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HRTC देहरा डिपो की 95 में से 19 बसें वर्कशॉप में खड़ी, कई रूटों पर सेवा बंद

 एचआरटीसी के देहरा डिपो की बदहाली से आम जन परेशान है। आलम ये है कि डिपो की 95 बसों में से 19 बसें इंजन, टायर और फ्रंट शीशों की खराबी के कारण वर्कशॉप में खड़ी हैं। पिछले 15 दिनों से देहरा-ज्वालाजी, जसवां-परागपुर सहित कई रूटों पर बस सेवाएं बंद होने से सैंकड़ों लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। देहरा-ज्वालाजी-चंडीगढ़ वाया बंगाणा रूट की एकमात्र बस, जो 25 पंचायतों के लिए जीवनरेखा है, भी 15 दिनों से बंद पड़ी है। स्थानीय लोगों ने विभागीय अधिकारियों से बार-बार शिकायत की, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला। कई इलाकों में अब केवल एक बस चल रही है, जिससे यात्रियों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।   कुहना के प्रधान राम पाल, दोदूं के प्रधान मुकेश कुमार, पीरसालूही के प्रधान संजीव कुमार, शांतला के प्रधान राहुल कुमार, बीडीसी कुहना  पिंकी, बीडीसी पीरसालूही परवीन धीमान और जिला परिषद सदस्य अश्वनी ठाकुर ने सरकार से मांग की है कि इस बस को स्थायी रूप से चलाया जाए या फिर पूरी तरह बंद कर दिया जाए, ताकि लोग वैकल्पिक व्यवस्था कर सकें। उनका कहना है कि सरकार किराया तो 10 रुपये या 15 प्रतिशत तक बढ़ा देती है, लेकिन एचआरटीसी की सेवाओं में सुधार नहीं कर रही। देहरा डिपो की स्थिति इसका स्पष्ट उदाहरण है। निगम की लापरवाही से लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है। वहीं इस संदर्भ में अतिरिक्त प्रभार आर.एम साहिल कपूर ने कहा कि खराब बसों की मेंटनेस की जा रही है।

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हिमाचल में आगामी पांच दिन मौसम ख़राब बने रहने का अनुमान

हिमाचल प्रदेश में हल्की बारिश के बाद लोगों को गर्मी से कुछ राहत मिली है। मौसम विज्ञान केंद्र का अनुमान है कि आगामी 5 दिनों में प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में माध्यम से हल्की बारिश दर्ज की जाएगी।  साथ ही 20 जून के बाद तापमान में और गिरावट होने का पूर्वानुमान है।  वहीं प्रदेश में मानसून समय से दस्तक दे सकता है मानसून के लिए प्रदेश में स्थितियां अनुकूल बनी हुई है।  मौसम विज्ञान केंद्र शिमला में मौसम वैज्ञानिक शोभित कटियार ने बताया कि प्रदेश के निचले इलाकों में तापमान 33 से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच है, जबकि मध्यवर्ती क्षेत्रों में यह 25 से 32 डिग्री और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 21 से 27 डिग्री के आसपास दर्ज किया गया है। आगामी पांच दिनों तक प्रदेश में फिर से बारिश और खराब मौसम रहने की संभावना है। 20 जून से तापमान में और गिरावट आने की उम्मीद है। वहीं, बीते 24 घंटों में विभिन्न जिलों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई है, जिसमें कांगड़ा में सबसे अधिक 34 मिमी बारिश हुई है।  शोभित कटियार ने बताया कि आने वाले 5 दिनों में प्रदेश के शिमला, सोलन, सिरमौर, कुल्लू, कांगड़ा और मंडी में हल्की से मध्यम बारिश के साथ 40 से 60 किमी/घंटा की रफ्तार से हवाएं चलने की संभावना ह।  20 से 22 जून के बीच कुछ इलाकों में भारी बारिश होने का पूर्वानुमान है, जिसके लिए येलो अलर्ट जारी किया गया ह।  हिमाचल प्रदेश में मानसून समय से पहले दस्तक दे सकता है, जिसकी सामान्य तारीख 25 जून है।  प्रदेश में स्थितियां अनुकूल होने पर मानसून जून के आखिरी सप्ताह तक पहुंचने की संभावना है। 

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गैजेट नोटिफिकेशन जारी, 2027 तक दो चरणों में होगी जनगणना

केंद्र सरकार ने जनगणना को लेकर सोमवार को गैजेट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस जनगणना का आधार एक मार्च 2027 माना जाएगा। इस अधिसूचना के साथ ही जनगणना को लेकर कवायद  हो गई है। जनगणना दो चरणों में की जाएगी।  जनगणना में पहली बार जाति गणना भी शामिल होगी। गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि 34 लाख कर्मचारी और पर्यवेक्षक तथा लगभग 1.3 लाख जनगणना अधिकारी इस कार्य को अंजाम देंगे।  इसके लिए अत्याधुनिक मोबाइल डिजिटल गैजेट का इस्तेमाल किया जाएगा।   अमित शाह रविवार को  नई दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आगामी जनगणना की तैयारियों की समीक्षा की थी। इसके बाद सरकार ने सोमवार को वर्ष 2027 में जाति गणना के साथ भारत की 16वीं जनगणना कराने के लिए अधिसूचना जारी की।  अधिसूचना में कहा गया है कि एक मार्च 2027 ही जनगणना के लिए आधार होगा।  हालांकि बर्फबारी वाले क्षेत्रों जैसे केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, जम्मू- कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए ये एक अक्टूबर 2026 माना जाएगा।  पहले चरण में प्रत्येक घर की आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं का विवरण एकत्र किया जाएगा। वहीं दूसरे चरण में जनसंख्या गणना, जनसांख्यिकीय और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी। इसके लिए प्रत्येक घर में हर एक व्यक्ति का विवरण लिया जायेगा। 

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सोलन : नशे के सौदागरों की 2.37 करोड़ से ज्यादा की सम्पति जब्त

नशे के सौदागरों की 2.37 करोड़ से ज्यादा की सम्पति जब्त  दो मामलों में फाइनेंसियल इन्वेस्टीगेशन अमल में लाई गई सोलन पुलिस द्वारा एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज किये गए  02 मामलों में फाइनेंसियल इन्वेस्टीगेशन अमल में लाई गई है। इन मामलों में संलिप्त 10 आरोपियों/सहयोगियों की कुल 2.37 करोड़ से ज्यादा की सम्पति जब्त की गई है जिसमे आलीशान मकान,लक्ज़री गाड़ियाँ/कैश डिपॉजिट्स ,फिक्स्ड डिपॉजिट्स आदि शामिल है । पहला मामला  बीते 27 अप्रैल को जिला पुलिस की SIU की टीम द्वारा पुलिस थाना कण्डाघाट के गौड़ा क्षेत्र में 03 आरोपियों  से 1.310 किलोग्राम चरस बरामद हुई थी। उक्त तीनों आरोपी प्रकाश ठाकुर पुत्र  लायक राम निवासी गांव कोट, डा0 चम्बी, तहसील चौपाल, जिला शिमला हि0प्र0 उम्र 55 साल, राजेश पांडे पुत्र सेवा राम निवासी गाँव सेवग, डा0 बलग, तहसील ठियोग, जिला शिमला हि0प्र0 उम्र 41 साल तथा रविन्द्र पुत्र  जयराम निवासी गाँव धमान्दर डा0 भड़ोली तहसील राजगढ़, जिला सिरमौर, हि0प्र0 उम्र 56 साल को गिरफ्तार किया गया था I जिस पर पुलिस थाना कंडाघाट में अभियोग दर्ज किया गया था I इस अभियोग के अन्वेषण के दौरान उक्त मामले में गिरफ्तार आरोपी प्रकाश ठाकुर के रिहायशी मकान में भी पुलिस टीम द्वारा रेड की गई थी जो रेड के दौरान उक्त आरोपी के रिहायशी मकान से भी 520 ग्राम चरस बरामद की गई थी जो इस मामले में कुल चरस 1.830 किलोग्राम चरस बरामद है।  जांच के दौरान पाया गया कि आरोपी प्रकाश ठाकुर इस मामले का मुख्य किंगपिन है, जो न केवल अपने घर पर चरस का उत्पादन / निर्माण करता है बल्कि शिमला जिला के साथ-साथ पड़ोसी जिलों यानी सोलन, सिरमौर आदि के पेडलर्स  को भी लंबे समय से इसकी आपूर्ति कर रहा है। जांच पर पाया गया कि इस बरामद चरस को आरोपी प्रकाश ठाकुर ने अपने घर पर ही तैयार किया था। जब आरोपियों की फाइनेंसियल  इन्वेस्टीगेशन अमल में लाई गई तो उपरोक्त तीनो आरोपियों व इनके सहयोगियों के नाम पर करोड़ों रुपये की सम्पति होनी पाई गई जिनमे आलीशान मकान, लग्जरी वाहन,  जे०सी०बी० मशीन, आदि शामिल है, जो गिरफ्तार आरोपियों ने नशे के कारोबार से अर्जित की थी I      चरस व्यापार / तस्करी के अवैध कारोबार से अभियुक्त प्रकाश ठाकुर ने विगत 06 वर्षों की अवधि के भीतर अपनी पत्नी व पुत्र व अपने रिश्तेदारों के नाम पर जमीन, मकान तथा लग्जरी वाहन/अन्य वाहन खरीद / निर्माण / हासिल किये हैं । आरोपी  प्रकाश ठाकुर ने उपरोक्त सम्पति तस्करी की नाजायज कमाई से हासिल किये और उसी उद्देश्य के लिए उनका इस्तेमाल भी कर रहा था I उक्त अभियोग में आरोपीगण प्रकाश ठाकुर, राजेश पांडे और रविन्द्र तथा उनके  सहयोगियों द्वारा अर्जित एवम् संचालित की गई उपरोक्त सम्पति / मकान / वाहनों / बैंक जमा राशि आदि जिनका कुल मुल्य मुबलिग 2.09 करोड़ रुपये  को जब्त किया गया है I दूसरा मामला  बीते 17 मार्च को थाना धर्मपुर की पुलिस टीम दो आरोपियों गौरव व चेतन को करीब 11 ग्राम चिटटा/हेरोइन सहित गिरफतार किया गया था । उक्त मामले की आगामी जाँच के दौरान गिरफ्तार आरोपियों की वितीय अन्वेषण अमल में लाया गया जो वितीय अन्वेषण के दौरान पाया गया की आरोपी चेतन व गौरव आपसी मिलीभगत से लम्बे समय से  स्थानीय उपयोगकर्ताओं/ तस्करों को चिट्टा की आपूर्ति करते थे I जाँच के दौरान यह पता चला है कि इनका चिट्टा/हेरोइन की तस्करी के ईलावा कमाई का कोई भी अन्य स्रोत ना पाया गया तथा जाँच के दौरान इनके पास से 28 लाख रूपए की अवैध सम्पति को जब्त किया गया है।    अब तक 08 मामलों में करीब आठ करोड़ रूपए की संपत्ति जब्त  जिला सोलन पुलिस द्वारा नशा तस्करों की सम्पत्ति की जब्ती (Seizing and Freezing) की प्रक्रिया वर्ष 2024 से ही जारी है।  जिला पुलिस द्वारा 2024 व 2025 में अभी तक 08 मामलों में 28 आरोपियों/सहयोगियों की करीब आठ करोड़ रूपए की संपत्ति जब्त की जा चुकी ह।  इनमें से एक अभियोग जिसमें क़रीब 37 किलो हाई क्वालिटी चरस थी, जबकि 06 मामले चिट्टा तस्क़री  के  थे जिनमे बाहरी राज्यों पंजाब व हरियाणा में सक्रीय सप्लायरों द्वारा सोलन जिला में चिट्टा की आपूर्ति की जा रही थी i इनमें इनके आलीशान होटल, प्लॉट्स, लक्ज़री गाड़ियाँ ,कैश डिपॉजिट्स ,फिक्स्ड डिपॉजिट्स आदि शामिल हैं।    दो साल में 9 अफ्रीकी मूल के नाइजीरियन नागरिक भी गिरफ्तार   गत 02 वर्षों में जिला सोलन पुलिस द्वारा  नशा तस्करों के विरुध मादक पदार्थ अधनियम के तहत 184 मामले पंजीकृत किये गए है जिनमें 393 आरोपियों को गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे भेजा गया है।  इन मामलों में Backward/Forward Linkages के संदर्भ में भी अन्वेषण करते हुये नशा की सप्लाई करने वाले बाहरी राज्यों के 136 से ज़्यादा आरोपियों को पिछले 02 वर्षो में गिरफ्तार किया गया । इन 136 आरोपियों में से चिट्टे/नशे के 130 बड़े सप्लायर हैं, जिनको दिल्ली, पंजाब, हरियाणा,चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, असम, महाराष्ट्र आदि राज्यों से गिरफ्तार किया गया है। इनमें 9 अफ्रीकी मूल के नाइजीरियन नागरिक भी शामिल हैं जिनको दिल्ली से गिरफ़्तार किया गया था I      

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क्या सत्ता में 'प्लस' रहने के लिए ज़िलों का आकार होगा 'माइनस' ?

छोटे-छोटे जिलों से सत्ता के खेल की तैयारी; अंदरखाते मंथन की सुगबुगाहट ! कांगड़ा के नूरपुर, पालमपुर और देहरा नए जिलों की दौड़ में ! शिमला, मंडी और सोलन के बंटवारे पर भी मंथन संभव !  हिमाचल में नए जिलों के गठन की चर्चा बीते कई वर्षों होती आ रही है, खासतौर से चुनाव से पहले नए ज़िलों का जिन्न बाहर आ जाता है। छोटे-छोटे जिले बनाकर सियासत की पिच को मुफीद बनाने की योजना पर धूमल से लेकर जयराम तक ने मंथन किया, हालांकि अमलीजामा कोई न पहना सका। अब फिर सुगबुगाहट है कि मौजूदा सरकार नए जिले बनाने की योजना पर आगे बढ़ सकती है। यानी मौजूदा ज़िलों के सियासी कद में कांट-छांट के आसार बन रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इस पर अंदरखाते मंथन चला हुआ है कि छोटे-छोटे जिलों के मैदान में साल 2027 के लिए कोई बड़ा खेल खेला जाए। इसी कड़ी में चार ज़िलों का बंटवारा मुमकिन है; कांगड़ा, मंडी, सोलन और शिमला।      जिलों की मांग की सुगबुगाहट सबसे अधिक काँगड़ा में देखने को मिल रही है। यहां नूरपुर, पालमपुर और देहरा को जिला घोषित करने की मांग उठती रही है। नूरपुर से पूर्व विधायक व जयराम सरकार में मंत्री रहे राकेश पठानिया लम्बे वक्त से खुलकर इसके पक्ष में बोलते रहे है।   वहीँ भाजपा सरकार के कार्यकाल में पालमपुर विधायक आशीष बुटेल भी पालमपुर को जिला घोषित करने की मांग करते रहे है। हालाँकि अब वे चुप है, लेकिन सम्भवतः इसके पक्ष में ही रहेंगे। वहीं मौजूदा स्थिति में  देहरा का दावा भी नकारा नहीं जा सकता। वैसे भी देहरा पर सीएम सुक्खू की विशेष मेहरबानी है। यानी कांगड़ा को चार हिस्सों में बाँटने की मांग है। कांगड़ा, 15 विधानसभा क्षेत्रों वाला वो जिला है जो हिमाचल में सत्ता का रुख तय करता आया है। पर अगर नए जिलों का गठन होता है तो क्षेत्रफल के साथ -साथ कांगड़ा के सियासी बल का भी विभाजन होगा।      कांगड़ा की तरह ही  मंडी जिले के करसोग और सुंदरनगर क्षेत्र के लोग भी कठिन भौगौलिक परिस्थितियों का तर्क देकर इन दोनों क्षेत्रों को जिला बनाने की मांग करते रहे है। करसोग से जिला हेडक्वार्टर मंडी से कुल 120 किलोमीटर दूर है। छोटे बड़े कार्यों के लिए क्षेत्रवासियों को 120 किलोमीटर का लम्बा सफर तय करना पड़ता है। वहीं सुंदरनगर से मंडी की दूरी तो कम है मगर तर्क है की सुंदरनगर एकमात्र ऐसा स्थान है, जिसे जिला बनाने की सूरत में सरकार को कोई भी आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। इसी तरह शिमला के रोहड़ू व रामपुर को भी जिला बनाने की मांग है। ये दोनों ही क्षेत्र भी जिला मुख्यालय से काफी दूर है। सोलन के बीबीएन क्षेत्र में भी लम्बे वक्त से अलग जिला बनाने की मांग उठती रही है।     अगर नए जिलों का गठन होता है कि कुछ लोगों को नए जिले की ख़ुशी होगा,तो कुछ को जिले के छोटा हो जाने का मलाल भी होगा। ऐसे में ज़ाहिर है सरकार 'पोलिटिकल रिस्क एस्सेसमेंट' के बाद ही इस पर कोई फैसला लेगी। इस बीच सवाल ये भी है की क्या प्रदेश सरकार नए जिलों के वित्तीय व्यय का प्रबंधन करने में सक्षम है या नहीं ? मौजूदा आर्थिक हालात में ये निर्णय मुश्किल है। ऐसे में माहिर मानते है कि चुनावी वर्ष में ही सरकार किसी निष्कर्ष पर पपहुंचेगी। वहीँ इसके सियासी लाभ को लेकर भी माहिरों की राय बंटी हुई है।   

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महेड़ के पास दलदल में फंसे वाहन, भूखे-प्यासे बच्चे सड़क पर सोए !

मंडी-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) एक बार फिर महेड़ के पास रविवार रात भर जाम के कारण ठप रहा। फोरलेन निर्माण के चलते ताजा कटिंग से बनी दलदल में कई वाहन बुरी तरह फंस गए। इससे दोनों ओर सैकड़ों वाहनों की कतारें लग गईं और यात्री पूरी रात भूखे-प्यासे परेशान होते रहे। जाम रविवार शाम 6 बजे शुरू हुआ और सोमवार सुबह 6 बजे जाकर खुल पाया। मौके पर तड़के पुलिस बल पहुंचा, जिसके बाद गावर कंस्ट्रक्शन कंपनी की मशीनरी से वाहनों को धक्का लगाकर बाहर निकाला गया। जाम में फंसे यात्रियों ने बताया कि रविवार रात को तीन-चार बार पुलिस को फोन किए गए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचा। मदद की आस में लोग पूरी रात सड़कों पर बैठे रहे। सबसे दर्दनाक स्थिति तब सामने आई जब महिलाओं ने बच्चों को बोरी-बिस्तर बिछाकर सड़क पर सुलाया। आसपास कोई दुकान या सुविधा न होने से दूध तक उपलब्ध नहीं हो पाया और छोटे बच्चे भूख से बिलखते रहे। यात्रियों संजय कुमार, दीवान चंद, सुरेश, कुलदीप, मनोज कुमार, रमेश ठाकुर सहित अन्य ने बताया कि निर्माण के चलते जाम लगना समझा जा सकता है, लेकिन ऐसी स्थिति में राहत और नियंत्रण की जिम्मेदारी निभाना कंस्ट्रक्शन कंपनी व प्रशासन दोनों की होती है। यात्रियों ने आरोप लगाया कि कंपनी के कर्मचारी न केवल मदद करने से कतराते हैं, बल्कि रौब झाड़ते हैं और धमकाने की कोशिश करते हैं। लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए ठोस योजना बनाई जाए और लापरवाह कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

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पर्यटकों से गुलजार हुआ हिमाचल

 मैदानी राज्यों में पड़ रही गर्मी से हिमाचल प्रदेश के पर्यटन में जबरदस्त उछाल आया है। शिमला, मनाली, धर्मशाला, मैक्लोडगंज, कुफरी, नारकंडा, कसौली और चायल सहित प्रदेश के सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की खासी भीड़ उमड़ रही है। वीकेंड पर भी काफी संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं।  वहीँ आगामी सप्ताह वीकेंड के लिए भी होटलों में 70 फीसदी तक एडवांस बुकिंग हो गई है। मुख्य पर्यटन स्थलों के होटलों में 80 से 90 फीसदी तक ऑक्यूपेंसी है।  जम्मू कश्मीर में बीते दिनों हुए आतंकी हमले के बाद भी मैदानी इलाकों से पर्यटक हिमाचल प्रदेश का रुख कर रहे है।  वहीँ मानसून से पहले किन्नौर और लाहौल स्पीति में भी बड़ी संख्या में टूरिस्ट पहुंच रहे है।  मई में  होटलों की ऑक्यूपेंसी 40 फीसदी थी जो जून महा में बढ़कर 90 फीसदी तक पहुंच गई है। इससे पर्यटन कारोबारी सहित गाइड और टैक्सी चालक भी उत्साहित हैं। वहीँ पर्यटन से जुड़े अन्य कारोबार में भी तेजी है, चाहे ढाबे वाले हो या एडवेंचर स्पोर्ट्स। 

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क्या सत्ता में 'प्लस' रहने के लिए ज़िलों का आकार होगा 'माइनस' ?

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छोटे-छोटे जिलों से सत्ता के खेल की तैयारी; अंदरखाते मंथन की सुगबुगाहट ! कांगड़ा के नूरपुर, पालमपुर और देहरा नए जिलों की दौड़ में ! शिमला, मंडी और सोलन के बंटवारे पर भी मंथन संभव !  हिमाचल में नए जिलों के गठन की चर्चा बीते कई वर्षों होती आ रही है, खासतौर से चुनाव से पहले नए ज़िलों का जिन्न बाहर आ जाता है। छोटे-छोटे जिले बनाकर सियासत की पिच को मुफीद बनाने की योजना पर धूमल से लेकर जयराम तक ने मंथन किया, हालांकि अमलीजामा कोई न पहना सका। अब फिर सुगबुगाहट है कि मौजूदा सरकार नए जिले बनाने की योजना पर आगे बढ़ सकती है। यानी मौजूदा ज़िलों के सियासी कद में कांट-छांट के आसार बन रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इस पर अंदरखाते मंथन चला हुआ है कि छोटे-छोटे जिलों के मैदान में साल 2027 के लिए कोई बड़ा खेल खेला जाए। इसी कड़ी में चार ज़िलों का बंटवारा मुमकिन है; कांगड़ा, मंडी, सोलन और शिमला।      जिलों की मांग की सुगबुगाहट सबसे अधिक काँगड़ा में देखने को मिल रही है। यहां नूरपुर, पालमपुर और देहरा को जिला घोषित करने की मांग उठती रही है। नूरपुर से पूर्व विधायक व जयराम सरकार में मंत्री रहे राकेश पठानिया लम्बे वक्त से खुलकर इसके पक्ष में बोलते रहे है।   वहीँ भाजपा सरकार के कार्यकाल में पालमपुर विधायक आशीष बुटेल भी पालमपुर को जिला घोषित करने की मांग करते रहे है। हालाँकि अब वे चुप है, लेकिन सम्भवतः इसके पक्ष में ही रहेंगे। वहीं मौजूदा स्थिति में  देहरा का दावा भी नकारा नहीं जा सकता। वैसे भी देहरा पर सीएम सुक्खू की विशेष मेहरबानी है। यानी कांगड़ा को चार हिस्सों में बाँटने की मांग है। कांगड़ा, 15 विधानसभा क्षेत्रों वाला वो जिला है जो हिमाचल में सत्ता का रुख तय करता आया है। पर अगर नए जिलों का गठन होता है तो क्षेत्रफल के साथ -साथ कांगड़ा के सियासी बल का भी विभाजन होगा।      कांगड़ा की तरह ही  मंडी जिले के करसोग और सुंदरनगर क्षेत्र के लोग भी कठिन भौगौलिक परिस्थितियों का तर्क देकर इन दोनों क्षेत्रों को जिला बनाने की मांग करते रहे है। करसोग से जिला हेडक्वार्टर मंडी से कुल 120 किलोमीटर दूर है। छोटे बड़े कार्यों के लिए क्षेत्रवासियों को 120 किलोमीटर का लम्बा सफर तय करना पड़ता है। वहीं सुंदरनगर से मंडी की दूरी तो कम है मगर तर्क है की सुंदरनगर एकमात्र ऐसा स्थान है, जिसे जिला बनाने की सूरत में सरकार को कोई भी आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। इसी तरह शिमला के रोहड़ू व रामपुर को भी जिला बनाने की मांग है। ये दोनों ही क्षेत्र भी जिला मुख्यालय से काफी दूर है। सोलन के बीबीएन क्षेत्र में भी लम्बे वक्त से अलग जिला बनाने की मांग उठती रही है।     अगर नए जिलों का गठन होता है कि कुछ लोगों को नए जिले की ख़ुशी होगा,तो कुछ को जिले के छोटा हो जाने का मलाल भी होगा। ऐसे में ज़ाहिर है सरकार 'पोलिटिकल रिस्क एस्सेसमेंट' के बाद ही इस पर कोई फैसला लेगी। इस बीच सवाल ये भी है की क्या प्रदेश सरकार नए जिलों के वित्तीय व्यय का प्रबंधन करने में सक्षम है या नहीं ? मौजूदा आर्थिक हालात में ये निर्णय मुश्किल है। ऐसे में माहिर मानते है कि चुनावी वर्ष में ही सरकार किसी निष्कर्ष पर पपहुंचेगी। वहीँ इसके सियासी लाभ को लेकर भी माहिरों की राय बंटी हुई है।   

मोदी की स्वास्थ्य गारंटी : आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से जुड़े 56.67 करोड़ लोग

In Health
guarantee: 56.67 crore people connected to Ayushman Bharat Digital Mission

पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने साल 2021 में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की थी। मोदी के नेतृत्व में ही 2021-2022 से 2025-2026 तक 5 वर्षों के लिए 1,600 करोड़ रुपये की डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम बनाने के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शुरू किया गया था। इसकी वजह से पीएम मोदी के गारंटी का भी असर देखने को साफ मिला और इस योजना के तहत 29 फरवरी, 2024 तक 56.67 करोड़ लोगों के आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में भी प्रगति की है। 29 फरवरी, 2024 तक, 27.73 करोड़ महिलाएं और 29.11 करोड़ पुरुषों को आभा कार्ड से लाभ हुआ है। वहीं 34.89 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य दस्तावेजों को इससे जोड़ा गया है। क्या है आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन  आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य देश में यूनिफाइड डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की मदद करने के लिए जरूरी आधार तैयार करना है। इससे सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता खोलने के लिए ऑफलाइन मोड को मदद पहुंचती है। इसके अलावा भारत सरकार ने स्वास्थ्य सुविधा के लिए आभा ऐप और आरोग्य सेतु जैसे विभिन्न एप्लिकेशन भी लॉन्च किए गए हैं, जो आम लोगों को मदद पहुंचाती है। आभा ऐप एक प्रकार का डिजिटल स्टोरेज है, जो किसी भी व्यक्ति के मेडिकल दस्तावेजों का रखने का काम आता है। इस ऐप के जरिए मरीज रजिस्टर्ड स्वास्थ्य पेशेवरों से संपर्क भी कर सकते हैं।    भारत में बीजेपी की मोदी सरकार ने बीते 10 सालों के अपनी सरकार में कई सारे मील के पत्थर हासिल किया है। इन 10 सालों में पीएम मोदी के विजन ने भारत को अगले 23 साल बाद यानी साल 2047 तक विकसित भारत बनाने के ओर मजबूती से कदम भी बढ़ा लिया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने देश के हित में जो भी फैसले लिए है, उनमें से हेल्थ सेक्टर को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का प्रयास किया गया है।        

नालागढ़ : प्रदेशभर में चमका लॉर्ड महावीरा नर्सिंग संस्थान का नाम, छात्राओं ने हासिल की बड़ी सफलता

In Education
 Nalagarh: The name of Lord Mahavira Nursing Institute shines across the state, students achieve great success

अटल आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय नेरचौक मंडी द्वारा घोषित बीएससी नर्सिंग प्रथम और तृतीय सेमेस्टर के नतीजों में लॉर्ड महावीरा नर्सिंग संस्थान की 6 छात्राओ ने पूरे प्रदेश में पहला, तीसरा और चौथा स्थान हासिल किया है। बीएससी नर्सिंग प्रथम सेमेस्टर के परीक्षा परिणाम में संस्थान की छात्रा गीतांजलि ठाकुर ने ग्रेड 9.00 के साथ पहला स्थान, प्राची शर्मा और इशिका सैनी ने ग्रेड 8.00 लेकर पूरे प्रदेश में संयुक्त तीसरा स्थान हासिल किया। इसी तरह बीएससी नर्सिंग तृतीय सेमेस्टर के नतीजे में मुस्कान रघुवंशी, पूजा देवी, और वंशिका जमवाल  ने 9.06 ग्रेड के साथ संयुक्त रूप से चौथा स्थान हासिल किया।  वही संस्थान के चेयरमैन डॉ अजीत पाल जैन, निदेशक आशिमा जैन, संस्थान की प्रिंसिपल डॉक्टर संतोष शर्मा, वाइस प्रिंसिपल एन चंद्रलेखा और अधीक्षक कुलभूषण शर्मा ने सभी विजय रही छात्राओं को बधाई दी। संस्थान के चेयरमैन डॉ अजीत पाल जैन ने बताया कि संस्थान का अपना अत्याधुनिक 100 बेड का अस्पताल है जहां पर बच्चों को ट्रेनिंग के साथ-साथ अच्छे बेहतरीन अध्यापकों द्वारा शिक्षा दी जाती है। पिछले 6 साल में संस्थान की करीब 90 छात्राएं देश के सबसे बड़े संस्थान एम्स में अपनी सेवाएं दे रही है जो बहुत ही गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि संस्थान की छात्राएं लगातार इसी तरह प्रदेश का अपने संस्थान का और अभिभावकों का नाम रोशन करती रहे ऐसी हम कामना करते हैं।

धर्मशाला को मिली 3 IPL मैचों की मेजबानी

In Sports
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 बीसीसीआई द्वारा इंडियन प्रीमियर लीग के 18वें सीजन आईपीएल-2025 के शैड्यूल का ऐलान कर दिया गया है।  एचपीसीए स्टेडियम धर्मशाला को 3 आईपीएल मैचों की मेजबानी करने का मौका मिला है।  धर्मशाला स्टेडियम में 4 मई को  पंजाब किंग्स की टीम लखनऊ सुपर जायंट्स के साथ अपना लीग मैच खेलेगी, जबकि 8 मई को पंजाब का मुकाबला दिल्ली कैपिटल्स के साथ होगा। ये दोनों ही मुकाबले शाम साढ़े 7 बजे शुरू होंगे। वहीं 11 मई को दोपहर साढ़े 3 बजे पंजाब की टीम मुंबई इंडियंस के खिलाफ स्टेडियम में उतरेगी। आईपीएल  चेयरमैन अरुण धूमल ने बीते दिनों बिलासपुर में आयोजित सांसद खेल महाकुंभ के शुभारंभ पर ही धर्मशाला स्टेडियम को आईपीएल के 3 मैचों की मेजबानी के संकेत दे दिए थे। अब इस पर आधिकारिक मुहर लग चुकी है। आईपीएल 2024 में धर्मशाला को मिले थे दो मैच वर्ष 2024 में धर्मशाला में पंजाब किंग्स की टीम के दो मैच चेन्नई सुपर किंग्स और रायल चैलेंजर बेंगलुरु से हुए थे। पहला मुकाबला पांच मई को भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स के साथ हुआ था। नौ मई को पंजाब का मुकाबला आरसीबी के साथ खेला गया था।

स्टीव जॉब्स से विराट कोहली तक, नीम करोली बाबा के आश्रम में सब नतमस्तक

In First Blessing
NEEM-KARORI-BABA

  नीम करोली बाबा के आश्रम में स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शान्ति भारत में कई ऐसे पावन तीर्थ हैं, जहां पर श्रद्धा एवं भक्ति के साथ जाने मात्र से व्यक्ति के समस्त मनोरथ पूरे हो जाते हैं। ऐसा ही एक पावन तीर्थ देवभूमि उत्तराखंड की वादियों में है, जिसे लोग 'कैंची धाम' के नाम से जानते हैं। कैंची धाम के नीब करौरी बाबा (नीम करौली) की ख्याति विश्वभर में है। नैनीताल से लगभग 65 किलोमीटर दूर कैंची धाम को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता। यहां पर हर मन्नत पूर्णतया फलदायी होती है। यही कारण है कि देश-विदेश से हज़ारों लोग यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं। बाबा के भक्तों में एक आम आदमी से लेकर अरबपति-खरबपति तक शामिल हैं। बाबा के इस पावन धाम में होने वाले नित-नये चमत्कारों को सुनकर दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में बाबा नीब करौरी के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। इनके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं।  कुछ माह पूर्व स्टार क्रिकेटर विराट कोहली और उनकी पत्नी और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के यहां पहुंचते ही इस धाम को देखने और बाबा के दर्शन करने वालों की होड़ सी लग गई। 1964 में बाबा ने की थी आश्रम की स्थापना  नीम करोली बाबा या नीब करोली बाबा की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में की जाती है। इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। कैंची, नैनीताल, भुवाली से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बाबा नीब करौरी ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा नीम करौरी 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया। इस धाम को कैंची मंदिर, नीम करौली धाम और नीम करौली आश्रम के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में बसा एक छोटा सा आश्रम है नीम करोली बाबा आश्रम। मंदिर के आंगन और चारों ओर से साफ सुथरे कमरों में रसीली हरियाली के साथ, आश्रम एक शांत और एकांत विश्राम के लिए एकदम सही जगह प्रस्तुत करता है। यहाँ कोई टेलीफोन लाइनें नहीं हैं, इसलिए किसी को बाहरी दुनिया से परेशान नहीं किया जा सकता है। श्री हनुमान जी के अवतार माने जाने वाले नीम करोरी बाबा के इस पावन धाम पर पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन हर साल 15 जून को यहां पर एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन होता है। यहां इस दिन इस पावन धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है। कई चमत्कारों के किस्से सुन खींचे आते है भक्त  मान्यता है कि बाबा नीम करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। बाबा नीब करौरी के इस पावन धाम को लेकर तमाम तरह के चमत्कार जुड़े हैं। जनश्रुतियों के अनुसार, एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो वह जल घी में बदल गया। ऐसे ही एक बार बाबा नीब करौरी महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचवाया। ऐसे न जाने कितने किस्से बाबा और उनके पावन धाम से जुड़े हुए हैं, जिन्हें सुनकर लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं। बाबा के दुनियाभर में 108 आश्रम  बाबा नीब करौरी को कैंची धाम बहुत प्रिय था। अक्सर गर्मियों में वे यहीं आकर रहते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। उस मन्दिर में हनुमान की मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। यहां बाबा नीब करौरी की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है। बाबा नीब करौरी महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम तथा अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है। स्टीव जॉब्स को आश्रम से मिला एप्पल के लोगो का आईडिया ! भारत की धरती सदा से ही अध्यात्म के खोजियों को अपनी ओर खींचती रही है। दुनिया की कई बड़ी हस्तियों में भारत भूमि पर ही अपना सच्चा आध्यात्मिक गुरु पाया है। एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स 1974 से 1976 के बीच भारत भ्रमण पर निकले। वह पर्यटन के मकसद से भारत नहीं आए थे, बल्कि आध्यात्मिक खोज में यहां आए थे। उन्हें एक सच्चे गुरु की तलाश थी।स्टीव पहले हरिद्वार पहुंचे और इसके बाद वह कैंची धाम तक पहुंच गए। यहां पहुंचकर उन्हें पता लगा कि बाबा समाधि ले चुके हैं। कहते है कि स्टीव को एप्पल के लोगो का आइडिया बाबा के आश्रम से ही मिला था। नीम करौली बाबा को कथित तौर पर सेब बहुत पसंद थे और यही वजह थी कि स्टीव ने अपनी कंपनी के लोगों के लिए कटे हुए एप्पल को चुना। हालांकि इस कहानी की सत्यता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शांति, शीर्ष पर पहुंचा फेसबुक  बाबा से जुड़ा एक किस्सा फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने 27 सितंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बताया था, तब पीएम मोदी फेसबुक के मुख्यालय में गए थे। इस दौरान जुकरबर्ग ने पीएम को भारत भ्रमण की बात बताई। उन्होंने कहा कि जब वे इस संशय में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने इन्हें भारत में नीम करोली बाबा के स्थान पर  जाने की सलाह दी थी। जुकरबर्ग ने बताया था कि वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान वह नीम करोली बाबा के मंदिर में भी गए थे। जुकरबर्ग आए तो यहां एक दिन के लिए थे, लेकिन मौसम खराब हो जाने के कारण वह यहां दो दिन रुके थे। जुकरबर्ग मानते हैं कि भारत में मिली अध्यात्मिक शांति के बाद उन्हें फेसबुक को नए मुकाम पर ले जाने की ऊर्जा मिली। बाबा की तस्वीर को देख जूलिया ने अपनाया हिन्दू धर्म  हॉलिवुड की मशहूर अदाकारा जूलिया रॉबर्ट्स ने 2009 में हिंदू धर्म अपना लिया था। वह फिल्म ‘ईट, प्रे, लव’ की शूटिंग के लिए भारत आईं थीं। जूलिया रॉबर्ट्स ने एक इंटरव्यू में यह खुलासा किया था कि वह नीम करौली बाबा की तस्वीर से इतना प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने हिन्दू धर्म अपनाने का फैसला कर डाला। जूलिया इन दिनों हिन्दू धर्म का पालन कर रही हैं।    

पाताल भुवनेश्वर मंदिर: रहस्य, आस्था और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम

In Entertainment
Patal Bhuvaneshwar Temple: A wonderful confluence of mystery, faith and spirituality

  क्या आपने कभी कल्पना की है कि कहीं ऐसा स्थान भी हो सकता है, जहां सृष्टि के अंत का रहस्य छिपा हो? कोई ऐसा मंदिर, जहां चारों धामों के दर्शन एक ही स्थान पर संभव हों? उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर मंदिर ऐसा ही एक रहस्यमयी और दिव्य स्थल है, जो हर भक्त को आस्था, रहस्य और आध्यात्मिकता की गहराइयों से जोड़ता है। यह मंदिर एक गुफा के भीतर स्थित है, जिसे प्राचीन काल से चमत्कारी और गूढ़ माना गया है। गुफा में प्रवेश करते ही ऐसा लगता है मानो आप किसी अद्भुत आध्यात्मिक संसार में प्रवेश कर चुके हों। मान्यता है कि यहां भगवान शिव के साथ-साथ 33 कोटि देवी-देवताओं का वास है। यहां स्थित भगवान गणेश का कटा हुआ मस्तक स्वयं में एक रहस्य है, जो इस स्थान की अलौकिकता को और भी गहरा बनाता है। यहां स्थित शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि वह निरंतर बढ़ रहा है, और जिस दिन वह गुफा की छत से टकराएगा, उस दिन प्रलय होगा। यह धारणा श्रद्धालुओं को एक अकल्पनीय आध्यात्मिक अनुभव और चेतना की गहराई से जोड़ती है।गुफा के भीतर चार रहस्यमयी द्वार मानव जीवन के चार प्रमुख पड़ावों का प्रतीक माने जाते हैं। कहा जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद पाप द्वार और महाभारत युद्ध के बाद रण द्वार बंद हो गए। अब केवल धर्म द्वार और मोक्ष द्वार खुले हैं, जो जीवन के सत्य और मोक्ष के मार्ग की ओर संकेत करते हैं। पौराणिक इतिहास की दृष्टि से इस मंदिर का उल्लेख त्रेता युग में मिलता है। सूर्य वंश के राजा ऋतुपर्ण ने सबसे पहले इस गुफा की खोज की थी। कहा जाता है कि पांडवों ने भी यहां भगवान शिव के साथ चौपड़ खेला था। बाद में 819 ईस्वी में जगत गुरु शंकराचार्य ने इस स्थल की पुनः खोज की और यहां पूजा आरंभ की। कैसे पहुंचे पाताल भुवनेश्वर? यह दिव्य स्थल पिथौरागढ़ से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है, जबकि सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर है। सड़क मार्ग से यह स्थान सुगम रूप से जुड़ा हुआ है और उत्तराखंड के खूबसूरत पर्वतीय रास्तों से होकर गुज़रता है, जो यात्रा को और भी आनंददायक बना देता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि रहस्य और आध्यात्मिकता के अनूठे संगम के कारण भी यह स्थल भक्तों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पाताल भुवनेश्वर की इस अद्भुत गुफा में जाकर आप स्वयं उस दिव्यता और रहस्यमय ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं, जो सदियों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती आ रही है।

HRTC देहरा डिपो की 95 में से 19 बसें वर्कशॉप में खड़ी, कई रूटों पर सेवा बंद

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 एचआरटीसी के देहरा डिपो की बदहाली से आम जन परेशान है। आलम ये है कि डिपो की 95 बसों में से 19 बसें इंजन, टायर और फ्रंट शीशों की खराबी के कारण वर्कशॉप में खड़ी हैं। पिछले 15 दिनों से देहरा-ज्वालाजी, जसवां-परागपुर सहित कई रूटों पर बस सेवाएं बंद होने से सैंकड़ों लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। देहरा-ज्वालाजी-चंडीगढ़ वाया बंगाणा रूट की एकमात्र बस, जो 25 पंचायतों के लिए जीवनरेखा है, भी 15 दिनों से बंद पड़ी है। स्थानीय लोगों ने विभागीय अधिकारियों से बार-बार शिकायत की, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला। कई इलाकों में अब केवल एक बस चल रही है, जिससे यात्रियों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।   कुहना के प्रधान राम पाल, दोदूं के प्रधान मुकेश कुमार, पीरसालूही के प्रधान संजीव कुमार, शांतला के प्रधान राहुल कुमार, बीडीसी कुहना  पिंकी, बीडीसी पीरसालूही परवीन धीमान और जिला परिषद सदस्य अश्वनी ठाकुर ने सरकार से मांग की है कि इस बस को स्थायी रूप से चलाया जाए या फिर पूरी तरह बंद कर दिया जाए, ताकि लोग वैकल्पिक व्यवस्था कर सकें। उनका कहना है कि सरकार किराया तो 10 रुपये या 15 प्रतिशत तक बढ़ा देती है, लेकिन एचआरटीसी की सेवाओं में सुधार नहीं कर रही। देहरा डिपो की स्थिति इसका स्पष्ट उदाहरण है। निगम की लापरवाही से लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है। वहीं इस संदर्भ में अतिरिक्त प्रभार आर.एम साहिल कपूर ने कहा कि खराब बसों की मेंटनेस की जा रही है।

एअर इंडिया के विमान की थाईलैंड में इमरजेंसी लैंडिंग: बम होने की सूचना, 156 यात्री थे सवार

In National News
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हाल ही में अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे के ठीक बाद, एअर इंडिया को एक और चुनौती का सामना करना पड़ा जब फुकेट से दिल्ली आ रही उसकी एक फ्लाइट (AI-379) में बम होने की सूचना के बाद फुकेट इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आपात लैंडिंग कराई गई। विमान में सवार सभी 156 यात्री और चालक दल के सदस्य सुरक्षित बताए जा रहे हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने फ्लाइट ट्रैकर 'फ्लाइट्रेडर24' के हवाले से बताया कि एअर इंडिया की इस फ्लाइट ने फुकेट एयरपोर्ट से भारतीय समयानुसार सुबह 9.30 बजे (स्थानीय समयानुसार दोपहर 2.30 बजे) उड़ान भरी थी। हालांकि, बम की धमकी मिलने के बाद विमान ने अंडमान सागर के ऊपर एक बड़ा चक्कर लगाया और लगभग 20 मिनट बाद सुरक्षित रूप से फुकेट में ही आपात लैंडिंग कर ली। सभी यात्रियों और क्रू सदस्यों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। 'नेशन थाईलैंड' की रिपोर्ट के अनुसार, बम की धमकी मिलते ही फुकेट एयरपोर्ट ने तुरंत अपना एयरपोर्ट कंटिन्जेंसी प्लान (ACP) सक्रिय कर दिया। एयरपोर्ट अधिकारियों ने कहा कि धमकी को लेकर सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं और विस्तृत जानकारी मिलने पर अपडेट दिया जाएगा। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब एअर इंडिया पहले से ही अहमदाबाद में हुए दुखद विमान हादसे के बाद सुर्खियों में है। कल अहमदाबाद विमान हुआ था हादसा  यह उल्लेखनीय है कि एयर इंडिया का विमान AI-171, जो 12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भर रहा था, टेक-ऑफ के दो मिनट बाद ही क्रैश हो गया था। यह विमान अहमदाबाद के बी.जे. मेडिकल कॉलेज हॉस्टल पर गिरा था, जहां उस समय 50 से अधिक लोग मौजूद थे। इस भीषण हादसे में अब तक 265 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। इनमें से 241 मृतक विमान में सवार यात्री और क्रू मेंबर्स थे, जबकि 5 शव उस मेडिकल हॉस्टल से मिले हैं जिस पर विमान गिरा था। हॉस्टल में मारे गए लोगों में 4 एमबीबीएस छात्र और एक डॉक्टर की पत्नी शामिल हैं। दुर्घटनाग्रस्त हुए बोइंग 787 ड्रीमलाइनर फ्लाइट AI-171 में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक सहित कुल 230 यात्री सवार थे। इनमें 103 पुरुष, 114 महिलाएं, 11 बच्चे और 2 नवजात शामिल थे, जबकि 12 क्रू मेंबर्स थे। दुखद रूप से, इस हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल थे, जबकि चमत्कारिक रूप से केवल एक यात्री की जान बच पाई थी। 

पांगी - हिमाचल की सबसे खतरनाक सड़क से जुड़ा गांव

In International News

पांगी - हिमाचल की सबसे खतरनाक सड़क से जुड़ा गांव **सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा - यहाँ हर व्यवस्था बेहाल **आरोप : HRTC बस ड्राइवर करते है मनमर्ज़ी, डिपू से नहीं मिलता पूरा राशन **सड़क बंद हो तो कंधे पर उठा कर ले जाते है मरीज़ **मुख्यमंत्री के दौरे के बाद जगी उम्मीद

शायरी के बादशाह कहलाते है वसीम बरेलवी, पढ़े उनके कुछ चुनिंदा शेर

In Kavya Rath
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  वसीम बरेलवी उर्दू के बेहद लोकप्रिय शायर हैं। उनकी ग़ज़लें बेहद मक़बूल हैं जिन्हें जगजीत सिंह से लेकर कई अजीज़ गायकों ने अपनी आवाज़ दी है। वसीम बरेलवी अपनी शायरी और गजल के जरिए लाखों दिलों पर राज करते हैं। कोई भी मुशायरा उनके बगैर पूरा नहीं माना जाता।     18 फरवरी 1940 को वसीम बरेलवी का जन्म बरेली में हुआ था।  पिता जनाब शाहिद हसन  के रईस अमरोहवी और जिगर मुरादाबादी से बहुत अच्छे संबंध थे। दोनों का आना-जाना अक्सर उनके घर पर होता रहता था। इसी के चलते वसीम बरेलवी का झुकाव बचपन से शेर-ओ-शायरी की ओर हो गया। वसीम बरेलवी ने अपनी पढ़ाई बरेली के ही बरेली कॉलेज से की। उन्होंने एमए उर्दू में गोल्ड मेडल हासिल किया। बाद में इसी कॉलेज में वो उर्दू विभाग के अध्यक्ष भी बने।  60 के दशक में वसीम बरेलवी मुशायरों में जाने लगे। आहिस्ता आहिस्ता ये शौक उनका जुनून बन गया। पेश हैं उनके कुछ चुनिंदा शेर   अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे   जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता     आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है   ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी   ग़म और होता सुन के गर आते न वो 'वसीम' अच्छा है मेरे हाल की उन को ख़बर नहीं   जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता     जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों से कहीं हयात इसी फ़ासले का नाम न हो     कुछ है कि जो घर दे नहीं पाता है किसी को वर्ना कोई ऐसे तो सफ़र में नहीं रहता                         उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए       दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता     वो मेरे सामने ही गया और मैं रास्ते की तरह देखता रह गया   अपने अंदाज़ का अकेला था इसलिए मैं बड़ा अकेला था  

पोस्ट कोड 928 के अंतर्गत स्टेनो टाइपिस्ट भर्ती का परिणाम घोषित

In Job
 Result -of -Steno -Typist- Recruitment -declared -under- post -code -928

हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग (एचपीआरसीए) ने पोस्ट कोड 928 के तहत स्टेनो टाइपिस्ट के 66 पदों की भर्ती के लिए अन्तिम परीक्षा परिणाम आज घोषित कर दिया है। प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों, बोर्डां और निगमों ने इन पदों को भरने के लिए सिफारिश की थी जिसके लिए 1 दिसंबर, 2021 को विज्ञापन जारी किया गया था। इनमें सामान्य श्रेणी (अनारक्षित) के 16 पद, सामान्य श्रेणी (आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग) के सात पद, सामान्य श्रेणी (स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रित) का एक पद, सामान्य श्रेणी (पूर्व सैनिकों के आश्रित) के आठ पद, अन्य पिछड़ा वर्ग (अनारक्षित) के 11 पद, अन्य पिछड़ा वर्ग (बीपीएल) के पद, अन्य पिछड़ा वर्ग (पूर्व सैनिकों के आश्रित) के दो पद, अनुसूचित जाति (अनारक्षित) के 11 पद, अनुसूचित जाति (पूर्व सैनिकों के आश्रित) के तीन पद, अनुसूचित जनजाति (बीपीएल) का एक पद और अनुसूचित जनजाति (पूर्व सैनिकों के आश्रित) का एक पद शामिल हैं। पोस्ट कोड 928 के तहत स्टेनो टाइपिस्ट के 66 पदों में से 15 पद सक्षम उम्मीदवार न मिलने के कारण रिक्त रखे गए हैं। लिए विज्ञप्ति परीक्षा परिणाम हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग की अधिकारिक वेबसाइट www.hprca.hp.gov.in  पर भी उपलब्ध है।

शिमला:जवाहर बाल मंच के स्टेट चीफ कॉडिनेटर बने महेश सिंह ठाकुर

In Banka Himachal
शिमला:जवाहर बाल मंच के स्टेट चीफ कॉडिनेटर बने महेश सिंह ठाकुर

हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के महासचिव एवं सिस्को संस्था के अध्यक्ष महेश सिंह ठाकुर को जवाहर बाल मंच का राज्य मुख्य संयोजक नियुक्त किया गया है। चीफ स्टेट कॉडिनेटर बनाए जाने पर महेश सिंह ठाकुर ने कांग्रेस अध्यक्ष  मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी,प्रदेश के सीएम सुखविन्दर सिंह सूक्खु , राष्ट्रीय प्रभारी केसी वेणुगोपाल,जवाहर बाल मंच के राष्टीय अध्यक्ष जी.वी. हरि. सहित अन्य नेताओं के प्रति आभार जताया है।  महेश ठाकुर ने कहा कि जवाहर बाल मंच का मुख्य उद्देश्य 7 वर्षों से लेकर 17 वर्ष के आयु के लड़के लड़कियां तक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के विचार को पहुंचना।  उन्होंने कहा कि जिस तरीके से मौजूदा सरकार के द्वारा देश के इतिहास के साथ छेड़छाड़ हो रहा है देश के युवाओं को भटकाया जा रहा है जो की देश के लिए एक बहुत बड़ा चिन्ता का विषय है कांग्रेस पार्टी ने इस विषय को गंभीरता से लिया और राहुल गांधी के निर्देश पर डॉ जीवी हरी के अध्यक्षता में देशभर में जवाहर बाल मंच के द्वारा युवाओं के बीच में नेहरू जी के विचारों को पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा वर्ष 2024 के चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत हासिल कर केंद्र से भाजपा को हटाने का काम करेगी। इसमें हिमाचल प्रदेश राज्य की भी प्रमुख भुमिका रहेगी।  उन्होंने कहा कि पूरे देश में महंगाई के कारण आमलोगों का जीना मुश्किल हो गया है। गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार पर इस महंगाई का व्यापक असर पड़ रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।  

क्या सत्ता में 'प्लस' रहने के लिए ज़िलों का आकार होगा 'माइनस' ?

In Siyasatnama
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छोटे-छोटे जिलों से सत्ता के खेल की तैयारी; अंदरखाते मंथन की सुगबुगाहट ! कांगड़ा के नूरपुर, पालमपुर और देहरा नए जिलों की दौड़ में ! शिमला, मंडी और सोलन के बंटवारे पर भी मंथन संभव !  हिमाचल में नए जिलों के गठन की चर्चा बीते कई वर्षों होती आ रही है, खासतौर से चुनाव से पहले नए ज़िलों का जिन्न बाहर आ जाता है। छोटे-छोटे जिले बनाकर सियासत की पिच को मुफीद बनाने की योजना पर धूमल से लेकर जयराम तक ने मंथन किया, हालांकि अमलीजामा कोई न पहना सका। अब फिर सुगबुगाहट है कि मौजूदा सरकार नए जिले बनाने की योजना पर आगे बढ़ सकती है। यानी मौजूदा ज़िलों के सियासी कद में कांट-छांट के आसार बन रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इस पर अंदरखाते मंथन चला हुआ है कि छोटे-छोटे जिलों के मैदान में साल 2027 के लिए कोई बड़ा खेल खेला जाए। इसी कड़ी में चार ज़िलों का बंटवारा मुमकिन है; कांगड़ा, मंडी, सोलन और शिमला।      जिलों की मांग की सुगबुगाहट सबसे अधिक काँगड़ा में देखने को मिल रही है। यहां नूरपुर, पालमपुर और देहरा को जिला घोषित करने की मांग उठती रही है। नूरपुर से पूर्व विधायक व जयराम सरकार में मंत्री रहे राकेश पठानिया लम्बे वक्त से खुलकर इसके पक्ष में बोलते रहे है।   वहीँ भाजपा सरकार के कार्यकाल में पालमपुर विधायक आशीष बुटेल भी पालमपुर को जिला घोषित करने की मांग करते रहे है। हालाँकि अब वे चुप है, लेकिन सम्भवतः इसके पक्ष में ही रहेंगे। वहीं मौजूदा स्थिति में  देहरा का दावा भी नकारा नहीं जा सकता। वैसे भी देहरा पर सीएम सुक्खू की विशेष मेहरबानी है। यानी कांगड़ा को चार हिस्सों में बाँटने की मांग है। कांगड़ा, 15 विधानसभा क्षेत्रों वाला वो जिला है जो हिमाचल में सत्ता का रुख तय करता आया है। पर अगर नए जिलों का गठन होता है तो क्षेत्रफल के साथ -साथ कांगड़ा के सियासी बल का भी विभाजन होगा।      कांगड़ा की तरह ही  मंडी जिले के करसोग और सुंदरनगर क्षेत्र के लोग भी कठिन भौगौलिक परिस्थितियों का तर्क देकर इन दोनों क्षेत्रों को जिला बनाने की मांग करते रहे है। करसोग से जिला हेडक्वार्टर मंडी से कुल 120 किलोमीटर दूर है। छोटे बड़े कार्यों के लिए क्षेत्रवासियों को 120 किलोमीटर का लम्बा सफर तय करना पड़ता है। वहीं सुंदरनगर से मंडी की दूरी तो कम है मगर तर्क है की सुंदरनगर एकमात्र ऐसा स्थान है, जिसे जिला बनाने की सूरत में सरकार को कोई भी आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। इसी तरह शिमला के रोहड़ू व रामपुर को भी जिला बनाने की मांग है। ये दोनों ही क्षेत्र भी जिला मुख्यालय से काफी दूर है। सोलन के बीबीएन क्षेत्र में भी लम्बे वक्त से अलग जिला बनाने की मांग उठती रही है।     अगर नए जिलों का गठन होता है कि कुछ लोगों को नए जिले की ख़ुशी होगा,तो कुछ को जिले के छोटा हो जाने का मलाल भी होगा। ऐसे में ज़ाहिर है सरकार 'पोलिटिकल रिस्क एस्सेसमेंट' के बाद ही इस पर कोई फैसला लेगी। इस बीच सवाल ये भी है की क्या प्रदेश सरकार नए जिलों के वित्तीय व्यय का प्रबंधन करने में सक्षम है या नहीं ? मौजूदा आर्थिक हालात में ये निर्णय मुश्किल है। ऐसे में माहिर मानते है कि चुनावी वर्ष में ही सरकार किसी निष्कर्ष पर पपहुंचेगी। वहीँ इसके सियासी लाभ को लेकर भी माहिरों की राय बंटी हुई है।   

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