कहा, सदियों तक रहेगा यशवंत सिंह परमार व वीरभद्र का नाम ममता भनोट ।ऊना नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने भारतीय जनता पार्टी व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर ताबड़तोड़ हमले किए हैं। हरोली में महिला कांग्रेस के सम्मेलन में माफिया और गुंडा राज के खिलाफ हुंकार रैली को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर वीरभद्र सिंह के पोस्टर पर लगे फोटो से डर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर वीरभद्र सिंह साक्षात होते तो भाजपा के नेता तो भाग ही जाते। उन्होंने कहा कि हमें अपने नेतृत्व पर गर्व है। उन्होंने कहा कि यह फोटो ऐसे ही चलेंगे और वीरभद्र सिंह ने काम किया है, वीरभद्र सिंह हमारे आदर्श हैं और उनका नाम हिमाचल प्रदेश के चप्पे-चप्पे में हैं। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह हिमाचल के आधुनिक निर्माता है और यशवंत सिंह परमार हिमाचल के निर्माता है, इन दोनों का नाम हिमाचल प्रदेश व देश में सदियों तक रहेगा । मोदी रैली की हुई उगाही - मुकेश मुकेश ने कहा कि पीएम मोदी की रैली को लेकर भी उगाही की गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा राज ने लूट ही की है। उन्होंने कहा कि जाते-जाते भी लूट कर रहे हैं। उद्योगपतियों से पैसा ले रहे हैं, तबादलों में पैसा ले रहे हैं, रैलियों के नाम पर पैसा इकट्ठा कर रहे हैं और साथ ही सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की सभी सीमाएं लांघने का काम भाजपा की सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी यह पता लग गया है कि जिन को उस कुर्सी पर बिठाया है उनकी बाजुओं में दम नहीं है।
कहा, जयराम तुम चलते बनो हम करके दिखाएंगे काम बोले, महिलाओं को देंगे 1500 रूपए प्रति माह बोले, हर घर को देंगे 300 यूनिट बिजलीं और ओपीएस होगी बहाल ममतां भनोट। ऊना हिमाचल प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने हरोली विधानसभा क्षेत्र में हरोली महिला कांग्रेस द्वारा आयोजित महिला सम्मान सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन की अध्यक्षता हरोली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुमन ठाकुर ने की। महिला कांग्रेस के इस सम्मेलन में बारिश के बावजूद बड़ी संख्या में महिलाओं ने पहुंचकर इसे भव्य रैली बना दिया। इस सम्मेलन में नेता प्रतिपक्ष का जोरदार अभिनंदन किया गया। मुकेश ने सुमन ठाकुर व उनकी टीम को भी बधाई दी। मुकेश अग्निहोत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के लिए मात्र 2 महीने का समय रह गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता ने मन बना लिया है कि प्रदेश में तख्त और ताज बदल कर कांग्रेस की मजबूत सरकार बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के भाजपा के नेता मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कह रहे हैं कि कांग्रेस कुछ नहीं कर पाएगी लेकिन प्रदेश में डबल इंजन कुछ कर नहीं पाया है। मुकेश ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को अपनी विदाई का प्रबंधन कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि तुम चलो हम अपने आप kaam करके दिखाएंगे। मुकेश ने कहा कि राजनीतिक इच्छा शक्ति से जनता को आगे बढ़ाएंगे, हिमाचल को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ घोर अन्याय करने का काम भाजपा की सरकार ने किया है और जनता पर महंगाई का बोझ लाद दिया है, सिलेंडर महंगा कर दिया है, किस मुंह से भाजपा के नेता जनता के पास जाएंगे। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि महिला के खाते में 15 सो रुपए हर महीने कांग्रेस की सरकार डालेगी, यह सम्मान निधि होगी जिससे बच्चे अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ा पाएंगे। महिलाएं अपने कार्यों को आसानी से कर पाएंगी। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हर घर के 300 यूनिट बिजली के फ्री किए जाएंगे। प्रदेश के संसाधनों को बढ़ाएंगे, जनता को साथ लेकर आगे बढ़ेंगे। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने माफिया को संरक्षण देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि माफिया के सरदार के नाते प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का संरक्षण रहा है। एनजीटी की टीम आई और उन्होंने सवाल खड़े किए, अब एक हफ्ते से छापेमारी करके गई है, 35 करोड़ के अवैध खनन की डायरी मिली है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अवैध खनन सरकार के संरक्षण में फैला है। इसका जीता जागता उदाहरण छापेमारी है जो प्रदेश की सरकार को नजर नहीं आ रही हैं। सरकार ने आंखों पर काली पट्टी बांध ली है। भाजपा के नेताओं के इशारे पर प्रशासन मौन है। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि रेत माफिया, वन माफिया, कबाड़ माफिया, भर्ती माफिया सहित कई माफिया भाजपा सरकार में प्रदेश में पनपे है। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भाजपा सरकार की गाड़ी का स्टेरिंग ही ठीक से चला नहीं है। उन्होंने कहा कि 5 साल जनता को खून के आंसू पीने पड़े और अब मौका आ गया है कि जनता हिसाब चुकता कर देगी। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हर मोर्चे पर केंद्र व प्रदेश सरकार विफल हुई है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आएगी और जनता की आवाज को uthayegi। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता एकजुटता के साथ कांग्रेस की नीतियों का प्रचार व प्रसार घर-घर करें और वही केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार की नाकामियों को बताए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता का सम्मान किया जाएगा। इस अवसर पर महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुमन ठाकुर ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने बुलंद आवाज के साथ हिमाचल के मुद्दों को रखा है। भाजपा उन पर चर्चा करने से भाग रही है। उन्होंने कहा कि हरोली भविष्य में बड़ी ताकत के साथ नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के साथ चलेगा। उन्होंने महिलाओं की शक्ति का अभिनंदन करते हुए कहा कि यह शक्ति भविष्य की तस्वीर को बता रही है। वहीं इस अवसर पर आस्था अग्निहोत्री ने कहा कि हमेशा हरोली की जनता ने उनके पिता मुकेश अग्निहोत्री का साथ दिया है। उन्होंने कहा कि हरोली को बुलंद बनाना है और हिमाचल की आवाज बनाना है तो इसके लिए हरोली का हर नागरिक नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के साथ चले।
* पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे अशोक गहलोत * शाम को होगी विधयक दल की बैठक, पायलट के नाम रेस में आगे * सीपी जोशी भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर हलचल तेज है तो दूसरी ओर राजस्थान में सीएम की कुर्सी को लेकर भी सियासत गरम है। अशोक गहलोत के अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के फैसले के बाद राजस्थान में सचिन पायलट का सीएम बनना लगभग तय ही माना जा रहा है। हालाँकि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सियासी रिश्ते कैसे हैं, ये जगजाहिर है। ऐसे में जानकार मान रहे है कि अभी सियासत में ट्विस्ट आना बाकी है। दरअसल अशोक गहलोत के करीबी और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का नाम भी दावेदारों में है। इसी बीच सचिन पायलट और सीपी जोशी के बीच करीब 1.5 घंटे तक मुलाकात चली है। सूत्रों के मुताबिक गहलोत खेमा डॉ. सीपी जोशी का नाम मुख्यमंत्री के लिए प्रोजेक्ट कर सकता है। ऐसे में सवाल है कि क्या पायलट को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष और सीपी जोशी को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। बहरहाल, फिलवक्त किसी भी निर्कर्ष पर पहुंचने के लिए इन्तजार करना होगा।
* अशोक गहलोत हो सकते है कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष * राजस्थान के अगले सीएम के लिए तकरार तय, पायलट एक्टिव कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव की सरगर्मी के बीच राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। गहलोत ने कहा कि गांधी परिवार का कोई भी व्यक्ति इस बार कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनेगा। उन्होंने कई बार राहुल गांधी से बात करने की कोशिश की कि उन्हें अध्यक्ष बनना चाहिए, किन्तु उन्होंने इसके लिए मना कर दिया। ऐसे में वे पार्टी और राष्ट्र हित में चुनाव लड़ने को तैयार है। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गहलोत के अलावा शशि थरूर और मनीष तिवारी भी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन कर सकते हैं। सभी प्रदेश कांग्रेस समितियों में 17 अक्तूबर को चुनाव होने हैं और मतगणना के तुरंत बाद 19 अक्तूबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे। बहरहाल, अशोक गहलोत फिलवक्त अध्यक्ष पद की दौड़ में आगे जरूर दिख रहे है और माना जा रहा है कि वे ही कांग्रेस के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे। उधर इस बीच राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री को लेकर खींचतान बढ़ती दिख रही है। पहले इशारों -इशारों में गहलोत दोनों पदों को सँभालने की बात कर रहे थे लेकिन अब पार्टी स्पष्ट कर चुकी है कि एक व्यक्ति -एक पद के साथ आगे बढ़ा जायेगा। ऐसे में जाहिर है यदि गहलोत चुनाव जीतते है तो उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना होगा। वहीं सचिन पायलट अपने समर्थकों सहित सीएम पद हथियाने की कवायद करने में जुटे है, पर अशोक गहलोत और पायलट के बीच की दूरियां जगजाहिर है। जाहिर है सीएम पद के लिए गहलोत खेमे से भी दावेदारी तय है और पायलट के नाम पर आसानी से सहमति बनना मुश्किल होगा। यानी कांग्रेस को राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने के साथ ही, राजस्थान में तकरार तय है। अब क्या गहलोत और पायलट के बीच दूरिया मिटेगी है या कोई नया ट्विस्ट आता है, ये देखना रोचक होगा।
* मंडी में दिखा मोदी मैजिक, कांग्रेस को गियर बदलने की जरुरत * 'आप' के बड़े नेता भी एक्शन में, कांग्रेस स्थानीय चेहरों के भरोसे युवा विजय संकल्प रैली के आयोजन के साथ ही भारतीय जनता पार्टी, हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव का औपचारिक शंखनाद कर चुकी है। मंडी के पड्डल मैदान में उमड़ा जनसैलाब इस बात की तस्दीक करता है कि चुनाव प्रबंधन में भाजपा का कोई सानी नहीं है। हालांकि भाजपा के इस महाआयोजन में मौसम ने खलल डाली और पीएम मोदी का दौरा रद्द हो गया। इसके बाद पीएम मोदी वर्चुअली कार्यक्रम में जुड़े और अपना सम्बोधन दिया। अपने सम्बोधन में पीएम मोदी ने अपनी चिर परिचित शैली में पहाड़ी गाँधी बाबा काशीराम को नमन भी किया, और कुल्लू शॉल व चंबा चप्पल का जिक्र कर हिमाचल से अपना नाता भी फिर याद दिलाया। पीएम ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की तरह हिमाचल में सत्ता वापसी की हुंकार भी भरी, और बीत पांच साल में केंद्र द्वारा दी गई सौगातों को भी गिनाया। विशेष तौर हिमाचल प्रदेश को वैश्विक फार्मा हब बनाने की बात पीएम ने फिर दोहराई, साथ ही एम्स बिलासपुर का जिक्र किया। इस बीच पीएम ने हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने की सौगात को भी याद दिलाया और किसानो -बागवानों को भी साधने का प्रयास किया। मोदी ने लगभग उन तमाम पहलुओं को छुआ जो विधानसभा चुनाव में पार्टी के मिशन रिपीट में सहायक बन सकते है। उन्होंने अपने विशिष्ट अंदाज में हर किये गए काम को दमदार तरीके से गिनाया। बहरहाल, इसमें कोई संशय नहीं है कि अगर पीएम खुद मंडी पहुंचते तो ये आयोजन और असरदार होता, लेकिन बावजूद इसके भाजपा काफी हद तक माहौल बनाने में कामयाब जरूर रही। आने वाले समय में पीएम मोदी के कई कार्यक्रम प्रस्तावित है और मंडी में पीएम मोदी का जैसा जादू दिखा है, वो भाजपा के लिए निश्चित तौर पर शुभ संकेत माना जा सकता है। उधर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की बात करें तो साधन - संसाधनों का अभाव तो पार्टी के पास है ही, कमजोर केंद्रीय नेतृत्व भी बड़ा मसला है। हालांकि प्रदेश के बड़े नेता काफी हद तक मैदान में डटकर भाजपा का मुकाबला करने में कामयाब दिख रहे है, लेकिन प्रदेश स्तर पर बड़े आयोजन करने में पार्टी अब तक पीछे दिख रही है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अक्टूबर में कांग्रेस को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलना है और मुमकिन है पार्टी के बड़े चेहरे इसी में उलझे रहे। वहीं राहुल गाँधी भारत जोड़ो यात्रा कर रहे है और यात्रा के बीच उनका हिमाचल दौरे पर आना मुश्किल मालूम पड़ता है। ऐसे में जाहिर है पार्टी को सत्ता में लाने का मुख्य दारोमदार प्रदेश के बड़े नेताओं पर ही रहेगा। आप भी आक्रामक, कांग्रेस को मुश्किल : वहीं आम आदमी पार्टी की बात करें तो अरविन्द केजरीवाल, भगवंत मान और मनीष सिसोदिया लगातार हिमाचल के दौर कर रहे है और आगामी समय में भी इनके कई दौरे प्रस्तावित है। आप प्रदेश में अपनी जगह बनाने की कवायद में जुटी है और यदि वो सत्ता विरोधी वोट बाँट गई तो कांग्रेस के लिए मुश्किल तय है। ऐसे में कांग्रेस को जल्द गियर बदलने की जरुरत है।
* न्यूनतम बगावत और न्यूनतम भीतरघात ही है जीत का मंत्र * टिकट आवंटन से पहले ही सबको एकजुट करने की कोशिश प्रदेश कांग्रेस में दिख रही खींचतान के चलते विधानसभा चुनाव से पहले घमासान होना तय लग रहा है। अमूमन हर चुनाव क्षेत्र में नेताओं के बीच अंतर्कलह चरम पर है। एक टिकट के लिए कई नेता आवाज़ बुलंद कर रहे है, जो कहीं न कहीं कांग्रेस के लिए एक बड़ी समस्या बना हुआ है। पार्टी आलाकमान इस स्थिति से वाकिफ है और इस संभावित घमासान काे थामने का मार्ग तलाश रहा है। बीते दिनों दिल्ली में हुई पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में इस पर गहन चिंतन -मंथन हुआ है और ऐसी संभावित सीटों को लेकर विशेष एक्शन प्लान तैयार किया गया है। पार्टी ने प्रदेश के दिग्गज नेताओं को संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में टिकट के आवेदकों से बात करने का जिम्मा सौंपा है। जाहिर है टिकट आवंटन से पहले ही पार्टी ने संभावित बगावत रोकने के लिए दिग्गजों को ये जिम्मेदारी सौंपी है। ये मुहीम क्या रंग लाती है ये तो वक्त ही बताएगा, बहरहाल कांग्रेस ने समय रहते स्थिति को भाप कर डैमेज कण्ट्रोल जरूर शुरू कर दिया है। दरअसल, हिमाचल प्रदेश में कई विधानसभा हलके ऐसे हैं जहां कांग्रेस में आवेदक अधिक हैं। इनमें शिमला शहर, कुटलैहड़, ठियोग, चौपाल, कसौली, धर्मशाला आदि क्षेत्र हैं। पार्टी थिंक टैंक को आशंका है कि इन सीटों पर अधिक विवाद हो सकता है, और सम्भवतः यहाँ से बागी उम्मीदवार भी मैदान में हो सकते है। ऐसा होता है तो पार्टी के लिए ये बड़ा झटका होगा। इसी के चलते वक्त रहते ही पार्टी ने सभी आवेदकों और नेताओं के साथ आवश्यक संवाद स्थापित करने की रणनीति बनाई है। अब कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले ही सभी वरिष्ठ नेताओं को अपने समर्थकों से वार्ता कर रिपोर्ट हाईकमान को देनी होगी। ये सुनिश्चित करना होगा कि टिकट न मिलने पर पार्टी विरोधी गतिविधियों की आशंका पूरी तरह खत्म हो, साथ ही असंतुष्ट नेताओं को पार्टी प्रत्याशी के प्रचार के लिए भी तैयार करना होगा। जद्दोजहद : हारने वाले वरिष्ठ या युवा ! हिमाचल प्रदेश के कई निर्वाचन क्षेत्र ऐसे भी है जहाँ अलबत्ता कांग्रेस में आवदेक एकाध ही है, लेकिन इनमें से भी किसी एक का चयन पार्टी के लिए सिरदर्द है। दरअसल कई वरिष्ठ नेता लगातार चुनाव हारते आ रहे है, लेकिन अब भी चुनाव लड़ने को तैयार है। वहीं इनके सामने युवा उम्मीदवार ताल ठोक रहे है। ऐसी सीटों पर टिकट आवंटन पार्टी के लिए असल सिरदर्द है। मसलन पच्छाद सीट पर गंगूराम मुसाफिर लगातार तीन चुनाव हार चुके है। उनके सामने दयालप्यारी भी टिकट की चाहवान है। यहाँ दोनों ही चुनाव लड़ने को तैयार है और किसी को भी मनाना पार्टी के सामने असली चुनौती है। ऐसी कई अन्य सीटें भी है जैसे की चौपाल, भटियात आदि, जहाँ वरिष्ठता और युवा में से चयन पार्टी के लिए सिरदर्द साबित होने वाला है। मनाने का फार्मूला तैयार ! जिन नेताओं को पार्टी टिकट नहीं देती है उन्हें सरकार बनने पर बाेर्ड एवं निगमों में कुर्सी की पेशकश की जा सकती है। पार्टी ये भी ऐलान कर सकती है कि सरकार आने पर बोर्ड एवं निगमों की नियुक्तियों में हारने वाले उम्मीदवारों पर उन्हें वरीयता मिलेगी जिन्हें टिकट नहीं दिया गया। बशर्ते सभी पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में काम करें। वरिष्ठ नेताओं को निजी तौर पर अपने -अपने निष्ठावानों को मनाने का जिम्मा दिया जायेगा।
* भाजपा और अनिल शर्मा के बीच मतभेद मिटने के कयास मंडी सदर हलके के विधायक अनिल शर्मा और भाजपा के बीच की दूरियां कम होती नजर आ रही है। करीब तीन साल से भाजपा के कार्यक्रमों से दूर रहने वाले मंडी सदर हलके के विधायक अनिल शर्मा ने पड्डल मैदान में होने वाली पीएम मोदी की रैली में भाग लिया। बताया जा रहा है शुक्रवार रात को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ होटल विस्को में हुई बैठक के बाद अनिल शर्मा का पार्टी के साथ चल रहा विवाद समाप्त हुआ। इसके बाद माना जा रहा है कि अनिल शर्मा अब भाजपा में ही अपनी पारी को आगे बढ़ाएंगे। इस बीच पार्टी नेतृत्व की तरफ से रैली में भाग लेने के लिए उनका पहचान पत्र बनवाया गया और बैठने के लिए कुर्सी आरक्षित की गई। अनिल भी रैली में भाग लेने पहुंचे और भाजपा नेताओं के साथ दिल खोल कर मिलते नजर आएं। वहीं आज रात होने वाले भाजपा नेताओं के डिनर में भी अनिल शर्मा शामिल होंगे। विदित रहे कि अनिल शर्मा का 2019 लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के साथ विवाद चल रहा था। दरअसल, तब उनके बेटे आश्रय शर्मा के कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ने के चलते उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। तकनीकी तौर पर बेशक अनिल शर्मा भाजपा के विधायक है लेकिन दोनों के बीच तकरार आम थी। इस बीच बीते कुछ समय पहले अनिल शर्मा ने कांग्रेस आलाकमान के साथ दिल्ली में मुलाकात भी की थी , जिसके बाद उनके कांग्रेस में जाने की अटकलें थी। किन्तु ऐसा हुआ नहीं। तदोपरांत, हाल ही में मंडी सदर हलके के कोटली में आयोजित मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की जनसभा में अनिल शर्मा ने विवाद की बात को मानते हुए उसे बीते कल की बात बताते हुए नई पारी शुरू करने की बात कही थी। इसके बाद से ही उनके भाजपा में बने रहने की अटकलें तेज हुई है। अब आज इन अटकलों को और मजबूती मिल गई है और माना जा रहा है की जल्द अनिल शर्मा इस बाबत औपचारिक तौर पर बयान देंगे। आश्रय पर भी रहेगी निगाहें : अनिल शर्मा के बेटे आश्रय शर्मा मौजूदा समय में कांग्रेस में है। कांग्रेस में आश्रय शर्मा एक किस्म से दरकिनार है और बीत दिनों उन्होंने अपनी नाराजगी भी व्यक्त की थी। वहीं अनिल शर्मा भी कह चुके है कि बाप और बेटा एक ही पार्टी में रहेंगे। ऐसे में यदि अनिल शर्मा भाजपा में बने रहते है तो आश्रय शर्मा पर भी निगाहें रहने वाली है।
* कहा, हिमाचल को बनाया जायेगा वैश्विक फार्मा हब * बोले, हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा, नए अवसर खुलेंगे * बारिश बनी खलनायक, तो पीएम मोदी वर्चुअली कार्यक्रम से जुड़े पीएम नरेंद्र मोदी के हिमाचल प्रदेश के मंडी दौरे में मौसम खलनायक बन गया। बारिश के चलते पीएम मोदी का दौरा रद हो गया। इसके बाद पीएम मोदी वर्चुअली कार्यक्रम में जुड़े और अपना संबोधन दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्हें हिमाचल न आने का मलाल है, पर यह जनता का प्यार है कि वह भारी बारिश में कुर्सियों का छाता बनाकर खड़े हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में भारत की साख जैसे बढ़ रही है और आज दुनिया हमसे जुड़ने के लिए उत्सुक है। अस्थिर सरकारों से देश आगे नहीं बढ़ पाया, लेकिन अब देश में स्थिर सरकार है। मिली-जुली सरकारों से देश को नुकसान होता है। राज्य में विकास के लिए भी स्थिर सरकार जरूरी है। विधानसभा चुनाव का शंखनाद करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की तरह हिमाचल की जनता ने भी प्रण ले लिया है। हिमाचल का विकास भाजपा ही कर सकती है। एक बार फिर हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी। पीएम ने कहा कि केंद्र सरकार ने हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा दिया है। इस क्षेत्र के लोगों की दशकों से चली आ रही मांग को भाजपा सरकार ने पूरा करके दिखाया है। मोदी ने कहा कि बिलासपुर का एम्स बनकर तैयार हो गया है। इसके अलावा मोहाली में हाल ही में शुरू किए गए कैंसर अस्पताल का हिमाचल को सबसे ज्यादा लाभ होगा। हमारी सरकार ने नेशनल हाईवे के लिए सात गुना राशि दी है। केंद्रीय बजट में पहाड़ी क्षेत्रों में रोपवे को बढ़ावा दिया जा रहा हैं। पीएम ने कहा कि हिमाचल को वैश्विक फार्मा हब बनाया जाएगा। हिमाचल में भी बल्क ड्रग पार्क होगा। हिमाचल प्रदेश किसान- बागवानों का राज्य है। इसको केंद्र की नीतियों से बल मिल रहा है। हिमाचल में कोल्ड चेन व प्रोसेसिंग यूनिट लगाए जा रहे हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए 14 हजार करोड़ दिए गए है। मनाली चंडीगढ़ फोरलेन का काम तेजी से चल रहा है। सीएम जयराम ठाकुर की पीठ थपथपाते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हिमाचल उन प्रदेशों में है जिसने ड्रोन नीति बनाई है। देश की अगवानी करने के लिए जयराम ठाकुर बधाई के पात्र हैं। हिमाचल के उत्पाद उपहार में देता हूं पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कुल्लू शॉल, चंबा चप्पल को जीआई टैग मिला है। विश्व में इन उत्पादों ने अपनी जगह बनाई है। जब भी विदेशी दौरा होता है तो हिमाचल के उत्पाद उपहार में देता हूं, ताकि उन्हें बता सकूं कि किस प्रकार मैं हिमाचल से जुड़ा हूं। न आने के लिए क्षमा : पीएम पीएम मोदी ने कहा, "न आने के लिए क्षमा, हिमाचल के स्नेह में मौसम कभी आड़े नहीं आएगा। आपका आशीर्वाद मेरे लिए बड़ी ऊर्जा है। हमारे प्यार में मौसम भी बीच में नहीं आ सकता। भीग गए हो। ध्यान रखना। घर ध्यान से लौटना।" ढोल, शहनाई संग उमड़ी भीड़ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में पारंपरिक वाद्य यंत्र की गूंज हर कोने में सुनाई दी। भाजयुमो कार्यकर्ता ढोल, शहनाई, नरसिंघा की धुनों पर थिरकते हुए पार्किंग स्थलों से पड्डल मैदान की ओर बढ़ते रहे। पड्डल मैदान के एंट्री प्वाइंट पर युवाओं की भीड़ लगी रही। युवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे लगाते हुए पड्डल मैदान की ओर बढे। रैली के लिए लगभग एक लाख लोगों का टारगेट रखा गया था और भारी संख्या में प्रदेश के हर कोने से युवा इस कार्यक्रम में पहुंचे। पड्डल में पांचवीं रैली में बारिश बनी बाधक : मंडी स्थित पड्डल मैदान में बीते आठ साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांचवीं रैली थी। इससे पहले उनकी रैलियों में वर्षा ने कोई खलल नहीं डाला था। हालांकि इस बार मौसम बिगड़ने के चलते पीएम नहीं आ पाए। शुक्रवार को भी छोटी काशी मंडी में बादल छाए रहे थे, जिसके बाद से ही रैली को लेकर संशय बना हुआ था।
प्रतिमा राणा। पालमपुर विधानसभा अध्यक्ष, विपिन सिंह परमार ने सुलह निर्वाचन क्षेत्र के संगम पैलेस ठाकुरद्वारा में एक दिवसीय कार्यशाला में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को सम्मान कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। परमार ने कहा की आज प्रधानमंत्री के जन्मदिन के उपलक्ष्य पर सेवा सप्ताह के रूप मनाया जा रहा है। आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में लाभार्थी सम्मेलन के भव्य कार्यक्रम के माध्यम से सभी लाभार्थियों से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि शिविरों के माध्यम से दिव्यागजन एवं वरिष्ठ नागरिक हेतु भारत सरकार की एडिप एवं राष्ट्रीय वयो श्री योजना के अंतर्गत निशुल्क सहायक उपकरण वितरण किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने प्रदेश के।प्रत्येक नागरिक को राहत देने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि हिमकेयर योजना, मुख्यमंत्री सहारा योजना, मुख्यमंत्री गृहिणी सुविधा योजना और मुख्यमंत्री शगुन योजना जैसी दर्जनों कल्याणकारी योजनाओं ने जरूरतमंदों और गरीबों को हरसंभव राहत प्रदान की है। उन्होंने कहा कि हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में महिला यात्रियों को किराये में 50 प्रतिशत की रियायत दी गई है और घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली भी उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय से 14 लाख से अधिक ऐसे उपभोक्ताओं को घरेलू बिजली की खपत पर शून्य बिल आ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के बिल भी माफ किए हैं। इस अबसर पर विधान सभा अध्यक्ष, विपिन सिंह परमार ने उद्योग विभाग के सौजन्य से 54 शिलाई मशीन, श्रम विभाग से 256 श्रम कार्ड , रेड क्रॉस सोसाइटी के सौजन्य से 100 कान की मशीन , 22 लोगों को कृत्रिम दांत, 71 व्हील चेयर, 48 बैसाखी , 17 चश्मे एवम अन्य कृत्रिम उपकरण वितरित किए। जिला श्रम अधिकारी आर के शर्मा और उद्योग विभाग से महाप्रबधक राजेश कुमार ने मुख्यातिथि को सम्मानित किया और विभाग के माध्यम से जनकल्याण की योजनाओं की जानकारी दी। हिमाचल प्रदेश राष्टीय विकलांग एसोसिएशन के अध्यक्ष तरसेम चंद ने दिव्यांगों को जो समस्याएं आ रही। उनके बारे अवगत करवाया। इस अवसर पर सूचना एवं जन संपर्क विभाग से सम्बंधित हिम संस्कृतिक दल सोलन के कलाकारों गीत-संगीत के माध्यम से स्थानीय जनता को प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से अवगत करवाया। इसके उपरान्त विधानसभा अध्यक्ष ने हार बोदा में जनसंवाद कार्यक्रम में उपस्थित हुए और स्थानीय लोगों से रूबरु हुए। कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष हरिदत्त शर्मा, सुलह मंडल अध्यक्ष देश राज शर्मा, जिला उपाध्यक्ष चन्द्रवीर, बीडीसी चेयरमैन भवारना अनीता चौधरी, मंडल मोर्चा अध्यक्ष मोनिका राणा, महामंत्री सुनीता राणा, जोन प्रभारी दया पठानिया, प्रधान बोदा लता कुमारी, बीड़ीसी सदस्य इंदिरा देवी, बीडीओ भेडू महादेव सिकंदर, अनु ठाकुर, कांता चौधरी, ममता वशिष्ठ विभिन्न विभागों के अधिकारी और क्षेत्र के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
महिलाओं को मिलेंगे हर महीने 1500 रुपए, 10 विधानसभाओं से हुई शुरुआत फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला स्थानीय महिलाओं ने बढ़ती बेरोज़गारी और महंगाई के चलते इस आर्थिक मदद को समय की मांग बताया और इस योजना को लेकर महिलाओं में काफ़ी उत्साह भी देखने को मिला, महिलाओं ने बढ़-चढ़कर गारंटी फॉर्म भरे। हिमाचल प्रदेश में 49.27 प्रतिशत आबादी महिलाओं की है। जैसा कि आमतौर पर पहाड़ों में होता है, ग्रामीण क्षेत्राें में महिलाएं घरेलू कामकाज से लेकर पारिवारिक कारोबार में पुरुषों का बराबरी से सहयोग करती हैं। प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उनकी भागीदारी भी अच्छी खासी है, लेकिन आर्थिक आत्मनिर्भरता के मामले में वे पीछे छूट जा रही हैं। जैसा कि देश के हर हिस्से में है, हिमाचल प्रदेश में भी इस आधी आबादी के श्रम का कोई मूल्यांकन नहीं होता। इसलिए अधिकांशत: उनके हाथ में नक़द राशि नहीं होती और वे आर्थिक रूप से परिवार के पुरुष सदस्यों पर ही निर्भर होती हैं। कांग्रेस पार्टी चाहती है कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त किया जाए, जिससे वे पारिवारिक ज़िम्मेदारियों को और सार्थक ढंग से निपटा सकें। इसलिए हमने यह गारंटी देने का फ़ैसला किया है कि प्रदेश की महिलाओं को प्रति माह 1500 रुपए अवश्य मिले। सरकार बनने के बाद हम प्रदेश की महिलाओं के खाते में हर महीने यह राशि पहुंचाएंगे। अपनी इस मुहिम को हिमाचल की प्रत्येक महिला तक ले जाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने कमर कस ली है। जवाली, देहरा, सुल्लाह, धर्मशाला, हमीरपुर, नादौन, हरोली, झंडूता, घुमारवीन व सोलन विधानसभाओं में आज से कार्यकर्ताओं का एक जत्था, हर घर पहुंच रहा है। अगले 5 दिन के भीतर पूरी 68 विधानसभाओं में डोर-टू-डोर प्रचार शुरू हो जाएगा।
आलाेक। कुल्लू मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने ‘प्रगतिशील हिमाचल: स्थापना के 75 वर्ष’ समारोहों की कड़ी में आज बंजार विधानसभा क्षेत्र के मेला ग्राउंड में लगभग 60 करोड़ की 17 विकासात्मक परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास किए तथा विशाल जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के गठन के 75 वर्ष के उपलक्ष्य पर प्रदेश भर में आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों में सरकार को मिल रहे अपार जनसमर्थन से कांग्रेस के नेता बौखला गए हैं। उन्होंने कांग्रेस नेताओं को जवाब देते हुए कहा कि इन समारोहों का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। ये कार्यक्रम केवल हिमाचल प्रदेश की 75 वर्ष की गौरवमयी यात्रा और इसे देश का अग्रणी राज्य बनाने में योगदान देने वाले सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए ही आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के इस गौरवशाली इतिहास का श्रेय प्रदेश के सक्षम नेतृत्व के साथ-साथ राज्य के मेहनती एवं ईमानदार लोगों को भी जाता है। जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के चहुंमुखी विकास में डॉ. वाईएस परमार, राम लाल ठाकुर, शांता कुमार, वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल सहित सभी मुख्यमंत्रियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि गठन के समय प्रदेश की साक्षरता दर केवल 4.8 प्रतिशत थी, जबकि आज यह 83 प्रतिशत को पार कर गई है। वर्ष 1948 में राज्य में केवल 228 किलोमीटर लंबी सड़कें थीं, जो आज लगभग 40,000 किलोमीटर हो गई हैं। उन्होंने कहा कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 60,000 करोड़ के प्रावधान के साथ आरंभ की गई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना हिमाचल के लिए वरदान साबित हुई है। प्रदेश में लगभग 51 प्रतिशत सड़कों का निर्माण इसी योजना के माध्यम से किया गया है। बंजार जैसे दूरदराज क्षेत्रों में भी पीएमजीएसवाई के कारण ही सड़कों का निर्माण संभव हुआ है तथा इससे प्रदेश के विकास के लिए एक मजबूत आधार तैयार हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार को लगभग दो वर्षों तक वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान कार्य करने की चुनौती से भी जूझना पड़ा। जयराम ठाकुर ने कहा कि उनसे पहले के पांच मुख्यमंत्रियों को ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ा। उन्होंने कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद प्रदेश सरकार ने हिमाचल का विकास थमने नहीं दिया। प्रदेश सरकार ने कोरोना संकट के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे 2.50 लाख से अधिक लोगों को सकुशल घर पहुंचाया और देश में सबसे पहले शत-प्रतिशत आबादी का कोरोना रोधी टीकाकरण सुनिश्चित किया। जयराम ठाकुर ने कहा कि इस वर्ष दिहाड़ीदारों की दिहाड़ी में 50 रुपए प्रतिदिन की वृद्धि की गई है तथा पैरा वर्कर के मानदेय में रिकॉर्ड वृद्धि कर उन्हें राहत प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा विभिन्न श्रेणियों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रदान करने पर 400 करोड़ रुपए व्यय करने की तुलना में वर्तमान प्रदेश सरकार 1300 करोड़ रुपए से अधिक व्यय कर रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गृहिणी सुविधा योजना के तहत ज़रूरतमंद परिवारों को 3.35 लाख निःशुल्क गैस कनैक्शन और गंभीर रूप से बीमार रोगियों के परिवार को प्रति माह 3000 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में महिला यात्रियों को बस किराए में 50 प्रतिशत की छूट और घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट मुफ्त बिजली प्रदान की गई जा रही है। उन्होंने कहा कांग्रेस के नेता सरकार पर लोगों को मुफ्त की आदत लगाने का आरोप लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी देश और प्रदेश में नेतृत्वविहीन और मुद्दाविहीन पार्टी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही गोवा में उनके आठ विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी गेहूं के आटे को लीटर में नाप रहे हैं, जो उनकी अज्ञानता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और एक मौजूदा विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि देश की जनता का कांग्रेस पार्टी से विश्वास उठ गया है और लोग देश को केवल भाजपा के हाथों में ही सुरक्षित देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा का ‘रिवाज़ बदलेगा’ का नारा कांग्रेस नेताओं को रास नहीं आ रहा है और कांग्रेस विधायक यहां तक दावा कर रहे थे कि जब वीरभद्र सिंह जैसे बड़े नेता यह उपलब्धि हासिल नहीं कर सके तो एक साधारण मुख्यमंत्री इसे कैसे हासिल करेंगे। उन्होंने जनता से इन नेताओं को करारा जवाब देने का आग्रह किया ताकि इन नेताओं तक संदेश पहुंचे कि जो उपलब्धि बड़े लोग हासिल नहीं कर पाये वह छोटे लोगों ने हासिल कर ली। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने क्षेत्र की विभिन्न सड़कों और अन्य कार्यों के निर्माण के लिए पांच करोड़ रुपए देने की घोषणा की। उन्होंने सैंज में इंडोर स्टेडियम निर्मित करने, दो स्वास्थ्य उप केंद्रों को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्तरोन्नत करने तथा इस विधानसभा क्षेत्र के कुछ शैक्षणिक संस्थानों को स्तरोन्नत करने की घोषणा की। जयराम ठाकुर ने कहा कि केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकारों की बदौलत प्रदेश में विकास की गति तीव्र हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य के लिए बल्क ड्रग फार्मा पार्क स्वीकृत किया गया है, जो पूरे प्रदेश के लिए वरदान साबित होगा। इससे विशेष रूप से ऊना जिला को अत्यधिक लाभ होगा और राज्य के 50,000 से अधिक युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इससे पहले, मुख्यमंत्री ने बंजार में 3.34 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित खंड विकास अधिकारी कार्यालय के नए भवन, बंजार के धमौली में 2.89 करोड़ से निर्मित हेलीपैड ग्राउंड, पलाचन खड्ड के ऊपर 2.17 करोड़ की लागत से निर्मित बठड़ से शिल श्रुंगर पुल, 1.50 करोड़ से निर्मित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मंगलौर, तहसील बंजार में 8.55 करोड़ से निर्मित उठाऊ जलापूर्ति योजना कोटला गोपालौर, बाहू में 2.60 करोड़ से निर्मित 33 केवी सब स्टेशन, बांदल में 19.24 लाख की लागत से निर्मित निरीक्षण कुटीर और बंजार में 22.25 लाख रुपये से निर्मित वन विभाग के रेंज कार्यालय का उद्घाटन किया। जयराम ठाकुर ने नजान में 1.12 करोड़ की लागत से निर्मित होने वाले स्वास्थ्य उप केंद्र, 1.01 करोड़ से निर्मित होने वाले राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हीरब, बंजार में 1.65 करोड़ की लागत से निर्मित होने वाले अधिशाषी अभियंता कार्यालय भवन, बाई पास सड़क बंजार के घेलीगढ़ में जीभी खड्ड के ऊपर 1.80 करोड की लागत से बेली पुल, तहसील भुंतर में 9.41 करोड़ रुपये की लागत की जलापूर्ति योजना जेस्टा मंजली, परली के अतिरिक्त स्रोत, राऊ नाला में 5.60 करोड़ रुपये से निर्मित होने वाली वाहन पार्किंग और तहसील सैंज 14.29 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाले मिनी सचिवालय भवन का शिलान्यास किया। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि पिछले साढ़े चार वर्ष में प्रदेश में अभूतपूर्व विकास हुआ है और इसका सारा श्रेय राज्य सरकार की कल्याणकारी और विकासोन्मुखी नीतियों को जाता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गृहिणी सुविधा योजना और मुख्यमंत्री सहारा योजना जैसी अनेक योजनाओं से आम लोगों के जीवन में उल्लेखनीय बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बिना किसी राजनीतिक द्वेष से राज्य के सभी क्षेत्रों का समान विकास सुनिश्चित किया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए स्थानीय विधायक सुरेंद्र शौरी ने कहा कि पौने पांच वर्षों के दौरान बंजार विधानसभा क्षेत्र का चहुंमुखी विकास हुआ है। इस दौरान क्षेत्र में करोड़ों की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं के कार्य आरंभ किए गए हैं और इनमें से कई योजनाओं के कार्य पूरे होने वाले हैं। उन्होंने बताया कि बंजार बाईपास का कार्य प्रगति पर है और क्षेत्रवासियों की लंबे समय से चली आ रही यह मांग भी जल्द ही पूरी हो जाएगी। इसके अलावा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सड़क, पेयजल और अन्य महत्वाकांक्षी योजनाओं के कार्य प्रगति पर हैं। उन्होंने क्षेत्र की कई अन्य मांगें भी मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत कीं। इस अवसर पर भाजपा के जिलाध्यक्ष भीम सेन शर्मा, मंडल अध्यक्ष बलदेव महंत, नगर पंचायत भुंतर की अध्यक्ष आशा शर्मा, उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग, एसपी गुरदेव शर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
राजेश कतनौरिया। जवाली जवाली के विधायक अर्जुन सिंह ने वीरवार को विश्राम गृह जवाली में मुख्यमंत्री राहत कोष व पौडा फंड के तहत 65 जरुरतमंद लाभार्थियों को 17 लाख 33 हजार 400 रुपए राशि के चैक वितरित किए। इस अवसर पर विधायक अर्जुन सिंह ने कहा कि पिछले 5 वर्षाें में जवाली विधानसभा में 600 से अधिक जरुरतमंद परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा आम जनता के हितार्थ कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई गई हैं, जिनका जनता को भरपूर लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि आज कोई परिवार व घर ऐसा नहीं बचा होगा, जिसे केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिला होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने जरूरतमंद लोगों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की है। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन जो कि कांग्रेस शासनकाल में 80 वर्ष की आयु पूरी करने वाले बुजुर्गों और विधवा महिलाओं को दी जाती थी। जयराम सरकार ने इस आयु सीमा को 80 से घटाकर 60 वर्ष किया, जिससे आज प्रदेश हजारों बुजुर्गों व विधवा महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ मिल रहा।
मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं के लिए कांगड़ा की समस्त जनता की तरफ़ से मुनीष शर्मा ने जताया आभार मनोज कुमार। कांगड़ा प्रदेश बास्केटबॉल संघ के अध्यक्ष व समाज सेवी मुनीष शर्मा ने जारी बयान में कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कांगड़ा में जल शक्ति विभाग का नया मण्डल खोलने की घोषणा, नागरिक अस्पताल कांगड़ा को 50 बिस्तर क्षमता से 100 बिस्तर क्षमता में स्तरोन्नत करने, भडियाड़ा में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान खोलने, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मटौर में साइंस ब्लॉक के निर्माण, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बौड़कुआलू में विज्ञान कक्षाएं शुरू करने और राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला वीरता में वाणिज्य संकाय की कक्षाएं आरम्भ करने की भी घोषणा, राजकीय स्नातक महाविद्यालय मटौर में विज्ञान कक्षाएं शुरू करने, रानीताल में नई उप तहसील खोलने, रानीताल में नया प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तकीपुर को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्तरोन्नत करने, सोहड़ा में नया पशु चिकित्सालय खोलने, ग्राम पंचायत रजोल में स्थित उप स्वास्थ्य केन्द्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्तरोन्नत करने तथा उप स्वास्थ्य केन्द्र गाहलियां को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्तरोन्नत करने की भी घोषणा की। इसकी लिए मुनीश शर्मा ने कांगड़ा की तमाम जनता की तरफ से माननीय मुख्यमंत्री का दिल की गहराइयों से हार्दिक धन्यवाद किया है। मुख्यमंत्री से जो घोषणाएं वर्ष 2018 2019 में करवाई गई थी वे, सब धरातल पर उतर गई है तथा जनता उससे अब भान्वित होगी। उन्होंने कहा कि कांगड़ा के युवाओं का एक सपना था कि कांगड़ा में एक भव्य इनडोर स्टेडियम बने, ताकि युवा उसमें अपना खेल गतिविधियों का अभ्यास कर सकें तथा राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभाओं को दिखा सकें। जिसका नींब पत्थर भी रख दिया गया है, जो कि एक वर्ष के भीतर बन कर खिलाड़ियों को समर्पित होगा। विगत साढ़े चार वर्षों में कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र के लिए करोड़ों रुपए मुख्यमंत्री महोदय ने विकास कार्यों के लिए उपलब्ध करवाए हैं। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में 1-2 योजनाएं छूट गई हैं, जिनमें प्रमुख रूप से काऊ सेंचुरी का निर्माण तथा एयरपोर्ट का विस्तारीकरण, जिसमें काऊ सेंचुरी के निर्माण के लिए भी रास्ते हेतु पैसा आ चुका है, बाकी निर्माण कार्य के लिए भी इसी वर्ष बजट में डलवाने का प्रयास किया जाएगा। जहां तक एयरपोर्ट विस्तारीकरण का मामला है, उसे मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा, क्योंकि एयरपोर्ट विस्तारीकरण पर राज्य सरकार की प्रपोजल केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है, जिसकी डीपीआर बन रही है, जिसमें ग्राम पंचायत मटौर, सहौड़ा, इच्छी, गगल, सनाैरां व नंदेहड के हजारों लोग विस्थापित होंगे, उनके पुनर्वास का भी कोई विशेष प्रबंध किया जाए, इसमें 20 नवंबर 2019 को जिलाधीश के मार्फत एक पत्र भी दिया था, जिसमें सराह के पास की खाली जमीन को एयरपोर्ट विस्थापितों के लिए देने का प्रावधान करने हेतु कहा गया है। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट विस्तारीकरण के समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि गग्गल इत्यादि स्थानीय बाजार से विस्थापन बहुत कम हो, ताकि लोगों का रोजगार चला रहे। इसके साथ साथ लोगों की कृषि भूमि भी एयरपोर्ट विस्तारीकरण के दायरे में कम आए और लोगों के घर भी कम टूटे, ताकि विस्थापन कम हो। इसके लिए भी मुख्यमंत्री से केंद्र सरकार के समक्ष मामला उठाने का विशेष प्रयास किया जाएगा।
मनोज कुमार। कांगड़ा भाजपा प्रदेश सचिव वीरेंद्र चौधरी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों द्वारा जो ऋण, ओबीसी वित्त एवं निगम द्वारा लिए गए थे, उन पर पैनल इंटरेस्ट जो की करीब 31 करोड़ रुपए था, वह हिमाचल सरकार द्वारा माफ कर दिया गया है। उन्होंने इस कार्य के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा जगत प्रकाश नड्डा का विशेष रूप से धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि इस राशि को बजट में डलवाने के लिए भाजपा संगठन मंत्री हिमाचल प्रदेश पवन राणा का विशेष योगदान रहा। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का यह काम अपनी कलम से करने के लिए विशेष रूप से धन्यवाद दिया। वीरेंद्र चौधरी ने कहा कि इस लोन पर ब्याज माफी के लिए वह केंद्र तथा हिमाचल के कई नेताओं से बार-बार पिछले 5 वर्षों से निजी तौर से मिले तथा इसे माफ करने के लिए आग्रह किया। वीरेंद्र चौधरी ने कहा कि जो लोन लिया गया था, वह कई लोन धारकों द्वारा वापस भी कर दिया, परंतु वह चक्र विधि ब्याज के कारण कई गुना बढ़ गया था। इसमें कई लोन धारकों की मृत्यु भी हो गई थी। यह उनके परिवार इसको भरने पर विवश थे। सरकार द्वारा यह बहुत बड़ी राहत अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दी गई है। वीरेंद्र चौधरी ने भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शसौदान सिंह, भाजपा प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना, संजय टंडन भाजपा सह प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप, ओपी चौधरी, मनीष शर्मा का धन्यवाद जिन्होंने इस कार्य को मूर्त रूप देने के लिए अथक प्रयास किए।
फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला कांग्रेस पार्टी को एक परिवार की पार्टी बताने के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के बयान पर विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कड़ी प्रतिक्रया व्यक्त की है। मुकेश अग्निहोत्री ने जयराम ठाकुर पर पलटवार करते हुए कहा कि खुद जयराम ठाकुर एक कठपुतली मुख्यमंत्री है। पूरा हिमाचल जानता है कि हिमाचल सरकार के फैसले दिल्ली में बैठे मोदी, शाह और नड्डा ले रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों में उनकी पकड़ कमज़ोर है, वर्ना अधिकारियों को लक्ष्मण रेखा के भीतर रहना चाहिए वाला बयान न देना पड़ता, मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल अपनी अस्मिता और गौरव के लिए जाना जाता था। ऐसा हिमाचल में आज तक नहीं हुआ कि कोई कठपुतली सरकार चलाए। कांग्रेस प्रचार कमेटी के अध्यक्ष एवं विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जयराम ठाकुर पर पलटवार करते हुए उनको खुद दिल्ली के हाथों कठपुतली बताया। उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर को दिल्ली में बैठे तीन लोग चला रहे हैं और उन तीनों को देश के दो बड़े उद्योगपति चला रहे हैं। सुक्खू ने कहा कि जयराम सरकार दिल्ली में गिरवी पड़ी हुई है और केंद्र की मोदी सरकार पूंजीपतियों के यहां गिरवी है, जिसकी कीमत हिमाचल की जनता को चुकानी पड़ी है। सुक्खू ने कहा कि हिमाचल के सेब बागवानों के साथ अन्याय कोई और नहीं, बल्कि मोदी सरकार अपने पूंजीपति मित्र अदानी को लाभ पहुंचने के लिए कर रही है। इस पर जयराम ठाकुर खामोश बैठे हुए हैं। सुक्खू ने कहा कि जयराम ठाकुर संघ परिवार से आए फरमानों को भी आंख मूंद कर हिमाचल की जनता पर थोप रहे हैं।
विनायक ठाकुर । देहरा आम आदमी के प्रदेश प्रवक्ता रिटायर्ड कर्नल मनीष ने आज, देहरा में पत्रकार वार्ता के दौरान हिमाचल प्रदेश के लोगों को आम आदमी पार्टी द्वारा दी गई दस गारंटियों बारे जानकारी देते हुए बताया कि केजरीवाल की ओर से हिमाचल की जनता को दस गारंटियाँ दी है जिनमें केजरीवाल की हिमाचल के लाखों बेरोज़गारों को दी गई रोजगार गारंटी के बारे बताते हुए कहा कि हिमाचल के हर युवा को रोजगार दिया जाएगा। जब तक रोजगार नहीं मिलता, तब तक 3000 रुपए बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर 6 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी जाएगी। सरकारी नौकरी में भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म किया जाएगा। सरकारी क्षेत्र की नौकरी में सिफारिश और भ्रष्टाचार को पूरी तरह समाप्त कर पारदर्शिता लाई जाएगी, और आम जनता को नौकरी के अवसर दिए जाएंगे। व्यापारियों और पर्यटन उद्योग के लिए बनाया जाएगा सलाहकार बोर्ड, इंस्पेक्टरी राज और राजनैतिक भ्रष्टाचार से मिलेगी मुक्ति देते हुए दिल्ली की तरह हिमाचल को भी किया जाएगा पूरी तरह भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के व्यापारियों और पर्यटन उद्योग के लोगों को भी गारंटी देते हुए कर्नल मनीष ने कहा कि व्यापारियों में भय का वातावरण खत्म किया जाएगा और हर व्यापारी को मान सम्मान दिया जाएगा। व्यापारियों को रैड राज और भ्रष्टाचार से मुक्ति प्रदान की जाएगी। वेट एमनेस्टी स्कीम लाई जाएगी और 6 महीने में वैट रिफंड किया जाएगा। व्यापरियों के लिए सलाहकार बोर्ड बनाया जाएगा और पर्यटन उद्योग की स्वीकृति के लिए सिंगल विंडों सिस्टम लागू किया जाएगा। भ्रष्टाचार मुक्त हिमाचल की गारंटी केजरीवाल की ओर से हिमाचल को भ्रष्टाचार मुक्त करने की गारंटी दी गई है। दिल्ली की तरह हिमाचल में भी सरकार तंत्र में भ्रष्टाचार खत्म किया जाएगा। दिल्ली की तर्ज पर एक फ़ोन नंबर जारी किया जाएगा। आम जनता फोन करके काम बताएगी और सरकारी कर्मचारी के लोगों के घर आकर काम करेंगे । जिससे सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने से निजात मिलेगी किसी भी आदमी को अब सरकारी काम कराने के लिए रिश्वत का सहारा नहीं लेना पड़ेगा दिल्ली की तर्ज पर वाहन पंजीकरण , आयु, जाति, आय आदि प्रमाण पत्र घर में आकर बनाए जाएंगे। गुणात्मक शिक्षा की गारंटी आम आदमी पार्टी द्वारा हिमाचल की जनता को दी गयी शिक्षा की गारंटी के बारे में बताते हुए कर्नल मनीष धीमान ने कहा कि हिमाचल में हर बच्चे को अच्छी और फ़्री शिक्षा देते हुए दिल्ली की तरह सभी सरकारी स्कूलों को शानदार बनाया जाएगा तथा दिल्ली की तरह हिमाचल प्रदेश में भी प्राइवेट स्कूलों को नाजायज़ फ़ीस नहीं बढ़ाने देंगे। इसके साथ सभी अस्थाई शिक्षकों को स्थाई तौर पर नियमित किया जाएगा एवं शिक्षकों के सभी ख़ाली पद भरे जाएँगे और शिक्षकों को शिक्षण के अलावा और कोई भी अन्य कार्य नहीं दिया जाएगा। पंचायत के विकास की गारंटी के बारे जानकारी देते हुए आप प्रवक्ता ने बताया कि हर पंचायत को 10 लाख रुपए की राशि विकास के कार्यों हेतु प्रदान की जाएगी और पंचायत के प्रधान को 10 हजार रुपए हर महीने वेतन दिया जाएगा जिससे उनका मनोबल ऊँचा होगा, प्रदेश के बुजुर्गों के लिए तीर्थ यात्रा की गारंटी बारे बताते हुए आजटा ने कहा कि प्रदेश के हर बुजुर्ग को उनके पसंदीदा तीर्थस्थल की यात्रा सरकारी खर्चे पर कराई जाएगी। इसके साथ ही किसानों बागवानों को दी गई गारंटी की जानकारी देते हुए कर्नल मनीष ने बताया कि किसानों बागवानों की फसलों का उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाएगा। खाद, बीज और कीटनाशक में सब्सिडी प्रदान की जाएगी। उत्पाद के भंडारण, प्रोसेसिंग और बिक्री के लिए मंडी, कोल्ड स्टोरेज यूनिट का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही सेब की पैकिंग के लिए पैकेजिंग मटेरियल पेटी और ट्रे स्थानीय स्तर पर तैयार कर सस्ते दामों में उपलब्ध कराई जाएगी। सैनिक एवं महिला सम्मान की गारंटी आम आदमी पार्टी प्रदेश के सैनिकों एवं महिलाओं के सम्मान में दी गई गारंटी बारे विस्तार से बताते हुए, कर्नल मनीष ने कहा कि भारतीय सेना और हिमाचल पुलिस के जवान अगर सेवा के दौरान शहीद होते हैं तो उनके परिवार को 1 करोड़ रुपए की सम्मान राशि दी जाएगी इसके अलावा प्रदेश की महिलाओं का सम्मान करते हुए 18 वर्ष से अधिक आयु की सभी महिलाओं को हर महीने 1000 रुपए स्त्री सम्मान राशि दी जाएगी।
भट्टू में पीएचसी खोलने, सनहूं तथा ननाओं के पशु औषधालयों को पशु अस्पताल के रूप में स्तरोन्नत करने की घोषणा फर्स्ट वर्डिक्ट। पालमपुर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद हिमाचल प्रदेश ने सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व विकास कर समाज के हर वर्ग का कल्याण सुनिश्चित किया है। आज कांगड़ा जिला के सुलह विधानसभा क्षेत्र के दैहण मैदान में आयोजित ‘लाभार्थी संवाद’ कार्यक्रम के दौरान विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच वर्षों के दौरान रिकॉर्ड विकास कार्यों तथा जनकल्याणकारी योजनाओं के आधार पर प्रदेश सरकार दोबारा सत्ता में आएगी। जयराम ठाकुर ने ऊना जिला के लिए 1200 करोड़ के बल्क ड्रग फार्मा पार्क को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इससे प्रदेश के युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और प्रदेश की आर्थिकी भी सुदृढ़ होगी। उन्होंने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के रूप में प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक पहल की थी। इससे हिमाचल प्रदेश निवेशकों के हब के रूप में विकसित हुआ है। यह ग्लोबल इन्वेस्टर मीट राज्य में अभी तक लगभग 96,721 करोड़ का निवेश आकर्षित करने में सफल रही है। पहली ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में 13,488 करोड़ रुपए और दूसरी दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में 28,197 करोड़ के निवेश पर हस्ताक्षर हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व और केंद्र सरकार की उदार सहायता के कारण हिमाचल प्रदेश तेजी से प्रगति और समृद्धि के पथ पर अग्रसर हो रहा है। नालागढ़ में 349 करोड़ से अधिक के निवेश से मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस पार्क से 10 हजार से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। हिमाचल प्रदेश के 75 वर्ष के सफर की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1948 में गठन के समय राज्य में केवल चार जिले थे जबकि आज जिलों की संख्या 12 है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1948 में राज्य में प्रति व्यक्ति आय मात्र 240 रुपए थी, जो अब बढ़कर 2,01,873 रुपए हो गई है। वर्तमान में राज्य की साक्षरता दर 83 प्रतिशत हो गई है, जो वर्ष 1948 में केवल 4.8 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 1948 में राज्य में केवल 228 किलोमीटर सड़कें थीं, जबकि आज लगभग 40,000 किलोमीटर सड़क नेटवर्क दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़ रहा है। जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री हिमकेयर योजना, मुख्यमंत्री सहारा योजना, मुख्यमंत्री गृहिणी सुविधा योजना और मुख्यमंत्री शगुन योजना जैसी कल्याणकारी योजनाओं ने जरूरतमंदों और गरीबों को हरसंभव राहत प्रदान की है। उन्होंने कहा कि हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में महिला यात्रियों को किराये में 50 प्रतिशत की रियायत दी गई है और घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली भी उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय से 14 लाख से अधिक ऐसे उपभोक्ताओं को घरेलू बिजली की खपत पर शून्य बिल आए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के बिल भी माफ किए हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत राज्य सरकार ने पेंशन के 3 लाख से अधिक नए मामलों को मंजूरी प्रदान की है। राज्य सरकार द्वारा 3052 करोड़ रुपए व्यय कर 7,20,514 लाभार्थियों को पेंशन का लाभ प्रदान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने भट्टू में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने, पशु औषधालय सनहूं और ननाओं को पशु अस्पताल में स्तरोन्नत करने, राजकीय उच्च पाठशाला बैरघट्टा को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के रूप में स्तरोन्नत करने और राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पुढ़वा में वाणिज्य की कक्षाएं आरम्भ करने की घोषणा की। लोगों की विद्युत बोर्ड का वृत कार्यालय और सब जज कोर्ट खोलने की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए औपचारिकताओं को पूरा कर व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार की जाएगी और यदि संभव हुआ तो विद्युत बोर्ड का वृत कार्यालय और न्यायालय खोलने पर विचार किया जाएगा। इससे पहले, मुख्यमंत्री ने 37.55 करोड़ लागत की उठाऊ पेयजल आपूर्ति योजना कंगेहड़ से थंबू, 1.52 करोड़ लागत से ग्राम पंचायत रौड़ा के लिए पेयजल आपूर्ति योजना, ग्राम पंचायत भौरा व थंडोल के लिए 4.66 करोड़ की लागत से निर्मित उठाऊ जलापूर्ति योजना, 2.87 करोड़ की लागत से गांव बुहला मैंझा, गडरेड घडेला कलां और फलवार के लिए निर्मित जलापूर्ति योजना, 96 लाख की लागत से निर्मित पटबाग लिझान जलापूर्ति योजना और भवारना में जल शक्ति विभाग के वृत कार्यालय का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने सुलह विधानसभा क्षेत्र के लिए 101.12 करोड़ की लागत की पांच विकासात्मक परियोजनाओं के शिलान्यास भी किए। इन परियोजनाओं में बैरघट्टा-डुहक सड़क मार्ग पर न्यूगल खड्ड पर 16.80 करोड़ की लागत से बनने वाला डबल लेन पुल, पालमपुर तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव कौना पिहाड़ी, डुहक धनियारा, भेड़ी पपरोला, डली भलुंदर और लाहडू साड्डा के लिए 10.07 करोड़ की लागत से बनने वाली उठाऊ जलापूर्ति योजना, 4.25 करोड़ लागत की प्रवाह सिंचाई योजना बड़ा ब्यास, 70 करोड़ की लागत से सुलह में बनने वाला फॉर्मेसी महाविद्यालय और कोना में बनने वाला आईटीआई भवन शामिल है। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने भवारना में जल शक्ति विभाग का नया वृत कार्यालय और लोक निर्माण विभाग तथा विद्युत बोर्ड के मंडल कार्यालय खोलने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इन विकास कार्यों से सुलह विधानसभा क्षेत्र के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। उन्होंने कहा कि 37.55 करोड़ लागत से निर्मित उठाऊ जलापूर्ति योजना का लोकार्पण होने से क्षेत्र के 6 हजार से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा। समारोह में बैजनाथ के विधायक मुल्ख राज प्रेमी, धर्मशाला के विधायक विशाल नैहरिया, हरियाणा के कोसली क्षेत्र के विधायक लक्ष्मण यादव, वूल फेडरेशन के अध्यक्ष एवं भाजपा प्रदेश महासचिव त्रिलोक कपूर, कर्मचारी एवं पेंशनभोगी कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष घनश्याम शर्मा, पूर्व विधायक प्रवीण शर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष हरि दत्त शर्मा, उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल, पुलिस अधीक्षक खुशाल शर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
कांग्रेस का फ्लॉप शो है रोजगार संघर्ष यात्रा, नेता कर रहे किनारा चिटों पर भर्तियां और नौकरियां बेचने वाले निकाल रहे रोजगार संघर्ष यात्रा फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला श्री नैना देवी जी से पूर्व विधायक और भाजपा प्रदेश मुख्यप्रवक्ता रणधीर शर्मा ने कांग्रेस की रोजगार संघर्ष यात्रा को लेकर निशाना साधा है। रणधीर शर्मा ने कहा कि रोजगार संघर्ष यात्रा नहीं, यह कांग्रेस की सत्ता संघर्ष की यात्रा है। खुद सत्ता में रहकर नौकरियां बेचने वाले, चिटों पर नौकरियां देने वाले आज युवाओं को ठगने के लिए रोजगार संघर्ष यात्रा निकाल रहे हैं। यह महज एक छलावा है। उन्होंने इस यात्रा को कांग्रेस का फ्लॉप शो करार दिया। रणधीर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस ने इस यात्रा की कमान भी ऐसे लोगों के हाथ सौंपी जिनके परिवारों ने सत्ता में रहते न जाने कितने लोगों का रोजगार छीना। विक्रमादित्य सिंह और रघुवीर सिंह बाली इस यात्रा के अगुवा बने हैं, लेकिन इन दोनों नेताओं के परिवारों ने किस तरह से सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर अपने चहेतों को फायदा पहुंचाया, यह हिमाचल का बच्चा-बच्चा जानता है। जब-जब चुनाव आते हैं, कांग्रेस के लोग इस तरह की यात्रा निकालने लग जाते हैं। दिवंगत नेता श्री जीएस बाली जब सरकार में मंत्री थे, तो उनके विभागों में होने वाली भर्तियों में सिर्फ एक क्षेत्र के युवा भर्ती होते थे। सरकारी नौकरियों में सिर्फ जीएस बाली के क्षेत्र और रामपुर व रोहड़ू के लोगों को प्राथमिकता दी जाती थी। रणधीर शर्मा ने कहा कि 2012 में भी पूर्व मंत्री जीएस बाली ने ऐसी ही रोजगार यात्रा निकाली थी, लेकिन 2012 से 2017 तक वह खुद मंत्री रहे, तो उन्होंने कितने लोगों को रोजगार दिलाया? रणधीर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस की रोजगार यात्रा पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुई है। हालात यह हो गए हैं कि अब तो कांग्रेस के नेता भी रोजगार संघर्ष यात्रा से किनारा करने लगे हैं। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव आश्रय शर्मा ने रोजगार यात्रा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इससे साफ हो रहा है कि कांग्रेस की यह यात्रा फ्लॉप साबित हो रही है। नेता इससे किनारा कर रहे हैं। कांग्रेस की रोजगार यात्रा पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज सत्ता में आने के लिए रोजगार यात्रा के नाम पर जो भारी-भरकम खर्च कांग्रेस द्वारा किया जा रहा है, उससे कितने ही युवाओं को स्वरोजगार के लिए मदद की जा सकती थी। यात्रा निकालने से नहीं, बल्कि नीति बनाने से युवाओं को रोजगार मिलेगा और नीति बनाने का काम जयराम ठाकुर की सरकार ने किया है। भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार एवं प्रदेश में जयराम सरकार ने युवाओं के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना प्रदेश में स्वावलंबन योजना और मुख्यमंत्री स्टार्टअप योजना का हज़ारों युवा लाभ उठा रहे हैं। प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने की दृष्टि से स्वावलंबन योजना को शुरू किया गया था। योजना के तहत कुल 721 करोड़ का निवेश हुआ। 200 करोड़ की अनुदान राशि प्रदान की गई। इसमें कुल 4 हजार 377 इकाइयां क्रियान्वित हो चुकी हैं। 11,674 लोगों को रोजगार मिल चुका। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश के युवाओं को कांग्रेस के इन नेताओं से पूछना चाहिए कि जब प्रदेश में उनकी सरकार थी तब आपने युवाओं के लिए क्या किया? युवाओं के लिए कौन सी योजना चलाई? आज कांग्रेस जिस वीरभद्र सिंह विकास मॉडल का ढिंढोरा सारे प्रदेश में पीट रही है, उसकी हकीकत यह थी कि चुनाव से पहले तो बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही थी, मगर सत्ता में आते ही देने से इनकार कर दिया था। लोगों का कांग्रेस पर से भरोसा उठ चुका है, यही वजह है कि एक बार फिर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी।
NSUI कार्यकर्ताओं ने आरएस बाली के समर्थन में युवाओं ने जमकर की नारेबाजी मनीष ठाकुर। इंदाैरा रोजगार संघर्ष यात्रा के दूसरे दिन कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव आरएस बाली नूरपुर और जसूर के बाद जैसे ही इंदौरा पहुंचे, वहां समर्थकों के भारी हुजूम ने उनका जोरदार स्वागत किया। NSUI कार्यकर्ताओं ने आरएस बाली के समर्थन और युवाओं के लिए जमकर नारेबाजी की। इस दौरान बेरोजगारी के खिलाफ युवाओं में भारी रोष देखने को मिला। युवाओं का कहना आज के समय में सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार का है। रोजगार संघर्ष यात्रा को लेकर युवाओं ने कहा कि बीजेपी युवाओं को बेरोजगारी की तरफ ले जा रही है। इस हम लोग यहां जमा हुए हैं। इस यात्रा को लेकर बुजुर्गों का कहना था कि आज मजबूर होकर हिमाचल ही नहीं, बल्कि पूरे देश के बच्चे बेरोजगार हैं और मजबूर होकर सड़क पर उतरना पड़ रहा है। इस मौके पर युवाओं के साथ बुजुर्गों का भी सरकार के खिलाफ आक्रोश देखने को मिला। यहां आरएस बाली ने काठगढ़ मंदिर में अपना शीश नवाया। काठगढ़ में जनसभा का आयोजन भी किया गया। इस जनसभा को संबोधित करते हुए आरएस बाली ने कहा कि यहां हम कोई राजनीतिक बात नहीं करेंगे और न ही किसी को कोसेंगे, उनका कहना था कि हमारा मकसद सिर्फ और सिर्फ युवाओं और बेरोजागरों की मदद करना है, उनका हक उनको दिलवाना भी हमारा अहम उद्देश्य है। इस हम यहां राजनीतिक बात करने नहीं आए हैं। इस मौके पर आरएस बाली रोजगार संघर्ष यात्रा, कांग्रेस एकता जिंदाबाद के साथ सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के लिए नारेबाजी करते हुए आगे बढ़ते दिखे। इस दौरान कई युवा आरएस बाली के साथ सेल्फी लेते दिखाई दिए। इस मौके पर जीएस बाली अमर रहे के नारे भी लगाए गए, यहां युवाओं ने बाइक रैली भी निकाली। उधर, कांग्रेस नेता मनमोहन कटोच का कहना था कि हिंदुस्तान में करीब 12 करोड़ लोग बेरोजगारी की दर पर खड़े हैं, जिससे देश डूब रहा है। उन्होंने कहा अगर हिमाचल प्रदेश की बात की जाए, तो हिमाचल का नौजवान सड़क पर हैं, भाजपा की सरकार नौजवानों को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा देश और प्रदेश के नौजवानों के लिए कांग्रेस लड़ाई लड़ रही है। बीजेपी पर हमला करते हुए उन्होंने कहा बीजेपी के नेता देश को जोड़ने का काम करें। लोगों को ठगने वाली सोच से बीजेपी बचे। वहीं, हिमाचल यूथ कांग्रेस अध्यक्ष निगम भंडारी ने युवाओं से अपील की है कि आरएस बाली की सोच के साथ जुड़ें। उन्होंने कहा रोजगार संघर्ष यात्रा के जरिए ज्यादा से ज्यादा युवा जुड़ें। निगम भंडारी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी बधाई दी कि इस यात्रा में जोर-शोर से भाग ले रहे हैं। इस मौके पर जिला अध्यक्ष कांग्रेस करण सिंह पठानिया, ब्लॉल अध्यक्ष देवेंद्र मनकोटिया, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष ओम प्रकाश कटोच, ब्लॉक जनरल सेक्रेटरी सुधीर पठानिया, एचपीसीसी सचिव मलिंदर राजन, एससी मोर्चा सचिव कमलकिशोर, बीवाईसी अध्यक्ष प्रधान विजेंदर पठानिया, यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मनमोहन कटोच ने अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई।
हिमाचल में लंबे समय तक रहेगा मोदी और भाजपा का रिवाज फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला भाजपा के प्रदेश सह चुनाव प्रभारी देविंदर सिंह राणा ने शिमला मंडल की बैठक में भाग लिया जिसकी अध्यक्षता पंचायत भवन में राजेश शारदा ने की। राणा ने कहा कि भाजपा दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक परिवार है। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में विकसित हुए हैं। हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत भारत की छवि को और मजबूत किया है। यह सिर्फ नरेंद्र मोदी ही कर सकते हैं। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व गुरु बन रहा है।हमारी क्षमताएं विश्व प्रसिद्ध हैं। राणा ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान देश का प्रबंधन उल्लेखनीय था और यह केवल नरेंद्र मोदी के नाम पर एक मजबूत नेतृत्व के कारण ही हो सका।जब अन्य देशों ने महामारी के कारण दम तोड़ दिया। वहीं, भारत को न्यूनतम नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि भाजपा हमलावर मोड में है और हम कांग्रेस नेतृत्व को करारा जवाब दे रहे हैं। कांग्रेस बिखरी हुई है और भाजपा एकजुट है, कांग्रेस पार्टी के नेता अपनी पार्टी छोड़ रहे हैं, जबकि भाजपा में नेता जुड़ रहे है।कांग्रेस के मौजूदा विधायक भी भाजपा में शामिल हो रहे हैं। यह भाजपा में उनकी आस्था को दर्शाता है। हिमाचल में लंबे समय तक रहेगा मोदी और भाजपा का रिवाज। हम निश्चित रूप से 2022 में सरकार बना रहे हैं, कांग्रेस तुलना में कहीं नहीं है।भाजपा के राष्ट्रीय, प्रदेश, जिला, मंडल और बूथ अध्यक्ष सभी भाजपा के प्रबल कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर अच्छे हाथों में है और केंद्र सरकार के मार्गदर्शन में कश्मीर की कानून-व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में है। हमने उत्तराखंड जीता है और अब हम हिमाचल भी जीतेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक नेतृत्वविहीन और दृष्टिहीन पार्टी है, दूसरी ओर भाजपा के पास एक उत्कृष्ट पार्टी तंत्र है। बूथ स्तर पर हमारी बूथ समितियां बनाई गई हैं। आगामी आम चुनाव में कांग्रेस के जीतने की कोई गुंजाइश नहीं है। मैंने देखा कि भारत जोड़ाे यात्रा के लिए 8 करोड़ के वाहन का उपयोग किया जा रहा है और कुल 7 ऐसे वाहन हैं। यह कांग्रेस के नेताओं के असाधारण स्वभाव को दर्शाता है। वे आम आदमी को कभी नहीं समझ सकते। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान खो चुकी कांग्रेस से हिमाचल की जनता का भी मोहभंग हो गया है।
टंग में हुआ भाजपा महिला मोर्चा धर्मशाला का सम्मेलन पंकज सिंगटा। धर्मशाला महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष रश्मिधर सूद ने धर्मशाला की भाजपा महिला कार्यकर्ताओं को चुनाव में जीत की घुटी पिलाई है। शनिवार को धर्मशाला के टंग में भाजपा महिला मोर्चा धर्मशाला का सम्मेलन हुआ। कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष श्रीमती रश्मिधर सूद ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत कर महिलाओं को संबोधित किया। प्रदेशाध्यक्ष ने प्रदेश में भाजपा की जीत के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं को गिनाकर कमल का फूल कभी न भूल का नारा दिया। सूद ने कहा कि कांग्रेस ने अपने 70 वर्ष के शासनकाल में महिलाओं को ठगा है। सांसद प्रतिभा सिंह आए दिन महिलाओं का अपमान करने से पीछे नहीं हटती है। असल मे महिलाओं का सम्मान भाजपा ही करती है। इसलिए भाजपा ने महिलाओं के लिए गृहणी सुविधा योजना, उज्ज्वला योजना, महिलाओं के लिए बसों में आधा किराया जैसी सुविधाएं प्रदान की हैं। वहीं, विधायक विशाल नैहरिया ने भी महिलाओं के लिए चलाई गई योजनाओं को एक-एक कर गिनाया और आगामी चुनाव में भाजपा का साथ देने की महिलाओं से अपील की। विधायक ने कहा कि साढ़े चार वर्ष कांग्रेस के नेता कहीं दिखाई नहीं देते हैं और चुनाव के समय निकलकर जनता को गुमराह करते हैं, लेकिन धर्मशाला की समझदार है और झूठे लोगों का साथ नहीं देगी। वहीं, 'आप' के झाड़ू की एक एक तीली टूट चुकी है। इससे पूर्व प्रदेशाध्यक्ष का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया। कार्यक्रम में भाजपा मंडल धर्मशाला प्रभारी आसीम गुप्ता, महिला मोर्चा प्रदेश सचिव गायत्री कपूर, रजनी ठाकुर सह सचिव, मनोरमा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य, महिला मोर्चा कांगड़ा चंबा प्रभारी शोभा डढवाल, कांगड़ा प्रभारी सोनिया बंटा, कांगड़ा जिला अध्यक्ष रंजू, भाजपा महिला मोर्चा मंडल अध्यक्ष सुनीता शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष स्नेह कपूर, उपाध्यक्ष शक्ति अत्रि, सपना, आईटी प्रभारी रीता वर्मा व सचिव नीलम सूद आदि मुख्य रूप शामिल रहीं। यह भी रहे शामिल भाजपा मंडल अध्यक्ष अनिल चाैधरी, महामंत्री राजेश वर्मा, उपाध्यक्ष दिनेश कपूर, नगर निगम धर्मशाला महापौर ओंकार नैहरिया, उप महापौर सर्व चंद गलोटिया, नरवाणा खास प्रधान सरिता देवी, अंद्राड़ प्रधान शालू देवी, जदरांगल प्रधान रीता देवी, कंड करडियाना प्रधान सरला देवी, मदल प्रधान राकेश चौधरी, टंग उप प्रधान नीरज भट्ट व झियोल उप प्रधान सतीश चौधरी आदि शामिल रहे।
महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष नेटा डिसूजा द्वारा पत्रकार वार्ता का आयोजन महिलाओं को सशक्त करने की ओर पहला कदम होगी 1500 रुपए महीना देने की गारंटी पंकज सिंगटा। धर्मशाल धर्मशाला में महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष नेटा डिसूजा और प्रदेशाध्यक्ष जैनब चंदेल ने पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। इस वार्ता में मुख्य तौर पर कांग्रेस सरकार आने पर महिलाओं को 1500 रुपए दिए जाने की कांग्रेस की गारंटी पर बात की गई। राष्ट्रीय अध्यक्ष नेटा डिसूजा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में सेवा फाउंडेशन द्वारा एक सर्वे किया है और इस सर्वे में उन्होंने पाया कि जिन परिवारों में महिलाओं की आमदनी होती है, उन परिवारों में महिलाओं को ज्यादा मान सम्मान दिया जाता है। ऐसे में यह भी देखा गया है कि महिलाओं का शोषण भी इस स्तिथि में कम होता है। कांग्रेस द्वारा सरकार में आते ही महिलाओं को 1500 रुपए प्रति माह देने की गारंटी दी गई है, जो महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर एक कारगर कदम साबित होगा। हालांकि, यह रकम छोटी है, लेकिन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। भाजपा द्वारा सवाल उठाया गया था कि महिलाओं को दिया जाने वाला 1500 रुपए प्रति माह कांग्रेस कहां से लाएगी और यह पैसा कैसे दिया जाएगा। इस सवाल के जवाब पर नेटा डिसूजा ने कहा कि 'जहां चाह वहां रहा' है। इसे लेकर कांग्रेस आलाकमान ने पूरा रोड मैप तैयार कर लिया है। यह किस तरह से दिया जाएगा इस पर भी कांग्रेस ने पूरा विचार किया है और कांग्रेस इसका पूरा होमवर्क कर चुकी है। विज्ञापनों पर पैसा बर्बाद करती है भाजपा महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह भाजपा विज्ञापनों पर पैसा खर्च करती है वह सबके सामने है। कांग्रेस आज भी महिलाओं के लिए कार्य करती हैं और पहले भी बहुत कार्य कर चुकी है, लेकिन कांग्रेस ने कभी उसका प्रचार नहीं किया और विज्ञापनों पर सरकारी पैसा बर्बाद नहीं किया। हर जिला में महिला थाने खोलना वीरभद्र सरकार के दौरान हुआ और हर थाने में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं की नियुक्तियां होना भी कांग्रेस की सरकार में किया गया, जिससे महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिले। गुड़िया हेल्पलाइन हेल्पलैस गुड़िया हेल्पाइन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह सरकार गुड़िया के नाम से सत्ता में आई थी और आज वही गुड़िया हेल्पलाइन हेल्पलैस हो चुकी है। गुड़िया हेल्पाइन में आज की तारिक में 8409 शिकायतें पेंडिंग है, पड़ी हुई है। 2017 के दृष्टि पत्र में लिखी घोषणाओं में यदि भाजपा कहती है कि उन्होंने गुड़िया हेल्पाइन शुरू की है, तो उन्हे चूलू भर पानी में डूब मरना चाहिए, क्योंकि गुड़िया हेल्पाइन आज हेल्पलैस है। धर्मशाला में विकास केवल सुधीर शर्मा की देन धर्मशाला में हुए विकास को लेकर नेटा डिसूजा ने कहा कि आज धर्मशाला में भाजपा के विधायक है और धर्मशाला से ही सांसद भी है। उसके बावजूद भी भाजपा द्वारा शहर में कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि धर्मशाला का विकास केवल कांग्रेस के विधायक और पूर्व में मंत्री रहे सुधीर शर्मा ने ही किया है, फिर चाहे वह स्मार्ट सिटी को धर्मशाला लाना हो या फिर अन्य कार्य। भाजपा के खोखले मार्केटिंग ट्रिक्स में नहीं आएगी जनता भाजपा केवल खोखले मार्केटिंग ट्रिक्स का इस्तेमाल करती है और अब उनके झांसे में जनता नहीं आएगी। भाजपा ने 2017 के दृष्टि पत्र में जो घोषणाएं की थी, उनमें से भाजपा ने एक भी पूरी नहीं की है। यह सारे वादे केवल जनता को बहकाने के लिए किए गए थे। सच को झूठ और झूठ को सच दिखाना भाजपा की फितरत है। कांग्रेस प्रदेश और देश में महिलाओं को अधिकार देने जा रही है।
अनुराग ठाकुर ने हमीरपुर बाईपास पर बारल में किया हमीरपुर संसदीय क्षेत्र चुनाव कार्यालय का उद्धघाटन मीनाक्षी साेनी। हमीरपुर जब राज करने का मकसद नहीं, बल्कि देश के प्रति कर्तव्य निभाने का मंसूबा दिलों में हो तब जन जन सहयोग करता है, आशीर्वाद देता है। शुक्रवार शाम को हमीरपुर बाईपास पर बारल गांव में केंद्रीय सूचना प्रसारण युवा मामले एवं खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के पार्टी चुनाव कार्यालय का विधिवत रूप से उद्घाटन करते हुए उपस्थित पार्टी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को प्रेरणा देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने 10 चुनाव लगातार जीते हैं, जब यहां के कार्यकर्ताओं की ताकत और मेहनत का फल का नाम है और यहां की जनता का प्यार और आशीर्वाद है, लेकिन हर चुनाव एक चुनौती होता है और चुनाव पोलिंग बूथ पर लड़ा जाता है, एक एक पोलिंग बूथ बहुत महत्वपूर्ण होता है, पोलिंग बूथ पर बढ़त बनाके ही चुनाव जीता जाता है। हम सब मिलकर इतना काम करेंगे कि पहले से ज्यादा सीटें हम इस संसदीय क्षेत्र से जीत कर देंगे। डबल इंजन की सरकार फिर से लानी है कमल खिलाना है। 2022 में 2017 से आगे बढ़ कर दिखाएंगे। पूरी ताकत लगानी है, जहां कमी वहां काम करना है। सभी पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता कमल के फूल को लक्ष्य मानते हुए काम करें। हिमाचल का योगदान देश की तरक्की के लिए जरूरी है। कार्यकर्ता अगले 60 दिन पार्टी को देंगे तो पार्टी को अगले 60 महीने प्रदेश की सेवा करने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि देशवासियों ने सदियों तक राज करने वालों को छला है और अब एक प्रधान सेवक के रूप में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी देश को विश्व गुरु बनाने की राह पर अग्रसर करते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं, यह भी जनता देख रही है। मोदी सरकार की नीतियों को भलीभांति जांच परख कर देश की जनता ने उन्हें अपने दिलों में जगह दी है। प्रदेश में भी डबल इंजन की सरकार ने विकास की गाथा लिखने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। कार्यक्रम में पहुंचने पर ढोल नगाड़ों के साथ साथ पुष्प वर्षा और फूल मालाओं के केंद्रीय मंत्री का स्वागत अभिनन्दन पार्टी के लोगों ने किया। इस अवसर पर पार्टी के प्रदेश महामंत्री एवं संसदीय क्षेत्र के प्रभारी त्रिलोक जंबाल, सह प्रभारी सुमित शर्मा, हमीरपुर के जिलाध्यक्ष बलदेव शर्मा, विधायक नरेंद्र ठाकुर, कमलेश कुमारी, एचआरटीसी के उपाध्यक्ष विजय अग्निहोत्री, देहरा के जिलाध्यक्ष संजीव कुमार, जिला महामंत्री हरीश शर्मा, अभि वीर सिंह, लवली, प्यारे लाल शर्मा, अनिल ठाकुर, आदर्श कांत, कमलेश परमार, अंकुश दत्त शर्मा, विकास शर्मा, अनीश ठाकुर, अजय, रिंटू शर्मा, राजकुमारी, अभिषेक दत्त, सुमन, कपिल, विकास, शैंटी चंदेल, बीना, कपिल, वंदना योगी, नीना कुमारी, अर्जुन राणा, सुरेंद्र मिन्हास, त्रिलोक डडवाल, होशियार सिंह, विधि चंद, पवन शर्मा व बिक्रम राणा इत्यादि सहित सैकड़ों अन्य कार्यकर्ता और स्थानीय जनता मौजूद रही।
मुझे सच्चे और ईमानदार राजनीति की मांग करने के लिए किया जा रहा तंग व परेशान फर्स्ट वर्डिक्ट। नादौन नादौन विधानसभा से आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेता शैंकी ठुकराल के ठुकराल साबुन फैक्ट्री पर सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट ने छापेमारी की है। इन छापेमारी पर शैंकी ठुकराल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि, हम तो साबुन बेचते हैं जो मैले को साफ करता है। बस शायद यही एक वजह है कि कुछ लोग सफाई होने नही देना चाहते हैं। मुझे तो केवल सच्ची राजनीति और ईमानदार शासन की मांग करने पर तंग परेशान करने के लिए कुछ चंद नेताओं द्वारा यह षडयंत्र रचा जा रहा है। यह छापेमारी हाल ही में मेरे द्वारा दिए गए एक इंटरव्यू में कांग्रेस और भाजपा की सांठ गांठ की खोली गई पोल का नतीजा है, पर मैं एक ईमानदार पार्टी से आता हूँ जिसके नेताओं पर न जाने कितने छापे मारे गए पर उन्हें कुछ नहीं मिला। मेरे पास भी कुछ नही है, सभी कुछ कानून मुताबिक है और सबका हिसाब किताब है। शैंकी ने कहा कि हम ईमानदारी और सच्चाई के साथ अपना व्यापार करते हैं, हम इन छापों से डरने वाले नहीं है। हम सारे अफसरों का स्वागत करते हैं, उनको पूरी तरह से हर प्रकार का समर्थन दिया जाएगा।
फर्स्ट वर्डिक्ट। साेलन 24 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंडी में भाजयुमो की युवा संकल्प रैली में कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। इस कार्यक्रम को लेकर सोलन में भी तैयारियां शुरू कर दी गई है। शुक्रवार को भाजयुमो सोलन मंडल द्वारा शहर के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ युवा मोर्चा सोलन मंडल के कार्यकर्ताओं ने पीएम मोदी के कार्यक्रम को लेकर रणनीति तैयार की। बैठक की अध्यक्षता भाजयुमो सोलर मंडल अध्यक्ष रोहित भारद्वाज ने की। इस दौरान रोहित भारद्वाज ने कहा कि 24 सितंबर को प्रधानमंत्री हिमाचल आने वाले हैं। ऐसे में उनके स्वागत को लेकर युवाओं में खासा उत्साह है। उन्होंने कहा कि मंडी में 24 सितंबर को आयोजित होने वाली युवा संकल्प रैली में सोलन मंडल से भी कार्यकर्ता भाग लेने वाले हैं। उन्होंने कहा कि इसी के मद्देनजर आज एक बैठक आयोजित की गई है। इस बैठक में युवा मोर्चा के सभी ग्राम केंद्र प्रभारियों को नियुक्त किया गया। वह साथ ही उन्हें आगामी कार्रवाई हेतु आगे का दायित्व दिया गया है, जो हर एक ग्राम केंद्र से 2 हज़ार युवा खोले जाने का युवा मोर्चा ग्राम केंद्र प्रभारी प्रयास करेंगे और इसमें सभी युवा मोर्चा साथियों ने बढ़-चढ़कर भाग लेने का संकल्प लिया। विशेष रूप से उपस्थित रहे राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सकेश शर्मा व स्थानीय भाजपा मंडल अध्यक्ष मदन ठाकुर, राजेश कश्यप, तरसेम भारती, कुमारी शीला प्रवासी, विस्तारक ऋषि कंडवाल व जगमोहन रावत और सभी युवा साथी उपस्थित रहे।
हिमाचलियों को अपने घर आने का अब नहीं लगता टैैक्स हिमकेयर-सहारा, स्वालंबन व गृहिणी सुविधा योजना बने वरदान न भूतो, न भविष्यते: जयराम सरकार लाई ऐसी योजनाएं पंकज सिंगटा। धर्मशाला देश एक ओर आजादी की 70वीं वर्षगांठ मना रहा था, तो वहीं हिमाचलियों को बाहरी राज्यों में आवाजाही करने के बाद अपने घर वापसी पर टोल टैक्स चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ता था। प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के मीडिया कोर्डिनेटर विश्व चक्षु ने कहा कि आजादी के बाद भी कई दशकों से चल रहे रिवाज को हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बदलकर हिमाचलवासियों को सबसे बड़ी राहत प्रदान की थी। अब टोल टैक्स पर किसी भी राज्य से अपने घर हिमाचल आने का कोई टैैक्स या भुगतान जनता को करने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता। विश्व चक्षु ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बनते ही राज्य में लोगों का जीवन आसान बनाने की राहें बनाई, जिसमें पहाड़ी प्रदेश की सबसे बड़ी पीड़ा का दर्द समझते हुए संवेदनशील मुख्यमंत्री ने हिमकेयर योजना शुरू कर पूरे भारत में नया उदाहरण प्रस्तुत कर दिया जिसमें किसी भी बिमारी पर सरकारी अस्पतालों सहित पैनल्ड निजी अस्पतालों में भी पूरी तरह से पांच लाख तक मुफ्त ईलाज करवाने की सुविधा प्रदान की जाती है। मुख्यमंत्री के मीडिया कोर्डिनेटर विश्व चक्षु ने कहा कि इससे पहाड़ी प्रदेश की आजादी के 70 वर्षों के बाद 2017 से पहले तक ईलाज न मिल पाना और पैसों की कमी से ईलाज से वंचित रहने के अभिशाप से जयराम ने प्रदेश को मुक्त कर दिया है। जिस तरह पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से आयुष्मान योजना शुरू कर हर वर्ग को बड़ी राहत दी गई। वहीं हिमाचल में आयुष्मान से वंचित रह गए लोगों के लिए हिमकेयर बड़ा वरदान बनी। वहीं गंभीर बिमारी से पीड़ित व्यक्ति के लिए भी सरकार ने सहारा योजना शुरू की, जिसमें हर माह व्यक्ति को दो हज़ार की राशि प्रदान की जाती है। चक्षु ने कहा कि युवाओं-युवतियों के लिए मुख्यमंत्री स्वालंबन योजना शुरू की गई है, जिसके बाद में राज्य का आमजन भी हमेशा कहते हुए सुना जाता है कि न भूतो, न भविष्यते, जयराम सरकार लाई ऐसी योजनाएं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने ही राज्य में सरकार बनते ही सबसे पहले समाजिक सुरक्षा पैंशन योजना की आयु 70 वर्ष की थी, जो कि हिमाचल के स्वर्ण जयंती के उपल्क्षय पर सीएम जयराम ठाकुर ने अब 60 वर्ष कर दी है। वहीं, गांव के हर घर-घर को गृहिणी सुविधा योजना से सुविधा प्रदान कर विकास की नई ईबारत लिख दी। मीडिया समन्वयक विश्व चक्षु ने कहा कि भाजपा सरकार व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का यह स्वर्णिम हिमाचल का कार्यकाल सदियों-सदियों तक याद किया जाएगा और आने वाली पीढ़ीयां भी इसी खाके से पहाड़ी प्रदेश को आगे ले जाने के लिए शिल्पकार बनेगी। विश्व चक्षु ने कहा कि जयराम ठाकुर प्रदेश के ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने पुरी निष्ठा से इस देवभूमि हिमाचल प्रदेश की सेवा करने की कोशिश की है, कोविड के मुश्किल अढ़ाई वर्ष के दौर में भी जिंदगियां बचाने में सरकार सबसे आगे रही और आज स्वास्थ सुविधाओं में एम्स जैसे अस्पताल की सौगात पहाड़ को दी है।
फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज सुंदरनगर में अम्बा प्रसाद रोटरी चैरिटेबल नेत्र अस्पताल का शिलान्यास किया। उन्होंने इस अवसर पर सुंदरनगर पॉलिटेक्निक एलुमिनी एसोसिएशन द्वारा दान की गई एडवांस लाइफ स्पोर्टिंग एम्बुलेंस को भी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने एनआरआई और समाजसेवी अम्बा प्रसाद का इस नेत्र अस्पताल निर्माण के लिए 2 करोड़ रुपए दान करने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अम्बा प्रसाद, राजकीय बहुतकनीकी महाविद्यालय सुंदरनगर के पूर्व छात्र भी हैं। उन्होंने कहा कि रोटरी क्लब द्वारा संचालित यह अस्पताल गरीब नेत्र रोगियों के लिए वरदान साबित होगा, क्योंकि इस अस्पताल में गरीब मरीजों का निःशुल्क नेत्र उपचार किया जाएगा। जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के लोगों को उनके घरों के नजदीक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस नेत्र अस्पताल के निर्माण के लिए जिला गवर्नर रोटरी डॉ. दुष्यंत चौधरी द्वारा लगभग 2.40 करोड़ रुपए के योगदान करने की घोषणा के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने सुंदरनगर अस्पताल के लिए 25 लाख रुपए की एडवांस लाइफ स्पोर्टिंग एम्बुलेंस दान करने के लिए राजकीय बहुतकनीकी महाविद्यालय सुंदरनगर के पूर्व छात्रों का भी आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विधायक सुंदरनगर राकेश जम्वाल ने मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने सुंदरनगर में इस नेत्र अस्पताल के निर्माण के लिए बहुमूल्य भूमि उपलब्ध करवाने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर समाजसेवी व एनआरआई अम्बा प्रसाद ने कहा कि सुंदरनगर में चैरिटेबल नेत्र अस्पताल खोलना लंबे समय से सपना था। उन्होंने कहा कि इस अस्पताल में गरीब मरीजों को विश्वस्तरीय नेत्र उपचार की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाएगी। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर, जिला परिषद के अध्यक्ष पाल वर्मा, उपायुक्त मंडी अरिंदम चौधरी, पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्निहोत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
प्रतिमा राणा। पालमपुर हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने भारत मे बढ़ते भ्रष्टाचार के मामलों को चिंता व्यक्त की है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि इस भ्रष्टाचार की असली जड़ वे लोग हैं, जो रिश्वत लेकर अवैध निर्माण होने देते हैं, जब तक उन जिम्मेदार लोगों को सजा नही होती इस प्रकार का भ्रष्टाचार चलता रहेगा। शांता कुमार ने कहा कि भारत सरकार की नाक के नीचे दिल्ली के नोएडा में करोड़ों रुपए से भ्रष्टाचार के बल पर बना हुआ टविन टावर को गिरते हुए देश के करोड़ों लोगों ने देखा। टीवी चैनल और अखबारें भ्रष्टाचार के टविन टावर के समाचार से भरी पड़ी थी। उन्होंने इस मामले में सबसे अधिक बधाई उच्चतम न्यायालय को इसलिए दी है कि शायद पहली बार उच्चतम न्यायालय के आदेश पर सभी जिम्मेदार अधिकारियों के नाम तय करने का काम हुआ। शांता कुमार ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था कि अवैध निर्माण करने का आदेश देने वाले सभी अधिकारियों के नाम बताए जाए। नोएडा प्राधिकरण के 24 अधिकारियों चार बिल्डर दो वस्तुकार जिम्मेदार ठहराए गए हैं। उनके विरुद्ध एफआईआर भी दर्ज हो गई है। इसमें 18 अधिकारी सेवानिवृत हो चुके है, 6 निलबिंत हैं। शांता कुमार ने कहा आज भारत में सबसे बड़ी समस्या प्रतिदिन बढ़ते भ्रष्टाचार की है। टविन टावर गिराने का पहला मौका नही है। देश में कई बड़े नगरों में करोड़ों रुपए के अवैध निर्माण हुए। वर्षों तक उनमें व्यापार चलते रहें। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अवैध घोषित किया गए और बुलडोजर से उन्हें गिराया गया। उन्होंने दिल्ली में करोड़ों रुपए के ऐसे अवैध निर्माण गिरते हुए देखें हैं। उन्होंने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि टविन टावर के मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर सभी जिम्मेदार अधिकारियों को नामित किया गया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके विरुद्ध अति शीघ्र ऐसी कठोर कार्रवाई हो कि भविष्य में कोई इस प्रकार भ्रष्टाचार बढ़ाने की कोशिश न करें। उन्होंने देश की जागरूकता संस्थाओं को भी सावधान किया है कि वे इन सभी नामित जिम्मेदार अधिकारियों को दण्डित करवाने की कोशिश करें। शांता कुमार ने कहा कि आवश्यकता पड़े, तो इसके लिए एक बार फिर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाए।
कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष बोले-बीजेपी के राज में बढ़ी महंगाई और बेरोजगारी मनोज कुमार। कांगड़ा कांग्रेस पार्टी एक विचारधारा है जो हर वर्ग को साथ लेकर चलती है। कांग्रेस कभी व्यक्तिविशेष को महत्व नहीं देती। कांग्रेस का मुख्य मकसद है कि सबसे पहले कमजोर तबके को ऊपर उठाना। मैं कांग्रेस का एक सजग कार्यकर्ता हूं और एक सिपाही की तरह काम करूंगा। यह बात रविवार को कांगड़ा में कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष डॉ. राजेश शर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि कांगड़ा में कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से सशक्त है। कांगड़ा में प्रतिनिधियों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने बताया कि इसी संदर्भ में कल हिमाचल कांग्रेस के सह प्रभारी संजय दत आ रहे हैं। वह कल सागर ग्लोरी में साढ़े 11 बजे कार्यकर्ताओं से मिलेंगे। तीन बजे वे डिस्ट्रिक्ट प्रधान से मिलेंगे और फिर छह बजे वरिष्ठ नेताओं से भी मिलेंगे। इसके अतिरिक्त अन्य कार्यक्रम भी रखे गए हैं। वहीं, कांग्रेस पार्टी ने इलेक्शन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। टिकट के लिए आवेदन मांग लिए गए हैं। वहीं, उन्होंने पत्रकारों की ओर से पूछे जाने पर कि पवन काजल ने क्यों बीजेपी ज्वाइन की। इस पर डॉ. राजेश शर्मा ने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत मामला है। बीजेपी का काम करने का अपना तरीका है। वह किसी भी नेता को पार्टी में मिलाने के लिए खरीदो-फरोख्त भीं करती। कांग्रेस ने पवन काजल को बहुत मान-सम्मान दिया और यही कारण है कि वह कांगड़ा से दो बार विधायक भी रहे। यहीं नहीं कांग्रेस ने उन्हें एमपी का चुनाव लड़ने का मौका भी दिया, मगर उन्होंने जनता की परवाह न करते हुए अपने व्यक्तिगत हित को सामने रखते हुए बीजेपी को ज्वाइन कर लिया। अब कांग्रेस कांगड़ा में एक ऐसे नए चेहरे को सामने लाएगी जो पढ़ा-लिखा हो और सबको साथ लेकर चलने वाला हो। कांगड़ा में कांग्रेस पूरी तरह से सशक्त है। सब में एकजुटता है और इसी एकजुटता से ही इलेक्शन भी लड़ा जाएगा। वहीं, उन्होंने बीजेपी पर वार करते हुए कहा कि जिन संस्थानों और सुविधाओं को कांग्रेस पार्टी 70 वर्ष की अथक मेहनत से तैयार किया बीजेपी उन्हीं संस्थानों को बेचने पर तुली हुई है। हर दिन किसी ना किसी चीज का सौदा किया जा रहा है। प्रदेश में बीजेपी के शासनकाल में बेरोजगारी, महंगाई बढ़ी है। सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी का है। प्रदेश के कई युवा बेरोजगार घूम रहे हैं। कांग्रेस की सरकार सत्ता में आते ही सारी समस्याओं का समाधान करेगी। वहीं उन्होंने कहा कि टिकट के लिए आवेदन करना सभी अधिकार है। मगर टिकट किस को देनी यह बात कांग्रेस हाईकमान ही फाइनल करेगी।
प्रतिमा राणा। पालमपुर विधानसभा अध्यक्ष, विपिन सिंह परमार ने सुलाह निर्वाचन क्षेत्र के राम नगर कॉलोनी ठाकुरद्वारा में 6 करोड़ 35 लाख से निर्मित रामनगर कॉलोनी, रजेहड़, टी स्टेट गोदाम, शिवनगर कॉलोनी, राधा कृष्ण मंदिर वाया हिमालयन फैक्ट्री सलोह सड़क का लोकार्पण किया। परमार ने सड़क सुविधा से जुड़ने वाले क्षेत्र के सभी लोगों को वर्षों पुरानी मांग पूरी होने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि राम नगर कॉलोनी में पानी और बिजली की आपूर्ति के सुधार पर भी करोड़ों रुपए जारी किए गए हैं और लोग को इसका लाभ प्राप्त हो रहा है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सुलाह विधान का सर्वांगीण विकास उनकी प्राथमिकता है और सुलाह निर्वाचन क्षेत्र में सड़क, शिक्षा, पेयजल, सिंचाई, बिजली, स्वास्थ्य और परिवहन में अभूतपूर्व कार्य किया गया है। सुलाह के गांव-गांव तक सड़क सुविधा से जोड़ने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि लोगों को राहत देने और उनकी मूलभूत जरुरतों को पूरा करने को अनेक कल्याणकारी योजनाएं आरंभ की है। कार्यक्रम में कांगड़ा जिला भाजपा अध्यक्ष चन्द्र भूषण नाग, निदेशक कांगड़ा बैंक रंजीत राणा, ज़िला सचिव चन्दरवीर पॉल शर्मा, राकेश शर्मा, एसपी पटियाल, संजय सूद, अनिरुद्ध राणा, सुरिंदर राणा, राकेश शर्मा, बलवंत राणा, अधिशाषी अभियंता मनीष सहगल, एसडीओ आनंद कटोच और डीएस परमार सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी और क्षेत्र के लोग उपस्थित रहे।
कई पदाधिकारी, पार्षद रहे नदारद, कहीं ये अंतर्कलह कांग्रेस को ले न बैठे ! - सोलन में रोजगार संघर्ष यात्रा निकालने वाली कांग्रेस खुद दिखी संघर्षरत सोलन कांग्रेस की रोजगार संघर्ष यात्रा में पार्टी के कई चेहरे नहीं दिखे जिनमें शहरी कांग्रेस अध्यक्ष भी शामिल है। संगठन के कई पूर्व पदाधिकारी भी इस आयोजन से दूर दिखे। इत्तेफ़ाक़ की बात है इन सभी को रविवार को ही निजी आवश्यक काम था। दूसरा इत्तेफ़ाक़ ये है कि ये सभी सुखविंद्र सिंह सुक्खू के समर्थक माने जाते है। अब जब नेता ही मौजूद नहीं थे तो जाहिर है इनके समर्थक भी मुश्किल ही इस संघर्ष में पहुंचे हो। सोलन शहर में कांग्रेस की ये संघर्ष यात्रा निकली जहाँ नगर निगम पर कांग्रेस का कब्ज़ा है। नगर निगम में कांग्रेस के 9 पार्षद है पर इस आयोजन में सिर्फ चार दिखे। पांच पार्षद संघर्ष यात्रा में संघर्ष करने ही नहीं पहुंचे। ऐसे में सोलन निर्वाचन क्षेत्र में फिर अपनी जीत का दावा करने वाली कांग्रेस को इस संदर्भ में आत्ममंथन जरूर करना होगा। माहिर मान रहे है कि बीते कुछ वक्त में कसौली कांग्रेस में जो एक्शन दिखा है, रविवार को सोलन में उसका रिएक्शन देखने को मिला है। हालात ये ही रहे तो इसका खमियाजा कांग्रेस के साथ -साथ कर्नल धनीराम शांडिल को भी भुगतना पड़ सकता है। हालांकि इस रोजगार संघर्ष यात्रा में कांग्रेस भीड़ जुटाने में कामयाब रही। खास बात ये है कि सिर्फ सोलन निर्वाचन क्षेत्र ही नहीं अन्य तीन -चार निर्वाचन क्षेत्रों के लोग भी इसमें शामिल हुए। बहरहाल जैसे तैसे कांग्रेस ने ठीक ठाक भीड़ तो जुटा ही ली। यहाँ गौर करने लायक बात ये भी है कि रमेश ठाकुर, रमेश चौहान और सुरेंद्र सेठी जैसे होलीलॉज के करीबी वरिष्ठ नेता मोर्चा संभाले हुए थे, सो पार्टी की लाज बचना तो लाजमी था। कर्नल दमदार, पर स्थिति विकट: दस साल से विधायक होने के बावजूद कर्नल धनीराम शांडिल को लेकर सोलन निर्वाचन क्षेत्र में कोई विरोधी लहर नहीं दिखती। कहीं कम तो कहीं ज्यादा, पर कर्नल ने समूचे निर्वाचन क्षेत्र में काम जरूर किया है। इस पर उनकी ईमानदार छवि उन्हें और मजबूत करती है। इसमें भी कोई संशय नहीं है की सोलन निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस के पास कर्नल से बेहतर कोई विकल्प नहीं दिखता। बावजूद इसके कर्नल की राह मुश्किल हो सकती है। एक और जहाँ कंडाघाट के वरिष्ठ नेता और होलीलॉज के करीबी रमेश ठाकुर के साथ कर्नल शांडिल के सियासी मतभेद पूरी तरह सुलझे हुए नहीं दिख रहे, वहीँ कर्नल के शागिर्दों में अधिकांश सुखविंद्र सिंह सुक्खू के निष्ठावान है। यानी खतरा है कि ऊपरी स्तर पर अगर कांग्रेस की अंतर्कलह की चक्की तेज हुई, तो कर्नल बेवजह न पीस जाएं। हालांकि कर्नल शांडिल बेहद अनुभवी नेता है और गुटबाजी से भी दूर। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि वो इस स्थिति से कैसे निपटते है।
--बैठक में शामिल होंगे भाजपा के शीर्ष नेता भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना, सह प्रभारी संजय टंडन और प्रदेश संगठन महामंत्री पवन राणा ने शनिवार को हैदराबाद में शुरू हुई दो दिवसीय भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाग लिया। हैदराबाद इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, 19 राज्यों के मुख्यमंत्री और भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। कश्यप ने कहा कि हाल ही में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर में हुए विधानसभा चुनावों, कुछ निकाय चुनावों, रामपुर, आजमगढ़ के लोकसभा उपचुनावों और त्रिपुरा के विधानसभा उपचुनावों में भाजपा को भारी जीत मिली है। उन्होंने कहा कि अभी पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है, आज पूरी दुनिया की आर्थिक विकास दर औसतन 6% है। वहीं, भारत की अर्थव्यवस्था 8.7% की दर से आगे बढ़ रही है। यह भी हमारी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है। बूथ को मजबूत करना बहुत जरूरी है। बूथ अध्यक्ष और बूथ कार्यकर्ताओं से संपर्क हमारे लिए बहुत जरूरी है। क्योंकि वे कार्यकर्ता हैं जो क्षेत्र में हमारी बात घर घर पहुंचा सकते हैं और अपनी बात सबके सामने रख सकते हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हमारे लिए एक बड़ी सीखने की प्रक्रिया है। यह 2022 विधानसभा चुनावों में हमारी जीत का मार्ग प्रशस्त करेगी।
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद से उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद बीजेपी खेमे में हलचल और तेज हो गई है। उद्धव के सीएम की कुर्सी खाली करने के साथ ही बीजेपी खेमे में खुशी की लहर है। इस बीच सरकार बनाने की भी तैयारी की जा रही है। आज बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक ( होगी जिसमें सरकार बनाने की रणनीति पर मंथन किया जाएगा। 2 जुलाई से पहले सरकार गठन को लेकर तैयारी की जा रही है। बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक में आगे की रणनीति तय होगी। जानकारी के मुताबिक 1 या 2 जुलाई को बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। गौरतलब है कि शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे की बगावत से बने सियासी संकट के बीच उद्धव ठाकरे की कुर्सी जा चुकी है। कल तक उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम थे लेकिन अब वो कार्यवाहक सीएम बन गए हैं। ऐसे में अब बीजेपी सरकार बनाने की कवायद में पूरी तरह से जुट गई है। आज सुबह 11 बजे देवेंद्र फडणवीस के घर कोर ग्रुप की बैठक होगी। महाराष्ट्र बीजेपी प्रभारी सीटी रवि बैठक में मौजूद रहेंगे। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर बैठक में चर्चा होगी।
महाराष्ट्र में बड़े सियासी बदलाव के साथ उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। सियासी संकट के दौरान राज्यपाल और पार्टी नेताओं के बीच तकरार जैसी स्थिति भी बनी। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने जब उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया तो शिवसेना के नेता के तेवर कड़े हो गए। हालांकि पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी लेकिन फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली। बुधवार को पार्टी के नेता संजय राउत भी भड़क उठे थे। उन्होंने राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक तक करार दिया था। दरअसल, महाराष्ट्र के राज्यपाल ने बुधवार 29 जून को कहा था कि उद्धव सरकार गुरुवार सुबह 11 बजे फ्लोर टेस्ट का सामना करें, जिसके बाद शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा था कि संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। खुद सीएम ने भी इस फैसले को लेकर अप्रत्यक्ष तौर पर नाराजगी जताई थी।
कुल्लू में आप के शक्ति प्रदर्शन ने भाजपा और मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर की नींद जरूर उड़ा दी होगी। जिस तरह का जनसैलाब आप की तिरंगा यात्रा में दिखा अगर वो वोटों में तब्दील हो पाया तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती है। दरअसल जिला की चार विधानसभा सीटों में से तीन पर भाजपा का कब्जा है और मनाली विधायक गोविन्द सिंह ठाकुर वर्तमान में मंत्री भी है। जबकि कुल्लू सदर सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। पिछले साढ़े चार सालों में कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद कुल्लू में भाजपा कुछ ख़ास कमाल नहीं कर पाई है। मंडी संसदीय उपचुनाव में भाजपा की हार का प्रमुख कारण भी जिला कुल्लू में पार्टी का लचर प्रदर्शन था। तब चारों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को बढ़त मिली और ये ही भाजपा की हार का कारण बना। नतीजों की कसौटी पर मंत्री गोविन्द फेल हो गए। ये ही कारण है कि उपचुनाव नतीजों के बाद जब मंत्रिमंडल फेरबदल के कयास लग रहे थे तब गोविन्द सिंह ठाकुर का मंत्रिमंडल से पत्ता काटने की चर्चा जोरों पर थी। हालांकि तब फेरबदल नहीं हुआ। इससे पहले शहरी निकाय चुनाव में भी भाजपा का प्रदर्शन ठीक ठाक ही था। तब कुल्लू नगर परिषद पर कांग्रेस कब्जा करने में कामयाब रही थी। सीएम जयराम ठाकुर बेशक मिशन रिपीट का दावा कर रहे हो लेकिन अकेले जयराम ऐसा नहीं कर सकते। विशेषकर उनके कैबिनेट मंत्रियों को भी अपना जादू और ताकत साबित करनी होगी। जिन मंत्रियों पर इस वक्त सबसे ज्यादा दबाव है उनमें से एक गोविन्द ठाकुर भी है। दरअसल जिला कुल्लू में दशकों तक महेश्वर सिंह भाजपा का मुख्य चेहरा है और खुद को साबित भी करते रहे। पर महेश्वर की भाजपा से दुरी बढ़ी तो पार्टी की कृपा गोविन्द सिंह ठाकुर पर बरसी। उनके पिता की सियासी विरासत ने भी उनकी राह आसान की। अब गोविन्द को खुद को साबित करना होगा।
2008 में परिसीमन बदलने के बाद अस्तित्व में आए इस विधानसभा क्षेत्र में फिलवक्त भाजपा का कब्ज़ा है। बीते चुनाव में यहां से भाजपा सरकार में मंत्री सुखराम चौधरी ने कांग्रेस उम्मीदवार किरनेश जंग को करीब 12 हजार वोटों से हराया था। इससे पहले साल 2012 में किरनेश जंग बतौर निर्दलीय चुनाव लड़े थे और उन्होंने भाजपा और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवारों को पटकनी दी थी। दरअसल 2012 के चुनाव में कांग्रेस से टिकट न मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था व भाजपा प्रत्याशी सुखराम चौधरी को 790 मतों से हराया था। पर इस बार मंत्री सुखराम चौधरी के क्षेत्र पांवटा साहिब में भी भाजपा को आसानी से सत्ता सुख मिलता नहीं दिख रहा। भीतर खाते मंत्री की मुखालफत की झलकियां अभी से दिखने लगी है। पिछले वर्ष हुए निकाय चुनाव में भी भाजपा को मनमाफिक नतीजे नहीं मिले थे। उधर कांग्रेस संभवतः फिर करनेश जंग को मैदान में उतारे। हालांकि कई कांग्रेसी अब आप में गए है जिससे भाजपा जरूर उत्साहित होगी। आप में जाने वाले कांग्रेसियों में से एक युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मनीष ठाकुर भी शामिल है। पच्छाद: कांग्रेस की अंतर्कलह से होगी आस 2019 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने एक युवा महिला नेता को टिकट के काबिल समझा और रीना कश्यप को पच्छाद उपचुनाव में जीत मिली। हालांकि भाजपा से बागी उम्मीदवार दयाल प्यारी भी मैदान में थी, पर यहां भी सुरेश कश्यप ने जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर अपनी काबिलियत सिद्ध की। भाजपा ने दयाल प्यारी को टिकट नहीं दिया और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा व 11698 मत लेकर अपनी ताकत का अहसास भी करवाया। इसके बाद नाराज़ होकर भाजपा की निष्ठावान दयाल प्यारी कांग्रेस में चली गई। लगा जैसे दयाल प्यारी के कांग्रेस में शामिल होते ही सिरमौर के पच्छाद में पिछले तीन चुनाव हार चुकी कांग्रेस को संजीवनी मिल गई। लगने लगा की 2022 में कांग्रेस की उम्मीदवार दयाल प्यारी हो सकती है, मगर वर्तमान परिवेश में ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा। दयाल प्यारी को कांग्रेस प्रदेश सचिव नियुक्त करने के बाद से ही गंगूराम मुसाफिर और उनके समर्थक खुल कर विरोध करने लगे थे। परन्तु अब एक बार फिर कमान गंगू राम मुसाफिर के हाथ में जाती हुई दिखाई दे रही है। तीन चुनाव हारने के बावजूद भी जिले में संगठनात्मक मामलों को देखने का निर्देश दिए गए है। सिरमौर की सियासत में एक बार फिर मुसाफिर का उदय होता दिखाई दे रहा है। जानकार मानते है की ये सब होली लॉज की कृपा के कारण संभव हुआ है। अगर ये कृपा बनी रही तो एक बार फिर गंगूराम को ही टिकट मिल सकता है। दरअसल पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में गंगूराम मुसाफिर कांग्रेस का एक अनुभवी चेहरा है। गंगूराम मुसाफिर ने 1982 से लेकर 2007 तक के विधानसभा चुनाव में लगातार सात बार जीत दर्ज की। 1982 में मुसाफिर ने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीता, लेकिन 1985 से वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े। वह मंत्री के अलावा हिमाचल विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके हैं। पर 2012 के विधानसभा चुनाव में मुसाफिर को भाजपा के सुरेश कश्यप से 2805 वोटों से हार मिली। 2017 में कांग्रेस ने फिर मुसाफिर को मैदान में उतारा लेकिन जनता ने उन्हें फिर नकार दिया। इसके बाद 2019 के उपचुनाव में भी कांग्रेस ने मुसाफिर पर भरोसा जताया लेकिन मुसाफिर जीतने में असफल रहे। अब मुसाफिर और दयाल प्यारी में से किसी एक को चुनना कांग्रेस के सामने असल समस्या है। उधर भाजपा में रीना कश्यप की राह भी आसान नहीं दिख रही। उपचुनाव में आश्वासन के बाद पीछे हटने वाले आशीष सिक्टा का दावा भी इस बार मजबूत है। जानकार मान रहे है कि भाजपा में भी टिकट के लिए जंग तय है।
रेणुकाजी और शिलाई में फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है और 2022 के लिए अभी से भाजपा को यहां कड़ी तैयारी करनी होगी। दोनों ही क्षेत्रों में भाजपा के लिए हाटी समुदाय को विशेष दर्जे का मुद्दा भी सरदर्द बनता दिख रहा है। पार्टी में टिकट दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त भी परेशानी बढ़ा सकती है। उधर कांग्रेस में सम्भवतः दोनों ही वर्तमान विधायकों को फिर मौका मिले। इन दोनों ही विधायकों को कांग्रेस न बड़ी ज़िम्मेदारियां सौंपी है। शिलाई से विधायक हर्षवर्धन चौहान को उपनेता प्रतिपक्ष तो रेणुका विधायक को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं भाजपा में शिलाई में बलदेव तोमर का टिकट तय माना जा रहा है लेकिन रेणुका जी में पार्टी के लिए उम्मीदवार का चयन सिरदर्द होगा। पिछले चुनाव में पार्टी ने हृदयराम पर बलबीर सिंह को वरीयता दी थी लकिन हृदयराम ने निर्दलीय ताल ठोक पार्टी की हार का बंदोबस्त कर दिया। ऐसे में इस बार भाजपा को फूंक -फूंक कर कदम रखना होगा। बिंदल साइडलाइन, बाकी में वो बात नहीं ! सिरमौर में भाजपा के वर्तमान सियासी आउटलुक की बात करें तो तेजतर्रार नेता और नाहन विधायक डॉ राजीव बिंदल एक किस्म से साइडलाइन है। न सरकार में उन्हें अहमियत दी गई है और न ही संगठन में कोई अहम ज़िम्मेदारी। नगर निगम सोलन और अर्की उपचुनाव का प्रभारी जरूर उन्हें बनाया गया, किन्तु दोनों जगह पार्टी परास्त हुई। उन्हें साइडलाइन रख कई नेताओं की ताकत बढ़ाई गई जिससे समीकरण संतुलित रह सके। पर इसमें कोई संशय नहीं कि बिंदल जैसा जादू अन्य नेता नहीं दिखा पा रहे। तो भाजपा को भुगतना होगा खामियाजा... पिछले दिनों हुई हाटी समुदाय की महाखुमली में जुटे लोगों ने स्पष्ट कहा कि 2014 में तत्कालीन भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नाहन के चौगान मैदान में गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने का वादा किया था। तदोपरांत 2019 में तत्कालीन केंद्रीय जनजातीय मंत्री ने हरिपुरधार में इस क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने की बात कही थी। वर्तमान में शिमला संसदीय क्षेत्र से सांसद सुरेश कश्यप भाजपाई है और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी है। केंद्र और प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है। ऐसे में यदि प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र का दर्ज नहीं मिलता है, तो उसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में भाजपा को भुगतना होगा। दरअसल गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने का मसला 144 पंचायतों से सीधे जुड़ा है और इसके दायरे में चार विधानसभा क्षेत्र आते है। शिलाई के अतिरिक्त, श्रीरेणुकाजी, पच्छाद व पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्रों में भी ये मुद्दा निर्णायक भूमिका निभा सकता है। जाहिर है फिलवक्त भाजपा सत्ता में है तो नाराजगी का कोप भी भाजपा को भुगतना पड़ा सकता है। ऐसे में निसंदेह सत्तारूढ़ भाजपा अब इस मुद्दे पर कोई सार्थक पहल कर सकती है। यदि ऐसा हुआ तो पार्टी को इसका लाभ भी मिलना तय है। नाहन : फिर लगने लगा धरतीपुत्र का नारा 2012 में परिसीमन बदल गए और सोलन निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित हो गया। फिर डॉ राजीव बिंदल ने नाहन को कर्मभूमि बना लिया। नाहन को अपना गढ़ बनाना बिंदल के लिए आसान नहीं था, मगर धीरे =धीरे बिंदल नाहन में अपने पैर जमाने में कामयाब हुए। 2017 में बिंदल ने फिर नाहन से चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की। नाहन में जरूर डॉ राजीव बिंदल खुद को साबित करते आ रहे है लेकिन मौजूदा स्थिति में वे भी सहज नहीं दिख रहे है। यहाँ अभी से धरतीपुत्र का नारा बुलंद होता दिख रहा है। साल 2017 में भी डॉ. राजीव बिंदल की घेराबंदी के लिए कांग्रेस ने धरती पुत्र का नारा बुलंद किया था। कांग्रेस लगातार बिंदल को बाहरी बताती रही है। बाहरी फैक्टर चला और कांग्रेस संगठित होकर चुनाव लड़ी, तो बिंदल को भी मुश्किल होती दिख रही है। इसके अलावा सवर्ण आंदोलन फैक्टर भी भाजपा को नुकसान पहुंचा सकता है। उधर कांग्रेस में अजय सोलंकी टिकट के मुख्य दावेदार जरूर है लेकिन अन्य प्रत्याशी भी उनसे पीछे नहीं दिखते। गुटों में बंटी दिख रही कांग्रेस के लिए यहाँ राह आसान नहीं होगी। पार्टी बंटी रही तो एक बार शिकस्त तय है।
रफ्ता -रफ्ता आम आदमी पार्टी प्रदेश में अपनी सियासी जमीन मजबूत करती दिख रही है। संगठन को दोबारा सशक्त करने के बाद आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर से हिमाचल फ़तेह करने को लेकर कदमताल शुरू कर दी है। पार्टी को बीते कुछ वक्त में बड़े झटके जरूर लगे, मगर आप ने अब कमबैक किया है। हालांकि अब भी पार्टी के पास हिमाचल में कोई दमदार चेहरा नहीं दिखता, लेकिन अब पार्टी ने इन्तजार करने की बजाय जो है उसी के साथ हरसंभव प्रयास करने शुरू कर दिए है। मोर्चा खुद अरविन्द केजरीवाल ने संभाला हुआ है। बीते एक पखवाड़े में केजरीवाल हिमाचल के दो दौरे कर चुके है और करीब बीते दो माह में चार। ख़ास बात ये है कि केजरीवाल के हर दौरे में, हर आयोजन में भरपूर भीड़ उमड़ी है और उनके आने से निसंदेह पार्टी में जोश का संचार भी हुआ है।पिछले शनिवार को अरविन्द केजरीवाल और भगवंत मान ने एक बार फिर हिमाचल का रुख किया और हिमाचल की जनता से एक मौका माँगा। इस बार जगह थी कुल्लू, जो हिमाचल के शिक्षा मंत्री गोविन्द ठाकुर का गढ़ है। केजरीवाल ने कुल्लू में शिक्षा को ही प्रमुख मुद्दा बनाया। दिल्ली के शिक्षा मॉडल से हिमाचल की तुलना की और दो टूक कहा "बस एक मौका दे दीजिये अगर हम काम न करें तो लात मार कर बाहर निकाल देना"। इससे पहले आप ने हमीरपुर में एक शिक्षा संवाद का भी आयोजन किया था। इस तरह का चुनाव प्रचार या यूँ कहे मुद्दों पर चुनाव लड़ना हिमाचल में नई और सुखद पहल है और निसंदेह देर सवेरे आप को इसका लाभ भी मिल सकता है। हालांकि आगामी चुनाव में आप से किसी चमत्कार की उम्मीद बेमानी होगी लेकिन आप बाकी दोनों पार्टियों का खेल जरूर बिगाड़ सकती है। नेताओं की जेब में गया है पैसा : केजरीवाल अरविंद केजरीवाल लगातार कह रहे है कि वो हिमाचल में भी भ्रष्टाचार खत्म करने आए है। केजरीवाल सरकार से कई सवाल कर रहे है। वो पूछ रहे है कि हिमाचल का कई हज़ार करोड़ का बजट है, तो फिर वो पैसा कहाँ जा रहा है ? प्रदेश आर्थिक संकटों से क्यों जूझ रहा है। केजरीवाल का कहना है कि भाजपा सरकार कुछ भी नया नहीं बना रही। न तो स्कूल नए बन रहे है, न सड़कें और न अस्पताल, तो पैसा कहां जा रहा है ? वो आरोप लगा रहे है की ये सब पैसा इन नेताओं की जेब में गया है। एक बार कांग्रेस वालो की जेब में जाता है, एक बार बीजेपी वालो की जेब में। केजरीवाल अपने नेताओं की ईमानदारी के कसीदे पढ़ने से भी पीछे नहीं हट रहे। भ्रष्टाचार , शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर आम आदमी पार्टी आगे बढ़ रही है। किसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी आप, अभी कहना जल्दबाजी माहिरों का मानना है कि आम आदमी पार्टी हमेशा कांग्रेस को ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। दिल्ली और पंजाब में आप ने कांग्रेस से सत्ता छीनी। पर ये कहना जल्दबाजी होगा कि आगामी चुनाव में आप ज्यादा नुक्सान कांग्रेस को ही पहुंचाएगी। दरअसल प्रदेश में कई जगह भाजपा के नेता आप में शामिल हुए है और अब भी कतार में कई नेता बताये जा रहे है। मसलन कसौली में हरमेल धीमान ने आप का दामन थाम स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सैजल के समीकरण बिगाड़ दिए है। जानकार मान रहे है कि टिकट आवंटन के बाद भाजपा - कांग्रेस दोनों तरफ अंसतोष तय लग रहा है और माना जा रहा है तब दोनों तरफ से कई नेता आप में जा सकते है। सो जो पार्टी अपने कुनबे को न संभाल पाई, उसका नुकसान ज्यादा होगा।
हर पांच वर्ष में सत्ता परिवर्तन के सियासी रिवाज को बदलने की कवायद में भाजपा हर वो कोशिश कर रही है जो संभव हो। साम -दाम -दंड -भेद ,सभी का इस्तेमाल कर भाजपा मिशन रिपीट के पथ पर अग्रसर है और रास्ते में आने वाली हर अड़चन को किनारे किया जा रहा है। कुछ मसले आपसी सूझबुझ से हल किये जा रहे है, तो कुछ केंद्र की सहायता से। विपक्ष द्वारा उठाए गए हर मुद्दे को जयराम एक के बाद एक उखाड़ फेंक रहे है, मगर साधन संसाधन से सुसज्जित भाजपा के विजय रथ के आगे अब भी कुछ ऐसी अड़चने है जिन्हें पार कर पाना फिलवक्त संभव नहीं लगता। इनमें सबसे अहम मसले कर्मचारियों से जुड़े हुए है, तो कुछ अन्य वर्गों के बड़े मुद्दे है। आपको अवगत करवाते है ऐसे सात मुद्दों से जिनके चक्रव्यूह में फिलहाल जयराम सरकार का मिशन रिपीट फंसता दिख रहा है। पुरानी पेंशन बहाली सर्वविदित है कि हिमाचल की सियासत में कर्मचारी फैक्टर बेहद महत्वपूर्ण है। किसी भी अन्य राज्य के मुकाबले यहां जनसँख्या के हिसाब से कर्मचारियों की संख्या बहुत ज्यादा है। कहते है कर्मचारी जिससे खफा उसकी सत्ता से विदाई तय समझो। ये ही कारण है कि पिछले कुछ समय में प्रदेश की जयराम सरकार ने कर्मचारियों को लेकर बड़ा दिल दिखाया है। कर्मचारियों की कई महत्वपूर्ण मांगे पूरी की गई है। मगर कर्मचारी इस सरकार से पूरी तरह संतुष्ट है, ये कहा नहीं जा सकता। प्रदेश के अधिकतर कर्मचारियों का सबसे बड़ा मसला, पुरानी पेंशन की बहाली अब तक अधूरा है। पुरानी पेंशन बहाली प्रदेश के हजारों कर्मचारियों का अहम मुद्द्दा है। कांग्रेस शासित दोनों राज्यों, राजस्थान और छतीसगढ़ में पुरानी पेंशन बहाल हो चुकी है और हिमाचल में कांग्रेस खुलकर इसे बहाल करने का वादा कर रही है। वहीं भाजपा इस मुद्दे से बचती दिख रही है लेकिन कर्मचारी भाजपा को छोड़ने के मूड में नहीं दिख रहे है। लगातार प्रदर्शन हो रहे है और भाजपा खामोश है। ये मुद्दा भाजपा के मिशन रिपीट में सबसे बड़ी बाधा साबित हो सकता है। लगातार बढ़ता कर्ज भाजपा सरकार के कार्यकाल में प्रदेश की अथिक स्थिति खराब होती नज़र आई है। प्रदेश सरकार पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। हिमाचल में प्रति व्यक्ति आय 7121 रुपये घट गई है। इसका खुलासा हिमाचल की आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में हुआ है। हालाँकि अब हिमाचल प्रदेश की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 में 8.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। कोविड-19 महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2020-21 में राज्य की आर्थिक वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत थी। हिमाचल पर इस वक्त करीब 63400 करोड़ का कर्ज है मगर सरकार को केंद्र से अब तक कोई सहायता नहीं मिल पाई है। विपक्ष लगातार जयराम सरकार को प्रदेश को कर्ज में डुबाने वाली सरकार करार दे रहा है। वहीं अब तक जयराम सरकार केंद्र से भी कोई विशेष पैकेज लाने में कामयाब नहीं हुई है। ऐसे में बढ़ते कर्ज के बीच चुनावी वर्ष में केंद्र से क्या राहत मिलती है, ये देखना रोचक होगा। आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति की दरकार हिमाचल प्रदेश के करीब 40 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश सरकार उनके लिए कोई सशक्त नीति बनाएगी। प्रदेश के अधिकांश सरकारी विभागों में आउटसोर्स कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन इनके लिए आज तक सरकार ने कोई नीति का प्रावधान नहीं किया है। इन कर्मचारियों को बजट से काफी उम्मीदें थी, पर इनके हाथ खाली रहे। आउटसोर्स कर्मचारियों की समस्याएं हल करने के लिए कैबिनेट सब कमेटी भी बनाई गई है जिसके अध्यक्ष जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर है। बजट से पहले इस सब कमेटी की बैठक हुई थी जिसमें कर्मचारियों को ये आश्वासन मिला था की उनके लिए बजट में पॉलिसी का प्रावधान किया जाएगा। आउटसोर्स कर्मचारी काफी हद तक आश्वस्त थे की जैसा कहा गया है वैसा ही होगा। परन्तु इस बजट से प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारियों को निराशा ही मिली। अब माना जा रहा है कि सरकार जल्द आउटसोर्स नीति पर मुहर लगा सकती है। एचआरटीसी को रोडवेज बनाने की मांग वर्तमान परिवेश में हिमाचल की सरकारी परिवहन व्यवस्था कॉर्पोरेशन के रूप में कार्य कर रही है। आसान शब्दों में कहे तो खुद कमाओ खुद खाओ वाली स्थिति इस वक्त एचआरटीसी में है। हालाँकि लगातार घाटे में होने के चलते समय -समय पर सरकार की ओर से कुछ सहायता एचआरटीसी के संचालन के लिए मिलती रही है। इसके बावजूद भी एचआरटीसी के कर्मचारियों को वेतन ओर पेंशन से जुड़ी समस्याओं का अक्सर सामना करना पड़ता है। जो सुविधाएं सरकारी कर्मचारियों को मिलती है वो एचआरटीसी के कर्मचरियों को मिलती ज़रूर है, मगर कभी भी समय पर नहीं मिलती। इसीलिए ये कर्मचारी चाहते है की एचआरटीसी को रोडवेज बना दिया जाए ताकि जो भी लाभ सरकार अपने कर्मचारियों को देगी वो सभी इन्हें भी मिल पाएंगे। जिस तरह बीते दिनों शिमला की सडकों पर बुजुर्ग रिटायर्ड एचआरटीसी कर्मचारी उतरे है, उससे साफ जाहिर है कि ये तबका सरकार से नाखुश है। जनजातीय दर्जे की आस में हाटी समुदाय हाटी क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने की दिशा में सरकार ने एक सकरात्मक कदम जरूर उठाया है, पर यदि चुनाव से पहले सरकार इसे अमलीजामा नहीं पहना पाती तो ये कदम उलटा भी पड़ सकता है। दरअसल प्रदेश और केंद्र दोनों में इस वक्त भाजपा की सरकार है, ऐसे में सरकार के पास कोई बहाना नहीं है। यदि ये मांग पूरी नहीं होती है तो आश्वासन के सहारे भाजपा इन क्षेत्रों में बेहतर कर पाएगी, ये मुश्किल लगता है। जिला सिरमौर की पांच में से चार सीटों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा। जिस तरह से कुछ माह पूर्व हुई हाटी समुदाय की महाखुमली में नेताओं को घंटो खड़ा रखा गया, उससे साफ़ जाहिर है कि अब ये समुदाय आश्वासन नहीं एक्शन चाहता है। महाखुमली में हाटी समुदाय ने ये याद दिलाने से भी गुरेज नहीं किया था कि हाटियों का खूब नरम भी है और गरम भी। समुदाय के 'हक़ नहीं तो वोट नहीं' का उद्घोष ने नेताओं की धुकधुकी बढ़ा दी है। महंगी पड़ सकती है बागवानों की नाराजगी हिमाचल की करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपये की सेब की आर्थिकी के लिए ईरान और तुर्की का सेब चुनौती बन गया है। बाजार में ईरान का सेब हिमाचली सेब को पछाड़ रहा है। बागवानों के अनुसार भारत में अफगानिस्तान के रास्ते ईरान और तुर्की से सेब का अनियंत्रित और अनियमित आयात हो रहा है, जो कि बागवानों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। ऐसे में बागवान ईरान और तुर्की से सेब आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे है। सेब की इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की मांग भी वर्षों से लंबित है। साथ ही बागवानों का मानना है कि हिमाचल में भी कश्मीर की तरह नैफेड जैसी कोई केंद्रीय संस्था बागवानों का सेब खरीदें। इसके अलावा कार्टन में इस्तेमाल होने वाले एग्रो वेस्ट पेपर पर लगने वाले जीएसटी को कम करने की मांग भी उठ रही है। पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज और फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट के वादे भी सरकार की फाइल से आगे नहीं बढ़ पाए है। वहीँ जिला सोलन और सिरमौर के किसान भी फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट को लेकर सरकार से खफा है। नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता का लाभ देने का वादा भाजपा ने अपने 2017 के घोषणा पत्र में किया था। भाजपा सरकार तो बनी लेकिन सरकार इस वादे को भूल गई। हजारों कर्मचारियों में इस बात को लेकर टीस है। हालात ये है कि इसके चलते कई सीनियर कर्मचारी जूनियर हो चुके है और जूनियर सीनियर। जाहिर है ये मुद्दा कर्मचारियों के स्वाभिमान से जुड़ा भी है। इसे लेकर अगर जयराम सरकार जल्द कोई निर्णायक फैसला नहीं लेती है तो इसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ा सकता है। वहीँ कांग्रेस का रुख भी इस मुद्दे को लेकर साफ़ नहीं है।
-21 दिन की पैरोल के दौरान दी गई थी जेड प्लस सिक्योरिटी -जानिए राम रहीम को क्यों हुई थी सजा ? डेरा सच्चा सौदा के संचालक राम रहीम पर हरियाणा सरकार एक बार फिर मेहरबान हुई है। राम रहीम को एक महीने की पैरोल दी गई है, इससे पहले फरवरी के पहले सप्ताह में गुरमीत राम रहीम को 21 दिन की पैरोल दी गई थी, बता दें कि अपने आश्रम में दो महिला अनुयायियों से बलात्कार के मामले में गुरमीत राम रहीम उम्रकैद की सजा काट रहा है। डेरा सच्चा सौदा के संचालक राम रहीम पर हरियाणा सरकार एक बार फिर मेहरबान हुई है. राम रहीम को एक महीने की पैरोल दी गई है, शुक्रवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे सुरक्षा के बीच राम रहीम जेल से बाहर आया। सूत्रों के मुताबिक, जेल से बाहर आने के बाद राम रहीम बागपत स्थित अपने आश्रम में गया है, बता दें कि दो साध्वियों के साथ रेप और दो हत्याओं का दोषी राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहा है। इससे पहले इसी साल 7 फरवरी को गुरमीत राम रहीम को 21 दिन की पैरोल दी गई थी, 28 फरवरी को पैरोल अवधि समाप्त होने के बाद राम रहीम को सुनारिया जेल लाया गया था। पिछले साल भी डेरा प्रमुख को अपनी बीमार माँ से मिलने के लिए सुबह से शाम तक का आपातकालीन पेरोल दी गयी थी। फरवरी में राम रहीम की 21 दिन की पैरोल मंजूर की थी, इस दौरान सरकार ने राम रहीम की जान का खतरा बताते हुए उन्हें जेड प्लस की सुरक्षा भी मुहैया करवाई थी, फरलो के दौरान राम रहीम ज्यादातर समय अपने गुरुग्राम स्थित आश्रम में ही रहा था। सरकार ने सुरक्षा का आधार एडीजीपी की रिपोर्ट को बनाया था, सरकार ने कहा था कि खालिस्तान समर्थक डेरा प्रमुख को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए उन्हें सख्त सिक्योरिटी दी जा रही है। राम रहीम सिरसा स्थित अपने आश्रम में दो महिला अनुयायियों से बलात्कार के मामले में 20 साल की कैद की सजा काट रहा है, राम रहीम को पंचकूला की एक विशेष सीबीआई अदालत ने अगस्त 2017 में मामले में दोषी करार दिया था, इसके अलावा गुरमीत राम रहीम को पूर्व डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में भी कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में इस विधानसभा क्षेत्र की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस विधानसभा क्षेत्र के विधायक को गुरुजी के नाम से जाना जाता रहा है। एक शिक्षक ने लंबे समय तक इस विधानसभा क्षेत्र की सेवा की जिसका मेवा भाजपा को मिला। अध्यापन से राजनीति में आए ईश्वर दास धीमान यहां से लगातार छह बार विधायक रहे और दो बार प्रदेश के शिक्षा मंत्री भी रहे। बेशक वर्ष 2008 में विधानसभा पुनसीमांकन के बाद इस विधानसभा क्षेत्र का नाम भोरंज हो गया, लेकिन भाजपा का सिक्का यहां चलता रहा। ईश्वर दास धीमान की मृत्यु के बाद उनके बेटे डॉ अनिल धीमान को उपचुनाव में पार्टी का चेहरा बनाया तो लगा कि बेटे को बाप की राजनीतिक विरासत सौंप दी गई है और अगली राजनीतिक पारी डॉ अनिल धीमान खेलेंगे। बेशक डॉ अनिल धीमान ने कांग्रेस सरकार के रहते हुए उपचुनाव जीतकर भाजपा की जीत की परंपरा को आगे बढ़ाया लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में विधायक होते हुए भी उनका टिकट काटकर भाजपा ने कमलेश कुमारी को दे दिया। भाजपा ने कमलेश कुमारी को उप मुख्य सचेतक बनाकर उनकी राहें मजबूत करने की कोशिश की लेकिन दूसरी ओर डॉक्टर अनिल धीमान और उनके समर्थक खोई हुई राजनीतिक जमीन को पाने के लिए मैदान में डटे रहे। अब जबकि हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव को महज 6 महीने से भी कम का समय बचा है डॉ अनिल धीमान ने सार्वजनिक मंच से यह घोषणा कर दी है कि अगर भाजपा ने उनको टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय मैदान में उतरेंगे। डॉ अनिल धीमान के यह बगावती तेवर भाजपा के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं। धीमान परिवार का इस विधानसभा क्षेत्र में कई दशकों से गहरा प्रभाव रहा है और इस बात में कोई शक नहीं है कि अगर डॉक्टर अनिल धीमान निर्दलीय मैदान में उतरते हैं तो वह भाजपा का खेल बिगाड़ सकते हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि आम आदमी पार्टी भी डॉक्टर धीमान के लिए एक विकल्प हो सकती है। पिछले चुनाव में कट चुका है सिटिंग विधायक का टिकट कभी मेवा विस क्षेत्र के नाम से मशहूर रही भोरंज सीट भाजपा के लिए सच में मेवा ही रही है। इस सीट से मिली ताकत का असर बमसन, नादौन और हमीरपुर सीटों पर दिखता था। जब तक आईडी धीमान जीवित रहे भोरंज में भाजपा के लिए सब ठीक था। उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे अनिल धीमान को उपचुनावों में टिकट मिला और कांग्रेस सरकार होते हुए भी वह सीट निकाल गए। 2017 क़े चुनाव में भाजपा ने सिटिंग एमएलए डॉक्टर धीमान का टिकट काटकर कमलेश कुमारी को दे दिया। डॉक्टर धीमान हाशिए पर चले गए लेकिन उनके साथ जुड़े समर्थक सक्रिय रहे। भोरंज में स्थिति यह है कि डॉक्टर धीमान भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार हैं और टिकट न मिलने पर समर्थकों के दबाव में आजाद चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं।
मोदी-मोदी नाम की माला जप-जप कर भाजपा प्रदेश में चुनावी भवसागर पार करने का पूरा प्रयास कर रही है। माना जा रहा है कि जयराम के सियासी रथ का सारथी बन मोदी ही इस रणभूमि में भाजपा का बेडा पार कर सकते है। इसीलिए प्रदेश में एक के बाद एक दौरे कर प्रधानमंत्री कार्यकर्ताओं में जोश भर रहे है। यूँ तो कई अन्य बड़े नेता भी हिमाचल के दौरों पर आ रहे है पर मोदी मैजिक के आगे सब फीका सा लग रहा है। धर्मशाला से रोड शो के जरिये भी प्रदेश के भाजपा कार्यकर्ताओं को मोदी चार्ज कर गए है। महज एक किलोमीटर और 15 मिनट के छोटे से रोड शो से भी पीएम मोदी बड़ा इम्पैक्ट डालने की कोशिश कामयाब रही। हजारों की संख्या में भाजपा कार्यकर्ता पीएम मोदी के रोड शो का हिस्सा बनने पहुंचे और जिस तरह की नारेबाजी हुई उससे जाहिर है कि भाजपा का जोश अब हाई है। निसंदेह पीएम मोदी के आगमन से भाजपा कांगड़ा में माहौल बनाने में कामयाब रही है। बीते एक पखवाड़े में ये पीएम मोदी का दूसरा हिमाचल दौरा था और लगभग बीते तीन माह में ये तीसरा मौका है जब पीएम मोदी हिमाचल आएं है। उपचुनाव में क्लीन स्वीप के बाद प्रदेश में भाजपा का जोश ठंडा था और तब 10 मार्च के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले में बड़ी रैली करके हतोत्साहित कार्यकर्ताओं को जोश से लबरेज कर दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार के आठ साल का उत्सव मानने के लिए भी शिमला को चुना गया और बीती 31 तारीख को पीएम मोदी की शिमला में शानदार जनसभा आयोजित हुई। अब मुख्य सचिवों के दो दिवसीय सम्मेलन में शामिल होने धर्मशाला पहुंचे पीएम मोदी ने रोड शो कर फिर से कार्यकर्ताओं में जोश भर गए। चुनाव से पहले कई बार आएंगे पीएम हिमाचल में सत्ता कब्जाने के लिए 15 सीटों वाला कांगड़ा सबसे अहम जिला है। 2017 में यहां भाजपा ने 11 सीटें जीती थी और मिशन रिपीट भी इसी कांगड़ा के प्रदर्शन पर काफी हद तक निर्भर है। ऐसे में पीएम मोदी के कांगड़ा दौर और रोड शो के विशेष मायने है। बहरहाल विधानसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी के कांगड़ा और निचले हिमाचल में कई दौरे होने तय है। जल्द ही प्रधानमंत्री बिलासपुर एम्स का उद्घाटन करने भी आ सकते है। वहीँ मुख्यमंत्री ने उनके चंबा दौरे पर आने की बात भी कही है। सबसे बड़े ब्रांड है पीएम मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न सिर्फ भाजपा बल्कि पुरे देश के सबसे बड़े राजनैतिक ब्रांड है। ब्रांड मोदी का असर देश बीते एक दशक से लगातार देखता आ रहा है। ये ही कारण है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के सियासी रिवाज़ को तोड़ने के लिए भाजपा अपने सबसे दमदार चेहरे को आगे रख रही है। मिशन रिपीट में जुटी भाजपा के लिए खुद प्रधानमंत्री अभी से मोर्चा संभाले हुए दिख रहे है।
कहीं बदलते समीकरण, तो कहीं बदलती निष्ठाएं। कहीं अंतर्कलह, कहीं हावी निजी महत्वकांक्षाएं। कमोबेश जिला सोलन की पांचों विधानसभा सीटों का ये ही सूरत - ए- हाल है। सत्ता में होने के बावजूद भाजपाई जोश फीका है तो विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस में धार नहीं दिख रही। वहीं आम आदमी पार्टी कोशिश तो कर रही है पर कुछ ज्यादा फर्क पड़ा हो, ऐसा नहीं लगता। अलबत्ता, जिला कांगड़ा और मंडी के बराबर न सही, लेकिन सोलन का सियासी वजन इतना जरूर है कि विधानसभा चुनाव में ये जिला मिशन रिपीट या डिलीट के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। वर्तमान में सोलन जिला की पांच सीटों में से तीन पर कांग्रेस काबिज है और दो पर भाजपा का कब्ज़ा है। सोलन, अर्की और नालागढ़ में कांग्रेस तथा कसौली और दून निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के विधायक है। जिला सोलन में जयराम राज में भाजपा का प्रदर्शन फीका रहा है। सोलन नगर निगम चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इसके पहले परवाणु नगर परिषद् चुनाव में भाजपा हारी तो बद्दी और नालागढ़ में नतीजों के बाद जोड़ -तोड़ से पार्टी के अध्यक्ष बने। नगर पंचायत अर्की चुनाव भी पार्टी हारी, हालांकि कंडाघाट नगर पंचायत चुनाव भाजपा जीती। वहीँ इसके बाद हुए अर्की उपचुनाव में भी पार्टी को शिकस्त मिली। जिला सोलन में दोनों ही पार्टियों के संगठन को लेकर भी सवाल उठते रहे है। कांग्रेस संगठन की अगुवाई शिव कुमार कर रहे है, तो भाजपा की आशुतोष वैद्य। बतौर जिला अध्यक्ष दोनों ही नेता अब तक छाप छोड़ने में कामयाब नहीं दिखे है। कांग्रेस जिला अध्यक्ष के तो गृह बूथ पर भी कांग्रेस बेहतर करती नहीं दिखी है। अमूमन पुरे कांग्रेस संगठन का हाल ही ऐसा दिखा है लेकिन जिला अध्यक्ष को लेकर अक्सर पार्टी के भीतर भी सवाल उठे है। विशेषकर जिला मुख्यालय सोलन में ब्लॉक और शहरी कांग्रेस के साथ उनका तालमेल नहीं दिखता। माना जा रहा था कि प्रदेश में हुए बदलाव के बाद कांग्रेस संगठन को धार देने के लिए जिला स्तर पर बदलाव करेगी, किन्तु अब तक ऐसा नहीं हुआ है। वहीं आशुतोष तो लेकर भाजपा संगठन में स्वीकार्यता की कमी उजागर होती है। जानकार मानते है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं -कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन कर सके, ऐसी झलक आशुतोष में नहीं दिखती। नालागढ़ : संभवतः राणा और ठाकुर में होगा मुकाबला, दोनों तरफ अंतर्कलह न कोई कम, न कोई ज्यादा। नालागढ़ निर्वाचन क्षेत्र की सियासत का हाल कुछ ऐसा ही है। कांग्रेस-भाजपा दोनों यहाँ बराबर है और इस पर अब आम आदमी पार्टी की एंट्री ने सियासत में उबाल ला दिया है। अलबत्ता अभी विधानसभा चुनाव में करीब 6 माह का वक्त है लेकिन आधा दर्जन से ज़्यादा भावी उम्मीदवार मैदान में उतर चुके है। कांग्रेस से वर्तमान विधायक लखविंदर राणा मोर्चा संभाले हुए है तो भाजपा से पूर्व विधायक के एल ठाकुर भी ताव में है। जबकि नए नवेले आम आदमी हुए पूर्व जिला परिषद् अध्यक्ष धर्मपाल चौहान दोनों के अरमानों पर झाड़ू फेरने की ताक में है। हालांकि धर्मपाल अभी तक तो मानो औपचारिकता पूरी करते ही दिख रहे है। भाजपा की वर्तमान स्थिति की बात करें तो पिछली बार खेल खराब करने वाले हरप्रीत सैनी का इरादा इस बार भी मैदान में उतरने का लग रहा है। भाजपा के जिला अध्यक्ष आशुतोष वैद्य का नाम भी चर्चा में है। पर दावा के एल ठाकुर का ही मजबूत है। उधर कांग्रेस से लखविंद्र राणा के अलावा एक और चेहरा है जिस पर निगाहें टिकी है, वो है बावा हरदीप सिंह। बावा पिछले चुनाव में कांग्रेस के बागी थे और पार्टी में वापसी के बाद इस बार भी टिकट के लिए दावा ठोक रहे है। दिलचस्प बात ये है कि राणा सुखविंद्र सिंह सुक्खू के ज़्यादा करीबी है तो बावा होलीलॉज कैंप से आते है। नालागढ़ निर्वाचन क्षेत्र के अतीत में झांके तो भाजपा से हरि नारायण सिंह सैनी ने लगातार तीन बार कमल खिलाया था। वे वर्ष 1998, 2003 व 2007 में विधायक रहे। उनके निधन के बाद 2011 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के लखविंद्र सिंह राणा ने बाज़ी मारी। पर एक ही साल में जनता का राणा से मोह भंग हो गया और 2012 के विधानसभा चुनाव में राणा को शिकस्त का सामना करना पड़ा। वहीं भाजपा उम्मीदवार के एल ठाकुर पहली बार विधायक बने। 2017 के चुनाव की बात करें तो नालागढ़ से एक बार फिर लखविंदर सिंह राणा और के एल ठाकुर आमने -सामने थे। हालांकि यहाँ राणा ने बाज़ी मारी किन्तु बेहद रोचक मुकाबला देखने को मिला। कांग्रेस का टिकट न मिलने पर बाबा हरदीप सिंह ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा और साढ़े सात हज़ार वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे। जबकि भाजपा के बागी हरप्रीत सैनी ने करीब दो हज़ार वोट हासिल कर ठाकुर का खेल खराब कर दिया था। वर्तमान में लखविंदर सिंह राणा ही नालागढ़ कांग्रेस का मुख्य चेहरा है। राणा इस सीट से पांच चुनाव लड़ चुके है। उन्होंने पहली बार वर्ष 2003 में बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। इसके बाद हुए तीन विधानसभा चुनाव और एक उपचुनाव में कांग्रेस ने उन्हें ही टिकट दिया है जिसमें से दो बार उन्हें जीत मिली है। कसौली : क्या हरमेल फैक्टर का इलाज निकाल पाएंगे डॉक्टर ! कसौली निर्वाचन क्षेत्र में एक तरफ मिस्टर क्लीन इमेज वाले वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सैजल के साथ भाजपा की पूरी टीम जीत का चौका लगाने के लिए मैदान में है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस जीत का सूखा खत्म करने की फिराक में। और इन दोनों का खेल बिगाड़ने की जुगत में मैदान में आम आदमी पार्टी की एंट्री भी हो चुकी है। कसौली निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में से है जो हमेशा आरक्षित रहे है। ऐसे में इस क्षेत्र के कई कद्दावर नेताओं की विधायक - मंत्री बनने की हसरत कभी पूरी नहीं हुई। कुछ की उम्र संगठन की सेवा में बीत गई, तो कुछ को सत्ता सुख के नाम पर बोर्ड - निगमों में एडजस्ट कर दिया गया। ऐसा भी माना जाता है कि सामान्य वर्ग से आने वाले कई नेताओं ने कई मौकों पर अपनी पार्टी प्रत्याशी की राह में ही कांटे डाले ताकि उनकी कुव्वत बनी रहे। कसौली निर्वाचन क्षेत्र लम्बे अरसे तक कांग्रेस का गढ़ रहा। 1982 से 2003 तक हुए 6 विधानसभा चुनावों में से पांच कांग्रेस ने जीते और पांचों बार प्रत्याशी थे रघुराज। सिर्फ 1990 की शांता लहर में एक मौका ऐसा आया जब रघुराज भाजपा के सत्यपाल कम्बोज से चुनाव हारे। 2003 में प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार बनी और वीरभद्र सरकार में रघुराज मंत्री बने। मंत्री बनने के बाद कसौली के लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ी और शायद इसी का खामियाजा रघुराज को 2007 में उठाना पड़ा, जब वे चुनाव हार गए। तब जमीनी स्तर पर रघुराज के खिलाफ नाराज़गी दिखी थी। उन्हें हराने वाले थे भाजपा के डॉ राजीव सैजल। 36 साल के सैजल का ये पहला चुनाव था, पर कसौली की जनता ने रघुराज पर युवा सैजल को वरीयता दी और वे चुनाव जीत गए। तब पहला चुनाव जीतने वाले सैजल वर्तमान में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री है। अब तक सैजल जीत की हैट्रिक लगा चुके है और अब जीत का चौका लगाने की तैयारी में है। हालांकि उनकी राह ज़रा भी आसान नहीं दिख रही। इसमें कोई संशय नहीं है कि मामूली अंतर से बीते दो चुनाव जीतने वाले सैजल को इस बार भी एड़ी चोटी का ज़ोर लगाना पड़ेगा। भाजपा की मुश्किलें बढ़ाने के पीछे हरमेल धीमान का भी बड़ा हाथ है। बीते दिनों कसौली भाजपा के वरिष्ठ नेता व भाजपा एससी मोर्चा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष हरमेल धीमान ने भाजपा छोड़ आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। वह पिछले चुनाव के दौरान टिकट की मांग कर रहे थे लेकिन टिकट राजीव सैजल को ही मिला। पिछली बार भी पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के मनाने पर उन्होंने डॉक्टर राजीव सैजल के लिए चुनाव में काम किया था । हरमेल धीमान खुद तो आप में गए ही लेकिन साथ ही वे भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष देवराज ठाकुर व मंडल के पूर्व उपाध्यक्ष व जिला परिषद सदस्य जगदीश पंवर समेत अन्य समर्थकों को भी आम आदमी पार्टी में ले गए। ज़ाहिर है इन निष्ठावान सिपाहियों की निष्ठा में परिवर्तन का नुक्सान भाजपा को भारी पड़ सकता है। वहीं लगातार तीन चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के लिए ये चुनाव काफी महत्वपूर्ण है और शायद यही कारण है कि विनोद सुल्तानपुरी अभी से प्रो एक्टिव दिख रहे है। सुल्तानपुरी बीते एक साल से जनता के बीच है भी और उनकी सुन भी रहे है। अगर परवाणु को छोड़ दिया जाए तो बीते साढ़े तीन साल में कांग्रेस हर जगह बैकफुट पर दिखी है। जाहिर है पिछले दो चुनाव में मामूली अंतर से हारने वाले सुल्तानपुरी इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। माना जाता है कि कांग्रेस का भीतरघात पिछले चुनावों में उन पर भारी पड़ा, पर अब सुल्तानपुरी सक्रिय भी है और निरंतर लोगों के बीच भी। वहीं ऐसा तो नहीं कहा जा सकता कि पार्टी अब पूरी तरह एकजुट हो लेकिन कांग्रेस में विनोद सुल्तानपुरी विरोधी खेमे का दमखम अब पहले से कुछ कम जरूर दिखता है। ये सुल्तानपुरी के लिए राहत की बात जरूर होगी। यहाँ ये बताना भी जरूरी है कि टिकट दावेदारों में भी विनोद सुल्तानपुरी के समकक्ष कोई मजबूत दावेदार नहीं दिखता। सोलन : कांग्रेस में कर्नल, तो भाजपा में कोई सर्वमान्य नेता नहीं ! सोलन निर्वाचन क्षेत्र में वर्ष 2000 में उपचुनाव हुआ था। तब अप्रत्याशित तौर पर पूर्व मंत्री महेंद्र नाथ सोफत का टिकट काट कर भाजपा ने डॉ राजीव बिंदल को टिकट दिया था, और पहली बार बिंदल विधायक बने थे। इसके बाद डॉ बिंदल ने 2003 और 2007 में भी जीत दर्ज की। 2007 से 2012 तक बिंदल मंत्री भी रहे और सोलन की राजनीति में उनका खूब डंका बजा। किन्तु धूमल सरकार के जाते -जाते भ्रष्टाचार के आरोप के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। 2012 में सोलन सीट आरक्षित हो गई तो डॉ राजीव बिंदल नाहन चले गए। इसके बाद से सोलन में भाजपा का कोई चेहरा स्थापित नहीं हो पाया। सोलन भाजपा की राजनीति में बिंदल की दखल और असर दोनों दिखते रहे। 2012 में कुमारी शीला को टिकट दिलवाना और 2017 में शीला का टिकट कटवाकर डॉ राजेश कश्यप की एंट्री करवाना भी बिंदल के असर का ही परिणाम समझा जाता रहा है। पर माना जाता है कि 2017 के चुनाव में डॉ बिंदल के कुछ निष्ठावानों ने डॉ राजेश कश्यप का साथ नहीं दिया, सो चुनाव में हार के बाद डॉ राजेश कश्यप महेंद्र नाथ सोफत के साथ हो लिए। इस बीच जब डॉ राजीव बिंदल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बने तो डॉ राजेश कश्यप फिर साइडलाइन होने लगे लेकिन बिंदल को स्वास्थ्य घोटाले के चलते इस्तीफा देना पड़ा और इसके बाद नगर निगम चुनाव में भी उनका जादू नहीं चला, तो अब उनका दखल सोलन में शायद न दिखे। वहीं इस वक्त टिकट को लेकर भाजपा में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है। बेशक डॉ राजेश कश्यप प्रो एक्टिव दिख रहे हो लेकिन दावेदारों की फेहरिस्त में तरसेम भारती और कुमारी शीला के साथ -साथ पूर्व सांसद और डॉ कश्यप के बड़े भाई प्रो. वीरेंदर कश्यप का नाम भी है। वीरेंदर कश्यप दो बार सांसद रहे है और पार्टी के आदेश पर चुनाव लड़ने की बात भी कह चुके है। ऐसे में जानकार मानते है कि डॉ राजेश के विरोधी भी प्रो. वीरेंदर कश्यप के नाम को आगे बढ़ा सकते है। कांग्रेस की बात करें तो 2012 में पहली बार कर्नल धनीराम शांडिल ने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। शांडिल चुनाव जीतते ही कैबिनेट मंत्री बन गए। 2017 के चुनाव में शांडिल दूसरी बार विधायक बने। कर्नल शांडिल का कोई विकल्प फिलहाल कांग्रेस के पास नहीं दिख रहा। हालांकि वीरभद्र गुट को शांडिल ख़ास रास नहीं आते। जनवरी में हुए जिला परिषद चुनाव और अप्रैल में हुए नगर निगम चुनाव में भी टिकट वितरण को लेकर ये खींचतान स्पष्ट देखने को मिली। बावजूद इसके शांडिल ही सोलन में कांग्रेस का प्राइम फेस है। दरअसल, शांडिल की ताकत ये है कि वे गुटबाजी से हमेशा फासला रखते है। हालांकि कर्नल विरोधी मेयर पूनम ग्रोवर का नाम भी आगे कर रहे है लेकिन ये मात्र हवाई कयास ही लग रहे है। ग्राउंड रियलिटी की बात करें तो कर्नल ही एकमात्र ऐसा चेहरा है। दून विधानसभा : कांग्रेस के राम तो भाजपा में टिकट को कोहराम ! बीते तीन दशक में दून निर्वाचन हलके की राजनीति बेहद दिलचस्प रही है। 1990 की शांता लहर में जनता दल के टिकट पर चौधरी लज्जा राम विधायक चुन कर आये थे। पर 1993 आते -आते चौधरी लज्जा राम ने पार्टी बदल ली और कांग्रेस का हाथ थाम लिया। इसके बाद 1993, 1998 और 2003 के विधानसभा चुनाव में चौधरी लज्जा राम यहाँ से विधायक रहे। पर 2007 के चुनाव में उन्हें भाजपा की विनोद चंदेल ने परास्त कर पहली बार कमल खिलाया। फिर आया 2012 का बेहद रोचक चुनाव। कांग्रेस ने चौधरी लज्जा राम के पुत्र राम कुमार को मैदान में उतारा, तो वहीँ भाजपा ने विनोद चंदेल को ही टिकट थमाया। इस मुकाबले में विजय राम कुमार चौधरी की हुई, पर दिलचस्प बात ये रही कि भाजपा चौथे पायदान पर रही। दरअसल, कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों से बागी उम्मीदवार भी मैदान में थे। भाजपा के बागी दर्शन सिंह जहाँ 11 हज़ार से अधिक वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे, तो कांग्रेस के बागी परमजीत सिंह पम्मी भी 10 हज़ार से ज्यादा वोट ले गए और तीसरे स्थान पर रहे। इस बीच ज्योति हत्याकांड में विधायक राम कुमार चौधरी का नाम खूब उछला। उधर राम कुमार के रहते परमजीत सिंह पम्मी को कांग्रेस में भविष्य नहीं दिख रहा था। सो पम्मी ने भाजपा का दामन थाम लिया। जैसा अपेक्षित था 2017 में भाजपा ने पम्मी को मैदान में उतारा और कांग्रेस से एक बार फिर राम कुमार चौधरी मैदान में थे। इस मुकाबले में पम्मी ने जीत दर्ज की। अब फिर दून की सियासत गरमाई हुई है। जैसे - तैसे जोड़ -तोड़ कर भाजपा ने स्थानीय निकाय पर बेशक कब्ज़ा कर लिया हो लेकिन कांग्रेस भी यहाँ कमजोर नहीं दिखती। राम कुमार चौधरी पूरी तरह सक्रीय भी है और कांग्रेस का प्राइम फेस भी। उधर भाजपा में परमजीत सिंह पम्मी को दर्शन सिंह सैनी और बलविंद्र ठाकुर से चुनौती मिलती दिख रही है। माहिर मान रहे है कि भाजपा में टिकट के लिए कोहराम की स्थिति से भी इंकार नहीं किया जा सकता। अर्की : कांग्रेस से अवस्थी, ठाकुर का ऐलान और भाजपा को चेहरे की तलाश अर्की में राजा वीरभद्र सिंह के जाने के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के संजय अवस्थी ने जीत हासिल की। यहां भाजपा में चल रहे भारी अंतर्कलह का फायदा स्पष्ट तौर पर कांग्रेस को मिलता हुआ दिखाई दिया। हालाँकि इस बार भाजपा मिशन रिपीट के लिए कोई रिस्क लेती नज़र नहीं आ रही है तो ज़ाहिर है कांग्रेस को भी और कड़ी मेहनत करनी होगी। लगातार दो चुनाव हारने के बाद भाजपा इस दफा भी रतन सिंह पाल पर भरोसा जताएगी, इसकी सम्भावना कम ही है। हालाँकि रतन सिंह पाल अब भी पूरी तरह मैदान में डटे हुए है। 2017 के चुनाव में पार्टी ने गोविंद राम शर्मा का टिकट काट कर यहां रतन सिंह पाल को मैदान में उतारा था तब कांग्रेस से वीरभद्र सिंह ने रतन सिंह पाल को हरा कर अर्की पर राज किया। उपचुनाव में भी पार्टी ने रतन सिंह पाल को ही टिकट दिया। उस दौरान भी भाजपा का एक धड़ा रतन पाल का खुलकर विरोध कर रहा था। नतीज़न भारी अंतर्कलह के कारण भाजपा को उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा। अब कयास है की इस बार अर्की निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा किसी नए चेहरे पर भी दांव खेल सकती है। क्षेत्र में एक नए चेहरे को लेकर सुगबुगाहट भी तेज़ हो गयी है।वहीं कांग्रेस की बात करें तो प्रतिभा सिंह के प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने के बाद अर्की निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस के लिए भी सियासी समीकरण बदलने के आसार है। उपचुनाव में पार्टी ने सुखविंद्र सिंह सुक्खू के करीबी और 2012 में पार्टी प्रत्याशी रहे संजय अवस्थी को अपना उम्मीदवार बनाया था। इसके बाद होलीलॉज के करीबी रहे राजेंद्र ठाकुर ने अपने समर्थकों सहित पार्टी छोड़ दी थी। हालांकि ठाकुर ने बतौर निर्दलीय चुनाव तो नहीं लड़ा लेकिन पार्टी के लिए काम भी नहीं किया। तब से अब तक ठाकुर कांग्रेस से बाहर है। राजेंद्र ठाकुर इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सत्ता में वापसी के लिए आखिरी क्षणों में खूब छटपटा रहे हैं। इसलिए वह बार-बार दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री को हिमाचल ला रहे हैं। यदि जयराम ठाकुर ने साढ़े चार साल में काम किए होते तो आज नरेंद्र मोदी समेत अन्य केंद्रीय नेताओं को हिमाचल लाने की जरूरत नहीं पड़ती। ये कहना है प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का। प्रतिभा सिंह मंगलवार को शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में हिमाचल स्पोर्ट्स कल्चर एंड एनवायरमेंट एसोसिएशन द्वारा आयोजित खेलकूद प्रतियोगिता में बतौर मुख्यातिथि पहुंची थी। इस दौरान विधायक और प्रतिभा सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह भी मौजूद रहे। खेल कूद के इस कार्यक्रम के बहाने एक बार फिर होलीलॉज का शक्ति प्रदर्शन यहां देखने को मिला। हज़ारों लोगों की भीड़ ने साबित कर दिया की इस क्षेत्र में होलीलॉज का जादू बरकरार है। आयोजन के दौरान एक बार फिर प्रतिभा सिंह ने कोंग्रेसियो को एकजुटता का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस मजबूत बने, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने इसके लिये सभी को एकजुट होना होगा। वहीं प्रतिभा सिंह ने महंगाई, बेरोजगारी और पेपर लीक प्रकरण पर जयराम सरकार को जमकर घेरा। वहीं विधायक विक्रमादित्य सिंह ने इस समारोह में उपस्थित नेताओं व लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि उनका मकसद लोगों की सेवा करना है और आपसी मेलजोल को मजबूत करने का है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वह बेरोजगार युवाओं व महिलाओं के लिए जल्द ही रोजगार मेलों का आयोजन करेंगे। विपक्ष में होने के बावजूद उन्होंने इस क्षेत्र में 90 करोड़ के विकास कार्य किये है। उन्होंने कहा कि जिस तेजी से विकास कार्य होने थे वह नही हुए। भाजपा ने हमेशा ही क्षेत्रवाद की राजनीति करते हुए विकास में भी बड़ा भेदभाव किया। उन्होंने जयराम सरकार को चुनौती दी कि वह अपने इस कार्यकाल में ऐसे बड़े पांच कार्य ही गिना दे जो उन्होंने शुरू किए और उन्हें पूरा भी किया। विक्रमादित्य ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही कर्मचारियों के हितों को देखते हुए उनकी पुरानी पेंशन को लागू किया जाएगा।
तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश भाजपा ने प्रदेश के दो निर्दलीय विधायकों को पार्टी में शामिल कर लिया है। देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह व जोगिन्दरनगर से निर्दलीय विधायक प्रकाश राणा बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप की मौजूदगी में भाजपा के हो गए। ये दोनों ही नेता अपने -अपने विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने और निसंदेह ये दोनों ही अपने अपने विधानसभा क्षेत्र में खासी पकड़ भी रखते है। देहरा विधायक होशियार सिंह लगातार भाजपा में शामिल होने के इच्छुक दिखाई दे रहे थे। होशियार सिंह अपनी हर जनसभा, हर कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की तारीफ़ में कसीदे पढ़ रहे थे, जिससे ये साफ़ संकेत मिलता दिख रहा था कि वे भाजपा में शामिल होने जा रहे है। हालांकि देहरा में भाजपा का एक तबका लगातार विधायक के विरोध में दिखा है। वहीं जोगिन्दर नगर से विधायक प्रकाश राणा का झुकाव शुरुआत से ही भाजपा की तरफ रहा है। मंडी लोकसभा उपचुनाव में भी राणा ने पार्टी के लिए खुलकर काम किया और इसी के चलते आज पार्टी में उनकी भी एंट्री हो गई। पर जोगिन्दर नगर में भी पार्टी का एक तबका गुलाब सिंह के साथ खड़ा दिख रहा है। ऐसे में देहरा और जोगिन्दर नगर में बेशक पार्टी को नए चेहरे मिल गए हो, लेकिन जानकार मान कर चल रहे है कि दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में सियासी भूचाल तय है। अब भाजपा इसे कैसे साधती है, ये देखना रोचक होगा। खास बात ये है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में इन दोनों निर्दलीय प्रत्याशियों ने भाजपा के जिन दो महारथियों को हराया था, वे धूमल कैंप के खास सिपहसलहार है। देहरा से पूर्व मंत्री रविंद्र सिंह रवि चुनाव हारे थे, तो जोगिन्दर नगर से पूर्व मंत्री और धूमल के समधी गुलाब सिंह परास्त हुए थे। वहीँ जयराम की ताजपोशी के बाद से ही होशियार सिंह और प्रकाश राणा, दोनों का ही झुकाव जयराम ठाकुर की तरफ रहा है। अब जाहिर है इन दोनों के पार्टी में आने से जयराम टीम भी मजबूत होगी। पर टिकट आवंटन पर पेच अब भी फसता दिख रहा है। देहरा में जहां भाजपा का एक बड़ा गुट होशियार सिंह के साथ नहीं दिखता, वहीँ जोगिन्दर नगर में गुलाब सिंह भी चुनाव लड़ने के लिए खुद को तैयार बताते आ रहे है। बहरहाल, जानकार मान रहे है कि भाजपा में घमासान तय है, पर राहत की बात ये है कि इन दोनों ही निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस की हालत पतली है। पहले टिकट की जंग लड़नी होगी माहिर मानते है कि कोई निर्दलीय विधायक चुनाव से पहले भाजपा में आ जाए और उसे टिकट भी मिले ये जरूरी नहीं है। पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी को देखते हुए कई बार पार्टी उन्हीं लोगों को टिकट में तवज्जो देती है, जो पार्टी में लम्बे समय से जुड़े हो। मसलन 2017 से ठीक पहले इंदौरा के निर्दलीय विधायक मनोहर धीमान भाजपा में शामिल हुए। उस वक्त मनोहर उसी तरह मजबूत थे जैसे आज प्रकाश राणा और होशियार सिंह को माना जाता है। पर पार्टी ने 2012 में तीसरे स्थान पर रही रीता धीमान को टिकट दिया और रीता जीत भी गई। आज मनोहर एक किस्म से साइडलाइन है और समर्थकों को मलाल है कि उन्होंने तब चुनाव नहीं लड़ा। सो प्रकाश राणा और होशियार सिंह बेशक भाजपा में शामिल कर लिए गए हो लेकिन दोनों को ही पहले टिकट की जंग लड़नी होगी।
वर्तमान के सियासी समीकरण समझने के लिए कई मर्तबा अतीत के सियासी चलचित्र में झांक लेना मददगार होता है। सो शुरुआत करते है 1998 के विधानसभा चुनाव से। 1985 के बाद ये पहला मौका था जब प्रदेश में कोई सरकार रिपीट करने की स्थिति में दिख रही थी। वीरभद्र सरकार को लेकर प्रो इंकम्बैंसी दिख रही थी और मिशन रिपीट लगभग तय लग रहा था। पर पंडित सुखराम कुछ और ही ठान चुके थे, और उन्होंने हिमाचल विकास कांग्रेस बनाकर कांग्रेस को झटका दे दिया। तब काँटे के मुकाबले में 23 सीटें ऐसी थी जहाँ जीत-हार का अंतर दो हज़ार वोट से कम था। इन से 14 सीटें कांग्रेस हारी थी और तीन सीटों पर तो उसे हिमाचल विकास कांग्रेस से सीधे मात दी थी। इसके अलावा कई सीटें ऐसी थी जहाँ कांग्रेस की हार का अंतर बेशक दो हज़ार वोट से अधिक था लेकिन पार्टी का खेल हिमाचल विकास कांग्रेस ने ही बिगाड़ा था। ये आंकड़ें इस बात की तस्दीक करते है की यदि हिमाचल विकास कांग्रेस न होती तो 1998 में वीरभद्र दूसरी बार रिपीट कर जाते। ऐसे में जाहिर है कि बेशक कभी हिमाचल में तीसरी पार्टी सरकार न बना पाई हो लेकिन नतीजे बदलने की कुव्वत तो रखती है। भाषणों -ब्यानों में तीसरी पार्टी को लेकर कुछ भी कहा जा रहा हो, लेकिन 1998 का ये इतिहास कांग्रेस और भाजपा दोनों की धुकधुकी जरूर बढ़ा रहा होगा। अब आते है वर्तमान स्थिति पर। करीब चार -पांच माह में हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने है। भाजपा मिशन रिपीट के लिए और कांग्रेस सत्ता वापसी के लिए हाथ पाँव मार रहे है। और फिलवक्त प्रदेश में वो तीसरी पार्टी है आम आदमी पार्टी। अलबत्ता कांग्रेस -भाजपा दोनों आप के प्रभाव को सिरे से खारिज कर रहे है लेकिन टेंशन दोनों को है। दोनों को पता है कि आप को हल्के में लेने की भूल महंगी पड़ सकती है। बीते तीन चुनाव पर नज़र डाले तो प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में फ्लोटिंग वोट न तो सरकार के खिलाफ मुखर दिखा है और न ही समर्थन में, पर तीनों मर्तबा प्रदेश ने बदलाव के लिए वोट किया है। यानी वोटर की खामोशी सत्ता पर भारी पड़ती आ रही है। मौजूदा समय में जयराम सरकार को लेकर भी न एंटी इंकम्बेंसी दिख रही है और न ही प्रो इंकम्बैंसी। ऐसे में यदि बदलाव के लिए वोट होता है और आप उसमे सेंध लगाती है तो लाभ भाजपा को हो सकता है। हवा और माहौल के हिसाब से चलने वाला न्यूट्रल वोटर दोनों पार्टियों को ठेंगा दिखा सकता है। वहीँ आप के गुड गवर्नेंस मॉडल से यदि ये वोटर प्रभावित हुआ तो भाजपा का मिशन रिपीट भी खटाई में पड़ सकता है। सो कोई माने न माने, चिंता की आग दोनों तरफ बराबर लगी है। बात करें आम आदमी पार्टी की तो पंजाब में जीत के बाद जिस तरह का आगाज हुआ था वो पार्टी बरकरार नहीं रख पाई। पर अब प्रदेश में आम आदमी पार्टी फिर से तेवर में आती दिख रही है। बीते दिनों प्रदेश की नई कार्यकारिणी का गठन भी हो गया है और वीआईपी दौरों का सिलसिला भी फिर से शुरू हो गया है। रोज़गार, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी वोट मांग रही है और इसी जद्दोजहद में है कि आगामी विधानसभा चुनाव में दमदार मौजूदगी दर्ज करवाई जा सके। बेशक खुले मंच से पार्टी के नेता सरकार बनाने के दावे कर रहे हो, लेकिन जाहिर है पार्टी का मकसद फिलहाल खुद को दमदार तरीके से हिमाचल की सियासत में स्थापित करना है, ताकि भविष्य के लिए नींव मजबूत की जा सके। फायदा होगा, बशर्ते चुनावी मेहमान न बन कर रह जाएं पार्टी पंजाब में सरकार बनने के बाद से अब तक आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल हिमाचल प्रदेश के तीन दौरे कर चुके है। केजरीवाल कांग्रेस -भाजपा को खुलकर चुनौती दे रहे है कि जिन विकास के मुद्दों पर वो वोट मांग रहे है, वे भी उन पर वोट मांग कर दिखाएं। हाल ही में आप ने हिमाचल में एक शिक्षा संवाद भी किया है। निजी स्कूलों की बेलगाम फीस निसंदेह हिमाचल में एक बड़ा मुद्दा है और इसे भांपते हुए आप सही रास्ता पकड़े हुए दिख रही है। नजदीक भविष्य में न सही लेकिन इसका दूरगामी फायदा जरूर आप को मिल सकता है, बशर्ते पार्टी अब हिमाचल में परमानेंट सियासत करे, न कि चुनावी मेहमान की तरह। वहीँ फिलहाल हिमाचल में आप के लिए सबसे बड़ी कमज़ोरी किसी बड़े चेहरे का न होना है। पार्टी में ऐसा कोई चेहरा नहीं दिखाई देता जिसके दम पर पार्टी हिमाचल विधानसभा चुनाव जीत ले। सावधान कांग्रेस, हर जगह 'आप' ने बिगाड़ा है खेल माहिर मान रहे है कि संभवतः आप का पहला मकसद कांग्रेस को कमजोर करना हो ताकि न सिर्फ हिमाचल में बल्कि पूरे देश में विपक्ष का मुख्य चेहरा बन सके। जाहिर है यदि आगामी विधानसभा चुनाव में आप की मौजूदगी के चलते कांग्रेस के अरमानों पर पानी फिरता है तो 2027 में आप की भूमिका बड़ी हो सकती है। अतीत पर निगाह डाले तो आप हमेशा से ही कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ते आई है। पहले आप ने दिल्ली की सत्ता पर 15 साल से आसीन कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया और फिर अब पार्टी ने पंजाब भी कांग्रेस को बुरी तरह हराया। गोवा और उत्तराखंड में भी कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ने का श्रेय आप को ही दिया जाता है, जिससे भाजपा का मिशन रिपीट सफल हो पाया। उत्तराखंड में आप को 3.31 प्रतिशत वोट हासिल हुए, वहीं गोवा में आप को 6.77 प्रतिशत वोट हासिल हुए है। ये आंकड़े सत्ता पाने के लिए तो नाकाफी है, मगर अब कांग्रेस का सतर्क होना आवश्यक दिखाई देता है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि हिमाचल में आप के आने से कांग्रेस के लिए स्थिति मुश्किल हो सकती है। यदि सत्ता विरोधी वोट बांटने में आप कामयाब रही तो कांग्रेस के अरमानों पर पानी फिर सकता है। कुनबा न संभला, तो भाजपा होगी मुश्किल में हिमाचल का एक तबका ऐसा भी है जो आप के दिल्ली मॉडल का मुरीद है, ऐसे में गुड गवर्नेंस की बात करने वाली भाजपा के लिए भी चुनौती कम नहीं होने वाली। पहली बार शिक्षा संवाद जैसे कार्यक्रम आयोजित कर कोई पार्टी शिक्षा -स्वास्थ्य जैसे बुनियादों मुद्दों पर वोट मांग रही है, जाहिर है इसका नुकसान सत्तारूढ़ पार्टी को ज्यादा हो सकता है। वहीँ भाजपा में टिकट तलबगारों की बढ़ती संख्या भी आप में लिए अवसर है। अगर पार्टी के कुछ मजबूत नेता आप का रुख करते है, तो नुक्सान भाजपा का होगा। मसलन कसौली से भाजपा नेता हरमेल धीमान अब आप में है और निसंदेह भाजपा के अरमान कुचल सकते है। कई अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में भी हरमेल सरीखे भाजपाई पार्टी में उपेक्षित है और माना जा रहा है कि चुनाव नजदीक आते-आते आप के हो सकते है। ऐसे में भाजपा कुनबा नहीं संभाल पाती तो मिशन रिपीट मुश्किल है।
चुनाव आयोग का कहना है कि चुनावों में वोट डालने के लिए प्रवासी वोटर्स का अपने घर लौटकर आना मुश्किल हो जाता है, इसलिए ऐसे वोटर्स के लिए रिमोट वोटिंग की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है। इसके लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा, आप दिल्ली में रहते हैं, लेकिन आपका नाम मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की वोटिंग लिस्ट में है, और वहां विधानसभा चुनाव होने हैं, तो क्या आप दिल्ली में बैठे-बैठे वोट डाल सकते हैं ? अभी इसका जवाब नहीं है, लेकिन हो सकता है कि अगले साल तक ऐसा हो जाए। दरअसल, चुनाव आयोग दूसरे राज्यों में रह रहे प्रवासी वोटर्स के लिए रिमोट वोटिंग की संभावनाएं तलाश रहा है, ऐसा इसलिए क्योंकि दूसरे राज्यों में रह रहे प्रवासी वोटर्स चुनावों में वोट डाल नहीं पाते हैं और वोटिंग से वंचित रह जाते हैं। चुनाव आयोग ने एक बयान जारी कर कहा कि प्रवासी वोटर्स पढ़ाई, रोजगार या किसी दूसरे काम से दूसरे राज्य में चले जाते हैं, उनके लिए वोट डालने के लिए वापस लौटना मुश्किल हो जाता है, इसलिए अब रिमोट वोटिंग की संभावनाएं तलाशने का समय आ गया है। चुनाव आयोग ने अपने बयान में बताया है कि प्रवासी वोटर्स के मुद्दों पर गौर करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। आयोग के मुताबिक, शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत हो सकती है।
कानपुर हिंसा में अब तक 50 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। बताया जा रहा है कि शहर प्रशासन ने आरोपियों की 147 अवैध संपत्तियों की पहचान की है। माना जा रहा है कि जल्द ही इनपर बुलडोजर चल सकता है। इसी बीच कानपुर शहर के काजी मौलाना अब्दुल कुद्दूस हादी ने कहा है कि अगर कानपुर में बुलडोजर चला तो लोग कफन बांध करके बाहर निकल आएंगे। दरअसल, कानपुर में मुस्लिम संगठनों ने 3 जून को बंद बुलाया था। मुस्लिम संगठन नूपुर शर्मा के पैंगबर मोहम्मद को लेकर दिए बयान का विरोध कर रहे थे। इस दौरान हिंसा फैल गई थी। पुलिस सीसीटीवी के आधार पर आरोपियों की पहचान कर रही है। पुलिस ने आरोपियों के पोस्टर भी लगाए थे। पुलिस के मुताबिक, इस मामले में अब तक 50 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं, पोस्टर में शामिल 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों में से कुछ नाबालिग भी हैं। पुलिस सीसीटीवी के आधार पर उनकी भूमिका की जांच कर रही है। इसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। पुलिस का कहना है कि कुछ लोगों ने खुद आकर सरेंडर भी किया है। प्रशासन ने 147 इमारतों की पहचान की जहां से पत्थरबाजी की गई थी। बताया जा रहा है कि सीसीटीवी से पहचान होने के बाद इन इमारतों की वैधता की जांच की जाएगी। इसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
कहते है कांगड़ा वो जिला है जो सत्ता तक पहुंचाने की ही नहीं, बल्कि नेताओं की खाट खड़ी करने की भी कुव्वत रखता है। कांगड़ा की सियासी बैटल फील्ड में बड़े-बड़ो के नाक से धुंआ निकल जाता है। इतिहास तस्दीक करता है कि जो काँगड़ा को न भाया, उसका प्रदेश की सत्ता से पांच साल का वनवास तय समझो। आबादी के हिसाब से सबसे बड़े जिले काँगड़ा से चुनकर आए 15 विधायक सरकार बनाने और गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ये बात सभी राजनीतिक दल बखूबी जानते है और इसीलिए काँगड़ा की सियासी रणभूमि में सेंधमारी की तैयारी अभी से शुरू हो गई है। काँगड़ा में सत्ता वापसी को कांग्रेस प्रयासरत है, तो भाजपा सत्ता को अनवरत रखने के लिए। वहीं आम आदमी पार्टी भी भरपूर प्रयास का रही है। पिछले कुछ समय से काँगड़ा में मुख्यमंत्री के ताबड़तोड़ दौरे हो रहे है और आगामी कुछ वक्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य बड़े नेता भी काँगड़ा पहुंचेंगे। काँगड़ा का हर विधानसभा क्षेत्र ज़रूरी है और इसके लिए हर राजनीतिक दल अलग-अलग माइक्रो प्लान तैयार कर रहा है। पिछले चुनाव की बात करें तो जिला की 15 में से 11 सीटों पर भाजपा ने कब्ज़ा जमाया था। कांग्रेस को सिर्फ तीन सीटें मिली थी और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। अब मिशन रिपीट के लिए भाजपा को पुराना प्रदर्शन दोहराना होगा, वहीँ कांग्रेस को अगर सत्ता वापसी करनी है तो उसे भी कांगड़ा में दमखम दिखाना होगा। 2017 के विधानसभा चुनाव में जिला कांगड़ा की 11 सीटें जीतने के बाद जिला को चार कैबिनेट मंत्री पद मिले। विपिन सिंह परमार को स्वास्थ्य, किशन कपूर को खाद्य आपूर्ति, सरवीण चौधरी को शहरी विकास और विक्रम सिंह को उद्योग मंत्रालय मिला। यानी जयराम कैबिनेट में जिला कांगड़ा को दमदार महकमे मिले। इसके बाद 2019 में किशन कपूर सांसद बनकर लोकसभा चले गए। जबकि विपिन सिंह परमार से मंत्री पद लेकर उन्हें माननीय विधानसभा स्पीकर बना दिया गया। तदोपरांत 2020 में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में सरवीन चौधरी से शहरी विकास जैसा महत्वपूर्ण महकमा लेकर उन्हें सामाजिक न्याय मंत्रालय का ज़िम्मा दे दिया गया। वहीँ राकेश पठानिया की कैबिनेट में वन, युवा एवं खेल मंत्री के तौर पर एंट्री हुई। विक्रम सिंह ही एकमात्र ऐसे मंत्री है जो शुरू से जयराम कैबिनेट में बने हुए है और जिनका वजन भी बढ़ा है। मंत्रिमंडल विस्तार में उनके पोर्टफोलियो में परिवहन जैसा महत्वपूर्ण महकमा भी जोड़ दिया गया। वर्तमान में तीन मंत्रिपद और विधानसभा स्पीकर का पद कांगड़ा के हिस्से में है। सियासी माहिर मानते है कि स्वास्थ्य और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय छीनने की टीस जरूर कहीं न कहीं कांगड़ा में मन में रह सकती है। कांग्रेस की ओबीसी वोट पर निगाहें : जिला कांगड़ा में ओबीसी वोट बैंक का अच्छा प्रभाव है। अमूमन हर सीट पर ओबीसी वोट जीत -हार का अंतर पैदा कर सकता है। काजल को मजबूत करके कांग्रेस की नज़र इसी वोट बैंक पर है। ओबीसी वर्ग की बात करें तो कांग्रेस के पास चौधरी चंद्र कुमार के रूप में भी एक मजबूत चेहरा हैं और पवन काजल भी उन नेताओं में शुमार है जिनके समर्थक हर क्षेत्र में है। ऐसे में पवन काजल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाना कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक सिद्ध हो सकता है। कांगड़ा किसी को नहीं बक्शता, यहां दिग्गज धराशाई होते है ! जो कांगड़ा फ़तेह नहीं कर पाता उसे सत्ता हासिल नहीं होती। वर्ष 1985 से ये सिलसिला चला आ रहा हैं। 1985, 1993, 2003 और 2012 में कांग्रेस पर कांगड़ा का वोट रुपी प्यार बरसा तो सत्ता भी कांग्रेस को ही मिली। वहीं 1990, 1998, 2007 और 2017 में कांगड़ा में भाजपा इक्कीस रही और प्रदेश की सत्ता भी भाजपा को ही मिली। यानी 1985 से 2017 तक हुए आठ विधानसभा चुनाव में प्रदेश की सत्ता में जिला कांगड़ा का तिलिस्म बरकरार रहा हैं। इससे पहले 1982 के चुनाव में भाजपा को 10 सीटें मिली थी लेकिन प्रदेश में सरकार कांग्रेस की बनी थी। जिला कांगड़ा का सियासी मिजाज समझना बेहद मुश्किल हैं। कांगड़ा वालों ने मौका पड़ने पर किसी को नहीं बक्शा, चाहे मंत्री हो या मुख्यमंत्री। जो मन को नहीं भाया उसे कांगड़ा वालों ने घर बैठा दिया। अतीत पर नज़र डाले तो 1990 में जब भाजपा - जनता दल गठबंधन प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुआ तब शांता कुमार ने जिला कांगड़ा की दो सीटों से चुनाव लड़ा था, पालमपुर और सुलह। जनता मेहरबान थी शांता कुमार को दोनों ही सीटों पर विजय श्री मिली थी। पर 1993 का चुनाव आते -आते जनता का शांता सरकार से मोहभंग हो चूका था। नतीजन सुलह सीट से चुनाव लड़ने वाले शांता कुमार खुद चुनाव हार गए। वहीँ पिछले चुनाव में वीरभद्र कैबिनेट के दो दमदार मंत्री सुधीर शर्मा और जीएस बाली को भी हार का मुँह देखना पड़ा। भारी पड़ा था माइनस कांगड़ा सरकार बनाने का दावा : 2012 में भाजपा की प्रेम कुमार धूमल सरकार के मिशन रिपीट में कांगड़ा बाधा बना था। तब भाजपा तीन सीटें ही जीत पाई थी। तब प्रो धूमल ने माइनस कांगड़ा सरकार बनाने का दावा किया था, जो बड़ी चूक साबित हुई। तब भाजपा को प्रदेश में 26 सीटें मिली थी और कांगड़ा में बेहतर कर कांग्रेस का आंकड़ा 36 पर पहुंचा था। ....................................................................... जिसका कांगड़ा, उसकी सत्ता : वर्ष कुल सीट कांग्रेस भाजपा अन्य 1985 16 11 3 2 1990 16 1 12 3 ( जनता दल जिसका भाजपा के साथ गठबंधन था ) 1993 16 12 3 1 1998 16 5 10 1 2003 16 11 4 1 2007 16 5 9 2 2012 15 10 3 2 2017 15 3 11 1 .......................................................................................................... पालमपुर : क्या भाजपा भेद पाएगी बुटेल परिवार का बुलेटप्रूफ किला पालमपुर यूँ तो भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार का गृह क्षेत्र है, मगर मौजूदा समय में यहां भाजपा की स्थिति सहज नहीं दिखती। 1990 में यहां शांता कुमार विधानसभा का चुनाव जीते थे लेकिन उसके बाद 1993 से लेकर साल 2007 तक ये सीट कांग्रेस के बृज बिहारी लाल बुटेल के नाम रही। फिर 2007 में जनता ने एक मौका भाजपा को दिया पर, अगली बार फिर बुटेल परिवार की वापसी हुई। 2012 से 2017 तक फिर बृज बिहारी लाल बुटेल विधायक रहे। जबकि वर्तमान में उनके बेटे आशीष बुटेल पालमपुर से विधायक है। भाजपा की कोई भी सियासी बुलेट फिलवक्त बुटेल परिवार के इस किले को भेदती नहीं दिख रही। पालमपुर में बुटेल परिवार के वर्चस्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2017 में पहला चुनाव लड़े आशीष ने भाजपा की वरिष्ठ नेता व वर्तमान राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी को 4324 मतों से हराया था। इसके बाद पालमपुर नगर निगम चुनाव में भी भाजपा को यहां करारी शिकस्त मिली। अब भी पालमपुर में भाजपा सहज नहीं दिखाई देती। स्थानीय भाजपा नेताओं की आपसी खींचतान जगजाहिर है। वर्तमान में वूल फेडरेशन के चेयरमैन त्रिलोक कपूर यहां से भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार है, जबकि कांग्रेस में आशीष बुटेल ही प्राइम फेस है। बैजनाथ : पंडित संतराम के गढ़ में वापसी की जद्दोजहद में कांग्रेस 90 के दशक में काँगड़ा की सियासत में बैजनाथ विधानसभा क्षेत्र की तूती बोला करती थी। ये वीरभद्र सरकार में मंत्री रहे दिग्गज नेता पंडित संत राम का गढ़ रहा है। पहले यहां पंडित संत राम का बोल बाला रहा और फिर उनके बेटे और कांग्रेस नेता सुधीर शर्मा का। हालाँकि 2012 ये सीट रिज़र्व हो गई और सुधीर शर्मा ने धर्मशाला का रुख किया। 2012 में कांग्रेस नेता किशोरी लाल ग्राम पंचायत प्रधान से विधायक बने, पर पांच साल बाद 2017 में ही जनता का मोहभंग हो गया और भाजपा के मुल्कराज विधायक बने। बैजनाथ की ज़मीनी स्थिति की बात करें तो संभव है यहां भाजपा टिकट बदलने पर विचार करें। वैसे मुल्कराज का दावा भी कमजोर नहीं माना जा सकता। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस से पूर्व विधायक किशोरी लाल पूरी तरह मैदान में डटे हुए दिखाई दे रहे है, हाल ही में उन्हें पीसीसी का उपाध्यक्ष भी बनाया गया है। हालाँकि यहां कांग्रेस टिकट को लेकर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। किशोरी लाल के भतीजे ऋषभ पांडव और पूर्व भाषा अधिकारी व सुधीर शर्मा के करीबी त्रिलोक सूर्यवंशी भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार दिख रहे है। दोनों का ही जनसम्पर्क अभियान जारी है। जयसिंहपुर : अगर अंतर्कलह से बची तो ही जीत पाएगी कांग्रेस 2008 में परिसीमन बदलने के बाद अस्तित्व में आया ये विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 2012 में यहां कांग्रेस नेता यदविंदर गोमा विधायक बने तो, 2017 में भाजपा नेता रविंद्र धीमान ने गोमा को 10 हजार से अधिक मतों से हराया। वर्तमान में भी रविंदर धीमान ही जयसिंहपुर से भाजपा का मुख्य चेहरा है। हालंकि यहां कांग्रेस को इस बार टिकट आवंटन में कठिनाई हो सकती है। कांग्रेस की ओर से यहां पूर्व विधायक यादविंद्र गोमा तो मैदान में है ही, पर कांग्रेस के ओर नेता सुशील कॉल भी चुनाव लड़ने के इच्छुक दिखाई दे रहे है। यदि कांग्रेस अंतर्कलह से बच पाई तो ही जयसिंहपुर में बेहतर कर पाएगी। वहीं कुछ समय से आम आदमी पार्टी भी इस क्षेत्र में खूब एक्टिव दिखाई दे रही है। सुलह : यहां की जनता को परिवर्तन पसंद , इस बार क्या होगा ? 1998 के बाद से सुलह विधानसभा क्षेत्र की सत्ता भी प्रदेश की सत्ता के साथ बदलती रही है। 1998 के बाद से अब तक सुलह में हर पांच साल में परिवर्तन हुआ है। पिछले 24 सालों में यहां कभी विधायक भाजपा नेता विपिन सिंह परमार रहे तो कभी कांग्रेस नेता जगजीवन पाल। सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र का गौरव लिए सुलह की आबादी पौने दो लाख है। वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार सुलह से विधायक है, हालांकि ये भी एक सत्य है कि अब तक सुलह की जनता मंत्री पद लिए जाने के गम को भूला नहीं पाई है। 2017 में विपिन सिंह परमार चुनाव जीते तो उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया, हालाँकि 2019 में उन्हें मंत्री पद से हटाकर विधानसभा अध्यक्ष बना दिया गया। विपिन सिंह परमार अपने क्षेत्र में प्रोएक्टिव ज़रूर है लेकिन सियासी माहिरों का मानना है कि मंत्री पद वापस लेना भाजपा को चुनाव में भारी पड़ सकता है। यहां ये जहन में रखना भी जरूरी है कि इस क्षेत्र में करीब 35 फीसद तबका ओबीसी वर्ग का है। ऐसे में यहां ओबीसी वोट निर्णायक है। नगरोटा बगवां : अब बाली पुत्र से होगा कुक्का का मुकाबला 'गुरु गुड़ रहे चेला हो गए शक्कर' , 2017 के विधानसभा चुनाव में नगरोटा बगवां निर्वाचन क्षेत्र में हाल ऐसा ही था। तब स्व. जीएस बाली के समर्थक रहे अरुण कुमार 'कुक्का' ने चुनावी मैदान में बाली को पटकनी देकर अपना लोहा मनवाया था। अब खुद बाली दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनके पुत्र रघुवीर बाली कांग्रेस की अगुवाई करते दिख रहे है। वहीँ अरुण कुमार कुक्का भाजपा का प्राइम फेस बने हुए है। ऐसे में आगामी चुनाव में संभवतः जूनियर बाली और कूका के बीच टक्कर देखने को मिले। नगरोटा बगवां विधानसभा क्षेत्र का विकास प्रदेश भर में चर्चा का विषय रहा है। टांडा मेडिकल कॉलेज, राजीव गांधी राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, परिवहन निगम का डिपो व आरएम कार्यालय, सिविल अस्पताल और ऐसे अन्य कई बड़े काम स्वर्गीय जीएस बाली की फेहरिस्त में शामिल हैं। अब उनके पुत्र रघुवीर अपने पिता द्वारा कराए गए कार्यों के सहारे उनकी सियासी विरासत सँभालते दिख रहे है। उधर भाजपा की बात करे तो अरुण कुमार कुक्का ही भाजपा का प्राइम फेस है। 2012 जीएस बाली ने कुक्का को 2743 वोटों से हराया था। फिर 2017 में कुक्का ने बाजी पलटी और भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ बाली को पटकनी दी। कांगड़ा : कांग्रेस के पास काजल का नूर, भाजपा की तलाश जारी कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र ओबीसी बाहुल होने के कारण हर चुनाव में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस क्षेत्र में घिरथ जाति का खासा प्रभाव रहा है और यह इस क्षेत्र की हकीकत है कि जिस प्रत्याशी ने इनको साध कर अपनी रणनीति बनाई है , वो चुनाव जीतने में सफल रहा। हालांकि इस विधानसभा क्षेत्र में राजपूत और ब्राह्मण मतदाता भी हैं, लेकिन दोनों ही समुदाय चुनाव मैदान में गठजोड़ पर विफल रहे हैं। वर्तमान में इस क्षेत्र में विधायक पवन काजल का ही प्रभाव दिखाई दे रहा है। पवन काजल अपने क्षेत्र में तो लोकप्रिय है ही, कांग्रेस संगठन में भी उनका कद लगातार बढ़ रहा है। खास बात ये है कि अब काजल कांगड़ा में कांग्रेस का प्राइम फेस बनते दिख रहे है। वहीं भाजपा में टिकटार्थियों की लम्बी फेहरिस्त काँगड़ा में है। यहां से पूर्व विधायक संजय चौधरी, कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायक सुरेंदर काकू और जयराम ठाकुर के करीबी मुनीश शर्मा भी भाजपा टिकट के तलबगार है। देहरा : होशियार असरदार, दोनों तरफ कई तलबगार देहरा में दोनों ही मुख्य राजनैतिक दलों में टिकट को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। वर्तमान में निर्दलीय होशियार सिंह यहां से विधायक है और वे कई मौकों पर खुलकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की शान में कसीदे पढ़ते रहे है। होशियार सिंह भाजपा से टिकट चाहते है लेकिन स्थानीय भाजपा का एक गुट उनके विरोध में है। हालांकि क्षेत्र में होशियार सिंह की पकड़ को लेकर कोई संशय नहीं है। पूर्व विधायक और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविंद्र सिंह रवि को भी संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जाता है पर देहरा में उठ रहा धरतीपुत्र का नारा जरूर उनकी राह में रोड़ा बन सकता है। वहीं, पार्टी के संगठनात्मक जिला देहरा के जिला अध्यक्ष संजीव शर्मा, पूर्व एचपीएमसी के निदेशक रहे विवेक पठानिया, वन निगम बोर्ड के निदेशक नरेश चौहान, प्रवक्ता अमित राणा, भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य डॉक्टर सुकृत सागर भी भाजपा से टिकट चाहवानों की इस पंक्ति में शुमार हैं। बात करें कांग्रेस की तो पिछली बार कांग्रेस की वरिष्ठ नेता विप्लव ठाकुर ने देहरा विधानसभा से चुनाव लड़ा था, पर वह अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई थी। इसी बीच उनकी बेटी के भी यहां से चुनाव लड़ने की चर्चा थी, पर इसे उन्होंने सीधे तौर पर नकार दिया । वे देहरा कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष हरिओम शर्मा की पैरवी करती दिख रही है। वहीं कांग्रेस के ही दिग्गज नेता योगराज इस चुनावी रण में एक बार फिर उतरने को तैयार दिख रहे हैं। देहरा में एक नाम और चर्चा में है, वो है प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष डॉ राजेश शर्मा का। क्षेत्र में डॉ राजेश की बढ़ती सक्रियता को उनकी दावेदारी से जोड़ कर देखा जा रहा है। शाहपुर: एक दूसरे के लिए धूमकेतु मेजर -केवल, सरवीन के लिए कुर्सी - सेतु शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की सियासत भी शाही है। कांग्रेस से पहले यहां मेजर विजय सिंह मनकोटिया तो भाजपा की तरफ से सरवीन चौधरी का नाम सामने आता था। मेजर के कांग्रेस से बाहर होने के बाद केवल पठानिया की कांग्रेस में एंट्री हुई। कहते है कि यहां केवल और मेजर की आपसी लड़ाई में बाज़ी हर बार सरवीन जीत लेती है। हर बार एक दूसरे के लिए धूमकेतु सिद्ध होते आए मेजर और केवल, सरवीन के लिए कुर्सी -सेतु साबित हुए हैं, इस फेर में केवल एक बार अपनी ज़मानत ज़ब्त करवा बैठे तो फिर दोबारा हार के हार पहनने को मजबूर हो गए। अब इस बार फिर यहां त्रिकोणीय घमासान के आसार है, हालांकि मेजर अगर धर्मशाला का रुख करें तो कांग्रेस को कुछ सुकून मिल सकता है। फतेहपुर : विरोधियों के लिए आसां नहीं होगा भवानी की जय रोकना कांग्रेस के दिग्गज नेता सुजानसिंह पठानिया का गढ़ रहे फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र की कमान अब उनके बेटे भवानी सिंह पठानिया के हाथ में है। उपचुनाव जीतकर भवानी ने ये साबित कर दिया कि वो सिर्फ वित्तीय समझ ही नहीं बल्कि सियासी सूझबूझ भी रखते है। भारी अंतर्कलह के बावजूद भवानी ने न सिर्फ उपचुनाव जीतकर सीट कांग्रेस की झोली में डाली, बल्कि अब वो अपनी कार्यशैली से भी प्रभावित करते दिख रहे है। वहीं फतेहपुर भाजपा में अब भी अंतर्कलह भरपूर है। यहां उपचुनाव के दौरान पार्टी ने पूर्व राज्यसभा सांसद रहे कृपाल परमार का टिकट काट बलदेव ठाकुर को टिकट दिया, और वो चुनाव हार गए। इस बार कयास लग रहे है कि पार्टी पुनः कृपाल परमार को टिकट देने पर विचार कर सकती है। वहीं कांग्रेसी और भवानी विरोधी रहे चेतन चंबियाल अब आप में शामिल हो चुके है। कुल मिलकर यहां भवानी की जय रोकना विरोधियों के लिए मुश्किल होगा। ज्वाली : कांग्रेस से चौधरी चंद्र कुमार, भाजपा से कौन ? 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया ये निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है। ज्वाली ( पहले गुलेर ) परंपरागत रूप से कांग्रेस के दबदबे वाली सीट रही है। हरबंस राणा ने यहां बीजेपी से तीन बार सफलता हासिल की है। इसके अलावा यहाँ ज़्यादातर चौधरी चंद्र कुमार ही जीतते आए हैं। परिसीमन के बाद पहली बार 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में चौधरी चंद्र कुमार के पुत्र नीरज भारती ने जीत दर्ज की। इससे पहले नीरज भारती 2007 में भी विधायक चुने गए थे। इस बार फिर से चौधरी चंद्र कुमार कांग्रेस की ओर से मैदान में हो सकते है। अगर पिछले चुनाव यानी 2017 की बात की जाए तो यहाँ भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। ज्वाली विधानसभा हलके में भाजपा के टिकट के लिए दो सशक्त दावेदार मैदान में है। 2017 विधानसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में चुनाव न लड़ने वाले संजय गुलेरिया तब से न सिर्फ भाजपा संगठन में बने हुए है, बल्कि पिछले साढ़े चार वर्षों में उन्होंने ख़ुद को इस विधानसभा क्षेत्र में और मज़बूत किया है। जबकि अर्जुन ठाकुर विधायक तो है, पर उनकी राह की असल चुनौती पार्टी में ही उनका विरोधी खेमा है। धर्मशाला : नेहरिया- सुधीर दौड़ में आगे, क्या मेजर भी धर्मशाला आएंगे ? धर्मशाला प्रदेश की दूसरी "कागजी" राजधानी है। कहते है धर्मशाला में सियासत कभी थमती नहीं। वर्तमान में यहां न तो कांग्रेस की टिकट तय मानी जा रही है न ही भाजपा की। स्व. मेजर बृजलाल से शुरू हुआ भाजपा का सफर वाया किशन कपूर होता हुआ अब विशाल नैहरिया तक पहुंच चुका है। धर्मशाला में भाजपा की टिकट कभी गैर गद्दी के हाथ नहीं चढ़ पाई। मौजूदा विधायक विशाल नेहरिया है, और फिर टिकट के प्रबल दावेदार भी। टिकट के कई चाहवान और है, चर्चा कई दिग्गजों की भी है जिनके निर्वाचन क्षेत्र बदल कर धर्मशाला आने के कयास लग रहे है। पर फिलवक्त मैदान में नेहरिया ही एक्टिव दिख रहे है । कांग्रेस से भी टिकट के दावेदारों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इस फेहरिस्त में पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा, पूर्व मेयर देवेंद्र जग्गी और 2019 के उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी रहे विजय करण के नाम प्रमुख है। वहीं एक ख़ास नाम और है, वो है चंद्रेश कुमारी का। हालांकि दावा सुधीर का ही मजबूत माना जा रहा है। सिर्फ कांग्रेस और भाजपा ही नहीं धर्मशाला के सियासी मैदान में आप से राकेश चौधरी और बतौर निर्दलीय मेजर विजय सिंह मनकोटिया भी मैदान में हो सकते है। अगर मेजर मनकोटिया धर्मशाला से मैदान में उतरते है, तो इसका सीधा असर न सिर्फ धर्मशाला पर पड़ेगा बल्कि शाहपुर पर भी पड़ेगा। इंदौरा : मुमकिन है इस बार मनोहर हर ले भाजपा का टिकट ! इंदौरा में पिछले दो चुनाव की बात करे तो 2012 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय मनोहर लाल धीमान ने जीत हासिल की थी और दूसरे नंबर पर कांग्रेस उम्मीदवार कमल किशोर थे, जबकि तीसरे स्थान पर बीजेपी उम्मीदवार रीता धीमान रही। उस समय मनोहर लाल धीमान कांग्रेस के एसोसिएट विधायक रहे लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव आते ही करीब 6 माह पूर्व ही मनोहर भाजपा में शामिल हो गए। तब मनोहर धीमान ने भाजपा से टिकट की मांग की थी, लेकिन भाजपा ने पिछले उम्मीदवार यानी रीता धीमान पर ही दांव खेला और किसी तरह भाजपा मनोहर को मना कर अंतर्कलह साधने में भी सफल रही। नतीजन कांग्रेस के कमल किशोर को हरा कर रीता धीमान ने इस सीट पर जीत दर्ज की। पर इस बार इंदौरा में भाजपा की डगर कठिन हो सकती है। मनोहर धीमान फिर टिकट की कतार में है। अब यदि भाजपा फिर रीता धीमान को टिकट देती है, तो मनोहर धीमान का क्या रुख रहता है ये नतीजे तय कर सकता है। माना जा रहा है कि मनोहर इस बार चुनाव लड़ने के मूड में है, पार्टी टिकट पर या टिकट के बगैर। उधर, कांग्रेस में फिलवक्त चेहरे को लेकर ही स्थिति स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस के कमल किशोर को इस बार टिकट मिलना मुश्किल दिख रहा है। कमल किशोर लगातार कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के रूप में दो चुनाव हार चुके है। जसवां परागपुर : मंत्री बिक्रम प्रो एक्टिव, तो कांग्रेस अब भी सुस्त सी जसवां परागपुर विधानसभा क्षेत्र भाजपा सरकार में मंत्री बिक्रम ठाकुर का गढ़ है। बिक्रम ठाकुर यहां से तीसरी बार विधायक बने है। भाजपा की ओर से इस बार भी बिक्रम ठाकुर का टिकट तय माना जा रहा है, हालांकि कैप्टेन संजय पराशर भी यहां से भाजपा टिकट की मांग कर रहे है। वहीं कांग्रेस में टिकट के कई तलबगार है जिनमे सुरेंद्र मनकोटिया, बिक्रम सिंह, संजय कालिया और राजेंद्र शर्मा प्रमुख नाम है। मंत्री बिक्रम ठाकुर के लिए इस बार का चुनाव आसान नहीं होने वाला और जाहिर है इसे भांपते हुए मंत्री अभी से क्षेत्र में प्रो एक्टिव है। जबकि कांग्रेस अब भी सुस्त सी ही है। पार्टी की ये सुस्ती मंत्री बिक्रम के लिए वरदान सिद्ध हो सकती है। ज्वालामुखी : रह-रह कर भड़की है ध्वाला की ज्वाला, अब आगे क्या ? ज्वालामुखी में 'ध्वाला की ज्वाला' से भाजपा काफी असहज रही है, मगर ध्वाला की सियासी पकड़ का कोई तोड़ यहां नज़र नहीं आता। हालाँकि इस बार ध्वाला के अलावा राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी और रविंदर रवि भी यहां से चुनाव लड़ने के इच्छुक है। वहीं कांग्रेस की ओर से संजय रत्न व नरदेव सिंह कँवर का नाम आगे है। भाजपा की जमीनी स्थिति की बात करें तो कांगड़ा में भाजपा का बड़ा ओबीसी चेहरा माना जाने वाले ध्वाला को कैबिनेट रैंक तो मिली लेकिन पद नहीं। इतना ही नहीं पार्टी संगठन के साथ उनकी खींचतान भी जगजाहिर है। कई मौकों पर ध्वाला ने खुलकर अपनी ही सरकार काे घेरने से भी गुरेज नहीं किया। हालांकि अब तक ध्वाला सीएम के खिलाफ खुलकर बोलने से बचते दिखे है, पर उनके मन की टीस साफ दिखती है। चुनाव आते -आते ध्वाला की ज्वाला और भड़कती है या नहीं, ये देखना दिलचस्प होगा। इसी तरह क्या भाजपा की 2022 योजना में उनके लिए स्थान है या नहीं, ये भी बड़ा सवाल है। नूरपुर : भाजपा के कलेश में जीत तलाशती कांग्रेस ! टिकट की दौड़ ने नूरपुर में भाजपा के दो नेताओं को आमने -सामने ला खड़ा किया है। ये जयराम सरकार के कैबिनेट मंत्री राकेश पठानिया का निर्वाचन क्षेत्र है। पठानिया दमदार और आक्रामक छवि के नेता है और उन चुनिंदा चेहरों में से एक है जो अक्सर विधानसभा में जमकर गरजते है। पर अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में, अपनी ही पार्टी के एक नेता रणवीर निक्का ने पठानिया के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। इन दोनों नेताओं की आपसी खींचतान में कांग्रेस यहां जीत तलाश रही है। कांग्रेस के जिला अध्यक्ष और पूर्व विधायक अजय महाजन यहां से पार्टी के प्राइम फेस है। वहीँ आम आदमी पार्टी भी यहां मौजूदगी दर्ज करवाने को प्रयासरत है। 1998 में पहला विधानसभा चुनाव जीतने वाले राकेश पठानिया तब से एक चुनाव जीतने के बाद एक हारते आ रहे है। 2007 में वे निर्दलीय जीते, तो 2012 में निर्दलीय चुनाव लड़कर दूसरे स्थान पर रहे। तब भाजपा ने रणवीर सिंह निक्का को टिकट दिया था, पर निक्का को जनता का ज्यादा साथ नहीं मिला। 2017 में भाजपा ने फिर राकेश पठानिया को टिकट दिया और पठानिया तीसरी बार विधानसभा पहुंचे। जयराम कैबिनेट में पहले राकेश पठानिया को स्थान नहीं मिला था लेकिन 2020 में हुए कैबिनेट विस्तार में उन्हें वन, खेल एवं युवा सेवा मंत्री का दायित्व मिला। अपनी बेबाक शैली के चलते राकेश पठानिया हमेशा चर्चा में रहते है और जयराम कैबिनेट के उन मंत्रियों में शुमार है जिनकी अफसरशाही पर अच्छी पकड़ मानी जाती है, लेकिन उनके अपने निर्वाचन क्षेत्र में ही फिलहाल रणवीर निक्का ने उनकी चिंता जरूर बढ़ाई होगी। उधर दो भाजपाई नेताओं के आपसी टकराव में कांग्रेस को जीत की महक जरूर आ रही है, पर जमीनी स्तर पर कांग्रेस को जल्द प्रो एक्टिव होने की जरूरत है।