•   Friday Jul 11
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Tragic Incident in Gurugram: Father Shoots and Kills His Tennis Player Daughter
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गुरुग्राम में दर्दनाक वारदात, पिता ने ही कर दी टेनिस प्लेयर बेटी की हत्या

हरियाणा के गुरुग्राम से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। गुरुवार सुबह 25 वर्षीय जूनियर इंटरनेशनल टेनिस प्लेयर राधिका यादव की उसके पिता दीपक यादव ने गोली मारकर हत्या कर दी। वारदात गुरुग्राम के सेक्टर 57 स्थित सुशांत लोक फेज़-2 में उनके घर पर हुई, जब राधिका रसोई में खाना बना रही थी।   परिजनों के अनुसार, पिछले करीब 15 दिनों से घर में तनाव का माहौल था। राधिका और उसके पिता के बीच रोज झगड़े हो रहे थे। मामला टेनिस एकेडमी को लेकर था, जिसे राधिका ने हाल ही में शुरू किया था। पिता दीपक यादव ने इस एकेडमी में लगभग सवा करोड़ रुपये का निवेश किया था, लेकिन एक महीने बाद ही वह इसे बंद करवाना चाहते थे।   गुरुवार की सुबह भी इसी बात को लेकर दोनों में कहासुनी हुई। गुस्से में आकर दीपक ने अपनी लाइसेंसी .32 बोर की पिस्टल से राधिका को तीन गोलियां मार दीं। राधिका रसोई में खून से लथपथ गिर गई।   दीपक के भाई कुलदीप यादव ने बताया कि गोली चलने की आवाज सुनकर जब वे ऊपर पहुंचे, तो राधिका की लाश रसोई में पड़ी थी और पिस्टल ड्राइंग रूम में रखी थी। उन्होंने तुरंत अपने बेटे के साथ राधिका को अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।   पुलिस पूछताछ में दीपक यादव ने हत्या की बात स्वीकार की है। उसने बताया कि लोग उसे ताने मारते थे कि वह बेटी की कमाई खा रहा है। ये बातें उसे चुभती थीं। जब राधिका ने उसकी बात नहीं मानी और एकेडमी बंद करने से इनकार कर दिया, तो वह बर्दाश्त नहीं कर पाया और गोली मार दी।   राधिका यादव एक काबिल टेनिस खिलाड़ी थीं। उनका जन्म 23 मार्च 2000 को हुआ था। उन्होंने कई नेशनल और इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में भाग लिया और ITF महिला युगल में 113वीं सर्वोच्च रैंकिंग हासिल की थी। AITA की अंडर-18 और महिला वर्ग में भी वे शीर्ष 100 खिलाड़ियों में शामिल रहीं। उन्होंने हाल ही में चोट के चलते सक्रिय खेल से दूरी बनाकर एकेडमी शुरू की थी, जहां वे बच्चों को टेनिस सिखाती थीं।   राधिका ने स्कॉटिश हाई इंटरनेशनल स्कूल से पढ़ाई की और 2018 में कॉमर्स में 12वीं पास की। खेल और पढ़ाई के साथ उन्होंने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की थी, लेकिन यह आत्मनिर्भरता उनके पिता को बर्दाश्त नहीं हुई।   फिलहाल पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच जारी है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।

Locals Erupt in Anger Over Bijli Mahadev Ropeway, Halt Tree Cutting Work
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बिजली महादेव रोपवे को लेकर फूटा ग्रामीणों का गुस्सा, पेड़ कटान रुकवाया

खराहल घाटी में देवता की अनुमति के बिना रोपवे निर्माण का आरोप, धरना प्रदर्शन जारी   हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की खराहल घाटी में प्रस्तावित बिजली महादेव रोपवे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। रोपवे निर्माण के लिए इन दिनों क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की जा रही है, जिसके खिलाफ स्थानीय ग्रामीणों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यह परियोजना देवता की मर्जी के खिलाफ चलाई जा रही है और यह सीधे तौर पर प्रकृति और आस्था दोनों के साथ खिलवाड़ है। वीरवार को ग्रामीणों ने धारठ क्षेत्र में जाकर पेड़ों की कटाई रोक दी और निर्माण स्थल पर धरना दिया।   पूर्व भाजपा नेता और एचपीएमसी के पूर्व उपाध्यक्ष राम सिंह भी प्रदर्शनकारियों के साथ धरने में शामिल हुए। उन्होंने कहा: “जब स्थानीय जनता विरोध कर रही है और भगवान बिजली महादेव ने भी देव वाणी में रोपवे निर्माण से मना किया है, तो सरकार किसके दबाव में काम कर रही है? अगर समय रहते इस परियोजना को नहीं रोका गया, तो सिर्फ खराहल ही नहीं, कुल्लू की जनता भी सड़कों पर उतरकर विरोध करेगी।”   वन विभाग और ग्रामीणों में हुई तीखी बहस धरने के दौरान वन कटान कर रही टीम और ग्रामीणों के बीच कहासुनी भी हुई। ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा कि सरकार अगर उनकी बात नहीं सुनेगी, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।   लगातार हो रहे हैं प्रदर्शन बुधवार को भी रामशिला में स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और प्रशासन से मांग की कि रोपवे निर्माण कार्य को तुरंत रोका जाए। ग्रामीणों ने पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर भी आपत्ति जताई है और पर्यावरणीय संतुलन को लेकर चिंता जताई है। अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लेकिन जिस तरह से जनविरोध बढ़ रहा है, उससे साफ है कि अगर सरकार ने समय रहते संवाद नहीं किया, तो यह मामला और बड़ा रूप ले सकता है।

Rising Destruction Every Year: Why Does Each Monsoon Bring a New Disaster?
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हर साल बढ़ती तबाही: हर बरसात एक नई आफत क्यों ?

हर बरसात एक नई आफत क्यों हिमाचल पिछले कुछ सालों में बहुत कुछ खो चूका है। हर साल बरसात आती है और हिमाचल को गहरे ज़ख्म दे जाती है। न जाने कितने परिवार उजड़ गए, न जाने कितने लोग बेघर हो गए, न जाने  कितने लोगों की हस्ती खेलती ज़िन्दगी वीरान हो गई। पुल टूट गए, सड़कें तबाह हो गई, पूरे पूरे बाज़ार रौद्र रूप धारण कर नदियां निगल गई। गांवों के नाम मिट गए, कई शहरों के नक्शे बदल गए। हालात ऐसे हैं कि हिमाचल का दर्द अब शब्दों में समाना मुश्किल हो गया है, क्योंकि ये पीड़ा एक बार की नहीं, यह हर साल की कहानी बन चुकी है। लेकिन क्या हिमाचल हमेशा से ऐसा था? क्या इस देवभूमि पर आपदा ऐसे ही बरसती रही है? नहीं, हिमाचल हमेशा ऐसा नहीं था। यह देवभूमि सदियों से अपनी शांत प्राकृतिक छवि, स्थिरता और संतुलित जीवनशैली के लिए जानी जाती रही है। हां, हिमालयी भूगोल के कारण यहां भूस्खलन और भूकंप जैसी आपदाओं की आशंका हमेशा बनी रही है, लेकिन पहले इन घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता सीमित थी। बीते कुछ वर्षों में जिस तरह हर मानसून के साथ तबाही का पैमाना बढ़ता गया है, वैसा पहले नहीं देखा गया। 2017–2022 में हिमाचल में हर मानसून में औसतन ₹1,000 करोड़ का सालाना नुकसान हुआ । जब कि 2023 की तबाही अकेले पिछले पाँच साल के कुल नुकसान का लगभग 8.5 गुना थी। अकेले 2023 के मानसून में हिमाचल में 400 से अधिक लोगों की जान गई, 2,500 से अधिक घर पूरी तरह तबाह हो गए और 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ। हिमाचल प्रदेश में 2024 के मानसून के दौरान भारी बारिश, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने व्यापक तबाही मचाई। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के अनुसार, 27 जून से 2 अक्टूबर 2024 तक कुल 101 आपदाजनक घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 54 बादल फटने, 47 भूस्खलन, 122 घरों का नुकसान और 149 मवेशियों की मौत शामिल है। इस दौरान राज्य को लगभग ₹1,360 करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ। बात 2025  कि करें तो अब तक 85 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 34 लोग लापता हैं और 129 लोग घायल हुए हैं। मंडी जिला, विशेष रूप से थुनाग, बगसेयड़ और करसोग-गोहर क्षेत्र, सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। यहां 404 घर पूरी तरह से नष्ट हो गए, जबकि 751 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। व्यावसायिक संपत्तियों में भी भारी नुकसान हुआ है, जिसमें 233 दुकानें और फैक्ट्रियां शामिल हैं। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अनुसार, कुल्लू, मंडी और चंबा जिलों में 10 पुल बह गए हैं। आर्थिक नुकसान का अनुमान ₹541 करोड़ है।   बरसात में हिमाचल को अब ज़्यादा नुकसान क्यों हो रहा है? प्रश्न यह है कि हिमाचल में अब बरसात के दौरान तबाही इतनी ज़्यादा क्यों हो रही है? हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन योजना (HPSDMP) के अनुसार, पिछले सौ वर्षों में प्रदेश का औसत सतही तापमान 1.6 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। इस तापमान वृद्धि से वर्षा और तापमान के पैटर्न में बदलाव आया है, जिससे बादल फटना, भूस्खलन, बाढ़, सूखा, हिमस्खलन और जंगलों में आग जैसी चरम घटनाएं अधिक बार और अधिक तीव्रता से हो रही हैं। रिपोर्ट बताती है कि शिमला में पिछले 20 वर्षों में तापमान में तेज़ बढ़ोतरी हुई है, ब्यास नदी में मानसूनी जल प्रवाह में गिरावट आई है, जबकि चिनाब और सतलुज में सर्दियों के दौरान जल प्रवाह बढ़ा है। इसके साथ ही ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार तेज़ हुई है, जो अपने साथ नई आपदाओं को जन्म दे रही है। पर्यावरणविद बताते हैं कि हिमाचल में तापमान की वृद्धि मैदानों से भी अधिक है। जहाँ पहले समुद्रतल से 3000 फीट ऊँचाई तक बर्फबारी होती थी, अब वह 5000 फीट के ऊपर ही देखने को मिलती है। पहले जो बारिश सप्ताह भर तक धीरे-धीरे होती थी, वह अब कम समय में तीव्र रूप से होती है। इसका सीधा परिणाम है ग्लेशियरों से निकलने वाला पानी और भारी बारिश, दोनों मिलकर फ्लैश फ्लड और भूस्खलन की घटनाओं को बढ़ा रहे हैं।     एक और चिंताजनक प्रवृत्ति यह है कि अब बरसात की कुल मात्रा तो पहले जैसी ही है, लेकिन बरसात के दिनों की संख्या में भारी गिरावट आई है। यानी अब कम दिनों में अधिक तीव्र बारिश हो रही है। जब भारी वर्षा थोड़े समय में होती है, तो वह क्लाउड बर्स्ट और फ्लैश फ्लड जैसी आपदाओं का रूप ले लेती है। पहाड़ी राज्यों में, जहां ज़मीन की पकड़ कमजोर होती है और ढलानों पर बसे इलाके होते हैं, ऐसी बारिश बड़ी तबाही का कारण बनती है। इसके अलावा, बेतरतीब निर्माण, सड़क चौड़ीकरण, वनों की कटाई और खनन जैसी मानवीय गतिविधियों ने इस संवेदनशीलता को और बढ़ा दिया है।     यह भी जानना ज़रूरी है कि मौसम विभाग के पास अब एक सुदृढ़ अर्ली वार्निंग सिस्टम है, जो किसी भी क्षेत्र के लिए 5 से 7 दिन पहले अलर्ट जारी कर देता है। ये अलर्ट रंग-कोड (रेड, ऑरेंज, येलो) के रूप में जारी किए जाते हैं, ताकि यह समझा जा सके कि किस क्षेत्र में कितना खतरा है। इसके साथ ही “इंपैक्ट-बेस्ड फोरकास्ट” भी जारी किया जाता है, जिसमें बताया जाता है कि मौसम का संभावित असर किस प्रकार का होगा। इसके बावजूद जब लोग, स्थानीय प्रशासन या संस्थाएं इन चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लेतीं, तो तबाही टालना मुश्किल हो जाता है। इसलिए चेतावनी के साथ कार्रवाई भी उतनी ही ज़रूरी है।     हिमाचल की त्रासदी अब केवल प्राकृतिक नहीं रही। यह अब एक मिश्रण है ......... जलवायु परिवर्तन, अवैज्ञानिक विकास, प्रशासनिक लापरवाही और जन-जागरूकता की कमी का। अगर हम अब भी नहीं चेते, तो हर साल यह तबाही और गहराती जाएगी और हिमाचल की यह देवभूमि, विनाश की स्थली में बदल जाएगी।

Earthquake Tremors Felt in Himachal's Chamba, Magnitude Recorded at 3.5 on Richter Scale
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हिमाचल के चंबा में भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर तीव्रता 3.5 मापी गई

हिमाचल प्रदेश के चंबा ज़िले में आज सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.5 मापी गई और इसकी गहराई 5 किलोमीटर थी। यह झटके सुबह 6 बजकर 23 मिनट पर दर्ज किए गए।   स्थानीय लोगों के अनुसार, धरती तीन बार कांपी, जिससे घबराकर लोग घरों से बाहर निकल आए। हालांकि झटकों की तीव्रता कम होने की वजह से ज़्यादातर लोगों को इसका अहसास नहीं हुआ और किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है। गौरतलब है कि चंबा जिला भूकंपीय दृष्टि से भारत के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल है। यह क्षेत्र सिस्मिक ज़ोन-5 में आता है, जहां समय-समय पर भूकंप के हल्के-फुल्के झटके महसूस होते रहते हैं।   भूकंप क्यों आता है? धरती की बाहरी परत कई टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी होती है, जो लगातार हिलती-डुलती रहती हैं। जब ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं या एक-दूसरे के ऊपर-नीचे खिसकती हैं, तो ज़मीन के अंदर तनाव पैदा होता है। एक समय के बाद यह तनाव ऊर्जा के रूप में बाहर निकलता है, जिससे धरती हिलती है और भूकंप आता है।

Power Employees Raise Slogan of Rebellion in Dharamshala: Grand Power Panchayat Roars Against Privatisation
In karamchari lehar

धर्मशाला में बिजली कर्मचारियों का हल्लाबोल: निजीकरण के खिलाफ गरजी बिजली महापंचायत

हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड के अस्तित्व और कर्मचारियों के अधिकारों को लेकर बुधवार को धर्मशाला कॉलेज ऑडिटोरियम में बिजली महापंचायत का आयोजन किया गया। बिजली बोर्ड कर्मचारियों, इंजीनियरों, पेंशनरों और आउटसोर्स कर्मियों की संयुक्त कार्रवाई समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कांगड़ा ज़िले से हज़ारों कर्मचारियों और जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह समिति की सातवीं जिला स्तरीय महापंचायत थी, जिसका उद्देश्य बोर्ड को निजीकरण से बचाना और कर्मचारियों से जुड़ी मांगों को सरकार तक पहुंचाना था।   निजीकरण के खिलाफ एकजुट हुआ बिजली विभाग महापंचायत में संयोजक इंजीनियर लोकेश ठाकुर और सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार जहां ऊर्जा क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा दे रही है, वहीं प्रदेश सरकार की नीतियों के कारण बिजली बोर्ड बदहाली की कगार पर है। उन्होंने कहा कि देशभर में बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने केंद्र की नीतियों के विरोध में हड़ताल की है। संयुक्त समिति का कहना है कि बिजली कंपनियों के निजी हाथों में जाने से—कर्मचारियों की सेवा शर्तें और सामाजिक सुरक्षा प्रभावित होगी, उपभोक्ताओं पर बिजली दरों का बोझ बढ़ेगा, और सेवाओं की गुणवत्ता गिरेगी l समिति ने यह भी चेताया कि बोर्ड में कर्मचारियों की संख्या लगातार घटती जा रही है। एक समय में 43,000 कर्मचारियों वाला बोर्ड अब सिर्फ 13,000 नियमित कर्मचारियों के सहारे चल रहा है। इसके बावजूद बोर्ड प्रबंधन कर्मचारियों को "सरप्लस" बताकर अन्य विभागों में भेजने में लगा है, जो स्थिति को और बिगाड़ सकता है।   प्रदर्शन के बाद रैली, डीसी के माध्यम से सीएम को सौंपा ज्ञापन महापंचायत के बाद सैकड़ों कर्मचारियों और पेंशनर्ज़ ने रैली निकालते हुए उपायुक्त कार्यालय तक मार्च किया। यहां उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और अपनी मांगें रखीं।   ये है मांगें  बिजली बोर्ड में पैरा टी-मेट की भर्ती बंद हो, खाली पदों पर नियमित भर्ती शुरू की जाए   मई 2003 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन प्रणाली दी जाए   पेंशनरों की दो साल से लंबित बकाया राशि, लीव इनकैशमेंट और ग्रेच्युटी का भुगतान जल्द किया जाए   आउटसोर्स कर्मचारियों को स्थायी किया जाए   बोर्ड की संरचना से छेड़छाड़ (संचार व सिस्टम प्लानिंग विंग) का विरोध   उपकेंद्रों का संचालन संचार विंग को देने का विरोध   बोर्ड कर्मचारियों के लिए केंद्र के वेतनमान लागू करने की सिफारिशों का विरोध, क्योंकि इससे मौजूदा वेतन घट जाएगा   इस मौके पर ई. विकास गुप्ता, ई. ए.एस. गुप्ता, चंद्र सिंह मंडयाल, दलीप डटवालिया, कुलदीप खरवाड़ा, कामेश्वर दत्त शर्मा, मनोहर धीमान, सुबीर सपहिया, पंकज राणा, मनोज सूद और विनोद कुमार समेत कई वरिष्ठ कर्मचारी और संगठन प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

Shrikhand Mahadev Yatra Begins: First Batch of Devotees Sets Out to Conquer the Challenging 18,570-Foot Ascent in Devotion to Lord Shiva
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श्रीखंड महादेव यात्रा शुरू: भोलेनाथ के भक्तों का पहला जत्था रवाना, 18,570 फीट की कठिन चढ़ाई से गुजरेंगे श्रद्धालु

हिमाचल प्रदेश की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक, श्रीखंड महादेव यात्रा आज से औपचारिक रूप से शुरू हो गई है। बुधवार सुबह 5 बजे श्रद्धालुओं का पहला जत्था भगवान शिव के दर्शन के लिए रवाना हुआ, जो 12 जुलाई को श्रीखंड की चोटी तक पहुंचेगा। इसके बाद हर दिन 800 श्रद्धालुओं के जत्थे यात्रा पर भेजे जाएंगे। श्रीखंड यात्रा को दुनिया की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में गिना जाता है। इस यात्रा में श्रद्धालुओं को 32 किलोमीटर का कठिन और दुर्गम ट्रैक पैदल तय करना होता है। रास्ते में चार ग्लेशियर, खड़ी चट्टानें और कई संकरे मोड़ हैं। समुद्र तल से 18,570 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव की चोटी तक पहुंचने में श्रद्धालुओं को कई बार ऑक्सीजन की कमी का भी सामना करना पड़ता है, खासकर पार्वती बाग के आगे। पंजीकरण और फिटनेस टेस्ट अनिवार्य श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने इस बार यात्रा पर सख्ती से नियम लागू किए हैं। यात्रा से पहले ऑनलाइन पंजीकरण (शुल्क ₹250) और मेडिकल फिटनेस टेस्ट अनिवार्य किया गया है। अब तक 5,000 से अधिक श्रद्धालु ऑनलाइन पंजीकरण करवा चुके हैं। पांच बेस कैंप, चिकित्सा सुविधा और लंगर व्यवस्था कुल्लू प्रशासन और श्रीखंड ट्रस्ट समिति द्वारा सिंहगड़, थाचरू, कुनशा, भीम द्वार और पार्वती बाग में पांच बेस कैंप स्थापित किए गए हैं। यहां श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन और स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था की गई है। हर कैंप में मेडिकल स्टाफ, ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाइयां, पुलिस और रेस्क्यू टीमें तैनात की गई हैं। जगह-जगह ट्रस्ट की ओर से लंगर भी लगाए गए हैं। धार्मिक मान्यता और पौराणिक कथा मान्यता है कि श्रीखंड महादेव की चोटी पर स्वयं भगवान शिव का वास है। यहां 72 फीट ऊंचा एक प्राकृतिक शिवलिंग है, जिसकी परिक्रमा और पूजा करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव से वरदान पाकर अहंकारी भस्मासुर जब उन्हें ही भस्म करने दौड़ा, तो भगवान शिव श्रीखंड की ओर भागे। अंततः भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में भस्मासुर को नृत्य करवा कर उसका अंत किया। यह स्थान उसी कथा से जुड़ा हुआ माना जाता है।  रास्ते में क्या-क्या देख सकते हैं? इस रोमांचक यात्रा के दौरान श्रद्धालु थाचड़ू, भीम द्वार, नैन सरोवर, भीम बही, बराटी नाला और पार्वती बाग जैसे मनोरम और आध्यात्मिक स्थलों से गुजरते हैं। पार्वती बाग में फूलों की महक, हिमालयी जड़ी-बूटियों की खुशबू और प्राकृतिक सौंदर्य श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देता है।  

NO SANGTHAN FOR HIMACHAL CONGRESS SINCE EIGHT MONTHS
In Siyasatnama

कांग्रेस संगठन : कार्यकर्त्ता हताश, बड़े नेताओं का एक ही जवाब - 'जल्द होगा'

 6 नवंबर से बेसंगठन हैं कांग्रेस, जल्द होने हैं पंचायत चुनाव     करीब एक साल पहले हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव हुए और कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की थी। पुरे प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल दिखा। तब कई माहिरों ने कहा कि जो 1985  के बाद नहीं हुआ, मुमकिन है 2027 में हो। मुमकिन है सुखविंद्र सिंह सुक्खू , वीरभद्र सिंह के बाद रिपीट करने वाले पहले सीएम बन जाएं। पर अब उक्त तमाम माहिर चुप्पी ओढ़े है और इसका सबसे बड़ा कारण है कांग्रेस का संगठन, जो आठ महीने से है ही नहीं।     चुनाव के नतीजे संगठन की मेहनत और सरकारों के कामकाज से तय होते है। अब सत्ता का करीब आधा रास्ता ही तय हुआ है और चुनावी  चश्मे से मौजूदा सरकार के कामकाज का विशलेषण करना जल्दबाजी होगा। पर संगठन का क्या ? पार्टी के भीतर पनप रहे असंतोष का क्या ?  झंडे उठाने वाले आम कार्यकर्ताओं से लेकर पीसीसी चीफ, कैबिनेट मंत्री और अब तो खुद मुख्यमंत्री भी संगठन में देरी को नुकसानदायक मान रहे है। फिर ये देरी क्यों , ये समझ से परे है।  मान लेते है मसला पीसीसी चीफ पद अटका हैं, और खींचतान के चलते आलाकमान निर्णय नहीं ले पा रहा , लेकिन क्या ज़िलों अध्यक्षों और प्रदेश के महत्वपूर्ण पदों पर भी नियुक्तियां नहीं की जा सकती थी। इसी साल के अंत में पंचायत चुनाव होने हैं, नई गठित नगर निगमों के चुनाव भी अपेक्षित हैं। ऐसे में आठ महीने से पार्टी का बगैर संगठन होना समझ से परे हैं।   इस बीच संगठन के गठन को लेकर अब भी कोई पुख्ता जानकारी नहीं हैं। कार्यकर्ताओं की हताशा लाजमी हैं और धैर्य धरे बड़े नेताओं के पास सिर्फ एक ही जवाब हैं, 'जल्द होगा'।  

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'चंद्र ग्रहण' नहीं, सियासी आसमान साफ है!

In Politics
No 'Chandra Grahan', the political sky is clear chandra kuma neeraj bharti

बेटा, पिता के कहने से बाहर या ‘गुड कॉप बैड कॉप’ गेमप्लान? चंद्र कुमार बोले: "बेटा नौजवान है, उसकी पोस्ट्स को ज़्यादा सीरियसली न लें"   कल खबर आई कि सुक्खू सरकार पर 'चंद्र ग्रहण' लग सकता है, आज मालूम हुआ सियासी आसमान बिल्कुल साफ है ! चौधरी चंद्र कुमार और नीरज भारती, हिमाचल की सियासत में बाप बेटे की ये जोड़ी अक्सर सुर्खियों में रहती है। बीती रात नीरज भारती ऐलान करते हैं कि उनके पिताजी कल मंत्री पद से इस्तीफ़ा देंगे, हालांकि बाद में आश्वासन मिलने का ऐलान भी कर देते हैं। सवाल उठे, बवाल मचा और आज खुद मंत्री चौधरी चंद्र कुमार मीडिया से मुखातिब हुए, डैमेज कंट्रोल किया गया और चौधरी साहब ने कहा कि "बेटा नौजवान है, आवेश में आकर बातें कह देता है.. उसकी पोस्ट्स को ज़्यादा सीरियसली न लें।" अब यहां थोड़ी असमंजस है। जनता और पार्टीजन सब कंफ्यूज हैं, सवाल उठना लाजमी है कि यह असली नाराज़गी है या कोई स्क्रिप्टेड सियासी प्लॉट ? क्या वाकई बाप बेटे के बीच संवाद की कमी है ? क्या वाकई बेटा पिता के कहने से बाहर है, या फिर ये सब एक सोची समझी 'प्रेशर पॉलिटिक्स' है? कुछ सियासी पंडितों को तो यह ‘गुड कॉप बैड कॉप’ का गेमप्लान लगता है, जहां एक नेता सरकार की नब्ज़ पर उंगली रखता रहता है और दूसरा सब बढ़िया है कहकर माहौल लाइट कर देता है। खैर जो भी है, ये तो ये दोनों बेहतर जानते हैं, लेकिन जो बात जहां तक पहुंचनी चाहिए, पहुंच ही जाती है। खैर, मौजूदा प्रकरण में क्या हुआ, अब आपको वो बताते हैं। रविवार शाम, पूर्व सीपीएस नीरज भारती ने फेसबुक पर ताबड़तोड़ पोस्टों की बौछार कर दी। पहली पोस्ट में उन्होंने लिखा: "कल चौधरी चंद्र कुमार इस्तीफ़ा देंगे। अगर काम दलालों के होंगे तो फिर मंत्री रहकर क्या फ़ायदा?" इसके कुछ घंटे बाद उन्होंने दूसरा पोस्ट किया: "फिलहाल चौधरी साहब को आश्वासन मिल गया है। कल मुख्यमंत्री से बातचीत होगी, फिर देखा जाएगा।" नीरज भारती यहीं नहीं रुके। अगली पोस्ट में उन्होंने तीखे लहजे में सवाल उठाया: "वो कहते हैं कि मैंने अपने पिता से कह दिया है कि भाजपाइयों के ही काम होने हैं तो आप इस्तीफ़ा दे दो मंत्री पद से, विधायक बेशक बने रहो। या फिर अपने विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं से पूछ लो कि विधायक भी रहना है या नहीं। अगर हमारी ही सरकार में कुछ दलाल पैसे लेकर भाजपाइयों के काम करवा रहे हैं और आप चुप हैं... तो इस्तीफ़ा देना ही बेहतर है।" इन पोस्ट्स ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया, लेकिन खुद चौधरी चंद्र कुमार ने सभी अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा: "इस्तीफ़ा देने की कोई नौबत नहीं है। मामला केवल कुछ ट्रांसफरों को लेकर था, जिन्हें मैं व्यक्तिगत रूप से करने से परहेज़ करता हूं।" उन्होंने नीरज की पोस्ट्स पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा: "वो नौजवान हैं, कुछ बातें उन्हें आहत कर देती हैं। इन बातों को ज़्यादा सीरियसली न लें। मुख्यमंत्री से मेरी बातचीत होगी और मसले हल कर लिए जाएंगे।" वैसे आपको याद दिला दें कि वही चौधरी चंद्र कुमार हैं जिन्होंने संगठन गठन पर हो रहे विलंब को लेकर सबसे पहले पार्टी को आइना दिखाया था, संगठन को 'पैरालाइज़्ड' कहा था। अलबत्ता, इस बार मोर्चा नीरज ने संभाला हो लेकिन नाराज़गी तो चंद्र कुमार की भी झलकती रही है। लब्बोलुआब ये है कि भले ही सरकार की सेहत को इससे कोई खतरा न हो, लेकिन 'ऑल इज़ नॉट वेल इन कांग्रेस' ! कांग्रेस सरकार के रहते काम किसके हो रहे हैं और किसके नहीं,ये तो सवाल है ही।

मोदी की स्वास्थ्य गारंटी : आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से जुड़े 56.67 करोड़ लोग

In Health
guarantee: 56.67 crore people connected to Ayushman Bharat Digital Mission

पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने साल 2021 में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की थी। मोदी के नेतृत्व में ही 2021-2022 से 2025-2026 तक 5 वर्षों के लिए 1,600 करोड़ रुपये की डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम बनाने के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शुरू किया गया था। इसकी वजह से पीएम मोदी के गारंटी का भी असर देखने को साफ मिला और इस योजना के तहत 29 फरवरी, 2024 तक 56.67 करोड़ लोगों के आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में भी प्रगति की है। 29 फरवरी, 2024 तक, 27.73 करोड़ महिलाएं और 29.11 करोड़ पुरुषों को आभा कार्ड से लाभ हुआ है। वहीं 34.89 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य दस्तावेजों को इससे जोड़ा गया है। क्या है आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन  आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य देश में यूनिफाइड डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की मदद करने के लिए जरूरी आधार तैयार करना है। इससे सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता खोलने के लिए ऑफलाइन मोड को मदद पहुंचती है। इसके अलावा भारत सरकार ने स्वास्थ्य सुविधा के लिए आभा ऐप और आरोग्य सेतु जैसे विभिन्न एप्लिकेशन भी लॉन्च किए गए हैं, जो आम लोगों को मदद पहुंचाती है। आभा ऐप एक प्रकार का डिजिटल स्टोरेज है, जो किसी भी व्यक्ति के मेडिकल दस्तावेजों का रखने का काम आता है। इस ऐप के जरिए मरीज रजिस्टर्ड स्वास्थ्य पेशेवरों से संपर्क भी कर सकते हैं।    भारत में बीजेपी की मोदी सरकार ने बीते 10 सालों के अपनी सरकार में कई सारे मील के पत्थर हासिल किया है। इन 10 सालों में पीएम मोदी के विजन ने भारत को अगले 23 साल बाद यानी साल 2047 तक विकसित भारत बनाने के ओर मजबूती से कदम भी बढ़ा लिया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने देश के हित में जो भी फैसले लिए है, उनमें से हेल्थ सेक्टर को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का प्रयास किया गया है।        

हिमाचल : प्रदेश में विद्यार्थियों की शून्य संख्या वाले 103 स्कूल होंगे बंद, सीएम ने दी मंजूरी

In Education
Himachal: 103 schools with zero number of students in the state will be closed, CM gave approval

प्रदेश में विद्यार्थियों की कम संख्या वाले 618 स्कूल बंद, मर्ज और डाउन ग्रेड होंगे। शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंजूरी दे दी है। प्रदेश में विद्यार्थियों की शून्य संख्या वाले 103 स्कूल बंद होंगे। दस बच्चों की संख्या वाले 443 स्कूल मर्ज किए जाएंगे और 75 स्कूलों का दर्जा घटाया जाएगा। मर्ज होने वाले स्कूलों के विद्यार्थियों का चार से पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले अधिक दाखिलों वाले स्कूलों में समायोजन किया जाएगा। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने बताया कि मुख्यमंत्री से मंजूरी मिल गई है और विभाग जल्द इस की अधिसूचना जारी करेगा। वही 618 स्कूल मर्ज, डाउन ग्रेड और बंद करने से 1,120 शिक्षक सरप्लस होंगे। इन शिक्षकों को अन्य आवश्यकता वाले स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा। विद्यार्थियों की शून्य संख्या वाले 72 प्राइमरी, 28 मिडल और 3 उच्च स्कूल डिनोटिफाई (बंद) करने का फैसला लिया गया। 203 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या पांच से उससे कम है। इन स्कूलों को दो किलोमीटर के दायरे में आने वाले अन्य स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। पांच से कम विद्यार्थियों की संख्या वाले 142 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जिनके दाे किलोमीटर के दायरे में अन्य स्कूल नहीं हैं। इन्हें तीन किलाेमीटर की दूरी पर मर्ज किया जाएगा। 92 मिडल स्कूलों में दस या उससे कम विद्यार्थी हैं, इन्हें तीन किमी, बीस विद्यार्थियों की संख्या वाले सात हाई स्कूलों को चार किलोमीटर के दायरे में मर्ज किया जाएगा। विद्यार्थियों की कम संख्या वाले 75 उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों का दर्जा कम किया जाएगा। रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में 100 विद्यार्थियों की संख्या वाले कॉलेजों को भी मर्ज किया जाएगा। जनजातीय और दुर्गम क्षेत्रों में स्थित कॉलेजों के लिए विद्यार्थियों की संख्या 75 रखी गई है। कई कॉलेजों में बीते कुछ वर्षों से नामांकन बहुत कम हो रहे हैं। ऐसे कॉलेजों को आगे चलाना अब आसान नहीं है। ऐसे में शिक्षा निदेशालय से कॉलेज मर्ज करने के लिए प्रस्ताव मांगा गया है।  

धर्मशाला को मिली 3 IPL मैचों की मेजबानी

In Sports
DHRAMSHALA-TO-HOST-THREE-IPL-MATCHES-IN-2025

 बीसीसीआई द्वारा इंडियन प्रीमियर लीग के 18वें सीजन आईपीएल-2025 के शैड्यूल का ऐलान कर दिया गया है।  एचपीसीए स्टेडियम धर्मशाला को 3 आईपीएल मैचों की मेजबानी करने का मौका मिला है।  धर्मशाला स्टेडियम में 4 मई को  पंजाब किंग्स की टीम लखनऊ सुपर जायंट्स के साथ अपना लीग मैच खेलेगी, जबकि 8 मई को पंजाब का मुकाबला दिल्ली कैपिटल्स के साथ होगा। ये दोनों ही मुकाबले शाम साढ़े 7 बजे शुरू होंगे। वहीं 11 मई को दोपहर साढ़े 3 बजे पंजाब की टीम मुंबई इंडियंस के खिलाफ स्टेडियम में उतरेगी। आईपीएल  चेयरमैन अरुण धूमल ने बीते दिनों बिलासपुर में आयोजित सांसद खेल महाकुंभ के शुभारंभ पर ही धर्मशाला स्टेडियम को आईपीएल के 3 मैचों की मेजबानी के संकेत दे दिए थे। अब इस पर आधिकारिक मुहर लग चुकी है। आईपीएल 2024 में धर्मशाला को मिले थे दो मैच वर्ष 2024 में धर्मशाला में पंजाब किंग्स की टीम के दो मैच चेन्नई सुपर किंग्स और रायल चैलेंजर बेंगलुरु से हुए थे। पहला मुकाबला पांच मई को भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स के साथ हुआ था। नौ मई को पंजाब का मुकाबला आरसीबी के साथ खेला गया था।

स्टीव जॉब्स से विराट कोहली तक, नीम करोली बाबा के आश्रम में सब नतमस्तक

In First Blessing
NEEM-KARORI-BABA

  नीम करोली बाबा के आश्रम में स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शान्ति भारत में कई ऐसे पावन तीर्थ हैं, जहां पर श्रद्धा एवं भक्ति के साथ जाने मात्र से व्यक्ति के समस्त मनोरथ पूरे हो जाते हैं। ऐसा ही एक पावन तीर्थ देवभूमि उत्तराखंड की वादियों में है, जिसे लोग 'कैंची धाम' के नाम से जानते हैं। कैंची धाम के नीब करौरी बाबा (नीम करौली) की ख्याति विश्वभर में है। नैनीताल से लगभग 65 किलोमीटर दूर कैंची धाम को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता। यहां पर हर मन्नत पूर्णतया फलदायी होती है। यही कारण है कि देश-विदेश से हज़ारों लोग यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं। बाबा के भक्तों में एक आम आदमी से लेकर अरबपति-खरबपति तक शामिल हैं। बाबा के इस पावन धाम में होने वाले नित-नये चमत्कारों को सुनकर दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में बाबा नीब करौरी के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। इनके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं।  कुछ माह पूर्व स्टार क्रिकेटर विराट कोहली और उनकी पत्नी और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के यहां पहुंचते ही इस धाम को देखने और बाबा के दर्शन करने वालों की होड़ सी लग गई। 1964 में बाबा ने की थी आश्रम की स्थापना  नीम करोली बाबा या नीब करोली बाबा की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में की जाती है। इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। कैंची, नैनीताल, भुवाली से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बाबा नीब करौरी ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा नीम करौरी 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया। इस धाम को कैंची मंदिर, नीम करौली धाम और नीम करौली आश्रम के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी में बसा एक छोटा सा आश्रम है नीम करोली बाबा आश्रम। मंदिर के आंगन और चारों ओर से साफ सुथरे कमरों में रसीली हरियाली के साथ, आश्रम एक शांत और एकांत विश्राम के लिए एकदम सही जगह प्रस्तुत करता है। यहाँ कोई टेलीफोन लाइनें नहीं हैं, इसलिए किसी को बाहरी दुनिया से परेशान नहीं किया जा सकता है। श्री हनुमान जी के अवतार माने जाने वाले नीम करोरी बाबा के इस पावन धाम पर पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन हर साल 15 जून को यहां पर एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन होता है। यहां इस दिन इस पावन धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है। कई चमत्कारों के किस्से सुन खींचे आते है भक्त  मान्यता है कि बाबा नीम करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। बाबा नीब करौरी के इस पावन धाम को लेकर तमाम तरह के चमत्कार जुड़े हैं। जनश्रुतियों के अनुसार, एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो वह जल घी में बदल गया। ऐसे ही एक बार बाबा नीब करौरी महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचवाया। ऐसे न जाने कितने किस्से बाबा और उनके पावन धाम से जुड़े हुए हैं, जिन्हें सुनकर लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं। बाबा के दुनियाभर में 108 आश्रम  बाबा नीब करौरी को कैंची धाम बहुत प्रिय था। अक्सर गर्मियों में वे यहीं आकर रहते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। उस मन्दिर में हनुमान की मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। यहां बाबा नीब करौरी की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है। बाबा नीब करौरी महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम तथा अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है। स्टीव जॉब्स को आश्रम से मिला एप्पल के लोगो का आईडिया ! भारत की धरती सदा से ही अध्यात्म के खोजियों को अपनी ओर खींचती रही है। दुनिया की कई बड़ी हस्तियों में भारत भूमि पर ही अपना सच्चा आध्यात्मिक गुरु पाया है। एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स 1974 से 1976 के बीच भारत भ्रमण पर निकले। वह पर्यटन के मकसद से भारत नहीं आए थे, बल्कि आध्यात्मिक खोज में यहां आए थे। उन्हें एक सच्चे गुरु की तलाश थी।स्टीव पहले हरिद्वार पहुंचे और इसके बाद वह कैंची धाम तक पहुंच गए। यहां पहुंचकर उन्हें पता लगा कि बाबा समाधि ले चुके हैं। कहते है कि स्टीव को एप्पल के लोगो का आइडिया बाबा के आश्रम से ही मिला था। नीम करौली बाबा को कथित तौर पर सेब बहुत पसंद थे और यही वजह थी कि स्टीव ने अपनी कंपनी के लोगों के लिए कटे हुए एप्पल को चुना। हालांकि इस कहानी की सत्यता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। जुकरबर्ग को मिली आध्यात्मिक शांति, शीर्ष पर पहुंचा फेसबुक  बाबा से जुड़ा एक किस्सा फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने 27 सितंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बताया था, तब पीएम मोदी फेसबुक के मुख्यालय में गए थे। इस दौरान जुकरबर्ग ने पीएम को भारत भ्रमण की बात बताई। उन्होंने कहा कि जब वे इस संशय में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने इन्हें भारत में नीम करोली बाबा के स्थान पर  जाने की सलाह दी थी। जुकरबर्ग ने बताया था कि वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान वह नीम करोली बाबा के मंदिर में भी गए थे। जुकरबर्ग आए तो यहां एक दिन के लिए थे, लेकिन मौसम खराब हो जाने के कारण वह यहां दो दिन रुके थे। जुकरबर्ग मानते हैं कि भारत में मिली अध्यात्मिक शांति के बाद उन्हें फेसबुक को नए मुकाम पर ले जाने की ऊर्जा मिली। बाबा की तस्वीर को देख जूलिया ने अपनाया हिन्दू धर्म  हॉलिवुड की मशहूर अदाकारा जूलिया रॉबर्ट्स ने 2009 में हिंदू धर्म अपना लिया था। वह फिल्म ‘ईट, प्रे, लव’ की शूटिंग के लिए भारत आईं थीं। जूलिया रॉबर्ट्स ने एक इंटरव्यू में यह खुलासा किया था कि वह नीम करौली बाबा की तस्वीर से इतना प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने हिन्दू धर्म अपनाने का फैसला कर डाला। जूलिया इन दिनों हिन्दू धर्म का पालन कर रही हैं।    

पाताल भुवनेश्वर मंदिर: रहस्य, आस्था और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम

In Entertainment
Patal Bhuvaneshwar Temple: A wonderful confluence of mystery, faith and spirituality

  क्या आपने कभी कल्पना की है कि कहीं ऐसा स्थान भी हो सकता है, जहां सृष्टि के अंत का रहस्य छिपा हो? कोई ऐसा मंदिर, जहां चारों धामों के दर्शन एक ही स्थान पर संभव हों? उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर मंदिर ऐसा ही एक रहस्यमयी और दिव्य स्थल है, जो हर भक्त को आस्था, रहस्य और आध्यात्मिकता की गहराइयों से जोड़ता है। यह मंदिर एक गुफा के भीतर स्थित है, जिसे प्राचीन काल से चमत्कारी और गूढ़ माना गया है। गुफा में प्रवेश करते ही ऐसा लगता है मानो आप किसी अद्भुत आध्यात्मिक संसार में प्रवेश कर चुके हों। मान्यता है कि यहां भगवान शिव के साथ-साथ 33 कोटि देवी-देवताओं का वास है। यहां स्थित भगवान गणेश का कटा हुआ मस्तक स्वयं में एक रहस्य है, जो इस स्थान की अलौकिकता को और भी गहरा बनाता है। यहां स्थित शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि वह निरंतर बढ़ रहा है, और जिस दिन वह गुफा की छत से टकराएगा, उस दिन प्रलय होगा। यह धारणा श्रद्धालुओं को एक अकल्पनीय आध्यात्मिक अनुभव और चेतना की गहराई से जोड़ती है।गुफा के भीतर चार रहस्यमयी द्वार मानव जीवन के चार प्रमुख पड़ावों का प्रतीक माने जाते हैं। कहा जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद पाप द्वार और महाभारत युद्ध के बाद रण द्वार बंद हो गए। अब केवल धर्म द्वार और मोक्ष द्वार खुले हैं, जो जीवन के सत्य और मोक्ष के मार्ग की ओर संकेत करते हैं। पौराणिक इतिहास की दृष्टि से इस मंदिर का उल्लेख त्रेता युग में मिलता है। सूर्य वंश के राजा ऋतुपर्ण ने सबसे पहले इस गुफा की खोज की थी। कहा जाता है कि पांडवों ने भी यहां भगवान शिव के साथ चौपड़ खेला था। बाद में 819 ईस्वी में जगत गुरु शंकराचार्य ने इस स्थल की पुनः खोज की और यहां पूजा आरंभ की। कैसे पहुंचे पाताल भुवनेश्वर? यह दिव्य स्थल पिथौरागढ़ से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है, जबकि सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर है। सड़क मार्ग से यह स्थान सुगम रूप से जुड़ा हुआ है और उत्तराखंड के खूबसूरत पर्वतीय रास्तों से होकर गुज़रता है, जो यात्रा को और भी आनंददायक बना देता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि रहस्य और आध्यात्मिकता के अनूठे संगम के कारण भी यह स्थल भक्तों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पाताल भुवनेश्वर की इस अद्भुत गुफा में जाकर आप स्वयं उस दिव्यता और रहस्यमय ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं, जो सदियों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती आ रही है।

गुरुग्राम में दर्दनाक वारदात, पिता ने ही कर दी टेनिस प्लेयर बेटी की हत्या

In News
Tragic Incident in Gurugram: Father Shoots and Kills His Tennis Player Daughter

हरियाणा के गुरुग्राम से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। गुरुवार सुबह 25 वर्षीय जूनियर इंटरनेशनल टेनिस प्लेयर राधिका यादव की उसके पिता दीपक यादव ने गोली मारकर हत्या कर दी। वारदात गुरुग्राम के सेक्टर 57 स्थित सुशांत लोक फेज़-2 में उनके घर पर हुई, जब राधिका रसोई में खाना बना रही थी।   परिजनों के अनुसार, पिछले करीब 15 दिनों से घर में तनाव का माहौल था। राधिका और उसके पिता के बीच रोज झगड़े हो रहे थे। मामला टेनिस एकेडमी को लेकर था, जिसे राधिका ने हाल ही में शुरू किया था। पिता दीपक यादव ने इस एकेडमी में लगभग सवा करोड़ रुपये का निवेश किया था, लेकिन एक महीने बाद ही वह इसे बंद करवाना चाहते थे।   गुरुवार की सुबह भी इसी बात को लेकर दोनों में कहासुनी हुई। गुस्से में आकर दीपक ने अपनी लाइसेंसी .32 बोर की पिस्टल से राधिका को तीन गोलियां मार दीं। राधिका रसोई में खून से लथपथ गिर गई।   दीपक के भाई कुलदीप यादव ने बताया कि गोली चलने की आवाज सुनकर जब वे ऊपर पहुंचे, तो राधिका की लाश रसोई में पड़ी थी और पिस्टल ड्राइंग रूम में रखी थी। उन्होंने तुरंत अपने बेटे के साथ राधिका को अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।   पुलिस पूछताछ में दीपक यादव ने हत्या की बात स्वीकार की है। उसने बताया कि लोग उसे ताने मारते थे कि वह बेटी की कमाई खा रहा है। ये बातें उसे चुभती थीं। जब राधिका ने उसकी बात नहीं मानी और एकेडमी बंद करने से इनकार कर दिया, तो वह बर्दाश्त नहीं कर पाया और गोली मार दी।   राधिका यादव एक काबिल टेनिस खिलाड़ी थीं। उनका जन्म 23 मार्च 2000 को हुआ था। उन्होंने कई नेशनल और इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में भाग लिया और ITF महिला युगल में 113वीं सर्वोच्च रैंकिंग हासिल की थी। AITA की अंडर-18 और महिला वर्ग में भी वे शीर्ष 100 खिलाड़ियों में शामिल रहीं। उन्होंने हाल ही में चोट के चलते सक्रिय खेल से दूरी बनाकर एकेडमी शुरू की थी, जहां वे बच्चों को टेनिस सिखाती थीं।   राधिका ने स्कॉटिश हाई इंटरनेशनल स्कूल से पढ़ाई की और 2018 में कॉमर्स में 12वीं पास की। खेल और पढ़ाई के साथ उन्होंने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की थी, लेकिन यह आत्मनिर्भरता उनके पिता को बर्दाश्त नहीं हुई।   फिलहाल पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच जारी है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।

एअर इंडिया के विमान की थाईलैंड में इमरजेंसी लैंडिंग: बम होने की सूचना, 156 यात्री थे सवार

In National News
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हाल ही में अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे के ठीक बाद, एअर इंडिया को एक और चुनौती का सामना करना पड़ा जब फुकेट से दिल्ली आ रही उसकी एक फ्लाइट (AI-379) में बम होने की सूचना के बाद फुकेट इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आपात लैंडिंग कराई गई। विमान में सवार सभी 156 यात्री और चालक दल के सदस्य सुरक्षित बताए जा रहे हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने फ्लाइट ट्रैकर 'फ्लाइट्रेडर24' के हवाले से बताया कि एअर इंडिया की इस फ्लाइट ने फुकेट एयरपोर्ट से भारतीय समयानुसार सुबह 9.30 बजे (स्थानीय समयानुसार दोपहर 2.30 बजे) उड़ान भरी थी। हालांकि, बम की धमकी मिलने के बाद विमान ने अंडमान सागर के ऊपर एक बड़ा चक्कर लगाया और लगभग 20 मिनट बाद सुरक्षित रूप से फुकेट में ही आपात लैंडिंग कर ली। सभी यात्रियों और क्रू सदस्यों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। 'नेशन थाईलैंड' की रिपोर्ट के अनुसार, बम की धमकी मिलते ही फुकेट एयरपोर्ट ने तुरंत अपना एयरपोर्ट कंटिन्जेंसी प्लान (ACP) सक्रिय कर दिया। एयरपोर्ट अधिकारियों ने कहा कि धमकी को लेकर सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं और विस्तृत जानकारी मिलने पर अपडेट दिया जाएगा। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब एअर इंडिया पहले से ही अहमदाबाद में हुए दुखद विमान हादसे के बाद सुर्खियों में है। कल अहमदाबाद विमान हुआ था हादसा  यह उल्लेखनीय है कि एयर इंडिया का विमान AI-171, जो 12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भर रहा था, टेक-ऑफ के दो मिनट बाद ही क्रैश हो गया था। यह विमान अहमदाबाद के बी.जे. मेडिकल कॉलेज हॉस्टल पर गिरा था, जहां उस समय 50 से अधिक लोग मौजूद थे। इस भीषण हादसे में अब तक 265 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। इनमें से 241 मृतक विमान में सवार यात्री और क्रू मेंबर्स थे, जबकि 5 शव उस मेडिकल हॉस्टल से मिले हैं जिस पर विमान गिरा था। हॉस्टल में मारे गए लोगों में 4 एमबीबीएस छात्र और एक डॉक्टर की पत्नी शामिल हैं। दुर्घटनाग्रस्त हुए बोइंग 787 ड्रीमलाइनर फ्लाइट AI-171 में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक सहित कुल 230 यात्री सवार थे। इनमें 103 पुरुष, 114 महिलाएं, 11 बच्चे और 2 नवजात शामिल थे, जबकि 12 क्रू मेंबर्स थे। दुखद रूप से, इस हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल थे, जबकि चमत्कारिक रूप से केवल एक यात्री की जान बच पाई थी। 

पांगी - हिमाचल की सबसे खतरनाक सड़क से जुड़ा गांव

In International News

पांगी - हिमाचल की सबसे खतरनाक सड़क से जुड़ा गांव **सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा - यहाँ हर व्यवस्था बेहाल **आरोप : HRTC बस ड्राइवर करते है मनमर्ज़ी, डिपू से नहीं मिलता पूरा राशन **सड़क बंद हो तो कंधे पर उठा कर ले जाते है मरीज़ **मुख्यमंत्री के दौरे के बाद जगी उम्मीद

शायरी के बादशाह कहलाते है वसीम बरेलवी, पढ़े उनके कुछ चुनिंदा शेर

In Kavya Rath
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  वसीम बरेलवी उर्दू के बेहद लोकप्रिय शायर हैं। उनकी ग़ज़लें बेहद मक़बूल हैं जिन्हें जगजीत सिंह से लेकर कई अजीज़ गायकों ने अपनी आवाज़ दी है। वसीम बरेलवी अपनी शायरी और गजल के जरिए लाखों दिलों पर राज करते हैं। कोई भी मुशायरा उनके बगैर पूरा नहीं माना जाता।     18 फरवरी 1940 को वसीम बरेलवी का जन्म बरेली में हुआ था।  पिता जनाब शाहिद हसन  के रईस अमरोहवी और जिगर मुरादाबादी से बहुत अच्छे संबंध थे। दोनों का आना-जाना अक्सर उनके घर पर होता रहता था। इसी के चलते वसीम बरेलवी का झुकाव बचपन से शेर-ओ-शायरी की ओर हो गया। वसीम बरेलवी ने अपनी पढ़ाई बरेली के ही बरेली कॉलेज से की। उन्होंने एमए उर्दू में गोल्ड मेडल हासिल किया। बाद में इसी कॉलेज में वो उर्दू विभाग के अध्यक्ष भी बने।  60 के दशक में वसीम बरेलवी मुशायरों में जाने लगे। आहिस्ता आहिस्ता ये शौक उनका जुनून बन गया। पेश हैं उनके कुछ चुनिंदा शेर   अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे   जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता     आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है   ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी   ग़म और होता सुन के गर आते न वो 'वसीम' अच्छा है मेरे हाल की उन को ख़बर नहीं   जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता     जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों से कहीं हयात इसी फ़ासले का नाम न हो     कुछ है कि जो घर दे नहीं पाता है किसी को वर्ना कोई ऐसे तो सफ़र में नहीं रहता                         उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए       दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता     वो मेरे सामने ही गया और मैं रास्ते की तरह देखता रह गया   अपने अंदाज़ का अकेला था इसलिए मैं बड़ा अकेला था  

जयसिंहपुर: लोअर लंबागांव की बेटी अलीशा बनी ऑडिट इंस्पेक्टर

In Job
Jaisinghpur: Lower Lambagaon's daughter Alisha becomes audit inspector

जयसिंहपुर विधानसभा के अंतर्गत आने वाले लोअर लंबागांव की अलीशा ने हिमाचल प्रदेश एलाइड सर्विसेज की परीक्षा पास कर प्रदेश का नाम रोशन किया है । अलीशा का चयन ऑडिट इंस्पेक्टर के पद हुआ है। अलीशा ने बाहरवीं ऐम अकादमी सीनियर सेकेंडरी स्कूल जयसिंहपुर से की है। उसके बाद अलीशा ने गवर्नमेंट डिग्री कालेज धर्मशाला से ग्रेजुएशन की । अलीशा के पिता सुमन कुमार हिमाचल पुलिस में कार्यरत हैं और माता स्नेहलता गृहिणी हैं। अलीशा के पिता सुमन कुमार ने बेटी की उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि यह परिवार के लिए गौरव का क्षण है। वही अलीशा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता व गुरुजनों को दिया है।

इस गांव में घर से भागे प्रेमी जोड़े को महादेव देते हैं शरण

In Banka Himachal
In This Village, Lord Mahadev Offers Shelter to Eloping Lovers

अगर कोई प्रेमी जोड़ा देव शंगचूल महादेव की शरण में आ जाए तो कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता। देवता के आशीर्वाद से कई प्रेमी जोड़े सकुशल अपने घरों को लौटे हैं। हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू की सैंज घाटी के शांघड़ गांव में विराजे हैं शंगचूल महादेव, और ये मंदिर घर से भागे प्रेमी जोड़ों के लिए शरणस्थली है। पांडवकालीन शांघड़ गांव में स्थित इस महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि किसी भी जाति-समुदाय के प्रेमी युगल अगर शंगचूल महादेव की सीमा में पहुंच जाते हैं, तो इनका कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। यहां के लोग प्रेमी जोड़े को मेहमान समझ कर उसका स्वागत करते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। शंगचूल महादेव मंदिर की सीमा लगभग 128 बीघा का मैदान है और मान्यता है कि इस सीमा में पहुंचे प्रेमी युगल को देवता की शरण में आया हुआ मान लिया जाता है। इस सीमा में समाज और बिरादरी की रिवाजों को तोड़कर शादी करने वाले प्रेमी जोड़ों के लिए यहां के देवता रक्षक हैं। दिलचस्प बात ये है कि यहां सिर्फ देवता का कानून चलता है। प्रेमी जोड़े, जो मंदिर में आश्रय लेने आते हैं, वह यहां शादी कर सकते हैं और तब तक रह सकते हैं, जब तक प्रेमियों के दोनों तरफ के परिवारों के बीच सुलह नहीं हो जाती। तब तक जोड़े के लिए यहां रहने और खाने-पीने की पूरी व्यवस्था की जाती है। इस मंदिर में आने वाले प्रेमी जोड़ों के लिए पुलिस भी दखलंदाजी नहीं कर सकती। इस मंदिर के पीछे रोचक कहानी है। जनश्रुति के अनुसार, अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां रुके थे और उसी दौरान कौरव उनका पीछा करते हुए यहां तक पहुंच गए। पांडवों ने शंगचूल महादेव की शरण ली और रक्षा के लिए प्रार्थना की। इसके बाद महादेव ने कौरवों को रोका और कहा कि यह मेरा क्षेत्र है और जो भी मेरी शरण में आएगा उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। महादेव के डर से कौरव वापस लौट गए और इसके बाद से यहां परंपरा शुरू हो गई और यहां आने वाले भक्तों को पूरी सुरक्षा मिलने लगी। शांघड़ पंचायत विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क क्षेत्र में होने के कारण भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि जंगल की रखवाली करने वाले वन विभाग के कर्मचारियों व पुलिस महकमे के कर्मचारियों को यहाँ अपनी टोपी व पेटी उतारकर मैदान से होकर जाना पड़ता है। देवता का ही फैसला सर्वमान्य शांघड़ गांव में हर नियम और कानून का बेहद सख्ती से पालन किया जाता है। कोई भी व्यक्ति इस गांव में ऊंची आवाज में बात नहीं कर सकता है। इसके साथ ही यहां शराब, सिगरेट और चमड़े का सामान लेकर आना भी मना है। यहां देवता का ही फैसला सर्वमान्य होता है। कहते हैं कि जब तक मामले का निपटारा न हो जाए ब्राह्मण समुदाय के लोग यहां आने वालों की पूरी आवभगत करते हैं और उनके रहने से खाने तक की पूरी जिम्मेदारी यहां के लोग ही उठाते हैं। 128 बीघा में एक भी कंकड़-पत्थर नहीं कहते हैं अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने कुछ समय शांघड़ में भी बिताया और उन्होंने यहां धान की खेती के लिए मिट्टी छानकर खेत तैयार किए थे। वे खेत आज भी विशाल शांघड़ मैदान के रूप में यथावत हैं और इस 128 बीघा में एक भी कंकड़-पत्थर नहीं है और न ही किसी प्रकार की झाड़ियां। वहीं, आधा हिस्सा गौ-चारे के रूप में खाली रखा गया है। यह मैदान अपने चारों ओर देवदार के घने पेड़ों से घिरा है, मानो इसकी सुरक्षा के लिए देवदार के वृक्ष पहरेदार बन खड़े हों। वहीं, मैदान के तीन किनारों पर काष्ठकुणी शैली में बनाए गगनचुंबी मंदिर बेहद दर्शनीय हैं। इस मैदान में शांघड़वासी अपनी गायों को रोज चराते हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि इस मैदान में गाय का गोबर कहीं भी नहीं मिलता। भूमि की खुदाई, देवता की अनुमति के बगैर नाचना और शराब ले जाने पर भी पाबंदी है। घोड़े के प्रवेश पर भी मनाही शांघड़ गांव में घोड़े के प्रवेश पर भी मनाही है। यदि किसी का घोड़ा शंगचूल देवता के निजी क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उसके मालिक को जुर्माना देना पड़ता है या फिर देवता कमेटी की ओर से उस पर कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाती है।

कांग्रेस संगठन : कार्यकर्त्ता हताश, बड़े नेताओं का एक ही जवाब - 'जल्द होगा'

In Siyasatnama
NO SANGTHAN FOR HIMACHAL CONGRESS SINCE EIGHT MONTHS

 6 नवंबर से बेसंगठन हैं कांग्रेस, जल्द होने हैं पंचायत चुनाव     करीब एक साल पहले हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव हुए और कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की थी। पुरे प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल दिखा। तब कई माहिरों ने कहा कि जो 1985  के बाद नहीं हुआ, मुमकिन है 2027 में हो। मुमकिन है सुखविंद्र सिंह सुक्खू , वीरभद्र सिंह के बाद रिपीट करने वाले पहले सीएम बन जाएं। पर अब उक्त तमाम माहिर चुप्पी ओढ़े है और इसका सबसे बड़ा कारण है कांग्रेस का संगठन, जो आठ महीने से है ही नहीं।     चुनाव के नतीजे संगठन की मेहनत और सरकारों के कामकाज से तय होते है। अब सत्ता का करीब आधा रास्ता ही तय हुआ है और चुनावी  चश्मे से मौजूदा सरकार के कामकाज का विशलेषण करना जल्दबाजी होगा। पर संगठन का क्या ? पार्टी के भीतर पनप रहे असंतोष का क्या ?  झंडे उठाने वाले आम कार्यकर्ताओं से लेकर पीसीसी चीफ, कैबिनेट मंत्री और अब तो खुद मुख्यमंत्री भी संगठन में देरी को नुकसानदायक मान रहे है। फिर ये देरी क्यों , ये समझ से परे है।  मान लेते है मसला पीसीसी चीफ पद अटका हैं, और खींचतान के चलते आलाकमान निर्णय नहीं ले पा रहा , लेकिन क्या ज़िलों अध्यक्षों और प्रदेश के महत्वपूर्ण पदों पर भी नियुक्तियां नहीं की जा सकती थी। इसी साल के अंत में पंचायत चुनाव होने हैं, नई गठित नगर निगमों के चुनाव भी अपेक्षित हैं। ऐसे में आठ महीने से पार्टी का बगैर संगठन होना समझ से परे हैं।   इस बीच संगठन के गठन को लेकर अब भी कोई पुख्ता जानकारी नहीं हैं। कार्यकर्ताओं की हताशा लाजमी हैं और धैर्य धरे बड़े नेताओं के पास सिर्फ एक ही जवाब हैं, 'जल्द होगा'।  

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