बुधवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर को कोरोना काल में हिमाचल प्रदेश में उतपन्न हुई समस्याओं के समाधान के लिए सुझाव तथा शिक्षा क्षेत्र में विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। प्रान्त मंत्री राहुल राणा ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना महामारी के कारण प्रदेश में हुई तालाबंदी से शैक्षणिक प्रक्रिया में भी काफी नुकसान हुआ है। विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश ने 11,12 मई 2020 को प्रदेश क 9920 छात्रों से फोन के माध्यम से संपर्क करते हुए शिक्षा जगत के विषयों पर चर्चा की । विद्यार्थियों के माध्यम से अकादमिक जगत के सम्बंध में अनेक प्रकार के सुझाव विद्यार्थी परिषद को दिए गए । अन्य सुझाव के साथ उन छात्रों के सुझावों को ज्ञापन के रूप में हम आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे है तथा क्रियान्वयन हेतु निवेदन करते है। सुझाव निम्नलिखित है: 1. प्रदेशवासी इस समय आर्थिक तंगी से जूझ रहे है, कुछ निजी शिक्षण संस्थान एवम हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय के कुछ व्यावसायिक कोर्स(UIIT,UILS) में पूरी फीस ली जा रही है अतः सभी सरकारी एवम निजी शिक्षण संस्थानों में आने वाले सत्र में पूरा शुल्क न लेकर सिर्फ Tution fees ही ली जाए। 2. Sanitization एवं शारीरिक दूरी(physical distancing) के अनुपालन करते हुए महाविद्यालयों एवम विश्विद्यालयों में आने वाले समय मे परीक्षाएं करवाई जाए। 3. दूरस्थ शिक्षा केन्द्र एवं ऑनलाइन माध्यमो से शिक्षा को व्यापक प्रोत्साहन हेतु सभी स्तरों पर योजनाएं बनाई जाए तथा हर शिक्षण संस्थान में आधुनिक सुविधाओं से युक्त डिजिटल बैवीनार कक्ष बनाए जाए। 4. नए सत्र से पाठ्यक्रम को पूर्ण करने हेतु ई कक्षाएं, ऑनलाइन व्याख्यान में इंटरनेट सुविधा की कमी के कारण सहभागी न हो पाने वाले विद्यार्थियों हेतु पठन सामग्री डाक के माध्यम से उपलब्ध कराया जाए। (उदारहण : ICDEOL) 5.हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक महाविद्यालय विश्विद्यालय में placement cell बनाया जाए और उसे श्रम और रोजगार विभाग, हि.प्र के साथ जोड़ा जाए, ताकि COVID-19 की परिस्तिथि में नए pass outs के लिए रोजगार की उपलब्धता हो पाए साथ ही, प्रत्येक महाविद्यालय के placement cell को सशक्त किया जाए ताकि रोजगार के अवसरों की जानकारी विद्यार्थियों को महाविद्याल से ही मिल पाए। 6. पिछले 2 सालों से प्रदेश के छात्रों को SC/ST छात्रवृत्ति न मिलना निराशाजनक है अतः शीघ्र लंबित पड़ी छात्रवृति को दिया जाए। 7. हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय के इक्डोल (ICDEOL) में बढ़ी हुई फीस को वापिस लिया जाए। 8. Covid-19 के चलते महाविद्यालयों एवम विश्विद्यालयों के छात्रावासों में रह रहे छात्रों का छात्रावास शुल्क माफ किया जाए । 9. क्लस्टर विश्विद्यालय(मंडी) में इसी सत्र से कक्षाएं शुरू की जाए। 10. कृषि एवं बागवानी विश्विद्यालयों में भारी भरकम फीस को कम किया जाए। 11. हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय में परीक्षा परिणामो में गड़बड़ियों को दूर कर समय पर परिणाम घोषित किए जाए। 12. प्रदेश में सभी शिक्षण संस्थानों में 2020-21 सत्र प्रवेश प्रक्रिया में आर्थिक पिछड़ा वर्ग को भी सम्मिलित कर दाखिला दिए जाएं। कोरोना वायरस के कारण उत्तपन्न हुई इस विशेष परिस्तिथि को देखते हुए अकादमिक जगत में वांछनीय परिवर्तन करने हेतु ये कुछ बिंदु हमने प्रस्तुत किए है। महामारी के समाप्ति के पश्चात प्रदेश के विद्यार्थी समुदाय के जीवन मे उत्तपन्न होने वाली समस्याओं के समाधान हेतु इन सुझावों का उपयोग किया जा सकता है।
रोहड़ू के विधायक व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव मोहन लाल ब्राक्टा ने प्रदेश सरकार को कड़घरे में खड़ा किया हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में जब से भाजपा सरकार बनी है, रोहड़ू विधानसभा के साथ राजनीति द्वेष के साथ काम कर रही हैं। विकास समेत अन्य मामलों में रोहड़ू के साथ भेदभाव की भावना से काम हुआ है। यह बात विधायक मोहन लाल ब्राक्टा ने अपने चार दिवसीय रोहड़ू दौरे पर कही। उन्होंने बताया कि रोहडू में एक भी नया काम सरकार नहीं कर पाई है। स्वास्थ्य विभाग में अनके पद खाली चल रहे हैं। सिविल अस्पताल रोहड़ू एक साल से स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर के न होने से लोगो को मजबूरी में निजी अस्पताल में जाकर इलाज करना पड़ रहा है। अप्रैल 2020 से एक्स रे मशीन खराब हुई है। पांच महीने होने जा रहे है अभी तक मशीन ठीक नही की गई है। रोहड़ू हास्पिटल की हालत दिन प्रति दिन खराब हो रही है । ब्राक्टा ने बताया कि सेब सीजन पूरे चरम पर है लेकिन सम्पर्क सड़को की हालत बहुत की दयनीय है जिसके चलते बागवानों को मंडियों तक सेब पहुचाने में बहुत भारी पेरशानी झेलनी पड़ रही हैं सरकार व प्रशासन के सेब सीजन को लेकर सारे दावे हवाहवाई हो रहे हैं। सभी विभागों में कर्मचारियों कमी चल रही है जिनको भरने की अपेक्षा उल्टे इस कोरोना काल मे यहां से अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले किए जा रहे हैं। हाल ही में ही वन विभाग में तैनात वरिष्ठ सहायक का तबादला चंबा किया गया है। हालांकि बाद में उच्च न्यायालय चंबा से रामपुर के लिए तबादले के आदेश किए। रोहड़ू में पद अधीक्षक सहित कई पद पहले से खाली चल रहे है। ऊपर से वरिष्ठ सहायक का तबादला करना जोकि पूर्ण रूप से राजनीति द्वेष की भावना से किया गया है जिस में झूठी शिकायत व बिना किसी जांच के मुख्यमंत्री रोहड़ू भाजपा के लोगो के कहने पर कर्मचारियों व अधिकारियों के तबादले करके रोहड़ू के साथ भेदभाव करके क्षेत्र को हाशिये पर खड़ा कर दिया है।
विधृत उपमंडल रोहड़ू के तहत सीवरेज व राधास्वामी पेट्रोल पंप क्षेत्र में जरूरी मरमम्त करने के चलते 26 और 27 अगस्त को सुबह 10 बजे से सायं 5 बजे तक विद्युत् आपूर्ति बाधित रहेगी। सहायक अभियंता शुभम चौहान ने बताया कि 22 केवी फिडर लोअरकोटी में जरूरी मुरम्मत के चलते यह शटडाउन लिया जा रहा हैं। उन्होने उपभोक्ताओं से सहयोग की अपील की है।
रोहड़ू उपमंडल के तहत कुई पंचायत के उप्रधान देसराज शर्मा नें सड़क पर पड़े मिले 17,400 रुपए के एक चैक को संबधित व्यकित को लौटाकर ईमानदारी की मिसाल पेश की हैं। बात मंगलवार सुबह की जब देसराज वे एसडीएम कार्यालय की तरफ जारहे थे। तो उन्हें यह चैक सड़क पर पड़ा मिला। उन्होंने इस चैक को एसडीएम कार्यालय में एसडीएम के नीजी सहायक को लौटाना चाहा जिस पर इस चैक के जारीकर्ता संबधित आढ़ती से संपर्क किया जिन्होंने चैक के मालिक से संपर्क कर बुलाया। इस बाद चैक के मालिक अनिल कुमार निवासी गांव बशला को यह चैक सौंपा गया। अनिल कुमार ने देसराज का धन्यावाद किया।
एस.एफ आई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में फ़ीस वृद्धि के खिलाफ विश्वविद्यालय में धरना प्रदर्शन किया। एस एफ आई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई का मानना है आज पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में है और पिछले काफी लंबे समय से सभी शिक्षण संस्थान बन्द हैं और जिस कारण छात्र पढ़ाई से काफी महीने से वंचित हैं और इस विपरीत संकट में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में फ़ीस को बढ़ाना छात्रों के साथ अन्याय है क्योंकि छात्र पहले से ही विश्वविद्यालय में परीक्षा न होने के कारण मानसिक रूप से प्रताड़ित हैं। SFI का कहना है कि अभी यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजीमें छात्रों की ऑनलाइन कक्षाएँ हो रही हैं वहां पर प्रशासन और निदेशक की मिलीभगत के द्वारा छात्रों पर अतिरिक्त misllaneous charges लगाकर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। यूनिवर्सिटी के छात्रों का कहना है कि जो पिछले सेमस्टर में छात्रों से अलग-अलग फंड लिया गया था वह कहीं भी खर्च नही किया गया है। उच्चतम न्यालय ने दिशा निर्देश दिए है की इस महामारी के समय शिक्षण शुलक को छोड़कर किसी भी प्रकार का कोई भी अतिरिक्त शुलक न लिया जाए परन्तु विश्वविद्यालय प्रशासन ने उच्च न्यायालय के निर्णय का उल्लंघन किया है। एस एफ आई ने विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी दी है कि जल्द से जल्द अगर प्रशासन इस पर कार्रवाई नहीं करता है तो एस एफ आई विश्वविद्यालय में आंदोलन का आगाज करेगी जिसका खामियाजा विश्वविद्यालय प्रशासन को भुगतना पड़ेगा।
प्रदेश कार्यसमिति बैठक में दो राजनीतिक प्रस्ताव लाए गए। इनमें पहला प्रस्ताव केंद्र की उपलब्धियों को लेकर मंडी से सांसद रामस्वरूप शर्मा द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस प्रस्ताव का अनुमोदन प्रदेश सचिव पायल वैद्य और प्रदेश सह मीडिया प्रभारी नरेंद्र अत्री द्वारा किया गया। प्रदेश के भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केंद्रीय राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश को मजबूत करने का काम कर रही है। देश में अटल पेंशन योजना देश में एक बड़ी योजना के रूप में उभर कर आई है, जिसमें हर नागरिक को 60 वर्ष की उम्र के बाद पेंशन का लाभ मिलेगा। देश के 80 करोड़ लोगों को 8 माह के लिए मुफ्त राशन केवल भारतीय जनता पार्टी की सरकार की दे सकती थी। उन्होंने ने कहा कि देश की 8 करोड़ बहनों को गैस कनेक्शन देने का काम मोदी सरकार ने किया और इस कोविड-19 के संकट काल में 3 माह तक मुफ्त सिलेंडर भी दिया। मोदी सरकार सही मायने में सभी वर्गों के लिए काम कर रही है। विकलांगों वृद्धों और विधवाओं के लिए एक लाख एक हजार करोड़ का बजट आवंटन किया गया जिसके अंतर्गत 3 माह तक सभी को 1 हज़ार मिले।
-हर वर्ष बचेंगे करोड़ों, रुकेगा भूमि कटाव और सरकारी नलों पर निर्भरता भी होगी कम -छावनी बोर्ड सुबाथू, जतोग कैंट और एमसी सोलन बचा रहे लाखों लीटर पानी प्रदेश में हर वर्ष जल संकट बढ़ता जा रहा है, लेकिन सरकार ने आज तक वर्षा जल संग्रहण के लिए कोई कारगर योजना तैयार नहीं की है। बारिश के दिनों में लाखों-करोड़ों लीटर पानी आकाश से बरसता है और यदि उसका सही तरीके से संग्रहण किया जाए तो न केवल हिमाचल में किसी भी मौसम में जल संकट समाप्त हो जाएगा, बल्कि सरकार का करोड़ों रुपये बचेगा, भूमि कटाव की समस्या कम होगी और लोगों की सरकारी पेयजल योजनाओं पर निर्भरता कम हो जाएगी। सबसे बड़ी बात यह है कि प्रदेश के पारंपरिक प्राकृतिक जलस्त्रोत फिर से पुनर्जीवित हो उठेंगे। दिन-प्रतिदिन पानी की बढ़ रही समस्या को देखते हुए पिछले कई वर्षों से यह कहा जा रहा है कि अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए होगा, लेकिन यदि इंसान प्रकृति से खिलवाड़ न करे और उसके विरुद्ध न चले तो इस कथित विश्वयुद्ध को टाला जा सकता है। इसके लिए सरकारों की इच्छाशक्ति का होना बेहद जरूरी है। कुछ दशकों पहले तक बरसात के मौसम में जोहड़ों और कच्चे तालाबों के माध्यम से बारिश के पानी का संग्रहण किया जाता था, जिससे साल भर तक प्राकृतिक जलस्त्रोत रिचार्ज रहते थे और उनमें पानी की कमी नहीं आती थी, लेकिन समय के बदलाव के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में जोहड़ और तालाब मिट्टी से भर गए और लोगों की निर्भरता पूरी तरह से सरकारी नलों पर हो गई। शहरों की बात छोड़ दें तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग नलों के पानी पर ही निर्भर हो गए हैं, बहुत कम क्षेत्रों में लोग कुओं या बावडिय़ों से पानी ढोते हुए नजर आते हैं। केंद्र सरकार के जलशक्ति मिशन के तहत अब सरकार ने आने वाले समय में हर घर को नल देने की विस्तृत योजना तैयार की है और हर माह देश भर में लाखों पानी के कनेक्शन दिए भी जा रहे हैं, लेकिन सरकार ने यह नहीं सोचा कि जब हमारी नदियों या बड़े जलाश्यों में ही पानी नहीं बचेगा तो अरबों रुपये की यह योजनाएं किस काम की रहेंगी। सरकार को चाहिए कि बारिश के पानी का संग्रहण करने की विस्तृत योजना तैयार करे और जिन लोगों के पास अपनी भूमि है, वहां पानी के बड़े भंडारण टैंकों का निर्माण सुनिश्चित किया जाए। शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक निर्माणधीन भवन का नक्शा तभी पास किया जाए जब उसमें वर्षा के जल संग्रहण टैंक के निर्माण का प्रावधान हो। टीसीपी में हालांकि यह प्रावधान तो है, लेकिन इन टैंकों को सरकारी नलों में आने वाले पानी से भर कर रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नाम पर मात्र खानापूर्ति की जा रही है। वर्षा के पानी को बनाया जा सकता है सौ प्रतिशत शुद्ध प्रदेश के सबसे पुराने छावनी क्षेत्र सुबाथू के अलावा शिमला के जतोग कैंट और नगर परिषद सोलन में हजारों लीटर वर्षा के पानी को संरक्षित किया जा रहा है। यह पानी मिनरल वॉटर की तरह शुद्ध हो कर हजारों लोगों की प्यास बुझा रहा है। लैबोरेटरी से इस पानी में शून्य प्रतिशत बेक्टीरिया होने की पुष्टि की गई है। हालांकि सुबाथू में तो छावनी बोर्ड ने पानी को और अधिक शुद्ध बनाने के लिए अतिरिक्त फिल्टर लगाए हैं, लेकिन मात्र 85 सौ रुपये लागत का फिल्टर लगा कर कर एक मध्यम वर्गीय परिवार भी एक वर्ष में कम से कम 100 दिनों का पानी बचा सकता है। प्रदेश में औसतन 70 से 120 सेंटीमीटर बारिश होती है और एक सेंटीमीटर बारिश होने पर एक हजार वर्ग मीटर छत से एक हजार लीटर पानी बर्बाद होता है या यूं कहें कि उसे बचाया जा सकता है। सीमित संसाधनों वाले स्वायत्त छावनी बोर्ड प्रशासन ने वर्षा जल संग्रहण में रुचि दिखाई और इसका नतीजा यह हुआ कि आज इन क्षेत्रों में पेयजल संकट दूर हो गया है। छावनी बोर्ड कार्यालय की सभी छतों का पानी पाइप के माध्मय से फिल्टर होकर बड़े भंडारण टैंक में एकत्रित किया जाता है और उसके बाद उसे लोगों को सप्लाई किया जा रहा है। किसी भी मौसम में नहीं होगी पानी की किल्लत हिमाचल सरकार भी यदि पहल करे तो किसी भी मौसम में पानी की किल्लत नहीं होगी। गर्मियों में नदियों व जलस्त्रोतों का पानी सूख जाता है, वहीं, भारी बारिश होने पर गाद से पेयजल योजनाएं बंद हो जाती हैं, जिससे सरकार को मशीनरी बर्बाद होने पर करोड़ों रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है। टैंकरों पर भी सरकार हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च करती है। ऐसे में यदि हर स्कूल की छत, सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक भवनों और हर घर की छत से वर्षा जल संग्रहण किया जाए तो हर वर्ष करोड़ों रुपये बच सकते हैं, बस आवश्यकता है तो सरकार के संकल्प व इच्छा शक्ति की, क्योंकि अभी तक प्रदेश सरकार ने छावनी परिषदों की भांति वर्षा के जल संग्रहण में कोई रुचि नहीं दिखाई है।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने आज यहां बताया कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर द्वारा नई पंचायतों के गठन के लिए गैर-जनजातीय क्षेत्रों तथा जनजातीय क्षेत्रों के लिए मापदण्ड अनुमोदित कर दिये है। मंत्रिमण्डल की 11 अगस्त, 2020 को आयोजित बैठक में मापदण्ड तय करने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया था। वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि गैर-जनजातीय क्षेत्रों के लिए अनुमोदित मापदण्डों के अनुसार उन ग्राम पंचायतों से नई पंचायतों का गठन किया जाएगा, जिनकी 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 2000 तथा उससे अधिक है तथा परिवारों की संख्या 500 या उससे अधिक, ग्राम पंचायत के वर्तमान मुख्यालय से सबसे दूर वाले गांव की दूरी 5 कि.मी. या उससे अधिक, गांव की संख्या 5 तथा उससे अधिक है। इसके साथ यह शर्त भी है कि वर्तमान पंचायत तथा नव प्रस्तावित ग्राम पंचायत की जनसंख्या विभाजन के पश्चात न्यूनतम 600 होनी चाहिए। यह मापदण्ड पिछड़े क्षेत्रों के लिए भी लागू होगा। इसी प्रकार जनजातीय क्षेत्रों की उन ग्राम पंचायतों में से नई पंचायते बनाई जाएगी, जिनकी जनसंख्या 750 और उससे अधिक है। इसके साथ यह शर्त भी है कि वर्तमान पंचायत तथा नव प्रस्तावित ग्राम पंचायत की जनसंख्या विभाजन के पश्चात न्यूनतम 300 होनी चाहिए। वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि विभाग में अब तक प्राप्त 487 से अधिक प्रस्तावनाओं का उक्त मापदण्डों के अनुसार परिक्षण किया जा रहा है, जो 230 पंचायतें उक्त मापदण्डों को पूर्ण करेगी उनके गठन की सरकार द्वारा अधिसूचना जारी की जा रही है। अधिसूचना पर सम्बन्धित ग्रामसभा के सदस्य 7 दिनों के भीतर अपनी आपत्तियां सम्बन्धित उपायुक्तों के समक्ष दर्ज करवा सकते है। प्राप्त आपत्तियों पर उपायुक्त 3 दिनों के भीतर फैसला लेकर विभाग को अपनी संस्तुति देंगें, जिसके पश्चात सरकार द्वारा अन्तिम अधिसूचना जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि 22 अगस्त, 2020 के पश्चात प्राप्त होने वाली किसी भी प्रस्तावना पर विचार नही करने का निर्णय लिया गया है। वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि अनुमोदित मापदण्डों के अनुसार प्रदेश में 230 जिनमें जिला बिलासपुर में 14, चम्बा में 18, हमीरपुर में नौ, लाहौल-स्पिति में चार, किन्नौर में सात, सोलन में 17, मण्डी में 65, कांगड़ा में 33, शिमला में 35, ऊना में दो, कुल्लू में 28 तथा सिरमौर में आठ नई ग्राम पंचायतों का गठन प्रस्तावित हैं।
GNA University keeping the unprecedented moments of COVID-19 intact organized its first Virtual Convocation of 2015 batch of Engineering students of various branches- Mechatronics; Automation Engineering, Mechanical, Aerospace, Computer Science; Engineering, Automotive, Mechatronics, Civil; Electronics; Communication Engineering in the benign presence of the worthy Chief Guest cum Pro-Chancellor of the University, S. Gurdeep Singh Sihra, the renowned business tycoon spearheading the internationally established group of Gear Manufacturing Company, GNA Gears as the Director & CEO . The Vice Chancellor – Dr. VK Rattan, Dean Academics- Dr. Monika Hanspal, the Registrar – Dr. RK Mahajhan, the Dean Faculty of Design & Innovation- Dr. CR Tripathi and the Dean Faculty of Engineering- Dr. Vikrant Sharma graced the auspicious occasion of Virtual Convocation 2020. On the special and the most awaited occasion of the virtual academic event, S.Gurdeep Singh Sihra honoured 25 toppers of different Engineering programs bagging gold, silver and bronze medals. Nearly 240+ GNA University students were awarded degrees in the various programs of Engineering. Mr. Gurdeep Singh Sihra, the Pro-Chancellor, GNA University cum the Chief Guest during his Presidential Address emphasized that the degree recipients should constantly ponder over the possibilities for the application of the latest updates happening in their sector to make a positive impact on the quality of life of the people. He congratulated and encouraged them to spread their acquired knowledge across the globe and prove to be an asset to your alma mater. Dr VK Rattan, the Vice-Chancellor, GNA University in her Convocation address reminded the degree recipients the worth of education in preparing the foundation of a strong mind, hence, a strong nation, and that the responsibility to fulfill the vision of the nation lies on their young shoulders. Dr. Monika Hanspal, Dean Academics, GNA University in her Welcome address congratulated all the degree recipients for the commencement of a new phase of their life. She stated that in a situation where the country is struggling hard to solve the problem of unemployment, the students graduating today are among the few privileged to pay tribute to their ‘Gurus’ despite the unprecedented days of COVID19. Dr. RK Mhajhan, the Registrar, GNA University during his Vote of Thanks duly thanked all the Award Winners and the alumni seeking degrees for joining whole- heartedly over the virtual interface. He wished them success in their career and stressed on being honest and committed for what they aspire and keep a clear vision in life. In his thanksgiving, he lauded the role of GNA Group both in industry and education and hoped that this would provide opportunities to the local youth in having access to high quality education which will enable them to get employment across the globe. Overall the Virtual Convocation 2020 happily culminated with the National Anthem with the brimming faces of all the degree recipients.
शिमला: वन, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री राकेश पठानिया ने आज यहां डलहौजी विधानसभा के लाभार्थियों को वर्चुअल रैली के माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकार द्वारा विभिन्न विकासात्मक कल्याणकारी योजनाएं चलाई गई हैं, जिनके माध्यम से लोगों को सीधे तौर पर सरकार द्वारा लाभान्वित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अन्तर्गत डलहौजी विधानसभा क्षेत्र में अब तक 767 परिवारों को घर स्वीकृत किए गए हैं। योजना में प्रत्येक लाभार्थी को मकान निर्माण के लिए 1.50 लाख रुपये अनुदान राशि प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आवास योजना में अब तक विधानसभा क्षेत्र में 220 लाभार्थियों को लाभ पहुंचाया गया है। मुख्यमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत भी प्रत्येक लाभार्थी को 1.50 लाख रुपये की अनुदान राशि प्रदान की जा रही हैं। वन मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश कामगार कल्याण बोर्ड के माध्यम से डलहौजी विधानसभा क्षेत्र में 690 लाभार्थियों को पंजीकृत किया गया है, जिन्हें अब दो हजार रुपये का अतिरिक्त भत्ता प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अन्तर्गत भी क्षेत्र में 898 को लाभान्वित किया गया है। इसके अलावा हिमाचल गृहिणी सुविधा योजना के अन्तर्गत 3893 महिलाओं को निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। राकेश पठानिया ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत विधानसभा क्षेत्र में 6323 किसानों को 6 हजार रुपये की राशि खाद, बीज व कीटनाशक दवाइयां इत्यादि के लिए आवंटित की जा रही है। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत डलहौजी में 3527 परिवारों को लाभान्वित किया गया। इसके अलावा मुख्यमंत्री राहत कोष से भी विधानसभा क्षेत्र के 165 परिवारों को राहत प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के माध्यम से चलाई जा रही प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना व राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत डलहौजी विधानसभा क्षेत्र के 225 लाभार्थियों ने लाभ उठाया है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत 447, हिमकेयर योजना में 654 लाभार्थियों को लाभ प्रदान किए गए हैं, जबकि इस योजना में गम्भीर बीमारी की स्थिति में पांच लाख रुपये तक निःशुल्क उपचार सुविधा उपलब्ध की जा रही है। वन मंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अन्तर्गत डलहौजी विधानसभा क्षेत्र में 434 लाभार्थी पंजीकृत हैं और इस योजना में मात्र 12 रुपये में दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा प्रदान किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज वीडियो काॅन्फ्रेंस के माध्यम से कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के लाभार्थियों को सम्बोधित व बातचीत करते हुए कहा कि राज्य सरकार सुनिश्चित कर रही है कि, राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई नीतियां, कार्यक्रम और कल्याणकारी योजनाएं लक्षित समूह तक पहुंचे ताकि राज्य में गरीबों का सामाजिक, आर्थिक उत्थान को सुनिश्चित किया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की वर्चुअल रैलियों का आयोजन करने से राज्य सरकार को लाभार्थियों से सीधा संवाद स्थापित करने में मदद मिलती है और उनके कल्याण के लिए राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में प्रतिक्रिया भी प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि बातचीत के दौरान सरकार को कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए भी बेहतर सुझाव मिलते हैं। वर्तमान राज्य सरकार का पहला निर्णय बिना किसी आय सीमा के वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त की आयु सीमा को 80 से घटाकर 70 वर्ष किया है। इससे परिणामस्वरूप 200 करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय बोझ पड़ा है, लेकिन साथ ही राज्य के 2.90 लाख वरिष्ठ नागरिक लाभान्वित भी हुए हैं। जय राम ठाकुर ने कहा कि वह स्वयं ग्रामीण क्षेत्र से होने के नाते, वे विभिन्न समस्याओं के समाधान में आम आदमी को होने वाली कठिनाई को समझते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य सरकार ने जनमंच कार्यक्रम शुरू किया है और राज्य में अब तक लगभग 190 जनमंच आयोजित किए जा चुके हैं और 91 प्रतिशत से अधिक शिकायतों का निवारण किया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन 1100 के माध्यम से भी जनता की शिकायतों के निवारण में मदद की है। केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत लगभग 22 लाख लोगों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना से बाहर रह गई राज्य की आबादी को कवर करने के लिए, राज्य सरकार ने राज्य में हिमकेयर योजना शुरू की और 90 करोड़ रुपये खर्च करके अब तक लगभग 90,000 लोगों का इस योजना के अन्र्तगत उपचार किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में क्रोनिक बीमार मरीजों के परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए, सहारा योजना भी चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत, ऐसे रोगियों को प्रति माह 3000 रुपये प्रदान किए जा रहे हैं और अब तक लगभग 7000 परिवारों को लाभान्वित किया गया है। जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने पहली बार राज्य में विभिन्न आवास योजनाओं के तहत बेघर गरीबों को 10,000 घर देने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत, युवाओं को स्वयं का रोजगार शुरू करने के लिए 13 करोड़ रुपये के ऋण प्रदान किए गए। उन्होंने युवाओं से इस योजना का लाभ उठाने के लिए आगे आने का आग्रह करते हुए कहा कि नौकरी चाहने वालों के स्थान पर नौकरी प्रदाता बने। कोविड-19 महामारी ने समाज के हर वर्ग पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अन्तर्गत लगभग 8.75 लाख किसानों के खाते में लगभग 180 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित की गई। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने मार्च से जून माह तक प्रत्येक आशा कार्यकर्ता को 1000 रुपये प्रति माह की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि प्रदान की है। उन्होंने कहा कि जुलाई और अगस्त माह के लिए प्रत्येक आशा कार्यकर्ता को प्रति माह 2 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
अपने निरंतर प्रयासों और विपरीत परिस्तिथियों पर विजय हासिल करने के उपरांत प्रदेश सरकार चामुर्थी घोड़े की नस्ल के संरक्षण और पुनःस्थापन में सफल रही है। यह उन घोड़ों की नस्ल में से एक है, जिन पर कुछ साल पहले विलुप्त होने का खतरा मंडराया था। बेहतर क्षमता और बल-कौशल के लिए विख्यात चामुर्थी नस्ल के घोड़े हिमाचल के ऊपरी पहाड़ी क्षेत्रों, मुख्य रूप से बर्फीली स्पीति घाटी में सिंधु घाटी (हड़प्पा) सभ्यता के समय से पाए जाते थे। यह नस्ल भारतीय घोड़ों की 6 प्रमुख नस्लों में से एक है, जो ताकत और अधिक ऊंचाई वाले बर्फ से आच्छांदित क्षेत्रों में अपने पांव जमाने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध है। इन घोड़ों का उपयोग तिब्बत, लद्दाख और स्पीति के लोगों द्वारा युद्ध और सामान ढोने के लिए किया जाता रहा है। इसके अतिरिक्त, हिमाचल के कुल्लू, लाहौल-स्पीति और किन्नौर तथा पड़ोसी राज्यों में विभिन्न घरेलू और व्यावसायिक कार्यों के लिए व्यापक रूप से इनका उपयोग किया जाता रहा है। पशुपालन विभाग ने इन बर्फानी घोड़ों को बचाने और संरक्षित करने तथा पुनः अस्तित्व में लाने के उद्देश्य से वर्ष 2002 में लारी (स्पीति) में एक घोड़ा प्रजनन केंद्र स्थापित किया। यह केंद्र स्पीति नदी से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थापित किया गया है, जो राजसी गौरव और किसानों में समान रूप से लोकप्रिय घोड़ों की इस प्रतिभावान नस्ल के प्रजनन के लिए उपयोग किया जा रहा है। वर्तमान में इस प्रजनन केंद्र को तीन अलग-अलग इकाइयों में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रत्येक इकाई में 20 घोड़ों को रखने की क्षमता और चार घोड़ों की क्षमता वाला एक स्टैलियन शेड है। इस केंद्र को 82 बीघा और 12 बिस्वा भूमि पर चलाया जा रहा है। विभाग द्वारा इस लुप्तप्राय प्रजाति के लिए स्थानीय गांव की भूमि का उपयोग चरागाह के रूप में भी किया जा रहा है। पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर के मुताबिक, इस प्रजनन केंद्र की स्थापना और कई वर्षाें तक चलाए गए प्रजनन कार्यक्रमों के उपरांत इस शक्तिशाली विरासतीय नस्ल, जो कभी विलुप्त होने की कगार पर थी, की संख्या में निरंतर वृद्धि हुई है। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में इनकी आबादी लगभग चार हजार हो गई है। लारी फार्म में इस प्रजाति के संरक्षण के प्रयासों के लिए आवश्यक दवाओं, मशीनों और अन्य बुनियादी सुविधाओं के अलावा पशुपालन विभाग के लगभग 25 पशु चिकित्सक और सहायक कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस केंद्र में इस नस्ल के लगभग 67 घोड़ों को पाला जा रहा है, जिनमें 23 स्टैलियन और 44 ब्रूडमेयर्स दोनों युवा और वयस्क शामिल हैं। प्रत्येक वर्ष पैदा होने वाले अधिकांश घोड़ों को पशुपालन विभाग द्वारा नीलामी के माध्यम से स्थानीय खरीदारों को बेचा जाता है। चार-पांच वर्ष की आयु के एक व्यसक घोड़े का औसत बाजार मूल्य वर्तमान में 30-40 हजार रुपये है। इन घोड़ों की सबसे अधिक लागत तीन वर्ष पूर्व 75 हजार रुपये दर्ज की गई थी। जनसंख्या, जलवायु और चरागाह के आधार पर एक वर्ष में औसतन अधिकतम 15 मादाएं गर्भधारण करती हैं और गर्भाधान के 11-12 महीने बाद बच्चा जन्म लेता है, जबकि एक वर्ष की आयु तक उसे दूध पिलाया जाता है। प्रजनन भी पशु चिकित्सा विशेषज्ञों की निगरानी में करवाया जाता है। जन्म के एक महीने के बाद घोड़े के बच्चे को पंजीकृत किया जाता है और छह महीने की आयु में उसे दूसरे शेड में स्थानांतरित कर दिया जाता है। एक वर्ष का होने पर ही इसे बेचा जाता है। इसके अतिरिक्त विभाग द्वारा वृद्ध अथवा अधिक संख्या होने पर चामुर्थी मादाओं को बेच दिया जाता है। इसके अलावा, घोड़े की अन्य नस्लों की देख-रेख, पालन-पोषण और उनका प्राचीन महत्व पुनः स्थापित करने के लिए विभाग द्वारा इस केंद्र पर प्रति वर्ष लगभग 35 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। स्टैलियन घोड़ों के संरक्षण के मामले में हिमाचल प्रदेश का स्टैलियन चार्ट में अग्रणी स्थान है और निरन्तर गुणात्मक घोड़ों के उत्पादन में सफलता हासिल की है। प्रदेश की सफलता और चामुर्थी प्रजाति की लोकप्रियता का अंदाजा अंतरराष्ट्रीय लवी, लदारचा मेलों और समय-समय पर आयोजित होने वाली प्रदर्शनियों के दौरान प्राप्त किए गए विभिन्न पुरस्कारों से लगाया जा सकता है।
सीपीआईएम नेता संजय चौहान ने कहा है कि उनकी पार्टी प्रदेश में बीजेपी सरकार के एक मंत्री पर तथाकथित जमीन खरीद के लगे आरोपों पर मुख्यमंत्री से इसकी निष्पक्ष जांच तथा मंत्री को तुरंत पद से हटाने की मांग करती है। उन्होंने कहा कि जब तक मंत्री पद पर आसीन है तब तक इस मामले में निष्पक्ष जांच की अपेक्षा ही नहीं की जा सकती है और न ही इस प्रकार के आरोपों के चलते मंत्री पद की गरिमा बनी रह सकती है। चौहान ने कहा कि पिछले कुछ समय से प्रदेश में बेनामी जमीन सौदों व जमीन की खरीद में राजस्व कानूनों के उलंघन के कई मामले सामने आए हैं जिनमे काफी मामले ऐसे भी है जहाँ सत्ता के करीबी व अन्य राजनीतिक पहुँच के प्रभावशाली लोग व उनके परिवार के लोगो व संबंधियों पर भी जमीन खरीद में कानूनों की उलंघना के आरोप लगें है तथा इनमे से कुछ मामलो में न्यायालय में भी मुकदमे चले हैं। परन्तु सरकार इन मामलों पर संजीदा नहीं है और प्रदेश में बेनामी जमीन के सौदों व राजस्व कानून के उलंघन के इन मामलों पर कोई भी उचित कार्यवाही नहीं कर रही है जिससे आज प्रदेश में ज़मीन व अन्य संसाधनों पर राजनैतिक व आर्थिक रूप से प्रभावशाली लोगों का कब्जा हो रहा है और गरीब को दबाव या गरीबी के कारण अपनी जमीन ऐसे लोगों को बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान बीजेपी सरकार जब से बनी है वह प्रदेश में निवेश के नाम पर इन्वेस्टर मीट जैसे आयोजन कर जमीन व भू राजस्व कानूनों में संशोधन कर प्रदेश के संसाधनों जिनमें जमीन, जल व जंगल सम्मिलित हैं अमीरों व कॉरपोरेट घरानों को सौंपने का काम कर रही है। एक ओर प्रदेश की गरीब जनता यदि सरकार से अपनी रोजी रोटी के लिए ज़मीन की मांग करती हैं तो सरकार इस मांग को बिल्कुल ही नजरअंदाज कर देती है और दूसरी ओर सरकार बड़े पूंजीपतियों व अमीर लोगों को प्रदेश की जनता के संसाधन कानून में फेरबदल कर इनको सौंपने का काम कर रही है। उन्होने कहा कि सीपीएम मांग करती है कि मंत्री व अन्य सत्ता पक्ष के लोगो तथा अन्य जिन भी लोगो के विरुद्ध गैर कानूनी रूप से जमीन खरीद व अन्य भू राजस्व कानूनो के उलंघना के आरोप लगें है इनकी निष्पक्ष जांच कर इन पर कानूनी कार्यवाही की जाए।
भाषा, कला एवं संस्कृति मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश की सांस्कृतिक नीति के लिए गठित समिति की पहली बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सांस्कृतिक नीति का मुख्य उद्देश्य हिमाचल प्रदेश की समृद्ध संस्कृति को संरक्षित और जीवंत रखते हुए इसे जन-जन तक पहुंचाना होगा। गोविन्द सिंह ठाकुर ने कहा कि इस नीति में प्रदेश के समृद्ध इतिहास के मौखिक रूप को कलमबद्ध करने के साथ-साथ उसे प्रचारित करने का भी प्रावधान रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक नीति के माध्यम से प्रदेश की बहुमुखी संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस नीति में हिमाचल प्रदेश की विभिन्न सांस्कृतिक विधाओं, बोलियों, लोक नाट्य, लोक गीतों का युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से इन विधाओं के विशेषज्ञों की सेवाएं लेने का भी प्रावधान रखा जाएगा। प्रदेश के ऐतिहासिक अभिलेखों को संरक्षण प्रदान किया जाएगा। प्रदेश के हर जिले में शोध केंद्र, पांडु लिपि शोध केंद्र स्थापित करने की दिशा में कार्य किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को इस नीति का प्रारूप समयबद्ध तैयार करने के निर्देश दिए। गोविन्द सिंह ठाकुर ने कहा कि अन्य प्रदेशों की फिल्म सिटी की तर्ज पर प्रदेश में भी फिल्म सिटी की स्थापना की दिशा में कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों की कला संस्कृति के संवर्द्धन तथा प्रसार की दिशा में विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। प्रदेश के सभी मंदिरों को सूचिबद्ध करने के साथ-साथ, मंदिरों के जीर्णोद्धार की दिशा में विशेष कार्य किया जाएगा और इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि उनकी पुरातन काष्ठ शैली को किसी प्रकार की क्षति न पहुंचे। प्रदेश की कला एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को पर्यटन के साथ जोड़ा जाएगा, ताकि इस दिशा में निवेश की संभावनाओं को बढ़ावा प्रदान किया जा सके। उन्होंने कहा कि हिमाचल की कला एवं संस्कृति के प्रति बच्चों में रूझान पैदा करने के उद्देश्य से हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड को भी इस कार्य में सम्मिलित किया जाएगा।
राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा (Rajinder Rana) ने कहा है कि हर फैसले पर केंद्र का मुंह ताकने वाली प्रदेश सरकार अब प्रदेश के मंदिरों को खोलने के लिए असमंजस में एक दूसरे का मुंह ताक रही है जबकि प्रदेश के मंदिरों व उसके इर्दगिर्द रहने वाली आबादी मंदिरों के बंद होने से पूरी तरह प्रभावित हो रही है। मंदिरों के आसपास हर छोटे-बड़े कारोबारी हाल-बेहाल हो चुके हैं। पंडित, पंडो व पुजारियों की रोटी-रोजी पर संकट के बादल छाए हुए हैं। मंदिरों के आसपास बैठा व्यापारी वर्ग पर कारोबार न होने के कारण कर्जे का बोझ चढ़ रहा है, लेकिन सरकार केंद्र के इशारे का इंतजार कर रही है। हालांकि भारत के सभी बड़े मंदिर अब करीब-करीब एक सेट गाइडलाईन के तहत खोल दिए गए हैं, लेकिन प्रदेश सरकार इस मामले में अभी तक पूरी तरह फिसड्डी साबित हुई है। लगता है कि सरकार को न मंदिरों के आसपास बैठे व्यापारी वर्ग की चिंता है और न ही मंदिरों में पूजा करवाने वाले पंडित, पुजारियों की कोई परवाह है। हालांकि कोविड-19 में संस्थानों को खोले जाने के नियम समूचे भारत में एक जैसे हैं, जिन पर कई राज्यों ने अपने विवेकानुसार धार्मिक संस्थानों व मंदिरों को खोलने का फैसला लिया है लेकिन प्रदेश में केंद्र के रिमोट से चलने वाली सरकार को रिमोट के दबने का इंतजार है। हैरानी यह है कि केंद्र के नियंत्रण में पंगु हो चुकी सरकार अपने स्तर पर कोई भी फैसला लेने में सक्षम नहीं हो पा रही है। राणा ने कहा जब एक ओर सरकार ने बसों में पूरे यात्रियों को बिठाकर सफर की इजाजत दे दी है तो सवाल उठता है कि अब सोशल डिस्टिेंसिंग के साथ मंदिरों में श्रद्धालुओं को आने की इजाजत देने से क्यों हिचकिचा रही है। उन्होंने कहा कि एहतियातन शर्तों के साथ सरकार मंदिरों में श्रद्धालुओं को आने की अनुमति दे। जब वैष्णो देवी के श्राइन बोर्ड में 5 हजार श्रद्धालुओं को आने की अनुमति के साथ मंदिर दर्शनों के लिए खोला गया है तो हिमाचल के मंदिर हिमाचलियों के लिए क्यों नहीं खोले जा सकते हैं। राणा ने कहा कि सरकार कम से कम हिमाचलियों के लिए तो मंदिरों के कपाट खोले। क्योंकि यह मामला हिंदु आस्था से जुड़ा है और अब श्रद्धालु दर्शनों के लिए बेताब व बेकरार हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं कि वह अपने विवेक के अनुसार धार्मिक संस्थानों व मंदिरों को खोलने का फैसला ले। अब सवाल यह उठता है कि सरकार अपने विवेक का इस्तेमाल कब और कैसे कर पाती है? उन्होंने कहा कि हर प्रदेश और हर क्षेत्र की अपनी समस्याएं व अपनी शिकायतें होती हैं जिसे हर राज्य की सरकार अपने विवेकानुसार हल करती है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में सत्तासीन बीजेपी सरकार खुद को अपने स्तर पर कोई भी फैसला लेने में लगातार नाकाम पा रही है। इस कारण से हर छोटा-बड़ा फैसला या तो अफसरशाही के दबाव-प्रभाव में होता है या फिर केंद्र के हंटर के बाद फैसला लिया जाता है।
चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (सीएसकेएचपीकेवी) के कुलपति डाॅ. एच.के. चौधरी ने शनिवार को राजभवन में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से भेंट की। यह एक शिष्टाचार भेंट थी। राज्यपाल ने उन्हें कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त होने पर बधाई देते हुए आशा जताई कि उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय नए आयाम स्थापित करेगा। उन्होंने डाॅ. एच.के. चैधरी को शोध कार्य और नई पद्धति पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया तथा ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली को अधिक सुदृढ़ बनाने तथा शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को सरकारी नौकरी की अपेक्षा खेतों में कृषि गतिविधियों की ओर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करने के प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए छोटे गांव को अपनाया जाना चाहिए और स्कूल छोड़ चुके युवाओं को प्राकृतिक खेती की प्रणाली का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। उन्हें प्रमाण-पत्र प्रदान किए जाने चाहिए, ताकि वे दूसरों को भी प्रशिक्षण प्रदान कर सके। दत्तात्रेय ने जनजातीय क्षेत्रों में औषधीय पौधों पर कार्य करने के निर्देश दिए, जिसके लिए नई परियोजनाएं शुरू की जानी चाहिए। यह भौगोलिक दृष्टि से कठिन क्षेत्रों के लोगों की आर्थिकी सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध होगा। डाॅ. एच.के. चैधरी ने राज्यपाल को आश्वासन दिया कि कृषि विश्वविद्यालय को नए आयाम तक पहुंचाने और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलवाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
The economy of the day in our Country is shattered due to the reasons not to be detailed here, as to why blame anybody, it may create another controversy. Therefore, it is better to explore the possibilities as to how and who could handle and take it in their hands to give a big boost to strengthen it through certain remedial measures and maybe, we should take our countrymen into confidence and make them understand before dealing with such harsh steps. Basically, the main objective with the Govt or the next popular Govt that comes into power with clean and dedicated people who must have that required potentials in their minds i.e. the money of the Politicians deposited into the Swiss-Banks should immediately be withdrawn and transferred back to India and be treated as Indian National property forthwith. All Banks in our Country should ensure to supply the detail of Total money deposited with them by big Guns in general and by the politicians in particular with their complete addresses and all that along with the detail of their family members, close relatives, known ones with the further clarifications to the effect that any huge amounts deposited with the Banks namelessly with an untitled mode which must create doubts in the minds of investigating agencies that certain account/amount holders can not earn or manage to have such access towards the huge amount deposited by them under their name and style in a very white way. It is because of the very hard fact that this practice was never practiced upon earlier by the fellow Politicians due to their being CHIPS OF THE SAME BLOCK. It certainly allowed to happen due to the reasons that there was no option rather THIRD option available with the people of this country, whom they could have been able to elect and sent them to Parliament. Apart from the said remedy, there are other measures to be adopted likewise first to strengthen the shattered economy that too in the sweet will of the clean and responsible people in power, otherwise, the condition of our Country as on today is clearly visible and in case it goes on like this, definitely, we may stand nowhere in the eyes of the World and we may be held responsible by our generation and the generation to come. All detail to be given here is not possible. Its a gist simply.
सेब सीजन के शुरू होते ही शिमला में ट्रक एवम दूसरी ढुलाई वाली गाड़ियों के पलटने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। हर वर्ष सेब सीजन के दौरान हजारों ट्रक बाहरी राज्यों से आते हैं और सेब लेकर मंडियों तक जाते हैं। मैदानी इलाकों में तो ड्राइवर इन ट्रकों का सुरक्षित आवागमन करवाते हैं लेकिन पहाड़ो की सर्पीली सड़कों में चालक गाड़ी का संतुलन खो बैठते हैं। शनिवार शिमला के शोघी महली बाईपास पर एक ट्राला अनियंत्रित होकर सड़क से नीचे लुढ़क गया। इस हादसे में किसी जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है। News: Truck rollover over Shoghi Mheli bypass road
प्रदेश में कोरोना से मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। अब सोलन के बद्दी से एक और कोरोना संक्रमित की मौत का मामला सामने आया है। बद्दी की रहने वाली 75 साल की एक महिला कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी जिसे गुरुवार रात आईजीएमसी शिमला में गंभीर हालत में लाया गया था और शनिवार सुबह उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया है। आईजीएमसी के प्रिंसिपल रजनीश पठानिया ने महिला की मौत की पुष्टि की है। इसके साथ ही प्रदेश में कोरोना से मरने वालों की संख्या 25 हो गई है।
हिमाचल प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने आगामी मॉनसून सत्र के दृष्टिगत सुरक्षा प्रबन्धों से सम्बन्धित विधान सभा सचिवालय में एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर विपिन परमार ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते मॉनसून सत्र के आयोजन में किसी भी तरह की कोताही न बरती जाये। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सत्र के दौरान विधान सभा में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति की धर्मल स्क्रीनिंग की जाये तथा हर प्रवेश द्वार पर सैनिटाईजर से लैस स्वचालित मशीनें स्थापित की जायें। परमार ने कहा कि जिनकी सेवायें सत्र के आयोजन के लिए आवश्यक है केवल उन्हें ही पास जारी किये जायें। उन्होंने कहा कि आगन्तुकों को प्रवेश नहीं दिया जायेगा। भीड़ को कम करने के लिए विधान सभा परिसर में प्रवेश की अनुमति सिर्फ उन्हें ही दी जाये जिनकी सेवायें वांछित है। परमार ने सभी प्रशासनिक सचिवों व विभागाध्यक्षों से आग्रह किया कि जिनका सत्र से सम्बन्धित कार्य आवश्यक है केवल उन्हीं के पास के लिए ऑन लाईन आवेदन भेजा जाये। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सत्र के दौरान विधान सभा सचिवालय . सदन तथा मुख्य द्वारों को एक दिन में दो बार सैनिटाईज किया जायेगा ताकि किसी भी तरह के संक्रमण को टाला जा सके। बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया कि विधान सभा सचिवालय में ई - प्रवेश पत्र online आवेदन पर ही दिया जाएगा । ई - विधान प्रणाली के तहत विधान सभा सचिवालय इसे online तरीके से मुद्रित करेगी। यह आवेदन सभी ई - प्रवेश पत्र पाने वालों को अनिवार्य है। विधान सभा सचिवालय में ई - प्रवेश पत्र की जांच हेतु पुलिस द्वारा कम्पयुट्रीकृत जांच केन्द्र मुख्य द्वारों पर स्थापित किए जाएगें ताकि कम से कम असुविधा हो तथा जांच भी पूर्ण हो। विपिन परमार ने कहा कि पूर्व की भांति इस बार भी क्युआर कोड के माध्यम से फोटो युक्त ई - प्रवेश पत्र को लेपटॉप के माध्यम से प्रमाणित किया जाएगा। इन केन्द्रों पर हर व्यक्ति का डॉटाबेस बनेगा जिसे पुलिस नियन्त्रण कक्ष से मॉनिटर करेगी। उन्होंने कहा कि ई प्रवेश पत्र ई - विधान के अन्तर्गत बनाये जाएंगे। बैठक में सदस्यों तथा सत्र के कार्य से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों को कम से कम असुविधा हो के दृष्टिगत यह निर्णय लिया गया कि विधान सभा सचिवालय द्वारा जारी अधिकारी दीर्घा पास , स्थापना पास तथा प्रेस संवाददाताओं को जारी किए पास प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाएगें , ताकि सुरक्षा कर्मियों द्वारा फ्रिस्किंग की कम से कम आवश्यकता रहे। प्रेस संवाददाताओं की सुविधा एंव सार्वजनिक सुरक्षा को देखते हुए बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि प्रेस संवाददाताओं का प्रवेश यथावत् गेट नं . 3 ,4 ,5 ,46 से ही रखा जाए । विधान सभा सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी अपने पहचान - पत्र प्रमुखता से प्रदर्शित करने होंगे। इसके अतिरिक्त यह भी निर्णय लिया गया कि कोई भी सरकारी अधिकारी / कर्मचारी व अन्य पास धारक अपना शासकीय पास किसी अन्य को स्थानान्तरित नहीं करेगा , अन्यथा कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है। बैठक में निर्णय लिया गया कि विधान सभा परिसर की मुख्य पार्किंग में केवल मंत्रियों , विधायकों , मुख्य सचिव , अतिरिक्त मुख्य सचिवों एवं प्रशासनिक सथियों के वाहनों को ही पार्किंग करने की अनुमति प्रदान की जाएगी। प्रेस संवाददाताओं लथा विधान सभा के अधिकारियों / कर्मचारियों को कनैडीचौक तथा महालेखाकार कार्यालय के बीच माल रोड़ पर ( गेट नं . - 2 पर 30 मीटर के दायें तथा बायें को छोड़कर ) चिन्हित स्थानों पर पार्किंग सुविधा उपलब्ध होगी। आगे यह भी निर्णय लिया गया कि विधान सभा सचिवालय की ओर से जारी पार्किंग स्टिकरज वाहन के आगे प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाएंगे, ताकि धारको को कम से कम असुविधा का सामना करना पडे । मोबाईल फोन , पेजर आदि विधान सभा के अन्दर ले जाने पूर्णतः प्रतिबन्ध रहेगा।
भारतीय पुलिस सेवा में हिमाचल प्रदेश काडर के छः नव नियुक्त प्रशिक्षु अधिकारियों ने आज यहां मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर से भेंट की। अधिकारियों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने उन्हें भारतीय पुलिस सेवा का हिस्सा बनने पर बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि सभी युवा अधिकारियों के लिए हिमाचल प्रदेश जैसे शान्त राज्य में सेवाएं प्रदान करना सम्मान की बात है। जय राम ठाकुर ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि छः भारतीय पुलिस सेवा प्रशिक्षुओं में से तीन महिला अधिकारी हंै। उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रदेश में महिला सशिक्तकरण की दिशा में यह मील का पत्थर साबित होगा और राज्य की बेटियों को उनके पदचिन्हों पर चलने के लिए भी प्रेरित करेगा। पुलिस महानिदेशक संजय कुण्डू ने मुख्यमंत्री को युवा पुलिस अधिकारियों का परिचय देते हुए कहा कि सभी अधिकारी विभिन्न पृष्ठभूमि और क्षेत्रों से सम्बन्ध रखते हैं और इनमें से एक महिला अधिकारी हिमाचल प्रदेश से है। भारतीय पुलिस सेवा प्रशिक्षु अभिषेक, अमित यादव, मयंक चैधरी, चारू शर्मा, जिन्ना अफरोज और कामया मिश्रा ने मुख्यमंत्री से अपने अनुभव साझा किए और भविष्य की योजनाओं से अवगत करवाया।
कोविड महामारी के दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत जिला में अप्रैल से जून माह तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत चयनित एक लाख 11 हजार परिवारों को 62880 क्विंटल चावल और 3234 किंवटल काला चना आबंटित किया है। जिला में महामाराी के दौरान फंसे 3045 प्रवासी मजदूर परिवारों के 6566 सदस्यों को आत्म निर्भर भारत योजना के तहत परिवारों के 641 क्विंटल चावल और 33 क्विंटल चना वितरित किया गया है। यह जानकारी उपायुक्त ऋग्वेदठाकुर ने आज यहां सार्वजनिक वितरण प्रणाली और सर्तकता समितिक की बैठक की समीक्षा करते हुए दी। उन्होंने बताया कि जिला में इस वर्ष फरवरी से जुलाई तक कुल 74782 मुफत रिफिल वितरित किए गए हैं। जिसमें हिमाचल प्रदेश गृहिणी सुविधा योजना के तहत 18403 रिफिल और प्रधानमंत्री उज्जवल योजना के तहत 56379 रिफिल वितरित किएगए।उन्होंने कहा कि जिला मेंकुल 27 गैस एजेंसियों के माध्यम से कुल 335565 उपभोक्ताओं को एलपीजी की आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने बताया कि जिला में गृहिणी सुविधा योजना के तहत जिनपरिवारों के पास एलपीजी गैस कनैक्शन नहीं थे, उन्हें मुफत गैस कनैक्शन वितरित करदिए गए हैं। योजना शुरू होने के बाद अब तक जिला में 54418 गैस कनैक्शन जारी कर दिएगए हैं। ऋग्वेद ठाकुर ने कहाकि मंडी जिला में 784 उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से 3 लाख 11 हजार 033 राशन कार्ड धारकों को आवश्यक वस्तुओं का वितरण किया जा रहा है। इनमें बीपीएल, एपीएल, अंत्योदय अन्न योजना, प्राथमिक गृहस्थियां एवं अन्नपूर्णा योजना के तहत आने वाले लाभार्थी शामिल हैं। अन्तोदय राशन कार्ड धारकों को 18 किलो 800 ग्राम गंदम 3.20 रूपये किलो और 15 किलो चावल 3 रूपये किलो की दर से प्रत्येक राशन कार्ड पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया जिला में एपीएल श्रेणी के तहत 201836 राशन कार्ड धारक, बीपीएल के 44795, अंत्योदय अन्न योजनाके तहत 27185 प्राथमिक गृहस्थियों के तहत 37217 और अन्नपूर्णा योजना के अंतर्गत 40 राशन कार्ड धारक हैं। बीते 6 महीनों में उपभोक्ताओं को 239807 क्विंटल आटा, 209727 क्विंटल चावल, 50883 क्विंटल दालें, 31210 क्विंटल चीनी, 28लाख 80 हजार लीटर खाद्य तेल एवं 6 लाख 93 हजार लीटर मिट्टी का तेल वितरित किया गया। 4326 औचक निरीक्षण, 160314 रूपए जुर्माना कियागया ऋग्वेद ठाकुर ने बताया कि उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता की वस्तुएं उपलब्ध करवाने के लिए हर संभव प्रयासकिए जा रहे हैं। इसी दिशा में बीते 6 महीनों में 4326 औचक निरीक्षण किएगए। इनमें अनियमितताएं पाए जाने पर 10 मामलों में कार्यवाही की गई जबकि 105 मामालों में चेतावनी दी गई । विभिन्न अनियमितताओं पर इस अवधि के दौरान कुल 160314 रूपये का जुर्माना किया गया। उपायुक्त ने संबधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के साथ साथ बाजार में उपलब्ध खाद्य वस्तुओं की गुणवत्ता की भी समय-समय पर जांच करते रहें ताकि उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर गुण्वत्तापरक वस्तुएं प्राप्त हों। उन्होंने बताया कि आयकरदाताओं के राशन कार्ड विभाग द्वारा ब्लॉक किए जा रहे हैं जिसके उपरान्त उन्हें उचित मूल्य की दुकान से राशन नहीं मिलेगा। इस अवसर पर क्षेत्रीयप्रबन्धक पंकज शर्मा, जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक लक्ष्मण सिंह, सहायक पंजीयकसहकारी सभाएं कमलेश कुमार, खाद्य सुरक्षा अधिकारी बर्षा, राजन कुमार, उपजिला शिक्षा अधिकारी नरेन्द्र जमवाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे
ग्राम पंचायत गांवसारी के तहत महिला मंडल रावसी की महिलाओं ने अपने गांव रावसी मे एक दर्जन महिलाओं के साथ सफाई एवं भांग उखाडों अभियान चलाया। इस दौरान महिलाओं ने गांव के रास्तों,नालियों व बावडियों की सफाई के साथ रास्तों मे उगी भांग के पौधों को नष्ट किया। महिला मंडल की प्रधान बेबी देवी ने बताया कि महिला मंडल समय समय पर गांव मे स्वच्छता अभियान चलाता है। वही समाजिक कुरीतियों को लेकर भी लोगों को जागरूक करने का काम करता हैं। इस अभियान मे सुबरना देबी,चंद्रकांता,बबली देवी,सीता देवी व रूपा देवी सहित सभी महिलाओं ने सहयोग किया हैं।
कोरोना वायरस से जंग जीतने के बाद अस्पताल से छूटी मिलते ही दोपहर बाद ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी अपनी निजी गाड़ी को प्रतिबंधित रिज-मॉल रोड से लेकर ही निकल पड़े। सीटीओ के पास जब पुलिस की नजर गाड़ी पर पड़ी तो गाड़ी को रोका गया और प्रतिबंधित क्षेत्र में गाड़ी लाने के लिए चालान भी काटा गया। इस दौरान गाड़ी में उनकी दो बेटियां भी मौजूद थी जो कोरोना को मात देकर अपने पिता के साथ घर जा रही थी। बता दे कि रिज मॉल रोड पर केवल प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की गाड़ियों को आने की अनुमति है इसके अलावा किसी की गाड़ी के लिए ये प्रतिबंधित है। केवल आपातकाल की स्थिति में ही रिज से गाड़ी को अस्पताल ले जाने और एम्बुलेंस को ले जानी की अनुमति है जो शायद ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी भूल गए।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मॉनसून सत्र 7 सिंतबर से शुरू होने जा रहा है। यह सत्र 7 से 18 सितंबर तक जारी रहेगा। इस सत्र में सत्ता पक्ष औऱ विपक्ष आमने-सामने होंगे। सत्र में 10 बैठके रखी गई है। कोरोना काल मे विपक्ष पहले ही सत्र बुलाने की मांग कर रहा था। विपक्ष कोरोना काल में सरकार पर उठ रहे सवालों सहित कई मुद्दों पर सदन में घेरने का प्रयास करेगा। हालांकि प्रदेश में कोरोना का कहर जारी है और बजट सत्र भी कोरोना के चलते कम कर दिया गया था।
मुख्यमंत्री आवास में एक चालक कोरोना पाॅजिटिव निकला है। यह बीते दिनों पाॅजिटिव आए सुरक्षा कर्मियों के संपर्क में आने से संक्रमित हुआ है। जिला निगरानी अधिकारी डाॅ. राकेश भारद्वाज ने इसकी पुष्टि की है। जानकारी के अनुसार संक्रमित चालक सुंदरनगर का रहने वाला है और जब सचिवालय में कोई चालक अवकाश पर होता है तो वह सीएम सुरक्षा में तैनात गाड़ी चलाता है।
शिमला बटालियन के सौजन्य से और वेटेरन इंडिया जिला शिमला हिमाचल प्रदेश की इकाई ने मिलकर पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों को फर्स्ट एड बॉक्स, कुछ अति आवश्यक दवाइयां और मास्क बाँटे। वेटरन इंडिया जिला शिमला के अध्यक्ष कैप्टन शामलाल शर्मा व उनकी टीम द्वारा करोना को मध्य नजर रखते हुए उचित दूरी का ध्यान रखते हुए, मास्क आदि का प्रयोग करके उपरोक्त इलाकों में जाकर जरूरतमन्द सैनिकों, सीनियर सिटीजनों तथा उनके आश्रितों की समस्याओं को को सुना। वेटेरन इंडिया द्वारा ईएसएम सेल की सहायता से 1000 जवानों एवं उनकी परिवारों की सूची बनाई गई है जिनसे समय समय पर वार्तालाप कर उनकी ज़रूरतों का ध्यान रखा जाता है।
हिमाचल को देवभूमि के नाम से जाना जाता है लेकिन यहां पर ऐसी कई मान्यताएं भी हैं, जिन पर यकीन करना शायद आम इंसान के बस में नहीं है। यहाँ अगर बात करें राक्षसी शक्तियों से जुडी अविश्वसनीय प्रथा की तो हिमाचल में डगयाली की कहानी भी आपको हैरान कर देगी। हम आपको बता दें कि हमारा मकसद किसी को डराना या अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है, किन्तु आप तक सभी तथ्यों को पहुंचाने के मकसद से आपको आज हम डगयाली के बारें में जानकारी देंगे। हिमाचल के कुछ एक जिला में 2 दिन तक डगयाली ( जिसका अर्थ कुछ एक क्षेत्रों में चुड़ैल है ) की रात मानी जाती है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इन 2 रातों को बुरी शक्तियों का प्रभाव ज्यादा रहता है, जिनमें तांत्रिक साल में एक बार काली शक्तियों को जागृत करने के लिए साधना करते हैं, जिनसे बचने के लिए यहां के लोग अपने घरों के बाहर टिंबर के पत्ते लटकाते हैं। जबकि कुछ लोग कांटे वाले किसी भी पौधे के तने को दरवाजे के आसपास रखते है। कहा यह भी जाता है की इस माह सभी देवी-देवता सृष्टि की रक्षा छोड़ असुरों के साथ युद्ध करके अपनी शक्तियों का प्रर्दशन करने अज्ञात प्रवास पर चले जाते हैं। इस माह की अमावस्या की रात को ही डगयाली या चुड़ैल की रात कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस अमावस्या की रात को जितने भी काली विद्या वाले तांत्रिक होते हैं वे काली शक्तियों को जागृत कर किसी का अहित करने के लिए तंत्र का सहारा लेते हैं। क्यूंकि ऐसा माना जाता है कि इस दौरान देवता बुरी शक्तियों से लड़ाई करने चले जाते हैं तो इस डर के कारण अपने घरों के बाहर दिये जलाकर रोशनी करते है और बुरी शक्तियों के प्रभाव को खत्म करने का आह्वान करते हैं। आपको इस बात से और अत्यधिक हैरानी होगी की लोग मानते है कि इस दौरान देवताओं और बुरी शक्तियों के बीच की लड़ाई में यदि देवता जीत जाते हैं तो पूरा साल सुख-शांति से गुजरता है। और अगर ऐसा न हो तो....... खैर, हम इस बात कि पुष्टि नहीं करते। लेकिन ये सच है कि लोग इस दिन को इसी नजरिये से देखते हैं।
राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार द्वारा निजी विश्वविद्यालयों को लेकर की गई टिप्पणी का स्वागत करते हुए कहा कि शांता कुमार सदैव अपनी सच्ची व बेवाक टिप्पणियों को लेकर जाने जाते हैं। शिक्षा के नाम पर भ्रष्टाचार का अड्डा बने निजी विश्वविद्यालयों को शांता कुमार ने केवल डिग्री देने वाली दुकानें करार दिया है। ऐसे ही एक जगजाहिर मामले में मानव भारती यूनिवर्सिटी समेत एक ही जिले में बीजेपी के राज में खुली 7 यूनिवर्सिटियां अब सवालों के घेरे में हैं। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, एक ही ग्राम पंचायत में 3-3 यूनिवर्सिटियां बीजेपी के राज में खोली गई थीं। इनको खोलने का मकसद क्या था, इनके लिए छात्र कहां से आने थे। हालांकि यह मुद्दा तब भी कांग्रेस ने तत्कालीन सरकार में उठाया था। बीजेपी के राज में खुली इन यूनिवर्सिटियों में किस-किस की मिलीभगत रही है। स्टेट रैगुलेटरी कमीशन भी इस मामले में शक और संदेह के घेरे में है। आरोप लगे हैं कि रैगुलेटरी कमीशन से जुड़े एक व्यक्ति ने 60 कम्प्यूटरों की खेप इस फर्जीवाड़े में हजम की है, जिसकी भी जांच होनी जरूरी है। यह तमाम विषय बीजेपी की नीयत और नीति पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मानव भारती यूनिवर्सिटी मामले में अब वर्तमान सरकार किन-किन को बचाना चाह रही है। वह कौन अधिकारी व कौन राजनेता हैं, जिनको बचाने के लिए वर्तमान सरकार मौन और मूक मुद्रा में रहते हुए अंदरखाते बचाव के दबाव में है। मानव भारती यूनिवर्सिटी में भ्रष्टाचार का पैसा विदेशों में जाने के बाद यह मामला ईडी की जांच का बनता है। सरकार इस मामले को ईडी को सौंपने से किसके दबाव में गुरेज कर रही है? अब प्रदेश सरकार पर केंद्र में बैठे कुछ नेता इस मामले के बचाव में सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं। दबाव पड़ोसी राज्य की भाजपा शासित सरकार से भी बना हुआ है, जिसके चलते सूचनाएं ये हैं कि मानव भारती यूनिवर्सिटी के माफिया सरगना को बचाने के लिए अब यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी की बलि देने का मसौदा तैयार किया जा रहा है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि धर्मशाला में निजी संस्थान चलाने वाला जे एंड के से संबंध रखने वाला वह कौन व्यक्ति है, जिस पर इस मामले में दलाली के आरोप लगे हैं और अब सरकार उसको बचाने का प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में पालमपुर के एक व्यक्ति पर भी भ्रष्टाचार के इस खेल में दलाल की भूमिका अदा करने के आरोप लगे हैं। इन दोनों जालसाजों के नामों का भी सरकार खुलासा करे। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के इतने सारे आरोप लगने के बाद सरकार ने किस मजबूरी में मानव भारती यूनिवर्सिटी की मान्यता जारी रखी है। उन्होंने कहा कि सरकार की इस लीपापोती पर कांग्रेस चुप नहीं बैठने वाली है। विपक्ष इस मामले को विधानसभा में पुरजोर से उठाएगा। देश में शिक्षा के नाम पर दूसरे पायदान पर स्थापित हिमाचल प्रदेश की छवि पर सरकार के रवैये के कारण प्रतिकूल असर पड़ा है लेकिन सरकार इस मामले में ऐसे बर्ताव कर रही है कि मानों कुछ हुआ ही नहीं है। उन्होंने मांग की है कि अगर विपक्ष की बात सत्ता पक्ष को हजम नहीं हो रही है तो पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार की टिप्पणी पर गौर करे, जिसमें उन्होंने कहा है कि फर्जी डिग्री के अलावा अन्य निजी यूनिवर्सिटियों में बहुत कुछ फर्जी है। यहां तक कि स्टाफ भी फर्जी है। पढ़ाई की कोई व्यवस्था नहीं है। फर्जी डिग्रियां देकर ऐसे निजी संस्थान हजारों युवकों के जीवन को बर्बाद करने में लगे हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सरकार की मंशा और नीयत इस मामले में अगर साफ पाक है तो सरकार करोड़ों के इस भ्रष्टाचार के मामले की सीबीआई की जांच से क्यों कतरा रही है?
रोहड़ू के विधायक मोहन लाल ब्राक्टा ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार के सेब सीजन की तैयारियो के दावे खोखले निकल रहे है। मुख्यमंत्री ने कहा था कि हिमाचल सरकार अपने खर्चे पर बाहरी राज्य व नेपाल से सेब सीजन के लिए मजदूर लाएगी जो की सारी झूठी साबित हो रही है। उल्टे बागवानों को अपने खर्चे पर मंहगा गाड़ी किराया दे कर मजदूरों को लाना पड़ रहा है। एक तरह पहले ही सेब के बगीचे बेमौसमी बारिश वह बगीचों में रोगों की वजह से बागवान परेशान है। दूसरी तरफ सरकार बागवानी विभाग में लोगो को सेब की दवाइयां उपलब्ध कराने ने पूरी तरह से विफल साबित हुई है। लोगो को मजबूरी में बाजार मंहगे दामों पर दवाईयां खरीदनी पड़ रही है। जहां निचले व मध्यम इलाके ने सेब सीजन शुरू हो गया है लेकिन अभी तक एच पी एम सी व हिम् फेड के अधिकतर सेब एकत्रीकरण केंद्र नहीं खुले हैं जबकि 15 जुलाई तक सारे सेब एकत्रीकरण केंद्र खुल जाते थे। सेब एकत्रीकरण केंद्र न खुलने से बागवानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सेब का समर्थन मूल्य 50 पैसे बढ़ना बागवानों के साथ धोखा है और बागवान अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है। वर्तमान प्रदेश सरकार हर मोर्चे पर विफल हो रही है जब से भाजपा सरकार सत्ता में आई है मंहगाई आसमान छूने लगी है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सोमवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात की। इस बैठक में उन्होंने राज्य से जुड़े विभिन्न मुद्दों के बारे में चर्चा की। माना जा रहा है कि बीजेपी ने आगामी चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति के साथ-साथ प्रदेश और पार्टी के कई और मुद्दों पर नड्डा से बातचीत की। बता दे कि मुख्यमंत्री 16 अगस्त से दिल्ली दौरे पर है।
हि प्र रा वि प लि कनिष्ठ अभियंता/अतिरिक्त सहायक अभियंता आई टी आई डिप्लोमा/नॉन डिप्लोमा एसोसिएशन की बैठक प्रदेशाध्यक्ष ईं जे सी शर्मा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में प्रदेश कार्यकारिणी ने संघ से नाराजगी जताई कि संगठन की उचित मानी गई मांगों के आदेश जारी करने में बोर्ड प्रबंधन आनाकानी कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह सब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संगठन से जुड़े हजारों सदस्यों द्वारा संघ से आग्रह किया गया है कि अगर प्रभंधन जल्दी आदेश जारी नहीं करता तो बोर्ड प्रबंधन के खिलाफ कड़ा फैसला लिया जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री को बोर्ड प्रबंधन की बेरुखी से अवगत करवाया है। इस बैठक में प्रदेशाध्यक्ष ईं जे सी शर्मा सहित संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ईं देवेंद्र कंवर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष ईं महेंद्र चौधरी, उपाध्यक्ष ईं रणवीर चौहान, उपाध्यक्ष ईं राय सिंह, संगठन सचिव ईं लाइक राम शर्मा, कार्यालय सचिव ईं दिनानाथ ठाकुर, उप वित्त सचिव मुख्य सलाहकार ईं ओम प्रकाश राणा ने भाग लिया।
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने 17 अगस्त से शुरु हुई कॉलेज और यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने सुनवाई में कहा है कि अभी तक सुप्रीम कोर्ट में 18 अगस्त को सुनवाई होनी है। इसके चलते 19 अगस्त तक हाई कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई है। हालांकि हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर सुनवाई 14 अगस्त को हुई थी लेकिन बावजूद इसके विश्वविद्यालय शिमला ने परिक्षाओं की तारीख जारी कर दी है। ऐसे में सोमवार को एक पेपर हो गया है लेकिन कल 18 और 19 अगस्त को होने वाली परीक्षाओं पर रोक लगा दी गई है। इस मामले में 18 अगस्त यानी कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है जिसके बाद हाई कोर्ट कुछ फैसला लेगा।
शिमला-थरोला-टिक्कर हिमाचल पथ परिवहन निगम बस सेवा लगभग एक वर्ष से बंद पड़ी हुई है जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह बात जुब्बल नावर कोटखाई ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोतीलाल डेरटा, गुमान सिंह,ओमप्रकाश रान्टा, जितेंद्र मैहता, संधिरा रान्टा, सुरेश चौहान, कपिल ठाकुर, नारायण दत्त शर्मा, अरुण रान्टा, राकेश स्तान(शिशु), सागर क्लांटा, तुषार स्तान, चेतन भीमटा, लोकिन्दर पुर्टा, रमेश चौहान, सोहन लाल (बलोग), राविन्दर सिंह चौहान (पड़ारा), चेतन आज़ाद, विपिन आजाद ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कही। उन्होंने कहा कि शिमला-थरोला- टिक्कर बस सेवा स्थानीय जनता की मांग पर पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रोहित ठाकुर ने शुरू की थी लेकिन गत्त वर्ष से बस सेवा बंद पड़ी है जिससे जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बस सेवा से कोटखाई तहसील विशेषकर थरोला पंचायत और नावर क्षेत्र की जनता लाभान्वित हुई थी। बस सेवा को बंद करके भाजपा ने नावर की जनता के प्रति भी औछी राजनीति का परिचय दिया हैं। इसी तरह दोपहर को कोटखाई से वाया टहटौली और वाया रौणी थरोला जाने वाली हिमाचल पथ परिवहन की बस सेवा भी पिछले दो माह से बंद पड़ी हैं जिससे थरोला की जनता में भारी आक्रोश हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार के समय शुरू की गई बस सेवाएं जुब्बल-नावर-कोटखाई की सबसे बड़ी पंचायत थरोला में बन्द होने से आम जनता को भारी परेशानी से जूझना पड़ रहा हैं। विधायक पिछले तीन वर्षों से थरोला पंचायत में एक नया काम शुरू नहीं कर पाएं जबकि पूर्व कांग्रेस सरकार के समय की योजनाओं का झूठा श्रेय ले रहे हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पूर्व विधायक व पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रोहित ठाकुर के प्रयासों से जुलाई, 2017 में विधिवत रूप से शुरू हो चुका था जबकि श्रेय लेने के लिए विधायक नरेंदर बरागटा द्वारा भोली-भाली जनता को गुमराह कर दोबारा पीएचसी खोलने का नाटक किया जा रहा। इसी तरह पशु औषधालय केंद्र थरोला में पिछले तीन वर्षो में ताला लगा हुआ हैं और स्थानीय जनता को दूरदराज के क्षेत्र से पशु चिकित्सक की सेवा को मजबूर होना पड़ रहा हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा विधायक सरकार के पुनर्गठन के बाद मंत्रिमंडल में स्थान न मिलने से सरकार से विमुख होकर अज्ञातवास में चले गए हैं और जनता स्वयं को लावारिस और ठगा हुआ महसूस कर रही हैं। उन्होंने परिवहन मंत्री से बस सेवा शुरू होने तक कोटखाई-थरोला के लिए शिमला की तर्ज़ पर टैक्सी सेवा शुरू करने की मांग की हैं।
शिमला के छराबड़ा में ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। सूचना के अनुसार छराबड़ा के हसन वैली में एक ट्रक हादसे का शिकार हो गया है। हादसे में एक की मौके पर मौत और एक गभीर रुप से घायल हुआ है। मृतक की पहचान चालक धर्मेंद्र मैनपुरी उतर प्रदेश औऱ कंडक्टर गौतम यादव पुत्र मनसा राम यादव निवासी अंजनी उतर प्रदेश के रुप में हुई है। ट्रक में नारकंडा से उड़ीसा के लिए सेब लाद कर जा रहे थे जिसे चालक धर्मेंद्र चला रहा था। जानकारी के अनुसार रविवार रात जब यह ट्रक को लेकर हसन वैली पहुंचे तो चालक ट्रक से अपना नियंत्रण खो बैठा और ट्रक नाले में पलट गया। इस हादसे में चालक धर्मेंद्र की मौके पर ही मौत हो गई जबकि कंडक्टर घायल हो गया। कंडक्टर को ईलाज के लिए आईजीएमसी में दाखिल किया गया है।
कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने प्रदेश में सेब के जनक कांग्रेस नेता स्व.सत्यानंद स्टॉक्स की जयंती पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा है कि प्रदेश उनके योगदान को कभी नही भुला सकता। उन्होंने कहा कि हिमाचल, जो आज पूरे देश ही नही विश्व मे सेब राज्य के रूप में जाना जाता है, यह सब सत्यानंद स्टॉक्स की ही देन है। उन्होंने कहा कि अगर सत्यानांद स्टॉक्स हिमाचल न आते तो शायद ही प्रदेश सेब राज्य बन पाता। राठौर ने सत्यानांद स्टॉक्स को याद करते हुए कहा की एक सुविधा सम्पन्न घर से ताल्लुक़ रखने वाला व्यक्ति जो अमेरिका से भारत घूमने के लिए आता है उसे हिमाचल प्रदेश ने इतना आकर्षित किया कि वह हिमाचल का बेटा बन गया। प्रदेश में गरीबों व बीमार लोगों का मसीहा बन गया। राठौर ने कहा कि सत्यानांद स्टॉक्स जो अमेरिका से भारत आते है उन्हें देश ने इतना आकर्षित किया कि वह देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करवाने के लिए महात्मा गांधी के साथ स्वतंत्रता संग्राम में बढ़चढ़ कर भाग लेने लगे। उन्होंने महात्मा गांधी के आदर्शों को अपनाते हुए देश की आजादी की लड़ाई लड़ी व हिमाचल को अपना घर बनाया। राठौर ने सत्यानांद स्टॉक्स की जयंती पर आज श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि प्रदेश उनका सदैव ऋणी रहेगा और उन्हें उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
आज स्वतंत्रता दिवस पर अपनी आज़ादी का जश्न मनाने के साथ साथ, एक सदा और सुन लेना भी ज़रूरी है जो बँटवारे के समय से सुनाई पड़ती है। ये आवाज़ें वक़्त के साथ धुंधली ज़रूर हो सकती हैं, मगर इन्हें कभी दबा पाना मुमकिन नहीं। जहाँ देश में ख़ुशी की लहर है, वहीं यहाँ की हवा में मिट्टी की खुशबू के साथ उठती है गंध, उन सभी शवों की जिन्हें कोई जलाने, दफ़नाने वाला भी नहीं मिला। जी हाँ हम बात कर रहे हैं विभाजन की उस लड़ाई की, जिसने इस मुल्क़ को दो हिस्सों में बाँट कर रख दिया। बंटवारे की त्रासदी में कितने ही लोग बेघर हुए और कितने ही परिवारों के चिराग बुझ गए। उस दर्द की कल्पना भी कर पाना मुश्किल है। मगर इस दर्द को बेहद करीब से छुआ जा सकता है, उस समय का दर्द बयां करते कुछ साहित्यकारों की रचनाओं को पढ़ कर। ऐसी ही कुछ रचनाओं की आज बात करेंगे। अमृता प्रीतम ने "पिंजर" में उकेरा है विभाजन का दर्द जहाँ बेहतरीन लेखन और स्वतंत्रता की बात हो, वहां अमृता प्रीतम का नाम आना भी लाज़मी है। विद्रोही समझ वाली अमृता, न केवल महिलाओं के लिए बोला करती थी, बल्क़ि बेहतरीन, स्वतंत्र समझ का उदाहरण भी थी। अमृता के कई उपन्यासों में विभाजन का दर्द दिखाई देता है, जिनमें से एक है "पिंजर"। यूँ तो विभाजन पर कई उपन्यास लिखे गए हैं, परन्तु आज तक लिखे गए सभी उपन्यासों में पिंजर का अपना विशिष्ठ स्थान है। पिंजर को पढ़ कर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे आस पास होती सत्य घटनाओं पर ही आधारित है। 1947 में हुए विभाजन का दर्द, अमृता ने अपने इस उपन्यास के ज़रिये 1950 के आस पास लिखा। अमृता के इस उपन्यास का अहम किरदार है "पुरो" जो एक हिन्दू परिवार में जन्म लेती है, परन्तु पारिवारिक रंजिश के चलते, एक मुस्लमान शेख द्वारा, ज़बरदस्ती विवाह सम्बन्ध में बाँधी जाती है। इस उपन्यास में अमृता बात करती हैं एक ऐसे गाँव की जहाँ मुसलमानों की आबादी हिन्दू आबादी से कहीं ज़्यादा है और दंगों के चलते सभी हिन्दू एक हवेली में छुप गए, जो भी हिन्दू बहार आता वह मार दिया जाता था। अमृता लिखती हैं "एक रात जब हिन्दू मिलिट्री के ट्रक गाँव में आए तो लोगों ने हवेली में आग लगा दी। मिलिट्री ने आग बुझा कर लोगों को बाहर निकाला। “आधे जले हुए तीन आदमी भी निकाले गए, जिनके शरीर से चर्बी बह रही थी, जिनका मांस जलकर हड्डियों से अलग-अलग लटक गया था। कोहनियों और घुटनों पर से जिनका पिंजर बाहर निकल आया था। लोगों के लारियों में बैठते-बैठते उन तीनों ने जान तोड़ दी। उन तीनों की लाशों को वही फेंककर लारियाँ चल दीं। उनके घर वाले चीखते-चिल्लाते रह गए, पर मिलिट्री के पास उन्हें जलाने-फूंकने का समय नहीं था।” इस सिक्के के दूसरे पहलू पर भी रौशनी डालते हुए अमृता लिखती हैं "कुछ शहरों में सीमाएं बना दी गई थीं जिनकी एक ओर हिन्दू और दूसरी ओर सभी मुसलमान थे" दूसरी ओर से मुसलमान मरते कटते चले आ रहे थे, कुछ वहीँ मार दिए गए और कुछ रास्ते में मारे गए।" मोहन राकेश ने सुनाई बिछड़े अपनों की दास्ताँ साहित्यकार मोहन राकेश अपने उपन्यास "मलबे का मालिक" में भी ऐसा ही कुछ दर्द बयां करते नज़र आए जिसमें कहानी के मुख्य किरदार 'गनी मियां' दंगों के समय पाकिस्तान चले जाते हैं और उनके बेटे बहु और दो पोतियां यहीं हिंदुस्तान में रह जाते हैं। विभाजन के 7 साल बाद, जब दोनों देशों में आवाजाही के साधन खुलते हैं, तो हॉकी का मैच देखने के बहाने गनी मियां अमृतसर (भारत) आते हैं, इस आस में कि अपने पुराने घर परिवार को फिर देख सकेंगे, परन्तु यहां आ कर उन्हें पता चलता है कि उनके परिवार की 7 साल पहले ही हत्या हो चुकी है। पियूष मिश्रा ने "हुस्ना" (नाटक) में किया अधूरी मोहब्बत का ज़िक्र बंटवारे के समय हुई ऐसी कई घटनाओं का, कई परिवारों का दर्द जहाँ इन रचनाओं में आज भी ज़िंदा है, वहीं मुझे पियूष मिश्रा का एक नाटक, "हुस्ना" याद आता है। पियूष मिश्रा ने न केवल इसे लिखा, बल्क़ि मंच पर बखूबी इसे निभाया भी। इस नाटक में दो मुल्क़ों के बंटवारे में कभी न बँट पाने वाली, मोहब्बत की कहानी है। जिसमें हिंदुस्तान में रहने वाले प्रेमी का खत है, जो की उसकी विभाजन के बाद से, पाकिस्तान में रह रही प्रेमिका के नाम है। खत को गाने के रूप में पेश किया गया है जिसके बोल हैं, "लाहौर के उस जिले के दो परांगना में पहुंचे , रेशमी गली के दूजे कूचे के चौथे मकां में पहुंचे, और कहते हैं जिसको दूजा मुल्क़ उस पाकिस्तान में पहुंचे," गाने की इन पंक्तियों में लेखक खुद के पाकिस्तान में होने की कल्पना करते हैं व कहते हैं "मुझे लगता है में लाहौर के पहले जिले के दुसरे राज्य में हूँ।" इसी गाने में पियूष मिश्रा ने दोनों मुल्क़ों की समानताओं की ओर इशारा करते हुए यह भी लिखा की "पत्ते क्या झड़ते हैं पाकिस्तान में, वैसे ही जैसे झड़ते हैं यहाँ ओ हुस्ना, होता क्या उजाला वहां वैसा ही, जैसा होता है हिन्दोस्तान में हाँ ओ हुस्ना।" सवाल है जो "दर्द यहाँ है क्या वही दर्द वहां दूसरी ओर सभी उठता है?" जी हाँ यहाँ बात उठती है पाकिस्तानी लेखकों की तो उनकी रचनाओं पर भी रौशनी डालना ज़रूरी है। जॉन ऐलिया ने भेजे सन्देश फ़ारेहा के नाम पाकिस्तान के मशहूर लेखक जॉन ऐलिया की ही बात करें तो, जॉन का जन्म 1931 में अमरोहा (भारत) में हुआ और विभाजन के समय वह पाकिस्तान चले गए। जॉन की कई ग़ज़लें उनकी बचपन की मोहब्बत "फ़ारेहा" के नाम हैं, फ़ारेहा हिंदुस्तान में रहा करती थीं और कहा जाता है विभाजन के बाद जॉन का फ़ारेहा से मिलना कभी नहीं हुआ। मगर जॉन की लिखी एक ग़ज़ल "फ़ारेहा" में उनका दर्द पढ़ा जा सकता है " सारी बातें भूल जाना फ़ारेहा, था सब कुछ वो इक फ़साना फ़ारेहा, हाँ मौहब्बत एक धोखा ही तो थी, अब कभी धोखा न खाना फ़ारेहा " इन पंक्तियों में जॉन अपनी बचपन की मोहब्बत फ़ारेहा से, सब कुछ भूल जाने को कहते हैं, क्योंकि वह जानते हैं के दो मुल्क़ों के बीच खिंच चुकी इस लकीर को मिटा पाना, और इस मौहब्बत को अनजाम देना भी अब मुमकिन नही। विभाजन से किसी का घर टूटा तो किसी का दिल, किसी के अपने बिछड़े तो किसी के अपने ही पराए हो गए। इस नुकसान की भरपाई तो अब की नहीं जा सकती, पर इस बात को नकारा भी नहीं जा सकता कि नुकसान दोनों ओर बराबर रहा होगा।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने फहराया तिरंगा, ली परेड की सलामी हिमाचल प्रदेश में 74वां स्वतंत्रता दिवस समारोह हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सामाजिक दूरी का पूर्ण रूप से पालन किया गया। स्वतंत्रता दिवस पर जिला और उपमण्डल स्तर पर भी समारोह आयोजित किए गए। ध्वजारोहण के साथ-साथ गृह रक्षक, एसएसबी, आईटीबीपी के जवानों द्वारा प्रस्तुत मार्च पास्ट समारोह के मुख्य आकर्षण रहे। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कुल्लू के ऐतिहासिक ढालपुर मैदान में राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय ध्वज फहराया और पुलिस, आईटीबीपी, गृह रक्षक तथा एनसीसी कैडेटों के द्वारा प्रस्तुत आकर्षक मार्चपास्ट की सलामी ली। उप पुलिस अधीक्षक विन्नी मिन्हास ने परेड की अगुवाई की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानियों और शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने देश की आजादी के लिए सीमाओं की रक्षा करते हुए अपनी जान की परवाह न करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों और प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डाॅ. वाईएस परमार को भी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल देवभूमि के साथ-साथ वीरभूमि भी है। देश का प्रथम परमवीर चक्र हिमाचल के मेजर सोमनाथ शर्मा को प्रदान किया गया था। इसके उपरांत कैप्टन विक्रम बत्रा और हवलदार संजय कुमार को भी यह पुरस्कार मिला। उन्होंने लद्दाख की गलवान घाटी में देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले प्रदेश के वीर सैनिकों को भी श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार स्वतंत्रता सेनानियों, सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवार के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश सरकार स्वतंत्रता सेनानियों और दिवंगत स्वतंत्रता सेनानियों की पत्नियों को 15 हजार रुपये और उनकी अविवाहित बेटियों को 10 हजार रुपये प्रदान कर रही है। स्वतंत्रता सेनानियों की बेटियों की शादी के लिए 51 हजार रुपये और उनकी पोतियों की शादी के लिए 21 हजार रुपये प्रदान किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों को सरकारी और अर्द्ध-सरकारी सेवाओं में दो प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। जय राम ठाकुर ने कहा कि परमवीर चक्र और अशोक चक्र विजेताओं को तीन लाख रुपये की वार्षिकी प्रदान की जा रही है। महावीर चक्र और कीर्ति चक्र विजेताओं को दो लाख रुपये तथा वीर चक्र और शौर्य चक्र विजेताओं को एक लाख रुपये की वार्षिकी प्रदान की ज रही है। उन्होंने कहा कि युद्ध विधवाओं की बेटियों की शादी के लिए दी जाने वाली वित्तीय सहायता को 15 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने सभी क्षेत्रों मे अभूतपूर्व विकास किया है। शिक्षा, खुले में शौचमुक्त, पर्यटन आदि क्षेत्रों में विशेष रूप से उल्लेखनीय कार्य हुआ है। उन्होंने कहा कि अटल सुरंग रोहतांग को एक प्रमुख पर्यटन आकर्षण के रूप में विकसित किया जाएगा। प्रदेश सरकार पर्यटकों के लिए इस सुरंग में विस्टाडुम बस सेवा आरम्भ करने पर विचार कर रही है। कुल्लू के बिजली महादेव को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा तथा इस पर्यटन स्थल को रज्जूमार्ग सुविधा से जोड़ने के प्रयास किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने लोगों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए जनमंच कार्यक्रम आरम्भ किया है और अब तक राज्य की विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में 189 जनमंच आयोजित किए गए हैं, जिसमें लगभग 45 हजार शिकायतें और मांगपत्र प्राप्त हुई, जिनमें से 91 प्रतिशत का समाधान किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने सेवा संकल्प हेल्पलाईन-1100 आरम्भ की है, जिसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति प्रदेश के किसी भी हिस्से से 1100 नम्बर पर डायल कर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। अब तक एक लाख से अधिक शिकायतें मिली हैं, जिनमें से अधिकतर का निपटारा कर लिया गया है। जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश की 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है इसलिए राज्य सरकार इन क्षेत्रों के विकास को विशेष प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने कहा कि किसानों तथा बागवानों की आय को दोगुना करने के लिए कई विभिन्न कृषि योजनाएं चलाई गई हैं। जंगली जानवरों से फसल की रक्षा करने में मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना लाभकारी सिद्ध हुई है जिससे 80.36 करोड़ रूपये की लागत से 2600 किसान लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने कहा कि बागवानों के लिए एंटी हेलनेट योजना कारगर सिद्ध हुई है। मुख्यमंत्री ने राज्य को उदार वित्तीय सहायता जारी करने तथा विभिन्न परियोजनाओं को स्वीकृत करने के अतिरिक्त गरीबों, किसानों, रेहड़ी-फड़ी वालों, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों, प्रवासी मजदूरों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज की घोषणा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विशेष आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत देश के गरीब परिवार नवम्बर, 2020 तक मुफ्त राशन प्राप्त कर सकेंगे। राज्य में प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत महिलाओं के 5.90 लाख खातों में सीधी 500 रूपये प्रतिमाह आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है तथा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 8.74 लाख किसानों को 2000 रूपये प्रतिमाह दिए जा रहे हैं। जय राम ठाकुर ने कोरोना योद्धाओं को उनके बहुमूल्य योगदान तथा राज्य के लोगों का सरकार द्वारा समय-समय पर दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करने में सहयोग प्रदान करने के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने एचपीएसडीएमए कोविड-19 फण्ड में उदारतापूर्वक अंशदान करने के लिए राज्य के लोगों का भी आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि फण्ड में 82.48 करोड़ रूपये का अंशदान प्राप्त हुआ जिसमें से 22.08 करोड़ रूपये कोविड-19 देखभाल पर व्यय किए गए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं को मार्च से जून, 2020 तक 1000 रूपये प्रतिमाह की सहायता तथा जुलाई व अगस्त माह में 2000 की बढ़ी हुई राशि प्रदान की। मुख्यमंत्री ने निदेशक सूचना एवं प्रोैद्योगिकी आशुतोष गर्ग को मुख्यमंत्री सेवा संकल्प-1100 हैल्पलाईन के माध्यम से प्रदेश की जनता की समस्याओं के समाधान के लिए तथा सिरमौर जिला के पूर्व उपायुक्त ललित जैन को पर्यावरण संरक्षण एवं रोजगार सृजन के लिए हिमाचल प्रदेश सिविल सर्विस अवार्ड वर्ष 2020 से सम्मानित किया। उन्होंने मण्डी के वरिष्ठ पत्रकार तथा प्रसिद्ध छायाकार बीरबल शर्मा को हिमाचल गौरव पुरस्कार-2020 प्रदान किया। इसके अतिरिक्त मण्डी जिला के जाने-माने गायक बालकृष्ण शर्मा, विख्यात चिकित्सक मंगत राम डोगरा तथा लोक गायक नरेन्द्र ठाकुर को भी हिमाचल गौरव पुरस्कार-2020 से सम्मानित किया। उन्होंने ऊना जिला के भरवाईं क्षेत्र के संदीप कुमार को सामाजिक एवं साहसिक कार्यों के लिए जबकि खेल के क्षेत्र में प्रशंसनीय एवं उत्कृष्ट योगदान के लिए शिमला जिला की अन्तर्राष्ट्रीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी सुषमा वर्मा को भी सम्मानित किया। उन्होंने इस अवसर पर नशा निवारण वैन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर, सांसद रामस्वरूप शर्मा, विधायक सुरेन्द्र शौरी, किशोरी लाल, जवाहर ठाकुर और सुन्दर सिंह ठाकुर, पूर्व सांसद महेश्वर सिंह, पूर्व मंत्री सत्यप्रकाश ठाकुर, एचपीएमसी के उपाध्यक्ष राम सिंह, हस्तकरघा एवं हस्तशिल्प के उपाध्यक्ष संजीव कटवाल, मुख्य सचिव अनिल खाची, पुलिस महानिदेशक संजय कुण्डु, कुल्लू की उपायुक्त डा. ऋचा वर्मा और सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के निदेशक हरबंस सिंह ब्रसकोन भी उपस्थित थे।
वो दौर था 1857 का, पूरे देश में क्रांति की ज्वाला भड़क रही थी। ऐसे में पहाड़ों की शांत वादियों में लगी चिंगारी भी कम नहीं थी। धीमें से सुलग रही इस क्रांति की चिंगारी ने जब विकराल रूप लिया तब लगभग पूरा हिमाचल इसकी जद में आ गया। 20 अप्रैल 1857, वो दिन जब पहली बार हिमाचल प्रदेश में अंग्रेज़ों के खिलाफ धधक रही ज्वाला ने विकराल रूप धारण किया। क्रांति का आगाज़ हुआ कसौली से। अंबाला राइफल डिपो के छह भारतीय सैनिकों ने कसौली थाने को आग के हवाले कर दिया। अंग्रेजों के सुरक्षित गढ़ कही जाने वाली कसौली छावनी पर हुए इस हमले से गोरे बौखला उठे और उन्होंने अन्य छावनी क्षेत्रों व कंपनी सरकार के कार्यालयों की सुरक्षा कड़ी कर दी। गोरों ने कई क्रांतिकारियों को जेलों में डाल दिया और कईयों को सूली पर चढ़ा दिया, पर सैनिकों का बलिदान ज़ाया नहीं गया। कसौली से भड़की इस ज्वाला ने पूरे हिमाचल में आज़ादी की अलख जगा दी। इसके बाद डगशाई छावनी, सुबाथू, कालका व जतोग में क्रांति की लहर दौड़ी। उधर कांगड़ा, नूरपुर, धर्मशाला, कुल्लू-लाहुल, सिरमौर व अन्य रियासतों में भी विद्रोह प्रखर हो गया। बुशहर के राजा शमशेर सिंह, कुल्लू-सिराज के युवराज प्रताप सिंह, सुजानपुर के राजा प्रताप चंद गुप्त रूप से क्रांतिकारियों की गतिविधियों में संलिप्त हो गए। 11 मई को अंग्रेजों को मेरठ, दिल्ली और अम्बाला में विद्रोह की सुचना मिली। गोरों ने कसौली, सुबाथू, डगशाई व जतोग की छावनियों को अंबाला कूच का आदेश दिया। भारतीय सैनिकों ने इस आदेश का खुले तौर पर विद्रोह किया और बगावत का ऐलान कर दिया। 13 मई को जतोग में गोरखा रेजिमेंट ने सूबेदार भीम सिंह के नेतृत्व में देशी सैनिकों ने अंग्रेजों पर धावा बोल दिया। सिर्फ 45 क्रांतिकारियों ने 200 अंग्रेजों को धूल चटा दी। सैनिकों ने कसौली ट्रेजरी को लूटा और जतोग की तरफ बढ़ने लगे। इस बारे में अंग्रेज़ों के तत्कालीन कमिश्नर पी. मैक्सवैल ने अपनी डायरी में जिक्र किया है और हैरानी जताई है कि कैसे मुट्ठीभर क्रांतिकारियों ने अपने से चार गुना अधिक अंग्रेजी सेना को हरा दिया था। इसके बाद विद्रोह की डोर स्थानीय पुलिस ने अपने हाथों में ली। स्थानीय पुलिस गार्ड के दरोगा बुद्धि सिंह जतोग पर कब्जे के लिए रवाना हो गए। जतोग पहुँचते पहुँचते रास्ते में अंग्रेजी सेना ने कुछ क्रांतिवीरों को पकड़ लिया तो कुछ मारे गए। जबकि बुद्धि सिंह ने गोरों के हाथों मरने से भला स्वयं को गोली मरना समझा और वो शहीद हो गए। पहाड़ी रियासतों में क्रांति योजनाबद्ध तरीके से हो रही थी, जिसके लिए एक गुप्त संगठन बना हुआ था, जिसके सदस्य सूचनाओं को यहां-वहां पहुंचाया करते थे। पहाड़ों में इस क्रांति के नेता पंडित राम प्रसाद वैरागी थे। वैरागी सुबाथू मंदिर में पुजारी थे। वे संगठन पत्रों के माध्यम से संदेश भेजा करते थे। 12 जून 1857 को इस संगठन का कुछ पत्र अंबाला के कमिश्नर जीसी बार्नस के हाथ लगे, जिसमें दो पत्र राम प्रसाद वैरागी के भी थे। इसके साथ ही संगठन का भेद खुल गया। वैरागी को पकड़ कर अंबाला जेल में फांसी पर चढ़ा दिया गया। क्रांतिकारियों को सहयोग न मिला व अंग्रेज़ों ने 1857 के विद्रोह को दो महीनो में ही दबा दिया और प्रदेश में लगी विद्रोह की ज्वाला कुचल दी गई।
जब जब स्वतंत्रता संग्राम की बात की जाती है तो पहाड़ के जांबाज़ों का ज़िक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता। स्वतंत्रता संग्राम में हिमाचल प्रदेश के सपूतों ने महात्मा गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर जो योगदान दिए वो किसी से कम नहीं। देवभूमि के वीर सपूतों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जो आंदोलन का बिगुल बजाया तो उसकी गूंज पूरे भारत वर्ष को सुनाई दी। चाहे 1857 की महाक्रांति हो या 15 अगस्त 1947 तक का आंदोलन हो, छोटे से पहाड़ी प्रदेश हिमाचल ने भी इनमें अहम भूमिका निभाई। आजादी की लड़ाई के लिए हिमाचल में गुरिल्ला बम बने। सशस्त्र क्रांतियां हुईं। हजारों क्रांतिकारियों ने पूरे दमखम से स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी। तो आज स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर हम उन्हीं कुछ स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानेंगे। पंडित राम प्रसाद वैरागी उस समय पूरे देश में क्रांति के संचालन के लिए एक गुप्त संगठन बनाया गया था। पहाड़ों में इस क्रांति के नेता पंडित राम प्रसाद वैरागी थे। वैरागी सुबाथू मंदिर में पुजारी थे। वे संगठन को पत्रों के माध्यम से संदेश भेजा करते थे। 12 जून 1857 को इस संगठन के कुछ पत्र अंबाला के कमिश्नर जीसी बार्नस के हाथ लगे, जिसमें दो पत्र राम प्रसाद वैरागी के भी थे। इसके साथ ही संगठन का भेद खुल गया। वैरागी को पकड़ कर अंबाला जेल में फांसी पर चढ़ा दिया गया। क्रांतिकारियों को सहयोग नहीं मिला और अंग्रेज़ों ने 1857 के विद्रोह को दो महीनो में ही दबा दिया और प्रदेश में सुलगी विद्रोह की ज्वाला कुछ समय के लिए शांत हो गई। 'हिमाचल निर्माता' डॉ॰ यशवंत सिंह परमार डॉ॰ यशवंत सिंह परमार, हिमाचल निर्माता के नाम से भी जाने जाते हैं। हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री डाॅ. परमार ने हिमाचल में विकास की नींव रखी थी। सिरमौर में जन्मे परमार सिरमौर की रियासत में 11 साल तक सब जज और मजिस्ट्रेट रहे। उसके बाद न्यायाधीश के रूप में 1937-41 तक अपनी सेवाएं दीं। इसी दौरान वह सुकेत सत्याग्रह प्रजामंडल से जुड़े। नौकरी की परवाह न करते हुए उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना पूरा योगदान दिया। उनके ही प्रयासों से यह सत्याग्रह सफल हुआ। 'पहाड़ी गांधी' बाबा कांशी राम पहाड़ी गांधी कहे जाने वाले बाबा कांशीराम ने आज़ादी की लड़ाई में बेहद अहम भूमिका निभाई। उन्होंने जब तक भारत को आजादी नहीं मिल जाती तब तक काले कपड़े पहनने की शपथ ली थी। बाबा कांशी राम ने अपने पहाड़ी गीतों और कविताओं से पहाड़ी राज्य हिमाचल और देश को आजादी के लिए जगाने में सराहनीय प्रयास किए। उन्होंने गांव-गांव घूमकर अपने लिखे लोकगीतों, कविताओं और कहानियों से अलख जगाई। कांशी ने पहली बार पहाड़ी बोली को लिखा और गा-गाकर लोगों को राष्ट्रीय आंदोलन से जोड़ा। सरोजनी नायडू ने उन्हें बुलबुल-ए-पहाड़ के खिताब से नवाजा। 1930 और 1942 के बीच वो 11 बार जेल गए और अपने जीवन के 9 साल सलाखों के पीछे काटे। जेल के दिनों में लिखी हर रचना उस वक्त लोगों में जोश भरने वाली थी। ‘समाज नी रोया’, ‘निक्के निक्के माहणुआं जो दुख बड़ा भारा’, ‘उजड़ी कांगड़े देश जाना’ और ‘कांशी रा सनेहा’ जैसी कई कविताएं मानवीय संवेदनाओं और संदेशों से भरी थीं। दौलतराम सांख्यान आजादी की लड़ाई में बिलासपुर के महान स्वतंत्रता सेनानी दौलतराम सांख्यान के संघर्ष को आखिर कौन भुला सकता है। बिलासपुर में प्रजामंडल का गठन कर दौलतराम सांख्यान ने ब्रिटिश सरकार को सीधी चुनौती देकर कई मुश्किलें खड़ी कर दीं थी। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें इस मुहिम के लिए कई यातनाएं दीं। अंग्रेजी सरकार ने उनकी चल-अचल संपत्ति तक जब्त कर ली थी। इतना ही नहीं 11 जून 1946 से 12 अक्तूबर 1948 तक रियासत से निष्कासित कर दिया गया। इसके बावजूद स्वतंत्रता संग्राम के इस सेनानी ने हार नहीं मानी और डट कर अंग्रेजों का सामना किया। कैप्टन राम सिंह ठकुरी वहीं आजाद हिंद फौज के सिपाही और संगीतकार कैप्टन राम सिंह ठकुरी ने भारत के राष्ट्र गान जन गन मन की धुन तैयार की है। उन्होंने अपनी वीरता के लिए किंग जार्ज-पंचम मेडल प्राप्त किया। जब सुभाष चंद्र बोस ने उनसे मुलाकात की तो उन्हें वोइलिन भेंट की, जिसे वह हमेशा अपने पास रखते थे। उन्होंने 'कदम-कदम बढ़ाए जा-खुशी के गीत गाए जा' जैसे सैकड़ों ओजस्वी गीतों की धुनों की रचना की। 15 अगस्त 1947 को राम सिंह के नेतृत्व में आईएनए के आर्केस्ट्रा ने लाल किले पर शुभ-सुख चैन की बरखा बरसे गीत की धुन बजाई। कौमी तराना नाम से यह गीत आजाद हिंद फौज का राष्ट्रीय गीत बना, इस गीत की ही धुन को बाद में जन-गण-मन की धुन के रूप में प्रयोग किया गया। पदम् देव पदमदेव जिला शिमला के गांव भनोल से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने 1930 में असहयोग आंदोलन और सिविल अवज्ञा में(सिविल डिसओबेडिएंस) में भाग लिया। वह हिमालय रियासती प्रजा मंडल के संस्थापक सदस्य थे और गरीबी व अस्पृश्यता(अनटचेबिलिटी) के खिलाफ लड़े थे। 1952 में वह विधानसभा के लिए चुने गए और राज्य के पहले गृह मंत्री बने। 1957 में वह लोकसभा, 1962 में क्षेत्रीय परिषद और फिर 1967 में विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। वह कविराज के नाम से मशहूर थे। यश पाल उस समय यश पाल कॉलेज में ही थे जब उनकी मुलाकात भगत सिंह और सुखदेव से हुई। उन्होंने चरमपंथी समूह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (एचएसआरए) को ज्वाइन किया। एचएसआरए ने 1929 में लॉर्ड इरविन को ले जाने वाली ट्रेन को उड़ाने की योजना बनाई थी। यशपाल ने उस में बम से विस्फोट किया था। कई नेताओं की गिरफ्तारी के बाद यशपाल ने चंद्रशेखर आजाद को एचएसआरए को फिर से संगठित करने में मदद की। 1932 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और वह 6 साल तक जेल में रहे। वह एक प्रतिभाशाली लेखक थे और प्रसिद्ध किताब ‘सिम्बालोकन’ सहित कई पुस्तकें लिखी थीं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। शिवानंद रामौल, पूर्णानंद, सत्य देव, सदा राम चंदेल, सत्यानंद स्टोक्स, ठाकुर हजक सिंह इत्यादि ऐसे अन्य प्रमुख स्वतंत्रता सैनानी रहे हैं जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया था। आज भले ही यह हस्तियां हमारे बीच नहीं हैं पर उनके दिए गए बलिदान को कृतज्ञ राष्ट्र कभी नहीं भूल सकता।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष शंकर सिंह ठाकुर ने परिवहन मंत्री को किया सम्मानित परिवहन कर्मचारियों की समस्याओं से करवाया अवगत परिवहन मजदूर संघ के प्रदेश पदाधिकारियों के प्रतिनिधि मंडल ने संघ के प्रदेश अध्यक्ष शंकर सिंह ठाकुर के नेतृत्व में परिवहन मंत्री विक्रम सिंह ठाकुर से सचिवालय में मिलकर उन्हें शाल, टोपी व तलवार भेंट कर सम्मानित किया। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने परिवहन कर्मचारियों की समस्याओं से उन्हें विस्तार पूर्वक अवगत कराया। परिवहन मंत्री विक्रम सिंह ठाकुर ने समस्याएं सुनने के बाद संघ के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि एचआरटीसी प्रदेश की जनता के लिए 24 घंटे आवागमन का एक प्रमुख साधन है जो इसमें कार्यरत हजारों कर्मचारियों के परिवारों की आर्थिक समृद्धि की आधारशिला भी है। जहां भ्रष्टाचार के लिए कोई भी स्थान नहीं हो सकता। उन्होंने एचआरटीसी के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों से पूरे समर्पण और इमानदारी से प्रदेश हित में अपने कार्य में जुट जाने का आह्वान किया। संघ के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी के इस कठिन दौर में हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। परिवहन कर्मचारी पूरे समर्पण से कार्य कर अपनी विराट क्षमता का परिचय देकर जनता की सेवा में जुट जाएं। संघ के प्रतिनिधिमंडल को विश्वास दिलाते हुए उन्होंने कहा कि कई बार प्रतिभावान कर्मचारियों को उनका मूल्यांकन करने वालों के अज्ञान, अवहेलना, ईर्ष्या व द्वेष के कारण समुचित सम्मान से वंचित रहना पड़ता है लेकिन अब ऐसी नौबत नहीं आएगी। चरणबद्ध तरीके से परिवहन कर्मचारियों की सभी समस्याओं का समाधान सभी को विश्वास में लेकर किया जाएगा। संघ के प्रदेश अध्यक्ष शंकर सिंह ठाकुर ने कहा कि जब क्षमता वान नेतृत्व धेयावादी होता है तो छोटे बड़े असंख्य कार्यकर्ता उसी प्रेरणा की ऊर्जा से लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सर्वस्व निछावर कर हंसते-हंसते अपने रास्तों पर निकल पड़ते हैं। शंकर सिंह ठाकुर ने कहा कि परिवहन मंत्री के साथ संघ की यह पहली मुलाकात परिवहन कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकारों में बने छठे ऊर्जावान परिवहन मंत्री के साथ कार्य करना का सौभाग्य प्राप्त हुआ है परिवहन मजदूर संघ को इसका अपार हर्ष है। संघ के प्रतिनिधि मंडल में श्रवण शर्मा, प्रताप ठाकुर, मनजीत ठाकुर, सतीश नड्डा, राम कुमार शर्मा, पवन ठाकुर, रिखी राम कौंडल, राजन वर्मा, नंदलाल बट्टू, राजेंद्र ठाकुर, ईश्वर सिंह, कुलवंत सिंह, संदीप शर्मा, अजय कुमार, महेंद्र ठाकुर, नरेंद्र ठाकुर, संजय कुमार, कैलाश चंद, जयप्रकाश उपस्थित थे।
कोविड-19 में स्पेशल डयूटी देने वाले होमगार्ड जवानों को वेतन के लाले पड़ चुके हैं। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने एक प्रेस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि 150 के करीब होमगार्ड जवानों ने बताया कि उन्हें 26 जून से 31 जुलाई तक का वेतन अभी तक नहीं मिला है जिस कारण से उन्हें परिवारों के भरण-पोषण के लिए भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि इनमें से जिला सिरमौर के 100 से ज्यादा जवान अपने गृह जिला से दूर राज्य के सीमांत जिला ऊना में डयूटी पर तैनात हैं। कोरोना डयूटी में डटे होमगार्ड के जवानों को आधा महीना बीत जाने के बावजूद भी वेतन नहीं मिल पाया है। उधर होमगार्ड जवानों के अधिकारियों ने बताया है कि बजट जारी न होने के कारण जवानों को वेतन नहीं मिला है। राणा ने कहा कि सरकार जो मर्जी दावे कर ले लेकिन यथार्थ के धरातल पर कोरोना के बहाने हर वर्ग परेशानी के आलम में है, लेकिन सरकार कागजी दावे कर रही है कि सरकार में सब ठीक चला है। राणा ने कहा कि सरकार महामारी और मंहगाई से जूझ रही जनता को कागजी राहतों की बजाय जमीनी स्तर पर कोई कारगर योजना बनाए, ताकि आए रोज महामारी के बीच लोगों की परेशानी कम हो सके। उधर जीरो टॉलरेंस के दावे करने वाली बीजेपी सरकार के राज में अब हिमाचल पथ परिवहन निगम चंबा में कर्मचारियों की ओवर टाइम व रात्रि भत्ते को लेकर फर्जीवाड़ा हुआ है। स्वास्थ्य घोटाले के साथ कोविड काल में शुरू हुए घपले-घोटालों का सिलसिला निरंतर जारी है जिसमें हैरानी यह है कि सरकार निरंतर चले घपले-घोटालों के बावजूद भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के जुमले दोहरा रही है।
भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री नितेन कुमार को भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। उनका कहना है कि नितेन कुमार युवा, कर्मठ एवं निष्ठावान कार्यकर्ता है और वह इससे पूर्व भी अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री का दायित्व निभा चुके हैं। उनके नेतृत्व में निश्चित तौर पर अनुसूचित जाति मोर्चा और सुदृढ़ होगा। नितेन कुमार मूलतः सुन्दरनगर विधान सभा क्षेत्र से सम्बन्ध रखते हैं। गौरतलब है कि सुरेश कश्यप के भारतीय जनता पार्टी हिमाचल प्रदेश का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष का पद रिक्त हो गया था।
हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत परिषद पदौन्नत कनिष्ठ अभियंता एवं अतिरिक्त्त सहायक अभियंता आई टी आई डिप्लोमा नान डिप्लोमा एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष ई जे सी शर्मा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि जिन 5 लोगों को संगठन से बाहर किया गया है वह एसोसिएरान के संविधानुसार किया गया है। ई जे सी शर्मा ने कहा कि संगठन प्रदेश में बड़ी दौड़ धूप करके खड़ा किया गया है और संविधानुसार मैं इसका संरक्षक भी है। मुझे संगठन से बहार करने का अधिकार किसी पदाधिकारी के पास नहीं है गह संगठन के संविधान में लिखा गया है। दस लोग एक जगह इक्कठे होकर कुछ फर्जी नाम डालकर अलग संगठन बना कर लोगों को गुमराह नहीं कर सकते। मैं संगठन का आजीवन सदस्य हूँ। इन लोगों के पास न कोई संविधान है न सदस्यता रजिस्टर है। 2 जनवरी 2020 को बोर्ड प्रबंधन से वार्ता हुई थी उसी दिन प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक भी शिमला में हुई थी जिसमे यह निर्णय लिया गया था कि जब तक नै कार्यकारिणी विधिवत रूप से ई जे सी शर्मा प्रदेशाध्यक्ष के नेतृत्व में गठित की जाएगी। इन लोगों ने जो संगठन की रसीद लेकर लाखों रुपये महाधिवेशन के लिए इकट्ठे किए हैं वह भी संगठन के खाते में जमा करवाने होंगे। इन्हीं कर्मचारियों द्वारा कुछ महीने पहले हमारे पदौन्नत कनिष्ठ अभियंताओं से 5-5 हजार रुपये विद्युत प्रबंधन के विरुद्ध कोट केस के लिए इक्कठा किए गए थे। उन्होंने सीएम से इसकी विजिलेंस जांच कीरवाने की भी मांग की है।
चिड़गांव तहसील के अंतर्गत करीब 16 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन टिक्करी-तांगनू सड़क का कार्य वर्ष 2017 से अधर में लटका हुआ है। ठेकेदार की मनमर्जी के आगे ग्रामीण बेबस हो गए हैं। सड़क का निर्माण न होने के कारण ग्रामीणों को भारी परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है। लोनिवि की लचर कार्यप्रणाली से गुस्साए ग्रामीणों ने एसडीएम रोहड़ू को ज्ञापन सौंपकर आंदोलन की चेतावनी दी है। इस संबंध में स्थानीय ग्रामीण लोनिवि के अधिशासी अभियंता से भी मिले है। स्थानीय ग्रामीण अनूप कुमार नेगी, विवेक चौहान, नरेंद्र, रीतिक, हंसराज, राधे, पवन कुमार, निखिल, प्रमोद कुमार, संजीव सिंह, बलवीर, प्रेम सिंह, विक्रांत सिंह, राजेंद्र सिंह नेगी, मोती सिंह, प्रीतम सिंह, राजेंद्र सिंह, राम चंद्र संजीव ने बताया कि सड़क निर्माण के लिए ग्रामिणों ने मजबूरन सड़क संघर्ष समिति बनाई है। संघर्ष समिति सड़क निर्माम समय पर होने की लड़ाई लड़ रही है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 से सड़क का कार्य अधर में लटका हुआ है। ठेकेदार का मनमर्जी के आगे विभाग के अधिकारी व ग्रामीण बेबस हो गए हैं। इस संबंध में कई बार एसडीएम रोहड़ू व लोनिवि के उच्च अधिकारियों से भी मिल चुके हैं। लेकिन ग्रामीणों को मात्र आश्वासन ही प्राप्त हुआ है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सात दिनों के भीतर सड़क का कार्य तेजी से शुरू नहीं हुआ तो ग्रामीण सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे। लोनिवि कार्यालय के बार धरना प्रदर्शन किया जाएगा जिसकी जानकारी एसडीएम रोहड़ू को ज्ञापन सौंपकर ग्रामीणों ने दे दी है। सड़क से चार पंचायतों के हजारों लोग लाभान्वित होंगे। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता पवन गर्ग ने बताया कि ठेकेदार को एक सप्ताह के अंदर सड़क निर्माण कार्य तेजी से शुरू करने के निर्देश दे दिए गए हैं। सड़क निर्माण के लिए मौके पर पर्याप्त संख्या में मजदूर व मशीने भेजने के लिए भी कहा गया है।
मिल्कफेड ने 835 दूध उत्पादकों के बैंक खातों में डाले 16.70 लाख रुपये हर दूध उत्पादक को मिले 2 हज़ार और 5 लीटर की स्टील की बाल्टी वीडियो कांफ्रेंस से शिमला मंडी और कुल्लू जिला के दुग्ध उत्पादकों से सीएम ने की बात राज्य में मिल्कफेड द्वारा 11 दुग्ध प्लाटों का प्रबन्धन किया जा रहा है और 1011 दूग्ध सहकारी सभाएं मिल्कफेड से जुड़ी प्रतिदिन एकत्रित किया जा रहा 1.24 लाख लीटर दूध, 27.80 रुपए प्रति लीटर दिया जा रहा मूल्य मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने पोषणयुक्त तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए मिल्कफेड के ‘हिम हल्दी दूध’ का शुभारम्भ किया। उन्होंने वीडियो काॅन्फ्रेंस के माध्यम से राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम के तहत मंडी, शिमला और कुल्लू जिले के दुग्ध उत्पादकों को प्रोत्साहन राशि वितरित की और उनसे बातचीत भी की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हिम हल्दी दूध पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा विकसित किया गया है, जिसका पेटेंट करवाया गया है। उन्होंने कहा कि यह पेय डिटाॅक्स ड्रिंक है, जिसमें एंटी हैंगओवर, एंटी आॅक्सीडेंट, एंटी इन्फ्लेमेटरी और रोग प्रतिरोधक क्षमता विद्यमान हंै। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह पेय आम जनता के बीच लोकप्रिय होगा। जय राम ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम के तहत मिल्कफेड ने आज 835 दूध उत्पादकों के बैंक खातों में कुल 16.70 लाख रुपये हस्तांतरित किए। प्रत्येक दुग्ध उत्पादक के बैंक खाते में प्रोत्साहन राशि के रूप में 2000 रुपये हस्तांतरित किए गए हैं। उन्होंने 1000 लीटर दूध बाजार तक पहुंचाने के लिए प्रत्येक उत्पादक को पांच लीटर स्टेनलेस स्टील की बाल्टियां प्रदान की। मुख्यमंत्री ने कहा कि दुग्ध उत्पादकों को सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए राज्य सरकार ने दूध के खरीद मूल्य में दो बार बढ़ौतरी की है। वर्तमान में दुग्ध उत्पादकों से 27.80 रुपये प्रति लीटर की दर पर दूध क्रय किया जा रहा है। मिल्कफेड द्वारा दुग्ध उत्पादकों को दूध क्रय के लिए 8 से 9 करोड़ रुपये प्रतिमाह उपलब्ध करवाए जा रहे हैं और पशु चारा भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चक्कर और दत्तनगर के मिल्कफेड प्लांट की क्षमता को 16 लाख रुपये प्रत्येक पर व्यय कर बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य में मिल्कफेड द्वारा 11 दुग्ध प्लाटों का प्रबन्धन किया जा रहा है और 1011 दूग्ध सहकारी सभाएं मिल्कफेड से जुड़ी हुई हैं। जय राम ठाकुर ने वर्ष 2019-20 में मिल्कफेड की 132 करोड़ रुपये की कुल वार्षिक बिक्री पर प्रसन्नता व्यक्त की, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 33 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी में भी मिल्कफेड ने अपनी गतिविधियां जारी रखीं और किसानों से दूध प्राप्त किया। ग्रामीण विकास, कृषि व पशुपालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि राज्य में दुग्ध सहकारी सभाओं को पांच प्रतिशत कमीशन दी जा रही है। वर्तमान में प्रतिदिन मिल्कफेड द्वारा 1.24 लाख लीटर दूध एकत्रित किया जा रहा है। मिल्कफेड के अध्यक्ष निहाल चन्द शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव जे.सी. शर्मा व मिल्कफेड के प्रबन्ध निदेशक भूपेन्द्र अत्री सहित अन्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
हिमाचल प्रदेश मंत्रिमण्डल की आयोजित बैठक में जल शक्ति विभाग में 2322 कार्यकर्ताओं की नियुक्ति करने का निर्णय लिया गया। इनमें विभागीय पैरा कार्यकर्ता नीति के अन्तर्गत 718 पैरा पम्प ऑपरेटर, 162 पैरा फिटर्स और 1442 बहुउदेशीय कार्यकर्ता शामिल हैं, जो 486 पेयजल और 31 सिंचाई योजनाओं का संचालन करेंगे। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने बैठक की अध्यक्षता की। मंत्रिमण्डल ने बिलासपुर जिला के झण्डूता में लोक निर्माण विभाग का नया मण्डल खोलने और विभाग के घुमारवीं मण्डल के अन्तर्गत बरठीं, झण्डूता और कलोल को इसके नियंत्रण में लाने के अतिरिक्त आवश्यक पद सृजित करने का निर्णय लिया। बैठक में राष्ट्रीय एम्बुलेंस सर्विस-108 के सुचारू संचालन के लिए विशेष अंतरिम उपाय के रूप में समझौता प्रावधानों के ऊपर प्रावधान करने और जीवीके-ईअमआरआई के कर्मचारियों को अंतरिम वेतन का भुगतान करने का निर्णय लिया गया। मंत्रिमण्डल ने हिमाचल प्रदेश वार अवार्ड्स एक्ट-1972 की धारा-3 में संशोधन का निर्णय लिया ताकि युद्ध जागिरों का अनुदान पांच हजार रुपये से बढ़ाकर सात हजार रुपये प्रतिवर्ष किया जाए। बैठक में कांगड़ा जिला के शाहपुर में नगर पंचायत के गठन को स्वीकृति प्रदान की गई। इसके लिए विभिन्न श्रेणियों के सात पद सृजित करने का निर्णय लिया। मंत्रिमण्डल ने मण्डी जिला की नगर पंचायत सरकाघाट को नगर परिषद के रूप में स्तरोन्नत करने का निर्णय लिया ताकि शहर की बेहतर योजना तैयार की जा सके। कोविड-19 महामारी और लाॅकडाऊन के उपरान्त प्रदेश के पुष्प उत्पादकों को मार्च से मई, 2020 महीनों में फूलों के परिवहन की सुविधा न मिलने के कारण लगभग 15.77 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। इसलिए उन्हें लाभ प्रदान करने के लिए मंत्रिमण्डल ने प्रभावित पुष्प उत्पादकों को चार करोड़ रुपये की सहायता प्रदान करने के लिए दिशा-निर्देशों को अपनी स्वीकृति प्रदान की। बैठक में टोल नीति-2020-21 की शर्त संख्या 2.14 के खंड 3 के अन्तर्गत उन सभी व्यक्तियों को टोल पट्टों के आवंटन की निविदा एवं नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति प्रदान की गई, जिन्होंने वर्ष 2019-20 में टोल पट्टे के लम्बित बकायों को चुका दिया है। बैठक में राजकीय पाॅलिटेक्निक महाविद्यालय, सुन्दरनगर जिला मण्डी में अंग्रेजी विषय के एक प्रवक्ता और राजकीय पाॅलिटेक्निक महाविद्यालय रोहडू में माॅडन ऑफिस प्रेक्टिस के एक-एक पद को अनुबन्ध आधार पर भरने की स्वीकृति प्रदान की गई।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि जन्माष्टमी देशवासियों का एक पावन पर्व है, जिसे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षाएं व दर्शन आज के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण हैं, जिनका अनुसरण कर हम अपना जीवन सफल बना सकते हैं। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने अपने संदेश में कहा कि श्रीमद् भगवत गीता के दर्शन ने समूचे विश्व का ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भगवत गीता हिन्दू धर्म ग्रंथों और धार्मिक दर्शन का सार है तथा सभी के लिए सफल जीवन जीने का एक मार्गदर्शक भी है।
हिमाचल कैबिनेट की बैठक आज 10 बजे राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ शिमला में होगी। इसमें वित्त और स्वास्थ्य विभाग से संबंधित प्रस्तुतियां दी जाएंगी। इसमें राज्य में आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने से संबंधी चर्चा प्रस्तावित है। बैठक में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बारे में भी चर्चा होगी। ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी कोरोना पॉजिटिव हैं। वहीं, शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर के बाद अब वन मंत्री राकेश पठानिया भी क्वारंटाइन हो गए हैं। हालांकि, मंत्री वीडियो कांफ्रेंसिंग से जुड़ सकते हैं।
जय राम ठाकुर ने तलवाड़ में 5.95 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित राजकीय बहु तकनीकी महाविद्यालय के शैक्षणिक खंड का लोकार्पण किया। उन्होंने 37.55 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 132 केवी विद्युत उप-केंद्र कंगैहण का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने 3.27 करोड़ रुपये की लागत से भेड़ी उपरली से भुुलन्दर सड़क के स्तरोन्नयन, 7.57 करोड़ रुपये की लागत से जांगल से ओच कलां सड़क के स्तरोन्नयन, 3.23 करोड़ रुपये से तरेहला बधाला और कोटलू सड़क के शेष कार्य, पांच करोड़ रुपये से निर्मित होने वाले स्वामी विवेकानन्द राजकीय महाविद्यालय के नए भवन, धुपक्यारा, साईं गरहून, हरदून, कुटवाला और लाहर इत्यादि के निवासियों के लिए 2.90 करोड़ रुपये की उठाऊ पेयजल आपूर्ति योजना, तहसील जयसिंहपुर में जल जीवन मिशन के अंतर्गत 1.98 करोड़ रुपये की अंदराणा बांधन उठाऊ पेयजल आपूर्ति योजना, जल जीवन मिशन के अंतर्गत 1.50 करोड़ रुपये से हरसी संघोल उठाऊ पेयजल आपूर्ति योजना, पानी के घरेलु कनेक्शन उपलब्ध करवाने के लिए 7.01 करोड़ रुपये से द्रमान जालग उठाऊ पेयजल आपूर्ति योजना का शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने चढिहार खास और बैजनाथ तथा जय सिंहपुर क्षेत्र के बैजनाथ, लंबागांव और पंचरूखी खंड के विभिन्न गांव के लिए 43.88 करोड़ रुपये की लागत की पेयजल आपूर्ति योजना का शिलान्यास किया। इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण प्रदेश सरकार कोे लोकार्पण और शिलान्यास समारोह वर्चुअल करने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जयसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता को 130 करोड़ रुपये की विभिन्न विकासात्मक परियोजनाएं समर्पित की गईं। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता से कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए पर्याप्त एहतियात बरतने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश के लोगों के लिए सौभाग्य की बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आशीर्वाद उनके साथ है। प्रधानमंत्री ने प्रदेश सरकार के वर्तमान कार्यकाल के दौरान तीन बार राज्य का दौरा किया। प्रधानमंत्री हमेशा राज्य के लोगों की विकास संबंधी जरूरतों का ध्यान रखते हैं। प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी के दौरान देश का कुशलतापूर्वक नेतृत्व किया तथा देश में कोविड-19 के कारण होने वाली मौतें विकसित देशों की अपेक्षा सबसे कम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मजबूत एवं कुशल नेतृत्व के कारण अयोध्या में श्री राम मन्दिर के भूमि पूजन से करोड़ों भारतीयों का सपना साकार हुआ है और श्री राम के भव्य मन्दिर का निर्माण कार्य दो-तीन वर्षों में पूर्ण कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में कई अन्य ऐतिहासिक निर्णय जैसे अनुच्छेद-370, तीन तलाक को समाप्त करना इत्यादि शामिल हैं। जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार के आग्रह पर केन्द्र सरकार ने राज्य में सिंचाई, बहुद्देश्यीय तथा बाढ़ नियंत्रण योजनाओं से संबंधित 7922 करोड़ रुपये की छः परियोजनाओं के निवेश को स्वीकृति प्रदान की है, जिसमें 6947 करोड़ रुपये की रेणुकाजी बांध परियोजना (राष्ट्रीय परियोजना) तथा 975.70 करोड़ रुपये की लागत की बांढ़ नियंत्रण कार्य/भूमि कटाव को रोकने के उपाय से संबंधित पांच परियोजनाएं शामिल की जाएंगी।