मनीष ठाकुर। इंदौरा मिनर्वा कॉलेज आफ एजुकेशन इंदौरा चंगराडा में आज तृतीय सत्र के छात्रों ने प्रथम सत्र के छात्रों के विद्यार्थियों के लिए फ्रेशर पार्टी का आयोजन किया इस में सभी छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया। मिनर्वा कॉलेज के अध्यक्ष जे एस पटियाल बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। उन्होंने नए प्रशिक्षु अध्यापकों के मंगल भविष्य की शुभामनाओं के साथ स्वागत किया और मिनर्वा कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ प्रशांत शर्मा द्वारा भी विद्यार्थियों को आगे बढ़ने के लिए शुभकमनाएं दी और इस कार्यक्रम के दौरान मनीष को मिस्टर फ्रेशर और संकेतिका को मिस फ्रेशर चुना गया। वहीं, सचिन को मिस्टर टैलेंटेड और शिखु को मिस टैलेंटेड चुना गया। आजाद को मिस्टर हैंडसम और अनीता को मिस ब्यूटीफुल चूना गया और परफोरमेंस के लिए संदीप, परमेस और देश राज को भी मंच पर सम्मानित किया गया। इस उपलक्ष्य पर कॉलेज की प्रबंधक कमेटी की महासचिव कमलेश पटियाल भी उपस्थित रहीं और उन्होंने सभी विद्यार्थियों को अपना आशीर्वाद और आगे बढ़ने के लिए उत्साहित किया।
रंजीत सिंह। कुनिहार इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के अंतर्गत राजकीय उच्च विद्यालय खरड़ हट्टी की नौवीं कक्षा की छात्रा प्रियंका शर्मा ने विद्यालय व क्षेत्र का नाम रोशन किया है। यह जानकारी विद्यालय मुख्य अध्यापिका ममता गुप्ता ने दी। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत प्रियंका शर्मा को 10,000 प्रोत्साहन राशि सरकार द्वारा अपना प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए दी गई है। इससे विद्यालय व पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर है। ममता गुप्ता ने इस सफलता का श्रेय विज्ञान अध्यापक शशिकांत को दिया। जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से प्रियंका को इस मुकाम पर पहुंचाया। वहीं, विद्यालय अध्यापकों व एसएमसी अध्यक्ष व सदस्यों ने इस उपलब्धि के लिए छात्रा को बधाई दी। वहीं, प्रियंका गुप्ता से जब बात की गई, तो उन्होंने इस सब का श्रेय अपने माता-पिता व अध्यापकों को दिया।
मनाेज कुमार। कांगड़ा ग्राम पंचायत ठाकुरद्वारा द्वारा आज राजकीय उच्च विद्यालय ठाकुरद्वारा स्कूल के प्रांगण की सफाई करवाई। जिसमें पंचायत के प्रधान प्रकाश चंद, उपप्रधान प्रवीण कुमार, वार्ड पंच जोगिंदर सिंह, मुख्याध्यापक प्रवेश कुमार शर्मा और स्कूल का स्टाफ भी माैजूद रहा और स्कूल के आस-पास पड़ी गंदगी को भी साफ किया गया। बच्चों तथा आसपास के लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया।मुख्याध्यापक ने कहा ऐसे अभियान हम हमेशा ही चलाते रहते हैं, तो जो स्कूल में स्वच्छता का ध्यान रखा जा सके। साथ ही मुख्याध्यापक ने ग्राम पंचायत ठाकुरद्वारा का भी धन्यवाद किया, जो हमेशा ही समय-समय पर अपना सहयोग देती रहती है।
रंजीत सिंह । कुनिहार द एसवीएन स्कूल ने आज लीड स्कूल संगठन के साथ संयोजन किया। पिछले दो वर्षों से काेरोना काल के कारण शिक्षा स्तर में जो पिछड़ापन आया है, उस स्तर को ऊंचा उठाने के लिए एसवीएन स्कूल ने यह कदम उठाया। साथ ही भविष्य की कई प्रतियोगी परीक्षाओं में विद्यार्थी सफलता हासिल कर सके विद्यालय का यह भी प्रयास रहेगा। स्कूल चेयरमैन टीसी गर्ग ने बताया कि लीड स्कूल अकादमी संस्था से 3000 राष्ट्रीय व 500 अंतरराष्ट्रीय स्कूल जुड़े हैं। इस संस्था के माध्यम से विद्यार्थियों को नई तकनीकी शिक्षा प्रणाली से शिक्षित किया जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि लीड अभिभावक एप के द्वारा अभिभावक अपने बच्चों की शिक्षा संबंधी पूर्ण जानकारी हासिल कर सकते हैं। नई शिक्षा नीति के अनुसार पहली से आठवीं तक कोडिंग सिखाई जाएगी व स्कूल को 100 प्रतिशत स्मार्ट स्कूल बनाते हुए हर कक्षा में एक स्मार्ट एलईडी होगी। जिसके माध्यम से बच्चों को रचनात्मक व रुचि पूर्ण तरीके से शिक्षा दी जाएगी। अंग्रेजी को एक विषय की तरह न पढ़ाकर कौशल की तरह पढ़ाया जाएगा। इस संयोजन कार्यक्रम का स्वागत करते हुए स्कूल प्रबंधक लूपिन गर्ग ने कहा कि हम विद्यार्थियों का संपूर्ण विकास चाहते हैं। इसलिए बाल्यकाल से ही इस तरह की शिक्षा प्रणाली से रोजगार परक शिक्षा पाकर विद्यार्थी कॅरियर की ऊंचाई तक पहुंचेगा। इस अवसर पर स्कूल प्रधानाचार्य उमा यादव, स्कूल के सभी अध्यापकगण, अकादमी सदस्य निशांत जिंदल, हरविंदर सिंह, संजीव चौहान व विजय सैनी मौजूद थे।
प्रेम ठाकुर। धर्मपुर राजकीय महाविद्यालय धर्मपुर में पिछले काफी समय से प्रवक्ताओं के पद रिक्त चले हुए हैं, जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई में मुश्किल आ रही हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि यह पद साईंस विषय के हैं और अभी तक बच्चों के प्रेक्टिकल तक नहीं हुए हैं और न ही सही तरीके से पढ़ाई हुई है। परीक्षा सिर पर है और बच्चों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। एबीवीपी इकाई अध्यक्षा कुमारी स्मृति व इकाई सचिव अश्वनी सोठा सहित समस्त एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि तुंरत इन पदों पर नियुक्ति की जाए। इन्होंने कहा कि जब तक स्थाई नियुक्ति नहीं होती है, तब तक सरकाघाट कॉलेज से अस्थाई नियुक्ति पर प्रवक्ता भेजे जाएं, ताकि जो बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है, उससे निजात मिल जाए। इन्होंने बताया कि इसके बारे में जल्दी ही प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के जलशक्ति मंत्री ठाकुर महेंद्र सिंह से भी मिलकर यहां प्रवक्ताओं की नियुक्ति की मांग करेगा और साथ ही एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने एसडीएम के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व डायरेक्टर उच्च शिक्षा को भेजा है। वहीं, महाविद्यालय के प्राचार्य को भी ज्ञापन देकर तुंरत यहां प्रवक्ताओं की नियुक्ति की मांग की है। जब इस बारे में महाविद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य प्रो. रमेश शर्मा से बात की गई, तो उन्होंने बताया इसके बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया है और जल्दी ही यहां प्रवक्ताओं की नियुक्ति हो जाएगी।
रंजीत सिंह। कुनिहार बॉयज वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कुनीहार में विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक समिति अध्यक्ष रणजीत सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में सर्वसम्मति से विद्यालय की समस्याओं पर चर्चा हुई, जिसमें लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता अर्की को विद्यालय के खेल मैदान के बाकी बचे हुए कार्य को जल्द पूरा करके विद्यालय प्रशासन को सौंपने बारे प्रस्ताव डाला गया, ताकि कोरोना पाबंदियों के बाद 17 फरवरी से सभी कक्षाओं के लिए खुले स्कूलों में पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके। वहीं, विद्यालय के पुराने अनसेफ भवन को गिराने का काम चला हुआ है, जो जल्द ही पूरा हो जाएगा। इसकी जगह विज्ञान भवन बनाना प्रस्तावित है व बजट में इस भवन के लिए प्रावधान रखा गया है। विज्ञान भवन के जल्द निर्माण हेतु बजट राशि को देने के लिए विद्यालय प्रबंधन समिति जल्द प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिलेंगे, ताकि विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई सही ढंग से चल सके। इस तरह विद्यालय की अन्य समस्याओं बारे भी चर्चा की गई। बैठक में विद्यालय प्रधानाचार्य बीएस ठाकुर, हाटकोट पंचायत प्रधान जगदीश अत्री, कुनिहार पंचायत प्रधान राकेश ठाकुर, प्रतिभा कंवर, दुर्गानंद शास्त्री, एसएमसी उपाध्यक्ष देशलता, सलाहकार अकरेश शर्मा, गोपाल चंद, अनुराधा, दीक्षा, कांता, रमा, रीता, संजू, सुमन व बीना आदि उपस्थित रहे।
नवीन । बंजार बंजार शनिवार को राजकीय महाविद्यालय बंजार में रोज़गार मेला का आयोजन किया गया, जिसमें बंजार विधानसभा के विधायक सुरेंदर शोरी ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। कार्यक्रम के आरंभ में महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. नीरज कपूर ने परंपरानुसार मुख्यातिथि का कुल्लवी टोपी और पुष्पगुच्छ से स्वागत किया। तत्पश्चात महाविद्यालय की छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत करने के पश्चात प्राचार्य प्रोफ़ेसर नीरज कपूर ने मुख्यातिथि एवं उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए रोज़गार मेले की जानकारी देते हुए कार्यक्रम के सयोंजक प्रोफसर सुरेश कुमार को बधाई देते हुए जनवरी में सिरमौर जिले के पांवटा साहिब में प्रक्षिक्षण लेने गए विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी। उस के पश्चात टीपीएसडीएम के निदेशक अनिल शर्मा ने कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में अपने विचार सांझा किए। इस मेले में भाग लेने वाले विद्यार्थियों में हुताशन और श्यामा दुग्गल ने प्रक्षिक्षण के समय अपने अनुभव को सांझा किया। इस मौके पर मुख्यातिथि ने अपने संबोधन में कहा कि यह हम सब के लिए हर्ष का विषय है कि राजकीय महाविद्यालय बंजार की गिनती उत्कृष्ट महाविद्यालय में की जाती है। उन्होंने अपने आशीर्वचन में कहा कि बंजार घाटी में ऐसा कोई गांव नहीं है, जहां पर्यटक जाना नहीं चाहता, निकट भविष्य में इस घाटी में होम स्टे की अपार संभावनाएं हैं। इस लिए पयर्टन के क्षेत्र में युवाओं का भविष्य उज्ज्वल है। पयर्टन को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को बढ़-चढ़कर कर भाग लेना चाहिए। इसके लिए प्रदेश सरकार कई संस्थाओं के माध्यम से युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए प्रयासरत है। मुख्यातिथि ने विद्यार्थियों से कहा कि जीवन में लक्ष्य निर्धारित कर के दृढ़ संकल्प और समर्पण भाव से परिश्रम करो, तो निश्चित रूप से सभी को परिश्रम का फल अवश्य मिलेगा। अपने संबेधन के अंत में मुख्यातिथि ने सभी अतिथियों एवं विद्यार्थियों को फागली की शुभकामना दी। इस कार्यक्रम में मुख्यातिथि ने प्रशिक्षण में भाग लेने गए विद्यार्थियों में देवेंद्र वर्मा और श्यामा देवी को सर्वश्रेष्ठ स्वयं सेवी और रविठाकुर और चन्द्रकान्ता को सर्वक्षेष्ठ प्रशिक्षु से सम्मानित किया गया तथा सभी प्रशिक्षार्थियों को प्रमाण पत्र दे कर सम्मानित किया गया। तत्पश्चात कैरियर कॉउन्सिल के संयोजक प्रो. सुरेश कुमार ने मुख्यातिथि सुरेंदर शोरी विधायक बंजार विधानसभा क्षेत्र के अनिल शर्मा एवं उपस्थित समस्त अतिथियों के प्रति धन्यवाद किया। इस शुभावसर पर आशा शर्मा, नगर पंचायत अध्यक्ष धर्मेंद्र नेगी, चिराग ठाकुर व कपिल शर्मा आदि उपस्थित रहे। डॉ रेणुका थपलियाल प्रो. भूगोल विभाग ने सफल मंच संचालन किया। अंत में राष्ट्र गान से कायक्रम का समापन हुआ।
फर्स्ट वर्डिक्ट। मंडी धर्मपुर उपमंडल के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला धर्मपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना का एक दिवसीय शिविर का शुभारंभ प्रधानाचार्य सुरेंद्र ठाकुर की अध्यक्षता में किया गया। राष्ट्रीय सेवा योजना के प्रभारी जय पाल भरमौरिया व रजनी ठाकुर ने बताया कि एक दिवसीय शिविर में लगभाग 30 स्वयंसेवी ने भाग लिया। शिविर में पाठशाला के चारों तरफ सफाई और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता अभियान किया गया व स्वयंसेवकों को अच्छे अनुशासन में रहने व समाज में अच्छी पहचान बनाने का आह्वान किया और स्कूल के प्रधानाचार्य ने बच्चों को अपना आशीर्वाद देते हुए उनसे समाज के सभी कार्यों में अपना सहयोग देने की अपील की और पर्यावरण सरंक्षण के बारे में भी स्वयंसेवियों को अवगत करवाया।
विनायक ठाकुर। देहरा सरस्वती वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मे शिक्षा ग्रहण करने बाले डाडासिबा के गांव गुरनवाड से शिक्षिका पुष्पा देवी पत्नी सुदर्शन कुमार के घर जन्मे शिवम कौशल ने साबित कर दिया कि भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए मंजिल चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों न हो बस हौसला बुलंद होना चाहिए रास्ता खुद व खुद कदम चूमता है। जी हां बचपन से ही एमबीबीएस डॉक्टर बनने का सपना देख रहे गरली केे गांव गुरनबाड के शिवम कौशल ने सपना साकार कर दिखाया है। पहली कक्षा से दसवीं तक सरस्वती वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गरली में शिक्षा ग्रहण करने वाले शिवम कौशल ने नीट की परीक्षा मे 720में से 534 अंक यानी हिमाचल प्रदेश भर मे 267वां रेंक हासिल कर हमीरपुर के नामी डाकटर राधाकृष्ण मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के लिए चायन हुआ है, जो कि क्षेत्र व माता-पिता के लिए बडे़ गर्व की बात है। शिवम कौशल की माता पुष्पा देवी गरली राजकीय बाल वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मे लैक्चार व पिता सुदर्शन कुमार सरस्वती वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गरली मे बतौर उप-प्रधानाचार्य अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं, शिवम कौशल ने अपनी शानदार सफलता के लिए स्कूल प्रधानाचार्य ललित शर्मा व अपने माता-पिता को दिया है। होनहार शिवम कौशल आगे चल कर हार्ट विशेषज्ञ डॉक्टर बनकर हिमाचल भर के लोगों की रात दिन सेवा करना चाहता है।
फर्स्ट वर्डिक्ट। दाड़लाघाट सरकार के आदेशों के बाद आज 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं शुरू हो गई है। इसी कड़ी में आज राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धुंदन में प्रधानाचार्य सरताज सिंह राठौर की अध्यक्षता में प्रातः कालीन सभा का आयोजन किया गया। प्रधानाचार्य सरताज सिंह राठौर ने सभी बच्चों व स्टाफ के सदस्यों से सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा। उन्होंने कहा कि सभी मास्क पहने व उचित दूरी बनाए रखे। इस अवसर पर वरिष्ठ प्रवक्ता नरेंद्र कपिला, राकेश कुमार, धनी राम, अमर सिंह वर्मा, नरेंद्र लाल, विनोद कुमार, नरेंद्र कुमार, धर्मदत्त, सुमन, अनिता कौंडल, प्रवीण कुमार, वीना, मुकेश कुमार, रेखा, विजय कुमार, जागृति, रेणुका, नीलम शुक्ला, सुषमा, किरण बाला, नीलम ठाकुर, मंजू, जितेंद्र चंदेल, रजनीश गर्ग व अन्य स्टाफ उपस्थित रहा।
रनजीत सिंह । कुनिहार एसवीएन विद्यालय कुनिहार के छात्र मुकुल पाल ने विद्यालय की नींव में एक और स्वर्ण पत्थर जोड़ इसे और मजबूत बना दिया है। मुकुल पाल पुत्र जगमोहन सिंह पाल गांव डूमैहर, जिसका चयन एमबीबीएस के तहत लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज मंडी में हुआ है। मुकुल एसवीएन विद्यालय का नर्सरी से प्लस टू तक का विद्यार्थी रहा है, जिसने हर बार अपनी काबिलियत से अध्यापकों व अपने अभिभावकों का सिर ऊंचा किया है। ये पहले भी दो बार मेरिट स्कॉलरशिप प्राप्त कर चुके हैं और इस बार एमबीबीएस में प्रवेश पाकर एक बार फिर इन्होंने अपनी काबिलियत को साबित किया। बातचीत में मुकुल ने बताया कि वह डॉक्टर बन अपने माता-पिता के सपने को पूरा करना चाहते हैं। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय एसवीएन स्कूल के सभी अध्यापकों को दिया, जिन्होंने हर विषय में विस्तृत रूप से ज्ञान प्रदान कर हमेशा उनका मार्गदर्शन किया और अपने माता-पिता को धन्यवाद दिया, जिनके शुभ-आशीर्वाद से वो आज इस सफलता को प्राप्त कर पाए हैं। उनकी इस सफलता से पुरे एसवीएन स्कूल में खुशी की लहर है। विद्यालय प्रधानाचार्य टीसी गर्ग ने मुकुल पाल को उनकी इस सफलता पर शुभकामनाएं देते हुए आगे भी इसी तरह सफलता की सीढ़ीयों पर आगे बढ़ने का आशीर्वाद दिया। साथ ही विद्यालय के अन्य विद्याार्थियों को संदेश दिया कि उन्हें भी मुकुल पाल जैसा दृढ़- निश्चयी और महत्वाकांक्षावान होना चाहिए।
नितिन भारद्वाज। राजगढ़ उपमंडल राजगढ़ के राहुल तोमर और पल्लवी मेहता का चयन एमबीबीएस के लिए हुआ है। सरकारी स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने वाले दोनों ने नीट परीक्षा पास कर राजगढ़ क्षेत्र का नाम रोशन किया है। राहुल तोमर राजगढ़ की सैर जगास पंचायत के पबियाना गांव से है और वह पीजीआई में निदेशक के पद से सेवानिवृत्त पदम श्री डॉ जगत राम के भतीजे है और उनके पिता किसान है। राहुल तोमर ने बताया कि विरासत को आगे बढ़ाने का निर्णय उन्होंने दसवीं कक्षा में ही ले लिया था। जब भी वह अपने ताया डॉ जगत राम को लोगों की सेवा करते देखते थे, तो उसी वक्त मन में ठान लिया था की आगे चल कर वह भी डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करेंगे और अंत में सफल भी हो गए। राहुल तोमर का चयन मेडिकल कॉलेज नाहन के लिए हुआ है। वहीं, राजगढ़ की कोटि पधोग पंचायत के ग्राम कुफर की पल्लवी मेहता भी चिकित्सक बनकर क्षेत्र का नाम रोशन करेगी। पल्लवी ने भी अपनी शिक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय राजगढ़ से ग्रहण की है। पल्लवी स्वतंत्रता सेनानी तुलसीराम की पढ़पोती है। उनके पिता नरेंद्र मेहता किसान व माता शकुंतला मेहता गृहणी है। पल्व्वी ने दो वर्ष कोचिंग ली और तीसरे प्रयत्न में नीट की परीक्षा उतीर्ण की। उन्होंने कहा जो बच्चे नीट की तैयारी कर रहे हैं, वे मेहनत के साथ सयंम भी रखे और हतोत्साहित न हो। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष थोड़ी सी कमी रह गयी थी, लेकिन मेहनत और सयंम के साथ उन्होंने इस वर्ष यह परीक्षा उतीर्ण की। पल्लवी ने कहा कि यह सफलता उनके लक्ष्य की और पहला कदम है। उन्होंने इस सफलता में योगदान देने वाले सभी का आभार प्रकट किया। सरकारी स्कूल में पड़े दोनों बच्चों की सफलता से यह सिद्द हो गया कि यदी सही दिशा में मेहनत की जाए, तो स्कूल मायने नही रखता और कोइ भी लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।
क्रान्ति सूद। जोगिंद्रनगर राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कन्या की छात्रा पल्लवी का चयन इंजिनियरिंग के लिए हुआ है। पल्लवी एनआईटी हमीरपुर से अपनी पढ़ाई पूरी करेंगी। पल्लवी के पिता चन्द्रमणी विज्ञान स्नातक पद पर करसोग में तैनात हैं। वहीं, उनकी माता नित्रा ठाकुर पाठशाला गृहणी हैं। पाठशाला प्रधानाचार्य डा. सुनील ठाकुर ने पल्लवी, उसके माता-पिता एवं उसे पढ़ाने वाले सभी अध्यापको, प्राध्यापकों को मुबारिकबाद दी है। एसएमसी प्रधान सुनील कुमार ने की इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त किया व पल्लवी एवं स्कूल के सदस्यों को बधाई दी व पल्लवी के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।
फर्स्ट वर्डिक्ट। धर्मशाला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अपने स्थापना काल 1949 से ही समाज हित व राष्ट्रहित के साथ-साथ छात्र हित की मांगों को लेकर हमेशा अग्रसर रहता है। हाल ही में केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश की वेबसाइट पर 27 जनवरी, 2022 से ऑनलाइन कक्षाओं के लिए एक सूचना जारी की गई थी, जिसमें यह भी बताया गया था कि वर्तमान सत्र की परीक्षाएं कोविड के कारण परिस्थितियां अनुकूल होने पर करवाई जाएंगी। विश्वविद्यालय में छात्रों के 19 विभाग प्रतिनिधि हैं, इस विचार पर उनसे भी परामर्श लिया जा सकता था, परंतु प्रशासन द्वारा किसी भी प्रतिनिधि से इस बारे में कोई भी बात नहीं हुई थी तथा विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों का मानना था की यदि अगले सत्र की पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी, तो छात्र अपने वर्तमान सत्र की पढ़ाई और आने वाले सत्र की पढ़ाई में उलझा रह जाएगा। छात्र दोनों ही सत्रों के लिए खुद को तैयार नहीं कर पाएगा। इसीलिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने छात्र हितों की बात करते हुए चार दिन पहले केंद्रीय विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक के माध्यम से कुलपति को एक ज्ञापन सौंपा गया था, जिसमें इस मांग को प्रमुखता से उठाया गया था कि पहले वर्तमान सत्र की परीक्षाओं को पूर्ण किया जाए तथा उसके बाद ही अगला सत्र शुरू किया जाए, ताकि छात्रों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। अतः आज विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्र हित को ध्यान में रखते हुए यह सूचना जारी की गई है कि 14 फरवरी से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कोविड नियमों का ध्यान रखते हुए ऑफलाइन माध्यम से परीक्षाएं करवाई जाएंगी।
हिमाचल प्रदेश में नई शिक्षा नीति में पाठ्यक्रमों में कई तरह के बदलाव देखने को मिले हैं। स्कूलों में टर्म प्रणाली शुरू हुई है। वहीं 2023 तक एससीआरटी चार पैटर्न में पाठ्यक्रम को तैयार कर रहा है। यह चार पैटर्न प्री प्राइमरी जिसमें प्री-कक्षाएं शामिल होंगी। हिमाचल प्रदेश में नई शिक्षा नीति के तहत प्रौढ़ शिक्षा को शामिल किया जाएगा। इसके लिए अलग से पाठ्यक्रम बनेगा। चार पैटर्न में बनाए जा रहे इस पाठ्यक्रम को वर्ष 2023 तक तैयार किया जाएगा। इसके लिए एससीआरटी काम कर रही है। वहीं स्कूल एजूकेशन में पहली से 12वीं तक की कक्षाओं को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा टीचर एजूकेशन, जिसमें अध्यापकों को ट्रेनिंग करवाने से संबंधित कार्य होगा, जबकि चौथा पैटर्न अडल्ट शिक्षा पाठ्यक्रम होगा। एससीआरटी वर्ष 2023 तक पाठ्यक्रम तैयार कर देगी। प्रौढ़ शिक्षा का पाठ्यक्रम तैयार कर इस पंचायत स्तर पर शुरू किया जाएगा। इस दौरान उन लोगों शामिल किया जाएगा, जोकि अक्षर ज्ञान से पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं। ऐसे लोगों को शिक्षित करने के लिए प्रौढ़ पाठ्यक्रम को तैयार कर उन्हें शिक्षित किया जाएगा। इस दौरान स्कूल के अध्यापकों सहित पंचायत प्रतिनिधि भी अपनी अहम भूमिका निभाएंगे।
शीतकालीन स्कूलों में तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं दिसंबर में होंगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पहले प्रावधान को प्रदेश में इसी सत्र से हिमाचल प्रदेश सरकार लागू करने जा रही है। इन कक्षाओं के प्रश्नपत्र स्कूल शिक्षा बोर्ड तैयार करेगा। उत्तर पुस्तिकाओं की जांच क्लस्टर, ब्लाक और जिला स्तर पर होगी। ग्रीष्मकालीन स्कूलों में मार्च में इन कक्षाओं की बोर्ड आधारित परीक्षाएं होंगी। प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का नया प्रावधान लागू होते ही तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों पर अधिक फोकस किया जा रहा है। अब इन कक्षाओं में भी विद्यार्थियों को अंकों के आधार पर अगली कक्षाओं में भेजा जाएगा। कम अंक लाने पर विद्यार्थी फेल भी होंगे। जुलाई 2021 में हुई कैबिनेट बैठक में तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों की भी परीक्षाएं लेने का फैसला लिया गया था।
हिमाचल प्रदेश में करीब दो साल बाद सोमवार से पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों के लिए भी स्कूल खुल गए हैं। सोमवार को पहले दिन स्कूल पहुंचे बच्चों का शिक्षकों ने कहीं तिलक लगाकर स्वागत किया तो कहीं टॉफियां भी बांटी गईं। पहली के बच्चों ने पहली बार तो दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों ने करीब पौने दो वर्ष बाद स्कूल परिसर में प्रवेश किया। वंही प्रदेश में पहले दिन पहली और दूसरी कक्षा के 65 फीसदी बच्चे स्कूलों में पहुंचे। सोमवार को पहली से पांचवीं कक्षा में 68.90 फीसदी, छठी से आठवीं कक्षा में 70.95 फीसदी और नौवीं से बारहवीं कक्षा में 66.0 फीसदी विद्यार्थियों ने हाजिरी दर्ज करवाई। सभी स्कूलों में कोरोना प्रोटोकाल का सख्ती से में पालन करवाया गया। उधर, निजी स्कूलों में प्राइमरी कक्षाओं में अपेक्षाकृत बच्चे कम आए।
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा 10वीं और 12वीं के छात्र-छात्राओं के लिए अंतिम बोर्ड परीक्षा से पहले फर्स्ट टर्म एग्जाम की शुरुआत की जा रही है। इस परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र भी जारी होने लगे हैं। कोरोना महामारी के कारण परीक्षा की प्रक्रिया में हुए इस परिवर्तन के बाद सीबीएससी स्टूडेंट्स को एक और सुविधा भी दी जाएगी। प्रथम चरण की इस परीक्षा के लिए बोर्ड की ओर से 5 जुलाई को एक सर्कुलर जारी किया गया था जिसमें इस बात की जानकारी पहले ही साझा की जा चुकी है। बोर्ड एग्जाम की फर्स्ट टर्म परीक्षा के लिए 18 अक्टूबर को डेटशीट बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए स्टूडेंट्स CBSE की आधिकारिक वेबसाइट पर विज़िट कर सकते हैं। बोर्ड छात्रों को उपलब्ध कराई जाने वाली आन्सर बुकलेट में उत्तर देने के लिए 4 विकल्प तो होंगे ही, इसके अलावा प्रत्येक 4 वैकल्पिक उत्तरों के बाद प्रत्येक प्रश्न के सामने एक वृत्त और एक बॉक्स भी मौजूद होगा जहां बॉक्स का प्रयोग दिए गए आन्सर को बदलने के लिए किया जाएगा, वहीं पांचवें वृत का प्रयोग छात्रों द्वारा इस बात की पुष्टि करने के लिए करना होगा कि स्टूडेंट्स को इस प्रश्न का उत्तर नहीं आता है। इसलिए इस नॉट अटेंप्टेड वृत को भरना होगा। ऐसा न करने पर उस सवाल को अमान्य घोषित कर दिया जाएगा। बता दें कि परीक्षा से पहले स्कूल छात्रों को इस सैंपल शीट को भरने व जवाब देने का अभ्यास कराएंगे। इसके लिए बोर्ड द्वार सभी स्कूल प्रशासन को पहले ही अवगत कराया जा चुका है। वंही यह परीक्षा 90 मिनट की होगी, परीक्षा वस्तुनिष्ठ प्रकार की होगी, एग्जाम के दौरान कोविड नियमों का पालन करना होगा तथा यह एग्जाम केवल क्वालिफ़ाइंग नेचर का होगा, इसके लिए कोई अतिरिक्त रिजल्ट जारी नहीं किया जाएगा।
धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश के महाविद्यालयों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स अब एनसीसी को एक विषय के रूप में ले सकेंगे। नई शिक्षा नीति के मुताबिक चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के तहत आने वाले समय में सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में स्नातक स्तर के स्टूडेंट्स को एनसीसी इलेक्टिव विषय के रूप में पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। धर्मशाला महाविद्यालय की ओर से आयोजित एनसीसी कैंप में ऑफिसरकमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल भूपेंद्र सिंह खनका ने बताए कि अब विद्यार्थी एनसीसी विषय भी पड़ेंगे। उन्होंने बताया कि विश्व के युवाओं का सबसे बड़ा यूनिफॉर्म संगठन है। उन्होंने बताया कि एनसीसी को इलेक्टिव सब्जेक्ट के रूप में चुने जाने के लिए यूजीसी के दिशा निर्देशों के अनुसार 6 सेमेस्टर और 24 क्रेडिट पॉइंट में बांटा गया है। विद्यार्थियों को पूरे कोर्स में 24 क्रेडिट प्वाइंट भी मिलेंगे। इससे कैडेट को बी और सी सर्टिफिकेट व सेना में भर्ती के लिए होने वाली परीक्षाओं में भी लाभ होगा। वर्तमान में प्रदेश में कुरुक्षेत्र स्थित गुरुकुल और एनआईआईटी में ही एनसीसी को वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है। अब इस व्यवस्था को सभी कॉलेजों में लागू किया जाएगा। प्रदेश में 10 सरकारी और 24 निजी विश्वविद्यालय हैं। इसके अलावा 267 राजकीय और एडेड महाविद्यालय हैं, जहां के विद्यार्थियों को इस नई व्यवस्था का लाभ मिलेगा। वर्तमान में एनसीसी कैडेट्स बी और सी सर्टिफिकेट के लिए होने वाली गतिविधियां व बटालियन के शिविर ही लगा पाते हैं। लेकिन एनसीसी के विषय के रूप में आने के बाद इसका सेमेस्टर के हिसाब से पाठ्यक्रम बनेगा। जिसके अनुसार नियमित कक्षाएं भी लगेंगी। वर्तमान में मैप रीडिंग भी बोर्ड आदि पर होती हैं। भविष्य में सेना की तरह आधुनिक संसाधनों पर विद्यार्थियों को ज्ञान मिलेगा। मैप रीडिंग भी जीपीएस सिस्टम के माध्यम से करवाई जाएगी। युद्ध कौशल, फायरिंग और हथियार चलाने का भी प्रशिक्षण मिलेगा।
हिमाचल प्रदेश में करीब दो साल प्रदेश के स्कूलों में कल वापिस रौनक लौटी है। स्कूलों में करीब 21 माह बाद बुधवार को तीसरी से सातवीं कक्षा के विद्यार्थी स्कूलों में पहुंचे। बुधवार को स्कूलों में तीसरी से पांचवीं कक्षा तक 50 फीसदी और छठी से 12वीं कक्षा तक 61 फीसदी विद्यार्थियों ने उपस्थिति दर्ज करवाई। बुधवार को कहीं तिलक लगाकर तो कहीं फूल बरसा कर विद्यार्थियों का स्कूलों में स्वागत किया गया। सभी सरकारी स्कूलों में थर्मल स्क्रीनिंग से स्कूल गेट पर तापमान जांचा गया। फेस मास्क पहनने वालों को ही परिसर में प्रवेश दिया गया। बता दें कि 15 नवंबर से पहली और दूसरी कक्षा के विद्यार्थी भी स्कूल आए।
हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में 2 साल बाद आज से फिर रौनक लौटेगी। बीती कैबिनेट की बैठक में हुए फैसले के अनुसार आज यानि बुधवार से तीसरी से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की स्कूलों में नियमित कक्षाएं लगेंगी। इसके लिए प्रदेश के सभी स्कूलों के लिए गाइडलाइन भी जारी की गयी है। जिन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या अधिक है, उन स्कूलों में एक दिन छोड़कर या सुबह-शाम के सत्र में कक्षाएं लगेंगी। माइक्रो प्लान के आधार पर कक्षाओं में विद्यार्थी बैठाए जाएंगे। स्कूल गेट पर विद्यार्थियों व शिक्षकों का थर्मल स्क्रीनिंग से तापमान जांचा जाएगा। अगर किसी विद्यार्थी या शिक्षक-गैर शिक्षक में बुखार के लक्षण मिले तो गेट से ही उन्हें वापिस घर भेज दिया जाएगा। स्कूलों में सभी के लिए फेस मास्क पहनना अनिवार्य रहेगा। वंही स्कूलों में लंच ब्रेक का समय अलग-अलग रहेगा। स्कूल आने और जाने के समय में भी कक्षावार पांच से दस मिनट का अंतर होगा। प्रार्थना सभा और खेलकूद सहित एकत्र होने वाली सभी गतिविधियां बंद रहेंगी। सरकारी स्कूलों में नियमित कक्षाएं शुरू होने के बावजूद हर घर पाठशाला कार्यक्रम के तहत ऑनलाइन शिक्षण सामग्री भेजने की प्रक्रिया भी आगामी आदेशों तक जारी रहेगी। यदि स्कूल में कोई संक्रमित विद्यार्थी पाया जाता है तो 48 घंटे तक स्कूल बंद रखा जाएगा।
सीबीएसई बोर्ड के विद्यार्थियों के लिए जरूरी खबर है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कक्षा दसवीं, बारहवीं के टर्म-1 परीक्षाओं के लिए एडमिट कार्ड को जारी कर दिया है। जो भी उम्मीदवार इस परीक्षा में शामिल हो रहे हैं, वह बोर्ड के आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in पर जाकर अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने दसवीं और बारहवीं की टर्म-1 परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को बड़ी राहत दी है। बोर्ड विद्यार्थियों को उसी शहर में परीक्षा केंद्र की सुविधा देने जा रहा है, जिस शहर में वे परीक्षा के दौरान मौजूद रहेंगे। इसके लिए विद्यार्थियों को अपने स्कूल से संपर्क करना होगा। इसके बाद स्कूल की ओर से बोर्ड को सूचित किया जाएगा। सीबीएसई परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने कहा कि बोर्ड के संज्ञान में आया है कि काफी बच्चे अपने स्कूल वाले शहर में नहीं हैं। ऐसे में बोर्ड परीक्षा सेंटर बदलने का विकल्प दिया जा रहा है। यह घोषणा समय से पहले की जा रही है ताकि छात्रों को समय पर जानकारी मिल सके। बोर्ड का स्कूलों व छात्रों से अनुरोध है कि वह निरंतर सीबीएसई की वेबसाइट के संपर्क में रहें। जैसे ही छात्रों को सेंटर विकल्प बदलने के संबंध में सूचित किया जाएगा, वैसे ही उन्हें स्कूलों से तय समय-सारिणी के भीतर अनुरोध करना होगा। यह समय सारिणी जल्द ही घोषित की जाएगी और यह कम अवधि की होगी। बोर्ड ने स्पष्ट कर दिया है कि परीक्षा केंद्र का शहर बदलने के अनुरोध को तय शेड्यूल के बाद स्वीकार नहीं किया जाएगा। सीबीएसई दसवीं की परीक्षाएं 30 नवंबर से 11 दिसंबर और 12वीं की परीक्षाएं 1 से 22 दिसंबर तक होनी हैं। सीबीएसई द्वारा इस तरह के फैसले से विद्यार्थियों को राहत की उम्मीद मिलने की उम्मीद है।
पिछले सप्ताह स्कूल शिक्षा बोर्ड की वर्चुअल बैठक में हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ द्वारा टर्म परीक्षाओं को लेकर सुझाव दिए गए थे। जिसमें से बहुत से सुझावों को बोर्ड की ऑफलाइन बैठक में मान लिया गया है। स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन सुरेश सोनी की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में शिक्षक महासंघ के प्रांत अध्यक्ष पवन कुमार, जिला कांगड़ा के अध्यक्ष जोगिंदर शर्मा और मंडी विभाग के प्रमुख शशि शर्मा ने भाग लिया। सुंदरनगर में जारी प्रेस बयान के माध्यम से जानकारी देते हुए प्रदेश मीडिया प्रभारी दर्शन लाल ने बताया कि महासंघ द्वारा शीतकालीन अवकाश को देखते हुए फर्स्ट टर्म की परीक्षाओं को 5 दिसंबर से पहले संपन्न करवाने की बात कही गई थी। बैठक में इस संबंध में बोर्ड द्वारा फर्स्ट टर्म की परीक्षाओं को नवंबर से शुरू करके 5 दिसंबर तक समाप्त करने का निर्णय लिया है। इसके साथ शीतकालीन अवकाश के बाद सेकंड टर्म की परीक्षाओं के लिए बच्चों को तैयारी के लिए कम समय मिल रहा था। जिसे लेकर महासंघ द्वारा सेकंड टर्म की परीक्षाओं को 15 अप्रैल के बाद करवाने बारे अपनी सहमति प्रदान कर दी है। इसके साथ बैठक में फर्स्ट टाइम की परीक्षाओं का मूल्यांकन स्थानीय स्कूल स्तर पर करने का निर्णय लिया गया है। पांचवी से आठवीं कक्षा तक की पंजीकरण शुल्क माफ करने के साथ 9वी से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों की फर्स्ट और सेकंड टर्म बोर्ड परीक्षा शुल्क में ₹100 की रियायत प्रदान किए जाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। शिक्षक महासंघ के पदाधिकारियों ने इस संबंध में सरकार और बोर्ड का धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बोर्ड द्वारा कोविड-19 के चलते उत्पन्न हुई परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सभी निर्णय विद्यार्थियों और अध्यापकों के हित में लिए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश में 11 अक्तूबर से आठवीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों की रोजाना कक्षाएं लगाने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अभी नौवीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को स्कूल बुलाया जा रहा था। इसमें हफ्ते के पहले तीन दिन दसवीं और 12वीं की कक्षाएं और अगले तीन दिन नॉन बोर्ड नौवीं तथा ग्यारहवीं की कक्षाएं लगाई जा रही थीं। उधर, स्कूलों में नियमित कक्षाएं शुरू करने की तैयारियों के बीच निदेशालय ने कोविड ड्यूटी में नियुक्त शिक्षकों को रिलीव करने की मांग की है। शिक्षा निदेशालय ने इस बाबत जिला उपायुक्तों और सीएमओ को पत्र भेजे हैं।
हिमाचल में शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में सेफ्टी ऑडिट के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं। इसमें विद्यार्थियों, शिक्षकों व वर्कर्स के लिए सुरक्षा प्रदान की जाएगी। बताया जा रहा हैं कि यह ऑडिट 2 तरह का होगा। पहला नॉन स्टक्चर, दूसरा स्टक्चर नॉन स्टक्चर में देखा जाएगा कि जो पेड़ लगे है वह कितने पुराने हैं, कहीं गिरने की कगार में तो नहीं है, स्कूल में ऐसा स्थान तो नहीं जो अप्रिय घटना को न्योता दे रहा है एवं, फेंसिग ठीक से है की नहीं। स्ट्रक्चर में प्राकृतिक आपदा से सावधान रहने के लिए ध्यान दिया जाएगा कि भवन की हालत ठीक है की नहीं या उसे पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है की नहीं। भवन की नीव कितनी गहरी है, छत की लकड़ी पुरानी तो नहीं हुई है। जिला उपनिदेशकों ने स्कूलों को निर्देश जारी किये हैं कि वह राज्य लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों से संपर्क साधकर यह ऑडिट करवाएं। आडिट करवाने के बाद स्कूल सेफ्टी का सर्टिफिकेट भी उक्त अधिकारी से लें।
निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग के पास कुछ निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में पैसा लेकर नकल करवाने और विद्यार्थियों से निजी काम करवाने की शिकायतें पहुंचीं हैं। प्रदेश के 451 निजी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की मंगलवार से जांच होगी। इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए आयोग ने प्रदेश के सभी निजी शिक्षण संस्थानों में दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता को जांचने का फैसला लिया है। आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने एक्ट में मिले अधिकारों का प्रयोग करते हुए जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। शिकायतकर्ताओं ने संस्थानों के नाम और पते सहित कई अन्य तथ्य भी आयोग के समक्ष पेश किए हैं। मंगलवार से आयोग की जांच कमेटी निजी संस्थानों का दौरा करेगी। इन संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार चल रहे कोर्सों को जांचा जाएगा। किस कोर्स में कितने विद्यार्थी दाखिल हैं, शिक्षकों की योग्यता क्या है। कोर्स सरकार से मंजूर हैं या नहीं। कितने संस्थानों को नैक से मान्यता मिली है। राष्ट्रीय रैकिंग में संस्थानों की स्थिति कैसी है। ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जा रही है। संस्थानों के आधारभूत ढांचे को भी जांचा जाएगा। जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद आयोग के अध्यक्ष सरकार और राज्य विश्वविद्यालय व तकनीकी विश्वविद्यालय को अपनी रिपोर्ट देंगे। डिग्री कॉलेजों सहित बीएड कॉलेजों, तकनीकी कॉलेजों, मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों, फार्मेसी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का निरीक्षण किया जाएगा।
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान चेयरमैन सचिन जस्वाल एवं उनकी समस्त कार्यकारिणी ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि इस वर्ष प्रदेश सरकार एवं शिक्षा विभाग और शिक्षा बोर्ड ने नौवीं से 12वीं कक्षा के परीक्षा शेड्यूल में बदलाव कर उन्हें 2 टर्म में करने का जो निर्णय लिया है, जिसमें पहले टर्म की परीक्षाएं नवंबर माह में 50% सिलेबस के आधार पर करवाने तथा दूसरे टर्म की परीक्षा मार्च में बाकी बचे 50% सिलेबस के आधार पर करवाने का जो निर्णय आनन-फानन में लिया है। उससे संघ आहत है और संघ का कहना है कि इस तरह के नीतिगत निर्णय लेने से पहले शिक्षा विभाग एवं शिक्षा बोर्ड को अभिभावकों एवं शिक्षक संगठनों तथा शिक्षाविदों से सलाह मशवरा करना चाहिए था क्योंकि यह निर्णय कोविड की परिस्थितियों के मध्यनज़र छात्रों एवं शिक्षकों के हित में तो बिल्कुल भी सही नहीं है, यदि परीक्षाओं को दो टर्म में बांटना है तो दोनों टर्म को बराबर समय अवधि के आधार पर ही बांटना उचित है। यह कहां तक सार्थक है कि यदि एक टर्म के लिए आप 8 महीनों का समय देते हैं तो दूसरी टीम के लिए 4 महीने का समय निर्धारित किया गया है, जबकि सिलेबस दोनों टर्म में आधा-आधा आना है l विशेषकर शीतकालीन स्कूलों के बारे में अगर विचार किया जाए l
हिमाचल प्रदेश में कॉलेजों की स्थिति क्या है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की 132 सरकारी कॉलेजों में से कम से कम 67 में कोई प्रधानाचार्य नहीं है। कारण: विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) पिछले कुछ वर्षों में शिक्षकों की प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति हेतु एक भी बैठक आयोजित करने में विफल रही है। कई पात्र शिक्षक बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त भी हो गए हैं, परन्तु अब तक बैठक नहीं हुई। इन कॉलेजों में उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा कॉलेजों के कुछ वरिष्ठ शिक्षकों को केवल स्वयं और साथी सहयोगियों के मासिक वेतन को निकालने और वितरित करने के लिए डीडीओ की शक्तियां प्रदान की गई हैं। डीडीओ के रूप में एक वरिष्ठ सहयोगी को ही अपने साथी सहयोगियों के कामकाज को नियंत्रित करना पड़ रहा है। नियमित प्रधानचार्य न होने से कॉलेज स्तर पर उच्च शिक्षा की गुणवत्ता दांव पर है। राज्य के इतिहास में पहली बार कॉलेज स्तर पर ऐसी स्थिति पैदा हुई है। हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों में नियुक्त शिक्षकों और छात्रों का कहना है कि हिमाचल के इन कॉलेजों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया है। शिक्षकों का कहना है कि सरकार प्राचार्यों (कॉलेज कैडर) के लिए जुलाई, 2018 से एक भी डीपीसी की बैठक बुलाने में विफल रही है। यहां तक कि कई योग्य शिक्षक अपने पदोन्नति प्राप्त किए बिना ही सेवानिवृत्त हो गए हैं और पहले से पद पर आसीन प्रधानाचार्य भी हर महीने सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग में कॉलेज स्तर पर प्रधानाचार्य का पद वरिष्ठ एसोसिएट प्रोफेसरों के लिए केवल एक सम्मानजनक पदोन्नति है, वह भी 25 वर्षों से अधिक की निरंतर सेवा के बाद। परन्तु विभाग के पात्र वरिष्ठ एसोसिएट प्रोफेसर इस पदोन्नति से वंचित है । कॉलेजों में प्रधानाचार्य का न होना न केवल शिक्षा की गुणवत्ता पर असर डाल रहा है बल्कि, राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) से मान्यता प्राप्त करने में भी बाधा पैदा कर रहा है। NAAC से मान्यता प्राप्त करना किसी भी छह या अधिक साल पहले स्थापित हुए कॉलेज =के लिए अनिवार्य होता है। NAAC की मान्यता मिलने के बाद ही कॉलेज एमएचआरडी से मिलने वाले करोड़ों रुपये के विभिन्न विकास अनुदानों के लिए भी पात्र हो पाते हैं। परन्तु प्रधानाचार्य न होने के कारण हिमाचल के कई कॉलेजों को ये लाभ नहीं मिल रहे। शिक्षकों के अनुसार डीपीसी की बैठक नहीं होने पर पिछले 3 साल से अधिक समय से सरकार यह तर्क दे रही है कि उच्च न्यायालय में शिक्षकों की नियुक्ति और वरिष्ठता को चुनौती देते हुए एक मामला दायर किया गया है इसी के साथ एक अन्य मामले में प्रिंसिपल कॉलेज कैडर के आर एंड पी नियमों को भी अदालत में चुनौती दी गई है, जिससे प्रधानाचार्यों की पदोन्नति पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। शिक्षकों का कहना है कि पात्र सीनियर एसोसिएट प्रोफेसर को प्रिंसिपल (कॉलेज कैडर) के पद पर पदोन्नत करना सरकार का कर्तव्य है। सरकार अदालत में विशेष अनुमति याचिका दायर करे, ताकि उच्च न्यायालय से पात्र एसोसिएट प्रोफेसरों के लिए नियमित डीपीसी बैठक आयोजित की जा सके।
हिमाचल प्रदेश के सभी डिग्री कॉलेजों में प्लेसमेंट और कैरियर गाइडेंस सेल बनाए जाएंगे। इसके माध्यम से कॉलेजों के विद्यार्थियों को रोजगार दिलाने में मदद दिलाई जाएगी। सोमवार को हायर एजूकेशन काउंसिल की शिमला में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिए कमेटी गठित करने की सिफारिश भी सरकार को भेजने की सहमति बनी। इसके अलावा कॉलेजों का शैक्षणिक ऑडिट करवाने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजने का फैसला भी लिया गया। इसकेे लिए काउंसिल की ओर से सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। हर माह इन सेल के कामकाज को लेकर रिपोर्ट मांगी जाएगी। उन्होंने कहा कि कॉलेज विद्यार्थियों को रोजगार के अवसर मुहैया करवाने के लिए काउंसिल ने यह फैसला लिया है। इसके अलावा उच्च शिक्षण संस्थानों के कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए शैक्षणिक ऑडिट भी करवाने का फैसला लिया है। काउंसिल ने तय किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए सरकार को सुझाव भेजे जाएंगे। काउंसिल की ओर से कई कार्यशालाएं इस संदर्भ में की गई हैं। नीति को लागू करने के लिए आठ से दस सदस्यों की एक कमेटी का भी गठन करने की सिफारिश की जाएगी।
बीते दिन लोक सेवा आयोग परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया। हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर की गलोड़ तहसील के रहने वाले अभिषेक धीमान ने संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा उत्तीर्ण की है। रैंकिंग के आधार पर अभिषेक का चयन भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी के लिए हुआ है। यूपीएससी परीक्षा परिणाम में अभिषेक धीमान की रैंकिंग 374 रही है। अभिषेक वर्तमान में बतौर एचएएस अधिकारी शिमला में ट्रेनिंग कर रहे हैं। अभिषेक ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई हमीरपुर के एक निजी स्कूल से की है। वहीं, सिरमौर के उमेश लुबाना ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में 397वां स्थान प्राप्त किया है। वह हिमाचल प्रदेश के पहले दृष्टिबाधित युवा है, जिन्होंने यह मकाम हासिल किया है। वह वर्तमान में दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पीएचडी कर रहे हैं। इससे पहले हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एमए करने के दौरान ही उन्होंने यूजीसी नेट और जेआरएफ की परीक्षा पास की। मूल रूप से पांवटा साहिब के रहने वाले उमेश कुमार के पिता दलजीत सिंह कारोबारी हैं और और माता कमलेश कुमारी गृहिणी हैं।
हिमाचल सरकार ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नियुक्त करीब 43 हजार शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए अंतर जिला तबादलों की निर्धारित अवधि को कम करने की बरसों पुरानी मांग को पूरा कर दिया है। 25 हजार जेबीटी और 18 हजार सीएंडवी शिक्षक अब गृह जिलों में तबादले करवा सकेंगे। सरकार ने तबादलों पर लगाई 13 वर्ष की शर्त घटाकर अब 5 वर्ष कर दी है। सीएंडवी और जेबीटी का जिला कैडर है। सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति करते समय पांच जिलों का विकल्प दिया था। गृह जिले में वापसी के लिए सरकार ने पहली नियुक्ति वाले स्कूल में न्यूनतम 13 साल सेवाएं देने की शर्त रखी थी। इस शर्त के चलते जेबीटी और सीएंडवी शिक्षकों को अपने गृह जिलों में वापसी के लिए लंबा वनवास भुगतना पड़ता था। शिक्षक संगठन 13 वर्ष की अवधि को घटाने की लंबे समय से मांग कर रहे थे। शुक्रवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार ने अंतर जिला तबादलों की अवधि को घटाकर शिक्षकों को बड़ी राहत दे दी है। संघ के आग्रह पर शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने 14 सितंबर को शिक्षा सचिव से बैठक कर इस मांग को हरी झंडी दे दी।
बीती कैबिनेट की बैठक में प्रदेश सरकार ने स्कूलों को खोलने को लेकर मंज़ूरी दे दी है। प्रदेश में 27 सितम्बर से नियमित कक्षाएं शुरू कर दी जाएगी। सप्ताह में पहले 3 दिन 10वीं तथा 12वीं कक्षा के बच्चे स्कूल आएंगे तथा स्प्ताह के आखिरी तीन दिन 9वीं व 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूल बुलाया जाएगा। हालंकि, आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की पढ़ाई व पेपर ऑनलाइन माध्यम से ही करवाए जाएंगे। राज्य मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलते ही शिक्षा विभाग ने शुक्रवार शाम को 27 सितंबर से प्रदेश स्कूलों में विद्यार्थियों के आने के लिए एसओपी जारी कर दी है। उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूल के प्रिंसिपलों को विद्यार्थियों की क्षमता और कमरों की संख्या के अनुसार माइक्रो प्लान बनाने को कहा है। स्कूलों में विद्यार्थियों का लंच ब्रेक और आने-जाने का समय कक्षावार अलग-अलग होगा। कक्षाओं में एक बेंच छोड़कर विद्यार्थियों को बैठाने की व्यवस्था की जाएगी। विद्यालयों में के कमरे की क्षमता अनुसार 50 फीसदी विद्यार्थियों को ही एक साथ बिठाया जाएगा। शेष विद्यार्थियों की क्लास दूसरे कमरे में लगाई जाएगी। विद्यालय में प्रार्थना सभा, खेलकूद सहित एकत्र होने वाली अन्य गतिविधियों पर भी रोक रहेगी। शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए फेस मास्क पहनना अनिवार्य रहेगा। थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही स्कूल परिसरों में प्रवेश दिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा यानि एचएएस की परीक्षा 26 सितंबर को पहली बार नेटवर्क जैमर के साये में होगी। राज्य लोक सेवा आयोग ने परीक्षा के दौरान नकल की संभावनाओं को पूरी तरह से विराम लगाने के चलते यह फैसला लिया है। अभी तक यूपीएससी की परीक्षाओं में ही नेटवर्क जैमर लगाए जाते हैं। बुधवार को लोक सेवा आयोग में हुई अधिकारियों की बैठक में एचएएस की परीक्षा में भाग लेने वाले बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट या वैक्सीन सर्टिफिकेट दिखाने के बाद ही परीक्षा केंद्रों में प्रवेश देने का फैसला लिया गया। हिमाचल के अभ्यर्थियों पर यह शर्त लागू नहीं होंगी। 26 सितंबर को प्रदेश के 133 केंद्रों में सुबह और शाम के सत्र में एचएएस की परीक्षा होगी। प्रशासनिक सेवा के 18 पदों के लिए 30,625 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। परीक्षा में शामिल होने के लिए सभी अभ्यर्थियों को एडमिट कार्ड और पहचान पत्र भी लाना अनिवार्य किया गया है।
प्रदेश में शिक्षा विभाग सचिव राजीव शर्मा ने कहा है कि स्कूलों को खोलने की तैयारी पूरी कर ली गई है। सरकार के निर्देश जारी होते ही नियमित कक्षाएं शुरू कर दी जाएंगी। इसमें विद्यार्थियों की सुरक्षा को मध्यनज़र रखते हुए एक कमरे में सिर्फ 50 फीसदी क्षमता में विद्यार्थियों को बुलाया जाएगा। कोरोना के नियमों का पालन अच्छी तरह से करवाया जाएगा,जिसमें फेस मास्क पहनकर ही स्कूलों में शिक्षकों और विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाएगा व हैंड सैनिटाइजर की विद्यालय में व्यवस्था की जाएगी। आदेशानुसार प्रार्थना सभा सहित अन्य एकत्र होने वाली गतिविधियों पर रोक रहेगी।
प्रदेश सरकार अब 5वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए स्कूलों को खोलने की तैयारी कर रही है। 20 या 21 सितंबर को प्रस्तावित कैबिनेट बैठक में इस संदर्भ में फैसला लिया जाएगा। गौरतलब है कि इससे पहले सरकार ने 21 सितंबर तक प्रदेश में स्कूल बंद रखे हैं। शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूल प्रिंसिपलों को अगले सप्ताह से विद्यार्थियों के लिए स्कूल खुलने की संभावना को देखते हुए तैयारियां पूरी रखने के लिए कहा है। स्कूल प्रिंसिपलों को विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से माइक्रो प्लान बनाने के लिए भी कहा गया है। कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आने पर 2 अगस्त से दसवीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए स्कूलों को खोला गया था। पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को शिक्षकों से परामर्श लेने के लिए स्कूलों में आने की मंजूरी दी थी, लेकिन इसी बीच दोबारा संक्रमण के मामलों में तेजी आई। 10 अगस्त को सरकार ने स्कूलों को विद्यार्थियों के लिए 22 अगस्त तक बंद रखने का फैसला लिया। इस तारीख को बढ़ाकर फिर 30 अगस्त कर दिया। इसके बाद 5 सितंबर और फिर 21 सितंबर तक विद्यार्थियों के लिए स्कूलों में आने पर रोक लगाई गई है। कयास लगाया जा रहा है की कोरोना संक्रमण के मामलो में कमी को देखते हुए, सरकार स्कूलों को पुनः खोलने का फैसला ले सकती है।
प्रदेश में स्थापित निजी विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में मेडिकल कोर्सों के लिए फीस तय कर दी गई है। निजी विवि के प्रस्तावों पर कई दिन तक मंथन करने के बाद गुरुवार को संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा ने फीस का ढांचा जारी किया। निजी विश्वविद्यालयों में इस साल प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों से अब इसी आधार पर फीस ली जाएगी। ट्यूशन फीस दो किस्तों में लेनी होगी। एक किस्त में इसे देने का दबाव नहीं डाल सकेंगे। नया फीस ढांचा कोर्स पूरा होने तक लागू रहेगा। इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। सरकार को हर साल नया सत्र शुरू होने से पहले फीस ढांचा तय करना होता है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि निजी विवि पहले की तरह बिल्डिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट फंड विद्यार्थियों से नहीं वसूलेंगे। अगर कोई संस्थान आदेशों का पालन नहीं करेगा तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। नए फीस ढांचे के अनुसार निजी विवि सरकार की मंजूरी बिना कोई भी नया कोर्स शुरू नहीं कर सकेंगे। अगर किसी कोर्स की सरकार से मंजूरी नहीं मिली है और फीस कमेटी ने उसका फीस ढांचा तय कर दिया है, तो ऐसा कोर्स मान्य नहीं होगा। यूजीसी के निर्देशानुसार ही शिक्षक भर्ती करनी पड़ेगी। हिमाचली बोनाफाइड, बीपीएल, आईआरडीपी विद्यार्थियों के लिए विवि को दस फीसदी सीटें आरक्षित रखनी होंगी। इनसे ट्यूशन फीस भी नहीं ली जाएगी। शैक्षणिक सत्र की फीस कोर्स पूरा होने तक लागू रहेगी। पहले से विवि में पढ़ रहे विद्यार्थियों पर नया फीस ढांचा लागू नहीं होगा। सरकार की इस तरह की पहल से विद्यार्थियों को कुछ राहत मिल सकती है।
हिमाचल प्रदेश में सफाई से जुड़े और जोखिमपूर्ण व्यवसाय में लगे व्यक्तियों के बच्चों को भी छात्रवृत्ति मिलेगी। अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को दी जाने वाली प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय संशोधन करते हुए नई श्रेणियों को शामिल करने जा रहा है। जल्द इस योजना को देश भर में लागू किया जाएगा। शैक्षणिक सत्र 2021-22 से हिमाचल में भी पात्र विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ मिलेगा। पहली से 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों को वार्षिक 3000 से 7000 रुपये तक छात्रवृत्ति मिलेगी। बुधवार को उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला उपनिदेशकों और स्कूल प्रिंसिपलों को इस बाबत पत्र जारी कर सूचित किया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से सभी प्रदेशों के मुख्य सचिवों और शिक्षा सचिवों को पत्र जारी कर बताया है कि इस योजना में शामिल किए जाने वाले विद्यार्थी सफाई से जुड़े और स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण व्यवसाय में लगे व्यक्तियों के परिवार का ही होना चाहिए। परिवार का इस व्यवसाय में लिप्त होने का प्रमाण पत्र संलग्न करना अनिवार्य रहेगा। विद्यार्थी राजकीय विद्यालय अथवा राज्य सरकार एवं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त विद्यालयों में नियमित एवं पूर्णकालिक कक्षा पहली से 10वीं के विद्यार्थी के रूप में अध्ययनरत हो। विद्यार्थी को केंद्रीय राजकीय, सार्वजनिक, धार्मिक स्रोत से अध्ययन करने के लिए किसी भी प्रकार की छात्रवृत्ति या भत्ता नहीं मिल रहा हो। किसी भी कक्षा में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति केवल एक वर्ष के लिए उपलब्ध होगी। यदि कोई विद्यार्थी अगले वर्ष भी उसी कक्षा में रहता है तो उसे दूसरे वर्ष (अथवा बाद के वर्ष के लिए) उसी कक्षा के लिए छात्रवृत्ति नहीं मिलेगी। योजना के तहत 90 फीसदी बजट केंद्र और दस फीसदी बजट प्रदेश सरकार की ओर से दिया जाएगा। केंद्र सरकार पात्र विद्यार्थी के बैंक खाते में सीधा राशि जमा करवाएगा।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 9वी से 12वीं कक्षा के करीब दो लाख विद्यार्थियों को हर सप्ताह शनिवार और रविवार को डॉक्टर और इंजीनियर बनाने की कोचिंग दी जाएगी। 18 सितंबर से 9वीं से 12वीं के विद्यार्थियों को मोबाइल पर शिक्षक द्वारा एक लिंक भेजा जाएगा। यू-ट्यूब के इस लिंक के माध्यम से विद्यार्थी नीट और जेईई की कोचिंग ले सकेंगे। सरकार ने विद्यार्थियों को कोचिंग देने के लिए स्वर्ण जयंती विद्यार्थी अनुशिक्षण योजना शुरू की है। आधिकारिक तौर पर बुधवार से योजना शुरू कर दी गई है। शिक्षकों को हर घर पाठशाला अभियान के तहत लिंक भेजने का काम शुरू हो गया है। शनिवार को यह लिंक शिक्षक विद्यार्थियों को व्हाट्सएप ग्रुपों के माध्यम से देंगे। योजना के तहत सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता की गणित और विज्ञान की सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी। हर सप्ताह 15 से 18 घंटे की कक्षाएं और संदेह समाधान किया जाएगा। योजना के सही कार्यान्वयन के लिए सरकार जिला स्तर पर निगरानी कमेटी गठित करेगी। इसमें डाइट के प्रधानाचार्य, उच्च शिक्षा के उप निदेशक और स्कूलों के विज्ञान-गणित के पर्यवेक्षक शामिल किए गए हैं। कमेटी मेधावी छात्राओं की पहचान करने में भी मदद करेगी। योजना के तहत दो चरणों में कार्यक्रम का कार्यान्वयन होगा। पहले चरण में हर घर पाठशाला के माध्यम से छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली गणित और विज्ञान की सामग्री उपलब्ध होगी। दूसरे चरण में 100 उच्च प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं की पहचान करने के लिए चयन परीक्षा होगी।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) शिमला देश भर के टॉप 200 विश्वविद्यालयों में भी शामिल नहीं हो पाया। एचपीयू का बीते वर्ष का रैंक 169 था। वहीं आईआईटी मंडी पिछले साल से 10 स्थान फिसलकर 41वें स्थान पर रहा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क 2021 जारी की। देश के टॉप सौ विश्वविद्यालयों में प्रदेश का शूलिनी विश्वविद्यालय शामिल हुआ है। नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क 2021 की ओवरआल और इंजीनियरिंग श्रेणी में आईआईटी मंडी की रैंकिंग लुढ़क गई है। शूलिनी विश्वविद्यालय सोलन ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए तीन श्रेणियों में पायदान चढ़े हैं। इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर की श्रेणी में एनआईटी हमीरपुर की रैंकिंग में कमी आई है। मैनेजमेंट, लॉ, मेडिकल और कॉलेज श्रेणी में प्रदेश को कोई संस्थान शामिल नहीं हुआ है। आईआईटी मंडी इंजीनियरिंग श्रेणी में दस पायदान लुढ़ककर 52.58 स्कोर के साथ देश भर में 41वें रैंक पर पहुंच गया।
हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब 1.9 लाख विद्यार्थियों को 15 सितंबर से जेईई और नीट की कोचिंग मिलेगी। कोचिंग स्वर्ण जयंती विद्यार्थी अनुशिक्षण योजना के तहत दी जाएगी। सरकार हर घर पाठशाला के माध्यम से 9वीं से 12वीं के विद्यार्थियों को योजना का लाभ दे रही है। विद्याथियों को ये कोचिंग हर हफ्ते शनिवार और रविवार को दी जाएगी। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता की गणित और विज्ञान की सामग्री मिलेगी। हर सप्ताह 15 से 18 घंटे की कक्षाएं और संदेह समाधान भी किया जाएगा। योजना के सही कार्यान्वयन के लिए सरकार जिला स्तर पर निगरानी कमेटी गठित भी करेगी। इसमें डाइट के प्रधानाचार्य, उच्च शिक्षा उप निदेशक और स्कूलों के विज्ञान-गणित के पर्यवेक्षक शामिल किए गए हैं। यह कमेटी मेधावी छात्राओं की पहचान करने में भी मदद करेगी। बता दें कि योजना के तहत दो चरणों में कार्यक्रम का कार्यान्वयन होगा। पहले चरण में हर घर पाठशाला के माध्यम से भी छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली गणित और विज्ञान की सामग्री उपलब्ध होगी। दूसरे चरण में राज्य की 100 उच्च प्रदर्शन करने वाली छात्र-छात्राओं की पहचान करने के लिए चयन परीक्षा होगी।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के यूजी और पीजी कोर्स करने वाले लाखों छात्र-छात्राओं को अब डिग्री की अंतिम परीक्षा के परिणाम घोषित होने के साथ ही समग्र अंक तालिका को प्रिंट करवा दिया जाएगा और संबंधित कॉलेजों को भेज दिया जाएग। इसकी फीस भी विद्यार्थियों से नहीं ली जाएगी । विद्यार्थियों को अब इसके लिए लम्बा इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। उन्हें हाथों हाथ समग्र अंक तालिका दे दी जाएगी। पीजी कोर्स में भी इसी सत्र से यह निर्देश लागू कर दिया जाएगा। अंक तालिका की डिग्री पूरी करने वाले हर विद्यार्थी को आवश्यकता रहती है। इससे पूर्व विद्यार्थी जरूरत पड़ने पर विश्वविद्यालय आकर इसे बनवाते रहे थे। यह सुविधा केवल पास और डिग्री पूरी करने वाले विद्यार्थियों को ही होगी। कंपार्टमेंट या फेल होने वाले विद्यार्थियों को यह सुविधा नहीं होगी। किसी भी डिग्री कोर्स के पूरा करने के बाद ही समग्र अंक तालिका जारी की जाती है। इसमें पूरी डिग्री में दी गई परीक्षा के प्राप्तांक और छात्र का पूरा ब्योरा, सेशन सब कुछ अंकित होता है। इसे विद्यार्थी कहीं भी आवश्यकता पड़ने पर डिग्री के स्थान पर दिखा या जमा करवा सकता है। जिससे उसे आगे प्रवेश लेने व नौकरी में कोई परेशानी पेश नहीं आएगी।
शिमला: उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा सोमवार को प्रदेश के निजी और सरकारी कॉलेज प्रिंसिपलों को कॉलेजों में छह माह की एक साथ हॉस्टल और मेस फीस वसूल करने पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं। कोरोना काल में अभिभावकों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने का हवाला देते हुए प्रिंसिपलों को विद्यार्थियों द्वारा मासिक या द्विमासिक आधार पर ही शुल्क लेने के लिए कहा गया है। उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा बताया कि प्रदेश के कई डिग्री, बीएड, लॉ और संस्कृत के निजी और सरकारी कॉलेजों में विद्यार्थियों से छह माह या उससे अधिक समय की हॉस्टल और मेस फीस लेने की शिकायतें उन्हें मिली हैं। जिसके चलते उन्होनें बताया कि कोरोना काल के चलते बीते वर्ष से अभिभावकों की स्थिति अभी पटरी पर नहीं आ सकती। इस परिस्थिति के चलते अभिभावक छह माह की फीस चुकाने के लिए असमर्थ हैं। ऐसे मामलों के विद्यार्थियों से केवल एक या दो माह की हॉस्टल और मेस फीस ही वसूली जाए।
हिमाचल प्रदेश में राज्य मंत्रिमंडल द्वारा एक ही विभाग में 4000 पद भरने का निर्णय लिया गया है। हालांकि मंत्रिमंडल द्वारा हजारों की संख्या में नौकरी के पिटारे खुलते रहे हैं लेकिन एक ही विभाग में इतनी बड़ी तादाद में पद भरने का निर्णय पहली बार ही लिया गया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में शिक्षा विभाग में ड्राइंग शिक्षकों के 820 पदों और शारीरिक शिक्षा अध्यापकों के 870 पदों सहित शिक्षकों की विभिन्न श्रेणियों के 4000 पदों को भरने का निर्णय लिया गया है। इन 4000 पदों में से 2640 पद प्रारंभिक शिक्षा विभाग जबकि 1360 पद उच्चतर शिक्षा विभाग में अनुबंध आधार पर भरे जाएंगे। जानकारी के अनुसार शिक्षकों के विभिन्न पद बैच आधार पर शीघ्रता से भरे जाएंगे। उल्लेखनीय है कि ड्राइंग टीचर्ज अपनी भर्ती को लेकर पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान कई दफा सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। बावजूद इसके उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया। उसके बाद इन शिक्षकों को जयराम सरकार से काफी आशाएं रहीं। ऐसे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी ड्राइंग शिक्षकों की आशाओं पर खरा उतरते हुए प्रमुखता से उनके पक्ष में निर्णय लिया। अब 820 पदों शिक्षकों की भर्ती होगी। इतना ही नहीं शारीरिक शिक्षा अध्यापकों के भी 870 पद भरे जाएंगे। इस फैसले से बेरोजगार प्रशिक्षुओं में खुशी की लहर है।
शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालय ने विजुअल आर्ट विभाग में एमए पेंटिंग का सिलेबस और प्रवेश की प्रक्रिया बदल दी है। प्रवेश पाने वाले छात्र-छात्राओं को अब एक थ्योरी और दो प्रैक्टिकल परीक्षाएं देनी होंगी। इसके आधार पर ही कोर्स में प्रवेश को मेरिट तैयार होगी। इन तीन परीक्षाओं के 150 अंक में से प्राप्तांक से ही मेरिट बनेगी। पूर्व में एक थ्योरी और एक प्रैक्टिकल होता था। विभाग की 10 सब्सिडाइज्ड और पांच नॉन सब्सिडाइज्ड सीटों के लिए 27 अगस्त को प्रवेश परीक्षा होगी। इसमें तीन तरह की परीक्षा होगी। इसमें पहली परीक्षा 50 अंक की होगी, जो थ्योरी की होगी। इसमें पूछे जाने वाले सवालों से संबंधित ब्योरा विवि की वेबसाइट पर छात्रों के लिए उपलब्ध करवाया गया है। वहीं पहली प्रैक्टिकल परीक्षा भी 50 अंक की होगी। इसमें ऑब्जेक्ट स्टडी रहेगी। दूसरी प्रैक्टिकल परीक्षा में क्रिऐटिव कंपोजिशन की होगी। ये तीनों परीक्षाएं एक एक घंटे की होंगी। इनमें प्राप्तांक आधार पर बनने वाली मेरिट ही प्रवेश का आधार रहेगी।
हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों में स्नातक डिग्री कोर्स के प्रथम वर्ष की आवेदन प्रक्रिया मंगलवार को थम जाएगी लेकिन अभी तक स्पोर्ट्स, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। ऑनलाइन आवेदन का मंगलवार को आखिरी दिन है। बुधवार को तय किए प्रवेश शेड्यूल के अनुसार पहली प्रवेश मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी लेकिन अभी तक सरकार और विवि प्रशासन यह तय नहीं कर पाया है कि खेल, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए कितनी सीटें आरक्षित होंगी। सभी कॉलेजों ने पहले की तरह से स्पोर्ट्स, कल्चरल कोटा के तहत आवेदन आमंत्रित किए हैं। इस बार ईडब्लूएस श्रेणी के छात्रों ने भी आवेदन किए हैं लेकिन उन्हें सीटें तभी मिल पाएंगी जब सरकार, शिक्षा विभाग और यूनिवर्सिटी आरक्षण को लागू करने को लेकर कोई फैसला लेंगे।
हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर में इस बार अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के नए निर्देशों के तहत बीटेक डायरेक्ट एंट्री में दाखिला मिलेगा। एआईसीटीई के नए निर्देशों में बीटेक के लिए 12वीं कक्षा में गणित और भौतिक विज्ञान की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। अब ऐसे विद्यार्थी जिन्होंने जमा दो में भौतिक विज्ञान, गणित, रसायन विज्ञान, कंप्यूटर साइंस, सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, जीव विज्ञान, सूचना विज्ञान अभ्यास, जैव प्रौद्योगिकी, व्यावसायिक विषयों के कृषि, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स, बिजनेस स्टडीज, उद्यमिता में से किन्हीं तीन विषयों में पढ़ाई की हो, वे तकनीकी विवि से संबंधित सरकारी और निजी शिक्षण संस्थान में बीटेक डायरेक्ट एंट्री में दाखिला ले सकते हैं।
हिमाचल में स्कूल बैग का मामला काफी समय से लटका हुआ था। लेकिन अगले महीने से प्रदेश के सरकारी स्कूल के तीसरी, छठी और नौवीं कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूल बैग मिलना शुरू हो जाएंगे। खाद्य आपूर्ति निगम ने बुधवार को बैग को लेकर आमंत्रित किए गए टेंडर की टेक्निकल बीड खोल दी है। टेंडर में कुल 8 कंपनियों ने भाग लिया था। इसमें से चार कंपनियों के सैंपल फेल हुए है। वंही 4 कंपनियों ने सैंपल पास किए है। इन कंपनियों के बीच रेट को लेकर प्रतिस्पर्धा होगी। अगले सप्ताह फाइनेंशियल बीड खोली जानी है। इसमें जिस भी कंपनी का रेट कम आएगा, उसे सप्लाई ऑर्डर दिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों में एक सितंबर से नियमित कक्षाएं शुरू करने की तैयारी है। राज्य सचिवालय में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने बताया कि कैबिनेट से मंजूरी लेने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कॉलेजों में 18 वर्ष आयु से अधिक के विद्यार्थी होते हैं, ऐसे में कॉलेजों में नियमित कक्षाएं खोलने का विचार है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि 18 वर्ष से अधिक आयु के 88 फीसदी विद्यार्थियों को वैक्सीन भी लग चुकी है। 16 अगस्त से कॉलेजों में द्वितीय और तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों की ऑनलाइन कक्षाएं शुरू हो गई हैं। प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों की कक्षाएं एक सितंबर से शुरू होंगी। इन कक्षाओं को ऑनलाइन ही जारी रखा जाना है या ऑफलाइन शुरू करना है, इसको लेकर जल्द फैसला ले लिया जाएगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों को मानसिक तौर पर भी कॉलेज आने के लिए तैयार रहना चाहिए।
कर्मचारी चयन आयोग ने चार पोस्ट कोड के तहत ली जाने वाली लिखित परीक्षाओं की समयसारिणी में बदलाव किया है। पोस्ट कोड 891 स्टेनो टाइपिस्ट की परीक्षा 26 सितंबर की बजाएं 5 सितंबर को सुबह के सत्र में करने का फैसला लिया है। वंही, पोस्ट कोड 906 जेई सिविल की परीक्षा भी 26 की बजाय 5 सितंबर को शाम के सत्र में, आयोजित होगी। पोस्ट कोड 839 लिपिक की परीक्षा पांच सितंबर की बजाय 17 अक्तूबर को सुबह और पोस्ट कोड 833 सहायक प्रबंधक की परीक्षा 17 अक्तूबर शाम के सत्र में आयोजित होगी। आयोग के सचिव डॉ.जितेंद्र कंवर ने बताया कि इन परीक्षाओं की तिथियों में बदलाव किया गया है। अब नई तिथियों अनुसार परीक्षा होगी। वहीं, कर्मचारी चयन आयोग ने अधीक्षक ग्रेड-2 स्टोर के पद को भरने के लिए ली गई लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया है। इस पद के लिए लिखित परीक्षा में 302 अभ्यर्थी उपस्थित रहे। इनमें से चार अभ्यर्थियों जिनमें रोल नंबर 879000199, 879000537, 879000939 और 879001560 को मूल्यांकन परीक्षा के लिए चयनित किया गया है। आयोग के सचिव डा. जितेंद्र कंवर ने कहा कि 15 अंकों की मूल्यांकन परीक्षा 31 अगस्त को आयोग के कार्यालय में होगी।