मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश सचिवालय से राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना के तहत 20 ई-टैक्सियों को झंडी दिखाकर रवाना किया। इस योजना के तहत प्रदेश सरकार युवाओं को ई-टैक्सियों की खरीद पर 50% सब्सिडी प्रदान कर रही है। अब तक 59 युवाओं को 4.22 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा चुकी है, जबकि 61 अन्य लाभार्थियों को जल्द ही सब्सिडी जारी की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान कर उन्हें सरकारी कार्यालयों से जोड़ती है, जिससे पांच वर्षों के लिए स्थिर आय सुनिश्चित होती है। इसके साथ ही योजना में दो साल का विस्तार भी शामिल है, जो भविष्य में राज्य के वित्तीय बोझ को कम करने में मदद करेगा।
CM सुक्खू ने पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए कहा कि सरकार ई-वाहनों और ग्रीन हाइड्रोजन को प्रोत्साहन दे रही है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने का जरूरी कदम है। उन्होंने बताया कि सरकार युवाओं को सरकारी क्षेत्र में रोजगार के साथ-साथ स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध करा रही है।
प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम (HPSEDC) को भर्ती एजेंसी के रूप में लाइसेंस मिल चुका है, जिससे अब यह विभिन्न देशों के महावाणिज्य दूतावासों के साथ समझौते कर युवाओं को विदेशों में बेहतर वेतन वाले रोजगार के लिए प्रशिक्षित कर सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पहल से रोजगार के साथ-साथ शोषण को भी रोका जाएगा।
CM सुक्खू ने बताया कि सरकार ने सरकारी विभागों में बड़े सुधार किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा गुणवत्ता में 21वें से 5वें स्थान तक सुधार किया है। साथ ही, मेडिकल कॉलेजों में एम्स दिल्ली की तर्ज पर अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए भी कार्य चल रहा है। इस अवसर पर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह, विधायक हरीश जनारथा, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार नरेश चौहान समेत अन्य अधिकारी और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि मूसलाधार बारिश से प्रभावित मंडी जिले के सराज विधानसभा क्षेत्र में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। शिमला में मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि सरकार ने आपदा से क्षतिग्रस्त घरों वाले परिवारों को मासिक पाँच हजार रुपये किराया सहायता देने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री ने सराज क्षेत्र के उन लोगों से अपील की है जिनके मकान सुरक्षित हैं, वे अपने अतिरिक्त कमरों को प्रभावित परिवारों को किराये पर देकर उनकी मदद करें। उन्होंने जल्द ही प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने की भी बात कही।
सरकार द्वारा प्रभावित परिवारों को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है और इसके लिए अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। राहत कार्यों को सुगम बनाने के लिए खच्चरों के जरिए भी खाद्य सामग्री पहुंचाई जा रही है। कुछ रास्ते पुनः बहाल हो चुके हैं, जिससे बचाव कार्यों में तेजी आई है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि मौसम विभाग ने रविवार को रेड अलर्ट जारी किया है और सरकार पूरी तरह सतर्क है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री पहले ही प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं, वहीं लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी शनिवार से राहत एवं पुनर्वास कार्यों का जायजा लेंगे। सुक्खू ने कहा कि वे लगातार जिला प्रशासन के संपर्क में हैं और प्रभावित इलाकों की स्थिति पर अपडेट लेते रहेंगे।
लम्बे समय तक हिमाचल में भाजपा की राजनीति का केंद्र रहे समीरपुर में खुद भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा पहुंचे, तो सियासी हलचल मचना तो लाजमी था। ये कोई आम औपचारिक मुलाकात होती तो बात न होती, लेकिन बंद कमरे में जेपी नड्डा और प्रेम कुमार धूमल के बीच लगभग 35 मिनट गुफ्तगू हुई, तो सियासी गलियारों में चर्चा तो होनी ही थी। इस बारे में कोई अधिकारिक जानकारी तो बाहर नहीं आई, लेकिन इस मंत्रणा को को आगामी संगठनात्मक बदलावों और प्रदेश भाजपा की आगामी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।
दरअसल, हिमाचल प्रदेश में भाजपा को लगातार शिकस्त का सामना करना पड़ रहा है। 2021 के उपचुनाव से शुरू हुआ पराजय का रथ अब तक नहीं थमा। माहिर इसका एक बड़ा कारण धूमल कैंप की उपेक्षा मानते रहे है। वहीँ, बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष जो जेपी नड्डा दिल्ली तक फ़तेह कर गए, घर में उनके प्रभाव पर भी खूब सवाल उठे है। कभी धूमल कैबिनेट में मंत्री रहे नड्डा को भी इल्म है कि हिमाचल की राजनैतिक जमीन में धूमल के प्रभाव की जड़े बेहद गहरी है।
धूमल पार्टी के सच्चे और अनुशासित सिपाही रहे है, कभी खुलकर नाराजगी नहीं जताई लेकिन उनके ख़ास माने जाने वाले कई नेता एक एक कर दरकिनार दीखते है। बलदेव शर्मा हो, रमेश चंद ध्वाला, राम लाल मार्कण्डेय या वीरेंदर कँवर; पिछले साल उपचुनाव में इन तमाम नेताओं के टिकट काटे गए। उक्त तमाम सीटें भाजपा हारी। वहीँ धूमल के गृह क्षेत्र की सीट सुजानपुर में तो उनके शागिर्द कैप्टेन रंजीत सिंह राणा कांग्रेस के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंच गए। ये फेहरिस्त लम्बी है, और अब भी ऐसी कई सीटें ही जहाँ धूमल के निष्ठावान नेता दरकिनार दीखते है और बड़ा फर्क भी डाल सकते है। माहिर मानते है की नड्डा और धूमल की मुलकात में संभव है इसे लेकर भी चर्चा हुई हो। संभव है भाजपा मध्यम मार्ग अपनाती दिखे।
हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग के करीब 90 जूनियर इंजीनियर, एसडीओ और एक्सईएन को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।आरोप है कि कई इंजीनियरों ने सरकार की अनुमति के बगैर ही काम करवा दिए और पूरा होने के बाद ठेकेदारों को फायदा देने के लिए टेंडर भी लगा दिए। जबकि कुछ इंजीनियर ऐसे हैं, जिन्होंने विकास कार्यों में कोताही बरती है, तो कई ने समय पर काम पूरा नहीं किया है।
इन इंजीनियरों को 15 दिन के भीतर नोटिस का जवाब देने को कहा गया है। गड़बड़ी पाए जाने पर इन्हे चार्जशीट भी किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि सरकार को यह भी सूचना मिली है कि लोक निर्माण विभाग के कई इंजीनियर ठेकेदारों के साथ सांठगांठ कर रहे हैं।
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बताया किकार्यों में लापरवाही बरतने वाले लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों को नोटिस जारी किए गए हैं। प्रदेश सरकार सड़कों की गुणवत्ता पर ध्यान दे रही है। लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।
हिमाचल पुलिस कांस्टेबल भर्ती का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। मामले की सुनवाई न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने शुक्रवार को भर्ती में धांधली के आरोपों पर राज्य सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी किए हैं। अदालत ने सभी प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दायर करने को कहा है। याचिका में राज्य सरकार, डीजीपी, लोक सेवा आयोग, पुलिस अधीक्षक कांगड़ा सहित सीबीआई निदेशक को प्रतिवादी बनाया गया है।
याचिका में पुलिस कांस्टेबल परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र को चार-चार लाख रुपये में बेचने के गंभीर आरोप हैं। अदालत को याचिकाकर्ता ने बताया गया कि परीक्षा में बड़ा घोटाला किया गया है। पुलिस ने मामले में कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी किया है। याचिकाकर्ताओं ने इस मामले की जांच सीबीआई से करने की मांग की है।
विदित रहे कि हिमाचल में 15 जून को परीक्षा हुई थी। इसके लिए प्रदेश भर में कुल 18 परीक्षा केंद्र बनाए गई थे। अभ्यर्थियों ने परीक्षा से 2 दिन पहले 13 जून को ही प्रश्नपत्र लीक होने के आरोप लगाए थे। वहीँ चंबा में कुछ अभ्यर्थियों ने उपायुक्त से मिलकर भर्ती में धांधली के आरोप लगाते हुए जांच की मांग भी की थी।
बेघर हुए लोगों के लिए पांच हजार रुपये प्रति माह किराया का एलान
मंडी जिले के सराज क्षेत्र में बादल फटने से भारी तबाही के बीच राहत एवं बचाव कार्य के लिए अब सेना ने भी मोर्चा संभाल लिया है। थुनाग के साथ जंजैहली में भी भारी नुकसान हुआ है। कई घर ध्वस्त हो चुके हैं और कई लोग अब भी लापता है। शुक्रवार को बचाव दल ने थुनाग के डेजी गांव से 65 लोग रेस्क्यू किए हैं। ड्रोन से भी लापता लोगों की तलाश की जा रही है।
सराज क्षेत्र में बीते सोमवार की रात को कई जगह बादल फटने से 17 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 54 लोग अभी भी लापता हैं। आपदा से सड़कें, बिजली-पानी और दूरसंचार व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। शुक्रवार को सराज क्षेत्र में हेलिकॉप्टर से राशन की खेप पहुंचाई गई। इसमें राशन की 40 किट, 20 तिरपाल, पानी की 120 बोतलें, दो बॉक्स दवाएं और कपड़े थे। इसी बीच, मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने घर खो चुके लोगों के लिए पांच हजार रुपये प्रति माह किराया देने का एलान किया है।
कई मकान जमींदोज
प्राकृतिक आपदा ने सबसे अधिक थुनाग उपमंडल को नुकसान पहुंचाया है। जंजैहली के बूंगरैलचौक में 13 मकान बाढ़ की भेंट चढ़ गए, जबकि छह पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। उधर, गोहर उपमंडल स्यांज पंचायत के पंगलियूर गांव में स्कोली खड्ड में ड्रोन से भी बाढ़ में बहे लोगों की तलाश की जा रही है। इसी तरह धर्मपुर में आपदा से स्याठी गांव के 27 घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं, जबकि 11 को आंशिक नुकसान हुआ है। आपदा में गांव के 22 से अधिक परिवार प्रभावित हुए हैं। जोगिंद्रनगर उपमंडल की पिपली पंचायत में जमीन धंसने से बागला और पोहल गांव के करीब 20 रिहायशी मकानों के जमींदोज होने का खतरा पैदा हो गया है।
सीएम को गृह मंत्री से मिला मदद का आश्वासन
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में बादल फटने और भारी बारिश से हुए नुकसान की जानकारी उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को दे दी है। केंद्रीय टीम भी नुकसान का आकलन करने हिमाचल आ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बादल फटने से मंडी जिले के सराज, धर्मपुर, करसोग और सैंज क्षेत्र में लोगों के घरों समेत भूमि को व्यापक नुकसान पहुंचा है। इन क्षेत्रों में जिन लोगों के मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, अगर वे किराये के मकान में रहना चाहते हैं तो सरकार उन्हें 5,000 रुपये प्रतिमाह किराया देगी। साथ ही निशुल्क राशन भी पहुंचाया जा रहा है। मौसम साफ होते ही सेना के हेलिकाप्टर के माध्यम से मंडी के प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाई जाएगी।
पश्चिम बंगाल से रोजी रोटी की तलाश में आई सुष्मिता अब कभी अपने घर नहीं लौट पायेगी। न ही बिशन सिंह ताउम्र उस मनहूस रात को भूल पायेगा। सराज घाटी के निहरी को आपदा ने जो जख्म दिए हैं, वो शायद ही कभी भरे। इंसान लाश हो गए और घर मलबा। जो खुशकिस्मत थे बच गए , तो कई को तो शायद अंतिम संस्कार भी नसीब न हो। जो बच गए उनकी आँखों में अब खौफ है। उस मनहूस रात का भयावह चलचित्र न जाने कब तक उनके जहन में चलता रहेगा।
आपदा के दौरान मौत के मुंह से निकलकर उपचार के लिए जोनल अस्पताल मंडी पहुंचे बिशन सिंह को 30 जून की उस भयानक रात का वाक्या ज्यूँ का त्यूं याद है। चारों तरफ अंधेरा और आसमान से बरसती आफत। रात करीब साढ़े ग्यारह बजे बादल फटा था। घर के दूसरे किनारे बहने वाला नाला उफान पर था। घरों को खतरा देख बिशन सिंह , उनकी पत्नी जगदंबा देवी, पिता उत्तम शेट्टी, उनका बाचे पारस, तेजेंद्र, दामेश्वरनी और पश्चिम बंगाल से उनके पॉलीहाउस में मजदूरी करने आये दंपती 22 वर्षीय शरण और 20 वर्षीय सुष्मिताऊंचाई वाली जगह के लिए निकल पड़े।
इसी बीच भूस्खलन शुरू हो गया। बिशन सिंह और उनके पॉलीहाउस में काम करने वाली महिला मजदूर सुष्मिता पहाड़ी के मलबे के चपेट में आ गए और करीब 50 मीटर नीचे पहुंच गए। बिशन सिंह थोड़े खुशनसीब थे , उनके हाथ में एक पेड़ की टहनी आ गई। उसी टहनी को पकड़कर जैसे तैसे वो मनहूस रात गुजर गई। पर किस्मत ने सुष्मिता का साथ नहीं दिया। बिशन की आँखों के सामने वो नाले के तेज बहाव में बह गई। बेबस बिशन सिंह उसे मौत के आगोश में जाते देखता रहा, लेकिन बचा न सका।
सुबह हुई तो चारों तरफ मलबा पसरा था। बिशन की बाजू टूट चुकी थी और टांग में गहरी चोट लगी थी। किसी तरह जंगल के पथरीले और कंटीले रास्तों में रेंगता हुआ परिजनों तक पहुंचा। दो दिन भारी बारिश के चलते परिजनों के साथ रहा। फिर बुधवार को पड़ोसियों की मदद से एक कुर्सी पर बैठाकर किसी तरह उसे आयुर्वेदिक फार्मेसी निहरी पहुंचाया गया। इसके बाद वीरवार सुबह सात बजे करीब 30 किलोमीटर पैदल चलकर बगस्याड़ मुख्य सड़क तक पहुंचाया। जहाँ से निजी वाहन से वो क्षेत्रीय अस्पताल मंडी पहुंचा।
बेटा, पिता के कहने से बाहर या ‘गुड कॉप बैड कॉप’ गेमप्लान?
चंद्र कुमार बोले: "बेटा नौजवान है, उसकी पोस्ट्स को ज़्यादा सीरियसली न लें"
कल खबर आई कि सुक्खू सरकार पर 'चंद्र ग्रहण' लग सकता है, आज मालूम हुआ सियासी आसमान बिल्कुल साफ है !
चौधरी चंद्र कुमार और नीरज भारती, हिमाचल की सियासत में बाप बेटे की ये जोड़ी अक्सर सुर्खियों में रहती है। बीती रात नीरज भारती ऐलान करते हैं कि उनके पिताजी कल मंत्री पद से इस्तीफ़ा देंगे, हालांकि बाद में आश्वासन मिलने का ऐलान भी कर देते हैं। सवाल उठे, बवाल मचा और आज खुद मंत्री चौधरी चंद्र कुमार मीडिया से मुखातिब हुए, डैमेज कंट्रोल किया गया और चौधरी साहब ने कहा कि "बेटा नौजवान है, आवेश में आकर बातें कह देता है.. उसकी पोस्ट्स को ज़्यादा सीरियसली न लें।"
अब यहां थोड़ी असमंजस है। जनता और पार्टीजन सब कंफ्यूज हैं, सवाल उठना लाजमी है कि यह असली नाराज़गी है या कोई स्क्रिप्टेड सियासी प्लॉट ? क्या वाकई बाप बेटे के बीच संवाद की कमी है ? क्या वाकई बेटा पिता के कहने से बाहर है, या फिर ये सब एक सोची समझी 'प्रेशर पॉलिटिक्स' है? कुछ सियासी पंडितों को तो यह ‘गुड कॉप बैड कॉप’ का गेमप्लान लगता है, जहां एक नेता सरकार की नब्ज़ पर उंगली रखता रहता है और दूसरा सब बढ़िया है कहकर माहौल लाइट कर देता है। खैर जो भी है, ये तो ये दोनों बेहतर जानते हैं, लेकिन जो बात जहां तक पहुंचनी चाहिए, पहुंच ही जाती है।
खैर, मौजूदा प्रकरण में क्या हुआ, अब आपको वो बताते हैं।
रविवार शाम, पूर्व सीपीएस नीरज भारती ने फेसबुक पर ताबड़तोड़ पोस्टों की बौछार कर दी। पहली पोस्ट में उन्होंने लिखा:
"कल चौधरी चंद्र कुमार इस्तीफ़ा देंगे। अगर काम दलालों के होंगे तो फिर मंत्री रहकर क्या फ़ायदा?"
इसके कुछ घंटे बाद उन्होंने दूसरा पोस्ट किया:
"फिलहाल चौधरी साहब को आश्वासन मिल गया है। कल मुख्यमंत्री से बातचीत होगी, फिर देखा जाएगा।"
नीरज भारती यहीं नहीं रुके। अगली पोस्ट में उन्होंने तीखे लहजे में सवाल उठाया:
"वो कहते हैं कि मैंने अपने पिता से कह दिया है कि भाजपाइयों के ही काम होने हैं तो आप इस्तीफ़ा दे दो मंत्री पद से, विधायक बेशक बने रहो। या फिर अपने विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं से पूछ लो कि विधायक भी रहना है या नहीं। अगर हमारी ही सरकार में कुछ दलाल पैसे लेकर भाजपाइयों के काम करवा रहे हैं और आप चुप हैं... तो इस्तीफ़ा देना ही बेहतर है।"
इन पोस्ट्स ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया, लेकिन खुद चौधरी चंद्र कुमार ने सभी अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा: "इस्तीफ़ा देने की कोई नौबत नहीं है। मामला केवल कुछ ट्रांसफरों को लेकर था, जिन्हें मैं व्यक्तिगत रूप से करने से परहेज़ करता हूं।"
उन्होंने नीरज की पोस्ट्स पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा: "वो नौजवान हैं, कुछ बातें उन्हें आहत कर देती हैं। इन बातों को ज़्यादा सीरियसली न लें। मुख्यमंत्री से मेरी बातचीत होगी और मसले हल कर लिए जाएंगे।"
वैसे आपको याद दिला दें कि वही चौधरी चंद्र कुमार हैं जिन्होंने संगठन गठन पर हो रहे विलंब को लेकर सबसे पहले पार्टी को आइना दिखाया था, संगठन को 'पैरालाइज़्ड' कहा था। अलबत्ता, इस बार मोर्चा नीरज ने संभाला हो लेकिन नाराज़गी तो चंद्र कुमार की भी झलकती रही है। लब्बोलुआब ये है कि भले ही सरकार की सेहत को इससे कोई खतरा न हो, लेकिन 'ऑल इज़ नॉट वेल इन कांग्रेस' ! कांग्रेस सरकार के रहते काम किसके हो रहे हैं और किसके नहीं,ये तो सवाल है ही।
पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने साल 2021 में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की थी। मोदी के नेतृत्व में ही 2021-2022 से 2025-2026 तक 5 वर्षों के लिए 1,600 करोड़ रुपये की डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम बनाने के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शुरू किया गया था। इसकी वजह से पीएम मोदी के गारंटी का भी असर देखने को साफ मिला और इस योजना के तहत 29 फरवरी, 2024 तक 56.67 करोड़ लोगों के आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में भी प्रगति की है। 29 फरवरी, 2024 तक, 27.73 करोड़ महिलाएं और 29.11 करोड़ पुरुषों को आभा कार्ड से लाभ हुआ है। वहीं 34.89 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य दस्तावेजों को इससे जोड़ा गया है।
क्या है आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य देश में यूनिफाइड डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की मदद करने के लिए जरूरी आधार तैयार करना है। इससे सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता खोलने के लिए ऑफलाइन मोड को मदद पहुंचती है। इसके अलावा भारत सरकार ने स्वास्थ्य सुविधा के लिए आभा ऐप और आरोग्य सेतु जैसे विभिन्न एप्लिकेशन भी लॉन्च किए गए हैं, जो आम लोगों को मदद पहुंचाती है। आभा ऐप एक प्रकार का डिजिटल स्टोरेज है, जो किसी भी व्यक्ति के मेडिकल दस्तावेजों का रखने का काम आता है। इस ऐप के जरिए मरीज रजिस्टर्ड स्वास्थ्य पेशेवरों से संपर्क भी कर सकते हैं।
भारत में बीजेपी की मोदी सरकार ने बीते 10 सालों के अपनी सरकार में कई सारे मील के पत्थर हासिल किया है। इन 10 सालों में पीएम मोदी के विजन ने भारत को अगले 23 साल बाद यानी साल 2047 तक विकसित भारत बनाने के ओर मजबूती से कदम भी बढ़ा लिया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने देश के हित में जो भी फैसले लिए है, उनमें से हेल्थ सेक्टर को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का प्रयास किया गया है।
प्रदेश में विद्यार्थियों की कम संख्या वाले 618 स्कूल बंद, मर्ज और डाउन ग्रेड होंगे। शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंजूरी दे दी है। प्रदेश में विद्यार्थियों की शून्य संख्या वाले 103 स्कूल बंद होंगे। दस बच्चों की संख्या वाले 443 स्कूल मर्ज किए जाएंगे और 75 स्कूलों का दर्जा घटाया जाएगा। मर्ज होने वाले स्कूलों के विद्यार्थियों का चार से पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले अधिक दाखिलों वाले स्कूलों में समायोजन किया जाएगा। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने बताया कि मुख्यमंत्री से मंजूरी मिल गई है और विभाग जल्द इस की अधिसूचना जारी करेगा।
वही 618 स्कूल मर्ज, डाउन ग्रेड और बंद करने से 1,120 शिक्षक सरप्लस होंगे। इन शिक्षकों को अन्य आवश्यकता वाले स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा। विद्यार्थियों की शून्य संख्या वाले 72 प्राइमरी, 28 मिडल और 3 उच्च स्कूल डिनोटिफाई (बंद) करने का फैसला लिया गया। 203 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या पांच से उससे कम है। इन स्कूलों को दो किलोमीटर के दायरे में आने वाले अन्य स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। पांच से कम विद्यार्थियों की संख्या वाले 142 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जिनके दाे किलोमीटर के दायरे में अन्य स्कूल नहीं हैं। इन्हें तीन किलाेमीटर की दूरी पर मर्ज किया जाएगा। 92 मिडल स्कूलों में दस या उससे कम विद्यार्थी हैं, इन्हें तीन किमी, बीस विद्यार्थियों की संख्या वाले सात हाई स्कूलों को चार किलोमीटर के दायरे में मर्ज किया जाएगा। विद्यार्थियों की कम संख्या वाले 75 उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों का दर्जा कम किया जाएगा।
रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में 100 विद्यार्थियों की संख्या वाले कॉलेजों को भी मर्ज किया जाएगा। जनजातीय और दुर्गम क्षेत्रों में स्थित कॉलेजों के लिए विद्यार्थियों की संख्या 75 रखी गई है। कई कॉलेजों में बीते कुछ वर्षों से नामांकन बहुत कम हो रहे हैं। ऐसे कॉलेजों को आगे चलाना अब आसान नहीं है। ऐसे में शिक्षा निदेशालय से कॉलेज मर्ज करने के लिए प्रस्ताव मांगा गया है।
बीसीसीआई द्वारा इंडियन प्रीमियर लीग के 18वें सीजन आईपीएल-2025 के शैड्यूल का ऐलान कर दिया गया है। एचपीसीए स्टेडियम धर्मशाला को 3 आईपीएल मैचों की मेजबानी करने का मौका मिला है। धर्मशाला स्टेडियम में 4 मई को पंजाब किंग्स की टीम लखनऊ सुपर जायंट्स के साथ अपना लीग मैच खेलेगी, जबकि 8 मई को पंजाब का मुकाबला दिल्ली कैपिटल्स के साथ होगा। ये दोनों ही मुकाबले शाम साढ़े 7 बजे शुरू होंगे। वहीं 11 मई को दोपहर साढ़े 3 बजे पंजाब की टीम मुंबई इंडियंस के खिलाफ स्टेडियम में उतरेगी।
आईपीएल चेयरमैन अरुण धूमल ने बीते दिनों बिलासपुर में आयोजित सांसद खेल महाकुंभ के शुभारंभ पर ही धर्मशाला स्टेडियम को आईपीएल के 3 मैचों की मेजबानी के संकेत दे दिए थे। अब इस पर आधिकारिक मुहर लग चुकी है।
आईपीएल 2024 में धर्मशाला को मिले थे दो मैच
वर्ष 2024 में धर्मशाला में पंजाब किंग्स की टीम के दो मैच चेन्नई सुपर किंग्स और रायल चैलेंजर बेंगलुरु से हुए थे। पहला मुकाबला पांच मई को भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स के साथ हुआ था। नौ मई को पंजाब का मुकाबला आरसीबी के साथ खेला गया था।
नीम करोली बाबा के आश्रम में स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शान्ति
भारत में कई ऐसे पावन तीर्थ हैं, जहां पर श्रद्धा एवं भक्ति के साथ जाने मात्र से व्यक्ति के समस्त मनोरथ पूरे हो जाते हैं। ऐसा ही एक पावन तीर्थ देवभूमि उत्तराखंड की वादियों में है, जिसे लोग 'कैंची धाम' के नाम से जानते हैं। कैंची धाम के नीब करौरी बाबा (नीम करौली) की ख्याति विश्वभर में है। नैनीताल से लगभग 65 किलोमीटर दूर कैंची धाम को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता। यहां पर हर मन्नत पूर्णतया फलदायी होती है। यही कारण है कि देश-विदेश से हज़ारों लोग यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं। बाबा के भक्तों में एक आम आदमी से लेकर अरबपति-खरबपति तक शामिल हैं। बाबा के इस पावन धाम में होने वाले नित-नये चमत्कारों को सुनकर दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में बाबा नीब करौरी के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। इनके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं। कुछ माह पूर्व स्टार क्रिकेटर विराट कोहली और उनकी पत्नी और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के यहां पहुंचते ही इस धाम को देखने और बाबा के दर्शन करने वालों की होड़ सी लग गई।
1964 में बाबा ने की थी आश्रम की स्थापना
नीम करोली बाबा या नीब करोली बाबा की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में की जाती है। इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। कैंची, नैनीताल, भुवाली से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बाबा नीब करौरी ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा नीम करौरी 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया। इस धाम को कैंची मंदिर, नीम करौली धाम और नीम करौली आश्रम के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में बसा एक छोटा सा आश्रम है नीम करोली बाबा आश्रम। मंदिर के आंगन और चारों ओर से साफ सुथरे कमरों में रसीली हरियाली के साथ, आश्रम एक शांत और एकांत विश्राम के लिए एकदम सही जगह प्रस्तुत करता है। यहाँ कोई टेलीफोन लाइनें नहीं हैं, इसलिए किसी को बाहरी दुनिया से परेशान नहीं किया जा सकता है। श्री हनुमान जी के अवतार माने जाने वाले नीम करोरी बाबा के इस पावन धाम पर पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन हर साल 15 जून को यहां पर एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन होता है। यहां इस दिन इस पावन धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है।
कई चमत्कारों के किस्से सुन खींचे आते है भक्त
मान्यता है कि बाबा नीम करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। बाबा नीब करौरी के इस पावन धाम को लेकर तमाम तरह के चमत्कार जुड़े हैं। जनश्रुतियों के अनुसार, एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो वह जल घी में बदल गया। ऐसे ही एक बार बाबा नीब करौरी महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचवाया। ऐसे न जाने कितने किस्से बाबा और उनके पावन धाम से जुड़े हुए हैं, जिन्हें सुनकर लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं।
बाबा के दुनियाभर में 108 आश्रम
बाबा नीब करौरी को कैंची धाम बहुत प्रिय था। अक्सर गर्मियों में वे यहीं आकर रहते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। उस मन्दिर में हनुमान की मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। यहां बाबा नीब करौरी की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है। बाबा नीब करौरी महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम तथा अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है।
स्टीव जॉब्स को आश्रम से मिला एप्पल के लोगो का आईडिया !
भारत की धरती सदा से ही अध्यात्म के खोजियों को अपनी ओर खींचती रही है। दुनिया की कई बड़ी हस्तियों में भारत भूमि पर ही अपना सच्चा आध्यात्मिक गुरु पाया है। एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स 1974 से 1976 के बीच भारत भ्रमण पर निकले। वह पर्यटन के मकसद से भारत नहीं आए थे, बल्कि आध्यात्मिक खोज में यहां आए थे। उन्हें एक सच्चे गुरु की तलाश थी।स्टीव पहले हरिद्वार पहुंचे और इसके बाद वह कैंची धाम तक पहुंच गए। यहां पहुंचकर उन्हें पता लगा कि बाबा समाधि ले चुके हैं। कहते है कि स्टीव को एप्पल के लोगो का आइडिया बाबा के आश्रम से ही मिला था। नीम करौली बाबा को कथित तौर पर सेब बहुत पसंद थे और यही वजह थी कि स्टीव ने अपनी कंपनी के लोगों के लिए कटे हुए एप्पल को चुना। हालांकि इस कहानी की सत्यता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।
जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शांति, शीर्ष पर पहुंचा फेसबुक
बाबा से जुड़ा एक किस्सा फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने 27 सितंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बताया था, तब पीएम मोदी फेसबुक के मुख्यालय में गए थे। इस दौरान जुकरबर्ग ने पीएम को भारत भ्रमण की बात बताई। उन्होंने कहा कि जब वे इस संशय में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने इन्हें भारत में नीम करोली बाबा के स्थान पर जाने की सलाह दी थी। जुकरबर्ग ने बताया था कि वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान वह नीम करोली बाबा के मंदिर में भी गए थे। जुकरबर्ग आए तो यहां एक दिन के लिए थे, लेकिन मौसम खराब हो जाने के कारण वह यहां दो दिन रुके थे। जुकरबर्ग मानते हैं कि भारत में मिली अध्यात्मिक शांति के बाद उन्हें फेसबुक को नए मुकाम पर ले जाने की ऊर्जा मिली।
बाबा की तस्वीर को देख जूलिया ने अपनाया हिन्दू धर्म
हॉलिवुड की मशहूर अदाकारा जूलिया रॉबर्ट्स ने 2009 में हिंदू धर्म अपना लिया था। वह फिल्म ‘ईट, प्रे, लव’ की शूटिंग के लिए भारत आईं थीं। जूलिया रॉबर्ट्स ने एक इंटरव्यू में यह खुलासा किया था कि वह नीम करौली बाबा की तस्वीर से इतना प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने हिन्दू धर्म अपनाने का फैसला कर डाला। जूलिया इन दिनों हिन्दू धर्म का पालन कर रही हैं।
क्या आपने कभी कल्पना की है कि कहीं ऐसा स्थान भी हो सकता है, जहां सृष्टि के अंत का रहस्य छिपा हो? कोई ऐसा मंदिर, जहां चारों धामों के दर्शन एक ही स्थान पर संभव हों? उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर मंदिर ऐसा ही एक रहस्यमयी और दिव्य स्थल है, जो हर भक्त को आस्था, रहस्य और आध्यात्मिकता की गहराइयों से जोड़ता है। यह मंदिर एक गुफा के भीतर स्थित है, जिसे प्राचीन काल से चमत्कारी और गूढ़ माना गया है। गुफा में प्रवेश करते ही ऐसा लगता है मानो आप किसी अद्भुत आध्यात्मिक संसार में प्रवेश कर चुके हों। मान्यता है कि यहां भगवान शिव के साथ-साथ 33 कोटि देवी-देवताओं का वास है। यहां स्थित भगवान गणेश का कटा हुआ मस्तक स्वयं में एक रहस्य है, जो इस स्थान की अलौकिकता को और भी गहरा बनाता है।
यहां स्थित शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि वह निरंतर बढ़ रहा है, और जिस दिन वह गुफा की छत से टकराएगा, उस दिन प्रलय होगा। यह धारणा श्रद्धालुओं को एक अकल्पनीय आध्यात्मिक अनुभव और चेतना की गहराई से जोड़ती है।गुफा के भीतर चार रहस्यमयी द्वार मानव जीवन के चार प्रमुख पड़ावों का प्रतीक माने जाते हैं। कहा जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद पाप द्वार और महाभारत युद्ध के बाद रण द्वार बंद हो गए। अब केवल धर्म द्वार और मोक्ष द्वार खुले हैं, जो जीवन के सत्य और मोक्ष के मार्ग की ओर संकेत करते हैं। पौराणिक इतिहास की दृष्टि से इस मंदिर का उल्लेख त्रेता युग में मिलता है। सूर्य वंश के राजा ऋतुपर्ण ने सबसे पहले इस गुफा की खोज की थी। कहा जाता है कि पांडवों ने भी यहां भगवान शिव के साथ चौपड़ खेला था। बाद में 819 ईस्वी में जगत गुरु शंकराचार्य ने इस स्थल की पुनः खोज की और यहां पूजा आरंभ की।
कैसे पहुंचे पाताल भुवनेश्वर?
यह दिव्य स्थल पिथौरागढ़ से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है, जबकि सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर है। सड़क मार्ग से यह स्थान सुगम रूप से जुड़ा हुआ है और उत्तराखंड के खूबसूरत पर्वतीय रास्तों से होकर गुज़रता है, जो यात्रा को और भी आनंददायक बना देता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि रहस्य और आध्यात्मिकता के अनूठे संगम के कारण भी यह स्थल भक्तों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पाताल भुवनेश्वर की इस अद्भुत गुफा में जाकर आप स्वयं उस दिव्यता और रहस्यमय ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं, जो सदियों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती आ रही है।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश सचिवालय से राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना के तहत 20 ई-टैक्सियों को झंडी दिखाकर रवाना किया। इस योजना के तहत प्रदेश सरकार युवाओं को ई-टैक्सियों की खरीद पर 50% सब्सिडी प्रदान कर रही है। अब तक 59 युवाओं को 4.22 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा चुकी है, जबकि 61 अन्य लाभार्थियों को जल्द ही सब्सिडी जारी की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान कर उन्हें सरकारी कार्यालयों से जोड़ती है, जिससे पांच वर्षों के लिए स्थिर आय सुनिश्चित होती है। इसके साथ ही योजना में दो साल का विस्तार भी शामिल है, जो भविष्य में राज्य के वित्तीय बोझ को कम करने में मदद करेगा।
CM सुक्खू ने पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए कहा कि सरकार ई-वाहनों और ग्रीन हाइड्रोजन को प्रोत्साहन दे रही है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने का जरूरी कदम है। उन्होंने बताया कि सरकार युवाओं को सरकारी क्षेत्र में रोजगार के साथ-साथ स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध करा रही है।
प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम (HPSEDC) को भर्ती एजेंसी के रूप में लाइसेंस मिल चुका है, जिससे अब यह विभिन्न देशों के महावाणिज्य दूतावासों के साथ समझौते कर युवाओं को विदेशों में बेहतर वेतन वाले रोजगार के लिए प्रशिक्षित कर सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पहल से रोजगार के साथ-साथ शोषण को भी रोका जाएगा।
CM सुक्खू ने बताया कि सरकार ने सरकारी विभागों में बड़े सुधार किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा गुणवत्ता में 21वें से 5वें स्थान तक सुधार किया है। साथ ही, मेडिकल कॉलेजों में एम्स दिल्ली की तर्ज पर अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए भी कार्य चल रहा है। इस अवसर पर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह, विधायक हरीश जनारथा, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार नरेश चौहान समेत अन्य अधिकारी और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
हाल ही में अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे के ठीक बाद, एअर इंडिया को एक और चुनौती का सामना करना पड़ा जब फुकेट से दिल्ली आ रही उसकी एक फ्लाइट (AI-379) में बम होने की सूचना के बाद फुकेट इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आपात लैंडिंग कराई गई। विमान में सवार सभी 156 यात्री और चालक दल के सदस्य सुरक्षित बताए जा रहे हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने फ्लाइट ट्रैकर 'फ्लाइट्रेडर24' के हवाले से बताया कि एअर इंडिया की इस फ्लाइट ने फुकेट एयरपोर्ट से भारतीय समयानुसार सुबह 9.30 बजे (स्थानीय समयानुसार दोपहर 2.30 बजे) उड़ान भरी थी। हालांकि, बम की धमकी मिलने के बाद विमान ने अंडमान सागर के ऊपर एक बड़ा चक्कर लगाया और लगभग 20 मिनट बाद सुरक्षित रूप से फुकेट में ही आपात लैंडिंग कर ली। सभी यात्रियों और क्रू सदस्यों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है।
'नेशन थाईलैंड' की रिपोर्ट के अनुसार, बम की धमकी मिलते ही फुकेट एयरपोर्ट ने तुरंत अपना एयरपोर्ट कंटिन्जेंसी प्लान (ACP) सक्रिय कर दिया। एयरपोर्ट अधिकारियों ने कहा कि धमकी को लेकर सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं और विस्तृत जानकारी मिलने पर अपडेट दिया जाएगा। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब एअर इंडिया पहले से ही अहमदाबाद में हुए दुखद विमान हादसे के बाद सुर्खियों में है।
कल अहमदाबाद विमान हुआ था हादसा
यह उल्लेखनीय है कि एयर इंडिया का विमान AI-171, जो 12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भर रहा था, टेक-ऑफ के दो मिनट बाद ही क्रैश हो गया था। यह विमान अहमदाबाद के बी.जे. मेडिकल कॉलेज हॉस्टल पर गिरा था, जहां उस समय 50 से अधिक लोग मौजूद थे। इस भीषण हादसे में अब तक 265 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। इनमें से 241 मृतक विमान में सवार यात्री और क्रू मेंबर्स थे, जबकि 5 शव उस मेडिकल हॉस्टल से मिले हैं जिस पर विमान गिरा था। हॉस्टल में मारे गए लोगों में 4 एमबीबीएस छात्र और एक डॉक्टर की पत्नी शामिल हैं। दुर्घटनाग्रस्त हुए बोइंग 787 ड्रीमलाइनर फ्लाइट AI-171 में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक सहित कुल 230 यात्री सवार थे। इनमें 103 पुरुष, 114 महिलाएं, 11 बच्चे और 2 नवजात शामिल थे, जबकि 12 क्रू मेंबर्स थे। दुखद रूप से, इस हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल थे, जबकि चमत्कारिक रूप से केवल एक यात्री की जान बच पाई थी।
पांगी - हिमाचल की सबसे खतरनाक सड़क से जुड़ा गांव
**सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा - यहाँ हर व्यवस्था बेहाल
**आरोप : HRTC बस ड्राइवर करते है मनमर्ज़ी, डिपू से नहीं मिलता पूरा राशन
**सड़क बंद हो तो कंधे पर उठा कर ले जाते है मरीज़
**मुख्यमंत्री के दौरे के बाद जगी उम्मीद
वसीम बरेलवी उर्दू के बेहद लोकप्रिय शायर हैं। उनकी ग़ज़लें बेहद मक़बूल हैं जिन्हें जगजीत सिंह से लेकर कई अजीज़ गायकों ने अपनी आवाज़ दी है। वसीम बरेलवी अपनी शायरी और गजल के जरिए लाखों दिलों पर राज करते हैं। कोई भी मुशायरा उनके बगैर पूरा नहीं माना जाता।
18 फरवरी 1940 को वसीम बरेलवी का जन्म बरेली में हुआ था। पिता जनाब शाहिद हसन के रईस अमरोहवी और जिगर मुरादाबादी से बहुत अच्छे संबंध थे। दोनों का आना-जाना अक्सर उनके घर पर होता रहता था। इसी के चलते वसीम बरेलवी का झुकाव बचपन से शेर-ओ-शायरी की ओर हो गया। वसीम बरेलवी ने अपनी पढ़ाई बरेली के ही बरेली कॉलेज से की। उन्होंने एमए उर्दू में गोल्ड मेडल हासिल किया। बाद में इसी कॉलेज में वो उर्दू विभाग के अध्यक्ष भी बने। 60 के दशक में वसीम बरेलवी मुशायरों में जाने लगे। आहिस्ता आहिस्ता ये शौक उनका जुनून बन गया। पेश हैं उनके कुछ चुनिंदा शेर
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है
ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं
तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी
ग़म और होता सुन के गर आते न वो 'वसीम'
अच्छा है मेरे हाल की उन को ख़बर नहीं
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों से
कहीं हयात इसी फ़ासले का नाम न हो
कुछ है कि जो घर दे नहीं पाता है किसी को
वर्ना कोई ऐसे तो सफ़र में नहीं रहता
उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता
वो मेरे सामने ही गया और मैं
रास्ते की तरह देखता रह गया
अपने अंदाज़ का अकेला था
इसलिए मैं बड़ा अकेला था
जयसिंहपुर विधानसभा के अंतर्गत आने वाले लोअर लंबागांव की अलीशा ने हिमाचल प्रदेश एलाइड सर्विसेज की परीक्षा पास कर प्रदेश का नाम रोशन किया है । अलीशा का चयन ऑडिट इंस्पेक्टर के पद हुआ है। अलीशा ने बाहरवीं ऐम अकादमी सीनियर सेकेंडरी स्कूल जयसिंहपुर से की है।
उसके बाद अलीशा ने गवर्नमेंट डिग्री कालेज धर्मशाला से ग्रेजुएशन की । अलीशा के पिता सुमन कुमार हिमाचल पुलिस में कार्यरत हैं और माता स्नेहलता गृहिणी हैं। अलीशा के पिता सुमन कुमार ने बेटी की उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि यह परिवार के लिए गौरव का क्षण है। वही अलीशा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता व गुरुजनों को दिया है।
हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के महासचिव एवं सिस्को संस्था के अध्यक्ष महेश सिंह ठाकुर को जवाहर बाल मंच का राज्य मुख्य संयोजक नियुक्त किया गया है।
चीफ स्टेट कॉडिनेटर बनाए जाने पर महेश सिंह ठाकुर ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी,प्रदेश के सीएम सुखविन्दर सिंह सूक्खु , राष्ट्रीय प्रभारी केसी वेणुगोपाल,जवाहर बाल मंच के राष्टीय अध्यक्ष जी.वी. हरि. सहित अन्य नेताओं के प्रति आभार जताया है।
महेश ठाकुर ने कहा कि जवाहर बाल मंच का मुख्य उद्देश्य 7 वर्षों से लेकर 17 वर्ष के आयु के लड़के लड़कियां तक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के विचार को पहुंचना। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से मौजूदा सरकार के द्वारा देश के इतिहास के साथ छेड़छाड़ हो रहा है देश के युवाओं को भटकाया जा रहा है जो की देश के लिए एक बहुत बड़ा चिन्ता का विषय है कांग्रेस पार्टी ने इस विषय को गंभीरता से लिया और राहुल गांधी के निर्देश पर डॉ जीवी हरी के अध्यक्षता में देशभर में जवाहर बाल मंच के द्वारा युवाओं के बीच में नेहरू जी के विचारों को पहुंचाया जाएगा।
उन्होंने कहा वर्ष 2024 के चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत हासिल कर केंद्र से भाजपा को हटाने का काम करेगी। इसमें हिमाचल प्रदेश राज्य की भी प्रमुख भुमिका रहेगी।
उन्होंने कहा कि पूरे देश में महंगाई के कारण आमलोगों का जीना मुश्किल हो गया है। गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार पर इस महंगाई का व्यापक असर पड़ रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।
लम्बे समय तक हिमाचल में भाजपा की राजनीति का केंद्र रहे समीरपुर में खुद भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा पहुंचे, तो सियासी हलचल मचना तो लाजमी था। ये कोई आम औपचारिक मुलाकात होती तो बात न होती, लेकिन बंद कमरे में जेपी नड्डा और प्रेम कुमार धूमल के बीच लगभग 35 मिनट गुफ्तगू हुई, तो सियासी गलियारों में चर्चा तो होनी ही थी। इस बारे में कोई अधिकारिक जानकारी तो बाहर नहीं आई, लेकिन इस मंत्रणा को को आगामी संगठनात्मक बदलावों और प्रदेश भाजपा की आगामी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।
दरअसल, हिमाचल प्रदेश में भाजपा को लगातार शिकस्त का सामना करना पड़ रहा है। 2021 के उपचुनाव से शुरू हुआ पराजय का रथ अब तक नहीं थमा। माहिर इसका एक बड़ा कारण धूमल कैंप की उपेक्षा मानते रहे है। वहीँ, बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष जो जेपी नड्डा दिल्ली तक फ़तेह कर गए, घर में उनके प्रभाव पर भी खूब सवाल उठे है। कभी धूमल कैबिनेट में मंत्री रहे नड्डा को भी इल्म है कि हिमाचल की राजनैतिक जमीन में धूमल के प्रभाव की जड़े बेहद गहरी है।
धूमल पार्टी के सच्चे और अनुशासित सिपाही रहे है, कभी खुलकर नाराजगी नहीं जताई लेकिन उनके ख़ास माने जाने वाले कई नेता एक एक कर दरकिनार दीखते है। बलदेव शर्मा हो, रमेश चंद ध्वाला, राम लाल मार्कण्डेय या वीरेंदर कँवर; पिछले साल उपचुनाव में इन तमाम नेताओं के टिकट काटे गए। उक्त तमाम सीटें भाजपा हारी। वहीँ धूमल के गृह क्षेत्र की सीट सुजानपुर में तो उनके शागिर्द कैप्टेन रंजीत सिंह राणा कांग्रेस के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंच गए। ये फेहरिस्त लम्बी है, और अब भी ऐसी कई सीटें ही जहाँ धूमल के निष्ठावान नेता दरकिनार दीखते है और बड़ा फर्क भी डाल सकते है। माहिर मानते है की नड्डा और धूमल की मुलकात में संभव है इसे लेकर भी चर्चा हुई हो। संभव है भाजपा मध्यम मार्ग अपनाती दिखे।