प्रदेश सरकार ने राज्य के विभिन्न स्कूलों में राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचे (नेशनल स्किल क्वालीफिकेशन फ्रेमवर्क) के अन्तर्गत कार्य कर रहे आउटसोर्स व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदाताओं को 20 दिनों का सवैतनिक अवकाश प्रदान करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में प्रदेश सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हाल ही में आउटसोर्स व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदाता संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर उनसे चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने इन प्रशिक्षकों को राहत प्रदान करने की दिशा में तेजी से कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि संघ की एक मुख्य मांग पूरी करते हुए सरकार ने उन्हें 20 दिनों के सवैतनिक अवकाश प्रदान करने की अधिसूचना जारी कर दी है। उन्हें ‘ऑन जॉब ट्रेनिंग’ से पहले अथवा बाद में इन 20 दिनों के अवकाश का लाभ उठाने का विकल्प दिया गया है। हालांकि, शेष अवकाश अवधि के दौरान, व्यवसायिक प्रशिक्षकों को या तो ‘ऑन जॉब ट्रेनिंग’ करनी होती है या अन्य आवश्यक कार्य करने के लिए स्कूलों में उपस्थित रहना होता है। व्यवसायिक प्रशिक्षकों को देय अवकाश की अन्य पात्रता अप्रभावित रहेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि संघ की अन्य मांगों पर भी सरकार सहानुभूतिपूर्वक विचार कर रही है और उनके हितों को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अपने छह माह के कार्यकाल में सरकारी कर्मचारियों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी है और 1 जनवरी, 2022 से तीन प्रतिशत महंगाई भत्ता भी जारी किया गया है।
बुधवार को एसएफआई की हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने छात्रों की समस्याओं को लेकर परीक्षा नियंत्रक को मांग पत्र सौंपा। एसएफआई ने मुख्य रूप से यूजी तथा पीजी के रिजल्ट को जल्द से जल्द घोषित करने की मांग की। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने मार्च माह में पीजी की तथा मई माह में यूजी की परीक्षा कराई थी। इन परीक्षाओं के रिजल्ट को अभी तक घोषित नहीं किया गया है। एसएफआई कैंपस सचिव सुरजीत ने कहा कि रिजल्ट घोषित ना करने से विश्वविद्यालय प्रशासन प्रदेश के हजारों छात्रों के भविष्य को अधर में लटकाए हुए हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पीजी एंट्रेंस एग्जाम कराने शुरू कर दिए हैं, कुछ समय के अंदर इसके लिए काउंसलिंग भी होगी। काउंसलिंग के अंदर अभ्यर्थी को अपना फाइनल रिजल्ट सबमिट करना पड़ता है ऐसे में यदि प्रशासन रिजल्ट घोषित नहीं करेगा तो काउंसलिंग कैसे होगी। रिजल्ट का लेट घोषित होना इस बात का इशारा है कि यह सत्र भी पिछले सत्र की तरह लेट ही शुरू होगा। जिससे छात्रों को आने वाले समय में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। एसएफआई कैंपस अध्यक्ष हरीश ने कहा कि कुछ दिन पहले ही हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने पीजी के एग्जामिनेशन फॉर्म भरने की दिनांक निश्चित कर दी है। परंतु अभी तक पीजी के पिछले सत्र के परीक्षा परिणामों को घोषित नहीं किया गया है। ऐसे में जो छात्र अंतिम सत्र के अन्दर पढ़ाई कर रहा है यदि उसे पिछले सत्र का रिजल्ट क्लियर करने के लिए अभी समय नहीं दिया जाएगा तो उसका आने वाला पुरा साल बर्बाद हो जाएगा। एसएफआई ने चेतावनी देते हुए कहा कि इन मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। अगर जल्द छात्र मांगों को सकारात्मक रूप से सुलझाया नहीं गया तो आने वाले समय के अंदर एसएफआई विश्वविद्यालय में आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगी और प्रशासन का उग्र घेराव किया जाएगा।
21 जून अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। 9 वें वर्ष के इस संस्करण को ग्राम पंचायत कंगरेडी के प्रांगण में बड़े धूम धाम से मनाया गया। जिसमें योग प्रशिक्षक इंदु बाला व रवि सिंह ने डॉक्टर राजकुमार शर्मा प्रभारी आयुष स्वास्थ्य वैलनेस केंद्र कंगरेडी मंडल और उपमंडल नुरपुर जिला कांगड़ा के दिशा निर्देशों के अनुसार लोगों को योग करवाया। जानकारी देते हुए आयुष विभाग के अधिकारी ने बताया कि राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सुघ भटोली के प्रांगण में भी योग करवाया गया। इसमें मुख्य रूप से पद्मासन ,प्राणायाम ,अनुलोम विलोम, हलासन ,भुजंगासन, मंडूकासन ,ताड़ासन, सूर्य नमस्कार, आदि करवाए गए। उन्होंने बताया कि योग शरीर को निरोगी बनाता है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर मुख्य अतिथि ग्राम पंचायत कंगरेडी के प्रधान हंसराज शर्मा ने योग दिवस पर योग में भाग लेने आए भारी संख्या में आए हुए लोगों व बच्चों का धन्यवाद किया।
आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर साई इंटरनेशनल स्कूल में योग कार्यशाला का आयोजन किया गया। छात्रों और शिक्षकों द्वारा योग दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। छोटे बच्चों को योग के महत्व के साथ-साथ हमारे जीवन में इसके लाभों के बारे में जागरूक किया गया। बच्चों को ताड़ आसन, पदम आसन, वृक्ष आसन भुजंग आसन, शीर्ष आसन, अनुलोम विलोम, प्राणायाम, कपालभट्टी आदि जैसे विभिन्न योग मुद्राओं का अभ्यास करवाया गया। स्कूल के अध्यक्ष रमिंदर बावा ने छात्रों को फिट रहने और एकाग्रता में सुधार करने के लिए नियमित योग का अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम का समापन सभी छात्रों एवं शिक्षकों द्वारा दैनिक जीवन में योग करने की शपथ लेने के साथ हुआ। योग का नियमित अभ्यास निश्चित रूप से हमारे छात्रों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी बेहतर जीवन प्राप्त करने में मदद करेगा।
आयुष विभाग की ओर से अंतराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर स्पीति घाटी में 11,980 फीट की ऊंचाई पर स्थित आइस हॉकी रिंक काजा में योग दिवस मनाया गया। अतिरिक्त उपायुक्त राहुल जैन ने बतौर मुख्यातिथि इस अवसर पर शिरकत की। इस मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि योग करने से आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य ठीक रहता है। रोजाना योग करना आपको कई बीमारियों से भी लड़ने में मदद करता है। योग दिवस का महत्व लोगों के बीच मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए योग को बढ़ावा देना है। आज के जमाने में वृद्ध ही नहीं युवा भी कई तरह की बीमारियों से पीड़ित हैं। इसके चलते लोगों को स्वस्थ रखने के लिए यह एक अच्छा प्रयास है। यही नहीं इससे लोगों का मानसिक और शारीरिक कल्याण भी संभव है। योग की खोज बहुत साल पहले भारत में ही हुई थी। तब ऋषि-मुनियों ने इसकी महत्वता को समझा था और इसका प्रसार किया था। योग करने से न केवल आपको शारीरिक रूप से शांति मिलेगी बल्कि यह आपके स्ट्रेस और घबराहट को भी कम करने में मददगार साबित होगा। योग दिवस मनाने का कारण लोगों को यह भी बताना है कि इसे करने से शरीर को अनेक प्रकार के लाभ होते हैं। योग दिवस पर आयुष विभाग के डा विवेक और प्रशिक्षक डा विनोद ने योग क्रियाएं करवाई। SDAMO डॉ राजेश भारद्वाज ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी का आभार वयक्त किया। इस अवसर पर एसडीएम हर्ष अमरेंद्र नेगी, तहसीलदार भूमिका जैन, डीएसपी रोहित मृगपुरी, नायब तहसीलदार प्रेम चंद, बीडीओ पी एल नेगी सहित पुलिस जवान और काजा गर्ल्स हॉस्टल की छात्राएं मौजूद रही।
* 23 जून की बैठक से पहले अरविन्द केजरीवाल ने विपक्षी नेताओं को लिखी चिट्ठी 23 जून को बिहार के पटना में विपक्षी दलों की एक अहम बैठक होनी है। इस बैठक से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को विपक्षी नेताओं को एक चिट्ठी लिखी है। अरविंद केजरीवाल ने आग्रह किया हैं कि विपक्षी दलों की इस मीटिंग में दिल्ली अध्यादेश को संसद में हराने की रणनीति पर सबसे पहले चर्चा हो। केजरीवाल ने इस चिट्ठी में दावा किया है कि दिल्ली अध्यादेश का प्रयोग सफल हुआ तो केंद्र सरकार गैर-बीजेपी शासन वाले राज्यों में भी ऐसे अध्यादेश लाकर राज्य सरकारों के अधिकार छीन लेगी। दिल्ली के सीएम ने दावा किया हैं, ''केंद्र सरकार ने दिल्ली अध्यादेश के सहारे एक प्रयोग किया है। अगर वो इसमें सफल हो जाती है तो फिर एक-एक कर सभी गैर-बीजेपी राज्यों के लिए समवर्ती सूची के तहत आने वाले विषयों पर अध्यादेश जारी कर राज्यों के अधिकार छीन लिए जाएंगे। इसी लिए सभी पार्टियां मिलकर इसे किसी हालत में संसद में पास न होने दें.'' केजरीवाल का कहना हैं कि दिल्ली अध्यादेश लागू होने के बाद राज्य में जनतंत्र खत्म हो जाएगा। इसके बाद दिल्ली की जनता जो भी सरकार चुनेगी, उसके पास कोई ताकत नहीं होगी। गवर्नर के जरिये केंद्र ही सरकार दिल्ली की सरकार चलाएगा। दिल्ली के बाद अन्य राज्यों में भी यही होगा। केजरीवाल का कहना हैं कि वो दिन दूर नहीं जब राज्यपालों के जरिये पीएम सभी राज्य सरकारें चलाएंगे।
ट्विटर के को-फाउंडर जैक डोर्सी ने भारत सरकार पर कई सनसनीखेज आरोप लगाए थे। डोर्सी ने कहा गया था कि किसान आंदोलन के दौरान ट्विटर से कई पत्रकारों के हैंडल ब्लॉक करने को कहा गया था और ऐसा नहीं करने पर सरकार की तरफ से ट्विटर को बैन करने की धमकी दी गई थी। अब पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान ट्विटर के नए मालिक और टेस्ला कंपनी के सीईओ एलन मस्क ने इसका जवाब दिया है। अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद एलन मस्क से डोर्सी के आरोपों पर सवाल किया गया, तो मस्क ने कहा कि ट्विटर के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं, उसे सरकार और कानूनों का पालन करना होता है। दोनों के बीच हुई इस मुलाकात के बाद एलन मस्क मीडिया के सामने आए और उन्होंने खुद को मोदी का फैन भी बताया। एलन मस्क ने कहा कि सरकारों के अलग-अलग तरह के अपने नियम और कानून हैं, इन कानूनों के तहत रहते हुए हम फ्री स्पीच को बढ़ावा देने की पूरी कोशिश कर सकते हैं। ये थे जैक डोर्सी के आरोप: ट्विटर के को-फाउंडर जैक डोर्सी ने एक चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा था कि भारत की तरफ से अधिकारियों के घरों पर एजेंसियों की छापेमारी और ट्विटर को बंद करने की धमकी मिली थी। किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार की तरफ से कुछ ट्विटर अकाउंट्स को बंद करने को कहा गया था, ऐसा नहीं करने पर परिणाम भुगतने की धमकी मिली थी।
पीएम मोदी चार दिवसीय यात्रा के लिए अमेरिका गए हैं जहां वह 21 जून से 24 जून तक रहेंगे। इस दौरान वे अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात समेत विभिन्न कार्यक्रमों में शरीक होंगे।अपनी अमेरिका यात्रा शुरू करने से पहले पीएम मोदी ने ट्वीट करके यूएस कांग्रेस के सदस्यों को उनका स्वागत करने के लिए धन्यवाद दिया है। पीएम मोदी 21 जून से शुरू होने वाली अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ कई मुद्दों पर बातचीत करेंगे और न्यूयॉर्क में योगा दिवस कार्यक्रम में शरीक होंगे। प्रधानमंत्री ने इससे पहले 2016 में अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया था। पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान दो बड़े रक्षा सौदों को अंतिम रूप दिया जा सकता है। इनमें जीई के साथ भारत में युद्धक विमानों के इंजन निर्माण व ड्रोन से जुड़े समझौते शामिल हैं। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य दूरसंचार, अंतरिक्ष, सेमीकंडक्टर जैसी नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्वस्त आपूर्ति शृंखला स्थापित करना है। इस पर बड़ी कामयाबी हासिल हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की राजकीय यात्रा पर जाने वाले तीसरे भारतीय नेता हैं। इससे पहले 1963 में पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्षन और 2009 में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह अमेरिकी राजकीय यात्रा पर जा चुके हैं।
एचआरटीसी के निदेशक मंडल की बैठक सोमवार देर शाम डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इसमें एचआरटीसी कर्मचारियों को 3 फीसदी महंगाई भत्ता देने का निर्णय लिया गया। इससे निगम के लगभग 11 हजार कर्मचारी लाभान्वित होंगे। निदेशक मंडल ने एचआरटीसी में ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर मिलने वाली एक्सग्रेशिया ग्रांट को लगभग 3 गुणा बढ़ाने को भी मंजूरी दी। वर्तमान में एचआरटीसी कर्मियों की मृत्यु की सूरत में रेगुलर कर्मचारी को 55 हजार रुपए देने का प्रावधान है। अब इसे बढ़ाकर 1.50 लाख और अनुबंध कर्मचारी के लिए 1 लाख रुपए करने का फैसला लिया गया है। डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि बसों की खरीद के अलावा निगम की आय बढ़ाने और आत्म निर्भर बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। निगम की सभी देनदारियां और बकाया जल्द निबटाया जाएगा। एचआरटीसी के बेड़े में जल्द 556 नई इलेक्ट्रिक, वॉल्वो और डीजल बसों को शामिल करने की योजना है। इनमें से 196 बसों को निगम के बेड़े में शामिल कर लिया गया है और 360 बसें जल्द शामिल होंगी।
- सीएम के आश्वासन के बाद प्रशिक्षुओं ने टाली भूख हड़ताल मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद जेबीटी प्रशिक्षुओं ने भूख हड़ताल समाप्त कर दी है। प्रशिक्षुओं की मांग पर हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में जेबीटी शिक्षकों की बैचवाइज नियुक्ति पर रोक लगा दी गई है। सोमवार को जेबीटी-डीएलएड प्रशिक्षुओं से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश आने तक नियुक्तियां नहीं करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने जिला शिमला और कुल्लू जिला में अपात्रों के चयन को लेकर भी गहनता से जांच करने के निर्देश दिए हैं। जेबीटी-डीएलएड प्रशिक्षुओं ने रविवार को शिमला के उपायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था। इसके बाद शाम को प्रशिक्षु राज्य सचिवालय के समीप छोटा शिमला बस स्टॉप पर धरने पर बैठ गए थे। सोमवार सुबह प्रशिक्षुओं ने भूख हड़ताल पर बैठने का एलान किया था। आखिरकार सोमवार दोपहर बाद प्रशिक्षुओं की मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई। अब मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद हड़ताल वापस ले ली गई है। ये चाहते है जेबीटी-डीएलएड प्रशिक्षु : बीएड करने वाले टीजीटी और पीजीटी के पद के लिए योग्य हैं। जेबीटी करने वाले इन पदों के लिए आवेदन नहीं कर सकते। ऐसे में बीएड वालों को जेबीटी भर्ती में शामिल नहीं किया जाए।
मनाली से रोहतांग के लिए इलेक्ट्रिक बस शुरू हो गई है। मात्र 500 रुपये में पर्यटक इसका लाभ उठा सकते है। मनाली आने वाले पर्यटक बर्फ को देखने के लिए रोहतांग जाते हैं। इलेक्ट्रिक बसों के आरंभ होने से सैलानियों को परमिट लेने की जरूरत नहीं रहेगी। साथ ही उन्हें टैक्सियों के लिए भी हजारों रुपये नहीं देने पड़ेंगे। निगम की यह बसें मनाली से सुबह 7:30 बजे से लेकर सुबह 10:00 बजे तक रवाना होती हैं। प्रथम चरण में निगम से छह बसों का संचालन शुरू किया है। मांग अनुसार बसों की संख्या को भी बढ़ाया भी जा सकता है। सोमवार को छह बसों को भेजा गया और एक बस में 25 पर्यटक सफर कर सकते हैं। मनाली आने वाले पर्यटक बर्फ को देखने के लिए रोहतांग जाते हैं। 51 किलोमीटर लंबे इस रूट के लिए एनजीटी के आदेश पर सबसे पहले छोटे वाहनों के लिए परमिट लेना जरूरी है। साथ ही टैक्सी से रोहतांग जाना हो तो हजारों रुपये किराया देना होता है। वहीं, एनजीटी के आदेश पर एक दिन में मात्र 1200 वाहन ही रोहतांग जा सकते हैं। पर अब बससेवा शुरू होने से पर्यटकों के लिए राहत भरी खबर है।
-नए भर्ती आयोग के गठन पर चर्चा संभव हिमाचल कैबिनेट की बैठक आज सचिवालय में मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू की अध्यक्षता में होगी। बैठक में विभिन्न विभागों में भर्तियों को मंजूरी मिल सकती है। साथ ही निगाहें नए भर्ती आयोग के गठन पर चर्चा पर भी होगी। हिमाचल सरकार ने कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर को भंग कर रखा है। इसके स्थान पर नया भर्ती आयोग बनाया जाना प्रस्तावित है। कैबिनेट सब कमेटी ने पहले ही खाली पदों पर भर्ती की मुख्यमंत्री से सिफारिश कर रखी है। ऐसे में उम्मीद है कि बैठक में विभिन्न विभागों में भर्तियों को मंजूरी मिल सकती है।इसके अलावा कैबिनेट में महिलाओं को 1500-1500 रुपए देने के निर्णय को मंजूरी मिल सकती है, क्योंकि राज्य सरकार ने 60 साल से अधिक आयु की सभी महिलाओं और लाहौल घाटी की महिलाओं को 1500 रुपए देने का निर्णय लिया है। शिक्षा विभाग की नर्सरी टीचर ट्रेनिंग भर्ती का मामला भी आज कैबिनेट में जा सकता है। दरअसल केंद्र ने राज्य सरकार के आग्रह पर एनटीटी के एक वर्षीय डिप्लोमा धारकों को नियुक्ति देने की सशर्त सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इसके तहत नौकरी के दौरान एनटीटी को दो वर्ष का डिप्लोमा पूरा करना होगा। संभव है आज कैबिनेट में इसे भी मंजूरी मिल जाएँ।
मणिपुर में एक बार फिर हिंसा देखने को मिली है। इंफाल के कोंगबा में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन सिंह के घर में कुछ लोगों ने आग लगा दी। गनीमत ये रही कि केंद्रीय मंत्री घटना के समय घर पर नहीं थे। इससे पहले कुछ उपद्रवियों ने बुधवार को इंफाल पश्चिम के लाम्फेल क्षेत्र में एक मंत्री के घर को आग लगा दी थी। इंफाल में कर्फ्यू के बावजूद भीड़ मंत्री के घर तक पहुंच गई। मंत्री के आवास पर तैनात सुरक्षकर्मी भी हिंसा रोकने में नाकामयाब रहे। राजकुमार रंजन सिंह का घटना पर बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा "मेरे गृह राज्य में जो हो रहा है उसे देखकर बहुत दुख होता है। मैं अब भी शांति की अपील करता रहूंगा। इस तरह की हिंसा में लिप्त लोग बिल्कुल अमानवीय हैं। मैं इस समय आधिकारिक काम के लिए केरल में हूं। शुक्र है कि कल रात मेरे इंफाल स्थित घर में कोई घायल नहीं हुआ। बदमाश पेट्रोल बम लेकर आए थे और मेरे घर के निचले और पहली मंजिल को नुकसान पहुंचाया है।"
नकली दवा मामले में करीब सात महीनों से फरार चल रहे रॉ मटीरियल सप्लायर को धर दबोचने में पुलिस को सफलता मिली है। नकली दवाओ की आपूर्ति करने वाले मुख्य आरोपी उत्तर प्रदेश निवासी मोहम्मद इदरीश को गिरफ्तार कर लिया गया है। इदरीश देशभर में नकली दवाओं की आपूर्ति करता था। मोहम्मद इदरीश गांव पिपली नायक जिला रामपुर उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। करीब सात महीने से पुलिस को उसकी तलाश थी। नंवबर 2022 में राज्य दवा नियंत्रक विभाग ने ट्राइजल फार्मा बद्दी से बड़ी मात्रा में नकली दवाएं बरामद की थी। इस मामले में कंपनी के मालिक आगरा निवासी मोहित बंसल को गिरफ्तार किया था। मोहित बंसल के साथ पूरे कारोबार को इदरीश ही नियंत्रित करता था और उसको कच्चा माल भी उपलब्ध करवाता था। वह बद्दी में रहता था। इसके बाद से ही वह फरार चल रहा था। राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मरवाह ने इदरीश की गिरफ्तारी की पुष्टि की है।
जिला ऊना के एक कॉलेज की छात्रा ने एक युवक पर उसकी अश्लील वीडियो इंटरनेट मीडिया पर अपलोड कर उसे ब्लैकमेल करने के आरोप लगाया है। पुलिस को दी शिकायत में कॉलेज की छात्रा ने कहा कि वह पिछले साल कॉलेज के सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने मंडी गई थी, जहां उसकी दोस्ती चंबा जिला के एक लड़के से हुई। दोनों एक दूसरे से फोन पर बातचीत करने लगे। फिर एक दिन लडके ने उसे वीडियो कॉल की और कहा की मुझे तुम्हें देखना है और साथ ही कपड़े उतारने को कहा और उसने उसके कहने पर कपड़े उतार दिए, जिसकी वीडियो उसने रिकॉर्ड कर ली। लड़की का आरोप है कि उसके बाद वह उसे धमकाने लगा और उसने लड़की के नाम से एक आईडी बनाकर उन अश्लील वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड कर उसे वायरल कर दिया। पुलिस ने युवती की शिकायत पर आरोपी युवक के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
* बृजभूषण को पॉक्सो केस मामले में राहत, अन्य पहलवानों से जुड़े मामले में चार्जशीट दाखिल Updated : 1:45 AM _______________________ * दिल्ली पुलिस बीजेपी सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ एक हजार पेज की चार्जशीट लेकर कोर्ट पहुंची Updated : 11:45 AM ________________________________ भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली पुलिस आज चार्जशीट पेश कर सकती है। दरअसल, खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पहलवानों को आश्वासन दिया था कि बृजभूषण के खिलाफ यौन शोषण मामले में दिल्ली पुलिस 15 जून तक जांच पूरी कर कोर्ट में चार्जशीट पेश कर देगी। ऐसे में आज चार्जशीट पेश होने की सम्भावना है। इसके बाद ही तय होगा कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले शीर्ष पहलवान कुश्ती के रिंग में लौटेंगे या धरने पर। पहलवानों की संघर्ष कमेटी के अनुसार, जांच रिपोर्ट उपयुक्त न मिलने पर दोपहर 2:00 बजे आंदोलन आगे बढ़ाने का ऐलान करेंगे। अगर जांच रिपोर्ट से पहलवान संतुष्ट हुए तो आंदोलन स्थगित हो सकता है। वहीँ उम्मीद है कि आज गृह मंत्रालय द्वारा भी 28 मई को पहलवानों और उनके समर्थकों पर दर्ज केस वापसी को लेकर कोई फैसला लिया जा सकता है।
* कच्छ से लेकर कराची तक, तूफानी तबाही का अलर्ट जारी Updated : 3:24 PM बिपरजॉय का असर गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ में सबसे ज्यादा होने का अनुमान है। यहां निचले इलाकों में पानी भरने की आशंका है। गुजरात के तट से आज चक्रवाती तूफान बिपरजॉय तूफान टकराने वाला है। एहतियात के तौर पर 74 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। जबकि करीब 80 से ज्यादा ट्रेनें रद्द की गई हैं। लोगों को घरों से बाहर ना निकलने की सलाह दी गई है। प्रभावित क्षेत्रों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कई टीमें तैनात की गई हैं। राज्य और केंद्र सरकार हालात पर नजर बनाए हुए हैं। बिपरजॉय की वजह से द्वारकाधीश मंदिर को आज श्रद्धालुओं के लिए बंद किया गया है।
* 40 पैसे प्रति किलो की हुई कटौती HPMC ने बागवानों को बड़ी राहत देते हुए CA स्टोर में सेब रखने के किराए में कटौती की है। HPMC अपने स्टोर में सेब रखने की एवज में 2 रुपए प्रति किलो के हिसाब से चार्ज करता था, पर इस सीजन में बागवानों से 1 रुपए 60 पैसे के हिसाब से किराया लिया जाएगा। इस तरह 20 प्रतिशत की कमी की गई है और प्रति किलो किलो के हिसाब से 40 पैसे की कटौती हुई है। प्रदेश के सेब बहुल क्षेत्रों में HPMC के 6 कोल्ड स्टोर है। दिलचस्प बात ये है कि इन स्टोर में कई चैंबर हर साल खाली रह जाते थे। दरअसल प्राइवेट CA स्टोर की तुलना में HPMC के स्टोर के रेट ज्यादा थे। पर अब HPMC ने भी अपने रेट कम कर दिए है। अगस्त के दूसरे पखवाड़े के बाद अमुमम बाजार में सेब के बाजार भाव गिर जाते हैं। ऐसे में सेब को स्टोर किया जाता है, ताकि ऑफ सीजन में अच्छे दाम पर बेचा जा सके। जाहिर है HPMC के इस कदम का लाभ बागवानों को होगा।
**मुख्यमंत्री ने करार रद्द करने के दिए निर्देश **जुलाई से कंप्यूटर शिक्षकों के वेतन में 2,000 रुपये की बढ़ोतरी हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कार्यरत 1326 कंप्यूटर शिक्षक अब निजी कंपनियों के अधीन नहीं रहेंगे। सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कंपनियों के साथ हुए करार को रद्द करने के निर्देश दिए हैं। साह ही जुलाई से कंप्यूटर शिक्षकों के वेतन में 2,000 रुपये की बढ़ोतरी करने की घोषणा भी की। सीएम ने शिक्षक भर्ती से संबंधित कोर्ट में लंबित मामले को भी जल्द निपटाने में मदद का भी आश्वासन दिया है। अगर कोई व्यवस्था नहीं होती है तो शिक्षकों को पूर्व की तरह नाइलेट कंपनी के अधीन ही किया जाए। पांच निजी कंपनियों को ठेका दिए जाने पर भी मुख्यमंत्री ने आपत्ति जताई। सरकारी स्कूलों में कार्यरत कंप्यूटर शिक्षकों को आउटसोर्स आधार पर नियुक्ति दी गई है। बीते कई वर्षों से नाइलेट कंपनी के अधीन शिक्षक रखे गए हैं। पर कुछ माह पूर्व कंप्यूटर शिक्षकों को इलेक्ट्राॅनिक्स काॅरपोरेशन के माध्यम से नियुक्त करने का फैसला लिया गया था। काॅरपोरेशन स्वयं कोई भी भर्ती नहीं करता है, ऐसे में पांच निजी कंपनियों के तहत शिक्षकों का बंटवारा किया गया। दरअसल शिक्षकों की हाजिरी भी इन्हीं कंपनियों को भेजी गई। कुछ कंपनियों के शिक्षकों के वेतन से 2,000 से 4,000 रुपये तक की कटौती कर दी। शिक्षकों का आरोप है कि ऐसी कंपनियों को काम दिए गए, जिनका इस क्षेत्र में कोई अनुभव ही नहीं था। इसी के चलते मंगलवार को शिक्षकों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा। शिक्षकों का कहना है कि ऐसी कंपनी को भी शामिल किया गया, जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला विधानसभा सदन में भी गूंजा है। इस दौरान कंप्यूटर शिक्षकों ने सीएम के समक्ष शिक्षा विभाग में शामिल करने की मांग भी रखी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने 19 जून को कैबिनेट मीटिंग बुलाई है। इसे लेकर सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागीय सचिव और विभागाध्यक्ष को आदेश जारी कर दिए हैं। इसके लिए विभागों से एजेंडा भेजने को कह दिया गया है। बता दें कि पूर्व में यह मीटिंग 18 जून को निर्धारित थी, लेकिन अब इसमें बदलाव किया गया है। माना जा रहा है कि कैबिनेट मीटिंग में नए भर्ती आयोग को लेकर कोई निर्णय हो सकता है। दरअसल, कैबिनेट मीटिंग से 2 दिन पहले 17 जून को भर्ती एजेंसी के गठन को रिटायर आईएएस दीपक सानन की अध्यक्षता में गठित कमेटी की भी बैठक होनी है। कमेटी इसी दिन सरकार को नए आयोग के गठन को लेकर अपनी रिपोर्ट सौप सकती है। यदि ऐसा होता है तो संभावित है कि 19 जून की कैबिनेट में नए चयन आयोग को लेकर सरकार निर्णय ले। विदित रहे कि सुक्खू सरकार ने अप्रैल महीने में कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर को भंग कर दिया था। लगातार हो रहे पेपर लीक और व्याप्त भ्रष्टाचार को देखते हुए सुक्खू सरकार ने ये एक्शन लिया था। कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के कई कर्मचारी इसमें लिप्त पाए गए है। कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के भंग होने के बाद से ही नए चयन आयोग के गठन का इन्तजार है।
पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर मिलेगा आनलाइन परमिट परमिट लेने के लिए 550 रुपये शुल्क देना होगा आज से सैलानी रोहतांग की बर्फीली वादियों का दीदार कर सकेंगे। पर्यटकों के लिए रोहतांग दर्रा बहाल हो गया है। परमिट लेकर सैलानी बर्फीली वादियों का दीदार कर सकेंगे। पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर जाकर आनलाइन परमिट लिया जा सकता है जिसके लिए 550 रुपये शुल्क देना होगा। जिला प्रशासन ने मंगलवार से पर्यटकों के लिए रोहतांग दर्रा बहाल कर दिया है। बर्फबारी के कारण इस साल 38 दिन देरी से दर्रा बहाल किया गया है। पिछले वर्ष पांच मई को पर्यटकों के लिए दर्रा खोल दिया गया था जबकि इस वर्ष 13 जून से इसे बहाल किया गया है। 1200 पर्यटक वाहन ही रोज रोहतांग जा सकेंगे। हर रोज 800 पेट्रोल व 400 डीजल इंजन पर्यटक वाहनों को जाने की अनुमति मिलेगी। दर्रा बहाल होने से टूरिस्ट सीजन भी गति पकड़ेगा।
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री अपनी सादगी के लिए पहचाने जाते हैं। उनकी सादगी की कहानियां जगहाजिर हैं। प्रधानमंत्री बनने तक उनके पास न ही घर था और न कार। अपने ही बेटे का प्रमोशन तक रुकवा दिया था शास्त्री जी ने। लाल बहादुर शास्त्री इतने साधारण थे कि एक बार गृहमंत्री रहते हुए कार से उतरकर गन्ने का जूस पीने लग गये। पत्रकार कुलदीप नैयर की किताब ‘एक जिंदगी काफी नहीं‘ में जिक्र किया है कि "शास्त्री जी उन दिनों नेहरू मंत्रिमंडल से बाहर हो गए थे। मैं हमेशा की तरह शाम को उनके बंगले में गया, जहां अंधेरा छाया हुआ था। बस ड्राइंग रूम की लाइट जल रही थी। लाल बहादुर शास्त्री ड्राइंग रूम में अकेले बैठे अखबार पढ़ रहे थे। ऐसे में जब मैंने पूछा कि बाहर रोशनी क्यों नहीं थी तो उन्होंने जवाब दिया कि अब बिजली का बिल उन्हें खुद देना पड़ेगा और वे ज्यादा खर्च नहीं उठा सकते। लाल बहादुर शास्त्री जब सरकार से बाहर थे तो आलू महंगा होने के कारण उन्होंने उसे खाना छोड़ दिया था। साल 1965 में लाल बहादुर शास्त्री ने निजी इस्तेमाल के लिए एक फिएट कार खरीदी थी। यह कार उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से 5000 रुपये लोन लेकर खरीदी थी, लेकिन अफसोस, कार खरीदने के अगले साल ही 11 जनवरी 1966 को उनकी मृत्यु ताशकंद में हो गई थी। आज भी यह कार उनके दिल्ली स्थित निवास पर खड़ी है। पीएम लाल बहादुर शास्त्री ने कार का लोन जल्दी अप्रूव होने पर पंजाब नेशनल बैंक से कहा था कि यही सुविधा इसी तरह आम लोगों को भी मिलनी चाहिए। शास्त्री जी के निधन के बाद बैंक ने उनकी पत्नी को बकाया लोन चुकाने के लिए पत्र लिखा था। इस पर उनकी पत्नी ललिता देवी ने बाद में फैमिली पेंशन की मदद से बैंक का एक-एक रुपया चुकाया था।
गांधीवादी गुलजारी लाल नंदा दो बार भारत के कार्यवाहक-अंतरिम प्रधानमंत्री रहे। एक बार विदेश मंत्री भी बने थे। आजादी की लड़ाई में गांधी के अनन्य समर्थकों में शुमार नंदा को अपना अंतिम जीवन किराये के मकान में गुजारना पड़ा। उन्हें स्वतंत्रता सेनानी के रूप में 500 रुपये की पेंशन स्वीकृत हुई थी। उन्होंने इसे लेने से यह कह कर इनकार कर दिया था कि पेंशन के लिए उन्होंने लड़ाई नहीं लड़ी थी। बाद में मित्रों के समझाने पर कि किराये के मकान में रहते हैं तो किराया कहां से देंगे, उन्होंने पेंशन कबूल की थी। कहते है किराया बाकी रहने के कारण एक बार तो मकान मालिक ने उन्हें घर से निकाल भी दिया था। बाद में इसकी खबर अखबारों में छपी तो सरकारी अमला पहुंचा और मकान मालिक को पता चला कि उसने कितनी बड़ी भूल कर दी है। आज तो ऐसे नेता की कल्पना भी नहीं की जा सकती जो पीएम और केंद्रीय मंत्री रहने के बावजूद अपने लिए एक अदद घर नहीं बना सका और किराये के मकान में अपनी जिंदगी गुजार दी। दो बार भारत के कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे गुलजारीलाल नंदा सक्रिय राजनीति को अलविदा करने के बाद दिल्ली में किराए के मकान में रहते थे और उनके पास किराया भी नहीं होता था। जब वे किराया नहीं दे सके तो उनकी बेटी उन्हें अपने साथ अहमदाबाद ले गईं। गुलजारीलाल नंदा मुंबई विधानसभा के दो बार सदस्य रहे थे। पहली बार वह 1937 से 1939 तक और दूसरी बार 1947 से 1950 तक विधायक चुने गये थे। उनके जिम्मे श्रम एवं आवास मंत्रालय का कार्यभार था, तब मुंबई विधानसभा होती थी। 1947 में नंदा की देखरेख में ही इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना हुई। मुंबई सरकार में गुलजारीलाल नंदा के काम से प्रभावित होकर उन्हें कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली बुला लिया। फिर नंदा वह 1950-1951, 1952-1953 और 1960-1963 में भारत के योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे। भारत की पंचवर्षीय योजनाओं में उनका काफी योगदान माना जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री भी रहे। गुलजारीलाल नंदा दो बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री भी रहे। पहली बार पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन पर और दूसरी बार लाल बहादुर शास्त्री के निधन पर उन्हें कार्यवाहक प्रधानमंत्री का दायित्व सौंपा गया था। उनका पहला कार्यकाल 27 मई 1964 से 9 जून, 1964 तक रहा। दूसरा कार्यकाल 11 जनवरी 1966 से 24 जनवरी 1966 तक रहा। गांधीवादी विचारधारा के नंदा पहले 5 आम चुनावों में लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। सिद्धांतवादी गुलजारीलाल नंदा अपनी ही पार्टी की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के देश में इमरजेंसी लगाने के फैसले से नाराज हो गए थे। तब वो रेलमंत्री थे। उन्होंने आपातकाल के बाद चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। इंदिरा गांधी, राजा कर्ण सिंह समेत कई हस्तियां मनाने आईं, लेकिन वे फैसले पर अटल रहे। इसके बाद कभी चुनाव नहीं लड़ा। गुलजारीलाल नंदा ने कभी प्राइवेट काम में सरकारी गाड़ी प्रयोग नहीं की। वे कुरुक्षेत्र में नाभाहाउस के साधारण कमरों में ठहरते थे। परिवार गुजरात में ही था। सन् 1967 के बाद उनका अधिकांश समय कुरुक्षेत्र में गुजरा। वे गृहमंत्री थे तब एक बार दिल्ली निवास से उनकी बेटी डाॅ. पुष्पा यूनिवर्सिटी में फार्म भरने सरकारी गाड़ी में चली गईं। पता चलने पर नंदा खफा हुए। उन्होंने आठ मील गाड़ी आने-जाने का किराया बेटी की तरफ से खुद भरा। आज के दौर में तो ऐसी कल्पना करना भी बेहद मुश्किल है।
"....विपक्ष बीजेपी के खिलाफ अधिकांश एक उम्मीदवार उतारने की रणनीति बना रहा है। माना जा रहा है कि विपक्ष 475 लोकसभा सीटों पर बीजेपी के खिलाफ एक साझा उम्मीदवार उतारने की कोशिश में है। विपक्ष की मंशा साफ है कि वह अधिकांश सीटों पर एकजुट होकर भाजपा का सामना करें। हालांकि मौजूदा समय में ये ख़याली पुलाव ज्यादा है। दरअसल कांग्रेस के बिना ये संभव है नहीं और आम आदमी पार्टी जैसे दलों के साथ कांग्रेस के आने की सम्भावना कम है। जो दल राज्यों में एक दूसरे के खिलाफ तलवारें खींचे खड़े है वो केंद्र में भी एकसाथ आएं, ये व्यावहारिक नहीं लगता। छोटे दलों को ये भी डर है कि कांग्रेस के साथ आने से उनका वोट बैंक फिर कांग्रेस की तरफ खिसक सकता है, जो मोटे तौर पर उन्होंने कांग्रेस से ही छिटका है..." हर पार्टी के पास चुनाव लड़ने का समान अवसर होना लोकतंत्र की बुनियादी ज़रूरत है, लेकिन मौजूदा समय में साधन और कैडर के मामले में बीजेपी सभी दलों पर भारी दिखती है। इसी अंतर को पाटने की कोशिश में विपक्षी दल एक साथ आने लगे है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत से केंद्र की राजनीति में बीजेपी विरोधी दलों की हैसियत कम हुई है। तब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए को अकेले करीब 45 प्रतिशत वोट मिले थे। तब से अब तक स्थिति में बड़ा बदलाव होता नहीं दिख रहा। ऐसे में जाहिर है विपक्ष भी जानता है कि एकजुट होकर ही भाजपा का सामना किया जा सकता है। आगामी लोकसभा चुनाव में महज़ 10 महीने का वक्त बचा है और भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए इसी विपक्ष के करीब 55 फीसदी वोट को एकजुट करने की बात हो रही है, जिसके लिए विपक्षी दलों की कोशिश जारी है। कर्नाटक के हालिया विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विपक्षी एकता की कोशिशों को नया बल मिला है। इसका ताज़ा उदाहरण नए संसद भवन के उद्घाटन को छिड़े विवाद में दिखा है। इस मुद्दे पर पहली बार विपक्ष एकजुट नज़र आया और ये कवायद अब आगे भी बढ़ती दिख रही है। वहीं प्रशासनिक सेवाओं पर दिल्ली सरकार के अधिकार को नहीं मानने से जुड़े अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों को लामबंद करने में भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगे हैं। इन दोनों मुद्दों पर जिस तरह से विपक्षी दल ने नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा, उससे सियासी गलियारे में इस पर बहस और तेज हो गई है कि क्या 2024 में चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ मजबूत विपक्षी गठबंधन बन सकता है। जिस विपक्षी गठबंधन की संभावना है, उसमें ज्यादातर वहीं दल शामिल हो सकते हैं, जिन्होंने संसद के नए भवन के उदघाटन समारोह का सामूहिक रूप से बहिष्कार करने की घोषणा की थी। इनमें मुख्य तौर पर 19 दल हैं, जिनमें कांग्रेस के साथ ही तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, जेडीयू, आरजेडी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, एनसीपी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), सीपीएम और सीपीआई, राष्ट्रीय लोकदल और नेशनल कांफ्रेंस शामिल हैं। इनके अलावा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (मणि), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काट्ची, मारुमलार्ची द्रविड मुन्नेत्र कड़गम शामिल हैं। निर्विवाद तौर पर इनमें से एकमात्र कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है, जिसका पैन इंडिया जनाधार है और बाकी विपक्षी दलों की पकड़ मौटे तौर पर राज्य विशेष तक ही सीमित है। कांग्रेस के अलावा टीएमसी पश्चिम बंगाल में, डीएमके तमिलनाडु में जेडीयू और आरजेडी बिहार में वहीं झामुमो झारखंड में प्रभावशाली है। समाजवादी पार्टी का प्रभाव उत्तर प्रदेश, एनसीपी और शिवसेना (ठाकरे गुट) का महाराष्ट्र, और नेशनल कांफ्रेंस का जम्मू-कश्मीर और राष्ट्रीय लोकदल का सीमित प्रभाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है। इनमें से आम आदमी पार्टी दो राज्यों पंजाब और दिल्ली में बेहद मजबूत स्थिति में है, वहीं गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में धीरे-धीरे जनाधार बनाने की कवायद में है। सीपीएम का प्रभाव केरल में सबसे ज्यादा रह गया है, जबकि पश्चिम बंगाल में भी उसके कैडर अभी भी मौजूद हैं। 19 दलों में से बाकी जो दल हैं उनका केरल और तमिलनाडु में छिटपुट प्रभाव है। क्या है विपक्ष का फॉर्मूला? गौरतलब है कि बीते एक माह में दो बार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की है। कांग्रेस और सीएम नीतीश भी इस फार्मूला पर काम कर रहे हैं। अगले साल होने वाले चुनाव में विपक्ष साल 1974 का बिहार मॉडल लागू करना चाहता है। जिस तरह पूरा विपक्ष 1977 में कांग्रेस के खिलाफ हो गया था, वैसा ही कुछ अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में करने की कोशिश है। 1989 में राजीव गांधी की सरकार के खिलाफ वीपी सिंह मॉडल को सभी विपक्षी दलों ने अपनाया था, जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है। इन दोनों चुनाव के दौरान विपक्ष ने एक सीट पर एक उम्मीदवार को उतारा था और सफलता हासिल हुई थी। हम इस बार के लोकसभा चुनाव में भी इसी रणनीति के तहत काम किया जा सकता है। विपक्ष की रणनीति : जिस सीट पर बीजेपी मजबूत स्थिति में दिखाई देगी, वहां पर सभी विपक्षी दल एक साथ मिलकर उसके (बीजेपी) खिलाफ उम्मीदवार उतारेंगे। अगर विपक्ष ऐसा करने में सफल रहे तो बीजेपी बेहद कम सीटों पर सिमट कर रह सकती है। इस रणनीति के तहत विपक्ष बिहार और महाराष्ट्र में मजबूत दिखाई दे रहा है। बिहार में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस एकजुट है तो वहीं महाराष्ट्र में उद्धव वाली शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एकजुट है। इन दोनों राज्यों में बीजेपी को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। बिहार और महाराष्ट्र में लोकसभा की क्रमश: 40 और 48 सीटें आती है। ऐसे में यदि विपक्ष यहां पर अपनी स्थिति मजबूत करता है तो इससे यूपी की भरपाई हो सकती है, क्योंकि यूपी में बीजेपी की स्थिति काफी ज्यादा मजबूत है। यहां लोकसभा की कुल 80 सीटें है। पश्चिम बंगाल में भी अगर ममता और कांग्रेस साथ आते है, तो कुछ लाभ स्वाभाविक है। क्या कहते हैं आंकड़े? 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को करीब 38 फ़ीसदी वोट के साथ 303 सीटें मिली थीं। वहीं दूसरे नंबर पर कांग्रेस रही थी, जिसे क़रीब 20 फ़ीसदी वोट और महज़ 52 सीटें मिली थी। इसमें ममता बनर्जी की टीएमसी को 4 फीसदी से ज़्यादा वोट मिले थे और उसने 22 सीटें जीती थी। जबकि एनसीपी को देश भर में क़रीब डेढ़ फीसदी वोट मिले थे और उसके 5 सांसद जीते थे। वहीं शिवसेना 18, जेडीयू 16 और समाजवादी पार्टी 5 सीटें जीत सकी थी। इन चुनावों में एनडीए को बिहार की 40 में से 39 सीटें मिली थी, लेकिन अब जेडीयू और बीजेपी के अलग होने के बाद राज्य में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदले नजर आते हैं। इसमें बीजेपी को 24 फीसदी वोट मिले थे, जबकि उसकी प्रमुख सहयोगी जेडीयू को क़रीब 22 फ़ीसदी और एलजेपी को 8 फीसदी वोट मिले थे। इन चुनावों में एलजेपी से दोगुना वोट पाने के बाद भी आरजेडी को एक भी सीट नहीं मिली थी, जबकि कांग्रेस को क़रीब 8 फीसदी वोट मिलने के बाद महज़ एक ही सीट मिल पाई थी। इन्हीं आंकड़ों में विपक्षी एकता की ज़रूरत भी छिपी है और इसी में नीतीश कुमार को एक उम्मीद भी दिखती है। बिहार में एलजेपी और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक जनता दल के अधिकतम वोट एनडीए के पास आने पर ये 35 फीसदी के क़रीब दिखता है। जबकि राज्य में महागठबंधन के पास 45 फीसदी से ज़्यादा वोट हैं। 1. बीजेपी बनाम कांग्रेस (161 सीटें ) 12 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश जिसमें 161 लोकसभा सीटें शामिल हैं, यहाँ बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला देखने को मिला था। 147 सीटें ऐसी जहां दोनों के बीच सीधा मुकाबला था। वहीं 12 सीटों पर क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय दल को चुनौती देते दिखे। 2 सीटों पर क्षेत्रीय दलों के बीच ही मुकाबला था। इसमें मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, असम, छत्तीसगढ़, हरियाणा राज्य शामिल हैं। यहां बीजेपी को 147 सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस को 9 और अन्य के खाते में 5 सीट गई। 2.बीजेपी बनाम क्षेत्रीय दल (198 सीटें) यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, और ओडिशा, इन 5 राज्यों की 198 सीटों पर अधिकांश में बीजेपी और रीजनल पार्टी के बीच ही मुकाबला रहा। 154 सीटों पर सीधा बीजेपी और क्षेत्रीय दलों के बीच मुकाबला था। 25 सीटों पर कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के बीच मुकाबला था। 19 सीटों पर क्षेत्रीय दलों के बीच ही मुकाबला था। बंगाल की 42 सीटों में से 39 सीटों पर बीजेपी या तो पहले या दूसरे नंबर पर थी। पिछले चुनाव में बीजेपी को यहां 116 सीटों पर, कांग्रेस 6 और अन्य को 76 सीटों पर जीत मिली। 3.कांग्रेस बनाम क्षेत्रीय दल (25 सीटें ) 2019 के चुनाव में कांग्रेस केरल, लक्षद्वीप, नागालैंड, मेघालय और पुडुचेरी की 25 सीटों में से 20 पर पहले या दूसरे नंबर पर रही। यहां बीजेपी लड़ाई में भी नहीं दिखी। केरल की केवल एक सीट थी जहां बीजेपी को दूसरा स्थान हासिल हुआ था। यहां 17 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली। वहीं अन्य को 8 सीटें मिलीं। 4.यहां कोई भी मार सकता है बाजी (93 सीटें ) 6 राज्य ऐसे हैं जहां की 93 सीटों पर सबके बीच मुकाबला देखा गया। 93 सीटों पर बीजेपी, कांग्रेस और क्षेत्रीय दल सभी मजबूत नजर आए। महाराष्ट्र इसका उदाहरण है जहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों गठबंधन के साथ में हैं। यहां पिछले चुनाव में बीजेपी को 40, अन्य को 41 और कांग्रेस को 12 सीटों पर जीत हासिल हुई। 5.सिर्फ क्षेत्रीय पार्टी का ही दबदबा (66 सीटें ) तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मिजोरम और सिक्किम की 66 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां सिर्फ क्षेत्रीय दलों का ही दबदबा है। तमिलनाडु की 39 सीटों में से सिर्फ 12 सीटों पर ही कांग्रेस या बीजेपी का थोड़ा आधार है, वह भी गठबंधन के सहारे। यहां 58 सीटों पर अन्य और 8 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली। बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था। कई विपक्षी दल एकजुटता से रहेंगे बाहर ऐसे तो विपक्ष में और भी दल हैं, जिनकी पकड़ राज्य विशेष में है। इनमें बीजेडी का ओडिशा में, बसपा का यूपी में, वाईएसआर कांग्रेस का आंध्र प्रदेश में, बीआरएस का तेलंगाना में अच्छा-खासा प्रभाव है। जेडीएस का कर्नाटक के कुछ सीटों पर प्रभाव है। हालांकि नवीन पटनायक, मायावती, जगन मोहन रेड्डी, के. चंद्रशेखर राव, और एच डी कुमारस्वामी का फिलहाल जो रवैया है, उसके मुताबिक इन दलों के कांग्रेस की अगुवाई में बनने वाले किसी भी गठबंधन में शामिल होने की संभावना बेहद क्षीण है। ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटों पर जीत की संभावना के नजरिए से बीजेपी के लिए सबसे निर्णायक राज्यों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड, हरियाणा, उत्तराखंड, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और असम शामिल हैं।
कभी वीरभद्र सिंह के हनुमान कहे जाने वाले हर्ष महाजन को अब हिमाचल भाजपा ने कोर ग्रुप का सदस्य मनोनीत किया हैं। बीते साल हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हर्ष महाजन भाजपाई हो गए थे। तब माना जा रहा था कि शायद चम्बा सदर सीट से भाजपा महाजन पर दांव खेल सकती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब बदली सियासी फ़िज़ा में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के आदेश पर हर्ष महाजन को भाजपा कोर ग्रुप का सदस्य बनाया गया हैं। ज़ाहिर है इस नियुक्ति के बाद भाजपा में हर्ष का सियासी कद बढ़ा है, साथ ही राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट तेज़ हो चुकी है कि लोकसभा चुनाव में काँगड़ा संसदीय सीट से पार्टी हर्ष महाजन पर दांव खेल सकती है। हर्ष महाजन, स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के विशेष सलाहकार और रणनीतिकार रह चुके है। महाजन वीरभद्र सरकार में पशुपालन मंत्री भी रहे और फिर 2012 से 2017 तक कांग्रेस शासन में राज्य सहकारी बैंक के चेयरमैन भी। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने हर्ष महाजन को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का वर्किंग प्रेसिडेंट नियुक्त किया था। यानी कांग्रेस में रहते महाजन का सियासी कद लगातार बढ़ा ही है, लेकिन महाजन ने 2022 के चुनाव से ठीक पहले सबको चौंकाते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था। महाजन के भाजपा में जाने से कयास लगाए जा रहे थे कि ये भाजपा का मास्टरस्ट्रोक हो सकता है, दरअसल महाजन का चम्बा में बेहतर होल्ड माना जाता है, जाहिर है भाजपा को महाजन से कुछ उम्मीद तो ज़रूर रही होगी। हालांकि नतीजे आने के बाद महाजन की चम्बा सदर सीट पर भी कांग्रेस का परचम लहराया। भाजपा को अब भी महाजन की सियासी कुव्वत का अहसास है, इसलिए हर्ष महाजन को अहम् पद दिया गया है। भाजपा की सत्ता से विदाई होने के बाद हर्ष महाजन भी कमोबेश दरकिनार से ही दिखे है, पर अब उन्हें भाजपा कोर ग्रुप का सदस्य बनाया गया हैं। यानी अब भाजपा के अहम निर्णय लेने में उनकी भूमिका भी अहम होने वाली है। लोकसभा चुनाव के लिहाज़ से भाजपा में कई बड़े बदलाव होने की चर्चा तेज़ है। प्रदेश में सत्ता गवाने के बाद भाजपा इस दफा कोई चूक नहीं करना चाहेगी। फिलवक्त प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्ज़ा है। काँगड़ा संसदीय सीट की बात करे तो यहाँ वर्तमान में किशन कपूर सांसद है, लेकिन विधानसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा का प्रदर्शन फीका रहा था। ऐसे में महाजन की नियुक्ति के बाद कयास लग रहे है कि क्या भाजपा इस दफा कांगड़ा संसदीय सीट पर चेहरा बदलने की रणनीति पर आगे बढ़ सकती है ? महाजन जिला चम्बा से आते है और जिला चंबा के चार निर्वाचन क्षेत्र काँगड़ा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आते है। ऐसे में उनकी दावेदारी ख़ारिज नहीं की जा सकती। बहरहाल कयासों का सिलिसला जारी है।
देश में कई मौके ऐसे आएं है जब सरकारों ने अपने पक्ष में माहौल देखकर समय से पहले चुनाव करवा दिए। क्या आगामी लोकसभा चुनाव भी अपने तय वक्त से पहले हो सकते हैं, ये सवाल इन दिनों सियासी गलियारों में खूब गूंज रहा है। दरअसल, इसी साल के अंत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है। क्या मोदी सरकार इन्हीं के साथ लोकसभा चुनाव करवाने पर विचार कर रही है? क्या सरकार का नौ साल की उपलब्धियों के प्रचार में ताकत झोंकना इसका संकेत है? ये अहम सवाल है। 'सेवा सुशासन और गरीब कल्याण' के नारे के साथ भाजपा आक्रामक तरीके से मैदान में उतर चुकी है, मानो चुनाव की घोषणा हो चुकी हो। संभवतः सरकार और पार्टी के शीर्ष स्तर पर लोकसभा चुनावों को लेकर गंभीर मंथन हो रहा है। बीते 6 महीनो में हिमाचल प्रदेश और कर्णाटक में सत्ता से बेदखल हुई भाजपा निश्चित तौर पर आत्ममंथन जरूर कर रही होगी। हालांकि पूर्वोत्तर के नतीजों ने भाजपा को कुछ उत्साहित जरूर किया है। पर पार्टी को इस बात का भी इल्म है कि बीते कुछ समय में कांग्रेस पहले से ज्यादा नियोजित दिख रही है और एंटी इंकम्बैंसी को पूरी तरह खारिज करना भी गलत होगा। ये कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा कुछ असहज है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकारों को सोचने की जरुरत है। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव इसी साल नवंबर-दिसंबर में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ कराने का विचार हो रहा है। इसके पीछे एक तर्क ये हो सकता हैं कि विपक्ष अपनी तैयारी अगले साल मार्च-अप्रैल के हिसाब से कर रहा है और उसे समय नहीं मिलेगा। एक तर्क ये भी हैं कि अगर विधानसभा चुनावों में भाजपा को अनुकूल नतीजे नहीं मिले तो कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर नहीं होगा, बल्कि अगर दोनों चुनाव साथ हो जाते हैं, तो पीएम मोदी की लोकप्रियता का लाभ राज्यों के चुनावों में भी होगा। मुद्दे भांप रही हैं भाजपा ! कांग्रेस और भाजपा, दोनों तरफ सियासी पैंतरेबाजी तेज हो चुकी है। अगला लोकसभा चुनाव अमीर बनाम गरीब, हिंदुत्व बनाम सामाजिक न्याय और बेतहाशा बढ़ी अमीरी के मुकाबले गरीबी रेखा के नीचे की आबादी में बढ़ोत्तरी जैसे मुद्दों के बीच देखने को मिल सकता हैं। जातीय जनगणना भी बड़ा मुद्दा बन सकती हैं। शायद भाजपा इसे समझ रही हैं और ऐसे में जल्द चुनाव से इंकार नहीं किया जा सकता। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का फीडबैक भी कारण ! मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से मिलने वाले फीड बैक भाजपा के लिए अच्छा नहीं बताया जा रहा है। राजस्थान में जरूर पार्टी अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट के झगड़े में लाभ तलश रही हैं लेकिन वसुंधरा राजे अगर नहीं साधी गई, तो मुश्किलें शायद भाजपा के लिए अधिक हो। उधर गहलोत सरकार की लोकलुभावन योजनाओं को भी खारिज नहीं किया जा सकता। इसी तरह बिहार, प. बंगाल और महाराष्ट्र में पिछले लोकसभा चुनावों के प्रदर्शन को न दोहरा पाने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
हिमाचल प्रदेश सरकार पन बिजली के ज़रिए हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी को बेहतर करने का हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार के पास पानी से बिजली और इस बिजली से पैसा बनाने को लेकर कई योजनाएं है, जिनपर इन दिनों गहन मंथन जारी है। ये सभी चर्चाएं तब और भी तेज़ हुई जब सीएम सुखविंदर सुक्खू हाल ही में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह के साथ किन्नौर का दौरा करने पहुंचे। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के साथ सीएम सुक्खू की मुलाकात कई मायनो में अहम मानी जा रही है। दरअसल हिमाचल बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाकर आमदनी बढ़ाना चाह रहा है। परन्तु हिमाचल के वाटर सैस को पंजाब और हरियाणा ने असंवैधानिक करार दिया है। हालांकि हिमाचल से पहले भाजपा शासित उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर भी वाटर सैस वसूल रहे है। इसके अलावा प्रदेश सरकार राज्य में स्थापित पावर प्रोजेक्ट में हिमाचल की हिस्सेदारी बढ़ाने तथा पावर प्रोजेक्टों में मिलने वाली 12 फीसदी रायल्टी को बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने की भी मांग है। उम्मीद जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री केंद्र से चर्चा कर इन समस्याओं का हल निकालेंगे और क़र्ज़ में डूबती प्रदेश की आर्थिकी को सहारा मिलेगा। इसी के साथ हिमाचल में शानन पावर प्रोजेक्ट को लेकर भी चर्चाएं तेज़ है। हिमाचल सरकार लीज खत्म होने के बाद शानन प्रोजेक्ट को अपने अधीन लेना चाहती है। लीज़ खत्म होने ही वाली है, मगर ठीक उससे पहले पंजाब को शानन प्रोजेक्ट की याद आ गई है। जोगिंद्रनगर स्थित शानन प्रोजेक्ट में विद्युत उत्पादन को लेकर इसके कायाकल्प के लिए पंजाब राज्य विद्युत बोर्ड ने 200 करोड़ का बजट जारी किया है। दिलचस्प बात ये है कि 2024 की लीज अवधि समाप्त होने से पहले परियोजना की 2026 की प्रस्तावित योजनाओं के लिए इस बजट को स्वीकृति मिली है। बता दें कि ब्रिटिश राज में मंडी के तत्कालीन राजा जोगिंदर सिंह ने शानन प्रोजेक्ट को 3 मार्च 1925 को 99 साल के लिए पंजाब को लीज पर दिया था। यह प्रोजेक्ट 110 मेगावाट हाईड्रो बिजली पैदा करता है, जो पंजाब को काफी सस्ती पड़ती है। हालाँकि पंजाब सरकार द्वारा इस प्रोजेक्ट के रखरखाव पर सवाल उठते रहे है। अब जब लीज अवधि समाप्त होने के नजदीक है तो पंजाब को इसकी याद आ गई। मिली जानकारी के अनुसार 110 मेगावाट की विद्युत परियोजना में विद्युत उत्पादन बढ़ाने के लिए यह बजट जारी हुआ है। मौजूदा समय में एक घंटे में 110 मेगावाट बिजली पैदा करने वाली इस पन विद्युत परियोजना में हर माह 2600 मेगावाट विद्युत उत्पादन से सालाना तीन से चार सौ करोड़ की आमदनी पंजाब सरकार को हो रही है। हालांकि हिमाचल प्रदेश सरकार पहले ही शानन पावर प्रोजेक्ट से पंजाब से वापस लेने का मन बना चुकी है। सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने स्पष्ट कर दिया है कि लीज अवधि समाप्त होने के इसका नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। शानन पावर प्रोजेक्ट की लीज 2 मार्च 2024 को समाप्त हो रही है और इसके बाद हिमाचल सरकार इसे संभालेगी।
एनसीपी के 25 वीन स्थापना दिवस दिवस पर जो हुआ वो पार्टी के इतिहास में दर्ज हो गया । कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करने को शरद पवार माइक पकड़ते है और चंद मिनटों में महाराष्ट्र की राजनीति में उफान आ जाता है। दरअसल शरद पवार पार्टी के दो कार्यकारी अध्यक्षों की घोषणा की गई - बेटी सुप्रिया सुले और छगन भुजबल। कोई जिम्मा देना तो दूर पुरे भाषण में एनसीपी के नंबर दो माने जाने वाले भतीजे अजित पवार का जिक्र तक नहीं करते। ये है शरद पवार और उनकी राजनीति का तरीका। पवार ने एक तीर से दो निशाने लगाने का काम किया है। शरद पवार ने अजित पवार को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि एनसीपी में अब उनकी कोई ख़ास जगह नहीं बची है। दूसरा बेटी सुप्रिया सुले एनसीपी चीफ की अगली उत्तराधिकारी होगी, ये भी लगभग तय हो गया है। फिलहाल, अजित पवार के पास महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी है। एनसीपी में दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की खबर के बाद अजित पवार और उनके समर्थकों का क्या रुख रहता है, ये देखना दिलचस्प होगा। अजित अब एनसीपी में हाशिये पर है और आगे उनके पास अलग राह पकड़ना ही एक मात्र विकल्प दिख रहा है। अजित पवार खुद को कभी शरद पवार के उत्तराधिकारी के तौर पर देखते थे। हालांकि, पिछले कुछ समय से दोनों के बीच सब कुछ ठीक नहीं होने की खबरें आ रही थीं। बता दें कि अजित ने 2019 में भाजपा के साथ हाथ मिलाया था और देवेंद्र फडणवीस के साथ सुबह-सुबह शपथ ग्रहण समारोह में उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। पर चाचा शरद पवार के सियासी तिलिस्म के आगे अजित के अरमान दो दिन में ढह गए थे। अजित को वापस लौटकर चाचा की शरण में आना पड़ा था और इसके बाद एनसीपी -कांग्रेस और शिवसेना गठबंधन की सरकार बनी। शरद पवार के मन में कुछ चल रहा है इसके संकेत पिछले महीने ही मिल गए थे जब उन्होंने पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ दिया था। तब उनके अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद जो भूचाल आया था, वह उनके इस्तीफा वापस लेने के बाद ही थमा था। ये एक तरह से सन्देश था कि शरद पवार ही एनसीपी है। माहिर मानते है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि पार्टी में उनकी कुव्वत और पकड़ को लेकर किसी कोई शक ओ शुबा न रहे। दिलचस्प बात ये भी है कि शरद पवार के इस्तीफे के बाद अजित पवार ही एकमात्र ऐसे नेता थे, जिन्होंने शरद पवार के इस्तीफे का समर्थन किया था और पार्टी के अन्य नेताओं को इसका सम्मान करने को कहा था। पर अजित के अरमान पुरे नहीं हुए और शरद पवार ने इस्तीफा वापस ले लिया। इसके बाद अजित पवार के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लग रही थीं, हालांकि, अजित ने इन अटकलों को सिरे से खारिज करते रहे है। बहरहाल पिछले डेढ़ महीने में जिस तरह से एनसीपी में सब घटा है उससे ये तय है कि शरद पवार को सियासत का चाणक्य क्यों कहा जाता है।
हिमाचल प्रदेश में जुलाई माह ने से उपभोक्ताओं को डिपुओं में सस्ता खाद्य तेल उपलब्ध होगा। इस महीने तक डिपुओं में 147 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से सरसों तेल मिल रहा है, लेकिन जुलाई में 110 रुपए लीटर के हिसाब से तेल मिलेगा। इस हेतु खाद्य आपर्ति निगम ने सस्ता तेल मुहैया कराने के लिए तेल कंपनी को सप्लाई ऑर्डर दे दिया है। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के 19,74,790 राशन कार्ड धारकों को फायदा होगा। हिमाचल प्रदेश में ऐसा पहली बार होगा जब गरीबी रेखा से नीचे और गरीबी रेखा से ऊपर उपभोक्ताओं को डिपुओं में एक ही दाम के हिसाब से सरसों तेल मिलेगा। वहीँ टैक्स पेयर राशन कार्ड धारकों को डिपुओं में 115 रुपए प्रति लीटर की दर से तेल मिलेगा। गौरतलब है कि बीते सप्ताह मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने रोहड़ू के चिड़गांव दौरे के दौरान सरसों तेल की कीमत 37 रुपए कम करने की घोषणा की थी।
खेजड़ी के पेड़ बचाने के लिए 363 बिश्नोइयों ने कटवा दिए थे अपने सिर खेजड़ी बिश्नोई समाज का धार्मिक पेड़ है। हर बिश्नोई के घर के बाहर यह पेड़ देखने को मिलता है। इसके पीछे की कहानी बेहद रोचक हैI दरअसल करीब 300 साल पहले राजा अभय सिंह ने अपने महल के दरवाजे बनवाने के लिए हरे पेड़ों की लकड़ी कटवाने का आदेश दिया था। राजा को ज्ञात हुआ कि बिश्नोई बहुल इलाके में सबसे ज्यादा हरे पेड़ मिलेंगे। आदेशानुसार सेना वहां पेड़ काटने के लिए पहुंच गईI सेना को बिश्नोई समाज का विरोध झेला पड़ाI तब समाज की महिला ‘माता अमृता देवी’ ने इसका विरोध किया और संघर्ष करते हुए अपना शीश कटा दिया। शीश कटवाने से पहले माता अमृता देवी ने उनसे कहा, ‘सिर सांटे रूख रहे, तो भी सस्तो जाणिये।’ मतलब - अगर सिर कटवा देने से एक पेड़ भी बच जाता है तो यह मेरे लिए सस्ता सौदा है। उस वक्त 363 बिश्नोइयों ने भी अपना सिर कटवा दिया था। इसके बाद से खेजड़ी के पेड़ की पूजा शुरू हो गई।
हिमाचल सरकार, पूर्व जयराम सरकार के फाइनेंशियल मिस्मैनेजमेंट को लेकर श्वेत पत्र लाएगी। इसके लिए गठित कैबिनेट सब कमेटी का आज प्रदेश सचिवालय में पहली बैठक है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में गठित सब कमेटी बताएंगी कि हिमाचल के आर्थिक हालात क्यों बिगड़े है। बता दें कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान भी ये वादा किया था कि राज्य के वित्तीय हालात पर श्वेत पत्र जारी किया जाएगा। कैबिनेट सब कमेटी आंकलन करेगी कि जयराम सरकार के कार्यकाल में कितना कर्ज लिया गया है। लिया गया कर्जा कहां खर्च हुआ और कितनी फिजूलखर्ची हुई। कर्ज लेने के कारण और उसके इस्तेमाल को लेकर भी सब कमेटी रिपोर्ट तय करेगी। कैबिनेट सब कमेटी में डिप्टी CM मुकेश अग्निहोत्री चेयरमैन है, जबकि कृषि मंत्री चंद्र कुमार और ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री अनिरुद्ध सिंह को सदस्य बनाया गया है। जबकि वित्त सचिव को इस कैबिनेट सब-कमेटी का सदस्य सचिव नियुक्त किया है। 75 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज : हिमाचल प्रदेश पर 75 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज है। कर्मचारियों की 10 हजार करोड़ से भी ज्यादा की देनदारी बकाया है। वहीँ वर्तमान में सरकार आर्थिक बदहाली का सामना कर रही है। सीएम सुक्खू शुरू से खराब आर्थिकी पर खुलकर बोलते रहे है और अब सरकार श्वेत पत्र लेकर आ रही है ।
मुंबई में श्रद्धा वालकर मर्डर केस जैसा ही दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। दरअसल मुंबई के मीरा रोड इलाके की आकाशगंगा सोसाइटी में एक महिला की निर्मम हत्या कर दी गई। इतना ही नहीं हत्यारे ने सबूत मिटाने के लिए शव के टुकड़ों को कुकर में उबाल भी दिया। पुलिस को शक है कि उसने उबला हुआ मांस कुत्तों को खिलाया। आरोपी का नाम मनोज साने है। वह पिछले 3 साल से सरस्वती वैद्य नाम की महिला के साथ मीरा रोड इलाके की आकाशगंगा बिल्डिंग के 7वें फ्लोर पर किराए के फ्लैट में रह रहा था। फ्लैट से बदबू आने पर बिल्डिंग के लोगों ने बुधवार को पुलिस को सूचना दी थी, जिसके बाद पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची और सोसाइटी की सातवीं मंजिला से महिला का क्षत-विक्षत शव बरामद किया। पुलिस ने लिव-इन पार्टनर की हत्या और उसके शव के कई टुकड़े करने के आरोप में मृतका के दोस्त को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। पुलिस के अनुसार प्रारंभिक जांच में महिला की बेरहमी से हत्या किए जाने की बात सामने आई है।
क्या आरबीआई 500 के नोट भी बंद करने वाला है, क्या 1000 रूपए के नोट वापस आएँगे ? 2000 के नोट वापस लेने की घोषणा के बाद आपने भी ये बातें ज़रूर सुनी होंगी। आपको बता दें की ऐसा बिलकुल भी नहीं हो रहा। आरबीआई 500 रुपये के नोटों को वापस लेने या 1,000 रुपये के नोटों को फिर से पेश करने के बारे में नहीं सोच रहा है। आरबीआई गवर्नर ने जनता से ऐसी अटकलें न लगाने का अनुरोध किया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान ये बात कही। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि 2000 नोटों को चलन से बाहर करने के फैसले के बाद लगभग 50% दो हजार के नोट बैंकों में वापस आ गए हैं। कुल 3.62 लाख करोड़ के 2000 के नोट 31 मार्च 2023 तक चलन में थे, उनमें से 1.80 लाख करोड़ के नोट बैंकों में वापस आ गए हैं। आने वाले समय में 85% 2000 के नोट बैंकिंग सिस्टम में जमा के जरिए, जबकि बाकी नोट एक्सचेंज के जरिए वापस आने की सम्भावना हैं।
मुंबई में श्रद्धा वालकर मर्डर केस जैसा ही दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। दरअसल मुंबई के मीरा रोड इलाके की आकाशगंगा सोसाइटी में एक महिला की निर्मम हत्या कर दी गई। इतना ही नहीं हत्यारे ने सबूत मिटाने के लिए शव के टुकड़ों को कुकर में उबाल भी दिया। पुलिस को शक है कि उसने उबला हुआ मांस कुत्तों को खिलाया। आरोपी का नाम मनोज साने है। वह पिछले 3 साल से सरस्वती वैद्य नाम की महिला के साथ मीरा रोड इलाके की आकाशगंगा बिल्डिंग के 7वें फ्लोर पर किराए के फ्लैट में रह रहा था। फ्लैट से बदबू आने पर बिल्डिंग के लोगों ने बुधवार को पुलिस को सूचना दी थी, जिसके बाद पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची और सोसाइटी की सातवीं मंजिला से महिला का क्षत-विक्षत शव बरामद किया। पुलिस ने लिव-इन पार्टनर की हत्या और उसके शव के कई टुकड़े करने के आरोप में मृतका के दोस्त को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। पुलिस के अनुसार प्रारंभिक जांच में महिला की बेरहमी से हत्या किए जाने की बात सामने आई है।
हिमाचल के सीएम सुखविंदर सुक्खू और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह आज किन्नौर के दौरे पर रहेंगे। दोनों नेता चीन सीमा से सटे वाइब्रेंट विलेज छितकुल में विभिन्न निर्माण गतिविधियों का जायजा लेंगे। विदित रहे कि मोदी सरकार ने छितकुल गांव को वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत टूरिज्म और इन्फ्रॉस्ट्रक्चर बनाने के लिए चिन्हित कर रखा है और इसके तहत छितकुल में भी विभिन्न गतिविधियां चल रही है। केंद्र के वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का मकसद भारत-चीन सीमा पर बसे गांवों का समग्र विकास करना है। इसके लिए 4,800 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत है। साथ ही इन क्षेत्रों में सड़कों के नेटवर्क को मजबूत करने के लिए 2,500 करोड़ का अलग बजट हैं। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के साथ सीएम सुक्खू की मुलाकात कई मायनो में अहम मानी जा रही है। दोनों नेताओं के बीच आज वाटर सैस के मसले पर भी चर्चा संभावित है। दरअसल केंद्र ने हिमाचल के वाटर सैस को असंवैधानिक करार दिया है। हालांकि हिमाचल से पहले भाजपा शासित उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर भी वाटर सैस वसूल रहे है। इसके अलावा प्रदेश सरकार राज्य में स्थापित पावर प्रोजेक्ट में हिमाचल की हिस्सेदारी बढ़ाने तथा पावर प्रोजेक्टों में मिलने वाली 12 फीसदी रायल्टी को बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने की भी मनाग कर रही है। संभावित है मुख्यमंत्री इस दौरान केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से साल 2024 में खत्म हो रही शानन पावर प्रोजेक्ट की लीज पर भी चर्चा करेंगे। हिमाचल सरकार लीज खत्म होने के बाद शानन प्रोजेक्ट को अपने अधीन लेना चाहती है। हिमाचल के इन 4 मुद्दों पर चर्चा संभव : वाटर सैस के मसले पर भी चर्चा संभावित पावर प्रोजेक्ट में हिमाचल की हिस्सेदारी बढ़ाने पर हो सकती है चर्चा पावर प्रोजेक्टों में रायल्टी को बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने की मांग शानन पावर प्रोजेक्ट की लीज पर भी चर्चा संभव
आखिर पंजाब को शानन प्रोजेक्ट की याद आ गई है। जोगिंद्रनगर स्थित शानन प्रोजेक्ट में विद्युत उत्पादन को लेकर इसके कायाकल्प के लिए पंजाब राज्य विद्युत बोर्ड ने 200 करोड़ का बजट जारी किया है। दिलचस्प बात ये है कि 2024 की लीज अवधि समाप्त होने से पहले परियोजना की 2026 की प्रस्तावित योजनाओं के लिए इस बजट को स्वीकृति मिली है। बता दें कि ब्रिटिश राज में मंडी के तत्कालीन राजा जोगिंदर सिंह ने शानन प्रोजेक्ट को 3 मार्च 1925 को 99 साल के लिए पंजाब को लीज पर दिया था। यह प्रोजेक्ट पावरकाम के अधीन 110 मेगावाट हाईड्रो बिजली पैदा करता है, जो पंजाब को काफी सस्ती पड़ती है। हालाँकि पंजाब सरकार द्वारा इस प्रोजेक्ट के रखरखाव पर सवाल उठते रहे है। अब जब लीज अवधि समाप्त होने के नजदीक है तो पंजाब को इसकी याद आ गई। मिली जानकारी के अनुसार 110 मेगावाट की विद्युत परियोजना में विद्युत उत्पादन बढ़ाने के लिए यह बजट जारी हुआ है। मौजूदा समय में एक घंटे में 110 मेगावाट बिजली पैदा करने वाली इस पन विद्युत परियोजना में हर माह 2600 मेगावाट विद्युत उत्पादन से सालाना तीन से चार सौ करोड़ की आमदनी पंजाब सरकार को हो रही है। हालांकि हिमाचल प्रदेश सरकार पहले ही शानन पावर प्रोजेक्ट से पंजाब से वापस लेने का मन बना चुकी है। सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने स्पष्ट कर दिया है कि लीज अवधि समाप्त होने के इसका नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। शानन पावर प्रोजेक्ट की लीज 2 मार्च 2024 को समाप्त हो रही है और इसके बाद हिमाचल सरकार इसे संभालेगी।
दुनिया का सबसे बड़ा संविधान यानी हिन्दुस्तान का संविधान लिखने वाले डॉ भीमराव अम्बेडकर नहीं थे, बल्कि बल्कि प्रेम बिहारी नारायण रायजादा हैं। दरअसल, डॉ. अंबेडकर संविधान सभा की ड्राफ्टिंग सभा के अध्यक्ष थे और इसलिए उन्हें संविधान निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है। मगर प्रेम बिहारी वे शख्स हैं जिन्होंने अपने हाथ से अंग्रेजी में संविधान की मूल कॉपी यानी पांडुलिपि लिखी थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने खुद प्रेम बिहारी से यह काम करने की गुजारिश की थी। प्रेम बिहारी ने इसके बदले फीस नहीं ली थी। बस पंडित नेहरू से ये ही कहा - " एक पैसा भी नहीं। मेरे पास भगवान की दया से सब कुछ है और मैं अपनी जिंदगी में खुश हूं, पर मेरी एक शर्त है कि इसके हर एक पन्ने पर मैं अपना नाम और आखिरी पन्ने पर अपना और दादाजी का नाम लिखूंगा।" भारत का संविधान न केवल हाथ से लिखा गया है, बल्कि शांति निकेतन के चित्रकारों ने इसके कवर से लेकर हर पन्ने को भी अपनी सुंदर कला से सजाया हैं। भारतीय संविधान की अंग्रेजी में लिखी पांडुलिपि और उसका हिंदी अनुवाद संसद की लाइब्रेरी में दो विशेष बक्सों में रखे हुए हैं। कांच से बने इन पारदर्शी मगर सीलबंद बक्सों में नाइट्रोजन भरी है, जो पांडुलिपि के कागज को खराब नहीं होने देती। ये दोनों बॉक्स अमेरिका की एक कंपनी ने कैलिफोर्निया में बनाए थे। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है। इसमें एक प्रस्तावना, 448 आर्टिकल्स के साथ 22 पार्ट्स, 12 अनुसूचियां और 5 एपेंडिक्स और कुल 1.46 लाख शब्द शामिल हैं। इसे तैयार करने से पहले दुनिया के 60 देशों के संविधान को पढ़ा गया। भारत का पूरा संविधान हाथ से लिखा गया है। इसे लिखने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा था। डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक माना जाता है। संविधान को लिखने का काम कैलिग्राफिस्ट प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने किया था। प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने संविधान लेखन के लिए एक भी पैसा नहीं लिया था। भारत के संविधान की एक मूल प्रति ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है। इस प्रति में पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। भारत के संविधान को बैग ऑफ बॉरोविंग्स भी कहा जाता है क्योंकि इसे बनाने के लिए 10 प्रमुख देशों के अलावा उस समय मौजूद 60 से अधिक संविधानों की सहायता ली गई। संविधान को लिखने का काम 26 नवंबर 1949 को पूरा हो गया था, लेकिन इसे 26 जनवरी 1950 में देश में लागू किया गया। आजादी से पहले 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव लागू हुआ था। इस तिथि को महत्व देने के लिए 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू किया गया। इस दिन को गणतंत्र दिवस घोषित किया गया।
भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे पहलवानों और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के बीच तकरीबन 5 घंटे तक बैठक चली। पहलवानों के आंदोलन खत्म कराने को लेकर सरकार ने समाधान स्वरूप बातचीत के लिए खिलाड़ियों को बुलाया था। पहलवान बीजेपी सासंद और डब्ल्यूएफआई के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज की है। इस बीच सरकार निष्पक्ष जांच कराने को कह रही है। खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा हुई वो हैं- 15 जून तक पुलिस चार्जशीट दायर करे। रेसलिंग फेडरेशन का चुनाव 30 जून तक संपन्न करवाए जाएं। जब तक रेसलिंग फेडरेशन का चुनाव नहीं होता तब तक आयोग की कमेटी से दो लोगों का नाम प्रस्तावित किया गया है। महिला खिलाड़ियों को सिक्योरिटी देने पर चर्चा की गई। पहलवानों ने कहा है कि वे 15 जून तक कोई प्रदर्शन या आंदोलन नहीं करेंगे। इस बैठक के बाद बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक ने कहा.... सरकार सहमत हैं कि खिलाड़ियों के ऊपर जितने केस हुए हैं वो सब हटाए जायेंगे। कुछ मांगों को सरकार की ओर से माना गया है। अभी और भी मांगे हैं जिसपर हमारा सरकार से मतभेद है। पुलिस की जांच 15 जून तक पूरी हो जानी चाहिए और मंत्री ने हमसे तब तक विरोध प्रदर्शन नहीं करने का अनुरोध किया है। आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। खाप चौधरियों के सामने सरकार से जो बातचीत हुई है, उसके बारे में जानकारी देंगे।
राजीव और सोनिया गाँधी की प्रेम कहानी एक खूबसूरत कल्पना की तरह शुरू हुई और एक दुखद मोड़ पर इसका अंत हुआ। राजीव जब इंग्लैंड में थे तो इटली की रहने वाली युवती, सोनिया मैनो को पहली नज़र में दिल दे बैठे। 1965 में 21 साल की उम्र में राजीव गांधी पढ़ाई के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज पहुंचे। उसी साल कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के लेनॉक्स कुक स्कूल में अंग्रेजी भाषा सीखने इटली से एंटोनिया अलबिना मायनो आई थी, जो अब सोनिया गाँधी है। सोनिया और राजीव के कैंपस अलग थे लेकि कहते है सोनिया उबला खाना खाकर ऊब गई थीं, इसलिए वह यूनिवर्सिटी के रेस्टोरेंट में खाना खाती थीं। उसी रेस्टोरेंट में एक सोनिया अपनी सहेली के साथ बैठी थीं, तभी उनका एक दोस्त राजीव गांधी के साथ रेस्टोरेंट के अंदर पहुंचा। उसने सोनिया से कहा, "आज मैं आपको अपने दोस्त से मिलवाना चाहता हूं, ये भारत से आए हैं और इनका नाम राजीव है।" राजीव ने हाथ आगे हाथ बढ़ाया और सोनिया ने शर्माते हुए मिला लिया। दोनों के बीच कोई बात नहीं ही लेकिन एक खूबसूरत प्रेम कहानी शुरू हो चुकी थी। सोनिया गांधी की जीवनी 'द रेड साड़ी' में जेवियर मोरो लिखते हैं, "राजीव ने उसी दिन तय कर लिया था कि सोनिया ही आगे उनकी जीवन साथी बनेंगी। " मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो चूका था और दोनों को जैसे ही फुर्सत मिलती, वह घूमने निकल जाते थे। सोनिया गांधी राजीव को पसंद तो करने लगी थी, लेकिन उन्हें भारत के नाम पर, यहां के रीति-रिवाज को लेकर डर लग रहा था। इस बीच सोनिया ने तय कर लिया कि अब कभी नहीं मिलना पर सोनिया न चाहते हुए भी राजीव से मिलने लगी और दोनों के बीच प्यार हो गया। एक दिन राजीव पैदल ही सोनिया को घर छोड़ने निकल पड़े, दरसल उस दिन सोनिया अपनी साइकिल नहीं लाइ थी। दोनों साथ पैदल निकले और राजीव ने इसी सफर में सोनिया को प्रपोज कर दिया। सोनिया ने प्रपोजल को मुस्कुराते हुए स्वीकार कर लिया। दोनों एक दूसरे को जीवन साथी के रूप में चुन चुके थे व जल्द ही अपने परिवारों को भी इसके बारे में बता दिया। कहते है कि मां इंदिरा चाहती थी कि राजीव की शादी बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर की बेटी से हो। पर राजीव तो अपना दिल सोनिया को दे बैठे थे। राजीव के कहने पर इंदिरा, सोनिया से मिली व दोनों के फैसले का खुले मन से स्वागत किया। दोनों की शादी 1968 में हुई। राजीव से हुई इस पहली मुलाक़ात के बारे में सोनिया ने उनकी मृत्यु के बाद लिखे एक पत्र में कहा था " मैं भूल जाना चाहती हूँ उनका आखिरी चेहरा, और रेस्टोरेंट में हुई वो पहली मुलाक़ात, वो मुस्कान याद रखना चाहती हूँ।"
बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में की गई। इस बैठक में किसान, गुरुग्राम सिटी सेंटर मेट्रो सहित कई कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। बैठक में एक बड़ा फैसला बीएसएनएल (BSNL) को लेकर लिया गया है। कैबिनेट ने बीएसएनएल के लिए 89,000 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दे दी है। इस रकम का इस्तेमाल BSNL की 4G और 5G सर्विसेज को बढ़ाने के लिए किया जाएगा। BSNL को तीसरा रिवाइवल पैकेज कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि मोदी कैबिनेट ने बीएसएनएल के लिए तीसरे रिवाइवल पैकेज को मंजूरी दी है। गौरतलब है कि BSNL के लिए यह केंद्र द्वारा घोषित पहला रिवाइवल पैकेज नहीं है इससे पहले सरकार ने पिछले साल जुलाई 2022 में भी टेलीकॉम पीएसयू को अधिक लाभदायक संगठन में तब्दील करने के उद्देश्य से 4जी और 5जी सेवाएं प्रदान करने के लिए एक पैकेज की घोषणा की थी। जो बीएसएनएल की सेवाओं को बढ़ावा देना और गुणवत्ता में सुधार के साथ ही बीएसएनएल के ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के विस्तार पर केंद्रित था। MSP में बंपर इजाफा पीयूष गोयल ने बताया कि 2023-24 के लिए धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को 143 रुपये बढ़ाकर 2,183 रुपये प्रति क्विंटल करने की मंजूरी दी गई। वहीं मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य सबसे अधिक बढ़ाकर 8,558 रुपये प्रति क्विंटल किया गया। मूंग दाल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सबसे ज्यादा 10.4 फीसदी, मूंगफली पर 9%, सेसमम पर 10.3%, धान पर 7%, जवार, बाजरा, रागी, मेज, अरहर दाल, उड़द दाल, सोयाबीन और सूरजमुखी बीज पर वित्त वर्ष 2023-2024 के लिए लगभग 6 से 7 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
उज्जैन के महाकाल लोक में मूर्तियां गिरने से जुड़े एक वीडियो ने साधु-संतों को नाराज कर दिया है। दरअसल इस वीडियो में भगवान शिव और नारद मुनि के कैरेक्टर के बीच महाकाल लोक में मूर्तियां गिरने के मामले में बातचीत दिखाई गई है। 46 सेकेंड के इस वीडियो के अंत में भगवान् शिव यह कहते दिख रहे हैं कि अब कमलनाथ को ही लाना ही होगा। इस पर संत समाज ने कहा है कि कांग्रेस को धर्म का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।वहीँ बीजेपी भी इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर हमलावर हो गई है। बता दें की बीते दिनों महाकाल लोक में तूफ़ान के बाद सप्त ऋषियों की मूर्तियां गिर गई थी। इसको लेकर कांग्रेस हमलावर है और भ्रष्टाचार को लेकर मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार को घेर रह है।
केंद्र सरकार कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों से फिर बातचीत करने के लिए तैयार है। केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने ट्वीट कर ये जानकारी दी। अपने ट्वीट में अनुराग ठाकुर ने कहा, 'सरकार पहलवानों से उनके मुद्दों पर बातचीत करने की इच्छुक है। मैंने उन्हें एक बार फिर बातचीत के लिए बुलाया है।' बता दें कि इससे पहले पहलवानों ने 4 जून की रात को गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इसके बाद 5 जून को विनेश, साक्षी और बजरंग ने रेलवे में ड्यूटी जॉइन कर ली। हालांकि पहलवानों ने ये भी कहा कि उनका आंदोलन जारी रहेगा। वहीँ, दिल्ली पुलिस मंगलवार को बृजभूषण सिंह के लखनऊ और गोंडा स्थित घरों पर पहुंची थी और बृजभूषण के कई कर्मचारियों से पूछताछ की गई।
**शिमला में निवेशकों से चर्चा करेंगे सीएम सुक्खू प्रदेश में जयराम सरकार के समय इन्वेस्टर मीट में करीब एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के एमओयू साइन हुए थे, लेकिन मौजूदा उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान का कहना है कि इनमें से धरातल पर सिर्फ 27 हजार करोड़ का निवेश उतरा है। यानी अधिकांश निवेशकों ने रूचि तो दिखाई लेकिन निवेश नहीं किया। अब राज्य के ख़राब आर्थिक हालात के बीच मौजूदा सरकार ने इन निवेशकों को साधने की पहल की है। खुद सीएम सुक्खू निवेश बढ़ाने के उद्देश्य से पहले से लटके 1000 करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्टों पर दो दिन शिमला में निवेशकों से चर्चा करेंगे। इस दौरान ऊर्जा विभाग के 20, पर्यटन के 14 तथा उद्योग विभाग के 46 प्रस्तावों पर निवेशकों के साथ चर्चा होगी। उम्मीद है मुख्यमंत्री सुक्खू की ये पहल रंग लाएगी। पीटरहॉफ में 2 दिन चलने वाली इस मीट में मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू खुद मौजूद रहेंगे और उद्योगपतियों की परेशानियों को सुनेंगे। इन्वेस्टर मीट में उन औद्योगिक घरानों को बुलाया गया है, जिन्होंने पूर्व में राज्य सरकार के साथ निवेश के लिए एग्रीमेंट कर रखा है, लेकिन प्रोजेक्ट अब तक सिरे नहीं चढ़ पाए। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि एक हजार करोड़ से अधिक के 80 प्रोजेक्ट संचालकों को इन्वेस्टर मीट में बुलाया गया है। इन प्रोजेक्ट की कुल लागत 31 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की है। प्रोजेक्ट लगाने में जो बाधा आ रही है, उन बाधाओं को निपटाने का प्रयास किया जाएगा। जयराम सरकार में अधिकांश प्रोजेक्ट नहीं चढ़े सिरे : हर्षवर्धन उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने भी इन्वेस्टर मीट में 1 लाख 25 हजार करोड़ के MOU साइन किए है, लेकिन धरातल पर 27 हजार करोड़ प्रोजेक्ट उतर पाए है। कांग्रेस सरकार पॉलिसी को रिव्यू कर रही है और उद्योगपतियों को सभी सुविधाएं एक छत्त के नीचे देने का प्रयास किया जा रहा है।
75 हजार करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज के बोझ तले दबा हिमाचल प्रदेश आज फिर 800 करोड़ का कर्ज लेगा। राज्य सरकार एक हजार करोड़ रुपये के ओवर ड्राफ्ट में है और इसी के चलते सरकार बुधवार को 800 करोड़ रुपये का ऋण लेगी। मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य की गंभीर वित्तीय स्थिति पर चिंता जताई गई है। विदित रहे कि केंद्र सरकार ने राज्य के कर्ज लेने की सीमा पर करीब पांच हजार करोड़ रुपये सालाना की कटौती कर दी है। साथ ही बाह्य सहायता प्राप्त प्रोजेक्टों के लिए आर्थिक मदद लेने की सीमा भी तय कर दी है। अब सरकार एक साल में तीन हजार करोड़ से अधिक के प्रोजेक्टों के लिए बाह्य सहायता प्राप्त नहीं कर सकेगी। वहीँ करीब 8500 करोड़ रुपये के बाह्य सहायता प्राप्त प्रोजेक्ट केंद्र के पास लंबित हैं। ऐसे में हिमाचल आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। निवेशकों से चर्चा करेंगे सीएम सुक्खू : प्रदेश में जयराम सरकार के समय इन्वेस्टर मीट में करीब एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के एमओयू साइन हुए थे, लेकिन मौजूदा उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान का कहना है कि इनमे से धरातल पर सिर्फ 27 हजार करोड़ का निवेश उतरा है। अब सीएम सुक्खू निवेश बढ़ाने के उद्देश्य से पहले से लटके 1000 करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्टों पर दो दिन शिमला में निवेशकों से चर्चा करेंगे। इस दौरान ऊर्जा विभाग के 20, पर्यटन के 14 तथा उद्योग विभाग के 46 प्रस्तावों पर निवेशकों के साथ चर्चा होगी। वाटर सेस के लिए बनाई कमेटी : मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में मंगलवार को राज्य सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक हुई में पंजाब, हरियाणा के विरोध के बाद वाटर सेस पर चर्चा के लिए कैबिनेट ने सचिव ऊर्जा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है।
झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने झारखंड इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग ऑफिसर कांपटीटिव एग्जामिनेशन 2023 के लिए योग्य उम्ममीदवारों से आवेदन मांगे हैं। कैंडिडेट्स जो इन भर्तियों के लिए अप्लाई करना चाहते हों, वे आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर फॉर्म भर सकते हैं। इस रिक्रूटमेंट ड्राइव के माध्यम से इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग ऑफिसर के कुल 904 पद भरे जाएंगे। बता दे इन पदों के लिए केवल ऑनलाइन आवेदन कर सकते है। इसके लिए जेएसएससी की ऑफिशियल वेबसाइट jssc.nic.injssc.nic. पर आवेदन किया जा सकता है। अप्लाई करने की लास्ट डेट इन पद पर अप्लाई करने के लिए कैंडिडेट किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से आईटीआई/एनसीटी/डिग्री/डिप्लोमा (इंजीनियरिंग) में होना अनिवार्य है या इसके समकक्ष योग्यता रखने वाले उम्मीदवार भी आवेदन कर सकते हैं। इन पद के लिए एज लिमिट 21 से 35 साल तय की गई है। आरक्षित श्रेणी को ऊपरी आयु सीमा में छूट मिलेगी। इन वैकेंसी के लिए अभी केवल नोटिस जारी हुआ है। इसके लिए 23 जून 2023 से रजिस्ट्रेशन शुरू होंगे और फॉर्म भरने की लास्ट डेट 22 जुलाई 2023 है। आवेदन शुल्क 100 रुपये है। आरक्षित श्रेणी को शुल्क के रूप में 50 रुपये देने हैं।
बालासोर में दर्दनाक ट्रेन हादसे को 36 घंटे से ज्यादा का समय बीत चूका है। ओडिशा के अस्पतालों में अब भी सन्नाटा पसरा हुआ है। वहीं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव हादसे के बाद से ही घटनास्थल पर डटे हुए हैं। रेल हादसे में अब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि घटना के असल कारणों का पता चल गया है। अश्विनी वैष्णव ने बताया कि ये हादसा इंटरलॉकिंग में बदलाव के चलते हुआ है। घटना में जिम्मेदार लोगों की पहचान भी कर ली गई है और जांच रिपोर्ट जल्द सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए गए निर्देशों पर तेजी से काम चल रहा है। कल रात को एक ट्रैक का काम लगभग पूरा हो चूका है। आज एक ट्रैक की पूरी मरम्मत करने की कोशिश रहेगी। सभी डिब्बों को हटा दिया गया है साथ ही शवों को निकाल लिया गया है। कार्य तेजी से चल रहा है और पूरी कोशिश है कि बुधवार की सुबह तक सामान्य रूट चालू हो जाए।
हिमाचल प्रदेश चिकित्सक संघ संयुक्त संघर्ष समिति ने पेन डाउन हड़ताल की अवधि को आधा करने का निर्णय लिया है। नॉन प्रेक्टिस अलाउंस विथड्रॉ करने के विरोध में सोमवार से शुरू हुई डेढ़ घंटे की पेन डाउन हड़ताल की अवधि को हिमाचल प्रदेश चिकित्सक संघ संयुक्त संघर्ष समिति ने अब आधा करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री के आह्वान और कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान के साथ 30 मई की शाम को हुई वार्ता के बाद डॉक्टरों ने ये कदम उठाया है। दरअसल मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने संघर्ष समिति को आश्वासन दिया है कि उनकी वार्ता 3 जून को मुख्यमंत्री से होगी। डॉक्टरों की संयुक्त संघर्ष समिति की तीन अहम् मांगे है। * सरकार एनपीए को लेकर हाल ही में निकाली गई अधिसूचनाओं को तत्काल वापस ले या संशोधन करें। * चिकित्सकों के टाइम स्केल 4-9-14 को जारी रखा जाना चाहिए। * डायनेमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम के तहत राजकीय मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी एवं सीनियर रेसिडेंट्स / ट्यूटर स्पेशलिस्ट के पदों को निरंतर प्रक्रिया के तहत भरा जाए। सहायक प्रोफेसर के पद पर ही सीधी भर्ती हो। उसके बाद केवल पदोन्नति सह प्राध्यापक एवं प्राध्यापक के पद भरे जाएं। संघ ने मांग है कि सहायक प्राध्यापक से प्राध्यापक की पदोन्नति डायनेमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम के तहत की जाए।
एअर इंडिया की फ्लाइट में क्रू मेंबर के साथ बदतमीजी करने की घटना सामने आई है। मिली जानकारी के मुताबिक फ्लाइट AI882 में 29 मई को एक यात्री ने बदतमीजी की। आरोपी यात्री ने चालक दल के सदस्यों को गालियां दी और फिर उनमें से एक पर हमला भी किया। दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरने के बाद भी यात्री को सुरक्षाकर्मियों को सौंप दिया गया। बता दें कि एअर इंडिया की फ्लाइट में दो महीने में इस तरह की यह दूसरी घटना है। इससे पहले अप्रैल के महीने में एक यात्री ने भी क्रू मेंबर के साथ दुर्व्यवहार किया था। 10 अप्रैल को दिल्ली-लंदन की फ्लाइट में एक यात्री ने दो महिला केबिन क्रू सदस्यों के साथ बदसलूकी की थी। इस घटना के बाद एयरलाइन ने आरोपी व्यक्ति पर दो साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। हाल ही में फ्लाइट में बदसलूकी के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। यहां तक कि यात्रियों पर पेशाब करने के भी कई मामले में आ चुके हैं। इसी महीने 11 मई को नशे की हालात में एक महिला यात्री ने दिल्ली-कोलकाता की इंडिगो की फ्लाइट में क्रू मेंबर के साथ बदतमीजी की थी। आरोपी महिला को कोलकाता एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ को सौंप दिया गया था।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस मामिदन्ना सत्य रत्न श्री रामचंद्र राव को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। बीते कल केंद्रीय कानून मंत्रालय ने पांच न्यायाधीशों को विभिन्न उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया है। जारी अधिसूचना में बॉम्बे हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय विजयकुमार गंगापुरवाला को मद्रास हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। जबकि जस्टिस देवकीनंदन धानुका को बॉम्बे हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। जस्टिस धानुका वर्तमान में बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश हैं। वह 30 मई को 62 वर्ष की आयु पूर्ण कर सेवानिवृत्त हो जाएंगे और प्रभावी रूप से उनका कार्यकाल मात्र चार दिनों का होगा। इसके अलावा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह को राजस्थान हाईकोर्ट, केरल हाईकोर्ट के जस्टिस सरस वेंकटनारायण भट्टी को उसी अदालत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है।
मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में बीते एक साल जेल में बंद दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को सुप्रीम कोर्ट ने 6 हफ्तों की अंतरिम जमानत दे दी है। जैन को यह जमानत स्वास्थ्य आधार पर मिली है। दरअसल बीते कुछ दिनों से जैन की तबियत खराब थी और गुरुवार को वह जेल के वाशरूम में चक्कर खाकर गिर पड़े थे। इसके बाद उनको एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार को उनकी जमानत को लेकर हुई सुनवाई में ईडी ने जमानत का विरोध किया था और एम्स के डॉक्टरों के एक स्वत्रंत मेडिकल बोर्ड से उनके स्वास्थ्य की जांच करवाने की मांग की थी। इसके बाद जैन के वकील ने कहा कि एक साल में उनका 35 किलो वजन गिर चुका है उनको मानवीय आधार पर जमानत दी जाए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सत्येंद्र जैन को 6 हफ्तों को अंतरिम जमानत दे दी है।