नितिन भारद्वाज। राजगढ़ उपमंडल राजगढ़ के राहुल तोमर और पल्लवी मेहता का चयन एमबीबीएस के लिए हुआ है। सरकारी स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने वाले दोनों ने नीट परीक्षा पास कर राजगढ़ क्षेत्र का नाम रोशन किया है। राहुल तोमर राजगढ़ की सैर जगास पंचायत के पबियाना गांव से है और वह पीजीआई में निदेशक के पद से सेवानिवृत्त पदम श्री डॉ जगत राम के भतीजे है और उनके पिता किसान है। राहुल तोमर ने बताया कि विरासत को आगे बढ़ाने का निर्णय उन्होंने दसवीं कक्षा में ही ले लिया था। जब भी वह अपने ताया डॉ जगत राम को लोगों की सेवा करते देखते थे, तो उसी वक्त मन में ठान लिया था की आगे चल कर वह भी डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करेंगे और अंत में सफल भी हो गए। राहुल तोमर का चयन मेडिकल कॉलेज नाहन के लिए हुआ है। वहीं, राजगढ़ की कोटि पधोग पंचायत के ग्राम कुफर की पल्लवी मेहता भी चिकित्सक बनकर क्षेत्र का नाम रोशन करेगी। पल्लवी ने भी अपनी शिक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय राजगढ़ से ग्रहण की है। पल्लवी स्वतंत्रता सेनानी तुलसीराम की पढ़पोती है। उनके पिता नरेंद्र मेहता किसान व माता शकुंतला मेहता गृहणी है। पल्व्वी ने दो वर्ष कोचिंग ली और तीसरे प्रयत्न में नीट की परीक्षा उतीर्ण की। उन्होंने कहा जो बच्चे नीट की तैयारी कर रहे हैं, वे मेहनत के साथ सयंम भी रखे और हतोत्साहित न हो। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष थोड़ी सी कमी रह गयी थी, लेकिन मेहनत और सयंम के साथ उन्होंने इस वर्ष यह परीक्षा उतीर्ण की। पल्लवी ने कहा कि यह सफलता उनके लक्ष्य की और पहला कदम है। उन्होंने इस सफलता में योगदान देने वाले सभी का आभार प्रकट किया। सरकारी स्कूल में पड़े दोनों बच्चों की सफलता से यह सिद्द हो गया कि यदी सही दिशा में मेहनत की जाए, तो स्कूल मायने नही रखता और कोइ भी लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।
क्रान्ति सूद। जोगिंद्रनगर राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कन्या की छात्रा पल्लवी का चयन इंजिनियरिंग के लिए हुआ है। पल्लवी एनआईटी हमीरपुर से अपनी पढ़ाई पूरी करेंगी। पल्लवी के पिता चन्द्रमणी विज्ञान स्नातक पद पर करसोग में तैनात हैं। वहीं, उनकी माता नित्रा ठाकुर पाठशाला गृहणी हैं। पाठशाला प्रधानाचार्य डा. सुनील ठाकुर ने पल्लवी, उसके माता-पिता एवं उसे पढ़ाने वाले सभी अध्यापको, प्राध्यापकों को मुबारिकबाद दी है। एसएमसी प्रधान सुनील कुमार ने की इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त किया व पल्लवी एवं स्कूल के सदस्यों को बधाई दी व पल्लवी के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।
फर्स्ट वर्डिक्ट। धर्मशाला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अपने स्थापना काल 1949 से ही समाज हित व राष्ट्रहित के साथ-साथ छात्र हित की मांगों को लेकर हमेशा अग्रसर रहता है। हाल ही में केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश की वेबसाइट पर 27 जनवरी, 2022 से ऑनलाइन कक्षाओं के लिए एक सूचना जारी की गई थी, जिसमें यह भी बताया गया था कि वर्तमान सत्र की परीक्षाएं कोविड के कारण परिस्थितियां अनुकूल होने पर करवाई जाएंगी। विश्वविद्यालय में छात्रों के 19 विभाग प्रतिनिधि हैं, इस विचार पर उनसे भी परामर्श लिया जा सकता था, परंतु प्रशासन द्वारा किसी भी प्रतिनिधि से इस बारे में कोई भी बात नहीं हुई थी तथा विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों का मानना था की यदि अगले सत्र की पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी, तो छात्र अपने वर्तमान सत्र की पढ़ाई और आने वाले सत्र की पढ़ाई में उलझा रह जाएगा। छात्र दोनों ही सत्रों के लिए खुद को तैयार नहीं कर पाएगा। इसीलिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने छात्र हितों की बात करते हुए चार दिन पहले केंद्रीय विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक के माध्यम से कुलपति को एक ज्ञापन सौंपा गया था, जिसमें इस मांग को प्रमुखता से उठाया गया था कि पहले वर्तमान सत्र की परीक्षाओं को पूर्ण किया जाए तथा उसके बाद ही अगला सत्र शुरू किया जाए, ताकि छात्रों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। अतः आज विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्र हित को ध्यान में रखते हुए यह सूचना जारी की गई है कि 14 फरवरी से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कोविड नियमों का ध्यान रखते हुए ऑफलाइन माध्यम से परीक्षाएं करवाई जाएंगी।
हिमाचल प्रदेश में नई शिक्षा नीति में पाठ्यक्रमों में कई तरह के बदलाव देखने को मिले हैं। स्कूलों में टर्म प्रणाली शुरू हुई है। वहीं 2023 तक एससीआरटी चार पैटर्न में पाठ्यक्रम को तैयार कर रहा है। यह चार पैटर्न प्री प्राइमरी जिसमें प्री-कक्षाएं शामिल होंगी। हिमाचल प्रदेश में नई शिक्षा नीति के तहत प्रौढ़ शिक्षा को शामिल किया जाएगा। इसके लिए अलग से पाठ्यक्रम बनेगा। चार पैटर्न में बनाए जा रहे इस पाठ्यक्रम को वर्ष 2023 तक तैयार किया जाएगा। इसके लिए एससीआरटी काम कर रही है। वहीं स्कूल एजूकेशन में पहली से 12वीं तक की कक्षाओं को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा टीचर एजूकेशन, जिसमें अध्यापकों को ट्रेनिंग करवाने से संबंधित कार्य होगा, जबकि चौथा पैटर्न अडल्ट शिक्षा पाठ्यक्रम होगा। एससीआरटी वर्ष 2023 तक पाठ्यक्रम तैयार कर देगी। प्रौढ़ शिक्षा का पाठ्यक्रम तैयार कर इस पंचायत स्तर पर शुरू किया जाएगा। इस दौरान उन लोगों शामिल किया जाएगा, जोकि अक्षर ज्ञान से पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं। ऐसे लोगों को शिक्षित करने के लिए प्रौढ़ पाठ्यक्रम को तैयार कर उन्हें शिक्षित किया जाएगा। इस दौरान स्कूल के अध्यापकों सहित पंचायत प्रतिनिधि भी अपनी अहम भूमिका निभाएंगे।
शीतकालीन स्कूलों में तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं दिसंबर में होंगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पहले प्रावधान को प्रदेश में इसी सत्र से हिमाचल प्रदेश सरकार लागू करने जा रही है। इन कक्षाओं के प्रश्नपत्र स्कूल शिक्षा बोर्ड तैयार करेगा। उत्तर पुस्तिकाओं की जांच क्लस्टर, ब्लाक और जिला स्तर पर होगी। ग्रीष्मकालीन स्कूलों में मार्च में इन कक्षाओं की बोर्ड आधारित परीक्षाएं होंगी। प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का नया प्रावधान लागू होते ही तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों पर अधिक फोकस किया जा रहा है। अब इन कक्षाओं में भी विद्यार्थियों को अंकों के आधार पर अगली कक्षाओं में भेजा जाएगा। कम अंक लाने पर विद्यार्थी फेल भी होंगे। जुलाई 2021 में हुई कैबिनेट बैठक में तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों की भी परीक्षाएं लेने का फैसला लिया गया था।
हिमाचल प्रदेश में करीब दो साल बाद सोमवार से पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों के लिए भी स्कूल खुल गए हैं। सोमवार को पहले दिन स्कूल पहुंचे बच्चों का शिक्षकों ने कहीं तिलक लगाकर स्वागत किया तो कहीं टॉफियां भी बांटी गईं। पहली के बच्चों ने पहली बार तो दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों ने करीब पौने दो वर्ष बाद स्कूल परिसर में प्रवेश किया। वंही प्रदेश में पहले दिन पहली और दूसरी कक्षा के 65 फीसदी बच्चे स्कूलों में पहुंचे। सोमवार को पहली से पांचवीं कक्षा में 68.90 फीसदी, छठी से आठवीं कक्षा में 70.95 फीसदी और नौवीं से बारहवीं कक्षा में 66.0 फीसदी विद्यार्थियों ने हाजिरी दर्ज करवाई। सभी स्कूलों में कोरोना प्रोटोकाल का सख्ती से में पालन करवाया गया। उधर, निजी स्कूलों में प्राइमरी कक्षाओं में अपेक्षाकृत बच्चे कम आए।
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा 10वीं और 12वीं के छात्र-छात्राओं के लिए अंतिम बोर्ड परीक्षा से पहले फर्स्ट टर्म एग्जाम की शुरुआत की जा रही है। इस परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र भी जारी होने लगे हैं। कोरोना महामारी के कारण परीक्षा की प्रक्रिया में हुए इस परिवर्तन के बाद सीबीएससी स्टूडेंट्स को एक और सुविधा भी दी जाएगी। प्रथम चरण की इस परीक्षा के लिए बोर्ड की ओर से 5 जुलाई को एक सर्कुलर जारी किया गया था जिसमें इस बात की जानकारी पहले ही साझा की जा चुकी है। बोर्ड एग्जाम की फर्स्ट टर्म परीक्षा के लिए 18 अक्टूबर को डेटशीट बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए स्टूडेंट्स CBSE की आधिकारिक वेबसाइट पर विज़िट कर सकते हैं। बोर्ड छात्रों को उपलब्ध कराई जाने वाली आन्सर बुकलेट में उत्तर देने के लिए 4 विकल्प तो होंगे ही, इसके अलावा प्रत्येक 4 वैकल्पिक उत्तरों के बाद प्रत्येक प्रश्न के सामने एक वृत्त और एक बॉक्स भी मौजूद होगा जहां बॉक्स का प्रयोग दिए गए आन्सर को बदलने के लिए किया जाएगा, वहीं पांचवें वृत का प्रयोग छात्रों द्वारा इस बात की पुष्टि करने के लिए करना होगा कि स्टूडेंट्स को इस प्रश्न का उत्तर नहीं आता है। इसलिए इस नॉट अटेंप्टेड वृत को भरना होगा। ऐसा न करने पर उस सवाल को अमान्य घोषित कर दिया जाएगा। बता दें कि परीक्षा से पहले स्कूल छात्रों को इस सैंपल शीट को भरने व जवाब देने का अभ्यास कराएंगे। इसके लिए बोर्ड द्वार सभी स्कूल प्रशासन को पहले ही अवगत कराया जा चुका है। वंही यह परीक्षा 90 मिनट की होगी, परीक्षा वस्तुनिष्ठ प्रकार की होगी, एग्जाम के दौरान कोविड नियमों का पालन करना होगा तथा यह एग्जाम केवल क्वालिफ़ाइंग नेचर का होगा, इसके लिए कोई अतिरिक्त रिजल्ट जारी नहीं किया जाएगा।
धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश के महाविद्यालयों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स अब एनसीसी को एक विषय के रूप में ले सकेंगे। नई शिक्षा नीति के मुताबिक चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के तहत आने वाले समय में सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में स्नातक स्तर के स्टूडेंट्स को एनसीसी इलेक्टिव विषय के रूप में पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। धर्मशाला महाविद्यालय की ओर से आयोजित एनसीसी कैंप में ऑफिसरकमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल भूपेंद्र सिंह खनका ने बताए कि अब विद्यार्थी एनसीसी विषय भी पड़ेंगे। उन्होंने बताया कि विश्व के युवाओं का सबसे बड़ा यूनिफॉर्म संगठन है। उन्होंने बताया कि एनसीसी को इलेक्टिव सब्जेक्ट के रूप में चुने जाने के लिए यूजीसी के दिशा निर्देशों के अनुसार 6 सेमेस्टर और 24 क्रेडिट पॉइंट में बांटा गया है। विद्यार्थियों को पूरे कोर्स में 24 क्रेडिट प्वाइंट भी मिलेंगे। इससे कैडेट को बी और सी सर्टिफिकेट व सेना में भर्ती के लिए होने वाली परीक्षाओं में भी लाभ होगा। वर्तमान में प्रदेश में कुरुक्षेत्र स्थित गुरुकुल और एनआईआईटी में ही एनसीसी को वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है। अब इस व्यवस्था को सभी कॉलेजों में लागू किया जाएगा। प्रदेश में 10 सरकारी और 24 निजी विश्वविद्यालय हैं। इसके अलावा 267 राजकीय और एडेड महाविद्यालय हैं, जहां के विद्यार्थियों को इस नई व्यवस्था का लाभ मिलेगा। वर्तमान में एनसीसी कैडेट्स बी और सी सर्टिफिकेट के लिए होने वाली गतिविधियां व बटालियन के शिविर ही लगा पाते हैं। लेकिन एनसीसी के विषय के रूप में आने के बाद इसका सेमेस्टर के हिसाब से पाठ्यक्रम बनेगा। जिसके अनुसार नियमित कक्षाएं भी लगेंगी। वर्तमान में मैप रीडिंग भी बोर्ड आदि पर होती हैं। भविष्य में सेना की तरह आधुनिक संसाधनों पर विद्यार्थियों को ज्ञान मिलेगा। मैप रीडिंग भी जीपीएस सिस्टम के माध्यम से करवाई जाएगी। युद्ध कौशल, फायरिंग और हथियार चलाने का भी प्रशिक्षण मिलेगा।
हिमाचल प्रदेश में करीब दो साल प्रदेश के स्कूलों में कल वापिस रौनक लौटी है। स्कूलों में करीब 21 माह बाद बुधवार को तीसरी से सातवीं कक्षा के विद्यार्थी स्कूलों में पहुंचे। बुधवार को स्कूलों में तीसरी से पांचवीं कक्षा तक 50 फीसदी और छठी से 12वीं कक्षा तक 61 फीसदी विद्यार्थियों ने उपस्थिति दर्ज करवाई। बुधवार को कहीं तिलक लगाकर तो कहीं फूल बरसा कर विद्यार्थियों का स्कूलों में स्वागत किया गया। सभी सरकारी स्कूलों में थर्मल स्क्रीनिंग से स्कूल गेट पर तापमान जांचा गया। फेस मास्क पहनने वालों को ही परिसर में प्रवेश दिया गया। बता दें कि 15 नवंबर से पहली और दूसरी कक्षा के विद्यार्थी भी स्कूल आए।
हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में 2 साल बाद आज से फिर रौनक लौटेगी। बीती कैबिनेट की बैठक में हुए फैसले के अनुसार आज यानि बुधवार से तीसरी से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की स्कूलों में नियमित कक्षाएं लगेंगी। इसके लिए प्रदेश के सभी स्कूलों के लिए गाइडलाइन भी जारी की गयी है। जिन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या अधिक है, उन स्कूलों में एक दिन छोड़कर या सुबह-शाम के सत्र में कक्षाएं लगेंगी। माइक्रो प्लान के आधार पर कक्षाओं में विद्यार्थी बैठाए जाएंगे। स्कूल गेट पर विद्यार्थियों व शिक्षकों का थर्मल स्क्रीनिंग से तापमान जांचा जाएगा। अगर किसी विद्यार्थी या शिक्षक-गैर शिक्षक में बुखार के लक्षण मिले तो गेट से ही उन्हें वापिस घर भेज दिया जाएगा। स्कूलों में सभी के लिए फेस मास्क पहनना अनिवार्य रहेगा। वंही स्कूलों में लंच ब्रेक का समय अलग-अलग रहेगा। स्कूल आने और जाने के समय में भी कक्षावार पांच से दस मिनट का अंतर होगा। प्रार्थना सभा और खेलकूद सहित एकत्र होने वाली सभी गतिविधियां बंद रहेंगी। सरकारी स्कूलों में नियमित कक्षाएं शुरू होने के बावजूद हर घर पाठशाला कार्यक्रम के तहत ऑनलाइन शिक्षण सामग्री भेजने की प्रक्रिया भी आगामी आदेशों तक जारी रहेगी। यदि स्कूल में कोई संक्रमित विद्यार्थी पाया जाता है तो 48 घंटे तक स्कूल बंद रखा जाएगा।
सीबीएसई बोर्ड के विद्यार्थियों के लिए जरूरी खबर है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कक्षा दसवीं, बारहवीं के टर्म-1 परीक्षाओं के लिए एडमिट कार्ड को जारी कर दिया है। जो भी उम्मीदवार इस परीक्षा में शामिल हो रहे हैं, वह बोर्ड के आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in पर जाकर अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने दसवीं और बारहवीं की टर्म-1 परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को बड़ी राहत दी है। बोर्ड विद्यार्थियों को उसी शहर में परीक्षा केंद्र की सुविधा देने जा रहा है, जिस शहर में वे परीक्षा के दौरान मौजूद रहेंगे। इसके लिए विद्यार्थियों को अपने स्कूल से संपर्क करना होगा। इसके बाद स्कूल की ओर से बोर्ड को सूचित किया जाएगा। सीबीएसई परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने कहा कि बोर्ड के संज्ञान में आया है कि काफी बच्चे अपने स्कूल वाले शहर में नहीं हैं। ऐसे में बोर्ड परीक्षा सेंटर बदलने का विकल्प दिया जा रहा है। यह घोषणा समय से पहले की जा रही है ताकि छात्रों को समय पर जानकारी मिल सके। बोर्ड का स्कूलों व छात्रों से अनुरोध है कि वह निरंतर सीबीएसई की वेबसाइट के संपर्क में रहें। जैसे ही छात्रों को सेंटर विकल्प बदलने के संबंध में सूचित किया जाएगा, वैसे ही उन्हें स्कूलों से तय समय-सारिणी के भीतर अनुरोध करना होगा। यह समय सारिणी जल्द ही घोषित की जाएगी और यह कम अवधि की होगी। बोर्ड ने स्पष्ट कर दिया है कि परीक्षा केंद्र का शहर बदलने के अनुरोध को तय शेड्यूल के बाद स्वीकार नहीं किया जाएगा। सीबीएसई दसवीं की परीक्षाएं 30 नवंबर से 11 दिसंबर और 12वीं की परीक्षाएं 1 से 22 दिसंबर तक होनी हैं। सीबीएसई द्वारा इस तरह के फैसले से विद्यार्थियों को राहत की उम्मीद मिलने की उम्मीद है।
पिछले सप्ताह स्कूल शिक्षा बोर्ड की वर्चुअल बैठक में हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ द्वारा टर्म परीक्षाओं को लेकर सुझाव दिए गए थे। जिसमें से बहुत से सुझावों को बोर्ड की ऑफलाइन बैठक में मान लिया गया है। स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन सुरेश सोनी की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में शिक्षक महासंघ के प्रांत अध्यक्ष पवन कुमार, जिला कांगड़ा के अध्यक्ष जोगिंदर शर्मा और मंडी विभाग के प्रमुख शशि शर्मा ने भाग लिया। सुंदरनगर में जारी प्रेस बयान के माध्यम से जानकारी देते हुए प्रदेश मीडिया प्रभारी दर्शन लाल ने बताया कि महासंघ द्वारा शीतकालीन अवकाश को देखते हुए फर्स्ट टर्म की परीक्षाओं को 5 दिसंबर से पहले संपन्न करवाने की बात कही गई थी। बैठक में इस संबंध में बोर्ड द्वारा फर्स्ट टर्म की परीक्षाओं को नवंबर से शुरू करके 5 दिसंबर तक समाप्त करने का निर्णय लिया है। इसके साथ शीतकालीन अवकाश के बाद सेकंड टर्म की परीक्षाओं के लिए बच्चों को तैयारी के लिए कम समय मिल रहा था। जिसे लेकर महासंघ द्वारा सेकंड टर्म की परीक्षाओं को 15 अप्रैल के बाद करवाने बारे अपनी सहमति प्रदान कर दी है। इसके साथ बैठक में फर्स्ट टाइम की परीक्षाओं का मूल्यांकन स्थानीय स्कूल स्तर पर करने का निर्णय लिया गया है। पांचवी से आठवीं कक्षा तक की पंजीकरण शुल्क माफ करने के साथ 9वी से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों की फर्स्ट और सेकंड टर्म बोर्ड परीक्षा शुल्क में ₹100 की रियायत प्रदान किए जाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। शिक्षक महासंघ के पदाधिकारियों ने इस संबंध में सरकार और बोर्ड का धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बोर्ड द्वारा कोविड-19 के चलते उत्पन्न हुई परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सभी निर्णय विद्यार्थियों और अध्यापकों के हित में लिए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश में 11 अक्तूबर से आठवीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों की रोजाना कक्षाएं लगाने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अभी नौवीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को स्कूल बुलाया जा रहा था। इसमें हफ्ते के पहले तीन दिन दसवीं और 12वीं की कक्षाएं और अगले तीन दिन नॉन बोर्ड नौवीं तथा ग्यारहवीं की कक्षाएं लगाई जा रही थीं। उधर, स्कूलों में नियमित कक्षाएं शुरू करने की तैयारियों के बीच निदेशालय ने कोविड ड्यूटी में नियुक्त शिक्षकों को रिलीव करने की मांग की है। शिक्षा निदेशालय ने इस बाबत जिला उपायुक्तों और सीएमओ को पत्र भेजे हैं।
हिमाचल में शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में सेफ्टी ऑडिट के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं। इसमें विद्यार्थियों, शिक्षकों व वर्कर्स के लिए सुरक्षा प्रदान की जाएगी। बताया जा रहा हैं कि यह ऑडिट 2 तरह का होगा। पहला नॉन स्टक्चर, दूसरा स्टक्चर नॉन स्टक्चर में देखा जाएगा कि जो पेड़ लगे है वह कितने पुराने हैं, कहीं गिरने की कगार में तो नहीं है, स्कूल में ऐसा स्थान तो नहीं जो अप्रिय घटना को न्योता दे रहा है एवं, फेंसिग ठीक से है की नहीं। स्ट्रक्चर में प्राकृतिक आपदा से सावधान रहने के लिए ध्यान दिया जाएगा कि भवन की हालत ठीक है की नहीं या उसे पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है की नहीं। भवन की नीव कितनी गहरी है, छत की लकड़ी पुरानी तो नहीं हुई है। जिला उपनिदेशकों ने स्कूलों को निर्देश जारी किये हैं कि वह राज्य लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों से संपर्क साधकर यह ऑडिट करवाएं। आडिट करवाने के बाद स्कूल सेफ्टी का सर्टिफिकेट भी उक्त अधिकारी से लें।
निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग के पास कुछ निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में पैसा लेकर नकल करवाने और विद्यार्थियों से निजी काम करवाने की शिकायतें पहुंचीं हैं। प्रदेश के 451 निजी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की मंगलवार से जांच होगी। इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए आयोग ने प्रदेश के सभी निजी शिक्षण संस्थानों में दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता को जांचने का फैसला लिया है। आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने एक्ट में मिले अधिकारों का प्रयोग करते हुए जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। शिकायतकर्ताओं ने संस्थानों के नाम और पते सहित कई अन्य तथ्य भी आयोग के समक्ष पेश किए हैं। मंगलवार से आयोग की जांच कमेटी निजी संस्थानों का दौरा करेगी। इन संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार चल रहे कोर्सों को जांचा जाएगा। किस कोर्स में कितने विद्यार्थी दाखिल हैं, शिक्षकों की योग्यता क्या है। कोर्स सरकार से मंजूर हैं या नहीं। कितने संस्थानों को नैक से मान्यता मिली है। राष्ट्रीय रैकिंग में संस्थानों की स्थिति कैसी है। ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जा रही है। संस्थानों के आधारभूत ढांचे को भी जांचा जाएगा। जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद आयोग के अध्यक्ष सरकार और राज्य विश्वविद्यालय व तकनीकी विश्वविद्यालय को अपनी रिपोर्ट देंगे। डिग्री कॉलेजों सहित बीएड कॉलेजों, तकनीकी कॉलेजों, मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों, फार्मेसी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का निरीक्षण किया जाएगा।
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान चेयरमैन सचिन जस्वाल एवं उनकी समस्त कार्यकारिणी ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि इस वर्ष प्रदेश सरकार एवं शिक्षा विभाग और शिक्षा बोर्ड ने नौवीं से 12वीं कक्षा के परीक्षा शेड्यूल में बदलाव कर उन्हें 2 टर्म में करने का जो निर्णय लिया है, जिसमें पहले टर्म की परीक्षाएं नवंबर माह में 50% सिलेबस के आधार पर करवाने तथा दूसरे टर्म की परीक्षा मार्च में बाकी बचे 50% सिलेबस के आधार पर करवाने का जो निर्णय आनन-फानन में लिया है। उससे संघ आहत है और संघ का कहना है कि इस तरह के नीतिगत निर्णय लेने से पहले शिक्षा विभाग एवं शिक्षा बोर्ड को अभिभावकों एवं शिक्षक संगठनों तथा शिक्षाविदों से सलाह मशवरा करना चाहिए था क्योंकि यह निर्णय कोविड की परिस्थितियों के मध्यनज़र छात्रों एवं शिक्षकों के हित में तो बिल्कुल भी सही नहीं है, यदि परीक्षाओं को दो टर्म में बांटना है तो दोनों टर्म को बराबर समय अवधि के आधार पर ही बांटना उचित है। यह कहां तक सार्थक है कि यदि एक टर्म के लिए आप 8 महीनों का समय देते हैं तो दूसरी टीम के लिए 4 महीने का समय निर्धारित किया गया है, जबकि सिलेबस दोनों टर्म में आधा-आधा आना है l विशेषकर शीतकालीन स्कूलों के बारे में अगर विचार किया जाए l
हिमाचल प्रदेश में कॉलेजों की स्थिति क्या है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की 132 सरकारी कॉलेजों में से कम से कम 67 में कोई प्रधानाचार्य नहीं है। कारण: विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) पिछले कुछ वर्षों में शिक्षकों की प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति हेतु एक भी बैठक आयोजित करने में विफल रही है। कई पात्र शिक्षक बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त भी हो गए हैं, परन्तु अब तक बैठक नहीं हुई। इन कॉलेजों में उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा कॉलेजों के कुछ वरिष्ठ शिक्षकों को केवल स्वयं और साथी सहयोगियों के मासिक वेतन को निकालने और वितरित करने के लिए डीडीओ की शक्तियां प्रदान की गई हैं। डीडीओ के रूप में एक वरिष्ठ सहयोगी को ही अपने साथी सहयोगियों के कामकाज को नियंत्रित करना पड़ रहा है। नियमित प्रधानचार्य न होने से कॉलेज स्तर पर उच्च शिक्षा की गुणवत्ता दांव पर है। राज्य के इतिहास में पहली बार कॉलेज स्तर पर ऐसी स्थिति पैदा हुई है। हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों में नियुक्त शिक्षकों और छात्रों का कहना है कि हिमाचल के इन कॉलेजों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया है। शिक्षकों का कहना है कि सरकार प्राचार्यों (कॉलेज कैडर) के लिए जुलाई, 2018 से एक भी डीपीसी की बैठक बुलाने में विफल रही है। यहां तक कि कई योग्य शिक्षक अपने पदोन्नति प्राप्त किए बिना ही सेवानिवृत्त हो गए हैं और पहले से पद पर आसीन प्रधानाचार्य भी हर महीने सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग में कॉलेज स्तर पर प्रधानाचार्य का पद वरिष्ठ एसोसिएट प्रोफेसरों के लिए केवल एक सम्मानजनक पदोन्नति है, वह भी 25 वर्षों से अधिक की निरंतर सेवा के बाद। परन्तु विभाग के पात्र वरिष्ठ एसोसिएट प्रोफेसर इस पदोन्नति से वंचित है । कॉलेजों में प्रधानाचार्य का न होना न केवल शिक्षा की गुणवत्ता पर असर डाल रहा है बल्कि, राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) से मान्यता प्राप्त करने में भी बाधा पैदा कर रहा है। NAAC से मान्यता प्राप्त करना किसी भी छह या अधिक साल पहले स्थापित हुए कॉलेज =के लिए अनिवार्य होता है। NAAC की मान्यता मिलने के बाद ही कॉलेज एमएचआरडी से मिलने वाले करोड़ों रुपये के विभिन्न विकास अनुदानों के लिए भी पात्र हो पाते हैं। परन्तु प्रधानाचार्य न होने के कारण हिमाचल के कई कॉलेजों को ये लाभ नहीं मिल रहे। शिक्षकों के अनुसार डीपीसी की बैठक नहीं होने पर पिछले 3 साल से अधिक समय से सरकार यह तर्क दे रही है कि उच्च न्यायालय में शिक्षकों की नियुक्ति और वरिष्ठता को चुनौती देते हुए एक मामला दायर किया गया है इसी के साथ एक अन्य मामले में प्रिंसिपल कॉलेज कैडर के आर एंड पी नियमों को भी अदालत में चुनौती दी गई है, जिससे प्रधानाचार्यों की पदोन्नति पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। शिक्षकों का कहना है कि पात्र सीनियर एसोसिएट प्रोफेसर को प्रिंसिपल (कॉलेज कैडर) के पद पर पदोन्नत करना सरकार का कर्तव्य है। सरकार अदालत में विशेष अनुमति याचिका दायर करे, ताकि उच्च न्यायालय से पात्र एसोसिएट प्रोफेसरों के लिए नियमित डीपीसी बैठक आयोजित की जा सके।
हिमाचल प्रदेश के सभी डिग्री कॉलेजों में प्लेसमेंट और कैरियर गाइडेंस सेल बनाए जाएंगे। इसके माध्यम से कॉलेजों के विद्यार्थियों को रोजगार दिलाने में मदद दिलाई जाएगी। सोमवार को हायर एजूकेशन काउंसिल की शिमला में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिए कमेटी गठित करने की सिफारिश भी सरकार को भेजने की सहमति बनी। इसके अलावा कॉलेजों का शैक्षणिक ऑडिट करवाने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजने का फैसला भी लिया गया। इसकेे लिए काउंसिल की ओर से सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। हर माह इन सेल के कामकाज को लेकर रिपोर्ट मांगी जाएगी। उन्होंने कहा कि कॉलेज विद्यार्थियों को रोजगार के अवसर मुहैया करवाने के लिए काउंसिल ने यह फैसला लिया है। इसके अलावा उच्च शिक्षण संस्थानों के कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए शैक्षणिक ऑडिट भी करवाने का फैसला लिया है। काउंसिल ने तय किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए सरकार को सुझाव भेजे जाएंगे। काउंसिल की ओर से कई कार्यशालाएं इस संदर्भ में की गई हैं। नीति को लागू करने के लिए आठ से दस सदस्यों की एक कमेटी का भी गठन करने की सिफारिश की जाएगी।
बीते दिन लोक सेवा आयोग परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया। हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर की गलोड़ तहसील के रहने वाले अभिषेक धीमान ने संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा उत्तीर्ण की है। रैंकिंग के आधार पर अभिषेक का चयन भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी के लिए हुआ है। यूपीएससी परीक्षा परिणाम में अभिषेक धीमान की रैंकिंग 374 रही है। अभिषेक वर्तमान में बतौर एचएएस अधिकारी शिमला में ट्रेनिंग कर रहे हैं। अभिषेक ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई हमीरपुर के एक निजी स्कूल से की है। वहीं, सिरमौर के उमेश लुबाना ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में 397वां स्थान प्राप्त किया है। वह हिमाचल प्रदेश के पहले दृष्टिबाधित युवा है, जिन्होंने यह मकाम हासिल किया है। वह वर्तमान में दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पीएचडी कर रहे हैं। इससे पहले हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एमए करने के दौरान ही उन्होंने यूजीसी नेट और जेआरएफ की परीक्षा पास की। मूल रूप से पांवटा साहिब के रहने वाले उमेश कुमार के पिता दलजीत सिंह कारोबारी हैं और और माता कमलेश कुमारी गृहिणी हैं।
हिमाचल सरकार ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नियुक्त करीब 43 हजार शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए अंतर जिला तबादलों की निर्धारित अवधि को कम करने की बरसों पुरानी मांग को पूरा कर दिया है। 25 हजार जेबीटी और 18 हजार सीएंडवी शिक्षक अब गृह जिलों में तबादले करवा सकेंगे। सरकार ने तबादलों पर लगाई 13 वर्ष की शर्त घटाकर अब 5 वर्ष कर दी है। सीएंडवी और जेबीटी का जिला कैडर है। सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति करते समय पांच जिलों का विकल्प दिया था। गृह जिले में वापसी के लिए सरकार ने पहली नियुक्ति वाले स्कूल में न्यूनतम 13 साल सेवाएं देने की शर्त रखी थी। इस शर्त के चलते जेबीटी और सीएंडवी शिक्षकों को अपने गृह जिलों में वापसी के लिए लंबा वनवास भुगतना पड़ता था। शिक्षक संगठन 13 वर्ष की अवधि को घटाने की लंबे समय से मांग कर रहे थे। शुक्रवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार ने अंतर जिला तबादलों की अवधि को घटाकर शिक्षकों को बड़ी राहत दे दी है। संघ के आग्रह पर शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने 14 सितंबर को शिक्षा सचिव से बैठक कर इस मांग को हरी झंडी दे दी।
बीती कैबिनेट की बैठक में प्रदेश सरकार ने स्कूलों को खोलने को लेकर मंज़ूरी दे दी है। प्रदेश में 27 सितम्बर से नियमित कक्षाएं शुरू कर दी जाएगी। सप्ताह में पहले 3 दिन 10वीं तथा 12वीं कक्षा के बच्चे स्कूल आएंगे तथा स्प्ताह के आखिरी तीन दिन 9वीं व 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूल बुलाया जाएगा। हालंकि, आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की पढ़ाई व पेपर ऑनलाइन माध्यम से ही करवाए जाएंगे। राज्य मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलते ही शिक्षा विभाग ने शुक्रवार शाम को 27 सितंबर से प्रदेश स्कूलों में विद्यार्थियों के आने के लिए एसओपी जारी कर दी है। उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूल के प्रिंसिपलों को विद्यार्थियों की क्षमता और कमरों की संख्या के अनुसार माइक्रो प्लान बनाने को कहा है। स्कूलों में विद्यार्थियों का लंच ब्रेक और आने-जाने का समय कक्षावार अलग-अलग होगा। कक्षाओं में एक बेंच छोड़कर विद्यार्थियों को बैठाने की व्यवस्था की जाएगी। विद्यालयों में के कमरे की क्षमता अनुसार 50 फीसदी विद्यार्थियों को ही एक साथ बिठाया जाएगा। शेष विद्यार्थियों की क्लास दूसरे कमरे में लगाई जाएगी। विद्यालय में प्रार्थना सभा, खेलकूद सहित एकत्र होने वाली अन्य गतिविधियों पर भी रोक रहेगी। शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए फेस मास्क पहनना अनिवार्य रहेगा। थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही स्कूल परिसरों में प्रवेश दिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा यानि एचएएस की परीक्षा 26 सितंबर को पहली बार नेटवर्क जैमर के साये में होगी। राज्य लोक सेवा आयोग ने परीक्षा के दौरान नकल की संभावनाओं को पूरी तरह से विराम लगाने के चलते यह फैसला लिया है। अभी तक यूपीएससी की परीक्षाओं में ही नेटवर्क जैमर लगाए जाते हैं। बुधवार को लोक सेवा आयोग में हुई अधिकारियों की बैठक में एचएएस की परीक्षा में भाग लेने वाले बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट या वैक्सीन सर्टिफिकेट दिखाने के बाद ही परीक्षा केंद्रों में प्रवेश देने का फैसला लिया गया। हिमाचल के अभ्यर्थियों पर यह शर्त लागू नहीं होंगी। 26 सितंबर को प्रदेश के 133 केंद्रों में सुबह और शाम के सत्र में एचएएस की परीक्षा होगी। प्रशासनिक सेवा के 18 पदों के लिए 30,625 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। परीक्षा में शामिल होने के लिए सभी अभ्यर्थियों को एडमिट कार्ड और पहचान पत्र भी लाना अनिवार्य किया गया है।
प्रदेश में शिक्षा विभाग सचिव राजीव शर्मा ने कहा है कि स्कूलों को खोलने की तैयारी पूरी कर ली गई है। सरकार के निर्देश जारी होते ही नियमित कक्षाएं शुरू कर दी जाएंगी। इसमें विद्यार्थियों की सुरक्षा को मध्यनज़र रखते हुए एक कमरे में सिर्फ 50 फीसदी क्षमता में विद्यार्थियों को बुलाया जाएगा। कोरोना के नियमों का पालन अच्छी तरह से करवाया जाएगा,जिसमें फेस मास्क पहनकर ही स्कूलों में शिक्षकों और विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाएगा व हैंड सैनिटाइजर की विद्यालय में व्यवस्था की जाएगी। आदेशानुसार प्रार्थना सभा सहित अन्य एकत्र होने वाली गतिविधियों पर रोक रहेगी।
प्रदेश सरकार अब 5वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए स्कूलों को खोलने की तैयारी कर रही है। 20 या 21 सितंबर को प्रस्तावित कैबिनेट बैठक में इस संदर्भ में फैसला लिया जाएगा। गौरतलब है कि इससे पहले सरकार ने 21 सितंबर तक प्रदेश में स्कूल बंद रखे हैं। शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूल प्रिंसिपलों को अगले सप्ताह से विद्यार्थियों के लिए स्कूल खुलने की संभावना को देखते हुए तैयारियां पूरी रखने के लिए कहा है। स्कूल प्रिंसिपलों को विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से माइक्रो प्लान बनाने के लिए भी कहा गया है। कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आने पर 2 अगस्त से दसवीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए स्कूलों को खोला गया था। पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को शिक्षकों से परामर्श लेने के लिए स्कूलों में आने की मंजूरी दी थी, लेकिन इसी बीच दोबारा संक्रमण के मामलों में तेजी आई। 10 अगस्त को सरकार ने स्कूलों को विद्यार्थियों के लिए 22 अगस्त तक बंद रखने का फैसला लिया। इस तारीख को बढ़ाकर फिर 30 अगस्त कर दिया। इसके बाद 5 सितंबर और फिर 21 सितंबर तक विद्यार्थियों के लिए स्कूलों में आने पर रोक लगाई गई है। कयास लगाया जा रहा है की कोरोना संक्रमण के मामलो में कमी को देखते हुए, सरकार स्कूलों को पुनः खोलने का फैसला ले सकती है।
प्रदेश में स्थापित निजी विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में मेडिकल कोर्सों के लिए फीस तय कर दी गई है। निजी विवि के प्रस्तावों पर कई दिन तक मंथन करने के बाद गुरुवार को संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा ने फीस का ढांचा जारी किया। निजी विश्वविद्यालयों में इस साल प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों से अब इसी आधार पर फीस ली जाएगी। ट्यूशन फीस दो किस्तों में लेनी होगी। एक किस्त में इसे देने का दबाव नहीं डाल सकेंगे। नया फीस ढांचा कोर्स पूरा होने तक लागू रहेगा। इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। सरकार को हर साल नया सत्र शुरू होने से पहले फीस ढांचा तय करना होता है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि निजी विवि पहले की तरह बिल्डिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट फंड विद्यार्थियों से नहीं वसूलेंगे। अगर कोई संस्थान आदेशों का पालन नहीं करेगा तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। नए फीस ढांचे के अनुसार निजी विवि सरकार की मंजूरी बिना कोई भी नया कोर्स शुरू नहीं कर सकेंगे। अगर किसी कोर्स की सरकार से मंजूरी नहीं मिली है और फीस कमेटी ने उसका फीस ढांचा तय कर दिया है, तो ऐसा कोर्स मान्य नहीं होगा। यूजीसी के निर्देशानुसार ही शिक्षक भर्ती करनी पड़ेगी। हिमाचली बोनाफाइड, बीपीएल, आईआरडीपी विद्यार्थियों के लिए विवि को दस फीसदी सीटें आरक्षित रखनी होंगी। इनसे ट्यूशन फीस भी नहीं ली जाएगी। शैक्षणिक सत्र की फीस कोर्स पूरा होने तक लागू रहेगी। पहले से विवि में पढ़ रहे विद्यार्थियों पर नया फीस ढांचा लागू नहीं होगा। सरकार की इस तरह की पहल से विद्यार्थियों को कुछ राहत मिल सकती है।
हिमाचल प्रदेश में सफाई से जुड़े और जोखिमपूर्ण व्यवसाय में लगे व्यक्तियों के बच्चों को भी छात्रवृत्ति मिलेगी। अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को दी जाने वाली प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय संशोधन करते हुए नई श्रेणियों को शामिल करने जा रहा है। जल्द इस योजना को देश भर में लागू किया जाएगा। शैक्षणिक सत्र 2021-22 से हिमाचल में भी पात्र विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ मिलेगा। पहली से 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों को वार्षिक 3000 से 7000 रुपये तक छात्रवृत्ति मिलेगी। बुधवार को उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला उपनिदेशकों और स्कूल प्रिंसिपलों को इस बाबत पत्र जारी कर सूचित किया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से सभी प्रदेशों के मुख्य सचिवों और शिक्षा सचिवों को पत्र जारी कर बताया है कि इस योजना में शामिल किए जाने वाले विद्यार्थी सफाई से जुड़े और स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण व्यवसाय में लगे व्यक्तियों के परिवार का ही होना चाहिए। परिवार का इस व्यवसाय में लिप्त होने का प्रमाण पत्र संलग्न करना अनिवार्य रहेगा। विद्यार्थी राजकीय विद्यालय अथवा राज्य सरकार एवं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त विद्यालयों में नियमित एवं पूर्णकालिक कक्षा पहली से 10वीं के विद्यार्थी के रूप में अध्ययनरत हो। विद्यार्थी को केंद्रीय राजकीय, सार्वजनिक, धार्मिक स्रोत से अध्ययन करने के लिए किसी भी प्रकार की छात्रवृत्ति या भत्ता नहीं मिल रहा हो। किसी भी कक्षा में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति केवल एक वर्ष के लिए उपलब्ध होगी। यदि कोई विद्यार्थी अगले वर्ष भी उसी कक्षा में रहता है तो उसे दूसरे वर्ष (अथवा बाद के वर्ष के लिए) उसी कक्षा के लिए छात्रवृत्ति नहीं मिलेगी। योजना के तहत 90 फीसदी बजट केंद्र और दस फीसदी बजट प्रदेश सरकार की ओर से दिया जाएगा। केंद्र सरकार पात्र विद्यार्थी के बैंक खाते में सीधा राशि जमा करवाएगा।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 9वी से 12वीं कक्षा के करीब दो लाख विद्यार्थियों को हर सप्ताह शनिवार और रविवार को डॉक्टर और इंजीनियर बनाने की कोचिंग दी जाएगी। 18 सितंबर से 9वीं से 12वीं के विद्यार्थियों को मोबाइल पर शिक्षक द्वारा एक लिंक भेजा जाएगा। यू-ट्यूब के इस लिंक के माध्यम से विद्यार्थी नीट और जेईई की कोचिंग ले सकेंगे। सरकार ने विद्यार्थियों को कोचिंग देने के लिए स्वर्ण जयंती विद्यार्थी अनुशिक्षण योजना शुरू की है। आधिकारिक तौर पर बुधवार से योजना शुरू कर दी गई है। शिक्षकों को हर घर पाठशाला अभियान के तहत लिंक भेजने का काम शुरू हो गया है। शनिवार को यह लिंक शिक्षक विद्यार्थियों को व्हाट्सएप ग्रुपों के माध्यम से देंगे। योजना के तहत सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता की गणित और विज्ञान की सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी। हर सप्ताह 15 से 18 घंटे की कक्षाएं और संदेह समाधान किया जाएगा। योजना के सही कार्यान्वयन के लिए सरकार जिला स्तर पर निगरानी कमेटी गठित करेगी। इसमें डाइट के प्रधानाचार्य, उच्च शिक्षा के उप निदेशक और स्कूलों के विज्ञान-गणित के पर्यवेक्षक शामिल किए गए हैं। कमेटी मेधावी छात्राओं की पहचान करने में भी मदद करेगी। योजना के तहत दो चरणों में कार्यक्रम का कार्यान्वयन होगा। पहले चरण में हर घर पाठशाला के माध्यम से छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली गणित और विज्ञान की सामग्री उपलब्ध होगी। दूसरे चरण में 100 उच्च प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं की पहचान करने के लिए चयन परीक्षा होगी।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) शिमला देश भर के टॉप 200 विश्वविद्यालयों में भी शामिल नहीं हो पाया। एचपीयू का बीते वर्ष का रैंक 169 था। वहीं आईआईटी मंडी पिछले साल से 10 स्थान फिसलकर 41वें स्थान पर रहा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क 2021 जारी की। देश के टॉप सौ विश्वविद्यालयों में प्रदेश का शूलिनी विश्वविद्यालय शामिल हुआ है। नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क 2021 की ओवरआल और इंजीनियरिंग श्रेणी में आईआईटी मंडी की रैंकिंग लुढ़क गई है। शूलिनी विश्वविद्यालय सोलन ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए तीन श्रेणियों में पायदान चढ़े हैं। इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर की श्रेणी में एनआईटी हमीरपुर की रैंकिंग में कमी आई है। मैनेजमेंट, लॉ, मेडिकल और कॉलेज श्रेणी में प्रदेश को कोई संस्थान शामिल नहीं हुआ है। आईआईटी मंडी इंजीनियरिंग श्रेणी में दस पायदान लुढ़ककर 52.58 स्कोर के साथ देश भर में 41वें रैंक पर पहुंच गया।
हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब 1.9 लाख विद्यार्थियों को 15 सितंबर से जेईई और नीट की कोचिंग मिलेगी। कोचिंग स्वर्ण जयंती विद्यार्थी अनुशिक्षण योजना के तहत दी जाएगी। सरकार हर घर पाठशाला के माध्यम से 9वीं से 12वीं के विद्यार्थियों को योजना का लाभ दे रही है। विद्याथियों को ये कोचिंग हर हफ्ते शनिवार और रविवार को दी जाएगी। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता की गणित और विज्ञान की सामग्री मिलेगी। हर सप्ताह 15 से 18 घंटे की कक्षाएं और संदेह समाधान भी किया जाएगा। योजना के सही कार्यान्वयन के लिए सरकार जिला स्तर पर निगरानी कमेटी गठित भी करेगी। इसमें डाइट के प्रधानाचार्य, उच्च शिक्षा उप निदेशक और स्कूलों के विज्ञान-गणित के पर्यवेक्षक शामिल किए गए हैं। यह कमेटी मेधावी छात्राओं की पहचान करने में भी मदद करेगी। बता दें कि योजना के तहत दो चरणों में कार्यक्रम का कार्यान्वयन होगा। पहले चरण में हर घर पाठशाला के माध्यम से भी छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली गणित और विज्ञान की सामग्री उपलब्ध होगी। दूसरे चरण में राज्य की 100 उच्च प्रदर्शन करने वाली छात्र-छात्राओं की पहचान करने के लिए चयन परीक्षा होगी।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के यूजी और पीजी कोर्स करने वाले लाखों छात्र-छात्राओं को अब डिग्री की अंतिम परीक्षा के परिणाम घोषित होने के साथ ही समग्र अंक तालिका को प्रिंट करवा दिया जाएगा और संबंधित कॉलेजों को भेज दिया जाएग। इसकी फीस भी विद्यार्थियों से नहीं ली जाएगी । विद्यार्थियों को अब इसके लिए लम्बा इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। उन्हें हाथों हाथ समग्र अंक तालिका दे दी जाएगी। पीजी कोर्स में भी इसी सत्र से यह निर्देश लागू कर दिया जाएगा। अंक तालिका की डिग्री पूरी करने वाले हर विद्यार्थी को आवश्यकता रहती है। इससे पूर्व विद्यार्थी जरूरत पड़ने पर विश्वविद्यालय आकर इसे बनवाते रहे थे। यह सुविधा केवल पास और डिग्री पूरी करने वाले विद्यार्थियों को ही होगी। कंपार्टमेंट या फेल होने वाले विद्यार्थियों को यह सुविधा नहीं होगी। किसी भी डिग्री कोर्स के पूरा करने के बाद ही समग्र अंक तालिका जारी की जाती है। इसमें पूरी डिग्री में दी गई परीक्षा के प्राप्तांक और छात्र का पूरा ब्योरा, सेशन सब कुछ अंकित होता है। इसे विद्यार्थी कहीं भी आवश्यकता पड़ने पर डिग्री के स्थान पर दिखा या जमा करवा सकता है। जिससे उसे आगे प्रवेश लेने व नौकरी में कोई परेशानी पेश नहीं आएगी।
शिमला: उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा सोमवार को प्रदेश के निजी और सरकारी कॉलेज प्रिंसिपलों को कॉलेजों में छह माह की एक साथ हॉस्टल और मेस फीस वसूल करने पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं। कोरोना काल में अभिभावकों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने का हवाला देते हुए प्रिंसिपलों को विद्यार्थियों द्वारा मासिक या द्विमासिक आधार पर ही शुल्क लेने के लिए कहा गया है। उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा बताया कि प्रदेश के कई डिग्री, बीएड, लॉ और संस्कृत के निजी और सरकारी कॉलेजों में विद्यार्थियों से छह माह या उससे अधिक समय की हॉस्टल और मेस फीस लेने की शिकायतें उन्हें मिली हैं। जिसके चलते उन्होनें बताया कि कोरोना काल के चलते बीते वर्ष से अभिभावकों की स्थिति अभी पटरी पर नहीं आ सकती। इस परिस्थिति के चलते अभिभावक छह माह की फीस चुकाने के लिए असमर्थ हैं। ऐसे मामलों के विद्यार्थियों से केवल एक या दो माह की हॉस्टल और मेस फीस ही वसूली जाए।
हिमाचल प्रदेश में राज्य मंत्रिमंडल द्वारा एक ही विभाग में 4000 पद भरने का निर्णय लिया गया है। हालांकि मंत्रिमंडल द्वारा हजारों की संख्या में नौकरी के पिटारे खुलते रहे हैं लेकिन एक ही विभाग में इतनी बड़ी तादाद में पद भरने का निर्णय पहली बार ही लिया गया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में शिक्षा विभाग में ड्राइंग शिक्षकों के 820 पदों और शारीरिक शिक्षा अध्यापकों के 870 पदों सहित शिक्षकों की विभिन्न श्रेणियों के 4000 पदों को भरने का निर्णय लिया गया है। इन 4000 पदों में से 2640 पद प्रारंभिक शिक्षा विभाग जबकि 1360 पद उच्चतर शिक्षा विभाग में अनुबंध आधार पर भरे जाएंगे। जानकारी के अनुसार शिक्षकों के विभिन्न पद बैच आधार पर शीघ्रता से भरे जाएंगे। उल्लेखनीय है कि ड्राइंग टीचर्ज अपनी भर्ती को लेकर पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान कई दफा सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। बावजूद इसके उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया। उसके बाद इन शिक्षकों को जयराम सरकार से काफी आशाएं रहीं। ऐसे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी ड्राइंग शिक्षकों की आशाओं पर खरा उतरते हुए प्रमुखता से उनके पक्ष में निर्णय लिया। अब 820 पदों शिक्षकों की भर्ती होगी। इतना ही नहीं शारीरिक शिक्षा अध्यापकों के भी 870 पद भरे जाएंगे। इस फैसले से बेरोजगार प्रशिक्षुओं में खुशी की लहर है।
शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालय ने विजुअल आर्ट विभाग में एमए पेंटिंग का सिलेबस और प्रवेश की प्रक्रिया बदल दी है। प्रवेश पाने वाले छात्र-छात्राओं को अब एक थ्योरी और दो प्रैक्टिकल परीक्षाएं देनी होंगी। इसके आधार पर ही कोर्स में प्रवेश को मेरिट तैयार होगी। इन तीन परीक्षाओं के 150 अंक में से प्राप्तांक से ही मेरिट बनेगी। पूर्व में एक थ्योरी और एक प्रैक्टिकल होता था। विभाग की 10 सब्सिडाइज्ड और पांच नॉन सब्सिडाइज्ड सीटों के लिए 27 अगस्त को प्रवेश परीक्षा होगी। इसमें तीन तरह की परीक्षा होगी। इसमें पहली परीक्षा 50 अंक की होगी, जो थ्योरी की होगी। इसमें पूछे जाने वाले सवालों से संबंधित ब्योरा विवि की वेबसाइट पर छात्रों के लिए उपलब्ध करवाया गया है। वहीं पहली प्रैक्टिकल परीक्षा भी 50 अंक की होगी। इसमें ऑब्जेक्ट स्टडी रहेगी। दूसरी प्रैक्टिकल परीक्षा में क्रिऐटिव कंपोजिशन की होगी। ये तीनों परीक्षाएं एक एक घंटे की होंगी। इनमें प्राप्तांक आधार पर बनने वाली मेरिट ही प्रवेश का आधार रहेगी।
हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों में स्नातक डिग्री कोर्स के प्रथम वर्ष की आवेदन प्रक्रिया मंगलवार को थम जाएगी लेकिन अभी तक स्पोर्ट्स, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। ऑनलाइन आवेदन का मंगलवार को आखिरी दिन है। बुधवार को तय किए प्रवेश शेड्यूल के अनुसार पहली प्रवेश मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी लेकिन अभी तक सरकार और विवि प्रशासन यह तय नहीं कर पाया है कि खेल, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए कितनी सीटें आरक्षित होंगी। सभी कॉलेजों ने पहले की तरह से स्पोर्ट्स, कल्चरल कोटा के तहत आवेदन आमंत्रित किए हैं। इस बार ईडब्लूएस श्रेणी के छात्रों ने भी आवेदन किए हैं लेकिन उन्हें सीटें तभी मिल पाएंगी जब सरकार, शिक्षा विभाग और यूनिवर्सिटी आरक्षण को लागू करने को लेकर कोई फैसला लेंगे।
हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर में इस बार अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के नए निर्देशों के तहत बीटेक डायरेक्ट एंट्री में दाखिला मिलेगा। एआईसीटीई के नए निर्देशों में बीटेक के लिए 12वीं कक्षा में गणित और भौतिक विज्ञान की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। अब ऐसे विद्यार्थी जिन्होंने जमा दो में भौतिक विज्ञान, गणित, रसायन विज्ञान, कंप्यूटर साइंस, सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, जीव विज्ञान, सूचना विज्ञान अभ्यास, जैव प्रौद्योगिकी, व्यावसायिक विषयों के कृषि, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स, बिजनेस स्टडीज, उद्यमिता में से किन्हीं तीन विषयों में पढ़ाई की हो, वे तकनीकी विवि से संबंधित सरकारी और निजी शिक्षण संस्थान में बीटेक डायरेक्ट एंट्री में दाखिला ले सकते हैं।
हिमाचल में स्कूल बैग का मामला काफी समय से लटका हुआ था। लेकिन अगले महीने से प्रदेश के सरकारी स्कूल के तीसरी, छठी और नौवीं कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूल बैग मिलना शुरू हो जाएंगे। खाद्य आपूर्ति निगम ने बुधवार को बैग को लेकर आमंत्रित किए गए टेंडर की टेक्निकल बीड खोल दी है। टेंडर में कुल 8 कंपनियों ने भाग लिया था। इसमें से चार कंपनियों के सैंपल फेल हुए है। वंही 4 कंपनियों ने सैंपल पास किए है। इन कंपनियों के बीच रेट को लेकर प्रतिस्पर्धा होगी। अगले सप्ताह फाइनेंशियल बीड खोली जानी है। इसमें जिस भी कंपनी का रेट कम आएगा, उसे सप्लाई ऑर्डर दिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों में एक सितंबर से नियमित कक्षाएं शुरू करने की तैयारी है। राज्य सचिवालय में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने बताया कि कैबिनेट से मंजूरी लेने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कॉलेजों में 18 वर्ष आयु से अधिक के विद्यार्थी होते हैं, ऐसे में कॉलेजों में नियमित कक्षाएं खोलने का विचार है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि 18 वर्ष से अधिक आयु के 88 फीसदी विद्यार्थियों को वैक्सीन भी लग चुकी है। 16 अगस्त से कॉलेजों में द्वितीय और तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों की ऑनलाइन कक्षाएं शुरू हो गई हैं। प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों की कक्षाएं एक सितंबर से शुरू होंगी। इन कक्षाओं को ऑनलाइन ही जारी रखा जाना है या ऑफलाइन शुरू करना है, इसको लेकर जल्द फैसला ले लिया जाएगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों को मानसिक तौर पर भी कॉलेज आने के लिए तैयार रहना चाहिए।
कर्मचारी चयन आयोग ने चार पोस्ट कोड के तहत ली जाने वाली लिखित परीक्षाओं की समयसारिणी में बदलाव किया है। पोस्ट कोड 891 स्टेनो टाइपिस्ट की परीक्षा 26 सितंबर की बजाएं 5 सितंबर को सुबह के सत्र में करने का फैसला लिया है। वंही, पोस्ट कोड 906 जेई सिविल की परीक्षा भी 26 की बजाय 5 सितंबर को शाम के सत्र में, आयोजित होगी। पोस्ट कोड 839 लिपिक की परीक्षा पांच सितंबर की बजाय 17 अक्तूबर को सुबह और पोस्ट कोड 833 सहायक प्रबंधक की परीक्षा 17 अक्तूबर शाम के सत्र में आयोजित होगी। आयोग के सचिव डॉ.जितेंद्र कंवर ने बताया कि इन परीक्षाओं की तिथियों में बदलाव किया गया है। अब नई तिथियों अनुसार परीक्षा होगी। वहीं, कर्मचारी चयन आयोग ने अधीक्षक ग्रेड-2 स्टोर के पद को भरने के लिए ली गई लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया है। इस पद के लिए लिखित परीक्षा में 302 अभ्यर्थी उपस्थित रहे। इनमें से चार अभ्यर्थियों जिनमें रोल नंबर 879000199, 879000537, 879000939 और 879001560 को मूल्यांकन परीक्षा के लिए चयनित किया गया है। आयोग के सचिव डा. जितेंद्र कंवर ने कहा कि 15 अंकों की मूल्यांकन परीक्षा 31 अगस्त को आयोग के कार्यालय में होगी।
हिमाचल प्रदेश में सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए पांचवीं के बाद अब छठी से 10वीं तक के विद्यार्थियों को भी सड़क सुरक्षा का पाठ पढ़ाया जाएगा। इसमें शिक्षक बच्चों को यातायात के नियमों का पालन करने का ज्ञान देंगे। प्राथमिक कक्षाओं से ही विद्यार्थियों को सड़क सुरक्षा का ज्ञान दिया जा रहा है। वहीं बड़ी कक्षाओं के लिए भी एससीईआरटी पाठ्यक्रम तैयार कर रही है। आगामी सत्र से इस पाठ्यक्रम को छठी से दसवीं कक्षा तक पढ़ाए जाने की संभावना है। पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा की आधारभूत जानकारियों को शामिल किया गया है। इसमें यातायात नियम, जेब्रा लाइन, हेलमेट की आवश्यकता, सड़क पार करते समय बरती जाने वाली सावधानियों के संबंध में लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया व नियम, सड़क दुर्घटनाओं के कारण, दो पहिया और चौपहिया वाहन चलाने के लिए जरूरी दस्तावेज की जानकारी को भी शामिल किया जा रहा है। पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा के शामिल होने पर बच्चों को गहनता के साथ सड़क सुरक्षा के नियमों के प्रति जागरूक किया जा सकेगा।
हिमाचल प्रदेश तकनीकी शिक्षा बोर्ड दूसरे और चौथे सेमेस्टर की परीक्षाएं गूगल मीट और गूगल क्लास पर ऑनलाइन माध्यम से लेगा। इस दौरान विद्यार्थियों को ऑनलाइन रहते हुए वैब कैमरे में अपना चेहरा और परीक्षा देती बार अपनी उत्तर पुस्तिका को भी साफ-साफ दिखाना होगा। वहीं इंटरनेट दिक्कत समस्या होने पर छात्र अपने नजदीकी संस्थान में परीक्षा दे सकेगा। इसके लिए छात्र को 10 दिन पहले बोर्ड को बताया होगा। बोर्ड 17 अगस्त से दूसरे और चौथे सेमेस्टर की लीट और पैट ऑनलाइन माध्यम से करवाएगा। ऑनलाइन माध्यम से होने वाली इन परीक्षाओं में छात्र किसी प्रकार की कोई नकल का सहारा न ले सके, इसके लिए छात्रों को अपनी परीक्षाएं गूगल मीट या गूगल क्लास के माध्यम से देनी होंगी। संबंधित छात्रों को ऑनलाइन जुड़ने के लिए करीब 10 मिनट पहले आईडी और पासवर्ड भेजा जाएगा। सुबह और सायंकाल दो सत्रों में होने वाली इस परीक्षा के लिए संबंधित छात्रों को पांच मिनट पहले प्रश्न पत्र मुहैया करवाया जाएगा। इसके बाद छात्रों को ऑनलाइन रहते हुए ही परीक्षा देनी होगी। परीक्षा समाप्त होने पर अभ्यर्थी को गूगल मीट या गूगल क्लास के माध्यम से उत्तर पुस्तिका को संबंधित संस्थान को स्कैन करके भेजना होगा।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए प्रवेश परीक्षा आधारित पीजी डिग्री कोर्स में प्रवेश के लिए परीक्षा शेड्यूल जारी कर दिया है। विवि नौ अगस्त से विवि परिसर में प्रवेश परीक्षाएं शुरू करेगा, जो 24 अगस्त तक जारी रहेंगी। प्रवेश परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड विद्यार्थियों को एडमिशन पोर्टल से ऑनलाइन ही डाउनलोड करने होंगे। शेड्यूल जारी करने के साथ ही विवि ने प्रवेश परीक्षाओं की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। ये प्रवेश परीक्षाएं सुबह नौ, साढ़े 11 और दो बजे के सत्र में आयोजित करने का फैसला लिया है। जिससे परीक्षाएं अगस्त माह में ही पूरी हो सके और सितंबर में काउंसलिंग करवाकर प्रवेश की प्रक्रिया को समय रहते पूरा किया जा सके। कोरोना महामारी के कारण एक साल के अंतराल के बाद विवि पीजी की प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करवा रहा है। बीते सत्र 2020-21 में विवि ने प्रवेश परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए थे, लेकिन कोरोना संक्रमण का हवाला देकर विवि ने प्रवेश परीक्षाएं न करवाकर पिछली यूजी की मेरिट के आधार पर ही कोर्स में प्रवेश दिया था। जिसका छात्र संगठनों ने जमकर विरोध भी किया था। मामला न्यायालय तक जाने पर न्यायालय ने विवि के इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। शेड्यूल के मुताबिक विश्वविद्यालय नौ अगस्त को नौ बजे रसायन विज्ञान, साढ़े 11 बजे जंतु विज्ञान, दो बजे एमएससी गणित की प्रवेश परीक्षा आयोजित करेगा। 10 अगस्त को नौ बजे एमएससी भौतिक विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, साढ़े 11 बजे एम कॉम, दो बजे एमए राजनीति शास्त्र की प्रवेश परीक्षा करवाएगा। 11 अगस्त को नौ बजे एलएलबी, साढ़े 11 बजे एमएससी भूगोल और दो बजे एमए हिंदी। 12 अगस्त को नौ बजे एमए अर्थशास्त्र, साढ़े 11 बजे एमएस मनोविज्ञान, दो बजे एमए इतिहास। 13 अगस्त को सुबह नौ बजे एमएस सामाजिक कार्य, साढ़े 11 बजे एमए संगीत ( परफार्मिंग आर्ट) दो बजे एमए इंग्लिश की प्रवेश परीक्षा होगी। 14 अगस्त को 10 बजे एमसीए की और दो बजे एमए संस्कृत की प्रवेश परीक्षा होगी। 16 अगस्त को एमएससी माइक्रोबायोलॉजी, साढ़े 11 बजे एमएससी बायोटेक्नोलॉजी और दो बजे एमए शारीरिक शिक्षा और एमपीएड की प्रवेश परीक्षा होगी। तय शेड्यूल के मुताबिक 17 अगस्त को नौ बजे एमए योगा, साढ़े 11 बजे एमएड और दो बजे एमएस समाज शास्त्र की प्रवेश परीक्षा होगी। 18 अगस्त को 10 बजे एमए ग्रामीण विकास और दो बजे एमए लोक प्रशासन की, 20 अगस्त को 10 बजे एमएससी पर्यावरण विज्ञान और दो बजे एमबीए ग्रामीण विकास की प्रवेश परीक्षा करवाई जाएगी। एमएस पत्रकारिता और जनसंचार की प्रवेश परीक्षा 23 अगस्त को सुबह 10 बजे जबकि एमए रक्षा और सामरिक अध्ययन के लिए 24 अगस्त को 10 बजे और एमटीटीएम के लिए दो बजे प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी। विवि और रिजनल सेंटर धर्मशाला की एमबीए कोर्स में प्रवेश के लिए करवाई जाने वाली एचपीयू मेट-2021 को 21 अगस्त को 10 बजे आयोजित किया जाना है।
हिमाचल प्रदेश में लम्बे आरसे से बंद पड़े स्कूलों में रौनक लौट आई है। बीती कैबिनेट की बैठक में सरकार ने 10वीं से 12 वीं कक्षा के विद्यार्थियों की स्कूल में नियमित कक्षाएं लगाने का फैसला लिया था। पहले चरण में 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों की आज से नियमित कक्षाएं शुरू हो गई हैं। शिक्षा विभाग ने इसके लिए एसओपी जारी की है। थर्मल स्क्रीनिंग, हैंड सैनिटाइज करवाने के बाद ही बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिया गया। मौसम साफ रहने पर खुले में भी कक्षाएं लग सकती हैं। पांचवीं और आठवीं कक्षा के बच्चे शिक्षकों से परामर्श लेने के लिए स्कूल आ सकेंगे। अभी अप्रैल, 2021 से स्कूल पूरी तरह बंद थे। उल्लेखनीय है कि 26 जुलाई से कोचिंग, ट्यूशन और प्रशिक्षण संस्थान खोले जा चुके हैं। कॉलेजों में 16 अगस्त से नया सत्र शुरू होगा। 26 जुलाई से कॉलेजों में ऑनलाइन और ऑफलाइन दाखिले शुरू हो चुके हैं। सरकार के निर्देशों के बाद सभी स्कूलों को समय-समय पर सैनिटाइज करना जरूरी होगा। सोमवार से सरकारी स्कूलों में सभी शिक्षकों को हाजिर रहना अनिवार्य किया गया है। उधर, बता दें कि चंबा उपमंडल में मिंजर मेले की स्थानीय छुट्टी के चलते 3 अगस्त, लाहौल-स्पीति जिले में 10 और कुल्लू जिले में 16 अगस्त से स्कूल खुलेंगे।
हिमाचल प्रदेश के चंबा और लाहौल-स्पीति जिले में दो अगस्त से स्कूल नहीं खुलेंगे। प्रदेश के शेष जिलों में सोमवार से दसवीं से 12वीं कक्षाओं के विद्यार्थी आएंगे। चंबा में मिंजर मेले और लाहौल में बादल फटने के चलते जिला प्रशासन ने शेड्यूल में बदलाव किया है। दो अगस्त से स्कूलों में सभी शिक्षकों को हाजिर रहना अनिवार्य होगा। चंबा में तीन और लाहौल-स्पीति में दस अगस्त से स्कूल खुलेंगे। लाहौल-स्पीति में बारिश और बादल फटने की घटनाओं के कारण कई सड़कें तथा पुल टूट गए हैं। जिला प्रशासन ने लाहौल एवं उदयपुर मंडल में स्कूल व शैक्षणिक संस्थान नौ अगस्त तक बंद रखने के निर्देश दिए हैं। उपायुक्त नीरज कुमार ने कहा कि सरकार ने स्कूलों को दो अगस्त से खोलने के आदेश दिए हैं, लेकिन घाटी की परिस्थितियों एवं मौसम को देखते हुए अभी स्कूलों को खोलना उचित नहीं है। घाटी में नौ अगस्त तक सभी स्कूल एवं शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे। चंबा में मिंजर मेले के समापन पर दो अगस्त को स्थानीय अवकाश रहेगा। चंबा में तीन अगस्त को ही सरकारी और निजी स्कूल खुलेंगे। उधर, शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि दो अगस्त से सभी नियमों का पालन करते हुए स्कूलों में नियमित कक्षाएं शुरू होंगी। प्रार्थना सभा सहित अन्य एकत्र होने वाली गतिविधियां नहीं होंगी।
GNA University organized an International conference on business resilience and reinvention in the VUCA World (ICBRR-VUCA 2021) on its virtual platform, Blackboard which was also streamed Live on Facebook and YouTube. The Conference Ceremony started with the welcoming of the virtual gathering by the Master of Ceremony Dr. Disha Khanna, Dean- Faculty of Liberal Arts. Afterward, the general address and opening to the conference was made by honorable Pro-Chancellor S. Gurdeep Singh Sihra, and the conference proceedings were then released by the senior functionaries of the management. Dr. Monika Hanspal, Dean Academics delivered the welcome address and the The inaugural address was given by Vice-Chancellor Dr. V.K.Rattan to the learned gathering. S. Gurdeep Singh Sihra, the Pro-Chancellor expressed, “I am really honored to witness the appreciable number of participants in this international conference from across the globe.” The chief guest for the day was Dr. Neharika Vohra, Vice-Chancellor- Delhi Skill and Entrepreneurship University, New Delhi who delivered her views on the emerging trends in entrepreneurship and other managerial disciplines in the VUCA World. This was then followed by the welcoming of the keynote speaker Dr. Cleopatra Veloutsou, Professor, University of Glasgow, Scotland, the UK who delivered her views about the emerging trends in Brand Management. A Panel Discussion on the current trends in Business Resilience in the VUCA World was moderated by Dr. Manpreet Kaur, Assistant Professor, GNA Business School. The panelists of the discussion were Dr. Parag Kalkar, Dean-Faculty of Commerce and Management, Savitribai Phule Pune University, Pune, Dr. Jyoti Rana, Dean Academic Affairs- Shri Vishwakarma Skill University, Gurugram, Dr. P. Malyadri, Senior Fellow ICSSR, and research advisor in Commerce and Management, Center for Economic and Social Studies. A brief overview of the conference was given by Mr. Gaurav K Mangar, Assistant Professor, GNA Business School, GNA University in which he elaborated about the whole conference. 90 research papers were received for publication out of which 75 were accepted for publication and presentation. The conference was divided into four technical sessions namely Human Resources, Marketing, Finance, General Management, and Economics. This was then followed by the commencement of the technical session which was adjudicated by the revered session chairs. There were in total 8 technical sessions which witnessed around 100 paper presentations from research scholars and academicians from most of the prestigious academic institutions across the country and from the international arena also. After the end of technical sessions, a Keynote Address was delivered by Dr. Weng Marc Lim, Professor, and Head of School, Swinburne University of Technology, Sarawak, Malaysia in which he talked about his views on challenger marketing and the current trends pertaining to this particular field. Another Keynote Address was delivered by Dr. Justin Paul, Professor, University of Puerto Rico, San Juan, PR, the USA in which he elaborated about the current trends in marketing in the VUCA World. During the Valedictory Session, the Best Paper Awards were announced by Mr. Ramandeep Singh, Assistant Professor, GNA Business School which was then followed by a Vote of Thanks by Dr. R.K. Mahajan, Registrar, GNA University in which he thanked everyone for being a part of the conference and to Dr.Sameer Varma, Dean- GNA Business School and his entire team of GNA Business School for their hard work and for organizing this conference in such a well-organized manner. The grand event of the International Conference ended on a splendid note.
सीबीएसई के परिणाम में देरी के कारण हिमाचल प्रदेश विवि को प्रोफेशनल डिग्री कोर्स में नए सत्र में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तारीख बार-बार बदलनी पड़ रही है। बीएएलएलबी कोर्स करवा रहे यूआईएलएस ने फिलहाल 31 अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन की तिथि बढ़ा दी है। यूआईटी संस्थान पहले ही पांचों बीटेक डिग्री कोर्सों में प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश के लिए आवेदन की तारीख तीन बार बदल चुका है। विवि के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज को भी तिथि बढ़ानी पड़ी है। यूआईटी के पांचों बीटेक कोर्सों की 350 सीटों के लिए एक हजार से अधिक आवेदन आ चुके हैं। संस्थान 15 से 17 अगस्त के बीच प्रवेश परीक्षा करवाने की तैयारी कर चुका है। विवि के यूआईएलएस के बीएएलएलबी कोर्स की 120 सीटों के लिए 450 से अधिक आवेदन आए हैं। इस कोर्स में 12वीं के अंकों के आधार पर मेरिट सूची बनेगी। संस्थान आवेदन की तारीख 31 जुलाई से 12 अगस्त तक बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। संस्थान के निदेशक प्रो. संजय ने कहा कि आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ाई जाएगी।
हिमाचल प्रदेश के शीतकालीन स्कूलों में अगस्त और ग्रीष्मकालीन स्कूलों में नवंबर में एफए-3 की परीक्षाएं होंगी। समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय ने पहली से आठवीं कक्षाओं के विद्यार्थियों की परीक्षाओं का शेड्यूल जारी कर दिया है। शीतकालीन स्कूलों में वार्षिक परीक्षा दिसंबर के दूसरे सप्ताह और ग्रीष्मकालीन स्कूलों में मार्च के दूसरे हफ्ते में होगी। रचनात्मक मूल्यांकन (एफए) वन और टू का आयोजन मार्च से जून के बीच हो चुका है। अब अगस्त के तीसरे सप्ताह में शीतकालीन स्कूलों और नवंबर के तीसरे सप्ताह में ग्रीष्मकालीन स्कूलों में एफए थ्री की परीक्षाएं होंगी। एफए फोर का आयोजन शीतकालीन स्कूलों में अक्तूबर के तीसरे सप्ताह और ग्रीष्मकालीन स्कूलों में जनवरी के पहले सप्ताह में होगा। गर्मियों के स्कूलों में सितंबर के तीसरे सप्ताह में यह परीक्षा होगी। एसए दो का आयोजन शीतकालीन स्कूलों में दिसंबर के दूसरे सप्ताह और ग्रीष्मकालीन स्कूलों में मार्च के दूसरे सप्ताह में होगा। एफए और एसए की परीक्षाओं के अंकों को जोड़कर पहली, दूसरी, चौथी, छठी और सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों का वार्षिक परिणाम तैयार किया जाएगा। इन कक्षाओं के विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट करने के लिए अंकों की बाध्यता नहीं रहेगी। उधर, तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को इस वर्ष परीक्षा परिणाम के आधार पर ही अगली कक्षा में भेजा जाएगा। सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधान को लागू करते हुए इन कक्षाओं के विद्यार्थियों की इस वर्ष से परीक्षाएं लेने का फैसला लिया है। इस फैसले के चलते ही दो अगस्त से पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूलों में शिक्षकों से परामर्श लेने के लिए बुलाया जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा (एचएएस) की परीक्षा अब 26 सितंबर को होगी। राज्य लोक सेवा आयोग की मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया है। इससे पहले एचएएस परीक्षा 12 सितंबर को होनी थी लेकिन नीट के चलते परीक्षा की तिथि में बदलाव किया गया। राज्य लोक सेवा आयोग के सचिव डीके रत्न ने बताया कि एचएएस परीक्षा अब 26 सितंबर को होगी। बिलासपुर, चंबा, कांगड़ा, धर्मशाला, पालमपुर, मंडी, शिमला, नाहन, सोलन, ऊना, हमीरपुर और सुंदरनगर में परीक्षा आयोजित की जाएगी। एचएएस की संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा 2020 के लिए करीब 35 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। आयोग की ओर से हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा, पुलिस प्रशासनिक सेवा सहित 18 पदों को भरा जाएगा। राज्य प्रशासनिक सेवा के 8 पद कार्मिक विभाग में भरे जाएंगे। खाद्य आपूर्ति विभाग में जिला नियंत्रक का एक पद, गृह विभाग में प्रदेश पुलिस सेवा के 4 पद, ग्रामीण विकास विभाग में खंड विकास अधिकारी के दो पद, राजस्व विभाग में तहसीलदार का एक पद और सहकारिता विभाग में असिस्टेंट रजिस्ट्रार के 2 पद भरे जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश विवि के यूआईटी संस्थान ने बी टेक कोर्स में सत्र 2021-22 में प्रवेश बीटेक आईटी, सीएसई, बी टेक ईई, ईसीई और सीई कोर्स में प्रवेश लेने के लिए आनलाइन आवेदन की तिथि को तीसरी बार फिर से बढ़ा दिया है । पहले आवेदन को 25 जुलाई अंतिम तिथि तय की गई थी, अब इसे बढ़ाकर पांच अगस्त कर दिया गया है।
हिमाचल प्रदेश में करीब चार महीने बाद आज से कोचिंग, ट्यूशन और प्रशिक्षण संस्थान खुलेंगे। कॉलेजों में 16 अगस्त से नया सत्र शुरू करने और 26 जुलाई से कॉलेजों में ऑनलाइन और ऑफलाइन दाखिले शुरू होंगे। कोचिंग, ट्यूशन और प्रशिक्षण संस्थानों में भी विद्यार्थी आ सकेंगे। प्रतियोगी परीक्षाओं को देखते हुए यह कदम उठाया है। दो अगस्त से दसवीं से 12वीं कक्षा तक कक्षाएं शुरू होंगी। सरकार के निर्देशों पर इन सभी संस्थानों में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बनाए गए मानक संचालन प्रक्रिया का सख्ती से पालन करना अनिवार्य है। आवासीय और आंशिक आवासीय स्कूलों को खोलने की भी मंजूरी दी। यह फैसला सरकारी के साथ निजी स्कूल-कॉलेज और कोचिंग संस्थानों पर भी लागू होगा। फेस मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है। थर्मल स्क्रीनिंग के बाद शिक्षकों-विद्यार्थियों को प्रवेश मिलेगा। संस्थानों का समय-समय पर सैनिटाइज करना जरूरी होगा।