सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार को भूंडा महायज्ञ के दौरान पशु बलि देने पर नोटिस जारी किया है। यह महायज्ञ 2 से 5 फरवरी तक शिमला जिले के रोहड़ू क्षेत्र में आयोजित हुआ था, जहां पशुओं की बलि दी गई। याचिकाकर्ता ने इस संबंध में एक कानूनी नोटिस पहले ही उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक और एसडीएम को भेजा था, जिसमें उन्होंने पशु बलि पर रोक लगाने की मांग की थी। इसके बावजूद, नियमों का पालन किए बिना महायज्ञ के दौरान पशुओं की बलि दी गई, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन था। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जेके महेश्वरी और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार शामिल थे, ने इस मामले में हिमाचल प्रदेश सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी करते हुए उनसे जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में प्रस्तुत किए गए अपने दस्तावेजों में सोशल मीडिया पर वायरल हुई उन वीडियो का भी उल्लेख किया है, जिनमें खुलेआम पशु बलि दी जा रही थी। इस मामले में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी, और हिमाचल सरकार को याचिका में लगाए गए आरोपों का जवाब देने के लिए हलफनामा दायर करना होगा। इस याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि हिमाचल प्रदेश में पशु बलि की परंपरा सदियों से चली आ रही है, और कुल्लू दशहरा जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में इस प्रथा को कानूनी अनुमति दी गई है, बशर्ते कि कुछ शर्तों का पालन किया जाए। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कुल्लू दशहरा में पशु बलि को लेकर शर्तों के साथ अनुमति दी थी, लेकिन रोहड़ू में इस बार इन शर्तों का खुलेआम उल्लंघन किया गया। याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया है कि वर्तमान समय में पशु बलि को आधुनिक समाज के दृष्टिकोण से गलत माना जाता है और समाज में बदलाव की आवश्यकता है।
रात्रि भत्ता सहित अन्य वित्तीय लाभों की मांग को लेकर एचआरटीसी चालक परिचालक यूनियन ने सरकार और निगम प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शुक्रवार को दोनों यूनियनों ने निगम मुख्यालय के बाहर जोरदार धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने निगम और सरकार को 15 दिनों के भीतर सभी वित्तीय लाभ एक साथ अदा करने का अल्टीमेटम दिया। यूनियन ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनका वित्तीय लाभ समय पर नहीं दिया गया, तो 6 मार्च से चालक काम छोड़ो अभियान और चक्का जाम जैसे आंदोलन शुरू करेंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। एचआरटीसी ड्राइवर यूनियन के अध्यक्ष मान सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री बार-बार झूठ बोलकर लाभों की तिथि को आगे बढ़ा रहे हैं। चालक परिचालकों को अभी तक रात्रि भत्ता नहीं दिया गया, साथ ही अन्य कई वित्तीय लाभ भी लंबित हैं। उन्होंने कहा कि कई बार सरकार और निगम प्रशासन से आग्रह करने के बावजूद यह लाभ नहीं दिए जा रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि 15 दिनों के भीतर वित्तीय लाभों का भुगतान नहीं किया जाता, तो चालक काम छोड़ो अभियान और चक्का जाम जैसे आंदोलन की ओर बढ़ सकते हैं, जिसके लिए निगम प्रबंधन और सरकार जिम्मेदार होगी।
हिमाचल प्रदेश में SMC अध्यापक एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। इन अध्यापकों का मुख्य उद्देश्य अपनी नौकरी का नियमितीकरण है, जिसके लिए वे लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। कुछ समय पहले, SMC अध्यापक शिमला के चौड़ा मैदान में दिन-रात हड़ताल पर बैठे थे, और तब शिक्षा मंत्री ने खुद धरना स्थल पर आकर इनकी समस्याओं को सुनने और विचार करने का आश्वासन दिया था। लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी इनकी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं, जिससे अब यह अध्यापक एक बार फिर आर-पार की लड़ाई के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। SMC अध्यापक संघ के राज्य प्रवक्ता, निर्मल ठाकुर ने कहा कि ये अध्यापक पिछले कई सालों से प्रदेश के दूरदराज इलाकों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकार की ओर से इनकी स्थिति सुधारने के लिए कोई स्थाई पॉलिसी नहीं बनाई गई है। यही नहीं, इन अध्यापकों को स्कूलों की छुट्टियों के दौरान वेतन भी नहीं मिलता, और केवल 14,000 रुपये मासिक वेतन पर इनका परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। निर्मल ठाकुर ने सरकार से यह मांग की कि जल्द से जल्द एक स्थाई पॉलिसी बनाई जाए, और 2,555 शिक्षकों को स्थाई नियुक्ति दी जाए। उनका कहना है कि वे किसी तरह का आश्वासन नहीं, बल्कि नियमितीकरण के आदेश लेकर ही वापस लौटेंगे। अब यह समय है जब इन अध्यापकों ने आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है।
मोहाली में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां शिमला के एक युवक के साथ दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी गईं। पंजाब यूनिवर्सिटी में एमए की पढ़ाई कर रहे इस छात्र ने मोहाली के एक सरपंच और उसके दोस्त करम देव किडनैपिंग, यौन शोषण, ब्लैकमेलिंग और शारीरिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़ित के अनुसार, उसे पहले किडनैप किया गया, फिर जबरन यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया। इतना ही नहीं उसके गुप्तांग पर करंट लगाया गया और इस पूरी घटना का वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल किया गया। पीड़ित का कहना है कि आरोपियों ने उसे धमकाकर उसके मोबाइल से 30,000 रुपये भी ट्रांसफर करवा लिए। इस घटना से टूट चुके युवक ने आत्महत्या करने का फैसला कर लिया। 19 जनवरी को वह पिंजौर पहुंचा और खुदकुशी से पहले रोते हुए अपना एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसे उसने अपने कुछ जानने वाले लोगो को भेजदी। वीडियो देखने के बाद कुछ लोगों ने तुरंत मौके पर पहुंचकर उसे आत्महत्या करने से रोक लिया, लेकिन वह बेहोश हो गया। 21 जनवरी को जब उसे होश आया। शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में युवक का मेडिकल हुआ है, जिसमें कुकुर्म की पुष्टि की गई है । शिमला पुलिस ने जीरो एफआईआर दर्ज कर मामला खरड़ पुलिस को ट्रांसफर किया है. खरड़ पुलिस ने राजपुरा के सरपंच सहित दो लोगों पर मामला दर्ज किया है मामले की आगामी जांच जारी है।
** चम्बा कांगड़ा कुल्लू मंडी में भारी बारिश और बर्फबारी की आशंका हिमाचल में आज देर रात से मौसम करवट बदलने वाला है। मौसम विभाग ने आज देर रात से कई हिस्सों में भारी बारिश और बर्फबारी को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।इस दौरान खास कर चम्बा कांगड़ा कुल्लू मंडी में भारी बारिश और बर्फबारी की आशंका जताई है। इसके साथ ही शिमला में बारिश जबकि कुफरी नारकंडा ओर ऊपरी क्षेत्रो में बर्फबारी हो सकती है। 20 फरवरी को किन्नौर और लाहौल-स्पीति को छोड़कर अन्य सभी जिलों में आंधी व तूफान चलने का भी अलर्ट जारी किया गया है। 21 से 23 फरवरी तक अधिक ऊंचे क्षेत्रों में ही मौसम खराब रहेगा। इससे लाहौल स्पीति, किन्नौर, कुल्लू और चंबा जिला की अधिक ऊंची चोटियों पर बर्फबारी हो सकता है। अन्य क्षेत्रों में मौसम साफ हो जाएगा। मौसम विभाग के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में बीते 24 घंटे के दौरान मौसम साफ बना रहा है लेकिन आज डेरा से प्रदेश में पश्चिमी विकशॉप सक्रिय हो रहा है जिसके चलते देर रात से प्रदेश के चार जिलों में कांगड़ा मंडी कुल्लू चंबा में भारी बारिश और बर्फबारी को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में भी मौसम खराब बना रहेगा। उन्होंने कहा कि पश्चिमी विकशॉप का असर 21 फरवरी की सुबह तक रहेगा इसके बाद मौसम साफ रहेगा। बीते दिनों मौसम साफ रहने से तापमान में उछाल आया है लेकिन बारिश और बराबरी होने से तापमान में भारी गिरावट आने की भी आशंका है। प्रदेश में इस बार सर्दियों में भी सूखे जैसे हालात बने हुए है। शिमला सहित कई हिस्सों में बर्फबारी बारिश काफी कम हुई हुई है। इस विंटर सीजन एक जनवरी से 17 फरवरी के बीच में नॉर्मल से 79 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इस अवधि में 142.1 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है, लेकिन इस बार 29.6 मिलीमीटर ही बादल बरसे है।इसकी मार गेहूं की फसल के अलावा सेब के बगीचों पर पड़ रही है। हालांकि आगामी दो दिन बारिश बर्फबारी को।लेकर अलर्ट जारी किया गया है ऐसे में किसान बागवानों को राहत मिल सकती है।
हिमाचल प्रदेश के राशन कार्ड धारकों के लिए एक अच्छी खबर आई है। खाद्य आपूर्ति निगम ने लंबे समय से प्रतीक्षित रिफाइंड तेल की आपूर्ति के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। अगले महीने से राशन डिपो में रिफाइंड तेल उपलब्ध होने लगेगा। कंपनियों को 28 फरवरी तक तेल के सैंपल जमा करने का समय दिया गया है, जिनकी गुणवत्ता की जांच के बाद 11 मार्च को तकनीकी बिड खोली जाएगी। खाद्य आपूर्ति निगम का दावा है कि 20 मार्च के बाद उपभोक्ताओं को डिपो में तेल मिलने लगेगा। इस नई व्यवस्था के तहत, राशन कार्ड धारकों को एक लीटर सरसों तेल और एक लीटर रिफाइंड तेल मिलेगा। साथ ही, डिपो होल्डरों को तीन महीने का सरसों तेल का कोटा एक साथ देने के निर्देश भी दिए गए हैं, जो पहले एक महीने का दिया जाता था। तेल की सप्लाई अब शुरू कर दी गई है, और दूरदराज क्षेत्रों में सरसों तेल की खेप भेजी जा रही है। हिमाचल प्रदेश में लगभग 19.5 लाख राशन कार्ड उपभोक्ता हैं, और सरकार द्वारा उन्हें दो लीटर तेल, तीन किलो दालें (मलका माश और दाल चना), चीनी और नमक सब्सिडी पर दिया जा रहा है। आटा और चावल केंद्र सरकार द्वारा मुहैया कराया जाता है। खाद्य आपूर्ति निगम के महाप्रबंधक, अरविंद शर्मा ने बताया कि रिफाइंड तेल की टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, और अब अगले चरण की तैयारी की जा रही है।
प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक शनिवार को राज्य सचिवालय शिमला में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित की गई। मंत्रिमंडल ने छह पोस्ट कोडों में 699 पदों के लिए लंबित परिणामों की घोषणा को मंजूरी दे दी। इनमें मार्केट सुपरवाइजर (पोस्ट कोड-977), फायरमैन (पोस्ट कोड-916), ड्राइंग मास्टर (पोस्ट कोड-980), एचपी सचिवालय क्लर्क (पोस्ट कोड-962), बिजली बोर्ड लाइनमैन (पोस्ट कोड-971) और स्टेनो टाइपिस्ट (पोस्ट कोड-928) शामिल हैं।
कांग्रेस आलकमान ने राजीव शुक्ला को हटाकर रजनी पाटिल को हिमाचल का प्रभारी नियुक्त कर दिया है। शुक्रवार देर रात इसको लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। पाटिल इससे पहले भी ये ज़िम्मेदारी संभल चुकी है। वह मई 2018 से 11 सितंबर 2020 तक हिमाचल की प्रभारी थी, तब कुलदीप राठौर पीसीसी चीफ थे। राजीव शुक्ला को कांग्रेस पार्टी आला कमान ने वर्ष 2020 में हिमाचल कांग्रेस की बतौर प्रभारी नियुक्ति किया था। 2 साल बाद यानी वर्ष 2022 में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने प्रदेश की सत्ता में वापसी की थी। हालांकि, इसके बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदेश की चारों सीटों पर चुनाव हार गई थी। इसी बीच कांग्रेस पार्टी में आपसी गुटबाजी भी खुलकर सामने आती रही। मौजूदा समय में हिमाचल कांग्रेस पार्टी की सभी कमेटियां चाहे वह प्रदेश कांग्रेस कमेटी हो या जिला वह ब्लॉक कमेटी या सभी भंग है। ऐसे में रजनी पाटिल के समक्ष नए सिरे से कमेटियों का गठन करना सबसे पहली चुनौती होगी। वहीँ इस साल के अंत में पंचायती राज चुनाव होने हैं वह अगले वर्ष कुछ नगर निगम के चुनाव है। रजनी पाटिल हिमाचल कांग्रेस की पहले भी प्रभारी रह चुकी है। वह प्रदेश कांग्रेस पार्टी व यहां के पदाधिकारी से लेकर आम कार्यकर्ताओं तक को जानती है। माहिर मानते है कि पार्टी हाई कमान ने उनके इसी अनुभव को देखते हुए दोबारा से उन्हें प्रदेश प्रभारी की कमान सौंपी है।
शिमला: हिमाचल सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने रोजगार के मुद्दे पर विपक्ष पर निशाना साधा है. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि 2 साल के कार्यकाल में प्रदेश सरकार ने 42 हजार रोजगार के अवसर युवाओं को प्रदान किए. वहीं पूर्व भाजपा सरकार ने 5 साल के कार्यकाल में केवल 55 हजार सरकारी नौकरियां दी. इस दौरान विक्रमादित्य सिंह ने नेता प्रतिपक्ष और भाजपा पर केंद्र से हिमाचल को मिलने वाली मदद रोकने का भी आरोप लगाया है. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रदेश में विकास कार्य किए जा रहे हैं. प्रदेश सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं और सरकार इसके लिए काम कर रही है. लेकिन पिछले कुछ समय से विपक्ष और मुख्य रूप से नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर लगातार तथ्यहीन हैं और बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि सरकार ने दो साल के कार्यकाल में 42 हजार युवाओं को रोजगार का अवसर दिया. वहीं पूर्व भाजपा सरकार ने पांच साल के कार्यकाल में केवल 20 हज़ार नौकरियां दी गई. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार ने दो सालों में 12 हज़ार 500 सरकारी क्षेत्र में नौकरियां दी गई. पूर्व सरकार के घोटालों के चलते जो भर्तियां लटकी हुई थीं उन्हें भी बहाल करने का काम सरकार ने किया. वर्तमान सरकार ने 2 हज़ार 273 ऐसे पदों पर भर्ती प्रक्रिया को शुरू किया. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि 25 हजार नए पद भरने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी जिसमें प्रदेश के युवाओं को रोज़गार का अवसर मिलेगा.विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि भाजपा की सरकार प्रदेश पर 75 हज़ार करोड़ का कर्ज छोड़ कर गई. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने प्रदेश आर्थिक रूप से मज़बूत करने के लिए काम किया. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के नेतृत्व में 443 औद्योगिक प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई. साथ ही राजीव गांधी स्वरोजगार योजना के माध्यम से युवाओं को रोज़गार दिया जा रहा है. इसके अलावा बागवानों के लिए यूनिवर्सल कार्टन लाया गया और नींबू प्रजाति के फलों का समर्थन मूल्य भी बढ़ाया गया. वर्तमान सरकार ने मनरेगा का दिहाड़ी बढ़ाई गई आपदा में क्षतिग्रस हुई सड़कों को मनरेगा के माध्यम से किया गया. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का काम किया गया. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि जहां पूर्व भाजपा सरकार ने 5 साल के कार्यकाल में 55 हजार सरकारी नौकरियां दी. वहीं वर्तमान कांग्रेस सरकार ने 2 साल के कार्यकाल में युवाओं को 20 हज़ार सरकारी नौकरी देने का काम किया . इस दौरान लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को निशाने पर लिया. विक्रमादित्य सिंह ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर पर आरोप लगाते हुए कहा कि जयराम ठाकुर लगातार केन्द्र से हिमाचल को मिलने वाली मदद को रोकने का काम कर रहे हैं. केंद्र की हर फंडिंग में हिमाचल की आवाज़ दबाने का काम किया जा रहा है. हिमाचल आर्थिक रूप से वाइबल राज्य नहीं है और केंद्र पर निर्भर है. जम्मू कश्मीर को बजट में स्पेशल पैकेज दिया गया. लेकिन हिमाचल में आपदा से भारी नुकसान हुआ. करीब 9 हजार करोड़ के नुकसान का आंकलन किया गया लेकिन एक पैसा नहीं मिला. मगर क्या विपक्ष के नेता और भाजपा के पार्टी प्रदेश अध्यक्ष ने केंद्र के सामने बात रखी यह सवाल है. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि राजनीति केवल राजनीतिक के लिए नहीं होनी चाहिए. विपक्ष को प्रदेश के हित के लिए राजनीति करनी चाहिए.
शिमला के चक्कर बाइपास के पास स्थित पर्यटन विभाग की वर्कशॉप में गुरुवार देर शाम अचानक भीषण आग लग गई। आग की लपटें देख आसपास के लोग सकते में आ गए और अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हालांकि, राहत की बात यह रही कि इस घटना में किसी भी व्यक्ति को कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ। वहीं, वर्कशॉप का पूरा भवन आग की चपेट में आकर नष्ट हो गया। घटना से लाखों रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। आग लगने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन यह दुर्घटना उस समय हुई जब वर्कशॉप बंद थी। अग्निशमन विभाग की टीमें मौके पर पहुंची और देर रात तक आग बुझाने की प्रक्रिया जारी रखी। फिलहाल, विभाग इस हादसे की जांच कर रहा है ताकि आग लगने के कारणों का पता चल सके।
प्रदेश में बर्फबारी और बारिश न होने की वजह से राज्य के किसान और बागवान परेशान नजर आ रहे हैं. जनवरी महीने में 84 फ़ीसदी और फरवरी महीने के 11 दिनों में 51 फ़ीसदी तक कम बारिश हुई है. बर्फबारी और बारिश न होने की वजह से नकदी फसल के साथ सेब की पैदावार पर खतरा मंडरा रहा है. किसान-बागवान अपने साल भर की मेहनत को लेकर खासे चिंतित हैं. राज्य में कई ऐसे किसान और बागवान हैं, जिनकी रोज़ी-रोटी इसी के साथ जुड़ी हुई है. ऐसे में अगर मौसम का साथ नहीं मिलेगा, तो आने वाले समय में परेशानियां बढ़ सकती हैं. यह राज्य सरकार के लिए भी चिंता का विषय है। हिमाचल प्रदेश संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान का कहना है कि बर्फबारी और बारिश न होने की वजह से सेब की पैदावार पर सीधा असर पड़ रहा है. बागवान अपने साल भर की मेहनत को लेकर बेहद चिंतित हैं. सर्दियों के मौसम में अब तक नाममात्र की बर्फबारी हुई है. बर्फबारी न होने की वजह से पौधे की जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं. यही नहीं, बर्फबारी होने से कई ऐसे कीड़े-मकौड़े भी मर जाते हैं, जो पौधे को नुकसान पहुंचा सकते हैं.वहीं, युवा बागवान मोहित शर्मा ने भी बर्फबारी और बारिश न होने की वजह से चिंता ज़ाहिर की है. उन्होंने कहा कि इसकी वजह से सेब की पैदावार पर सीधा असर पड़ेगा. बेहतर पैदावार के लिए पौधे को नमी की जरूरत होती है. बर्फ न होने की वजह से नमी नहीं मिल पा रही है. यह सभी बागवानों के लिए चिंता का विषय है.
** सभी दल मिल कर नशे के खिलाफ लड़े लड़ाई हिमाचल प्रदेश में नशे का कारोबार बढ़ता जा रहा है ओर नशे पर राजनीति भी गरमा गई है। विपक्षी दल इसको लेकर हमलवार है। वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और ठियोग से विधायक कुलदीप राठौर ने इसको लेकर पलटवार किया है और राजनीतिक दलों को नशे पर राजनीति करने के बजाय नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में नशे को लेकर अलार्मिंग स्थिति पैदा हो गई है और प्रदेश के गांव स्तर तक नशा खास कर चिट्टा तस्करों ने अपना जाल बिछा दिया है जिसके चलते आए दिन युवा मौत का ग्रास बन रहे हैं। सरकार और पुलिस विभाग इसको लेकर कार्रवाई कर रहा है और आए दिन नशे के तस्करों को पकड़ा जा रहा है लेकिन निचले लेवल के तस्करों को पुलिस पकड़ रही है । जबकि जो नशे के बड़े तस्कर है जहां से सप्लाई होता है वहां पर दबिश दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नशा तस्करी में कोई भी शामिल हो उसे नहीं बख्शा जाना चाहिए। वहीं राठौर ने नेता प्रतिपक जयराम ठाकुर के आरोपों पर भी पलटवार किया और कहा कि नेता प्रतिपक्ष नशे के कारोबार को लेकर अपनी चिंता जाता रहे हैं लेकिन यह नशा हिमाचल में एक महीने या 1 साल में नहीं फैला है बल्कि पिछले कई वर्षों से नशे का कारोबार चल रहा है यदि नेता प्रतिपक्ष अपने कार्यकाल के दौरान ही इस पर शक्ति से पेश आते तो आज के समय में नशा ग्रामीण स्तरों तक नहीं पहुंच पाता उन्होंने कहा कि नशे पर राजनीतिक दलों को राजनीति नहीं करनी चाहिए बल्कि अपना सहयोग देना चाहिए और अपने स्तर पर नशे के खिलाफ सभी को अभियान चलाना चाहिए सरकार भी महिला मंडल व अन्य स्थानों पर इसको लेकर जागरूकता अभियान शुरू करें ताकि आने वाली पीढ़ी को इस नशे के जाल से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि कोई भी कितना ही प्रभावशाली व्यक्ति क्यों ना हो यदि वे नशे के कारोबार में संकलित है उन्हें नहीं बक्शा जाना चाहिए वही दिल्ली में कांग्रेस को मिली हार को लेकर कुलदीप राठौर ने कहा कि दिल्ली के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए हैं आल्हा का मन इसको लेकर गंभीर है और हार को लेकरचिंतन हो रहा है । उन्होंने कहा कि संगठन को मजबूत करने की जरूरत है यदि संगठन मजबूत नहीं है तो चुनाव नहीं जीते जा सकते हैं। दिल्ली में लोगों में आम आदमी पार्टी के प्रति रोज था और दिल्ली में भाजपा नहीं जीती है बल्कि लोगों ने आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर किया है।
उत्तर प्रदेश के गोसाईगंज थाना क्षेत्र के बासूपुर गांव के पास मंगलवार सुबह एक बड़ा हादसा हुआ। हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के श्रद्धालु, जो अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के बाद बनारस के काशी विश्वनाथ दर्शन के लिए जा रहे थे, उनका टूरिस्ट वाहन बरौंसा-पापर मार्ग पर पुलिया से टकराकर गड्ढे में पलट गया। इस दुर्घटना में कुल 15 श्रद्धालु घायल हो गए। हादसे के तुरंत बाद घटनास्थल पर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। ग्रामीणों ने तत्काल मौके पर पहुंचकर बस में फंसे श्रद्धालुओं को बाहर निकाला और उनकी मदद की। घायलों को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) जयसिंहपुर भेजा गया। सीएचसी प्रभारी डॉ. सुरेंद्र पटेल और उनकी टीम ने घायलों का इलाज किया, जबकि एक महिला श्रद्धालु सुषमा भारद्वाज को गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज सुलतानपुर रेफर किया गया। दुर्घटना के समय बस में कुल 22 लोग सवार थे, जिसमें से 15 लोग घायल हो गए। घायल श्रद्धालुओं में हिमाचल प्रदेश के शिमला शहर की अंजना शर्मा, चंद्रकांता, लक्ष्मी, गीता देवी, मत्ती देवी, केसरी देवी, प्रमिला देवी, शिल्पा, मायती देवी, वीरा देवी, उमा देवी, जेआर मुखिया, विनोद कुमार, देवेंद्र डोगरा और सुषमा भारद्वाज शामिल हैं। सभी घायलों को प्राथमिक उपचार देने के बाद उन्हें चाय भी पिलाई गई, और डॉक्टरों ने बताया कि सभी श्रद्धालु अब खतरे से बाहर हैं। घटना की सूचना पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। एसडीएम जयसिंहपुर, शिवप्रसाद और तहसीलदार जयसिंहपुर, मयंक मिश्रा ने तत्काल राहत कार्य शुरू किया। उन्होंने श्रद्धालुओं के सामान को सुरक्षित किया और अस्पताल में घायलों का हालचाल लिया। सीओ कादीपुर विनय गौतम ने भी सीएचसी जयसिंहपुर में घायलों को बेहतर सुविधाएं देने के निर्देश दिए। एसडीएम जयसिंहपुर ने बताया कि प्रशासन श्रद्धालुओं की पूरी मदद कर रहा है और सभी घायलों को सही उपचार दिया जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड में विभिन्न श्रेणियों के 706 पदों को समाप्त किया गया है. इसे लेकर बोर्ड प्रबंधन की ओर से आदेश जारी किए गए हैं. इन आदेशों के विरोध में बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आज सोमवार से प्रदेश भर में विद्युत काले बिल्ले लगाकर कार्य करेंगे ।वहीं दूसरी ओर अब आंदोलन के तहत कर्मियों ने वर्क टू रूल के तहत कार्य कार्य का आगाज कर दिया है।अब कर्मी नियमों के तहत केवल आठ घण्टे की ड्यूटी करेंगे। शिमला स्थित बिजली बोर्ड के मुख्य कार्यालय सहित विद्युत मंडलों व उप मंडलों में कार्यरत इंजीनियर, तकनीकी कर्मचारियों सहित अन्य सभी कर्मचारी काले बिल्ले लगाकर काम कर रहे है।वहीं कल आंदोलन के तहत हमीरपुर में महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ के महासचिव व ज्वाइंट फ्रंट के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने बताया कि सोमवार से कर्मचारियों ने आंदोलन के तहत वर्क टू रूल कार्य करने का फैसला लिया है। इसके तहत बिजली बोर्ड के इंजीनियर और कर्मचारी अब 8 घंटे ही अपनी सेवाएं देंगे. इस अवधि के दौरान जो भी कर्मचारी व अधिकारी का संबधित कार्य होगा, केवल वही किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आठ घंटे का समय पूरा होने के बाद बिजली बोर्ड के कर्मचारी अपनी सेवाएं नहीं देंगे. हीरा लाल वर्मा ने बताया कि कर्मचारी सरकार के कर्मचारी फैसले का विरोध कर रहे हैं. ये विरोध उस समय तक जारी रहेगा जब तक सरकार अपना फैसला वापिस नही करती और वार्ता के लिए नही बुलाती . सरकार कर्मचारी विरोधी फैसले ले रही है. आज तक किसी भी सरकार ने इस तरह के फैसले नहीं लिए थे. ऐसे में इंजीनियर और कर्मचारी आज से काले बिल्ले लगाकर सरकार के फैसले का विरोध करेंगे.उन्होंने कहा कि वह सरकार का विरोध नही कर रहे अपितु अगर कोई पद समाप्त किये जाने हैं तो उस विषय पर कर्मचारियों से चर्चा की जाए साथ ही महत्वपूर्ण जो पद हैं उन्हें समाप्त न किया जाए ।विभाग में अनेक पद रिक्त पड़े हैं उनके ऊपर चर्चा कर उन्हें शीघ्र भरा जाए साथ ही OPS भी कर्मियों को दी जाए।उन्होंने कहा कि कल से हमीरपुर में महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है।इसमे उपभोक्ता भी भाग लेंगे।उन्होंने कहा सभी जगह इस प्रकार की पंचायतों का आयोजन किया जाएगा और अगर सरकार वार्ता के लिए नही बुलाती तो कर्मियों को बड़ा कदम उठाने के लिए विवश होना पड़ेगा।
हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर दो दिनों तक मौसम खराब रहने वाला है. हिमाचल प्रदेश की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 2 दिनों तक पश्चिमी विक्षोभ का असर देखने को मिलेगा. इस दौरान जिला चंबा, कुल्लू, लाहौल स्पीति और किन्नौर में हल्की बारिश देखने को मिल सकती है. साथ ही जिला शिमला के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी हल्की बारिश देखने को मिल सकती है. हालांकि अन्य स्थानों पर केवल बादल छाए रहेंगे और बारिश या बर्फबारी जैसे कोई भी असर देखने को नहीं मिलेंगे.मौसम वैज्ञानिक शोभित कटियार ने बताया कि एक पश्चिमी विक्षोभ अफगानिस्तान और पाकिस्तान के ऊपर बना हुआ है, जिसका असर हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले जिले चंबा, कुल्लू लाहौल स्पीति और किन्नौर में देखने को मिलेगा. इससे शिमला जिला के ऊंचाई वाले इलाकों में भी हल्की बर्फबारी देखने को मिल सकती है. हालांकि शहर पर बादल छाए रहेंगे. लेकिन, बारिश और बराबरी की कोई भी संभावना नहीं है. शोभित कटियार ने बताया कि इसके बाद अगले तीन दिनों तक मौसम पूरी तरह शुष्क बना रहेगा. इसके बाद 14 और 15 फरवरी को लाहौल स्पीति, कांगड़ा और चंबा के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दूसरा पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा. साथ ही 17, 18 और 19 फरवरी को हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों पर तीसरा पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा. इसका प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में बारिश देखने को मिलेगी. कटियार ने बताया कि अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक चल रहे है, जो आने वाले दिनों में सामान्य हो जाएंगे.
**हिमाचल बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए काउंटडाउन शुरू दिल्ली चुनाव खत्म होने के साथ ही हिमाचल बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के लिए काउंटडाउन शुरू हो गया है।माना जा रहा है कभी भी नए अध्यक्ष की ताजपोशी हो सकती है। करीब एक दर्जन नेताओं के नामों को लेकर अटकलें है लेकिन माहिर मान रहे है कि इस बार अध्यक्ष पद के लिए कांगड़ा का 35 साल का इंतज़ार खत्म हो सकता है।कांगड़ा से आखिरी बार 1986 से 1990 तक शांता कुमार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इसके बाद पार्टी ने किसी अन्य नेता को मौका नहीं दिया। ऐसे में इस बार सबसे ज्यादा 15 सीटों वाले जिले को कमान मिल सकती है। कांगड़ा से लोकसभा सांसद राजीव भारद्वाज, राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी, विधायक विपिन परमार और विधायक बिक्रम ठाकुर के नाम मुख्य तौर पर चर्चा में बने हुए है, हालांकि मौजूदा दौर में बीजेपी को लेकर अधिकांश पूर्वानुमान गलत साबित होते है और पार्टी अक्सर अप्रत्याशित फैंसलों से चौंकाती है । ऐसे में ये देखना भी रोचक होगा कि क्या फिर बीजेपी कोई सरप्राइज लेकर सामने आएगी। बहरहाल बात कांगड़ा से ताजपोशी की संभावनाओं की करें तो सीटों के लिहाज से तो ये जिला सबसे वजनदार है। इतिहास गवाह है हिमाचल की सत्ता पर वो ही काबिज होता है जो कांगड़ा में इक्कीस रहता है। मौजूदा वक्त में इसी कांगड़ा से बगावत की सुगबुगाहट भी है। ऐसे में इसी जिला से अध्यक्ष देकर बीजेपी चाहेगी कि संभावित बगावत को फ्यूज कर दिया। माहिर मान रहे है कि बेशक चेहरा को भी हो, पर इस बार कांगड़ा का दावा सबसे मजबूत है।
बीजेपी और आप के बीच दिल्ली में सिर्फ 1.99 प्रतिशत वोट शेयर का अंतर रहा लेकिन सीटों के लिहाज से देखे ये तो अंतर 26 सीटों का है। आंकड़े साफ़ बताते है की दिल्ली में बीजेपी का चुनाव मैनेजमेंट शानदार रहा है और इसका श्रेय पार्टी के संगठन को भी जाता है । दरअसल, दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की इस शानदार जीत के पीछे संगठन मंत्री पवन राणा की भी बड़ी भूमिका रही है। अप्रैल 2023 में बीजेपी ने उन्हें दिल्ली का जिम्मा सौपा था और उसके बाद से ही दिल्ली में लगातार बीजेपी का संगठन मजबूत होता दिखा। बीजेपी संगठन में पन्ना प्रमुख मॉडल की शुरुआत करने वाले पवन राणा अपने पॉलिटिकल माइक्रो मैनेजमेंट के लिए जाने जाते है और दिल्ली में राणा का ये ही माइक्रो मैनेजमेंट बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत बना। मसलन, बीजेपी ने दिल्ली में मंदिर प्रकोष्ठ शुरू किया और दिल्ली के करीब पंद्रह हजार मंदिरों को इस प्रकोष्ठ से जोड़ा गया। इसका बीजेपी को अच्छा लाभ हुआ है। माना जा रहा है आने वाले दिनों में अन्य राज्यों में भी इसे अपनाया जा सकता है। वहीं, झुग्गी बस्ती सम्मलेन जैसे अभियानों का जमीनी असर भी खूब दिखा। केजरीवाल के झुग्गी वोट को तोड़ने के लिए बीजेपी चुनाव से कई महीने पहले झुग्गी क्षेत्रों में प्रो. एक्टिव दिखी। न सिर्फ झुग्गी प्रधानों को पार्टी के साथ जोड़ा गया, बल्कि खुद गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनका संवाद करवाया गया। इसके अलावा चाहे उत्तराखण्ड हो, हिमाचल या फिर पूर्वांचल के वोटर इनके प्रभाव वाली सीटों पर इस मर्तबा बीजेपी का माइक्रो मैनेजमेंट साफ़ दिखा। इन राज्यों से सम्बन्ध रखने वाले नेताओं को कोंस्टीटूएंसी टू कोंस्टीटूएंसी जिम्मा सौंपा गया और इसका भी बीजेपी को फायदा मिला।
हिमाचल: बिजली बोर्ड में 706 पद खत्म करने पर इंजीनियर-कर्मचारी नाराज, आज काले बिल्ले लगाकर देंगे सेवा
हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड में 706 पदों को समाप्त करने का आदेश जारी किया है, जिससे कर्मचारियों में गहरी नाराजगी फैल गई है। इस निर्णय के विरोध में बिजली बोर्ड के कर्मचारी आज से काले बिल्ले पहनकर काम करने का निर्णय लिया है। शिमला स्थित मुख्य कार्यालय सहित राज्य के अन्य विद्युत मंडल और उप मंडल में कार्यरत इंजीनियर, तकनीकी कर्मचारी और अन्य कर्मचारी भी इस विरोध में शामिल होंगे।यह निर्णय कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो रहा है, क्योंकि बोर्ड पहले ही कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा था। अब, 706 पदों की समाप्ति के कारण कार्यभार बढ़ने से कर्मचारियों पर दबाव और अधिक बढ़ गया है। इसी कारण, कर्मचारियों ने वर्क-टू-रूल आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है, जिसमें वे केवल निर्धारित समय तक ही काम करेंगे।अगर सरकार ने अपने फैसले को वापस नहीं लिया, तो कर्मचारियों ने राज्यभर में बड़े पैमाने पर विरोध और हड़ताल की चेतावनी दी है। इस मुद्दे पर 11 फरवरी को हमीरपुर में पंचायत आयोजित की जाएगी, और इसके बाद अन्य जिलों में भी विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड लागू करने की योजना तैयार हो रही है। नए शैक्षणिक सत्र से इसे लागू किया जा सकता है, और इससे पहले कुछ स्कूलों ने अपने स्तर पर शिक्षकों के लिए यह कोड शुरू भी किया है। शिक्षा सचिव राकेश कंवर का कहना है कि शिक्षक विद्यार्थियों के रोल मॉडल होते हैं, और उनके पहनावे तथा व्यवहार का बच्चों पर सीधा असर पड़ता है। यही वजह है कि कई स्कूलों में इस दिशा में बदलाव देखा गया है। बीते साल प्रदेश में स्वैच्छिक ड्रेस कोड लागू किया गया था, जिसे शिक्षकों के आग्रह पर शुरू किया गया था। अब इसे सभी स्कूलों में अनिवार्य करने की योजना बन रही है। इस ड्रेस कोड में शिक्षकों के लिए फॉर्मल ड्रेस और शिक्षिकाओं के लिए साड़ी या साधारण सूट-सलवार का चयन हो सकता है। इसके तहत, शिक्षकों को स्कूल में फैशनेबल कपड़े पहनकर आने से भी रोका गया है, जो पहले से ही लागू है। राज्य सरकार ने इस पहल को लेकर अन्य राज्यों के ड्रेस कोड का अध्ययन करना शुरू कर दिया है और विशेषज्ञों से राय ली जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स के माध्यम से होने वाली भर्तियों पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिससे राज्य सरकार को फिलहाल राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों पर अंतरिम रोक लगा दी है और सरकार को इस मामले में जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। इस आदेश का सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने की। हिमाचल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस मामले में अदालत में अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि हिमाचल हाईकोर्ट ने 7 नवंबर 2024 को प्रदेश में आउटसोर्स पॉलिसी के तहत होने वाली भर्तियों पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा था कि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए उचित नियम बनाए जाएं। इसके बाद, राज्य सरकार ने इस रोक को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और अदालत के आदेशों के पालन के लिए एक हलफनामा प्रस्तुत किया। हालांकि, 8 जनवरी 2025 को उच्च न्यायालय ने सरकार की अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें रोक हटाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने बताया कि वेकेशन के कारण केवल अति महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई हो रही है। इसके बाद, सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। यह मामला वर्ष 2022 में दायर एक याचिका से जुड़ा हुआ है, जिसमें आउटसोर्स भर्तियों की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी पर सवाल उठाए गए थे। याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि राज्य के विभिन्न विभागों में आउटसोर्स के तहत भर्तियां बिना पारदर्शिता के की जा रही हैं और कारपोरेशन के तहत रजिस्टर्ड कंपनियां भी कटघरे में हैं। उच्च न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि स्वास्थ्य विभाग में आउटसोर्स के तहत नियुक्तियां स्वीकार नहीं की जाएं और विभाग को स्थायी नियुक्तियों के लिए प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
** संघर्ष तेज़ करने की दी चेतावनी **वायदे पूरे करने की उठाई मांग हिमाचल प्रदेश में करुणामूलक संघ ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए वादाखिलाफी के आरोप लगाए हैं। संघ की उपाध्यक्ष बॉबी शुर्टा ने कहा कि चुनाव के समय कांग्रेस ने हर मंच से करुणामूलक समुदाय के लिए वादे किए थे, लेकिन अब सरकार के दो साल के कार्यकाल के बाद भी कोई वादा पूरा नहीं किया गया है। बॉबी शुर्टा ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार और उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने चुनाव के समय करुणामूलक की मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था। हालांकि, सत्ता में आने के दो साल से ज्यादा समय हो चुका है, लेकिन अब तक करुणामूलक को भारतीय मान्यता प्राप्त नहीं हो पाई है। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व भाजपा सरकार ने भी करुणामूलक समुदाय की अनदेखी की थी। इस मुद्दे को लेकर करुणामूलक संघ ने 432 दिनों तक अनशन किया, जोकि किसान आंदोलन से भी लंबा था। बॉबी शुर्टा ने उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री पर भी वादाखिलाफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुकेश अग्निहोत्री ने हर मंच से करुणामूलक समुदाय के लिए स्थाई नीति बनाने और उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। शुर्टा ने यह भी बताया कि प्रदेश में 3,234 करुणामूलक परिवारों के मामलों पर फैसला नहीं हुआ है। इन परिवारों के सदस्य सरकार को अपनी सेवाएं दे चुके हैं, और अब यह उनकी अधिकारों और स्वाभिमान की लड़ाई बन चुकी है।उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है, तो संघ अपने संघर्ष को और तेज़ करेगा।
हिमाचल प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ (WD) के सक्रिय होने से होने वाला है । मौसम विभाग ने आगामी पांच दिनों तक अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई है। लाहौल स्पीति, किन्नौर, कुल्लू, कांगड़ा और मंडी के ऊंचे इलाकों में 8 और 10 फरवरी को बारिश-बर्फबारी का अधिक प्रभाव रहेगा। मौसम विभाग का कहना है कि इस दौरान इन क्षेत्रों की ऊंची चोटियों पर बर्फबारी हो सकती है, जिससे तापमान में और गिरावट आएगी। हालांकि, प्रदेश के मैदानी इलाकों में मौसम सामान्य रहेगा। हिमाचल के कई इलाकों में ठंड बढ़ी प्रदेश के मैदानी इलाकों में भी सर्दी बढ़ी है। शिमला में न्यूनतम तापमान 7.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है, जबकि प्रदेश का सबसे गर्म शहर ऊना का तापमान गिरकर 2.1 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। अन्य क्षेत्रों में भी तापमान में गिरावट आई है, जैसे कि भुंतर (2.0 डिग्री), धर्मशाला (4.8 डिग्री), पालमपुर (3.5 डिग्री), सोलन (2.6 डिग्री) और बिलासपुर (3.9 डिग्री)। इस सर्द मौसम के बीच, हिमाचल प्रदेश के उच्च क्षेत्रों में बर्फबारी के कारण ठंड और बढ़ सकती है। विंटर सीजन में कम बारिश-बर्फबारी विंटर सीजन के दौरान हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 72 प्रतिशत कम बारिश-बर्फबारी हुई है। 1 जनवरी से 7 फरवरी तक 29.5 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि सामान्य रूप से 104.7 मिलीमीटर बारिश होती है। इस वर्ष बर्फबारी और बारिश का स्तर काफी कम रहने से प्रदेश में सूखा और ठंड बढ़ने का असर देखा गया है।
**राज्यपाल ने कर्मचारी भर्ती विधेयक 2024 को दी मंजूरी हिमाचल प्रदेश सरकार ने 2003 के बाद अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारियों को बैकडेट से सिनियरिटी और वित्तीय लाभ देने पर रोक लगा दी है। राज्यपाल शिव प्रताप की मंजूरी के बाद, राज्य सरकार ने हिमाचल सरकारी कर्मचारी भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक 2024 को ई-गजट में प्रकाशित कर दिया है। यह विधेयक विधानसभा में विपक्ष के विरोध के बावजूद सुक्खू सरकार द्वारा पारित किया गया था। अब राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद, इस संशोधित विधेयक के तहत कर्मचारियों को उनके नियमित नियुक्ति की तिथि से ही सिनियरिटी और वित्तीय लाभ मिलेंगे। इससे पहले, उच्च न्यायालय के आदेशों के कारण अनुबंध कर्मचारियों को बैकडेट से सिनियरिटी और वित्तीय लाभ दिए जा रहे थे, जिससे राज्य सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा था। क्यों किया गया यह बदलाव? सालों तक अनुबंध कर्मचारियों को बैकडेट से वित्तीय लाभ और सिनियरिटी देने के आदेशों के चलते राज्य सरकार को भारी वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ रहा था। उच्च न्यायालय ने कुछ कर्मचारियों को बैकडेट से वित्तीय लाभ देने का आदेश दिया था, और इसके कारण सरकार पर करोड़ों रुपये का वित्तीय बोझ पड़ रहा था। इसके साथ ही, कर्मचारियों की सिनियरिटी लिस्ट में पिछले 21 वर्षों के आंकड़ों को भी संशोधित करना पड़ रहा था। यह स्थिति विशेष रूप से कांग्रेस सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हो गई थी, क्योंकि राज्य की आर्थिक स्थिति पहले ही गंभीर संकट का सामना कर रही थी। इन कारणों से, राज्य सरकार ने इस बदलाव की जरूरत महसूस की और हिमाचल सरकारी कर्मचारी भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक 2024 में संशोधन किया। अब इस विधेयक के तहत कर्मचारियों को केवल उनकी नियमित सेवा की तिथि से ही सिनियरिटी और वित्तीय लाभ मिलेंगे, अनुबंध सेवाकाल को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। विधेयक में संशोधन के बाद क्या बदलेगा? इस संशोधन से, कर्मचारियों को बैकडेट से लाभ और सिनियरिटी नहीं मिलेगी, जो पहले उच्च न्यायालय के आदेशों के कारण मिल रही थी। सरकार के लिए यह बदलाव एक बड़ी राहत मानी जा रही है, क्योंकि इससे सरकार को आने वाले वर्षों में वित्तीय बोझ से बचने में मदद मिलेगी। अब कर्मचारियों को नियमित होने की तिथि से लाभ मिलेगा, और इस नए बदलाव के बाद यह भी सुनिश्चित किया गया है कि अनुबंध सेवाकाल को सिनियरिटी और वित्तीय लाभ के लिए नहीं जोड़ा जाएगा। राज्यपाल से मिली मंजूरी बीते गुरुवार को शाम मुख्यमंत्री सुक्खू अचानक राजभवन पहुंचे और विधेयक को मंजूरी दिलाने का आग्रह किया। गुरुवार को, मुख्यमंत्री सुक्खू अचानक राजभवन पहुंचे और राज्यपाल से इस विधेयक की मंजूरी के लिए आग्रह किया, जिसके बाद राज्यपाल ने 24 घंटे के भीतर विधेयक को मंजूरी दे दी। इसके बाद राज्य सरकार ने देर शाम इसे राजपत्र में प्रकाशित किया।
प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर और उच्च व प्रारंभिक शिक्षा निदेशक एक सप्ताह के विदेश दौरे पर जाएंगे। 8 फरवरी से सिंगापुर, कंबोडिया और अन्य देशों के इस दौरे में शिक्षा के आधुनिक मॉडल और तकनीकों पर चर्चा की जाएगी। इस यात्रा में मंत्री के साथ उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली और समग्र शिक्षा के परियोजना निदेशक राजेश शर्मा भी शामिल होंगे। इस दौरान 50 विद्यार्थियों का चयन विदेश भ्रमण के लिए किया गया है। ये छात्र 8 से 18 फरवरी तक सिंगापुर, कंबोडिया और अन्य देशों की यात्रा करेंगे। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू 7 फरवरी को इन छात्रों को शिमला से रवाना करेंगे। इस यात्रा में 11वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों को प्राथमिकता दी गई है। 20 छात्र 11वीं कक्षा से और 20 छात्र 12वीं कक्षा से चुने गए हैं, जिन्होंने 10वीं कक्षा में 95% या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में भाग लेने वाले चार छात्र, गणतंत्र दिवस परेड में शामिल दो एनसीसी कैडेट, एक एनएसएस स्वयंसेवक, एक स्काउट एंड गाइड और एक राष्ट्रीय सांस्कृतिक गतिविधि में भाग लेने वाला विद्यार्थी भी इस यात्रा में शामिल होगा।
हिमाचल में राशनकार्ड धारकों को डिपो में मिलेगा सरसों और रिफाइंड तेल हिमाचल प्रदेश के राशनकार्ड उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर है। अब डिपो में सरसों के तेल के साथ रिफाइंड तेल भी उपलब्ध कराया जाएगा। प्रदेश सरकार ने सरसों तेल का सप्लाई ऑर्डर जारी कर दिया है, जबकि रिफाइंड तेल की आपूर्ति के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी की जा रही है। सरकार का उद्देश्य है कि उपभोक्ताओं को हर राशनकार्ड पर एक लीटर सरसों और एक लीटर रिफाइंड तेल मिले। हिमाचल प्रदेश के करीब 19.5 लाख राशनकार्ड धारकों को सरकार की ओर से सस्ती दरों पर आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इनमें आटा, चावल, चीनी, दालें और तेल शामिल हैं। हालांकि, बीते तीन महीनों से डिपो में सरसों तेल उपलब्ध नहीं था। खाद्य आपूर्ति निगम ने बताया है कि 10 फरवरी से डिपो में तेल उपलब्ध होगा, और उपभोक्ता तीन महीने का कोटा एक साथ ले सकेंगे। शादी व आयोजनों के लिए भी मिलेगा तेल सरकार ने यह भी प्रावधान किया है कि शादी और अन्य आयोजनों के लिए उपभोक्ता डिमांड के अनुसार तेल प्राप्त कर सकेंगे। खाद्य आपूर्ति निगम के प्रबंध निदेशक राजेश्वर गोयल ने कहा कि सरसों तेल का ऑर्डर जारी हो चुका है और रिफाइंड तेल के लिए निविदाएं मांगी जा रही हैं। सरकार राशनकार्ड धारकों को दो लीटर तेल, तीन तरह की दालें (मलका, माश और चना), चीनी, और एक किलो नमक सस्ते दामों पर उपलब्ध कराती है। जबकि आटा और चावल केंद्र सरकार की ओर से दिया जाता है। सरकार की इस पहल से लाखों उपभोक्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद है। अब लोगों को डिपो से आसानी से सरसों और रिफाइंड तेल मिलने लगेगा।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता चेतन बरागटा ने नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री अजय टम्टा जी से मुलाकात कर खड़ापथर सुरंग (जुब्बल-कोटखाई, जिला शिमला) तथा छैला से सोलन बागवानी मार्ग को राष्ट्रीय स्तर की परियोजना के रूप में स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया। बरागटा ने कहा कि मुलाकात के दौरान उन्होंने मंत्री को अवगत कराया कि खड़ापथर सुरंग जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र के लाखों किसानों और बागवानों के लिए अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान सड़क मार्ग कठिन भूभाग, भारी बर्फबारी और तीव्र मोड़ों के कारण अत्यधिक जोखिम भरा है। यदि इस सुरंग का निर्माण किया जाता है, तो यात्रा समय 40% तक कम होगा, जिससे सेब व अन्य बागवानी उत्पादों को समय पर बाजारों तक पहुँचाया जा सकेगा। साथ ही, यह सुरंग पर्यटन को भी बढ़ावा देगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगी। बरागटा ने इसके अतिरिक्त, छैला से सोलन बागवानी मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग अथवा चार-लेन मार्ग के रूप में विकसित करने की माँग भी मंत्री जी के समक्ष रखी गई। यह मार्ग बागवानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान सड़क संकरी एवं जर्जर अवस्था में है, जिससे फलों के परिवहन में अत्यधिक कठिनाई होती है। यदि इस मार्ग को उच्च स्तर की सड़क के रूप में विकसित किया जाता है, तो बागवानों को चंडीगढ़, दिल्ली, सोलन एवं अन्य बड़े बाजारों तक सुगम पहुँच मिलेगी, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी। बरागटा ने जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र में अन्य महत्वपूर्ण सड़कों एवं आधारभूत संरचना को लेकर भी मंत्री से विस्तार में चर्चा की। क्षेत्र में सड़कों की दयनीय स्थिति और बागवानी परिवहन से जुड़ी चुनौतियों से अवगत कराया। इस पर मंत्री ने आश्वासन दिया कि जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र की सड़क संबंधी समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा और केंद्र सरकार इस दिशा में शीघ्र आवश्यक कदम उठाएगी। बरागटा ने कहा कि मंत्री ने हिमाचल प्रदेश के सड़क विकास को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया और आश्वासन दिया कि इन परियोजनाओं पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।
**कक्षाओं का करेंगे बहिष्कार **नियमितीकरण की SMC अध्यापकों ने सरकार से की है मांग ** कैबिनेट से मंजूरी के एक साल बाद भी LDR में माध्यम से नहीं हुआ नियमितीकरण नियमितीकरण की मांग को लेकर SMC अध्यापकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान कर दिया है। बोर्ड की परीक्षाओं से ठीक पहले 21 फरवरी से SMC अध्यापकों ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया और सरकार को चेताया है कि अगर 21 फरवरी से पहले सरकार ने SMC अध्यापकों को नियमित करने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया तो कक्षाओं का बहिष्कार किया जाएगा जिसकी जिम्मेदार सरकार होगी। 7 मार्च 2024 को कैबिनेट ने LDR के माध्यम से SMC अध्यापकों को नियमितीकरण करने की मंजूरी दी थी लेकिन एक साल होने को है और एक भी SMC को नियमित नहीं किया गया है। SMC अध्यापक संघ के अध्यक्ष सुनील शर्मा ने शिमला में पत्रकारवार्ता कर कहा कि चुनावों के वक्त कांग्रेस ने बड़ी बड़ी बातें की थी लेकिन अब सत्ता में आने के बाद SMC अध्यापकों के साथ सरकार अन्याय कर रही है। जिसके खिलाफ SMC अध्यापकों ने आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। कई बार इसको लेकर शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री से मिले लेकिन टाल मटोल की जा रही है जिससे SMC अध्यापक बेहद आहत हैं। SMC अध्यापक 21 फरवरी से सरकार के खिलाफ सचिवालय के बाहर धरने पर बैठेंगे और जब तक मांगे पूरी नहीं होती आंदोलन चलेगा। भले ही इसके लिए अध्यापकों को लाठी खानी पड़े या फिर जेल जाना पड़े।
**5 फरवरी दोपहर तक दिखेगा पश्चिमी विक्षोभ का असर **लहौल-स्पिति, किन्नौर चंबा और कांगड़ा के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी की संभावना **फरवरी माह में सामान्य से अधिक तापमान रहने की संभावना हिमाचल प्रदेश में आज से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गया है। आज ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी व मध्यवर्ती तथा मैदानी क्षेत्रों में बारिश के आसार हैं। मौसम विभाग की माने तो प्रदेशभर में आज दोपहर बाद पश्चिमी विक्षोभ का असर देखने को मिल सकता है। इस दौरान लहौल-स्पिति, किन्नौर, चंबा और कांगड़ा के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी की संभावना है। वहीं मध्यवर्ती व मैदानी क्षेत्रों में हल्की बारिश हो सकती है जबकि कई क्षेत्रों में अंधड़-आंधी भी चल सकती है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि 4 फरवरी से पूरे उत्तर भारत मे पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गया है। हिमाचल प्रदेश में आज सुबह से ही बादल छाए हैं। लाहौल स्पीति व किन्नौर में सुबह से ही हल्की बारिश व बर्फबारी का दौर शुरू हो चुका है। पूरे प्रदेश भर में पश्चिमी विक्षोभ का असर देखने को मिलेगा। मैदानी क्षेत्र में बारिश व ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी के आसार हैं। पश्चिमी विक्षोभ का मुख्यतः असर 4 फरवरी की मध्य रात्रि को देखने को मिलेगा और यह 5 फरवरी की दोपहर तक रहेगा। उनोने कहा कि जनवरी माह में मात्र 13.5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है जो सामान्य से काफी कम है। अमूमन जनवरी माह में 83.5 मिलीमीटर बारिश होती है। इस वर्ष जनवरी माह में 84%कम बारिश हुई है जो1901 से नौवीं बार कम बारिश हुई है। यह पश्चिमी विक्षोभ का कमजोर होने का असर है। आने वाले दो दिनों में तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी उसके बाद फिर तापमानों में उछाल आएगा। वहीं पूरे फरवरी माह में सामान्य से अधिक तापमान बने रहने की संभावना है। मंगलवार को राजधानी सहित पूरे प्रदेश भर में सुबह से ही बादल छाए रहे।पश्चिमी विक्षोभ का असर 4फरवरी की मध्यरात्रि को ज्यादा देखने को मिल सकता है 5 फरवरी की दोपहर से मौसम साफ हो जाएगा।वहीं पूरे फरवरी माह में सामान्य से अधिक तापमान बने रहने की संभावना है।
**कहा, सुक्खू सरकार ने दो साल में नहीं किया कोई काम नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने 3 और 4 फरवरी को होने वाली विधायक प्राथमिकता बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले दो वर्षों में भाजपा के विधायकों द्वारा सुझाए गए किसी भी काम को सुक्खू सरकार ने प्राथमिकता नहीं दी है और इसके बजाय, भाजपा विधायकों को प्रताड़ित किया जा रहा ह। जयराम ठाकुर ने कहा कि विधायक प्राथमिकता बैठक में भाजपा के विधायक अपने क्षेत्रों की जरूरतों और विकास कार्यों को सरकार के सामने रखते हैं, लेकिन सरकार उनकी प्राथमिकताओं को अनसुना कर देती है। इसके बजाय, कांग्रेस के हार चुके और नकारे हुए नेताओं को तवज्जो दी जा रही है। अगर सरकार भाजपा विधायकों की बात नहीं सुन रही, तो विधायक प्राथमिकता बैठक का कोई अर्थ नहीं है, इसलिए भाजपा विधायक दल इस बैठक का बहिष्कार करेगा। पूर्व सरकार द्वारा शुरू किए गए कामों के उद्घाटन कार्यक्रमों में भाजपा के चुने हुए जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का आरोप भी जयराम ठाकुर ने लगाया। उन्होंने कहा कि उद्घाटन कार्यक्रमों में भाजपा नेताओं को आमंत्रित नहीं किया जा रहा, और उद्घाटन पट्टिका पर उनका नाम तक नहीं लिखा जा रहा। इसके बजाय, कांग्रेस के नकारे हुए नेताओं को तवज्जो दी जा रही है। सुक्खू सरकार पर निशाना साधते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस की हार के बाद से पुलिस का दुरुपयोग बढ़ गया है। भाजपा के विधायक और नेता सत्ता के दुरुपयोग के कारण लगातार प्रताड़ना का सामना कर रहे हैं। पुलिस द्वारा जांच के नाम पर भाजपा नेताओं को घंटों थाने में बैठाया जा रहा है और उन्हें फर्जी मामलों में फंसाया जा रहा है।
**विभागों से पदों को समाप्त करने पर जताया विरोध **महासंघ माँगों को लेकर सरकार को सौंपेगा मांगपत्र... हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने विभिन्न विभागों में समाप्त किये जा रहे पदों तथा लंबित पड़े डीए व एरियर सहित ओपीएस व अन्य मांगों को लेकर शिमला में बैठक का आयोजन किया।प्रदेशाध्यक्ष वीरेन्द्र चौहान की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में शिक्षा, विद्युत,परिवहन,विश्वविधालय सहित अन्य विभागों के विभिन्न कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों ने भाग लिया।बैठक में लंबे समय से लंबित पड़े डीए, एरियर सहित व विद्युत व बोर्ड निगमों में ओपीएस देने की मांग पर मंथन किया गया वहीं महासंघ ने विभिन्न विभागों में पदों को समाप्त करने पर विरोध भी जताया।बैठक में चर्चा कर यह निर्णय लिया गया कि कर्मचारियों की मांगों को लेकर महासंघ सरकार को बजट सत्र से पहले मांगपत्र सौंपेगा साथ ही विद्युत बोर्ड में समाप्त किये जा रहे पदों को लेकर कर्म हारियों द्वारा आयोजित महापंचायत में महासंघ के पदाधिकारी भाग लेकर विद्युत कर्मियों की मांगों का समर्थन करेंगे। महासंघ ने सरकार से कर्मचारियों की सेवा निवृत्ति की आयु 60 साल करने की मांग उठाई साथ ही फैसला लिया कि प्रदेश के सभी जिलों में कर्मचारियों और पेंशनर्स की महापंचायत का आयोजन किया जाएगा और कर्मियों के राय पर ही आगे बढ़ा जाएगा महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि आज महासंघ ने कर्मचारियों की लंबित पड़ी मांगों को लेकर अहम बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी भी मौजूद रहे और आगामी रणनीति तैयार की गई साथ ही सरकार के समक्ष कर्मचारियों की मांगों को उठाने का फैसला लिया गया । उन्होंने कहा कि काफी समय से सरकार द्वारा कर्मचारियों को एरियर डीए नहीं दिया गया है।इसकी अदायगी सरकार समयबद्ध तरीके से करे। इसके साथ ही सरकार विभिन्न विभागों में पदों की समाप्ति करने जा रही है जिसका महासंघ विरोध करता है और सरकार से मांग करता है कि वह इन पदों को समाप्त न करें बल्कि सभी विभागों में जो खाली पद है उन्हें जल्द से जल्द भर जाए।जो विभाग व बोर्ड OPS से महरूम है उनको इस दायरे में लाया जाए साथ ही OPS के लिए बिल लाया जाए।वहीं UPS मुद्दा जो उठ रहा है उसे कर्मचारी कभी भी स्वीकार नही करेगा।वहीं गेस्ट फैकल्टी का महासंघ विरोध करता है।वहीं कर्मचारियों का नियमतिकरण साल में दो बार होना चाहिए। । उन्होंने कहा कि बैठक में HRTC को रोडवेज बनाने के साथ ही कर्मचारियों का जो ओवरटाइम है वह जारी किया जाए।मेडिकल रिम्बर्समेंट सुविधा सभी विभागों व बोर्ड निगमो में होनी चाहिए।जिला परिषद पंचायतीराज के अधीन हो। कानूनगो व पुलिस को स्टेट कैडर न बनाने की मांग की है उन्हें जिला कैडर में ही रहने दिया जाये।इन मांगों को लेकर शीघ्र सरकार को मांगपत्र सौपा जाएगा।
शनिवार को हिमाचल प्रदेश की ऊंची चोटियों, जैसे रोहतांग, पांगी और भरमौर में हिमपात हुआ, जबकि राजधानी शिमला और मनाली समेत मैदानी क्षेत्रों में बूंदाबांदी हुई। मौसम के इस बदलाव से सुबह और शाम के समय ठंड बढ़ गई, और प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में बादल छाए रहे। रविवार और सोमवार को मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है, लेकिन 4 और 5 फरवरी को पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से फिर बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई जा रही है। शनिवार को भरमौर और पांगी की ऊपरी चोटियों पर हल्का हिमपात हुआ, जबकि निचले क्षेत्रों में हल्की बारिश हुई। इस बारिश से किसानों और बागवानों को राहत मिली है क्योंकि खेतों की नमी बढ़ी है, जिससे फसलों को फायदा होगा। कुल्लू और लाहौल की ऊंची चोटियों में भी सुबह से लेकर दोपहर तक रुक-रुक कर हल्की बर्फबारी जारी रही। रोहतांग दर्रा, कुंजम दर्रा, राजा घेपन पीक और सीवी रेंज की पहाड़ियों पर भी बर्फबारी हुई।
नई दिल्ली: वित्त मंत्री ने बजट में टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी घोषणा की। अब सालाना 12.75 लाख रुपये तक कमाने वालों को कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा। वहीं टीडीएस में भी राहत दी गई है। सीनियर सिटीजन को भी इनकम टैक्स में बड़ी राहत मिली है। हालांकि यह फायदा उन्हीं टैक्सपेयर्स को मिलेगा जो नई टैक्स व्यवस्था के अनुसार आईटीआर फाइल करेंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि सालाना 12.75 लाख रुपये तक कमाने वालों को अब कोई भी इनकम टैक्स नहीं देना होगा। इसमें 75 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी शामिल है। सीतारमण ने कहा कि 18 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वाले टैक्सपेयर्स को 70,000 रुपये की बचत होगी जबकि 25 लाख तक 1.10 लाख रुपये की बचत होगी। सीतारमण ने कहा कि ITR और टीडीएस की सीमा बढ़ाई गई है। टीडीएस की सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है। टैक्स डिडक्शन में बुजुर्गों के लिए भी बड़ी घोषणा की गई है। Old Tax Regime के तहत इनकम टैक्स दरें 0-4 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं। 4-8 लाख की आय पर 5 प्रतिशत 8-12 लाख की आय पर 10 प्रतिशत 12-16 लाख की आय पर 15 प्रतिशत 16-20 लाख की आय पर 20 प्रतिशत 20-24 लाख की आय पर 25 प्रतिशत 24 लाख से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत इन्हें नहीं मिलेगा फायदा सालाना 12.75 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स में छूट उन्हीं लोगों को मिलेगी, जिनकी आय सिर्फ सैलरी से होगी। अगर वे शेयर मार्केट या किसी और माध्यम से कमाई करते हैं तो उन्हें इसका लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे में उन्हें इनकम टैक्स देना होगा।
अगले 10 सालों में देशभर में 120 नए एयरपोर्ट बनाये जाएंगे। आज केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट 2025 में नागरिक उड्डयन क्षेत्र के लिए ये अहम घोषणा की है, जिसमें अगले 10 सालों में देशभर में 120 नए एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव किया गया है। इसका उद्देश्य हवाई यात्रा को सुलभ बनाना और एयर कनेक्टिविटी को मजबूती देना है, खासकर छोटे शहरों और दूरदराज के इलाकों में। इस योजना से न केवल स्थानीय विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पर्यटन, व्यापार और उद्योगों को भी गति मिलेगी। नए एयरपोर्ट के निर्माण से हजारों रोजगार के अवसर पैदा होंगे और आर्थिक विकास को एक नई दिशा मिलेगी। यह कदम प्रधानमंत्री की "उड़ान" योजना के तहत लिया जा रहा है, जिसका मकसद छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों को हवाई मार्ग से जोड़ना है। इससे न केवल यात्रा में सुगमता आएगी, बल्कि नागरिक उड्डयन क्षेत्र में भी निवेश को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 में तकनीकी क्षेत्र को लेकर एक अहम ऐलान किया। सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में नवाचार और विकास को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये का विशेष फंड देने की घोषणा की है। इस फंड का उद्देश्य AI के शोध, विकास, और शिक्षा को प्रोत्साहित करना है, जिससे भारत को वैश्विक तकनीकी नेतृत्व में एक नया मुकाम हासिल हो सके। सरकार के इस ऐलान के तहत, AI आधारित परियोजनाओं, स्टार्टअप्स और संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि वे नए समाधान विकसित कर सकें और विभिन्न उद्योगों में AI का अधिकतम उपयोग कर सकें। इससे न केवल भारत में AI टेक्नोलॉजी की गति बढ़ेगी, बल्कि यह रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न करेगा और उद्योगों में कार्यक्षमता को सुधारने में मदद करेगा।
आज केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट 2025 में किसानों को लेकर महत्वपूर्ण ऐलान किया है। सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) पर कर्ज की सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया है। इस कदम से किसानों को कृषि कार्यों के लिए अधिक वित्तीय सहायता मिल सकेगी और वे अपनी खेती के लिए आवश्यक संसाधनों को आसानी से जुटा सकेंगे। किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) का उद्देश्य किसानों को आसान और सस्ती क्रेडिट सुविधा प्रदान करना है, ताकि वे बिना किसी परेशानी के अपनी कृषि संबंधी जरूरतों को पूरा कर सकें। अब तक यह सुविधा अधिकतर छोटे और सीमांत किसानों तक सीमित थी, लेकिन इस सीमा में बढ़ोतरी से अब अधिक किसानों को लाभ मिलेगा और वे अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकेंगे। कृषि क्षेत्र को समर्पित इस बजट प्रस्ताव से सरकार का मकसद है कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जाए। साथ ही, यह कदम कृषि क्षेत्र को और अधिक मजबूती प्रदान करेगा, जिससे देश की खाद्य सुरक्षा और किसान की आय दोनों में वृद्धि हो सकेगी।
आज पूरा देश संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले केंद्रीय बजट 2025 पर नजरें गड़ाए बैठा है। यह बजट आज सुबह 11 बजे लोकसभा में पेश किया जाएगा। यह निर्मला सीतारमण का लगातार आठवां बजट होगा, और 2024 में बनी मोदी 3.0 सरकार का दूसरा पूर्ण बजट है। गरीब, मिडिल-क्लास और वेतनभोगी वर्ग को इस बजट से बड़ी उम्मीदें हैं। खासकर इनकम टैक्स स्लैब में राहत और आर्थिक सुधारों की मांग की जा रही है। बजट से उम्मीद की जा रही है कि यह महंगाई से राहत देने और खर्च करने की क्षमता को बढ़ाने वाले कदमों के साथ आएगा।बजट सेशन 2025 की शुरुआत शुक्रवार 31 जनवरी 2025 को हुई, जब वित्त मंत्री ने संसद में इकोनॉमिक सर्वे 2025 पेश किया। इसमें देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति, विकास दर, महंगाई और भविष्य की संभावनाओं पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। अब सभी की निगाहें आज के बजट पर टिकी हैं, जिसमें इन आंकड़ों के आधार पर नई नीतियां घोषित की जाएंगी। बजट से पहले राष्ट्रपति से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मुलाकात केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में अपना आठवां बजट पेश करने से पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुरु से मिलने के लिए वित्त मंत्रालय नॉर्थ ब्लॉक से रवाना हो गई हैं। पेपरलेस फॉर्मेट में वे पारंपरिक ‘बही खाता’ के बजाय एक टैब के माध्यम से बजट पेश करेंगी और पढ़ेंगी।
हिमाचल प्रदेश में आज रात से मौसम करवट बदलेगा। आज रात से ही प्रदेश में वेस्टर्न डिस्टरबेंस (WD) ज्यादा एक्टिव हो जाएगा और अगले छह दिनों तक इसका असर देखने को मिलेगा। खास तौर पर 4 फरवरी को बर्फबारी का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने 31 जनवरी और 1 फरवरी को प्रदेश के ज्यादातर भागों में हल्की बारिश और बर्फबारी होने की संभावना जाहिर की है। इस दौरान =मध्य व उच्च पर्वतीय कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान है। जबकि निचले पहाड़ी-मैदानी क्षेत्रों में बारिश की संभावना है। वहीं प्रदेश के ज्यादातर भागों में 2 फरवरी को मौसम साफ हो जाएगा। जबकि 3 फरवरी से अगले दो दिन तक फिर से बारिश-बर्फबारी के आसार हैं। बारिश और बर्फबारी से पहले तापमान में ही हल्का उछाल आया है। प्रदेश का औसत न्यूनतम तापमान सामान्य से 2.1 डिग्री अधिक हो गया है। मनाली के तापमान में नॉर्मल की तुलना में सबसे ज्यादा 5.9 डिग्री का उछाल दर्ज किया गया है। इसी तरह कल्पा का न्यूनतम तापमान भी सामान्य से 4.7 डिग्री अधिक हो गया है।
**सीएम के आदेशों के बाद जगह तलाशने में जुटा निगम प्रशासन शिमला के रिज मैदान पर स्थापित किया गया सौ फुट ऊंचा तिरंगा हटने जा रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह तिरंगे झंडे को रिज मैदान से हटाकर दूसरी जगह लगाने के निर्देश दिए थे इसके बाद लोक निर्माण विभाग और नगर निगम के अधिकारी दूसरी जगह तलाशने में जुट गए हैं। आज शहरी विधायक हरीश जनारथा ने लोकनिर्माण ओर नगर निगम के अधिकारियों के साथ झंडा लगाने को लेकर रिज मैदान टका बैच का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को जगह का चयन जल्द करने के निर्देश दिए। बताया जा रहा है कि यह झंडा टका बैच पर लगाया जाएगा। यही नहीं शिमला के रिज मैदान पर स्थित रेन शेल्टर को भी हटाया जाएगा। शहरी विधायक हरीश जनारथा ने कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिशा निर्देश दिए है।उन्होंने कहा कि रिज के जीर्णोद्धार के बाद झण्डा बीच में आ गया है शिमला का रिज सीधा एक ही मैदान बना रहे है इसके मध्यनजर यह फैसला लिया जा रहा है। जनारथा ने कहा कि PWD इसके लिए नॉडल विभाग होगा परंतु कार्य नगर निगम की देख रेख में करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल को जगह तय नहीं हुई है। विचार किया जा रहा है अच्छी व पक्की जगह चिन्हित करके इसको स्थापित किया जाएगा। 2015 में स्थापित किया था रिज पर 100 फुट ऊंचा तिरंगा ऐतिहासिक रिज पर नगर निगम प्रशासन 100 फुट ऊंचा तिरंगा 2015 में स्थापित किया था। निगम ने करीबन 13.55 लाख की लागत से झंडे को स्थापित किया था। यह तिरंगा सवा 9 मीटर लम्बा और सवा 6 मीटर चौड़ा है। इसके लिए 30 मीटर लम्बा एक ऑटोमैटिक फ्लैग पोस्ट भी बनाया गया था जिस पर करीब कुल करीब 13.55 लाख खर्च हुए थे। शिमला नगर निगम प्रशासन इसकी देखरेख कर रहा है।लेकिन रिज के जीर्णोद्धार के बाद ये झंडा रिज के बीच मे आ गया है। जिसके चलते इसे यहां से हटाया जा रहा है।
राजधानी शिमला में पुलिस द्वारा चिट्टे के खिलाफ अभियान चलाया है और आए दिन चिट्टा तस्करों को पकड़ा जा रहा है। पुलिस द्वारा आम लोगो से भी चिट्टा तस्करों को पकड़वाने की अपील की जा रही है । वही शिमला व्यापार मंडल भी पुलिस के सहयोग के लिए आगे आया है ओर चिट्टा तस्करों को पकड़वाने में पुलिस की मदद करने वाले लोगों को शिमला व्यापार मंडल भी नकद इनाम का एलान किया। व्यापार मंडल ने ऐसे लोगों को 11 हजार रुपये तक का नकद पुरस्कार देगा जो इस काम के लिए पुलिस की मदद करेंगे। यही नहीं यदि कोई बाजार में दुकानों में काम करने वाला व्यक्ति चिट्टा तस्करी में पाया जाता है तो उसे बाजार से बाहर निकाल दिया जाएगा | राजधानी में चिट्टे के बढ़ते मामलों को देखते हुए शिमला व्यापार मंडल ने यह पहल की है। व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजीव ठाकुर ने कहा कि शिमला पुलिस चिट्टे के खिलाफ बेहतरीन अभियान चला रही है। इसका नतीजा यह है कि कई बड़े गिरोह हत्थे चढ़ चुके हैं। इसके बावजूद शहर में इसका कारोबार जारी है। ऐसे में पुलिस की मदद करने के लिए लोगों को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि चिट्टा तस्करी से जुड़ी सूचना देने वाले लोगों को नकद इनाम दिया जाएगा। ऐसे लोगों की पहचान भी गुप्त रखी जाएगी। अध्यक्ष ने कहा कि शिमला के युवाओं को नशे से बचाने के लिए सभी को एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा कि यदि बाजारों में भी यदि कोई दुकानदार या दुकानों में काम करने वाला व्यक्ति चिट्टा तस्करी में पाया जाता है तो उसे बाजार से भी बाहर निकाल दिया जाएगा।
1980 में भाजपा के गठन के बाद से हिमाचल में अब तक 13 नेता प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचे है।सतपाल सिंह सत्ती सबसे अधिक दस साल तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे, तो खीमीराम शर्मा को सबसे कम कार्यकाल मिला। हालांकि सबसे छोटा कार्यकाल डॉ राजीव बिंदल के नाम है जो वर्तमान में दुरसी बार अध्यक्ष है। साल 2020 में उनका पहला कार्यकाल महज 186 दिन का रहा था। तब कोरोना काल में हुए घोटाले में उनका नाम उछाला और नैतिकता के आधार पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। सिलसिलेवार बात करें तो हिमाचल भाजपा के पहले प्रदेश अध्यक्ष बने ठाकुर गंगाराम जो मंडी से ताल्लुक रखते थे। वे 1984 तक अध्यक्ष रहे। इसके बाद शिमला संसदीय हलके के अर्की से सम्बन्ध रखने वाले नगीनचंद पाल भाजपा के अध्यक्ष बने, और 1986 तक पद पर रहे। 1986 में शांता कुमार हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष बने और 1990 का विधानसभा चुनाव भी उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा गया। शांता कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद कुल्लू के महेश्वर सिंह प्रदेश अध्यक्ष बने और 1993 तक इस पद पर रहे। पर 1993 में भाजपा की शर्मनाक हार के बाद महेश्वर की विदाई हो गई और एंट्री हुई प्रो प्रेम कुमार धूमल की। उनके नेतृत्व में ही भाजपा ने 1998 के विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाई और धूमल सीएम बने। फिर सुरेश चंदेल दो साल तक प्रदेश अध्यक्ष रहे और साल 2000 से लेकर 2003 तक जयकिशन शर्मा ने प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला। धूमल, सुरेश चंदेल और जयकिशन शर्मा, तीनों ही हमीरपुर संसदीय हलके से थे। साल 2003 में सुरेश भारद्वाज भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने और 2007 तक इस पद पर रहे। भारद्वाज के बाद दो साल एक लिए जयराम ठाकुर और फिर 2009 से 2010 खीमीराम शर्मा ने पार्टी की कमान संभाली। 2010 में भाजपा अध्यक्ष पद पर सतपाल सिंह सत्ती की ताजपोशी हुई और वे दस साल लगातार अध्यक्ष रहे। सबसे अधिक वक्त तक अध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड अब भी सत्ती के नाम है। सत्ती की विदाई के बाद डॉ राजीव बिंदल की ताजपोशी हुई लेकिन कोरोना काल में घोटाले के आरोप के बाद बिंदल को महज 186 दिन बाद ही नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना पड़ा। ये हिमाचल में किसी भी भाजपा अध्यक्ष का सबसे छोटा कार्यकाल है। बिंदल के बाद सुरेश कश्यप को कमान सौपी गई और अप्रैल 2023 तक कश्यप पार्टी अध्यक्ष रहे। इसके बाद बिंदल की दोबारा बतौर अध्यक्ष एंट्री हुई। अब बिंदल को पार्टी फिर मौका देती है या नहीं, ये सवाल बना हुआ है।
आज एनएमओपीएस (NMOPS) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय के अनुसार, नई पेंशन स्कीम (UPS) के खिलाफ कर्मचारी महासंघ हिमाचल प्रदेश ने 01 अप्रैल 2025 से इसे लागू करने के फैसले का विरोध किया। इस विरोध प्रदर्शन में पूरे भारत में सभी स्कूलों, कॉलेजों और कार्यालयों में UPS की गजट अधिसूचना के खिलाफ विरोध किया गया। इस विरोध का मुख्य उद्देश्य ओपीएस (Old Pension Scheme) के तत्काल कार्यान्वयन की मांग करना था। प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर और महासचिव भरत शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में वर्तमान सरकार ने पहले ही पुरानी पेंशन बहाल कर दी है, इसलिए एनएमओपीएस का साथ देते हुए कर्मचारियों और शिक्षकों से अनुरोध किया गया था कि वे केंद्रीय कर्मचारियों के इस आंदोलन में समर्थन करें और UPS के नुकसानों के बारे में सभी कर्मचारियों को जागरूक करें ताकि इसके दुष्परिणाम सामने आ सकें। इस विरोध प्रदर्शन के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर ओपीएस के कार्यान्वयन के लिए एकजुट होने का आह्वान किया गया है। प्रदीप ठाकुर और महासचिव भरत शर्मा ने इस आयोजन की सफलता के लिए सभी का धन्यवाद किया। पुरानी पेंशन (Old Pension Scheme) की मांग को लेकर 20 वर्षों से चल रहे विरोध और आंदोलन को समाप्त करने के उद्देश्य से सरकार की ओर से उतारी गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (Unified Pension Scheme) यानी UPS का काफी विरोध हो रहा है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि इसमें कई खामियां हैं। इसकी सबसे बड़ी खामी तो वित्त सचिव टीवी सोमनाथन के एक जवाब से सामने आई है, जो इसकी प्रचारित अच्छाइयों पर भारी पड़ गई है। उन्होंने कहा कि UPS की सबसे बड़ी खामी वीआरएस (Voluntary Retirement Scheme) के मामले में सामने आती है। अगर कोई कर्मचारी 60 साल की उम्र से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प चुनता है तो उसे पेंशन कब से मिलेगी? यह सवाल जब वित्त सचिव से पूछा गया, तो उनका जवाब था कि आप रिटायर चाहे जब हों, UPS के तहत पेंशन सेवानिवृत्ति की आयु पूरी होने के बाद ही मिलेगी। रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली इस पेंशन स्कीम में इस खामी के चलते कर्मचारियों को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। उनका ये भी कहना है कि देश में विभिन्न विभागों में रिटायरमेंट की आयु अलग-अलग है। उदाहरण के तौर पर, विश्वविद्यालयों में रिटायरमेंट की आयु 65 साल है, जबकि कुछ विभागों में यह 60 वर्ष या 58 वर्ष है। ऐसे में अगर कोई कर्मचारी 58 वर्ष में रिटायर हो जाए तो उसे पेंशन के लिए दो साल का इंतजार करना होगा। वहीं अगर कोई कर्मचारी 50 वर्ष की उम्र पर वीआरएस लेता है, तो उसे पेंशन पाने के लिए 10 साल तक इंतजार करना होगा। कर्मचारी संगठन का कहना है कि 25 साल में नौकरी करने वाला युवा अगर 50 की आयु में नौकरी के 25 साल पूरे करके वीआरएस लेना चाहे, तो उसे यूपीएस के तहत पेंशन पाने का कोई विकल्प 10 सालों तक नहीं होगा। इस पर सवाल उठता है कि अगले 10 सालों तक वह जीवित रहेगा या नहीं, इसलिए कर्मचारी पुरानी पेंशन की बहाली की मांग कर रहे हैं। वहीं अगर कोई कर्मचारी देर से सरकारी सेवा में आता है, तो इस स्कीम के तहत 10 साल की नौकरी करने पर 10,000 रुपये न्यूनतम पेंशन तय की गई है। हालांकि यह फायदा भी तभी मिलेगा जब कर्मचारी ने 10 साल की सेवा पूरी की हो। अगर किसी कर्मचारी ने 10 साल से पहले सेवा छोड़ दी, तो उसे पेंशन नहीं मिलेगी। UPS में कर्मचारियों का योगदान उनकी बेसिक सैलरी का 10% होगा, जबकि सरकार 18.5% योगदान करेगी। पुरानी पेंशन में कर्मचारी को कोई योगदान नहीं करना पड़ता और सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन सरकार द्वारा दी जाती है, जो लगभग अंतिम वेतन का 50% होती है। जारी अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि जो कर्मचारी UPS का विकल्प चुनते हैं, वे किसी अन्य नीतिगत रियायत, बदलाव या वित्तीय लाभ का दावा नहीं कर सकेंगे। UPS के तहत कर्मचारियों के रिटायरमेंट फंड में दो हिस्से होंगे - एक व्यक्तिगत फंड, जिसमें कर्मचारी और सरकार का योगदान होगा, और दूसरा पूल फंड, जिसमें सरकार का अतिरिक्त योगदान होगा। प्रदीप ठाकुर का कहना है कि जब 1 अप्रैल 2004 को NPS लागू किया गया था, तब भी ऐसा ही प्रचार किया गया था, लेकिन जब कर्मचारी सेवानिवृत्त होने लगे, तो किसी को 500 तो किसी को 1500 रुपये पेंशन मिली। अब भविष्य में भी क्या मिलेगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन यह तय है कि UPS में पुरानी पेंशन (OPS) जैसा लाभ नहीं मिलेगा। इसलिए कर्मचारी पुरानी पेंशन की बहाली की मांग करेंगे और NPS तथा UPS का विरोध जारी रखेंगे।
** तहबाजारी यूनियन ने प्रशासन पर रोजगार छीनने का आरोप लगाते हुए धरना प्रदर्शन किया **वन विभाग और NHAI पर 2014 की स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी का उल्लंघन कर तहबाजारियों को उजाड़ने का भी लगाया आरोप शिमला, 28 जनवरी: शिमला के ढली से कुफरी के बीच स्थित तहबाजारियों ने वन विभाग, NHAI और पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई के खिलाफ आज जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। तहबाजारी यूनियन ने सीटू के बैनर तले उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना दिया, जिसमें तहबाजारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन उनके जीवन-यापन के साधन को छीनने के प्रयास में है। विशेष रूप से 2014 की स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी का उल्लंघन करने का आरोप है, जो उन्हें अपने काम को व्यवस्थित तरीके से करने की अनुमति देती है। यूनियन के नेताओं ने कहा कि इन तहबाजारियों को इस क्षेत्र में दशकों से कार्य करने की अनुमति मिली हुई है, लेकिन अब प्रशासन उनका व्यवसाय अवैध करार देकर उन्हें हटाने की कोशिश कर रहा है। सीटू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंदर मेहरा ने कहा कि यह क्षेत्र नगर निगम और नगर पालिका सीमा से बाहर है, और इसके तहत इन वेंडरों को शहरी विकास मंत्रालय द्वारा बसाया जाना था, न कि उजाड़ा जाना। उन्होंने यह भी कहा कि वन विभाग, NHAI और पुलिस की कार्रवाई से इन परिवारों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है।
शिमला पुलिस ने 11 तस्कर धरे, लगभग सभी 'पुराने पापी' एसपी शिमला संजीव गाँधी ने दी जानकारी शिमला पुलिस ने कोलकाता से संदीप शाह नाम के एक चिट्टा तस्कर को गिरफ्तार किया है जो 200 लोगों के गिरोह का सरगना है। इस गिरोह के 11 तस्करों को पुलिस ने धरा है और सभी चिट्टे की तस्करी के पुराने पापी है। करीब छ महीने से शिमला पुलिस इस अभियान में जुटी थी और आखिरकार रविवार को उसे सफलता मिली है। ये शिमला पुलिस की बड़ी कामयाबी है। एसपी शिमला संजीव गाँधी ने इस बाबत जानकारी साझा की। हिमाचल प्रदेश में ड्रग माफिया बेहद नियोजित तरीके से काम कर रहा है। ड्रग तस्करी एक आर्गनाइज्ड क्राइम का रूप ले चुकी है और तस्कर तकनीक का भी खूब इस्तेमाल कर रहे है। इस गिरोह का भी अपना ऑनलाइन सप्लाई मैकेनिज्म था, ये ऑनलाइन आर्डर लेते थे और ग्राहक द्वारा भुगतान भी ऑनलाइन किया जाता था। बहरहाल शाही महात्मा गैंग पर कार्रवाई के बाद शिमला पुलिस ने एक और बड़े रैकेट को एक्सपोज़ किया है।
शिमला की सुंदरता और स्वच्छता को बनाए रखने के उद्देश्य से, शिमला ग्रामीण के एसडीएम कविता ठाकुर ने 7 जनवरी से शिमला के प्रमुख प्रवेश बिंदुओं शोघी, तारादेवी और शालाघाट- कैथलीघाट की सड़कों पर सफाई अभियान की शुरुआत की है। एसडीएम कविता ठाकुर और उनका स्टाफ हर सुबह 9 बजे से 12 बजे तक कचरा हटाकर शहर को साफ-सुथरा बनाने का संदेश दे रहे हैं। इसके साथ ही, वे स्थानीय निवासियों से भी इस अभियान में सक्रिय भागीदारी की अपील कर रहे हैं। एसडीएम कविता ठाकुर ने कहा कि शिमला की असली सुंदरता यहां के प्राकृतिक वातावरण और हरे-भरे पेड़ों में है। लेकिन पिछले कुछ समय से, शिमला के प्रवेश बिंदुओं पर कचरे का ढेर देखने को मिल रहा है। इस सफाई अभियान का मुख्य उद्देश्य न केवल इन स्थानों को स्वच्छ बनाना है, बल्कि आम जनता को भी जागरूक करना है कि वे शिमला को प्लास्टिक मुक्त बनाने में योगदान दें। स्वच्छता केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। खुले में कचरा फेंकने से न सिर्फ शहर की सुंदरता प्रभावित होती है, बल्कि यह पर्यटकों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। कविता ठाकुर ने यह भी कहा कि इस अभियान में स्थानीय निवासियों का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है और साथ ही, शिमला को एक आदर्श शहर बनाने के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए।
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के जुब्बल तहसील के समोट गांव में आज सुबह एक भयंकर आग लग गई। सुरेन्द्र दान सिंगटा के सेब के बगीचे में सुबह करीब 10:30 बजे लगी आग ने देखते ही देखते 200 से ज्यादा सेब के पेड़ और कुछ नाशपाती के पेड़ जलाकर राख कर दिए। यह बगीचा उनकी मेहनत और आय का मुख्य स्रोत था। दुर्भाग्यवश, बगीचे के पास स्थित गौशाला भी आग की चपेट में आ गई और एक गाय जिंदा जल गई। घटना के बाद ग्रामीणों ने तुरंत प्रशासन को सूचना दी, और फायर ब्रिगेड और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। आग बुझाने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन नुकसान का आकलन किया जा रहा है। आग के कारणों का अभी तक पता नहीं चला है।
कहा , मित्रों को इक्कठा करके बताएँगे राजनीति क्या होती है तो कांगड़ा में बढ़ सकती है भाजपा की मुश्किलें भाजपा से खफा पूर्व मंत्री एवं विधायक रमेश चंद ध्वाला कांगड़ा में गरजने की हुंकार भर रहे है। ध्वाला तीसरे मोर्चे का या यूँ कहे भाजपा विरोधी मोर्चे का संकेत दे रहे है। भाजपा को खुली चुनौती दे रहे है की मित्रों को इक्कठा करके बताएँगे, राजनीति क्या होती है। दरअसल, कांगड़ा में भाजपा के नाराज नेताओं में अकेले ध्वाला नहीं है, और भी कई नेता है जो हाशिये पर है। ये फहरिस्त लम्बी है। कुछ समय पूर्व भी इन नेताओं के एक होने की चर्चा थी, और अब फिर ध्वाला ने इन कयासों को हवा दे दी है। सूत्रों की माने तो इस फेहरिस्त में ध्वाला के अलावा कई वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक बताये जा रहे है। यदि ऐसा होता है तो कांगड़ा में भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती है। एक दौर था जब रमेश चंद ध्वाला हिमाचल भाजपा के लिए नायक थे। 1998 में धूमल सरकार बनाने में उनकी भूमिका भला कौन भूल सकता है। पर ये ही ध्वाला बीते करीब सात साल से भाजपा से खफा- खफा है। दरअसल जयराम ठाकुर के मुख्यमंत्री बनने के बाद ध्वाला को कैबिनेट में एंट्री नहीं मिली थी। इसके बाद से ही ध्वाला की टीस दिखने लगी थी। फिर पूर्व में संगठन मंत्री रहे पवन राणा के साथ उनकी सियासी खींचतान भी खूब सुर्खियों में रही। हालांकि धूमल गुट के असर के चलते 2022 में उन्हें टिकट तो मिल गया, लेकिन चुनाव हारने के बाद भाजपा में ध्वाला साइडलाइन ही दिखे है। विशेषकर होशियार सिंह की भाजपा में एंट्री और फिर उपचुनाव में होशियार को ही टिकट दिए जाने के बाद ये खाई बढ़ती दिखी है। इस बीच भाजपा संगठन में भी नई नियुक्तियां हुई है और पार्टी ने ज्वालामुखी और देहरा, दोनों ही हलकों में उनके समर्थकों को तरजीह नहीं दी है। बहरहाल, रमेश चंद ध्वाला भाजपा पर भड़ास भी निकाल रहे है और अपनी ही पार्टी को चुनौती भी दे रहे है। निशाने पर कौन कौन है, ये सब जानते है। ध्वाला राजनीति के माहिर खिलाड़ी है और सियासी शतरंज के सभी दांव पेंचों से भली भांति वाकिफ भी। सियासत का उनका अपना अलग सलीका है, बेबाक सलीका। इसलिए, वो बगैर नापे तोले उपेक्षा का दर्द भी बयां कर रहे है, अपना योगदान भी स्मरण करवा रहे है, पार्टी को आइना भी दिखा रहे है और अपनी जमीनी कुव्वत का अहसास भी करवा रहे है। आप ध्वाला को पसंद करें या नापसंद करे लेकिन खारिज नहीं कर सकते। आज भी ध्वाला हिमाचल की राजनीति में बड़ा ओबीसी चेहरा है विशेषकर कांगड़ा में और कई सीटों पर प्रभाव रखते है।देहरा और ज्वालामुखी में तो उनका सीधा असर दीखता है। ऐसे में उनकी टीस भाजपा के लिए जरा भी मुफीद नहीं है। हालांकि संगठन की नई नियुक्तियों में भाजपा का जातीय डैमेज कण्ट्रोल दीखता है, फिर भी उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता। सवा तीन साल में भाजपा को मिली हार पर हार हिमाचल में भाजपा के लिए बीते तीन साल में कुछ भी अच्छा नहीं घटा है। विधानसभा चुनाव हो या उपचुनाव, पार्टी को मिली है सिर्फ हार पर हार। बीते तीन सवा तीन साल में पार्टी ने सत्ता तो गवाईं ही है, पार्टी विधानसभा के एक बारह में से सिर्फ तीन उपचुनाव ही जीत सकी है। इस पर पूर्व कांग्रेसी और निर्दलीयों के पार्टी में आने के बाद एक और खेमा बनने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में कार्यकर्त्ता का मनोबल टूटना लाजमी है। अब अगर अगर कांगड़ा में भाजपा से रूठे नेताओं का अलग मोर्चा बनता है तो तय मानिये इसकी भरपाई भाजपा के मुश्किल होगी।
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के कोटखाई में हुए बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म और हत्याकांड के संदर्भ में गिरफ्तार आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या के मामले में चंडीगढ़ की सीबीआई अदालत आज दोषी पुलिसकर्मियों की सजा पर अपना फैसला सुनाएगी। अदालत ने 18 जनवरी को प्रदेश के IG जहूर एच जैदी सहित 8 पुलिस अधिकारियों को दोषी करार दिया था। जानकारी के अनुसार, इन दोषियों को आज शाम 4 बजे सजा सुनाई जाएगी। सीबीआई कोर्ट ने सोमवार को दोषियों से उनकी अंतिम अपील भी सुनी थी। 18 जनवरी को सीबीआई अदालत ने गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर आईजी जैदी, तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, पुलिस सब इंस्पेक्टर राजिंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, मानक मुख्य आरक्षी मोहन लाल, सूरत सिंह, मुख्य आरक्षी रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रनीत सटेटा को दोषी ठहराया था। ये सभी आरोपी वर्तमान में बुड़ैल जेल में बंद हैं। साल 2017 में शिमला जिले के कोटखाई में गुड़िया नामक 16 वर्षीय छात्रा का बलात्कार और हत्या हुई थी। पुलिस ने आरोपी सूरज को हिरासत में लिया, लेकिन लॉकअप में प्रताड़ना के कारण उसकी मौत हो गई। पुलिस ने सूरज की मौत का आरोप दूसरे आरोपी राजू पर मढ़ दिया। सूरज की लॉकअप में हत्या के बाद गुस्साई भीड़ ने कोटखाई पुलिस थाना जलाने की कोशिश की। इस घटनाक्रम के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। गौरतलब है कि 4 जुलाई 2017 को कोटखाई में 16 वर्षीय छात्रा का शव निर्वस्त्र अवस्था में तांदी के जंगल में पाया गया था। शिमला के तत्कालीन IG जहूर एच जैदी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की गई थी, जिसने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक आरोपी, नेपाली युवक सूरज, को पुलिस हिरासत में लॉकअप में मौत का सामना करना पड़ा था। सीबीआई जांच में यह सामने आया कि सूरज की मौत पुलिस की प्रताड़ना के कारण हुई थी। इसके बाद सीबीआई ने आईजी जैदी और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या (धारा 302), सुबूत नष्ट करने (धारा 201) और अन्य गंभीर आरोपों के तहत केस दर्ज किया। यह मामला शिमला जिला अदालत से चंडीगढ़ सीबीआई अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था।
** विपक्ष को कोसने के बजाय अपने 2 साल की उपलब्धि बताएं मुख्यमंत्री ** 2 साल में 30 हजार करोड़ का लोन लेने वाले दे रहे हैं वित्तीय कुप्रबंधन पर ज्ञान शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से कहा है कि उनकी सरकार बने 2 साल का समय पूरा हो गया है और उन्होंने प्रदेश में विकास के नाम पर अब तक 30 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए का लोन भी ले लिया है। इसलिए वह विपक्ष को कोसने का काम बंद करें और बताएं कि इन दो सालों के दरमियान उन्होंने क्या-क्या काम किए हैं? साथ ही मुख्यमंत्री यह भी प्रदेश के लोगों से स्पष्ट कर दें कि 2017 में उनके अध्यक्ष रहते जब कांग्रेस पार्टी सत्ता से बेदखल हुई थी तो उनकी पार्टी की सरकार ने हमें विरासत के रूप में भी पैसे का कर्ज और देनदारी नहीं सौंपी थी साथ ही ' नो ड्यूज' वाले कागज भी दिखा दें। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने दिल पर हाथ रख कर बोले कि क्या उनकी पार्टी द्वारा विधानसभा में दी गई एक भी गारंटी ईमानदारी से पूरी हो पाई है? क्या आज जो सरकार कर रही है, चुनाव के पहले कांग्रेस ने इसी प्रकार के गवर्नेंस का वादा किया था? जिन बड़े-बड़े मंचों से मुख्यमंत्री दुनिया भर का झूठ परोस रहे हैं उनकी बहुत प्रतिष्ठा रही है, वह मंच हिमाचल की तकदीर सजाने संवारने और हिमाचल को उत्कृष्ट बनाने के दिशा में कदम बढ़ाने के लिए जाना जाता है, लेकिन मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश पूर्ण राजत्व दिवस के अवसर और मंच को भी अपने झूठ बोलने का स्थान बना दिया। क्या प्रदेश के लोगों ने सिर्फ विपक्ष को कोसने के लिए कांग्रेस को इतना बड़ा जनादेश दिया था? जयराम ठाकुर ने कहा कि पिछली सरकार ने लोगों को सुविधाएं दी थी। बिना किसी गारंटी के हमारी सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन की आयु सीमा घटाकर 80 से 60 वर्ष की। जिसके कारण प्रदेश की 2 लाख 75 और महिलाओं को वृद्धा पेंशन मिली। इसके साथ ही पेंशन की राशि में भी 2 गुना तक बढ़ोतरी की और आय की सीमा भी खत्म की। हमारे पूर्व की सरकार का सामाजिक सुरक्षा बजट 436 करोड रुपए उसे बढ़ाकर हमारी सरकार ने 1300 करोड रुपए किया। 70 वर्ष या उससे अधिक आयु की लोगों के लिए वृद्धा पेंशन को ₹700 से बढ़ाकर 1700 रुपए किया। विधवा और दिव्यांगजनों की पेंशन की राशि ₹700 से बढ़कर 1150 रुपए प्रतिमाह की। 70% से अधिक दिव्यांग जनों की पेंशन 1250 रुपए से बढ़कर 1750 रुपए की। लाखों लोगों को गरिमा पूर्ण जीवन देने के लिए हमारी सरकार ने यह कदम उठाए। एक सरकार के रूप में हमने यह कोई एहसान नहीं किया यह हमारा फर्ज था जो हमने अपने प्रदेश के लोगों के लिए किया। प्रदेश के लोगों को बिजली का बिल न देना पड़े इसके लिए हमने 125 यूनिट फ्री बिजली का प्रावधान रखा। इससे लोग कम बिजली खर्च करने को प्रेरित हुए। जिससे बची हुई बिजली सरकार महंगे दामों पर बेचे। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी का बिल जो बहुत कम होता था उसे माफ किया, महिलाओं के लिए बसों के किराए में पचास प्रतिशत की छूट दी। यह कदम महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए उठाया गया था शायद मुख्यमंत्री और उनकी टीम इस छूट में निहित सरकार की मंशा को भले न समझे लेकिन इसका लाभ प्रदेश को हुआ। भारतीय जनता पार्टी ने इनमें से किसी भी काम के लिए प्रदेश के लोगों की कोई गारंटी नहीं दी थी। सरकार का काम जनहित है उसके लिए सरकार को सदैव प्रयास करना चाहिए और एक मुख्यमंत्री के रूप में मैंने यह प्रयास किए। कोरोना जैसी आपदा के बाद भी एक भी कर्मचारी के एक दिन का वेतन हमारी सरकार ने नहीं काटा। हमारी सरकार ‘सबका साथ–सबका विकास’ के ध्येय के साथ काम किया। सहारा, शगुन, ग्रहणी सुविधा, हिम केयर जैसी न जाने कितनी योजनाएं दी जिसकी मदद से गरीब आदमी गरिमा पूर्ण जीवन जी सके। वर्तमान सरकार ने ज्यादातर योजनाओं को या तो बंद कर दिया है या उनका बजट रोक दिया है और वह योजनाएं तथा स्वतः मृतप्राय हो गई हैं। जयराम ठाकुर ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन वाली सुक्खू के हाल आज क्या है वह किसी से छुपा नहीं है। जिस सरकार को यज्ञ प्रदेश का नुकसान करने वाली सरकार बता रहे हैं उसी सरकार ने प्रदेश के लोगों को ₹5 लाख तक का नि:शुल्क इलाज हर सरकारी प्राइवेट अस्पताल में करवाया। आज कहते हुए शर्म आ रही है कि पचास हजार के एक इंजेक्शन के लिए एक परिवार अनाथ हो गया। मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र अपनी इंटर्नशिप के स्टाइपेंड के लिए सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं और प्रदेश के डॉक्टर अपने एनपीए की मांग को लेकर काले बिल्ले पहनकर इलाज कर रहे हैं। नंबरदार से लेकर ठेकेदार तक अपने वेतन और बिलों के भुगतान की फरियाद कर रहे हैं। 2 साल में सरकार द्वारा अपने नाम से सुखाश्रय योजना शुरू की गई योजना में बाकी खर्चों से ज्यादा ब्रांडिंग पर खर्च हुआ लेकिन हकीकत यह है इस योजना के तहत पढ़ने वाले बच्चों की फीस भी सरकार समय से नहीं जमा कर रही है। इस प्रकार की नाकामी के एक नहीं लाखों उदाहरण हैं। सुख की सरकार में सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं होगा और प्राइवेट अस्पताल में हिम केयर का पैसा नहीं मिलेगा। आए दिन लोग मुझे मिलते हैं जो इलाज के अभाव में या तो अपने घरों में बैठे हैं या जमीन गिरवी रखकर कर्ज लेकर इलाज करवा रहे हैं। मुख्यमंत्री से मेरा आग्रह है कि वह एक बार जमीनी हकीकत का भी अंदाजा लगा लें सिर्फ झूठ बोलने से अगर सरकार चल जाती तो उसके लिए काम करने की आवश्यकता क्या होती? आपके झूठ और विपक्ष पर आरोप लगाने के भाषण अब प्रदेश के लोग चटखारे लेकर सुनते हैं और आप पर हंसते हैं। 2 साल विपक्ष को कोसकर आपने निकाल दिए अब आगे ऐसा नहीं हो पाएगा। इसलिए धरातल पर काम करिए और झूठ बोलना बंद करिए। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने समस्त प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आज का दिन हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जब हम अपने संविधान को अपनाते हैं और अपने देश की एकता और अखंडता को मजबूत बनाने का संकल्प लेते हैं। हम सभी इस अवसर पर अपने देश के लिए श्रद्धा और समर्पण से कार्य करें, और अपने राष्ट्र तथा राज्य के विकास और समृद्धि के लिए काम करने का संकल्प लें।
** राज्यपाल ने दवाओं के सेंपल फेल होने पर की सरकार से सख्त कार्रवाई करने की बात कही राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर शिमला के गेयटी थियेटर में समारोह का आयोजन किया गया। इसमें हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने बताैर मुख्य अतिथि शिरकत की। भांग की खेती को कैबिनेट से मिली सैद्धांतिक मंजूरी को लेकर राज्यपाल ने कहा कि एक समय पर हिमाचल प्रदेश को मलाणा को लेकर गर्व था विदेशों तक इसकी चमक थी लेकिन आज इस चमक के नशे के कारण नौनिहालों को खोना पड़ रहा हैं। ऐसे में भांग का केवल औषधीय उपयोग हो इस बात पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। हिमाचल में दवाओं के सेंपल लगातार फैल हो रहे हैं जो कि चिंता का विषय है। सरकार को इस पर सख्त कार्रवाई कर दोषियों को दंडित करना चाहिए।
शिमला: प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए महंगाई भत्ते (DA) और एरियर का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्ण राज्यत्व दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से बड़ी घोषणा की उम्मीद लगाए बैठे लाखों कर्मचारी और पेंशनर एक बार फिर मायूस हो गए।सरकार की ओर से इस मौके पर कई विकास कार्यों की घोषणाएं की गईं, लेकिन DA-एरियर पर कोई स्पष्ट ऐलान नहीं हुआ। इससे कर्मचारियों और पेंशनरों में निराशा बढ़ गई है। दरअसल, कर्मचारी और पेंशनर लंबे समय से बकाया DA और एरियर की मांग कर रहे हैं। महंगाई के इस दौर में DA का भुगतान उनकी सबसे बड़ी जरूरत बन गया है। सरकार ने इस मुद्दे पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ रही है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए कहा था कि सरकार पहले से ही आर्थिक दबाव का सामना कर रही है। हालांकि, उन्होंने कर्मचारियों की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया था। उधर, कर्मचारियों और पेंशनरों ने सरकार की खामोशी पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि हर साल घोषणाओं का दौर चलता है, लेकिन उनकी जायज मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है। अब ऐसे में DA-एरियर पर सरकार का कोई ठोस फैसला कब आएगा, यह तो वक्त ही बताएगा। अब कर्मचारी और पेंशनर्स गणतंत्र दिवस के दिन का इंतजार कर रहे है और उम्मीद लगाए बैठे है कि शायद कल सुक्खू सरकार कोई बड़ी घोषणा कर देंगे।