Chief Minister Jairam Thakur said that as many as three companies of NDRF were rushed to the spot to ensure immediate rescue operation. The state government provided state helicopter to airlift the NDRF team with latest equipments from Suni. During his visit to the spot at Kumarhatti, CM clarified that there was no negligence in moving NDRF to the accident site. A Hotel building collapsed on Sunday evening in which about 42 persons including 30 defence personnel and 12 civilians were trapped. 13 defence personnel lost their lives in the incident while 17 sustained injuries whereas one civilian also lost life while 11 got injured. The Chief Minister while monitoring the rescue operation being jointly conducted by the NDRF, State Police and district administration, directed the administration to provide all possible help to the NDRF personnel for ensuring that the operation was carried out smoothly. Jai Ram Thakur also visited Maharishi Markandeshwar Medical College at Kumarhatti and Civil Hospital Dharampur to enquire about the health of injured.Jai Ram Thakur said that government has ordered Magistrial enquiry of the mishap and has also registered a FIR against the owner of the building.
Rescue efforts to bring out survivors from under the rubble went on all of Sunday night and into Monday morning. Till now six Army personnel and one civilian reported dead in this tragic incident. 28 people rescued till Monday morning including 17 Army Personnel and 11 civilians. As per the information seven Army personnel are still feared trapped Search and rescue operation is expected to be completed by Monday afternoon. FIR has been lodged against building owner.The building was constructed in 2009. Army started the rescue, later it was taken over by National Disasnse Force (NDRF). Building collapsed around 4 PM on Sunday afternoon and NDRF reached around 7 PM. There was a Mock Drill on July 12 , still NDRF took about three hours to reach the collapse venue. It a a big question on state's preparedness to counter such tragic situations. Army rescued more than 20 people before arrival of NDRF otherwise casualties may have been much more.
Adoption of natural farming can substantially increase the farmers' incomes and help to realize the goal of doubling farmers income. Natural Farming expert Subhash Palekar expressed these views at the meeting with Dr Parvinder Kaushal, Vice Chancellor of Dr YS Parmar University of Horticulture and Forestry (UHF), Nauni. The meeting focused on promoting the natural farming technique in Himachal so that the farmers of the state can reap rich dividends through minimal input cost. Subhash Palekar, a native of Maharashtra, has been advocating his natural farming model with no external inputs of any sort for around 20 years. He worked extensively on this area in the tribal belt of Maharashtra. This model was rechristened as ‘Subhash Palekar Natural Farming’ last year. The model has found favour in several states including Himachal where thousands of farmers have been trained in this farming model under the state government’s ‘Prakritik Kheti-Khushhal Kisan’ programme. During the meeting, which took place at Solan on Saturday evening, Padam Shree awardee Subhash Palekar said that farmers must get the right prices for their produce and natural products can help to fetch handsome return. He exhorted that the adoption of natural farming will lead to the easy availability of natural and healthy food to consumers and will reduce the overdependence on the use of chemicals in agricultural activities thereby reducing the input cost. He added that loan waiver was not feasible and is leading to dependence and instead efforts should be made towards sustainable loan liberation. The farming model recently received a major boost when Finance Minister Nirmala Sitharaman in this year’s Budget speech mentioned the method as one of the innovative models through which farmers’ income could be doubled by the year 2022. The Food and Agricultural Organization of the United Nations has also recognized this farming model and has dedicated a chapter on it in its profiles on Agroecology. Palekar said that natural farming was also environmental friendly while both chemical and organic farming besides being expensive also release greenhouse gases on large scale causing environmental pollution. He said that industrialization, chemical and organic farming were the major contributors to global warming. He shared examples of farmers from Himachal who had benefitted from switching over to natural farming. Subhash, an apple orchardist from Rohru had nearly tripled his apple production since switching over to natural farming two years back. Tapeshwar Mahantan from Jubbal has also experienced similar results in his orchards. Over 100 vegetable growers from Basantpur have been engaged in natural farming through the government-sponsored programme. Dr Kaushal assured him that the University will make efforts to promote the natural farming system among the farmers of the state by establishing model points at the Krishi Vigyan Kendras located in various location in the state for systematic propagation of natural farming practices. Besides the university has already established a natural farming experimental block and fruit block at the university campus.
अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन द्वारा 26 जून से चलाए जा रहे समर कैंप का आज समापन हुआ।यह समापन समारोह शिव मंदिर दाड़लाघाट में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बीडीसी पूर्व वाइस चेयरमैन जगदीश ठाकुर और उपप्रधान लेखराज चंदेल एवं अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन से कार्यक्रम प्रबंधक भूपेंद्र गांधी रहे। इसके अतिरिक्त रिसोर्स पर्सन ललित गौतम,सुनील,नेहा शर्मा,अनीता और कार्यक्रम की को ऑर्डिनेटर आरती सोनी मौजूद रहे।इस कार्यक्रम में डेढ़ सौ से ज्यादा बच्चे और उनके अभिभावक मौजूद रहे।इस कार्यक्रम में बच्चों द्वारा विभिन्न गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया,जिसमें मुख्य तौर पर सेल्फ डिफेंस,कराटे,आर्ट ऑफ लिविंग,सरस्वती वंदना,स्वागत गीत, पंजाबी नृत्य,राजस्थानी फोक डांस नाटी के साथ-साथ कई अन्य मनमोहक प्रस्तुतियां दी।कार्यक्रम के अंत में बच्चों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।मुख्य अतिथि जगदीश ठाकुर द्वारा कार्यक्रम की सराहना की गई।उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों की व्यस्तता हेतु इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में भी होते रहने चाहिए।
भक्त की जान संकट में थी और उसने महादेव का आह्वान किया। तभी एक चमत्कार हुआ और भक्त की जान बच गई। आज भी भक्तों को अपने भोलेनाथ पर पूरा भरोसा हैं और भोलेनाथ भी यहां श्रद्धा से आने वाले भक्तों की समस्त मुरादें पूरी करते हैं। हम बात कर रहे हैं चूड़धार की। चूड़धार, हिमचाल प्रदेश के जिला सिरमौर की सबसे ऊँची चोटी हैं और इस चोटी पर विराजमान हैं देवों के देव महादेव। चारों ओर अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य और एक तरह से जड़ी-बूटियों का बिछा गलीचा, जो शांति चूड़धार में हैं वो शायद कहीं ओर नहीं। यहाँ आकर एहसास होता हैं कि सत्य ही शिव हैं और शिव ही सूंदर हैं। चूड़धार से जुड़ी एक कथा प्रचलित हैं कि एक बार चुरु नामक एक शिवभक्त यहां अपने पुत्र के साथ आया था। तभी अचानक बड़े बड़े पत्थरों के बीच से एक विशालकाय सांप बाहर आ गया और उसने चुरु और उसके पुत्र पर हमला कर दिया। दोनों ने बचने की कोशिश की किन्तु सांप से पीछा नहीं छोड़ा। प्राण संकट में देख चूरू ने अपने आराध्य भगवान भोलेनाथ का आह्वान किया, और तभी एक चमत्कार हुआ। भोलेनाथ की कृपा से एक विशालकाय पत्थर का एक हिस्सा सांप पर जा गिरा जिससे वह वहीं मर गया और चूरू और उसके पुत्र की जान बच गई।कहते हैं उसके बाद से ही इस स्थान का नाम चूड़धार पड़ा। दिन- ब- दिन लोगों की श्रद्घा इस मंदिर के लिए बढ़ती गई और यहां के लिए धार्मिक यात्राएं शुरू हो गई। चूड़धार को श्री शिरगुल महाराज का स्थान माना जाता है। यहां शिरगुल महाराज का मंदिर भी स्थित है। शिरगुल महाराज सिरमौर व चौपाल के देवता है। शिरगुल देवता भगवान शिव के अंशावतार हैं। चूड़धार शिखर शिरगुल देवता की तपोस्थली रही है। यहां पर पवित्र जल के दो कुंड भी हैं। कहते हैं कि इस पवित्र जल के दो लोटे सिर पर डाल लिए जाए तो सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। एक कथा और प्रचलित हैं जिसके अनुसार कहते हैं कि प्राचीन काल में यहां पर चूड़िया नामक राक्षस रहता था, जिसने शिवजी की तपस्या करके अजेय शक्ति प्राप्त कर ली थी। इसलिए इस चोटी का नाम चूड़ी चांदनी और बाद में धीरे-धीरे चूड़धार हो गया। ऐसी मान्यता है कि शिरगुल देवता ने चूड़ शिखर को दानवों से मुक्त कराया था। जाने चूड़धार के बारे में :- चूड़धार पर्वत तक पहुंचने के दो रास्ते हैं।मुख्य रास्ता नौराधार से होकर जाता है तथा यहां से चूड़धार 14 किलोमीटर है। दूसरा रास्ता सराहन चौपाल से होकर गुजरता है। यहां से चूड़धार 6 किलोमीटर है। भोलेनाथ के दर्शन के लिए हर साल हजारों सैलानी यहां पहुंचते हैं। हर साल गर्मियों के दिनों में चूड़धार की यात्रा शुरू होती है। बरसात और सर्दियों में यहां जमकर बर्फबारी होती है जिससे यह चोटी बर्फ से ढक जाती है। खूबसूरत वादियों से होकर गुजरने वाली यह यात्रा सदियों से चली आ रही है। यह भी माना जाता है कि इसी चोटी के साथ लगते क्षेत्र में हनुमान जी को संजीवनी बूटी मिली थी। चूड़धार पर्वत हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित है। चूड़धार पर्वत समुद्र तल से 11965 फीट(3647 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है । यह पर्वत सिरमौर जिले और बाहय हिमालय की सबसे ऊंची चोटी है। यह चोटी ट्रेकिंग के नजरिए से बेहद उपयुक्त है। सिरमौर ,चौपाल ,शिमला, सोलन उत्तराखंड के कुछ सीमावर्ती इलाकों के लोग इस पर्वत में धार्मिक आस्था रखते हैं। एक बहुत बड़ी चट्टान को चूरु का पत्थर भी कहा जाता है जिससे धार्मिक आस्था जुड़ी है। ब्रिटिश काल में भारत के सर्वेक्षक जनरल रहे जॉन केय की पुस्तक, द ग्रेट आर्क में भी चूड़धार पर्वत का उल्लेख किया गया है। इसमें इसे ‘द चूर‘ कहा गया है। आदि शंकरायचार्य ने की थी शिव आराधना चूड़धार में विशालकाय शिव प्रतिमा हैं, माना जाता यहाँ पर कभी प्राकृतिक शिव लिंग होता था। ऐसा भी कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने शिव की आराधना के लिए इसकी स्थापना की थी। बाद में यहां लोग जब सिक्का डालते थे, तो लंबे समय तक उसकी आवाज सुनाई देती थी।
जो भी सच्चे मन से संकट मोचन मंदिर में आता है, बजरंबली उसके कष्ट हर लेते है संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा। खूबसूरत वादियों के लिए मशहूर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में संकट मोचन हनुमान जी भी विराजमान है।अगर आप निरंतर किसी परेशानी से गुजर रहे हैं, तो संकट मोचन की शरण में चले आईये। मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से संकट मोचन के मंदिर में आता है, बजरंबली उसके कष्ट हर लेते है। संकट मोचन के मंदिर में भक्तों को बेहद सुकून और शांति मिलती है, यही कारण है कि दूर- दूर से लोग नियमित तौर पर यहाँ आते है। नीम करौली बाबा की इच्छानुसार हुई स्थापना बीती सदी में पचास के दशक की बात है, जब संत नीब करौरी बाबा (जिन्हें नीम करौली बाबा के नाम से भी जाना जाता है) तारादेवी नाम की इस पहाड़ी पर आकर एक कुटिया में दस-बारह दिन तक रहे थे। कहा जाता है कि इस जगह पर योग-ध्यान करते हुए वे लीन हो गए और उन्हें लगा कि इस स्थान पर भगवान हनुमान जी के एक मंदिर का निर्माण होना चाहिए। बाबा ने अपनी इच्छा अपने अनुयायियों को बताई और आखिरकार सन 1962 में हिमाचल के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर राजा बजरंग बहादुर सिंह (भद्री रियासत के राजा) और अन्य भक्तों ने इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवाया। 21 जून, 1966 मंगलवार को इस मंदिर में विधिवत प्राण प्रतिष्ठा हुई और धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता व मान्यता फैलती चली गई। जाने संकट मोचन मंदिर के बारे में :- हनुमान मंदिर के साथ यहां राम-सीता-लक्ष्मण, गणपति और शंकर जी का भी मंदिर है। मंदिर परिसर में नवग्रह का भी है मंदिर। रोजाना बड़ी तादाद में स्थानीय लोगों के साथ लगभग सभी पर्यटक यहाँ दर्शन करने आते हैं। हनुमान जी का मंदिर होने के कारण हर मंगलवार और शनिवार को यहां ज्यादा भीड़ होती है। मंदिर में हर रविवार को भंडारे का आयोजन किया जाता हैं। मंदिर परिसर में बाबा नीब करौरी जी का भी है एक छोटा-सा मंदिर हैं। मान्यता हैं कि यहां आकर सच्चे मन से प्रार्थना करने पर बड़े-बड़े संकट भी टल जाते हैं। शिमला से यहां टैक्सी के अलावा स्थानीय बस से भी आया-जाया जा सकता है। मंदिर परिसर में नई गाड़ियों की पूजा भी होती हैं। मंदिर में शादियों के लिए भी विशेष प्रावधान हैं। इसलिए लगाते हैं हनुमान जी को सिंदूर तुलसीदास रामायण के अनुसार एक दिन भगवान हनुमान जी ने माता सीता को मांग में सिंदूर लगाते हुए देखा। हनुमानजी ने आश्चर्यपूर्वक पूछा- माता! आपने यह सिंदूर मस्तक पर क्यों लगाया है? इस पर सीता जी ने ब्रह्मचारी हनुमान को उत्तर दिया, पुत्र! इसके लगाने से मेरे स्वामी की दीर्घायु होती है और वह मुझ पर प्रसन्न रहते हैं। ये सुनकर बजरंबली प्रसन्न हुए और उन्होंने सोचा कि जब उंगली भर सिंदूर लगाने से श्री राम की आयु में वृद्धि होती है तो फिर क्यों न सारे शरीर पर इसे पोतकर अपने स्वामी को अजर-अमर कर दूं। इसी तात्पर्य से हनुमान जी सारे शरीर में सिंदूर पोतकर राजसभा में पहुंचे तो भगवान उन्हें देखकर हंसे और बहुत प्रसन्न भी हुए। इस अध्याय के बाद हनुमान जी की इस उदात्त स्वामी-भक्ति के स्मरण में उनके शरीर पर सिंदूर चढ़ाया जाने लगा।
यूनिस्को विश्व धरोहर कालका-शिमला हेरिटेज ट्रैक पर धर्मपुर स्टेशन पर एक ट्रेन का इंजन फेल हो गया। जानकारी के अनुसार शनिवार दोपहर करीब 1:55 बजे शिमला जा रही हिमालयन क्वीन (ट्रैन नंबर 52455 ) के इंजन का पावर फेल हो गया, जिसके बाद कालका से दूसरा इंजन मंगवाना पड़ा। इस प्रक्रिया में करीब चार घंटे का समय लग गया, जिसके बाद शाम 5:55 पर ट्रेन शिमला के लिए रवाना हो सकी है।हालांकि गाड़ी स्टेशन पर होने के चलते दूसरी गाडि़यों की आवाजाही प्रभावित नहीं हुई। ट्रेन में सफर कर रहे करीब 200 लोगों को इससे परेशानी झेलनी पड़ी। मुसाफिरों में ज्यादातर पर्यटक थे, जो वीकेंड मानाने शिमला जा रहे थे।परेशान पर्यटकों ने कुछ देर के लिए स्टेशन पर हंगामा भी किया है लेकिन रेलवे पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हो गया। कालका-शिमला रेलवे लाइन के ट्रैफिक इंस्पेक्टर केवल प्रकाश ने जानकारी दी कि इंजन में कुछ खराबी के कारण हिमालयन क्वीन ट्रैन नंबर 52455 कुछ समय के लिए खड़ी रही है। कालका से दूसरा इंजन मंगवाने के बाद ट्रेन को शिमला के लिए रवाना किया गया।
Project comprises of 170 steel bridges including Himachal’s First Steel Arch Bridge Till now, Arief Engineers has managed to avoid long traffic jams The four-lane work of the 22.91 kilometre stretch of the National Highway from Solan to Kaithlighat seems on track. This work was awarded to Arief Engineers for 598 crores, who has the reputation of delivering quality work. The work was started on November 9, 2018, and the target is to complete this work within 910 days. In these nine months, the company has delivered quite satisfactorily and unlike Parwanoo-Solan patch, the company managed to avoid long traffic jams and hurdles, in spite of the cutting work going on. Arief Engineers believes that steel is the future and the same is reflected on Solan to Kaithlighat four-lane project. Out of total 22.91 km stretch, 1.610 km area has to be covered by the construction of steel bridges, including Himachal’s first Steel Arch Bridge. While moving from Chambaghat to Kaithlighat, the first steel bridge is proposed at initiation point, i.e., at Chambaghat only. Here one-kilometre long ROB (Railway Over Bridge) is proposed. Approx. ten thousand tons of steel has to be used in constructing this bridge. Next steel bridge is proposed near Mohan Meakin which is 152 meters long. After moving a few kilometres from here, another bridge of 170 metres is proposed near Shivalaya. Here the First Steel Arch bridge of Himachal Pradesh is going to be built. According to Amit Mallick, General Manager at Airef Engineers “This bridge would be a state of the art bridge, not only in Himachal Pradesh but in whole India.” Next steel bridge in proposed to be built near Kandaghat Petrol Pump. It would be a 390-metre long bridge to be built parallel to the existing road. From 240 metres away from the end point of this bridge towards Shimla, 500 meters long tunnel will start. As claimed by the Arief Engineers, 50 meter trench of this tunnel has been already completed. Next major proposed bridges are 40-meter long steel bridge at Kuarag, 20-metre long bridge near Waknaghat and Railway Over Bridge at Kaithlighat. “Overall 170 small steel bridges are going to be constructed between Solan to Kaithlighat,” Amit Mallick shared. The Experience of Mallick is working out… The General Manager of Arief Engineers, Amit Mallick is a highly experienced civil engineer. He contributed in building India’s two prominent steel bridges, 4.93 kilometre long steel bridge on River Brahmaputra in Assam and 4.50 kilometre steel bridge on River Ganga in Patna. The ongoing smooth construction shows that his experience is benefitting the four-lane work of Chambaghat to Kaithlighat patch of Kalka-Shimla NH. In conversation with First Verdict, Mallick shared that till now about 100 crores have been spent on the construction. He said, “The steel is the future of construction, not concrete.” According to him “The cost of constructing steel bridges is about 30 percent more than concrete but the life is also much more than concrete construction.”
सोलन जिला के कठनी में 25वें वार्षिक योग साधना शिविर के शुभारंभ समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि परमात्मा की बनाई व्यवस्था में सकारात्मक सहयोग ही उसकी अराधना है।उन्होंने कहा कि जीवन में उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि मनुष्य का आहार, विचार और विहार शुद्ध हो तभी मनुष्य सभी लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि यम और नियम के पालन से व्यक्ति क्रमिक विकास कर जीवन की ऊंचाईयां प्राप्त कर सकता है। राज्यपाल ने कहा कि आज पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से ग्रस्त है जिससे विश्व में कभी अकाल तो कभी अति वर्षा की घटनाएं आम होने लगी हैं और प्रकृति में विनाश की स्थिति उत्पन्न हुई है। राज्यपाल ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए काफी हद तक रसायनों पर आधारित कृषि व्यवस्था भी है। रसायनों और कीटनाशकों के अन्धाधुन्ध उपयोग ने प्रकृति के मूल स्वरूप को नष्ट कर दिया है जिससे पूरे विश्व के अस्तित्व को खतरा हो गया है। उन्होंने कहा कि आहार की शुद्धि के लिए आवश्यक है कि पूरे विश्व में कृषि व्यवस्था प्राकृतिक तौर पर हो। उन्होंने कहा कि मनुष्य के सर्वांगीण विकास का एक मात्र विकल्प प्राकृतिक खेती ही है। इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डाॅ. राजीव सैजल ने कहा कि जीवन और आचरण में सरल होना ही योग है और सरल व्यक्ति जीवन में आसानी से उच्च लक्ष्य तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि यम-नियम के एक ही निर्देश को यदि व्यक्ति साध ले तो निश्चित तौर पर लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती एक मौन क्रांति की तरह फैल रही है जिसका प्रदेश के किसानों को लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से किसानों की आय दोगुनी भी होगी और आम व्यक्ति का स्वास्थ्य भी अच्छा होगा। इस अवसर पर स्वामी योगतीर्थ ने कहा कि मन के रूपांतरण तथा अंतःकरण के बदलाव के लिए योग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बचपन से ही बच्चे को योग के सम्बन्ध में जानकारी दी जानी चाहिए। जब विज्ञान के लोग एक हो सकते हैं तो धर्म से जुड़े लोग भी जन कल्याण के लिए एक हो सकते हैं।इस अवर पर डाॅ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. परविंदर कौशल तथा शूलिनी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी के खोसला ने भी अपने विचार रखे।इस अवसर पर अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी सोलन विवेक चंदेल, एसडीएम रोहित राठौर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग से सम्बंधित सांस्कृतिक दल प्रदेश के विभिन्न जिलों में 15 जुलाई से सूचना का अधिकार अधिनियम के बारे में आम लोगों जागरूक करेंगे। सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि इस कड़ी में सोलन जिला के कुनिहार तथा नालागढ़ विकास खंड की चार-चार पंचायतों में 15 से 19 जुलाई तक नुक्कड़ नाट्कों तथा गीत संगीत के माध्यम से आम लोगों को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के विभिन्न प्रावधानों की जानकारी प्रदान की जाएगी।
प्रदेश में मानसून ने अभी दस्तक ही दी है कि प्रदेश के कई ज़िलों में लगातार हो रही झमाझम बारिश ने तांडव मचा दिया है। जिला सोलन में तबाही का मंजर शुरू हो गया है। बीती रात से जारी भारी बारिश के चलते पर्यटन नगरी चायल को जाने वाला मार्ग साधू पुल के नजदीक से अवरुद्ध हो गया है। मलबा आने से लगभग कई घंटों तक चायल मार्ग पर दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारे देखने को मिली । तेज़ बारिश के कारण मलबा लोगों के घरों के अलावा होटलों में भी घुस गया।उधर, भारी बारिश व् फोरलेन निर्माण कंपनी के द्वारा की गई कटिंग के चलते कालका-शिमला हाईवे स्थित सोलन बाईपास के पास एक घर को खतरा पैदा हो गया है। फोरलेन निर्माण की कटिंग से लगातार भूस्खलन जारी है।
राजधानी शिमला में पिता और बेटी के रिश्ते को शर्मसार कर देने वाला एक मामला सामने आया है, जहां कलयुगी पिता ने अपनी नाबालिग बेटी को ही हवस का शिकार बना डाला। मूल रूप से जिला सिरमौर के शिलाई से ताल्लुक रखने वाली पीड़िता शिमला में अपने परिवार संग किराए के मकान में रहती थी।16 साल की पीड़िता शिमला के एक स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ रही थी। जानकारी के अनुसार घटना शिमला के सदर थाना इलाके की है। शुक्रवार को कमरे में अपनी बेटी को अकेला पाकर आरोपी ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता ने मां को अपनी आपबीती बताई। इसके बाद शुक्रवार देर रात सदर थाने में पीड़िता की शिकायत पर शिमला पुलिस ने दुराचार के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। शिकायत पर आईपीसी की धारा-376 के तहत केस दर्ज किया है। साथ ही पोक्सो एक्ट भी लगाया गया है। अहम बात यह है कि शिमला पुलिस के अधिकारी इस पूरे मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को गुजरात के अहमदाबाद में रोड शो किया। ये रोड शो राज्य में निवेश आमंत्रित करने हेतु था। प्रदेश सरकार ने गुजरात के कई बड़े औद्योगिक घरानों के साथ 880 करोड़ रुपये के एमओयू हस्ताक्षरित किए हैं। ये कंपनियां करेगी हिमाचल में निवेश:- सेंटौर एनर्जी 360 करोड़ रुपये अल्ट्राकैब इंडिया 110 करोड़ गुजरात अंबुजा एक्सपोर्ट लिमिटेड 100 करोड़, ईएसएसएसीटी प्रोजेक्ट (क्रिएटिव च्वाइस ग्रुप) 100 करोड़, इसेक्ट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट 100 करोड़ जेजे पीवी सोलर प्राइवेट लिमिटेड 40 करोड़ मैसर्ज चंद्रेश केबल्स 40 करोड़ ईशान नेटसोल प्राइवेट लिमिटेड 20 करोड़ रुपये ब्लू रे एविएशन 10 करोड़ कचरे से ऊर्जा परिवर्तित करेगी एबिलॉन क्लीन गुजरात स्थित एबिलॉन क्लीन एनर्जी के प्रबंध निदेशक आदित्य हांडा ने हिमाचल प्रदेश में पीपीपी मोड पर कचरे को ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए इकाई स्थापित करने की इच्छा जताई। अंबुजा एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मनीष गुप्ता ने खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने, ईएसएसएसीटी के सह-संस्थापक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुमंत काचरू ने थैरेपी तैयार कर वैलनेस केंद्र खोलने में रुचि दिखाई। चंद्रेश केबल्स लिमिटेड के प्रतिनिधि अभिवंदन सी लोधा और आरके जैन ने केबल निर्माण इकाई स्थापित करने की इच्छा व्यक्त की।
State Bank of India, the country’s largest bank has waived charges on immediate payment services and real -time gross settlement (RTGS) transactions through internet and mobile banking. It is applicable with effect from July 1, 2019. This is not all, the bank has also decided not to charge any fee on fund transfer through mobile phones using immediate payment service (IMPS) w.e.f August 1, 2019. With a market share of around 25 percent, SBI is the India’s largest bank. At the end of FY 2018-19, the SBI has customers using internet banking were more than six crore customers and those who were availing mobile banking facility were around 1.41 crores. The bank’s decision to abolish charges on using internet and mobile banking will benefit million of customers. The bank has taken this decision after receiving guidelines from RBI to promote digital transactions.
State Bank of India, the country’s largest bank has waived charges on immediate payment services and real -time gross settlement (RTGS) transactions through internet and mobile banking. It is applicable with effect from July 1, 2019. This is not all, the bank has also decided not to charge any fee on fund transfer through mobile phones using immediate payment service (IMPS) w.e.f August 1, 2019. With a market share of around 25 percent, SBI is the India’s largest bank. At the end of FY 2018-19, the SBI customers using internet banking were more than six crore, and those who were availing mobile banking facility were around 1.41 crores. The bank’s decision to abolish charges on using internet and mobile banking will benefit million's of customers. The bank has taken this decision after receiving guidelines from RBI to promote digital transactions.
जो भी भक्त यहाँ सच्चे मन से आता है, वो खाली हाथ वापस नहीं जाता। हर साल यहां लाखों लोग मां का आर्शीवाद लेने पहुंचते हैं और माँ सबकी मनोकामनाएं पूरी करती है। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 11 किलोमीटर दूर खूबसूरत पहाड़ की चोटी पर स्थित माँ तारा देवी मंदिर माता रानी के अद्भुत चमत्कारों के लिए मशूहर है। प्रकृति की गोद में स्थित लगभग 250 वर्ष पुराना त्रिगुणात्मक शक्तिपीठ धाम तारादेवी मंदिर पुरे भारत वर्ष के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर के साथ करीब दो किलोमीटर नीचे जंगल में शिवबावड़ी भी है। मान्यता है कि इस बावड़ी में पैसे अर्पण करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। तारादेवी मंदिर के निर्माण की कहानी बड़ी भी बेहद रोचक है। इस मंदिर का निर्माण जुन्गा क्योंथल नरेश राजा भूपेंद्र सेन ने करवाया था। भूपेंद्र सेन सेन वंश के सबसे ताकतवार राजाओं में से एक थे। कहा जाता है कि एक बार राजा भूपेंद्र सेन शिकार के लिए तारादेवी के घने जंगलों में चले गए। इसी दौरान उन्हें मां तारा और भगवान हनुमान के दर्शन हुए। मां तारा ने इच्छा जताई कि वह इस स्थल में बसना चाहती हैं, ताकि भक्त यहां आकर आसानी से उनके दर्शन कर सके। राजा ने भी हामी भर दी। इसके बाद राजा ने अपनी आधी से ज्यादा जमीन मंदिर निर्माण के लिए सौंप दी और यहां मंदिर निर्माण का काम शुरू हो गया। कुछ समय बाद जब मां का मंदिर तैयार हुआ तो राजा ने लकड़ी की मूर्ति के स्वरूप में यहां माता को स्थापित कर दिया। कहते हैं भूपेंद्र सेन के बाद मां ने उनके वशंज बलबीर सेन को भी दर्शन दिए। सेन ने यहां अष्टधातु की मूर्ति स्थापित की और मंदिर का निर्माण आगे बढ़ाया। इसलिए विशेष है माँ तारा देवी का मंदिर:- माँ तारा देवी जुन्गा क्योंथल नरेश की कुलदेवी है। मंदिर में माँ तारा देवी की अष्टधातु की मूर्ति विराजमान है। कहा जाता है कि 250 साल पहले मां तारा की प्रतिमा को पश्चिम बंगाल से लाया गया था। राजा भूपेंद्र सेन ने अपनी जमीन का एक बड़ा हिस्सा मंदिर बनवाने के लिए दान किया था। कुछ समय बाद मंदिर का काम पूरा हो गया और लकड़ी की बनी मां की मूर्त यहां स्थापित कर दी गई। राजा भूपेंद्र सेन के बाद राज बलबीर सेन को भी मां ने दर्शन दिए जिसके बाद सेन ने अष्टधातु की मूर्त यहां स्थापित की और मंदिर का निर्माण किया। जुन्गा का राज परिवार हर साल नवरात्र उत्सव के अष्टमी के दिन यहां पूजा करने आते हैं उस समय मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। यहां गांव में जब भी कोई फसल या अन्य चीजें तैयार होती है तो सबसे पहले मां के चरणों में समर्पित की जाती है। चोटी पर बने इस मंदिर के एक ओर घने जंगल है जबकि दूसरी ओर सड़कें। यह मंदिर अब बस सेवा से भी जुड़ गया है। इस मंदिर में लोग श्रद्धा भाव से मंदिर में भंडारे करवाते हैं। अगर किसी श्रद्धालु को मंदिर में भंडारा करवाना है तो लंबा इंतजार करना पड़ता है।भंडारे के दिन की डेट अलॉट होने के एक दिन पहले लोगों को यहां राशन छा़ेड़ना होता है। मंदिर प्रबंधक का कहना है कि जो भी भक्त यहां भंडारा देना चाहते हैं वह मंदिर कार्यालय समय में सुबह दस बजे से पांच बजे आकर बुकिंग कर सकता है। देवी दुर्गा के 108 नाम 1. सती : अग्नि में जल कर भी जीवित होने वाली 2. साध्वी : आशावादी 3. भवप्रीता : भगवान् शिव पर प्रीति रखने वाली 4. भवानी : ब्रह्मांड की निवास 5. भवमोचनी : संसार बंधनों से मुक्त करने वाली 6. आर्या : देवी 7. दुर्गा : अपराजेय 8. जया : विजयी 9. आद्य : शुरूआत की वास्तविकता 10. त्रिनेत्र : तीन आँखों वाली 11. शूलधारिणी : शूल धारण करने वाली 12. पिनाकधारिणी : शिव का त्रिशूल धारण करने वाली 13. चित्रा : सुरम्य, सुंदर 14. चण्डघण्टा : प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली, घंटे की आवाज निकालने वाली 15. महातपा : भारी तपस्या करने वाली 16. मन : मनन- शक्ति 17. बुद्धि : सर्वज्ञाता 18. अहंकारा : अभिमान करने वाली 19. चित्तरूपा : वह जो सोच की अवस्था में है 20. चिता : मृत्युशय्या 21. चिति : चेतना 22. सर्वमन्त्रमयी : सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली 23. सत्ता : सत्-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है 24. सत्यानन्दस्वरूपिणी : अनन्त आनंद का रूप 25. अनन्ता : जिनके स्वरूप का कहीं अन्त नहीं 26. भाविनी : सबको उत्पन्न करने वाली, खूबसूरत औरत 27. भाव्या : भावना एवं ध्यान करने योग्य 28. भव्या : कल्याणरूपा, भव्यता के साथ 29. अभव्या : जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं 30. सदागति : हमेशा गति में, मोक्ष दान 31. शाम्भवी : शिवप्रिया, शंभू की पत्नी 32. देवमाता : देवगण की माता 33. चिन्ता : चिन्ता 34. रत्नप्रिया : गहने से प्यार 35. सर्वविद्या : ज्ञान का निवास 36. दक्षकन्या : दक्ष की बेटी 37. दक्षयज्ञविनाशिनी : दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली 38. अपर्णा : तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली 39. अनेकवर्णा : अनेक रंगों वाली 40. पाटला : लाल रंग वाली 41. पाटलावती : गुलाब के फूल या लाल परिधान या फूल धारण करने वाली 42. पट्टाम्बरपरीधाना : रेशमी वस्त्र पहनने वाली 43. कलामंजीरारंजिनी : पायल को धारण करके प्रसन्न रहने वाली 44. अमेय : जिसकी कोई सीमा नहीं 45. विक्रमा : असीम पराक्रमी 46. क्रूरा : दैत्यों के प्रति कठोर 47. सुन्दरी : सुंदर रूप वाली 48. सुरसुन्दरी : अत्यंत सुंदर 49. वनदुर्गा : जंगलों की देवी 50. मातंगी : मतंगा की देवी 51. मातंगमुनिपूजिता : बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय 52. ब्राह्मी : भगवान ब्रह्मा की शक्ति 53. माहेश्वरी : प्रभु शिव की शक्ति 54. इंद्री : इन्द्र की शक्ति 55. कौमारी : किशोरी 56. वैष्णवी : अजेय 57. चामुण्डा : चंड और मुंड का नाश करने वाली 58. वाराही : वराह पर सवार होने वाली 59. लक्ष्मी : सौभाग्य की देवी 60. पुरुषाकृति : वह जो पुरुष धारण कर ले 61. विमिलौत्त्कार्शिनी : आनन्द प्रदान करने वाली 62. ज्ञाना : ज्ञान से भरी हुई 63. क्रिया : हर कार्य में होने वाली 64. नित्या : अनन्त 65. बुद्धिदा : ज्ञान देने वाली 66. बहुला : विभिन्न रूपों वाली 67. बहुलप्रेमा : सर्व प्रिय 68. सर्ववाहनवाहना : सभी वाहन पर विराजमान होने वाली 69. निशुम्भशुम्भहननी : शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली 70. महिषासुरमर्दिनि : महिषासुर का वध करने वाली 71. मधुकैटभहंत्री : मधु व कैटभ का नाश करने वाली 72. चण्डमुण्ड विनाशिनि : चंड और मुंड का नाश करने वाली 73. सर्वासुरविनाशा : सभी राक्षसों का नाश करने वाली 74. सर्वदानवघातिनी : संहार के लिए शक्ति रखने वाली 75. सर्वशास्त्रमयी : सभी सिद्धांतों में निपुण 76. सत्या : सच्चाई 77. सर्वास्त्रधारिणी : सभी हथियारों धारण करने वाली 78. अनेकशस्त्रहस्ता : हाथों में कई हथियार धारण करने वाली 79. अनेकास्त्रधारिणी : अनेक हथियारों को धारण करने वाली 80. कुमारी : सुंदर किशोरी 81. एककन्या : कन्या 82. कैशोरी : जवान लड़की 83. युवती : नारी 84. यति : तपस्वी 85. अप्रौढा : जो कभी पुराना ना हो 86. प्रौढा : जो पुराना है 87. वृद्धमाता : शिथिल 88. बलप्रदा : शक्ति देने वाली 89. महोदरी : ब्रह्मांड को संभालने वाली 90. मुक्तकेशी : खुले बाल वाली 91. घोररूपा : एक भयंकर दृष्टिकोण वाली 92. महाबला : अपार शक्ति वाली 93. अग्निज्वाला : मार्मिक आग की तरह 94. रौद्रमुखी : विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा 95. कालरात्रि : काले रंग वाली 96. तपस्विनी : तपस्या में लगे हुए 97. नारायणी : भगवान नारायण की विनाशकारी रूप 98. भद्रकाली : काली का भयंकर रूप 99. विष्णुमाया : भगवान विष्णु का जादू 100. जलोदरी : ब्रह्मांड में निवास करने वाली 101. शिवदूती : भगवान शिव की राजदूत 102. करली : हिंसक 103. अनन्ता : विनाश रहित 104. परमेश्वरी : प्रथम देवी 105. कात्यायनी : ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय 106. सावित्री : सूर्य की बेटी 107. प्रत्यक्षा : वास्तविक 108. ब्रह्मवादिनी : वर्तमान में हर जगह वास करने वाली
ये वो दौर था जब पहलवानी जगत में हंगेरियन मूल के ऑस्ट्रेलिआई पहलवान किंग कोंग का डंका बजता था। करीब 201 किलोग्राम वजनी किंग कोंग को हराना किसी करिश्मे से कम नहीं था, पर देखते ही देखते करीना कपूर के दादा ने किंग कोंग को उठाकर रिंग से बाहर फेंक दिया। यहां हम शो मेन राज कपूर की बात नहीं कर रहे, हम बात कर रहे हैं फिल्म जब वी मेट में करीना के दादा बने दारा सिंह की। रुस्तम ए हिन्द दारा सिंह रन्धावा का जन्म 19 नवम्बर 1928 को अमृतसर (पंजाब) के गांव धरमूचक में हुआ था। 500 से ज्यादा फाइट लड़ी, कभी नहीं हारे दारा सिंह ने अपनी जिंदगी में 500 से ज्यादा फाइट लड़ी जिसमें वह एक भी मुकाबला नहीं हारे। उन्होंने 29 मई 1968 को फ्री स्टाइल कुश्ती के वर्ल्ड चैंपियन का खिताब जीता था। साथ ही चैंपियन ऑफ मलेशिया, नेशनल रेस्लिंग चैंपियन, रुस्तम-ए-हिंद और रुस्तम-ए-पंजाब जैसे कई अन्य खिताब भी उन्होंने अपने नाम किये। 4 लाख प्रति फिल्म थी फीस कुश्ती के बाद दारा सिंह ने बॉलीवुड में भी किस्मत आजमाई और उन्हें खूब शौहरत और सफलता भी मिली। उन्होंने फिल्मों में एक्टर, निर्देशक, निर्माता के तौर पर काम किया और दर्शकों के दिलों पर छाए रहे। दारा सिंह ने 148 फिल्मों में काम किया। दारा सिंह 60 के दशक में हर फिल्म के लिए 4 लाख रुपये लेते थे, जो बड़े बड़े अभिनेताओं को भी नहीं मिलती थी। 'फौलाद', 'मर्द','मेरा नाम जोकर','कल हो ना हो' और 'जब वी मेट' जैसी फिल्में काफी पसंद की जाती है। वर्ष 1970 में दारा सिंह ने पहली बार पंजाबी फिल्म 'नानक दुखिया सब संसार' को प्रोड्यूस किया। पर दारा का सर्वश्रेष्ठ आना तो अभी बाकी था। हनुमान के किरदार ने कर दिया अमर 1980 के दशक में रामानंद सागर ने रामायण बनाने का निर्णय लिया और हनुमान जी के रोल के लिए भला दारा सिंह से बेहतर कौन हो सकता था। दारा सिंह ने 60 साल की उम्र में 'रामायण' में 'हनुमान' के किरदार को बखूबी निभाया। उस दौर में आलम ये था कि उन्हें देखकर लोग जय श्री राम के नारे लगाना शुरू कर देते थे और आशीर्वाद लेने के लिए उनके चरणों में गिर जाते थे। उनमें लोगों को साक्षात पवन पुत्र हनुमान दिखते थे। रामानंद सागर की रामायण में निभाए गए बजरंबली हुनुमान के किरदार ने दारा सिंह को सदा के लिए अमर कर दिया। 12 जुलाई 2012 को जबरदस्त कद काठी, फिल्मों में एक्टिंग के मास्टर और टेलीविजन इंडस्ट्री में हनुमान, दारा सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
Sincere efforts will be made to utilize modern aids of teaching and learning and make education more career-oriented so that the students become more employable. These were the views expressed by Dr Parvinder Kaushal, Vice Chancellor of Dr YS Parmar University of Horticulture and Forestry, Nauni during an interaction with the university students. Dr Kaushal urged the students to improve the quality of their research publications and advised them to work on writing quality publications in top journals during their postgraduate studies. He said that these publications will not only help them in their career but also act as a morale booster for conducting bigger and better research. Assuring the students of developing a proper mechanism to look into the areas of improvement by incorporating suggestions, Dr Kaushal said that the university would look towards imparting more career-oriented education so that they can benefit from these at the time of applying for jobs. He said linking students’ research problems with research projects so that they get a chance to gain valuable work experience during their studies, will also be looked into. Dr Kaushal added that opportunities to visit the best laboratories in the country in the concerned field will also be provided to the students so that they can see the working of the best institutions in the country and incorporate it in their own working. During the interaction, the students shared their grievances and gave suggestions on improving the overall learning environment. Smart classrooms and interactive boards, focus on improving classroom teaching, and strengthening the internet facilities, library timings were other areas that were discussed.
उसकी अदाकारी का असर कुछ ऐसा था कि आज भी लोग अपने बच्चों का नाम प्राण नहीं रखते। हम बात कर रहे है बॉलीवुड के सबसे बड़े खलनायक प्राण सिकंद की। आज प्राण साहब की पुण्यतिथि है। 1940 से 1980 के दशक तक प्राण की बॉलीवुड में तूती बोलती थी। जब प्राण पर्दे पर आते थे तो लोग उन्हें गालियां देने लगते। यूँ तो बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक खलनायक हुए, लेकिन प्राण जैसा न कभी कोई था और न शायद कभी हो । पुरानी दिल्ली, ब्रिटिश भारत में 12 फरवरी 1920 को प्राण एक मिडिल क्लास परिवार में जन्म हुआ । जब 19 के हुए तो हीरो बनने लाहौर चले गये। 1940 में उन्हें फिल्म 'यमला जट' में काम करने का अवसर मिला और प्राण हीरो बन गए । लाहौर में करीब 22 पंजाबी फिल्मों में काम करने के बाद जब 1947 में भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ और प्राण वापस हिंदुस्तान लौट आये। फिर संघर्ष का दौर शुरू हुआ, लेकिन प्राण हालत से हारने वाले नहीं थे। एक साल स्ट्रगल करने के बाद उन्हें फिल्म 'बांबे टॉकीज' मिली और प्राण का भारतीय सिनेमा में रोमांचक सफर शुरू हुआ। खलनायक बने और ऐसे बने कि लोग उनसे नफरत करने लगे, दरअसल यही प्राण की असली कामयाबी थी। एक दौर ऐसा भी आया कि बगैर प्राण के कोई बड़ी बॉलीवुड फिल्म बनती ही नहीं थी। कहा तो ये भी जाता है कि उस दौर के कई अभिनेता इसलिए फिल्म छोड़ देते थे क्यूंकि उसमे प्राण होते थे । प्राण ने सिर्फ खलनायक के किरदार कर ही अपनी प्रतिभा नहीं मनवाई, बल्कि कई ऐसे पॉजिटिव किरदार भी निभाए जो कालजयी बन गए । चाहे फिल्म 'जंजीर' में पठान शेर खान का किरदार हो, या 'अमर अखबर एंथनी','उपकार', 'विक्टोरिया 203', 'सनम बेवफा', 'डॉन', 'दोस्ताना' जैसी फिल्मों में उनके द्वारा निभाए गए किरदार, प्राण ने हमेशा अमिट छाप छोड़ी । वर्ष 2013 तक अपने फिल्मी करियर में और भी कई अवार्ड बटोर चुके प्राण ने 93 की उम्र में आखिरी सांस ली । पर प्राण आज भी अपने चाह्वानो के दिलों में राज करते है ।
परिजनों ने डांटा तो छात्रा ने फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला की समाप्त स्टूडेंट्स एग्जाम रिज़ल्ट सही न आने की वजह से खुदखुशी कर लेते हैं और इस बार ऐसा ही मामला जिला सोलन के चंबाघाट में पेश आया है।झारखण्ड की रहने वाली 16 वर्षीय छात्रा ने फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर ली। परिजनों के अनुसार छात्रा नौवीं कक्षा में पढ़ती थी। उसका इस बार 9वीं कक्षा का रिजल्ट ठीक नहीं आया, जिस वजह से वह परेशान रहती थी।घटना बीती रात की बताई जा रही है, जब युवती अपने परिजनों को बिना बताए घर से बाहर निकल गई। जैसे ही मां-बाप को इस बात इसका पता चला वह लड़की को ढूंढने लग गए। काफी देर ढूंढने के बाद उन्हें बेटी नहीं मिली। सुबह परिजनो को बेटी का शव घर के समीप पेड़ से लटका हुआ मिला।परिजनों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है।
Her name is the synonym for courage, her name is the synonym for determination, her name is the synonym for fearlessness and her name is the synonym for nerve. She actually need no introduction, she is Malala. The youngest ever Nobel Peace Prize receiver and Girl’s Education Activist. In words of Malala “I tell my story not because it is unique, but because it is the story of many girls.” Today is her birthday and today is the day of hope for ton many girls like Malala, today is Malala Day. First Verdict salutes Malala for her contribution in attracting the attention of world on situation of girl’s education, particularly in Pakistan and Taliban dominant areas. The Journey of Malala 1997 - Malala Yousafzai was born in Mingora, Pakistan on July 12, 1997. 2008 - Taliban took over Swat Valley and Malala had to left her school after Taliban threat. 2008 -Malala Yousafzai was only 11 years old when she blogged for the BBC about living in Pakistan and girl eduction n Pakistan. 2012 - Malala publicly spoke out about girl’s right to Education. As a result she was shot in head by Taliban Gunman, but fortunately survived. 2013- Malala was nominated for the Nobel Prize in 2013 but did not win; she was renominated in March 2014. 2013 - On 12 July 2013, Yousafzai's 16th birthday, she spoke at the UN to call for worldwide access to education. The UN dubbed the event "Malala Day." 2013 -On October 10, 2013, in acknowledgement of her work, the European Parliament awarded Yousafzai the Sakharov Prize for Freedom of Thought 2014 -In October 2014,Malala Yousafzai became the youngest recipient of the Nobel Peace Prize. She was awarded the Nobel along with Indian children's rights activist Kailash Satyarthi. 2017- In April 2017, United Nations Secretary-General Antonio Guterres appointed Yousafzai as a U.N. Messenger of Peace to promote girls education. 2017- Yousafzai was also given honorary Canadian citizenship in April 2017. She is the sixth person and the youngest in the country’s history to receive the honor.
यहाँ भगवान भोलेनाथ सिर्फ सिगरेट का कश ही नहीं लगाते बल्कि सिगरेट के धुएं को हवा में भी उड़ाते हैं। ये सुनने में भले ही अजीब लगे मगर महादेव के भक्त तो यही मानते है। हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन की अर्की तहसील में स्थित लुटरू महादेव मंदिर की। पहाड़ियों पर प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां दर्शन के लिए आनेवाले सभी भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग को सिगरेट अर्पित करते हैं। शिवलिंग पर सिगरेट अर्पित करने के बाद उसे कोई सुलगाता नहीं है बल्कि वो खुद-ब-खुद सुलगती है।बाकायदा सिगरेट से धुआं भी निकालता हैं, मानो स्वयं भोले बाबा सिगरेट के कश लगा रहे हो। हालांकि कुछ लोग इसमें विज्ञान तलाश इसे अंधविश्वास भी करार देते हैं, किन्तु भोले के भक्तों के लिए तो ये शिव की महिमा हैं। आखिर भक्त और भगवान को विश्वास ही तो जोड़ता हैं। लुटरू महादेव मंदिर का निर्माण सन 1621 में करवाया गया था। कहा जाता हैं कि बाघल रियासत के तत्कालीन राजा को भोलेनाथ ने सपने में दर्शन देकर मंदिर निर्माण का आदेश दिया था। एक मान्यता ये भी हैं कि स्वयं भगवान शिव कभी इस गुफा में रहे थे। आग्रेय चट्टानों से निर्मित इस गुफा की लम्बाई पूर्व से पश्चिम की तरफ लगभग 25 फ़ीट तथा उत्तर से दक्षिण की ओर 42 फ़ीट है। गुफा की ऊंचाई तल से 6 फ़ीट से 30 फ़ीट तक है।गुफा के अंदर मध्य भाग में 8 इंच लम्बी प्राचीन प्राकृतिक शिव की पिंडी विधमान है। इसलिए विशेष हैं लुटरू महादेव मंदिर:- लुटरू महादेव मंदिर में सदियों से शिवलिंग को सिगरेट पिलाई जा रही है। भक्त इसे चमत्कार मानते हैं, तो कुछ लोग इसे विज्ञान करार देते हैं, पर यहाँ सच में ऐसा होता आ रहा हैं। लुटरू महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग भी अपने आप में बेहद अनोखा है। शिवलिंग पर जगह- जगह गड्ढे बने हैं और इन्हीं गड्ढों में लोग सिगरेट को फंसा देते हैं। लुटरू महादेव गुफा की छत में परतदार चट्टानों के रूप में भिन्न भिन्न लंबाइयों के छोटे छोटे गाय के थनो के अकार के शिवलिंग हैं। मान्यता के अनुसार इनसे कभी दूध की धारा बहती थी। शिवलिंग के ठीक ऊपर एक गुफा पर छोटा सा गाय के थन के जैसा एक शिवलिंग बना है ,जहाँ से पानी की एक-एक बूँद ठीक शिवलिंग के ऊपर गिरती रहती है। लुटरू गुफा को भगवान परशुराम की कर्मस्थली भी कहा जाता हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार सहस्त्र बाहु का वध करने के बाद भगवान परशुराम ने यहाँ भगवान शिव की आराधना की थी। पंजाब के चमकौर साहिब के शिवमंदिर के महात्मा शीलनाथ भी करीब चार दशक पूर्व लुटरू महदेव में आराधना करते थे। शिवलिंग पर जलते हुए सिगरेट के अद्भुत नज़ारे को देखने के बाद लोग इसे कैमरे में कैद करने से खुद को नहीं रोक पाते है और ऐसा करने पर कोई पाबंदी भी नहीं हैं। वर्ष 1982 में केरल राज्य में जन्मे महात्मा सन्मोगानन्द सरस्वती जी महाराज लुटरू महादेव मंदिर में पधारे। उनकी समाधि भी यही बनी हुई है। गुफा के नीचे दूर- दराज से आने वाले भक्तों के लिए धर्मशाला भी बनाई गई हैं । शिव की लीला शिव ही जानें भोलेनाथ शिवशंकर की लीला तो वे स्वयं ही जानते हैं किन्तु लुटरू महादेव मंदिर में शिवलिंग का सिगरेट पीना किसी अचम्भे से कम नहीं हैं। यदि वैज्ञानिक कारण भी हैं तो ऐसा सिर्फ शिवलिंग पर सिगरेट चढाने से ही क्यों होता हैं। न भक्तों की आस्था पर कोई प्रश्न हैं और न ही शिव की महिमा पर। अब ऐसा क्यों होता हैं और कैसे होता हैं, ये तो स्वयं शिव ही जाने।
The first counselling for self-financed seats in Undergraduate programmes of Dr YS Parmar University of Horticulture and Forestry (UHF), Nauni was held on Thursday at the university campus. Students from all over the country including Himachal, Haryana, Punjab, Jammu and Kashmir and North-eastern states appeared for the counselling.Over 350 students from all over the country who have secured 74 percent and above in the class 12 examination in English, Physics, Chemistry and Biology/ Maths appeared for seeking admission to B Sc (Hons) Horticulture, B Sc (Hons) Forestry and B Tech Biotechnology programmes run by the University at its four Constituent Colleges. The counselling was held at the Dr LS Negi Auditorium of the university where the committee verified all the documents of the students along with taking their preference of course and college. The seat allotment list will be put up on the university website on July 12 after 5 pm.Every year thousands of students from all over the country apply to seek admission in the horticulture, forestry and biotechnology programmes of the university. While the seats in the self-financed scheme are open to applicants from other states, the normal seats are reserved for students from Himachal Pradesh.
प्राकृतिक आपदा आने का कोई निर्धारित समय नहीं होता। इससे निपटने के लिए सभी विभागों को तत्पर रहते हुए आवश्यक मशीनरी व श्रम शक्ति सहित हमेशा तैयार रहना चाहिए। इसे ध्यान में रखते हुए आज सोलन में मेगा मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। भूकंप के काल्पनिक परिदृश्य के मुताबिक आज सुबह सोलन में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप पर आधारित मेगा मॉक ड्रिल के तहत भूकंप के झटके महसूस होने के बाद जिला आपदा प्रबंधन आथॉरिटी (डीडीएमए) की टीम ठोडो ग्राउंड स्थित जिला आपदा ऑपरेशन सेंटर पहुंची और भूकंप से हुए नुकसान का शुरुआती आकलन लेने के बाद राहत एवं बचाव दलों को घटना स्थल के लिए रवाना किया। मॉक ड्रिल में सोलन के विवान्ता मॉल, साईं संजीवनी अस्पताल , डिग्री कॉलेज, हाऊसिंग बोर्ड कालोनी और नगर परिषद कार्यालय भवन को भूकंप के चलते काफी प्रभावित माना गया था। मेडिकल टीमों को भूकंप से अत्यधिक प्रभावित जगहों पर भेज दिया गया था। गंभीर घायलों को अस्पताल जबकि हल्की चोट वालों को फर्स्ट एड के बाद स्टेजिंग एरिया में स्थापित मेडिकल शिविर में लाया गया। मॉक ड्रिल के तहत ठोडो ग्राउंड में मेडिकल और राहत शिविर की स्थापना की गई थी ताकि प्रभावितों को अस्थाई तौर पर ठहरने और खाने पीने की सुविधाएं मिल सकें।
राजधानी शिमला के लोअर बाजार में उस वक्त हड़कंप मच गया जब एक भवन की खुदाई के दौरान एक कंकाल निकला।हालांकि अधिक खुदाई करने पर ज्ञात हुआ कि उक्त कंकाल किसी जानवर का है।उक्त भवन करीब 150 से 200 साल पुराण है और अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह कंकाल भेड़िया प्रजाति व जंगली कुत्ते का हो सकता है। हालांकि कंकाल की जांच के बाद ही आधिकारिक तौर पर कुछ कहा जा सकता है ।
नाचन हलके के जड़ोली में परिवहन निगम की बस में न बिठाने पर यात्रियों ने जमकर हंगामा किया। विरोध करते हुए यात्रियों ने सड़क पर बैंच लगाकर बस रोक दी। इसके बाद ग्रामीण बैंच पर बैठ गए और बस को रूट पर चलने नहीं दिया। ये विरोध करीब सवा घंटा चला , जिसके baad परिवहन निगम के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर दूसरी बस में यात्रियों को गंतव्य की ओर रवाना किया। ये मामला सुंदरनगर से स्यांजी रूट पर चलने वाले निगम की बस का है। इस रूट पर प्रतिदिन निगम की बस खचाखच भरी होती है, लेकिन बस 42 सीट होने के कारण कई यात्रियों को बस में जगह नहीं मिल पाती। वीरवार सुबह पौने नौ बजे यह बस जयदेवी से सुंदरनगर के लिए रवाना हुई। 42 सीटर बस में कंडक्टर द्वारा 71 सवारियों के टिकट काट दिए गए, जिसके बाद यात्रियों ने विरोध स्वरुप बस रोक दी।
डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में छह दिवसीय बागवानी प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशालय में 5-10 जुलाई 2019 के बीच आयोजित किया गया। इस शिविर को सतलुज जल विद्युत निगम द्वारा प्रायोजित किया गया। जिला शिमला के रामपुर क्षेत्र से 50 बागवानों ने इस शिविर में हिस्सा लिया। इस शिविर में बागवानी, मशरूम उत्पादन, सब्जी उत्पादन, रोग एवं कीट निवारण, बागीचों में काट-छांट, सेब में सघन खेती एवं मिट्टी परीक्षण जैसे विषयों पर वैज्ञनिकों ने जानकारी दी।शिविर के समापन समारोह में निदेशक अनुसन्धन एवं विस्तार शिक्षा डॉ जे. एन. शर्मा ने बागवानों से इन नवीनतम जानकारियों को अपनी बागवानी में अपनाने का आहवान् किया। इस अवसर पर सयुंक्त निदेशक प्रशिक्षण डॉ माई चंद और प्रशिक्षण संयोजक डॉ अनिल सूद एवं डॉ मणिका तोमर के अलावा निदेशलाया के अन्य वैज्ञानिक भी मौजूद रहे। उन्होनें डॉ जेएन शर्मा और सभी प्रशिक्षणार्थियों का धन्यवाद किया।
मौसम विभाग के अनुसार16 जुलाई तक पूरे प्रदेश में मौसम खराब बना रहने का पूर्वानुमान है। मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश के चंबा, कांगड़ा, बिलासपुर, हमीरपुर, मंडी, ऊना, सोलन और सिरमौर जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने पूरे प्रदेश में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। बता दें पिछले कई दिनों से लगातार भारी बारिश होने से प्रदेश के कई क्षेत्रों में नदी-नाले उफान पर आ गए हैं।
आज डॉ राजीव सैजल का जन्मदिन है। बेदाग़ छवि वाले सैजल कसौली से विधायक है, प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री है और वर्तमान में उन्हें जिला सोलन से एकलौते मंत्री होने का गौरव भी प्राप्त है। सैजल का जन्मदिन भले ही आज 11 जुलाई को है, पर जनता उन्हें पहले ही उपहार दे चुकी है। उन्हें जिताकर विधानसभा पहुँचाया, जिसके बाद वे मंत्री बने और हालहीं में हुए लोकसभा चुनाव में भी उनकी पार्टी को भारी जीत दिलाई। जनता भला इससे ज्यादा डॉ सैजल को क्या दे सकती है।अब सैजल की बारी है कि वे जनता को रिटर्न गिफ्ट दें। वे सोलन जिला से एकलौते मंत्री है तो अपेक्षाएं भी उसी के अनुरूप है। इसमें कोई संशय नहीं है कि बतौर मंत्री बीत डेढ़ वर्ष में डॉ सैजल सोलन के लिए कुछ ख़ास नहीं कर पाए है। हालांकि एक विशुद्ध नेता की तरह वे आश्वासन देने में कभी पीछे नहीं रहे, पर अब आश्वासन से काम नहीं चलने वाला।जानते है जनता से कि उन्हें मंत्री डॉ राजीव सैजल से क्या रिटर्न गिफ्ट चाहिए... सैजल से चाहिए नगर निगम का तोहफा - मनोज गुप्ता सोलन नगर निगम संघर्ष समिति के महासचिव मनोज गुप्ता का कहना है कि 11 जुलाई को डॉ राजीव सैजल का जन्मदिन भी है और सोलन नगर निगम संघर्ष समिति की वर्षगांठ भी। सोलन की जनता डॉ सैजल से चाहती है कि वे शहर को नगर निगम का दर्जा दिलवाये।नगर निगम सोलन का हक़ है। शहर का हर नागरिक चाहता है कि सोलन को नगर निगम का दर्जा मिले। अगर राजनैतिक इच्छाशक्ति हो तो ये जल्द हो सकता है। गौशाला की सुध ले लो मंत्री महोदय- सतीश बेरी समाजसेवी सतीश बेरी का कहना है कि मंत्री डॉ राजीव सैजल ने कुछ समय पूर्व गौशाला का लोकार्पण किया था, किन्तु लोकार्पण के बाद उन्होंने इसकी सुध तक नहीं ली।सिर्फ एक गाय को गौशाला में बाँध देने से गौरक्षा नहीं होती है। उनकी मांग है कि उक्त गौशाला में उचित सुविधाएँ मुहैया करवाई जाए ताकि बेसहरा गौवंश को संरक्षण प्राप्त हो। बेरी ने डॉ राजीव सैजल को जन्मदिन की भी हार्दिक शुभकामनायें दी। एक स्थायी कार्यकारी अधिकारी ही दिलवा दो सैजल जी- मुकेश शर्मा अधिवक्ता मुकेश शर्मा का कहना है कि सोलन प्रदेश की सबसे बड़ी नगर परिषद् है। बावजूद इसके सोलन नप में स्थायी कार्यकारी अधिकारी नहीं है। बीते नौ माह में 9 कार्यकारी अधिकारी कार्यभार संभाल चुके है। डॉ राजीव सैजल के जन्मदिन पर उनसे इतनी ही दरखास्त है कि वे सोलन को कम से कम एक स्थायी कार्यकारी अधिकारी दिलवा दें ताकि शहर का विकास बाधित न हो। धर्मपुर सीएससी को मिले पर्याप्त स्टाफ - ओपी पंवर धर्मपुर पंचायत के प्रधान ओपी पंवर का कहना है कि धर्मपुर अस्पताल को सीएससी का दर्जा प्राप्त है लेकिन सुविधाएँ लचर है। करीब ढाई सौ की ओपीडी के लिए सिर्फ एक डॉक्टर तैनात है। हाईवे पर स्थित होने के चलते यहाँ काफी एक्सीडेंट के मामले भी आते है। मंत्री डॉ राजीव सैजल से धर्मपुर पंचायत मांग करती है कि यहाँ डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई जाए। साथ ही उनके जन्मदिन पर हम उनकी लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते है। बीबीएन में आधरभूत सुविधाओं को करें मजबूत - राजीव कंसल लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष राजीव कंसल का मानना है कि उद्योगों के लिए आधरभूत सुविधाओं को मजबूत करने की बेहद दरकार है। छोटे उद्योगों के पास सिमित पूँजी होती है, ऐसे में ये जरूरी है कि उन्हें अच्छी आधरभूत सुविधाएँ मिले ताकि वे आसानी से काम कर सकें। कंसल का कहना है कि डॉ सैजल जिला सोलन से एकलौते मंत्री है, ऐसे में प्रदेश के सबसे बड़े इंडस्ट्रियल एरिया बीबीएन को अपने स्थानीय मंत्री से खासी उम्मीद है। कंसल ने लघु उद्योग भारती की तरफ से डॉ सैजल को जन्मदिन की शुभकामनायें भी दी। पटवार सर्किल खोलने का वादा पूरा करे डॉ सैजल- डीडी कश्यप सामजसेवी डीडी कश्यप ने मंत्री डॉ राजीव सैजल को जन्मदिन की शुभकामनायें देते हुए कहा कि उन्होंने उनके क्षेत्र पट्टा- बरोरी में पटवार सर्किल खोलने का वादा किया था। डीडी कश्यप ने कहा कि मंत्री को अब अपना वादा निभाना चाहिए, उनके जन्मदिन पर उनसे इतनी ही आशा है। उन्होंने पट्टा -बरोरी को पेयजल सुविधा मुहैया करवाने हेतु उपयुक्त योजना लाने की भी मांग की।
गुरुकुल इंटरनेशनल सीनियर सकैंडरी स्कूल में 'वन महोत्त्सव दिवस' मनाया गया। इस दौरान विद्यालय की प्रधानाचार्या गुरप्रीत माथुर और अध्यापकों की देख -रेख में छात्रों ने औषधीय पौधे, सुंदर बेलें और विभिन्न तरह के पौधे लगाए। छात्रों ने गमलों और क्यारियों से अतिरिक्त घास निकाली और गमलों को व्यवस्थित भी किया। पौधरोपण के बाद सभी छात्रों ने विद्यालय प्रांगण में एकत्रित होकर वातावरण को हरा- भरा बनाने और वृक्षों की देखभाल करने के लिए शपथ भी ली।
कांग्रेस का बुरा समय ज़ारी हैं। कर-नाटक के बाद अब गोवा में भी पार्टी को झटका लगा हैं। यहाँ कांग्रेस के 15 में से 10 विधायक बुधवार देर शाम भाजपा में शामिल हो गए हैं, जिनमें विपक्ष के नेता बाबू कावलेकर भी शामिल हैं। बताया जा रहा हैं कि ये सभी विधायक बिना किसी शर्त के भाजपा में शामिल हुए हैं। इसके बाद प्रदेश में भाजपा की ताकत अब बढ़कर 27 हो गई है। कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं में बाबू कावलेकर, बाबुश मोनसेराट, उनकी पत्नी जेनिफर मोनसेरेट, टोनी फर्नांडिस, फ्रांसिस सिल्वेरा, फिलीप नेरी रोड्रिग्स, क्लैफासियो, विलफ्रेड सा, नीलकांत हलंकर और इसिडोर फर्नांडीस शामिल हैं। गौरतलब है कि गोवा में अभी भाजपा की सरकार है। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। पर कांग्रेस के 10 विधायकों के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद कांग्रेस के पास केवल 5 विधायक रह जाएंगे। इसके बाद गोवा में भाजपा को अब सरकार चलने के लिए छोटे दलों की जरुरत नहीं रहेगी।
देवधरा हिमाचल में यूँ तो कण-कण में शिव बस्ते हैं, यहाँ अनेक शिवालय हैं, किन्तु सोलन जिले के जटोली स्थित महादेव का मंदिर सबसे अलग है। द्रविड़ शैली में बना ये मंदिर एशिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर हैं और इसका निर्माण पूरा होने में करीब 33 वर्ष का समय लगा।माना जाता हैं कि पौराणिक काल में स्वयं भोलेनाथ इस स्थान पर रुके थे, तत्पश्चात सिद्ध तपस्वी बाबा कृष्णानंद परमहंस ने इस स्थान पर घोर तपस्या की। बाबा कृष्णानंद परमहंस के कहे अनुसार ही वर्ष 1980 में मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। 2013 में मंदिर को आमजन के दर्शनार्थ हेतु खोला गया, जिसके बाद यहाँ देश -विदेश से आने वाले भक्तों का तांता लगा रहता हैं। ये लोगों की भगवान शिव में अटूट आस्था और स्वामी परमहंस की महानता ही हैं , जो उन्हें जटोली की ओर खींच लाती है। इसलिए विशेष हैं जटोली मंदिर :- 124 फुट ऊंचा यह मंदिर भारत ही नहीं बल्कि एशिया में सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। 1946 में परम हंस महाराज पहली बार यहा पहुंचे। 1980 में उन्होंने शिवालय की नींव रखी थी। 13 जुलाई 1983 को वे ब्रह्मलीन हो गए। मंदिर निर्माण का कार्य हरियाणा निवासी स्वामी के भक्त ने शुरू किया था। करोड़ों रुपये से बने इस मंदिर के निर्माण का खर्च भक्तों के चढ़ावे और दान दी गई धनराशि से ही किया गया है। करीबन 33 साल चले निर्माण कार्य के उपरांत मंदिर को 24 जनवरी 2013 को भक्तों के दर्शनार्थ हेतु खोल दिया गया। मंदिर के गर्भ गृह में शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित शिवलिंग गुजरात से लाया गया हैं जिसकी कीमत 18 लाख रुपये है। यह शिवलिंग स्फटिक मणि पत्थर यानि क्रिस्टलयुक्त है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति मंदिर में सात रविवार नियमित रूप से आता है उसकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। कहा जाता है कि मंदिर स्थित जल कुंड के जल के सेवन से कई रोगों से छुटकारा मिलता है। स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने यहा तपस्या के दौरान इस बात की भविष्यवाणी की थी कि यहां बनने वाले मंदिर के कारण हिमाचल का नाम देश ही विश्व में प्रसिद्ध होगा। भक्तों ने अब जटोली मंदिर को ही अपनी चार धाम मान लिया है। यहा पहला धाम कुटिया, दूसरा धाम- सुखताल कुंड, तीसरा धाम-समाधि और फिर चौथा धाम शिवालय मंदिर को माना जाता है। 10 जुलाई को हर साल यहा मंदिर परिसर में गुरु महाराज की पुण्यतिथि मनाई जाती है। बहती हैं अटूट दिव्य जलधारा वर्ष 1946 में श्रीश्री 1008 स्वामी कृष्णा नंद परमहंस महाराज वर्तमान पाकिस्तान ( तब हिन्दुस्तान) से जटोली में भ्रमण करने आए थे। प्रकृति की गोद में बसा ये स्थान परमहंस महाराज को तप के लिए भा गया। वह दिन भर कुंड वाले स्थान पर बैठकर तप करते और रात को गुफा में जाकर सो जाते थे। भक्ति में लीन महाराज परमहंस ने कुछ समय बाद यही धूणा लगा लिया। धीरे -धीरे लोगों को महाराज के बारे में ज्ञात हुआ और वे उनके दर्शनार्थ पहुँचने लगे। कहा जाता हैं कि उस दौरान इस क्षेत्र में कोई पेयजल का स्तोत्र नहीं था, इसलिए महाराज परहंस ने क्षेत्र में पानी के लिए तप किया और कुछ ही दिनों बाद पानी की अटूट दिव्य धारा बहने लगी। यह जलधारा अब भी मौजूद है।
The Union Cabinet approved amendments in POCSO ( Protection of Children from Sexual Offences) Act on Wednesday, which deals with crime against children. According to the information, now POSCO act included death penalty for sexual assault on minors. Post amendments, Act also provide for fines and imprisonment to curb child pornography. The government aims at discouraging the trend of child sexual abuse by implementing strong penal provisions incorporated in the Act. Earlier, the Centre had brought these amendments but it did not get approval from the Parliament. It is seen as another attempt by the Modi government after the cabinet approved the changes. What is POSCO Act ? The Protection of Children from Sexual Offences (POCSO) Act 2012 is established to protect children below the age of 18 years from sexual abuse, sexual harassment and pornography in India.
निर्माणाधीन परवाणु-शिमला फोरलेन पर बरसात के सीजन के दौरान कोई हादसों की सम्भावना को कम किया जा सकें , इसके लिए जिला प्रशासन ने कमर कस ली हैं। खुद डीसी सोलन केसी चमन ने बुधवार को प्रशासनिक अधिकारीयों, राजमार्ग प्राधिकरण व फोरलेन कंपनी के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर उन्हें निर्देश दिए हैं। चमन ने कहा कि सभी सम्बंधित मुस्तैदी रखने के अलावा विशेष एहतियात भी बरतें ताकि भूस्खलन जैसी स्थिति में राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात सुचारू रह सकें। उन्होंने विशेषकर फोरलेन कंपनी के अधिकारियों को फोरलेन कार्य के दौरान विशेषकर बरसात के मौसम में एहतियात बरतने के निर्देश दिए ताकि पर्यटकों, स्थानीय लोगों को किसी प्रकार की परेशानी न हो और यातायात व्यवस्था भी सुचारू रहे। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम के दौरान फोरलेन के कंपनी अपनी मशीनरी व मैन पावर पूरी तरह से मुस्तैद रखें ताकि किसी भी आपात स्थिति से शीघ्र निपटा जा सके और राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात बाधित न हो।बैठक में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी विवेक चंदेल व एसडीएम सोलन रोहित राठौर भी उपस्थित थे। डीसी ने दिए ये निर्देश... डीसी ने निर्देश दिए कि परवाणू-शिमला फोरलेन पर जाबली में सड़क के साथ लगते विद्यालय में रिटेनिंग वाॅल शीघ्र लगाई जाए ताकि भूस्खलन न हो। विदित रहे कि फोरलेन निर्माण के चलते स्कूल का भवन खतरे की जद में हैं। डीसी ने कुमारहट्टी के पास सड़क के सुधार के निर्देश भी दिए। साथ ही उन्होंने धर्मपुर बाजार में रिटेनिंग वाल तथा ड्रेन सुविधा उपलब्ध करवाने के भी निर्देश दिए। डीसी ने निर्देश दिए हैं कि भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में चेतावनी बोर्ड लगाए जाए तथा पर्यटकों व चालकों की सुविधा के लिए एडवाइजरी बोर्ड लगाए जाएं ताकि किसी प्रकार की आपात स्थिति से बचा जा सके। डीसी केसी चमन ने फोरेलन कंपनी को निर्देश दिए कि राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर विभिन्न डंपिंग साईओं पर रामबाण रोपित करें ताकि भूमि को क्षरण होने से रोका जा सके।
डॉ वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय,नौणी के नव नियुक्त कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने बुधवार को विश्वविद्यालय के विभिन्न कर्मचारी संगठनों से मुलाकात की।डॉ कौशल ने विभिन्न संघों-गैर शिक्षण कर्मचारी कल्याण संघ, फार्म टेक्नोक्रेट्स एसोसिएशन, पर्सनल स्टाफ एसोसिएशन और तकनीकी और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ और तकनीकी कर्मचारी कल्याण संघ के पदाधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। डॉ कौशल ने सभी संघों के साथ बातचीत की और उनकी समस्याओं को सुना और उन्हें आश्वासन दिया कि कर्मचारियों की समस्याओं को देखने के लिए एक रोडमैप बनाया जाएगा। डॉ कौशल ने सभी एसोसिएशन के सदस्यों से विश्वविद्यालय के विकास के लिए साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया ताकि नौणी विवि और प्रभावी ढंग और कुशलता से कृषक समुदाय तक पहुंच सके और इस क्षेत्र के विकास में आगे बढ़ सके। उन्होंने विश्वविद्यालय के केंद्रीय छात्र संघ और अखिल भारतीय कृषि छात्र संघ के सदस्यों से भी मुलाकात की और विश्वविद्यालय को उच्च शिक्षा के केंद्र में विकसित करने का आश्वासन दिया। राज्य के कई प्रगतिशील किसान, सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने भी डॉ कौशल से मुलाकात की और उन्हें बधाई दी। इससे पहले मंगलवार को कुलपति ने विश्वविद्यालय के सभी वैधानिक अधिकारियों के साथ बातचीत की और विभिन्न विभागों के कामकाज को जाना। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपनी शैक्षणिक, शोध और विस्तार गतिविधियों को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयास करेगा ताकि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई ऊंचाइयों को छु सके।
जिला एंव सत्र न्यायधीश राकेश चौधरी की अदालत ने एक अहम फैसला सुनाते हुए हत्या के एक आरोपी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई हैं।जिला न्यायवादी विनोद भारद्वाज ने जानकारी देते हुए बताया कि दोषी रशपाल को धारा 302 भा.द.सं. के अन्तर्गत आजीवन सख्त कारावास व 5 हजार रूपए जुर्माना लगाया है तथा जुर्माना अदा न करने की स्थिति में दोषी को 6 महीने का आसाधारण कारावास व धारा 458 भा.द.सं. में 5 साल का आसाधारण कारावास व 3 हजार रूपए का जुर्माना लगाया है। उन्होंने बताया कि जुर्माना अदा न करने पर दोषी को 6 माह का कठोर कारावास व धारा 392 भा.द.सं. में 3 वर्ष का कठोर कारावास व 2 हजार रूपए जुर्माना व जुर्माना अदा न करने पर एक माह का कठोर कारावास की सजा सुनाई हैं। उन्होंने जानकारी दी कि सारी सजाएं एक साथ लागू होगीं। मामले की अधिक जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि आरोपी के खिलाफ एक महिला की हत्या करने का आरोपी था, जिसे अदालत ने सहित पाया और उसे दोषी करार दिया। इस मुकदमे में अभियोजन पक्ष ने 25 गवाह अपने में पेश किए तथा 2 गवाह दोषी ने अपने बचाव के लिए पेश किए। उन्होंने बताया कि अभियोजन पक्ष के सभी गवाहों को सही ठहराते हुए व अभियोजन पक्ष के तर्कों को स्वीकार करते हुए बचाव पक्ष की दलीलों को नकारते हुए अदालत ने अभियुक्त रशपाल को दोषी करार दिया तथा मुकदमें को क्वांटम के लिए रखा गया। उन्होंने बताया कि अभियोजन पक्ष की दलीलों को स्वीकार करते हुए अदालत ने उपरोक्त सजाएं दोषी को सुनाई।
अगर आपका बिजली का बिल बकाया हैं तो तुरंत जमा करवाएं अन्यथा आपका विधुत कनेक्शन काट दिया जायेगा। दरअसल, हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड लिमिटिड सोलन ने ऐसे उपभोक्ताओं के विद्युत कनेक्शन काटने की चेतावनी ज़ारी की हैं, जिन्होंने जून, 2019 में अपने बिजली के बिल जमा नहीं करवाए हैं। जानकारी देते हुए प्रदेश विद्युत बोर्ड निगम लिमिटिड के सहायक अभियंता मुनीष कुमार आर्य ने बताया कि काटे जाने वाले कनेक्शन की कुल संख्या 1245 है। उपभोक्ताओं द्वारा जमा न करवाई गई कुल राशि 29,86,036 रुपये है। इनमें 783 घरेलू उपभोक्ता हैं। इनकी कुल राशि 13,73,957 रुपये है। कुल उपभोक्ताओं में से 420 व्यवसायिक उपभोक्ता हैं। इनकी कुल राशि 14,26,964 रुपये है। अन्य 44 उपभोक्ताओं की राशि 1,85,115 रुपये है। उन्होंने सभी उपभोक्ताओं से आग्रह किया है कि वे अपने बिल 29 जुलाई, 2019 तक जमा करवा दें। उन्होंने कहा कि इस दिन एक काउंटर सेर चिराग (जौणाजी) में लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता अपने बिल पेटीएम, गुगलपे, अमेजोन, भीम ऐप द्वारा भी जमा करवा सकते हैं।
Abhinam Eye Care Centre, Solan has become the most trusted hospital for treatment of eyes. Each day, large number of patients arrive from across the Himachal and sometimes from other states also. The Hospital is equipped with latest equipments required for diagnosis & treatment. Moreover, Abhinam Eye Care Centre, Solan is affiliated by the Himachal Pradesh government and here patients may also avail the benefit of Ayushman Bharat Yojna. It is the first eye hospital of the region which is affiliated for Ayushman Bharat Scheme.In special conversation with First Verdict, Dr Namita Thakur and Dr. Abiraj K. Sinha from Abhinam Eye Care Center shared very useful information related to care of eyes. If you are 40 plus, you need regular eye check–up According to Dr Namita, change in near vision in 40 plus age is a normal thing, perhaps a person need glasses to see up close or may find it uneasy to adjust to glare or distinguishing some colours. She said, with age there is more risk of developing age-related eye diseases and conditions, which includes age-related macular degeneration, cataract, diabetic eye disease, glaucoma, low vision and dry eye. Dr Namita recommended everyone with 40 plus age should regularly visit an eye care professional for a comprehensive eye check up. There are so many eye diseases which have no early warning signs or symptoms, but a dilated exam can detect eye diseases in their early stages before vision loss occurs. Early detection and treatment can help a person saving his sight. If you are a diabetic, your eyes need extra care As told by Dr. Abiraj, Retina consultant at Abhinam Eye Care Centre "If you are a diabetic, than you must take extra care of your eyes, as diabetic eye disease is a complication of diabetes and a leading cause of blindness.” He shared that the most common form of diabetic eye disease is diabetic retinopathy which occurs when diabetes damages the tiny blood vessels inside the retina. He prescribed regular eye check-up for diabetic people. According to him, with a healthy life style one may minimise the chances of diabetic retinopathy, it is must to control blood sugar and cholesterol, to do regular work out, consume adequate fruits and vegetables & to avoid smoking and liquor consumption Consult the doctor if you have dry eye syndrome symptoms "If someone feels Burning sensation in eyes, Itchy eyes, Aching sensations, Heavy eyes, Fatigued eyes, Sore eyes, Dryness sensation, Red Eyes, Photophobia or Blurred vision, then probably Dry eye syndrome is the reason,” Dr Namita says. “But it is curable,” she added. Dr Namita shared that with the routine use of artificial tears and minor behavioural modifications one can significantly reduce dry eye symptoms.
यदि आप लजीज तिब्बतियन व चाइनीस व्यंजन खाना चाहते है तो फ्रेंड्स फ़ूड कार्नर आपके लिए उपयुक्त स्थान है। बीते करीब डेढ़ दशक में सोलन के आंनद काम्प्लेक्स स्थित फ्रेंड्स फ़ूड कार्नर, तिब्बतियन व चाइनीस व्यंजनों के चाहवानों का पसंदीदा रेस्टोरेंट बना हुआ है । पारम्परिक जायके से भरपूर यहां के व्यंजन शहर के हर वर्ग व उम्र के लोगों को खूब भाते है । आलम ये है कि तिबबति व चाइनीस खाने की चर्चा होते ही सोलनवासियों के जहन में सबसे पहले फ्रेंड्स फ़ूड कार्नर का नाम आता है । ये कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगा कि फ्रेंड्स कार्नर ने ही सोलन में तिब्बत्ति व चाइनीस व्यंजनों को पहचान दिलाई है । रेस्टोरेंट के मालिक अर्जुन नेगी बताते है कि जब करीब 17 वर्ष पूर्व उन्होंने अपना पहला रेस्टोरेंट शुरू किया था तब शुरुआत में लोगों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली थी। लोग तिब्बती व चाइनीस व्यंजनों को बहुत अधिक पसंद नहीं करते थे ।उस दौरान रेस्टोरेंट को ज़ारी रखना एक बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन उन्हें भरोसा था कि एक बार जो भी उनके लजीज व्यंजन चख लेगा वो लौट कर जरूर आएगा, और हुआ भी ऐसा ही। देखते देखते ऐसा समय आ गया जब एक रेस्टोरेंट छोटा पड़ने लगा। इसी के चलते वर्ष 2010 में उन्होंने बगल में ही एक और रेस्टोरेंट खोल दिया। खुद तैयार करते हैं मसाले फ्रेंड्स कार्नर में मोमो ,थुकुपा ,शाप्ता ,टीमो ,थिंतुक सहित सभी तिब्बती व्यंजन पकाने में पारम्परिक तिब्बती मसालों व रेसिपी का इस्तेमाल किया जाता है और स्पेशलिस्ट शेफ इन्हें पकाते है। इन विशेष मसालों को तैयार भी खुद अर्जुन नेगी ही करते है । शौक को ही बनाया व्यवसाय अर्जुन नेगी खुद एक बेहतरीन कुक है । वे शौकियां तौर पर घर पे कभी कभार खाना पकाते थे जिसे उनका परिवार व दोस्त बहुत चाव से खाते थे। उन्हीं की प्रशंसा से उन्हें प्रोत्साहन मिला और उन्होंने खाने में ही अपना जीवन यापन का ज़रिया तलाश लिया। अर्जुन कहते है कि उन्हें खाना पकाना बेहद पसंद है इसीलिए वे सफल है । फ्रेंड्स फ़ूड कार्नर के 14 सफल वर्षो के सफर में अर्जुन की पत्नी कलसंग ने भी उनका बखूबी साथ दिया है । आज कलसंग ही दोनों रेस्टॉरेंट्स का प्रबंधन सम्भाल रही है । क्वालिटी के साथ कोई समझौता नहीं तिब्बतियन व चाइनीस व्यंजनों में मसाला कम होता है और बॉइल्ड होने के चलते खाने के पोस्टिक तत्व बरकरार रहते है । अर्जुन नेगी कहते हैं कि उन्होंने कभी भी क्वालिटी के साथ समझौता नहीं किया और हमेशा लोगों को अपना बेहतरीन देने का प्रयास किया है ।
जिला सोलन से सम्बन्ध रखने वाले “मेरा भोला है भंडारी” फेम हंसराज रघुवंशी आज कल काफी आहत में हैं। दरअसल “मेरा भोला है भंडारी” गीत से रातों-रात सुपरस्टार बने हंसराज रघुवंशी को लेकर सोशल मीडिया में सवाल उठाए जा रहे हैं कि वह नशे की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित कर रहे हैं।इस मामले ने उस समय नया मोड़ ले लिया, जब रघुवंशी ने एक वीडियो सोशल मीडिआ में जारी कर इस पर स्पष्टीकरण दे दिया। हालांकि सोशल मीडिया में रघुवंशी के गीतों पर उठाए गए सवालों की बजाय उनका खुद का वीडियो अधिक वायरल हो रहा है। इसमें रघुवंशी का कहना है कि उन्होंने एक वर्ष पहले उन्होंने “गांजा” गीत शूट किया था। इस गीत में युवाओं की टोली को नशा करते हुए दिखाया गया था। दिलचस्प बात यह है कि रघुवंशी ने इस गीत को लेकर अपनी गलती को स्वीकार किया है। वहीं उनका कहना है कि उन्होंने तो साधुओं से जुड़े अधिक गीत बनाए हैं तो युवक साधु क्यों नहीं बन रहे हैं। रघुवंशी ने वीडियो में अपनी बात को दमदार तरीके से पेश किया है। कुल मिलाकर रघुवंशी ने सीधे शब्दों में अपनी बात कह दी है। अब फैसला जनता जनार्दन को ही लेना है कि रघुवंशी को एक आर्टिस्ट के रूप में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए या फिर नहीं।
The Canadian Nobel Prize Laureate Alice Munroe turns 88 today with a massive achievement of turning the sublimity of women in the society in a different direction through her writings. The revolutionizing short story writer has won Man Booker International Prize in 2009 and Nobel Prize in Literature in 2013. Her first collection of short stories, ‘Dance of The Happy Shades’ (1968), is scented with the memories of the writer by the shore of Lake Huron, Ontario. The memoirs of her farmland history are sprinkled all over her stories. This collection was followed by ‘Lives of Girls and Women’ (1971), ‘What Do You Think You Are?’ (1978), ‘Runaway’ (2004) and many more. Alice Laidlaw Munro was born in Wingham, Ontario, Canada on July 10, 1931, in a fox farmer family. She has involved her life’s history and immigration experiences of her family in her earlier collections. They were simpler as compared to the later collections. ‘Dear Life’ is her latest collection. The Canadian Post released her honorary postage stamp in 2015.
मानव भारती विवि में स्थित हैं मूर्ति, धर्मिक पर्यटन को मिलेगी उड़ान सोलन का लाडो गांव विश्व मानचित्र पर अंकित हो गया है। यहाँ दुनिया की सबसे ऊँची भगवान् हनुमान की मूर्ति बनकर तैयार है। ये मूर्ति मानव भारती विश्वविद्यालय में स्थित हैं। मानव भारती फाउंडेशन ने करीब अढ़ाई करोड़ रुपये की लागत से 156 फीट ऊँची भगवान हनुमान की इस मूर्ति का निर्माण करवाया हैं, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा आगामी जल्द होने जा रही हैं। इसके बाद इस मूर्ति को आमजन को समर्पित कर दिया जायेगा। माना जा रहा हैं कि इस मूर्ती के निर्माण से मानव भारती यूनिवर्सिटी धार्मिक पर्यटन का एक नया डेस्टिनेशन बनेगा। इससे सोलन में धार्मिक पर्यटन को भी उड़ान मिलेगी और निसंदेह इससे स्थानीय लोगों को राेजगार भी मिलेगा। मूर्ती के दर्शन के लिए अलग से रास्ता बनाया है, ताकि पर्यटक यहां पर आसानी से दर्शन कर सके। प्रतिमा को ऐसी जगह स्थापित किया है जहां से यह चंडीगढ़ -शिमला राष्ट्रीय मार्ग के साथ साथ सोलन शहर की तरफ से आने वाली सड़क से दूर से नजर आती हैं। उल्लेखनीय हैं कि मानव भारती चैरिटेबल ट्रस्ट ने वर्ष 2014 में इस मू्र्ती के निर्माण का कार्य शुरू किया था और इसे बनाने में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया हैं ।इस प्रतिमा को बनाने का ज़िम्मा मूर्तिकार पद्मश्री नरेश कुमार को दिया गया है। नरेश कुमार वहीँ शख्स हैं जिन्होंने जाखू मंदिर शिमला में भगवान हनुमान की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण भी किया है। मूर्ति की विशेषताएं 1600 मीटर क्षेत्रफल में निर्मित मूर्ति का चेहरा 21 फीट, हथेली 19 फीट और पांव 26 फीट के हैं। भगवान हनुमान की प्रतिमा के गले में 20 इंच व्यास की रुद्राक्ष की माला बनाई गई हैं। इस मूर्ति का वजन करीब दो हजार टन है। मूर्ति के निर्माण में विशेष कोंकरीट का इस्तेमाल किया गया है जिसमें इसकी उम्र सैकड़ों वर्षों से भी अधिक होगी। ये प्रतिमा भूकंप रोधी है। इस मूर्ति की चमक बरसों बनी रहे, इसके लिए इसे मेटल कोट किया जा रहा है। मेटल कोटिड होने के कारण मूर्ति पर पक्षी या परजीवी नहीं आ सकेंगे। परिंदो को दूर रखने के लिए मूर्ति पर शाॅक वेर्वस भी लगाए जा रहे हैं। लिम्का बुक में दर्ज होगी सबसे ऊंची मूर्ति मानव भारती विवि में स्थापित की जा रही भगवान हनुमान की प्रतिमा दुनिया की जानी-मानी वैबसाईट विकिपीडिया पर जल्द दुनिया में सबसे ऊंची हनुमान की प्रतिमा की श्रेणी में नंबर वन का तगमा हासिल करने वाली है। इसके अलावा इसका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी दर्ज हाेगा। मानव भारती फाउंडेशन ने इसके लिए सारे दस्तावेज तैयार करके भेज दिए हैं। अभी आंध्र प्रदेश में हैं सबसे ऊँचे हनुमान अभी दुनिया में सबसे ऊंची बागवान हनुमान की प्रतिमा आंध्र प्रदेश में स्थापित है जिसकी ऊंचाई 135 फीट है। दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची हनुमान की प्रतिमा उड़ीसा में स्थापित है जिसकी ऊंचाई करीब 109 फ़ीट है। वहीं शिमला व कर्नाटका में भी 108 फीट ऊंची हनुमान की प्रतिमा स्थापित है। इसके बाद महाराष्ट्र में 105 फीट ऊंची हनुमान की प्रतिमा स्थापित की गई है। वहीँ, दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा भगवान बुद्ध की है। यह प्रतिमा करीबन 502 फीट ऊंची है और चीन में स्थित हैं । चाहता हूँ धार्मिक पर्यटन बढे और लोगों को रोज़गार मिले- राणा मानव भारती विश्वविद्यालय के संस्थापक राज कुमार राणा ने बताया कि उनका मकसद अपने आराध्य भगवान हनुमान को यहां स्थापित कर प्रदेश में धार्मिक भावना के साथ पर्यटन को बढ़ावा देना है। साथ ही वे चाहते हैं कि इससे स्थानीय लोगों को रोज़गार मिले। राणा ने कहा कि हनुमान की उपासना से जीवन के सारे कष्ट, संकट मिट जाते है। बता दें कि हर मंगलवार को मानव भारती विवि में भंडारे का आयोजन होता हैं, जिसमें दूर- दूर से लोग प्रसाद ग्रहण करने पहुँचते हैं।
आगामी 11 जुलाई को पूरे प्रदेश में होने वाली मेगा मॉक ड्रिल की तैयारियों को लेकर आज फिर से सोलन में समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। उपायुक्त कार्यालय सभागार में आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी विवेक चंदेल ने की। बैठक के दौरान इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम के आधार पर विभिन्न विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारियों को बाकायदा तौर पर तय किया गया ताकि इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम के अनुरूप भूकंप पर आधारित ड्रिल को सोलन में अमलीजामा पहनाया जा सके। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ने यह भी बताया कि 10 जुलाई को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मेगा मॉक ड्रिल को की गई तैयारियों की अलग से समीक्षा करेगा। यह समीक्षा उपायुक्त कार्यालय के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष में सुबह 11 बजे से शुरू होगी। बैठक में ये फैसला भी लिया गया कि सोलन शहर में नियमित तौर पर सुबह 10 बजे बजने वाला हूटर नहीं बजेगा लेकिन 10 बजे के अलावा जिस भी समय हूटर बजेगा वह आपदा आने की सूचना होगा। हूटर बजने के बाद आपदा प्रबंधन टीम जिला आपदा प्रबंधन केंद्र का रुख करेगी। जिसमें आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक , मुख्य चिकित्सा अधिकारी , एसई लोक निर्माण, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य व बिजली बोर्ड और अध्यक्ष जिला परिषद शामिल होंगे । केंद्र में आपदा को लेकर आपात बैठक करने के बाद यह फैसला लिया जाएगा कि राहत और बचाव कार्य को किस तरीके से अंजाम देना है। इस फैसले के बाद ठोडो मैदान में स्थापित होने वाले स्टेजिंग एरिया से टीमों को जरूरत और प्राथमिकता के आधार पर तय किए गए घटनास्थल की ओर रवाना कर दिया जाएगा। नगर परिषद कार्यालय, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, विवांता मॉल, साईं संजीवनी अस्पताल और राजकीय डिग्री कॉलेज को घटना स्थलों के तौर पर चिन्हित किया गया है। बैठक के दौरान खोज एवं बचाव दलों, मेडिकल टास्क फोर्स, एंबुलेंस, अग्निशमन, बचाव कार्य में प्रयुक्त होने वाली भारी मशीनरी की उपलब्धता, राहत और मेडिकल शिविर की स्थापना, संचार व्यवस्था समेत मेगा मॉक ड्रिल से जुड़े अन्य सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ने इंसीडेंट रिस्पांस टीम से जुड़े सभी अधिकारियों से आग्रह किया कि वे तय की गई जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभाएं ताकि यह मेगा मॉक ड्रिल अपने उद्देश्य को लेकर सफल बने। मेगा मॉक ड्रिल के दौरान शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर भी उन्होंने पुलिस को आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा। बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष एवं सदस्य जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण धर्म पाल चौहान के अलावा एसडीएम रोहित राठौर, सहायक आयुक्त भानु गुप्ता, सैन्य पुलिस और गृह रक्षा विभागों के अधिकारी, विभिन्न विभागों के अन्य अधिकारी व व्यापार मंडल के पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
डीसी सोलन केसी चमन ने सोलन में विभिन्न रूटों पर चल रहे ऑटो रिक्शा के किराये बढ़ाए जाने संबंधी आदेश जारी किए गए हैं। यह दरें ऑटो ऑपरेटर्स एसोसिएशन की सहमती से निर्धारित की गई हैं। आदेशों के अनुसार ऑटो रिक्शा चालक को लिखित शर्तो के अतिरिक्त आम जनता/यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुये ऑटो में किराया चार्ट सदैव लगाना अनिवार्य होगा। आदेश के अनुसार पुराना बस अड्डा से चंबाघाट तक प्रति यात्री किराया 10 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 30 रुपये), पुराना बस अड्डा से कोटलानाला तक 14 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 42 रुपये), पुराना बस अड्डा से दोहरी दीवार नजदीक आबकारी एवं कराधान कार्यालय तक 10 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 30 रुपये), पुराना उपायुक्त कार्यालय चैक से सपरून चैक /दोहरी दीवार नजदीक आबकारी एवं कराधान कार्यालय 7 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 21 रुपये), कोटनाला से पुराना उपायुक्त कार्यालय चैक तक 7 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 21 रुपये), पुराना उपायुक्त कार्यालय चैक से क्षेत्रीय अस्पताल सोलन तक 14 रूपये (पूरे ऑटो का किराया 21 रुपये), पुराना बस अड्डा से क्षेत्रीय अस्पताल सोलन तक 20 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 60 रुपये), सपरून से क्षेत्रीय अस्पताल सोलन तक 20 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 60 रुपये), पुराना बस अड्डा से शामती तक 20 रुपये (पूरे आॅटो का किराया 70 रुपये), सपरून से शामती तक 20 रुपये (पूरे आॅटो का किराया 60 रुपये), पुराना डीसी चैक से शामती तक 14 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 42 रुपये), पुराना डी.सी.चैक से न्यू बस स्टैंड सोलन तक 20 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 60 रुपये) निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार बाईपास सोलन से न्यू बस स्टैंड सोलन तक 10 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 30 रुपये), चंबाघाट से न्यू बस स्टैंड सोलन तक 20 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 60 रुपये), दोहरी दीवार से रबौन तक 10रुपये (पूरे ऑटो का किराया 30 रुपये), दोहरी दीवार से आंजी तक 10 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 30 रुपये), दोहरी दीवार से आंजी डी.पी.एस स्कूल तक 15 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 45 रुपये), पुराना बस अड्डा से उपायुक्त कार्यालय सोलन तक 7 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 21 रुपये) किराया निर्धारित किया गया है। ये है मुख्य बिंदु ... आदेश में कहा गया है कि आटो रिक्शा सबलेटिंग पर नहीं चलाया जायेगा। ऑटो रिक्शा में परिवहन विभाग द्वारा जारी लाईसैंस के अनुरूप अधिकतम सवारियां बैठाई जा सकेंगी। ऑटो रिक्शा के चलने के किन्हीं भी दो स्टेशनों के बीच का न्यूनतम किराया 7 रूपये होगा। प्रारम्भ बिन्दु से अन्त बिन्दु तक का किराया उपरोक्त आदेशानुसार होगा। ये दरें अधिसूचना जारी होने की तिथि से दो वर्ष के लिए मान्य होगी। जुलाई 2021 में किराये का पुर्नमुल्यांकन किया जायेगा।
डॉ वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के कुलपति पद को लेकर ज़ारी संशय समाप्त हो गया है। मंगलवार को डॉ परविंदर कौशल की नियुक्ति की अधिसूचना हिमाचल प्रदेश राज्यपाल सचिवालय द्वारा जारी की गई, जिसके बाद उन्होंने पदभार ग्रहण किया। डॉ॰ परविंदर कौशल, इससे पहले बिरसा कृषि विश्वविद्यालय,रांची,झारखंड के बतौर कुलपति कार्यरत थे। खासबात ये है कि डॉ॰ परविंदर कौशल जिला सोलन के ग्राम कहन्नी में जन्में डॉ कौशल नौणी विवि के पूर्व छात्र भी रह चुके हैं। उन्होंने अपनी एमएससी वानिकी की पढ़ाई विश्वविद्यालय से हासिल की है जिसके बाद फ्रांस के यूनिवर्सिटी ऑफ नैंसी से फॉरेस्ट्री में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। डॉ कौशल पिछले 35 वर्षों से शिक्षण, अनुसंधान और विकास, विस्तार और प्रशासन में सक्रिय रूप से शामिल हैं, जिसके बुते वे उसी विवि के उप कुलपति बने है , जहाँ कभी वे छात्र थे। डॉ परविंदर कौशल ने विभिन्न क्षमताओं में अलग अलग संस्थानों और विश्वविद्यालयों में अपनी सेवाएँ दी। इनमें से प्रमुख हैं, इंडियन काउंसिल फॉर फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन देहरादून (1979-1981), पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना में असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर (1981-1992) और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची में वानिकी संकाय में डीन (2005-2009)। नौणी विश्वविद्यालय में पर्यावरण, जल और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राष्ट्रीय वनीकरण और पर्यावरण विकास बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक और समन्वयक के रूप डॉ कौशल ने कई वर्षो तक कार्य किया। 100 से अधिक शोध पत्र हो चुके है प्रकाशित डॉ कौशल ने 100 से अधिक शोध पत्र और तकनीकी रिपोर्ट प्रकाशित करने के अलावा 13 से अधिक पुस्तकों के अध्याय और मैनुअल लिखे हैं। उन्होंने 26 विश्व कांग्रेस और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया है और 63 परियोजनाओं को संभाला है। कई पुरस्कारों से सम्मानित डॉ कौशल को 1989 में राष्ट्रीय युवा वैज्ञानिक पुरस्कार और 2014 में हिमाचल श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें फ्रेंच सरकार द्वारा भी वर्ष 1984 में डॉक्टरल अनुसंधान के लिए फेलोशिप प्रदान की गई थी। इसके अलावा, उन्होंने फ्रांस, इटली, यूनाइटेड किंगडम, मैक्सिको, ऑस्ट्रिया, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, यूगोस्लाविया, बेल्जियम, हॉलैंड, स्पेन, एस्टोनिया, कनाडा, फिनलैंड, तुर्की, मलेशिया और श्रीलंका सहित कई देशों का दौरा किया है।
नशे के खिलाफ सोलन पुलिस की कार्रवाई ज़ारी है। इसी कड़ी में एक बार फिर पुलिस को सफलता मिली है। पुलिस ने सोलन के दो युवकों को 15.75 ग्राम चिट्टे के साथ गिरफ्तार किया। मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर रबौन में नाका लगाकर इन युवकों क धरा है।दोनों युवक टोयोटा इटियोस कार में सवार थे, तभी पुलिस ने तलाशी ले चिट्टा बरामद किया है। कार से चिट्टा बरामद करना पुलिस के लिए आसान नहीं था। एक बार तो पुलिस क लगा कि उन्हें गलत सुचना मिली है लेकिन आखिरकार पुलिस को चिट्टा ढूंढने में सफलता मिल गई। दरअसल आरोपियों ने कार की पिछली सीट में लगी बेल्ट के हुक को लगाने वाली डिब्बी में चिट्टे को छुपाया हुआ था, पर पुलिस की पेनी नजर से आरोपी बच नहीं पाए। आखिरकार पुलिस ने 15.75 ग्राम चिट्टा बरामद करने में कामयाबी हासिल की। डीएसपी योगेश दत जोशी ने मामले की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि दोनों आरोपियों के विरुद्ध एनडीएसपीएस अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई की जा रही है।
जिला शिमला के ठियोग-हाटकोटी सड़क मार्ग पर एक गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई है, जबकि दो लोग घायल हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलवार सुबह गाड़ी नंबर HP-16-A-0513 कोटखाई के पास छोल नामक स्थान पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। गाड़ी में कुल पांच लोग सवार थे। सभी सवार सिरमौर के रहने वाले हैं। इनमें से तीन लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। मरने वालों में दो पुरूष व एक महिला शामिल है।घायल आइजीएमसी शिमला में उपचाराधीन है। घायलों में से एक की हालत गंभीर बताई जा रही है।
संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर के नाम पर पंच तीर्थ बनाने वाली सरकार उनके नाम पर बने भवनों की भी देखरेख नहीं कर पा रही है। ऐसा ही एक मामला विकास खंड धर्मपुर की गोयला पंचायत का है। यहाँ बाबा साहेब के नाम पर बना भवन खंडर में तब्दील हो नशेड़ियों का अड्डा बना चूका है। लाखों की लागत वाले इस इस भवन का लोकार्पण 1 मई 2012 को हुआ था। दिलचस्प बात ये है कि इसका लोकार्पण सीएम जयराम ठाकुर ने किया था, जो तब प्रो प्रेम कुमार धूमल की सरकार में पंचायती राज मंत्री थे।इसके बाद वर्ष 2018 में डॉ आंबेडकर की 127 वीं जयंती के अवसर पर जयराम ठाकुर बतौर सीएम जिला सोलन में आये, पर उन्होंने इस विषय में संज्ञान नहीं लिया या शायद उन तक इस भवन की खस्ताहालत की जानकारी नहीं पहुंची। शराब की खाली बोतलें बयां कर रही हाल सीएम जयराम ठाकुर ने वर्ष 2012 में बतौर पंचायती राज मंत्री लाखों की लागत से बने जिस भवन का शुभारम्भ किया था वो अब खंडर बन चूका है। दरवाजे व खिड़कियां टूटी हुई है, आंगन में झाड़िया उगी हुई है। भवन में बिखरी शराब की खाली बोतलें बयां कर रही है कि ये भवन अब नशेड़ियों का अड्डा बन चूका है। पांच साल कांग्रेस ने नहीं ली सुध वर्ष 2012 के बाद पांच वर्ष प्रदेश में कांग्रेस का शासन रहा। वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में पांच साल चली कांग्रेस सरकार ने भी कभी इस भवन की सुध नहीं ली। दरअसल इन्हीं पांच सैलून में इस भवन की दुर्गति हुई है। वीरभद्र सरकार तो इस बदहाली के लिए जिम्मेवार है ही किन्तु बाबा साहिब के नाम पर पांच तीर्थ बनानी वाली भाजपा विपक्ष में रहकर भी कम से कम इस विषय पर तत्कालीन सरकार का ध्यान तो खींच ही सकती थी। उम्मीद है, सीएम को गोयला का आंबेडकर भवन याद रहे वर्तमान में प्रदेश में भाजपा की सत्ता है। बीते कुछ वर्षों में भाजपा ने डॉ भीमराव अंबेडकर के सम्मान में पंच तीर्थ बनाये है, उनके नाम से भीम एप शुरू की है और कई अन्य योजनाओं पर कार्य शुरू किया है। ऐसे में प्रदेश सरकार से अपेक्षित है वह ग्राम पंचायत गोयला के डॉ भीम राव अंबेडकर भवन की सुध भी लेगी और इसकी मरम्मत हेतु आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए जायेगे। सीएम साहब, उम्मीद है आपको अपने ही द्वारा बनवाया गया गोयला पंचायत का भीमराव अंबेडकर भवन याद होगा ! पक्ष ..... मामला ध्यान में नहीं था। मैंने हाल ही में ज्वाइन किया है। जांच कर उचित कदम उठाएंगे ।
फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट - 2014 में किया था वादा, 2019 में पीएम मोदी ने ज़िक्र तक नहीं किया सिटी ऑफ रेड गोल्ड सोलन के किसान लम्बे समय से टमाटर आधारित फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट की मांग करते आ रहे है। अमूमन हर चुनाव में सियासी दल फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट का वादा करते है और ऐसा दशकों से होता आ रहा है, किन्तु अब तक सोलन को फ़ूड प्रोसेसिंग पालनट नहीं मिला। टमाटर का समर्थन मूल्य तय करने की मांग भी किसान संगठन लम्बे वक्त से करते आ रहे है पर इस दिशा में भी किसानों को आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला।ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि जो टमाटर जिला के हजारों किसान परिवारों के लिए जीवनयापन का जरिया है वो शायद शासन और तंत्र के लिए सिर्फ राजनीति की वस्तु है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वर्ष 2014 में सोलन रैली में किसानों से टमाटर के समर्थन मूल्य व फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की बात कह चुके है। तब वे प्रधानमंत्री नहीं थे, प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे। खेर, नरेंद्र मोदी के प्रधानमन्त्री बनने के बाद उम्मीद जगी कि शायद सरकार टमाटर किसानों की सुध लेगी। परंतु कुछ नहीं बदला। दिलचस्प बात ये है कि 2019 में जब नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री सोलन आये तो उन्होंने न फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट का ज़िक्र किया और न ही टमाटर के समर्थन मूल्य का। मवेशियों को खिलने पड़ते है टमाटर कूल उत्पादन का करीब 70 फीसदी सोलन-सिरमौर से उल्लेखनीय है कि सोलन प्रदेश का सबसे बड़ा टमाटर उत्पादक है। प्रदेश के कूल टमाटर उत्पादन का करीब 40 फीसदी से अधिक अकेले सोलन शहर से आता है। वहीं संसदीय क्षेत्र के एक अन्य जिला सिरमौर का योगदान कुल उत्पादन का करीब 30 फीसदी है। यहां के हजारों परिवार जीवन यापन के लिए टमाटर खेती पर आश्रित है। विडंबना ये है कि अधिक उत्पादन की स्थिति में किसानों को टमाटर का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। कई मर्तबा तो हालात इतने बदतर हो जाते है कि टमाटर मवेशियों को खिलाने पड़ते है। दो दशकों से है चुनावी मुद्दा सोलन में टमाटर आधारित फूड प्रोसेसिंग यूनिट करीब दो दशकों से चुनावी मुद्दा है। अमुमन हर चुनाव में किसान वोट हतियाने के लिए नेता फूड प्रोसेसिंग यूनिट का ख्वाब दिखाते है , वोट बटोरते है और फिर भूल जाते है । खासतौर से लोकसभा पहुंचने के लिए टमाटर फैक्टर का भरपूर इस्तेमाल होता आया है। बॉर्डर पर तनाव, किसानों का नुक्सान गौर हो कि सोलन से टमाटर आमतौर पर पाकिस्तान एक्सपोर्ट किया जाता है । इसी के चलते किसानो को अधिक उत्पादन होने पर राहत मिलती है । साथ ही उन्हें उचित मुल्य भी मिलता है। किन्तु अगर बॉर्डर पर तनाव हो तो व्यापारी एक्सपोर्ट से परहेज करते है जिसका खमियाजा किसानो को भी भुगतना पड़ता है। ऐसे में स्थानीय फूड प्रोसेसिंग यूनिट होने से किसानो का आर्थिक नुक्सान कम किया जा सकता है। वोट के लिए हुआ है किसान का इस्तेमाल - हिमाचल किसान सभा भाजपा व कांग्रेस दोनों ही राजनैतिक दलों ने सिर्फ वोट के लिए टमाटर किसान का इस्तेमाल किया है।खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मई 2014 में सोलन में हुई रैली में फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट व एमएसपी का वादा किया था, लेकिन हुआ कुछ नहीं। इतना ही नहीं जो टमाटर बाजार में किलोग्राम के हिसाब से बेचा जाता है, उसे किसान से क्रेट के हिसाब से ख़रीदा जाता है , जो किसान के साथ नाइंसाफी है। -डॉ कुलदीप तंवर, अध्यक्ष, हिमाचल किसान सभा।