गुरुकुल इंटरनेशनल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कारगिल विजय दिवस पर विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इसमें एनसीसी कैडेट्स और कक्षा चौथी के छात्रों ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर सैनिकों को लघुनाटिका, गीत और वीर रस से भरी कविता गाकर श्रद्धांजलि दी। वहीं नीतीश द्वारा गाए देशभक्ति गीत को सुनकर सभी की आंखें नम हो गई। विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती गुरप्रीत माथुर ने कहा कि भारत माता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है और हर नागरिक के अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी होनी चाहिए। प्रार्थना सभा में भारत माता की जय तथा वीर सैनिक अमर रहे के नारे भी लगाए गए।
साईं इंटरनेशनल स्कूल में शुक्रवार को 'मैंगो डे' मनाया गया। इसमें विद्यालय के सभी बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस उपलक्ष्य पर सभी बच्चे पीले रंग के वस्त्रों में विद्यालय आए। बच्चे अपने-अपने घरों से आम लेकर आए और अध्यापिकाओं की मदद से बच्चों ने आमों को विभिन्न प्रकार के आकार देकर प्रस्तुत किया। अध्यापिकाओं ने बच्चों को फलों के राजा आम में पाए जाने वाले गुणों की जानकारी दी। सभी बच्चों ने बड़ी उत्सुकता के साथ इस जानकारी को सुना। स्कूल प्रबंधक श्री रामेंद्र बावा ने कहा कि विद्यालय परिसर में इस तरह की गतिविधियां आयातित करवाते रहते हैं जिससे बच्चे के अंदर मानसिक और बौद्धिक विकास होता है।
पांडवों ने माता कुंती के साथ यहां पर की थी महाकाल की आराधना पालमपुर से 16 किमी की दूरी पर स्थित बैजनाथ मंदिर लाखों शिवभक्तों की आस्था का केंद्र है। द्वापर युग में पांडवों के अज्ञातवास ने दौरान इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था। कहते हैं कि मंदिर बनवाने के बाद पांडवों ने माता कुंती के साथ यहां पर महाकाल की आराधना की थी। स्थानीय लोगों के अनुसार इस मंदिर का शेष निर्माण कार्य आहुक एवं मनुक नाम के दो व्यापारियों ने 1204 ई में पूर्ण किया था और तब से लेकर अब तक यह स्थान शिवधाम के नाम से उत्तरी भारत में प्रसिद्ध है। भगवान शिव ने रावण को दिए थे दो शिवलिंग बैजनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग के स्थापना की कथा रावण से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेता युग में लंका के राजा रावण ने कैलाश पर्वत पर शिव की तपस्या की थी। कोई फल न मिलने पर उसने घोर तपस्या प्रारंभ की। अंत में उसने अपना एक-एक सिर काटकर हवन कुंड में आहुति देकर शिव को अर्पित करना शुरू किया। दसवां और अंतिम सिर कट जाने से पहले शिवजी ने प्रसन्न हो प्रकट होकर रावण का हाथ पकड़ लिया। उसके सभी सिरों को पुर्नस्थापित कर शिव ने रावण को वर मांगने को कहा। रावण ने कहा मैं आपके शिवलिंग स्वरूप को लंका में स्थापित करना चाहता हूँ। आप दो भागों में अपना स्वरूप दें और मुझे अत्यंत बलशाली बना दें। शिवजी ने तथास्तु कहा और लुप्त हो गए। लुप्त होने से पहले शिव ने अपने शिवलिंग स्वरूप दो चिह्न रावण को देने से पहले कहा कि इन्हें ज़मीन पर न रखना। रावण दोनों शिवलिंग लेकर लंका को चला। रास्ते में गौकर्ण क्षेत्र (बैजनाथ) में पहुँचने पर रावण को लघुशंका का अनुभव हुआ। उसने 'बैजु' नाम के एक ग्वाले को सब बात समझाकर शिवलिंग पकड़ा दिए और शंका निवारण के लिए चला गया। शिवजी की माया के कारण बैजु उन शिवलिंगों के भार को अधिक देर तक न सह सका और उन्हें धरती पर रखकर अपने पशु चराने चला गया। इस तरह दोनों शिवलिंग वहीं स्थापित हो गए। जिस मंजूषा में रावण ने दोनों शिवलिंग रखे थे, उस मंजूषा के सामने जो शिवलिंग था, वह चन्द्रभाल के नाम से प्रसिद्ध हुआ और जो पीठ की ओर था, वह बैजनाथ के नाम से जाना गया। सप्तऋषियों ने स्थापित किए थे सात कुंड मान्यता यह भी है कि सप्तऋषि जब इस क्षेत्र के प्रवास पर थे, तब सात कुंडों की स्थापना की गई थी। इनमें से चार कुंड- ब्रह्म कुंड, विष्णु कुंड, शिव कुंड और सती कुंड आज भी मंदिर में मौजूद हैं। तीन कुंड- लक्ष्मी कुंड, कुंती कुंड और सूर्य कुंड मंदिर परिसर के बाहर हैं। जाने बैजनाथ मंदिर के बारे में यह प्रसिद्ध शिव मंदिर पालमपुर के चामुंडा देवी मंदिर से 22 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां शिवलिंग पर चढ़ने वाला पानी या दूध कहीं भी बाहर निकलता नजर नहीं आता। इस मंदिर को अघोरी साधकों और तंत्र विद्या का केंद्र माना जाता है। इसका पुराना नाम कीरग्राम था, परन्तु समय के साथ यह मंदिर के नाम से प्रसिद्ध होता गया और ग्राम का नाम बैजनाथ पड़ गया। मंदिर के प्रांगण में कुछ छोटे मंदिर हैं और नंदी बैल की मूर्ति है। नंदी के कान में भक्तगण अपनी मन्नत मांगते है। पूरा मंदिर एक ऊंची दीवार से घिरा है और दक्षिण और उत्तर में प्रवेश द्वार हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों में मूर्तियों, झरोखों में कई देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं। मकर संक्रांति, महाशिवरात्रि, वैशाख संक्रांति, श्रावण सोमवार आदि पर्व भारी उत्साह और भव्यता के साथ मनाऐ जाते हैं। श्रद्धालु रेलमार्ग,हवाई सेवा, बस या निजी वाहन व टैक्सी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
जलागम विकास परियोजना द्वारा दुर्गा माता मंदिर धुंधन में किसानों की कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यशाला में मुख्य रूप से एरिया प्रोग्राम मैनेजर संजय शर्मा भी उपस्थित रहे। उनके साथ अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन के कार्यक्रम प्रबंधक भूपेंद्र गांधी,कृषि विशेषज्ञ एचके शर्मा व इफ़को जैविक राज्य विपणन प्रबंधक गुरमीत सिंह मनकोटिया भी मौजूद थे। इस मौके पर मनकोटिया ने किसानों को इफको नामक जैविक की दवाइयों के बारे में जानकारी दी। जलागम विकास परियोजना के अध्यक्ष रूपलाल वर्मा ने किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए जागरूक किया ओर किसानों से आह्वान किया कि आज हम प्रण करें कि अपने खेतों में हम कोई रासायनिक खाद और किसी भी प्रकार का रासायनिक स्प्रे नहीं करेंगे। रूपलाल वर्मा ने कहा कि ना हम स्वयँ जहर खाएंगे और ना ही दूसरों को खिलाएंगे। रूपलाल ने सरकार द्वारा चलाई जा रही प्राकृतिक शून्य बजट खेती के बारे में भी लोगों को जानकारी दी तथा किसानों से आग्रह किया कि हर किसान बाजार से खाद व दवाइयां न खरीद कर स्वयं पहाड़ी गाय के गोबर व मूत्र से खाद व स्प्रे की दवाइयों का निर्माण करें। उन्होंने किसानों को गाय के गोबर व मूत्र से बनने वाले जीवामृत बीजामृत धन जीवामृत और फसलों को फफूंदनाशक से बचाने के लिए द्रेकशस्त्र अग्नि शास्त्र व दस्पणि बनाने व प्रयोग करने की विधि भी किसानों को बताई। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जलागम विकास परियोजना के सदस्यों व अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन में कार्यरत चंपा वर्मा,रमेश शुक्ला ने अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया। इस शिविर में 123 किसानों ने भाग लिया और किसानों को 90% अनुदान पर जैविक दवाइयां भी बांटी गई। एसीएफ से आए कार्यक्रम प्रबंधक भूपेंद्र गांधी ने किसानों से प्राकृतिक खेती करने के साथ युवाओं और बच्चों को नशीले पदार्थों जैसे शराब,भांग और चिट्टा से बचाने की भी अपील की और कहा कि आने वाली युवा पीढ़ी ही देश का भविष्य है। कार्यक्रम प्रबंधक संजय शर्मा ने किसानों से प्राकृतिक खेती करने का आग्रह किया। इस मौके पर कृषि विभाग खंड कुनिहार से एसएमएस मनोज शर्मा व बीटीएम निखिल ने भी किसानों को रासायनिक दवाइयां और खाद न डालने पर प्रकाश डाला।सरकार का लक्ष्य किसानों की आय को दोगुना करना ही है यह तभी संभव होगा जब किसान प्राकृतिक ढंग से खेती करेंगे। मनोज शर्मा ने कहा कि हर गांव के लोग प्राकृतिक खेती की शुरुआत करें। विभाग किसानों की हरसंभव सहायता करेगा। इस अवसर पर एरिया प्रोग्राम मैनेजर संजय शर्मा,अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन के कार्यक्रम प्रबंधक भूपेंद्र गांधी,कृषि विशेषज्ञ एचके शर्मा,इफ़को जैविक राज्य विपणन प्रबंधक गुरमीत सिंह मनकोटिया,जलागम विकास परियोजना के अध्यक्ष रूपलाल वर्मा,कृषि विभाग खंड कुनिहार से एसएमएस मनोज शर्मा व बीटीएम निखिल,चंपा वर्मा,रमेश शुक्ला,परसराम वर्मा,रामदत्त ठाकुर,राजेंद्र ठाकुर,रतन चंद बट्टू,हेमराज डोगरा,गोपाल शर्मा राजेंद्र सिंह वर्मा,मुंशीराम वर्मा,राजपाल ठाकुर,हेमराज शर्मा,मदन शर्मा,चंपा वर्मा,रमादेवी,रीनू,रीता शर्मा,शीला देवी,रेखा देवी,सरोज,मंजू,जानकी, निर्मला,रमा,नानक चंद,अमर देव वर्मा,अमर सिंह,भुवनेश,लेख राम,जय राम,भूप चंद,दुनीचंद,सुधीर,रमेश सहित जलागम विकास परियोजना के सदस्यों व स्थानीय लोगों ने भाग लिया।
राजकीय महाविद्यालय अर्की की ओल्ड स्टूडेंट एसोसिएशन ने शिक्षा मंत्री द्वारा महाविद्यालय में इस सत्र में पीजीडीसीए की कक्षाएं आरंभ करने तथा अगले सत्र से स्नात्कोत्तर विषयों पर कक्षाएं आरंभ करने की घोषणा का स्वागत किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक गुप्ता , वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुकेश शर्मा ,उपाध्यक्ष योगेश चौहान ,सचिव प्रभा भारद्वाज, संयुक्त सचिव मुकेश शर्मा, कोषाध्यक्ष कन्नव सूद, सहायक कोषाध्यक्ष राजेश शर्मा ,कानूनी सलाहकार भीम सिंह ठाकुर व सदस्यों गौरव ठाकुर ,विजय भारद्वाज ,सागर व भूपेंद्र ने इस घोषणा के लिए शिक्षा मंत्री का आभार व्यक्त किया है । एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक गुप्ता ने कहा कि अर्की महाविद्यालय में स्नातकोत्तर कक्षाएं आरंभ होने से स्नातक विषय पढ़ने वाले छात्रों को शिमला या अन्यथा नहीं जाना पड़ेगा ।
डॉ वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी अपनी शैक्षणिक, अनुसंधान और विस्तार गतिविधियों को बेहतर बनाने के लिए ईमानदारी से प्रयास करेगा ताकी विश्वविद्यालय न केवल सर्वश्रेष्ठ वैश्विक विश्वविद्यालयों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके बल्कि किसानों के लिए नवीन कृषि समाधान और तकनीक विकसित कर सके और उसका नियमित हस्तांतरण हो सके। यह विचार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय में मीडिया से बातचीत के दौरान साझा किए। इस अवसर पर डॉ कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय का एक महत्वपूर्ण कार्य बागवानी और वानिकी में कुशल मानव संसाधन को तैयार करना है। ताकि अधिक से अधिक छात्र शीर्ष पदों पर पहुंच सके इसलिए विश्वविद्यालय आने वाले समय में न केवल जेआरएफ, एसआरएफ, एआरएस और आईएफएस जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेष कोचिंग देगा बल्कि लैटरल एंट्री वाले वोकेशन कार्यक्रम भी शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों को बेहतर शिक्षण वातावरण प्रदान करने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करेगा। विश्वविद्यालय के कैरियर और प्लेसमेंट सेल को मजबूत करना और पुस्तकालय सुविधाओं सहित शैक्षणिक प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से डिजिटलीकरण विश्वविद्यालय के अन्य फोकस एरिया है। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय न केवल नई किस्मों को विकसित करने के लिए काम करेगा, बल्कि किसानों को प्रदान किए जाने वाले विभिन्न फलों, सब्जियों, औषधीय और वन पौधों के बीजों और रोपण सामग्री को भी बढ़ाएगा। नई किस्मों पर ट्राइल भी लगाए जाएगें और राज्य के किसानों को उनकी सिफारिश करने के लिए और कदम उठाए जाएंगे। शोध और विस्तार के क्षेत्र पर डॉ कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय यह सुनिश्चित करेगा कि विश्वविद्यालय से प्रौद्योगिकी और ज्ञान का प्रवाह राज्य के कृषक समुदाय तक हो। यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कृषि विज्ञान केंद्रों में एक सामान्य कौशल विकास कार्यक्रम स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय किसानों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम चलाने के लिए राज्य के कृषि और बागवानी सहित विभिन्न विभागों के साथ गठजोड़ करेगा और किसानों के उत्पादन से विपणन तक के मुद्दों को संबोधित करेगा। उन्होंने कहा कि इनपुट लागत को कम करके और बाजार हस्तक्षेप से खेती की आय को दोगुना करना भी एक लक्ष्य है जिसे विश्वविद्यालय पूरा करना चाहेगा। राज्य में प्राकृतिक खेती का प्रणालीगत प्रचार और प्रसार के लिए विश्वविद्यालय प्रत्येक ब्लॉक के 50 किसानों को प्रशिक्षित करेगा। प्रत्येक ब्लॉक में पांच किसानों के खेतों पर प्रदर्शन मॉडल भी स्थापित किए जाएंगे। वार्षिक राज्य स्तरीय किसान मेला और किसान दिवस के आयोजन के अलावा, विश्वविद्यालय बागवानी और कृषि विज्ञान के क्षेत्र में राज्य और आस-पास के किसानों के लिए इन-हाउस और फील्ड प्रशिक्षण प्रदान करेगा। विश्वविद्यालय के लिए विभिन्न शैक्षिक एवं गैर शिक्षण पदों को मंजूरी देने के लिए राज्य सरकार को धन्यवाद देते हुए डॉ कौशल कि कहा विश्वविद्यालय जल्द ही सहायक प्रोफेसरों के 39 पदों के साक्षात्कार आयोजित करेगा। इसके अलावा सहायक प्रोफेसरों के 23 अतिरिक्त पदों को विज्ञापित कर दिया गया है और हिमाचल सरकार द्वारा अनुमोदित विभिन्न श्रेणियों के गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 55 से अधिक पद भी भरे जाएगें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय राज्य सरकार के समक्ष शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष तक बढ़ाने का विषय उठाएगी। बुनियादी ढाँचे के विकास के मुद्दे पर कई निर्माण कार्यों (प्रत्येक एक करोड़ रुपये से ऊपर) को समय पर पूरा करना की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है । इनमें लड़कों का छात्रावास, पानी की आपूर्ति योजना, खेल का मैदान और पवेलियन ब्लॉक, मुख्य परिसर और अनुसंधान स्टेशनों की फेंसिंग, औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नेरी की प्रयोगशाला और बहुउद्देशीय भवन और कृषि विज्ञान केंद्र, ताबो में प्रशासनिक भवन के निर्माण प्रमुख हैं। कई अन्य कार्यों के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं, जबकि स्टाफ हाउसों की मरम्मत, नए छात्रावास का निर्माण, अंतरराष्ट्रीय छात्रों के नए छात्रावास, वानिकी महाविद्यालय के लिए नया शिक्षण ब्लॉक, वीआईपी गेस्ट हाउस और नेरी महाविद्यालय में नए छात्रावास और स्नातकोत्तर ब्लॉक के निर्माण के लिए प्रोजेक्ट तैयार कर लिए गए हैं। इस अवसर पर डॉ कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने अनुसंधान कार्यों के विस्तार के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग एजेंसियों से वित्त पोषण के अवसर तलाशेगा। अनुसंधान और विस्तार शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय फलों, सब्जियों, फूलों, औषधीय और सुगंधित पौधों, वन पौधों की प्रजातियों और एग्रोफॉरेस्ट्री, जिसमें उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण,संरक्षित और प्रीसीजन खेती शामिल हैं, की खेती के लिए अत्याधुनिक तकनीकों पर शोध और छात्रों का मार्गदर्शन करेंगे। इसके अलावा, संरक्षण कृषि, प्राकृतिक खेती आदि सहित वैकल्पिक कृषि प्रणालियों के लिए अनुसंधान और विकास सहायता देने पर ज़ोर दिया जाएगा ताकि रसायन अवशेष मुक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके। डॉ कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक बागवानी और कृषि के क्षेत्रों में सतत विकास के लिए राष्ट्रीय संसाधनों और जैव विविधता के संरक्षण के लिए मॉडल तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि कृषि उद्यमियों को सरकारी योजनाओं से लाभ उठाने और नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी प्रदाता बनने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनुसंधान और विकास सहायता देना विश्वविदयालय का लक्ष्य रहेगा। व्यावसायिक खेती, मूल्य संवर्धन और बाजार के हस्तक्षेप की शिक्षा को एकीकृत करके शिक्षित ग्रामीण युवाओं के लिए एक मॉडल स्थापित किया जाएगा। इस अवसर पर डॉ राकेश गुप्ता, डीन कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर; डॉ पीके महाजन, डीन कॉलेज ऑफ फॉरेस्ट्री; श्री राजीव कुमार, रजिस्ट्रार; डॉ कुलवंत राय, एसडब्ल्यूओ; श्री एचएम वर्मा, वित्त नियंत्रक और इंजीनियर अर्पणा रोहेला, एस्टेट ऑफिसर भी मौजूद रहे।
कैप्टेन विजयंत थापर शहीद स्मारक अर्की में कारगिल विजय दिवस मनाया गया। इस मौके पर एसडीएम अर्की विकास शुक्ला व अन्य लोगों ने शहीद कैप्टन विजयंत थापर के स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर कारगिल के शहीद वीर सपूतों को याद किया। शुक्ला ने कहा कि देश की रक्षा करने में हमारे वीर जवानों ने अपने अदम्य साहस व वीरता का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि आज वह उन वीर जवानों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते है। जो इस देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे। इस मौके पर तहसीलदार मोहन लाल शर्मा ,नायाब सन्तराम सहित एस डी एम कार्यालय के कर्मचारी मौजूद रहे।
दुधारू पशु सुधार सभा सोलन के सौजन्य से दुधारू पशुओं के उचित रख रखाव व प्रज्जन जनन पर पशुपालकों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन ग्राम पंचायत धुंधन में किया गया।इस दौरान दुधारू पशु सुधार सभा सोलन के अध्यक्ष रविंद्र परिहार मुख्य अतिथि रहे।प्रशिक्षण शिविर में पशु पालकों को विभिन्न सुविधाओं की जानकारी दी गई।इसमें डॉक्टर मारकंडे सिंह,डॉक्टर मानवी चौधरी ने दुधारू पशुओं के रखरखाव,नस्ल सुधार,दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी,प्रजन्न,जनन से संबंधित समस्याओं के निवारण,पशुओं के उपचार आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता हरे चारे की उपलब्धता के लिए उन्नतव पोष्टिक घास के उत्पादन की जानकारी दी गई।इसका मुख्य उद्देश्य पशुओं से संबंधित जानकारी प्राप्त और सुधार सभा में जुड़ने का लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।इस अवसर पर दुधारू पशु सुधार सभा के अध्यक्ष रविंद्र परिहार,उपाध्यक्ष सत्या ठाकुर,डॉक्टर मारकंडे सिंह,डॉक्टर मानवी चौधरी,मोटीवेटर अरुण,प्रभा गौतम,ग्राम पंचायत धुंधन के प्रधान प्रेम चंद,उपप्रधान त्रिलोक ठाकुर,हनुमान बड़ोग के प्रधान कृष्ण सिंह कंवर,भूतपूर्व प्रधान जगदीश चंद,मोटिवेटर नरेंद्र वर्मा,देवेंद्र गुप्ता, रोशनलाल,वार्ड सदस्य चेतराम,निर्मला देवी,कौशल्या देवी,जानकी देवी,पूर्व पंचायत सदस्य मनोहर लाल और ग्राम पंचायत के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
लोक निर्माण विभाग ने मानसून सीजन में जिला सोलन में 16 हज़ार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। विभाग के सोलन, अर्की, कसौली और नालागढ़ खंड में अलग-अलग स्थानों पर ये पौधे लगाए जाएंगे। विभाग के एसई ई. एसपी जगोटा ने बताया कि इसी के तहत चम्बाघाट के समीप करीब डेढ़ सौ पौधे लगाए गए है। इस मौके पर ई. बीआर धीमान बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे। वहीँ ललित भूषण बतौर विशेष अतिथि मौजूद रहे। ई. एसपी जगोटा ने जानकारी दी कि विभाग द्वारा समय -समय पर इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। इस दौरान एक्सईएन सोलन ई. अरविन्द शर्मा भी मौजूद रहे।
पोषण अभियान जन आंदोलन कार्यक्रम के तहत खंड स्तरीय जागरूकता शिविर का आयोजन ग्राम पंचायत कुमारहट्टी में किया गया। समेकित बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 90 आंगनवाड़ी वर्कर, आशा कार्यकर्ता एवं स्थानीय महिलाओं ने भाग लिया है। सीडीपीओ पवन गर्ग ने बाल विकास विभाग द्वारा महिलाओं, किशोरियों एवं गर्ववती महिलाओं हेतु चलए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी। वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ सीमा गुप्ता ने महिलाओं की किशोरवस्था के परिवर्तन, गर्वावस्था के दौरान उचित रखरखाव आदि की जानकारी दी। अधिवक्ता राजीव ने महिलाओं के कानूनी अधिकारों पर जानकारी दी। मनोचिकित्सक डॉ वैशाली ने मानसिक रोगों एवं अवसाद से बाहर आने के बारे में जागरूक किया।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने रोटरी क्लब कसौली की इंस्टालेशन सेरेमनी में की शिरकत सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सहकारिता मंत्री डाॅ. राजीव सैजल ने कहा कि रोटरी क्लब विभिन्न सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से समाज सेवा में अग्रणी रहकर कार्य कर रहा है तथा पीड़ितों एवं ज़रूरतमंदों के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत है। सोलन जिला के कसौली विधानसभा क्षेत्र में रोटरी क्लब कसौली की इंस्टालेशन सेरेमनी को संबोधित करते हुए डाॅ. सैजल ने कहा कि विभिन्न लाभकारी योजनाओं की जानकारी आमजन तक पहुंचाने में विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाएं सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा नियमित रूप से जनसेवा के कार्यों में भाग लेना जहां सराहनीय है वहीं इससे समाज के सभी वर्ग प्रेरित भी होते हैं। विभिन्न सामाजिक क्रियाकलापों में रोटरी क्लब की सक्रिय भूमिका है। क्लब द्वारा समय-समय पर रक्त दान शिविर, पौधरोपण कार्यक्रम तथा अस्पतालों में रोगियों व तीमारदारों के लिए सुविधाएं, विद्यालयों में शौचालय निर्माण इत्यादि प्रशंसनीय कार्य किया जा रहा है। सहकारिता मंत्री ने रोटरी क्लब के सदस्यों से आग्रह किया कि वे विभिन्न सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन में प्रदेश सरकार को सहयोग दें। उन्होंने कहा कि नशे जैसी सामाजिक कुरीति के समूल नाश में स्वयंसेवी संस्थाओं को अपनी सक्रिय भूमिका निभानी होगी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि रोटरी क्लब द्वारा कसौली से संबंधित विभिन्न समस्याओं को उठाया गया है जिनका चरणबद्ध ढंग से निपटारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पेयजल संरक्षण बड़ी चुनौती है तथा क्लब को सामाजिक गतिविधियों के अलावा पेयजल संरक्षण में भी योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कालूझंडा उठाऊ पेयजल योजना का कार्य अंतिम चरण में है तथा इस परियोजना को वित्तीय मदद के लिए नाबार्ड को प्रस्तुत किया गया है। नाबार्ड से स्वीकृति मिलते ही इस परियोजना का कार्य शीघ्र पूरा किया जाएगा। डाॅ. सैजल ने इस अवसर पर रोटरी क्लब की मांग पर कसौली के आसपास कूड़ा निपटान सयंत्र स्थापित करने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ कार्यक्रम को अवश्य सुनें। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री युवाओं को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उनका बेहतर मार्गदर्शन भी करते हैं। उन्होंने कहा कि इस माह की ‘मन की बात’ की कड़ी में प्रधानमंत्री ने वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता पर बल दिया है। प्रधानमंत्री ने आमजन से भी वर्षा जल संग्रहण करने की दिशा में कदम उठाने का आह्वान किया है। इससे पूर्व रोटरी क्लब के अध्यक्ष एवं किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य राज सिंगला तथा इनर व्हील क्लब कसौली की अध्यक्ष रीता टंडन ने मुख्यातिथि का स्वागत किया तथा क्लब की विभिन्न गतिविधियों के विषय में अवगत करवाया।इस अवसर पर कृषि उपज मंडी सोलन के अध्यक्ष संजीव कश्यप, जिला भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष सुंदरम ठाकुर, जिला परिषद सदस्य चैन सिंह, हिमफैड के निदेशक कपूर सिंह वर्मा, तहसीलदार कसौली कपिल तोमर, रोटरी क्लब के सचिव सुशील बंसल, कपिल टंडन, देवेंद्र गुप्ता, पंकज जैन, आईएस चड्ढा, विकास सिंगला, कैप्टन एजे सिंह, डाॅ. वीरेंद्र मोहन, इनर व्हील क्लब कसौली के सहायक गवर्नर विपिन गुप्ता सहित बड़ी संख्या में क्लब के सदस्य एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
जहां बरसात के मौसम में जल जनित बीमारियों के फैलने की संभावना बढ़ गई है वहीं अभी भी नगर परिषद इसे लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है। शहर में अधिकतर क्षेत्रों में नालियों पर पेयजल पाइप लाइन को लंबे समय से हटाया नहीं गया है। कई क्षेत्रों में पेयजल पाइप लाइन टूट गए हैं जिससे लोगों के घर द्वार गंदा पानी पहुंच रहा है। गंदी नालियों से गुजर रही पेयजल पाइप लाइन हटाई नहीं जा रही है और इसका खामयाज़ा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है। गंभीर चिंता का विषय है नगर परिषद को शहर में फैल रहे जल जनित रोगों की शायद सुध ही नहीं है। बता दें शहर में जल जनित रोगों ने दस्तक देना शुरू कर दी है। क्षेत्रीय अस्पताल में रोज़ाना डायरिया से ग्रस्त मरीज़ पहुंचना शुरू हो चुके हैं। इसी के साथ डेंगू ने भी अपने पांव पसारना शुरू कर दिया है। ऐसे में बीमारियों के फैलने का अंदेशा बढ़ता जा रहा है।
कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 जवानों ने अपने जीवन का बलिदान दिया राइफलमैन संजय कुमार और कैप्टेन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 जवानों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था। इसमें कांगड़ा जिले के सबसे अधिक 15 जवान शहीद हुए थे। मंडी जिले से 11, हमीरपुर के सात, बिलासपुर के सात, शिमला से चार, ऊना से दो, सोलन और सिरमौर से दो-दो जबकि चंबा और कुल्लू जिले से एक-एक जवान शहीद हुआ था। कारगिल युद्ध में पहले शहीद कैप्टेन सौरभ कालिया भी हिमाचल के पालमपुर से ही ताल्लुख रखते थे। हिमाचल प्रदेश के राइफलमैन संजय कुमार और कैप्टेन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से भी सम्मानित किया गया। दुश्मन की मशीनगन से ही दुश्मन को भून डाला संजय कुमार ने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के रहने वाले संजय कुमार को इसी अदम्य साहस के लिए परमवीर चक्र का सम्मान मिला।प्वाइंट 4875 पर राइफलमैन संजय कुमार की बहादुरी ने भारतीय सेना को आगे बढ़ने का आधार दिया था। एक दिन पूर्व ही इस प्वाइंट पर संजय कुमार की चीते सी फुर्ती से दुश्मन पर कहर बनकर टूटी थी। संजय कुमार प्वाइंट 4875 पर पहुंचे ही थे कि उनका सामना दुश्मन के आटोमैटिक फायर से हो गया। संजय कुमार तीन दुश्मनों के साथ गुत्थमगुत्था हो गए। हैंड टू हैंड फाइट में संजय कुमार ने तीनों को मौत के घाट उतार दिया। दुश्मन टुकड़ी के शेष जवान घबराहट में अपनी यूनिवर्सल मशीन गन छोड़कर भागने लगे। बुरी तरह से घायल संजय कुमार ने उसी यूएमजी से भागते दुश्मनों को भी ढेर कर दिया। कैप्टेन विक्रम बत्रा की शाहदत की कसमें खाते है सैनिक पहली जून 1999 को कैप्टेन विक्रम बत्रा की टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया। हम्प और राकी नाब स्थानों को जीतने के बाद उसी समय विक्रम को कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर सबसे 5140 चोटी को पाक सेना से मुक्त करवाने का जिम्मा भी कैप्टन विक्रम बत्रा को दिया गया।विक्रम बत्रा ने अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 को सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर इस चोटी को अपने कब्जे में ले लिया।विक्रम बत्रा ने जब इस चोटी से रेडियो के जरिए अपना विजय ‘यह दिल मांगे मोर’ कहा तो पुरे हिन्दुस्तान में उनका नाम छा गया। इसके बाद सेना ने चोटी 4875 को भी कब्जे में लेने का अभियान शुरू कर दिया, जिसकी बागडोर भी विक्रम को सौंपी गई। उन्होंने जान की परवाह न करते हुए लेफ्टिनेंट अनुज नैयर के साथ कई पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा। कारगिल के युद्ध के दौरान उनका कोड नाम 'शेर शाह' था। पॉइट 5140 चोटी पर हिम्मत की वजह से ये नाम मिला।कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा 7 जुलाई को शहीद हो गए।शहीद होने के बाद उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया।
हिमाचल प्रदेश की हरियाली बढ़ाने के लिए यूं तो वन विभाग हर साल हर संभव प्रयास करता है। पर अब नई योजना से यह जन अभियान बन सकेगा। अब नवजात कन्या के नाम पर बूटा लगाकर हिमाचल प्रदेश में हरियाली बढ़ाई जाएगी । हिमाचल इस तरह की अनूठी पहल करने जा रहा है। प्रदेश में जहां भी बेटी पैदा होगी, उस परिवार को वन विभाग पौधा भेंट करेगा। इसे संबंधित क्षेत्र में रोपा जाएगा। कन्या कहां पैदा हुई, इसका पता लगाने की जिम्मेदारी वन रक्षक की रहेगी। वह पंचायतों से लेकर तमाम विभागों से संपर्क में रहेगा। किस प्रकार की भूमि में कौन से पौधे रोपे जाएंगे, यह जल्द ही तय होगा। इस सिलसिले में सरकार ने प्रारंभिक खाका खींच लिया है। इस योजना का नाम ‘एक बूटा बेटी के नाम’ होगा। इसे मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा जाएगा। रोपे पौधे की देखभाल बेटी के मां-बाप करेंगे। बजट सत्र में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नई योजना शुरू करने का ऐलान किया था। इसका प्रस्ताव तैयार किया गया है। जैसे ही सरकार स्वीकृति देगी, यह धरातल पर उतरेगी।
सोलन -बीती रात करीब 2:00 से 3:00 के बीच शहर के अस्पताल मार्ग पर एक बड़ा सड़क हादसा पेश आया है। हादसे में एक शीशे से भरा ट्रक बीच सड़क में पलट गया। जानकारी के अनुसार ट्रक (HP 12c 3981 ) (बेराडी) राजस्थान से सोलन पहुंचा जिसे रोड पर स्थित दुकान पर उतारा जाना था, लेकिन दुकान के सामने ही अस्पताल की तरफ से आ रही कार को साइड देने के लिए ड्राइवर ने जैसे ही ट्रक की ब्रेक लगाई वैसे ही ट्रक अनियंत्रित होकर पलट गया। इसमें ड्राइवर को हल्की चोट आई है। ट्रक के पलटने से साइड में पार्क की गई दो कारों को नुकसान हुआ है। स्थानीय लोगों को मदद से ड्राइवर को क्षेत्रीय अस्पताल पहुंचाया गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दुर्घटना के कारणों की जांच शुरू कर दी है।
राजकीय महाविद्यालय अर्की के रजत जयंती समारोह को किया संबोधित शिक्षा, संसदीय कार्य एवं विधि मंत्री सुरेश भारद्वाज ने छात्रों से आग्रह किया है कि वे अपने गुरूजनों, बुजुर्गों एवं अध्यापकों द्वारा प्रदत्त शिक्षाओं को आत्मसात कर जीवन में आगे बढ़ें। सुरेश भारद्वाज आज राजकीय महाविद्यालय अर्की के रजत जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शिक्षा तभी प्रासंगिक है जब इसके माध्यम से आज का युवा भविष्य में देश की बेहतरी के लिए सकारात्मक कार्य कर सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए आवश्यक है कि युवा पीढ़ी अपने बुजुर्गों के अनुभवों से सीख लें और इस सीख को जीवन की कठिनाईयों को दूर करने में उपयोग में लाए। उन्होंने युवाआंे से आग्रह किया कि वे आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ रोजगारपरक शिक्षा से लाभ प्राप्त करें। शिक्षा मंत्री ने युवाओं का आह्वान किया कि वे स्वयं भी नशे से दूर रहें और अपने साथियों को भी नशे से दूर रखें। उन्होंने कहा प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों में गत एक वर्ष में 663 सहायक प्रवक्ता भर्ती किए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में सीधी भर्ती के माध्यम से प्रधानाचार्यों के पद भरे जा रहे हैं ताकि विद्यालयों में स्टाफ की कमी से प्रभावी रूप से निपटा जा सके। उन्होंने निदेशक शिक्षा विभाग को अर्की महाविद्यालय में इसी वर्ष से पीजीडीसीए की कक्षाएं आरंभ करने के लिए शीघ्र अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए। शिक्षा मंत्री ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले छात्रों को अपनी ऐच्छिक निधि से 51 हजार रुपये की राशि प्रदान करने की घोषणा की। इससे पूर्व महाविद्यालय की प्रधानाचार्य डाॅ. रीता शर्मा ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर पूर्व विधायक गोविंद राम शर्मा, प्रदेश भाजपा सचिव रतन पाल, भाजपा मंडल अर्की के अध्यक्ष बाबू राम, जिला भाजपा उपाध्यक्ष रमेश ठाकुर, प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी सदस्य अमर सिंह ठाकुर, पंचायत समिति अर्की के उपाध्यक्ष ओम प्रकाश, मंडल की उपाध्यक्ष आशा परिहार, मंडल के वरिष्ठ महामंत्री देवेंद्र शर्मा एवं यशपाल कश्यप, पूर्व जिला परिषद सदस्य सोनिया ठाकुर, उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक अमरजीत शर्मा, उपमंडलाधिकारी अर्की विकास शुक्ला, लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता रवि कपूर, महाविद्यालय के उप प्रधानाचार्य दलीप शर्मा, महाविद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रोशन लाल वर्मा, अन्य गणमान्य व्यक्ति, अध्यापक तथा छात्र इस अवसर पर उपस्थित थे।
स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम आवश्यक-डाॅ. सैजल सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सहकारिता मंत्री डाॅ. राजीव सैजल ने आज सोलन में रूद्राक्ष फिजियोथेरेपी क्लीनिक एवं व्यायामशाला का शुभारंभ किया। यह पहली ऐसी फिजियोथेरेपी क्लीनिक एवं व्यायामशाला है जो चिकित्सकीय रूप से युवाओं एवं रोगियों को लाभ पहुंचाएगी। डाॅ. सैजल ने इस अवसर पर कहा कि तेज रफ्तार जिंदगी और लगातार बढ़ते दबाव के कारण वर्तमान में युवा भी विभिन्न न्यूरोमस्क्यूलर रोगों से ग्रस्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इनके उपचार में फिजियोथेरपी का महत्वपूर्ण योगदान है। आयुर्वेद में योग एवं फिजियोथेरेपी के विभिन्न आयामों पर सारगर्भित प्रकाश डाला गया है। इसके माध्यम से विभिन्न वात रोगों से पीड़ित रोगी का सफल उपचार किया जा सकता है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि रूद्राक्ष व्यायामशाला में युवाओं को आधुनिक तकनीक एवं व्यायाम पद्धति से लाभान्वित होने का अवसर प्राप्त होगा। यहां विभिन्न रोगों का व्यायाम के माध्यम से भी उपचार करने के उपकरण हैं। उन्होंने आशा जताई कि यह व्यायामशाला सभी के लिए लाभदायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि व्यायामशाला के माध्यम से सभी तक यह संदेश भी पहुंचाया जाए कि स्वस्थ रहने के लिए हमें अपनी खानपान की आदतों में सुधार करना होगा। उन्होंने कहा कि व्यायाम युवाओं को नशे से दूर रखने में भी सहायक हैं। उन्होंने रूद्राक्ष फिजियोथेरेपी क्लीनिक एवं व्यायामशाला की स्थापना के लिए डाॅ. अमित एवं डाॅ. पूजा धवन को बधाई दी। उन्होंने आशा जताई कि इसके माध्यम से सोलन शहर एवं आसपास के गांवों के सभी जन लाभान्वित होंगे। इस अवसर पर नगर परिषद सोलन की उपाध्यक्ष मीरा आनंद, भाजपा प्रवक्ता राकेश शर्मा, भाजपा मंडल सोलन के अध्यक्ष अमर सिंह ठाकुर, अन्य गणमान्य व्यक्ति एवं व्यायामशाला के संस्थापक उपस्थित थे।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सहकारिता मंत्री डाॅ. राजीव सैजल ने आज सोलन में निजी क्षेत्र में कार्यरत रत्नाकर बैंक की शाखा का विधिवत शुभारंभ किया। रत्नाकर बैंक की यह देश की 350वीं शाखा है। यह बैंक वर्ष 1943 से कार्यरत है। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में इस बैंक की सोलन एवं शिमला में शाखा कार्यरत है। डाॅ. सैजल ने बैंक प्रबंधन को सोलन में शाखा आरंभ करने के लिए बधाई देते हुए कहा कि निजी क्षेत्र के बैंक वर्तमान में देश में आर्थिकी को सशक्त करने में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि निजी क्षेत्र में कार्यरत बैंक विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने में अग्रणी भूमिका निभाएं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि उद्योग, कृषि, बागवानी एवं अन्य प्रमुख क्षेत्रों को सशक्त बनाने एवं इनके विस्तार में बैकिंग क्षेत्र की विशिष्ट भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आम जन को वित्तीय रूप से मज़बूत बनाने में बैकिंग क्षेत्र का पूर्ण सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने आशा जताई कि रत्नाकर बैंक अपनी शाखाओं के माध्यम से लोगों तक पहुंच बनाने एवं जनधन जैसी योजना से उन्हें लाभान्वित करने में सहायक सिद्ध होगा। पूर्व मंत्री एमएल सोफत, बघाट बैंक के अध्यक्ष पवन गुप्ता, एपीएमसी सोलन के अध्यक्ष संजीव कश्यप, नगर परिषद सोलन की उपाध्यक्ष मीरा आनंद, जोगिंद्रा केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष विजय सिंह ठाकुर, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता रितु सेठी, भाजपा प्रवक्ता राकेश शर्मा, मनोनीत पार्षद एवं भाजयुमो सोलन के अध्यक्ष भरत साहनी, पार्षद गौरव, जिला भाजपा महामंत्री एवं बघाट बैंक निदेशक मंडल की सदस्य पूजा हांडा, एपीएमसी सोलन के सदस्य किशन वर्मा, आढ़ती संघ के अध्यक्ष पदम सिंह पुंडीर, धर्मचंद गुलेरिया, जोगिंद्रा केंद्रीय सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक टशी संडूप, उपमंडलाधिकारी रोहित राठौर, उप पुलिस अधीक्षक अनिल वर्मा सहित अन्य अधिकारी, भाजपा तथा भाजयुमो के रोहित, वरिष्ठ पदाधिकारी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।
यह किस्सा उसके बाद का है जब अवैध धंधों और अवैध संबंधों के अनगिनत तमगों के विजेता इंस्पेक्टर मातादीन चांद प्रशासन के आग्रह पर उनके पुलिस विभाग में क्रांतिकारी सुधार लाने के इरादे से पुलिस सेवा आदान प्रदान कार्यक्रम के तहत अपनी सरकार द्वारा डेपुटेशन पर चांद भेजे गए थे और चंद दिनों में ही उन्होंने वहां के पुलिस विभाग में ऐसे ऐसे क्रांतिकारी सुधार कर डाले थे कि वहां की सरकार को पूरे चंद्रलोक के हाथ जोड़ उन्हें वहां से समय से पहले ही उनका डेपुटेशन खत्म कर सादर वापस भेजना पड़ा था। चांद पर भी तब पुश्तों तक न मिटने वाली अपनी अमिट कार्यकुशलता की छाप छोड़ वे वहां की कानून व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार कर अपने देस लौट तो आए थे, पर उसके बाद की कहानी का कम ही पाठकों को पता होगा कि उन्होंने चांद पर सुधारों के साथ और क्या गुल खिलाए थे? जब वे चांद पर उस दिन वहां की पुलिस की क्लास लगाने के बाद थके मांदे घूमने निकले थे तो अचानक उनकी नजर चांद की एक सुंदरी पर पड़ी गई थी। उस सुंदरी पर नजर पड़ते ही वे ये भूल गए थे कि वे अपने देस में नहीं, चांद पर हैं। एकाएक तब उन्हें फील हुआ था कि ज्यों वे चांद पर नहीं , अपने देस में ही हों। ये फील होते ही उन्होंने सुंदरी को बिना किसीकी परवाह किए तोला तो उन्हें लगा, काम बन सकता है। और वे कानून के तमगे कंधों से निकाल अपनी जेब में डाल उसके पीछे हो लिए, मूंछों को ताव देते , उसे सुरक्षा देने के बहाने। उसका पीछा करते करते वे ये भी भूल गए कि वे उनके पद का रौब दिखाकर हर दुकान से साधिकार सामान उठाने वाली बीवी के साथ ही साथ चार बच्चों के बाप भी हैं। असल में पर उन पर काम का लोड इतना है कि वे जब भी काम से चूर होकर वे किसी सुंदरी को देखते हैं तो और कुछ भूलें या न, पर यह जरूर भूल जाते हैं कि वे अपने से भी चार कदम आगे की खाऊ बीवी सहित चार नालायक बच्चों के बाप हैं। तो अपने एमडी साब! चांद पर होने के बाद भी पहली ही नजर में उसे देखते फिर भूल गए कि वे अपने देस में अपनी बीवी बच्चों को छोडकऱ आए यहां के राज अतिथि हैं। वे ये भी भूल गये कि अपने देस में कुछ भी उट पटांग करो तो अपनी ही बदनामी होती है, परंतु यहां कुछ ऐसा वैसा करेंगे तो उनकी नहीं, पूरे देस की बदनामी होगी। फिर वे सोचे? राज अतिथि के दिल नहीं होता क्या? शादीशुदा होने के बाद भी क्या उसका मौलिक हक नहीं कि वह अवसर सुअवसर मिलते आंखें चार करे? एमडी साब को यह भी पता था कि चांद पर उनके परिवार के बारे में जानने वाला कोई नहीं। और जो कोई उनसे उनके परिवार के बारे में पूछे भी तो वे बताने वाले बिल्कुल नहीं। हर कोई अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार सकता है, पर कम से कम एक पुलिसवाला तो बिल्कुल नहीं मार सकता। एमडी साब का मानना है कि हर सुंदरता वाली चीज पर पहला हक कानून वालों का ही होता है। कानून उसके साथ सुरक्षा के बहाने वह सब कुछ मजे से कर सकता है जो.... तो पाठको! बहुत कम पाठकों को इस बात का इल्म होगा कि वहां पर उनके एक विवाहित सुंदरी से संबंध हो गए थे। दोनों शादीशुदा थे, सो दोनों ने एक दूसरे से एक दूसरे के पति, पत्नी के बारे में कतई नहीं पूछा। और जिस तरह वे अपने को रिष्वत लेने से लाख हाथ पीछे खींचने के बावजूद भी रोक नहीं पाते थे, उसी तरह उस चंद्र सुंदरी को प्रेम सुरक्षा प्रदान करते करते वे अपने को उसके आंचल में जाने से बचा नहीं पाए। और नतीजा! वहां की पुलिस व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार लाते लाते वे अपने देस का एक जीव उस सुंदरी की कोख में रोपित कर आए। इधर वे वापस अपने देस तो आ गए पर चंद्रलोक की उस सुंदरी से उनकी एक और संतान ने जन्म ले लिया। मातादीन उर्फ एमडी साब वहां से आते आते सुंदरी को वचन दे आए थे कि ज्यों ही धरती से अपने देश का कोई चंद्रयान अपनी सरकार द्वारा यहां भेजा जाएगा, तो उसमें वे दोनों की सीट एडवांस में बुक करवा देंगे। पर हुआ यों कि इस बीच अपने देश को कोई चंद्रयान चांद पर न भेजा जा सका। उधर भारत से चांद पर भेजे जाने वाले चंद्रयान की बाट जोहती जोहती वह सुंदरी सुंदर होने के बाद भी उम्र दराज होने लगी तो एमडी साब का चांद पर जन्मा बेटा पल छिन बड़ा। जब मातादीन का चांद पर जन्मा बेटा सोचने समझने लायक हुआ तो एक दिन वह अपनी मां से पूछा बैठा,‘ मां! मेरे डैड कहां रहते हैं? मुझे मेरे डैड दिखाओ न!’ तो उस सुंदरी ने धरती की ओर उंगली लगाकर उससे कहा,‘ बेटा !तेरे डैड वहां रहते हैं।’ ‘ इत्ती दूर? इत्ती दूर वे क्या करते हैं? एमडी साब के पता नहीं कितनवे बेटे ने अपनी मां से पूछा तो वह उदास हो बोली,‘ वहां वे पुलिस विभाग में नौकरी करते हैं।’ ‘ तो वे यहां क्यों नहीं नौकरी करते?’ ‘ यहां ऊपर की कमाई के सकोप नहीं है न बेटे!’ तब बेटे ने ज्यों ही अगला प्रश्न अपनी मां से पूछा तो मां ने उसे चुप करा दिया। ऐसे ही एमडी साब के बेटे को जब भी मौका मिलता, वह अपने डैड के बारे कुछ न कुछ जरूर पूछता। अपने डैड की शक्ल के बारे में पूछता। पर सुंदरी हर बार उसे उसके डैड का नाम एमडी साब बता कर जैसे कैसे उसे चुप करा देती। एक दिन फिर एमडी साब के बेटे ने अपनी मां से कहा कि वह जो उसे उसके डैड नहीं दिखा सकती तो न सही। कम से कम उसकी फोटो ही बता दे, तो यह सुन वह विवाहिता सुंदरी एक बार पुनः चुप हो गई। असल में पहले पति के डर से उसने एमडी साब की फोटो केवल अपने दिल में ही रखी थी। यों ही दिन...महीने... साल बीतते गए। और बेचारी सुंदरी! अपने देस से आने वाले चंद्रयान का इंतजार करती बूढ़ी होने लगी। चंद्रलोक में जब भी कोई यान उतरता तो वह सारे काम छोड़ दौड़ कर उस यान के पास आ जाती। उसे लगता कि यह यान भारत से आया होगा। पर जब वह उस पर अमेरिका , चीन, रूस या किसी अन्य देश का लगा झंडा देखती तो उदास हो जाती। ...और एक दिन! अपने देस का चंद्रयान चंद्रमा की ओर कूच कर गया। एमडी साब ने ज्यों ही जिमखाना जाते जाते इस बात की खबर चंद्रलोक की अपनी आठवीं इलीगल बीवी को दी तो वह पागल हो गई। उसका मन किया कि वह चांद पर से उसी वक्त पृथ्वी पर छालांग लगा दे। एमडी साब ने फोन पर दिल फेंकते उसे बताया कि उसने उन दोनों के लिए अपने चंद्रयान में वापसी का टिकट बुक करवा दिया है तो फोन पर ही चंद्रसुंदरी ने एमडी साब से पूछा,‘ हे मेरे दूसरे प्राणनाथ! पर हम धरती पर आकर रहेंगे कहां? आपके पुराने घर में हमारे आने पर दंगा फसाद हो गया तो? एक ही घर में बीवी और सौत अपने अपने बच्चों के साथ रह पाएंगी क्या?’ तो उन्होंने काली की मूंछों पर ताव देते, पैंट से फुट भर बाहर निकल आए पेट बैल्ट कस उसे भीतर करते कहा,‘ डरो मत डार्लिंग! तुम्हारा एमडी साब इंस्पेक्टर से एसपी हो गया है। अब बड़े बड़े शरीफों से उसके पारिवारिक संबंध हो गए हैं। दिल्ली में ही उसके पॉश एरिया में दस बेनामी फ्लैट हैं। मन करे तो रोज फ्लैट बदलते रहना। क्या मजाल जो दूसरी बीवियों को इसकी भनक भी लग जाए कि तुम चांद पर से आ गई हो। और हां! आते आते आईजी साहब की बेगम को चांद पर से एड़ी चमकाने वाला बिल्कुल वैसा ही पत्थर जरूर लाना। कह रहे थे कि यार! उस पत्थर से बेगम ने जब एड़िया रगड़ीं तो वह ऊपर तक चमक गई थी। उनका वह एड़ियां चमकाने वाला पत्थर अब घिसने को आ गया है। ’ मित्रो! जबसे अपने देस का चंद्रयान चांद पर रवाना हुआ है, अपना देस ही नहीं, चंद्रलोक की एमडी साब की सुंदरी भी हमारे मिशन चांद की सफलता की दिन रात कामना कर रही है। वह दिनरात जागे जागे सारे काम छोड़ दूरबीन से चंद्रयान को एकटक निहारती बस इस इंतजार में है कि कब जैसे उसका चंद्रयान रूपी एमडी साब पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर चांद पर प्रवेश करे और वह उसके गले में सारी लोकलाज त्याग वरमाला डाल उनके स्वागत के मंगलगीत गाने के बाद, अपने बेटे के साथ एड़ियां चमकाने वाला पत्थर ले निर्दयी एमडी साब से आ मिले, अपने बेटे को यह कहने कि-देख बेटा! ये रहे तेरे एमडी डैड!
बगलामुखी मंदिर महाभारत कालीन माना जाता है हिमाचल प्रदेश देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रहा है। कांगड़ा जनपद के कोटला क़स्बे में स्थित माँ श्री बगलामुखी का सिद्ध शक्तिपीठ है। वर्ष भर यहाँ श्रद्धालु मन्नत माँगने व मनोरथ पूर्ण होने पर आते हैं। माँ बगलामुखी का मंदिर ज्वालामुखी से 22 किलोमीटर दूर वनखंडी नामक स्थान पर स्थित है। यह मंदिर हिन्दू धर्म के लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है। बगलामुखी मंदिर महाभारत कालीन माना जाता है। पांडुलिपियों में माँ के जिस स्वरूप का वर्णन है, माँ उसी स्वरूप में यहाँ विराजमान हैं। माता बगलामुखी पीतवर्ण के वस्त्र, पीत आभूषण तथा पीले रंग के पुष्पों की ही माला धारण करती हैं। बगलामुखी जयंती पर यहाँ मेले का आयोजन भी किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में की गई थी। सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम द्वारा युद्ध में शक्ति प्राप्त करने तथा माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की गई थी। इसके अतिरिक्त द्रोणाचार्य, रावण, मेघनाद इत्यादि सभी महायोद्धाओं द्वारा माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्ध लड़े गए। कहा जाता है कि नगरकोट के महाराजा संसार चंद कटोच भी प्राय: इस मंदिर में आकर माता बगलामुखी की आराधना किया करते थे, जिनके आशीर्वाद से उन्होंने कई युद्धों में विजय पाई थी। तभी से इस मंदिर में अपने कष्टों के निवारण के लिए श्रद्धालुओं का निरंतर आना आरंभ हुआ। लोगों का अटूट विश्वास है कि माता अपने दरबार से किसी को निराश नहीं भेजती हैं। रावण की ईष्टदेवी हैं मां बगलामुखी मंदिर के पुजारी दिनेश बताते हैं कि मां बगलामुखी को नौ देवियों में 8वां स्थान प्राप्त है। मां की उत्पत्ति ब्रह्मा द्वारा आराधना करने की बाद हुई थी। ऐसी मान्यता है कि एक राक्षस ने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया कि उसे जल में कोई मनुष्य या देवता न मार सके। इसके बाद वह ब्रह्मा जी की पुस्तिका ले कर भाग रहा था। तभी ब्रह्मा ने मां भगवती का जाप किया। मां बगलामुखी ने राक्षस का पीछा किया तो राक्षस पानी में छिप गया। इसके बाद माता ने बगुले का रूप धारण किया और जल के अंदर ही राक्षस का वध कर दिया। त्रेतायुग में मा बगलामुखी को रावण की ईष्ट देवी के रूप में भी पूजा जाता है। त्रेतायुग में रावण ने विश्व पर विजय प्राप्त करने के लिए मां की पूजा की। इसके अलावा भगवान राम ने भी रावण पर विजय प्राप्ति के लिए मां बगलामुखी की आराधना की। इसलिए विशेष है माँ बगलामुखी मंदिर... बगलामुखी शब्द बगल और मुख से आया है, जिनका मतलब क्रमशः लगाम और चेहरा है। मां को शत्रुनाशिनी माना जाता है। पीला रंग मां प्रिय रंग है। मंदिर की हर चीज पीले रंग की है। यहां तक कि प्रसाद भी पीले रंग ही चढ़ाया जाता है। मंदिर में बस या टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर में दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां तक की नेताओं से लेकर अभिनेता भी मां के दर्शन पाकर,शुत्रओं के नाश की कामना करने मंदिर आते हैं। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी मां के दरबार में शीश झुकाया था। मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद शिवलिंग स्थापित है, जहाँ लोग माता के दर्शन के उपरांत शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं। कांगड़ा के बगलामुखी मंदिर में देशभर से श्रद्धालु आते हैं। बगलामुखी जयंती पर मंदिर में हवन करवाने का विशेष महत्व है, जिससे कष्टों का निवारण होने के साथ-साथ शत्रु भय से भी मुक्ति मिलती है। श्रद्धालु नवग्रह शांति, ऋद्धि-सिद्धि प्राप्ति सर्व कष्टों के निवारण के लिए मंदिर में हवन-पाठ करवाते हैं। मंदिर में हवन करवाने के लिए बाकायदा बुकिंग करवानी पड़ती है। पहले यहां एक ही हवन कुंड था तो आलम यह था कि कई महीने हवन करवाने के लिए इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब यहां हवन कुंडों की संख्या बड़ा दी गई है। माँ बगलामुखी के हैं तीन मंदिर भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर हैं, जो क्रमशः दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा (मध्यप्रदेश) में हैं। तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का एक मंदिर आगरमालवा जिला में नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे है। मां बगलामुखी रावण की ईष्टदेवी हैं।
अर्की, दाड़लाघाट व आसपास के क्षेत्रों में पिछले सप्ताह से सूखे की स्थिति बन चुकी थी मगर गुरुवार को हुई बारिश से अधिकतर क्षेत्र में सूखे से राहत मिली है। क्षेत्र की अधिकतर फसलें जिनमें मक्की,टमाटर,धान और अन्य सब्ज़ियां शामिल हैं उसके लिए यह बारिश वरदान साबित होगी। गुरुवार की बारिश से जहां किसानों के चेहरे खुशी से झूम उठे वहीं लोगो को भी भयंकर गर्मी से राहत मिल गयी। वहीं छोटे-छोटे बच्चे सड़को पर पानी में खेलते हुए देखे गए। ग्रामीणों में योगेश, उमेश, देवेंद्र, सुनील, संजू, हर्ष, उदित, रूप राम शर्मा, ईश्वर दत्त, महेंद्र, बलदेव, हेमराज किसानों ने कहा कि अब पानी की कमी भी पूरी हो जाएगी।
डी ए वी अम्बुजा विद्या निकेतन दाड़लाघाट के विद्यार्थियों ने एक बार फिर राज्य स्तरीय गुरु वचन सिंह स्वरांजलि समूह गान प्रतियोगिता में अपना परचम लहराया। यह प्रतियोगिता डी ए वी स्कूल न्यू शिमला में आयोजित हुई। इसमें हिमाचल प्रदेश के सात नामी स्कूलों ने भाग लिया। इस प्रतियोगिता में डी ए वी अम्बुजा के होनहारों ने संगीत अध्यापक लेखराज के मार्गदर्शन में प्रथम स्थान हासिल किया। वहीं डी ए वी सोलन दूसरे तथा डीएवी न्यू शिमला तीसरे स्थान पर रहा। स्कूल के प्रधानाचार्य मुकेश ठाकुर तथा स्कूल प्रबंधन समिति के चेयरमैन अनुपम अग्रवाल ने बच्चों को इस उपलब्धि पर शुभकामनाएं दी।
परवाणू स्थित आनंद स्कूल में इनकम टैक्स डे पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें स्कूल के बच्चों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। इस दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। आयोजन में इनकम टैक्स अधिकारियों ने बच्चों को इनकम टैक्स के बारे में जागृत किया। इस अवसर पर विजेता रहे छात्रों को स्मृति चिन्ह देकर पुरुस्कृत भी किया गया।
सांसदों के भत्ते बढ़ने को लेकर शायद ही कभी सरकार ने सोचा हो। पर देश का नाम रोशन करने वाले वैज्ञानिकों की तनख्वाह सरकार को ज्यादा लगती है। भारत सरकार ने Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग से ठीक पहले ISRO वैज्ञानिकों की तनख्वाह में कटौती कर दी थी। इसके चलते वैज्ञानिक बेहद हैरत में हैं और दुखी हैं ISRO वैज्ञानिकों के संगठन स्पेस इंजीनियर्स एसोसिएशन (SEA) ने पत्र लिखकर मांग की है कि वे इसरो वैज्ञानिकों की तनख्वाह में कटौती करने वाले केंद्र सरकार के आदेश को रद्द करने में मदद करें। इनका कहना है कि तनख्वाह में कटौती होने से वैज्ञानिकों के उत्साह में कमी आएगी।
कारगिल युद्ध को 20 वर्ष पुर हो चुके है। वो मई 1999 का वक्त था, जब करगिल की पहाड़ियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया था। भारतीय सेना को जब इस बात का पता चला तो सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया। 8 मई से 26 जुलाई 1999 तक चले ऑपरेशन विजय में भारतीय सेना के 527 जवानो ने बलिदान दिया और 1363 जवान जख्मी हुए। तब से हर वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। पाकिस्तान की नापाक कोशिश पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। पाकिस्तानी सेना की शामिल पाकिस्तान आरोप को नकारता रहा और दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं, किन्तु युद्ध में बरामद हुए दस्तावेज़ों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाली जगहों पर हमला किया और धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। परमाणु बम बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह पहला सशस्त्र संघर्ष था। कारगिल युद्ध में 2 लाख 50 हजार गोले और रॉकेट दागे गए थे। हिमाचल प्रदेश स्थित पालमपुर के कैप्टन सौरभ कालिया ने कारगिल में सबसे पहले गंवाई थी जान। थल सेना के सपोर्ट में भारतीय वायु सेना ने 26 मई को ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ शुरू किया, जबकि जल सेना ने कराची तक पहुंचने वाले समुद्री मार्ग से सप्लाई रोकने के लिए अपने पूर्वी इलाकों के जहाजी बेड़े को अरब सागर में ला खड़ा किया। भारतीय एयरफोर्स ने कारगिल युद्ध के दौरान मिग-27 व मिग -29 का इस्तेमाल किया गया था। परमवीर चक्र : विक्रम बत्रा, मनोज कुमार पांडेय, नायब सूबेदार योगेंद्र सिंह यादव व राइफलमैन संजय कुमार। सरकार के दामन पर ताबूत घोटाले के लगे दाग कारगिल युद्ध के बाद शहीद भारतीय सैनिकों के शवों को उनके पैतृक आवास पर भेजने की विशेष व्यवस्था की गई। इससे पूर्व ऐसी व्यवस्था नहीं थी। पैतृक आवास पर शहीद सैनिकों का राजकीय सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार किया गया। उनके शवों को ले जाने के लिए काफ़ी मंहगे शव बक्सों (कॉफ़िन बॉक्स) का उपयोग किया गया। हालंकि बाद में तत्कालीन सरकार पर ताबूत घोटाले के आरोप भी लगे।
हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की है कुलदेवी भीमाकली मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र हैं। देवी भीमाकली को समर्पित ये मंदिर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से 180 किलोमीटर दूर सराहन में व्यास नदी के तट पर स्थित है। भीमाकाली मन्दिर, 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह देवी तत्कालीन बुशहर राजवंश की कुलदेवी है जिसका पुराणों में उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 800 साल पहले बनाया गया है। यह अपनी अनूठी वास्तुकला, जो हिंदू और बौद्ध स्थापत्य शैली का एक मिश्रण है, के लिए जाना जाता है। मंदिर परिसर के भीतर एक नया मंदिर 1943 में बनाया गया था। मंदिर में देवी भीमाकली की एक मूर्ति को एक कुंवारी और एक औरत के रूप में चित्रित किया गया है। मंदिर परिसर में रघुनाथ और भैरों के नरसिंह तीर्थ को समर्पित दो मंदिर और हैं। हर साल यहां बड़े स्तर पर काली की पूजा की जाती है जिसमें लाखों लोग भाग लेते है। पौराणिक कथा महल में स्थापित भीमाकाली मन्दिर के साथ अनेक पौराणिक कथाएं जुडी हैं जिनके अनुसार आदिकाल मन्दिर के स्वरूप का वर्णन करना कठिन है। भीमाकाली शिवजी की अनेक मानस पुत्रियों में से एक है। मत्स्य पुराण में भीमा नाम की एक मूर्ति का उल्लेख आता है। एक अन्य प्रसंग है कि मां पार्वती जब अपने पिता दक्ष के यज्ञ में सती हो गई थीं तो भगवान शिव ने उन्हें अपने कंधे पर उठा लिया था। हिमालय में जाते हुए कई स्थानों पर देवी के अलग-अलग अंग गिरे। एक अंग कान शोणितपुर में गिरा और भीमाकाली प्रकट हुई। मन्दिर के ब्राह्मणों के अनुसार पुराणों में वर्णन है कि कालांतर में देवी ने भीम रूप धारण करके राक्षसों का संहार किया और भीमाकाली कहलाई। भीमाकली मंदिर भारत में सबसे महत्वपूर्ण पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। यह मंदिर बेहद सुंदर है जहां कई भगवानों की मूर्ति को प्रर्दशित किया गया है। यह पवित्र मन्दिर लगभग सभी ओर से सेबों के बागों से घिरा हुआ है भीमाकाली मन्दिर हिंदु और बौद्ध शैली में बना है जिसे लड़की और पत्थर की सहायता से तैयार किया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू देवता शिव की पत्नी सती, वैवाहिक जीवन के परम सुख और दीर्घायु की देवी, का बायाँ कान इस जगह गिर गया था। यहाँ हर साल लोकप्रिय हिंदू त्योहार दशहरा के समारोह को धूमधाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति, रामनवमी, जन्माष्टमी, शिवरात्रि आदि त्यौहार भी बडे हर्षोल्लास व श्रद्धा से मनाये जाते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए स्थानीय बस सेवा और टैक्सियां उपलब्ध है मन्दिर परिसर में बने साफ-सुथरे कमरों में ठहरने की व्यवस्था है। इस भीमाकाली मंदिर के कपाट केवल सुबह और शाम ही दर्शनों के लिए खुलते हैं। मंदिर कई मंजिला है और सबसे उपर माता का विग्रह स्थापित है । मंदिर में प्रवेश से पहले सिर पर टोपी अवश्य पहननी होती है। मंदिर में अपने साथ कुछ भी सामान नहीं ले जा सकते हैं ।
पहाड़ी गायक स्वः काकूराम की पुण्यतिथि पर भाषा एवं संस्कृति विभाग सोलन द्वारा समारोह आयोजित किया गया जिसमें कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के सचिव डा. कर्म सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप मे शिरकत की। कार्यक्रम का शुभारंभ विधिवत ज्योति प्रज्वलित करके किया गया। इस कार्यक्रम में 30 कलाकारों ने भाग लिया। अपने सम्बोधन में डा. कर्म सिंह ने कहा कि लोक भाषा, लोक कला और लोक संस्कृति के सरक्षण मे हिमाचल प्रदेश सरकार तेजी से कार्य कर रही है। हिमाचल अकादमी जिसके मुख्यमंत्री अध्यक्ष भी हैं पारम्परिक वेशभूषा तथा वाद्य यंत्रों के सरक्षण एवं लोक गायकों को उचित सम्मान देने की दिशा में प्रयासरत है। सचिव कर्म सिंह ने बताया कि भविष्य में पहाड़ी गायक स्व: काकूराम की याद में राज्य स्तरीय लोकगीत सम्मेलन करवाने के प्रयास किए जाएंगे। इस अवसर पर उनके सुपुत्र राजेन्द्र कश्यप, पुत्रवधू सावित्री देवी, पौत्र मँजूल कश्यप, बीडीसी चेयरमैन रीता ठाकुर, तहसील दार ओपी मेहता, अनुसंधान अधिकारी देवराज शर्मा, पत्रकार प्रेम कश्यप, रामलाल वर्मा, नारायण तृषित, उमादत्त कश्यप उपस्थित रहे।
उपायुक्त सोलन के सी चमन ने ज़िला में कार्यरत विभिन्न बोर्डों एवं निगमों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा की लोक उपक्रम समिति के ज़िला के प्रवास के लिए अपनी तैयारियां पूर्ण रखें। उपायुक्त यहां इस संबंध में आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। विधायक राकेश पठानिया की अध्यक्षता वाली इस समिति में विधायक सर्वश्री रामलाल ठाकुर, सुखविंद्र सिंह सुक्खू, हीरा लाल, लखविन्द्र राणा, बलवीर सिंह वर्मा, अनिरूद्ध सिंह, राकेश सिंघा, मुल्ख राज, अरूण कुमार तथा विक्रमादित्य सिंह सदस्य है। केसी चमन ने कहा कि प्रदेश विधानसभा की लोक उपक्रम समिति 5 अगस्त 2019 से 9 अगस्त 2019 तक विभिन्न ज़िलों के प्रवास पर रहेगी। उन्होंने कहा कि समिति 9 अगस्त 2019 को सोलन ज़िला के नालागढ़, बरोटीवाला एवं बद्दी क्षेत्रों का दौरा करेगी। उन्होंने कहा कि समिति इन क्षेत्रों में ज़िला में कार्यरत विभिन्न बोर्डों एवं निगमों द्वारा कार्यान्वित की जा रही योजनाओं एवं परियोजनाओं का निरीक्षण करेगी। उपायुक्त ने निर्देश दिए कि संबंधित बोर्ड एवं निगम योजनाओं के संबंध में विस्तृत जानकारी 26 जुलाई 2019 तक उपायुक्त कार्यालय को प्रेषित करना सुनिश्चित बनाएं। केसी चमन ने संबंधित बोर्डों एवं निगमों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे विभिन्न योजनाओं की आंतरिक समीक्षा भी करें ताकि कमियों को दूर कर समिति के समक्ष वास्तविक आंकड़ें प्रस्तुत किए जा सके। बैठक में जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक मनोज चैहान, सहायक आयुक्त भानु गुप्ता, प्रदेश विद्युत बोर्ड के अधीक्षण अभियंता एसके सेन सहित विभिन्न बोर्डों एवं निगमों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड से प्राप्त जानकारी के अनुसार 25 जुलाई को सोलन में विद्युत लाइनों के मुरम्मत व रखरखाव कार्य के चलते विभिन्न क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति बाधित रहेगी। यह जानकारी विद्युत बोर्ड के सहायक अभियंता मनीष कुमार आर्य ने दी। उन्होंने बताया कि इसके दृष्टिगत सलोगड़ा, कोठों, दौंसी, दधोग, कथोग और आसपास के क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति प्रातः 9.00 बजे से सांय 5.00 बजे तक बाधित रहेगी। उन्होंने इस दौरान लोगों से सहयोग की अपील की है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग सोलन द्वारा आज शिक्षा क्रांति एन जी ओ ग्लोबल एजूकेशन आफ सेंसिटाईजेशन सोसायटी के सभागार में जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा मनाया गया। कार्यक्रम में स्वास्थ्य शिक्षिका ने परिवार नियोजन की स्थाई एवं अस्थाई विधियों के विषय पर प्रकाश डाला। बीसीसी समन्वयक राधा चौहान ने जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दी। क्लनिकल साईकाॅलोजिस्ट वैशाली शर्मा ने नशा निवारण विषय पर विस्तृत जानकारी दी। शिक्षा क्रांति एनजीओ के संस्थापक सत्येन सनातन शर्मा ने जनसंख्या वृद्धि के ऊपर अपने विचार रखे। कार्यक्रम में वाद-विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। प्रतियोगिता के प्रतिभागियों निधि, चांदनी, दीक्षा, सिमरन, खुशी गुप्ता, नीलम कुमारी, संध्या शर्मा, रोनित, संध्या नीलम तथा धर्मराज को नगद पुरस्कार भी प्रदान किए गए।
ग्राम पंचायत दाड़लाघाट व पुलिस थाना दाड़लाघाट के स्टाफ द्वारा,उपायुक्त सोलन के आदेशानुसार भांग उन्मूलन कार्यक्रम संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। जानकारी देते हुए ट्रैफिक इंचार्ज दाड़लाघाट कमला वर्मा ने बताया कि भांग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत ग्राम पंचायत परिसर व साथ लगती निजी भूमि व सरकारी भूमि में भांग को उखाड़ा गया व इस क्षेत्र में साफ-सफाई भी की गई।उन्होंने बताया कि इस अवसर पर स्थानीय लोगों व बच्चों को नशे की बुराइयों के बारे में भी अवगत कराया गया। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु स्थानीय लोगों,पंचायत के सभी सदस्यों व सड़क सुरक्षा क्लब के सदस्यों ने भी अपना पूर्ण सहयोग दिया।इस अवसर पर ओबीसी के जिला अध्यक्ष नरेंद्र चौधरी,ग्राम पंचायत प्रधान सुरेन्द्र शुक्ला,उपप्रधान लेखराज चंदेल,ट्रैफिक इंचार्ज दाड़लाघाट कमला वर्मा,एएसआई,हेड कांस्टेबल मेहर सिंह,महेंद्र,नरेश,अरुण गौतम,भानु गौतम,हेमराज गौतम,पवन शर्मा,पंचायत सिलाई अध्यापिका सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
बाल विकास परियोजना अर्की की ओर से आंगनबाड़ी केंद्र देवरा में "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" अभियान के तहत एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में महिला मंडल देवरा की प्रधान दामोदरी देवी ने बतौर मुख्यतिथि शिरकत की । इस मौके पर लता देवी की बेटी को उपहार भेंट कर प्रशस्ति पत्र दिया गया, वहीं पौधारोपण भी किया गया । महिला मंडल की प्रधान दामोदरी देवी ने कहा कि बाल विकास परियोजना की ओर से आंगनबाड़ी में इस तरह के कार्यक्रम काफी सराहनीय है । इस तरह के कार्यक्रम से लोगों को काफी जानकारियां मिलती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है । इसके लिए सभी लोगों का कर्त्तव्य बनता है कि वह भी इस तरह के कार्यक्रमो में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करे। इस मौके पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता देवरा मीना,सहायिका सरला, शांता देवी,शालिनी व पार्वती सहित महिला मंडल की महिलाएं मौजूद रही ।
वन परिक्षेत्र दाड़लाघाट के अंतर्गत ग्राम पंचायत संघोई के ग्राम बाहरा के जंगल बरयाल में पौधरोपण अभियान चलाया गया। वन खंड अधिकारी दानोघाट सत्यदेव शुक्ला की अगुवाई में लगभग पांच हेक्टेयर भूमि पर जंगली, फलदार एवं औषधीय पौधे लगाए गए। वन खंड अधिकारी सत्यदेव शुक्ला ने बताया कि यह पौधरोपण अभियान 20 जुलाई से 24 जुलाई तक चला। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए बढ़चढ़ कर भाग लें, ताकि पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सके। उन्होंने कहा इससे वनों के विनाश से होने वाले नुकसान,जैसे की जल की कमी,वायु का प्रदूषित होना व ऑक्सीजन की कमी से बचा जा सकता है। इस दौरान ग्राम पंचायत संघोई के उपप्रधान कृष्ण लाल ने भी पौधरोपण के साथ-साथ लोगों को पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने व उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की। पौधरोपण अभियान के दौरान जंगल बरयाल में ग्राम पंचायत संघोई के उप प्रधान कृष्ण लाल,महिला मंडल सोरिया, मस्त राम ठाकुर,मोहन दास ठाकुर सहित अन्य लोगों ने पौधरोपण में भाग लिया।
अर्की विकास मंच द्धारा अर्की की ऐतिहासिक शिव गुफा मुटरू महादेव की ओर जाने वाले रास्तों के दोनों ओर पौधारोपण किया गया। इस अवसर पर शिव मंदिर मुटरू महादेव के बाबा प्रेमगिरी जी महाराज विशेष रूप से मौजूद रहे। उन्होंने पहला पौधा लगाकर पौधारोपण कार्यकम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उपस्थित मंच के सदस्यों ने आंवला बहेड़ा सहित लगभग 50 पौधों का रोपण किया। इस मौके पर मंच की उपाध्यक्ष तुलसी ठाकुर, महासचिव योगेश वर्मा, मुख्य सलाहकार प्रभा भारद्धाज,सोनू सोनी,गगन चतुर्वेदी,हेमंत शर्मा,हरीश गुप्ता,के के भारद्धाज,रमन सूद उपस्थित रहे।
अम्बुजा सीमेंट कर्मचारी संघ (भारतीय मज़दूर संघ) ने दाड़लाघाट में हर्षोल्लास के साथ अपना 64 वां स्थापना दिवस मुख्य गेट के पास समस्त श्रमिकों को साथ लेकर मनाया। इसमें एक विशाल रैली का आयोजन किया गया। समारोह में ज़िला संघ चालक धनीराम वर्मा बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। इस दौरान मजदूरों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय मज़दूर संघ एक गैर राजनीतिक संगठन है और यह संगठन केवल मज़दूरों के लिये और मजदूरों द्वारा ही संचालित होता है। उद्योग,राष्ट्र और श्रमिक हित को ही सर्वोपरि रख कर काम करना भारतीय मजदूर संघ की रीति-नीति है।अंत मे भारत माता की जय ओर वन्दे मातरम के नारों की गूंज के साथ कार्यक्रम शांति पूर्ण माहौल में समाप्त हुआ। इस समारोह में 300 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस समारोह में अध्यक्ष सुरेश कुमार,महामंत्री नरेश कुमार,कार्यकारी अध्यक्ष खेमराज,उप्रधान टेक चंद,मदन शर्मा, बलदेव राज,कोषाध्यक्ष सतीश शर्मा, सचिव विनोद शर्मा,राकेश महाजन, कमल भट्टी,लाभचंद ओर कमल शर्मा सहित काफी संख्या में मजदूर उपस्थित रहे।
नगर पंचायत अर्की के वार्ड नंबर 7 थावी मोहल्ले में आंगनबाड़ी वर्कर भारती ठाकुर की अगुवाई में पोषण आहार दिवस मनाया गया। इसमें वार्ड के दर्जनों लोगों ने भाग लिया। भारती ने महिलाओं को साफ-सफाई के बारे में जानकारी दी । उन्होंने बरसात के दिनों में पानी उबालकर पीने की सलाह दी और डायरिया से बचने के उपाय भी बताए। उन्होंने मौजूद महिलाओं को पोषण आहार के फायदे समझाया वहीं गर्भवती महिलाओं को फल ,सब्जियां तथा दूध का सेवन करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने सरकार द्वारा महिलाओं के उत्थान में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को भी सांझा किया।
गुरुकुल इंटरनेशनल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 'सामाजिक विज्ञान विभाग' के 11वीं कक्षा के छात्रों द्वारा मॉडल संयुक्त राष्ट्र के कार्यों को दर्शाया गया। इस कार्यक्रम में छात्रों ने अलग-अलग देशों के प्रतिनिधि की भूमिका निभाई। सभी देशों के प्रतिनिधियों ने अध्यक्ष तथा उनके महासचिव के सामने अपनी समस्या को रखा, जिसका उन्होंने समाधान ढूंढा और बिल पास किए। उन्होंने आतंकवाद, गरीबी, और पर्यावरण संरक्षण पर बातचीत की। विद्यालय की प्रधानाचार्या गुरप्रीत माथुर ने सभी छात्रों और सामाजिक विज्ञान के अध्यापकों के इस सामूहिक कार्य की प्रशंसा की। गुरप्रीत माथुर ने मॉडल संयुक्त राष्ट्र के बारे में छात्रों को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने मॉडल संयुक्त राष्ट्र के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि इस तरह की सभाओं से संसार में फैली समस्याओं से शीघ्र निपट कर संसार में शांति और भाईचारे को बढ़ा सकते हैं।
स्पीड पोस्ट से फिरौती का धमकी भरा पत्र मिला हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के एक कारोबारी से दस करोड़ फिरौती की मांग की गई है।कारोबारी की लोअर बाजार में एक दूकान है। जानकारी के अनुसार कारोबारी को बुधवार को स्पीड पोस्ट से फिरौती का धमकी भरा पत्र मिला है। इसमें कारोबारी को धमकाते हए लिखा गया है कि अगर उसने 10 करोड़ रुपये की फिरौती नहीं दी तो उसके परिवार के सदस्यों और बच्चों को जान से मार दिया जायेगा। इसके बाद कारोबारी ने इसकी सुचना पुलिस को दी। पुलिस मामला दर्ज कर तहकीकात में जुटी है। अभी तक हुई जांच में पता चला है कि पत्र शिमला के मालरोड स्थित मुख्य डाकघर से जारी हुआ है। यह लैटर 22 तारीख को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर पोस्ट किया गया है। पुलिस ने मालरोड के सभी सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है।
49 celebrities have written letter to PM 49 celebrities have written a letter to Prime Minister Narendra Modi claiming intolerance in the nation is increasing. In the letter dated to 23rd July 2019, the group of celebrities from various professions stated that they are 'deeply concerned' about a number of tragic events that have been happening in the country in recent times. Anurag Kashyap, Shyam Benegal, Ramchandra Guha, Maniratnam, Ketan Mehta are concerned about intolerance The letter claims that 'Jai Sri Ram' has become a provocative 'war-cry', leading to law and order problems. Letter states that the name of Ram is sacred to many majority communities in India.
“No power on earth can stop an idea whose time has come. Let the whole world hear it loud and clear. India is now wide awake. We shall prevail. We shall overcome.” These are the words from first budget speech of Dr Manmohan Singh, who was the Finance Minister in 1991. The Epochal Budget, in 1991, marked the beginning on economic liberalisation. Today, July 24, 2019, marks 28 years of liberalisation. The budget of 1991 was the budget which changed India , after which economic reforms kick-started. After this budget in last 28 years India has turned out to become one of the fastest growing economies in the world. What Dr singh promised, he delivered. In 1991 Indian economy was on the brink of a collapse in 1991 due to the Balance of Payments (BoP) crisis and rising internal public debt.It was Dr Manmohan Singh who fixed the economy and ushered in a new era of economic development. He took strict decisions that were essential for liberating the Indian economy. The budget of FY 1991-92 is the most reformative budget ever and it has changed Indian economy completely . Budget opened floodgates for private sector Dr. Singh was not the first choice India was facing huge economic crisis and Prime Minister PV Narasimha Rao was looking for someone who can take up the charge to bring economic reforms. Rao first offered the job to economist and Singh's friend Dr IG Patel who could not take up the job, it mans Dr. Manmohan Singh was not the first choice to be PM Rao's Finance Minister. Later on the recommendation of Dr PC Alexander, Rao approached Dr. Manmohan Singh.
The Central Board of Direct taxes has extended the deadline for filing income tax return for FY2018-19 by individuals. The last date to file ITR is extended to August 31, 2019 from July 31, 2019. Late ITR Filling Fee: If the ITR is not filed by an individual before August 31, then the individual would have to pay a late filing fee of Rs 5,000, if filed by December 31. But If the ITR is filed between January 1 and March 31, then late filing fees of Rs 10,000 will be levied.
Finally the Karnataka drama ends and the 14-month-old Congress-JD(S) government led by HD Kumaraswamy has lost the trust vote in Karnataka assembly. The BJP won 105 votes to the Congress-Janata Dal Secular's 99 in the trust vote that took place after a dragging debate that featured several speakers and was described as an attempt to stall a vote the coalition was certain to lose. In the 225-member Karnataka Assembly, 20 were not present in the House for the floor test. BJP leader BS Yeddyurappa called it a 'victory of democracy’. After floor test BS Yeddyurappa Set To Be Chief Minister For Fourth Time
श्री नैना देवी मंदिर महिशपीठ नाम से भी है प्रसिद्ध हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में मां नैना देवी का भव्य और सुन्दर मंदिर स्थित है। श्री नैना देवी मंदिर महिशपीठ नाम से भी प्रसिद्ध है क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार यहाँ पर माँ ने महिषासुर का वध किया था। किंवदंतियों के अनुसार, महिषासुर एक शक्तिशाली राक्षस था जिसे श्री ब्रह्मा द्वारा अमरता का वरदान प्राप्त था, लेकिन उस पर शर्त यह थी कि वह एक अविवाहित महिला द्वारा ही परास्त हो सकता था। इस वरदान के कारण, महिषासुर ने पृथ्वी और देवताओं पर आतंक मचाना शुरू कर दिया। राक्षस के साथ सामना करने के लिए सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों को संयुक्त किया और एक देवी को बनाया जो उसे हरा सके। देवी को सभी देवताओं द्वारा अलग अलग प्रकार के हथियारों की भेंट प्राप्त हुई। महिषासुर देवी की असीम सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गया और उसने शादी का प्रस्ताव देवी के समक्ष रखा। देवी ने उसे कहा कि अगर वह उसे हरा देगा तो वह उससे शादी कर लेगी। पर लड़ाई के दौरान देवी ने दानव को परास्त कर उसका वध किया। यहाँ गिरे थे माता सती के नयन : नैना देवी मंदिर शक्ति पीठ मंदिरों मे से एक है। पूरे भारतवर्ष मे कुल 51 शक्तिपीठ है, जिनमें से एक नैना देवी हैं। इन सभी शक्ति पीठों की उत्पत्ति कथा एक ही है। यह सभी मंदिर शिव और शक्ति से जुड़े हुऐ है। धार्मिक ग्रंधो के अनुसार इन सभी स्थलो पर देवी के अंग गिरे थे। शिव के ससुर राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया जिसमें उन्होंने शिव और सती को आमंत्रित नही किया क्योंकि वह शिव को अपने बराबर का नहीं समझते थे। यह बात सती को काफी बुरी लगी और वह बिना बुलाए यज्ञ में पहुंच गई। यज्ञ स्थल पर शिव का काफी अपमान किया गया जिसे सती सहन न कर सकी और वह हवन कुण्ड में कुद गयीं। जब भगवान शंकर को यह बात पता चली तो वह आये और सती के शरीर को हवन कुण्ड से निकाल कर तांडव करने लगे। इस कारण सारे ब्रह्माण्ड में हाहाकार मच गया। पूरे ब्रह्माण्ड को इस संकट से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागो में बांट दिया जो अंग जहां पर गिरा वह शक्ति पीठ बन गया। मान्यता है कि नैना देवी में माता सती के नयन गिरे थे। ये कथा भी हैं प्रचलित: मंदिर से संबंधित एक अन्य कहानी नैना नाम के गुज्जर लड़के की है। एक बार वह अपने मवेशियों को चराने गया और देखा कि एक सफेद गाय अपने थनों से एक पत्थर पर दूध बरसा रही है।इसके पश्चात एक रात जब वह सो रहा था, उसने देवी माँ को सपने मे यह कहते हुए देखा कि वह पत्थर उनकी पिंडी है। नैना ने पूरी स्थिति और उसके सपने के बारे में राजा बीर चंद को बताया। इसके बाद उसी स्थान पर श्री नयना देवी नाम के मंदिर का निर्माण करवाया गया। गुरु गोबिंद सिंह ने लिया था आशीर्वाद : मंदिर से जुडी एक और कहानी सिख गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ जुडी हुई है।जब उन्होंने मुगलों के खिलाफ अपनी सैन्य अभियान 1756 में छेड़ दिया, वह श्री नैना देवी गये और देवी का आशीर्वाद लेने के लिए एक महायज्ञ किया। आशीर्वाद मिलने के बाद, उन्होंने सफलतापूर्वक मुगलों को हरा दिया। जाने नैना देवी मंदिर के बारे में: नैना देवी 51 शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि यहीं सती की आंखें गिरी थीं। यह माँ शक्ति का एक सिद्ध पीठ है जो शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियो पर समुद्र तल से 11000 मीटर की ऊंचाई पर है। नैना देवी हिंदूओं के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यह स्थान NH-21 से जुड़ा हुआ है। श्रावण अष्टमी, चैत्र नवरात्र और आश्विन नवरात्र के दौरान यहां श्रद्धालुओं की अपार भीड़ जुटती है। मंदिर में एक पीपल का पेड़ भी भक्तिभाव से पूजा जाता है। यह भी कई शताब्दी पुराना है। मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 21 पर स्थित है। यहां से नजदीकी हवाई अड्डा चंडीगढ़ है। आनंदपुर साहिब और कीरतपुर साहिब से यहां के लिए टैक्सियां किराए पर मिल जाती हैं। मंदिर के मुख्य द्वार के दाईं ओर भगवान गणेश और हनुमान की प्रतिमा है। मंदिर के गर्भगृह में तीन मुख्य मूर्तियां हैं। दाईं ओर माता काली, बीच में नैना देवी और बाईं ओर भगवान गणेश विराजमान हैं। बेस कैंप से चोटी के मंदिर तक की दूरी डेढ़ घंटे में आराम से पूरी की जा सकती है। त्योहारों और मेलों के दौरान भवन से वापस आने और जाने के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए गए हैं, ताकि दर्शन सुविधाजनक तरीके से किया जा सके।
सोलन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कुमारहट्टी में कार्यशाला का आयोजन सोलन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कुमारहट्टी में 'आधुनिक जीवनशैली के रोग' विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। ये कार्यशाला आयुर्वेदिक विभाग जिला सोलन के माध्यम से आयोजित की गई। कार्यशाला में कॉलेज प्रधानाचार्य, अध्यापकों चिकित्सकों एवं प्रशिक्षु चिकित्सकों ने हिस्सा लिया। आधुनिक जीवन शैली से हो रहा सेहत को नुक्सान जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ राजेंद्र शर्मा ने बताया कि किस प्रकार आधुनिक जीवन शैली हमारी सेहत को नुक्सान पहुंचा रही है। उन्होंने कहा पुराने समय में लोगों कि दिनचर्या व खानपान अच्छा होता था, इसलिए लोगों की सेहत भी अच्छी होती थी। पर आधुनिकता की अंधी दौड़ में मनुष्य बीमारी से ग्रस्त रहता है। उन्होंने कहा कि विकृत जीवन शैली के चलते खासतौर से मानसिक बीमारियां बढ़ रही है। डॉ अरविन्द गुप्ता ने दी योग अपनाने की सलाह इस मौके पर डॉ अरविन्द गुप्ता व डॉ मुंजेश ने भी जानकारी दी कि किस प्रकार योग अपनाकर हम अपनी जीवन शैली में परिवर्तन कर सकते है और रोग से दूर रह सकते है।कॉलेज प्रिंसिपल डॉ एनपी सिंह ने कॉलेज ने 2 से 5 अगस्त तक योग सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है।
डीएवी अंबुजा विद्या निकेतन दाड़लाघाट में 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए एक्स टेम्पोट प्रतियोगिता का आयोजन प्रधानाचार्य मुकेश ठाकुर की अगुवाई में करवाया गया।इस प्रतियोगिता में बच्चों से बिना पूर्व अभ्यास के किसी भी विषय पर पूछा जाता है, प्रतियोगिता में लगभग 50 विद्यार्थियों से विभिन्न विषयों पर प्रश्न पूछे गए।कार्यक्रम का संचालन प्राध्यापक सुरेंद्र शर्मा द्वारा किया गया।इस प्रतियोगिता में 11वीं कक्षा से करण शर्मा प्रथम व 12वीं कक्षा से विनित कुमार दूसरे स्थान पर तथा नवमी कक्षा से ज्योति ठाकुर तीसरे स्थान पर रही।स्कूल प्रबंधन समिति के चेयरमैन अनुपम अग्रवाल ने प्रतिभागियों को बधाई दी तथा उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।अंत में प्रधानाचार्य मुकेश ठाकुर ने विजेताओं को बधाई देते हुए अपने संबोधन में कहा कि इस तरह के आयोजनों से विद्यार्थियों का मानसिक विकास तो होता ही है साथ ही उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।
पुलिस थाना दाड़लाघाट के तहत दो साधुओं के बीच लड़ाई का मामला दर्ज हुआ है, जिसमें एक साधू ने दूसरे साधू को बुरी तरह जाहख्मी कर दिया। मिली जानकारी के अनुसार कराड़ाघाट के स्थानीय मन्दिर में काफी समय से रह रहे साधुओं में मंगलवार सुबह किसी बात पर लड़ाई हो गयी। यह लड़ाई इतनी बढ़ गई कि एक साधु ने दूसरे पर जानलेवा हमला कर दिया। चोटिल साधु को अर्की अस्पताल लाया गया जहाँ से घायल साधु को आईजीएमसी शिमला के लिए रेफर किया गया।मारपीट के बाद आरोपी बाबा फरार हो गया है।मामले की पुष्टि करते हुए डीएसपी दाड़लाघाट पूर्ण चंद ठुकराल ने बताया कि कराडाघाट मंदिर में रहने वाले साधु अर्जुन दास गुजरात के रहने वाले हैं और वह लगभग पांच-छह महीने से कराडाघाट के मंदिर में रह रहे थे। अर्जुनदास ऊपर किसी अज्ञात साधु द्वारा हमला किया गया जिसमें वह बुरी तरह से घायल हो गया।पूर्ण चंद ने बताया कि हमला करने वाले व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है व मामले की छानबीन की जा रही है।
Women are involved at every stage of Solan - Kaithlighat four lane construction Women Empowerment is always top priority for Arief Engineers : Mallick Women Engineers are contributing a significant role in four-lane construction work of the 22.91 kilometre stretch of the National Highway from Solan to Kaithlighat. This work was awarded to Arief Engineers in 598 crores, and it was initiated on November 9, 2018 by the company. In last nine months company has delivered quite satisfactory inspite so many hurdles. The General Manager of Arief Engineers, Amit Mallick is taking care of this project, but the contribution of women is no less. "Our women engineers are involved at every level of construction work in this jumbo project," says Mallick. He further added, “ not only civil engineers but in other departments also, women are playing a vast role.” Five women are deployed in key positions at Kandaghat Site The project office of Arief Engineers is located at Kandaghat. Presently, Arief Engineers has deployed five women in key positions at site office, including three core civil engineers. All these women are from different parts of the country, and they are exception to the myth that women are rare in civil engineering field. It is not at all easy for any civil engineer to work in mountains, but these women are delivering surfeit expectations. Rajendra, Kalpana Gupta and Jyoti Bhatia are the civil engineers who are breaking the barriers and making their contribution at every step of construction, right from planning to the on site execution. Whereas, Disha Sharma is taking care of human resource management and Ekta Sharma is responsible for accounts. Women has significant role to play at every site of Arief Engineers Despite the increased interest in civil engineering among women, there are still a number of challenges that are contributing to the continued gender inequality. One barrier that is often pointed to is the lack of female role models in the field. Because the number of women in the field is low, there are also few female leaders in civil engineering, which can make it difficult for new generations of female engineers to find mentors whom they feel they can relate to. But Arief Engineers is providing the right atmoshphere to young women engineers, so they may learn, grow and contribute the optimum in nation building. General Manager Amit Mallick said “ Kandaghat site is not the exception, at every site of Arief Engineers the role of women is no less."
Chandra Shekhar Azad was born on July 23, 1906, in Bhavra, Madhya Pradesh. Azad was a daring freedom fighter and a fearless revolutionary. In his early age he was the part of non cooperation movement but after suspension of the non-cooperation movement by Gandhi Ji in 1922, Azad became more aggressive. He joined Ram Prasad Bismil who had formed the Hindustan Republican Association (HRA), a revolutionary organisation. Today is the 113th birth aniversary of Indian Freedom Fighter Chandrashekhar Azad. Chandra Shekhar Azad was popularly known as Azad. After the massacre of the Jallianwala Bagh which took place in 1919 , he decided to join the Non-Cooperation movement led by Mahatma Gandhi in 1920. Azad was just 15 years old when he was arrested for the first time for joining Gandhi's Non-Cooperation Movement. When Azad was produced before a judge, he gave his name as 'Azad', father's name as 'Swatantrata' (independence) and residence as 'Jail'. Azad was the chief strategist of the Hindustan Socialist Republican Association (HSRA). He executed Kakori Train robbery in 1925 and the killing of the assistant superintendent Saunders in 1928. Azad had made a pledge that the police will never capture him alive. After the death of Lala Lajpat Rai, Bhagat Singh also joined Azad to fight against British. On February 27, 1931, betrayed by one of the associates, he was besieged by the British police in Alfred Park, Allahabad. He fought valiantly but seeing no other way he shot himself with last bullet left and fulfilled his resolve to die a 'free man'.
शिमला से लगभग 110 कि.मी. दूर, शिमला-रोहड़ू मार्ग पर पब्बर नदी के दाहिने किनारे धान के खेतों के बीच स्थित माता हाटकोटी का मंदिर लाखों भक्तों केलिए आस्था का केंद्र हैं। मां हाटकोटी के मंदिर में एक गर्भगृह है जिसमें मां की विशाल मूर्ति विद्यमान है यह मूर्ति महिषासुर मर्दिनी की है। इतनी विशाल प्रतिमा हिमाचल में ही नहीं बल्कि भारत के प्रसिद्ध देवी मंदिरों में भी देखने को नहीं मिलती। मात की ये प्रतिमा किस धातु की है इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। लोकगाथा के अनुसार एक लोकगाथा के अनुसार इस देवी के संबंध में मान्यता है कि बहुत वर्षो पहले एक ब्राह्माण परिवार में दो सगी बहनें थीं। उन्होंने अल्प आयु में ही सन्यास ले लिया और घर से भ्रमण के लिए निकल पड़ी। उन्होंने संकल्प लिया कि वे गांव-गांव जाकर लोगों के दुख दर्द सुनेंगी और उसके निवारण के लिए उपाय बताएंगी। एक बहन हाटकोटी गांव पहुंची जहां मंदिर स्थित है,उसने यहां एक खेत में आसन लगाकर ईश्वरीय ध्यान किया और ध्यान करते हुए वह लुप्त हो गई। जिस स्थान पर वह बैठी थी वहां एक पत्थर की प्रतिमा निकल पड़ी। इस आलौकिक चमत्कार से लोगों की उस कन्या के प्रति श्रद्धा बढ़ी और उन्होंने इस घटना की पूरी जानकारी तत्कालीन जुब्बबल रियासत के राजा को दी। जब राजा ने इस घटना को सुना तो वह तत्काल पैदल चलकर यहां पहुंचा। राजा ने यहां पर मंदिर बनाने का निश्चय ले लिया। लोगों ने उस कन्या को देवी रूप माना और गांव के नाम से इसे 'हाटेश्वरी देवी' कहा जाने लगा। इसलिए विशेष हैं मंदिर यह मंदिर समुद्रतल से 1370 मीटर की ऊंचाई पर पब्बर नदी के किनारे समतल स्थान पर स्थित है। कहा जाता है मंदिर के साथ लगते सुनपुर के टीले पर कभी विराट नगरी थी, जहां पर पांडवों ने अपने गुप्त वास के कई वर्ष व्यतीत किए। यह स्थान हाटकोटी के नाम से भी प्रसिद्ध है। माता हाटेश्वरी का मूल स्थान ऊपर पहाड़ों में घने जंगल के मध्य खरशाली नामक जगह पर है। मन्दिर के बिल्कुल बांयी ओर बड़े-छोटे पत्थरों को तराश कर, छोटे-छोटे पांच कलात्मक मन्दिर बनाए गये है। इन मंदिरों का निर्माण पाण्डवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया है । यहां के स्थायी पुजारी ही गर्भगृह में जाकर मां की पूजा कर सकते हैं। मंदिर के बाहर प्रवेश द्वार के बाई ओर एक ताम्र कलश लोहे की जंजीर से बंधा है जिसे स्थानीय भाषा में चरू कहा जाता है। इनमें यज्ञ के दौरान ब्रह्मा भोज के लिए बनाया गया हलवा रखा जाता है। यह मंदिर शिखराकार नागर शैली में बना हुआ था बाद में एक श्रद्धालु ने इसकी मरम्मत कर इसे पहाड़ी शैली के रूप में परिवर्तित कर दिया। मंदिर में महिषासुर र्मदिनी की दो मीटर ऊंची कांस्य की प्रतिमा है। इसके साथ ही शिव मंदिर है। मंदिर द्वार को कलात्मक पत्थरों से सुसज्जित किया गया है। छत लकड़ी से र्निमित है, जिस पर देवी देवताओं की अनुकृतियों बनाई गई हैं। मंदिर लकड़ी और पत्थर से निर्मित कलात्मक शिल्पकारी का अद्भुत नमूना है l मंदिर के गर्भगृह में लक्ष्मी, विष्णु, दुर्गा, गणेश आदि की प्रतिमाएं हैं। इसके अतिरिक्त यहां मंदिर के प्रांगण में देवताओं की छोटी-छोटी मूर्तियां हैं।बताया जाता है कि इनका निर्माण पांडवों ने करवाया था। मंदिर की ओर जाती सड़क के दोनों ओर सेब के बगीचे है, और खूब घने देवदार के जंगल हैंl मंदिर को नवरात्रों के दौरान खूब सजाया जाता है।नवरात्रों में यहाँ विशेष पूजा का आयोजन होता हैं ।
हिमाचल प्रदेश के ज़िला मंडी के रामनगर में वेश्यावृत्ति का धंधा चलाने वाली एक महिला को पुलिस ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। महिला पुलिस थाना में आरोपित के खिलाफ वेश्यावृत्ति का मुकदमा दर्ज कर लिया है। बता दें कि पुलिस प्रशासन को सूचना मिली थी कि रामनगर में कवाटर में रहने वाली एक महिला वेश्यावृत्ति में संलिप्त है। तभी पुलिस ने पैसे देकर नकली ग्राहक भेजा और मामले का फंडाफोड़ किया। पुलिस अधीक्षक गुरदेव शर्मा ने बताया कि पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर लिया है, मामले की जांच चल रही है।