राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय मण्डप की 11वीं कक्षा की छात्रा साक्षी वर्मा का चयन राष्ट्रीय स्तर की टेबल टेनिस प्रतियोगिता के लिए हुआ है। साक्षी की इस उपलब्धि से विद्यालय सहित पूरे क्षेत्र में खुशी और उत्साह का माहौल है। साक्षी वर्मा ने हाल ही में ऊना में आयोजित राज्य स्तरीय टेबल टेनिस प्रतियोगिता में भाग लिया था, जिसमें जिला मंडी की टीम ने उपविजेता का स्थान प्राप्त किया। इस उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर साक्षी का चयन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए किया गया है।
राष्ट्रीय प्रतियोगिता से पूर्व साक्षी 18 दिसंबर 2025 से 20 दिसंबर 2025 तक मंडी में आयोजित कोचिंग कैंप में भाग लेगी। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर की टेबल टेनिस प्रतियोगिता 26 दिसंबर 2025 से 30 दिसंबर 2025 तक तमिलनाडु में आयोजित की जाएगी। इस उपलब्धि पर 17 दिसंबर 2025 को विद्यालय में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यालय के प्रधानाचार्य अनिल कुमार, डीपीई रमेश कुमार, अन्य सहयोगी स्टाफ तथा विद्यालय प्रबंधन समिति के प्रधान जयपाल ने साक्षी वर्मा को शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर साक्षी को प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई।
प्रदेश की राजधानी शिमला में स्तिथ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल चमियाना में लगभग 25 करोड़ रुपये की लागत से अगले छह महीनों में थ्री-टेस्ला MRI मशीन को स्थापित किया जाएगा। बुधवार को चमियाना अस्पताल में दी जाने वाली विभिन्न सुविधाओं को लेकर एआईएमएसएस के प्रिंसिपल डॉ. ब्रिज शर्मा ने पत्रकार वार्ता की। इस दाैरान एआईएमएसएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. सुधीर शर्मा भी मौजूद रहे। उन्होंने एआईएमएसएस चामियाना को शुरू करने में विशेष ध्यान और प्राथमिकता देने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार किया।
डॉ. ब्रिज शर्मा ने कहा कि वर्तमान में एआईएमएसएस चामियाना में न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, यूरोलॉजी, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, एंडोक्रिनोलॉजी, सीटीवीएस और कार्डियक एनेस्थीसिया के सुपर स्पेशियलिटी विभाग हैं। चामियाना में रोजाना ओपीडी में एक हजार मरीज देखे जाते हैं। अकेले नवंबर में 12,327 ओपीडी मरीजों का इलाज किया गया, जबकि 591 मरीजों को आईपीडी में भर्ती किया गया। रेडियोलॉजी विभाग ने अब तक लगभग 505 अल्ट्रासाउंड, 385 सीटी स्कैन, 1926 एक्स-रे, 1222 ईसीजी जांच की हैं। इसके अलावा कुल 298 बड़ी सर्जरी और 787 छोटी सर्जरी सफलतापूर्वक की गई हैं, जो अस्पताल की बढ़ती सर्जिकल क्षमता और क्लिनिकल दक्षता को दर्शाती हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपनी प्रगतिशील सोच के तहत 29 करोड़ रुपये की नवीनतम रोबोटिक सर्जरी सुविधा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रोबोटिक सर्जरी यूनिट 11 अगस्त 2025 को शुरू हुई और 100 से ज्यादा रोबोटिक सर्जरी पहले ही पूरी हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने संस्थान के लिए 50 स्टाफ नर्सों को मंजूरी दी है। मरीजों को होने वाली समस्याओं का शीघ्र समाधान सुनिश्चित करने के लिए, एक सूचना और शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। मरीज रूम नंबर 735, 7वीं मंजिल, चामियाना में सेल से संपर्क कर सकते हैं या अपने सुझाव/शिकायतें msaimss@hp.gov.in पर ईमेल से भेज सकते हैं।
प्रदेश में पंचायती राज चुनाव में देरी को लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायमूर्ति जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग से इस मामले में जवाब तलब किया है और 21 दिसंबर तक जवाब माँगा है।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में पंचायती राज चुनावों की समय सीमा को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार की मंशा चुनाव समय पर करवाने की नहीं है और इस संबंध में सरकार ने कोई अधिसूचना तक जारी नहीं की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार जानबूझकर चुनाव में देरी कर रही है, जिससे पंचायत प्रक्रियाएं प्रभावित हो रही हैं। याचिकाकर्ता के वकील मनदीप चंदेल ने बताया कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर 21 दिसम्बर तक जवाब मांगा है। हालांकि हाई कोर्ट में सरकार की तरफ से पेश हुए महाधिवक्ता ने 21 जनवरी तक चुनाव प्रक्रिया शुरू करने का कोर्ट में पक्ष रखा है। फिलहाल मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को निर्धारित की गई है। विपक्ष लगातार सरकार पर चुनावों से भागने का आरोप लगा रहा है।
दरअसल, 8 अक्टूबर को राज्य सरकार ने पंचायत चुनावों को स्थगित करने का आदेश जारी किया था। आदेश में कहा गया कि प्रदेश में कनेक्टिविटी और सड़क संपर्क की स्थिति बेहतर होने के बाद ही चुनाव कराना संभव होगा। सरकार ने सुनिश्चित किया कि आम जनता और मतदान कर्मियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो और मतदाता अपने मतदान के अधिकार से वंचित न रहें। हिमाचल प्रदेश सरकार ने मानसून 2025 के कारण हुए नुकसान और खराब सड़क हालात को देखते हुए, दिसंबर में होने वाले पंचायत चुनावों को स्थगित करने का फैसला लिया। यह आदेश मुख्य सचिव और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष संजय गुप्ता द्वारा डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 की धारा 24(e) के तहत जारी किया गया था।
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया तेज हो गई है। इस सिलसिले में कांग्रेस नेताओं से व्यक्तिगत रूप से राय ली जा रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष विनय कुमार ने हाल ही में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात कर जिला अध्यक्षों के संभावित नामों पर चर्चा की। इसी दौरान मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू भी मंगलवार को अचानक नई दिल्ली रवाना हुए।
विनय कुमार ने बताया कि मंगलवार को उनकी केसी वेणुगोपाल से बैठक हुई, जिसमें जिला अध्यक्षों की नियुक्ति पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा हिमाचल प्रदेश में नियुक्त सभी पर्यवेक्षकों ने भी जिला अध्यक्षों को लेकर अपनी रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान को सौंप दी है। इन रिपोर्टों के आधार पर कभी भी निर्णय लेकर आधिकारिक घोषणा की जा सकती है। जिला अध्यक्षों के नाम तय होने के बाद ही प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। फिलहाल प्रदेश में कांग्रेस संगठन पूरी तरह भंग है और यह स्थिति एक वर्ष से अधिक समय से बनी हुई है। वर्तमान में केवल विनय कुमार ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में संगठन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
BJP प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल के बड़े भाई राम कुमार बिंदल के युवती से दुष्कर्म मामले में पुलिस ने जांच पूरी कर ली है। पुलिस ने चार्जशीट तैयार कर कोर्ट में पेश कर दी है। पुलिस के अनुसार फॉरेंसिंक रिपोर्ट में दो जगह से आरोपी का सलाइवा मैच हो गया है। बता दें कि सोलन पुलिस ने राम कुमार बिंदल को 10 अक्तूबर को 25 वर्षीय युवती से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया था। पुलिस को दी शिकायत में युवती ने कहा था कि आरोपी पेशे से वैद्य है।
पुलिस को दी शिकायत में युवती ने कहा था कि आरोपी पेशे से वैद्य है। सात अक्तूबर को जब वह आरोपी के पास इलाज करवाने के लिए गई थी, तो आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने पीड़िता के बयान कोर्ट में दर्ज करवाने के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया था। इस बीच 81 वर्षीय राम कुमार बिंदल की तबीयत खराब हो गई। इसके बाद वह पुलिस की निगरानी में अस्पताल में भर्ती रहा। पुलिस ने मामले में सलाइवा मैच के लिए सैंपल जुन्गा लैब भेजे थे। जुन्गा लैब में सैंपल की रिपोर्ट में सलाइवा मैच हो गया है। एसपी सोलन गौरव सिंह ने इस मामले की जानकारी दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के लाखों सेब उत्पादकों को वन भूमि पर अतिक्रमण कर लगाए गए फलदार बागों को हटाने के हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह हाशिए पर पड़े वर्ग और भूमिहीन लोगों की मदद के लिए केंद्र सरकार के सामने एक प्रस्ताव रखे।
मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने ऐसा आदेश पारित कर गलती की है, जिसके दूरगामी और गंभीर परिणाम हैं और जिससे समाज के हाशिये पर रहने वाले वर्ग तथा भूमिहीन लोग प्रभावित होते हैं। पीठ ने कहा कि यह विषय नीति से जुड़ा है और हाईकोर्ट को ऐसा आदेश नहीं देना चाहिए था, जिससे फलदार पेड़ों की कटाई सुनिश्चित हो। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर राज्य सरकार कानून के दायरे में कार्रवाई कर सकती है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार कल्याणकारी राज्य के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए एक प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार के समक्ष रख सकती है, ताकि आवश्यक अनुपालन किया जा सके।
शीर्ष अदालत राज्य सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। इसके साथ ही पूर्व उपमहापौर टिकेंद्र सिंह पंवार और अधिवक्ता-कार्यकर्ता राजीव राय की याचिका भी अदालत के समक्ष थी। इससे पहले 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने पंवार और राय की याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि इस आदेश से विशेषकर मानसून के दौरान लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं। टिकेंद्र सिंह पंवार ने बताया था कि हाईकोर्ट ने 2 जुलाई के आदेश में वन विभाग को सेब के बाग हटाकर उनकी जगह वन प्रजातियों के पौधे लगाने के निर्देश दिए थे और इसके खर्च को अतिक्रमणकारियों से भू-राजस्व की तरह वसूलने का आदेश दिया था।
याचिका में कहा गया था कि यह आदेश मनमाना, असंगत और संवैधानिक, वैधानिक तथा पर्यावरणीय सिद्धांतों का उल्लंघन है, जिससे हिमाचल जैसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील राज्य में अपूरणीय सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय नुकसान हो सकता है। मानसून के दौरान बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से भूस्खलन और मृदा क्षरण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि सेब के बाग केवल अतिक्रमण नहीं हैं, बल्कि वे मिट्टी को स्थिरता प्रदान करते हैं, स्थानीय वन्यजीवों के लिए आवास उपलब्ध कराते हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जिससे हजारों किसानों की आजीविका जुड़ी है।
याचिका में यह भी कहा गया कि व्यापक पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) किए बिना सेब के पेड़ों को हटाने का आदेश एहतियाती सिद्धांत के खिलाफ है, जो पर्यावरणीय न्यायशास्त्र का मूल आधार है। यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आजीविका के अधिकार का भी उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, 18 जुलाई तक चैथला, कोटगढ़ और रोहड़ू जैसे क्षेत्रों में 3,800 से अधिक सेब के पेड़ काटे जा चुके थे और राज्यभर में 50,000 तक पेड़ हटाने की योजना थी। याचिका में कहा गया कि फल से लदे पेड़ों की कटाई से जनाक्रोश फैल गया और इसकी व्यापक आलोचना हुई।
हिमाचल प्रदेश में शुष्क ठंड लगातार जारी है। ऊंचाई वाले इलाकों के न्यूनतम तापमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखने को मिला। हालांकि मध्य पर्वतीय इलाकों और निचले व मैदानी इलाकों के तापमान में 2-3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई है। प्रदेश में अभी मौसम साफ बना हुआ है। आगामी 2 दिन तक प्रदेश में बारिश या बर्फबारी के कोई आसार नहीं है। मौसम विभाग ने प्रदेश में क्रिसमस से पहले बारिश और बर्फबारी होने की संभावना जताई है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के मुताबिक प्रदेश में 20 और 21 दिसंबर को ऊंचे पहाड़ी इलाकों में हल्की बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है।
इसके अलावा प्रदेश के कुछ हिस्सों में कोहरे का कहर भी जारी है। मौसम विभाग ने 17 और 18 दिसंबर के लिए बिलासपुर में भाखड़ा बांध के आसपास के इलाके में और मंडी जिले के बल्ह क्षेत्र में घना कोहरा छाए रहने को लेकर अलर्ट जारी किया है। वहीं, बात करें न्यूनतम तापमान की तो -5.3 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान के साथ कुकुमसेरी प्रदेश में सबसे ठंडा रहा। वहीं, ताबो में -3.0 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान दर्ज किया। इसके अलावा शिमला में 11.4, सुंदरनगर में 3.4, भुंतर में 2.8, कल्पा में 1.8, धर्मशाला में 10.0, ऊना में 7.0, नाहन में 10.3, पालमपुर में 6.0, सोलन में 4.0, मनाली में 4.5, कांगड़ा में 5.0, मंडी में 5.6, बिलासपुर में 6.0, हमीरपुर में 4.7, जुब्बरहट्टी में 10.4, कुफरी में 9.7, नारकंडा में 6.5, रिकांगपिओ में 3.9, सेओबाग में 0.8, बरठीं में 5.6, पांवटा साहिब में 9.0, सराहन में 5.6, देहरा गोपीपुर में 9.0, नेरी में 10.2 और बजौरा में 2.9 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया।
हिमाचल की 14वीं विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज धर्मशाला के तपोवन में शुरू हो गया है। 5 दिसंबर तक चलने वाले सत्र के दौरान कई मुद्दों पर तपोवन में चर्चा होगी। इस सत्र में कुल आठ बैठकें होंगी। पहले दिन सदन में प्रश्नकाल में गतिरोध पैदा कर विपक्ष ने पंचायतों के चुनाव में देरी करने पर सारा काम रोककर स्थगन प्रस्ताव लाया। इस पर हंगामा होने की आशंका थी पर सरकार ने चर्चा के लिए हामी भर दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान की सबसे बड़ी रक्षक कांग्रेस पार्टी है, महिलाओं के लिए पंचायती राज संस्थाओं में कांग्रेस ने आरक्षण का प्रावधान किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यूं तो यह मामला अर्धन्यायिक रहा है। लेकिन इसके बावजूद विपक्ष ने आज संविधान दिवस होने की बात की है तो सरकार ने इसे मंजूर किया है। उन्होंने कहा कि कानून का यदि सही मायने में कोई संरक्षक है तो वह कांग्रेस पार्टी ही है। जो भी इस संबंध में कार्य हो रहा है वह कानून की परिधि में ही हो रहा है। कानून की परिभाषा को स्पष्ट करने का अधिकार न्यायालय के पास है और मामला कोर्ट में है। इससे पूर्व भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव लाते हुए कहा कि सरकार सांविधानिक संस्थाओं का सम्मान करे। पंचायत चुनाव समय पर होने चाहिए। आज विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सदन में संविधान की प्रस्तावना भी सभी से पढ़वाई। चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि 1975 में आपातकाल लगाकर भी इसी तरह से चुनाव टाले गए थे। जयराम ठाकुर ने कहा कि आपदा प्रबंधन एक्ट लगाकर इसकी आड़ में चुनाव टाले जा रहे हैं। कोविड जैसा संकट होने के बावजूद भाजपा सरकार ने चुनाव करवाए। यह बहुत बड़ा संकट था। उससे बड़ा संकट आज की तिथि में नहीं है।
स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने भाजपा विधायक रणधीर शर्मा की ओर से स्थगन प्रस्ताव लाने के बाद सीएम को सदन की अगली कार्यसूची के बारे में अवगत करवाने की बात की। इस पर जयराम ठाकुर ने विरोध किया। इस पर स्पीकर ने नियम 72 का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा किया जा सकता है। इसके बाद सीएम ने कार्यसूची पढ़ी। सदन के पटल पर राष्ट्रपति और राज्यपाल से मंजूर विधेयक भी रखे गए। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि मंडी में सरकार के तीन साल पूरा होने पर जश्न नहीं, विजन बताएंगे।
पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने साल 2021 में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की थी। मोदी के नेतृत्व में ही 2021-2022 से 2025-2026 तक 5 वर्षों के लिए 1,600 करोड़ रुपये की डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम बनाने के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शुरू किया गया था। इसकी वजह से पीएम मोदी के गारंटी का भी असर देखने को साफ मिला और इस योजना के तहत 29 फरवरी, 2024 तक 56.67 करोड़ लोगों के आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में भी प्रगति की है। 29 फरवरी, 2024 तक, 27.73 करोड़ महिलाएं और 29.11 करोड़ पुरुषों को आभा कार्ड से लाभ हुआ है। वहीं 34.89 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य दस्तावेजों को इससे जोड़ा गया है।
क्या है आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य देश में यूनिफाइड डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की मदद करने के लिए जरूरी आधार तैयार करना है। इससे सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता खोलने के लिए ऑफलाइन मोड को मदद पहुंचती है। इसके अलावा भारत सरकार ने स्वास्थ्य सुविधा के लिए आभा ऐप और आरोग्य सेतु जैसे विभिन्न एप्लिकेशन भी लॉन्च किए गए हैं, जो आम लोगों को मदद पहुंचाती है। आभा ऐप एक प्रकार का डिजिटल स्टोरेज है, जो किसी भी व्यक्ति के मेडिकल दस्तावेजों का रखने का काम आता है। इस ऐप के जरिए मरीज रजिस्टर्ड स्वास्थ्य पेशेवरों से संपर्क भी कर सकते हैं।
भारत में बीजेपी की मोदी सरकार ने बीते 10 सालों के अपनी सरकार में कई सारे मील के पत्थर हासिल किया है। इन 10 सालों में पीएम मोदी के विजन ने भारत को अगले 23 साल बाद यानी साल 2047 तक विकसित भारत बनाने के ओर मजबूती से कदम भी बढ़ा लिया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने देश के हित में जो भी फैसले लिए है, उनमें से हेल्थ सेक्टर को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का प्रयास किया गया है।
आज शिक्षक दिवस है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज शुक्रवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर दिल्ली में विज्ञान भवन में देश के 45 शिक्षकों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया। इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान व केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी भी उपस्थित रहे।
आज के दिन ये वार्षिक अवार्ड उन शिक्षकों को दिया जाता है जिन्होंने विद्यार्थियों की पढ़ाई और समाज के लिए कुछ खास योगदान दिया हो। ये पुरस्कार केवल एक मेडल ही नहीं, बल्कि पूरे देश की ओर से इन शिक्षकों को दिया गया सम्मान है। ये शिक्षकों की मेहनत और समर्पण का प्रतिक है जो बच्चों का भविष्य बनाने के लिए अभूतपूर्व कार्य करते हैं।
पुरस्कारों दिए जाने से पहले, PM नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षकों से बातचीत की। इस अवसर पर मोदी ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों का अहम भूमिका होती है। PM ने कहा कि शिक्षकों का सम्मान केवल एक परम्परा नहीं है, बल्कि उनके आजीवन समर्पण का सम्मान है।PM ने कहा कि शिक्षक सामान्यतः छात्रों को होमवर्क देते हैं। लेकिन मोदी उन्हें एक टास्क देना चाहते थे- स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने वाले अभियानों का नेतृत्व करने और "मेक इन इंडिया" और "वोकल फॉर लोकल" आंदोलनों को मजबूत करने के लिए।
आज शिक्षक दिवस है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज शुक्रवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर दिल्ली में विज्ञान भवन में देश के 45 शिक्षकों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया। इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान व केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी भी उपस्थित रहे।
आज के दिन ये वार्षिक अवार्ड उन शिक्षकों को दिया जाता है जिन्होंने विद्यार्थियों की पढ़ाई और समाज के लिए कुछ खास योगदान दिया हो। ये पुरस्कार केवल एक मेडल ही नहीं, बल्कि पूरे देश की ओर से इन शिक्षकों को दिया गया सम्मान है। ये शिक्षकों की मेहनत और समर्पण का प्रतिक है जो बच्चों का भविष्य बनाने के लिए अभूतपूर्व कार्य करते हैं।
पुरस्कारों दिए जाने से पहले, PM नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षकों से बातचीत की। इस अवसर पर मोदी ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों का अहम भूमिका होती है। PM ने कहा कि शिक्षकों का सम्मान केवल एक परम्परा नहीं है, बल्कि उनके आजीवन समर्पण का सम्मान है।PM ने कहा कि शिक्षक सामान्यतः छात्रों को होमवर्क देते हैं। लेकिन मोदी उन्हें एक टास्क देना चाहते थे- स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने वाले अभियानों का नेतृत्व करने और "मेक इन इंडिया" और "वोकल फॉर लोकल" आंदोलनों को मजबूत करने के लिए।
एशिया कप में भारत-पाकिस्तान के बीच दुबई में आज मैच होने वाला है। भारत-पाकिस्तान के बीच मैच का मुकाबला हमेशा से रोमांचक रहा है। इसे देखने के लिए लोगों में बहुत उत्साह देखा जाता था। लेकिन इस बार इस मैच को लेकर देशभर में विरोध हो रहा है। विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम लोग भी भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर गुस्से में है। सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर इस मैच का जोरो से बहिष्कार किया जा रहा है। साथ ही पहलगाम हमले में मारे गए लोगों के परिवारों ने भी इस मैच पर कड़ा विरोध जताया है। अब तो भाजपा के कई सहयोगी भी इस मैच के विरोध में हैं। हालांकि क्रिकेट फैंस इसे लेकर अलग बंटे हुए हैं। इस मैच का कहीं विरोध किया जा रहा है, तो कहीं टीम इंडिया की जीत के लिए पूजा भी हो रही है।
नई खेल नीति के मुताबिक
सरकार की नई खेल नीति के मुताबिक भारत ने फैसला किया है भारत पाकिस्तान के साथ कोई भी द्विपक्षीय मैच नहीं खेलेगा पर बहुपक्षीय टूर्नामेंट जैसे कि एशिया कप या ICC प्रतियोगिता में पाकिस्तान के खिलाफ खेलेगा।
विरोध की वजह
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच यह पहला इंटरनेशनल मैच है। आपको बता दें कि 22 अप्रैल को आतंकवादियों द्वारा पहलगाम हमला हुआ था जिसमें कई भारतीय मरे थे और कहा जा रहा था कि इस हमले के पीछे पकिस्तान का हाथ है। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर किया। इसी वजह से भारत के लोगों में भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर नाराजगी और गुस्सा है।
ओवैसी की पार्टी AIMIM ने किया प्रदर्शन
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से पूछा है कि क्या मैच से कमाया जाने वाला मुनाफ़ा पहलगाम हमले में मारे गए 26 लोगों की जान से ज्यादा कीमती है। अहमदाबाद में AIMIM ने भारत-पाकिस्तान मैच के खिलाफ प्रदर्शन किया।
AAP कार्यकर्ताओं ने किया बहिष्कार
चंडीगढ़ में AAP कार्यकर्ताओं ने भी 'BCCI शर्म करो' के नारे लगाए
शिंदे शिवसेना नेता ने किया विरोध
शिंदे शिवसेना के नेता संजय निरूपम ने इस मैच के विरोध में कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा भारत को क्षति पहुंचाने वाली नीति अपनाई है, पाकिस्तान ने आतंकियों को पाला पोषा है और इन आतंकियों ने भारत के निर्दोष लोगों पर हमले किए हैं। ऐसे में पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह का रिश्ता नहीं रखना चाहिए।
शिवसेना उद्धव गुट ने मैच के विरोध में तोड़ डाले टीवी
पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी ने किया बहिष्कार
पश्चिम बंगाल के खेल मंत्री और पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी ने कहा कि वे भारत-पाकिस्तान मैच के साथ पूरे एशिया कप का बहिष्कार कर रहे हैं हूं। उन्होंने कहा कि पुलवामा, पहलगाम, पठानकोट जैसे आतंकी हमलों को भुलाया नहीं जा सकता।
पीड़ित परिवारों ने जाहिर किया गुस्सा
पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए पुणे के संतोष जगदाले की बेटी असावरी जगदाले ने कहा कि यह मैच नहीं होना चाहिए था। यह बहुत ही शर्मनाक है। अभी हाल में पहलगाम हमला हुआ और फिर ऑपरेशन सिंदूर हुआ। तो इसके बाद यह मैच नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा यह भी कहा कि इन्हें परवाह नहीं कि कोई मर गया।
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड दोनों ही देवताओं की भूमि है जहाँ प्रत्येक पर्वत, प्रत्येक घाटी और प्रत्येक गाँव में देवताओं की समृद्ध परंपराएँ आज भी जीवंत हैं। बता दें कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से श्री चालदा महासू सोमवार को हिमाचल प्रदेश के लिए रवाना हो चुके है। इतिहास में देवता पहली बार हिमाचल पहुंच रहे है। हिमालयी लोक संस्कृति में महासू देवता न्याय, आस्था और परंपरा के प्रतीक माने जाते हैं। चालदा महासू देवता जिन्हें न्याय का देवता कहा जाता है, जो एक स्थान पर स्थिर नहीं रहते है। वे भगवान शिव के अंश माने जाते है। चालदा महासू महाराज पालकी में बैठकर पूरे क्षेत्र का भ्रमण करते है, लोगों की समस्याएं सुनते है, न्याय करते है और अपराधियों को दंड देते है।
विशेषकर जौनसार बावर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर और शिमला जिले में चालदा महाराज को लेकर लोगों में असीम आस्था है। चालदा महासू को छत्रधारी भी कहा जाता है। चालदा महासू की यात्रा जौनसार बावर, और सिरमौर में एक पर्व के जैसे मनाई जाती है। उनकी वार्षिक प्रवास यात्रा बरवांश कहलाती है जिसमें विशेष पूजा का आयोजन होता है। यात्रा में फाड़का (तांबे का बर्तन) छत्र और पालकी आगे चलती है जिसके पीछे भक्त चलते हैं।
कौन है चालदा महासू देवता:
चालदा महासू चार महासू भाइयों में सबसे छोटे भाई है अन्य तीन भाई बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू (बौठा महासू) भी भगवान शिव के ही रूप माने गए हैं। इनमें बासिक महासू सबसे बड़े हैं, जबकि बौठा महासू, पबासिक महासू दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। बौठा महासू का मंदिर हनोल में, बासिक महासू का मैंद्रथ में और पबासिक महासू का मंदिर बंगाण क्षेत्र के ठडियार व देवती-देववन में है। जबकि, चालदा महासू हमेशा जौनसार-बावर, बंगाण, फतह-पर्वत व हिमाचल क्षेत्र के प्रवास पर रहते हैं।
इनकी पालकी को क्षेत्रीय लोग पूजा-अर्चना के लिए नियमित अंतराल पर एक जगह से दूसरी जगह प्रवास पर ले जाते हैं। देवता के प्रवास पर रहने से कई क्षेत्रों में दशकों बाद चालदा महासू के दर्शन नसीब हो पाते हैं। कुछ इलाकों में तो देवता के दर्शन की चाह में पीढ़ियां गुजर जाती हैं। उत्तराखंड के उत्तरकाशी, संपूर्ण जौनसार-बावर क्षेत्र, रंवाई परगना के साथ साथ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, सोलन, शिमला, और जुब्बल तक महासू देवता को इष्ट देव (कुल देवता) के रूप में पूजा जाता है। इन क्षेत्रों में महासू देवता को न्याय के देवता और मंदिर को न्यायालय के रूप में मान्यता मिली हुई है।
कहां स्थित है चारों महासू का मुख्य मंदिर:
उत्तराखंड के हनोल में चारों महासू भाइयों का मुख्य मंदिर स्थित है। इस मंदिर में मुख्य रूप से बूठिया महासू (बौठा महासू) की पूजा होती है। मैंद्रथ नामक स्थान पर बासिक महासू की पूजा होती है। टोंस नदी के दायें तट पर बंगाण क्षेत्र में स्थित ठडियार (उत्तरकाशी) गांव में पबासिक महासू पूजे जाते हैं। सबसे छोटे भाई चालदा महासू भ्रमणप्रिय देवता हैं, जो कि 12 वर्ष तक उत्तरकाशी और 12 वर्ष तक देहरादून जिले में भ्रमण करते हैं। इनकी एक-एक वर्ष तक अलग-अलग स्थानों पर पूजा होती है, जिनमें हाजा, बिशोई, कोटी कनासर, मशक, उदपाल्टा, मौना आदि पूजा स्थल प्रमुख हैं। महासू के मुख्य धाम हनोल मंदिर में सुबह-शाम नौबत बजती है और दीया-बत्ती की जाती है।
कुछ सप्ताह पहले पहुंच जाता है बकरा:
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि चालदा महासू का बकरा कुछ सप्ताह पूर्व ही उस स्थान पर पहुंच जाता जाता है जिस स्थान पर महाराज की अगली देव यात्रा होती है। यह बकरा देवता की इच्छा और संकेत का प्रतीक होता है। हैरानी की बात यह है की ये बकरा बिना किसी मानवीय निर्देश के अपनी यात्रा पूरी करता है और सही स्थान पर पहुंच जाता है।
क्या आपने कभी कल्पना की है कि कहीं ऐसा स्थान भी हो सकता है, जहां सृष्टि के अंत का रहस्य छिपा हो? कोई ऐसा मंदिर, जहां चारों धामों के दर्शन एक ही स्थान पर संभव हों? उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर मंदिर ऐसा ही एक रहस्यमयी और दिव्य स्थल है, जो हर भक्त को आस्था, रहस्य और आध्यात्मिकता की गहराइयों से जोड़ता है। यह मंदिर एक गुफा के भीतर स्थित है, जिसे प्राचीन काल से चमत्कारी और गूढ़ माना गया है। गुफा में प्रवेश करते ही ऐसा लगता है मानो आप किसी अद्भुत आध्यात्मिक संसार में प्रवेश कर चुके हों। मान्यता है कि यहां भगवान शिव के साथ-साथ 33 कोटि देवी-देवताओं का वास है। यहां स्थित भगवान गणेश का कटा हुआ मस्तक स्वयं में एक रहस्य है, जो इस स्थान की अलौकिकता को और भी गहरा बनाता है।
यहां स्थित शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि वह निरंतर बढ़ रहा है, और जिस दिन वह गुफा की छत से टकराएगा, उस दिन प्रलय होगा। यह धारणा श्रद्धालुओं को एक अकल्पनीय आध्यात्मिक अनुभव और चेतना की गहराई से जोड़ती है।गुफा के भीतर चार रहस्यमयी द्वार मानव जीवन के चार प्रमुख पड़ावों का प्रतीक माने जाते हैं। कहा जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद पाप द्वार और महाभारत युद्ध के बाद रण द्वार बंद हो गए। अब केवल धर्म द्वार और मोक्ष द्वार खुले हैं, जो जीवन के सत्य और मोक्ष के मार्ग की ओर संकेत करते हैं। पौराणिक इतिहास की दृष्टि से इस मंदिर का उल्लेख त्रेता युग में मिलता है। सूर्य वंश के राजा ऋतुपर्ण ने सबसे पहले इस गुफा की खोज की थी। कहा जाता है कि पांडवों ने भी यहां भगवान शिव के साथ चौपड़ खेला था। बाद में 819 ईस्वी में जगत गुरु शंकराचार्य ने इस स्थल की पुनः खोज की और यहां पूजा आरंभ की।
कैसे पहुंचे पाताल भुवनेश्वर?
यह दिव्य स्थल पिथौरागढ़ से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है, जबकि सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर है। सड़क मार्ग से यह स्थान सुगम रूप से जुड़ा हुआ है और उत्तराखंड के खूबसूरत पर्वतीय रास्तों से होकर गुज़रता है, जो यात्रा को और भी आनंददायक बना देता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि रहस्य और आध्यात्मिकता के अनूठे संगम के कारण भी यह स्थल भक्तों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पाताल भुवनेश्वर की इस अद्भुत गुफा में जाकर आप स्वयं उस दिव्यता और रहस्यमय ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं, जो सदियों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती आ रही है।
देहरा विधानसभा उप चुनाव में BJP प्रत्याशी होशियार सिंह की याचिका पर हिमाचल हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई। अदालत ने हिमाचल सरकार और कांगड़ा को ऑपरेटिव बैंक को नोटिस जारी किए है। अब अगली सुनवाई में प्रदेश सरकार और KCB बैंक प्रबंधन को याचिकाकर्ता द्वारा लगाए आरोपों का जवाब अदालत में देना होगा। देहरा विधानसभा उप चुनाव में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर चुनाव जीती हैं। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उप चुनाव में कोड ऑफ कंडक्ट के दौरान KCB प्रबंधन ने 67 महिला मंडलों को 50-50 हजार रुपए और हिमाचल सरकार ने देहरा विधानसभा की करीब 1000 महिलाओं को इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना से तीन महीने की राशि अकाउंट में डाली है। याचिकाकर्ता के अनुसार, सरकार ने चुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया है। होशियार सिंह ने हाईकोर्ट से आचार संहिता के दौरान महिला मंडलों को पैसा बांटने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
पूर्व विधायक होशियार सिंह के अनुसार, महिला मंडलों और महिलाओं को बांटी राशि की सरकार ने जानकारी छिपाए रखी। विधानसभा में भी इसका जवाब नहीं दिया। आरटीआई में भी जवाब देने से इनकार कर दिया। आरटीआई में अपील करने पर उन्हें इसका जवाब मिल पाया। आरटीआई के तहत डॉक्यूमेंट मिलने के बाद अब हाईकोर्ट में पिटीशन डाली जा रही है। होशियार सिंह ने बताया कि यदि सरकार ने समय पर सूचना दी होती, तो उन्होंने इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को भी इसकी शिकायत दे दी होती। मगर ECI में शिकायत 45 दिन के भीतर देना होती है। 45 दिन में सरकार द्वारा सूचना छिपाने की वजह से वह इसकी शिकायत ECI को नहीं कर पाए। बहरहाल अब होशियार सिंह की याचिका पर हिमाचल हाईकोर्ट ने हिमाचल सरकार और केसीसी बैंक को नोटिस जारी किये है।
विधानसभा में भी गूंजा मामला
देहरा विधानसभा उप चुनाव में कैश फॉर वोट का मामला विधानसभा में भी कई बार गूंज चुका है। इसी मानसून सत्र में भी बीजेपी विधायक सुधीर शर्मा ने इससे जुड़ा सवाल पूछा था। मगर जवाब नहीं मिल पाया था। इस पर विपक्ष ने सदन में खूब हंगामा किया और सदन के बाहर प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुधीर शर्मा और आशीष शर्मा ने कहा कि जो जानकारी सदन में मांगी गई थी, वही सूचना उन्होंने आरटीआई के तहत ले ली है। अब तक यह मामला विधानसभा और सदन के बाहर गूंजता रहा है। इसी मामले में पूर्व विधायक होशियार सिंह ने हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को पहले ही शिकायत भेजकर सीएम की पत्नी एवं देहरा की MLA कमलेश ठाकुर को 6 साल के लिए अयोग्य घोषित करने की मांग भी की है।
इस्तीफा दिया, भाजपा में गए और उपचुनाव हार गए !
विदित रहे कि हिमाचल में बीते 27 फरवरी 2024 को राज्यसभा चुनाव हुआ। देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट डाला। इसके बाद, होशियार सिंह समेत तीन निर्दलीय विधायक और 6 कांग्रेस विधायकों समेत भाजपा में शामिल हुए। तीनों निर्दलीय ने 22 मार्च को अपने पद से इस्तीफा दिया। 23 मार्च को दिल्ली में इन्होंने BJP का दामन थाम लिया। इस वजह से देहरा में 10 जुलाई 2024 को उप चुनाव हुए। बीजेपी ने होशियार सिंह को टिकट दिया और कांग्रेस ने सीएम सुखविंदर सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर को प्रत्याशी बनाया। 10 जुलाई को वोटिंग और 14 जुलाई को नतीजे आए। इनमें कमलेश ठाकुर 9399 वोट के अंतर से चुनाव जीत गईं और होशियार सिंह चुनाव हार गए।
जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर के नौगाम पुलिस थाने में शुक्रवार रात करीब 11:20 बजे भारी विस्फोट हुआ। इसमें नौ लोगों की मौत हो गई, जबकि 27 पुलिसकर्मियों समेत 32 लोग घायल हो गए। धमाके से लगी भीषण आग में वहां खड़े एक दर्जन से अधिक वाहन जल गए। सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल मामले में हाल ही में जब्त किए गए विस्फोटकों के एक बड़े जखीरे की सैंपलिंग करते समय ये धमाका हुआ है। जब्त किया विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट और एनपीएस था।
विस्फोट होने के तुरंत बाद पुलिस ने पूरे इलाके को सील कर दिया। वहीं, घटनास्थल की ओर जाने वाले सभी रास्ते भी बंद कर दिए। सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरीदाबाद से सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल से जुड़े डॉ. मुजम्मिल गनई के दो ठिकानों से 360 किलो और 2,550 किलो अमोनियम नाइट्रेट व एनपीएस जब्त किया था। बताया जा रहा है कि विस्फोटक सामग्री को पुलिस नौगाम पुलिस स्टेशन में लाई गई थी। इस मॉड्यूल के मुजम्मिल समेत 9 संदिग्धों को पुलिस अब तक गिरफ्तार कर चुकी है।
विस्फोट के कारणों की जांच अभी जारी है। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी नलिन प्रभात ने कहा कि पुलिस थाना नौगाम की एफआईआर संख्या 162/2025 की जांच के दौरान, 9 और 10 नवंबर 2025 को फरीदाबाद से भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ, रसायन और रीजेंट बरामद किए गए थे। यह बरामदगी, बाकी बरामदगी की तरह, पुलिस स्टेशन नौगाम के खुले क्षेत्र में सुरक्षित रूप से ले जाकर रखी गई थी। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारणों की जांच की जा रही है। जम्मू-कश्मीर पुलिस इस दुख की घड़ी में मृतकों के परिवारों के साथ खड़ी है।
नेपाल में हुए हिंसक आंदोलन के बाद आज गुरुवार को हालात कंट्रोल में है। लेकिन फिर भी सेना ने एहतियातन राजधानी समेत कई इलाकों में कर्फ्यू लगा रखा है। इस बीच, नेपाल में अंतरिम PM बनाने के लिए सेना-प्रदर्शनकारियों के बीच बातचीत शुरू हो गई है। जानकारी के अनुसार,आर्मी हेडक्वार्टर में सुबह 10:30 बजे बातचीत शुरू हो गई थी। आपको बता दें कि सेना ने सभी पार्टी और नेताओं को भी इसके लिए अपनी अपनी राय देने को कहा है।
मीडिया के कई रिपोर्ट्स के अनुसार, इस पद के लिए नेपाल के लाइट मैन कहे जाने वाले कुलमान घिसिंग और सुशीला कार्की का नाम आगे आ रहा है। हालांकि PM की रेस में कुलमान घिसिंग का नाम सुशीला कार्की से भी आगे चल रहा है। अंतिम फैसला देखना काफी दिलचस्प होगा कि किसे PM के नेतृत्व के लिए आगे किया जाता है।
सुशीला कार्की
सुशीला कार्की भ्रष्टाचार विरोधी शख्सियत के तौर पर जानी जाती हैं। इन्होनें भ्रष्टाचार के विरुद्ध कई बार सख्त बयान दिया है। आपको बता दें कि इन्होनें पॉलिटिकल साइंस में BHU से MA किया है। 2016 में वह नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनी।
कुलमान घिसिंग
कुलमान घिसिंग को नेपाल के 'लाइट मैन' भी कहा जाता है। उन्होंने जमशेदपुर, झारखण्ड से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की है। 1994 में नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (NEA) से जुड़े और इसके बाद घाटे में चल रहे NEA को मुनाफे में बदल दिया। नेपाल की बिजली व्यवस्था, जो कि बहुत खराब थी, उसे भी सुधारने का श्रेय इन्हें ही जाता है।
नेपाल में इस तरह हुई हिंसक आंदोलन की शुरुआत
सरकार ने 4 सितंबर को 26 सोशल मीडिया प्लेटफार्म को बैन किया था। ये कहकर कि इन प्लेटफॉर्म्स ने रजिस्ट्रशन नहीं करवाए हैं। इसके बाद 8 सितंबर को सरकार के भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ नेपाल के युवाओं ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन शुरू कर दिए। यह प्रदर्शन धीरे धीरे हिंसा में प्रवर्तित हो गए और कई लोग इसमें मारे गए व कई ज़ख़्मी हुए। इसी बीच PM समेत कई मंत्रियों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। साथ ही इस दौरान प्रदर्शन कर रहे युवाओं ने सेना के सामने सामाजिक और राजनितिक सुधार को लेकर कई मांगे भी रखीं।
आगे क्या होगा
बहुमत वाली पार्टी को सरकार बनाने के लिए कहा जायेगा। विशेषज्ञ का मानना है कि 6 महीने में चुनाव कराने के लिए अंतरिम सरकार बन सकती है।
साहिर लुधियानवी के अल्फाज़ न जाने कितनी अधूरी प्रेम कहानियों का दर्द बयाँ करते है। वह दर्द जो ख़ामोशी के नीचे दबे उस मशहूर मगर अनकहे एहसास की दास्तान है, जिसे हर आशिक़ ने हिज्र के बाद कहीं न कहीं महसूस किया है। अधूरे इश्क़ का अंजाम दिखाती उनके जीवन से जुड़ी एक कहानी जो शुरू तो हुई, मगर मंज़िल तक कभी पहुँच न सकी। एक ऐसी मोहब्बत जो ज़माने की बनाई लकीरों से अलग थी, और जो आखिर में आधी जली सिगरेटों, चाय के झूठे प्यालों और ढेरों ख़तों में सिमटकर रह गई।
यह कहानी है उर्दू के मशहूर शायर साहिर लुधियानवी और पंजाब की पहली बाग़ी कवयित्री अमृता प्रीतम की। अधूरी मोहब्बत का यह एक ऐसा मुकम्मल फ़साना है, जिसके जैसा दूसरा ढूँढ पाना मुश्किल है; एक फ़साना जो मंज़िल तक पहुँचने से पहले लड़खड़ाया ज़रूर, मगर उसका असर कभी फीका नहीं पड़ा।
16 साल में अमृता की करवा दी गयी शादी
अमृता एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखती थी जहां धर्म के धागे इंसान की किस्मत तय किया करते थे। जहां उनकी नानी मां अन्य समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोगों के बर्तन भी अलग रखती थी, जहां शादी का मतलब जिंदगी भर का साथ होता था। ऐसे परिवार में जन्मी थी वो बेख़ौफ़ कवियत्री जिसने अपनी जिंदगी में दो लोगों से प्यार किया जिनमें से एक मुस्लमान था। ज़ाहिर है की अमृता प्रीतम वो महिला थी जो अपने दौर से बहुत आगे थी। अमृता जब 16 साल की थीं, तो उनकी शादी प्रीतम सिंह से करवा दी गई। शादी के बाद वे अमृता कौर से अमृता प्रीतम बन गई। अमृता ने अपने पति का नाम तो अपनाया लेकिन वो उनकी अभिन्न अंग नहीं बन पाई।
साहिर-अमृता की पहली मुलाकात
ये बात 1944 की है जब साहिर अमृता पहली बार एक दूसरे से मिले थे। जगह थी लाहौर और दिल्ली के बीच स्थित प्रीत नगर जहां एक बड़े मुशायरे का आयोजन किया गया था अमृता यहां पहुंची थी। इसी मुशायरे में आम सा दिखने वाला, लेकिन अच्छी कदकाठी का एक युवक भी आया था जिसका नाम था साहिर लुधियाना। साहिर जुनुनी और आदर्शवादी थे, अमृता बेहद दिलकश अपनी खूबसूरती में भी और अपनी लेखनी में भी। बेहद क्रांतिकारी मिजाज के साहिर अमृता को पहली ही मुलाक़ात में भा गए थे। वहीं अमृता भी पहली ही मुलाकात में साहिर को अपना दिल दे बैठी थी। इस मुलाकात में कोई बात नहीं हुई। दोनों घंटो खामोश बैठे रहें। शायद उस समय की मोहब्बत ख़ामोशी से शुरू हुआ करती होगी, वैसे भी जहां इश्क़ ब्यां करने के लिए लफ़्ज़ों की ज़रूरत पड़े वो मोहब्बत कैसी। अमृता ने लिखा, "मुझे नहीं मालूम की वो साहिर के लफ्जो की जादूगरी थी, या उनकी खामोश नज़र का कमाल था, लेकिन कुछ तो था जिसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया, आज जब उस रात को आँखें मूंद कर देखती हूँ तो ऐसा समझ आता है कि तकदीर ने मेरे दिल में इश्क़ का बीज डाला जिसे बारिश की फुहारों ने बढ़ा दिया, उस दिन बारिश हुई थी।"
साहिर से मिलने के बाद अमृता ने उनके लिए एक कविता भी लिखी थी 'अब रात गिरने लगी तो तू मिला है, तू भी उदास, चुप, शांत और अडोल। मैं भी उदास, चुप, शांत और अडोल। सिर्फ- दूर बहते समुद्र में तूफान है…'
आत्मकथाओं में लिखे मोहब्बत के किस्से
साहिर और अमृता की प्रेम कहानी के किस्से इन दोनों की आत्मकथाओं में मिलते है, अपनी आत्मकथा रसीदी टिकट में अमृता प्रीतम ने साहिर के साथ हुई मुलाकातों का जिक्र किया है। वो लिखती है कि, "वो खामोशी से सिगरेट जलाता और फिर आधी सिगरेट ही बुझा देता, फिर एक नई सिगरेट जला लेता। जब तक वो विदा लेता, कमरा सिगरेट की महक से भर जाता। मैं इन सिगरेटों को हिफाजत से उठाकर अलमारी में रख देती और जब कमरे में अकेली होती तो उन सिगरेटों को एक-एक करके पीती। मेरी उंगलियों में फंसी सिगरेट, ऐसा लगता कि मैं उसकी उंगलियों को छू रही हूं। मुझे धुएं में उसकी शक्ल दिखाई पड़ती। ऐसे मुझे सिगरेट पीने की लत लग गई।"
अमृता लिखती है-
"यह आग की बात है
तूने यह बात सुनाई है
यही ज़िन्दगी की वहीं सिगरेट है
जो तूने कभी सुलगायी थी
चिंगारी तूने दी थी
ये दिल सदा जलता रहा
वक्त कलम पकड़ कर
कोई हिसाब लिखता रहा
ज़िन्दगी का अब गम नहीं
इस आग को संभाल ले
तेरे हाथ की खेर मांगती हूँ
अब और सिगरेट जला ले "
वैसे साहिर भी कुछ कम नहीं थे। उनकी ज़िंदगी से जुड़ा एक किस्सा अक्सर सुनाया जाता है। जब साहिर और संगीतकार जयदेव किसी गीत पर काम कर रहे थे, तभी जयदेव की नज़र साहिर के घर में रखे एक झूठे कप पर पड़ी। उन्होंने उसे साफ़ करने की बात कही, तो साहिर ने तुरंत रोकते हुए कहा "इसे मत छूना, अमृता ने आख़िरी बार यहीं बैठकर इसी कप में चाय पी थी।" अमृता और साहिर के बीच मोहब्बत तो थी, मगर उनकी राहों में कई रुकावटें थीं। अमृता जब साहिर से मिलीं, तब वे विवाहित थीं हालाँकि वह रिश्ता कभी भी उनके मन को रास नहीं आया। दूसरी ओर साहिर लुधियानवी नए रिश्ते की ज़िम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं थे। फिर भी, अमृता ही थीं जिन्होंने उनके दिल में एक ऐसी जगह बनाई जो कोई और कभी नहीं ले सका। साहिर की जीवनी “साहिर: ए पीपुल्स पोइट” के लेखक अक्षय मानवानी लिखते हैं कि अमृता शायद वह अकेली स्त्री थीं जो साहिर को शादी के लिए मना सकती थीं। एक बार अमृता जब दिल्ली में साहिर की माँ से मिलने आई थीं, तो उनके जाने के बाद साहिर ने अपनी माँ से कहा था "वो अमृता प्रीतम थी… जो आपकी बहू बन सकती थी।"
लेकिन साहिर ने यह बात कभी अमृता से नहीं कही। शायद वही चुप्पी, वही अनकहा इज़हार, अमृता के दिल में इमरोज़ के लिए जगह बनाता चला गया।
अमृता के जीवन में इमरोज़ का आना
अमृता इमरोज़ से 1958 में मिले, मिलते ही इमरोज़ को अमृता से इश्क़ हो गया। इमरोज़ एक चित्रकार थे साहिर और अमृता की मुलाकात तो यूं ही संयोग से हो गई थी, लेकिन इमरोज़ से तो अमृता की मुलाकात करवाई गई थी। एक दोस्त ने दोनों को मिलवाया था। इमरोज़ ने तब अमृता का साथ दिया जब साहिर को कोई और मिल गया था।
इमरोज़ के साथ अमृता ने अपनी जिंदगी के आखिरी 40 साल गुजारे, इमरोज़, अमृता की पेंटिंग भी बनाते और उनकी किताबों के कवर भी डिजाइन करते। इमरोज़ और अमृता एक छत के नीचे ज़रूर रहे मगर एक दूसरे के साथ नहीं। उनकी जिंदगी के ऊपर एक किताब भी है 'अमृता इमरोज़: एक प्रेम कहानी'। एक ही छत के नीचे दो अलग कमरे इन दोनों का बसेरा बनें। अपने एक लेख "मुझे फिर मिलेगी अमृता" में इमरोज़ लिखते है की कोई रिश्ता बांधने से नहीं बंधता न तो मैंने कभी अमृता से कहा कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ न कभी अमृता ने मुझसे। मैं तुम्हे फिर मिलूंगी कविता में शायद अमृता ने इमरोज़ के लिए ही लिखा था-
"मैं तैनू फ़िर मिलांगी
कित्थे ? किस तरह पता नई
शायद तेरे ताखियल दी चिंगारी बण के
तेरे केनवास ते उतरांगी
जा खोरे तेरे केनवास दे उत्ते
इक रह्स्म्यी लकीर बण के
खामोश तैनू तक्दी रवांगी
जा खोरे सूरज दी लौ बण के
तेरे रंगा विच घुलांगी
जा रंगा दिया बाहवां विच बैठ के
तेरे केनवास नु वलांगी
पता नही किस तरह कित्थे
पर तेनु जरुर मिलांगी"
इमरोज़ अमृता से बेइन्तिहाँ मोहब्बत करते थे मगर अमृता के दिलों दिमाग पर साहिर का राज था। किस्सा तो यह भी है कि इमरोज के पीछे स्कूटर पर बैठी अमृता सफर के दौरान ख्यालों में गुम होतीं तो इमरोज की पीठ पर अंगुलियां फेरकर 'साहिर' लिख दिया करती थीं। ये मोहब्बत अधूरी रही और इस मोहब्बत के गवाह बने आधी जली सिगरेट के टुकड़े, चाय का झूठा प्याला और ढेर सारे खुतूत।
जयसिंहपुर विधानसभा के अंतर्गत आने वाले लोअर लंबागांव की अलीशा ने हिमाचल प्रदेश एलाइड सर्विसेज की परीक्षा पास कर प्रदेश का नाम रोशन किया है । अलीशा का चयन ऑडिट इंस्पेक्टर के पद हुआ है। अलीशा ने बाहरवीं ऐम अकादमी सीनियर सेकेंडरी स्कूल जयसिंहपुर से की है।
उसके बाद अलीशा ने गवर्नमेंट डिग्री कालेज धर्मशाला से ग्रेजुएशन की । अलीशा के पिता सुमन कुमार हिमाचल पुलिस में कार्यरत हैं और माता स्नेहलता गृहिणी हैं। अलीशा के पिता सुमन कुमार ने बेटी की उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि यह परिवार के लिए गौरव का क्षण है। वही अलीशा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता व गुरुजनों को दिया है।
हिमाचल प्रदेश एक रहस्यों से भरा राज्य है। यहां ऐसी कई चीज़ें है जिसे समझ पाना वैज्ञानिकों के लिए भी बेहद मुश्किल है। ऐसे ही कई रहस्यों में से एक है हिमाचल की स्पीति घाटी में मौजूद करीब 550 साल पुरानी 'ममी'। करीब 550 साल पुरानी इस 'ममी' को स्थानीय लोग भगवान समझकर पूजते हैं। भारत तिब्बत सीमा पर हिमाचल के लाहौल स्पीति के गयू गांव में मिली इस ममी का रहस्य आज भी बरकरार है। हर साल हजारों लोग इसे देखने के लिए देश विदेश से यहां पहुंचते हैं। यह स्थान हिमाचल प्रदेश में स्पीति घाटी के ठंडे रेगिस्तान में बसा हुआ एक छोटा सा गांव है। लाहौल स्पीति की ऐतिहासिक ताबो मोनेस्ट्री से करीब 50 किमी दूर गयू नाम का यह गांव साल में 6-8 महीने बर्फ से ढके रहने के कारण दुनिया से कटा रहता है।
कहते हैं कि यहां मिली यह ममी तिब्बत से गयू गाँव में आकर तपस्या करने वाले लामा संघा तेंजिन की है। कहा जाता है कि लामा ने साधना में लीन होते हुए अपने प्राण त्याग दिए थे। तेनजिंग बैठी हुई अवस्था में थे। उस समय उनकी उम्र मात्र 45 साल थी। इस ममी की वैज्ञानिक जाँच में इसकी उम्र 550 वर्ष से अधिक पाई गई है। आम तौर पर जब भी ममी की बात होती है तो जहन में मिस्र में पाए जाने वाली पट्टियों में लिपटी ममी याद आती है। किसी मृत शरीर को संरक्षित करने के लिए एक खास किस्म का लेप मृत शरीर पर लगाया जाता है, जिससे वह ममी लम्बे समय तक सरंक्षित रहती है। लेकिन इस ममी पर किसी तरह का कोई लेप नहीं लगाया गया है, फिर भी इतने वर्षों से यह ममी सुरक्षित है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस ममी के बाल और नाखून आज भी बढ़ते रहते हैं। हालांकि इस तथ्य की सत्यता का कोई प्रमाण नहीं है। इस स्थान पर एक शरीर मौजूद है, जिसके सर बाल है, त्वचा है और नाखून भी पर न तो ये शरीर गलता है और न समय के साथ बदलता है। इसीलिए यहां के स्थानीय लोग इसे जिंदा भगवान मानते हैं और इसकी पूजा करते हैं।
बताया जाता है कि ITBP के जवानों को खुदाई के दौरान इस ममी का पता चला था। सन 1975 में भूकंप के बाद एक पुराने मकबरे में ये भिक्षु का ममीकृत शरीर दब गया था। इसकी खुदाई बहुत बाद में 2004 में की गई थी, और तब से यह पुरातत्वविदों और जिज्ञासु यात्रियों के लिए रुचि का विषय रहा है। खुदाई करते वक्त ममी के सर पर कुदाल लग गया था। ममी के सर पर इस ताजा निशान को आज भी देखा जा सकता है। 2009 तक यह ममी ITBP के कैम्पस में रखी हुई थी। देखने वालों की भीड़ देखकर बाद में इस ममी को गाँव में स्थापित किया गया। खास बात यह है कि ममी प्रकृति का प्रकोप झेलने के बावजूद भी सही सलामत है।
प्राकृतिक स्व-ममीकरण प्रक्रिया का परिणाम
यह ममी मिस्र के ममीकरण से बिल्कुल अलग है। इसे सोकुशिनबुत्सु नामक एक प्राकृतिक स्व-ममीकरण प्रक्रिया का परिणाम कहा जाता है, जो शरीर को उसके वसा और तरल पदार्थ से दूर कर देता है। इसका श्रेय जापान के यामागाटा में बौद्ध भिक्षुओं को दिया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी की इस प्रक्रिया में दस साल तक लग सकते हैं। इसकी शुरुआत साधु के जौ, चावल और फलियों (शरीर में वसा जोड़ने वाले भोजन) को खाने से रोकने के साथ होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मृत्यु के बाद वसा यानी फैट सड़ जाती है और इसलिए शरीर से वसा को हटाने से इसे बेहतर तरीके से संरक्षित करने में मदद मिलती है। यह अंगों के आकार को इस हद तक कम करने में भी मदद करता है कि सूखा हुआ शरीर अपघटन का विरोध करता है। शरीर के पास एक निरोधक के साथ-मोमबत्तियां जलाई जाती है ताकि इसे धीरे-धीरे सूखने में मदद मिल सके। शरीर में नमी को खत्म करने और मांस को हड्डी पर संरक्षित करने के लिए एक विशेष आहार भी दिया जाता है। मृत्यु के बाद, भिक्षु को सावधानी से एक भूमिगत कमरे में रखा जाता है। समय के साथ भौतिक रूप सचमुच में एक मूर्ति बन जाता है।
दिलचस्प बात यह है कि इनमें से तीस से भी कम स्व-ममीकृत भिक्षु दुनिया भर में पाए गए हैं। उनमें से अधिकांश जापान के एक द्वीप उत्तरी होंशू में पाए गए हैं। यहां पर भी भिक्षु प्राकृतिक ममीकरण की इस प्रथा का पालन करते हैं। संघा तेनज़िन के शरीर में अवशिष्ट नाइट्रोजन (लंबे समय तक भुखमरी का संकेत) के उच्च स्तर से पता चलता है कि उन्होंने खुद को ममी बनाने के लिए इस प्रक्रिया का पालन किया था।
दांत और बाल आज भी संरक्षित
इस ममी के दांत और बाल अभी भी अच्छी तरह से संरक्षित हैं। इस मम्मी को एक छोटे से कमरे में एक कांच के बाड़े में रखा गया है, जो एक लोकप्रिय गोम्पा के करीब स्थित है। इसकी सुरक्षा के लिए इस ममी को एक कमरे में रखा गया है। पर्टयक खिड़की के माध्यम से उसकी एक झलक देख सकते है। इस कमरे को केवल महत्वपूर्ण त्योहारों के दौरान खोला जाता है। गयू आधुनिकीकरण से अछूता एक शांत स्थान है। संघा तेंजिन की ममी आज एक मंदिर में विराजमान है, उसका मुँह खुला है, उसके दाँत दिखाई दे रहे हैं और आँखें खोखली हैं। वसा और नमी से रहित, यह जीवित बुद्ध का प्रतीक माना जाता है।
गाँव के अस्तित्व के लिए दिया था बलिदान
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि संघा तेंजिन ने गाँव के अस्तित्व के लिए खुद को बलिदान कर दिया था। कहानी यह है कि उन्होंने अपने अनुयायियों से विनाशकारी बिच्छू के संक्रमण के बाद खुद को ममीकृत करने के लिए कहा। जब उनकी आत्मा ने उनके शरीर को छोड़ दिया, तो ऐसा माना जाता है कि क्षितिज पर एक इंद्रधनुष दिखाई दिया जिसके बाद बिच्छू गायब हो गए और प्लेग समाप्त हो गया।
सिर्फ 100 लोग बस्ते है इस गांव में
गयू गांव एक बेहद शांतिपूर्ण और सुंदर गांव है। इस गांव में लगभग 100 लोग हैं। यहां के निवासी अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए दूर-दूर के स्थानों तक पैदल यात्रा करते हैं। इस गांव की दूरी काज़ा से लगभग 80 किमी है। जबकि शिमला से लगभग 430 किमी और मनाली से कुंजुम दर्रे के माध्यम से इसकी दूरी लगभग 250 किमी है। यहां आने का सबसे सही समय गर्मियों के दौरान है।
बगैर संगठन के ही हरियाणा में कई चुनाव लड़ने और हारने के बाद आखिरकार 11 साल बाद मंगलवार देर रात कांग्रेस ने हरियाणा में 32 जिला अध्यक्षों के नामों की घोषणा की है। पानीपत शहरी के अलावा सभी अन्य 32 संगठनत्मक ज़िलों में अध्यक्षों की नियुक्ति हो गई है। माना जा रहा है की संगठन की शेष नियुक्तियां भी जल्द होगी। इन नियुक्तियों में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दबदबा रहा है। 32 में से 22 जिला अध्यक्ष हुड्डा गुट के बताए जा रहे हैं, जबकि सात सांसद कुमारी सैलजा, एक रणदीप सुरजेवाला और दो कैप्टन अजय यादव के समर्थक हैं। इस सूचि में सिर्फ दो महिलाएं है। संतोष बेनीवाल को सिरसा और मेवात के शाहिदा खान, जो कि एकमात्र मुस्लिम नेता को कमान दी गई है। जबकि विधानसभा चुनाव लड़ चुके चार नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया है।
हरियाणा में हुई इन नियुक्तियों के बाद अब निगाहें हिमाचल पर टिकी है, जहँ नौ महीने से भी ज्यादा वक्त से राज्य, जिला और ब्लॉक इकाइयां भंग है। इस बीच मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभग सिंह का कार्यकाल भी पूरा हो चूका है और नए अध्यक्ष के एलान का इन्तजार भी जारी है।
ये 32 नेता बने, जिला अध्यक्ष
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से सूची के अनुसार, अंबाला कैंट से परविंदर परी, अंबाला सिटी से पवन अग्रवाल, अंबाला ग्रामीण से दुष्यंत चौहान, भिवानी ग्रामीण से अनिरुद्ध चौधरी, भिवानी शहरी से प्रदीप गुलिया, चरखी दादरी से सुशील धनक, फरीदाबाद से बलजीत कौशिक, फतेहाबाद से अरविंद शर्मा, गुरुग्राम ग्रामीण से वर्धन यादव, गुरुग्राम शहरी से पंकज दावर को जिला अध्यक्ष बनाया गया है। इसी तरह, हिसार ग्रामीण से बृज लाल खोवाल, हिसार शहरी से बजरंग दास गर्ग, झज्जर से संजय यादव, जींद से ऋषि पाल, कैथल से रामचंदर गुज्जर, करनाल ग्रामीण से राजेश वैद, करनाल शहरी से पराग गाबा, कुरुक्षेत्र से मेवा सिंह, महेंद्रगढ़ से सत्यवीर यादव, मेवात (नूंह) से शाहिदा खान, पलवल से नेत्रपाल अधाना, पंचकूला से संजय चौहान, पानीपत ग्रामीण से रमेश मलिक, रेवाड़ी ग्रामीण से सुभाष चंद चौवरी, रेवाड़ी शहरी से प्रवीण चौधरी, रोहतक ग्रामीण से बलवान सिंह रंगा, रोहतक शहरी से कुलदीप सिंह, सिरसा से संतोष बेनिवाल, सोनीपत ग्रामीण से संजीव कुमार दहिया, सोनीपत शहरी से कमल देवान, यमुनानगर ग्रामीण से नरपाल सिंह और यमुनानगर शहरी से देवेंद्र सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई है।