पांचवीं कलवारी श्रेणी की पनडुब्बी 'वागीर' को 23 जनवरी को भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। इसे मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में स्वदेश निर्मित किया गया है। कलवारी श्रेणी की चार पनडुब्बियों को पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है। इस जानकारी के मुताबिकसमारोह में नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार मुख्य अतिथि होंगे। भारत में इन पनडुब्बियों का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई द्वारा मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस के सहयोग से किया जा रहा है। कलवारी श्रेणी की चार पनडुब्बियों को पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है। बता दें कि अपने नए अवतार में 12 नवंबर 20 को लॉन्च की गई 'वागीर' पनडुब्बी को अब तक की सभी स्वदेशी निर्मित पनडुब्बियों में सबसे कम निर्माण समय में पूरा होने का गौरव प्राप्त है।
शिमला : हिमाचल के सभी विधानसभा क्षेत्रों में स्थापित होंगे राजीव गांधी-डे बोर्डिंग स्कूल-मुख्यमंत्री
विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर दिया जाएगा विशेष बल फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य में विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक-एक राजीव गांधी मॉडल-डे बोर्डिंग स्कूल स्थापित किया जाएगा। इन 68 स्कूलों में अत्याधुनिक तकनीक और उपकरणों की सुविधा उपलब्ध होगी। मुख्यमंत्री ने यह बात शुक्रवार सायं यहां शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन स्कूलों का निर्माण कम से कम 100 कनाल के परिसर में किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को सभी छात्र हितैषी मापदंडों को ध्यान में रखते हुए इन स्कूलों के लिए भूमि चयनित कर निर्माण कार्य को समयबद्ध ढंग से पूरा करने के निर्देश दिए। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि युवाओं को कॅरियर के बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए राज्य सरकार खेल और शिक्षा का समायोजन करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में निकट भविष्य में खेल स्कूल और खेल महाविद्यालय भी खोले जाएंगे। सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है। उन्होंने अधिकारियों को इस उद्देश्य के लिए उपयुक्त स्थानों की पहचान करने के भी निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र में इंडोर स्टेडियम का निर्माण किया जाएगा। शिक्षा विभाग में स्टाफ की कमी की समस्या को दूर करने के लिए ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्टाफ के युक्तिकरण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षक और गैर-शिक्षक वर्ग में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया एक साथ शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि सरकारी संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को सभी आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है। मुख्यमंत्री ने रोजगारोन्मुखी शिक्षा पर भी बल देते हुए हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर में नए तकनीकी पाठ्यक्रम शुरू करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, सचिव शिक्षा अभिषेक जैन, निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. अमरजीत शर्मा और निदेशक प्रारंभिक शिक्षा घनश्याम शर्मा भी उपस्थित थे।
हिमाचल प्रदेश में आगामी 26 जनवरी तक खराब रहने की संभावना है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने 23 व 24 जनवरी को येलो अलर्ट जारी किया है। हिमाचल में वीरवार रात और शुक्रवार सुबह प्रदेश के आठ जिलों की चोटियां बर्फ से लकदक हो गई। राजधानी शिमला में बारिश के साथ फाहे ही गिरे। हालांकि, जाखू की चोटी बर्फ से सफेद हो गई। प्रदेश में बर्फबारी से तीन एनएच, 380 सड़कें बंद हो गई हैं। 109 बिजली ट्रांसफार्मर और 19 पेयजल योजनाएं ठप हैं। शिमला में शुक्रवार रात मौसम साफ रहने के चलते शनिवार सुबह सड़कों पर भीषण कोहरा जम गया। जिससे फिसलन की स्थिति बढ़ गई है। फागू कुफरी सड़क पर भारी फिसलन है। नारकंडा और खड़ा पत्थर पर भी फिसलन के कारण बस सेवा बंद है।
पुलिस थाना हरिपुर के अंतर्गत दरकाटा के समीप एक गाड़ी नम्बर HR49E-4527 के चालक अरविंद कुमार निवासी सदू वडग्रां तहसील वडोह ने अपने उपरोक्त कार को तेज रफ्तार व लापरवाही से चलाकर स्कूटी नं. HP40D-2178 को टक्कर मार दी इस दुर्घटना में स्कुटी चालक सुनीता देवी निवासी उज्जैन ड़ा0 वीरता तहसील व जिला कांगड़ा व पीछे बैठे कुमारी रमता निवासी समीरपुर तहसील व जिला काँगड़ा घायल हो गई। जिस पर हरिपुर थाना में मामला दर्ज हुआ है। मामले की पुष्टि डीएसपी देहरा विशाल वर्मा ने की है।
उत्तर भारत के प्रसिद्ध श्री राधा कृष्ण मंदिर कोटला कलां के संस्थापक राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज के नेतृत्व में 1 फरवरी से 13 फरवरी तक विशाल वार्षिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम हेतु राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी का निमंत्रण प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को दिया गया। राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज की तरफ से श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष अविनाश कपिला व ऊना जनहित मोर्चा के अध्यक्ष राजीव भनोट ने यह निमंत्रण प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को दिया। राष्ट्रीय वार्षिक समारोह उत्साह पूर्वक हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में हर वर्ष मनाया जाता है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को 4 फरवरी को होने वाली शोभायात्रा में ठाकुर जी की पालकी को उठाने के लिए बतौर मुख्य अतिथि आने का निमंत्रण दिया गया। वहीं श्रीमद्भागवत कथा में भी पहुंचने के लिए निमंत्रण दिया गया। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज के साथ विशेष लगाव है, वह अनेक मौकों पर राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। इस वार्षिक समारोह में 4 फरवरी को शोभा यात्रा के शुभारंभ पर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री उपस्थित रहेंगे ।इसके लिए उन्होंने निमंत्रण को स्वीकार किया है। राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज ने कहा कि मुकेश अग्निहोत्री का विशेष लगाव श्री राधा कृष्ण मंदिर के साथ है। उन्होंने कहा कि वार्षिक कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति भव्य स्वागत के साथ जाएगी। अविनाश कपिला व राजीव भनोट ने निमंत्रण स्वीकार करने व शोभायात्रा में पहुंचने के लिए अपनी सहमति देने पर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का आभार जताया।a
अर्की से कांग्रेस ने वैचारिक धारा को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जवाहर बाल मंच का गठन किया है। हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस, प्रदेश सचिव शशिकांत को जवाहर बाल मंच जिला सोलन का मुख्य जिला संयोजक बनाया गया है। जवाहर बाल मंच के द्वारा देश के हर कोने से 17 साल से कम युवाओं, किशोरों व बच्चों को विचारधारा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। वहीं शशिकांत को जवाहर बाल मंच जिला सोलन का मुख्य जिला संयोजक बनाने पर उन्होंने सभी का तहे दिल से धन्यवाद करते हुए सभी से सहयोग की अपील की ।
ग्राम पंचायत पाइसा में अब सार्वजनिक स्थलों पर शराब का सेवन करने वालों की खैर नहीं है अगर कोई भी व्यक्ति अपनी दुकानदारी की आड़ मे चंद सिक्कों के लालच की खातिर शराब का सेवन करने वालों को पनाह दे रहे है तो यह खबर आपके लिए है उक्त पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा सर्वसहमति से प्रस्ताव पारित कर एसपी कागंडा व जिलाधीश कांगड़ा को भेजने का मन बनाया और साथ ही किन्नर लड़के की शादी व लडके का जन्म पर मनमानी बधाई नही मांग सकेंगे जिसके लिए पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर बधाई के दाम तय किए है। वहीं पाइसा के प्रधान चुन्नी लाल ने कहा कि लडके की शादी एवम जन्म पर 1100 दाम तय किया है। वही पंचायत प्रतिनिधियों का आरोप है कि हमारी पंचायत मे ज्यादातर कई परिवार इस कोरोना सकंटकाल मे किन्नरो को मनमानी बधाई नहीं दे सकते हैं और इस गम्भीर समस्या पर लोगों की बार बार शिकायतें आ रही थी इसी बात को ध्यान मे रखते हुए बधाई राशि तय की गई है। पंचायत प्रधान चुन्नी लाल ने बताया कि पंचायत द्वारा तय किया गया है कि कोई भी बाहरी फेरी वाला समान बेचने नहीं आ सकता अगर इसका कोई उलंघन करता है तो उसे पुलिस के हवाले सौंपकर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
डीसी काँगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने आज शुक्रवार को श्री चामुण्डा नन्दिकेश्वर धाम का कैलेंडर जारी किया। उन्होंने बताया कि श्री चामुंडा मंदिर देशभर के लोगों की आस्था से जुड़ा है और हर वर्ष श्रद्धालु बड़ी संख्या में माता के दर्शन के लिए यहाँ आते हैं। आस्था का बड़ा केंद्र होने के कारण लोगों की रुचि मंदिर से जुड़े प्रमुख दिनों और उत्सवों में सदैव रहती है। इससे मंदिर में मनाए जाने वाले पर्व, त्योहारों की जानकारी भक्तों को मंदिर के कैलेंडर के माध्यम से मिल सकेगी और मंदिर न्यास द्वारा मंदिर की परंपरा के अनुसार मनाए जाने वाले उत्सवों को कैलेंडर में विशेष तौर से अंकित किया गया है। इसके माध्यम से भक्त मंदिर से जुड़े प्रमुख मेलों और उत्सवों की तिथि जान पायेंगे और तदानुसार अपनी यात्रा प्लान कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि मंदिर में नवरात्रि और अन्य धार्मिक त्योहार बड़े उत्साह से मनाये जाते हैं। देश-विदेश के हजारों भक्त प्रतिवर्ष इन त्योहारों के समय श्री चामुंडा देवी के दर्शन करने आते हैं। साथ ही इन उत्सवों में शामिल होकर लोक परंपरा के अनुसार मनाये जाने वाले इन त्योहारों की जीवंतता और उपासना पद्धति से रूबरू भी होते हैं। वर्षभर में कौन से त्योहार कब मनाए जाएंगे, भक्तों को इसकी जानकारी देने के लिए यह आकर्षक कैंलेंडर निकाला गया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में चैत्र नवरात्र 22 मार्च (चैत्र प्रविष्टे 9) से 30 मार्च वीरवार (चैत्र प्रविष्टे 17 ) तक मनाये जाएँगे। जिसमें श्री दुर्गाष्टमी 29 मार्च (चैत्र प्रविष्टे 16) तथा श्रीरामनवमी 30 मार्च (चैत्र प्रविष्टे 17) को होगी। वहीं श्रावण अष्टमी मेला 17 अगस्त (भाद्रपद प्रविष्टे 1) से 25 अगस्त (भाद्रपद प्रविष्टे 9) तक श्री चामुंडा मंदिर में चलेंगे। साथ ही आश्विन नवरात्र 15 अक्तूबर (आश्विन प्रविष्टे 29) से 24 अक्तूबर (कार्तिक प्रविष्टे 8) तक मनाये जाएँगे। जिस दौरान श्री दुर्गाष्टमी 22 अक्तूबर (कार्तिक प्रविष्टे 6) तथा विजयदशमी 24 अक्तूबर (कार्तिक प्रविष्टे 8) को रहेगी। साथ ही श्री चामुंडा मंदिर में 18 फरवरी 2023 को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जायेगा। इस अवसर पर अतिरिक्त जिलादंडाधिकारी रोहित राठौर, सहायक आयुक्त मंदिर तथा एसडीएम धर्मशाला शिल्पी बेक्टा, सहायक नियंत्रक तिलक राज चौधरी तथा कुलदीप अवस्थी उपस्थित रहे।
जिला सोलन के क्षेत्रीय अस्पताल में जल्द ही बायोकेमिस्ट्री और हार्मोनल एसिस मशीन से होने वाले टेस्ट की सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी। इसके लिए स्वास्थ्य निदेशालय ने अस्पताल प्रशासन को मशीनों की खरीद के लिए 39 लाख रुपये की मंजूरी दे दी है। बता दें कि बीते माह क्षेत्रीय अस्पताल में सरकारी लैब की बायोकेमिस्ट्री टेस्ट मशीन खराब हो गई थी और अस्पताल में हार्मोनल एसिस मशीन भी उपलब्ध नहीं थी। इस कारण गर्भवती महिलाओं को जांच हेतु कई प्रकार के टेस्ट की सुविधा नहीं मिल रही थी। गर्भवती महिलाओं को टेस्ट करवाने के लिए निजी लैब का रुख करना पड़ता था। इन सबके मद्देनज़र अस्पताल प्रशासन ने उच्चाधिकारियों को दो मशीनें खरीदने का प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद जल्द ही इन दोनों मशीनों को खरीद लिया जाएगा। इसके बाद से मरीजों को सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी। इसी के साथ खराब पड़ी पुरानी बायोकेमिस्ट्री मशीन को भी ठीक करवाने के लिए कहा गया है, ताकि एक समय पर अधिक से अधिक टेस्ट हो सके और मरीज़ों को किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े।
हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बर्फ़बारी के चलते प्रदेश में भर में 330 बिजली ट्रांसफार्मर ठप हो गए हैं। कई क्षेत्रों में ब्लैकआउट छा गया है। मंडी जिले में 147, लाहौल-स्पीति जिले में 106, चंबा जिले में 3, किन्नौर जिले में 28, कुल्लू जिले में 22, शिमला जिले के डोडरा क्वार सब डिवीजन में 24 बिजली ट्रांसफार्मर ठप हैं। सूबे में तीन नेशनल हाईवे समेत 275 सड़कें अवरुद्ध हैं। लाहौल-स्पीति जिले में सबसे ज्यादा 177 सड़कों पर आवाजाही बंद है। चंबा जिले में 5, किन्नौर में 9, कांगड़ा में 2, कुल्लू में 3, मंडी में 13 और शिमला में 64 सड़कें अवरुद्ध हैं। वहीं एक जलापूर्ति योजना भी प्रभावित है। कुल्लू और लाहौल घाटी में मौसम फिर से मेहरबान हो गया है। रोहतांग दर्रा के साथ कुल्लू के पर्यटन स्थलों में भारी बर्फबारी हुई है।
हिमाचल प्रदेश में 23 जनवरी तक मौसम खराब रहने का पूर्वानुमान है। हालांकि, मैदानी क्षेत्रों में 21 और 22 जनवरी को मौसम शुष्क रहेगा। मध्य व उच्च पर्वतीय कई भागों में 23 जनवरी तक बारिश-बर्फबारी के आसार हैं। वहीं सोलन जिला में शुक्रवार को शहर और आसपास के क्षेत्र में 2 दिन बादल छाए रहने और हल्की बारिश का दौर जारी रहेगा हैं। साथ ही सुबह के समय कोहरा छा रहा है, जिससे विजिबिलिटी भी काफी कम हुई है। आज भी सोलन में हल्की बारिश का दौर जारी है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने 23 जनवरी को मैदानी क्षेत्रों में बारिश और ओलावृष्टि का येलो अलर्ट जारी किया है। इससे लोगों को दिन के समय ठंड से राहत मिलेगी। हालांकि सुबह-शाम की ठंड अभी और कंपाएगी। अभी जिला का न्यूनतम तापमान 1 से 5 डिग्री सेल्सियस के बीच चल रहा है। उधर, गुरुवार को केलांग में न्यूनतम तापमान माइनस 5.9 प्रतिशत दर्ज किया गया है, जबकि अधिकतम तापमान बिलासपुर में 20 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। शिमला का न्यूनतम तापमान 5.8, भुंतर 5.2, कल्पा माइनस 1.8, धर्मशाला 5.2, ऊना 6.4, नाहन 6.3, मंडी 5.6, हमीरपुर 6.5, बिलासपुर 4.0 और मनाली में 1.8 दर्ज किया गया।
कैंसर के मरीज़ों को अमूमन अपने इलाज के लिए प्रदेश से बहार के अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ते है, जिस कारण मरीज़ों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब मरीज़ो को अपने कैंसर के इलाज के लिए प्रदेश से बहार जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल IGMC में कैंसर के इलाज के लिए लगभग 33 करोड़ के बजट से 2 मशीने लगाई जाएगी। इसमें लिनियर एक्सीलिटर मशीन जिसकी लागत 24 करोड़ है और सीटी साइमोलेटर मशीन जिसकी लागत 9 करोड़ की है बहुत जल्द नीदरलैंड से आएगी। इन मशीनों के लिए IGMC प्रशासन ने ऑर्डर दे दिए हैं। मशीन तैयार करने और शिमला पहुंचने में 2 से 3 महीने का समय लगेगा। जानकारी के अनुसार, अप्रैल तक यह मशीनें IGMC पहुंच जाएंगी, जिसके बाद मरीजों को इलाज के लिए बाहरी राज्यों के अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। दोनों मशीनों के आने से कैंसर के मरीज़ों का इलाज़ और भी आसान हो जायेगा। लीनियर एक्सीलिटर मशीन से ट्यूमर वाले हिस्से पर सीधे रेडिएशन डाली जाती है, जो केवल कैंसर सेल को खत्म करती है और दूसरे सेल को नुक्सान नहीं पहुंचती। लीनियर एक्सीलिटर मशीन से दूसरी मशीनों के मुकाबले ज्यादा रेडिएशन निकलता है। इस मशीन को चलाने के लिए रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट का होना जरूरी है। वहीं सीटी साइमोलेटर मशीन सीटी स्कैन मशीन की तरह है, जिससे मरीज को इलाज में काफी मदद मिलेगी। इस सन्दर्भ में IGMC प्रिंसिपल डॉ.सीता ठाकुर ने कहा कि मशीन आने से मरीजों को काफी राहत मिलेगी। प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पातल में यह मशीनें नहीं है, जिस कारण मरीज को बाहरी राज्य का रूख करना पड़ता है। मशीनें आ जाने से मरीजों का पैसा और समय दोनों बचेगा। कैंसर हॉस्पिटल में स्पेस की कमी थी जिस कारण IGMC प्रशासन मशीन नहीं खरीद पा रहा था। लेकिन अब IGMC प्रशासन ने स्पेशल मशीन रखने के लिए नई बिल्डिंग बनाई है। इसका काम प्रगति पर है, जो जल्द पूरा हो जाएगा और मशीन आने से पहले बिल्डिंग बनकर तैयार हो जाएगी।
हिमाचल रोडवेज की राज्य के अंदर चलने वाली बसों की बुकिंग अब लोग कहीं से भी करा सकेंगे। HRTC ने सभी लॉन्ग रुट्स पर ऑनलाइन बस बुकिंग की सुविधा का दायरा बढ़ा दिया है। अब हर डिपो के तहत चलने वाली बसें अपने गंतव्य से ही ऑनलाइन सुविधा से जोड़ दी गई हैं। हमीरपुर डिपो ने लॉन्ग रूट्स के अलावा लोकल रूट्स को भी अब ऑनलाइन सुविधा से जोड़ने का काम आगे बढ़ा दिया है। सबसे अहम यह है कि लॉन्ग रूट्स पर सवारियों के उतरने और चढ़ने के स्टॉपेज भी बढ़ा दिए गए हैं। अब लोगों को अपने घर द्वार से ही बस मिल जाएगी। HRTC ने लॉन्ग रूट की सभी कैटेगरी की बसों के लिए ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा दी है, लेकिन इससे यात्रियों का पुायदा होगा, क्योंकि जिस भी डिपो की बस होगी, वह जहां से चलेगी। वहीं से ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा यात्री को मिलेगी। पहले ऐसा नहीं था। पहले डिपो के हेड क्वार्टर से ही इसकी सुविधा मिला करती थी, लेकिन अब यात्री जहां है, वहीं से वह ऑनलाइन बुकिंग करवा सकेगा। अपना स्टेशन वहीं से अंकित कर लेगा। हमीरपुर डिपो के रीजनल मैनेजर विवेक लखनपाल का कहना है कि सभी कैटेगरी की बसों के लिए ऑनलाइन बुकिंग सर्विस शुरू कर दी गई है। अब जहां से बस चलेगी, वहीं से उतने और चढ़ने की सुविधा यात्री को मिल जाएगी। पहले यह डिपो के मुख्य स्टेशन से शुरू हुआ करती थी। लोकल रूट्स पर भी इसे लगभग 40 फीसदी तक अमलीजामा पहना दिया गया है। चरणबद्ध तरीके से हिमाचल के सभी डिपो में सुविधा लागू हो जाएगी।
हिमाचल प्रदेश में हुई ताज़ा बर्फबारी के बाद अटल टनल रोहतांग मार्ग यातायात के लिए फिर से बंद हो गया है। अटल टनल के साउथ पोर्टल में लगभग तीन इंच बर्फबारी दर्ज कि गए है। वहीं सोलंगनाला, धुंधी, पलचान समेत मनाली में भी हल्की बर्फबारी हुई है। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह लाहौल घाटी में हुई भारी बर्फबारी के बाद से बंद अटल टनल रोहतांग मंगलवार को ही खुली थी। जिला प्रशासन ने आम पर्यटक वाहनों को भी अटल टनल के नॉर्थ पोर्टल में प्रवेश करने की अनुमति दी थी। लेकिन गुरुवार को फिर से बर्फ़बारी के टनल बंद करने का फैसला लिया गया है। वहीं मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से 20 जनवरी तक जिला चंबा, लाहौल-स्पीति, किन्नौर, कुल्लू, कांगड़ा, मंडी और शिमला में बारिश-बर्फबारी की संभावना है। इस अवधि के दौरान निचले व मैदानी इलाकों में बादल छाए रहने के साथ हल्की बारिश हो सकती है। 24 से 26 जनवरी को भारी बारिश और बर्फबारी का पूर्वानुमान है। इस दौरान किन्नौर, लाहौल-स्पीति, कुल्लू के साथ शिमला, चंबा, कांगड़ा, मंडी, सिरमौर जिले व आसपास के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी बारिश-बर्फबारी हो सकती है। शिमला शहर में भी भारी बर्फबारी का पूर्वानुमान है।
मुख्य संसदीय सचिव राम कुमार ने आज दून विधानसभा क्षेत्र के धखडू माजरा में 1.14 करोड़ रूपये की लागत से निर्मित होने वाली पेयजल योजना का भूमि पूजन किया। उन्होंने कहा कि इस पेयजल योजना के निर्माण से लगभग पांच हजार से अधिक लोग लाभान्वित होंगे। इससे पूर्व मुख्य संसदीय सचिव राम कुमार ने राजकीय महाविद्यालय बरोटीवाला के नवनिर्मित भवन का निरीक्षण किया तथा संबंधित अधिकारियों को इस संदर्भ में दिशा-निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि इस कॉलेज का उद्घाटन मुख्यमंत्री द्वारा फरवरी माह में किया जाएगा और प्रदेश सरकार द्वारा विधानसभा चुनाव-2022 में दी गई सभी गारंटियों का राज्य सरकार चरणबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगी। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि वर्तमान सरकार एक लाख युवाओं को रोजगार देने के लिए वचनबद्ध है और इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण किया जाएगा। इस मौके पर मुख्य संसदीय सचिव राम कुमार ने धखडू माजरा के लोगों की समस्याएं भी सुनी और इस पर सहाभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर उप कोषाध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस कमेटी चौधरी मदनलाल, बीबीएन इंटक अध्यक्ष संजीव कुमार, उपाध्यक्ष ब्लॉक कांग्रेस कमेटी प्रदीप कुमार, दून ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष कुलतार ठाकुर, पार्षद तरसेम लाल चौधरी, सुरजीत चौधरी, मोहन लाल, अजमेर कौर, पूर्व बीडीसी सदस्य महेन्द्र सिंह राणा सहित जल शक्ति विभाग के अधिशाषी अभियंता राहुल मौजूद थे।
उपायुक्त सोलन कृतिका कुलहरी ने कहा कि राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी, 2023 को ज़िला मुख्यालय सोलन में आयोजित किया जाएगा। कृतिका कुल्हारी ने बताया कि इस वर्ष महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बालिका दिवस सप्ताह मनाने का निर्णय लिया गया है। यह सप्ताह 18 जनवरी से 24 जनवरी, 2023 तक मनाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक जन-भागीदारी को सुनिश्चिित किया जा सके। उपायुक्त ने कहा कि इस राष्ट्रीय बालिका दिवस सप्ताह के तहत ज़िला, खण्ड व ग्राम स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन सुनिश्चित किए जाएंगे जिसके माध्यम से विभिन्न स्तर पर हस्ताक्षर अभियान, लड़कियों के बीच खेल-कूद, संस्कृति शिक्षा, सामुदायिक लामबंदी को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सप्ताह के दौरान स्वास्थ्य और पोषण, लिंग चयन प्रतिषेध, गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम और अन्य महिलाओं से सम्बन्धित कानूनों से समस्त जन-मानस को जागरूक किया जाएगा। कृतिका कुलहरी ने कहा कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बालिका के घटते लिंगानुपात में कमी लाना तथा समाज में बालिकाओं/महिलाओं के प्रति सम्मान, अधिकार और विभिन्न क्षेत्रों में उन्नति करवाना है। उन्होंने समस्त नागरिकों से आग्रह किया कि वे सरकार द्वारा प्रायोजित इस अभियान को सफल बनाने में योगदान दें।
शूलिनी विश्वविद्यालय ने विभिन्न विभागों में योग, उद्यमिता और अनुसंधान पर सहयोग करने के लिए दक्षिण अफ्रीका के वेंडा विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। दक्षिण अफ्रीका के एक प्रतिनिधिमंडल ने विभिन्न गतिविधियों में भाग लेते हुए शूलिनी विश्वविद्यालय में एक सप्ताह बिताया। उन्होंने संयुक्त शोध परियोजनाओं पर चर्चा करने के लिए शूलिनी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रोफेसर पी के खोसला और कुलपति प्रोफेसर अतुल खोसला से मुलाकात की। उन्होंने वेंडा विश्वविद्यालय के साथ अनुसंधान सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओए) पर भी हस्ताक्षर किए। इसके प्रावधानों के तहत, वेंडा विश्वविद्यालय ने पुष्टि की है कि शूलिनी योग संकाय के दो सदस्यों को वेंडा विश्वविद्यालय में योग सेमिनार आयोजित करने के लिए धन मुहैया कराया जाएगा। प्रतिनिधियों ने स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स द्वारा आयोजित बेलेट्रिस्टिक कार्यक्रम में भी भाग लिया और दक्षिण अफ्रीका में संस्कृति और महिलाओं की भागीदारी पर चर्चा की। प्रोफेसर मारिजबिकुरु मंजोरो, स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर और प्रो. रमेशिया शोनीसानी, स्कूल ऑफ फूड टेक्नोलॉजी, वेंडा विश्वविद्यालय से फैकल्टी एक्सचेंज प्रोग्राम के हिस्से के रूप में फरवरी 2023 से शुरू होने वाले शूलिनी परिसर में एक सेमेस्टर बिताएंगे। अंतर्राष्ट्रीय मामलों के निदेशक डॉ आरपी द्विवेदी ने कहा कि टीम अंतर्राष्ट्रीय संकाय विकास कार्यक्रम का हिस्सा थी और हम आने वाले वर्ष में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने का इरादा रखते हैं। अंतर्राष्ट्रीय मामलों की उप निदेशक डॉ रोज़ी धंता ने खुलासा किया कि आने वाले सप्ताह में कनाडा और मलेशिया से एक अकादमिक प्रतिनिधिमंडल शूलिनी का दौरा करेगा। शूलिनी विश्वविद्यालय का दौरा करने वाले प्रतिनिधियों में डॉ. रॉबर्ट मार्टिन, कॉर्पोरेट सेवाओं के उप-कुलपति (प्रतिनिधिमंडल के नेता), प्रो शिलिद्ज़ी मुलाउद्ज़ी, कार्यवाहक कार्यकारी डीन, स्वास्थ्य विज्ञान संकाय शामिल थे। डॉ. ओलुसेगुन ओबादिरे, कार्यवाहक निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय संबंध और भागीदारी, डॉ. मरियम मोहलाला, विभागाध्यक्ष, बायोकाइनेटिक्स, मनोरंजन और खेल विज्ञान, सीए बोत्वे क्रेज़िया, वित्त विभाग से शामिल थे।
तख्त पलट चुका है और सीएम पद का ताज अब सुखविंदर सिंह सुक्खू के सर पर है। कांग्रेस के वादों पर जनता ने ऐतबार किया और अब इन वादों को पूरा करने की बारी कांग्रेस की है। कांग्रेस की सत्ता वापसी की पटकथा रणनीतिकारों ने उन दस गारंटियों की बिसात पर लिखी थी जिन्हें अब पार्टी को पूरा करना होगा। पहली गारंटी यानी पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। अब जल्द प्रदेश के सभी सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा। पर नौ गारंटियां अभी बाकी है, सुक्खू सरकार का बड़ा इम्तिहान अभी बाकी है। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू बार- बार दोहरा रहे है कि चुनाव के दौरान कांग्रेस द्वारा दी गई हर गारंटी पूरी होगी। पर सीएम ये याद दिलाना भी नहीं भूलते कि तमाम वादे पांच साल के लिए किये गए है। यानी स्पष्ट है कि सरकार इन वादों को पूरा करने की मंशा तो रखती है लेकिन उन्हें पूरा करने में वक्त लग सकता है। दरअसल प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति भी इन वादों को जल्द पूरा करने में बाधा है। प्रदेश पर 75 हजार करोड़ का कर्ज है और करीब 11 हजार करोड़ कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इस 86 हजार करोड़ के अतिरिक्त अब ओपीएस लागू करने से भी सरकार पर करीब 900 करोड़ का भार बढ़ा है। ऐसे में जाहिर है सरकार को वादे पूरे करने है तो आय भी बढ़ानी होगी। इसका असर आम आदमी की जेब पर भी पड़ेगा। मसलन डीजल पर तीन रुपये प्रति लीटर वेट बढ़ाकर सरकार ने ओपीएस का प्रबंध किया है, ऐसा खुद सीएम का कहना है। आगे भी सरकार कड़े फैंसले लेगी, इसका इशारा भी सीएम दे चुके है। यानी अब सुक्खू सरकार के लिए ये तलवार की धार पर चलने के समान है। ये देखना दिलचस्प होगा कि किस तरह सुक्खू सरकार जनता की नाराजगी मोल लिए बिना इन वादों की कसौटी पर खरा उतरती है। कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने से पहले कई वादे किए थे, ये सिर्फ वादे नहीं थे, गारंटियां थी। इन्हीं गारंटियों के बूते कांग्रेस के प्रचार प्रसार को हवा मिली और पार्टी सत्ता कब्ज़ाने में कामयाब रही। एक गारंटी पूरी जरूर हुई है मगर अभी नौ शेष है। विधानसभा चुनाव तो पार्टी इन वादों के बूते जीत चुकी है मगर आने वाले लोकसभा चुनाव में भी इन वादों का असर दिख सकता है। यानी इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता कि सुक्खू सरकार का कामकाज और पूरी हुई गारंटियों का नंबर तय करेगा कि कांग्रेस 2024 लोकसभा चुनाव में बेहतर कर पाती है या फिर भाजपा का डंका बजता है। ऐसे में जाहिर है सुक्खू सरकार भी चाहेगी कि जल्द से जल्द, अधिक से अधिक गारंटियां पूरी हो। सुक्खू सरकार को अभी डेढ़ महीना भी नहीं हुआ है और सरकार पुरानी पेंशन का वादा पूरा कर चुकी है। इसी के साथ-साथ दो अन्य गारंटियों के लिए कैबिनेट सब कमेटी का गठन भी हो चुका है। सरकार ने पहली कैबिनेट की बैठक में महिलाओं को 1500 देने व युवाओं को रोज़गार देने के लिए सब कमेटी का गठन किया गया है। महिलाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह देने के लिए चौधरी चंद्र कुमार, कर्नल धनीराम शांडिल और अनिरुद्ध सिंह के नेतृत्व में कमेटी बनाई गई है। ये कमेटी 30 दिन में इस वादे को पूरा करने के लिए ब्लू प्रिंट सौपेंगी। वहीं माना जा रहा है कि इसके बाद इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा सकता है। इसके साथ एक अन्य कैबिनेट सब कमेटी का भी गठन किया गया है जो प्रदेश की नई रोजगार नीति बनाने के लिए आगामी 30 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। यानी एक गारंटी पूरी हो चुकी है और बाकी दो गारंटियों के लिए सरकार तैयारी कर चुकी है। इन तीन गारंटियों के अलावा भी प्रदेश की जनता से कई बड़े वादे किये गए है। इनमें 300 यूनिट बिजली मुफ्त देना, दो रूपए किलो गोबर खरीदना, बागवानों द्वारा फलों की कीमत तय करने का वायदा, युवाओं के लिए 680 रुपये करोड़ का स्टार्ट-अप फंड बनाना, हर गांव में मोबाइल क्लीनिक से मुफ्त इलाज करवाना, हर विधानसभा में 4 अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलना ,गाय-भैंस पालकों से हर दिन 10 लीटर दूध खरीदने जैसे वादे पेंडिंग है। आगामी 25 जनवरी को हिमाचल का पूर्ण राज्यत्व दिवस समारोह भी होना है और उस दौरान प्रदेश की जनता को सरकार क्या देती है इसपर भी निगाहें रहेगी। माहिर मान रहे है कि स्टार्ट अप फण्ड और 300 यूनिट फ्री बिजली के वादे को लेकर जल्द कोई ऐलान हो सकता है। सुक्खू सरकार का आगाज अच्छा है... सुक्खू सरकार एक सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ काम करती दिख रही है। प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति पर सीएम सुक्खू खुलकर बोल रहे है और इसे स्वीकार भी कर रहे है। आर्थिकी की गाड़ी पटरी पर लाने के लिए सीएम खुलकर जनता से समर्थन मांग रहे है और हर वादे को पूरा करने का संकल्प भी बार -बार दोहरा रहे है। सुखाश्रय कोष की स्थापना हो और चयन आयोग को सस्पेंड करने का निर्णय, सक्खू सरकार के इन फैसलों को अच्छा जन समर्थन मिला है। ओपीएस लागू कर सीएम सुक्खू फिलहाल कर्मचारियों के हीरो भी बन चुके है। डी नोटिफाई के मुद्दे पर भी सीएम सुक्खू ने आर्थिक स्थिति के तर्क के साथ जनता के बीच अपना पक्ष मजबूती से रखा है। वहीं करीब चार साल बाद देश के किसी राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी है, ऐसे में जाहिर है पार्टी आलाकमान भी चाहेगा कि सुक्खू सरकार हर वादे की कसौटी पर खरा उतरे। बहरहाल आगाज अच्छा है, पर आगे डगर कठिन जरूर है। ऐसे में सीएम सुक्खू किस तरह जन अपेक्षाओं पर खरा उतारते है, ये देखना दिलचस्प होगा।
जोगिन्दरनगर से रोपा बनवार रूट पर निगम की बस एक बार ट्रायल के चलते शुरू हुई। यह बस सेवा बीते पांच महीने से भजेरा गाँव के पास भारी बरसात के चलते सड़क धसने के कारण बंद थी। परिवहन निगम द्वारा इस रूट के ट्रायल के लिए बस भेजी गई, जो रोपा बनवार के लिए तो निकली पर बनवार गाँव न पहुँच कर मगरूनाले के पास से ही वापिस हो गई, जिसके चलते गांव के लोगों ने आक्रोश जताया। गांव के लोगों का कहना है कि इस प्रकार से आधी अधूरी बस सेवा बहाल करने का उन्हें कोई लाभ नहीं है। उन्होंने परिवहन विभाग से मांग की है की इस बस रूट को पहले की भांति सुचारू रूप से चलाया जाए।
हिमाचल के सोलन जिले में पिछले 7 दिन में लंपी का एक भी पॉजिटिव मामला सामने नहीं आया है। इस समय जिला में सिर्फ 7 एक्टिव केस बचे हैं। एक समय जिले में रोजाना के 500 से 600 केस रोजाना दर्ज किए जा रहे थे। वहीं जिले में अब तक 1654 पशुओं की जान जा चुकी है। पशुपालन विभाग सोलन के सहायक परियोजना निदेशक डॉ मनदीप कुमार ने कहा कि पिछले साल अगस्त माह में लंपी वायरस के मामले आना शुरू हुए थे। उसके बाद से ही विभाग ने टीमें बनाकर एहतियात बरतनी शुरू कर दी थी। वायरस को पूरी तरह खत्म करने के लिए वैक्सीनेशन का काम युद्धस्तर पर चल है। इसके बाद आगे भी चलता रहेगा। वहीं उन्होंने कहा कि जिले में अब तक लंपी वायरस के कुल 18209 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 16552 पशु ठीक हो चुके हैं, वहीं 1654 पशुओं की मौत हुई है। जिले में अभी 7 मामले एक्टिव हैं। बॉर्डर एरिया होने के चलते विभाग ने कड़ी नजर लंपी वायरस के मामलों पर बना रखी है। अब धीरे-धीरे लंपी वायरस का ग्राफ जिले में गिरता नज़र आ रहा है।
टीम इंडिया के खिलाड़ी इस समय इंटरनेशनल क्रिकेट में व्यस्त हैं, जहाँ सीनियर खिलाड़ी जैसे विराट और रोहित आजकल अपने बल्ले से शानदार पारी खेल रहे है। वही, युवा खिलाड़ी शुभमन गिल और मोहम्मद सिराज जैसे खिलाडी भी खुद को साबित करने में पीछे नहीं है। इसी कारण अब टीम में अपनी जगह बनाए रखने के लिए युवा एवं सीनियर खिलाड़ियों को शानदार प्रदर्शन करते रहना होगा। हालाकिं, कई खिलाड़ी ऐसे भी थे जो एक समय में टीम इंडिया के स्टार हुआ करते थे, लेकिन प्रतिस्पर्धा बढ़ने के चलते टीम से उनका पत्ता कट चुका है और उनकी वापसी होना नामुमकिन सा हो गया है। इन खिलाड़ियों में सबसे पहला नाम है मनीष पांडे, पांडे ने साल 2015 में जिम्बाब्वे के खिलाफ अपना वनडे और टी20 डेब्यू किया था। 33 साल के मनीष पांडे ने भारत के लिए 29 वनडे में 566 और 39 टी20 मुकाबलों में 709 रन बनाए है, दूसरे हैं इशांत किशन जिन्होंने नवंबर 2021 में न्यूजीलैंड के खिलाफ आखिरी टेस्ट मैच खेला था। इसके बाद नाम आता है आजिंक्य रहाणे का जिनकी कप्तानी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में टेस्ट सीरीज में मात दी थी, जिसके लिए उनकी कप्तानी की खूब प्रशंसा हुई थी। एमएस धोनी के टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद ऋद्धिमान शाह को बतौर विकेटकीपर काफी मौके मिले थे, हालांकि बाद में ऋषभ पंत के टीम में आने से ऋद्धिमान शाह का करियर ढलान की ओर चला गया। ऋद्धिमान शाह ने आखिरी बार साल 2021 में न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबला खेला था, उसके बाद से वह बाहर है। टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए वीरेंद्र सहवाग के अलावा सिर्फ करुण नायर ने तिहरा शतक बनाया था। हालांकि उस ट्रिपल सेंचुरी के बाद नायर का ग्राफ ऊपर चढ़ने की बजाय गिरता चला गया।
हिमाचल प्रदेश में बारिश और बर्फ़बारी का दौर जारी है। राजधानी शिमला में सोमवार सुबह के समय धूप खिली रही।मैदानी इलाकों में ऊना, बिलासपुर, मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर में भी सुबह और शाम के समय धुंध छाई रही। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला की जानकारी के अनुसार मंगलवार को प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान जताया है। पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से प्रदेश में 18 से 22 जनवरी तक बारिश और बर्फबारी के आसार हैं। वहीं धुंध छाए रहने से ठंड बढ़ गई है और सोमवार को शिमला के अधिकतम तापमान में भी कमी दर्ज हुई। रविवार रात को प्रदेश के सात क्षेत्रों का न्यूनतम तापमान माइनस में रिकॉर्ड हुआ। सोमवार को बिलासपुर में अधिकतम तापमान 21.5, ऊना में 19.8, मंडी में 17.9, भुंतर में 17.4, कांगड़ा में 16.8, हमीरपुर में 16.7, धर्मशाला-सोलन-सुंदरनगर में 16.0, नाहन में 14.7, शिमला में 11.4, मनाली में 9.6, कल्पा में 8.8 और केलांग में 3.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ।
शपथ लेने के बाद स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर कर्नल धनीराम शांडिल ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नमोहल बिलासपुर का औचक निरीक्षण किया। मंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के बाद यह उनका पहला निरीक्षण था। मंत्री ने मरीजों से मुलाकात की, उनसे ओपीडी में डॉक्टरों की उपलब्धता, अस्पताल में सेवा के बारे में पूछा, विभिन्न वर्गों का दौरा किया और व्यक्तिगत रूप से स्ट्रेचर जैसी चीजों की जांच भी की। मंत्री ने इस दौरान कहा कि प्रदेश की जनता को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए वे प्रयासरत है, इसके लिए अधिकारियों से समय-समय में संवाद कर फीडबैक लिया जाएगा।
उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा पर नियमित गश्त के दौरान खाई में गिरने से शहीद हुए 23 वर्षीय अमित शर्मा पंचतत्व में विलीन हो गए। शहीद का सैनिक एवं राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। ग्राम पंचायत धनेड़ के तहत तलाशी खुर्द किरवीं गांव के रहने वाले भारतीय सैनिक अमित शर्मा बीती 10 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा के माछिल सेक्टर में खाई में गिरने से शहीद हो गए थे। उन के घरवाले उनकी पार्थिव देह आने का पिछले सात दिन से इंतजार कर रहे थे। पार्थिव देह घर पहुंचते ही शहीद के अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। शहीद अमित शर्मा अभी अविवाहित थे। परिजनों ने उन्हें दूल्हे की तरह सजाकर विवाह की रस्में पूरी कीं। पार्थिव देह पर पेंट-कोट, सेहरा, नोटों का हार पहनाया गया। इसके बाद उन्हें घर से विदा किया गया। सिपाही अमित शर्मा 2019 में सेना में शामिल हुए थे और हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के थे। उनके पिता विजय कुमार दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते हैं। माता अलका देवी गृहिणी हैं।अमित तीन भाई-बहनों मे सबसे छोटे थे। अमित शर्मा के निधन से क्षेत्र में माहौल गमगीन बना हुआ है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 18 जनवरी को करीब तीन हजार से अधिक किलोमीटर का सफर तय कर सुबह साढ़े छह बजे कांगड़ा जिला के मीलवां गाँव से हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करेगी। प्रदेश में 24 किलोमीटर का सफर तय कर यात्रा की अगुवाई कर रहे पार्टी के नेता राहुल गांधी मलौट में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। इस दौरान हर जिला की लोक संस्कृति देखने को मिलेगी। यात्रा के लिए प्रदेश से कांग्रेस कार्यकर्ता भी मलौट पहुंचेंगे। हर जिला के कार्यकर्ता अपनी पारंपरिक वेशभूषा और संस्कृति की झलक पेश करते हुए यात्रा का भव्य स्वागत करेंगे। जनसभा के बाद भारत जोड़ो यात्रा पंजाब में प्रवेश करेगी और रात्रि विश्राम भी वहीं करेगी। शाहपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक केवल सिंह पठानिया ने बताया कि भारत जोड़ो यात्रा के स्वागत की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे।
हिमाचल प्रदेश में शनिवार को भी बर्फबारी का दौर जारी रहा। प्रदेश के ऊंचाई वालों क्षेत्रों में शनिवार को मनाली, नारकंडा, खड़ापत्थर, कुफरी और किन्नौर में बर्फबारी और राजधानी शिमला में बादल छाए रहे। शनिवार शाम तक हिमाचल प्रदेश में 276 सड़कें और 172 बिजली ट्रांसफार्मर बंद रहे। शुक्रवार रात को राजधानी शिमला के जाखू सहित कुफरी में बर्फबारी हुई। प्रदेश में 17 जनवरी तक मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है। 18 से फिर बारिश-बर्फबारी के आसार हैं। बर्फबारी से प्रदेश में शीतलहर बढ़ गई है। बर्फबारी के कारण शिमला-ठियोग राष्ट्रीय राजमार्ग, ठियोग-रामपुर और ठियोग-रोहड़ू राजमार्ग दोपहर एक बजे तक ठप रहा। कुल्लू और लाहौल घाटी में लगातार बर्फबारी से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। पर्यटन नगरी मनाली और बिजली महादेव में शनिवार को सीजन का पहला हिमपात हुआ। किन्नौर के छितकुल, रक्षम, सांगला, नाको, आसरंग, लिप्पा, नेसंग, कुन्नू चारंग, रूश्कलंग, नेंसग में ताजा बर्फबारी हुई है। शनिवार को लाहौल-स्पीति में 177, कुल्लू में 42, शिमला में 30, मंडी में 17, किन्नौर में पांच, चंबा में तीन और कांगड़ा में दो सड़कों पर वाहनों की आवाजाही ठप रही। कुल्लू में 126, शिमला में 28, चंबा में 10 और मंडी में आठ बिजली ट्रांसफार्मर बंद रहे।
सीएम सुखविंदर सुक्खू नए वित्त वर्ष के बजट से पहले विधायकों की प्राथमिकताएं जानेंगे। उन्होंने 30 और 31 जनवरी को विधायक प्रायोरिटी जानने हेतु सचिवालय में बैठक बुलाई है। इसमें सभी विधायकों से उनके चुनाव क्षेत्र से जुड़ी प्राथमिकताएं पूछी जाएंगी। इन प्राथमिकताओं को सरकार द्वारा आगामी वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। 30 जनवरी को 10:30 से दोपहर 1:30 बजे तक चंबा, शिमला, लाहौल स्पीति जिले के विधायकों की बैठक होगी। जबकि दोपहर बाद 2:00 से 5:00 बजे तक ऊना, हमीरपुर और सिरमौर जिले के विधायकों की बैठक होगी। वहीं अगले दिन यानी 31 जनवरी को कांगड़ा और किन्नौर जिले के विधायकों की बैठक सुबह 10:30 से 1:30 बजे बैठक होगी। जबकि दोपहर बाद सोलन, बिलासपुर और मंडी जिले के विधायकों की प्राथमिकता बैठक होगी। इनमें सभी विधायकों को एक-एक कर उनसे सड़क, पेयजल इत्यादि इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर प्राथमिकताएं पूछी जाएगी।
मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश के अनाथ बच्चों के हित में कई अहम निर्णय लिए है। मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना लांच कर इसके तहत अनाथ बच्चों की पढ़ाई, पालन-पोषण, त्योहार पर 500-500 रुपए देने जैसे कई कदम उठाये गए हैं। अब सुक्खू सरकार ने एक बार फिर लोगों का दिल जीत लिया है। सुक्खू सरकार ने बेसहारा व अनाथ बच्चों को एक और तोहफा दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने फैसला लिया है कि उनकी सरकार बेसहारा बच्चों को हवाई जहाज से घूमने ले जाएगी। इन बच्चों को थ्री-स्टार होटलों में ठहराया जाएगा। सरकार अनाथ बच्चों को 15 दिन घूमने भेजेगी, ताकि इन बच्चों को ऐसा एहसास न हो कि इनका कोई नहीं है। इसके लिए राज्य सरकार अनाथ आश्रम या किसी परिचित के घर पर रह रहे ऐसे बच्चों को घुमाने की योजना बना रही है। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के इस मानवीय फैसले की आम लोग जमकर सराहना कर रहे है। सीएम सुक्खू कह चुके है कि बेसहारा बच्चों की मां भी सरकार है और पिता भी सरकार। इनका ध्यान रखना सरकार की जिम्मेदारी है। सीएम सुक्खू ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को ऐसे बच्चों का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं। इसी तरह एकल नारी, विधवा और वृद्धजन का भी मुख्यमंत्री ने इसी तरह ध्यान रखने के निर्देश दिए है। सीएम ने दिया है एक माह का वेतन अनाथ और बेसहारा बच्चों के लिए शुरू की गई सुख आश्रय योजना में सीएम सुक्खू ने अपना एक माह का वेतन दिया है। इसके अलावा कांग्रेस के सभी विधायकों ने इसमें एक -एक लाख रुपये का सहयोग किया है। ये देखना रोचक होगा कि क्या सरकार की इस अच्छी पहल को विपक्ष का सहयोग भी मिलेगा।
कर्ज के बोझ तले दबी हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सुक्खू सरकार कई सख्त निर्णय ले सकती है। बीत दिनों ही सरकार ने डीजल पर तीन रुपये प्रति लीटर वैट बढ़ाया है और अब सीएम ने संकेत दिए हैं कि इसी तरह के कई और निर्णय सरकार ले सकती है। सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने साफ कहा है कि प्रदेश पर कर्जे का बोझ लेकर आगे नहीं बढ़ा जा सकता है और आने वाले समय में और भी कड़े फैसले लेने होंगे। सरकार संसाधन बढ़ाने के लिए काम कर रही है और उन्होंने सभी से सहयोग की अपील की है। सीएम सुक्खू ने प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति के लिए जयराम सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। सीएम का कहना है कि जयराम सरकार प्रदेश पर करीब 75 हजार करोड़ का कर्ज छोड़कर गई है और इसके अलावा करीब 11 हजार करोड़ रुपये कर्मचारियों की बकाया देनदारी है। इस तरह 86 हजार करोड़ का कर्ज सरकार पर है जिसके साथ आगे नहीं बढ़ा जा सकता। ऐसे में कड़े आर्थिक निर्णय लेने के सिवाए सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है। सरकार आने वाले समय में कर्ज का बोझ नहीं बढ़ाना चाहती। सीएम सुक्खू ने दो टूक कहा है कि चुनावी फायदे के लिए जयराम सरकार ने सात रुपये वैट घटाया था और अब उनकी सरकार ने सिर्फ तीन रुपये बढ़ाया है। इसके बाद भी हिमाचल प्रदेश में डीजल उत्तराखंड, पंजाब, जम्मू-कश्मीर से सस्ता है। उन्होंने कहा कि जयराम सरकार ने चुनावी लाभ के लिए आखिरी 6 माह में 900 संस्थान खोले जिनके लिए कोई वित्तीय प्रबंध नहीं है। इन संस्थानों को चलाने के लिए करीब पांच हजार करोड़ की आवश्यकता है, ऐसे में सरकार इन्हें डी नोटिफाई किया है। जरुरत होने पर आवश्यक वित्तीय प्रबंध कर नीड बेस संस्थान खोले जायेंगे। एरियर भुगतान में लग सकता है तीन साल का वक्त सीएम सुक्खू ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों-पेंशनरों का बकाया एरियर देने के लिए सरकार को तीन वर्ष तक का समय लग सकता है। प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक होने के बाद ही कर्मचारियों के बकाया का भुगतान होगा। हालांकि संसाधन जुटाने पर इसका भुगतान जल्द भी हो सकता है। उन्होंने कर्मचारियों से सहयोग की अपील की है।
"पांच साल में सारे वादे, सारे वचन पूरे होंगे।" कांग्रेस घोषणा पत्र में शामिल सभी वादों को पूरा करने की बात एक बार फिर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दोहराई है। सीएम सुक्खू ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली के साथ ही सरकार ने पहली गारंटी पूरी कर दी है, वहीं एक साल में दो और गारंटियों को पूरा किया जायेगा। महिलाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह देने का वादा भी जल्द पूरा होगा और रोजगार देने का भी। अन्य सभी वादों को पूरा करने के लिए सरकार के पास पांच साल का वक्त है और प्रदेश के वित्तीय हालत बेहतर कर हर वादा पूरा होगा। बीते दिनों हुई कैबिनेट बैठक में कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र को सरकार के नीति दस्तावेज के रूप में अपनाने का भी निर्णय लिया गया है और सभी संबंधित मंत्री व सचिव और विभागाध्यक्ष इसे अक्षरशः लागू करेंगे। वहीं इस दौरान महिलाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह देने के लिए एक कैबिनेट सब कमेटी का भी गठन किया गया है जिसमें चौधरी चंद्र कुमार, कर्नल धनीराम शांडिल और अनिरुद्ध सिंह शामिल है। ये कमेटी 30 दिन में इस वादे को पूरा करने के लिए ब्लू प्रिंट सौपेंगी। वहीं माना जा रहा है कि इसके बाद इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा सकता है। इसके साथ एक अन्य कैबिनेट सब कमेटी का भी गठन किया गया है जो प्रदेश की नई रोजगार नीति बनाने के लिए आगामी 30 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। सीएम सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में पारदर्शी भर्ती नीति बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। सीएम ने कहा कि हिमाचल में युवा दर दर भटकते हैं। ऐसा रोजगार नहीं देना चाहते, जहां पेपर पहले ही बिक जाता हो या लीक हो जाता हो। मेरिट की उपेक्षा न हो, इस दृष्टि से काम करना चाहते हैं। क्या कामकाजी महिलाओं को रखा जाएगा योजना से बाहर ? प्रदेश की महिलाओं को 1500 रु माह देने का वादा सुक्खू सरकार कैसे पूरा करेगी ये देखना दिलचस्प होगा। बेशक सरकार ने इसके लिए कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया हो लेकिन एक साथ सभी महिलाओं के लिए ये योजना लागू होगी, ऐसा मुश्किल लगता है। सम्भवतः सरकार इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करेगी। इस योजना के दायरे से कामकाजी महिलाओं को क्या बाहर रखा जायेगा, ये देखना भी रोचक होगा। निजी उद्योगों में हिमाचलियों को नौकरी की सख्त नीति संभव कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में पांच साल में पांच लाख रोजगार देने का वादा किया है। हर साल एक लाख नौकरियां देने का वादा किया गया है। अब सुक्खू सरकार इस वादे को कैसे पूरा करेगी, ये देखना रोचक होगा। अब तक सरकार ने भर्ती पॉलिसी में पारदर्शिता लाने को लेकर प्रतिबद्धता दिखाई है लेकिन नए रोजगार कहाँ से और कैसे उत्पन्न होंगे, ये बड़ा सवाल है। जाहिर है ये रोजगार सरकारी और गैर सरकारी दोनों क्षेत्रों में मिलाकर दिए जाने का लक्ष्य रखा गया है, पर सरकार किस नीति के साथ आगे बढ़ेगी इस पर निगाह रहने वाली है। माहिर मान रहे है कि प्रदेश के निजी उद्योगों में हिमाचलियों को रोजगार देने के लिए सख्त नीति बनाकर उसे सख्ती से लागू करने की दिशा में सुक्खू सरकार आगे बढ़ेगी।
बरसों का इन्तजार खत्म हुआ और हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग पूरी हो गई। बीते दिनों हुई कैबिनेट बैठक में प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने का ऐलान कर दिया है। जिस मसले ने प्रदेश की चुनावी हवा का रुख बदल कर रख दिया था, अब वो मसला हल हो गया है। प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मानों कर्मचारियों के लिए मसीहा बनकर आए और उनकी पेंशन की सबसे बड़ी टेंशन को खत्म कर गए। कर्मचारी एक लम्बे अर्से से अपने बुढ़ापे की सुरक्षा की मांग रहे थे । पिछली सरकार ने जिन कर्मचारियों पर एफआईआर की इस सरकार ने उन्हीं कर्मचारियों को गले लगा लिया। जो कर्मचारी सचिवालय का घेराव किया करते थे, वो ही कर्मचारी सचिवालय के बाहर जश्न मनाते दिखाई दिए। नाचते गाते खुशियां मनाते दिखाई दिए। यही नहीं इन कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को नायक की उपाधि भी दे दी। हिमाचल में करीब सवा लाख कर्मचारी इस समय एनपीएस के दायरे में आते हैं और ये सवा लाख कर्मचारी और इनके परिवार लगातार पुरानी पेंशन की मांग कर रहे थे। अब कर्मचारियों को पुरानी पेंशन के ऐलान के साथ ही एक लम्बे संघर्ष पर विराम लग गया है। इस संघर्ष की चिंगारी साल 2015 में भड़की थी और देखते ही देखते ये चिंगारी ज्वाला में बदल गई। जब प्रदेश में पुरानी पेंशन को हटा कर नई पेंशन लाई गई तो कर्मचारियों ने इसका स्वागत किया। लेकिन कुछ समय बाद जब इसके परिणाम सामने आए तो कर्मचारियों को समझ आ गया कि नई पेंशन स्कीम उनके लिए घाटे का सौदा है और फिर नई पेंशन को हटा पुरानी पेंशन की मांग की सुगबुगाहट तेज़ हो गई और साल 2015 तक कर्मचारी संगठित हो गए। साल 2017 से पहले जब भाजपा विपक्ष में थी तो पुरानी पेंशन कर्मचारियों को लौटाने के वादे किया करती थी। 2017 में जब भाजपा की सरकार बनी तो कर्मचारियों को उम्मीद थी कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए प्रदेश सरकार कुछ कदम उठाएगी। दरअसल कर्मचारियों का कहना था कि इससे पहले जब भाजपा विपक्ष में थी तो खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस मांग की पैरवी किया करते थे। परन्तु सत्ता में आने के बाद जब कोई बदलाव होता नहीं दिखा तो शुरुआत हुई उस संघर्ष की जो आगे चल कर प्रदेश के कर्मचारियों के सबसे बड़े आंदोलन में तब्दील हो गया। उस वक्त किसी ने ये सोचा भी नहीं था कि कर्मचारियों की मांग आगे चलकर इतना विशाल आंदोलन बन जाएगी। कर्मचारियों ने पेंशन बहाली के लिए खूब जतन किए। शुरुआत में कर्मचारियों ने विधायकों से मिलकर अपनी मांग को उठाया। ये सिलसिला लम्बे समय तक चलता रहा और कर्मचारियों ने प्रदेश के हर बड़े नेता के दर पर दस्तक दी। फिर धीरे-धीरे मांग बढ़ती गई और नेताओं की नजरअंदाजी के चलते नाराज़ कर्मचारी सड़कों पर उतरने लगे। 25 जुलाई, 2017 को शिमला सचिवालय के बाहर पहली रैली हुई थी। फिर कई पेन डाउन स्ट्राइक हुई तो इस मुद्दे को और हवा मिल गई। मगर जब किसी ने सुनी नहीं तो प्रदेश के कर्मचारी और भी भड़क गए और मामला विधानसभा घेराव तक पहुंच गया। कभी भारी संख्या में कर्मचारी धर्मशाला पहुंचे तो कभी शिमला, पेंशन व्रत हुए, पेंशन संकल्प रैली हुई, पेंशन अधिकार रैली हुई। कर्मचारियों के इन प्रदर्शनों में उमड़ा जनसैलाब स्पष्ट संकेत देता रहा था कि कर्मचारी मानने को तैयार नहीं थे। मगर सरकार हर बार आर्थिक परिस्थितियों का हवाला देती रही। कर्मचारियों का ये संघर्ष बहुत कम समय में एक आंदोलन में बदल गया। जयराम सरकार द्वारा 2009 की अधिसूचना लागू कर प्रदेश के कर्मचारियों को मनाने का भी प्रयास हुआ मगर कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग पर अड़े रहे। इस मसले पर लगातार भाजपा आर्थिक परिस्थितियों का हवाला देती रही। पूर्व सरकार ने कई बार स्पष्ट किया कि प्रदेश के आर्थिक हालात ऐसे नहीं है कि पुरानी पेंशन लागू की जाए, मगर संभावनाएं फिर भी तलाशी जाएंगी। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी स्पष्टीकरण देते रहे कि हिमाचल सरकार अपने बलबूते ओल्ड पेंशन का भुगतान नहीं कर पाएगी, क्योंकि राज्य का राजकोष केंद्र सरकार से मिलने वाले रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट पर चलता है। मगर ये सर्व विदित था की मसला सिर्फ आर्थिक स्थिति का नहीं है। दरअसल देश के 12 राज्यों में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है, जबकि 4 राज्यों में भाजपा समर्थित सरकार है। यदि किसी एक भी राज्य में भाजपा पुरानी पेंशन बहाल करती है तो बाकि राज्यों के कर्मचारी भी चाहेंगे कि उन्हें भी पुरानी पेंशन दी जाए और अंततः केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए भी पुरानी पेंशन बहाल करनी होगी। ऐसे में हकीकत ये थी कि चाहकर भी जयराम सरकार के लिए ऐसा करना मुश्किल था। वहीं कांग्रेस के लिए परिस्थितियां अलग थी। तीन राज्यों में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार है, हिमाचल, राजस्थान और छत्तीसगढ़। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी पहले ही पुरानी पेंशन लागू कर चुकी थी और अब हिमाचल में भी ऐलान कर दिया गया है। इसी के साथ झारखंड, तमिलनाडु और बिहार में कांग्रेस गठबंधन की सरकार है और झारखंड में भी पुरानी पेंशन की घोषणा हो चुकी है। जिस मुद्दे को भाजपा महज़ कर्मचारियों की एक मांग समझती रही कांग्रेस ने इस मुद्दे की गहराई को भांपा। कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए भी इस मुद्दे का समर्थन कर इसे खूब हवा दी और अपने चुनावी घोषणा पत्र में कांग्रेस की पहली गारंटी भी पुरानी पेंशन की बहाली ही थी। उधर कर्मचारियों ने भी प्रदेश में 'वोट फॉर ओपीएस' अभियान चलाया और स्पष्ट कर दिया की जो पेंशन की बात करेगा कर्मचारी उसी को वोट देंगे। आम आदमी पार्टी ने भी इस मसले की गहराई को समझते हुए पहले पंजाब में पेंशन बहाली की घोषणा की और फिर हिमाचल में भी पुरानी पेंशन बहाली का वादा किया। जबकि भाजपा के घोषणा पत्र से ये वादा नदारद रहा। नतीजा सभी के सामने है। इस चुनाव में कांग्रेस ने कर्मचारियों से वादा किया और कर्मचारियों ने कांग्रेस का समर्थन किया। आज प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार है और कर्मचारियों को भी उनकी पुरानी पेंशन मिलने का ऐलान हो चुका है। इस वर्ष 800 करोड़ रुपये होंगे खर्च : मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के अनुसार हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम देने के लिए इस साल करीब 800 करोड़ रुपये खर्च होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वक्त में इसका बजट और बढ़ जाएगा। यह मालूम रहे कि प्रदेश में नई पेंशन स्कीम वाले इस साल 1500 से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त होने हैं। छत्तीसगढ़ से मिलता-जुलता हो सकता है फार्मूला : हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने का फार्मूला छत्तीसगढ़ से मिलता-जुलता हो सकता है। छत्तीसगढ़ में कर्मचारी केंद्र से पैसा वापस लाकर पिछली रकम को खुद जमा कर रहे हैं। वहां पर कर्मचारियों को ओपीएस में आने या एनपीएस में बने रहने के दोनों ही विकल्प दिए गए हैं। जहां तक छत्तीसगढ़ के फार्मूले की बात है तो वहां पर निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार के कर्मचारी एक नवंबर 2004 के स्थान पर एक अप्रैल 2022 को छत्तीसगढ़ सामान्य भविष्य निधि के सदस्य बनेंगे। छत्तीसगढ़ सरकार ने एक अप्रैल 2022 से पहले नियुक्त कर्मचारियों को एनपीएस में बने रहने या पुरानी पेंशन योजना में शामिल होने का विकल्प दिया था। इसके लिए कर्मचारियों से वहां शपथ पत्र भी मांगा जा रहा है। यदि कोई कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना का विकल्प चुनता है, तो उसे 1 नवंबर 2004 से 31 मार्च 2022 तक सरकार के योगदान और लाभांश को एनपीएस खाते में राज्य सरकार को जमा करना पड़ता है। वहीं, सरकारी कर्मचारियों को इस अवधि के दौरान एनपीएस में जमा कर्मचारी अंशदान और लाभांश एनपीएस नियमों के तहत देने की व्यवस्था की गई है। हालांकि, यह तो छत्तीसगढ़ की व्यवस्था है, पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हिमाचल का अपना सर्वश्रेष्ठ मॉडल बताया है। ऐसे में लग रहा है कि यह छत्तीसगढ़ के मॉडल से कुछ भिन्न भी हो सकता है। खुद प्रियंका गांधी पहुंची थी मिलने प्रदेश में पुरानी पेंशन के मुद्दे की गहराई को समझते हुए खुद प्रियंका गांधी भी कर्मचारियों से मिलने पहुंची थी। दरअसल प्रदेश के कर्मचारी पुरानी पेंशन की मांग के लिए क्रमिक अनशन पर बैठे थे। इस अनशन के दौरान सरकार का कोई भी नुमाइंदा या भाजपा का कोई बड़ा नेता कर्मचारियों से मिलने नहीं पहुंचा। हालाँकि प्रियंका गाँधी सोलन में अपनी रैली के दौरान कर्मचारियों से मिलने पहुंची और उनसे उनका हाल जाना। पुरानी पेंशन लागू होने के बाद प्रियंका गाँधी ने कर्मचारियों को बधाई दी है। कर्मचारी इसलिए नहीं चाहते पुरानी पेंशन : साल 2004 में केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों की पेंशन योजना में एक बड़ा बदलाव किया था। इस बदलाव के तहत नए केंद्रीय कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना के दायरे से बाहर हो गए। ऐसे कर्मचारियों के लिए सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम को लॉन्च किया। यह 1972 के केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम के स्थान पर लागू की गई और उन सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए इस स्कीम को अनिवार्य कर दिया गया जिनकी नियुक्ति 1 जनवरी 2004 के बाद हुई थी। अधिकतर सरकारी कर्मचारी नेशनल पेंशन सिस्टम लागू होने के बाद से ही पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने को लेकर मुहिम चला रहे हैं। पश्चिम बंगाल को छोड़ देश के हर राज्य में नई पेंशन योजना को लागू किया गया। अधिकतर सरकारी कर्मी पुरानी पेंशन व्यवस्था को इसलिए बेहतर मानते हैं क्योंकि यह उन्हें अधिक भरोसा उपलब्ध कराती है। जनवरी 2004 में एनपीएस लागू होने से पहले सरकारी कर्मी जब रिटायर होता था तो उसकी अंतिम सैलरी के 50 फीसदी हिस्से के बराबर उसकी पेंशन तय हो जाती थी। ओपीएस में 40 साल की नौकरी हो या 10 साल की, पेंशन की राशि अंतिम सैलरी से तय होती थी यानी यह डेफिनिट बेनिफिट स्कीम थी। इसके विपरीत एनपीएस डेफिनिट कॉन्ट्रिब्यूशन स्कीम है यानी कि इसमें पेंशन राशि इस पर निर्भर करती है कि नौकरी कितने साल की गई है और एन्युटी राशि कितनी है। एनपीएस के तहत एक निश्चित राशि हर महीने कंट्रीब्यूट की जाती है। शुरूआती दौर में कर्मचारियों ने इस स्कीम का स्वागत किया, लेकिन जब एनपीएस का असल मतलब समझ आने लगा तो विरोध शुरू हो गया। नई पेंशन स्कीम के अंतर्गत हर सरकारी कर्मचारी की सैलरी से अंशदान और डीए जमा कर लिया जाता है। ये पैसा सरकार उसके एनपीएस अकाउंट में जमा कर देती है। रिटायरमेंट के बाद एनपीएस अकाउंट में जितनी भी रकम इक्कठा होगी उसमें से अधिकतम 60 फीसदी ही निकाला जा सकता है। शेष 40 फीसदी राशि को सरकार बाजार में इन्वेस्ट करती है और उस पर मिलने वाले सालाना ब्याज को 12 हिस्सों में बांट कर हर महीने पेंशन दी जाती है। यानी पेंशन का कोई तय राशि नहीं होती। पैसा कहां इन्वेस्ट करना है, ये फैसला भी सरकार का ही होगा। इसके लिए सरकार ने पीएफआरडीए नाम की एक संस्था का गठन किया है। कर्मचारियों का कहना है कि उनका पैसा बाजार में जोखिम के अधीन है और बाजार में होने वाले उलटफेर के चलते उनकी जमा पूंजी सुरक्षित नहीं है। पुरानी पेंशन स्कीम इससे कई ज़्यादा बेहतर मानी जाती है। उसमें सरकारी नौकरी के सभी लाभ मिला करते थे। पहले रिटायरमेंट पर प्रोविडेंट फण्ड के नाम पर एक भारी रकम और इसके साथ ताउम्र तय पेंशन जोकि मृत्यु के बाद कर्मचारी की पत्नी को भी मिला करती थी। पुरानी पेंशन योजना में ये हैं प्रावधान **इस योजना में सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। **कर्मचारी के वेतन से कोई पैसा नहीं कटता है। भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है। **20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है। सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन राशि मिलती है। **पुरानी योजना में जनरल प्रोविडेंट फंड यानी जीपीएफ का प्रावधान है। इसमें महंगाई भत्ते को भी शामिल किया जाता है। वापस होंगे एनपीएस कर्मचारियों पर दर्ज मामले ओल्ड पेंशन बहाल करने को लेकर संघर्षरत एनपीएस कर्मचारियों पर दर्ज तमाम केस वापस होंगे। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने यह बात कही है। उन्होंने कहा कि संघर्ष के दौरान चाहे शिक्षक हों या अन्य कर्मचारी सभी हक की लड़ाई लड़ रहे थे। अब इन कर्मचारियों को उस समय बनाए गए मामलों से भी छूट दिलाई जाएगी। उधर, इस मौके पर जोइया मामा नारा लगाने से फेमस हुए सिरमौर के शिक्षक ओम प्रकाश ने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद पेन किलर मिल गई है और अब धीरे-धीरे दर्द से राहत मिल रही है। ओम प्रकाश समेत अन्य शिक्षकों पर सचिवालय के बाहर नारेबाजी करने के आरोप में मामला दर्ज हुआ था। प्रदीप ठाकुर की रही अहम भूमिका पुरानी पेंशन की लड़ाई की शुरुआत नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के बैनर तले हुई। प्रदीप ठाकुर के नेतृत्व में इस संगठन ने कर्मचारियों को एकत्रित किया। उन्हें पुरानी पेंशन की एहमियत का एहसास करवाया, पुरानी पेंशन के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी । यूं तो प्रदेश में कई अन्य संगठन भी थे जो पुरानी पेंशन की मांग करते रहे, मगर जिस संगठन के लोगों ने तन-मन-धन से पुरानी पेंशन बहाली में योगदान दिया वो नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ ही है। पुरानी पेंशन देने वाला देश का छठा राज्य बना हिमाचल 2021 तक एकमात्र पश्चिम बंगाल ही वो राज्य था जहां कर्मचारियों को पुरानी पेंशन दी जाती थी, मगर अब ऐसा नहीं है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब में वर्ष 2022 में पुरानी पेंशन बहाल कर दी गई। अब साल 2023 में हिमाचल प्रदेश पुरानी पेंशन बहाल करने वाला देश का पांचवां राज्य बन गया है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की सरकारों ने अपने चुनावी वायदे निभा दिए हैं। भाजपा शासित राज्यों में अभी भी इस बहाली का इंतजार है। राजस्थान सरकार ने 23 फरवरी 2022 को पुरानी पेंशन बहाल करने का ऐलान किया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने चौथे बजट में यह घोषणा पूरी की। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मार्च 2022 में पेश किए बजट में पुरानी पेंशन देने की घोषणा की। एक सितंबर 2022 से झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल की थी। पंजाब में 21 अक्टूबर 2022 को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंत्रिमंडल की बैठक में ओपीएस बहाल करने का निर्णय लिया। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें हैं।
हिमाचल प्रदेश के राशन डिपुओं में उपभोक्ताओं को अब सरसों का तेल नौ रुपये महंगा मिलेगा। खाद्य आपूर्ति निगम ने तेल की बढ़ी हुई कीमतें इसी माह से लागू कर दी हैं। यही नहीं पीओएस मशीनों में भी बढ़ी हुई कीमतों को अपडेट कर दिया गया है। जिसके बाद एपीएल परिवारों को 142 और एनएफएसए को 132 रुपये प्रति लीटर सरसों तेल मिलेगा। जिससे राशन कार्डधरकों की जेब पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है। गौर रहे कि एपीएल धारकों को 133 रुपये और एनएफएसए कार्ड धारकों को 123 रुपये प्रति लीटर सरसों का तेल मिलता था। वर्तमान में भी लोगों को बढ़े हुए दाम पर ही सरसों तेल दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि तेल के दाम टेंडर पर निर्धारित होते हैं। जो हर माह बढ़ते-घटते हैं। लेकिन बीते दिनों चुनावों से पहले इसके दाम कम हुए थे। जो अब सरकार की ओर से फिर बढ़ा दिए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों बीती रात फिर ताजा हिमपात हुआ है। प्रदेश की राजधानी शिमला समेत कुल्लू, चंबा, मंडी, सिरमौर, किन्नौर और लाहौल-स्पीति के ऊंचे इलाकों में बर्फबारी हुई है। शिमला के माल रोड, US क्लब, जाखू की पहाड़ियों में बर्फ की सफ़ेद चादर बिछी गयी है। जिले के ऊंचे क्षेत्र कुफरी, नारकंडा, खड़ापत्थर व चौपाल के खिड़की में 3 से 4 इंच तक ताजा हिमपात हुआ है। इससे नेशनल हाईवे-5 सहित ग्रामीण क्षेत्रों की कई सड़कें यातायात के लिए अवरुद्ध हो गई हैं। जिला प्रशासन ने स्थानीय लोगों सहित सैलानियों को भी बर्फ में संभलकर गाड़ी चलाने की सलाह और अनावश्यक यात्राएं टालने की सलाह दी है। मौसम विभाग के अनुसार, आज प्रदेश के कुछेक इलाकों में हल्की बारिश-बर्फबारी हो सकती है, मगर कल से 17 जनवरी तक मौसम साफ रहेगा। 18 और 19 को फिर बारिश-बर्फबारी होने की संभावनाएं बन रही हैं। मंडी जिले की चौहारघाटी व पराशर घाटी, लाहौल स्पीति के लोसर में, रोहतांग टनल, कुंजुमपास, बारालाचा में ताजा बर्फ की मोटी परत बिछी है। इसके बाद अधिक ऊंचे क्षेत्रों का पारा माइनस में चला गया है। प्रदेश में ताजा बर्फबारी के बाद 4 नेशनल हाईवे सहित 220 से ज्यादा सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं। इससे ऊंचे क्षेत्रों लोगों की आवाजाही पर असर पड़ रहा है।
वार्षिक बजट 2023-24 के लिए विधायक प्राथमिकताओं के निर्धारण के लिए विधायकों के साथ दो दिवसीय बैठकों का आयोजन 30 और 31 जनवरी, 2023 को हिमाचल प्रदेश सचिवालय के कांफ्रेंस हाल में किया जाएगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में 30 और 31 जनवरी, 2023 को वार्षिक बजट 2023-24 के लिए विधायक प्राथमिकताओं के निर्धारण के लिए विधायकों के साथ दो दिवसीय बैठकों का आयोजन हिमाचल प्रदेश सचिवालय के कांफ्रेंस हाल में किया जाएगा। 30 जनवरी सुबह 10:30 बजे से 1:30 बजे तक चंबा, शिमला और लाहौल-स्पीति और अपराह्न 2:00 बजे से 5:00 बजे तक ऊना, हमीरपुर, कुल्लू और सिरमौर जिले के विधायकों के साथ बैठक आयोजित की जाएगी। 31 जनवरी को सुबह 10:30 बजे से 1:30 बजे तक कांगड़ा व किन्नौर जिलों तथा अपराह्न 2:00 से 5:00 बजे तक सोलन, बिलासपुर तथा मंडी के विधायकों के साथ बैठक आयोजित की जाएगी। इन बैठकों में वार्षिक बजट 2023-24 की विधायक प्राथमिकताओं के निर्धारण के लिए विचार-विमर्श किया जाएगा। बैठकों में विधायकों से वर्ष 2023-24 के लिए मितव्ययिता उपायों, वित्तीय संसाधन जुटाने एवं बेहतर प्रशासन के संदर्भ में प्राप्त सुझावों पर भी चर्चा की जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज दुनिया के सबसे लंबे जलमार्ग पर चलने वाले गंगा विलास क्रूज यात्रा को वर्चुअल माध्यम से हरी झंडी दिखाई। प्रधानमंत्री ने इस लग्जरी क्रूज को वाराणसी से डिब्रूगढ़ के लिए रवाना किया । 51 दिनों तक एडवेंचरस सफर पर निकलने वाला यह क्रूज 15 दिनों तक बांग्लादेश से गुजरेगा। इसके बाद असम के बह्मपुत्र नदी से डिब्रूगढ़ तक जाएगा। पीएम ने कहा कि हमने अर्थ गंगा का अभियान चलाने के साथ गंगा की सफाई पर फोकस किया है। गंगा विलास क्रूज अर्थ गंगा के अभियान को नई ताकत देगा। ये क्रूज 25 अलग-अलग नदियों की धाराओं से होकर गुजरेगा। जो लोग भारत के अलग-अलग खान पान का अनुभव लेना चाहते हैं, उनके लिए ये क्रूज यात्रा रोमांचकारी होगी। पीएम ने कहा जो लोग पहले ऐसे अनुभवों के लिए विदेश जाते थे अब वो भारत में ही इसका आनंद ले पाएंगे। देश के हर नदी मार्ग पर हम ऐसी व्यवस्थाएं कर रहे हैं। छोटी नदियों पर भी हम छोटे क्रूज की व्यवस्था कर रहे हैं। देश में क्रूज टूरिज्म को हम बढ़ावा दे रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में मौसम ने करवट ली है। जनजातीय जिला लाहौल स्पीति, अटल टनल, रोहतांग दर्रे समेत शिमला, कुफरी, पांगी, मशोबरा में ताज़ा हिमपात हुआ है। काँगड़ा जिला के धोलधार की पहाड़ियों पर भी हल्का हिमपात हुआ। बर्फबारी की वजह से पर्यटक वाहनों को सोलंगनाला बैरियर से आगे जाने की अनुमति नहीं दी गई। सुबह 10 बजे से 3 बजे तक ही सिर्फ 4x4 व्हील गाडी ही अटल टनल के नार्थ पोर्टल तक ही जा सकेंगी। दोपहर 2:30 बजे के बाद जैसे ही लाहौल-स्पीति में बर्फबारी का दौर शुरू हुआ तो पर्यटक मनाली लौट आए। वहीं ताजा बर्फबारी से प्रदेश में तीन नेशनल हाईवे समेत 200 सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं। 487 बिजली ट्रांसफार्मर ठप हैं। कई क्षेत्रों में ब्लैकआउट छा गया है। लाहौल के कोकसर में 10 सेंमी, अटल टनल के नॉर्थ पोर्टल में 8 सेंमी, सिस्सू में 8 सेंमी, रोहतांग में 30 सेंमी, गोंधला में 12 सेंमी, साउथ पोर्टल में 25 सेंमी और दारचा में 12 सेंटीमीटर हुई। बर्फबारी से लाहौल की सभी सड़कें बंद हो गई है। अटल टनल से भी यातायात बंद कर दिया गया है। बता दें कि मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने राज्य में 11 से 13 जनवरी तक अधिकतर भागों में बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान जताया है। इस दौरान निचले व मैदानी भागों में बारिश, जबकि मध्य व उच्च पर्वतीय भागों में बारिश-बर्फबारी के आसार हैं। 12 जनवरी को चंबा, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, शिमला, लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिले के लिए भारी बारिश-बर्फबारी का येलो अलर्ट जारी किया गया है। स्थानीय लोगों व पर्यटकों को संबंधित विभागों की ओर से जारी एडवाइजरी व दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा गया है। स्थानीय लोगों व पर्यटकों को संबंधित विभागों की ओर से जारी एडवाइजरी व दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा गया है।
प्रदेश में बीते कल से कई क्षेत्रों में बारिश बर्फबारी का दौर जारी है। सोलन जिला में भी करीब दो माह बाद गुरुवार रात को बारिश हुई। बीती रात हुई बारिश के बाद जिला में ठंड बढ़ गई है। जिला का सुबह का तापमान 3 से 5 डिग्री के बीच चल रहा है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, यह बारिश फसलों के लिए बड़ी लाभदायक है। हालांकि लंबे सूखे को तोड़ने के लिए यह बारिश काफी नहीं है। आज रात को फिर बारिश होने की संभावना है। गौरतलब है कि पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से 8 जनवरी को हल्की बारिश होने का अनुमान था, लेकिन बारिश न होने से किसानों की चिंता बढ़ने लगी, मगर देर रात हल्की बारिश हुई और सुबह करीब 5 बजे फिर कुछ देर के लिए बारिश हुई जिससे सूखा खत्म हो गया। जमीन में नमी होने पर किसान बची हुई भूमि पर रबी की फसल की बुआई कर पाएंगे।
उत्तराखंड के जोशीमठ में जो हो रहा है वह किसी त्रासदी से कम नहीं है। सैकड़ों मकानों में दरारें आ रही हैं। वहां की जमीन धंसने लगी हैं। आलम ये है कि अब जोशीमठ के लोग गांवों से पलायन को मजबूर हो गए हैं। सैकड़ों परिवारों को वहां से कहीं और शिफ्ट किया जा रहा है। बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे कुछ प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों के प्रवेश द्वार जोशीमठ के सैकड़ों घरों में दरारें आ गई हैं। जोशीमठ शहर पर जमीन में समाने का खतरा हर घंटे के साथ बढ़ता जा रहा है। इस पूरे क्षेत्र को 'सिंकिंग ज़ोन' करार दिया गया है। ऐसे में सभी के जहन में एक ही सवाल उठा रहा है कि आखिर जोशीमठ में ऐसा हो क्यों रहा है ? ‘गेटवे ऑफ हिमालय’ के नाम से मशहूर जोशीमठ को ज्योतिर्मठ के नाम से भी जाना जाता है। यह 6150 फीट (1875 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है जो बद्रीनाथ जैसे तीर्थ केंद्रों का प्रवेश द्वार भी है। यह आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार प्रमुख पीठों में से एक है। हेमकुंड साहिब, औली, फूलों की घाटी आदि स्थानों पर जाने के लिए यात्रियों को इसी जोशीमठ से होकर गुजरना पड़ता है। 1970-71 की बाढ़ के बाद जोशीमठ में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ने लगी। तब उत्तराखंड अलग राज्य नहीं था, बल्कि ये यूपी का ही हिस्सा हुआ करता था। उस समय तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने एक कमेटी गठित की थी। बताया जाता है कि गढ़वाल के कमिश्नर महेश चंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में भूगर्भीय अध्ययन के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने अध्ययन में पाया कि जोशीमठ ग्लेशियर द्वारा लाई गई मिट्टी पर बसा है। लिहाजा ये बहुत अधिक मजबूत चट्टान नहीं है। ये भूस्खलन वाला क्षेत्र ही है। उस वक्त ये कहा गया था कि यदि जोशीमठ को स्थाई रखना है, तो जोशीमठ में चट्टानों के साथ छेड़छाड़ न की जाए और जोशीमठ में भारी निर्माण कार्य न किए जाएं। साथ ही, भूस्खलन की घटनाओं को रोकने के लिए ढलानों पर पौधरोपण किया जाएं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। नतीज़न आज जोशीमठ जमींदोज़ होने की कगार पर है। विशेषज्ञों के अनुसार उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने का मुख्य कारण एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना बताया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार यह एक बेहद ही गंभीर चेतावनी है, ऐसे में पुरानी स्थिति को फिर से बहाल कर पाना भी मुश्किल होगा। बिना किसी योजना के बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास हिमालयी पारिस्थिति की तंत्र को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति और भी कमजोर बना रहा है। बताया जाता है कि जोशीमठ में जमीन धंसने की शुरुआत 90 के दशक में हुई थी जब जोशीमठ के निचले इलाके में जयप्रकाश कंपनी ने काम शुरू किया। उस समय एक सड़क का निर्माण किया गया था। 90 के दशक में इसी निर्माण कार्य के बाद से समस्याएं शुरू हुई। इसके बाद एनटीपीसी की जल विद्युत परियोजना शुरू हुई। तपोवन विष्णुगढ़ परियोजना भी शुरू हुई। 2010 में जब सुरंग में एक मशीन फंस गई तब उस सुरंग से 600 लीटर पानी प्रति सेकंड निकलने लगा, जिसके बाद पर्यावरण वैज्ञानिकों ने कहा कि जोशीमठ में इस सुरंग से असर पड़ रहा है। हालांकि एनटीपीसी के एक बयान के अनुसार 'एनटीपीसी द्वारा बनाए गए सुरंग जोशीमठ शहर के नीचे से नहीं गुजरती है। यह टनल एक टनल बोरिंग मशीन द्वारा खोदी गई है। वर्तमान में कोई धमाका भी नहीं किया जा रहा है। सुरंग नदी के पानी को संयंत्र की टरबाइन तक ले जाने के लिए है। ड्रेनेज व सीवेज व्यवस्था भी जमीन धंसने का कारण पिछले साल 16 से 19 अगस्त के बीच राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की एक टीम ने जोशीमठ का सर्वेक्षण किया था। शोध के बाद उन्होंने नवंबर माह में 28 पृष्ठों की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इसमें उन्होंने माना था कि जोशीमठ के नीचे अलकनंदा में कटाव के साथ ही सीवेज और ड्रेनेज की व्यवस्था न होने से पानी जमीन में समा रहा है। इससे जमीन धंस रही है। अनियंत्रित निर्माण कार्यों का बोझ जून 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, जिसने अप्रैल 2014 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) से ऊपर के क्षेत्रों को बांध परियोजनाओं से मुक्त रखने, पहाड़ों में वन-कटान, सुरंग निर्माण आदि के मद्देनजर क्षेत्र में हाइड्रो-जियोलॉजिकल प्रभावों का अध्ययन करने की सिफारिश की गई थी। उस दौरान एनजीटी, हाईकोर्ट और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) सभी ने बेतरतीब विकास गतिविधियों को ‘रेसिपी फॉर डिसास्टर’ घोषित किया था। इसके बाद वर्ष 2014 में उत्तराखंड सरकार ने अपना ‘क्लामेट चेंज एक्शन प्लान’ जारी किया। इसमें धारण क्षमता के आधार पर ही पर्यटन, तीर्थाटन की नियमावली जारी की गई। अलकनंदा नदी में हो रहा भू-कटाव पिछले साल विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में यह तथ्य भी सामने आया था कि जोशीमठ शहर के नीचे अलकनंदा नदी से हो रहा कटाव भी खतरनाक साबित हो सकता है। इस वजह से भू धंसाव हो सकता है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की भूस्खलन वैज्ञानिक डॉ. स्वप्नामिता चौधरी भी वर्ष 2006 में अपने शोध में इस बात को स्वीकार कर चुकी हैं। तपोवन विष्णुगाड परियोजना भी हो सकता है कारण पिछले साल जुलाई में शोध करने वाले प्रो. एसपी सत्ती का कहना है कि 24 दिसंबर 2009 में हेलंग की तरफ से लगभग तीन किमी की दूरी पर इस सुरंग में टनल बोरिंग मशीन फंस गई थी। उसके कारण सेलंग गांव से तीन किमी ऊपर पानी के भूमिगत स्रोत को उसने छेड़ दिया। इसके बाद लगभग एक माह तक वहां पानी रिसता रहा। उन्होंने आशंका जताई कि यह पानी भी जोशीमठ के धंसने की वजह हो सकता है। इसके अलावा तपोवन में पिछले साल जो त्रासदी आई थी, उसके बाद सुरंग में पानी घुस गया था। संभव है कि यह पानी अब नए स्रोत के जरिए बाहर आ रहा है। इस गांव से हुई जमीन धंसने की शुरुआत जोशीमठ से करीब 8 किमी. ऊपर जाने पर 7000 फुट की ऊंचाई पर सुनील नाम का गांव है। सबसे पहले इसी गांव में जमीन धंसने की शुरुआत हुई थी। जोशीमठ की घटनाओं से महीनों पहले यहां के घरों की दीवारों में दरारें दिखना शुरू हो गई थीं। पिछले कई दिनों में ये दरारें इतनी बड़ी हो गई कि अब घर के घर टूट रहे है। पहाड़ की ढलान पर बसा यह गांव खत्म होने के कगार पर है। यहां रहने वाले कुछ परिवारों को शिफ्ट कर दिया गया है। जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाओं के चलते अब तक लगभग 723 घरों में दरारें पड़ चुकी हैं। 131 परिवारों को अस्थायी रूप से विस्थापित किया जा चुका है। इनमे से 10 परिवार ऐसे है जिनके आशियाने पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं । मैन्युअल रूप से धराशाई किया जाएगा जोशीमठ में जिन घरों में दरारें आ चुकी हैं और जो रेड जोन में आ गए हैं, उन्हें जल्द ही गिराने का कार्य शुरू किया जायेगा। स्थानीय लोगों और होटल मालिकों की तरफ से सरकार की इस कार्रवाई का लगातार विरोध किया गया है। होटल संचालकों की तरफ से मुआवजे की मांग सरकार से की जा रही है। दरअसल ‘माउंट व्यू' और ‘मालारी इन' नाम के होटलों को गिराने का फैसला किया गया था। इन दोनों ही होटलों में बड़ी दरार आ गयीं थी और दोनों एक-दूसरे की ओर झुक गये थे। इससे आसपास की इमारतों को खतरा पैदा हो गया था। विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने फैसला किया है कि किसी भी इमारत को गिराने के लिए बुलडोजर जैसी किसी भी हैवी मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, जिससे जमीन के हिलने या झटके आने का खतरा हो। इमारतों-घरों को तोड़ने के लिए हथौड़े, ड्रिलर्स और अन्य सामान उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा। ये है वर्तमान स्थिति - बीआरओ ने हेलंग बाईपास का काम रोका - एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट का काम रुका - जोशीमठ-औली रोपवे सेवा बंद - रोपवे के टावर नंबर 1 पर जमीन धंसी - दो हजार प्री-फैब्रिकेटेड मकान बनाने की तैयारी - एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम अलर्ट प्री-फैब्रिकेटेड भवन तैयार करने के आदेश भू-धंसाव की समस्या के समाधान के लिए जोशीमठ का जियो टेक्निकल और जियो फिजिकल अध्ययन कराया जाएगा। जिन क्षेत्रों में घरों में दरारें नहीं हैं वहां भवन निर्माण के लिए गाइडलाइंस जारी की गयी है। इस क्षेत्र का हाइड्रोलॉजिकल अध्ययन भी कराया जाएगा। जिला प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को शिफ्ट करने के लिए एनटीपीसी और हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) को 2000 प्री-फैब्रिकेटेड भवन तैयार करने के आदेश दिए हैं। 1.5 लाख की अंतरिम सहायता जोशीमठ में प्रभावित परिवारों को तात्कालिक तौर पर ₹1.5 लाख की धनराशि अंतरिम सहायता के रूप में दी जा रही है। उत्तराखंड सरकार का कहना है कि भू-धंसाव से जो स्थानीय लोग प्रभावित हुए हैं उनको मार्केट रेट पर मुआवजा दिया जाएगा। लोगों को पुनर्वास के लिए 45 करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी गई है।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के करीबियों में गिने जाने वाले घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के विधायक राजेश धर्माणी मंत्रिमंडल विस्तार के पहले चरण में मंत्री नहीं बन पाए हैं। चुनाव परिणामों के बाद से धर्माणी लगातार मुख्यमंत्री सुक्खू के साथ थे। समर्थकों को उम्मीद थी कि बिलासपुर जिले से जीत कर आए एक मात्र कांग्रेस विधायक राजेश धर्माणी मंत्रिमंडल में शामिल होंगे। मगर अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। कहा तो ये भी गया कि धर्माणी से पूछा जा चुका था कि उन्हें कौन सा विभाग चाहिए, लेकिन अंतिम सूची से उनका नाम काट दिया गया। मंत्री पद न मिलने से धर्माणी के समर्थक खूब आहत हुए है। मंत्री न बनाने पर उनके एक समर्थक ने तो रोष प्रकट करते हुए मुंडन भी करवा लिया। सोशल मीडिया पर भी बिलासपुर जिले को मंत्री पद की खूब मांग हो रही है। अब धर्माणी को मंत्री पद मिलता है या नहीं ये तो वक्त ही बताएगा, बहरहाल इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि धर्माणी मंत्री पद के प्रबल दावेदार है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव राजेश धर्माणी इस मर्तबा भाजपा सरकार के मंत्री राजेंद्र गर्ग को हराकर विधानसभा पहुंचे है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह जिला बिलासपुर के घुमारवीं से तीसरी बार विधायक बने राजेश धर्माणी की हाईकमान और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भी नजदीकियां हैं। उनकी जुझारू छवि को देखते हुए पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कई जिम्मेदारियां भी सौंपी। बिलासपुर जिले से कांग्रेस का सिर्फ एक विधायक जीत कर आया है और वो राजेश धर्माणी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने मंत्रीमंडल में जिन प्रोफेशनल्स को शामिल करने की बात कही थी उनमे से एक राजेश धर्माणी भी हो सकते है। धर्माणी ने एनआईटी हमीरपुर से बीटेक सिविल और फिर एमबीए की पढ़ाई की है। 1990 में राजेश धर्माणी ने राजनीति में एंट्री की और इसके बाद वो प्रदेश युवा कांग्रेस के महासचिव, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव, जिला कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर रहे। धर्माणी कांग्रेस चार्जशीट कमेटी के अध्यक्ष भी रहे हैं। धर्माणी ने 2007 में घुमारवीं विधानसभा सीट से अपना पहला चुनाव लड़ा था और तब भाजपा के कर्मदेव को 1931 वोटों से हराया था। फिर 2012 में राजेश धर्माणी ने भाजपा के राजेंद्र गर्ग को 3,208 वोट से हराया। उस समय सरकार ने उन्हें मुख्य संसदीय सचिव नियुक्त किया, लेकिन 2017 के चुनाव में धर्माणी को 10,435 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। इस बार धर्माणी पूर्व मंत्री राजेंद्र गर्ग को हराने में कामयाब रहे। धर्माणी कांग्रेस के ईमानदार नेताओं में से एक है और अपनी स्वच्छ छवि के लिए जाने जाते है। इसके बावजूद उन्हें मंत्री पद नहीं मिलना कई सवाल खड़े कर रहा है। माना जा रहा है कि शिमला संसदीय सीट को अधिक तवज्जो देने के चक्कर में धर्माणी का पत्ता कटा है। धर्माणी के समर्थक तो ये तक कह रहे है कि सीएम सुक्खू पर भरोसे की वजह से धर्माणी ने अपने हक़ की लड़ाई नहीं लड़ी। अब कैबिनेट के अगले विस्तार में धर्माणी मंत्री बनते है या नहीं, इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई है।
हिमाचल प्रदेश में येलो अलर्ट के बीच बुधवार को अटल टनल रोहतांग, लाहौल - स्पीति और पांगी में ताजा बर्फबारी हुई है I नारकंडा और कुफरी में बर्फ के फाहे गिरे है। राजधानी शिमला सहित कई क्षेत्रों में दिन भर बादल छाए रहे। प्रदेश में बुधवार को 145 सड़कों पर वाहनों की आवाजाही ठप रही। लाहौल-स्पीति में ही 139 सड़कें बंद हैं। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने वीरवार और शुक्रवार को भी प्रदेश के कई क्षेत्रों में बारिश व बर्फ़बारी का पूर्वानुमान जताया है। 14 जनवरी से मौसम साफ रहने के आसार हैं। केलांग में न्यूनतम तापमान के साथ अधिकतम तापमान भी माइनस में पहुंच गया है। मनाली-केलांग मार्ग पर वाहन आवाजाही पर रोक लगा दी है। केलांग में न्यूनतम तापमान के साथ अधिकतम तापमान भी माइनस में पहुंच गया है। बुधवार सुबह मनाली के ऊंचे इलाकों में बर्फबारी हुई, जबकि मनाली सहित निचले इलाकों में हल्की बारिश हुई। लोगों को अटल टनल, हामटा और जलोड़ी दर्रा की ओर न जाने की हिदायत दी गई है। बुधवार को केलांग में अधिकतम तापमान -1.7, सोलन में 5.8 , कुकुमसेरी में 0.9, कल्पा में 4.1,मनाली में 8.2, बिलासपुर में 7.0 , डलहौजी में 9.8, ऊना में 12.6, शिमला में 12.9 और धर्मशाला में 14.0 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ। वहीं कुल्लू और लाहौल-स्पीति जिला में बर्फबारी से हिमस्खलन का खतरा बढ़ गया है। मनाली स्थित रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान ने अलर्ट जारी किया है। डीजीआरई ने हिमाचल से लेकर कुपवाड़ा व कारगिल के हिमालय इलाकों के सात जगहों पर हिमखंड गिरने की आशंका जताई है। अगले 24 घंटों में चंबा, किन्नौर, कुल्लू, लाहौल और स्पीति, गांदरबल, कुपवाड़ा, कारगिल में 2500 मीटर से ऊपर हिमस्खलन की आशंका है। सहायक उपायुक्त कुल्लू शशिपाल नेगी ने कहा कि डीजीआरई मनाली ने पर्वतीय क्षेत्रों में हिमस्खलन की चेतावनी जारी की है।
दिल्ली समेत उत्तर भारत के कुछ राज्यों में ठंड से राहत मिलने की अभी कोई भी संभावना नहीं है। मौसम विभाग के अनुसार मैदानी इलाकों में तापमान -4 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक रहने वाला है। मौसम विभाग ने कई इलाकों में शीतलहर का अलर्ट जारी किया है। मौसम विशेषज्ञ के अनुसार 14 से 19 जनवरी के बीच पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तरी मध्य प्रदेश सप्ताह के दौरान भीषण शीतलहर की चपेट में रहेंगे।
Maruti Suzuki Jimny has finally been unveiled in a 5-door version at the Auto Expo 2023. The off-roader has been spotted several times during its test runs and TVC shoots on Indian roads. To be manufactured locally at Maruti Suzuki’s Gujarat facility, it will wage war against Mahindra Thar and Force Gurkha in India. The company has sold more than 3.2 million units of the Jimny in global markets to date. The JIMNY is built on the 4 essentials of an off-road machine – Ladder Frame Chassis, Ample Body Angles, 3-link rigid axle suspension, and ALLGRIP PRO (4WD) with low-range transfer gear (4L mode). ALLGRIP PRO offers the extreme off-road ability to meet the driver’s spirit of adventure. With a body-on-frame design, the rugged Jimny gets squared body proportions for a strong body profile. It gets signature design elements such as the clamshell bonnet, vertical slits in the front grille, and iconic round headlamps from the legendary Suzuki JIMNY. This JIMNY will be available in 7 color options including 5 monotone shades and 2 dual-tone options. It features the globally renowned Kinetic Yellow shade originally developed to make it stand out in poor weather conditions. This JIMNY comes loaded with safety features such as 6 airbags, Brake (LSD) Limited Slip Differential, ESP with hill hold assist, hill decent control, rear-view camera, and ABS with EBD. The Jimny will be powered by the K-series 1.5-litre engine with Idle Start-Stop technology and is mated to specially tuned 5-speed Manual and 4-speed Automatic Transmission options.
Chief Minister Sukhvinder Singh Sukhu has mourned the sad demise of Amit Sharma (23) son of Vijay Kumar of village Talasi Khurd, tehsil and district Hamirpur and Havildar Amrik Singh (39) of village Mandwara of Dhanari tehsil of district Una, of 14 Dogra Regiment who were martyred in an accident in Machhil Sector of Kupwara district of Jammu and Kashmir. He has also mourned the demise of Naib Subedar Purshottam Kumar from village Majua Uttmi of Jammu who also sacrificed his life in this tragic incident. Chief Minister, while expressing his condolences to the bereaved family members assured to extend all the possible help to the grief-stricken family from the government and also prayed to the Almighty to grant peace to departed souls and strength to the family members to bear this irreparable loss. Deputy Chief Minister, Mukesh Agnihotri also expressed deep anguish over the demise of army Jawans and prayed almighty to give strength to the bereaved family members. In his condolence message, he said that the government always holds the serving and ex-servicemen in high esteem. We can never forget the sacrifices of the brave soldiers towards the Nation, he said. The vehicles in which these three brave-hearts were traveling skidded off the road during patrolling on a regular operation task in the forward area of the Machhil sector late at night on Tuesday.
कुपवाड़ा उत्तरी कश्मीर के माछील सेक्टर में एलओसी के पास एक ऑपरेशन टास्क के दौरान सेना के 3 जवान खाई में गिर गए। हादसे में 3 जवान शहीद हो गए हैं । तीनों जवानों के पार्थिव शरीर को खाई से निकाल लिया गया है । जानकारी के मुताबिक शहीद होने वाले तीनों जवानों में एक जेसीओ (जूनियर कमीशंड ऑफिस ) और दूसरा ओआर (अन्य रैंक ) शामिल है। बताया जा रहा है कि जिस इलाके में यह जवान खाई में गिरे हैं वह बर्फीला इलाका है। भारतीय सेना ने बयान जारी कर कहा है कि एक नियमित ऑपरेशन टास्क के दौरान एक जेसीओ और दो अन्य रैंक का एक दल ट्रैक पर बर्फ गिरने के बाद गहरी खाई में फिसल गया। तीनों जवानों के पार्थिव शरीर को निकाल लिया गया है। आगे की कार्यवाही की जा रही है। वहीं इस हादसे में मारे गए दो जवान हिमाचल के हमीरपुर और ऊना जिला से संबंध रखते हैं जबकि अन्य एक जवान जम्मू से संबंध रखते थे। हिमाचल प्रदेश के 2 जवानों की पहचान हवलदार अमरीक सिंह(39) निवासी ग्राम मंडवारा, मारवाड़ी, तहसील घनारी जिला ऊना और अमित शर्मा निवासी तलाशी खुर्द,कीरवी हमीरपुर के तौर पर हुई है । हमीरपुर के सिपाही अमित शर्मा 4 साल पहले ही फौज में भर्ती हुए थे। साल 2019 में उन्होंने सेना ज्वाइन की थी। वह अपने पीछे माता-पिता को छोड़ गए हैं । वही ऊना के हवलदार अमरीक सिंह साल 2001 में सेना में भर्ती हुए थे। उनका 11 साल का एक बेटा है। वह अपने पीछे बेटे और पत्नी को छोड़ गए हैं। घटना के बाद से दोनों जवानों के घरों पर मातम छा गया है।
हिमाचल के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी शुरू हो गई है। लाहौल स्पीति जिले के लोसर में 2 इंच, रोहतांग टनल और कुंजुमपास, बारालाचा में 9 बजे तक 3 इंच ताजा हिमपात हुआ है। लाहौल स्पीति, किन्नौर, कुल्लू और चंबा के पांगी, भरमौर के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी हो रही है। शिमला में भी मौसम ने करवट बदली है। सुबह से आसमान में घने बादल छाए हुए हैं। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के मुताबिक़ प्रदेश अगले 5 दिन मौसम खराब रहेगा। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि किन्नौर, लाहौल स्पीति और कुल्लू जिले में अधिक ऊंचाई वाले कुछ क्षेत्रों में भारी हिमपात का रेड अलर्ट जारी किया गया है, जबकि शिमला, चंबा, कांगड़ा, मंडी और सिरमौर जिले के ऊंचे वाले इलाकों में भी अगले 3 दिन बर्फबारी हो सकती है।
उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है I तापमान में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। भारत मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार अगले 24 घंटे तक दिल्ली, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और पंजाब में घना कोहरा छाया रहेगा I पहाड़ों पर बर्फबारी हो रही है तो मैदानी राज्यों में शीतलहर का प्रकोप जारी है, जिसके चलते ठंड बहुत बड़ रही है I ठंड के साथ भीषण कोहरा भी पड़ रहा हैI सोमवार रात को भी कोहरे के चलते विजिबिलिटी काफी कम थी I वाहनों का सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है। मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर भारत में कड़ाके ठंड पड़ रही है। मौसम विभाग की वेबसाइट के मुताबिक सुबह दिल्ली में सुबह साढ़ें 5 बजे पारा 6 डिग्री रिकॉर्ड किया गया I चंडीगढ़ में 9.8 डिग्री सेल्सियस, भोपाल 9.6 और पटना में तापमान 9.2 डिग्री रहा I उत्तर प्रदेश की बात करें तो झांसी सबसे ठंडा रहा, जहां न्यूनतम तापमान 6.6 डिग्री रहा I
Snowfall has started in the higher altitude areas of Himachal. Losar in Lahaul Spiti district has received 2 inches of fresh snow, Rohtang Tunnel, Kunjumpas, and Baralacha have received 3 inches of fresh snow till 9 am. Light snowfall is received in higher altitude areas of Lahaul Spiti, Kinnaur, Kullu, and Chamba's Pangi, Bharmour. The weather has changed in Shimla as well. A fresh western disturbance has affected the western Himalayan region from the night of January 10, officials said. The Meteorological Centre, Shimla, has issued a warning for the possible disruption of essential services like water, electricity, communications, and related services.
हिमाचल के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी का दौर शुरू हो गया है। लाहौल स्पीति जिले के लोसर में 2 इंच, रोहतांग टनल, कुंजुमपास, बारालाचा में 9 बजे तक 3 इंच ताजा हिमपात हो चुका है। लाहौल स्पीति, किन्नौर, कुल्लू और चंबा के पांगी, भरमौर के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी हो रही है। राजधानी शिमला में भी मौसम ने करवट बदल ली है सुबह से आसमान में घने बादल छाए हुए हैं। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पाल ने बताया कि वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव होने से अगले 5 दिन मौसम खराब रहेगा। किन्नौर, लाहौल स्पीति और कुल्लू जिले में अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी हिमपात का रेड अलर्ट जारी किया गया है, जबकि शिमला, चंबा, कांगड़ा, मंडी और सिरमौर जिले के ऊंचे इलाकों में भी अगले 3 दिन बर्फबारी हो सकती है। वहीं मौसम विभाग ने चंबा के तीसा और भटियात में 12 व 13 जनवरी को भारी हिमपात का अलर्ट जारी किया है और सिरमौर जिले में परसों भारी बर्फबारी हो सकती है।
राजधानी शिमला में फर्जी दस्तावेज दे कर नोकरी लेने का एक और मामला सामने आया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार शिमला पोस्टल डिविजन के तहत देवनगर शाखा में एक व्यक्ति ने अपने फर्जी सर्टिफिकेट देकर नौकरी ले ली। आरोपी का नाम मनीष कुमार बताया जा रहा है I आरोपी सरकाघाट जिला मंडी का रहने वाला है। शिमला पोस्ट ऑफिस के सुपरिंटेडेंट विकास नेगी ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि शिमला पोस्टल डिविजन के तहत देवनगर शाखा में ग्रामीण डाक सेवक शाखा पोस्ट मास्टर के चयन के लिए उम्मीदवारों के इंटरव्यू हुए थे। इस दौरान मनीष कुमार का चयन देवनगर शाखा में ग्रामीण डाक सेवक शाखा पोस्ट मास्टर के पद पर हुआ था। उसने गत 9 सितंबर 2022 को अपने पद पर जॉइन किया था। शिकायतकर्ता विकास नेगी का कहना है कि उक्त व्यक्ति का मैट्रिक सर्टिफिकेट जांच के लिए निदेशक झारखंड अकेडमिक काउंसिल ज्ञानदीप कैंपस भेजा गया। वहां पर जांच के दौरान उसका सर्टिफिकेट फर्जी निकला। सुपरिंटेडेंट विकास नेगी की शिकायत पर पुलिस ने थाना सदर में मामला दर्ज किया है। पुलिस आज इस मामले का पूरा रिकॉर्ड कब्जे में लेगी। इसके बाद आरोपी पर कार्रवाई की जाएगी I
021 में मंडी संसदीय उपचुनाव जीतने वाली कांग्रेस के लिए 2024 में प्रदर्शन दोहराना मुश्किल हो सकता है। प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की वापसी के बाद मंत्रिमंडल में मंडी संसदीय क्षेत्र को उचित तवज्जो मिलती नहीं दिखी है। हालांकि विधानसभा चुनाव में मंडी संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा था और पार्टी 17 में से सिर्फ 5 सीटें ही जीती पाई थी। जो पांच विधायक जीते उनमें से दो मंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, किन्नौर से जगत सिंह नेगी और कुल्लू से सुंदर सिंह। इनमें से जगत सिंह नेगी को तो मंत्री पद मिल गया लेकिन सुंदर ठाकुर को सीपीएस बनाकर एडजस्ट किया गया है। वहीं अगले कैबिनेट विस्तार में शेष तीन विधायकों में से किसी को भी मंत्री पद मिलेगा, ये मुश्किल लगता है। यानी ये लगभग तय है कि सुक्खू कैबिनेट में मंडी संसदीय क्षेत्र को सिर्फ एक ही मंत्री पद मिलेगा। गौरतलब है कि जयराम सरकार में मंडी संसदीय क्षेत्र से खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अलावा दो मंत्री थे। मनाली से विधायक रहे गोविन्द सिंह ठाकुर और लाहुल स्पीति से विधायक डॉ राम लाल मारकंडा को मंत्री पद मिला था। वहीं करीब डेढ़ वर्ष तक मंडी सदर विधायक अनिल शर्मा भी मंत्री रहे थे। वहीं इससे पहले वीरभद्र सरकार में मंडी संसदीय क्षेत्र से पांच मंत्री थे। विधानसभा चुनाव में कमजोर था कांग्रेस का प्रदर्शन बीते विधानसभा चुनाव में मंडी संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर रहा है। संसदीय क्षेत्र के अधीन जिला मंडी की 9 सीटें आती है और सभी पर कांग्रेस परास्त हुई। वहीँ कुल्लू की चार में से पार्टी को दो सीटें ही मिली। कुल्लू सदर सीट से सुंदर सिंह जीते और मनाली सीट से भुवनेश्वर गौड़। मंडी संसदीय क्षेत्र में आने वाली जिला चम्बा की इकलौती सीट भरमौर में भी कांग्रेस हार गई। हालांकि किन्नौर में कांग्रेस के जगत सिंह नेगी, लाहुल स्पीति में रवि ठाकुर और जिला शिमला की रामपुर सीट पर नंदलाल जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। अगले कैबिनेट विस्तार में भी संभावना नहीं ! अब तक सुक्खू कैबिनेट में मंडी संसदीय क्षेत्र की किन्नौर सीट से विधायक जगत सिंह नेगी को मंत्री बनाया गया है। जबकि कुल्लू सदर से विधायक सुंदर सिंह सीपीएस बने है। होली लॉज खेमे से रामपुर विधायक नंदलाल के लिए भी मंत्री पद की मांग थी लेकिन उन्हें मंत्री पद नहीं मिला। जिला शिमला को पहले ही तीन मंत्री पद मिल चुके है, ऐसे में उन्हें अगले विस्तार में भी मंत्री पद मिलने की कोई संभावना नहीं दिखती। वहीं जनजातीय जिला किन्नौर को भी मंत्री पद मिल चुका है, ऐसे में दूसरे जनजातीय जिला लाहुल स्पीति को मंत्री पद मिलना बेहद मुश्किल है। जिला कुल्लू को भी मंत्री पद मिलने की सम्भावना नहीं है। हालांकि शेष तीन विधायकों को बोर्ड -निगमों के नियुक्ति दी जा सकती है।