कर्मचारी चयन आयोग (SSC) ने संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा (CGL) टियर 1 परीक्षा की तारीखों की घोषणा कर दी है। SSC सीजीएल टियर 1 परीक्षा देश भर के अलग अलग परीक्षा केंद्रों पर 12 सितंबर में शुरू होगी। SSC CGL 2025 परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट ssc.gov.in पर विजिट कर नोटिस देख सकते हैं। आधिकारिक नोटिस में लिखा है, "आयोग ने संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा, 2025 (टियर-1) 12 सितंबर 2025 से 26 सितंबर 2025 तक आयोजित करने का निर्णय लिया है। आगे के अपडेट के लिए उम्मीदवारों को आयोग की वेबसाइट पर जाने की सलाह दी जाती है।" इस दिन होगी CGL परीक्षा SSC नोटिस जारी किया है कि SSC CGL 2025 टियर-I परीक्षा कंप्यूटर आधारित मोड (CBE) में 12 सितंबर से 26 सितंबर तक आयोजित की जाएगी। इस दौरान एग्जाम कई चरणों में देशभर के विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर ली जाएगी। वहीं, टियर-2 परीक्षा दिसंबर 2025 (प्रस्तावित) में शुरू होगी। कुल रिक्तियां इस एग्जाम के द्वारा केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में कुल 14,582 खाली पदों को भरा जाएगा। जो उम्मीदवार शॉर्टलिस्ट किए जायेंगें उनको केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, संगठनों के साथ-साथ विभिन्न संवैधानिक, वैधानिक निकायों और न्यायाधिकरणों (ट्रिब्यूनल्स) में ग्रुप 'बी' और ग्रुप 'सी' पदों पर नियुक्त किया जाएगा। इन पदों का जो आवंटन है वो परीक्षा नोटिस में निर्दिष्ट प्रावधानों के मुताबिक तय किया जाएगा, विशेष पदों के लिए योग्यता और उम्मीदवारों की प्राथमिकताओं दोनों को ध्यान में रखते हुए। चयन प्रक्रिया उम्मीदवारों का जो चयन है वो दो-स्तरीय कंप्यूटर-आधारित परीक्षा (CBE) के जरिए होगा। अधिसूचना में कंप्यूटर आधारित परीक्षा की योजना और सिलेबस की जानकारी दी गई है। आयोग ने कहा कि अंतिम परिणाम घोषित किये जाने के बाद उपयोगकर्ता विभागों द्वारा डॉक्यूमेंट सत्यापित किया जायेगा। न्यूनतम उत्तीर्ण मानदंड अनारक्षित वर्ग के लिए 30 % ओबीसी और ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों के लिए 25 % अन्य सभी श्रेणियों के लिए 20 %
धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से जो अल्पसंख्यक सुमदाय के लोग भारत आए हैं उनके लिए केंद्र सरकार ने बड़ी राहत की खबर दी है। गृह मंत्रालय ने आदेश जारी किया है कि अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग जो 31 दिसंबर 2024 तक भारत आए हैं, वे देश में बिना पासपोर्ट या अन्य किसी वैध डॉक्युमेंट के बिना भी रह सकते हैं। इसके तहत उन सभी लोगों को राहत मिलने वाली है जो बिना पासपोर्ट और वीजा के भारत आए और जिनके डाक्यूमेंट्स की वैधता समाप्त हो चुकी है। आपको बता दें कि इसके पहले CAA के अनुसार, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के उत्पीड़ित अल्पसंख्यक समुदायों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को के वे लोग जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे, सिर्फ उन्हें भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। नेपाल और भूटान के लिए नियम नेपाल और भूटान के नागरिकों को भारत में प्रवेश के लिए पासपोर्ट-वीजा की जरूरत नहीं होगी। नेपाल और भूटान के नागरिकों के साथ-साथ दोनों पड़ोसी देशों से सड़क या हवाई मार्ग से भारत में आने वाले भारतीयों को पहले की तरह अब पासपोर्ट या वीजा जरूरत नहीं होगी। गृह मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत में प्रवेश करने, ठहरने और बाहर जाने के लिए वैध पासपोर्ट या अन्य वैध यात्रा दस्तावेज और वैध वीजा की आवश्यकता नहीं होगी, बशर्ते कि कोई भारतीय नागरिक नेपाल या भूटान की सीमा से सड़क या हवाई मार्ग के जरिये भारत में प्रवेश करता है, या कोई नेपाली या भूटानी नागरिक नेपाल या भूटान की सीमा से सड़क या हवाई मार्ग द्वारा भारत में प्रवेश करता है, या उसके पास वैध पासपोर्ट है और वह नेपाल या भूटान के अलावा किसी अन्य स्थान से भारत में प्रवेश करता है या भारत से बाहर जाता है। ’’
दिल्ली में आज बुधवार से GST काउंसिल की दो दिवसीय बैठक शुरू। इसमें टैक्स स्लैब को सरल बनाने से जुड़े मुद्दों पर फैसला लिया जा सकता है। इसके तहत केंद्र सरकार रोज इस्तेमाल की जाने वाली चीजों पर टैक्स को कम करने के लिए माल व सेवा कर में बदलाव कर सकती है। यह बैठक 4 सितंबर को समाप्त होगी। टैक्स स्लैब में कटौती और इसके चलते कीमतों में होने वाली कमी को लेकर पूरे देश की नज़र इस बैठक पर बनी हुई हैं। आपको बता दें कि PM नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को अपने भाषण में GST में सुधार करने की इस योजना के बारे में बताया था। GST काउंसिल योजना के अनुसार, अभी के जो 4 टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18% व 28%) हैं उसे घटाकर सिर्फ 2 स्लैब (5% व 18%) करने का प्रस्ताव है। यह फैसला होने से जीएसटी में बड़ा सुधार होगा। यें चीजें हो सकती हैं सस्ती इसके तहत डेली इस्तेमाल की चीजें जैसे कि घी, मेवे, पीने के पानी, नमकीन, जूते और परिधान,पेंसिल, साइकिल, छाते, दवाइयां और चिकित्सा उपकरण आदि को 12 % से 5 % टैक्स स्लैब में लाने कि बात चल रही है। कुछ श्रेणी के इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं जैसे कि टीवी, वॉशिंग मशीन और रेफ्रिजरेटर की कीमतों में कमी हो सकती है, क्योंकि इन पर 28 % के बदले 18 % का टैक्स लगाया जा सकता है। इन पर लगेगा ज्यादा टैक्स वाहनों पर इस समय 28 % कर लागू है। अब उन पर अलग-अलग दरें लागू की जा सकती हैं। शुरुआती स्तर की कारों पर 18 %, जबकि एसयूवी और लक्जरी कारों पर 40 % टैक्स लागू होगा। इसके अलावा अवगुणों से संबंधित वस्तुओं जैसे तंबाकू, पान मसाला और सिगरेट पर भी 40 % टैक्स लागू होगा। आम जनता और कारोबार पर असर जानकारों का मानना है कि नए टैक्स स्ट्रक्चर से बिज़नेस मैन के साथ साथ आम लोगों को भी रोज इस्तेमाल होने वाली चीजों पर टैक्स का बोझ कम होने से राहत मिलेगी। इससे मार्किट में खपत को बढ़ावा मिल सकता है।
भारतीय रेलवे ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के साथ एक समझौता किया है। आपको बता दें की इसके तहत SBI वेतन खाता धारक रेलवे कर्मचारियों को 1 करोड़ रुपये का दुर्घटना बीमा मिलेगा। यह भारतीय रेलवे द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए उठाया गया ऐतिहासिक कदम है। सोमवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में भारतीय रेलवे और एसबीआई के बीच इस संबंध में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इस योजना का लाभ रेलवे के करीब 7 लाख कर्मचारियों को मिलने वाला है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा अश्विनी वैष्णव ने इस समझौते को कर्मचारियों के हित में लिया गया ऐतिहासिक कदम बताया और यह भी कहा कि यह योजना रेलवे परिवार के प्रति सरकार की संवेदनशीलता व प्रतिबद्धता को दिखाती है। पहले बहुत ही कम बीमा कवर अभी तक रेलवे कर्मचारी को केंद्रीय सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना (CGEGIS) के तहत बीमा कवर मिलता था। यह राशि बहुत ही कम थी। आपको बता दें कि ग्रुप-ए कर्मचारियों को 1.20 लाख रूपए, ग्रुप-बी कर्मचारियों को 60,000 रूपए और ग्रुप-सी कर्मचारियों को केवल 30,000 रूपए का बीमा कवर मिलता था। लेकिन अब रेलवे और SBI के बीच समझौता होने से यह कवर कई गुना बढ़ चुका है। इससे कर्मचारियों को बहुत राहत मिलने वाली है। इस समझौते से फायदा इस समझौते के मुताबिक कर्मचारियों को दुर्घटना मृत्यु पर 1 करोड़ रुपये का बीमा कवर दिया जायेगा। साथ ही प्राकृतिक मृत्यु होने पर भी कर्मचारियों को 10 लाख रुपये का बीमा कवर दिया जायेगा। आपको बता दें कि इसमें सबसे ख़ास बात यह है कि इस बीमा कवर के लिए कर्मचारियों को कोई भी प्रीमियम देने की जरुरत नहीं है और ना ही किसी भी तरह की मेडिकल जांच कराने की जरुरत होगी। इसके साथ और भी कई पूरक बीमा लाभ भी दिए जायेगें। जैसे की हवाई दुर्घटना के लिए बीमा कवर 1.60 करोड़ रुपये, रुपे डेबिट कार्ड पर अतिरिक्त 1 करोड़ रुपये तक, स्थायी पूर्ण विकलांगता पर 1 करोड़ रुपये तक, स्थायी आंशिक विकलांगता पर 80 लाख रुपये तक का कवर दिया जायेगा। सात लाख कर्मचारी लाभान्वित भारतीय रेलवे ने जानकारी दी है कि करीब सात लाख कर्मचारी, जिनके वेतन खाता SBI में हैं, उन्हें इस योजना का लाभ मिलेगा। यह सुविधा ग्रुप-सी कर्मियों को बड़ी राहत देने वाली है, जो रोज जोखिम लेकर रेलवे सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने में सहायता करते हैं।
जर्मन संघीय विदेश मंत्री जोहान डेविड वाडेफुल मंगलवार सुबह भारत की दो दिवसीय दौरे पर बेंगलुरु पहुंचे हैं। उनकी यह यात्रा 2 से 3 सितंबर तक है। जर्मन विदेश मंत्री वाडेफुल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का दौरा करेंगे। बुधवार को वाडेफुल केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से मिलेंगें और उनके साथ कई उच्च-स्तरीय बैठकें की होंगीं । इन बैठकों में उम्मीद है कि व्यापार, सुरक्षा, हरित ऊर्जा, डिजिटल परिवर्तन और वैश्विक शासन जैसे मुख्य विषयों पर चर्चा की जाएगी। उनसे मिलने के बाद वे दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर से भेंट करेंगे और उसी दिन वह देश से लौट जाएंगे। आपको बता दें कि जर्मन विदेश मंत्री वाडेफुल ने अपनी यात्रा से पहले, भारत-प्रशांत क्षेत्र और वैश्विक मंच पर एक प्रमुख भागीदार के रूप में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका का ज़िक्र किया था। सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर वाडेफुल ने जर्मनी और भारत के बीच घनिष्ठ राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों पर जोर दिया था। भारत को ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदार’ बताया वाडेफुल ने भारत को ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदार’ बताया है। वाडेफुल ने जर्मनी और भारत के बीच आपसी संबंधों पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत और जर्मनी के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से घनिष्ठ संबंध हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा सहयोग से लेकर इनोवेशन, टेक्नोलॉजी और स्किल्ड वर्कफोर्स भर्ती जैसे क्षेत्रों में हमारी रणनीतिक साझेदारी को विस्तार देने की बहुत सी संभावनाएं हैं। अंतरराष्ट्रीय शांति व स्थिरता के लिए मिलकर काम करना चाहिए वाडेफुल ने कहा कि भारत और जर्मनी को अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए एक साथ मिलकर काम करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश और सबसे बड़े लोकतंत्र के तौर पर भारत की आवाज वैश्विक मंचों पर बहुत प्रभावशाली हो रही है, जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र परे भी सुनी जाती है। विदेश मंत्रालय के अनुसार विदेश मंत्रालय के अनुसार यूरोप में भारत के सबसे महत्वपूर्ण साझेदारों में से एक जर्मनी है। वर्ष 2000 से ही भारत और जर्मनी ने एक 'रणनीतिक साझेदारी' बनाए रखी है। 2011 में अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) की शुरुआत के बाद से यह और भी मजबूत हुआ है। सहयोग की समीक्षा को आईजीसी अधिक सक्षम बनाता है और मंत्रिमंडल स्तर पर जुड़ाव के नए अवसरों की पहचान करता है। भारत उन खास देशों में शामिल है जिनके साथ जर्मनी का ऐसा कम्युनिकेशन सिस्टम है।
PM नरेंद्र मोदी ने आज मंगलवार को दिल्ली के यशोभूमि में सेमीकॉन इंडिया 2025 का शुभारंभ किया। यह 2-4 सितंबर तक आयोजित किया जायेगा। इस तीन दिवसीय सेमीकॉन इंडिया 2025 का उद्देश्य भारत में एक मजबूत और टिकाऊ सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को बढ़ावा देने का है। इस सम्मेलन में 33 देशों की करीब 350 से अधिक कंपनियों के शामिल होने की खबर है। इसका आयोजन जो है वो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत भारत सेमीकंडक्टर मिशन और वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग संघ सेमी द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। अभी तक, सेमीकॉन इंडिया के 3 कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। इस सम्मलेन में कई कंपनियों के CEO के भी शामिल होने की सूचना है। अनुमान है कि प्रधानमंत्री मोदी कल बुधवार 3 सितंबर को भी इस सम्मेलन में भाग लेंगें। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि हर तरफ उत्साह दिख रहा है। उन्होंने कहा कि भारत जिस तेजी के साथ विकास कर रहा है, उससे लग रहा है कि भारत बहुत जल्द तीसरी अर्थव्यवस्था वाला देश बन सकता है। 2021 में शुरू हुआ था मिशन इसका पहला कार्यक्रम 2022 (बेंगलुरु), दूसरा 2023 (गांधीनगर) और तीसरा 2024 (ग्रेटर नोएडा) में आयोजित किया गया था। अश्विनी वैष्णव ने कहा अश्विनी वैष्णव ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया भारत की तरफ देख रही है। अब पांच सेमीकंडक्टर इकाइयों का निर्माण तेज़ी से हो रहा है। वैश्विक उथल-पुथल की वजह से भारी अनिश्चितता आई है और इस अशांत समय में, भारत स्थिरता और विकास के प्रकाश स्तंभ की तरह खड़ा है। ऐसे समय में भारत की नीतियां स्थिर हैं और सभी को इसीलिए भारत आना चाहिए। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा इस सम्मलेन में PM मोदी को विक्रम 32-बिट प्रोसेसर और 4 स्वीकृत परियोजनाओं के परीक्षण चिप भेंट दी गई। आपको बता दें कि विक्रम 32-बिट प्रोसेसर पहला पूर्ण रूप से मेक-इन-इंडिया 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर है। यह प्रोसेसर प्रक्षेपण यानों की कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों में इस्तेमाल ले लिए उपयोगी है। इस चिप को इसरो सेमी-कंडक्टर लैब ने विकसित किया है। मोदी ने सोशल मीडिया पर किया पोस्ट इस सम्मेलन को लेकर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी किया है कि मंगलवार 2 सितंबर को सुबह 10 बजे सेमीकॉन इंडिया 2025 का उद्घाटन होगा। उन्होंने कहा कि यह मंच सेमीकंडक्टर जगत के अग्रणी स्टेकहोल्डर्स को एक साथ लाने वाला है। मोदी ने यह भी कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारत की हाल की प्रगति बहुत ही उल्लेखनीय रही है। यह जो सम्मेलन है वो सेमीकंडक्टर फ़ैब्रिक्स, उन्नत पैकेजिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अनुसंधान और निवेश जैसे प्रमुख विषयों पर फोकस रहेगा। सेमीकॉन इंडिया 2025 का उद्देश्य इसमें सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम की प्रगति, सेमीकंडक्टर फैब और उन्नत पैकेजिंग परियोजनाएं, बुनियादी ढांचे की तैयारी, स्मार्ट विनिर्माण, अनुसंधान एवं विकास और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में नवाचार, निवेश के अवसर, राज्य स्तरीय नीति कार्यान्वयन आदि पर सेशन किये जायेंगें। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में उद्योग जगत के अग्रणी, इन्नोवेटर , शिक्षा जगत, सरकार और कई स्टेकहोल्डर्स आदि सभी को एक साथ लाने का प्रयास है ताकि प्रौद्योगिकी प्रगति को बढ़ावा मिल सके। 2021 में भारत सेमीकंडक्टर मिशन की शुरुआत के बाद से, सिर्फ 4 साल में, भारत ने सेमीकंडक्टर यात्रा के क्षेत्र में बहुत ज्यादा प्रगति की है। इन क्षेत्र में उन्नति के लिए सरकार ने 76,000 करोड़ रुपये की उत्पादन-आधारित इंसेंटिव स्कीम की घोषणा की है। इसमें से करीब 65,000 करोड़ रुपये पहले ही दिए जा चुके हैं। सेमीकॉन इंडिया 2025 के जरिये भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम में अपनी पुनर्परिभाषित भूमिका को प्रदर्शित करने के लिए तैयार है। इसमें लगभग 350 प्रदर्शक, 15,000 से अधिक अपेक्षित आगंतुक, 6 देश गोलमेज सम्मेलन, 4 देश मंडप और 9 भारतीय राज्यों की भागीदारी होने जा रही है। जो सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों के लिए दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा मंच प्रदान करने जा रहा है। इस सम्मलेन में भारत की सेमीकंडक्टर प्रगति पर चर्चा की जाएगी। इसमें उच्च-मात्रा फैब्स, उन्नत पैकेजिंग, कम्पाउंड सेमीकंडक्टर, ओएसएटी और अनुसंधान और स्टार्ट-अप के लिए सरकारी समर्थन सहित 10 एप्रूव्ड स्ट्रेटेजिक प्रोजेक्ट्स का प्रदर्शन किया जाएगा।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) में जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में सितंबर 2025 में अधिकांश क्षेत्रों में इस बार सामान्य से अधिक बारिश होने की सम्भावना है। उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के कई क्षेत्रों में ज्यादा अच्छी बारिश हो सकती है। IMD ने रविवार को जानकारी दिया है कि सितंबर में मासिक औसत बारिश 167.9 मिलीमीटर के दीर्घकालिक औसत से 109 % से अधिक होने का अनुमान है। इन राज्यों के जनजीवन होंगें प्रभावित IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने जानकारी दी है कि भारी बारिश के चलते सितंबर में उत्तराखंड में भूस्खलन और अचानक बाढ़ आ सकती है। उत्तराखंड से कई नदियां निकलती हैं जो भारी बारिश के चलते उफान पर होंगी और इसका असर निचले क्षेत्रों के शहरों और गांव पर भी पड़ेगा। इसलिए दक्षिणी हरियाणा, दिल्ली और उत्तरी राजस्थान में भी इससे आम जनजीवन प्रभावित होने की सम्भावना है। महापात्र ने यह भी कहा कि राजस्थान से मानसून वापसी की जो सामान्य तिथि होती है वो एक सितंबर से होती है, लेकिन अब यह बदलकर 17 सितंबर हो गई है। उन्होंने कहा है कि इन दिनों सावधानी बरतें और सतर्क रहें। पंजाब व हिमालयी राज्यों में आई भीषण बाढ़ पंजाब में इस बार दशकों बाद सबसे भीषण बाढ़ देखने को मिली है। इस बाढ़ कि वजह से नदियां उफान पर, नहरें टूट गईं और साथ ही हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गईं। इस भीषण बाढ़ से लाखों लोग अपने घर से विस्थापित हो गए। हिमालयी राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड तथा जम्मू कश्मीर में बादल फटने और अचानक आई बाढ़ कि वजह से भूस्खलन हुआ तथा भारी जान-माल का नुकसान हुआ है। IMD ने इस अतिरिक्त बारिश कि वजह सक्रिय मानसून को बताया है। जून-अगस्त में कितनी हुई बारिश IMD के आंकड़े के मुताबिक, 1 जून से 31 अगस्त के बीच भारत में 743.1 मिलीमीटर बारिश हुई है। यह 700.7 मिलीमीटर की दीर्घकालिक औसत से लगभग 6 % अधिक है। जून में 180 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से करीब 9 % ज्यादा थी। इस मानसून में नार्मल से ज़्यादा बारिश महापात्र ने बताया कि उत्तर-पश्चिम भारत में अगस्त में 265 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई, जो 2001 के बाद से इस महीने में सबसे अधिक बारिश है। इस क्षेत्र में अब तक मानसून के तीनों महीनों में नार्मल से ज़्यादा वर्षा हुई है। इस इलाके में 1 जून-31 अगस्त तक 614.2 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य 484.9 मिलीमीटर से करीब 27 % अधिक है। IMD के अनुसार, दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में अगस्त में 250.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई, जो सामान्य से करीब 31 % ज्यादा है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को जम्मू के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर राहत कार्यों का जायज़ा लिया। शाह रविवार रात को बाढ़ की स्थिति और राहत कार्यों की समीक्षा के लिए जम्मू पहुंचे थे। उन्होंने बिक्रम चौक के नज़दीक तवी पुल पर जाकर नदी के किनारे जो भी नुकसान हुआ है उसका भी जायजा लिया। जानकारी के मुताबिक वह जिले के सबसे अधिक प्रभावित गांव मंगुचक्क भी जाएंगे। साथ ही आज बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण भी किया जा सकता है। इस दौरान वहां गृह मंत्री के साथ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी मौजूद रहे। इसके अलावा, अमित शाह राजभवन में 2 अलग-अलग बैठकों की अध्यक्षता भी कएने वाले हैं। इन बैठक में बाढ़ राहत कार्यों पर और साथ ही बाढ़ से सीमा सुरक्षा में आई बाधाओं के मुद्दे पर भी बात होगी। जानकारी के अनुसार 14 अगस्त से अब तक किश्तवाड़, कठुआ, रियासी और रामबन जिलों में बादल फटने, भूस्खलन तथा अचानक आई बाढ़ कि वजह से करीब 130 लोगों की मौत हो हुई है, वहीं 33 लोग लापता हैं। आपको बता दें कि 26 और 27 अगस्त को रिकॉर्ड बारिश हुई। इससे जम्मू और अन्य मैदानी क्षेत्रों में भारी बाढ़ आ गई। इस वजह से यहां बुनियादी ढांचे को बहुत नुकसान हुआ है। मृतकों में 34 श्रद्धालु भी शामिल थे, जो 26 अगस्त को माता वैष्णो देवी कि यात्रा पर थे और इस दौरान वे भूस्खलन की चपेट में आ गए। 14 अगस्त को चिशोती में बादल फटने से 65 लोगों की मौत, 100 से ज्यादा घायल, जबकि 32 लोग लापता हो गए थे। इन मृतकों में अधिकांश मचैल माता की यात्रा पर जा रहे श्रद्धालु थे। शाह का यह दूसरा दौरा शाह का पिछले तीन महीनों में जम्मू का यह दूसरा दौरा है। पिछलेवार 29 मई को वे यहां तब पहुंचे थे जब भारत की सेना ने 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में सीमा पार आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए थे। आपको बता दें कि 24 अगस्त को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी जम्मू कि यात्रा की थी। वे किश्तवाड़ जिले के चिसोटी गांव में बादल फटने के बाद यहां की स्थिति का निरिक्षण करने पहुंचे थे पर खराब मौसम और पडर उपखंड में भूस्खलन होने कि वजह से वे गांव तक पहुंच नहीं पाए थे।
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने सोमवार को आगामी ICC महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2025 में प्राइज मनी को लेकर घोषणा की है कि विजेता टीम को अब तक की सबसे बड़ी इनामी राशि दी जाएगी। अगला ICC महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप का टूर्नामेंट 30 सितंबर से 2 नवंबर तक खेला जाना है, जिसका शुरूआती मुकाबला भारत और श्रीलंका के बीच गुवाहाटी में होगा। इस बार पांच जगहों- गुवाहाटी, इंदौर, नवी मुंबई, विशाखापट्टनम और कोलंबो (श्रीलंका) पर मैच खेले जाएंगे। ICC ने कहा कि यह बदलाव इसीलिए किया गया है ताकि महिला खिलाड़ियों और प्रशंसकों को अधिक प्रेरणा मिले और साथ ही इससे महिला क्रिकेट को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद होगा। पुरुषों के वनडे विश्व कप 2023 प्राइज मनी से भी ज्यादा ICC ने इस बार महिला विश्व कप की कुल प्राइज मनी को 13.88 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानि कि लगभग 115 करोड़ रुपये तय किया है। यह पिछले बार की तुलना में 239 % ज्यादा है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि महिलाओं का अब जो प्राइज मनी है वो, पुरुषों के वनडे विश्व कप 2023 से भी ज्यादा है। 2023 में पुरुषों के वनडे वर्ल्ड कप की विजेता टीम ऑस्ट्रेलिया को 33.31 करोड़ रुपये मिले थे, जबकी उपविजेता भारत को 16.65 करोड़ रुपये मिले थे। इस बार विजेता टीम को 4.48 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानि करीब 39 करोड़ रुपये मिलेंगे, जो पिछले बार की इनामी राशि 1.32 मिलियन डॉलर यानी 11.65 करोड़ रुपये से लगभग चार गुना अधिक है। रनर-अप और सेमीफाइनलिस्ट को भी बड़ी राशि जो उपविजेता होंगें उन्हें भी 2.24 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि दी जाएगी। साथ ही सेमीफाइनल में हारने वाली दोनों टीमों में प्रत्येक को 1.12 मिलियन अमेरिकी डॉलर दिए जायेंगें। यह पिछली बार की तुलना में तीन गुना अधिक है।
अफगानिस्तान में 31 अगस्त रविवार को देर रात भूकंप आया जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत होने की पुष्टि हुई है। पूर्वी अफगानिस्तान के नंगरहर में आए इस भूकंप की तीव्रता 6.0 दर्ज़ की गई है जिससे वहां जान-माल की बड़ी क्षति होने की खबर सामने आई है। जानकारी के अनुसार, अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्रालय ने बताया है कि इस भूकंप की वजह से 622 लोग मारे गए हैं,वहीं हजारों घायल हैं। ऐसी खबर है कि मौतें और चोटें मुख्य रूप से जालालाबाद और आसपास के क्षेत्रों में हुईं हैं। नंगरहार इलाके में कई गांव मलबे का ढेर में तब्दील हो गए हैं क्यों यहां ज्यादातर मकान मिटटी के हैं। अफगानिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता शराफत जमान के अनुसार, तालिबान सरकार ने हेलीकॉप्टरों से लोगों को बचने के लिए रेस्क्यू किया गया है। पड़ोसी राज्यों से भी बचाव टीमें कुनार और नंगरहार पहुंचीं हैं, जहां लोगों को मलबे से निकालकर अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र (UN) की टीम भी भूकंप से पीड़ित लोगों के लिए भोजन-पानी और मेडिकल मदद लेकर पहुंची है। केंद्र और तीव्रता अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) ने इस भूकंप की तीव्रता 6.0 तीव्रता का बताया है। यह भूकंप रविवार देर रात 11:47 बजे आया। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (GFZ) के मुताबिक, भूकंप का केंद्र जो था वह जालालाबाद शहर से 27 किलोमीटर पूर्व में था और इसकी गहराई 10 किलोमीटर थी। तालिबान सरकार ने बचाव कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन दुर्गम क्षेत्रों में पहुंच मुश्किल होने कारण बचाव कार्य में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अफगानिस्तान में बार-बार भूकंप क्यों अफगानिस्तान हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला में पड़ता है और यहां टेक्टॉनिक्स प्लेट का सक्रिय जोन है। आपको बता दें कि यहां यूरोएशियन प्लेट, अरबियन प्लेट और इंडियन प्लेट के आपस में टकराने से यहां अक्सर भूकंप आते ही रहते हैं। साल में 100 से भी ज्यादा भूकंप आते हैं। यहां यह देखा गया है कि इंडियन प्लेट का यूरोएशियन प्लेट से टकराव 39 मिमी/वर्ष की रफ्तार से होता है। पिछले 10 सालों में 300 किमी के दायरे में 10 भूकंप ऐसे आए जिनकी तीव्रता 6.0 से ऊपर थी। 2015 में यहां सबसे घातक भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 7.5 दर्ज़ की गई थी।2023 में भी भयंकर भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 6.3 मापी गई थी जिसमें करीब 1,500 मौतें हुई थी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के द्वारा शुरू की गई वोटर अधिकार यात्रा का आज अंतिम दिन है। आज बिहार की राजधानी पटना में इसका समापन होने जा रहा है। इस वोटर अधिकार यात्रा की शुरुआत 17 अगस्त से बिहार में SIR और कथित वोट चोरी के खिलाफ की गई थी। इस यात्रा में महागठबंधन भी अपना समर्थन देने शामिल हुए। 30 अगस्त को आरा में इस यात्रा का अंतिम पड़ाव पूर्ण हुआ था। आपको बता दें कि इसके समापन के लिए पटना में आज पदयात्रा की जाएगी जो गांधी मैदान से शुरू होेकर पटना हाईकोर्ट के समीप अंबेडकर मूर्ति तक की जाएगी। गठबंधन के नेता गांधी मैदान स्थित महात्मा गांधी की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित कर दोपहर करीब 12:30 बजे के बाद जनसभा करेंगें। राहुल गांधी ने इस यात्रा को 'गांधी से अंबेडकर' तक नाम दिया है। बिहार में पहली बार कांग्रेस के नेतृत्व में नेशनल लेवल पर बने गठबंधन- इंडिया में इतना जोश देखा जा रहा है। वोटर अधिकार यात्रा के समापन पर पूरा विपक्ष पटना पहुंच रहे हैं वोटर अधिकार यात्रा के समापन के दिन पटना में गठबंधन- इंडिया की ताकत दिखाने के लिए देशभर से तमाम बड़े नेताओं को बुलाया गया है। इस यात्रा के समापन के दिन राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, लालू यादव, दीपांकर भट्टाचार्य, मुकेश सहनी, हेमंत सोरेन, अशोक गहलोत, संजय राउत और सुप्रिया सुले सहित तमाम बड़े नेता शामिल होने जा रहे हैं। पुरे पटना में इंडिया गठबंधन के तमाम नेताओं के बैनर और पोस्टरों लगाए गए हैं। कांग्रेस ने कहा बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव इस यात्रा में पहले दिन से ही राहुल गांधी के साथ खड़े दिख रहे हैं। कांग्रेस ने कहा कि वोटर अधिकार यात्रा एक जन क्रांति बन चुकी है। इस यात्रा से बिहार को अपने अधिकारों के लिए लड़ने का हौसला मिला है और 'वोट चोरी' के खिलाफ खुली लड़ाई की शुरुआत की। कांग्रेस का कहना है कि इस यात्रा को जनता का पूरा समर्थन मिला। इसका उद्देश्य मतदाताओं को उनके मताधिकारों के प्रति जागरूक करना था। उनका मानना है कि इसमें कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से सफल रही। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने 'मतदाता अधिकार यात्रा' को लेकर कहा कि यह मामला सिर्फ बिहार तक ही सीमित नहीं, बल्कि पुरे देश के मतदाता के मताधिकार से जुड़ा है। उन्होंने NDA पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्षों से उन चुनावों में भी जहां कांग्रेस की जीत के आसार होते हैं, वहां वोट चोरी कर सत्ता हासिल कर ली जा रही है। इस यात्रा में शामिल माले नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि आज यात्रा का समापन जरूर है, पर मतदाताओं के अधिकार के लिए हमारी लड़ाई जो है वो जारी रहेगी। भाजपा ने कहा भाजपा सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने कांग्रेस की 'मतदाता अधिकार यात्रा' को सिर्फ राजनीति करना बताया है। चुनाव आयोग विपक्ष के एक-एक सवाल पर जवाब दे रहा है। उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधा और सवाल किया कि क्या रोहिंग्या या विदेशी घुसपैठिए भी वोटर लिस्ट में शामिल होंगे? साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को पूरे देश की वोटर लिस्ट की जांच करनी चाहिए ताकि ऐसी गड़बड़ियों को ख़त्म किया जा सके। छत्तीसगढ़ भाजपा अध्यक्ष किरण सिंह देव ने कहा कि देश की जनता बहुत समझदार है और इन यात्राओं से उनपर कोई असर नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि एक सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी माता के लिए अपशब्द बोलने वाले कांग्रेस को लगता है कि जनता इससे प्रशन्न होगी, पर आमजनता ऐसे व्यवहारों को पसंद नहीं करती।
देश में महीना बदलते ही कई नियमों में बदलाव किये जाते हैं जो हमारे रोजमर्रा की जिंदगी पाए असर डालते हैं। हर महीने की तरह कल सितंबर महीने के शुरू होते ही कई वित्तीय बदलाव होंगें। इसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा और इससे आपके जो मंथली बजट हैं वो भी प्रभावित हो सकते हैं। 1 सिंतबर से बदले जायेंगे ये 5 नियम GST में बदलाव प्रधान मंत्री मोदी ऐलान किया था कि जल्द ही जीएसटी (GST) में बदलाव किए जायेंगें। अब केवल दो स्लैब 5% और 12% रहेंगें। आपको बता दें कि इसके लिए 3-4 सितंबर 2025 को जीएसटी काउंसिल की बैठक भी होने जा रही है। ऐसा अनुमान है कि जीएसटी स्लैब को लेकर एक बड़ा फैसला आ सकता है। भारतीय डाक सेवा स्पीड पोस्ट में मर्ज 1 सितंबर से भारतीय डाक सर्विस को स्पीड पोस्ट में मर्ज किया जायेगा। आप अब डाक से कुछ भी भेजेंगे तो वह स्पीड पोस्ट के जरिए जाएगा। LPG गैस सिलेंडर की कीमतों में बदलाव गैस सिलेंडर की कीमतों में भी बदलाव किए जायेगें। पिछले महीने कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमत 33.50 रुपये कम हुआ था। ऐसी उम्मीद लगाई जा रही है कि घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत में भी कुछ राहत मिलेगी । SBI क्रेडिट कार्ड पर बदले नियम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने क्रेडिट कार्ड पर कुछ बदलाव किए हैं जो क्रेडिट कार्ड ग्राहकों को प्रभावित कर सकता है। आपको बता दें कि अब लाइफस्टाइल होम सेंटर SBI कार्ड पर रिवॉर्ड सिस्टम समाप्त कर दिया है। साथ ही कार्ड से पेमेंट करने पर चार्ज बढ़ सकती है। चांदी की खरीदारी में ये नियम लागू 1 सितंबर से चांदी पर हॉलमार्किंग लागू की जा सकती है। इससे लोगों को चांदी की शुद्धता और गुणवत्ता पहचानने में आसानी होगी। इससे अब चांदी में निवेश और आभूषणों की खरीद पर ज्यादा पारदर्शिता आएगी।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड BCCI अगले टी20 वर्ल्ड कप 2026 से पहले MS Dhoni को एक बड़ी जिम्मेदारी देने का प्लान कर रहा है। ऐसी खबर है कि टीम इंडिया को वर्ल्ड कप और चैंपियंस ट्रॉफी दिलाने वाले कप्तान MS Dhoni को BCCI अगले टी20 वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया का मेंटर के रूप में चुन सकता है। टी20 वर्ल्ड चैंपियन कप्तान MS Dhoni सबसे पहला टी20 वर्ल्ड कप 2007 में खेला गया। इसमें भारत ने पाकिस्तान को 5 रनों से हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। उसके बाद 2014 में टीम इंडिया ने MS Dhoni की कप्तानी में ही टी20 वर्ल्ड कप का फाइनल खेला था, हालांकि इसमें टीम इंडिया को 6 विकेट से हार का सामना करना पड़ा था। पहले भी थे मेंटर BCCI द्वारा टी20 वर्ल्ड कप 2021 में भी MS Dhoni को टीम इंडिया का मेंटर नियुक्त किया गया था। इस बार जानकारी यह है कि BCCI टीम के भविष्य को देखते हुए उन्हें लंबे समय के लिए मेंटर नियुक्त करना चाहता है। पर यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या धोनी इसके लिए तैयार होंगे? मुख्य कोच गौतम गंभीर का कहना आपको बता दें कि गंभीर धोनी की कप्तानी में खेले गए टी20 वर्ल्ड कप टीम के भी सदस्य रह चुके हैं, जिसमें टीम इंडिया ने जीता था। गंभीर का कहना है कि जब पूरी टीम एकजुट होकर खेलती है तभी सफलता संभव होती है। ऐसे में क्या गंभीर धोनी को अपने से ऊपर रखना चाहेंगें? वैसे हाल के दिनों में एक कार्यक्रम में धोनी और गंभीर दोनों एक साथ दिखाई देने का वीडियो सोशल मीडिया पर था। इसमें दोनों एक साथ खुश नज़र आ रहे थे। IPL 2026 में खेलना स्पष्ट नहीं आपको बता दें कि 2020 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायर्मेंट की घोषणा करने वाले धोनी अभी IPL में खेल रहे हैं। लेकिन आगे यह देखना होगा कि वह IPL 2026 में खेलेंगे या नहीं। MS Dhoni का करियर MS Dhoni ने अपने क्रिकेट के करियर में इंडिया के लिए 90 टेस्ट, 350 वनडे और 98 टी20 मैच खेले हैं। उन्होंने टेस्ट फॉर्मेट में 4876 रन बनाए हैं जिसमें 6 शतक और 53 अर्धशतक लगाए हैं। इनमें उनका सर्वोच्च स्कोर 224 है। धोनी ने वनडे क्रिकेट में 10 शतक और 73 अर्धशतकों के साथ कुल 10773 रन बनाए, जबकि टी20 फॉर्मेट में 1617 रन बनाए हैं। IPL में अभी तक वे 278 मैच खेले जिसमें 24 अर्धशतक के साथ कुल 5439 रन बनाए हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल होने चीन के तिआनजिन पहुँचें हैं। इस SCO शिखर सम्मेलन से पहले ही आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई और यह लगभग 1 घंटे चली। प्रधानमंत्री मोदी शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन में रहेंगें। आपको बता दें कि नरेंद्र मोदी का यह चीन यात्रा 7 साल बाद हो रहा है। साथ ही मोदी की शी जिनपिंग से पिछली मुलाकात ब्रिक्स 2024 सम्मेलन रूस (कजान) में हुई थी। 2020 की गलवान झड़प के बाद पहली बार दोनों देशों ने सीमा और व्यापार से जुड़े मामलों पर सहमति बनाई है। ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि आर्थिक दबाव और वैश्विक हालात ने दोनों को साथ आने पर मजबूर किया है। इस बैठक में मोदी ने सीमा पर शांति और स्थिरता, आपसी सहयोग और संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी अपनी 4 दिवसीय यात्रा पर चीन पहुँचे हैं। पुतिन सर्वप्रथम चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच तिआनजिन में चल रही बातचीत अब ख़त्म हो गई है। इस मुलाकात में शी जिनपिंग ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से दोबारा मिलकर बहुत खुशी हुई। आपको बता दें कि इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के साथ NSA अजीत डोभाल, विदेश सचिव विक्रम मिस्री, चीन में भारत के राजदूत प्रदीप रावत, जॉइंट सेक्रेटरी (ईस्ट एशिया) गौरांग लाल दास और पीएमओ से अतिरिक्त सचिव दीपक मित्तल उपस्थित थे। वहीं, शी जिनपिंग के साथ विदेश मंत्री वांग यी, प्रधानमंत्री ली कियांग, डायरेक्टर जनरल ऑफिस कैई ची और भारत में चीन के राजदूत शू फेहोंग भी उपस्थित रहे। शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक में पीएम मोदी ने कहा इस बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि "सीमा प्रबंधन को लेकर हमारे विशेष प्रतिनिधियों के बीच समझौता हो गया है। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू की गई है। दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें भी बहाल हो रही हैं। हमारे सहयोग से दोनों देशों के 2.8 अरब लोगों के हित जुड़े हैं। इससे पूरी मानवता के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त होगा। हम आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" जिनपिंग ने कहा -ड्रैगन और हाथी साथ आने की जरूरत शी जिनपिंग ने कहा, "इस साल चीन-भारत राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ है। उन्होंने कहा कि, 'दुनिया परिवर्तन की ओर बढ़ रही है। चीन और भारत दो सबसे प्राचीन सभ्यताएं हैं। हम दुनिया की सबसे अधिक जनसंख्या वाले दो देश हैं और ग्लोबल साउथ का हिस्सा भी हैं। ऐसे में हमारा मित्र होना, अच्छे पड़ोसी बनना और ड्रैगन व हाथी का एक साथ आना बेहद जरूरी है।' दोनों देशों के लिए यह जरुरी है कि हम अच्छे पड़ोसी बनें, साझेदार बनें जो एक-दूसरे की सफलता में मददगार हों और ड्रैगन और हाथी एक साथ आएं। इन मुद्दों पर सहमति 5 साल बाद भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें शुरू हुई हैं। भारत-चीन के बीच सीमा प्रबंधन पर सहमति बनी है। चीन ने भारत को रेयर अर्थ मिनरल्स बेचने तथा खाद-मशीनरी सप्लाई करने का आश्वाशन दिया है। साथ ही नाथु ला दर्रे से बॉर्डर ट्रेड फिर से शुरू करने के लिए भी चर्चा हुई। चीन ने भारत के श्रद्धालुओं को कैलाश मानसरोवर जाने की स्वीकृति दे दी है। पत्रकारों और पर्यटकों के लिए वीजा नियम को भी पहले से आसान किए गए हैं। SCO और BRICS संगठनों में भारत और चीन दोनों देश मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर का समर्थन दे रहे हैं। चीन के साथ द्विपक्षीय बैठक खास क्यों लेकिन मोदी-शी की इस मुलाकात को खास मानी जा रही है और वह इसलिए क्योंकि गलवान में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद मोदी का यह पहला चीन यात्रा है। साथ ही हाल के दिनों में ट्रंप का भारत पर 50 % टैरिफ लगाने की वजह से अमेरिका और भारत के रिश्तों में तनाव आया है और इस समस्या से निपटने के लिए नए रास्ते तलाशे जा रहे हैं। भारत और चीन दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें शुरू हुईं, बॉर्डर ट्रेड पर बातचीत हुई और साथ ही कैलाश मानसरोवर यात्रा भी शुरू हुई। पूरी दुनिया कि नज़र इस समिट पर आपको बता दें कि गलवान में हुई झड़प के बाद मोदी का यह पहला चीन यात्रा है। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, प्रधान मंत्री मोदी की यह यात्रा भारत और चीन के बीच तनाव को कम करने और द्विपक्षीय बातचीत को बढ़ावा देने के लिए बड़ा अवसर साबित हो सकता है। ट्रम्प ने SCO देशों पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाया है और ऐसे संकट के समय में यह उन देशों के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है जो ट्रम्प के इस टैरिफ दबाव के खिलाफ एक साथ साझा मंच पर खड़े होने में जुटे हैं। इस समिट के जरिये ये SCO देश अमेरिका के नेतृत्व वाले ग्लोबल ऑर्डर का विकल्प के रूप में ऑप्शनल पावर बनने की कोशिश है। इस बार के समिट में केवल SCO सदस्य ही नहीं, बल्कि ऑब्जर्वर और पार्टनर देशों सहित 20 से ज्यादा देशों के नेता शामिल हो रहे हैं। इस सम्मलेन के जरिये यह भी संदेश देने की कोशिश होगी की जाएगी कि जो अमेरिकी की कोशिशें हैं-चीन, रूस, ईरान और अब भारत को अलग-थलग करने की, वो व्यर्थ रही हैं।
भारत के पूर्व रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नर उर्जित पटेल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में एक बड़ा पद मिला है। उन्हें 3 साल के लिए IMF में कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया है। वे अब IMF की कार्यकारी बोर्ड की बैठकों में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। उर्जित पटेल यहां भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान के ग्रुप का नेतृत्व करेंगे। पटेल साल 2016 में RBI के 24वें गवर्नर बने थे जबकि 2018 में, कुछ व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे दिया था। आपको बता दें कि इस बोर्ड में IMF के 24 कार्यकारी निदेशक होते हैं। ये कार्यकारी निदेशक संस्था के रोजमर्रा के कार्यों पर नजर बनाये रहते हैं और इससे सम्बंधित महत्वपूर्ण फैसले लेते हैं। उर्जित पटेल ने येल विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एम.फिल. और लंदन विश्वविद्यालय से बी.एस.सी. की डिग्री हासिल की है। उनकी भूमिकाएं उर्जित पटेल IMF में 5 साल तक काम किया है। पहले वाशिंगटन डी.सी. और फिर 1992 में दिल्ली में IMF के उप-निवासी प्रतिनिधि के तौर पर उन्होंने कार्य किया। RBI गवर्नर से पहले, वह RBI के डिप्टी गवर्नर भी रहे हैं, जहां उन्होंने मौद्रिक नीति और शोध जैसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को संभाले। 1998 से 2001 तक वे वित्त मंत्रालय में सलाहकार भी रह चुके हैं। वे रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईडीएफसी लिमिटेड, एमसीएक्स लिमिटेड और गुजरात राज्य पेट्रोलियम निगम समेत सरकारी और प्राइवेट क्षेत्रों में भी काम कर चुके हैं। यह नियुक्ति महत्वपूर्ण क्यों यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब भारत ने पाकिस्तान के लिए IMF के बेलआउट कार्यक्रमों का लगातार विरोध किया है और चिंता जाहिर की है कि इस्लामाबाद इस धन का उपयोग युद्ध और सीमा पार आतंकवाद को बढ़ाने के लिए कर सकता है। आपको बता दें कि हाल ही में, IMF बोर्ड ने एक मौजूदा बहु-वर्षीय कार्यक्रम के तहत पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर का ऋण देने के लिए सहमति दी थी।
बिहार में कांग्रेस और राजद की संयुक्त रैली में प्रधान मंत्री मोदी और उनकी मां के लिए कथित तौर पर अपशब्दों का उपयोग किए जाने पर शुक्रवार को पटना में एक बड़ा हंगामा हो गया। आपको बता दें कि मोदी और उनकी मां के लिए आपत्तिजनक भाषा के विरोध में बीजेपी कार्यकर्ता पटना में कांग्रेस कार्यालय का घेराव कर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। तब कांग्रेस कार्यकर्ता उनसे आकर भिड़ गए। इस दौरान बीजेपी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच लाठियां डंडे चलने लगे और जल्द ही यह हिंसक झड़प में परिवर्तित हो गया। इस झड़प में दोनों पक्षों के कई कार्यकर्ताओं को चोटें आई हैं। बीजेपी का आरोप बीजेपी ने आरोप लगाया कि प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पथराव किया, लाठियां चलाईं और ईंट-पत्थर फेंकें। BJP ने कहा कि PM का अपमान किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कांग्रेस का आरोप कांग्रेस ने इस झड़प लिए बीजेपी को जिम्मेदार बताया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पार्टी ऑफिस में तोड़फोड़ करने की कोशिश की और साथ ही उन्होंने लाठियां चलाईं व ईंट-पत्थर भी फेंके। मौके पर पुलिस ने संभाला मोर्चा इस झड़प के बाद सूचना मिलने पर मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात कर दिया गया । मौके पर वाटर कैनन की गाड़ी भी मंगवाई गई है। पुलिस अधिकारियों ने बताया है कि इस मामले की जांच चल रही है और जल्द ही मामला को दर्ज कर लिया जाएगा। फिर से हिंसा न हो इसके लिए पुलिस ने कार्यालय के बाहर सुरक्षा को बढ़ा दी है ।
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत चुनाव आयोग (ECI) ने प्रदेश के करीब 3 लाख मतदाताओं को नोटिस भेजा है। जानकारी के अनुसार इन लोगों पर ‘संदिग्ध नागरिक’ होने की आशंका जताई जा रही है। आपको बता दें कि सबसे ज्यादा नोटिस सीमा से लगे जिलों में दिए गए हैं जिनमें किशनगंज, पूर्णिया, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, अररिया, सहरसा, सुपौल और मधुबनी शामिल हैं। ये नेपाल और बंगाल से सटे वो क्षेत्र हैं जहां नागरिकता और मतदाता सूची से जुड़े मुद्दे अक्सर उठते रहते हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूचि को संशोधित करने के लिए SIR शुरू किया गया। आपको बता दें कि बिहार में SIR की प्रक्रिया 24 जून 2025 से शुरू की गई थी। देश में मतदाता सूची की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर SIR प्रक्रिया होती रहती है । यह प्रक्रिया ECI द्वारा करवायी जाती है। इसके तहत मतदाता सूची में अगर कोई त्रुटि रहती है तो उसे ठीक किया जाता है। योग्य नागरिकों को मतदाता लिस्ट में शामिल किया जाता है और जो योग्य नहीं होते हैं उन्हें मतदाता सूची से हटा दिया जाता है। क्यों भेजा गया नोटिस? SIR ( स्पेशल इंटेंसिव रिविजन) के तहत मतदाता सूची की जांच कि जा रही है जिसमें मतदाता से पहचान और नागरिकता से जुड़े कागजात मांगे जा रहे हैं। ECI के मुताबिक, जिन भी लोगों के डॉक्युमेंट पूरे नहीं हैं या डॉक्यूमेंट्स में गड़बड़ी है, उन्हें संदिग्ध मानकर नोटिस दिया गया है। नोटिस में लिखा हुआ है कि कुछ लोगों के दस्तावेजों में गड़बड़ियां हैं जिससे इस विधानसभा क्षेत्र में उनके मतदाता के रूप में होने पर संदेह होता है। हालांकि ECI ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना सवाल-जवाब के किसी भी वोटर का नाम सूचि से नहीं हटाया जाएगा। बिहार में SIR क्यों किया जा रहा बिहार चुनाव से पहले ECI ने SIR प्रक्रिया को बहुत ही जरूरी माना है। इसके पीछे चुनाव आयोग की दलीलें यह है कि इस राज्य के कुछ जिलें जो सीमा से सटे हैं, वहां दूसरे देश के बहुत से लोग अवैध रूप से रह रहे हैं और वे चुनाव में मतदाता के रूप में शामिल भी होते हैं। इसीलिए इस SIR प्रक्रिया से मतदाता लिस्ट से उन अवैध प्रवासियों को अलग कर दिया जाएगा।
पीएम मोदी 2 दिवसीय दौरे पर जापान पहुंचे हैं। वे 29 और 30 अगस्त को जापान में रहेंगे। प्रधानमंत्री के रूप यह मोदी की 8वीं जापान यात्रा है। जापान में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों ने पारंपरिक तरीके से गर्मजोशी से नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। इस बीच वे प्रवासी भारतीयों से भी मिले। वहां के स्थानीय लोगों ने उनके स्वागत में गायत्री मंत्र का उच्चारण किया और सांस्कृतिक कार्यक्रम की झलकियां भी पेश कीं। पीएम नरेंद्र मोदी जापानी प्रधानमंत्री इशिबा से मिलेंगें और इस मीटिंग में व्यापार, निवेश, तकनीक, रक्षा सहयोग और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर चर्चा करेंगे। दोनों देशों के बीच रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को और मजबूत करने पर चर्चा की जाएगी । इस बार पीएम मोदी जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के निमंत्रण पर जापान गए हैं। इस दौरे पर दोनों नेता आपस में विस्तार से चर्चा, कामों की समीक्षा और भविष्य के लिए नए कदमों पर बातचीत करेंगे। भारत पर ट्रम्प के 50% टैरिफ लगाने के बाद पीएम मोदी की यह यात्रा भारत की रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूत बनाने के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जापान में किसी सालाना समिट के लिए पिछले बार मोदी 2018 में गए थे । जापान में मोदी बोले आपको बता दें कि वे टोक्यो में भारत-जापान की संयुक्त आर्थिक मंच की बैठक को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने भाषण की शुरुआत में निवेश के लिए भारत को सबसे बेहतर कहा। पीएम मोदी ने कहा कि, " आज भारत में राजनैतिक और आर्थिक स्थिरता है, पॉलिसी में पारदर्शिता है। बहुत जल्द विश्व की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने जा रहा है। इस बदलाव के पीछे हमारी रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म की अप्रोच है।" क्यों है PM मोदी के दौरे पर पूरी दुनिया की नजर 100 से अधिक MOU's पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग के दायरे को और बढ़ाने लिए नया फ्रेमवर्क तैयार करने पर बातचीत हो सकती है। सेमीकंडक्टर, कम्युनिकेशन, क्लीन एनर्जी और मेडिसिन की सप्लाई पर बातचीत संभव। दोनों देश कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी नई तकनीकों में सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने का भी मौका मिलेगा। पीएम मोदी 30 अगस्त को जापान के मियागी में उस कारखाने का भी दौरा करेंगे, जहां बुलेट ट्रेन के कोच तैयार किया जाता है। मोदी यहां 15वें भारत-जापान वार्षिक समिट में हिस्सा लेंगे।
मिजोरम एक ऐसा राज्य था जहां आज़ादी के 78 साल बाद भी कोई ट्रेन जाती नहीं थी। मिजोरम के लिए यह बहुत ही ऐतिहासिक मौका है कि आज़ादी के इतने साल के बाद मिजोरम की राजधानी आइजोल रेलवे नक्शे पर आएगी। यहां रेलवे लाइन बिछा दी गईं हैं। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर 2025 को बैराबी–सैरांग रेलवे लाइन का उद्घाटन करेंगे। इसे नॉर्थ ईस्ट के सामाजिक और आर्थिक विकास में मील का पत्थर बताया जा रहा है। इस परियोजना के बाद पूर्वोत्तर के अब 4 राजधानियां– अगरतला (त्रिपुरा), ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश), दिसपुर (असम) और अब आइजोल (मिजोरम) सीधे रेलवे से जुड़ चुकी हैं। रेलवे के अनुसार इस लाइन पर कोलकाता, अगरतला और दिल्ली के लिए ट्रेनें चलेंगी जिससे मिजोरम रेलवे लाइन द्वारा दूसरे राज्यों से जुड़ जायेंगें। बैराबी–सैरांग रेलवे लाइन की खासियत यह है कि इसकी कुल लंबाई 51.38 किमी , 4 स्टेशन, ट्रैक स्पीड 110 किमी प्रति घंटा, 48 सुरंग (कुल लंबाई 12.8 किमी) और यह सबसे ऊंचे ब्रिज पर बना है जिसकी ऊंचाई 104 मीटर है। परियोजना का खांका 26 साल पहले तैयार उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय बताते हैं कि इस परियोजना का खांका 26 साल पहले 1999 में तैयार हो गया था। पर घने जंगलों, दुर्गम पहाड़ों और लगातार भारी बारिश की वजह से शुरुआती सर्वे बेहद चैलेंजिंग रहा। इतनी अवधि में बहुत बार सर्वे रिपोर्ट बदली गई। पर 2008–09 में इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिल पाया जिसका शिलान्यास 2014 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गया। सफर होगा आसान और सस्ता पहले बैराबी से आइजोल जाने में लगभग 5–6 घंटे लग जाते थे। पर अब 1–1.5 घंटे में ही यह सफर कर पायेगें। इससे आवाजाही सुगम और सस्ता हो पायेगा। यहां के लोग देश के दूसरे हिस्सों से सीधा जुड़ पायेंगें। रेलवे के अनुसार, यहां से दिल्ली, कोलकाता और अगरतला तक सीधी ट्रेनें चलाई जाएंगी। पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा रेलवे की योजना इस रूट में विस्टाडोम ट्रेनें चलाई जाने की है जिससे यात्री रास्ते में मिजोरम की प्राकृतिक सुंदरता का लुफ्त उठा पाएं। यहां रेइक हिल्स, तामदिल झील, वंतावंग झरना, फावंगपुई नेशनल पार्क और डम्पा टाइगर रिजर्व आदि का इस रुट से आनंद ले सकेंगें। इससे पर्यटन को और अधिक बढ़ावा मिलेगा, जिससे यहां के स्थानीय लोगों की आय बढ़ेगी।
दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से संन्यास ले लिया है। उन्होंने आज बुधवार को ट्वीट के जरिये इसकी घोषणा की। अश्विन ने अपने IPL करियर की शुरुआत CSK से ही की थी। आपको बता दें कि वे पिछले सीजन में 5 बार की चैंपियन चेन्नई सुपर किंग्स की टीम का हिस्सा रह चुके हैं। वह IPL 2025 में CSK में शामिल थे पर वे ज्यादा मैच नहीं खेल पाए थे। अश्विन ने अंतिम मैच 20 मई को खेला था। CSK ने अश्विन को मेगा ऑक्शन में 9.75 करोड़ रुपये में खरीदा था। वैसे अश्विन IPL में CSK के अलावा पंजाब किंग्स, राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स, दिल्ली कैपिटल्स और राजस्थान रॉयल्स की टीम का भी हिस्सा रहे हैं और साथ ही वह पंजाब टीम के कप्तान भी रह चुके हैं। अश्विन ने अपने ट्वीट में लिखा अश्विन ने अपने ट्वीट में लिखा है कि 'आज एक खास दिन है और इसलिए एक खास शुरुआत भी। कहा जाता है कि हर अंत एक नई शुरुआत लेकर आता है। मेरा समय बतौर आईपीएल क्रिकेटर आज समाप्त हो रहा है, लेकिन दुनिया भर की अलग-अलग लीगों में खेल के नए अनुभवों का मेरा सफर आज से शुरू हो रहा है। मैं सभी फ्रेंचाइजियों का धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने मुझे बेहतरीन यादें और रिश्ते दिए। सबसे अहम तौर पर मैं IPL और BCCI का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने अब तक मुझे इतना कुछ दिया। आगे आने वाले समय का पूरा आनंद लेने और उसका सबसे अच्छा उपयोग करने के लिए उत्साहित हूं।' अश्विन के नाम 187 IPL विकेट अश्विन IPL में 221 मैच खेल चुके हैं जिनके नाम 187 विकेट (इकोनॉमी रेट 7.29) और 833 रन (स्ट्राइक रेट 118) दर्ज हैं। वहीं पिछले सीजन में वे CSK के लिए 9 मैच खेले थे। इंटरनेशनल क्रिकेट को कहा था अलविदा अश्विन ने पिछले साल दिसंबर में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) के दौरान इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा बोल दिया था। उन्होंने 14-18 दिसंबर तक खेले गए गाबा टेस्ट के बाद सन्यास लेने का ऐलान कर दिया था। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कहा था कि आज भारतीय टीम के क्रिकेटर के तौर पर मेरा अंतिम दिन था। मैं क्लब क्रिकेट खेलता रहूंगा। अश्विन ने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट को मिलाकर 287 मैच खेले और 765 विकेट लिए हैं। अश्विन देश के दूसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। सिर्फ अनिल कुंबले ही उनसे आगे हैं, जिन्होंने 953 विकेट लिए हैं।
सरकारी नौकरी की तैयारी में जुटे लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने CBI में कई पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन निकाला है जिसमें असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्यूटर, पब्लिक प्रॉसिक्यूटर और लेक्चरर जैसे पद शामिल हैं। इसमें ख़ास बात यह है कि इन नौकरियों के लिए कोई लिखित परीक्षा नहीं ली जाएगी बल्कि सिर्फ साक्षात्कार के आधार पर सेलेक्शन किये जायेंगें। इस पोस्ट पर आवेदन करने की अधिकतम उम्र 45 साल है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा CBI और कॉलेजों में 84 पदों पर भर्ती निकाली गई है। जो उम्मीदवार इस पद पर नौकरी के लिए इच्छुक हैं वो इस वेबसाइट (upsconline.nic.in) पर जाकर आवेदन दे सकते हैं। कुल 84 पदों पर होगी भर्ती असिस्टेंट पब्लिक प्रासीक्यूटर-19, सरकारी वकील- 25, लेक्चरर (वनस्पति विज्ञान)-8 , लेक्चरर (रसायन विज्ञान)- 8, लेक्चरर (अर्थशास्त्र)-2, लेक्चरर (इतिहास)- 3, लेक्चरर (गृह विज्ञान)-1, लेक्चरर (भौतिकी)-6, लेक्चरर (मनोविज्ञान)-1, लेक्चरर (समाजशास्त्र)-3, लेक्चरर (प्राणीशास्त्र)-8 आवेदन के लिए योग्यता इन पदों पर अप्लाई के लिए लॉ की डिग्री और पोस्टग्रेजुएशन के साथ B.Ed होना चाहिए। प्रासीक्यूटर के लिए लॉ की डिग्री और लेक्चरर के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ B.Ed की डिग्री चाहिए। आवेदन शुल्क इन पदों पर अप्लाई करने के लिए फीस काफी कम रखा गया है। General, OBC, EWS पुरुषों को सिर्फ 25 रूपए देने होंगे जबकि SC / ST / PwD / महिलाओं को कोई भी शुल्क नहीं देना पड़ेगा। सेलेक्शन का आधार बिना कोई लिखित परीक्षा, सिर्फ साक्षात्कार (इंटरव्यू) के आधार पर सेलेक्शन होगा। उम्र सीमा अधिकतम उम्र 45 वर्ष रखी गई है, वहीं आरक्षित वर्ग को सरकार के नियमानुसार छूट मिलेगी। सैलरी करीब 44,900 – 1,77,500 रूपए सैलरी रहेगी। यहां आवेदन दें आधिकारिक वेबसाइट upsconline.gov.in विजिट करें। इसके बाद Online Recruitment Application पर जाएं। अब जिस भी पद के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उस पर Apply Now करें। जो नए हैं उन्हें पहले Registration करना होता है उसके बाद फिर लॉगिन करके फॉर्म भरना होता है। जिनको शुल्क जमा करना है तो पहले शुल्क जमा करदें और फिर फॉर्म को सबमिट कर दें। अंत में कन्फर्मेशन पेज डाउनलोड कर इसे save या प्रिंट कर लें। इसका नोटिफिकेशन यहां चेक करें https://upsc.gov.in/sites/default/files/AdvtNo-12-2025-Engl-220825.pdf
इस साल गणेश चतुर्थी आज बुधवार, 27 अगस्त को मनाई जा रही है। इस दिन लोग अपने घरों में गणपत्ति बप्पा लायेंगें और उनकी उपासना करेंगें। यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है और यह 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर, 2025 तक रहेगा। गणेश चतुर्थी 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे शुरू और 27 अगस्त को दोपहर 3:44 बजे समाप्त हो जाएगी। पंचांग के मुताबिक, गणेश जी की पूजा के लिए शुभ समय आज सुबह 11:05 बजे से लेकर दोपहर 1:40 बजे तक है। चंद्रमा के दर्शन क्यों हैं वर्जित गणेश चतुर्थी के दिन चांद देखना बिलकुल मना है। आपको बता दें कि ऐसा पौराणिक कथाओं में बताया गया है। एक बार चंद्रमा ने भगवान गणेश के पेट और सूंड का मजाक उड़ाया था, जिसकी वजह से भगवान गणेश को गुस्सा आया और चंद्र देव को श्राप दिया कि जो कोई भी गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा को देखेगा, उसे मिथ्या दोष (झूठा आरोप) का सामना करना पड़ेगा और साथ ही कलंकित भी होना पड़ेगा। लोक कथाओं के मुताबिक, यह प्रथा को भगवान कृष्ण से भी जुड़ी हुई है, जिन पर मणि चोरी करने का गलत आरोप लगा था। नारद मुनि ने कहा था कि कृष्ण जी ने गलती से गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा को देख लिया था। इसके बाद उन पर यह झूठा आरोप लग गया था। इसलिए झूठे आरोपों से बचने के लिए लोग इस दिन चंद्रमा को देखने से बचते हैं। कब ना देखें चंद्रमा 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे से रात 8:29 बजे तक और 27 अगस्त को सुबह 9:28 बजे से रात 8:57 बजे तक चंद्रमा को ना देखें। इस समय के दौरान चंद्रमा को देखने से बचना चाहिए। चतुर्थी पर चंद्रमा को देख लेने पर ये करें उपाय अगर अनजाने में चंद्रमा को देख भी लिया, तो लोक कथाओं के अनुसार पारंपरिक उपाय के तौर पर यदि स्यमंतक मणि की कहानी सुन लिया जाए या पढ़ लिया जाए तो इसके गलत प्रभाव से बचा जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से यह ऐलान किया था कि देश में GST को और सरल और बेहतर बनाया जायेगा जिसके लिए इसमें बड़े सुधार किए जाएंगे। इसी कड़ी में सरकार अब GST की नई दरों को लागू करने की तैयारी में जुटी है। सरकार का इरादा है कि कपड़े और खाने-पीने की चीजों के लिए GST 5% स्लैब में लाया जाय। 12% और 28% स्लैब समाप्त करने की तैयारी आपको बता दें कि दिल्ली में 20 और 21 अगस्त को हुई मंत्रियों की एक बैठक में केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गयी है। इसके तहत 12% और 28% वाले स्लैब समाप्त कर दिए जाएंगे। GST को अब 5% और 18% की दो दरों में लाने की योजना है। कपड़ा, फूड और सीमेंट पर राहत कपड़े और फूड को 5% स्लैब में लाने की तयारी की जा रही है। वहीं सीमेंट पर GST 28% से घटाकर 18% करने का प्रस्ताव है। कुछ सामान्य सेवाओं की दरें भी 18% से कम करके 5% होने की उम्मीद है। अभी कितना GST? बिना ब्रांड वाली मिठाइयों पर 5%, वहीं ब्रांडेड और पैकेज्ड मिठाइयों पर 18% टैक्स है। जबकि 1000 रुपये तक के कपड़ों पर 5% और 1000 रुपये से ज्यादा के कपड़ों पर 12% GST है। कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पर 18% GST है। सितंबर के शुरू में फैसला GST में सुधार का अंतिम फैसला 3-4 सितंबर 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में होने वाली GST काउंसिल की बैठक में लिया जा सकता है। इससे पहले 2 सितंबर को दिल्ली में इस पर अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया जाना है। हालांकि, वित्त मंत्रालय के अनुसार, GST में इस सुधार से केंद्र और राज्यों की आय पर बहुत असर पड़ सकता है। GST सचिवालय के अधिकारियों के रिपोर्ट के अनुसार, इस बदलाव से करीब 40,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने की आशंका है। त्योहार से पहले यह तोहफा जानकारी के अनुसार, सरकार चाहती है कि ये GST की नई दरें दशहरा और दिवाली से पहले ही लागू हो। अगर ये लागू होते हैं, तो आम लोगों और व्यवसाय करने वालों के लिए यह एक बड़ा तोहफा होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर यह कहा था कि सरकार का इरादा है कि आम आदमी पर जो टैक्स का बोझ है उसे कम किया जाए।
SSC छात्रों ने फिर एक बार से दिल्ली के रामलीला मैदान में SSC की परीक्षा में गड़बड़ियों के खिलाफ प्रदर्शन किया है। अनुमति का समय समाप्त होने के बाद भी प्रोटेस्टर डटे रहे। दिल्ली पुलिस के अनुसार, प्रदर्शन के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक की परमिशन थी। पुलिस द्वारा 40 लोगों को हिरासत में लिया गया है। आपको बता दें कि शाम 5 बजे के बाद भी करीब 300 प्रोटेस्टर इस मैदान में प्रोटेस्ट पर बैठे थे। पुलिस ने बार-बार प्रदर्शनकारियों से अपील की कि प्रोटेस्ट करने की समय सीमा ख़त्म हो गई है और वे मैदान छोड़ दें। उन्हें यह भी जानकारी दी गई कि सेक्शन 163 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) लागू है और निर्धारित समय के बाद कोई भी जमावड़ा गैरकानूनी होगा। लेकिन पुलिस के समझाने के बाद भी 100 प्रदर्शनकारी हटने को तैयार नहीं हुए। इसकी वजह करीब 40 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया। जानकारी के अनुसार, पुलिस की प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प भी हुई, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी और प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं। वहीं पुलिस के अनुसार, उन्होंने प्रदर्शनकारीयों पर कोई लाठीचार्ज नहीं की। निर्धारित समय के बाद जमावड़ा गैरकानूनी DCP (सेंट्रल) निधिन वल्सन ने कहा कि SSC परीक्षा से संबंधित मामलों पर बीते रविवार को रामलीला मैदान पर प्रोटेस्ट हुआ था। लगभग 1500 SSC अभ्यर्थियों ने इसमें भाग लिया था। सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक प्रोटेस्ट करने की अनुमति थी। निर्धारित समय के बाद भी करीब 300 प्रदर्शनकारी वहां बैठे रहे। प्रोटेस्ट करने वालों को यह बताया गया था कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 लागू है, इसीलिए तय समय के बाद कोई सभा या जमावड़ा गैरकानूनी होगा। आपको बता दें कि SSC की परीक्षा कंप्यूटर आधारित परीक्षा (CBT) के माध्यम से हुई थी। लेकिन अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा में प्रशासनिक खामियों, तकनीकी गड़बड़ियों और परीक्षा केंद्रों की खराब स्थिति को लेकर सवाल उठाए। कैंडिडेट्स ने इस बात से भी अपनी नाराजगी जताई कि छात्रों का जो एग्जाम सेंटर है वो काफी दूर दिया गया है। इसकी वजह से परीक्षा केंद्र पर छात्रों को एक दो दिन पहले ही आना पड़ता है। लेकिन इन परेशानियों के बावजूद जब छात्र वहां पहुंचते हैं तो अंतिम समय पर परीक्षा को रद्द कर दिया जाता है।
इस वर्ष गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को मनाई जाएगी। वहीं अनंत चतुर्दशी वाले दिन गणेश जी का विसर्जन होगा। यह पर्व पूरे भारत वर्ष में बड़े ही उत्साह और धूम धाम से मनाया जाता है। आपको बता दें कि भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश जी का जन्म हुआ था। इसीलिए भगवान गणेश के जन्म दिन को ही गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी को एक उत्सव के रूप में 10 दिनों तक मनाया जाता है जो गणेश चतुर्थी से प्रारम्भ होकर अनंत चतुर्दशी के दिन ख़त्म होता है। इस चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा पुरे विधि-विधान से की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था। इसीलिए मध्याह्न काल को भगवान गणेश की पूजा के लिए उत्तम समय माना जाता है। इस दौरान लोग अपने घरों, दुकानों और मंदिरों में बप्पा को (गणपति जी कि प्रतिमा) अपने घर लाते हैं और 10 दिनों तक इनकी पूजा करते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को विदा कर देते हैं। स्थापना शुभ मुहूर्त ज्योतिषियों के अनुसार भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना के लिए 27 अगस्त को सुबह 11:05 am से लेकर दोपहर 1:40 pm तक का शुभ मुहूर्त रहेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त 27 अगस्त को सुबह 11:05 am से लेकर दोपहर 1:40 pm तक का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस बार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की शुरुआत 26 अगस्त को दोपहर 1:54 pm पर और इसका समापन 27 अगस्त की दोपहर 3:44 pm पर हो रहा है। इसीलिए इस बार गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को मनाई जाएगी। 27 अगस्त को सूर्योदय से पहले स्नान करके गणेश जी का व्रत रखें । चतुर्थी पर कई दुर्लभ संयोग इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर प्रीति, सर्वार्थ सिद्धि और रवि के साथ इंद्र-ब्रह्म योग का संयोग भी बना रहेगा। वहीं कर्क में बुध और शुक्र के होने से लक्ष्मी नारायण योग भी रहेगा और साथ ही बुधवार का महासंयोग तिथि की महत्ता को भी कई गुना बढ़ा रहा है। पूजा विधि सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करके पूजा स्थल की साफ सफाई करलें। उसके बाद गणेश जी की विधि विधान के साथ पूजा करें। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त के समय ईशान कोण में चौकी को स्थापित करके पीला या लाल रंग का कपड़ा चौकी पर बिछा दें और फिर भगवान गणेश को चौकी पर स्थापित कर दें। अब रोज गणेश जी की उपासना करें। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश को विदा कर दें। गणेश चतुर्थी भोग लड्डू और मोदक - पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि गणेश जी को लड्डू और मोदक बहुत ही पसंद होते हैं। इसीलिए आप बेसन या बूंदी से बने लड्डू या मोदक का भी भोग लगा सकते हैं। गणेश चतुर्थी का महत्व गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से घर परिवार में सुख-समृद्धि आती है और सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। ऐसी मान्यता है कि गणेश जी हमारे सभी विघ्नों को हर लेते हैं और इस तरह सभी बिगड़े काम भी बनने लगते हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को CIC (केंद्रीय सूचना आयुक्त) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक की डिग्री की जानकारी पब्लिक करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय की याचिका स्वीकार कर CIC के निर्देश को पलटते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रेजुएशन डिग्री का विवरण पब्लिक करने की जरुरत नहीं है। अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रेजुएशन की डिग्री का विवरण सार्वजनिक करने के लिए बाध्य नहीं है। वर्ष 2016 में, CIC ने 1978 में BA का एग्जाम पास करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड की जांच के आदेश दिए थे। ऐसा कहा जाता है कि उस दौरान PM नरेंद्र मोदी ने भी यह एग्जाम पास किया था। उस वक्त दिल्ली विश्वविद्यालय ने CIC के इस निर्देश को चुनौती दी थी, जिस पर रोक लगा दी गई थी। सुनवाई के दौरान, DU की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपने तर्क में कहा कि CIC के आदेश को खारिज कर दिया जाना चाहिए क्योंकि व्यक्ति के 'निजता का अधिकार' 'जानने के अधिकार' से ज़्यादा जरुरी है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने तर्क दिया यूनिवर्सिटी ने अपने तर्क में कहा कि वह छात्रों की जानकारी को वह नैतिक दायित्व के अनुसार सुरक्षित रखता है और अगर जो जनहित में नहीं है, 'केवल जिज्ञासा' के आधार पर, RTI कानून के तहत निजी जानकारी मांगने का औचित्य नहीं बनता। यूनिवर्सिटी ने तर्क दिया, "धारा 6 में यह अनिवार्य प्रावधान है कि जानकारी देनी होगी, यही मकसद है, लेकिन आरटीआई अधिनियम किसी की जिज्ञासा को शांत करने के लिए नहीं है." DU कोर्ट के सामने PM मोदी की डिग्री प्रस्तुत करने को तैयार है हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय ने कोर्ट को बताया कि वह PM मोदी के डिग्री रिकॉर्ड कोर्ट के सामने प्रस्तुत करने के लिए तैयार है, पर RTI अधिनियम के तहत 'अजनबियों द्वारा जांच' के लिए उन्हें सार्वजानिक नहीं किया जा सकता है। जस्टिस सचिन दत्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय की अपील स्वीकार कर CIC के आदेश को रद्द कर दिया। विपक्षी दल प्रधानमंत्री मोदी की शैक्षिक डिग्रियों की प्रामाणिकता पर सवाल उठा रहे हैं, जबकि विश्वविद्यालयों ने सार्वजनिक रूप से उनकी वैधता की पुष्टि की है।
Dream11: एशिया कप 2025 होने में अब ज्यादा समय नहीं रह गया है, लेकिन इससे पहले ही टीम इंडिया से जुड़ी एक बड़ी खबर सुनने को मिल रही है। BCCI और Dream11 ने ऑनलाइन गेमिंग के प्रचार और विनियमन विधेयक, 2025 पारित होने के बाद Dream11 ने बड़ा फैसला लिया है। आपको बता दें कि Dream11 ने टीम इंडिया के स्पॉन्सरशिप से अपना नाम वापस ले लिया है और BCCI के साथ अपना करार बीच में ही खत्म कर दिया। इस वजह से Dream11 का नाम टीम इंडिया की टाइटस स्पॉन्सर से हटने वाला है। BCCI सचिव देवजीत सैकिया ने दिया बड़ा बयान BCCI सचिव देवजीत सैकिया ने ANI के हवाले से बताया कि BCCI यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में वह ऐसे किसी भी कंपनी के साथ कोई संबंध न रखे। ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन बिल, 2025 के पारित होने के बाद, BCCI और Dream11 अपने संबंध ख़त्म कर रहे हैं। 358 करोड़ की डील थी Dream11 के साथ Dream11 ने BCCI के साथ 2023 - 2026 तक के लिए 358 करोड़ रूपये की डील की थी। नए ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 पास होने के बाद Dream11 ने BCCI को सुचना दे दी है कि अब वह इंडियन टीम को स्पॉन्सर नहीं करेगा। नए गेमिंग बिल 2025 आने के बाद Dream11 ने दिया बड़ा बयान इस मामले पर Dream11 के अधिकारी ने हाल के एक बयान में कहा कि हम हमेशा कानून का पालन करते आये हैं और कानून के अनुसार ही अपना व्यवसाय किया है। इस नए ऑनलाइन गेमिंग के प्रचार और विनियमन विधेयक 2025 का भी पूरी तरह से पालन करेंगे। Dream11 को जुर्माना भरना होगा ? अचरज की बात यह है कि बीसीसीआई ड्रीम-11 को किसी भी तरह का आर्थिक दंड नहीं दे सकता। इसकी मुख्य वजह यह है कि अनुबंध का एक विशेष क्लॉज है जिसके अनुसार, यदि सरकार कोई कानून अचानक लाती है और किसी कंपनी के मुख्य कारोबार को यह कानून प्रभावित करता है तो वह कंपनी किसी पेनल्टी देने के लिए ज़िम्मेदार नहीं होती। एशिया कप से पहले मिलेगा स्पॉन्सर? यह जाहिर है कि Dream11 के साथ रिश्ते खत्म होने के बाद BCCI की आय पर असर पड़ेगा। लेकिन इससे भी बड़ी चुनौती BCCI के सामने टीम इंडिया की टाइटल स्पॉन्सर पर नया चेहरा खोजना है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि कौन-सी कंपनी टाइटल स्पॉन्सर का चेहरा बनकर करोड़ों दर्शकों तक पहुंचने का यह सुनहरा अवसर हासिल करती है। विशेषज्ञ का मानना है कि अब ये अवसर देश के बड़े कॉरपोरेट घरानों और फिनटेक कंपनियों जैसे टाटा, रिलायंस, अदाणी, जीरोधा (Zerodha) और ग्रो (Groww) जैसी कंपनियां इस जगह में अपना स्थान ले सकती है। हालांकि,अंतिम निर्णय BCCI को समय की कमी के कारण जल्द लेना होगा । यह भी पढ़ें ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 चर्चा में क्यों, जानें किस गेम्स पर लगा बैन, यूजर्स के पैसे होंगें वापस ?
Hartalika Teej 2025: इस वर्ष हरतालिका तीज 26 अगस्त को मनाया जायेगा। वैसे पुरे वर्ष में तीन तरह के तीज मनाये जाते हैं, जिसमें सावन में हरियाली तीज और मानसून में कजरी तीज व हरतालिका। हरतालिका तीज हिंदू सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। सामान्यतः हरतालिका तीज अगस्त और सितंबर महीने में पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि मां पार्वती ने भी भगवान शंकर को पाने के लिए यह व्रत रखा था। इस त्योहार के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, वैवाहिक जीवन की समृद्धि और खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रख कर बड़ी श्रद्धा से देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। व्रत के दौरान रात भर जागकर भजन-कीर्तन करती हैं। अगले दिन व्रत रखने वाली महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं। हरतालिका तीज की कथा इस कथा के अनुसार, माता पार्वती ने शैलपुत्री के रूप में अवतार लिया और युवा होने पर उन्होंने अपने पिता से शिव से विवाह करने की बात की लेकन उनके पिता नहीं माने। तब पार्वती ने भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन गंगा की रेत और गाद से शिवलिंग बनाकर शिव की तपस्या करनी शुरू कर दी। इससे भगवान शिव प्रभावित होकर मां पार्वती को विवाह का वचन दिया। मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह हो गया। तभी से उस दिन को हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाने लगा। Hartalika Teej 2025: शुभ मुहूर्त हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त 25 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी और 26 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 54 मिनट पर इसका समापन होगा । Hartalika Teej 2025: पूजन मुहूर्त हरतालिका तीज की पूजा सुबह किया जाता है। इसीलिए पूजा करने की शुभ मुहूर्त 26 अगस्त सुबह 5 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगा और सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर इसका समापन होगा। Hartalika Teej 2025: पूजन विधि हरतालिका तीज पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन महिलाओं लो 16 श्रृंगार करना चाहिए। पूजा स्थल को फल-फूलों से सजाएं। एक चौकी लें और उस पर शिव, पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर दें। उनके आगे एक दीपक जलाएं। इसके बाद सुहाग की सारी वस्तुएं रखकर माता पार्वती को दान करें। उन्हें फल, फूल और मिठाई का भोग लगा कर उनकी पूजा करें। इसके बाद तीज की कथा सुनें और गरीबों में अपने अनुसार कुछ दान जरूर करें। रात में जागकर भगवान शिव और माता पार्वती का भजन-कीर्तन करें। सुबह फिर से नहा धोकर भोग लगाकर पूजा अर्चना करने के बाद अपना व्रत खोलें।
Real Money Gaming पर बैन Dream11, Pokerbazi, Zupee तथा MPL हुआ बंद, जानें यूजर्स के पैसों का होगा क्या ? Online Gaming Bill 2025: दोनों सदनों से पास हो चुका Online Gaming Bill 2025 इन दिनों चर्चा में बना है। सरकार का इस बिल को लाने का उद्देश्य ऑनलाइन गेम्स को लेकर एक लीगल फ्रेमवर्क तैयार कर ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को रेगुलराइज करना है। आपको बता दें कि ऑनलाइन गेम्स को तीन कैटेगरी- ई-स्पोर्ट्स, सोशल गेम्स और रियल मनी गेम्स में रखा गया है। इस बिल के जरिए रियल मनी गेम्स को बैन कर दिया जायेगा। इस नए नियम से Esports और Social Gaming पर कोई असर नहीं होगा। इस बिल को लाने का उद्देश्य ये बिल का उद्देश्य ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेम्स को प्रमोट करना है, वहीं उन सभी गेम्स पर रोक लगाना है, जिनमें सीधे तौर पर पैसों को लगाया जाता है। रियल मनी गेम्स वो गेम्स होते हैं जिसमें पैसा लगाकर और ज्यादा पैसे जीतने का लालच दिया जाता है। इसी वजह से रियल मनी गेम्स पर रोक लगाया जायेगा। इसके जरिये नियामक निरीक्षण और डेवलपर सपोर्ट के लिए एक सेंट्रल ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी बनाई जाएगी। इसके साथ ही इसके तहत एडिक्शन, फाइनेंशियल फ्रॉड, मनी लॉन्ड्रिंग तथा टेरर फंडिंग जैसी समस्यायों का भी ध्यान रखा जायेगा। Real Money Gaming को बैन करने की वजह सरकार का मानना है कि यह फैसला जनहित में लिया गया है। उनका कहना है कि Real-Money Games से आर्थिक नुकसान, मानसिक तनाव और एडिक्शन जैसी समस्याएं बढ़ रही थीं । इसके साथ ही इससे मनी लॉन्ड्रिंग और इलिगल फंडिंग का भी खतरा उत्पन्न हो रहा था। इस पर IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि इससे सुसाइड के मामलें बढ़ रहे हैं और और इससे सबसे ज्यादा नुकसान मध्यम वर्ग के लोगों को हो रहा है। Online Gaming Bill 2025 के लागू होते ही, तीन हिस्सों में बांटा जाएगा ऑनलाइन गेम्स को 1 ) पहली कैटेगरी में होगी- ई-सपोर्ट्स- जिसमें कंपटीटिव,स्किल बेस्ड और टीम के साथ खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम्स को शामिल किया जायेगा। 2 ) दूसरी कैटेगरी होगी- ऑनलाइन सोशल गेम्स की, जिसमें कैजुअल, कम्युनिटी बेस्ड और एजुकेशनल गेम्स होंगे। 3 ) जबकि तीसरी कैटेगरी होगी- रियल मनी गेम्स की जिसमें वित्तीय जोखिम वाले और आदत लगाने वाले गेम्स होंगे। इस कैटेगरी गेम्स को बैन कर दिया जायेगा। Dream11, Pokerbazi, Zupee तथा MPL बंद, जानें यूजर्स के पैसों का होगा क्या ? ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025: इस बिल के पास होते ही Real-Money Gaming इंडस्ट्री में एक डैम हड़कंप सा मच गया है। अब एक एक करके सभी बड़े गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म्स (Real Money Gaming ऐप्स) ने अपने प्लेटफॉर्म से उन गेम्स को बंद करने शुरू कर दिए हैं जो सट्टा और जुआ की कैटिगरी में आते हैं। इस बिल में निर्देश है कि अब किसी भी Real-Money Game, उसके प्रोमोशन और ट्रांजैक्शन की अनुमति नहीं होगी। नियम तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। Dream11, Pokerbazi और MPL आदि प्लेटफॉर्म्स ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि इस नए बिल के आने पर वे अपने इस बिजनेस को बंद कर दिया है। इन कंपनियों ने यूजर्स को विश्वास दिलाया है कि जितने भी यूजर्स ने पैसे लगाए हैं, उनके पैसे 100% सुरक्षित हैं और वो अपना पैसा यहां से निकाल सकते हैं। इस बिल के तहत सजा और जुर्माने का भी प्रावधान रखा गया है। पहली बार गलती होगी तो 3 साल की सजा और इसमें 1 करोड़ रुपये तक का फाइन है। वहीं दूसरी बार गलती होने पर 3 से 5 साल की सजा तथा 2 करोड़ रुपये तक जुर्माना हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज आवारा कुत्तों के मामले पर बड़ा फैसला दिया है। SC ने 11 अगस्त के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसके तहत यह कहा गया था कि जो आवारा कुत्तें पकड़े गए हैं उन्हें छोड़ा नहीं जाना चाहिए। कोर्ट ने फैसला दिया है कि जो कुत्तें पकड़े गए हैं उन्हें नसबंदी और टीकाकरण के बाद ही छोड़ा जाना चाहिए, सिवाय उन कुत्तों के जिन्हें रेबीज है या जो आक्रामक हैं। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि कुत्तों को सार्वजनिक जगह पर खाना देने की अनुमति नहीं है। आवारा कुत्तों को खिलाने-पिलाने के लिए अलग स्थान बनाए जाएंगे। आपको बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की 2 जजों की बेंच ने 11 अगस्त को डॉग बाइट्स और रेबीज के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए आवारा कुत्तों को 8 हफ्तों के अंदर दिल्ली-NCR के आवासीय क्षेत्रों से हटाकर शेल्टर होम में भेजने का निर्देश दिया था। इसके बाद 14 अगस्त को जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की स्पेशल बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। खाना खिलाने के लिए निर्धारित स्थान हों SC ने निर्देश दिया है कि नगर निगम (MCD) को वार्डों में कुत्तों को खाना खिलाने के लिए निश्चित जगह पर फीडिंग जोन बनाने चाहिए। जो नियमों का उल्लंघन करेगा उसके खिलाफ शिकायत करने के लिए हेल्पलाइन शुरू की जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि डॉग लवर कुत्तों को गोद लेने के लिए MCD को आवेदन दे सकते हैं। राष्ट्रीय नीति बनाने पर प्रतिक्रिया मांगी सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों के पशुपालन विभाग के सचिवों को नोटिस जारी कर इस समस्या के निपटान के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी है।
15 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस पर इतिहास रच दिया। यह उनका लगातार 12वां संबोधन था और अवधि के लिहाज़ से अब तक का सबसे लंबा। सुबह 7:34 बजे शुरू हुआ उनका भाषण 9:17 बजे समाप्त हुआ। कुल 103 मिनट, जो किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का अब तक का रिकॉर्ड है। इससे पहले यह रिकॉर्ड भी मोदी के नाम था, जब 2024 में उन्होंने 98 मिनट तक भाषण दिया था। 2014 से 2025 तक बिना कोई साल छोड़े 12 लगातार संबोधन देकर मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का सिलसिला पीछे छोड़ दिया। इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में 16 स्वतंत्रता दिवस संबोधन दिए थे, लेकिन उनमें से 11 ही लगातार थे। लगातार संबोधनों में अब मोदी दूसरे स्थान पर हैं, जबकि पहले नंबर पर पंडित जवाहरलाल नेहरू हैं, जिन्होंने 17 बार लगातार देश को संबोधित किया था। राष्ट्रीय ध्वज फहराने की संख्या में मोदी तीसरे स्थान पर हैं, नेहरू 17 बार और इंदिरा गांधी 16 बार के साथ पहले दो स्थान पर हैं। इस बार का स्वतंत्रता दिवस न सिर्फ एक नए रिकॉर्ड का गवाह बना, बल्कि इसने मोदी के लाल किले से संबोधनों के 12 साल के सिलसिले को भारतीय राजनीति के इतिहास में एक अलग मुकाम पर पहुंचा दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से देश के नाम संबोधन में कई बड़े ऐलान किए। अपने भाषण में उन्होंने कर प्रणाली, युवाओं के लिए रोजगार, कृषि सुधार, ऊर्जा और खनिज संसाधनों में आत्मनिर्भरता, रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अहम मुद्दों पर विस्तृत योजनाएं पेश कीं। पीएम मोदी के इन ऐलानों को आने वाले वर्षों में भारत के आर्थिक, सामाजिक और रणनीतिक ढांचे को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है। अपने संबोधन की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने जीएसटी सुधार की बात करते हुए कहा कि पिछले आठ सालों में इस प्रणाली ने टैक्स ढांचे को सरल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब समय आ गया है कि इसका नेक्स्ट जेनरेशन रिव्यू किया जाए। उन्होंने घोषणा की कि दिवाली के अवसर पर जीएसटी दरों में बड़े बदलाव किए जाएंगे, जिससे रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती होंगी, उद्योगों को लाभ मिलेगा और अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी। युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रधानमंत्री ने "प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना" की शुरुआत की। इस योजना के तहत निजी क्षेत्र में पहली नौकरी पाने वाले युवाओं को 15 हजार रुपये सरकार की ओर से दिए जाएंगे, जबकि कंपनियों को अधिक रोजगार सृजित करने पर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि यह योजना करीब 3.5 करोड़ नौजवानों के लिए नए अवसर पैदा करेगी। ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने "डीप वॉटर एक्सप्लोरेशन मिशन" की घोषणा की। इसके तहत समुद्र के भीतर तेल और गैस भंडार खोजने के लिए अभियान चलाया जाएगा, जिससे भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी। खनिज संसाधनों के मामले में प्रधानमंत्री ने "नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन" लॉन्च करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि रक्षा और तकनीकी क्षेत्र में क्रिटिकल मिनरल्स की अहम भूमिका है, इसलिए देशभर में 1200 से अधिक स्थानों पर इन खनिजों की खोज का अभियान चलाया जाएगा। रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री ने देश के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों से आह्वान किया कि भारत को अपना "मेड इन इंडिया" जेट इंजन तैयार करना चाहिए, जो फाइटर जेट्स में इस्तेमाल हो सके। इसी क्रम में अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए एक उच्च स्तरीय टास्क फोर्स गठित करने की भी घोषणा की गई, जो सभी उद्योगों के लिए नीतियां आसान और समयानुकूल बनाएगी। कृषि सुधारों के तहत प्रधानमंत्री ने "पीएम धनधान्य कृषि योजना" की शुरुआत की, जिसमें ऐसे 100 जिलों की पहचान की गई है जहां खेती की स्थिति कमजोर है। इस योजना के जरिए वहां कृषि उत्पादन और किसानों की आय बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि मछुआरों और पशुपालकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार हर स्तर पर मजबूती से खड़ी है। भाषा और ज्ञान संरक्षण के क्षेत्र में "ज्ञान भारतम योजना" की घोषणा की गई। इसके अंतर्गत देशभर में मौजूद हस्तलिखित ग्रंथों, पांडुलिपियों और पुराने दस्तावेजों को डिजिटल तकनीक की मदद से संरक्षित और सुलभ बनाया जाएगा। राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने "हाई पावर्ड डेमोग्राफी मिशन" की शुरुआत का ऐलान किया, जिसका उद्देश्य घुसपैठ के खतरों को रोकना है। उन्होंने कहा कि घुसपैठिए न केवल देश की सुरक्षा बल्कि नौजवानों की आजीविका और महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी खतरा हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने "मिशन सुदर्शन चक्र" लॉन्च करने की घोषणा की, जिसके तहत 2035 तक देश के सभी महत्वपूर्ण स्थलों को उन्नत सुरक्षा प्रणाली से लैस किया जाएगा। यह अत्याधुनिक हथियार प्रणाली न केवल दुश्मन के हमलों को विफल करेगी बल्कि कई गुना तेज पलटवार भी करने में सक्षम होगी। प्रधानमंत्री मोदी के ये ऐलान आर्थिक सुधारों से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा तक, देश के भविष्य की दिशा तय करने वाले माने जा रहे हैं। आने वाले समय में इन योजनाओं के क्रियान्वयन से भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
झारखंड आंदोलन के पुरोधा और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का 4 अगस्त को 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे बीते एक महीने से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे, जहां किडनी संबंधी बीमारी और ब्रेन स्ट्रोक के चलते उनकी हालत नाज़ुक बनी हुई थी। उनके पुत्र और झारखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस दुखद समाचार की पुष्टि की। राज्य और देश की राजनीति में उन्हें 'दिशोम गुरु' यानी आदिवासियों का मार्गदर्शक के नाम से जाना जाता था। शिबू सोरेन ने 1973 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की नींव रखी थी, जब झारखंड राज्य का अस्तित्व भी नहीं था। उन्होंने जंगलों, खेतों और पहाड़ों में रह रहे आदिवासियों की ज़मीन, भाषा, संस्कृति और अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद की। उनका आंदोलन ही आगे चलकर झारखंड राज्य के गठन की बुनियाद बना। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने और केंद्र सरकार में कोयला मंत्री जैसे अहम पदों पर भी कार्यरत रहे। उनके नेतृत्व में JMM ने आदिवासी हितों से जुड़े कई बड़े आंदोलन किए जिनका असर झारखंड की सियासत पर आज भी देखा जा सकता है। शिबू सोरेन का जीवन सत्ता से ज़्यादा संघर्ष का प्रतीक रहा। उन्होंने न केवल आदिवासी पहचान को राष्ट्रीय विमर्श में जगह दिलाई, बल्कि झारखंड की सियासी पहचान को भी एक मज़बूत आधार दिया। उनकी राजनीतिक विरासत अब उनके बेटे हेमंत सोरेन के कंधों पर है। राज्य में शोक की लहर है। उनके निधन के साथ ही झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया।
मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत ने गुरुवार को 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। जिन लोगों को अदालत ने दोषमुक्त किया है, उनमें भाजपा की सांसद और आरोपी नंबर-1 रहीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय प्रमुख हैं। यह विस्फोट 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव शहर में रमजान के महीने के दौरान हुआ था। एक मोटरसाइकिल में रखे गए बम से हुए धमाके में 6 लोगों की मौत और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। जांच एजेंसियों ने इस घटना के बाद सात लोगों को आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया था। एनआईए अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए जा सके है, और महाराष्ट्र एटीएस द्वारा की गई शुरुआती जांच में कई खामियां थीं। गवाहों के बयान बदलने, सबूतों की प्रमाणिकता पर संदेह और जांच प्रक्रिया में विसंगतियों के चलते अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। प्रमुख आरोपी और उनके खिलाफ आरोप क्या थे? 1. साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर प्रज्ञा ठाकुर पर आरोप था कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल उन्हीं के नाम पर थी। एटीएस का दावा था कि उन्होंने ब्लास्ट की साजिश में सक्रिय भूमिका निभाई और इससे संबंधित कई बैठकों में हिस्सा लिया। हालांकि, 2016 में एनआईए की चार्जशीट में यह कहा गया कि वह बाइक लंबे समय से उनके पास नहीं थी और कई गवाहों ने अपने बयान बदल दिए थे। 2017 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। 2. प्रसाद श्रीकांत पुरोहित सेना के अधिकारी रहे पुरोहित पर आरोप था कि उन्होंने 'अभिनव भारत' संगठन के जरिए फंडिंग की व्यवस्था की और एक वैकल्पिक राष्ट्र व संविधान की बात की। उन्होंने कोर्ट में कहा कि वे इन बैठकों में सेना के खुफिया अधिकारी के रूप में शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में उन्हें जमानत दी थी। 3. रमेश उपाध्याय रिटायर्ड मेजर उपाध्याय पर आरोप था कि उन्होंने धमाके की साजिश से जुड़ी बैठकों में हिस्सा लिया और 'अभिनव भारत' के कार्यकारी अध्यक्ष बने। उन्होंने एटीएस पर फोन टैपिंग और सबूतों को गढ़ने के आरोप लगाए थे। 4. अजय राहिरकर पुणे निवासी व्यापारी अजय राहिरकर को धमाके की फंडिंग और संगठन की बैठकों में शामिल होने का आरोपी बनाया गया। उन्हें सबसे पहले 2011 में बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। 5. सुधाकर चतुर्वेदी सेना के खुफिया विभाग से जुड़े चतुर्वेदी के किराए के घर से विस्फोटक के सैंपल मिलने का दावा किया गया था। लेकिन कोर्ट में गवाहों ने अपने बयान बदल लिए और सबूतों की वैधता पर सवाल उठे। 6. सुधाकर द्विवेदी द्विवेदी के लैपटॉप से कथित तौर पर कई रिकॉर्डिंग्स मिली थीं, जिन्हें सबूत बताया गया था। उन्होंने दलील दी कि लैपटॉप को जब्त करने के बाद सील नहीं किया गया था, जिससे उसमें छेड़छाड़ की संभावना थी। 7. समीर कुलकर्णी समीर कुलकर्णी पर हिंदू प्रतिशोध की बैठकों में हिस्सा लेने का आरोप था। उन्होंने अदालत में दावा किया कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया और उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं थे। दो आरोपी आज भी फरार इस केस में दो और आरोपियों, रामचंद्र कालसांगरा (रामजी) और संदीप दांगे को चार्जशीट में शामिल किया गया था, लेकिन उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया जा सका। कालसांगरा पर आरोप था कि उसने विस्फोट वाली मोटरसाइकिल चलाई थी और वह भी प्रज्ञा ठाकुर के संपर्क में था।
बिहार के गया जिले में होमगार्ड भर्ती के लिए आई 26 वर्षीय युवती के साथ चलती एंबुलेंस में गैंगरेप का शर्मनाक मामला सामने आया है। पुलिस ने घटना के बाद आरोपी एंबुलेंस ड्राइवर और टेक्नीशियन को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों ने पीड़िता को चुप रहने की धमकी भी दी थी। घटना 24 जुलाई (गुरुवार) की है, जिसका खुलासा शुक्रवार देर रात हुआ। भर्ती के दौरान फिजिकल टेस्ट देते वक्त दौड़ते हुए युवती बेहोश होकर गिर गई। उसे एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में टेक्नीशियन ने पहले उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद गाड़ी सुनसान जगह पर रोककर ड्राइवर ने भी दरिंदगी की। पीड़िता ने अस्पताल पहुंचकर महिला डॉक्टर को पूरी घटना बताई, जिसके बाद पुलिस ने मामले में कार्रवाई शुरू की। पीड़िता ने बताया कि टेक्नीशियन ने उसके चेहरे पर स्प्रे किया जिससे वह बेहोश हो गई। दौड़ती एंबुलेंस में ही दोनों आरोपियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। सिकरिया मोड़ पर दुष्कर्म के बाद आरोपियों ने पीड़िता को मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचाया। इमरजेंसी वार्ड में प्राथमिक इलाज के दौरान युवती को होश आया और उसने पुलिस को सारी सच्चाई बताई। पुलिस ने घटनास्थल और आसपास के CCTV फुटेज खंगाले। फुटेज में एंबुलेंस मुख्य रास्ते से हटती और फिर लौटती हुई दिखाई दी। मेडिकल जांच और पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपियों की पहचान कर गिरफ्तारी की गई। एंबुलेंस ड्राइवर की पहचान गया जिले के उतरेन निवासी विनय कुमार के रूप में हुई है, जबकि टेक्नीशियन अजीत कुमार नालंदा के चांदपुर गांव का निवासी है। दोनों के कपड़े और एंबुलेंस से साक्ष्य जुटाए गए हैं। बोधगया थाना पुलिस ने केस दर्ज कर जांच जारी रखी है।
लोकसभा में उत्कृष्ट और लगातार प्रभावशाली प्रदर्शन के लिए इस साल 17 सांसदों को संसद रत्न पुरस्कार 2025 के लिए चुना गया है। इनमें प्रमुख नाम हैं, एनसीपी शरद गुट की सुप्रिया सुले, भाजपा के रवि किशन और निशिकांत दुबे, तथा शिवसेना UBT के अरविंद सावंत। इन सांसदों में से सबसे अधिक, सात सांसद महाराष्ट्र से हैं। इसके अलावा, चार सांसदों को स्पेशल जूरी अवॉर्ड भी दिए गए हैं। इस सूची में भाजपा के भर्तृहरि महताब, क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी के एनके प्रेमचंद्रन, एनसीपी शरद गुट की सुप्रिया सुले और शिवसेना के श्रीरंग अप्पा बार्ने शामिल हैं। ये सभी सांसद 16वीं लोकसभा के बाद से लगातार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। गोरखपुर से सांसद और अभिनेता रवि किशन संसद रत्न पुरस्कार पाने वाले चर्चित एक्टर-सांसदों में से एक हैं। वहीं, जालंधर से कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी को कृषि समिति के उत्कृष्ट योगदान के लिए स्पेशल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। अन्य सांसदों में भाजपा की स्मिता उदय वाघ, शिवसेना के नरेश म्हस्के, कांग्रेस की वर्षा गायकवाड़, भाजपा की मेधा कुलकर्णी, प्रवीण पटेल, विद्युत बरन महतो और दिलीप सैकिया भी शामिल हैं। खास बात यह है कि सांसद एनके प्रेमचंद्रन को यह पुरस्कार पांचवीं बार मिला है। कमेटी कैटेगरी में, वित्त संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष भर्तृहरि महताब और कृषि संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष डॉ. चरणजीत सिंह चन्नी को उनकी रिपोर्टों की गुणवत्ता और विधायी निगरानी में योगदान के लिए विशेष सम्मान दिया गया। संसद रत्न पुरस्कार के बारे में खास बातें संसद रत्न पुरस्कार की शुरुआत 2010 में प्राइम पॉइंट फाउंडेशन और डिजिटल मैग्जीन प्रेजेंस ने की थी। इस पुरस्कार की प्रेरणा पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने दी थी। पहला समारोह चेन्नई में आयोजित किया गया था। यह पुरस्कार सांसदों के सवाल पूछने की संख्या, अध्यादेश या निजी विधेयक प्रस्तुत करने, बैठकों और चर्चा में भागीदारी जैसे मापदंडों के आधार पर दिया जाता है। इस वर्ष निर्णायक समिति के अध्यक्ष NCBC चेयरमैन हंसराज गंगाराम अहीर थे।
राजनीति की गाड़ी में कोई ब्रेक नहीं होता। कल तक जो कुर्सी पर था, आज इस्तीफा दे चुका है। और अब सबकी नजर इसी पर है कि इस कुर्सी पर अगला कौन होगा? हम बात कर रहे हैं देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद की। उपराष्ट्रपति के पद की। जगदीप धनखड़ ने सेहत का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया। अब कुर्सी खाली है और जल्द चुनाव होंगे। जाहिर है कि इस चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपने अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेंगे, लेकिन चूंकि इस वक्त संसद में एनडीए का संख्याबल अधिक है, इसलिए स्वाभाविक रूप से सभी की निगाहें एनडीए के संभावित उम्मीदवारों पर टिकी हैं। सवाल यह है कि एनडीए किसे अपना प्रत्याशी बनाएगा? कोई कह रहा है कि इस पद पर नीतीश कुमार को सेटल कर दिया जाएगा, तो कोई कहता है कि यह पद तो शशि थरूर को मिलना चाहिए। नाम हरिवंश नारायण सिंह का भी आ रहा है और रामनाथ ठाकुर का भी। चर्चा तो जगत प्रकाश नड्डा के नाम की भी खूब है। संभावित नामों की सूची लंबी है और हर नाम के पीछे अपनी राजनीतिक रणनीति और समीकरण छिपे हैं। क्या हैं ये रणनीतियां, क्या हैं ये समीकरण और इस संभावित सूची में किस किस का नाम शामिल है आइए विस्तार से आपको बताते हैं। एनडीए खेमे में सबसे चर्चित नाम है जनता दल (यूनाइटेड) के राज्यसभा सांसद हरिवंश नारायण सिंह का। वे 2020 से राज्यसभा के उपसभापति हैं और फिलहाल नए उपराष्ट्रपति के चुनाव तक राज्यसभा के कार्यवाहक सभापति की भूमिका निभा रहे हैं। 2020 में हुए राज्यसभा उपसभापति चुनाव में हरिवंश ने विपक्षी उम्मीदवार और राजद नेता मनोज झा को हराया था। संसदीय कार्यवाही के संचालन में उनकी दक्षता और साफ छवि उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है। जेडीयू के ही एक और बड़े नेता, रामनाथ ठाकुर, जो पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं, भी उपराष्ट्रपति पद के लिए संभावित नामों में शामिल हैं। ये जेडीयू कोटे से राज्यसभा सांसद हैं और केंद्र सरकार में कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। इनकी छवि ईमानदार नेता की है और ये अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं। इस सामाजिक पृष्ठभूमि के कारण ये भी एक सर्वमान्य और राजनीतिक दृष्टिकोण से रणनीतिक उम्मीदवार हो सकते हैं। हाल ही में जेपी नड्डा के साथ इनकी मुलाकात ने अटकलों को और बल दिया है। यह मुलाकात भले ही बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर हुई हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे उपराष्ट्रपति चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। सबसे चौंकाने वाला नाम जो इस रेस में चर्चा में आया है, वह है खुद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का। हालांकि उनका इस पद के लिए उम्मीदवार बनना व्यावहारिक रूप से कठिन माना जा रहा है, क्योंकि उन्हें चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद छोड़ना होगा। फिर भी, एनडीए के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा ने यह सुझाव जरूर दिया है कि नीतीश कुमार को अगली पीढ़ी के लिए रास्ता बनाना चाहिए और इस्तीफा देकर उपराष्ट्रपति बनने का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। एक अन्य संभावित नाम है जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का। वे इस अगस्त में अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लेंगे, जिससे उनकी उम्मीदवारी की संभावना प्रबल हो जाती है। सिन्हा पूर्व सांसद, केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र से भाजपा के पुराने वफादार नेता रहे हैं। जम्मू कश्मीर में उनके प्रशासनिक अनुभव और राजनीतिक संतुलन को देखते हुए, वे एक सशक्त नाम के रूप में देखे जा सकते हैं। भाजपा के भीतर भी दो वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों के नाम चर्चा में हैं, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह। दोनों ही नेता राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण चेहरा हैं और उनके अनुभव, समर्पण और नेतृत्व क्षमताएं उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाती हैं। हालांकि अभी तक भाजपा की ओर से इस पर कोई आधिकारिक संकेत नहीं आया है। विपक्ष खेमे से भी एक चौंकाने वाला नाम सामने आ रहा है, कांग्रेस नेता शशि थरूर। कुछ वर्गों में उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए एक संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि थरूर को यह पद स्वीकार करने के लिए अपनी लोकसभा की सदस्यता छोड़नी होगी। इसके अलावा, कांग्रेस के साथ उनके संबंधों में आई तल्खी इस संभावना को जटिल बना देती है। एक अन्य नाम है बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का। वे पूर्व सांसद रह चुके हैं और अतीत में कांग्रेस और जनता दल दोनों से जुड़े रहे हैं। 1986 में शाह बानो मामले को लेकर उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। राजनीतिक दृष्टिकोण से उनका अनुभव, वैचारिक स्पष्टता और अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध उन्हें एक रणनीतिक दावेदार बना सकते हैं। राष्ट्रपति के मामले में संविधान कहता है कि कुर्सी खाली होने पर छह महीने के भीतर चुनाव करा दो, लेकिन उपराष्ट्रपति के लिए कोई तय समयसीमा नहीं है। बस इतना लिखा है कि पद खाली होते ही चुनाव जल्द से जल्द कराया जाए। इसकी पूरी जिम्मेदारी होती है चुनाव आयोग की। जब चुनाव कराने की बारी आती है तो परंपरा के अनुसार संसद के किसी एक सदन, लोकसभा या राज्यसभा, के महासचिव को चुनाव अधिकारी बना दिया जाता है। चुनाव होता है ‘राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952’ के तहत। अब चूंकि जगदीप धनखड़ का इस्तीफा उनके कार्यकाल के बीच में आया है, तो जो नया उपराष्ट्रपति चुना जाएगा, वह पूरे पांच साल के लिए होगा, ना कि सिर्फ बचे हुए समय के लिए। अब आते हैं सबसे अहम हिस्से पर, वोट कौन देता है? तो बता दें कि उपराष्ट्रपति को सिर्फ संसद के सदस्य चुनते हैं। इसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी चुने हुए सांसद शामिल होते हैं। इतना ही नहीं, राज्यसभा और लोकसभा के नामित सदस्य भी वोट करते हैं। लेकिन ध्यान दीजिए, इसमें राज्य विधानसभाओं के विधायक शामिल नहीं होते। जबकि राष्ट्रपति चुनाव में विधायक भी वोट डालते हैं। अब जानते हैं कि वोटिंग होती कैसे है। इसमें 'गुप्त मतदान' होता है यानी किसने किसे वोट दिया, यह बाहर नहीं आता। और तरीका होता है, सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम। मतलब सांसदों को मतपत्र पर उम्मीदवारों की पसंद का क्रम लिखना होता है, पहला नंबर किसे देना है, दूसरा किसे, और आगे किसे। अगर किसी को कुल वैध मतों के आधे से एक ज्यादा वोट मिल जाते हैं, तो वही उपराष्ट्रपति बन जाता है। अगर पहले राउंड में कोई भी उम्मीदवार जरूरी कोटा पार नहीं कर पाता, तो सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है। फिर उसके वोट दूसरी पसंद के हिसाब से बाकी बचे उम्मीदवारों में बांटे जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती है, जब तक कोई उम्मीदवार तय सीमा पार नहीं कर लेता। अब अगर आप सोच रहे हैं कि उपराष्ट्रपति बनने के लिए योग्यता क्या चाहिए, तो सुनिए। सबसे पहले, वह भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी उम्र कम से कम 35 साल होनी चाहिए। वह राज्यसभा के लिए चुनाव लड़ने के काबिल होना चाहिए। उसका नाम किसी भी संसदीय क्षेत्र की वोटर लिस्ट में होना चाहिए। और हां, वह केंद्र या राज्य सरकार के किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए, सिवाय राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल या मंत्री के पद को छोड़कर। तो बात सीधी है, रेस लंबी है, नाम कई हैं, समीकरण पेचीदा हैं। बीजेपी अतीत में ऐसे नाम सामने ला चुकी है जो ऐन वक्त पर सबको चौंका देते हैं। इस बार भी हो सकता है वैसा ही कोई सरप्राइज। लेकिन जब तक चुनाव नहीं हो जाता, चर्चाएं गर्म रहेंगी, नए नाम तैरते रहेंगे और सियासी गलियारे में हलचल बनी रहेगी।
Cuttack: Ravenshaw University, one of Odisha’s oldest and most prestigious institutions, has withdrawn a controversial directive that prohibited women faculty, staff, and students from remaining on campus after 5:30 pm. The decision came after widespread criticism and intervention by the state’s higher education department. The now-withdrawn order, issued earlier in the day by the university registrar, had stated: “No female faculty, staff and students are permitted to remain in the workplace or on campus after 5.30 pm. This decision will remain in place until a formal Standard Operating Procedure (SoP) is issued, which will outline the necessary guidelines and protocols for work hours and safety measures.” The directive sparked immediate outrage for being discriminatory and regressive, effectively restricting women's freedom on campus under the guise of safety. It was officially revoked through a subsequent order issued later the same day. Background and Possible Trigger According to sources, the order may have been a knee-jerk response to growing concerns over campus safety, following the recent suicide of a student who had allegedly faced sexual harassment at a college in Odisha. However, instead of addressing systemic issues or ensuring better safeguards, the university’s decision to impose restrictions on women drew sharp criticism from students, faculty, and rights activists. “The higher education department stepped in, stating that such an order sends the wrong message and contradicts the principles of gender equality,” said a senior government official. When contacted, the university registrar declined to elaborate on the rationale behind the directive and only confirmed that the order had been rescinded.
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शुक्रवार को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद ईडी की टीम ने चैतन्य को रायपुर की अदालत में पेश किया। गिरफ्तारी की खबर के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक, नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत और स्वयं भूपेश बघेल, रायपुर जिला न्यायालय पहुंचे। यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र का आज अंतिम दिन था। ईडी की छापेमारी और गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया। 'साहब ने भेज दी ईडी': भूपेश बघेल का तंज पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ईडी की छापेमारी पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सुबह भिलाई स्थित अपने निवास पर ईडी के छापे की जानकारी देते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा: "ED आ गई। आज विधानसभा सत्र का अंतिम दिन है। अडानी के लिए तमनार में काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा उठाना था। भिलाई निवास में ‘साहेब’ ने ED भेज दी है।" बघेल ने यह भी याद दिलाया कि आज उनके बेटे चैतन्य का जन्मदिन है। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा: "जन्मदिन का जैसा तोहफ़ा मोदी और शाह जी देते हैं, वैसा दुनिया के किसी लोकतंत्र में और कोई नहीं दे सकता। मेरे जन्मदिन पर मेरे सलाहकार और ओएसडी के घरों पर ईडी भेजी गई थी, और आज मेरे बेटे के जन्मदिन पर मेरे घर पर रेड डाली गई है। इन तोहफों का धन्यवाद, ताउम्र याद रहेगा।" क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला? ईडी की जांच के मुताबिक, यह कथित घोटाला फरवरी 2019 में शुरू हुआ। आरोप है कि शराब डिस्टिलरियों से हर महीने 800 पेटी शराब अवैध रूप से भेजी जाती थी। समय के साथ यह संख्या 400 ट्रकों और 60 लाख पेटियों तक पहुंच गई। जांच में सामने आया कि इन तीन वर्षों में करीब 2,174.60 करोड़ रुपये का अवैध राजस्व अर्जित किया गया। प्रति पेटी की कीमत पहले 2,840 रुपये, बाद में बढ़कर 3,880 रुपये हो गई। ईडी का दावा है कि इस पूरे नेटवर्क में कई अधिकारी, कारोबारी और राजनीतिक हस्तियां शामिल हैं।
गरीब की थाली में पुलाव आ गया, लगता है चुनाव आ गया। यह पुरानी कहावत इस समय बिहार की राजनीतिक सियासत पर पूरी तरह सटीक बैठती है। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और चुनाव से ठीक पहले सरकार की ओर से जनता को लुभाने के ऐसे प्रयास शुरू हो गए हैं, जो आम दिनों में देखने को नहीं मिलते। राज्य में मुफ्त की रेवड़ियाँ बांटने की शुरुआत हो चुकी है और इसका आगाज़ खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया है। 1 अगस्त 2025 से बिहार के घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने का ऐलान किया गया है, जिससे करोड़ों परिवारों को सीधा लाभ मिलने वाला है। इस योजना से लगभग 1 करोड़ 67 लाख परिवार सीधे लाभान्वित होंगे। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि उनकी सरकार शुरू से ही सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराती रही है, और अब इसे और आगे बढ़ाते हुए बिजली को कुछ हद तक मुफ्त कर दिया गया है। नीतीश कुमार ने यह भी बताया कि अगले तीन वर्षों में सरकार घरेलू उपभोक्ताओं की सहमति लेकर उनके घरों की छतों या नजदीकी सार्वजनिक स्थलों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाएगी। अत्यंत निर्धन परिवारों के लिए यह संयंत्र पूरी तरह से सरकार के खर्च पर लगाए जाएंगे, जबकि अन्य उपभोक्ताओं को भी सरकारी सहायता मिलेगी। उनका मानना है कि इन प्रयासों से बिहार में आने वाले वर्षों में 10,000 मेगावाट तक सौर ऊर्जा उत्पादन संभव होगा, जिससे राज्य ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह योजना चुनावी रणनीति का हिस्सा है, ताकि चुनाव से पहले जनता के बीच सरकार की लोकप्रियता बढ़ाई जा सके। बिहार की सियासत में इस तरह की मुफ्त रेवड़ी वितरण की परंपरा पुरानी है, लेकिन इस बार बिजली जैसी अहम और जरूरी सुविधा को मुफ्त देना इसे और भी विशेष बना देता है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग में भी बड़े बदलावों का ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की रिक्तियों की त्वरित गणना की जाए और TRE-4 परीक्षा के जरिए नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए। इसके साथ ही 35 प्रतिशत आरक्षण का लाभ केवल बिहार की निवासी महिलाओं को ही दिया जाएगा, जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, ऐसे फैसले और घोषणाएं बिहार की सियासी तस्वीर को और रोचक बना रही हैं। जनता की उम्मीदें बढ़ रही हैं, जबकि विपक्ष भी सरकार के इन कदमों पर तीखी प्रतिक्रिया दे रहा है। अब देखना यह होगा कि चुनावी बहसों में ये मुफ्त बिजली और सौर ऊर्जा योजनाएं किस तरह जगह बनाएंगी और जनता पर क्या असर डालेंगी।
बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी अब बढ़ने लगी है और चुनावी समीकरण दिन प्रति दिन आकार ले रहे है। माना जा रहा है कि बिहार का चुनाव इस बार कई मायनों में बहुत अलग होने जा रहा है। बीजेपी ने फ़िलहाल राज्य में नीतीश की जनता दल यूनाइटेड के नेतृत्व में चुनाव लड़ना स्वीकार कर लिया है। वहीं तेजस्वी यादव उनके विरोधी दल के नेता के रूप में मुखर रहेंगे। मगर इनके अलावा नज़रें उस पार्टी पर अधिक रहेंगी जो लगातार बिहार की राजनीति को बदलने का दावा कर रही है। ये पार्टी है पूर्व में अन्य दलों को चुनाव लड़वाने के बाद खुद राजनीति का स्वाद लेने मैदान में उतरे प्रशांत किशोर की नवगठित पार्टी ........जनसुराज। प्रशांत किशोर, जो अब तक चुनावी रणनीतिकार के रूप में कांग्रेस, भाजपा, टीएमसी जैसी बड़ी पार्टियों के लिए रणनीति बनाते रहे, अब खुद बिहार की राजनीति में एक वैकल्पिक ताकत बनने का दावा कर रहे हैं। जनसुराज को लेकर वे लगातार यह कहते आए हैं कि बिहार की राजनीति को विचार, नीति और पारदर्शिता पर आधारित बनाया जाएगा। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या जनसुराज वास्तव में बिहार की राजनीति में कोई ठोस बदलाव ला पाएगी या यह सिर्फ एक और प्रयोग बनकर रह जाएगी? जनसुराज ने 2024 में चार विधानसभा उपचुनावों, इमामगंज, बेलागंज, टरारी और रामगढ़ .. में अपने उम्मीदवार उतारे। हालांकि, पार्टी एक भी सीट जीत नहीं पाई। इन उपचुनावों में जनसुराज का औसत वोट शेयर लगभग 10% रहा। इमामगंज सीट पर पार्टी के उम्मीदवार को करीब 37,000 वोट मिले, जो एक शुरुआती प्रयास के लिहाज से कम नहीं कहा जा सकता। हालांकि इस प्रदर्शन से पार्टी को "वोट कटवा" करार दिया गया, क्योंकि कुछ सीटों पर उसने आरजेडी गठबंधन के वोटों में सेंध लगाई। जनसुराज ना एनडीए का हिस्सा है, ना ही इंडिया गठबंधन का। पार्टी ने स्पष्ट रूप से एलान किया है कि वह 243 में से सभी विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। यह अपने आप में एक साहसिक निर्णय है, खासकर तब, जब पार्टी का संगठनात्मक ढांचा पारंपरिक दलों की तुलना में अभी भी कमजोर है। बता दें कि बिहार में पार्टी ने चुनावी ज़मीन तैयार करने के लिए एक बड़ा जनसंपर्क अभियान चलाया था । प्रशांत किशोर ने पूरे बिहार में 3,500 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी की, जिसमें उन्होंने गांवों और छोटे कस्बों में जाकर सीधे लोगों से संवाद किया। इस पदयात्रा के ज़रिए पार्टी ने ‘जनसुनवाई’ और ‘नीतिगत संवाद’ पर ज़ोर दिया। अप्रैल 2025 में पटना के गांधी मैदान में पार्टी ने एक बड़ी रैली की, जिसे ‘बिहार बदलाव रैली’ नाम दिया गया। इस दौरान जनसुराज ने अपने 10 साल के विज़न डॉक्युमेंट का ऐलान किया और राज्य के विकास के लिए रोडमैप पेश किया। लेकिन जनसुराज को लेकर आलोचनाएं भी कम नहीं हैं। पार्टी के कई प्रत्याशियों पर अपराधिक पृष्ठभूमि या कम शैक्षणिक योग्यता के आरोप लगे हैं, जिससे पार्टी के “साफ-सुथरी राजनीति” के दावे पर सवाल उठे हैं। इसके अलावा, बूथ स्तर पर पार्टी की पकड़ अभी काफी सीमित है और बड़े दलों के मुकाबले जनसुराज का संसाधन तंत्र भी कमज़ोर दिखता है। बावजूद इसके, यह कहना गलत नहीं होगा कि जनसुराज ने बिहार में एक नई राजनीतिक चर्चा शुरू की है। लोगों के बीच यह विचार बनने लगा है कि पारंपरिक जातीय समीकरणों और गठबंधन राजनीति से हटकर कोई तीसरी ताक़त भी उभर सकती है। हालांकि, मौजूदा आंकड़ों और हालिया उपचुनाव नतीजों के आधार पर देखें तो जनसुराज का प्रदर्शन प्रभावशाली भले ही न हो, लेकिन प्रतीकात्मक जरूर है। अंततः, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जनसुराज के लिए सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता और उपस्थिति दर्ज कराने की परीक्षा होगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नई पार्टी जनता की उम्मीदों पर कितनी खरी उतरती है ......और क्या यह बदलाव सिर्फ भाषणों तक सीमित रहेगा, या वाकई सियासत की ज़मीन पर कुछ नया अंकुरित होगा।
अमेरिका की जानी-मानी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला ने अब आखिरकार भारत में एंट्री कर ली है। कंपनी ने 15 जुलाई 2025 को मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) में अपना पहला स्टोर खोल दिया है। इसके साथ ही Tesla ने मॉडल Y कार भी लॉन्च कर दी है। Model Y RWD की ऑन-रोड शुरुआती कीमत 61.07 लाख रुपये रखी गई है, तो वहीं इसके लॉन्ग रेंज RWD वेरिएंट की कीमत की बात करें तो ये 69.15 लाख रुपये है। यह टेस्ला की सबसे ज्यादा बिकने वाली SUV है और भारत में इलेक्ट्रिक SUV सेगमेंट के लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है। कैसा है Tesla Model Y का डिजाइन Tesla Model Y, कंपनी की लोकप्रिय Model 3 कार के प्लेटफॉर्म पर बनी एक SUV है। यह कार थोड़ी ऊंची होती है, जिससे इसमें ज्यादा जगह और आरामदायक सफर का अनुभव मिलता है। इसका डिजाइन साधारण, लेकिन बहुत ही मॉडर्न है, जो इसे देखने में स्टाइलिश और भविष्य की टेक्नोलॉजी से लैस बनाता है। कार में पैनोरामिक ग्लास रूफ, स्पोर्टी कूप जैसी शेप, स्मार्ट फ्लश डोर हैंडल्स, और पतले एलईडी हेडलैम्प्स दिए गए हैं। इसकी एयरोडायनामिक बॉडी भारत की सड़कों पर चलाने पर एक बिल्कुल नया और प्रीमियम अनुभव देने वाली है। Model Y में मिलेंगे हाई-टेक और स्मार्ट फीचर्स टेस्ला की सभी कारें टेक्नोलॉजी के मामले में हमेशा आगे रही हैं और Model Y भी इसी पर बेस्ड है. इसमें 15 इंच की बड़ी टचस्क्रीन डिस्प्ले दी गई है, जो टेस्ला के अपने ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करती है। इसके अलावा, इसमें ओवर-द-एयर सॉफ़्टवेयर अपडेट्स, प्रीमियम साउंड सिस्टम, मल्टी-जोन क्लाइमेट कंट्रोल और Tesla मोबाइल ऐप से रियल-टाइम कंट्रोल जैसी मॉडर्न सुविधाएं भी मौजूद हैं। भारत के नियमों के अनुसार इसमें सीमित रूप में ऑटोपायलट ड्राइवर-असिस्ट सिस्टम भी मिल सकता है। इन सभी एडवांस फीचर्स के साथ Model Y भारतीय बाजार में पहले से मौजूद लग्जरी इलेक्ट्रिक SUVs की तुलना में खुद को कहीं ज्यादा मॉडर्न और बेहतर साबित करती है। Tesla Model Y के वेरिएंट्स ग्लोबल मार्केट में Model Y दो प्रमुख वेरिएंट्स (Long Range AWD और Performance Model) में उपलब्ध है। Long Range वेरिएंट में डुअल मोटर ऑल-व्हील ड्राइव सिस्टम के साथ 530 किलोमीटर तक की रेंज मिलती है. यह SUV मात्र 5 सेकंड से भी कम समय में 0 से 100 किलोमीटर/घंटा की रफ्तार पकड़ सकती है। इसके अलावा इसमें फास्ट चार्जिंग और रीजनरेटिव ब्रेकिंग जैसी एडवांस तकनीकें भी मिलती हैं। यदि यह वेरिएंट भारत में लॉन्च होता है, तो यह परफॉर्मेंस और रेंज दोनों के मामले में अन्य कारों से कहीं आगे होगी। भारत में कितनी होगी Tesla Model Y की कीमत ? भारत में टेस्ला की जो शुरुआती कारें आएंगी, वे CBU (Completely Built Unit) के रूप में बाहर से पूरी तरह बनी हुई इम्पोर्ट की जाएंगी। इसका मतलब है कि ये कारें सीधे विदेश से बनकर भारत लाई जाएंगी, जिससे इनकी कीमतें थोड़ी ज्यादा होंगी। संभावना है कि टेस्ला की पहली कार Model Y SUV होगी। इसकी अनुमानित एक्स-शोरूम कीमत 75 लाख से 90 लाख रुपये के बीच हो सकती है। कंपनी 15 जुलाई को भारत में अपने लॉन्ग-टर्म प्लान की जानकारी देगी। इसी दिन यह भी बताया जाएगा कि Model Y के कितने वेरिएंट्स होंगे, उनकी उपलब्धता क्या होगी और फाइनल कीमतें क्या रहेंगी।
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन, कलराज मिश्र ....ये भाजपा के कुछ ऐसे चेहरे है जो 75 पार हुए तो चाहते न चाहते सक्रीय राजनीति से भी बाहर हो गए। साल 2019 का लोकसभा चुनाव था। भाजपा ने एक फैसला लिया। फैसला ये था कि जो भी नेता 75 की आयु का आकड़ा पार कर चुके है उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा। मसलन इन नेताओं को भी टिकट नहीं मिला। समय आगे बढ़ा और अब इस बात को लगभग 7 साल हो गए। ख़ास बात ये है कि 7 साल बाद इस साल, यानी 2025 के सितम्बर में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 75 के आकड़े तक पहुँच जाएंगे, जो नियम बाकी नेताओं पर लागू हुए वो उनपर लागू होंगे या नहीं, सवाल बस यही है। दरअसल देश में इन दिनों प्रधानमंत्री की रिटायरमेंट एज को लेकर फिर से बहस शुरू हो गई है। बहस का कारण है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का हाल ही में आया एक बयान, जिसने देश कि सियासत में हलचल तेज़ कर दी। मोहन भागवत कहते हैं, "75 वर्ष की शॉल जब ओढ़ी जाती है तो इसका अर्थ होता है आपका समय अब हो गया ... बाजू हटो ... दूसरों को करने दो। भागवत हाल ही में रामजन्मभूमि आंदोलन के प्रेरक दिवंगत मोरोपंत पिंगले पर लिखी पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुए थे जहाँ उन्होंने ये बात कही। भागवत का ये बयान आया और मानों विपक्ष में नई ऊर्जा का प्रवाह कर गया। बयान आते ही विपक्ष ने इसे प्रधानमंत्री की आयु पर संघ प्रमुख का तंज समझना शुरू कर दिया। इसे प्रधानमंत्री की नज़दीक आती रिटायरमेंट एज पर एक व्यंग्य बताया गया। इस वाक्य पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने X पर एक पोस्ट में कहा, 'बेचारे पुरस्कार जीवी प्रधानमंत्री! यह कैसी घर वापसी है। लौटते ही सरसंघचालक ने उन्हें याद दिलाया कि 17 सितंबर, 2025 को वे 75 साल के हो जाएंगे।' जयराम रमेश ने आगे लिखा, 'प्रधानमंत्री भी सरसंघचालक से कह सकते हैं कि वे भी 11 सितंबर, 2025 को 75 साल के हो जाएंगे! एक तीर, दो निशाने!' शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह एक साफ संदेश है और बीजेपी और आरएसएस के बीच जो कुछ भी चल रहा है, वह उनके बयान से साफ नजर आ रहा है। हालांकि, विपक्ष के आक्रामक होते ही आरएसएस भी डिफेंसिव मोड पर आ गया। संघ ने कहा कि सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान संघ विचारक मोरोपंत पिंगले के 75वें जन्मदिन पर दिए गए उनके भाषण का संदर्भ था, लेकिन कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना (UBT) इसका अधूरा मतलब निकालकर राजनीतिक खिचड़ी पका रही है। भले ही संघ प्रमुख का बयान पीएम को लक्षित था या नहीं, लेकिन सवाल अब ज़ेहन में बस चुका है .... क्या 75 की उम्र में 'बाजू हटने' की बारी अब प्रधानमंत्री की है? अब सबकी नजर इस बात पर है कि जब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 वर्ष के हो जाएंगे, तो क्या वही नियम उन पर भी लागू होंगे? या भाजपा इस पर कोई “अपवाद का सिद्धांत” गढ़ेगी? क्या पार्टी उस नीति से पीछे हटेगी जिसे उसने खुद गढ़ा है? बता दें, भाजपा के भीतर एक निश्चित उम्र तक पद पर बने रहने को लेकर कोई आधिकारिक नियम नहीं है। हालांकि, कुछ स्तरों पर उम्र सीमाएं लागू की गई हैं। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ भाजपा ने मंडल अध्यक्ष पद के लिए 35 से 45 साल और जिला अध्यक्ष पद के लिए 45 से 60 साल की उम्र सीमा निर्धारित की है। वहीं भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में 75 साल से अधिक उम्र के कई वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं देने के बारे तो हम आपको बता ही चुके है। आपको ये भी याद दिला दें कि भाजपा ने 75 साल की उम्र पर कई नेता रिटायर किए है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा में 75 साल की उम्र से ज्यादा के नेताओं को रिटायर करने का ट्रेंड शुरू हुआ था । पहली बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में इससे कम उम्र के नेताओं को ही जगह दी थी। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया गया। 2016 में जब गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने इस्तीफा दिया तो उस समय उनकी उम्र भी 75 साल थी। उसी साल नजमा हेपतुल्लाह ने भी मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दिया, जिनकी उम्र 76 साल थी। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले तब के भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा- 75 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को टिकट नहीं दिया गया है। यह पार्टी का फैसला है। उस चुनाव में सुमित्रा महाजन और हुकुमदेव नारायण यादव जैसे नेताओं को टिकट नहीं दिया गया। इसी तरह 2024 लोकसभा चुनाव में राजेंद्र अग्रवाल, संतोष गंगवार, सत्यदेव पचौरी, रीता बहुगुणा जोशी का टिकट 75 साल से ज्यादा उम्र की वजह से काट दिया गया। अब प्रधानमन्त्री के मसले पर भाजपा क्या करती है ये देखना दिलचस्प होगा।
हाल ही में अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे के ठीक बाद, एअर इंडिया को एक और चुनौती का सामना करना पड़ा जब फुकेट से दिल्ली आ रही उसकी एक फ्लाइट (AI-379) में बम होने की सूचना के बाद फुकेट इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आपात लैंडिंग कराई गई। विमान में सवार सभी 156 यात्री और चालक दल के सदस्य सुरक्षित बताए जा रहे हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने फ्लाइट ट्रैकर 'फ्लाइट्रेडर24' के हवाले से बताया कि एअर इंडिया की इस फ्लाइट ने फुकेट एयरपोर्ट से भारतीय समयानुसार सुबह 9.30 बजे (स्थानीय समयानुसार दोपहर 2.30 बजे) उड़ान भरी थी। हालांकि, बम की धमकी मिलने के बाद विमान ने अंडमान सागर के ऊपर एक बड़ा चक्कर लगाया और लगभग 20 मिनट बाद सुरक्षित रूप से फुकेट में ही आपात लैंडिंग कर ली। सभी यात्रियों और क्रू सदस्यों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। 'नेशन थाईलैंड' की रिपोर्ट के अनुसार, बम की धमकी मिलते ही फुकेट एयरपोर्ट ने तुरंत अपना एयरपोर्ट कंटिन्जेंसी प्लान (ACP) सक्रिय कर दिया। एयरपोर्ट अधिकारियों ने कहा कि धमकी को लेकर सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं और विस्तृत जानकारी मिलने पर अपडेट दिया जाएगा। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब एअर इंडिया पहले से ही अहमदाबाद में हुए दुखद विमान हादसे के बाद सुर्खियों में है। कल अहमदाबाद विमान हुआ था हादसा यह उल्लेखनीय है कि एयर इंडिया का विमान AI-171, जो 12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भर रहा था, टेक-ऑफ के दो मिनट बाद ही क्रैश हो गया था। यह विमान अहमदाबाद के बी.जे. मेडिकल कॉलेज हॉस्टल पर गिरा था, जहां उस समय 50 से अधिक लोग मौजूद थे। इस भीषण हादसे में अब तक 265 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। इनमें से 241 मृतक विमान में सवार यात्री और क्रू मेंबर्स थे, जबकि 5 शव उस मेडिकल हॉस्टल से मिले हैं जिस पर विमान गिरा था। हॉस्टल में मारे गए लोगों में 4 एमबीबीएस छात्र और एक डॉक्टर की पत्नी शामिल हैं। दुर्घटनाग्रस्त हुए बोइंग 787 ड्रीमलाइनर फ्लाइट AI-171 में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक सहित कुल 230 यात्री सवार थे। इनमें 103 पुरुष, 114 महिलाएं, 11 बच्चे और 2 नवजात शामिल थे, जबकि 12 क्रू मेंबर्स थे। दुखद रूप से, इस हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल थे, जबकि चमत्कारिक रूप से केवल एक यात्री की जान बच पाई थी।
अहमदाबाद: अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 बुधवार, 12 जून को उड़ान भरने के चंद मिनटों बाद ही मेघाणी नगर इलाके में क्रैश हो गई। इस भीषण हादसे में विमान में सवार 242 यात्रियों और क्रू सदस्यों में से केवल एक ब्रिटिश नागरिक रमेश विश्वास कुमार ही जीवित बच पाए हैं, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस त्रासदी के बाद देश में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अहमदाबाद पहुंचकर दुर्घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने तबाही के मंजर को 'दुखद' बताया और अधिकारियों व बचाव कार्यों में जुटी टीमों से मुलाकात कर स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद पीएम मोदी सिविल अस्पताल भी गए, जहां उन्होंने हादसे में जीवित बचे रमेश विश्वास कुमार से मुलाकात कर उनका हाल जाना। रमेश ने पीएम को बताया कि उड़ान भरने के कुछ सेकंड बाद ही एक जोरदार आवाज आई और उसके बाद प्लेन क्रैश हो गया। प्रधानमंत्री ने हादसे में घायल हुए अन्य लोगों से भी मुलाकात कर उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। प्रधानमंत्री ने जताया गहरा दुख: इस अकल्पनीय त्रासदी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कहा, "अहमदाबाद में हुए हवाई हादसे से हम सभी स्तब्ध हैं। इतने सारे लोगों की अचानक और दिल दहला देने वाली मौत को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। सभी शोक संतप्त परिवारों के प्रति हमारी संवेदना। हम उनके दर्द को समझते हैं और यह भी जानते हैं कि उनके पीछे जो खालीपन रह गया है, उसे आने वाले कई सालों तक महसूस किया जाएगा। ओम शांति।" उन्होंने तबाही के मंजर को दुखद बताते हुए कहा कि उनकी संवेदनाएं उन लोगों के साथ हैं जिन्होंने इस अकल्पनीय त्रासदी में अपने प्रियजनों को खो दिया है। एयर इंडिया की AI-171 फ्लाइट ने बुधवार दोपहर 1.38 बजे सरदार वल्लभ भाई पटेल एयरपोर्ट से लंदन के लिए उड़ान भरी थी। टेक-ऑफ के बाद विमान केवल 625 फीट की ऊंचाई तक ही पहुंच पाया था कि अचानक उसका संतुलन बिगड़ने लगा। एक जोरदार आवाज के साथ विमान तेजी से नीचे आया और दोपहर 1.40 बजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकराकर क्रैश हो गया, जिससे एक भीषण धमाका हुआ। इस हादसे में अब तक 265 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। मृतकों में भारतीय, ब्रिटिश, कनाडाई और पुर्तगाली नागरिक शामिल थे, जिसने इस त्रासदी के वैश्विक प्रभाव को उजागर किया है।
देश में कोरोना वायरस ने एक बार फिर तेजी से पैर पसारना शुरू कर दिया है। पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के कारण 5 लोगों की मौत हुई है, जबकि नए मामलों की संख्या 4,000 के पार पहुंच गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, देश में कुल 4,026 एक्टिव कोरोना केस दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में सबसे ज्यादा संख्या केरल में है, जहां 1,416 एक्टिव केस मौजूद हैं। इसके बाद महाराष्ट्र में 494 और गुजरात में 397 एक्टिव केस दर्ज किए गए हैं। राजधानी दिल्ली भी कोरोना संक्रमण की चपेट में है, जहां 393 एक्टिव मामले पाए गए हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना की बढ़ती रफ्तार चिंता का विषय बनी हुई है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सतर्क रहने और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की है।
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की छोंज़िन एंगमो ने इतिहास रच दिया है। वह माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारत की पहली और दुनिया की पांचवीं नेत्रहीन महिला बन गई हैं। उन्होंने सबसे ऊंचे पर्वत पर तिरंगा फहराया। एंग्मो, हेलेन केलर को अपना आदर्श मानती हैं। उनकी यह असाधारण उपलब्धि अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प की एक जीवंत मिसाल है। छोंजिन अंगमो के लिए एवरेस्ट पर चढ़ना बचपन का सपना था। उन्होंने बताया कि इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने कई दरवाज़े खटखटाए, लेकिन हर जगह निराशा ही मिली। हालांकि, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया उनके लिए उम्मीद की किरण बना और उनके इस सपने को पूरा करने में आर्थिक मदद की। वर्तमान में, अंगमो दिल्ली में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में ग्राहक सेवा सहयोगी के पद पर कार्यरत हैं। 2016 में, उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान से प्रशिक्षण लिया और अपनी कड़ी मेहनत के लिए 'सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु' का पुरस्कार भी जीता। यह उनकी पर्वतारोहण यात्रा का पहला महत्वपूर्ण कदम था। जिसने उनके भीतर छुपी अदम्य शक्ति को पहचान दिलाई। छोंजिन अंगमो का जीवन चुनौतियों से भरा रहा है। जब वह तीसरी कक्षा में थीं, तब आठ साल की उम्र में एक दवा से एलर्जी के कारण उनकी आंखों की रोशनी चली गई। लेकिन इस शारीरिक बाधा ने उनके जज्बे को कभी कम नहीं किया। उनके माता-पिता, अमर चंद और सोनम छोमो, ने 2006 में उन्हें लेह के महाबोधि स्कूल और दृष्टिबाधित बच्चों के छात्रावास में दाखिला दिलाया, जहां से उनकी शिक्षा और जीवन को एक नई दिशा मिली। चंडीगढ़ से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह दिल्ली के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा के साथ-साथ अपने पर्वतारोहण के जुनून को भी जारी रखा। उन्होंने लद्दाख की कई चोटियों पर चढ़ाई की और 2021 में, सशस्त्र बलों के दिग्गजों के समूह, टीम क्लॉ के नेतृत्व में सियाचिन ग्लेशियर में एक विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों के अभियान 'ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम' का भी हिस्सा बनीं। 28 वर्षीय अंगमो पहले भी कई चुनौतीपूर्ण चोटियों को फतह कर चुकी हैं, जिनमें सियाचिन कुमार पोस्ट (15632 फीट) और लद्दाख की एक अज्ञात चोटी (19717 फीट) शामिल हैं। उनकी असाधारण उपलब्धियों को देखते हुए, 2024 में भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें 'सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन' के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया।
शिमला: हिमाचल प्रदेश के बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमय मौत के मामले में बुधवार को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में चौंकाने वाले खुलासे हुए। सुनवाई के दौरान बिलासपुर पुलिस की शुरुआती जांच पर गंभीर सवाल खड़े हो गए, क्योंकि खुद राज्य सरकार ने कोर्ट के सामने यह स्वीकार किया कि बिलासपुर पुलिस ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की है। याचिकाकर्ता ने इस मामले में शिमला पुलिस की SIT जांच पर भी सवाल उठाए हैं। डीजीपी द्वारा फाइल किए गए एफिडेविट के आधार पर शिमला पुलिस की जांच की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। कोर्ट ने इस मामले में अहम टिप्पणी करते हुए सरकार से सीधा सवाल किया कि इस मामले की सीबीआई जांच करवाने में उन्हें क्या परेशानी है। यह टिप्पणी इस बात का संकेत है कि हाईकोर्ट वर्तमान जांच की दिशा से संतुष्ट नहीं है। अदालत में हिमाचल प्रदेश सरकार के एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने बताया कि डीजीपी द्वारा पहली SIT का गठन 15 मार्च को किया गया था, लेकिन इसके बावजूद 18 मार्च को बिलासपुर में ASI पंकज ने विमल नेगी के पास मौजूद एक पेन ड्राइव छुपाई। सरकार ने जांच पूरी करने के लिए और समय की मांग की है। इसके अलावा, सुनवाई के दौरान डीजीपी और एसपी के बीच टकराव की बात भी सामने आई, जिससे मामले की जटिलता और बढ़ गई है। बुधवार को लगभग 2 घंटे 16 मिनट तक चली इस महत्वपूर्ण सुनवाई के बाद, मामले पर अगली सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में बुधवार को बड़ा हादसा सामने आया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, बलूचिस्तान प्रांत में सुबह एक स्कूल बस ब्लास्ट की चपेट में आ गई, इस हादसे में 4 बच्चों की मौत हो गई और 38 बच्चे घायल हो गए। एसोसिएटेड प्रेस ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि यह आत्मघाती हमला दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान के खुजदार जिले में उस समय हुआ जब बस बच्चों को स्कूल ले जा रही थी। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्थानीय डिप्टी कमिश्नर यासिर इकबाल ने पुष्टि की है कि खुजदार में जीरो पॉइंट के पास एक स्कूल बस को निशाना बनाकर एक शक्तिशाली धमाका किया गया। अधिकारियों ने बताया कि इस धमाके में चार बच्चों की मौत हो गई और दर्जनों अन्य घायल हो गए। बचाव और जांच कार्य जारी हमले के तुरंत बाद, घायलों को इलाज के लिए सीएमएच खुजदार ले जाया गया है। डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि घटनास्थल से सबूत जुटाने के लिए पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी गई है। पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने इस नृशंस हमले की कड़ी निंदा की है और निर्दोष लोगों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
प्रसिद्ध पार्श्व गायक, संगीतकार और आईईसी विश्वविद्यालय के ब्रैंड एम्बेसडर मिकी सिंह नरूला को जलोटा वेलफेयर फाउंडेशन ने भारतीय संगीत में उनके अद्वितीय योगदान के लिए सम्मानित किया है। मुंबई में आयोजित एक गरिमामय समारोह में पद्म श्री से सम्मानित अनुप जलोटा ने मिकी नरूला को यह प्रतिष्ठित ट्रॉफी प्रदान की। समारोह में अनुप जलोटा ने मिकी नरूला के संगीत के प्रति समर्पण और उनकी संगीत यात्रा की सराहना की। मिकी नरूला ने इस सम्मान को प्राप्त कर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उनके लिए बहुत मायने रखता है और वे अनुप जलोटा द्वारा सम्मानित होकर हृदय से आभारी हैं। आईईसी विश्वविद्यालय के प्रबंधन ने मिकी नरूला की इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं। विश्वविद्यालय ने कहा कि यह सम्मान उनके संगीतमय करियर में एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है और मिकी नरूला का विश्वविद्यालय का ब्रैंड एम्बेसडर होना उनके लिए गर्व की बात है।