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हिमाचल प्रदेश में रात के साथ दिन के तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विभाग ने आज 2 जिलों में कोहरे का यलो अलर्ट जारी किया है। विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक मंडी की बल्ह घाटी और बिलासपुर के भाखड़ा बांध के आसपास के क्षेत्रों में सुबह 10 बजे तक कोहरा छाएगा। इससे विजिबिलिटी 200 मीटर तक कम हो जाएगी, अगले 6 दिन धूप खिलेगी रहेगी। बीते 24 घंटे के दौरान कई शहरों के अधिकतम तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज की गई है। कुकुमसैरी के तापमान में सबसे ज्यादा 4 डिग्री की गिरावट के बाद पारा 13.4 डिग्री रह गया है, जबकि यहां का न्यूनतम तापमान -2.8 डिग्री तक लुढ़क चुका है। पर्यटन स्थल कुफरी का तापमान भी 3.8 डिग्री लुढ़कने के बाद 12.0 डिग्री, नारकंडा का 2.8 डिग्री कम होने के बाद 12.0 डिग्री, मनाली का 2.1 डिग्री कम होने के बाद 16.1 डिग्री और शिमला का 1.9 डिग्री लुढ़कने के बाद अधिकतम तापमान 16.6 डिग्री सेल्सियस रह गया है। इसी तरह, राज्य के 10 शहरों में रात का पारा 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे, 3 जगह माइनस में और 27 कस्बों का तापमान 10 डिग्री से नीचे लुढ़क गया है। इससे सुबह-शाम व रात को ठंड पड़ने लगी है। लाहौल स्पीति के केलांग का रात का तापमान -2.1 डिग्री, कुकुमसैरी का -2.८ और ताबो का माइनस -4.6 डिग्री तक गिर गया है। शिमला की तुलना में हमीरपुर, पालमपुर, सोलन और मनाली में ज्यादा ठंड पड़ रही है। शिमला का न्यूनतम तापमान 7.6 डिग्री रिकॉर्ड किया गया, जबकि सुंदरनगर का पारा 5.7, कुल्लू के भुंतर का 4.1, पालमपुर 5.5, सोलन 4.8, मनाली 2.9 डिग्री दर्ज किया गया।
साहिर लुधियानवी के अल्फाज़ न जाने कितनी अधूरी प्रेम कहानियों का दर्द बयाँ करते है। वह दर्द जो ख़ामोशी के नीचे दबे उस मशहूर मगर अनकहे एहसास की दास्तान है, जिसे हर आशिक़ ने हिज्र के बाद कहीं न कहीं महसूस किया है। अधूरे इश्क़ का अंजाम दिखाती उनके जीवन से जुड़ी एक कहानी जो शुरू तो हुई, मगर मंज़िल तक कभी पहुँच न सकी। एक ऐसी मोहब्बत जो ज़माने की बनाई लकीरों से अलग थी, और जो आखिर में आधी जली सिगरेटों, चाय के झूठे प्यालों और ढेरों ख़तों में सिमटकर रह गई। यह कहानी है उर्दू के मशहूर शायर साहिर लुधियानवी और पंजाब की पहली बाग़ी कवयित्री अमृता प्रीतम की। अधूरी मोहब्बत का यह एक ऐसा मुकम्मल फ़साना है, जिसके जैसा दूसरा ढूँढ पाना मुश्किल है; एक फ़साना जो मंज़िल तक पहुँचने से पहले लड़खड़ाया ज़रूर, मगर उसका असर कभी फीका नहीं पड़ा। 16 साल में अमृता की करवा दी गयी शादी अमृता एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखती थी जहां धर्म के धागे इंसान की किस्मत तय किया करते थे। जहां उनकी नानी मां अन्य समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोगों के बर्तन भी अलग रखती थी, जहां शादी का मतलब जिंदगी भर का साथ होता था। ऐसे परिवार में जन्मी थी वो बेख़ौफ़ कवियत्री जिसने अपनी जिंदगी में दो लोगों से प्यार किया जिनमें से एक मुस्लमान था। ज़ाहिर है की अमृता प्रीतम वो महिला थी जो अपने दौर से बहुत आगे थी। अमृता जब 16 साल की थीं, तो उनकी शादी प्रीतम सिंह से करवा दी गई। शादी के बाद वे अमृता कौर से अमृता प्रीतम बन गई। अमृता ने अपने पति का नाम तो अपनाया लेकिन वो उनकी अभिन्न अंग नहीं बन पाई। साहिर-अमृता की पहली मुलाकात ये बात 1944 की है जब साहिर अमृता पहली बार एक दूसरे से मिले थे। जगह थी लाहौर और दिल्ली के बीच स्थित प्रीत नगर जहां एक बड़े मुशायरे का आयोजन किया गया था अमृता यहां पहुंची थी। इसी मुशायरे में आम सा दिखने वाला, लेकिन अच्छी कदकाठी का एक युवक भी आया था जिसका नाम था साहिर लुधियाना। साहिर जुनुनी और आदर्शवादी थे, अमृता बेहद दिलकश अपनी खूबसूरती में भी और अपनी लेखनी में भी। बेहद क्रांतिकारी मिजाज के साहिर अमृता को पहली ही मुलाक़ात में भा गए थे। वहीं अमृता भी पहली ही मुलाकात में साहिर को अपना दिल दे बैठी थी। इस मुलाकात में कोई बात नहीं हुई। दोनों घंटो खामोश बैठे रहें। शायद उस समय की मोहब्बत ख़ामोशी से शुरू हुआ करती होगी, वैसे भी जहां इश्क़ ब्यां करने के लिए लफ़्ज़ों की ज़रूरत पड़े वो मोहब्बत कैसी। अमृता ने लिखा, "मुझे नहीं मालूम की वो साहिर के लफ्जो की जादूगरी थी, या उनकी खामोश नज़र का कमाल था, लेकिन कुछ तो था जिसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया, आज जब उस रात को आँखें मूंद कर देखती हूँ तो ऐसा समझ आता है कि तकदीर ने मेरे दिल में इश्क़ का बीज डाला जिसे बारिश की फुहारों ने बढ़ा दिया, उस दिन बारिश हुई थी।" साहिर से मिलने के बाद अमृता ने उनके लिए एक कविता भी लिखी थी 'अब रात गिरने लगी तो तू मिला है, तू भी उदास, चुप, शांत और अडोल। मैं भी उदास, चुप, शांत और अडोल। सिर्फ- दूर बहते समुद्र में तूफान है…' आत्मकथाओं में लिखे मोहब्बत के किस्से साहिर और अमृता की प्रेम कहानी के किस्से इन दोनों की आत्मकथाओं में मिलते है, अपनी आत्मकथा रसीदी टिकट में अमृता प्रीतम ने साहिर के साथ हुई मुलाकातों का जिक्र किया है। वो लिखती है कि, "वो खामोशी से सिगरेट जलाता और फिर आधी सिगरेट ही बुझा देता, फिर एक नई सिगरेट जला लेता। जब तक वो विदा लेता, कमरा सिगरेट की महक से भर जाता। मैं इन सिगरेटों को हिफाजत से उठाकर अलमारी में रख देती और जब कमरे में अकेली होती तो उन सिगरेटों को एक-एक करके पीती। मेरी उंगलियों में फंसी सिगरेट, ऐसा लगता कि मैं उसकी उंगलियों को छू रही हूं। मुझे धुएं में उसकी शक्ल दिखाई पड़ती। ऐसे मुझे सिगरेट पीने की लत लग गई।" अमृता लिखती है- "यह आग की बात है तूने यह बात सुनाई है यही ज़िन्दगी की वहीं सिगरेट है जो तूने कभी सुलगायी थी चिंगारी तूने दी थी ये दिल सदा जलता रहा वक्त कलम पकड़ कर कोई हिसाब लिखता रहा ज़िन्दगी का अब गम नहीं इस आग को संभाल ले तेरे हाथ की खेर मांगती हूँ अब और सिगरेट जला ले " वैसे साहिर भी कुछ कम नहीं थे। उनकी ज़िंदगी से जुड़ा एक किस्सा अक्सर सुनाया जाता है। जब साहिर और संगीतकार जयदेव किसी गीत पर काम कर रहे थे, तभी जयदेव की नज़र साहिर के घर में रखे एक झूठे कप पर पड़ी। उन्होंने उसे साफ़ करने की बात कही, तो साहिर ने तुरंत रोकते हुए कहा "इसे मत छूना, अमृता ने आख़िरी बार यहीं बैठकर इसी कप में चाय पी थी।" अमृता और साहिर के बीच मोहब्बत तो थी, मगर उनकी राहों में कई रुकावटें थीं। अमृता जब साहिर से मिलीं, तब वे विवाहित थीं हालाँकि वह रिश्ता कभी भी उनके मन को रास नहीं आया। दूसरी ओर साहिर लुधियानवी नए रिश्ते की ज़िम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं थे। फिर भी, अमृता ही थीं जिन्होंने उनके दिल में एक ऐसी जगह बनाई जो कोई और कभी नहीं ले सका। साहिर की जीवनी “साहिर: ए पीपुल्स पोइट” के लेखक अक्षय मानवानी लिखते हैं कि अमृता शायद वह अकेली स्त्री थीं जो साहिर को शादी के लिए मना सकती थीं। एक बार अमृता जब दिल्ली में साहिर की माँ से मिलने आई थीं, तो उनके जाने के बाद साहिर ने अपनी माँ से कहा था "वो अमृता प्रीतम थी… जो आपकी बहू बन सकती थी।" लेकिन साहिर ने यह बात कभी अमृता से नहीं कही। शायद वही चुप्पी, वही अनकहा इज़हार, अमृता के दिल में इमरोज़ के लिए जगह बनाता चला गया। अमृता के जीवन में इमरोज़ का आना अमृता इमरोज़ से 1958 में मिले, मिलते ही इमरोज़ को अमृता से इश्क़ हो गया। इमरोज़ एक चित्रकार थे साहिर और अमृता की मुलाकात तो यूं ही संयोग से हो गई थी, लेकिन इमरोज़ से तो अमृता की मुलाकात करवाई गई थी। एक दोस्त ने दोनों को मिलवाया था। इमरोज़ ने तब अमृता का साथ दिया जब साहिर को कोई और मिल गया था। इमरोज़ के साथ अमृता ने अपनी जिंदगी के आखिरी 40 साल गुजारे, इमरोज़, अमृता की पेंटिंग भी बनाते और उनकी किताबों के कवर भी डिजाइन करते। इमरोज़ और अमृता एक छत के नीचे ज़रूर रहे मगर एक दूसरे के साथ नहीं। उनकी जिंदगी के ऊपर एक किताब भी है 'अमृता इमरोज़: एक प्रेम कहानी'। एक ही छत के नीचे दो अलग कमरे इन दोनों का बसेरा बनें। अपने एक लेख "मुझे फिर मिलेगी अमृता" में इमरोज़ लिखते है की कोई रिश्ता बांधने से नहीं बंधता न तो मैंने कभी अमृता से कहा कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ न कभी अमृता ने मुझसे। मैं तुम्हे फिर मिलूंगी कविता में शायद अमृता ने इमरोज़ के लिए ही लिखा था- "मैं तैनू फ़िर मिलांगी कित्थे ? किस तरह पता नई शायद तेरे ताखियल दी चिंगारी बण के तेरे केनवास ते उतरांगी जा खोरे तेरे केनवास दे उत्ते इक रह्स्म्यी लकीर बण के खामोश तैनू तक्दी रवांगी जा खोरे सूरज दी लौ बण के तेरे रंगा विच घुलांगी जा रंगा दिया बाहवां विच बैठ के तेरे केनवास नु वलांगी पता नही किस तरह कित्थे पर तेनु जरुर मिलांगी" इमरोज़ अमृता से बेइन्तिहाँ मोहब्बत करते थे मगर अमृता के दिलों दिमाग पर साहिर का राज था। किस्सा तो यह भी है कि इमरोज के पीछे स्कूटर पर बैठी अमृता सफर के दौरान ख्यालों में गुम होतीं तो इमरोज की पीठ पर अंगुलियां फेरकर 'साहिर' लिख दिया करती थीं। ये मोहब्बत अधूरी रही और इस मोहब्बत के गवाह बने आधी जली सिगरेट के टुकड़े, चाय का झूठा प्याला और ढेर सारे खुतूत।
हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर जिला निर्वाचन अधिकारियों की ओर मतदाता सूचियों का डाटा उपलब्ध न करवाने से छपाई का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। एक तरफ सरकार की ओर से डिजास्टर एक्ट लागू किया गया है तो दूसरी ओर आयोग ने पंचायतों के चुनाव को लेकर मतदाता सूचियां, बैलेट पेपर आदि चुनावी सामग्री उठाने की आदेश जारी किए गए है। इन हालात में दो उपायुक्तों ने मुख्य सचिव को पत्र लिख कर स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया है। राज्य निर्वाचन आयोग और प्रदेश सरकार में उपजे विवाद के बीच मतदाता सूचियों की छपाई का काम रुक गया है। राज्य निर्वाचन आयोग के आदेशों के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी अब असमंजस में है। मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग की ओर से छपाई के टेंडर भी जारी कर दिए थे। रोस्टर जारी होने से पहले इन सूचियों को पंचायतों में भेजा जाना है। हर वार्ड को 20 सूची भेजी जाती है। पंचायतों के पुनर्गठन पर लगाई रोक का फैसला वापस लेने को आयोग तैयार नहीं है। सरकार ने मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का क्लाॅज 12.1 हटाने का आग्रह किया है। आयोग का कहना है कि कोर्ट में ही इसको लेकर स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं। हिमाचल प्रदेश में पंचायतीराज संस्थाओं का कार्यकाल जनवरी 2026 में पूरा होने जा रहा है। ऐसे में पंचायतों की शक्तियां बीडीओ और पंचायत सचिव को दी जा सकती है। पंचायतों में होने वाले विकास कार्यों की निगरानी ये ही करेंगे। सरकार की मशीनरी और सहयोग के बगैर हिमाचल में पंचायत के चुनाव कराना मुश्किल है। इस बात को आयोग भी मान रहा है। ज्यादातर इन चुनाव में शिक्षा विभाग के कर्मचारियों और अध्यापकों की ड्यूटियां लगती हैं। हिमाचल में अभी डिजास्टर एक्ट लागू है। दिसंबर-जनवरी में बर्फबारी की संभावना रहती है। इसके बाद स्कूलों में परीक्षाएं शुरू हो जाती हैं। ऐसे में यह चुनाव अब अगले वर्ष अप्रैल-मई महीने तक लटक सकते हैं।
प्रदेश में बारिश-बर्फबारी नहीं होने के बावजूद तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है। राज्य के 25 शहरों का तापमान 10 डिग्री से नीचे गिर गया है। शिमला की तुलना में मंडी, हमीरपुर, धर्मशाला, कांगड़ा, ऊना और मनाली में ज्यादा ठंड पड़ रही है। वहीं नवंबर माह में अब तक सामान्य से 89 प्रतिशत कम बारिश हुई है। एक से 20 नवंबर के बीच 11.2 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है। मगर इस बार 1.2 मिलीमीटर वर्षा हुई है। अगले 6 दिन भी बारिश और बर्फबारी के आसार नहीं है। इससे गेहूं की बीजाई प्रभावित हो रही है। प्रदेश के किसान बारिश के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हैं। इन 20 दिनों में सिरमौर और मंडी जिले में पानी की एक बूंद भी नहीं गिरी, जबकि बिलासपुर जिले में 0.7 मिलीमीटर, चंबा में 0.5, हमीरपुर में 0.1,कांगड़ा में 0.2, किन्नौर 3.2, शिमला में 0.1, सोलन में 0.6 और ऊना में मात्र 0.7 मिलीमीटर बारिश हुई है। शिमला का न्यूनतम तापमान 8.6 डिग्री रिकॉर्ड किया गया, जबकि प्रदेश के सबसे गर्म शहर ऊना का तापमान 8.4 डिग्री, सुंदरनगर 4.7, कुल्लू के भुंतर का 4.6, धर्मशाला 7.5, पालमपुर 5.5, सोलन 6.2, मनाली 4.1, कांगड़ा 7.4, मंडी 8.3 डिग्री दर्ज किया गया। मौसम विभाग के अनुसार, अगले एक सप्ताह के दौरान भी लाहौल स्पीति, किन्नौर और कुल्लू में रात का तापमान सामान्य से कम रहेगा। इसी तरह चंबा, ऊना और लाहौल-स्पीति में दिन के वक्त अधिकतम तापमान नॉर्मल से अधिक रहने का अनुमान है। वहीं मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने आज 2 जिलों में कोहरा छाने का यलो अलर्ट जारी किया है। मंडी की बल्ह घाटी और बिलासपुर के भाखड़ा बांध के आसपास के क्षेत्रों में सुबह 10 बजे तक कोहरा छाने का पूर्वानुमान है।
मंडी जिले में हुए दिल दहला देने वाले तेजाब कांड की पीड़ित महिला ममता ठाकुर ने बुधवार (19 नवंबर) रात करीब 12 बजे पीजीआई चंडीगढ़ में दम तोड़ दिया। चार दिनों तक जिंदगी और मौत से जंग लड़ते हुए आखिरकार वह जिंदगी की जंग हार गई। ममता ने मौत से पहले अपनी आखिरी इच्छा जाहिर की थी, जिसे जो भी सुन रहा है उसकी आंसू से आंसू छलक रहे हैं। इस दर्दनाक वारदात ने पूरे मंडी जिला समेत हिमाचल प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। ममता ने मौत से पहले अपने परिवार को हनुमान घाट, मंडी में ही अंतिम संस्कार करने की इच्छा बताई थी। ममता ने कहा था कि वह अपना अंतिम संस्कार ससुराल में नहीं चाहती। ममता की आखिरी इच्छा ने समाज में महिलाओं की सुरक्षा और घरेलू हिंसा को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब ममता की मौत के बाद इस मामले में बड़ा कानूनी बदलाव किया गया है। पहले आरोपी पति नंदलाल के खिलाफ बीएनएस की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत मामला दर्ज था, लेकिन अब पुलिस धारा 302 (हत्या) भी जोड़ने जा रही है। वही, पुलिस ने परिजनों से सूचना मिलने के बाद आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी हैं। शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा, जिसके बाद परिवार को सौंप दिया जाएगा और आगे की प्रक्रिया पूरी अमल में लाई जाएगी।
प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में जहां इन दिनों मौसम सुहावना बना हुआ है। वहीं मैदानी क्षेत्रों में ठंड ज्यादा पड़ रही है। पहाड़ों पर अभी न ज्यादा ठंड और न ही गर्मी है। इससे देशभर से टूरिस्ट पहाड़ों का रुख करने लगा है। आज से रोहतांग पास के लिए भी वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है। मौसम विभाग की मानें तो प्रदेश में अगले एक सप्ताह तक पहाड़ों पर मौसम साफ बना रहेगा। इस दौरान बारिश व बर्फबारी के आसार नहीं है। इससे दिन का तापमान सामान्य से थोड़ा अधिक और रात का तापमान नॉर्मल से कम रहेगा। खासकर अधिक ऊंचे क्षेत्रों के और मैदानी इलाकों में सुबह-शाम ठंड रहेगी। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार शिमला का न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जबकि मंडी का 7.7 डिग्री, सोलन का 5.8, मनाली का 4.1, हमीरपुर 7.1, धर्मशाला का 8.7 डिग्री और कुल्लू के बजौरा का तापमान 5.8 डिग्री तक लुढ़क चुका है। ऊंचे क्षेत्रों से ठंडी हवाएं चलने की वजह से मैदानी इलाकों में अधिक ठंड पड़ रही है। जब तक पहाड़ों पर अच्छी बारिश बर्फबारी नहीं होती, तब तक मैदानी इलाकों में सुबह-शाम व रात में ठंड छाई रहेगी। बीते 24 घंटे के दौरान कुछ क्षेत्रों के न्यूनतम तापमान में हल्का उछाल आया है। इसके बाद भी राज्य के 24 शहरों का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम है। ताबो का रात का तापमान सबसे कम -5.6 डिग्री और कुकुमसेरी का -5.1 डिग्री तक गिर चुका है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने आज दो जिलों में कोहरा छाने का यलो अलर्ट दिया है। मंडी की बल्ह घाटी और बिलासपुर के भाखड़ा बांध के आसपास के क्षेत्रों में सुबह 10 बजे तक कोहरा लोगों को परेशान कर सकता है। इससे विजिबिलिटी भी 200 मीटर तक कम होने का अनुमान है।
हिमाचल प्रदेश के हजारों दैनिक वेतन आधार पर लंबे समय तक कार्य करने वाले कर्मचारियों को पेंशन का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सरकार ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें ओपीएस के तहत शामिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट के सुरेंद्र सिंह केस का लाभ सभी को देने का फैसला लिया है। वित्त विभाग ने सभी प्रशासनिक सचिवों को इस बाबत आदेश जारी किए। वित्त विभाग की ओर से 14 फरवरी 2019 की अधिसूचना को संशोधित कर दिया गया है। यह फैसला पुरानी पेंशन योजना की 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी बहाली के बाद लिया है। संशोधित निर्देशों का लाभ केवल उन कर्मियों को मिलेगा जो अब सीसीएस पेंशन नियम 1972 यानी ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत हैं। इसके तहत पांच वर्ष दैनिक वेतन सेवा को 1 वर्ष क्वालीफाइंग सर्विस माना जाएगा। अधिकतम 2 वर्ष की क्वालीफाइंग सर्विस का लाभ मिलेगा। चाहे उनकी नियमितीकरण की तिथि कोई भी रही हो। यह लाभ उन चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को मिलेगा, जिनकी सेवाएं नियमितीकरण नीति के तहत नियमित की थीं। पेंशन तभी मिलेगी जब नियमित सेवा और दैनिक वेतन सेवा से प्राप्त लाभ के कुल 10 वर्ष बनेंगे। जिनको 15 मई 2003 या उसके बाद नियमित किया गया था और जो एनपीएस में थे, वे भी पेंशन के हकदार होंगे। इन्हें ओपीएस विकल्प चुनना होगा और सरकार के योगदान और लाभांश को सरकारी खजाने में जमा करवाना होगा। जिन कर्मियों ने यह विकल्प नहीं चुना है, वे 60 दिन में विकल्प दर्ज कर सकते हैं। पेंशन की प्रभावी तिथि 15 मई 2003 से पहले नियमित हुए कर्मियों के लिए एक जनवरी 2018 रखी गई है। 15 मई 2003 या इसके बाद में नियमित हुए और पहले एनपीएस में शामिल कर्मचारी को पेंशन 1 अप्रैल 2023 से लागू होगी।
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