'कांग्रेस आ रही है' पार्टी के होर्डिंग्स और प्रचार सामग्री पर छापा ये नारा अब पार्टी के नेताओं की जुबां पर आ गया है और पुरे आत्मवश्वास के साथ पार्टी के तमाम बड़े नेता दो तिहाई बहुमत के साथ सत्ता वापसी का दावा कर रहे है। कांग्रेस के तमाम दिग्गज एक सुर में रिवाज बदलने का सियासी राग दोहरा रहे है। रिकॉर्ड मतदान और प्रदेश का सियासी इतिहास भी कांग्रेस के दावे को मजबूत करता है। इसके अलावा माहिर मानते है कि पुरानी पेंशन और महंगाई जैसे मुद्दे भी संभवतः कांग्रेस के पक्ष में गए है। बेहतर टिकट आवंटन और सीमित बगावत भी कांग्रेस के दावे को और बल दे रहे है। यानी कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो कहा जा सकता है कि कांग्रेस आ सकती है। हालांकि, जनादेश आठ दिसंबर को आएगा और तब तक इन दावों और विश्लेषणों में कितना दम है, इसके लिए इंतजार करना होगा। बहरहाल, अगर कांग्रेस सात में आई तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा, ये फिलवक्त सबसे बड़ा और पेचीदा सवाल है। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में एक से बढ़कर एक दिग्गज नेता है, सब सियासी महारथी और सब दावेदार। कम से कम आठ चेहरे ऐसे है जिनका नाम उनके समर्थक खुलकर मुख्यमंत्री के लिए प्रोजेक्ट कर रहे है। हालांकि ये तमाम नेता खुद शांत है और उम्मीद से विपरीत इस अनुशासन के लिए निसंदेह पार्टी बधाई की हकदार भी है। वरना वीरभद्र सिंह के निधन के बाद एक बड़ा वर्ग ये मानता था कि पार्टी में 'अपनी डफली अपना राग' की स्थिति खुलकर सामने आ जाएगी। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस को लेकर सबसे बड़ा सवाल ये था कि पार्टी किसके चेहरे पर चुनाव लड़ेगी। पर कांग्रेस ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया और लड़ा भी। आगे भी ये एकजुटता और अनुशासन कायम रह पाता है या नहीं, ये तो समय के गर्भ में छिपा है पर चुनाव तक तो कांग्रेस ने कमाल कर के दिखा ही दिया। अब ज्यूँ ज्यूँ नतीजों का दिन नजदीक आ रहा है, पार्टी के भीतर की खलबली मचना स्वाभविक है। जाहिर है कई दिग्गज नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी पर निगाह गड़ाएं हुए है और अब पार्टी आलाकमान का आशीर्वाद और समर्थक विधायकों का संख्याबल ये तय करेगा कि किसके अरमान पूरे होते है। पार्टी में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की बात करें तो प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, वरिष्ठ नेता कौल सिंह ठाकुर, रामलाल ठाकुर और आशा कुमारी वो प्रमुख नाम है जिनके समर्थक खुलकर उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे है। इनके अलावा एक और नाम समर्थकों द्वारा जमकर प्रोजेक्ट किया जा रहा है, वो है युवा नेता विक्रमादित्य सिंह। हालांकि ये वर्तमान स्थिति में व्यावहारिक नहीं लगता, पर इससे विक्रमादित्य की लोकप्रियता का अंदाजा जरूर लगाया जा सकता है। बहरहाल मौजूदा परिवेश में नजर डाले तो सीएम पद की दौड़ में शामिल इन नेताओं में से किसकी इच्छा पूरी होती है, ये समर्थक विधायकों का संख्याबल भी तय करेगा। पार्टी के भीतर इसे लेकर सिसायत जरूर चरम पर है, पर सुखद बात ये है कि पार्टी के भीतर की ये सियासत अनुशासन के दायरे में हो रही है। 5नए सियासी गठजोड़ संभव कांग्रेस के टिकट आवंटन पर निगाह डाले तो होलीलॉज के निष्ठावानों के अलावा सबसे ज्यादा टिकट सुक्खू कैंप को मिले है। दोनों तरफ के निष्ठवानो में से किसके कितने समर्थक जीतकर आते है, ये सीएम पद के चयन के लिहाज से महत्वपूर्ण होगा। इन दोनों के बीच ठाकुर कौल सिंह भी है जो जिला मंडी में कांग्रेस की प्रचंड जीत का दावा कर रहे है। कौल सिंह और होलीलॉज का सियासी गठजोड़ एक बार फिर मुमकिन है और ऐसे में प्रतिभा सिंह या ठाकुर कौल सिंह का दावा मजबूत हो सकता है। जानकार मान रहे है कि अगर प्रतिभा सिंह के नाम पर सहमति नहीं बनती है तो होलीलॉज, कौल सिंह ठाकुर के साथ जा सकता है। हालांकि ये सिर्फ कयास है। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री भी होलीलॉज के करीबी रहे है, ऐसे में उनका नाम भी खारिज नहीं किया जा सकता। आशा कुमारी भी दावेदार है और संभवतः होलीलॉज कैंप के साथ ही आगे बढ़ रही है। उधर सुखविंद्र सिंह सुक्खू तो अपने समर्थकों के साथ मजबूत दिख ही रहे है। रामलाल ठाकुर और हर्षवर्धन चौहान जैसे अन्य नेता किस रणनीति पर आगे बढ़ते है, ये देखना भी रोचक होगा। क्या होलीलॉज के समानांतर एक और सियासी गठजोड़ होता है या नहीं, ये देखना दिलचस्प होने वाला है। क्या होलीलॉज निष्ठावानों की गिनती भी कम -ज्यादा होगी, इस पर भी निगाह टिकी है। कमतर नहीं दिख रहे सुक्खू अपनी शर्तों पर सियासत करते आएं सुखविंद्र सिंह सुक्खू के दावे को कमतर आंकना किसी के लिए भी बड़ी भूल सिद्ध हो सकता है। जो नेता वीरभद्र सिंह से टकराते हुए खुद की सियासी जमीन बचा ले, वो आसानी से हार कैसे मान सकता है। सुक्खू के जिन समर्थकों को टिकट मिला है उनमें से अधिकांश अपनी अपनी सीटों पर अच्छा करते दिख रहे है। इसके अलावा होलीलॉज कैंप के बाहर के कई अन्य नेता भी खुद का दावा कमजोर पड़ने पर अपने समर्थकों सहित सुक्खू का साथ दे सकते है। यानी सुक्खू संख्याबल के मामले में भी कम नहीं माने जा सकते। पार्टी आलाकमान के भी वे नजदीकी माने जाते है। 'प्रतिभा' की 'प्रतिभा' पर संशय नहीं हिमाचल प्रदेश को आज तक महिला मुख्यमंत्री नहीं मिली है और ऐसे में प्रतिभा सिंह एक मजबूत दावेदार है। पार्टी आलाकमान को वीरभद्र सिंह के नाम के असर का बखूभी इल्म है और उपचुनाव के नतीजों में इसका असर भी दिख चूका है। इस बार भी चुनाव सामग्री में जिस तरह वीरभद्र सिंह के नाम का इस्तेमाल किया गया है वो इसे साफ़ दर्शाता है। मंडी संसदीय उपचुनाव जीतकर प्रतिभा सिंह भी अपनी प्रतिभा दिखा चुकी है और शायद ये ही बतौर प्रदेश अध्यक्ष उनकी नियुक्ति का अहम् कारण बना। जानकार मानते है कि अब भी बतौर मुख्यमंत्री प्रतिभा सिंह का दावा मजबूत है। सबसे वरिष्ठ कौल सिंह ठाकुर करीब 50 साल लम्बे राजनीतिक सफर में कौल सिंह ठाकुर ने पंचायत समिति से लेकर कैबिनेट मंत्री तक का फासला तय किया है। वे प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे है और कांग्रेस ने निष्ठावान सिपाही है। जानकार मानते है कि अगर मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में सहमति नहीं बनती है तो कौल सिंह ठाकुर वो नाम है जिसपर वरिष्ठता का हवाल देकर आलाकमान सबको मना सकता है। होलीलॉज से भी कौल सिंह ठाकुर के सम्बंध बेहतर दिख रहे है, ऐसे में वरिष्ठता का लाभ उन्हें मिल सकता है। होलीलॉज के समर्थक पर टिकी मुकेश की दावेदारी मुकेश अग्निहोत्री ने नेता प्रतिपक्ष रहते हुए बीते पांच साल में जयराम सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मुकेश भी सीएम पद के प्रबल दावेदार है, हालांकि उनकी दावेदारी होलीलॉज के भरोसे ज्यादा टिकी दिखती है। दरअसल जिस तरह सुखविंद्र सिंह सुक्खू के अपने कई समर्थक और निष्ठावान चुनावी मैदान में है, उस तरह मुकेश अग्निहोत्री का अपना कोई अलग कैंप नहीं दिखता। ऐसे में क्या होलीलॉज उन्हें प्रोजेक्ट करता है, ये देखना रोचक होगा। संभवतः मुकेश होलीलॉज के साथ ही आगे बढ़ेंगे, लेकिन उनकी दावेदारी को हल्का नहीं लिया जा सकता। वे होलीलॉज की पसंद भी हो सकते है।
अप्रैल 1983 में कांग्रेस आलाकमान ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल को हटाकर वीरभद्र सिंह को हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था। इसके बाद वीरभद्र सिंह के जीवित रहते जब भी कांग्रेस की सरकार बनी, सीएम वे ही बने। कुल 6 बार सीएम रहे वीरभद्र सिंह के निधन के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हुए है और यदि कांग्रेस सरकार बनाती है तो सीएम कौन होगा, ये देखना रोचक होने वाला है। ऐसा नहीं है कि 6 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेना वीरभद्र सिंह के लिए आसान रहा हो। अपने सियासी तिलिस्म के बूते कई बार वीरभद्र सिंह ने हारी हुई बाजी पलट दी और साबित किया क्यों उनका कोई सानी नहीं रहा। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा के चुनाव 1987 में होने थे लेकिन वीरभद्र सिंह ने समय से पहले वर्ष 1985 में ही चुनाव करवा दिए। 1984 में इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद पुरे देश में कांग्रेस के पक्ष में लहर थी जिसे वीरभद्र भाप गए थे और उनका ये निर्णय ठीक साबित हुआ। 1985 में वीरभद्र सिंह दूसरी बार सीएम बने। 1990 आते -आते प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर हावी थी और कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। इसके बाद बाबरी मस्जिद प्रकरण के बाद केंद्र सरकार ने हिमाचल सरकार को भी बर्खास्त कर दिया और 1993 में फिर चुनाव हुए। शांता सरकार से कर्मचारियों की नाराजगी के चलते कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटी। इसके बाद सबसे बड़ा सवाल ये था की मुख्यमंत्री कौन होगा। दरअसल पंडित सुखराम भी सीएम पद के प्रबल दावेदार थे लेकिन वीरभद्र सिंह की सियासी गणित पंडितजी पर भारी पड़ी और वीरभद्र तीसरी बार सीएम बने। तब कौल सिंह ठाकुर ने वीरभद्र सिंह का साथ दिया था और ये टीस आज भी पंडितजी के परिवार की जुबां से छलक ही जाती है। 1993 में पंडित सुखराम सीएम बनते -बनते रह गए थे और ताउम्र सीएम नहीं बन पाएं। इसके बाद 1998 का चुनाव आया। तब वीरभद्र सिंह रिपीट को लेकर आश्वस्त थे। तब तक पंडित सुखराम और कांग्रेस की राह अलग हो चुकी थी और पंडित जी हिमाचल विकास कांग्रेस बना चुके थे। उस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा में कांटे का मुकाबला हुआ लेकिन निर्दलीय जीते रमेश धवाला और पंडित सुखराम आखिरकार भाजपा के साथ गए और पांच साल भाजपा और हिमाचल विकास कांग्रेस की सरकार चली। दिलचस्प बात ये है कि वीरभद्र सिंह 1998 में सीएम पद की शपथ भी ले चुके थे लेकिन उन्हें सुखराम का साथ नहीं मिला और बहुमत न होने के चलते उन्हें कुछ ही दिनों में इस्तीफा देना पड़ा। 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सत्ता वापसी हुई लेकिन सीएम वीरभद्र सिंह ही होंगे ये तय नहीं था। नतीजे आने के बाद विद्या स्टोक्स भी दावेदारी की तैयारी में थी। कहते है मैडम स्टोक्स अपना दावा ठोकने दिल्ली चली गई थी। पर पीछे से शिमला में वीरभद्र ने बाजी पलट दी और मीडिया के सामने विधायकों की परेड कराकर उनके दावे पर पूर्ण विराम लगा दिया। इस तरह मैडम स्टोक्स को मात देकर वीरभद्र सिंह पांचवी बार सीएम बने। 2007 में कांग्रेस फिर सत्ता से बाहर हुई और 2012 में पार्टी ने फिर वीरभद्र सिंह के चेहरे पर चुनाव लड़ा और वीरभद्र सिंह छठी बार सीएम बने। 2012 में अपने ही अंदाज में चेताया था आलकमान को 2007 में सत्ता से बाहर होने के बाद वीरभद्र सिंह ने 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ा और केंद्रीय मंत्री बन गए। पर 2011 में वे केंद्र से फिर प्रदेश की सियासत में लौट आएं। तब कांग्रेस कौल सिंह ठाकुर के नेतृत्व में आगे बढ़ती दिख रही थी और वीरभद्र सिंह को फेस घोषित करने से पार्टी बच रही थी। इसी दौरान चुनाव से चंद दिन पहले वीरभद्र सिंह ने शिमला में पत्रकार वार्ता कर कहा कि अगर सोनिया गाँधी चाहे तो वे फिर कांग्रेस को सत्ता में ला सकते है। तब वीरभद्र सिंह ने आलकमान को चेताते हुए कहा था 'मैं ढोलक बजाऊंगा और मेरी सेना नृत्य करेगी।' दबाव रंग लाया और आलाकमान ने वीरभद्र सिंह को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया। इसके बाद वे ही सीएम बने।
कांग्रेस के कई बड़े नेता अपनी अपनी सम्बंधित सीटों पर कांटे के मुकाबले में फंसे दिख रहे है। इनमें से कई तो मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी है। नजदीकी मुकाबले में इन सीटों पर कुछ भी संभव है, ऐसे में जाहिर है आठ दिसम्बर को कई नेताओं के अरमानो पर पानी फिर सकता है। डलहौज़ी सीट पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता आशा कुमारी और भाजपा के डीएस ठाकुर में कांटे का मुकाबला दिख रहा है। इस सीट पर सभी की निगाह टिकी है और यहाँ कुछ भी मुमकिन है। शायद ये ही कारण है कि चुनाव के दौरान आशा कुमारी ने अपनी सीट पर भी अधिकांश समय दिया। अन्य क्षेत्रों में आशा कुमारी प्रचार करती नहीं दिखी। इसी तरह सोलन सीट से कर्नल धनीराम शांडिल नजदीकी मुकाबले में फंसे दिख रहे है। उनका मुकाबला उनके दामाद और भाजपा प्रत्याशी डॉ राजेश कश्यप से है। दोनों के बीच 2017 में भी मुकाबला हुआ था, जिसे शांडिल ने महज 671 वोट के अंतर से जीता था। शिलाई में वरिष्ठ नेता हर्षवर्धन चौहान और बलदेव तोमर में मुकाबला है। यहाँ हाटी फैक्टर के सहारे भाजपा जीत की उम्मीद में है और यदि हाटी फैक्टर चला है तो हर्षवर्धन की मुश्किल बढ़ सकती है। वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर ठियोग से चुनाव लड़ रहे है और बहुकोणीय मुकाबले में फंसे दिख रहे है। यहाँ निर्दलीय इंदु वर्मा, सीपीआईएम के राकेश सिंघा और भाजपा के अजय श्याम मैदान में है। इस सीट पर कुलदीप का असल इम्तिहान है। वहीं नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री की सीट हरोली पर भी भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी है। यहाँ से प्रो रामकुमार मैदान में है और भाजपा नियोजित रणनीति के तहत यहाँ चुनाव लड़ती दिखी है। हालांकि मुकेश ने पुरे दमखम से चुनाव लड़ा है। इस सीट पर कितना अंतर रहता है इस पर निगाह जरूर टिकी है।
क्या हिमाचल प्रदेश में भाजपा संगठन में सर्जेरी की दरकार है, ये वो सवाल है जो या तो आठ दिसंबर के बाद तूल पकड़ेगा या गायब हो जायेगा। दरअसल, पिछले साल हुए मंडी संसदीय उपचुनाव और तीन विधानसभा सीटों के उपचुनाव में करारी शिकस्त के बाद भाजपा संगठन को लेकर कई सवाल उठे थे। तब कयास लग रहे थे कि पार्टी चेहरा बदल सकती है और संगठन में भी बदलाव संभव है। मंथन हुआ, चिंतन हुए लेकिन बदलाव नहीं हुआ। सरकार का फेस जयराम ही रहे और संगठन सुरेश कश्यप के हाथों में ही रहा। तब बदलाव न करने का निर्णय सही था या नहीं, ये भी आठ दिसम्बर को तय होगा। जाहिर है नतीजे प्रतिकूल रहे तो जवाब उन लोगों को देना होगा जिनके भरोसे पार्टी रिवाज बदलने का दावा करती रही है। पूर्व अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती की जगह भाजपा ने 2019 के अंत में डॉ राजीव बिंदल को प्रदेश संगठन की कमान सौंपी थी। बिंदल ने चार्ज लेते ही कई नियुक्तियां की और भाजपा संगठन में उनकी कार्यशैली की छाप स्पष्ट दिखने लगी। इसके बाद कोरोना काल में हुए स्वास्थ्य घोटाले में बिंदल का नाम उछला तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया। दिलचस्प बात ये है की स्वास्थ्य महकमा सीएम के पास था और इस्तीफा प्रदेश अध्यक्ष ने दिया। हालांकि इसके बाद बिंदल को क्लीन चिट मिली। बिंदल के स्थान पर सुरेश कश्यप को नया अध्यक्ष बनाया गया। तब तक पार्टी की परफॉरमेंस अव्वल थी। 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप कर चुकी थी और दो उपचुनाव भी जीत चुकी थी। पर सुरेश कश्यप के आने के बाद पार्टी सिंबल पर हुए चार नगर निगम चुनाव में से पार्टी को दो में हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद एक लोकसभा उपचुनाव और तीन विधानसभा उपचुनाव भी पार्टी हार गई। जाहिर है ऐसे में सवाल उठना तो लाजमी है। अब विधानसभा चुनाव के नतीजे भी यदि प्रतिकूल रहते है तो बतौर अध्यक्ष सुरेश कश्यप की परफॉरमेंस पर बात तो होगी ही। पर यदि भाजपा हिमाचल प्रदेश में रिवाज बदलने में कामयाब रही तो प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप को भी इसका श्रेय मिलेगा। ऐसा हो पाया तो सुरेश कश्यप और जयराम ठाकुर मिलकर इतिहास रच देंगे। गजब का तालमेल, पक्ष में गया या नहीं ? डॉ राजीव बिंदल और सुरेश कश्यप दोनों का काम करने का तरीका अलग है। पर बिंदल ने अध्यक्ष रहते जो टीम नियुक्त की थी अमूमन उसी टीम के साथ कश्यप ने काम किया है। यानी अध्यक्ष तो बदला लेकिन भाजपा की टीम में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ। इसके अलावा आम तौर पर भाजपा में सरकार और संगठन दोनों अलग -अलग काम करते है, सामंजस्य होता है लेकिन दोनों स्वायत्त तरीके से काम करते है। पर सुरेश कश्यप के रहते सरकार और संगठन दोनों पर जयराम ठाकुर का ही पूर्ण प्रभाव दिखा। संगठन, सरकार की छाया बना दिखा। अब ये गजब का तालमेल भाजपा के पक्ष में गया या नहीं, ये नतीजे ही तय करेंगे। भीतरघात और बगावत ने बढ़ाई टेंशन ! भीतरघात की आशंका से झूझ रही भाजपा की चिंता कुछ वायरल ऑडियो भी बढ़ा रहे है। बीत दिनों एक पूर्व मंत्री का बताया जा रहा वायरल ऑडियो ये दर्शाने के लिए काफी है कि किस कदर पार्टी में अनुशासनहीनता है। हालांकि इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं हुई है। इसके अलावा करीब एक तिहाई सीटों पर बागियों का होना भी ये बताता है कि पार्टी में किस हद तक अंसतोष की स्थिति है।
हिमाचल प्रदेश चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो चूका है और प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है। किसकी सरकार बनेगी और किसकी नहीं, इस सवाल के साथ-साथ एक और सवाल भी सियासी गलियारों में गूंज रहा है। ये सवाल है कि क्या इस बार सरकार बनाने में निर्दलीय अहम भूमिका निभाएंगे ? दरअसल, इस बार 412 प्रत्याशियों में से 99 प्रत्याशी बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इन 99 निर्दलीयों में से मुख्य तौर पर करीब एक दर्जन चेहरों पर फिलवक्त दोनों मुख्य राजनैतिक दलों की निगाह टिकी है। निर्दलीयों की लम्बी फेहरिस्त में कम से कम एक दर्जन नाम ऐसे है जो अपने-अपने क्षेत्रों में चुनाव जीतने की स्थिति में दिखाई दे रहे है। इनमें से कितने जीतते है, ये तो आठ दिसम्बर को पता चलेगा, लेकिन इनमें से किसी को कम नहीं आँका जा सकता। दोनों पार्टियां यदि स्पष्ट बहुमत नहीं ले पातीं तो निर्दलीय चुनाव जीते नेता निश्चित तौर पर निर्णायक भूमिका में आ जाएंगे। बता दें की इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले बागियों में दो सीटिंग विधायक और 6 पूर्व विधायक शामिल है। पिछले चुनाव बतौर निर्दलीय जीत कर इस चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए बने देहरा विधायक होशियार सिंह और भाजपा की ज्यादा नहीं बनी और उन्हें फिर निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा। जबकि आनी से मौजूदा विधायक किशोरी लाल का टिकट भाजपा ने काटा तो वे भी निर्दलीय मैदान में उतर गए। इनके अलावा 6 पूर्व विधायकों ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा है। इनमें कांग्रेस से गंगूराम मुसाफिर, सुभाष मंगलेट, जगजीवन पाल का नाम शामिल है, तो भाजपा से तेजवंत नेगी, केएल ठाकुर और मनोहर धीमान बागी होकर चुनाव लड़ रहे है। जाहिर है निर्दलीय मैदान में उतरे इन आठ विधायकों और पूर्व विधायकों को कम नहीं आँका जा सकता। ये सभी वो चेहरे है जो फिर विधानसभा पहुंचने का दमखम रखते है। वहीं यदि कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला होता है तो इनमें से जीतने वालों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो सकती है। इन आठ के अलावा कई निर्दलीय उम्मीदवार ऐसे है जो इस चुनाव में उलटफेर करने का दमखम रखते है। इनमें प्रमुख नाम है अर्की से राजेंद्र ठाकुर, हमीरपुर से आशीष शर्मा और ठियोग से इंदु वर्मा। राजेंद्र ठाकुर पूर्व कांग्रेसी है और अर्की उपचुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी। अब राजेंद्र ठाकुर खुलकर कह रहे है कि अगर वे विधायक बने तो वे उसके साथ जायेंगे जिसकी सरकार बनेगी। वहीं आशीष शर्मा ने चुनाव के दौरान कांग्रेस ज्वाइन की और दो दिन में छोड़ भी दी। आशीष ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और हमीरपुर में उनका दावा मजबूत है। वहीँ ठियोग से इंदु वर्मा पुरे दमखम से चुनाव लड़ी है। बड़सर से भाजपा के बागी संजीव शर्मा और जसवां परागपुर से निर्दलीय कैप्टन संजय पराशर को भी कम नहीं आँका जा सकता। अभी से जुटे दोनों राजनैतिक दल आठ दिसम्बर को नतीजे आएंगे और उससे पहले दोनों मुख्य राजनैतिक दल निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले नेताओं से संपर्क में है ताकि जरुरत पड़ने पर उनको साथ लिया जा सके। हिमाचल प्रदेश की सियासी अतीत पर निगाह डाले तो 1998 में एक निर्दलीय विधायक के हाथ में सत्ता की चाबी थी। जाहिर है कि ऐसे में दोनों प्रमुख राजनैतिक दल अभी से उन संभावित निर्दलीय उम्मीदवारों को साधने में जुट गए है जो विधानसभा की दहलीज लांघ सकते है। तब ध्वाला बने थे भाजपा के लिए हीरो साल 1998 के चुनाव में भी एक निर्दलीय ने प्रदेश की सियासत की स्थिति बेहद दिलचस्प बना दी थी। तब भाजपा के लिए निर्दलीय उम्मीदवार रमेश ध्वाला हीरो बनकर उभरे थे। रमेश ध्वाला को भाजपा ने टिकट नहीं दिया था, वह बागी बनकर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीते थे। इस चुनाव में न तो भाजपा को बहुमत मिला और न ही कांग्रेस को। सरकार बनाने की जोर आजमाइश जारी थी। ध्वाला ने बीजेपी को समर्थन देने के लिए शर्त रख दी कि प्रेम कुमार धूमल के बदले शांता कुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाए। पंडित सुखराम की हिमाचल विकास कांग्रेस ने बीजेपी को समर्थन दे दिया था। इस तरह बीजेपी के साथ भी विधायकों की संख्या 32 हो गई। हालांकि वो अब भी बहुमत के आंकड़े से पीछे थी। अब ध्वाला बतौर निर्दलीय उम्मीदवार अपना समर्थन देने के लिए शिमला की ओर चल पड़े। कहते है की ध्वाला जैसे ही शिमला पहुंचे, उन्हें कांग्रेस नेताओं ने अपने कब्जे में ले लिया और उन्हें सीधे होली लॉज ले गए। वीरभद्र सिंह समेत तमाम नेताओं ने उन्हें कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का आग्रह किया। तमाम तरह के प्रलोभन भी दिए गए। कहा जाता है की धवला को डराया धमकाया भी गया था। ध्वाला ये सब खुद स्वीकार कर चुके हैं। फिर अचानक एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ध्वाला ने बताया कि वे वीरभद्र सिंह को अपना समर्थन देते हैं। उन्होंने एक और विधायक के समर्थन का दावा किया था। वीरभद्र सिंह ने तत्कालीन राज्यपाल रमा देवी के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। रात के 2 बजे विधायकों की परेड हुई और वीरभद्र सिंह की सरकार बन गई। रमेश ध्वाला को सरकार में मंत्री पद भी दिया गया। हालाँकि ये कहानी यहीं खत्म नहीं हुई, ध्वाला भाजपा के बागी थे और कांग्रेस को डर था की वे समर्थन वापस ले सकते है, इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री आवास में रखा गया था। कुछ दिनों बाद नरेंद्र मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि रमेश ध्वाला को हम वापस लाएंगे और कांग्रेस की सरकार गिरेगी। कहा जाता है कि सीएम आवास में काम करने वाले एक कर्मचारी के ज़रिये नैपकिन पर रमेश धवाला के लिए एक संदेश लिखकर भेजा गया। फिर उसी कर्मचारी के जरिये ध्वाला ने भी मैसेज भेजा कि उन्हें सीएम आवास से निकाला जाए, तो वे बीजेपी के साथ आ जाएंगे। ध्वाला वहां से निकले और सीधे नरेंद्र मोदी के पास पहुंचे। फिर नरेंद्र मोदी ने राज्यपाल को फोन कर बताया कि सरकार का एक विधायक उन्हें समर्थन दे रहा है, इसलिए बीजेपी को सरकार बनाने के लिए बुलाया जाए। कहा जाता है की उस वक्त राज्यपाल ने बीजेपी को मना कर दिया। परन्तु कुछ समय बाद जब दिल्ली में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी। तब राज्यपाल ने खुद प्रेम कुमार धूमल को फोन किया कि आइए और सरकार बनाने का दावा पेश कीजिए। 12 मार्च 1998 को विधानसभा का सत्र बुलाया गया। रमेश ध्वाला और हिमाचल विकास कांग्रेस के सभी विधायक भी आए। दूसरी ओर वीरभद्र सिंह दावा करते रहे कि उनके पास अब भी रमेश ध्वाला का समर्थन है। अंत में जब बहुमत साबित करने की बात आई तो उससे पहले ही वीरभद्र सिंह ने इस्तीफा दे दिया और उनकी सरकार गिर गई।
थोड़े शिकवे भी है, कुछ शिकायत भी है, लेकिन नाराज़गी इस कदर नहीं दिखती कि साथ छोड़ दिया जाए। डॉ राजीव सैजल और कसौली में उनका साथ देते आ रहे लोगों के बीच का सम्बन्ध कुछ ऐसा ही दिख रहा है। यहाँ जीत की हैट्रिक लगा चुके डॉ राजीव सैजल अब जीत का चौका लगाना चाहते है और लगातार उनका जनसम्पर्क जारी है। सैजल स्वास्थ्य मंत्री है तो जाहिर है कि लोगों की अपेक्षाएं भी उनसे बढ़ी है, और सैजल ने उन पर खरा उतरने का प्रयास भी किया है। बावजूद इसके अगर कहीं कुछ ठसक है भी, तो डॉ राजीव सैजल के सामने आने से दूर हो जाती है। दरअसल डॉ सैजल न सिर्फ ईमानदार नेता के तौर पर जाने जाते है, बल्कि उनका सरल व्यक्तित्व उन्हें सीधे लोगों से जोड़ता है। बड़ों के पाँव छूकर सैजल जीत का आशीर्वाद ले रहे है तो छोटो को झप्पी डालकर अपना बनाने का हुनर उन्हें बखूबी आता है। ये ही कारण है कि इस बार भी चौथी बार मैदान में होने के बावजूद कसौली में उनका दावा दमदार है। कसौली के इतिहास पर निगाह डाले तो लम्बे समय तक इस सीट पर कांग्रेस का कज्बा रहा और 2007 में डॉ राजीव सैजल ने सीट कांग्रेस से छीनी। तब से अब तक सैजल ने यहाँ कांग्रेस को वापसी नहीं करने दी। हालांकि इस क्षेत्र में कांग्रेस का अच्छा काडर है, और पिछले डॉ चुनाव डॉ सैजल मामूली अंतर से जीते है, पर जीत तो आखिरकार जीत होती है। सैजल इस बार भी जीत को लेकर आश्वस्त है। सैजल साफ कहते है कि लगातार पंद्रह साल के बाद भी लोगों का उनसे कोई मोहभंग नहीं हुआ है। वे जितने सरल तब थे, उतने ही आज है और सदा ऐसे ही रहेंगे। कसौली कि जनता उनके लिए वोटर नहीं, उनका परिवार है। बहरहाल कसौली का दिल फिर से सैजल जीत पाते है या नहीं, ये तो आठ दिसंबर को ही पता चलेगा। पर नतीजा जो भी हो सैजल को यहाँ कम आंकना विरोधियों के लिए भूल सिद्ध हो सकती है। वैसे भी बीते चुनाव में अति आत्मविश्वास उनके विरोधियों को भारी पड़ा है।
दो बार सांसद, दो बार विधायक, वीरभद्र सरकार में मंत्री रहे और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य रहे कर्नल धनीराम शांडिल की गिनती उन चंद नेताओं में होती है जिनकी छवि पर कभी विरोधी भी सवाल नहीं उठा पाएं। अपनी ईमानदार छवि और सरल व्यक्तित्व के चलते बीते ढाई दशक में कर्नल ने हिमाचल प्रदेश की राजनीति में अपना एक ख़ास मुकाम बनाया है। कर्नल शांडिल उन नेताओं में से है जो बोलने में नहीं करने में यकीन रखते है। वीरभद्र सरकार में मंत्री रहते हुए कर्नल ने साढ़े चार सौ करोड़ से अधिक के कार्य सोलन में करवाएं थे। कर्नल धनीराम शांडिल एक बार फिर विधानसभा चुनाव के मैदान में है। सोलन सीट से वे लगातार दो चुनाव जीत चुके है और इस बार उनकी नज़र जीत की हैट्रिक पर है। सोलन सीट पर कांग्रेस लगातार तीन चुनाव हार चुकी थी, तब वर्ष 2012 में कर्नल ने यहाँ कांग्रेस की वापसी करवाई। इसके बाद उन्हें वीरभद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद मिला। 2017 में भी कर्नल विजयी रहे। अब तीसरी बार वे सोलन से विधानसभा चुनाव लड़ रहे है। जानकार मानते है कि अगर शांडिल जीत दर्ज करते है और प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार बनती है तो उन्हें बेहद अहम जिम्मेदारी मिलना तय है। वहीँ उनके समर्थक उन्हें बतौर सीएम भी प्रोजेक्ट कर रहे है। कई जनसभाओं में उनके लिए नारेबाजी हो रही है। बहरहाल आठ दिसंबर को ये तय होगा कि कर्नल जीत की हैट्रिक लगा पाते है या नहीं, पर फिलहाल वे जोर शोर से प्रचार कर जनता के बीच जा रहे है। वे कांग्रेस मैनिफेस्टो कमेटी के चेयरमैन भी है सो जनता के बीच कांग्रेस के हर वादे पर अपनी बात रख रहे है। शांडिल का कहना है कि कांग्रेस घोषणा पत्र का हर वादा उनका वचन है, पार्टी पुरानी पेंशन भी बहाल करेगी और महिलाओं को सम्मान राशि भी मिलेगी।
पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल का अभेद किला रही जुब्बल कोटखाई सीट पर पिछले पांच चुनाव में कांग्रेस व भाजपा दोनों को जनता ने बराबर का प्यार दिया है। 2003 के विधानसभा चुनाव में ठाकुर रामलाल के पोते रोहित ठाकुर जीते, तो 2007 में पूर्व बागवानी मंत्री रहे नरेंद्र बरागटा ने इस सीट पर कब्ज़ा किया। 2012 के विधानसभा चुनाव में फिर जनता ने कांग्रेस के रोहित ठाकुर को जुब्बल कोटखाई की सीट पर विजय बनाया। जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में नरेंद्र बरागटा ने जीत हासिल की। नरेंद्र बरागटा के निधन के बाद अक्टूबर 2021 में हुए उपचुनाव में रोहित ठाकुर को फिर जीत मिली। अब 2022 के विधानसभा चुनाव में भी ये सिलसिला बरकरार रहता है या नहीं, ये देखना रोचक होगा। वर्तमान स्थिति की बात करें तो कांग्रेस से रोहित ठाकुर मैदान में है और चेतन बरागटा भी भाजपा में वापसी कर चुके है। भाजपा ने वापसी के बाद चेतन पर ही दांव खेला है। इस बार माकपा से विशाल शांगटा भी मैदान में है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने श्रीकांत चौहान को मैदान में उतारा है। पिछली बार की तरह इस बार भी चेतन बरागटा अपने पिता स्वर्गीय नरेंद्र बरागटा के दिखाए रास्ते पर आगे बढ़ते हुए सेब और बागवान हित के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे है। चेतन जनता के बीच जा कर बागवानी और बागवानों के हितों की बात कह रहे है। निसंदेह चेतन के आने से भाजपा में भी चेतना लौट आई है और पिछले चुनाव में जमानत जब्त करवाने के बाद पार्टी में टोटल मेकओवर दिखा है। चेतन को लेकर कोई विरोध नहीं दिखता और ये तय है कि इस बार मुकाबला कांटे का होगा। उधर रोहित ठाकुर फिर जीत को लेकर आश्वस्त है लेकिन माकपा ने विशाल शांगटा को मैदान में उतार कर इस चुनाव को रोचक कर दिया है। यदि प्रदेश सरकार से खफा वोट में शांगटा सेंध लगाते है तो रोहित की मुश्किलें बढ़ सकती है। बहरहाल जुब्बल कोटखाई का चुनाव बेहद रोचक होता दिख रहा है। इस कांटे के मुकाबले में कौन जीतता है ये तो आठ दिसंबर को तय होगा लेकिन नतीजा जो भी हो चेतन की भाजपा में रंग जरूर लाएगी।
कसौली निर्वाचन क्षेत्र में इस बार कांटे का मुकाबला देखने को मिल रहा है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सैजल के गढ़ में इस बार आम आदमी पार्टी भी अच्छा करता दिख रही है। पार्टी प्रत्याशी हरमेल धीमान का धुआंधार प्रचार अभियान जारी है। हर पंचायत, हर गांव तक हरमेल पहुंच रहे है और लोगों से सीधा संवाद स्थापित कर रहे है। हरमेल धीमान कसौली निर्वाचन क्षेत्र के जाने माने समाजसेवी है और लंबे वक्त से इस क्षेत्र में सक्रिय है। सैकड़ों सामाजिक आयोजनों में लम्बे वक्त से हरमेल धीमान सहयोग करते आ रहे है और उनकी छवि एक ऐसे व्यक्ति की है जो किसी को किसी काम के लिए ना नहीं करता। उनकी ये छवि इस चुनाव में उन्हें लाभ पंहुचा सकती है। बता दें कि हरमेल भाजपा छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए है। दिलचस्प बात ये है कि उनके साथ भाजपा से तो लोग है ही, काफी लोग कांग्रेस छोड़कर भी उनके साथ आप में शामिल हुए है। ऐसे में दोनों दलों से खफा लोगों के लिए हरमेल धीमान एक विकल्प है।
हिमाचल प्रदेश के बीते कई चुनावों पर निगाह डाले तो अक्सर बगावत का दंश भाजपा से ज्यादा कांग्रेस पर भारी पड़ता आया है। पर इस बार के विधानसभा चुनाव में बगावत ने भाजपा का सुकून उड़ाया हुआ है। प्रदेश में 68 विधानसभा सीटें है और एक चौथाई से भी ज्यादा सीटों पर भाजपा के बागी मैदान में है। ये आँकड़ा ये समझने के लिए काफी है कि भाजपा का चुनाव प्रबंधन हर बार की तरह सटीक नहीं रहा है। सवाल टिकट आवंटन पर भी उठ रहे है। बगावत की आग से पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का गृह जिला भी अछूता नहीं है। ये हालत तब है जब पार्टी नामांकन वापसी की अंतिम तिथि तक कई उम्मीदवारों को मनाने में कामयाब रही, अन्यथा स्थिति और ज्यादा बिगड़ सकती थी। बहरहाल इस बगावत का चुनावी नतीजों पर क्या असर पड़ता है ये तो आठ दिसम्बर को ही पता चलेगा, पर फिलवक्त पार्टी डैमेज कंट्रोल कर रिवाज बदलने के अपने दावे पर कायम जरूर है। विदित रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 5 नवंबर को सोलन और सुंदरनगर की जनसभाओं में ये कह चुके है कि प्रत्याशी को देख कर नहीं बल्कि कमल का फूल देखकर वोट करें। जाहिर है इसका असर भी नाराज समर्थकों-कार्यकर्ताओं पर पड़ सकता है। पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता मोर्चा संभाले हुए है और बगावत की आग के बावजूद भाजपा मिशन रिपीट का दावा कर रही है। बिलासपुर : सुभाष शर्मा भाजपा ने यहाँ से त्रिलोक जम्वाल को टिकट दिया है। सुभाष ठाकुर का टिकट काटा गया है। भाजपा सुभाष ठाकुर को मनाने में तो कामयाब रही, लेकिन टिकट के एक अन्य दावेदार सुभाष शर्मा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है। झंडूता : राजकुमार कौंडल भाजपा ने मौजूदा विधायक जीतराम कटवाल को ही फिर टिकट दिया है। नाराज होकर पूर्व विधायक रिखी राम कौंडल के बेटे राजकुमार कौंडल चुनावी मैदान में है। मंडी : प्रवीण शर्मा पंडित सुखराम के पुत्र और वर्तमान विधायक अनिल शर्मा मंडी सदर सीट से भाजपा उम्मीदवार है। वहीँ टिकट के दावेदार रहे प्रवीण शर्मा ने बगावत कर दी है। प्रवीण के साथ काफी नेता-कार्यकर्ता भी है जिससे भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती है। सुंदरनगर : अभिषेक ठाकुर पूर्व विधायक रूप सिंह के पुत्र अभिषेक यहाँ से भाजपा के बागी है। पार्टी ने फिर मौजूदा विधायक राकेश जम्वाल को टिकट दिया है। फतेहपुर : कृपाल परमार फतेहपुर फ़तेह करने की राह में भाजपा के लिए कृपाल परमार सबसे बड़ा रोड़ा है। भाजपा ने मंत्री और नूरपुर से मौजूदा विद्याक राकेश पठानिया को यहाँ से टिकट दिया है जिससे नाराज हकार पूर्व प्रत्याशी कृपाल परमार ने बगावत कर दी है। पिछले चार चुनाव भाजपा यहाँ से हारी है। इंदौरा : मनोहर धीमान 2017 में भाजपा ने तब निर्दलीय विधायक रहे मनोहर धीमान को पार्टी में शामिल तो किया लेकिन टिकट नहीं दिया। तब मनोहर धीमान को मना लिया गया लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाया। पार्टी ने रीता धीमान को टिकट दिया है जिसके बाद मनोहर ने बगावत कर दी है। शाहपुर : पंकु कांगडिया मंत्री सरवीण चौधरी के खिलाफ युवा नेता पंकु कांगडिया ने बगावत कर दी है और चुनावी मैदान में है। एंटी इंकम्बैंसी के साथ -साथ बगावत ने शाहपुर में सरवीण की मुश्किलें निश्चित तौर पर बढ़ाई है और इस बार यहाँ दिलचस्प मुकाबला तय है। कांगड़ा : कुलभाष चौधरी कांग्रेस से भाजपा में आए पवन काजल के विरोध में यहाँ से कुलभाष चौधरी ने बगावत का एलान कर दिया और निर्दलीय मैदान में है। धर्मशाला : विपिन नेहरिया दल बदल कर भाजपा में पहुंचे राकेश चौधरी को पार्टी ने टिकट दिया, जबकि मौजूदा विधायक विशाल नेहरिया का टिकट काट दिया गया। विशाल नेहरिया तो बागी नहीं हुए लेकिन पार्टी के एक अन्य नेता विपिन नेहरिया ने बगावत का बिगुल फेंक दिया और चुनावी मैदान में है। देहरा : होशियार सिंह 2017 में बतौर निर्दलीय जीते होशियार सिंह कुछ माह पूर्व ही भाजपा में शामिल हुए लेकिन भाजपा ने उनका टिकट काट दिया। अब दोनों की राह फिर जुदा हो चुकी है और होशियार सिंह भी चुनाव लड़ रहे है। ख़ास बात ये है कि पार्टी ने यहाँ से ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला को मैदान में उतारा है। नालागढ़ : केएल ठाकुर कांग्रेस से बीते दिनों भाजपा में आएं मौजूदा विधायक लखविंद्र राणा को यहाँ से पार्टी ने टिकट दिया है। इसके चलते पूर्व विधायक केएल ठाकुर ने बगावत कर दी और निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है। ठाकुर बीते पांच साल लगातार सक्रिय रहे, बावजूद इसके पार्टी ने कांग्रेस से आएं लखविंदर राणा को टिकट दिया। खफा होकर कई कार्यकर्ता और समर्थक भी केएल के साथ हो लिए है। किन्नौर : तेजवंत नेगी भाजपा ने यहां से सूरत नेगी को टिकट दिया है। पूर्व विधायक तेजवंत नेगी पिछला चुनाव महज 120 वोट से हारे थे, बावजूद इसके उन्हें मौका नहीं मिला। खफा होकर तेजवंत ने बगावत कर दी। आनी : किशोरी लाल मौजूदा विधायक किशोरी लाल का टिकट यहाँ से भाजपा ने काटा है। अब किशोरी लाल निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है। बंजार : हितेश्वर सिंह बंजार से भाजपा ने मौजूदा विधायक पर फिर से दाव खेला है। इसके बाद टिकट के चाहवान हितेश्वर सिंह ने बगावत का ऐलान कर दिया। हितेश्वर सिंह भाजपा के वरिष्ठ नेता महेश्वर सिंह के बेटे है। उनके बागी चुनाव लड़ने के चलते पार्टी ने कुल्लू सीट से महेश्वर सिंह का टिकट भी अंतिम समय में बदल दिया। कुल्लू : राम सिंह भाजपा ने अंतिम समय में महेश्वर सिंह का टिकट बदलकर नरोत्तम ठाकुर को दिया है। इसके बाद महेश्वर सिंह ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया। पार्टी महेश्वर सिंह को मनाने में जुटी रही और मना भी लिया गया, लेकिन एक अन्य कद्दावर नेता राम सिंह मैदान में उतर गए और अब चुनाव लड़ रहे है। चम्बा सदर : इंदिरा कपूर यहाँ से पार्टी ने पहले इंदिरा कपूर को टिकट दिया लेकिन मौजूदा विधायक पवन नय्यर की नाराजगी के चलते अंतिम समय में उनकी पत्नी नीलम नय्यर को टिकट थमा दिया। इसके बाद इंदिरा कपूर अब निर्दलीय चुनाव लड़ रही है। हमीरपुर : नरेश दर्जी नरेश दर्जी हमीरपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है और माना जा रहा है कि वे भाजपा के वोटों में ज़्यादा सेंध लगा सकते है। दर्जी की मौजूदगी ने इस चुनाव को रोचक बना दिया है। बड़सर : संजीव शर्मा भाजपा ने बड़सर से पूर्व प्रत्याशी बलदेव शर्मा की पत्नी माया शर्मा को टिकट दिया है। दरअसल यहाँ से भाजपा नेता राकेश शर्मा बबली भी टिकट के उम्मीदवार थे, किन्तु कुछ समय पहले उनका दुखद निधन हो गया। उनके निधन के उपरांत उनके भाई और भाजपा नेता संजीव शर्मा ने टिकट पर दावा जताया, लेकिन पार्टी ने माया शर्मा को मौका दिया। भोरंज : पवन कुमार पवन कुमार पूर्व में भाजयुमो भोरंज के मीडिया प्रभारी रह चुके हैं, लेकिन भाजपा से टिकट न मिलने के कारण इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। पवन कुमार वर्तमान में समीरपुर वार्ड से जिला परिषद सदस्य हैं, इससे पूर्व भोरंज वार्ड से जिला परिषद सदस्य और दो बार अलग-अलग वार्डों से पंचायत समिति सदस्य निर्वाचित हो चुके हैं। पार्टी ने भोरंज से अनिल धीमान को टिकट दिया है।
पालमपुर सीट पर कांग्रेस का इतिहास मजबूत रहा है। यहां से चर्चित बुटेल परिवार के कैंडीडेट जीतते रहे हैं। इस सीट से बीजेपी ने सिर्फ तीन बार ही चुनाव में जीत हासिल की है और कांग्रेस का सात बार पालमपुर विधासभा क्षेत्र में कब्ज़ा रहा है। गौरतलब है कि इस सीट से बृज बिहारी लाल पांच बार विधायक चुने गए हैं। वहीं वर्ष 2017 में कांग्रेस ने आशीष बुटेल को यहाँ से मैदान में उतारा था और बीजेपी से इंदु गोस्वामी मैदान में थी। 2017 के चुनाव में आशीष बुटेल ने 4,324 वोटों से इंदू गोस्वामी को हराया था। अब एक बार फिर आशीष बुटेल मैदान में है और उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी त्रिलोक कपूर से है। इस बार देखना दिलचस्व होगा की क्या एक बार फिर पालमपुर की जनता कांग्रेस पर भरोसा जताती है या यहां रिवाज़ बदलता है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिला कांगड़ा की ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी रविंदर सिंह रवि के पक्ष में चुनावी जनसभा को संबोधित करने पहुंचे। इस दौरान कांग्रेस पर कड़ा प्रहार करते हुए सीएम योगी ने कहा कि देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आठ साल जो प्रगति हुई कांग्रेस उतना अपने 55 साल की सत्ता में नहीं कर पाई।उन्होंने कहा कि माफिया विकास के रास्ते का सबसे बड़ा अवरोधक (बैरियर) है। कांग्रेस ने हमेशा इसे पोषित किया। योगी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव काल में भारत उस ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है जिसने कभी 200 साल तक हम पर राज किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की तरह झूठे वादे करने की हमारी आदत नहीं है। हमने जो भी वादे किए थे, उनको पूरा करके दिखाया है। जनता को गुमराह करके हम राजनीति नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि हिमाचल की धरती ने इस देश को एक से एक बढक़र वीर सपूत दिए। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर देश को हिमाचल के सैनिकों की जरूरत पड़ जाए, तो हिमाचल के सैनिक पीछे नहीं हटेंगे। हिमाचल की राजनीति पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कुछ केंद्र सरकार की, तो कुछ अपने स्तर पर योजनाएं चलाकर लोकप्रिय सीएम बन चुके हैं। महिलाओं के लिए टायलेट और हर घर में नल लगाकर पानी उपलब्ध करवा रहे हैं।
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी जनसभा को सम्बोधित करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज दुनिया में पीएम नरेंद्र मोदी के कारण देश की तस्वीर बदल गई है आज मोबाइल उत्पादन में भारत दूसरे नंबर पर है, स्टील उत्पादन में भारत दूसरे नंबर पर है, सौर ऊर्जा में हम पांचवें नंबर पर पहुंच गए हैं, ब्रिटेन को पछाड़ कर भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहा कि आज न तो हरियाणा में कांग्रेस की सरकार है और न ही हिमाचल और पंजाब में। जेपी नड्डा ने कहा कि आज हिमाचल प्रदेश को बल्क ड्रग पार्क मिल रहा है। आने वाले समय में फार्मा में हिमाचल प्रदेश का बल्क ड्रग पार्क दुनिया के नक्शे पर देखा जाएगा। यही नहीं, यहां मेडिकल डिवाइस पार्क के साथ-साथ विकास के कई कार्य किए जा रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल गिहारी वाजपेयी ने हिमाचल इकोनॉमिक पैकेज दिया लेकिन 7 साल में कांग्रेस ने छीन लिया और कहा कि हरियाणा, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में हमारी सरकार है तो हिमाचल को हम अकेले नहीं दे सकते।
नेता प्रतिपक्ष और हरोली से कांग्रेस के प्रत्याशी मुकेश अग्निहोत्री ने बुधवार को अपने विधानसभा क्षेत्र में कई नुक्कड़ सभाओं को संबोधित करते हुए चुनाव प्रचार किया। इस मौके पर उन्होंने दावा किया कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के नाम की सुनामी चल रही है और इसमें भाजपा पूरी तरह से मलियामेट होने वाली है। उन्होंने कहा कि 10 दिन बाद हिमाचल में मित्रां दा नाम ही चलेगा। इस मौके पर मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि आने वाली कांग्रेस सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का अधिकार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी करने के बाद बुढ़ापे में पुरानी पेंशन ही एकमात्र सहारा होती है लेकिन अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने इस सहारे को भी कर्मचारियों से छीन लिया था। मुकेश ने कहा कि भाजपा आने वाले दिनों में दृष्टि पत्र में भी ओल्ड पेंशन स्कीम देने की बात कह दी लेकिन अब कोई फायदा नहीं अब कांग्रेस ने पहले ही कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम दे डाली है। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भाजपा गुंडागर्दी करते हुए चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही है और इसके तहत उनके विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के घर में छापेमारी करवाई गई हैं। लेकिन भाजपा को यह याद रखना चाहिए कि इस तरह से चुनाव नहीं जीते जाते। उन्होंने अधिकारियों कर्मचारियों को भी दो टूक शब्दों में चेतावनी दी है, मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि 10 दिन के भीतर हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है ऐसे में भाजपा की हिमायत करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
हिमाचल में कांग्रेस प्रत्याशियों के खिलाफ प्रचार और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने वाले 8 नेताओं को कांग्रेस ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने इन नेताओं को 6 साल के लिए निष्कासित किया है। इनमें आनी ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष कैलाश शर्मा, जिला कांग्रेस कमेटी कुल्लू के महासचिव लोक राज ठाकुर, शेर सिंह ठाकुर व विजय कवंर, आनी से पंकज कुमार, शिमला शहरी से अभिषेक भरवालिया, सुलह से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव सुनील कुमार व जसवां-परागपुर से मुकेश कुमार शामिल हैं। इससे पहले पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले 6 बागियों को 6 साल के लिए निष्कासित कर चुकी है। आने वाले दिनों में पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ प्रचार करने वाले कई नेताओं पर पार्टी अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है।
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला में आज कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता सचिन पायलट ने चुनावी जनसभा को संबोधित किया। इस सभा का आयोजन गांधी चौक पर पार्टी प्रत्याशी डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा के समर्थन में किया गया था। सचिन पायलट ने अपने संबोधन के दौरान केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार पर जमकर हल्ला बोला। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार का एक इंजन जल्द ही हिमाचल में फेल होने वाला है। पायलट ने कहा है कि 12 नवंबर को डबल इंजन सरकार का एक इंजन हिमाचल सीज हो जाएगा। इस सरकार ने 5 साल में कुछ नहीं किया। OPS की मांग पर कर्मचारियों को यह सरकार कुछ नहीं दे पाई। अब धन-बल के जोर पर हिमाचल में चुनावी माहौल बनाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने पर इसकी नजर है। सचिन ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अब तेजी से हिमाचल में अपने चुनाव प्रचार में आगे निकल रही है। हिमाचल में परिवर्तन की लहर साफ दिख रही है। लोग भाजपा के झूठे वादों में आने वाले नहीं हैं। सचिन पायलट ने कहा कि कांग्रेस ने जो भी वायदे जनता से किए हैं उन्हें पूरा किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा कहती कुछ और है और करती कुछ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल में बार-बार वोट मांगने के लिए आ रहे हैं, लेकिन यहां महंगाई आसमान छू रही है। पेपर लीक हुए और बेरोजगारी बढ़ती चली गई। एक भी भाजपा नेता महंगाई कम करने की बात नहीं कर रहा है। सचिन पायलट ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए कि कितने लोगों को रोजगार दिया गया है। उन्होंने कहा सत्ता वापसी के बाद कांग्रेस प्रदेश की दिशा और दशा बदलेगी। महंगाई-बेरोजगारी से राहत दिलाई जाएगी। कर्मचारियों की OPS की मांग पूरी की जाएगी, क्योंकि जिन प्रदेशों में कांग्रेस की सरकार है, वहां भी पुरानी पेंशन दी जा रही है।
जिला ऊना की गगरेट सीट इस बार हॉट सीट है और इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला होता दिख रहा है। कांग्रेस ने यहाँ से हालहीं में पार्टी में शामिल हुए जिला परिषद् सदस्य चैतन्य शर्मा को टिकट दिया है। इससे नाराज होकर पूर्व विधायक रहे राकेश कालिया ने भाजपा का दामन थाम लिया है। उधर भाजपा ने फिर सीटिंग विधायक राजेश ठाकुर पर दाव खेला है। पर कालिया और ठाकुर के साथ आने के बावजूद भी ये मुकाबला फिलवक्त बराबरी का दिख रहा है। आम आदमी पार्टी भी यहाँ से मैदान में है और उसके प्रदर्शन पर भी निगाहें रहेंगी। इन सबके बीच लम्बे समय से क्षेत्र में सक्रीय रहे मनीष शारदा न तो चुनाव लड़ रहे है और न ही किसी प्रत्याशी के समर्थन में है। शारदा करीब एक दशक से इस क्षेत्र में निरंतर सक्रीय है और उनके समर्थकों की खासी तादाद है। माहिर मानते है कि शारदा यदि किसी प्रत्याशी के समर्थन में उतरते है तो इसका ख़ासा प्रभाव पड़ेगा। पर अब तक शारदा साइलेंट है और चुनाव से दुरी बनाये हुए है। विदित रहे कि गगरेट सीट पर लम्बे वक्त तक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुलदीप कुमार का कब्ज़ा रहा है। पर 2008 के परिसीमन के बाद ये सीट ओपन हुई और 2012 में यहाँ से राकेश कालिया ने चुनाव लड़ा। दरअसल कालिया चिंतपूर्णी से चुनाव लड़ते थे जो सीट 2008 में आरक्षित हो गई और ऐसे में कुलदीप कुमार और कालिया ने अपने चुनाव क्षेत्र की अदला बदली कर ली। 2012 में इसका लाभ दोनों को मिला और दोनों चुनाव जीत गए, पर 2017 में दोनों को शिकस्त मिली। 2017 में कालिया की हार का अंतर दस हजार के करीब था और कांग्रेस के तमाम सर्वे में भी कालिया पिछड़ते दिख रहे थे और ये ही उनके टिकट कटने का कारण बना। बहरहाल कालिया भाजपाई हो गए है और गगरेट का चुनावी संग्राम बेहद रोचक। फिलवक्त निगाहें मनीष शारदा पर भी टिकी है कि क्या वो अपने समर्थकों सहित किसी प्रत्याशी के लिए वोट मांगेंगे या चुप्पी बनाये रखेंगे।
भाजपा ने अपनी पहली लिस्ट में 10 सिटिंग विधायकों के टिकट काट दिए है। इनमें आनी के विधायक किशोरी लाल, करसोग के विधायक हीरालाल, द्रंग से जवाहर ठाकुर, सरकाघाट से कर्नल इंद्रसिंह, भोरंज से कमलेश कुमारी, बिलासपुर से सुभाष ठाकुर, ज्वाली से अर्जुन सिंह, धर्मशाला से विशाल नहरिया, भरमौर से जियालाल और चंबा से पवन नय्यर का नाम शामिल है। इनमें आनी से किशोरी लाल की जगह लोकेंद्र कुमार को, करसोग से हीरालाल की जगह दीपराज कपूर, द्रंग से जवाहर ठाकुर की पूर्ण चंद ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है। सरकाघाट से कर्नल इंद्र सिंह की जगह दलीप ठाकुर, भोरंज से कमलेश कुमारी की डॉ. अनिल धीमान, बिलासपुर से सुभाष ठाकुर की संगठन महामंत्री त्रिलोक जमवाल को टिकट दिया है। ज्वाली से अर्जुन सिंह की जगह संजय गुलेरिया, धर्मशाला से विशाल नहरिया की जगह राकेश चौधरी, भरमौर से जियालाल की जगह इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) के पूर्व एमएस डा.. जनकराज और चंबा से पवन नय्यर की जगह इंदिरा कपूर को उम्मीदवार बनाया गया है। मंडी जिले की धर्मपुर सीट से जयराम सरकार में मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की जगह उनके बेटे रजत ठाकुर को उम्मीदवार बनाया गया है। महेंद्र सिंह ठाकुर इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे।
भाजपा ने हिमाचल विधानसभा चुनाव के लिए 62 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 5 महिलाएं शामिल है। साथ ही पार्टी हाईकमान ने 10 सिटिंग विधायकों के टिकट काट दिए है। राज्य में सिंगल फेज में 12 नवंबर को मतदान होगा। नतीजे 8 दिसंबर को घोषित होंगे। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सिराज सीट से चुनाव लड़ेंगे। उनके खिलाफ कांग्रेस के चेतराम मैदान में हैं। अनिल शर्मा को मंडी और सतपाल सिंह सत्ती को उना से टिकट दिया गया है। करसोग सीट से दीपराज कपूर, सुंदरनगर से राकेश जमवाल, नाचन से विनोद कुमार और द्रंग सीट से पूर्णचंद ठाकुर को टिकट दिया गया है। जोगेंद्रनगर सीट से प्रकाश राणा, धर्मपुर से रजत ठाकुर, मंडी सदर से अनिल शर्मा, बल्ह से इंद्र सिंह गांधी और सरकाघाट सीट से दिलीप ठाकुर को उम्मीदवार बनाया गया है मंडी जिले की टिकटों में एक बड़ा बदलाव धर्मपुर सीट पर किया गया है। पार्टी ने यहां मौजूदा मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की जगह उनके बेटे रजत ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने कांगड़ा जिले में 15 सीटों में से 13 पर उम्मीदवारों का ऐलान क्र दिया है। फ़िलहाल देहरा-ज्वालामुखी होल्ड पर है। वहीं नूरपुर सीट से रणवीर सिंह निक्का, इंदौरा से रीटा धीमान, फतेहपुर से राकेश पठानिया, ज्वाली से संजय गुलेरिया, जसवां परागपुर से विक्रम ठाकुर, जयसिंहपुर से रविंद्र धीमान, सुलह से विपन परमार, नगरोटा बगवां से अरुण कुमार मेहरा, कांगड़ा से पवन काजल, शाहपुर से सरवीन चौधरी, धर्मशाला से राकेश चौधरी, पालमपुर से त्रिलोक कपूर और बैजनाथ से मुलखराज प्रेमी को टिकट दिया है। पार्टी ने चंबा जिले की पांचों सीटों पर टिकटों का ऐलान कर दिया गया। यहां चुराह सीट से मौजूदा एमएलए व डिप्टी स्पीकर हंसराज, भरमौर से जनकराज, चंबा सदर सीट इंदिरा कपूर और डलहौजी से बीएस ठाकुर और भटियात से विक्रम जरियाल को टिकट दिया गया है। भाजपा ने कुल्लू जिले में 4 सीटें में से 3 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। फ़िलहाल कुल्लू सीट होल्ड पर है। इसमें मनाली सीट से गोविंद सिंह ठाकुर, बंजार से सुरेंद्र शौरी और आनी से लोकिंदर कुमार को टिकट दिया गया है। पूर्व सीएम प्रेमकुमार धूमल के गृह जिले हमीरपुर की 5 में से 4 सीटों पर भी उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया गया। यहां भोरंज सीट से अनिल धीमान, सुजानपुर से कैप्टन रणजीत सिंह, हमीरपुर सीट से नरेंद्र ठाकुर, नादौन से विजय अग्निहोत्री को टिकट दिया गया है। यहां बड़सर सीट से फिलहाल उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई। ऊना जिले की पांच में से 4 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया गया। यहां चिंतपूर्णी सीट से बलबीर चौधरी, गगरेट से राजेश ठाकुर, ऊना से सतपाल सिंह सत्ती, कुटलैहड़ सीट से वीरेंद्र कंवर को उम्मीदवार बनाया गया है। यहां हरोली सीट से टिकट का ऐलान पहली लिस्ट में नहीं किया गया। बिलासपुर जिले की चारों सीटों से उम्मीदवार घोषित कर दिए गए। यहां बिलासपुर सदर सीट से मौजूदा विधायक सुभाष ठाकुर का टिकट काटकर उनकी जगह त्रिलोक जमवाल को उम्मीदवार बनाया गया है। इसके अलावा झंडुता सीट से जेआर कटवाल, घुमारवीं से राजेंद्र गर्ग और श्रीनयनादेवी सीट से रणधीर शर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है। सोलन जिले की पांचों सीटों से टिकट घोषित कर दिए गए। यहां अर्की सीट से पूर्व विधायक गोविंद राम शर्मा को टिकट दी गई है। नालागढ़ सीट से हाल ही में कांग्रेस से 'घर वापसी' करने वाले लखविंद्र राणा, दून सीट से परमजीत सिंह पम्मी, सोलन से डॉ. राजेश कश्यप और कसौली सीट से मौजूदा विधायक डॉ. राजीव सैजल को उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा ने सिरमौर जिले की पांचों सीटों पर भी पार्टी ने कैंडिडेट्स का ऐलान कर दिया। पच्छाद सीट से रीना कश्यप, नाहन से डॉ. राजीव बिंदल, श्रीरेणुकाजी से नारायण सिंह, पांवटा साहिब से मौजूदा मंत्री सुखराम चौधरी और शिलाई सीट से बलदेव तोमर को टिकट दी गई है। शिमला जिले की 8 में से 7 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई। यहां चौपाल सीट से बलबीर वर्मा, ठियोग से अजय श्याम, कुसुम्पटी से सुरेश भारद्वाज, शिमला शहरी से संजय सूद, शिमला ग्रामीण से रवि मेहता, जुब्बल कोटखाई से चेतन बरागटा, रोहडू से शशिबाला को उम्मीदवार बनाया गया है। सुरेश भारद्वाज 2017 में शिमला शहरी सीट से जीते थे। पार्टी ने इस बार उन्हें शिमला शहरी की जगह कुसुम्पटी से टिकट दिया है। शिमला जिले की रामपुर सीट से पार्टी ने फिलहाल टिकट का ऐलान नहीं किया है।
हिमाचल की ठंडी फिजाओं में चुनाव की गर्माहट आ गई है। प्रदेश में चुनावी चौसर बिछ गई है और शह -मात का सियासी खेल चरम पर है। 12 नवंबर को प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा और 8 दिसंबर को ये स्पष्ट हो जाएगा कि प्रदेश में सत्तासीन कौन होगा। सियासत शबाब पर है और राजनैतिक दलों में टिकट आवंटन पर माथापच्ची हो रही है, साथ ही दोनों प्रमुख दल बगावत साधने की कवायद में जुट गए है। एक तरफ जहां कांग्रेस की अधिकांश टिकटें लगभग तय है, वहीं भाजपा का चिंतन मंथन जारी है। आम आदमी पार्टी भी प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर चुकी है और सम्भवतः जल्द दूसरी सूची जारी हो। भाजपा जहां मिशन रिपीट की कवायद में है तो वहीं कांग्रेस सत्ता वापसी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसी बीच आम आदमी पार्टी भी प्रदेश में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है। अब जनता रिवाज़ बदलती है या तख़्त और ताज बदल देती है, ये देखना रोचक होगा। जैसे-जैसे राजनैतिक दल टिकट तय करने की ओर बढ़ रहे है, वैसे ही बगावती सुर भी तेज़ हो गए है। कांग्रेस के 57 टिकटों पर सहमति बन चुकी है, मगर कुछ टिकटों पर अब तक कांग्रेस वेट एंड वाच वाली स्थिति में है। वहीं भाजपा के टिकट आवंटन की बात करें तो इस बार पार्टी ने टिकट आवंटन के लिए एक नया रास्ता निकाला है। पार्टी हर कार्यकर्त्ता के मत को प्राथमिकता दे रही है और टिकट के आवंटन से पहले पार्टी द्वारा कार्यकर्ताओं की राय जानने के लिए गुप्त मतदान भी करवाया गया। हालांकि आखरी फैसला भाजपा हाईकमान को ही लेना है। हिमाचल के चुनावी रण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मोर्चा संभाला हुआ है। हिमाचल में प्रधानमंत्री ताबड़तोड़ रैलियां कर चुके हैं और पार्टी एक तरह से पीएम मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ रही है। अमित शाह और जेपी नड्डा भी पूरी तरह एक्टिव है। ऐसे में भाजपा द्वारा कई तरह के सरप्राइज तय है। उम्मीदवारों के ऐलान से पहले वोटिंग कराना भी इसी तरह का सरप्राइज रहा। आम आदमी पार्टी टिकट की अपनी पहली सूची जारी कर चुकी है, मगर माना जा रहा है कि आगे की अधिकांश टिकटों के लिए पार्टी वेट एंड वाच की नीति अपना सकती है। सम्भवतः आप दोनों ही दलों के संभावित बागियों पर नज़र बनाये हुए है और आने वाले वक्त में दोनों ही दलों से रुष्ट जनाधार वाले नेताओं को पार्टी में शामिल करने की नीति पर आगे बढ़ सकती है। बहरहाल, किसकी बनेगी सरकार ये तो 9 दिसंबर को तय होगा पर हिमाचल प्रदेश में एक जोरदार चुनावी संग्राम तय है। न्यूनतम बगावत ही जीत का मंत्र जानकार मान कर चल रहे है कि जो भी राजनैतिक दल न्यूनतम अंतर्कलह और न्यूनतम बगावत सुनिश्चित करेगा , उसे लाभ मिल सकता है। सभी राजनैतिक दलों के रणनीतिकार अभी से संभावित बागियों को मनाने में जुटे हुए है। किसकी कवायद सफल होती है और किसकी नहीं, ये 29 अक्टूबर को नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि पर ही पता चलेगा। बहरहाल सभी का प्रयास ये ही है कि संभावित बागियों को नामांकन भरने से पहले ही मना लिया जाएं। निर्दलीय चेहरों ने बधाई रोचकता प्रदेश की कई सीटों पर कई उम्मीदवार निर्दलीय ही ताल ठोकते दिख रहे है। इनमे से कई को लेकर कभी भाजपा में जाने के कयास लगते है, तो कभी कांग्रेस या आप में। पर अब तक ऐसे कई चेहरे अकेले आगे बढ़ रहे है। इनकी मौजूदगी ने इस चुनाव को और रोचक बना दिया है। अगर ये निर्दलीय चुनाव लड़ते है तो कई सीटों के समीकरण बदल सकते है। मसलन गगरेट से चैतन्य शर्मा, जसवां परागपुर से कैप्टेन संजय पराशर जैसे कई नामो को लेकर लगातार कयासबाजी जारी है।
प्रदेश में चुनावी अखाड़ा पूरी तरह सज चूका है। आचार सहिंता लग चुकी है। सत्ता पक्ष अपने विकास कार्य गिना रहा है तो विपक्ष, सरकार की हर उस नाकामी को भुनाने का प्रयास कर रहा है जो भाजपा की डगर कठिन कर दे। कोशिश तो पूरी थी मगर इसके बावजूद भी प्रदेश के कुछ ऐसे मुद्दे है जो सरकार सुलझा नहीं पाई। ऐसे ही अनसुलझे मसलों में प्रदेश के कर्मचारियों का सबसे बड़ा मुद्दा भी शेष है। ये वो मुद्दा है जो सत्ता हिलाने की कुव्वत रखता है। हम बात कर रहे है प्रदेश के करीब एक लाख कर्मचारियों के सबसे बड़े मुद्दे, पुरानी पेंशन बहाली की। कर्मचारी किसी भी सरकार की रीढ़ होती है और जब कर्मचारी ही अपने भविष्य को लेकर सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे है, तो ऐसे में किसी भी सरकार की डगर मुश्किल हो सकती हैं। एनपीएस कर्मचारी महासंघ से जुड़े हिमाचल के एक लाख से अधिक कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली के लिए लगातार संघर्ष करते रहे परन्तु वर्तमान सरकार के राज में पुरानी पेंशन बहाल नहीं हुई। एनपीएस कर्मचारी महासंघ के बैनर तले आंदोलन लगातार तीव्र होता गया। कर्मचारियों ने आचार सहिंता लगने तक क्रमिक अनशन भी किया और खुलकर 'वोट फॉर ओपीएस' का नारा दिया। तो कर्मचारी क्या भाजपा के मिशन रिपीट के लक्ष्य में सबसे बड़ी बाधा बनेंगे, ये सवाल फिलहाल बना हुआ है। निसंदेह सरकार के खिलाफ कर्मचारियों का ये प्रदर्शन विपक्ष में बैठी कांग्रेस के लिए संजीवनी सिद्ध हो सकता है। उधर भाजपा बार-बार ये याद दिला रही है कि प्रदेश में नई पेंशन स्कीम कांग्रेस की वीरभद्र सरकार ने लागू की थी। अब कर्मचारियों का क्या रुख रहता है, ये देखना रोचक होगा। क्या एनपीएस कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर प्रदेश का कर्मचारी 'वोट फॉर ओपीएस' मुहीम का हिस्सा बनेगा, इसी सवाल के जवाब में सम्भवः अगली सरकार की तस्वीर छिपी है। गौरतलब है कि नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ द्वारा 'वोट फॉर ओपीएस' अभियान चलाया जा रहा है, जहां कर्मचारियों को ओपीएस के नाम पर वोट देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। संघ की दो टूक है की जो भी पुरानी पेंशन बहाल करेगा वोट उसी को मिलेगा। जाहिर है पुरानी पेंशन बहाली का वादा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी कर रहे है, जबकि भाजपा अभी भी इस मुद्दे पर ढुलमुल रवैया अपनाएं हुए है। तो क्या भाजपा के मिशन रिपीट में 'वोट फॉर ओपीएस' अभियान खलनायक की भूमिका निभा सकता है, या इस अभियान से व्यापक तौर पर प्रदेश का आम कर्मचारी दूर रहता है, इस पर निगाहें जरूर रहने वाली है। हर मंच से वचन दे रही कांग्रेस कांग्रेस के तमाम बड़े नेता बार -बार दोहरा रहे है कि सरकार बनने पर पहली कैबिनेट में ओपीएस बहाल होगी। हर मंच से इस बात को दोहराया जा रहा है। प्रियंका गाँधी की परिवर्तन प्रतिज्ञा रैली में उन्होंने भी पहली कैबिनेट में पुरानी पेंशन बहाली का वचन दिया। प्रियंका खुद क्रमिक अनशन पर बैठे कर्मचारियों से मिलने पहुंची और उन्हें आश्वस्त किया। ऐसे में क्या एनपीएस कर्मचारी महासंघ खुलकर कांग्रेस के लिए काम करेगा, ये देखना रोचक होगा। वैसे इसमें कोई संशय नहीं है कि यदि इनका 'वोट फॉर ओपीएस' अभियान कामयाब रहा तो इसका स्वाभाविक लाभ कांग्रेस को हो सकता है। पर मूल सवाल ये ही है कि क्या 'वोट फॉर ओपीएस' मुहीम का बड़ा असर दिखेगा या प्रदेश का आम कर्मचारी अन्य मुद्दों को वोट का मुख्य आधार बनाएगा। कांग्रेस दे रही राजस्थान-छत्तीसगढ़ का उदाहरण देश के दो राज्यों में कांग्रेस शासित सरकार है, राजस्थान और छत्तीसगढ़। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस पुरानी पेंशन बहाल कर चुकी है। झारखंड में कांग्रेस गठबंधन की सरकार है और वहाँ भी पुरानी पेंशन बहाल हो चुकी है। हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस इन तीन राज्यों का हवाला देते हुए पुरानी पेंशन बहाल करने का वादा कर रही है। पार्टी का कहना है कि यदि वो सत्ता में लौटी तो पहली कैबिनेट में पुरानी पेंशन बहाल होगी। प्रियंका गाँधी ने भी अपनी परिवर्तन प्रतिज्ञा रैली में इसका जिक्र किया। जयराम देते रहे है आर्थिक हालात का हवाला वैसे आपको याद दिला दें की भाजपा के 2017 विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भी ये कहा गया था कि सरकारी विभागों में कर्मचारियों की पेंशन हेतु केंद्र सरकार से परामर्श के लिए सीएम की अगुवाई में पेंशन योजना समिति का गठन किया जाएगा। समिति तो बनी मगर कर्मचारियों को पुरानी पेंशन नहीं मिल पाई। दरअसल इस योजना को लागू करने के लिए एकमुश्त दो हजार करोड़ रुपये चाहिए और हर माह 500 करोड़ की जरूरत होगी। जयराम सरकार ने कई बार ये स्पष्ट किया कि फिलवक्त प्रदेश के आर्थिक हालात ऐसे नहीं है कि पुरानी पेंशन लागू की जा सके। हिमाचल सरकार अपने बलबूते ओल्ड पेंशन का भुगतान नहीं कर पाएगी, क्योंकि राज्य का राजकोष केंद्र सरकार से मिलने वाले रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट पर चलता है। 'आप' ने भी किया वादा आम आदमी पार्टी ने भी प्रदेश में ओपीएस बहाल करने का वादा किया है। बीते दिनों पार्टी में घर वापसी करने वाले वरिष्ठ नेता डॉ राजन सुशांत तो इस मुद्दे पर लम्बे समय से खुलकर बोलते रहे है। ऐसे में यदि कर्मचारी ओपीएस के नाम पर वोट करता है तो उसके पास आम आदमी पार्टी भी एक विकल्प होगा। जाने आखिर NPS का विरोध क्यों करते है कर्मचारी साल 2004 में केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों की पेंशन योजना में एक बड़ा बदलाव किया था। इस बदलाव के तहत नए केंद्रीय कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना के दायरे से बाहर हो गए। ऐसे कर्मचारियों के लिए सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को लॉन्च किया। यह 1972 के केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम के स्थान पर लागू की गई और उन सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए इस स्कीम को अनिवार्य कर दिया गया जिनकी नियुक्ति 1 जनवरी 2004 के बाद हुई थी। कुछ ही समय बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी सरकारी क्षेत्र में नियुक्त होने वाले कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम बंद कर नई पेंशन स्कीम लागू कर दी गई। शुरूआती दौर में कर्मचारियों ने इस स्कीम का स्वागत किया, लेकिन जब NPS का असल मतलब समझ आने लगा तो विरोध शुरू हो गया। दरअसल एनपीएस कर्मचारी के अंतिम मूल वेतन के मुताबिक न्यूनतम पेंशन की गारंटी नहीं देती। नई पेंशन स्कीम के अंतर्गत हर सरकारी कर्मचारी की सैलरी से अंशदान और DA जमा कर लिया जाता है। ये पैसा सरकार उसके एनपीएस अकाउंट में जमा कर देती है। रिटायरमेंट के बाद एनपीएस अकाउंट में जितनी भी रकम इक्कठा होगी उसमें से अधिकतम 60 फीसदी ही निकाला जा सकता है। शेष 40 फीसदी राशि को सरकार बाजार में इन्वेस्ट करती है और उस पर मिलने वाले सालाना ब्याज को 12 हिस्सों में बांट कर हर महीने पेंशन दी जाती है। यानि पेंशन का कोई तय राशि नहीं होती। पैसा कहां इन्वेस्ट करना है, ये फैसला भी सरकार का ही होगा। इसके लिए सरकार ने PFRDA नाम की एक संस्था का गठन किया है। कर्मचारियों का कहना है की उनका पैसा बाजार जोखिम के अधीन है और बाजार में होने वाले उलटफेर के चलते उनकी जमा पूंजी सुरक्षित नहीं है। पुरानी पेंशन स्कीम इससे कई ज़्यादा बेहतर मानी जाती है। उसमें सरकारी नौकरी के सभी लाभ मिला करते थे। पहले रिटायरमेंट पर प्रोविडेंट फण्ड के नाम पर एक भारी रकम और इसके साथ ताउम्र तय पेंशन जोकि मृत्यु के बाद कर्मचारी की पत्नी को भी मिला करती थी। NPS अच्छी है तो माननीयों के लिए क्यों नहीं ! मई 2003 के बाद से माननीय (सांसद व विधायकों ) को तो पेंशन का लाभ मिल रहा है, जबकि सरकारी कर्मचारी को एनपीएस का झुनझुना थमा दिया गया है। यदि यह योजना इतनी बढ़िया है तो सांसद व विधायकों को भी पेंशन के स्थान पर एनपीएस का ही लाभ देना चाहिए। यदि एक नेता पहले विधायक हो और फिर लोकसभा का चुनाव लड़े और सांसद बन जाए तो उसे दोनों तरफ से पेंशन मिलती है। इस देश में ये सुविधा सिर्फ और सिर्फ नेताओं को ही उपलब्ध है। क्या एनपीएस कर्मचारी महासंघ को हल्के में लेने की भूल कर बैठी भाजपा ? जयराम सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों की कई मांगे पूरी की। पर पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा हमेशा भाजपा के गले की फांस बना रहा। एनपीएस कर्मचारी महासंघ के बैनर तले ये मांग आहिस्ता-आहिस्ता आंदोलन का रूप लेती गई। विशेषकर पिछले दो साल में एनपीएस कर्मचारी महासंघ से काफी कर्मचारी जुड़ते गए। दूसरी ओर प्रदेश कर्मचारी महासंघ अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर की अगुवाई में सरकार के साथ कदमताल करता चला। क्या भाजपा के रणनीतिकारों ओर निष्ठावानों ने एनपीएस कर्मचारी महासंघ को हल्के में लेने की भूल की, ये सवाल माहिरों के जहाँ में जरूर है। हालांकि इसका फैसला को चुनाव के नतीजे ही करेंगे। एनपीएस कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर इस वक्त प्रदेश के प्रभवशाली कर्मचारी नेताओं में शुमार है। यदि इनका 'वोट फॉर ओपीएस' अभियान सफल रहा तो निसंदेह बतौर कर्मचारी नेता प्रदीप ठाकुर का रुतबा भी बढ़ेगा। एनपीएस के क्रमिक अनशन में शामिल हुईं प्रियंका गांधी परिवर्तन प्रतिज्ञा महारैली से पहले प्रियंका गांधी 14 दिन से पुरानी पेंशन बहाली को लेकर क्रमिक अनशन पर बैठे कर्मचारियों से मिली। वह कर्मचारियों के अनशन में शामिल हुई और न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी एसोसिएशन के 'वोट फॉर ओपीएस का समर्थन' किया। उन्होंने कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि कांग्रेस सरकार बनते ही पुरानी पेंशन योजना लागू की जाएगी। न्यू पेंशन स्कीम के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर भी मौजूद रहे। न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी एसोसिएशन के पदाधिकारी ओल्ड डीसी कार्यालय के बाहर पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली को लेकर क्रमिक अनशन पर बैठे हैं। एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष अशोक ठाकुर ने कहा कि बार-बार पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर पत्र लिखे जा रहे हैं, लेकिन कोई निर्णय नहीं ले रही। छत्तीसगढ़, राजस्थान और झारखंड में सरकार ने कर्मचारियों की मांग को मान लिया है। 1,35,000 कर्मचारी प्रदेश भर में हैं। करीब 10,000 कर्मचारी उसमें सोलन जिले के हैं। अब एसोसिएशन ने निर्णय लिया है कि उसी पार्टी को वोट दिया जाएगा, जो ओल्ड पेंशन की बहाली करेगी।
हाटीयों की बरसों की मांग को भाजपा ने पूरा किया है। बीते दिनों केंद्रीय कैबिनेट ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए गिरिपार के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने का ऐलान किया था। चुनाव से पहले लिए गए इस फैसले को भाजपा का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। इस निर्णय से सिरमौर जिले की करीब डेढ़ लाख से अधिक की आबादी लाभान्वित होगी और इसका पूरा लाभ लेने के लिए भाजपा हर संभव प्रयास कर रही है। इसी उदेश्य से भाजपा द्वारा सिरमौर में हाटी आभार रैली करवाई गई जिसमें खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शिरकत की। अमित शाह गिरिपार के हाटी समुदाय के बीच पहुंचे और चुनावी उद्घोष किया। शाह ने गिरिपार की जनता को भाजपा की उपलब्धियां भी गिनवाई और कांग्रेस की नाकामियां भी। इस रैली में शाह ये तक कह गए की कांग्रेस ने हाटी समुदाय के साथ 55 साल अन्याय किया है। उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा है। चुनाव से पहले इस उपलब्धि को खूब भुनाया जा रहा है और रैली में भी भाजपा के आभार के लिए भारी संख्या में हाटी वहां पहुंचे थे। अब ये भीड़ वोटों में तब्दील होती है या नहीं ये देखना रोचक होगा। बता दें कि सिरमौर जिले के गिरिपार क्षेत्र में रहने वाले हाटी समुदाय के लोग बीते पांच दशक से एसटी का दर्जा मांग रहे थे। दरअसल गिरिपार क्षेत्र के लोगों जैसी संस्कृति, परंपराओं और परस्पर संबंधों वाले उत्तराखंड के जौनसार बावर क्षेत्र के लोगों को 1967 में ही यह दर्जा दे दिया गया था, पर हिमाचल में ऐसा नहीं हुआ था। अब आखिरकार इन लोगों का दशकों का संघर्ष रंग लाया और उन्हें जनजातीय दर्जा मिलने जा रहा है। गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने का मसला सीधे 154 पंचायतों से जुड़ा है और इसके दायरे में चार विधानसभा क्षेत्र आते है। आगामी विधानसभा चुनाव में शिलाई और श्रीरेणुकाजी के अतिरिक्त पच्छाद व पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्रों में भी ये मुद्दा निर्णायक भूमिका निभा सकता है। अब तक कई सरकारें आई और गई, लेकिन हाटी समुदाय को कोई भी सरकार जनजातीय दर्जा नहीं दिला पाई। जाहिर है ऐसे में भाजपा इस निर्णय का लाभ उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली। वहीं अनुसूचित जाति (एससी) के लोगों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा नहीं दिया जा रहा है। दरअसल इस वर्ग के लोग इसके पक्ष में नहीं थे। एसटी में हाटी समुदाय के अन्य सभी लोग शामिल होंगे। एसटी दर्जे से सिरमौर जिले की 154 पंचायतें और 389 गांव कवर होंगे। इससे 1,59,716 लोग लाभान्वित होंगे, जबकि जिले के एससी के 90,446 लोग एसटी के दायरे में नहीं आएंगे। ऐसा कर भाजपा ने एससी समुदाय के संभावित रोष को भी साधने का प्रयास किया है। जौनसार बाबर को 1967 में मिला था दर्जा इसे विडंबना ही कहेंगे कि दूरदराज क्षेत्र से होने के बावजूद भी गिरिपार के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के दर्जे के साथ आने वाली प्रतिष्ठित सरकारी परिलब्धियां नहीं मिल पाई थी। इस समुदाय के प्रतिनिधि कई वर्षों से अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत थे। मगर हुक्मरानों को हाटी समुदाय का मुद्दा सुलझाते इतना वक्त लग गया। गिरिपार का हाटी समुदाय उत्तराखंड के जौनसार बाबर क्षेत्र के जौनसारी समुदाय की तर्ज पर जनजातीय दर्जे की मांग कर रहा था। बता दें कि पूर्व में उत्तराखंड का जौनसार बाबर क्षेत्र सिरमौर रियासत का ही एक भाग था। जौनसार बाबर को 1967 में केंद्र सरकार ने जनजाति का दर्जा दिया था। जौनसार बाबर और सिरमौर के गिरिपार की लोक संस्कृति, लोक परंपरा, रहन-सहन एक समान है। इनके गांवों के नामों और भाषा में भी समानता है। बावजूद इसके जिला सिरमौर की 144 पंचायतों को ये दर्जा नहीं मिल पाया था। अब तक लंबित क्यों था मामला 1978 में पहली बार गिरीपार क्षेत्र के लिए जनजातीय दर्जे की मांग हेतु राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को पत्र भेजा गया था । 1979 में जब पहली रिपोर्ट आई तो राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग जनजाति के लिए सिफारिश की गयी लेकिन उसके बाद भी मामला लंबित पड़ा रहा। इसके बाद विधानसभा में इसके तहत एक कमेटी गठित की गई जिसका नाम कन्हैया लाल कमेटी रखा गया। ट्राइबल कमीशन के सदस्य टीएस नेगी की कमेटी ने इलाके का दौरा किया और रिपोर्ट भी सौंपी। 1983 में केंद्रीय हाटी समिति बनाई गयी। वर्ष 2011 में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी। राज्य सरकार ने प्रदेश विश्वविद्यालय के जनजातीय शोध एवं अध्ययन संस्थान को यह जिम्मा सौंपा। वर्ष 2011 में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी। राज्य सरकार ने प्रदेश विश्वविद्यालय के जनजातीय शोध एवं अध्ययन संस्थान को यह जिम्मा सौंपा। वर्ष 2016 में इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी गई, जिसके बाद मामले की फाइल रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के पास लंबित थी। सितंबर 2018 में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्वयं हाटी मुद्दे को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह से चर्चा की। छह दिसंबर 2018 को तत्कालीन सांसद वीरेंद्र कश्यप के नेतृत्व में केंद्रीय हाटी समिति का एक प्रतिनिधिमंडल गृह मंत्री से मिला। आरजीआई को गृह मंत्री ने जल्द कार्यवाही के निर्देश दिए गए पर हुआ कुछ नहीं। अब भाजपा की डबल इंजन की सरकार में ये मांग पूरी हुई। चार विधानसभा क्षेत्रों में सीधा असर इस फैसले से पच्छाद की 33 पंचायतों और एक नगर पंचायत के 141 गांवों के कुल 27,261 लोगों को लाभ होगा। यहां एससी के 21,594 लोग एसटी में नहीं होंगे। रेणुका जी में 44 पंचायतों के 122 गांवों के 40,317 संबंधित लोगों को लाभ होगा। यहां एससी के 29,990 लोग बाहर होंगे। शिलाई विधानसभा क्षेत्र में 58 पंचायतों के 95 गांवों के 66,775 लोग इसमें शामिल होंगे। 30,450 एससी के लोग इससे बाहर रहेेंगे। शिलाई में 58 पंचायतों के 95 गांवों के 66,775 लोगों को यह लाभ मिलेगा। एससी के 30,450 लोग यहां एसटी में नहीं होंगे। पांवटा में 18 पंचायतों के 31 गांवों के 25,323 लोग शामिल होंगे। यहां एससी के 9,406 लोग एसटी के दायरे से बाहर रहेंगे। विरोधियों के नारे को जयराम ने बनाया हथियार 'सिरमौर वालो, मामा ने अपना फर्ज पूरा कर दिया है। अब भांजों की बारी है।' सतौन, हाटी धन्यवाद रैली में प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ये शब्द कहे। दरअसल, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) के लिए संघर्ष कर रहे कर्मचारियों ने धरना दिया था। उस दौरान मामा संबोधन के साथ एक नारा भी दिया था। विपक्ष ने भी इसे सरकार के खिलाफ हथियार बनाया और अब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसी नारे को सकारात्मक रूप से लेते हुए सिरमौर के लोगों को भांजा कहकर संबोधित किया है। मुख्यमंत्री के अनुसार हाटी आंदोलन के बाद से सिरमौर से उनका रिश्ता मामा भांजे का बन चूका है। रैली में जयराम ने ये भी कहा की यह रिश्ता सच में उनके लिए भावनात्मक है और हर स्तर पर वे हाटी समुदाय के अधिकार पूर्ण करने की लड़ाई लड़ते रहेंगे। जनजातीय घोषित होने पर मिलेगा ये फायदा - गिरिपार के युवाओं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलेगा और रोजगार के नए द्वार खुलेंगे। - केंद्र सरकार से विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त मदद मिलेगी। - लुप्त होती जा रही हाटी लोक संस्कृति को नई पहचान मिलेगी। - क्षेत्र के विद्यार्थियों को शिक्षण संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आर्थिक मदद मिलेगी। कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा सिरमौर की पांच सीटों में से तीन पर 2017 में भाजपा को जीत मिली थी। इनमें नाहन, पांवटा साहिब और पच्छाद सीटें शामिल थी। जबकि शिलाई और रेणुकाजी सीटें कांग्रेस के खाते में गई। इस बार भी यहाँ कड़ा मुकाबला तय है। आम आदमी पार्टी के आने से भी यहाँ रोचक मुकाबला होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि जो पार्टी न्यूनतम अंतर्कलह और भीतरघात सुनिश्चित करेगी, वो ही सिरमौर में बेहतर करेगी।
कहते है ना, मन के लड्डू छोटे क्यों, छोटे हैं तो फीके क्यों ... स्व वीरभद्र सिंह के बाद होलीलोज समर्थक और निष्ठावान इसी प्रयास में है कि कांग्रेस सरकार में आएं और प्रतिभा सिंह मुख्यमंत्री हो। समर्थक प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर उनके नाम को हवा देने में लगे है। बीते दिनों कुछ ऐसे ही अरमान रामपुर विधायक नंदलाल ने भरे मंच जाहिर किये। नंदलाल के अलावा और भी छोटे बड़े कई नेता है जो प्रतिभा सिंह के नाम को चर्चा में बनाये हुए है। यानी अगर कांग्रेस सत्ता में आई, तो कई और नंदलाल अपने अरमान बुलंद आवाज में जाहिर कर सकते है। बहरहाल, ये दूसरा सवाल है कि क्या प्रतिभा सिंह के रुप में प्रदेश को पहली महिला मुख्यमंत्री मिलेगी या नहीं। दरअसल, पहला सवाल ये है कि क्या कांग्रेस सत्ता में वापस आ पायेगी ? कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी को सत्ता में लाने के लिए तीन लोगों को अहम दायित्व दिए है, प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू और नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री। पार्टी सत्ता में आई तो जीत का सेहरा इन्ही के सर बंधेगा और न आ पाई तो हार का ठीकरा भी इन्ही के सर फूटेगा। प्रतिभा सिंह प्रदेश अध्यक्ष है तो जाहिर है प्राथमिक जिम्मेदारी उन्हीं की होगी, चाहे अच्छा हो या बुरा। पर पिछले कुछ वक्त में जिस तरह से एक के बाद एक दिग्गज नेता कोंग्रस छोड़कर गए है, वो पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है। चार में से दो कार्यकारी अध्यक्ष पार्टी छोड़कर जा चुके है और बाकी दो के नाम चर्चा में रहे है। हालांकि दोनों ने इसका खंडन किया है। अब तक भाजपा के इस दांव के जवाब में कांग्रेस कोई दमदार पलटवार नहीं कर पाई है। वहीं होलिलॉज के हनुमान कहे जाने वाले हर्ष महाजन के जाने से सीधे प्रतिभा सिंह की प्रबंधन क्षमता पर सवाल उठे है। इसके अलावा पार्टी के पास न भाजपा जैसा मजबूत संगठन दिखता है और न साधन-संसाधन। हाँ, प्रदेश में ओपीएस सहित कुछ ऐसे मुद्दे जरूर है जो कांग्रेस के लिए मददगार हो सकते है। पर इसके लिए भी पार्टी को दमदार और आक्रामक शैली में जनता के बीच जाने की जरुरत दिखती है। यहाँ ये भी जहन में रखना होगा कि अगर आम आदमी पार्टी सत्ता विरोधी वोट बांटती है, तो सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा। इस सबके बावजूद अगर कांग्रेस 35 का जादुई आंकड़ा छू पाई तो ही दूसरा सवाल आएगा, कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा ? प्रतिभा सिंह की बतौर प्रदेश अध्यक्ष ताजपोशी के बाद अन्य नेताओं ने ये स्पष्ट किया था कि जो भी प्रदेश अध्यक्ष बनेगा वो चुनाव नहीं लड़ेगा। पर चुनाव तो मुख्यमंत्री बनने के बाद भी लड़ा जा सकता है। ऐसे में जानकार इस तथाकथित संधी के बावजूद प्रतिभा सिंह का दावा खारिज नहीं कर रहे। ऐसा इसलिए क्यूंकि अगर विधानसभा में होलीलॉज समर्थक विधायक ज्यादा संख्या में चुनकर पहुंचे तो सम्भवतः आलाकमान के लिए भी उनकी दावेदारी नकारना आसान नहीं होगा। इस पर महिला होने का लाभ भी उन्हें मिल सकता है। हालांकि क्या अब भी होलीलॉज स्व वीरभद्र सिंह की तरह विधायकों की परेड करवाने का दमखम रखता है, इसे लेकर कुछ संशय जरूर है। दरअसल 'रानी' ने अब तक तेवर के वैसे 'जेवर' नहीं पहने है जो वीरभद्र सिंह की पहचान हुआ करते थे, लेकिन अभी भी किसी निष्कर्ष पर निकलना जल्दबजी होगा। कहते है न, 'तेल देख, तेल की धार देख'। अलबत्ता उनकी जमीनी पकड़ वीरभद्र सिंह के मुकाबले नहीं है पर कांग्रेस की सियासत का केंद्र अब भी होलीलॉज ही बना हुआ है।
विधानसभा चुनाव के रण में भारतीय जनता पार्टी वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को फेस बना कर आगे बढ़ रही है। यूँ तो भाजपा में और भी कई कद्दावर नेता है मगर जयराम के आगे किसी अन्य को अब तक तवज्जो नहीं दी गई। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की तैयारी में है। कलह को साधने के लिए ये कांग्रेस का रामबाण जरूर हो सकता है, मगर ये भी सत्य है की बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के सरकार चुनना जनता के लिए आसान नहीं होता। जनता को ये मालूम नहीं कि अगर वो कांग्रेस को सत्ता में लाती है तो सरकार की चाबी किस नेता के हाथ में होगी। हिमाचल के सियासी इतिहास पर भी नज़र डाले तो अधिकांश मौकों पर राजनैतिक दलों ने चेहरे सामने रखकर चुनाव जीते है। पर कांग्रेस फिलहाल ऐसी स्थिति में नहीं दिखती। यदि पार्टी कोई एक चेहरा आगे लाती है तो भीतरघात और अंतर्कलह का खतरा बढ़ा जायेगा, और नहीं लाती है तो भी पार्टी को सत्ता में लाना आसान नहीं होगा। यानी आगे कुआँ और पीछे खाई। कांग्रेस करीब चार दशक बाद बिना वीरभद्र सिंह के चुनावी मैदान में उतर रही है। उनके रहते हुए कोंग्रस आलाकमान ने भले ही उन्हें चेहरा घोषित किया हो या नहीं, लेकिन जनता के बेसह उन्हें लेकर हमेशा स्पष्ट स्तिथि रही। 1985 से लेकर 2017 तक हुए आठ विधानसभा चुनावों में से पांच में वीरभद्र सिंह सीटिंग सीएम थे और कांग्रेस के रिवाज के मुताबिक उन्हीं के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया। 1993 में अपने सियासी तिलिस्म से वीरभद्र सिंह ने पंडित सुखराम को मात दे सीएम की कुर्सी कब्जाई, तो 2003 में विधायकों की परेड करवा विद्या स्टोक्स के अरमानो पर पानी फेर दिया। हालांकि तब भी आम जनता के बेसह वे ही कांग्रेस का मुख्य चेहरा थे। जबकि 2012 में तो वीरभद्र सिंह ने ऐसे तेवर दिखाए कि पार्टी को उन्हीं के नाम पर चुनाव लड़ने को विवश होना पड़ा। अब 37 साल बाद बिना वीरभद्र सिंह के चुनाव में उतर रही कांग्रेस का अलसी इम्तिहान है।
हिमाचल प्रदेश में भाजपा के मिशन रिपीट की कमान खुद पीएम मोदी ने संभाल ली है। यूँ तो भाजपा हर चुनाव को गंभीरता से लेती है, लेकिन तीन सप्ताह में पीएम के तीन दौरे इस बात की तस्दीक करते है कि भाजपा हिमाचल प्रदेश में सियासी रिवाज बदलकर इतिहास रचना चाहती है। पहले मंडी में प्रधानमंत्री का कार्यक्रम रखा गया, फिर बिलासपुर /कुल्लू और अब प्रधानमंत्री चम्बा आ रहे है। ज़ाहिर है भाजपा की रणनीति मोदी मैजिक के सहारे चुनाव जीतने की है। पर असल सवाल ये है कि क्या मोदी मैजिक के आगे प्रदेश के अन्य मुद्दे गौण हो जायेंगे। बहरहाल ये तो वक्त ही बताएगा, पर फिलवक्त भाजपा प्रदेश में माहौल बनाने में जरूर कामयाब हुई है और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ना तय है। ग्राउंड रियलिटी की बात करें तो चुनावी वर्ष में बेरोजगारी, महंगाई, ओपीएस जैसे मामलों पर दिख रही जनता की नाराज़गी ने प्रदेश में भाजपा की चिंता जरूर बढ़ाई है। विपक्ष इन्हें भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन का सियासी रिवाज़ बदलने की भाजपा की कोशिश तो पूरी है ,मगर सरकार को लेकर जनता के बीच संभावित एंटी इंकम्बेंसी को खत्म कर पाने का तोड़ अब तक भाजपा के पास नहीं दिख रहा। इस पर प्रदेश भाजपा की गुटबाजी और उपचुनाव का कड़वा अनुभव भी भाजपा को सोचने पर मजबूर जरूर कर रहा है। जाहिर है ऐसे में हिमाचल में पार्टी की सबसे बड़ी उम्मीद खुद पीएम मोदी है। इसीलिए मिशन रिपीट के लिए भाजपा 'मोदी नाम' को ही सबसे बड़ा हथियार बना रही है। पीएम मोदी के प्रभाव की बात करें तो हिमाचल प्रदेश में हुए बीते दो लोकसभा चुनाव में मोदी फैक्टर जमकर चला है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया। इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रदेश की जनता ने लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार से अधिक तवज्जो पीएम फेस मोदी को दी। केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद हुए 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा 44 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाने में कामयाब रही। हालांकि तब फतेहपुर और पालमपुर सहित चंद निर्वाचन क्षेत्र ऐसे भी थे जहाँ पीएम मोदी की रैली के बावजूद भाजपा हारी। ऐसे में क्या इस विधानसभा चुनाव में भी मोदी फैक्टर अचूक साबित होगा, इसको लेकर सबकी अपनी-अपनी राय है। बहरहाल भाजपा पीएम मोदी के फेस के सहारे रिवाज बदलने की कोशिश में है। तो कांग्रेस को मुश्किल होगी ! एक के बाद एक कई कांग्रेसी दिग्ग्गज अब भाजपाई हो चुके है और जानकारों की माने तो ये सिलिसला अभी थमता नहीं दिख रहा। यदि कांग्रेस इस पर विराम नहीं लगा पाई तो उसकी सत्ता वापसी मुश्किल होगी।
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पहली बार हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सँभालने वाली है। इसकी शुरुआत 14 अक्टूबर को सोलन में रैली से की जाएगी। एक तरफ जहां भाजपा के दिग्गज लगातार प्रदेश में बने हुए है, वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व की मौजूदगी में ये पहली विशाल रैली होने वाली है। अब प्रियंका के प्रचार से प्रदेश में कांग्रेस की परिस्थिति कैसे बदलेगी, ये देखना रोचक होगा। फिलवक्त प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि गांधी परिवार का हिमाचल से विशेष लगाव है। इस कारण विधानसभा चुनाव को लेकर हाईकमान इस बार सख्त भी है। दूसरा कारण यह भी बताया जा रहा है कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त हैं। उनका हिमाचल में प्रचार करने का अभी कोई कार्यक्रम तय नहीं है। वहीं सोनिया गांधी स्वास्थ्य कारणों से प्रचार व रैलियों में भाग नहीं ले रही हैं। यही कारण है कि प्रियंका को प्रचार का जिम्मा सौंपा गया है। बीते पांच राज्यों के चुनाव में प्रियंका गाँधी ने उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार का ज़िम्मा संभाला था। तब केंद्र की राजनीति में दूसरी बड़ी पार्टी की भूमिका निभाने वाली कांग्रेस राज्य में दो सीटों पर सिमट गई थी। पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने इस चुनाव के दौरान राज्य में पार्टी के पंजे को मज़बूती से संभाला और रोड शो और रैलियों के ज़रिए भीड़ भी बहुत जुटाई, लेकिन वो इसे वोटों में तब्दील करने में नाकामयाब रहीं थी। प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश चुनाव में 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' का नारा दिया था और 'महिला घोषणापत्र' या 'वीमेन्स मेनिफ़ेस्टो' जारी कर बताया था कि उनकी पार्टी की प्राथमिकता महिलाएं होंगी। साथ ही उन्होंने महिला सशक्तीकरण के लिए कई वायदे किए जिसमें प्रमुख था 40 फ़ीसद सीटों पर महिलाओं की उम्मीदवारी। अब हिमाचल में क्या कोई नया प्रचार का तरीका प्रियंका लेकर आती है या नहीं, इस पर भी सबकी निगाहें टिकी हुई है।
बड़े दुखी होकर आश्रय आखिरकार कांग्रेस से निकले, जाते हुए बहुत निकले दिल के मलाल लेकिन फिर भी कम निकले....आखिरकार आश्रय शर्मा ने कांग्रेस को अलविदा कह ही दिया। वैसे जिस दिन अनिल शर्मा ने भाजपा के साथ रहने का ऐलान कर दिया था, उसी दिन ये तय हो गया था कि आश्रय भी जल्द कांग्रेस को अलविदा कह देंगे और हुआ भी ऐसा ही। जाते-जाते आश्रय अपनी दिल की भड़ास भी निकाल कर गए। उनके चुनाव लड़ने से लेकर अब तक कांग्रेस में उनपर क्या बीती,आश्रय ने प्रेस कांफ्रेंस में तमाम सितम बयां किये। इस 'दर्द-ए-आश्रय' के एपिसोड में वीरभद्र सिंह, कौल सिंह ठाकुर और कांग्रेस के तमाम वो नेता जो आश्रय के अनुसार उनके साथ नहीं खड़े थे, उन सभी का ज़िक्र हुआ। विशेषकर आश्रय ने वीरभद्र सिंह परिवार और कौल सिंह को लेकर भड़ास निकाली। अपने विदाई भाषण में आश्रय ने कहा कि पंडित सुखराम की आखिरी इच्छा थी कि उनकी अंतिम सांस उस पार्टी में निकले जहाँ उन्होंने ताउम्र काम किया है, इसलिए 2019 में वे कांग्रेस में वापस आएं। आशर्य ने ये भी कहा कि जब कांग्रेस के तमाम दिग्गज लोकसभा चुनाव लड़ने को तैयार नहीं थे तो राहुल गाँधी ने पंडित सुखराम से उन्हें चुनाव लड़ाने का आग्रह किया। फिर आश्रय ने वीरभद्र सिंह और ठाकुर कौल सिंह पर उनके विरोध में चुनाव में काम करने का आरोप भी जड़ा। साथ ही एक ऑडियो टेप का हवाला देकर वीरभद्र सिंह परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगा दिए। बहरहाल आश्रय का कांग्रेस में 'आश्रय' ठीक उसी तरह समाप्त हुआ, जैसा अपेक्षित था। पुराना है आने -जाने का ये सिलसिला एक दल से दूसरे में आने जाने का सुखराम परिवार का सिलसिला पुराना है। पहले पंडित सुखराम ने कांग्रेस छोड़कर हिमाचल विकास कांग्रेस बनाई थी जिसके चलते 1998 में कांगेस की सत्ता वापसी नहीं हो सकी थी। पांच साल भाजपा के साथ गठबंधन सरकार में रहने के बाद सुखराम परिवार कांग्रेस में लौट आया और 2017 तक कांग्रेस में रहा। पर विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 2017 में पंडित सुखराम का परिवारकांग्रेस पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हुआ था। अनिल शर्मा ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत के बाद उन्हें प्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री का पद मिला था। पर 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पंडित सुखराम और आश्रय शर्मा ने कांग्रेस में वापसी कर ली थी, जबकि अनिल शर्मा भाजपा में रह गए थे। इसके बाद आश्रय ने कांग्रेस टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा। इसके चलते अनिल शर्मा को मंत्रीपद से हाथ धोना पड़ा था और अनिल शर्मा भाजपा में होकर भी एक किस्म से भाजपा में नहीं थे। इस बीच बीती 24 तारीख को अनिल शर्मा ने भाजपा के साथ आगे बढ़ने का फैसला लिया था और उनके बेटे आश्रय ने भी कांग्रेस को अलविदा कह दिया।
हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों में से रामपुर वो सीट है जहाँ कभी भाजपा को जीत नसीब नहीं हुई। यहां के राज परिवार यानी वीरभद्र सिंह के परिवार का असर इस सीट पर इस कदर है कि प्रत्याशी कोई भी हो, कांग्रेस को वोट राजपरिवार के नाम पर पड़ते है। मौजूदा विधायक नंदलाल भी राजपरिवार के करीबी है और तीन बार से विधायक है, किन्तु वीरभद्र परिवार के अभेद किले रामपुर में अब विधायक नंदलाल के खिलाफ मुखालफत के स्वर तेज होते दिख रहे है। कांग्रेस के ही एक गुट विशेष ने नदलाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और टिकट बदले जाने को आवाज बुलंद कर दी है। रामपुर की राजमाता प्रतिभा सिंह खुद प्रदेश कांग्रेस की प्रमुख है और उनकी ही क्षेत्र में कांग्रेसियों के ये तल्ख तेवर जाहिर है कई सवाल खड़े कर रहे है। उधर विधायक नन्दलाल राजपरिवार के आशीर्वाद के बुते एक बार फिर टिकट की दौड़ में आगे है। इसके साथ ही नंदलाल ने प्रतिभा सिंह को अगला मुख्यमंत्री भी घोषित करके अपनी निष्ठा का प्रमाण देने का प्रयास किया है। नंदलाल ने कहा कि अगली सरकार कांग्रेस की बनेगी और प्रतिभा सिंह मुख्यमंत्री बनेगी।
कसुम्पटी निर्वाचन हलके में पिछले चार चुनाव लगातार हार चुकी भाजपा की राह इस बार भी मुश्किल दिख रही है। दरअसल रूप दास कश्यप के बाद इस सीट पर भाजपा को कोई ऐसा नेता नहीं मिला जो विजय दिलवा सके। एक दमदार नेता की भाजपा की खोज कहाँ जाकर खत्म होती है, ये देखना रोचक होगा। रूप दास कश्यप के बाद भाजपा ने इस सीट पर तरसेम भारती, प्रेम ठाकुर और विजय ज्योति सेन को आजमाया, लेकिन ये सभी नेता विफल रहे। अब एक बार फिर विधानसभा चुनाव दस्तक दे चुके है और भाजपा प्रत्यशी कौन होगा, इसे लेकर अटकलें जारी है। जानकारों की माने तो इस सीट पर पार्टी किसी नए चेहरे को उतारने की तैयारी में है। अतीत पर निगाह डाले तो 2017 में भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ने वाली विजय ज्योति सेन करीब साढ़े नौ हज़ार वोट से चुनाव हारी थी। गौर करने वाली बात ये है की उस चुनाव में सीपीआईएम प्रत्याशी ने साढ़े चार हज़ार से ज्यादा वोट लिए थे, फिर भी विजय ज्योति को कांग्रेस प्रत्याशी अनिरुद्ध सिंह से करारी शिकस्त मिली। 2012 में भाजपा ने प्रेम सिंह को टिकट दिया था लेकिन वे भी करीब दस हज़ार वोट से हारे। तब विजय ज्योति निर्दलीय चुनाव लड़ी थी और करीब साढ़े छ हज़ार वोट लेने में कामयाब हुई थी। 2007 में भाजपा ने तरसेम भारती को टिकट दिया था जो करीब सात हज़ार वोट से हारे थे। तब पार्टी के बागी रूपदास कश्यप दस हज़ार वोट ले गए थे, जो भाजपा की हार का मुख्य कारण बना। वहीं 2003 में रूपदास कश्यप करीब साढ़े तीन हज़ार वोट से हारे थे। अब चुनाव दस्तक दे चुके है और भाजपा का प्रत्याशी कौन होगा इसके लेकर अटकलों का बाज़ार गर्म है। पिछले चुनाव में पार्टी प्रत्याशी रही विजय ज्योति सेन मैदान में डटी है। उनके अतिरिक्त पृथ्वी विक्रम सेन, प्रेम ठाकुर, नरेश चौहान, राकेश शर्मा सहित कई दावेदार तो चर्चा में है ही, एक नाम और है जो भाजपा टिकट की दौड़ में शामिल है। ये दावेदार है भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य केशव चौहान। राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के इलेक्टेड डायरेक्टर केशव चौहान को सीएम जयराम ठाकुर की गुडबुक्स में माना जाता है। माहिर मानते है कि चौहान की जमीनी पकड़ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और वे भी भाजपा टिकट के प्रमुख दावेदार है। बतौर समाजसेवी चौहान लम्बे समय तक क्षेत्र में सक्रिय है और इसका लाभ उन्हें मिल सकता है। बहरहाल इन सभी दावेदारों के अलावा भी कई और नाम है और जाहिर है टिकट किसी एक को मिलना है। उधर भाजपा के लिए सबसे जरूरी ये है कि मैदान में कोई बागी उम्मीदवार न हो।
विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है और प्रदेश में कभी भी आचार संहिता लग सकती है। माना जा रहा है कि नवंबर की शुरुआत में प्रदेश में मतदान हो सकता है। तमाम 68 विधानसभा सीटों पर चुनावी समां बंध चूका है और इन्ही में से एक सीट है कसौली, जिसे हॉट सीट माना जा रहा है। दरअसल ये प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सैजल का निर्वाचन क्षेत्र है, वे यहाँ से लगातार तीन बार विधायक बन चुके है और संभवतः चौथी बार चुनाव लड़ने के लिए मैदान में हो। पर इस बार डॉ राजीव सैजल की राह आसान नहीं दिख रही, दरअसल मंत्री बनने के बाद लोगों की उनसे अपेक्षाएं काफी बढ़ गई और इन अपेक्षाओं के बोझ पर वे खरे उतरे या नहीं, ये फैक्टर ही चुनाव के नतीजे तय करेगा। पिछले तीन चुनाव के नतीजों पर नज़र डाले तो 2007 में डॉ राजीव सैजल नए कैंडिडेट थे और उनका मुकाबला वीरभद्र सरकार के मंत्री और कसौली के दिग्गज नेता रघुराज से था। पर एंटी इंकम्बैंसी रघुराज पर भारी पड़ी और सैजल आसानी से चुनाव जीत गए। हालांकि इससे अगले दो चुनाव डॉ सैजल हारते -हारते बचे है और दोनों ही बार उनका मुकाबला था विनोद सुल्तानपुरी से, जो इस बार फिर कांग्रेस के कैंडिडेट हो सकते है। जाहिर है विनोद को लेकर क्षेत्र में कुछ सहानुभूति है और डॉ सैजल के लिए एंटी इंकम्बैंसी, ऐसे में यहाँ सैजल को फूंक फूंक कर कदम रखने होंगे। इस बीच चर्चा भाजपा से किसी नए उम्मीदवार को उतारने की भी है लेकिन ऐसा कोई चेहरा फिलहाल मैदान में नहीं दीखता। सुल्तानपुरी के भाजपा में शामिल होने की अटकलें भी लगती रही है लेकिन फिर खुलकर इसका खंडन कर चुके है। निगाह अगर कांग्रेस की सियासत पर डाले तो कसौली में एक गुट विशेष को विनोद स्वीकार नहीं है और ये ही उनकी पिछली दो हार का कारण माना जाता है। हालहीं में एक राजस्व अधिकारी वीआरएस लेकर कांग्रेस में शामिल हुए है और माना जाता है कि विनोद विरोधी गुट इन्हे उम्मीदवार बनाना चाहता था, पर अब मौजूद स्थिति में विनोद का टिकट लगभग तय माना जा रहा है। कसौली में मौजूदा सियासी स्तिथि की चर्चा हरमेल धीमान के जिक्र के बिना पूरी नहीं हो सकती। कुछ माह पहले ही हरमेल धीमान भाजपा छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए है और इस निर्वाचन क्षेत्र में आम आदमी पार्टी का मुख्य चेहरा बन चुके है। हरमेल धीमान बतौर समाजसेवी वर्षों से सक्रिय है और ये फैक्टर चुनाव में उन्हें निसंदेह लाभ पहुचायेगा। दीलचस्प बात ये है की उनके साथ न सिर्फ भाजपा बल्कि कांग्रेस छोड़कर भी लोग आम आदमी पार्टी में आएं है। माहिर मानते है कि दोनों तरफ के नाराज नेता -कार्यकर्त्ता भी मौका आने पर हरमेल धीमान की मदद कर सकते है। बहरहाल कसौली में त्रिकोणीय मुकाबला तय है और यहाँ कौन जीतेगा और कौन हारेगा, कुछ नहीं कहा जा सकता। इस हॉट सीट पर हरमेल धीमान की मौजूदगी क्या गुल खिलाती है, ये देखना रोचक होगा।
पुरानी पेंशन बहाली आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा है। कांग्रेस जहां सत्ता वापसी पर OPS बहाली का ऐलान कर चुकी है, वहीं आम आदमी पार्टी भी इसके पक्ष में ऐलान कर रही है। भाजपा ने पांच साल में OPS बहाल नहीं की है और अब भी इस मुद्दे पर बचती दिख रही है। दरअसल यदि भाजपा हिमाचल में OPS बहाल करती है तो देश के अन्य राज्यों में भी उसे OPS बहाल करने का दबाव बढ़ेगा जहां वर्तमान में भाजपा की सरकारें है। भाजपा कांग्रेस के वादे को झूठा करार दे रही है लेकिन देश के दो राज्यों में इस वक्त कांग्रेस की सरकार है और दोनों इसे लागू कर चुके है। ऐसे में मुमकिन है कर्मचारी कांग्रेस पर भरोसा करें। ऐसा हुआ तो भाजपा के लिए मिशन रिपीट मुश्किल होगा। हिमाचल प्रदेश में एक लाख से ज्यादा कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम के दायरे में है और यदि इनका साथ कांग्रेस को मिलता है तो उसकी राह आसान हो सकती है। NPSEA के मुताबिक ये संख्या करीब एक लाख तीस हजार है।
कहा, सदियों तक रहेगा यशवंत सिंह परमार व वीरभद्र का नाम ममता भनोट ।ऊना नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने भारतीय जनता पार्टी व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर ताबड़तोड़ हमले किए हैं। हरोली में महिला कांग्रेस के सम्मेलन में माफिया और गुंडा राज के खिलाफ हुंकार रैली को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर वीरभद्र सिंह के पोस्टर पर लगे फोटो से डर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर वीरभद्र सिंह साक्षात होते तो भाजपा के नेता तो भाग ही जाते। उन्होंने कहा कि हमें अपने नेतृत्व पर गर्व है। उन्होंने कहा कि यह फोटो ऐसे ही चलेंगे और वीरभद्र सिंह ने काम किया है, वीरभद्र सिंह हमारे आदर्श हैं और उनका नाम हिमाचल प्रदेश के चप्पे-चप्पे में हैं। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह हिमाचल के आधुनिक निर्माता है और यशवंत सिंह परमार हिमाचल के निर्माता है, इन दोनों का नाम हिमाचल प्रदेश व देश में सदियों तक रहेगा । मोदी रैली की हुई उगाही - मुकेश मुकेश ने कहा कि पीएम मोदी की रैली को लेकर भी उगाही की गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा राज ने लूट ही की है। उन्होंने कहा कि जाते-जाते भी लूट कर रहे हैं। उद्योगपतियों से पैसा ले रहे हैं, तबादलों में पैसा ले रहे हैं, रैलियों के नाम पर पैसा इकट्ठा कर रहे हैं और साथ ही सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की सभी सीमाएं लांघने का काम भाजपा की सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी यह पता लग गया है कि जिन को उस कुर्सी पर बिठाया है उनकी बाजुओं में दम नहीं है।
कहा, जयराम तुम चलते बनो हम करके दिखाएंगे काम बोले, महिलाओं को देंगे 1500 रूपए प्रति माह बोले, हर घर को देंगे 300 यूनिट बिजलीं और ओपीएस होगी बहाल ममतां भनोट। ऊना हिमाचल प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने हरोली विधानसभा क्षेत्र में हरोली महिला कांग्रेस द्वारा आयोजित महिला सम्मान सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन की अध्यक्षता हरोली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुमन ठाकुर ने की। महिला कांग्रेस के इस सम्मेलन में बारिश के बावजूद बड़ी संख्या में महिलाओं ने पहुंचकर इसे भव्य रैली बना दिया। इस सम्मेलन में नेता प्रतिपक्ष का जोरदार अभिनंदन किया गया। मुकेश ने सुमन ठाकुर व उनकी टीम को भी बधाई दी। मुकेश अग्निहोत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के लिए मात्र 2 महीने का समय रह गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता ने मन बना लिया है कि प्रदेश में तख्त और ताज बदल कर कांग्रेस की मजबूत सरकार बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के भाजपा के नेता मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कह रहे हैं कि कांग्रेस कुछ नहीं कर पाएगी लेकिन प्रदेश में डबल इंजन कुछ कर नहीं पाया है। मुकेश ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को अपनी विदाई का प्रबंधन कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि तुम चलो हम अपने आप kaam करके दिखाएंगे। मुकेश ने कहा कि राजनीतिक इच्छा शक्ति से जनता को आगे बढ़ाएंगे, हिमाचल को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ घोर अन्याय करने का काम भाजपा की सरकार ने किया है और जनता पर महंगाई का बोझ लाद दिया है, सिलेंडर महंगा कर दिया है, किस मुंह से भाजपा के नेता जनता के पास जाएंगे। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि महिला के खाते में 15 सो रुपए हर महीने कांग्रेस की सरकार डालेगी, यह सम्मान निधि होगी जिससे बच्चे अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ा पाएंगे। महिलाएं अपने कार्यों को आसानी से कर पाएंगी। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हर घर के 300 यूनिट बिजली के फ्री किए जाएंगे। प्रदेश के संसाधनों को बढ़ाएंगे, जनता को साथ लेकर आगे बढ़ेंगे। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने माफिया को संरक्षण देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि माफिया के सरदार के नाते प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का संरक्षण रहा है। एनजीटी की टीम आई और उन्होंने सवाल खड़े किए, अब एक हफ्ते से छापेमारी करके गई है, 35 करोड़ के अवैध खनन की डायरी मिली है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अवैध खनन सरकार के संरक्षण में फैला है। इसका जीता जागता उदाहरण छापेमारी है जो प्रदेश की सरकार को नजर नहीं आ रही हैं। सरकार ने आंखों पर काली पट्टी बांध ली है। भाजपा के नेताओं के इशारे पर प्रशासन मौन है। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि रेत माफिया, वन माफिया, कबाड़ माफिया, भर्ती माफिया सहित कई माफिया भाजपा सरकार में प्रदेश में पनपे है। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भाजपा सरकार की गाड़ी का स्टेरिंग ही ठीक से चला नहीं है। उन्होंने कहा कि 5 साल जनता को खून के आंसू पीने पड़े और अब मौका आ गया है कि जनता हिसाब चुकता कर देगी। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हर मोर्चे पर केंद्र व प्रदेश सरकार विफल हुई है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आएगी और जनता की आवाज को uthayegi। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता एकजुटता के साथ कांग्रेस की नीतियों का प्रचार व प्रसार घर-घर करें और वही केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार की नाकामियों को बताए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता का सम्मान किया जाएगा। इस अवसर पर महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुमन ठाकुर ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने बुलंद आवाज के साथ हिमाचल के मुद्दों को रखा है। भाजपा उन पर चर्चा करने से भाग रही है। उन्होंने कहा कि हरोली भविष्य में बड़ी ताकत के साथ नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के साथ चलेगा। उन्होंने महिलाओं की शक्ति का अभिनंदन करते हुए कहा कि यह शक्ति भविष्य की तस्वीर को बता रही है। वहीं इस अवसर पर आस्था अग्निहोत्री ने कहा कि हमेशा हरोली की जनता ने उनके पिता मुकेश अग्निहोत्री का साथ दिया है। उन्होंने कहा कि हरोली को बुलंद बनाना है और हिमाचल की आवाज बनाना है तो इसके लिए हरोली का हर नागरिक नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के साथ चले।
* पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे अशोक गहलोत * शाम को होगी विधयक दल की बैठक, पायलट के नाम रेस में आगे * सीपी जोशी भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर हलचल तेज है तो दूसरी ओर राजस्थान में सीएम की कुर्सी को लेकर भी सियासत गरम है। अशोक गहलोत के अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के फैसले के बाद राजस्थान में सचिन पायलट का सीएम बनना लगभग तय ही माना जा रहा है। हालाँकि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सियासी रिश्ते कैसे हैं, ये जगजाहिर है। ऐसे में जानकार मान रहे है कि अभी सियासत में ट्विस्ट आना बाकी है। दरअसल अशोक गहलोत के करीबी और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का नाम भी दावेदारों में है। इसी बीच सचिन पायलट और सीपी जोशी के बीच करीब 1.5 घंटे तक मुलाकात चली है। सूत्रों के मुताबिक गहलोत खेमा डॉ. सीपी जोशी का नाम मुख्यमंत्री के लिए प्रोजेक्ट कर सकता है। ऐसे में सवाल है कि क्या पायलट को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष और सीपी जोशी को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। बहरहाल, फिलवक्त किसी भी निर्कर्ष पर पहुंचने के लिए इन्तजार करना होगा।
* अशोक गहलोत हो सकते है कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष * राजस्थान के अगले सीएम के लिए तकरार तय, पायलट एक्टिव कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव की सरगर्मी के बीच राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। गहलोत ने कहा कि गांधी परिवार का कोई भी व्यक्ति इस बार कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनेगा। उन्होंने कई बार राहुल गांधी से बात करने की कोशिश की कि उन्हें अध्यक्ष बनना चाहिए, किन्तु उन्होंने इसके लिए मना कर दिया। ऐसे में वे पार्टी और राष्ट्र हित में चुनाव लड़ने को तैयार है। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गहलोत के अलावा शशि थरूर और मनीष तिवारी भी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन कर सकते हैं। सभी प्रदेश कांग्रेस समितियों में 17 अक्तूबर को चुनाव होने हैं और मतगणना के तुरंत बाद 19 अक्तूबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे। बहरहाल, अशोक गहलोत फिलवक्त अध्यक्ष पद की दौड़ में आगे जरूर दिख रहे है और माना जा रहा है कि वे ही कांग्रेस के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे। उधर इस बीच राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री को लेकर खींचतान बढ़ती दिख रही है। पहले इशारों -इशारों में गहलोत दोनों पदों को सँभालने की बात कर रहे थे लेकिन अब पार्टी स्पष्ट कर चुकी है कि एक व्यक्ति -एक पद के साथ आगे बढ़ा जायेगा। ऐसे में जाहिर है यदि गहलोत चुनाव जीतते है तो उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना होगा। वहीं सचिन पायलट अपने समर्थकों सहित सीएम पद हथियाने की कवायद करने में जुटे है, पर अशोक गहलोत और पायलट के बीच की दूरियां जगजाहिर है। जाहिर है सीएम पद के लिए गहलोत खेमे से भी दावेदारी तय है और पायलट के नाम पर आसानी से सहमति बनना मुश्किल होगा। यानी कांग्रेस को राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने के साथ ही, राजस्थान में तकरार तय है। अब क्या गहलोत और पायलट के बीच दूरिया मिटेगी है या कोई नया ट्विस्ट आता है, ये देखना रोचक होगा।
* मंडी में दिखा मोदी मैजिक, कांग्रेस को गियर बदलने की जरुरत * 'आप' के बड़े नेता भी एक्शन में, कांग्रेस स्थानीय चेहरों के भरोसे युवा विजय संकल्प रैली के आयोजन के साथ ही भारतीय जनता पार्टी, हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव का औपचारिक शंखनाद कर चुकी है। मंडी के पड्डल मैदान में उमड़ा जनसैलाब इस बात की तस्दीक करता है कि चुनाव प्रबंधन में भाजपा का कोई सानी नहीं है। हालांकि भाजपा के इस महाआयोजन में मौसम ने खलल डाली और पीएम मोदी का दौरा रद्द हो गया। इसके बाद पीएम मोदी वर्चुअली कार्यक्रम में जुड़े और अपना सम्बोधन दिया। अपने सम्बोधन में पीएम मोदी ने अपनी चिर परिचित शैली में पहाड़ी गाँधी बाबा काशीराम को नमन भी किया, और कुल्लू शॉल व चंबा चप्पल का जिक्र कर हिमाचल से अपना नाता भी फिर याद दिलाया। पीएम ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की तरह हिमाचल में सत्ता वापसी की हुंकार भी भरी, और बीत पांच साल में केंद्र द्वारा दी गई सौगातों को भी गिनाया। विशेष तौर हिमाचल प्रदेश को वैश्विक फार्मा हब बनाने की बात पीएम ने फिर दोहराई, साथ ही एम्स बिलासपुर का जिक्र किया। इस बीच पीएम ने हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने की सौगात को भी याद दिलाया और किसानो -बागवानों को भी साधने का प्रयास किया। मोदी ने लगभग उन तमाम पहलुओं को छुआ जो विधानसभा चुनाव में पार्टी के मिशन रिपीट में सहायक बन सकते है। उन्होंने अपने विशिष्ट अंदाज में हर किये गए काम को दमदार तरीके से गिनाया। बहरहाल, इसमें कोई संशय नहीं है कि अगर पीएम खुद मंडी पहुंचते तो ये आयोजन और असरदार होता, लेकिन बावजूद इसके भाजपा काफी हद तक माहौल बनाने में कामयाब जरूर रही। आने वाले समय में पीएम मोदी के कई कार्यक्रम प्रस्तावित है और मंडी में पीएम मोदी का जैसा जादू दिखा है, वो भाजपा के लिए निश्चित तौर पर शुभ संकेत माना जा सकता है। उधर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की बात करें तो साधन - संसाधनों का अभाव तो पार्टी के पास है ही, कमजोर केंद्रीय नेतृत्व भी बड़ा मसला है। हालांकि प्रदेश के बड़े नेता काफी हद तक मैदान में डटकर भाजपा का मुकाबला करने में कामयाब दिख रहे है, लेकिन प्रदेश स्तर पर बड़े आयोजन करने में पार्टी अब तक पीछे दिख रही है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अक्टूबर में कांग्रेस को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलना है और मुमकिन है पार्टी के बड़े चेहरे इसी में उलझे रहे। वहीं राहुल गाँधी भारत जोड़ो यात्रा कर रहे है और यात्रा के बीच उनका हिमाचल दौरे पर आना मुश्किल मालूम पड़ता है। ऐसे में जाहिर है पार्टी को सत्ता में लाने का मुख्य दारोमदार प्रदेश के बड़े नेताओं पर ही रहेगा। आप भी आक्रामक, कांग्रेस को मुश्किल : वहीं आम आदमी पार्टी की बात करें तो अरविन्द केजरीवाल, भगवंत मान और मनीष सिसोदिया लगातार हिमाचल के दौर कर रहे है और आगामी समय में भी इनके कई दौरे प्रस्तावित है। आप प्रदेश में अपनी जगह बनाने की कवायद में जुटी है और यदि वो सत्ता विरोधी वोट बाँट गई तो कांग्रेस के लिए मुश्किल तय है। ऐसे में कांग्रेस को जल्द गियर बदलने की जरुरत है।
* न्यूनतम बगावत और न्यूनतम भीतरघात ही है जीत का मंत्र * टिकट आवंटन से पहले ही सबको एकजुट करने की कोशिश प्रदेश कांग्रेस में दिख रही खींचतान के चलते विधानसभा चुनाव से पहले घमासान होना तय लग रहा है। अमूमन हर चुनाव क्षेत्र में नेताओं के बीच अंतर्कलह चरम पर है। एक टिकट के लिए कई नेता आवाज़ बुलंद कर रहे है, जो कहीं न कहीं कांग्रेस के लिए एक बड़ी समस्या बना हुआ है। पार्टी आलाकमान इस स्थिति से वाकिफ है और इस संभावित घमासान काे थामने का मार्ग तलाश रहा है। बीते दिनों दिल्ली में हुई पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में इस पर गहन चिंतन -मंथन हुआ है और ऐसी संभावित सीटों को लेकर विशेष एक्शन प्लान तैयार किया गया है। पार्टी ने प्रदेश के दिग्गज नेताओं को संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में टिकट के आवेदकों से बात करने का जिम्मा सौंपा है। जाहिर है टिकट आवंटन से पहले ही पार्टी ने संभावित बगावत रोकने के लिए दिग्गजों को ये जिम्मेदारी सौंपी है। ये मुहीम क्या रंग लाती है ये तो वक्त ही बताएगा, बहरहाल कांग्रेस ने समय रहते स्थिति को भाप कर डैमेज कण्ट्रोल जरूर शुरू कर दिया है। दरअसल, हिमाचल प्रदेश में कई विधानसभा हलके ऐसे हैं जहां कांग्रेस में आवेदक अधिक हैं। इनमें शिमला शहर, कुटलैहड़, ठियोग, चौपाल, कसौली, धर्मशाला आदि क्षेत्र हैं। पार्टी थिंक टैंक को आशंका है कि इन सीटों पर अधिक विवाद हो सकता है, और सम्भवतः यहाँ से बागी उम्मीदवार भी मैदान में हो सकते है। ऐसा होता है तो पार्टी के लिए ये बड़ा झटका होगा। इसी के चलते वक्त रहते ही पार्टी ने सभी आवेदकों और नेताओं के साथ आवश्यक संवाद स्थापित करने की रणनीति बनाई है। अब कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले ही सभी वरिष्ठ नेताओं को अपने समर्थकों से वार्ता कर रिपोर्ट हाईकमान को देनी होगी। ये सुनिश्चित करना होगा कि टिकट न मिलने पर पार्टी विरोधी गतिविधियों की आशंका पूरी तरह खत्म हो, साथ ही असंतुष्ट नेताओं को पार्टी प्रत्याशी के प्रचार के लिए भी तैयार करना होगा। जद्दोजहद : हारने वाले वरिष्ठ या युवा ! हिमाचल प्रदेश के कई निर्वाचन क्षेत्र ऐसे भी है जहाँ अलबत्ता कांग्रेस में आवदेक एकाध ही है, लेकिन इनमें से भी किसी एक का चयन पार्टी के लिए सिरदर्द है। दरअसल कई वरिष्ठ नेता लगातार चुनाव हारते आ रहे है, लेकिन अब भी चुनाव लड़ने को तैयार है। वहीं इनके सामने युवा उम्मीदवार ताल ठोक रहे है। ऐसी सीटों पर टिकट आवंटन पार्टी के लिए असल सिरदर्द है। मसलन पच्छाद सीट पर गंगूराम मुसाफिर लगातार तीन चुनाव हार चुके है। उनके सामने दयालप्यारी भी टिकट की चाहवान है। यहाँ दोनों ही चुनाव लड़ने को तैयार है और किसी को भी मनाना पार्टी के सामने असली चुनौती है। ऐसी कई अन्य सीटें भी है जैसे की चौपाल, भटियात आदि, जहाँ वरिष्ठता और युवा में से चयन पार्टी के लिए सिरदर्द साबित होने वाला है। मनाने का फार्मूला तैयार ! जिन नेताओं को पार्टी टिकट नहीं देती है उन्हें सरकार बनने पर बाेर्ड एवं निगमों में कुर्सी की पेशकश की जा सकती है। पार्टी ये भी ऐलान कर सकती है कि सरकार आने पर बोर्ड एवं निगमों की नियुक्तियों में हारने वाले उम्मीदवारों पर उन्हें वरीयता मिलेगी जिन्हें टिकट नहीं दिया गया। बशर्ते सभी पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में काम करें। वरिष्ठ नेताओं को निजी तौर पर अपने -अपने निष्ठावानों को मनाने का जिम्मा दिया जायेगा।
* भाजपा और अनिल शर्मा के बीच मतभेद मिटने के कयास मंडी सदर हलके के विधायक अनिल शर्मा और भाजपा के बीच की दूरियां कम होती नजर आ रही है। करीब तीन साल से भाजपा के कार्यक्रमों से दूर रहने वाले मंडी सदर हलके के विधायक अनिल शर्मा ने पड्डल मैदान में होने वाली पीएम मोदी की रैली में भाग लिया। बताया जा रहा है शुक्रवार रात को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ होटल विस्को में हुई बैठक के बाद अनिल शर्मा का पार्टी के साथ चल रहा विवाद समाप्त हुआ। इसके बाद माना जा रहा है कि अनिल शर्मा अब भाजपा में ही अपनी पारी को आगे बढ़ाएंगे। इस बीच पार्टी नेतृत्व की तरफ से रैली में भाग लेने के लिए उनका पहचान पत्र बनवाया गया और बैठने के लिए कुर्सी आरक्षित की गई। अनिल भी रैली में भाग लेने पहुंचे और भाजपा नेताओं के साथ दिल खोल कर मिलते नजर आएं। वहीं आज रात होने वाले भाजपा नेताओं के डिनर में भी अनिल शर्मा शामिल होंगे। विदित रहे कि अनिल शर्मा का 2019 लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के साथ विवाद चल रहा था। दरअसल, तब उनके बेटे आश्रय शर्मा के कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ने के चलते उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। तकनीकी तौर पर बेशक अनिल शर्मा भाजपा के विधायक है लेकिन दोनों के बीच तकरार आम थी। इस बीच बीते कुछ समय पहले अनिल शर्मा ने कांग्रेस आलाकमान के साथ दिल्ली में मुलाकात भी की थी , जिसके बाद उनके कांग्रेस में जाने की अटकलें थी। किन्तु ऐसा हुआ नहीं। तदोपरांत, हाल ही में मंडी सदर हलके के कोटली में आयोजित मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की जनसभा में अनिल शर्मा ने विवाद की बात को मानते हुए उसे बीते कल की बात बताते हुए नई पारी शुरू करने की बात कही थी। इसके बाद से ही उनके भाजपा में बने रहने की अटकलें तेज हुई है। अब आज इन अटकलों को और मजबूती मिल गई है और माना जा रहा है की जल्द अनिल शर्मा इस बाबत औपचारिक तौर पर बयान देंगे। आश्रय पर भी रहेगी निगाहें : अनिल शर्मा के बेटे आश्रय शर्मा मौजूदा समय में कांग्रेस में है। कांग्रेस में आश्रय शर्मा एक किस्म से दरकिनार है और बीत दिनों उन्होंने अपनी नाराजगी भी व्यक्त की थी। वहीं अनिल शर्मा भी कह चुके है कि बाप और बेटा एक ही पार्टी में रहेंगे। ऐसे में यदि अनिल शर्मा भाजपा में बने रहते है तो आश्रय शर्मा पर भी निगाहें रहने वाली है।
* कहा, हिमाचल को बनाया जायेगा वैश्विक फार्मा हब * बोले, हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा, नए अवसर खुलेंगे * बारिश बनी खलनायक, तो पीएम मोदी वर्चुअली कार्यक्रम से जुड़े पीएम नरेंद्र मोदी के हिमाचल प्रदेश के मंडी दौरे में मौसम खलनायक बन गया। बारिश के चलते पीएम मोदी का दौरा रद हो गया। इसके बाद पीएम मोदी वर्चुअली कार्यक्रम में जुड़े और अपना संबोधन दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्हें हिमाचल न आने का मलाल है, पर यह जनता का प्यार है कि वह भारी बारिश में कुर्सियों का छाता बनाकर खड़े हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में भारत की साख जैसे बढ़ रही है और आज दुनिया हमसे जुड़ने के लिए उत्सुक है। अस्थिर सरकारों से देश आगे नहीं बढ़ पाया, लेकिन अब देश में स्थिर सरकार है। मिली-जुली सरकारों से देश को नुकसान होता है। राज्य में विकास के लिए भी स्थिर सरकार जरूरी है। विधानसभा चुनाव का शंखनाद करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की तरह हिमाचल की जनता ने भी प्रण ले लिया है। हिमाचल का विकास भाजपा ही कर सकती है। एक बार फिर हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी। पीएम ने कहा कि केंद्र सरकार ने हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा दिया है। इस क्षेत्र के लोगों की दशकों से चली आ रही मांग को भाजपा सरकार ने पूरा करके दिखाया है। मोदी ने कहा कि बिलासपुर का एम्स बनकर तैयार हो गया है। इसके अलावा मोहाली में हाल ही में शुरू किए गए कैंसर अस्पताल का हिमाचल को सबसे ज्यादा लाभ होगा। हमारी सरकार ने नेशनल हाईवे के लिए सात गुना राशि दी है। केंद्रीय बजट में पहाड़ी क्षेत्रों में रोपवे को बढ़ावा दिया जा रहा हैं। पीएम ने कहा कि हिमाचल को वैश्विक फार्मा हब बनाया जाएगा। हिमाचल में भी बल्क ड्रग पार्क होगा। हिमाचल प्रदेश किसान- बागवानों का राज्य है। इसको केंद्र की नीतियों से बल मिल रहा है। हिमाचल में कोल्ड चेन व प्रोसेसिंग यूनिट लगाए जा रहे हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए 14 हजार करोड़ दिए गए है। मनाली चंडीगढ़ फोरलेन का काम तेजी से चल रहा है। सीएम जयराम ठाकुर की पीठ थपथपाते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हिमाचल उन प्रदेशों में है जिसने ड्रोन नीति बनाई है। देश की अगवानी करने के लिए जयराम ठाकुर बधाई के पात्र हैं। हिमाचल के उत्पाद उपहार में देता हूं पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कुल्लू शॉल, चंबा चप्पल को जीआई टैग मिला है। विश्व में इन उत्पादों ने अपनी जगह बनाई है। जब भी विदेशी दौरा होता है तो हिमाचल के उत्पाद उपहार में देता हूं, ताकि उन्हें बता सकूं कि किस प्रकार मैं हिमाचल से जुड़ा हूं। न आने के लिए क्षमा : पीएम पीएम मोदी ने कहा, "न आने के लिए क्षमा, हिमाचल के स्नेह में मौसम कभी आड़े नहीं आएगा। आपका आशीर्वाद मेरे लिए बड़ी ऊर्जा है। हमारे प्यार में मौसम भी बीच में नहीं आ सकता। भीग गए हो। ध्यान रखना। घर ध्यान से लौटना।" ढोल, शहनाई संग उमड़ी भीड़ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में पारंपरिक वाद्य यंत्र की गूंज हर कोने में सुनाई दी। भाजयुमो कार्यकर्ता ढोल, शहनाई, नरसिंघा की धुनों पर थिरकते हुए पार्किंग स्थलों से पड्डल मैदान की ओर बढ़ते रहे। पड्डल मैदान के एंट्री प्वाइंट पर युवाओं की भीड़ लगी रही। युवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे लगाते हुए पड्डल मैदान की ओर बढे। रैली के लिए लगभग एक लाख लोगों का टारगेट रखा गया था और भारी संख्या में प्रदेश के हर कोने से युवा इस कार्यक्रम में पहुंचे। पड्डल में पांचवीं रैली में बारिश बनी बाधक : मंडी स्थित पड्डल मैदान में बीते आठ साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांचवीं रैली थी। इससे पहले उनकी रैलियों में वर्षा ने कोई खलल नहीं डाला था। हालांकि इस बार मौसम बिगड़ने के चलते पीएम नहीं आ पाए। शुक्रवार को भी छोटी काशी मंडी में बादल छाए रहे थे, जिसके बाद से ही रैली को लेकर संशय बना हुआ था।
प्रतिमा राणा। पालमपुर विधानसभा अध्यक्ष, विपिन सिंह परमार ने सुलह निर्वाचन क्षेत्र के संगम पैलेस ठाकुरद्वारा में एक दिवसीय कार्यशाला में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को सम्मान कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। परमार ने कहा की आज प्रधानमंत्री के जन्मदिन के उपलक्ष्य पर सेवा सप्ताह के रूप मनाया जा रहा है। आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में लाभार्थी सम्मेलन के भव्य कार्यक्रम के माध्यम से सभी लाभार्थियों से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि शिविरों के माध्यम से दिव्यागजन एवं वरिष्ठ नागरिक हेतु भारत सरकार की एडिप एवं राष्ट्रीय वयो श्री योजना के अंतर्गत निशुल्क सहायक उपकरण वितरण किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने प्रदेश के।प्रत्येक नागरिक को राहत देने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि हिमकेयर योजना, मुख्यमंत्री सहारा योजना, मुख्यमंत्री गृहिणी सुविधा योजना और मुख्यमंत्री शगुन योजना जैसी दर्जनों कल्याणकारी योजनाओं ने जरूरतमंदों और गरीबों को हरसंभव राहत प्रदान की है। उन्होंने कहा कि हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में महिला यात्रियों को किराये में 50 प्रतिशत की रियायत दी गई है और घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली भी उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय से 14 लाख से अधिक ऐसे उपभोक्ताओं को घरेलू बिजली की खपत पर शून्य बिल आ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के बिल भी माफ किए हैं। इस अबसर पर विधान सभा अध्यक्ष, विपिन सिंह परमार ने उद्योग विभाग के सौजन्य से 54 शिलाई मशीन, श्रम विभाग से 256 श्रम कार्ड , रेड क्रॉस सोसाइटी के सौजन्य से 100 कान की मशीन , 22 लोगों को कृत्रिम दांत, 71 व्हील चेयर, 48 बैसाखी , 17 चश्मे एवम अन्य कृत्रिम उपकरण वितरित किए। जिला श्रम अधिकारी आर के शर्मा और उद्योग विभाग से महाप्रबधक राजेश कुमार ने मुख्यातिथि को सम्मानित किया और विभाग के माध्यम से जनकल्याण की योजनाओं की जानकारी दी। हिमाचल प्रदेश राष्टीय विकलांग एसोसिएशन के अध्यक्ष तरसेम चंद ने दिव्यांगों को जो समस्याएं आ रही। उनके बारे अवगत करवाया। इस अवसर पर सूचना एवं जन संपर्क विभाग से सम्बंधित हिम संस्कृतिक दल सोलन के कलाकारों गीत-संगीत के माध्यम से स्थानीय जनता को प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से अवगत करवाया। इसके उपरान्त विधानसभा अध्यक्ष ने हार बोदा में जनसंवाद कार्यक्रम में उपस्थित हुए और स्थानीय लोगों से रूबरु हुए। कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष हरिदत्त शर्मा, सुलह मंडल अध्यक्ष देश राज शर्मा, जिला उपाध्यक्ष चन्द्रवीर, बीडीसी चेयरमैन भवारना अनीता चौधरी, मंडल मोर्चा अध्यक्ष मोनिका राणा, महामंत्री सुनीता राणा, जोन प्रभारी दया पठानिया, प्रधान बोदा लता कुमारी, बीड़ीसी सदस्य इंदिरा देवी, बीडीओ भेडू महादेव सिकंदर, अनु ठाकुर, कांता चौधरी, ममता वशिष्ठ विभिन्न विभागों के अधिकारी और क्षेत्र के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
महिलाओं को मिलेंगे हर महीने 1500 रुपए, 10 विधानसभाओं से हुई शुरुआत फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला स्थानीय महिलाओं ने बढ़ती बेरोज़गारी और महंगाई के चलते इस आर्थिक मदद को समय की मांग बताया और इस योजना को लेकर महिलाओं में काफ़ी उत्साह भी देखने को मिला, महिलाओं ने बढ़-चढ़कर गारंटी फॉर्म भरे। हिमाचल प्रदेश में 49.27 प्रतिशत आबादी महिलाओं की है। जैसा कि आमतौर पर पहाड़ों में होता है, ग्रामीण क्षेत्राें में महिलाएं घरेलू कामकाज से लेकर पारिवारिक कारोबार में पुरुषों का बराबरी से सहयोग करती हैं। प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उनकी भागीदारी भी अच्छी खासी है, लेकिन आर्थिक आत्मनिर्भरता के मामले में वे पीछे छूट जा रही हैं। जैसा कि देश के हर हिस्से में है, हिमाचल प्रदेश में भी इस आधी आबादी के श्रम का कोई मूल्यांकन नहीं होता। इसलिए अधिकांशत: उनके हाथ में नक़द राशि नहीं होती और वे आर्थिक रूप से परिवार के पुरुष सदस्यों पर ही निर्भर होती हैं। कांग्रेस पार्टी चाहती है कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त किया जाए, जिससे वे पारिवारिक ज़िम्मेदारियों को और सार्थक ढंग से निपटा सकें। इसलिए हमने यह गारंटी देने का फ़ैसला किया है कि प्रदेश की महिलाओं को प्रति माह 1500 रुपए अवश्य मिले। सरकार बनने के बाद हम प्रदेश की महिलाओं के खाते में हर महीने यह राशि पहुंचाएंगे। अपनी इस मुहिम को हिमाचल की प्रत्येक महिला तक ले जाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने कमर कस ली है। जवाली, देहरा, सुल्लाह, धर्मशाला, हमीरपुर, नादौन, हरोली, झंडूता, घुमारवीन व सोलन विधानसभाओं में आज से कार्यकर्ताओं का एक जत्था, हर घर पहुंच रहा है। अगले 5 दिन के भीतर पूरी 68 विधानसभाओं में डोर-टू-डोर प्रचार शुरू हो जाएगा।
आलाेक। कुल्लू मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने ‘प्रगतिशील हिमाचल: स्थापना के 75 वर्ष’ समारोहों की कड़ी में आज बंजार विधानसभा क्षेत्र के मेला ग्राउंड में लगभग 60 करोड़ की 17 विकासात्मक परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास किए तथा विशाल जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के गठन के 75 वर्ष के उपलक्ष्य पर प्रदेश भर में आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों में सरकार को मिल रहे अपार जनसमर्थन से कांग्रेस के नेता बौखला गए हैं। उन्होंने कांग्रेस नेताओं को जवाब देते हुए कहा कि इन समारोहों का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। ये कार्यक्रम केवल हिमाचल प्रदेश की 75 वर्ष की गौरवमयी यात्रा और इसे देश का अग्रणी राज्य बनाने में योगदान देने वाले सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए ही आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के इस गौरवशाली इतिहास का श्रेय प्रदेश के सक्षम नेतृत्व के साथ-साथ राज्य के मेहनती एवं ईमानदार लोगों को भी जाता है। जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के चहुंमुखी विकास में डॉ. वाईएस परमार, राम लाल ठाकुर, शांता कुमार, वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल सहित सभी मुख्यमंत्रियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि गठन के समय प्रदेश की साक्षरता दर केवल 4.8 प्रतिशत थी, जबकि आज यह 83 प्रतिशत को पार कर गई है। वर्ष 1948 में राज्य में केवल 228 किलोमीटर लंबी सड़कें थीं, जो आज लगभग 40,000 किलोमीटर हो गई हैं। उन्होंने कहा कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 60,000 करोड़ के प्रावधान के साथ आरंभ की गई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना हिमाचल के लिए वरदान साबित हुई है। प्रदेश में लगभग 51 प्रतिशत सड़कों का निर्माण इसी योजना के माध्यम से किया गया है। बंजार जैसे दूरदराज क्षेत्रों में भी पीएमजीएसवाई के कारण ही सड़कों का निर्माण संभव हुआ है तथा इससे प्रदेश के विकास के लिए एक मजबूत आधार तैयार हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार को लगभग दो वर्षों तक वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान कार्य करने की चुनौती से भी जूझना पड़ा। जयराम ठाकुर ने कहा कि उनसे पहले के पांच मुख्यमंत्रियों को ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ा। उन्होंने कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद प्रदेश सरकार ने हिमाचल का विकास थमने नहीं दिया। प्रदेश सरकार ने कोरोना संकट के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे 2.50 लाख से अधिक लोगों को सकुशल घर पहुंचाया और देश में सबसे पहले शत-प्रतिशत आबादी का कोरोना रोधी टीकाकरण सुनिश्चित किया। जयराम ठाकुर ने कहा कि इस वर्ष दिहाड़ीदारों की दिहाड़ी में 50 रुपए प्रतिदिन की वृद्धि की गई है तथा पैरा वर्कर के मानदेय में रिकॉर्ड वृद्धि कर उन्हें राहत प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा विभिन्न श्रेणियों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रदान करने पर 400 करोड़ रुपए व्यय करने की तुलना में वर्तमान प्रदेश सरकार 1300 करोड़ रुपए से अधिक व्यय कर रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गृहिणी सुविधा योजना के तहत ज़रूरतमंद परिवारों को 3.35 लाख निःशुल्क गैस कनैक्शन और गंभीर रूप से बीमार रोगियों के परिवार को प्रति माह 3000 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में महिला यात्रियों को बस किराए में 50 प्रतिशत की छूट और घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट मुफ्त बिजली प्रदान की गई जा रही है। उन्होंने कहा कांग्रेस के नेता सरकार पर लोगों को मुफ्त की आदत लगाने का आरोप लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी देश और प्रदेश में नेतृत्वविहीन और मुद्दाविहीन पार्टी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही गोवा में उनके आठ विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी गेहूं के आटे को लीटर में नाप रहे हैं, जो उनकी अज्ञानता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और एक मौजूदा विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि देश की जनता का कांग्रेस पार्टी से विश्वास उठ गया है और लोग देश को केवल भाजपा के हाथों में ही सुरक्षित देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा का ‘रिवाज़ बदलेगा’ का नारा कांग्रेस नेताओं को रास नहीं आ रहा है और कांग्रेस विधायक यहां तक दावा कर रहे थे कि जब वीरभद्र सिंह जैसे बड़े नेता यह उपलब्धि हासिल नहीं कर सके तो एक साधारण मुख्यमंत्री इसे कैसे हासिल करेंगे। उन्होंने जनता से इन नेताओं को करारा जवाब देने का आग्रह किया ताकि इन नेताओं तक संदेश पहुंचे कि जो उपलब्धि बड़े लोग हासिल नहीं कर पाये वह छोटे लोगों ने हासिल कर ली। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने क्षेत्र की विभिन्न सड़कों और अन्य कार्यों के निर्माण के लिए पांच करोड़ रुपए देने की घोषणा की। उन्होंने सैंज में इंडोर स्टेडियम निर्मित करने, दो स्वास्थ्य उप केंद्रों को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्तरोन्नत करने तथा इस विधानसभा क्षेत्र के कुछ शैक्षणिक संस्थानों को स्तरोन्नत करने की घोषणा की। जयराम ठाकुर ने कहा कि केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकारों की बदौलत प्रदेश में विकास की गति तीव्र हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य के लिए बल्क ड्रग फार्मा पार्क स्वीकृत किया गया है, जो पूरे प्रदेश के लिए वरदान साबित होगा। इससे विशेष रूप से ऊना जिला को अत्यधिक लाभ होगा और राज्य के 50,000 से अधिक युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इससे पहले, मुख्यमंत्री ने बंजार में 3.34 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित खंड विकास अधिकारी कार्यालय के नए भवन, बंजार के धमौली में 2.89 करोड़ से निर्मित हेलीपैड ग्राउंड, पलाचन खड्ड के ऊपर 2.17 करोड़ की लागत से निर्मित बठड़ से शिल श्रुंगर पुल, 1.50 करोड़ से निर्मित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मंगलौर, तहसील बंजार में 8.55 करोड़ से निर्मित उठाऊ जलापूर्ति योजना कोटला गोपालौर, बाहू में 2.60 करोड़ से निर्मित 33 केवी सब स्टेशन, बांदल में 19.24 लाख की लागत से निर्मित निरीक्षण कुटीर और बंजार में 22.25 लाख रुपये से निर्मित वन विभाग के रेंज कार्यालय का उद्घाटन किया। जयराम ठाकुर ने नजान में 1.12 करोड़ की लागत से निर्मित होने वाले स्वास्थ्य उप केंद्र, 1.01 करोड़ से निर्मित होने वाले राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हीरब, बंजार में 1.65 करोड़ की लागत से निर्मित होने वाले अधिशाषी अभियंता कार्यालय भवन, बाई पास सड़क बंजार के घेलीगढ़ में जीभी खड्ड के ऊपर 1.80 करोड की लागत से बेली पुल, तहसील भुंतर में 9.41 करोड़ रुपये की लागत की जलापूर्ति योजना जेस्टा मंजली, परली के अतिरिक्त स्रोत, राऊ नाला में 5.60 करोड़ रुपये से निर्मित होने वाली वाहन पार्किंग और तहसील सैंज 14.29 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाले मिनी सचिवालय भवन का शिलान्यास किया। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि पिछले साढ़े चार वर्ष में प्रदेश में अभूतपूर्व विकास हुआ है और इसका सारा श्रेय राज्य सरकार की कल्याणकारी और विकासोन्मुखी नीतियों को जाता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गृहिणी सुविधा योजना और मुख्यमंत्री सहारा योजना जैसी अनेक योजनाओं से आम लोगों के जीवन में उल्लेखनीय बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बिना किसी राजनीतिक द्वेष से राज्य के सभी क्षेत्रों का समान विकास सुनिश्चित किया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए स्थानीय विधायक सुरेंद्र शौरी ने कहा कि पौने पांच वर्षों के दौरान बंजार विधानसभा क्षेत्र का चहुंमुखी विकास हुआ है। इस दौरान क्षेत्र में करोड़ों की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं के कार्य आरंभ किए गए हैं और इनमें से कई योजनाओं के कार्य पूरे होने वाले हैं। उन्होंने बताया कि बंजार बाईपास का कार्य प्रगति पर है और क्षेत्रवासियों की लंबे समय से चली आ रही यह मांग भी जल्द ही पूरी हो जाएगी। इसके अलावा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सड़क, पेयजल और अन्य महत्वाकांक्षी योजनाओं के कार्य प्रगति पर हैं। उन्होंने क्षेत्र की कई अन्य मांगें भी मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत कीं। इस अवसर पर भाजपा के जिलाध्यक्ष भीम सेन शर्मा, मंडल अध्यक्ष बलदेव महंत, नगर पंचायत भुंतर की अध्यक्ष आशा शर्मा, उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग, एसपी गुरदेव शर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
राजेश कतनौरिया। जवाली जवाली के विधायक अर्जुन सिंह ने वीरवार को विश्राम गृह जवाली में मुख्यमंत्री राहत कोष व पौडा फंड के तहत 65 जरुरतमंद लाभार्थियों को 17 लाख 33 हजार 400 रुपए राशि के चैक वितरित किए। इस अवसर पर विधायक अर्जुन सिंह ने कहा कि पिछले 5 वर्षाें में जवाली विधानसभा में 600 से अधिक जरुरतमंद परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा आम जनता के हितार्थ कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई गई हैं, जिनका जनता को भरपूर लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि आज कोई परिवार व घर ऐसा नहीं बचा होगा, जिसे केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिला होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने जरूरतमंद लोगों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की है। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन जो कि कांग्रेस शासनकाल में 80 वर्ष की आयु पूरी करने वाले बुजुर्गों और विधवा महिलाओं को दी जाती थी। जयराम सरकार ने इस आयु सीमा को 80 से घटाकर 60 वर्ष किया, जिससे आज प्रदेश हजारों बुजुर्गों व विधवा महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ मिल रहा।
मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं के लिए कांगड़ा की समस्त जनता की तरफ़ से मुनीष शर्मा ने जताया आभार मनोज कुमार। कांगड़ा प्रदेश बास्केटबॉल संघ के अध्यक्ष व समाज सेवी मुनीष शर्मा ने जारी बयान में कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कांगड़ा में जल शक्ति विभाग का नया मण्डल खोलने की घोषणा, नागरिक अस्पताल कांगड़ा को 50 बिस्तर क्षमता से 100 बिस्तर क्षमता में स्तरोन्नत करने, भडियाड़ा में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान खोलने, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मटौर में साइंस ब्लॉक के निर्माण, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बौड़कुआलू में विज्ञान कक्षाएं शुरू करने और राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला वीरता में वाणिज्य संकाय की कक्षाएं आरम्भ करने की भी घोषणा, राजकीय स्नातक महाविद्यालय मटौर में विज्ञान कक्षाएं शुरू करने, रानीताल में नई उप तहसील खोलने, रानीताल में नया प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तकीपुर को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्तरोन्नत करने, सोहड़ा में नया पशु चिकित्सालय खोलने, ग्राम पंचायत रजोल में स्थित उप स्वास्थ्य केन्द्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्तरोन्नत करने तथा उप स्वास्थ्य केन्द्र गाहलियां को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्तरोन्नत करने की भी घोषणा की। इसकी लिए मुनीश शर्मा ने कांगड़ा की तमाम जनता की तरफ से माननीय मुख्यमंत्री का दिल की गहराइयों से हार्दिक धन्यवाद किया है। मुख्यमंत्री से जो घोषणाएं वर्ष 2018 2019 में करवाई गई थी वे, सब धरातल पर उतर गई है तथा जनता उससे अब भान्वित होगी। उन्होंने कहा कि कांगड़ा के युवाओं का एक सपना था कि कांगड़ा में एक भव्य इनडोर स्टेडियम बने, ताकि युवा उसमें अपना खेल गतिविधियों का अभ्यास कर सकें तथा राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभाओं को दिखा सकें। जिसका नींब पत्थर भी रख दिया गया है, जो कि एक वर्ष के भीतर बन कर खिलाड़ियों को समर्पित होगा। विगत साढ़े चार वर्षों में कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र के लिए करोड़ों रुपए मुख्यमंत्री महोदय ने विकास कार्यों के लिए उपलब्ध करवाए हैं। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में 1-2 योजनाएं छूट गई हैं, जिनमें प्रमुख रूप से काऊ सेंचुरी का निर्माण तथा एयरपोर्ट का विस्तारीकरण, जिसमें काऊ सेंचुरी के निर्माण के लिए भी रास्ते हेतु पैसा आ चुका है, बाकी निर्माण कार्य के लिए भी इसी वर्ष बजट में डलवाने का प्रयास किया जाएगा। जहां तक एयरपोर्ट विस्तारीकरण का मामला है, उसे मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा, क्योंकि एयरपोर्ट विस्तारीकरण पर राज्य सरकार की प्रपोजल केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है, जिसकी डीपीआर बन रही है, जिसमें ग्राम पंचायत मटौर, सहौड़ा, इच्छी, गगल, सनाैरां व नंदेहड के हजारों लोग विस्थापित होंगे, उनके पुनर्वास का भी कोई विशेष प्रबंध किया जाए, इसमें 20 नवंबर 2019 को जिलाधीश के मार्फत एक पत्र भी दिया था, जिसमें सराह के पास की खाली जमीन को एयरपोर्ट विस्थापितों के लिए देने का प्रावधान करने हेतु कहा गया है। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट विस्तारीकरण के समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि गग्गल इत्यादि स्थानीय बाजार से विस्थापन बहुत कम हो, ताकि लोगों का रोजगार चला रहे। इसके साथ साथ लोगों की कृषि भूमि भी एयरपोर्ट विस्तारीकरण के दायरे में कम आए और लोगों के घर भी कम टूटे, ताकि विस्थापन कम हो। इसके लिए भी मुख्यमंत्री से केंद्र सरकार के समक्ष मामला उठाने का विशेष प्रयास किया जाएगा।
मनोज कुमार। कांगड़ा भाजपा प्रदेश सचिव वीरेंद्र चौधरी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों द्वारा जो ऋण, ओबीसी वित्त एवं निगम द्वारा लिए गए थे, उन पर पैनल इंटरेस्ट जो की करीब 31 करोड़ रुपए था, वह हिमाचल सरकार द्वारा माफ कर दिया गया है। उन्होंने इस कार्य के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा जगत प्रकाश नड्डा का विशेष रूप से धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि इस राशि को बजट में डलवाने के लिए भाजपा संगठन मंत्री हिमाचल प्रदेश पवन राणा का विशेष योगदान रहा। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का यह काम अपनी कलम से करने के लिए विशेष रूप से धन्यवाद दिया। वीरेंद्र चौधरी ने कहा कि इस लोन पर ब्याज माफी के लिए वह केंद्र तथा हिमाचल के कई नेताओं से बार-बार पिछले 5 वर्षों से निजी तौर से मिले तथा इसे माफ करने के लिए आग्रह किया। वीरेंद्र चौधरी ने कहा कि जो लोन लिया गया था, वह कई लोन धारकों द्वारा वापस भी कर दिया, परंतु वह चक्र विधि ब्याज के कारण कई गुना बढ़ गया था। इसमें कई लोन धारकों की मृत्यु भी हो गई थी। यह उनके परिवार इसको भरने पर विवश थे। सरकार द्वारा यह बहुत बड़ी राहत अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दी गई है। वीरेंद्र चौधरी ने भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शसौदान सिंह, भाजपा प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना, संजय टंडन भाजपा सह प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप, ओपी चौधरी, मनीष शर्मा का धन्यवाद जिन्होंने इस कार्य को मूर्त रूप देने के लिए अथक प्रयास किए।
फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला कांग्रेस पार्टी को एक परिवार की पार्टी बताने के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के बयान पर विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कड़ी प्रतिक्रया व्यक्त की है। मुकेश अग्निहोत्री ने जयराम ठाकुर पर पलटवार करते हुए कहा कि खुद जयराम ठाकुर एक कठपुतली मुख्यमंत्री है। पूरा हिमाचल जानता है कि हिमाचल सरकार के फैसले दिल्ली में बैठे मोदी, शाह और नड्डा ले रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों में उनकी पकड़ कमज़ोर है, वर्ना अधिकारियों को लक्ष्मण रेखा के भीतर रहना चाहिए वाला बयान न देना पड़ता, मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल अपनी अस्मिता और गौरव के लिए जाना जाता था। ऐसा हिमाचल में आज तक नहीं हुआ कि कोई कठपुतली सरकार चलाए। कांग्रेस प्रचार कमेटी के अध्यक्ष एवं विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जयराम ठाकुर पर पलटवार करते हुए उनको खुद दिल्ली के हाथों कठपुतली बताया। उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर को दिल्ली में बैठे तीन लोग चला रहे हैं और उन तीनों को देश के दो बड़े उद्योगपति चला रहे हैं। सुक्खू ने कहा कि जयराम सरकार दिल्ली में गिरवी पड़ी हुई है और केंद्र की मोदी सरकार पूंजीपतियों के यहां गिरवी है, जिसकी कीमत हिमाचल की जनता को चुकानी पड़ी है। सुक्खू ने कहा कि हिमाचल के सेब बागवानों के साथ अन्याय कोई और नहीं, बल्कि मोदी सरकार अपने पूंजीपति मित्र अदानी को लाभ पहुंचने के लिए कर रही है। इस पर जयराम ठाकुर खामोश बैठे हुए हैं। सुक्खू ने कहा कि जयराम ठाकुर संघ परिवार से आए फरमानों को भी आंख मूंद कर हिमाचल की जनता पर थोप रहे हैं।
विनायक ठाकुर । देहरा आम आदमी के प्रदेश प्रवक्ता रिटायर्ड कर्नल मनीष ने आज, देहरा में पत्रकार वार्ता के दौरान हिमाचल प्रदेश के लोगों को आम आदमी पार्टी द्वारा दी गई दस गारंटियों बारे जानकारी देते हुए बताया कि केजरीवाल की ओर से हिमाचल की जनता को दस गारंटियाँ दी है जिनमें केजरीवाल की हिमाचल के लाखों बेरोज़गारों को दी गई रोजगार गारंटी के बारे बताते हुए कहा कि हिमाचल के हर युवा को रोजगार दिया जाएगा। जब तक रोजगार नहीं मिलता, तब तक 3000 रुपए बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर 6 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी जाएगी। सरकारी नौकरी में भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म किया जाएगा। सरकारी क्षेत्र की नौकरी में सिफारिश और भ्रष्टाचार को पूरी तरह समाप्त कर पारदर्शिता लाई जाएगी, और आम जनता को नौकरी के अवसर दिए जाएंगे। व्यापारियों और पर्यटन उद्योग के लिए बनाया जाएगा सलाहकार बोर्ड, इंस्पेक्टरी राज और राजनैतिक भ्रष्टाचार से मिलेगी मुक्ति देते हुए दिल्ली की तरह हिमाचल को भी किया जाएगा पूरी तरह भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के व्यापारियों और पर्यटन उद्योग के लोगों को भी गारंटी देते हुए कर्नल मनीष ने कहा कि व्यापारियों में भय का वातावरण खत्म किया जाएगा और हर व्यापारी को मान सम्मान दिया जाएगा। व्यापारियों को रैड राज और भ्रष्टाचार से मुक्ति प्रदान की जाएगी। वेट एमनेस्टी स्कीम लाई जाएगी और 6 महीने में वैट रिफंड किया जाएगा। व्यापरियों के लिए सलाहकार बोर्ड बनाया जाएगा और पर्यटन उद्योग की स्वीकृति के लिए सिंगल विंडों सिस्टम लागू किया जाएगा। भ्रष्टाचार मुक्त हिमाचल की गारंटी केजरीवाल की ओर से हिमाचल को भ्रष्टाचार मुक्त करने की गारंटी दी गई है। दिल्ली की तरह हिमाचल में भी सरकार तंत्र में भ्रष्टाचार खत्म किया जाएगा। दिल्ली की तर्ज पर एक फ़ोन नंबर जारी किया जाएगा। आम जनता फोन करके काम बताएगी और सरकारी कर्मचारी के लोगों के घर आकर काम करेंगे । जिससे सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने से निजात मिलेगी किसी भी आदमी को अब सरकारी काम कराने के लिए रिश्वत का सहारा नहीं लेना पड़ेगा दिल्ली की तर्ज पर वाहन पंजीकरण , आयु, जाति, आय आदि प्रमाण पत्र घर में आकर बनाए जाएंगे। गुणात्मक शिक्षा की गारंटी आम आदमी पार्टी द्वारा हिमाचल की जनता को दी गयी शिक्षा की गारंटी के बारे में बताते हुए कर्नल मनीष धीमान ने कहा कि हिमाचल में हर बच्चे को अच्छी और फ़्री शिक्षा देते हुए दिल्ली की तरह सभी सरकारी स्कूलों को शानदार बनाया जाएगा तथा दिल्ली की तरह हिमाचल प्रदेश में भी प्राइवेट स्कूलों को नाजायज़ फ़ीस नहीं बढ़ाने देंगे। इसके साथ सभी अस्थाई शिक्षकों को स्थाई तौर पर नियमित किया जाएगा एवं शिक्षकों के सभी ख़ाली पद भरे जाएँगे और शिक्षकों को शिक्षण के अलावा और कोई भी अन्य कार्य नहीं दिया जाएगा। पंचायत के विकास की गारंटी के बारे जानकारी देते हुए आप प्रवक्ता ने बताया कि हर पंचायत को 10 लाख रुपए की राशि विकास के कार्यों हेतु प्रदान की जाएगी और पंचायत के प्रधान को 10 हजार रुपए हर महीने वेतन दिया जाएगा जिससे उनका मनोबल ऊँचा होगा, प्रदेश के बुजुर्गों के लिए तीर्थ यात्रा की गारंटी बारे बताते हुए आजटा ने कहा कि प्रदेश के हर बुजुर्ग को उनके पसंदीदा तीर्थस्थल की यात्रा सरकारी खर्चे पर कराई जाएगी। इसके साथ ही किसानों बागवानों को दी गई गारंटी की जानकारी देते हुए कर्नल मनीष ने बताया कि किसानों बागवानों की फसलों का उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाएगा। खाद, बीज और कीटनाशक में सब्सिडी प्रदान की जाएगी। उत्पाद के भंडारण, प्रोसेसिंग और बिक्री के लिए मंडी, कोल्ड स्टोरेज यूनिट का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही सेब की पैकिंग के लिए पैकेजिंग मटेरियल पेटी और ट्रे स्थानीय स्तर पर तैयार कर सस्ते दामों में उपलब्ध कराई जाएगी। सैनिक एवं महिला सम्मान की गारंटी आम आदमी पार्टी प्रदेश के सैनिकों एवं महिलाओं के सम्मान में दी गई गारंटी बारे विस्तार से बताते हुए, कर्नल मनीष ने कहा कि भारतीय सेना और हिमाचल पुलिस के जवान अगर सेवा के दौरान शहीद होते हैं तो उनके परिवार को 1 करोड़ रुपए की सम्मान राशि दी जाएगी इसके अलावा प्रदेश की महिलाओं का सम्मान करते हुए 18 वर्ष से अधिक आयु की सभी महिलाओं को हर महीने 1000 रुपए स्त्री सम्मान राशि दी जाएगी।
भट्टू में पीएचसी खोलने, सनहूं तथा ननाओं के पशु औषधालयों को पशु अस्पताल के रूप में स्तरोन्नत करने की घोषणा फर्स्ट वर्डिक्ट। पालमपुर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद हिमाचल प्रदेश ने सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व विकास कर समाज के हर वर्ग का कल्याण सुनिश्चित किया है। आज कांगड़ा जिला के सुलह विधानसभा क्षेत्र के दैहण मैदान में आयोजित ‘लाभार्थी संवाद’ कार्यक्रम के दौरान विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच वर्षों के दौरान रिकॉर्ड विकास कार्यों तथा जनकल्याणकारी योजनाओं के आधार पर प्रदेश सरकार दोबारा सत्ता में आएगी। जयराम ठाकुर ने ऊना जिला के लिए 1200 करोड़ के बल्क ड्रग फार्मा पार्क को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इससे प्रदेश के युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और प्रदेश की आर्थिकी भी सुदृढ़ होगी। उन्होंने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के रूप में प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक पहल की थी। इससे हिमाचल प्रदेश निवेशकों के हब के रूप में विकसित हुआ है। यह ग्लोबल इन्वेस्टर मीट राज्य में अभी तक लगभग 96,721 करोड़ का निवेश आकर्षित करने में सफल रही है। पहली ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में 13,488 करोड़ रुपए और दूसरी दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में 28,197 करोड़ के निवेश पर हस्ताक्षर हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व और केंद्र सरकार की उदार सहायता के कारण हिमाचल प्रदेश तेजी से प्रगति और समृद्धि के पथ पर अग्रसर हो रहा है। नालागढ़ में 349 करोड़ से अधिक के निवेश से मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस पार्क से 10 हजार से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। हिमाचल प्रदेश के 75 वर्ष के सफर की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1948 में गठन के समय राज्य में केवल चार जिले थे जबकि आज जिलों की संख्या 12 है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1948 में राज्य में प्रति व्यक्ति आय मात्र 240 रुपए थी, जो अब बढ़कर 2,01,873 रुपए हो गई है। वर्तमान में राज्य की साक्षरता दर 83 प्रतिशत हो गई है, जो वर्ष 1948 में केवल 4.8 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 1948 में राज्य में केवल 228 किलोमीटर सड़कें थीं, जबकि आज लगभग 40,000 किलोमीटर सड़क नेटवर्क दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़ रहा है। जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री हिमकेयर योजना, मुख्यमंत्री सहारा योजना, मुख्यमंत्री गृहिणी सुविधा योजना और मुख्यमंत्री शगुन योजना जैसी कल्याणकारी योजनाओं ने जरूरतमंदों और गरीबों को हरसंभव राहत प्रदान की है। उन्होंने कहा कि हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में महिला यात्रियों को किराये में 50 प्रतिशत की रियायत दी गई है और घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली भी उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय से 14 लाख से अधिक ऐसे उपभोक्ताओं को घरेलू बिजली की खपत पर शून्य बिल आए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के बिल भी माफ किए हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत राज्य सरकार ने पेंशन के 3 लाख से अधिक नए मामलों को मंजूरी प्रदान की है। राज्य सरकार द्वारा 3052 करोड़ रुपए व्यय कर 7,20,514 लाभार्थियों को पेंशन का लाभ प्रदान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने भट्टू में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने, पशु औषधालय सनहूं और ननाओं को पशु अस्पताल में स्तरोन्नत करने, राजकीय उच्च पाठशाला बैरघट्टा को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के रूप में स्तरोन्नत करने और राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पुढ़वा में वाणिज्य की कक्षाएं आरम्भ करने की घोषणा की। लोगों की विद्युत बोर्ड का वृत कार्यालय और सब जज कोर्ट खोलने की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए औपचारिकताओं को पूरा कर व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार की जाएगी और यदि संभव हुआ तो विद्युत बोर्ड का वृत कार्यालय और न्यायालय खोलने पर विचार किया जाएगा। इससे पहले, मुख्यमंत्री ने 37.55 करोड़ लागत की उठाऊ पेयजल आपूर्ति योजना कंगेहड़ से थंबू, 1.52 करोड़ लागत से ग्राम पंचायत रौड़ा के लिए पेयजल आपूर्ति योजना, ग्राम पंचायत भौरा व थंडोल के लिए 4.66 करोड़ की लागत से निर्मित उठाऊ जलापूर्ति योजना, 2.87 करोड़ की लागत से गांव बुहला मैंझा, गडरेड घडेला कलां और फलवार के लिए निर्मित जलापूर्ति योजना, 96 लाख की लागत से निर्मित पटबाग लिझान जलापूर्ति योजना और भवारना में जल शक्ति विभाग के वृत कार्यालय का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने सुलह विधानसभा क्षेत्र के लिए 101.12 करोड़ की लागत की पांच विकासात्मक परियोजनाओं के शिलान्यास भी किए। इन परियोजनाओं में बैरघट्टा-डुहक सड़क मार्ग पर न्यूगल खड्ड पर 16.80 करोड़ की लागत से बनने वाला डबल लेन पुल, पालमपुर तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव कौना पिहाड़ी, डुहक धनियारा, भेड़ी पपरोला, डली भलुंदर और लाहडू साड्डा के लिए 10.07 करोड़ की लागत से बनने वाली उठाऊ जलापूर्ति योजना, 4.25 करोड़ लागत की प्रवाह सिंचाई योजना बड़ा ब्यास, 70 करोड़ की लागत से सुलह में बनने वाला फॉर्मेसी महाविद्यालय और कोना में बनने वाला आईटीआई भवन शामिल है। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने भवारना में जल शक्ति विभाग का नया वृत कार्यालय और लोक निर्माण विभाग तथा विद्युत बोर्ड के मंडल कार्यालय खोलने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इन विकास कार्यों से सुलह विधानसभा क्षेत्र के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। उन्होंने कहा कि 37.55 करोड़ लागत से निर्मित उठाऊ जलापूर्ति योजना का लोकार्पण होने से क्षेत्र के 6 हजार से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा। समारोह में बैजनाथ के विधायक मुल्ख राज प्रेमी, धर्मशाला के विधायक विशाल नैहरिया, हरियाणा के कोसली क्षेत्र के विधायक लक्ष्मण यादव, वूल फेडरेशन के अध्यक्ष एवं भाजपा प्रदेश महासचिव त्रिलोक कपूर, कर्मचारी एवं पेंशनभोगी कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष घनश्याम शर्मा, पूर्व विधायक प्रवीण शर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष हरि दत्त शर्मा, उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल, पुलिस अधीक्षक खुशाल शर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
कांग्रेस का फ्लॉप शो है रोजगार संघर्ष यात्रा, नेता कर रहे किनारा चिटों पर भर्तियां और नौकरियां बेचने वाले निकाल रहे रोजगार संघर्ष यात्रा फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला श्री नैना देवी जी से पूर्व विधायक और भाजपा प्रदेश मुख्यप्रवक्ता रणधीर शर्मा ने कांग्रेस की रोजगार संघर्ष यात्रा को लेकर निशाना साधा है। रणधीर शर्मा ने कहा कि रोजगार संघर्ष यात्रा नहीं, यह कांग्रेस की सत्ता संघर्ष की यात्रा है। खुद सत्ता में रहकर नौकरियां बेचने वाले, चिटों पर नौकरियां देने वाले आज युवाओं को ठगने के लिए रोजगार संघर्ष यात्रा निकाल रहे हैं। यह महज एक छलावा है। उन्होंने इस यात्रा को कांग्रेस का फ्लॉप शो करार दिया। रणधीर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस ने इस यात्रा की कमान भी ऐसे लोगों के हाथ सौंपी जिनके परिवारों ने सत्ता में रहते न जाने कितने लोगों का रोजगार छीना। विक्रमादित्य सिंह और रघुवीर सिंह बाली इस यात्रा के अगुवा बने हैं, लेकिन इन दोनों नेताओं के परिवारों ने किस तरह से सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर अपने चहेतों को फायदा पहुंचाया, यह हिमाचल का बच्चा-बच्चा जानता है। जब-जब चुनाव आते हैं, कांग्रेस के लोग इस तरह की यात्रा निकालने लग जाते हैं। दिवंगत नेता श्री जीएस बाली जब सरकार में मंत्री थे, तो उनके विभागों में होने वाली भर्तियों में सिर्फ एक क्षेत्र के युवा भर्ती होते थे। सरकारी नौकरियों में सिर्फ जीएस बाली के क्षेत्र और रामपुर व रोहड़ू के लोगों को प्राथमिकता दी जाती थी। रणधीर शर्मा ने कहा कि 2012 में भी पूर्व मंत्री जीएस बाली ने ऐसी ही रोजगार यात्रा निकाली थी, लेकिन 2012 से 2017 तक वह खुद मंत्री रहे, तो उन्होंने कितने लोगों को रोजगार दिलाया? रणधीर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस की रोजगार यात्रा पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुई है। हालात यह हो गए हैं कि अब तो कांग्रेस के नेता भी रोजगार संघर्ष यात्रा से किनारा करने लगे हैं। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव आश्रय शर्मा ने रोजगार यात्रा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इससे साफ हो रहा है कि कांग्रेस की यह यात्रा फ्लॉप साबित हो रही है। नेता इससे किनारा कर रहे हैं। कांग्रेस की रोजगार यात्रा पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज सत्ता में आने के लिए रोजगार यात्रा के नाम पर जो भारी-भरकम खर्च कांग्रेस द्वारा किया जा रहा है, उससे कितने ही युवाओं को स्वरोजगार के लिए मदद की जा सकती थी। यात्रा निकालने से नहीं, बल्कि नीति बनाने से युवाओं को रोजगार मिलेगा और नीति बनाने का काम जयराम ठाकुर की सरकार ने किया है। भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार एवं प्रदेश में जयराम सरकार ने युवाओं के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना प्रदेश में स्वावलंबन योजना और मुख्यमंत्री स्टार्टअप योजना का हज़ारों युवा लाभ उठा रहे हैं। प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने की दृष्टि से स्वावलंबन योजना को शुरू किया गया था। योजना के तहत कुल 721 करोड़ का निवेश हुआ। 200 करोड़ की अनुदान राशि प्रदान की गई। इसमें कुल 4 हजार 377 इकाइयां क्रियान्वित हो चुकी हैं। 11,674 लोगों को रोजगार मिल चुका। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश के युवाओं को कांग्रेस के इन नेताओं से पूछना चाहिए कि जब प्रदेश में उनकी सरकार थी तब आपने युवाओं के लिए क्या किया? युवाओं के लिए कौन सी योजना चलाई? आज कांग्रेस जिस वीरभद्र सिंह विकास मॉडल का ढिंढोरा सारे प्रदेश में पीट रही है, उसकी हकीकत यह थी कि चुनाव से पहले तो बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही थी, मगर सत्ता में आते ही देने से इनकार कर दिया था। लोगों का कांग्रेस पर से भरोसा उठ चुका है, यही वजह है कि एक बार फिर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी।
NSUI कार्यकर्ताओं ने आरएस बाली के समर्थन में युवाओं ने जमकर की नारेबाजी मनीष ठाकुर। इंदाैरा रोजगार संघर्ष यात्रा के दूसरे दिन कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव आरएस बाली नूरपुर और जसूर के बाद जैसे ही इंदौरा पहुंचे, वहां समर्थकों के भारी हुजूम ने उनका जोरदार स्वागत किया। NSUI कार्यकर्ताओं ने आरएस बाली के समर्थन और युवाओं के लिए जमकर नारेबाजी की। इस दौरान बेरोजगारी के खिलाफ युवाओं में भारी रोष देखने को मिला। युवाओं का कहना आज के समय में सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार का है। रोजगार संघर्ष यात्रा को लेकर युवाओं ने कहा कि बीजेपी युवाओं को बेरोजगारी की तरफ ले जा रही है। इस हम लोग यहां जमा हुए हैं। इस यात्रा को लेकर बुजुर्गों का कहना था कि आज मजबूर होकर हिमाचल ही नहीं, बल्कि पूरे देश के बच्चे बेरोजगार हैं और मजबूर होकर सड़क पर उतरना पड़ रहा है। इस मौके पर युवाओं के साथ बुजुर्गों का भी सरकार के खिलाफ आक्रोश देखने को मिला। यहां आरएस बाली ने काठगढ़ मंदिर में अपना शीश नवाया। काठगढ़ में जनसभा का आयोजन भी किया गया। इस जनसभा को संबोधित करते हुए आरएस बाली ने कहा कि यहां हम कोई राजनीतिक बात नहीं करेंगे और न ही किसी को कोसेंगे, उनका कहना था कि हमारा मकसद सिर्फ और सिर्फ युवाओं और बेरोजागरों की मदद करना है, उनका हक उनको दिलवाना भी हमारा अहम उद्देश्य है। इस हम यहां राजनीतिक बात करने नहीं आए हैं। इस मौके पर आरएस बाली रोजगार संघर्ष यात्रा, कांग्रेस एकता जिंदाबाद के साथ सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के लिए नारेबाजी करते हुए आगे बढ़ते दिखे। इस दौरान कई युवा आरएस बाली के साथ सेल्फी लेते दिखाई दिए। इस मौके पर जीएस बाली अमर रहे के नारे भी लगाए गए, यहां युवाओं ने बाइक रैली भी निकाली। उधर, कांग्रेस नेता मनमोहन कटोच का कहना था कि हिंदुस्तान में करीब 12 करोड़ लोग बेरोजगारी की दर पर खड़े हैं, जिससे देश डूब रहा है। उन्होंने कहा अगर हिमाचल प्रदेश की बात की जाए, तो हिमाचल का नौजवान सड़क पर हैं, भाजपा की सरकार नौजवानों को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा देश और प्रदेश के नौजवानों के लिए कांग्रेस लड़ाई लड़ रही है। बीजेपी पर हमला करते हुए उन्होंने कहा बीजेपी के नेता देश को जोड़ने का काम करें। लोगों को ठगने वाली सोच से बीजेपी बचे। वहीं, हिमाचल यूथ कांग्रेस अध्यक्ष निगम भंडारी ने युवाओं से अपील की है कि आरएस बाली की सोच के साथ जुड़ें। उन्होंने कहा रोजगार संघर्ष यात्रा के जरिए ज्यादा से ज्यादा युवा जुड़ें। निगम भंडारी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी बधाई दी कि इस यात्रा में जोर-शोर से भाग ले रहे हैं। इस मौके पर जिला अध्यक्ष कांग्रेस करण सिंह पठानिया, ब्लॉल अध्यक्ष देवेंद्र मनकोटिया, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष ओम प्रकाश कटोच, ब्लॉक जनरल सेक्रेटरी सुधीर पठानिया, एचपीसीसी सचिव मलिंदर राजन, एससी मोर्चा सचिव कमलकिशोर, बीवाईसी अध्यक्ष प्रधान विजेंदर पठानिया, यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मनमोहन कटोच ने अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई।


















































