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एक ऐसा पर्व जिसमें डूबते सूरज को भी अर्घ्य दिया जाता है अर्ध्य, जानिए छठ पर्व क्यों मनाया जाता है
छठ पर्व दिवाली के छह दिन बाद कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाने की परंपरा है। यह महापर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। पहला दिन नहाय-खाय, दूसरा दिन खरना, तीसरा दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य तथा चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर यह त्योहार संपन्न होता है। छठ पर्व 25 अक्टूबर से ही शुरू हो चुका है और आज इसका तीसरा दिन है। बीते कल खरना से ही व्रत रखने वाले लोगों का 36 घंटों का निर्जला उपवास शुरू हो चुका है। कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इस पर्व का समापन होगा। यह खासकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तरप्रदेश तथा नेपाल के तराई क्षेत्र में मनाया जाने वाला पर्व है। विदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय विदेशों में भी इसे मनाते हैं। छठ पूजा में मूर्तिपूजा नहीं बल्कि सूर्य तथा जल की पूजा की जाती है यानि प्रकृति की पूजा। छठ को शुद्धता तथा पवित्रता का महापर्व कहा जाता है। क्यों कि इसमें शुद्धता का बहुत ही ज्यादा ख्याल रखा जाता है। इस पर्व में पूरी श्रद्धा से मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ियों से शुद्ध घी से मिटटी या पीतल के बर्तन में प्रसाद बनाया जाता है। इस व्रत में चार दिनों तक बहुत ही कठोर नियम का पालन करना पड़ता है। इस वजह से इसे भक्ति और कठोर तप अद्भुत संगम कहा गया है। छठ महापर्व में डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर उनके व छठी मां के प्रति और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। इस पूजा में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है। सूर्य देवता को जीवन, ऊर्जा तथा स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है और वहीं छठी मां को संतान की रक्षा का प्रतीक। छठ पहला दिन इस दिन व्रती सिर्फ एक समय ही शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं। चावल, चना दाल एवं कद्दू की सब्जी का प्रसाद बनाया जाता है। छठ मां और सूर्यदेव को भोग लगाने के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं और इसके बाद परिवार के सदस्य इसे ग्रहण करते हैं। दूसरा दिन खरना खरना के दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं। सूर्यास्त के बाद दूध और गुड़ व चावल की खीर, रोटी तथा फल का प्रसाद छठी मां को अर्पित करते हैं। इसके बाद यह प्रसाद व्रतियों द्वारा ग्रहण किया जाता है। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद से ही 36 घंटे का कठोर निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। तीसरा दिन खरना के बाद से ही इस दिन भर निर्जला उपवास पर रहते हैं व्रती। सूर्य डूबने से पहले व्रती स्नान कर स्वच्छ बिल्कुल नए कपड़े पहनते हैं। इसके बाद बांस की सूप में घी से बना ठेकुआ, चावल और घी से बना लड्डू, नारियल, गन्ना समेत कई फल और साथ ही घी का दीपक इस सूप पर रखते हैं। फिर नदी किनारे घाट पर जाकर पानी में खड़े होकर हाथ में इस सूप को लेकर डूबता हुए सूर्य को देखते हुए परिक्रमा करते हुए आराधना करते हैं। व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान सूर्य व छठी मां का आभार व्यक्त करते हैं। चौथा दिन सुबह सूर्य देव के उगने से पहले व्रती स्नान कर फिर से बिल्कुल नए स्वच्छ कपड़े पहनते हैं। इसके बाद बांस की सूप में ठेकुआ, चावल और घी से बना लड्डू, नारियल, गन्ना समेत कई फल और साथ ही घी का दीपक इस सूप पर रखते हैं। फिर नदी किनारे घाट पर जाकर पानी में खड़े होकर हाथ में इस सूप को लेकर उगते हुए सूर्य को देखते हुए परिक्रमा करते हुए उपासना करते हैं। व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान सूर्य व छठी मां का आभार व्यक्त करते हैं। खरना के बाद से ही करीब 36 घंटे तक निर्जला उपवास के बाद इस दिन इस पर्व का समापन हो जाता है। इसे मनाने के पीछे पौराणिक कथाएं द्वापर युग में माना जाता है कि पांडव के कठिन वक्त में द्रौपदी ने छठ व्रत कर सूर्य देव से अपने परिवार के लिए प्रार्थना की थी। वहीं, दूसरी तरफ कर्ण रोज स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देते थे और साथ ही सूर्य उपासना करने वाले इन्हें प्रथम साधक कहा जाता है। तब से इसे मनाया जाने लगा। त्रेता युग में श्रीराम जब अयोध्या लौटे उसके बाद छठ व्रत शुरु हुई। रावण का वध करने पर माना जाता है कि श्रीराम को ब्रह्महत्या का पाप लग गया था। इससे मुक्ति पाने के लिए कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन श्रीराम व मां सीता ने छह दिनों तक सूर्य देव की पूजा की। तब से इसे छठ पर्व के रूप में मनाया जाने लगा। मार्कण्डेय पुराण के मुताबिक़, सृष्टि की रचना के वक्त देवी प्रकृति छह भागों में विभाजित हुए। छठा अंश सबसे बेहद शक्तिशाली माने गए, जिसे छठी मां कहा गया। इन्हें ब्रह्मा जी की मानस पुत्री के रूप में पूजा जाता है।
हिमाचल प्रदेश में स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (एसएमएसी) के तहत रखे गए शिक्षकों को नियमित करने के लिए 1,427 पदाें पर एकमुश्त सीमित प्रत्यक्ष भर्ती (एलडीआर) परीक्षा होगी। परीक्षा पास करने वाले शिक्षक सरकारी सेवाओं में समायोजित किए जाएंगे और नियमानुसार नियमित होंगे। इन शिक्षकों को पीरियड आधार पर सेवाएं देते 12-13 साल हो गए हैं। पूर्व के आदेश में केवल 143 पदों पर ही भर्ती के लिए एलडीआर परीक्षा हो रही थी। शिक्षकों के संगठन ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से पद संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया था। इसलिए अब शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के 1,427 पदों को सीमित प्रत्यक्ष भर्ती (एलडीआर) परीक्षा के तहत भरने का निर्णय लिया है। शिक्षा सचिव ने इस संदर्भ में निदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र लिखकर स्पष्ट किया है कि 1427 पदों पर 5 प्रतिशत तय कोटा में छूट के साथ भर्ती की जाएगी। हालांकि, यह छूट केवल बैचवाइज कोटा श्रेणी में उपलब्ध रिक्तियों तक ही सीमित होगी। यदि 5 प्रतिशत बैचवाइज कोटा के अनुसार आवश्यक रिक्तियां उपलब्ध नहीं हैं, तो चयनित एसएमसी उम्मीदवारों को भविष्य में एलडीआर और बैचवाइज कोटा के तहत उत्पन्न होने वाली रिक्तियों में समाहित किया जाएगा, जिसे संबंधित श्रेणियों के आरएंडपी नियमों में छूट के तहत समयानुसार तय किया जाएगा। स्कूल शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने कहा है कि सरकार की ओर से उन्हें शनिवार को पत्र मिला है।
प्रदेश में इन दिनों मौसम सुहावना बना हुआ है। इससे पर्यटन स्थलों पर रौनक बढ़ने लगी है। उत्तर भारत से टूरिस्ट सुहावने मौसम का आनंद उठाने और बर्फ देखने के लिए पहाड़ों पर पहुंच रहे हैं। मौसम विभाग शिमला के अनुसार, पहाड़ों पर अगले छह दिन धूप खिलेगी व बारिश, बर्फबारी के कोई आसार नहीं है। इससे न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य के आसपास रहेगा। प्रदेश के अधिक ऊंचे क्षेत्रों में जहां बीते सप्ताह की बर्फबारी के बाद तापमान माइनस में चला गया था, वहां पर तापमान में हल्का उछाल आ रहा है। इससे लोगों ने ठंड से राहत ली है। वहीं प्रदेश के मध्यम ऊंचाई व मैदानी इलाकों के तापमान में हल्की कमी आनी शुरू हो गई है। मौसम विज्ञान केंद्र की माने तो इस सप्ताह तापमान सामान्य के आसपास बना रहेगा। प्रदेश का औसत न्यूनतम तापमान अभी सामान्य से 0.2 डिग्री ज्यादा और अधिकतम तापमान नॉर्मल से 1 डिग्री सेल्सियस अधिक है। प्रदेश में सबसे कम तापमान केलांग का 0.1 डिग्री और अधिकतम ऊना का 33 डिग्री सेल्सियस है। मौसम विभाग के अनुसार, पोस्ट मानसून सीजन में अब तक सामान्य से 189 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। एक से 26 अक्टूबर के बीच 23.8 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है, लेकिन इस बार 68.8 मिलीमीटर बादल बरस चुके हैं।
कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल और एएसआई पद पर पदोन्नति के लिए ली जाने वाली पुलिस विभाग की बी-एक परीक्षा साइट क्रैश होने के चलते रद्द कर दी गई है। रविवार को ऑनलाइन परीक्षा के दौरान सर्वर फेल होने से कंप्यूटर हैंग हो गए। आठ साल बाद यह परीक्षा ली गई। प्रदेश के सभी जिलों में परीक्षा केंद्र स्थापित किए गए थे। 4,461 जवान परीक्षा में बैठे। रविवार को परीक्षा के दौरान तकनीकी समस्या के कारण जब टेस्ट सबमिट नहीं हुआ तो हड़कंप मंच गया। अब यह परीक्षा दोबारा होगी। पुलिस विभाग इसके लिए जल्द नई तारीख तय करेगा। सुबह के सत्र में 2,696 और शाम के सत्र में 1,765 परीक्षार्थियों को परीक्षा देनी थी। हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग की ओर से करीब 8 साल के लंबे अंतराल के बाद पदोन्नति का इंतजार कर रहे पुलिस जवानों के लिए यह परीक्षा करवाई गई। हिमाचल प्रदेश राज्य इलेक्ट्राॅनिक्स विकास निगम लिमिटेड को परीक्षा करने का जिम्मा सौंपा गया। पुलिस मुख्यालय की ओर से संबंधित जिला पुलिस अधीक्षकों को परीक्षा प्रभारी बनाया गया। पुलिस विभाग की यह परीक्षा 21 सितंबर को प्रस्तावित थी, लेकिन भारी बारिश के कारण परीक्षा स्थगित कर दी गई। प्रदेश पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) ने परीक्षा के सफल आयोजन को लेकर सभी जिलों और इकाइयों को दिशा-निर्देश जारी किए थे। सभी संबंधित अधिकारियों को अपने-अपने कमांड क्षेत्र में तैनात परीक्षार्थियों को निर्धारित तिथि के अनुसार परीक्षा की तैयारी सुनिश्चित करने और परीक्षा केंद्रों में समय पर पहुंचने के निर्देश दिए गए थे। शनिवार को भी पुलिस मुख्यालय ने परीक्षार्थियों से अपील की थी कि वह निर्धारित समय से पहले परीक्षा केंद्रों में पहुंचे और परीक्षा संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करें।
हिमाचल: न मंत्र-न फेरे, संविधान की शपथ लेकर परिणय सूत्र में बंधे दो जोड़े, जानें पूरा मामला
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में दो सगे भाइयों की अनोखी शादी हुई। न पंडित को बुलाया गया, न ही सात फेरे हुए। दूल्हा बने दोनों भाइयों ने संविधान की शपथ ली और हो शादी गई। यही नहीं, इस शादी के लिए छपवाए गए कार्ड भी लीक से हटकर दिखे। उन महान विभूतियों के चित्र प्रकाशित किए गए, जिन्होंने सामाजिक कुरीतियों को दूर कर लोगों को जीने की नई राह दिखाई। शिलाई विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत नैनीधार के कलोग गांव के दो सगे भाइयों ने एक साथ संविधान को साक्षी मानकर विवाह किया। दोनों सगे भाइयों सुनील कुमार बौद्ध और विनोद कुमार आजाद ने संविधान निर्माता डॉ. भीम राव अम्बेडकर के विचारों से प्रेरित होकर यह अनोखी पहल की। इन दोनों ने समारोह में बदलाव करते हुए पारंपरिक ब्रह्म विवाह की जगह संविधान को साक्षी मानकर विवाह किया। बता दें कि यह दोनों भाई सरकारी नौकरी में हैं और सामाजिक सुधार के लिए हमेशा आगे रहते हैं। इनका मानना है कि विवाह दो दिलों का मेल है और इसके लिए किसी परंपरागत रीति और कर्मकांड का होना जरूरी नहीं है। खास बात यह रही कि दोनों भाइयों ने शादी की दूसरी रस्मों को जरूर निभाया। इसमें मामा स्वागत, वर माला, बरात वगैरह दूसरी रस्में शामिल रहीं। इस शादी में स्थानीय रीति-रिवाजों को पूरा करते हुए 25 अक्तूबर की शाम को मामा का स्वागत, 26 अक्तूबर को सुबह आठ बजे गांव से दुल्हन के घर तक बरात निकाली गई। दोपहर बाद दोनों भाई अलग-अलग गांव से दुल्हन लेकर अपने घर पहुंचे। इन सभी रस्मों को बिना पंडित के पूरा किया गया। बरात के घर पहुंचने पर भी दोनों भाइयों और दुल्हनों ने संविधान की शपथ ग्रहण की। इससे पहले शादी के कार्ड में भी महात्मा बुद्ध, संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर और महात्मा कबीर के चित्र प्रकाशित करके लोगों को शादी का निमंत्रण दिया गया। विवाह समारोह में गांव के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया और नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया। सुनील और विनोद ने कहा कि वह सामाजिक सुधारों के लिए आगे भी प्रयासरत रहेंगे।
धार्मिक भजनों से प्रसिद्धि पाने वाले हिमाचल प्रदेश के गायक हंसराज रघुवंशी, जिन्हें 'मेरा भोला है भंडारी' भजन से खास पहचान मिली है, उन्हें और उनके परिवार को जान से मारने की धमकी मिली है। इस धमकी के साथ ही उनसे 15 लाख रुपये की मोटी रंगदारी भी मांगी गई है। गायक हंसराज रघुवंशी को फोन कॉल के जरिए यह धमकी दी गई, जिसमें धमकी देने वाले शख्स ने खुद को कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ा हुआ बताया। उसने खुद के गोल्डी बराड़ गैंग से संबंध होने का भी दावा किया। शिकायत में कहा गया है कि आरोपी ने हंसराज की पत्नी, मां और टीम के सदस्यों को जान से मारने की धमकी दी और चेतावनी दी कि अगर रंगदारी नहीं दी गई तो पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया जाएगा। गायक के निजी सुरक्षा गार्ड विजय कटारिया की शिकायत पर मोहाली पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने आरोपी की पहचान मध्य प्रदेश के उज्जैन निवासी राहुल कुमार नागड़े के रूप में की है। शिकायत के अनुसार, राहुल कुमार नागड़े की हंसराज रघुवंशी से पहली मुलाकात साल 2021-22 में उज्जैन के श्री महाकाल मंदिर में हुई थी। जीरकपुर पुलिस ने आरोपी राहुल कुमार नागड़े के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है और आगे की कार्रवाई जारी है।
हिमाचल प्रदेश में मौसम फिर बिगड़ सकता है। मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र पर एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव की संभावना है। इसके प्रभाव से राज्य में बारिश-बर्फबारी हो सकती है। वहीं शनिवार को राजधानी शिमला व अन्य भागों में धूप खिली रही। दूसरी ओर ताबो व केलांग का न्यूनतम तापमान माइनस में दर्ज किया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार राज्य में 31 अक्तूबर तक मौसम साफ रहने के आसार हैं। हालांकि, 27 अक्तूबर को एक नया पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से राज्य के कई भागों में बारिश-बर्फबारी हो सकती है। अगले दो-तीन दिनों के दौरान अधिकतम और न्यूनतम तापमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। शिमला में न्यूनतम तापमान 11.4, सुंदरनगर 11.6, भुंतर 9.4, कल्पा 3.6, धर्मशाला 12.0, ऊना 11.3, नाहन 17.3, केलांग -0.1, पालमपुर 10.5, सोलन 9.2, मनाली 6.5, कांगड़ा 13.0, मंडी 12.9, बिलासपुर 15.0, हमीरपुर 12.5, जुब्बड़हट्टी 13.4, कुफरी 9.3, कुकुमसेरी 1.2, नारकंडा 7.0, रिकांगपिओ 6.5, बरठीं 13.6, पांवटा साहिब 18.0, देहरा गोपीपुर 14.0, ताबो -0.4 व बजौरा में 8.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं ऊना में अधिकतम तापमान 33.2 डिग्री सेल्सियस, हमीरपुर में 31.8, बिलासपुर में 30.9, कांगड़ा में 30.0, नाहन में 27.7, धर्मशाला में 27.1, सोलन में 25.0, मंडी में 24.8, शिमला में 21.8, मनाली में 18.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
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