एक ऐसी राजकुमारी जो देश को आज़ाद करवाने के लिए तपस्वी बन गयी, एक प्रख्यात गांधीवादी, स्वतंत्रता सेनानी और एक सामाजिक कार्यकर्ता बनी, महात्मा गाँधी से प्रभावित हो कर आज़ादी के आंदोलन से जुडी, जेल गई। आज़ादी के बाद हिमाचल से सांसद चुनी गई और दस साल तक स्वास्थ्य मंत्री रही। देश की पहली महिला कैबिनेट मंत्री होने का सम्मान भी उन्हें प्राप्त है। वो महिला थी राजकुमारी अमृत कौर। ये बहुत कम लोग जानते है की अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान बनाने में राजकुमारी अमृत कौर का बड़ा हाथ है। शिमला के समर हिल में एक रेस्ट हाउस है, राजकुमारी अमृत कौर गेस्ट हाउस जो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के स्टाफ के लिए है। देशभर में सेवाएं दे रहे एम्स के डॉक्टर, नर्स व अन्य स्टाफ यहाँ आकर छुट्टियां बिता सकते है, वो भी निशुल्क। दरअसल, ये ईमारत 'मैनरविल' स्वतंत्र भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर का पैतृक आवास थी। इसे अमृत कौर ने एम्स को डोनेट किया था। आज निसंदेह एम्स देश का सबसे बड़ा और सबसे विश्वसनीय स्वास्थ्य संस्थान है। इस एम्स की कल्पना को मूर्त रूप देने में राजकुमारी अमृत कौर का बड़ा योगदान रहा रहा है। उनके स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए ही एम्स बना, वे एम्स की पहली अध्यक्ष भी बनाई गई। उस दौर में देश नया - नया आज़ाद हुआ था और आर्थिक तौर पर भी पिछड़ा हुआ था। तब एम्स की स्थापना के लिए राजकुमारी अमृत कौर ने न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पश्चिम जर्मनी, स्वीडन और अमेरिका जैसे देशों से फंडिंग का इंतजाम भी किया था। एम्स की वेबसाइट पर भी इसके निर्माण का श्रेय तीन लोगों को दिया गया है, पहले जवाहरलाल नेहरू, दूसरी राजकुमारी अमृत कौर और तीसरे एक भारतीय सिविल सेवक सर जोसेफ भोरे। एम्स की ऑफिसियल वेबसाइट पर लिखा है कि भारत को स्वास्थ्य सुविधाओं और आधुनिक तकनीकों से परिपूर्ण देश बनाना पंडित जवाहरलाल नेहरू का सपना था और आजादी के तुरंत बाद उन्होंने इसे हासिल करने के लिए एक ब्लूप्रिंट तैयार किया। नेहरू का सपना था दक्षिण पूर्व एशिया में एक ऐसा केंद्र स्थापित किया जाए जो चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान को गति प्रदान करे और इस सपने को पूरा करने में उनका साथ दिया उनकी स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर ने। राजपरिवार में जन्मी, करीब 17 साल रही महात्मा गांधी की सेक्रेटरी लखनऊ, 2 फरवरी 1889, पंजाब के कपूरथला राज्य के राजसी परिवार से ताल्लुख रखने वाले राजा हरनाम सिंह के घर बेटी ने जन्म लिया, नाम रखा गया अमृत कौर। बचपन से ही बेहद प्रतिभावान, इंग्लैंड के डोरसेट में स्थिति शेरबोर्न स्कूल फॉर गर्ल्स से स्कूली पढ़ाई पूरी की। किताबों के साथ -साथ खेल के मैदान में भी अपनी प्रतिभा दिखाई। हॉकी से लेकर क्रिकेट तक खेला। स्कूली शिक्षा पूरी हुई तो परिवार ने उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफ़ोर्ड भेज दिया। शिक्षा पूरी कर 1918 में वतन वापस लौटी और इसके बाद हुआ 1919 का जलियांवाला बाग़ हत्याकांड। इस हत्याकांड ने राजकुमारी अमृत कौर को झकझोर कर रख दिया और उन्होंने निश्चय कर लिया कि देश की आज़ादी और उत्थान के लिए कुछ करना है, सो सियासत का रास्ते पर निकल पड़ी। राजकुमारी अमृत कौर महात्मा गाँधी से बेहद प्रभावित थी। उस समय उनके पिता हरनाम सिंह से मिलने गोपालकृष्ण गोखले सहित कई बड़े नेता आते थे। उनके ज़रिए ही राजकुमारी अमृत कौर को महात्मा गांधी के बारे में अधिक जानकारी मिली। हालांकि उनके माता-पिता नहीं चाहते थे कि वो आज़ादी की लड़ाई में भाग लें, राजकुमारी अमृत कौर तो ठान चुकी थी। वे निरंतर महात्मा गांधी को खत लिखती रही। 1927 में मार्गरेट कजिन्स के साथ मिलकर उन्होंने ऑल इंडिया विमेंस कांफ्रेंस की शुरुआत की और बाद में इसकी प्रेसिडेंट भी बनीं। इसी दौरान एक दिन अचानक राजकुमारी अमृत कौर को एक खत मिला, ये खत लिखा था महात्मा गांधी ने। उस खत में महात्मा गांधी ने लिखा,'मैं एक ऐसी महिला की तलाश में हूं जिसे अपने ध्येय का भान हो। क्या तुम वो महिला हो, क्या तुम वो बन सकती हो? ' बस फिर क्या था राजकुमारी अमृत कौर आज़ादी की लड़ाई से जुड़ गईं। इस दौरान दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने की वजह से जेल भी गईं। वे करीब 17 सालों तक महात्मा गांधी की सेक्रेटरी रही। महात्मा गांधी के प्रभाव में आने के बाद उन्होंने भौतिक जीवन की सभी सुख-सुविधाओं को छोड़ दिया और तपस्वी का जीवन अपना लिया। ब्रिटिश हुकूमत ने लगाया था राजद्रोह का आरोप अमृत कौर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रतिनिधि के तौर पर सन् 1937 में पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत के बन्नू गईं। ब्रिटिश सरकार को यह बात नागवार गुजरी और राजद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें जेल में बंद कर दिया गया। उन्होंने सभी को मताधिकार दिए जाने की भी वकालत की और भारतीय मताधिकार व संवैधानिक सुधार के लिए गठित ‘लोथियन समिति’ तथा ब्रिटिश पार्लियामेंट की संवैधानिक सुधारों के लिए बनी संयुक्त चयन समिति के सामने भी अपना पक्ष रखा। अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की सह-संस्थापक महिलाओं की दयनीय स्थिति को देखते हुए 1927 में ‘अखिल भारतीय महिला सम्मेलन’ की स्थापना की गई। कौर इसकी सह-संस्थापक थीं। वह 1930 में इसकी सचिव और 1933 में अध्यक्ष बनीं। उन्होंने ‘ऑल इंडिया विमेंस एजुकेशन फंड एसोसिएशन’ के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया और नई दिल्ली के ‘लेडी इर्विन कॉलेज’ की कार्यकारी समिति की सदस्य रहीं। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ‘शिक्षा सलाहकार बोर्ड’ का सदस्य भी बनाया, जिससे उन्होंने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान इस्तीफा दे दिया था। उन्हें 1945 में लंदन और 1946 में पेरिस के यूनेस्को सम्मेलन में भारतीय सदस्य के रूप में भेजा गया था। वह ‘अखिल भारतीय बुनकर संघ’ के न्यासी बोर्ड की सदस्य भी रहीं। कौर 14 साल तक इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी की चेयरपर्सन भी रहीं। देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री बनी कौर जब देश आज़ाद हुआ, तब उन्होंने हिमाचल प्रदेश से कांग्रेस टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। राजकुमारी अमृत कौर सिर्फ चुनाव ही नहीं जीतीं, बल्कि आज़ाद भारत की पहली कैबिनेट में हेल्थ मिनिस्टर भी बनीं। वे लगातार दस सालों तक इस पद पर बनी रहीं। वर्ल्ड हेल्थ असेम्बली की प्रेसिडेंट भी बनीं। इससे पहले कोई भी महिला इस पद तक नहीं पहुंची थी। यही नहीं इस पद पर पहुंचने वाली वो एशिया से पहली व्यक्ति थीं। स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद उन्होंने कई संस्थान शुरू किए, जैसे इंडियन काउंसिल ऑफ चाइल्ड वेलफेयर, ट्यूबरक्लोसिस एसोसियेशन ऑफ इंडिया, राजकुमारी अमृत कौर कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग, और सेंट्रल लेप्रोसी एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट। इन सभी के अलावा नई दिल्ली में एम्स की स्थापना में अमृत कौर ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। टाइम मैगज़ीन ने दी वुमन ऑफ द ईयर लिस्ट में जगह दुनिया की मशहूर टाइम मैगज़ीन ने 2020 में बेटे 100 सालों के लिए वुमन ऑफ द ईयर की लिस्ट ज़ारी की थी। भारत से इस लिस्ट में दो नाम हैं, एक पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जिन्हें साल 1976 के लिए इस लिस्ट में रखा गया। लिस्ट में शामिल दूसरा नाम है राजकुमारी अमृत कौर का, जिन्हें साल 1947 के लिए इस लिस्ट में जगह दी गई है।
A day after the Central Bureau of Investigation questioned former Bihar Chief Minister Rabri Devi at her home in Patna in connection with an alleged land-for-jobs scam, the probe agency today reached her daughter Misa Bharti's Pandara Roadhouse to question former union railway minister Lalu Prasad Yadav in the same case. The CBI case, which names the Yadav couple and their daughters Misa and Hema, among others, is based on accusations that Mr. Yadav and his family members bought land at cheap rates in exchange for jobs during his tenure as Union Railway Minister from 2004 to 2009. Besides the veteran politician, his wife, and his daughters, the FIR, registered in May 2022, names 12 people who allegedly got jobs in exchange for land. In July last year, Mr. Yadav's aide and former Officer on Special Duty (OSD) Bhola Yadav was arrested by the CBI in the case.
Five people were killed and four were injured today after a four-wheeler ran over them in Himachal Pradesh's Solan district. The accident took place near a petrol pump in Dharampur. As per the eyewitnesses, the injured persons were immediately given primary treatment before they were rushed to the hospital. "The four-wheeler rammed into a queue of nine persons, leaving five dead and four injured," Additional Superintendent of Police (ASP) Ashok Kumar Rana said, adding that two persons, gravely injured, have been referred to the Postgraduate Institute of Medical Education and Research (PGIMER) in Chandigarh. "The deceased persons have been identified as Guddu Yadav, Raja, Nippu, Moti Lal Yadav, Sunny Deval," police said.
प्रदेश में भाजपा जिला स्तरीय आक्रोश रैलियों का आयोजन कर रही है। उसी क्रम में ऊना जिला में 11 मार्च को आक्रोश रैली का आयोजन किया जाएगा। इस रैली में मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री प्रो प्रेम कुमार धूमल भाग लेंगे। प्रो प्रेम कुमार धूमल के साथ इस कार्यक्रम में पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती, राजेश ठाकुर, राम कुमार, पूर्व मंत्री वीरेंद्र कंवर और बलबीर चौधरी भी विशेष रूप में उपस्थित रहेंगे। इस कार्यक्रम में सभी 2022 के प्रत्याशी, जिला अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष, जिला एवं मंडल के महामंत्री एवं मोर्चे प्रकोष्टो के अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता भी भाग लेगें।
सोमवार को राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में कैबिनटे की बैठक का आयोजन किया गया। कैबिनेट में कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह के आलावा सभी मंत्री मौजूद रहे। बैठक में वर्ष 2023-24 के लिए नई आबकारी नीति को मंजूरी प्रदान की गयी। नई आबकारी नीति के तहत खुदरा आबकारी दुकानों की नीलामी-सह-निविदा को स्वीकृति प्रदान की गई, जिसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त वृद्धि, शराब के मूल्य में कमी तथा पड़ोसी राज्यों से इसकी तस्करी पर अंकुश लगाना है। शराब के ठेकों पर 5 लीटर क्षमता की केग बीयर बेची जाएगी। इससे उपभोक्ताओं को भी लाभ मिलेगा। बागवानों को लाभाविन्त करने के लिए फलों के सम्मिश्रण से शराब की भी एक नई वैरायटी शुरू करने का फैसला लिया गया। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एल-3 एल-4 एल-5 लाइसेंस धारक होटल मालिकों को मिनी बार चलाने की अनुमति दी जाएगी।
मुख्यमंत्री सुखविदर सिंह सुक्खू ने शिमला के पीटरहॉफ में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता व श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल समारोह में विशेष रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि समाज को दिशा देने में महिलाओं का सदैव ही उल्लेखनीय योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाएं माता, बेटी, पत्नी तथा बहन के रूप में अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से निर्वहन करती हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष सरोजनी नायडू से लेकर देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने महिलाओं को नेतृत्व करने की प्रेरणा दी। राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के सशक्त नेतृत्व में भारत ने अंतरराष्ट्रीय फलक पर अलग पहचान बनाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिभा पाटिल देश की प्रथम राष्ट्रपति बनीं और आज द्रौपदी मुर्मु इस पद को सुशोभित कर रही हैं। यह सभी विभूतियां महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के सशक्तिकरण से आगे बढ़कर उनके भीतर छिपी प्रतिभा को सम्मान देने का अवसर है। किसी भी कालखंड में सामाजिक परिवर्तन में महिलाओं का सर्वाधिक योगदान रहा है। सीएम सुक्खू ने भारतीय समाज को जीवंत रखने में भी महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राज्य में महिलाओं में आत्मसम्मान की भावना विकसित करने पर केंद्रित विभिन्न योजनाएं आरम्भ की जाएंगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश देवभूमि है और हमारे समाज में महिलाओं को उचित सम्मान की समृद्ध परम्परा है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर हिमाचल प्रदेश महिला विकास प्रोत्साहन पुरस्कार की राशि 21 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपए तथा जिला स्तरीय पुरस्कारों की राशि पांच हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपए करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने सुख-आश्रय कोष की वेबसाइट तथा हिम-पूरक पोषाहार पुष्टि एप का विधिवत शुभारंभ भी किया।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के मणिकर्ण में रात को हुए हुड़दंग के बाद अब स्थिति शांतिपूर्ण है और कानून व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है। यह बात मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में मणिकर्ण झड़प पर पर कही। ख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा ये मामला धार्मिक व राजनीतिक नही है। बल्कि कुछ युवा साथी आपस में भिड़े उसके बाद सोशल मीडिया में कुछ चीजें वायरल हुई और माहौल तनावपूर्ण बन गया। उन्होंने कहा कि बीती रात को, स्थानीय लोगों एवं श्रद्धालुओं के बीच कहासुनी के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया लेकिन पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में कर लिया है। सीएम ने कहा कि पंजाब एवं हिमाचल का आपसी भाईचारा है इसलिए सरकार पंजाब के श्रद्धालुओं की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह गंभीर है और हुडदंगियो पर भी सरकार नजर बनाएं हुए हैं। गौरतलब है कि पर्यटन नगरी मनाली के ग्राीन टैक्स बैरियर के बाद रविवार रात करीब 12:00 बजे मणिकर्ण में पंजाब से आए पर्यटकों ने खूब हुड़दंग मचाया है। इन लोगों ने स्थानीय लोगों से मारपीट की और पथराव व डंडों से 10 से अधिक वाहनों को नुकसान पहुंचाया है। गाड़ियों के शीशे और लाइटें तोड़ दी हैं। इसमें कई पर्यटकों के वाहन भी शामिल है। घटना में पांच से छह लोगों को हल्की चोटें आई है। घटना की सूचना के बाद रात को ही अतिरिक्त पुलिस बल मणिकर्ण रवाना हो गया था। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्जकर छानबीन शुरू कर दी है।
प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में तैनात मुख्य शिक्षकों को पदोन्नति पर दी जाने वाली इंक्रीमेंट शीघ्र बहाल करने के राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने आवाज बुलंद की है। संघ का कहना है कि मुख्य शिक्षकों को पदोन्नति पर दी जाने वाली इंक्रीमेंट जो कि जेबीटी शिक्षक को 25-25 साल की सेवा उपरांत मुख्य शिक्षक बनने पर मिलती थी, जिसे जनवरी 2022 को लागू वेतनमान में छीना गया है, उसको तुरंत प्रभाव से बहाल किया जाए। इसके अलावा जेबीटी शिक्षकों के वेतनमान में भारी विसंगति है व राइडर पर रहे शिक्षकों पर कोई स्पष्ट निर्देश न होने के कारण 2016 के उपरांत नियमित जेबीटी शिक्षक नए वेतनमान के लाभ से वंचित रह गए हैं। संघ के प्रदेशाध्यक्ष जगदीश शर्मा का कहना है कि शीघ्र ही संघ का प्रतिनिधिमंडल प्राथमिक शिक्षकों की विभिन्न मांगों को लेकर मंत्री रोहित ठाकुर से मिलेगा व उन्हें अपनी मांगों से अवगत करवाएगा। इसके अलावा शिक्षा निदेशक को भी मांग पत्र प्रदान किया जाएगा। जेबीटी से एलटी की तर्ज पर अन्य सी एंड वी के पदों पर भी योग्यता पूरी करने वाले जेबीटी शिक्षकों को पदोन्नति लाभ प्रदान करने की संघ मांग करता है तथा इन सभी में जेबीटी से तुरंत पदोन्नति की जाए।
हिमाचल प्रदेश के जेबीटी प्रशिक्षुओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।जेबीटी प्रशिक्षु प्रदेश के अलग-अलग कोनों में प्रदर्शन कर रहे है। दरससल प्रदेश के जिन जिलों में पहली बार काउंसिलिंग के दौरान जेबीटी के पद खाली रह गए हैं वहां पर दूसरे राउंड में काउंसिलिंग शुरू कर दी गई है, लेकिन एक बार फिर से इस भर्ती का विरोध शुरू हो गया है। कारण यह है कि हमीरपुर, शिमला सहित अन्य जिलों में भर्ती के लिए जो नोटिफिकेशन जारी हुई है उसके मुताबिक बीएड को भी इसमें पात्र माना गया है।यानी जेबीटी के साथ बीएड वाले अभ्यर्थी भी इस काउंसिलिंग में भाग ले सकते हैं। ऐसे में एक बार फिर पूरे प्रदेश में इसका विरोध शुरू हो गया है और जेबीटी प्रशिक्षु इस नोटिफिकेशन के विरोध में खड़े हो गए हैं। जेबीटी प्रशिक्षुओं का कहना है कि अगर सरकार निर्णय को वापस नहीं लेती है तो पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जाएगा। जेबीटी प्रशिक्षुओं ने बताया कि वर्तमान में चल रही जेबीटी भर्ती में बीएड को शामिल करने का निर्णय सरकार ने गलत तरीके से लिया है। यह निर्णय जेबीटी के अधिकारों का हनन करने के लिए लिया गया है। पिछले पांच साल से जेबीटी प्रशिक्षु शोषण का शिकार हो रहे हैं। प्रदेश में करीब 40 हजार जेबीटी प्रशिक्षित हैं और वर्तमान में 5000 प्रशिक्षु जेबीटी का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। सरकार का नकारात्मक रवैया जेबीटी प्रशिक्षुओं के लिए हानिकारक है। प्रशिक्षुओं का कहना है कि सरकार ने बीएड को जेबीटी के पदों पर नियुक्ति के लिए पात्र माना है, इस निर्णय को सरकार वापस ले। अगर सरकार इस निर्णय को वापस नहीं लेती है तो पूरे प्रदेश में व्यापक आंदोलन किया जाएगा और साथ ही पूरे प्रदेश में कक्षाओं का बहिष्कार कर प्रशिक्षण संस्थान बंद कर दिए जाएंगे।
हिमाचल में चुनाव के दौरान पुरानी पेंशन बहाली के साथ साथ आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति का मामला खूब गरमाया था। जयराम सरकार ने इन कर्मचारियों की मांग पूरी करने के लिए कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया, कई दफा इन कर्मचारियों का डाटा मंगवाया, न जाने कितनी बैठकें की मगर आउटसोर्स कर्मचारियों का दामन खाली ही रहा। आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए पालिसी बनाने में पूर्व सरकार पूरी तरह नाकामयाब रही थी। अब इन कर्मचारियों को उम्मीद है कि नई सरकार इनके लिए कुछ करेगी और इनका भविष्य भी कुछ सुरक्षित होगा। हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के अनुसार नई सरकार के कार्यकाल में अब तक आउटसोर्स कर्मचारियों को सिर्फ निष्कासन ही मिला है। हाल ही में हिमाचल प्रदेश जलशक्ति विभाग धर्मपुर मंडल में कार्यरत 169 आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया। इन आउटसोर्स कर्मचारियों को पूर्व सरकार ने रखा था। बीते चार पांच साल से सेवाएं दे रहे थे। हैरानी की बात है कि निकालने से पहले उन्हें नोटिस भी नहीं दिए गए हैं। सिर्फ फ़ोन कर बताया गया कि उनका अनुबंध खत्म है और सरकार से कोई आदेश नहीं आए हैं कि उनका एग्रीमेंट आगे बढ़ाना है। ठेकेदार का टेंडर 31 दिसंबर 2022 को समाप्त हो गया है। ऐसा ही कुछ लोक निर्माण विभाग में भी किया गया। अचानक इतने लोगों की नौकरी चले जाने के बाद प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारी घबराए हुए है। हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के समक्ष भी ये मसला उठाया है। आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष शैलेन्द्र शर्मा का कहना है कि आउटसोर्स कर्मचारियों का इस तरह निष्कासन अन्याय है। उन्होंने कहा कि नीति बनने तक किसी भी कर्मचारी को इस तरह नौकरी से नहीं निकाला जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग कि है कि इन सभी कर्मचारियों को वापस नौकरी पर रखा जाए और आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति बनाई जाए। प्रदेश में करीब 40 हजार आउटसोर्स कर्मचारी: हिमाचल प्रदेश के करीब 40 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों को उम्मीद है कि प्रदेश सरकार उनके लिए कोई सशक्त नीति बनाएगी। प्रदेश के अधिकांश सरकारी विभागों में आउटसोर्स कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन इनके लिए आज तक किसी सरकार ने कोई नीति का प्रावधान नहीं किया है। बता दें कि ये आउटसोर्स कर्मचारी वे कर्मचारी हैं जिनको सरकारी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट आधार पर रखा जाता है। यानी कि ये सरकारी विभाग में तो हैं पर सरकारी नौकरी में नहीं हैं। इनकी नियुक्तियां या तो ठेकेदारों के माध्यम से की जाती है या किसी निजी कंपनी के माध्यम से। ये कर्मचारी काम तो सरकार का करते है मगर इन्हें वेतन ठेकेदार या कंपनी द्वारा मिलता है। न तो इन्हें सरकारी कर्मचारी होने का कोई लाभ प्राप्त होता है न ही एक स्थिर नौकरी। इन्हें जब चाहे नौकरी से निकाला जा सकता है। सरकार द्वारा वेतन तो दिया जाता है मगर ठेकेदार की कमिशन के बाद इन तक तक पहुंच पाता है। शोषण कम करने को सरकार बनाए ठोस नीति: महासंघ हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ का कहना है कि प्रदेश के विभिन्न विभागों में हजारों कर्मचारियों को आउटसोर्स पर रखा गया है लेकिन पिछली सरकार द्वारा इनके नियमतिकरण के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई है और न ही इनके शोषण को कम करने के लिए भी कोई ठोस कदम नहीं उठाये गए हैं। नामात्र वेतन पे भी इनसे अधिक से अधिक काम लिया जाता हैं।
प्रदेश में अभी नई सरकार को आए कुछ समय ही बीता है मगर अभी से प्रदेश के कर्मचारियों ने सरकार के आगे अपनी मांगो का भंडार लगा दिया है। कर्मचारियों को उम्मीद है कि पिछली सरकार जो न कर पाई वो नई सरकार कर दिखाएगी। आशावान कर्मचारियों की लम्बी फेहरिस्त में एनएचएम कर्मचारी भी शामिल है।राज्य स्वास्थ्य समिति (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) अनुबंध कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों के अनुसार एनएचएम कर्मचारी विभिन्न स्वास्थ्य समितियों के तहत 24 वर्ष से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तहत सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन आज तक किसी भी सरकार द्वारा इन कर्मचारियों के लिए नियमितिकरण की कोई स्थायी नीति नहीं बनाई गई है। राज्य स्वास्थ्य समिति (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) अनुबंध कर्मचारी संघ हिमाचल प्रदेश के प्रदेशाध्यक्ष सतीश कुमार एवं प्रदेश प्रेस सचिव राज महाजन ने संयुक्त बयान में बताया कि हाल ही में प्रदेश को स्वास्थ्य विभाग में राष्ट्रीय स्तर पर क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम में बेहतर कार्य करने के लिए प्रथम पुरस्कार मिला है। इसके लिए सरकार एवं विभाग दोनों ही बधाई के पात्र हैं, लेकिन इस बेहतर परिणाम के लिए सबसे पहले स्वास्थ्य विभाग में ब्लाक स्तर, जिला स्तर, प्रदेश स्तर पर एवं हर स्वास्थ्य संस्थान में रीढ़ की हड्डी की तरह कार्य करने वाले हर उस कर्मचारी का योगदान है, जो पिछले 24 वर्षों से अनुबंध पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत अपना कार्य पूरी निष्ठा एवं लगन से कर रहा है। सतीश कुमार का कहना है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत रहे इन कर्मचारियों में से लगभग चार कर्मचारियों की नौकरी के दौरान मौत हो चुकी है तथा लगभग 56 लोग बिना किसी बैनेफिट के लिए रिटायर हो चुके हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों द्वारा क्षय रोग, एचआईवी एड्स, शिशु स्वास्थ्य, कोविड-19 जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के तहत अपना योगदान दिया जा रहा है। किसी सरकार ने न तो आज तक इन कर्मचारियों का नियमितीकरण किया और न ही इन्हें रेगुलर स्केल का लाभ दिया जा रहा है। केंद्र के कर्मचारी है तो सातवां वेतन आयोग क्यों नहीं मिला : राज्य स्वास्थ्य समिति ( नेशनल हेल्थ मिशन ) अनुबंध कर्मचारी महासंघ के उप प्रधान डॉ अनुराग शर्मा का कहना है कि सरकार हमारी मांगें ये कह कर टाल देती है कि हम केंद्र सरकार के कर्मचारी है। पर अगर हम केंद्र सरकार के कर्मचारी है तो हमें सातवां वेतन आयोग मिलना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं है। हमें भले ही केंद्र प्रायोजित स्कीमों के अंतर्गत नियुक्ति दी गई हो मगर इन परियोजनाओं के लिए केंद्र सिर्फ पैसा देता है। स्वास्थ्य राज्य का मसला होता है। हमें राज्य स्वास्थ्य समिति के तहत रखा गया था जिसके चेयरमैन मुख्य सचिव है। हमें राज्य सरकार के लिए नियुक्त किया गया है और हम काम भी राज्य सरकार का करते है न कि केंद्र सरकार के लिए, तो मसले भी राज्य सरकार को ही हल करने होंगे।
होली से पहले पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में भाजपा ने भगवा लहराया है। त्रिपुरा और नागालैंड में सत्ताधारी गठबंधन ही जीता है और मेघालय में सत्ता के लिए पुराने साथी फिर गठबंधन को साथ आ गए हैं। निसंदेह ये भाजपा के लिए बड़ी जीत है। दरअसल 'पूर्वोत्तर के अंतर्गत आठ राज्य आते हैं। इनमें त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, असम, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं। 2014 तक इनमें से ज्यादातर राज्यों में या तो कांग्रेस या फिर लेफ्ट का राज हुआ करता था। एक दौर ऐसा भी था जब बीजेपी को हिंदी भाषी पार्टी बोलकर ही खारिज कर दिया जाता था। इसके बाद कहानी बदलने लगी। एक-एक करके इन आठ में से छह राज्यों में भाजपा ने या तो अकेले दम पर सरकार बनाई या फिर सरकार का हिस्सा बनी। अब ये आंकड़ा सात पहुँच सकता है। सिर्फ मिजोरम में एमएनएफ की सरकार है। भाजपा ने कोशिश तो 2014 से पहले भी की, लेकिन उसे सफलता सिर्फ 2003 में मिली जब अरुणाचल में बीजेपी की सरकार बनी थी। तब कांग्रेस के एक दिग्गज नेता ने पार्टी के अंदर ही बगावत की थी और कई नेता बीजेपी में शामिल हो गए थे। उस वजह से पहली बार किसी पूर्वोत्तर राज्य में बीजेपी की सरकार बनी थी, लेकिन उसके बाद बीजेपी के लिए पूर्वोत्तर में सियासी सूखा ही रहा और जमीन पर समीकरण 2014 के बाद बदलने शुरू हुए। पूर्वोत्तर में बीजेपी की ग्रोथ के कई कारण है जिनमें से एक सरकारी योजनाओं का जमीन पर पहुंचना भी है। बीजेपी ने पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए नॉर्थ-ईस्ट डेवलपमेंट अलायंस यानी नेडा का गठन किया है। इसके संयोजक असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा हैं। साल 2015 में इसका गठन किया गया और इसका मक़सद था कि बीजेपी पूर्वोत्तर राज्यों में उन क्षेत्रीय दलों को एक साथ लाए जो कांग्रेस से खुश नहीं हैं। 2016 में बीजेपी ने 15 साल से चले आ रहे कांग्रेस के शासन को असम में ख़त्म करके अपनी सरकार बनाई। 2018 में 30 साल से काबिज लेफ़्ट सरकार को हटाकर पहली बार बीजेपी ने त्रिपुरा में सरकार बनाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद 2017 के बाद से 47 बार नार्थ-ईस्ट जा चुके हैं। चुनाव से पहले उन्होंने त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय में 3 बड़ी रैलियां कीं। नार्थ-ईस्ट के 8 राज्यों में हर 15 दिन में कोई न कोई केंद्रीय मंत्री जरूर पहुंचता है। केंद्र सरकार ने 2024-25 के लिए नार्थ ईस्ट का बजट 5892 करोड़ किया है, ये 2022-23 के मुकाबले 113% ज्यादा है। नेडा का गठन ही बताता है कि बीजेपी के लिए पूर्वोत्तर राज्य कितने अहम रहे हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों की आबादी में आदिवासियों की बहुलता है और ईसाई अल्पसंख्यकों की तादाद यहां ज्यादा है, ऐसे में जब इन राज्यों में बीजेपी जीतती है तो उसके लिए इस नैरेटिव को काउंटर करना और आसान हो जाता है कि वह अल्पसंख्यक विरोधी है। अब जीत के बाद बीजेपी ये कह सकती है कि वह अगर अल्पसंख्यक विरोधी होती, तो उसे ये जीत ना मिलती। साथ ही यहाँ 26 लोकसभा सीटें हैं, जो बाकी भारत के मध्य आकार के एक राज्य के बराबर है। भाजपा ने पूर्वोत्तर के चुनावों को इसलिए इतना ज्यादा महत्व दिया, क्योंकि वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यहां की 26 लोकसभा सीटें उसके लिए बहुत अहम हैं। लोकसभा चुनाव में अगर अन्य राज्यों में उसके खिलाफ सत्ता विरोधी रुझान हुआ तो पूर्वोत्तर से उसकी भरपाई की जा सकती है। वहीँ दशकों से कांग्रेस के गढ़ रहे पूर्वोत्तर कांग्रेस का सफाया हो गया है। त्रिपुरा में भले ही उसे कुछ सीटें मिली हैं जो कि सांत्वना पुरस्कार से ज्यादा कुछ नहीं है, लेकिन कुल मिलाकर पूर्वोत्तर के इलाके में कांग्रेस लगातार हार रही है। बात ये है कि तीनों ही राज्यों में देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस की स्थिति सबसे ज्यादा खराब हुई है। तीनों ही राज्यों से कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। वह भी तब जब 2016 तक नॉर्थ ईस्ट के ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस और लेफ्ट का ही कब्जा था। त्रिपुरा कभी वामपंथी दलों का गढ़ रहे त्रिपुरा में भाजपा गठबंधन ने लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफलता हासिल की है। गठबंधन को राज्य में 33 सीटों पर जीत मिली है। अकेले भाजपा को त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा में 32 सीटों पर सफलता मिली है। यहाँ कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन को बड़ा झटका लगा। कांग्रेस ने तीन सीटों पर जीत हासिल की, जबकि लेफ्ट के खाते में 11 सीटें आईं। मतलब गठबंधन करने के बावजूद दोनों को कुछ खास फायदा नहीं मिला। हालांकि, पहली बार चुनाव लड़ रही टिपरा मोथा ने बड़ी कामयाबी हासिल की। इनके 42 में से 13 प्रत्याशियों ने चुनाव में जीत दर्ज की। त्रिपुरा में भाजपा की सहयोगी आईपीएफटी को टिपरा मोथा पार्टी के कारण भारी नुकसान हुआ है। नतीजों को देखा जाए तो यहाँ भाजपा जीतने में तो कामयाब रही मगर पार्टी का वोट शेयर घटा है। भाजपा को 38.97 फीसदी वोट हासिल हुए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 43.59 फीसदी वोट शेयर के साथ 36 सीटों पर सफलता मिली थी। नगालैंड इस बार नगालैंड की 59 सीटों पर चुनाव हुए। यहां जुन्हेबोटो की आकुलुटो सीट से भाजपा प्रत्याशी और निर्वतमान विधायक काजहेटो किन्मी निर्विरोध चुनाव जीत चुके थे। ऐसे में इस सीट पर चुनाव नहीं हुए। भारतीय जनता पार्टी और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) का गठबंधन हुआ। इसके तहत एनडीपीपी ने 40 और भाजपा ने 20 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इसके अलावा कांग्रेस और एनपीएफ अलग-अलग चुनाव लड़े। कांग्रेस ने 23 और एनपीएफ ने 22 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। 19 निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी चुनाव में ताल ठोकी थी। 2018 में यहां विधानसभा के सभी 60 सदस्य सरकार का हिस्सा बन गए थे। मतलब कोई भी विपक्ष में नहीं था। इस बार भी यहां भाजपा गठबंधन ने बड़ी जीत हासिल की। भाजपा के 20 में से 13 उम्मीदवार चुनाव जीत गए। वहीं, एनडीपीपी के 40 में से 25 प्रत्याशी विजयी हुए। कांग्रेस यहां एक भी सीट नहीं जीत पाई। एनपीपी के पांच उम्मीदवार चुनाव जीत गए। यहां एनसीपी ने भी बड़ा खेल किया। एनसीपी के सात प्रत्याशी चुनाव जीत गए हैं। चार निर्दलीय, दो लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और एनपीएफ, आरपीआई के दो-दो उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब रहे। रोचक बात ये भी है कि नगालैंड के इतिहास में आज तक एक भी महिला चुनकर विधानसभा नहीं पहुंची थीं। अब तक नगालैंड से मात्र एक महिला सांसद रानो साइजा चुनी गई थीं। वह 1977 में छठी लोकसभा में चुनकर संसद पहुंची थीं। पर इस बार नागालैंड की जनता ने चार महिला प्रत्याशियों में से दो- दीमापुर तृतीय विधानसभा से हेकानी जखालू और अंगामी सीट से सलहूतुनू क्रुसे को चुनकर विधानसभा में भेजा है। मेघालय सबसे रोमांचक मुकाबला मेघालय में हुआ। यहां 60 में से 59 सीटों पर चुनाव हुए थे। एक सीट पर एक प्रत्याशी की मौत के चलते चुनाव रद्द हो गया। 59 सीटों पर हुए चुनाव के नतीजों ने आज सभी को हैरान कर दिया। किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इनके 25 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। दूसरे नंबर पर यूडीपी रही। इनके 11 उम्मीदवार चुनाव जीत गए। भाजपा के तीन, टीएमसी के पांच, कांग्रेस के पांच, एचएसपीडीपी, पीडीएफ के दो-दो उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। दो निर्दलीय विधायक भी चुने गए। वाइस ऑफ द पीपल पार्टी के चार उम्मीदवार चुनाव जीत गए।
3 मार्च साल 2021, हिमाचल प्रदेश के कई कर्मचारी नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के बैनर तले पेंशन व्रत पर बैठे थे। मांग थी पुरानी पेंशन बहाली की। व्रत टूटा मगर पुरानी पेंशन बहाली की मांग पूरी नहीं हुई। संघर्ष जारी रहा और ठीक एक साल बाद 3 मार्च साल 2022 को हिमाचल में कर्मचारियों ने विशाल धरना प्रदर्शन किया, ऐसा धरना जो शायद ही हिमाचल में पहले कभी कर्मचारियों ने किया होगा। तीन मार्च को शिमला के टूटीकंडी में सभी कर्मचारी एकत्रित हुए और आगे बढ़ते हुए 103 टनल के पास एनपीएस कर्मचारियों ने हल्ला बोला। इस दौरान कर्मचारियों द्वारा यातायात बंद किया गया। पुलिस के जवानों ने कर्मचारियों को जब हटाने की कोशिश की तो कर्मचारियों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की हुई। इसके बाद प्रदर्शन में शामिल एनपीएस कर्मियों पर एफआईआर दर्ज की गई। कर्मचारियों की ये नाराजगी तत्कालीन सरकार को भारी पड़ी और विधानसभा चुनाव में तख़्त और ताज बदल गए। कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में ओपीएस बहाली का वादा किया और कर्मचरियों ने एतबार। अब 3 मार्च ही वो तारीख बन चुकी है जब प्रदेश की सुक्खू सरकार ने कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली संबंधित एसओपी को मंजूरी देकर कर्मचारियों को सबसे बड़ा तोहफा दिया है। आखिरकार एक लम्बे संघर्ष के बाद प्रदेश के कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग पूरी हो गई। प्रदेश सरकार द्वारा चौथी कैबिनेट की बैठक में पुरानी पेंशन बहाली की एसओपी को मंज़ूरी दे दी गई है। 1 अप्रैल, 2023 से पुरानी पेंशन लागू करने का फैसला लिया गया है। जिस मसले ने प्रदेश की चुनावी हवा का रुख बदल कर रख दिया था, अब वो मसला पूरी तरह हल हो गया है। चुनाव से पहले कांग्रेस द्वारा जनता को दी गई गारंटियों में से पुरानी पेंशन बहाली पहली गारंटी थी, जो अब पूरी हो गई है। प्रदेश की नई सरकार ने कर्मचारियों की पेंशन की सबसे बड़ी टेंशन को खत्म कर दिया है। हिमाचल में करीब सवा लाख कर्मचारी इस समय एनपीएस के दायरे में आते हैं और इनको इसका लाभ मिलने वाला है। इस फैसले से प्रदेश सरकार पर सालाना करीब 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा। वहीँ हिमाचल के 1.36 लाख कर्मचारियों का एक अप्रैल से नेशनल पेंशन सिस्टम फंड कटना भी बंद हो जाएगा। इन कर्मचारियों को कैबिनेट ने जीपीएफ के तहत लाने का फैसला लिया है। एनपीएस में रहने के इच्छुक कर्मियों को लिखित में विकल्प देने की पेशकश की गई है। भविष्य में जो नए कर्मचारी सरकारी सेवा में नियुक्त होंगे, वे पुरानी पेंशन व्यवस्था में आएंगे। जिन एनपीएस कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति 15 मई, 2003 के बाद हुई है, उनको भावी तिथि से पुरानी पेंशन दी जाएगी। नियमों में आवश्यक संशोधन के बाद एनपीएस में सरकार और कर्मचारियों द्वारा जारी अंशदान 1 अप्रैल, 2023 से बंद हो जाएगा। कैबिनेट ने वित्त विभाग को इस संबंध में नियमों में बदलाव करने और आवश्यक निर्देश जारी करने को कहा है। कैबिनेट ने केंद्र सरकार से प्रदेश की 8,000 करोड़ रुपये एनपीएस राशि लौटाने का प्रस्ताव भी पारित किया है। सरकार ने लौटाया कर्मचारियों का आत्मसम्मान : प्रदीप ठाकुर पेंशन बहाल करने के लिए हिमाचल प्रदेश नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री व समस्त कैबिनेट का धन्यवाद किया है। संगठन के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर तथा अन्य सभी पदाधिकारियों ने सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि पुरानी पेंशन बहाली का जो वादा कांग्रेस पार्टी ने चुनावों के वक्त कर्मचारियों के साथ किया था, वो अब पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व तक ने पेंशन बहाली का समर्थन किया था। प्रियंका गांधी, भूपेश बघेल व अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने भी कर्मचारियों की पेंशन बहाली के वादे किये थे। प्रियंका गांधी तो स्वयं कर्मचारियों के धरने पर भी पहुंची थी। कांग्रेस ने कर्मचारियों को विश्वास दिलाया और कर्मचारियों ने भी कांग्रेस का साथ दिया। नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ द्वारा सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा गया कि सरकार ने कर्मचारियों का बुढ़ापा सुरक्षित करके उन्हें जहां आर्थिक रूप से सुरक्षित किया है, वहीँ उनका आत्मसम्मान उन्हें वापस लौटाया है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी भविष्य में प्रदेश में आने वाली हर चुनौती का सामना करने के लिए हमेशा सरकार के साथ खड़े रहेंगे और प्रदेश की प्रगति के लिए कर्मचारी हर संभव योगदान देंगे।
हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों में अस्सिटेंट प्रोफेसरों के पर्सनैलिटी इंटरव्यू 15 मार्च से शुरू करवाए जाएगे । हिमाचल लोक सेवा आयोग 15 मार्च से लेकर 25 मार्च तक कॉलेज कैडर के अलग-अलग डिपार्टमेंट और सब्जेक्ट के प्रोफेसरों के लिए इंटरव्यू लेगा। इसके लिए आयोग ने शेड्यूल तैयार कर लिया है। सोशोलॉजी सब्जेक्ट में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए 15 से लेकर 17 मार्च तक इंटरव्यू होंगे। म्यूजिक वोकल में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए लिए 15 से लेकर 18 मार्च तक इंटरव्यू होंगे। असिस्टेंट प्रोफेसर इंग्लिश पद के लिए 15 से 25 मार्च तक इंटरव्यू होंगे। कॉलेजों में जियोग्राफी अस्सिटेंट प्रोफेसर का पद भी भरा जाएगा। इसके लिए भी 20 से 23 मार्च तक इंटरव्यू करवाए जायेंगे । बिजली बोर्ड में अस्सिटेंट इंजीनियर इलेक्ट्रिकल के लिए भी 15 मार्च से 24 मार्च तक इंटरव्यू प्रोसेस चलेगा। ईमेल और SMS के अलावा पात्र उम्मीदवारों को कॉल लेटर भी जारी कर दिए गए हैं। फोन नंबर 0177-2624313 पर भी संपर्क किया जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला आने वाले सैलानियों का सफर अब मंहगा होने वाला है। अब नगर निगम टूरिस्ट गाड़ियों पर ग्रीन टैक्स लगाने की तैयारी कर रहा है। मनाली की तर्ज पर यह फीस गाड़ियों से वसूली जाएगी। छोटी गाड़ियों से 200 रुपए, इनोवा से 300 और बस, ट्रक व बड़े वाहनों से 500 रुपए वसूले जाएंगे। दरअसल जब से मुख्यमंत्री सुक्खू ने नगर निगम को आय बढ़ाने के निर्देश दिए हैं, तब से योजनाएं बनाई जा रही हैं। नगर निगम द्वारा पेश किए जाने वाले बजट में ग्रीन फीस का प्रस्ताव भी रखा जाएगा। प्रदेश सरकार से मंजूरी मिलते ही शिमला में सैलानियों को ग्रीन फीस देनी होगी। वहीँ नगर निगम इस महीने बजट पेश करेगा, जिसमें ग्रीन फीस का प्रस्ताव भी शामिल होगा। सरकार से मंजूरी मिलते ही अप्रैल महीने में यह फीस सैलानियों को देनी पड़ेगी। इस फीस से नगर निगम और सरकार को सलाना करोड़ों रुपए मिलेंगे। शिमला में हर साल 2 से 3 करोड़ टूरिस्ट आते हैं। सबसे ज्यादा टूरिस्ट पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात और यूपी के आते हैं। इन सैलानियों को ही अब एंट्री फीस के तौर पर पैसे देने पड़ेंगे। MC कमिश्नर आशीष कोहली का कहना है कि नगर निगम द्वारा 2013 में भी ग्रीन टैक्स लगाया गया था, लेकिन किसी कारण इसे बंद कर दिया। इस बार फिर से बजट में यह प्रस्ताव रखा जाएगा। शिमला से पहले मनाली में बाहरी राज्यों के वाहनों की एंट्री पर ग्रीन फीस की वसूली की जा रही है। यहां वाहनों में लगे फास्टैग से फीस ली जा रही है। बैरियर लगाकर गाड़ियां रोकने की जरूरत नहीं पड़ती। फास्टैग से चंद सेकेंड में यह फीस कट जाती है। जिनके पास फास्टैग नहीं है, उनसे नकद फीस वसूली जाती है।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के नेरचौक व थुनाग के 2 युवकों से गोहर पुलिस ने चिट्टा बरामद किया है। आरोपियों को गिरफ्तार करके उनके खिलाफ NDPS एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है।वही पुलिस थाना गोहर के प्रभारी निर्मल सिंह ने मामले की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि आरोपियों से 40 ग्राम चिट्टा बरामद किया गया है। जानकारी के अनुसार चैलचौक जासन के भीतर नाके पर ऑल्टो कार नम्बर HP65-8303 को चैकिंग के लिए रोका गया थ।आरोपियों की पहचान साहिल कुमार पुत्र लाल चंद निवासी गांव भंगरोटू तहसील बल्ह जिला मंडी व सूरज मणि पुत्र बेस राम निवासी गांव सेगला तहसील थुनाग जिला मंडी के रूप में हुई।
हिमाचल प्रदेश में शुक्रवार सुबह हरियाणा की टूरिस्ट बस का एक्सीडेंट हो गया।यह हादसा चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पर बिलासपुर के पास हुआ।जबली के पास कुनाला में बस बीच सड़क में पलट गई।जानकारी के अनुसार, हरियाणा से मनाली जा टूरिस्ट बस HR38A-B0007 संतुलन बिगड़ने के कारण बस बीच सड़क में पलट गई। इस हादसे में 40 लोगों होने की सूचना है जबकि एक युवती की हादसे के दौरान मौके पर ही मौत हो गई। वहीं राहगीरों ने बचाव अभियान चलाते हुए घायलों को बस से निकाला और बिलासपुर क्षेत्रीय अस्पताल में पहुंचाया। एक यात्री की हालत गंभीर होने के चलते उसे पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किया गया है।हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने चालक के खिलाफ लापरवाही से ड्राइविंग करने का मामला दर्ज किया है। फिलहाल हादसे की जाँच अभी जारी है।
हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन यूनिट ने शिमला के कुपवी क्षेत्र के 21 वर्षीय युवक को 6.33 ग्राम चिट्टा के साथ पकड़ा है। मिली जानकारी के अनुसार , हेड कॉन्स्टेबल दिनेश SIU की टीम के साथ गुरुवार रात को गश्त पर थी गश्त के दौरान देर रात सोलन शहर के शमलेच के पास एक युवक आ रहा था युवक की तलाशी के दौरान उसके बैग से 6.33 ग्राम चिट्टा बरामद किया गया है। पूछताश के दौरान युवक ने अपना नाम संदीप कुमार निवासी गांव डिम्मी, तहसील कुपवी जिला शिमला बताया। वहीं SP सोलन वीरेंद्र शर्मा ने कहा कि बीती रात गश्त के दौरान SIU की टीम ने शमलेच के पास एक युवक को चिट्टा के साथ पकड़ा है। युवक से पूछताछ की जा रही है। और नशा माफिया की धरपकड़ के लिए पुलिस आगे भी अभियान जारी रखेगी।
हिमाचल प्रदेश में कोरोना एक बार फिर से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। 31 जनवरी को प्रदेश कोरोना मुक्त हो गया था, लेकिन बीते कल शाम तक प्रदेश में कोरोना के 40 नए मामले सामने आए है। बीते 24 घंटे में 12 नए मरीज कोरोना के एक्टिव पाए है। वहीं प्रदेश के बिलासपुर जिले में सबसे ज्यादा 11 एक्टिव मरीज, शिमला जिले में 7 कोरोना , चंबा में 2, हमीरपुर में 4, कांगड़ा में 4, सोलन 9, कुल्लू में 3 एक्टिव मरीज हैं। प्रदेश में अब तक कोरोना से 3,12,774 लोग संक्रमित हुए हैं। राज्य के सबसे बड़े कांगड़ा जिले में सबसे ज्यादा 70,717 लोग कोरोना से संक्रमित हुए। इनमें से 1,266 लोगों की कोरोना से मौत हुई है।
हिमाचल प्रदेश में गर्मी का तापमान बढ़ रहा है। राजधानी शिमला सहित प्रदेश के सभी क्षेत्रों में वीरवार को मौसम साफ रहा। शुक्रवार और शनिवार को प्रदेश के कई क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी का पूर्वानुमान है। बीते दिनों बारिश और बर्फबारी से मौसम में बढ़ी ठंडक में धूप खिलने से कमी दर्ज हुई है। वीरवार को ऊना में अधिकतम तापमान 32.4, बिलासपुर में 29.0, हमीरपुर में 28.5, मंडी में 27.8, सुंदरनगर में 27.0, कांगड़ा में 26.9, सोलन-नाहन में 26.5, धर्मशाला में 25.2, चंबा में 24.9, भुंतर में 22.9, शिमला में 18.2, मनाली में 13.0, कल्पा में 12.4 और केलांग में 5.7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ। शिमला में जनवरी के बाद फरवरी में भी नहीं हुई बर्फबारी इस वर्ष राजधानी शिमला में जनवरी के बाद फरवरी में भी बर्फबारी नहीं हुई। फरवरी 2022 में शिमला में 59.3, 2021 में 54, 2000 में 5.4 और 2019 में 51.3 सेंटीमीटर बर्फबारी हुई थी। इस वर्ष मनाली में भी फरवरी के दौरान मात्र चार और पूह में नौ सेंटीमीटर बर्फबारी ही हुई। उधर, फरवरी के दौरान इस वर्ष सामान्य से 71 फीसदी कम बारिश दर्ज हुई। फरवरी 2022 में सामान्य से 24, 2021 में 81 और 2000 में 87 फीसदी कम बारिश हुई थी। फरवरी 2019 में सामान्य से 91 फीसदी अधिक बादल बरसे थे।
हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर कोरोना के मामलों हल्की तेज़ी देखने को मिली है। 31 जनवरी को प्रदेश कोरोना मुक्त हो गया था, लेकिन आज एक बार कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 29 हो गई है। पिछले 24 घंटे के दौरान प्रदेश में कोरोना के छह नए मरीज सामने आए हैं। बता दें कि पिछले तीन दिनों यानि 27 फरवरी से 1 मार्च तक 1357 लोगों की कोरोना जांच की गई थी, जिसमें से 25 लोगों में कोरोना पाया गया है। शिमला और सोलन जिला में इस समय सबसे अधिक 7 कोरोना मरीज सक्रिय हैं। बिलासपुर में एक्टिव मरीज पांच हैं; चंबा में 2, हमीरपुर कांगड़ा और कुल्लू में 3 कोरोना के एक्टिव मामलें है। वहीं जिला किन्नौर, लाहौल स्पीति, मंडी और सिरमौर में कोरोना के एक भी मामला नहीं हैं।गौरतलब है कि राज्य में अब तक 3,12,762 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। राज्य के सबसे बड़े जिले कांगड़ा में सबसे ज्यादा 70,717 लोग कोरोना संक्रमित हुए। जिला में संक्रमण से 1,266 लोगों ने जान गंवाई है।
प्रदेश में फरवरी माह में 25 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 377 करोड़ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह किया गया है। वर्तमान वित्त वर्ष में जीएसटी संग्रह में 21 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। विभाग ने फरवरी, 2023 तक 4933 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्रित किया है। इस बात की जानकारी राज्य कर एवं आबकारी आयुक्त यूनुस ने दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष में जीएसटी संग्रह में यह वृद्धि सशक्त प्रवर्तन और करदाता अनुपालन में सुधार के परिणामस्वरूप दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि विभाग के कर अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए उन्हें निरंतर प्रदान किए जा रहे प्रशिक्षणों के फलस्वरूप प्रभावी प्रवर्तन गतिविधियां सुनिश्चित हो रही हैं। विभाग द्वारा हाल ही में 450 कर अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है। यूनुस ने कहा कि विभाग द्वारा वर्तमान वित्त वर्ष में 12 लाख ई-वे बिल सत्यापित किए गए हैं और नियमित आधार पर की गई जांचों में ई-वे बिलों की अवमानना पर 8.18 करोड़ रुपये एकत्र किए गए हैं। विभाग स्वैच्छिक अनुपालन में सुधार तथा हितधारकों के विभिन्न मुद्दों के समयबद्ध निवारण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि रिटर्न फाइलिंग में निरंतर सुधार, रिटर्न की तीव्र छंटनी, जीएसटी ऑडिट को समयबद्ध पूर्ण करने तथा सशक्त सतर्कता पर विभाग द्वारा विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विभाग वर्तमान वित्त वर्ष में सरकार द्वारा निर्धारित 5130 करोड़ रुपये के लक्ष्य से अधिक राजस्व अर्जित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
1 मार्च को राष्ट्रीय राजधानी में दक्षिण-पश्चिम मानसून के प्रवेश के बाद भारी बारिश की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, अगले 24 घंटों में स्थिति बदलने का अनुमान है। आईएमडी ने भविष्यवाणी की है कि अगले दिन दिल्ली और इसके आस-पास के इलाकों में उच्च तीव्रता वाली बारिश होगी। मौसम विभाग ने आगामी समय में उत्तर-पश्चिम दिल्ली, दक्षिण-पश्चिम दिल्ली और दिल्ली-एनसीआर के सीमावर्ती जिलों में हल्की से मध्यम बारिश की भविष्यवाणी की है। दिल्ली के आसपास का मौसम सुबह के समय सामान्य रहा है। दिल्ली-एनसीआर में अधिकतम तापमान 31.2 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है, जबकि न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। मौसम विज्ञान भवन द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, बुधवार (1 मार्च) को दिल्ली-एनसीआर और इसकी सीमा से लगे यूपी और हरियाणा बंद रहेंगे। आईएमडी के पूर्वानुमान के अनुसार दिल्ली, एनसीआर (हिंडन एएफ स्टेशन, गाजियाबाद, इंदिरापुरम), करनाल, महम, रोहतक, भिवानी (हरियाणा), हस्तिनापुर, चांदपुर, अमरोहा (यूपी) में कुछ ही जगहों पर मध्यम से हल्की बारिश की भविष्यवाणी की गई है। हवा की गति 30 से 50 किमी/घंटा रहने की संभावना है। फरवरी में शहर के तापमान ने 72 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। 1951 से 2023 तक, तीसरे सीज़न के लिए फरवरी सबसे गर्म महीना था, हालांकि बुधवार की बारिश के बाद तापमान कम होने की संभावना है। आईएमडी ने अगले दो महीनों के लिए गर्मी का अनुमान भी तैयार किया है। आईएमडी के अनुसार, मार्च से मई तक पूरे उत्तर-पूर्व, और मध्य भारत के साथ-साथ उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में तापमान सामान्य से ऊपर रहने का अनुमान है।
हिमाचल प्रदेश के एक युवक की हरियाणा में सड़क हादसे में मौत हो गई है। यह हादसा पंचकूला-यमुनानगर नेशनल हाईवे पर मौली गांव के पास बीते कल पेश आया। मृतक की पहचान सिरमौर के पांवटा साहिब निवासी अभिनव परमार के तौर पर हुई है। जानकारी के मुताबिक अभिनव डीएवी कॉलेज सेक्टर-10 चंडीगढ़ से एमबीए कर रहा था और सुबह करीब 6 बजे पंचकूला आ रहा था। जैसे ही वह मौली गांव के नजदीक स्थित ग्लोबल इंडस्ट्री और सैनी ढाबे के सामने से गुजरा तो उसके आगे जा रहे ट्रक ने अचानक ब्रेक लगा दी। उसकी कार ट्रक के नीचे आ गई और कार ट्रक के पीछे फंसकर काफी दूरी तक घसीटते चली गई। कुछ दूर जाने के बाद चालक ने ट्रक रोका तो देखा कि ट्रक के नीचे कार फंसी हुई है। आसपास के लोगों ने इस हादसे की सूचना तुरंत मौली पुलिस चौकी को दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कार चलन अभिनव परमार को कड़ी मशक्कत के बाद कार से बाहर निकाला और युवक को अस्पताल पंचकूला पहुँचाया। जहां डॉक्टर्स ने अभिनव को मृत घोषित किया।
हिमाचल में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस सक्रिय होने के बाद मौसम ने अचानक करवट बदल ली है। इसके चलते दोपहर के वक्त मशहूर पर्यटन स्थल कुफरी व नारकंडा में हल्की बर्फबारी भी हुई। शिमला में भी आज हल्की बारिश हुई है । इससे तापमान में काफी गिरावट दर्ज की गई। वहीं, मौसम विभाग ने कल अधिक ऊंचे व मध्यम ऊंचाई वाले कुछ इलाकों में भारी बारिश और बर्फबारी होने का पूर्वानुमान किया है। कम ऊंचे व मैदानी इलाकों में आंधी तूफान आने व आसमानी बिजली गिरने का येलो अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान ने किसानों-बागवानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। ओलावृष्टि से किसानों की फसलों और स्टोन फ्रूट व सेब की फ्लावरिंग को नुकसान होने का डर है। किसान और बागवान सूखे की मार से भी त्रस्त है। बेशक प्रदेश के अधिकांश शहरों में अभी भी तापमान सामान्य से ज्यादा चल रहा है, लेकिन बीते 24 घंटे के दौरान कई शहरों के तापमान में एक से 3 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज की गई है। शिमला का अधिकतम तापमान 2 दिन में 19 डिग्री से गिरकर 16.9 डिग्री तक लुढ़क गया है। इसी तरह कई अन्य शहरों का पारा भी गिरा है।
हिमाचल प्रदेश के रामपुर में एक घर में आग लगने से बुजुर्ग महिला जिंदा जल गई। मिली जानकारी के मुताबिक खलटी गांव में यह घटना हुई है। सराहन उपतहसील की शाहधार पंचायत के खलटी गांव में रविवार देर रात अचानक भीषण आग लग गई। भीषण अग्निकांड में एक बुर्जुग महिला जिंदा जल गई और दो मंजिला मकान भी आग के भेंट चढ़ गया। घटना की सूचना मिलने के बाद आसपास के लोग मौके पर पहुंचे। लेकिन आग पर काबू नहीं पाया जा सका क्यूंकि यह क्षेत्र सड़क से दूर है, इसलिए फायर इंजन की गाड़ियां भी मौके पर नहीं पहुंच पाई है। आग की इस घटना में लाखों का नुकसान हो गया है। महिला की मौत से गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। पूरे गांव में मातम मच गया ह। प्रशासन की टीम मौके की ओर रवाना हो गई है।
ऊना के कांगडा कोओपरेटिव बैंक से लॉन के एक मामले को लेकर जिला पुलिस को आरोपी की लम्बे समय से तलाश थी। जहां सर्तकता विभाग को आरोपी अब तक चकमा देते आ रहा था, वहीं सर्तकता विभाग निरीक्षक हरीश गुलेरिया, मु.आरक्षी सुभाष चंद, आरक्षी मनोज कुमार के द्वारा लगाातार छापेमारी व दबदिश देते हुए इस आरोपी दिनेश डेविड़ सेलजा बिहार तह.व जिला ऊना को मुम्बई में गिरफ्तार कर बडी सफलता हासिल की है। आरोपी को मुम्बई की स्थानीय अदालत में पेश कर चार दिन का ट्रांजिट रिमांड लिया गया है। इस व्यक्ति के खिलाफ पजींकृत संख्यां 4/21 7 अप्रैल 2021 से मुक्कदमा दर्ज था। आरोपी को 24 फरवरी को ऊना सत्र न्यायलय में पेश कर पुलिस हिरासत में लिया जायेगा।
Former Chief Minister Prem Kumar Dhumal urged the government to review its decision to disband the Himachal Pradesh Staff Selection Commission (HPSSC). He said that instead of disbanding the HPSSC, the government should have improved its working. He said that his government had set up the commission in 1998 to decentralise and speed up the selection process for class III and IV public services. He added that dissolving this prestigious institution would cause inconvenience to candidates, who would have to travel longer distances.
हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू 17 मार्च को बजट पेश करेंगे। हिमाचल के गवर्नर शिव प्रताप शुक्ल द्वारा सुक्खू सरकार को बजट सत्र बुलाने की मंजूरी देकर अधिसूचना जारी कर दी गई है। मुख्यमंत्री सुक्खू का यह पहला बजट होगा। बता दें कि हिमाचल विधानसभा का बजट सत्र 14 मार्च से 6 अप्रैल तक चलेगा। इसमें कुल 18 सीटिंग होगी। बजट सत्र की शुरुआत 14 मार्च को सुबह 11 बजे विधानसभा के 2 पूर्व सदस्यों के शोकोद्गार से होगी। इसके बाद वित्त वर्ष 2022-23 के सप्लीमेंटरी बजट पास होगा। 14 मार्च को 11:00 बजे इस सत्र की शुरुआत प्रदेश विधानसभा के किन्हीं पूर्व सदस्यों के देहांत की स्थिति में शोकोद्गार से होगी। इसके बाद वित्तीय वर्ष 2022-23 के अनुपूरक बजट की प्रथम और अंतिम किस्त पारित होगी। 15 मार्च को शासकीय और विधायी कार्यों के अलावा सामान्य चर्चा व विनियोग विधेयक का पारण होगा। 16 मार्च को गैर सरकारी सदस्य दिवस होगा। 17 मार्च को वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट अनुमानों को प्रस्तुत किया जाएगा। दो दिन के अवकाश के बाद फिर 20 मार्च को शासकीय और विधायी कार्यों के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट अनुमानों पर चर्चा शुरू होगी। यह चर्चा 23 मार्च तक चलेगी। 27 और 28 मार्च को 2023-24 की मांगों पर चर्चा और मतदान होगा। 29 मार्च को बजट अनुमानों को पारित किया जाएगा। 30 मार्च को अवकाश रहेगा। 31 मार्च और 1 अप्रैल को शासकीय और विधायी कार्य होंगे। 2 अप्रैल को अवकाश होगा। इसके बाद 6 अप्रैल तक विधायी और शासकीय कार्य चलेंगे।
सोलन के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में इनकम टैक्स का छापा पड़ा है। बद्दी में यूफ़्लेक्स कंपनी के ठिकानों पर इनकम टैक्स की टीम ने मंगलवार सुबह दबिश दी। इनकम टैक्स की टीम कंपनी के आय व व्यय से जुड़े दस्तावेज़ों को खंगाल रही है। टीम ने अंदर व बाहर जाने वाले सभी रास्तों को बंद कर दिया। यह कार्रवाई कंपनी की ओर से टैक्स चोरी के मामले में की गई है। बता दें कि देशभर में कंपनी के ठिकानों पर छापा मारा गया है। आयकर विभाग की ओर से उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, वेस्ट बंगाल, जम्मू कश्मीर,हरियाणा, तमिलनाडु, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में 64 जगहों पर यूफ्लेक्स लिमिटेड कंपनी के ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। एसपी बद्दी मोहित चावला ने बताया कि आयकर विभाग की टीम पुलिस प्रशासन की ओर से सेवाएं दी जा रही हैं। कंपनी पैकेजिंग और कंटेनर्स का काम करती है। यह कंपनी पान मसाला के पैकेट बनाती है।
राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर को निलंबन के बाद भंग कर दिया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में जब तक नई चयन एजेंसी की व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक हिमाचल प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन भर्तियों का प्रोसेस शुरू करेगा। मुख्यमंत्री का कहना है की SSC में पिछले तीन साल से पेपर बिक रहे थे। पेपर कुछ लोगों की ही बेचे जा रहे थे। यह धंधा तीन साल से चल रहा था। इस काम में टॉप टू बॉटम तक लोग शामिल थे। इसलिए युवाओं के भविष्य को देखते हुए सरकार ने SSC को भंग किया है। अब SSC ने जो लिखित परीक्षाएं ले ली है, लेकिन अभी रिजल्ट नहीं निकला, उनके पेपर का मूल्यांकन HPPSC करेगा। इसी तरह जिन पेपर के बच्चों को रोल नंबर दे दिए गए थे और जिन परीक्षाओं के डॉक्युमेंट भी चेक होने हैं, यह काम भी HPPSC करेगा।
हिमाचल प्रदेश में मौसम ने फिर करवट बदली है। मंगलवार को अटल टनल रोहतांग सहित ऊंचाई वाले भागों में बर्फबारी दर्ज की गई है। शिमला में भी बारिश के साथ भारी ओलावृष्टि हुई है। ओलावृष्टि से कुछ ही मिनटों में राजधानी की सड़कें ओलों से सफेद हो गईं। उधर, लाहौल घाटी के ऊंचाई वाले भागों ने फिर से बर्फ की चादर ओढ़ ली है। बर्फबारी को प्रशासन ने स्थानीय लोगों व पर्यटकों को हिदायत दी है कि खराब मौसम में अनावश्यक यात्रा से बचें। वहीं, मनाली के अटल टनल के साउथ और नॉर्थ पोर्टल के पास कल शाम से ही रुक-रुककर हिमपात हो रहा है। पिछले दिनों हुई बर्फबारी के बाद मनाली में पर्यटक काफी तादाद में आए, लेकिन पिछले तीन दिनों से पर्यटकों की संख्या में काफी कमी दर्ज की गई है।
केंद्रीय दवा नियंत्रक मानक संगठन द्वारा जनवरी माह में देशभर से 1348 दवाओं के सैंपल लिए गए थे, जिसमें से 67 दवाओं के सैंपल फेल पाए गए हैं। फ़ैल हुए सैंपल में हिमाचल प्रदेश में बनी 16 दवाइयां शमिल है, जो मानकों पर खरी नहीं उतर पाई हैं। ये सैंपल हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी, नालागढ़, ऊना और जिला सिरमौर के कालाअंब से भरे गए थे। इनमें एलर्जी, कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, विटामिन, कैल्शियम, बदन में सूजन को खत्म करने वाली, दमा समेत एंटीबायोटिक दवा के सैंपल फेल हुए हैं। वहीं, राज्य दवा नियंत्रक द्वारा सभी कंपनियों को नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और उद्योगों को मार्केट से दवाओं का पूरा स्टॉक रिकॉल के आदेश जारी कर दिए हैं। राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने कहा है कि जिन दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, उन संबंधित उद्योगों को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया जाएगा और नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। गौरतलब है कि सोमवार देर शाम को CDSCO की ओर से जारी ड्रग अलर्ट में हिमाचल के कई उद्योगों ऐसे शामिल रहे, जिनके एक व दो से अधिक दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। वहीं इसके अलावा कई उद्योग ऐसे हैं, जिनके सैंपल बार-बार फेल पाए जा रहे हैं। अब विभाग उन उद्योगों की सूची भी तैयार कर रहा है।
" ....हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों ने प्रदेश के चारों सांसदों को भी आईना दिखाने का काम किया है। कोई भी सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में अपनी पार्टी को इक्कीस साबित नहीं कर पाया। कांगड़ा, हमीरपुर और शिमला संसदीय क्षेत्र में भाजपा पिछड़ी, तो मंडी में कांग्रेस। अब जाहिर है लोकसभा चुनाव से पहले दोनों ही राजनैतिक दलों के सांसदों पर बेहतर करने का दबाव होगा। हालांकि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में मुद्दे भी अलग होते है और चेहरे भी, फिर भी इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता कि विधानसभा चुनाव के नतीजे हवा बनाने - बिगाड़ने में बड़ा किरदार निभा सकते है। " कांगड़ा वो संसदीय क्षेत्र है जहाँ भाजपा अपनी स्थापना के बाद से ही मजबूत रही है। भाजपा की स्थापना के बाद से हुए दस लोकसभा चुनावों में से यहाँ सात में भाजपा को जीत मिली है। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार खुद इस क्षेत्र से चार बार सांसद रहे है। वहीं बीते तीन लोकसभा चुनाव भाजपा लगातार जीत चुकी है। बावजूद इसके, इस बार कांगड़ा में भाजपा की राह आसान नहीं दिखती। दरअसल कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में भाजपा का ग्राफ लगातार गिरा है, कम से कम हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे तो ये ही बयां करते है। 2019 में सांसद बने किशन कपूर हिमाचल में तो सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीते ही थे, साथ ही पूरे देश में भी सबसे अधिक मत प्रतिशत हासिल करने का रिकॉर्ड भी उन्होंने अपने नाम किया था। मोदी लहर में किशन कपूर ने कुल 72.02 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। तब कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में पड़े कुल 10 लाख 6 हजार 989 मतों में से कपूर की झोली में 7 लाख 25 हजार 218 मत आए। शानदार जीत हासिल करके किशन कपूर लोकसभा पहुंचे और इसके बाद धर्मशाला विधानसभा उपचुनाव में भी भाजपा ने जीत दर्ज की। पर 2022 का चुनाव आते -आते भाजपा का जादू फीका पड़ गया और पार्टी इस संसदीय क्षेत्र की 17 में से सिर्फ पांच सीटें ही जीत पाई, जो जयराम सरकार की विदाई का एक अहम कारण है। इससे पहले वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 13 सीटें भाजपा की झोली में गई थी। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र की जो पांच सीटें भाजपा जीती है उनमे से दो जिला चम्बा की है और तीन जिला कांगड़ा की। सिर्फ डलहौज़ी, चुराह, सुलह, नूरपुर और कांगड़ा सीट पर भाजपा अपनी साख बचाने में कामयाब हुई है। वहीं हारने वाले 12 की लिस्ट में जयराम कैबिनेट के दो मंत्री, राकेश पठानिया और सरवीण चौधरी भी शामिल है। इसके अलावा पार्टी के प्रदेश महासचिव त्रिलोक कपूर को भी पालमपुर की जनता ने नकार दिया। वहीं सांसद किशन कपूर की परम्परागत सीट धर्मशाला में भी पार्टी को शिकस्त मिली। जाहिर है कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में भाजपा की हार सांसद के रिपोर्ट कार्ड में भी जुड़ेगी। क्या नए चेहरे पर दांव खेलेगी भाजपा ? कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में रिकॉर्ड जीत दर्ज करने वाले सांसद किशन कपूर पर क्या पार्टी 2024 में फिर दांव खेलेगी, इसे लेकर भी कयासबाजी अभी से जारी है। माहिर मान रहे ही कि विधानसभा चुनाव में भाजपा के लचर प्रदर्शन का खामियाजा किशन कपूर को उठाना पड़ सकता है और पार्टी यहाँ किसी नए चेहरे को भी मैदान में उतार सकती है। कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आएं पवन काजल और धर्मशाला के पूर्व विधायक विशाल नेहरिया के नाम भी यहाँ से चर्चा में है। उधर, विधानसभा चुनाव में कांगड़ा संसदीय क्षेत्र की 12 सीटें जीतने वाली कांग्रेस की राह भी उतनी आसान नहीं है, जितना माना जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण तो ये है कि लोकसभा चुनाव प्रदेश नहीं बल्कि देश के मुद्दों पर होगा और देश में कांग्रेस की स्थिति मजबूत नहीं है। दूसरा बड़ा कारण है सुक्खू सरकार पर लग रहे जिला कांगड़ा की उपेक्षा के आरोप। जिला कांगड़ा की दस सीटों पर कांग्रेस की जीत मिली है लेकिन सुक्खू कैबिनेट में अब तक महज एक मंत्री पद मिला है और दो सीपीएस बनाये गए है। वहीँ संसदीय क्षेत्र के लिहाज से बात करें तो भटियात विधायक कुलदीप सिंह पठानिया को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है। हालांकि सुक्खू कैबिनेट में अभी तीन पद रिक्त है और जानकार मान रहे है कि इनमें से दो स्थान जिला कांगड़ा को देकर कांग्रेस क्षेत्रीय संतुलन सुनिश्चित करेगी। माहिर मान रहे है कि कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी लोकसभा चुनाव में दमदार चेहरा उतारना। पिछले चुनाव में पार्टी ने ओबीसी समुदाय में बड़ी पैठ रखने वाले पवन काजल को उम्मीदवार बनाया था लेकिन काजल रिकॉर्ड अंतर से हारे थे। अब काजल भी भाजपा में चले गए है। कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों में पूर्व सांसद और मंत्री चंद्र कुमार चौधरी और पूर्व मंत्री और विधायक सुधीर शर्मा के नाम को लेकर कयास जरूर लग रहे है। वहीँ युवा चेहरों में सुक्खू सरकार के आईटी सलाहकार गोकुल बुटेल निसंदेह एक दमदार विकल्प हो सकते है। दमदार विकल्प हो सकते है गोकुल बुटेल सुक्खू सरकार में आईटी सलाहकार गोकुल बुटेल लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकते है। प्रदेश और कांगड़ा की सियासत में बुटेल परिवार के वर्चस्व पर कोई संशय नहीं है। वहीँ गोकुल निजी तौर पर पार्टी आलाकमान की भी पसंद माने जाते है। उन्हें कई राज्यों में पार्टी के प्रचार संभालने का अनुभव भी है जो उनके पक्ष में जा सकता है। प्रदेश में भी गोकुल बुटेल एक ऐसा नाम है जिसे लेकर संभवतः किसी को कोई ऐतराज नहीं होगा। यानी गोकुल के नाम पर कांग्रेस एकजुट होकर मैदान में उतर सकती है।
** प्रतिभा सिंह और सुरेश कश्यप, दोनों है वर्तमान में सांसद हिमाचल में दोनों मुख्य राजनीतिक दलों के अध्यक्षों में एक बात समान है, दोनों ही लोकसभा सांसद भी है। कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह मंडी से सांसद है, तो भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप शिमला से। मौजूदा राजनैतिक परिवेश में इन दोनों में एक समानता और है, वो ये है कि बीते विधानसभा चुनाव में ये दोनों ही अपने -अपने संसदीय क्षेत्रों में अपने दलों को बढ़त नहीं दिला पाएं। ये बेहद दिलचस्प आंकड़ा है कि प्रदेश के सभी सांसदों के क्षेत्रों में उनके दल पिछड़ गए और दोनों राजनैतिक दलों के प्रदेश अध्यक्ष भी इसमें शामिल है। जाहिर है ऐसे में 2024 की राह इन दोनों ही नेताओं के लिए आसान नहीं होने वाली। पहले बात भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप की करते है। दो बार विधायक रह चुके कश्यप वर्तमान में शिमला से सांसद है और करीब पौने तीन साल से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी। पर विधानसभा चुनाव में जिन सुरेश कश्यप के कन्धों पर पार्टी के मिशन रिपीट का बोझथा वो अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में फीके रहे। शिमला संसदीय क्षेत्र की 17 सीटों में से भाजपा को महज तीन पर जीत नसीब हुई। संसदीय क्षेत्रवार देखे तो शिमला में भाजपा सबसे ज्यादा कमजोर रही। ऐसे में 2024 में क्या भाजपा लगातार चौथी बार इस संसदीय सीट पर जीत दर्ज करेगी, ये बड़ा सवाल है। वैसे माहिर मान रहे है कि इससे भी बड़ा सवाल ये है कि क्या भाजपा फिर सुरेश कश्यप पर दांव खेलेगी ? संभवतः पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में सुरेश कश्यप की जगह अन्य विकल्पों पर भी विचार करें। अब बात प्रतिभा सिंह की करते है। विधानसभा चुनाव में मंडी संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली 17 में से सिर्फ पांच सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। ये एकमात्र ऐसा संसदीय हलका है जहाँ कांग्रेस पिछड़ी। ऐसे में जाहिर है प्रतिभा सिंह के जादू पर भी सवाल उठे है। बावजूद इसके इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि प्रतिभा सिंह ही हिमाचल कांग्रेस का वो एकमात्र चेहरा है जो मोदी दौर में भी लोकसभा पहुंचने में कामयाब रही है। माहिर मान रहे है कि प्रतिभा सिंह की स्थिति अब भी ठीक ठाक है। 2024 में उनकी राह कितनी आसान होती है और कितनी कठिन, ये दरअसल दो बातों पर निर्भर करेगा। पहला, क्या मोदी लहर का कितना असर होता है और दूसरा उनके सामने चेहरा कौन होता है। सुक्खू राज में छाया शिमला संसदीय क्षेत्र शिमला संसदीय क्षेत्र को सुक्खू सरकार में दिल खोलकर मिला है। शिमला संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के 13 विधायक है और इनमें से पांच को मंत्री पद मिला है। इसके अलावा तीन विधायकों को सीपीएस बनाया गया है। प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का भी शिमला में ख़ासा प्रभाव है और कार्यकारी अध्यक्ष विनय कुमार भी इसी क्षेत्र से आते है। जाहिर है ऐसे में भाजपा को यहाँ खूब जोर लगाना होगा। जिला मंडी में जयराम फैक्टर असरदार मंडी संसदीय क्षेत्र की अगर बात करें तो इसमें जिला मंडी के 9 विधानसभा क्षेत्र आते है और इन सभी पर विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिली है। इस जीत का सबसे बड़ा कारण है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर। माहिर मानते है कि अगर जयराम ठाकुर खुद मंडी से मैदान में उतारते है तो इसका बड़ा लाभ भाजपा को हो सकता है।
विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट भी इस वर्ष 27 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर खुलेंगे। बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर टिहरी में नरेंद्रनगर के राजमहल में धाम के कपाट खुलने की तिथि तय की गई। समारोह में पंचांग गणना के बाद विधि विधान के साथ कपाट खुलने की तिथि तय की गई। वहीं, गाडू घड़ा की तेल कलश यात्रा 12 अप्रैल को निकाली जाएगी। इस अवसर पर टिहरी राजपरिवार सहित बदरी-केदार मंदिर समिति, डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पदाधिकारी व बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
महाशिवरात्रि पर केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय कर दी गई है। 25 अप्रैल को प्रातः 6 बजकर 20 मिनट पर बाबा केदारनाथ के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। 9:30 बजे पंचांग गणना के आधार पर केदारनाथ के कपाट खुलने का दिन तय कर उसे घोषित किया गया। इससे पहले ओंकारेश्वर मंदिर में सुबह चार बजे से महाभिषेक पूजा शुरू हो हुई। मंदिर के पुजारी शिव शंकर लिंग, बागेश लिंग, गंगाधर लिंग और शिव लिंग द्वारा गर्भगृह में धार्मिक परंपराओं के तहत सभी पूजा-अर्चना की गई। सुबह 8:30 बजे भगवान केदारनाथ की आरती की गई और भोग लगाया गया। इसके बाद सुबह नौ बजे से पंचकेदार गद्दीस्थल में मंदिर समिति के आचार्यों की पंचांग गणना के लिए बैठे।
नगर निगम शिमला के चुनाव जल्द करवाए जा सकते है। इसके लिए राज्य चुनाव आयोग ने तैयारी तेज कर दी है। चुनाव के लिए ड्राफ्ट वोटर लिस्ट चार मार्च को जारी कर दी जाएगी और बीते दिनों राज्य चुनाव आयोग की ओर से शेड्यूल जारी कर दिया गया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में बीते सोमवार को इस मामले पर सुनवाई होनी थी। पर सुनवाई से पहले राज्य चुनाव आयोग की ओर से केस वापस लेने की अर्जी कोर्ट में दायर कर दी गई थी जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। शिमला नगर निगम का कार्यकाल 18 जून, 2022 को समाप्त हो चुका है। वार्डों के पुनर्सीमांकन के विरोध में एक पूर्व पार्षद व निवर्तमान पार्षद ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें जिला प्रशासन को दोबारा इस मामले में सुनवाई करने के निर्देश दिए थे। दूसरी बार भी जब प्रशासन के निर्देश याचिकाकर्ताओं ने नहीं माने तो राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। अब राज्य चुनाव आयोग की ओर से केस वापस लेने के बाद नगर निगम चुनाव का रास्ता प्रशस्त हो चुका है। बता दें कि पूर्व सरकार ने शिमला नगर निगम में वार्डों की संख्या बढाकर 41 कर दी थी। पर वर्तमान सरकार ने अध्यादेश लाकर ने फिर से वार्डों की संख्या को 34 कर दिया है। 28 फरवरी तक होगा मतदाताओं का सत्यापन : पोलिंग स्टेशन मैपिंग का पूरा काम 22 फरवरी तक कर लिया जाएगा। 28 फरवरी तक मतदाताओं का सत्यापन किया जाएगा। जो वोटर कहीं शिफ्ट हुए हैं या किसी अन्य कारण से शामिल नहीं हो सके हैं, इसके मिलान के लिए ही ईआरएमएस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाएगा। नगर निगम चुनाव के लिए वे लोग ही वोटर बन सकेंगे, जो मतदाता शिमला शहरी, कसुम्पटी या शिमला ग्रामीण के वोटर होंगे। इनके अलावा अन्य सभी के नाम वोटर के सॉफ्टवेयर में ही कट जाएंगे। वहीं जिला प्रशासन की ओर से ड्राफ्ट वोटर को चार मार्च को जारी किया जाएगा। इसके बाद लोग अपना वोट बनाने के दावे और वोटर लिस्ट में शामिल गलत वोटों को कटवाने का दावा कर सकेंगे। जारी सिस्टम में ईआरओ की अनुमति के बगैर किसी का नाम नहीं काटा जा सकेगा।
हिमाचल प्रदेश में जब भी कर्ज की बात होती है तो शांता सरकार का जिक्र जरूर होता है। बेशक बतौर मुख्यमंत्री शांता कुमार अपनी दोनों पारियां पूरी न कर सके हो लेकिन उनके कई निर्णय काबिल -ए -तारीफ़ रहे है। ख़ास बात ये है कि शांता कुमार ने दोनों दफे जब सीएम पद छोड़ा तो प्रदेश की आर्थिक स्थिति बेहतर थी। क्या था शांता कुमार का इकोनॉमी विज़न और सुक्खू सरकार को उनकी क्या नसीहत है, इसे लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट ने शांता कुमार से बात की। शांता कुमार बताते है कि आपातकाल के दौरान 19 महीने तक जेल में रहने के बाद जब 1977 में वे पहली बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो प्रदेश पर लभग 50 करोड़ का ओवर ड्राफ्ट था, मगर जब तक शांता ने कुर्सी छोड़ी तो प्रदेश कर्ज मुक्त हो चुका था। शांता कहते है कि प्रदेश को कर्ज मुक्त करने की शुरुआत उन्होंने खुद से की। फिजूल खर्च कम किये, अपने दफ्तर में टेबल पर रखे चार फोन में से दो फोन कटवा दिए। प्रदेश भर के दफ्तरों में अधिकारियों के अनावश्यक टेलीफोन कटवाए। मुख्यमंत्री के साथ चलने वाला गाड़ियों का काफिला बंद कर करवा दिया। अफसरों को आदेश दिए गए कि मुख्यमंत्री की अगवानी करने के लिए दूसरे जिलों में डीसी और एसपी नहीं आएंगे। शनिवार और रविवार को अफसरों की ओर से सरकारी गाड़ियों का प्रयोग बंद करवाया गया। ये छोटे -छोटे खर्च कम करके बतौर मुख्यमंत्री पहले ही साल उन्होंने 40 करोड़ बचाए। ये समय ये बड़ी राशी थी। ये पैसा बचा कर पीने के पानी पर लगाया गया। हर घर नल पहुंचाए गए। शांता कुमार कहते है कि 1992 में जब वे सीएम पद से हटे तब हिमाचल सरकार पर एक रुपये भी कर्ज नहीं था। हिमाचल में साधन बढ़ाने के लिए पन बिजली योजना को निजी भागीदारी में लाया गया। सभी योजनाओं में सरकार को 12 प्रतिशत रॉयल्टी दिलाई गई। कभी विरोधी उनकी इस सोच पर हंसते थे लेकिन अब हर साल इससे सरकार को हजारों करोड़ रुपये की आय होती है। सुक्खू सरकार को नसीहत : शांता कुमार कहते है कि हवा में उड़ने से ज्यादा अगर सड़कों पर चला जाए तो प्रदेश पर कर्ज कम हो सकता है। शांता का कहना है कि अगर मुख्यमंत्री सरकार को अपना घर समझ कर चलाएंगे तो बचत होगी ही।
** बढ़ते कर्ज की बाधा को खुलकर स्वीकार कर रही सुक्खू सरकार ** कर्ज का कारण, आमदनी कम और खर्च ज्यादा हिमाचल प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस के काबिज होने के बाद से ही प्रदेश पर बढ़ते कर्ज का मसला चर्चा में बना हुआ है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू खुलकर बढ़ते कर्ज पर बोल भी रहे है, इसे प्रदेश के विकास में रोड़ा भी मान रहे है और कड़े फैसले लेने की बात भी दोहरा रहे है। कर्ज के मसले पर सियासत भी खूब हो रही है। सीएम सुक्खू पूर्व की जयराम सरकार द्वारा विरासत में छोड़ा गया 75 हज़ार करोड़ का कर्ज भी बार-बार गिना रहे है और करीब 11 हज़ार करोड़ की देनदारियां भी। उधर, भाजपा भी कर्ज के बावजूद 6 सीपीएस की तैनाती सहित कई खर्चों पर सुक्खू सरकार को घेर रही है। बहरहाल राजनीति अपनी जगह है पर बढ़ता कर्ज हिमाचल प्रदेश के लिए बड़ी चिंता है, इसमें कोई दो राय नहीं है। अच्छी बात ये है कि सरकार खुलकर इसे स्वीकार भी कर रही है और आम आदमी को इससे लगातार अवगत भी करवा रही है। सीएम सुक्खू के बयानों पर निगाह डाले तो सरकार की मंशा साफ है, सरकार कर्ज की बैसाखियों पर आगे नहीं बढ़ाना चाहती। पर ये होगा कैसे, ये फिलवक्त स्पष्ट नहीं है। कड़े फैसलों से सीएम का क्या तात्पर्य है, ये भी स्पष्ट नहीं है। बहरहाल, निगाहें आगामी बजट पर टिकी है और संभवतः सुक्खू सरकार का पहला बजट सरकार की नीति और नियत, दोनों को पूरी तरह स्पष्ट कर देगा। 14 मार्च से हिमाचल विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने वाला है और इस बजट में कर्ज घटाने को लेकर सरकार की दूरदर्शी सोच क्या है, इस पर सबकी निगाह रहेगी। साधारण अर्थशास्त्र के लिहाज से बात करें तो कर्ज लेने की नौबत तब आती है जब आय से अधिक खर्च होता है। हिमाचल प्रदेश की स्थिति भी ऐसी ही है, आमदनी कम है और खर्चा ज्यादा। लिहाजा सरकार के पास एक ही चारा बचता है और वो है कर्ज लेना। बीते करीब दो दशक में हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ा है। 2007 तक प्रदेश पर करीब 20 हज़ार करोड़ का कर्जा था जो 2012 तक करीब 27500 करोड़ जा पंहुचा। 2017 के अंत तक प्रदेश पर करीब 46000 करोड़ का कर्ज था। वहीँ सीएम सुक्खू का कहना है कि जयराम सरकार ने प्रदेश पर करीब 75 हज़ार करोड़ का कर्ज छोड़ा है। निसंदेह ये बढ़ता कर्ज प्रदेश के लिए बड़ी चिंता है। अब सुक्खू सरकार के पास दो उपाय दिखाई देते है, एक गैर जरूरी खर्च कम करें और दूसरा आय बढ़ाई जाएं। आगामी बजट में इन दोनों पर सरकार कितना गौर करती है, ये देखना रोचक होगा। माना जा रहा है कि सरकार आम आदमी पर बोझ बढ़ाने के साथ -साथ कई सरकारी खर्चों में कटौती की दिशा में आगे बढ़ सकती है। संभवतः नेताओं को मिलने वाली सुविधाओं पर भी कुछ कैंची चलाई जा सकती है ताकि आम आदमी पर यदि बोझ बढ़े तो मुखालफत की स्थिति न आएं। वहीँ माना जा रहा है कि पन बिजली योजनाओं से आय बढ़ाने के साथ-साथ पर्यटन पर सरकार का मुख्य फोकस होगा। फिर कर्ज ले रही है सरकार : सुक्खू सरकार प्रदेश में आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने की बातें तो कह रही है मगर कर्ज लेने का सिलसिला भी बदस्तूर बरकरार है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व की नई कांग्रेस सरकार 2,000 करोड़ का कर्ज लेने जा रही है। इसके लिए दो अधिसूचनाएं भी जारी की गई है। 700 करोड़ रुपये का कर्ज 9 साल की अवधि के लिए लिया जाएगा और 1,300 करोड़ रुपये का दूसरा कर्ज 15 साल की अवधि के लिए लिया जाएगा। बता दें कि प्रदेश सरकार इससे पहले 1,500 करोड़ रुपये का ऋण ले चुकी है। कर्ज लेने का कारण हिमाचल प्रदेश में विकास कार्यों के लिए इसका इस्तेमाल करना बताया गया है। शांता ने बताया, कैसे कर्ज मुक्त हुआ था हिमाचल हिमाचल प्रदेश में जब भी कर्ज की बात होती है तो शांता सरकार का जिक्र जरूर होता है। बेशक बतौर मुख्यमंत्री शांता कुमार अपनी दोनों पारियां पूरी न कर सके हो लेकिन उनके कई निर्णय काबिल -ए -तारीफ़ रहे है। ख़ास बात ये है कि शांता कुमार ने दोनों दफे जब सीएम पद छोड़ा तो प्रदेश की आर्थिक स्थिति बेहतर थी। क्या था शांता कुमार का इकोनॉमी विज़न और सुक्खू सरकार को उनकी क्या नसीहत है, इसे लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट ने शांता कुमार से बात की। शांता कुमार बताते है कि आपातकाल के दौरान 19 महीने तक जेल में रहने के बाद जब 1977 में वे पहली बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो प्रदेश पर लभग 50 करोड़ का ओवर ड्राफ्ट था, मगर जब तक शांता ने कुर्सी छोड़ी तो प्रदेश कर्ज मुक्त हो चुका था। शांता कहते है कि प्रदेश को कर्ज मुक्त करने की शुरुआत उन्होंने खुद से की। फिजूल खर्च कम किये, अपने दफ्तर में टेबल पर रखे चार फोन में से दो फोन कटवा दिए। प्रदेश भर के दफ्तरों में अधिकारियों के अनावश्यक टेलीफोन कटवाए। मुख्यमंत्री के साथ चलने वाला गाड़ियों का काफिला बंद कर करवा दिया। अफसरों को आदेश दिए गए कि मुख्यमंत्री की अगवानी करने के लिए दूसरे जिलों में डीसी और एसपी नहीं आएंगे। शनिवार और रविवार को अफसरों की ओर से सरकारी गाड़ियों का प्रयोग बंद करवाया गया। ये छोटे -छोटे खर्च कम करके बतौर मुख्यमंत्री पहले ही साल उन्होंने 40 करोड़ बचाए। ये समय ये बड़ी राशी थी। ये पैसा बचा कर पीने के पानी पर लगाया गया। हर घर नल पहुंचाए गए। शांता कुमार कहते है कि 1992 में जब वे सीएम पद से हटे तब हिमाचल सरकार पर एक रुपये भी कर्ज नहीं था। हिमाचल में साधन बढ़ाने के लिए पन बिजली योजना को निजी भागीदारी में लाया गया। सभी योजनाओं में सरकार को 12 प्रतिशत रॉयल्टी दिलाई गई। कभी विरोधी उनकी इस सोच पर हंसते थे लेकिन अब हर साल इससे सरकार को हजारों करोड़ रुपये की आय होती है। सुक्खू सरकार को नसीहत : शांता कुमार कहते है कि हवा में उड़ने से ज्यादा अगर सड़कों पर चला जाए तो प्रदेश पर कर्ज कम हो सकता है। शांता का कहना है कि अगर मुख्यमंत्री सरकार को अपना घर समझ कर चलाएंगे तो बचत होगी ही।
** दो आह से अधिक समय बीता, नहीं सुलझा विवाद हिमाचल प्रदेश में अदाणी समूह के सीमेंट प्लांट को बंद हुए दो महीने से ज़्यादा समय बीत चुका है लेकिन अब तक इस विवाद का समाधान नहीं निकला है। कई बैठकें, कई चर्चाएं अब तक हो चुकी है, मगर सब बेनतीजा रही। हिमाचल प्रदेश सरकार की तरफ से उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान दोनों पक्षों के बीच समन्वय स्थापित करने की कोशिश कर चुके है, मगर अब तक गतिरोध थम नहीं पाया है। खुद सीएम सुक्खू लगातार अपडेट ले रहे है। यानी प्रयास तो खूब हुए है लेकिन नतीजा सिफर रहा है। सीमेंट प्लांट विवाद को लेकर ट्रक ऑपरेटर यूनियन के प्रतिनिधियों का कहना है कि अदाणी समूह अड़ियल रवैया अपनाए हुए है, तो वहीं अदाणी समूह का भी ट्रक ऑपरेटर्स के लिए कुछ ऐसा ही कहना है। इस विवाद के चलते प्रदेश के सैकड़ों ट्रक ऑपरेटरों की आमदनी बंद हो गई है। इस सीमेंट प्लांट से करीब एक लाख लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है। बिलासपुर जिला ट्रक ऑपरेटर सहकारी सभा बरमाणा का कहना है कि वर्तमान में ऑपरेटरों पर सरकारी बैंकों और निजी फाइनेंस कंपनियों का 98 करोड़ रुपये का कर्ज है। हालात यह हैं कि ऑपरेटर जिन पेट्रोल पंपों से गाड़ियों में डीजल भरवाते थे, उनकी भी पांच करोड़ की देनदारी है। प्लांट बंद होने के बाद उम्मीद थी कि जल्द सरकार इसका समाधान करेगी, लेकिन दो माह बाद भी मुद्दे को सुलझाया नहीं गया। सरकार की मध्यस्थता के बाद भी अदाणी समूह अपनी शर्तों पर अड़ा है। सीमेंट प्लांट विवाद की वजह से न केवल ट्रक ऑपरेटर यूनियन को नुकसान हो रहा है, बल्कि अदाणी समूह और हिमाचल प्रदेश सरकार भी नुकसान झेल रही है। सीमेंट प्लांट बंद होने की वजह से हिमाचल प्रदेश सरकार को रोजाना दो करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। जाहिर है प्रोडक्शन बंद होने से अडानी समूह को भी आर्थिक घाटा तो हो ही रहा है। अदाणी समूह का इन प्लांटों में अरबों का निवेश है। बहरहाल सवाल ये ही है कि जब सबको नुक्सान है तो समाधान क्यों नहीं हो पा रहा। ये है मामला : अदाणी समूह ने बीते 14 दिसंबर, 2022 को सीमेंट ढुलाई दरें अधिक होने का तर्क देकर एसीसी बरमाणा व अंबुजा प्लांट दाड़लाघाट को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया था। अब तक दोनों पक्षों के बीच कई दौर की वार्ता निष्फल रही है। यहाँ अटका है पेंच : अदाणी समूह की ओर से माल ढुलाई दरों को साढ़े आठ रुपये से 10 रुपये प्रति किलोमीटर तक रखा जाने का प्रस्ताव है, जिसे मानने पर ट्रक आपरेटर तैयार नहीं है। अंबुजा सीमेंट दाड़लाघाट से जुड़े आपरेटरों का कहना है कि वह 10.71 रुपये प्रति किलोमीटर से कम दर पर ढुलाई नहीं करेंगे। वहीँ एसीसी प्लांट से जुड़े आपरेटरों ने 12.04 रुपये किराये की मांग रखी है। ऐसे में सहमति नहीं बन पा रही है। नोटिस थमा सकती है सरकार : जानकार मानते है कि नतीजा न निकलने पर हिमाचल प्रदेश सरकार कंपनी को कारपोरेट कानून के तहत नोटिस थमा सकती है। बताया जा रहा है कि इस संबंध में सरकार ने कानूनी राय ली है।
कर्ज को लेकर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष आमने-सामने है। विपक्ष लगातार सत्ता पक्ष पर हमलावर है, जिसको लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने भाजपा नेताओं को सब्र रखने की राय दी है। इस को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा की शांता कुमार सुलझे हुए नेता है ऐसे में भाजपा को उनकी सलाह जरूर माननी चाहिए और जहां तक बात विकास की है तो खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद प्रदेश के विकास को रुकने नहीं दिया जाएगा।
हिमाचल में सीमेंट फैक्ट्री विवाद को लेकर अडानी ग्रुप व ट्रक ऑपरेटरों के बीच बैठकों का दौर जारी हैं। शुक्रवार को भी DC बिलासपुर की अध्यक्षता में हुई अडानी ग्रुप व ट्रक ऑपरेटरों की बैठक बेनतीजा रही है। ACC फैक्ट्ररी विवाद को लेकर बचत भवन में करीब 3 घंटे तक बैठक चली। जानकारी के अनुसार ट्रक ऑपरेटर भाड़े की मांग को लेकर अड़े हैं। अडानी ग्रुप की बड़ी गाड़ियों के लिए 9 रुपए 30 पैसे और छोटी गाड़ियों का 10 रुपए 20 पैसे रेट देने की बात कही हैं। वहीं ट्रक ऑपरेटर 10 रुपए 71 पैसे का रेट मांग रहे है।
बद्दी के झाड़माजरी में एक निजी कंपनी के नाम पर फर्जी कंपनी बनाकर करीब 60 लाख की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। शातिर ने कंपनी के नाम पर बैंक में खाता खोल लिया। इसके बाद प्रॉपर्टी सेल के नाम पर लाखों रुपए खाते में जमा करा लिए, जिसकी जानकारी तब लगी, जब उनके खाते में 5-5 लाख के 2 चेक आए। बताया जा रहा है कि इस खाते में 50 से 60 लाख रुपए का लेन-देन हुआ है। DSP बद्दी प्रियंक गुप्ता ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि पुलिस छानबीन कर रही है। जानकारी के मुताबिक कंपनी संचालक ने अपने स्तर पर इसकी जांच कराई तो पता चला कि उनकी कंपनी के नाम पर एक फर्जी कंपनी खोली गई है, जो गूगल पर शो हो रही है। फर्जी कंपनी ने बैंक में खाता भी खोला है। इसके बाद कंपनी संचालकों ने पुलिस में मामला दर्ज कराया। पुलिस ने फर्जी कंपनी के खाते को बंद करवा दिया है। बताया जा रहा है कि इस खाते में 50 से 60 लाख रुपए का लेन-देन हुआ है।
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश को आपस में जोड़ने के लिए शिंकुला दर्रे पर दुनिया की सबसे ऊंची टनल बनेगी। यह टनल समुद्रतल से 16580 फीट की ऊंचाई पर बनाई जाएगी। सड़क सीमा संगठन (BRO) इस टनल का निर्माण करेगा। वहीं इस टनल के लिए केंद्र सरकार ने 1,681.5 करोड बजट प्रावधान किया गया है। 4.1 किलोमीटर शिंकुला टनल का निर्माण जुलाई में शुरू हो जाएगा। लद्दाख के सांसद जमयांग छेरिंग नमज्ञाल ने बताया कि लाहौल के दारचा से लद्दाख के पदुम निमु तक टनल बनेगी और 2025 में बनकर तैयार हो जाएगी। टनल बनने से जांस्कर के अधिकतर क्षेत्र कारज्ञा, पुरने, पदुम, जंगला, कारश, मुने जैसे पर्यटन स्थल देश विदेश के पर्यटकों को निहारने को मिलेंगे।
हिमाचल प्रदेश कैबिनेट की बैठक वीरवार को राज्य सचिवालय के शिखर सम्मेलन हॉल शिमला में हुई। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व की प्रदेश की नई सरकार की यह दूसरी कैबिनेट बैठक हुई। बैठक में विधानसभा के बजट सत्र की तिथियों पर निर्णय लिया गया। विधानसभा का बजट सत्र 14 मार्च से 6 अप्रैल तक चलेगा। मुख्यमंत्री सुख आश्रय कोष स्थापित करने को भी कैबिनेट बैठक में मंजूरी दी गई। 101 करोड़ रुपये से कोष स्थापित होगा। सभी कांग्रेस विधायकों ने अपना पहला वेतन कोष में दान किया। कोष के माध्यम से अनाथ और बेसहारा बच्चों की मदद की जाएगी। इस योजना के तहत 3 करोड़ रुपए की राशि जमा हो गई है। इस योजना के तहत सभी विधायकों ने एक-एक लाख रुपए जमा किए है। प्रदेशवासी भी इस कोष में दान कर रहे हैं। इससे बेसहारा बच्चों, बुजुर्गों व महिलाओं की मदद की जाएगी।मुख्यमंत्री ने कहा कि सुखाश्रय योजना के अंतर्गत अनाथ, विशेष रूप से सक्षम, निराश्रित महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को लाया गया है, जिसमें उन्हें हर संभव सहायता का प्रावधान किया गया है। योजना में प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों को अपने बच्चों (चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट) के रूप में अपनाया है। सीएम ने कहा कि आज की कैबिनेट में बेसहारा बच्चों व बुजुर्गों के रहने के लिए सुंदरनगर और ज्वालाजी में आवास बनाने को 80-80 करोड़ रुपए की मंजूरी प्रदान की गई। इससे दोनों जगह आधुनिक सुविधाओं से लेस कॉम्प्लेक्स बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि आवासीय भवन में अटैच शौचालय वाले कमरे, मनोरंजन व गतिविधि कक्ष, कॉमन रूम, म्यूजिक रूम, स्मार्ट क्लास रूम, कोचिंग रूम, इनडोर व आउटडोर खेल सुविधाओं सहित अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इन संस्थानों के आवासियों को विवाह के लिए दो लाख रुपए प्रदान किया जाएंगे। इसके अतिरिक्त इन संस्थानों में रहने वाले प्रत्येक बच्चे, निराश्रित महिलाओं का आवर्ती जमा खाता खोला जाएगा, जिसमें सरकार द्वारा 0-14 वर्ष की आयु के बच्चों को एक हजार रुपए प्रति बच्चा प्रति माह, 15-18 वर्ष आयु के बच्चों व एकल महिलाओं को 2500 रुपए प्रति माह की सहायता राशि दी जाएगी।
बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने के लिए हिमाचल सरकार की ओर से हर विधानसभा क्षेत्रों में 1-1 राजीव गांधी मॉडल डे बोर्डिंग स्कूल स्थापित किए जा रहे है। वहीं सोलन जिले में ऐसे 5 स्कूल खोले जाएंगे। इसके लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। जिला प्रशासन द्वारा सोलन जिला के 5 विधानसभा क्षेत्रों में राजीव गांधी माॅडल डे बोर्डिंग स्कूल स्थापित करने के लिए सोलन, अर्की, कसौली, दून व नालागढ़ विधानसभा क्षेत्रों में भूमि चयनित की जा चुकी है।सोलन में राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल का निर्माण सोलन विधानसभा क्षेत्र के गलानग, अर्की विधानसभा क्षेत्र के जलाना, नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र के नंगल, दून विधानसभा क्षेत्र के बद्दी की ग्राम पंचायत हरिपुर संडोली के कल्याणपुर और कसौली विधानसभा क्षेत्र के परवाणू स्थित टकसाल में होना प्रस्तावित है। राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूलों का निर्माण लगभग 50-50 बीघा भूमि पर होना प्रस्तावित है। इन विद्यालयों में विद्यार्थियों को गुणवत्ता-पूर्ण शिक्षा प्रदान करवाने के लिए मॉडर्न तकनीक और उपकरणों की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। वहीं नोडल अधिकारी व डिप्टी डायरेक्टर हायर एजुकेशन डॉ. जगदीश चंद नेगी ने कहा कि जिला में स्थापित किए जा रहे माॅडल डे बोर्डिंग स्कूल में विद्यार्थियों का बौद्धिक विकास व शारीरिक विकास भी सुनिश्चित किया जाएगा। राजीव गांधी माॅडल डे बोर्डिंग स्कूल में खेल मैदान और आधुनिक लाइब्रेरी का निर्माण भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ज़िला सोलन को शिक्षा का हब माना जाता है। प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित किए जा रहे राजीव गांधी माॅडल डे बोर्डिंग स्कूल से ज़िला सोलन के शिक्षा क्षेत्र का और अधिक सुदृढ़ीकरण होगा और ज़िले के बच्चों का सर्वागीण विकास सुनिश्चित होगा।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दाड़लाघाट-बरमाणा ट्रक यूनियन ऑपरेटरों से मुलाकात की। इस दौरान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि ट्रक ऑपरेटर हमारे परिवार के सदस्य हैं। सीमेंट फैक्ट्री बंद होने से हिमाचल प्रदेश और ट्रक ऑपरेटर को बड़ा घाटा हुआ है जोकि गंभीर विषय है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर केंद्रीय मंत्री ने सीएम सुक्खू एवं उनके कैबिनेट मंत्री से बात की है, जल्द इस समस्या को समाप्त करने के लिए समाधान निकाला जाए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से स्थिति हिमाचल प्रदेश में उत्पन्न हुई है इससे हजारों लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ है और जितनी जल्दी यह समस्या समाप्त होगी उतनी जल्दी ट्रक ऑपरेटरों को रोजगार वापिस मिलेगा। इस दौरान बैठक में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप, नैना देवी के विधायक रणधीर शर्मा, मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी उपस्थित रहे।
About 65 students of Govt Sr. Sec School Chanawag, Shimla visited JUIT on 14th Feb 2023. They visited various departments including Computer Science Engineering, Information Technology, Biotechnology and Bioinformatics, Civil Engineering, Electronics and Communication Engineering, Department of Mathematics, Department of Physics and Materials Science, Department of Humanities and Social Sciences, etc. They interacted with the faculties and Lab staff and learned about various tests done in these labs. The Head of the Civil Engineering Department, Dr. Ashish Kumar encouraged having similar frequent visits in the near future so that students must develop an interest in science, engineering, and technology. This visit was coordinated by Dr. Saurav from the Civil Engineering department while other faculty members from various other departments helped in the overall organization of this important visit to the students.
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने शिमला में हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की। इस अवसर पर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को टोपी शॉल पहनाकर सम्मानित किया और उनका हिमाचल आगमन पर स्वागत किया। इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप भी उनके साथ उपस्थित रहे। सभी नेताओं की हिमाचल को लेकर सकारात्मक चर्चा हुई और हिमाचल की प्रगति को लेकर किस प्रकार से आगे बढ़ना है उसको लेकर भी कई विषयों पर चर्चा की गई।