कोरोना मैनेजमेंट पर मोदी सरकार को घेर रही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भाजपा ने जवाब दिया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मंगलवार को कहा कि आज के हालात में कांग्रेस की करनी से हैरान नहीं हूं, दुखी हूं। उन्होंने कहा कि एक ओर उनकी पार्टी के कुछ मेंबर्स लोगों की मदद करने का काम कर रहे हैं तो वहीं, दूसरी ओर उनके वरिष्ठ नेताओं की फैलाई नकारात्मकता से ये सराहनीय काम धूमिल हो रहा है। जेपी नड्डा ने कहा कि ये खत गहरी पीड़ा और दुख के साथ लिख रहा हूं। मैंने कभी ऐसा पत्र नहीं लिखा है, लेकिन जिस तरह से कांग्रेस के मेंबर्स भ्रम फैला रहे हैं, उनके मुख्यमंत्री ऐसा कर रहे हैं उसके बाद मुझे यह खत लिखना पड़ा। जिस वक्त भारत कोरोना महामारी के साथ पूरी ताकत से लड़ रहा है, उस वक्त कांग्रेस की टॉप लीडरशिप को लोगों को गुमराह करना और झूठा डर फैलाना बंद कर देना चाहिए। गौरतलब है कि एक दिन पहले ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा था कि मोदी सरकार कोरोना काल में फेल हो गई। CWC में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया था।
Air-ambulance service is now available in Himachal Pradesh to rescue patients via air transportation in the event of a serious emergency. Despite the advancements and availability of services in the state, there are many places that are hard to reach because of inadequate roads and bad infrastructure, delaying road ambulances to reach hospitals on time. Understanding the needs of advanced services like Air Ambulances for medical care Charter Aircraft Services (Chandigarh) and Kestrel Aviation Pvt Ltd. (Mumbai) are now providing air ambulance service in HP. Charter Aircraft Services and Kestrel Aviation Pvt Ltd. (Mumbai) are one of the leading DGCA Approved Helicopter Operators in India with a fleet of three high-performance Agusta 119 Koala Helicopters. Agusta 119 Koala is one of the fastest helicopters that provides approx 140-150 NM Speed per hour and is also capable of high altitude hill flying. The company has highly experienced hill-qualified Ex Army pilots who have long experience of hill flying in Uttrakhand. With a vision to serve the need of fast transfers required for critically ill/injured people living in remote areas of Himachal Pradesh, like Rampur, Rohru, and Kinnaur this service has been started. The company has kept one of its helicopters at Dehradun as well to bring patients quickly from Shimla or Chandigarh for their further treatment. The company believes that advancements in technology should be applied to provide medical facilities and treatments making any patient’s life easy and long. The company's spokesperson said that, if the company gets support from the government of HP, they would be able to place helicopters on strategic locations of Himachal Pradesh such as “Shimla” to ensure fast availability of air ambulance in case of any medical emergency anywhere in the state. As per the company, In case of Medical emergencies, usually, there is not much time to wait for DM Permissions to operate the helicopter, all they request from the HP government is to extend support to get fast permissions from all districts of Himachal Pradesh so that they can ensure fast service to the people in need.
हिमाचल प्रदेश के सियासी इतिहास में नारी शक्ति की मौजूदगी कम जरूर रही है पर फीकी नहीं रही। यहाँ सियासी क्षितिज पर बेहद कम महिलाएं अब तक अपना नाम चमकाने में कामयाब रही और इसका बड़ा कारण ये है कि प्रदेश के प्रमुख राजनैतिक दलों ने कभी महिलाओं पर ज्यादा भरोसा नहीं जताया है। पर कुछ नाम ऐसे है जिन्होंने प्रदेश की सियासत में अपना खूब जलवा बिखेरा है, यानी गिनती जरूर कम है पर महिला नेताओं ने रंग खूब जमाया है। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कई महिलाओं ने न सिर्फ विधानसभा में जगह बनाई है, बल्कि मंत्री भी रही। ये भी गौरव का विषय है कि देश की प्रथम स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर भी हिमाचल प्रदेश से ही सांसद थी। उमावती थी पहली महिला विधायक 1954 में बिलासपुर के हिमाचल प्रदेश में विलय के बाद उमावती गेहड़वीं से निर्दलीय के तौर पर पहली महिला विधायक बनी। 1957 में कांग्रेस ने सत्यावती को मनोनीत किया। 1962 में कांग्रेस ने सुभद्रा अमीं चंद को मनोनीत किया। चंबा से कांग्रेस ने ही देविंद्रा कुमारी को मनोनीत किया। कुटलैहड़ से सरला शर्मा 1972 में कांग्रेस की विधायक रही। भटियात से पदमा भी 1972 में विधायक रहीं। इसी वर्ष लाहुल स्पीति से लता ठाकुर विधायक रही। चंदेश कुमारी 1972, 1982, 2003 में विधायक रही। नाहन से श्यामा शर्मा तीन बार विधायक रही। 1977, 82, 1990 में जनता दल की विधायक बनी। बनीखेत अब डलहौजी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की ही आशा कुमार 85, 93, 98, 2003, 2012, 2017 में विधायक चुनी गई। 1990 में गोपालपुर से भाजपा की लीला शर्मा और चिंतपूर्णी से सुषमा शर्मा चुनी गई। सोलन से कांग्रेस की कृष्णा मोहिनी 1993 और 98 में विधायक बनी। हमीरपुर से कांग्रेस की अनीता वर्मा 1994 के उप चुनाव और 2003 में विधायक रही। भाजपा से उर्मिल ठाकुर हमीरपुर से 1998 और 2007 में विधायक बनी। शाहपुर से भाजपा की सरवीण चौधरी 1998, 2007, 2012, 2017 में विधायक चुनी गई। 2008 में डलहौजी से भजपा की रेणु चड्ढा विधायक बनी। कांग्रेस की विप्लव ठाकुर जसवां से तीन बार विधायक रही। वह 1985, 93, 98 में विधायक चुनी गई। दून से भाजपा की विनोद कुमारी 2007 में विधायक रही। आठ बार विधायक बनी विद्या स्ट्रोक्स वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्या स्टोक्स कांग्रेस से आठ बार विधायक चुनी गई। उनका रिकॉर्ड कोई दूसरी महिला नेता नहीं तोड़ पाई है। स्ट्रोक्स पहली बार 1974 में विधायक बनीं थी। वह विधानसभा की अध्यक्ष भी रहीं है और नेता विपक्ष भी बनी। स्ट्रोक्स 1974, 1982, 1985, 1990,1998, 2003, 2007 व 2012 में विधायक रही। वर्तमान में पांच महिला विधायक 2017 के चुनाव में भाजपा से शाहपुर सीट से सरवीण चौधरी, भाेरंज से कमलेश कुमारी और इंदाैरा से रीता देवी विधायक बन कर विधानसभा पहुंची थी, जबकि कांग्रेस की आशा कुमारी डलहौजी से चुनाव जीत कर विधायक बनी थी। 2019 में उपचुनाव में पच्छाद से भाजपा की 34 वर्षीय रीता कश्यप ने जीत हासिल कर विधायक बनी। 1998 में जीती थी सबसे अधिक 6 महिलाएं हिमाचल प्रदेश के इतिहास पर नज़र डाले तो 1998 के विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक 6 महिअलों ने जीत दर्ज की। इस चुनाव में कांग्रेस की विप्लव ठाकुर, मेजर कृष्णा मोहिनी, विद्या स्ट्रोक्स, आशा कुमारी और भाजपा की उर्मिल ठाकुर और सरवीण चौधरी ने जीत दर्ज की। हालांकि बाद में भाजपा नेता महेंद्र नाथ सोफत की याचिका पर सोलन का चुनाव सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द घोषित कर दिया गया जहाँ से पहले मेजर कृष्णा मोहिनी को विजेता घोषित किया गया था। वहीँ 1998 में परागपुर में हुए उप चुनाव में निर्मला देवी ने जीत दर्ज की। विस चुनाव : महिला प्रत्याशी जीती 1977 : 1 1982 : 3 1985 : 3 1990 : 4 1993 : 3 1998 : 6 ( बाद में सोलन चुनाव रद्द घोषित हुआ ) 2003 : 4 2007 : 5 2012 : 3 2017 : 4 सरला शर्मा से सरवीण चौधरी तक प्रदेश में 1972 में पहली बार सरला शर्मा मंत्री बनी। फिर 1977 में श्यामा शर्मा मंत्री रही। उसके बाद आशा कुमारी, विप्लव ठाकुर, चंद्रेश कुमारी, विद्या स्टोक्स मंत्री रही। वहीँ वर्तमान सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री सरवीण चौधरी इससे पहले धूमल सरकार में भी मंत्री रह चुकी है। सिर्फ तीन महिलाएं पहुंची लोकसभा लोकसभा की बात करें तो वर्ष 1952 में राजकुमारी अमृत कौर प्रदेश की पहली महिला सांसद बनी। इसके बाद चंद्रेश कुमारी वर्ष 1984 में कांगड़ा से सांसद चुनी गई। वहीँ प्रतिभा सिंह मंडी सीट से दो बार लोकसभा सांसद रही है। वे वर्ष 2004 और 2013 के उप चुनाव में विजेता रही। 1956 में लीला देवी बनी थी राज्यसभा सांसद अपर हाउस राज्यसभा की बात करें तो आज तक हिमाचल प्रदेश की कुल 7 महिलाएं राज्यसभा में पहुँच सकी है। सबसे पहले वर्ष 1956 में कांग्रेस नेता लीला देवी राज्यसभा के लिए चुनी गई। इसके बाद 1968 में सत्यावती डांग, 1980 में उषा मल्होत्रा, 1996 में चंद्रेश कुमारी, 2006 व 2014 में विप्लव ठाकुर को कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा भेजा। वहीँ भाजपा से 2010 में बिमला कश्यप व 2020 में वर्तमान राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी राज्यसभा पहुंची तो क्या पहली महिला सीएम हो सकती थी मैडम स्ट्रोक्स वर्ष 2003 में कांग्रेस की हिमाचल की सत्ता में वापसी हुई थी। इससे पिछले चुनाव में पंडित सुखराम की हिमाचल विकास कांग्रेस वीरभद्र सिंह के अरमानो पर पानी फेर चुकी थी जिसकी बदौलत प्रो प्रेमकुमार धूमल पांच वर्ष मुख्यमंत्री रहे। अब जब 2003 में मुख्यमंत्री चुनने की बारी आई तो ठियोग विधायक और कांग्रेस की तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष विद्या स्टोक्स ने वीरभद्र को चुनौती दे दी। उस वक्त प्रदेश में माहौल बना की शायद मैडम स्ट्रोक्स सोनिया गांधी से अपनी नजदीकी के बुते सीएम बनने में कामयाब हो जाए। कहते है स्ट्रोक्स ने बाकायदा दिल्ली में दावा पेश कर दिया था कि विधायक दल उन्हें मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहता है। वीरभद्र विरोधी गुट का भी उन्हें पूरा साथ मिला। पर अंत में बाजी वीरभद्र सिंह ने ही मारी। विद्या दिल्ली में थी और वीरभद्र सिंह ने शिमला में मीडिया के सामने अपने 22 विधायकों की परेड करा कर अपनी ताकत का अहसास आलाकमान को करवा दिया। जो परेड में शामिल नहीं हुए उनमे से अधिकांश विधायक भी वीरभद्र के साथ हो लिए। इस तरह वीरभद्र सिंह पांचवी बार मुख्यमंत्री बन गए और प्रदेश को महिला सीएम मिलने के कयास सिर्फ कयास ही रह गए।
प्रदेश की जयराम सरकार और भाजपा संगठन में जिला सिरमौर खूब चमक रहा है। मात्र पांच विधानसभा सीटाें वाले इस ज़िले में भाजपा ने 2017 में तीन सीटें ही जीती थी, पर सरकार और संगठन दोनों में सिरमौर का जलवा दिखा है। वर्तमान में जिला सिरमौर से एक मंत्री तो है ही, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और शिमला संसदीय क्षेत्र से सांसद भी सिरमौर से है। 2017 के चुनाव में नाहन, पांवटा साहिब और पच्छाद सीट पर भाजपा की जीत हुई ताे नाहन विधायक डा. राजीव बिंदल काे विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी मिली। 2019 में डॉ राजीव बिंदल ने स्पीकर पद से इस्तीफा दिया और उन्हें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिल गई। पर पिछले साल यानी काेविड-19 के दाैरान स्वास्थ्य विभाग में घाेटाले के चलते डा. बिंदल काे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा देना पड़ा। पर पार्टी ने उनका रिप्लेसमेंट भी सिरमौर से ही ढूंढा। सांसद सुरेश कश्यप काे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का ज़िम्मा मिल गया। सिरमौर काे तवज्जो मिलने का सिलसिला ज़ारी रहा और पिछले साल मंत्रिमंडल विस्तार में पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र से विधायक सुखराम चाैधरी काे मंत्री की कुर्सी मिल गई। यहीं से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला सिरमौर काे सरकार और संगठन में विशिष्ट स्थान प्राप्त है। बिंदल चले गए ताे सुखराम चाैधरी की हुई एंट्री 2017 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लाैटी तो संभावनाएं जताई जा रही थी कि डा.बिंदल काे कैबिनेट में जगह मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्हें विधानसभा में स्पीकर की कुर्सी दे दी गई। फिर वे प्रदेश अध्यक्ष रहे। पर वक्त बदला और डॉ बिंदल न सरकार में है और न संगठन में, लेकिन सिरमौर काे जगह दिलाने में उनका काफी याेगदान रहा। दरअसल, माना जाता है कि संतुलन बनाये रखने के लिए ही सुखराम चाैधरी को कैबिनेट में एंट्री मिली। पहली बार सिरमौर से सांसद पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे सुरेश कश्यप काे भाजपा ने 2019 में लाेकसभा चुनाव के मैदान में उतारा और वे जीत भी गए। शिमला संसदीय क्षेत्र से पहली बार सिरमौर का कोई नेता सांसद बना। उसके बाद हुए उपचुनाव में संगठन ने एक युवा महिला नेता काे टिकट के काबिल समझा और रीना कश्यप काे पच्छाद उपचुपनाव में जीत मिली। क्या सिरमौर भी रखेगा 2022 में ख्याल बेशक भाजपा ने सरकार और संगठन में जिला सिरमौर का पूरा ख्याल रखा है पर सिरमौर भाजपा का कितना ख्याल रखेगा इसका पता 2022 में ही चलेगा। पच्छाद क्षेत्र से भाजपा की फायर ब्रांड नेता रही दयाल प्यारी अब कांग्रेस में शामिल हो चुकी है। यहाँ से कांग्रेस के लिए हार की हैट्रिक लगा चुके वरिष्ठ नेता गंगूराम मुसाफिर की जगह पार्टी 2022 में दयाल प्यारी को मौका दे सकती है। वैसे भी पच्छाद में भाजपा की स्तिथि कमजोर हुई है, जिला परिषद् और स्थानीय निकाय के नतीजे भी इसकी तस्दीक करते है। कमोबेश ऐसा ही हाल मंत्री सुखराम चौधरी के क्षेत्र पावंटा साहिब का है। यहाँ अभी से भीतरखाते मंत्री की मुख़ालफ़त का बंदोबस्त दिखने लगा है। नाहन में जरूर डॉ राजीव बिंदल खुद को साबित करते आ रहे है लेकिन इसमें कोई शक-ओ-शुबह नहीं है कि मौजूदा स्तिथि में वे हाशिए पर ही है। रेणुकाजी और शिलाई में फिलहाल कांग्रेस का कब्ज़ा है और 2022 में भी यहाँ जबरदस्त मुकाबला होना तय है।
2022 के विधानसभा चुनाव में राज्य सचिवालय का सबसे फेमस कमरा नंबर 202 क्या फिर एक मंत्री के सियासी अरमानों की बलि लेगा ? क्या जयराम सरकार में आईटी मिनिस्टर डा. रामलाल मारकंडेय अगले साल चुनाव जीत पाएंगे या फिर मनहूस कमरे का ग्रहण लगेगा? ये बड़े सवाल है और इस कमरे पर बवाल है। जनाब ये कमरा नम्बर 202 है ही ऐसा, सत्तालोभी नेता इसका नाम सुनते ही भागे भागे फिरते है। दरअसल, राज्य सचिवालय में मंत्रियाें काे हर दफे कमरे अलॉट होते हैं, जिसको जो मिला वो उसमे खुश, लेकिन यहां एक कमरा ऐसा भी है जिसमें बैठने के लिए कोई भी मंत्री तैयार नहीं होता। प्रदेश सचिवालय में सभी मंत्रियों के इन कमरों से ही प्रदेश सरकार का कामकाज कैबिनेट मंत्री संभालते हैं। इन कमरों में कमरा नंबर 202 वो कमरा है जिसमें बैठने वाला मंत्री चुनाव हारता है। ये हम नही पिछले चुनाव के नतीजे बताते है और हिमाचल के सियासी गलियारों में भी ये बात आम है। पिछले चुनाव के नतीजों पर गाैर करें ताे 2012 में जब वीरभद्र सरकार बनी तो ये कमरा शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा को मिला, और 2017 का चुनाव सुधीर शर्मा हार गए। सुधीर शर्मा इसी कमरे में बैठते थे। हालांकि उस वक्त सुधीर शर्मा बार-बार यही कहते थे कि ये सबकुछ अन्धविश्वास है, ऐसा कुछ नहीं हाेगा, मगर हुआ तो वो जो सोचा न था। इस कमरे में मंत्री बनने पर जगत प्रकाश नड्डा, आशा कुमारी और नरेंद्र बरागटा भी बैठे है और ये तीनों तत्कालीन मंत्री रहते हुए अगला चुनाव हार गए। हालांकि इसके बावजूद सियासत में इन नेताओं का दबदबा बना रहा। जगत प्रकाश नड्डा इस समय भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जबकि आशा कुमारी एआईसीसी सचिव के साथ पंजाब कांग्रेस की प्रभारी हैं। नड्डा का केंद्र में दबदबा है और आशा कुमारी के पंजाब कांग्रेस के प्रभारी रहते हुए पार्टी को सत्ता मिली। गौरतलब है कि वर्ष 1998 से 2003 तक तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री एवं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा इस कमरे में बैठे। नड्डा दाे बार राज्य सरकार में मंत्री रहने के अलावा प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। हालांकि राज्य में स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद वे वर्ष 2003 में चुनाव हार गए थे। जीत हुई पर कैबिनेट में नहीं मिल पाई जगह 2012 के चुनाव में आशा कुमारी जीत कर विधानसभा पहुंची, लेकिन वीरभद्र सिंह के कैबिनेट में उन्हें जगह नहीं मिल पाई। इसी तरह से पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा 2017 का चुनाव जीत कर आए ताे जयराम सरकार में मंत्री पद नसीब नहीं हुआ। उन्हें चीफ व्हिप की कुर्सी दी गई, वह भी डेढ़ साल बाद। वर्ष 2002 के चुनाव में आशा कुमारी को भी शिक्षा मंत्री बनने के बाद यही कमरा मिला था, लेकिन वे 2007 में विधानसभा चुनाव हार गई थीं। जेपी नड्डा और आशा कुमारी के बाद यही कमरा नरेंद्र बरागटा को 2007 में बागवानी मंत्री बनने पर आबंटित हुआ और 2012 का विधानसभा चुनाव हार गए। उसके बाद सुधीर शर्मा को शहरी विकास मंत्री बनने पर ये कमरा मिला था, जो चुनाव हार गए हैं। अभी डा. रामलाल मारकंडा निपटा रहे हैं कामकाज प्रदेश की जयराम सरकार में आईटी मिनिस्टर डा. रामलाल मारकंडा कमरा नंबर 202 में बैठकर सरकार का कामकाज निपटा रहे हैं। अब देखना है की अगले साल हाेने वाले चुनाव में क्या डा. मारकंडा चुनाव जीत पाते हैं या फिर इतिहास बरकरार रहेगा?
'औरों के ख़यालात की लेते हैं तलाशी और अपने गरेबान में झाँका नहीं जाता', मुज़फ़्फ़र वारसी का ये शेर कांग्रेस के मौजूदा हालात पर बिलकुल सटीक बैठता है। बंगाल में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला पर पार्टी को ख़ुशी इस बात की है कि भाजपा 77 पर सिमित रह गई। देश की सबसे बुजुर्ग पार्टी का मनोबल गिर चूका है और कांग्रेस की मानसिकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो स्वयं की जीत के बनिस्पत भाजपा की हार में अपनी ख़ुशी तलाश रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व में न धार दिख रही है और न ही नई सोच, फिर भी परिवर्तन को पार्टी तैयार नहीं है। रही सही कसर चापलूसों की फ़ौज पूरा कर देती है। अशरफ़ मालवी ने कहा था कि 'हुकूमत से एजाज़ अगर चाहते हो, अंधेरा है लेकिन लिखो रोशनी है', कांग्रेस में भी ऐसा ही है। पार्टी में भविष्य देखना है तो अँधेरे को रोशनी कहना ही पड़ेगा। पर सवाल ये है कि ऐसा कब तक चलेगा। कब तक पार्टी हकीकत को अनदेखा करती रहेगी। ये सिर्फ कांग्रेस का आंतरिक मसला नहीं है, देश के लोकतंत्र के लिए भी एक मजबूत विपक्ष का होना आवश्यक है। निसंदेह कांग्रेस की जड़ गहरी है, हिली जरूर है पर अभी उखड़ी नहीं है। कांग्रेस को जरूरत है वक्त रहते आत्ममंथन की। कांग्रेस का एक बड़ा तबका मानता है कि संगठनात्मक तौर पर कांग्रेस को दोबारा खड़ा करने की सख्त आवश्यकता है। मौजूदा स्तिथि में एक ही रास्ता है की पार्टी में हर स्तर पर लोकतांत्रिक तरीक़े से संगठनात्मक चुनाव करवाकर नेतृत्व चुना जाए। राष्ट्रीय स्तर से बूथ स्तर तक संगठनात्मक चुनाव हो, राज्य स्तर पर भी पार्टी मजबूत हो और मुद्दा आधारित राजनीति के मार्ग पर पार्टी आगे बढ़े। कई बड़े नेता सार्वजानिक तौर पर इसकी वकालत कर चुके है। कई युवा नेता भी खुलकर लोकतांत्रिक तरीक़े से संगठनात्मक चुनाव करवाने के पक्ष में अपनी बात रखते रहे है। न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि प्रदेश में भी इसकी मांग उठती रही है। हालहीं में हिमाचल प्रदेश के युवा नेता और शिमला ग्रामीण विधायक विक्रमादित्य सिंह ने इस मसले पर अपनी राय रखी। विक्रमादित्य इससे पहले भी संगठनात्मक चुनाव करवाने के पक्ष में बोलते रहे है। कांग्रेस को कामराज प्लान की दरकार तीन बार मुख्यमंत्री बनने के बाद कांग्रेस के एक नेता को लगा कि पार्टी कमज़ोर होती जा रही है और इसी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक दिन वो देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से मिले और कहा कि वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनना चाहते है। वो नेता थे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के कामराज। जब पंडित नेहरू ने कामराज से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा की कांग्रेस के सब बुजुर्ग नेताओं में सत्ता लोभ घर कर रहा है, उन्हें वापस संगठन में लौटना चाहिए और लोगों से मिलना जुलना चाहिए। भारतीय राजनीती के इतिहास में इस योजना को कामराज प्लान के नाम से जाना जाता है। इस योजना के तहत उन्होंने खुद भी इस्तीफा दिया और इनके अलावा लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवन राम, मोरारजी देसाई तथा एसके पाटिल जैसे नेताओं ने भी पद त्यागे थे। अगर आज की बात करे तो भले ही अब भी कुछ राज्य में कांग्रेस की सरकार है मगर कांग्रेस की कुव्वत अब पुरे देश में कुछ खास नहीं रही। अपना अस्तित्व ढूंढ़ती आज की कांग्रेस को कामराज जैसे नेताओ की ज़रूरत है जो सत्ता का लालच छोड़ कर पार्टी का संगठन मजबूत करने में अपना योगदान दें। वर्तमान परिवेश की बात करें तो पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंद्र सिंह और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ऐसे चेहरे है जो राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का नेतृत्व करने का मादा रखते है। गहलोत तो 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी अपनी क्षमता का लोहा मनवा चुके है। वहीँ कई राज्यों में बेशक कांग्रेस सत्ता में नहीं है लेकिन सत्ता स्वपन ने ही नेताओं में रार डाली हुई है। ये बिखराव और अंतर्कलह ही पार्टी की बड़ी कमजोरी है। यदि ऐसे बुजुर्ग नेता युवाओं को आगे लाकर खुद पार्टी के संगठन में काम करते है तो निसंदेह पार्टी की काया पलट सकती है। देश में हाल : यूपी, बंगाल, बिहार में मुख्य विपक्षी दल भी नहीं है कांग्रेस उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, आंध्र प्रदेश, दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में तो अब कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल तक नहीं रही। दक्षिण में भी पार्टी की स्तिथि ठीक नहीं है। कांग्रेस का जमीनी स्तर पर संगठन या तो नदारद है, या कमजोर पड़ चुका है। हर स्तर पर आत्ममंथन की जरूरत है। हालहीं में केरल में कांग्रेस गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा, तमिलनाडु में गठबंधन की जीत पूरी तरह से डीएमके की ही जीत है। पुडुचेरी और आसाम भी पार्टी हारी है। पिछले वर्ष हुए बिहार चुनाव में तो कांग्रेस के साथ गठबंधन का खमियाजा आरजेडी को भुगतना पड़ा था। राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब में जरूर अब भी कांग्रेस के मुख्यमंत्री है। महाराष्ट्र, झारखण्ड और तमिलनाडु में गठबंधन की सरकार है पर इनमें कांग्रेस की हैसियत कुछ ख़ास नहीं दिखती। मध्य प्रदेश में आपसी खींचतान से कांग्रेस सत्ता गवां चुकी है तो राजस्थान में बमुश्किल सत्ता बची है। इसी तरह कर्नाटक में भी गठबंधन सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। हिमाचल: लचर संगठन से पार्टी लाचार, वीरभद्र का अब भी विकल्प नहीं देश के मुकाबले हिमाचल में कांग्रेस की स्तिथि बेहतर दिखती है लेकिन 2022 में बगैर वीरभद्र सिंह अब भी कांग्रेस सरकार की कल्पना गले से नहीं उतरती। बढ़ती उम्र और खराब सेहत ने वीरभद्र सिंह को काफी सिमित कर दिया है, पर उनका विकल्प अब भी कांग्रेस के पास नहीं दिख रहा। बीते साढ़े तीन साल में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री का दायरा सिमित ही दिखा हैं। कौल सिंह ठाकुर और सुधीर शर्मा जैसे कई वरिष्ठ नेता पिछला चुनाव हारने के बाद मानो किसी योजना के तहत हाशिए पर धकेल दिए गए है। कांग्रेस का प्रदेश संगठन लचर हैं। प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर तो मानो बंद कमरे से पत्रकार वार्ता करके ही अपनी सियासी गाड़ी धकेलना चाहते है। हालांकि नगर निगम चुनाव में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन ने कुछ आस जरूर जगाई है पर विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पार्टी को दमदार चेहरे और नेतृत्व की जरुरत है, जो फिलहाल नहीं दिखता। पांच साल की सत्ता परिवर्तन थ्योरी के आधार पर ही सत्ता में वापसी मुश्किल होगी।
सियासत का कोई धर्म कोई वक्त नहीं होता, ये तो बस कुर्सी के लोभ से प्रेरित हो बेवक्त चलती रहती है। इंसानियत पर भारी पड़ती सियासत के नमूने तो इस कोरोना काल में बहुत दिखे, मगर सियासत को छोड़ इन्सानियत का हाथ बढ़ाने वाले बेहद कम है। कोरोना के मामले बढ़ते ही सियासी दलों के बीच ब्लेम गेम शुरू हो जाता है, आरोप तो सभी लगाते है मगर कोई भी मदद करने को राज़ी नहीं। अपवाद मिलेंगे भी तो बहुत कम, बाकी तो मदद कम और दिखावा ज्यादा। इस वैश्विक आपदा में हिमाचल प्रदेश में कुछ नेता ऐसे भी है जो कोरोना को गंभीरता से ले रहे है और बढ़चढ़कर ज़रूरतमंद लोगों की सहायता कर रहे है। इन नेताओं में से एक कांग्रेस के राष्ट्रिय सचिव व पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा भी है जो निरंतर लोगो की सेवा कर रहे है। हिमाचल प्रदेश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और सबसे बुरी स्थिति कांगड़ा जिले में है। काँगड़ा में सबसे ज्यादा कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। आलम यह है कि कोविड मरीजों से अस्पताल भर रहे हैं। ऐसे सुधीर शर्मा ने अपने आलिशान मकान को कोविड सेंटर बनाने का प्रस्ताव रखा था, हालांकि इसे प्रशासन द्वारा मंज़ूरी नहीं दी गई। प्रशासन की शर्तों एवं प्रोटोकॉल के चलते यह संभव नहीं हो पाया है। तमाम सुविधाएं के बाद ही सुधीर के घर को कोविड सेंटर बनाया जा सकता था मगर इन शर्तों की लम्बी फेहरिस्त को पूरा कर पाना आसान नहीं था। कांगड़ा प्रशासन द्वारा जो पत्र लिखा गया था उसके अनुसार सुधीर को अपने घर को कोविड केयर -ऑक्सीजन युक्त 50 बेड का प्रबंध करने के लिए कहा गया। साथ ही रोगियों के लिए खाने की व्यवस्था का इंतजाम भी उन्ही को करना था। इसके अलावा, कोविड केयर सेंटरों के डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, वार्ड ब्वॉयज और सफाई कर्मचारियों की लिस्ट भी प्रशासन को दी जानी थी। ये सभी इंतजाम तीन दिन के भीतर करने के लिए कहा गया था जो संभव नहीं हो पाया। सुधीर निश्चित तौर पर कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में अपना श्रेष्ठ देना चाहते है सो उन्होंने अलग रास्ता निकाल लिया। अब सुधीर ने अपने घर में बिस्तरों की व्यवस्था की और इसे क्वारंटाइन सेंटर बना दिया। किसी व्यक्ति के घर में यदि रहने की व्यवस्था नहीं है तो वह यहां पर क्वारंटाइन रह सकता है। पूर्व मंत्री ने अपने घर में प्राइवेट नर्सेज का भी इंतज़ाम किया है और एक एम्बुलेंस भी 24 घंटे उनके घर पर उपलब्ध रहती है। सिर्फ ये ही नहीं पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने लोगों की सहायता के लिए शक्ति हेल्पलाइन भी शुरू की है। इसके माध्यम से लोगों को एंबुलेंस की सुविधा व होम आइसोलेट व्यक्ति तक भोजन पहुंचाया जा रहा है। इस बुरे वक्त में सुधीर की ये सुखद पहल सचमुच काबिल ए तारीफ़ है। मुझसे जो होगा मैं करूँगा : सुधीर बिगड़ते कोरोना के हालात में राजनीति से ऊपर उठकर मानव जाति को बचाने के लिए आगे आने का समय आ गया है। जहाँ आवश्यक है वहां सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाना भी जरूरी है क्यों कि जो सत्ता में है पहली जवाबदेही उसकी है। पर अब ये हम सबकी निजी लड़ाई बन चुकी है। ये मानवता की लड़ाई है और सबको अपनी क्षमता अनुसार इसमें योगदान करना चाहिए। इसी कड़ी में 24/7 शक्ति हेल्पलाइन सभी जरूतमंदो की सेवा में तत्पर है। हमने एक अलगाव केंद्र बनाया है, एम्बुलेंस सेवा मुहैया करवा रहे है, होम क्वारंटाइन के लिए तीन बार पैक भोजन की व्यवस्था कर रहे है, जरूरतमंदो के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर रहे है। मुझसे जो हो सकेगा मैं करूँगा, ये मेरे लिए सियासत का विषय नहीं है, आत्म संतोष का विषय है।
देश में कोरोना संक्रमण की बेकाबू रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है । देश में लगातार चौथे दिन कोरोना के 4 लाख से अधिक नए केस सामने आए हैं जबकि लगातार दूसरे दिन 4 हज़ार से ज़्यादा कोरोना मरीजों की मौत हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार पिछले 24 घंटे में कोरोना के 4,03,738 नए केस सामने आए हैं जबकि कोरोना से संक्रमित 4092 कोविड मरीजों की मौत हुई है। देश में कोरोना के करीब 37 लाख एक्टिव केस हैं। लगातार बढ़ते कोरोना मामलों के बीच मरीजों के रिकवरी रेट में कमी आ रही है। राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में कोरोना संक्रमण के आंकड़ों में तो गिरावट दर्ज की जा रही है लेकिन मरने वालों की संख्या में कमी नहीं है। लगातार बढ़ते कोविड मरीजों की संख्या के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाते हुए कोरोना की राष्ट्रीय नीति में बदलाव किया है। नई नीति के तहत अब कोविड हेल्थ फैसिलिटी में बिना पॉजिटिव रिपोर्ट के भी मरीज को भर्ती किया जा सकेगा। किसी भी मरीज को ऑक्सीजन और दवा देने से मना नहीं किया जाना चाहिए भले ही वो अलग शहर का ही क्यों ना हो। इसके साथ ही भारत में कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण अभियान की शुरुआत से लेकर अब तक टीके की 16.90 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार शनिवार को देश के 30 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में 18-44 साल आयु वर्ग के 2,86,800 लोगों को कोविड-19 टीके की पहली खुराक दी गई। अब तक इस आयु वर्ग के 17,76,540 लोगों को टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है।
प्रदेश में कोविड-19 मामलों की संख्या और कोविड से होने वाली मृत्यु में हो रही तीव्र वृद्धि के मद्देनज़र राज्य सरकार ने प्रदेश में जारी कोरोना कर्फ्यु के तहत 10 मई के सुबह छः बजे से कुछ और सख्त पाबंदियां लगाने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया। बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश में दैनिक ज़रूरतों और आवश्यक वस्तुओं की दुकानों के अतिरिक्त अन्य सभी दुकानें बन्द रहेंगी। दैनिक जरूरतों और आवश्यक वस्तुओं की दुकानें दिन में केवल तीन घंटे ही खुली रहेंगी और इसका समय संबंधित उपायुक्तों द्वारा निर्धारित किया जाएगा। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सार्वजनिक परिवहन आगामी आदेशों तक बंद रहेगा और निजी वाहनों को आपात स्थितियों में ही आवाजाही की स्वीकृति होगी। मुख्यमंत्री ने राज्य के लोगोें से कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए कोरोना कर्फ्यु के प्रभावी कार्यान्वयन में अपना पूर्ण सहयोेग देने का आग्रह किया। उन्होंने लोगों से घर में ही रहने और अति आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा यह निर्णय कोरोना वायरस की चेन को तोड़ने और प्रदेशवासियों के जीवन और सुरक्षा के मद्देनज़र लिया गया है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष विपिन परमार, शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डाॅ. राम लाल मारकण्डा, स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव सैजल, अतिरिक्त मुख्य सचिव जे.सी. शर्मा, पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू, प्रधान सचिव शुभाषीश पांडा और स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी मुख्यमंत्री के साथ बैठक में उपस्थित रहे जबकि मुख्य सचिव अनिल खाची, जिला कांगड़ा, मंडी और सोलन के उपायुक्तों ने वर्चुअल माध्यम से बैठक में भाग लिया।
कोरोना महामारी के इस काल में जहां हज़ारों कि संख्या में लोग मर रहें हैं वहीं मानवता भी अब मरती नज़र आ रही है। मानवता को शर्मसार करने वाला एक किस्सा कानपुर में दिखा है जहां खांसी, बुखार आने पर एक बुजुर्ग को परिजनों ने सड़क पर फेंक दिया। जिसके दरवाजे फेंका उसने बुजुर्ग के दूसरे रिश्तेदार को बुलाया लेकिन उस रिश्तेदार ने भी बुजुर्ग को एक किलोमीटर दूर दुकान के बाहर छोड़ दिया। पुलिस ने कार को ट्रेस कर रिश्तेदार को बुलाया और हिदायत देकर बुजुर्ग को उसके हवाले कर दिया। सुरेंद्र सिंह (52)की शादी नहीं हुई थी। वह 20 सालों से गुजैनी के ब्लॉक निवासी रिश्तेदार गौरव और सौरभ के यहां रह रहे थे। दो दिन पूर्व खांसी, जुकाम और बुखार आने पर रिश्तेदारों ने उन्हें कोरोना के डर से घर से ही बाहर निकाल दिया। सोमवार को सुरेंद्र गुजैनी सब्जीमंडी में किसी के घर के बाहर लेट गए। इस पर लोगों ने विरोध किया और उनके रिश्तेदारों को ले जाने को कहा। गुजैनी में ही रहने वाले सुरेंद्र के सगे भतीजे मुकेश को सूचना दी गई। मुकेश कार से वहां पहुंचा और बुजुर्ग को कार में लिटाकर करीब एक किमी दूर स्थित जैना पैलेस के अंदर एक दुकान के बाहर एक बिस्कुट का पैकेट थमाकर चला गया। दुकानों की देखरेख करने वाले कर्मचारियों ने इसकी जानकारी रतनलाल नगर चौकी इंचार्ज अरविंद सिंह को दी। दरोगा ने कार के नंबर को ट्रेस कर दोबारा मुकेश को बुलाया और जमकर फटकार लगाई। इस पर मुकेश ने बताया कि पहले वह अस्पताल गया था भर्ती न होने पर उन्हें यहां छोड़ा था। पुलिस कार्रवाई के डर से मुकेश सुरेंद्र को लेकर चला गया।
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट अफ़ेयर्स राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए दिल्ली में सेवा इंटरनेशनल संस्था व सेवा भारती के तत्वावधान में प्रवासी भवन से 22 राज्यों के लिए 7 हज़ार से ज़्यादा ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से स्वयंसेवक इंद्रेश विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस अवसर पर अनुराग ठाकुर ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते हालात थोड़े मुश्किल हो गए हैं और ऐसे में मदद के लिए जो भी हाथ आगे बढ़ रहे हैं वही इंसानियत की सच्ची तस्वीर है। केंद्र व राज्य सरकारों के साथ कई और एनजीओ इस आपदा की घड़ी में सहायता के सारे उपाय कर रहे हैं। सेवा इंटरनेशनल द्वारा देश के 22 राज्यों में 7 हज़ार से भी ज़्यादा ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर की व्यवस्था करना सराहनीय है। इन ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर के पहुंचने से विभिन्न राज्यों में कोविड के उपचाराधीन मरीज़ों को बहुत मदद मिलेगी। इस पुनीत कार्य के लिए संस्था के सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं। अनुराग ठाकुर ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के कारण संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है और इस बढ़ते संक्रमण के चलते पूरे देश में ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ी है। सिर्फ़ हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में यह मांग 60 गुना तक बढ़ गई है। इसलिए ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, काँगड़ा व मंडी के जिला प्रशासन से बात करके तीन जिलों में पीएसए ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगवाने का निर्णय लिया गया है जिससे हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के सभी पांचो जिलों को लाभ पहुंचेगा। ऊना में 500 एलपीएम, व हमीरपुर और बिलासपुर में 120 एलपीएम के ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगाने के लिए विशेषज्ञों की टीम ने तीनों जिलों के कोविड सेंटरों का सर्वेक्षण कार्य भी पूरा कर लिया है। पिछले हफ़्ते हमीरपुर व ऊना में कोविड उपचाराधीन मरीज़ों को ऑक्सीजन से जुड़ी कोई समस्या आए इस दिशा में 105 ऑक्सीजन सिलेंडर जिला प्रशासन को हैंडओवर किए गए । इन उपायों से 260 बेडों को सीधा ऑक्सीजन सप्लाई उपलब्ध कराने में सफलता मिलेगी।
दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ऑक्सीजन की कमी एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। ऑक्सीजन की कमी के चलते दिल्ली का ऑक्सीजन कोटा बढ़ाया गया है और बुधवार को पहली बार 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन भी दी गई है। इस बात के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सरकार और कोर्ट का शुक्रिया अदा किया है। साथ ही सीएम अरविन्द केजरीवाल ने इस बात पर भी जोर दिया है कि उन्हें दिल्ली के लिए रोज 700 मीट्रिक टन से ज्यादा ऑक्सीजन चाहिए। सिर्फ एक दिन इतनी ऑक्सीजन मिलने से इस संकट को दूर नहीं किया जा सकता है। केजरीवाल ने उम्मीद जताई है कि केंद्र की तरफ से दिल्ली को अब लगातार 700 मीट्रिक टन से ज्यादा ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि अब तमाम अस्पतालों को बेड बढ़ाने के निर्देश दे दिए गए हैं। उनके मुताबिक क्योंकि पहले अस्पतालों के पास पर्याप्त ऑक्सजीन नहीं था, ऐसे में बीएड की क्षमता नहीं बढ़ाई जा सकती थी। लेकिन अब जब दिल्ली को मांग के मुताबिक ऑक्सीजन मिला है तो ऐसे में अस्पतालों को भी बेड बढ़ाने के निर्देश दे दिए गए हैं। सीएम ने उम्मीद जताई है कि ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ने से अब दिल्ली में कई लोगों की जान बचाई जा सकेगी और इस कोरोना संकट से प्रभावी अंदाज में लड़ा जा सकेगा।
भारतीय सेना में सैनिक सामान्य ड्यूटी, सैनिक लिपिक व स्टोर कीपर तकनीकी भर्ती के लिए लिखित परीक्षा को स्थगित कर दिया गया है। यह जानकारी निदेशक भर्ती कर्नल शाल्व सनवाल ने दी। कर्नल सनवाल ने कहा कि यह लिखित परीक्षा राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पोर्टमोर, शिमला में 30 मई को आयोजित की जानी थी। परीक्षा को वैश्विक महामारी कोविड-19 के दृष्टिगत लागू की गई पाबंदियों के कारण स्थगित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह लिखित परीक्षा सोलन, शिमला, सिरमौर तथा किन्नौर जिलों के उन उम्मीदवारों के लिए आयोजित की जानी थी जिन्होंने 28 मार्च से 03 अप्रैल तक इंदिरा गांधी खेल मैदान ऊना में आयोजित भर्ती रैली में सभी शारीरिक मापदण्ड एवं मेडिकल परीक्षण उत्तीर्ण किए थे। लिखित परीक्षा की तिथि एवं जानकारी उचित समय पर उपलब्ध करवाई जाएगी।
राष्ट्रीय शोध पत्र लेखन प्रतियोगिता में लाखों शिक्षक शामिल होंगे। यह बात शिक्षक महासंघ की राज्य कार्यकारिणी की वर्चुअल मीटिंग में बतौर मुख्य अतिथि शामिल रहे अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री महेंद्र कपूर ने कही। बैठक की अध्यक्षता शिक्षक महासंघ के प्रांत अध्यक्ष पवन कुमार ने की। जिसमें प्रदेश कार्यकारिणी के 60 पदाधिकारियों ने भाग लिया। अपने संबोधन में राष्ट्रीय महामंत्री महेंद्र कपूर ने कहा कि कोरोना के संकट काल में शिक्षकों को प्रांतीय रक्षक के रूप में बड़ी जिम्मेदारी निभानी होगी। उन्होंने शिक्षक महासंघ की राज्य इकाई से लोगों की मदद के लिए खुलकर आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने राष्ट्रीय शोध पत्र लेखन प्रतियोगिता के संबंध में बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर यह प्रतियोगिता दो हिस्सों में संपन्न होगी जिसमें देशभर के लाखों शिक्षक भाग लेंगे। प्रतियोगिता में देश की शिक्षा और संस्कृति से जुड़े विषय रहेंगे जिसके पहले हिस्से में शिक्षा के माध्यम से एक श्रेष्ठ भारत की भावना को बढ़ाना, ऑनलाइन शिक्षा की प्रभावशीलता, बच्चों का समग्र विकास में मातृभाषा की भूमिका, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन में अवसर और चुनौतियों से जुड़े विषय शामिल रहेंगे। जबकि दूसरे हिस्से में कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर के प्रतिभागियों के लिए आत्मनिर्भर भारत अवसर और चुनौतियां, लोकतंत्र में सोशल मीडिया की भूमिका, शिक्षा के माध्यम से धारणक्षम विकास के रूप में मुख्य विषय होंगे जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरस्कार के रूप में ₹21000, द्वितीय पुरस्कार ₹15000, तृतीय पुरस्कार ₹11000 के साथ ₹51000 के रूप में 7 सांत्वना पुरस्कार दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता के लिए ऑनलाइन 31 मई तक देशभर में पंजीकरण किया जाएगा। बैठक में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव पवन मिश्रा, शिक्षक महासंघ के प्रांत महामंत्री विनोद सूद, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयशंकर, उपाध्यक्ष डॉ मामराज पुंडीर, अतिरिक्त महामंत्री सुधीर गौतम, प्रदेश मीडिया प्रभारी दर्शन लाल, रविंद्र ठाकुर, सुमित भारद्वाज, श्याम सिंह ,मंडी के प्रधान भगत चंदेल, कुल्लू से चतर सिंह, बिलासपुर से ललित मोहन, ऊना से सुशील मल्होत्रा, कांगड़ा से जोगिंदर शर्मा, नरेंद्र शर्मा, किन्नौर से बलवीर नेगी, शिमला से अशोक कुमार, सोलन से नरेंद्र कपिला, चंबा से नरेश मिन्हास शशि शर्मा, टिशम ठाकुर समेत अन्य पदाधिकारी शामिल रहे।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक ने राज्य में कोविड-19 स्थिति की समीक्षा की और राज्य में कोविड -19 मामलों की संख्या में तेज वृद्धि पर चिंता व्यक्त की। इसके दृष्टिगत वायरस श्रृंखला को तोड़ने के लिए कैबिनेट ने पूरे राज्य में कोरोना कर्फ्यू लगाने का फैसला किया है। सभी सरकारी और निजी कार्यालय / प्रतिष्ठान 7 मई से 16 मई की मध्यरात्रि तक बंद रहेंगे। यह भी तय किया गया था कि सभी आवश्यक सेवाएं जैसे स्वास्थ्य, बिजली, दूरसंचार, जल आपूर्ति, स्वच्छता आदि खुली रहेंगी। मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया कि नागरिक कार्य स्थलों, बागवानी / कृषि और अन्य परियोजना स्थलों पर काम जारी रहेगा। राज्य में शैक्षणिक संस्थान 31 मई तक बंद रहेंगे। सभी सरकारी और निजी परिवहन अधिभोग का 50 प्रतिशत होगा और अंतर-राज्यीय परिवहन जारी रहेगा। औद्योगिक प्रतिष्ठान राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार काम करेंगे। राज्य में कोरोना के मामलों की तीव्र वृद्धि को ध्यान में रखते हुए बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि हिमाचल प्रदेश बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन की 10 वीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा रद्द कर दी जाएगी। बोर्ड द्वारा 10 वीं कक्षा के सभी छात्रों को सीबीएसई द्वारा सुझाए गए मानदंडों के अनुसार 11 वीं कक्षा में पदोन्नत किया जाएगा। यह भी निर्णय लिया गया कि हिमाचल प्रदेश बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन की 12 वीं कक्षा की परीक्षा और कॉलेजों की वार्षिक परीक्षा भी अगले आदेश तक स्थगित रहेगी। राजस्व संग्रहण, जो प्रदेश की राजस्व का एक प्रमुख साधन है, से संबंधित कार्यों में आबकारी एवं कराधान विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए और प्रदेश में विभिन्न कर कानूनों के बेहतर प्रबंधन एवं विनियमन के लिए बैठक में आबकारी एवं कराधान विभाग में अधिकारियों के वर्तमान पदों के स्थान पर विशेष एवं समर्पित हिमाचल प्रदेश राजस्व (राज्य कर एवं आबकारी) सेवा सृजित करने का निर्णय लिया गया। मंत्रिमंडल ने क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य देखभाल अस्पताल सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न श्रेणियों के 76 पदों के सृजन के साथ क्षेत्रीय अस्पताल ऊना को 300 बेडेड क्षेत्रीय अस्पताल के रूप में अपग्रेड करने के लिए अपनी स्वीकृति दी। मंत्रिमंडल ने क्षेत्र के लोगों की सुविधा के लिए आवश्यक पदों के साथ मंडी जिले के धरमपुर में एक नया जल शक्ति सर्किल बनाने का निर्णय लिया। वहीं, ऊना जिले के कुटलेहर विधानसभा क्षेत्र में थानाकलां में एक नया जल शक्ति प्रभाग खोलने के लिए भी अपनी सहमति दी। तथा डिवीजन के बेहतर प्रशासनिक कामकाज के लिए जल शक्ति सब डिवीजन नंबर 2 ऊना में बेसल को मौजूदा कर्मचारियों और बुनियादी ढांचे को स्थानांतरित करने की अनुमति दी।
देश में बढ़ रहे कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते ओडिशा सरकार ने प्रदेश में 14 दिन का लॉकडाउन लगाने का फैसला लिया है। बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण ओडिशा में 5 मई से 19 मई तक लॉकडाउन रहेगा। ओडिशा सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस दौरान आवश्यक सेवाओं, हेल्थ सेवाओं को ही छूट रहेगी। इसके अलावा सुबह के 7 बजे से दोपहर के 12 बजे तक लोग अपने घरों से 500 मीटर के दायरें में निकल सकेंगे, ताकि वे अपने जरूरी कार्य कर सकें। ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार बीते 24 घंटो में राज्य में कोरोना के 8015 नए मामले सामने आए हैं। वहीं, कोरोना से अब तक 2068 मौत हो चुकी हैं। वहीं, अगर पूरे देश की बात करें तो 24 चौबीस घंटे में कोरोना के 3,92,488 नए मामले सामने आएं हैं और 3689 लोगों की मौत हो गई है। राहत वाली बात यह रही कि करीब 3 लाख 7 हजार 865 लोग इस बीमारी को मात देकर घर लौट चुके हैं।
दसवीं और बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं और कॉलेजों की परीक्षाओं को लेकर आज शनिवार को फैसला होगा। दसवीं कक्षा और प्रथम व द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी बिना वार्षिक परीक्षाएं लिए प्रमोट किए जा सकते हैं। 12वीं की परीक्षाओं पर सीबीएसई के फैसले का सरकार इंतजार करेगी। कॉलेजों में फाइनल सेमेस्टर और फाइनल ईयर की परीक्षाएं भी करवाने की योजना है। सरकार ने प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने पर 17 मई तक दसवीं-बारहवीं और कॉलेजों की परीक्षाएं स्थगित की हैं। बीते दिनों उच्च शिक्षा निदेशालय ने परीक्षाओं को लेकर विभिन्न हितधारकों से सुझाव मांगे थे। अभिभावकों, शिक्षकों, शिक्षक संगठनों, विद्यार्थियों सहित कई अन्य जागरूक नागरिकों ने शिक्षा निदेशालय को सुझाव भेजे हैं। अधिकांश सुझावों में दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों की इस वर्ष वार्षिक परीक्षाएं नहीं करवाने की वकालत की गई है। इन कक्षाओं के विद्यार्थियों को बीते दिनों हुई प्री बोर्ड परीक्षाओं और फर्स्ट व सेकेंड टर्म की परीक्षाओं के अंकों के आधार पर जमा एक कक्षा में प्रमोट करने की सलाह दी गई है। बारहवीं की परीक्षाएं लेने के सुझाव आए हैं। इन विद्यार्थियों को प्रमोट करने के हक में हितधारक नहीं हैं। वहीं, कॉलेजों में प्रथम व द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रमोट करने की मांग की गई है। यहां फाइनल सेमेस्टर और फाइनल ईयर के विद्यार्थियों की परीक्षाएं लिए जाने का सुझाव दिया गया है। इसके अलावा शिक्षण संस्थानों को स्थिति में सुधार होने तक बंद रखने और शिक्षकों को रोस्टर आधार पर स्कूल-कॉलेजों में बुलाने और ऑनलाइन पढ़ाई को लाइव करने की मांग भी गई है। इन सभी सुझावों के आधार पर उच्च शिक्षा निदेशालय ने प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेज दिया है।
गुजरात के भरूच में एक कोविड-19 अस्पताल में आग लगने से 14 लोगों की मौत हो गई। वहीं, दो नर्सों ने भी अपनी जान गंवा दी। घटना के बाद मरीजों को यहां से दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है। आग लगने के कारणों का फिलहाल पता नहीं लगा है। बताया जा रहा है कि आग शुक्रवार देर रात 12:30 से एक बजे के बीच लगी। इस घटना में कई मरीज घायल भी हुए हैं। घटना की जानकारी मिलते ही फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां आग बुझाने पहुंच गईं। पटेल वेलफेयर अस्पताल की पहली मंजिल में कोरोना मरीजों के लिए कोविड केयर सेंटर बनाया गया था। करीब 50 लोगों को रेस्क्यू किया गया और उन्हें दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गौरतलब है कि चार मंजिला यह अस्पताल भरूच-जंबूसर हाईवे पर स्थित है। इसे एक ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जाता है। फायर ऑफिसर शैलेश संसिया ने बताया कि अस्पताल की पहली मंजिल पर कोविड वार्ड बनाया गया था। एक घंटे के भीतर आग पर काबू पा लिया गया। साथ ही, फायर फाइटर्स और स्थानीय लोगों की मदद से करीब 50 लोगों को बचा लिया गया।
देश में कोरोना संकट को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से कोविड को लेकर नेशनल प्लान मांगा, साथ ही एक चिंता भी व्यक्त की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सोशल मीडिया पर जो लोग अपनी परेशानियां जता रहे हैं, उनके साथ बुरा व्यवहार नहीं होना चाहिए। अदालत में सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मैं यहां पर एक गंभीर विषय उठाना चाहता हूं, अगर कोई भी नागरिक सोशल मीडिया या अन्य किसी प्लेटफॉर्म पर अपनी समस्या बताता है, तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो गलत ही है। किसी भी तरह की इन्फॉर्मेशन को दबाया नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हर राज्य को ये कड़ा संदेश जाना चाहिए कि अगर किसी नागरिक पर मदद की गुहार लगाने के लिए एक्शन लिया गया, तो उसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस वक्त राष्ट्रीय संकट की स्थिति में हैं, ऐसे में आम लोगों की बात सुनना बहुत जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट की ये सख्त टिप्पणी उस वक्त आई है, जब हाल ही में उत्तर प्रदेश के अमेठी में एक व्यक्ति पर अफवाह फैलाने का केस दर्ज किया गया था। युवक ने सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन की मदद मांगी थी, जबकि मरीज कोविड पॉजिटिव नहीं था। इसी के बाद अमेठी में उसपर केस दर्ज किया गया था।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध टीवी एंकर रोहित सरदाना के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा है कि रोहित सरदाना के निधन से पत्रकारिता जगत को एक बड़ी क्षति पहुंची है। वह एक निष्पक्ष और निडर पत्रकार थे और अपने कार्यक्रमों के माध्यम से देश व जनता के हितों से जुड़े मुद्दों को बड़ी बेबाकी के साथ उठाते रहे। रोहित सरदाना युवा पत्रकारों के लिए भी प्रेरणा के स्रोत रहेंगेे और पत्रकारिता जगत को दिए गए उनके सराहनीय योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। जयराम ठाकुर ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और शोक संतप्त परिजनों के साथ अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
हिमाचल प्रदेश के अधिंकाश कॉलेजों के प्रिंसिपल प्रथम और द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों की इस वर्ष परीक्षाएं न करवाने के हक में हैं। उच्च शिक्षा निदेशालय में कॉलेजों से सुझाव पहुंच गए हैं। अब कैबिनेट की मंजूरी के लिए इन सुझावों के आधार पर प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। इस विषय पर राज्य सरकार अंतिम फैसला लेगी। उच्च शिक्षा निदेशालय को प्राप्त हुए कॉलेज प्रिंसिपलों और शिक्षक संगठनों के सुझावों में फाइनल सेमेस्टर और फाइनल ईयर के विद्यार्थियों के लिए कुछ माह बाद कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आने पर परीक्षाएं लेने की पैरवी की गई है। इसके अलावा ऑनलाइन पढ़ाई को जल्द शुरू करने और शिक्षकों को रोस्टर अनुसार कॉलेजों में बुलाने की मांग भी की गई है। अधिकांश सुझावों में कॉलेजों को अभी विद्यार्थियों के लिए बंद रखने की मांग की गई है। उच्च शिक्षा निदेशालय में ई-मेल के माध्यम से आए इन सुझावों के आधार पर अधिकारी प्रस्ताव बनाने में जुट गए हैं। विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर अब मामले राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
प्रदेश सरकार ने राज्य में कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप के दृष्टिगत वैवाहिक और अन्य सभी प्रकार के आयोजनों में सामुदायिक भोज पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में राज्य में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा के लिए आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कोविड-19 के मामलों में तीव्रता से हो रही वृद्धि चिंता का विषय है। प्रदेश सरकार इस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और सरकार ने कई कठोर निर्णय भी लिए हैं। सरकार ने विवाह और अन्य सामाजिक आयोजनों में केवल 20 लोगों को ही शामिल होने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थान और श्रद्धालुओं के लिए मंदिर भी 10 मई तक बंद रहेंगे। सभी सरकारी कार्यालय में पांच कार्य दिवस होंगे और 10 मई तक कार्यालयों में श्रेणी तीन व चार की 50 प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ज़्यादा कोविड प्रभावित जिलों जैसे कांगड़ा, मण्डी, शिमला, सोलन, ऊना और सिरमौर के अस्पतालों में बिस्तरों की क्षमता बढ़ाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। प्रदेश में कोविड के सैम्पल लेने के कार्य में तेज़ी लाई जाएगी और रिपोर्ट भी कम समय में उपलब्ध करवाने के प्रयास किए जाएंगे। बाहरी राज्यों से प्रदेश में आने वाले लोगों पर निगरानी रखने के लिए एक प्रभावी तंत्र विकसित किया जाएगा। देश के अन्य राज्यों से प्रदेश में आने वाले लोगों को 14 दिनों तक होम आइसोलेशन में रहना अनिवार्य होगा और इन्हें अपने आने की सूचना स्थानीय प्रशासन और पंचायती राज संस्थाओं व शहरी स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों से साझा करनी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में टीकाकरण अभियान में और तेजी लाई जाएगी। अभी तक 16,65,481 लोगों को कोविड की खुराक दी गई है। प्रदेश में कोविड-19 के मामलों पर निगरानी के लिए चार कमेटियों का गठन किया गया है। लाॅजिस्टिक कमेटी में राज्य इलैक्ट्रानिक्स डेवलपमेंट काॅर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक अरिंदम चैधरी को संयोजक सदस्य नियुक्त किया गया है। यह कमेटी ऑक्सीज़न की उपलब्धता, ऑक्सीज़न गैस सिलेण्डर के आर्डर की समयबद्ध उपलब्धता, जिले में मरीजों के लिए ऑक्सीज़न सिलेण्डर की आपूर्ति और अतिरिक्त बिस्तरों की क्षमता उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी निभाएगी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एसएसओ डाॅ. राजेश ठाकुर के नेतृत्व में कोविड-19 मरीज/एम्बुलेंस प्रबंधन कमेटी जिला स्तर पर मरीजों को संबंधित अस्पतालों में पहुंचाना सुनिश्चित करेगी। कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व समन्वय कमेटी में शहरी विकास निदेशक आबिद हुसैन औद्योगिक घरानों से कोविड-19 एसडीआरएफ फंड के लिए सभी संभावित दानकर्ताओं से अंशदान दिलाने का प्रयास करेंगे। मीडिया/आइईसी कमेटी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन हिमाचल प्रदेश के मिशन निदेशक डाॅ. निपुण जिंदल समयबद्ध डेटा एकत्रित करके मीडिया तक सही सूचना पहुंचाने और सभी स्तरों पर जानकारी के अभाव कोे खत्म करने के साथ नियमित रूप से मीडिया को जानकारी उपलब्ध करवाएंगे। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से 5000 डी-टाइप ऑक्सीज़न सिलेंडर और 3000 बी-टाइप ऑक्सीज़न सिलेंडर प्रदान करने का आग्रह किया ताकि राज्य में ऑक्सीज़न की कोई कमी न हो।
कोरोना के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर देवभूमि उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा 2021 को स्थगित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने यह दी। बता दें कि गुरुवार को इस संबंध में एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में अधिकारियों के अलावा पर्यटन और धार्मिक मामलों के मंत्री सतपाल महाराज भी मौजूद रहे। बैठक में मई के दूसरे हफ्ते में शुरू होने वाली चारधाम यात्रा को कोविड के चलते स्थगित किए जाने का फैसला किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चारों धाम के कपाट अपने तय समय पर खुलेंगे। लेकिन केवल पुजारी और पुरोहित ही धामों में पूजा अर्चना करेंगे। यात्रियों को वहां जाने की अनुमति नहीं होगी। कोविड महामारी पहाड़ों तक न पहुंचे इसके लिए वहां आने वाले तीर्थयात्रियों को अभी ना आने को कहा जा रहा है। हालात ठीक होने पर यात्रा पर पुनर्विचार किया जाएगा। वहीं, श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे की यात्रा भी स्थगित कर दी गई है, जो कि 10 मई से शुरू होनी थी।
छात्र अभिभावक मंच ने उच्चतर शिक्षा निदेशक से मांग की है कि वह दयानंद पब्लिक स्कूल के मामले में हस्तक्षेप करें व पांच दिसम्बर 2019 की शिक्षा निदेशालय की अधिसूचना को लागू करवाएं। यह अधिसूचना वर्ष 2019 में जारी हुई थी व इसमें स्पष्ट किया गया था कि वर्ष 2020 व उसके तत्पश्चात कोई भी निजी स्कूल अभिभावकों के जनरल हाउस के बगैर कोई भी फीस बढ़ोतरी नहीं कर सकता है। इसके बावजूद भी डीपीएस स्कूल ने वर्ष 2020 में फीस बढ़ोतरी की। वर्ष 2021 में इस स्कूल ने सारे नियम कायदों की धज्जियां उड़ाते हुए टयूशन फीस में भारी-भरकर बढ़ोतरी करके सीधे 55 प्रतिशत तक फीस बढ़ोतरी कर दी है। डीपीएस प्रबंधन ने नर्सरी व केजी कक्षा की फीस को एक हज़ार नौ सौ से बढाकर दो हज़ार आठ सौ पचास रुपये, पहली से पांचवीं कक्षा तक की प्रतिमाह टयूशन फीस दो हज़ार से बढ़ाकर तीन हज़ार रुपये, छठी से आठवीं कक्षा की फीस को दो हज़ार एक सौ से बढ़ाकर तीन हज़ार दो सौ पचास रुपये तथा नौंवीं-दसवीं कक्षा की प्रतिमाह फीस को दो हज़ार दो सौ पचास रुपये से बढ़ाकर तीन हज़ार पांच सौ रुपये कर दिया है। इस तरह वार्षिक बारह हज़ार रुपये से पन्द्रह हज़ार रुपये की टयूशन फीस बढ़ोतरी की गई है। यह पूर्णतः छात्र व अभिभावक विरोधी कदम है व इसका कड़ा विरोध किया जाएगा। उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि शिक्षा विभाग की नाक तले अंधेरा है व इस से दो सौ मीटर दूर डीपीएस स्कूल में ही शिक्षा विभाग अपने 5 दिसम्बर 2019 के आदेशों को ही लागू नहीं करवा पा रहा है जिसका सीधा मतलब है कि निजी स्कूलों के साथ प्रदेश सरकार की सीधी मिलीभगत है। उन्होंने कहा कि अगर इस फीस बढ़ोतरी पर अंकुश न लगाया गया तो आंदोलन तेज़ होगा जिसके तहत 28 अप्रैल को शिक्षा निदेशालय का घेराव होगा।
Corona outbreaks are being seen in different parts of the country. The number of new patients is constantly increasing. Such a situation is increasing the pressure on hospitals. Many hospitals have complaints of beds and oxygen shortage. People are wandering from rate to rate for oxygen. At the same time, the negligence of the hospital is also being seen in many cities. Some cases of negligence are coming out from different cities of Uttar Pradesh where the private hospital in Rohania area crossed the limits of negligence. The doctors and staff were seen missing in the hospital in Bacchana area of Rohania. A family alleges that the hospital has admitted the Covid patient to the hospital, but is not receiving any kind of care. Angry families created a fierce commotion and vandalized the hospital. The sad part is that despite this ruckus, the patient's life could not be saved.
देश में कोरोना की स्थिति ने भयंकर रूप ले लिया है। हर तरफ महामारी से हाहाकार मचा हुआ है। अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से मरीज़ झूझ रहे हैं। लेकिन इस मुश्किल की घड़ी में भारत अकेला नहीं है। इस घातक बीमारी से लड़ने के लिए भारत के सहयोग में कई देश व नामी हस्तियां आगे आ रहीं हैं। इसी कड़ी में अमेरिका की शीर्ष 40 कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) ने भी मदद का हाथ बढ़ाते हुए एकजुटता का बड़ा उदाहरण पेश किया है। बता दें कि इन 40 कंपनियों के सीईओ ने एक वैश्विक टास्क फोर्स बनाई है, ताकि वे भारत की मदद के लिए संसाधन जुटा सकें। डेलोइट के सीईओ पुनीत रंजन ने कहा कि यूएस चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स की यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल और यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम की बैठक में सामूहिक पहल के तहत बनी टास्क फोर्स ने अगले कुछ हफ्तों में भारत में 20 हज़ार ऑक्सीजन मशीनें भेजने की प्रतिबद्धता जताई है। महामारी पर यह वैश्विक टास्क फोर्स भारत को अहम चिकित्सा सामान, टीके, ऑक्सीजन और अन्य जीवन रक्षक सहायता मुहैया करवाएगा।
हिमाचल के दस जिलों में कृषि बीजों की डीएनए टेस्ट प्रयोगशालाएं स्थापित होंगी। जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति और किन्नौर को छोड़ कर अन्य सभी जिलों में यह सुविधा उपलब्ध होगी। प्रदेश में उत्पादित कृषि बीजों के डीएनए की जांच और गुणवत्ता का पता लगाने में ये प्रयोगशालाएं मदद करेंगी। प्रदेश में अभी तक कृषि विभाग के पास फसलों के डीएनए जांचने के लिए कोई प्रयोगशाला उपलब्ध नहीं है। ऐसे में किसानों के लिए उपलब्ध होने वाले बीज के जीन और गुणवत्ता को लेकर दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता। किसान अक्सर बीजों की गुणवत्ता को देखते हुए शिकायतें करते रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार बीजों के डीएनए की जांच करने के लिए आधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित करेगी। बता दें, कि इन प्रयोगशालाओं की मदद से किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के आग्रह को स्वीकार करते हुए दिल्ली को ऑक्सीजन की आपातकालीन आपूर्ति करने की सहमति प्रदान की है। कोविड-19 महामारी के संकट के कारण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मेंऑक्सीजन का भारी संकट चल रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि दिल्ली में उत्पन्न स्थिति से हिमाचल प्रदेश काफी चिन्तित है और दिल्ली सरकार को हर सम्भव सहायता प्रदान करने में प्रदेश को प्रसन्नता होगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के अधिकारी ऑक्सीजन की आपूर्ति का प्रबन्ध करने के लिए हिमाचल प्रदेश के उद्योग विभाग के अतिरिक्त निदेशक से सम्पर्क कर सकते हैं। अरविन्द केजरीवाल ने इस उदारता के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त किया है।
भारतीय अभिनेता इरफान खान और भारत की पहली ऑस्कर पुरस्कार विजेता कॉस्ट्यूम डिजाइनर भानु अथैया को 93वें अकादमी पुरस्कार समारोह के ‘स्मृति’ खंड में सम्मानित किया गया। हर साल की तरह, अकादमी पुरस्कार ने तीन मिनट के ‘इन मेमोरियम’ मोंटाज में फिल्मी जगत के उन दिग्गज सितारों को याद किया जिनका पिछले एक साल में निधन हुआ है। खान और अथैया के अलावा चैडविक बोसमेन, सीन कोनरी, क्रिस्टोफर प्लमर, ओलिविया डे हैवीलैंड, किर्क डोगलस, जॉर्ज सेगल, निर्देशक किम की डक, मैक्स वोन साइदो और अन्य को भी तस्वीरों के जरिए इस खंड में याद किया गया। भारत के दिग्गज कलाकारों में से एक इरफान खान (54) का पिछले साल 28 अप्रैल को कैंसर की दुर्लभ बीमारी से लड़ते हुए मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया था। अथैया को मस्तिष्क का कैंसर था और उनका 91 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद पिछले साल 15 अक्टूबर को अपने घर में निधन हो गया था। उन्होंने 1983 में रिचर्ड एटनबोरो की महात्मा गांधी पर बनी बायोपिक ‘गांधी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिजाइन का ऑस्कर जीता था। इस फिल्म को आठ ऑस्कर मिले थे। फिल्म में बेन किंग्सले ने महात्मा की भूमिका निभाई थी जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का ऑस्कर मिला था। अथैया ने 2012 में अपना ऑस्कर पुरस्कार एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर ऑर्ट्स एंड साइंसेज को लौटा दिया था ताकि पुरस्कार सुरक्षित रखा जा सके। वंही, इरफान ने स्लमडॉग मिलेनियर, इनफर्नो, लाइफ ऑफ पाई, जुरासिक वर्ल्ड और द नेमसेक जैसी कई हॉलिवुड फिल्मों में काम किया था। भानु अथैया को साल 1982 में फिल्म 'गांधी' के लिए बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन का अवॉर्ड मिला था। पिछले साल भी अकैडमी ने इरफान के निधन के बाद उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। फिल्म 'स्लमडॉग मिलेनियर' में इरफान के साथ काम कर चुकीं ऐक्ट्रेस फ्रीडा पिंटो ने अकैडमी अवॉर्ड में एक नोट लिखकर भेजा। फ्रीडा ने लिखा, 'इरफान खान जैसा कोई नहीं हो सकता। एक ऐक्टर के तौर पर उनका टैलेंट और सम्मान, एक ऐक्टर जिसने हर तरह से मानवता को दिखाया, जिसके कारण मैं दिल से उनका सम्मान करती हूं। मैं भी अपने करियर में उनका अनुसरण करना चाहती हूं।'
किन्नौर एक जिला और एक ही निर्वाचन क्षेत्र है, लेकिन यहां की सियासत में पिछले कई वर्षाें से गुटबाजी हावी हाेती आ रही है। चाहे कांग्रेस की बात करें या फिर भाजपा की, दाेनाें राजनीतिक दलाें में गुटबाजी जाेराें पर चली हुई है। यही वजह है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के तेजवंत सिंह नेगी काे कांग्रेस के जगत सिंह नेगी से पराजित हाेना पड़ा। बीजेपी में ऐसी स्थिति अभी तक है। कारण यह है कि 2017 के विधानसभा में चुनाव लड़ने वाले तेजवंत सिंह नेगी काे जयराम सरकार ने साइडलाइन करने में काेई कसर नहीं छाेड़ी। गाैरतलब है कि तेजवंत सिंह नेगी पूर्व में विधायक भी रह चुके हैं और जब सत्ता में भाजपा आई ताे उन्हें काफी उम्मीदें थी कि बाेर्ड या किसी निगम में उन्हें अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का ताेहफा मिलेगा, मगर उन्हें मायूस हाेना पड़ा। दरअसल 2017 के चुनाव में किन्नौर सीट से भाजपा के दाे नेता टिकट के चाहवान रहे। एक तेजवंत सिंह नेगी और दूसरा सूरत नेगी। वर्तमान में वन विकास निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी पिछले चुनाव में टिकट के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन पार्टी हाईकमान ने पूर्व विधायक तेजवंत नेगी पर ही भराेसा जताया। सूरत का टिकट कटने के बाद तेजवंत नेगी भी हार का मुंह देखना पड़ा। बताया जाता है कि भाजपा में गुटबाजी नहीं हाेती ताे शायद तेजवंत सिंह नेगी इस वक्त विधानसभा में दिखते। ऐसे में जाहिर है कि मिशन -2022 से पहले भी भाजपा की गुटबाजी समाप्त हाेती नजर नहीं आ रही है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस में भी इस वक्त युवा कांग्रेस से लेकर कांग्रेस नेताओं में गुटबाजी चल रही है। विधायक जगत सिंह नेगी वीरभद्र सिंह समर्थक हैं ताे युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निगम भंडारी सुक्खू गुट से हैं। यही वजह है कि किन्नौर से टिकट के लिए अगले साल के चुनाव में गुटबाजी खुलकर सामने आ सकती है। पूर्व विधायक तेजवंत नेगी काे नहीं मिला सत्ता का सुख प्रदेश में जयराम सरकार बनते ही वर्ष 2018 में बाेर्ड एवं निगमों में उपाध्यक्षाें की नियुक्ति की गई ताे किन्नौर के पूर्व विधायक तेजवंत सिंह काे सत्ता का सुख नसीब नहीं हुआ। दरअसल तेजवंत नेगी पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल समर्थक हैं, जबकि सूरत नेगी काे जयराम समर्थक माना जाता है। इसी वजह से ही सूरत नेगी काे वन विकास निगम में उपाध्यक्ष की कुर्सी मिली। लाेकल एरिया डेवेल्पमेंट अथाॅरिटी कमेटी पर भी राजनीति जिला किन्नौर में भले ही एक विधानसभा क्षेत्र हाे, मगर राजनीतिक सरगर्मियां काफी तेज हाेती है। राज्य सरकार ने पहली बार एलएडीए यानी लाेकल एरिया डेवेल्पमेंट अथाॅरिटी कमेटी में भी राजनीति की। आज तक का इतिहास रहा है कि इस कमेटी में चेयरमैन स्थानीय विधायक ही हाेता है। जबकि किनौर में ऐसा नहीं किया। कांग्रेस विधयक जगत सिंह नेगी ने इस मसले पर कई बार जयराम सरकार काे घेरने की काेशिश की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब तक काैन-काैन रहे विधायक ? -ज्ञान सिंह नेगी। -ठाकुर सेन नेगी। -देवराज नेगी। -चेतराम नेगी। -तेजवंत सिंह नेगी। -जगत सिंह नेगी।
हिमाचल की कर्मचारी राजनीति के कई दिग्गज असली सियासी पटल पर भी अपनी किस्मत आजमाते रहे है। कुछ सफल हुए कुछ नहीं। जल्द मंडी संसदीय क्षेत्र का उप चुनाव होना हैं, और इस चुनाव में हिमाचल की कर्मचारी राजनीति के एक धुरंधर के भी चुनावी समर में उतरने के कयास हैं। माना जा रहा है कि कर्मचारी नेता एनआर ठाकुर भाजपा से टिकट के चाहवान है। हालांकि खुद एनआर ठाकुर खुलकर इस मसले पर नहीं बोल रहे पर उनके समर्थक सोशल मीडिया पर उन्हें टिकट देने की खूब पैरवी कर रहे है। स्वास्थ्य शिक्षक और अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष एनआर ठाकुर पिछले 30 सालों से कर्मचारी राजनीति में है। उन्होंने कर्मचारी राजनीति में रहते हुए 18 चुनाव लड़े है और अपना वर्चस्व कायम रखने में हमेशा कामयाब रहे। एन आर ठाकुर अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के तीनों बड़े पदों पर रहे है, पहले साल 2000 में चुनाव जीतकर वरिष्ठ उपाध्यक्ष बनें, उसके बाद महामंत्री और फिर प्रदेश अध्यक्ष। 13 अन्य संस्थाओं से भी जुड़े हैं और कर्मचारियों में खासी पकड़ रखते है। ठाकुर संघ की पृष्ठ्भूमि से भी है। यानी ठाकुर का बायोडाटा तो ठीक-ठाक है, लेकिन बायोडाटा के साथ-साथ राजनीति में आलाकमान के आशीर्वाद की भी जरूरत होती है। अब ठाकुर को आशीर्वाद मिलता है या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा। क्या तीसरी दफा जोखिम लेगी भाजपा ? नगर निगम चुनाव में लगे झटके के बाद भाजपा के लिए मंडी संसदीय क्षेत्र का उपचुनाव बेहद ख़ास है, या यूं कहे की साख का सवाल है। नगर निगम चुनाव में भाजपा सिर्फ मंडी में ही अच्छा परफॉर्म कर पाई थी। अब उपचुनाव है, यदि मंडी में पार्टी ठंडी पड़ गई तो सरकार और संगठन पर तो सवाल उठेंगे ही भाजपा के भीतर भी सियासी बवंडर तय है। इतिहास पर नज़र डाले तो मंडी संसदीय क्षेत्र में इससे पहले भाजपा दो कर्मचारी नेताओं को टिकट दे चुकी है, 1984 में व 1996 में और दोनों ही मर्तबा भाजपा को शिकस्त मिली। ऐसे में बड़ा सवाल ये ही है कि क्या पार्टी तीसरी दफा जोखिम लेगी ? मधुकर और अदन सिंह ठाकुर लड़ चुके है मंडी से चुनाव मंडी संसदीय क्षेत्र की बात करें तो प्रदेश कर्मचारी महासंघ में अध्यक्ष के पद पर रह चुके फायर ब्रांड कर्मचारी नेता मधुकर और ठाकुर अदन सिंह ने यहां से चुनाव लड़ा था। इन दोनों ने हिमाचल की राजनीति के चाणक्य पंडित सुखराम के खिलाफ चुनाव लड़ा। हालांकि दोनों को ही चुनावों में सफलता नहीं मिली थी, लेकिन संसदीय क्षेत्र के चुनाव में कर्मचारी नेताओं ने दिग्गज नेता को टक्कर दी थी। मधुकर ने 1984 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, तो वहीं अदन सिंह ठाकुर ने 1996 में भाजपा के ही टिकट पर चुनाव लड़ा था। विस चुनाव में भी रही है कर्मचारी नेताओं की धाक -रणजीत सिंह ठाकुर और चौधरी विद्यासागर रहे हैं मंत्री ऐसा नहीं है कर्मचारी नेताओं पर खेला गया हर दांव उल्टा पड़ा हो ,लोकसभा न सही पर विधानसभा चुनाव में कर्मचारी नेताओं ने खुद को साबित किया है। राज्य की कर्मचारी राजनीति में सक्रिय रहे ठाकुर रणजीत सिंह 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर बमसन से चुनाव लड़े और तत्कालीन मंत्रिमंडल में भी शामिल हुए । वहीं कर्मचारी नेता चौधरी विद्यासागर कांगड़ा जिले के कांगड़ा निर्वाचन हलके से भाजपा टिकट पर चार बार चुनाव जीते और प्रदेश कैबिनेट का हिस्सा बने । चौधरी विद्या सागर 1982, 1985,1990 और 1998 में चुनाव जीते हैं । अर्की के पूर्व विधायक गोविंद राम शर्मा भी कर्मचारी राजनीति सक्रिय रह चुके हैं। वह महासंघ में संयुक्त सचिव भी रहे हैं। वर्तमान में खादी बोर्ड के उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम गुलेरिया भी कर्मचारी नेता रहे है। हालांकि गुलेरिया चुनावी राजनीति से अब तक दूर है। ये नाम भी चर्चा में मंडी उप चुनाव में भाजपा टिकट के लिए महेश्वर सिंह का नाम भी चर्चा में है। महेश्वर सिंह 1989 , 1998 और 1999 में मंडी से सांसद रह चुके है। महेश्वर सिंह के अतिरक्त अभिनेत्री कंगना रनौत के नाम के भी चर्चे आम है। कंगना खुद सोशल मीडिया पर हिमाचल से चुनाव न लड़ने की बात कह चुकी है। इसी तरह जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह की बेटी वंदना गुलेरिया और पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर का नाम भी सुर्ख़ियों में है। ऐसे में भाजपा किसी पुराने चेहरे पर भरोसा जताती है या किसी नए चेहरे पर दांव खेलती है, इस पर सबकी नज़र है।
- अनुशासन है नहीं, पर सपना है 2022 में शासन पाने का 2022 में सोलन निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा का चेहरा कौन होगा ये तो समय के गर्भ में छीपा है, किन्तु सोलन भाजपा में अभी से जड़ खुदाई शुरू हो गई है। नगर निगम में हार का ठीकरा दोनों गुट एक दूसरे पर फोड़ रहे है, बड़े नेता बेशक चुप है, लेकिन कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर भड़ास निकाल रहे है। अनुशासन है नहीं, पर सपना है 2022 में शासन पाने का। बदलते समीकरणों के बीच चेहरे की जंग अभी से प्रखर होती दिख रही है। किस ओर जा रही है सोलन भाजपा की सियासत, क्या बन सकते है समीकरण ये जानने - समझने के लिए बात 2017 के चुनाव से शुरू करनी होगी। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सोलन निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा टिकट के लिए सिर्फ दो नाम चर्चा में थे, एक कुमारी शीला और दूसरा तरसेम भारती। थोड़ी बहुत कोशिश हीरानंद कश्यप भी करते रहे पर वो कभी रेस में दिखे नहीं। पर चुनाव से ठीक पहले डॉ राजेश कश्यप पैराशूट से आए और टिकट ले गए। कहते है टिकट दिलाने वाले थे डॉ राजीव बिंदल। इस टिकट ने तरसेम भारती और कुमारी शीला के अरमान कुचल दिए थे। रोचक बात ये है कि बिंदल के चहेते भी तब शीला के साथ खड़े दिखे थे, मंशा दिलासा देना था या बहलाना, इसे लेकर सबका अपना -अपना विश्लेषण है। खैर डॉ राजेश कश्यप चुनाव हार गए, पर कहते है चुनाव में बिंदल के कुछ ख़ास लोगों ने उनके पक्ष में काम नहीं किया। सो तभी से बिंदल गुट और उनके बीच एक खाई बन गई। आहिस्ता-आहिस्ता कश्यप सोफत गुट के नजदीकी हो गए। वहीं महेंद्र नाथ सोफत जिनका डॉ राजीव बिंदल के साथ मनभेद जगजाहिर है। 2017 से अब तक 40 माह में डॉ राजीव बिंदल का सियासी सफर किसी रोलर कोस्टर के सफर जैसा रहा है। सो जब - जब बिंदल अर्श पर सोलन में उनकी टीम भी फ्रंट फुट पर और जैसे ही बिंदल फर्श पर उनकी टीम भी हाशिए पर। इस सब के बीच डॉ राजेश कश्यप जमे रहे और भाजपा के प्राइम फेस बने भी रहे। नगर निगम चुनाव में भी बेशक प्रभारी डॉ राजीव बिंदल थे लेकिन जो भाजपाई जीते है उनमे से अधिकांश डॉ राजेश कश्यप के करीबी माने जाते है। अब जो बात निकल कर आ रही है वो आने वाले समय में सोलन भाजपा की सियासत को नई दिशा दे सकती है। दरअसल कुछ लोगों को अब तरसेम भारती के चेहरे में भाजपा का ग्लो दिख रहा है और इनमें वो लोग भी शामिल है जिन्हें 2017 तक तरसेम भारती फूटी आंख नहीं सुहाते थे। यानी वक्त, परिस्थिति और मौके के हिसाब से अब एक नया गठबंधन आकार ले सकता है ताकि डॉ राजेश कश्यप को साधा जा सके। अब ये गठबंधन जन्म लेता है या इसकी भ्रूण हत्या हो जाती है ये देखना रोचक होगा। शीला जीत जाती तो और बात होती जिला परिषद् चुनाव में सलोगड़ा वार्ड से कुमारी शीला भाजपा उम्मीदवार थी। लगातार तीन चुनाव जीत चुकी कुमारी शीला जीत का चौका लगाने का दावा कर रही थी, लेकिन जनता का आशीर्वाद उन्हें नहीं मिला। ये हार कुमारी शीला के लिए बड़ा झटका है। शायद यही कारण है कि डॉ राजेश के विरोधी अब कुमारी शीला की जगह तरसेम भारती में संभावना तलाश रहे है। निसंदेह, शीला अगर जीत जाती तो शायद 2022 में कुछ और बात होती। बहरहाल शीला अब भी डटी है और 2022 में ऊंट किस करवट बैठता है ये देखना रोचक होगा। नगर निगम में नहीं चला तरसेम का जादू नगर निगम चुनाव में तरसेम भारती ने वार्ड 7 में जमकर प्रचार किया। तरसेम भारती के करीबी बादल नाहर की पत्नी सोना नाहर वहां से चुनाव लड़ रही थी। पर इस पुरे चुनाव में भाजपा कभी भी मजबूत नहीं दिखी। तरसेम भारती का प्रचार यहां पूरी तरह बेअसर दिखा। कांग्रेस ने बागी के मैदान में होने के बावजूद यहां शानदार जीत दर्ज की। यानी तरसेम की पोलिटिकल मैनेजमेंट का जनाजा हालही में हुए सोलन नगर निगम चुनाव में निकल चूका है। पर हर दिन की तरह हर चुनाव भी नया होता है। बिंदल के खासमखास भी हारे चुनाव जानकार मानते है कि भाजपा बेशक नगर निगम हार गई लेकिन डॉ राजेश कश्यप ने इस हार के बावजूद ज्यादा नहीं खोया। दरअसल भाजपा ने डॉ राजीव बिंदल को प्रभारी बनाया था और यदि बिंदल का जादू चल जाता तो जाहिर है 2022 के टिकट वितरण में भी उनकी दखल ज्यादा होती। पर नगर निगम जीतना तो दूर बिंदल के कई खासमखास चुनाव में बुरी तरह हारे। इस हार का ठीकरा भी विरोधी बिंदल के सर ही फोड़ रहे है। 2022 में फिर पैराशूट लैंड हुआ तो 2012 से 2017 तक कई नेता टिकट के लिए जमीनी काम करते रहे। पर भाजपा आलाकमान ने इन सबके अरमान कुचल दिए और पैराशूट कैंडिडेट उतार दिया। 2022 में टिकट को लेकर भी तमाम दावेदारों में मन में ये भय जरूर होगा। न जाने ऐन मौके पर किसकी एंट्री हो जाए।
अंतरराष्ट्रीय सीमा सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण इनर लाइन परमिट चेकपोस्ट अकपा से डुबलिंग शिफ्ट करने के लिए गृह मंत्रालय भारत सरकार ने पिछले साल मार्च महीने में ऑर्डर जारी किए थे, लेकिन अभी तक पालन नहीं हुआ। हैरानी की बात है कि किन्नौर पुलिस ने गृह मंत्रालय के आदेशों काे ठेंगा दिखाने में काेई कसर नहीं छाेड़ी। हालांकि मंत्रालय ने पिछले साल 11 मार्च को इनर लाइन परमिट चेकपोस्ट शिफ्ट करने को कहा था, लेकिन हिमाचल पुलिस ने एक साल बाद भी चेकपोस्ट शिफ्ट नहीं हो पाई। बताया गया कि भारत-चीन सीमा विवाद को देखते हुए इनर लाइन परमिट चेकपोस्ट डुबलिंग में शिफ्ट होने से जिला किन्नौर के पूह ब्लॉक की 27 पंचायतों को इनर लाइन परमिट लेने की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसे में जब तक चेकपोस्ट की शिफ्टिंग नहीं होती, तब तक 27 पंचायतों के लोगों को इनर लाइन परमिट लेनी होगी। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के आग्रह पर भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने अकपा चेकपोस्ट को डुबलिंग पुल के पास स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया था। गृह मंत्रालय ने 11 मार्च 2020 को इनर लाइन परमिट चेकपोस्ट को अकपा से डुबलिंग पुल के पास शिफ्ट करने के आदेश जारी हुए थे। गृह मंत्रालय द्वारा हिमाचल सरकार को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार अकपा इनर लाइन परमिट चेकपोस्ट के अंतर्गत पूह ब्लाॅक के 41 गांव आते हैं। डुबलिंग पुल के पास चेकपोस्ट स्थापित होने से पूह ब्लॉक के केवल 14 गावों कुन्नू, चारंग, नेसंग, डुबलिंग, डुबलिंग, खाब, नमज्ञा, टाशींग, यंगथंग, मलिंग, नाको, मलिंग डोगरी और चांगो को ही इनर लाइन परमिट लेने की आवश्यकता होगी। इन गांव के लोगों को मिलनी है राहत इनर लाइन परमिट चेकपोस्ट डुबलिंग शिफ्ट होने से 27 गांव के लोगों को परमिट लेने की आवश्यकता नहीं होगी। इनमें सुमरा, लियो, हांगो, चुलिंग, हंगरंग पूह, लाबरंग, पूह, शलखर, श्यासो, सुन्नम, ज्ञाबुंग, तलिंग, रोपा, रुषकुलंग, कानम, लाबरंग, स्पीलो, मोरंग, ग्रामंग, थोबारिंग, खोक्पा, शिलिंग, रुबंग, ठंगी, लंबर, लिप्पा और आसरंग गांव इनर लाइन परमिट से बाहर होंगे। वहीं लाहौल-स्पीति के नौ गांव ग्यू, कौरिक, चेक पोस्ट समधो, हुर्लिंग, ताबो, लडी, पौह, धनखर और शिचलिंग को इनर लाइन परमिट लेने की आवश्यकता रहती थी। ऐसे में अब डुबलिंग पुल के पास इनर लाइन परमिट चेक पोस्ट स्थापित होने से लाहौल-स्पीति के चार गांवों को इनर लाइन परमिट लेने की आवश्यकता नहीं होगी। गृह विभाग ने पुलिस विभाग को दिए निर्देश राज्य गृह विभाग ने इनर लाइन परमिट चेकपोस्ट अकपा से डुबलिंग शिफ्ट करने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। गृह विभाग ने डीजीपी संजय कुंडू को जिला पुलिस किन्नौर से इस मसले पर स्थिति का जायजा लेने को कहा है। साथ ही जिला पुलिस किन्नौर को भी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। यह चेकपोस्ट अंतरराष्ट्रीय सीमा सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहां से मात्र 88 किलोमीटर दूर है चीन सीमा भारत-चीन सीमा की बात करें ताे जहां पर इनर लाइन चेकपाेस्ट स्थित है, यहां से शिपकी-ला मात्र 88 किलोमीटर की दूरी पर है। इसी वजह से पिछले साल गृह मंत्रालय ने इनर लाइन चेकपाेस्ट काे अकपा से डुबलिंग शिफ्ट करने के आदेश जारी किए थे। बताया गया कि शिपकी -ला क्रॉस करते ही चीन की सीमा शुरू होती है।
माेदी सरकार की उड़ान याेजना के तहत प्रदेश के प्रमुख स्थलाें पर हेलीपाेर्ट का निर्माण हाेना है। सस्ते हवाई सफर और सही लाेकेशन पर लैंडिंग से हिमाचल के हर नागरिकाें काे सुहावना हवाई सफर का लाभ मिलेगा । बीते दिनों सीएम जयराम ठाकुर ने अधिकारियों को जिला मंडी के कंगनीधार, जिला कुल्लू के सासे, जिला सोलन के बद्दी तथा जिला शिमला के रामपुर व शिमला में हेलीपोर्ट निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए, ताकि लोगों को इनका शीघ्र लाभ मिल सके और पर्यटकों को भी बेहतर सुविधा दी जा सकें। उड़ान-टू के तहत हेलीपोर्ट के निर्माण से हवाई सेवाओं की सुविधा मिलेगी। प्रदेश सरकार ने कंगनीधार, बद्दी और रामपुर हेलीपोर्ट के निर्माण का कार्य निष्पादन एजेंसी को सौंप दिया है, जबकि शिमला और सासे हेलीपोर्ट का कार्य शीघ्र पूरा होने वाला है। सरकार ने निष्पादन एजेंसियों को इन सभी हेलीपोर्ट का निर्माण निर्धारित समय में पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इससे न केवल पर्यटकों को बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध होंगी, बल्कि क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को प्रोत्साहन भी मिलेगा। बताया गया कि राज्य सरकार केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय की प्राप्त जानकारी के मुताबिक बद्दी हेलीपोर्ट के लिए अतिरिक्त फैटो व एप्राॅन तथा बड़े यात्री टर्मिनल भवन के लिए अतिरिक्त भूमि का चयन कर लिया गया है। राज्य के औद्योगिक क्षेत्र में स्थित होने के कारण यह हेलीपोर्ट इस क्षेत्र में आने वाले उद्यमियों को सुविधा प्रदान करेगा। यह हेलीपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट चंडीगढ़ के नजदीक है। राज्य सरकार कंगनीधार में तीन नए फैटो बनाना चाहती है, जबकि दो फैटो का निर्माण पहले ही किया जा चुका है। फैटो का प्रयोग हेलीकाॅप्टर की पार्किंग तथा अति-विशिष्ट व्यक्तियों के आगमन के दौरान उनके प्रोटोकोल के अनुसार किया जाएगा। बताया गया कि राज्य सरकार ने कंगनीधार में कटिंग कार्य के स्थिरीकरण के लिए तकनीकी अध्ययन और संरचना परामर्श पूर्ण कर लिया है। शिमला के संजाैली हेलीपोर्ट का कार्य पूर्ण होने वाला है और यहां ट्राई लैंडिंग कर ली गई है। राज्य सरकार ने इस हेलीपोर्ट को शीघ्र निर्मित करने के लिए प्रयास किए हैं ताकि आरसीएस उड़ान-टू के अंतर्गत यहां हेलीकॉप्टर संचालन का कार्य शुरू किया जा सके। यह हेलीपोर्ट शहर के बीचों-बीच स्थित है, इसलिए यह प्रदेश की राजधानी आने वाले पर्यटकों में बहुत लोकप्रिय होगा। सरकार ने केंद्र के समक्ष उठाया सासे हेलीपाेर्ट का मामला प्रदेश सरकार ने उड़ान-टू के तहत सासे हेलीपोर्ट का मामला केन्द्रीय रक्षा मंत्रालय के समक्ष उठाया है। आधारभूत सुविधाएं जैसे यात्री टर्मिनल भवन इत्यादि प्रदान करने का मामला सासे और डीआरडीओ अधिकारियों से उठाया गया है। शिमला, कांगड़ा और कुल्लू स्थित हवाई अड्डों का विस्तार किया जा रहा है ताकि यहां बड़े हवाई जहाजों को उतरने की सुविधा मिल सके। जानकारी के मुताबिक शिमला रनवे को 300 मीटर बढ़ाया जाएगा, जिससे यहां बड़े हवाई जहाज उतर सकेंगे। इससे प्रदेश की राजधानी को बेहतर हवाई संपर्क की सुविधा उपलब्ध होगी। मंडी के नागचला में हवाई अड्डे का निर्माण व्यावहारिक भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण के ओएलएस अध्ययन में पाया गया है कि मंडी जिला के नागचला में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे का निर्माण व्यावहारिक है। राज्य सरकार वैपकोश के माध्यम से इस स्थल पर प्रस्तावित हवाई अड्डे के लिए लीडार सर्वेक्षण करवाएगी। इस हवाई अड्डे का निर्माण पूरा होने के उपरांत हिमाचल प्रदेश में पर्यटन प्रोत्साहन में काफी सहायता मिलेगी। सरकार ने प्रदेश में इन सभी हेलीपोर्ट के निर्माण कार्यों में तेजी लाने के लिए पवन हंस लिमिटेड से अपनी एक तकनीकी टीम शिमला भेजने का आग्रह किया। उन्होंने पवन हंस लिमिटेड से उड़ान-टू के अंतर्गत शामिल हेलीपोर्ट के लिए एक परिचालन एवं प्रबंधन योजना प्रस्तुत करने के लिए भी कहा।
हिमाचल प्रदेश में कुछ दवा उद्योगों के सैंपल लगातार फेल हो रहे है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संगठन (सीडीएससीओ) के ड्रग अलर्ट में लगातार इसका खुलासा हो रहा हैं। पिछले 9 महीनों के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो हिमाचल में बनी कुल 41 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। जुलाई 2020 में कुल 11, अगस्त में 4, सितम्बर में 3, अक्टूबर में 2, नवंबर में 5, दिसंबर में 2, जनवरी 2021 में 8, फरवरी में 3 और मार्च में भी 3 सैंपल फेल हुए हैं। मार्च महीने में हिमाचल प्रदेश के दवा उद्योगों की तीन और देश की 18 दवाइयां मानकों पर खरी नहीं उतरी है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संगठन के मार्च के ड्रग अलर्ट में प्रदेश में बनी एंटी एलर्जी, पेन किलर और एंटीबायोटिक दवा के सैंपल फेल हो गए है। सिरमौर के पांवटा साहिब स्थित मैसर्ज जी लैबोरेटरीज कंपनी में बनने वाली एंटी एलर्जी दवा टरबीनापाइन, नालागढ़ के दवा औद्योगिक क्षेत्र में मैसर्ज एक्मे जेनेरिक्स कंपनी की पेन किलर दवा ट्रीपसिन एंड किमो ट्रीपसिन और औद्योगिक क्षेत्र झाड़माजरी की एंटीबायोटिक दवा अमोक्साइक्लीन के सैंपल फेल हुए हैं। चौंकाने वाली बात तो ये है की इनमें एक कंपनी ऐसी है जहां बनी दवाओं के सैंपल पिछले 8 महीनो में कई बार फेल हो चुके है। पौंटा की जी लैबोरेट्रीज में बनी दवाओं के सैंपल कई बार फेल हो चुके हैं। प्रदेश दवा नियंत्रक नवनीत मरवाह ने बताया तीनों दवा कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। फेल सैंपलों के बैच बाजार से हटाने के निर्देश दिए गए हैं। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संगठन ने मार्च में देश की कुल 1572 दवाओं के सैंपल लिए थे, जिनमें 1553 मानकों पर खरे उतरे और 18 सैंपल फेल हुए हैं। खराब हुए सैंपलों में तमिलनाडु के छह, हिमाचल की तीन, मुंबई, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा और उत्तराखंड का एक-एक सैंपल शामिल है। एक सैंपल आयुर्वेदिक फार्मेसी का खराब निकला, जबकि दो सैंपल बिना लेवल के थे।
हिमाचल प्रदेश में बेकाबू होती कोरोना की दूसरी लहर कहर बरपा रही है। कोरोना की रोकथाम के लिए बढ़ती सख्ती और पाबंदियों से पर्यटन उद्योग की रफ़्तार एक बार फिर धीमी कर दी है। हिमाचल प्रदेश में लगातार दूसरे साल ग्रीष्म पर्यटन सीजन पिट गया है। कोरोना के खतरे और बंदिशों ने देश-विदेश से आने वाले सैलानियों के कदम जकड़ लिए हैं। प्रदेश के अधिकांश होटलों और होमस्टे में ऑक्यूपेंसी शून्य हो चुकी है। एडवांस बुकिंग भी धड़ाधड़ रद्द होने लगी है। परेशान पर्यटन कारोबारी फिर से अपना काम-धंधा समेटने लग पड़े हैं। लगातार दूसरे साल भी सीजन पिटने से कारोबारी चिंतित हैं। हिमाचल में पर्यटन सीजन शुरू होना ही था की इससे पहले ही बढ़ते कोरोना के चलते सरकार को कई बंदिशों को लेकर फरमान जारी करना पड़ा। इसके बाद अब होटल व्यवसाय पर इसका असर देखने को मिल रहा है। पर्यटन हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी का एक बड़ा हिस्सा है, परन्तु लगातार दूसरे साल स्थिति खराब होने से पर्यटन व्यवसाइयों की चिंता बढ़ गई है। होटल, रेस्टोरेंट ईकाइयों को फिक्स्ड खर्चों का वहन कर पाना असंभव हो गया है। हालाँकि सरकार ने अभी बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों पर कोई रोक नहीं लगाई है, लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश के होटलों में कम ही पर्यटक देखने को मिल रहे है। बता दें की हिमाचल की पर्यटन इकाइयों की आमदन का बहुत बड़ा हिसा समर सीजन पर ही निर्भर करता है, लेकिन इस बार भी कोरोना की दूसरी लहर के चलते समर सीजन पर संकट के बादल छाए हुए है। पर्यटन से जुड़ा है राज्य का हर घर और परिवार: सेठ स्टेट टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहेंद्र सेठ का कहना है कि पर्यटन से राज्य का हर घर और परिवार जुड़ा हुआ है। ऐसे में पर्यटन राज्य में पयटकों के आने पर किसी प्रकार का अनावश्यक प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए। पर्यटक केवल होटलों में नहीं रहता है बल्कि अन्य उद्योग भी इससे जुड़े है। बहुत मुश्किल से प्रदेश में पर्यटन व्यवसाय पटरी पर लौटने लगा था , लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने अब फिर से चिंता बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से जो इंटरेस्ट सुबवेंशन स्कीम के तहत ऋण के रूप में पर्यटन से जुड़े करोबारियों को आर्थिक मदद करने का नोटिफिकेशन जारी की हुई थी, उस स्कीम के अंतर्गत प्रदेश के किसी भी पर्यटन कारोबारी को वर्किंग कैपिटल ऋण बैंकों द्वारा नही दिए गए है। पर्यटन कारोबारियों में इस बात का रोष है कि आर्थिक मदद तो दूर विभागों द्वारा लॉकडाउन अवधि के भी पानी, टैक्स के बिल होटलों को भेजे जा रहे है।
'अपने चेहरे से जो जाहिर है छुपाये कैसे ' वसीम बरेलवी के एक शेर का ये मिस्रा मंडी कांग्रेस के हाल को बखूबी बयां कर रहा है। स्पष्ट दिख रहा है कि लगातार मिल रही पराजय से मंडी में कांग्रेस का जमीनी कार्यकर्ता उदास है और हौंसला पस्त। पर पार्टी का असल मर्ज है बड़े नेताओं का बड़ा अहम् और सुनहरे अतीत पर टिका उनका वहम। इन्हीं दिग्गजों के अहम् और वहम के बीच फिलवक्त मंडी में कांग्रेस ठंडी दिख रही है। ये दिग्गज अगर ताव में आ जाएं तो कार्यकर्ता को हौंसला भी मिले और आस भी जगे। पर फिलहाल तो पार्टी कंफ्यूज है, न दिशा है, न मजबूत चेहरा और न ही कोई ठोस रणनीति। 2022 में प्रदेश की सल्तनत और कांग्रेस के बीच सबसे बड़ी चुनौती मंडी की रणभूमि होगी। हालहीं में जिला परिषद् और नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की खूब किरकिरी हुई है और अब लोकसभा का उपचुनाव दस्तक दे रहा है। 2022 की उम्मीद जिन्दा रखने के लिए उपचुनाव में पार्टी पर बेहतर करने का दबाव है, पर वर्तमान राजनैतिक परिवेश में डगर बेहद कठिन दिख रही है। अंतर्कलह से ग्रस्त कांग्रेस की राह मुश्किल इसलिए भी है क्योंकि मजबूत भाजपा से मुकाबला करने से पहले कांग्रेस को अपनों को भी साधना होगा। बहरहाल, कांग्रेस को सबसे पहले ये तय करना होगा कि मंडी संसदीय उप चुनाव में पार्टी की तरफ से मैदान में कौन होगा। जगजाहिर है कि पंडित सुखराम कांग्रेस में वापस इसीलिए लौटे थे ताकि पोते आश्रय को सांसद बनता देख सके। पर 2019 के लोकसभा चुनाव में जनता ने उनके अरमान कुचले ही नहीं बल्कि अरमानों का कचूमर निकाल दिया था। आश्रय का राजनैतिक सफर भी अब तक फीका -फीका सा ही रहा है। बावजूद इसके हालहीं दिए बयान में पंडित जी ने फिर पोते को सांसद देखने की इच्छा व्यक्त की है। यानी पंडित जी की विरासत के बूते एक बार फिर आश्रय का दावा प्रबल रहेगा। दूसरे दावेदार है प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष निगम भंडारी जो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी माने जाते है। निगम भंडारी उभरते हुए चेहरे तो है, युवाओं में पकड़ भी है पर सुक्खू का करीबी होना उन्हें बाकी कई दिग्गजों से दूर कर देता है। तीसरा पक्ष ये है कि पार्टी वरिष्ठ नेता कौल सिंह ठाकुर को मैदान में उतार सकती है। हालांकि खुद कौल सिंह ठाकुर फिलहाल चुनाव लड़ने से इंकार कर रहे है। बाकी अंतिम निर्णय पार्टी आलाकमान को करना है। पंडित सुखराम की पारिवारिक भूलभुलैया और मझधार में अटकी कांग्रेस हिमाचल की सियासत के चाणक्य पंडित सुखराम पोते सहित कांग्रेस का हाथ थामे हुए है, तो उनके पुत्र अनिल शर्मा कहने को तो भाजपा के विधायक है लेकिन उनकी स्थिति किसी से छिपी नहीं है। कभी मुख्यमंत्री उन पर तंज कसते हुए कहते है कि " अगर साथ होते तो और बात होती', तो कभी बेटे द्वारा उनकी तारीफ़ करने पर भरी सभा में कांग्रेसी भी लाल हो जाते है। बहरहाल जो सियासी इक्वेशन सुखराम फैमिली, कांग्रेस और भाजपा के बीच बनी हुई है, ऐसी कोई और मिसाल हिमाचल ही क्या देश के सियासी इतिहास में भी शायद ही हो। भविष्य में पंडित सुखराम एंड फैमिली का क्या रुख रहेगा ये फिलहाल अबूझ पहेली है। सुखराम की सियासत को समझने वाले फिलहाल इस विषय पर कोई भी दावा करने से बच रहे है। हालांकि जिस तरह की तनातनी बीते दिनों अनिल शर्मा और प्रदेश सरकार के बीच दिखी है उसे देखते हुए माना जा सकता है कि 2022 चुनाव से पहले अनिल की कांग्रेस में घर वापसी होगी। पर ये सिर्फ कयास है और पल - पल बदलती सियासत में कुछ भी मुमकिन है। यानी पंडित सुखराम की पारिवारिक भूलभुलैया में कांग्रेस मझधार में अटकी है। पंडित सुखराम फैक्टर : क्या वो दौर अब गुजर चुका है पंडित सुखराम, वो नेता है जो कभी मुख्यमंत्री तो न बन सके लेकिन जब भी मौका लगा अपनी ताकत का लोहा खूब मनवाया। यूं ही इन्हें हिमाचल की सियासत का चाणक्य नहीं कहा जाता, इतिहास गवाह है 1998 में इन्हीं की मेहरबानी से धूमल सरकार बनी भी और पांच साल चली भी। इन्हीं के कोप से वीरभद्र सिंह ने पांच वर्ष सत्ता का वनवास झेला। मौके के हिसाब से मोहरे चलना पंडित सुखराम की वो सियासी अदा रही है जिसका कोई सानी नहीं। 2017 से पहले बेटे अनिल शर्मा समेत पंडित जी कांग्रेस से भाजपा में गए और बेटे को लगातार दूसरी बार मंत्री भी बनवा दिया। पर कहते है ना 'बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है, बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है'। पोते को सांसद बनाने की चाह में पंडित जी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वापस कांग्रेस में आ गए। पर सर मुंडाते ही ओले पड़ गए। पोता भी चुनाव हारा, बेटे का मंत्री पद भी गया और सबसे बड़ा नुकसान पंडित सुखराम का तिलिस्म टूट गया। जिस अंतर से आश्रय चुनाव हारे उससे स्पष्ट था कि पंडित सुखराम की विरासत के नाम पर आश्रय को सिर्फ टिकट मिला वोट नहीं। बहरहाल यक्ष प्रश्न यही है कि क्या मंडी की सियासत में पंडित सुखराम का जादू बरकरार है या वो दौर अब गुजर चुका है? जाहिर है उपचुनाव में यदि आश्रय उम्मीदवार होते है तो उनकी प्रदर्शन कांग्रेस के साथ - साथ पंडित सुखराम एंड फॅमिली का भी इम्तिहान होगा। सरकार उसी की बनी जो मंडी जीता इतिहास गवाह है कि 10 विधानसभा सीटों वाला जिला मंडी जिस भी राजनैतिक दल ने जीता वही सत्ता पर काबिज हुआ और जिसे मण्डी ने ठुकराया उसे सत्ता से भी हाथ धोना पड़ा। 1982 से 2017 तक हुए 9 विधानसभा चुनाव भी इस बात की तस्दीक करते है। इन 9 में से 7 बार उसी पार्टी की सरकार बनी जिसने मंडी में सर्वाधिक सीटें जीती। जबकि 1998 में भाजपा की सरकार इसलिए बनी क्योंकि मंडी में 4 सीट कब्जाने वाली हिमाचल विकास कांग्रेस से उसका गठबंधन हुआ। वहीं 2012 में कांग्रेस और भाजपा दोनों को 5 - 5 सीटें मिली थी, हालांकि सरकार बनाने में कांग्रेस कामयाब रही थी। विस् चुनाव कांग्रेस भाजपा अन्य 1982 5 2 3 कांग्रेस की सरकार बनी 1985 7 2 1 कांग्रेस की सरकार बनी 1990 1 8 ( गठबंधन ) 1 भाजपा की सरकार बनी 1993 9 0 1 कांग्रेस की सरकार बनी 1998 4 3 4 सुखराम के समर्थन से भाजपा सरकार बनी 2003 6 2 2 कांग्रेस की सरकार बनी 2007 3 6 1 भाजपा की सरकार बनी 2012 5 5 0 कांग्रेस की सरकार बनी 2017 0 9 1 भाजपा की सरकार बनी 2017 से कांग्रेस के सितारे गर्दिश में मंडी में 2017 का विधानसभा चुनाव बुरी तरह हारने के बाद कांग्रेस 2019 का लोकसभा चुनाव भी रिकॉर्ड अंतर से हारी थी। हालहीं में हुए नगर निगम चुनाव में कांग्रेस को 15 में से सिर्फ 4 वार्ड में जीत मिली। जबकि इसी वर्ष जनवरी में हुए जिला परिषद् चुनाव में 36 वार्ड में से कांग्रेस ने सिर्फ एक वार्ड पर जीत दर्ज की थी। कमोबेश ऐसी ही स्थिति पंचायत समिति में भी रही जहां भाजपा का दबदबा रहा। 2017 में आमने - सामने थे दो दिग्गज सियासी घराने 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वीरभद्र कैबनेट के मंत्री अनिल शर्मा भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने भी उन्हें मंडी सदर से ही टिकट दिया और वे फिर विधायक बन गए। वहीं कौल सिंह ठाकुर की बेटी चंपा ठाकुर उक्त चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी थी जिन्हें अनिल ने हराया था। मान सकते है कि इस हार की टीस इन दोनों सियासी घरानों के बीच बढ़ी दूरी का कारण है। अगर अनिल वापस कांग्रेस में आते है तो पार्टी अनिल को टिकट देगी या चंपा को, ये कांग्रेस के समक्ष सबसे बड़ी उलझन होगी। कौल सिंह ठाकुर और चंपा ठाकुर के तेवर बयां कर रहे है कि घर वापसी होती भी है तो भी अनिल की राह मुश्किल ही होगी। अलबत्ता चंपा का दावा टिकट के लिए होना लाज़मी है। क्या 'जयराम' को 'मंडी का सीएम' कहना मंडी में भारी पड़ेगा कांग्रेस जयराम ठाकुर को मंडी का सीएम कहकर उन पर निरंतर निशाना साधती रही है। प्रदेश के बाकी हिस्सों में शायद कांग्रेस को इससे कोई लाभ हो सके लेकिन मंडी में कांग्रेस का ये नारा उलटा ही पड़ेगा। एक किस्म से कांग्रेस खुद सीएम जयराम ठाकुर द्वारा मंडी में करवाए गए विकास को मान्यता दे रही है। 50 साल से दो परिवारों ने दिलाई जीत मंडी संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस का झंडा पंडित सुखराम और वीरभद्र सिंह के परिवार ने ही बुलंद रखा है। 1971 से अब तक हुए 13 लोकसभा चुनाव और एक उप चुनाव में कांग्रेस को उप चुनाव सहित 8 में जीत मिली है और ये सभी जीत पंडित सुखराम, वीरभद्र सिंह और वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह के नाम दर्ज है। यानी 50 साल से मंडी में कांग्रेस की सियासत सिर्फ दो परिवारों के भरोसे चली है ।
राज्य में कोविड के मामलों की संख्या में तेज वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार ने हिमाचल के चार जिलों में कोरोना कर्फ्यू लगाने का फैसला किया है। यह कर्फ्यू कांगड़ा, ऊना, सोलन और सिरमौर में 27 अप्रैल से 10 मई तक रात 10 से सुबह 5 बजे तक होगा। यह फैसला मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आज यहां हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में लिया गया। राज्य में आने वाले सभी आगंतुकों के लिए 72 घंटे के भीतर आरटीपीआर परीक्षण अनिवार्य करने का भी निर्णय लिया गया। यह निर्णय लिया गया कि यदि राज्य में आने वाले व्यक्तियों ने RTPCR परीक्षण नहीं किया है, तो उन्हें चौदह दिनों के लिए अपने निवास स्थान पर घर में संगरोध/अलगाव में रहना होगा। उनके पास अपने आगमन के सात दिनों के बाद खुद को जांचने का विकल्प भी होगा, और यदि परीक्षण नकारात्मक आता है, तो उन्हें अलग रहने की आवश्यकता नहीं है। यह भी निर्णय लिया गया कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्थानीय निकाय, अपने-अपने क्षेत्रों में सभी एसओपी और दिशानिर्देशों के प्रभावी प्रवर्तन में शामिल होंगे और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का अधिकार देंगे ताकि इस महामारी के प्रसार की जांच की जा सके। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सभी धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक समारोहों के दौरान एसओपी के प्रभावी प्रवर्तन के लिए स्थानीय स्तर पर स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। उन्हें समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों और एसओपी का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू करने का अधिकार होगा। राज्य सरकार समय-समय पर स्थिति की समीक्षा करती रहेगी और उसके अनुसार निर्णय लिए जाएंगे।
सचिन तेंदुलकर का आज 48वां जन्मदिन है। मास्टर-ब्लास्टर हर साल इस दिन को खास बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ते। हाल ही में कोरोना से उभरे इस महान क्रिकेटर ने एक सराहनीय घोषणा की है। बीते माह कोरोना पॉजिटिव आने के बाद अस्पताल में भर्ती होेने वाले सचिन ने प्लाजमा थैरेपी के लिए रक्त दान की घोषणा की है। साथ हीउन्होंने कोविड महामारी से जंग जीतने वाले तमाम लोगों से आगे आने की अपील की है। फैंस के बीच 'क्रिकेट के भगवान' नाम से मशहूर तेंदुलकर ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है। 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ आखिर अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले इस क्रिकेटर ने कहा, 'मैं डॉक्टर्स का एक संदेश आगे बढ़ाना चाहता हूं। पिछले साल, मैंने एक प्लाज्मा दान केंद्र का उद्घाटन किया। डॉक्टरों ने मुझे संदेश दिया है कि अगर सही समय पर प्लाज़्मा दिया जाए तो मरीज़ तेजी से ठीक हो सकते हैं। मैं खुद, यह करने जा रहा हूं। मैंने अपने डॉक्टरों से बात की है। आप में से जो कोविड-19 से उबर चुके हैं, कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें, और जब अनुमति हो, तो कृपया अपना रक्त दान करें। इससे बहुत सारी समस्याओं का समाधान होगा। मेरा आपसे आग्रह है कि कृपया रक्त दान करें और अपने साथी भारतीयों की मदद करें। आपकी शुभकामनाओं और प्रार्थनाओं के लिए एक धन्यवाद।
कोरोना की दूसरी लहर से देश में हाहाकार मचा हुआ है। कोरोना वायरस के चलते जहाँ लोग शारीरिक रूप से परेशान है, वंही लोग को मानसिक तौर पर भी अपना संतुलन खो रहे है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है यूपी के ग्रेटर नोएडा से, जहां एक कोरोना संक्रमित महिला डॉक्टर ने 14वीं मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी। यह मामला ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर थाना क्षेत्र का है। जहाँ दो दिन पहले ही महिला डॉक्टर व उसके पति की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। सेक्टर 137 के पैरामाउंट सोसायटी में यह घटना घटी है। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शव को कब्जे में लिया है और आगे की कार्रवाई शुरू कर दी। गौरतलब है कि देश में कोरोना से अभी भी 98 फीसदी लोग ठीक हो रहे हैं। ऐसे कोरोना से एकदम घबराये नहीं। बल्कि कोरोना सम्बन्धी नियमों की पालना कर जरुरी एहतियात बरते।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जस्टिस एनवी रमन्ना ने आज देश के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में जस्टिस रमन्ना को मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। बता दें कि चीफ जस्टिस एसए बोबड़े कल 23 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो चुके हैं और उनके बाद जस्टिस नथालापति वेंकट रमना सुप्रीम कोर्ट के 48वें चीफ जस्टिस बने हैं। 24 मार्च को बोबड़े ने उनके नाम की सिफारिश सरकार को भेजी थी। 45 साल से ज़्यादा का न्यायिक अनुभव रखने वाले और संवैधानिक मामलों के जानकार एनवी रमना का कार्यकाल 26 अगस्त 2022 तक का होगा यानी वो दो साल से भी कम समय के लिए मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहेंगे। बता दें कि रमन्ना आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पहले ऐसे जज होंगे, जो मुख्य न्यायाधीश बने हैं।
हिमाचल प्रदेश में सोमवार से बैंक अब शाम 4 बजे बंद होंगे। बैंक में पब्लिक डीलिंग का समय सुबह 10 बजे दोपहर 2 बजे तक का होगा। कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने पर देश के कई राज्यों ने बैंकों के समय में बदलाव कर दिया है। इसी कड़ी में शुक्रवार को प्रदेश की राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति ने मुख्य बैंकों के अधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक कर यह फैसला लिया। प्रदेश के वित्त महकमे ने भी समिति के प्रस्ताव को मंजूर कर दिया है। अभी तक बैंक बंद करने का समय शाम पांच बजे रहता था। इसके अलावा पब्लिक डीलिंग का समय दस से चार बजे तक था। कुछ जिलों में नाइट कर्फ्यू के चलते बैंकों के समय में बदलाव किया गया है। 26 अप्रैल से एक मई तक प्रदेश में यह व्यवस्था लागू होगी। स्थिति की समीक्षा करने के बाद आगामी फैसला होगा। बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि बिना मास्क के बैंक शाखाओं में आने वाले लोगों को सेवा नहीं दिन जाएगी। सभी बैंकों को 1 मई तक शाखाओं में रोजाना सिर्फ पचास फीसदी स्टाफ को ही बुलाने को कहा है। सरकार से मांग की गई कि एक मई से 18 से 44 वर्ष की आयु के लोगों के लिए शुरू होने वाले वैक्सीन अभियान में बैंक कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाए।
उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ सेक्टर के सुमना क्षेत्र में शुक्रवार को भारी बर्फबारी के दौरान बीआरओ का एक कैंप हिमस्खलन की चपेट में आ गया। इस हादसे में अबतक 384 लोगों की जान बचाई जा चुकी है जबकि 6 की हालत गंभीर है। इस हादसे में अभी तक 8 शव बरामद किए गए है। भारतीय सेना ने कहा कि शुक्रवार शाम करीब 4 बजे भारत-चीन सीमा के पास उत्तराखंड के चमोली गढ़वाल जिले में हिमस्खलन से बड़ा हादसा हुआ। भारतीय सेना ने कहा कि अन्य मजदूरों का पता लगाने के लिए बचाव अभियान जारी है। क्षेत्र में पिछले 5 दिनों से भारी बारिश और हिमपात हुआ है, जो अभी भी जारी है।
उपमण्डलाधिकारी कण्डाघाट डाॅ.विकास सूद ने कण्डाघाट उपमण्डल की विभिन्न ग्राम पंचायतों के प्रधान, उपप्रधान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा पुलिस विभाग के अधिकारियों के साथ कोविड-19 के सम्बन्ध में आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।डाॅ.विकास सूद ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण के मामलों में वृद्धि हो रही है, तथा इसके दृष्टिगत यह आवश्यक है कि सभी सतर्क रहें और प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि उपमण्डल में यदि कोई व्यक्ति कोविड-19 पाॅजिटिव आता है तो उसे स्वास्थ्य मानकों के अनुसार होम आईसोलेशन अथवा अस्पताल में रखा जाए। उन्होंने कहा कि होम आईसोलेशन में रह रहे व्यक्तियों को यदि किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो ग्राम पंचायतों के प्रधान, उप प्रधान द्वारा उस समस्या को हल किया जाना चाहिए। कोविड-19 पाॅजिटिव रोगी के प्राथमिक सम्पर्क में आए व्यक्तियों को भी आईसोलेशन के लिए प्रेरित करें एवं 5 दिन बाद उनका आरटीपीसीआर परीक्षण करवाएं। उपमण्डलाधिकारी ने कहा कि विवाह तथा अन्तिम यात्रा के मामलों में उपमण्डल प्रशासन द्वारा 50 व्यक्तियों के सम्मिलत होने की ही अनुमति प्रदान की जाएगी। उन्होंने ग्राम पंचायतों के प्रधान से आग्रह किया कि वे अपने-अपने क्षेत्र में यह सुनिश्चित करें कि किसी भी समारोह में 50 से अधिक लोग एकत्र न हों। समारोहों में भोजन पकाने वाले तथा पंडित का आरटीपीसीआर परीक्षण अनिवार्य है। डाॅ.विकास सूद ने कहा कि यदि किसी गांव अथवा क्षेत्र में 5 लोग कोविड-19 पाॅजिटिव आते हैं तो उस क्षेत्र को सूक्ष्म कन्टेनमेंट जोन घोषित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उपमण्डल में सभी दुकानें प्रातः 9.00 बजे से सांय 7.00 बजे तक ही खोली जाएंगी। उपमण्डलाधिकारी ने क्षेत्र की होटल एसोसिएशन, टैक्सी यूनियन इत्यादि के साथ बैठक की और उन्हें पर्यटन विभाग द्वारा इस दिशा में जारी मानक परिचालन प्रक्रिया की जानकारी दी। इस अवसर पर विभिन्न ग्राम पंचायतों के प्रधान एवं उपप्रधान, तहसीलदार कण्डाघाट अमन राणा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी सायरी डाॅ. संगीता उप्पल तथा खण्ड विकास अधिकारी हेमचन्द शर्मा उपस्थित थे।
कोरोना संकट के बीच महाराष्ट्र के अस्पतालों में एक के बाद एक बड़े हादसे हो रहे हैं। नासिक के जाकिर हुसैन अस्पताल में ऑक्सीजन लीकेज की वजह से अभी 22 कोरोना मरीजों की मौत का मामला ठंडा नहीं हुआ था कि मुंबई के विरार स्थित विजय वल्लभ अस्पताल का मामला सामने आया है। मुंबई के विरार स्थित विजय वल्लभ अस्पताल में आज सुबह आग लग गई। इस हादसे में 13 कोरोना मरीजों की मौत हो गई है। आग लगने का कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। अस्पताल के आईसीयू में 17 मरीजों का इलाज चल रहा था, सुबह सवा तीन बजे शार्ट सर्किट से आग लगी। घटना के बाद विजय बल्लभ अस्पताल के जिन मरीजों को ऑक्सीजन की ज़रूरत थी उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। देश में हर दिन कोरोना के नए आंकड़े रिकॉर्ड बना रहे हैं, मरने वालों की संख्या में भी इज़ाफा हो रहा है। वहीं, दूसरी ओर दिल दहलानेवाले मामलें सामने आ रहे है।
हिमाचल प्रदेश में अप्रैल के महीने में मौसम ने ज़ोरदार करवट ली है। प्रदेश में बुधवार रात को बादल झमाझम बरसते रहे। राजधानी शिमला में सबसे अधिक 82 मिलीमीटर बारिश का रिकॉर्ड दर्ज हुआ है। प्रदेश के छह मध्य पर्वतीय जिलों में आज अंधड़, ओलावृष्टि का येलो अलर्ट जारी किया गया है। 24 अप्रैल तक पूरे प्रदेश में मौसम खराब बना रहने का पूर्वानुमान है। 25 अप्रैल से धूप खिलेगी और मौसम साफ होने पर तापमान में बढ़ोतरी दर्ज होगी। वहीं, अच्छी बारिश के बाद पेयजल स्रोत रिचार्ज हो गए हैं। करीब 250 योजनाओं के स्रोतों में पानी लौट आया है। गर्मी में पेयजल संकट से अब कुछ राहत मिलेगी। दूसरी ओर मनाली, रोहतांग दर्रा के साथ बारालाचा व लाहौल घाटी में बुधवार रात को भारी बर्फबारी हुई है। ताज़ा बर्फ़बारी के चलते मनाली-लेह मार्ग फिर से बंद हो गया जिससे लाहौल में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बिजली के साथ दूरसंचार सेवा पूरी तरह से ठप हो गई है। बर्फ़बारी से बंद मनाली-लेह मार्ग बीआरओ के साथ इस मार्ग पर सफर करने वाले लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। दो दिनों के भीतर बीआरओ और पुलिस ने बारालाचा दर्रा से 233 लोगों को रेस्क्यू किया और साथ ही बुधवार रात भर बारालाचा में फंसे ट्रक चालकों सहित अन्य लोगों को रेस्क्यू कर जिंगजिंगबार बीआरओ के कैंप में पहुंचाया। इसमें कई महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे। बारालाचा में 100, रोहतांग दर्रा में 90, कुंजुम दर्रा में 70, कोकसर में 60 तथा अटल टनल के दोनों छोर में 40 सेंटीमीटर, केलांग में 15, दारचा, जिस्पा और गेमूर में 45, काजा में 10, लोसर में 30 सेंटीमीटर बर्फबारी रिकॉर्ड की गई है। हालांकि गुरुवार सुबह मौसम खुलने के बाद धूप खिल गई है। धूप खिलने से लोगों को काफी राहत मिली है। कुल्लू व लाहौल की ऊंची चोटियों में बर्फ की सफेद चादर बिछ जाने के बाद यहां की वादियां निखर गई हैं।
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सीएम जयराम ठाकुर की घोषणा के बाद राज्य आपदा प्रबंधन सेल की ओर से जारी बंदिशों के नए आदेश आज से पूरे प्रदेश में लागू होंगे। इसके तहत शादी व अंतिम संस्कारों में केवल पचास लोग ही शामिल सकेंगे। इसके अलावा सभी तरह के सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, धार्मिक व राजनीतिक आयोजनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लागू रहेगा। वहीं, आवश्यक वस्तुओं की बिक्री करने वाली दुकानों को छोड़कर अन्य सभी तरह की दुकानें शनिवार व रविवार को बंद रहेंगी। आज से सूबे के सभी सरकारी दफ्तरों में पचास फीसदी कर्मचारी ही आएंगे। बाकी पचास फीसदी वर्क फ्रॉम होम करेंगे। शनिवार को सभी कर्मचारी घर से काम करेंगे। दिव्यांग और गर्भवती कर्मचारी आज से दफ्तर नहीं आएंगे। बसों में भी सिर्फ पचास फीसदी सवारियों के साथ ही संचालित हो सकेंगी। इसके साथ ही प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थान बच्चों और शिक्षकों के लिए एक मई तक बंद रहेंगे। गैर शिक्षण स्टाफ के लिए शिक्षा विभाग अलग से आदेश जारी करेगा। हालांकि, शिक्षण संस्थान परीक्षाएं सुचारु रूप से करवा सकेंगे।
दिल्ली सरकार ने मजदूरों का पलायन रोकने के लिए विशेष प्लान बनाया है। सरकार ने लॉकडाउन के दौरान उनके खाने-पीने, रहने ,कपड़े व दवा इत्यादि के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से लॉकडाउन के दौरान प्रवासी, दैनिक व निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों के लिए उचित कदम उठाने पर रिपोर्ट मांगी थी। सरकार ने पेश रिपोर्ट में कहा कि सरकार ने श्रमिकों की भलाई के लिए कई कदम उठाए हैं। सभी प्रकार की व्यवस्था देखने के लिए एक कमेटी का गठन किया है और प्रधान सचिव-गृह भूपिन्द्र सिंह भल्ला को इसका चेयरमैन बनाया गया है जो राज्य के नोडल अधिकारी रहेंगे। रिपोर्ट के अनुसार श्रमिको की बुनियादी सुविधाएं जैसे खाना, पानी, दवा, आश्रय, कपड़े इत्यादि की व्यवस्था के अलावा यह भी सुनिश्चित किया गया है कि निर्माण कार्य में लगे श्रमिको को कार्यस्थल पर ही खाने-पानी व अन्य सुविधाएं मिले। वित्त विभाग फंड की व्यवस्था करेगा। मंगलवार को दिल्ली सरकार की ओर से हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया और कहा गया कि दिल्ली सरकार प्रवासी, दिहाड़ी और निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के रहने, खाने और उनकी अन्य जरूरतों को पूरा करेगी।
हिमाचल प्रदेश के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संगठन के मार्च के ड्रग अलर्ट में प्रदेश में बनी एंटी एलर्जी, पेन किलर और एंटीबायोटिक दवा के सैंपल मानकों पर सही नहीं उतरे हैं। सिरमौर के पांवटा साहिब में स्थित मैसर्ज जी लैबोरेटरीज कंपनी में बनने वाली एंटी एलर्जी दवा टरबीनापाइन, नालागढ़ के दवा औद्योगिक क्षेत्र में मैसर्ज एक्मे जेनेरिक्स कंपनी की पेन किलर दवा ट्रीपसिन एंड किमो ट्रीपसिन और औद्योगिक क्षेत्र झाड़माजरी की एंटीबायोटिक दवा अमोक्साइक्लीन के सैंपल फेल हुए हैं। प्रदेश दवा नियंत्रक नवनीत मरवाह ने तीनों दवा कंपनियों को कारण बताने के लिए नोटिस जारी कर दिया है। फेल सैंपलों के बैच बाजार से हटाने के निर्देश दिए गए हैं। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संगठन ने मार्च में देश की कुल 1572 दवाओं के सैंपल लिए थे जिनमें 1553 मानकों पर खरे उतरे और 18 सैंपल फेल हुए हैं। खराब हुए सैंपलों में तमिलनाडु के छह, हिमाचल की तीन, मुंबई, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा और उत्तराखंड का एक-एक शामिल है। एक सैंपल आयुर्वेदिक फार्मेसी का खराब निकला जबकि दो सैंपल बिना लेबल के थे।
देश में कोरोना के बढ़ते मामले के कारण बहुत सारे निवेशक सतर्क हो गए हैं। आज सप्ताह के दूसरे कारोबारी दिन यानी मंगलवार को शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुई। जानकारी के अनुसार, देश में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच घरेलू निवेशकों की चौतरफा बिकवाली से दिनभर के उतार-चढ़ाव के बाद बीएसई का सेंसेक्स 243.62 अंक लुढ़क कर 47,705.80 और एनएसई का निफ्टी 63.05 अंक का गोता लगाकर 14,296.40 अंक पर बंद हुआ। बता दें कि मंगलवार सुबह शेयर बाजार हरे निशान पर खुलता हुआ नजर आया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स आज 500 से ज्यादा अंकों के बढ़ोतरी के साथ 48,473 के स्तर पर खुला तो वहीं निफ्टी में करीब एक फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी करीब 150 अंकों की बढ़त के साथ 14,500 के स्तर पर खुला। केंद्र सरकार की ओर से 18 साल से ऊपर आयु के लोगों को वैक्सीन लगाने के फैसले के बाद बाजार में बढ़त देखने को मिली। बता दें कि कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सोमवार को बाजार लाल निशान पर बंद हुआ था।


















































