आजाद हिंद फौज के कर्नल मेहर दास के पैतृक गांव में अब उनके स्टेच्यू के जीणोद्धार का रास्ता साफ हो गया है। अभी नेहरण पुखर बाजार के एक तरफ उनका स्टेच्यू लगा है, जिसकी हालत दयनीय है। वहीं देहरा के निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने नेहरन पुखर बाजार का दौरा किया। उन्होंने कहा कि यहां सड़क के दोनों तरफ रेन शेड व चौक के बीच में स्वतंत्रता सेनानी आजाद हिन्द फौज के कर्नल मेहर दास का स्टेच्यू लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब नेहरन पुखर में इस चौक का नाम कर्नल मेहर दास के नाम से जाना जाएगा। देहरा के विधायक होशियार सिंह ने कहा कि दयाल पंचायत को मॉडल पंचायत के रूप में विकसित करने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने कहा कि नेहरण पुखर में जल्द ही कर्नल मेहर दास चौक बनने जा रहा है व स्वतंत्रता सेनानी का पैतृक गांव मॉडल गांव बनेगा। सड़क को जल्द चौड़ा भी किया जाएगा व पेड़ों को भी काटा जाएगा। इसके साथ ही एनएच के किनारे बनी नालियों का निरीक्षण भी किया। भरवाड़ा गांव के रास्ते में भी एनएच द्वारा डंगा लगाने की जगह का मुआयना किया। इस मौके पर एनएच 503 के एसडीओ व जेई भी मौके पर मौजूद रहे।
जय बाला म्यूजिक कंपनी द्वारा बनाए गए भजन भोले की मस्ती को लोग बेहद पसंद कर रहे है। बताते चलें इस भजन को सिंगर सौरव शर्मा द्वारा गाया गया है। सौरव शर्मा मुख्य रूप से जवालाजी क्षेत्र के रहने वाले हैं। सौरव शर्मा ने भोले की मस्ती भजन को यूट्यूब चैनल 'सौरव शर्मा जवालाजी' पर 1 जनवरी को अपलोड किया था जिसे अभी तक 366 लोगों ने काफी लाइक किया है। इस गाने से पहले भी गायक सौरव शर्मा ने कई गाने लांच किये हैं जिन्हें दर्शकों और श्रोताओं ने बेहद प्यार दिया है। जानकारी के अनुसार भजन का संचालन मुनीश ठुकराल द्वारा किया गया है। गायक सौरव शर्मा के फैन अनूप, हर्ष, यशबीर, सुरेश इत्यादि ने बताया कि यह भजन उन सब को बहुत पसंद आया है।
श्री नरसिंह मंदिर नगरोटा में श्री मद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है । वहीं कथा के दूसरे दिन पंडित सुमित शास्त्री ने भागवत विस्तार की कथा सुनाते हुए कहा कि गणेश भगवान लिखते गए और महर्षि वेदव्यास बोलते गए तब जाके चार श्लोकों के अठारह हजार श्लोक बने। शास्त्री ने आगे बताया की भागवत के श्लोकों की ध्वनि मात्र से वातावरण पवित्र हो जाता है , ये कथा कल्पवृक्ष के समान मनुष्यों के मनोरथों को पूर्ण करने वाली है। पापी हो या धर्मी हो सभी का उद्धार करती है भागवत, इसका श्रवण जीवन में शांति प्रदान करता है और मन की शुद्धि का सत्संग से बढ़कर और कोई साधन नहीं। सूर्य उदय और अस्त होता हुआ हमारी आयु को क्षीण करता है,पर जिसने भगवत कथा में एक क्षण भी व्यतीत कर लिया तो उसकी आयु व्यर्थ नष्ट नहीं होती । कथा के बीच सुन्दर भजन...तेरे संग में रहेगें ओ मोहना व गुरू रखो चरणा दे कोल चरणा दी मौज बड़ी.... ने आए हुए भक्तों को भाव विभोर कर दिया। कथा में सुदर्शन कुमार, दिनेश शर्मा, पवन, मनोहर लाल, पंकज, राहुल, अम्बका,सरिता,पवना, पूजा व सलोनी ने भाग लिया।
हिमाचल के मशहूर कॉमेडियन प्रिंस गर्ग ने छोटी सी उम्र में ही कई पुरस्कारों को अपने नाम किया है। हाल ही में हुए एक अवॉर्ड शो में प्रिंस गर्ग को मोस्ट पॉपुलर अवार्ड 2019 से नवाज़ा गया। बता दें यह अवार्ड केनेडा के एम पी सुख धालीवाल ने दिया। यह अवार्ड शो सोलन में हुआ जिसे प्रमोटर ऐण्ड सोशल कल्चर हेरिटेज द्वारा आयोजित किया गया। इसमें हिमाचल के 50 हस्तियों को सम्मानित किया गया। अगर सोशल मीडिया की बात करें तो दिन प्रतिदिन प्रिंस गर्ग के फॉलोवर बढ़ते जा रहे हैं। यह पहले ऐसे हिमाचली हैं जिन्होंने सबसे छोटी उम्र में सबसे ज्यादा अवार्ड अपने नाम किए हैं। मीडिया का दिल से धन्यवाद करते हुए प्रिंस गर्ग ने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता और मीडिया को दिया है और उम्मीद करते हुए कहा है कि मीडिया और आप सभी का आशीर्वाद उन्हें भविष्य में भी मिलता रहेगा। इनके टीवी शो का नाम हँसाने का मुखिया था, जिसके लिए इन्हें हिमाचल में कई अवार्डो से नवाज़ा गया है। प्रिंस गर्ग इससे पहले बेस्ट कॉमेडियन ऑफ हिमाचल 2015, जम्मू हास्य प्रतियोगिता 2017 शाने भारत और यूथ फेस्टिवल में 5 बार गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके हैं।
विधानसभा देहरा में स्थित ढलियारा पब्लिक स्कूल ने बड़ी धूम-धाम एवं हतोत्साहित तरीके से दो दिवसीय खेल कूद प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें स्कूल के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। इस प्रतियोगिता में ठाकुर कॉलेज के प्रबंधक डॉक्टर राजेश ठाकुर ने बतौर मुख्यातिथि रूप में शिरकत की। वहीं स्कूल के प्रधानाचार्य क्लेटन रिचर्ड डेविड ने बताया कि इस दो दिवसीय खेल कूद प्रतियोगिता में लंबी कूद, ऊंची कूद,100 मी व 200 मी दौड़, गोला फेंक इत्यादि खेलों के साथ-साथ कब्बडी, वॉलीबॉल, बैडमिंटन, फुटबॉल आदि खेलों का आयोजन भी किया गया। इस प्रतियोगिता में मुख्य रूप से लड़कों में अभय ठाकुर, राहुल, नीतीश, दिव्यम, ओम शर्मा, निशांत, सक्षम तथा लड़कियों में हर्षिता, पलक, दिव्या, शगुन, सम्नवी, रिद्धिमा, मन्नत, सेजल का दबदबा बना रहा। इस दौरान मुख्यातिथि डॉक्टर राजेश ठाकुर ने बताया कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ आत्मा निवास करती है। वहीं आज के आधुनिक युग में बच्चे और युवा केवल स्मार्टफोन तक ही सीमित हो गए हैं तथा व्यायाम ओर खेल कूद पर उनका रूझान कम हो गया है। खेलों से विद्यार्थियों का चहुमुखी विकास होता है। अतः पढ़ाई के साथ-साथ खेल कूद भी बेहद जरूरी है। इस मौके पर मुनीश, सुजाता, दिनेश, नरेश, कंचन, दीप्ती, रंजना, रवि, संजीव, नवज्योति, नेहा, स्वाति आदि अध्यापक उपस्थित रहे।
देश के प्रथम धरोहर गांव परागपुर समीप स्थित दिल्ली कान्वेंट स्कूल सुनहेत में आयोजित बुधवार को स्कूल का वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया। इसमें ज्वालामुखी विधायक रमेश ध्वाला ने बतौर मुख्यतिथी शिरक्कत की। स्कूल पहुँचने पर प्रधानाचार्य गुंजन परमार एवं स्टाफ द्वारा मुख्यातिथी का भव्य स्वागत किया गया। सर्वप्रथम मुख्यातिथी द्वारा सरस्वती मां की तस्वीर के समक्ष पुष्प माला अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। समारोह में जहां स्कूल के नन्हे मुन्ने बच्चों ने कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए ,वहीं देशभक्ति के गानों और नाटकों के माध्यम से देश के शहीदों को भी याद किया गया। स्कूल के चौथी कक्षा के बच्चों ने मेरी क्रिसमस पर अपनी प्रस्तुति देकर खूब तालियाँ बटौरी। इसके बाद पांचवीं कक्षा की छात्राओं ने डोगरी डांस एवम छात्रों ने ब्राज़ील पर नाच प्रस्तुत किया , छठी कक्षा के छात्रों ने बाला एवम फेस्टिवल्स ऑफ इंडिया गाने पर प्रस्तूति दी, दसवीं छात्रों ने नाटी व मोर नृत्य पर भव्य नाच प्रस्तूत किया। इस दौरान नाटी ने मुख्यातिथि रमेश ध्वाला जी को भी नाचने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम के दौरान जहां स्कूल के प्रबंधक डॉक्टर प्रवीण राजपूत ने स्कूल की वार्षिक रिपोर्ट पढ़कर सुनाई। तो वहीं कार्यक्रम के दौरान बतौर मुख्यातिथी रमेश ध्वाला जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि इंसान विचारों एवं संस्कारों से आगे बढ़ता है एवम बच्चे ही देश का भविष्य हैं। वहीं छात्रों को नशे से दूर रहने का आहान कियावहीं पढ़ाई , खेल एवं अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में विद्यालय का नाम रोशन करने वाले बच्चों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस मौक़े पर स्कूल के प्रबन्धक डॉक्टर प्रवीण राजपूत, सुनहेत प्रधानाचार्य गुंजन परमार, सुरानी -निशित शर्मा, जवालामुखी -सुरेश शर्मा, अम्ब -रश्मि राजपूत, प्रोफेसर डॉक्टर कर्ण पठानिया, चमन लाल, स्कूली स्टाफ मेंबर सहित क्षेत्र भर के कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा व चंबा में गद्दी समुदाय एक अलग पहचान बनाए हुए हैं। वहीं लोक गायक सुनील राणा ने अपने गानों में गद्दी समुदाय की संस्कृति को एवं परंपरा को दर्शाया है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए हॉलीवुड फाउंडेशन गद्दी समुदाय का एक इवेंट जिसका नाम मिस्टर, मिस एंड मिसेज डायनेमिक गद्दी है। यह इवेंट १५ दिसंबर को होटल द ट्रांस में आयोजित किया जाएगा। इसमें हिमाचली लोक गायक सुनील राणा ब्रांड प्रमोटर व विशिष्ट अतिथि होंगे। मुख्य अतिथि के रूप में विशाल नेहरिया शिरकत करेंगें। इस इवेंट में गद्दी समुदाय की संस्कृति, परंपरा वेशभूषा को दर्शाया जाएगा। हीलीवुड फाउंडेशन ने बताया की इस इवेंट का मुख्य उद्देश्य आने वाली युवा पीढ़ी को गद्दी समुदाय के बारे में बताना है। ताकि युवा पीढ़ी गद्दी संस्कृति से जुड़ सकें और इसके बारे में पूर्ण ज्ञान ले सकें। युवा पीढ़ी यह जान सके कि किस प्रकार गद्दी समुदाय के लोग कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन यापन करते हैं तथा कैसे अपनी संस्कृति को संजोए हुए है। वहीं इस इवेंट को शूट करके २ एपिसोड में वेब सीरीज के ज़रिये दिखाया जाएगा और प्रमोट किया जाएगा।
देव भूमि हिम कला मंच शिमला जो उभरते हुए बच्चों के टैलेंट को उभारने का कार्य पिछले 3 सालों से कर रहा है। क़ई तरह की संगीत नृत्य प्रतियोगिताएं भी आयोजित कर चुका यह मंच शार्ट फ़िल्म का निर्माण भी कर रहा है, ताकि एक्टिंग करने वाले बच्चों को आगे कुछ करने का मौका मिल सके। इससे पहले मंच आईना, बदलाव, शार्ट फ़िल्म बना चुका है। आईना 2 का शूट बहुत जल्द शिमला में होगा। इस फ़िल्म को निर्देशित करेंगे काँगड़ा के एकलव्य सेन जिन्होंने अब तक 15 से ऊपर शार्ट फ़िल्म बनाई है। अक्षिता को इस फ़िल्म में काम करने का मौका उसके हिमाचल गोट टैलेंट सीजन 2 में मॉडलिंग में अच्छे प्रदर्शन के आधार पर किया गया। अक्षिता ने इस उपलब्धि को प्राप्त कर के विद्यालय व जिला कांगडा का नाम ऊंचा किया है। आदर्श विद्यालय के प्रिंसिपल गगन सूद ने बताया कि अक्षिता एक होनहार छात्रा है। वह पढाई के साथ साथ विद्यालय के हर एक कार्यक्रम में आगे होती है।
न्यू पेंशन सकीम के विरोध में और पुरानी पेंशन बहाली के लिए पीटीएफ रक्कड़ ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रक्कड़ से बीईईओ रक्कड़ तक रैली निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया। इसमें शिक्षा विभाग के अलावा दूसरे विभागों के कर्मचारियों ने भी भाग लिया। शिक्षक नेताओं ने कहा कि जहां एक विधायक व सांसद महज शपथ लेते ही ताउम्र पुरानी पेंशन का अधिकारी बन जाता है, वहीँ 1/1/2004 के बाद नियमित हुई हजारों कर्मचारी 14/15 साल की नौकरी कर 500/1000 रू मासिक पेंशन पर सेवानिवृत्ति हो रहे है। जिस कर्मचारी ने 58 साल की आयु तक अपने प्रदेश व देश की सेवा की, वही कर्मचारी अपने बूढापे में आज मजदूरी करने को मजबूर है। अतः हमारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से निवेदन है कि 2003 के बाद नियमित हुए समस्त कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा प्रेस वार्ता का आयोजन केंद्रीय विश्वविद्यालय देहरा में किया गया। इस प्रेस वार्ता में चार विषय रखे गए, इसमें प्रांत अधिवेशन की समीक्षा, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता के जिला देहरा के परिणाम घोषित किए गए। आगामी कार्यक्रमों के लिए स्वामी विवेकानंद भाषण प्रतियोगिता आयोजन एवं केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्थाई परिसर निर्माण के विषय शामिल किया गए।जिला संयोजक अंकुश धीमान ने बताया कि प्रांत अधिवेशन में 842 छात्र छात्राओं एवं अध्यापकों ने भाग लिया एवं इसमें प्रांत कार्यकारिणी की घोषणा की गई। प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वामी विवेकानंद सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता परिणाम घोषित किया गया। इसमें प्रथम स्थान पर तान्या ठाकुर राजकीय वरिष्ठमाध्यमिक विद्यालय थिल द्वितीय स्थान पर वशीका अमर शांति स्कूल खुंडिया तृतीय स्थान पर विशाखा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से हरिपुर रही। आगामी कार्यक्रम के लिए स्वामी विवेकानंद भाषण प्रतियोगिता का आयोजन स्वामी विवेकानंद मेडिकल ट्रस्ट पालमपुर तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा यह प्रतियोगिता तीन स्तरों पर होगी स्कूल और कॉलेज लेवल पर उसके पश्चात जिला स्तर पर एवं 11, 12 जनवरी को प्रांत स्तर पर पालमपुर में होगी। इस भाषण प्रतियोगिता हेतु 7 विषयों स्वामी विवेकानंद से संबंधित रहेगी प्रांत स्तर पर प्रथम पुरस्कार राशि ₹51000 एवं वित्तीय राशि ₹31000 एवं तृतीय राशि ₹21000 है जिला स्तर पर इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले को ₹11000 एवं द्वितीय स्थान प्राप्त करने वालों को 7100 ₹एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले को ₹5100 पुरस्कार दिया जाएगा। इस प्रतियोगिता में 144 पुरस्कार पूरे प्रदेश स्तर पर वितरित किए जाएंगे जिनकी धनराशि 1100000 रुपए है। इस पत्रकार वार्ता में देहरा एबीवीपी जिला संयोजक अंकुश धीमान केंद्रीय विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष हेमंत ठाकुर छात्रा प्रमुख शबनम इकाई सचिव सुनील ठाकुर प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एवं सेवार्थ विद्यार्थी के प्रांत सह संयोजक बलवीर ठुकराल सोशल मीडिया प्रमुख सीताराम विशाल राहुल बाबूराम डोलाराम आदि उपस्थित।
देश में प्याज का मूल्य दिन प्रतिदिन आसमान छू रहा है। देश की जनता प्याज के मूल्यों में लगातार हो रही इस वृद्धि से बेहद परेशान है। इसी वृद्धि को लेकर हिमाचल प्रदेश में भी लगातार प्रदर्शन जारी है। रविवार को धर्मशाला में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्याज के मूल्य की वृद्धि को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ़ जमकर नारेबाजी की। यह प्रदर्शन रैली धर्शाला कुनाल होटल से लेकर बीपीओ ऑफिस तक गई। इस दौरान उन्होंने प्याज की मालाएं पहनकर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि मोदी के शासन में प्याज की कीमतें 100 रुपये तक पहुंच गई हैं। इस बार प्याज लोगों को बहुत ज्यादा रुला रहा है। इस प्रदर्शन में लोगों ने हाल ही में हुई इंवेस्टर मीट को लेकर भी कई तरह के नारे लगाए। इस प्रदर्शन में कांग्रेसी विधायकों ने भी हिस्सा लिया और बेरोजगारी, प्याज मूल्यों में वृद्धि और रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ जमकर आरोप लगाए और खूब प्रदर्शन किया।
पुलिस चौकी रानीताल के समीप देहरा-धर्मशाला राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर अचानक एक पेड़ गिर गया, इसकी चपेट में एक कार आ गई। गाड़ी का अगला हिस्सा पेड़ के नीचे दब गया। गनीमत रही कि गाड़ी में सवार किसी को चोट नहीं लगी और एक बड़ा हादसा होने से टल गया। हालांकि पेड़ गिर जाने से सड़क के दोनों ओर लम्बा जाम लग गया। स्थानीय लोगों ने इस घटना की सूचना रानीताल पुलिस को दी। एएसआई किशोर चंद और हैड कांस्टेबल विनोद कुमार ने मौके पर पहुंचकर स्थानीय लोगों की सहायता से पेड़ को काटकर नीचे दबी गाड़ी को निकाला और ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रूप से बहाल किया। स्थानीय लोगों के अनुसार ये जाम करीब 2 घंटे लगा रहा। एनएच विभाग देहरा के एसडीओ महिंद्र पाल भाटिया ने कहा कि जब सूचना मिली तब मशीनरी दूसरी साइट पर कार्य में लगी थी। पेड़ के गिरने की सूचना मिलते ही तुरंत पेड़ को हटाने के लिए मशीनरी भेज दी थी, साथ में विभाग के जेई पुष्पिंदर ठाकुर भी गए थे ताकि पेड़ को सड़क से जल्दी हटा कर यातायात को बहाल किया जा सके।
इन्वेस्टर मीट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धर्मशाला में करीब चार घंटे तक रुकेंगे। यह पहला मौका होगा, जब पीएम प्रदेश सरकार के किसी कार्यक्रम में इतने लंबे समय तक एक शहर में मौजूद रहेंगे। जयराम सरकार ने सात और आठ नवंबर की इन्वेस्टर मीट का शेड्यूल लगभग तय कर दिया है। सात नवंबर को मीट का शुभारंभ सुबह 11 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। उद्घाटन सत्र लगभग सवा दो घंटे तक चलेगा। इसके बाद दोपहर का भोजन होगा। लंच तक पीएम मौजूद रह सकते है। करीब दो बजे पीएम मोदी दिल्ली लौट सकते है।
देहरा समीप स्थित प्राचीन सिद्धपीठ मां बगलामुखी में ऑल इंडिया एंटी टैररिस्ट फ्रंट के अध्यक्ष मनिन्दर जीत सिंह बिट्टा ने शीश नवाया। बिट्टा देर रात माता बगलामुखी के दरबार पहुंचे। मंदिर में पहुंचने के उपरांत उन्होंने पूजा-अर्चना करके मां का आशीर्वाद लिया। मंदिर के मुख्य प्रबंधक महंत रजत गिरी के आदेश अनुसार बिट्टा को मां के दर्शन तथा उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करवाई गई। बता दें बिट्टा पंजाब में बेअंत सिंह की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं और तोह ओर भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। बिट्टा राष्ट्रवादी सामाजिक कार्यकर्ता हैं और वह अपने फ्रंट के बैनर तले सामाजिक कार्यों में जुड़े रहते हैं। वह मुख्य रूप से शहीद सैनिकों और आतंकवादी घटना में शहीद हुए लोगों के परिवार वालों लिए काम करते हैं, साथ ही वह देश से आतंकवाद के खात्मे के लिए भी तरह-तरह की मुहिम चलाते रहते हैं। इनके ऊपर कई बार जानलेवा हमला हो जाने के कारण इन्हें आजीवन जेड श्रेणी सुरक्षा मिली है।
ज्वालामुखी समीप अधे दी हट्टी में स्कूटी और कार के बीच में टक्कर हो गयी। इसमें स्कूटी चालक व उसके पीछे बैठी महिला घायल हो गए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार घायलों को इलाज के लिए ज्वालाजी अस्पताल पहुंचाया गया। जहां चालक की हालत गंभीर देखते हुए टांडा हस्पताल रेफर कर दिया गया है। घायल व्यक्ति की पहचान प्रीतम चंद पुत्र बीरबल निवासी भाटी बोहन(सपडी) के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि स्कूटी अपने आगे चल रही गाड़ी के पीछे जा टकराई जिसमें दोनों स्कूटी सवार घायल हो गए। हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घटनास्थल का जायजा लिया और ब्यान दर्ज कर कार्यवाही शुरू कर दी। पुलिस की जांच के दौरान यह पता लगा कि यह हादसा स्कूटी चालक की लापरवाही की वजह पेश आया है।
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट अफ़ेयर्स राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने धर्मशाला व पच्छाद उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत को पार्टी की विकासवादी नीतियों की जीत बताते हुए जनता का आभार प्रकट किया है। अनुराग ठाकुर ने कहा लोकसभा चुनावों के बाद धर्मशाला व पच्छाद की ख़ाली हुई विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशियों की जीत पार्टी के विकासवादी नीतियों की जीत है। केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व प्रदेश में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश में कई जनकल्याणकारी योजनाएँ चल रही हैं जिसका लाभ आमजनमानस को मिला है। धर्मशाला में विशाल नैहरिया व पच्छाद में रीना कश्यप को जनसमर्थन हासिल करने पर हार्दिक बधाई।उन्होंने कहा कि मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि दोनों ही नवनिर्वाचित विधायक पार्टी की नीतियों पर चलते हुए प्रदेश व अपनी विधानसभा के समुचित विकास में अपना पूर्ण योगदान देंगे।
जवालामुखी स्थित दिल्ली कान्वेंट स्कूल में शनिवार को छात्रों द्वारा कच्चे एवम पक्के मकान पर मॉडल प्रदर्शनी की। इसमें स्कूली छात्रों ने बढ़ - चढ़ कर भाग लिया। वहीं तीसरी कक्षा के छात्रों द्वारा बहुत बहुत ही सुंदर कच्चे व पक्के मकान के मॉडल बनाये गए। विद्यार्थियों द्वारा मॉडलों को बहुत अच्छे तरीके से प्रदर्शित किया। मॉडल प्रदर्शनी में तीसरी कक्षा के छात्रों ने भाग लिया। बताते चलें कि आये दिन दिल्ली कान्वेंट स्कूल ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है। प्रधानाचार्य पूनम राणा एवम उप-प्रधानाचार्य सुरेश शर्मा ने बताया कि आज - कल के समय में पक्के एवम कच्चे दोनों मकानों के अपने ही महत्व है। प्रदर्शनी में छात्रों सहित अध्यापकों में रेणु चौधरी, शिल्पा, सुरेश, रितु, रिपु, शशि,रवि ,मनु, अंजू , श्वेता, ममता इत्यादि उपस्थित रहे।
देहरा समीप पड़ते नंगल चौक के शिवालिक इंटरनेशनल कान्वेंट स्कूल में शुक्रवार को विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें बतौर मुख्य अतिथि के रूप में रि. जनरल सतीश कुमार ने शिरकत की। सर्वप्रथम मुख्यातिथि के आगमन पर पुष्पगुच्छ देकर संस्थान के एमडी एम एस राणा ने स्टाफ सहित भव्य स्वागत किया। रि. जनरल सतीश कुमार ने स्कूली विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि एक अच्छे एवं श्रेष्ठ लीडर जैसे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर एक सामान्य परिवार में जन्मे लेकिन आज ईमानदार मेहनतकश होने का साफ प्रमाण है कि देश व प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे है। इसलिए संस्कारवान बनकर व्यवहारिक ज्ञान अर्जित कर भविष्य का निर्माण कर देशहित में सार्थक भूमिका अदा करें। इसके अलावा विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में किताबी ज्ञान से ज्यादा व्यवहारिक ज्ञान से सफल हो सकते है। उन्होंने कहा कि सेना में भी सामान्य ज्ञान में अव्वल होकर बड़े अधिकारी बनकर देशसेवा कर सकते है। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त होने के बाद भी समाज में हिमाचल के शक्तिपीठों के सौंदर्यीकरण का मसला उठाया है। ताकि विश्वस्तरीय सुविधायें इस क्षेत्र में मिलें।इस कार्यशाला में बच्चों ने मुख्यातिथि से सवाल भी पूछे जिनका बड़ी सरलता से रि.जनरल सतीश ने जबाब दिया कार्यक्रम में देश प्रेम के गीतों पर बच्चों ने बेहतरीन प्रस्तुतियां देश मेरे रंगीला, यह मेरे इंडिया गानों पर दी। इस कार्यशाला में बच्चों को पुरस्कार भी बांटे गए।
धर्मशाला और पच्छाद में होने वाले उपुचनाव के लिए प्रचार का शोर 19 अक्तूबर को सायं पांच बजे थम जाएगा। उसके बाद प्रत्याशी 20 अक्तूबर को डोर-टू-डोर वोट मांगेंगे। प्रदेश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल करीब एक माह से प्रचार कर रहे हैं, ऐसे में अब अंतिम चरण के प्रचार में पूरी ताकत झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। अब तक हुए प्रचार के दौरान कांग्रेस और भाजपा के दुरंधरों ने खूब पसीना बहाया। हालांकि जीत और हार का फैसला 24 अक्तूबर को सामने आएगा, लेकिन भाजपा इस उम्मीद में है कि दोनों सीटें पार्टी की झोली में ही आएंगी। विपक्षी दल कांग्रेस भी उपचुनाव पर कब्जा जमाने की आस लगाए बैठी है। पच्छाद में कांग्रेस के पास पुराने उम्मीदवार के रूप में गंगूराम मुसाफिर मैदान में हैं, जबकि भाजपा ने महिला नेता पर भरोसा जताया है। धर्मशाला सीट पर दोनों दलों ने युवाओं पर दांव खेला है। धर्मशाला और पच्छाद में होने वाले उपचुनाव में 12 प्रत्याशियों में जंग होगी। हालांकि असली लड़ाई कांग्रेस और भाजपा में है, लेकिन कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी खेल बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोडेंगे। पच्छाद में पांच उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र से कुल सात उम्मीदवारों में जंग होगी।
हिमाचल के कांगड़ा जिला के पालमपुर उपमंडल में एक बेटी ने माता-पिता को शर्मसार किया है। पहले बेटी ने अपने प्रेमी से सगाई करने की जिद की। बेटी की जिद को परिजनों ने पूरा किया और प्रेमी के साथ शादी तय कर दी। अब शादी से 15 दिन पहले किसी दूसरे युवक के साथ भाग गई। मामला उपमंडल पालमपुर के एक गांव का है। इस घटना से शर्मसार पिता ने बेटी को अपनी चल - अचल संपत्ति और परिवार से बेदखल कर दिया। उधर, डीएसपी पालमपुर अमित शर्मा ने मामले की पुष्टि की है।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने धर्मशाला के बागली और तूंग मेला मैदान में विशाल चुनाव रैली को सम्बोधित करते हुए धर्मशाला से भाजपा के युवा व परिश्रमी उम्मीदवार विशाल नेहरिया को वोट देने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में मजबूत राष्ट्र बन कर उभरा है और विश्व ने भारत को विश्व शक्ति के रूप में स्वीकारा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने बहुत से ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं, जैसे कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटाया जाना, जोकि घाटी में आतंकवाद व राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का मुख्य कारण था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी भी अनुच्छेद 370 को लेकर विभाजित है क्योंकि उन्हें भी लगता था कि यह राज्य के विकास में सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि इससे जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में शान्ति, प्रगति तथा समृद्धि के नए युग का आरम्भ होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकास को गति मिलेगी। जय राम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस नेताओं को प्रदेश तथा केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व में हो रहे विकास को पचा नही पा रहे है। उन्होंने कहा कि केन्द्र की मद्द से प्रदेश में विकास को गति मिलने से विपक्ष परेशान है और उनके पास सरकार के खिलाफ बोलने के लिए कुछ भी नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्मशाला और पच्छाद उप चुनाव के लिए भाजपा ने युवा नेताओं को मैदान में उतारा है। उन्होंने जनता से दोनों सीटों के भाजपा उम्मीदवारों को सहयोग देने का आह्वान किया ताकि प्रदेश में निरंतर विकास की गति को सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि धर्मशाला से भाजपा का प्रत्याशी युवा एवं ऊर्जावान है तथा क्षेेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। जय राम ठाकुर ने कहा कि धर्मशाला के लोगों के लिए यह गर्व की बात है कि उनके क्षेत्र से एक सांसद तथा एक विधायक होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने विभिन्न निर्णयों को कार्यान्वित किया है जिससे प्रदेश के लोगों की आर्थिकी सुदृढ़ हुई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे जन मंच कार्यक्रम को राजनीतिक विरोधियों द्वारा भी सराहा गया है। इसी प्रकार प्रदेश सरकार ने सत्ता सम्भालते ही अपने पहले निर्णय में वृद्धजनों की वृद्धावस्था पैंशन को बिना किसी आय सीमा के 80 वर्ष से घटाकर 70 वर्ष किया गया है, जिससे एक लाख 30 हजार वृद्धजन लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने कहा कि अब राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन 1100 भी शुरू की है, जो प्रदेश के लोगों को उनकी समस्याओं के त्वरित समाधान में वरदान साबित हो रही है। इस अवसर पर 21 परिवार भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए।
ब्यास नदी पर बनी महाराणा प्रताप सागर पौंग झील के पुल पर 16 नई लाइटें लगाई गई है। दूधिया रोशनी से अब पुल पर गुजरने वाले राहगीरों को भी सहूलियत मिल रही है। अक्सर यहां रोशनी न होने की बजह से आये दिन दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है। बीते कुछ महीनों पहले हुई दुर्घटना में एक व्यक्ति को जान से हाथ धोना पड़ा था। एसडीएम देहरा धनवीर ठाकुर ने इस संदर्भ में कहा कि मेरे ध्यान में यह बात लाई गई कि पिछले कई सालों से ब्यास नदी पर बने पुल पर लाइटें काम नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि मैंने इस मामले को नगर परिषद के सामने रखा।
श्री रामलीला कमेटी देहरा द्वारा प्रसिद्ध देहरा ग्राउंड में स्टार नाईट का आयोजन किया गया। इसमें विशेष रूप से नाटी किंग कुलदीप शर्मा उपस्थित रहे। उन्होंने अपने गायन से वहां बैठे दर्शक को नाचने के लिए मजबूर कर दिया। देहरा निवासी स्माइल ठाकुर का कहना है कि कुलदीप शर्मा ने स्टार नाईट में चार चाँद लगा दिए।
दुर्गा अष्टमी के अवसर पर शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर में भक्तों की सुबह से ही लंबी - लंबी कतारें लग गई। वहीं बाहरी राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने मां ज्वाला की पवित्र ज्योति के दर्शन कर दुर्गा अष्टमी पर हलवे का भोग मां को लगाया। साथ ही साथ कन्या पूजन कर मंगल कामना की। ज्वाला जी मंदिर के मुख्य पुजारी कपिल शर्मा ने बताया कि मां ज्वाला के नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी पर दर्शनों का मनोवांछित लाभ भक्तों को मिलता है। सुख समृद्धि की कामना करने के लिए बाहरी राज्यों से श्रद्धालु पहुंचे है।
देश के प्रथम धरोहर गाँव परागपुर के बस स्टैंड पर ट्रैफिक जाम लगना बहुत ही आसान बात हो गई है। परागपुर में बसों को रूकने के लिए कोई नियमित जगह नहीं है और इस वजह से बसों को सड़क पर ही खड़ा करना पड़ता है। इसके बावजूद हैरीटेज विलेज कमेटी गरली-परागपुर और प्रशासन की तरफ से इस दिशा में आज तक कोई भी ठोस कदम नही उठाया गया। इन वाहनों की वजह से स्कूल के बच्चों व कार्यालयों में पैदल आवाजाही करने वाले कर्मचारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
भारत सरकार के निर्देशानुसार ज़िला कांगडा के ऐसे शस्त्र लाईसैंस धारक जिन्होने 31 मार्च, 2019 तक विशिष्ट पहचान नम्बर( अपने शस्त्र लाईसैंस पर दर्ज नहीं करवाऐ है, अथवा एनडीएएल अर्थात नेशनल डाटाबेस ऑफ आर्म लाईसैंस में अपडेशन नहीं करवा सके है, तो ऐसे शस्त्र लाईसैंस धारक अपने नवीनीकरण प्रार्थना पत्र (फार्म-ए3) भरकर तथा शस्त्र लाईसैंस की फोटोप्रति उपायुक्त कार्यालय के कमरा नम्बर 706 में आगामी 07 अक्तूबर, 2019 तक जमा करवाना सुनिश्चित करें। ऐसे शस्त्र लाईसैंसो की सूची तैयार कर भारत सरकार को भेजी जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे मामलों को निपटाने का यह अंतिम अवसर होगा। इसके उपरांत कोई भी प्रार्थना पत्र स्वीकार नहीं किया जाएगा। यदि किसी शस्त्र लाईसैंस धारक का लाईसैंस भारत सरकार के निर्देशानुसार रद्द किया जाता है तो इसके लिए शस्त्र लाईसैंस धारक स्वयं ज़िम्मेवार होगा।
कांगड़ा: पुलिस थाना डमटाल की टीम ने मोहटली रैंप पर गश्त के दौरान एक व्यक्ति से 8.69 ग्राम चिट्टा बरामद किया। डमटाल पुलिस थाना के मुख्य आरक्षी चैन सिंह और पुलिस पार्टी जैसे ही मोहटली रैंप के पास पहुंची तो सामने से आ रहे बाइक पर सवार एक व्यक्ति पुलिस को देखकर घबरा गया। उसने अपनी बाइक मोड़ई और भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन सड़क पर पानी इकट्ठा होने की वजह से बाइक सवार व्यक्ति बाइक से फिसल गया, इसे पुलिस पार्टी ने दबोच लिया। तलाशी लेने पर उसके पास से चिट्टा बरामद किया गया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान आरोपी की पहचान सुभाष कुमार पुत्र फल्ली वासी छन्नी बेल्ली के रूप में हुई है। डीएसपी नूरपुर डॉ. साहिल अरोड़ा ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है। आरोपी के खिलाफ डमटाल पुलिस थाना में मामला दर्ज कर लिया गया है और आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।
27 सितम्बर को लांच हुआ कलाकार प्रिंस गर्ग का गाना 'नूरपुरे दी नेहा' लोगों को खासा अच्छा लग रहा है। 'आइसुर स्टूडियो' के बैनर तले यूट्यूब पे लांच हुए 'नूरपरे दी नेहा 'गाने को अभी तक करीब 33000 हजार लोगों ने देख लिया है। प्रिंस गर्ग अपनी हास्यकलाकारी के लिए प्रसिद्ध है, परंतु प्रिंस गर्ग की गायन में भी बहुत दिलचस्पी है। इसी के चलते प्रिंस गर्ग ने यह गाना 27 सितम्बर को लांच किया। प्रिंस गर्ग के फैंस के बीच उनके गाने को लेकर खासा उत्साह देखा गया। जैसे ही गर्ग का गाना 'नूरपरे दी नेहा' लांच हुआ तो उनके फैंस ने सोशल मीडिया ऐप 'टिक टोक ' पर भी वीडियो बनाना शुरू कर दिया। वहीं बताते चले कि प्रिंस गर्ग एक नामी हस्ती है। इन्होंने हास्यकलाकारी के साथ- साथ गायन में भी अपनी छाप छोड़ना शुरू कर दी है। प्रिंस गर्ग देश के प्रथम गांव परागपुर-गरली के निवासी है।
हि.प्र. आईटीआई प्रशिक्षित पंप चालक कल्याण संघ मंडल जसवां परागपुर का प्रतिनिधिमंडल सिंचाई एंव जनस्वास्थ्य विभाग के अधिशाषी अभियंता से मिला। नई कार्यकारणी के गठन के उपलक्ष्य पर अनीश शर्मा की अध्यक्षता में अधिशाषी अभियंता का स्वागत किया। उन्हें संघ की तरफ से एक मांग पत्र भी सौंपा गया। इस मौके पर संघ की तरफ से कार्यकारणी के समस्त पदाधिकारी मौजूद रहे।
शिव दंगल मेला कमेटी हार तालाब पट्टा की बैठक की गई। इसकी अध्यक्षता मेला कमेटी अध्यक्ष गुरचरण सिंह ने की। इस बैठक में मेला कमेटी ने निर्णय लिया कि हार तालाब पट्टा में एक व दो अक्टूबर को मेले का आयोजन किया जाएगा। कमेटी अध्यक्ष ने बताया कि 1 अक्टूबर को छोटे बच्चों की कुश्तियों का आयोजन 5:00 बजे के पश्चात होगा। वह बड़ी कुश्तीयों का आयोजन 2 अक्टूबर को 3:00 बजे के पश्चात होगा। कमेटी प्रधान ने बताया की हार तलाब के पास व कॉलोनी में लोगों को पार्किंग के लिए जगह बनाई गई है। मेलें के अंदर सभी दुकानदार अपना डस्टबिन साथ रखें व स्वच्छता का पूर्ण ध्यान रखें। मेलें को देखने के लिए उद्योग एवं श्रम मंत्री विक्रम ठाकुर भी उपस्थित रह सकते है। मेलें में मुख्य अतिथि डीके इलेक्ट्रॉनिक्स के मालिक होंगे। इस मेलें का मुख्य आकर्षण लड़कियों की कुश्ती होती है। मेलें में औरतों के बैठने का भी अलग से प्रबंध किया गया है। इस मेले में लड़कियों की कुश्ती के अलावा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़, हिमाचल, नेपाल के थापा पहलवान कुश्ती के जौहर दिखाएंगे।
कांगड़ा की उप-तहसील परागपुर के समीप पड़ने वाली ग्राम पंचायत हार में आसमानी बिजली गिरने से एक मकान की दीवारों में दरारें आयी है ।बताते चलें कि पंचायत हार निवासी जीत सिंह अपने कच्चे रिहायशी मकान में जब परिवार सहित सोए हुए थे तब अचानक चमकती हुई आसमानी बिजली उनके मकान के अंदर से होकर गुजरी।गनीमत रही कि किसी प्रकार का बड़ा हादसा नही हुआ। लेकिन उनके रिहायशी मकान में दरारें आ गयी और वहां रखे हुए कई साधन जिसमें फ्रिज, टीवी, पंखा, डिश व वायरिंग खराब हो गए। वहीं स्थानीय पंचायत उपप्रधान विनोद कुमार व हल्का पटवारी सुनीता घटना स्थल पर पहुंचे और घटना का जायजा लिया वहीं इस संदर्भ में हल्का पटवारी अनिता ने बताया कि, हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार कर राजस्व विभाग देहरा में तहसीलदार को आगामी कार्यवाही हेतु प्रेषित कर दी है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत परागपुर के बालहर स्थित राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के वेद ब्यास परिसर में हिंदी पखवाड़े का समापन किया गया। इसमें राजकीय महाविद्यालय देहरी के प्राचार्य डॉ. अक्षित मिश्र ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। वहीं सेंट्रल बैंक परागपुर के शाखा प्रबंधक विजय कुमार बतौर विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। मंगलाचरण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। मुख्यातिथि ने अपने भाषण में हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने पर बल दिया। वहीं अपने अध्यक्षीय भाषण में परिसर प्राचार्य प्रो. लक्ष्मी निवास पांडे ने कहा कि देश के समस्त नागरिकों को हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार करना चाहिए। इस अवसर पर परिसर के समस्त विभागाध्यक्ष, शिक्षक, गैर शिक्षक कर्मचारी व समस्त छात्र छात्राएं मौजूद रही।
हिमाचल प्रदेश के मशहूर हास्यकलाकर प्रिंस गर्ग का गाना ‘नूरपूरे दी नेहा' 27 सितम्बर को लांच किया जाएगा। प्रिंस गर्ग का कहना है कि लोगों के प्यार और दुआओं के कारण ही उनका यह गाना जल्द ही लॉच होने जा रहा है। इस गाने की शूटिंग कांगड़ा जिले के नूरपुर में की गई है। बता दें कि इससे पहले भी प्रिंस गर्ग द्वारा गाए एक गाने ‘मेहनतान’ को जनता का अच्छा खासा प्यार मिला था। प्रिंस गर्ग हिमाचल प्रदेश की वो शख्सियत हैं जिन्होंने अपनी हास्य की कलाकारी से देश -प्रदेश में नाम चमकाया हुआ है और अब गर्ग एक संगीतकार के रूप में भी उभर रहे हैं। वैसे तो प्रिंस गर्ग अपनी हास्य कलाकारी से मशहूर हैं परंतु उनकी संगीत में दिलचस्पी के कारण उन्होंने यह गाना गाया है। इस गाने के लांच के लिए गर्ग और उनकी पूरी टीम खासी उत्साहित दिख रही है।
आर्मी वेलफेयर एजूकेशन सोसायटी ने आर्मी पब्लिक स्कूलों में रिक्त पड़े पीजीटी, टीजीटी और पीआरटी शिक्षकों के आठ हजार पदों को भरने के ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं। बेरोजगार प्रशिक्षित अध्यापकों के लिए आर्मी स्कूलों में नौकरी पाने का सुनहरा मौका है। आवदेन करने की अंतिम तिथि 21 सितंबर तय की गई है। देशभर में 137 के करीब आर्मी पब्लिक स्कूल हैं। शिक्षकों के पदों को आर्मी वेलफेयर एजूकेशन सोसायटी लिखित परीक्षा के आधार पर भरेगी। आर्मी वेलफेयर एजूकेशन सोसायटी ने प्रारंभिक परीक्षा के लिए देशभर में 70 परीक्षा केंद्र बनाए हैं। हिमाचल प्रदेश में सोलन और कांगड़ा जिले में परीक्षा केंद्र होंगे। आवेदनकर्ता पूरी जानकारी आर्मी वेलफेयर सोसाइटी की वेबसाइट से प्राप्त कर सकते हैं। 17 विषयों के पदों पर पीजीटी की होगी भर्ती: अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत, इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, राजनीतिक विज्ञान, गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, बॉयोटेक्नोलॉजी, सायकोलॉजी, कॉमर्स, कंप्यूटर साइंस, गृह विज्ञान और शारीरिक शिक्षा सहित 17 विषयों के पदों पर पीजीटी की भर्ती होगी। प्रशिक्षित कला स्नातक में अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत, इतिहास, भूगोल, राजनीतिक विज्ञान, गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान व बॉयोलॉजी सहित 10 विषयों में नियुक्तियां होंगी। पीआरटी शिक्षक भी नियुक्त होंगे। योग्यता: पीटीजी- 50 फीसद पोस्ट ग्रेजुएट में अंक तथा बीएड का होना अनिवार्य किया गया है। टीजीटी- ग्रेजुएशन में 50 फीसद अंक और बीएड का होना जरूरी है। आवेदन करने वाला अभ्यर्थी सीटेट/टेट पास होना चाहिए। आवेदन करने के लिए अभ्यर्थी की आयु 50 वर्ष से कम होनी चाहिए। पीआरटी शिक्षक को बीएड या फिर दो वर्ष का डिप्लोमा तथा आयु सीमा 40 वर्ष से कम होनी चाहिए। सभी पदों के आवेदन के लिए फीस 500 रुपये निर्धारित की गई है। 19 और 20 अक्टूबर को लिखित परीक्षा होगी। परीक्षा का परिणाम 30 अक्टूबर को निकलेगा।
वो 14 फरवरी 1980 का दिन था। तब तक शांता कुमार के 22 विधायक ठाकुर रामलाल के खेमे में जा चुके थे और शांता कुमार समझ चुके थे कि अब हाथ पैर मारने का फायदा नहीं है। सो उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था। अपने कार्यालय से उन्होंने अपनी पत्नी को फ़ोन किया, उन्हें बुलाया और दोनों सिनेमा देखने चले गए। फिल्म थी जुगनू। इस्तीफा देकर फिल्म देखने जाने वाला मुख्यमंत्री हिन्दुस्तान के इतिहास में शायद ही दूसरा कोई हो। दूसरा कोई हो भी नहीं सकता, शांता सिर्फ एक ही हो सकते है। शांता के राजनैतिक करीयर का आगाज़ वर्ष 1964 में हुआ। शांता ने पंचायत चुनाव लड़ा और पंच बन गए। ये बस शुरुआत थी। वर्ष 1967 आया और शांता ने जिला कांगड़ा के पालमपुर से अपना पहला चुनाव लड़ा लेकिन चुनाव हार गए। पर इसके बाद धीरे धीरे शांता विपक्ष का चेहरा बनते गए। 1972 का साल आया और शांता एक बार फिर विधानसभा चुनाव के रण में उतरे। इस बार क्षेत्र था जिला कांगड़ा का खेरा। इस मर्तबा शांता चुनाव जीत गए और विधानसभा में विपक्ष की आवाज़ के तौर पर उन्हकी पहचान स्थापित हो गई। कुछ समय बाद देश में इमरजेंसी लगी और राजनैतिक हालात बदल गए। शांता कुमार को भी नाहन जेल में बंद कर दिया गया जहाँ उनका साहित्यकार अवतार देखने को मिला। जेल में रहते हुए शांता कुमार ने कई उपन्यास लिखे, जिसका श्रेय वे कांग्रेस को देते है। 1977 का साल आया और हिमाचल में एक बार फिर विधानसभा चुनाव हुए। जनता पार्टी को 53 सीटों पर प्रचंड जीत मिली और शांता कुमार पहली बार मुख्यमंत्री बने। इस मर्तबा वे जिला कांगड़ा की सुलह सीट से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे थे। बतौर मुख्यमंत्री अपने पहले कार्यकाल में शांता कुमार ने कई महत्वपूर्ण कार्य किये। अंत्रोदय योजना के जरिये उन्होंने गरीबों के बीच अपनी पैठ बनाई। गांव- गांव तक पानी के हैंडपंप पहुंचाए और पानी वाला मुख्यमंत्री कहलाये। सब कुछ ठीक चल रहा था, पर पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल भला चुप बैठने वाले कहाँ थे। रामलाल की तिगड़मबाज़ी रंग लाई और फरवरी 1980 में शांता के 22 विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया। अतः शांता कुमार को इस्तीफा देना पड़ा। वर्ष 1980 में ही भारतीय जनता पार्टी का गठन भी हुआ। अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, भैरों सिंह शेखावत के साथ शांता कुमार ने उस दौर में पार्टी में मुख्य चेहरों में शुमार थे। इसके बाद 10 वर्षों तक शांता कुमार ने भाजपा को हिमाचल में खड़ा करने का काम किया। 1989 में वे संसद भी पहुंचे और उसके बाद 1990 के विधानसभा चुनाव में भजपा का सीएम फेस रहे। चुनाव में भाजपा को प्रचंड जीत मिली और शांता एक बार फिर मुख्यमंत्री शांता हो गए। दिसंबर 1992 में बावरी काण्ड के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव ने शांता की सरकार को बर्खास्त कर दिया जिसके बाद 1993 में फिर चुनाव हुए। 1990 में जिस भाजपा को प्रचंड जीत मिली थो वो 1993 में मजह 8 सीटों पर सिमट कर रह गई। खुद शांता कुमार भी चुनाव हार गए। हार का कारण ये नहीं था कि उन्होंने काम नहीं किया, बल्कि शांता अपने काम की वजह से ही हारे। कांग्रेस के रोटी-कपडा- मकान के घिसे पीटे नारे को लोगों ने शांता के आत्मनिर्भर हिमाचल के नारे पर तरजीह दी। इसका कारण था कर्मचारियों की नाराज़गी। हिमाचल में आज भी सत्ता का रास्ता कर्मचारियों के वोट तय करते है। शांता कुमार ने बतौर मुख्यमंत्री निजी क्षेत्र को प्रदेश में हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाने की अनुमति दी थी। तब किन्नौर के बापसा में एक हाइड्रो प्लांट लगा था। इसी के विरोध में सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। शांता भी उसूलों के पक्के थे सो नो वर्क नो पे का फ़रमार जारी कर दिया। 29 दिन चली इस हड़ताल का पैसा कर्मचारियों को नहीं दिया गया। साथ ही इस दौरान करीब 350 कर्मचारियों को उन्होंने बर्खास्त कर दिया। सो जब अगला चुनाव आया तो कर्मचारियों ने भी शांता कुमार से बराबर बदला लिया। हिमाचल प्रदेश को हर वर्ष करीब दो हज़ार करोड़ रुपये पानी की रॉयल्टी से मिलते है। ये शांता कुमार की ही देन है। जब पहली बार उन्होंने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था तो विपक्ष ने जमकर खिल्ली उड़ाई थी। पर कांग्रेस की केंद्र सरकार को ये बात समझ आ गई और हिमचाल को उसका हक़ मिला। मोदी की पसंद नहीं थे शांता 1993 चुनाव की हार के बाद शांता कुमार प्रदेश की सियासत में वापसी नहीं कर सके।1998 चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी हिमाचल के प्रभारी थे जिनसे शांता की बनती नहीं थी। मोदी की पसंद प्रो प्रेम कुमार धूमल थे और चुनाव से पहले भाजपा ने धूमल को सीएम फेस घोषित कर दिया। इसके बाद पंडित सुखराम के समर्थन से धूमल ने पांच वर्ष सत्ता सुख भोगा। शांता कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच हमेशा एक लकीर रही है। गोधरा दंगों के बाद शांता कुमार ने नरेंद्र मोदी के बारे में कहा था कि अगर मैं गुजरात का मुख्यमंत्री होता तो त्यागपत्र दे देता।
भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जिन्हें देखकर हमें ऐसा महसूस होता है कि बस अब यहीं रुक जाएं, इसके आगे कोई सुकून ही नहीं है। यहां आकर आपके मन को शांति मिलती है और हर तनाव को भूल जाते हैं। बस हमारा मन कहता है कि यह ऐसी जगह है जहां आपको सबसे ज्यादा सुकून मिलेगी। कई चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें देखकर हमारी पूरी थकान उतर जाती है। ऐसा ही एक मंदिर है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे है। जी हां उत्तर भारत में एक ऐसा मंदिर है जो 15 चट्टानों को काटकर बना हुआ है। जिसे देखकर आप इस बात पर विश्वास नहीं कर पाएंगे कि क्या वास्तव में ऐसा हो सकता है। आखिर इतनी अच्छी नक्काशी भी कहीं हो सकती है। हम बात कर रहे है हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के मसरूर गांव में स्थित रॉक कट टेम्पल हैं। इसके नाम से ही पता चल रहा है कि यह चट्टानों को काटकर बनाया गया है। आठवीं शताब्दी में बना ये मंदिर महाभारत के पांडवों का रहस्यमयी इतिहास भी अपने अंदर संजोये हुए है। हिमालयन पिरामिड के नाम से मशहूर ये रॉक कट टेम्पल अपने आप में एक अनोखा इतिहास समेटे हुए है। मसरूर का यह मंदिर कुरुद्वारा के नाम से पूजनीय है। वास्तव में यह भगवान् श्री राम को समर्पित है और वैष्णव धर्म का द्योतक है। मुख्य मंदिर के भीतर भगवान राम , लक्ष्मण और सीता की प्रतिमाएं स्थापित है जो पत्थर को नक्काश कर बनाई गई है। मूलतः ऐसा प्रतीत होता है कि यह भगवान् शिव को समर्पित था लेकिन समय के उतार चढ़ाव के साथ साथ बाद में यहाँ वैष्णव धर्म का प्रादुर्भाव होने से इसे विष्णु भगवान को समर्पित कर दिया गया। आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि ऐसी नक्काशी पत्थरों में करना बहुत ही मुश्किल काम होता है। इसे करने के लिए दूर से करीगर लाए गए थे लेकिन वास्तव वे कारीगरी किसने की इस बारे में आजतक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है। इस मंदिर के सामने ही मसरूर झील है जो मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाती है। सदियों से चली आ रही दन्त कथाओं के मुताबिक मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया था और मंदिर के सामने खूबसूरत झील को पांडवों ने अपनी पत्नी द्रौपदी के लिए बनवाया गया था। काँगड़ा घाटी के हरिपुर कसबे से लगभग 3 किलोमीटर की दुरी पर और समुद्रतल से 2500 फुट कि ऊँचाई पर एक रेतीली पहाड़ी पर स्थित है। गग्गल हवाई पट्टी स यहाँ तक की दुरी 20 किलोमीटर है। इसकी लम्बाई 106 फुट के करीब और चोडाई 105 फुट है। इस तरह का विशाल पत्थर को कार कर बनाया मंदिर भारत में शायद ही कहीं हो। वास्तुकला की अद्भुत अविस्मरनीय पत्थर का यह स्तंभ सपाट और शिखर शैली में बनाया गया है । पुरातात्विक विभाग के संरक्षण में यह प्राचीन कला और इतिहास का मूक साक्षी है । इसके बाहर भीतर जिस तरह की मूर्तियाँ पत्थर पर तराशी गई है वह महाबलीपुरम में छठी और इलोरा के मंदिरों में दसवीं सदी की याद दिला देती है। बहुत कुछ इन प्राचीन मंदिरों की कला से मिलता जुलता है ।इस मंदिर के मूल मंदिर के साथ कुल 15 के करीब छोटे बड़े शिखराकार मंदिर है । इनमें से कुछ मंदिरों के भाग टूट चुके है। काँगड़ा में 1905 को आये भूकंप के कारण भी इन मंदिरों को काफी क्षति पहुंची थी। मंदिर के सन्दर्भ में कोई प्रमाणिक ऐसा दस्तावेज उपलब्ध नही है जिस से इसके निर्माण काल का सही अनुमान लगाया जा सके । यह बताया जाता है कि इसका निर्माण पांडवों द्वारा ही किया गया है। आश्चर्य है कि यहाँ प्राचीन काल में कोई यात्री भी नहीं पहुंचा जिसने इस मंदिर का उलेख किया हो । कहा जाता है कि केवल सन 1913 में पुरातात्विक विभाग ने इसकी वास्तुकला का गहरायी से निरिक्षण किया।
जन्माष्टमी के पावन अवसर पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं श्री बृजराज मंदिर के बारे में। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा नूरपुर में स्थित यह मंदिर अपनी ख़ास विशेषता के लिए पुरे विश्व में प्रसिद्ध है। नूरपुर के किला मैदान में स्थापित श्री बृजराज मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मन्दिर है जिसमें काले संगमरमर की श्री कृष्ण की मूर्ति के साथ अष्टधातु से निर्मित मीराबाई की मूर्ति श्री कृष्ण के साथ विराजमान है। इस मन्दिर के बारे में एक रोचक कथा है कि जब नूरपुर के राज जगत सिंह (1619—1623) अपने पुरोहित के साथ चित्तौड़गढ़ के राजा के निमंत्रण पर वहां गए, तो उन्हें रात्रि विश्राम के लिए जो महल दिया गया उसके साथ ही एक मंदिर था। वहां रात को सोते समय राजा को घुंघरुओं की आवाजें सुनाई दी। राजा ने जब मंदिर में बाहर से झांककर देखा तो एक औरत मंदिर में स्थापित कृष्ण की मूर्ति के सामने गाना गाते हुए नाच रही थी। राजा को उसके पुरोहित ने उपहार स्वरूप इन्हीं मूर्तियों की मांग करने का सुझाव दिया। इस पर राजा द्वारा रखी मांग पर चितौड़गढ़ के राजा ने ख़ुशी-ख़ुशी उन मूर्तियों को उपहार में दे दिया। राजा ने इसके साथ ही एक मौलश्री का पेड़ भी राजा को उपहार में दिया जो आज भी मंदिर प्रांगन में विद्यमान है। इन मूर्तियों को भी राजा ने किले में स्थापित किया था लेकिन जब आक्रमणकारियों ने किले पर हमला किया तो राजा ने इन मूर्तियों को रेत में छुपा दिया गया। लंबे समय तक यह मूर्तियाँ रेत में ही रहीं। एक दिन राजा को स्वप्न में कृष्ण ने कहा कि अगर हमें रेत में रखना था तो हमें यहां लाया ही क्यूँ गया। इस पर राजा ने अपने दरबार-ए-खास को मन्दिर का रूप देकर उन्हें वहां स्थापित किया। नूरपुर किले के अंदर बृज राज स्वामी मंदिर, भगवान कृष्ण की 16 वीं शताब्दी का ऐतिहासिक मंदिर है। नूरपुर को प्राचीनकाल में धमड़ी के नाम से जाना जाता था लेकिन बेगम नूरजहाँ के आने के बाद इस शहर का नाम नूरपुर पड़ा। यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है, जहाँ भगवान कृष्ण और मीरा की मूर्ति की पूजा की जाती है। नूरपुर के छोटे से शहर में स्थित इस मंदिर में सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है। मंदिर स्थानीय लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध है, लोगों की इस मंदिर से आस्था जुड़ी है। मंदिर समिति द्वारा एक वार्षिक भोज का आयोजन किया जाता है जहाँ पारंपरिक हिमाचली तरीके से स्थानीय व्यंजन परोसे जाते हैं।
मूसलाधार बरसात के बाद प्रदेश के कांगड़ा जिले के नूरपुर की धन्नी पंचायत में लोगों पर मुसीबत का पहाड़ टुटा है। इस क्षेत्र में हुए भारी भूस्खलन के बाद जब्बर खड्ड का पानी रुक गया है और करीब एक किलोमीटर का क्षेत्र में झील में तब्दील हो चूका है। यहाँ बने घरों के जमींदोज होने का खतरा बना हुआ है और स्थानीय लोगों को यहाँ से पलायन करना पड़ रहा हैं। मौके पर एनडीआरएफ, लोनिवि, होमगार्ड के जवान डेट हुए है और पानी का बहाव मोड़ने की कोशिश ज़ारी हैं। फिलहाल निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा टल गया है। हालंकि पडाड़ के दरकने का सिलसिला जारी है, जिससे आने वाले वक्त में मुश्किलें और बढ़ सकती है।
मुंबई के महालक्ष्मी मंदिर में भक्तों की अटूट आस्था है। इस मंदिर में माता महालक्ष्मी के दर्शन मात्र से ही चित्त भाव-विभोर हो जाता है। यहाँ महालक्ष्मी के अतिरक्त महाकाली और महासरस्वती की प्रतिमाएं भी स्थापित है। तीनों प्रतिमाओं का श्रृंगार सोने के नथ, सोने की चूड़ियां एवं मोतियों के हार सहित बहुमूल्य आभूषणों से किया गया है। महालक्ष्मी की वास्तविक प्रतिमा को आवरण से ढंक दिया जाता है जिसके चलते अधिकांश दर्शनार्थी वास्तविक प्रतिमा के दर्शन नहीं कर पाते। रात के लगभग 9.30 बजे वास्तविक प्रतिमा से आवरण हटाया जाता है, जिसके 10 से 15 मिनट के बाद पुन: प्रतिमा के ऊपर आवरण चढ़ा दिया जाता है। महालक्ष्मी मंदिर के निर्माण के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी छुपी है। कहा जाता है कि बहुत समय पहले मुंबई में वर्ली और मालाबार हिल को जोड़ने के लिए दीवार का निर्माण कार्य चल रहा था। सैकड़ों मजदूर इस दीवार के निर्माण कार्य में लगे हुए थे, मगर नित दिन नई- नई बाधा आने से कार्य पूरा नहीं हो पा रहा था। सब परेशान थे, तभी प्रोजेक्ट के मुख्य अभियंता को एक सपना आया। सपने में मां लक्ष्मी प्रकट हुईं और कहा कि वर्ली में समुद्र के किनारे मेरी एक मूर्ति है, उसे वहां से निकालकर समुद्र के किनारे ही मेरी स्थापना करो। मुख्य अभियंता ने मजदूरों को स्वप्न में बताए गए स्थान पर जाने को कहा और मूर्ति ढूंढ लाने का आदेश दिया। आदेशानुसार कार्य शुरू हुआ और महालक्ष्मी की एक भव्य मूर्ति मिल गई। तदोपरांत समुद्र किनारे ही उस मूर्ति की स्थापना की गई और छोटा-सा मंदिर बनवाया गया। मंदिर निर्माण के बाद वर्ली-मालाबार हिल के बीच की दीवार भी आसानी से खड़ी हो गई। तब ब्रिटिश अधिकारियों को भी दैवीय शक्ति पर भरोसा करना पड़ा और इसके बाद तो इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। वर्ष 1831 में धाकजी दादाजी नाम के एक व्यवसायी ने छोटे से मंदिर को बड़ा स्वरूप दिया एवं इसका जीर्णोद्धार कराया गया। यहां महालक्ष्मी के अलावा महाकाली व माता सरस्वती की भव्य प्रतिमा भी स्थापित है। मंदिर में एक दीवार है, जहां आपको बहुत सारे सिक्के चिपके है। भक्तगण अपनी मनोकामनाओं के साथ सिक्के चिपकाते हैं यहां।
भारत मां जो आजाद कराणे तायीं मावां दे पुत्र चढ़े फांसियां हंसदे-हंसदे आजादी दे नारे लाई.. मैं कुण, कुण घराना मेरा, सारा हिन्दुस्तान ए मेरा भारत मां है मेरी माता, ओ जंजीरां जकड़ी ए. ओ अंग्रेजां पकड़ी ए, उस नू आजाद कराणा ए.. कांशीराम जिन्द जवाणी, जिन्दबाज नी लाणी इक्को बार जमणा, देश बड़ा है कौम बड़ी है. जिन्द अमानत उस देस दी ये वो दौर था जब हिंदुस्तान के हर कोने में आजादी के लिए नारे लग रहे थे। क्रांतिकारी देश को आज़ाद करवाने के लिए हर संभव प्रत्यन कर रह थे। पुरे मुल्क में हजरत मोहनी का लिखा गया नारा इंकलाब जिंदाबाद क्रांति की आवाज बन चूका था। उसी दौर में हिमाचल की शांत पहाड़ियों में एक व्यक्ति पहाड़ी भाषा और लहजे में क्रांति की अलख जगा रहा था। वो गांव-गांव घूमकर अपने लिखे लोकगीतों व कविताओं से आम जन को आजादी के आंदोलन से जोड़ रहा था। नाम था कांशी राम, वहीँ काशी राम जिन्हे पंडित नेहरू ने बाद में पहाड़ी गाँधी का नाम दिया। वहीँ बाबा काशी राम जो 11 बार जेल गए और अपने जीवन के 9 साल सलाखों के पीछे काटे। वहीँ बाबा कशी राम जिन्हें सरोजनी नायडू ने बुलबुल-ए-पहाड़ कहकर बुलाया था। और वहीँ बाबा काशी राम जिन्होंने कसम खाई कि जब तक मुल्क आज़ाद नहीं हो जाता, वो काले कपड़े पहनेंगे। 15 अक्टूबर 1943 को अपनी आखिरी सांसें लेते हुए भी कांशी राम के बदन पर काले कपड़े थे और मरने के बाद उनका कफ़न भी काले कपड़े का ही था। ‘अंग्रेज सरकार दा टिघा पर ध्याड़ा’ यानी अंग्रेज सरकार का सूर्यास्त होने वाला है, जैसी कई कवितायेँ लिख पहाड़ी गाँधी ने ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया था। मुल्क आज़ाद हो गया लेकिन ये विडम्बना का विषय है कि सियासतगारों ने पहाड़ी गाँधी को भुला दिया। बस कभी -कभार, खानापूर्ति भर के लिए पहाड़ी गाँधी को याद कर लिया जाता है। उनका पुश्तैनी मकान भी पूरी तरह ढहने की कगार पर है, मानो एक तेज बरसात का इन्तजार कर रहा हो। 2017 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वीरभद्र सरकार को पहाड़ी गाँधी की याद आई और डाडासिबा में उनके पुश्तैनी घर को कांशीराम संग्रहालय बनाने का वादा किया गया। खेर चुनाव के बाद सरकार बदल गई और जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2018 में बाबा काशीराम की जयंती पर 11 जुलाई को जयराम ठाकुर ने भी काशीराम संग्राहलय बनाने की घोषणा की, किन्तु एक वर्ष बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। बाबा कांशी राम की शादी 7 साल की उम्र में हो गई थी। उस वक्त पत्नी सरस्वती की उम्र महज 5 साल थी। साल 1905 में कांगड़ा घाटी में आये भूकंप में करीब 20 हजार लोगों की जान गई और 50,000 मवेशी मारे गए। तब लाला लाजपत राय की कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एक टीम लाहौर से कांगड़ा पहुंची जिसमें बाबा काशी राम भी शामिल थे। उनकी ‘उजड़ी कांगड़े देश जाना’ कविता आज भी सुनी जाती है। लाहौर में कांशी राम की मुलाकात मशहूर देश भक्ति गीत ‘पगड़ी संभाल जट्टा’ लिखने वाले सूफी अंबा प्रसाद और लाल चंद ‘फलक’ से हुई जिसके बाद कांशी राम संगीत और साहित्य के माध्यम से आजादी का लड़ाई में रम गए। 1919 में जब जालियांवाला बाग हत्याकांड के वक्त बाबा कांशी राम भी अमृतसर में थे।इसके बाद ब्रिटिश राज के खिलाफ बगावत के जुर्म में कांशीराम को 5 मई 1920 को लाला लाजपत राय के साथ दो साल के लिए धर्मशाला जेल में डाल दिया गया। 1931 में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी मिलने के बाद उन्होंने प्रण लिया कि जब तक मुल्क आज़ाद नहीं हो जाता, तब तक वो काले कपड़े पहनेंगे।उन्हें ‘स्याहपोश जरनैल’ भी कहा गया। वर्ष 1937 में जवाहर लाल नेहरू ने होशियारपुर के गद्दीवाला में एक सभा को संबोधित करते हुए बाबा कांशीराम को पहाड़ी गांधी कहकर संबोधित किया था, जिसके बाद से कांशी राम को पहाड़ी गांधी के नाम से ही जाना गया। बाबा काशी राम ने 1 उपन्यास, 508 कविताएं और 8 कहानियां लिखीं। 23 अप्रैल 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कांगड़ा के ज्वालामुखी में बाबा कांशी राम पर एक डाक टिकट जारी किया था। काशी राम के नाम पर हिमाचल प्रदेश से आने वाले कवियों और लेखकों को अवॉर्ड देने की भी शुरुआत हुई थी, पर पिछले कुछ सालों से ये अवार्ड नहीं दिया जा रहा है। बाकी कांशीराम के नाम से उनके गांव में एक सरकारी स्कूल बना है, जो पंजाब के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों ने बनवाया था। दरअसल, हिमाचल बनने से पहले बाबा कशी राम का गृह क्षेत्र पंजाब में आता था।
- कसौली से धधकी थी क्रांति की ज्वाला हिंदुस्तान के स्वतंत्रता संग्राम में हिमाचल प्रदेश का योगदान भी कम नहीं रहा। देवभूमि हिमाचल वीर योद्धाओं और स्वतंत्रता सेनानियों की जन्म और कर्म भूमि भी रहा है। वर्ष 1857 में जब देशभर में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह प्रखर हुआ तो पहाड़ों की शांतवादियों में भी क्रांति की ज्वाला धधक उठी। करीब चार महीने में देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम के लिए लगभग 50 देशभक्त फांसी के फंदे में झूल गए थे। इसकी शुरुआत हुई थी कसौली से। 20 अप्रैल, 1857 को ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ हिमाचल में विद्रोह की चिंगारी कसौली अंग्रेज सैनिक छावनी से भड़की थी। तब 6 भारतीय सैनिकों ने कसौली पुलिस थाने को फूंक दिया था। देखते ही देखते विद्रोह की ये चिंगारी कसौली से डगशाई, सुबाथू, जतोग व कालका छावनियों में फैल गई। तब सिर्फ 45 हिन्दुस्तानियों ने करीब 200 अंग्रेज़ों को परास्त किया था। कसौली की तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर पी. मैक्सवेल ने इस घटना के बारे में लिखा कि ये हैरत की बात थी कि कैसे सिर्फ 45 भारतीय सैनिकों ने 200 अंग्रेज सैनिकों को हराया था। उधर, जतोग में गोरखा रेजिमेंट ने सूबेदार भीम सिंह के नेतृत्व में छावनी व खजाने पर कब्जा कर लिया। वहीँ, एक गोरखा सैनिक ने अपनी खुखरी से शिमला बाजार में एक अंग्रेज अधिकारी की गर्दन उड़ा दी।आलम ये था किफिरनगी अपनी जान बचाकर भागने लगे। इस दौरान बुशहर के राजा ने ब्रिटिश हुकूमत को नजराना सहित अन्य सहायता बंद कर दी और क्रांतिकारियों का खुलकर सहयोग किया। हालांकि बिलासपुर सहित कुछ अन्य शासकों ने अंग्रेजों का साथ दिया। इंग्लैंड के समाचार पत्रों में इस घटना का जिक्र Shimla Terror (शिमला आतंक) के तौर पर किया। 1857 की पहली क्रांति का विद्रोह कांगड़ा, कुल्लू-सिराज, चंबा व मंडी-सुकेत तक में हुआ। 11-12 मई के मेरठ व दिल्ली विद्रोह की सूचना कांगड़ा सहित आसपास के पूरे क्षेत्र में फैल गई थी, जिससे ब्रिटिश अधिकारियों ने अपने क्षेत्रों की सुरक्षा के उपाय कर लिए। 19 मई को ऊना-होशियारपुर में क्रांतिकारियों व देशी पुलिस ने भयानक विद्रोह कर दिया। सुजानपुर टीहरा के राजा प्रताप चंद अपने किले में क्रांति की तैयारियां करते रहे, लेकिन इसकी भनक अंग्रेजों को हो गई और महल में ही नजरबंद कर दिया गया। उधर, जसवां, गुलेर, हरिपुर, नौदान, नूरपुर, पठानकोट सहित अन्य क्षेत्र के लोग भी कंपनी के खिलाफ हो गए। नालागढ़ में भी क्रांतिकारियों ने मलौण किले से अंग्रेजों के हथियार कब्जे में ले लिए और 10 जून को जालंधर के दस्ते ने नालागढ़ पहुंचकर वहां के खजाने को लूट लिया। 30 जुलाई को कांगड़ा में विभिन्न स्थानों पर देशी सैनिकों व क्रांतिकारियों की अंग्रेजों के साथ मुठभेड़ हुई और कई ने सुरक्षा के बावजूद शहर में प्रवेश कर लिया। क्रांतिकारी ब्रिगेडियर रमजान को नूरपुर में फांसी दे दी गई, कांगड़ा में पांच व धर्मशाला में छह देशभक्त व क्रांतिकारी फांसी पर चढ़ाए गए। कुल्लू के युवराज प्रताप सिंह ने भी अंग्रेजों के खिलाफ खूब लोहा लिया, लेकिन अपने कुछ साथियों के पकड़े जाने के बाद वह भी गिरफ्तार कर लिए गए और तीन अगस्त को उन्हें व उनके साथी बीर सिंह को फांसी दी गई। मंडी के राजा विजय सेन केवल 10वर्ष के थे और सुकेत रियासत में आपसी गृहयुद्ध के कारण क्रांतिकारियों ने यहां अधिक सहयोग नहीं मिल पाया, लेकिन जनता में देशभक्ति की भावना प्रबल थी। ऐसे में अगस्त 1857 तक पहाड़ों में फैले विद्रोह को शांत कर लिया गया था I
कहा, मजबूत विपक्ष न होना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं नेहरू परिवार की गुलामी करने से कांग्रेस का तेजी से पतन हो रहा है। उम्मीद थी कांग्रेस किसी युवा को नेत्तृत्व देंगी लेकिन कांग्रेस नेहरू परिवार से बाहर नहीं निकलती दिख रही। पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने सोलन में पत्रकारों से बात करते हुए ये बात कही। उन्होंने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को बेशक बहुत बड़ी जीत मिली है लेकिन लोकतंत्र कमजोर हो गया। देश के सबसे पुराने राजनैतिक दल कांग्रेस का 18 प्रदेशों में सफाया हो गया, बावजूद इसके कांग्रेस ने सबक नहीं लिया।शांता कुमार ने कहा कांग्रेस के मजबूत होने से देश को अच्छा विपक्ष मिल सकता है लेकिन ऐसा है हो रहा। इस दौरान पूर्व सीएम ने कई मसलों पर अपनी बेबाक राय रखी। उद्योग और पर्यटन नीति को सराहा शांता कुमार ने जयराम सरकार की उद्योग और पर्यटन नीति को भी सराहा। उन्होंने कहा सरकार ने नीति में जो बुनियादी बदलाव किये है उससे प्रदेश में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा नई नीति के तहत करार होने के बाद सरकार को 6 माह में आवश्यक कागज़ी कार्यवाही पूरी करनी होगी। साथ ही परियोजना शुरू होने के बाद उद्योग द्वारा सरकार को कोई भुगतान नहीं करना होगा। भाजपा के गले की फांस बने 69 राष्ट्रीय राजमार्ग 69 एनएच का कार्य शुरू नहीं होने पर शांता कुमार कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। उन्होंने ये कहते हुए सरकार का बचाव किया कि ये कठिन काम है और उम्मीद है जल्द कार्य शुरू होगा। बता दें कि करीब तीन साल पहले तत्कालीन केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हिमाचल को 69 एनएच की सौगात दी थी। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में भी इसे बड़ी उपलब्धि करार दिया और पूर्व कांग्रेस सरकार को इसके कार्य में विलम्ब के लिए दोषी ठहराया। अब प्रदेश में बीते 20 माह से भाजपा की सरकार है किन्तु काम अब तक शुरू नहीं हुआ। धर्मशाला उपचुनाव से पहले भाजपा के भीतर मची अंतर्कलह को शांता कुमार ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा मतभेद दूर होने चाहिए और वे इस तरह की खींचतान का बचाव नहीं करते। शांता कुमार ने कहा सरकार की कोई पार्टी नहीं होती पार्टियों की सरकार होती है। सभी दलों को विकास के मुद्दों पर एक साथ होकर कार्य करना चाहिए। विरोध के लिए विरोध नहीं होना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई की धारा 370 की तरह ही सरकार को जनसँख्या नियंत्रण के लिए भी सख्त कदम उठाना चाहिए । जम्मू -कश्मीर व उत्तर पूर्वी राज्यों की तर्ज पर हिमाचल को केंद्र सरकार द्वारा विशेष पैकेज नहीं दिए जाने पर शांता कुमार ने कहा कि इसके लिए प्रयास किये जायेगे। धारा 118 के मसले पर शांता कुमार ने कहा कि जहाँ जरुरत होगी वहां राहत दी जाएगी। किन्तु ये सुनश्चित किया जाना चाहिए कि हिमाचलियों का शोषण न हो।
पुलिस थाना ज्वाली के डीएसपी को 45 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए विजिलेंस टीम ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। मिली जानकारी के अनुसार डीएसपी एससी-एसटी एक्ट के एक मामले को दबाने की एवज में रिश्वत ले रहा था। जानकारी के मुताबिक डीएसपी ज्वाली ज्ञान चंद को इन दिनों नूरपुर के कार्यकारी डीएसपी का कार्यभार दिया है। पुलिस थाना जवाली के तहत पिछले दिनों एक एससी-एसटी एक्ट का मामला दर्ज हुआ था, जिसे दबाने के लिए आरोपी ज्ञान चंद ने 50 हजार रुपये की मांग की थी। इस संबंध में आरोपित ने विजिलेंस में शिकायत की थी। शिकायतकर्ता के नौसार डीएसपी ज्ञान चंद ने उन पर झूठा केस बनाया है और 50 हजार रुपये मांग रहा है। डीएसपी को पांच हजार रुपये एडवांस दिए जा चुके थे और सोमवार बकाया 45 हजार रुपये का भुगतान होना था। बकाया राशि के के साथ शिकायतकर्ता को डीएसपी कार्यालय नूरपुर में बुलाया था। पर विजिलेंस टीम वहां मौजूद थी, जिसके बाद डीएसपी को 45 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ लिया गया। मामले की पुष्टि एसपी विजिलेंस उत्तरी क्षेत्र अरुल कुमार ने की है।
बढ़ती जनसंख्या-घटते संसाधन पर संगोष्ठी आयोजित पूर्व केन्द्रीय मंत्री, हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने कहा कि हमारे देश में जनसंख्या की नियमित वृद्धि ने विकास के लाभों को बेअसर कर दिया है और अब जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाना आवश्यक हो गया है। शांता कुमार आज सोलन में ‘बढ़ती जनसंख्या घटते संसाधन’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। इस संगोष्ठी का आयोजन प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा जनसंख्या नियंत्रण जन जागरण मंच द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। शांता कुमार ने कहा कि आज बढ़ती जनसंख्या हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है। स्वतंत्रता के समय जहां भारत की जनसंख्या 34 करोड़ थी वहीं आज हमारी जनसंख्या लगभग 141 करोड़ हो चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन हमारी जनसंख्या में 50 हजार की बढ़ोत्तरी हो रही है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या की यह वृद्धि दर देश की अनेक समस्याओं का कारण है। हमें यदि आज भुखमरी सहित घटते संसाधन, प्रदूषण, पर्यावरण क्षरण एवं कम होती कृषि योग्य भूमि का सामना करना पड़ रहा है तो इसका कारण जनसंख्या की वृद्धि है। आज हम विश्व में गरीबी सूचकांक पर 103वें क्रमांक पर हैं जबकि कुछ वर्ष पहले हम 97वें क्रमांक पर थे। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी एवं कुपोषण के कारण मृत्युदर के मूल में जनसंख्या की बढ़ोत्तरी है। कुपोषण के कारण होने वाली मृत्यु का एक तिहाई भारत में है। उन्होंने कहा कि भारत के सशक्त नेतृत्व की अगुवाई में आज हम आर्थिक क्षेत्र में तीव्र एवं सत्त विकास कर रहे हैं। आर्थिकी के मजबूत होने के उपरांत भी हमें बढ़ती जनसंख्या के कारण विभिन्न क्षेत्रांे में समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। भारत की प्रति व्यक्ति आर्थिकी 2 हजार डाॅलर है। जबकि अमेरिका की 55 हजार डाॅलर है। जनसंख्या की बढ़ोत्तरी के कारण ही वर्तमान में देश के 20 हजार करोड़ से अधिक लोग मात्र 5 हजार रुपये प्रतिमाह पर गुजारा कर रहे हैं उन्होंने कहा कि बढ़ते अपराध के मूल में भी जनसंख्या बढ़ोत्तरी के कारण उत्पन्न बेरोजगारी एवं गरीबी है। जनसंख्या की वृद्धि के कारण हमारे संसाधनों पर भी विपरित असर पड़ रहा है। देश में उपलब्ध लगभग 70 प्रतिशत जल पीने योग्य नहीं बचा है। पेयजल के मामले में हम 122 देशों में से 120वें स्थान पर है। शांता कुमार ने सभी से आग्रह किया कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की तरह देश में जनसंख्या नियंत्रण का माहौल भी तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि जनसंख्या को नियंत्रित कर ही हम भारत की वास्तविक क्षमताओं को उभार पाएंगे। उन्होंने आशा जताई कि अपनी तरह की इस प्रथम संगोष्ठी से जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में बेहतर कार्य करने का अवसर मिलेगा। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री विपिन सिंह परमार ने संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि केन्द्र तथा प्रदेश सरकार इस ज्वलंत समस्या को लेकर गंभीर है और यह प्रयास किया जा रहा है कि सर्वप्रथम लोगों को लड़का-लड़की की समानता एवं लिंगानुपात के विषय में जागरूक बनाया जाए। उन्होंने कहा कि हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि के कारणों में से एक कारण लड़के की चाह भी है। उन्होंने कहा कि देश तथा प्रदेश में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया जा रहा है। इनके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। विपिन सिंह परमार ने कहा कि आशा कार्यकर्ता एवं स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी जनसंख्या नियंत्रण के विषय में जमीनी स्तर पर लोगों को जागरूक बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस दिशा में शत-प्रतिशत सफलता जन सहयोग पर ही निर्भर है। उन्होंने संगोष्ठी के आयोजन के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा जनसंख्या नियंत्रण जन जागरण मंच को बधाई दी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सहकारिता मंत्री डाॅ. राजीव सैजल ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण आज न केवल समय की मांग है अपितु घटते संसाधनों एवं पृथ्वी पर बढ़ते दबाव के दृष्टिगत इसे अपनाया जाना आवश्यक भी है। उन्होंने इस सम सामायिक विषय पर लोगों को जागरूक करने के लिए शांता कुमार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि शांता कुमार को स्वच्छ एवं ईमानदार राजनीति के पर्याय के रूप में जाना जाता है और ऐसे ओजस्वी वक्ता से देश की सबसे बड़ी समस्या को नियंत्रित करने के बारे में जानकारी प्राप्त करना सभी के लिए लाभदायक सिद्ध होगा। उन्होंने बढ़ती जनसंख्या के कारण उत्पन्न परिस्थितियों तथा भविष्य की चुनौतियों से रूबरू करवाने के लिए इस संगोष्ठी में शांता कुमार का आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी में जिला सोलन की आशा कार्यकर्ताओं ने भारतीय मजदूर संघ की अध्यक्षता में स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार को अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पर एक संतान वाले सोलन जिला के 10 अभिभावकों को भी सम्मानित किया गया। इंदिरा गांधी बालिका सुरक्षा योजना के तहत रिया, भानू ठाकुर, मुस्कान तथा अर्चना को 12,500-12,500 की एफडी तथा वंशिका को 35 हजार रुपये की एफडी प्रदान की गई। जनसंख्या नियंत्रण जन जागरण मंच के स्वागत अध्यक्ष डाॅ. राजेश कश्यप ने सभी का स्वागत किया और संगोष्ठी के आयोजन के कारणों पर प्रकाश डाला। पूर्व मंत्री महेंद्र नाथ सोफत ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। इस अवसर पर शांता कुमार की धर्मपत्नी संतोष शैलजा, दून विधानसभा क्षेत्र के विधायक परमजीत सिंह पम्मी, पूर्व सांसद प्रो. वीरेंद्र कश्यप, पूर्व मंत्री महेंद्र नाथ सोफत, पूर्व विधायक गोविंद राम शर्मा, भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रश्मिधर सूद, बघाट बैंक के अध्यक्ष पवन गुप्ता, नगर परिषद सोलन के अध्यक्ष देवेंद्र ठाकुर, उपाध्यक्ष मीरा आनंद, पार्षगण, भाजपा प्रवक्ता एवं राज्य सुपरवाईजरी बोर्ड की सदस्य रितु सेठी, एपीएमसी सोलन के अध्यक्ष संजीव कश्यप, पूर्व जिला भाजपा अध्यक्ष डाॅ. श्रीकांत शर्मा, भाजपा पंचायत चुनाव प्रकोष्ठ के प्रभारी एचएन कश्यप, व्यापार मंडल सोलन के अध्यक्ष मुकेश गुप्ता, डाॅ. धर्म सिंह गुलेरिया, भाजपा के विभिन्न प्रकोष्ठों के पदाधिकारी, सोलन के प्रख्यात समाजसेवी, अन्य गणमान्य व्यक्ति तथा बड़ी संख्या में लोग इस अवसर पर उपस्थित थे।
धर्मशाला में प्रशासन की मोबाइल ऐप-जीपीएस सिस्टम से लैस बाइक चलाने की योजना हिमाचल प्रदेश की पहली स्मार्ट सिटी को जल्द ही मोबाइल ऐप से चलने वाली स्मार्ट बाइक्स मिलेंगी। इन बाइक्स में जीपीएस सिस्टम भी लगा होगा। बताया जा रहा है कि धर्मशाला शहर में बाइक शेयरिंग सिस्टम के तहत लोगों को यह सुविधा प्रदान की जाएगी। जैसे ही शहर से बाहर बाइक को ले जाया जाएगा, वह वहीं बंद हो जाएगी। बाइक शेयरिंग मोबाइल ऐप में किलोमीटर के हिसाब से पैसे कटेंगे। धर्मशाला स्मार्ट सिटी प्रशासन ने इस बाइक के लिए टेंडर प्रकिया शुरू कर दी है।
सरकार का दावा : जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य करगिल में उग्र प्रदर्शन: करगिल के पूर्व विधायक हाजी असगर का दावा है कि करगिल में काफी हंगामा हो रहा है, धारा 144 के बीच करगिल में उग्र प्रदर्शन हो रहा है। धारा 144 बरकरार, ढील के बीच रोजमर्रा के सामान के लिए सड़कों पर निकले लोग बौखलाया पाकिस्तान, उलजुलूल बयानों का सिलसिला ज़ारी अभी भी श्रीनगर में हैं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल राजयसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद को श्रीनगर एयरपोर्ट पर रोका गया
आज हम आपको दर्शन करवाने जा रहे हैं भागसू नाग मंदिर की। यह मंदिर लोकप्रिय प्राचीन मंदिरों में से एक है, जो मैक्लोडगंज के मुख्य शहर से लगभग 3 किमी पूर्व और धर्मशाला से लगभग 11 किमी दूर स्थित है। प्रकृति की नैसर्गिक सुंदरता में बना यह मंदिर भागसू नाग की रोचक कथा लिए हुए है।इस मंदिर का निर्माण राजा भागसू द्वारा भगवान शिव और स्थानीय देवता भागसू नाग के समर्पण में बनाया गया था। भागसु नाग मंदिर समुद्र तल से 1770 मीटर की ऊंचाई पर है और यहां साल भर बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। ये है इतिहास: यहां के शिलापट्ट पर महंत गणेश गिरी के हवाले से 1972 में लिखे वर्णन के अनुसार अजमेर का दैत्य राजा भागसू के नाम से जाना जाता था। वह मायावी और जादूगर था। उसके राज्य में एक बार भारी जल संकट हो गया। लोग त्राहि-त्राहि करने लगे। प्रजा को इस संकट से मुक्ति दिलाने के लिए राजा ने कमंडल उठाकर चल पड़ा। वह धौलाधार पर्वत श्रृंखला में 18 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित नाग डल अर्थात नाग झील पर पहुंचा। यहाँ पहुँच कर राजा ने झील के पवित्र जल को माया से अपने कमंडल में समेटा और लौट चला अपने देश। इसके कुछ देर बाद नाग देवता जब अपनी झील पर आए तो उन्होंने देखा कि झील का सारा पानी सूख गया है। राजा भागसू के पदचिह्नों का उन्होंने पीछा किया और आज के भागसू नाग मंदिर वाले स्थान पर नाग देवता ने उसे पकड़ लिया। दोनों में भयानक युद्ध हुआ। मायावी राजा भागसू मारा गया और कमंडल का जल बिखर गया। नाग देवता के डल में फिर से जल भर गया और युद्ध वाले स्थान पर पवित्र जल का चश्मा बहने लगा। किन्तु मरते वक्त राजा भागसू ने नाग देवता से अपने और अपने राज्य के कल्याण की प्रार्थना की तो नाग देवता प्रसन्न हुए और उसे वरदान दिया कि आज से तू केवल भागसू नहीं बल्कि भागसू नाग के नाम से प्रसिद्ध होगा और देवता के रूप में इसी स्थान पर तेरी पूजा अर्चना होगी। विशेषताएं भागसुनाथ मंदिर मैकलोडगंज का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है। भागसुनाथ मंदिर एक प्राचीन हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। पवित्र तीर्थस्थल अपने दो पूलों के लिए प्रसिद्ध है, जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें उपचार के गुण हैं। इसके अलावा, मंदिर में प्रतिष्ठापित मूर्तियों को अविश्वसनीय शक्तियों का अधिकारी माना जाता है। भागसु नाग मंदिर स्थानीय गोरखा और हिंदू समुदाय द्वारा अत्यधिक पूजनीय है। भागसू नाग मंदिर की यात्रा का सबसे अच्छा समय वार्षिक मेले के दौरान होता है जो सितंबर के महीने में यहां लगता है। मंदिर परिसर में दो मंजिला विश्राम गृह है जहां मंदिर के दर्शन करने वाले भक्त रह सकते हैं। डल झील, कोतवाली बाजार और भागसू फॉल इस पवित्र मंदिर के आसपास के मुख्य आकर्षण हैं। भक्त इस मंदिर में सड़क मार्ग, रेल मार्ग, वायु मार्ग द्वारा पहुंच सकते हैं।
यहाँ माँ शक्ति की नौ ज्वालाएँ प्रज्ज्लित हैं और माना जाता है कि देवी सती की जीभ इसी जगह गिरी थी। हम बात कर रहे है ज्वाला माता मंदिर की। ज्वाला देवी का मंदिर देवी के 51 शक्ति पीठों में से एक है।ज्वाला देवी का मंदिर हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा से 30 किलो मीटर दूर स्तिथ है। इस मंदिर को ज्वालामुखी मंदिर (Jwalamukhi Mandir) के नाम से भी जाना जाता है। यह हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थानों में शामिल है। इस मंदिर का प्राथमिक निमार्ण राजा भूमि चंद के करवाया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसारचंद ने 1835 में इस मंदिर का पूर्ण निमार्ण कराया। यहाँ धधकती ज्वाला बिना घी, तेल दीया और बाती के लगातार जलती रहती है। यह ज्वाला पत्थर को चीरकर बाहर निकलती आती है। ज्वाला देवी की उत्पत्ति से संबंधित कई कथाएं लोगों के बीच बहुत प्रचलित हैं। प्रचलित कथाएं भक्त गोरखनाथ के इंतज़ार में जल रही ज्वाला ज्वाला माता से संबंधित गोरखनाथ की कथा इस क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है। कथा है कि भक्त गोरखनाथ यहां माता की आरधाना किया करता था। एक बार गोरखनाथ को भूख लगी तब उसने माता से कहा कि आप आग जलाकर पानी गर्म करें, मैं भिक्षा मांगकर लाता हूं। माता आग जलाकर बैठ गयी और गोरखनाथ भिक्षा मांगने चले गये। इसी बीच समय परिवर्तन हुआ और कलियुग आ गया। भिक्षा मांगने गये गोरखनाथ लौटकर नहीं आये। तब ये माता अग्नि जलाकर गोरखनाथ का इंतजार कर रही हैं। मान्यता है कि सतयुग आने पर बाबा गोरखनाथ लौटकर आएंगे, तब-तक यह ज्वाला यूं ही जलती रहेगी। मान्यता है कि पवित्र देवी नीली लौ के रूप में खुद प्रकट हुईं थीं और यह देवी का चमत्कार ही है कि पानी के संपर्क में आने पर भी ये लौ नहीं बुझती। “पंजन पंजवन पंडवन तेरा भवन बान्या” इस मंदिर के पीछे एक और पौराणिक कथा प्रचलित है। कथा यह है कि, कई हजार साल पहले एक चरवाहे ने पाया कि उसकी एक गाय का दूध नहीं बचता था। एक दिन उसने गाय का पीछा किया और वहां एक छोटी सी लड़की को देखा, जो गाय का पूरा दूध पी जाती थी। उन्होंने राजा भूमि चंद को इसकी सूचना दी, जिन्होंने अपने सैनिकों को पवित्र स्थान का पता लगाने के लिए जंगल में भेजा, जहां मा सती की जीभ गिरी थी क्योंकि उनका मानना था कि छोटी लड़की किसी तरह देवी का प्रतिनिधित्व करती थी। कुछ वर्षों के बाद, पहाड़ में आग की लपटें पाई गईं और राजा ने इसके चारों ओर एक मंदिर बनाया। यह भी कल्पित है कि पांडवों ने इस मंदिर का दौरा किया और इसका जीर्णोद्धार किया। लोक गीत “पंजन पंजवन पंडवन तेरा भवन बान्या” इस विश्वास की गवाही देता है। अकबर क चढ़ाया छत्र मां ने नहीं किया कबूल मुगल बादशाह अकबर और देवी मां के परम भक्त ध्यानु भगत से जुड़ी कथा खास प्रचलित है। हिमाचल निवासी ध्यानु भगत काफी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ माता के दर्शन के लिए जा रहा था। एंटनी बड़ी संख्या देखकर सिपाहियों ने चांदनी चौक (दिल्ली) पर उन्हें रोक लिया और बंदी बनाकर अकबर के दरबार में पेश किया। बादशाह ने पूछा, तुम इतने आदमियों को साथ लेकर कहां जा रहे हो? ध्यानू ने उत्तर दिया, मैं ज्वाला माई के दर्शन के लिए जा रहा हूं। मेरे साथ जो लोग हैं, वह भी माताजी के भक्त हैं और यात्रा पर जा रहे हैं। अकबर ने कहा यह ज्वाला माई कौन है, वहां जाने से क्या होगा। ध्यानू ने कहा कि ज्वाला माई संसार का पालन करने वाली माता हैं। उनका प्रताप ऐसा है उनके स्थान पर बिना तेल-बत्ती के ज्योति जलती रहती है। हम लोग प्रतिवर्ष उनके दर्शन जाते हैं। इस पर अकबर ने कहा, अगर तुम्हारी बंदगी पाक है तो देवी माता अवश्य तुम्हारी इज्जत रखेगी। इम्तहान के लिए हम तुम्हारे घोड़े की गर्दन अलग कर देते हैं, तुम अपनी देवी से कहकर उसे दोबारा जिंदा करवा लेना। इस प्रकार, घोड़े की गर्दन काट दी गई। ध्यानू ने बादशाह से एक माह की अवधि तक घोड़े के सिर व धड़ को सुरक्षित रखने की प्रार्थना की। अकबर ध्यानू की बात मानते हुए उसे आगे की यात्रा की अनुमति दे दी। ध्यानु साथियों के साथ माता के दरबार में पहुंचा। उसने प्रार्थना की कि मातेश्वरी आप अन्तर्यामी हैं। बादशाह मेरी भक्ति की परीक्षा ले रहा है, मेरी लाज रखना, मेरे घोड़े को अपनी कृपा व शक्ति से जीवित कर देना। माना जाता है कि अपने भक्त की लाज रखते हुए मां ने घोड़े को फिर से जिंदा कर दिया। यह सब कुछ देखकर बादशाह अकबर हैरान हो गया। इसके बाद अहंकारी अकबर ने अपनी सेना के साथ मंदिर की तरफ चल पड़ा। मंदिर पहुंचने पर सेना से मंदिर में पानी डलवाया, लेकिन माता की ज्वाला बुझी नहीं। तब जाकर उसे मां की महिमा का यकीन हुआ। उसने माता के आगे सिर झुकाया और सोने का छत्र चढ़ाया, लेकिन माता ने वह छत्र कबूल नहीं किया। कहा जाता है कि वह छत्र गिर कर किसी अन्य पदार्थ में परिवर्तित हो गया। जिसे आज भी मंदिर में देखा जा सकता है। ज्वालामुखी मंदिर को जोता वाली का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है। ज्वाला देवी मंदिर वास्तुकला की एक इंडो-सिख शैली का अनुसरण करती है। ज्वाला देवी मंदिर एक लकड़ी के मंच पर बनाया गया है और शीर्ष पर एक छोटा गुंबद है। मंदिर के गुंबद और शिखर को सोने से ढका गया था जिसे महाराजा रणजीत सिंह ने उपहार में दिया था। मुख्य द्वार से पहले एक बड़ा घंटा है, इसे नेपाल के राजा ने प्रदान किया था। कालीधर पर्वत की शांत तलहटी में बसे इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहाँ देवी की कोई मूर्ति नहीं है। यहाँ पर पृथ्वी के गर्भ से नौ अलग अलग जगह से ज्वाला निकल रही है। इन नौ ज्योतियां को महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है। मंदिर में विशालकाय चाँदी के दरवाज़े हैं। इसका गुंबद सोने की तरह चमकने वाले पदार्थ की प्लेटों से बना है। पूजा के लिए मंदिर का आंतरिक हिस्सा चौकोर बनाया गया है। मौसम के अनुसार मंदिर के खुलने और बंद होने के समय में बदलाव कर दिया जाता है। गर्मियों में जहां मंदिर सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक खुलता है, वहीं सर्दी के दिनों में सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक दर्शन के लिए खुलता है। भक्त अपनी भक्ति की निशानी के रूप में देवी को रबड़ी, मिश्री, चुनरी, दूध, फूल और फल अर्पित करते हैं। यहां एक कुण्ड में पानी खौलता हुआ प्रतीत होता है जबकि छूने पर कुंड का पानी ठंडा लगता है। मंदिर में पुजारियों द्वारा की जाने वाली आरती मंदिर का मुख्य आकर्षण है। इस मंदिर में दिन के दौरान पांच आरती और एक हवन किया जाता है। मुख्य हॉल के केंद्र में संगमरमर से बना एक बिस्तर है जिसे चांदी से सजाया गया है।