नए आईटी नियमों का पालन नहीं करने पर माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दर्ज की गई है। वकील अमित आचार्य ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि नियमों के तहत महत्वपूर्ण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म होने के नाते ट्विटर को अपने कानूनी और कार्यकारी कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। इससे पहले ट्विटर ने नए आईटी नियमों को लेकर 27 मई को अपना बयान जारी किया था और कहा था कि भारत सरकार के साथ बातचीत जारी रखेंगे। इसके साथ ही ट्विटर ने भारत में अपने कर्मचारियों और यूजर्स की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संभावित खतरे को लेकर चिंता जाहिर की थी। माइक्रोब्लॉगिंग साइट ने अपने बयान में कहा था कि ट्विटर भारत के लोगों के लिए प्रतिबद्ध है। हमारी सेवा सार्वजनिक बातचीत के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई है और महामारी के दौरान लोगों का सपोर्ट किया है। हम अपनी सेवा जारी रखने के लिए भारत में लागू कानून का पालन करने की कोशिश करेंगे। ट्विटर ने आगे कहा था कि हम भारत सरकार के साथ बातचीत जारी रखेंगे और मानते हैं कि सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाना महत्वपूर्ण है। जनता के हितों की रक्षा करना निर्वाचित अधिकारियों, उद्योग और नागरिक समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है।
केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल को चिट्ठी लिखकर तिरंगे के अपमान की शिकायत की है। प्रहलाद पटेल ने केजरीवाल के प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के गलत तरीके से लगाने को लेकर सवाल उठाया है। प्रहलाद पटेल ने अपनी चिट्ठी में जिक्र किया है कि दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तिरंगे झंडे को सजावट के सामान के रूप में इस्तेमाल किया साथ ही उसे इस तरह से लगाया कि सिर्फ उसका हरा रंग ही दिखाई दे रहा था। केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि वह पत्र राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान की हम सबकी जिम्मेवारी के उत्तरदायित्व को ध्यान में रखते हुए लिख रहे हैं। केजरीवाल जब भी टीवी पर संबोधन के लिए आते हैं तो उनका ध्यान बेबस ही तिरंगे पर चला जाता है। क्योंकि वह उन्हें देश की गरिमा एवं संवैधानिक स्वरूप से भिन्न प्रतीत होता है। बीच में सफेद हिस्से को कम करके हरे हिस्से को जोड़ दिया गया लगता है जो भारत सरकार गृह मंत्रालय के द्वारा निर्दिष्ट भारतीय झंडा संहित में उल्लिखित भाग 1 के 1.3 में दिए गए मानकों का प्रयोग नहीं दिखाई देता है। बता दें कि बीते कई दिनों से दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच कोविड मैनेजमेंट, ऑक्सीजन की कमी, वैक्सीन की कमी को लेकर वाक युद्ध चल रहा है, ऐसे में तिरंगे को लेकर लिखा गया यह खत एक नए विवाद को जन्म दे सकता है।
हिमाचल में कोरोना के कहर के बीच ब्लैक फंगस ने भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए है। आईजीएमसी शिमला में ब्लैक फंगस के 2 मरीज़ों ने अपनी जान गवा दी है। इस बात की पुष्टि आईजीएमसी हॉस्पिटल शिमला के एमस डॉ जनक राज ने की है। ये दोनों ही मरीज़ पुरुष है। डॉक्टर की जानकारी के अनुसार दोनो मरीज़ों को डाइअबीटीज़ कीटोअसिडोसिस था और ब्लैक फ़ंगस मस्तिष्क तक पहुँच गया था। जिसके चलते दोनों मरीज़ों की आज सुबह मौत हो गई। बता दें की एक मरीज़ जिला सोलन के कसौली का था जिसे 22 मई को ब्लैक फंगस के लक्षण दिखने के बाद आईजीएमसी शिमला लाया गया था। वंही दूसरा मरीज़ हमीरपुर से कल शिमला के आईजीएमसी हॉस्पिटल के लिए रेफेर किया गया था। यह मरीज़ 5 बजे के करीब शिमला पंहुचा था। डॉक्टर के मुताबिक मरीज़ की आंख के पास सूजन थी। गौरतलब है कि यह मरीज़ कोरोना वायरस से भी संक्रमित थे।
पिछले डेढ़ साल से टल रही हिमाचल प्रदेश पुलिस की सिपाही भर्ती की वजह से हजारों युवाओं के लिए रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। पिछले साल बजट की घोषणा के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कांस्टेबल के एक हजार पद भरने का एलान कर दिया, लेकिन इसके बाद कोविड संक्रमण के चलते लॉकडाउन लग गया। सितंबर के बाद हालात साल के अंत तक हालात सुधरे तो पुलिस महकमे ने सरकार से भर्ती को लेकर पत्राचार शुरू किया। पत्राचार इतनी बार और इतने लंबे समय तक चला कि मार्च के बाद प्रदेश में कोरोना की दूरी लहर ने दस्तक दे दी। नतीजा यह हुआ कि अब अगले दो तीन महीने तक भर्ती होने की संभावना नहीं लग रही। इसकी वजह से हजारों की संख्या में युवा भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित रह जाएंगे। ऐसा इसलिए है कि भर्ती में देर होने से बड़ी संख्या में युवाओं की उम्र निर्धारित मानदंड को पार कर रही है। इसमें ऐसे युवा भी है, जो लंबे समय से भर्ती के लिए तैयारी तक कर रहे थे। सोशल मीडिया पर युवाओं का आरोप है कि पुलिस मुख्यालय अगर भर्ती से पहले ही औपचारिकताओं को लॉकडाउन के दौरान पूरा कर लेता तो दूसरी लहर आने से पहले सेना की ही तरह पुलिस भर्ती भी हो जाती। लेकिन दूरदर्शिता की कमी की वजह से उन्हें मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।
राष्ट्रीय राजमार्गों के टोल प्लाजा पर अब वाहनों को 10 सेकंड से ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। NHAI इस बात के निर्देश जारी किए है। NHAI के इन निर्देशों के बाद टोल प्लाजा पर पर लंबे इंतजार से छुटकारा मिल सकता है। नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने कहा है कि पीक आवर में भी टोल प्लाजा पर वाहनों को 10 सेकंड से ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। टोल प्लाजा पर 100 मीटर से ज्यादा लंबी वाहनों की कतार नहीं लगेगी। किसी भी कारण से अगर टोल प्लाजा पर 100 मीटर से ज्यादा लंबी कतार है तो वाहनों को बिना टोल टैक्स का भुगतान किए टोल प्लाजा पास करने की परमीशन होगी। NHAI के नए नियमों के मुताबिक हर टोल प्लाजा पर 100 मीटर की दूरी दर्शाने के लिए एक पीली लाइन खींची जाएगी। ऐसा देश के हर टोल प्लाजा पर किया जाएगा। NHAI ने कहा, यह टोल प्लाजा ऑपरेटरों की जवाबदेही तय करने के लिए किया जा रहा है। NHAI के अनुसार, फरवरी 2021 से 100 प्रतिशत कैशलेस टोलिंग हो चुकी है। देश में बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह को ध्यान में रखते हुए, एक कुशल टोल संग्रह प्रणाली के लिए अगले 10 वर्षों में काम किया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश में संक्रमण दर में भारी कमी आई है। हिमाचल में कोरोना कर्फ्यू का असर दिखने लगा है। एक सप्ताह पहले संक्रमण की दर 27.47 थी, जो 25 मई को घटकर 15.83 फीसदी रह गई है। इस अंतराल के बीच करीब 11 फीसदी की कमी दर्ज की गई। अप्रैल और मई में प्रदेश के अन्य जिलों की अपेक्षा 5 जिले कोरोना से प्रभावित रहे। इनमें कांगड़ा, मंडी, शिमला, ऊना और जिला हमीरपुर शामिल हैं। अब इन जिलों में पहले की अपेक्षा कोरोना के कम मामले आ रहे हैं। ज्यादातर मरीज इन्हीं जिलों में ठीक हो रहे हैं। प्रदेश में कोरोना के रिकवरी रेट में भी बड़ा सुधार आया है। यह दर 85 फीसदी से बढ़ गई है। इससे साफ है कि लोग तेजी से ठीक हो रहे हैं। दूसरी ओर, मृत्यु दर में कमी न होने से स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। प्रतिदिन 60 से ज्यादा कोरोना संक्रमितों की मौत हो रही है। मृत्यु दर 1.52 फीसदी है।
हिमाचल प्रदेश के राशन डिपुओं में राशनकार्ड उपभोक्ताओं को जून से रिफाइंड तेल नहीं मिलेगा। उपभोक्ताओं को रिफाइंड के बदले दो लीटर सरसों तेल ही दिया जाएगा। खाद्य आपूर्ति निगम ने रिफाइंड तेल का टेंडर नहीं किया है। वंही उपभोक्ताओं को अगले माह से सरसों तेल 57 रुपये महंगा मिलेगा। विभाग ने इसकी जानकारी पहले ही दे दी है। एपीएल उपभोक्ताओं को 160 और बीपीएल को 155 रुपये प्रतिलीटर तेल मिलेगा। हिमाचल में साढ़े 18 लाख राशनकार्ड उपभोक्ता हैं। इनमें 12.50 लाख एपीएल और 4.45 लाख बीपीएल उपभोक्ता हैं। सरकार की ओर से उपभोक्ताओं को सब्सिडी पर राशन उपलब्ध कराया जाता है। सरकार उपभोक्ताओं को एक लीटर रिफाइंड और एक लीटर सरसों तेल उपलब्ध कराती है। बताया जा रहा है कि रिफाइंड तेल के दाम में भारी उछाल आया है। इसके चलते अगले महीने दो लीटर सरसों तेल ही देने का फैसला लिया गया है।
कोरोना के नियंत्रण में 97.6 प्रतिशत तक कारगर रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी का अब हिमाचल प्रदेश के बद्दी में बड़े पैमाने पर उत्पादन होगा। पनेशिया बॉयोटेक कंपनी को पहली बार इतनी बड़ी असाइनमेंट मिली है। यहां बनने वाली वैक्सीन की गुणवत्ता की देख-देख रूस से की जाएगी। इसकी आपूर्ति भी रूस को ही जाएगी। बताया जा रहा है कि रूस ने भारत में स्पूतनिक वी की 18 मिलियन खुराक भेजने की योजना की घोषणा की है, जिसमें मई माह में 30 लाख, जून में 50 लाख और जुलाई में 10 मिलियन खुराक शामिल है। सूत्रों के अनुसार भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर की ओर से रूस के आरडीआईएफ और पनेशिया बॉयोटेक को इस बाबत मंजूरी मिल चुकी है। पनेशिया बॉयोटेक के एमडी डॉ. राजेश जैन ने बताया कि इस करार से हम देश और विश्व में इस महामारी को रोकने में बड़ा योगदान दे सकेंगे। गौर हो कि बीबीएन एशिया का सबसे बड़ा फार्मा हब है जहां से देश सहित विश्व के कोने-कोने में दवाओं की आपूर्ति की जाती है। यहां पनेशिया बॉयोटेक और आरडीआईएफ एक वर्ष में स्पूतनिक वी की 100 मिलियन खुराक का उत्पादन करेगी। उधर, राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मरवाह ने कहा कि फिलहाल मामला उनके संज्ञान में नहीं है। कंपनी और भारत सरकार के उच्चाधिकारियों के बीच इस बाबत बात हुई है।
पंजाब में लगातार कृषि कानूनों का विरोध जारी है। इसी बाबत विधायक नवजोत सिद्धू ने किसानों के हक में अपने आवास पर काला झंडा लगाया। सिद्धू लगातार किसानों के हक में अपनी आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने अपने पटियाला और अमृतसर स्थित आवासों पर भी नवजोत सिद्धू ने ट्विटर पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें वह अपनी पत्नी के साथ छत पर झंडा लहरा रहे हैं। कांग्रेस नेता नवजोत सिद्धू ने वीडियो में कहा कि पिछले 20-25 साल से घट रही आमदनी, बढ़ रहे कर्ज के कारण किसान परेशान है और पंजाब के किसानों को आंदोलन करना पड़ रहा है। पंजाब आज एक साथ तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहा है, ये तीनों कानून किसान, मजदूर और व्यापारी के पेट पर लात मारने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना सिद्धू ने उन पर तंज कसते हुए कहा कि आपके पूंजीपति दोस्तों के विपरीत किसानों को लोगों का पैसा नहीं चाहिए। किसानों को अपनी सही आमदनी चाहिए। गौरतलब है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर सुर्खियों में हैं। बीते कुछ दिनों से कांग्रेस में ही उनके बागी तेवर फिर देख रहे हैं, जहां मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू आमने-सामने हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने बीते कुछ दिनों में ऐसे बयान दिए हैं, जो पंजाब सरकार के लिए गले की फांस बन गए हैं। यही कारण है कि हाल ही में पंजाब सरकार के कई मंत्रियों ने पार्टी स्तर पर नवजोत सिंह सिद्धू पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की थी।
कोरोना महामारी और बारहवीं की परीक्षा पर संश्य होने के कारण बच्चे काफी तनाव में हैं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड बच्चों में बैचेनी और डर के इस माहौल को दूर करने के लिए दसवीं-बारहवीं के विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों की टेली-काउंसलिंग की शुरूआत की है। इस टेली काउंसलिंग के माध्यम से वह अपनी समस्याओं व जिज्ञासाओं का समाधान कर सकते हैं। इसके लिए टोल-फ्री नंबर 1800118004 जारी किया गया है। सीबीएसई ने सोमवार से इस टेलीकाउंसलिंग सेवा की शुरुआत कर दी है। इस पर देशभर से 83 विशेषज्ञ व 24 प्रिंसिपल छात्रों व उनके अभिभावकों की शंकाओं, परेशानियों व तनाव संबंधी सवालों को लेकर काउंसलिंग करेंगे। विद्यार्थी और अभिभावक सोमवार से शुक्रवार तक सुबह 9.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक इस सेवा का लाभ उठा सकते हैं। इससे पहले बोर्ड ने मई की शुरुआत में सीबीएसई दोस्त फॉर लाइफ एप की शुरुआत की थी। उसकी सफलता के बाद ही बोर्ड ने अब टेली काउंसलिंग सेवा की शुरुआत की है। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए दसवीं की परीक्षाएं पहले ही रद्द की जा चुकी हैं। दसवीं में विद्यार्थियों का मूल्यांकन आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर होना है। जबकि बारहवीं की परीक्षाओं को लेकर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है। कोविड की दूसरी भयावह लहर को देखते हुए केंद्र सरकार व राज्य सरकारें इसको लेकर मंथन कर रही हैं। इस सप्ताह तक इस पर कुछ फैसला होने की संभावना है।
मौसम विभाग ने चेतावनी जारी कर दी कि अगले 24 घंटे में चक्रवात यास बेहद गंभीर चक्रवात तूफान में तब्दील हो जाएगा। बुधवार को यास बंगाल और ओडिशा के तट पर पहुंचेगा। चक्रवात के टकराने के बाद भारी तबाही से बचने के लिए लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया है। वहीं गृह मंत्रालय ने चक्रवात यास से प्रभावित होने वाले सभी राज्यों को आश्वासन दिया है कि मंत्रालय उनकी मदद के लिए 24 घंटे तैयार रहेगा। इसके अलावा भारतीय मौसम विभाग ने जानकारी दी है कि 26 मई की दोपहर को चक्रवात यास उत्तरी ओडिशा और बंगाल के तटों से टकराएगा।
दुनिया भर में सबसे बड़ी कही जाने वाली कंपनियां फेसबुक, ट्वीटर और इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया कंपनियों के पास भारतीय नियमों के मुताबिक चलने का फैसला लेने के लिए मिली समय सीमा आज समाप्त हो रही है। 25 फरवरी को आईटी मंत्रालय ने एक गाइडलाइन और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड नियम जाारी किए थे। उस समय सोशल मीडिया कंपनियों को 3 महीने दिए गए थे, ताकि वे भारतीय नियमों और कानूनों के मुताबिक काम शुरू कर दें। लेकिन अभी तक किसी भी कंपनी ने इन नियमों का पालन नहीं किया है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या 26 मई के बाद भारत में फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया कंपनियां बंद हो जाएंगी...? ये थे नियम 1.कंपनियों को भारत में अपने 3 ऑफिसर नियुक्त करने थे और उनसे संपर्क के लिए भारत का ही पता देना था। एक कंप्लायेंस ऑफिसर, एक नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन और एक रेजिडेंट ग्रिवांस ऑफिसर नियुक्त करना था। नियमों के मुताबिक इन अधिकारियों का निवास भारत में ही होना चाहिए था। 2.ग्रीवांस रीड्रेसल यानि 24 घंटे के भीतर किसी भी शिकायत मिलने की बात स्वीकार करना और 15 दिनों के भीतर ही अपनी कार्रवाई या फिर कार्रवाई नहीं करने के कारण बताना शामिल है। 3.गलत कंटेट की सक्रिय मॉनिटरिंग करना, कंपनियों को टेक्नोलॉजी पर आधारित टूल विकसित करना, जिसमें रेप, बच्चों के खिलाफ अमानवीय व्यवहार जैसी सूचनाएं जो पहले हटाई जा चुकी हैं, उनकी जानकारी दी जा सके। 4.सरकारी निर्देशों के मुताबिक कंपनियों को हर महीने एक रिपोर्ट जारी करना था, जिसमें शिकायतों की संख्या, उन पर की गई कार्रवाई और कितने लिंक खत्म किए इसकी जानकारी भी शामिल करना था। 5.अगर कोई आपत्तिजनक बात हटायी गयी हो तो उसे बनाने और शेयर करने वाले को कारण बताना होगा। उन्हें मौका देना होगा कि अपनी बात रख सकें और अपना कंटेट वापस डालने की बात कर सकें।
हिंदुस्तान की स्वतंत्रता को करीब 74 वर्ष बीत चुके है और इतना ही वक्त बीत चुका है देश के बंटवारे को। बंटवारे की टीस वक़्त के साथ धुंधली ज़रूर हो सकती हैं, मगर इसे दबा पाना मुमकिन नहीं। देश की हवा में मिट्टी की खुशबू के साथ एक गंध भी उठती है, उन सभी शवों की जिन्हें कोई जलाने, दफ़नाने वाला भी नहीं मिला था। अंग्रेज़ों की कूटनीति ने हमारे मुल्क़ को दो हिस्सों में बाँट कर रख दिया। बंटवारे की त्रासदी में कितने ही लोग बेघर हुए और कितने ही परिवारों के चिराग बुझ गए। उस दर्द की कल्पना भी कर पाना भी मुश्किल है। मगर इसे बेहद करीब से छुआ जा सकता है, उस समय का दर्द बयां करते कुछ साहित्यकारों की रचनाओं को पढ़ कर। अमृता प्रीतम ने 'पिंजर' में उकेरा है विभाजन का दर्द जहां बेहतरीन लेखन और स्वतंत्रता की बात हो, वहां अमृता प्रीतम का नाम आना भी लाज़मी है। विद्रोही समझ वाली अमृता, न केवल महिलाओं के लिए बोला करती थी, बल्क़ि बेहतरीन, स्वतंत्र समझ का उदाहरण भी थी। अमृता के कई उपन्यासों में विभाजन का दर्द दिखाई देता है, जिनमें से एक है 'पिंजर '। यूँ तो विभाजन पर कई उपन्यास लिखे गए हैं, परन्तु आज तक लिखे गए सभी उपन्यासों में पिंजर का अपना विशिष्ठ स्थान है। 1947 में हुए विभाजन का दर्द, अमृता ने अपने इस उपन्यास के ज़रिये 1950 के आसपास लिखा। अमृता के इस उपन्यास का अहम किरदार है 'पुरो' जो एक हिन्दू परिवार में जन्म लेती है, परन्तु पारिवारिक रंजिश के चलते, एक मुस्लमान शेख द्वारा, ज़बरदस्ती विवाह सम्बन्ध में बांधी जाती है। इस उपन्यास में अमृता बात करती हैं एक ऐसे गांव की जहां मुसलमानों की आबादी हिन्दू आबादी से कहीं ज़्यादा है और दंगों के चलते सभी हिन्दू एक हवेली में छुप गए, जो भी हिन्दू बाहर आता वह मार दिया जाता था। अमृता लिखती हैं एक रात जब हिन्दू मिलिट्री के ट्रक गाँव में आए तो लोगों ने हवेली में आग लगा दी। मिलिट्री ने आग बुझा कर लोगों को बाहर निकाला। आधे जले हुए तीन आदमी भी निकाले गए, जिनके शरीर से चर्बी बह रही थी, जिनका मांस जलकर हड्डियों से अलग-अलग लटक गया था। कोहनियों और घुटनों पर से जिनका पिंजर बाहर निकल आया था। लोगों के लारियों में बैठते-बैठते उन तीनों ने जान निकाल दी। उन तीनों की लाशों को वही फेंककर लारियाँ चल दीं। उनके घर वाले चीखते-चिल्लाते रह गए, पर मिलिट्री के पास उन्हें जलाने-फूंकने का समय नहीं था। इस सिक्के के दूसरे पहलू पर भी रोशनी डालते हुए अमृता लिखती हैं कि कुछ शहरों में सीमाएं बना दी गई थी जिनकी एक ओर हिन्दू और दूसरी ओर सभी मुसलमान थे। दूसरी ओर से मुसलमान मरते कटते चले आ रहे थे, कुछ वहीँ मार दिए गए और कुछ रास्ते में मारे गए। मोहन राकेश ने सुनाई बिछड़े अपनों की दास्ताँ साहित्यकार मोहन राकेश अपने उपन्यास 'मलबे का मालिक' में भी ऐसा ही कुछ दर्द बयां करते नज़र आए जिसमें कहानी के मुख्य किरदार 'गनी मियां' दंगों के समय पाकिस्तान चले जाते हैं और उनके बेटे बहु और दो पोतियां यहीं हिंदुस्तान में रह जाते हैं। विभाजन के 7 साल बाद, जब दोनों देशों में आवाजाही के साधन खुलते हैं, तो हॉकी का मैच देखने के बहाने गनी मियां अमृतसर (भारत) आते हैं, इस आस में कि अपने पुराने घर परिवार को फिर देख सकेंगे, परन्तु यहां आ कर उन्हें पता चलता है कि उनके परिवार की 7 साल पहले ही हत्या हो चुकी है। पियूष मिश्रा ने 'हुस्ना' (नाटक) में किया अधूरी मोहब्बत का ज़िक्र बंटवारे के समय हुई ऐसी कई घटनाओं का, कई परिवारों का दर्द साहित्य आज भी ज़िंदा रखे हुए है। पियूष मिश्रा ने एक नाटक किआ है, 'हुस्ना'। पियूष मिश्रा ने न केवल इसे लिखा, बल्क़ि मंच पर बखूबी इसे निभाया भी। इस नाटक में दो मुल्क़ों के बंटवारे में कभी न बँट पाने वाली मोहब्बत की कहानी है। इसमें हिंदुस्तान में रहने वाले प्रेमी का खत है, जो की उसकी विभाजन के बाद सेपाकिस्तान में रह रही प्रेमिका के नाम है। खत को गाने के रूप में पेश किया गया है जिसके बोल हैं, "लाहौर के उस जिले के दो परांगना में पहुंचे , रेशमी गली के दूजे कूचे के चौथे मकां में पहुंचे, और कहते हैं जिसको दूजा मुल्क़ उस पाकिस्तान में पहुंचे," गाने की इन पंक्तियों में लेखक खुद के पाकिस्तान में होने की कल्पना करते हैं व कहते हैं "मुझे लगता है में लाहौर के पहले जिले के दुसरे राज्य में हूँ।" इसी गाने में पियूष मिश्रा ने दोनों मुल्क़ों की समानताओं की ओर इशारा करते हुए यह भी लिखा की "पत्ते क्या झड़ते हैं पाकिस्तान में, वैसे ही जैसे झड़ते हैं यहाँ ओ हुस्ना, होता क्या उजाला वहां वैसा ही, जैसा होता है हिन्दोस्तान में हाँ ओ हुस्ना।" जॉन ऐलिया का फ़ारेहा के नाम संदेश सवाल है जो दर्द इधर हिन्दुस्तान में है क्या वही दर्द वहां दूसरी ओर भी उठता है? इसे समझने के लिए पाकिस्तानी लेखकों की रचनाओं पर भी रोशनी डालना ज़रूरी है। पाकिस्तान के मशहूर लेखक जॉन ऐलिया की ही बात करें तो, जॉन का जन्म 1931 में अमरोहा (भारत) में हुआ और विभाजन के समय वह पाकिस्तान चले गए। जॉन की कई ग़ज़लें उनकी बचपन की मोहब्बत 'फ़ारेहा' के नाम हैं। फ़ारेहा हिंदुस्तान में रहा करती थीं और कहा जाता है विभाजन के बाद जॉन का फ़ारेहा से मिलना कभी नहीं हुआ। मगर जॉन की लिखी एक ग़ज़ल 'फ़ारेहा' में उनका दर्द पढ़ा जा सकता है। " सारी बातें भूल जाना फ़ारेहा, था सब कुछ वो इक फ़साना फ़ारेहा, हाँ मोहब्बत एक धोखा ही तो थी, अब कभी धोखा न खाना फ़ारेहा " इन पंक्तियों में जॉन अपनी बचपन की मोहब्बत फ़ारेहा से, सब कुछ भूल जाने को कहते हैं, क्योंकि वह जानते हैं के दो मुल्क़ों के बीच खिंच चुकी इस लकीर को मिटा पाना, और इस मोहब्बत को अनजाम देना भी अब मुमकिन नही। विभाजन से किसी का घर टूटा तो किसी का दिल, किसी के अपने बिछड़े तो किसी के अपने ही पराए हो गए। इस नुकसान की भरपाई तो अब की नहीं जा सकती, पर इस बात को नकारा भी नहीं जा सकता कि नुकसान दोनों ओर बराबर रहा होगा।
प्रदेश विधानसभा सदन में विपक्ष के विरोध और हल्ले का मूंह ताेड़ जवाब देने वाले संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज पिछले एक साल से शहराें का विकास करवाने में कृतसंकल्प हैं। हालांकि जयराम सरकार के कार्यकाल के दाे साल तक उनके पास शिक्षा विभाग का दायित्व भी था, लेकिन पिछले साल मंत्रीमंडल विस्तार में उनसे शिक्षा विभाग लेकर उन्हें शहरी विकास विभाग थमा दिया गया। ऐसे में अब उनकी प्राथमिकता प्रदेश के शहराें काे विकसित करना है। फर्स्ट वर्डिक्ट के साथ विशेष बातचीत में सुरेश भारद्वाज कहते हैं कि स्मार्ट सिटी और AMRUT मिशन शहरीकरण में आने वाले चुनाैतियाें का सामना करने में सक्षम हैं। इसके साथ-साथ सुरेश भरद्वाज के साथ अन्य मसलाें पर हुई चर्चा के विशेष अंश... सवाल: बढ़ते शहरीकरण की चुनौतियां क्या हैं और उनके समाधान क्या हैं ? जवाब: हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी राज्य है और शहरीकरण के चलते रहने के लिए मकान, आने - जाने के लिए संसाधन (ट्रांसपोर्ट) व अन्य मूलभूत सुविधाएं जुटाना अन्य राज्यों से मुश्किल काम हैं। स्मार्ट सिटी और अटल मिशन फॉर रेजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन मिशन ( AMRUT ) के माध्यम से इन चुनौतियों से पार पाने के प्रयास किये जा रहे हैं। शिमला शहर का कायाकल्प हो रहा है तथा दूसरी स्मार्ट सिटी धर्मशाला पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा अन्य योजनाओं के माध्यम से मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है जिस से आने वाली चुनौतियों का सामना किया जा सके। देश में नरेंद्र मोदी और प्रदेश में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा सरकारें इन चुनौतियों से निपटने के लिए काम कर रही है। सवाल: पूरे प्रदेश में ही निर्माण अव्यवस्थित सा है, उसे देखते हुए गावों से शहरों में बढ़ रही पलायन गतिविधियों को कैसे व्यवस्थित करेंगे ? जवाब: जैसे - जैसे शहरीकरण बढ़ रहा है गाँव से शहर की और पलायन बढ़ रहा हैं। सभी चाहते है शहर या शहर के नज़दीक उनकी रिहाइश हो। ऐसी परिस्थिति में अव्यवस्थित निर्माण हुआ है। अब प्रयास यह है कि भविष्य में ऐसा न हो। जिन जगहों पर शहरीकरण हो रहा है, वो प्लानिंग एरिया के अधीन लाये जाते हैं ताकि सुव्यस्थित निर्माण सुनिश्चित कराया जा सके। दूसरी बात, अब गाँवों में भी पहले से बेहतर सुविधाएं उपलब्ध है। ऐसे में असुंतलन को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। सवाल: बढ़ते शहरीकरण के बीच शहरी विकास विभाग का स्वरूप, शक्तियां और आम बजट में वित्तीय आवंटन क्या बढ़ेगा ? जवाब: बढ़ते शहरीकरण के साथ-साथ विभाग की ज़िम्मेदारियाँ भी बढ़ी है। जहाँ तक स्वरूप और शक्तियों की बात है, इनको बदलने या बढ़ाने से पहने इनका सही उपयोग करना प्राथमिकता है और हम इस दिशा में काम कर रहे है। 15 वे वित्तायोग में शहरी निकायों के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान है है। इसके अतिरिक्त स्मार्ट सिटी, AMRUT व अन्य योजनाओं में बजट का प्रावधान है। केंद्र सरकार की योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू करना प्राथमिकता रहेगी। सवाल: आगामी बजट में आप क्या क्या प्रस्ताव लाना चाहेंगे ? अब तक क्या नयी जरूरतें महसूस हुई हैं ? जवाब: आम जनता से, जन प्रतिनिधियों से फीडबैक लिया जा रहा है। आपके माध्यम से भी मैं अपील करता हूँ कि आम जनता अपने सुझाव दे। बजट में अभी समय है और लिए अभी चर्चा होनी है और लोकहित में कदम ज़रूर उठाये जाएंगे। जहाँ तक नयी ज़रूरतों की बात है, नए नगर निगम, नगर पंचायतों का गठन हुआ है, वहां भी लोगों को सुविधाएं मिले, योजनाएं सुचारू रूप से चले, इस पर ज़ोर होगा। सवाल: टीसीपी कानून को किस तरह और मजबूत करेंगे ? साडा एरिया टीसीपी का क्या प्रारूप और प्रक्रिया होगी ? जवाब: मैं समझता हूँ कानून को मज़बूत होने के साथ-साथ सरल भी होना चाहिए। यह तय है कि कानून को सख्ती से लागू किया जायेगा और यदि कोई जटिलताएं है तो उन्हें दूर किया जाएगा। मेरी प्राथमिकता एक पारदर्शी व्यवस्था बनाना है। इसके लिए तकनीक का सहारा लिया जायेगा और जनता को अपने काम लिए लिए दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़े इस पर काम होगा। जहाँ तक साडा एरिया की बात है इसके लिए सरकार नए सिरे से विचार करेगी। एक प्लानिंग क्षेत्रों के लिए एक केबिनेट सब कमेटी भी बनी है। सरकार आम जनता को राहत देने के पक्ष में है। सवाल: शहरों में सबसे बड़ी समस्या कूड़ा कचरा प्रबंधन की है, इसका क्या समाधान होगा और इसके लिए क्या कर रहे हैं ? जवाब: कचरा प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रदेश के 30 शहरों के 5,000 स्ट्रीट वेंडर्स को ठोस कचरा प्रबंधन के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। इसके अतिरिक्त ठोस कचरा प्रबंधन से सम्बंधित एडवोकेसी और कम्युनिकेशन रणनीति भी तैयार कर की गयी है और सभी शहरी निकायों को इसका प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए है। नई तकनीकों का सहारा लेकर व्यवस्था को चाक चौबंद किया जा रहा है और आधुनिक कचरा संवर्धन प्लांट लगाने के प्रावधान किये जाएंगे। शहरों में कूड़ा उठाने की यंत्रीकृत व्यवस्था की गई है। काेराेना मुक्त के साथ-साथ कांग्रेस मुक्त राज्य बनेगा हिमाचल शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज का कहां है कि पूरी दुनिया जहां काेराेना महामारी से लड़ रही है, वहीं कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दल सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश की यदि बात करें ताे कांग्रेस ने पिछले साल से सिर्फ राजनीति ही की है। ऐसे दाैर में सभी दलाें काे साथ मिलकर काम करना चाहिए। केंद्र की माेदी और प्रदेश की जयराम सरकार ने हिमाचल की जनता काे काेराेना से मुक्त करवाने के लिए पहले दिन से ही लड़ाई लड़ी। केंद्र से हर संभव सहायता मिल रही है। स्वास्थ्य उपकरण से लेकर ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, खाद्य सामग्री सहित हर क्षेत्र के लिए भरपूर सहयाेग मिल रहा है। यही नहीं, बल्कि वेक्सीनेशन में भी हिमाचल इस वक्त पूरे देश में पहले नंबर पर है। बावजूद इसके कांग्रेस वेक्सीनेशन पर भी राजनीति कर रही है। मैं साथ ही कहना चाहता हूं कि अगले साल हाेने वाले विधानसभा चुनावाें में कांग्रेस कहीं पर भी दिखाई नहीं देगी। यानी हिमाचल काेराेना मुक्त के साथ-साथ कांग्रेस मुक्त राज्य बनेगा। तीन नगर निगम और 6 नगर पंचायतों का किया गठन प्रदेश में नए नगर निगम बनाने की वर्षों पुरानी मांग राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते पूरी होती नहीं दिख रही थी, विशेषकर सोलन और मंडी। सुरेश भारद्वाज के शहरी विकास मंत्री बनते ही इस मामला आगे बढ़ा और प्रदेश सरकार ने तीन नए नगर निगम और 6 नई नगर पंचायतों के गठन को हरी झंडी दे दी। सोलन, मंडी और पालमपुर को नगर निगम का दर्जा मिल चूका है। जबकि कंडाघाट, अंब, आनी, निरमंड, नेरवा और चिड़गांव को नगर पंचायत बनाया जा चूका है।
ये वो दौर था जब हिंदुस्तान के हर कोने में आजादी के लिए नारे लग रहे थे। क्रांतिकारी देश को आज़ाद करवाने के लिए हर संभव प्रत्यन कर रह थे। पुरे मुल्क में हजरत मोहनी का लिखा गया नारा इंकलाब जिंदाबाद क्रांति की आवाज बन चूका था। उसी दौर में हिमाचल की शांत पहाड़ियों में एक व्यक्ति पहाड़ी भाषा और लहजे में क्रांति की अलख जगा रहा था। वो गांव-गांव घूमकर अपने लिखे लोकगीतों व कविताओं से आम जन को आजादी के आंदोलन से जोड़ रहा था। नाम था कांशी राम, वहीँ काशी राम जिन्हे पंडित नेहरू ने बाद में पहाड़ी गाँधी का नाम दिया। वहीँ बाबा काशी राम जो 11 बार जेल गए और अपने जीवन के 9 साल सलाखों के पीछे काटे। वहीँ बाबा कशी राम जिन्हें सरोजनी नायडू ने बुलबुल-ए-पहाड़ कहकर बुलाया था। और वहीँ बाबा काशी राम जिन्होंने कसम खाई कि जब तक मुल्क आज़ाद नहीं हो जाता, वो काले कपड़े पहनेंगे। 15 अक्टूबर 1943 को अपनी आखिरी सांसें लेते हुए भी कांशी राम के बदन पर काले कपड़े थे और मरने के बाद उनका कफ़न भी काले कपड़े का ही था। ‘अंग्रेज सरकार दा टिघा पर ध्याड़ा’ यानी अंग्रेज सरकार का सूर्यास्त होने वाला है, जैसी कई कवितायेँ लिख पहाड़ी गाँधी ने ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया था। मुल्क आज़ाद हो गया लेकिन ये विडम्बना का विषय है कि सियासतगारों ने पहाड़ी गाँधी को भुला दिया। बस कभी -कभार, खानापूर्ति भर के लिए पहाड़ी गाँधी को याद कर लिया जाता है। उनका पुश्तैनी मकान भी पूरी तरह ढहने की कगार पर है, मानो एक तेज बरसात का इन्तजार कर रहा हो। सियासतगार अपनी राजनीति चमकाने के लिए घोषणाएं करते है, वादे करते है पर उन्हें पूरा नहीं किया जाता। न वीरभद्र और न जयराम सरकार ने पूरा किया वादा 2017 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वीरभद्र सरकार को पहाड़ी गाँधी की याद आई और डाडासिबा में उनके पुश्तैनी घर को कांशीराम संग्रहालय बनाने का वादा किया गया। खेर चुनाव के बाद सरकार बदल गई और जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2018 में बाबा काशीराम की जयंती पर 11 जुलाई को जयराम ठाकुर ने भी काशीराम संग्राहलय बनाने की घोषणा की, किन्तु अब तक कुछ नहीं हुआ। परिवार ने कर दी रजिस्ट्री, पर अब तक ताला लटका है 24 जून 2020 को ये खबर आई थी की एसडीएम देहरा धनबीर ठाकुर के नेतृत्व में गठित टीम ने पध्याल गांव (गुरनवाड़ डाडासीबा) में पहुंचकर बाबा कांशीराम के घर की जमीन की निशानदेही की है। एसडीएम ने एसडीओ डाडासीबा को शीघ्र सर्वेक्षण कर एस्टीमेट बनाकर भेजने के निर्देश दिए है। जल्द पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम के पैतृक घर को स्मारक बनाया जाएगा। बाबा कांशीराम के पोते विनोद शर्मा बताते है इस बीच 17 दिसंबर 2020 को परिवार ने उनके पुश्तैनी मकान की रजिस्ट्री भी सम्बंधित महकमे के नाम कर दी ताकि संग्रहालय बन सके किन्तु अब तक ज़मीनी स्तर पर कोई कार्य नहीं हुआ है। संग्राहलय बनाना तो दूर कोई अधिकारी वहां आने का कष्ट भी नहीं करता। बाबा का परिवार अब खुद को ठगा सा महसूस करता है। इंदिरा गांधी ने जारी किया था डाक टिकट 23 अप्रैल 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कांगड़ा के ज्वालामुखी में बाबा कांशीराम पर एक डाक टिकट जारी किया था। तब सांसद नारायण चंद पराशर ने बाबा को सम्मान दिलवाने के लिए संसद में बहस की और तमाम सबूत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सौंपे। जिसके बाद 1984 में प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बाबा के नाम का डाक टिकट जारी किया। कई सालों से नहीं दिया गया पहाड़ी बाबा गांधी पुरस्कार बाबा कांशीराम के नाम पर हिमाचल प्रदेश से आने वाले कवियों और लेखकों को अवॉर्ड देने की भी शुरुआत हुई थी, पर पिछले कुछ सालों से ये अवार्ड नहीं दिया जा रहा है। देहरा से संबध रखने वाले पूर्व सांसद हेमराज सूद के प्रयासों से वर्ष 1981 में हिमाचल प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृति अकादमी हिमाचल प्रदेश ने पहाड़ी गांधी बाबा कांशी राम जयंती का आयोजन शुरू किया और पहाड़ी साहित्य के लिए बाबा कांशी राम पुरस्कार योजना शुरू की। पहाड़ी गजल को नई पहचान देने वाले डॉ. प्रेम भारद्वाज को उनके पहाड़ी काव्य ‘मौसम खराब है’ के लिए पहली बार यह पुरस्कार मिला था। अब बीते कुछ सालों से ये सम्मान नहीं दिया जा रहा है। पंजाब के मुख्यमंत्री ने बनवाया था स्कूल बाकी कांशीराम के नाम से उनके गांव में एक सरकारी स्कूल बना है, जो पंजाब के मुख्यमंत्री पूर्व प्रताप सिंह कैरों ने बनवाया था। दरअसल, हिमाचल बनने से पहले बाबा कांशीराम का गृह क्षेत्र पंजाब में आता था। इस स्कूल का उद्घाटन तत्कालीन शिक्षा मंत्री लाला जगत नारायण ने 1954 में सवैया राजाओं की पुरानी घुड़साल में किया था। 508 में से 64 कविताएं छपी हैं, बाकी संदूकों में धूल खा रही राष्ट्रीय स्तर पर चमकेगा पहाड़ी के रचनाकार का घर पहाड़ी भाषा में क्रांति का बिगुल फूंकने वाले बाबा कांशीराम ने ‘अंग्रेजी सरकारा दे ढिगा पर ध्याड़े’, ‘समाज नी रोया’, ‘निक्के -निक्के माहणुआ जो दुख बड़ा भारी’, ‘उजड़ी कांगड़े देस जाणा’, ‘पहाड़ी सरगम’, ‘कुनाळे दी कहाणी’ ‘क्रांति नाने दी कहाणी कांसी दी जुबानी’ सहित कई क्रन्तिकारी रचनाओं से लोगों को आजादी के जूनून से लबरेज कर दिया था। उनकी प्रसिद्ध कविता ‘अंग्रेज सरकार दा टिघा पर ध्याड़ा’ (अंग्रेज सरकार का सूर्यास्त होने वाला है) के लिए अंग्रेज सरकार ने उन्हें गिरफ्तार किया था मगर राजद्रोह का मामला जब साबित नहीं हुआ तो रिहा कर दिया गया। अपनी क्रांतिकारी कविताओं के चलते उन्हें 1930 से 1942 के बीच 9 बार जेल जाना पड़ा। हैरत की बात ये है कि रिकार्ड्स के मुताबिक बाब कांशी राम ने 508 कविताएं लिखी जिनमें से सिर्फ 64 कविताएं ही छपी हैं, बाकी संदूकों में पड़ी धूल खा रही हैं। काम के गए थे लाहौर पर क्रांतिकारी बन गए 11 जुलाई 1882 को लखनू राम और रेवती देवी के घर पैदा हुए कांशीराम की शादी 7 साल की उम्र में हो गई थी। उस वक्त पत्नी सरस्वती की उम्र महज 5 साल थी। जब कांशीराम 11 साल के ही हुए तो उनके पिता की मौत हो गई। परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनके सिर पर आ गई थी। काम की तलाश में वो लाहौर चले गए। यहां कांशी ने काम ढूंढा, मगर उस वक्त आजादी का आंदोलन तेज हो चुका था और कांशीराम के दिल दिमाग में आजादी के नारे गूंजने लगे। यहां वो दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों से मिले इनमें लाला हरदयाल, भगत सिंह के चाचा सरदार अजीत सिंह और मौलवी बरक़त अली शामिल थे। संगीत और साहित्य के शौकीन कांशीराम की मुलाकात यहां उस वक्त के मशहूर देश भक्ति गीत ‘पगड़ी संभाल जट्टा’ लिखने वाले सूफी अंबा प्रसाद और लाल चंद ‘फलक’ से भी हुई, जिसके बाद कांशीराम का पूरा ध्यान आजादी का लड़ाई में रम गया। साल 1905 में कांगड़ा घाटी में आये भूकंप में करीब 20 हजार लोगों की जान गई और 50,000 मवेशी मारे गए। तब लाला लाजपत राय की कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एक टीम लाहौर से कांगड़ा पहुंची जिसमें बाबा कांशीराम भी शामिल थे। उनकी ‘उजड़ी कांगड़े देश जाना’ कविता आज भी सुनी जाती है। 1919 में जब जालियांवाला बाग हत्याकांड हुआ, बाबा कांशीराम उस वक्त अमृतसर में थे। इस क्रूर घटना ने बाबा कांशीराम को बहुत आहत किया। वो कभी ढोलक तो कभी मंजीरा लेकर गांव-गांव जाते और अपने देशभक्ति के गाने और कविताएं गाते थे, पर जो काम उन्होंने काम किया उस हिसाब से उन्हें सम्मान नहीं मिल पाया। बाबा कांशी राम ने अपनी ज़मीन गिरवी रख दी थी ताकि घर का पालन पोषण हो सके क्यों कि वे कमाते नहीं थे, उनका पूरा समय स्वतंत्र भारत के लिए संघर्ष में व्यतीत होता था। उनके पास एक मकान, एक गौशाला और दो दुकानें थी जो वे गिरवी रख चुके थे। शुरूआती दौर में उन्होंने अपने ताया के पास भी नौकरी की। मगर आज़ादी के लिए जूनून ने सब कुछ छुड़वा दिया। काले कपड़े पहनने का लिया प्रण, नेहरू ने दिया पहाड़ी गांधी का नाम 1931 में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी मिलने के बाद उन्होंने प्रण लिया कि जब तक मुल्क आज़ाद नहीं हो जाता, तब तक वो काले कपड़े पहनेंगे। उन्हें ‘स्याहपोश जरनैल’ भी कहा गया। उनकी क्रन्तिकारी कविताओं के लिए अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें कई बार पीटा, कई यातनाएं दी मगर वो लिखते रहे। वर्ष 1937 में जवाहर लाल नेहरू ने होशियारपुर के गद्दीवाला में एक सभा को संबोधित करते हुए बाबा कांशीराम को पहाड़ी गांधी कहकर संबोधित किया था, जिसके बाद से कांशी राम को पहाड़ी गांधी के नाम से ही जाना गया। अब भी रखे है बाबा का चरखा और चारपाई बाबा कांशी राम के पैतृक घर को स्मारक बनाने की मांग काफी पुरानी है। उनके पुराने घर में अब भी उनकी कई पुरानी चीज़ें रखी है, जैसे उनका चरखा, उस समय की चारपाई, खपरैल और उनके द्वारा इस्तेमाल किया अन्य सामान। इन धरोहरों को संजो के रखना बेहद महत्वपूर्ण है।
1931 में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी मिलने के बाद उन्होंने प्रण लिया कि जब तक मुल्क आज़ाद नहीं हो जाता, तब तक वो काले कपड़े पहनेंगे। उन्हें ‘स्याहपोश जरनैल’ भी कहा गया। उनकी क्रन्तिकारी कविताओं के लिए अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें कई बार पीटा, कई यातनाएं दी मगर वो लिखते रहे। वर्ष 1937 में जवाहर लाल नेहरू ने होशियारपुर के गद्दीवाला में एक सभा को संबोधित करते हुए बाबा कांशीराम को पहाड़ी गांधी कहकर संबोधित किया था, जिसके बाद से कांशी राम को पहाड़ी गांधी के नाम से ही जाना गया। अब भी रखे है बाबा का चरखा और चारपाई बाबा कांशी राम के पैतृक घर को स्मारक बनाने की मांग काफी पुरानी है। उनके पुराने घर में अब भी उनकी कई पुरानी चीज़ें रखी है, जैसे उनका चरखा, उस समय की चारपाई, खपरैल और उनके द्वारा इस्तेमाल किया अन्य सामान। इन धरोहरों को संजो के रखना बेहद महत्वपूर्ण है।
कोरोना महामारी के साथ-साथ अब लोगों को महंगाई की मार भी झेलनी पड़ेगी। जून से लोगों को डिपुओं में 57 रुपये प्रतिलीटर सरसों का तेल महंगा मिलेगा। हिमाचल प्रदेश सरकार ने हरियाणा की सरकारी एजेंसी हैफेड के साथ एक महीने के लिए सरसों तेल का शार्ट टेंडर कर सप्लाई के लिए ऑर्डर भी जारी कर दिया है। 27 मई से एजेंसी सप्लाई भेजना शुरू कर देगी। प्रदेश के एपीएल राशनकार्ड उपभोक्ताओं को डिपुओं में अभी 103 रुपये प्रतिलीटर सरसों तेल दिया जा रहा है। अगले महीने 160 रुपये प्रतिलीटर चुकाने होंगे, जबकि बीपीएल राशनकार्ड धारकों को 155 रुपये चुकाने होंगे। कोरोना के चलते डिपुओं में दालें भी 5 से 15 रुपये तक महंगी हुई है। चना दाल बीपीएल के लिए 45 रुपये प्रति किलो, एपीएल के लिए 55 और आयकरदाता को 76 रुपये प्रतिकिलो मिलेगी। वहीं, मलका दाल बीपीएल के लिए 60 रुपये, एपीएल के लिए 70 और आयकरदाता को 88 रुपये प्रतिकिलो मिलेगी। दाम बढ़ने का कारण मालभाड़ा और लेबर की दिहाड़ी में इजाफा होना है।
हिमाचल कैबिनेट की बैठक आज शिमला स्थित राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ में सुबह 10:30 बजे शुरू होगी। बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करेंगे। बैठक में 26 मई तक लागू कोरोना कर्फ्यू को लेकर फैसला होना है। इसमें कर्फ्यू की अवधि को कोरोना की वर्तमान स्तिथि को देखते हुए 5 या 10 जून तक बढ़ाया जा सकता है। राज्य में अभी कोरोना की संक्रमण दर 20 फीसदी से अधिक है। इससे भी ज़्यादा चिंताजनक कोरोना से रोजाना मरने वालों का आंकड़ा है, जो रुकने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में कर्फ्यू में ढील की संभावनाएं कम होती नजर नहीं आ रही है। वहीं सूत्रों की मानें तो कोरोना कर्फ़्यु को 5 जून तक प्रदेश में बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा कोरोना कर्फ्यू के बीच दुकानें खोलने के मामले में भी कुछ निर्णय हो सकते हैं। आवश्यक वस्तुओं के अलावा अब अन्य दुकानों को भी खोलने और इन्हें खोलने की अवधि में बदलाव के बारे में कैबिनेट बैठक में चर्चा होगी। व्यापारी वर्ग लगातार सरकार पर दुकानें खोलने के लिए दबाव बना रहे हैं। कैबिनेट बैठक में कई और अहम फैसले होंगे। कोरोना से बेहतरीन तरीके से योजना बनाकर लड़ाई लड़ रहीं पंचायतों को सम्मानित करने की योजना की भी घोषणा हो सकती है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शनिवार को कोविड नियंत्रण के लिए बेहतरीन काम कर रही ग्राम पंचायतों को सम्मानित करने और एक्टिव केस फाइंडिंग जैसे किसी अभियान पर विचार करने की बात की थी। इस बारे में एक-दो दिन में योजना तय करने के बारे में सीएम ने कहा था। हो सकता है कि कैबिनेट बैठक में इस पर कोई निर्णय लिया जाए।
असम-नगालैंड की सीमा के पास पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में रविवार को दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी के 8 उग्रवादी मारे गए हैं। असम पुलिस ने बताया कि पश्चिम कार्बी आंगलोंग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रकाश सोनोवाल के नेतृत्व में पुलिस अधिकारियों और असम राइफल्स के जवानों की टीम ने एक खुफिया सूचना के आधार पर जिले में एक संयुक्त अभियान चलाया था। इस दौरान सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में प्रतिबंधित संगठन के 8 सदस्य मिचिबैलुंग इलाके में मारे गए। उन्होंने बताया कि मारे गए उग्रवादियों के पास से 4 एके-47 राइफल और गोला-बारूद भी बरामद किया गया है। फ़िलहाल मिचिबैलुंग में तलाशी अभियान अब भी जारी है।
एक ओर जहाँ देश कोरोना महामारी से जंग लड़ रहा है, ऐसे में आए दिन सोशल मीडिया में ऐसे वीडिओ सामने आ रहे है जो बेहद निंदनीय है। ऐसा ही एक वीडिओ छत्तीसगढ़ से भी सामने आया है। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने सूरजपुर के कलेक्टर रणबीर शर्मा को हटाने के निर्देश दिए हैं। हाल ही में उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था जिसमें वह एक युवक के साथ बदसलूकी करते नजर आए थे। उस वीडिओ में वह लॉकडाउन के दौरान बाहर निकले एक युवक के मोबाइल को तोड़ते और फिर उसे चाटा मारते दिख रहे थे। वीडियो वायरल होने के बाद रणबीर शर्मा की सोशल मीडिया पर काफी निंदा हो रही है। आईएएस एसोसिएशन ने भी रणबीर शर्मा के व्यवहार की निंदा की है। एसोसिएशन का कहना है कि उनका व्यवहार बुनियादी शिष्टाचार के खिलाफ है। उधर, सीएम बघेल ने ट्विटर के जरिए कहा कि ''सोशल मीडिया के माध्यम से सूरजपुर कलेक्टर रणबीर शर्मा द्वारा एक नवयुवक से दुर्व्यवहार का मामला मेरे संज्ञान में आया है। यह बेहद दुखद और निंदनीय है। छत्तीसगढ़ में इस तरह का कोई कृत्य कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कलेक्टर रणबीर शर्मा को तत्काल प्रभाव से हटाने के निर्देश दिए हैं। किसी भी अधिकारी का शासकीय जीवन में इस तरह का आचरण स्वीकार्य नहीं है। इस घटना से में क्षुब्ध हूँ नवयुवक व उनके परिजनों से खेद व्यक्त करता हूँ।" कोरोना काल में जहाँ लोग मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान है ऐसे में प्रशासन का इस तरह का व्यवहार बेहद निंदनीय है।
छत्रसाल स्टेडियम में दो गुटों में लड़ाई में 23 साल के पहलवान सागर राणा की हत्या के बाद फरार चल रहे ओलंपिक विजेता सुशील कुमार को आज गिरफ्तार कर लिया गया है। सुशील कुमार के ऊपर पुलिस ने एक लाख का इनाम रखा था। सुशील के अलावा उनके साथी अजय को भी अरेस्ट किया गया है। दिल्ली के मुंडका इलाके से सुशील कुमार और अजय को गिरफ्तार किया गया है। दोनों कार छोड़कर स्कूटी पर सवार होकर किसी से मिलने जा रहे थे। बता दें कि एक हत्या मामले में आरोपी पहलवान सुशील कुमार को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने पंजाब के भटिंडा, मोहाली समेत कई राज्यों में छापेमारी की है। दिल्ली में भी कई ठिकानों पर दिल्ली पुलिस ने छापेमारी की लेकिन सुशील कुमार हाथ नहीं आया। पहलवान सुशील कुमार अलग नंम्बरों से अपने करीबियों के संपर्क में था। दिल्ली पुलिस की कई टीमें पहलवान सुशील कुमार की तलाश में लगी हुईं थीं। लेकिन आखिरकार पुलिस की स्पेशल टीम ने उसे ढूंढ लिया। हालाँकि पुलिस ने सुशिल को ढूंढने के लिए 1 लाख रुपए का इनाम भी रखा था। गौरतलब है कि सुशील कुमार पर दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में 23 वर्षीय पहलवान सागर राणा की हत्या का आरोप है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक, लॉकडाउन के बाद भी पहलवान सुशील कुमार, लारेंस विश्नोई और काला जखेड़ी गैंग के बदमाशों को साथ में लेकर स्टेडियम में दाखिल हुए। जहां एक रेसलरों के दूसरे पक्ष से उनकी मारपीट हुई, जिसमें एक रेसलर सागर राणा की मौत हो गई थी।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को ब्लैक फंगस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। सोनिया गांधी ने पत्र लिखकर पीएम मोदी से अनुरोध किया कि म्यूकोर मायकोसिस यानी ब्लैक फंगस का कहर बढ़ता जा रहा है, ऐसे में ब्लैक फंगस से निपटने के लिए पर्याप्त दवाओं का इंतजाम किया जाए। सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में लिखा, केंद्र सरकार को ब्लैक फंगस यानी म्यूकोर मायकोसिस को महामारी घोषित करना चाहिए। इस बीमारी की चपेट में आने वाले सभी मरीजों का निशुल्क इलाज किया जाना चाहिए। कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष ने पीएम से अनुरोध किया कि इस बीमारी से निपटने के लिए एम्फोटेरिसिन-बी बेहद आवश्यक है। फिलहाल बाजार में इसकी भारी कमी है। तत्काल कार्रवाई कर दवाओं का इंतजाम किया जाए। साथ ही उन्होंने म्यूकर मायकोसिस आयुष्मान भारत और अन्य स्वास्थ्य बीमा में कवर किए जाने का अनुरोध किया है।
कोरोना संक्रमण की लहर के चलते देश में पिछले दिनों चक्रवात ताउते ने भी खूब कहर बरपाया। चक्रवात 'ताउते' की चपेट में आने के छह दिन बाद भी बार्ज पी305 के कई कर्मी अब भी लापता हैं। जिनका पता लगाने के लिए नौसेना ने विशेष गोताखोर टीमों को तैनात कर दिया है। सोमवार को अरब सागर में बार्ज पी305 के डूबने से मरने वालों की संख्या शुक्रवार को 61 तक पहुंच गई। जेजे अस्पताल से पोस्टमार्टम और अन्य औपचारिकताओं के बाद मृतक के परिजनों को 61 में से 26 शव सौंपे दिए गए है। कई शव ऐसे हैं जो काफी सड़ चुके हैं और उनकी पहचान करना मुश्किल है। पुलिस शवों से मिलान करने के लिए परिजनों के डीएनए सैंपलिंग की व्यवस्था कर रही है। पी 305 बार्ज पर सवार 261 कर्मियों में से अब तक 186 को बचाया जा चुका है। वाराप्रदा में सवार 13 लोगों में से दो को बचा लिया गया है। गौरतलब है कि अरब सागर में बार्ज हादसे के बाद बार्ज 305 चलाने वाली कंपनी सवालों के घेरे में है। बार्ज के इंजीनियर मुस्तफिजूर रहमान शेख की शिकायत पर बार्ज के कप्तान राकेश बल्लव पर एफआईआर दर्ज की गई। मुंबई पुलिस ने कहा है कि वह इस बात की जांच करेगी कि चक्रवात ‘ताउते’ की चेतावनी के बावजूद बजरा अशांत क्षेत्र में क्यों रुका रहा। पुलिस ने बार्ज पर सवार कर्मियों की मौत के मामले में भी दुर्घटनावश हुई मौत का मामला दर्ज किया है।
पुणे की वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश जाधव ने देश के कई राज्यों में वैक्सीन की किल्लत की समस्या समाने आने के बाद एक ब्यान जारी किया है। उनका कहना है कि सरकार ने वैक्सीनेशन के विस्तार के दौरान वैक्सीन के उपलब्ध स्टॉक और विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइंस को ध्यान में नहीं रखा। जाधव ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत सरकार को WHO की गाइडलाइंस को ध्यान में रखकर उसके अनुसार ही वैक्सीनेशन में लोगों को प्राथमकिता देनी चाहिए थी। शुरुआत में 300 मिलियन लोगों को वैक्सीन दी जानी थी, जिसके लिए 600 मिलियन डोज की जरूरत थी। उन्होंने आगे कहा कि हम टारगेट तक पहुंचते इससे पहले ही सरकार ने 45 साल के ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन के साथ- साथ 18 साल से ऊपर की उम्र वालों को वैक्सीन की डोज़ देने की घोषणा कर दी। जबकि सरकार इस बात से परिचित थी कि हमारे पास वैक्सीन का स्टॉक नहीं है। जाधव ने कहा कि वैक्सीनेशन जरूरी है लेकिन वैक्सीन की डोज मिलने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं। इसलिए लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। वैक्सीनेशन के बाद कोरोना गाइडलाइंस के पालन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वैरिएंट के डबल म्यूटेंट को न्यूट्रलाइज कर दिया गया है। फिर भी वैरिएंट वैक्सीनेशन में मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कौन सी वैक्सीन प्रभावी है और कौन सी नहीं ये कहना फिलहाल जल्दबाजी होगी। सीडीसी और एनआईएच डेटा के मुताबिक जो भी वैक्सीन उपलब्ध है उसकी डोज ली जानी चाहिए।
कोविड के प्रसार को रोकने के लिए कनाडा ने भारत से आने वाली सभी पैसेंजर फ्लाइट्स पर प्रतिबंध 30 दिन और बढ़ा दिया है। अब ये प्रतिबंध 21 जून तक लागू रहेगा। इससे पहले ये प्रतिबंध 21 मई तक के लिए लगाया गया था। हालांकि यह बैन कार्गो फ्लाइट्स पर लागू नहीं होगा ताकि वैक्सीन, पीपीई किट और अन्य आवश्यक सामानों की निरंतर शिपमेंट सुनिश्चित की जा सके। कनाडा के परिवहन मंत्री उमर अल्गबरा ने इसकी घोषणा की है। परिवहन मंत्री उमर अल्गबरा ने कहा कि कनाडा ने भारत और पाकिस्तान से यात्री उड़ानों पर अपने प्रतिबंध को 30 दिनों के लिए बढ़ाकर 21 जून तक कर दिया है। इस साल 22 अप्रैल को पहली बार प्रतिबंध की घोषणा के बाद से आने वाले एयरलाइन यात्रियों के बीच कोविड संक्रमण में कमी देखी गई है। कई दूसरे देश ने भी लगा चुके प्रतिबंध कनाडा की तरह कई दूसरे देश भी ऐसी घोषणा कर चुके हैं। संयुक्त अरब अमीरात ने भारत से सभी फ्लाइट्स को सस्पेंड कर रखा है। ब्रिटेन में भी भारत से यात्रियों की एंट्री बंद है। बता दें कि कनाडा संक्रमण की तीसरी लहर का सामना कर रहा है। कनाडा में अब तक 13 लाख 50 हजार से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।जिसमें 25,111 लोगों की मौत हुई हैं।
कोरोना संक्रमण की समय पर जांच ही संक्रमण से लड़ने में कारगर हैं। बढ़ते आकड़ों के बीच लोगों को कोरोना जांच कराने में दिक्कतें आ रहीं हैं। कोरोना का संक्रमण है या नहीं इसकी जांच के लिए अब लोगों को बार-बार लैब जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब घर बैठे ही कोरोना की जांच खुद कर सकते हैं। इस समस्या से बड़ी निजात देते हुए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बीते बुधवार को घर में ही कोविड जांच के लिए ‘कोविसेल्फ’ किट को मंजूरी दे दी है। इस जांच किट के जरिये अब कोई भी घर बैठे ही कोरोना संक्रमण की जांच कर सकता है। जानकारी के मुताबिक, कोविसेल्फ नाम की यह टेस्ट किट एक रैपिड एंटीजेन टेस्ट (आरएटी) किट है। बहुत जल्द कोविसेल्फ किट देश की 7 लाख से ज्यादा दवा दुकानों पर मिलेगी । आईसीएमआर ने कोविसेल्फ को लेकर एक एडवाईजरी भी जारी की है। इसमें किट को इस्तेमाल करने से लेकर तमाम दिशा निर्देश मौजूद हैं, जिसे आपको जानना बेहद जरूरी भी है। आईसीएमआर के दिशा निर्देशों के मुताबिक, घर पर कोरोना जांच किट कोविसेल्फ किट का इस्तेमाल उन्हीं लोगों को करना चाहिए, जिनमें कोविड-19 के लक्षण हैं या फिर वे किसी लैब द्वारा कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में आए हों। इस जांच किट इस्तेमाल बार-बार और बिना सोचे समझे न करें।आईसीएमआर ने कहा कि घर पर जांच के लिए किट में दी गई गाइडलाइंस को ध्यानपूर्वक और आवश्यक रूप से पढ़ें, उसके बाद ही जांच करें। मोबाइल एप की सहायता लें : सरकार की ओर से कोविसेल्फ मोबाइल एप गूगल प्ले स्टोर और एपल एप स्टोर पर मौजूद हैं। आईसीएमआर के मुताबिक घर पर रैपिड एंटीजन टेस्ट एक मोबाइल एप के जरिए संपन्न होगा। एक कंपनी एप को डेवलप कर दिया है, जबकि अन्य तीन कंपनियां भी इस पर काम कर रही हैं। पहले आपको किसी दवा दुकान से टेस्ट किट खरीदना होगा। उसके बाद मोबाइल एप को डाउनलोड करना होगा। फिर टेस्ट करना होगा और टेस्ट की फोटो (किट सहित) इस एप पर अपलोड करना होगा। आपका डेटा रहेगा सुरिक्षत : आपके मोबाइल फोन पर मौजूद ऐप का डाटा एक सुरक्षित सर्वर पर रहेगा, जो आईसीएमआर की कोविड-19 टेस्टिंग पोर्टल से जुड़ा है, जहां सभी डाटा को स्टोर किया जाएगा। एडवाइजरी में कहा गया है कि मरीज की जानकारी की पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएगी। जांच में पॉजिटिव आने पर क्या करें ? आईसीएमआर के दिशानिर्देशों के मुताबिक, कोविसेल्फ टेस्ट किट की जांच में जो लोग पॉजिटिव पाए जाते हैं, उन्हें वास्तव में कोरोना पॉजिटिव ही समझा जाए। ऐसे में उन्हें दोबारा टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं है। वहीं पॉजिटिव आने वाले सभी लोगों को होम आइसोलेशन में रहने और आईसीएमआर एवं स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइंस के तहत जारी कोरोना नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है। वहीं ऐसे लोग जिनमें कोरोना के लक्षण हैं और वे कोविसेल्फ किट की जांच में निगेटिव आए हैं, उन्हें आरटी-पीसीआर कराना चाहिए। ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि माना जाता है कि कम वायरस लोड के कारण रैपिड एंटीजेन टेस्टिंग के जरिए कुछ मामलों में इसकी पुष्टि नहीं हो पाती है।
उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और महाराष्ट्र समेत देश भर के कई राज्यों में ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस) का कहर बढ़ता जा रहा है। इन राज्यों में ब्लैक फंगस के केस काफी तेजी से बढ़ रहे है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत म्यूकोर्मिकोसिस को महामारी घोषित करने की अपील की है। साथ ही इससे निपटने के लिए सरकारी और निजी अस्पतालों में सभी सुविधाएं मजबूत करने की अपील की है। तेलंगाना और राजस्थान ने तो इसे महामारी घोषित कर दिया है।
चक्रवाती तूफान ताउ-ते की चपेट में आए जहाज बार्ज पी-305 से अब तक 37 शव बरामद किए गए हैं। अभी भी भारतीय नौसेना और इंडियन कोस्ट गार्ड की टीम लापता 36 लोगों की तलाश में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है। बार्ज पी-305 (Barge P-305) पर सवार कुल 261 लोगों में से 188 इंडियन नेवी और इंडियन कोस्ट गार्ड ने रेस्क्यू कर लिया है।अभी भी तलाश और बचाव अभियान अभी जारी है। लोगों को तट तक सुरक्षित लाने की उम्मीद अभी भी बरकरार है। सर्च एंड रेस्क्यू ओपेराशन में आईएनएस कोच्ची और आईएनएस कोलकाता के साथ इंडियन नेवी के बीस, बेतवा और तेग नवल शिप्स भी जुट गए हैं। बार्ज P305 मुंबई से 35 नॉटिकल माइल्स की दूरी पर डूबा है। सर्च और रेस्क्यू के काम मे P8I और नेवल हेलीकॉप्टर्स की भी मदद ली जा रही है। इसके इलावा बार्ज P-305 जहाज से 188 के अलावा गाल कन्स्ट्रक्टर जहाज में फंसे सभी 137 लोगों को इंडियन नेवी और इंडियन कोस्ट गार्ड ने रेस्क्यू कर लिया है। बार्ज SS3 के 196 लोग और ड्रिल ऑइल सागर भूषण के 101 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है।
अरब सागर से सटे तटीय इलाकों में तबाही मचाने के बाद चक्रवाती तूफान ताउते का असर अब मैदानी इलाकों में भी दिखेगा। मौसम विभाग के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में भी बुधवार और वीरवार को तेज हवाओं के साथ भारी बारिश और ओलावृष्टि हो सकती है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने दो दिन के लिए अलर्ट जारी किया है। केंद्र के निदेशक डॉ. मनमोहन सिंह ने बताया कि ताउते के कारण प्रदेश के मौसम में आ रहे बदलाव के कारण दो दिन मौसम खराब रहेगा। हालांकि 23 मई तक पूरे प्रदेश में बादल बरसने का पूर्वानुमान है। 24 मई को मौसम साफ रहने की संभावना जताई गई है। मंगलवार को राजधानी शिमला सहित प्रदेश के कई क्षेत्रों में हल्के बादल छाए रहने के साथ धूप खिली। मंगलवार को प्रदेश के अधिकतम तापमान में सामान्य से चार डिग्री की कमी दर्ज की गई है। मंगलवार को ऊना में अधिकतम तापमान 35.8, कांगड़ा में 34.6, बिलासपुर में 34.1, चंबा में 33.0, हमीरपुर में 32.8, भुंतर में 31.3, सुंदरनगर में 30.8, नाहन में 29.8, धर्मशाला में 27.2, सोलन में 26.7, शिमला में 22.6, डलहौजी में 21.1, कल्पा में 20.6 और केलांग में 16.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।
अरब सागर में उठे चक्रवाती तूफान ताउते के बाद समुद्र में फंसे बार्ज P-305 जहाज का रेस्क्यू मिशन जारी है। जहाज पर मौजूद 261 लोगों में से 184 को बचा लिया गया है, हालांकि अभी भी 76 लोग लापता है। बार्ज P-305 जहाज से 184 के अलावा GAL Constructor जहाज में फंसे सभी 137 लोगों को इंडियन नेवी और इंडियन कोस्ट गार्ड ने रेस्क्यू कर लिया है। बार्ज SS3 के 196 लोग और ड्रिल ऑइल सागर भूषण के 101 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। बार्ज P-305 पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी बार्ज P-305 जहाज पर अभी भी 76 लोग फंसे हुए हैं और सर्च एंड रेस्क्यू ओपेराशन में INS Kochi और INS Kolkata के साथ इंडियन नेवी के बीस, बेटवा और तेग नवल शिप्स भी जुट गए हैं। बार्ज P305 मुंबई से 35 नॉटिकल माइल्स की दूरी पर डूबा है। सर्च और रेस्क्यू के काम मे P8I और नेवल हेलीकॉप्टर्स की भी मदद ली जा रही है।
कोरोना महामारी को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बयान पर बवाल हो गया है। सिंगापुर ने केजरीवाल के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सिंगापुर सरकार ने इस संबंध में बुधवार को भारतीय राजदूत को बुलाकर अपनी नाराजगी जताई। सिंगापुर ने कहा कि एक मुख्यमंत्री का बगैर तथ्यों के इस तरह की बयानबाजी निराशाजनक है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट के माध्यम से यह जानकारी प्रदान की है। उन्होंने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा कोरोना के नए वैरिएंट संबंधी बयान से सिंगापुर नाराज है। वहां की सरकार ने बुधवार को सिंगापुर में भारतीय उच्चायुक्त पी कुमारन के समक्ष अपनी नाराजगी व्यक्त की। हालांकि, भारत ने सिंगापुर को बता दिया है कि केजरीवाल की टिप्पणी उनकी व्यक्तिगत टिप्पणी थी और यह भारत सरकार की सोच नहीं है। वहीं, विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बयान पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि बिना सही जानकारी के इस तरह के बयान सिंगापुर और भारत के मजबूत रिश्तों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। विदेश मंत्री ने कहा, 'कोरोना से जंग में सिंगापुर और भारत मजबूत साझेदार हैं। मुश्किल वक्त में जिस तरह से सिंगापुर ने भारत की मदद की है, वो दोनों के मधुर संबंधों को दर्शाता है'।इससे पहले, केजरीवाल के बयान पर भारत में सिंगापुर के उच्चायुक्त ने प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था, ‘इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि सिंगापुर में कोविड का नया स्ट्रेन मिला है। सिंगापुर में फाइलोजेनेटिक टेस्ट में मिला B.1.617.2 वैरिएंट बच्चों सहित कोरोना के ज्यादातर मामलों में प्रबल है’। उच्चायुक्त के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए इस ट्वीट के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री फिलहाल खामोश हैं। बता दें कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को ट्वीट कर लिखा था कि सिंगापुर में आया कोरोना का नया रूप बच्चों के लिए बेहद ख़तरनाक बताया जा रहा है, भारत में ये तीसरी लहर के रूप में आ सकता है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की थी कि सिंगापुर के साथ हवाई सेवाएं तत्काल प्रभाव से रद्द की जाएं और बच्चों के लिए भी वैक्सीन के विकल्पों पर प्राथमिकता के आधार पर काम किया जाए।
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और ओलावृष्टि के अलर्ट के बीच मौसम बिगड़ना शुरू हो गया है। राजधानी शिमला समेत प्रदेश के कई अन्य भागों में सुबह से बादल छाए हुए हैं। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने आज प्रदेश के मैदानी और मध्य पर्वतीय जिलों में मंगलवार को अंधड़ का येलो अलर्ट जारी किया है। वहीं,19 और 20 मई को पूरे प्रदेश में भारी बारिश, अंधड़ और ओलावृष्टि का ऑरेंज अलर्ट जारी हुआ है। 23 मई तक पूरे प्रदेश में मौसम खराब बना रहने का पूर्वानुमान है। पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से मौसम में यह बदलाव आ रहा है। मौसम विभाग ने ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सोलन, सिरमौर और किन्नौर जिले के लिए येलो-ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। उच्च पर्वतीय जिलों किन्नौर व लाहौल-स्पीति में कहीं-कहीं बर्फबारी होने की संभावना भी है।
हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषी की सजा पर सुनवाई अब 28 मई तक टल गई है। शिमला जिले के कोटखाई में साल 2017 में हुए गुड़िया दुष्कर्म व हत्याकांड में सीबीआई की ओर से पेश चालान में चरानी अनिल उर्फ नीलू को जिला शिमला की विशेष अदालत ने 28 अप्रैल को दोषी करार दिया था, जिस पर दोषी को मंगलवार को सजा को लेकर सुनवाई होनी तय थी। लेकिन कोरोना कर्फ्यू की बंदिशों के चलते शिमला की एक विशेष अदालत में अब सजा को लेकर इस मामले में 28 मई की तारीख तय की गई है। गौरतलब है कि जिला शिमला के कोटखाई की एक छात्रा 4 जुलाई, 2017 को लापता हो गई थी। 6 जुलाई को कोटखाई के तांदी के जंगल में पीड़िता का शव मिला। जांच में पाया गया कि छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी।
भारतीय नौसेना ने अरब सागर में आए चक्रवाती तूफान ‘ताउते’ के कारण समु्द्र में अनियंत्रित होकर बहे एक बजरे पर सवार 146 लोगों को बचा लिया है और बाकियों की तलाश अभी जारी है। एक अधिकारी ने बताया कि नौसेना ने बचाव कार्य के लिए मंगलवार सुबह पी-81 को तैनात किया था। यह खोज एवं बचाव कार्यों के लिए नौसेना का एक बहुमिशन समुद्री गश्ती विमान है। इससे पहले, सोमवार को निर्माण कंपनी ‘एफकान्स’ के बंबई हाई तेल क्षेत्र में अपतटीय उत्खनन के लिए तैनात दो बजरे लंगर से खिसक गए और वे समुद्र में अनियंत्रित होकर बहने लगे थे, जिसकी जानकारी मिलने के बाद नौसेना ने तीन फ्रंटलाइन युद्धपोत तैनात किए थे। इन दो बजरे पर 410 लोग सवार थे। इसमें से 140 लोगों की जान बचा ली गई। बाकी अन्य की खोज जारी है। मौसम विभाग ने जानकारी दी कि गुजरात तट से टकराने के बाद ताउते तूफान अब कमजोर पड़ गया है। वहीं गुजरात में दो लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा चुका है। ताउते से महाराष्ट्र में छह लोगों की मौत हो गई है।
पहाड़ी राज्य हिमाचल में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने में राष्ट्रीय आजीविका मिशन अग्रणी भूमिका निभा रहा है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अन्तर्गत स्वयं सहायता समूह गठित कर महिलाओं को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है ताकि वह स्वरोजगार की राह अपना कर आत्मनिर्भर बन सके। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों को सामाजिक मुख्यधारा से जोड़ना, उन्हें सम्मानजनक और बेहतर जीवनयापन की सुविधा उपलब्ध करवाना है। एनआरएलएम में गरीब ग्रामीणों को सक्षम और प्रभावशाली संस्थागत मंच प्रदान कर उनकी आजीविका में निरंतर वृद्धि करना, वित्तीय सेवा तक उनकी बेहतर और सरल तरीके से पहुंच बनाकर उनकी पारिवारिक आय में वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। एनआरएलएम ग्रामीण महिलाओं केे सशक्तिकरण में भी सहायक सिद्ध हो रहा है। महिलाओं को हर क्षेत्र में अवसर प्रदान करने के साथ-साथ एनआरएलएम उनकी आर्थिकी में भी सुधार कर रहा है। मिशन के अंतर्गत ग्रामीण संस्थाओं को ऋण उपलब्ध करवा कर महिलाओं केा आत्मनिर्भर बनाने की राह को बढावा दिया जा रहा है। प्रदेश में एनआरएलएम के अन्तर्गत गठित स्वयं सहायता समूहों में बीपीएल और गरीब परिवारों की महिलाओं को प्राथमिकता प्रदान की जाती है। इन समूहों में 70 प्रतिशत महिलाएं बीपीएल परिवारों से सम्बन्धित होती हैं। स्वयं सहायता समूहों को आजीविका अर्जित करने एवं किसी भी प्रकार के व्यवसाय को करने के लिए इन्हें बैंकों से जोड़कर 7 प्रतिशत और 4 प्रतिशत ब्याज पर ऋण प्रदान किया जा रहा है। ऐसी हैं स्वयं सहायता समूहाेंं की एनआरएलएम के अन्तर्गत प्रदेश में वर्ष 2019-20 में 4,666 स्वयं सहायता समूह और 121 ग्रामीण संगठन गठित किए गए। वर्ष 2020-21 में अब तक 3,384 स्वयं सहायता समूह और 90 ग्रामीण संगठन गठित किए गए। प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 में 4,392 स्वयं सहायता समूहों को एक करोड़ 10 लाख रुपये और 57 ग्रामीण संगठनों को लगभग 25 लाख रुपये के स्टार्टअप फंड वितरित किए गए। वर्ष 2020-21 में अब तक 5,945 स्वयं सहायता समूहों को एक करोड़ 49 लाख और 143 ग्रामीण संगठनों को 64 लाख रुपये के स्टार्टअप फंड वितरित किए गए हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद प्रदेश की महिलाओं की आर्थिकी सुदृढ़ हुई है। स्वयं सहायता समूहों के गठन से महिलाओं का सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक उत्थान सुनिश्चत हुआ है।
हरित क्रांति से पूर्व भारत खाद्यान्नों के अभाव से गुजर रहा था। देश के संवेदनशील क्षेत्रों के लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली विकसित की गई ताकि वांछित वर्ग को सस्ती दरों पर खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाई जा सके। वितरण की यह प्रणाली वर्ष 1951 से चली आ रही है। देश की खाद्य आर्थिकी के प्रबंधन में सार्वजनिक वितरण प्रणाली सरकार की नीति का महत्त्वपूर्ण भाग है। हिमाचल प्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली लागू करके समाज के गरीब व कमजोर वर्गों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध करवाने वाले अग्रणी राज्यों में है। वर्ष 1997 में इसका नाम बदलकर लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली रखा गया। राज्य में वर्ष 2017 से 2020 तक लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में राज्य खाद्य आपूर्ति निगम लिमिटेड के 117 थोक गोदाम व 5017 उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से अनुदानित खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है। राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के दृढ़ प्रयासों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अनेक सुधार आए हैं और यह कार्यक्रम जरूरतमंदों के लिए सहायक सिद्ध हुआ है। लोगों को उचित मूल्य पर खाद्य आपूर्ति के लिए विभाग द्वारा 1 अप्रैल 2007 को राज्य अनुदान योजना आरंभ की गई। राज्य के और अधिक व्यक्तियों को लाभान्वित करने के लिए इस योजना को संशोधित भी किया गया। योजना के तहत सभी राशन कार्ड धारकों को सरकार के वित्तीय संसाधनों से अनुदानित चीनी, दालें, तेल व नमक प्रदान किया जा रहा है। गत तीन वर्षों में, राज्य सरकार द्वारा योजना के तहत 574.81 करोड़ रुपये व्यय किए गए। वर्ष 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू किया गया जो खाद्य आन्दोलन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल थी। यह अधिनियम हिमाचल में भी लागू किया गया है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत प्रदेश सरकार अंत्योदय अन्न योजना के परिवारों को 35 किलोग्राम खाद्यान्न, जिसमें 20 किलो गेहूं का आटा और 15 किलो चावल तथा प्राथमिकता प्राप्त परिवारों को 3 किलोग्राम गेंहू का आटा और 2 किलोग्राम चावल प्रदान कर रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अतिरिक्त गरीबी रेखा से ऊपर के लाभार्थियों को प्रति परिवार 11-13 किलोग्राम गेंहू का आटा और 5-7 किलोग्राम चावल प्रदान किए जा रहे हैं। राज्य के लक्षित लोगों को गुणवत्तायुक्त खाद्यान्न प्रदान करने से उनकी पोषण स्थिति में समग्र सुधार हुआ है। कुपाेषण से निपटने काे आयरन युक्त नमक प्रदेश सरकार कुपोषण से प्रभावी तरीके से निपटने और खाद्य पदार्थों के पोषक तत्वों को बढ़ाने के उद्देश्य से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों को आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन-ए व डी से युक्त गुणवत्तायुक्त तेल, आयोडीन और आयरन से युक्त नमक प्रदान कर रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए तकनीक के उपयोग के साथ डिजिटाइजेशन और स्वचालन पर विशेष बल दिया जा रहा है। विभाग सार्वजनिक वितरण प्रणाली में दक्षता और पारदर्शिता में सुधार के लिए ‘एण्ड टू एण्ड कम्प्यूटराइजेशन’ क्रियान्वित कर रहा है। इस योजना के अंतर्गत राशनकार्डों का डिजिटाइजेशन किया गया है और अब तक 19.08 लाख राशनकार्डों को डिजिटाइजड किए जा चुके हैं। प्रदेश की उचित मूल्यों की दुकानों में स्वचालन के लिए एंड्राइड आधारित पीओएस डिवाइस भी लगाए गए हैं। उचित निगरानी के लिए सीडिंग अभियान उचित निगरानी और सही वितरण प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा आधार सीडिंग अभियान भी शुरू किया गया है। जिसके अन्तर्गत अब तक लगभग 99 प्रतिशत राशनकार्डो को आधार नंबर से जोड़ा जा चुका है। तकनीकी प्रगति की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार के हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा विकसित किए गए खाद्यान्नों के ऑनलाइन आवंटन और आपूर्ति श्रृंखला स्वचालन मोडयूल को क्रियान्वित किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के थोक गोदामों से खाद्यान्न प्राप्त होने पर उचित मूल्यों की दुकानों से एसएमएस आधारित अलर्ट भेजा जाता है। प्रदेश राज्य आपूर्ति निगम के थोक गोदाम से अनाज प्राप्त करने के पश्चात संबंधित उचित मूल्य की दुकानों के उपभोक्ताओं को एसएमएस अलर्ट भी भेजा जाता है। लोगों को सुविधापूर्वक ई-कार्ड प्रदान करने के लिए एंड्रायड आधारित ई-पीडीएस एचपी मोबाइल एप्प को लांच किया गया है। यह एप्प प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। इस एप्प के माध्यम से उपभोक्ताओं को उचित मूल्यों की दुकानों और थोक गोदामों में अनाज की उपलब्धता और मूल्य संबंधी जानकारी प्राप्त होती है। विभाग के सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम जैसे लक्षित पीडीएस, रियायती खाद्यान्न आदि कई वर्गों के लिए लाभदायक सिद्ध हुए है।
राज्य सरकार द्वारा शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भावस्था, प्रसव और प्रसव के बाद महिलाओं को दी जा रही गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के फलस्वरूप संस्थागत प्रसव में कई गुना वृद्धि हुई है और हिमाचल प्रदेश की मातृ मृत्यु दर में गिरावट आई है। वर्तमान में प्रदेश में संस्थागत प्रसव बढ़कर 91 प्रतिशत हो गया है। राज्य में मातृ मृत्यु दर घटकर 55 प्रति 1,00,000 जीवित जन्म हो गई है जो परिकल्पित वैश्विक लक्ष्य से भी बेहतर है। विश्व के सभी देश वर्ष 2030 तक मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सहमति दिखाई हैं। सतत विकास लक्ष्य में ”वैश्विक मातृ मृत्यु दर को 70 प्रति 1,00,000 जीवित जन्म से कम करना, किसी भी देश की मातृ मृत्यु दर वैश्विक औसत के दोगुना से अधिक नहीं“ का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य शामिल है। गर्भावस्था, प्रसव और प्रसव उपरान्त स्वास्थ्य सेवाओं तथा उचित देखभाल सम्बन्धी जागरूकता बढ़ाने के लिए, राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस प्रति वर्ष 11 अप्रैल को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी की जयंती पर मनाया जाता है। ऐसा करने वाला भारत विश्व का पहला देश है। राज्य सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं की देखभाल के लिए कई पहल की गई हैं। सरकार ने संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम शुरू किया है। इसके तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में गर्भवती महिलाओं, सामान्य व शल्य क्रिया द्वारा प्रसव और बीमार नवजात शिशु को जन्म के एक वर्ष तक मुफ्त और कैशलेस सेवाएं प्रदान की जाती हैं। जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदान की जाने वाली सुविधाओं में मुफ्त दवाएं व अन्य उपयोगी वस्तुएं, मुफ्त जांच, आवश्यकता होने पर मुफ्त रक्त और मुफ्त आहार शामिल हैं। घर से स्वास्थ्य संस्थान, दूसरे अस्पताल को रेफर किए जाने पर स्वास्थ्य संस्थानों में मध्य और स्वास्थ्य संस्थान से घर वापस जाने के लिए मुफ्त परिवहन सुविधा भी प्रदान की जाती है। सभी बीमार नवजातों और शिशुओं को सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में उपचार के लिए समान सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। मातृ स्वास्थ्य और नवजात स्वास्थ्य का आपस में गहरा सम्बन्ध हैं। यदि महिलाएं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं की रोकथाम या उपचार के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का उपयोग करती हैं तो अधिकांश मातृ मृत्यु की रोकथाम की जा सकती है। सभी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान, प्रसव के समय और प्रसव के बाद की जाने वाली देखभाल के बारे में जागरूक होना चाहिए। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि उपचार सम्बन्धी आवश्यकताओं का ध्यान में रखते हुए सभी प्रसव कुशल स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा करवाए जाएं। संस्थागत प्रसव पर 1100 रुपये की प्रोत्साहन राशि संस्थागत प्रसव के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना के तहत संस्थागत प्रसव पर 1100 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। स्वास्थ्य संस्थानों में यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रसव पूर्व जांच के दौरान गर्भवती महिलाओं के सभी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंडों की जांच सहित भ्रूण के विकास की भी निगरानी की जाए। नियमित रूप से प्रसव पूर्व जांच नहीं करने से गर्भावस्था के दौरान पहले से मौजूद बीमारियों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अनीमिया आदि का पता नहीं चल पाता, जिसके परिणामस्वरूप माता और बच्चे दोनों में जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। प्रसव पूर्व जांच के दौरान गर्भवती महिलाओं को टेटनस टॉक्साइड (टी.टी.) से भी प्रतिरक्षित किया जाता है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान को प्रदेश में सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक महीने की 9 तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण व निःशुल्क प्रसव पूर्व स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है। इस दौरान सभी गर्भवती महिलाओं को निर्धारित सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में गर्भावस्था की दूसरी या तीसरी तिमाही में स्वास्थ्य संस्थान में जांच और दवाएं जैसे आयरन व कैल्शियम आदि की खुराक प्रदान किया जाती हैं। एक्सपर्ट डाॅक्टर्स बाेले... चिकित्सक या विशेषज्ञ द्वारा सभी गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच करके उच्च जोखिम गर्भधारण की पहचान व जांच की जाती है ताकि आवश्यक इलाज प्रदान किया जा सके। माताओं के स्वास्थ्य में पौष्टिक आहार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। गर्भावस्था में कुपोषण से अनेको जटिलताएं पैदा हो जाती हैं, जिसमें प्रसवोत्तर रक्तस्राव भी शामिल है। प्रदेश में बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हैं, जो मातृ मृत्यु के बुनियादी कारणों में से एक है। गर्भवती महिला के लिए आयरन फोलिक एसिड सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक है। इस समस्या के समाधान स्वरूप, सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों जांच के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान लिए जाने वाले आहार के बारे में परामर्श दिया जाता है और उन्हें आयरन और कैल्शियम की खुराक मुफ्त प्रदान की जाती है।
विकास के लिए सीमित संसाधनों वाले हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में बाह्य वित्त पोषित परियोजनाएं अहम भूमिका निभा रही हैं। वर्तमान में प्रदेश में लोक निर्माण, वानिकी, ऊर्जा, पर्यटन, कृषि, बागवानी, शहरी और कौशल उन्नयन आदि क्षेत्रों में 9877.95 करोड़ रुपये की 14 बाह्य वित्त पोषित परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। इन परियोजनाओं के अंतर्गत राज्य को भारत सरकार से 90ः10 के अनुपात में ऋण प्राप्त हो रहे हैं। इन परियोजनाओं में एशियन विकास बैंक की लगभग 3723 करोड़ रुपये की चार परियोजनाएं, विश्व बैंक की 3062 करोड़ रुपये की पांच परियोजनाएं, एएफडी की 862 करोड़ रुपये की एक परियोजना, जाईका की 1,121 करोड़ रुपये की दो परियोजनाएं और केएफडब्ल्यू की 1,110 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं में 4,060 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाएं ऊर्जा क्षेत्र, 1,808 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाएं वानिकी क्षेत्र और 1061 करोड़ रुपये की दो परियोजनाएं बागवानी क्षेत्र में क्रियान्वित की गई हैं। इसके अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र के लिए लगभग 800 करोड़ रुपये की एक परियोजना, पर्यटन क्षेत्र के 583 करोड़ रुपये, कौशल उन्नयन क्षेत्र में 650 करोड़, वित्त क्षेत्र में 315 करोड़ रुपये और कृषि क्षेत्र में 321 करोड़ रुपये की परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। आईडीपी प्राेजेक्ट काे वर्ल्ड बैंक से 700 कराेड़ विश्व बैंक द्वारा 700 करोड़ रुपये की एकीकृत विकास परियोजना (आईडीपी) वित्त पोषित की जा रही है। इस परियोजना को 11 मार्च, 2020 को पांच वर्ष के लिए स्त्रोत सस्टेनेबिलिटी और जलवायु आधारित कृषि तथा कृषि उत्पादन में सुधार एवं मूल्य संवर्द्धन के लिए हस्ताक्षरित किया गया है। इससे राज्य की विभिन्न ग्राम पंचायतों में जल प्रबन्धन में सुधार और कृषि जल उत्पादन क्षमता में सुधार होगा। यह परियोजना प्रदेश के 10 जिलों शिमला, ऊना, कांगड़ा, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, मंडी, कुल्लू, सोलन और सिरमौर की 428 चयनित पंचायतों में क्रियान्वित की जा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा इस परियोजना के तहत अब तक 1928.93 लाख रुपये व्यय किये गए हैं और 1543.15 लाख रुपये विश्व बैंक को मुआवजे के लिए भेजे गए थे जिसमें से 1540.77 लाख रुपये राज्य को वापिस मिल चुके हैं। हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण संवर्द्धन योजना (एचपीसीडीपी-जाईका) राज्य में फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने में उत्प्रेरक साबित हो रही है। यह भारत-जापान के सहयोग से ओडीए ऋण समझौते के तहत जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी और भारत सरकार के मध्य लागू की गई है। इस परियोजना की पूर्ण अनुमानित लागत 800 करोड़ है, जिसका 80 प्रतिशत यानी 640 करोड़ रुपये जापान द्वारा और 20 प्रतिशत यानि 160 करोड़ रुपये हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान किये जा रहे हैं। 640 करोड़ रुपये का 90 प्रतिशत भारत सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश सरकार को अनुदान के रूप में प्रदान किया जाएगा। प्रदेश के 6 जिलाें के लिए तीन चरणाें में हाेंगे कार्य यह परियोजना बिलासपुर, शिमला, मंडी, कुल्लू, किन्नौर और लाहौल-स्पीति सहित छह जिलों में अप्रैल, 2018 से 2028 तक 10 वर्षों के लिए तीन चरणों में क्रियान्वित की जा रही है। इन जिलों के 7 वन वृत्त, 5 क्षेत्रीय, 2 वन्य प्राणी, 18 वन प्रभाग, 61 वन क्षेत्र, 400 ग्राम वन विकास सोसायटी (वीएफडीएस), 60 जैव विविधता प्रबन्धन उप-समितियां, 920 स्वयं सहायता समूह शामिल हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने राज्य में जाईका परियोजना के अंतर्गत वानिकी और अन्य गतिविधियों तक पहुंच स्थापित करने के लिए जाईका परियोजना की वेबसाइट का शुभारंभ किया। इस परियोजना के क्रियान्वयन से परियोजना क्षेत्र में औसत कृषि आय और किसानों की आय में चार गुना वृद्धि दर्ज की गई है और जल्द ही यह परियोजना प्रदेश के सभी 12 जिलों में भी कार्यान्वित की जाएगी। इन परियोजनाओं से किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के वांछित परिणाम देखने को मिले हैं। सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में रबी की फसलों में 232 प्रतिशत और खरीफ की फसलों में 328 प्रतिशत वृद्धि हुई है। रबी और खरीफ की फसलों के मौसम में सिंचाई और इन परियोजनाओं के कारण सब्जी उत्पादन में 108 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
प्रदेश में विद्यार्थी वन मित्र योजना के अन्तर्गत अब तक स्कूली छात्रों द्वारा 295.35 हेक्टेयर क्षेत्र में 2,53,532 पौधे रोपित किए जा चुके है। बढ़ती आबादी, शहरीकरण और अनेक विकासात्मक कार्योंं के कारण हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। वन, जोकि एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है वह भी इस बढ़ते दबाव से अछूते नहीं है। वास्तव में विकासात्मक कार्यों का सबसे अधिक प्रभाव वनों पर ही पड़ा है। हिमाचल प्रदेश का कुल वन क्षेत्र 37,948 वर्ग किलाेमीटर है। इस कुल वन क्षेत्र के 15,433.52 वर्ग कि.मी. पर ही हरित वन आवरण है। प्रदेश का लगभग 16,376 वर्ग किलाे मीटर वन क्षेत्र वृक्ष रेखा अथवा ट्री-लाईन से ऊपर है, जो हमेशा बर्फ से ढका रहता है। हिमाचल प्रदेश वन विभाग का उदेश्य प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों का भावी पीढि़यों के लिए प्रभावी प्रबन्धन तथा वनों और वन्य जीवों के संरक्षण के साथ-साथ वनों पर निर्भर समुदायों की प्रतिदिन की आवश्यकताओं जैसे चारा, बालन, ईमारती लकड़ी, औषधीय पौधों आदि की पूर्ति व आजीविका के साधन उपलब्ध करवाना है। इसके अतिरिक्त वन विभाग का लक्ष्य वर्ष 2030 तक प्रदेश के हरित वन आवरण को 30 प्रतिशत तक बढ़ाना है। अपने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वन विभाग को प्रदेश के प्रत्येक वर्ग के सहयोग की आवश्यकता है। प्रदेश की जनता को वनों के महत्व, उनका संरक्षण और विकास के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। वनों के संरक्षण में समाज के प्रत्येक वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित करने तथा लोगों व वनों के बीच के पारम्परिक बन्धन को मजबूत करने के लिए वन विभाग प्रयासरत है। विभाग द्वारा अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनके माध्यम से लोगों को वन गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा वन विभाग के माध्यम से इस दिशा में विद्यार्थी वन मित्र योजना चलाई जा रही है, जिसका उदेश्य स्कूली छात्रों में वनों और पर्यावरण के महत्व को समझाना है। पौधरोपण और पौधों की सुरक्षा के प्रति जागरूक करके उन्हें वनों के संरक्षण के प्रति संवेदनशील बनाना है। इस योजना से न केवल भाग लेने वाले विद्यार्थी वन एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होंगे अपितु इस संदेश को फैलाने के लिए भी एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होंगे। 2018 के बजट से शुरु हुई थी याेजना विद्यार्थी वन मित्र योजना के अन्तर्गत वर्ष 2018-19 में 228 स्कूलों के माध्यम से 164.30 हेक्टेयर क्षेत्र में 1,66,830 पौधे रोपे गए तथा वर्ष 2019-20 में 146 स्कूलों के माध्यम से 131.5 हेक्टेयर क्षेत्र में 86,702 पौधे रोपित किए गए है। वर्ष 2020-21 में 114 नए विद्यालयों के माध्यम से 106 हेक्टेयर क्षेत्र में 90,500 पौधे लगाए गए है। इस योजना के अन्तर्गत ऐसे स्कूलों को लाया जा रहा है जिनमें ईको क्लब गठित है और जिनके आस-पास बंजर वन भूमि उपलब्ध हो। जहां पर स्कूली बच्चें स्थानीय पौधों की प्रजातियां रोपित करके स्वयं इन पौधों की देखभाल कर सकें। योजना के तहत विद्यार्थियों में हरित प्रदेश की भावना जगाने का भी प्रयास किया जा रहा है। विद्यार्थी वन मित्र योजना में पौधरोपण के लिए भूमि चयन से लेकर पौधे रोपित करने तक के कार्यों में स्कूल प्रशासन व विद्यार्थियों की भूमिका अहम रहती है। पाैधराेपण की तैयारी करता है स्कूल प्रशासन पाैधराेपण की सूक्ष्म योजना भी स्कूल प्रशासन द्वारा ही तैयार की जाती है, जिसकी स्वीकृति स्थानीय वन मण्डल अधिकारी द्वारा दी जाती है। वन विभाग योजना को तैयार करने और पौधरोपण करने के लिए केवल आवश्यक तकनीकी जानकारी उपलब्ध करवाता है। पौधरोपण क्षेत्र की फेन्सिंग, खरपतवार हटाना, पौधे को पानी देना आदि के अतिरक्त यदि कोई पौधा सूख जाए तो उसके स्थान पर दूसरा पौधा लगाने का कार्य भी विद्यार्थियों द्वारा ही किया जाता है। जिससे विद्यार्थी भावनात्मक रूप से उनके द्वारा लगाए गए पौधों से जुड़ जाते हैं। योजना के माध्यम से जहां एक ओर वन विभाग को अपने हरित आवरण को बढ़ाने के लक्ष्य में मदद मिल रही है, वहीं दूसरी ओर विद्यार्थियों को भी वृक्षों की जानकारी मिल रही है। विद्यार्थी वनों के महत्व को समझ रहे हैं और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होने के साथ-साथ वे अन्य लोगों को भी वन एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था स्थानीय विधायक देखेंगे। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विधायकों से आग्रह किया कि वे स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से समन्वय कर कोरोना से मरने वालों के पारिवारिक सदस्यों के साथ उचित संपर्क बनाएं, ताकि मृतकों का अंतिम संस्कार केंद्र के दिशा-निर्देशों और प्रोटोकॉल के तहत हो सके। कांगड़ा जिले के रानीताल में कोरोना से मां की मौत होने के बाद एक युवक द्वारा शव कंधे पर उठाकर श्मशान घाट तक अंतिम संस्कार के लिए ले जाने वाला वीडियो वायरल होने के बाद प्रदेश सरकार एक्शन मोड में आ गई है। मुख्यमंत्री ने विधायकों से मृतक व्यक्ति के परिवार से संपर्क बनाने का आग्रह किया, ताकि मुश्किल घड़ी में उनका मनोबल बढ़े। सीएम ने कहा कि उपायुक्त सुनिश्चित करें कि शोक संतप्त परिजनों को मृतक के अंतिम संस्कार में जिला प्रशासन का पूरा सहयोग और सहायता मिले। शहरी क्षेत्रों में संबंधित नगर आयुक्त, शहरी स्थानीय निकायों के कार्यकारी अधिकारी और सचिव नोडल अधिकारी होंगे। ये अधिकारी अस्पतालों से समन्वय बनाकर काम करें। ग्रामीण क्षेत्रों में खंड विकास अधिकारी नोडल अफसर होंगे। मृतक व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए पीपीई किट, डेड बॉडी बैग, डिस्इंफेक्टेंस, सैनिटाइजर, वेस्ट डिस्पोजेबल बैग आदि संसाधन प्रदान करने चाहिएं। इसके लिए अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को उपरोक्त सामग्री दी जाएगी। खंड विकास अधिकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, पंचायतों, पंचायत सचिवों और पटवारियों के साथ समन्वय बनाएं। मृतक के परिजनों को संकट में सहायता के लिए शहरी निकायों के अधिकारियों, कार्यकारी अधिकारियों, सचिवों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में संबंधित पंचायत सचिवों और पटवारियों से संपर्क करना चाहिए।
हिमाचल में इस कोरोना काल के दौरान भी उपभोक्ताओं को फिंगर प्रिंट के माध्यम से राशन आवंटित किया जा रहा था। बायोमेट्रिक फिंगर प्रिंट स्कैनिंग से कोरोना का खतरा बढ़ता है। लोग और डेपो होल्डर दोनों ही इससे परेशान थे। इसीलिए हिमाचल के राशन कार्ड उपभोक्ताओं को अब डिपो में बायोमीट्रिक मशीनों में अंगुली लगाकर फिंगर प्रिंट से राशन नहीं मिलेगा। कोरोना संक्रमण और राशन की गड़बड़ी रोकने के लिए खाद्य आपूर्ति विभाग ने आवंटन का नया तोड़ निकाला है। उपभोक्ताओं के राशनकार्ड पर जो नंबर होगा, उसे बायोमीट्रिक मशीन में अपलोड किया जाएगा। नंबर अपलोड होने पर उपभोक्ता के मोबाइल पर ओटीपी नंबर आएगा। उपभोक्ता यह ओटीपी डिपो होल्डर को बताएंगे। इस नंबर को मशीन में अपलोड किया जाएगा। उसके बाद लोगों को राशन आवंटित किया जाएगा। खाद्य आपूर्ति विभाग में इसका ट्रायल चल रहा है। खाद्य आपूर्ति विभाग के निदेशक आरके गौतम ने बताया कि एक सप्ताह के बाद इस व्यवस्था को शुरू किया जाना है। इस व्यवस्था से हेराफेरी की गुंजाइश नहीं रहेगी। बड़ी बात यह भी है कि व्यक्ति किसी को भी डिपो में सामान लाने भेज सकेंगे। उपभोक्ता को सिर्फ ओटीपी नंबर बताना है।
हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला पुलिस के एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) और जिले की यौन उत्पीड़न रोकथाम कमेटी के चेयरमैन पर महिला हेड कांस्टेबल ने शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का मामला दर्ज करवाया है। शिमला शहर के महिला थाने में पुलिस को दी शिकायत में कहा गया है कि यह पुलिस अफसर कई दिनों से उसे तंग कर रहा था और आपत्तिजनक मांग भी रख रहा था। पुलिस अफसर पर आरोप है कि उसने पत्नी को गाड़ी सिखाने के बहाने महिला कांस्टेबल को अपने घर बुलाया। एक दिन अफसर ने कहा कि उसकी पत्नी महिला कांस्टेबल मिलना चाहती है। जब वह उसके घर गई तो उस अफसर के अलावा वहां कोई नहीं था। आरोपी अफसर ने उसके साथ छेड़खानी की। आरोप है कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी पीड़ित हेड कांस्टेबल के साथ छेड़खानी की गई। इस बात की जानकारी उसने अपने सहकर्मियों को भी दी। महिला पुलिस थाने ने मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू की दी है। बताया जा रहा है कि मामले की जांच सीआईडी को सौंपी जा रही है। इसके अलावा प्रदेश पुलिस की राज्यस्तरीय यौन उत्पीड़न रोकथाम कमेटी को भी मामला दिया जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के रानीताल में मानवता को शर्मसाार करने वाली घटना सामने आई है । यहां एक कोरोना संक्रमित महिला की मौत के बाद उसे कंधा देने के लिए कोई भी आगे नहीं आया। कोरोना संक्रमित महिला का बीटा लगातार अपने रिश्तेदारों से मदद की गुहार लगता रहा मगर सभी रिश्तेदारों ने संक्रमण से खतरे का हवाला देते हुए उसे ताल दिया। न प्रशासन ने मदद की न अपनों ने। अंत में हिम्मत जुटाकर मां के शव को बेटे ने अकेले कंधे पर उठाकर श्मशानघाट पहुंचाया और अंतिम संस्कार की रस्में पूरी कीं। कोरोना संक्रमित महिला भंगवार पंचायत की पूर्व प्रधान भी रह चुकी थीं और उन्होंने बीते दिन घर पर ही दम तोड़ दिया था। गांव से महिला के अंतिम संस्कार के लिए कोई भी आगे नहीं आया। भंगवार पंचायत के प्रधान सूरम सिंह ने बताया कि वह बीमार थे इसलिए वह खुद उनके घर नहीं जा सके। उन्होंने कहा कि प्रशासन से पीपीई किट मंगवाई लेकिन मृतका के बेटे वीर सिंह ने कहा कि मेरे रिश्तेदार पीपीई किट लेकर आ रहे हैं आप रहने दीजिए। सूरम सिंह ने कहा कि शव को उठाने के लिए दो ट्रैक्टर वालों से भी बात की लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। अपनी माँ के शव को अकेले शमशान घाट तक पहुंचाते हुए बेटे की फोटो सोशल मीडिया पर खूब बवाल मचा रही है। लोग सरकार को कोस रहे है , प्रशासन से भी सवाल पूछे जा रहे है। मगर सवाल ये है की क्या इंसानियत सर सरकार को ही दिखानी चाहिए। क्या कोरोना के इस दौर ने हमसे हमारी मानवता छीन ली है ?
मालेरकोटला पंजाब का 23वां जिला बन गया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ईद-उल-फितर के मौके पर मालेरकोटला को जिला घोषित करने के साथ ही शुक्रवार को इस नए जिले के लिए नए डीसी की नियुक्ति का एलान भी कर दिया। कैप्टन ने मालेरकोटलावासियों के लिए उपहारों की घोषणा करते हुए कहा कि शेर मोहम्मद खान के नाम पर 500 करोड़ रुपये की लागत से मालेरकोटला में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जाएगी। 12 करोड़ रुपये की लागत से लड़कियों के लिए एक और कॉलेज स्थापित किया जाएगा। एक बस स्टैंड, एक महिला थाना भी बनेगा, जिसे सिर्फ महिला कर्मचारी ही चलाएंगी। इससे पहले जनवरी में सरकार ने मालेरकोटला में मुबारिक मंजिल पैलेस के अधिग्रहण, संरक्षण और उपयोग की स्वीकृति दी थी। बेगम मुनव्वर उल निसा ने प्रदेश सरकार को लिखा था कि मुबारक मंजिल पैलेस मालेरकोटला की वह इकलौती मालिक हैं और वे इस संपत्ति को प्रदेश या पर्यटन व सांस्कृतिक मामले विभाग सहित किसी भी व्यक्ति को देने के पूरे अधिकार रखती हैं। बता दें कि मालेरकोटला पंजाब का एकमात्र मुस्लिम बहुल एरिया है। मालेरकोटला के नवाब शेर मोहम्मद खान ने सरहिंद के सूबेदार का विरोध करते हुए श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों के पक्ष में अपनी आवाज उठाई थी। इसके चलते पंजाब के इतिहास में उनका एक सम्मानित स्थान है।
देश के अन्य राज्यों की तरह ही कोरोना महामारी के बीच हरियाणा में ब्लैक फंगस के मामले सामने आने लगे है । प्रदेश में ब्लैक फंगस के बढ़ते मरीजों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता और बढ़ा दी है। कोरोना से ठीक होने के बाद अब ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जिन्हें शुगर है और उन पर ब्लैक फंगस ने हमला बोल दिया है। पीजीआई रोहतक के बाद अब करनाल स्थित कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में भी ऐसे दो मरीजों को दाखिल किया है। दोनों मरीजों की एक-एक आंख पर फंगस बढ़ने लगी है। हालांकि, डाक्टरों ने इलाज शुरू कर दिया है। स्टेरायड, एंटी बायोटिक दवाओं के कारण व अधिक समय तक इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) व हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) में रहने से म्यूकारमाइकोसिस (काली फफूंदी या ब्लैक फंगस) कोरोना संक्रमितों की आंखों पर हमला कर रहा है। यह समस्या कोरोना से ठीक होने के बाद भी आ रही है। जानिए क्या है Black Fungus के लक्षण यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, म्यूकॉमिकोसिस या ब्लैक फंगस एक दुर्लभ फंगल संक्रमण है। इसे श्लेष्मा रोग या ज़ाइगोमाइकोसिस भी कहा जाता है। यह एक गंभीर संक्रमण है जो श्लेष्म या कवक के समूह के कारण होता है जिसे श्लेष्माकोशिका कहा जाता है। ये मोल्ड पूरे वातावरण में रहते हैं। यह आमतौर पर हवा से फंगल बीजाणुओं को बाहर निकालने के बाद साइनस या फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह त्वचा पर कट, जलने या अन्य प्रकार की त्वचा की चोट के बाद भी हो सकता है। Black Fungus कब नजर आता है कोरोना संक्रमण से उबरने के दो-तीन दिन बाद काली फफूंद के लक्षण दिखाई देते हैं। यह फंगल संक्रमण सबसे पहले साइनस में तब होता है जब रोगी कोविड -19 से ठीक हो जाता है और लगभग दो-चार दिनों में यह आंखों पर हमला करता है। सूरत के किरण अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. संकेत शाह के मुताबिक, इसके अगले 24 घंटों में यह संक्रमण मस्तिष्क तक पहुंच जाता है।
कोरोना संकट के चलते सरकारी स्कूल बंद है और बच्चों को ऑनलाइन माध्यमों से शिक्षा प्रदान की जा रही है। इस दौर में जारी ऑनलाइन पढ़ाई की मॉनिटरिंग के लिए छह सदस्यीय अधिकारियों की कमेटी गठित की गई है। नौवीं से बारहवीं कक्षा को हर घर पाठशाला कार्यक्रम में करवाई जा रही पढ़ाई पर सीधी नजर रखने के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय ने तीन अधिकारियों को चार-चार जिलों का जिम्मा सौंपा है। प्रारंभिक निदेशालय को भी जिलावार जिम्मेवारी सौंपने के लिए ड्यूटी लगाने को कहा गया है। इसके अलावा दो अधिकारियों को ओवरऑल सुपरविजन और एक अधिकारी को डिजिटल शिक्षण सामग्री जिलों में भेजने का काम सौंपा गया है। छह सदस्यीय अधिकारियों की गठित यह विशेष टीम रोजाना उच्च शिक्षा निदेशक को अपनी रिपोर्ट भी सौंपेंगी। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा की ओर हर घर पाठशाला कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए छह सदस्यीय कमेटी की गई है। अतिरिक्त निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. प्रमोद चौहान को नौवीं से बारहवीं और संयुक्त निदेशक प्रारंभिक शिक्षा हितेश आजाद को पहली से आठवीं कक्षा की ऑनलाइन पढ़ाई की मॉनिटरिंग का जिम्मा सौंपा गया है। संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. अशीथ कुमार मिश्रा को हमीरपुर, कांगड़ा, बिलासपुरख्, चंबा, संयुक्त निदेशक हरीश कुमार को सिरमौर, सोलन, ऊना, कुल्लू और ओएसडी डॉ. अंजु शर्मा को शिमला, किन्नौर, मंडी और लाहौल स्पीति जिला में जारी हर घर पाठशाला कार्यक्रम पर नजर रखने का जिम्मा रहेगा। समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशालय से समन्यवक अनीमा शर्मा को डिजिटल शिक्षण सामग्री तैयार करवाने और इसका लिंक सभी जिलों तक पहुंचाने का काम दिया गया है।
शुक्रवार को निर्वासित तिब्बत सरकार का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाएगा । निर्वासित तिब्बत सरकार का चुनाव आयोग 14 मई सुबह 10 बजे अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर ऑनलाइन चुनाव परिणाम घोषित करेगा। 14 मई सुबह 10 बजे यह साफ हो जाएगा कि निर्वासित तिब्बत सरकार का नए प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग होंगे या केलसंग दोरजे। प्रधानमंत्री पद के लिए इन दो उम्मीदवारों के बीच ही मुकाबला है। तिब्बत की कुछ वेबसाइटों के अनुसार प्रधानमंत्री पद की दौड़ में पेंपा सेरिंग आगे चल रहे हैं। निर्वासित तिब्बत सरकार के आखिरी चरण के चुनाव परिणाम पर चीन, अमेरिका, भारत सहित दुनिया भर के कई देशों की नजर है। चुनाव परिणाम ऐसे समय में आ रहे हैं, जब अमेरिका और आस्ट्रेलिया सहित कई देश खुले तौर पर चीन पर निशाना साध रहे हैं। नए राष्ट्रपति जो बाइडन पहले ही अमेरिका में दलाईलामा को आमंत्रित करने की बात कह चुके हैं। इस तरह निर्वासित तिब्बत सरकार के नए प्रधानमंत्री के लिए हो रहे चुनाव दुनिया भर के लिए महत्वपूर्ण बने हुए हैं। इन देशों में हुआ था मतदान आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, आस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, नीदरलैंड, नार्वे, पोलैंड, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, यूके, जापान, नेपाल, अमेरिका, रूस, ताइवान सहित भारत के कई हिस्सों में तिब्बती लोगों ने नए प्रधानमंत्री के लिए मतदान किया है।
मंडी के करसोग से इंसानियत को शर्मसार करने वाला मसला सामने आया है। यहां एक महिला के कोरोना संक्रमित आने के बाद मकान मालिक ने उसे और उसके परिवार को घर से निकाल दिया । इस वजह से महिला और उसके परिवार को दो साल के बच्चे के साथ दो दिन तक टैक्सी में रहना पड़ा। मंडी के करसोग में टैक्सी चालक परसराम दो दिन पहले पत्नी को चेकअप के लिए शिमला ले गया था, जहां जांच के दौरान पत्नी कोरोना पॉजिटिव पाई गई। पत्नी की हालत ठीक थी, जिस पर डॉक्टरों ने परिवार को होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी। डॉक्टरों ने दी थी होम आइसोलेशन की सलाह चालक परसराम पत्नी और 2 साल के बेटे के साथ घर आ गया। यह परिवार करसोग में एक किराये के मकान पर रहता है। ऐसे में परसराम ने मकान मालिक को पूरे मामले को लेकर अवगत करवाया, लेकिन मकान मालिक ने कोरोना के खतरे को देखते हुए परसराम को कहीं और ठहरने की सलाह दी। परसराम कोरोना पॉजिटिव पत्नी और 2 साल के बेटे के साथ दो दिनों से टैक्सी में ही रहा। इस मुश्किल घड़ी में कोई भी व्यक्ति इस परिवार की मदद करने को तैयार नहीं हुआ। डीएसपी की मदद से मालिक मालिक ने दी अनुमति आखिर में परसराम ने डीएसपी गीतांजलि ठाकुर से मदद की गुहार लगाई। डीएसपी बिना देर किए पुलिस टीम के साथ परसराम की सहायता के लिए पहुंच गई। इस दौरान न केवल डीएसपी ने मकान मालिक से बात करके परसराम को उसके कमरे में पहुंचाया, बल्कि परिवार के लिए राशन पानी की भी पूरी व्यवस्था की। डीएसपी गीतांजलि ठाकुर ने बताया कि रविवार को 4 बजे परसराम का फोन आया। इनकी दिक्कत थी कि पत्नी कोरोना पॉजिटिव थी, इसलिए ये दो दिन से पत्नी और 2 साल के बच्चे के साथ गाड़ी में रह रहे थे। उन्होंने कहा कि फोन आने के बाद मकान मालिक से बात कर परसराम को घर पहुंचाया गया और जरूरत का हर सामान पुलिस घर तक पहुंचाएगी।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच उत्तर प्रदेश में अभी लॉकडाउन लगा हुआ है। लेकिन इस पाबंदी के बीच गौतमबुद्ध नगर में शराब की दुकानों को खोलने का निर्देश दिया गया है। आदेश के अनुसार जिले में सुबह 10:00 बजे से 7:00 बजे तक शराब, बीयर की दुकानें खुलेंगी। जिले में कुल 524 शराब की दुकानें हैं हालांकि इस दौरान किसी भी दुकान की कैंटीन नहीं खुलेगी और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन संपूर्ण रूप से किया जाएगा । गौतमबुद्ध नगर के अलावा गाजियाबाद जिले में भी मंगलवार से ही शराब की दुकाने खुल रही हैं। दुकानों के बाहर 6 फीट की दूरी पर गोला बनाना होगा ताकि लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। नोएडा और गाजियाबाद में शराब की दुकानें खुलने पर लोग मास्क लगाकर शराब की दुकान पर पहुंचे। यूपी के अन्य कुछ जिलों में बुधवार से शराब की दुकानें खुलने की समभावना हैं। यूपी के बनारस समेत कुछ ज़िलों में ज़िलाधिकारियों ने 1 बजे दिन तक शराब की दुकानें और बाकी ज़रूरी सामानों की दुकानें खोलनी की इजाज़त दी है।
हिमाचल प्रदेश उच्च शिक्षा निदेशालय ने स्कूल शिक्षा बोर्ड की 10वीं कक्षा के 1.16 लाख विद्यार्थियों को 11वीं कक्षा में प्रमोट करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। निदेशालय ने सभी जिलों के शिक्षा उपनिदेशकों को 30 मई तक 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों को रोल नंबर के आधार पर 11वीं कक्षा में दाखिला देने को कहा है। साथ ही स्कूल शिक्षा बोर्ड को 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम तैयार करने के निर्देश भी दिए गए हैं। विद्यार्थियों को हर घर पाठशाला कार्यक्रम में कक्षाएं लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस संबंध में मंगलवार को उच्च शिक्षा निदेशक डाॅ अमरजीत शर्मा की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं।


















































