मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि केंद्र सरकार ने हिमाचल को पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट (पीडीएनए) के 9,977 करोड़ रुपये नहीं दिए तो राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह बात शनिवार को सदन में कही। वह इस संबंध में नियम 130 के तहत लाई गई चर्चा का जवाब दे रहे थे। प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री के उत्तर के बीच हुई नोकझोंक के बीच विपक्ष नारेबाजी करता हुआ सदन से बाहर चला गया और बैठक में नहीं लौटा। उधर, शून्यकाल में भाजपा विधायक राकेश जंबाल की ओर से विधायकों की गाड़ियों पर झंडी लगाने का मामला उठाने के जवाब में सीएम ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि इसको लेकर आगामी बजट सत्र में विचार किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा राशि के मामले में वे दिल्ली जाकर केंद्रीय नेताओं से मिलकर हिमाचल को उसका हक देने की मांग उठाएंगे। आग्रह के बावजूद अगर केंद्र सरकार राशि जारी नहीं करती है तो राज्य सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट जाने के बजाय कोई रास्ता नहीं बचेगा। सीएम ने कहा कि केंद्र से कोई खैरात नहीं मांगी जा रही है, बल्कि हिमाचल प्रदेश का अधिकार मांगा जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल ने इतिहास की सबसे बड़ी आपदा को सहा है। सैकड़ों मौतें हो गईं। आपदा के बाद केंद्र सरकार की टीम आई और 9,977 करोड़ रुपये की प्रत्यक्ष क्षति का आकलन किया। अगर अप्रत्यक्ष तौर देखा जाए तो 12 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। केंद्रीय टीम ने नुकसान का जो आकलन किया है, पिछले एक साल से वही हिमाचल के अधिकार रूप में मांगा जा रहा है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि जयराम ठाकुर जब मुख्यमंत्री थे तो हिमाचल को राजस्व घाटा अनुदान के रूप में पहले साल केंद्र से 11,431 करोड़ रुपये मिले। दूसरे साल 10,249 करोड़ और उसके बाद तीसरे साल 8058 करोड़ जारी किए गए। 2024-25 में 6258 करोड़ रुपये जारी हो रहे हैं। अगले साल तो यह घटकर 3257 करोड़ रुपये रह जाएगी। यानी यह 8000 करोड़ रुपये कम हो जाएंगे। सीएम ने कहा कि हिमाचल की जनता के साथ खड़े न होकर सदन में जो व्यवहार भाजपा ने किया है, वह निंदनीय है। अगर विपक्ष के लोगों ने दिल्ली साथ चलना है तो ठीक है, वरना नहीं भी चलना हो तो यह लोग जानें। प्रस्ताव चर्चा के लिए धर्मपुर के कांग्रेस विधायक चंद्रशेखर ने लाया, जबकि विपक्ष की ओर से विपिन सिंह परमार ने चर्चा में भाग लिया। इससे पूर्व नेता प्रतिपक्ष जयराम ने कहा कि केंद्र सरकार के खिलाफ इस तरह का प्रस्ताव पहली बार लाया जा रहा है। उनकी बात को सुनते हुए स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने केंद्र से मांग के रूप में प्रस्ताव में संशोधन की बात कर इस पर चर्चा शुरू करवाई। शनिवार को तपोवन में शीत सत्र के अंतिम दिन शून्यकाल के दौरान भाजपा विधायक राकेश जंबाल के मामला उठाने पर मुख्यमंत्री ने इस पर स्थिति स्पष्ट की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार के समय में इसके बारे में मंजूरी दी गई थी। अब अगले सत्र में इसको लेकर चर्चा की जाएगी। विधायक जंबाल ने कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन हो चुका है। उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, जिला परिषद अध्यक्ष सहित कई अफसरों की गाड़ियों में झंडी लगी है। विधायकों को अपनी पहचान बतानी पड़ रही है, ऐसे में विधायकों की झंडी मिलनी चाहिए।
** घर में घुसकर किया था हमला जिला अदालत ने शनिवार को घर में घुसकर मारपीट करने और सामूहिक हिंसा के मामले में माैत मामले में चौपाल के 33 लोगों को दोषी करार देते हुए सात साल के कारावास की सजा सुनाई। मारपीट और सामूहिक हिंसा में चौपाल निवासी नरवीर ठाकुर की जान गई थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण गर्ग ने दोषियों को सजा सुनाते हुए शिकायतकर्ता वीरेंद्रा देवी को लगी चोटों के लिए 10 हजार मुआवजा देने के भी निर्देश दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह सजा न्याय प्रशासन में जनता के विश्वास और समाज में शांति व्यवस्था बनाए रखने के सिद्धांत को कायम रखेगी। जिला न्यायवादी मुक्ता कश्यप ने बताया कि अदालत ने धारा 148 के तहत 3 वर्ष, 440 में 3 साल, 325 के तहत 5 साल और 452 के तहत 7 साल की सजा सुनवाई।अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि नरवीर की मृत्यु या तो भीड़ की हिंसा के परिणामस्वरूप हुई होगी या उसके बाद पीछा करने के दौरान किसी कठोर वस्तु पर गिरने से। केस में किसी भी उचित संदेह से परे यह साबित नहीं होता है कि यह केवल आरोपीगण थे, जिन्होंने अवैध रूप से एकत्रित होने के साझा उद्देश्य को आगे बढ़ाते हुए नरवीर की मृत्यु का कारण बना। पुलिस के मुताबिक चौपाल के तुइल गांव में 11 मार्च 2015 को कुछ लोग नरवीर के घर में घुस गए। नरवीर ने पत्नी और अपने बचाव में बंदूक निकाली। एक व्यक्ति ने नरवीर पर दरांती से हमला कर बंदूक छीनने का प्रयास किया। हाथापाई के दौरान बंदूक चल गई और गोली बंटू को लगी। गुस्साए लोग नरवीर को घसीटकर खेत ले गए। 12 को नरवीर का शव बरामद हुआ था।
** 15 कारों में 30 युवा चालक ले रहे हिस्सा, बीड़ में होगा समापन धौलाधार एक्सपेडीशन द्वारा आयोजित दो दिवसीय फोर वाई फोर कार रैली शनिवार को पधर से रवाना हुई। यह कार रैली रावणाखोकर, राजगुंधा, फुलाधार से होते हुए बीड़ बिलिंग पहुंचेगी। इस रोमांचक अभियान में कुल 15 कारों और 30 युवा ड्राइवर्स का दल भाग ले रहा है। यह एक्सपेडीशन कठिन पहाड़ी रास्तों और खतरनाक ट्रेल्स को पार करते हुए बीड़ बिलिंग में संपन होगी। धौलाधार एक्सपेडीशन के आयोजक लवनीश शर्मा ने बताया कि इस प्रकार के अभियानों से स्थानीय युवाओं को न केवल साहसिक कार्यों में भाग लेने का अवसर मिलता है, बल्कि यह उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा शीतसत्र के अंतिम दिन पूर्व भाजपा सरकार के समय में खोले गए संस्थानों को बंद करने के विरोध में विपक्ष ने नारेबाजी करते हुए वाकआउट कर दिया। संस्थानों को बंद करने पर सीएम के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए। इससे पहले सदन में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि जहां बच्चे नहीं हैं, वहां संस्थान बंद कर दिए। 1100 प्राइमरी स्कूल बंद किए गए। ऐसा नहीं है कि वहां पर बच्चे नहीं हैं, बच्चे घर बैठ गए हैं। आपने बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित किया। पहले भी मुख्यमंत्री रहे हैं। आप तार्किक होकर सोचें। बच्चे स्कूल की पढ़ाई से महरूम किए गए हैं। जयराम बोले, हम आपके ससुराल के विरोध में नहीं हैं। चंबा, पांगी सभी जगह की बात है। देहरा में तो सीएम का कार्यालय भी खुल गया। हमेशा कैंप ऑफिस होता है। मेरे सराज में भी कैंप ऑफिस था। पर आप भाभी जी से डर गए, खोलिए। लेकिन अन्य जगह कार्यालय बंद कर आपने पाप किया है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने जयराम को संक्षेप में अपनी बात पूरी करने को कहा। जयराम बोले- सच्चाई यह है कि सरकार का यह फैसला सही नहीं है। सुक्खू ने कहा कि नौ मिनट 18 सेकंड विपक्ष के नेता बोले। अगर ये जनता के सच्चे सेवक थे तो अंतिम वर्ष में 1 अप्रैल 2022 के बाद संस्थान खोलने की क्या जरूरत थी। हमारी तरह पहले खोल देते। इस अवधि के पहले के 2-4 संस्थान बंद किए। सीएम ने कहा कि 675 स्कूलों में जीरो एनरोलमेंट थी। इस पर विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए। विधानसभा परिसर में जयराम ने कहा कि पूर्व में भाजपा सरकार की ओर से खोले 1865 संस्थान वर्तमान सरकार ने बंद किए। लेकिन वर्तमान दो साल में सरकार ने 37 संस्थान खोले और 103 की अतिरिक्त अधिसूचना जारी की।
** वित्त विभाग ने HRTC को दी कार्य करने की मंजूरी... हिमाचल प्रदेश में नाबार्ड के सौजन्य से 128 करोड़ से बनने वाले ई-चार्जिंग स्टेशन और ई-वर्कशॉप निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। वित्त विभाग ने एचआरटीसी को इसके लिए निर्माण कार्य करने की मंजूरी दे दी है। अब परिवहन विभाग का बस अड्डा विकास प्राधिकरण प्रदेशभर में बनने वाले ई-चार्जिंग स्टेशन और ई-वर्कशॉप की निर्माण प्रक्रिया शुरू कर पाएगा। पहले सरकार ने परिवहन विभाग को ई-चार्जिंग स्टेशन बनाने की मंजूरी दे दी थी, लेकिन विभाग ने इस कार्य को लेकर असमर्थता जताई थी। इस वजह से प्रोजेक्ट निर्माण को लेकर मामला काफी समय से उलझ हुआ था। अब वित्त विभाग ने दोबारा एचआरटीसी को कार्य के लिए अधिकृत कर दिया है। प्रदेश सरकार ने ई-चार्जिंग स्टेशनों के लिए 128 करोड़ रुपये की सहमति दी है। योजना में 90 फीसदी की राशि नाबार्ड से बतौर ऋण ली जाएगी, जबकि 10 फीसदी राशि का वहन प्रदेश सरकार करेगी। इसको लेकर नाबार्ड ने पहले चरण में 30 फीसदी रकम यानी करीब 35 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी है, लेकिन पूरे मामले की वजह से प्रोजेक्ट निर्माण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही थी। गौर हो कि प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए ई-वाहनों को बढ़ावा दे रही है। इसके अलावा ई-टैक्सियों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रोजेक्ट के तहत प्रदेशभर में ई-चार्जिंग स्टेशन का निर्माण किया जाएगा तो वहीं एचआरटीसी ई-वर्कशॉप का निर्माण करने जा रहा है। इसमें इलेक्ट्रिक बसों की मरम्मत की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इसमें अधिकांश जिलों को शामिल किया गया है। योजना के तहत जिला शिमला में दो जगह ई-वर्कशॉप का निर्माण किया जाएगा। इसमें ढली और तारादेवी को शामिल किया गया है। यहां आधुनिक सुविधाओं से लैस ई-वर्कशॉप का निर्माण होना प्रस्तावित है। वर्तमान में इलेक्ट्रिक बसों की मरम्मत कार्य को लेकर एचआरटीसी संबंधित कंपनियों पर ही निर्भर है। नई इलेक्ट्रिक बसों को पांच साल की एमसी पर खरीदा जा रहा है, लेकिन यह समय अवधि खत्म होने के बाद निगम को खुद अपने स्तर पर ही बसों के रखरखाव और मरम्मत का कार्य करना होगा। इसको देखते हुए प्रदेश सरकार सभी जिलों में ई-वर्कशॉप बनाने की योजना पर काम कर रही है।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि रेडियोग्राफरों का वेतन बढ़ाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग में जल्द विभिन्न श्रेणियों की भर्तियां की जाएंगी। जिन संस्थानों में मशीनें हैं, वहां स्टाफ भी जल्द दिया जाएगा। प्रश्नकाल के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने आईजीएमसी में 133 और केएनएच में 42 प्रकार के स्वास्थ्य टेस्ट निशुल्क किए हैं। पूर्व सरकार के समय में 56 प्रकार के टेस्ट निशुल्क होते थे। कांग्रेस सरकार ने निशुल्क टेस्टों की संख्या बढ़ाकर 175 कर दी है। उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में लोग प्राइवेट लैब जा रहे हैं। भाजपा विधायक दीपराज और विनोद कुमार ने प्रश्नकाल में स्वास्थ्य संस्थानों के कामकाज पर सवाल उठाया। विधायक दीपराज ने कहा कि आईजीएमसी में अधिकांश टेस्ट बाहर करवाने पड़ रहे हैं। इसके लिए लोगों को 1500 से लेकर दस हजार रुपये तक का शुल्क चुकाना पड़ रहा है। करसोग अस्पताल में कोई भी टेस्ट नहीं हो रहा है। करसोग में मशीनें उपलब्ध हैं। फिर भी मरीजों को टेस्ट करवाने के लिए बाहर भेजा जा रहा है। विधायक विनोद कुमार ने कहा कि निशुल्क टेस्ट करवाने की बात गलत है। सच्चाई यह है कि टेस्ट निशुल्क नहीं हो रहे। स्टाफ ही कहता है कि रिपोर्ट जल्दी चाहिए तो बाहर से करवा लो। सवाल में पूछी गई जानकारी नहीं मिलने पर भाजपा विधायक रणधीर शर्मा और विपिन सिंह परमार ने नाराजगी जताई। रणधीर ने बीते एक साल के दौरान प्रदेश में खोले गए संस्थानों की जानकारी मांगी। लिखित जवाब में बताया गया कि सूचना एकत्रित की जा रही है। इस पर विधायक ने कहा कि सब जानते हैं कि नादौन, देहरा, हरोली और कुछ खास विधानसभा क्षेत्रों में ही संस्थान खुले हैं। इसकी जानकारी क्यों नहीं दी जा रही। जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि जब सारी जानकारी है तो सवाल को बंद कर दिया जाए। दूसरे सवाल में परमार ने असुरक्षित भवनों को लेकर जानकारी मांगी थी। इसमें भी अभी सूचना एकत्र करने की जानकारी देने पर विधायक ने कहा कि छोटी-छोटी जानकारियां नहीं मिलना दुभार्ग्यपूर्ण है। सैनिक कल्याण मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने बताया कि प्रदेश में 1714 युद्ध हताहत सैन्य अधिकारी और जवान हैं। कांगड़ा जिला में सबसे अधिक 736 और इंदौरा विधानसभा क्षेत्र के तहत नौ युद्ध हताहत सैन्य अधिकारी और जवान हैं। विधायक मलेंद्र राजन के सवाल का जवाब देते हुए शांडिल ने बताया कि युद्ध में मृत्यु को प्राप्त होने वाले वीर सैनिकों और सैन्य अधिकारियों को सरकारी कागजात में भारत सरकार की ओर से युद्ध हताहत घोषित किया जाता है। मरणोपरांत के निकटतम परिजनों को अनुग्रह राशि, एचआरटीसी की बसों में निशुल्क बस यात्रा की सुविधा, युद्ध विधवाओं की पुत्रियों की शादी के लिए आर्थिक सहायता और एक परिजन को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार की सुविधा भी दी जा रही है। कांग्रेस विधायक चंद्रशेखर ने कहा कि धर्मपुर बस डिपो की हालत खराब हो गई है। पूर्व सरकार के समय में यहां जुगाड़ से बसें दी गई थीं। कुल 51 बसों में से 36 की अवधि पूरी हो चुकी है। दो बार चलती बसों के टायर खुल चुके हैं। डिपो में सिर्फ छह नई बसें हैं। स्टाफ के छुट्टी पर जाने से सेवाएं ठप हो जाती है। इससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। जवाब में उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि जल्द 700 नई बसों की खरीद की जा रही है। आवश्यकता अनुसार धर्मपुर को भी बसें दी जाएंगी। मैं स्वयं धर्मपुर का दौरा कर स्थिति का जायजा भी लूंगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेसहारार पशुओं और बंदरों के लिए नीतिगत बदलाव कर उचित कदम उठाए जा रहे हैं। बेसहारा पशुओं की समस्या के समाधान के लिए समाज को भी आगे आना चाहिए। मैंने खुद एक स्ट्रे डॉग को गोद लिया है। उन्होंने कहा कि बंदरों के लिए जंगलों में फलदार पौधे लगाए जाएंगे। वन विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि जंगलों में 60 फीसदी तक फलदार पौधे लगाए जाएं, ताकि बंदरों को आबादी क्षेत्रों में आने से रोका जा सके। प्रदेश में 1.87 लाख बंदरों की नसबंदी की गई है। उन्हाेंने लोगों से रिहायशी क्षेत्रों में कूड़ा व बचा हुआ भोजन खुले स्थान पर न फेंकने का आह्वान भी किया। उधर, नाहन से कांग्रेस विधायक अजय सोलंकी ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में बंदरों और आवारा पशुओं ने समस्याओं को बढ़ा दिया है।
हिमाचल प्रदेश में करीब दो महीने से सूखे जैसे हालात हैं। बारिश, बर्फबारी न होने से सेब के बगीचे सूखे की चपेट में हैं। बगीचों में चिलिंग ऑवर्स पूरे होने का संकट हो गया है। मौसम ऐसा ही रहा तो सेब उत्पादन गिर सकता है। बागवानी विश्वविद्यालय नौणी के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र मशोबरा ने इसे देखते हुए एडवाइजरी जारी की है। क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र मशोबरा के सह निदेशक डॉ. दिनेश सिंह ठाकुर ने बताया कि सेब के पौधों के लिए 7 डिग्री से कम तापमान में 800 से 1600 घंटे चिलिंग ऑवर्स की जरूरत रहती है। सूखे के कारण इस सीजन में अगर चिलिंग ऑवर्स पूरे नहीं होते तो फ्लावरिंग पर प्रभाव पड़ सकता है। एक समान फ्लावरिंग नहीं होगी और कमजोर फ्लावरिंग से फूल झड़ने की समस्या पेश आ सकती है। इससे सेब उत्पादन प्रभावित हो सकता है। अगले कुछ दिनों में अच्छी बारिश और बर्फबारी की आवश्यकता है। बागवान इस समय बगीचों में काट-छांट कर सकते हैं। नए बगीचे या फलदार पौधे लगाने के लिए जमीन में पर्याप्त नमी नहीं है। दिसंबर में बगीचों मे फॉस्फोरस और पोटाश खाद डाली जाती है, जिससे पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और जड़ें मजबूत होती हैं। नमी न होने के चलते खाद डालने का काम प्रभावित हो रहा है, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। सिंचाई या नमी के अभाव में उर्वरकों का प्रयोग करने से बचें और नमी को बचाए रखने के लिए मल्चिंग करें। शुष्क मौसम में बगीचों में वूली एफिड का प्रकोप बढ़ सकता है। कीटों की संख्या नियंत्रित रखने के लिए वूली एफिड, स्केल, टहनियों के छेदक कीट तथा माइट ग्रसित टहनियों को काट कर नष्ट कर दें। घाव पर ताजा गोबर, गीली मिट्टी या चौबाटिया पेस्ट लगाएं। बोरर तथा वूली एफिड ग्रसित पौधों के तौलियों में जड़ों को खोद कर जड़ छेदक की सुंडियों को एकत्र कर डरमेट (800 मि. ली./200 ली. पानी) से उपचारित करें। नया पौधा लगाने से पहले उसे भी डरमेट के घोल में डुबोकर ही लगाएं। सूखे से पौधे कैंकर की चपेट में आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बचाव के लिए तने पर बोर्डो पेंट या ताजे गोबर और मिट्टी का लेप लगाएं, ताकि सूर्य की किरणों से होने वाले नुकसान को बचाया जा सके। कांट-छांट के बाद बोर्डो मिश्रण का स्प्रे जरूर करें। नये पौधे रोपित करने के तुरंत बाद सिंचाई जरूर करें। प्राकृतिक खेती करने वाले किसान जीवामृत को फोलीयर स्प्रे के रूप में 10-20 प्रतिशत और 15 दिनों के अंतराल में ड्रेंचिंग जरूर करें।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने केंद्र सरकार से वन संरक्षण अधिनियम 1980 (एफसीए) में संशोधन करने के लिए सरकारी संकल्प प्रस्ताव लाया। प्रस्ताव को पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने ध्वनि मत के साथ पारित किया। इस भाजपा विधायकों ने एक कमेटी बनाकर इस सिफारिश को तैयार करने की बात कही। राजस्व मंत्री ने कहा कि इस प्रस्ताव को लाने का मकसद आपदा के दौरान खेती योग्य भूमि बह जाने पर तबादले में सरकारी वन भूमि व लघु एवं सीमांत किसानों को 10 बीघा तक सरकारी वन भूमि खेती करने के लिए देना था। कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार यदि 1980 के तहत राहत दे तो हिमाचल प्रदेश के आपदा प्रभावित और भूमिहीन लोगों को खासी राहत मिल सकती है। वहीं, विधायक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि संशोधन बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि बोह वैली में पिछले दिनों एक आपदा आई थी। इसमें 24 लोगों की मौत हो गई थी और जो बच गए थे, वे भूमिहीन हो गए थे। आपदा में भूमिहीन हुए इन लोगों को राहत देने के लिए सरकार जमीन देना चाहती है, लेकिन एफसीए के नियम उनके आड़े आ रहे हैं। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, विधायक नीरज नैय्यर, भुवनेश्वर गौड़, बलवीर वर्मा, चंद्र शेखर और सुखराम चौधरी ने भी विचार रखे। विधायक बलवीर वर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार को पहले आंकड़ा तैयार कर लेना चाहिए कि आपदा के कारण कितने लोग बेघर हुए हैं और कितने भूमिहीन हैं। रणधीर शर्मा ने कहा कि एफसीए संशोधन के लिए भेजे जाने वाले प्रस्ताव में भागड़ा बांध सहित अन्य कारणों से विस्थापित होने वाले लोगों को भी जमीन देने का प्रावधान करवाने की बात रखी जाए।
** दो जिलों में घने कोहरे का अलर्ट जारी हिमाचल में पांच जिले शीतलहर की चपेट में हैं। कड़ाके की ठंड पड़ने से सड़कों समेत नालों में पानी जम रहा है। वहीं, तीन जिलों में भीषण कोहरा पड़ रहा है। कोहरे के कारण शुक्रवार को कुल्लू के भुंतर हवाई अड्डे से एक भी उड़ान नहीं हो पाई। न्यूनतम तापमान में गिरावट आने से राजधानी शिमला की सड़कों पर भी पानी जम रहा है। प्रदेश के 9 क्षेत्रों में न्यूनतम पारा माइनस में पहुंच गया है। उधर, मौसम विभाग ने सात जिलों में अगले चार दिन भीषण शीतलहर का ऑरेंज और दो जिलों में तीन दिन घना कोहरा रहने का येलो अलर्ट जारी किया है। शुक्रवार को कुल्लू, बिलासपुर और मंडी जिले में कोहरे का कहर रहा। कुल्लू जिले के भुंतर एयरपोर्ट पर विजिबिलिटी कम होने से शुक्रवार को दिल्ली से भुंतर और भुंतर से अमृतसर की दोनों उड़ानें रद्द हो गईं। उड़ानें रद्द होने से विंटर टूरिस्ट सीजन में पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा है। भुंतर एयरपोर्ट अथॉरिटी के निदेशक सिद्धार्थ कदम्ब ने कहा कि विजिबिलिटी कम होने से दो दिन से हवाई उड़ानें नहीं हो पाईं। ऊना, मंडी, हमीरपुर, चंबा और बिलासपुर में शीतलहर ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। मौसम विभाग ने बिलासपुर, मंडी, हमीरपुर, ऊना जिले कांगड़ा, चंबा, सोलन के कुछ स्थानों पर अगले चार दिन के लिए रात को भीषण शीतलहर की चेतावनी जारी है। जबकि मंडी की बल्हघाटी, बिलासपुर में गोबिंद सागर क्षेत्र में तीन दिन घने कोहरे का अलर्ट जारी किया गया है। 23 दिसंबर को प्रदेश के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में एक दो-स्थानों और 26 दिसंबर को मध्य पर्वतीय और उच्च क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई गई है। हालांकि, मैदानी क्षेत्रों में 26 तक पूरे प्रदेश में मौसम साफ रहेगा।
हिमाचल विधानसभा में शुक्रवार को विपक्ष के कड़े विरोध और तीखी नोकझोंक के बीच हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा शर्तें संशोधन विधेयक, पंचायती राज संशोधन विधेयक और पुलिस अधिनियम में संशोधन विधेयक समेत चार विधेयक पारित किए गए। वहीं, भूजोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक पारित होते ही अब भोटा अस्पताल की 30 एकड़ जमीन हस्तांतरित हो सकेगी। अनुबंध कर्मियों के विधेयक पर मुख्यमंत्री ने कहा कि त्रुटि को दुरुस्त किया गया है। अनुबंध वालों को नियमित कर्मचारियों के समान मानने से सरकार पर बोझ पड़ेगा और इससे वरिष्ठता भी प्रभावित होगी। उधर, विपक्ष ने कहा कि संशोधन विधेयक को पिछले तिथि से लागू करना ठीक नहीं, इससे पदोन्नत हो चुके अनुबंध कर्मी प्रभावित होंगे।भर्ती एवं सेवा शर्तें संशोधन विधेयक में नियमित और अनुबंध कर्मचारियों की सेवा शर्तों को अलग किया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि अनुबंध नीति के अनुसार नियमित और अनुबंध सेवाओं में अंतर होता है। अनुबंध कर्मियों की सेवा शर्तों को नियमित से अलग तरीके से प्ररिभाषित करना आवश्यक है। उन्होंने तर्क दिया कि अनुबंध कर्मियों को नियमित कर्मियों के समान मानना राज्य के खजाने पर भारी बोझ डालेगा और नियमित कर्मियों की वरिष्ठता को भी प्रभावित करेगा। सुक्खू ने कहा कि त्रुटि के कारण नियमित कर्मचारियों को डिमोट करने की नौबत आ रही थी, जो नहीं आनी चाहिए। कुछ लोग कोर्ट जा रहे हैं और वहां से भी निर्णय आ रहे हैं कि लाभ पहले की तिथि से दिया जाए, ऐसे कर्मियों की संख्या ज्यादा नहीं है। भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि 12 दिसंबर 2003 के बाद जो भी अनुबंध पर लगे हैं, सुप्रीम कोर्ट तक हारने के बाद उनके बारे में विधेयक लाया गया है। यह संशोधन पिछली तिथि से लागू हो रहा है। अनुबंध कर्मचारी इससे परेशान होंगे। उनकी पदोन्नति का क्या होगा। सरकार अगर इसे अगली तिथि से लागू करने की बात करती है तो भी इस पर विचार किया जा सकता है। इसे वापस लिया जाए। भाजपा विधायक जीतराम कटवाल ने भी कहा कि प्रावधान को पिछली तिथि से लागू न किया जाए। विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि इसे प्रतिष्ठा का सवाल न बनाकर फैसले को वापस लिया जाए। भाजपा विधायक हंसराज ने भी कहा कि विधेयक पर पुनर्विचार होना चाहिए। हिमाचल विधानसभा में धर्मार्थ संस्थाओं के लिए 30 एकड़ जमीन हस्तांतरित करने का विधेयक पारित हो गया। भूजोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक 2024 पर पहले सदन में चर्चा हुई। विपक्ष ने कहा कि इसे पारित करते समय जल्दबाजी न की जाए। राधास्वामी सत्संग संस्था की मदद होनी चाहिए, मगर विधेयक को विचार-विमर्श के लिए पहले विधानसभा की सिलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए। दोनों पक्षों की नोकझोंक के बीच विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। संशोधन विधेयक के पारित होने और इसके कानून बनने के बाद राधास्वामी सत्संग ब्यास भोटा अस्पताल और इसकी जमीन जगत सिंह सेवा ट्रस्ट को हस्तांतरित कर सकेगा। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने चर्चा के दौरान कहा कि संस्था और संगठन से ऊपर मेरे लिए प्रदेश है। संस्था के लिए पूरा आदर है, पर विधेयक को पारित करने से पहले सिलेक्ट कमेटी को भेजा जाए। विधेयक के पारण के बाद मुख्यमंत्री ने कांग्रेस विधायक दल का धन्यवाद किया और कहा कि भाजपा के विधायकों ने इसका समर्थन नहीं किया। एक तरह से साइलेंट विरोध किया। सेलेक्ट कमेटी को भेजने की बात करना भी एक तरह से विराेध करना है। यह दुख की बात है। सूक्खू ने कहा कि उनके लिए हिमाचल के हित सर्वोपरि हैं। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि यह केवल एक समय के लिए प्रावधान है। कोई भी धार्मिक, आध्यात्मिक या चैरिटेबल संस्था इसे केवल ऐसे ही कार्यों के लिए 30 एकड़ तक ही दूसरी उसी तरह की संस्था को जमीन हस्तांतरित कर सकेगी। भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि भाजपा भी चाहती है कि राधास्वामी ब्यास संस्था की समस्या का समाधान होना चाहिए, मगर इस कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। जयराम ठाकुर ने कहा कि राधास्वामी संस्था ने कोविडकाल में बढ़िया किया है, मगर इससे अन्य संस्थाओं की ओर से दुरुपयोग करने की संभावना है। तीन सरकारों में धूमल, वीरभद्र और उनके समय भी मामले में जल्दबाजी नहीं की गई। पिछली भाजपा सरकार में यह मामला मंत्रिमंडल तक आया था, वहीं लंबित हो गया है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि कि हिमाचल के हितों को नहीं बेचा जाएगा। सरकार एक रुपये में किसी उद्योगपति को जमीन नहीं दे रही है, जैसा पिछली सरकार में हुआ। वह नेक काम करने वाली संस्थाओं की मदद कर रहे हैं।
राज्य सरकार की अनुमति से ही ड्यूटी के दौरान सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तार किया जा सकेगा। कांस्टेबलों का काडर भी अब राज्य स्तर का होगा। भर्ती राज्य पुलिस बोर्ड करेगा। इस संबंध में विपक्ष के विरोध पर भी शुक्रवार को पुलिस विधेयक पारित हो गया। हिमाचल प्रदेश पुलिस अधिनियम में संशोधन पर विधेयक को पारित करने से पहले चर्चा लाई गई। इस पर भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने लोक सेवक को किसी भी कार्य पर ड्यूटी करने के दौरान गिरफ्तार करने से पहले सरकार की मंजूरी लेने की धारा डालने पर आपत्ति दर्ज की। उन्होंने कहा कि इससे पुलिस अधिकारी अपना काम ठीक से नहीं कर पाएंगे। भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा। त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि पोक्सो एक्ट के तहत अगर किसी कर्मचारी को गिरफ्तार करना होगा तो क्या सरकार को पूछना होगा कि उसे गिरफ्तार करें कि नहीं। क्या यह व्यवस्था किसी विशेष व्यक्ति को लाभ देने के लिए तो नहीं किया जा रही है। सीएम ने कहा कि भाजपा के लोग कर्मचारियों के हितों में ही नहीं है। इससे यह जाहिर होता है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि रिश्वत, खून जैसे संगीन मामलों में गिरफ्तारी करने से संबंधित मामलों में गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं होगी। ये ऐसे मामलों के लिए है कि कार्यालय में कोई एक अधिकारी द्वेष भावना से किसी कर्मचारी के खिलाफ कुछ गलत कार्रवाई करे तो ही यह प्रावधान लागू होगा। इसका एसओपी आएगा। उसमें स्थिति स्पष्ट होगी। ऐसे कई मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। इसमें सरकार की अनुमति से ही गिरफ्तारी का प्रावधान होगा। सीएम सुक्खू ने कहा कि रणधीर शर्मा काल्पनिक बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल कर रहे हैं। विजिलेंस मैन्युअल को नहीं बदला गया है। कई बार अधिकारी द्वेष भावना से एफआईआर दर्ज कर लेते हैं। हिमाचल में अब 25 हजार की कम संख्या होने पर भी जिला परिषद वार्ड बनेंगे। इसके लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने शीत सत्र में हिमाचल प्रदेश पंचायती राज संशोधन विधेयक पारित करने का प्रस्ताव रखा। इससे पहले विधेयक पर भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने चर्चा में भाग लिया और उन्होंने जिला परिषद बनाने के लिए न्यूनतम जनसंख्या जाहिर नहीं करने पर सवाल उठाए। भाजपा विधायक ने कहा कि जिला परिषद वार्ड बनाने के लिए संख्या 25 हजार से ऊपर ही होनी चाहिए। जिस विधेयक को सरकार लाई है, उसमें यह तय नहीं किया गया है कि प्रदेश में जिला परिषद वार्ड बनाने के लिए लोगों की न्यूनतम संख्या कितनी हो। अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि सरकार विधेयक इसलिए ला रही है, ताकि जनजातीय क्षेत्रों में भी जिला परिषद के वार्डों का गठन किया जा सके। चर्चा के बाद विधेयक ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
हिमाचल में उपभोक्ताओं को सस्ते राशन के डिपुओं से खाद्य तेल खरीदने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। रेट पर सहमति न बनने पर सरकार ने टेंडर रद्द कर दिया है। अब नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। हिमाचल में दो माह से उपभोक्ताओं को तेल नहीं मिला है। इधर, सरकार की ओर से दावा किया गया है कि अगले महीने टेंडर प्रक्रिया पूरी करके उपभोक्ताओं को तीन महीने का तेल एक साथ दिया जाएगा। हिमाचल प्रदेश में साढ़े 19 लाख राशन कार्ड धारक हैं। दो माह से डिपुओं में तेल न होने से उपभोक्ताओं को बाजार का रुख करना पड़ रहा है। बाजार में सरसों तेल 160 से 200 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है। इस माह विभाग की ओर से टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई। इससे उपभोक्ताओं को जल्द तेल मिलने की उम्मीद बंधी थी, लेकिन रेट अधिक होने पर सरकार ने टेंडर रद्द दिया। अब खाद्य आपूर्ति निगम ने नए सिरे से तेल टेंडर के लिए कंपनियों से निविदाएं आमंत्रित की है। सरसों तेल के लिए 3 और रिफाइंड तेल के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 4 जनवरी निर्धारित की है। विभाग का दावा है कि निविदाएं आने के बाद अगर प्रक्रिया जल्द पूरी हुई तो उपभोक्ताओं को तीन महीने का तेल एक साथ देंगे। उधर, खाद्य आपूर्ति निगम के प्रबंध निदेशक राजेश्वर गोयल ने बताया कि पुराना टेंडर रद्द कर दिया है। अब नए सिरे से तेल के कंपनियों से निविदाएं मांगी गई हैं। उपभोक्ताओं को एक साथ तीन महीने तेल का कोटा दिया जाएगा।
** एसडीएम करसोग गौरव महाजन ने की शिविर की अध्यक्षता समाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सौजन्य से खंड विकास अधिकारी कार्यालय करसोग के समीप पंचायत समिति बैठक कक्ष में दिव्यांगों को कृत्रिम अंग व सहायक उपकरण प्रदान करने के लिए एसडीएम करसोग गौरव महाजन की अध्यक्षता में विशेष शिविर का आयोजन किया गया। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा अधिकृत संस्था भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) के माध्यम से एडिप योजना के तहत दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग व व्हील चेयर, हियरिंग एड, कैलिपर, छड़ी, सहित अन्य सहायक उपकरण उपलब्ध करवाए करवाए गए। दिव्यागजनों के लिए आयोजित इस शिविर में क्षेत्र के लगभग 42 पात्र दिव्यांगों को व्हील चेयर, हियरिंग एड, कैलिपर, छड़ी, बैसाखी सहित लगभग 74 कृत्रिम अंग व सहायक उपकरण वितरित किए।एसडीएम ने कहा कि प्रदेश सरकार दिव्यांगजनों को सशक्त कर उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए कृत संकल्पित है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों को सामान्य व्यक्तियों की तरह जीवन यापन करने और उनके जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिए सहायक उपकरण एवं कृत्रिम अंग प्रदान किए गए है।इस अवसर पर तहसील कल्याण अधिकारी करसोग, भोपाल शर्मा ने प्रदेश सरकार द्वारा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के माध्यम से दिव्यागजनों और अन्य लोगों के लिए चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनओं की जानकारी भी प्रदान की।
आज शिक्षित बेरोज़गार संघ हिमाचल प्रदेश द्वारा हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा 1लखा सरकारी नौकरी और सरकारी स्कूलो में गेस्ट अध्यापक भर्ती करवाये जाने के निर्णय आउटसोर्स भर्ती के खिलाफ तपोवन शीतकाल सत्र धर्मशाल के बाहर बेरोजगार युवाओं के धरना प्रदर्शन में शामिल हुए। शिक्षित बेरोज़गार संघ हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार द्वारा गेस्ट अध्यापक की भर्तिया करवाने के विरोध में शिमला तपोवन शीतकाल सत्र धर्मशाल के बहार धरना प्रदर्शन किया शिक्षित बेरोज़गार संघ अध्यक्ष बाल कृष्ण मानना है की प्रदेश सरकार छात्र विरोधी और युवा विरोधी निर्णय लेकर लगातार प्रदेश सरकार युवाओ को बेरोजगारी की और धकेल रही है, जिसके कारण प्रदेश के युवाओं में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदेश सरकार ने दो साल पूरे होने का जश्न पूरी धूमधाम से बनाया, लेकिन युवाओं ने जिस मंशा से प्रदेश में बढ़ते भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अव्यवस्था से तंग आकर प्रदेश में कांग्रेस का समर्थन किया था आज इसी बात से तंग आकर खुद को ही कोस रहे हैं। व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर युवाओं व छात्रों को बड़ी तेजी के साथ बेरोजगारी के गर्त में धकेला जा रहा है। शिक्षित बेरोज़गार संघ हिमाचल प्रदेश अध्यक्ष बाल कृष्ण ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार प्रदेश में पूर्व भाजपा सरकार की तरह युवा विरोधी नीतियां लाकर लगातार प्रदेश को पीछे धकेलने का काम कर रही है। शिक्षित बेरोज़गार संघ ने प्रदेश सरकार द्वारा लाई गई गेस्ट अध्यापक की नीति का कड़े शब्दों में विरोध करती है। क्योंकि वर्ष 2013 में बिल्कुल इसी तर्ज पर स्कूल में खाली चल रहे पदों को भरने के लिए SMC के माध्यम से हजारों युवाओ को भरा गया था लेकिन सालों से उन लोगों का शोषण ही हुआ और अब जाकर उन लोगो के लिए नियमित भर्ती में 5 प्रतिशत आरक्षण दिया गया और कुछ ही लोगो को नियमित किया गया। बिल्कुल ऐसा ही गेस्ट टीचरों के साथ भी होगा। ये उन तमाम युवाओं के साथ धोखा है जो सालों से सपने संजो कर मेहनत कर रहा है। शिक्षित बेरोज़गार संघ हिमाचल प्रदेश सरकार के निर्णय का विरोध करती है, जिसमें गेस्ट टीचर नियुक्त किए जा रहे हैं, जबकि प्रदेश में नियमित अध्यापको की नियुक्ति की जानी चाहिए। यह निर्णय NEP-2020 के कार्यान्वयन का हिस्सा है, जो बिना किसी सही योजना और विचार के लागू किया जा रहा है। यह नीति न केवल शिक्षा के स्तर को गिरा रही है, बल्कि हमारे राज्य के युवाओं के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ कर रही है। इसलिए, शिक्षित बेरोज़गार संघ द्वारा तत्काल गेस्ट टीचर नीति की समाप्ति और NEP-2020 के वर्तमान रूप में कार्यान्वयन की वापसी की मांग करती है। राज्य सरकार को सरकारी स्कूलों में सभी खाली पदों में स्थाई भर्तिया जल्द से जल्द करवाने की जरूरत एसएफआई HPRCA के माध्यम से योग्य और स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए। लेकिन बीते दो सालों में सरकारी भर्तियों में ग्रहण लगा है राज्य चयन आयोग भी दो साल से बंद पड़ा था परन्तु कुछ दिनों पहले से पुराने भर्तियों के परिणाम निकाले जा रहे है। इन परिणामों के लिए भी प्रदेश के युवाओं को कई दिनों तक आंदोलन करने पड़े उसके बाद इन परिणामों को घोषित किया गया। प्रदेश सरकार द्वारा पुरानी स्वीकृत भर्तियों को निरस्त कर दिया गया है और आउटसोर्स के नाम पर धांधलियों को अंजाम दिया जा रहा है। शिक्षित बेरोज़गार संघ यह मांग करती है की जो प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में गेस्ट अध्यापक भर्ती करने का निर्णय लिया है उसे वापिस लिया जाए और प्रदेश सरकार से यह भी मांग करती है की छात्र व युवा विरोधी इस पालिसी को न अपनाया जाए और गेस्ट टीचर और आउटसोर्स के बजाय नियमित भर्तीया करवाई जाए। ताकि प्रदेश के युवाओं को स्थाई रोजगार मिल सके।
हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों को अनुबंध सेवाकाल का वरिष्ठता और वित्तीय लाभ नहीं मिलेगा। साल 2003 से यह व्यवस्था लागू होने जा रही है। बुधवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस संदर्भ में सदन के पटल पर हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती एवं सेवा की शर्तें विधेयक रखा। वीरवार को सदन में चर्चा के यह विधेयक पारित होगा। इस विधेयक को लाने के पीछे एक प्रमुख चिंता राज्य पर पड़ने वाला संभावित वित्तीय बोझ है। अनुबंध सेवाकाल का लाभ देने से कर्मचारियों को न केवल अतिरिक्त संसाधनों का भारी आवंटन करना पड़ेगा, बल्कि पिछले 21 वर्षों से अधिक समय से वरिष्ठता सूची में भी संशोधन करना होगा। राज्य की कांग्रेस सरकार इस विधेयक के माध्यम से प्रदेश के कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण बदलाव करने जा रही है। विधेयक पारित होने के बाद कर्मचारियों को ज्वाइनिंग की तारीख से वरिष्ठता और वित्तीय लाभ नहीं मिलेंगे। कर्मचारियों की वरिष्ठता अब उनके नियमित होने के बाद तय की जाएगी। अनुबंध सेवाकाल को इसमें नहीं जोड़ा जाएगा। यह बदलाव विशेष रूप से उन कर्मचारियों के लिए हैं जिनकी वरिष्ठता को लेकर पहले अदालत से आदेश जारी किए गए थे। इन आदेशों के चलते राज्य खजाने पर बोझ बढ़ने की संभावना थी। विधेयक के अनुसार बिल का उद्देश्य नियमित सरकारी कर्मचारियों व अनुबंधित नियुक्तियों के हितों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है। मुख्यमंत्री की ओर से स्थिति स्पष्ट की गई है कि यह विधेयक भारत के संविधान के अनुच्छेद-309 से अधिकार लेता है, जिसके तहत सार्वजनिक कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तों को नियंत्रित किया जाता है। हिमाचल में अनुबंध आधार पर नियुक्तियां 2003 में शुरू हुईं, जिसमें नियुक्ति पत्रों में सेवा शर्तों का स्पष्ट उल्लेख किया गया। कर्मचारियों को यह अवगत कराया गया था कि अनुबंध के तहत उनका कार्यकाल वरिष्ठता या नियमित कर्मचारियों को मिलने वाले अन्य लाभों के लिए नहीं गिना जाएगा। इसके बावजूद अनुबंध नियुक्तियों को भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में शामिल करने से यह धारणा बनी कि ऐसी नियुक्तियां नियमित रोजगार के बराबर हैं। विधेयक के अनुसार अनुबंध के आधार पर नियुक्ति करने का उद्देश्य उन्हें नियमित कर्मचारियों के समान मानने का कभी नहीं था। उनकी सेवा शर्तें उनकी ओर से हस्ताक्षरित समझौतों से नियंत्रित होती हैं और इस प्रकार वे नियमित नियुक्तियों के समान सार्वजनिक सेवाओं का हिस्सा नहीं हैं। सरकार के उच्च अधिकारियों ने बताया कि कोर्ट के माध्यम से कई कर्मचारियों को अनुबंध सेवाकाल का वरिष्ठता लाभ देना पड़ा है। रोजाना इस प्रकार के मामले कोर्ट में लग रहे हैं। ऐसे में सरकार को विधेयक लाकर इस व्यवस्था को बंद करना पड़ रहा है। ताज मोहम्मद बनाम लेखराज केस ने सरकार की इन दिनों परेशानी बढ़ाई हुई है। विधेयक पारित होने के बाद अनुबंध सेवाकाल से वरिष्ठता और वित्तीय लाभ देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
राज्य विधानसभा के शीत सत्र के पहले दिन बुधवार को सदन में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक 2024 पेश किया। 1972 के लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन के रूप में इस विधेयक को प्रस्तुत करने के बाद यह आज पारित किया जा सकता है। इसके तहत अब धार्मिक और चैरिटी के लिए 30 एकड़ जमीन या भूमि पर बने ढांचे को हस्तांतरित किया जा सकेगा। अगर नियमों की अवहेलना की गई तो सरकार ऐसी जमीन या इस पर बनी संरचना को अपने कब्जे में ले लेगी। इस संशोधन विधेयक के उद्देश्यों में सरकार ने स्पष्ट किया है कि राधास्वामी सत्संग ब्यास पूरे देश में अपना क्रियाकलाप चलाने वाला एक धार्मिक और आध्यात्मिक संगठन है। इसने राज्य में नैतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा के कई केंद्र स्थापित किए हैं। इस संस्था ने हमीरपुर जिला के भोटा में एक अस्पताल भी स्थापित किया है। यह लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की पूर्ति कर रहा है। इस संगठन के पास लैंड सीलिंग एक्ट के तहत अनुमानित सीमा से अधिक जमीन है, जिसे अधिनियम की धारा पांच के खंड -झ के उपबंध के तहत छूट दी गई है। राधास्वामी सत्संग ने कई बार सरकार से अनुरोध किया है कि उसे भोटा चैरिटेबल अस्पताल की भूमि और भवन को चिकित्सा सेवाओं के लिए बेहतर प्रबंधन को जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसाइटी को हस्तांतरित करने की अनुमति दी जाए। इसे इसका एक सहयोगी संगठन कहा गया है। मगर धारा पांच का खंड झ इसमें रोक लगाता है। ऐसे में कुछ शर्तों के साथ हस्तांतरण की अनुमति सरकार कुछ शर्तों के साथ देगी। इसके लिए धारा पांच का खंड झ में संशोधन प्रस्तावित किया गया है।
हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर में बिना पंजीकरण कोई भी व्यक्ति रेहड़ी लगाकर कारोबार नहीं कर सकेगा। इसके साथ ही नगर निगम मंडी ने सभी रेहड़ी धारकों के लिए नाम पट्टिका लगाना अनिवार्य कर दिया है। निगम की ओर से एक-दो दिन के भीतर नेम प्लेट वितरित की जाएंगी। अवैध रूप से रेहड़ी लगाने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होगी। नगर निगम के पास रेहड़ी धारकों की संख्या 350 थी, लेकिन हाल ही में वेंडिंग जोन में हुए सर्वे के दौरान कई रेहड़ियां ऐसी पाई गईं, जिनका कोई मालिक ही नहीं था। कुछ रेहड़ी धारक कारोबार नहीं कर रहे थे। इस पर नगर निगम ने करीब 100 लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। अब पंजीकृत रेहड़ी धारकों की संख्या 250 रह गई है। नगर निगम मंडी ने पात्र रेहड़ी धारकों को नेम प्लेट जारी करने का निर्णय लिया है। 50 रेहड़ी धारकों को पहले ही नेम प्लेट जारी की जा चुकी हैं, जबकि बाकी 200 नेम प्लेट निगम कार्यालय में पहुंच गई हैं। जल्द ही इन्हें वितरित किया जाएगा। नेम प्लेट से ग्राहक को रेहड़ी धारक का नाम और पता आसानी से मिल सकेगा। किसी समस्या की स्थिति में ग्राहक नगर निगम के पास शिकायत दर्ज करवा सकेगा। नेम प्लेट की व्यवस्था लागू होने से अवैध रूप से रेहड़ी-फड़ी लगाने वालों की पहचान करने में भी आसानी होगी। नगर निगम ने स्पष्ट किया है कि शहर में केवल पंजीकृत रेहड़ी धारकों को ही कारोबार करने की अनुमति होगी। शहर में रेहड़ी धारकों का सर्वे करने के बाद लाइसेंस की सभी प्रक्रियाएं पूरा कर ली हैं। शहर में सभी रेहड़ीधारकों और फूड कार्नर मालिकों को लाइसेंस जारी कर अब नेम प्लेट जारी की जाएगी। एक-दो दिनों में शहर के 200 रेहड़ीधारकों को नेम प्लेट का वितरण कर दिया जाएगा। हाल ही में कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह के हिमाचल में रेहड़ी-फहड़ी दुकानों और भोजनालयों पर नेम प्लेट लगाने के बयान पर विवाद हो गया था। विक्रमादित्य सिंह ने कहा था कि हिमाचल प्रदेश के स्ट्रीट वेंडर्स को भी अपनी नेम प्लेट और आईडी लगानी होगी। हालांकि बाद में इस मामले में सुक्खू सरकार ने स्पष्टीकरण जारी किया था। इसमें कहा था कि अभी ऐसे किसी भी फैसले को लागू नहीं किया है। सरकार ने विक्रेताओं को अपनी दुकानों पर नेम प्लेट या अन्य पहचान अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करने के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है। इस बीच मंडी में रेहड़ी फड़ी पर नेम प्लेट लगने जा रही है।
** सरकार के खिलाफ जमकर की नारेबाजी हिमाचल प्रदेश में मुर्गा प्रकरण पर सियासत गरमा गई है। मामले में धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा समेत छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इनमें कुछ मीडिया कर्मी भी शामिल हैं। इसके विरोध में गुरुवार को नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की अगवाई में विपक्ष ने विधानसभा परिसर में प्रदर्शन किया। इस दाैरान नेता प्रतिपक्ष सहित भाजपा विधायकों ने हाथों में मुर्गे के पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया। विपक्ष ने भाजपा विधायक और मीडिया पर एफआईआर दर्ज करना शर्मनाक बताया। साथ ही वन्यजीव अधिनियम में मामला दर्ज कर जांच की मांग उठाई। पत्रकारों से बातचीत में जयराम ठाकुर ने कहा कि सीएम के कुपवी दाैरे के दाैरान रात्रि भोज के मेन्यू में 12 नंबर पर जंगली मुर्गे का भी जिक्र था। सीएम ने डिनर के दाैरान खुद जंगली मुर्गे का जिक्र किया। कहा कि जंगली मुर्गा जंगल में ही मिलता है। मामले में सरकार ने कई स्पष्टीकरण देने की बातें हुईं। लेकिन हैरानी बात है कि सीएम के डिनर वाले वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर पर विधायक व कुछ मीडिया के लोगों पर एर्फआईआर दर्ज की गई, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। मुर्गा प्रकरण में कुपवी की कुलग पंचायत की प्रधान सुमन चौहान और नीटू परमार की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया है। शिकायत में महिला प्रधान ने कहा कि सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और कई लोगों ने व्यक्तिगत हैंडल पर फर्जी मेन्यू शेयर किया। इसकी वजह से इलाके के पारंपरिक भोजन और संस्कृति को नुकसान पहुंचा है। इस तरह का दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। शिकायतकर्ताओं ने बताया कि 13 दिसंबर को उनके गांव टिक्कर में विशेष अतिथि आए थे, जिनके स्वागत के लिए गांव की महिलाओं ने पारंपरिक भोजन तैयार किया गया था। लेकिन एक फर्जी मेन्यू शेयर किया गया। पुलिस ने शिकायत पर भारतीय न्याय संहिता की धारा-353 और 356 के तहत केस दर्ज किया है। गाैरतलब है कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू 13 दिसंबर को कुपवी इलाके के दौरे पर थे। रात को उन्होंने टिक्कर गांव में विश्राम किया था। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ता के घर पर डिनर किया था। डिनर का मेन्यू सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इसमें पहाड़ी मुर्गे का भी जिक्र था। यहां तक कि सीएम भी मुर्गा परोसने के बात कहते हुए नजर आए थे। सीएम का वीडियो और मेन्यू काफी ज्यादा वायरल हुए थे। हालांकि, सीएम ने मीट खाने से इन्कार किया था। सीएम के कार्यक्रम में जंगली मुर्गा परोसने पर सवाल उठाए गए थे। डीएसपी चौपाल सुशांत शर्मा ने केस दर्ज करने की पुष्टि की है। उधर, विधायक सुधीर शर्मा ने कहा कि सरकार डर के मारे एफआईआर कर रही है। कितने मुर्गे कटे हैं, इसकी जांच होनी चाहिए। सीएम के मेन्यू में मुर्गे का जिक्र था।
हिमाचल प्रदेश में अब कांस्टेबलों का भी जिला के बजाय राज्य काडर होगा। इनकी भर्ती भी अब राज्य काडर में पुलिस बोर्ड करेगा। बुधवार को सदन में इसके लिए हिमाचल प्रदेश पुलिस संशोधन विधेयक 2024 पेश किया गया। इसके पारित होने के बाद अब पुलिस कांस्टेबलों के एक जिले से दूसरे जिले में तबादले किए जा सकेंगे। राज्य विधानसभा के शीत सत्र के पहले दिन बुधवार को सदन में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश पुलिस अधिनियम 2007 में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया। नए संशोधन के लागू होने के बाद गैर राजपत्रित पुलिस अधिकारियों (ग्रेड-दो) की भर्ती अब पुलिस भर्ती बोर्ड करेगा। इस श्रेणी में कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल आते हैं। यह भर्ती अब राज्य काडर में भी होगी, जिससे प्रदेश में एक एकीकृत प्रक्रिया सुनिश्चित होगी। पुलिस कर्मियों की इन श्रेणियों के लिए जिला और राज्य रोल की आवश्यकता को हटाया जाएगा, जिससे प्रक्रिया सरल होगी। नए संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद अब ड्यूटी पर तैनात लोक सेवकों यानी कर्मचारियों के लिए सुरक्षा की भी व्यवस्था की गई है। इसके अनुसार पुलिस अधिनियम की धारा-65 की उपधारा-तीन में संशोधन किया जाएगा। यानी सरकारी कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना किसी भी लोक सेवक की गिरफ्तारी पर रोक रहेगी। यानी सरकार की अनुमति के बगैर गिरफ्तारी नहीं की जा सकेगी। इससे वह निडर होकर कर्तव्य निर्वहन कर सकेंगे। जिला पुलिस शिकायत प्राधिकरणों में नियुक्तियों में लचीलापन लाया जा रहा है। यानी ऐसे मामलों में जहां निर्दिष्ट रैंक के वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी उपलब्ध नहीं हैं, वहां राज्य सरकार को इन प्राधिकरणों की कार्यक्षमता सुनिश्चित करते हुए कनिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारियों को नामित करने का अधिकार होगा। अभी तक सेवानिवृत्त पुलिस अधीक्षक, जिला न्यायवादी, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश या इससे ऊपर के सेवानिवृत्त अधिकारियों को ही इस प्राधिकरण में नामित करने की व्यवस्था रही है, मगर अब ऐसे सेवानिवृत्त अधिकारियों के उपलब्ध नहीं होने पर कनिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति का भी प्रावधान होगा।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने पीएचडी में पंजीकृत शोधार्थियों की परेशानियों को खत्म में करते हुए बड़ा फैसला लिया है। पीएचडी की अब साल में दो बार कोर्स वर्क की परीक्षाएं होंगी। इन्हें दिसंबर और जून में करवाया जाएगा। शोधार्थियों को इस फैसले के बाद अब कोर्स वर्क की परीक्षा के लिए साल भर इंतजार नहीं करना पड़ेगा। अभी विवि मार्च और अप्रैल में परीक्षा करवाता है। विवि साल में दो बार पीएचडी में प्रवेश देता है। इसमें प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश दिया जाता हैं और दूसरा राष्ट्रीय स्तर की स्कॉलरशिप जेआरएफ आदि में पास अभ्यर्थियों के लिए सीधे प्रवेश की व्यवस्था लागू थी। इसमें एक बार में दो से ढाई सौ छात्र पीएचडी के विवि के विभिन्न विभागों में चलाए जा रहे कोर्स में प्रवेश पाते हैं। साल में दो बार पीएचडी में प्रवेश दिए जाने के बाद अब विवि कोर्स वर्क की परीक्षाएं भी दो बार ही करवाएगा। विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. श्याम लाल कौशल ने माना कि विवि ने पीएचडी कोर्स वर्क की परीक्षाओं को साल में दो बार जून और दिसंबर में करने का फैसला लिया है। इससे शोधार्थियों को कोर्स वर्क की परीक्षा देने के लिए पूरे साल इंतजार नहीं करना पड़ेगा । इससे उनका शोध कार्य और बेहतर ढंग से चलेगा और समय से पूरा हो सकेगा। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने साल में दो बार पीएचडी कोर्स वर्क की परीक्षाओं को करवाने का फैसला लेने के साथ ही दिसंबर 2024 से ही इस फैसले के अनुरूप परीक्षाएं करवाने का फैसला ले लिया है। इसके लिए विवि के परीक्षा नियंत्रक ने सभी पीएचडी कोर्स वर्क की दिसंबर में होने वाली परीक्षाओं का शेड्यूल भी जारी कर वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। पीएचडी कोर्स वर्क विज्ञान विषय की ये परीक्षाएं 24 दिसंबर से शुरू होंगी। परीक्षाओं का विस्तृत शेड़्यूल विवि की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। इन परीक्षाओं के लिए एचपीयू बिजनेस स्कूल को परीक्षा केंद्र बनाया गया है।
चंबा: हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में मोबाइल ब्लास्ट होने के कारण गंभीर रूप से घायल युवती ने टांडा मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया है। युवती चंबा जिले के सलूणी क्षेत्र की रहने वाली थी। पुलिस ने मृतका का पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया है। हिमाचल में इस तरह का ये पहला मामला है, जिसमें मोबाइल ब्लास्ट के चलते मौत हुई है। डीएसपी सलूणी रंजन शर्मा ने बताया कि सलूणी क्षेत्र के विचूणी गांव की 20 वर्षीय किरण देवी 9 दिसंबर को जब अपने घर में मोबाइल फोन चला रही थी, तो अचानक हाथ में पकड़ा फोन बम की तरह जोरदार धमाके के साथ फट गया, जिससे युवती के कपड़ों ने भी तुरंत आग पकड़ ली। परिजनों ने कड़ी मशक्कत के बाद किसी तरह आग को बुझाया, लेकिन तब तक युवती बुरी तरह से आग में झुलस गई थी। जिसके बाद परिजन युवती को घायल अवस्था में इलाज के लिए चंबा मेडिकल कॉलेज ले गए, जहां प्राथमिक इलाज के बाद उसकी गंभीर हालत को देखते हुए टांडा मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया, जहां इलाज के दौरान 15 दिसंबर को उसकी मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि जब मोबाइल फोन में ब्लास्ट हुआ उस समय युवती ने फोन चार्जिंग पर लगा रखा था। डीएसपी सलूणी रंजन शर्मा ने बताया, मोबाइल ब्लास्ट में घायल युवती की इलाज के दौरान टांडा मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई है। सूचना मिलते ही चंबा से पुलिस टीम टांडा मेडिकल कॉलेज पहुंची। जहां पोस्टमार्टम समेत अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया।
क्रिसमस और नव वर्ष बनाने के लिए हिमाचल के पर्यटन स्थल सैलानियों से गुलजार रहेंगे। क्रिसमस से पहले वीकेंड पर 21 दिसंबर से ही सैलानियों के पहुंचने का क्रम शुरू हो जाएगा जो जनवरी के पहले हफ्ते तक जारी रहेगा। क्रिसमस और न्यू ईयर के लिए शिमला, मनाली, धर्मशाला, कुफरी, नारकंडा, कसौली, चायल, किन्नौर और लाहौल-स्पीति के लिए सबसे अधिक इंक्वायरी आ रही है। प्रदेश के बड़े समूहों के होटलों में 50 फीसदी तक एडवांस बुकिंग हो चुकी है। विंटर टूरिस्ट सीजन के दौरान बड़ी संख्या में सैलानियों के हिमाचल पहुंचने की संभावना के चलते होटल कारोबारियों और ट्रैवल एजेंट्स ने खास तैयारियां शुरू कर दी हैं। करीब 15 से 20 दिन चलने वाले सीजन के लिए होटल संचालकों ने अतिरिक्त स्टाफ का बंदोबस्त करना शुरू कर दिया है। ट्रैवल एजेंट्स अतिरिक्त गाड़ियों का बंदोबस्त कर रहे हैं ताकि सैलानियों को लाने ले जाने और साइट सीन के लिए गाड़ियां उपलब्ध करवाई जा सकें। निजी होटल संचालकों और पर्यटन विकास निगम ने क्रिसमस और नववर्ष की पार्टी के लिए खास इंतजाम किए हैं। पर्यटन विकास निगम के होटलों में इस दौरान फूड फेस्टिवल का आयोजन होगा। दिल्ली से शिमला, मनाली सहित अन्य पर्यटन स्थलों के लिए अतिरिक्त वोल्वो बसों का संचालन होगा। एचआरटीसी भी मांग के अनुसार दिल्ली से पर्यटन स्थलों के लिए अतिरिक्त वोल्वो चलाएगा। हिमाचल के पर्यटन स्थल 21 दिसंबर से जनवरी के पहले हफ्ते तक सैलानियों से गुलजार रहेंगे। होटल संचालकों के पास बड़ी संख्या में इंक्वायरी आ रही है। बड़े होटलों में 50 फीसदी तक एडवांस बुकिंग भी हो गई है। भारी संख्या में सैलानियों के पहुंचाने की संभावना के चलते पर्यटन कारोबारी भी तैयारियों में जुट गए हैं।
हिमाचल प्रदेश के कई जिले शीतलहर की चपेट में हैं। माैसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार अगले छह दिनों तक निचले पहाड़ी, मैदानी क्षेत्रों में अलग-अलग स्थानों पर शीतलहर चलने के आसार हैं। बीते 24 घंटों के दाैरान ऊना, हमीरपुर, मंडी और सुंदरनगर में शीतलहर दर्ज की गई है। विभाग ने 19 से 22 दिसंबर के दौरान बिलासपुर, हमीरपुर, ऊना, चंबा कांगड़ा व मंडी जिले के कुछ इलाकों में तेज शीतलहर चलने का ऑरेंज-येलो अलर्ट जारी किया है। उधर, राज्य के सात स्थानों पर न्यूनतम तापमान माइनस में व तीन स्थानों पर शून्य में दर्ज किया गया है। माैसम केंद्र शिमला की ओर से प्रदेश में अगले सात दिनों तक मौसम शुष्क रहने की संभावना जताई गई है। हालांकि, चंबा व लाहाैल-स्पीति जिले के उच्च पर्वतीय एक-दो स्थानों पर आज हल्की बारिश-बर्फबारी हो सकती है। अन्य भागों में 24 दिसंबर तक माैसम साफ बना रहने का पूर्वानुमान है। अगले 24 घंटों तक न्यूनतम और अधिकतम तापमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। इसके बाद अगले तीन दिनों तक राज्य के कुछ हिस्सों में तापमान में धीरे-धीरे 2-3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आएगी।
हिमाचल में सीमेंट फिर महंगा हो गया है। डीलरों ने प्रति बैग 5 से 20 रुपये तक दाम बढ़ाए हैं। हालांकि, डीलर दाम में बढ़ोतरी की वजह कंपनी की ओर से डिस्काउंट बंद करना बता रहे हैं। एसीसी सीमेंट विक्रेता पवन बरूर ने बताया कि एसीसी सुरक्षा सीमेंट पहले 430 रुपये प्रति बैग बिक रहा था, जो अब 440 रुपये में उपलब्ध होगा। एसीसी गोल्ड 480 के बजाय 485 रुपये में मिलेगा। अंबुजा सीमेंट विक्रेता रोहित शर्मा ने बताया कि पहले अंबुजा सीमेंट 435 रुपये प्रति बैग बिक रहा था। अब दाम बढ़कर 455 रुपये हो गए हैं। डीलरों के अनुसार, पहले कंपनियां अलग-अलग जोन बनाकर उन्हें डिस्काउंट देती थीं, इससे वह ग्राहकों को रियायती दरों पर सीमेंट बेच पाते थे। हाल ही में कंपनियों ने डिस्काउंट बंद कर दिया है। अब मुनाफा घटने के कारण उन्हें कीमतें बढ़ानी पड़ी हैं। कंपनियों ने अपनी बिलिंग में कोई बदलाव नहीं किया है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंडी जिले के बल्ह में चिट्टे के मामले को रफा-दफा करने के लिए पैसे मांगे जाने पर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई से जांच करवाने के आदेश दिए हैं। याचिका में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।अदालत ने एफआईआर नंबर 106/2024 पर सीबीबीआई के पुलिस अधीक्षक को तुरंत आपराधिक रिपोर्ट दर्ज करने और जांच को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने के निर्देश दिए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने डीजीपी को तीन दिन के अंदर मामले से संबंधित सारा रिकाॅर्ड सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए। अदालत ने मुख्य सचिव को भी संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है। अदालत ने फैसले में कहा है कि पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की सांविधानिक पीठ की ओर से ललिता कुमारी बनाम यूपी में जारी दिशा-निर्देशों की अनुपालना नहीं की है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत में घटनाक्रम की वीडियो दिखाई। इसमें कुछ पुलिस अधिकारी सादे कपड़ों में चिट्टा गाड़ी में रखते और आरोपियों को ले जाते पाए गए हैं। बल्ह में तीन युवकों को 287 ग्राम चिट्टे के साथ गिरफ्तार किया गया था। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि किसी ने उनसे फिरौती की मांग की थी और कहा कि अगर पैसों का इंतजाम किया तो आपके बेटे पर एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत में बताया कि युवकों को गलत तरीके से फंसाया है। दलील में कहा कि 31 मार्च को याचिकाकर्ता को शाम करीब 6:00 बजे एक नंबर से फोन आया और बताया कि उसके बेटे दीपक की गाड़ी में सवार दो लोगों को पुलिस ने चिट्टे के साथ गिरफ्तार किया है। याचिकाकर्ता ने बेटे को छोड़ने का आग्रह किया तो बदले में एक लाख रुपये की व्यवस्था करने को कहा गया। कहा कि अगर पैसे नहीं दिए तो बेटे को मामले में फंसाया जाएगा। इसके बाद याचिकाकर्ता ने पैसे का प्रबंध किया और तीन रिश्तेदार के साथ नेरचौक रवाना हुए। बीच रास्ते में बाबा बालक नाथ मंदिर के नजदीक पुलिस मिली और याचिकाकर्ता ने पुलिस को आपबीती सुनाई। पुलिस ने याचिकाकर्ता की बातों पर ध्यान नहीं दिया। अदालत के आदेशों की अनुपालना की अगली सुनवाई 3 मार्च को होगी।
धर्मशाला के तपोवन में बुधवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में पक्ष और विपक्ष के बीच खूब घमासान होगा। इस बात का संकेत विपक्ष ने मंगलवार को उस समय दे दिया, जब उसने सत्र से पहले मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से किनारा कर लिया। मंगलवार को दिन में करीब साढ़े 12 बजे विधानसभा अध्यक्ष ने तपोवन स्थित अध्यक्ष के चैंबर में सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, लेकिन विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष सहित किसी भी सदस्य ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। सत्र से पहले बुलाई गई इस बैठक में दोनों पक्षों की ओर से सत्र को सुचारू रूप से चलने देने के लिए सहमति बननी थी, लेकिन विपक्ष के कड़े तेवरों के चलते बैठक में किसी ने भी हिस्सा नहीं लिया। उधर, बाद में मीडिया से बात करते हुए संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने इसे विपक्ष का एक अनैतिक और गैर जिम्मेदाराना रवैया करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह बैठक एक महत्त्वपूर्ण बैठक थी। सत्र को सुचारू रूप से चलाने और विपक्ष के सहयोग के लिए इस बैठक को बुलाया गया था, लेकिन न ही नेता प्रतिपक्ष और न ही उनका कोई अन्य सदस्य इस बैठक में पहुंचा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के इस मंदिर में इस तरह का रवैया पूरी तरह से गैर जिम्मेदाराना है। गौरतलब है कि नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर सोमवार देर शाम धर्मशाला पहुंच गए थे, लेकिन मंगलवार को बैठक में हिस्सा नहीं लिया। नेता प्रतिपक्ष तबीयत ठीक न होने के कारण बैठक में भाग न ले पाने की बात कर रहे थे। सर्वदलीय बैठक में हिस्सा नहीं लेने से एक बात स्पष्ट हो गई है कि इस बार विपक्ष न सिर्फ सदन के भीतर बल्कि सदन के बाहर भी सरकार को घेरने का मन बना चुका है। विधानसभा शीतकालीन सत्र में चार बैठकों का आयोजन किया जाएगा। इस बार के सत्र में विधानसभा सदस्यों द्वारा 248 तारांकित और 68 अतारांकित प्रश्न सदन में उठाए जाएंगे। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने तपोवन परिसर में पत्रकारों से कहा कि चार बैठकों के दौरान विभिन्न नियमों के तहत 14 विषयों पर चर्चा भी सदस्यों द्वारा की जाएगी।
धर्मपुर के राजकीय महाविद्यालय के खेल मैदान में युवक मंडल धर्मपुर द्वारा क्रिकेट ट्रॉफी का आयोजन किया जा रहा था। मंगलवार को सरी टीम का मुकाबला कुज्जाबल्ह टीम से हो रहा था। पहले बल्लेबाजी कुज्जाबल्ह कर रहा था और सरी टीम की ओर से विजय कुमार गेंदबाजी कर रहे थे। तीन गेंदें डालने के बाद जैसे ही विजय चौथी गेंद डालने के लिए पीछे मुड़े, अचानक वह मैदान पर गिर गए। पहले तो खिलाड़ियों और दर्शकों को लगा कि उनका पैर फिसल गया होगा, लेकिन जब कुछ देर तक वह नहीं उठे तो सभी उनके पास भागे और तुरंत उन्हें सिविल अस्पताल धर्मपुर ले जाया गया। अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन विजय कुमार को बचाया नहीं जा सका। विजय कुमार, जो कि कृष्ण चंद के बेटे थे, गांव कपाही, तहसील धर्मपुर से संबंध रखते थे। उनकी अभी शादी नहीं हुई थी। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस थाना धर्मपुर की टीम मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सरकाघाट भेज दिया। डीएसपी धर्मपुर संजीव सूद ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। विजय कुमार की आकस्मिक मौत से क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई। धर्मपुर के विधायक चंद्रशेखर ने इस घटना पर गहरा दुःख व्यक्त किया और दिवंगत के परिवार को दुख सहन करने की शक्ति देने के लिए भगवान से प्रार्थना की।
** मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर में कोल्ड वेव का ऑरेंज अलर्ट जारी... हिमाचल प्रदेश में सर्दी के मौसम में एक बार फिर गर्मी रिकार्ड तोड़ने लगी है। मध्यवर्ती ऊंचाई वाले इलाकों में जहां ज्यादा ठंड पड़ती है, वहां तापमान में उछाल आया है। शिमला और कल्पा में दिसंबर महीने का दूसरा रिकार्ड अधिकतम तापमान दर्ज किया गया है। तो दूसरी तरफ मैदानी तीन से चार जिलों में 19 दिसंबर तक शीतलहर का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया हैं।मौसम वैज्ञानिक संदीप कुमार शर्मा ने बताया कि प्रदेश के दिन के तापमान सामान्य से 4 से 6 डिग्री सेल्सियस ज्यादा चले हुए हैं। शिमला का अधिकतम तापमान नॉर्मल की तुलना में 7 डिग्री ज्यादा के साथ 21 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। उन्होंने बताया कि मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर में सुबह के वक्त शीतलहर चल सकती हैं ऐसे में कोल्ड वेव का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। कांगड़ा में भी कुछ स्थानों पर शीतलहर चल सकती हैं। उन्होंने बताया कि 22 दिसम्बर तक प्रदेश में मौसम साफ बना रहेगा।
देश में संविधान को लेकर गरमाई राजनीति के बीच हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को सांविधानिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा देने का फैसला लिया है। राज्य सचिवालय में शिक्षा विभाग के कामकाज की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के स्कूली पाठ्यक्रम में सांविधानिक मूल्यों को शामिल करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 6-6 स्कूलों को सभी आवश्यक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। इनमें पर्याप्त स्टाफ, पुस्तकालय, प्रयोगशाला और अन्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी। स्कूलों के लिए वर्ष भर की गतिविधियों का कैलेंडर तैयार किया जाएगा। सीएम ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन के ध्येय के साथ शिक्षा विभाग में व्यापक स्तर पर युक्तिकरण प्रक्रिया पर काम किया जा रहा है। कॉलेजों में भी नए विषयों के समावेश के साथ-साथ उनका युक्तिकरण भी किया जा रहा है। बैठक में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, सचिव शिक्षा राकेश कंवर भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने गेस्ट टीचर नीति पर चर्चा करते हुए कहा कि नीति से पठन-पाठन की प्रक्रिया में निरंतरता बनाए रखने में मदद मिलेगी। नियमित अध्यापकों के छुट्टी पर जाने की स्थिति में योग्य अध्यापकों की सेवाएं ली जाएंगी। इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होगी। स्कूल प्रमुखों को छुट्टी पर जाने वाले अध्यापकों की सूचना नियमित रूप से उपनिदेशक कार्यालय को प्रेषित करनी होगी।
हिमाचल प्रदेश में बागवानी विकास के लिए प्रदेश सरकार उच्च घनत्व पौधरोपण को बढ़ावा देगी। प्रदेश सरकार ने एचडीपी-2 परियोजना लागू करने का फैसला लिया है। एचडीपी-2 परियोजना के वित्त पोषण के लिए सरकार विश्व बैंक को प्रस्ताव भेजेगी। सोमवार को बागवानी विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया। बैठक में मुख्यमंत्री ने बागवानी विभाग के अधिकारियों को प्रदेश में भंडारण और विपणन व्यवस्था विकसित करने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने मंडी मध्यस्थता योजना के तहत बागवानों से खरीदे जाने वाले सेब का पैसा डीबीटी सुविधा के तहत सीधे बागवानों के बैंक खातों में भेजने की व्यवस्था लागू करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसानों और बागवानों को उत्पादों के सही दाम मिलें, इसके लिए सरकार द्वारा जिला स्तर पर आधुनिक कोल्ड स्टोर विकसित करने की योजना पर भी कार्य किया जा रहा है। ऊना जिला में आलू की प्रसंस्करण यूनिट स्थापित करने की योजना पर भी कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में सेब बागवानी के कायाकल्प के लिए सरकार 500 करोड़ रुपये की परियोजना बनाने पर भी विचार कर रही है, इसकी अवधि पांच वर्ष होगी। प्रदेश में वित्त वर्ष 2023-24 तथा 2024-25 के दौरान राज्य योजनाओं की उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वित्त वर्ष में बागवानी विकास योजना के तहत पावर टिल्लर और पावर स्प्रेयर पर 12.84 करोड़ खर्च किए गए जिससे 4244 बागवान लाभान्वित हुए। वित्त वर्ष 2024-25 में इसके तहत अब तक 9 करोड़ रुपये खर्च कर 3156 बागवानों को लाभान्वित किया गया है। एंटी हेलनेट स्कीम में 14.45 करोड़ खर्च कर 1767 लोगों को फायदा हुआ है। हिमाचल पुष्प क्रांति योजना पर पिछले वित्त वर्ष के दौरान 11 करोड़ रुपये खर्च कर 750 लोगों को लाभ पहुंचाया गया है। बैठक में बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान, सचिव बागवानी सी. पालरासु, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, निदेशक बागवानी विनय कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि गेस्ट टीचर रखना एक अस्थायी व्यवस्था है। शिक्षण संस्थानों में निरंतर पढ़ाई जारी रखने को यह फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि सीधी भर्ती से शिक्षकों के रिक्त पदों को भरना कांग्रेस सरकार की पहली प्राथमिकता है। पूर्व सरकार की नीतियों पर शिक्षा मंत्री ने सवाल उठाते हुए बेवजह इस मामले को तूल नहीं देने का आग्रह किया है। सोमवार को राज्य सचिवालय में शिक्षा मंत्री ने कहा कि गेस्ट टीचर भर्ती के लिए पहले एसओपी बनेगी। गेस्ट टीचरों का पैनल बनाकर उन्हें पढ़ाने के लिए बुलाया जाएगा। राज्य सरकार कम विद्यार्थियों की संख्या वाले स्कूल और कॉलेजों को मर्ज करने पर भी विचार कर रही है। शिक्षण संस्थानों में आवश्यकता से अधिक शिक्षकों का युक्तिकरण करने का फैसला लिया है। इसके तहत जिन स्कूलों में आवश्यकता से ज्यादा शिक्षक नियुक्त हैं, उन्हें अन्य स्कूलों में भेजा जाएगा। जिन संस्थानों में शिक्षकों के पद रिक्त रहेंगे, वहीं पर गेस्ट टीचर लगाए जाएंगे। यदि कोई शिक्षक अवकाश पर जाता है तो भी गेस्ट टीचर पर रखे जाएंगे। इन शिक्षकों को पीरियड आधार पर पैसा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस योजना का मकसद है कि स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई में एक दिन भी बाधा न आए। राज्य सरकार शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए प्रयासरत है। पूर्व सरकार के समय स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल था। शिक्षा मंत्री ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने शिक्षा विभाग में छह हजार पदों को भरने की मंजूरी दी थी। करीब 3200 पदों को भरा जा चुका है। 2800 पदों को राज्य चयन आयोग हमीरपुर के माध्यम से भरा जाएगा। इसके लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जल्द ही आयोग को इसका प्रस्ताव तैयार करके भेजा जाएगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से प्रवक्ताओं के पदों को भरने के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी। इसका परिणाम घोषित किया जा चुका है। उच्च शिक्षा विभाग में 1500 पदों को पदाेन्नति, सीधी भर्ती व बैच वाइज आधार पर भरा है। अभी आयोग ने 5 विषयों का परिणाम घोषित किया है। विभाग को निर्देश जारी कर दिए हैं कि जल्द ही नियुक्तियां दे दी जाए। कॉलेजों में भी खाली पदों को भरा जा रहा है।
हिमाचल में एक जनवरी से ग्रेड एक और दो अधिकारियों को बिजली सब्सिडी नहीं मिलेगी। इन उपभोक्ताओं को पूरी दरों के हिसाब से बिल चुकाना होगा। यह फैसला सोमवार को मुख्यमंत्री सुक्खू की अध्यक्षता में राज्य सचिवालय में हुई ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक में लिया गया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को बोर्ड की कार्यप्रणाली में नवोन्मेषी उपायों का समावेश करने के निर्देश दिए। बोर्ड की मजबूती के लिए 100 करोड़ का अतिरिक्त कॉर्पस फंड भी प्रदान करने का फैसला लिया। सीएम ने कहा कि बोर्ड की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए सरकार निरंतर समीक्षा क रही है। हाल ही में उद्योग एवं व्यावसायिक उपभोक्ताओं के संबंध में विद्युत दरों में युक्तिकरण किया है, इससे लगभग 500 करोड़ रुपये वार्षिक अतिरिक्त आय सुनिश्चित हुई है। प्रदेश की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वित्तीय अनुशासन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसी कड़ी में ग्रेड वन और टू के सरकारी अधिकारियों को दी जाने वाली बिजली सब्सिडी बंद करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्युत बोर्ड में लाइनमैन और टी-मेट की भर्तियां जल्द की जाएंगी ताकि फील्ड स्टाफ की कमी को दूर किया जा सके। समुचित फील्ड स्टाफ की तैनाती से विद्युत आपूर्ति सेवा में गुणवत्ता भी सुनिश्चित होगी। अधिकारियों को स्टाफ का युक्तिकरण करने के लिए योजना बनाने के निर्देश भी दिए। अधिकारियों ने बताया कि आयकर चुकाने वाले उपभोक्ताओं की सब्सिडी बंद करने को लेकर की जा रही प्रक्रिया के तहत ही यह पहला फैसला है। आने वाले दिनों में अन्य उपभोक्ताओं को लेकर भी फैसले लिए जाएंगे। एक परिवार को एक ही बिजली मीटर पर सब्सिडी देने की प्रक्रिया भी जारी है। इसको लेकर ई केवाईसी कर रिकॉर्ड एकत्र किया जा रहा है।
** एसडीएम के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन धर्मपुर/डिंपल: बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार के खिलाफ हिंदू संगठनों ने बाजार में रैली निकालकर विरोध जताया। एसडीएम धर्मपुर के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर मांगपत्र भेजा और कहा कि अगर हिन्दूओं के खिलाफ यह अत्याचार नहीं रुका तो हिन्दू यहां भी बांग्लादेशियों के खिलाफ मोर्चा खोलगें और अपने देश से बाहर करेंग और जरूरत पड़ी तो बांग्लादेश मे भी कूच करेंगे। मांगपत्र में यह भी मांग की हैं कि जो संत चिन्मय को हिरासत में लिया उन्हें तुंरत रिहा किया जाए। मांगपत्र में देश के प्रधानमंत्री व महामहिम राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग भी उठाई। यह प्रदर्शन सनातन धर्म संस्कृति के बैनरतले हुआ, जिसमें धर्मपुर से भाजपा के प्रत्याशी रहे रजत ठाकुर, सरकाघाट के प्रसिद्ध समाजसेवी गणेशदत, जिलापरिषद सदस्य जगदीश चंद बिट्टा, पंचायत समिती धर्मपुर के अध्यक्ष राकेश सहित विभिन्न पंचायतों के प्रधान, उपप्रधान, बीडीसी सदस्यों सहित सैकड़ों की तादात में स्थानीय लोग, व्यापारी महिला मंडलों की महिलाएं व अन्य लोग मौजूद रहे।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र बुधवार से धर्मशाला स्थित तपोवन में शुरू होगा। सत्र में शामिल होने के लिए सरकार मंगलवार दोपहर को शिमला से रवाना होगी। इस सप्ताह राज्य सचिवालय में प्रशासनिक सचिव नहीं मिलेंगे। कई विभागाध्यक्ष भी सत्र में शामिल होंगे। इससे कम स्तर के अधिकारी हालांकि राजधानी में ही रहेंगे। यह अधिकारी अपने विभागों से संबंधित सूचनाओं को ऑनलाइन माध्यम से ही उच्च अधिकारियों को भेजेंगे। मंगलवार शाम को धर्मशाला में कांग्रेस और भाजपा के विधायक दल आगामी रणनीति बनाने को लेकर बैठकें करेंगे। कांग्रेस विधायक दल की बैठक मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और भाजपा की बैठक नेता विपक्ष जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में होगी। बुधवार को सत्र के पहले दिन सरकार की नीतियों के खिलाफ भाजपा का धर्मशाला में प्रदर्शन भी होगा। प्रदेश में चर्चित विभिन्न मामलों को लेकर सदन में सत्ता और विपक्ष के बीच खूब गहमागहमी होने के आसार हैं। विधानसभा का शीतकालीन सत्र 18 से 21 दिसंबर तक चलेगा। इसमें चार बैठकें होंगी। सत्र के पहले दिन राधा स्वामी सत्संग ब्यास के हमीरपुर जिला के भोटा स्थित अस्पताल की जमीन को अपनी सहयोगी संस्था को देने के लिए सरकार द्वारा भूमि सुधार अधिनियम में संशोधन को विधेयक भी लाया जाना है। इसमें सिलिंग में राहत दी जानी है। बीते दिनों हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी देते हुए मुख्यमंत्री को अंतिम मंजूरी देने के लिए अधिकृत किया गया है। सत्र के दौरान नौकरियों और कांग्रेस की गारंटियों पर सदन गर्माएगा। विधायकों की ओर से शीतकालीन सत्र के लिए अभी तक 450 से अधिक सवाल पहुंच गए हैं। अधिकांश सवाल बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, अवैध खनन और स्थानीय मुद्दों को लेकर पूछे गए हैं। कांग्रेस की गारंटियों को लेकर को भी भाजपा विधायकों ने सवाल लगाए हैं। मुख्यमंत्री सुक्खू 18 और 19 दिसंबर को ही सदन में मौजूद रहेंगे। 20 और 21 दिसंबर को मुख्यमंत्री का राजस्थान के जैसलमेर जाना प्रस्तावित है। 20 दिसंबर को जैसलमेर में राज्यों के वित्त मंत्रियों और 21 को जीएसटी काउंसिल की बैठक होनी है।
** पीपीपी मोड में चलेगा संचालन हिमाचल प्रदेश में व्यावसायिक वाहन संचालक अब अपने वाहनों की जांच निजी ऑटोमेटिक फिटनेस टेस्टिंग सेंटरों पर भी करवा सकेंगे। सरकार ने प्रदेश में 5 ऑटोमेटिक फिटनेस टेस्टिंग सेंटर खोलने का फैसला लिया है। इन केंद्रों का संचालन पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप आधार पर होगा। निजी कंपनी वाहन की जांच कर रिपोर्ट परिवहन विभाग को भेजेगी। वाहन मालिकों को फिटनेस प्रमाणपत्र परिवहन विभाग के आरटीओ जारी करेंगे। ऑटोमेटिक सेंटर स्थापित होने के बाद वाहनों की फिटनेस में न तो सिफारिश चलेगी न ही कोई जुगाड़। यांत्रिक रूप से अनुपयुक्त वाहनों के संचालन से होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सरकार ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन स्थापित करने जा रही है। अब तक प्रदेश में वाहनों की फिटनेस एमवीआई (मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर) करते हैं। फिटनेस जांच की वीडियो रिकार्डिंग का भी प्रावधान है, बावजूद इसके फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने में व्यापक अनियमित्ताएं हो रही हैं। सरकार की ओर से बनाई गई योजना के तहत निजी क्षेत्र की जो भी कंपनी ऑटोमेटिक फिटनेस टेस्टिंग सेंटर स्थापित करने की इच्छुक होगी उसे करीब 4000 वर्ग मीटर जमीन पर केंद्र स्थापित करना होगा। जमीन यदि अपनी नहीं है तो लीज पर भी ली जा सकती है। वाहन निर्माता, वाहन विक्रेता अथवा ऐसा व्यक्ति जो गाड़ियों की मरम्मत के काम से जुड़ा है, केंद्र स्थापित नहीं कर सकता। सरकार ने निजी क्षेत्र में पांच ऑटोमेटिक फिटनेस टेस्टिंग सेंटर खोलने का फैसला लिया है। वाहन मालिक इन केंद्रों पर अपने वाहनों की फिटनेस जांच करवा सकेंगे। चरणबद्ध तरीके से प्रदेश के हर जिले में इस तरह की सुविधा उपलब्ध करवाने की योजना है।
हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी के पर्यटक स्थल कोकसर में शनिवार को वीकेंड पर सैलानियों का सैलाब उमड़ पड़ा। क्रिसमस और नववर्ष से पहले हजारों सैलानियों के वाहनों की कतार देखने को मिली। कई जगह दो से तीन किलोमीटर तक वाहनों की लंबी लाइन लगी रही। सड़क पर पर्यटक वाहन रेंगते रहे। इस साल की सर्दी में अभी तक इस शनिवार को पहली बार हजारों सैलानी कोकसर पहुंचे। सुबह के समय घाटी में मौसम खुशनुमा रहा, लेकिन दोपहर बाद आसमान में हल्के बादल और हल्की धूप के बीच सैलानी जगह-जगह पैदल पहुंचकर मस्ती करते देखे गए। ठंड के मौसम में पर्यटक टोपी, हाथ में ग्लव्स पहने नजर आए। हालांकि, कुछ सैलानियों ने ठंड की परवाह न करते हुए बर्फ के बीच जमकर मस्ती की। बर्फ से ढकी पहाड़ियों को देखकर सैलानी रोमांचित हो उठे। सेल्फी के साथ अपनों से वीडियो कॉल कर उन्हें भी लाहौल के कोकसर और ग्रांफू की सफेद वादियों से रूबरू करवाया। स्कीइंग, टयूब स्लाइडिंग, जिपलाइन, एटीवी राइडिंग में मस्ती की। खासकर स्कीइंग कार आनंद बच्चों के लेकर युवा और दंपत्तियों ने भी लिया। उधर, वीकेंड पर पहाड़ों की रानी शिमला में भी बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचे हैं। शहर के सर्कुलर रोड पर दिनभर गाड़ियां रेंगती रहीं। सैलानियों की आमद बढ़ने से स्थानीय कारोबारी भी खुश नजर आए। सैलानियों ने राजमा और चावल का स्वाद लिया। पर्यटन कारोबारी दीपक कुमार, राजेश, सुनील, मान सिंह रावत व सीताराम ने बताया कि वीकेंड पर कोकसर में सैलानियों की भारी भीड़ जुटी है। उन्हें अच्छी बर्फबारी का इंतजार है। उन्होंने उम्मीद जताई कि क्रिसमस और नव वर्ष में बर्फबारी होगी।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों की अनुपालना करते हुए डीजीपी की ओर से दायर हलफनामे में कहा कि प्रदेश के सभी पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए गए हैं। अदालत में दायर हलफनामे में कहा गया है कि प्रदेश में जिला स्तरीय निरीक्षण समिति (डीएलओसी) और राज्य स्तरीय निरीक्षण सीमित (एसएलओसी) का गठन किया गया है। जो पुलिस थानों में लगे सीसीटीवी कैमरे की लोकेशन और रखरखाव का कार्य करेगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट परमवीर सिंह बनाम बलजीत सिंह में दिए गए निर्देशों का पालन किया जाए। जिसमें जिला स्तरीय निरीक्षण सीमित यह सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक पुलिस थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और उनका रखरखाव किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में राज्यों को निर्देश दिए हैं कि सभी थानों के प्रवेश और निकास बिंदु ,पुलिस स्टेशन का मुख्य द्वार, सभी लॉकअप, लॉबी, सभी बरामदे, सब इंस्पेक्टर का कमरा, लॉकअप रूम के बाहर का क्षेत्र, पुलिस स्टेशन के परिसर के सामने, शौचालय और पुलिस स्टेशन का पिछला हिस्से को कैमरे से कवर करना होगा। इसके साथ ही जिला स्तरीय निरीक्षण समिति को सीसीटीवी और उसके उपकरणों का पर्यवेक्षण,रखरखाव की जिम्मेदारी होगी। सीसीटीवी की मरम्मत इसके उपकरणों की कार्य प्रणाली के बारे में एसएलओसी को मासिक रिपोर्ट भेजना और विभिन्न पुलिस स्टेशनों में लगे सीसीटीवी से संग्रहित फुटेज की समीक्षा करना ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं कोई मानवाधिकारों का उल्लंघन तो नहीं हुआ है,जो हुआ हो और जिसकी रिपोर्ट नहीं की गई हो। अदालत ने कहा है कि एसएलओसी का पहला कार्य सीसीटीवी और उसके उपकरणों की खरीद, वितरण और स्थापना करना होगा। दूसरा इसके लिए बजट का प्रावधान करना। तीसरा कैमरे और उसके उपकरणों की निरंतर निगरानी और मरम्मत। चौथा, जो कैमरे बंद पड़े है उनका निरीक्षण समय पर करना और जिन के उपकरण खराब पड़े हैं, उसे ठीक करना होगा। पांचवां डीएलओसी की ओर से भेजी गई मासिक रिपोर्ट में शिकायतों का समाधान करना। छठा डीएलओसी से मासिक रिपोर्ट मंगाएं और खराब पड़े उपकरणों का निपटारा अतिशीघ्र करें। अदालत ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रजनीश मनीकटाला के प्रयासों की भी सरहाना की है, जिन्होंने इतने महत्वपूर्ण समस्या को अदालत के समक्ष लाया।
हिमाचल प्रदेश में एक अप्रैल 2025 से बिजली महंगी हो सकती है। बिजली बोर्ड प्रबंधन ने 50 से 70 पैसे प्रति यूनिट बढ़ोतरी का प्रस्ताव राज्य विद्युत विनियामक आयोग को भेजा है। इसमें बोर्ड ने 300 करोड़ रुपये के घाटे का हवाला देते हुए बिजली दरों में बढ़ोतरी की मांग की है। अब जनसुनवाई में आयोग बोर्ड के प्रस्ताव पर सभी हितधारकों के सुझाव और आपत्तियां लेगा।हिमाचल में इस साल बिजली की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। बोर्ड को सरकार की ओर से हालांकि अनुदान के तौर पर हर वर्ष 750 से 1000 करोड़ रुपये दिए जाते हैं, इसके बावजूद बोर्ड के लिए अपना खर्च पूरा करना मुश्किल हो गया है। बोर्ड को प्रतिमाह करीब 180 करोड़ रुपये वेतन और पेंशन के लिए चाहिए। बोर्ड का राजस्व घाटा 300 करोड़ से अधिक हो गया है। हर महीने 125 यूनिट निशुल्क बिजली देने से बोर्ड का आर्थिक संतुलन गड़बड़ा गया है। इसको देखते हुए बोर्ड ने राज्य विद्युत नियामक आयोग को प्रस्ताव भेजकर अप्रैल 2025 से बिजली दरों में बढ़ोतरी की वकालत की है। हिमाचल के करीब 25 लाख घरेलू और अन्य श्रेणियों के उपभोक्ताओं को बिजली बोर्ड सप्लाई मुहैया करवा रहा है। साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने के चलते प्रदेश में बिजली महंगी नहीं हुई थी। राज्य विद्युत नियामक आयोग की ओर से 75 पैसे से एक रुपये तक प्रति यूनिट दरें बढ़ाई गई थी। इन दरों का राज्य सरकार ने अतिरिक्त सब्सिडी देकर खर्च उठा लिया था। अब साल 2025-26 के लिए बोर्ड ने प्रस्ताव तैयार कर करीब 300 करोड़ रुपये के घाटे का हवाला देते हुए दरें बढ़ाने की मांग की है। उधर, साल 2023-24 में घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट से अधिक खपत पर 22 पैसे और अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 46 पैसे की दर से बढ़ाया गया था। 31 मार्च 2025 तक यहीं दरें लागू रहेंगी।
हिमाचल प्रदेश के कई होनहार युवा भारतीय सेना में बड़े पदों पर विराजमान हैं। इसी सूची में अब ऊना जिले के एक बेटे ने भी अपना नाम जोड़ लिया है। जिले के ASP सुरेंद्र शर्मा के बेटे कनिष्क शर्मा इंडियन आर्मी में बतौर लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त हुए हैं। कनिष्क की इस उपलब्धि से उनके परिवार व क्षेत्र का नाम रोशन हुआ है। कनिष्क शर्मा ने चार साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद इंडियन मिलिट्री अकादमी, देहरादून से कमीशन हासिल किया। इस अवसर पर उनके माता-पिता और बड़ी बहन ने अकादमी पहुंचकर उन्हें बैजेस लगाए। कनिष्क भारतीय सेना के असम स्थित सिग्नल्स डिवीजन में सेवाएं देंगे। कनिष्क शर्मा ने प्रशिक्षण के दौरान टेलीकम्युनिकेशन में B.Tech. की पढ़ाई भी की- जो कि एक साल में पूरी हो जाएगी। आपको बता दें कि कनिष्क शर्मा मूल रूप से चंबा के चुराह जिले के हिमगिरि के रहने वाले हैं। कनिष्क शर्मा ने प्रारंभिक शिक्षा माउंट कार्मल स्कूल ऊना और गग्गल से हासिल की है। इसके बाद जमा दो की पढ़ाई सेक्रेड हार्ट स्कूल सिद्धपुर धर्मशाला में पूरी की है। कनिष्क शर्मा ने TES एंट्री के तहत गया में चार साल का कड़ा प्रशिक्षण हासिल किया। इसके बाद OTA में एक साल, CTW, MCTE महू में B.Tech. की तीन साल की शिक्षा ग्रहण की। फिर IMA देहरादून में एक महीने के कड़े प्रशिक्षण के बाद पासिंग आउट परेड में हिस्सा लिया और लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्त हुए हैं। कनिष्क के परिवार में उनके माता-पिता और बड़ी बहन है। कनिष्क के पिता सुरेंद्र शर्मा ऊना जिले में ASP के पद पर कार्यरत हैं। कनिष्क की मां मनीषा शर्मा गृहिणी हैं। जबकि, बड़ी बहन कशिश शर्मा ने एग्रीकल्चर में जेनेटिक्स और प्लांट ब्रीडिंग में मास्टर्स की हुई है। कनिुष्क की इस सफलता के बाद पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। कनिष्क की इस सफलता के बाद उनके घर पर बधाई देने वाले लोगों का तांता लग गया है। उनके माता-पिता ने बताया कि कनिष्क बचपन से ही भारतीय सेना में जाने के सपने देखता था, जिसे उसने आज अपनी कड़ी मेहनत के दम पर पूरा कर लिया है।
** पानी की पाइपें जमीं, 19 दिसंबर तक बारिश-बर्फबारी की नहीं कोई उम्मीद हिमाचल के पहाड़ी इलाकों और मैदानी क्षेत्रों में कड़ी ठंड पड़ रही है। पानी की पाइपें जमने लगी हैं और लाहौल-स्पीति के ऊंचे इलाकों में बहता पानी भी जम गया है। ठंड इतनी बढ़ गई है कि 11 शहरों का तापमान माइनस में चला गया है। लोग सुबह और शाम के वक्त घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, लेकिन दिन में धूप निकलने से मौसम थोड़ा आरामदायक हो जाता है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के वैज्ञानिक संदीप शर्मा ने बताया कि पिछले 24 घंटे में मौसम साफ रहा और कई जगहों पर तापमान सामान्य से कम था। 19 दिसंबर तक मौसम साफ रहने का अनुमान है। बिलासपुर और मंडी जिलों में सुबह और शाम धुंध की समस्या हो सकती है, और इस दौरान दिन का तापमान 2 से 3 डिग्री तक बढ़ सकता है।
हिमाचल में दिव्यांग कोटे के जेबीटी के 187 पद भरने के लिए काउंसलिंग शेड्यूल में बदलाव किया गया है। पदों को भरने के लिए अब काउंसलिंग छह जनवरी से होगी। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के मुताबिक चार-चार जिलों के तीन समूह बनाकर छह से आठ जनवरी तक काउंसलिंग होगी। काउंसलिंग प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय शिमला में होगी। बीएड के साथ अब डीएलएड करने वाले भी काउंसलिंग में भाग लेने के लिए पात्र होंगे। टेट पास ही काउंसलिंग में शामिल हो सकेंगे। 18 से 45 वर्ष की आयु वाले आवेदन कर सकते हैं। मंडी में सबसे ज्यादा 37, कांगड़ा में 28, बिलासपुर में 16, चंबा में 15, हमीरपुर में 9, किन्नौर में 1, कुल्लू में 10, शिमला में 20, सिरमौर में 23, सोलन में 20 और ऊना में 8 पद भरे जाएंगे। छह जनवरी को मंडी, लाहौल-स्पीति, कुल्लू और किन्नौर जिले की काउंसलिंग होगी। सात को कांगड़ा, हमीरपुर, चंबा और ऊना और 8 को शिमला, सिरमौर, सोलन और बिलासपुर में पद भरने के लिए काउंसलिंग आयोजित होगी। आवेदक किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय-शिक्षण संस्थान से जमा दो 50 फीसदी अंकों के साथ पास होने के साथ डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन पास होना चाहिए। पीजी में 55 फीसदी अंकों के साथ तीन साल की इंटीग्रेटिड बीएड-एमएड पास भी आवेदन कर सकते हैं। हिमाचल के मूल निवासी या प्रदेश से दसवीं और बारहवीं कक्षा पास करने वाले आवेदन के लिए पात्र होंगे। अनुबंध आधार पर नियुक्तियां की जाएंगी। चयनित होने पर 17,820 रुपये का वेतन मिलेगा। काउंसलिंग की मेरिट के आधार पर आवेदकों को उनकी प्राथमिकता के तौर पर जिला आवंटित किया जाएगा। 30 अंकों के आधार पर मेरिट तय की जाएगी।
** मुखाग्नि देते हुए बड़ा बेटा बोला- मेरे पापा अमर रहे हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के विधानसभा क्षेत्र धर्मशाला की बगली पंचायत के आईटीबीपी में तैनात एएसआई विनोद कुमार का शनिवार को सैन्य सम्मान से साथ अंतिम संस्कार किया गया। विनोद की ड्यूटी के दौरान चार दिन पहले गुवाहाटी में हृदय गति रुकने से मौत हो गई थी। शनिवार सुबह पार्थिव देह पैतृक गांव पहुंची। जवान की पार्थिव देह घर पहुंचते ही हर ओर चीख-पुकार का माहाैल रहा। जवान की पत्नी, बेटों और अन्य परिजनों की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। शनिवार सुबह मोक्ष धाम में जवान का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। आइटीबीपी के 12 जवानों ने तिरंगे से ढकी जवान की पार्थिव देह पर पुष्प अर्पित कर सलामी देकर अंतिम विदाई दी। अंतिम दर्शन के लिए सैकड़ों लोग माैजूद रहे। इस दाैरान विनोद अमर रहे और भारत माता की जय के नारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। बड़े बेटे ने रोते हुए मेरे पापा अमर रहे कहकर पिता की पार्थिव देह को मुखाग्नि दी। इस दौरान प्रशासन की ओर से भी उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। जानकारी के अनुसार गुवाहाटी में ड्यूटी के दौरान ह्रदयाघात से बुधवार रात को विनोद कुमार की मौत हो गई थी। विनोद गोवाहाटी में एएसआई की ट्रेनिंग के लिए गए थे। विनोद अपने पीछे पत्नी और दो बेटे छोड़ गए हैं।
** मार्च तक तैयार होगी डीपीआर किरतपुर-नेरचौक फोरलेन पर पांच समानांतर टनलों का निर्माण किया जाएगा। इनमें से एक का काम शुरू कर दिया गया है और मार्च तक इसे तैयार करने का लक्ष्य रखा है। चार टनलों की डीपीआर तैयार की जा रही है और मार्च तक टेंडर प्रक्रिया शुरू करने का लक्ष्य है। करीब 60 किमी लंबे किरतपुर-नेरचौक फोरलेन पर पांच टनल बनी हैं। ये सभी टू लेन हैं। वर्तमान में इन टनलों में से केवल एक ही टनल से वाहनों का आवागमन होता है, जिससे हादसों का खतरा बढ़ जाता है। फोरलेन की अन्य सड़कों की तुलना में टनलों में वाहनों की गति भी धीमी हो जाती है। दिन-प्रतिदिन बढ़ते ट्रैफिक के कारण ही समानांतर टनलों के निर्माण का फैसला लिया गया है। मौजूदा पांच टनलों के साथ समानांतर टनलों के बनने से यातायात सुचारु रहेगा। किरतपुर से नेरचौक तक इस फोरलेन पर पांच टनल हैं। इनके समानांतर पांच टनलों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। परियोजना की सबसे लंबी टनल, कैंची मोड़ 1800 मीटर का समानांतर सुरंग निर्माण कार्य चल रहा है, जिसे मार्च 2025 में पूरा करने का लक्ष्य है। अन्य चार टनलों के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा डीपीआर तैयार की जा रही है। इनमें टनल नंबर-2 थापना की लंबाई 465 मीटर, टनल नंबर-3 तुन्नू की लंबाई 550 मीटर, टनल नंबर-4 टीहरा की लंबाई 1265 मीटर, टनल नंबर-5 भवाणा की लंबाई 740 मीटर है। अन्य चार समानांतर टनलों के निर्माण के लिए एनएचएआई डीपीआर तैयार कर रहा है। वहीं, अलग-अलग स्तर पर इसकी एफसीए अप्रूवल का कार्य भी चल रहा है। केंद्र से एफसीए की ई-फाइल पर जो आपत्तियां लग रही हैं, उन्हें हटाकर दोबारा फाइल को तैयार किया जा रहा है। इन टनलों के समानांतर निर्माण से न केवल वाहनों की गति बढ़ेगी, बल्कि हादसों का खतरा भी कम होगा। साथ ही फोरलेन पर यातायात सुचारू और तेज होगा, जिससे यात्रियों को समय और ईंधन की बचत होगी। प्राथमिकता के आधार पर अन्य चार टनलों का निर्माण कार्य को शुरू करने की प्रक्रिया डीपीआर अप्रूव होने के बाद एनएचएआई जल्द शुरू करेगा।
शिमला में आज सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक हुई। छह घंटे तक चली कैबिनेट मीटिंग में कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लगी। सुक्खू कैबिनेट ने गेस्ट टीचर नीति को मंजूरी दी। अब गेस्ट टीचरों को पीरियड बेस पर पैसे मिलेगें। सीनियर सेकेंडरी में 400 रुपये प्रति पीरियड और कॉलेज में 500 रुपये प्रति पीरियड मिलेंगे। वहीं, हिमाचल में काम समय पर हो इसके लिए टेंडर की ऑनलाइन पब्लिकेशन के लिए कैबिनेट ने समय की लिमिट घटाने की दी स्वीकृति। कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया कि विधवा एकल नारी को मकान बनाने को मिलेंगे 3 लाख। इस बार बरसात में समेज सहित अन्य क्षेत्र को 2023 की तर्ज पर रिलीफ पैकेज देने को कैबिनेट ने मंजूरी दी। पूरी तरह से क्षतिग्रस्त मकान को 7 लाख रुपए मिलेंगे। उद्योग विभाग के 80 खनन रक्षक पद भरने को स्वीकृति मिली। शिक्षा विभाग में पंजाबी टीचर के 31 पद भरने की स्वीकृति मिली। सैनिक वेलफेयर विभाग में विभिन्न श्रेणियों के 26 पद भरे जाएंगे। हिमाचल में लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव को सुखविंदर कैबिनेट की सैद्धान्तिक मंजूरी दी है। इसके अलावा सुक्खू कैबिनेट ने प्राकृतिक आपदा में जंगलों में गिरे पेड़ सड़ कर बर्बाद न हो, इसके लिए डीएफओ को 50 पेड़ हटाने के लिए नॉर्मल टेंडर प्रक्रिया के तहत ऑक्शन की पावर दी गई है। सुन्नी में SDM ऑफिस खोलने को मंजूरी मिली। हिमाचल में 13 नगर पंचायत को मंजूरी मिली। हिमाचल में शहरी क्षेत्रों में मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना को कैबिनेट की स्वीकृति, जल शक्ति विभाग में इंजीनियर के 3 पदों को भरने की स्वीकृति मिली। हिमाचल में अब ग्रेवटी वाटर स्कीमों की पंचायतें करेगी देखरेख इसकी भी कैबिनेट ने स्वीकृति दी।
** पांच स्थानों पर न्यूनतम पारा माइनस में हिमाचल प्रदेश में आगामी सात दिनों तक माैसम साफ रहने की संभावना है। हालांकि, बुधवार को जारी बुलेटिन में 12 दिसंबर को उच्च पर्वतीय कुछ स्थानों पर बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान जताया गया था। गुरुवार को माैसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार प्रदेश में 18 दिसंबर तक मौसम मुख्यत शुष्क रहने की संभावना है। आज लाहाैल-स्पीति के एक-दो स्थानों पर हल्की बारिश-बर्फबारी हो सकती है। वहीं, अगले 24 घंटों तक तापमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। इसके बाद अगले 4-5 दिनों तक राज्य के कई हिस्सों में न्यूनतम और अधिकतम तापमान में धीरे-धीरे 2-3 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। वहीं राज्य के पांच स्थानों पर न्यूनतम तापमान माइनस में दर्ज किया गया है।
हिमाचल प्रदेश में सात अगस्त 2024 के बाद अध्ययन अवकाश पर जाने वाले प्रोफेसरों और शिक्षकों को कुल वेतन का सिर्फ 40 फीसदी वेतन ही मिलेगा। नए सीसीएस अवकाश नियमों के तहत अध्ययन अवकाश के दौरान वेतन भुगतान को लेकर शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी किए हैं। 24 महीने तक के अध्ययन अवकाश के लिए प्रशासनिक की जगह वित्त विभाग की अनुमति लेना भी अनिवार्य कर दिया है। कॉलेज प्रोफेसरों के वेतन से जुड़ी कुछ आपत्तियों के बाद शिक्षा विभाग ने वित्त विभाग से यह मामला उठाया था। मंगलवार को उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा की ओर से इस संदर्भ में सभी कॉलेज प्रिंसिपलों को पत्र जारी किया गया है। प्रदेश सरकार ने कुछ समय पहले केंद्रीय सिविल सेवाएं अवकाश नियम-1972 में बदलाव किया है। नए नियम को केंद्रीय सिविल सेवाएं अवकाश हिमाचल प्रदेश नियम-2024 नाम दिया गया है। वर्ष 1986 से लेकर प्रशासनिक विभाग ही 24 महीने तक की स्टडी लीव के लिए अनुमति देता आया है। अब वित्त विभाग ही तय करेगा कि किसी विभाग के अधिकारी या कर्मचारी को अवकाश पर भेजना है या नहीं। हर साल बड़ी संख्या में अधिकारी और कर्मचारी स्टडी लीव पर जाते हैं। अध्ययन अवकाश के दौरान उन्हें सरकार की ओर से पूरा वेतन दिया जाता है। स्टडी लीव पर अधिक कर्मचारियों-अधिकारियों के रहने से जहां विभागों में प्रशासनिक कामकाज प्रभावित होता रहा है, वहीं सरकारी कोष को भी बड़ा नुकसान होता रहा है। अब देश या देश से बाहर ली गई अध्ययन छुट्टी के दौरान सरकारी कर्मचारी-अधिकारी को 40 प्रतिशत वेतन मिलेगा। इसके अलावा महंगाई भत्ता और मकान किराया भी मिलेगा। अवकाश वेतन का भुगतान सरकारी कर्मचारी की ओर से यह प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के बाद होगा कि वह किसी अंशकालिक रोजगार के संबंध में किसी भी छात्रवृत्ति, वजीफे या पारिश्रमिक की प्राप्ति नहीं कर रहा है। उधर, शिक्षा निदेशालय ने स्पष्ट किया कि संशोधित केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1972 के सात अगस्त 2024 से प्रभावी होने के साथ, उन लोगों पर इसके लागू होने के संबंध में भ्रम की स्थिति बन गई है, जो इस तिथि से पहले अध्ययन अवकाश पर थे। संशोधित नियम केवल उन कर्मचारियों पर लागू होंगे, जो सात अगस्त 2024 को या उसके बाद अध्ययन अवकाश पर गए हैं। जिन कर्मचारियों ने इस तिथि से पहले अपना अध्ययन अवकाश शुरू किया था, उन्हें पिछले नियमों के तहत अपना वेतन मिलना जारी रहेगा, जो उनके अवकाश स्वीकृत होने के समय लागू थे।
** आनी प्रशासन ने IGMC शिमला में शकैलड़ बस हादसे के घायलों का जाना हाल... कुल्लू: आनी उपमंडल प्रशासन ने IGMC शिमला में शकैलड़ बस हादसे के घायलों से मुलाकात की। नायब तहसीलदार आनी, कांशी राम भारती, के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम ने अस्पताल का दौरा किया और घायलों की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सों से बातचीत कर घायलों के इलाज की जानकारी ली। घायलों की स्थिति जानने के बाद प्रशासन ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। साथ ही, घायलों के परिवारों से मिलकर उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया। प्रशासन ने डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ से आग्रह किया कि घायलों को हरसंभव बेहतर उपचार दिया जाए। हादसे के बाद 5 घायलों को रामपुर अस्पताल और 22 को IGMC शिमला रेफर किया गया था। इनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। नायब तहसीलदार कांशी राम भारती ने बताया कि हादसे के दिन तीन लोगों की मौत हो गई थी और बुधवार सुबह एक और घायल, 73 वर्षीय राजेंद्र, ने IGMC में दम तोड़ दिया।
जिला मंडी के नेरचौक में गैस सिलेंडर फटने का बड़ा हादसा सामने आया है। गैस सिलेंडर फटने से 7 लोग इसमें झुलस गए हैं। हादसे के बाद सभी घायलों का इलाज नेरचौक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कराया गया। वहीं, इस अग्निकांड की घटना से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। एएसपी मंडी सागर चंद्र ने बताया कि बल्ह थाना क्षेत्र के तहत पड़ने वाले नेरचौक बाजार के चाक का गोहर नामक ढाबे में रखे कमर्शियल सिलेंडर में बुधवार दोपहर को अचानक आग भड़क गई।अग्निकांड की इस घटना में ढाबे के तीन कामगारों समेत दो अन्य व्यक्ति जोकि ढाबे में खाना खाने आए थे, आग में झुलस गए. वहीं, दो व्यक्ति जो कि साथ लगती दुकान के बाहर धूप सेंक रहे थे, वो भी आग की लपटों में आ गए। आग लगने से इलाके में अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय लोगों ने कड़ी मशक्कत के बाद गैस सिलेंडर से उठ रही लपटों पर काबू पाया गया। लोगों ने सभी घायलों को लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल पहुंचाया। अग्निकांड हादसे को लेकर तहसीलदार बल्ह विपिन कुमार ने बताया, घायल व्यक्तियों को तुरंत पांच-पांच हजार फौरी राहत राशि प्रदान की गई है। साथ ही दुकान में हुए नुकसान का आंकलन नियमानुसार कर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।
** विभिन्न योजनाओं के तहत लाभार्थियों को वित्तीय लाभ किए वितरित मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज जिला बिलासपुर के लुहणू मैदान में प्रदेश सरकार के दो वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान छः नई योजनाओं का शुभारंभ किया और लाभार्थियों को वित्तीय लाभ वितरित किए। मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्राकृतिक रूप से उत्पादित मक्की से तैयार हिमभोग आटा लॉन्च किया। राज्य सरकार ने प्रदेश के 10 जिलों में 1,506 किसानों से 398 मीट्रिक टन मक्की की खरीद की है और किसानों के बैंक खातों में सीधे 1.20 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं। देश में हिमाचल गेहूं के लिए 40 रुपये प्रतिकिलो ग्राम और मक्की के लिए 30 रुपये प्रतिकिलो ग्राम अधिकतम समर्थन मूल्य देने वाला राज्य है और प्रदेश में 35 हजार हेक्टेयर भूमि पर 1.98 लाख किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। इस पद्धति को बढ़ावा देने के लिए 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्टार्ट-अप योजना के तहत राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना के अन्तर्गत 36,000 किसानों को शामिल किया जा रहा है। कांग्रेस प्रतिज्ञा पत्र निहित गांरटियों को पूरा करने के उद्देश्य से लघु किसानों और पशुपालकों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने 300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से जैविक खाद और वर्मी कम्पोस्ट खरीद की योजना शुरू की है। योजना के तहत 100 किसानों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से 1 लाख रुपये वितरित किए गए हैं। इस पहल का उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। मुख्यमंत्री ने राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना 2023 के अन्तर्गत 16 टैक्सी मालिकों को चाबियां प्रदान की। योजना के तहत लाभार्थियों को ई-टैक्सी खरीद के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ प्राप्त हुआ है और सरकारी कार्यालयों में पांच वर्षों के लिए लीज पर ई-टैक्सियों का संचालन किया जाएगा। इससे टैक्सी मालिकों को नियमित आय का साधन उपलब्ध करवाया गया है। राज्य सरकार का लक्ष्य पहले चरण में ई-टैक्सी मालिकों को लगभग 150 परमिट प्रदान करना है। मुख्यमंत्री ने इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना के अन्तर्गत प्रदेश के 5145 लाभार्थियों को 1.38 करोड़ रुपये वितरित कर इस योजना का शुभारंभ किया। उन्होंने लाभार्थियों को पात्रता प्रमाण-पत्र भी प्रदान किए। इस योजना का उद्देश्य विधवाओं, निराश्रित महिलाओं, तलाकशुदा महिलाओं और दिव्यांग अभिभावकों के 23 हजार बच्चों की शिक्षा को सुनिश्चित करना है। योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को 18 वर्ष से कम की आयु के बच्चों के लिए 1 हजार रुपये प्रतिमाह और उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस योजना के लिए 53.21 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट प्रावधान रखा गया है। इससेे बाल शोषण को रोकने में सहायता मिलेगी और वंचित परिवारों के बच्चों की शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री ने राज्य के सात जिलों में बागवानी क्षेत्र के विकास को विस्तार प्रदान करने के लिए 1292 करोड़ रुपये की हिमाचल प्रदेश उपोष्ण कटिबंधीय बागवानी, सिंचाई और मूल्य संवर्धन परियोजना का भी शुभारंभ किया। इसके तहत प्रदेश के छः हजार हैक्टेयर क्षेत्र में अमरूद, संतरे, लीची और पलम जैसे फलों की खेती को बढ़ावा प्रदान कर 15 हजार किसान परिवारों को प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित किया जाएगा। वर्ष 2032 तक प्रतिवर्ष 1.3 लाख मीट्रिक टन फलों का उत्पादन होने की संभावना है जिनका बाजार मूल्य 400 करोड़ रुपये होगा। मुख्यमंत्री ने किन्नौर, लाहौल स्पीति, चम्बा और जिला सिरमौर के शिलाई के दुर्गम क्षेत्रों के लिए पांच मोबाइल आयुष स्वास्थ्य यूनिट को झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रत्येक यूनिट में स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप आयूर्वेद, यूनानी और होमोपैथी उपचार के लिए अनुभवी चिकित्सा टीम सेवाएं देगी। इस पहल का उद्देश्य दुर्गम क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाना है। मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के अन्तर्गत जिला बिलासपुर के 197 लाभार्थियों को 1.90 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की। इसके तहत 153 बच्चों के लिए पेंशन, 17 लाभार्थियों के लिए आवास अनुदान,10-10 लाभार्थियों के लिए विवाह एवं उच्च शिक्षा और 3-3 लाभार्थियों के लिए व्यावसायिक शिक्षा और स्टार्ट-अप सहायता प्रदान की गई।
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में राज्य की कांग्रेस सरकार दो साल का जश्न मना रही है। इस दाैरान उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भाजपा ने सरकार गिराने की नाकाम कोशिश की। हम 40 थे और 40 हैं। हमारे एक भी मंत्री में दाग नहीं है। इससे ईमानदार मंत्रिमंडल नहीं हो सकता। भाजपा के लोग दिल्ली में जाकर पैसे रुकवाने का काम करते हैं। प्रदेश के कर्मचारियों को ओपीएस कांग्रेस की सरकार ने दी। भाजपा सरकार ने पेंशन देने से इन्कार कर दिया था। कांग्रेस सरकार कर्मचारियों की साथी है। जब तक हम हैं, तब तक आपकी पेंशन सुरक्षित है। इसलिए हमें एक साथ मिलकर चलना है। मुकेश ने घोषणा कि जितनी भी भर्तियों के परिणाम लंबित हैं, एक महीने के अंदर जारी किए जाएंगे। मुकेश ने कहा कि सीएम से इसकी चर्चा नहीं हुई है, लेकिन मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं। क्यूंकि हम आपके शुभचिंतक हैं। मुकेश ने कहा कि भाजपा बोलती है कि दिल्ली हिमाचल भवन की कुर्की हो गई, लेकिन कोई हाथ तो लगाकर देखे। मुकेश ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि कहा कि बोले समोसा सुक्खू का नहीं, पुलिस का था और पुलिस के समोसे को हाथ लगाओंगे तो ऐसा ही होगा। अग्निहोत्री ने टॉयलेट टैक्स पर चुटकी लेते हुए कहा कि भाजपा के लोग 24 घंटे टॉयलेट में बैठे, फिर देखें टैक्स लगा कि नहीं। अग्निहोत्री ने कहा कि 1 हजार नई बसें हम एक साल के अंदर बेड़े में शामिल कर रहे हैं। जयराम पर निशाना साधते हुए कहा कि आजकल कहते हैं कि कुकर के पैसे लिए, अरे कुकर की सीटी अग्निहोत्री ऐसे बजाएगा कि याद रखोंगे। एचआरटीसी को बदनाम किया जा रहा है। यह कांग्रेस पार्टी की लड़ाई है, भाजपा को अब सत्ता नहीं मिलेगी। हम उस पार्टी के लोग हैं, जिन्होंने हिमाचज का निर्माण किया और इसे आगे बढ़ाया। कहा कि शिमला में 2 हजार करोड़ से रोपवे बना रहे हैं। दो साल में बनकर तैयार होगा। 2400 इलेक्ट्रिक बसें खरीदी जाएंगी।