लेह-दिल्ली बस सेवा कमाई के नए रिकॉर्ड बना रही है। यह रूट एचआरसीटी का कमाऊपूत बना गया है। इस रूट पर एचआरटीसी को रोजाना औसतन 1.25 लाख रुपये की कमाई हो रही है। अब तक एचआरटीसी को किसी भी रूट पर एक दिन में इतनी कमाई नहीं हुई है। इधर, इतनी कमाई और यात्रियों की मांग पर लेह-दिल्ली रूट पर एक अतिरिक्त बस सेवा चलाने के लिए भी निगम काम कर रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण केलांग में रात्रि ठहराव को बंद किया जाना बताया जा रहा है। एचआरटीसी ने यात्रियों की सुविधा के लिए पहली बार केलांग में रात्रि ठहराव बंद कर दिया है। स्थानीय लोगों की मांग पर निगम की ओर से लिए गए इस फैसले से जहां यात्रियों का एक दिन का सफर कम हुआ है वहीं केलांग में रात्रि ठहराव के खर्चे की भी बचत हुई है। अटल टनल रोहतांग से होकर वाहनों की आवाजाही शुरू होने से पहले यह बस दिल्ली से केलांग और केलांग से लेह रूट पर चलती थी। रोहतांग दर्रे से होकर गुजरने में बस को अतिरिक्त समय लगता था। अटल टनल से होकर आवाजाही शुरू होने के बाद परिवहन निगम ने लोगों की सुविधा के लिए यह बस सेवा लेह से दिल्ली वाया केलांग सीधे रूट पर चला दी है, जिससे रात्रि ठहराव की समस्या खत्म हो गई है। एचआरटीसी के महाप्रबंधक पंकज सिंघल ने बताया की केलांग रात्रि ठहराव बंद होने के बाद पहले दिन अप-डाउन में इस बस ने 1.20 लाख कमाई की। रविवार को अप-डाउन की कमाई 1.32 लाख दर्ज हुई। रोजाना बस औसतन 1.25 लाख कमाई कर रही है। सामान्य बस सेवा का यह सबसे अधिक कमाई वाला रूट बन गया है। लेह से दिल्ली का एक ओर का किराया 1,657 रुपये है। लेह के लिए दिल्ली और चंडीगढ़ से फ्लाइट की सुविधा है। दिल्ली से लेह का फ्लाइट का न्यूनतम किराया 2,699 है। आईटीबीपी के जवान सर्वेश्वर लाहन ने बताया कि लेह से दिल्ली के लिए सीधी बस सेवा शुरू होने से समय की बचत हुई और वह दिल्ली से असम के लिए निर्धारित समय पर ट्रेन पकड़ पाए। एचआरटीसी प्रबंधन मौजूदा समय में इस रूट पर 37 सीटर बस का संचालन कर रहा है। बारालाचा के पास बीआरओ ने हिमखंड काटने का काम युद्ध स्तर पर चला रखा है। सड़क की चौड़ाई बढ़ने के बाद निगम इस रूट पर 47 सीटर बस सेवा शुरू करने की तैयारी में है। लेह-दिल्ली रूट पर केलांग में बिना रात्रि ठहराव के बस चलाई जा रही है। इससे यात्रियों का एक दिन सफर और एक रात ठहराव का खर्चा बचा है। एचआरटीसी यात्रियों का सफर सुविधाजनक बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
झारखंड के किसानों के लिए बड़ी खबर है। राज्य के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने बड़ा ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी गठबंधन सरकार किसानों के दो लाख रुपये तक के कृषि ऋण यानी एग्रीकल्चर लोन माफ और फ्री बिजली कोटा को बढ़ाकर 200 यूनिट करेगी। इसके लिए उन्होंने बैकों से प्रस्ताव पेश करने को कहा है। डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के उद्घाटन एवं आधारशिला रखने के लिए जमशेदपुर के गांधी मैदान में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए सोरेन ने कहा, “हमने पहले भी किसानों का 40,000 रुपये का कर्ज माफ किया है और इसे बढ़ाकर 2 लाख रुपये करने की योजना बना रहे हैं। इसी तरह, 125 यूनिट मुफ्त बिजली के मौजूदा आधार को बढ़ाकर 200 यूनिट किया जाएगा। सोरेन ने बेरोजगार युवाओं को स्थायी आजीविका के लिए बिजनेस शुरू करने के लिए 40 प्रतिशत सब्सिडी के साथ 25 लाख रुपये का लोन देने की सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने लोगों से कहा कि 40,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है और सितंबर तक पूरी हो जाएगी, साथ ही जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा शिक्षकों की भर्ती अगले महीने शुरू होगी। उन्होंने मौजूदा गठबंधन सरकार की नीतियों की तुलना पिछली भाजपा सरकार की नीतियों से की और आरोप लगाया कि 5,000 प्राइमरी स्कूल बंद कर दिए गए हैं, जबकि गठबंधन सरकार द्वारा राज्य भर में आदर्श स्कूल स्थापित किए जाने पर प्रकाश डाला।
दिल्ली में पीने की पानी की समस्या को लेकर भाजपा आज अरविंद केजरीवाल सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी। पानी की समस्या को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों एक दूसरे को आरोप लगा रहे हैं। इसे लेकर भाजपा ने आज सोमवार को 52 स्थानों पर प्रदर्शन की घोषणा की है। इन विरोध प्रदर्शनों में भाजपा सांसद विधायक पदाधिकारी पार्षद आदि शामिल होंगे। भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं ने दिल्ली के सभी 14 संगठनात्मक जिलों में प्रदर्शन किया था। सोमवार को 52 स्थानों पर प्रदर्शन की घोषणा की गई है। दिल्ली सरकार की जल मंत्री भाजपा पर पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा रही हैं। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, दिल्ली सरकार पाइपलाइनों में रिसाव ठीक करने और पानी की चोरी रोकने में असफल रही है। इस समस्या को दूर करने की जगह जल मंत्री आतिशी भाजपा पर रिसाव का आरोप लगाने की कोशिश कर रही हैं। यह निंदनीय है। आप सरकार को अपना काम करना चाहिए। अपनी नाकामी छिपाने के लिए वह भाजपा पर तथ्यहीन आरोप लगा रही है। उन्होंने बताया सोमवार को सुबह 9.30 से 11 बजे तक भाजपा कार्यकर्ता केजरीवाल सरकार की रिसाव और पानी की चोरी को रोकने में विफलता के विरोध में शहर में 52 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। भाजपा सांसद, विधायक, पदाधिकारी, पार्षद आदि विरोध प्रदर्शनों में सम्मिलित होंगे।
कोलकाता जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस बंगाल के सिलीगुड़ी में मालगाड़ी से टकरा गई है। इस हादसे में अब तक 5 लोगों की मौ*त की खबर है और 30 लोगों के घाय*ल होने की खबर है। वहीं पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस हादसे पर दुख जताते हुए पोस्ट किया है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा ‘दार्जिलिंग जिले के फांसीदेवा इलाके में एक दुखद रेल दुर्घटना के बारे में जानकर स्तब्ध हूं’ उन्होंने अपने पोस्ट में आगे लिखा ‘विस्तृत जानकारी का इंतज़ार है, बताया जा रहा है कि कंचनजंगा एक्सप्रेस को एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी है। राहत, बचाव, चिकित्सा सहायता के लिए डीएम, एसपी, डॉक्टर, एम्बुलेंस और आपदा दल घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। युद्धस्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। यह हादसा बिहार से सटे किशनगंज के पास हुआ है। इसके साथ ही रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपनी पोस्ट में लिखा ‘एनएफआर जोन में दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना हुई है। बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। रेलवे, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ मिलकर काम कर रहे हैं। घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए है। सिलीगुड़ी में सुबह से ही भारी बारिश हो रही है और बचाव कार्य में भी बाधा आ रही है, जिस लाइन पर हादसा हुआ, वह कोलकाता से सिलीगुड़ी तक का मुख्य रेल संपर्क मार्ग है। इसके चलते लंबी दूरी की रेल सेवाएं अस्थायी रूप से रोक दी गई हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार एन जे पी से सियालदाह जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस रंगापानी और निजबाड़ी के बीच दुर्घटनाग्रस्त हुई है। कंचनजंगा एक्सप्रेस गाड़ी खड़ी थी तभी मालगाड़ी ने पीछे से आकर ठोक दिया। इस हादसे में ट्रेन की तीन बोगियां बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। अभी तक इस हादसे में 5 लोगों की मौ*त की सूचना है। लेकिन इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। फिलहाल घायल यात्रियों को निकटवर्ती अस्पतालों में पहुंचाने के प्रयास जारी हैं तथा वरिष्ठ अधिकारी कार्रवाई की निगरानी के लिए घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। सीपीआरओ/एनएफआर ने इस दुर्घटना की पुष्टि की है। सीपीआरओ ने एक बयान में कहा है कि न्यू जलपाईगुड़ी के पास कंचनजंगा के पीछे से टक्कर की खबर मिली है। फिलहाल दुर्घटना में कितने घाय*ल हुए हैं और कितने लोगों की हताहत की खबर है इसके विवरण की प्रतीक्षित की जा रही है।
दिल्ली में लोगों को इस समय दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। तपती दिल्ली में पेयजल संकट परेशान कर रहा है। कई इलाके पानी की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं। इस बीच दिल्ली की जलमंत्री आतिशी का बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में पानी की परेशानी बढ़ाने के लिए पाइपलाइन काटने की साजिश हो रही है। इस षड्यंत्र के कारण साउथ दिल्ली में आज 25% पानी की कमी हुई है। आतिशी ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखा है। उन्होंने दिल्ली में मुख्य वाटर पाइपलाइन को सुरक्षा देने का आग्रह किया है। जल संकट के बीच जल मंत्री आतिशी ने शनिवार को अधिकारियों के साथ आपात बैठक कर समस्या दूर करने का आदेश दिया। साथ ही, जरूरत के आधार पर पानी के टैंकरों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए। इसके अलावा जलापूर्ति बेहतर बनाने के लिए हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू से फोन पर बातचीत भी की। उन्होंने हर संभव मदद का आश्वासन दिया। बैठक के बाद आतिशी ने बताया कि दिल्ली में जलसंकट की स्थिति बढ़ रही है। हरियाणा से पर्याप्त पानी नहीं मिलने से उत्पादन 70 एमजीडी तक घट गया है। 932 एमजीडी उत्पादन ही हो रहा है। वजीराबाद बैराज का जलस्तर सामान्य से 6 फीट घटकर 668.5 फीट पर पहुंच गया है। मुनक नहर से मिलने वाला पानी भी घटकर 902 क्यूसेक पहुंच गया है। कच्चा पानी मिलने में आई दिक्कत के बाद जल शोधन संयंत्र पर असर पड़ा है। इस समस्या से निपटने के लिए पश्चिमी दिल्ली के कई हिस्सों में बोरवेल को यूजीआर से जोड़ा गया है। साथ ही, जलबोर्ड ने दिल्ली में टैंकरों के फेरे बढ़ाकर प्रतिदिन 10 हजार कर दिया है। जल बोर्ड करीब 10 एमजीडी पानी टैंकरों से सप्लाई कर रहा है। आतिशी ने अपील की कि हिमाचल से मिलने वाले पानी पर जब तक अपर यमुना रिवर बोर्ड का निर्देश नहीं आ जाता तब तक हरियाणा दिल्ली को कुछ अतिरिक्त पानी दे। दिल्ली के लोग भी पानी बर्बाद न करें। यदि कहीं लीकेज दिखे तो तुरंत सोशल मीडिया पर खबर दें। इस पर तुरंत संज्ञान लेंगे। आतिशी ने बताया कि वजीराबाद बैराज और मुनक नहर से मिलने वाले पानी की मात्रा कम होने से दिल्ली के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से कम उत्पादन हो रहा है। सामान्य रूप से रोजाना इन प्लांट से 1005 एमजीडी पानी का उत्पादन होता है। जल संकट से राहत दिलाने की मांग को लेकर आप विधायकों ने शनिवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल को पत्र लिखा है। विधायकों ने मांग रखी है कि दिल्ली को जल संकट से उबारने के लिए दिल्ली सरकार हर प्रयास कर रही है, लेकिन यमुना में पानी की उपलब्धता कम होने से दिल्ली की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं। यह पूरा मामला हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच का है। अगर सीआर पाटिल इंटर स्टेट कोआर्डिनेशन की जिम्मेदारी उठा लें तो दिल्ली को जल संकट से उबारा जा सकता है। विधायकों ने मंत्री से रविवार को मिलने का समय भी मांगा। विधायक दिलीप पांडे ने कहा कि हमें उम्मीद है कि सीआर पाटिल इस मामले में दखल देकर दिल्ली को जल्द राहत दिलाएंगे। आज दिल्ली के आप विधायक केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मिलने पहुंचे। हालांकि उनसे मुलाकात नहीं हुई है। आप विधायकों ने बताया कि हमने उनके आवास, कार्यालय और अन्य सभी माध्यमों से पत्र दे दिया है।
विधानसभा क्षेत्र नालागढ़, देहरा और हमीरपुर में होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस का टिकट किसे दिया जाए, इसे लेकर हाईकमान से चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू शुक्रवार को दिल्ली जाएंगे। देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ में दस जुलाई को विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान होना है। नालागढ़ से हरदीप बावा का नाम लगभग तय माना जा रहा है। देहरा और हमीरपुर से प्रत्याशी तय करने के लिए संभावित प्रत्याशियों के नामों के पैनल बनाए गए हैं। शुक्रवार को हाईकमान से चर्चा के बाद कांग्रेस के तीनों प्रत्याशियों की सूची दो-तीन दिनों में जारी हो सकती है। उधर, शुक्रवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू शिमला से बाहर होने के कारण आम जनता से नहीं मिल पाएंगे। मुख्यमंत्री ने हर सप्ताह के शुक्रवार को जनता दरबार लगाने का फैसला लिया हुआ है। मुख्यमंत्री के गृह जिला हमीरपुर की सीट से टिकट दावेदारों की संख्या सबसे अधिक है। यहां से पूर्व विधायक अनिता वर्मा, कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष कुलदीप पठानिया, पूर्व प्रत्याशी डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा, राजीव राणा और मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार सुनील कुमार बिट्टू के बीच मुकाबला चल रहा है। विगत विधानसभा चुनाव में डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा ने यहां से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा था। देहरा से पूर्व प्रत्याशी डॉ. राजेश शर्मा और नरदेव कंवर के नाम को लेकर चर्चा हो रही है। अन्य दावेदारों को भी यहां तलाशा जा रहा है। नालागढ़ से पूर्व प्रत्याशी हरदीप बावा को टिकट मिल सकता है। यहां कांग्रेस के पास बहुत अधिक विकल्प नहीं है। उधर, पार्टी प्रत्याशी तय करने से पहले तीनों विधानसभा क्षेत्रों के ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों, जिला पदाधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं से भी चर्चा की जाएगी। दिल्ली से लौटकर मुख्यमंत्री सुक्खू प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री से बैठक करने के बाद हाईकमान को अपनी रिपोर्ट भेजेंगे। इसके बाद ही प्रत्याशियों को लेकर अंतिम फैसला होगा।
जम्मू संभाग में चार दिन में चार आतंकी हमलों के बाद पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन ने कहा है कि पाकिस्तान भाड़े के आतंकियों के जरिए प्रदेश के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सुरक्षाबल दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए दृढ़ संकल्प है। वह माता वैष्णो देवी मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों के आधार शिविर के आध्यात्मिक केंद्र में रियासी जिले में सुरक्षा की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की। डीजीपी ने बैठक के बाद वीरवार को संवादादाताओं के साथ बातचीत में आतंकवादियों का समर्थन करने वाले स्थानीय लोगों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसे लोग अपने फैसले पर पछताएंगे। उन्होंने कहा, इन लोगों के पास परिवार, जमीन और नौकरियां हैं, जबकि पाकिस्तानी आतंकियों के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। दुश्मनों के एजेंट स्थानीय लोग पैसे और नशीले पदार्थों के लिए ऐसा विदेशी आतंकियों की मदद कर रहे हैं। उनकी पहचान की जाएगी और उनसे सख्ती से निपटा जाएगा। हम उन्हें चेतावनी देना चाहते हैं कि (विदेशी) आतंकवादी मारे जाएंगे... लेकिन जो लोग उनका समर्थन कर रहे हैं, उन्हें पछताना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि विदेशी आतंकवादियों के पास कोई नहीं है, चाहे उनके बच्चे हों या नहीं। हमें नहीं पता कि वे जेलों से उठाकर किसे यहां भेज रहे हैं। डीजीपी ने कहा कि सुरक्षा बल शांति बनाए रखने और जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्पित और वचनबद्ध हैं। डीजीपी ने कहा, आतंकवाद ने 1995 में जम्मू क्षेत्र खासकर डोडा और रामबन में अपने पैर पसारे, लेकिन 2005 तक यह पूरी तरह से खत्म हो गया। अगर हम इसी तरह की चुनौती का सामना करते हैं, तो निश्चिंत रहें कि उन्हें मुंहतोड़ जवाब देने और शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए उन्हें एक-एक करके मारने के लिए प्रतिबद्ध और वचनबद्ध हैं। वैष्णो देवी व अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा प्रबंध बढ़ाने के निर्देश दिए। अधिकारियों से कहा गया कि वह इन दोनों महत्वपूर्ण यात्राओं को लेकर पूरी तरह से सतर्क रहें। ताकि श्रद्धालु भय मुक्त होकर लगातार अपनी यात्रा करते रहें। इसके साथ ही मां वैष्णो देवी भवन से लेकर धर्मनगरी कटड़ा सहित आसपास के क्षेत्र में और ज्यादा सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के आदेश दिए हैं।
कुवैत अग्निकांड में मारे गए भारतीयों का श*व स्वदेश लाया गया है। जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को कुवैत में आग लगने की घटना में मारे गए 45 भारतीयों के श*वों को लेकर वायुसेना का एक विशेष विमान कोच्चि पहुंचा। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह भी विमान में सवार थे, जिन्होंने तेजी से वापसी सुनिश्चित करने के लिए कुवैती अधिकारियों के साथ समन्वय किया। भारत ने कुवैत में विदेशी श्रमिकों के आवास वाली एक इमारत में लगी भीषण आग में मारे गए भारतीयों के श*वों को वापस लाने के लिए बीती रात एक सैन्य परिवहन विमान वहां भेजा गया था। इससे पहले कुवैत के अधिकारियों की ओर से जानकारी दी गई कि अग्निकांड में मारे गए 45 भारतीयों के श*वों की पहचान कर ली गई। आग में कम से कम 49 प्रवासी श्रमिकों की मौ* त हो गई और 50 अन्य लोग घाय*ल हो गए। वायुसेना का विमान सबसे पहले कोच्चि में उतरा क्योंकि अधिकांश पीड़ित केरल के हैं। उसके बाद विमान के दिल्ली आने की उम्मीद है क्योंकि कुछ मृत*क उत्तर भारतीय राज्यों से भी हैं। कोच्चि एयरपोर्ट पर एंबुलेंस तैनात किया गया था। कुवैत के अग्निशमन बल की ओर से कहा गया कि भीषण आग विद्युत ‘शॉर्ट सर्किट’ की वजह से लगी थी। केंद्र सरकार ने विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह को आग में झुलसे भारतीयों की सहायता की निगरानी करने और मारे गए लोगों के श*वों को शीघ्र स्वदेश लाए जाने के लिए कुवैत भेजा था। विदेश मंत्रालय ने बुधवार रात एक बयान जारी किया था और कहा था कि कुवैत के मंगाफ क्षेत्र में एक आवासीय इमारत में आग लगने की एक दुर्भाग्यपूर्ण एवं दुखद घटना में मारे गए लोगों में से करीब 40 के बारे में माना जा रहा है कि वे भारतीय थे। कुवैत अग्निकांड में जान गंवाने वालों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये लुलु समूह देगा। कुवैत में मरने वालों में तीन उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। सरकार ने दूतावास से संपर्क किया। कुवैत में आग की घटना में तमिलनाडु के सात लोगों की मौ*त हुई है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने राहत की घोषणा की है।
NEET एग्जाम में गड़बड़ियों को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्र की ओर से प्रस्ताव रखा गया कि ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 कैंडिडेट के स्कोरकार्ड निरस्त होंगे। इसके बाद बिना ग्रेस मार्क्स के स्कोर कार्ड जारी किए जाएंगे। इन कैंडिडेट्स के लिए 23 जून को दोबारा परीक्षा कराई जाएगी। 30 जून से पहले रिजल्ट जारी किया जाएगा। ताकि जुलाई में शुरू होने वाली काउंसलिंग प्रभावित न हो और सभी बच्चों की काउंसलिंग पहले से तय तारीख 6 जुलाई से एकसाथ हो सके। जो कैंडिडेट परीक्षा नहीं देना चाहेगा, उसका रिजल्ट ग्रेस मार्क्स बगैर पुराने स्कोरकार्ड के आधार पर ही माना जाएगा। केंद्र के इस प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट में NEET UG 2024 रिजल्ट को चुनौती देने वाली 3 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इनमें 3 मांग की गई थीं... परीक्षा में गड़बड़ी के आरोपों की जांच SIT-एक्सपर्ट कमेटी करे और मौजूदा रिजल्ट के बेस पर हो रही काउंसलिंग को रोका जाए व NEET परीक्षा रद्द की जाए और एग्जाम दोबारा कराया जाएं। इससे पहले 11 जून को सुप्रीम कोर्ट ने स्टूडेंट शिवांगी मिश्रा और 9 अन्य छात्रों की याचिका पर सुनवाई की थी। इसे रिजल्ट की घोषणा से पहले 1 जून को दायर किया गया था। कैंडिडेट्स ने बिहार और राजस्थान के एग्जाम सेंटर्स पर गलत क्वेश्चन पेपर्स बंटने के चलते हुई गड़बड़ी की शिकायत की थी और परीक्षा रद्द कर SIT जांच की मांग की गई थी। ड़बड़ियों पर दिल्ली HC ने NTA को नोटिस जारी किया वहीं, 12 जून को दिल्ली हाईकोर्ट में NEET UG एग्जाम में ग्रेस मार्क्स देने और कथित पेपर लीक की 4 नई याचिकाओं पर सुनवाई हुई। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने NTA को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 5 जुलाई रखी है।
शेयर बाजार आज यानी 13 जून को ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया है। कारोबार के दौरान सेंसेक्स ने 77,145 और निफ्टी 23,481 ने का स्तर छुआ। अभी सेंसेक्स 200 अंक से ज्यादा की तेजी के साथ 76,800 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। निफ्टी में भी 50 अंक से ज्यादा की तेजी है। ये 23,400 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 19 में तेजी और 11 में गिरावट देखने को मिल रही है। ऑटो और IT शेयर्स में ज्यादा तेजी है। ट्रैवल एग्रीगेटर इक्सिगो की मूल कंपनी ले ट्रैवेन्यूज टेक्नोलॉजी का IPO कुल 98.10 गुना सब्सक्राइब हुआ। यह इनिशियल पब्लिक ऑफर 10 जून से 12 जून को शाम 5 बजे तक ओपन था। रिटेल कैटेगरी में यह इश्यू 53.95, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) में 106.73 और नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) कैटगरी में 110.25 गुना सब्सक्राइब हुआ है।18 जून को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर कंपनी के शेयर लिस्ट होंगे। लिस्ट होने के पहले कंपनी का शेयर ग्रे मार्केट में 40.86% यानी ₹38 प्रति शेयर के प्रीमियम पर पहुंच गया है। ग्रे मार्केट प्राइस (GMP) के हिसाब से देखें तो अपर प्राइस बैंड ₹93 के लिहाज से इसकी लिस्टिंग ₹131 पर हो सकती है। इससे पहले कल यानी 12 जून को निफ्टी ने ऑल टाइम हाई बनाया था। कारोबार के दौरान इसने 23,441 को स्तर छुआ। हालांकि, इसके बाद निफ्टी थोड़ा नीचे आया और 58 अंक की बढ़त के साथ 23,322 पर बंद हुआ था। वहीं सेंसेक्स में भी 149 अंक की तेजी देखने को मिली थी। ये 76,606 के स्तर पर बंद हुआ था।
ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 कैंडिडेट के स्कोरकार्ड निरस्त होंगे। इनके स्कोरकार्ड बिना ग्रेस मार्क्स के ही जारी किए जाएंगे। ऐसे कैंडिडेट्स के लिए दोबारा परीक्षा कराई जाएगी। जो कैंडिडेट परीक्षा नहीं देंगे, उनका रिजल्ट ग्रेस मार्क्स के बिना पुराने स्कोरकार्ड के आधार पर ही माना जाएगा। केंद्र ने सुप्रीम को बताया कि जिन 1,563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, उन्हें 23 जून को दोबारा परीक्षा देने का विकल्प दिया जाएगा। NTA के वकील ने बताया कि दोबारा परीक्षा को लेकर आज ही नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। यह 23 जून को आयोजित की जा सकती है। नतीजे भी जून में ही जारी किए जा सकते हैं, ताकि जुलाई में शुरू होने वाली काउंसलिंग प्रभावित न हो और सभी बच्चों की काउंसलिंग एक साथ हो सके। सुप्रीम कोर्ट में आज NEET-UG 2024 रिजल्ट को चुनौती देने वाली 3 याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। ये याचिकाएं 4 जून को रिजल्ट आने के बाद दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं में मांग है कि परीक्षा में गड़बड़ी के आरोपों की जांच SIT-एक्सपर्ट कमेटी से कराई जाए। साथ ही 4 जून के रिजल्ट के बेस पर हो रही कॉउंसलिंग को रोका जाए। 5 मई को हुई NEET परीक्षा रद्द की जाए और एग्जाम दोबारा कराया जाए। NTA ने 1563 स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स दिए हैं, जिस पर सवाल खड़े किए गए हैं। इससे पहले 11 जून को सुप्रीम कोर्ट ने स्टूडेंट शिवांगी मिश्रा और 9 अन्य छात्रों की याचिका पर सुनवाई की थी। इसे रिजल्ट की घोषणा से पहले 1 जून को दायर किया गया था। कैंडिडेट्स ने बिहार और राजस्थान के एग्जाम सेंटर्स पर गलत क्वेश्चन पेपर्स बंटने के चलते हुई गड़बड़ी की शिकायत की थी और परीक्षा रद्द कर SIT जांच की मांग की गई थी। SC ने NEET काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और NTA को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने नीट-यूजी 2024 में पेपर लीक, ग्रेस मार्किंग सहित अन्य गड़बड़ियों पर सवाल उठाए थे। नोटिस में बेंच ने केंद्र और परीक्षा कराने वाली एजेंसी NTA से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी। वहीं, एनटीए ने कहा है कि परीक्षा सही है।
देश में टिटनेस टॉक्साइड वैक्सीन का सैंपल फेल हो गया है। यह सैंपल जांच के लिए सेंट्रल ड्रग्स लैबोरेटरी (सीडीएल) कसौली की प्रयोगशाला में आया था। जांच के दौरान टिटनेस टॉक्साइड वैक्सीन का सैंपल सीडीएल के मानकों पर खरा नहीं उतरा। प्रयोगशाला की ओर से संबंधित कंपनी को बैच के फेल होने की जानकारी दे दी है। वहीं कंपनी को संबंधित स्टॉक बाजार से वापस मंगवाने के निर्देश भी दे दिए हैं। 2019 के बाद इस बार किसी कंपनी का टिटनेस का इंजेक्शन फेल हुआ है। इसकी पुष्टि सीडीएल की वेबसाइट पर हुई है। हालांकि सीडीएल में इस वर्ष किसी वैक्सीन का यह पहला सैंपल फेल हुआ है। भारत में बनने से लेकर आयात और निर्यात होने वाली सभी प्रकार की वैक्सीन की सीडीएल कसौली में जांच की जाती है। मानव पर प्रयोग से पहले वैक्सीन की गुणवत्ता और नियंत्रण सीडीएल चेक करता है। प्रयोगशाला के मानकों पर खरा न उतरने पर कई वैक्सीन के सैंपल फेल हो जाते हैं। इसके बाद इसकी जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय को दी जाती है। वर्ष 2019 में बीओपीवी वैक्सीन के 25, टीटी वैक्सीन का एक, मेनींगोकोकल वैक्सीन के दो, टाइफायड वैक्सीन एक, रैबिज वैक्सीन का एक, 2020 में रैबिज वैक्सीन का एक, 2021 में कोरोना वायरस वैक्सीन के दो, 2022 में कोरोना वैक्सीन के तीन व रोटावायरस वैक्सीन का एक सैंपल फेल हुआ था। 2023 में मेनींगोकोकल वैक्सीन एक, कोरोना वायरस वैक्सीन का एक, टायफायड वैक्सीन का एक, स्नेक वेनम एंटी सीरम का एक सैंपल फेल हुआ है।
राजधानी दिल्ली में पानी के संकट को लेकर हिमाचल ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। हिमाचल ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर पानी न रोकने की बात कही है। शपथ पत्र में यह भी कहा कि दिल्ली को पेयजल पहुंचाने के लिए यमुना का पानी मापा जाएगा। पानी को मापने के लिए अपर यमुना रिवर बोर्ड (यूआईआरबी) ने टीम की तैनाती की है। इसके सहयोग के लिए हिमाचल सरकार ने भी दो अधिकारी नियुक्त कर लिए है। ये अधिकारी नाहन सर्कल के अधीक्षण अभियंता और योजना एवं अन्वेषण यूनिट 2 के अधीक्षण अभियंता हैं। वह जहां यूआईआरबी की टीम को डाटा उपलब्ध करवाएंगे, वहीं यह निगरानी भी करेंगे कि पानी को ठीक से मापा गया है कि नहीं। इसमें दिल्ली को जलापूर्ति के साथ हिमाचल के हितों को देखा जा रहा है कि नहीं, इस पर भी ध्यान देंगे। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार दिल्ली सरकार के साथ किए गए समझौते के अनुसार दिल्ली को पानी देने के लिए प्रतिबद्ध है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पानी की कमी के चलते हिमाचल को अतिरिक्त पानी छोड़ने के निर्देश दिए हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा स्पष्ट कर चुके हैं कि हिमाचल ने पानी नहीं रोका है। पानी देने के लिए सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। वर्ष 2019 में हिमाचल सरकार और दिल्ली के बीच एमओयू साइन हुआ था। इसके मुताबिक 137 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है। हरियाणा सरकार का आरोप है कि दिल्ली के लोगों की प्यास बुझाने के लिए अभी तक हिमाचल ने 137 क्यूसिक पानी देना आरंभ नहीं किया है। वहीं, हिमाचल के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में कहीं कोई रुकावट नहीं है। जितना भी अतिरिक्त पानी है, उसे दिल्ली के लिए छोड़ा जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में यमुना नदी और इसकी सहायक उपनदियों पर कहीं कोई बांध नहीं है और न ही बैराज है। ऐसे में पानी रोके जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता। हरियाणा के आरोप के बाद अब हिमाचल ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर किया है। जल शक्ति विभाग की इंजीनियर इन चीफ अंजू शर्मा ने कहा कि पानी देने में विभाग को कोई दिक्कत नहीं है। पानी को किसने नहीं रोका है। सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर शपथ पत्र दायर कर दिया है।
गोकुल बुटेल को जर्मनी में फ्रेडरिक नौमान फाउंडेशन फॉर फ्रीडम (FNF) द्वारा आयोजित एक प्रतिष्ठित दो-सप्ताह के सम्मेलन में भाग लेने के लिए नामांकित किया गया है। "डिजिटल दुनिया में स्वतंत्रता की सुरक्षा" थीम वाला यह सम्मेलन 32 विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों को एक साथ लाएगा, जो डिजिटल स्वतंत्रताओं की सुरक्षा के लिए वैश्विक प्रयासों को उजागर करेगा। सम्मेलन का उद्देश्य डिजिटल युग में चुनौतियों और अवसरों को संबोधित करना है, जिसमें एक अत्यधिक जुड़े हुए विश्व में स्वतंत्रता और गोपनीयता के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। विशेषज्ञ, नीति निर्माता, और अधिवक्ता विभिन्न विषयों पर चर्चा करेंगे जिनमें डिजिटल अधिकार, साइबर सुरक्षा, डेटा संरक्षण, और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने में प्रौद्योगिकी की भूमिका शामिल है। गोकुल बुटेल का नामांकन उनके योगदान और क्षेत्र में विशेषज्ञता की महत्वपूर्ण पहचान है। भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए, बुटेल अंतरराष्ट्रीय समकक्षों के साथ संवाद और सहयोग करेंगे, और डिजिटल स्वतंत्रता को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने के लिए अंतर्दृष्टि और रणनीतियों को साझा करेंगे। "इस महत्वपूर्ण सम्मेलन के लिए नामांकित होना और भारत का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए सम्मान की बात है," गोकुल बुटेल ने कहा। "डिजिटल दुनिया हमारी स्वतंत्रताओं के लिए अविश्वसनीय अवसरों और महत्वपूर्ण जोखिमों दोनों को प्रस्तुत करती है। यह आवश्यक है कि हम मिलकर इन स्वतंत्रताओं की सुरक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि प्रौद्योगिकी एक अच्छी ताकत के रूप में कार्य करे। "सम्मेलन नेटवर्किंग, ज्ञान विनिमय, और डिजिटल स्वतंत्रता की चुनौतियों को संबोधित करने के लिए व्यावहारिक योजनाओं के विकास के लिए एक मंच प्रदान करेगा। प्रतिभागियों के पास केस स्टडीज से सीखने, कार्यशालाओं में भाग लेने, और नीति सिफारिशों में योगदान करने का अवसर होगा। एफएनएफ, जो उदार लोकतंत्र, व्यक्तिगत अधिकारों, और मुक्त बाजारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है, इस सम्मेलन के माध्यम से डिजिटल स्वतंत्रता मुद्दों की वैश्विक समझ को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है। विविध प्रतिनिधियों के समूह को एक साथ लाकर, एफएनएफ डिजिटल स्वतंत्रताओं की सुरक्षा के लिए नवीन समाधानों और सहयोगात्मक प्रयासों को प्रेरित करने की आशा करता है। फ्रेडरिक नौमान फाउंडेशन फॉर फ्रीडम (FNF) एक जर्मन फाउंडेशन है जो उदार लोकतंत्र, व्यक्तिगत अधिकारों, और मुक्त बाजारों को बढ़ावा देता है। FNF घटनाओं, सम्मेलनों, और कार्यक्रमों का आयोजन करता है ताकि दुनिया भर में स्वतंत्रता और लोकतंत्र को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर संवाद और समझ को बढ़ावा दिया जा सके। गोकुल बुटेल को जर्मनी में फ्रेडरिक नौमान फाउंडेशन फॉर फ्रीडम (FNF) द्वारा आयोजित एक प्रतिष्ठित दो-सप्ताह के सम्मेलन में भाग लेने के लिए नामांकित किया गया है। "डिजिटल दुनिया में स्वतंत्रता की सुरक्षा" थीम वाला यह सम्मेलन 32 विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों को एक साथ लाएगा, जो डिजिटल स्वतंत्रताओं की सुरक्षा के लिए वैश्विक प्रयासों को उजागर करेगा। सम्मेलन का उद्देश्य डिजिटल युग में चुनौतियों और अवसरों को संबोधित करना है, जिसमें एक अत्यधिक जुड़े हुए विश्व में स्वतंत्रता और गोपनीयता के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। विशेषज्ञ, नीति निर्माता, और अधिवक्ता विभिन्न विषयों पर चर्चा करेंगे जिनमें डिजिटल अधिकार, साइबर सुरक्षा, डेटा संरक्षण, और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने में प्रौद्योगिकी की भूमिका शामिल है। गोकुल बुटेल का नामांकन उनके योगदान और क्षेत्र में विशेषज्ञता की महत्वपूर्ण पहचान है। भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए, बुटेल अंतरराष्ट्रीय समकक्षों के साथ संवाद और सहयोग करेंगे, और डिजिटल स्वतंत्रता को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने के लिए अंतर्दृष्टि और रणनीतियों को साझा करेंगे। "इस महत्वपूर्ण सम्मेलन के लिए नामांकित होना और भारत का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए सम्मान की बात है," गोकुल बुटेल ने कहा। "डिजिटल दुनिया हमारी स्वतंत्रताओं के लिए अविश्वसनीय अवसरों और महत्वपूर्ण जोखिमों दोनों को प्रस्तुत करती है। यह आवश्यक है कि हम मिलकर इन स्वतंत्रताओं की सुरक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि प्रौद्योगिकी एक अच्छी ताकत के रूप में कार्य करे। "सम्मेलन नेटवर्किंग, ज्ञान विनिमय, और डिजिटल स्वतंत्रता की चुनौतियों को संबोधित करने के लिए व्यावहारिक योजनाओं के विकास के लिए एक मंच प्रदान करेगा। प्रतिभागियों के पास केस स्टडीज से सीखने, कार्यशालाओं में भाग लेने, और नीति सिफारिशों में योगदान करने का अवसर होगा। एफएनएफ, जो उदार लोकतंत्र, व्यक्तिगत अधिकारों, और मुक्त बाजारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है, इस सम्मेलन के माध्यम से डिजिटल स्वतंत्रता मुद्दों की वैश्विक समझ को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है। विविध प्रतिनिधियों के समूह को एक साथ लाकर, एफएनएफ डिजिटल स्वतंत्रताओं की सुरक्षा के लिए नवीन समाधानों और सहयोगात्मक प्रयासों को प्रेरित करने की आशा करता है। फ्रेडरिक नौमान फाउंडेशन फॉर फ्रीडम (FNF) एक जर्मन फाउंडेशन है जो उदार लोकतंत्र, व्यक्तिगत अधिकारों, और मुक्त बाजारों को बढ़ावा देता है। FNF घटनाओं, सम्मेलनों, और कार्यक्रमों का आयोजन करता है ताकि दुनिया भर में स्वतंत्रता और लोकतंत्र को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर संवाद और समझ को बढ़ावा दिया जा सके।
नरेंद्र मोदी आज प्रधानमंत्री पद की तीसरी बार शपथ ग्रहण करने जा रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस ने नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) को खतरनाक करार दिया। सबसे पुरानी पार्टी ने कहा कि मोदी आज शाम नरेंद्र डेस्ट्रक्टिव एलायंस यानी एनडीए के नेता के रूप शपथ लेंगे। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, 'क्या आप लोगों को 28 मई, 2023 का दिन याद है? यह वह दिन था जब नरेंद्र मोदी नए संसद भवन में उस सेंगोल के साथ आए थे, जिसके लिए 15 अगस्त 1947 का इतिहास गढ़ा गया था। यह न केवल मोदी के सम्राट होने के ढोंग को सही ठहराने के लिए बल्कि तमिल मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए किया गया था।' उन्होंने आगे कहा, 'उस दिन ही मैंने दस्तावेजों का इस्तेमाल करके मोदी के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया था।' कहा, 'हमें पता है उस ड्रामे का नतीजा क्या निकला। सेंगोल तमिल इतिहास का एक सम्मानित प्रतीक है। तमिल मतदाताओं और वास्तव में भारत के मतदाताओं ने मोदी के ढोंग को सिरे से नकार दिया। रमेश ने कहा कि उन्होंने झूठा दावा किया कि 1982 में एटनबरो द्वारा बनाई गई फिल्म से पहले महात्मा गांधी को दुनिया जानती ही नहीं थी। सिलसिलेवार वह वाराणसी, अहमदाबाद और अन्य जगहों पर गांधीवादी संस्थाओं को ध्वस्त और नष्ट कर रहे है। एक-तिहाई प्रधानमंत्री के दोगलेपन की शायद ही विश्व में कोई और बराबरी कर सकता है ।
तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य आज दिल्ली में पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार मजबूती के साथ पांच साल चलेगी। 10 सांसद भाजपा में और आ चुके हैं और जल्द ही भाजपा अपने बलबूते पूर्ण बहुमत प्राप्त कर लेगी। कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनना उनके लिए सबसे खुशी की बात है। कहा ,नरेंद्र मोदी एक कुशल प्रशासक और सफल प्रधानमंत्री हैं। उनका तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेना राम विरोधियों, धर्म विरोधियों और राष्ट्र विरोधियों के मुंह पर एक तमाचा है। उन्होंने पहले भी अच्छा काम किया और आगे भी अच्छा काम करेंगे।
मोदी सरकार 3.0 शपथ लेने को तैयार है। नरेंद्र मोदी आज तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। इस बार शपथ ग्रहण कई मायनों में खास होगा क्योंकि इसमें न सिर्फ पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल होंगे, बल्कि समाज के हर वर्ग के महत्वपूर्ण लोगों को न्योता दिया गया है। राष्ट्रपति भवन का प्रांगण तीसरी बार प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण का साक्षी होगा। इसके साथ ही मोदी पंडित नेहरू के लगातार तीन बार पीएम पद की शपथ लेने के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे। दुनिया भर से आए अतिथियों के स्वागत के लिए रेड कारपेट बिछाया गया है। इस समारोह के लिए विदेशी नेताओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है।
आज लोकतंत्र के पर्व का खास दिन है क्योंकि नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। जवाहरलाल नेहरू के बाद हैट्रिक बनाने वाले वो दूसरे प्रधानमंत्री बन जाएंगे। शाम 7.15 बजे मोदी 3.0 का शपथग्रहण आयोजित होना है, जिसमें कई विदेशी मेहमान भी शामिल हैं। इस बीच नए संभावित मंत्रियों को शपथ के लिए फोन जाने लगा है। सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति (CCS) में शामिल चार मंत्रालयों- गृह, रक्षा, वित्त और विदेश जैसे अहम मंत्रालय सहयोगी दलों को नहीं दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, जो मंत्रालय बीजेपी अपने पास रखेगी, उनमें गृह मंत्रालय वित्त मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और रक्षा जैसे मंत्रालय अपने पास रखेगी। ये सभी ऐसे मंत्रालय हैं जो मोदी सरकार के पिछले दो कार्यकाल के दौरान बीजेपी के पास ही थे। जिन पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को अभी तक कॉल गया है उनमें राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल, अश्विनी वैष्णव, मनसुख मांडविया, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नितिन गडकरी, जितेंद्र सिंह जैसे मंत्री शामिल हैं।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने कांस्टेबल के 1,226 पद भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लोक सेवा आयोग के माध्यम से यह भर्ती होगी। पुलिस मुख्यालय ने इसके नियम बना लिए थे, लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव को लेकर प्रदेश में लागू आदर्श आचार संहिता के चलते भर्ती प्रक्रिया रुकी थी। प्रदेश सरकार की ओर से तय नियमों की अधिसूचना जारी की गई थी। इसके अनुसार भर्ती में महिलाओं को 30 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। इससे पहले महिलाओं को 25 फीसदी आरक्षण मिल रहा था। 818 पद पुरुष, 351 महिला कांस्टेबल और 57 पद पुरुष चालकों के भरे जान हैं। तृतीय श्रेणी के ये सभी पद सीधी भर्ती के तहत हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से भरे जाएंगे। भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के दृष्टिगत इन पदों के लिए लिखित परीक्षा आयोग के माध्यम से करवाने का निर्णय लिया गया है। ये सभी पद संबंधित जिला के जनसंख्या अनुपात और आरक्षण रोस्टर के अनुसार भरे जाएंगे। बिलासपुर से 46 पद पुरुष कांस्टेबल, 19 पद महिला कांस्टेबल और तीन पद चालक के भरे जाएंगे। चंबा से 62 पद पुरुष और 27 पद महिला कांस्टेबल और चार पद चालक, हमीरपुर से 54 पद पुरुष, 23 पद महिला कांस्टेबल, चार पद चालक के भरे जाएंगे। कांगड़ा से 180 पद पुरुष, 77 पद महिला कांस्टेबल, 12 पद चालक, किन्नौर से 10 पद पुरुष, चार पद महिला कांस्टेबल, एक पद चालक, कुल्लू से 52 पद पुरुष, 22 पद महिला कांस्टेबल के भरे जाएंगे। इसी तरह चार पद चालक, लाहौल-स्पीति से चार पद पुरुष, दो पद महिला कांस्टेबल, मंडी से 119 पद पुरुष, 51 पद महिला कांस्टेबल और आठ पद चालकों के भरे जाएंगे। इसी तरह शिमला में 97 पद पुरुष कांस्टेबल, 42 पद महिला कांस्टेबल, सात पद चालक, सिरमौर में 63 पद पुरुष, 27 पद महिला कांस्टेबल, पांच पद चालक, सोलन से 69 पद पुरुष, 30 पद महिला कांस्टेबल, पांच पद चालक और ऊना से 62 पद पुरुष, 27 पद महिला कांस्टेबल के और चार पद चालकों के भरे जाएंगे।
हिमाचल में मेडिकल कॉलेजों में नई शिक्षा नीति को लागू करने की कवायद तेज हो गई है। प्रदेश के एकमात्र अटल मेडिकल एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय नेरचौक ने संबद्ध संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों में नई शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने की कवायद तेज कर दी है। एनईपी लागू होने से एमबीबीएस की पढ़ाई अधूरी छोड़ चुके युवाओं को मायूस नहीं होना पड़ेगा। अगर कोई विद्यार्थी एक साल, दो साल या तीन साल बाद डिग्री अधूरी छोड़ता है तो उसे पहली साल के लिए सर्टिफिकेट, दो साल के लिए डिप्लोमा और तीन साल पूरे करने पर डिग्री दी जाएगी। नई व्यवस्था में मेडिकल कॉलेजों में कई प्रकार के कोर्स भी शुरू होंगे, जिससे मेडिकल क्षेत्र में युवाओं के लिए अवसर खुलेंगे। नई व्यवस्था को तुरंत प्रभाव से लागू करने के लिए मेडिकल के वीसी ने समन्वयक भी नियुक्त कर दिए हैं। मल्टी कोर्स और मल्टी डोमेन शुरू करना मेडिकल विश्वविद्यालय के लिए चुनौती भरा रहने वाला है। इसके लिए विवि के परीक्षा नियंत्रक डॉ. प्रवीण कुमार शर्मा को एनईपी लागू करने की जिम्मेवारी सौंपी गई है। परीक्षा नियंत्रक के अलावा विवि के सेक्शन ऑफिसर संजीव कुमार और स्टेनो टाइपिस्ट सुमित कुमार भी एनईपी लागू करने में सहयोग करेंगे। अटल मेडिकल एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय नेरचौक में छह मेडिकल कॉलेज, चार डेंटल कॉलेज, 47 नर्सिंग कॉलेज, चार आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और एक होमोपैथिक मेडिकल कॉलेज है। इसके अलावा कई अन्य निजी मेडिकल संस्थान भी मेडिकल विवि के अधीन हैं। अटल मेडिकल एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय नेरचौक के रजिस्ट्रार अमर सिंह नेगी ने बताया कि विवि यूजीसी के आदेशों का पालन करते हुए नई शिक्षा नीति को लागू करने जा रहा है।आने वाले समय में इससे मेडिकल क्षेत्र में युवाओं को बहुत से लाभ मिलेंगे।
शेयर बाजार में आज तेजी देखने को मिल रही है। सेंसेक्स 800 अंक से ज्यादा की तेजी के साथ 75,200 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। वहीं निफ्टी में भी 250 अंक से ज्यादा की बढ़त है। ये 22,900 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। शुरुआती कारोबार के दौरान सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 26 में बढ़त और 4 में गिरावट देखने को मिल रही है। NTPC और SBI के शेयर में 5% की बढ़त है। वहीं हिंदुस्तान यूनिलीवर के शेयर में 2% की गिरावट है। बुधवार को अमेरिकी बाजार में तेजी देखने को मिली। डाओ जोंस 0.25% चढ़कर 38,807.33 पर बंद हुआ। वहीं S&P 1.18% चढ़कर 5,354.03 और नैस्डेक 1.96% चढ़कर 17,187.91 पर बंद हुआ। वहीं एशियाई बाजारों में भी आज बढ़त देखने को मिल रही है। देश के सबसे बड़े एक्सचेंज NSE ने बुधवार सुबह 9:15 से दोपहर 3:30 बजे तक 1971 करोड़ ऑर्डर और 28.05 करोड़ ट्रेड को प्रोसेस किया। ये एक दिन में ट्रांजेक्शन का वर्ल्ड रिकॉर्ड है। इससे पहले बीते कल यानी 5 जून को सेंसेक्स 2,303 अंक (3.20%) की तेजी के साथ 74,382 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं निफ्टी में भी 735 अंक (3.36%) की बढ़त रही। ये 22,620.35 के स्तर पर बंद हुआ था। 4 जून को सेंसेक्स 4389 अंक (5.74%) की गिरावट के साथ 72,079 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं, निफ्टी में भी 1,379 अंक (5.93%) की गिरावट रही, ये 21,884 के स्तर पर बंद हुआ था।
इन चुनावों में एग्जिट पोल की ही पोल खुल गई। एक या दो नहीं इस बार तमाम एग्जिट पोल में पीएम नरेंद्र मोदी की लहर के संकेत दिए गए थे। एक्सिस माई इंडिया, C वोटर, टुडे चाणक्य, सीएनएक्स, टाइम्स नाउ, ETG इत्यादि तमाम एग्जिट पोल देश में NDA को प्रचंड बहुमत दिला रहे थे मगर ये पोल वास्तविकता से कहीं दूर निकले। 400 पार तो दूर बीजेपी अपने खुद के बलबूते सरकार भी नहीं बना पा रही हैं। पूरा दारमदार सहयोगी दलों पर निर्भर कर रहा है। इन नतीजों ने साबित कर दिया कि सटीक भविष्यवाणी का दावा करने वाले तथाकथित एक्सपर्ट का अपने एग्जिट पोल को लेकर कोई ठोस आधार नहीं था। हर एग्जिट पोल में NDA को 350 से ज्यादा और बीजेपी को 300 से ज्यादा सीटें दी गई थीं। अब कोई इन पोल्स को बड़ा फ्रॉड कह रहा है तो कोई बड़ी गलती, मगर असल में इतना बड़ा फेलियर हुआ कैसे ये सबसे बड़ा सवाल है। इस पोल से नुक़सान हुआ उन तमाम इन्वेस्टर्स का जिन्होंने एग्जिट पोल के बाद स्टॉक मार्केट में पैसा लगाया और नतीजे आते ही जिनका पैसा डूब गया। वैसे सिर्फ एग्जिट पोल ही नहीं दावी तो प्रशांत किशोर के भी हवा-हवाई ही निकले है। प्रशांत किशोर का अनुमान था कि इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी अकेले दम पर 303 सीटें जीत सकती है या नतीजे 2019 से अच्छे हो सकते हैं। यानी असल परिस्थिति से प्रशांत किशोर भी राब्ता नहीं रखते थे।
**अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में 16वें वित्त आयोग ने किया पहली बैठक का आयोजन **हिमाचल प्रदेश से होगी राज्यों के दौरे की शुरुआत भारत सरकार का 16वां वित्त आयोग इस बार हिमाचल प्रदेश से देश के सभी राज्यों के दौरे की शुरुआत कर रहा है और 24 और 25 जून, 2024 को हिमाचल के दौरे पर रहेगा। वित्त आयोग की टीम इन दो दिनों में शिमला में राज्य सरकार के साथ बैठक करेगी और प्रदेश का दौरा भी करेगी। इससे पहले जून के पहले सप्ताह में ही राज्य सरकार को अपना मेमोरेंडम तैयार कर वित्त आयोग के पोर्टल पर अपलोड करना होगा। इस दौरे की तैयारी के लिए मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना में दो दिन पहले ही अपने अफसरों की टीम के साथ बैठक की है। केंद्र सरकार ने नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिय़ा की अध्यक्षता में 16वें वित्त आयोग का गठन किया है। इसमें चार अन्य सदस्य नियुक्त किए गए हैं, जिनमें से तीन फुल टाइम मेंबर हैं। 16वें वित्त आयोग को 31 अक्तूबर, 2025 तक अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार को देनी हैं, जो पहली अप्रैल, 2026 से सभी राज्यों पर लागू होंगी। हिमाचल के लिए 16वें वित्त आयोग का यह दौरा काफी अहम रहने वाला है। हिमाचल को केंद्र से राजस्व घाटा अनुदान यानी रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट मिलती है, जो 15वें वित्त आयोग ने 37,199 करोड़ दी थी। हालांकि यह अनुदान हर साल कम हो रहा है, इसीलिए 16वें वित्त आयोग के पीरियड में इस अनुदान को बचाए रखना हिमाचल के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। भाजपा की जयराम ठाकुर सरकार के समय 15वें वित्त आयोग ने पांच साल की अवधि के लिए हिमाचल को 81977 करोड़ रेकमंड किए थे। इनमें 37199 करोड़ रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट, 3049 करोड़ स्थानीय निकायों के लिए और 2258 करोड़ डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए थे। वित्त आयोग की सिफारिश में प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत 2222 करोड़ भी दिए थे। इसी वित्त आयोग ने मंडी में प्रस्तावित एयरपोर्ट के लिए 1000 करोड़ की सिफारिश भी की थी, जिसे भारत सरकार ने बाद में लागू नहीं किया। वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार ही केंद्र राज्यों के बीच आर्थिक संसाधनों का बंटवारा करता है।
**विधानसभा अध्यक्ष ने तीनों के इस्तीफे किए स्वीकार हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने तीन निर्दलीय विधायकों होशियार सिंह, केएल ठाकुर और आशीष शर्मा के इस्तीफे स्वीकार कर दिए हैं। सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में विधानसभा अध्यक्ष ने इसकी जानकारी दी। पठानिया ने कहा कि होशियार सिंह, केएल ठाकुर और आशीष शर्मा से ने 22 मार्च को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था। 23 मार्च को तीनों भाजपा में शामिल हो गए थे। इस संबंध में दल-बदल विरोधी कानून तहत जगत नेगी की याचिका मिली थी और विधानसभा ने भी अपनी ओर से जांच की। जांच के बाद अब तीनों के इस्तीफे स्वीकार कर दिए हैं और आज से तीनों विधानसभा के सदस्य नहीं रहे। पठानिया ने कहा कि हालांकि, दल-बदल विरोधी कानून के तहत मिली याचिका की अंतिम सुनवाई अभी होनी है। उधर, निर्दलियों के इस्तीफे स्वीकार होने के बाद खाली हुई देहरा, नालागढ़ और हमीरपुर विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का रास्ता भी साफ हो गया है।
हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव व विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया खत्म होने के बाद मतगणना की तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं। 4 जून सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू होगी। निर्वाचन विभाग ने प्रदेश के 31 मतगणना केंद्रों पर करीब 4000 कर्मियों की तैनाती की है। मतगणना शुरू होने से पहले कर्मचारियों को काउंटिंग टेबल आवंटित किए जाएंगे। निर्वाचन आयोग के निर्देशों पर मतदान के बाद ईवीएम स्ट्रांग रूम में केंद्रीय सुरक्षा बलों के पहरे में रखी गई हैं। मंगलवार को होने वाली मतगणना से पहले सोमवार को पूर्वाभ्यास भी किया जाएगा। विधानसभा उपचुनाव की 6 सीटों के लिए भी मतों की गिनती मंगलवार को ही होगी। डाक मतपत्रों की गिनती सबसे पहले रिटर्निंग आफिसर की टेबल पर शुरू की जाएगी और उसके बाद ईवीएम के मतों की गिनती होगी। मतगणना की तैयारियों को लेकर रविवार को संसदीय क्षेत्र के लिए तैनात सामान्य पर्यवेक्षकों की निगरानी में रेंडमाइजेशन के दौरान मतगणना पार्टियों का गठन किया गया। राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग ने बताया कि रिटर्निंग अफसरों और जिला निर्वाचन अधिकारियों को चुनाव परिणाम की जानकारी आम लोगों को उपयुक्त माध्यम से प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं।
चारधाम यात्रा को 24 दिन का समय पूरा हो गया है। लेकिन धामों में दर्शन के लिए श्रद्वालुओं की भीड़ कम नहीं हुई है। भीड़ नियंत्रित करने के लिए सरकार ने ऑफलाइन पंजीकरण पर भी रोक लगाई थी। एक जून से फिर से आफलाइन पंजीकरण खोल दिए गए। चारधाम यात्रा प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार अब तक 15.67 लाख श्रद्वालु चारधामों व हेमकुंड साहिब में दर्शन कर चुके हैं। यात्रा के शुरूआती 10 दिन में जहां दर्शन करने वालों की संख्या 5.69 लाख से अधिक थी। वहीं 14 दिन में 9.97 लाख से ज्यादा ने दर्शन किए हैं। इस बार चारधाम यात्रा 10 मई और हेमकुंड साहिब की यात्रा 25 मई से शुरू हुई। चारधाम यात्रा के शुरूआती 10 दिन में केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में 5.69 लाख अधिक श्रद्वालुओं ने दर्शन किए। धामों में दर्शन के लिए भीड़ बढ़ने और यात्रा मार्गों पर घंटों जाम लगने से सरकार व प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी। भीड़ नियंत्रित करने के लिए सरकार ने ऑफलाइन पंजीकरण पर भी रोक लगाई थी। एक जून से फिर से आफलाइन पंजीकरण खोल दिए गए। यात्रा मार्गों में अब जाम की पहली जैसी स्थिति नहीं है। लेकिन धामों में दर्शन के लिए काफी भीड़ है।
एग्जिट पोल के अनुमानों के बाद पहले कारोबारी सत्र में सेंसेक्स और निफ्टी अपने-अपने नए सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए। इससे पहले प्री ओपनिंग के दौरान सेसेंक्स ने 2600 अंक से ऊपर की छलांग लगाई। वहीं, निफ्टी भी 800 अंक से ज्यादा की बढ़त के साथ खुला और एक समय अपने ऑल टाइम हाई 76,583.29 तक पहुंचा। लोकसभा चुनाव के परिणाम से एक दिन पहले और एग्जिट पोल के अनुमानों के बाद सोमवार को शेयर बाजार जमकर झूमा। सेंसेक्स और निफ्टी शुरुआती कारोबार में अपने-अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए। इससे पहले प्री ओपनिंग के दौरान सेसेंक्स ने 2600 अंक से ऊपर की छलांग लगाई। वहीं, निफ्टी भी 800 अंक से ज्यादा की बढ़त के साथ खुला। एक समय अपने ऑल टाइम हाई 76,583.29 तक पहुंचा। शेयर बाजार में सोमवार को अभूतपूर्व तेजी देखने को मिली। एग्जिट पोल में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की निर्णायक जीत का अनुमान लगाए जाने के बाद शेयर बाजार अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इससे निवेशकों में काफी उत्साह देखने को मिला। सेंसेक्स 1859.88 अंकों की बढ़त के साथ 75,821.19 के रिकॉर्ड स्तर पर खुला। इसी तरह निफ्टी भी 603.85 अंकों की उछाल के साथ 23,134.55 पर खुला। इस दौरान निफ्टी बैंक पहली बार 50 हजार के पार पहुंच गया। एग्जिट पोल के अनुमानों में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनने का अनुमान जताया गया है। लगभग सभी एग्जिट पोल्स में भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों को बहुमत मिलने की उम्मीद जताई गई है। सभी अनुमानों में एनडीए को औसतम 374 सीटें मिल सकती है। चुनाव परिणाम चार जून को आने हैं। सोमवार के शुरुआती कारोबारी सत्र के दौरान बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 11.1 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 423.21 लाख करोड़ रुपये हो गया। सेंसेक्स सभी 30 शेयर सोमवार को हरे निशान पर करोबार करते दिखे। पावर ग्रिड, एनटीपीसी, लार्सन एंड टुब्रो, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एक्सिस बैंक, इंडसइंड बैंक और आईसीआईसीआई बैंक और महिंद्रा एंड महिद्रा के शेयर टॉप गेनर्स रहे। सेक्टरवार निफ्टी पीएसयू बैंक्र ऑयल एंड गैस, वित्तीय सेवाएं, मेटल, रियल्टी और ऑटो सेक्टर के बढ़त तीन से पांच प्रतिशत की बढ़त के खुला। सोमवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 38 पैसे की बढ़त के साथ 83.04 रुपये पर पहुंच गया। गुरुवार को क्रूड ऑयल की कीमतों में हल्का बदलाव दिखा। यह बदलाव ओपीईसी की ओर से 2025 में कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के संकेत देने के बाद आया है। इससे पहले मई महीने के आखिरी दिन विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 1613.24 करोड़ रुपये की खरीदारी की। वहीं, घरेलू निवेशकों ने 2,114.17 करोड़ रुपये की खरीदारी की। एशियाई बाजारों में सियोल, टोक्यो और हॉन्ग-कॉन्ग में बढ़त वहीं शंघाई में गिरावट के साथ कारोबार होता दिखा। ज्यादातर अमेरिकी बाजार में शुक्रवार को हरे निशान पर क्लोजिंग हुई।
लोकसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल में तीसरी बार भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनने का अनुमान है। एग्जिट पोल के आंकड़ों को इंडिया ब्लॉक के नेता ने मानने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस ने एग्जिट पोल के नतीजों को एक मनोवैज्ञानिक खेल बताया। इन्हीं सब को लेकर कांग्रेस पार्टी ने आज एक बैठक की। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पार्टी के लोकसभा उम्मीदवारों, कांग्रेस विधायक दल के नेताओं और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों के साथ बैठक की। बैठक के तुरंत बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा कि यह मोदी मीडिया पोल है। बैठक में कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा, 'ये एग्जिट पोल झूठे हैं। इंडिया गठबंधन को 295 सीटों से कम सीटें नहीं मिलने जा रही हैं। ये एग्जिट पोल फर्जी हैं क्योंकि पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मनोवैज्ञानिक खेल खेल रहे हैं। वे विपक्षी दलों, चुनाव आयोग, मतगणना एजेंटों, रिटर्निंग अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसा माहौल बना रहे हैं कि वे वापस आ रहे हैं लेकिन वास्तविकता पूरी तरह से अलग है। राहुल गांधी बोले, 'यह एग्जिट पोल नहीं है। यह मोदी मीडिया पोल है। यह मोदी जी का पोल है। उनका फैंटेसी पोल है। एग्जिट पोल पर कर्नाटक के डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा, 'हमें विश्वास है कि कांग्रेस पार्टी कर्नाटक में दो तिहाई सीटें जीतेगी। इस देश के लोग बदलाव चाहते हैं। सभी कार्यकर्ता आश्वस्त हैं और मुझे नहीं लगता कि हम कर्नाटक में हारने जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल पर गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने कहा, 'पहले भाजपा कहती थी कि हम सभी 26 सीटें पांच लाख वोटों के अंतर से जीतेंगे, लेकिन अब वो ऐसा नहीं कह रहे हैं। 12 सीटों पर हम भाजपा को कड़ी टक्कर दे रहे हैं और कांग्रेस 4-5 सीटें जीतेगी।' पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, 'सभी सर्वेक्षणों में कांग्रेस पार्टी को सात से नौ सीटें दी गई हैं। हम नौ सीटों पर आगे हैं, एक सीट आप के खाते में जाएगी और तीन सीटें ऐसे उम्मीदवारों को मिलेंगी जो किसी भी तरह से एनडीए या पीएम मोदी की मदद नहीं करेंगे। मेरा मानना है कि इंडिया गठबंधन को कम से कम 10 सीटें मिलेंगी... पंजाब में एनडीए को एक भी सीट नहीं मिलने जा रही है। राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, 'राजस्थान में इंडिया गठबंधन 11-12 सीटें जीतने जा रहा है और आठ सीटों पर एक करीबी मुकाबला है। वे (एनडीए) राज्य में सात सीटों तक सीमित हैं। हमें किसी भी कीमत पर भाजपा से एक सीट ज्यादा मिलने वाली है।
दिल्ली में जल संकट के बीच कई बच्चे व युवा जान जोखिम में डालकर पानी के टैंकर के ऊपर पाइप लेकर चढ़ जाते हैं। देखते ही देखते लोगों के बीच अफरातफरी का माहौल बन जाता है। पानी के इंतजार में लंबी लाइन बिखर जाती है। जहां पानी लेने के लिए लोग टैंकर के ऊपर चढ़ गए। पानी के लिए हाथापाई भी की। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिजली की रिकॉर्ड तोड़ मांग पूरी करने पर अपनी पीठ थपथपाई है, पर पानी की कमी पर केंद्र से यूपी और हरियाणा सरकार से अतिरिक्त पानी दिलवाने की मांग की है। उधर, दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने केंद्रीय जल मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पत्र लिखकर अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराने की मांग की है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस बार गर्मी में पूरे देश में अभूतपूर्व गर्मी पड़ रही है, जिसकी वजह से देश भर में पानी और बिजली का संकट हो गया है। पिछले वर्ष दिल्ली में बिजली की सबसे अधिक मांग 7438 मेगावाट रही थी, जबकि इस साल बिजली की अधिक मांग 8302 मेगावाट तक पहुंच गई। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी में पानी की मांग बहुत बढ़ गई है। वहीं, पड़ोसी राज्यों ने दिल्ली को देने वाले पानी में कमी कर दी है। इस तरह मांग बढ़ गई और आपूर्ति कम हो गई है। उन्होंने पानी की कमी के मामले में भाजपा के प्रदर्शन पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि इससे समस्या का समाधान नहीं निकलेगा। इस वक्त राजनीति करने की बजाय मिलकर दिल्ली के लोगों को राहत दिलवाने की पहल करनी चाहिए। भाजपा हरियाणा और उत्तर प्रदेश की अपनी सरकारों से बात करके एक महीने के लिए दिल्ली को कुछ पानी दिलवा दें तो दिल्ली वाले उसके इस कदम की खूब सराहना करेंगे। दूसरी ओर, जल मंत्री आतिशी ने पेयजल संकट से निपटने के लिए केंद्रीय जलमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पत्र लिखा है। उन्होंने मांग की कि दिल्ली में भीषण गर्मी के कारण पानी कमी हो गई है। हरियाणा से भी कम पानी आ रहा है। जबकि गर्मी के कारण ज्यादा पानी की जरूरत है। इसलिए दिल्ली को हरियाणा या उत्तर प्रदेश से अतिरिक्त पानी दिलवाया जाएं।
**मतदाता 12 मई तक होम वोटिंग के लिए कर सकते है आवेदन होम वोटिंग के लिए पात्र मतदाता 12 मई तक आवेदन कर सकते है। लोकसभा चुनावों के लिए घर से मतदान (होम वोटिंग) के लिए प्रदेश में अब तक करीब 97,199 लोग आवेदन आ चुके हैं। आवेदन पत्रों की छंटनी के बाद अंतिम सूची तैयार की जाएगी। पात्र लोगों को निर्वाचन विभाग मतदान के लिए घरों पर ही पोस्टल बैलेट उपलब्ध करवाएगा। होम वोटिंग के लिए चुनाव आयोग के अधिकारी मतदाता के घर जाते हैं और उनसे मतदान करवाते हैं। होम वोटिंग के लिए आवेदन करने वाले योग्य आवेदकों को अपने लोकसभा क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर को फॉर्म 12-डी देना होता है। चुनाव अधिसूचना जारी होने के 5 दिन के भीतर आवेदन करना जरूरी है। आवेदन मंजूर होने के बाद पोलिंग टीम के साथ चुनाव आयोग के दो प्रतिनिधि मतदाता के घर पर आते हैं और मतदान पत्र के जरिए वोटिंग करवाते हैं। मतदाता की उम्र 85 साल या इससे अधिक होने, दिव्यांग मतदाताओं के लिए 40 फीसदी से अधिक अक्षमता होने या किसी अन्य अनिवार्य सेवा से जुड़े लोगों को होम वोटिंग का मौका दिया जाता है।
कोर्ट ने सांसद बने हर्ष महाजन को भेजा नोटिस हाईकोर्ट में कांग्रेस के राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर आज सुनवाई हुई है। अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव को हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका डालकर चुनौती दी थी। इसमें उन्होंने मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद पर्ची से विजय घोषित करने के नियम को गलत बताया है। अभिषेक मनु सिंघवी के अनुसार, नियम की एक धारणा को उन्होंने याचिका में चुनौती दी। जब मुकाबला बराबर होता है उसके बाद पर्ची निकाली जाती है। जिसकी पर्ची निकलती है, उसे विजेता होना चाहिए। मगर, अभी जिसकी पर्ची निकलती है, उसे हारा हुआ माना जाता है। यह धारणा कानूनी रूप से गलत है। याचिकाकर्ता पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव में जीत हासिल कर सांसद बने एवं प्रतिवादी बनाए गए हर्ष महाजन को नोटिस जारी किया है। एडवोकेट नीरज गुप्ता ने बताया कि अब इस मामले में अगली सुनवाई 23 को होगी।
शिमला: कृषि मंत्री चौधरी चंद्र कुमार और स्टेट प्लानिंग बोर्ड के उपाध्यक्ष भवानी पठानिया ने कहा है कि अग्निवीर योजना युवाओं के साथ बड़ा भद्दा मजाक और सरासर धोखा है। आम सैनिक और अग्निवीर के बीच काफी भेदभाव किया जा रहा है। अग्निवीर को शहीद का दर्जा न होने से युवाओं में केंद्र सरकार के प्रति भारी आक्रोश है। अब युवा सेना में जाने के लिए उत्साहित नहीं हैं। युवाओं का सेना के प्रति क्रेज़ घट गया है। चंद्र कुमार व पठानिया ने कहा कि युवा अब सेना में अपना भविष्य सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। सेना की भर्ती के लिए पहले युवा दिन-रात मेहनत करते थे। सुबह और शाम के समय सड़कों के किनारे और खेल मैदानों में युवाओं को दौड़ लगाते और अभ्यास करते हुए देखे जाते थे लेकिन अब इक्का-दुक्का युवा ही दिखते हैं। भर्ती होने के बाद अग्निवीर के साथ पक्षपात हो रहा है, उन्हें आम सैनिकों के साथ नहीं रखा जाता, ना ही घुलने-मिलने देते हैं। उन्हें अलग बैरक में रखा जा रहा है, इससे अग्निवीर हतोत्साहित हैं। कृषि मंत्री और स्टेट प्लानिंग बोर्ड उपाध्यक्ष ने कहा कि देश की सेवा करते वीरगति को प्राप्त होने पर अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं मिल रहा। न ही परिजन को एक्स सर्विसमैन और कैंटीन के लाभ मिल पा रहे। अग्निवीर के परिवार को सिर्फ एक करोड़ रुपये ही मिलेंगे, जबकि आम सैनिक के साथ ऐसा नहीं है। शहीद के दर्जे के साथ सैनिक के परिवार को आर्थिक सहायता भी ज़्यादा है, 15 साल की सेवा पूरी होने तक परिवार को पूरा वेतन और अनेक सुविधाएं हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और हिमाचल प्रदेश के भाजपा सांसदों को युवाओं को यह बताना चाहिए कि उनके भविष्य के साथ यह खिलवाड़ क्यों किया गया है। हिमाचल प्रदेश से हज़ारों युवा सेना में भर्ती होते थे, कांगड़ा, हमीरपुर व मंडी जिला में तो हजारों सैनिक परिवार हैं, लेकिन अग्निवीर योजना लागू होने पर भाजपा सांसदों ने युवाओं की आवाज को संसद में एक बार भी नहीं उठाया। उन्होंने चुप्पी साध रखी। वे युवाओं का साथ देने के बजाय अग्निवीर योजना के फायदे गिनाते रहे। चंद्र कुमार व भवानी ने कहा, भाजपा को युवाओं को जवाब देना होगा कि सेना में युवाओं के लिए नौकरी के दरवाजे बंद क्यों किए गए। शहीद का दर्जा देने में भेदभाव क्यों हो रहा है। क्योंकि, युवाओं और उनके परिवारों में अग्निवीर योजना को लेकर खासा रोष है।
लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है भाजपा ने चार मे से दो सीट पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है जबकि कांग्रेस आज दिल्ली में प्रत्याशियों के नाम पर चर्चा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी आज सुबह दिल्ली के लिए रवाना हो गई है जबकि सीएम सुक्खू भी दिल्ली में ही मौजुद हैं। हिमाचल प्रदेश में चार लोकसभा सीट के साथ छ विधान सभा क्षेत्र में उपचुनाव होने हैं। दिल्ली रवाना होने से पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा प्रत्याशियों के नामों को लेकर आज पार्टी हाई कमान के साथ बैठक है। पार्टी मजबूत प्रत्याशियों को चुनाव में उतारेगी और लोकसभा की चारों सीट पर जीत के लिए काम किया जायेगा। इसके अलावा विधान सभा उपचुनाव में भी कांग्रेस मजबूती से चुनाव मैदान में उतरेगी।
लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने आम लोगों को बड़ी राहत दी है। मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में दो-दो रुपये प्रति लीटर घटा दी। पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में संशोधन करने का फैसला किया गया है। इस फैसले को लेकर संजय राउत ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपए प्रति लीटर की कमी पर शिवसेना(UBT) सांसद संजय राउत ने कहा, " ये दो रुपए में क्या होता है? चुनाव होने वाले हैं इसलिए उन्होंने दो रुपए कम कर दिए। पहले लाखों करोड़ों रुपए जनता के पॉकेट से वसूले हैं तो उसका क्या? जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तो गैस सिलेंडर 400 रुपए थे। अब 1100 रुपए हैं, अब दो रुपये कम कर दिया है." इन पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें करीब दो साल से स्थिर बनी हुई थीं। यह कदम आम चुनाव की तारीखों का ऐलान करीब होने के बीच उठाया गया हैं।ऐसी संभावना है कि निर्वाचन आयोग जल्द ही चुनाव की तारीखों की घोषणा कर सकता है। इस कटौती के बाद मुंबई में पेट्रोल की कीमत घटकर 104.21 रुपये प्रति लीटर पहुंच गई।वहीं डीजल की कीमत 92.15 रुपये प्रति लीटर हैं।14 मार्च को पेट्रोल की प्रति लीटर 106.31 और डीजल की कीमत प्रति लीटर 94.27 रुपये थी। सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को अपने नियंत्रण से मुक्त कर दिया था।और पेट्रोलियम कंपनियां ही कीमतें तय करती आ रही थीं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने कीमतों में कटौती की घोषणा सोशल मीडिया मंच 'एक्स' के जरिये की. इसके एक हफ्ते पहले घरेलू रसोई गैस एलपीजी की कीमत में 100 रुपये प्रति सिलेंडर की कटौती की घोषणा की गई थी।
देश में CAA लागू होने के बाद दिल्ली के मजनू का टीला इलाके के रिफ्यूजी कैंप में लोगों ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर खुशी जाहिर की और साथ ही होली खेलकर जश्न मनाया। पाकिस्तानी रिफ्यूजी महिलाओं ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर खुशी जाहिर की। महिलाओं ने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का धन्यवाद किया। CAA 2019 में संसद से पास हुआ था, जिसे अब लागू किया जा रहा है। इसके तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, ईसाई और बोध धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सकेगी।
** चंबा विधानसभा हलके को दी 275 करोड़ के विकास कार्यों की सौगात ** कहा, प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज चंबा के चौगान में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए चंबा शहर में बहुमंजिला पार्किंग, मिनी सचिवालय, इन्डोर स्टेडियम, ग्राम पंचायत उदयपुर में राजीव गांधी मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूल, चंबा चौगान के सौंदर्यीकरण के लिए 20 लाख रुपए, चंबा हेलीपोर्ट के लिए 13 करोड़ रुपए प्रदान करने, साहो में उप-तहसील व जल शक्ति विभाग का उपमंडल खोलने, साहो में खेल मैदान के लिए 15 लाख रुपए प्रदान करने, उदयपुर में आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी खोलने, चुलिहारा में पीएचसी खोलने तथा आईटीआई चंबा में पलंम्बिग व फिटर के पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि उन सभी स्कूलों को स्तरोन्नत किया जाएगा, जिसकी सूची विधायक उन्हें प्रदान करेंगे। इससे पहले, मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चंबा विधानसभा क्षेत्र में 275 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास किए। उन्होंने मैहला भगियार हरेड सड़क पर रावी नदी पर 4 करोड़ रुपये से निर्मित 68 मीटर लंबे स्पैन स्टील ट्रस पुल, नकरोड़-टिकरीगढ़-भगईगढ़ सड़क पर दो करोड़ रुपये से निर्मित कंगैला नाला पुल और तीसा-सईकोठी-झज्जाकोठी सड़क पर दो करोड़ रुपये से निर्मित सेरू नाला पुल जनता को समर्पित किए। मुख्यमंत्री ने 28 करोड़ रुपये लागत से कियाणी-राजनगर-चकलू कोटी सड़क के उन्नयन, सात करोड़ रुपये से लुड्डू से घरमाणी, छ: करोड़ रुपये से सराहन-राण सड़क, छ: करोड़ रुपये से साहु से परोथा पधर सड़क, 14 करोड़ रुपये से शाहपुर-सिंहुता-चुवाड़ी-चंबा सड़क, पांच करोड़ रुपये से भनेरा-देवीदेहरा-रठियार से मनकोट सड़क, 13 करोड़ रुपये से परेल से कोहलड़ी सड़क, 11 करोड़ रुपये से चंबा-बनीखेत वाया परेल सड़क, 15 करोड़ रुपये से रजेरा से धुलियारा सड़क, 22 करोड़ रुपये से लचौरी से सलवाण सड़क, 16 करोड़ रुपये से मैड़ा से चकोतर सड़क, 15 करोड़ से खैरी से भुनाड सड़क, 10 करोड़ रुपये से भरमौर से बड़ग्राम सड़क तथा 9 करोड़ रुपये से सिरडी से घरेड़ वाया सुप्पा सड़कों के उन्नयन कार्य का शिलान्यास, 6 करोड़ रुपये लागत से चुरी से बसु-कोठी-नुरकुला सड़क के स्तरोन्नयन कार्य, 8 करोड़ रुपये लागत सेे लाहल से बगड़ू सड़क तथा 40 मीटर स्पैन पुल के निर्माण कार्य, वर्षा जल संचयन के माध्यम से सतत जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 43 करोड़ रुपये की परियोजना, तहसील भरमौर में ग्राम पंचायत पूलन पलान और कुगती में 10 करोड़ रुपये से शीत क्षेत्रों के लिए एंटी-फ्रीजिंग तकनीक के उपयोग से मौजूदा जल आपूर्ति योजना के विस्तार कार्य, चम्बा तहसील में ग्राम पंचायत साच और द्रम्मण में 8 करोड़ रुपये से जलापूर्ति योजना साच परेल सुल्तानपुर के विस्तार कार्य, चम्बा तहसील के उदयपुर खास के लिए 8 करोड़ की सीवरेज योजना और चम्बा तहसील की ग्राम पंचायत कुठेड़, जांघी, गागला के लिए 3 करोड़ रुपये से जलापूर्ति योजना थुंडू फरगोला के पुन: उत्थान कार्यों का शिलान्यास किया।
अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम से कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने दूरी बनाई है। कांग्रेस का राम मंदिर में न जाने को लेकर कहना है कि यह चुनावी, राजनीतिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस का कार्यक्रम है। कांग्रेस का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और बीजेपी ने 22 जनवरी के कार्यक्रम को पूरी तरह से राजनीतिक और 'नरेंद्र मोदी फंक्शन' बना दिया है। यह चुनावी कार्यक्रम है और इसके जरिए चुनावी माहौल तैयार किया जा रहा है। जाहिर है राजनैतिक चश्मे से देखे तो राम मंदिर निर्माण का श्रेय बीजेपी को जाता है और बीजेपी भी इस भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। उधर, कांग्रेस को कहीं न कहीं अंदाजा है कि लोगों में दिख रहा उत्साह अगर वोट में तब्दील हुआ तो उसकी राह मुश्किल होगी। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस के पास फिलहाल कोई चारा नहीं है। हालांकि माहिर मान रहे है कि 22 जनवरी के बाद विपक्ष के कई बड़े चेहरे अयोध्या में शीश नवाते दिखेंगे। विदित रहे कि कांग्रेस सांसद और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ-साथ सोनिया गांधी को भी राम मंदिर आने का न्योता दिया गया था। इसके साथ-साथ लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी को भी बुलावा भेजा गया था। हालांकि, तीनों ने समारोह में नहीं जाने का फैसला लिया है। कांग्रेस ने भाजपा पर इस समारोह को राजनीतिक रंग देने के आरोप लगाए हैं। पार्टी ने मुहूर्त पर सवाल खड़ा करने वाले शंकराचार्य के बयान को आधार बनाकर 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी का कहना है कि समारोह राष्ट्रीय एकजुटता के लिए होना चाहिए। अयोध्या न जाने का फैसला लेने वाले कद्दावर नेताओं में शरद पवार का नाम भी शामिल है। उन्होंने कहा है कि 22 जनवरी के समारोह में अयोध्या में काफी भीड़ होगी। ऐसे में वे मंदिर निर्माण पूरा होने के बाद रामलला के दर्शन करेंगे। सपा चीफ अखिलेश यादव और दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल भी आयोजन में शामिल नहीं हो आरहे हैं। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी आयोजन में न जाने का निर्णय लिया हैं। इनके अलावा वाम दल के महासचिव सीताराम येचुरी सहित कई लेफ्ट के नेताओं ने भी आयोजन से दूरी बनाई है। बीजेपी का तंज, कहीं जनता फिर कांग्रेस का बहिष्कार न कर दें ! केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना हैं कि, " कांग्रेस ने नए संसद भवन और प्रधानमंत्री के संबोधन का बहिष्कार किया और लोगों ने उनका बहिष्कार कर दिया। अब उन्हें लगता है कि वे प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार कर सकते हैं लेकिन हो सकता है कि लोग उनका फिर से बहिष्कार कर दें। कांग्रेस और उसके गठबंधन सहयोगियों ने भगवान राम के अस्तित्व को नकारने और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। विपक्ष के नेता बयान दे रहे हैं और प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूरी बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें भगवान राम के सामने आखिरकार आत्मसमर्पण करना होगा। कई कांग्रेस नेता पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी की बात नहीं मान रहे और अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हो रहे हैं।"
अयोध्या में श्री राम मन्दिर निर्माण को कई दशकों तक आंदोलन चला और आखिरकार विधिवत रूप से अपने अंजाम तक पंहुचा। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले में विवादित जमीन को भगवान राम का जन्मस्थान घोषित करने के साथ ही इसे हिंदू पक्ष का आदेश दिया था। इस फैसले से राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े हजारों-लाखों लोगों की मुहिम और सैकड़ों लोगों की कुर्बानियों को सार्थक बनाया। श्रीराम जन्म भूमि पर जहां मस्जिद का निर्माण किया गया, वहां के आसपास के कई स्थानों पर पहली बार 1853 में दंगे हुए। इसके बाद 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित स्थान के पास बाड़ लगा दी और मुसलमानों को ढांचे के अंदर वहीं हिंदुओं को बाहर चबूतरे के पास पूजा करने की इजाजत दे दी। 1885 में पहली बार फैजाबाद की एक अदालत में महंत रघुबीर दास के मस्जिद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही राम जन्म भूमि आंदोलन के बीज पड़े थे। विवादित स्थल पर पहले से ही ताला लगा था, लेकिन 1949 में ढांचे के भीतर भगवान राम की मूर्तियां मिली थीं और यहीं से आंदोलन की असल नींव पड़ी। इसके बाद सरकार ने विवादित स्थल पर ताला जड़ दिया था और सभी के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। इसके बाद हिंदू और मुस्लिम पक्षों ने अदालत में मुकदमा दर्ज करा दिया, जिसका निबटारा 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ हुआ। इस पूरे आंदोलन के दौरान अप्रैल 1984 में हुई विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद अहम साबित हुई। इसी धर्म संसद में राम मंदिर को लेकर निर्णायक आंदोलन छेड़ने का फैसला हुआ था। इसके बाद जुलाई 1984 में अयोध्या में एक और बैठक हुई और गोरक्ष पीठ के महंत अवैद्यनाथ को श्री राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का अध्यक्ष बनाया गया। वहीं बीजेपी ने राजनीतिक फ्रंट पर इस आंदोलन की जिम्मेदारी उठाई। इस बीच जब 1989 में जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित स्थल का ताला खोलने का आदेश दिया, तो वीएचपी ने उसके पास ही राम मंदिर की आधारशिला रख दी। आडवाणी की रथ यात्रा और आंदोलन से जुड़े लाखों कार सेवक : 1990 में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के पक्ष में जन समर्थन के लिए रथ यात्रा निकाली, जिसे 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचना था। इसे खूब जन समर्थन मिला और देशभर से लाखों कार सेवक अयोध्या के लिए निकल गए।आडवाणी का रथ तो बिहार में ही रुक गया, लेकिन कारसेवक अयोध्या पहुंचने लगे। तब मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली यूपी सरकार ने अयोध्या में घुसने पर रोक लगा दी थी। अयोध्या में कर्फ्यू था और भारी संख्या में पुलिस तैनाती थी। बावजूद इसके अशोक सिंघल, विनय कटियार और उमा भारती जैसे नेताओं के नेतृत्व में न देश के अलग-अलग हिस्सों से जुटे हजारों कार सेवक न सिर्फ अयोध्या में घुसे बल्कि विवादित ढांचे की ओर भी बढ़ गए। विवादित ढांचे के ऊपर कार सेवकों ने भगवा झंडा लहरा दिया और परिणामस्वरूप वहां अफरा-तफरी हो गई। पुलिस ने गोलीबारी की जिसमें कई कारसेवकों की मौत हो गई। 1992 में ढहा दिया विवादित ढांचा : 6 दिसंबर 1992 को मंदिर निर्माण के लिए कार सेवा का आह्वान किया गया था, जिसके बाद लाखों कार सेवक बीजेपी, वीएचपी और बजरंग दल नेताओं के नेतृत्व में अयोध्या पहुंचे। देखते ही देखते वहां विवादित ढ़ांचा गिरा दिया गया। तब उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार थी। इसके बाद मामला न्यायलय में चलता रहा। इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने पलटा : 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आया जिसमें विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया गया। पर 2011 अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। इसका बाद 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया और 1992 में हुए बाबरी विध्वंस के लिए भाजपा के कई नेताओं पर आपराधिक साजिश आरोप बहाल किए गए। 8 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा और 8 सप्ताह के भीतर कार्यवाही को खत्म करने के आदेश दिए। 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट पेश की और 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता पैनल मामले में समाधान निकालने कामयाब नहीं रहें। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले को लेकर प्रतिदिन सुनाई होने लगी और 16 अगस्त 2019 को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया। आखिरकार 09 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने श्रीराम जन्म भूमि के पक्ष में फैसला सुनाया। वहीं 2.77 एकड़ विवादित भूमि हिंदू पक्ष को मिली और मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को मुहैया कराने का आदेश दिया गया।
अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में कई लोगों की अहम भूमिका रही। कई चेहरे मशहूर हुए तो कई अनजान चेहरों ने अपना योगदान दिया। पर कुछ नाम ऐसे हैं, जिनके बगैर राम मंदिर आंदोलन की कहानी अधूरी है। महंत रामचंद्र परमहंस महंत रामचंद्र परमहंस भूमि विवाद और मंदिर आंदोलन से जुड़ने वाले शुरुआती लोगों में से थे। 1949 में जब अचानक विवादित ढांचे के अंदर से भगवान राम की मूर्तियां मिली थीं, तो उसने सबको चौंका दिया था। कहते हैं इन मूर्तियों को रखने वाले महंत रामचंद्र परमहंस ही थे। अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन की जान महंत रामचंद्र दास परमहंस का एकमात्र स्वप्न था जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर। वो इसी सपने के साथ जिए और इसी स्वप्न को सच करने के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष करते रहे। महंत रामचंद्र दास परमहंस इकलौती हस्ती थे, जो इस आंदोलन के हर पहलू से सीधे जुड़े हुए थे,चाहे संतों की धर्म संसद हो, राम भक्तों की रैली हो। सरकार के साथ वार्ता या फिर राम जन्मभूमि का मुकदमा, अयोध्या में जन्म स्थान पर रामलला के प्रकट होने से लेकर जन्मभूमि का ताला खुलवाने और फिर बाबरी ढांचे के विध्वंस तक महंत रामचंद्र दास परमहंस की सक्रिय भूमिका रही। हालांकि, मंदिर निर्माण का सपना संजोए रामचंद्र परमहंस का 2003 में निधन हो गया। अशोक सिंघल विश्व हिंदू परिषद को बड़ी पहचान दिलाने में अशोक सिंघल का सबसे बड़ा योगदान रहा। दुनियाभर में मंदिर निर्माण के पक्ष में माहौल बनाने और आंदोलन में उन्होंने अहम और आक्रामक भूमिका अदा की। सिंघल 1981 में वीएचपी से जुड़े थे और उनके नेतृत्व में ही 1984 में विशाल धर्म संसद का आयोजन किया गया। इसी धर्म संसद में राम मंदिर निर्माण को लेकर निर्णायक आंदोलन शुरू करने का संकल्प लिया गया था। 1989 में अयोध्या में विवादित स्थल के पास राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखने में भी सिंघल का अहम योगदान था। 2015 में उनका भी निधन हो गया और अपनी आंखों से वो मंदिर बनते नहीं देख सके। लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी ने राम मंदिर आंदोलन को राजनैतिक ताकत दी और इसका पहला श्रेय जाता हैं लालकृष्ण आडवाणी को। बीजेपी अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने ही 1989 में मंदिर निर्माण का प्रस्ताव पास किया और 990 में राम मंदिर निर्माण के लिए जगन्नाथ पुरी से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली। उनका लक्ष्य 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचना था और इसके लिए कई कार सेवक वहां जुटने लगे थे। हालांकि 23 अक्टूबर को बिहार में लालू प्रसाद यादव की सरकार ने उन्हें रोक लिया और गिरफ्तार कर लिया, लेकिन जन समर्थन जुटाने में वह सफल रहे थे। इसके दो साल बाद 6 दिसंबर 1992 को जिस दिन विवादित ढांचा ढहाया गया था, उस दिन आडवाणी भी मौजूद थे। पार्टी, वीएचपी और बजरंग दल के अन्य नेताओं के साथ वहां मौजूद आडवाणी ने आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। इस मामले में आडवाणी पर साजिश का मुकदमा दर्ज किया गया, जो आज भी जारी है। महंत अवैद्यनाथ गोरखनाथ पीठ के प्रमुख मंहत अवैद्यनाथ इस आंदोलन में काफी योगदान रहा। उनके कहने पर ही 1984 की धर्म संसद में श्री राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन किया गया था, जिसके वे अध्यक्ष रहे थे। सबसे पहले उन्होंने ही 1990 में हरिद्वार के संत सम्मेलन में 30 अक्टूबर को मंदिर निर्माण शुरू करने की तारीख तय की थी। हालांकि, तब यह काम पूरा नहीं हो सका था। फिर 1992 में एक बार फिर 6 दिसंबर को मंदिर निर्माण के लिए कार सेवा शुरू करने का आह्वान भी उन्होंने ही किया था। 2014 में उनका निधन हो गया था और उनके बाद योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ पीठ में उनकी गद्दी संभाली जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। कोठारी बंधु सिर्फ 22 और 20 साल के दो भाई भाई राम और शरद कोठारी बंगाल के रहने वाले थे और बजरंग दल से जुड़े थे। 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में मंदिर निर्माण की तारीख के एलान और आडवाणी के रथ के पहुंचने की तारीख को देखते हुए दोनों भाई अयोध्या के लिए निकल पड़े थे। 22 अक्टूबर को दोनों भाईयों ने बनारस अयोध्या के लिए पैदल यात्रा शुरू की थी। अयोध्या में जारी कर्फ्यू के बीच दोनों सबसे पहले पहुंचने वालों में से थे। 30 अक्टूबर को जब वीएचपी और बजरंग दल के नेता विवादित ढांचे की ओर बढ़ रहे थे, तभी दोनों भाई ढांचे के ऊपर गुम्बद में चढ़ गए और वहां भगवा झंडा फहरा दिया। इसके बाद वहां मौजूद सुरक्षाबलों ने भीड़ को रोकने के लिए गोलीबारी कर दी और इसमें दोनों भाईयों की भी मौत हो गई। इनके अलावा भी मंदिर निर्माण आंदोलन से कई ऐसे लोग जुड़े थे, जिनका इस आंदोलन में बड़ा योगदान रहा हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंबरा और विनय कटियार भी राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरे रहे हैं।
In Himachal Pradesh, the Chief Minister has instructed to suspend the implementation of the period-based guest teacher recruitment policy until further orders. CM Sukhwinder Singh Sukkhu announced the decision, emphasizing that a detailed discussion on the matter will take place only after the return of the Education Minister to Shimla. Singh mentioned that the policy would be implemented after thorough consideration. The Chief Minister shared this information with journalists during a conversation at the state secretariat on Saturday. He clarified that guest teachers would be paid on an hourly basis according to the period, and there would be no permanent recruitment on a monthly or annual basis; guest teacher recruitment is temporary.
इतिहास हुआ आर्टिकल 370... 4 साल, चार महीने 6 दिन बाद मोदी सरकार के एक और फैसले पर लगी 'सुप्रीम' कोर्ट की मुहर। आज सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने आर्टिकल 370 पर सुनवाई करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आर्टिकल-370 को बेअसर कर नई व्यवस्था से जम्मू-कश्मीर को बाकी भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई है। आर्टिकल 370 हटाना संवैधानिक रूप से वैध है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सबसे अहम टिप्पणी तब की, जब अदालत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर, 2024 तक विधानसभा चुनाव करवाए जाने चाहिए. कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस देने का भी निर्देश दिया है। हालांकि लद्दाख केंद्र शासित क्षेत्र ही रहेगा। इस मामले में याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि आर्टिकल 370 और 35 ए के जरिए जम्मू और कश्मीर को मिले विशेष अधिकार 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने खत्म कर दिया था, इसके लिए अध्यादेश लाया गया था। 370 हटाने का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं की दलील है कि 1957 के बाद बिना विधानसभा की मंजूरी के अनुच्छेद 370 को हटाया नहीं जा सकता। अब article 370 पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि आर्टिकल 370 हटाने का फैसला बरकरार रहेगा। 370 को हटाना संवैधानिक तौर पर सही है। राष्ट्रपति के पास फैसले लेने का अधिकार है।
एक साल पूरा पर मंत्रिमंडल अधूरा **अब मंत्रिमंडल विस्तार इच्छा से ज़्यादा मजबूरी आखिर अब स्पष्ट हो ही गया की मंत्रिमंडल विस्तार कब होगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में ब्यान दिया है कि मंत्रिमंडल का विस्तार इसी साल होगा। जो इंतज़ार पिछले लगभग एक साल से जारी है वो कुछ दिन और सही। ये ब्यान 8 दिसंबर को ही आया था और आपको याद दिला दें कि वो 8 दिसंबर का ही दिन था जब प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे। तब प्रदेश की जनता ने कांग्रेस की झोली में 40 विधानसभा सीटें डाली थी और अब उम्मीदें बढ़ गई है कि जल्द ही तीन नेताओं की झोली में मंत्री पद जाएगा। हालांकि अब ये भी स्पष्ट है कि हिमाचल सरकार विलम्भ करने की स्थिति में नहीं है। इस विलम्भ ने जो नाराज़गी पैदा की है वो कांग्रेस के लिए घातक साबित हो सकती है । प्रतिभा सिंह मुखर है और बार बार सरकार पर संगठन की नज़रअंदाज़गी के आरोप लगा रही है। कई अन्य पार्टी नेता भी सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से नाराज़गी ज़ाहिर कर चुके है। कांग्रेस हाल ही में चार राज्यों में चुनाव हारी है। देश में अब अपने दम पर कांग्रेस की महज़ 3 राज्यों में सरकार है। भाजपा लगातार ऑपरेशन लोटस के दावे करती है। ज़ाहिर है इन तमाम परिस्थितियों के मद्देनज़र कांग्रेस शेष तीन राज्यों में कोई भी कोताही बरतने की स्थिति में नहीं है। जो गलती कांग्रेस ने अन्य राज्यों में की वो यहाँ नहीं दोहराई जा सकती। सरकार पर स्पष्ट दबाव है और अब मंत्रिमंडल विस्तार इच्छा से ज़्यादा मजबूरी बन गया है । अपेक्षित है कि इस विस्तार से मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय, जातीय और पार्टी के अंदरूनी संतुलन को बैठाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। फिलवक्त मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को मिला कर कुल 9 मंत्री है। शिमला संसदीय क्षेत्र से पांच, काँगड़ा से एक, हमीरपुर से दो और मंडी से एक। सिर्फ एक मंत्री होने के चलते सरकार पर कांगड़ा की अनदेखी का आरोप लगता रहा है। क्षेत्रीय संतुलन के लिए काँगड़ा से कम से कम दो और मंत्रियों की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक़ एक मंत्री मंडी संसदीय क्षेत्र से भी हो सकता है। जातीय समीकरणों के लिहाज़ से एक और एससी विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है। वहीँ पार्टी के अंदरूनी समीकरणों को साधना भी बहुत ज़रूरी है क्योंकि फिलवक्त पलड़ा एक तरफ ही भारी दिखता है। अब बात करते है उन नामों की जिनकी एंट्री मंत्रिमडल में हो सकती है। पहला नाम है घुमारवीं से कांग्रेस विधायक राजेश धर्माणी का। धर्माणी के अलावा सुजानपुर से कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा का नाम भी चर्चा में है। हालांकि, मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के गृह जिला से होने के चलते उनके मंत्री बनने में अभी पेच फंसा हुआ है। ये दोनों ही नेता हमीरपुर संसदीय क्षत्र से है जहाँ से मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री स्वयं है। धर्माणी मुख्यमंत्री के करीबी माने जाते है वहीँ राजेंद्र राणा की हाईकमान से करीबियां हैं। मगर सारा मसला क्षेत्रीय संतुलन पर आकर अटक जाता है। वहीँ कयास ये भी है कि राणा को पार्टी हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतार सकती है। हालांकि राणा खुद इसके लिए तैयार नहीं दीखते। इन दोनों के अलावा काँगड़ा जिले से दो नाम चर्चा में है। एक है यादविंद्र गोमा और दुसरे है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुधीर शर्मा। दरअसल जिला कांगड़ा से अभी तक सुक्खू मंत्रिमंडल में सिर्फ एक मंत्री चंद्र कुमार हैं। प्रदेश के सबसे बड़े जिला से और मंत्री बनाने का पार्टी और सरकार पर कई तरफ से दवाब है। यादविंदर गोमा अनुसूचित जाति कोटे से मंत्री बनाए जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि गोमा को मंत्री बनाकर पार्टी ने जातीय समीकरण साधने का फैसला लिया है। वहीँ सुधीर पूर्व मंत्री हैं, और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी। वो कांगड़ा से पार्टी का बड़ा चेहरा भी हैं। इनकी दावेदारी को अनेदखा नहीं किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त यहाँ एक अन्य नाम की भी चर्चा है जो कांग्रेस के डार्क हॉर्स साबित हो सकते है। ये नाम है भवानी पठानिया। पार्टी का अंदरूनी संतुलन बैठाने की कोशिश में भवानी की लोटरी लग सकती है। इस पूरी लिस्ट में एक नए नाम की एंट्री हुई है। ये नाम है सीपीएस सूंदर ठाकुर का। सूंदर ठाकुर मंडी लोकसभा क्षेत्र से आते है। लोकसभा चुनाव नज़दीक है और चारों लोकसभा क्षेत्रों में से सबसे कम मंडी लोकसभा क्षेत्र का रेप्रेज़ेंटेशन सरकार में दिखाई देता है। सुक्खू कैबिनेट में मंडी संसदीय क्षेत्र से केवल एक ही मंत्री है और वो है जगत सिंह नेगी। इसके अलावा सिर्फ एक ही सीपीएस है और वो है खुद सुन्दर सिंह ठाकुर। अगर अन्य संसदीय क्षेत्रों की बात करें तो शिमला को सबसे अधिक तवज्जो है यहाँ पांच मंत्री और तीन सीपीएस है, काँगड़ा से एक मंत्री, दो सीपीएस और विधानसभा अध्यक्ष है। वहीँ हमीरपुर से खुद मुख्यमंत्री और उप मुख्या मंत्री है। स्पष्ट है कि मंडी की झोली हल्की है। ऐसे में क्षेत्रीय समीकरण के लिहाज से यदि दूसरी एंट्री की संभावना दिखी तो सुंदर ठाकुर का दावा सबसे पहला और मजबूत होगा। लोकसभा की हर सीट कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है और इसलिए कुल्लू के विधायक सुंदर सिंह को मंत्री बनाने की चर्चा हो रही है। अब इन तमाम सियासी गुणाभाग के बाद संतुलन बैठा पाना उतना ही मुश्किल है जितना उड़ती चिड़िया की आँख भेदना। अब ऐसे में पार्टी अन्य विकल्प भी तलाश सकती है। ये विकल्प वर्तमान मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है। मुमकिन है कि मौजूदा मंत्रियों में से कुछ की विदाई हो। सूत्रों की माने तो दो मंत्रियों को लोकसभ चुनाव लड़वाया जा सकता है, वहीँ पीसीसी चीफ का दायित्व भी किसी मंत्री को दिया जा सकता है। हालांकि बताया ये जा रहा है कि कोई भी मंत्री लोकसभा चुनाव लड़ने का इच्छुक नहीं है, पर आलाकमान से फरमान आया तो सब कुछ मुमकिन है। इस लिस्ट में शिमला संसदीय क्षेत्र से स्वास्थ्य मंत्री कर्नल डॉ धनीराम शांडिल का नाम है। हालाँकि माना जाता है कि कर्नल साहब आलाकमान के वीटो से मंत्री बने है और उन्हें हटाना मुश्किल होगा। इस पर वे कैबिनेट में इकलौते एससी फेस भी है। हालांकि किसी एससी चेहरे की कैबिनेट में एंट्री करवाकर संतुलन बनाया जा सकता है। कहा जा रहा है कि कर्नल केंद्र की राजनीति में जाने के इच्छुक नहीं है, लेकिन फिर भी वे उम्मीदवार हो सकते है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। इस लिस्ट में अगला नाम चौधरी चंद्र कुमार का है। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस आखिरी बार 2004 में जीती थी और तब सांसद बने थे चौधरी चंद्र कुमार। अब चौधरी साहब प्रदेश के कृषि मंत्री है। चंद्र कुमार बड़ा ओबीसी चेहरा है और मुमकिन है कि पार्टी उन्हें कांगड़ा से चुनाव लड़वा दें। वहीँ शिमला संसदीय क्षेत्र से वर्तमान में पांच मंत्री है और यहाँ से एक मंत्री को संगठन का दायित्व दिए जाने की अटकलें भी लगती रही है। पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह अब सीडब्ल्यूसी की सदस्य है और सम्भवतः वे ही मंडी से फिर मैदान में होगी। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले उनका कार्यभार भी कम किया जा सकता है। बहरहाल दो से तीन मंत्रियों के बदले जाने की सम्भावना को खारिज नहीं किया जा सकता है। लगातार बदल रहे सियासी समीकरणों में हिमाचल कांग्रेस में कुछ भी मुमकिन है। यानी सुक्खू कैबिनेट की तस्वीर अभी काफी बदल सकती है
**हिंदी बेल्ट में अकेले दम पर सिर्फ हिमाचल में बची कांग्रेस की सरकार **2019 में हिंदी पट्टी की 251 में से सिर्फ 7 पर जीता था कांग्रेस गठबंधन 2018 में जब कांग्रेस जब तीन राज्यों में जीती थी, तब भी 2019 में पीएम मोदी के चेहरे के सामने कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो गया था। इस बार तो हिंदी पट्टी के इन तीन राज्यों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हुआ है। ये 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए बड़ा झटका है। कांग्रेस के तमाम दावे हवा हवाई हो गए और हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली है। यहाँ कांग्रेस का हर दांव उल्टा पड़ा। ऐसे में 2024 में केंद्र की सत्ता तक पहुंचने का कांग्रेस का ख्वाब फिलहाल पूरा होना मुश्किल होगा। इन तीन राज्यों में ही 65 लोकसभा सीटें है। आपको याद दिला दें कि 2018 में तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी थी, बावजूद इसके 2019 में कांग्रेस के हिस्से आई थी महज 3 सीटें। वहीँ इस बार भाजपा ने मोदी के चेहरे पर विधानसभा चुनाव लड़ा तो तीनों राज्यों में कांग्रेस साफ़ हो गई और ऐसे में 2024 में कांग्रेस का टिकना बेहद मुश्किल होगा। इन तीन राज्यों में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है, उसका ओपीएस कार्ड भी फेल हो गया और गारंटी मॉडल भी। वहीँ राहुल गाँधी की जिस बढ़ती लोकप्रियता का दावा कांग्रेस कर रही थी वो दक्षिण में तो दिखी लेकिन हिंदी पट्टी में वैसा नहीं दिखा। नतीजे तो ये ही बताते है। बगैर हिंन्दी पट्टी में खुद को मजबूत किये कांग्रेस किस आधार पर 2024 में जीत का स्वपन देख रही है, ये पार्टी के रणनीतिकार ही जानते है। इन तीन राज्यों को छोड़े भी दे तो उत्तरप्रदेश, बिहार, गुजरात और दिल्ली में भी पार्टी वेंटिलेटर पर दिखती है। इन राज्यों में 153 लोकसभा सीटें है और राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को जोड़कर ये आंकड़ा 218 हो जाता है। इसके अलावा 10 सीटों वाले हरियाणा और 5 सीटों वाले उत्तराखंड में भी न कांग्रेस सत्ता में है और न कोई बड़ा तिलिस्म करने की स्थिति में दिखती है। वहीँ 14 सीटों वाले झारखण्ड में कांग्रेस गठबंधन सरकार का हिस्सा है लेकिन अकेले दम पार्टी की हैसियत किसी से छिपी नहीं है। हिंदी पट्टी में हिमाचल प्रदेश इकलौता राज्य है जहाँ कांग्रेस की सरकार है, लेकिन चार सीटों वाले इस छोटे प्रदेश में भी पार्टी बहुत सहज नहीं दिखती। कुल मिलाकर हिन्द्दी पट्टी में 251 लोकसभा सीटें है। 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपीए को इनमें से सिर्फ 7 पर जीत मिली थी। हालांकि तब बिहार में जेडीयू एनडीए का हिस्सा था और यूपी में सपा और बसपा मिलकर लड़े थे और यूपीए गठबंधन का हिस्सा नहीं थे। अब यूपीए गठबंधन खत्म हो चूका है और विपक्ष ने इंडिया गठबंधन बनाया है लेकिन ये नए पैकेट में पुराने सामान की तरह ही दिख रहा है। सपा और कांग्रेस के बीच मध्य प्रदेश में तल्खियों का ट्रेलर दिख चूका है और नतीजा भी अब सबके सामने है। वहीँ जेडीयू भी कांग्रेस के रवैये से नाखुश है। कांग्रेस और आप भी आमने -सामने है। ऐसे में हिंदी पट्टी में विपक्ष कैसे भाजपा से लड़ पायेगा, ये तो माहिरों की भी समझ से परे है। कांग्रेस विपक्ष की धुरी है और हिंदी पट्टी में जीत दिल्ली का रास्ता प्रशस्त करती है। ऐसे में हिंदी पट्टी में कमजोर होकर कांग्रेस न तो विपक्ष की अगुवाई कर सकती है और न ही भाजपा से मुकाबला। मोदी की टक्कर में चेहरा नहीं ! इस हार ने कांग्रेस की पुरानी कमी को फिर उजागर कर दिया। हिंदी पट्टी में प्रधानमंत्री मोदी सबसे लोकप्रिय नेता है और कांग्रेस के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं जो टक्कर दे सके। भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गाँधी को दक्षिण में तो लोकप्रियता मिली है लेकिन हिंदी पट्टी में अब भी राहुल की लोकप्रियता में कोई ख़ास बदलाव नहीं दिखता। जो दीवानगी पीएम मोदी के लिए इन तीन राज्यों में दिखी वो भाजपा की जीत का बड़ा कारण है। तीन राज्यों के चुनावों की बात करें तो सिर्फ राजस्थान में अशोक गहलोत ऐसा चेहरा दिखे जो भाजपा को मुद्दों पर घेरते दिखे और टक्कर में भी लगे, ये ही कारण है भाजपा को राजस्थान में पूरी ताकत झोंकनी पड़ी। इसके अलावा पूरी कांग्रेस में हिन्द्दी पट्टी का एक भी ऐसा चेहरा नहीं दिखता जो मुकाबले में खड़ा भी दिखे। हालांकि प्रियंका गाँधी भी भीड़ जुटाने में कामयाब दिखी लेकिन भीड़ वोटों मे नहीं बदल पाई। राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे दक्षिण से आते है और उसका लाभ पार्टी को कर्णाटक और तेलंगाना में मिला भी है, लेकिन वे हिंदी पट्टी से वैसे कनेक्ट नहीं कर पाते जिस तरह पीएम मोदी करते है। ऐसे में कांग्रेस को नीति रणनीति में बदलाव की सख्त जरुरत है।
अयोध्या में आज ही के दिन बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था। इसके बाद हिंसक घटनाएं हुईं और विवादित मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जिसके बाद साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई कर फैसला दिया और विवाद को हमेशा के लिए खत्म कर दिया। हालांकि, इसके बाद भी तमाम संगठनों और नेताओं द्वारा इस मुद्दे को उठाया जाता रहा है। 5 दिसंबर 1992 की सुबह से ही अयोध्या में विवादित ढांचे के पास कारसेवक पहुंचने शुरू हो गए थे। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने विवादित ढांचे के सामने सिर्फ भजन-कीर्तन करने की इजाजत दी थी, लेकिन अगली सुबह यानी 6 दिसंबर को भीड़ उग्र हो गई और बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया। कहते हैं कि उस समय 1.5 लाख से ज्यादा कारसेवक वहां मौजूद थे। इसके बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे। इन दंगों में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। मामले की FIR दर्ज हुई और 49 लोग आरोपी बनाए गए। आरोपियों में लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, चंपत राय, कमलेश त्रिपाठी जैसे भाजपा और विहिप के नेता शामिल थे। मामला 28 साल तक कोर्ट में चलता रहा और 30 सितंबर 2021 को लखनऊ की CBI कोर्ट ने सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। फैसले के वक्त तक 49 में से 32 आरोपी ही बचे थे, बाकी 17 आरोपियों का निधन हो चुका था। इसके अलावा 9 नवंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने जमीन के मालिकाना हक को लेकर फैसला दिया था। इस फैसले के तहत जमीन का मालिकाना राम जन्मभूमि मंदिर के पक्ष में सुनाया। मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन अलग से देने का आदेश दिया।
मात्र 250 रूपये में खुलवाएं दस वर्ष तक की बेटी का खाता, 7.6 प्रतिशत ब्याज के साथ मिलेगी टैक्स में छूट भारतीय डाक विभाग द्वारा 4 दिसम्बर से 16 दिसम्बर तक सुकन्या समृद्धि योजना के तहत ‘समृद्ध सुकन्या, समृद्ध समाज’ अभियान चलाया जा रहा है। यह जानकारी देते हुए अधीक्षक डाकघर धर्मशाला रविंद्र शर्मा ने बताया कि इस योजना के तहत दस वर्ष या उससे कम आयु की बेटी के नाम पर न्यूनतम 250 रूपये से खाता खुलवाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि खाता खुलने के बाद आवेदक अपनी सुविधा अनुसार इसमें राशि जमा करवा सकता है, जोकि एक वर्ष में एक लाख पचास लाख रूपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि सुकन्या समृद्धि योजना के तहत आवेदक को सरकार द्वारा जमा की गई राशि पर 7.6 प्रतिशत की तर्ज पर ब्याज दिया जायेगा। सुकन्या समृद्धि योजना के तहत जमा की गई राशि पर सेक्शन 80-सी के तहत इनकम टैक्स में छूट का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि बेटी की आयु 21 वर्ष होने पर यह राशि उसे दी जाएगी। योजना के तहत आवेदक बालिका 18 वर्ष की होने पर अपनी उच्च शिक्षा के लिए जमा राशि का 50 प्रतिशत निकलवा सकती है। उन्होंने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य है बेटियों के सुरक्षित भविष्य के लिए खातों की शुरुआत करना, जो सीधे महिला सशक्तिकरण का एक कदम है। यह अभियान बेटियों के लिए सुरक्षित भविष्य के साथ समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने आम जनमानस से नजदीकी डाकघर में जाकर पात्र कन्याओं के खाते खुलवाने का अनुरोध किया है। उन्होंने पात्र बालिकाओं के अभिभावकों से अपील की है कि वह अपनी पात्र बेटियों का खाता अवश्य खुलवाएं और भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठाएं। अधिक जानकारी के लिए किसी भी नजदीकी डाकघर से संपर्क किया जा सकता है।
*हिमुडा में उपाध्यक्ष पद पर नियुक्ति के लिए यशवंत छाजटा ने जताया मुख्यमंत्री का आभार *प्रदेश सरकार के एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के अवसर पर होगा भव्य समारोह का आयोजन मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि 11 दिसंबर को राज्य सरकार के एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के अवसर पर जिला कांगड़ा में एक भव्य समारोह का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी शामिल होंगे। यह बात मुख्यमंत्री ने आज हिमुडा के उपाध्यक्ष यशवंत छाजटा की नियुक्ति के लिए आभार व्यक्त करने ओक ओवर पहुंचे समर्थकों को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यशवंत छाजटा ने अपने जीवन के 25 वर्ष कांग्रेस पार्टी की सेवा की है, जिसके कारण उन्हें सरकार में नियुक्ति मिली है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं को भी पद दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार ने धर्मशाला नगर निगम के चुनाव में महापौर पद का चुनाव जीत लिया है। उन्होंने कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी बेहतर रणनीति बनाकर मैदान में उतरेगी और भाजपा को शिकस्त देगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी व सरकार व्यवस्था परिवर्तन के दौर से गुजर रही है और आने वाले समय में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था परिवर्तन से हिमाचल प्रदेश में विकास की गति तेज होगी और हिमाचल प्रदेश की जनता को लाभ मिलेगा। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने अपनी 10 में से 3 गारंटियों को पूरा कर दिया है। मंत्रिमण्डल की पहली ही बैठक में सरकारी कर्मचारियों के मान-सम्मान को बहाल करते हुए पुरानी पेंशन स्कीम को लागू किया गया। 680 करोड़ रुपए की राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना के पहले चरण की शुरूआत हो चुकी है, जिसके तहत ई-टैक्सी की खरीद पर 50 प्रतिशत सब्सिडी के साथ-साथ युवाओं को निश्चित आय सुनिश्चित की जा रही है। इसके साथ-साथ शिक्षा में व्यापक सुधार का वादा पूरा करते हुए अगले शैक्षणिक सत्र से सभी सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी अनिवार्य कर दी जाएगी। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए आने वाले समय में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। इस अवसर पर हिमुडा उपाध्यक्ष यशवंत छाजटा ने मुख्यमंत्री का उनकी नियुक्ति के लिए आभार व्यक्त किया।
-शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर मांगा जवाब हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग में बीआरसीसी भर्ती पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 282 पदों पर होने जा रही ब्लॉक रिसोर्स सेंटर कोऑर्डिनेटर भर्ती प्रक्रिया मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद यह रोक लगाई है। हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव, केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय, समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय और उच्च शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। शिक्षा विभाग की ओर से 3 दिसंबर को ली जाने वाली भर्ती परीक्षा को लेकर भी अब संशय बन गया है। विभागीय अधिकारी इस बाबत अभी कुछ जानकारी देने से गुरेज कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि कानूनी राय लेने के बाद परीक्षा में शामिल होने वाले शिक्षकों को सूचित किया जाएगा। बता दें कि मायाराम शर्मा और अन्य की ओर से दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई है। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थीगण 21 वर्ष से अधिक समय से जेबीटी के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने 5 वर्ष तक बतौर बीआरसीसी कार्य किया है। प्रार्थियों ने 18 अक्तूबर, 2023 को जारी उस अधिसूचना को चुनौती दी है, जिसके तहत शिक्षा विभाग बीआरसीसी के लिए फिर भर्ती करने जा रहा है। प्रार्थियों की दलील है कि 5 साल से अधिक समय तक बतौर बीआरसीसी कार्य करने के बावजूद उन्हें अयोग्य करार दिया गया, जो गैर कानूनी है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया अधिसूचना को कानूनी तौर पर भेदभावपूर्ण पाते हुए इसके अनुरूप की जा रही कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी है। मामले पर सुनवाई 24 फरवरी 2024 को होगी।
- दोपहर 3 बजे आयोजित होगा शपथ ग्रहण समारोह नगर निगम धर्मशाला को 2 दिसंबर को नये महापौर और उप महापौर मिल जाएंगे। इसके लिए उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल की ओर से आदेश जारी किए गए हैं। शनिवार दोपहर 3 बजे महापौर और उप महापौर का शपथ ग्रहण समारोह नगर निगम धर्मशाला के बैठक कक्ष में आयोजित किया जाएगा। गौरतलब है कि ढाई साल के कार्यकाल के बाद नगर निगम धर्मशाला में महापौर-उप महापौर का कार्यकाल 12 अक्तूबर को समाप्त हो गया था। इसके बाद से ही नए महापौर और उप महापौर के नामों और उनके चुनाव को लेकर क्यासों का दौर जारी था। विभिन्न कारणों से यह चुनाव लंबित होता रहा और अब करीब डेढ़ माह बाद 2 दिसंबर का दिन चुनाव के लिए तय किया गया है।
-धार्मिक पर्यटन सर्किट बस सेवा के तहत एचआरटीसी इस रूट पर वोल्वो बस चलाएगा -अगले साल से इस रूट पर यह बस सेवा शुरू करने की योजना हाल ही में धार्मिक पर्यटन सर्किट बस सेवा के तहत एचआरटीसी ने चिंतपूर्णी-ज्वालाजी, खाटू श्याम और भंगायणी माता मंदिर हरिपुरधार के लिए बस सेवा शुरू की और अब पंजाब के अमृतर स्थित स्वर्ण मंदिर और अटारी बॉर्डर के लिए भी हिमाचल पथ परिवहन निगम वोल्वो सेवा शुरू करने जा रहा है. दरअसल बाहरी राज्यों से हिमाचल आने वाले सैलानी स्वर्ण मंदिर और अटारी बार्डर घूमने जरूर जाते हैं और हिमाचल से स्वर्ण मंदिर और अटारी बार्डर के लिए अब तक कोई लग्जरी बस सेवा नहीं थी। ऐसे में इस रूट पर वोल्वो बस चलने से निगम को अच्छी कमाई की उम्मीद है। अगले साल से इस रूट पर यह बस सेवा शुरू करने की योजना है वहीं, एचआरटीसी दिल्ली और अमृतसर एयरपोर्ट के लिए भी सीधी वोल्वो सेवा शुरू करने की योजना बना रहा है। शिमला-चंडीगढ़ एयरपोर्ट वोल्वो के सफल संचालन के बाद इसे लेकर प्रयास किये जा रहे हैं। टूरिस्ट सीजन के दौरान बड़ी संख्या में सैलानी दिल्ली, अमृतसर, शिमला, मनाली, किन्नौर और लाहौल-स्पीति के बीच आवाजाही करते हैं। ऐसे में वोल्वो सेवा शुरू होने से इन्हें लाभ होगा।
-2025 की परेड में शामिल होगी हिमाचल की झांकी राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ पर रिपब्लिक डे की परेड में पिछले 4 सालों से हिमाचल को मौका नहीं मिला है और इस बार भी हिमाचल की झांकी देखने को नहीं मिलेगी। दरअसल ऐसे कई राज्य है जो बीते कई सालों से गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल नहीं हुए हैं। ऐसे में सभी राज्यों को बराबर का मौका मिले इसके लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को तीन वर्षों में से एक बार अपनी झांकी परेड में शामिल करने का मौका दिया है। नई व्यवस्था के तहत किसी भी राज्य की झांकी को तीन चरण में होने वाली छंटनी प्रक्रिया के दौरान बाहर नहीं किया जाएगा। राज्य जिस भी वर्ष के लिए अपनी झांकी को शामिल करने की प्राथमिकता देंगे, केंद्र सरकार उस राज्य की झांकी और बेहतर बनाने में मदद देगा। अब केंद्र सरकार ने 2024 से 2026 तक झांकी निकालने के लिए किसी एक वर्ष को चुनने का राज्यों से विकल्प मांगा थ। इसी कड़ी में हिमाचल सरकार ने वर्ष 2025 में अपनी झांकी को देने का फैसला किया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार से समय पर सूचना न मिलने के कारण 2023 की परेड में झांकी शामिल करने का मौका हिमाचल के हाथ से चला गया था। इससे पहले 2019 में महात्मा गांधी की हिमाचल यात्रा की झांकी का प्रस्ताव भेजा गया था, रक्षा मंत्रालय ने हिमाचल की झांकी के मॉडल को भी खारिज कर दिया था फिर वर्ष 2021 में अटल टनल रोहतांग का मॉडल मंजूर नहीं हुआ और 2022 में धामी गोलीकांड विषय पर केंद्रित झांकी अंतिम चरण में बाहर हुई थी। अब हिमाचल सरकार ने 26 जनवरी 2025 की परेड में राज्य की झांकी को शामिल करने का फैसला किया है।