**1500 पेंशन के साथ-साथ बेटियों को दिया बेटों के बराबर अधिकार
**एकल नारी और विधवाओं के कल्याण के लिए राज्य सरकार लाई अनेकों योजनाएँ
वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. धनी राम शांडिल ने आज यहां जारी एक प्रेस वक्तव्य में कहा कि वर्तमान प्रदेश कांग्रेस सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में वर्तमान राज्य सरकार ने अनेकों योजनाएँ आरंभ कर उन्हें धरातल पर उतारा है ताकि उन्हें समाज में सशक्त बनाया जा सके तथा वे अपना सम्मानजनक जीवन यापन कर सकें।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपना चुनावी वादा निभाते हुए 18 वर्ष से अधिक की आयु की लड़कियों एवं महिलाओं के लिए इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना आरम्भ की है जिसके तहत प्रत्येक पात्र को 1500 रुपये प्रतिमाह प्रदान किए जा रहे हैं। योजना के अंतर्गत फार्म भरने का कार्य शुरू किया गया है तथा महिलाओं को इसका लाभ मिलना आरंभ हो चुका है। भाजपा प्रदेश की महिलाओं को उनके अधिकार से वंचित करने के लिए बार-बार चुनाव आयोग जा रही है और पेंशन में रोड़े अटका रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 2.42 लाख महिलाओं को 1000 या 1150 रुपये मासिक सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिल रही थी, जिसे वर्तमान प्रदेश सरकार ने बढ़ाकर 1500 रुपये कर दिया है तथा उन्हें यह राशि मिलना भी शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विधवा पुनर्विवाह योजना के अन्तर्गत दी जाने वाली सहायता राशि 65 हज़ार रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये की।
डा. धनी राम शांडिल ने कहा कि पुलिस भर्ती में लड़कियों के लिए आरक्षण को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया गया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सीलिंग लैंड होल्डिंग एक्ट, 1972 में परिवार में पुत्र को अलग इकाई माना गया था तथा लड़कियों को अलग इकाई मानने से वंचित रखा गया। परन्तु वर्तमान प्रदेश सरकार ने इस एक्ट में संशोधन कर बेटियों को अलग इकाई बनाया तथा उनके साथ हो रहे भेदभाव को समाप्त किया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि वर्तमान कांग्रेस सरकार ने इंदिरा गांधी बालिका सुरक्षा योजना के तहत एक बेटी के बाद परिवार नियोजन अपनाने वाले परिवार को मिलने वाली 35 हज़ार रुपए की प्रोत्साहन राशि बढ़ाकर दो लाख रुपए तथा दो बेटियों के बाद परिवार नियोजन पर मिलने वाली 25 हज़ार रुपए की राशि एक लाख रुपए करने का निर्णय लिया है।
डा. धनी राम शांडिल ने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा प्रदेश में मुख्यमंत्री सुख-शिक्षा योजना आरम्भ की जा रही है, जिसके तहत विधवाओं के 27 साल तक के बच्चों की शिक्षा पर होने वाला खर्च प्रदेश सरकार वहन करेगी। विधवा, निराश्रित, तलाकशुदा और अक्षम माता-पिता के सभी पात्र बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक एक हज़ार रुपये प्रतिमाह जमा किए जाएंगे। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मुख्यमन्त्री विधवा एवम् एकल नारी आवास योजना के तहत गृह निर्माण की राशि 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये की जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी सहायिका, आशा वर्कर, मिड डे मील वर्कर्ज तथा सिलाई अध्यापिकाओं का मानदेय बढ़ाया है।
विक्रमादित्य स्पष्ट करें क्यों दिया था मंत्रिपद से इस्तीफा: राकेश जम्वाल
**राकेश जम्वाल बोले कांग्रेस डूबता जहाज,नेता छोड़ रहे पार्टी
** CM के बयान पर भाजपा का पलटवार
लोकसभा और छः विधानसभा चुनाव को लेकर जहां मुख्य राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है वहीं आरोप प्रत्यारोप की राजनीति भी अपने चरम पर पहुंच गई है। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता व विधायक राकेश जम्वाल ने मुख्यमंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस एक डूबता हुआ जहाज है। उन्होंने कहा कि उनके नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं।आज AICC के सचिव तजिंदर बिट्टू ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है। भाजपा ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए है वहीं कांग्रेस प्रत्याशियों का चयन नही कर पा रही है।
वहीं राकेश जम्वाल ने मंडी से कांग्रेस प्रत्याशी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह बड़ी बड़ी बातें करते है कि वह मंडी से जितने के बाद जनता के मुद्दे केंद्र में उठाएंगे लेकिन पहले उस राज से पर्दा उठाएं कि उन्होंने मंत्रिपद से इस्तीफा क्यों दिया। यह रहस्य आज तक रहस्य बना हुआ है।यहां तक कि प्रतिभा सिंह ने भी चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था।प्रतिभा सिंह ने अपने बयान में कहा था कि कार्यकर्ता नाराज हैं और सांसद निधि से चुनाव नही लड़ा जा सकता। मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि विक्रमादित्य जिस प्रकार कि मंडी से भाजपा प्रत्याशी कंगना रणौत पर टिप्पणी कर रहें है कि की वह क्या खाती हैं क्या पहनती है तो यह बता दें कि विक्रमादित्य सिंह को विरासत में राजनीति मिली है संघर्ष से नही जबकि कंगना ने संघर्ष से अपना नाम बनाया है।उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य सिंह व्यक्तिगत टिप्पणी की बजाय मुद्दों पर चुनाव लड़ें।
कोर्ट ने सांसद बने हर्ष महाजन को भेजा नोटिस
हाईकोर्ट में कांग्रेस के राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर आज सुनवाई हुई है। अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव को हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका डालकर चुनौती दी थी। इसमें उन्होंने मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद पर्ची से विजय घोषित करने के नियम को गलत बताया है। अभिषेक मनु सिंघवी के अनुसार, नियम की एक धारणा को उन्होंने याचिका में चुनौती दी। जब मुकाबला बराबर होता है उसके बाद पर्ची निकाली जाती है। जिसकी पर्ची निकलती है, उसे विजेता होना चाहिए। मगर, अभी जिसकी पर्ची निकलती है, उसे हारा हुआ माना जाता है। यह धारणा कानूनी रूप से गलत है।
याचिकाकर्ता पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव में जीत हासिल कर सांसद बने एवं प्रतिवादी बनाए गए हर्ष महाजन को नोटिस जारी किया है। एडवोकेट नीरज गुप्ता ने बताया कि अब इस मामले में अगली सुनवाई 23 को होगी।
आगामी चुनावों को लेकर भाजपा ने अपने चुनाव प्रचार को गति प्रदान करते हुए सोमवार को धर्मशाला के 5 जगहों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया। भाजपा पदाधिकारियों ने भाजपा की नीतियों को जनहितेषी बताते हुए जनता से भाजपा के पक्ष में मतदान करने का आग्रह किया। सुबह करीब 11 बजे टंग में भाजपा के जनसंपर्क अभियान में नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, मंडी संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी कंगणा रनौत व कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी राजीव भारद्वाज सहित भाजपा के विभिन्न पदाधिकारी शामिल रहे। कार्यक्रम के पश्चात कंगणा रनौत जिला चंबा की मंडी संसदीय क्षेत्र में शामिल विधानसभा के दौरे के लिए रवाना हो गई। धर्मशाला से भाजपा प्रत्याशी सुधीर शर्मा व कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी राजीव भारद्वाज ने करीब साढे़ 12 बजे चैतडू स्थित पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं से मुलाकात की गई और आगामी चुनावों को लेकर जरूरी दिशानिर्देश दिए। दोपहर 2 बजे श्यामनगर में जनसभा में भाग लेकर केंद्र की मोदी सरकार के शानदार 10 साल के कार्यकाल से लोगों को अवगत करवाया। साढ़े 4 बजे भाजपा पदाधिकारियों ने खन्यारा स्थित इंद्रू नाग भागवान का आर्शीवाद लिया। शाम करीब 6 बजे भाजपा मंडल अध्यक्ष डॉ. विशाल नेहरिया के निवास स्थान पर कार्यकर्ताओं और आम जनता से मुलाकात की। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने देश को विश्व मानचित्र में अनूठी पहचान दिलाई है। उन्होंने कहा कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश का नेतृत्व करने वाले हैं। इस मौके पर धर्मशाला से भाजपा प्रत्याशी सुधीर शर्मा ने कहा कि भाजपा कार्यकाल में देश प्रगति पथ पर अग्रसर है। कांगड़ा-चंबा प्रत्याशी राजीव भारद्वाज ने कहा कि भाजपा हिमाचल में चारों संसदीय सीटें जीतेगी और साथ ही उप-चुनाव में भी भाजपा की बहुमत से जीत होगी।
मुख्यमंत्री सुक्खू सुख भंजन, छीन रहे हैं जनता के सुखः सुधीर शर्मा
भगवान हनुमान को हम दुख भंजन कहते हैं जो सभी दुखों को हर लेते हैं लेकिन प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू सुख भंजन हैं जो जनता के सारे सुखों को हरते जा रहे हैं। यह तंज धर्मशाला से भाजपा प्रत्याशी सुधीर शर्मा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर कसा। टंग में आयोजित जन संपर्क कार्यक्रम के दौरान सुधीर शर्मा ने कहा कि 4 जून को जनता को दुखी करने वाली सुख भंजन सरकार नहीं रहेगी। सुख भंजन सरकार में जो विकास कार्य थम गए हैं, उन्हें फिर आगे बढ़ाया जाएगा। प्रदेश में ऐसे मुख्यमंत्री आए जो 15 महीने में ही 6 अपनी पार्टी और 3 निर्दलीय विधायकों का विश्वास खो बैठे। जिन गारंटियों पर सरकार बनी थी उनमें से किसी भी गारंटी पर कार्य नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रति जनता में आक्रोश है और जनता उन्हें आगामी चुनावों में इस आक्रोश से रूबरू करवाएगी। वर्तमान में कांग्रेस सरकार सिर्फ मुख्यमंत्री के मित्रों की मंडली बन कर रह गई और मंत्री एवं विधायक दुखी हैं। जनप्रतिनिधियों के उपर अपनी मित्र मंडली बिठा कर उन्हें अपमानिक करने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सुख भंजन सरकार के आखिरी दिन आ गए हैं।
शिमला: कृषि मंत्री चौधरी चंद्र कुमार और स्टेट प्लानिंग बोर्ड के उपाध्यक्ष भवानी पठानिया ने कहा है कि अग्निवीर योजना युवाओं के साथ बड़ा भद्दा मजाक और सरासर धोखा है। आम सैनिक और अग्निवीर के बीच काफी भेदभाव किया जा रहा है। अग्निवीर को शहीद का दर्जा न होने से युवाओं में केंद्र सरकार के प्रति भारी आक्रोश है। अब युवा सेना में जाने के लिए उत्साहित नहीं हैं। युवाओं का सेना के प्रति क्रेज़ घट गया है।
चंद्र कुमार व पठानिया ने कहा कि युवा अब सेना में अपना भविष्य सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। सेना की भर्ती के लिए पहले युवा दिन-रात मेहनत करते थे। सुबह और शाम के समय सड़कों के किनारे और खेल मैदानों में युवाओं को दौड़ लगाते और अभ्यास करते हुए देखे जाते थे लेकिन अब इक्का-दुक्का युवा ही दिखते हैं। भर्ती होने के बाद अग्निवीर के साथ पक्षपात हो रहा है, उन्हें आम सैनिकों के साथ नहीं रखा जाता, ना ही घुलने-मिलने देते हैं। उन्हें अलग बैरक में रखा जा रहा है, इससे अग्निवीर हतोत्साहित हैं।
कृषि मंत्री और स्टेट प्लानिंग बोर्ड उपाध्यक्ष ने कहा कि देश की सेवा करते वीरगति को प्राप्त होने पर अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं मिल रहा। न ही परिजन को एक्स सर्विसमैन और कैंटीन के लाभ मिल पा रहे। अग्निवीर के परिवार को सिर्फ एक करोड़ रुपये ही मिलेंगे, जबकि आम सैनिक के साथ ऐसा नहीं है। शहीद के दर्जे के साथ सैनिक के परिवार को आर्थिक सहायता भी ज़्यादा है, 15 साल की सेवा पूरी होने तक परिवार को पूरा वेतन और अनेक सुविधाएं हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और हिमाचल प्रदेश के भाजपा सांसदों को युवाओं को यह बताना चाहिए कि उनके भविष्य के साथ यह खिलवाड़ क्यों किया गया है। हिमाचल प्रदेश से हज़ारों युवा सेना में भर्ती होते थे, कांगड़ा, हमीरपुर व मंडी जिला में तो हजारों सैनिक परिवार हैं, लेकिन अग्निवीर योजना लागू होने पर भाजपा सांसदों ने युवाओं की आवाज को संसद में एक बार भी नहीं उठाया। उन्होंने चुप्पी साध रखी। वे युवाओं का साथ देने के बजाय अग्निवीर योजना के फायदे गिनाते रहे। चंद्र कुमार व भवानी ने कहा, भाजपा को युवाओं को जवाब देना होगा कि सेना में युवाओं के लिए नौकरी के दरवाजे बंद क्यों किए गए। शहीद का दर्जा देने में भेदभाव क्यों हो रहा है। क्योंकि, युवाओं और उनके परिवारों में अग्निवीर योजना को लेकर खासा रोष है।
हिमाचल हाईकोर्ट में आज सरकार को गिराने के लिए षड़यंत्र रचने के केस में सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट ने गगरेट से कांग्रेस के बागी विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा और हमीरपुर से इंडिपेंडेंट MLA आशीष शर्मा की अग्रिम जमानत 26 अप्रैल तक बढ़ा दी है। राकेश शर्मा और आशीष शर्मा ने केस को वापस लेने के लिए भी याचिका दायर की है। कोर्ट ने आशीष शर्मा और राकेश शर्मा की पिटीशन का सरकार से भी 26 अप्रैल तक जवाब मांगा है। बता दें कि कांग्रेस के बागी पूर्व MLA चैतन्य शर्मा के पिता उत्तराखंड सरकार से रिटायर मुख्य सचिव है। कांग्रेस विधायक संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ ने बालूगंज थाना में एफआईआर कराई है। इसमें आशीष शर्मा और राकेश शर्मा पर सरकार गिराने के लिए षड़यंत्र रचने का आरोप है। इसी मामले में दोनों ने हिमाचल हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले रखी है। आज इनकी अग्रिम जमानत 26 अप्रैल तक बढ़ाई गई है।
इन पर आरोप है कि इन्होंने राज्यसभा चुनाव में सरकार गिरने के लिए षड्यंत्र रचा और विधायकों की खरीद-फरोख्त भी की। आशीष शर्मा और राकेश शर्मा पर करोड़ों रुपए के लेन-देन के आरोप लगाए हैं हालांकि अब तक ये आरोप साबित नहीं हो पाए है ।
जिला सिरमौर के अंतर्गत संगड़ाह उपमंडल के गांव लजवा से ताल्लुख रखने वाले जागर सिंह पिछले 12 दिनों से घर से लापता है। और दूर-दूर तक ढूंढने के बावजूद भी उसका कोई सुराख नहीं लग पाया है। जागर सिंह की उम्र करीबन 55 वर्ष है। जागर सिंह से मोबाइल पर आखरी बार बात 17 मार्च को हुई , बताया जा रहा हैं कि लजवा गांव के निवासी बलबीर ठाकुर से मोबाइल पर हुई इस आखिरी बात में जागर सिंह ने बताया कि वह रोहडू क्षेत्र के अड़हाल गाव में दिहाड़ी कमाने गया हुआ है परंतु उसके बाद उसका मोबाइल स्विच ऑफ हो गया और संपर्क पूरी तरह टूट गया है। जागर सिंह मूलत हरिपुरधार के गैहल गांव का निवासी है परंतु पिछले लगभग 20 वर्षों से वह लजवा गांव में रह रहा है। जागर सिंह के घर में उसकी पत्नी, सात बेटियां और एक छोटा बेटा लगभग 12 दिनों से परेशान है और प्रशासन से अपने पिता को ढूंढने की गुहार लगा रहे हैं। तीन दिनों तक जगह-जगह संपर्क करने के बाद जागर सिंह की पुत्री प्रियंका शर्मा ने 21 मार्च को संगड़ाह पुलिस थाने में अपने पिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है और पुलिस से उन्हें ढूंढने का आग्रह किया है। पुलिस ने रोहडू, शिमला, जुब्बल, कोटखाई, रोनहाट आदि कई स्थानों पर उन्हें ढूंढने का प्रयास किया, मगर अभी तक उसका कोई पता नहीं लग पाया हैं। एसएचओ संगड़ाह बृज लाल मेहता ने बताया कि जागर सिंह की तलाश जारी है।
हिमाचल हाईकोर्ट में आज सरकार को गिराने के लिए षड़यंत्र रचने के केस में सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट ने गगरेट से कांग्रेस के बागी विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा और हमीरपुर से इंडिपेंडेंट MLA आशीष शर्मा की अग्रिम जमानत 26 अप्रैल तक बढ़ा दी है। राकेश शर्मा और आशीष शर्मा ने केस को वापस लेने के लिए भी याचिका दायर की है। कोर्ट ने आशीष शर्मा और राकेश शर्मा की पिटीशन का सरकार से भी 26 अप्रैल तक जवाब मांगा है। बता दें कि कांग्रेस के बागी पूर्व MLA चैतन्य शर्मा के पिता उत्तराखंड सरकार से रिटायर मुख्य सचिव है। कांग्रेस विधायक संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ ने बालूगंज थाना में एफआईआर कराई है। इसमें आशीष शर्मा और राकेश शर्मा पर सरकार गिराने के लिए षड़यंत्र रचने का आरोप है। इसी मामले में दोनों ने हिमाचल हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले रखी है। आज इनकी अग्रिम जमानत 26 अप्रैल तक बढ़ाई गई है।
इन पर आरोप है कि इन्होंने राज्यसभा चुनाव में सरकार गिरने के लिए षड्यंत्र रचा और विधायकों की खरीद-फरोख्त भी की। आशीष शर्मा और राकेश शर्मा पर करोड़ों रुपए के लेन-देन के आरोप लगाए हैं हालांकि अब तक ये आरोप साबित नहीं हो पाए है ।
पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने साल 2021 में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की थी। मोदी के नेतृत्व में ही 2021-2022 से 2025-2026 तक 5 वर्षों के लिए 1,600 करोड़ रुपये की डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम बनाने के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शुरू किया गया था। इसकी वजह से पीएम मोदी के गारंटी का भी असर देखने को साफ मिला और इस योजना के तहत 29 फरवरी, 2024 तक 56.67 करोड़ लोगों के आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में भी प्रगति की है। 29 फरवरी, 2024 तक, 27.73 करोड़ महिलाएं और 29.11 करोड़ पुरुषों को आभा कार्ड से लाभ हुआ है। वहीं 34.89 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य दस्तावेजों को इससे जोड़ा गया है।
क्या है आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य देश में यूनिफाइड डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की मदद करने के लिए जरूरी आधार तैयार करना है। इससे सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता खोलने के लिए ऑफलाइन मोड को मदद पहुंचती है। इसके अलावा भारत सरकार ने स्वास्थ्य सुविधा के लिए आभा ऐप और आरोग्य सेतु जैसे विभिन्न एप्लिकेशन भी लॉन्च किए गए हैं, जो आम लोगों को मदद पहुंचाती है। आभा ऐप एक प्रकार का डिजिटल स्टोरेज है, जो किसी भी व्यक्ति के मेडिकल दस्तावेजों का रखने का काम आता है। इस ऐप के जरिए मरीज रजिस्टर्ड स्वास्थ्य पेशेवरों से संपर्क भी कर सकते हैं।
भारत में बीजेपी की मोदी सरकार ने बीते 10 सालों के अपनी सरकार में कई सारे मील के पत्थर हासिल किया है। इन 10 सालों में पीएम मोदी के विजन ने भारत को अगले 23 साल बाद यानी साल 2047 तक विकसित भारत बनाने के ओर मजबूती से कदम भी बढ़ा लिया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने देश के हित में जो भी फैसले लिए है, उनमें से हेल्थ सेक्टर को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का प्रयास किया गया है।
कैंटरबरी विश्वविद्यालय, न्यूजीलैंड के प्रतिनिधियों ने शैक्षणिक सहयोग और अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा के लिए शूलिनी विश्वविद्यालय का दौरा किया। प्रोफेसर ब्रेट बर्क्विस्ट, सहायक कुलपति, एंगेजमेंट, और डॉ. ग्राहम वाइज, अंतर्राष्ट्रीय विकास निदेशक, कैंटरबरी विश्वविद्यालय, न्यूजीलैंड ने छात्रों और संकाय के लिए शैक्षणिक और अनुसंधान के अवसरों को बढ़ाने के उद्देश्य से कई पहलों पर चर्चा करने के लिए शूलिनी का दौरा किया।
इस ऐतिहासिक यात्रा के एजेंडे में संयुक्त अनुसंधान सहयोग, व्यवसाय विज्ञान, खाद्य विज्ञान और इंजीनियरिंग के लिए मार्ग कार्यक्रम, साथ ही उत्पाद निर्माण, ऑनलाइन कार्यक्रम और औद्योगिक भागीदारी पर चर्चा शामिल है।
अंतर्राष्ट्रीय उपनिदेशक डॉ. रोज़ी धांता ने कहा, "न्यूज़ीलैंड को अपने नए गंतव्य के रूप में देखने से हमारे छात्रों के लिए ढेर सारे अवसर खुलते हैं।" डॉ. रोज़ी ने आगे कहा कि यह पहल हमारे छात्रों के लिए उपलब्ध विकल्पों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी, जिससे वे सक्षम होंगे। अपनी आगे की पढ़ाई के लिए सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में से चयन करना। कैंटरबरी विश्वविद्यालय के साथ यह सहयोग उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और अनुसंधान के अवसर प्रदान करने, एक वैश्विक शिक्षण वातावरण की सुविधा प्रदान करने के हमारे प्रयास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है जो छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करता है।
** धर्मशाला में खेले जा रहे भारत-इंग्लैंड टेस्ट मैच में बना रिकॉर्ड
** इससे पहले दो स्पिन गेंदबाजों मुरलीधरन और शेन वार्न ने लिए हैं 700 से अधिक विकेट
हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्टेडियम में खेले जा रहे भारत-इंग्लैंड टेस्ट श्रृंखला के अंतिम एवं 5वें मैच में एक नया रिकॉर्ड बना है। मैच के तीसरे दिन इंग्लैंड के फास्ट बॉलर जेम्स एंडरसन 700 विकेट लेने वाले दुनिया के पहले तेज गेंदबाज बन गए हैं। 700 विकेट लेने वाले वे इग्लैंड के भी पहले गेंदबाज हैं।
एंडरसन से पहले भी दो गेंदबाजों ने यह आंकड़ा छुआ है, लेकिन वे दोनों स्पिनर हैं। इससे पहले श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन और आस्टे्रलिया के शेन वार्न ने क्रमश: 800 और 700 विकेट का आंकड़ा छुआ है।
बता दें कि भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज में तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन ने पहला मैच नहीं खेला था। इसके बाद के तीन मैच खेले हैं। अब धर्मशाला में चल रहे पांचवें मैच में खेल रहे हैं। दूसेर मैच में उन्होंने पांच विकेट लिए थे। तीसरे मैच में वे सिर्फ एक विकेट ले सके, जबकि रांची में खेले चौथे मैच में एंडरसन ने दो विकेट लिए थे।
नीम करोली बाबा के आश्रम में स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शान्ति
भारत में कई ऐसे पावन तीर्थ हैं, जहां पर श्रद्धा एवं भक्ति के साथ जाने मात्र से व्यक्ति के समस्त मनोरथ पूरे हो जाते हैं। ऐसा ही एक पावन तीर्थ देवभूमि उत्तराखंड की वादियों में है, जिसे लोग 'कैंची धाम' के नाम से जानते हैं। कैंची धाम के नीब करौरी बाबा (नीम करौली) की ख्याति विश्वभर में है। नैनीताल से लगभग 65 किलोमीटर दूर कैंची धाम को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता। यहां पर हर मन्नत पूर्णतया फलदायी होती है। यही कारण है कि देश-विदेश से हज़ारों लोग यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं। बाबा के भक्तों में एक आम आदमी से लेकर अरबपति-खरबपति तक शामिल हैं। बाबा के इस पावन धाम में होने वाले नित-नये चमत्कारों को सुनकर दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में बाबा नीब करौरी के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। इनके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं। कुछ माह पूर्व स्टार क्रिकेटर विराट कोहली और उनकी पत्नी और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के यहां पहुंचते ही इस धाम को देखने और बाबा के दर्शन करने वालों की होड़ सी लग गई।
1964 में बाबा ने की थी आश्रम की स्थापना
नीम करोली बाबा या नीब करोली बाबा की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में की जाती है। इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। कैंची, नैनीताल, भुवाली से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बाबा नीब करौरी ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा नीम करौरी 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया। इस धाम को कैंची मंदिर, नीम करौली धाम और नीम करौली आश्रम के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में बसा एक छोटा सा आश्रम है नीम करोली बाबा आश्रम। मंदिर के आंगन और चारों ओर से साफ सुथरे कमरों में रसीली हरियाली के साथ, आश्रम एक शांत और एकांत विश्राम के लिए एकदम सही जगह प्रस्तुत करता है। यहाँ कोई टेलीफोन लाइनें नहीं हैं, इसलिए किसी को बाहरी दुनिया से परेशान नहीं किया जा सकता है। श्री हनुमान जी के अवतार माने जाने वाले नीम करोरी बाबा के इस पावन धाम पर पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन हर साल 15 जून को यहां पर एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन होता है। यहां इस दिन इस पावन धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है।
कई चमत्कारों के किस्से सुन खींचे आते है भक्त
मान्यता है कि बाबा नीम करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। बाबा नीब करौरी के इस पावन धाम को लेकर तमाम तरह के चमत्कार जुड़े हैं। जनश्रुतियों के अनुसार, एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो वह जल घी में बदल गया। ऐसे ही एक बार बाबा नीब करौरी महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचवाया। ऐसे न जाने कितने किस्से बाबा और उनके पावन धाम से जुड़े हुए हैं, जिन्हें सुनकर लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं।
बाबा के दुनियाभर में 108 आश्रम
बाबा नीब करौरी को कैंची धाम बहुत प्रिय था। अक्सर गर्मियों में वे यहीं आकर रहते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। उस मन्दिर में हनुमान की मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। यहां बाबा नीब करौरी की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है। बाबा नीब करौरी महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम तथा अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है।
स्टीव जॉब्स को आश्रम से मिला एप्पल के लोगो का आईडिया !
भारत की धरती सदा से ही अध्यात्म के खोजियों को अपनी ओर खींचती रही है। दुनिया की कई बड़ी हस्तियों में भारत भूमि पर ही अपना सच्चा आध्यात्मिक गुरु पाया है। एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स 1974 से 1976 के बीच भारत भ्रमण पर निकले। वह पर्यटन के मकसद से भारत नहीं आए थे, बल्कि आध्यात्मिक खोज में यहां आए थे। उन्हें एक सच्चे गुरु की तलाश थी।स्टीव पहले हरिद्वार पहुंचे और इसके बाद वह कैंची धाम तक पहुंच गए। यहां पहुंचकर उन्हें पता लगा कि बाबा समाधि ले चुके हैं। कहते है कि स्टीव को एप्पल के लोगो का आइडिया बाबा के आश्रम से ही मिला था। नीम करौली बाबा को कथित तौर पर सेब बहुत पसंद थे और यही वजह थी कि स्टीव ने अपनी कंपनी के लोगों के लिए कटे हुए एप्पल को चुना। हालांकि इस कहानी की सत्यता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।
जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शांति, शीर्ष पर पहुंचा फेसबुक
बाबा से जुड़ा एक किस्सा फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने 27 सितंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बताया था, तब पीएम मोदी फेसबुक के मुख्यालय में गए थे। इस दौरान जुकरबर्ग ने पीएम को भारत भ्रमण की बात बताई। उन्होंने कहा कि जब वे इस संशय में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने इन्हें भारत में नीम करोली बाबा के स्थान पर जाने की सलाह दी थी। जुकरबर्ग ने बताया था कि वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान वह नीम करोली बाबा के मंदिर में भी गए थे। जुकरबर्ग आए तो यहां एक दिन के लिए थे, लेकिन मौसम खराब हो जाने के कारण वह यहां दो दिन रुके थे। जुकरबर्ग मानते हैं कि भारत में मिली अध्यात्मिक शांति के बाद उन्हें फेसबुक को नए मुकाम पर ले जाने की ऊर्जा मिली।
बाबा की तस्वीर को देख जूलिया ने अपनाया हिन्दू धर्म
हॉलिवुड की मशहूर अदाकारा जूलिया रॉबर्ट्स ने 2009 में हिंदू धर्म अपना लिया था। वह फिल्म ‘ईट, प्रे, लव’ की शूटिंग के लिए भारत आईं थीं। जूलिया रॉबर्ट्स ने एक इंटरव्यू में यह खुलासा किया था कि वह नीम करौली बाबा की तस्वीर से इतना प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने हिन्दू धर्म अपनाने का फैसला कर डाला। जूलिया इन दिनों हिन्दू धर्म का पालन कर रही हैं।
एसएस राजामौली की चर्चित मूवी ररर के नाटू-नाटू गाने को ऑस्कर अवॉर्ड मिला है। भारत के लिए ये ऐतिहासिक पल है। फिल्ममेकर नाटू नाटू ने ओरिजनल सॉन्ग कैटेगिरी में अवॉर्ड जीता है। एमएम कीरावणी अवॉर्ड लेते हुए बेहद एक्साइटेड नजर आए। उनकी स्पीच भी चर्चा में बनी हुई है। इस जीत के बाद पूरे देश में खुशी का माहौल है। मेकर्स ने RRR मूवी के ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर जीत की खुशी जताई है। उन्होंने लिखा- 'हम धन्य हैं कि आरआरआर सॉन्ग नाटू-नाटू के साथ बेस्ट सॉन्ग कैटेगरी में भारत का पहला ऑस्कर लाने वाली पहली फीचर फिल्म है। कोई भी शब्द इस अलौकिक पल को बयां नहीं कर सकते। धन्यवाद। जय हिंद। 'वहीं 'नाटू नाटू' के ऑस्कर जीतने पर फिल्म के लीड एक्टर जूनियर एनटीआर ने भी रिएक्ट किया है। उन्होंने कहा- 'मेरे पास अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। ये सिर्फ आरआरआर की जीत नहीं है बल्कि एक देश के तौर पर भारत की जीत है। ये तो अभी शुरुआत है कि भारतीय सिनेमा कितनी दूर जा सकता है। एमएम कीरावनी और चंद्रबोस को बधाई।'
कोर्ट ने सांसद बने हर्ष महाजन को भेजा नोटिस
हाईकोर्ट में कांग्रेस के राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर आज सुनवाई हुई है। अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव को हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका डालकर चुनौती दी थी। इसमें उन्होंने मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद पर्ची से विजय घोषित करने के नियम को गलत बताया है। अभिषेक मनु सिंघवी के अनुसार, नियम की एक धारणा को उन्होंने याचिका में चुनौती दी। जब मुकाबला बराबर होता है उसके बाद पर्ची निकाली जाती है। जिसकी पर्ची निकलती है, उसे विजेता होना चाहिए। मगर, अभी जिसकी पर्ची निकलती है, उसे हारा हुआ माना जाता है। यह धारणा कानूनी रूप से गलत है।
याचिकाकर्ता पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव में जीत हासिल कर सांसद बने एवं प्रतिवादी बनाए गए हर्ष महाजन को नोटिस जारी किया है। एडवोकेट नीरज गुप्ता ने बताया कि अब इस मामले में अगली सुनवाई 23 को होगी।
2024 लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा आज होगी। दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर 3 बजे मुख्य चुनाव आयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।तारीखों की घोषणा के साथ देश में आचार संहिता भी लागू हो जाएगी, जो चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक रहती है। लोकसभा के साथ 4 राज्यों- आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के विधानसभा चुनाव की तारीखें भी आज तय होंगी।
लोकसभा की 543 सीटों पर 7 फेज में वोटिंग हो सकती है। 15 से 18 अप्रैल के बीच पहले फेज के लिए, और आखिरी फेज में 19 मई को वोटिंग हो सकती है। 23 मई को रिजल्ट संभव है।चुनाव आयोग ने लोकसभा और चार विधानसभा चुनावों के लिए 3.4 लाख केंद्रीय बलों की मांग की है। आयोग 97 करोड़ मतदाताओं के लिए देशभर में करीब 12.5 लाख मतदान केंद्र बना सकता है।
2024 में 97 करोड़ वोटर्स, 2 करोड़ नए मतदाता जुड़े
2024 लोकसभा में 97 करोड़ लोग वोटिंग कर सकेंगे। चुनाव आयोग ने 8 फरवरी को सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के वोटर्स से जुड़ी समरी रिवीजन 2024 रिपोर्ट जारी की थी।
आयोग ने बताया कि वोटिंग लिस्ट में 18 से 29 साल की उम्र वाले 2 करोड़ नए वोटर्स को जोड़ा गया है। 2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले रजिस्टर्ड वोटर्स की संख्या में 6% की बढ़ोतरी हुई है। चुनाव आयोग ने कहा- दुनिया में सबसे ज्यादा 96.88 करोड़ वोटर्स लोकसभा चुनावों में वोटिंग के लिए रजिस्टर्ड हैं। साथ ही जेंडर रेशो भी 2023 में 940 से बढ़कर 2024 में 948 हो गया है।आयोग ने चुनावी प्रक्रिया के दौरान बच्चों से पोस्टर और पर्चे बांटने और नारेबाजी करने जैसे काम भी ना करवाने का निर्देश दिया है।
** हिंदुकुश में जमीन से 220 किमी नीचे था केंद्र
** फिलहाल किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं
अफगानिस्तान के हिंदुकुश में आज दोपहर बाद 2:20 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इसकी वजह से पाकिस्तान के इस्लामाबाद, रावलपिंडी और भारत में जम्मू-कश्मीर से दिल्ली तक धरती हिल गई।
नेशनल सेंटर फॉर सीसमोलॉजी के मुताबिक भूकंप की तीव्रता 6.1 मापी गई। इसका केंद्र हिंदुकुश में जमीन से करीब 220 किलोमीटर नीचे था। फिलहाल किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान में था। इसके झटके दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई शहरों में महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान में था। इसके झटके दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई शहरों में महसूस किए गए।
दो माह पूर्व नेपाल में आया था 6.4 तीव्रता का भूकंप
गत वर्ष 4 नवंबर को रात 11:32 बजे नेपाल में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 157 लोगों की मौत हुई थी। तब दिल्ली-एनसीआर के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और बिहार की राजधानी पटना में भी झटके महसूस किए गए थे। हालांकि भारत में किसी तरह के जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था।
*अमृता प्रीतम ने बटालवी को कहा था 'बिरह का सुल्तान'
' बिरहा बिरहा आखीए, बिरहा तू सुल्तान। जिस तन बिरहा ना उपजे, सो तन जाण मसान ...' प्रसिद्ध कवयित्री अमृता प्रीतम के शब्दों में वो ‘बिरह का सुल्तान’ था। पंजाब का एक ऐसा शायर जिसके जैसा न कोई था, न है और न कोई और होगा। वो हिंदुस्तान में भी खूब छाया और पाकिस्तान ने भी उसे जमकर चाहा. वो था पंजाब का पहला सुपरस्टार शायर शिव कुमार बटालवी। वो शायर जिसने शराब में डूबकर वो रच दिया जिसे होश वाले शायद कभी न उकेर पाते। वो शायर जो मरने की बहुत जल्दी में था।
'असां तां जोबन रुत्ते मरनां, जोबन रूत्ते जो भी मरदा फूल बने या तारा, जोबन रुत्ते आशिक़ मरदे या कोई करमा वाला'.. बटालवी का कहना था कि जवानी में जो मरता है वो या तो फूल बनता है या तारा। जवानी में या तो आशिक मरते हैं या वो जो बहुत करमों वाले होते हैं। जैसा वो कहते थे वैसा हुआ भी, महज 35 की उम्र में बटालवी दुनिया को अलविदा कह गए। पर जाने से पहले इतना खूबसूरत लिख गए कि शायरी का हर ज़िक्र उनके बगैर अधूरा है।
शिव कुमार बटालवी 23 जुलाई 1936 को पंजाब के सियालकोट में पैदा हुए, जो बंटवारे के बाद से पाकिस्तान में है। उनके पिता एक तहसीलदार थे पर न जाने कैसे शिव शायर हो गए। आजादी के बाद जब देश का बंटवारा हुआ तो बटालवी का परिवार पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत में पंजाब के गुरदासपुर जिले के बटाला में आ गया। उस वक़्त शिव कुमार बटालवी की उम्र महज़ दस साल थी। नका कुछ बचपन और किशोरावस्था यहीं गुजरी। बटालवी ने इन दिनों में गांव की मिट्टी, खेतों की फसलों, त्योहारों और मेलों को भरपूर जिया, जो बाद में उनकी कविताओं में खुशबू बनकर महका। उन्होंने अपने नाम में भी बटालवी जोड़ा, जो बटाला गांव के प्रति उनका उन्मुक्त लगाव दर्शाता है। बटालवी जिंदगी के सफर में बटाला, कादियां, बैजनाथ होते हुए नाभा पहुंचे लेकिन अपने नाम में बटालवी जोड़ खुद को ताउम्र के लिए बटाला से जोड़े रखा। कुछ बड़े होने के बाद उन्हें गांव से बाहर पढ़ने भेजा गया। वो खुद तो गांव से आ गए मगर उनका दिल गांव की मिटटी पर ही अटका रहा। कहते है उनका गांव छूट जाना उन पर पहला प्रहार था, जिसका गहरा जख्म उन्हें सदैव पीड़ा देता रहा।
गांव से निकलकर आगे की पढ़ाई के लिए शिव कादियां के एस. एन. कॉलेज के कला विभाग गए। पर दूसरे साल ही उन्होंने उसे बीच में छोड़ दिया। उसके बाद उन्हें हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ के एक स्कूल में इंजीनियरिंग की पढ़ाई हेतु भेजा गया। पर पिछली बार की तरह ही उन्होंने उसे भी बीच में छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने नाभा के सरकारी कॉलेज में अध्ययन किया। उनका बार-बार बीच में ही अभ्यास छोड़ देना, उनके भीतर पल रही अराजकता और अनिश्चितता का बीजारोपण था। पिता शिव को कुछ बनता हुआ देखना चाहते थे। जो पिता शिव के लिए चाहते थे वो शिव ने अपने लिए कभी नहीं चाहा, इसीलिए पिता - पुत्र में कभी नहीं बनी।
बटालवी की छोटी सी जीवन यात्रा तमाम उतार चढ़ाव समेटे हुए है, किसी खूबसूरत चलचित्र की तरह जिसमें स्टारडम है, विरह का तड़का है और जिसका अंत तमाम वेदना समेटे हुए है। शिव कुमार बटालवी के गीतों में ‘बिरह की पीड़ा’ इस कदर थी कि उस दौर की प्रसिद्ध कवयित्री अमृता प्रीतम ने उन्हें ‘बिरह का सुल्तान’ नाम दे दिया। शिव कुमार बटालवी यानी पंजाब का वह शायर जिसके गीत हिंदी में न आकर भी वह बहुत लोकप्रिय हो गया। कहते है उन्हें मेले में एक लड़की से मोहब्बत हो गयी थी। मेले के बाद जब लड़की नज़रों से ओझल हुई तो उसे ढूंढने के लिए एक गीत लिख डाला। गीत क्या मानो इश्तहार लिखा हो;
‘इक कुड़ी जिहदा नाम मुहब्बत ग़ुम है’
ओ साद मुरादी, सोहनी फब्बत
गुम है, गुम है, गुम है
ओ सूरत ओस दी, परियां वर्गी
सीरत दी ओ मरियम लगदी
हस्ती है तां फूल झडदे ने
तुरदी है तां ग़ज़ल है लगदी...
ये वहीँ गीत है जो फिल्म उड़ता पंजाब में इस्तेमाल हुआ और इस नए दौर में भी युवाओं की जुबा पर इस कदर चढ़ा कि मानो हर कोई बटालवी की महबूबा को ढूंढ़ते के लिए गा रहा हो। कहते है बटालवी का ये लड़कपन का प्यार अधूरा रहा क्यों कि एक बीमारी के चलते उस लड़की की मौत हो गयी। खैर ज़िंदगी बढ़ने का नाम है सो बटालवी भी अवसाद से निकलकर आगे बढ़ने लगे। फिर एक लड़की मिली और फिर शिव को उनसे मोहब्बत हो गई। पर इस मर्तबा भी अंजाम विरह ही था। दरअसल, जिसे शिव दिल ओ जान से मोहब्बत करते थे उसने किसी और का घर बसाया और शादी करके विदेश चली गयी। एक बार फिर शिव तनहा हुए और विरह के समुन्दर में गोते खाने लगे। तब शराब और अवसाद में डूबे शिव ने जो लिखा वो कालजयी हो गया ...........
माए नी माए मैं इक शिकरा यार बनाया
चूरी कुट्टाँ ताँ ओह खाओंदा नाहीं
वे असाँ दिल दा मास खवाया
इक उड़ारी ऐसी मारी
इक उड़ारी ऐसी मारी
ओह मुड़ वतनीं ना आया, ओ माये नी!
मैं इक शिकरा यार बना
शिकरा पक्षी दूर से अपने शिकार को देखकर सीधे उसका मांस नोंच कर फिर उड़ जाता है। शिव ने अपनी उस बेवफा प्रेमिका को शिकरा कहा। हालांकि वो लड़की कौन थी इसे लेकर तरह तरह की बातें प्रचलित है । पर इसके बारे में आधिकारिक रुप से आज तक कोई जानकारी नहीं है और ना वो ख़ुद ही कभी लोगों के सामने आई। शिव की उस बेवफा प्रेमिका के बारे में एक किस्सा अमृता प्रीतम ने भी बयां किया है।
शिव एक दिन अमृता प्रीतम के घर पहुंचे और उन्हें बताया कि जो लड़की उनसे इतनी प्यार भरी बातें किया करती थी वो उन्हें छोड़कर चली गयी है। उसने विदेश जाकर शादी कर ली है। अमृता प्रीतम ने उन्हें जिंदगी की हकीकत और फ़साने का अंतर समझाने का प्रत्यन किया पर शिव का मासूम दिल टूट चूका था। कहते है शिव उसके बाद ताउम्र उसी लड़की के ग़म में लिखते रहे। सिर्फ 24 साल की उम्र में शिव कुमार बटालवी की कविताओं का पहला संकलन "पीड़ां दा परागा" प्रकाशित हुआ, जो उन दिनों काफी चर्चित रहा। उसी दौर में शिव ने लिखा ........
अज्ज दिन चढ़ेया तेरे रंग वरगा
तेरे चुम्मण पिछली संग वरगा
है किरणा दे विच नशा जिहा
किसे चिम्मे सप्प दे दंग वरगा
आखिरकार, 1967 में बटालवी ने अरुणा से शादी कर ली और उनके साथ दो बेटियां हुई। शिव शादी के बाद चंडीगढ़ चले गये। वहां वे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत रहे। पर कहते है बटालवी उस लड़की को नहीं भूल नहीं सके और उसकी याद में लिखते गए।
की पुछ दे ओ हाल फ़कीरां दा
साडा नदियों बिछड़े नीरां दा
साडा हंज दी जूने आयां दा
साडा दिल जलया दिलगीरां दा
धीरे-धीरे, बटालवी शराब की दुसाध्य लत के चलते 7 मई 1973 को लीवर सिरोसिस के परिणामस्वरूप जग को अलविदा कह गए। कहते है कि जीवन के अंतिम दौर में उनकी माली हालत भी ठीक नहीं थी और अपने ससुर के घर उन्होंने अंतिम सांस ली। पर बटालवी जैसे शायर तो पुरानी शराब की तरह होते है, दौर भले बदले पर नशा वक्त के साथ गाढ़ा होता जाता है।
‘लूणा’ के लिए मिला साहित्य अकादमी पुरस्कार :
ऐसा नहीं है कि शिव कुमार बटालवी सिर्फ विरह के शायर थे। बटालवी का नाम साहित्य के गलियारों में बड़े अदब के साथ लिया जाता है। ऐसा हो भी क्यों ना इस दुनिया को अलविदा कहने से पहले वे ‘लूणा’ जैसा महाकाव्य लिख गए। इसी के लिए उन्हें सबसे कम उम्र में यानी महज 31 वर्ष की उम्र में साहित्य अकादमी पुरूस्कार भी मिला। ये सम्मान प्राप्त करने वाले वे सबसे कम उम्र के साहित्यकार है। ‘लूणा’ को पंजाबी साहित्य में ‘मास्टरपीस’ का दर्ज़ा प्राप्त है और साहित्य जगत में इसकी आभा बरक़रार है। कहा जाता था कि कविता हिंदी में है और शायरी उर्दू में। पर शिव ने जब पंजाबी में अपनी जादूगरी दिखाई तो उस दौर के तमाम हिंदी और उर्दू के बड़े बड़े शायर कवि हैरान रह गए।
नायाब गायकों ने गाये बटालवी के गीत :
बटालवी की नज्मों को सबसे पहले नुसरत फतेह अली खान ने अपनी आवाज दी थी। उस्ताद नुसरत फ़तेह अली खान ने उनकी कविता 'मायें नी मायें मेरे गीतां दे नैणां विच' को गाया था । जगजीत सिंह ने उनका एक गीत 'मैंनू तेरा शबाब ले बैठा' गाया तो दुनिया को पता चला की शब्दों की जादूगरी क्या होती है। नुसरत साहब और जगजीत सिंह - चित्रा सिंह के अलावा रबी शेरगिल, हंस राज हंस, दीदार सिंह परदेसी सहित एक से बढ़कर एक नायाब गायकों ने बटालवी की कविताएं गाई। उनकी लिखी रचनाओं को गाकर न जाने कितने गायक शौहरत पा गए। बटालवी आज भी हर दिल अजीज है। बटालवी और विरह जुदा नहीं । बटालवी तो आखिर बटालवी है।
29 व 30 जनवरी को होगा रोजगार मेले का आयोजन
दुबई के लिए 100 से ज्यादा सिक्योरिटी गार्ड के लिए होगा साक्षात्कार
होटल प्रबंधन में शेफ, कैटरिंग, हाउस कीपर, सर्विस-स्टाफ के लिए इंटरव्यू
पर्यटन निगम के अध्यक्ष कैबिनेट रैंक आरएस बाली ने कहा कि अब विदेशों में भी नगरोटा के युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस बाबत दुबई की कुछ कंपनियों के साथ हिमाचल सरकार ने करार किया है। उन्होंने कहा कि नगरोटा के आईपीएच के विश्राम गृह में 29 तथा 30 जनवरी को नगरोटा विस क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार मेला आयोजित किया जाएगा, इसमें दुबई की विभिन्न कंपनियों के लिए 100 से ज्यादा सिक्योरिटी गार्ड के पदों के लिए भर्ती की जाएगी। इसके साथ ही होटल प्रबंधन में शैफ, कैटरिंग, हाउस कीपर, सर्विस स्टाफ के पदों के लिए भी भर्ती की जाएगी।
आरएस बाली ने कहा कि युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि चुनावों से पहले रोजगार संघर्ष यात्रा भी नगरोटा बगबां से ही आरंभ की गई थी। उन्होंने कहा कि नगरोटा विस क्षेत्र में वर्ष में दो बार रोजगार मेले आयोजित किए जाएंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को घर द्वार पर रोजगार के अवसर मिल सकें। पर्यटन निगम के अध्यक्ष आरएस बाली ने कहा कि नगरोटा विस क्षेत्र में विकास पुरूष स्व जीएस बाली के जन्म दिन पर जुलाई माह में पहला दो दिवसीय रोजगार मेला आयोजित किया गया था जिसमें आयोजित रोजगार मेले के पहले दिन 670 युवाओं को नामी गिरामी कंपनियों में रोजगार के लिए चयनित किया गया। दूसरे दिन रोजगार मेले में 450 युवाओं का चयन किया था।
रोजगार मेले के समन्वयक अमित कुमार ने बताया कि पर्यटन निगम के अध्यक्ष कैबिनेट रैंक आरएस बाली तथा सरकार के अथक प्रयासों से दुबई की कंपनियों के साथ रोजगार के लिए करार किया गया है उसी के आधार पर 29 तथा 30 जनवरी को नगरोटा में दुबई की विभिन्न कंपनियों के लिए सिक्योरिटी गार्ड्स के लिए इंटरव्यू लिए जाएंगे इसमें 24 से 35 आयु वर्ग के युवा भाग ले सकते हैं, दस जमा दो उत्तीर्ण होना जरूरी है। न्यूनतम उंचाई पांच फुट सात इंच तथा वजन साठ किलो होना चाहिए। इस के लिए सैलरी 50 हजार से लेकर 70 हजार प्रतिमाह होगी तथा सिलेक्टिड अभ्यर्थियों को 15 दिन बिलासपुर तथा 15 दिन बाराणसी में प्रशिक्षण दिया जाएगा इसके साथ ही स्किल डिवल्पमेंट के तहत वीजा तथा हवाई टिकट भी सरकार की ओर से वहन किया जाएगा। इसके साथ ही होटल प्रबंधन में भी विभिन्न पदों के लिए साक्षात्कार लिए जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के महासचिव एवं सिस्को संस्था के अध्यक्ष महेश सिंह ठाकुर को जवाहर बाल मंच का राज्य मुख्य संयोजक नियुक्त किया गया है।
चीफ स्टेट कॉडिनेटर बनाए जाने पर महेश सिंह ठाकुर ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी,प्रदेश के सीएम सुखविन्दर सिंह सूक्खु , राष्ट्रीय प्रभारी केसी वेणुगोपाल,जवाहर बाल मंच के राष्टीय अध्यक्ष जी.वी. हरि. सहित अन्य नेताओं के प्रति आभार जताया है।
महेश ठाकुर ने कहा कि जवाहर बाल मंच का मुख्य उद्देश्य 7 वर्षों से लेकर 17 वर्ष के आयु के लड़के लड़कियां तक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के विचार को पहुंचना। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से मौजूदा सरकार के द्वारा देश के इतिहास के साथ छेड़छाड़ हो रहा है देश के युवाओं को भटकाया जा रहा है जो की देश के लिए एक बहुत बड़ा चिन्ता का विषय है कांग्रेस पार्टी ने इस विषय को गंभीरता से लिया और राहुल गांधी के निर्देश पर डॉ जीवी हरी के अध्यक्षता में देशभर में जवाहर बाल मंच के द्वारा युवाओं के बीच में नेहरू जी के विचारों को पहुंचाया जाएगा।
उन्होंने कहा वर्ष 2024 के चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत हासिल कर केंद्र से भाजपा को हटाने का काम करेगी। इसमें हिमाचल प्रदेश राज्य की भी प्रमुख भुमिका रहेगी।
उन्होंने कहा कि पूरे देश में महंगाई के कारण आमलोगों का जीना मुश्किल हो गया है। गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार पर इस महंगाई का व्यापक असर पड़ रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।
2024 के चुनावी भवसागर को पार करने के लिए भाजपा राम नाम की नौका पर सवार दिख रही है। भाजपा के सियासी उदय में राम नाम सदा साहरा रहा है। राम नाम लेकर ही भारतीय जनता पार्टी फर्श से अर्श तक पहुंच गई। 1984 में भाजपा ने अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था और महज 2 सीटों पर सिमट गई थी। वहीँ भाजपा आज देश की 300 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर राज करती है। अब लोकसभा चुनाव दस्तक दे चुके है और इस बीच अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठता के चलते देश में राम लहर चली है और माहिर मान रहे है भाजपा को इसका सियासी लाभ होना तय है।
यूँ तो भाजपा 1986 में लालकृष्ण आडवाणी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से ही हिन्दुत्त्व और राममंदिर के मुद्दे पर आक्रमक हो गई थी लेकिन औपचारिक तौर पर पार्टी ने राममंदिर बनाने का संकल्प लिया 1989 में हुई पालमपुर की राष्ट्रीय कार्यसमिति बैठक में। इन 35 सालों में भगवा दल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सर्वविदित है कि भारतीय जनता पार्टी के अतीत का संघर्ष लंबा है, जिसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जनसंघ से लेकर अटल बिहारी वाजपाई और लालकृष्ण आडवाणी का संघर्ष रहा है। शून्य से शिखर तक पहुंचने वाली भाजपा का सियासी सफर काफी कठिनाइयों वाला रहा है, लेकिन हर बार भाजपा के लिए राम नाम एक सहारा बना है।
जाहिर है मौजूदा वक्त में भी राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठता आयोजन ने देश का सियासी माहौल भी प्रभावित किया है। देश राम रंग में सराबोर हैं और राजनैतिक चश्मे से देखे तो भाजपा भी इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। दरअसल, ये गलत भी नहीं है क्यों कि राजनैतिक फ्रंट पर राम मंदिर निर्माण के संघर्ष की अगुआई भी भाजपा ने ही की है, सो श्रेय लेना राजनैतिक लिहाज से गलत भी नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा 'हिंदू नवजागरण काल' को एक बड़े मुद्दे के रूप में पेश करेगी और राम मंदिर इसका प्रतीक बनेगा। अब इसका कितना लाभ चुनाव में भाजपा को मिलेगा ये तो नतीजे तय करेंगे, पर निसंदेह राम मंदिर के जरिये बीजेपी ने देश के 80 प्रतिशत मतदाताओं को प्रभावित जरूर किया है।
दो वादे पुरे, समान नागरिक सहिंता शेष
भाजपा के तीन बड़े लक्ष्य रहे है, धारा 370 हटाना, राम मंदिर बनाना और समान नागरिक सहिंता लागू करना। ये कहना गलत नहीं होगा कि इन्हीं तीन वादों की बिसात पर भाजपा का काडर मजबूत हुआ। पार्टी ने हमेशा इन तीन विषयों पर खुलकर अपना पक्ष भी रखा और अपना वादा भी दोहराया। इनमें से भाजपा दो वादे पुरे कर चुकी है, कश्मीर से धारा 370 हटाई जा चुकी है और अब राम मंदिर का निर्माण भी हो गया है। अब सिर्फ समान नागरिक सहिंता लागू करने का भाजपा का वादा अधूरा है और पार्टी इसे लागू करने की प्रतिबद्धता दोहरा रही है।
400 सीट जीतने का लक्ष्य
भाजपा को उम्मीद है कि राम लहर के बीच वो आगामी चुनाव में 400 सीट का लक्ष्य हासिल करेगी। पार्टी राम मंदिर के अलावा लाभार्थी वोट और महिला आरक्षण की बिसात पर ऐतिहासिक बहुमत हासिल करना चाहती है। हालहीं में हिंदी पट्टी के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा को हिंदुत्व एजेंडा का लाभ मिला है जिसके बाद पार्टी का जोश हाई है।
अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम से कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने दूरी बनाई है। कांग्रेस का राम मंदिर में न जाने को लेकर कहना है कि यह चुनावी, राजनीतिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस का कार्यक्रम है। कांग्रेस का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और बीजेपी ने 22 जनवरी के कार्यक्रम को पूरी तरह से राजनीतिक और 'नरेंद्र मोदी फंक्शन' बना दिया है। यह चुनावी कार्यक्रम है और इसके जरिए चुनावी माहौल तैयार किया जा रहा है। जाहिर है राजनैतिक चश्मे से देखे तो राम मंदिर निर्माण का श्रेय बीजेपी को जाता है और बीजेपी भी इस भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। उधर, कांग्रेस को कहीं न कहीं अंदाजा है कि लोगों में दिख रहा उत्साह अगर वोट में तब्दील हुआ तो उसकी राह मुश्किल होगी। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस के पास फिलहाल कोई चारा नहीं है। हालांकि माहिर मान रहे है कि 22 जनवरी के बाद विपक्ष के कई बड़े चेहरे अयोध्या में शीश नवाते दिखेंगे।
विदित रहे कि कांग्रेस सांसद और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ-साथ सोनिया गांधी को भी राम मंदिर आने का न्योता दिया गया था। इसके साथ-साथ लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी को भी बुलावा भेजा गया था। हालांकि, तीनों ने समारोह में नहीं जाने का फैसला लिया है। कांग्रेस ने भाजपा पर इस समारोह को राजनीतिक रंग देने के आरोप लगाए हैं। पार्टी ने मुहूर्त पर सवाल खड़ा करने वाले शंकराचार्य के बयान को आधार बनाकर 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी का कहना है कि समारोह राष्ट्रीय एकजुटता के लिए होना चाहिए।
अयोध्या न जाने का फैसला लेने वाले कद्दावर नेताओं में शरद पवार का नाम भी शामिल है। उन्होंने कहा है कि 22 जनवरी के समारोह में अयोध्या में काफी भीड़ होगी। ऐसे में वे मंदिर निर्माण पूरा होने के बाद रामलला के दर्शन करेंगे। सपा चीफ अखिलेश यादव और दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल भी आयोजन में शामिल नहीं हो आरहे हैं। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी आयोजन में न जाने का निर्णय लिया हैं। इनके अलावा वाम दल के महासचिव सीताराम येचुरी सहित कई लेफ्ट के नेताओं ने भी आयोजन से दूरी बनाई है।
बीजेपी का तंज, कहीं जनता फिर कांग्रेस का बहिष्कार न कर दें !
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना हैं कि, " कांग्रेस ने नए संसद भवन और प्रधानमंत्री के संबोधन का बहिष्कार किया और लोगों ने उनका बहिष्कार कर दिया। अब उन्हें लगता है कि वे प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार कर सकते हैं लेकिन हो सकता है कि लोग उनका फिर से बहिष्कार कर दें। कांग्रेस और उसके गठबंधन सहयोगियों ने भगवान राम के अस्तित्व को नकारने और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। विपक्ष के नेता बयान दे रहे हैं और प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूरी बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें भगवान राम के सामने आखिरकार आत्मसमर्पण करना होगा। कई कांग्रेस नेता पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी की बात नहीं मान रहे और अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हो रहे हैं।"