नादौन उपमंडल के गांव चौकी चौडान से मानपुल की ओर सैर कर रहे तीन युवक, धनेटा की ओर जा रही अल्टो कार की चपेट में आ गए। इस हादसे में चौकी चौड़ान निवासी रविंदर उर्फ बग्गू की टांग फैक्चर हो गई । मिली जानकारी के मुताबिक राकेश रविंद्र और आशीष गांव चौकी चौडान से मानपुल की और सैर के लिए निकले तथा थोड़ी ही दूरी तय करने पर धनेटा की ओर से आ रही एक अल्टो कार की चपेट में यह तीनों युवक आ गए। इस हादसे में तीनों युवकों को चोटे आई परंतु रविंद्र उर्फ बग्गू को इस घटना में गंभीर चोटें आई। घटना के समय कार चालक वहां से फरार हो गया जानकारी के मुताबिक कार चालक ने थाना में पहुंचकर इस घटना की जानकारी दी। घटनास्थल पर पहुंचे परिजन तीनों युवकों को नादौन अस्पताल लेकर आए जहां पर आशीष और राकेश का इलाज चल रहा है और रविंदर उर्फ बग्गू को उसकी टांगों में गंभीर चोटों के चलते उसके परिजन उसे होशियारपुर उपचार के लिए ले गए। परिजनों से मिली जानकारी के मुताबिक बग्गू की टांग का ऑपरेशन हुआ है। वही इस संबंध में डॉ बीएस राणा ने बताया कि दोनों घायलों का इलाज स्थानीय अस्पताल में किया जा रहा है और अरविंद को टांगों में गंभीर चोटें आई है। वही इस संबंध में थाना प्रभारी नादौन प्रवीण राणा ने बताया कि पुलिस ने मामला दर्ज करके छानबीन शुरू कर दी है।
लंबी प्रतीक्षा के बाद सड़क पर टायरिंग तो हुई लेकिन सड़क बनते ही उखड़ने लगी। दो दिन में हुई हल्की बारिश से सड़क में डाला गया मटेरियल पूरी तरह गीला हो चुका था। उसी में टायरिंग कर दिए जाने से सड़क निर्माण के औचित्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। यह मामला क़ुठेड़ा से नौण नरेली संदोल सड़क का सामने आया है। ग्राम पंचायत देई द नौण के प्रधान रंजन शर्मा ने सम्बंधित ठेकेदार पर तुरंत कार्यवाही करने व दोषियों पर विभागीय जाँच की माँग की है । आपको बता दें कि ग्रामीण सम्पर्क सड़कें आज भी लोक निर्माण विभाग के अधीन हैं। इन सड़कों का निर्माण व मरम्मत भी लोक निर्माण विभाग के जिम्मे है। लोक निर्माण विभाग के अधीन कई ऐसी सड़कें हैं जो ग्रामीणों के लिए मुसीबत का कारण बनी हुई हैं। । दो दिन पूर्व अचानक सड़क की टायरिंग शुरू की गई। इसी बीच बारिश भी शुरू हो गई और टायरिंग कर दी गई। क़रीब पाँच वर्ष भर चैन की नींद सोने वाला विभाग सर्दियाँ शुरू होते ही टायरिंग कार्य समेटने पर जोर लगा रहा है। ठेकेदार भी १५ नवम्बर से पहले किसी तरह लीपापोती कर निर्माण कर निपटाने के फेर में है। इसी कारण सड़क निर्माण की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। विभाग के अधिकारी भी ठेकेदारों के साथ निर्माण स्थल पर नजर नहीं रख रहे हैं। नागरिक विरोध करते हैं तभी अधिकारियों की नींद खुलती है। इस बारे में पंचायत प्रधान रंजन शर्मा ने बताया कि कम तापमान में टायरिंग होने से पपड़ी की तरह सड़क उखड़ रही है। उन्होंने विभाग के अधिकारियों से मौक़े पर आकर क़ुठेड़ा से नौण नरेली संदोल सड़क की हालत देखने व ठेकेदार को दोबारा मापदंडों के अनुसार टायरिंग के निर्देश जारी करने की माँग की है।
बिझड़ी बाजार के सौन्दर्यकरण के दौरान सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा नई पाइपलाइन बिछाई गई है। सड़क के दोनों ओर नई लाइन बिछाने व नए कनेक्शन देने के बाद लोगों को उम्मीद बंधी थी कि अब उनकी पेयजल समस्या का पूर्ण हल हो जाएगा। लेकिन अब समस्या दूर होने के बजाय और भी बढ़ चुकी है। लोगों को सर्दियों के मौसम में तीसरे दिन भी सही मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा। पानी का प्रेशर इतना कम हो चुका है कि प्रथम तल पर रखी टँकीया भी भर नहीं पा रही है। ऐसे में बाज़ार में रहने वाले स्थाई निवासियों के अलावा किरायेदारों को पानी के लिए खूब भागदौड़ करनी पड़ रही है। लोगों का कहना है की अगर विभाग सर्दियों के मौसम में भी पेयजल सप्लाई सुचारू रूप से नहीं कर पा रहा तो गर्मियों में भगवान ही मालिक है।लोगों का कहना है कि अगर विभागीय कर्मियों से पूछा जाए तो वे अपनी असमर्थता जता कर पल्ला झाड़ लेते हैं। जिनका कहना होता है कि अगर पानी नहीं चढ़ रहा तो हम क्या कर सकते है।सहायक अभियंता आईपीएच शुशील कुमार का कहना है कि नई लाइन के बाद समस्या नहीं आनी चाहिये।लेकिन अगर ऐसा है तो ब्लॉकेज चैक करवाई जाएगी तथा समस्या को शीघ्र दूर किया जाएगा।
जिला मुख्यालय के एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन के बाद हुई एक महिला की मौत मामले में मेडिकल नेग्लिजेंसी की जांच तीन सप्ताह बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। स्कूल शिक्षिका अमिता जिसे डाक्टरों की कथित लापरवाही के चलते दुनिया से जाना पड़ा, उसके परिजनों को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है। इस मामले में लोगों का आक्रोश निजी अस्पताल प्रशासन के खिलाफ सड़कों पर भी देखने को मिला था। हैरानी यह हो रही है कि कुछ दिन पहले जिस महिला की मौत की कहानी पुलिस, प्रशासन, स्वास्थ्य महकमे से लेकर हमीरपुर के हर व्यक्ति की जुबान पर थी, मात्र एक माह में ही लग रहा है जैसे कुछ हुआ ही नहीं। ऐसे लगता है कि जैसे जांच अधिकारी से लेकर इस मामले में संलिप्त हर कोई इस बात का इंतजार कर रहा है कि मामले को धीरे-धीरे भुला दिया जाए। उल्लेखनीय है कि 9 अक्तूबर देर रात हुई इस मौत के मामले में परिजनों के प्रदर्शन के बाद 16 अक्तूबर को मेडिकल कमेटी गठित की गई थी। उस वक्त कहा गया था कि दो सप्ताह के भीतर जांच पूरी होगी। वहीं तीसरा सप्ताह भी खत्म होने को आया लेकिन एक ही जवाब मिल रहा है कि जब रिपोर्ट आएगी तो बता दी जाएगी। इस संदर्भ में ब्राहलड़ी गांव की मृत शिक्षिका अमिता के परिजन बुधवार को जिला उपायुक्त से मिले और अब तक हुई जांच के बारे में जानकारी प्राप्त की। परिजनों के साथ आए सुमन भारती ने बताया कि उपायुक्त हरिकेश मीणा ने उनकी बात को ध्यान से सुना और सी.एम.ओ. हमीरपुर से बात कर पूरी जानकारी प्राप्त की। उन्होंने सी.एम.ओ. को गांव से प्रतिनिधिमंडल से मिलने बारे निर्देश भी दिए। उधर, इस संदर्भ में जिला उपायुक्त हरिकेश मीणा ने बताया कि निजी अस्पताल, पोस्ट्मॉर्टम रिपोर्ट व डाक्टरों की जिम्मेदारी को लेकर जांच रिपोर्ट लगभग तैयार है, एक दो दिन के अन्दर इस पर निर्णय ले लिया जाएगा।
हमीरपुर : यूं तो दुनिया में मशरूम की बहुत सी वैरायटी है लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा गुच्छी मशरूम की हो रही है। यह गुच्छी मशरूम अपने आप उग जाती है। ज्यादातर यह सब्जी हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के ऊंच्चे क्षेत्रों में पायी जाती है। पहाड़ी इलाकों में पाई जाने वाली गुच्छी अब हमीरपुर में हर साल देखने को मिल रही है। जहां गत साल भी हमीरपुर जिला के मौहीं गांव में स्थानीय ग्रामीणों ने गुच्छी होने का दावा किया था, वहीं इस साल भी गुच्छी की काफी मात्रा मिलने से स्थानीय लोगों ने खुशी जाहिर की है। आपको बता दें कि दुनिया की सबसे मंहगी सब्ज़ी में शुमार गुच्छी की कीमत 30 से 35 हजार रूपये प्रति किलो के हिसाब से बिकती है। हालांकि हिमालय के ऊंचे पहाड़ों में पैदा होने वाली गुच्छी को तलाश करना मुश्किलों भरा होता है। बल्ह पंचायत के गांव मौंही में एक नाले और सड़क के किनारे सुनसान जगह पर गुच्छी पाई गई है और गांव के किशोरी लाल को गुच्छी कुछ सालों से मिल रही थी लेकिन संशय होने के चलते किसी से बात नहीं करते थे। इस बार भी गुच्छी ज्यादा तादाद में लगने पर गुच्छी होने की पुष्टि हुई है। वहीं किशोरी के अनुसार गुच्छी के पौधों को एक महात्मा को भी बताया था तो कुल्लू मनाली के लोगों को भी दिखाई थी इसके बाद लोगों ने भी इसकी पुष्टि गुच्छी के रूप में ही की थी। गुच्छी के सेवन से कई बीमारियों का भी ईलाज होता है। गौरतलब है कि गुच्छी की पैदावार अक्तूबर और नवंबर माह के बीच ही पैदा होती है। गुच्छी की डिंमाड विदेशों में ज्यादा है और गुच्छी में विटामिन डी और सी, हार्ट की बीमारी के लिए फायदेमंद होती है। इस तरह हमीरपुर में भी अब गुच्छी के मिलने पर लोगों में हैरानी बनी हुई है।
दुर्गम पहाड़ी इलाकों में पाई जाने वाली गुच्छी हमीरपुर में हर साल देखने को मिल रही है। जहां गत साल भी हमीरपुर जिला के मौहीं गांव में स्थानीय ग्रामीणों ने गुच्छी होने का दावा किया था, वहीं इस साल भी गुच्छी काफी मात्रा में मिलने से स्थानीय लोगों ने खुशी जाहिर की है। आपको बता दें कि दुनिया की सबसे मंहगी सब्जी में शुमार गुच्छी की कीमत 30 से 35 हजार रूपये प्रति किलो के हिसाब से बिकती है। हालांकि हिमालय के ऊंचे पहाड़ों में पैदा होने वाली गुच्छी को तलाश करना मुश्किलों भरा होता है। बल्ह पंचायत के गांव मौंही में एक नाले और सड़क के किनारे सुनसान जगह पर गुच्छी पाई गई है। गांव के किशोरी लाल को गुच्छी कुछ सालों से मिल रही थी लेकिन संशय होने के चलते किसी से बात नहीं करते थे। इस बार भी गुच्छी ज्यादा तादाद में लगने पर गुच्छी होने की पुष्टि हुई है। वहीं किशोरी के अनुसार गुच्छी के पौधों को एक महात्मा को भी बताया था तो कुल्लू मनाली के लोगों को भी दिखाई थी जिसके बाद लोगों ने भी इसकी पुष्टि गुच्छी के रूप में ही की थी। किशोरी ने बताया कि गुच्छी के पौधे पिछले साल भी अक्तूबर माह में नाले के पास मिले थे और इस बार गुच्छी काफी मात्रा में सड़क किनारे भी पाई गई है। उन्होंने बताया कि गुच्छी के सेवन से कई बीमारियों का भी ईलाज होता है। गौरतलब है कि गुच्छी की पैदावार अक्तूबर और नवंबर माह के बीच ही पैदा होती है। गुच्छी की डिंमाड विदेशों में ज्यादा है और गुच्छी में विटामिन डी और सी, हार्ट की बीमारी के लिए फायदेमंद होती है। इस तरह हमीरपुर में भी अब गुच्छी के मिलने पर लोगों में हैरानी बनी हुई है।
हमीरपुर : स्कूल स्वच्छता पुरस्कार योजना के तहत जिला के 23 स्कूलों ने सबसे स्वच्छ होने का दावा पेश किया है। इन सभी ने जिला स्तरीय स्वच्छता पुरस्कार के लिए खुद को योग्य बताया है। ब्लॉक लेवल पर स्वच्छता में प्रथम रहे स्कूलों ने जिला स्तरीय पुरस्कार के लिए आवेदन किया है। जिला स्तर पर विजेता को प्रशासन की तरफ से 50 हजार रुपए की राशि बतौर इनाम प्रदान की जाएगी। प्राइमरी, मिडल व हाई-सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को जिला स्तर पर सबसे स्वच्छता घोषित किया जाएगा। तीनों वर्गों में एक-एक स्कूल सबसे स्वच्छ घोषित होगा। इसके लिए पहले टीमें इन स्कूलों का निरीक्षण करेंगी। स्वच्छता के सभी पहलुओं को मद्देनजर रखते हुए टीम अपनी रिपोर्ट तैयार कर अंक प्रदान करेगी। स्वच्छता के हर पहलू से सबसे बेहतर स्कूल को प्रथम घोषित किया जाएगा। स्कूलों के निरीक्षण के लिए छह सदसीय टीम का गठन किया गया है। राजकीय प्राथमिक पाठशालाओं में बिझड़ी की राजकीय प्राथमिक पाठशाला रोपड़ी, हमीरपुर की राजकीय प्राथमिक पाठशाला मटाहणी, बमसन की परोल, भोरंज ब्लॉक से धमरोल, बिझड़ी की देसन कोहडरा, हमीरपुर की बाड़ी, नादौन की पालवी, सुजानपुर की राजकीय प्राथमिक पाठशाला लाहडू ने आवदेन किया है। वहीं माध्यमिक पाठशालाओं के जिला स्तरीय स्वच्छता आवार्ड के लिए हमीरपुर से राजकीय माध्यमिक पाठशाला घिरथेड़ी, बमसन की दाड़ीं, भोरंज से किसी ने अप्लाई नहीं किया। वहीं बिझड़ी से नैन, हमीरपुर से बकारटी, नादौन से बंधेड़ा व सुजानपुर से री ने आवेदन किया है। वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में भोरंज से पट्टा, हमीरपुर से झगडिय़ाणी, बिझड़ी से हाई स्कूल बैरी, बमसन से बजरोल, भोरंज से भरेड़ी, बिझड़ी से समताना, हमीरपुर से राजकीय उच्च प्राथमिक पाठशाला बाड़ी, नादौन से राजकीय उच्च पाठशाला मंझेली व सुजानपुर से बनाल ने जिला स्तरीय स्वच्छता पुरस्कार के लिए दावेदारी जताई है। तीन वर्गों में सबसे स्वच्छ होने का दावा करने वाली पाठशालाओं को टीम निरीक्षण करेगी। इसके बाद तीनों वर्गों में सबसे स्वच्छ पाठशालाओं को चयन होगा।
हमीरपुर : उपायुक्त हरिकेश मीणा की अध्यक्षता में सोमवार को हमीर भवन में साप्ताहिक समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। इसमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की प्रगति सहित विभिन्न मदों पर चर्चा की गयी। हरिकेश मीणा ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत 30 नवंबर तक आधार कार्ड के साथ लिंक करने की अंतिम तिथि निर्धारित की गयी है। इसके उपरांत किसी भी लाभार्थी को केवाईसी पूर्ण किए बिना योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा। उन्होंने सभी पात्र लाभार्थियों से आग्रह किया है कि यदि उन्होंने यह प्रक्रिया अभी पूर्ण नहीं की है तो इसे निर्धारित तिथि तक अवश्य पूर्ण कर लें। इसके अतिरिक्त एक निश्चित अनुपात में लाभार्थियों का भौतिक सत्यापन भी किया जाना है जिसके लिए उन्होंने संबंधित विभागों से समयबद्ध निपटारे का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के दिशा-निर्देशों अनुसार 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक पूरे प्रदेश सहित हमीरपुर जिला में भी नशा निवारण के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत दैनिक आधार पर सभी विभागों की सहभागिता सुनिश्चित की गयी है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से आग्रह किया कि इस संदर्भ में वे कार्य योजना तैयार कर नोडल विभाग जिला कल्याण अधिकारी को तय समय में उपलब्ध करवा दें। उन्होंने कहा कि राजकीय पाठशालाओं में शौचालयों, सूचना पट्ट, फर्श, पेयजल भंडारण टैंक इत्यादि की छिटपुट मरम्मत सहित पाठशालाओं के जीर्णोद्धार के लिए 14 वें वित्त आयोग से धन का प्रावधान किया जा रहा है। पाठशाला परिसर में ऐसे ही अन्य कार्यों के लिए मनरेगा के माध्यम से भी कार्य करवाया जा सकता है। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से आग्रह किया कि वे इस बारे में सभी राजकीय पाठशालाओं के प्रधानाचार्यों व मुख्याध्यापकों से मामले प्रस्तुत करने के निर्देश दें, ताकि पाठशाला परिसर को सुंदर व स्वच्छ बनाया जा सके। उपायुक्त ने कहा कि शहर में स्थानीय स्तर पर परिवहन सुविधा औऱ बेहतर करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे है। हमीरपुर में 20 तथा अन्य स्थानों पर 17 ऑटो रिक्शा चलाने की योजना है। शहर के विभिन्न स्थलों पर इनकी पार्किंग के लिए स्थल चिह्नित किए जाएंगे। उन्होंने जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी को निर्देश दिए कि अणु स्थित सिंथेटिक ट्रैक की वस्तुस्थिति से अवगत करवाएं और इसके बेहतर रखरखाव के लिए त्वरित कार्रवाई करें। उन्होंने नगर परिषद को निर्देश दिए कि शहर में आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए कारगर कदम उठाएं। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग को कहा कि पेयजल आपूर्ति पाईपों से सड़कों की ओर रिसने वाले पानी की समस्या का त्वरित हल करें। नगर परिषद भी शौचालयों की टंकियों से पानी रिसने की समस्या का अविलंब निपटान करें। अवैध खनन पर रोक के लिए सभी संबंधित विभाग निरंतर कार्य करते रहें। गत माह खनन विभाग की ओर से 39 चालान विभिन्न मामलों में काटे गए। बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त रत्तन गौत्तम, सहायक आयुक्त राजकिशन, पुलिस उप अधीक्षक रेणु शर्मा सहित विभिन्न विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।
हस्तशिल्पियों के घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाज़ार को प्रोत्साहन देने के लिए सुजानपुर में एक दिवसीय सैमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के हस्तशिल्पियों के लिए स्थायी रोजगार और उद्यमिता विकास के लिए एक रोड मैप तैयार करना है। एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट्स (ईपीसीएच) के सहयोग से प्रयास सोसाइटी द्वारा सुजानपुर के चिल्ड्रन पार्क में आयोजित इस कार्यक्रम में शिल्पी बेक्टा एसडीएम सुजानपुर, कीर्ति चंदेल बीडीओ सुजानपुर,अवनीश परमार प्रयास संस्था के प्रमुख, राकेश कुमार डीजी ओपी मल्होत्रा शिल्प गुरु ने हस्तशिल्प कला की ख़ूबियों से अवगत करवाया। इस बारे में प्रयास संस्था के अध्यक्ष अवनीश परमार ने बताया कि निर्यात व्यवसाय अत्यधिक विशिष्ट कार्य क्षेत्र है और प्रतिस्पर्धी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सफलता संभव नहीं होगी जब तक कि निर्यात योजना और प्रबंधन के लिए अधिक व्यावहारिक दृष्टिकोण नहीं अपनाया जाता है। उन्होंने बताया कि यह सैमिनार हिमाचल में पहली बार आयोजित किया जा रहा है तथा इसके बेहतर परिणाम आएँगे। एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट्स के डीजीएम राकेश कुमार ने बताया कि उद्योग विभाग हस्तशिल्प कला को रोज़गार के साथ जोड़ने का प्रयास कर रहा है। एसडीएम शिल्पी वेक्टा ने अपने सम्बोधन में कहा कि हस्तशिल्प को रोज़गार के रूप में प्रोत्साहित करने की सख़्त ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि प्रयास संस्था तथा ईपीसीएच के सहयोग से आयोजित इस सैमिनार में लोगों को कई उपयोगी जानकारी मिली है।
केंद्र सरकार अध्यापकों के मिड-डे मील के साथ नाश्ते की जिम्मेदारी भी सौंपने जा रही है, जो उचित नहीं है। केंद्र सरकार के इस निर्णय का कई राज्यों ने विरोध किया जो सही है क्योंकि अध्यापकों के पास पहले ही काफी कार्य हैं, इन्हें मिड-डे मील से मुक्त करना चाहिए। दरिद्र नारायण कल्याण समिति के जिला महासचिव कुलदीप चंद शास्त्री ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत नाश्ते की जो व्यवस्था की जा रही है, इसे किसी और संस्था को सौंपा जाना चाहिए ताकि अध्यापक पठन-पाठन के कार्य की तरफ अधिक ध्यान दे सकें। हिमाचल सरकार के शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने भी इस मिड-डे मील व नाश्ते की व्यवस्था को किसी दूसरी संस्था को सौंपने की बात करके सही निर्णय लिया है। उनका यह निर्णय स्वागत योग्य है। दरिद्र नारायण कल्याण समिति के प्रदेश महासचिव कुलदीप शर्मा शास्त्री ने शिक्षामंत्री के निर्णय को सही करार दिया।
राष्ट्रीय प्रोद्यौगिकी संस्थान (एनआईटी) हमीरपुर में एक सफाई कर्मचारी द्वारा तेल छिड़ककर आत्महत्या का प्रयास करने के मामले में संस्थान प्रबंधन को लपेटते हुए सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि ऐसा पहली दफा हो रहा है कि संस्थान में छोटे व गरीब तबके के कर्मचारी तंग व प्रताड़ित हो रहे हैं।संस्थान के वर्तमान निदेशक ने पूरी हिटलरशाही फैला रखी है जिसको देखते हुए संस्थान का नाम बदलकर यादव प्रोद्यौगिकी संस्थान उत्तर प्रदेश कर देना चाहिए।उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि संस्थान को जमीन से लेकर अन्य सुविधाएं हिमाचल सरकार मुहैया करवा रही है, लेकिन संस्थान में भर्तियां यूपी के लोगों की हो रही है तथा हिमाचली युवाओं को दरकिनार किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि वर्तमान निदेशक व विवादों का चोली दामन का साथ लग रहा है, क्योंकि चंद माह पहले ही सफाई कर्मचारी अपनी मांगों के लिए 10 दिन धरने पर रहे थे।स्थानीय विधायक होने के नाते लोग भी उनसे मिलकर संस्थान निदेशक की शिकायतें कर चुके हैं।अधिकतर शिकायतें कर्मचारियों को प्रताड़ित करने व 95 प्रतिशत भर्तियां यूपी के लोगों विशेषकर यादव बिरादरी से करने की मिली है।उन्होंने कहा कि इतने बड़े स्तर पर हो रहे गड़बड़झाले पर प्रदेश सरकार ने भी कानों में रूई डाल रखी है और स्थानीय सांसद तो यहां पर्यटक बनकर भ्रमण करने ही आते हैं, जिन्हें यहां की समस्याओं से कोई सरोकार ही नहीं लगता।उन्होंने कहा कि जिस सरकार के नाक तले सचिवालय में ही बड़ी संख्या में बाहरी लोगों की भर्तियां हुई हों, उस सरकार से जनता खासकर बेरोजगार युवाओं को भी कोई उम्मीद नहीं रही है।उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश सरकार हिमाचल के संसाधनों को बेचने की तैयारी कर रही है और सरकारी नौकरियों बाहरी राज्यों के लोगों तरजीह दे रही है, उसे देखते हुए तो लगता है कि हिमाचल का अस्तित्व खतरे में पड़ने वाला है और हिमाचल के लोगों गुलामी के चंगुल में फंसाने की सोची-समझी साजिश हो रही है।
धर्मशाला - शिमला नेशनल हाईवे डेढ़ घंटे से यातायात के लिए बंद है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हमीरपुर के बजाय सुजानपुर सड़क मार्ग से धर्मशाला के लिए रवाना हुए है। हमीरपुर जिले के ब्राहलड़ी में अध्यापिका की मौत मामले में परिजन सड़क पर शव रखकर प्रदर्शन कर रहे है। पुलिस अफसर परिजनों को मनाने में जुटे रहे लेकिन बात नही बनी। इस बीच एक पुलिस अफसर ने पिस्तौल तान दी इससे महिलाएं और भड़क गई। गौरतलब है कि बाते दिन ज़िला मुख्यालय हमीरपुर के एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान एक सरकारी स्कूल की अध्यापिका की मौत हो गई थी। परिजनों ने अस्पताल के चिकित्सकों पर मरीज के उपचार के दौरान लापरवाही बरतने के आरोप लगाए है। मृतका की पहचान 39 वर्षीय अमिता कुमारी पत्नी अरुण शर्मा निवासी गांव बराहलड़ी तहसील और जिला हमीरपुर के रूप में हुई है। महिला की एक 4 वर्षीय बेटी है। अमिता राजकीय प्राथमिक पाठशाला डुढाणा में अध्यापिका थी। उसकी मौत के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। अरुण शर्मा ने बताया कि उनकी पत्नी को रसौली की समस्या थी।
पुलिस सहायता कक्ष भोटा के तहत झिराड़ी में सुबह-सवेरे एक ट्रक ने चार लोगों को रौंद डाला। इनमें से दो की मौके पर मौत हो गई, जबकि दो गंभीर घायल हुए है। हादसा बुधवार सुबह करीब 7 बजे का बताया जा रहा है। हादसे के बाद आरोपी चालक मौके से फरार हो गया। घायलों की चीख-पुकार सुनकर लोग एकत्रित हुए और उन्हे भोटा अस्पताल पहुंचाया गया। यहां इनका उपचार चल रहा है। वहीं, दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज हमीरपुर भेजा गया है। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर प्रत्यक्षदर्शियों के बयान कलमबद्ध किए है। ट्रक चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर उसकी तलाश की जा रही है। बताया जा रहा है कि मृतक व घायल सभी प्रवासी है। सुबह के समय वे शटरिंग खोलने जा रहे थे, तभी ये हादसा हुआ।
हिमाचल प्रदेश में 2017 विधानसभा चुनाव का प्रचार चरम पर था। कांग्रेस मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही थी, पर भाजपा ने अभी सीएम फेस डिक्लेअर नहीं किया था। भाजपा की सारी राजनीति धूमल बनाम नड्डा के नाम के कयासों के इर्दगिर्द घूम रही थी। इसका असर भी दिख रह था। भाजपा का कंफ्यूज कार्यकर्ता वीरभद्र के आगे कुछ हल्का दिख रहा था। 9 नवंबर को वोटिंग होनी थी और 30 अक्टूबर तक भाजपा ने सीएम फेस की घोषणा नहीं की थी। कांग्रेस भी भाजपा को बिना दूल्हे की बरात कहकर खूब चुटकी ले रही थी। माना जाता है कि प्रो प्रेम कुमार धूमल भाजपा आलाकमान की पसंद नहीं थे, लेकिन वीरभद्र की कांग्रेस को टक्कर देने वाला कोई और दिख भी नहीं रहा था। सो, सारे गुणा भाग करके आखिरकार 31 अक्टूबर को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सिरमौर के पच्छाद में हुई रैली में प्रो प्रेम कुमार धूमल को सीएम फेस घोषित कर दिया। धूमल के नाम की घोषणा होते ही मानो भाजपा में जान सी आ गई, देखते-देखते समीकरण बदले और भाजपा ने बेहद मजबूती से चुनाव लड़ा। 18 दिसंबर को जब नतीजे आये तो भाजपा ने 44 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता में शानदार वापसी की। पर इन 44 सीटों में सुजानपुर की सीट नहीं थी, इन 44 सीटों में प्रो प्रेम कुमार धूमल की सीट नहीं थी। भाजपा तो जीत गई थी, पर भाजपा को जीताने वाले धूमल खुद चुनाव हार बैठे। एक कहावत है... हाथ में आया, पर मुँह न लगा ! हिंदुस्तान की राजनीति में प्रो. प्रेम कुमार धूमल से बेहतर ये कहावत शायद ही किसी पर सटीक बैठती हो। क्या सुजानपुर से टिकट देना सिर्फ इत्तेफ़ाक़ था ! प्रो प्रेम कुमार धूमल का चुनाव हारना आसान नहीं था और ये यूँ ही नहीं हो गया था। दरअसल प्रो धूमल की सीट थी हमीरपुर, पर पार्टी ने उन्हें टिकट दिया सुजानपुर से। उसी सुजानपुर से जो जहाँ कभी उनके करीबी रहे राजेंद्र राणा का ख़ासा प्रभाव था। पर राणा की निष्ठा अब वीरभद्र सिंह और कांग्रेस में थी। कहते है राणा से बेहतर धूमल की कमजोरियों को कोई नहीं जानता, आखिर राणा ने राजनीति भी तो धूमल से ही सीखी थी। भाजपा में धूमल विरोधी भी इस बात से वाकिफ थे और चाहते थे कि धूमल को घर में ही ठिकाने लगा दिया जाए। हुआ भी यही। धूमल 1919 वोट से चुनाव हार गए और उनका तीसरी बार सीएम बनने का स्वप्न पूरा नहीं हो सका। प्रोफेसर से मुख्यमंत्री तक का सफर राजनीति में प्रो धूमल का कद रातों रात नहीं बढ़ा था और यूँ ही कोई धूमल बन भी नहीं सकता। सियासत में आने के लिए धूमल ने प्रोफेसर की नौकरी छोड़ी और शुरुआत की भाजपा के युवा संगठन से। 1980-82 में धूमल भाजयुमो के प्रदेश सचिव रहे। पर चर्चा में आये 1989 में जब उन्होंने हमीरपुर सीट पर हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की और लोकसभा पहुँच गए। इससे पहले 1984 का चुनाव वे हार चुके थे। इसके बाद 1993-98 में वो हिमाचल प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष रहे। इस बीच 1996 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। पर धूमल ने लम्बी छलांग लगाईं और इसके बाद वो दो बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने। 1998 में सरकार बनाने के लिए सुखराम के पांचो विधायकों को बनाया मंत्री 1998 का चुनाव आते-आते भाजपा बदली चुकी थी और प्रदेश के समीकरण भी। नरेंद्र मोदी प्रदेश के प्रभारी थे, जो इस बात को समझ चुके थे कि 'नो वर्क नो पे वाले' सीएम रहे शांता कुमार के नाम पर चुनाव लड़ना और जीतना बेहद मुश्किल है। धूमल तब मोदी के करीबी थे और प्रदेश की राजनीति में भी उनका ठीक ठाक कद था। सो, मोदी ने पार्टी आलाकमान को मनाया और चुनाव से पहले ही धूमल को सीएम फेस घोषित कर दिया। हालांकि नतीजों के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों 31-31 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरे लेकिन बहुमत किसी के पास नहीं था। कांग्रेस में अपनी उपेक्षा से नाराज़ पंडित सुखराम ने तब नई पार्टी बना कर चुनाव लड़ा था, जिसका नाम था हिमाचल विकास कांग्रेस। पंडित सुखराम की पार्टी के खाते में पांच सीटें आई थी और सरकार किसकी बनेगी, ये उन्हें ही तय करना था। वीरभद्र से मतभेद के चलते सुखराम ने धूमल को समर्थन दिया और धूमल ने पुरे पांच साल सरकार चलाई। हालांकि इसके बदले सुखराम के पांचो विधायकों को मंत्री बनाया गया। भाजपा के कई नेता, खासतौर से शांता गुट के कई नेता अब भी इसे गलत करार देते है। बने सड़क वाले मुख्यमंत्री जब प्रो धूमल पहली बार सीएम बने तो केंद्र में एनडीए की सरकार थी और प्रधानमंत्री थे अटल बिहारी वाजपेयी। उस दौर में देशभर में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से सड़कों का जाल बिछाया गया था और हिमाचल भी इससे अछूता नहीं रहा। पहाड़ी राज्य होने के चलते हिमाचल में ये ये कार्य आसान नहीं था लेकिन धूमल सरकार ने इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी। इसीलिए धूमल सड़क वाले मुख्यमंत्री के तौर पर भी जाने जाते है। 2007 में बने दूसरी बार सीएम 2003 के विधानसभा चुनाव में प्रो धूमल एक बार फिर भाजपा के सीएम फेस थे लेकिन भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर पाई। इसके बाद उनके नेतृत्व में 2007 का चुनाव लड़ा गया जिसमें भाजपा ने फिर सत्ता कब्जाई और धूमल दूसरी बार सीएम बने। दूसरी बार वे एक जनवरी 2008 से 25 दिसंबर 2012 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। प्रेम सिंह धूमल के दो बेटे हैं- अरुण ठाकुर और अनुराग ठाकुर। अनुराग ठाकुर राजनीति में काफी सक्रिय हैं। वे बीसीसीआई के चेयरमैन भी रह चुके है। इसके अलावा मौजूदा समय में हमीरपुर लोकसभा से सांसद हैं और केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री भी। उपचुनाव लड़ने की चर्चा मात्र से सियासी खलबली : इन दिनों प्रो प्रेम धूमल फिर चर्चा में है। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2019 के बाद अब हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जिला के धर्मशाला तथा सिरमौर जिला के पच्छाद विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं। धूमल की धर्मशाला सीट से विधानसभा उपचुनाव लड़ने की चर्चाओं ने सभी के कान खड़े कर दिए हैं। धूमल के चुनाव लड़ने की चर्चा मात्र से ही भाजपा के अंदर गुणा-भाग शुरू हो गया है। माना जाता है कि अब भी धूमल की इतनी कुव्वत है कि भाजपा उन्हें हलके में नहीं ले सकती। वहीँ बीते दिनों धूमल का पीएम मोदी से मिल कर लम्बी चर्चा करना, रमेश धवाला और पवन राणा प्रकरण, इन्दु गोस्वामी का इस्तीफ़ा, पत्र बम जैसे कई तथाकथित सियासी इत्तेफाकों ने धूमल नाम को फिर सुर्ख़ियों में ला दिया है। प्रदेश में 21 अक्टूबर को उपचुनाव होने है। भाजपा का एक वर्ग धूमल को टिकट देने की मांग कर रहा है। कांगड़ा हमेशा हिमाचल की राजनीति का भविष्य तय करता रहा है और धूमल का क्षेत्र हमीरपुर भी कभी कांगड़ा जिला की तहसील हुआ करती थी। ऐसे में पुराने कांगड़ा के धूमल कोई सियासी गुल खिला पाते है या नहीं, देखना दिलचस्प होगा।
हमीरपुर के डिग्री कॉलेज ग्राउंड में चल रही हीरो नॉर्थ जोन सब जूनियर फुटबॉल चैंपियनशिप में थांगजलेन टाउथॉन्ग के हैट्रिक से पंजाब ने दिल्ली पर धमाकेदार जीत दर्ज की। सोमवार सुबह खेले गए इस मैच में पीले रंग की जर्सी पहने पंजाब के लड़को ने सफेद रंग की जर्सी पहने दिल्ली के लड़को की टीम को हराया। पंजाब की ओर से खेल रहे थांगजलेन टाउथॉन्ग ने सबसे पहला गोल मैच के 22वें मिनट में किया। दिल्ली के गोलकीपर भारत भार्गव की थांगजलेन टाउथॉन्ग के सामने कड़ी परीक्षा देखने को मिली। इसके बाद थांगजलेन टाउथॉन्ग ने मैच के 44वें मिनट में अपना तथा टीम का दूसरा गोल किया। पहले हॉफ में 2-0 से बढ़त के साथ आगे खेलते हुए पंजाब की टीम के दूसरे हॉफ में भी हौंसले बुलंद दिखे। मैच के 71वें मिनट में एक बार फिर थांगजलेन टाउथॉन्ग ने दिल्ली पर तीसरा गोल करके टीम के लिए अजेय बढ़त दिलाई। मैच में दिल्ली ने तीन,जबकि पंजाब की टीम से पांच खिलाडिय़ों को रिप्लेस किया। पंजाब ने सेहल याकूब की जगह हरमनजीत सिंह को मैच के 30वें मिनट में मिड फील्ड में खेलने का मौका दिया। इसके बाद अभिषेक कुमार मल्ही की जगह सावन सिंह को फारवर्ड लिया गया। फिर 74वें मिनट में रेहन वकील की जगह मोहम्मद आरिफ को जगह दी गई। बालकरण सिंह की जगह पंजाब ने गुरप्रीत सिंह को मिड फील्ड में खेलने का मौका दिया। पंजाब टीम के कोच अमरजीत सिंह ने मैच के अंतिम क्षणों में राजवीर सिंह की जगह राजेश तिवारी को फील्ड में उतारा। तब तक थांगजलेन टाउथॉन्ग अपना काम कर चुका था। उसने टीम के लिए तीन गोल किए, जिसकी बदौलत पंजाब की जीत सुनिश्चित हो पाई। आज के मैच फुटबॉल संघ के मीडिया कॉआर्डिनेटर सत्यदेव शर्मा ने बताया कि हीरो नॉर्थ जोन सब जूनियर फुटबॉल चैंपियनशिप के तीसरे दिन तीन सितंबर को ग्रुप-ए के तहत चंडीगढ़ का मुकाबला मेजबान हिमाचल प्रदेश के साथ सुबह 11:00 बजे होगा। जबकि बाद दोपहर 2:30 बजे दूसरा मुकाबला हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच खेला जाएगा।
प्रदेश के सबसे शिक्षित जिला हमीरपुर का 1 सितंबर 1972 में गठन हुआ था जिसके बाद इस जिले ने शिक्षा के क्षेत्र के साथ-साथ राजनीतिक रूप से भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है। 1972 से लेकर 2019 तक के सफर की बात करें तो इस दौरान हमीरपुर के लोगों ने यहां बहुत बड़ा बदलाव देखा। वहीं एक छोटा सा कस्बा देखते ही देखते शिक्षा का हब के रूप में पूरे प्रदेश में मशहूर हो गया। इसके साथ ही जब एनआईटी हमीरपुर में आया तो शिक्षा के जगत में एक बहुत बड़ा मुकाम हमीरपुर को हासिल हुआ। 1998 के बाद हमीरपुर में विकास की रफ्तार तो बढ़ी ही वहीं इसके साथ हमीरपुर में कई तरह के नए शिक्षा संस्थान खुले जिससे स्वरोज़गार और रोज़गार दोनों तरह के कई नए दरवाजे़ भी हमीरपुर के लिए खुल गए। आज की बात करें तो हमीरपुर जिला में इस समय मेडिकल कॉलेज, होटल मैनेजमेंट कॉलेज, एनआईटी टेक्निकल यूनिवर्सिटी, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अलावा शिक्षा से जुड़ी कई ऐसी एकेडमी चल रही हैं जिनका नाम पूरे प्रदेश में जाना जाता है। इसके साथ ही खेलों में विजय कुमार के रूप में ओलंपियन फौज में बड़ी संख्या में हीरो, चिकित्सा के क्षेत्र में डॉक्टर डीएस राणा, शिक्षा के क्षेत्र में हिम एकैडमी, फिल्म इंडस्ट्री में हमीरपुर के लोगों का नाम और राजनीतिक के क्षेत्र में काफी जाना जाता है।
सैनिक स्कूल सुजानपुर टिहरा में छठीं एवं 9वीं कक्षा में प्रवेश के लिए अखिल भारतीय सैनिक विद्यालय प्रवेश परीक्षा 2020-21 का आयोजन 5 जनवरी, 2020 को किया जाएगा। यह जानकारी आज यहां एक सरकारी प्रवक्ता ने दी। प्रवक्ता ने कहा कि यह प्रवेश परीक्षा केवल लड़कों के लिए आयोजित की जाएगी। प्रवेश परीक्षा में भाग लेने के लिए आॅनलाइन पंजीकरण करवाना होगा। प्रवेश परीक्षा के लिए आॅनलाइन आवेदन पत्र 5 अगस्त, 2019 से मिलने आरंभ हो गए हैं। उन्होंने कहा कि आॅनलाइन पंजीकरण की अंतिम तिथि 23 सितंबर, 2019 निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि छठी कक्षा में प्रवेश के लिए छात्र का जन्म प्रथम अप्रैल 2008 से 31 मार्च, 2010 के मध्य हुआ होना चाहिए। नवीं कक्षा में प्रवेश के लिए छात्र का जन्म प्रथम अप्रैल 2005 से 31 मार्च 2007 के मध्य हुआ होना चाहिए। प्रवेश परीक्षा में भाग लेने के लिए शुल्क का भुगतान भी आॅनलाइन ही होगा। प्रवेश परीक्षा प्रदेश के निर्धारित केन्द्रों पर आयोजित की जाएगी। आॅनलाइन आवेदन वैब लिंक sainikschooladmission.in/index.html पर किए जा सकते हैं।इस संबंध में अधिक जानकारी दूरभाष संख्या 01972-272024, 272039, 272040, मोबाइल नंबर 085100-44411 तथा हेल्पलाइन नंबर 0120-4348911 एवं 12 पर प्राप्त की जा सकती है। अधिक जानकारी के लिए sainikschooladmission@gmail.com पर ईमेल की जा सकती है अथवा वैबसाईट www.sainikschoolsujanpurtira.org पर संपर्क किया जा सकता है।
गायक, संगीतकार, अभिनेता, निर्माता, लेखक ; किशोर सही मायनो में बहुमुखी प्रतिभा के धनि थे। आज किशोर कुमार का जन्मदिन है। अपनी दिलकश आवाज में गाए हज़ारों गीतों के जरिए किशोर कुमार आज भी हमारे आसपास मौजूद हैं। दिलचस्प बात है कि उन्होंने संगीत की तालीम हासिल नहीं की थी। देव आनंद, राजेश खन्ना और अमिताभ के करियर में योगदान किशोर की आवाज के जादू से देवआनंद सदाबहार हीरो कहलाए। राजेश खन्ना को पहले सुपर स्टार बने और अमिताभ बच्चन महानायक हो गए। जाने किशोर कुमार की चार पत्नियों के बारे में... रुमा गुहा से की पहली शादी किशोर कुमार की पहली पत्नी रूमा गुहा ठाकुरता का एक एक्ट्रेस थीं। उन्होंने 1951 में किशोर कुमार से शादी की थी। दोनों की शादी से एक बेटा अमित कुमार हुआ। अमित कुमार भी एक गायक है। शादी के 8 साल बाद किशोर कुमार के रिश्ते में खटास आनी शुरू हो गई और उन्होंने अपनी पहली पत्नी रूमा से तलाक ले लिया। मधुबाला से हुआ इश्क़ मधुबाला और दिलीप कुमार के ब्रेक अप के बाद किशोर और मधुबाला की कहानी शुरू हुई। उस दौर में दोनों एकसाथ कई फिल्मों में काम कर रहे थे, तभी दोनों के बीच प्रेम प्रसंग हुआ और 1960 में किशोर कुमार और मधुबाला ने आपस में शादी कर ली। हालांकि 27 साल की मधुबाला के दिल में छेद पाया गया था और गंभीर रूप से बीमार पड़ने के बाद 35 साल की उम्र में मधुबाला का देहांत हो गया था योगिता से रचाई तीसरी शादी मधुबाला की मौत के बाद किशोर कुमार की जिंदगी में योगिता बाली आईं और दोनों ने शादी कर लीं। पर इसके बाद योगिता की जिंदगी में मिथुन चक्रवर्ती आ गए और दो साल बाद योगिता बाली ने किशोर को छोड़ दिया और मिथुन से शादी कर ली। लीना चंद्रावरकर से की चौथी शादी लीना किशोर कुमार से 20 साल छोटी थी पर इश्क़ उम्र कहा देखता है। लीना ने पिता के खिलाफ जाकर 1980 में किशोर कुमार से शादी कर ली।
प्रदेश सरकार ने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को गम्भीर रोग की स्थिति में त्वरित सहायता पंहुचाने के उद्देश्य से ‘सहारा’ योजना आरम्भ हो गई है। योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के रोगियों को शीघ्र सहायता प्रदान की जाएगी। सहारा योजना पूरे प्रदेश में 15 जुलाई, 2019 से आरम्भ कर दी गई है। योजना के तहत कैंसर, पार्किंसनस रोग, लकवा, मस्कुलर डिस्ट्राफी, थैलेसिमिया, हैमोफिलिया, रीनल फेलियर इत्यादि ये ग्रस्त रोगियों को वित्तीय सहायता के रूप में 2000 रुपए प्रतिमाह प्रदान किए जाएंगे। योजना के तहत किसी भी आयुवर्ग का इन रोगों से ग्रस्त रोगी आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकता है। इस योजना के तहत बीपीएल परिवार से सम्बन्धित रोगियों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। रोगी को अपना चिकित्सा सम्बन्धी रिकाॅर्ड, स्थाई निवासी प्रमाण पत्र, फोटोयुक्त पहचान पत्र, बीपीएल प्र्रमाण पत्र अथवा पारिवारिक आय प्रमाण पत्र तथा बैंक शाखा का नाम, अपनी खाता संख्या, आईएफएससी कोड से सम्बन्धित दस्तावेज प्रदान करने होंगे। चलने-फिरने में असमर्थ रोगी के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी जीवित होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। सहारा योजना का लाभ उठाने के लिए पात्र रोगी को अपना आवेदन सभी दस्तावेजों सहित मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में जमा करवाना होगा। आशा कार्यकर्ता व बहुदेशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी रोगी के सभी दस्तावेज खण्ड चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में जमा करवा सकते हैं। खण्ड चिकित्सा अधिकारी इन दस्तावेजों को मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय को प्रेषित करेंगे। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेेदन पत्र जिला स्तर के अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा हेल्थ वेलनेस केन्द्रों में 03 अगस्त, 2019 से उपलब्ध होंगे। जिला चिकित्सा अधिकारी सोलन डाॅ. आर.के. दरोच ने सहारा योजना के विषय में अधिक जानकारी देते हुए कहा कि इस महत्वाकांक्षी योजना से जिला के सभी लोगों को अवगत करवाने के लिए विभाग ने आशा कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर जागरूक बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सहारा योजना के तहत पात्र रोगियों को 2000 रुपए प्रतिमाह की वित्तीय सहायता आरटीजीएस के माध्यम से ही उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि सहारा योजना के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त करें ताकि आवश्यकता के समय विभिन्न गम्भीर रोगों से पीड़ित रोगियों के परिजनोें को जानकारी देकर लाभान्वित किया जा सके। उन्होंने कहा कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी सोलन के कार्यालय के कक्ष संख्या 132 में योजना के सम्बन्ध में सम्पर्क किया जा सकता है। डाॅ. आर.के. दरोच ने कहा कि सहारा योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने एवं उनकी देखभाल की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगी।
राज्यसभा में बुधवार को मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित हो गया। यह न केवल एक मोटर वाहन अधिनियम है, बल्कि एक सड़क सुरक्षा बिल भी है। इस बिल का मकसद सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना है, इसके लिए नियमों को और कड़ा किया गया है। वहीं जुर्माने में भी वृद्धि की गई है। जानिए क्या है मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019 में यातायात नियमों और विनियमों के उल्लंघन के लिए न्यूनतम जुर्माना 100 रुपए से बढ़ाकर 500 रुपए कर दिया गया है। कई अपराधों के लिए अधिकतम जुर्माना 10,000 रुपए तय किया गया है। बिना लाइसेंस के वाहन चलाने के मामले में जुर्माना 500 रुपए से बढ़ाकर 5,000 रुपए कर दिया गया है। सीट बेल्ट नहीं पहनने पर 1,000 रुपए का जुर्माना लगेगा। यह अब तक केवल 100 रुपए था। शराब पीकर वाहन चलाने के मामलों में जुर्माना 2,000 रुपए से 10,000 रुपए तक का है। खतरनाक ड्राइविंग के लिए जुर्माना 5,000 रुपए है। इमरजेंसी वाहनों को पास नहीं देने पर 10 हजार रुपए जुर्माना के रूप में लगेगा। पिछले कानून के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। ओवर-स्पीडिंग के मामलों में चालक को हल्के मोटर वाहनों जैसे कारों के लिए 1,000 रुपए और भारी वाहनों के लिए 2,000 रुपए का जुर्माना देना होगा। रेसिंग में लिप्त पाए जाने पर चालक को 5,000 रुपए का जुर्माना देना होगा। यदि आपके वाहन का बीमा कवरेज समाप्त हो गया है और आप अभी भी इसे चला रहे हैं, तो आपको 2,000 रुपए का जुर्माना देना होगा। जुर्माने में हर साल 10 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। मौजूदा कानून के तहत हिट-एंड-रन मामलों में क्षतिपूर्ति 25,000 रुपए है। इसे बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दिया गया है। चोटों के मामलों में, मुआवजा 12,500 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया है। सभी सड़क उपयोगकर्ताओं को अनिवार्य बीमा कवरेज और सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजा प्रदान करने के लिए केंद्रीय स्तर पर एक मोटर वाहन दुर्घटना निधि बनाई जाएगी।
हिमाचल में स्क्रब टायफस बीमारी से निपटने की तैयारी व नियंत्रण को लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) आरडी धीमान की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। आरडी धीमान ने कहा कि स्क्रब टायफस बीमारी की जांच व इलाज की सुविधा सरकारी अस्पतालों में निशुल्क उपलब्ध है और सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में इसके इलाज के लिए दवाइयों भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में जनवरी, 2019 से अब तक स्क्रब टायफस के 220 मामले दर्ज किए गए हैं। बिलासपुर में सर्वाधिक मामले दर्ज हुई हैं। आरडी धीमान ने कहा कि पिछले चार सालों में स्क्रब टायफस के मामलों में वृद्धि हुई हैं। स्क्रब टायफस फैलाने वाला पिस्सू शरीर के खूले भागों को ही काटता है। इसके लिए उन्होंने लोगों को सलाह दी घरों के आसपास खरपतवार आदि न उगने दें व शरीर की सफाई का विशेष ध्यान रखें। उन्होंने बताया कि 104 से 105 डिग्री का तेज बुखार, सिर व जोड़ों में दर्द व कंपकंपी, शरीर में ऐंठन, अकड़न या शरीर टूटा हुआ लगना आदि स्क्रब टायफस के लक्षण हैं। यदि ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत नज़दीकी अस्प्ताल में संपर्क करें।
हिमाचल प्रदेश की हरियाली बढ़ाने के लिए यूं तो वन विभाग हर साल हर संभव प्रयास करता है। पर अब नई योजना से यह जन अभियान बन सकेगा। अब नवजात कन्या के नाम पर बूटा लगाकर हिमाचल प्रदेश में हरियाली बढ़ाई जाएगी । हिमाचल इस तरह की अनूठी पहल करने जा रहा है। प्रदेश में जहां भी बेटी पैदा होगी, उस परिवार को वन विभाग पौधा भेंट करेगा। इसे संबंधित क्षेत्र में रोपा जाएगा। कन्या कहां पैदा हुई, इसका पता लगाने की जिम्मेदारी वन रक्षक की रहेगी। वह पंचायतों से लेकर तमाम विभागों से संपर्क में रहेगा। किस प्रकार की भूमि में कौन से पौधे रोपे जाएंगे, यह जल्द ही तय होगा। इस सिलसिले में सरकार ने प्रारंभिक खाका खींच लिया है। इस योजना का नाम ‘एक बूटा बेटी के नाम’ होगा। इसे मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा जाएगा। रोपे पौधे की देखभाल बेटी के मां-बाप करेंगे। बजट सत्र में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नई योजना शुरू करने का ऐलान किया था। इसका प्रस्ताव तैयार किया गया है। जैसे ही सरकार स्वीकृति देगी, यह धरातल पर उतरेगी।
कारगिल युद्ध को 20 वर्ष पुर हो चुके है। वो मई 1999 का वक्त था, जब करगिल की पहाड़ियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया था। भारतीय सेना को जब इस बात का पता चला तो सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया। 8 मई से 26 जुलाई 1999 तक चले ऑपरेशन विजय में भारतीय सेना के 527 जवानो ने बलिदान दिया और 1363 जवान जख्मी हुए। तब से हर वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। पाकिस्तान की नापाक कोशिश पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। पाकिस्तानी सेना की शामिल पाकिस्तान आरोप को नकारता रहा और दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं, किन्तु युद्ध में बरामद हुए दस्तावेज़ों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाली जगहों पर हमला किया और धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। परमाणु बम बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह पहला सशस्त्र संघर्ष था। कारगिल युद्ध में 2 लाख 50 हजार गोले और रॉकेट दागे गए थे। हिमाचल प्रदेश स्थित पालमपुर के कैप्टन सौरभ कालिया ने कारगिल में सबसे पहले गंवाई थी जान। थल सेना के सपोर्ट में भारतीय वायु सेना ने 26 मई को ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ शुरू किया, जबकि जल सेना ने कराची तक पहुंचने वाले समुद्री मार्ग से सप्लाई रोकने के लिए अपने पूर्वी इलाकों के जहाजी बेड़े को अरब सागर में ला खड़ा किया। भारतीय एयरफोर्स ने कारगिल युद्ध के दौरान मिग-27 व मिग -29 का इस्तेमाल किया गया था। परमवीर चक्र : विक्रम बत्रा, मनोज कुमार पांडेय, नायब सूबेदार योगेंद्र सिंह यादव व राइफलमैन संजय कुमार। सरकार के दामन पर ताबूत घोटाले के लगे दाग कारगिल युद्ध के बाद शहीद भारतीय सैनिकों के शवों को उनके पैतृक आवास पर भेजने की विशेष व्यवस्था की गई। इससे पूर्व ऐसी व्यवस्था नहीं थी। पैतृक आवास पर शहीद सैनिकों का राजकीय सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार किया गया। उनके शवों को ले जाने के लिए काफ़ी मंहगे शव बक्सों (कॉफ़िन बॉक्स) का उपयोग किया गया। हालंकि बाद में तत्कालीन सरकार पर ताबूत घोटाले के आरोप भी लगे।
बिजली खपत पर रहेगी निगरानी अब आप जल्द ही मोबाइल फ़ोन के ज़रिये अपने घर और कार्यालय में हो रही बिजली की खपत में नज़र रख सकेंगे। इसके लिए हिमाचल सरकार सभी पुराने मीटरों को बदल कर स्मार्टबिजली मीटर लगाने जा रही है। राज्य बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक जे पी कालटा ने बताया कि स्मार्ट मीटर लगाने का काम जल्द शुरू होगा। एक मोबाइल एप्लीकशन करनी होगी डाउनलोड स्मार्ट बिजली मीटर लगने के बाद उपभोक्ताओं को एक मोबाइल ऐप्प अपने फ़ोन पर डाउनलोड करनी होगी। इसकी मदद से उपभोक्ता किसी भी समय यह जान सकेंगे कि उन्होंने कितनी बिजली इस्तेमाल की। इस मीटर को उपभोक्ता प्री-पेड मीटर के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकेंगे। प्री-पेड मीटर मोबाइल फ़ोन की तरह ही इस्तेमाल होंगे। इसके अलावाउपभोक्ताओं को बिल जमा करवाने का विकल्प भी मिलेगा। अब रीडिंग लेने के लिए उपभोक्ताओं के घर नहीं जायेंगे बिजली बोर्ड कर्मचारी स्मार्ट बिजली मीटर लगने के बाद बिजली बोर्ड कर्मचारियों को उपभोक्ता के घर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इस मीटर से ऑनलाइन रीडिंग ले ली जाएगी। लो वोल्टेज, बिजली बंद होने और बिजली चोरी होने की भी कण्ट्रोल रूम में जानकारी पहुंचेगी। बिल जमा न करने पर कंट्रोल रूम से ही कनेक्शन काट लिया जाएगा। मीटर लगाने के लिए उपभोक्ताओं को भी चुकाना होगा शुल्क एक स्मार्ट बिजली मीटर 2800 से 3000 रूपए में पडेगा। इसके लिए केंद्र करीब 1200 रूपए प्रति मीटर सब्सिडी देगा। शेष खर्च राज्य बिजली बोर्ड और उपभोक्ताओं को उठाना पडेगा। पुराने बिजली मीटरों की राशि उपभोक्ताओं के शेयर में एडजेस्ट करने की भी योजना है। 2022 तक लगेंगें प्रदेश में 24 लाख स्मार्ट बिजली मीटर पहले चरण में शिमला और धर्मशाला दोनों शहरों में इस साल 1.35 लाख मीटर बदले जायेंगें। इसके बाद पुरे प्रदेश में साल 2021-22 तक 24 लाख स्मार्ट बिजली मीटर लगाने का लक्ष्य है।
देश-विदेश से लाखों लोग पहुँचते हैं दर्शन करने लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बाबा बालक नाथ जी का मंदिर हमीरपुर जिले चकमोह गाँव के शिखर पर स्थित है। मंदिर में पहाड़ी के बीच एक प्राकॄतिक गुफा है। ऐसी मान्यता है,कि यही स्थान बाबा बालक नाथ का आवास स्थान था। मंदिर में बाबा बालक नाथ की एक मूर्ति भी स्थित है। भक्तगण बाबाजी की वेदी में “ रोट” चढाते हैं, जिसे आटे और चीनी/गुड को घी में मिलाकर बनाया जाता है। यहाँ पर बाबाजी को बकरा भी चढ़ाया जाता है, जो कि उनके प्रेम का प्रतीक है। आप सोच रहे होंगे कि यहाँ पर बकरे की बलि चढ़ाई जाती हैं, पर ऐसा नहीं हैं। बाबा बालक नाथ मंदिर में बकरों का पालन पोषण करा जाता है। मंदिर से करीब छहः किलोमीटर आगे एक स्थान “शाहतलाई” स्थित है। ऐसी मान्यता है, कि इसी जगह बाबाजी ध्यान किया करते थे।बाबा बालक नाथ मंदिर बिलासपुर से 55 किलोमीटर और हमीरपुर से 46 किलोमीटर की दुरी पर है। महिलाएं नहीं जाती मंदिर में:- बाबा बालक नाथ की गुफा के भीतर महिलाएं नहीं जाती है, लेकिन महिलाओं के दर्शन के लिए गुफा के बिलकुल सामने एक ऊँचा चबूतरा बनाया गया है, जहाँ से महिलाएँ उनके दूर से दर्शन कर सकती हैं। बाबा बालक नाथ ने सारी उम्र ब्रह्मचर्य का पालन किया और इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनकी महिला भक्त गर्भगुफा में प्रवेश नहीं करती जो कि प्राकृतिक गुफा में स्थित है जहाँ पर बाबाजी तपस्या करते हुए अंतर्ध्यान हो गए थे।हालांकि कुछ समय पूर्व एक महिला ने अपनी पुत्रियों के साथ मंदिर में जाकर ये परंपरा तोड़ दी थी, किन्तु इसके अतिरिक्त कोई भी महिला मंदिर के भीतर नहीं जाती। सभी युगों में हुआ जन्म:- मान्यता है, कि बाबा बालक नाथ का जन्म सभी युगों में हुआ हैं। सत्य युग,त्रेता युग,द्वापर युग और वर्तमान में कल युग और हर एक युग में उनको अलग-अलग नाम से जाना गया जैसे सत युग में स्कन्द , त्रेता युग में कौल और द्वापर युग में बाबा महाकौल के नाम से जाने गये। अपने हर अवतार में उन्होंने गरीबों एवं निस्सहायों की सहायता करके उनके दुख दर्द और तकलीफों का नाश किया। हर एक जन्म में यह शिव के बड़े भक्त कहलाए। कलयुग में गुजरात के काठियाबाद में लिए जन्म:- कहा जाता हैं कलयुग में बाबा बालकनाथ ने गुजरात के काठियाबाद में देव के नाम से जन्म लिया। उनकी माता का नाम लक्ष्मी और पिता का नाम वैष्णो वैश था। बचपन से ही बाबाजी आध्यात्म में लीन रहते थे। यह देखकर उनके माता पिता ने उनका विवाह करने का निश्चय किया, परन्तु बाबाजी उनके प्रस्ताव को अस्विकार करके और घर परिवार को छोड़ कर परम सिद्धी की राह पर निकल पड़े। इसी दौरान एक दिन जूनागढ़ की गिरनार पहाडी में उनका सामना स्वामी दत्तात्रेय से हुआ और यहीं पर बाबाजी ने स्वामी दत्तात्रेय से सिद्ध की बुनियादी शिक्षा ग्रहण करी और सिद्ध बने। तभी से उन्हें बाबा बालकनाथ कहा जाने लगा। इसलिए पड़ा बाबा बालक नाथ नाम:- पौराणिक कथा के अनुसार रत्नो नामका एक महिला ने बाबा बालक नाथ को अपनी गायों की रखवाली के लिए रखा था। इसके बदले में रत्नो बाबाजी को रोटी और लस्सी खाने को देती थी। ऐसी मान्यता है कि बाबा अपनी तपस्या में इतने लीन रहते थे कि रत्नो द्वारा दी गयी रोटी और लस्सी खाना याद ही नहीं रहता था। एक बार जब रत्नो बाबाजी की आलोचना कर रही थी कि वह गायों का ठीक से ख्याल नहीं रखते जबकि रत्नो बाबाजी के खाने पीने का खूब ध्यान रखतीं हैं। रत्नो का इतना ही कहना था कि बाबाजी ने पेड़ के तने से रोटी और ज़मीन से लस्सी को उत्त्पन्न कर दिया। बाबा के चमत्कार से गाँव के लोग भी उसे अब साधारण बालक नहीं समझते थे। एक दिन इसी गाँव के तालाब के पास जब वह बालक बैठा था तो कुछ साधू वहां से गुजरे। उसमे एक महात्मा सिद्ध था। उस बालक और उस महात्मा में काफी समय धर्म के सन्दर्भ में बहस हुई। इस पर महात्मा ने उस बालक की गहराई को जानने के लिए अपनी गुटकी हवा में उछाल दी और बालक को उसे वापिस लाने को कहा। बालक ने तत्काल उसे वापिस बुला दिया, जबकि वह महात्मा उसे वापिस लाने में असमर्थ रहा। इसके बाद वे दोनों उस तालाब में लुप्त हो गये। लोगों ने जब सुना कि बालक एक साधू के साथ तालाब में डूब गया तो उन्होंने उसे बहुत तालाश किया लेकिन वह नही मिला। एक दिन गाँव में लगभग 3 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर कुछ लोगों ने उन दोनों को एक साथ देखा। यहाँ एक गुफा थी। पहले तो लोगों को विश्वास नही हुआ लेकिन अब रात्री में कई बार उस गुफा में ज्योति भी दिखने लगी। लोग यहाँ एकत्रित हो गये। इसी के बाद लोगों ने उस बालक को इश्वर का अवतार मान कर इसे गुफा में पूजना आरंभ कर दिया और इस स्थान का नाम बाबा बालक नाथ पड़ गया। लोगों ने उसे साधारण बालक नहीं समझा था इसलिए बाबा शब्द प्रयुक्त हुआ जिस से वह बाबा बालक बन गया। वह महत्मा जिस के साथ वह अदृश्य हुए थे, उसके लिए नाथ शब्द का प्रयोग किया गया। इस से यह स्थान बाबा बालक नाथ के नाम से प्रसिद्ध हो गया ।
बरसात के मौसम में भी शहर में पेयजल आपूर्ति ठप है। ऐसा पहली बार नहीं है बल्कि सालों से ऐसा होता चला आ रहा है। दरअसल बरसात शुरू होते ही पेयजल स्तोत्रों में गाद आना शुरू हो जाती है जिससे पानी की लिफ्टिंग नहीं हो पाती। इसके चलते आईपीएच पर्याप्त पानी मुहैया नहीं करवा पाता। हालांकि एलम का इस्तेमाल कर विभाग कुछ हद तक पानी लिफ्ट करने क प्रयास करता है लेकिन गाद अधिक होने की स्थिति में ये पुरानी तकनीक कारगार सिद्ध नहीं हो पाती। इस वर्ष भी ऐसा ही हुआ है, दोनों मुख्य पेयजल योजनाओं, अश्वनी व गिरी में गाद के चलते लिफ्टिंग नहीं हो पा रही। आइये जानते है किस तरह शहर में पेयजल आपूर्ति होती है और इस समस्या क स्थायी हल क्या हैं। शहर को पेयजल आपूर्ति देने के लिए दो मुख्य योजनाएं हैं, अश्वनी पेयजल योजना और गिरी योजना। इन योजनों से आईपीएच विभाग पानी लिफ्ट करता हैं और वार्ड दस में बने मुख्य पेयजल टैंकों तक पहुंचाता हैं। पहले पानी को योजना के समीप बने टैंक में पहुंचाया जाता हैं, जहाँ से ट्रीटमेंट के बाद पानी लिफ्ट कर वार्ड दस के टैंक तक पहुँचता हैं। बरसात के मौसम में जब गाद आती हैं तो वाटर ट्रीटमेंट नहीं हो पाता और पानी वार्ड दस के मुख्य टैंकों तक लिफ्ट नहीं हो पाता। वार्ड दस में बने टैंकों से शहर में पेयजल वितरण का ज़िम्मा नगर परिषद् का हैं। परक्युलेशन वेल हैं समाधान: अश्वनी पेयजल योजना में काफी समय से परक्युलेशन वेल बनाने की योजना हैं। करीब 15 करोड़ की ये योजना अब तक सिरे नहीं चढ़ पाई हैं। यदि परक्युलेशन वेल बन जाता हैं तो गाद की समस्या से निजात मिल सकता हैं।आईपीएच विभाग ने करीब एक वर्ष पहले इस हेतु सरकार को योजना भेजी थी लेकिन अब तक इसे मंजूरी नहीं मिली हैं।एक्सईएन आईपीएच सोलन ई सुमित सूद काफी वक्त से इस योजना के लिए प्रयासरत हैं। उनका मानना हैं कि बहुत जल्द इसका शिलान्यास होगा और शायद अगली बरसात में शहर को पेयजल किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा। धारों की धार टैंक ठीक होने से मिलेगी राहत: धारों की धार में वर्ष 2006 में 38 लाख लीटर क्षमता का एक स्टरगे टैंक बनाया गया था। ये वाटर टैंक लेकज़ हैं जिसके चलते इसका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा। यदि इसे दुरुस्त कर दिया जाए तो किल्लत के समय शहर को कुछ राहत मिल सकती हैं। हालांकि आईपीएच एक्सईएन की पहल पर इसे अमेरिकी तकनीक से ठीक किये जाने को स्वीकृति मिली हैं। यदि ये टैंक ठीक होता हैं तो शहर को कुछ राहत जरूर मिलेगी। लीकेज बड़ी समस्या: अनुमान के अनुसार करीब तीस प्रतिशत पेयजल लीकेज के चलते व्यर्थ बहता हैं। नगर परिषद् को इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की सख्त आवश्यकता हैं।काफी समय से नप पेयजल पाइप लाइन बदलने की बात कह रही है लेकिन कुछ वार्डों को छोड़ कर इस दिशा में पर्याप्त कार्य नहीं हुआ है। वैकल्पिक योजना का अभाव : क्षेत्र में गिरि व अवश्वनी दो बड़ी पेयजल योजनाएं हैं। गिरि पेयजल योजना से शहर सहित कसौली विस क्षेत्र के करीब 40 गांव के लिए पेयजल की सप्लाई की जाती है। वहीं अश्वनी योजना से शहर के कुछ हिस्से सहित लगभग 8 गावों में पेयजल आपूर्ति की जाती है। शहर में सुचारू पेयजल आपूर्ति हेतु एक नई योजना की सख्त आवश्यकता है गिरी पेयजल योजना सिर्फ सोलन शहर के लिए शुरू की गई थी ,लेकिन वर्तमान में अनेक गांव भी इस योजना से जोड़ दिए गए है। ऐसे में इस योजना पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है।सम्बंधित विभाग व सरकार को दूरदृष्टि दिखा कोई वैकल्पिक योजना तैयार करने की जरुरत है।
The Supreme Court fixed the next hearing of Ayodhya Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land title case on August 2. The court will pass further orders on August 2, the next date of hearing. Meanwhile, the mediation process will continue till July 31. The Supreme court will hear the case in an open court on August 2. Earlier on July 11, the Supreme Court had asked the three-member mediation panel to submit its status report by July 18. The mediation panel comprise former Supreme Court judge FMI Kalifulla, spiritual guru and founder of Art of Living foundation Sri Sri Ravishankar and senior advocate Sriram Panchu, a renowned mediator. They were tasked to find an amicable solution to the Ayodhya Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land title dispute.
A four-storey building on Tuesday collapsed in the Dongri area of Mumbai. According to early reports, 40 people are feared trapped under the debris. Till now 12 people declared dead in the incident. NDRF is taking care of rescue operation. Similar accident took place in Solan on Sunday in which 14 people were killed including 13 Army personnel.
मौसम विभाग के अनुसार16 जुलाई तक पूरे प्रदेश में मौसम खराब बना रहने का पूर्वानुमान है। मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश के चंबा, कांगड़ा, बिलासपुर, हमीरपुर, मंडी, ऊना, सोलन और सिरमौर जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने पूरे प्रदेश में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। बता दें पिछले कई दिनों से लगातार भारी बारिश होने से प्रदेश के कई क्षेत्रों में नदी-नाले उफान पर आ गए हैं।
मोदी सरकार भाग दो का पहला बजट शुक्रवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश कर दिया है। बजट में पेट्रोल-डीजल पर एक रूपया सेस बढ़ाने की घोषणा की गई है जिससे आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ सकती है। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई पर आने वाला खर्च बढ़ जाएगा, जिसका प्रभाव लगभग हर सामान की कीमत पर होना तय माना जा रहा है।बजट में सोना पर शुल्क 10 फीसद से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है। साथ ही ये भी घोषणा की गई है कि आने वाले दिनों में तंबाकू पर भी अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा। सरकार ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस्तेमाल को भी प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया हैं। बजट में इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर जीएसटी रेट 12 पर्सेंट से घटाकर 5 पर्सेंट कर दिया गया। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने हेतु लिए गए लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त इनकम टैक्स छूट भी देने का एलान किया है। मुख्य बिंदु... ''हर घर जल, हर घर नल'' के तहत 2024 तक हर घर में नल से होगी जल की आपूर्ति। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तीसरे चरण में 1,25,000 किलोमीटर लंबी सड़क को अगले पांच सालों में अपग्रेड किया जाएगा। मार्च 2020 तक 45 लाख रुपये तक की घर खरीद पर ब्याज के पुनर्भुगतान पर 1.5 लाख की अतिरिक्त छूट मिलेगी। 114 दिनों में जरूरतमंदों को घर बनाकर देने का लक्ष्य। 1.95 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य। सालाना एक करोड़ रुपये से अधिक की नकदी निकासी पर अब दो फीसदी टीडीएस। सोने के आयात शुल्क पर 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी की है। सालाना 2-5 करोड़ रुपये की कमाई वाले व्यक्तियों के सरचार्ज में 3 फीसदी व 5 करोड़ रुपये से अधिक की आय पर सरचार्ज में सात फीसदी का इजाफा। 400 करोड़ रुपये तक के रेवेन्यू वाले कंपनियों को अब 30 फीसदी के मुकाबले 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स देना होगा। ये हुआ सस्ता - साबुन, शैंपू, हेयर ऑयल, टूथपेस्ट, डिटरजेंट वाशिंग पाउडर, बिजली का घरेलू सामानों पंखे, लैम्प, ब्रीफकेस, यात्री बैग, सेनिटरी वेयर, बोतल, कंटेनर, रसोई में इस्तेमाल होने वाले बर्तनों के अलावा गद्दा, बिस्तर, चश्मों के फ्रेम, बांस का फर्नीचर, पास्ता, मियोनीज, धूपबत्ती, नमकीन, सूखा नारियल, सैनिटरी नैपकिन, ऊन खरीदना सस्ता हुआ।