी संख्या में सैलानी हिमाचल पहुंचे हैं। होटलों में ऑक्यूऐंसी 50 फीसदी तक पहुंच गई है। अच्छी बर्फबारी हाेने पर सैलानियों की संख्या में बूम आएगा
शिमला: हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हाईकोर्ट में सीपीएस की नियुक्तियां निरस्त होने के बाद प्रदेश मंत्रिमंडल की आज बैठक होगी। शिमला स्थित प्रदेश सचिवालय में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली मंत्रिमंडल की इस बैठक में हाईकोर्ट में सीपीएस की नियुक्तियां निरस्त होने पर चर्चा हो सकती है। वहीं, प्रदेश की सुक्खू सरकार का दो साल का कार्यकाल 11 दिसंबर को पूरा होने जा रहा है। ऐसे में कैबिनेट की मीटिंग में दो साल का कार्यकाल पूरा होने को लेकर मनाए जाने वाले जश्न को लेकर भी चर्चा हो सकती है। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में करुणामूलक आधार पर नियुक्ति देने से संबंधित विषय को लेकर गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की सिफारिशों पर बैठक में चर्चा होने की संभावना है। इसी तरह से विधानसभा का शीतकालीन सत्र भी होना है, जिस पर भी कैबिनेट की चर्चा हो सकती है। हिमाचल में आगामी बजट को लेकर सरकार ने अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी है। इसको लेकर मुख्यमंत्री पहले ही मंत्रिमंडल के सहयोगियों और अधिकारियों के साथ बैठक कर चुके हैं, जिसमें मंत्रियों से अपने-अपने विभागों से संबंधित प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है, ताकि इसे बजट में शामिल करके आम जनता को फायदा पहुंचाया जा सके। हिमाचल में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। प्रदेश में साल 2022 हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की भी गारंटी दी थी। हर बार कैबिनेट की मीटिंग में सरकार का नए पदों को सृजित कर इन्हें भरे जाने का प्रयास रहता है। ऐसे में आज आयोजित होने वाली कैबिनेट की बैठक में विभिन्न विभागों में और भी नए पद सृजित किए जा सकते हैं। इसको देखते हुए युवाओं को कैबिनेट की मीटिंग से काफी उम्मीदें रहती है। सीएम सुक्खू की अध्यक्षता में पिछली कैबिनेट बैठक 22 अक्टूबर को आयोजित हुई थी, जिसमें मंत्रिमंडल ने वन विभाग में 2,061 वन मित्रों की नियुक्ति को मंजूरी दी थी। इसी तरह से कैबिनेट ने मुख्यमंत्री आरोग्य पशुधन योजना के तहत प्रदेश के पशु चिकित्सालय में सालों से सेवाएं दे रहे GPVA को नियमित करने के लिए 964 पद सृजित किए थे। वहीं, कैबिनेट ने लोक निर्माण विभाग में वर्क इंस्पेक्टर के 100 पदों को भरने की भी मंजूरी दी गई थी। इसके अलावा सुक्खू कैबिनेट ने डॉ. राधाकृष्णन राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, हमीरपुर में 150 स्टाफ नर्स के पद भरने का भी फैसला लिया था। इसी तरह से मंत्रिमंडल ने चिकित्सा महाविद्यालय हमीरपुर में सामान्य चिकित्सा, शिशु रोग, सामान्य शल्य चिकित्सा, अस्थि रोग, एनेस्थीसिया और रेडियोलॉजी विभागों में छह एसोसिएट प्रोफेसर के पद और 10 सहायक प्रोफेसर पद सृजित कर भरने का भी फैसला लिया गया था।
नगर नियोजन, आवास, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री राजेश धर्मानी ने बताया कि घुमारवीं से एम्स तक चलने वाली बस सेवा के मार्ग में महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। घुमारवीं से सुबह 7:40 बजे एम्स जाने वाली बस अब कुठेड़ा से प्रस्थान करेगी। यह बस सुबह 6:40 बजे कुठेड़ा से चलकर घुमारवीं होते हुए एम्स पहुंचेगी। राजेश धर्मानी ने बताया कि इस बस सेवा के मार्ग और समय सारणी में बदलाव से कुठेड़ा से घुमारवीं के बीच स्थित 10 पंचायतों के हजारों लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। यह निर्णय इन पंचायतों के निवासियों के अनुरोध पर लिया गया है, जिन्होंने हाल ही में मंत्री से भेंट कर इस बस सेवा को उनके क्षेत्रों से संचालित करने की मांग की थी। मंत्री ने जनता की जरूरतों को समझते हुए इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। इन पंचायतों को मिलेगा सीधा लाभ : इस नई बस सेवा से कुठेड़ा, तलवाड़ा, पटेर, भुलस्वाएं, मोर सिंघी, कोठी, त्यून खास, लद्दा, मैंहरी काथला, दाबला पंचायतों के करीब 20,000 निवासियों को सुविधा मिलेगी। एम्स जैसे प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान तक पहुंच अब इन क्षेत्रों के लोगों के लिए अधिक सुगम हो जाएगी। इस बस सेवा का प्राथमिक उद्देश्य यह है कि परिवहन सुविधा न केवल स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान बनाएगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास में भी सहायक होगी। मंत्री ने बताया कि यह बस सेवा खासतौर पर एम्स में उपचार के लिए जाने और वापस आने वाले यात्रियों को ध्यान में रखकर समयबद्ध की गई है। यह कदम ग्रामीण क्षेत्र के निवासियों के लिए यात्रा को सरल, सुगम और अधिक सुविधाजनक बनाएगा। बस सेवा की नई समय सारणी: कुठेड़ा से एम्स: सुबह 6:40 बजे कुठेड़ा से प्रस्थान सुबह 7:40 बजे घुमारवीं बस स्टैंड पहुंचना सुबह 8:30 बजे एम्स पहुंचना एम्स से कुठेड़ा : शाम 5:05 बजे एम्स से प्रस्थान शाम 6:00 बजे घुमारवीं पहुंचना शाम 7:00 बजे कुठेड़ा पहुंचना
बिलासपुर जिले में स्थित गोबिंदसागर झील को पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनाने के उद्देश्य से अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह की तर्ज पर आइलैंड टूरिज्म विकसित करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए जल्द ही कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इस परियोजना के तहत उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक और एसडीएम सदर अभिषेक गर्ग ने झील के ज्योरीपत्तन क्षेत्र का निरीक्षण किया। जहां एक बड़े द्वीप को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना है। उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने बताया कि निरीक्षण के दौरान यह द्वीप पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए उपयुक्त पाया गया है, जिससे क्षेत्र में पर्यटन को एक नई दिशा मिलेगी और झील के प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ावा मिलेगा। इस बड़े द्वीप की खासियत यह है कि यह पानी में स्थित होने के बावजूद आठ से नौ महीने तक पानी से ऊपर रहता है। यह विशेषता इसे पर्यटकों के लिए आदर्श स्थल बनाती है, जहां वे बिना किसी समस्या के प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। इस परियोजना का उद्देश्य बिलासपुर को एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करना और पर्यटकों को झील में अनूठे अनुभव प्रदान करना है। अंडमान-निकोबार की तरह यहां वॉटर स्पोट्र्स, कैंपिंग और स्थानीय संस्कृति से जुड़ी गतिविधियों का आयोजन कर इसे एक आकर्षक पर्यटन स्थल में बदलने का प्रयास किया जा रहा है। ज्योरीपत्तन क्षेत्र में ईको फ्रेंडली कैंपिंग साइट्स विकसित की जाएंगी, जहां पर्यटक रात में बोनफायर और स्थानीय संगीत का आनंद ले सकेंगे। झील के चारों ओर नेचर ट्रेल्स और हाइकिंग रूट्स बनाए जाएंगे, जहां प्रकृति प्रेमी क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव कर सकेंगे। उपायुक्त के अनुसार स्थानीय संस्कृति व व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए फूड और कल्चरल फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय कलाकारों द्वारा पारंपरिक नृत्य, संगीत व नाटक प्रस्तुत किए जाएंगे। उपायुक्त ने कहा कि झील में ज्योरीपत्तन का यह विकास न केवल क्षेत्रीय पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि बिलासपुर को एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करेगा।
हिमाचल प्रदेश तकनीकी शिक्षा बोर्ड ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में स्टेट काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग (एससीवीटी) की परीक्षाएं ऑनलाइन करवाने का फैसला लिया है। इसके कारण जहां कागजों की बचत होगी तो वहीं परिणाम भी समय पर निकाला ज सकेगा। बता दें कि तकनीकी शिक्षा बोर्ड की ओर से हर वर्ष औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में एससीवीटी परीक्षा ऑफलाइन मोड पर करवाई जाती है। इस प्रणाली में समय के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। लिहाजा, अब बोर्ड ने बदलाव करते हुए परीक्षा का संचालन ऑनलाइन मोड पर करवाने का फैसला लिया है। इसके लिए बोर्ड की ओर से पूरी तैयारियां कर ली गई हैं। इस बार से अब ऑनलाइन ही परीक्षाएं करवाई जाएंगी। एससीवीटी की परीक्षाएं ऑनलाइन करवाने के लिए सितंबर में ट्रायल हुआ था। प्रदेश भर में स्थापित 15 केंद्रों पर ऑनलाइन मोड पर 23 ट्रेडों की परीक्षाएं करवाई गई थीं। ट्रायल सफल रहा था। सिर्फ दो ट्रेडों की परीक्षाएं ऑनलाइन नहीं हो पाई थीं, क्योंकि उन विषयों का अधिकतर भाग थियोरी पर आधारित था। ऑनलाइन आयोजित हुई परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों से एमसीक्यू प्रश्न पूछे गए थे। ऑनलाइन परीक्षा के दौरान टाइमर कंप्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित होगा, जिसके चलते अभ्यर्थियों को समय का भी साथ-साथ पता चलता रहेगा। ऑनलाइन परीक्षा का एक फायदा यह भी होगा कि अगर परीक्षा के दौरान विद्युत आपूर्ति बाधित होती है तो परीक्षा का समय भी रुक जाएगा। जैसे ही फिर बिजली आएगी, तो परीक्षा का टाइम वहीं से शुरू होगा, जहां से बिजली गुल हुई थी। हिमाचल प्रदेश तकनीकी शिक्षा बोर्ड ने एससीवीटी परीक्षाओं के आयोजन के लिए एक नई पहल की है। इस बार से ट्रेड शुरु होने के दौरान ली जाने वाली एससीवीटी परीक्षाओं का आयोजन कंप्यूटर आधारित परीक्षण (सीबीटी) के तहत लिया गया है। इससे जहां कागज की की बचत हुई है, वहीं अन्य भी कई प्रकार के लाभ मिले हैं हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर ने दिसंबर व जनवरी माह में प्रस्तावित परीक्षाओं के लिए परीक्षा फॉर्म भरने की तिथि 16 नवंबर तक बढ़ाई है। पूर्व में आवेदन के लिए 12 नवंबर तक का समय प्रदान किया गया था, परंतु कुछेक विद्यार्थी निजी कारणों से आवेदन नहीं कर पाए थे। अब तिथि बढ़ने से स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षा के नियमित सेमेस्टर और रि-अपीयर के विद्यार्थी 16 नवंबर तक बिना विलंब शुल्क के ऑनलाइन परीक्षा फॉर्म भर सकते हैं। तकनीकी विवि के परीक्षा नियंत्रक कमल देव सिंह कंवर ने कहा कि दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में प्रस्तावित परीक्षा की संभावित तिथियां भी घोषित कर दी हैं। विद्यार्थी उपरोक्त तिथि तक ऑनलाइन माध्यम से परीक्षा फॉर्म भर सकते हैं।
हिमाचल में 15 नवंबर से मौसम करवट बदल सकता है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार पश्चिमी हिमालय में 14 नवंबर से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो सकता है। हालांकि इस दौरान अधिक वर्षा व हिमपात के आसार नहीं हैं। कांगड़ा व कुल्लू में हल्की वर्षा, लाहुल स्पीति, चंबा व कुल्लू के ऊपरी क्षेत्रों में बर्फ के हल्के फाहे गिर सकते हैं। प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में वर्षा व हिमपात की संभावना नहीं है। प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में सुबह कोहरा पड़ना जारी है। ऊना जिला में 10 दिन तक घना कोहरा पड़ने की संभावना है। मंडी, कांगड़ा व हमीरपुर जिले शिमला से अधिक ठंडे है। बुधवार को शिमला का न्यूनतम तापमान 10.6, मंडी का 9.3 और कागंडा व हमीरपुर का 9.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया है। मौसम विभाग ने हमीरपुर, मंडी व बिलासपुर के कई क्षेत्रों में 17 नवंबर तक कोहरे को लेकर यलो अलर्ट जारी किया है। कोहरे के कारण प्रदेश में सुबह और शाम ठंड काफी बढ़ गई है। दोपहर को धूप लोगों को परेशान कर रही है। करीब डेढ़ माह से वर्षा न होने से किसान व बागवान परेशान हैं। आने वाले दिनों में वर्षा नहीं हुई तो किसानों व बागवानों की मुश्किल बढ़ सकती है। प्रदेश में शुष्क ठंड से फिलहाल राहत नहीं मिलने वाली है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार अगले चार दिन तक मंडी, बिलासपुर, ऊना और कुछ अन्य स्थानों पर सुबह व शाम घना कोहरा छाया रहेगा। इससे यातायात सेवाएं प्रभावित होंगी। 15 व 16 नवंबर को एक-दो ऊंचे क्षेत्रों में हिमपात और वर्षा की संभावना है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के बाद मुख्य संसदीय सचिवों के सचिवालय में कार्यालय खाली कराने के आदेश जारी कर दिए गए हैं और कुछ दफ्तर खाली भी कर दिए गए हैं। सीपीएस के साथ लगाया गया स्टाफ भी वापस बुला दिया गया है। गाड़ियां इनसे वापस ले ली गई हैं। प्रदेश सरकार ने बुधवार शाम को ही यह आदेश जारी किए। यहीं नहीं इन सीपीएस को सरकार की ओर से दी गई सभी सुख सुविधाएं भी हट जाएंगी। सरकारी कोठियां भी खाली करनी होंगी। बुधवार को हाईकोर्ट के फैसले के बाद सचिवालय में सीपीएस के कमरों में सन्नाटा पसरा रहा। कई भी सीपीएस सचिवालय में नहीं देखे गए। सात मंत्रियों के साथ ही इन सीपीएस ने गोपनीयता की शपथ ली थी। सक्खू सरकार में मुख्य संसदीय सचिव मोहन लाल ब्राक्टा को विधि विभाग, संसदीय कार्य विभाग और बागवानी विभाग, रामकुमार को नगर नियोजन विभाग, उद्योग विभाग और राजस्व, आशीष बुटेल को शहरी विकास विभाग के साथ शिक्षा विभाग में मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के साथ अटैच किया गया। वहीं, मुख्य संसदीय सचिव किशोरी लाल को पशुपालन विभाग, ग्रामीण विकास के साथ पंचायती राज विभाग की जिम्मेवारी सौंपी गई। संजय अवस्थी को स्वास्थ्य जनसंपर्क और लोक निर्माण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर को ऊर्जा, वन, परिवहन और पर्यटन विभाग विभाग का जिम्मा सौंपा गया। यह छह मुख्य संसदीय सचिव अलग-अलग विभागों के मंत्रियों की काम में मदद करने का जिम्मा दिया गया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने मुख्य संसदीय सचिव से स्टाफ हटाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। वरिष्ठ निजी सचिव भूरी सिंह राणा, तहमीना बेगम और विशेष निजी सचिव सत्येंद्र कुमार सहित अन्य स्टाफ को वापस बुलाया गया है। अब कार्मिक विभाग की ओर से इनकी अलग से नियुक्ति के आदेश जारी किए जाएंगे। राज्यपाल से मंजूरी के बाद यह फैसला लिया गया है। इसके साथ ही सरकार ने सीपीएस के स्टाफ के कर्मचारी यानकी देवी, सुनीता ठाकुर, उत्तम चंद, चेतन, संदीप, चंद्र, धर्मपाल, रविंद्र, नेत्र सिंह, मोहिंद्र, विनोद, टिक्कम राम, नीरज और भूपिंद्र को वापस बुलाने के आदेश जारी किए हैं।हिमाचल हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि प्रदेश में सीपीएस/पीएस की नियुक्ति का कानून फैसला आने तक लागू था। अयोग्यता अधिनियम 1971 के तहत सीपीएस/ पीएस की नियुक्तियों को संरक्षण दिया गया था, लेकिन इस फैसले के बाद मुख्य संसदीय सचिवों व संसदीय सचिवों की नियुक्ति को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट माना जाएगा। एेसे में यदि अब सीपीएस नियुक्त होते हैं, तो उनकी विधायकी भी जाएगी।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) की नियुक्तियों के सांविधानिक दर्जे पर बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने सीपीएस एक्ट को निरस्त कर दिया है। इसके तहत सीपीएस को दी जा रही सभी सुविधाओं को खत्म कर दिया गया है। अब छह मुख्य संसदीय सचिव अब सिर्फ विधायक के ताैर पर ही कार्य करेंगे। कोर्ट ने सीपीएस की नियुक्तियों को असांविधानिक बताया है। इस मामले में अदालत में पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था की ओर से वर्ष 2016 में याचिका दायर की गई थी। अदालत में दूसरी याचिका कल्पना और तीसरी भाजपा नेता पूर्व सीपीएस सतपाल सत्ती सहित अन्य 11 भाजपा के विधायकों की ओर से दायर की गई थी। इन तीनों याचिकाओं में मूल प्रश्न हिमाचल प्रदेश में 2006 में बनाया गया एक्ट है। इसके तहत पहले भाजपा सरकार ने अपने विधायकों को सीपीएस बनाया था। अब कांग्रेस सरकार ने छह विधायकों को सीपीएस बनाया है। सरकार ने इस मामले में बहस के लिए सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किए। भाजपा की ओर से दी गई याचिका में कहा गया है कि सीपीएस पद का संविधान में प्रावधान नहीं है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत प्रदेश में 15 प्रतिशत से ज्यादा मंत्रिमंडल नहीं बनाया जा सकता, जिससे हिमाचल में संख्या 12 ही हो सकती है। सीपीएस बनाने के बाद यह संख्या 17-18 पहुंच जाती है। अब हाईकोर्ट ने सीपीएस नियुक्ति एक्ट को निरस्त कर दिया है। वर्तमान कांग्रेस सरकार में छह मुख्य संसदीय सचिव है। सुक्खू सरकार ने अर्की विधानसभा क्षेत्र से संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को सीपीएस बनाया है। प्रदेश में सीपीएस का मूल वेतन 65 हजार रुपये है। भत्ते मिलाकर ये वेतन 2.20 लाख रुपये प्रति महीना पहुंच जाता है। इसके अलावा सीपीएस को गाड़ी, स्टाफ अलग भी मुहैया करवाया जाता है। विधायकों और सीपीएस के वेतन में 10 हजार रुपये का अंतर है। विधायकों का वेतन और भत्ते प्रति माह 2.10 लाख रुपये है। कुल मिलाकर सीपीएस को मिलने वाले सुविधाओं पर ही सवाल उठते रहे हैं। वैसे सीपीएस की नियुक्ति पर सियासी संग्राम देश के तमाम राज्यों में होता आया है। पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2013 में 10 सीपीएस नियुक्त किए थे। प्रेम कुमार धूमल ने वर्ष 2007 में दूसरी बार सत्ता में आए तो उनके नेतृत्व वाली सरकार ने 18 महीने के कार्यकाल के बाद 2009 में तीन सीपीएस की नियुक्ति की थी। इनमें सतपाल सिंह सत्ती, वीरेंद्र कंवर व सुखराम चौधरी शामिल थे। हिमाचल प्रदेश संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) अधिनियम 2006 के मुताबिक सीपीएस को मंत्री की तरह कार्य करने की पहले से ही मनाही है। इसके तहत ही सीपीएस नियुक्तियां होती आई हैं। हालांकि, असम और हिमाचल प्रदेश में सीपीएस के लिए बनाए नियमों में भिन्नता है।
** ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी, मैदानी क्षेत्रों में धुंध का अलर्ट जारी हिमाचल प्रदेश में फ़िलहाल मौसम शुष्क चल रहा है। मौसम विभाग के अनुसार कल से लाहौल- स्पीति, चंबा, कांगड़ा के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम में बदलाव देखने को मिल सकता है, जिससे इन क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी भी हो सकती है। इसके अलावा मंडी, बिलासपुर और हमीरपुर में घनी धुंध का येलो अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा है कि पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के चलते आने वाले दिनों में कुछ एक जिलों में तापमान तीन डिग्री तक गिर सकते हैं। उन्होंने कहा कि 14 और 15 नवंबर को उतरी भारत में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है, जिसके चलते चंबा, कांगड़ा, लाहौल-स्पीति में हल्की फुल्की बारिश और अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होने के आसार बन रहे हैं। मानसून अलविदा होने के बाद से प्रदेश में न के बराबर बारिश हुई है, जिसके चलते अक्टूबर में 95 फीसदी कम बारिश आंकी गई है और नवंबर में भी अभी तक कोई बारिश नहीं हुई है ।
शिमला: हिमाचल में 80 फीसदी से ज्यादा आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में बसती है, जिनकी आजीविका खेतीबाड़ी पर निर्भर है, लेकिन पिछले कुछ सालों में जंगली जानवरों की लगातार बढ़ती समस्या के कारण बहुत से किसानों ने खेती बाड़ी के पारंपरिक पेशे को छोड़ना शुरू कर दिया है और अब रोजी रोटी की तलाश में शहर की तरफ पलायन कर रहे हैं। ऐसे में सुक्खू सरकार ने किसानों की पीड़ा को समझते हुए नई पहल की है, जिसके तहत अब सरकार सोलर फेंसिंग की जगह कांटेदार तार व जाली से बाड़बंदी को बढ़ावा दे रही है। इस तरीके से की गई बाड़बंदी ज्यादा मजबूत और लंबे समय तक टिकेगी। कांटेदार तार व जाली से बाड़बंदी के लिए सुक्खू सरकार किसानों को 70 फीसदी की सब्सिडी का लाभ देगी। बाकी का पैसा किसानों को अपनी जेब से खर्च करना होगा। वहीं, अब सरकार ने सोलर फेंसिंग के लिए सब्सिडी नहीं देने का फैसला लिया है। ऐसे में जिन किसानों व बागवानों ने पहले ही सोलर फेंसिंग के लिए आवेदन किया है। अब उन्हें भी नए सिरे से कांटेदार तार व जाली के लिए एप्लिकेशन देनी होगी। कृषि विभाग के सभी उप निदेशकों व अन्य फील्ड स्टाफ को इसको लेकर किसानों के बीच प्रचार व प्रसार करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए लोक मित्र केंद्र से अपना आवेदन कर सकते हैं। किसानों को बाड़बंदी के लिए आवेदन करते समय कई दस्तावेज लगाने जरूरी हैं। इसमें आधार कार्ड, जमीन के खाता खतौनी, बैंक पासबुक के पहले पन्ने की फोटोकॉपी, जाति प्रमाण पत्र और बाढ़ लगाने का एस्टीमेट होना आवश्यक है। बाड़बंदी के लिए 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर स्वीकृति दी जाएगी। वहीं, लोहे के एंगल के साथ 6 फुट ऊंची कांटेदार तार बाड़ लगाने के लिए 416 रुपए की जगह 291 रुपए प्रति मीटर की दर से अनुदान दिया जाएगा। इसी तरह से लोहे के एंगल के साथ जालीदार तार की बाड़ लगाने पर 640 की जगह 448 रुपए प्रति मीटर की दर से अनुदान मिलेगा। हिमाचल में अभी भी 80 फीसदी से ज्यादा की ग्रामीण आबादी कृषि और बागवानी पर निर्भर है। प्रदेश में 9.97 लाख परिवार खेती बाड़ी के पारंपरिक पेशे से जुड़े हैं। इनमें 1 हेक्टेयर से कम जमीन वाले सबसे अधिक 7.15 लाख मार्जिनल किसान है। इसी तरह से 1 से 2 हेक्टेयर जमीन होल्डिंग वाले लघु किसानों की संख्या 1.74 लाख है। 2 से 4 लैंड होल्डिंग सेमी मीडियम किसानों की संख्या 0.82 लाख है। इसके अलावा 4 से 10 हेक्टेयर मध्यम किसानों की संख्या 0.26 लाख है। वहीं, 10 हेक्टेयर से अधिक लैंड होल्डिंग वाले किसानों की संख्या सबसे कम 0.03 लाख है।
स्वास्थ्य फिटनेस सर्टिफिकेट न देने वाले जिले के स्कूलों में तैनात मिड-डे-मील वर्करों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसकी शिक्षा विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को लेकर सरकार और विभाग ने यह निर्णय लिया है। हर छह माह बाद सरकारी स्कूलों में कार्यरत मिड-डे-मील वर्करों को फिटनेस सर्टिफिकेट देना होगा। इसकी जांच के लिए जल्द शिक्षा विभाग की टीम भी स्कूलों का निरीक्षण कर जांच करेंगी। स्कूलों में मिड-डे मील के तहत तैनात कर्मियों को हर छह माह बाद अपने स्वास्थ्य की जांच करवानी होगी। इससे स्पष्ट होगा कि खाना बनाने वाले कर्मी किसी गंभीर बीमारी की चपेट में तो नहीं हैं। मिड डे मील वर्करों का एनएफएसए के तहत मेडिकल होगा। यह फैसला स्वच्छ भोजन को लेकर लिया गया है। इसके अलावा खाना बनाते समय टोपी, ग्लब्स समेत अन्य स्वच्छता का भी ध्यान रखना होगा। स्कूल एमडीएम प्रभारी को भी स्वच्छता समेत अन्य व्यवस्था का ध्यान रखना होगा। फिटनेस सर्टिफिकेट या गुणवत्ता में कमी पाए जाने पर स्कूल मुखिया के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा राशन की निगरानी का जिम्मा स्कूल मुखिया और मिड डे मील इंचार्ज को सौंपा है। राशन की गुणवत्ता में कमी पाए जाने पर स्कूल मुखिया के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसमें कितने बच्चों ने दोपहर का भोजन खाया इसकी भी एसएमएस से जानकारी देनी होगी। जिला नोडल अधिकारी एमडीएम राज कुमार पराशर ने बताया कि जिले के स्कूलों में कार्यरत मिड-डे-मील वर्करों और सहायकों के लिए स्वास्थ्य फिटनेस सर्टिफिकेट देना अनिवार्य किया है। इसमें हर छह माह बाद कर्मी को स्वास्थ्य की जांच करवानी होगी। इसके अलावा रसोईघर में स्वच्छता समेत अन्य व्यवस्थाओं का ध्यान रखने के भी निर्देश दिए है। इसके लिए जल्द स्कूलों का निरीक्षण कर जांच की जाएगी।
हिमाचल हाईकोर्ट ने बीआरसीसी के लिए एक कार्यकाल से ज्यादा आवेदन करने के मामले में दायर जेबीटी और टीजीटी की याचिका खारिज कर दी है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने याचिका खारिज करते हुए सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने कहा है कि जेबीटी और टीजीटी की नियुक्ति का उद्देश्य छात्रों को शिक्षा प्रदान करना है। सरकार की ओर से अदालत में कहा गया था कि प्रदेश के स्कूलों में बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद खाली हैं, ऐसे में उन्हें दोबारा बीआरसीसी नियुक्त नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता ने सरकार की अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी। अधिसूचना में कहा गया था कि जो एक बार बीआरसी के रूप में काम कर चुके हैं वह इन पदों के लिए फिर से आवेदन नहीं कर सकते हैं। बीआरसीसी नियुक्त किए अध्यापकों का मुख्य कार्य छात्रों को पढ़ना है। याचिकाकर्ता विभिन्न स्कूलों में जेबीटी शिक्षक के रूप में नियुक्त किए गए थे। वर्ष 2017 में जेबीटी शिक्षक के रूप में उनकी नियुक्ति के दौरान उन्हें बीआरसी के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त किया गया।
** 90 अंकों की लिखित परीक्षा, निगेटिव मार्किंग हिमाचल प्रदेश में 1,088 पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती के लिए करीब 1.15 लाख आवेदन पहुंचे हैं। राज्य लोकसेवा आयोग के पास ऑनलाइन आवेदन करने का अभ्यर्थियों के पास मंगलवार को आखिरी दिन था। बीते दिनों आवेदन करने में तकनीकी समस्याएं आने पर आयोग ने तारीख बढ़ाई थी। पहले आवेदन करने की आखिरी तारीख 31 अक्तूबर तय की गई थी। इस दौरान तक 92 हजार आवेदन हुए थे। अब कुल आवेदनों की संख्या बढ़कर 1.15 लाख पहुंच गई है। पुलिस कांस्टेबल भर्ती में पुरुषों के लिए 708 और महिलाओं के लिए 380 पद आरक्षित हैं। लिखित परीक्षा पास करने वालों की पुलिस विभाग शारीरिक दक्षता परीक्षा लेगा। पुलिस विभाग में यह भर्ती विशेष कांस्टेबल पदनाम में की जा रही है। चयनित विशेष पुलिस कांस्टेबलों को नशे की रोकथाम का काम दिया जाएगा। भर्ती परीक्षा पास करने वालों का डोप टेस्ट भी होगा। 18 से 25 वर्ष की आयु के अभ्यर्थी भर्ती के लिए पात्र हैं। चयनित विशेष पुलिस कांस्टेबलों को लेवल तीन में 20200-64000 रुपये के पे बैंड में वेतन मिलेगा। शारीरिक मानक परीक्षण और शारीरिक दक्षता परीक्षण से युक्त शारीरिक परीक्षण हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग की ओर से निर्धारित और संचालित किया जाएगा, जो आयोग को ऊंचाई के लिए दिए गए अंकों के साथ योग्य उम्मीदवारों की सूची प्रदान करेगा। शारीरिक परीक्षण में सफल अभ्यर्थियों को आयोग की ओर से करवाई जाने वाली दो घंटे की अवधि की ऑफलाइन बहुविकल्पीय वस्तुनिष्ठ प्रकार की लिखित परीक्षा में प्रवेश दिया जाएगा। लिखित परीक्षा में 90 अंक होंगे और निगेटिव मार्किंग होगी। शारीरिक परीक्षण और लिखित परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को पुलिस विभाग की ओर से किए जाने वाले दस्तावेज सत्यापन के लिए आयोग के कार्य नियमों के अनुसार विचार के क्षेत्र के अनुसार शॉर्टलिस्ट किया जाएगा। वे दस्तावेज सत्यापन के दौरान उम्मीदवारों को एनसीसी प्रमाण पत्र के अंक भी प्रदान करेंगे।
** 1200 को मिलेगा रोजगार हिमाचल में निवेशकों ने 24 नए उद्योग स्थापित करने के लिए उद्योग विभाग के पास आवेदन किया है। कई बड़े औद्योगिक घराने करीब 600 करोड़ रुपये का निवेश कर यहां अपने उद्योग लगाएंगे। इन उद्योगों में प्रदेश के करीब 1,200 लोगों को रोजगार मिलेगा। राज्य एकल खिड़की स्वीकृति एवं निगरानी प्राधिकरण (सिंगल विंडो) की बैठक में निवेशकों के आवेदनों को मंजूरी मिलेगी। जिन नए उद्याेगों के लिए आवेदन आए हैं उनमें फार्मा, पैकेजिंग, फूड और हेल्थकेयर से संबंधित उद्योग शामिल हैं। सिंगल विंडो की बैठक मुख्यमंत्री सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित होती है। उद्याेग विभाग ने बैठक के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से समय मांगा है। सीएम सेे समय मिलने के बाद बैठक होगी। 23 जुलाई को सिंगल विंडो की बैठक हुई थी। इसमें नए उद्योग स्थापित करने और मौजूदा इकाइयों के विस्तार को 25 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी। उसके बाद चार महीनों से बैठक नहीं हुई है। निर्वाना कंकरीट लिमिटेड ने भी हिमाचल में निवेश को लेकर दिलचस्पी दिखाई है। कंपनी प्रबंधन के अधिकारियों ने सोमवार को सचिवालय में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना से मुलाकात की। बैठक में हिमाचल में सीमेंट उद्योग स्थापित करने की संभावनाओं पर विस्तृत विचार विमर्श हुआ। आने वाले दिनों में निर्वाना कंकरीट लिमिटेड के प्रतिनिधि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से भी मुलाकात करने वाले हैं।
**रेल विकास निगम ने आमंत्रित किए टेंडर बिलासपुर तक रेल लाइन पर बनने वाले दो महत्वपूर्ण पुलों का निर्माण 523 करोड़ रुपये से होगा। इन पुलों का काम आवंटित होने के बाद भानुपल्ली से बिलासपुर तक रेल लाइन के सभी कंक्रीट निर्माण कार्य शुरू हो जाएंगे। बिलासपुर तक बनने वाले 13 प्रमुख और महत्वपूर्ण पुलों, दो वायडक्टों और 16 टनलों का काम पहले ही शुरू हो चुका है। रेल विकास निगम ने पुल नंबर 49 और 50 के निर्माण के लिए टेंडर आमंत्रित किए हैं। लोहारा खड्ड पर बनने वाला 49 नंबर पुल 415 मीटर और गंभर खड्ड पर बनने वाला 50 नंबर पुल 550 मीटर लंबा होगा। यह पुल रेल लाइन के 36 से 40 किलोमीटर के हिस्से में बनाए जाएंगे। 49 नंबर पुल टनल नंबर 12 को जकातखाना रेलवे स्टेशन से जोड़ेगा। 50 नंबर पुल टनल नंबर 13 और 14 को जोड़गा। पुलों के साथ कटिंग, फिलिंग, अप्रोच मार्ग आदि निर्माण भी किया जाएगा। पुलों के निर्माण के लिए अंतिम सर्वेक्षण, भू-तकनीकी जांच और भूकंपीय अध्ययन का काम पूरा हो चुका है। बता दें कि भानुपल्ली से बैरी तक 62.60 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का निर्माण किया जा रहा है। बिलासपुर शहर के साथ लगते बामटा तक इसका निर्माण शुरू हो चुका है। बामटा से आगे भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। पंजाब के भानुपल्ली से हिमाचल के पहाड़पुर तक पहले 24 किलोमीटर तक मार्च 2025 तक रेल चलाने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि साल 2026 तक इस रेल लाइन को बिलासपुर तक चलाने का लक्ष्य है। इस रेल लाइन पर कुल 6753.42 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) ने वर्ष 2025-26 सत्र से एनईपी-2020 के तहत चार वर्षीय स्नातक डिग्री कोर्स शुरू करने के लिए कवायद तेज कर दी है। एचपीयू ने यूजी कोर्स का एक साल का पाठ्यक्रम भी तैयार कर लिया है। शेष बचे पाठ्यक्रम को तैयार करने के लिए कमेटी गठित की गई है। विवि ने एक साल के पाठ्यक्रम को बोर्ड ऑफ स्टडीज, फैकल्टी और एकेडमिक काउंसिल से एक माह में मंजूरी दिलवाने का लक्ष्य रखा है। विवि का दावा है कि पाठ्यक्रम का 90 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। अब इसे एकेडमिक काउंसिल से मंजूरी दिलवाना बाकी है। इसके बाद इसे विवि की ईसी से भी मंजूरी जरूरी है। एनईपी के तहत चार वर्षीय स्नातक डिग्री कोर्स शुरू होने से फिर से सेमेस्टर सिस्टम लागू होना है। इसके लिए विवि में फिर से परीक्षा प्रणाली सहित बड़ा बदलाव किया तय है। पूरे देश में सेमेस्टर सिस्टम के तहत ही विश्वविद्यालयों ने एनईपी को यूजी में लागू किया है। इससे पहले रूसा के लागू किए जाने पर 2012-13 से 2017 तक विवि में सेमेस्टर सिस्टम लागू किया गया था। वर्ष 2017 में फिर से वार्षिक परीक्षा प्रणाली शुरू हुई थी। अभी विवि पिछले सेमेस्टर सिस्टम और वर्तमान वार्षिक प्रणाली दोनों के तहत परीक्षाएं संचालित कर रहा है। चार वर्षीय यूजी डिग्री कोर्स शुरू होने पर परीक्षा प्रणाली के साथ-साथ एकेडमिक शेड्यूल में बड़ा बदलाव होना है। विवि पाठ्यक्रम को मंजूरी दिलवाने और आर्डिनेंस में नए रेगुलेशन लागू करने जैसी आवश्यक प्रक्रिया को कम से कम समय में पूरा करने का काम शुरू कर चुका है। इसके लिए एक माह की समय सीमा तय की गई है।एनईपी-2020 के तहत यूजी का चार वर्षीय डिग्री कोर्स शुरू करने के लिए बनी कमेटी में शामिल कॉलेज प्राध्यापक नए सिस्टम को सेमेस्टर की जगह वार्षिक प्रणाली में लागू करने की मांग कर रहे है। कॉलेज प्राध्यापक संघ की अध्यक्ष डॉ. वनिता सकलानी और सचिव संजय कांगो ने कहा कि सभी कॉलेजों में चार साल के डिग्री कोर्स के लिए मूलभूत सुविधाएं कम हैं। डिग्री कोर्स रिसर्च के साथ चरणबद्ध तरीके से बड़े कॉलेजों में चरणों में लागू किया जाए। छोटे कॉलेजों में तीन साल की डिग्री ही जारी रहे। प्रदेश में 48 के करीब कॉलेज ऐसे हैं जहां सिर्फ पांच शिक्षक भी पूरे नहीं हैं। करीब 20 कॉलेज ऐसे हैं जहां बहुत ठंड होने से तीन से चार महीने भी कक्षाएं संभव नहीं हैं, ऐसे में वहां पढ़ाई जारी रखना, परीक्षाएं करवाने समेत खेल गतिविधियों करवाना भी मुश्किल होता है।
हिमाचल में आपदा राहत राशि कहां खर्च की गई, इसको लेकर सरकार ने सभी उपायुक्तों से रिपोर्ट तलब की है। कई जगह राहत राशि का सही उपयोग नहीं होने की शिकायतें मिलने पर राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। जिस काम के लिए राशि जारी की गई है, क्या मौके पर काम हुआ है या नहीं? इसकी रिपोर्ट सरकार ने डीसी से मांगी है। हाल ही में सचिवालय में डीसी और एसपी के साथ बैठक में भी राशि के दुरुपयोग का मामला उठा था। इस पर मुख्यमंत्री ने डीसी से रिपोर्ट तलब कर दी। राशि उन लोगों को दी गई, जिनके आपदा में घर ढह गए थे। कइयों की जमीन बाढ़ के चलते बह गई। सरकार आर्थिक तंगी के बावजूद हिमाचल में भारी बरसात से प्रभावित लोगों के लिए 4,500 कराेड़ रुपये का आपदा राहत पैकेज लाई थी। इसमें 3,500 करोड़ रुपये सरकार ने अपने संसाधनों से खर्च किया, जबकि 1,000 करोड़ मनरेगा के तहत व्यय किया गया। सरकार ने पूरी तरह से क्षतिग्रस्त 3,500 मकानों के निर्माण के लिए सात-सात लाख की मदद करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही घर बनाने के लिए सीमेंट भी सरकारी रेट (280 रुपये प्रति बैग) पर दिया। आवास निर्माण के दौरान बिजली-पानी का खर्चा भी सरकार ने उठाया। कच्चे-पक्के मकानों को नुकसान पहुंचने पर आर्थिक मदद 15 से 25 गुणा बढ़ाई गई। हिमाचल में 16 हजार से अधिक घर आपदा से पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। विधानसभा मानसून सत्र में भी इस मसले पर तीन दिन तक बहस हुई। प्रदेश में राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और केंद्र से हिमाचल को विशेष राहत पैकेज की मांग का प्रस्ताव रखा गया। मगर भाजपा ने प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। प्राकृतिक आपदा के चलते हिमाचल सरकार ने अपने स्तर पर 4,500 करोड़ का राहत पैकेज घोषित किया था। राहत राशि प्रभावितों को दी गई है। इसका सही तरीके से इस्तेमाल किया है या नहीं, उपायुक्तों से रिपोर्ट मांगी गई है।
हिमाचल प्रदेश में फ़िलहाल मौसम शुष्क चल रहा है। हालांकि पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर में सक्रिय हो चुका है, जिसका प्रभाव आज देर रात तक लाहौल- स्पीति, चंबा कांगड़ा के ऊंचाई वालके क्षेत्रों में बारिश होने की संभावना देखने को मिल सकता है और अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हो सकती है। वहीं इस अवसर पर मौसम विभाग के निर्देशक कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि वैसे तो कुछ दिनों तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिल रहे थे परंतु अब जिस तरह से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुआ है जिसके चलते आने वाले दिनों में कुछ एक जिलों में तीन डिग्री तक गिर सकते हैं । वहीं उन्होंने कहा कि 14 नवंबर और 15 नवंबर को उतरी भारत में एक और पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है, जिसके चलते चंबा , कांगड़ा ,लाहौल-स्पीति में एक बार फिरसे एक बार हल्की फुल्की बारिश और अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होने की संभावना होने के आसार बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि धुंध की बात की है तो वह भाखड़ा बांध के आसपास का क्षेत्र बिलासपुर में पिछले चार पांच दिनों से सुबह और शाम के समय घने कोरे की संभावना बनी हुई है, जिसके चलते विजिबिलिटी बहुत ही कम बनी हुई है।
हिमाचल प्रदेश में ग्रामीणों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए अब नई पंचायतों के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस संबंध में सरकार ने सभी जिलों के उपायुक्तों से प्रस्ताव मांगे हैं। यदि नई पंचायतें बनती हैं, तो कई पंचायतों की सीमाएं भी बदलेंगी और उनका पुनर्सीमांकन भी किया जाएगा। आने वाले दिसंबर में पंचायत चुनाव प्रस्तावित हैं, और इसकी तैयारियाँ पहले से ही शुरू हो चुकी हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में भी पंचायत चुनाव से पहले 412 नई पंचायतें बनाई गई थीं। अब सवाल उठता है कि नई पंचायतों के गठन की मांग क्यों की जा रही है। इसके कई कारण हैं, जैसे जनसंख्या में वृद्धि, प्रशासनिक और विकासात्मक जरूरतें, जब किसी क्षेत्र की जनसंख्या बढ़ती है, तो उस पर पंचायतों का दबाव भी बढ़ता है। ऐसे में नए क्षेत्रों को कवर करने के लिए अधिक पंचायतों का गठन किया जाता है। साथ ही, दूर-दराज के क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन, शिक्षा, सड़क, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का विस्तार भी नई पंचायतों के गठन की प्रमुख वजह है। इसलिए, अब नई ग्राम पंचायतों के गठन के लिए उपायुक्तों से प्रस्ताव मांगे गए हैं। यदि नियमानुसार नई पंचायतों का गठन आवश्यक हुआ, तो इसे लागू किया जाएगा।
** रोबोटिक और ड्रोन का दिया जा रहा प्रशिक्षण शिमला: हिमाचल को देश का कौशल हब बनाने की दिशा में राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है। ऐसे में युवाओं का कौशल उन्नयन कर उद्योगों की मांग के अनुसार उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी कड़ी में राजकीय हाइड्रो इंजीनियरिंग महाविद्यालय बंदला में डिग्री कोर्स कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग के तहत एआई और डाटा साइंस, राजकीय बहुतकनीकी संस्थान रोहड़ू में कंप्यूटर इंजीनियरिंग व आईओटी डिप्लोमा कोर्स और राजकीय बहुतकनीकी संस्थान चम्बा में मैकाट्रोनिक्स डिप्लोमा कोर्स जैसे नए पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। न्यू एज पाठ्यक्रमों के शुरू होने से प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के मार्ग खुल रहे हैं। प्रदेश सरकार का लक्ष्य कौशल विकास और तकनीकी शिक्षा में नए आयाम स्थापित कर युवाओं को रोजगार प्रदाता बनाना है। नई तकनीक के क्षेत्र में ज्ञान के साथ-साथ प्रशिक्षण की भी अहम भूमिका है। प्रशिक्षुओं को बेहतर तकनीकी ज्ञान देने को राजकीय बहुतकनीकी संस्थानों के 38 विद्यार्थियों और राजकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालयों और बहुतकनीकी संस्थानों के 20 प्रशिक्षकों को आईआईटी मंडी में रोबोटिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भी युवाओं को नए अवसर प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है। इस दिशा में राजकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालयों के 20 प्रशिक्षकों को आईआईटी रोपड़ और दिल्ली में सेमीकंडक्टर इको-सिस्टम का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रदेश सरकार राज्य में सेमीकंडक्टर उद्योग स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है। सरकार की इस नई पहल का उद्देश्य युवाओं के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा करना और प्रदेश में प्रोद्यौगिकी के विकास को बढ़ावा देना है। बहुतकनीकी एवं इंजीनियरिंग के 10 संकाय सदस्यों और 6 विद्यार्थियों को भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान ऊना में मशीन लर्निंग से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान किया गया। हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील राज्य है, इसको देखते हुए युवाओं को ड्रोन प्रौद्योगिकी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ड्रोन प्रौद्योगिकी आपदा प्रतिक्रिया प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रदेश के 11 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में युवाओं को ड्रोन से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके तहत 128 प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षण ले रहे हैं। सरकार के यह प्रयास हिमाचल को आईटी हब के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। वहीं, छात्रों को गुणवत्तापूर्ण व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए व्यापक स्तर पर सुधार किए जा रहे हैं। वर्तमान में प्रदेश मेें 363 तकनीकी शिक्षा एवं औद्योगिक शिक्षा संस्थान कार्यरत हैं। युवाओं को बेहतर प्लेसमेंट के अवसर प्रदान करने के लिए रोजगार मेलों व कैम्पस इंटरव्यू का आयोजन भी निरंतर करवाया जाता है। सुक्खू सरकार के कार्यकाल के दौरान सरकारी अभियान्त्रिकी महाविद्यालयों, राजकीय फार्मेसी महाविद्यालय, बहुतकनीकी एवं औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के करीब 5,731 प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न कैंपस इंटरव्यू के माध्यम से रोजगार उपलब्ध करवाए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में वन भूमि पर किए अवैध अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए हैं। उच्च न्यायालय ने राजस्व विभाग और वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि विवादित जमीन की नाप-नपाई 6 दिसंबर 2024 से पहले की जाए। सरकारी और वन भूमि पर अगर किसी भी तरह का अवैध अतिक्रमण पाया गया तो उसे हटाया जाए और वहां पर स्थायी बाउंड्री लगाई जाए। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की अदालत ने आदेश की अनुपालना रिपोर्ट 13 दिसंबर को पेश करने को कहा है। याचिकाकर्ता ने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे को नियमित करने के लिए सरकार के पास एक अर्जी दी थी। याचिकाकर्ता ने माना था कि उसने वन भूमि जमीन पर तीन बीघा और तीन बिस्वा अतिक्रमण किया है। सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करने के मामले में सरकार ने इस पर हिमाचल प्रदेश सरकारी स्थान अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली अधिनियम 1971 की धारा 4 के तहत कार्रवाई की। सरकार ने कहा कि अतिक्रमण वन विभाग की अधिसूचना 1896 के तहत वन भूमि पर है। इस पर किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है। अदालत ने पाया कि केंद्र सरकार के प्रस्ताव के बिना कोई भी वन भूमि नियमित नहीं की जा सकती है। वन भूमि का उपयोग गैर वन भूमि के लिए नहीं किया जा सकता है। अदालत ने अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि वन भूमि पर किसी भी तरह का अवैध ढांचे और अतिक्रमण अगर पाया जाता है तो उसे हटा दिया जाए।
तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी, हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने मुंबई में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, जब मैं महाराष्ट्र कांग्रेस कार्यालय पहुंचा तो पवन खेड़ा ने मुझे समोसा ऑफर किया। फिर मैंने पूछा कि यहां जो राजनीति हो रही है, वह समोसे पर है या विकास पर, महिलाओं के सम्मान पर। सच हमेशा झूठ का सामना करता है, लेकिन अंत में जीत सच की ही होती है। महाराष्ट्र की तरह ही हिमाचल प्रदेश में भी राज्यसभा चुनाव के दौरान 'ऑपरेशन लोटस' चलाया गया।
** कुछ जिलों में कोहरे का यलो अलर्ट हिमाचल में मौसम में आए बदलाव से ठंड बढ़ गई है। अधिकतम तापमान में पांच डिग्री की कमी दर्ज हुई है। शुक्रवार को प्रदेश के किसी भी क्षेत्र में अधिकतम तापमान 30 डिग्री तक भी नहीं पहुंचा। सबसे ज्यादा अधिकतम तापमान जिला सिरमौर के धौलाकुआं में 28.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। मंडी और बिलासपुर जिले के कई क्षेत्रों में शनिवार और रविवार को घना कोहरा पड़ने का येलो अलर्ट जारी हुआ है। अगले एक सप्ताह तक अधिकतम और न्यूनतम तापमान में चार से पांच डिग्री की कमी आने के आसार जताए गए हैं। 10 नवंबर तक प्रदेश में मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है। 11 नवंबर को मध्य और उच्च पर्वतीय आठ जिलों किन्नौर, लाहौल-स्पीति, शिमला, सोलन, सिरमौर, मंडी, कुल्लू और चंबा में बारिश व बर्फबारी की संभावना है। वीरवार रात को ताबो में न्यूनतम पारा माइनस तीन डिग्री दर्ज हुआ। कल्पा और केलांग में भी रात के तापमान में कमी आई है। शुक्रवार सुबह और शाम सुंदरनगर, मंडी, बिलासपुर और शिमला में भी कोहरा छाया रहा। इससे मौसम में ठंड बढ़ गई है। शुक्रवार को राजधानी शिमला सहित प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में दिन के समय धूप खिली। शाम को मौसम में बदलाव आने से कई क्षेत्र ठंड की चपेट में आए।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बैंक से धोखाधड़ी के मामले में हिमाचल के बद्दी सहित अन्य 10 स्थानों पर दबिश दी है। यह कार्रवाई गुगलानी समूह की विभिन्न कंपनियों मेसर्स सुपर मल्टीकलर प्रिंटर्स प्राइवेट लि.और मेसर्स इन फूड्स प्राइवेट लि. और उनके निदेशक सुनील, सुमन गुगलानी सहित अन्य की ओर से किए दो बैंकों से धोखाधड़ी मामलों में हुई है। इससे बैंकों को 125.40 करोड़ और 53.88 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। ऋण लेने वाली कंपनियां मल्टीकलर ऑफसेट प्रिंटिंग और कंप्यूटर स्टेशनरी के व्यवसाय में लगी हुई थी। मामले की जांच के तहत ईडी ने बद्दी के साथ ही चंडीगढ़, पंचकूला (हरियाणा), मोहाली और अमृतसर (पंजाब), दिल्ली और अहमदाबाद (गुजरात) स्थित 11 परिसरों में तलाशी अभियान चलाया। आरोपियों पर एफआईआर के अनुसार पीएनबी, केनरा बैंक, एसबीआई, आईसीआईसीआई और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को कुल 179.28 करोड़ रुपये का जानबूझकर नुकसान पहुंचाने का आरोप है। धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों ने ऋण लेने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। ईडी की तलाशी में कई नए बैंक खातों का पता चला है। साथ ही 3 लाख रुपए की नकदी, अपराध संकेती दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए हैं।
*बारिश न होने से पौधों के सूखने की आशंका बीते दो माह से बारिश न होने के कारण हिमाचल में सेब के बगीचे सूखे की चपेट में आ गए हैं। पौधों की छाल उखड़ने लगी है, जिससे कैंकर रोग फैलने का खतरा पैदा हो गया है। बारिश नहीं हुई तो सेब के पौधों के सूखने की आशंका है और अगले सीजन में सेब की फसल पर भी इसका असर पड़ सकता है। प्रदेश में सेब की फसल के तुड़ान के बाद करीब दो महीनों से बारिश नहीं हुई है। इस तरह की परिस्थिति प्रदेश में कई वर्षो के बाद बनी है। सेब के पौधों में जो सामान्य वृद्धि देखने को मिलती थी, वह रुक गई है। पेड़ों की छाल में दरारें आनी शुरू हो गई हैं, जिनसे रस बह रहा है। इन परिस्थितियों में कैंकर फैलने का खतरा बढ़ गया है। अगले लंबे समय तक ऐसे हालात बने रहते हैं तो पौधे सूख भी सकते हैं।नमी का स्तर घटने से मिट्टी सख्त हो गई है और लाभकारी जीवाणु निष्क्रिय हो रहे हैं। यह जीवाणु पौधों के पोषण और वृद्धि के लिए जरूरी होते हैं। उद्यान विभाग और नौणी विश्वविद्यालय ने बागवानों को बगीचों की नियमित निगरानी की हिदायत दी है, ताकि बचाव के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकें। विषय विशेषज्ञ उद्यान, तकनीकी विशेषज्ञ सीपीएस डॉ. कुशाल सिंह मेहता ने बताया कि बीते दो महीने से बारिश न होने के कारण पौधों को नुकसान पहुंचना शुरू हो गया है। बागवानों को बगीचों में सिंचाई और मल्चिंग करने और कैंकर से बचाव के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करने का सुझाव दिया गया है। उच्च घनत्व पौधरोपण वाले बगीचों में टपक सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) की सुविधा उपलब्ध है तो नियमित अंतराल पर सिंचाई करें। बगीचों में सूखे घास की मोटी परत का मल्चिंग के तौर पर इस्तेमाल करें, ताकि वाष्पीकरण को रोककर नमी बनी रहे। जिन पौधों की छाल में दरारें आ चुकी हैं और रस बह रहा है, वहां कैंकर रोग से बचाव आवश्यक है। रोग के प्रसार को रोकने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें। इसके लिए 600 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को 200 लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिड़काव करें। यह फफूंदनाशी उपाय कैंकर के संक्रमण को रोकने में मदद करेगा और पौधों को स्वस्थ रखेगा।
मंडी: बीती महीने 23 अक्टूबर की रात को एक निजी नर्सिंग संस्थान के होस्टल की चौथी मंजिल से गिरकर नर्सिंग छात्रा अंजना की संदिग्ध मौत हो गई थी, जिसे लेकर उसके परिजनों ने एसपी ऑफिस के बाहर धरना प्रदर्शन कर खूब हंगामा किया। मौके पर मौजूद एएसपी मंडी सागर चंद्र व डीएसपी मंडी सुंदरनगर सहित अन्य पुलिस अधिकारी गुस्साए परिजनों को शांत कराते हुए नजर आए। इस दौरान गुस्साए पजिनों ने एसपी ऑफिस के अंदर घुसने का भी प्रयास किया, जिस पर पुलिस अधिकारियों ने गुस्साए परिजनों का शांत करवाया। इससे पहले परिजनों ने मंडी शहर में आक्रोश रैली निकाली और पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। परिजनों का कहना है कि उनकी बेटी ने आत्महत्या नहीं की है, बल्कि उसकी हत्या की गई है। परिजनों ने पुलिस पर केस को दबाने के आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस इस मामले के तथ्यों को छिपाने का काम कर रही है। मृतक अंजना के पिता भगत राम ने बताया, "जब मैं अपनी बेटी को अस्पताल लेकर गया तो देखा की उसके सिर पर चोटें आई हैं, जबकि हमें बताया गया था कि हमारी बेटी चौथी मंजिल से गिरी है। चौथी मंजिल से गिरने के बाद हमारी बेटी को केवल सिर पर ही क्यों चोटे आई? जबकि शरीर के अन्य अंग बिल्कुल ठीक हैं। वहीं, भगत राम ने कहा कि जिस दिन यह घटना हुई है, वहां पर हॉस्टल के सीसीटीवी कैमरे भी खराब बताए जा रहे हैं, जिससे जाहिर होता है कि इस मामले में पुलिस दबाव में आकर तथ्यों को छिपाने की कोशिश कर रही है। मृतका के परिजन बलदेव ठाकुर ने बताया, "शिकायत करने के बाद भी पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है, जबकि सभी परिजन इस मामले में पुलिस का सहयोग करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। एफआइआर दर्ज करवाने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। पुलिस कह रही है कि उन्हें घटना स्थल पर सबूत नहीं मिले हैं, जबकि हॉस्टल में मौजूद अन्य लड़कियां अगल-अलग ब्यान दे रही हैं। इस मामले में परिजनों ने जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार से उचित कार्रवाई की मांग उठाते हुए उन्हें न्याय दिलाने की गुहार लगाई है। साथ ही परिजनों ने चेताया कि अगर उन्हें जल्द न्याय नहीं मिलता है तो वे सड़कों पर उतरकर उग्र प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। मंडी जिले के सराज क्षेत्र के गुराण गांव की अंजना ठाकुर सुंदरनगर में एक निजी शिक्षण संस्थान और हॉस्टल में अक्टूबर महीने में पहुंची थी। अंजना यहां पोस्ट बेसिक नर्सिंग में प्रथम वर्ष में थी। बीते 23 अक्टूबर की रात को अंजना रहस्यमयी परिस्थितियों में हॉस्टल की चौथी मंजिल से गिर गई। घायल अवस्था में अंजना को नेरचौक मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। जहां से उसे पीजीआई और उसके बाद उसे चंडीगढ़ के मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया, मगर 25 अक्तूबर को इलाज के दौरान अंजना ने दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद परिजन उनकी बेटी की हत्या की आशंका के आरोप लगाते हुए पुलिस से उचित कार्रवाई की मांग कर रहे है। परिजनों का ये भी आरोप है कि पुलिस इस मामले में दबाव में आकर काम कर रही है।
हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य में अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए फॉरेस्ट गार्ड को पे फिक्सेशन स्केल 2022 का लाभ देने के आदेश जारी किए हैं। अदालत ने वर्ष 2022 से पहले अनुबंध के आधार पर नियुक्त किए गए वन रक्षकों के पक्ष में यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है। वन रक्षकों को यह लाभ वर्ष 2020 से मिलेगा। अदालत ने कहा कि सरकार कर्मचारियों को उनके वित्तीय लाभ देने से वंचित नहीं रख सकती है।न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए अनुबंध पर लगे वर्ष 2021 से पहले कर्मचारियों को पे स्केल का लाभ दिए जाने के आदेश पारित किए हैं। अभी तक धर्मशाला सर्किल को 3 जनवरी 2022 का पे फिक्सेशन का लाभ दिया जा रहा था। अदालत के आदेश के बाद प्रदेश में 2022 से पहले नियुक्त किए गए सभी वन रक्षकों को यह लाभ मिलेगा। बता दें कि राज्य सरकार ने इन वन रक्षकों की नियुक्तियां वर्ष 2019 में अनुबंध के आधार पर की थीं। वर्ष 2021 में इनकी सेवाओं को स्थायी किया गया, लेकिन सरकार ने इन्हें 3 जनवरी 2022 के पे स्केल का लाभ नहीं दिया गया। इसी आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत से मांग की गई थी कि उनकी अनुबंध सेवाओं को स्थायी नियुक्ति के लिए गिना जाए और उन्हें 2022 के पे स्केल का लाभ दिया जाए। सरकार की ओर से कहा गया था कि 2022 का लाभ केवल स्थायी कर्मचारियों को ही दिया जाएगा। हिमाचल सरकार ने जिला न्यायाधीशों के वर्ग में कुल पदों की संख्या काडर ग्रेड पे के साथ 25 से बढ़ाकर 35 फीसदी कर दी है। इसके साथ ही जिन जिला न्यायाधीशों को सेवाएं करते 5 वर्ष हो चुके हैं, उन्हें चयन ग्रेड पे प्रदान किया जाएगा। हाईकोर्ट की ओर से जिला न्यायाधीशों के वर्ग से योग्यता व वरिष्ठता के आधार पर इस ग्रेड में नियुक्त करने के लिए चुने जाएंगे, उन्हें चयन ग्रेड में रखा गया है। उन्हें चयन ग्रेड जिला न्यायाधीश कहा जाएगा। जिला न्यायाधीशों के कुल पदों की संख्या 10 से बढ़ाकर 15 फीसदी की गई है। अधिसूचना के मुताबिक जिन जिला न्यायाधीशों की सेवाएं तीन साल से ज्यादा होंगी, उन्हें उच्च न्यायालय की ओर से योग्यता व वरिष्ठता के आधार पर वेतनमान दिया जाएगा और इन्हें सुपर टाइम स्केल जिला न्यायाधीश कहा जाएगा। हिमाचल प्रदेश न्यायिक अधिकारी वेतन, भत्ते और सेवा की शर्तें अधिनियम 2004 के नियम 3 की उपधारा (4) में संशोधन किया गया है।
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों के अधिकार को लेकर महत्त्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए कहा है कि अवैध संबंधों अथवा अमान्य वैवाहिक संबंधों से पैदा हुए बच्चों का पंजीकरण करने से इनकार करना गैरकानूनी है। कोर्ट ने नाबालिग बच्चों की ओर से दायर याचिका को स्वीकारते हुए कहा कि याचिकाकर्ता जीवित प्राणी हैं। इस तथ्य को कानून में स्वीकार किया जाना चाहिए। इसलिए उनके नाम संबंधित पंचायत के रिकार्ड में दर्ज किए जाने चाहिए। न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं के नाम पंचायत रिकार्ड में दर्ज करना हिंदू विवाह अधिनियम की धारा-16 के प्रावधानों के अनुरूप होगा, जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून को ध्यान में रखा गया है। कोर्ट ने प्रतिवादियों की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि चूंकि याचिकाकर्ताओं के माता-पिता के बीच विवाह विशेष विवाह अधिनियम की धारा-4 के प्रावधानों के मद्देनजर पंजीकृत नहीं किया जा सकता है और इस आधार पर याचिकाकर्ताओं के नाम पंचायत रिकार्ड में दर्ज नहीं किए जा सकते हैं। स्पष्ट रूप से गलत धारणा है और हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 16 (1) के महत्त्व का उल्लंघन करता है। मामले के अनुसार तीन नाबालिग बच्चों, जिनकी उम्र क्रमश: 12, नौ और पांच वर्ष है, ने अपनी मातृ प्राकृतिक अभिभावक के माध्यम से याचिका दायर कर प्रतिवादियों को पंचायत रिकार्ड यानी जन्म रजिस्टर और परिवार रजिस्टर में उनके नाम दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की थी।
कंपनी ने आठ महीने में तीन करोड़ से अधिक गोलियां बना डालीं। कंपनी के पास इन्हें बनाने का लाइसेंस है, लेकिन इन दवाओं की कहां-कहां खपत की गई, इसमें बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। मामले के तार यूपी, बिहार और महाराष्ट्र तक जुड़े हुए हैं। एंटी नारकोटिक टास्क फोर्स यूपी, बिहार में दबिश देकर किंगपिन की तलाश कर रही है। इतना ही नहीं, फार्मा कंपनी पर टैक्स चोरी का भी गंभीर आरोप है, जिस दवा के एक डिब्बे की कीमत करीब 4200 रुपये है, उसकी कीमत 225 रुपये दिखाई गई। इसे राज्य सरकार को सीधे तौर पर करोड़ों की चपत लगाई है। मामला सामने आने के बाद थाना सीआईडी शिमला में मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश अमल में लाई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक यह कार्रवाई हाल ही में ड्रग कंट्रोल विभाग और एंटी नारकोटिक टास्क फोर्स की ओर से की गई जांच के बाद हुई है। इसमें बड़ी मात्रा में ट्रामाडोल और अन्य नियंत्रित पदार्थों से युक्त दवाइयां अवैध तरीके से बेची जा रही थीं। मेसर्स मेडिक्रॉस लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से संचालित इस फार्मास्युटिकल इकाई ने मेडिडोल एसआर, ट्रोहमा-100, प्रोक्सिमो-स्पास और अन्य साइकोट्रोपिक दवाओं का उत्पादन किया था। इकाई के खिलाफ यह जांच इसलिए शुरू की गई, क्योंकि सूत्रों ने बताया था कि यह दवाइयां बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं, जो मादक पदार्थों के दुरुपयोग का कारण बन सकती हैं। 28-29 सितंबर को ड्रग कंट्रोलर के निरीक्षण और एंटी नारकोटिक टास्क फोर्स की टीम के साथ इस फार्मा यूनिट का दौरा किया गया, जहां पाया गया कि इकाई में उत्पादित दवाइयां विभिन्न राज्यों में थोक विक्रेताओं को बिना उचित रसीदों और रिकॉर्ड के बेची जा रही थीं। कुछ विक्रेताओं के दस्तावेज भी संदिग्ध पाए गए । इन दवाओं को अन्य राज्यों में भी आपूर्ति की जा रही थी। विशेष रूप से, ऊना स्थित एक फार्मास्युटिकल्स को मेडिडोल-एसआर टैबलेट और अन्य दवाइयां भेजी गई थीं, जहां ड्रग इंस्पेक्टर ने एक छापे में अवैध रूप से स्टॉक कंट्रोल्ड ड्रग्स जब्त कीं। फार्मास्युटिकल्स के मालिक और अन्य आरोपी इस अवैध कारोबार में शामिल पाए गए, जिनके पास बिक्री और आपूर्ति से संबंधित कोई उचित रिकार्ड नहीं था। साइकोट्रॉपिक दवाएं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकारों के इलाज के लिए उपयोग की जाती हैं।
बिलासपुर/सुनील: वर्ष 2024 की नीट. (यू. जी.) परीक्षा में अपनी सफलता का डंका बजाकर इस बार मिनर्वा शिक्षण व कोचिंग संस्थान, घुमारवीं के कुल 52 होनहार प्रदेश व प्रदेश के बाहर स्थित सरकारी मेडिकल संस्थानों में अपनी-अपनी एम. बी. बी. एस., डॉक्टरी की पढ़ाई करेंगे। मिनर्वा शिक्षण संस्थान से कोचिंग प्राप्त कर साक्षी का चयन बहुप्रतिष्ठित मैडिकल संस्थान, एम्स. बिलासपुर में हुआ है। इसी तरह मिनर्वा शिक्षण व कोचिंग संस्थान घुमारवीं में अपनी मेहनत और लग्न के बूते, कनुप्रिया, नितिन, प्रद्युमन, प्रशम, राहुल, रिया, रिज़वान, संचित, शिवम, सुजल, तमन्ना, तथा उदय का चयन आई. जी. एम. सी., शिमला में हुआ है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए 6 बच्चों; अनमोल, खुशी, प्रियल, शिवानी, स्वास्तिका तथा युविका का चयन आर. पी. जी. एम. सी., टाण्डा, जिला कांगड़ा में हुआ हैं। 4 बच्चे; दिशा, हार्दिक, केशव तथा शुभम अपनी एम. बी. बी. एस. की पढ़ाई एस. एल. बी. एस. जी. एम. सी., नेर चौक, जिला मण्डी से करेंगे। 10 होनहार आकांक्षा, अनामिका, अरनव, धारणा, दिक्षित, पूजा, रितिका, शीतल, स्वाति तथा रिया का चयन वाई. एस. पी. जी. एम. सी., नाहन, जिला सिरमौर में हुआ है। 6 अभ्यर्थियों आर्यन, अनामिका, रितिका, रिया, शौर्य तथा तेंजिन का चयन आर. के. जी. एम. सी., हमीरपुर में हुआ है। इसी तर्ज पर 11 बच्चों; पलक, आदित्य, अरिशा, जागृति, कामाक्षा, पलक, राशी, स्मृति, शशांक, शिवांकित तथा कलश का चयन जे. एल. एन. जी. एम. सी., चम्बा में हुआ हैं। इसके साथ-साथ दो बच्चों, इशेन का चयन एस. एम. सी., लखिमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश व तनिष्का का चयन जी. एम. सी. उधमपुर, जम्मू व कश्मीर में हुआ है। इस सफलता के अवसर पर मिनर्वा शिक्षण संस्थान के संस्थापक व संयोजक परवेश चन्देल व राकेश चन्देल ने सभी चयनित विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को शुभकामनाएं देते हुए सभी विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए शुभाशिर्वाद प्रदान किया। उन्होने संस्थान में कार्यरत कर्मचारियों का भी अभिवादन किया जो कि दिन-रात बच्चों का भविष्य संवारने में लगे रहते हैं, साथ ही चन्देल बन्धुओं ने मिनर्वा से शिक्षा प्राप्त कर चुके और जो अभी शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थी हैं उनके माता-पिता व अभिभावकों का भी धन्यवाद किया, क्योंकि जिस भी मुकाम पर आज मिनर्वा घुमारवीं है उस में इन सब का और समाज के सभी वर्गों का बहुत बड़ा योगदान है।
हिमाचल में ग्रामीणों के लिए पशुपालन अब और भी फायदेमंद साबित होने जा रहा है। पशुपालकों को अब दूध की बिक्री के अलावा गोबर बेचने से भी इनकम होगी। हिमाचल में साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद किसानों से गोबर खरीदने का वादा किया था। ऐसे में ग्रामीणों की आर्थिक मजबूत करने के लिए अब सुक्खू सरकार किसानों से गोबर खरीदकर अपनी एक और गारंटी को पूरा करने जा रही है। इसके लिए कृषि विभाग ने किसानों से गोबर खरीदने की अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक सरकार नवंबर महीने के अंत तक किसानों से गोबर खरीद की प्रक्रिया को शुरू कर देगी। इसके लिए कृषि विभाग ने दिल्ली की एक कंपनी को शॉर्टलिस्ट कर दिया है। जो किसानों से गोबर ख़रीदेगीं । कृषि विभाग ने गोबर खरीद के लिए कंपनियों से आवेदन मांगे थे, जिसमें से दिल्ली की कंपनी को गोबर खरीद के लिए चुना गया है। हिमाचल में किसानों को अब गोबर बेचने से भी आय प्राप्त होगी। प्रदेश की सुक्खू सरकार किसानों से 3 रुपए प्रति किलो की दर से गोबर खरीदेगी। कृषि विभाग इसकी खाद तैयार कर बागवानों को 12 रुपए किलो के हिसाब से बेचेगी। प्रदेश में लगातार बागवानी क्षेत्र में विस्तार हो रहा है, जिस कारण गोबर की लगातार मांग बढ़ रही है। बता दें कि कंपनी किसानों से 5, 10, 25 और 50 किलो की पैकिंग में गोबर खरीदेगी। इसके लिए कंपनी को चार से पांच रुपए अदा किए जाएंगे। गोबर खाद की बाकायदा टेस्टिंग भी होगी। प्रदेश में अब बारिश होने के बाद बगीचों में तौलिया बनाने का काम शुरू हो जाएगा। इसी तरह से रबी सीजन में गेहूं समेत अन्य फसलों की बिजाई होनी है, जिसके लिए किसानों को गोबर से बनी खाद की जरूरत होगी। जो कि कंपनी द्वारा पूरी की जाएगी।
** कंपनियों से करोड़ों रुपये अग्रिम मिलेंगे हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के होटलों में कमरों की बुकिंग निजी कंपनी करेगी और इसके एवज में निगम को करोड़ों रुपये एडवांस देगी। पर्यटन विकास निगम निदेशक मंडल की बैठक में बुकिंग का काम निजी कंपनी को सौंपने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। बैठक की अध्यक्षता निगम के चेयरमैन रघुवीर सिंह बाली ने की। बैठक के बाद बाली ने कहा कि प्रदेश के इतिहास में पहली बार निजी होटल समूहों से स्पर्धा के लिए कमरों की बुकिंग निजी ऑनलाइन कंपनी को सौंपने का फैसला लिया है। निगम को करोड़ों रुपये अग्रिम मिलेंगे, जिससे होटलों का जीर्णोद्धार किया जाएगा। होटलों और रेस्टोरेंट के लिए जरूरी सामान की खरीद पर सालाना 30 करोड़ खर्च होते हैं। सेंट्रल बाइंग यूनिट के जरिये केंद्रीकृत तरीके से कंपनियों के साथ मोलभाव कर छूट ली जाएगी, इससे सालाना 5 करोड़ बचेंगे। घाटे में चल रहे निगम के रेस्टोरेंट्स का संचालन निजी हाथों में सौंपा जाएगा, लेकिन मालिकाना हक पर्यटन निगम का ही रहेगा। निदेशक मंडल ने कुल्लू और मनाली के चार होटलों को पूरी तरह नए तरीके से बनाने का फैसला लिया है। मनाली क्लब हाउस में आइस स्केटिंग रिंक भी बनेगा। निदेशक मंडल के सदस्यों के अलावा प्रबंध निदेशक डाॅ. राजीव कुमार और महाप्रबंधक अनिल तनेजा माैजूद रहे। आरएस बाली ने कहा कि पर्यटन निगम कर्मी उनके परिवार के सदस्य हैं। कर्मचारियों के हित में ही ग्रेच्युटी 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख की गई है। पेंशन 3500 से बढ़ाकर 9000 की गई है। इतना ही नहीं ,कर्मचारी की मौत पर एक्स ग्रेशिया ग्रांट भी 75,000 से बढ़ाकर 1.50 लाख रुपये की गई है। मुख्यमंत्री से अनुमति लेकर सेवानिवृत वरिष्ठ आईएएस अधिकारी तरुण श्रीधर से मैंने निगम के हित में सुझाव देने का आग्रह किया था। प्रोजेक्टों में सलाहकारों पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं लेकिन तरुण श्रीधर बिना कोई पैसा लिए पर्यटन निगम की वित्तीय स्थिति सुधारने के सुझाव देंगे। श्रीधर के अनुभव से निगम को जरूर लाभ होगा। निदेशक मंडल ने आउटसोर्स पर तकनीकी स्टाफ की भर्ती का फैसला लिया है। इससे जहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, वहीं होटल सुविधाओं की गुणवत्ता सुधरेगी। किचन में फूड कंट्रोलर, एफएंडबी मैनेजर, हाउस कीपिंग मैनेजर पदों पर तकनीकी स्टाफ के अलावा शेफ भी भर्ती होंगे।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि नए अस्पताल खोलने के बजाय 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों का डॉक्टर घर पर उपचार करेंगे। इसके लिए हिमाचल सरकार योजना तैयार कर रही है। आगामी बजट में योजना के लिए प्रावधान तय होंगे, ताकि बुजुर्गों को घर पर ही निशुल्क उपचार मिल सके। सीएम ने डोर स्टेप उपचार नाम की इस योजना की घोषणा हमीरपुर जिले के नादौन की पुतड़ियाल पंचायत में सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम में की। कार्यक्रम के दौरान पुतड़ियाल में स्वास्थ्य उपकेंद्र खोलने की मांग लोगों ने की तो सीएम ने डोर स्टेप योजना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जनता के लिए कांग्रेस सरकार गारंटियों से बढ़कर योजनाएं ला रही है। प्रदेश आत्मनिर्भर बन रहा है। राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी में हुई राजनीतिक हलचल का जिक्र करते सीएम ने कहा कि जनता के हितों के लिए उन्हें पार्टी में आंतरिक विरोध भी सहना पड़े तो पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि जयराम सरकार ने 5 साल में कौड़ियों के भाव हिमाचल के हित बेचे हैं। सरकार ने केंद्र से 20 हजार करोड़ रुपये लेने हैं। बीबीएमबी से 4,500 करोड़ लेने हैं। कर्मियों के एनपीएस का 9,000 करोड़ केंद्र के पास है। भाजपा सरकार ने अनावश्यक 900 संस्थान खोले, लेकिन शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र की दुर्गति कर दी। सीएम ने कहा कि देहरा को पर्यटन की दृष्टि से भी संवारने के लिए 100 करोड़ का प्रोजेक्ट जल्द ही यहां शुरू किया जाएगा। पौंग झील में सालभर पानी रहता है। इसलिए वहां पर शिकारा, हाउस बोट, जैटी और क्रूज चलाए जाएंगे। इससे पर्यटन कारोबार बढ़ेगा। सुक्खू ने भविष्य में उनके चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि पूरा प्रदेश मेरा घर है और मैं कहीं से भी चुनाव लड़ सकता हूं। अभी मेरा गृह क्षेत्र नादौन है। देहरा में मेरी धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर का मायका है। इसलिए उन्होंने यहां से चुनाव लड़ा। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं उनकी जगह चुनाव लड़ूंगा। मुख्यमंत्री सुक्खू ने मंगलवार को देहरा में मुख्यमंत्री कार्यालय का लोकार्पण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि लोगों को अब अपने कार्य करवाने के लिए शिमला नहीं जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यहां के लोगों का विकास सरकार की प्राथमिकता है।
हाईकोर्ट ने राज्य में दवाइयों की गुणवत्ता मापने के लिए सरकार को क्यूआर कोड की व्यवस्था करने के आदेश दिए हैं। कोड से उत्पादन तिथि, एक्सपायरी डेट, जिस यूनिट में बनी उसका ब्योरा, बैच संख्या और जिस कंपोनेंट से बनाई गई उसकी जानकारी और कितने समय तक इसका उपयोग किया जाएगा, इसका पता चलेगा। उपभोक्ताओं को भी दवाइयों की जानकारी मिलेगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने राज्य और केंद्र सरकार को दवा की गुणवत्ता से संबंधित, निर्माता कंपनियों और लाइसेंस जारी करने के बारे में कड़े नियम बनाने को कहा है। कोर्ट रूम में दवाइयों के बार कोड को जांचा गया, जिससे पता चला कि बार कोड पर सारी जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। महाधिवक्ता अनूप रतन ने बताया कि कोर्ट के आदेशों से जुड़ी जानकारियों की सरकार बुधवार को अधिसूचना जारी करेगी। सरकार की ओर से डिप्टी ड्रग कंट्रोलर ने अदालत में स्टेटस रिपोर्ट दायर की। कोर्ट ने पूछा कि दवा निरीक्षण के लिए कितने अधिकारी हैं। ड्रग कंट्रोलर ने कहा कि 39 ड्रग इंस्पेक्टर, 6 सहायक इंस्पेक्टर, एक दवा नियंत्रक है। 5 पद खाली हैं। कोर्ट ने सरकार को कहा कि पूर्णकालिक ड्रग कंट्रोलर नियुक्त करने पर विचार करे, जिससे प्रदेश में बन रहीं दवाइयों की गुणवत्ता बढ़ाई जाए। कोर्ट ने सरकार को तीन सप्ताह में रिपोर्ट पेश करे। अदालत ने कहा कि सरकार दवा निर्माता कंपनियों और टेस्टिंग लैब के लाइसेंस देने के मापदंड बताए। सरकार को रजिस्टर तैयार करने के आदेश दिए, जिससे संबंधित अधिकारी की जवाबदेही सुनिश्चित हो। अभी दवाइयों की सैंपलिंग और टेस्टिंग दो तरह से होती है। पहला इन हाउस निर्माता कंपनी और दूसरी टेस्टिंग सरकार की ओर से मंजूर लैब से होती है। लैब से मंजूरी पर दवाइयां मार्केट में बेची जाती हैं। बाजार में आने के बाद सैंपल फेल पाए गए हैं। अदालत ने इसे दुरुस्त करने को कड़े नियम बनाने के आदेश दिए, ताकि लोगों के जीवन से खिलवाड़ न हो।
सोमवार को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के अंबेडकर चौक पर वोकेशनल टीचर्स ने प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन हिमाचल प्रदेश वोकेशनल टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले हुआ। वहीं, वोकेशनल टीचर्स के धरने पर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने भी प्रतिक्रिया दी है। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि पिछले महीने ही अक्टूबर की बात है और उस वक्त इनका प्रतिनिधिमंडल मेरे पास आया था और उनकी मुख्य मांग थी कि हमारी सैलरी में बढ़ोतरी की जाए और उस बात को देखते हुए हमने लगभग 2000 के आसपास की इसमें बढ़ोतरी की थी और एरिया से संबंधित भी, क्योंकि वर्तमान में 17 हमारी कंपनी है, जिनके माध्यम से लगभग कोई दो ढाई हजार हमारे वोकेशनल ट्रेनर्स पूरे हिमाचल प्रदेश में लगे हैं। वो 17 में से 16 कंपनियों ने अपना एरियर समय पर दे दिया था। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा एक कंपनी जो मुझे बताया गया है उसने मैं समझता हूं वो समय पर अपना एरियर नहीं दिया है और उससे संबंधित हमारे विभाग ने समग्र शिक्षा के डायरेक्टर ने उनके एक्सप्लेनेशन कॉल भी कर दी है और भविष्य में मैं समझता हूं अगर इसी तरह से उनका रोल रहेगा, इस तरह की नकारात्मक सोच के साथ वो कंपनी कार्य करेगी तो निश्चित रूप में आने वाले समय में उस कंपनी को डिबार किया जाएगा। मेरा सभी वोकेशनल ट्रेनर्स से यही आग्रह है कि आप इस हड़ताल को इमीडिएट इसको कॉल ऑफ करें और अपने अपने स्कूलों में जाकर मैं समझता हूं जो इस पद पर आपको लगाया गया है वहां पर अपनी सेवाएं प्रदान करें।