सोमवार जिला प्रशासन कुल्लू ने ऑटो चालकों को ऑटो चलाने की अनुमति दे दी है। प्रशासन के निर्देशानुसार ऑटो चालक कर्फ्यू के दौरान बिना किसी पास के ऑटो चला सकेंगे। ऑटो में केवल एक सवारी ले जाने की अनुमति दी गई है। प्रशासन के इस फैसले से ऑटो चालकों ने राहत की सांस ली है। जिला कुल्लू में ऑटो चालक लंबे समय से ऑटो चलाने की अनुमति मांग रहे थ परंतु उन्हें अनुमति नहीं मिल रही थी। सोमवार को जिला प्रशासन व ऑटो यूनियन के बीच हुई बैठक में ऑटो चालकों को एक सवारी के साथ ऑटो चलाने की अनुमति मिल गई है। साथ ही ऑटो चालकों को केंद्र सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने व सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के निर्देश भी दिए गए हैं। वहीं यदि कोई ऑटो चालक एक से ज्यादा सवारी ले जाता हुआ पकड़ा गया तो उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
कोरोना महामारी के चलते बाहर से आने वाले कई लोग जहां सरकार के दिशानिर्देशों को दरकिनार कर क्वारंटाइन का उल्लंघन कर रहे हैं वहीं आनी के घोरला गांव के पवन श्याम ने प्रशासन के आग्रह पर खुद को होम क्वारंटाइन कर मिसाल पेश की है। पवन क्वारंटाइन हुए भी तो घऱ से करीब 16 किलोमीटर दूर करीब 8 हजार फीट की ऊंचाई पर। उनका परिवार घोरला गांव में रहता है जोकि करीब 5 हजार फीट की ऊंचाई पर है। वह छह महीने बाद राजस्थान से घर लौटे हैं। 2 मई को घर लौटने के बाद वह घर नहीं गए, परिवार वालों से दूर से ही मिले। काफी समय बाद घर लौटने के कारण 7 साल और डेढ़ साल की बेटी को गले लगाने का मन था लेकिन परिवार की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सीधे होम क्वारंटाइन के स्थान की ओर चल पड़े। 2 मई के बाद से पवन अकेले 8 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित अपने सेब के बगीचे में बने घर में क्वारंटाइन है। वह अकेले ही खाना बनाते हैं और अपनी देखभाल भी खुद ही कर रहे हैं। पवन श्याम आनी उपमंडल के पलेही पंचायत के घोरला गांव के रहने वाले हैं। राजस्थान में ऑलफ्रेश कंपनी में काम करते हैं। लॉकडाउन लगने के बाद घर आने की कोशिश की लेकिन प्रदेश सरकार से 30 अप्रेल को घर आने की अनुमति मिली। वह 2 मई को लुहरी पहुंचे। पुलिस प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने होम क्वारंटाइन में रहने का आग्रह किया। इसके बाद पवन ने घर से करीब 4 घंटे की पैदल दूरी और 16 किलोमीटर सड़क की दूरी पर नित्थर के बुआई नामक स्थान पर अपने बगीचे में बने घर में खुद को क्वारंटाइन किया। पवन का कहना है कि वह राजस्थान के रेड जोन से आए हैं। 24 मार्च से 30 अप्रेल तक राजस्थान में घर के अंदर ही रहे। घर लौटने के पश्चात परिवार और समाज को प्राथमिकता देते हुए खुद को नित्थर के बुआई में क्वारंटाइन किया। हालांकि पवन के पास खुद को अपने परिवार के पास घोरला गांव में भी खुद को क्वारंटाइन करने का विकल्प था लेकिन वो कोई जोखिम लेना नहीं चाहते थे, इसलिए वो 8 हजार फीट की ऊंचाई पर खुद को क्वारंटाइन करने चले गए। पवन का कहना है कि उन्हें कोरोना महामारी के लक्षण अभी तक नहीं दिखें हैं। हल्की सिरदर्द हुई थी लेकिन प्रशासन द्वारा दवा उपलब्ध करवाने के बाद अब ठीक है। उनका कहना है कि क्वारंटाइन समाप्त होने के बाद ही वह घर जाएंगे। उन्होंने प्रदेश के बाहर से आने वाले लोगों से अपील की है कि क्वारंटाइन का इमानदारी से इसलिए पालन करें क्योंकि ये आपके परिवार और समाज का बीमारी से बचाव का सवाल है। स्थानीय लोग पवन श्याम द्वारा खुद को इस तरह क्वारंटीन करने के फैसले की सराहना कर रहे हैं। एसडीएम आनी चेत सिंह का कहना है कि बाहर से आने वाले लोगों को क्वारंटाइन किया जा रहा है। ऐसे में यदि कोई सरकारी आदेशों को दरकिनार करता है या क्वारंटाइन का उल्लंघन करता है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। चेत सिंह ने लोगों से यह भी अपील की है कि सरकार के दिशा निर्देशों का लोग इमानदारी से पालन करें और प्रशासन का सहयोग करें और अपने परिवार-समाज को बीमारी से बचाने के लिए बाहर से आने वाले लोग क्वारंटाइन सही प्रकार पालन करें।
वीरवार को अरसू वार्ड की जिला परिषद सदस्या पप्पी बिष्ट की अगुवाई में कोल्था गांव को सेनिटाइज किया गया। इस दौरान गांव के रास्तों, गलियों,मकानों में सेनिटाइजर का छिड़काव किया गया। वहीं,महिला मण्डल कोल्था द्वारा गांव के रास्तों, गलियों को भी साफ़ किया गया। गांव के सभी लोगों को पप्पी बिष्ट ने स्वयं तैयार किये हुए मास्क भी वितरित किए। पप्पी बिष्ट ने ग्रामीणों से घर पर रहने और बिना कारण घरों से बाहर न निकलने की अपील की। उन्होंने सामाजिक दूरी को बढ़ावा देने व लोगों से सरकार द्वारा ज़ारी दिशा-निर्देशों के पालन करने की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि स्वयं भी जागरूक रहें और अन्य ग्रामीणों को भी जागरूक करें और इस संकट से बचने के लिये आवश्यक सावधानियां बरतें। इस अवसर पर महिला मंडल की स्नेहलता, झांसी, शशी, रंजना, बवली, अंकिता समेत ग्रामीण मौजूद रहे।
कवि मैथिलीशरण गुप्त ने ठीक ही कहा है कि, 'वही पशु प्रवृत्ति है कि आप-आप ही चरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।' परोपकार को त्याग कर अपने स्वार्थ में लिप्त रहना मनुष्य का नहीं, पशुओं का काम है और परहित की भावना ही एक मानव को पशु से भिन्न करती है। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में सभी मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं। ऐसे में उपतहसील नित्थर चौकी में तैनात पुलिस कर्मी टिका नन्द ने पूरे साल में उनको मिलने वाला राशन भत्ता ज़रूरतमन्दों के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष के माध्यम से जमा किया है। जिला कुल्लू पुलिस के सभी रैंक के कर्मियों ने भी अपने एक माह का वेतन मदद के तौर पर देने का ऐलान कर लिया है। ऐसे में टिका नन्द शर्मा का आगे आना सचमुच क्षेत्र को गौरवान्वित करता है ।
मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने शनिवार राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मनाली के पुराने भवन में लॉक डाउन के दौरान रह रहे गृह रक्षक के जवानों से मुलाकात की। उन्होंने अधिकारियों को जवानो के सोने के लिए 22 फोल्डिंग चारपाई सहित बिजली के उचित प्रबंध करने के निर्देश दिए। उन्होंने जनता से अपील भी की इस संकट की घड़ी में दिन रात ड्यूटी कर रहे पुलिस के जवानों की सहायता करें। गौरतलब है जयराम सरकार कर्फ्यू एवं लॉक डाउन की स्थिति में भी प्रदेश कि जनता की सुविधाओं का पूरा खयाल रख रही है। जनता को इस दौरान परेशानियों का सामना ना करना पड़े इसके लिए कई कदम उठाए जा रहे है। ऐसे में जनता को अनुशासित रखने वाले जवानो की सुविधा को भी अनदेखा नहीं किया जा रहा है।
हिमाचल एकता मंच द्वारा तैयार हिमाचली देव गीत भौउरीए का विमोचन ठेकेदार देवी राम द्वारा वाई एन जी स्टूडियो पतलीकहुल में किया गया। इस देव गीत में दीप लाल भारद्वाज ने अपनी कलम का हुनर दिखाया है। दीप लाल भारद्वाज ने बताया कि देव गीत को बीर चन्द ने अपनी आवाज़ से सजाया है और नीरज व निशांत ने अपने संगीत से संवारा है। यह गीत हिमाचल के देवी-देवताओं पर अधारित है। इसमें योगी चौहान व नरेश कुमार का काफी सहयोग मिला है। इस मौके पर ठेकेदार देवी राम, संगीतकार योगी चौहान, गायक बीर चन्द, हिमाचल एकता मंच के चैयरमेन दीप लाल भारद्वाज व रोहित खतरी मौजूद रहे।
शनिवार को वाई एन जी स्टूडियो पतलीकहुल के गायक सोनू ठाकुर का धमाका 2020 नाॅन स्टाॅप एलबम का विमोचन हिमाचल एकता मंच के चैयरमेन दीप लाल भारद्वाज व जय नाग धुम्बल प्रोडक्शन के मालिक नरेश कुमार ने किया। एलबम में सभी गीत कुल्लू के सराज क्षेत्र के हैं। गीतों की रचना स्वयं सोनू ठाकुर ने की है।इस गीत को योगी चौहान ने संगीत से संवारा है। बता दें इससे पहले सोनू ठाकुर की चौदह एलबम आ चुकी है। इसमें सोनू का देव गीत नारायण बहुत चर्चित रहा। यह एलबम म्यूज़िक राइडर्स युटयुव चैनल पर रिलीज हुई है। इस मौके पर संगीतकार निरज व योगी चौहान, दीप लाल भारद्वाज, नरेश कुमार, जय राम, रोहित खतरी, देवेन्द्र सोनी आदि मौजूद रहे। शीघ्र ही एलबम का विडियो भी रिलीज किया जाएगा।
हिमाचल में बारिश और बर्फबारी जनता की दिक्कतें बढ़ा सकती है। मौसम विभाग ने राज्य में फिर से बारिश व बर्फबारी का यलो अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग की चेतावनी के तहत 22 नवंबर को शिमला, किन्नौर, लाहुल-स्पीति, चंबा, मंडी और कुल्लू में भारी बारिश व बर्फबारी होगी। इस दौरान मैदानी इलाकों में भी कुछ जगह बारिश होगी। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तीन दिन तक मौसम खराब रहेगा। राज्य में 24 व 25 नवंबर को मौसम साफ रहेगा, जबकि 26 नवंबर को राज्य के अनेक स्थानों पर बारिश होने की संभावना जताई जा रही है। हिमाचल में बादलों के घिरने और शीतलहरों के प्रवाह से अधिकतम तापमान में एक से तीन डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट आई है। डलहौजी के अधिकतम तापमान में सबसे ज्यादा तीन डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है। इसके अलावा सुंदरनगर, कल्पा, कांगड़ा व चंबा के पारे में दो डिग्री की गिरावट आई है, जबकि शेष हिमाचल में एक डिग्री तक पारा लुढ़का है। इसके अलावा कल्पा व मनाली में भी कड़ाके की ठंड पड़ रही है। पहाड़ों पर पहले से ही कड़ाके की ठंड पड़ रही है, ऐसे में अगर बारिश व बर्फबारी होती है, तो जनता की परेशानियां और बढ़ सकती हैं।
युवा प्रतिभाओं को मंच प्रदान करने के उद्देश्य से युवा सेवाएं एवं खेल विभाग इस बार भी 30 नवंबर से 1 दिसंबर तक कुल्लू में जिला स्तरीय युवा उत्सव का आयोजन करने जा रहा है। इस उत्सव में लोकगीत, लोकनृत्य, लोक वाद्य वादन, एकांकी, तबला वादन, बांसुरी वादन, सितार वादन, हारमोनियम लाईट, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, कत्थक और एलोक्यूशन एक्सटेंपोर सहित कुल 11 विधाओं के मुकाबले करवाए जाएंगे। जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी विजय कुमार ने बताया कि लोकगीत, लोकनृत्य और लोक वाद्य वादन में केवल खंड स्तरीय युवा उत्सवों से चयनित दल और पिछले वर्ष की विजेता एवं उपविजेता टीमें ही भाग ले सकती हैं, जबकि अन्य स्पर्धाओं में जिला स्तर पर सीधी एंट्री दी जाएगी। प्रतिभागियों की आयु 15 से 29 वर्ष तक होनी चाहिए। एकांकी का लेखन एवं निर्देशन युवा द्वारा ही होना चाहिए। जिला स्तरीय उत्सव में प्रथम रहने वाले प्रतिभागियों को राज्य स्तरीय युवा उत्सव में कुल्लू जिला का प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्रदान किया जाएगा। अधिक जानकारी के लिए दूरभाष नंबर 01902-224702 पर संपर्क किया जा सकता है।
जिला में बढ़ते नशे के कारोबार के चलते कुल्लू जिला पुलिस सतर्क हो गयी है। कुल्लू जिला पुलिस का नशे के खिलाफ अभियान लगातार जारी है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक बंजार थाना के नरेश कुमार की टीम जब बटाहर सड़क पर नाकाबंदी कर वाहनों की चेकिंग कर रही थी। उसी दौरान एक पंजाब नंबर (PB-32K-5315) की चेकिंग की तो इसमें सवार दो व्यक्तियों से 5 किलो 150 ग्राम चरस बरामद की। आरोपियों की पहचान सम्मी और जसवीर कुमार निवासी होशियारपुर पंजाब के रूप में हुई है। एसपी कुल्लू गौरव सिंह ने मामले की पुष्टि करते हुए दोनों आरोपियों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज छानबीन शुरू कर दी गई है।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का दूसरा घर माने जाने वाले जिला कुल्लू में इनकी प्रतिमा बनाई जा रही है। हालांकि स्व. अटल का घर मनाली के प्रीणी में है, लेकिन प्रतिमा जिला मुख्यालय कुल्लू स्थित अटल सदन के पास बनेगी। अटल के साथ कुल्लू का गहरा रिश्ता रहा है। रविवार को अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के मौके पर कुल्लू पधारे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अटल सदन कुल्लू में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा की आधारशिला रखी, जिस पर 22 लाख रुपए खर्च होंगे। बाकायदा मंत्रोच्चारण के साथ शिलान्यास करने की रिवायत को निभाया गया और मुख्यमंत्री ने ईंट लगाई। अब जल्द इसका निर्माण कार्य आरंभ करने के लिए प्रशासन और विभाग को निर्देश दिए हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने नागुझौर-मशना-थाच सड़क का उद्घाटन किया और पीएमजीएसवाई स्टेज के तहत 6.31 करोड़ तथा इस मार्ग पर ऑनलाइन बस को हरी झंडी दिखाई। वहीं, निर्मित कुल्लू के पॉलिटेक्नीक भवन के शैक्षणिक ब्लॉक का उद्घाटन किया। कुल्लू में लगभग 83 लाख रुपए से 5.75 करोड़ और उपायुक्त कार्यालय का पुनर्निर्मित भवन का उद्घाटन किया। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के पहले दिन मुख्यमंत्री ने जिला कुल्लू को करोड़ों की सौगात दी। इस अवसर पर सांसद राम स्वरूप शर्मा, विधायक सुंदर सिंह ठाकुर, उपाध्यक्ष एचपीएमसी राम सिंह, उपायुक्त डा. ऋ चा वर्मा, एसपी गौरव सिंह भी उपस्थित रहे। देव समाज के लोगों में उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के मौके पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बजंतरी वर्ग के साथ-साथ देवी-देवताओं की नजराना राशि पर भी बड़ी सौगात दे सकते हैं। देवधुन कार्यक्रम के दौरान वन, परिवहन और युवा सेवाएं तथा खेल मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा के अवसर पर खेली जाने वाली देवधुन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा सुझाई गई एक अवधारणा थी, जो देव समाज और राज्य की संस्कृति के लिए उनकी रुचि और प्रेम को दर्शाती है। कारदार संघ के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को संघ की विभिन्न मांगों से अवगत करवाया।
अंतरराष्ट्रीय दशहरा महोत्सव के छठे दिन 2200 से ज्यादा बजंतरियों की एक साथ मिलाई ताल ने रचा गौरवमयी इतिहास अनूठी परंपरा से देश-दुनिया में विख्यात अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव के गौरवपूर्ण इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। उत्सव के छठे दिन रविवार को यहां देवधुन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के साक्षी जहां यहां पहुंचे देश-दुनिया के लोग बने, वहीं सोशल मीडिया के माध्यम से भी ये देवधुनें विश्व के कोने में पहुंचीं। विश्व शांति के लिए ढोल, नगाड़े, करनाल, नरसिंगे, शंख और शहनाइयों से बजंतरियों ने कुछ ऐसा समां बांधा कि लोग तो मंत्रमुग्ध हुए ही, इस देवधुन कार्यक्रम को इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में भी स्थान मिल गया है। बता दें कि कुल्लू घाटी में पूरे माहौल को धार्मिक उत्साह और दिव्यता से भर दिया गया था, जब 2200 से अधिक बजंतरी अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव के अवसर पर देवधुनें बजाने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की उपस्थिति में अटल सदन स्थित रथ मैदान में एकत्रित हुए। मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का आागज किया। देवधुन वह ध्वनि है, जो विभिन्न पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाने के बाद गूंजती है, जब देवता अपने मंदिरों से निकलकर स्थानीय उत्सवों में शामिल होते हैं। इन देवधुनों को इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में स्थान मिला है। मुख्यमंत्री को इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स के प्रतिनिधियों द्वारा एक पदक और प्रमाण पत्र मौके पर ही प्रदान किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि यह सामान्य रूप से राज्य के लोगों और विशेष रूप से कुल्लू जिला के लोगों के लिए एक बड़ा सम्मान है कि देवधुन के एक आयोजन को इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में प्रवेश किया। इसमें 2200 से अधिक बजंतरियों ने पूरे वातावरण को देवत्व और पारंपरिक उत्साह के साथ भरने के लिए एक स्थान पर पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाया। उन्होंने कहा कि संगीतकारों के प्रयास वास्तव में प्रशंसनीय थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि यह आयोजन न केवल एक नियमित कार्यक्रम बन जाए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा का एक अतिरिक्त आकर्षण भी बने। उन्होंने कहा कि गला काट प्रतियोगिता के वर्तमान युग में हमारी सदियों पुरानी संस्कृति और परंपराएं धीर-धीरे लुप्त हो रही हैं और सभी को इनके संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए। मुख्यमंत्री ने आयोजन के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए बजंतरियों को अपनी ऐच्छिक निधि से पांच लाख रुपए देने की घोषणा की। बता दें कि कुल्लू को परंपरा कायम रखने के लिए यह तीसरा तमगा मिला है। पहले कुल्लवी नाटी लिम्का बुक में शामिल हुई। इसके बाद कुल्लवी नाटी को गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में स्थान मिला है। अब वर्ष 2019 के अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में पहली बार आयोजित देवधुन कार्यक्रम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में शामिल हुआ है। लिहाजा, यह देवभूमि कुल्लू ही नहीं पूरे हिमाचल के लिए गौरव की बात है। क्या है देवधुन जब देवता अपने मंदिरों से निकल कर स्थानीय उत्सवों में शामिल होते हैं, तो इस दौरान बजाए जाने वाले पारंपरिक वाद्ययंत्रों से जो ध्वनि गूंजती है, उसे ही देवधुन कहा जाता है।
आर्मी कैंप जालंधर में सैन्य नर्सिंग सेवा में बतौर कैप्टन 29 वर्षीय रोहिणी की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई है। जानकारी के मुताबिक रोहिणी स्कूटी पर सवार होकर ड्यूटी पर जा रही थी। इस दौरान स्कूटी की ट्रक के साथ टक्कर हो गई। हादसे में रोहिणी के सिर पर चोट लगने से वह कोमा में चली गई थी। लेकिन दो अक्तूबर बुधवार को कैप्टन रोहिणी ने जालंधर में ही अंतिम सांस ली। वीरवार को कैप्टन रोहिणी को ज़िला कुल्लू के पतलीकूहल स्थित दुआड़ा में अंतिम विदाई दी जाएगी। जनजातीय क्षेत्र लाहौल के गौशाल गांव की रोहिणी के परिजन दुआड़ा में रहते है। युवा कैप्टन रोहिणी की मौत की खबर से लाहौल घाटी शोक में डूब गई है।
Himachal Pradesh sets itself apart as India’s outdoor adventure playground through its varied topography and stunning natural beauty. It is a land of mysteries with so much to explore and so much to discover about this humble abode of snow. Some things though, are quite strange and intriguing about this state, and one of them is Malana valley. Isolated from the rest of the world lies a solitary village in Malana nala, which is the side valley of Parvati valley. Malana also known as Malana village is located in Kullu valley. Malana is one of the not-so popular places of India that are present silently in all their glory. The peaks of Chanderkhani and Deo Tibba shadow the village. It is situated on a remote plateau by the side of the torrential Malana river. You may also call Malana, a village of taboos as it has been hiding several scandalous stories since ages . Malana has its own lifestyle and social structure and people are strict in following their customs. According to the local people of Malana , Jamlu rishi (sage) inhabited this place and made rules and regulations. The locals claim it to be one of the oldest democracies of the world with a well-organized parliamentary system, guided by their devta (deity) Jamlu rishi. Touch me not Villagers believe that they have pure Aryan genes and that they are descendants of Alexander the Great. The Malanese people are extremely strict about the rule of not touching or coming in contact with any outsiders, on the off-chance of getting touched they either run for a bath or charge you a fine! Not just the people, but their belongings, walls they live in, everything comes under a no-touching zone for the visitors! Apart from this, they consider their language "Kanashi" and their temples too sacred for any outsiders to visit. However, the people are known to be friendly, despite their strict rules. This overwhelming sense of seclusion is important to how the Malana community has evolved, shunning the outside world. A lonely existence in a tangle of high mountains meant that Malana once had total freedom, even from government. For very long, its villagers didn’t mingle with other Kullu villages; its village council didn’t recognise the role of the Indian state; it resisted all external influence. They are very sensitive towards their natural resources so hammering nails onto trees is prohibited , only dry twigs and leaves can be carried out of the forests and wood cannot be burned in the forests. Similarly, hunting of wild animals is not allowed without the permission of the village council that too only during specific periods of the year. In case wild animals attack the herds of sheep and goats of the villagers the hunters are sent from the village to the pastures to kill them. And if a bear is killed, the hunter is rewarded but has to deposit the fur in the Bhandara of the Devta. Another peculiar yet true rule is that the Police intervention isn't allowed in their system. If anybody needs the help of police, the person must pay a fine of Rs 1000 to the village council. The marriage of Malanese people is pre-arranged in their adolescence. The bride is supposed to run behind her husband and her in-law while holding a torch as part of their customs, on their wedding night. A man can have multiple wives and in case he divorces one of his wives, he must help her financially. However, quite similar to the rest of the Indian traditions, anybody who marries an outsider will be banished from the village forever. Malana Cream We know it’s more like an open secret and the village is actually famous for this very feature. The place grows the finest weed in India. Malana is famous for ‘Malana cream’, a strain of Cannabis hashish, which has high oil content and an intensely fragrant aroma. But did you know that Malana cream is also the most expensive hashish in the Amsterdam menu? Malana has drawn a lot of hashish lovers from all around the world. Although it is declared illegal by the government of India. The Malana Cream is known worldwide for its high quality hash. In fact, hash is so common and sold out in the open that there would be no surprise even if a child offers it to you . Malana cream has won the Best Hashish title twice, in 1994 and 1996, at High Times magazine’s Cannabis Cup . Malana Trek This place is also apt for all adventure lovers since the route to Malana is famous for trekking.The temples in Malana - the Jamadagni Temple and the Shrine of Renuka Devi - serve as major attractions of the village. Built closely to each other, they are well known for the worship of various gods and goddesses which are highly respected by the locals, and a lot of care is taken with respect to its preservation. The trekking route to Malana is adorned with lush deodar vegetation along with a slight view of the Malana Dam that mesmerize people from time to time. Hope you explore this majestic land and uncover its secrets soon .
अध्यापक दिवस के शुभ अवसर पर हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति (यूथ विंग) के सदस्यों एवं नेहरू युवा केन्द्र के सदस्यों द्वारा रथ मैदान ढालपुर में दो दिवसीय रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान ज़िला के विभिन्न युवाओं, अध्यापक,अध्यापिकाओं नें रक्तदान किया। हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति यूथ विंग कुल्लू के अध्यक्ष राज सिंघानिया नें जानकारी देते हुए बताया की इन दो दिवसीय समारोह के पहले दिन रक्तदान शिविर का और दूसरे दिन फ्री स्वास्थ्य जाँच शिविर का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि ज़िला कुल्लू के अस्पताल में आए दिन रक्त की आवश्यकता पढ़ती रहती है, और ब्लड बैंक का स्टॉक कम पड़ जाता है। इसी बात को मध्यनज़र रखते हुए इस तरह के शिविर का आयोजन किया गया है। इस दौरान अवसर पर सोनिका चन्द्रा ,बीजू सहित समिति युथ विंग कुल्लू इकाई एवं नेहरू युवा केन्द्र के सदस्य भी मौजूद रहे।
हिमाचल प्रदेश जिला कुल्लू में एक दर्दनाक हादसा पेश आया है। हादसे के मुताबिक़ एक पिकअप गहरी खाई में जा गिरी, जहां एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई और एक घायल हो गया है। जानकारी के अनुसार यह हादसा आनी लुहरी मार्ग पर निमला के समीप हुआ जहां 500 मीटर खाई में एक पिकअप गाड़ी जा गिरी जिसमें 2 लोग सवार थे। यह घटना रविवार देर रात की बताई जा रही है। हादसे की सूचना मिलने के बाद लोगों और प्रशासन के रेस्क्यू दल ने कड़ी मशक्कत के बाद घायल को खाई से बाहर निकाला। घायल को इलाज के लिए आनी अस्पताल में भर्ती कर दिया है। वहीं पुलिस ने मामला दर्ज कर शव को अपने कब्जे में ले लिया है और अब पुलिस दुर्घटना के कारणों की छानबीन कर रही है।
हिमाचल प्रदेश ज़िला कुल्लू में रविवार को कुछ लोगों ने एक शर्मनाक घटना को अंजाम दे दिया। कुल्लू के गैमन ब्रिज के पास लोगों ने एक बेकसूर कंडक्टर को बच्चा चोर समझकर पूरी बेरहमी के साथ पीटा। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए मारपीट करने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। एसपी कुल्लू गौरव सिंह ने बताया कि रविवार सुबह कुल्लू थाने पर सूचना मिली के गैमन पुल के पास कुछ लोग एक अनजान व्यक्ति को बच्चा चोर समझ कर उसके साथ मारपीट कर रहे हैं। इस पर पुलिस थाना कुल्लू की एक टीम तुरंत मौके पर पहुंची और व्यक्ति को पुलिस थाने लाकर उससे पूछताछ की। पूछताछ में पता चला कि यह व्यक्ति बिलासपुर का रहने वाला है और एक ट्रक कंडक्टर है, जो वहां पानी की टंकी से पानी पीने गया था। जहां पर एक बच्चा भी मौजूद था। इस व्यक्ति ने उस बच्चे से हंसकर नमस्ते बोला और पानी की टंकी के बारे में पूछा जिस पर वह बच्चा डर गया और चिल्लाने लगा। बच्चे से पूछने पर पता चला कि वह इसलिए चिल्लाया क्योंकि उसे उसके माता-पिता ने बताया था कि आजकल यहां बच्चा चोर घूम रहे हैं। वहां मौजूद व्यक्तियों ने उस व्यक्ति के पास इत्र की शीशी को बेहोशी की दवा बता कर कंडक्टर के साथ मारपीट करनी शुरू कर दी। इस पर उन सभी व्यक्तियों जिन्होंने बिना पुलिस से मदद लिए अपने हाथ में कानून लेने की कोशिश की, के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज़ किया है। पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि जिन लोगो ने उसके साथ मारपीट की है उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। वहीं पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह ने आम जनता से भी अपील की है कि अफवाहों से बचें। यदि ऐसा कोई मामला लगता है तो तुरंत पुलिस को सूचित करें और कानून को अपने हाथ में न ले।
हिडिम्बा देवी मंदिर उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश राज्य के मनाली में स्थित है। यह एक प्राचीन गुफा मंदिर है, जो भारतीय महाकाव्य महाभारत के भीम की पत्नी हिडिम्बी देवी को समर्पित है। यह मनाली में सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। इसे ढुंगरी मंदिर (Dhungiri Temple) के नाम से भी जाना जाता है। मनाली घूमने आने वाले सैलानी इस मंदिर को देखने जरूर आते हैं। यह मंदिर एक चार मंजिला संरचना है जो जंगल के बीच में स्थित है। स्थानीय लोगों ने मंदिर का नाम आसपास के वन क्षेत्र के नाम पर रखा है। हिल स्टेशन में स्थित होने के कारण बर्फबारी के दौरान इस मंदिर को देखने के लिए भारी संख्या में सैलानी यहां जुटते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में देवी की कोई मूर्ति स्थापित नहीं है बल्कि हिडिम्बा देवी मंदिर में हिडिम्बा देवी के पदचिह्नों की पूजा की जाती है।’हिडिम्बा देवी मंदिर का निर्माण हिमालय पर्वतों के कगार पर डुंगरी शहर के पास एक पवित्र देवदार के जंगल के बीच में कराया गया है। माना जाता है कि भीम और पांडव मनाली से चले जाने के बाद हिडिम्बा राज्य की देखभाल के लिए वापस आ गए थे। ऐसा कहा जाता है कि हिडिम्बा बहुत दयालु और न्यायप्रिय शासिका थी। जब उसका बेटा घटोत्कच बड़ा हुआ तो हिडिम्बा ने उसे सिंहासन पर बैठा दिया और अपना शेष जीवन बिताने के लिए ध्यान करने जंगल में चली गयी। हिडिम्बा अपनी दानवता या राक्षसी पहचान मिटाने के लिए एक चट्टान पर बैठकर कठिन तपस्या करती रही। कई वर्षों के ध्यान के बाद उसकी प्रार्थना सफल हुई और उसे देवी होने का गौरव प्राप्त हुआ। हिडिम्बा देवी की तपस्या और उसके ध्यान के सम्मान में इसी चट्टान के ऊपर इस मंदिर का निर्माण 1553 में महाराजा बहादुर सिंह ने करवाया था। मंदिर एक गुफा के चारों ओर बनाया गया है। मंदिर बनने के बाद यहां श्रद्धालु हिडिम्बा देवी के दर्शन पूजन के लिए आने लगे। हिडिम्बा मंदिर पांडवों के दूसरे भाई भीम की पत्नी हिडिम्बा को समर्पित है। हिडिम्बा एक राक्षसी थी जो अपने भाई हिडिम्ब के साथ इस क्षेत्र में रहती थी। उसने कसम खाई थी कि जो कोई उसके भाई हिडिम्ब को लड़ाई में हरा देगा, वह उसी के साथ अपना विवाह करेगी। उस दौरान जब पांडव निर्वासन में थे, तब पांडवों के दूसरे भाई भीम ने हिडिम्ब की यातनाओं और अत्याचारों से ग्रामीणों को बचाने के लिए उसे मार डाला और इस तरह महाबली भीम के साथ हिडिम्बा का विवाह हो गया। भीम और हिडिम्बा का एक पुत्र घटोत्कच हुआ, जो कुरुक्षेत्र युद्ध में पांडवों के लिए लड़ते हुए मारा गया था। देवी हिडिम्बा को समर्पित यह मंदिर हडिम्बा मंदिर के नाम से जाना जाता है। हिडिम्बा देवी मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर का निर्माण पगोडा शैली (Pagoda Style) में कराया गया है जिसके कारण यह सामान्य मंदिर के काफी अलग और लोगों के आकर्षण का केंद्र है। यह मंदिर लकड़ी से बनाया गया है और इसमें चार छतें हैं। मंदिर के नीचे की तीन छतें देवदार की लकड़ी के तख्तों से बनी हैं और चौथी या सबसे ऊपर की छत का निर्माण तांबे एवं पीतल से किया गया है। मंदिर के नीचे की छत यानि पहली छत सबसे बड़ी, उसके ऊपर यानि दूसरी छत पहले से छोटी, तीसरी छत दूसरे छत से छोटी और चौथी या ऊपरी छत सबसे छोटी है, जो कि दूर से देखने पर एक कलश के आकार की नजर आती है। हिडिम्बा देवी मंदिर 40 मीटर ऊंचे शंकु के आकार का है और मंदिर की दीवारें पत्थरों की बनी हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार और दीवारों पर सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर में एक लकड़ी का दरवाजा लगा है जिसके ऊपर देवी, जानवरों आदि की छोटी-छोटी पेंटिंग हैं। चौखट के बीम में भगवान कृष्ण की एक कहानी के नवग्रह और महिला नर्तक हैं। मंदिर में देवी की मूर्ति नहीं है लेकिन उनके पदचिन्ह पर एक विशाल पत्थर रखा हुआ है जिसे देवी का विग्रह रूप मानकर पूजा की जाती है। मंदिर से लगभग सत्तर मीटर की दूरी पर देवी हिडिम्बा के पुत्र घटोत्कच को समर्पित एक मंदिर है।हर साल श्रावण के महीने में मंदिर में हिडिम्बा देवी मंदिर में एक उत्सव का आयोजन किया जाता है। माना जाता है कि यह उत्सव राजा बहादुर सिंह की याद में मनाया जाता है जिसने इस मंदिर का निर्माण कराया था। इसलिए स्थानीय लोगों ने इस मेले का नाम रखा है- बहादुर सिंह रे जातर (Bahadur Singh Re Jatar)। इसके अलावा यहां 14 मई को हिडिम्बा देवी के जन्मदिन के अवसर पर एक अन्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान स्थानीय महिलाएं डूंगरी वन क्षेत्र में संगीत और नृत्य के साथ जश्न मनाती हैं। कहा जाता है कि मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। श्रावण मास में आयोजित होने वाले मेले को सरोहनी मेला (Sarrohni Mela) के नाम से जाना जाता है। यह मेला धान की रोपाई पूरा होने के बाद आयोजित होता है। इसके अलावा नवरात्र के दौरान भी मंदिर में दशहरा महोत्सव का आयोजन होता है जिसमें दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगती है।
मोहबबत में नहीं है फ़र्क जीने और मरने का, उसी को देख कर जीते हैं जिस क़ाफ़िर पे दम निकले... मिर्ज़ा ग़ालिब का ये शेर अटल के जीवन की हकीकत था। अटल बिहारी वाजपेयी की प्रेम कहानी निःसंदेह देश के राजनीतिक हलके में घटी सबसे सुंदर प्रेम कहानी थी। 1940 के दशक में अटल और राजकुमारी कौल दोनों एक ही वक्त ग्वालियर के एक ही कॉलेज में पढ़े थे। ये वो दौर था जब एक लड़के और लड़की की दोस्ती समाज को नागवार हुआ करती थी। प्रेम होने पर भी अक्सर लोगों में इजहार करने का हौसला नहीं हुआ करता था, पर अटल तो अटल थे। एक दिन लाइब्रेरी में एक किताब के भीतर राजकुमारी के लिए एक लव लेटर ररख दिया। इसके बाद शुरू हुआ जवाब का इन्तजार। दरअसल राजकुमारी ने अटल को जवाब किताब के अंदर ही रखकर दिया था, किन्तु वो अटल तक पहुंचा ही नहीं। जब अटल को इस हकीकत का पता चला तब तक समय का पहिया कई वर्ष आगे बढ़ चूका था। इस बीच राजकुमारी के पिता ने उनकी शादी एक शिक्षक ब्रिज नारायण कौल से करवा दी।हालंकि ये भी कहा जाता है कि राजकुमारी कौल भी अटल से शादी करना चाहती थीं, पर परिवार को अटल मंजूर नहीं थे। राजकुमारी कौल की शादी के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने ताउम्र शादी नहीं की। करीब डेढ़ दशक बाद जब दोनों फिर मिले तब तक अटल सांसद बन चुके थे। राजकुमारी कौल भी पति के साथ दिल्ली में बस चुकी थी। मोरारजी देसाई की सरकार में जब अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री हुए तो कौल परिवार लुटियंस जोन में उनके साथ आकर रहने लगा। वर्ष 2014 में जब राजकुमारी कौल की मौत हुई तो इंडियन एक्सप्रेस ने छापा - "राजकुमारी कौल वह अटल जी के जीवन की डोर थीं। वह उनके घर की सबसे महत्वपूर्ण सदस्य और उनकी सबसे घनिष्ठ मित्र भी थीं। " दीनदयाल उपाध्याय की मौत के बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी का नाम संघ अध्यक्ष के लिए उठने लगा, तो उनका विरोध किया गया। दरअसल अटल गैरपरंपरागत जीवनशैली और मिसेज कौल के साथ उनके संबंधों के कारण जनसंघ में उनका विरोध हुआ था और बलराज मधोक जैसे लोगों ने खुलकर उनके और राजकुमारी कौल के सम्बन्ध को लेकर सवाल उठाये थे।
एसपी कुल्लू ने जिला में सक्षम महिला पुलिस कर्मियों की एक विशेष टीम तैयार की है। ये टीम बाइक पर पेट्रोलिंग कर महिलाओं और छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी। एसपी कुल्लू द्वारा "शक्ति स्क्वाड" का गठन किया गया है , जिसमे ऐसी महिला पुलिस अधिकारियों का चयन किया गया है, जो मोटरसाइकिल द्वारा विभिन्न स्थानों में नियमित पेट्रोलिंग कर महिलाओं ओर छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर सके।
आज हम आपको दर्शन करवाने जा रहें हैं वशिष्ठ मंदिर की जो हमाचल प्रदेश के ज़िला कुल्लू के वशिष्ठ गांव में है।यह मंदिर मनाली से करीब 6 किलोमटेर दूर ब्यास नदी के तट पर स्तिथ है। शिष्ठ मंदिर 4000 साल से अधिक पुराना माना जाता है।पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऋषि वशिष्ठ जो हिंदू धर्म के मुख्य 7 ऋषियों में एक थे, उन्होंने अपने पुत्र की विश्वामित्र ( एक हिंदू ऋषि ) द्वारा हत्या किए जाने के बाद नदी में कूद कर जान देने का प्रयास किया। किन्तु पानी के बहाव में ऋषि बहते गए और इस गांव में आकर बच गए, इसलिए इस गांव को वशिष्ठ गांव कहा जाता है। इसके बाद ऋषि वशिष्ठ ने इस गांव में अपने जीवन की एक नई शुरूआत की। इस घटना के बाद यहां बहने वाली व्यास नदी को विपाशा नदी के नाम से पुकारा जाने लगा था जिसका अर्थ होता है - बंधनों से मुक्त। वर्तमान में विपाशा नदी को व्यास नदी के नाम से जाना जाता है। वशिष्ठ गाँव ब्यास नदी के उस पार मनाली से लगभग 3 किमी दूर स्थित एक छोटा सा गाँव है।वशिष्ट गाँव के बारे में कहा जाता है कि इस गाँव के नजदीक छोइड़ नामक झरना है, उस झरने में लोग अपने -बच्चों को मुन्ड़न कराने लाते है। यहाँ मुन्डन कराये बच्चों के बारे में कहते है कि उन्हे भूत प्रेत के ड़र से मुक्ति मिल जाती है। यह खूबसूरत गाँव अपने शानदार गर्म पानी के झरनों और वशिष्ठ मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर परिसर में स्थित झरने के पानी में बहुत अच्छी उपचार शक्तियां हैं, जो कई त्वचा रोगों और अन्य संक्रमणों को ठीक कर सकती हैं। यहां तुर्की शैली के स्नान घर उपलब्ध हैं, जिनमें झरनों का गर्म पानी होता है। पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए अलग-अलग स्नान घर हैं, जो वर्षों से सुसज्जित हैं। मुख्य मन्दिर के ठीक सामने एक अन्य मन्दिर बना है, जिसे श्रीराम जी का मन्दिर बताया जाता है। वशिष्ठ गांव में कई मंदिर हैं जो एक स्थानीय संत वशिष्ठ और भगवान राम को समर्पित हैं। यह मन्दिर लोक शैली में बनाया गया है। मन्दिर में लगायी गयी लकड़ियों में शानदार नक्काशी की गयी है। यहां गेस्ट हाउस लंबे प्रवास के लिए उपलब्ध हैं। (एक महीने 4 से 4 महीने तक)
प्रदेश सरकार ने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को गम्भीर रोग की स्थिति में त्वरित सहायता पंहुचाने के उद्देश्य से ‘सहारा’ योजना आरम्भ हो गई है। योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के रोगियों को शीघ्र सहायता प्रदान की जाएगी। सहारा योजना पूरे प्रदेश में 15 जुलाई, 2019 से आरम्भ कर दी गई है। योजना के तहत कैंसर, पार्किंसनस रोग, लकवा, मस्कुलर डिस्ट्राफी, थैलेसिमिया, हैमोफिलिया, रीनल फेलियर इत्यादि ये ग्रस्त रोगियों को वित्तीय सहायता के रूप में 2000 रुपए प्रतिमाह प्रदान किए जाएंगे। योजना के तहत किसी भी आयुवर्ग का इन रोगों से ग्रस्त रोगी आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकता है। इस योजना के तहत बीपीएल परिवार से सम्बन्धित रोगियों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। रोगी को अपना चिकित्सा सम्बन्धी रिकाॅर्ड, स्थाई निवासी प्रमाण पत्र, फोटोयुक्त पहचान पत्र, बीपीएल प्र्रमाण पत्र अथवा पारिवारिक आय प्रमाण पत्र तथा बैंक शाखा का नाम, अपनी खाता संख्या, आईएफएससी कोड से सम्बन्धित दस्तावेज प्रदान करने होंगे। चलने-फिरने में असमर्थ रोगी के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी जीवित होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। सहारा योजना का लाभ उठाने के लिए पात्र रोगी को अपना आवेदन सभी दस्तावेजों सहित मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में जमा करवाना होगा। आशा कार्यकर्ता व बहुदेशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी रोगी के सभी दस्तावेज खण्ड चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में जमा करवा सकते हैं। खण्ड चिकित्सा अधिकारी इन दस्तावेजों को मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय को प्रेषित करेंगे। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेेदन पत्र जिला स्तर के अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा हेल्थ वेलनेस केन्द्रों में 03 अगस्त, 2019 से उपलब्ध होंगे। जिला चिकित्सा अधिकारी सोलन डाॅ. आर.के. दरोच ने सहारा योजना के विषय में अधिक जानकारी देते हुए कहा कि इस महत्वाकांक्षी योजना से जिला के सभी लोगों को अवगत करवाने के लिए विभाग ने आशा कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर जागरूक बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सहारा योजना के तहत पात्र रोगियों को 2000 रुपए प्रतिमाह की वित्तीय सहायता आरटीजीएस के माध्यम से ही उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि सहारा योजना के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त करें ताकि आवश्यकता के समय विभिन्न गम्भीर रोगों से पीड़ित रोगियों के परिजनोें को जानकारी देकर लाभान्वित किया जा सके। उन्होंने कहा कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी सोलन के कार्यालय के कक्ष संख्या 132 में योजना के सम्बन्ध में सम्पर्क किया जा सकता है। डाॅ. आर.के. दरोच ने कहा कि सहारा योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने एवं उनकी देखभाल की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगी।
राज्यसभा में बुधवार को मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित हो गया। यह न केवल एक मोटर वाहन अधिनियम है, बल्कि एक सड़क सुरक्षा बिल भी है। इस बिल का मकसद सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना है, इसके लिए नियमों को और कड़ा किया गया है। वहीं जुर्माने में भी वृद्धि की गई है। जानिए क्या है मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019 में यातायात नियमों और विनियमों के उल्लंघन के लिए न्यूनतम जुर्माना 100 रुपए से बढ़ाकर 500 रुपए कर दिया गया है। कई अपराधों के लिए अधिकतम जुर्माना 10,000 रुपए तय किया गया है। बिना लाइसेंस के वाहन चलाने के मामले में जुर्माना 500 रुपए से बढ़ाकर 5,000 रुपए कर दिया गया है। सीट बेल्ट नहीं पहनने पर 1,000 रुपए का जुर्माना लगेगा। यह अब तक केवल 100 रुपए था। शराब पीकर वाहन चलाने के मामलों में जुर्माना 2,000 रुपए से 10,000 रुपए तक का है। खतरनाक ड्राइविंग के लिए जुर्माना 5,000 रुपए है। इमरजेंसी वाहनों को पास नहीं देने पर 10 हजार रुपए जुर्माना के रूप में लगेगा। पिछले कानून के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। ओवर-स्पीडिंग के मामलों में चालक को हल्के मोटर वाहनों जैसे कारों के लिए 1,000 रुपए और भारी वाहनों के लिए 2,000 रुपए का जुर्माना देना होगा। रेसिंग में लिप्त पाए जाने पर चालक को 5,000 रुपए का जुर्माना देना होगा। यदि आपके वाहन का बीमा कवरेज समाप्त हो गया है और आप अभी भी इसे चला रहे हैं, तो आपको 2,000 रुपए का जुर्माना देना होगा। जुर्माने में हर साल 10 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। मौजूदा कानून के तहत हिट-एंड-रन मामलों में क्षतिपूर्ति 25,000 रुपए है। इसे बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दिया गया है। चोटों के मामलों में, मुआवजा 12,500 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया है। सभी सड़क उपयोगकर्ताओं को अनिवार्य बीमा कवरेज और सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजा प्रदान करने के लिए केंद्रीय स्तर पर एक मोटर वाहन दुर्घटना निधि बनाई जाएगी।
हिमाचल में स्क्रब टायफस बीमारी से निपटने की तैयारी व नियंत्रण को लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) आरडी धीमान की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। आरडी धीमान ने कहा कि स्क्रब टायफस बीमारी की जांच व इलाज की सुविधा सरकारी अस्पतालों में निशुल्क उपलब्ध है और सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में इसके इलाज के लिए दवाइयों भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में जनवरी, 2019 से अब तक स्क्रब टायफस के 220 मामले दर्ज किए गए हैं। बिलासपुर में सर्वाधिक मामले दर्ज हुई हैं। आरडी धीमान ने कहा कि पिछले चार सालों में स्क्रब टायफस के मामलों में वृद्धि हुई हैं। स्क्रब टायफस फैलाने वाला पिस्सू शरीर के खूले भागों को ही काटता है। इसके लिए उन्होंने लोगों को सलाह दी घरों के आसपास खरपतवार आदि न उगने दें व शरीर की सफाई का विशेष ध्यान रखें। उन्होंने बताया कि 104 से 105 डिग्री का तेज बुखार, सिर व जोड़ों में दर्द व कंपकंपी, शरीर में ऐंठन, अकड़न या शरीर टूटा हुआ लगना आदि स्क्रब टायफस के लक्षण हैं। यदि ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत नज़दीकी अस्प्ताल में संपर्क करें।
कहा जाता है कण-कण में शंकर है। चारों दिशाओं में भगवान शिव अपने भक्तों की परेशानियों को हरने के लिए विराजमान है। शिव के अनेक अद्भुत मंदिर है उन्हीं में से एक है हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से 14 किमी। दूर पहाड़ी पर बना बिजली महादेव मंदिर, जहां शिवलिंग पर हर 12 साल के बाद आसमानी बिजली गिरती है, यहां भगवान शिव कुछ अलग तरीके से अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। ऐसी है पौराणिक मान्यता किवदंतियों के अनुसार यहां एक बड़ा अजगर रहता था। असल में अजगर कुलांत नाम का राक्षस था, जो रूप बदलने में माहिर थ। एक बार अजगर मथाण गांव में आ गया और ब्यास नदी के पास कुंडली मार कर बैठ गया। इससे नदी का पानी रुक गया और गांव डूबने लगा तब भगवान शिव ने भक्तों की मदद और लोगों की भलाई के लिए उस राक्षस का वध किया। भगवान शिव के त्रिशूल से राक्षस का वध करने के बाद कुलांत राक्षस का बड़ा शरीर पहाड़ बन गया। इसके बाद शिवजी ने इंद्र को आदेशित किया कि हर 12 साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराएं। मान्यता है कि तभी से यह सिलसिला जारी है। हिमाचल के कुल्लू में स्थित इस अनोखे मंदिर का नाम 'बिजली महादेव मंदिर' है। यह जगह समुद्र स्तर 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शीत काल में यहां भारी बर्फबारी होती है। शिवजी का यह मंदिर ब्यास और पार्वती नदी के संगम के नजदीक एक पहाड़ पर बना है। मंदिर तक पहुंचने के लिए कठिन चढ़ाई चढ़नी होती है। पूरी कुल्लू घाटी में ऐसी मान्यता है कि यह घाटी एक विशालकाय सांप का रूप है। इस सांप का वध भगवान शिव ने किया था। जिस स्थान पर मंदिर है वहां शिवलिंग पर हर बारह साल में भयंकर आकाशीय बिजली गिरती है। आसमानी बिजली गिरने की वजह से शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है।पुजारी खऩ्डित शिवलिंग को मक्खन से जोड़ते हैं जिस से शिवलिंग फिर सामान्य हो जाता है। यहां लंबी ध्वज़(छड़ी) है। इस ध्वज़ (छड़ी) के बारे में कहा जाता है बिजली कड़कने पर इसमें जो तरंगे उठती है वे भगवान का आशीर्वद होता है। हर मौसम में दूर-दूर से लोग बिजली महादेव के दर्शन करने आते हैं।
बंजार के भाजपा नेता और नेत्री का अश्लील एमएमएस वायरल करने के आरोप में पुलिस ने एक स्थानीय निवासी को गिरफ्तार किया है। जानकारी के नौसार पुलिस ने 28 वर्षीय गुड्डू सेठी को गिरफ्तार किया है । बताया जा रहा है कि सेठी ने ही इस वीडियो को व्हाट्स एप ग्रुप्स में शेयर किया था । एसपी गौरव सिंह ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है । बताया जा रहा है कि पुलिस अभी काफी और लोगों से पूछताछ कर रही है और इस मामले में कई और गिरफ्तारियां भी हो सकती है ।
Doctors unhappy with National Medical Commission Bill OPDs in government hospitals across India will be shut on Wednesday as part of protests against the National Medical Commission (NMC) Bill. IMA believe that this bill will encourage quacks, so the the Indian Medical Association (IMA) has called for a nationwide 24-hour withdrawal of non-essential services. The OPDs will be shut from 6 a.m. on Wednesday till 6 a.m. on Thursday. However, emergency, casualty, ICU and related services will function normally. NMC Bill was passed in the Lok Sabha on Monday,
हिमाचल प्रदेश की हरियाली बढ़ाने के लिए यूं तो वन विभाग हर साल हर संभव प्रयास करता है। पर अब नई योजना से यह जन अभियान बन सकेगा। अब नवजात कन्या के नाम पर बूटा लगाकर हिमाचल प्रदेश में हरियाली बढ़ाई जाएगी । हिमाचल इस तरह की अनूठी पहल करने जा रहा है। प्रदेश में जहां भी बेटी पैदा होगी, उस परिवार को वन विभाग पौधा भेंट करेगा। इसे संबंधित क्षेत्र में रोपा जाएगा। कन्या कहां पैदा हुई, इसका पता लगाने की जिम्मेदारी वन रक्षक की रहेगी। वह पंचायतों से लेकर तमाम विभागों से संपर्क में रहेगा। किस प्रकार की भूमि में कौन से पौधे रोपे जाएंगे, यह जल्द ही तय होगा। इस सिलसिले में सरकार ने प्रारंभिक खाका खींच लिया है। इस योजना का नाम ‘एक बूटा बेटी के नाम’ होगा। इसे मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा जाएगा। रोपे पौधे की देखभाल बेटी के मां-बाप करेंगे। बजट सत्र में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नई योजना शुरू करने का ऐलान किया था। इसका प्रस्ताव तैयार किया गया है। जैसे ही सरकार स्वीकृति देगी, यह धरातल पर उतरेगी।
बिजली खपत पर रहेगी निगरानी अब आप जल्द ही मोबाइल फ़ोन के ज़रिये अपने घर और कार्यालय में हो रही बिजली की खपत में नज़र रख सकेंगे। इसके लिए हिमाचल सरकार सभी पुराने मीटरों को बदल कर स्मार्टबिजली मीटर लगाने जा रही है। राज्य बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक जे पी कालटा ने बताया कि स्मार्ट मीटर लगाने का काम जल्द शुरू होगा। एक मोबाइल एप्लीकशन करनी होगी डाउनलोड स्मार्ट बिजली मीटर लगने के बाद उपभोक्ताओं को एक मोबाइल ऐप्प अपने फ़ोन पर डाउनलोड करनी होगी। इसकी मदद से उपभोक्ता किसी भी समय यह जान सकेंगे कि उन्होंने कितनी बिजली इस्तेमाल की। इस मीटर को उपभोक्ता प्री-पेड मीटर के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकेंगे। प्री-पेड मीटर मोबाइल फ़ोन की तरह ही इस्तेमाल होंगे। इसके अलावाउपभोक्ताओं को बिल जमा करवाने का विकल्प भी मिलेगा। अब रीडिंग लेने के लिए उपभोक्ताओं के घर नहीं जायेंगे बिजली बोर्ड कर्मचारी स्मार्ट बिजली मीटर लगने के बाद बिजली बोर्ड कर्मचारियों को उपभोक्ता के घर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इस मीटर से ऑनलाइन रीडिंग ले ली जाएगी। लो वोल्टेज, बिजली बंद होने और बिजली चोरी होने की भी कण्ट्रोल रूम में जानकारी पहुंचेगी। बिल जमा न करने पर कंट्रोल रूम से ही कनेक्शन काट लिया जाएगा। मीटर लगाने के लिए उपभोक्ताओं को भी चुकाना होगा शुल्क एक स्मार्ट बिजली मीटर 2800 से 3000 रूपए में पडेगा। इसके लिए केंद्र करीब 1200 रूपए प्रति मीटर सब्सिडी देगा। शेष खर्च राज्य बिजली बोर्ड और उपभोक्ताओं को उठाना पडेगा। पुराने बिजली मीटरों की राशि उपभोक्ताओं के शेयर में एडजेस्ट करने की भी योजना है। 2022 तक लगेंगें प्रदेश में 24 लाख स्मार्ट बिजली मीटर पहले चरण में शिमला और धर्मशाला दोनों शहरों में इस साल 1.35 लाख मीटर बदले जायेंगें। इसके बाद पुरे प्रदेश में साल 2021-22 तक 24 लाख स्मार्ट बिजली मीटर लगाने का लक्ष्य है।
देवधरा हिमाचल प्रदेश के कने-कोने में देवता विराजमान है। हिमाचल प्रदेश के हर हिस्से में अलग-अलग धार्मिक स्थल व मंदिर स्थित हैं। हर मंदिर का अपना एक रहस्य है और हर मंदिर के साथ जुडी है लोगों की अटूट आस्था और विश्वास। पर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा ज़िला हैं जहां लोग राक्षसी की पूजा करते हैं। जी हाँ आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको हिडिम्बा देवी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। हिडिम्बा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के ज़िला मनाली में स्थित है। इसे ढुंगरी मंदिर (Dhungiri Temple) के नाम से भी जाना जाता है। हिडिम्बा देवी मंदिर में हिडिम्बा देवी के पदचिह्नों की पूजा की जाती है।इस मन्दिर का निर्माण 1553 ईस्वी में महाराज बहादुर सिंह ने कराया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार हिडिम्बा एक राक्षसी थी जो अपने भाई हिडिम्ब के साथ इस क्षेत्र में रहती थी। उसने कसम खाई थी कि जो कोई उसके भाई हिडिम्ब को लड़ाई में हरा देगा, वह उसी के साथ अपना विवाह करेगी। उस दौरान जब पांडव वनवास काट रहे थे, तब पांडवों के दूसरे भाई भीम ने हिडिम्ब की यातनाओं और अत्याचारों से ग्रामीणों को बचाने के लिए उसे मार डाला और इस तरह महाबली भीम के साथ हिडिम्बा का विवाह हो गया। भीम और हिडिम्बा का एक पुत्र घटोत्कच हुआ, जो कुरुक्षेत्र युद्ध में पांडवों के लिए लड़ते हुए मारा गया था। कहा जाता है कि भीम ने हिडिम्ब को मनाली के इसी स्थान पर मारा था। देवी हिडिम्बा को समर्पित यह मंदिर हडिम्बा मंदिर के नाम से जाना जाता है। विशेषताएं:- हिडिम्बा मंदिर पांडवों के दूसरे भाई भीम की पत्नी हिडिम्बा को समर्पित है। मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। कुल्लू राजघराने के ही राजा बहादुर सिंह ने हिडिम्बा देवी की मूर्ति के पास मंदिर बनवाया था। मंदिर की दीवारों पर सैकड़ों जानवरों के सींग लटके हुए हैं। हिडिम्बा देवी मंदिर 40 मीटर ऊंचे शंकु के आकार का है और मंदिर की दीवारें पत्थरों की बनी हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार और दीवारों पर सुंदर नक्काशी की गई है। इस मंदिर का निर्माण पगोडा शैली (Pagoda Style) में कराया गया है यह मंदिर लकड़ी से बनाया गया है और इसमें चार छतें हैं। मंदिर में देवी की मूर्ति नहीं है लेकिन उनके पदचिन्ह पर एक विशाल पत्थर रखा हुआ है, जिसे देवी का विग्रह रूप मानकर पूजा की जाती है। कहा जाता है कि राजा ने इस मंदिर को बनवाने के बाद मंदिर बनाने वाले कारीगरों के सीधे हाथों को काट दिया ताकि वह कहीं और ऐसा मंदिर न बना सकें। हिडिम्बा देवी के जन्मदिन के मौके पर ढूंगरी मेले का आयोजन किया जाता है। लोक कथाओं के अनुसार, हिडिम्बा एक राक्षसी थी, जिसके भाई हिडम्ब का राज मनाली के आसपास के पूरे इलाके में था। हिडिम्बा ने महाभारत काल में पांचों पांडवों में सबसे बलशाली भीम से शादी की थी। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए तीनों मार्ग यानी हवाई, ट्रेन और सड़क माध्यमों से मनाली आने की सुविधा उपलब्ध है। मंदिर से लगभग सत्तर मीटर की दूरी पर देवी हिडिम्बा के पुत्र घटोत्कच को समर्पित एक मंदिर है। यह मंदिर पूरे हफ्ते खुला रहता है और किसी भी दिन बंद नहीं होता है। हिडिम्बा देवी मंदिर में प्रवेश के लिए किसी तरह की फीस नहीं लगती है। मंदिर सुबह आठ बजे खुलता है और शाम को छह बजे तक बंद हो जाता है। हर साल श्रावण के महीने में राजा बहादुर सिंह की याद में एक उत्सव मनाया जाता हैै। स्थानीय लोगों ने इस मेले का नाम रखा है- बहादुर सिंह रे जातर दिया हैै। मंदिर में दशहरा महोत्सव का आयोजन होता है जिसमें दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगती है। श्रावण मास में धान की रोपाई पूरा होने के बाद सरोहनी मेले का आयोजन किया जाता हैै। सर्दियो में यहां काफी बर्फबारी होती है। मन्दिर सुबह आठ बजे से शाम छह बजे तक खुला रहता है।
State Bank of India, the country’s largest bank has waived charges on immediate payment services and real -time gross settlement (RTGS) transactions through internet and mobile banking. It is applicable with effect from July 1, 2019. This is not all, the bank has also decided not to charge any fee on fund transfer through mobile phones using immediate payment service (IMPS) w.e.f August 1, 2019. With a market share of around 25 percent, SBI is the India’s largest bank. At the end of FY 2018-19, the SBI has customers using internet banking were more than six crore customers and those who were availing mobile banking facility were around 1.41 crores. The bank’s decision to abolish charges on using internet and mobile banking will benefit million of customers. The bank has taken this decision after receiving guidelines from RBI to promote digital transactions.
State Bank of India, the country’s largest bank has waived charges on immediate payment services and real -time gross settlement (RTGS) transactions through internet and mobile banking. It is applicable with effect from July 1, 2019. This is not all, the bank has also decided not to charge any fee on fund transfer through mobile phones using immediate payment service (IMPS) w.e.f August 1, 2019. With a market share of around 25 percent, SBI is the India’s largest bank. At the end of FY 2018-19, the SBI customers using internet banking were more than six crore, and those who were availing mobile banking facility were around 1.41 crores. The bank’s decision to abolish charges on using internet and mobile banking will benefit million's of customers. The bank has taken this decision after receiving guidelines from RBI to promote digital transactions.
मोदी सरकार भाग दो का पहला बजट शुक्रवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश कर दिया है। बजट में पेट्रोल-डीजल पर एक रूपया सेस बढ़ाने की घोषणा की गई है जिससे आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ सकती है। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई पर आने वाला खर्च बढ़ जाएगा, जिसका प्रभाव लगभग हर सामान की कीमत पर होना तय माना जा रहा है।बजट में सोना पर शुल्क 10 फीसद से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है। साथ ही ये भी घोषणा की गई है कि आने वाले दिनों में तंबाकू पर भी अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा। सरकार ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस्तेमाल को भी प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया हैं। बजट में इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर जीएसटी रेट 12 पर्सेंट से घटाकर 5 पर्सेंट कर दिया गया। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने हेतु लिए गए लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त इनकम टैक्स छूट भी देने का एलान किया है। मुख्य बिंदु... ''हर घर जल, हर घर नल'' के तहत 2024 तक हर घर में नल से होगी जल की आपूर्ति। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तीसरे चरण में 1,25,000 किलोमीटर लंबी सड़क को अगले पांच सालों में अपग्रेड किया जाएगा। मार्च 2020 तक 45 लाख रुपये तक की घर खरीद पर ब्याज के पुनर्भुगतान पर 1.5 लाख की अतिरिक्त छूट मिलेगी। 114 दिनों में जरूरतमंदों को घर बनाकर देने का लक्ष्य। 1.95 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य। सालाना एक करोड़ रुपये से अधिक की नकदी निकासी पर अब दो फीसदी टीडीएस। सोने के आयात शुल्क पर 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी की है। सालाना 2-5 करोड़ रुपये की कमाई वाले व्यक्तियों के सरचार्ज में 3 फीसदी व 5 करोड़ रुपये से अधिक की आय पर सरचार्ज में सात फीसदी का इजाफा। 400 करोड़ रुपये तक के रेवेन्यू वाले कंपनियों को अब 30 फीसदी के मुकाबले 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स देना होगा। ये हुआ सस्ता - साबुन, शैंपू, हेयर ऑयल, टूथपेस्ट, डिटरजेंट वाशिंग पाउडर, बिजली का घरेलू सामानों पंखे, लैम्प, ब्रीफकेस, यात्री बैग, सेनिटरी वेयर, बोतल, कंटेनर, रसोई में इस्तेमाल होने वाले बर्तनों के अलावा गद्दा, बिस्तर, चश्मों के फ्रेम, बांस का फर्नीचर, पास्ता, मियोनीज, धूपबत्ती, नमकीन, सूखा नारियल, सैनिटरी नैपकिन, ऊन खरीदना सस्ता हुआ।