जनजातीय जिला किन्नौर की बेटी ने कर्नाटक में राष्ट्रीय स्तरीय सब जूनियर बॉक्ंिसग प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता। 20 से 26 मई, तक कर्नाटक में आयोजित लड़कों व लड़कियों की राष्ट्रीय स्तरीय सब जूनियर बॉक्ंिसग प्रतियोगिता में किन्नौर जिले की उरनी की श्वेता नेगी ने 54 किलोभार वर्ग में कांस्य पदक जीता। उल्लेखनीय है कि किन्नौर जिला से राष्ट्रीय स्तरीय सब जूनियर प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए 8 लड़कियां व एक लड़का कर्नाटक गए थे।उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने श्वेता को इस उपलब्धि पर बधाई दी है।
जनजातीय जिला किन्नौर में जिले के विभिन्न पंचायतों व गांव में विकास कार्यों को और गति देने के उद्देश्य से विभिन्न योजनाओं के तहत मुख्य कार्यों के लिए जिला प्रशासन द्वारा इस वित्त वर्ष के लिए 2 करोड़ 30 लाख रुपए की राशि स्वीकृति की गई है। यह जानकारी वन विकास निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी ने दी। उन्होंने कहा कि गत 4 वर्षों के दौरान जिले में जिला प्रशासन द्वारा मुख्य कार्यों के लिए 19 करोड़ की राशि जारी की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि जिले की विभिन्न ग्राम पंचायतों व अन्य संस्थाओं द्वारा अपने-अपने गांव व क्षेत्रों में विभिन्न विकास कार्यों के लिए उनसे आग्रह किया गया था तथा अब जिला प्रशासन द्वारा प्राप्त आग्रहों को स्वीकृति प्रदान की गई है। इससे जहां जिले के समग्र विकास में गति मिलेगी वहीं क्षेत्रवासियों की लंबे समय से चली आ रही मांग भी पूर्ण होगी। उन्होंने बताया कि जिले के 70 मुख्य कार्य को स्वीकृति प्रदान की गई है जिसके लिए 2 करोड़ 30 लाख रुपये की राशि का अनुमोदन किया गया है। इसी तरह अन्य विकास भी किया जाएगा।
मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत आज यहां 47 मामलों को स्वीकृति प्रदान की गई। उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक की अध्यक्षता में आयोजित मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना की बैठक में जिले से विभिन्न उद्यमों को स्थापित करने के लिए 51 आवेदन प्राप्त हुए थे। बैठक में 47 मामलों को मंजूरी प्रदान की गई। इसके तहत 7 करोड़ 19 लाख रुपये का पूंजी निवेश होगा तथा लगभग 60 युवाओं को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा युवाओं को स्वरोजगार प्रदान करने के लिए महत्वकांक्षी मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना आरंभ की गई है। उन्होंने जिले के युवाओं से आग्रह किया कि वे मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत उद्यम स्थापित करने के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि किन्नौर जिला में पर्यटन की आपार संभावनाएं हैं तथा युवाओं को हट व कैंम्पिंग साईट स्थापित करने के लिए आगे आना चाहिए जिससे जहां वे स्वयं स्वरोजगार प्राप्त करने में सफल होंगे वहीं अन्य को भी रोजगार प्रदान करने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि योजना के तहत उद्यम स्थापित करने के लिए पुरूषों को लागत पर 30 प्रतिशत व महिलाओं को लागत पर 35 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है। आज स्वीकृत मामलों में होटल, रैस्तरां ईकाई, लघु माल वाहक, माल वाहक बोलेरो कैम्पर, गॉरमेन्टज ईकाई, बेकरी, कैफे, डेली नीडज ईकाई, स्टील फैबरीकेशन एवं वैलडिंग ईकाई, व्हीकल रिपेयर सर्विस, डैंटल क्लीनिक, जे.सी.बी, ऑटो वर्कशॉप, डंैटल क्लीनिक ईकाई शामिल हैं। बैठक की कार्यवाही का संचालन जिला उद्योग केंद्र के महां प्रबंधक जेआर अभिलाषी ने किया। बैठक में उपनिदेशक एवं परियोजना अधिकारी ग्रामीण विकास अभिकरण जयवंती ठाकुर, लीड बैंक के महा प्रबंधक केवल कृष्ण कलसी, जिला कृषि अधिकारी डॉ. ओम प्रकाश, उपनिदेशक पशुपालन डॉ. अशोक सेनी व अन्य उपस्थित थे।
सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के नैमेत्तिक कलाकारों द्वारा आज जिला किन्नौर के पूह विकास खंड के रिब्बा तथा रिस्पा ग्रांम पंचायतों में प्रदेश सरकार की चार वर्ष की विकासात्मक उपलब्धियों एवं जन-कल्याणकारी कार्यक्रमों एव योजनाओं का प्रचार-प्रसार लोक नाट्य व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से किया गया। जिसमें जहां लोगों का मनोंरजन हुआ वहीं प्रदेश सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं व कार्यक्रमों के बारे में उन्हें जानकारी हासिल हुई। किन्नौर कैलाश कला मंच के कलाकारों द्वारा केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं जिनमें उज्जवला योजना, मुख्यमंत्री गृहणी सुविधा योजना, हिम केयर योजना, मुख्यमंत्री स्वावलम्बन योजना, मुख्यमंत्री शगुन योजना सहित मुख्यमंत्री सहारा योजनाओं पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति से लोगों को जागरूक किया। कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से हिम केयर योजना के बारे में जागरूक करते हुए बताया कि योजना का मुख्य उदे्श्य आयुष्मान भारत योजना से वंचित पात्र लोगों को 5 लाख रू तक का निःशुल्क उपचार उपल्बध करवाना है। उन्होनें गीतों के माध्यम से लोगों को योजना का लाभ उठाने के लिए आगे आने का आग्रह किया। इस अवसर पर कलाकारों द्वारा उपस्थित लोगों को कोविड-19 से बचाव बारे भी जागरूक किया गया। कार्यक्रम में ग्रांम पंचायत रिब्बा के प्रधान राधिका व ग्रांम पंचायत रिस्पा के प्रधान राजेन्द्र कुमार, सहित अन्य उपस्थित थें।
फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला नेपाल में 490 मेगावाट अरुण-4 जलविद्युत परियोजना के विकास के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी तथा नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की गरिमामयी उपस्थिति में लुंबिनी में हस्ताक्षरित हुआ है। इस ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर नंद लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन तथा कुलमन घीसिंग, प्रबंध निदेशक, नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए) ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर बोलते हुए नंद लाल शर्मा ने कहा कि 490 मेगावाट, अरुण-4 जल विद्युत परियोजना एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए) द्वारा संयुक्त उद्यम (जेवी) के रूप में विकसित की जाएगी और इस संयुक्त उद्यम में, एसजेवीएन की बहुमत हिस्सेदारी होगी। अरुण-3 एचईपी के अपस्ट्रीम में इस परियोजना का निर्माण इस संयुक्त उद्यम द्वारा किया जाएगा, जिसके पूरा होने पर प्रति वर्ष लगभग 2100 मिलियन यूनिट ऊर्जा का उत्पादन होगा। नेपाल के संखुवासभा जिला प्रांत-1 में स्थित इस परियोजना की अनुमानित विकास लागत 4900 करोड़ है। नंद लाल शर्मा ने आगे इस बात पर जोर देते हुए कहा कि इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर, बिजली क्षेत्र में भारत-नेपाल संयुक्त विजन को प्राप्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा। उन्हाेंने अवगत कराया कि यह एसजेवीएन द्वारा नेपाल में निर्मित होने वाली तीसरी मेगा परियोजना होगी। इसके अलावा पहले से निर्माणाधीन 900 मेगावाट अरुण-3 और 669 मेगावाट लोअर अरुण की परियोजना सर्वेक्षण और जांच के चरण में है। इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के साथ, एसजेवीएन के पास अब नेपाल में कुल 2059 मेगावाट की तीन परियोजनाएं हैं। शर्मा ने 2030 तक नेपाल में 5000 मेगावाट की परियोजनाओं को लक्षित करने संबंधी एसजेवीएन के अपने संकल्प को दोहराया। एकीकृत नदी बेसिन विकास दृष्टिकोण की मौलिक अवधारणा नंद लाल शर्मा की है, जिसकी वकालत वह लंबे समय से करते आए हैं। नंद लाल शर्मा ने लंबे समय से विभिन्न राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपने इस दृष्टिकोण का पालन करने पर जोर दिया था। परिणामस्वरूप नेपाल में भी जलविद्युत परियोजनाओं के आबंटन के दौरान एक डेवलपर को, एकल नदी बेसिन में आबंटित किया गया। यह दृष्टिकोण जनशक्ति, बुनियादी ढांचे और वित्तीय संसाधनों के इष्टतम उपयोग को सक्षम बनाता है। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि इस नवीन अवधारणा को नेपाल सरकार के साथ-साथ भारत में भी हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश की राज्य सरकारों द्वारा स्वीकार किया गया है। शर्मा ने आगे कहा कि नेपाल में एसजेवीएन द्वारा विकसित की जा रही परियोजनाओं से समग्र विकास होगा और भारत और नेपाल में पारस्परिक आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन परियोजना गतिविधियों से संबंधित ढांचागत विकास क्षेत्र का समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास भी सुनिश्चित होगा। नेपाल में इन तीन जलविद्युत परियोजनाओं के अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी के लिए 217 किमी 400 केवी के संबद्ध पारेषण प्रणाली का निर्माण भी कर रहा है। नंद लाल शर्मा ने कहा कि लगभग 31500 मेगावाट के कुल पोर्टफोलियो के साथ, एसजेवीएन के पास अब संचालन और विकास के विभिन्न चरणों के तहत 30 गीगावाट से अधिक क्षमता की विद्युत परियोजनाएं हैं। नई परियोजनाओं के क्षेत्र में ये वर्तमान अतिरिक्त एडिशन ही कंपनी को वर्ष 2023 तक 5000 मेगावाट, 2030 तक 25000 मेगावाट और वर्ष 2040 तक 50000 मेगावाट की स्थापित क्षमता को साकार करने की दिशा में ले जा रहा है। नंद लाल शर्मा ने एसजेवीएन पर अपना विश्वास व्यक्त करने और अरुण-4 एचईपी के विकास कर्त्ता पर विचार करने के लिए दोनों राष्ट्रों के प्रधानमंत्रियों, विद्युत मंत्रालय और विदेश मंत्रालय, नेपाल में भारतीय दूतावास के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
मंडी हमारी है, मंडी फलाने की है, सियासत में अक्सर नेता इस तरह के बयान देते है। मंडी को लेकर तरह -तरह के दावे होते है। पर अगर कोई ऐसा है जिसे सही मायने में मंडी ने बाहें फैलाकर स्वीकार किया तो वो थे पंडित सुखराम। कुल 13 मर्तबा मंडी सदर हलके से पंडित जी या उनके पुत्र अनिल शर्मा विधायक बने, पार्टी चाहे कोई भी रही हो। पंडित जी सियासत में किसी भी मुकाम पर रहे हो, किसी भी ओहदे पर रहे हो लेकिन उन्होंने मंडी का विशेष ख्याल रखा। आज भी मंडी के सेरी मंच पर जाकर पता लगता है कि किसी सोच के साथ उस शहर को विकसित किया गया है, वो भी उस दौर में। इसीलिए मंडी के लोग पंडित जी को विकास का मसीहा मानते है। कोई किसी भी राजनैतिक विचारधारा का क्यों न हो ,दबी जुबान में ही सही लेकिन ये जरूर स्वीकार करता है कि मंडी के विकास में पंडित सुखराम का योगदान अमिट है। नब्बे के दशक में पंडित सुखराम केंद्र में दूरसंचार मंत्री थे और उस दौर में बड़े शहरों में भी टेलीफोन का कनेक्शन लेने के लिए महीनों -सालों इन्तजार करना पड़ता था। पर पंडित जी के राज में मंडी में टेलीफोन की घंटी खूब बजी। जिसने चाहा उसे कनेक्शन मिला, मंडी वालों के लिए विभाग का सिर्फ एक ही नियम था, वो था जल्द से जल्द कनेक्शन देना। केंद्रीय मंत्री रहते हुए भी पंडित सुखराम लोगों की पहुंच में थे, बिल्कुल सरल और जमीन से जुड़े हुए। छोटी -छोटी समस्याएं लेकर भी लोग पंडित जी के पास पहुंच जाते और हर छोटी समस्या को भी पंडित सुखराम पूरी तल्लीनता से सुनते और हरसंभव हल करते। सिंबल कोई भी रहा पर मंडी वालों ने दिया साथ : इसे मंडी वालों का पंडित सुखराम के प्रति स्नेह ही कहेंगे कि उन्होंने या उनके पुत्र अनिल शर्मा ने चाहे किसी भी सिंबल पर चुनाव क्यों न लड़ा हो, मंडी वालों ने हमेशा साथ दिया। पहली बार बतौर निर्दलीय चुनाव जीतने वाले पंडित सुखराम लम्बे वक्त तक कांग्रेस में रहे और हमेशा विधानसभा चुनाव जीते। इसके बाद जब 1998 में उन्होंने हिमाचल विकास कांग्रेस बनाई तो भी मंडी ने उनका साथ दिया। 2017 में जब पंडित जी और उनका परिवार भाजपाई हो गए तो भी मंडी वालों का साथ उन्हें मिला।
समर नेगी। रिकांगपिओ उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक़ ने आज यहां राष्ट्रीय कृमी मुक्ति अभियान के तहत जिला कार्य बल किन्नौर बैठक की अध्यक्षता करते हुए अभियान के तहत किये जाने कार्य का जायजा लिया तथा अभियान को सफल बनाने के लिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए। बैठक के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रोशन लाल नेगी ने जानकारी देते हुए बताया कि आगामी 26 मई को राष्ट्रीय कृमी मुक्ति दिवस मनाया जाएगा, जिसका उदे्श्य पेट के कीड़ों से मुक्ति दिलाना व विटामीन-ए की कमी को पूरा करना है, जिसके तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा वर्करों द्वारा 1 से 5 वर्ष तक के आयु वर्ग के बच्चों को आंगनबाड़ी तथा प्ले स्कूल में और 5 से 19 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को शिक्षण संस्थानों जिनमें सरकारी, गैर सरकारी स्कूल, कॉलेज, आईटीआई, शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान व स्वास्थय केंद्र शामिल हैं को एलबेन्टाजोल व विटामिन-ए की गोलियां दी जाएगी। अभियान के अंतर्गत 1 से 2 वर्ष तक बच्चों को आधी गोली तथा 2 से 19 वर्ष के बच्चों को पूरी गोली की खुराक दी जाएगी। उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चे जो किसी कारण वश 26 मई के दिन खुराक लेने से वंचित रह गए होंगे को 30 मई को खुराक दी जाएगी। बैठक के दौरान खंड चिकित्सा अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग, बाल विकास विभाग तथा शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
समर नेगी । रिकांगपिओ जनजातिय जिला किन्नौर में प्रचलित सात लोक-बोलियों की विवरणिका तैयार की जाएगी। यह जानकारी आज रिकांगपिओ में उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक नें दी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय एवं जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के तत्वधान में किन्नौर जिला शोधार्थी एंव लेखक टाशी नेगी इस विवरणिका को तैयार करेंगे। इससे जिला की प्रचलित लोक-बोलियों के संरक्षण एवं सवंर्धन में सहायता मिलेगी। टाशी नेगी ने बताया कि किन्नौर जिला की संस्कृति व यहां प्रचलित लोक-बोलियों के प्रति भाषाविधों व शोधार्थीयों का हमेशा ही आकर्षण रहा है। सर्वप्रथम 1886 से 1927 के मध्य जार्ज ए. ग्रियर्सन द्वारा किए गए भारतीय बोलियों के सर्वेक्षण में किन्नौर में प्रचलित लोक-बोली को पहली बार चिन्हित किया गया था। इसे जार्ज ग्रियर्सन ने ‘कनावरी’ कहा है। इस अवधि और कई वर्षों तक या यूं कहें कि 21वीं शताब्दी के आ जाने के बाद भी, प्रायः यही समझा जाता रहा है कि जार्ज ग्रियर्सन ने ‘कनावरी’ नाम से जिस लोक-बोली को अपने सर्वेक्षण (लिगंविस्टिक सर्वे आफ इण्डिया) में चिन्हित किया है, यही एक मात्र किन्नौर की लोक-बोली है। इसमें कोई संदेह नहीं कि किन्नौर के अधिकांश क्षेत्र में इस (कनावरी) का प्रयोग होता है, किंतु यह बात भी सत्य है कि किन्नौर में ‘कनावरी’ या ‘हमस्कद्’ के अतिरिक्त अन्य 6 प्रकार की लोक-बोलियां ओर प्रचलित है। टाशी नेगी ने कहा कि वर्ष 1961 की जनगणना अनुसार भारत में 1,652 मातृबोलियां थीं। 1921 में हुए जनसंख्या सर्वेक्षण के अनुसार 184 ऐसी मातृबोलियां थीं, जिनका प्रयोग 1,000 से अधिक लोग कर रहे थे। इनमें 400 ऐसी थीं, जिनका ग्रियर्सन के सर्वे में उल्लेख नहीं हुआ है। नेगी ने कहा-क्योंकि आज किन्नौर की मुख्य लोक-बोली ‘हमस्कद’ या किन्नौरी अपने अस्तित्व को लेकर खतरे में है। उन्होनें विश्वास जताया कि इस परियोजना से जिले की लोक-बोलियों के संरक्षण व संर्वधन में सहायता मिलेगी। इस अवसर पर सिद्धांत एजुकेशन एण्ड रिसर्च फाउंनडेशन की फाउंडर मेंबर नमीता शर्मा व भाषा एवं संस्कृति विभाग से नीमा राम भी उपस्थित थे।
उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने रिकांगपिओ बाजार से हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम द्वारा चलाए गए कौशल रथ को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। इस अवसर पर उन्होने बताया कि इस रथ का मुख्य उद्देश्य जिला किन्नौर के युवाओं को हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम द्वारा हिमाचल प्रदेश स्किल डिवेल्पमेंट प्रोजेक्ट के तहत 56 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में शॉर्ट टर्मअप स्किलिंग और मल्टी स्किलिंग प्रशिक्षण जिसमें ऑटोमोटिव, कंस्ट्रक्शन, प्लंबिंग, आईटी-आईटीएस, कैपिटल गुड्स, परिधान, इलेक्ट्रॉनिक्स और हार्डवेयर, सौंदर्य, लोहा और इस्पात, मीडिया और मनोरंजन आदि विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण बारे जागरूक करना है। इस अवसर पर ग्रामीण विकास अभिकरण एवं विकास खंड अधिकारी कल्पा के अधिकारी व कर्मचारी भी उपस्थित थे।
किन्नौर जिला में मूरंग थाने के तहत निर्माणाधीन टिडोऺग जल- विधुत परियोजना 150 मैगावाट में रोजाना की तरह सुरंग का कार्य करते समय शनिवार सुबह अचानक सुरंग में मलवा गिरने से 5 मजदूर मलबे में दब गए ,जबकि इस घटना में दो मजदूरों की मौत हो गई। बता दें की शनिवार सुबह अचानक निर्माणधीन सुरंग में मलबा गिर गया, इस मलबे की चपेट में 5 मजदूर आ गए , इसके बाद प्रशासन की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची, बड़ी मुशकत के बाद टीम ने तीन लोगों को मलबे से बाहर निकला, जबकि इस हादसे में दो मजदूरों की मौत हो गई। घटना के बाद उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने एडीएम पूह को मजिस्ट्रियल जांच कराने के दिये निर्देश है ।
हिमाचल का किन्नौर जिला अपनी परंपराओं, मदिरा प्रेम, संस्कृति, त्योहारों व बौद्ध मठों के लिए प्रसिद्ध है। किन्नौर के गोल्डन सेब,सूखे मेवे व हरी टोपी सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में प्रसिद्ध है। यूँ तो किन्नौर में पर्यटकों की आमद बहुत कम है लेकिन ऐसा कहा जाता है की हिमाचल की असल संस्कृति, खूबसूरती और अविश्वसनीय नज़ारों की झलक सिर्फ किन्नौर में ही मिल सकती है। किन्नौर का ऐतिहासिक दस्तावेज कहता है कि उसका अस्तित्त्व राजाओं के ज़माने से है। एक-एक करके किन्नौर में शुंग, नंद और मौर्य वंश का शासन हुआ। हिमाचल की ही किराट, कंबुज, पानसिका और वल्हिका जातियों की मदद से मौर्य वंश ने शासन जमाया। उसके बाद अशोक ने अपनी विजय पताका के झंडे गाड़े। बाद में आने वाले कनिष्क ने इसे और आगे बढ़ाया। उत्तर में कश्मीर और एशिया के दूसरे छोरों तक पहुँच बनाई। कुल मिलाकर दुनिया के कुछ गिने चुने नामी राजाओं, जिन्होंने पूरी दुनिया पर राज करने की कोशिश की, उनके विशाल साम्राज्य के एक छोटे हिस्से के तौर पर किन्नौर की पहचान रही। 1947 को जब भारत आज़ाद हुआ, तब भी महासु तहसील का एक छोटा सा हिस्सा किन्नौर था, जिसे अपनी पहचान 1960 में एक अलग ज़िले के रूप में मिली। रिकांगपिओ इस जिले का मुख्यालय है। किन्नौर के दो भाग हैं। लोअर व अप्पर किन्नौर। पूह से आगे का क्षेत्र अप्पर किन्नौर कहलाता है। ऊपरी व निचले किन्नौर की संस्कृति अलग है। अपर किन्नौर की महिलाएं दोहडू परिधान नहीं पहनतीं, वहां पर खो नामक वस्त्र कमीज के स्थान पर पहना जाता है। सिर पर एक कपड़ा बांधा जाता है जिसे फैटक कहा जाता है। यह वस्त्र वधू को शृंगार करते वक्त बांधा जाता है। गले में एक सौ मूंगों का हार पहना जाता है। हाथ में कंगन की जगह चांदी के 40-40 तोले भार के मोटे कंगन होते हैं जिन पर ड्रैगन या शेर मुख बना होता है। कान में एक तोले सोने का झुमका होता है। लोअर किन्नौर की महिलाएं यूचूरु नाम की माला पहनती हैं। लोअर किन्नौर में विशेष टोपी महिलाएं पहनती हैं जिसे टपंग कहते हैं। किन्नौरी विवाह : विवाह के अवसर पर जब दूल्हा वधू के पक्ष घर आता है तो महिलाएं विशेष आभूषण एवं वस्त्र पहनकर उनका स्वागत करती हैं तथा दोनों पक्षों के बुजुर्गों द्वारा लोकगीत गाने की प्रतिस्पर्धा होती है। फिर वर पक्ष के लोग हार मान लेते हैं तथा बारात आगे चौखट पर बढ़ती है। जहां वधू की सहेलियां व परिवार की महिलाएं फूलमाला द्वारा उनका रास्ता रोककर वर पक्ष से पैसे व उपहार मांगती हैं। फिर बारात को एक कमरे में अंदर बंद कर दिया जाता है तथा दोबारा बारात से पैसे ऐंठे जाते हैं। इसके बाद नृत्य, गायन तथा मदिरा का दौर चलता है। बाराती मफलर, कोट तथा दूल्हा लंबा वस्त्र पहनकर आता है जिसे खो कहते हैं। जब बारात वापस लौटने को होती है तब वधू की सहेलियां वधू के पांव सफेद कपड़े से बांध कर उसे रोकती हैं। फिर से बाराती उन्हें रुपये देकर उस वस्त्र को खुलवाकर उनसे वधू को ले जाने की अनुमति मांगते हैं। तीनों रस्मों में ली गई राशि एवं उपहार राशि जो रिश्तेदार और गांव के लोग देते हैं, सब वधू को विदाई के समय दे दी जाती है। शादी के दौरान एक लिखित समझौता होता है जिसमें शादी टूटने पर या वधू को तंग करने पर वर पक्ष को इज्जत राशि देनी पड़ती है तथा विवाह में दिये गये उपहार लौटाने का समझौता होता है। इसे बंदोबस्त कहते हैं। रास्ते में वापस लौटते समय यदि कोई मंदिर हो तो बारात द्वारा वहां पूजा भी की जाती है। दलोज प्रथा में लड़की वापस मायके आती है जिसमें वर के 10 लोग होते हैं। इसके बाद जब वधू वापस ससुराल जाती है तो मायके से 10 लोग फिर उसको छोडऩे जाते हैं। विवाह की रस्में मुख्य लामा द्वारा अदा की जाती हैं। फुलाइच और लोसर : हर साल सितंबर के महीने में हिमाचल प्रदेश के किन्नौर क्षेत्र में फूलों का त्योहार मनाया जाता है। इस दौरान बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं और हिमाचल प्रदेश के लोगों, जगहों, खानपान और संस्कृति को इस मेले के ज़रिए जानने का सबसे यह सही समय है। इसके अलावा किन्नौर क्षेत्र घूमने का भी सबसे बेहतर महीना सितंबर का ही है। फुलैच के दौरान ऊंची पहाड़ी से गांव में 3-4 व्यक्ति फूल लाते हैं एवं देवता को चढ़ाते हैं। फिर मंदिर परिसर में नृत्य होता है। किन्नौर का दूसरा प्रसिद्ध त्योहार लोसर है जो दिसंबर में मनाया जाता है जिसमें रिश्तेदारों को उपहार दिये जाते हैं और मंगलमय नए वर्ष की कामना की जाती है। कुछ लड़कियां नहीं करती हैं शादी किन्नौर में कुछ लड़कियां शादी नहीं करती हैं जिन्हें जाम्मो कहते हैं और वे बौद्ध मंदिरों में अपना जीवन व्यतीत करती हैं। ये लंबा भूरा चोगा पहनती है। किन्नौर की महिलाएं गले में त्रिमणी पहनती हैं, जिसमें तीन सोने के गोलाकार मणके काले धागे में पिरोकर पहने जाते हैं। 25 फरवरी को किन्नौर के चांगो गांव में शेबो मेला मनाया जाता है जिसमें तीरअंदाजी होती है। चांगो में छ: बौद्ध मंदिर हैं जिनमें छाप्पा देवता एवं पदम संभव की मूर्तियां तथा प्राचीन पुस्तकें हैं। किन्नौर के शाल भी बहुत प्रसिद्ध हैं जिन्हें पूह तथा चांगो की महिलाएं बनाती हैं। इस प्रकार से किन्नौर की अनूठी संस्कृति है जो इसे एक नया रूप देती है। यहां के लोगों की बोली भी बहुत भिन्न है। लोअर किन्नौर के कोठी गांव में चंडिका देवी की मान्यता है। निचार में उषा देवी का मंदिर है। चितकुल में चितकुल देवी है तथा मैम्बर गांव में महेश्वर की पूजा होती है। चंडिका देवी को मदिरा का प्रसाद चढ़ता है। यह मंदिर पियो के निकट है। छोटी शादी : किन्नौर में प्रेम-विवाह को छोटी शादी कहते हैं। कुछ वर्ष बाद जब युग्लक बच्चे हो जाते है, तब पारंपरिक विवाह किया जाता है जिसे बड़ी शादी कहते हैं।
किन्नौर जिला के पूह उपमण्डल की मूरंग तहसील के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मूरंग के मैदान में 01 मई को जिले का 12वां जन-मंच का आयोजन किया जा रहा है। उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि जन-मंच की अध्यक्षता स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डाॅ. राजीव सैजल करेंगें। उपायुक्त ने बताया कि मूरंग में होने वाले जनमंच में 4 पंचायतों मूरंग, रिस्पा, ठंगी व चारंग से संबंधित लोगों की शिकायतों का निवारण किया जाएगा। उन्होंने इन पंचायतों के लोगों से आग्रह किया कि यदि उनकी कोई शिकायत है, तो वे ई-समाधान पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा संबंधित ग्राम पंचायत सचिव को भी अपनी शिकायत दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि जनमंच का मुख्य उद्देश्य लोगों की शिकायतों को पहचान कर उनका मौके पर ही समाधान सुनिश्चित बनाना है ताकि लोगों को अपनी समस्या के समाधान के लिए सरकारी कार्यालय के चक्कर न लगाने पड़ें तथा उनकी समस्याओं का घर-द्वार पर ही समाधान सुनिश्चित हो सके। आबिद हुसैन सादिक ने सभी विभागों को भी निर्देश दिए कि वे जनमंच की तैयारियों के दौरान शिकायतकर्ताओं की समस्याओं को चिन्हित कर उनका निवारण सुनिश्चित बनाएं, ताकि जनमंच के दौरान उनकी समीक्षा की जा सके। उन्होंने कहा कि जनमंच का उद्देश्य नागरिक केंद्रित सेवाएं प्रदान करना है, जिनमें विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्र मौके पर ही जारी करना आदि शामिल है। उन्होंने कहा कि जनमंच के दौरान जिन समस्याओं का समाधान किया जाएगा। उन्हें ई-समाधान पोर्टल पर भी अपलोड किया जाना आवश्यक है। उपायुक्त ने कहा कि आज चारंग व रिस्पा ग्राम पंचायतों में प्री-जनमंच गतिविधियां आयोजित की गई तथा 30 अप्रैल को मूरंग तथा ठंगी ग्राम पंचायतों में प्री जनमंच गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जनमंच वाले दिन विभिन्न विभागों द्वारा विकासात्मक प्रदर्शनियों से संबंधित स्टाॅल लगाए जाएंगे, जहां संबंधित विभागों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं, कार्यक्रमों से संबंधित पोस्टर व प्रचार सामग्री उपलब्ध करवाने होगी, ताकि सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं से अधिक से अधिक लोग जागरूक होकर लाभान्वित हो सकें।
कृषि विज्ञान केंद्र किन्नौर की ओर से किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी योजना के तहत जिले में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। योजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र किन्नौर व आत्मा परियोजना द्वारा संयुक्त रूप से नाको में किसान मेला करवाया गया। इस दौरान कृषि एवं बागवानी विशेषज्ञों ने किसानों और बागबानों को जागरूक किया। कृषि विज्ञान केंद्र के फल विज्ञान के विशेषज्ञ डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने भी संबोधित किया। किसान मेले में लगभग 200 किसानो व बागवानों ने भाग लिया। किसान मेले में कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. अशोक ठाकुर, आत्मा परियोजना निदेशक रवि शर्मा, सह परियोजना निदेशक बलबीर आदि मौजूद रहे।
उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने बताया कि पर्यावरण वन एवं जलवायु मंत्रालय द्वारा 12 अगस्त 2021 को जारी अधिसूचना के तहत चिन्हित एकल उपयोग प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध 1 जुलाई, 2022 से प्रतिबंध लागू हो जाएगा। उन्होंने सभी उत्पादकों, स्टॉकिस्टों, दुकानदारों, ई-कॉर्मस कम्पनियों, स्ट्रीट वैंडरों, खुदरा विक्रेताओं, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों व आम जनता से निर्धारित समय सीमा के अंदर इसके प्रयोग को बंद करने का आह्वान किया है। साथ ही 20 जून 2022 तक एसयूपी मंदों की शून्य सूचि सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई होगी।
स्वास्थ्य विभाग किन्नौर द्वारा ज़िला मुख्यालय रिकांगपिओ में पोषण अभियान के अंतर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी किन्नौर डॉ रोशन लाल की अध्यक्षता में किया गया। इस शिविर में ज़िला कार्यक्रम अधिकारी डॉ अन्वेशा नेगी द्वारा आई सी डी एस विभाग के ज़िला कार्यक्रम अधिकारी, सी डी पी ओ, ज़िला व खण्ड के समन्वयक तथा स्वास्थय विभाग के चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया गया। जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा किन्नौर डा रोशन लाल ने बताया कि जिले में 5 वर्ष तक के कोई भी बच्चे कुपोषित न रहे इसके लिए एक प्रारूप तैयार किया गया है। जिसमे ज़िले के तीनों खण्डों निचार, पूह व सांगला में हर माह की 7 तारीख को प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र में आंगनबाड़ी कायकर्ताओं व पर्यवेक्षको की बैठक होगी, जिसमें कुपोषित बच्चों का ब्यौरा लिया जाएगा व 10 तारीख को सीडीपीओ व बीएमओ की बैठक में कुपोषित बच्चों लिस्ट तैयार की जाएगी तथा 12 तारीख को बीएमओ, सीडीपीओ व एसडीएम की बैठक होगी जिसमें खण्ड स्तर का प्रारूप बनाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि 13 तारीख को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपनी नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र में कुपोषित बच्चों को चिकित्सक से जाँच करवा कर ईलाज की शुरुआत करेगे तथा 17 तारीख को जिला कोऑर्डिनेशन कमेटी उपायुक्त किनौर की अध्यक्षता में जिला के तीनों खंड में चल रहे इस अभियान का समीक्षा की जाएगी। इस अवसर पर एम ओ एच किन्नौर डॉ कविराज नेगी, जिला कार्यक्रम अधिकारी डा तेहसीन व देव भगत नेगी सहित चिकत्सक उपस्थित थे।
जवाहर नवोदय विद्यालय रिकांगपिओ के प्राचार्य अरुण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि जला किन्नौर में सत्र 2022-23 के लिए छठी कक्षा में दाखिले के लिए चयन परीक्षा 30 अप्रैल को प्रात: 11:30 से दोपहर 1:30 बजे तक चलेगी। खंड स्तर पर चयन परीक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पूह, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सांगला, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रिकांगपिओ व प्रोजेक्ट वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भावानगर में आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि परीक्षा देने के लिए अभ्यर्थी को अपना प्रवेशपत्र अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य से सत्यापित कर लाना अनिवार्य है। अभ्यर्थी प्रवेश पत्र जवाहर नवोदय विद्यालय की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं। यदि प्रवेश पत्र डाउनलोड करते समय किसी भी तरह की कठिनाई हो तो अभ्यर्थी जवाहर नवोदय विद्यालय रिकांगपिओ के कार्यालय दूरभाष संख्या 01786-222232 पर संपर्क कर सकते हैं।
अग्निशमन केंद्र रिकांगपिओ में 14 से 20 अप्रैल तक चल रहे अग्नि सेवा सप्ताह का समापन बुधवार को हुआ। इस सप्ताह के समापन अवसर पर आदेशक गृह रक्षा प्रथम वाहिनी किन्नौर कुशल चंद विशेष रुप से उपस्थित हुए। इस अवसर पर उन्होने अग्मिश्मन केंद्र के कर्मचारियों को अपनी डियूटी पूरी ईमानदारी व निष्ठा से निभाने के बारे में जागरूक करने के साथ साथ लोगों को समय समय पर शिविरों के माध्यम से आग से बचाव के उपायों के बारे में भी जागरूक करने का आह्वान किया। वहीं उप शमन अधिकारी मनसाराम ने बताया कि अग्नि सेवा सप्ताह के दौरान शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई तथा केंद्र के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा लोगों, स्कूली विद्यार्थियों तथा विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को आग से बचाव के बारे में तथा जब भी कभी आग लग जाए तो आग को प्राथमिक अवस्था में ही नियंत्रण कैसे किया जा सकता है, इस बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि इस दौरान अग्निशमन केंद्र में अग्निशमन उपकरणों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी जहां स्कूल के बच्चों ने केंद्र में आकर अग्निशमन उपकरणों के बारे में जानकारी प्राप्त की।
रिकांगपिओ जिला किन्नौर में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत अभी भी 813 किसानों को इसका लाभ नहीं मिला है तथा इसके लिए उपायुक्त किन्नौर ने सम्बंधित ब्लॉक के एसडीएम व एडीएम को निर्देश जारी किए है कि जिन किसानों को अभी तक इस योजना का लाभ नहीं मिला है उन कारणों की शीघ्र छानबीन कर जो भी कमियां हैं उन्हें पूरा कर किसानों को लाभ दिया जाए। जानकारी देते हुए उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने बताया कि जिला में 11787 किसानों ने इस योजना के तहत अपना पंजीकरण किया है जिनमें से 10978 किसानों इसका लाभ ले रहे हैं जबकि अभी तक 813 किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिला है तथा इसके लिए सम्बंधित ब्लॉक के एसडीएम व एडीएम को निर्देश जारी कर दिए गए हैं ताकि शेष किसानों को भी इस योजना का लाभ मिल सके। उन्होंने बताया कि किन्नौर के कल्पा ब्लॉक में 3605, निचार ब्लॉक से 4888 और पूह से 3295 किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ उठा रहे हैं तथा इस योजना के तहत किसानों को साल में 6 हजार रुपए उन के बैंक खाते में सीधे भेजे जाते है। गौरतलब है देश के प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2019 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का शुभारंभ किया था। इस योजना के तहत किसानों को दो हजार रुपये की पहली किस्त इनके बैंक खातों में डाला गया था जो कि भारत सरकार के द्वारा छोटे किसानों को साल में छः हजार रुपये इनके बैंक खाते में जमा किया जा रहा है। इस योजना के तरह भारत वर्ष के 12 करोड़ किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है। जबकि यह भारत देश की किसानों से जुड़ी सबसे बड़ी योजना है इसका उद्देश्य छोटे किसानों को समृद एवं सशक्त बनाना है।
हिमाचल प्रदेश का जिला किनौर अपने आप में अनूठा है और यहाँ के रीति-रिवाज़ निसंदेह सभी का ध्यान आकर्षित करते है। यहाँ की बोली (Dialects), रहन सेहन, खानपान और यहाँ के लोगों की जीवन शैली भी बिलकुल अलग है, शायद यही कारण है किन्नौर के दीदार के लिए न केवल भारत बल्कि विदेशों से भी लोग यहाँ घूमने आते है। वैसे तो किन्नौर को मूलतः दो भागों से परिभाषित किया जाता है, एक लोअर किन्नौर और दूसरा अप्पर किन्नौर। आज हम लोअर किन्नौर के प्रसिद्ध मेले (Fair) के बारे में आपको बताएंगे, जिसको मनाने के पीछे कई तर्क है। किन्नौर में एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय पर्यटन स्थल है कल्पा, जो पूरी तरह प्राकृतिक और सौन्दर्य से भरपूर है। किन्नौर जिला में स्थित यह गांव सुन्दर मंदिरो और मठो(मोनेस्ट्री)के लिए भी जाना जाता है। वैसे तो किन्नौर में कई अनोखे त्यौहार मनाए जाते है लेकिन कल्पा में मनाये जाने वाले राउलाने मेले का अपना ही एक महत्व है। राउलाने एक ऐसा त्यौहार है जो सदियों से कल्पा में मनाया जाता है। क्यूंकि किन्नौर में बौद्ध धर्म और हिन्दू धर्म का समागम है, बावजूद इसके यहाँ पर दोनों धर्म के लोग एक ही साथ पर्व को मनाते है, वो बात अलग है कि दोनों का तरीका कुछ हद तक एक जैसा नहीं होता। राउलाने मेले में दोनों धर्म के लोग भाग लेते है और राउलाने मनाने की प्रक्रिया सुबह से अपने कुल देवता की पूजा से शुरू की जाती है। कल्पा में गुप्त देवता का मंदिर भी है, जिनकी पूजा फाल्गुन मास के दौरान 7 दिन तक की जाती है। उस दौरान पुरुषों को महिलाओं की पारम्परिक वेश भूषा (दोढू) पहना कर मंदिर ले जाया जाता है। इस दौरान बजंतरी (वाद्ययंत्र) बजाने वालों के सामने विधिवत तरीके से पूजा की जाती है, जिसे निगारो पूजा प्रक्रिया कहा जाता है, खास बात यह है कि इस दौरान मदिरा को भी शामिल किया जाता है। इस पूजा को करने का बहुत महत्व है और किन्नौर वासियों की अटूट आस्था भी जुडी है। कहा जाता है इस पूजा को न करने से दोष लगता है, हालाँकि ऐसा आज तक कभी नहीं हुआ कि इस मेले को न मनाया गया हो। लोग मानते है कि ऐसा करने से इनके कुल देवता प्रसन्न होते है और इलाके में सुख शांति बनी रहती है। राउलाने महिलाओ को पारम्परिक वेश भूषा और जेवर के साथ ब्रह्मा, विष्णु के साथ मंदिर ले जाया जाता है। राउलाने और राउला मुख्य रूप से परुषो को ही बनाया जाता है। राउलाने के चेहरे को गाछी से ढक दिया जाता है। राउलाने मनाने का महत्व- स्थानीय लोग बताते है कि फागुन के माह में देवी देवता स्वर्ग लोक के प्रवास पर होते है। इस माह में सावनी परियों( स्थानीय बोली में सावनी) की नकारात्मक शक्तियां बढ़ जाती है। परियों के शक्तियों से क्षेत्र में कोई अप्रिय घटना न हो इसलिए उनकी शक्तियो को नियंत्रित करने के लिए यह त्यौहार मनाया जाता है। किवदंतियो के अनुसार मेले के आखिरी दिन वापिस उन्हें उनके स्थान पर भेज दिया जाता है। नोट - ये जानकारी स्थानीय लोगो से एकत्र किए गए है ।
जिला किन्नौर के पूर्वनी गांव में पुलिस ने एक अज्ञात व्यक्ति का शव बरामद किया है, शव की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है, तथा पुलिस ने शव को पहचान के लिए क्षेत्रीय अस्पताल रिकागपिओ के शव गृह में रखा गया है। जानकारी देते हुए डीएसपी हेड क्वार्टर नवीन जालटा ने बताया कि पुलिस को ग्रामीणों द्वारा सूचना दी गई कि पूर्वनी गांव के पास किसी अज्ञात व्यक्ति का शव पड़ा हुआ है, जिस पर पुलिस टीम मौके पर पहुंची तथा मामले की पूरी तरह छानबीन की तथा इस अज्ञात शव के बारे में आसपास व ग्रामीणों से भी पूछताछ की परंतु अभी तक इस बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया है तथा मृतक के शरीर पर किसी भी प्रकार के खरोंच व चोट के निशान नहीं है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर शिनाख्त के लिए शव गृह रिकांगपिओ में रखा है तथा पुलिस शव की शिनाख्त व मौत के कारणों का पता लगाने के लिए छानबीन कर रही है
समर नेगी। किन्नाैर जिला किन्नौर पूह थाना के अंतर्गत यंगथंग में पुलिस ने ठेके के सेलमैन के गुप्त अड्डे से 120 पेटी अवैध शराब बरामद की है। जानकारी देते हुए डीएसपी हेडक्वार्टर नवीन जालटा ने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि यंगथंग ठेके के सेलमैन अनिल कुमार निवासी कांगड़ा ने किसी गुप्त स्थान पर अबैध शराब रखी है, जिस पर जिला विशेष अन्वेषण ईकाई (एसआईयू ) की टीम ने सहायक उप निरीक्षक शिव देव की अगवाई में गुप्त सूचना के आधार पर अनिल कुमार के गुप्त अड्डे पर छापेमारी की तथा वहां एक कमरे से 35 पेटी अग्रेजी शराब, 70 पेटी बीयर व 15 पेटी देसी (कुल 120 पेटी ) अबैध शराब बरामद की गई। उन्होंने बताया कि पुलिस ने अनिल कुमार के खिलाफ पुलिस थाना पूह में एचपी एक्साइज एक्ट के तहत मामला दर्ज कर छानबीन की जा रही है। डीएसपी ने यह भी बताया कि वहीं दूसरे मामले में पुलिस ने नमज्ञा में एक व्यक्ति से 53 ग्राम अबैध चरस भी बरामद की है। उन्होंने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि नमज्ञा में मंडी निवासी घनश्याम अवैध चरस बेचने का धंधा करता है, जिस पर पूह थाना प्रभारी की अगवाई में पुलिस टीम ने जाल बिछाकर उक्त व्यक्ति को नमज्ञा में दबोचा तथा उससे 53 ग्राम चरस बरामद की गई, जिस पर पुलिस ने पूह थाना में उक्त व्यक्ति के खिलाफ एनडी एंड पीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।
भारत सरकार की ओर से जिले के स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य मेले का आयोजन किया जा रहा है। उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने बाताया कि भारत सरकार के निर्देशानुसार किन्नौर जिला के कल्पा उपमण्डल के सांगला स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 20 अप्रैल, उपमण्डल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पूह में 21 अप्रैल व निचार उपमण्डल के भावानगर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 22 अप्रैल, 2022 को स्वास्थ्य मेले का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस दौरान एक ही छत के नीचे एलोपैथी, आयुर्वैदिक व होम्योपैथी के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य जांच सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। मेले के दौरान आयुष्मान भारत व हिम केयर कार्ड भी बनाऐ जाऐगे। उन्होंने बताया कि इस दौरान स्त्री रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ व शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ द्वारा लोगों की निःशुल्क स्वास्थ्य जांच की जाएगी तथा विभिन्न प्रकार के टैस्ट सुविधा भी उपल्बध होगी। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा निःशुल्क दवाईयां भी उपलब्ध करवाई जाएगी। स्वास्थ्य मेले के दौरान आयुर्वैदिक तथा होम्योपैथिक विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा लोगों की निःशुल्क स्वास्थ्य जांच व विभिन्न प्रकार के टैस्ट किए जाएंगे तथा रोगियों को निःशुल्क दवाएं भी वितरित की जाएगी। उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने जिला वासियों से भी आग्रह किया है कि वे स्वास्थ्य मेले का लाभ अवश्य उठाऐ। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मेले का मुख्य उद्देश्य जहां लोगों को उनके घर द्वार के निकट विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधा उपल्बध करवाने के साथ-साथ केंद्र तथा प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रही विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं व कार्यक्रमों के बारे में भी जागरूक करना है तथा लोगों को विभिन्न बीमारियों से बचाव के बारे में भी जानकारी प्रदान करना है।
जिला किन्नौर पूह थाना के अंतर्गत यंगथंग में पुलिस ने ठेके के सेलमैन के गुप्त अड्डे से 120 पेटी अवैध शराब बरामद की है । जानकारी देते हुए डी एस पी हेडक्वार्टर नवीन जालटा ने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि यंगथंग ठेके के सेलमैन अनिल कुमार निवासी कांगड़ा ने किसी गुप्त स्थान पर अबैध शराब रखी है जिस पर जिला विशेष अन्वेषण ईकाई (एस आई यू ) की टीम ने सहायक उप निरीक्षक शिव देव की अगुवाई में गुप्त सूचना के आधार पर अनिल कुमार के गुप्त अड्डे पर छापेमारी की तथा वहां एक कमरे से 35 पेटी अग्रेजी शराब, 70 पेटी बीयर व 15 पेटी देसी (कुल 120 पेटी ) अबैध शराब बरामद की गई। उन्होंने बताया कि पुलिस ने अनिल कुमार के खिलाफ पुलिस थाना पूहमें एच पी एक्साइज एक्ट के तहत मामला दर्ज कर छानबीन की जा रही है। डीएसपी ने यह भी बताया कि वहीं दूसरे मामले में पुलिस ने नमज्ञा में एक व्यक्ति से 53 ग्राम अबैध चरस भी बरामद की है । उन्होंने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि नमज्ञा में मंडी निवासी घनश्याम अबैध चरस बेचने का धंधा करता है जिस पर पूह थाना प्रभारी की अगुवाई में पुलिस टीम ने जाल बिछाकर उक्त व्यक्ति को नमज्ञा में दबोचा तथा उससे 53 ग्राम चरस बरामद की गई जिस पर पुलिस ने पूह थाना में उक्त व्यक्ति के खिलाफ एन डी एंड पी एस एक्ट के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है ।
समर नेगी। रिकांगपिओ किन्नौर जिला में 17 अप्रैल को 4873 शिशुओं को पोलियो ड्राॅप्स पिलाई जाएगी। जिला टीकाकरण अधिकारी किन्नौर डाॅ. अन्वेषा ने कहा कि किन्नौर जिला में 17 अप्रैल, 2022 को 5 वर्ष तक के 4873 बच्चों को पोलियो खुराक पिलाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए समूचे जिला में 100 बूथ स्थापित किए जाएंगे, जिसके तहत सांगला क्षेत्र में 13, रिकांगपिओ क्षेत्र में 17, पूह स्वास्थ्य खंड में 34 तथा निचार विकास खंड में 36 बूथ स्थापित किए जाएंगे। इस कार्य को पूरा करने के लिए 412 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व आशा-वकर्स की सेवाएं ली जाएंगी। इसके अलावा 20 सूपरवाईजर्स भी तैनात किए जाएंगे। डाॅ. अन्वेषा ने बताया कि एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा रहे बच्चों की सुविधा के लिए अकपा तथा चोरा में विशेष पोलियो बूथ स्थापित किए जाएंगे, जहां वाहनों में आने व जाने वाले सभी बच्चों को पोलियो ड्राॅप्स पिलाई जाएगी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा तीनों उपमंडलों में मोबाईल वैन के माध्यम से भी पोलियो ड्राॅप पिलाई जाएगी। उन्होंने जिला के सभी अभिवावकों से आग्रह किया है कि वे 5 वर्ष तक के सभी बच्चों को अपनी निकटतम पोलियो बूथ पर पोलियो खुराक अवश्य पिलाएं।
नाथपा पंचायत के प्रधान आर.पी नेगी युलाम ने जन संवाद यात्रा नाम की एक पहल की शुरुआत की है । इसके तहत पंचायत आपके द्वार एक मुहिम चलाई जा रही है ,जिसकी पहल पिछले कल स्लारिंग ,रोक्चरंग ,काचरंग गांव से शुरू किया है । इस मुहिम के तहत पंचायत के प्रतिनिधियों के साथ साथ पंचायत के सभी अधिकारियों को मौके पर जनता के समक्ष मौके पर ही जा कर सभी समस्याओं का निपटारा किया जा रहा है ,साथ ही साथ इस जन संपर्क के माद्यम से लोगो को पंचायत के तहत मिलने वाली सुविधाओं बारे जागरूक किया जा रहा है , इस मौके पर प्रधान उप प्रधान वार्ड पंच ,पंचायत सचिव ,पंचायत तकनीकी सहायक ,पंचायत सहायक इत्यादि मौजूद थे , साल में 3 बार इस मुहिम के तहत पंचायत हर वार्ड में जन संवाद यात्रा का आयोजन करेगी ।
रिकांगपिओ पूह खंड के तहत ग्राम पंचायत नेसंग में अखिल कर्मचारी कल्याण परिषद ने एक दिवसीय पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें समस्त ग्रामवासी, सेवानिवृत्त कर्मचारी गण, युवक मंडल, महिला मंडल एवं विकास कमेटी के सहयोग से लगभग 500 चिलगोजा के पौधे लगाए गए। इस दौरान विशेषकर गांव के स्लाइडिंग जगह में पौधरोपण किया, जहां पर भू-स्खलन होने की संभावना बनी होती है। वहीं, इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए वन परिक्षेत्र अधिकारी कल्पा मनमोहन सिंह आभार व्यक्त किया। अखिल कर्मचारी कल्याण परिषद ने संघ के अध्यक्ष ठाकुर सिंह नेगी ने बताया कि संघ की ओर से भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहेगा। वहीं, दूसरी ओर गांव में खुशहाली और हरियाली लाने में भी हमेशा सहयोग रहेगा। इस कार्यक्रम के द्वारा लोगों को पेड़-पौधों के महत्व से अवगत कराया गया।
फर्स्ट वर्डिक्ट। रिकांगपिओ गुरुकुल पब्लिक स्कूल सांगला द्वारा आज स्कूल प्रबंधन समिति की बैठक बुलाई गई। इस बैठक में सर्वप्रथम एसएमसी की नई कार्यकारिणी का गठन किया गया। इसमें सर्वसम्मति से जितेंद्र नेगी को प्रधान नियुक्त किया गया तथा ममता को उपप्रधान व आईडो नेगी को सलाहकार व अरुणा, नित्यानंद, दीपक, नरेश, चंद प्यारी, कृष्ण गोपाल, ललिता, ऊषा, रविन्द्र नेगी व जुगल किशोर को सचिव नियुक्त किया गया। वहीं, कोरोना काल के लबे अंतराल पश्चात स्कूल खुलने पर विद्यार्थियों के सरल तरीके से अध्यापन व बेहतर शिक्षा हेतु चर्चा हुई। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि कमजोर विद्यार्थियों के लिए अतिरिक्त समय दिया जाएगा तथा उन्हें टीचिंग लर्निंग मेटेरियल द्वारा पढ़ाया जाएगा तथा समय-समय पर टेस्ट द्वारा विद्यार्थियों के परखा भी जाएगा।
फर्स्ट वर्डिक्ट। रिकांगपिओ हिमाचल प्रदेश वन विकास निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी ने आज रिकांगपिओ में निर्माणाधीन किसान भवन का निरीक्षण किया। उन्होंने लोक निर्माण विभाग को किसान भवन का निर्माण कार्य मई,2022 तक पूरा करने के निर्देश दिए, ताकि जिला वासियों को एक ही छत के नीचे कृषि संबंधी सभी सुविधाएं उपलब्ध हो सके। सूरत नेगी ने कहा कि 4 करोड़ 48 लाख रुपए की लागत से बनने वाले इस भवन में कृषि विभाग, भू-संरक्षण, मृदा परीक्षण व पशुपालन विभाग के कार्यालय स्थापित होंगे। इस के अलावा भवन धरातल मंजिल में किसानों को ठहरने की सुविधा भी उपलब्ध होगी। इस अवसर पर लोक निर्माण विभाग के अधिषाषी अभियंता दिनेश कुमार सेन, आत्मा के परियोजना निदेशक डॉ. रवि शर्मा, जिला कृषि अधिकारी आत्मा परियोजना उपनिदेशक बलबीर ठाकुर व कनिष्ठ अभियंता जितेंद्र पाल व अन्य उपस्थित थे।
किन्नौर।फर्स्ट वर्डिक्ट किला निर्माण एवं किन्नौर के विकासात्मक कार्यो से सम्बंधित चर्चा के लिए पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी, किन्नौर भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्त्ता प्रह्लाद सिंह, सुनील, सापनी गांव के उप प्रधान प्यार चंद और सापनी ऐतिहासिक किला निर्माण कमेटी के सदस्यों ने भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर से भेंट की। अनुराग ठाकुर ने किला निर्माण कमेटी से वृस्तृत चर्चा की व किला निर्माण हेतु पूर्तत: सहयोग के लिए हामी भी भरी। साथ ही पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी ने किन्नौर के विकासात्मक कार्यों पर सार्थक चर्चा भी की।
फर्स्ट वर्डिक्ट। रिकांगपिओ हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त वेटरनरी फार्मासिस्ट प्रशिक्षण संस्थान शारड़ा के निकट हीरानगर में ओम एजुकेशन सोसायटी द्वारा संचालित संस्थान के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस 2 वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए योग्यता 10+2 में सामान्य वर्ग के लिए 60 प्रतिशत व अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 50 प्रतिशत रहेगी। वहीं, प्रवेश शुल्क में जनजातीय क्षेत्र के अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के अंतर्गत आईआरडीपी व बीपीएल कार्ड धारकों के लिए 5 प्रतिशत की छूट समाहित रहेगी। संस्थान की अध्यक्ष ने बताया कि शेष सत्र 2022-2024 के लिए प्रवेश प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है व सत्र 20 अप्रैल से शुरू हो जाएगा, जिसके लिए दूरभाष नंबर 9418017024 पर संपर्क कर सकते हैं।
समर नेगी |रिकांगपि भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे "खेलो इंडिया खेलो" कार्यक्रम के तहत आज किन्नौर जिला के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कल्पा में जिला युवा सेवा एवं खेल विभाग किन्नौर द्वारा बाॅक्सींग ट्रायल का आयोजन किया गया। जिसमें जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए 70 खिलाड़ियों ने भाग लिया। कार्यकारी जिला युवा सेवा एवं खेल अधिकारी विक्रम बिश्ट ने बताया कि बाॅक्सींग ट्रायल में 30 खिलाड़ियों का चयन किया गया जिसमें 15 पुरूष तथा 15 महिला खिलाड़ी शामिल हैं। इसके अलावा 9 अतिरिक्त खिलाड़ियों का भी चयन किया गया। गौरतलब है कि खेलो इंडिया योजना के तहत रिकांग पिओ में बॉक्सिंग कोचिंग केंद्र खोला जाना प्रस्तावित है जिसको लेकर खेल विभाग की ओर से यह ट्रायल करवाया गया है।
समर नेगी। रिकांगपिओ जल शक्ति विभाग रिकांगपिओ द्वारा अंबेडकर भवन सांगला में वैली की 10 पंचायत छितकुल, रकछम, बटसेरी, थेमगारंग, सांगला, कामरु, चांसु, शोंग, ब्रुआ और सापनी के वी डब्ल्यू एस सी कमेटी की महिलाओं के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया जिसमे लगभग 60 महिलाओ ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण के दौरान जल शक्ति विभाग के तरफ से वीआरसी फूला नेगी ने एफ टी के किट भी कमेटी को सौपा तथा पानी की गुणवता जांच करने के तरीके भी सिखाए । इस अवसर पर चांसु प्रधान बीरबल लोक्ट्स, सांगला प्रधान देव सांकी, प्रधान शौंग, प्रधान रामप्यारी, प्रधान बुआ गीता, प्रधान थेमगारग मनोहर देवी व उप प्रधान सांगला लोकेश नेगी भी विशेष रूप से मौजूद रहे।
फर्स्ट वर्डिक्ट। रिकांगपिओ ठाकुर सेन नेगी राजकीय महाविद्यालय रिकांगपिओ में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई (एनएसएस) के सात दिवसीय शिविर का सोमवार को शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर प्रो. जनक नेगी ने बतौर मुख्यातिथि शिरकित कर दीप प्रज्वलित कर शिविर का शुभारंभ किया गया। मुख्यातिथि ने उपस्थित विद्यार्थियों और स्वयंसेवियों को पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक कल्याण, राष्ट्र सेवा, सामाजिक चेतना और जागरूकता, रक्तदान, नशे के खिलाफ जागरूकता, ग्रामीण शिक्षा तथा समाज सेवा के कार्यक्रमों मे बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए प्रेरित किया। वहीं, कार्यक्रम अधिकारी प्रो. शांता नेगी ने इस अवसर पर सात दिवसीय कार्यक्रम और आयोजित की जा रही गतिविधियों के बारे मे विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि इस शिविर में लगभग 60 स्वयंसेवी भाग ले रहे हैं। शिविर के दौरान स्वयंसेवी स्वच्छता, जागरूकता अभियान, समाजिक चेतना, इत्यादि गतिविधियों का आयोजन करने के साथ साथ समीपवर्ती गावों मे सफाई, जागरूकता अभियान और लोक कल्याण के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि शिविर मे प्रत्येक दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित प्रतिष्ठित लोगों को स्त्रोत पुरुष के रूप में बुला कर स्वयंसेवियों का मार्गदर्शन और करियर काउंसलिंग किया जाएगा। इस अवसर पर प्राध्यापक डॉ. जीवन मसोई, बालम नेगी, ज्ञान चंद शर्मा, शीला नेगी, शैलजा नेगी, मोहन सिंह नेगी, धर्मकीर्ति, बृज मोहन, कृष्ण कुमार नेगी, निर्मला नेगी, यशपाल शर्मा, सचिन भारद्वाज, भगवान सिंह, कमलेश कुमार तथा अधीक्षक भगत सिंह नेगी इत्यादि उपस्थित रहे।
समर नेगी। रिकांगपिओ किन्नौर जिला में साहसिक खेलों व पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। जिले में जहां प्रदेश सरकार द्वारा साहसिक खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं वहीं जिले की स्थानीय संस्थाओं द्वारा भी अनेक साहसिक खेल गतिविधियां समय-समय पर आयोजित की जा रही हैं जिससे जहां युवाओं की ऊर्जा का सकारात्मक दिशा में प्रयोग हो रहा है वहीं पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं जो ज़िले की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। जिले के रकच्छम में आज जिला स्की एवं स्नो बोर्ड एसोसीएशन द्वारा जिले के युवाओं के लिए आयोजित 14 दिवसीय स्की प्रशिक्षण शिविर का आज समापन हो गया जिसकी अध्यक्षता 17वीं वाहिनी भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के उप-सैनानी राहुल वालिया ने की। उन्होंने कहा कि किन्नौर जिला में साहसिक खेलों की अपार संभावनाएं हैं तथा इस तरह के प्रशिक्षण शिविर युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा प्रदान करने में सहायक होते हैं। उन्होंने स्की प्रशिक्षण ले रहे युवाओं से भी आग्रह किया कि वे और अधिक कठिन परिश्रम करें ताकि राज्य, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग ले सकें। उल्लेखनीय है कि किन्नौर जिला के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लगभग 3 से 4 माह भारी बर्फबारी होती है। ऐसे में यहां बर्फ से संबंधित खेलों के प्रसार की बहुत संभावनाएं हैं। 14 दिवसीय प्रशिक्षण शिवरि में जिले के विभिन्न हिस्सों के 20 खिलाड़ियों ने भाग लिया जिन्हें राष्ट्रीय ख्याती प्राप्त स्की कोच लाल चंद नेगी ने प्रशिक्षण प्रदान किया।
समर नेगी। रिकांगपिओ उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने आज जिला स्तरीय पंचायती राज संस्थाओं की एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए सभी पंचायती राज संस्थाओं के जन प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि ग्रामीण विकास अभिकरण किन्नौर द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत स्वीकृत सभी कार्यों को निर्धारित समय के भीतर पूरा करें ताकि जिले में विकास की गति में तेजी लाई जा सके व इन विकास कार्यों से लोगों को लाभ प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं को 15वें वित्त आयोग मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन व एन.आर.एल.एम के तहत विभिन्न विकास कार्यों के लिए राशि जारी की गई है। इन विकास कार्यों की गत जिला परिषद की बैठक में भी समीक्षा की गई थी। इसी उदेश्य को लेकर आज इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जिसका मुख्य उदेश्य विभिन्न मुद्दों के तहत विकास कार्यों में तेजी लाना है। उपायुक्त ने कहा कि जिले में ग्राम विकास के तहत स्वीकृत कार्य की समीक्षा बैठक हर माह की जाएगी ताकि निर्धारित लक्ष्य को समय पर पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि मनरेगा की जिले के लोगों को रोजगार प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। कोविड काल में जब सभी कार्य रूक गए थे और बहुत से लोग बेरोज़गार हो गए थे। उस समय मनरेगा के तहत कार्यों से लोगों को आर्थिक संबल प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि मनरेगा से जहां काम का सामुदायिक विकास सुनिश्चित हो रहा है वहीं स्थानीय ग्राम वासियों को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन के तहत निजी तथा सामुदायिक शौचालय के निर्माण के लक्ष्य को शीघ्र पूर्ण करने का भी आग्रह किया। उपायुक्त ने कहा कि 15वें वित आयेाग के तहत 116 विकासात्मक योजनाओं के लिए जिला परिषद को 3 करोड़ 12 लाख रुपये की राशि प्राप्त हुई है जिसमें से 54 विकासात्मक योजनाओं के लिए 1 करोड़ 14 लाख रुपये की राशि जारी कर दी गई है जिसमें पूह विकास खण्ड के तहत 21 पंचायतें, कल्पा के तहत 10 व निचार विकास खण्ड के तहत 23 पंचायतें शामिल हैं। उन्होंने सभी पंचायत प्रधानों से भी आग्रह किया कि वे इन विकास कार्यों को शीघ्र पूर्ण करें। उपनिदेशक एवं परियोजना अधिकारी ग्रामीण विकास अभिकरण जयवंती ठाकुर ने उपायुक्त तथा कार्यशाला में उपस्थित सभी पंचायती राज जन प्रतिनिधियों का स्वागत किया।
रिकांगपिओ. स्वास्थ्य विभाग किन्नौर द्वारा ज़िला आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी किन्नौर स्थित रिकांगपिओ के सभागार में विश्व श्रवण दिवस का आयोजन ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ कवि राज नेगी की अध्यक्षता में किया गया। इस अवसर पर ज़िला आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी किन्नौर डॉ किशोरी लाल, डॉ कनिका नेगी, जितेंद्र, स्वास्थ्य शिक्षक सुभाषचंद्र , व्यवहार परिवर्तन संचार समन्वयक रमेश नेगी, आशा कोऑर्डिनेटर विकास कुमार सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
रिकांगपिओ. हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक वित्तीय साक्षरता केंद्र रिकांगपिओ द्वारा नाबार्ड के सौजन्य से वित्तीय साक्षरता सप्ताह के दौरान रिकांगपिओ व कल्पा में वित्तीय साक्षरता शिविरों का आयोजन किया गया। रिकांगपिओ में आयोजित शिविर में सहायक महाप्रबंधक वीरेंद्र शर्मा व दिल बहादुर नेगी भी विशेष रूप से उपस्थित थे। इन शिविरों में स्थानीय लोगों व स्वयं सहायता समूहों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। शिविरों के दौरान वित्तीय साक्षरता केंद्र रिकांगपिओ के समन्वयक राजीव नेगी द्वारा लोगों को गोइंग डिजिटल और गो सिक्योर, स्वयं सहायता समूह और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका योजना का गठन और उसकी कार्यशैली, ऑनलाइन धोखाधड़ी, एटीएम फ्रॉड, प्रधा मंत्री जीवन ज्योति योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, और भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि आजकल बहुत से लोग जानकारी के अभाव में ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे हैं। हालांकि बैंकों द्वारा लोगो को इस बारे में बार बार जागरूक भी किया जा रहा है परन्तु फिर भी लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने स्वयं सहायता समूह के सदस्यों से भी आग्रह किया कि वे भी लोगों को ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए जागरूक करें ताकि लोग इससे बच सकें।
किन्नौर मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन वेतन विसंगतियों व अपनी अन्य मांगों को लेकर सुबह साढ़े 9 बजे से साढ़े 11 बजे तक पेन डाउन हड़ताल पर रहे । इस दौरान चिकित्सालय में केवल आपातकालीन सेवाएं ही चालू रहीं। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर सुनील की अगुवाई में पेन डाउन हड़ताल में जिला के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया । वही दूसरी तरफ डॉक्टरों के पेन डाउन हड़ताल के चलते दूरदराज क्षेत्रो से क्षेत्रीय अस्पताल रिकांगपिओ आए सेंकडो मरीजों को भी दो घण्टे तक परेशानियों का सामना करना पड़ा। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉक्टर रजत व प्रेस सचिव डॉ अश्वनी ने बताया कि एसोसिएशन प्रदेश सरकार से नए वेतन मान की विसंगतियों को दूर करने , वेसिक प्लस एनपीए की अधिकतम सीमा पंजाब के बराबर करने , टाईम स्केल 4.9.14 को फिर से बहाल करने , पीजी अलॉउन्स को 7 हजार से 20 हजार करने व एनपीए को फिर से 20 से 25 प्रतिशत करने की मांग की गई। इस अवसर पर एसएमओ एसएस नेगी, जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ कविराज सहित एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी डॉ अनुभव नेगी सहित अन्य सदस्य मौजूद थे। आखिर डॉक्टर क्यों कर रहे पैन डाउन स्ट्राइक 1 - छठवें वेतन आयोग के लगते ही टाइम स्केल को बंद करना। 2- मेडिकल विभाग में प्रमोशन्स का ऑप्शन्स बहुत कम है जिसमे टाइम स्केल 4.9.14.है , जो मेडिकल ऑफिसर्स उपनगर में काम करते है उनके फाइनेंशियल उत्थान का एक मात्र सहारा । 3- एनपीए को घटाकर 20 प्रतिशत कर देना। वही पहले एनपीए 25 प्रतिशत । 4 - पीजी अलॉन्स कई वर्षों से 7 हजार रुपये । 5 - अपर पे स्केल की सेलिंग पंजाब से लगभग 19 हजार का अंतर होना।
फर्स्ट वर्डिक्ट। रिकांगपिओ क्षेत्रीय चिकित्सालय रिकांगपिओ में वीरवार को किन्नौर मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन द्वारा वेतन विसंगतियों व अपनी अन्य मांगों को लेकर सुबह साढ़े 9 बजे से लेकर साढ़े 11 बजे तक पेन डाउन हड़ताल पर रहे। इस दौरान चिकित्सालय में केवल आपातकालीन सेवाएं ही चालू रहीं। इस पेन डाउन हड़ताल में एसोसिएशन के पदाधिकारियों व सदस्यों ने बढ़चढ़ कर भाग लेकर विरोध प्रदर्शन किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर सुनील ने बताया कि एसोसिएशन प्रदेश सरकार से नए वेतन मान की विसंगतियों को दूर करने, वेसिक प्लस एनपीए की अधिकतम सीमा पंजाब के बराबर करने, टाईम स्केल 4.9.14 को फिर से बहाल करने, पीजी अलॉउन्स को 7 हजार से 20 हजार करने व एनपीए को फिर से 20 से 25 प्रतिशत करने की मांग की गई। उन्होने यह भी बताया कि एसोसिएशन द्वारा लंबे समय से प्रदेश सरकार से उनकी मांगों को पूरा करने की मांग की जा रही है, परंतु प्रदेश सरकार द्वारा उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिससे एसोसिएशन को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ रहा है। अगर सरकार उनकी मांगों को शीघ्र पूरा नहीं करती तो वे अपने संघर्ष को और तेज करेंगे।
फर्स्ट वर्डिक्ट। रिकांगपिओ जिला किन्नौर लोकमित्र संघ दोबारा मंगलवार को लोकमित्र केंद्र संचालकों की समस्याओं के समाधान व स्थाई नीति बनाने हेतु उपायुक्त किन्नौर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में संघ पदाधिकारियों ने बताया कि लोकमित्र केंद्रों के माध्यम से आज हर क्षेत्र के हर लाभार्थी को सभी सरकारी व गैर सरकारी सुविधाएं एक ही छत के नीचे मिल रही है, जिसमें लोक मित्र केंद्र संचालक अहम भूमिका निभा रहे हैं परंतु फिर भी लोकमित्र संचालक अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं क्योंकि सरकार दोबारा 2008 में तय की गई दरों पर आज तक लोकमित्र संचालक काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि आज हर चीज के मूल्य में काफी बढ़ोतरी हो चुकी है, लेकिन लोक मित्र केंद्र दोबारा दी जा रही सेवाओं की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है ,यही नहीं वर्ष 2008 में हिमाचल सरकार दोबारा एक पंचायत में एक ही लोक मित्र केंद्र होना निश्चित किया गया था परन्तु अब ऐसा नहीं है और यदि एक ही पंचायत में अगर 5-6 लोक मित्र केंद्र हो जाएंगे तो एक भी संचालक सही रूप से अपना घर परिवार नहीं चला सकता है। संघ ने प्रदेश सरकार से लोकमित्र केंद्रों में दी जा रही सुविधाओं के सेवा शुल्क में बढ़ोतरी करने, लोक मित्र केंद्र संचालकों को सरकार दोबारा मानदेय तय करने, लोक मित्र केंद्र संचालकों को सरकार दोबारा दी गई अधिसूचना को तुरंत प्रभाव से लागू करने पंचायत घरों में सीमित करने, पूर्व में सरकार दोबारा तय किए गए मापदंडों के अनुसार एक पंचायत में एक ही लोक मित्र की व्यवस्था को लागू करने, सरकार की महत्वपूर्ण योजना हिम केयर व आयुष्मान में लोक मित्र केंद्र संचालकों का पंजीकरण निशुल्क करने तथा सरकार दोबारा जो भी नई सेवाएं प्रदान की जाती है उसे संबंधित प्रशिक्षण खंड स्तर पर अवश्य करने की मांग की है
फर्स्ट वर्डिक्ट। रिकांगपिओ। जनजातीय जिला किन्नौर के भावानगर से भावा वैली के संपर्क मार्ग स्थित मोड़ पर एक एप्लाइड वाहन ऑल्टो 800 भावा खड्ड में गिरने से उसमें सवार तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले कल रात वाहन में सवार तीन व्यक्ति क्राबा निवासी बाबू राम के साथ दो नेपाली सुनील व कुलवंत रिकांगपिओ से कट गांव की ओर जा रहे थे कि भावानगर से कटगांव सम्पर्क सड़क मार्ग के समीप पठानकोट नामक स्थान पर रात 11 बजे के करीब वाहन अनियंत्रित होकर सड़क मार्ग से 100 मीटर नीचे गहरी खाई में जा गिरी जिस कारण वाहन में आग लग गई तथा वाहन में सवार तीनो की मौके पर ही मौत हो गई । सूचना मिलते ही एसडीपीओ भावानगर राजू सहित पुलिस टीम मौके पर रवाना हुए । पुलिस व ग्रामीणों की सहायता से शवों को गहरी खाई से बाहर निकाला जा रहा है । एसडीपीओ भावानगर राजू ने बताया कि वाहन में सवारो की पहचान बाबू राम (30) पुत्र भूप सिंह क्राबा निवासी सुनील (21) व कुंदन (40) नेपाली के रूप में हुई है जबकि वाहन में आग लगने से बाबू राम पूरी तरह से जल गया है । उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा मामला दर्ज कर छानबीन की जा रही है फिलहाल दुर्घटना होने के कारण अभी पता नही चल पाया है ।
फर्स्ट वर्डिक्ट। रिकांगपिओ जिला किन्नौर राष्ट्रीय उच्च मार्ग 5 पर कड़छम के पास सोमवार सुबह एक चलती गाड़ी पर पहाड़ी से अचानक पत्थरों के गिरने से एक महिला व एक पुरूष गम्भीर रूप से घायल हो गए हैं । घायलों को शोलतू हॉस्पिटल में प्राथमिक उपचार देने के बाद रामपुर रैफर कर दिया गया है । जानकारी के अनुसार विनय नेगी निवासी कोठी जो कि भावानगर में वीडीओ पद पर तैनात हैं सोमवार सुबह अपनी गाड़ी महिंद्रा लोगान एचपी 25 बी 0077 में रिकांगपिओ से भावानगर जा रहे थे कि कड़छम के पास पहाड़ी से अचानक बड़े बड़े पत्थर गाड़ी पर जा गिरे, जिससे गाड़ी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई तथा उसमें सवार विनय नेगी पुत्र स्वर्गीय नरेंद्र कुमार व एक अन्य महिला अनुपमा पत्नी अंकुश कुमार निवासी हमीरपुर गम्भीर रूप से घायल हो गए । घायल महिला व पुरुष को स्थानीय लोगों द्वारा शोलतू हॉस्पिटल में ले जाया गया जहां चिकित्सकों द्वारा विनय नेगी को प्राथमिक उपचार देने के बाद रामपुर रेफर कर दिया गया है।
फर्स्ट वर्डिक्ट। रिकांगपिओ जनजातीय क्षेत्र जिला किन्नौर में बुधवार देर रात से हो रहा हिमपात शुक्रवार को भी जारी रहा, हलांकि शुक्रवार को मौसम में थोड़ा बदलाब हुआ तथा हिमपात भी कम हुआ परन्तु ऊंचाई व मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रूक रूक कर हिमपात व निचले क्षेत्रों में बारिश जारी रही । इस हिमपात से तापमान में भी गिरावट आई है जिससे जिले में शीत लहर का प्रकोप भी बढ़ गया है । इस हिमपात से ऊंचाई वाले ग्रामीण क्षेत्रों में जनजीवन काफी प्रभावित हुआ है क्योंकि इस हिमपात से ऊंचाई वाले क्षेत्रों के अधिकतर संपर्क सड़क मार्ग अबरुद्ध हो गए हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में वाहनों की आवाजाही बंद हो गई है तथा लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना मुश्किल हो गया। जिला में हुए इस हिमपात के कारण जिला के लगभग 26 सम्पर्क सड़क मार्ग पूरी तरह अबरुद्ध हो गए हैं जिससे लोगों को परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है । उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने बताया कि जिला में पिछले दो दिनों से बर्फबारी जारी है तथा इस हिमपात से जनजीवन भी काफी प्रभावित हुआ है । उन्होंने यह भी बताया कि ऊपरी क्षेत्रों में 5 इंच से लेकर 1 फुट तक हिमपात हुआ है जिससे लगभग 26 सम्पर्क सड़क मार्ग अबरुद्ध हो गए हैं । उपायुक्त ने बताया कि एन एच , ग्रिफ व लोकनिर्माण विभाग मशिनिरियों के साथ अलर्ट पर हैं परन्तु जिला में अभी तक हिमपात जारी है तथा जैसे ही बर्फबारी रुकेगी बैसे ही सड़क मार्गों को बहाल करने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
फर्स्ट वर्डिक्ट। रिकांगपिओ जिला किन्नौर में पिछले कल से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रुक-रुक कर बर्फबारी का दौर जारी है। वहीं, निचले क्षेत्रों में भी बारिश का सिलसिला जारी है। वहीं, आज सुबह से ही हिमपात शुरू हो गया है, जिससे जनजातीय जिला फिर से शीत लहर की चपेट में आ गया है। जिला किन्नौर में 9 दिन पहले लगातार 3 दिन भारी हिमपात हुआ था, जिससे जिला के अधिकांश संपर्क सड़क मार्गों के अबरुद्ध होने के साथ साथ विद्युत आपूर्ती, पेयजल स्कीमें भी बाधित हूई थी, जिस कारण जनजीवन भी पूरी तरह प्रभावित हो गया था। जिला में हो रहे हिमपात व बारिश से लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना भी मुश्किल हो गया है। हालांकि इस हिमपात से अभी तक जनजीवन पर खासा प्रभाव नहीं पड़ा है तथा राष्ट्रीय उच्च मार्ग-5 पर रिकांगपिओ से रामपुर, शिमला व पूह तरफ वाहनों की आवाजाही सामान्य रूप से चली हुई है, परंतु जिला ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अधिक हिमपात होने से कई संपर्क सड़क मार्गों के अबरुद्ध होने की सूचना है, जिससे ऊंचाई वाले अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में वाहनों की आवाजाही बंद हो गई है। कल्पा, नेसंग, सांगला, छितकुल, रकछम, कुनु चारंग, आसरंग सहित अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लगभग 6 इंच से 1 फिट तक ताजा हिमपात दर्ज किया गया है। वहीं, जिला प्रशासन ने भी खराब मौसम के चलते जिला में एडवाइजरी जारी की है। उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने बताया कि मौसम विज्ञान केंद्र शिमला द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार जिला में 5 फरवरी तक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी तथा निचले क्षेत्रों में हल्के हिमपात की संभावना जताई गई है। इसलिए जिला प्रशासन द्वारा सभी जिलावासियों तथा पर्यटकों से मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के मद्ेदनजर आग्रह किया है कि बर्फबारी के दृष्टिगत ऊंचाई वाले स्थानों पर जाने से बचें और यदि अति आवश्यक होने पर ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाएं।
किन्नौर जिला में मंगलवार को कोविड के 17 नए मामले सामने आए हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सोनम नेगी ने बताया कि जिले में आज कोविड के 96 सेंपल लिये गये जिसमें 17 सेंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जबकि आई जी एम सी शिमला भेजे गए 183 सेम्पल की रिपोर्ट का इंतजार है। पॉजिटिव आने वालों में 5 मामले निचार खण्ड से, 4 मामले कल्पा खण्ड और पूह खण्ड से 8 मामले शामिल है। उन्होंने कहा कि जिले में अब तक कोविड के 89160 सेम्पल लिये जा चुके हैं जिनमे से 84688 सेम्पल की रिपोर्ट नेगिटिव आई है। जिले में अब तक 4289 मामले पॉजिटिव आये हैं और 4102 स्वस्थ हो चुके हैं। जिले मे कोविड के 147 मामले सक्रिय है। जिले मे कोविड-19 के कारण 40 रोगियों की मृत्यु हो चुकी है। डॉ नेगी ने जिला वासियों से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने का आग्रह किया है तथा घर से बाहर निकलते समय सही प्रकार से मास्क पहनने व दो गज की दूरी की अनुपालना सुनिश्चित बनाने को कहा है। उन्होंने कहा कि कोविड रोधी टीका लगाने व कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने से ही इस महामारी से बचा जा सकता है।
अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ जिला किन्नौर के अध्यक्ष योगराज (योगी बईरयान) ने कहा कि अश्विनी ठाकुर के नेतृत्व में जो बैठक हुई उसमें कल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आश्वासन दिया था कि कर्मचारियों को घबराने की जरूरत नही है। कर्मचारियों के हितों के साथ कुठाराघात नही किया जाएगा और आज प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कर्मचारियो को 3 प्रतिशत अतिरिक्त DA का ऐलान कर उन्हें अधिकारियों को मिले 31 प्रतिशत DA के समकक्ष लाया है। इस एलान के बाद हिमाचल के सभी कर्मचारियों को भी अब 31% DA देय तिथि से दिया जाएगा। योगी ने कहा कि पे कमीशन लागू होने के बाद विसंगतियों से नाराज और 15 प्रतिशत की वृद्धि का तीसरा विकल्प मांग रहे कर्मचारियो को भी मुख्यमंत्री ने तीसरा विकल्प देने का ऐलान किया है। वही मुख्यमंत्री ने इस बात का भी ऐलान किया कि सरकार किसी भी कर्मचारी को पे कमीशन लागू होने के बाद आर्थिक नुकसान नहीं होने देगी। उन्होंने राज्य के कर्मचारियों को यह भी आश्वासन दिया कि अगर तीसरे विकल्प के बाद भी किसी भी कर्मचारी को कोई नुकसान होता है तो सरकार ऐसे मामलों पर नए सिरे से विचार करेगी। राज्य के 1 लाख 75 हजार पेंशन धारकों को अब पंजाब पे कमीशन के तहत मिलने वाले लाभ दिए जाएंगे। योगराज ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पूर्ण राज्यत्व दिवस के मौके पर कर्मचारियों को सौगात दी है। इसके लिये जिला अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ किन्नौर ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का धन्यवाद किया तथा साथ ही प्रदेश वन विकास निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी का भी आभार प्रकट किया।
जिला किन्नौर में मौसम ने एक बार फिर से करवट बदल ली है, जिले के ऊँचाई वाले इलाकों में पिछली रात से ही जम कर बर्फबारी हो रही है। समूचे क्षेत्र ने बर्फ की चादर ओढ़ ली है ।वही लगातार हो रही बर्फबारी से जन जीवन अस्त व्यस्त हो गई है। भारी बर्फबारी होने से किन्नौर जिले में सभी सम्पर्क मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं तथा ग्रामीण क्षेत्रों में विधुत व्यवस्था भी चरमराई सी गई है। वही जिला के बागवान - किसान अच्छी बर्फबारी से काफी खुश है क्योंकि बर्फबारी यहां की नकदी फसलों के लिए एक संजीवनी का काम करती है। बर्फबारी के चलते हुए जिला किन्नौर का जनजीवन थम सा गई है व अभी भी भारी बर्फबारी का दौर जारी है। हालांकि जिला प्रशासन द्वारा किन्नौर मुख्यालय रिकांगपिओ तक सड़क मार्ग से बर्फ हटाने का कार्य युद्धस्तर पर चलाया हुआ है। भारी बर्फबारी को देखते हुए प्रशासन ने भी लोगों को घरों से बाहर न निकलने की अपील की जा रही है।
नेहरू युवा खेल केंद्र, खेल मंत्रालय भारत सरकार, देवी दुर्गा खेल एवं संस्कृति क्लब उरनी की सहयोग से उरनी गांव में राष्ट्रीय युवा सप्ताह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्यअतिथि प्रोफेसर सिकंदर कुमार नेगी के साथ विशिष्ट अतिथि क्लब के कोषाध्यक्ष शिव सिंह नेगी व गोपाल नेगी उपस्थित थे। इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें भाषण प्रतियोगिता,पेंटिंग प्रतियोगिता और पारंपरिक लोकगीत प्रतियोगिता को रखा गया था। भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान अंजलि, द्वितीय स्थान विजेंद्र कुमार ने प्राप्त किया। पेंटिंग प्रतियोगिता में प्रथम स्थान साहिल कुमार, द्वितीय स्थान सनी देओल ने प्राप्त किया। पारंपरिक लोकगीत में जिगर नेगी प्रथम, द्वितीय स्थान सौरभ प्राप्त ने किया। मुख्य अतिथि प्रोफेसर सिकंदर नेगी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद हर युवा के लिए प्रेरणा के स्रोत है। उन्होंने कहा कि 12 जनवरी स्वामी विवेकानन्द के जन्मदिन को देश 'राष्ट्रीय युवा दिवस' के रूप में मनाता है व स्वामी के विचार इंसान के दिल में आज भी स्फूर्ति पैदा कर देते हैं।
किन्नौर :सोमवार को जारी एक प्रेससवार्ता के दौरान उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने बताया कि मौसम विज्ञान केंद्र शिमला द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार 19, 20, 22 व 23 जनवरी, 2022 को जिले के उपरी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी की संभावना जताई गई है। उन्होेंने जिला वासियों से आग्रह किया कि मौसम विभाग की चेतावनी के मद्देनज़र पहाड़ी वाले भागों व कण्डों पर जाने से परेहज करें। उन्होंने ग्राम पंचायत प्रधानों व गैर सरकारी संगठनों , पर्यटकों व नागरिकों से भी से आग्रह किया कि मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाए तथा उंचाई वाले स्थानों पर जाने से बचें ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि जिले में किसी प्रकार की आपदा व दुर्घटना से निपटने के लिए जिला आपदा प्रबंधन के दूरभाष नम्बर 85808-19827, 94594-57587 01786-223155-51,52,53,54 एवं टोल फ्री नम्बर 1077 पर सूचित करें।
हमारे देश में नए साल के आगाज के साथ ही कई त्यौहार आते है। बैसाखी, मकर सक्रांति, पोंगल इसके कई उदाहरण हैं। इसी बीच एक और त्योहार है जो अपने रंग, रुप और कला से भारतीय संस्कृति को कई सालों से समृद्ध करती हुई आ रही है। इस अनोखे फेस्टिवल को ‘लोसर’ कहा जाता है। वैसे तो लोसर तिब्बती न्यू ईयर के रुप में मनाया जाता है और इसका मतलब तिब्ब्ती भाषा में नया साल ही होता है, लेकिन यह त्यौहार भारत के भी कई हिस्सों में मनाया जाता है। भारत के वो इलाके जहां तिब्बती मूल के लोग रहते हैं, वहां इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस विशेष पर्व को मनाने का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक संस्कृति को संजोए रखने के साथ-साथ आपसी भाईचारे और रिश्तों को मजबूत बनाना और नववर्ष का स्वागत करना है। समृद्धि का पर्याय है लोसर लोसर वैसे तो मुख्य रुप से तिब्ब्ती न्यू ईयर का त्यौहार है, लेकिन इस त्यौहार को बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के अलावा देश के कई हिस्सो में रहने वाले भारतीय और तिब्बती लोग भी मनाते हैं।। हिमाचल के कुछ इलाकों में इस त्यौहार का हिन्दु रुपांतरण भी देखने को मिलता है। तीन दिनों के इस त्यौहार में लोग बौद्ध पंचाग के अनुसार अपना घर सजाते हैं। लोसर के पहले दिन सूर्योदय से पहले घर का सबसे बड़ा सदस्य घर की छत पर "दारछोत" यानी झंडा लगाते है। इसके बाद घर के चूल्हे में "शुर्कू" यानी पहाड़ी जड़ी बूटी से निर्मित हवन सामग्री डाला जाता है। इसके बाद सत्तू, घी, रत्न ज्योत के मिश्रण से त्रिकोणीय प्रतिमा बनाया जाता है जिसे ब्रयंगस कहा जाता है और इसे एक बड़े परात में रखा जाता है इसके अलावा आटे से बकरी भेड़ का स्कल्पचर बना कर ब्रयंगस के चारो और इसे रखा जाता है, जिसमें सेब, खुमानी, चिलगोज़ा सहित सभी फसल को रखा जाता है। ब्रयंगस के ऊपर घी का तिलक लगाया जाता है और ड्राई फ्रूट नट्स की माला बना कर प्रतिमा को पहनाया जाता है, इस माला को "दिरमा" कहा जाता है। इसके बाद घर में सबसे कम उम्र की औरत या बेटी इसकी पूजा कर सुख समृद्धि की कामना करती है । इस विधि के दौरान घर के सभी सदस्य का शामिल होना अनिवार्य होता है। लोसर के पहले दिन हॉर्स रेस आकर्षण का केंद्र रहता है। लोसर के दूसरे दिन किसी प्राचीन मैदान या खेत में सुबह से ही नाच गाने का दौर शुरू होता है इस दौरान सभी लोग स्थानीय वेशभूषा में शामिल होते है। लोसर के अंतिम दिन ब्रयंगस खंडित किया जाता है और इसे प्रसाद के रूप में सभी को वितरित किया जाता है। लोसर का इतिहास लोसर की उत्पत्ति बौद्ध-पूर्व काल में तिब्बत में हुई थी। इतिहास पर अगर गौर करें तो लोसर फैस्टिवल की जड़े हमें यहां के पुराने बॉर्न धर्म से जुड़ी हुई मिलती हैं, जिसमें ठंड के दिनों में धूप जलाने का रिवाज हुआ करता था। बताया जाता है कि नौवें तिब्बती राजा, पुड गुंग्याल के शासनकाल के दौरान इसी रिवाज़ को वार्षिक त्यौहार बनाने के लिए इसे एक फसल त्यौहार के साथ मिला दिया गया। बैशाखी, पोंगल आदि की तरह ही लोसर में भी फसल के लिए आभार व्यक्त किया जाता है। लोसार का बाद में तिब्बत में आई बौद्ध परंपरा की ओर झुकाव हो गया। ऐसा माना जाता है कि, पुड गुंग्याल के शासनकाल के दौरान बेल्मा नाम की एक बूढ़ी औरत हुआ करती थी, जो लोगों को चंद्रमा के आधार पर समय की गणना करना सिखाती थी। उस विश्वास के साथ, कुछ स्थानीय लोग लोसर को बाल ग्याल लो के रूप में संदर्भित करते हैं। लोसर को मनाने की तिथि हर साल बदलती है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में होती है लोसर की धूम भारत देश में लोसर का ये पर्व लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में मनाया जाता है। यह त्योहार इन जगहों पर रहने वाली तिब्बती और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए नए साल की शुरूआत है। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर, लाहौल, स्पीति और कांगड़ा में इस त्योहार की धूम दिखती है। वहीं अरुणाचल प्रदेश में मोनपा जनजातियों द्वारा तवांग, मेम्बा और मेचुखा घाटी में इसे मनाया जाता है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले योलमो, शेरपा, तमांग, गुरुंग और भूटिया समुदाय भी लोसार के उत्सव में भाग लेते हैं। हिमाचल में ऐसे मनाया जाता है लोसर मेला जिला किन्नौर के ऊपरी क्षेत्र रोपा घाटी में नव वर्ष का लोसर मेला हर वर्ष शकसंवत के पौष माह के पहले दिन से शुरू होता है, जो कई दिनों तक चलता है। ग्रामवासी इस मेले की तैयारी कई दिन पूर्व से ही करते हैं। खास कर भोटी (स्थानीय जनजाति) इस मेले को लेकर खासे उत्सुक रहते है। वे लोग इस दिन एक-दूसरे को मिलते हैं, किन्नौरी सूखे मेवे चिलगोजा, बादाम से बनी माला एक-दूसरे के गले मे पहनाकर नव वर्ष की बधाई लोसमा टाशी (नव वर्ष शुभ हो) कह कर देते हैं। खास बात यह भी है कि इस दिन जो भी घर का सदस्य बाहर रहता हो या घर से बाहर गया हो, उसका घर में आना जरूरी है नहीं तो इसका महत्व नहीं रहता है। नव वर्ष के अवसर पर सभी को नए वस्त्र पहनना अनिवार्य है वह भी किन्नौरी वेशभूषा न कि आधुनिक परिधान। पूह क्षेत्र में लोसर- बौद्ध अनुयायियों नव वर्ष का त्योहार है। दिसंबर के अंत में मनाए जाने वाले इस त्योहार को लामा लोग ही मानते हैं। इसमें गृह देवता के पास दीपक जलाया जाता है, आटे की कई प्रतिमाएँ बनाई जाती हैं। लोग दोपहर के पहले घर से नहीं निकलते। लामा और जोमो अर्थात भिक्षुणी दोनों मेले में नाचते हैं। इस दिन प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है कि वह शुभ शकुन देखे। इसलिए लोग उसी व्यक्ति, जानवर व पक्षी को देखने का प्रयास करता है, जिसके साथ शुभ जुड़ा हो। अरुणाचल में दिसंबर से ही शुरू होती है लोसर की तैयारियां अरुणाचल प्रदेश में मोनपा लोग लोसर की तैयारियाँ दिसंबर से ही शुरू कर देते है। जैसे घर की साफ़ -सफाई करवाते है, नए कपड़े खरीदे जाते है, खाने पीने का सामान इकठ्ठा किया जाता है। यहाँ पहले दिन लोग अपने घरवालों के साथ ही इसे मानते है और घर में ही खाते पीते और विभिन्न तरह के खेल खेलते है। दूसरे दिन लोग एक-दूसरे के घर जाते है और नए साल की बधाई देते है और तीसरे दिन प्रार्थना के झंडे लगाए जाते है। ईटानगर के थप्टेन ग्यात्सेलिंग मठ में यह उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। सबसे पहले मठ के बाहर भगवान बुद्ध की प्रतिमा को एक पेड़ के नीचे स्थापित किया जाता है और उसके सामने दिया जलाया जाता है। उसके बाद प्रार्थना झंडों को बाँधा जाता है। इसके बाद नृत्य संगीत का कार्यक्रम होता है। इनका संगीत बहुत ही मधुर होता है और नृत्य की शैली अत्यंत मधुर और मंद सी होती है। नर्तक जो टोपी पहनते है वह याक के बालों से बनाई जाती है और ये मोनपा जनजाति की बहुत ही पारंपरिक टोपी होती है। उत्तराखंड में होली खेल कर मनाया जाता है लोसर उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय इलाको में रहने वाले लोग लोसर मनाकर अपनी परम्पराओं को जीवित रखे हुए हैं। इस प्रांत के डुण्डा ब्लाक में भूटिया जनजाति के लोग तीन दिन तक इस त्योहार की मस्ती में डूबे रहते हैं। सभी बच्चे, बूढ़े और महिला एक दूसरे के साथ होली खेलते हैं, ये लोग गुलाल से होली नहीं खेलते बल्कि एक दूसरे पर रंग की तरह सूखा आटा लगाकर खुशी प्रकट करते हैं। भूटियो के साथ ही तिब्बती भी भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना कर इस त्योहार में भाग लेते हैं। बौद्ध मंदिरों में बड़े बड़े रंगबिरंगे झंडे लगाए जाते हैं और त्योहार की मिठाई बाँटी जाती है। बौद्धनाथ स्तूप में होती है रौनक नेपाल में लोसर बहुत ही अलग तरीके से मनाया जाता है। जो लोग बौद्ध नहीं हैं वे भी अपने बौद्ध मित्रों से इस उत्सव में शामिल होने जाते हैं। मंदिरों और स्तूपों में पारंपरिक नृत्य और गायन चलता रहता है। काठमांडू के बौद्धनाथ स्तूप पूजा के लिये आने वाले परिवारों द्वारा जलाई गई मोमबत्तियों की रोशनी और झंडियाँ से सभी परिवेश को एक रंगीन स्वर्गिक दृश्य में बदल देती हैं। लाल वस्त्र धारण किये हुए हजारों बौद्ध भिक्षुओं की उपस्थिति इस स्तूप भी लोसर उत्सव में अद्भुत बना देती है। लो शोमा टाशी के साथ यह उत्सव पूरा होता है और सब अपने अपने घर लौटते हैं। लो शोमा टाशी का अर्थ है नव वर्ष मंगलमय रहे। इसी प्रकार नेपाल में टाशी या टासी दोनो प्रकार के रूप इस वाक्य में प्रयुक्त होते हैं। लद्दाख में ख़ास फेस्टिवल्स में से एक है लोसर लद्दाख का लोसर फेस्टिवल यहां मनाए जाने वाले खास फेस्टिवल्स में से एक है जिसे दिसंबर महीने में मनाया जाता है। फेस्टिवल में लद्दाखी बौद्धजन घरेलू धार्मिक स्थलों पर या गोम्पा यानी की मोनास्ट्री में अपने देवताओं को धार्मिक चढ़ावा चढ़ाकर खुश करते हैं। इसके अलावा इस महोत्सव में अलग-अलग तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक प्रदर्शनी और पुराने रीति-रिवाजों का भी प्रदर्शन किया जाता है। पुरानी परंपरा के अनुसार लदाख में लोग अपने परिवार के सदस्यों की छोक्तेन पर जाते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। इस फेस्टिवल में नृत्य और संगीत की खूबसूरत जुगलबंदी से आम लोग भी आकर्षित होते है। लद्दाख में लोसर के पहले तीन दिन बेहद ख़ास देश के विभिन्न प्रांतों में मनाये जाने वाले लोसर का ये पर्व दस से पंद्रह दिन तक चलता है। इस त्यौहार की शुरूआत घरो और मंदिरों में रोशनी के साथ होती है। चारों ओर रोशनी से देश का हर वो हिस्सा जगमगा उठता है जहां लोसर की धूम रहती है। पुरानी परंपराओं की मानें तो कई जगह इस दिन परिवार के लोग अपने घरों के मृत लोगों के छोक्तेन पर जाते हैं। यूँ तो इस त्यौहार के सभी पंद्रह दिन हर्षोउल्लास के साथ मनाये जाते है, लेकिन लोसर के पहले तीन दिन बेहद ही ख़ास माने जाते है। पहला दिन - इस त्योहार के पहले दिन को पिछले वर्ष की हर तरह की बुराइयों और बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए घरों की अच्छी तरह से लोग साफ-सफाई करते हैं। इस दिन को ‘गुटुक’ नाम का एक अनोखा व्यंजन बनाया जाता है। वहीं विशेष आटे के गोले बनाए जाते हैं जिनमें विभिन्न सामग्रियों को भरा जाता है। आटे के गोले को खाते समय जिस व्यक्ति के खाने में जो सामग्री निकलती है वो उस आदमी के चरित्र के विशिष्ट लक्षणों के रुप में देखा जाता है। ऐसा सिर्फ हंसी मजाक के तौर पर लोग आपस में करते हैं। दूसरा दिन - दूसरे दिन लोग स्थानीय ‘मठों’ पर पहुंचते हैं और अपना ट्रिब्यूट देते हैं। मठो पर जाने से पहले बाजारों, सड़कों और गलियों से लोग एक जुलूस निकालते हैं जिसमें वे अपने माथे पर ‘मेथी’ नाम की एक चीज ढ़ोते हैं। इस दौरान लोग ज्वलंत मशालें लेकर नारे लगाते हुए मठों की ओर जाते हैं। कहा जाता है कि, यह जुलूस शहर से बुरी आत्माओं या शक्तियों की विदाई के लिए निकाली जाती है। इस दिन लोग मठो पर दुआ मांगते हैं और अपनी इच्छा अनुसार मठो के भिक्षुओं को उपहार भेंट करते हैं। तीसरा दिन - यह दिन लोसर महोत्सव के मुख्य समारोहों का अंतिम दिन होता है। इस दिन लोग एक री-यूनियन भोज का आयोजन करते है, वो आपस में मिलते हैं और एक खास तरह का केक जिसे काप्स कहते है, उसका सेवन चांग नामक एक मादक पेय का सेवन करते हैं। पारंपरिक नृत्य बनता है आकर्षण का केन्द्र यूँ तो लोसर के त्यौहार में कई प्रकार की पारम्परिक चीज़े लोगो को आकर्षित करती है, लेकिन इस त्योहार का सबसे मुख्य आकर्षण होता हैं पारंपरिक नृत्य, जो लोग इस त्यौहार के दौरान करते हैं। इसमें डांस करने वाले लोग कुछ खास किस्म के रंगीन और चमकीले कपड़े पहनते हैं और अपने चेहरे पर दानव या किसी पशु का मुखौटा पहनते है। यह डांस दुनियाभर के लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनता हैं। लोसर पर खान-पान भी विशिष्ट लोसर पर्व के पहले दिन गांव में घरों की छतों पर बौद्धमंत्रों के साथ बौद्ध झंडे लगाकर सुख-शांति, अमन और नए साल का स्वागत करते हुए लोसर मेले का आगाज किया जाता है। इस दौरान गांव के प्रत्येक घर में बाड़ी दु, ओगला और फाफरे के पारंपरिक व्यंजन बनाए और सब्जियों के साथ परोसे जाते है। इसके बाद ग्रामीण जुटे और तोषिम कार्यक्रम किया जाता है। इस दौरान किन्नौरी नाटी यानी कायंग का दौर चलता है व् तीन दिन इस पर्व की धूम रहती है।