सोलन जिला परिषद के कुनिहार वार्ड नंबर 4 में हुए उपचुनाव पूर्व मंत्री तथा विधायक धनीराम शांडिल बनाम मंत्री डॉ राजीव सहजल की प्रतिष्ठा के इस चुनाव में डॉ राजीव सहजल ने फ्रंटफुट पर खेलते हुए धनीराम शांडिल की कांग्रेस प्रत्याशी को बोल्ड कर दिया। यह बात एक प्रैस विज्ञप्ति के माध्यम से जिला मीडिया प्रभारी इन्द्रपाल शर्मा ने कही है शर्मा ने कहा कि इस उपचुनाव में मंत्री राजीव सैजल के दिशा निर्देश तथा मार्गदर्शन में भाजपा समर्थित कंचनमाला ने 1462 मतों से जीत दर्ज की।शर्मा ने कहा कि इस जीत का श्रेय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ,मंत्री राजीव सैजल सोलन कसौली, अर्की मंडलों के सभी प्रदेश जिला व मंडल के वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं को जाता है। जिन्होंने कड़ी मेहनत से प्रत्याशी के लिए कार्य किया ।प्रत्याशी को लेकर मंत्री राजीव सहजल के नेतृत्व में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मुख्यमंत्री से सचिवालय में भेंट कर उन्हें बधाई दी।इस अवसर पर पूर्व विधायक गोविंदराम शर्मा, प्रदेश सचिव रतन सिंह पाल ,रविंद्र परिहार ,संजीव कश्यप, राजेश कश्यप,मंडल अध्यक्ष मदन ठाकुर,कपूर सिंह, डीके शर्मा ,इंद्रपाल शर्मा, अमर सिंह परिहार,श्यामानंद, राजीव शर्मा, सुरेश जोशी ,ओमप्रकाश, मोहनलाल, दिलीप पाल, राजेंद्र ,हंसराज, सुनीता ठाकुर,सीमा महंत सहित कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा प्रदेश के युवाओं को परामर्श देने के संबंध में की गई घोषणा के विषय में 20 नवम्बर, 2019 को एक बैठक आयोजित की जाएगी। यह जानकारी जिला रोजगार अधिकारी गुमान सिंह वर्मा द्वारा दी गई गुमान सिंह वर्मा ने कहा कि बैठक की अध्यक्षता उपायुक्त सोलन केसी चमन करेंगे। उन्होंने कहा कि बैठक सांय 3.30 बजे मिनी सचिवालय सोलन में आयोजित की जाएगी
धर्मशाला और पच्छाद में होने वाले उपुचनाव के लिए प्रचार का शोर 19 अक्तूबर को सायं पांच बजे थम जाएगा। उसके बाद प्रत्याशी 20 अक्तूबर को डोर-टू-डोर वोट मांगेंगे। प्रदेश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल करीब एक माह से प्रचार कर रहे हैं, ऐसे में अब अंतिम चरण के प्रचार में पूरी ताकत झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। अब तक हुए प्रचार के दौरान कांग्रेस और भाजपा के दुरंधरों ने खूब पसीना बहाया। हालांकि जीत और हार का फैसला 24 अक्तूबर को सामने आएगा, लेकिन भाजपा इस उम्मीद में है कि दोनों सीटें पार्टी की झोली में ही आएंगी। विपक्षी दल कांग्रेस भी उपचुनाव पर कब्जा जमाने की आस लगाए बैठी है। पच्छाद में कांग्रेस के पास पुराने उम्मीदवार के रूप में गंगूराम मुसाफिर मैदान में हैं, जबकि भाजपा ने महिला नेता पर भरोसा जताया है। धर्मशाला सीट पर दोनों दलों ने युवाओं पर दांव खेला है। धर्मशाला और पच्छाद में होने वाले उपचुनाव में 12 प्रत्याशियों में जंग होगी। हालांकि असली लड़ाई कांग्रेस और भाजपा में है, लेकिन कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी खेल बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोडेंगे। पच्छाद में पांच उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र से कुल सात उम्मीदवारों में जंग होगी।
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया के चेयरमैन अभिषेक राणा ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि काठ की हांडी अब टूटने लगी है। केंद्रीय वित्त मंत्री के पति ने भी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नीतियों की सराहना करते हुए उनसे सीखने की सलाह देकर केंद्र को आइना दिखाया है। अब उससे सबक लेकर सरकार को जनहित में ऐसे सकारात्मक कदम उठाने चाहिए, जिनसे देश व जनता का भला हो। उन्होंने कहा कि खुद को सर्वेसर्वा समझकर गलतियों पर पर्दा डालना व दूसरों पर दोषारोपण करते रहना कोई समझदारी का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि देश को अगर विकसित देशों की श्रेणी में ले जाना है तो सरकार को लच्छेदार बयानबाजी से बाहर निकलकर देश पर आए संकट से निपटने के लिए रोडमैप तैयार कर उस पर काम करना ही होगा। उन्होंने कहा कि 1991 में भी ऐसी परिस्थिति से देश गुजरा है लेकिन उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव व तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने आर्थिक चुनौतियों को संभाला भी और देश को उबारा भी था। उन्होंने कहा कि पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक में हुई वित्तीय अनियमितताओं के चलते बैंक उपभोक्ताओं को उनका पैसा देने पर ही रोक लगा दी है तथा गत दिवस एक उपभोक्ता का इसी गम में हृदयगति रूकने से निधन होना सरकार के लिए शर्मनाक बात और पूरे देश के लिए चिंतनीय विषय है। उन्होंने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार ने देश को पिछड़े देशों की श्रेणी में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है तथा हर वर्ग त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहा है।छोटे उद्योग बंद हो रहे है और बेरोजगार नौजवानों की बड़ी फौज खड़ी हो ग्ई है।
14 अक्तूबर : सुजानपुर के विधायक श्री राजेंद्र राणा ने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि वर्तमान सरकार के हाथों देश सुरक्षित नहीं रह गया है। ऐसी ताकतें देश में हावी हो गई है, जोकि देश को निचोडऩे के साथ आने वाले समय में देश को सबसे बुरे दौर में ले जाएंगी। जी.एस.टी. को लेकर सरकार को घेरते हुए उन्होंने हैरानी जताई कि मौजूदा समय में हर महीने जी.एस.टी. कलेक्शन में गिरावट दर्ज की जा रही है और अब सरकार ने 12 सदस्यीय टीम को जी.एस.टी. की खामियों को लेकर समीक्षा करने के लिए गठन किया है, जबकि 2 साल से ही जी.एस.टी. को लेकर कांग्रेस सवाल उठाती आई है, तो यही लोग हंसते थे जबकि अब केंद्रीय वित्त मंत्री बोल रही हैं कि जी.एस.टी. में खामियां हो सकती है। सोमवार को जारी प्रेस ब्यान में उन्होंने आरोप लगाया कि हर नया कानून बनाने में सरकार ने हर बार हड़बड़ाहट ही दिखाई है जिसके परिणाम अब जनता को भुगतने पड़ रहे हैं। मंदी से गुजर रहे उद्योगों से लाखों कर्मचारी पलायन कर रहे हैं, उन्हें बेरोजगार बनाया जा रहा है। जी.डी.पी. दर गिरती जा रही है। ऐसे समय में भी केंद्र सरकार के मंत्रियों के सब कुछ कंट्रोल में होने के ऐसे बयान आते हैं, जिससे पता चलता है कि सरकार किस तरह दोहरे चेहरे व चरित्र के साथ जनता को अभी अपनी मीठी-मीठी बातों से लुभावने सपने दिखा रही है जबकि गरीब व मध्यमवर्गीय तबके तथा बेरोजगार युवाओं पर इस मंदी व बिगड़ी अर्थव्यवस्था की सबसे ज्यादा मार पड़ी है। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है और औद्योगिक घराने मंदी के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में वो कौन से चहेते बड़े उद्योगपति हैं जिनके लिए पर्दे के पीछे से बैंक भी खुले छोड़ रखे हैं और प्रदेश के संसाधनों को भी लुटाए जाने की तैयारी है। राजेंद्र राणा ने कहा कि बैंकों में जमा जनता के पैसे को ही चहेते उद्योगपतियों को ऋण की एवज में देकर सरकारी उपक्रमों को बेचने की तैयारी भी शुरू हो गई है। ऐसे में केंद्र सरकार बताए कि देश की अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क कैसे हुआ।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का दूसरा घर माने जाने वाले जिला कुल्लू में इनकी प्रतिमा बनाई जा रही है। हालांकि स्व. अटल का घर मनाली के प्रीणी में है, लेकिन प्रतिमा जिला मुख्यालय कुल्लू स्थित अटल सदन के पास बनेगी। अटल के साथ कुल्लू का गहरा रिश्ता रहा है। रविवार को अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के मौके पर कुल्लू पधारे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अटल सदन कुल्लू में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा की आधारशिला रखी, जिस पर 22 लाख रुपए खर्च होंगे। बाकायदा मंत्रोच्चारण के साथ शिलान्यास करने की रिवायत को निभाया गया और मुख्यमंत्री ने ईंट लगाई। अब जल्द इसका निर्माण कार्य आरंभ करने के लिए प्रशासन और विभाग को निर्देश दिए हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने नागुझौर-मशना-थाच सड़क का उद्घाटन किया और पीएमजीएसवाई स्टेज के तहत 6.31 करोड़ तथा इस मार्ग पर ऑनलाइन बस को हरी झंडी दिखाई। वहीं, निर्मित कुल्लू के पॉलिटेक्नीक भवन के शैक्षणिक ब्लॉक का उद्घाटन किया। कुल्लू में लगभग 83 लाख रुपए से 5.75 करोड़ और उपायुक्त कार्यालय का पुनर्निर्मित भवन का उद्घाटन किया। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के पहले दिन मुख्यमंत्री ने जिला कुल्लू को करोड़ों की सौगात दी। इस अवसर पर सांसद राम स्वरूप शर्मा, विधायक सुंदर सिंह ठाकुर, उपाध्यक्ष एचपीएमसी राम सिंह, उपायुक्त डा. ऋ चा वर्मा, एसपी गौरव सिंह भी उपस्थित रहे। देव समाज के लोगों में उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के मौके पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बजंतरी वर्ग के साथ-साथ देवी-देवताओं की नजराना राशि पर भी बड़ी सौगात दे सकते हैं। देवधुन कार्यक्रम के दौरान वन, परिवहन और युवा सेवाएं तथा खेल मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा के अवसर पर खेली जाने वाली देवधुन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा सुझाई गई एक अवधारणा थी, जो देव समाज और राज्य की संस्कृति के लिए उनकी रुचि और प्रेम को दर्शाती है। कारदार संघ के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को संघ की विभिन्न मांगों से अवगत करवाया।
धर्मशाला व पच्छाद उप चुनाव में भाजपा उमीदवार भारी अन्तर से जीत हासिल करेंगे। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री प्रो प्रेम कुमार धूमल ने कुनिहार के लोक निर्माण विश्राम गृह में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। प्रो प्रेम कुमार धूमल पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर हमीरपुर वापसी पर कुछ समय के लिए कुनिहार रुके जँहा कार्यकर्ताओं ने उनका फूलमालाओं से जोरदार स्वागत किया। अपनी ही पार्टी के खिलाफ रुष्ट हुए नेताओं के बारे में उन्होंने कहा कि हर पार्टी व परिवार में मन मुटाव चलता रहता है नाराज नेताओं व कार्यकर्ताओं को मनाने का काम चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश सही दिशा में जा रहा है व नये नये आयाम छु रहा है। पूरा देश भाजपा व नरेंद्र मोदी की नीतियों को समझ रहा है व सराहना कर रहा है।भाजपा सरकार द्वारा लोगो के उत्थान के लिए चलाई जा रही विभिन्न कल्याण कारी नीतियों व योजनाओं बारे लोगो को बताया जा रहा है। इस मौके पर पी एम सी के निदेशक अमर सिंह ठाकुर,मण्डल उपाध्यक्ष सुरेश जोशी, मण्डल महामंत्री देवेन्द्र शर्मा,मण्डल युवा मोर्चा अध्यक्ष योगेश गौतम,सोनिया ठाकुर,कौशल्या कँवर,विजय ठाकुर,इंद्रपाल शर्मा,गोपाल कृष्ण शर्मा,स्यामानंद,हीरा लाल चन्देल सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने धर्मशाला के मतदाताओं से भाजपा प्रत्याशी विशाल नेहरिया को विधानसभा उप-चुनाव में भरपूर समर्थन देने का आग्रह किया है ताकि राज्य में विकास की गति निर्बाध जारी रह सके। वह आज धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सिद्धपुर के राम लीला ग्राउंड में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा स्पष्ट नीति, मजबूत नेतृत्व और विकासोन्मुखी नीतियों वाली पार्टी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में यह सुनिश्चित हो रहा है कि भारत जल्दी की विश्व शक्ति बनकर उभरेगा। यह प्रधानमंत्री की राजनीतिक इच्छा शक्ति के कारण ही है कि आज धारा 370 हटाए जाने से एक राष्ट्र और एक संविधान सुनिश्चित हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाएं आम आदमी के जीवन में आशातीत परिवर्तन लाने में सफल रही हैं। उन्होंने कहा कि हिम केयर, गृहिणी सुविधा योजना, पेंशन योजना आदि ने राज्य के लाखों लोगों को लाभान्वित किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने जन मंच की शुरुआत की है, जिसने जनता की शिकायतों का त्वरित निवारण हो रहा है। जन मंच की उपयोगिता के पूरक के तौर पर अब राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन 1100 भी शुरू की है। सभी मंत्रियों, चुने हुए प्रतिनिधियों और अन्य पदाधिकारियों को मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन 1100 को लोकप्रिय बनाने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि यह हेल्पलाइन सप्ताह में छह दिन सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक काम कर रही है। जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार धर्मशाला में निवेशकों का सम्मेलन आयोजित करने जा रही है, जिेससे यह शहर विश्व पर्यटन मानचित्र पर उभरेगा क्योंकि हजारों निवेशक और कई देशों के राजदूत यहां आएंगे। इसके अलावा, प्रधान मंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और कई केंद्रीय मंत्री भी इस अवसर पर उपस्थित होंगे। उन्होंने कहा कि अब तक विभिन्न क्षेत्रों में 75,776 करोड़ रुपये के 570 एमओयू पर राज्य सरकार हस्ताक्षर कर चुकी है। उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों ने लोकसभा चुनाव में सभी भाजपा उम्मीदवारों को अपना पूरा समर्थन देकर उनकी शानदार जीत सुनिश्चित की। भाजपा ने लोकसभा चुनावों में राज्य के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज करएक कीर्तिमान स्थापित किया और लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत भी हिमाचल में सबसे अधिक था। उन्होंने कहा कि वोट प्रतिशतता के आधार पर सबसे ज्यादा जीत का अंतर भाजपा सांसद किशन कपूर का था। जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, राज्य को आत्मनिर्भर बनाने और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से औद्योगीकरण को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि राज्य का संतुलित और न्यायसंगत विकास राज्य सरकार का मुख्य ध्येय है। भाजपा प्रत्याशी विशाल नेहरिया ने भी इस अवसर पर सभा को संबोधित किया और लोगों से समर्थन देने का आग्रह किया।
पच्छाद विधानसभा क्षेत्र को पहली बार महिला विधायक मिल सकती है। भाजपा ने पच्छाद उप चुनाव के लिए रीना कश्यप को टिकट दिया है। ऐसा भी पहली बार हुआ है की भाजपा ने पच्छाद के गिरिपार क्षेत्र से किसी प्रत्याशी को टिकट दिया हो। यदि रीना कश्यप ये चुनाव जीत जाती है तो वे प्रदेश को पहला मुख्यमंत्री देने वाले पच्छाद विधानसभा क्षेत्र की प्रथम महिला विधायक होगी। विदित रहे कि सोमवार 30 सितम्बर नामांकन के लिए आखिरी तारीख है और अंतिम समय तक चली माथापच्ची के बाद भाजपा ने रीना कश्यप पर दांव खेला है। रविवार दोपहर तक दयाल प्यारी, बलदेव कश्यप तथा रीना कश्यप के नाम पर काफी गहन मंथन चला हुआ था। जातिगत समीकरणों तथा इस बार गिरी पार से उठी प्रत्याशी की मांग को लेकर हाईकमान ने एक महिला को अधिमान देते हुए गिरी पार क्षेत्र की भावनाओं को परवान चढ़ाया है। ऐसे में भाजपा को संभवतः गिरिपार से अच्छा समर्थन मिल सकता है। रीना कश्यप का माईका यानि पैतृक क्षैत्र कोटखाई है और इससे पहले वह जिला परिषद की सदस्या रही है। पच्छाद के गिरी पार से रीना कश्यप के नाम के बाद क्षेत्र में खुशी का माहौल है। भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पहले 36 विधानसभा सीटों की लिस्ट जारी करते हुए हिमाचल के 2 जिलों में होने वाले उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। इसमें पच्छाद रीना कश्यप तथा धर्मशाला से विशाल के नाम पर मुहर लगाई है। उधर जिला सिरमौर भाजपा अध्यक्ष विनय गुप्ता ने जिला भाजपा की ओर से राष्ट्रीय भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रदेश मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का आभार व्यक्त करते हुए रीना कश्यप को भारी मतों से जिताने का आश्वासन भी दिया है।
जिला सिरमौर के पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में पहली बार होने जा रहे उप चुनाव के लिए जहा कांग्रेस ने अपने पुराने उम्मीदवार व सात बार क्षेत्र के विधायक रहे जी आर मुसाफिर पर एक बार फिर दांव खेला है, वही भाजपा ने अभी तक पत्ते नहीं खोले है। सोमवार 30 सितम्बर नामांकन की आखिरी तारीख है और भाजपा अभी तक गिरी आर और गिरी पार के पशोपेश में उलझी है। दरअसल, भाजपा में गिरिपार के प्रत्याशी को टिकट देने की मांग उठ रही है। यदि गिरिपार के किसी उम्मीदवार को टिकट नहीं मिलता है तो भाजपा को अंतर्कलह का सामना करना पड़ा सकता है, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। वहीँ, गिरिआर से दयालप्यारी की दावेदारी पार्टी के लिए संकट खड़े किये हुए है। जगजाहिर है दयालप्यारी पार्टी के कई नेताओं को फूटी आँख नहीं सुहाती, पर करीब 30 पंचायतों में उनका प्रभाव पार्टी दरकिनार भी नहीं कर सकती। सिक्टा के समर्थक उत्साहित ... भले ही भाजपा ने अपना उम्मीदवार मैदान में ना उतारा हो मगर भाजपा ने नामांकन के लिए सभी तैयारियां पूर्ण कर ली है। ऐसी सुचना मिल रही है कि सोमवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी राजगढ आ सकते है और वे भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। हालांकि जयराम के राजगढ आने का कोई आधिकारिक प्रोग्राम अभी तक नही आया है। बावजूद इसके भाजपा कार्यकर्ता खराब मौसम में भी इस रैली को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहै है। सीएम के राजगढ़ आने के कयासों से आशीष सिक्टा के समर्थक उत्साहित है। सिक्टा भी राजगढ़ से ही ताल्लुख रखते है, ऐसे में समर्थक मान रहे है कि पार्टी सिक्टा को टिकट देने का मन बना चुकी है। गिरिपार को टिकट न मिला तो उतरेगा बागी उम्मीदवार ! माना जा रहा है कि आखिरी दिन भाजपा से ही 4 नेता नामांकन भरने की तैयारी में है। समर्थकों की ब्रिगेड के अतिरिक्त ढोल-नगाड़े सहित अन्य तैयारियां भी कर ली गई है। ये सभी आलाकमान से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे है। वहीँ टिकट न मिलने की स्थिति में इन पर समर्थकों का आज़ाद चुनाव लड़ने का दबाव भी है। खासतौर से गिरिपार को यदि टिकट नहीं मिलता है तो भाजपा से कोई बागी भी मैदान में हो, इसके प्रबल आसार है।
हिमाचल प्रदेश में 2017 विधानसभा चुनाव का प्रचार चरम पर था। कांग्रेस मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही थी, पर भाजपा ने अभी सीएम फेस डिक्लेअर नहीं किया था। भाजपा की सारी राजनीति धूमल बनाम नड्डा के नाम के कयासों के इर्दगिर्द घूम रही थी। इसका असर भी दिख रह था। भाजपा का कंफ्यूज कार्यकर्ता वीरभद्र के आगे कुछ हल्का दिख रहा था। 9 नवंबर को वोटिंग होनी थी और 30 अक्टूबर तक भाजपा ने सीएम फेस की घोषणा नहीं की थी। कांग्रेस भी भाजपा को बिना दूल्हे की बरात कहकर खूब चुटकी ले रही थी। माना जाता है कि प्रो प्रेम कुमार धूमल भाजपा आलाकमान की पसंद नहीं थे, लेकिन वीरभद्र की कांग्रेस को टक्कर देने वाला कोई और दिख भी नहीं रहा था। सो, सारे गुणा भाग करके आखिरकार 31 अक्टूबर को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सिरमौर के पच्छाद में हुई रैली में प्रो प्रेम कुमार धूमल को सीएम फेस घोषित कर दिया। धूमल के नाम की घोषणा होते ही मानो भाजपा में जान सी आ गई, देखते-देखते समीकरण बदले और भाजपा ने बेहद मजबूती से चुनाव लड़ा। 18 दिसंबर को जब नतीजे आये तो भाजपा ने 44 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता में शानदार वापसी की। पर इन 44 सीटों में सुजानपुर की सीट नहीं थी, इन 44 सीटों में प्रो प्रेम कुमार धूमल की सीट नहीं थी। भाजपा तो जीत गई थी, पर भाजपा को जीताने वाले धूमल खुद चुनाव हार बैठे। एक कहावत है... हाथ में आया, पर मुँह न लगा ! हिंदुस्तान की राजनीति में प्रो. प्रेम कुमार धूमल से बेहतर ये कहावत शायद ही किसी पर सटीक बैठती हो। क्या सुजानपुर से टिकट देना सिर्फ इत्तेफ़ाक़ था ! प्रो प्रेम कुमार धूमल का चुनाव हारना आसान नहीं था और ये यूँ ही नहीं हो गया था। दरअसल प्रो धूमल की सीट थी हमीरपुर, पर पार्टी ने उन्हें टिकट दिया सुजानपुर से। उसी सुजानपुर से जो जहाँ कभी उनके करीबी रहे राजेंद्र राणा का ख़ासा प्रभाव था। पर राणा की निष्ठा अब वीरभद्र सिंह और कांग्रेस में थी। कहते है राणा से बेहतर धूमल की कमजोरियों को कोई नहीं जानता, आखिर राणा ने राजनीति भी तो धूमल से ही सीखी थी। भाजपा में धूमल विरोधी भी इस बात से वाकिफ थे और चाहते थे कि धूमल को घर में ही ठिकाने लगा दिया जाए। हुआ भी यही। धूमल 1919 वोट से चुनाव हार गए और उनका तीसरी बार सीएम बनने का स्वप्न पूरा नहीं हो सका। प्रोफेसर से मुख्यमंत्री तक का सफर राजनीति में प्रो धूमल का कद रातों रात नहीं बढ़ा था और यूँ ही कोई धूमल बन भी नहीं सकता। सियासत में आने के लिए धूमल ने प्रोफेसर की नौकरी छोड़ी और शुरुआत की भाजपा के युवा संगठन से। 1980-82 में धूमल भाजयुमो के प्रदेश सचिव रहे। पर चर्चा में आये 1989 में जब उन्होंने हमीरपुर सीट पर हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की और लोकसभा पहुँच गए। इससे पहले 1984 का चुनाव वे हार चुके थे। इसके बाद 1993-98 में वो हिमाचल प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष रहे। इस बीच 1996 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। पर धूमल ने लम्बी छलांग लगाईं और इसके बाद वो दो बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने। 1998 में सरकार बनाने के लिए सुखराम के पांचो विधायकों को बनाया मंत्री 1998 का चुनाव आते-आते भाजपा बदली चुकी थी और प्रदेश के समीकरण भी। नरेंद्र मोदी प्रदेश के प्रभारी थे, जो इस बात को समझ चुके थे कि 'नो वर्क नो पे वाले' सीएम रहे शांता कुमार के नाम पर चुनाव लड़ना और जीतना बेहद मुश्किल है। धूमल तब मोदी के करीबी थे और प्रदेश की राजनीति में भी उनका ठीक ठाक कद था। सो, मोदी ने पार्टी आलाकमान को मनाया और चुनाव से पहले ही धूमल को सीएम फेस घोषित कर दिया। हालांकि नतीजों के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों 31-31 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरे लेकिन बहुमत किसी के पास नहीं था। कांग्रेस में अपनी उपेक्षा से नाराज़ पंडित सुखराम ने तब नई पार्टी बना कर चुनाव लड़ा था, जिसका नाम था हिमाचल विकास कांग्रेस। पंडित सुखराम की पार्टी के खाते में पांच सीटें आई थी और सरकार किसकी बनेगी, ये उन्हें ही तय करना था। वीरभद्र से मतभेद के चलते सुखराम ने धूमल को समर्थन दिया और धूमल ने पुरे पांच साल सरकार चलाई। हालांकि इसके बदले सुखराम के पांचो विधायकों को मंत्री बनाया गया। भाजपा के कई नेता, खासतौर से शांता गुट के कई नेता अब भी इसे गलत करार देते है। बने सड़क वाले मुख्यमंत्री जब प्रो धूमल पहली बार सीएम बने तो केंद्र में एनडीए की सरकार थी और प्रधानमंत्री थे अटल बिहारी वाजपेयी। उस दौर में देशभर में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से सड़कों का जाल बिछाया गया था और हिमाचल भी इससे अछूता नहीं रहा। पहाड़ी राज्य होने के चलते हिमाचल में ये ये कार्य आसान नहीं था लेकिन धूमल सरकार ने इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी। इसीलिए धूमल सड़क वाले मुख्यमंत्री के तौर पर भी जाने जाते है। 2007 में बने दूसरी बार सीएम 2003 के विधानसभा चुनाव में प्रो धूमल एक बार फिर भाजपा के सीएम फेस थे लेकिन भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर पाई। इसके बाद उनके नेतृत्व में 2007 का चुनाव लड़ा गया जिसमें भाजपा ने फिर सत्ता कब्जाई और धूमल दूसरी बार सीएम बने। दूसरी बार वे एक जनवरी 2008 से 25 दिसंबर 2012 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। प्रेम सिंह धूमल के दो बेटे हैं- अरुण ठाकुर और अनुराग ठाकुर। अनुराग ठाकुर राजनीति में काफी सक्रिय हैं। वे बीसीसीआई के चेयरमैन भी रह चुके है। इसके अलावा मौजूदा समय में हमीरपुर लोकसभा से सांसद हैं और केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री भी। उपचुनाव लड़ने की चर्चा मात्र से सियासी खलबली : इन दिनों प्रो प्रेम धूमल फिर चर्चा में है। दरअसल, लोकसभा चुनाव 2019 के बाद अब हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जिला के धर्मशाला तथा सिरमौर जिला के पच्छाद विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं। धूमल की धर्मशाला सीट से विधानसभा उपचुनाव लड़ने की चर्चाओं ने सभी के कान खड़े कर दिए हैं। धूमल के चुनाव लड़ने की चर्चा मात्र से ही भाजपा के अंदर गुणा-भाग शुरू हो गया है। माना जाता है कि अब भी धूमल की इतनी कुव्वत है कि भाजपा उन्हें हलके में नहीं ले सकती। वहीँ बीते दिनों धूमल का पीएम मोदी से मिल कर लम्बी चर्चा करना, रमेश धवाला और पवन राणा प्रकरण, इन्दु गोस्वामी का इस्तीफ़ा, पत्र बम जैसे कई तथाकथित सियासी इत्तेफाकों ने धूमल नाम को फिर सुर्ख़ियों में ला दिया है। प्रदेश में 21 अक्टूबर को उपचुनाव होने है। भाजपा का एक वर्ग धूमल को टिकट देने की मांग कर रहा है। कांगड़ा हमेशा हिमाचल की राजनीति का भविष्य तय करता रहा है और धूमल का क्षेत्र हमीरपुर भी कभी कांगड़ा जिला की तहसील हुआ करती थी। ऐसे में पुराने कांगड़ा के धूमल कोई सियासी गुल खिला पाते है या नहीं, देखना दिलचस्प होगा।
सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम से मुलाकात की। गौरतलब है कि आईएनएक्स मीडिया मामले में पी. चिंदबरम को पिछले दिनों अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इससे पहले 18 सितंबर को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं अहमद पटेल और गुलाम नबी आजाद ने जेल में चिदंबरम से मुलाकात की थी। बताया जा रहा है कि इस मुलाकात में कांग्रेस सांसद कार्तिक चिदंबरम भी मौजूद थे। कांग्रेस के नेताओं ने चिदंबरम के साथ कश्मीर, आगामी विधानसभा चुनावों, अर्थव्यवस्था और मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा की है। यह मुलाकात करीब आधे घंटे चली थी। बता दें कि गुरुवार को पी चिदंबरम के वकील ने कोर्ट को बताया था कि जेल में पूर्व वित्त मंत्री को न तकिया और न ही कुर्सी दी गई है। इस वजह से उन्हें कमर दर्द होना शुरू हो गया है। हालांकि, कोर्ट ने सरकार का पक्ष जानने के बाद इस दावे पर ज्यादा गौर नहीं किया और कहा कि जेल में ऐसी छोटी चीजें होती रहती है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि पूरी दुनिया इस वक्त आर्थिक मंदी से जूझ रही है। ऐसे में मोदी सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती कर साहसिक फैसला लिया है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था को नई ताकत मिलेगी और निर्यात में इजाफा होगा। सीएम योगी ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों की अपेक्षा भारत मे टैक्स रेट अधिक होने के चलते भारत पिछड़ जाता था। अब साउथ एशिया में सबसे आकर्षक टैक्स रेट भारत का हो गया है। यूएस, चीन ट्रेड वॉर से उपजे हालात भी भारत के लिए अवसर बनेंगे। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिन कंपनियों ने चीन से निकल दूसरा ठिकाना तलाशना शुरू किया है वह भारत आएंगी।
यूथ इंटक के साथ साथ कांग्रेस को भी करेंगे जमीनी स्तर पर मजबूत: राहुल तनवर हिमाचल प्रदेश यूथ इंटक ने पूरे प्रदेश में सदस्यता अभियान की शुरूआत कर दी है। हिमाचल प्रदेश यूथ इंटक प्रदेश भर में 2.5 लाख नये सदस्यों को जोड़ेगी। यूथ इंटक ने इस बद्दी में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए यूथ इंटक अध्यक्ष राहुल तनवर ने बताया कि संगठन ने सदस्यता अभियान की शुरूआत कर दी गई है। जिसके तहत सर्वप्रथम पहले चरण में सोलन जिला और बीबीएन में सदस्यता अभियान की शुरूआत की जाएगी। 2.5 लाख सदस्यों को जोडऩे का लक्ष्य निर्धारित किया है जिसे 1 वर्ष के भीतर पूरा किया जाएगा। इस दौरान राहुल तनवर ने कहा कि प्रदेश में मजदूर हितों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। प्रदेश के उद्योगों में ठेकेदारी प्रथा हावी है और कामगर वर्ग का जमकर शोषण हो रहा है। राहुल ने कहा कि प्रदेश में दर्जनों उद्योग गुपचुप तरीके से बंद हो रहे हैं जिसकी आड़ में हिमाचली व बाहरी राज्यों के कामगारों का शोषण हो रहा है जिसे यूथ इंटक बर्दाश्त नहीं करेगी।
Unity in diversity was the uniqueness of our nation which was a plural society and repository of multiplicity of cultures. Sarsanghchalak (Chief) of Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) Mohan Bhagwat said this while addressing the gathering after he inaugurated the Krishna Temple on the Mall Solan today. Shri Bhagwat said that Indian civilization, stretching over five thousand years, provides the most distinctive feature in the coexistence of unity in diversity. He said that religion offer a unified vision of reality because God is one and the reality which he created must have unity and integrity. He said that region aims at uniting the humanity and the service of mankind was the service of God. He said that each one of us should work with sincerity and dedication towards the development of our society and the nation. He said that it was the ‘Karma’ that motivate us towards ‘Dharma’. Sarsanghchalak of Rashtriya Swayamsevak Sangh said that Shri Bhagwat Geeta preaches us to work with dedication for whatever duty has been assigned to us without worrying for the results and fruits of our hard work. He expressed hope that the Shri Krishna Temple constructed in Solan would emerge as a place not only for worship but also a place for pondering for the welfare of the society. Chief Minister Jai Ram Thakur while welcoming Shri Bhagwat to the State said that India was a grand synthesis of cultures, religions and language of the people belonging to different castes and communities has upheld its unity and cohesiveness despite several hardships. Jai Ram Thakur said that religion was the binding force uniting every section of the society. He said that it was important that in the modern era of cut throat competition, we all uphold our religion and culture. Only those societies progress that gives due respect to its tradition and culture, he added. Chief Minister said that no one can achieve success by abandoning our values and culture. He said that science and religion should coexist for a strong and vibrant Nation. He said that today India was fast forging ahead on the path of becoming Vishav Guru under that dynamic leadership of Prime Minister Shri Narendra Modi. He said that it was under this leadership that the Country has gained its old glory and even the most powerful countries of the world were acknowledging the power of India. Jai Ram Thakur said that Himachal Pradesh was known as the Dev Bhoomi throughout the world for its peace loving and God fearing people. He said that the Shri Krishna Temple at Solan would go a long was in quenching the religious thirst of the people of the area. Chief Minister assured the members of the Sri Krishna Vrindavan Trust of all possible help from the Government side for expansion of it activities in the State. Rajiv Kohli President Sri Krishna Vrindavan Trust welcomed Sarsanghchalak (Chief) of Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) Shri Mohan Bhagwat, Chief Minister Jai Ram Thakur and other dignitaries present on the occasion. He also detailed various activities of the Trust. State BJP President Satpal Satti, Social Justice and Empowerment Minister Dr. Rajiv Saizal, Political Advisor to the Chief Minister Trilok Jamwal, Former MP Virender Kashyap were present on the occasion among others.
पूर्व विधायक बम्बर ठाकुर ने नडडा के खिलाफ खोला मोर्चा बिलासपुर के कोठीपुरा में एम्स में चल रहे निर्माण कार्य में स्थानीय लोगों को काम न दिए जाने को लेकर पूर्व विधायक बंबर ठाकुर ने संघर्ष का बिगुल बजा दिया है। बिलासपुर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नागार्जुन कंपनी द्वारा इस एम्स का निर्माण किया जा रहा है जिसने मजदूर से लेकर अधिकारी तक लगभग 4000 कर्मी बाहर से लाकर बिलासपुर में रखें और स्थानीय लोगों को कार्य नहीं दिया। उन्होंने भाजपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष से प्रश्न किया है कि उन्होंने इस एम्स का शिलान्यास होने के बाद फिर से बजरी पूजन किया था, उस समय उन्होंने बिलासपुर के लगभग 16000 बेरोजगारों को रोजगार देने की बात कही थी। लेकिन हैरानी इस बात की है कि इस एम्स के निर्माण में किसी भी स्थानीय व्यक्ति को कार्य नहीं दिया जा रहा। उन्होंने कहा कि हैरानी तो इस बात की है की इन कर्मचारियों और अधिकारियों को दूध सप्लाई करने वाले ग्रामीणों से भी काम छीन कर एक बड़े ठेकेदार को यह कार्य सौंप दिया गया है जिसके पास पहले ही करोड़ों के कार्य हैं और अरबों की सम्पति है। वहीं एक अन्य बड़ा ठेकेदार एक और कार्य कर रहा है। बंबर ठाकुर ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा एम्स निर्माण में हजारों स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने के वादे को याद दिलाते हुए केवल दो ही स्थानीय ठेकेदारों को ठेके देने और अन्य लोगों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने कहा कि एम्स निर्माण कार्य में चल रही ओस धांधली को बंद न किया गया तो बिलासपुर शहर में एक विशाल रैली आयोजित की जाएगी। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि जिन दो बड़े गरीबों को काम दिया गया है, उनके होर्डिंग लगाए जाएंगे जिसमें नडडा का आभार प्रकट किया जाएगा। पत्रकार वार्ता में ननावां के पूर्व प्रधान तथा मार्कण्ड की वर्तमान प्रधान तृप्त देवी भी उपस्थित रहे।
पूर्व मंत्री तथा नैना देवी के विधायक रामलाल ठाकुर ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार के इशारों पर जिले के उच्चाधिकारी विपक्षी विधायकों द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग नहीं ले रहे। बिलासपुर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इन अधिकारियों को यह भय सता रहा है कि अगर वह विपक्ष के विधायक द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लेने गए तो उनका स्थानांतरण कहीं दूर पार कर दिया जाएगा। ठाकुर ने बताया कि उन्होंने नैना देवी विधानसभा क्षेत्र में विकास संबंधी कार्य चलाने के लिए अधिकारियों की बैठक दूसरी बार बुलाई लेकिन लगातार दो बैठकों में यह अधिकारी अनुपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि इसे चुने गए प्रतिनिधियों की उपेक्षा कहीं जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस बैठक में उच्चाधिकारियों ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को भेज दिया जिनके पास किसी भी संबंध में कोई भी जवाब उपलब्ध नहीं थे।ठाकुर ने कहा कि विपक्ष के विधायकों के साथ ऐसा व्यवहार करके हिमाचल सरकार और उसके यह अधिकारी संबंधित विधान सभा क्षेत्रों के हजारों मतदाताओं का अपमान कर रहे हैं। रामलाल ठाकुर ने कहा कि इस प्रथा पर सरकार को तुरंत अंकुश लगाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विधायक चाहे किसी भी दल का हो, जब वह अपने क्षेत्र के विकास , प्रगतिके हित में ऐसी बैठकें आयोजित करे तो उच्चाधिकारियों का उन बैठकों में आना सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए, ताकि निचले स्तर के अधिकारी भेज कर खानापूर्ति किए जाने का खेल पूरी तरह से बंद हो। रामलाल ठाकुर ने चेतावनी दी कि यदि इस संदर्भ में सभी उच्चाधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित बनाने बारे सभी विभागों को उचित आदेश नहीं दिएं, तो उनके विधानसभा क्षेत्र नयना देवी जी के हजारों ग्रामीण 15 अक्तूबर के बाद स्वार घाट और बिलासपुर नगर में ऐसे उच्चाधिकारियों का घेराव किया जाएगा। रामलाल ने कहा कि इस क्षेत्र में अभी तक भी 59 सड़कें बंद पड़ी हैं। जबकि पेयजल, सिंचाई व अधिकांश सड़कों की स्थिति दयनीय है। इस कारण क्षेत्र के हजारों लोग बुरी तरह से परेशान है। उन्होंने कहा कि सरकार ने उनके क्षेत्र की सड़कों के रखरखाव के लिए मात्र 80 लाख रुपए दिये जो मजाक ही है।
पच्छाद और धर्मशाला में कभी भी उपचुनाव का औपचारिक बिगुल बज सकता है। दोनों ही मुख्य राजनैतिक दलों के लिए ये चुनाव प्रतिष्ठता का प्रश्न है, किन्तु दोनों की ही डगर मुश्किल है। भाजपा के पास सत्ता है, संसाधन है और कुछ हद तक समीकरण भी। पर पार्टी की अंदरूनी खींचतान इन सब पर भारी पड़ सकती है। विशेषकर धर्मशाला में। कांग्रेस की बात करें तो 2017 में प्रदेश की सत्ता गवाने के बाद से पार्टी के लिए कुछ भी ठीक नहीं घटा है। 2019 लोकसभा में पार्टी की दुर्गति के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हौंसले पस्त है और कंधे झुके हुए। पार्टी का संगठन खेतों में लगाए जाने वाले स्केरी क्रो सा हो चूका है जो सिर्फ दिखाने को है, पर करता कुछ नहीं है। बावजूद इसके पार्टी गहरी जड़ें भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। बहरहाल, आज बात करते है कांग्रेस की। पच्छाद में मुसाफिर या आर्य ! पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए कांग्रेस को एक अदद जीत की सख्त दरकार है। ऐसे में कांग्रेस उप चुनाव को हलके में नहीं ले रही है। पच्छाद की बात करें तो कांग्रेस नेता अनुभवी नेता और सात बार इस सीट से विधायक रहे गंगूराम मुसाफिर पर एक बार फिर दाव खेल सकती है। हालांकि पिछले दो चुनाव में पच्छाद की जनता ने गंगूराम को पछाड़ा है किन्तु फिर भी टिकट के लिए मुसाफिर की दावेदारी मजबूत है । मुसाफ़िर के अतिरक्त एक और नाम जो टिकट की दौड़ में है, वो है दिनेश आर्य। दिनेश राजगढ़ क्षेत्र से नगर पंचायत राजगढ़ के पूर्व चेयरमैन व पच्छाद कांग्रेस मंडल के महासचिव है। साथ ही दिनेश आर्य प्रदेश के सबसे कम आयु के नगर पंचायत के चेयरमैन भी रहे हैं। खासतोर से युवा वर्ग को लुभाने के लिए कांग्रेस आर्य पर दांव खेल सकती है। बीते दो चुनाव में जीआर मुसाफिर लगातार हार का सामना कर चुके हैं, ये समीकरण भी आर्य का पक्ष मजबूत करता है। धर्मशाला: सुधीर इज बैक, कांग्रेस ऑन फ्रंट फुट धर्मशाला में कांग्रेस टिकट के लिए सुधीर शर्मा के ताल ठोकने के बाद टिकट को लेकर कोई संशय नहीं बचा है। संभवतः एकाध दिन में कांग्रेस सुधीर के नाम का औपचरिक एलान कर दे। इसमें कोई संशय नहीं है कि मंत्री रहते सुधीर ने धर्मशाला में खूब विकास किया है। पर चुनाव काम के आधार पर कम और समीकरणों के आधार पर ज्यादा जीते जाते है। 2017 में समीकरण सुधीर के काम पर भारी पड़े थे और जनता ने सुधीर को हरा दिया। पर तब से अब तक समीकरण भी बदले है और विकास के नाम पर भी वर्तमान सरकार के खाते में कुछ ख़ास नहीं है। ऐसे में गुट-गुट में बंटी भाजपा के सामने अब कांग्रेस फ्रंट फुट पर दिख रही है।
83 की उम्र में कांग्रेस को बनाना पड़ा सीएम फेस साल था 2017 का। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चूका था। भाजपा में सीएम फेस को लेकर दुविधा थी और अंतिम क्षण तक पार्टी सीएम फेस घोषित करने से बचती रही। उधर, कांग्रेस के सामने कोई दुविधा नहीं थी। 83 वर्ष के वीरभद्र सिंह पार्टी के सीएम कैंडिडेट थे और अकेले भाजपा से लोहा ले रहे थे। संभवतः इससे पहले और इसके बाद भी इतने उम्रदराज नेता को हिंदुस्तान में कभी भी, किसी भी चुनाव में सीएम फेस नहीं घोषित किया गया। दिलचस्प बात ये है कि इस निर्णय को लेकर शायद ही कांग्रेस आलाकमान के मन में कोई दुविधा रही हो, क्यों कि हिमाचल में कांग्रेस की जड़ें उतनी गहरी नहीं है, जितनी वीरभद्र सिंह की है। खेर, कांग्रेस चुनाव हार गई पर हिमाचल में वीरभद्र का जलवा अब भी बरकरार है। अब उम्र 85 की हो चुकी है, सेहत भी नासाज रहती है पर वीरभद्र का जुनून कायम है। 1962 में हुई चुनावी राजनीति में एंट्री : प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की प्रेरणा से वीरभद्र सिंह ने राजनीति में आने का निर्णय लिया। नेहरू की बेटी और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष इंदिरा गाँधी भी तब वीरभद्र से खासी प्रभावित थी। इंदिरा के कहने पर 1959 में वीरभद्र सिंह दिल्ली से हिमाचल लौटे और लोगों के बीच जाकर उनके लिए काम करना शुरू किया। वीरभद्र का ताल्लुख तो रामपुर- बुशहर रियासत से है लेकिन जल्द ही वे शिमला क्षेत्र में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा बन गए। नतीजन 1962 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें महासू ( वर्तमान शिमला ) सीट से उम्मीदवार बनाया। 28 वर्ष के वीरभद्र आसानी से चुनाव जीत गए और पहली मर्तबा लोकसभा पहुंचे। इसके बाद 1967 और 1972 में वीरभद्र मंडी से चुनाव लड़ लोकसभा पहुंचे। हालांकि इमरजेंसी के बाद 1977 के लोकसभा चुनाव में वीरभद्र को हार का मुँह देखना पड़ा। पर उन्होंने अपनी निष्ठा नहीं बदली और इंदिरा गाँधी के वफादार बने रहे। 1980 में फिर चुनाव हुए और वीरभद्र सिंह एक बार फिर जीत कर लोकसभा पहुँच गए। 1982 में इंदिरा सरकार में उन्हें उद्योग राज्य मंत्री भी बना दिया गया। 1983 में हुई हिमाचल की सियासत में एंट्री : वीरभद्र वर्ष 1962 से चुनावी राजनीति में है पर हिमाचल प्रदेश की सियासत में उनका आगमन हुआ वर्ष 1983 में। तब टिम्बर घोटाले के आरोप के चलते ठाकुर रामलाल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और बतौर मुख्यमंत्री एंट्री हुई वीरभद्र सिंह की। वहीँ वीरभद्र सिंह जो 6 बार सीएम बने और जिनके बगैर हिमाचल की हर राजनैतिक चर्चा अधूरी है। वहीँ वीरभद्र सिंह, हिमाचल में जिनका मतलब कांग्रेस है और कांग्रेस का पर्याय वीरभद्र।1983 से अब तक यानी 2019 तक तक 36 वर्षों में वीरभद्र सिंह करीब 22 वर्ष सीएम रहे है। वीरभद्र के बाद कोई नहीं कर पाया रिपीट: हिमाचल में हर पांच वर्ष में सत्ता परिवर्तन का रिवाज सा है। पर 1983 में सत्ता में आये वीरभद्र सिंह 1985 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर सत्ता में लौटे और दूसरी बार सीएम बने। इसके बाद से हिमाचल में कभी सरकार रिपीट नहीं हुई। 1993 में फिर की वापसी : 1990 के विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। खुद वीरभद्र सिंह भी जुब्बल कोटखाई से चुनाव हार गए थे। ऐसा लगने लगा था कि शायद ही वीरभद्र इसके बाद कभी सीएम बने। ऐसा इसलिए भी था क्योकि तब पंडित सुखराम और विद्या स्ट्रोक्स का भी हिमाचल और कांग्रेस में ख़ासा दबदबा था। पर जो आसानी से हार मान ले, वो वीरभद्र सिंह नहीं बनते। हार के बाद वीरभद्र ने संगठन में अपनी जड़े और मजबूत की और विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा बने रहे। शांता सरकार की गिरती लोकप्रियता को भी उन्होंने जमकर भुनाया। 1993 में शांता सरकार गिरने के बाद जब चुनाव हुए तो वीरभद्र सिंह तीसरी बार प्रदेश के सीएम बने। 1998 में भी कांग्रेस प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई लेकिन पंडित सुखराम के सहयोग से सरकार भाजपा की बनी। 2003 में फिर वीरभद्र सिंह की वापसी हुई और वे दिसंबर 2007 तक हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे। 2007 में सत्ता से बहार होने के बाद वीरभद्र सिंह ने केंद्र का रुख किया और 2009 से 2012 तक केंद्र में मंत्री रहे। 2012 में कई नेताओं के मंसूबों पर फेरा पानी: 2012 विधानसभा चुनाव के वक्त वीरभद्र सिंह की आयु 78 के पार थी। केंद्र में मंत्री होने के चलते शायद ही किसी को वीरभद्र के लौटने की उम्मीद रही हो। कांग्रेस में भी कई चाहवान सीएम की कुर्सी पर आँखें गड़ाए बैठे थे। पर वीरभद्र को तो अभी दिल्ली से शिमला वापस लौटना था। चुनाव से पहले वीरभद्र ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और हिमाचल लौट आये। कहते है कि वीरभद्र ने दिल्ली दरबार को स्पष्ट कर दिया था कि सीएम तो वे ही होंगे, चाहे पार्टी कोई भी हो। तब भी हिमाचल में माइनस वीरभद्र कांग्रेस की ख़ास हैसियत नहीं थी। सो आलाकमान झुका और वीरभद्र सिंह की लीडरशिप में चुनाव लड़ा गया। सत्ता परिवर्तन का सिलसिला भी बरकरार रहा और वीरभद्र सिंह रिकॉर्ड छठी बार सीएम बन गए। इतिहास पढ़ाना चाहते थे, इतिहास बना दिया: शिमला का बिशप कॉटन स्कूल हिमाचल का ही नहीं अपितु देश के प्रतिष्ठित स्कूलों में शुमार है। स्कूल के दाखिला रजिस्टर में नंबर 5359 के आगे नाम लिखा है वीरभद्र सिंह। उस दौर में जब रामपुर- बुशहर रियासत के राजकुमार वीरभद्र ने बिशप कॉटन स्कूल में दाखिला लिया था तो किसी ने नहीं सोचा होगा कि स्कूल का नाम उस शख्सियत से जुड़ने जा रहा है जो आगे चलकर 6 बार हिमाचल का सीएम बनेगा। स्कूल पास आउट करने के बाद वीरभद्र ने दिल्ली के सैंट स्टीफेंस कॉलेज में हिस्ट्री होनोर्स में बीए और एमए की। हसरत थी हिस्ट्री का प्रोफेसर बन छात्रों को पढ़ाने की। पर देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था। जो वीरभद्र छात्रों को इतिहास पढ़ाना चाहते थे, उन्होंने खुद इतिहास बना दिया। सबसे अधिक समय तक हिमाचल का सीएम रहना का रिकॉर्ड वीरभद्र सिंह के ही नाम है। वे करीब 22 वर्ष और कुल 6 बार हिमाचल के सीएम रहे है। श्री कृष्ण परिवार की 122 वीं पीढ़ी होने का दावा वीरभद्र सिंह का परिवार बागवान श्री कृष्ण के वंशज होने का दावा करता है। दरअसल,रामपुर बुशहर रियासत में एक स्थान आता है सराहन। राज परिवार का दावा है कि ये सराहन पहले सोनीपुर के नाम से जाना जाता था और भगवान् श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युमन की रियासत का हिस्सा था। वीरभद्र सिंह का विवाह दो बार हुआ। 20 साल की उम्र में जुब्बल की राजकुमारी रतन कुमारी से उनकी पहली शादी हुई। किन्तु कुछ वर्षों बाद ही रतन कुमारी का देहांत हो गया। इसके बाद 1985 में उन्होंने प्रतिभा सिंह से शादी की। प्रतिभा सिंह भी मंडी से सांसद रह चुकी है। वीरभद्र और प्रतिभा के पुत्र विक्रमादित्य सिंह भी वर्तमान में शिमला ग्रामीण से विधायक है।
फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पुलिस ने मंगलवार को अमित जोगी को बिलासपुर स्थिति उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया। अमित जोगी पर जन्म स्थान,जन्म तिथि और जाति के बारे में गलत जानकारी देने का आरोप है। अमित जोगी के खिलाफ इसी साल फरवरी में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत मामला दर्ज किया गया था। सूत्रों की मानें तो अब उन्हें अदालत में पेश किया जाएगा। बता दें कि साल 2013 के विधानसभा चुनाव में मरवाही विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी रहीं समीरा पैकरा की शिकायत के मुताबिक, अमित जोगी ने शपथपत्र में अपना जन्मस्थान और जाति गलत जिसके बाद उनके खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था।
अच्छे दिनों का ढिंढोरा पीटने वाली मोदी सरकार में पिछले 6 साल के दौरान वर्तमान में जी.डी.पी. दर 5 प्रतिशत कैसे पहुंच गई है। 4 लाख करोड़ का कर्जा लेने वाली केंद्र सरकार अब दोबारा 2 लाख करोड़ रुपए कर्ज लेने की तैयारी कर रही है। सरकार बताए कि इतने ज्यादा हालात कैसे खराब हो गए हैं। यह बात हिमाचल कांग्रेस सोशल मीडिया एवं आई.टी. विभाग के प्रभारी अभिषेक राणा ने जारी प्रैस विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा यह आंकड़े सार्वजनिक किए गए हैं। इसी को लेकर भाजपा नेता एवं राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी चिंता व्यक्त करते हुए नई आर्थिक नीति लागू करने की वकालत की है। हैरानी जताते हुए उन्होंने कहा कि फिर भी अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार नहीं जाग रही है। उन्होंने कहा कि बड़ी कार निर्माता कंपनियां भारत में निवेश करने से कतराने लगी हैं। हीरो मोटर,टाटा स्टील्स,मारूति व महिंद्रा जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों में प्रोडक्शन पर गहरी मार पड़ी है, तो रेलवे व बी.एस.एन.एल. में भूखे मरने की नौबत आन पड़ी है। ऐसे हालात कैसे बन गए हैं। अभिषेक राणा ने सेंटर फॉर मानीटरिंग इंडियन इकॉनोमी (सी.एम.आई.ई.) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि सी.एम.आई.ई. के मुताबिक वर्ष 2018 में असंगठित क्षेत्र में 1 करोड़ से अधिक लोगों ने नौकरियां गंवाई हैं। कृषि व कृषि आधारित व्यवसाय पर सबसे अधिक मार पड़ी है। वाहन कलपुर्जा उद्योग विर्निमाताओं के अखिल भारतीय संगठन एक्मा ने जी.एस.टी. की दर एक समान 18 प्रतिशत करने की मांग उठाई है। अभिषेक राणा ने कहा कि कैग ने स्वयं माना है कि 2 साल भी जी.एस.टी. की खामियां दूर नहीं हो पाई हैं। नोटबंदी व जी.एस.टी. के कारण देश की आर्थिक हालात खराब हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के मीठे बोल की कीमत अब देश की जनता को भुगतनी पड़ रही है। जिससे देश पिछडने लगा है लेकिन अंधभक्ति में पड़े कुछ चाटुकारों को देशहित की बजाए केंद्र सरकार की झूठी वाहवाही करने से ही फुर्सत नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्नाव प्रकरण में यू.पी.सरकार की जमकर फजीहत हुई है। तथा देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी सरकार की खिंचाई की गई है। इसके बावजूद कानून व्यवस्था का बुरा हाल हो चुका है। उन्होंने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकारों में भी मंदी का दौर आया था लेकिन तत्कालीन सरकारों ने उस दौर में भी देश की अर्थ व्यवस्था को संभाले रखा।
किसी महानुभव ने कहा है कि विपक्ष को नसीहत देना सत्ता पक्ष का जन्मजात गुण होता हो और उसे न मानना ही विपक्ष को विपक्ष बनाता है। सही या गलत, पर भई हिंदुस्तान की राजनीति तो ऐसे ही चलती है। यहाँ विपक्ष का काम विरोध करना है और ये विरोध सिर्फ विरोध करने के लिए ही होता है, और सत्ता पक्ष अक्सर उन्हें बेवजह विरोध न करने की नसीहत देता है। पर बेचारा विपक्ष भी क्या करें, आखिर धरना-प्रदर्शन और सत्ता विरोधी स्वर उठाकर ही नेता का पोर्टफोलियो मजबूत जो होता है। पर लगता है अपनी दुर्गति से तंग आ चुकी कांग्रेस अब इस परिपाटी को बदलना चाहती है। पार्टी की हालत वैसे भी डायनासौर की आखिर पीढ़ी जैसी है, ऐसे में कोंग्रेसियों ने निर्णय लिया है कि विकास के लिए वे सत्ता के कंधे से कन्धा मिलाकर आगे बढ़ेंगे। देर आयद दुरुस्त आयद ! इस बदलाव के नायक हिमाचल के कांग्रेसी विधायक है और दिलचस्प बात ये है इसकी शुरुआत भी उन्होंने अपने घर से की है। जब जयराम सरकार विधानसभा सदस्यों के भत्ते और पेंशन संशोधन विधेयक, विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष वेतन संशोधन विधेयक और मंत्रियों के वेतन और भत्ता संशोधन विधेयक सदन में लाई, तो बेवजह गरजने वाले कांग्रेसी शेरों ने चू तक नहीं की।आवाज निकली जरूर पर ध्वनि मत से बिल पास करने के लिए और विधानसभा में मंत्रियों, विधायकों और पूर्व विधायकों के यात्रा भत्ता बढ़ाने को लेकर तीनों बिल फटाक से पास हो गए। पर एक आदमी इस बात को नहीं समझ रहा, पता नहीं क्यों हल्ला मचाया हुआ है ? ठियोग के विधायक राकेश सिंघा ने को पता नहीं आपत्ति क्यों है ? सिंघा को समझना चाहिए कि भई जनता के टैक्स से इन जनता के सेवकों के लिए इतना तो किया ही जा सकता है। खेर राकेश सिंघा कर भी क्या लेंगे ! अकेला चना भाड़ नहीं भोड़ता। कितना भी चिल्ला लो सिंघा महोदय पर अब इन जनसेवकों का यात्रा भत्ता मौजूदा 2.50 लाख रुपये वार्षिक से बढ़ाकर 4 लाख होने जा रहा है। इस व्यवस्था से राजकोष पर वार्षिक 2.20 करोड़ का अतिरिक्त भार जरूर पड़ेगा, पर आखिर जनता भी कोई फर्ज होता है !
पूर्व मंत्री व विधायक श्री नैना देवी जी विधानसभा क्षेत्र रामलाल ठाकुर ने शनिवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहां की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में नेशनल हाईवे बनाने के कार्य को बंद करने के आदेश नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को दे रहे हैं। वही सदन में मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि हिमाचल में नेशनल हाईवे बनाने का कार्य जोरों पर चला है। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री को याद दिलाना चाहते हैं कि विधानसभा व देश की संसद लोकतंत्र का मंदिर होते है, तो कम से कम मंदिर में झूठ नहीं बोला जाता है। उन्होंने कहा जितने भी फोरलेन का काम हिमाचल प्रदेश में चल रहे है उनमें सेंट्रल डेविएशन की भारी कमी पाई जा रही है और जब भूमि अधिग्रहण हुआ तब भी यह अटैंडीफाई नहीं किया गया की रोड की सेंट्रल लाइन कौन होगी और कहां से होगी। इतने बड़े पैमाने पर किसानों की जमीनों को लेकर जो धांधलिया भूमि अधिग्रहण कार्यालय के माध्यम से की गई है उनकी भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। रामलाल ठाकुर ने कहा कि जो कंपनियां फोरलेन का कार्य पूर्व में छोड़कर गई है उन्होंने पुराने ठेकेदारों के भुगतान नहीं किए। सिर्फ बिलासपुर में 40 से 42 करोड़ की देनदारी संभावित मानी जा रही है। अब जो नई कंपनी काम करने आ रही है वह पैसा कहां से लाएगी? इसका नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने अभी तक कोई प्रावधान नहीं किया है।
-अब तक 6 नेता बने है हिमाचल के मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश ने अब तक के अपने सफर में 6 मुख्यमंत्री देखे है। वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जहाँ पहली दफा मुख्यमंत्री बने है तो पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह 6 बार ये पद संभाल चुके है। जो 6 नेता अब तक मुख्यमंत्री बने है उनमें से तीन कांग्रेस से तो दो भजपा से रहे। जबकि शांता कुमार एक मर्तबा जनता पार्टी से मुख्यमंत्री बने तो दूसरी मर्तबा भारतीय जनता पार्टी से। एक और इत्तेफ़ाक़ है कि जहाँ कांग्रेस के तीनों मुख्यमंत्रियों का ताल्लुख ऊपरी हिमाचल से रहा है तो भाजपा के तीन मुख्यमंत्री निचले हिमाचल से चुनकर आये। एक और दिलचस्प बात है।प्रदेश के तीन मुख्यमंत्री ऐसे है जो मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा का चुनाव हारे है। 1990 के चुनाव में वीरभद्र सिंह ने जुब्बल कोटखाई और रामपुर सीटों से चुनाव लड़ा था। वीरभद्र रामपुर से तो जीत गए पर जुब्बल कोटखाई में उनसे पहले सीएम रहे ठाकुर रामलाल ने उन्हें पटखनी दे दी। इस बाद 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में तब के मुख्यमंत्री शांता कुमार को भी जनता ने नकार दिया। वहीँ 2017 में दो बार मुख्यमंत्री रहे प्रो प्रेम कुमार धूमल सीएम कैंडिडेट होने के बावजूद चुनाव नहीं जीत सके। सुजानपुर की जनता ने सीएम प्रत्याशी को ही घर बैठा दिया। पहले आम चुनाव से लेकर 1977 तक प्रदेश निर्माता डॉ यशवंत सिंह परमार सीएम रहे। उनके बाद ठाकुर रामलाल मुख्यमंत्री बने। रामलाल सरकार सिर्फ तीन माह में बर्खास्त कर दी गई और इसके बाद शांता कुमार के रूप में प्रदेश को पहला गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री मिला।1980 में तिगड़मबाज़ी के बुते ठाकुर रामलाल फिर मुख्यमंत्री बने। पर 1983 आते- आते भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे ठाकुर रामलाल को इस्तीफा देना पड़ा और हिमाचल की सियासत में एंट्री हुई वीरभद्र सिंह की। तब से अब तक जब भी कांग्रेस को सत्ता मिली सीएम वीरभद्र ही बने। इस दरमियान 1990 में एक बार फिर शांता कुमार सीएम बने। पर 1998 में जब भाजपा सत्ता में आई तो चेहरा शांता नहीं प्रो प्रेम कुमार धूमल थे। इसके बाद धूमल 2007 से 2012 तक भी सीएम रहे। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भजपाईयों की बरात के दूल्हे धूमल ही थे, पर जनता ने उन्हें जीत का नेक नहीं दिया। भाजपा तो चुनाव जीत गई पर धूमल हार गए। इसके बाद एंट्री हुई वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की। ये सभी नेता जो हिमाचल का मुख्यमंत्री बन सके, इनके राजनैतिक सफर के बारे में रोचक पहलु जानने के लिए पढ़ते रहे हमारी ख़ास श्रंखला हिमाचल के मुख्यमंत्री।
वो 14 फरवरी 1980 का दिन था। तब तक शांता कुमार के 22 विधायक ठाकुर रामलाल के खेमे में जा चुके थे और शांता कुमार समझ चुके थे कि अब हाथ पैर मारने का फायदा नहीं है। सो उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था। अपने कार्यालय से उन्होंने अपनी पत्नी को फ़ोन किया, उन्हें बुलाया और दोनों सिनेमा देखने चले गए। फिल्म थी जुगनू। इस्तीफा देकर फिल्म देखने जाने वाला मुख्यमंत्री हिन्दुस्तान के इतिहास में शायद ही दूसरा कोई हो। दूसरा कोई हो भी नहीं सकता, शांता सिर्फ एक ही हो सकते है। शांता के राजनैतिक करीयर का आगाज़ वर्ष 1964 में हुआ। शांता ने पंचायत चुनाव लड़ा और पंच बन गए। ये बस शुरुआत थी। वर्ष 1967 आया और शांता ने जिला कांगड़ा के पालमपुर से अपना पहला चुनाव लड़ा लेकिन चुनाव हार गए। पर इसके बाद धीरे धीरे शांता विपक्ष का चेहरा बनते गए। 1972 का साल आया और शांता एक बार फिर विधानसभा चुनाव के रण में उतरे। इस बार क्षेत्र था जिला कांगड़ा का खेरा। इस मर्तबा शांता चुनाव जीत गए और विधानसभा में विपक्ष की आवाज़ के तौर पर उन्हकी पहचान स्थापित हो गई। कुछ समय बाद देश में इमरजेंसी लगी और राजनैतिक हालात बदल गए। शांता कुमार को भी नाहन जेल में बंद कर दिया गया जहाँ उनका साहित्यकार अवतार देखने को मिला। जेल में रहते हुए शांता कुमार ने कई उपन्यास लिखे, जिसका श्रेय वे कांग्रेस को देते है। 1977 का साल आया और हिमाचल में एक बार फिर विधानसभा चुनाव हुए। जनता पार्टी को 53 सीटों पर प्रचंड जीत मिली और शांता कुमार पहली बार मुख्यमंत्री बने। इस मर्तबा वे जिला कांगड़ा की सुलह सीट से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे थे। बतौर मुख्यमंत्री अपने पहले कार्यकाल में शांता कुमार ने कई महत्वपूर्ण कार्य किये। अंत्रोदय योजना के जरिये उन्होंने गरीबों के बीच अपनी पैठ बनाई। गांव- गांव तक पानी के हैंडपंप पहुंचाए और पानी वाला मुख्यमंत्री कहलाये। सब कुछ ठीक चल रहा था, पर पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल भला चुप बैठने वाले कहाँ थे। रामलाल की तिगड़मबाज़ी रंग लाई और फरवरी 1980 में शांता के 22 विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया। अतः शांता कुमार को इस्तीफा देना पड़ा। वर्ष 1980 में ही भारतीय जनता पार्टी का गठन भी हुआ। अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, भैरों सिंह शेखावत के साथ शांता कुमार ने उस दौर में पार्टी में मुख्य चेहरों में शुमार थे। इसके बाद 10 वर्षों तक शांता कुमार ने भाजपा को हिमाचल में खड़ा करने का काम किया। 1989 में वे संसद भी पहुंचे और उसके बाद 1990 के विधानसभा चुनाव में भजपा का सीएम फेस रहे। चुनाव में भाजपा को प्रचंड जीत मिली और शांता एक बार फिर मुख्यमंत्री शांता हो गए। दिसंबर 1992 में बावरी काण्ड के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव ने शांता की सरकार को बर्खास्त कर दिया जिसके बाद 1993 में फिर चुनाव हुए। 1990 में जिस भाजपा को प्रचंड जीत मिली थो वो 1993 में मजह 8 सीटों पर सिमट कर रह गई। खुद शांता कुमार भी चुनाव हार गए। हार का कारण ये नहीं था कि उन्होंने काम नहीं किया, बल्कि शांता अपने काम की वजह से ही हारे। कांग्रेस के रोटी-कपडा- मकान के घिसे पीटे नारे को लोगों ने शांता के आत्मनिर्भर हिमाचल के नारे पर तरजीह दी। इसका कारण था कर्मचारियों की नाराज़गी। हिमाचल में आज भी सत्ता का रास्ता कर्मचारियों के वोट तय करते है। शांता कुमार ने बतौर मुख्यमंत्री निजी क्षेत्र को प्रदेश में हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाने की अनुमति दी थी। तब किन्नौर के बापसा में एक हाइड्रो प्लांट लगा था। इसी के विरोध में सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। शांता भी उसूलों के पक्के थे सो नो वर्क नो पे का फ़रमार जारी कर दिया। 29 दिन चली इस हड़ताल का पैसा कर्मचारियों को नहीं दिया गया। साथ ही इस दौरान करीब 350 कर्मचारियों को उन्होंने बर्खास्त कर दिया। सो जब अगला चुनाव आया तो कर्मचारियों ने भी शांता कुमार से बराबर बदला लिया। हिमाचल प्रदेश को हर वर्ष करीब दो हज़ार करोड़ रुपये पानी की रॉयल्टी से मिलते है। ये शांता कुमार की ही देन है। जब पहली बार उन्होंने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था तो विपक्ष ने जमकर खिल्ली उड़ाई थी। पर कांग्रेस की केंद्र सरकार को ये बात समझ आ गई और हिमचाल को उसका हक़ मिला। मोदी की पसंद नहीं थे शांता 1993 चुनाव की हार के बाद शांता कुमार प्रदेश की सियासत में वापसी नहीं कर सके।1998 चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी हिमाचल के प्रभारी थे जिनसे शांता की बनती नहीं थी। मोदी की पसंद प्रो प्रेम कुमार धूमल थे और चुनाव से पहले भाजपा ने धूमल को सीएम फेस घोषित कर दिया। इसके बाद पंडित सुखराम के समर्थन से धूमल ने पांच वर्ष सत्ता सुख भोगा। शांता कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच हमेशा एक लकीर रही है। गोधरा दंगों के बाद शांता कुमार ने नरेंद्र मोदी के बारे में कहा था कि अगर मैं गुजरात का मुख्यमंत्री होता तो त्यागपत्र दे देता।
ये नेता जब सीएम बना तो टिम्बर घोटाला हुआ, राज्यपाल बना तो लोकतंत्र की हत्या कर दी हिमाचल का ये नेता जब मुख्यमंत्री बना तो उसे देवदार के पेड़ खाने वाला सीएम कहा गया। यहीं नेता जब राज्यपाल बना तो उसे लोकतंत्र खाने वाला राज्यपाल कहा गया। हम बात कर रहे है ठाकुर रामलाल की। वही ठाकुर रामलाल जो 1957 से 1998 तक 9 बार जुब्बल कोटखाई से विधायक चुने गए। वहीँ ठाकुर रामलाल जिन्होंने 18 साल सीएम रहे डॉ यशवंत सिंह परमार की राजनैतिक विदाई का ताना बाना बुना और वहीँ ठाकुर रामलाल जिन्हें हिमाचल का तिकड़मबाज सीएम कहा गया। संजय गाँधी की पसंद से बने पहली बार सीएम 28 जनवरी 1977 को हिमाचल निर्माता और पहले मुख्यमंत्री डॉ यशवंत सिंह परमार इस्तीफा दे देते है। इसे डॉ परमार की समझ कहे या ठाकुर रामलाल की पोलिटिकल मैनेजमेंट, कि खुद डॉ परमार पार्टी आलाकमान का रुख भांपते हुए ठाकुर रामलाल के नाम का प्रस्ताव देते है। उसी दिन शाम को ठाकुर रामलाल पहली बार हिमाचल के सीएम पद की शपथ लेते है। ऐसा अकस्मात नहीं हुआ था। दरअसल इससे करीब एक सप्ताह पहले ठाकुर रामलाल 22 विधायकों की परेड प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के समक्ष करवा चुके थे। वैसे भी इमरजेंसी के दौरान ठाकुर रामलाल संजय गाँधी के करीबी हो चुके थे। रामलाल, डॉ परमार की कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री थे और उन्होंने संजय के नसबंदी अभियान को अपने क्षेत्र में पुरे जोर- शोर के साथ चलाया था। इसका लाभ भी उन्हें मिला। शांता को पता भी नहीं चला और उनके विधायक ठाकुर रामलाल के साथ हो लिए निर्दलीय विधायकों के सहारे बने तीसरी बार सीएम बतौर मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल का पहला कार्यकाल महज तीन माह का ही रहा। दरअसल इमर्जेन्सी के बाद हुए आम चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो गया और मोरारजी देसाई की सरकार ने कई प्रदेशों की सरकारें डिसमिस कर दी और चुनाव करवा दिए।हिमाचल भी इन्हीं राज्यों में से एक था। चुनाव हुए और शांता कुमार अगले मुख्यमंत्री बने। पर शांता भी सत्ता का सुख ज्यादा नहीं भोग पाए।फरवरी 1980 में ठाकुर रामलाल ने एक बार फिर अपनी तिगड़मबाज़ी दिखाई और शांता कुमार के 22 विधायक ठाकुर के साथ हो लिए। इस बीच मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई और इंदिरा की सत्ता में वापसी हुई। इंदिरा ने भी वहीँ किया जो मोरारजी ने किया था। हिमाचल सहित कई प्रदेशों की सरकारों को डिसमिस किया। 1982 में फिर चुनाव हुए और हिमाचल में पहली बार किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस को 31 सीटें मिली जो बहुमत से चार कम थी और 6 निर्दलीय विधायक भी चुन कर आये थे। और एक बार फिर ठाकुर रामलाल की राजनैतिक करामात कांग्रेस के काम आई और 5 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से रामलाल तीसरी बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने। एक गुमनाम पत्र ने गिरा दी कुर्सी सीएम ठाकुर रामलाल के लिए सब कुछ ठीक चल रहा था। इसी बीच जनवरी 1983 में हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायधीश को एक गुमनाम पत्र मिलता है। पत्र में लिखा गया था कि ठाकुर रामलाल के दामाद पदम् सिंह, बेटे जगदीश और उनके मित्र मस्तराम द्वारा जुब्बल-कोटखाई व चौपाल इलाके में सरकारी भूमि से देवदार की लकड़ी काटी जा रही है, जिसकी कीमत करोड़ों में है। न्यायधीश ने जांच बैठाई जिसके बाद ठाकुर रामलाल पर खुले तौर पर टिम्बर घोटाले के आरोप लगने लगे। शायद ठाकुर रामलाल इस स्थिति को भी संभाल लेते लेकिन उनसे एक और चूक हो गई जिसका खामियाजा उन्हें सीएम की कुर्सी गवाकर चुकाना पड़ा। दरअसल ठाकुर रामलाल ने दिल्ली में पत्रकार वार्ता कर ये कह दिया कि उन्हें राजीव गाँधी ने आश्वासन दिया है कि उन्हें टिम्बर घोटाले को लेकर परेशान नहीं किया जायेगा। इसके बाद राजीव गाँधी पर आरोप लगने लगे कि वे भ्रष्टाचार के आरोपी का बचाव कर रहे है। नतीजन ठाकुर रामलाल को इस्तीफा देना पड़ा। दिलचस्प बात ये रही कि जिस तरह डॉ यशवंत सिंह परमार ने इस्तीफा देकर ठाकुर रामलाल का नाम प्रतावित किया था, उसी तरह ठाकुर रामलाल को इस्तीफा देकर वीरभद्र सिंह के नाम का प्रस्ताव देना पड़ा। राज्यपाल बनकर की लोकतंत्र की हत्या ठाकुर रामलाल के बतौर मुख्यमंत्री सफर पर तो वीरभद्र सिंह के सत्ता सँभालने के बाद ही विराम लग गया था, किन्तु अभी तो ठाकुर रामलाल द्वारा लोकतंत्र की हत्या होना बाकी था। कांग्रेस ने रामलाल को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाकर भेज दिया था। आंध्र में 1983 में चुनाव हुए थे जिसमें एन टी रामाराव मुख्यमंत्री बने थे। इसी दौरान अगस्त 1983 में एन टी रामाराव उपचार के लिए विदेश चले गए। ठाकुर रामलाल की राजनैतिक महत्वकांशा अभी बाकी थी, सो रामलाल ने कांग्रेस नेता विजय भास्कर राव को बिना विधायकों की परेड के ही सीएम बना दिया। वे इंदिरा के दरबार में अपनी कुव्वत बढ़ाना चाहते थे, पर हुआ उल्टा। एनटी रामाराव वापस वतन लौटे और व्हील चेयर पर बैठ दिल्ली में 181 विधायकों के साथ जुलूस निकाला। कांग्रेस की जमकर थू-थू हुई और रातों रात ठाकुर रामलाल के स्थान पर शंकर दयाल शर्मा को राज्यपाल बना दिया गया। इसके बाद रामलाल ने कांग्रेस छोड़ी, वापस भी आये पर स्थापित नहीं हो पाए। वीरभद्र को चुनाव हराने वाला नेता वीरभद्र सिंह से बड़े कद का नेता शायद ही हिमाचल की राजनीति में दूसरा कोई हो। वीरभद्र अपने राजनैतिक जीवन में सिर्फ एक चुनाव हारे है। 1990 के विधानसभा चुनाव में ठाकुर रामलाल ने उन्हें जुब्बल कोटखाई से चुनाव हारकर साबित कर दिया था कि उस क्षेत्र में उनसे बड़ा कोई नेता नहीं हुआ।
ब्लॉक कांग्रेस कमेटी घुमारवीं ने निर्णय लिया है कि 2 सितम्बर को 10.30 प्रात: अबढाणीघाट (गुगा मंदिर के समीप) घुमारवीं में जनहित व जनाधिकार की इस लड़ाई में दोषियों के विरुद्ध आवाज बुलंद की जाएगी। पत्रकारों से बात करते हुए आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य पूर्व सीपीएस राजेश धर्माणी ने कहा कि भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचारियों व उनको सरंक्षण देने वाले नेताओं का इतना दबाव है कि भाजपा सरेआम गुनाहगारों का साथ दे रही है, जिला फेडरेशन अध्यक्ष से इस्तीफा नहीं लिया I बिना जांच के राशन तस्करों को कलीन चिट देकर घटिया राजनीति का अनूठा उदाहरण पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि आम आदमी के हक की लड़ाई में कांग्रेस लोगों के सहयोग से निश्चित तौर पर न्याय दिलाने में कामयाब होंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी सरकार से मांग करती है कि इस घोटाले की न्यायिक जांच कारवाई जाए ताकि इन तस्करों के विरुद्ध कार्यवाही हो सके और सरकारी योजना का लाभ आम आदमी तक पंहुंच सके। धर्माणी ने कहा कि19 अगस्त,2019 को मत्वाणा गावं के एक युवक द्वारा स्टिंग कर राशन घोटाले की वीडियो जारी की गई, जिसमे सरेआम दिनदिहाड़े सरकारी गोदाम से राशन चोरी करते देखे गए हैं। इस वीडियो में आरोपी ने कई अन्य राशन तस्करी में शामिल व्यक्तियों के नाम उजागर किए जिनमें जिला फेडरेशन के अध्यक्ष व भाजपा के प्रवक्ता का नाम भी शामिल हैं। पूरे हिमाचल प्रदेश में इस घोटाले की चर्चा हर आदमी की जुबान पर है।
हमीरपुर के सांसद एवं वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर शुक्रवार से 4 दिन के लिए अपने लोकसभा क्षेत्र का दौरा करेंगे। चार दिन तक अनुराग ठाकुर अलग-अलग जगहों पर क्षेत्र का हाल जानेंगे , और लोगों की समस्याओं का समाधान करेंगे। गौरतलब है कि सांसद अनुराग ठाकुर का मंत्री बनने के बाद यह हमीरपुर का दूसरा बड़ा दौरा है। 30 अगस्त को सांसद अनुराग ठाकुर का देहरा में स्वागत होगा, और उसके बाद अनुराग ठाकुर हमीरपुर में शाम को परिधि गृह में लोगों से सीधा संवाद करेंगे और उनकी समस्याओं को भी सुनेंगे। अगले दिन सुजानपुर , बड़सर और भोरंज का दौरा करेंगे। इसके बाद वह 2 सितंबर को वापस दिल्ली पहुंच जाएंगे। प्राप्त जानकारी के अनुसार वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर शुक्रवार को सुबह क़रीब 10 बजे दिल्ली से हवाई मार्ग से क़रीब 11:20 बजे गग्गल हवाईं अड्डे पहुँचेंगे , जहाँ उनका भव्य स्वागत होगा। वह 12:30 बजे देहरा रेस्ट हाउस पहुँच लोगों से मिलेंगे। अनुराग ठाकुर क़रीब 4: 00 बजे हमीरपुर सर्किट हाउस पहुँच जनता की समस्याएँ सुनेंगे। अनुराग ठाकुर रात 8 बजे अपने घर समीरपुर पहुँचेंगे। शनिवार को सुबह समीरपुर में लोगों से मिलेंगे। इसके बाद वह ज़िले के अन्य क्षेत्रों में निर्धारित कार्यक्रमों में शामिल होंगे।
-अंतिम समय में उनके बैक खाते में थे महज 563 रुपये और 30 पैसे वो 28 जनवरी 1977 का दिन था, प्रदेश निर्माता डॉ यशवंत सिंह परमार बतौर मुख्यमंत्री अपना त्याग पत्र दे चुके थे। जो शख्स चंद मिनटों पहले मुख्यमंत्री था, जिसने हिमाचल के निर्माण में अमिट योगदान दिया था या यूँ कहे जिसकी वजह से हिमाचल का गठन संभव हो पाया था, वो यशवंत सिंह परमार शिमला बस स्टैंड पहुँच, वहां खड़ी सिरमौर जाने वाली एचआरटीसी की बस में बैठे, टिकट लिया और अपने गांव बागथन के लिए रवाना हो गए। इस्तीफा देकर बस से वापस घर लौटने वाला सीएम, शायद ही हिन्दुस्तान में दूसरा कोई होगा। डॉ यशवंत सिंह परमार की ईमानदारी का इससे बड़ा प्रमाण क्या होगा, कि उनके अंतिम समय में उनके बैक खाते में महज 563 रुपये और 30 पैसे थे। प्रदेश निर्माण करने वाले मुख्यमंत्री ने न तो खुद के लिए कोई मकान नही बनवाया, न कोई वाहन खरीदा और न ही अपने पद और ताकत का गलत इस्तेमाल कर अपने परिवार के किसी व्यक्ति या रिश्तेदार की नौकरी लगवाई। जज की नौकरी त्यागी और प्रजामण्डल आंदोलन में हुए शामिल रजवाड़ाशाही के दौर में सिरमौर रियासत के राजा के वरिष्ठ सचिव हुआ करते थे शिवानंद सिंह भंडारी। भंडारी के घर चार अगस्त 1906 को एक बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम खुद राजा द्वारा यशवंत सिंह रखा गया।बचपन से ही यशवंत पढ़ाई में तेज थे। प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद यशवंत न नाहन से दसवी पास की और फिर बीए करने लाहौर चले गए। इसके बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की।साथ ही डॉक्ट्रेट भी की। डॉक्ट्रेट का विषय था 'द सोशल एंड इक्नॉमिक बैक ग्राउंड ऑफ द हिमालयन पॉलिएड्री', यानी बहु पति प्रथा। खेर, शिक्षा पूर्ण करने के बाद परमार वापस अपने गृह क्षेत्र सिरमौर आ गए, जहां उन्हें सिरमौर रियासत में बतौर न्यायाधीश नियुक्त किया गया। ये वो दौर था जब ब्रिटिश हुकूमत के दिन ढलने लगे थे और आज़ादी का आंदोलन प्रखर हो रहा था। परमार भी आजादी के मतवालो के संपर्क में आ गए। इस दौरान शिमला हिल स्टेट्स प्रजा मंडल का भी गठन हुआ, जिसमें परमार भी सक्रिय रूप से शामिल हो गए। आखिरकार 15 अगस्त 1947 को हिन्दुस्तान स्वतंत्र हो गया, किन्तु पहाड़ी रियासतों का हिन्दुस्तान में विलय नहीं हुआ। 25 जनवरी, 1948 को शिमला के गंज बाजार मे प्रजा मंडल का विशाल सम्मेलन हुआ, जिसमे यशवंत सिंह की मुख्य भूमिका रही। इस सम्मलेन में प्रस्ताव पारित हुआ कि पहाड़ी क्षेत्रों मे रियासतों का वजूद समाप्त कर सभी रियासतों का विलय भारत में होना चाहिए। इसलिए कहलाते है प्रदेश निर्माता इसके बाद 28 जनवरी 1948 को सोलन के दरबार हॉल में 28 रियासतों के राजाओं की बैठक हुई जिसमें सभी ने पर्वतीय इलाको को रियासती मंडल बनाने का प्रस्ताव पारित कर इसे 'हिमाचल' का नाम अनुमोदित किया गया। हालांकि डॉ परमार प्रदेश का 'हिमालयन एस्टेट' नाम रखना चाहते थे किन्तु बघाट रियासत राजा दुर्गा सिंह व अन्य कुछ राजा 'हिमाचल' नाम पर अड़ गए, जिसके बाद प्रदेश का नाम हिमाचल प्रदेश रखा गया। ये नाम पंडित दिवाकर दत्त शास्त्री द्वारा सुजाहया गया था। बैठक के प्रजा मंडल का प्रतिनिधिमंडल तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल से मिला और आखिरकार पहाड़ी रियासतो का हिन्दुस्तान में विलय हुआ। पर डॉ परमार का सपन अभी अधूरा था।डॉ. परमार हिमाचल को पूर्ण राज्य बनाना चाहते थे, जिसके लिए अब वह अपने साथियो के राजनीतिक संघर्ष में जुट गए। 1977 तक रहे सीएम देश के पहले आम चुनाव के साथ ही वर्ष 1952 में प्रदेश का पहला चुनाव हुआ, जिसके बाद डॉ परमार प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बने और वर्ष 1977 तक मुख्यमंत्री रहे। इस बीच नवंबर 1966 में पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों का भी हिमाचल में विलय हुआ और वर्तमान हिमाचल का गठन हुआ। आखिरकार 25 जनवरी,1971 का दिन आया और डॉ परमार का स्वप्न पूरा हुआ। तब इंदिरा गाँधी देश की प्रधानमंत्री थी और उस दिन काफी बर्फ़बारी हो रही थी। इंदिरा गांधी बर्फबारी के बीच शिमला के रिज मैदान पहुंची और हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करने की घोषणा की। हिमाचलियों के हितों की रक्षा के लिए लागू की 118 आजकल धारा 118 को लेकर हिमाचल में खूब बवाल मचा है। धारा 118 डॉ परमार की ही देन है। डॉक्टर परमार से कुछ ऐसे लोग मिले थे, जिन्होंने अपनी जमीन बेच दी थी और बाद में वे उन्हीं लोगों के यहां नौकर बन गए थे। इसके चलते उन्हें डर था कि अन्य राज्यों के धनवान लोग हिमाचल में भूस्वामी बन जाएंगे और हिमाचल प्रदेश के भोले भाले लोग अपनी जमीन खो देंगे। इसलिए 1972 में हिमाचल प्रदेश में एक विशेष कानून बनाया गया था ताकि ऐसा न हो। हिमाचल प्रदेश टेनंसी ऐंड लैंड रिफॉर्म्स ऐक्ट 1972 में एक विशेष प्रावधान किया गया ताकि हिमाचलियों के हित सुरक्षित रहें। इस ऐक्ट के 11वें अध्याय ‘कंट्रोल ऑन ट्रांसफर ऑफ लैंड’ में आने वाली धारा 118 के तहत ‘गैर-कृषकों को जमीन हस्तांतरित करने पर रोक’ है। संजय गाँधी की राजनीति में फिट नहीं बैठे डॉ परमार डॉ यशवंत सिंह परमार प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गाँधी के करीबी थे। किन्तु कहा जाता है संजय गाँधी की राजनीति में वे फिट नहीं बैठे। वहीं इमरजेंसी के दौरान ठाकुर रामलाल संजय के करीबी हो गए, ऐसा इसलिए भी था क्यों कि संजय के नसबंदी अभियान में ठाकुर रामलाल ने बढ़चढ़ कर योगदान दिया था। इमरजेंसी हटने के बाद ठाकुर रामलाल ने अपने समर्थक विधायकों की परेड दिल्ली दरबार में करवा दी। इसके बाद डॉ परमार भी समझ गए कि अब बतौर मुख्यमंत्री उनका सफर समाप्त हो चूका है और उन्होंने इस्तीफा दे दिया।2 मई 1981 को डॉ परमार ने अपनी अंतिम सास ली।
एकता में शक्ति है, एकता से ही हम आगे बढ़े हैं और बढ़ेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने अर्की दौरे के दौरान कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए ये बात कही। वीरभद्र सिंह ने कहा कि सभी को एक जुट होकर पार्टी के पक्ष में कार्य करना चाहिये। उन्होंने कार्यकर्ताओं को नसीहत दी कि एक दूसरे की टांग खींचकर नहीं बल्कि साथ मिलकर पार्टी को मजबूत करने के लिए संघर्ष करें। बैठक में ब्लॉक कांग्रेस के पर्यवेक्षक अमित नंदा एवम प्रदेश कांग्रेस सचिव राजिन्द्र ठाकुर व प्रवक्ता यूथ कांग्रेस भीम सिंह ठाकुर भी मौजूद रहे। सभी कार्यकर्ताओं ने अपने विधायक के समक्ष प्रदेश सचिव राजेंद्र ठाकुर के माध्यम से विधायक निधि से करवाये जा रहे कार्यो के लिए वीरभद्र का धन्यवाद किया,व अपनी अपनी पंचायतों की समस्याओं को उनके समक्ष रखा। पूर्व मुख्यमंत्री ने सभी कार्यकर्ताओं की बातों व समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुना व सभी समस्याओं का निपटारा करवाने के लिए आश्वस्त किया। प्रदेश सचिव राजिन्द्र ठाकुर ने वीरभद्र सिंह द्वारा पूर्व में किये गए शिलान्यास एवम अन्य योजनाओं व विकास कार्यो की आधिकारिक सूची बैठक में रखी और पिछले 1 वर्ष की कामकाज का ब्यौरा दिया। उन्होंने बताया कि बीते एक वर्ष में लगभग 2 करोड़ 36 लाख की विधायक निधि विभिन्न पंचायतो में दी गई है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष डाॅ. राजीव बिंदल ने कहा कि देश के पूर्व वित्त एवं रक्षा मंत्री अरुण जेटली के निधन से देश ने एक प्रख्यात कानूनविद एवं योजनाकार खो दिया है। उन्होंने स्वर्गीय अरुण जेटली को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि अरुण जेटली के निधन से हुई क्षति की कभी भरपाई नहीं की जा सकेगी। डाॅ. राजीव बिंदल आज सोलन विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत जौणाजी में आयोजित श्री कृष्ण जन्माष्टमी मेला समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर दो मिनट का मौन रखकर स्वर्गीय अरुण जेटली को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। डाॅ. बिन्दल ने कहा कि देश के वित्त मंत्री के रूप में स्वर्गीय अरूण जेटली ने देश के विकास का मार्ग प्रशस्त किया। देशवासी उन्हें सदैव याद रखेंगे। विधानसभा अध्यक्ष ने इस अवसर पर सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई देते हुए कहा कि श्री कृष्ण ने सभी के कल्याण एवं विकास के लिए धैर्य, युक्ति और अटल विश्वास के साथ कार्य करने की राह दिखाई और धर्म की स्थापना के लिए कार्यरत रहने का सन्देश दिया। प्रदेश खादी बोर्ड के उपाध्यक्ष पुरूषोत्तम गुलेरिया, बघाट बैंक के अध्यक्ष पवन गुप्ता, जिला परिषद सदस्य शीला, जिला भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष मदन ठाकुर, भाजपा मण्डल सोलन के अध्यक्ष रविन्द्र परिहार, जिला भाजपा सोलन के महामंत्री नरेन्द्र ठाकुर, उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र ठाकुर, प्रवक्ता दीपक शर्मा, सोलन मण्डल भाजपा के सचिव सुनील ठाकुर, जिला भाजयुमो के अध्यक्ष भरत साहनी, ग्राम पंचायत जौणाजी की प्र्रधान विनता, ग्राम पंचायत शामती के प्रधान संजीव सूद, ग्राम पंचायत मशीवर की प्रधान किरण शर्मा, ग्राम पंचायत सेर बनेड़ा के उप प्रधान राजेश, ग्राम पंचायत बसाल के पूर्व प्रधान नेत्र सिंह, ग्राम पंचायत जौणाजी के पूर्व प्रधान संत राम, सोलन बीडीसी की पूर्व अध्यक्ष रीता ठाकुर, क्षेत्र की विभिन्न ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि, भाजपा के अन्य पदाधिकारी, गणमान्य व्यक्ति, उपमण्डलाधिकारी सोलन रोहित राठौर, खण्ड विकास अधिकारी ललित दुल्टा, अन्य विभागों के अधिकारी तथा बड़ी संख्या में ग्रामवासी इस अवसर पर उपस्थित थे।
हिंदुस्तान के सातवें और भारतीय इतिहास में सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की आज 75वीं जयंती है। महज 40 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बने युवा सोच वाले राजीव गांधी को 21वीं सदी के भारत का निर्माता माना जाता है। बतौर प्रधानमंत्री एक बार राजीव गाँधी ने माना था कि भ्रष्टाचार की वजह से एक रुपये में से सिर्फ 15 पैसे ही वास्तविक जरुरतमंदो तक पहुँच पाते है। कहा जाता है कि राजीव कभी राजनीति में नहीं आना चाहते थे और न ही उनकी पत्नी सोनिया ये चाहती थी। पर माँ इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद हालत कुछ यूँ बदले कि राजीव को राजनीति में आना पड़ा।जाने राजीव गाँधी के उन तीन फैसलों के बारे में जिन्होंने हिंदुस्तान की दशा -दिशा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पंचायतों को किया सशक्त :राजीव गांधी मानते थे कि जब तक पंचायती राज व्यवस्था सशक्त नहीं होगी, तब तक सबसे निचले स्तर तक लोकतंत्र नहीं पहुंच सकता। इसलिए राजीव ने देश में पंचायतीराज व्यवस्था को सशक्त बनाने का काम शुरू किया। भारत में कंप्यूटर व संचार क्रांति लाये : राजीव गांधी को भारत में कंप्यूटर क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है। कंप्यूटर को घर -घर पहुँचाने के लिए उन्होंने कंप्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटाने की पहल की। उनके कार्यकाल में भारत में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की दिशा में काफी विकास हुआ। हिंदुस्तान की दो बड़ी टेलिकॉम कंपनियां एमटीएनएल और वीएसएनएल भी उन्ही के कार्यकाल में स्थापित हुई। वोट देने की उम्र सीमा घटाई: हिंदुस्तान में पहले 21 वर्ष या अधिक के लोग ही पहले वोट दे सकते थे। प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में ही इस व्यवस्था में बदलाव हुआ और उन्होंने 18 वर्ष की उम्र के युवाओं को मताधिकार दिया।
मंडी विधायक और पूर्व मंत्री अनिल शर्मा भाजपा में ही हैं। पहले उन्हें लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती जहां कह रहे हैं कि उनकी पार्टी से प्राथमिक सदस्यता खत्म है तो सीएम जयराम ठाकुर ने कहा था कि वह भाजपा में ही हैं।पर सोमवार को मानसून सत्र के शुरू होने से पहले अनिल शर्मा को भाजपा के वरिष्ठ विधायकों के बीच बैठाया गया। इसके साथ ही उनके भाजपा में होने की भी पुष्टि हो गई। पर सीएम और सत्ती के विरोधाभासी बयानों के बाद भाजपा में आपसी समन्वय और तालमेल की कमी जरूर उजागर हुई है।
सोशल मीडिया में बिलासपुर जिला कांग्रेस के 19 पदाधिकारियों को पद मुक्त करने के समाचार ने खलबली मचा दी है। फेसबुक पर आए इस मैसेज को भले ही कुछ देर बाद मिटा दिया गया हो लेकिन व्हाटसेप पर यह मैसेज दिन भी वायरल होता रहा है। उल्लेखनीय है कि इस मैसेज में बाकायदा पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष, महासचिव और अन्य कई पदाधिकारियों को कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखाने व कुछ एक को नोटिस देने की पूरी तैयारी कर ली गई है। इस फेहरिस्त में कई दल बदलू नेता भी शामिल है। कयास लगाए जा रहे हैं कि बीते कल बिलासपुर में सतासीन सरकार और स्थानीय नुमाईदें व प्रशासनिक अव्यवस्था को लेकर बंबर ठाकुर द्वारा आयोजित हल्ला बोल रैली एवं धरना प्रदर्शन से इन लोगों ने दूरी बनाए रखी है। वहीं मामले की पुष्टि स्वयं जिला कांग्रेस अध्यक्ष बंबर ठाकुर ने की है। उन्होंने बताया कि इन लोगों ने सदैव कांग्रेस पार्टी की गाईड लाइन से हटकर काम किया है जिससे कांग्रेस कमजोर हुई और कई बार हार का शिकार बनी। बीते रोज भी जहां सभी कांग्रेसी लोगों को एकजुटता का परिचय देकर एकत्रित होना था तो वहां पर भी यह लोग नदारद रहे। इस बात की लिखित रूप से शिकायत पर्यवेक्षक रमेश चौहान तथा पार्टी हाईकमान को कर दी गई है। बंबर ठाकुर ने आरोप लगाया कि चुनावों के समय भी इनका रवैया नकारात्मक ही रहा है जबकि बिलासपुर में भाजपा के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों से इन्होंने कन्नी ही काटी है। पार्टी के दिशा निर्देश अनुसार बिलासपुर ही नहीं बल्कि स्वारघाट, ऊना, बड़सर, बंगाणा, हमीरपुर, ज्वाला जी, देहरा आदि में होने वाले कार्यक्रमों में यह लोग शामिल होना तो दूर बाकियों को भी इनके द्वारा कार्यक्रम में शिरकत करने से रोका गया। बंबर ने कहा कि यही नहीं बिलासपुर में होने वाले प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर के कार्यक्रम से भी इन लोगों की दूरी ही रही। उन्होंने बताया कि पार्टी से विश्वासघात करने वाले या अपना गुट बनाने वाले कुल 19 लोगों की सूची प्रदेेश हाईकमान को भेज दी है जिसमें से 7 के उपर निष्कासन होना तय है जबकि बाकियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। प्रवक्ता जिला कांग्रेस बिलासपुर संतोष वर्मा ने कहा कि बिलासपुर कांग्रेस में केवल संघर्षशील और ईमानदार लोगों का स्थान है। ऐसे में पार्टी के लिए मुकद्दमे झेलने वाले पीछे रहें जबकि मौके नदारद लोगों को औहदे सौंपे जाएं, ऐसा नहीं चलेगा। जिलाध्यक्ष बंबर ठाकुर द्वारा लिया गया निर्णय पार्टी में नए रक्त का संचार करेगा।
मोहबबत में नहीं है फ़र्क जीने और मरने का, उसी को देख कर जीते हैं जिस क़ाफ़िर पे दम निकले... मिर्ज़ा ग़ालिब का ये शेर अटल के जीवन की हकीकत था। अटल बिहारी वाजपेयी की प्रेम कहानी निःसंदेह देश के राजनीतिक हलके में घटी सबसे सुंदर प्रेम कहानी थी। 1940 के दशक में अटल और राजकुमारी कौल दोनों एक ही वक्त ग्वालियर के एक ही कॉलेज में पढ़े थे। ये वो दौर था जब एक लड़के और लड़की की दोस्ती समाज को नागवार हुआ करती थी। प्रेम होने पर भी अक्सर लोगों में इजहार करने का हौसला नहीं हुआ करता था, पर अटल तो अटल थे। एक दिन लाइब्रेरी में एक किताब के भीतर राजकुमारी के लिए एक लव लेटर ररख दिया। इसके बाद शुरू हुआ जवाब का इन्तजार। दरअसल राजकुमारी ने अटल को जवाब किताब के अंदर ही रखकर दिया था, किन्तु वो अटल तक पहुंचा ही नहीं। जब अटल को इस हकीकत का पता चला तब तक समय का पहिया कई वर्ष आगे बढ़ चूका था। इस बीच राजकुमारी के पिता ने उनकी शादी एक शिक्षक ब्रिज नारायण कौल से करवा दी।हालंकि ये भी कहा जाता है कि राजकुमारी कौल भी अटल से शादी करना चाहती थीं, पर परिवार को अटल मंजूर नहीं थे। राजकुमारी कौल की शादी के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने ताउम्र शादी नहीं की। करीब डेढ़ दशक बाद जब दोनों फिर मिले तब तक अटल सांसद बन चुके थे। राजकुमारी कौल भी पति के साथ दिल्ली में बस चुकी थी। मोरारजी देसाई की सरकार में जब अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री हुए तो कौल परिवार लुटियंस जोन में उनके साथ आकर रहने लगा। वर्ष 2014 में जब राजकुमारी कौल की मौत हुई तो इंडियन एक्सप्रेस ने छापा - "राजकुमारी कौल वह अटल जी के जीवन की डोर थीं। वह उनके घर की सबसे महत्वपूर्ण सदस्य और उनकी सबसे घनिष्ठ मित्र भी थीं। " दीनदयाल उपाध्याय की मौत के बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी का नाम संघ अध्यक्ष के लिए उठने लगा, तो उनका विरोध किया गया। दरअसल अटल गैरपरंपरागत जीवनशैली और मिसेज कौल के साथ उनके संबंधों के कारण जनसंघ में उनका विरोध हुआ था और बलराज मधोक जैसे लोगों ने खुलकर उनके और राजकुमारी कौल के सम्बन्ध को लेकर सवाल उठाये थे।
Prime Minister Narendra Modi has announced the creation of a chief of defence staff (CDS) as head of the tri-services. PM Modi promotes 'lets make India plastic free’ PM says, our aim is to reach among first 50 nations in ease of doing business. Tackling water crisis is a huge priority for Government: PM Modi India can become a global hub of tourism. "Can we think of visiting at least 15 tourist destinations in India before 2022”, PM says. 'One nation, one constitution': PM Modi says on scrapping of Article 370 The fundamentals of our economy are strong. Reaching $5-trillion-economy mark by 2024 is achievable: PM Modi India Will invest Rs 100 lakh crore in infrastructure building: PM Population growth is a huge challenge. Small family also contribute to the development of the nation. It's a form of patriotism: PM
कहा, मजबूत विपक्ष न होना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं नेहरू परिवार की गुलामी करने से कांग्रेस का तेजी से पतन हो रहा है। उम्मीद थी कांग्रेस किसी युवा को नेत्तृत्व देंगी लेकिन कांग्रेस नेहरू परिवार से बाहर नहीं निकलती दिख रही। पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने सोलन में पत्रकारों से बात करते हुए ये बात कही। उन्होंने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को बेशक बहुत बड़ी जीत मिली है लेकिन लोकतंत्र कमजोर हो गया। देश के सबसे पुराने राजनैतिक दल कांग्रेस का 18 प्रदेशों में सफाया हो गया, बावजूद इसके कांग्रेस ने सबक नहीं लिया।शांता कुमार ने कहा कांग्रेस के मजबूत होने से देश को अच्छा विपक्ष मिल सकता है लेकिन ऐसा है हो रहा। इस दौरान पूर्व सीएम ने कई मसलों पर अपनी बेबाक राय रखी। उद्योग और पर्यटन नीति को सराहा शांता कुमार ने जयराम सरकार की उद्योग और पर्यटन नीति को भी सराहा। उन्होंने कहा सरकार ने नीति में जो बुनियादी बदलाव किये है उससे प्रदेश में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा नई नीति के तहत करार होने के बाद सरकार को 6 माह में आवश्यक कागज़ी कार्यवाही पूरी करनी होगी। साथ ही परियोजना शुरू होने के बाद उद्योग द्वारा सरकार को कोई भुगतान नहीं करना होगा। भाजपा के गले की फांस बने 69 राष्ट्रीय राजमार्ग 69 एनएच का कार्य शुरू नहीं होने पर शांता कुमार कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। उन्होंने ये कहते हुए सरकार का बचाव किया कि ये कठिन काम है और उम्मीद है जल्द कार्य शुरू होगा। बता दें कि करीब तीन साल पहले तत्कालीन केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हिमाचल को 69 एनएच की सौगात दी थी। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में भी इसे बड़ी उपलब्धि करार दिया और पूर्व कांग्रेस सरकार को इसके कार्य में विलम्ब के लिए दोषी ठहराया। अब प्रदेश में बीते 20 माह से भाजपा की सरकार है किन्तु काम अब तक शुरू नहीं हुआ। धर्मशाला उपचुनाव से पहले भाजपा के भीतर मची अंतर्कलह को शांता कुमार ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा मतभेद दूर होने चाहिए और वे इस तरह की खींचतान का बचाव नहीं करते। शांता कुमार ने कहा सरकार की कोई पार्टी नहीं होती पार्टियों की सरकार होती है। सभी दलों को विकास के मुद्दों पर एक साथ होकर कार्य करना चाहिए। विरोध के लिए विरोध नहीं होना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई की धारा 370 की तरह ही सरकार को जनसँख्या नियंत्रण के लिए भी सख्त कदम उठाना चाहिए । जम्मू -कश्मीर व उत्तर पूर्वी राज्यों की तर्ज पर हिमाचल को केंद्र सरकार द्वारा विशेष पैकेज नहीं दिए जाने पर शांता कुमार ने कहा कि इसके लिए प्रयास किये जायेगे। धारा 118 के मसले पर शांता कुमार ने कहा कि जहाँ जरुरत होगी वहां राहत दी जाएगी। किन्तु ये सुनश्चित किया जाना चाहिए कि हिमाचलियों का शोषण न हो।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. राजीव बिंदल ने कहा कि प्रदेश सरकार महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में सशक्त बनाने के लिए कार्यरत है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए लिंगानुपात में समानता लाने के लिए विशेष कार्य किया जा रहा है। डाॅ. बिंदल दून विधानसभा क्षेत्र की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बरोटीवाला में आयोजित जनमंच में बेटी है अनमोल लाभार्थियों को सम्मानित करने के उपरांत उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बेटी जन्मोत्सव के तहत कन्या शिशुओं को भी सम्मानित किया। डाॅ. बिंदल ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ हस्ताक्षर अभियान पट्ट पर हस्ताक्षर भी किए। उन्होंने ‘एक बूटा बेटी के नाम’ योजना के तहत बेहड़े का पौधा भी रोपा। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र तथा प्रदेश सरकार शिशुकाल से ही लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित बना रही है। विभिन्न योजनाओं के तहत उन्हें लाभ प्रदान किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कन्या शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि एक सुशिक्षित कन्या ही दो परिवारों के साथ-साथ समाज एवं राष्ट्र को सही दिशा दिखा सकती है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि लड़कियों को बेहतर शिक्षा प्रदान करें। उन्होंने इस अवसर पर शिशुओं का अन्न प्राशन्न संस्कार भी करवाया। उन्होंने बेटी है अनमोल योजना के तहत इशिका सुपुत्री सरोज तथा रूकसाना सुपुत्री शमशाद बेगम को 12-12 हजार रुपये की एफडी प्रदान की। उन्होंने बेटी जन्मोत्सव के तहत कृतिका सुपुत्री कमला तथा खुशी सुपुत्री शालू को भी सम्मानित किया। दून के विधायक परमजीत सिंह पम्मी, दून की पूर्व विधायक विनोद चंदेल, जल प्रबंधन बोर्ड के उपाध्यक्ष दर्शन सैणी, गौ संवर्धन आयोग के उपाध्यक्ष अशोक शर्मा, प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी के सदस्य डाॅ. श्रीकांत शर्मा एवं डीआर चंदेल, भाजपा मंडल दून के अध्यक्ष बलबीर ठाकुर, उपायुक्त सोलन केसी चमन, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी विवेक चंदेल, विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, अजय बंसल, उपमंडलाधिकारी नालागढ़ प्रशांत देष्टा, अन्य गणमान्य व्यक्ति तथा भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में लोग इस अवसर पर उपस्थित थे।
प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. राजीव बिंदल ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सरकारी भूमि पर अवैध कब्जों के मामलों में जीरो टोलरेंस की नीति अपनाएं। ऐसे मामलों में नियमानुसार समयबद्ध कार्यवाही सुनिश्चित बनाई जाए। डाॅ. बिंदल आज सोलन जिला के दून विधानसभा क्षेत्र के बरोटीवाला में आयोजित जनमंच की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जनमंच में आई शिकायतों का समयबद्ध निदान करें तभी जनमंच सही मायनों में आम आदमी के लिए सार्थक सिद्ध हो सकता है। डाॅ. बिंदल ने राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिला के सभी पटवारी मौके पर जाकर खरीफ ओर रबी फसलों के उपरांत गिरदावरी करें। गिरदावरी के समय सड़कों का इंद्राज भी किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि अनापत्ति प्रमाण पत्र के बिना किसी भी भूमि की ‘सेल डीड’ न बनाई जाए। उन्होंने खंड विकास अधिकारियों को निर्देश दिए कि विभिन्न विकास कार्यों के लिए प्राप्त धनराशि निर्धारित समयावधि में खर्च की जाए। उन्होंने उपायुक्त सोलन को निर्देश दिए कि प्रदेश सरकार द्वारा आवासहीनों को 3 बिस्वा एवं 2 बिस्वा भूमि प्रदान करने मामलों में संपूर्ण कार्यवाही को शीघ्र निपटाया जाए। उचित हकदार न होने की स्थिति में प्रदेश सरकार को शीघ्र रिपोर्ट प्रेषित की जाए। उन्होंने कहा कि समाज के कमजोर वर्गों एवं गरीब व्यक्तियों के कार्य समय पर पूरे किए जाए। डाॅ. बिंदल ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को निर्देश दिए कि क्षेत्र में प्रदूषण के विभिन्न मामलांे के विरूद्ध गंभीरता से कार्यवाही की जाए। आज के जनमंच में कुल 82 शिकायतें एवं 230 मांगें प्राप्त हुईं। इनमें से 62 शिकायतें जनमंच दिवस तथा 20 शिकयतें जनमंच पूर्व की अवधि में प्राप्त हुई। 209 मांगे जनमंच दिवस पर तथा 21 मांगे पूर्व जनमंच में प्राप्त हुईं। इनमें से 20 शिकायतों का निपटारा जनमंच में तथा 12 शिकायतों का निपटारा जनमंच पूर्व की अवधि में कर दिया गया। 3 मांगों का भी निपटारा किया गया। जनमंच में 14 जन्म प्रमाण पत्र, 75 हिमाचली प्रमाण पत्र, 58 चरित्र प्रमाण पत्र 3 समुदाय प्रमाण पत्र, 40 आय प्रमाण पत्र, 11 अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र तथा 102 अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र बनाए गए। 70 व्यक्तियों को परिवार रजिस्टर की नकल उपलब्ध करवाई गई। 80 इन्तकाल भी किए गए। आज के जनमंच में 108 व्यक्तियों का आधार कार्ड बनाने के लिए पंजीकरण किया गया। 17 व्यक्तियों को लर्निंग ड्राईविंग लाइसेंस जारी किए गए। 52 मतदाता पहचान पत्र भी बनाए गए। जनमंच के अवसर पर आयोजित स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के निःशुल्क शिविर में 346 रोगियों की स्वास्थ्य जांच की गई। 98 रोगियों के नेत्रों का परीक्षण किया गया। 11 व्यक्तियों का दंत परीक्षण भी किया गया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा 22 व्यक्तियों को अपंगता प्रमाण पत्र के लिए जांचा गया। इनमें से 18 व्यक्तियों को अपंगता प्रमाण पत्र जारी किए गए। इस अवसर पर रेडक्रास समिति सोलन द्वारा 6 व्हील चेयर एवं 5 हजार रुपये सहायता के रूप में वितरित किए गए। आयुर्वेद विभाग द्वारा आयोजित निःशुल्क जांच शिविर में 210 रोगियों का स्वास्थ्य जांचा गया। होम्योपेथी शिविर में 116 रोगियों की स्वास्थ्य जांच की गई। पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित निःशुल्क जांच शिविर में 2015 किसानों ने अपने पशुओं के परीक्षण के लिए पंजीकरण करवाया। विभाग द्वारा दूध के 35 नमूने एकत्र किए गए। मल के 54 नमूने एकत्र किए गए। आज के जनमंच में 3000 से अधिक लोग मौजूद थे दून के विधायक परमजीत सिंह पम्मी, दून की पूर्व विधायक विनोद चंदेल, जल प्रबंधन बोर्ड के उपाध्यक्ष दर्शन सैणी, गौ संवर्धन आयोग के उपाध्यक्ष अशोक शर्मा, प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी के सदस्य डाॅ. श्रीकांत शर्मा एवं डीआर चंदेल, भाजपा मंडल दून के अध्यक्ष बलबीर ठाकुर, उपायुक्त सोलन केसी चमन, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी विवेक चंदेल, विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, अजय बंसल, उपमंडलाधिकारी नालागढ़ प्रशांत देष्टा, अन्य गणमान्य व्यक्ति तथा भाजपा के वरिष्ठ पदाधकारी एवं बड़ी संख्या में लोग इस अवसर पर उपस्थित थे।
Sonia returns for making ground for her daughter Priyanka ! The Congress Working Committee failed in picking a chief outside the Nehru-Gandhi family that has led it for most of its 130 year old history. As per the sources, many names were discussed for the name of new party chief, but end result was as expected. Now the party said it will pick a new president when its plenary session is held later this year. The return of Sonia Gandhi as interim congress president indicates that next congress president will from Gandhi family only, probably Priyanka Gandhi. Right now Priyanka is the general secretary of congress and she has not resigned from her post when her brother Rahul took responsibility of Lok Sabha election defeat and resigned as Congress chief. Captain Amarinder Singh called it the best decision in current circumstances. CWC requested Rahul Gandhi to continue as party chief, but he refused. Sonia Gandhi was requested to take over as interim president. Five committees representing the east, north-east, south, west and north zones were constitutes to elect new president. The return of Sonia as interim chief comes ahead of a string of state elections later this year.
Finally the Karnataka drama ends and the 14-month-old Congress-JD(S) government led by HD Kumaraswamy has lost the trust vote in Karnataka assembly. The BJP won 105 votes to the Congress-Janata Dal Secular's 99 in the trust vote that took place after a dragging debate that featured several speakers and was described as an attempt to stall a vote the coalition was certain to lose. In the 225-member Karnataka Assembly, 20 were not present in the House for the floor test. BJP leader BS Yeddyurappa called it a 'victory of democracy’. After floor test BS Yeddyurappa Set To Be Chief Minister For Fourth Time
शीला दीक्षित कांग्रेस के सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक थी। उनके ससुर उमा शंकर दीक्षित इंदिरा सरकार में देश के गृह मंत्री रहे थे। शीला ने अपने ससुर की राजनैतिक विरासत को आगे बढ़ाया। वे राजीव गाँधी सरकार में मंत्री रही और तीन बार दिल्ली की सीएम बनी। उनका निधन कांग्रेस के लिए एक बड़ी क्षति हैं। आईये जानते हैं शीला दीक्षित के बारे में :- शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ। शीला दीक्षित की शादी स्वतंत्रता सेनानी और देश के पूर्व गृह मंत्री उमा शंकर दीक्षित के बेटे से हुई थी। शीला दीक्षित ने राजनिति के गुर अपने ससुर उमाशंकर दीक्षित से ही सीखे थे। शीला के पति विनोद दीक्षित IAS थे। उनकी और विनोद की मुलाकात उस वक्त हुई थी जब वह दिल्ली यूनिवर्सिटी से प्राचीन इतिहास की पढ़ाई कर रही थी। उनके 1 बेटा और बेटी हैं, बेटे संदीप दीक्षित सांसद रह चुके हैं। शीला दीक्षित ने अपना पहला चुनाव 1984 में लड़ा था। तब वे कन्नौज सीट से जीतकर संसद पहुंची थी। राजीव गांधी की कैबिनेट में उन्हें संसदीय कार्य मंत्री के रूप में जगह मिली। वे प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री भी बनीं। 1998 में उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। वे लगातर तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रही। वह 3 दिसंबर, 1998 से 4 दिसंबर, 2013 की मुख्यमंत्री बनी रहीं, जो एक रिकॉर्ड है। उनके समय किए गए दिल्ली के विकास के कामों को आज भी लोग याद करते हैं। दिल्ली में कई सारे काम उनके समय ही शुरू किए गए थे जो अब पूरे हो रहे हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में शीला कांग्रेस के टिकट पर पूर्वी दिल्ली से चुनाव मैदान में उतरीं, पर चुनाव हार गईं।
Delhi Congress President and Ex Chief Minister Sheela Dixit is no more. The three time Delhi Chief Minister, was admitted in Escorts Hospital Delhi after major heart attack. She was 81 years old.
Central Government has appointed six new Governors in the states of Madhya Pradesh, Uttar Pradesh, West Bengal, Bihar, Nagaland and Tripura.The announcement was made in a statement released by the Rashtrapati Bhavan. -Former Janata Dal MP Jagdeep Dhankhar appointed as new governor of West Bengal. -Madhya Pradesh Governor and Ex Chief Minister of Gujrat, Anandiben Patel has been shifted to Uttar Pradesh in place of Ram Naik. -Bihar Governor Lal ji Tandon i the new governor of Madhya Pradesh. -Phagu Chauhan will fill replace Tandon as Bihar governor. -Ramesh Bais has been appointed as the governor of Tripura. -Former interlocutor on Naga talks RN Ravi has been appointed as Nagaland governor.
As expected, Punjab Chief Minister Captain Amrinder Singh has accepted Navjot Singh Sidhu's resignation. The same has been forwarded to the Governor of Punjab Vijayender Pal Singh Badnore for approval. Navjot Singh Sidhu had resigned from the state Cabinet few days back after his portfolio reshuffled. Sidhu had sent his resignation as Punjab Cabinet minister to the chief minister's residence on Monday, after he claimed having sent the same to Congress president on June 10. He made his resignation public on Sunday. Now chief minister has accept his resignation.
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र को हिमाचल प्रदेश का गवर्नर नियुक्त किया है। 78 वर्षीय कलराज मिश्र बीजेपी के उन चंद नेताओं में शुमार हैं, जो जनसंघ के दौर से पार्टी की विचारधारा से जुड़े रहे है।आइये जानते है कलराज मिश्र के राजनैतिक सफर के बारे में :- मात्र 14 वर्ष की उम्र में कलराज मिश्र संघ के विचारों से प्रभावित होकर आरएसएस से जुड़ गए । मिश्र वर्ष 1963 में आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक बने। वर्ष 1968 में वे जनसंघ में संगठन मंत्री नियुक्त हुए। मिश्र जेपी आंदेलन से जुड़े और आंदोलन के संयोजक भी रहे। आपातकाल में वे 19 माह जेल में रहे। वे उन कुछ चेहरों में शामिल थे जो सीधे तौर पर इंदिरा सरकार के निशाने पर थे। 1977 में मिश्र जनता पार्टी से जुड़े। वर्ष 1978 में पहली बार राज्यसभा सांसद बने। इसके बाद वर्ष 2001 में भी वे राज्यसभा सांसद बने। 1980 में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त हुए। 1980 में भाजपा के उत्तर प्रदेश महामंत्री व 1991 में उत्तर प्रदेश अध्यक्ष बने। कलराज मिश्र राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़े रहे हैं। 1997 में वे उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बने। 1999 में एक बार फिर उन्हें उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाया गया। एक वक्त ऐसा भी आया जब समर्थकों द्वारा उन्हें उत्तर प्रदेश में भाजपा के सीएम फेस के तौर पर देखा जाने लगा। 2010 में बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष घोषित किए गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने देवरिया से चुनाव लड़ा और जीतकर मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। उन्हें सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया था। 2017 में 75 वर्ष की आयु पूरी होने पर कलराज मिश्र से मंत्री पद ले लिया गया था। 2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने नहीं लड़ा।
Himachal Pradesh Governor Acharya Devvrat is now Gujarat's new Governor. Veteran BJP leader Kalraj Mishra will take over charge as HP's new Governor. President Ram Nath Kovind made the changes and announced that both appointments will take effect from the dates they assume charge of their respective offices. Acharya Devvrat is serving as Governor of HP since August of 2015.
Chief Minister Jairam Thakur said that as many as three companies of NDRF were rushed to the spot to ensure immediate rescue operation. The state government provided state helicopter to airlift the NDRF team with latest equipments from Suni. During his visit to the spot at Kumarhatti, CM clarified that there was no negligence in moving NDRF to the accident site. A Hotel building collapsed on Sunday evening in which about 42 persons including 30 defence personnel and 12 civilians were trapped. 13 defence personnel lost their lives in the incident while 17 sustained injuries whereas one civilian also lost life while 11 got injured. The Chief Minister while monitoring the rescue operation being jointly conducted by the NDRF, State Police and district administration, directed the administration to provide all possible help to the NDRF personnel for ensuring that the operation was carried out smoothly. Jai Ram Thakur also visited Maharishi Markandeshwar Medical College at Kumarhatti and Civil Hospital Dharampur to enquire about the health of injured.Jai Ram Thakur said that government has ordered Magistrial enquiry of the mishap and has also registered a FIR against the owner of the building.
Today ( July 15) is the birth anniversary of Kumaraswami Kamaraj who played a leading role in shaping India's political destiny.Twice he played a leading role in choosing the Prime Minister of India. After the passing away of Jawaharlal Nehru in 1964, he was the man who proposed Lal Bahadur Shastri as Prime Minister. Later when Shastri Ji passed away, it was K Kamaraj who played vital role in choosing Indira Gandhi as Prime Minister. Kamaraj became Chief Minister of Madras in 1954. He was perhaps the first non-English knowing Chief Minister of India. But it was during the nine years of his administration that Tamilnadu came to be known as one of the best administered States in India. Kamaraj Plan In 1963 K Kamaraj suggested to Jawahar Lal Nehru that senior Congress leaders should leave ministerial posts to take up organisational work. This suggestion came to be known as the 'Kamaraj Plan’. Nehru liked his proposal and the plan was later approved by the Congress Working Committee and was implemented within two months. As a result, Six Chief Ministers and six Union Ministers resigned under the plan. Kamaraj was later elected President of the Indian National Congress on October 9, 1963. Kamaraj was born in a backward area of Tamil Nadu on July 15, 1903. He was a Nadar, one of the most depressed castes of Hindu society. When he was eighteen, he responded to the call of Gandhiji for non-cooperation with the British. At twenty he was picked up by Satyamurthy, one of the leading figure of the Tamil Nadu Congress Committee, who would become Kamaraj's political guru. In April 1930, Kamaraj joined the Salt Satyagraha Movement at Vedaranyam and was sentenced to two years in jail. Kamaraj was elected President of the Tamil Nadu Congress Committee in February, 1940. He held that post till 1954. He was in the Working Committee of the AICC from 1947 till the Congress split in 1969,. Kamaraj was the third Chief Minister of Madras State ( Tamilnadu) during 1954–1963 and a MP , Lok Sabha during 1952–1954 and 1969–1975. Kumaraswami Kamaraj was honoured posthumously with India’s highest civilian award, the Bharat Ratna, in 1976.