आज अमृता प्रीतम के 101 वें जन्म दिवस पर महान कवियित्री अमृता प्रीतम के साहित्य में योगदान की एवं उनकी जीवनी की बात करते हैं। अमृता का साहित्यिक सफर जितनी बुलंदियों में रहा उनकी नीजि ज़िन्दगी भी उतनी ही दिलचस्प रही। अमृता बन पाना भी कहाँ आसान है , किसी को पा लेने की चाहत भी नहीं और फिर भी मोहब्बत की बे-इन्तेहाई, यक़ीनन अमृता साधारन तो नहीं थी। कुछ तो था जो उसे सब से अलग बनाता था। मोहब्बत लिखती तो सातों आसमान छू लेती और दर्द लिखती तो समुन्दर की गहराई नाप लेती। अमृता जो थी वो तो बस अमृता ही थी। -जहाँ भी आज़ाद रूह की झलक पड़े, समझ लेना वही मेरा घर है। -अमृता प्रीतम यदि स्वतंत्र सोच का कोई चेहरा होता तो वह अमृता का ही होता। ख्यालों की ऐसी उड़ान आपने शायद ही कहीं देखी होगी। अमृता का जन्म 31 अगस्त 1919 में पंजाब के गुजरांवाला ( पकिस्तान ) में हुआ। अमृता पंजाबी और हिंदी दोनों ही भाषाओँ में लिखा करती थी , व उनका पहला संकलन महज़ 16 साल की उम्र में 'अज्ज आखां वारिस शाह नू' ,प्रकाशित हुआ। - उन्होंने भारत-पकिस्तान के विभाजन पर लिखा - उठ धर्मांदा दे दरदिया ,उठ तक्क अपना पंजाब आज बेले लाशां विछियां ,ते लहू दी भरी चेनाब किसे ने पंजां पानियाँ विच दित्ती ज़हर रला ते उना पानियाँ धरत नू दित्ता पानी ला 1947 में अमृता ने विभाजन को बहुत ही क़रीब से देखा जिसके चलते अमृता ने अपनी कई रचनाओं में वही दर्द उकेरा। जल्द ही प्रोग्रेसिव राइटर्स मोमेंट का हिस्सा बनी अमृता को साहित्य जगत में पहचाना जाने लगा। साथ ही पंजाब रत्न अवार्ड पाने वाली वे पहली शख्सियत थी और साहित्य अकादमी अवार्ड से नवाज़ी जाने वाली पहली महिला भी थी। उनके द्वारा रचित उपन्यास पिंजर एवं रसीदी टिकट की भी एक अलग पहचान है। उनके बारे में अद्भुत बात तो यह है किउन्हें जितना प्रेम हिन्दुस्तान में मिला उतनी ही चाहत से उन्हें पकिस्तान में भी पढ़ा जाता है। इसका कारण यह भी है कि वे दोनों देशों के मुद्दे को ले कर हमेशा निष्पक्ष रहीं। कुल जीवन-काल में उन्होंने तक़रीबन 100 किताबें लिखी जिनका बाद में कई भाषाओं में अनुवाद हुआ, व अमृता को देश भर में ही नहीं , दुनिया भर में पढ़ा गया। अमृता विभाजन से पहले गुजरांवाला में लाहौर रेडियो स्टेशन में काम किया करती थी , विभाजन के समय हिन्दुस्तान आने के बाद अमृता ने आल इंडिया रेडियो में काम किया। अमृता की शादी 16 साल की उम्र में ही प्रीतम से हुई जो कुछ समय बाद ही टूट गई। प्रीतम उनकी ज़िन्दगी का बड़ा सच था जिसे अमृता सिंह ने अमृता प्रीतम बन कर स्वीकार किया और उम्र भर अपने साथ ही रखा। प्रीतम के बाद अमृता का नाम साहिर के साथ जोड़ा जाने लगा। साहिर लुधयानवी और अमृता की मुलाक़ात एक कवि सम्मेलन के दौरान हुई व कहा जाता है दोनों का प्रेम किसी फ़िल्मी कहानी की तरह परवान भी चढ़ा। इस रिश्ते को कोई नाम न देने के बाद दोनों ने एक दूसरे से मुँह फेर लिया परन्तु अमृता सदैव साहिर का नाम दोहराती रहीं। कहा जाता है, साहिर लाहौर में उनके घर आया करते थे। कुछ नहीं कहते. बस एक के बाद एक सिगरेट पिया करते थे। उनके जाने के बाद अमृता उनकी सिगरेट की बटों को उनके होंठों के निशान के हिसाब से दोबारा पिया करती थीं। इस तरह उन्हें भी सिगरेट पीने की लत लग गई। अमृता साहिर से बेहद प्यार करती थीं, मगर वो साथ न हो सके। अमृता कहती थी- "मुझे नहीं मालूम कि साहिर के लफ्जों की जादूगरी थी या कि उनकी खामोश नज़र का कमाल था लेकिन कुछ तो था जिसने मुझे अपनी तरफ़ खींच लिया। आज जब उस रात को मुड़कर देखती हूं तो ऐसा समझ आता है कि तक़दीर ने मेरे दिल में इश्क़ का बीज डाला जिसे बारिश की फुहारों ने बढ़ा दिया।" अमृता की मोहब्बत के क़िस्सों में एक नाम और शुमार है , "इमरोज़" जो निष्छल प्रेम की मिसाल थे। इमरोज़ से अमृता की पहली मुलाक़ात में ही इमरोज़ ने उन्हें अपना दिल दिया , इमरोज़ बिलकुल ख्वाबों के किसी राजकुमार जैसे थे जैसा अमृता या कोई भी लड़की चाहती हो मगर अमृता साहिर को मन में बसा चुकी थी। अमृता इमरोज़ के साथ एक छत के नीचे रहने लगी , कहा जाता है अमृता ने ही लिव इन रिलेशनशिप की शुरुआत की जिसके चलते वे हँसी का पात्र भी बनी मगर अमृता को लोगों की परवाह न थी। इमरोज़ और साहिर से अपने रिश्ते पर अमृता ने कहा - साहिर मेरा आसमान हैं और, इमरोज़ मेरे घर की छत। साहिर और अमृता के रिश्ते पर पूछे जाने वाले एक सवाल पर इमरोज़ ने कहा "मेरा और अमृता का रिश्ता स्वतंत्र है , न वो मुझे कभी बांधती हैं न ही मैं उन्हें ,‘एक बार अमृता ने मुझसे कहा था कि अगर वह साहिर को पा लेतीं, तो मैं उसको नहीं मिलता। तो मैंने उसको जवाब दिया था कि तुम तो मुझे जरूर मिलती चाहे मुझे तुम्हें साहिर के घर से निकाल के लाना पड़ता. जब हम किसी को प्यार करते हैं तो रास्ते की मुश्किल को नहीं गिनते. मुझे मालूम था कि अमृता साहिर को कितना चाहती थीं।लेकिन मुझे यह भी बखूबी मालूम था कि मैं अमृता को कितना चाहता था।" इमरोज़ के साथ स्कूटर पर जाते-जाते इमरोज़ की पीठ पर उँगलियों से अमृता अक्सर साहिर का नाम लिख दिया करती थी। लगभग 40 सालों तक अमृता की देर रात बैठने की आदत को देख कर इमरोज़ हर रात उनके लिए आधी रात में उठ कर चाय बनाया करते थे। इमरोज़ और अमृता ने एक दूसरे से कभी ये नहीं कहा की वो एक दूसरे से पेम करते हैं मगर कभी न किये गए वादों को निभाते हुए वे ता-उम्र साथ रहे। अमृता ने एक बार इमरोज़ से कहा "सारी दुनिया घूम आओ , फिर भी अगर तुम मुझे चुनोगे तो मान लुंगी तुम्हे " इस पर इमरोज़ ने कमरे का एक चक्कर लगाया और कहा "तुम्हारे आस पास ही मेरी दुनिया है , लो घूम आया दुनिया , मुझे अब भी तुमसे प्रेम है " अमृता ने अपनी आखिरी कविता इमरोज़ के नाम लिखी और कहा - " मैं तुझे फिर मिलूंगी कहाँ, कैसे, पता नहीं शायद तेरी कल्पनाओं की प्रेरणा बन तेरे कैनवास पर उतरूंगी या तेरे कैनवास पर एक रहस्यमई लकीर बन खामोश तुझे देखती रहूंगी मैं तुझे फिर मिलूंगी। इमरोज़ के नाम। " इमरोज़ ने अमृता के निधन के बाद कहा - "उसने जिस्म छोड़ा है, साथ नही। वो अब भी मिलती है, कभी तारों की छांव में, कभी बादलों की छांव में, कभी किरणों की रोशनी में कभी ख़्यालों के उजाले में हम उसी तरह मिलकर चलते हैं चुपचाप, हमें चलते हुए देखकर फूल हमें बुला लेते हैं, हम फूलों के घेरे में बैठकर एक-दूसरे को अपना अपना कलाम सुनाते हैं उसने जिस्म छोड़ा है साथ नहीं…"
भारतीय क्रिकेट में हमेशा से ही बल्लेबाज़ों का दबदबा रहा है, पर कुछ ऐसे भी गेंदबाज़ हैं जिन्होंने क्रिकेट के इतिहास में अपनी छाप छोड़ दी। एक ऐसा ही नाम है जवागल श्रीनाथ (Javagal Srinath)। श्रीनाथ भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के चहेते हैं। उनके नाम, एक ऐसा रिकॉर्ड दर्ज है जो किसी भी खिलाड़ी के लिए मुश्किल है। वह भारत के ऐसे पहले तेज गेंदबाज रहे हैं जो लगभग 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकने की क्षमता रखते थे। उन्होंने किसी भी अन्य गेंदबाज़ से ज़्यादा 4 वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया। क्रिकेट की दुनिया के रजनीकांत के नाम से जाने जाने वाले श्रीनाथ चाहने वालों के बीच 'मैसूर एक्सप्रेस' के नाम से भी मशहूर थे। श्रीनाथ का जन्म श्रीनाथ का जन्म 31 अगस्त 1969 का कर्णाटक के मैसूर जिला में हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई मैसूर के मारीमल्लप्पा हाई स्कूल से हुई। क्रिकेट में रूची रखने वाले श्रीनाथ ने छोटी उम्र से ही खेलना शुरू कर दिया था। उन्होंने मैसूर के श्री जयचामाराजेंद्र कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की। श्रीनाथ ने दो बार प्रेम विवाह किया। उनकी पहली शादी 1999 में ज्योत्सना नाम की लड़की के साथ हुई। बाद में दोनों ने सहमति से तलाक ले लिया। फिर उन्होंने ने 2008 में माधवी पत्रावली नाम के एक पत्रकार से शादी की। श्रीनाथ का करियर श्रीनाथ ने भारत की ओर से खेलते हुए 67 मैचों में 236 विकेट लिए। इसके अलावा उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 1,009 रन भी बनाए। श्रीनाथ ने 229 वनडे मैचों में 315 विकेट लिए। भारत की ओर से वनडे में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों में श्रीनाथ की नाम पूर्व लेग स्पिनर अनिल कुंबले (337) के बाद दूसरे नंबर पर आता है। इसके अलावा वनडे क्रिकेट में उन्होंने 883 रन भी बनाए। जवागल श्रीनाथ ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 533 जबकि लिस्ट ए क्रिकेट में 407 विकेट लिए। श्रीनाथ ने साल 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ ईडन गार्डन्स के मैदान पर मैच में 132 रन देते हुए कुल 13 विकेट हासिल किए थे पर दुर्भाग्यपूर्ण भारतीय टीम वो मैच हार गई। टेस्ट मैचों में श्रीनाथ ने 8 बार चार, 10 बार 5 और एक बार 10 विकेट अपने नाम किए हैं।
जय राम ठाकुर ने कहा कि लेह-लद्दाख तक सभी मौसमों में सम्पर्क के लिए मनाली-लेह मार्ग पर अतिरिक्त सुरंग बनाए जाने की आवश्यकता है ताकि ऊँचे दर्रों पर भारी बर्फबारी के कारण यातायात व्यवस्था बाधित न हो। उन्होंने कहा कि 16 हजार 40 फुट ऊंचे बारालाचा दर्रे को पार करने के लिए 13.2 किलोमीटर लम्बी सुरंग और 16 हजार 800 फुट पर लाचुंग दर्रे पर 14.78 किलामीटर सुरंग तथा 17 हजार 480 फुट पर स्थित तंगलंग दर्रे पर 7.32 किलोमीटर सुरंग बनाए जाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मनाली की तरफ से सुरंग जाने वाली सड़क पर एक बर्फ का गलियारा निर्मित किया गया है जिससे सभी मौसमों में सम्पर्क सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि उत्तर और दक्षिण की तरफ से सुरंग तक जाने के लिए बनाए गए पुलों का कार्य पूरा हो चुका है। जय राम ठाकुर ने कहा कि अटल टन्नल, रोहतांग में कई विशेषताएं हैं जिसमें आपातकालीन निकासी सुरंग भी शामिल है जिसे मुख्य सुरंग के नीचे बनाया गया है। किसी भी अप्रिय घटना के कारण मुख्य सुरंग उपयोग करने के योग्य नहीं रहती है इसलिए आपातकालीन स्थिति में इस सुरंग का उपयोग निकासी के रूप में किया जा सकता है। मूल रूप से इसे 8.8 किमी लंबी सुरंग के रूप में तैयार किया गया था और इस पर काम पूरा होने के बाद बीआरओ द्वारा की गई ताजा जीपीएस अध्ययन से यह पता चला है कि यह सुरंग नौ किलोमीटर लंबी है। तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दुनिया की सबसे लंबी सुरंग होगी तथा मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम करेगी। बीआरओ के मुख्य अभियंता ब्रिगेडियर के.पी पुरूषोथमन, वीएसएम ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि परियोजना को समयबद्ध पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सुरंग में हर 150 मीटर पर दूरभाष सुविधा, 60 मीटर में फायर हाइड्रेंट, 500 मीटर में आपातकालीन गेट, 2.2 किलोमीटर पर कैवर्न मोड़,एक किलोमीटर में वायु गुणवत्ता निगरानी, ब्राॅडकास्टिंग प्रणाली और 250 मीटर में सीसीटी टीवी कैमरे के साथ स्वचालित घटना का पता लगाने की प्रणाली स्थापित की गई है। जनजातीय विकास मंत्री डाॅ. रामलाल मारकंडा, शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर, सांसद रामस्वरूप शर्मा, विधायक सुरेंद्र शौरी, मुख्य सचिव अनिल खाची, सामान्य प्रशासनिक विभाग के सचिव देवेश कुमार, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक वेणुगोपाल, उपायुक्त कुल्लू डाॅ. ऋचा वर्मा और बीआरओ के अधिकारी इस बैठक में उपस्थित थे।
यूँ ही मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर नहीं कहते 15 अगस्त 1936. बर्लिन आलंपिक का फाइनल मुकाबला भारत और जर्मनी के बीच खेला जा रहा था. बर्लिन का हॉकी स्टेडियम खचाखच भरा था. करीब 50 हज़ार दर्शक और उन दर्शकों में से एक था जर्मनी का तानाशाह हिटलर. इससे पूर्व, ओलंपिक के एक अभ्यास मैच में जर्मनी से भारत की टीम 4-1 से हार चुकी थी. टीम उस हार से आहत थी और फाइनल को बदले का दिन मुकरर्र किया गया था . खेर, मुकाबला शुरू हुआ और पहले हाफ में दोनों ही टीमों ने शानदार खेल दिखाया. जैसे - तैसे हाफ टाइम तक भारत एक गोल से आगे था. पर टीम के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के मन में कुछ और ही चल रहा था. हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के इरादे कुछ और ही थे. हाफ टाइम के बाद ध्यानचंद ने अपने स्पाइक वाले जूते निकाले और शुरू हुई हॉकी की जादूगरी. भारत ने एक के बाद एक कई गोल दागे और जर्मनी पस्त हो गया. छह गोल खाने के बाद जर्मन बोखला गए. उनके गोलकीपर की हॉकी स्टिक से ध्यानचंद का दांत टूट गया, पर हौंसला बरकरार रहा. इसके बाद ध्यानचंद ने जर्मन टीम के साथ वो किया, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. ध्यानचंद ने टीम को निर्देश दिए कि अब कोई गोल न किया जाए बल्कि जर्मन खिलाड़ियों को ये बताया जाए कि हॉकी खेली कैसे जाती है. इसके बाद भारतीय टीम बार-बार गेंद को जर्मनी की डी में ले जाती और फिर गेंद को बैक पास कर देती. जर्मन टीम को समझ में ही नहीं आया कि उनके साथ हुआ क्या. जर्मन टीम के साथ इस तरह का खिलवाड़, वो भी ओलम्पिक फाइनल में सिर्फ मेजर ध्यानचंद ही कर सकते थे. इस मुकाबले में भारत ने जर्मनी को 8-1 से मात दी, जिनमे से तीन गोल ध्यानचंद ने किए थे. इस मुकाबले से जुड़ा एक और वाक्या है. कहा जाता है कि हिटलर ध्यानचंद से इतना प्रभावित हुए कि उनसे जर्मनी की ओर से खेलने को कहा. इसके बदले उन्हें जर्मन सेना में ऊँचे पद का प्रलोभन भी दिया गया. तब ध्यानचंद ने हिटलर से कहा, 'हिंदुस्तान ही मेरा वतन है.' तोड़ कर देखी गई हॉकी स्टिक मेजर ध्यानचंद के लिए कहा जाता है कि जब वो खेलते थे, तो मानो गेंद स्टिक पर चिपक जाती थी. हॉलैंड में एक मैच के दौरान उनकी स्टिक तोड़कर देखी गई. दरअसल , लोगों को लगता था कि उनकी हॉकी स्टिक में चुंबक है . इसी तरह जापान में एक मैच के दौरान उनकी स्टिक में गोंद लगे होने की बात भी कही गई. पर ध्यानचंद तो जादूगर थे , हॉकी के ऐसे जादूगर जैसा न कभी कोई हुआ और न कोई होगा. राष्ट्रीय खेल दिवस के तौर पर मनाया जाता है 29 अगस्त वर्ष 1905 में 29 अगस्त के दिन हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्म हुआ था. इसीलिए 29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर हर वर्ष खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन अवार्ड और द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाते हैं.
जिला दण्डाधिकारी सोलन के.सी.चमन ने जिला के नालागढ़ उपमण्डल में कोविड-19 के दृष्टिगत सूक्ष्म कन्टेनमेंट जोन घोषित करने के सम्बन्ध में आदेश जारी किए हैं। यह आदेश केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मन्त्रालय द्वारा जारी निर्देशों तथा उपमण्डलाधिकारी नालागढ़ की रिपोर्ट के अनुरूप लिए गए हैं। इन आदेशों के अनुसार नालागढ़ उपमण्डल की बद्दी तहसील के लेही गांव में कोविड-19 पाॅजिटिव रोगी के आवास तथा इस आवास तक जाने वाले सम्पर्क मार्ग को सूक्ष्म कन्टेनमेंट जोन घोषित किया गया है। सूक्ष्म कन्टेनमेंट जोन की सीमाओं को पूर्ण रूप से सील करने के आदेश दिए गए हैं। जिला दण्डाधिकारी ने आपराधिक दण्ड संहिता की धारा 144 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उक्त सूक्ष्म कन्टेनमेंट जोन में लोगों तथा वाहनों (आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर) की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया है। आदेशों के अनुसार आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रयुक्त अधिकारी एवं कर्मचारी उक्त क्षेत्र में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित बनाएंगे। उक्त क्षेत्र में पेयजल तथा बिजली की निर्बाध आपूर्ति भी सुनिश्चित बनाई जाएगी। खण्ड चिकित्सा अधिकारी नालागढ़ क्षेत्र में फ्लू जैसी बीमारी के लक्षणों वाले व्यक्तियों की घर-घर स्क्रीनिंग के लिए समुचित संख्या में टीमें तैनात करना सुनिश्चित करेंगे। इस दिशा में पूरी निगरानी रखी जाएगी। क्षेत्र में संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आए सभी व्यक्तियों की खोज कर उनकी जांच की जाएगी और उन्हें आईसोेलेट किया जाएगा। आदेशों के अनुसार पुलिस अधीक्षक बद्दी उक्त सूक्ष्म कन्टेनमेंट जोन में प्रवेश तथा निकासी प्रतिबन्धित करने के लिए समुचित संख्या में पुलिस बल की तैनाती करेंगे। उक्त क्षेत्र में वाहनों का आवागमन नियन्त्रित करने के लिए पुलिस नाके भी लगाएगी। कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए तैनात अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को कन्टेनमेंट जोन में आने-जाने की अनुमति नहीं होगी।आदेशों के अनुसार उपमण्डलाधिकारी नालागढ़ उक्त कन्टेनमेंट जोन के लिए समग्र प्रभारी होंगे। तहसीलदार बद्दी उनके सहायक होंगे। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं तथा उक्त क्षेत्र की सैम्पलिंग एवं सभी सैम्पल की परीक्षण रिपोर्ट नेगेटिव आने तक लागू रहेंगे।
जल शक्ति विभाग के मंडल बिलासपुर के तहत आने वाली पेयजल योजना सोलग- जुरासी योजना में आउट सोर्स पर रखे कर्मियों को सबन्धित ठेकेदार ने पिछले छह महीनों से वेतन का भुगतान नहीं किया है। इस कारण इन कर्मियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना काल में अपनी ड्यूटी निभाने वाले इन कर्मियों को अपने परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो रहा है। इन कर्मियों ने अपनी व्यथा इंटक के प्रदेश उपाध्यक्ष भगत सिंह वर्मा से बताई। उन्होंने कार्यरत कर्मियों के साथ बैठक कर वेतन का भुगतान, ईपीएफ का पैसा और उसकी डिटेल को सार्वजनिक करने के मामले को विभाग के अधिशासी अभियंता व अधीक्षण अभियंता से उठाने की बात कही। उन्होंने ने कहा कि अगर जलशक्ति विभाग ने पीएफ के मामले में कोई कदम नहीं उठाया तो इस मामले को ईपीएफ प्रदेश कमिश्नर के समक्ष उठाया जायेगा। इस बारे में जलशक्ति विभाग मण्डल बिलासपुर के अधिशाषी अभियंता अरविद वर्मा ने कहा कि कर्मियों की वेतन व ईपीएफ सबन्धित अगर कोई समस्या है तो उसे लिखित रूप में मण्डल में देना होगा इस पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी।
भारतीय नमो संघ ने हिमाचल में तिरंगे मास्क को बैन करने की मांग की है। इस बारे में भारतीय नमो संघ की प्रदेश संगठन मंत्री रीना राणा ने तिरंगे मास्क को बैन करने की मांग करते हुए कहा कि कोरोना काल में कुछ लोग तिरंगे मास्क पहन कर घूम रहे है। इससे सभी भारतीयों के सम्मान को ठेस पहुँच रही है। रीना राणा ने बताया कि माननीय न्यायालय झारखंड ने इस संदर्भ में आदेश जारी करते हुए तिरंगे से बने मास्क को बैन किया है व यदि कोई झारखंड राज्य में तिरंगे मास्क को पहनता है या बेचता है तो इसे तिरंगे का अपमान माना जाएगा और उस व्यक्ति के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाएगा। रीना राणा ने कहा कि झारखंड राज्य की तर्ज पर पुरे देश में यह कानून जारी होना चाहिए ताकि तिरंगे का अपमान न हो। उन्होंने भारतीय नमो संघ की तरफ से प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह झारखंड राज्य की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी इस तरह के आदेश जारी करे। उन्होंने बताया कि भारतीय नमो संघ भी इस पर नजर रखेगा अगर ऐसा कोई व्यक्ति उन्हें मिलता है तो वह अपनी तरफ से इसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाएंगे।
विवेक चन्देल का कार्य के प्रति समर्पण सभी अधिकारियों के लिए प्रेरणादायक- के.सी. चमन उपायुक्त सोलन तथा अन्य अधिकारियों ने आज यहां अतिरिक्त उपायुक्त विवेक चन्देल के स्थानांतरण पर उन्हें विदाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। वर्ष 2004 बैच के प्रदेश प्रशासनिक सेवा के अधिकारी विवेक चन्देल को निदेशक तकनीकी शिक्षा के पद पर तैनाती दी गई है। विवेक चन्देल ने अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी सोलन के रूप में 03 जनवरी, 2018 को कार्यभार सम्भाला था। वे इससे पूर्व प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत रहे हैं। उपायुक्त के.सी. चमन ने इस अवसर पर कहा कि सोलन में विशेष रूप से कोविड-19 के समय में समाज के गरीब एवं कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए विवेक चन्देल द्वारा कर्मठता के साथ किए गए कार्य को सदैव याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि विवेक चन्देल का कार्य के प्रति समपर्ण सभी अधिकारियों के लिए प्रेेरणादायक रहेगा। भारतीय प्रशासनिक सेवा की परिवीक्षाधीन अधिकारी रितिका, पुलिस अधीक्षक सोलन अभिषेक यादव, उपमण्डलाधिकारी कण्डाघाट डाॅ. संजीव धीमान, सहायक आयुक्त सोलन भानु गुप्ता, सहायक आयुक्त परवाणु डाॅ. विक्रम नेगी, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी सुरेश सिंघा, जिला राजस्व अधिकारी केशव राम सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
सनातन धर्म सभा रबौण के संरक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता और ज्योतिष शास्त्र विशेषज्ञ स्वाधीन चन्द्र गौड के अभिनँदन ग्रँथ का विमोचन मंगलवार को डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के कुलपति डा. परविंदर कौशल द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में किया गया। इस कार्यक्रम में स्वाधीन चंद्र गौड़, सनातन धर्म सभा रबौण के अध्यक्ष डा. शँकर वशिष्ठ और उपाध्यक्ष डा. प्रेमलाल गौतम, केसी बारिया, पूजा ढिल्लों, मंजुला गौड़, जीएस नेगी, सुरेश शर्मा, प्रवीण ठाकुर एवं आकर्षित उपस्थित रहे। इस अवसर पर डॉ कौशल ने स्वाधीन चंद्र गौड़ को उनके सहयोगियों को बधाई दी। सनातन धर्म सभा द्वारा किए जा रहे कार्यों की भी उन्होनें प्रशंसा की। उन्होनें कहा कि साहित्य समाज में नई प्रेरणा लाता है और इस तरह की साहित्यक रचनाएँ सभी के ज्ञान में वृद्धि करती हैं। स्वाधीन चन्द्र गौड ने पुस्तक के विमोचन पर विश्वविद्यालय एवं कुलपति का आभार व्यक्त किया। उन्होंने डा. शँकर वशिष्ठ और डा. प्रेमलाल गौतम का सम्पादन सहयोग के लिए भी हार्दिक आभार जताया। उन्होंने कहा कि अभिनँदन ग्रँथ छपना एक सपना जिसे उनके सहयोगियों ने साकार कर दिया।
हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड लिमिटिड सोलन द्वारा उन उपभोक्ताओं के विद्युत कुनैक्शन काट दिए जाएंगे, जिन्होंने जुलाई, 2020 में अपने बिजली के बिल जमा नहीं करवाए हैं। यह जानकारी आज यहां प्रदेश विद्युत बोर्ड निगम लिमिटिड के सहायक अभियंता विदुर ने दी। उन्होंने कहा कि काटे जाने वाले कुनैक्शन की कुल संख्या 183 है। उपभोक्ताओं द्वारा जमा न करवाई गई कुल राशि 22,21,888 रुपये है। इनमें 86 घरेलू उपभोक्ता हैं। इनकी कुल राशि 09,19,032 रुपये है। कुल उपभोक्ताओं में से 90 व्यवसायिक उपभोक्ता हैं। इनकी कुल राशि 11,99,920 रुपये है। अन्य 07 उपभोक्ताओं की राशि 1,02,936 रुपये है। उन्होंने कहा कि विद्युत बिल के संशय के सम्बन्ध में उपभोक्ता दूरभाष नम्बर 01792-223611 पर सम्पर्क कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता अपने बिल पेटीएम, गुगल पे, अमेजाॅन, भीम ऐप फोन पे अथवा वैबसाईट www.hpsebl.in के माध्यम से भी जमा करवा सकते हैं।
इस समय देश और प्रदेश में तानाशाही और हिटलरशाही चल रही है जिसका उदाहरण पिछले दिन उस समय मिला जब 15 अगस्त को आजादी के 74वें स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर प्रजातन्त्र का चौथा स्तम्भ माने जाने वाले पत्रकारों को आमंत्रित करके समारोह स्थल पर बैठने तक का प्रबंध न करके सार्वजनिक रूप से उन्हें अपमानित किया गया । यह शब्द आज यहाँ पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व विधायक बंबर ठाकुर ने कहे। उन्होंने कहा कि मुख्यातिथि के रूप में पधारे मंत्री के सामने पत्रकारों को समारोह स्थल पर बैठने का प्रबंध न किए जाने के कारण उन्हें सभी उपस्थित लोगों के सामने भूमि पर बैठना पड़ा जो शर्मनाक और निंदनीय है । बंबर ठाकुर ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि मंत्री के सामने पत्रकारों को अपमानित किया गया और उन्होने इस गंभीर लापरवाही और तानाशाही पूर्ण कृत्य के लिए जिला प्रशासन को पूछा तक नहीं। उन्होंने कहा कि पत्रकार ही हैं जो सरकार और सरकार की विभिन्न योजनाओं और कार्यकलापों को जन-जन तक पहुंचाते हैं और निर्धनों और अतिनिर्धनों सहित समाज के हर वर्ग से होने वाले अन्यायों के विरुद्ध जोरदार आवाज उठा कर उन्हें न्याय दिलाने में विशेष भूमिका निभाते हैं। बंबर ठाकुर ने कहा कि पत्रकारों ने निर्भीकता व निष्पक्षता से कोरोना काल में प्रदेश में हुए सेनेटाईजर और पी पी ई किट घोटाले सहित कितने ही घोटालों को उजागर किया है। अब यदि पत्रकारों द्वारा सरकार और प्रशासन की पोल जनता के सामने खुलने से वे आहत होकर उनसे इस प्रकार का व्यवहार कर रहे हैं, तो उसे किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जा सकता है। बंबर ठाकुर ने आरोप लगाया है कि जिला प्रशासन पत्रकारों से अपनी खुन्नस निकालने के लिए उनसे ऐसा व्यवहार कर रहा है, अन्यथा कोई कारण नहीं है कि हर बार की तरह इस समारोह में भी उनके बैठने का प्रबंध न किया होता। उन्होंने कहा कि वास्तव में पत्रकारों को डराने-धमकाने के उदेश्य से जानबूझ कर ऐसा किया गया लगता है ,ताकि भविष्य में वे सरकार और जिला प्रशासन के गलत कृत्यों के विरुद्ध अपनी कलम को न चला पाएँ। उन्होंने कहा कि इस समारोह में विरोध पक्ष के नेताओं तक को आमंत्रित नहीं किया गया था। जबकि पूर्व विधायक होने के नाते उन्हें भी इस समारोह से दूर रखने के प्रयासों में आमंत्रित नहीं किया गया था। उन्होंने जिला प्रशासन को चेतावनी दी है और कहा है कि यदि उसने अपना रवैया न बदला और जिला में भ्रष्टाचारियों पर नुकेल नहीं कसी तो उसके गंभीर परिणाम होंगे, जिसका सारा उत्तरदाईत्व भी उन्हीं पर होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने प्रदेश में सेब के जनक कांग्रेस नेता स्व.सत्यानंद स्टॉक्स की जयंती पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा है कि प्रदेश उनके योगदान को कभी नही भुला सकता। उन्होंने कहा कि हिमाचल, जो आज पूरे देश ही नही विश्व मे सेब राज्य के रूप में जाना जाता है, यह सब सत्यानंद स्टॉक्स की ही देन है। उन्होंने कहा कि अगर सत्यानांद स्टॉक्स हिमाचल न आते तो शायद ही प्रदेश सेब राज्य बन पाता। राठौर ने सत्यानांद स्टॉक्स को याद करते हुए कहा की एक सुविधा सम्पन्न घर से ताल्लुक़ रखने वाला व्यक्ति जो अमेरिका से भारत घूमने के लिए आता है उसे हिमाचल प्रदेश ने इतना आकर्षित किया कि वह हिमाचल का बेटा बन गया। प्रदेश में गरीबों व बीमार लोगों का मसीहा बन गया। राठौर ने कहा कि सत्यानांद स्टॉक्स जो अमेरिका से भारत आते है उन्हें देश ने इतना आकर्षित किया कि वह देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करवाने के लिए महात्मा गांधी के साथ स्वतंत्रता संग्राम में बढ़चढ़ कर भाग लेने लगे। उन्होंने महात्मा गांधी के आदर्शों को अपनाते हुए देश की आजादी की लड़ाई लड़ी व हिमाचल को अपना घर बनाया। राठौर ने सत्यानांद स्टॉक्स की जयंती पर आज श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि प्रदेश उनका सदैव ऋणी रहेगा और उन्हें उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
नालागढ़ कॉलेज में बीए, बीएससी, बीकॉम 6 सेमेस्टर की होने वाली परीक्षाओं के लिए कॉलेज प्रशासन ने गाइडलाइन जारी कर दी है इस दौरान एग्जामिनेशन सेंटर के साथ-साथ कमरों में सनितिज़ेशन किया जा रहा है जहां पर बच्चे बैठ कर अपना पेपर देंगे । कॉलेज की प्रधानाचार्य सुनीता सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते सभी कमरों और एग्जामिनेशन हाल को सन्नीटाईज़ किया जा रहा है नालागढ़ कॉलेज के दोनों हॉस्टल प्रशासन की ओर से आइसोलेशन सेंटर बनाए गए थे जिन्हें 10 अगस्त को प्रशासन ने खाली कर दिया उसके बाद से कॉलेज प्रबंधन उसमें सैनिटाइज कर रहा है जो बच्चे हॉस्टल में रहते हैं वह बिना डर से एग्जाम दे सकते हैं उनके लिए सभी प्रकार की सुविधाएं दी जा रही है। प्रधानाचार्य ने कहा कि एग्जाम को लेकर सभी तरह की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं,गेट पर एंटर होते ही बच्चों की थर्मल स्कैनिंग की जाएगी उसके बाद एग्जामिनेशन सेंटर में जाने के लिए सभी तरह की गाइडलाइन गेट पर ही बच्चों को उपलब्ध करवाई जायेगी। इसके लिए कॉलेज प्रबंधन ने कमेटी का गठन कर दिया है। जो बच्चे अन्य राज्यों से आ रहे हैं वह अपना एडमिट कार्ड दिखाकर बैरियर से क्रॉस कर सकते है।
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री राजेन्द्र गर्ग ने आज घुमारवीं विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत सलाओं में लगभग 92.41 लाख से निर्मित की जाने वाली उठाऊ पेयजल योजना सलाओं, माकड़ी व भदरेट का शिलान्यास लगभग 4 लाख 65 हजार रुपये की लागत से निर्मित सामुदायिक शैड का उद्घाटन, भपराल में लगभग 3 लाख रुपये की लागत से बनने वाले महिला मण्डल भवन का शिलान्यास तथा दधोल खुर्द में लगभग 3 लाख रुपये की लागत से बनने वाले सामुदायिक भवन का शिलान्यास किया। इस अवसर पर उन्होंने सम्बोधित करते हुए कहा कि घुमारवीं में शीघ्र ही मिनी सचिवालय का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि घुमारवीं अस्पताल में 50 बिस्तरों की संख्या को बढ़ाकर 100 बिस्तरों की सुविधा उपलब्ध करवा दी गई है। उन्होंने कहा कि घुमारवीं में एचआरटीसी के सब स्टेशन के कार्य भी आरम्भ हो चुका है। उन्होंने कहा कि घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के लिए जल जीवन मिशन के अंतर्गत 85 करोड़ रुपये स्वीकृति किए गए है। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत घुमारवीं विधानसभा में जून, 2021 हर घर में नल उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा क्षेत्र में सुचारू पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए प्राथमिकता से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 92.41 लाख से निर्मित की जाने वाली उठाऊ पेयजल योजना सलाओं, माकड़ी व भदरेट के निर्मित होने से क्षेत्र के लगभग 1 हजार लोगों को समुचित मात्रा में शुद्ध पेयजल उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि इस योजना से पूरी पंचायत कवर होगी। उन्होंने बताया कि यह योजना को दिसम्बर माह तक पूर्ण कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र में 11 योजनाओं का संवर्धन किया जा रहा है। जिनके लिए लगभग 85 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि लगभग 53 करोड़ रुपये कि पेयजल योजना कोल डैंम से घुमारवीं विधानसभा के लिए स्वीकृत हुई है। उन्होंने कहा कि लोगों को सुचारू रुप से पेयजल सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए जहां-जहां पानी की कमी होगी उन्हें इस योजना के साथ जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि विधानसभा क्षेत्र में बिजली की समस्या से लोगों को निजात दिलाने के लिए जाहू में 33 के.बी. सब-स्टेशन स्वीकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए बम में एक सब-स्टेशन बनाया जाएगा और उसके उपरांत उसको भराड़ी के साथ जोड़ा जाएगा ताकि कम बोल्टेज की समस्या से निजात मिल सके। उन्होंने बताया कि इसके लिए 8 करोड़ रुपये भी स्वीकृत हो चुके है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में 5 नए ट्रांसफार्मर भी लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को यातायात की सुविधा प्रदान करने हेतु ढल्याणी सड़क के लिए 1.5 लाख रुपये स्वीकृत किया है और उसका कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि लिंक रोड सलाओं से गांव कामली तक के लिए 2 लाख रुपये स्वीकृति किए गए थे और उस सड़क का कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि बाड़ा दा घाट से सलाओं 4 किलोमीटर की सड़क का कार्य शुरू हो चुका है जिसमें 3 किलोमीटर सड़क का कार्य पूरा हो चुका है और शेष कार्य बरसात के उपरांत पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि द्रुग खडड के पुल के लिए 55 लाख रुपये स्वीकृत हो चुका और जिसके लिए टैंडर प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न कार्यों पर 17 लाख 65 हजार रुपये स्वीकृत किए गए है। इनमें से अधिकांश कार्य पूर्ण कर लिए गए है तथा शेष कार्य प्रगति पर है। उन्होंने सलाओं पंचायत के लिए सोलर लाईट देने की घोषणा की है। शमशानघाट के लिए 10 लाख रुपये स्वीकृत किए। इस अवसर पर उन्होंने लोगों की समस्याओं को सुना और उनका समाधान किया। इस मौके पर पूर्व मण्डलाध्यक्ष नरेन्द्र ठाकुर, मण्डल महामंत्री राजेश ठाकुर, प्रधान ग्राम पंचायत भपराल अंजू राणा, एसडीएम शशिपाल शर्मा के अतिरिक्त अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
पुलिस थाना अर्की में कुते द्वारा एक व्यक्ति को काटने को लेकर मामला दर्ज हुआ है । मिली जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता देवेंद्र कुमार सुपुत्र चिन्ताराम,गांव कोठी जमोगी डाकघर बथालंग ने अपनी शिकायत में कहा है कि पिछले कल उसके गांव के ही रहने वाले ताराचंद के पालतू कुते ने उसके बेटे को बुरी तरह काट दिया है । उन्होंने कहा कि यह कुता कई मर्तबा अन्य लोगों व बच्चों को काट चुका है, जिससे लोगों में भय का माहौल बना हुआ है । शिकायतकर्ता ने पुलिस से उचित कार्रवाई की मांग की है। वहीं, डीएसपी दाड़लाघाट प्रताप सिंह ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि अंडर सेक्शन 289 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है व आगामी कार्यवाही अमल में लाई जा रही है ।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को अपना ध्येय मानकर समाज में आत्मनिर्भरता की मशाल जलाकर जागरूक करने निकली बिलासपुर की बीस वर्षीय बेटी आंकाक्षा गौतम ने अपनी दूरदर्शी सोच से सबको प्रभावित किया है। अपने हुनर से कायल करने वाली आंकाक्षा ने ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि, पशु पालन व मत्स्य मंत्री वीरेन्द्र कंवर को भी न सिर्फ प्रभावित किया बल्कि उन्हें इस बच्ची के द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट पर अमल करने के लिए बाध्य किया। बता दें कि उत्थान के लिए नई किरण लेकर उभरी गुरू अंगद देव वैटनरी एंड एनिमल साईंस यूनिवर्सिटी में बैचुलर आफ फिशरीज साइंसिज संकाय की द्वितीय वर्ष की छा़त्रा आकांक्षा गौतम मीडिया की सुर्खियों में रही तथा यह भी एक पिता के लिए गौरव का विषय है कि स्वतंत्रता दिवस पर बिलासपुर में ध्वजारोहण करने आए मंत्री विरेंद्र कंवर ने स्वयं फोन कर इस बेटी से मिलने की इच्छा जताई। आकांक्षा ने मंत्री को चैलेंजिज एंड अपाॅच्र्यूनिटिज इन फिशरीज फाॅर आत्मनिर्भर हिमाचल नाम की प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी सौंपी। आकांक्षा गौतम ने बताया कि वर्तमान में फिशरीज कल्चर को बचाना ही सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि खड्डों, नदी, नालों में हो रहे अवैध खनन और धड़ल्ले से विकास के नाम पर लग रहे हाइड्रो पावर प्रोजेक्टस से मत्स्य पर्यावरण को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है, यदि इन पर अंकुश नहीं लगता है कि आने वाले समय में मछली से पेट पालने वाले परिवार सड़कों पर आ जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस जलाशय में सबसे बड़ी एक और समस्या सीडिंग की है, वेस्ट बंगाल से आने वाला बीज अधिकांश तौर पर रास्ते में दम तोड़ देता है, उपर से इस पर ट्रांस्पोटेशन का भारी भरकम खर्च होता है। जबकि जलाशय में बीज डालने के बाद इसकी सुध लेना और ग्रोथ देखना लाजिमी होता है। बिलासपुर के गोविंद सागर जलाशय में मछली की दस प्रजातियां पाई जाती है जिसमें केवल काॅमन व सिल्पर कार्प ही सरवाईव करती है। बीज उत्पादन के लिए हिमाचल में प्राइवेट हैचरीज नहीं है, जो सरकारी है उनकी देखभाल बहुत कम हैं। हर जिला में फिशरीज हैचरीज का बनना जरूरी है तथा विभिन्न किस्म की मछलियों का यहां पर बीज तैयार हो सके और लोगों को अतिरिक्त रोजगार प्राप्त हो सके। उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा में यह कल्चर शुरू हो चुका है। आकांक्षा ने बताया कि जागरूकता के अभाव में यह व्यवसाय दम तोड़ रहा है, यदि इस पर वैज्ञानिक तरीके से काम किया जाए तो हिमाचल में यह उत्पाद अन्य व्यवसायिक उत्पादों से छह गुणा लाभ देगा, जिसमें कृषि संबंधी सभी फसलें शामिल है। यह एक ऐसा व्ववसाय है जिसमें खर्चा बहुत कम है और इसके निम्न स्तर से शुरू किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि देष और प्रदेश की उन्नति के लिए कल्चर बेस्ड कैप्चर अभियान की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने मत्स्य मंत्री विरेंद्र कंवर से आग्रह किया कि हिमाचल प्रदेश में फिशरीज कालेज यदि खुलता है तो आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वरोजगार के साथ मत्स्य शिक्षा से ही मिलेंगे। वहीं ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि, पशु पालन व मत्स्य मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने आकांक्षा गौतम की बातों को गौर से सुना तथा आश्वस्त किया कि वे कल्चर बेस्ड कैप्चर तथा मछुआरों के साथ-साथ विभागीय अधिकारियों को विज्ञानिक तौर तरीकों के साथ आधुनिक तकनीक के बारे में जागरूक करने के लिए सेमीनार का आयोजन किया जाएगा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा आयुर्वेद मन्त्री नेे कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार राज्य में चिकित्सा सुविधाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में अग्रसर है और अब तक के कार्यकाल में 1400 चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है। डाॅ. सैजल आज कसौली विधानसभा क्षेत्र के कसौली में पौधरोपण करने तथा जोहड़जी में वन विश्राम गृह का शिलान्यास करने के उपरान्त स्थानीय लोगों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने ग्राम पंचायत काबा कलां के जोहड़जी में 75 लाख रुपए की लागत से निर्मित होने वाले वन विश्राम गृह की अधारशिला रखी तथा महत्वाकांक्षी ‘एक बूटा बेटी के नाम’ योजना के तहत कन्या शिशुओं एवं उनके अभिभावकों को पौधा एवं किट वितरित की। डाॅ. सैजल ने कहा कि वर्तमान समय में लोगों को उनके घर-द्वार तक बेहतर स्वासथ्य सेवाएं प्रदान करना प्रदेश सरकार का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि केन्द्र तथा प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाएं इस दिशा में अत्यन्त महत्वपूर्ण सिद्ध हो रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना की तर्ज पर ‘हिमकेयर’ योजना कार्यन्वित की जा रही है। इस योजना के तहत पंजीकृत परिवार के पांच सदस्य 05 लाख रुपये तक प्रतिवर्ष निःशुल्क चिकित्सा सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। योजना में अब तक 5.50 लाख परिवार पंजीकृत हो चुके हैं तथा एक लाख से भी अधिक रोगी योजना के तहत अपना उपचार करवा चुके हैं। योजना के अन्तर्गत 92 करोड़ रुपये से भी अधिक व्यय कर लक्षित वर्गों को लाभान्वित किया गया है। आयुर्वेद मन्त्री ने कहा कि कठिन परिस्थितियों में हिमाचल के विकास को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है और प्रदेश को इस अवधि में सुशासन, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि-बागवानी सहित सतत् विकास लक्ष्यों में बेहतर प्रदर्शन के लिए अनेक राष्ट्र-स्तरीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। डाॅ. सैजल ने कहा कि जोहड़जी धार्मिक एवं पर्यटन दृष्टि से महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जोहड़जी सहित ग्राम पंचायत प्राथा, भोजनगर, नारायणी इत्यादि क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से उभारने के लिए योजनाबद्ध कार्य किया जाएगा। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मन्त्री ने कहा कि कसौली छावनी क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं के शीघ्र निपटारे के लिए प्रदेश के मुख्यमन्त्री के माध्यम से केन्द्र सरकार को ज्ञापन प्रेषित किया गया है। उन्होंने कहा कि वे शीघ्र ही इस दिशा में केन्द्रीय रक्षा मन्त्री राजनाथ सिंह से मिलकर इन समस्याओं के शीघ्र निपटारे की मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि कोविड-19 से बचाव के लिए सार्वजनिक स्थानों पर सोशल डिस्टेन्सिग, मास्क का प्रयोग तथा बार-बार अपने हाथ साबुन से धोना अथवा एल्कोहल युक्त सैनिटाईजर से साफ करना आवश्यक है। उन्होंने सभी से इन नियमों का पालन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं को शीघ्र सुलझाया जाएगा। इस अवसर पर जोहड़जी में ‘एक बूटा बेटी के नाम’ योजना के तहत पारूल, दिव्यांशी तथा अम्बिका के अभिभावकों ने क्रमशः दाड़ु, बेहड़ा तथा हरड़ के पौधे रोपे। डाॅ. सैजल ने कसौली में तुन्नी का पौधा रोपा। इस अवसर पर जगरेण्डा, रीठा, तुन्नी इत्यादि के 150 से अधिक पौधे रोपे गए। लोगों ने इस अवसर पर कसौली छावनी बोर्ड की समस्याओं को सुलझाने तथा कसौली-कालका सड़क को लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित करने की मांग की। वन मण्डल अधिकारी सोलन डाॅ. नीरज चड्डा ने कहा कि ‘एक बूटा बेटी के नाम’ योजना के तहत जिला में 339 बेटियों को घर-द्वार पर बूटे उपलब्ध करवाए जाएंगे। इस अवसर पर एपीएमसी सोलन के अध्यक्ष संजीव कश्यप, भाजपा मण्डल कसौली के अध्यक्ष कपूर सिंह वर्मा, जुवेनाईल जस्टिस बोर्ड के सदस्य राजकुमार सिंगला, जोगेन्द्र्रा बैंक के पूर्व अध्यक्ष लाज किशाोर, कसौली छावनी बोर्ड के सदस्य देवेन्द्र गुप्ता, पूर्व सदस्य सुदेश बंसल, ग्राम पंचायत नारी के उप प्रधान हिमांशु गुप्ता, भाजपा मण्डल कसौली अनुसूचित जाति मोर्चा के सचिव अमित सहोटा, सूचना प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ के अजमेर सिंह, भाजपा तथा भाजयुमो के अन्य पदाधिकारी अरण्यपाल अशोक चैहान, वन मण्डल अधिकारी डाॅ. नीरज चड्डा, सहायक अरण्यपाल पवन अचल, वन खण्ड अधिकारी संदीपना गुप्ता एवं प्रदीप कुमार सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति एवं क्षेत्रवासी उपस्थित थे।
विकासखंड प्रागपुर की कौलापुर पंचायत के गांव जटोली चाकरां में पिछले 8 सालों से चल रहे पशु औषधालय को सरकार द्वारा बंद कर देने पर लोगों में गहरा रोष है। ग्रामीणों ने बंद किए कार्यालय पर अपना ताला जड़कर सरकार को चेतावनी दी है कि वह पशु औषधालय का सामान न निकाले अन्यथा वह किसी भी हद तक जाने को मजबूर होंगे। इस दौरान लोगों ने सरकार एवं स्थानीय विधायक एवं मंत्री विक्रम ठाकुर पर जमकर भड़ास निकाली उनके विरोध में नारे भी लगाए जबकि कुछ पंचायत प्रतिनिधियों ने भी बढ़ चढ़कर ग्रामीणों का सहयोग किया ।
जिला सोलन अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ का एक प्रतिनिधि मंडल जिला अध्यक्ष जेके ठाकुर की अगुवाई में प्रदेश के नव नियुक्त स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण व आयुर्वेद मंत्री डॉ राजीव सहज़ल से मिला। जिला अध्यक्ष जे के ठाकुर ने मंत्री को कर्मचारियो की मांगों व समस्या बारे अवगत करवाया। मंत्री ने संघ के प्रतिनिधि मंडल कि मांगो को गंभीरता से सुना व जल्द समाधान का आश्वासन दिया। इस दौरान अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिला स्तरीय प्रतिनिधि मंडल के सभी सदस्य इस दौरान मौजूद रहे।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर लायंस क्लब परवाणू ने कई स्थलों पर अटल त्रिवेणी लगाई । इन पौधों की पूरी देखभाल की जाएगी। व समय-समय पर इन्हें खाद पानी दिया जाएगा। जिस प्रकार अटल जी ने सारा जीवन देश हित के लिए कार्य किया उसी प्रकार यह त्रिवेणी धर्म ही नहीं बल्क़ि स्वस्थ जीवन की भी प्रतीक हैं । यह सदैव ऑक्सीजन देकर मानव जीवन की सुरक्षा करेंगे।
डॉ वाईएस परमार औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय में 74वां स्वतंत्रता दिवस उत्साह के साथ मनाया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति डा॰ परविंदर कौशल द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में तिरंगा फहराया गया । इस वर्ष सरकारी दिशा निर्देशों का पालन करते हुए इस कार्यक्रम में सीमित संख्या में ही लोग शामिल हुए। विश्वविद्यालय के वैधानिक अधिकारी, विभागाध्यक्ष, एनसीसी ऑफिसर और नौणी पंचायत के प्रधान ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम में सामाजिक दूरी का पूरा पालन किया गया और यह सुनिश्चित किया गया की सभी ने मास्क पहना हो। इस अवसर पर एक विडियो संदेश के माध्यम से कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने छात्रों और संकाय को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ दी। उन्होनें देश के स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया जिनके संघर्ष और निस्वार्थ बलिदान से देश को आज़ादी मिली। डॉ कौशल ने अपने संदेश में विद्यार्थियों और कर्मचारियों से राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए कर्तव्यदायी और जिम्मेदार नागरिक बनने का आग्रह किया और देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के आदर्शों को आगे बढ़ाने की अपील की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युवाओं को स्वतंत्रता के वास्तविक अर्थ और महत्व को समझना चाहिए जो हमारे पूर्वजों के वर्षों के बलिदान के कारण हमें हासिल हुई है। इस अवसर पर उन्होनें कोरोना महामारी में दिन रात काम कर इस वैश्विक महामारी से लड़ रहे कोरोना वॉरियर्स को सलाम किया और सभी से इनका सहयोग करने और इस कठिन दौर में सरकार और स्वास्थ्य संगठनों द्वारा समय समय पर जारी किए जा रहे दिशा निर्देशों का सख़्ती से पालन करने की अपील की ताकि मिलकर हम इस बीमारी पर जीत हासिल कर सके।
वो दौर था 1857 का, पूरे देश में क्रांति की ज्वाला भड़क रही थी। ऐसे में पहाड़ों की शांत वादियों में लगी चिंगारी भी कम नहीं थी। धीमें से सुलग रही इस क्रांति की चिंगारी ने जब विकराल रूप लिया तब लगभग पूरा हिमाचल इसकी जद में आ गया। 20 अप्रैल 1857, वो दिन जब पहली बार हिमाचल प्रदेश में अंग्रेज़ों के खिलाफ धधक रही ज्वाला ने विकराल रूप धारण किया। क्रांति का आगाज़ हुआ कसौली से। अंबाला राइफल डिपो के छह भारतीय सैनिकों ने कसौली थाने को आग के हवाले कर दिया। अंग्रेजों के सुरक्षित गढ़ कही जाने वाली कसौली छावनी पर हुए इस हमले से गोरे बौखला उठे और उन्होंने अन्य छावनी क्षेत्रों व कंपनी सरकार के कार्यालयों की सुरक्षा कड़ी कर दी। गोरों ने कई क्रांतिकारियों को जेलों में डाल दिया और कईयों को सूली पर चढ़ा दिया, पर सैनिकों का बलिदान ज़ाया नहीं गया। कसौली से भड़की इस ज्वाला ने पूरे हिमाचल में आज़ादी की अलख जगा दी। इसके बाद डगशाई छावनी, सुबाथू, कालका व जतोग में क्रांति की लहर दौड़ी। उधर कांगड़ा, नूरपुर, धर्मशाला, कुल्लू-लाहुल, सिरमौर व अन्य रियासतों में भी विद्रोह प्रखर हो गया। बुशहर के राजा शमशेर सिंह, कुल्लू-सिराज के युवराज प्रताप सिंह, सुजानपुर के राजा प्रताप चंद गुप्त रूप से क्रांतिकारियों की गतिविधियों में संलिप्त हो गए। 11 मई को अंग्रेजों को मेरठ, दिल्ली और अम्बाला में विद्रोह की सुचना मिली। गोरों ने कसौली, सुबाथू, डगशाई व जतोग की छावनियों को अंबाला कूच का आदेश दिया। भारतीय सैनिकों ने इस आदेश का खुले तौर पर विद्रोह किया और बगावत का ऐलान कर दिया। 13 मई को जतोग में गोरखा रेजिमेंट ने सूबेदार भीम सिंह के नेतृत्व में देशी सैनिकों ने अंग्रेजों पर धावा बोल दिया। सिर्फ 45 क्रांतिकारियों ने 200 अंग्रेजों को धूल चटा दी। सैनिकों ने कसौली ट्रेजरी को लूटा और जतोग की तरफ बढ़ने लगे। इस बारे में अंग्रेज़ों के तत्कालीन कमिश्नर पी. मैक्सवैल ने अपनी डायरी में जिक्र किया है और हैरानी जताई है कि कैसे मुट्ठीभर क्रांतिकारियों ने अपने से चार गुना अधिक अंग्रेजी सेना को हरा दिया था। इसके बाद विद्रोह की डोर स्थानीय पुलिस ने अपने हाथों में ली। स्थानीय पुलिस गार्ड के दरोगा बुद्धि सिंह जतोग पर कब्जे के लिए रवाना हो गए। जतोग पहुँचते पहुँचते रास्ते में अंग्रेजी सेना ने कुछ क्रांतिवीरों को पकड़ लिया तो कुछ मारे गए। जबकि बुद्धि सिंह ने गोरों के हाथों मरने से भला स्वयं को गोली मरना समझा और वो शहीद हो गए। पहाड़ी रियासतों में क्रांति योजनाबद्ध तरीके से हो रही थी, जिसके लिए एक गुप्त संगठन बना हुआ था, जिसके सदस्य सूचनाओं को यहां-वहां पहुंचाया करते थे। पहाड़ों में इस क्रांति के नेता पंडित राम प्रसाद वैरागी थे। वैरागी सुबाथू मंदिर में पुजारी थे। वे संगठन पत्रों के माध्यम से संदेश भेजा करते थे। 12 जून 1857 को इस संगठन का कुछ पत्र अंबाला के कमिश्नर जीसी बार्नस के हाथ लगे, जिसमें दो पत्र राम प्रसाद वैरागी के भी थे। इसके साथ ही संगठन का भेद खुल गया। वैरागी को पकड़ कर अंबाला जेल में फांसी पर चढ़ा दिया गया। क्रांतिकारियों को सहयोग न मिला व अंग्रेज़ों ने 1857 के विद्रोह को दो महीनो में ही दबा दिया और प्रदेश में लगी विद्रोह की ज्वाला कुचल दी गई।
बजरंग दल चंडीगढ़ की तरफ से शुक्रवार को बिहिप कार्यालय शिव मानस मंदिर इंडस्ट्रियल एरिया फेस 2 में अखंड भारत दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें विश्व हिंदू परिषद के चंडीगढ़ अध्यक्ष प्रदीप शर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि अखण्ड भारत महज सपना नहीं, श्रद्धा है, निष्ठा है। जिन आंखों ने भारत को भूमि से अधिक माता के रूप में देखा हो, जो स्वयं को इसका पुत्र मानता हो, जो प्रात: उठकर “समुद्रवसने देवी पर्वतस्तन मंडले, विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यम् पादस्पर्शं क्षमस्वमे" कहकर उसकी रज को माथे से लगाता हो, वन्देमातरम् जिनका राष्ट्रघोष और राष्ट्रगीत हो, ऐसे असंख्य अंत करण मातृभूमि के विभाजन की वेदना को कैसे भूल सकते हैं, अखण्ड भारत के संकल्प को कैसे त्याग सकते हैं? किन्तु लक्ष्य के शिखर पर पहुंचने के लिए यथार्थ की कंकरीली-पथरीली, कहीं कांटे तो कहीं दलदल, कहीं गहरी खाई तो कहीं रपटीली चढ़ाई से होकर गुजरना ही होगा। उन्होंने कहा कि आज के दिन हम संकल्प लेते हैं कि हम भारत को पुनः अखंड बनाएंगे व भारत माता का खोया हुआ वैभव पुनः लौटाएंगे। इस मौके पर विशेष रूप से चंडीगढ़ बजरंग दल संयोजक नरेंद्र बंसल, विजय, अरविंद मौर्य, जीत कालरा, प्रेम डोगरा, विकाश, रोशन, प्रदीप बनिपाल, बबलू, पंकज और मातृशक्ति-दुर्गा वाहिनी से रेनू रोहिला, हरसिमरन, सिमरन एवं बिहिप से सुरेश राणा, दविंदर सिधु, राकेश चौधरी, अनुज सहगल, मनोज शर्मा, अंकुश गुप्ता, जतिंदर रावत, मनीष बक्शी, सतिंदर, तजिंदर सिंह, सुरेश, एवं अनेकों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
जब जब स्वतंत्रता संग्राम की बात की जाती है तो पहाड़ के जांबाज़ों का ज़िक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता। स्वतंत्रता संग्राम में हिमाचल प्रदेश के सपूतों ने महात्मा गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर जो योगदान दिए वो किसी से कम नहीं। देवभूमि के वीर सपूतों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जो आंदोलन का बिगुल बजाया तो उसकी गूंज पूरे भारत वर्ष को सुनाई दी। चाहे 1857 की महाक्रांति हो या 15 अगस्त 1947 तक का आंदोलन हो, छोटे से पहाड़ी प्रदेश हिमाचल ने भी इनमें अहम भूमिका निभाई। आजादी की लड़ाई के लिए हिमाचल में गुरिल्ला बम बने। सशस्त्र क्रांतियां हुईं। हजारों क्रांतिकारियों ने पूरे दमखम से स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी। तो आज स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर हम उन्हीं कुछ स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानेंगे। पंडित राम प्रसाद वैरागी उस समय पूरे देश में क्रांति के संचालन के लिए एक गुप्त संगठन बनाया गया था। पहाड़ों में इस क्रांति के नेता पंडित राम प्रसाद वैरागी थे। वैरागी सुबाथू मंदिर में पुजारी थे। वे संगठन को पत्रों के माध्यम से संदेश भेजा करते थे। 12 जून 1857 को इस संगठन के कुछ पत्र अंबाला के कमिश्नर जीसी बार्नस के हाथ लगे, जिसमें दो पत्र राम प्रसाद वैरागी के भी थे। इसके साथ ही संगठन का भेद खुल गया। वैरागी को पकड़ कर अंबाला जेल में फांसी पर चढ़ा दिया गया। क्रांतिकारियों को सहयोग नहीं मिला और अंग्रेज़ों ने 1857 के विद्रोह को दो महीनो में ही दबा दिया और प्रदेश में सुलगी विद्रोह की ज्वाला कुछ समय के लिए शांत हो गई। 'हिमाचल निर्माता' डॉ॰ यशवंत सिंह परमार डॉ॰ यशवंत सिंह परमार, हिमाचल निर्माता के नाम से भी जाने जाते हैं। हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री डाॅ. परमार ने हिमाचल में विकास की नींव रखी थी। सिरमौर में जन्मे परमार सिरमौर की रियासत में 11 साल तक सब जज और मजिस्ट्रेट रहे। उसके बाद न्यायाधीश के रूप में 1937-41 तक अपनी सेवाएं दीं। इसी दौरान वह सुकेत सत्याग्रह प्रजामंडल से जुड़े। नौकरी की परवाह न करते हुए उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना पूरा योगदान दिया। उनके ही प्रयासों से यह सत्याग्रह सफल हुआ। 'पहाड़ी गांधी' बाबा कांशी राम पहाड़ी गांधी कहे जाने वाले बाबा कांशीराम ने आज़ादी की लड़ाई में बेहद अहम भूमिका निभाई। उन्होंने जब तक भारत को आजादी नहीं मिल जाती तब तक काले कपड़े पहनने की शपथ ली थी। बाबा कांशी राम ने अपने पहाड़ी गीतों और कविताओं से पहाड़ी राज्य हिमाचल और देश को आजादी के लिए जगाने में सराहनीय प्रयास किए। उन्होंने गांव-गांव घूमकर अपने लिखे लोकगीतों, कविताओं और कहानियों से अलख जगाई। कांशी ने पहली बार पहाड़ी बोली को लिखा और गा-गाकर लोगों को राष्ट्रीय आंदोलन से जोड़ा। सरोजनी नायडू ने उन्हें बुलबुल-ए-पहाड़ के खिताब से नवाजा। 1930 और 1942 के बीच वो 11 बार जेल गए और अपने जीवन के 9 साल सलाखों के पीछे काटे। जेल के दिनों में लिखी हर रचना उस वक्त लोगों में जोश भरने वाली थी। ‘समाज नी रोया’, ‘निक्के निक्के माहणुआं जो दुख बड़ा भारा’, ‘उजड़ी कांगड़े देश जाना’ और ‘कांशी रा सनेहा’ जैसी कई कविताएं मानवीय संवेदनाओं और संदेशों से भरी थीं। दौलतराम सांख्यान आजादी की लड़ाई में बिलासपुर के महान स्वतंत्रता सेनानी दौलतराम सांख्यान के संघर्ष को आखिर कौन भुला सकता है। बिलासपुर में प्रजामंडल का गठन कर दौलतराम सांख्यान ने ब्रिटिश सरकार को सीधी चुनौती देकर कई मुश्किलें खड़ी कर दीं थी। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें इस मुहिम के लिए कई यातनाएं दीं। अंग्रेजी सरकार ने उनकी चल-अचल संपत्ति तक जब्त कर ली थी। इतना ही नहीं 11 जून 1946 से 12 अक्तूबर 1948 तक रियासत से निष्कासित कर दिया गया। इसके बावजूद स्वतंत्रता संग्राम के इस सेनानी ने हार नहीं मानी और डट कर अंग्रेजों का सामना किया। कैप्टन राम सिंह ठकुरी वहीं आजाद हिंद फौज के सिपाही और संगीतकार कैप्टन राम सिंह ठकुरी ने भारत के राष्ट्र गान जन गन मन की धुन तैयार की है। उन्होंने अपनी वीरता के लिए किंग जार्ज-पंचम मेडल प्राप्त किया। जब सुभाष चंद्र बोस ने उनसे मुलाकात की तो उन्हें वोइलिन भेंट की, जिसे वह हमेशा अपने पास रखते थे। उन्होंने 'कदम-कदम बढ़ाए जा-खुशी के गीत गाए जा' जैसे सैकड़ों ओजस्वी गीतों की धुनों की रचना की। 15 अगस्त 1947 को राम सिंह के नेतृत्व में आईएनए के आर्केस्ट्रा ने लाल किले पर शुभ-सुख चैन की बरखा बरसे गीत की धुन बजाई। कौमी तराना नाम से यह गीत आजाद हिंद फौज का राष्ट्रीय गीत बना, इस गीत की ही धुन को बाद में जन-गण-मन की धुन के रूप में प्रयोग किया गया। पदम् देव पदमदेव जिला शिमला के गांव भनोल से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने 1930 में असहयोग आंदोलन और सिविल अवज्ञा में(सिविल डिसओबेडिएंस) में भाग लिया। वह हिमालय रियासती प्रजा मंडल के संस्थापक सदस्य थे और गरीबी व अस्पृश्यता(अनटचेबिलिटी) के खिलाफ लड़े थे। 1952 में वह विधानसभा के लिए चुने गए और राज्य के पहले गृह मंत्री बने। 1957 में वह लोकसभा, 1962 में क्षेत्रीय परिषद और फिर 1967 में विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। वह कविराज के नाम से मशहूर थे। यश पाल उस समय यश पाल कॉलेज में ही थे जब उनकी मुलाकात भगत सिंह और सुखदेव से हुई। उन्होंने चरमपंथी समूह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (एचएसआरए) को ज्वाइन किया। एचएसआरए ने 1929 में लॉर्ड इरविन को ले जाने वाली ट्रेन को उड़ाने की योजना बनाई थी। यशपाल ने उस में बम से विस्फोट किया था। कई नेताओं की गिरफ्तारी के बाद यशपाल ने चंद्रशेखर आजाद को एचएसआरए को फिर से संगठित करने में मदद की। 1932 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और वह 6 साल तक जेल में रहे। वह एक प्रतिभाशाली लेखक थे और प्रसिद्ध किताब ‘सिम्बालोकन’ सहित कई पुस्तकें लिखी थीं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। शिवानंद रामौल, पूर्णानंद, सत्य देव, सदा राम चंदेल, सत्यानंद स्टोक्स, ठाकुर हजक सिंह इत्यादि ऐसे अन्य प्रमुख स्वतंत्रता सैनानी रहे हैं जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया था। आज भले ही यह हस्तियां हमारे बीच नहीं हैं पर उनके दिए गए बलिदान को कृतज्ञ राष्ट्र कभी नहीं भूल सकता।
31 अक्टूबर 1984 । ये वो दिन है जब तत्कालीन प्रधानमंत्री और हिंदुस्तान की राजनीति की आयरन लेडी इंदिरा गाँधी की उन्ही के अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई। इंदिरा की हत्या से पुरे देश में मातम का माहौल था। दुःख और अवसाद के बीच कांग्रेस थिंक टैंक के सामने देश को अगला प्रधानमंत्री देने की चुनौती भी थी। चुनौती इसलिए भी विकट थी क्यों कि कुछ समय पहले ही संजय गाँधी भी दुनिया से रुक्सत कर चुके थे। कई नाम रेस में थे और कई नेता इस उम्मीद में थे कि वरिष्ठता और परफॉरमेंस के आधार पर उन्हें पार्टी देश का नेतृत्व करने का ज़िम्मा देगी। पर जैसा कांग्रेस में रिवाज़ है, पीएम की कुर्सी पर ताजपोशी हुई राजीव गाँधी की। कई नेताओं ने इसका आंतरिक विरोध किया और कई बगावत पर उतर आए। इन्ही बगावत करने वालों में से एक थे प्रणब मुखर्जी। वही प्रणब मुखर्जी जो इंदिरा गाँधी की सरकार में वित्त मंत्री थे। वही प्रणब मुखर्जी गांधी के सबसे भरोसेमंद लेफ्टिनेंट कहा जाता था। वही प्रणब मुखर्जी जिनके लिए इंदिरा गाँधी कहती थी 'प्रणब मुखर्जी के मुँह से सिर्फ पाइप का धुआं निकल सकता है, मेरा या कांग्रेस का राज़ नहीं।' मुखर्जी को राजनीति में टिकट तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दिया था, पर उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे राजीव गाँधी ने प्रणब के पॉलिटिकल ग्राफ पर ब्रेक लगा दी। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव के बाद राजीव गांधी की समर्थक मण्डली ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने दिया। कुछ समय के लिए उन्हें कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया गया। प्रणब को उस समय समझ नहीं आया क्या प्रतिक्रिया दें। उस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक दल राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया। शुरुआत में लगा की शायद कांग्रेस का ये धड़ा मजबूत होगा पर मार्च 1987 में हुए बंगाल के चुनाव में प्रणव को मुँह की खानी पड़ी। राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का इन चुनावों में खाता ही नहीं खुला। यहाँ से ही प्रणव का सबसे बुरा वक्त शुरू हो गया। जो अच्छे वक्त में परछाई हुआ करते थे, वो भी अब दूर दूर रहने लगे। कहते है की उस दौरान प्रणब दा अपने कार्यालय में अकेले बैठे फाइलों के पन्ने पलटते रहते व पाइप पीते रहते। प्रणब भी शायद समझ चुके थे कि पार्टी से राह अलग करना उनका गलत फैसला था। उस वक्त उन्हें याद आए अपने पुराने मित्र संतोष मोहन देव। कई महीनो की जद्दोजहद के बाद संतोष मोहन देव व शीला दीक्षित, राजीव गाँधी को समझाने में सफल हुए की प्रणब को विरोधी खेमे में रख कर कोई फायदा नहीं है। कुछ इस तरह प्रणव की कांग्रेस में वापसी प्रशस्त हुई। हालाँकि राजीव के रहते उनकी किसी बड़े पद पर नियुक्ति नहीं हुई। 1989 में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव हार गई। दो साल बाद 1991 में राजीव गांधी की हत्या हो गई। राजनीति करवट ले चुकी थी, समय बदला, कांग्रेस का वनवास खत्म हुआ और सत्ता में वापसी हुई। प्रधानमंत्री बने पीवी नरसिम्हा राव। वही नरसिम्हा राव जो कभी प्रणब के जोड़ीदार हुआ करते थे। प्रणब को लगा शायद उन्हें कैबिनेट में जगह मिल जाए, पर किस्मत को कुछ और ही मज़ूर था। प्रणब को खली हाथ, हताश ही लौटना पड़। पर कुछ ही दिनों के बाद उन्हें नरसिम्हा राव का फ़ोन आया और उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। अपने पूरे कार्यकाल में प्रणब ने ध्यान रखा कि वह राव के विश्वासपात्र तो बने रहे पर इतने करीबी न दिखें कि गाँधी परिवार उन्हें फिर शक की निगाहों से देखने लगे। राव का दौरा सम्पत हुआ और करीब 8 साल कांग्रेस फिर सत्ता से दूर रही। इस दरमियान कांग्रेस की भागदौड़ एक बार फिर गाँधी परिवार के हाथ में जा चुकी थी। अब कांग्रेस के सारे दरवाजे सोनिया गाँधी के बंगले 10 जनपथ पर जाकर खुलते थे। 2004 में जब कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सत्ता में आया, तो लगा इंदिरा की बहु सोनिया गाँधी प्रधानमंत्री होगी। किन्तु सोनिया ने प्रधानमंत्री बनने से इंकार कर दिया। ये वो पहला मौका था जब शायद प्रणव मुखर्जी प्रधानमंत्री बनते बनते रह गए। सोनिया गाँधी ने मनमोहन सिंह पर भरोसा जताया। वही मनमोहन सिंह जिन्हे भारत के आर्थिक सुधारों का जनक कहा जाता है। खैर प्रणब दा प्रधानमंत्री नहीं बन सके लेकिन यूपीए शासन में वे एक ताकतवर मंत्री के तौर पर अपनी सेवाएं देते रहे। फिर साल आया 2012 का। कांग्रेस को राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित करना था। 2012 आते-आते वैसे भी जनता का कांग्रेस शासित सरकार से मोह भंग हो चूका था। पार्टी को भी इस बात का एहसास था। मनमोहन सिंह के नाम पर एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर का ठप्पा लग चूका था। बताया जाता है की उस दौरान कांग्रेस का एक गट चाहता था की मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति भवन भेज दिया जाए और बचे और वक्त में सत्ता भी बागदौड प्रणव दा को सौप दी जाए। पर हुआ वही जो 10 जनपथ का फरमान था। प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बने। इसके साथ ही न सिर्फ उनका प्रधानमंत्री बनने का स्वप्न अधूरा रह गया बल्कि उनकी सक्रीय राजनीति से सदा के लिए विदाई भी हो गई। प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक अनुभव उनका राजनितिक करियर 1969 में कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य के रूप में शुरू हुआ था। 1973 में वे औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उप मन्त्री के रूप में मन्त्रिमण्डल में शामिल हुए। 1982 -1984 तक कई कैबिनेट पदों के लिए चुने जाते रहे। 1984 में भारत के वित्त मंत्री बने। 1991 योजना आयोग का उपाध्यक्ष बने। 1995 -1996 तक विदेश मन्त्री के रूप में कार्य किया। 1997 में उन्हें उत्कृष्ट सांसद चुना गया। 2004 में लोकसभा में सदन का नेता बनाया गया। 2009 में देश का वित्त मंत्री चुने गए। 2012 में देश के राष्ट्रपति बने।
करोड़ों लोगों के हरदिल अजीज़ राहत इंदौरी साहब आज हमारे बीच नहीं रहे, पर उन के लिखे अल्फ़ाज़ हमेशा हर हिंदुस्तानी के दिल में ज़िंदा रहेंगे। जहाँ उन्होंने मोहब्बत की शायरी से युवाओं के दिल में घर किया वहीँ उनकी बगावत की शायरी लोगों के लिए बुलंद आवाज बनी। 'किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है', राहत साहब की इस लाइन ने नागरिकता संशोधन कानून और भारतीय नागरिक रजिस्टर के विरोध में प्रदर्शकारियों को अल्फ़ाज़ दिए। उस दौरान महरूम शायर की इन पंक्तियों ने खूब सुर्खियां बटोरीं। उनकी लिखी पंक्तियाँ आंदोलन की आवाज़ बनी। राहत इंदौरी ने सीएए-एनआरसी के मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा था 'सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है।' 'लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में यहां पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है, जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे किराएदार हैं, ज़ाती मकान थोड़ी है, सभी का ख़ून है शामिल यहां की मिट्टी में किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है!' बहुत चुनिंदा कवि / शायर या साहित्यकार ऐसे हुए है जिनके अल्फ़ाज़ किसी आंदोलन की आवाज़ बने हो। 1. "इंकलाब जिंदाबाद" यानी, क्रांति अमर रहे। आज़ादी के समय में एक नारा मशहूर हुआ था और आज भी है 'इंकलाब जिंदाबाद।' कई लोगों का ये मानना है कि ये नारा शहीद भगत सिंह ने ही पहली बार दिया था। लेकिन हक़ीक़त में यह नारा उर्दू शायर मौलाना हसरत मोहानी ने 1921 में दिया था। तब से लेकर आज तक कोई धरना या प्रदर्शन हो या फिर देश की सम्प्रभुता और एकता व अखंडता का कोई जलसा हो, हर जगह यह नारा बुलंद होता है। इंक़लाब जिन्दबाद का नारा अमर था और सदा अमर रहेगा। 2. "सिंहासन खाली करो कि जनता आती है" 1977 में लगी इमरजेंसी के दौरान लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने इसी नारे के साथ इंदिरा गाँधी को चुनौती दी थी। रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता से ली इन पंक्तियों ने इंदिरा सरकार की नींव हिला दी थी। दिनकर ने आजादी की लड़ाई से लेकर, उसके बाद तक अपनी लेखनी से जनता को उसके अधिकारों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने हिंदी साहित्य में न केवल वीर रस के काव्य को एक नई ऊंचाई दी, बल्कि अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का भी सृजन किया। उनकी प्रेरक देशभक्ति रचनाओं के कारण उन्हें राष्ट्रकवि के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। 'फावड़े और हल राजदण्ड बनने को हैं, धूसरता सोने से शृँगार सजाती है; दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।' 3. "मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।" दुष्यंत कुमार की कविता इस कविता का अर्थ है "सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।" दुष्यंत की नज़र उनके युग की नई पीढ़ी के ग़ुस्से और नाराज़गी से सजी बनी है। यह ग़ुस्सा और नाराज़गी उस अन्याय और राजनीति के कुकर्मो के ख़िलाफ़ नए तेवरों की आवाज़ थी, जो समाज में मध्यवर्गीय झूठेपन की जगह पिछड़े वर्ग की मेहनत और दया की नुमानंदगी करती है।
अब न मैं हूँ न बाकि हैं ज़माने मेरे, फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे... -राहत इंदौरी मंगलवार को मशहूर शायर राहत इंदौरी इस दुनिया को अलविदा कह गए। मोहब्बत और बगावत की शायरी से युवाओं के दिल को जीतने वाले राहत साहब का दिल का दौरा पड़ने से इन्तकाल हो गया। मंगलवार को सुबह उन्हें कोरोनावायरस से संक्रमित पाया गया, दोपहर होते होते उन्हें दिल का दौरा पड़ा और निधन हो गया। मंगलवार को ही उन्हें सपुर्दे-खाक कर दिया गया। 70 वर्षीय शायर ने खुद ट्वीट कर अपने संक्रमित होने की जानकारी दी थी। उन्होंने ट्वीट कर कहा था, “कोविड-19 के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर सोमवार मेरी कोरोना वायरस की जांच की गई जिसमें संक्रमण की पुष्टि हुई।” उन्होंने ट्वीट में आगे कहा, “दुआ कीजिये (मैं) जल्द से जल्द इस बीमारी को हरा दूं।” राहत इंदौरी जब अपने खास और बेहद कमाल के लहजे में स्टेज पर शेर पढ़ा करते थे तालियों की गड़गड़ाहट रुकती नहीं थी। उनका एक शेर ‘आसमान लाए हो ले आओ ज़मीन पर रख दो..’ लोगों को बेहद पसंद है। आज जब राहत इंदौरी इस दुनिया में नहीं हैं, तो उन्हें याद करते हुए उनके कुछ वो शेर पढ़िए जो हमेशा चर्चा में रहे... 1. बुलाती है मगर जाने का नहीं ये दुनिया है इधर जाने का नहीं... 2. सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है... 3. मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना लहू से मेरी पेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना... 4. किसने दस्तक दी, कौन है आप तो अंदर है बाहर कौन है... 5. जनाज़े पर मेरे लिख देना यारो मोहब्बत करने वाला जा रहा है... 6. लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूं हैं इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूं हैं... 7. हों लाख ज़ुल्म मगर बद-दुआ' नहीं देंगे ज़मीन माँ है ज़मीं को दग़ा नहीं देंगे... 8. मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो आसमां लाए हो ले आओ ज़मीं पर रख दो... 9. तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो... 10. फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो इश्क़ खता है तो, ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो... 11. आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो... 12. अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए... 13. न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा... 14. मेरी ख्वाहिश है कि आंगन में न दीवार उठे मेरे भाई, मेरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले... 15. ख़ामोशी ओढ़ के सोई हैं मस्जिदें सारी, किसी की मौत का ऐलान भी नहीं होता...
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में मनचलों की छेड़खानी के कारण एक होनहार छात्रा सड़क हादसे की शिकार बन गई। स्कॉलरशिप पर अमेरिका में पढ़ाई करने वाली ये छात्रा सोमवार सुबह अपने चाचा के साथ बाइक पर मामा के घर जा रही थी, तभी उनकी बाइक बुलेट से टकरा गई और मौके पर ही छात्रा की मौत हो गई। चाचा का कहना है कि वह बाइक पर जा रहे थे, तभी बुलेट सवार कुछ मनचले पीछा करने लगे। इसी दौरान उनकी बाइक बुलेट से टकरा गई और मौके पर ही छात्रा की मौत हो गई। गौतमबुद्ध नगर के दादरी की रहने वाली सुदीक्षा भाटी एक होनहार छात्रा थीं। सुदीक्षा ने 2018 में इंटरमीडिएट में बुलंदशहर जनपद में टॉप किया था। HCL की तरफ से 3 करोड़ 80 लाख रुपये की स्कॉलरशिप मिलने पर सुदीक्षा उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चली गई थी। सुदीक्षा अमेरिका के बॉब्सन कॉलेज में भारत सरकार के खर्च पर पढ़ रही थी। हल ही में वो छुट्टियों में घर आई हुई थीं। सुदीक्षा भाटी के परिजनों का आरोप है कि जब बाइक से वह औरंगाबाद जा रहे थे, तब उनकी बाइक का बुलेट सवार दो युवकों ने पीछा किया। कभी युवक अपनी बुलेट को आगे निकालते तो कभी छात्रा पर कमेंट पास करते। इतना ही नहीं, ये सिरफिर चलते-चलते स्टंट भी कर रहे थे। इसी दौरान अचानक बुलेट सवार युवकों ने अपनी बाइक का ब्रेक लगा दिया और बुलेट की टक्कर सुदीक्षा की बाइक से हो गई। बाइक गिर गई और सुदीक्षा के सर पर चोट लग गई। सुदीक्षा ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रविवार हुई भरी बारिश से बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। सड़कों पर खड़ी गाड़ियां और छोटे वाहन पानी अपने साथ बहा ले गया तो कहीं दीवारें ढह गई। कई जगह मलबा आने से रास्ते बंद पड़े हैं। और तो और कई लोगों के घरो के अंदर पानी घुस गया। वहीं मौसम विभाग ने सोमवार को अल्मोड़ा, ऊधमसिंह नगर, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और चमोली में हल्की बारिश की संभावना जताई है। देहरादून, पिथौरागढ़, बागेश्वर, नैनीताल, चंपावत, पौड़ी, हरिद्वार और टिहरी के अधिकांश क्षेत्रों में बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। सोमवार को भी रुक रुक कर जारी बारिश से शहर के कई इलाकों में जलभराव हो गया। देहरादून और ऊपरी पहाड़ी इलाकों में हुई बारिश से देहरादून में रिस्पना नदी में भी जलस्तर बढ़ गया है जिस कारण आवाजाही में भरी दिक्कत आ रही है। वहीं मसूरी के पास पर्यटन स्थल कैंपटी फॉल व यमुना नदी के बढ़े जलस्तर ने स्थानीय लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कैंपटी फॉल में जलस्तर बढ़ने से आसपास की दुकानों में पानी भर गया जिस से दुकानदारों का सामान क्षतिग्रस्त हो गया।
भारत चीन बॉर्डर पर बढ़ रही तनातनी को कम करने के लिए शनिवार को दोनों देशों के बीच मेजर जनरल स्तर की बातचीत शुरू हो गई है। इस से पहले LAC पर सबकुछ यथास्तिथ करने के लिए कमांडर स्तर की पांच बैठके हुई हैं पर कोई पुख्ता हल नहीं निकल पाया था। अब इस तनाव को कम करने के लिए मेजर जनरल स्तर की वार्ता हो रही है। यह बातचीत दौलत बेग ओल्डी इलाके में हो रही है। यह वार्ता गलवान क्षेत्र के उत्तर में देपसांग के मैदानी इलाकों से सैनिकों को हटाने के संबंध में की जा रही है। 3 माउंटेन डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल अभिजीत बापट भारतीय पक्ष से वार्ता की अगुवाई कर रहे हैं।। इस बातचीत का अजेंडा देपसैंग इलाके में तनाव कम करना और विवादित सीमा से दूर हटने पर सहमति बनाना है। बता दें कि चीन ने देपसैंग में अपने 1500 से ज्यादा सैनिक तैनात कर रखे हैं। इधर भारत ने भी बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती की है। बैठक में 16,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित 900 वर्ग किलोमीटर के मैदानों में हो रही है। पहले भी भारत द्वारा चीन पर अपने सैनिकों को पीछे हटाने का दबाव डाला गया है ताकि तनाव की स्थिति कम हो जाए, हालांकि चीन अभी फिंगर एरिया से ज्यादा पीछे नहीं हटा है।
Kerala Health Minister K.K. Shylaja has urged those who had engaged in the relief and rescue works at the air crash site in Karipur to go into quarantine. This comes after a deceased tested positive for coronavirus. Tests of all passengers are progressing. It is learned that around 500 persons, who participated in the rescue operations will have to go on quarantine. Health Minister KK Shailaja thanked the rescue workers and asked them to follow the COVID protocol. Friday, the day rains ravaged many parts of Kerala, another tragedy happened when the Air India Express flight skidded off the runway while landing in bad weather at Kozhikode International Airport. The flight from Dubai skidded off the runway at its destination Karipur Airport, Kozhikode, Kerala and broke into two. As many as 20 people including two pilots were killed and many injured after the flight overshot the runway. The aircraft carrying over 190 people on board, while landing in heavy rains overshot the tabletop runway, fell into a valley 35 feet below and broke into two. It failed to hold on the runway due to poor weather conditions and skidded for more than 75 m. The Air India flight was part of Vande Bharat mission to bring back Indians stuck in the Middle Eastern countries during the pandemic.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आशा वर्कर्स के हड़ताल का मुदा उठा कर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने एक ट्वीट किया और कहा 'आशा कार्यकर्ता सही मायने में हेल्थ वॉरियर्स हैं, लेकिन वे आज अपने हक के लिए हड़ताल करने पर मजबूर हैं।' राहुल ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि "सरकार गूंगी तो थी ही, अब शायद अंधी-बहरी भी है।" देश की करीब 6 लाख आशा वर्कर्स विभिन्न मांगों को लेकर 7 अगस्त से दो दिवसीय हड़ताल पर हैं। 7 अगस्त से दो दिवसीय हड़ताल पर आशा वर्कर्स देशभर की करीब 6 लाख आशा वर्करों 7 अगस्त से दो दिवसीय हड़ताल पर हैं। उन्होंने सरकार से कई महत्वपूर्ण मांगे रखी हैं। उनकी सबसे पहली मांग है कि उनकी सैलरी उन्हें टाइम से मुहैया करवाई जाए, तथा उन्होंने सैलरी बढ़ाने की डिमांड भी रखी है ताकि वे कोरोना महामारी के समय जिस तरह से मदद कर रही हैं, वो जारी रख सकें। साथ ही उन्होंने सरकार से बीमा और जोखिम भत्ते जैसी सुविधाएं मुहैया करवाने कि भी मांग कि हैं। आशा वर्कर्स को इस में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन्स भी सप्पोर्ट कर रही हैं।
केरल के इडुक्की जिला के राजमला इलाके में भूस्खलन की बड़ी घटना सामने आई है। इस घटना में लोगो को जान और माल दोनों का ही भारी नुकसान उठाना पड़ा। भारी बारिश और बाढ़ के चलते नौ लोगों की मौत हो चुकी है और 10 लोगों को बचाया गया है, वहीं 57 अभी भी लापता हैं। इसके चलते केरल के तीन जिलों में 11 अगस्त तक के लिए रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। केरल के राजमला इलाके में भूस्खलन हो गया। केरल पुलिस के अनुसार हादसे में अब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है और 10 लोगों को बचाया गया है वहीं 57 अभी भी लापता हैं। बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम को तैनात किया है। वन अधिकारी और अन्य आपातकालीन सेवा के कर्मचारी मौके पर मौजूद हैं। हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जब भूस्खलन हुआ तो उन्होंने बहुत जोर की आवाज सुनी। एक व्यक्ति ने कहा कि लोग बचने के लिए भाग रहे थे और पानी चला आ रहा था। मुख्यमंत्री कार्यालय ने बचाव कार्यों के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं प्रदान करने के लिए भारतीय वायु सेना से संपर्क किया है। यह सेवा जल्द ही उपलब्ध होने की उम्मीद है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने बताया कि एक मोबाइल मेडिकल टीम और 15 एंबुलेंस को इडुक्की भेजा गया है। जरूरत पड़ने पर और मेडिकल टीमें भेजी जाएंगी। अस्पतालों को अलर्ट रहने के लिए निर्देशित किया गया है। केरल के राजस्व मंत्री ई चंद्रशेखरन ने कहा है कि चार श्रमिक शिविरों में लगभग 82 लोग रह रहे थे। हमें मालूम नहीं है कि भूस्खलन के समय वहां कितने लोग मौजूद थे। एनडीआरएफ की टीम अभी तक मौके पर नहीं पहुंची है। खराब मौसम के कारण फिलहाल लोगों एयरलिफ्ट कर बचाना संभव नहीं है। इडुक्की में भूस्खलन के बाद केरल के तीन जिलों में 11 अगस्त तक के लिए रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। अधिकारियों ने कहा कि बचावकर्मियों ने कम से कम पांच शवों को निकाला है।
Prime Minister Narendra Modi delivered the inaugural address at the Higher Education Conclave. PM mentioned that the National Education Policy was approved after extensive deliberations over 3-4 years and brainstorming over lakhs of suggestions. He noted that healthy debate and discussions are taking place on National Education policy across the country. National Education Policy aims at making the youth Future Ready while focussing on the National Values and National Goals. Narendra Modi said that the policy lays the foundation of the New India, the 21st Century India, the education and skills needed for the youth to strengthen India, to advance it to new heights of development and to further empower the citizens of India to make them suitable for maximum opportunities. The Prime Minister said that for years our education system remained unchanged leading to lopsided priorities where people were focussing on either becoming a doctor, an engineer, or a lawyer. He said there was no mapping of the Interest, Ability and Demand. The Prime Minister questioned how could critical thinking and innovative thinking develop in the youth unless there is Passion in our education, Philosophy of Education, Purpose of Education. The Prime Minister said National Education Policy also reflects the ideals of Guru Rabindranath on Education, which aims at bringing our lives in harmony with all the existence. He said, a Holistic Approach was needed, which the National Education Policy has achieved successfully. He said the Policy was formulated keeping in mind two biggest questions: Whether our education system motivates our youth for Creative, Curiosity, and Commitment Driven Life? And whether our education system empowers our youth, helps in building an Empowered Society in the country? On this, he expressed satisfaction that the National Education Policy takes care of these pertinent issues. The Prime Minister said that India's education system needs to change according to the changing times. The new structure of a 5 + 3 + 3 + 4 curriculum is a step in this direction, he added. He said that we have to ensure that our students become Global Citizens and also remain connected to their roots. The PM said the new education policy stresses on ‘How to think’. He said the emphasis on inquiry-based, discovery-based, discussion-based, and analysis based learning methods for children will enhance their urge to learn and participate in the classes. The PM urged that every student should get the opportunity to follow his passion. It often happens that when a student goes for a job after doing a course, he finds that what he has studied does not meet the requirement of the job. He said that many students also leave the course. He said in order to take care of the needs of all such students, the option of multiple entry-exit has been provided in the New Education Policy. PM said the New Education Policy provides for a Credit Bank so that students can have the freedom to leave a course in between and utilize them later when they want to resume their courses. He said that we are moving towards an era where a person will have to constantly re-skill and up-skill himself. The PM said that the dignity of every section of society plays a big role in the development of any country. Therefore, a lot of attention has been given to student education and the Dignity of Labor in National Education Policy. PM said that India has the ability to give solutions for talent and technology to the whole world and that the National Education Policy also addresses this responsibility, which aims at developing many technology-based content and courses. He said that concepts like virtual labs are going to carry the dream of better education to millions of peers who could not read such subjects before, which required Lab Experiment. National Education Policy is also going to play an important role in ending the gap between research and education in our country. The PM said that National Education Policy can be implemented more effectively and at a faster pace only when these reforms would be reflected in Institutions and Infrastructure. He said that the need of the hour is to build the values of Innovation and adaptation in society and this should start from the Institutions of our country. The Prime Minister said that higher education institutions need to be empowered through Autonomy. He said that there are two types of debates about Autonomy. One says that everything should be done strictly under government control, while the other says that all institutions should get Autonomy by default. He said that the first opinion comes out of mistrust towards non-government institutions while Autonomy is treated as an entitlement in the second approach. He said the path to Good Quality Education lies somewhere in the middle of these 2 opinions. He felt the institute that does more work for quality education should be rewarded with more freedom. This will provide Encouragement to Quality and will also give Incentive to everyone to grow. He wished that as the national education policy expands, the autonomy of educational institutions will also get faster. Quoting former President of the country, Dr. APJ Abdul Kalam “The purpose of education is to make good human beings with skill and expertise. Enlightened human beings can be created by teachers.” The Prime Minister said that the policy focuses on developing a strong teaching system where teachers can in turn produce good professionals and good citizens. There is a great emphasis on teacher training in national education policy, they are constantly updating their skills, there is a lot of emphasis on this. PM urged people to work together with the determination to implement the National Education Policy. He said that a new round of dialogue and coordination with Universities, Colleges, School education boards, different states, different stakeholders is about to start from here. He urged to continue the webinar on National Education Policy and keep discussing it. He expressed confidence that in this Conclave, better suggestions, effective solutions will come out regarding the Effective Implementation of National Education Policy.
जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री के अपहृत जवान शाकिर मंजूर से जुडी एक नई जानकारी सामने आई है। जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री के जवान के कपड़े शोपियां में एक बाग में मिले हैं। मामले की जानकारी होते ही सुरक्षाबलों ने इलाके में तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। बड़े पैमाने पर शुरू कि गई इस तलाशी अभियान में इलाके का चप्पा-चप्पा खंगाला जा रहा है। बता दें कि बकरीद पर घर आए शाकिर मंजूर का आतंकियों ने अपहरण कर लिया था। जवान को अपने साथ ले जाते समय आतंकियों ने उसकी कार जला दी थी। वहीं शुक्रवार सुबह शोपियां में एक बाग में जवान की एक टी-शर्ट और अन्य सामान मिला। इसके बाद इलाके की घेराबंदी कर स्निफर डॉग्स की मदद से तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। ये भी पढ़े : https://www.firstverdict.com/news/--5865
India's Covid-19 cases tally crossed 20 lakh mark with the highest single-day spike of 62,538 cases on Friday. The Covid-19 tally rises to 20,27,075 including 6,07,384 active cases while the recovery rate has gone up to 67.62%. This is the ninth consecutive day that COVID-19 cases have increased by more than 50,000. In the past 24 hours, 886 patients succumbed to coronavirus infection taking the death toll to 41,585. India's deaths per million population is now 30 (world average: 92) It took India three weeks to post its second million. And the majority of the new cases - 42 percent - has come from five states, namely Andhra Pradesh, Karnataka, Uttar Pradesh, West Bengal and Bihar. The number of Covid-19 cases in India reached five lakh (or half million-mark) on June 26, in just a little over 19 days. The next half-million came on July 16, according to an analysis of data from states and union territories. After the one million-mark, India crossed the 1.5 million milestones on July 28 and two million on August 6.
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद अब TV इंडस्ट्री को एक बड़ा झटका लगा है। 'ये रिश्ते हैं प्यार के' टी वि शो के एक्टर समीर शर्मा मुंबई स्तिथ अपने घर में मृत पाए गए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक समीर का शव बुधवार को उनके घर में kitchen के पंखे से लटकता हुआ मिला। समीर मलाड वेस्ट में एक सी.एच.एस बिल्डिंग में रह रहे थे। मलाड पुलिस के अनुसार, समीर शर्मा जिस अपार्टमेंट में रह रहे थे, उन्होंने वह इसी साल फरवरी में किराए पर लिया था। रात में ड्यूटी पर राउंड मार रहे वॉचमैन ने बॉडी को देखा और सोसाइटी के मेबर्स को जानकारी दी। रिपोर्ट के मुताबिक, बॉडी की हालत देख पुलिस को अंदेशा है कि समीर शर्मा ने 2 दिन पहले ही आत्महत्या कर ली थी। हालांकि मौके से कोई सूइसाइड नोट नहीं मिला है। फिलहाल इस मामले में ऐक्सिडेंटल डेथ का केस रजिस्टर कर लिया गया और बॉडी को ऑटॉप्सी के लिए भेज दिया गया है। समीर शर्मा ने 'ये रिश्ते हैं प्यार के', 'ज्योति', 'कहानी घर घर की', 'लेफ्ट राइट लेफ्ट', 'वो रहने वाली महलों की', 'गीत हुई सबसे पराई' और 'इस प्यार को क्या नाम दूं-एक बार फिर' जैसे पॉपुलर टीवी शोज में काम किया।
विजय माल्या केस में एक नया मोड़ आया है। माल्या केस में गुरुवार को SC में होने वाली सुनवाई नहीं हो पाई है। दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय में मामले से जुड़ा एक निश्चित दस्तावेज शीर्ष अदालत की फाइलों से गायब हो गया है। इस वजह से सुनवाई को 20 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। तीन साल पहले माल्या ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी जो सुनवाई के लिए अब लिस्ट हुई। माल्या ने 14 जुलाई, 2017 के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी। तीन साल पहले कोर्ट द्वारा बार-बार निर्देश के बावजूद बैंकों को 9,000 करोड़ रुपये का भुगतान न करने के लिए माल्या को अवमानना का दोषी ठहराया गया था। माल्या ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाकर अपनी संपत्ति अपने परिवार के नाम ट्रांसफर कर दी थी। अदालत ने पिछली सुनवाई में अपनी ही रजिस्ट्री से स्पष्टीकरण मांगा था कि मई 2017 के आदेश के खिलाफ माल्या की अपील अदालत के सामने लिस्ट क्यों नहीं की गई है? कोर्ट ने रजिस्ट्री से उन अधिकारियों का नाम भी पूछा था जो फाइल से निपटाते हैं। करोड़ों लेकर विदेश भागा माल्या माल्या 2 मार्च, 2016 को भारत से गुपचुप तरीके से भाग गया था। 18 अप्रैल, 2017 को ब्रिटेन की पुलिस ने उसे स्कॉटलैंड यार्ड में गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि, लंदन की अदालत ने उसे कुछ ही घंटों में जमानत पर रिहा कर दिया। माल्या का भारत में प्रत्यर्पण की कोशिश सरकार कर रही है। माल्या पर भारत के 17 बैंकों का 9 हजार करोड़ रुपये बकाया है।
गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार सुबह कोरोना अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भीषण आग लगने से 8 मरीजों की मौत हो गई। इनमें 5 पुरुष और 3 महिलाएं शामिल हैं। बताया जा रहा है कि 30 से ज्यादा मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है। जानकारी के मुताबिक नवरंगपुरा के कोविड डेडिकेटेड शेरी अस्पताल में सुबह करीब साढ़े तीन बजे आग लगी। शुरुआती रिपोर्ट में आग की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक आग ICU से शुरू हुई और फिर वह फैलती चली गई। आग लगने से अस्पताल में हड़कंप मच गया व मरीज इधर-उधर भागने लगे। फायर ब्रिगेड ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाला। इस अग्निकांड में आठ मरीजों की मौत हुई है। इसमें 5 पुरुष और 3 महिलाएं शामिल हैं। सभी मरीज कोरोना पॉजिटिव बताए जा रहे हैं। 50 से ज्यादा मरीजों को फायर ब्रिगेड की टीमों ने रेस्क्यू कर लिया है। बताया जा रहा है कि 35 मरीजों को अस्पताल के दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया है। PM मोदी ने जताया दुख प्रधानमंत्री मोदी ने इस घटना पर दुख जताते हुए, मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई। प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और अहमदाबाद की मेयर बिजल पटेल से इस बारे में बात की व हालत का जायजा लिया। मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘अहमदाबाद के अस्पताल में हुई आग की दु:खद घटना से मन व्यथित हो गया। शोकसंतप्त परिजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।’’ उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रूपाणी और मेयर पटेल से बात कर उन्होंने वर्तमान स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने कहा, ‘‘प्रशासन की ओर से प्रभावित लोगों को हरसंभव सहायता पहुंचाई जा रही है।’’
अयोध्या में आज इतिहास रचा गया है। वर्षों तक अदालत में मामला चलने के बाद आज अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया है। पीएम मोदी ने यहां कहा कि राम मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा। पीएम मोदी ने अयोध्या पहुंच हनुमानगढ़ी में पूजा की, जिसके बाद उन्होंने राम लला के दर्शन किए। भूमि पूजन के दौरान मोहन भागवत, योगी आदित्यनाथ समेत अन्य कुछ मेहमान इस ऐतिहासिक समारोह में शामिल हुए। 5 अगस्त 2020 का ये दिन पूरे देश के लिए तो ऐतिहासिक है ही मगर कहीं न कहीं इस महत्वपूर्ण जीत के तार हिमाचल के पालमपुर से भी जुड़े हैं। जी हाँ ! यह दिन हिमाचल के कांगड़ा जिले के पालमपुर के लिए भी ऐतिहासिक है। बता दें की आज से 31 साल पहले राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव हिमाचल के पालमपुर में ही पारित हुआ था। पालमपुर में 11 जून, 1989 को अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और शांता कुमार ने राम मंदिर के निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया। उस रोज़ राष्ट्रीय भाजपा कार्यसमिति की तीन दिन तक बैठक पालमपुर में हुई थी। इस बैठक में राम मंदिर निर्माण को लेकर पार्टी ने मंथन किया और तय हुआ कि अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा। बैठक के तीसरे दिन जब लालकृष्ण आडवाणी ने सबकी सहमति से राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव रखा था तो अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में चुप होकर मुस्कराते हुए अपनी सहमति जताई थी। हिमाचल के पालमपुर में हुई इस बैठक के सूत्रधार रहे पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार उस समय प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष थे। यही कारण है की कुछ दिनों पहले इस बता का ज़िक्र उन्होंने अपनी एक प्रेस कांफ्रेंस में भी किया था। पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार का कहना है कि पालमपुर में जून 1989 में राम मंदिर बनाने का लिया गया संकल्प आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरा किया है। इससे उन्हें गर्व महसूस हो रहा है, क्योंकि राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव पालमपुर में ही पारित हुआ था। उन्होंने कहा कि बैठक में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, विजयाराजे सिंधिया, मुरली मनोहर जोशी समेत पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पालमपुर में था। वाजपेयी, आडवाणी, सिंधिया को विशेष अनुमति से सेशन हाउस में ठहराया गया था। केंद्र ने गिरा दी थीं पांच राज्यों की भाजपा समर्थित सरकारें भाजपा को इस फैसले की एक भारी कीमत भी चुकानी पड़ी थी। भाजपा कार्यसमिति में राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव पारित होने के बाद छह दिसंबर को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था। इसके कारण हिमाचल में शांता कुमार, राजस्थान में भैरों सिंह शेखावत, गुजरात में केशू भाई पटेल, मध्य प्रदेश में सुंदरलाल पटवा और यूपी में कल्याण सिंह की सरकारों को केंद्र सरकार ने केवल ढाई वर्षों के कार्यकाल के बाद ही बर्खास्त कर दिया था। शांता कुमार का कहना है की इस राष्ट्रीय भाजपा कार्यसमिति की बैठक के बाद उन्होंने चौदह दिन शिमला तक पैदल यात्रा की और लोग उनसे जुड़ते रहे। कई लोग उनके साथ जुड़े उनका समर्थन किया और उनकी ये पद यात्रा एक जन आंदोलन बन गई। इस यात्रा के आयोजक उस समय प्रदेश मंत्री रहे महेंद्र नाथ सोफत थे। फिर शिमला में एक भव्य रैली हुई जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी और सुषमा स्वराज जैसे बड़े नेता भी शामिल हुए। राम मंदिर के मुद्दे ने पूरे देश में भाजपा को एक अलग पहचान दिलाई और इसी के बाद पहली बार हिमाचल प्रदेश में प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनी, पार्टी को प्रदेश में 46 सीटें मिली थीं। इतिहास गवाह है कि 6 दिसंबर 1991 को हुए बाबरी विध्वंस के बाद भाजपा ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। 1996, 1998 और 1999 के आम चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी। अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार पीएम बने और देश में भाजपा की जड़े गहरी होती रही। हालांकि 2004 और 2009 के चुनाव में भाजपा की शिकस्त का सामना करना पड़ा पर वजूद पर सवाल कभी नहीं उठा। इस बीच भाजपा पर आरोप लगने लगा कि उसे चुनाव के वक्त ही राम याद आते है। 2014 में जब नरेन्द्र मोदी पीएम बने तो रामभक्तों को उम्मीद बंध गई। हालांकि मंदिर विवाद सुप्रीम कोर्ट में था पर राम भक्तों की सारी आस मानो पीएम मोदी पर टिकी थी। उम्मीद के मुताबिक फैसला राम मंदिर के पक्ष में आया और 492 साल के बाद श्री राम का वनवास समाप्त हुआ। 1991 में जब नरेन्द्र मोदी अयोध्या गए थे तो उन्होंने संकल्प लिया था कि मंदिर बनने के बाद ही दोबारा आएंगे और हुआ भी ऐसा ही। बुधवार 5 अगस्त को इतिहास बना और उन्हीं नरेन्द्र मोदी ने राम मंदिर का भूमि पूजन किया।
मंगलवार शाम लेबनान की राजधानी बेरूत में 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट में हुए बड़े विस्फोट के बाद बेरुत बंदरगाह का एक बड़ा हिस्सा और कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं। बंदरगाह पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो गया। हर तरफ लाशें और तबाही का खौफनाक मंजर नजर आया। पूरा बेरूत शहर धुएं से भर गया व गाड़ियों के शीशे और इमारतों की खिड़कियां चकनाचूर हो गईं। इस हादसे में करीबन 78 लोगों ने अपनी जान गावं दी है और 4000 से ज्यादा लोग घायल हैं। इस विस्फोट की तीव्रता इतनी तेज़ थी मनो कोई परमाणु बम धमाका हुआ हो। विस्फोट की वजह से जमीन भी कंपकंपा गई और ऐसे लगा भीषण भूकंप आया हो। 240 किलोमीटर तक इसकी धमक महसूस की गई। इस विस्फोट की तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं। धमाके से पहले गुलाबी धुएं का ऊंचा सा गुबार पूरे आसमान में फैल गया और फिर जोरदार धमाके के साथ तबाही मच गई। रास्ते में जो आया, विस्फोट ने उसे अपनी जद में ले लिया। रिपोर्ट्स के अनुसार कम से कम 10 किमी के दायरे में घरों को भारी नुकसान पहुंचा है। धमाके से चारो तरफ तबाही का मंज़र बन गया। इस भयानक घटना होने पर लेबनान के राष्ट्रपति माइकल आउन ने सुप्रीम डिफेंस काउंसिल की मीटिंग बुलाई। देश के स्वास्थ्य मंत्री हमाद हसन ने बताया कि मरने वालों की तादाद काफी बढ़ सकती है। उन्होंने बताया है कि बेरूत शहर में भारी नुकसान भी हुआ है। धमाके की वजह से बेरूत के अस्पताल भर गए। हालत यह हो गई कि कई घायलों का कॉरिडोर के अंदर इलाज किया गया। लेबनान के रेडक्रॉस ने लोगों से अपील की है कि वे तभी अस्पताल जाएं जब बहुत जरूरी हो। PM मोदी ने जताया शोक बुधवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर शोक जताते हुए जान गंवाने वाले लोगों के परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त की है। पीएमओ ने ट्वीट करते हुए लिखा "बेरुत शहर में बड़े विस्फोट से हुए जीवन और संपत्ति के नुकसान से हैरान और सदमे में हूँ. हमारे विचार और प्रार्थनाएं शोक संतप्त परिवारों और घायलों के साथ हैं।"
हिमाचल की बेटी मुस्कान जिंदल ने पूरे देश में प्रदेश का नाम ऊंचा किया है। वह मूल रूप से सोलन जिला के बद्दी से ताल्लुक रखती हैं। मुस्कान ने 22 वर्ष की छोटी सी उम्र में ही कुछ ऐसा कर दिखाया जो हिमाचल की बेटिओं के लिए एक मिसाल बन गया। उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में पूरे देश मे 87वां रैंक हासिल किया है। उन्होंने पहले ही प्रयास में परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है। अब वह देश के लिए प्रशासनिक सेवाएं देंगी। उनका फाइनल इंटरव्यू दिल्ली में 28 जुलाई को हो चुका है और अब मेडिकल का परिणाम आने के बाद आईएएस परीक्षा का अंतिम रिजल्ट जारी कर दिया गया है। मुस्कान जिंदल के आईएएस बनने से पूरे प्रदेश व क्षेत्र में खुशी का माहौल है। बता दें मुस्कान के पिता पवन जिंदल बद्दी में ही हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं व उनकी माता ज्योति जिंदल एक ग्रहणी है। मुस्कान जिंदल की दो बहनें और एक भाई है। मुस्कान की स्कूलिंग बद्दी के वी.आर पब्लिक स्कूल से हुई है। बचपन से ही मुस्कान पढ़ाई में बहुत तेज थी, उन्होंने 10वीं और 12वीं कक्षा में 96 फीसदी नंबर लेकर स्कूल में टॉप किया था। उसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ के एसडी कॉलेज से बीकॉम किया। इस के साथ वह आईएएस परीक्षा के लिए भी तैयारियां कर रही थी। मुस्कान ने पहले ही प्रयास में आईएएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर एक मिसाल कायम की है।
राम मंदिर भूमि पूजन का कार्यक्रम 5 अगस्त को होने वाला है जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिस्सा लेने वाले हैं जिसकी तैयारी बड़े जोरो शोरों से चल रही है। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के कई अन्य नेता कोरोना की चपेट में आ गए हैं, जिससे पश्चात उमा भारती ने ट्वीट कर चिंता जिताते हुए कई बाते कही हैं। उमा भारती ने ट्वीट कर कहा कि वे अयोध्या के भूमि पूजन कार्यक्रम में आएंगी लेकिन मंदिर स्थल पर न रहकर सरयू नदी के तट पर रहेंगी। वही भाजपा की वरिष्ठ नेता ने ट्वीट कर कहा, 'कल जब से मैंने अमित शाह जी तथा यूपी भाजपा के नेताओं के कोरोना पॉजिटिव होने के बारे में सुना तभी से मैं अयोध्या में मंदिर के शिलान्यास में उपस्थित लोगों के लिए खासकर नरेंद्र मोदी जी के लिए चिंतित हूं। इसलिए मैंने राम जन्मभूमि न्यास के अधिकारियों को सूचना दी है की शिलान्यास के कार्यक्रम के मुहूर्त पर मैं अयोध्या में सरयू के किनारे पर रहूंगी'। उमा भारती ने कहा कि वे प्रधानमंत्री और अन्य लोगों के जाने के बाद रामलला के दर्शन करेंगी। उन्होंने कहा, 'मै भोपाल से आज रवाना होऊंगी। कल शाम अयोध्या पहुंचने तक मेरी किसी संक्रमित व्यक्ति से मुलाकात हो सकती हैं ऐसी स्थिति में जहां नरेंद्र मोदी और सैकड़ों लोग उपस्थित हों मैं उस स्थान से दूरी रखूंगी तथा नरेंद्र मोदी और सभी समूह के चले जाने के बाद ही मै रामलला के दर्शन करने पहुंचूंगी यह सूचना मैंने अयोध्या में रामजन्मभूमिन्यास के वरिष्ठ अधिकारी और पीएमओ को भेज दी है की नरेंद्र मोदी के शिलान्यास कार्यक्रम के समय उपस्थित समूह की सूची में से मेरा नाम अलग कर दें।'
अयोध्या भूमि विवाद में मुस्लिम पक्षकार रहे इक़बाल अंसारी को भी राम मंदिर भूमि पूजन के लिए न्योता मिला है। अब वह भी राम मंदिर की नींव रखने की रसम में शामिल होंगे। उन्होंने न्योता स्वीकार करते हुए कहा "भगवान राम की मर्ज़ी से हमे यह न्योता मिला है। अयोध्या में गंगा-जमुनी तहजीब बरकरार है। मैं हमेशा मठ-मंदिरों में जाता रहा हूँ। कार्ड मिला है तो जरूर जाऊंगा।" बात दे कि अयोध्या में 5 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राम मंदिर का भूमि पूजन किया जाएगा। इस से पहले मोदी हनुमानगढ़ी जाएंगे व वहां पूजा करेंगे।
बकरीद के त्यौहार पर एक चिंताजनक घटना सामने आई है। बताया जा रहा है कि बकरीद पर एक सैनिक अपने घर आया था तभी आतंकवादियों ने उसके घर में घुसकर उसका अपहरण कर लिया तथा उसे ले जाते समय घर के बाहर खड़ी उसकी कार को भी जला दिया। इस घटना के बाद से पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। जवान का नाम शाकिर मंजूर जोकि 162 टीए में दक्षिणी कश्मीर के बालापुर में 12 सेक्टर हेडक्वार्टर में तैनात था बताया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री में तैनात जवान बकरीद की छुट्टियों में घर आया था। रविवार देर शाम आतंकी जिले के रामभामा इलाके में उसके घर पहुंच गए तथा जबरन घर में घुसकर उन्होंने उसका अपहरण कर लिया। जवान को अपने साथ ले जाते समय आतंकियों ने बाहर खड़ी उसकी कार को आग के हवाले कर दिया। घटना के बाद परिवार वालों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। इसके बाद सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेरकर तलाशी अभियान शुरू किया। वरिष्ठ अधिकारियों ने भी परिवार वालों से घटना की जानकारी हासिल की है।
"या तो मैं लहराते तिरंगे के पीछे आऊंगा, या तिरंगे में लिपटा हुआ आऊंगा। पर मैं आऊंगा जरूर।" भले ही कारगिल युद्ध को 21 वर्ष का वक्त बीत चूका हो लेकिन शहीद कप्तान विक्रम बत्रा की ये पंक्तियाँ आज भी हर हिंदुस्तानी के ज़हन में जीवित है। 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस है और 7 जुलाई वो तारीख है जब कारगिल के हीरो शहीद कप्तान विक्रम बत्रा ने शाहदत का जाम पिया। वहीँ कैप्टेन विक्रम बत्रा जिनके बारे में खुद इंडियन आर्मी चीफ ने कहा था कि अगर वो जिंदा वापस आता, तो इंडियन आर्मी का हेड बन गया होता। पालमपुर में हुई प्रारंभिक शिक्षा कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर जिले के घुग्गर में हुआ। शहीद बत्रा की मां जय कमल बत्रा एक प्राइमरी स्कूल में टीचर थीं और ऐसे में कैप्टन बत्रा की प्राइमरी शिक्षा घर पर ही हुई थी। शुरुआती शिक्षा पालमपुर में हासिल करने के बाद कॉलेज की पढ़ाई के लिए वह चंडीगढ़ चले गए। शहीद कैप्टेन विक्रम बत्रा के स्कूल के पास आर्मी का बेस कैम्प था। स्कूल आते-जाते समय वहां चलने वाली गतिविधियों को देखते रहते थे। सेना की कदमताल और ड्रमबीट की आवाज से उनके रोंगटे खड़े हो जाते थे। शायद यही वो वक्त था जब वे सेना में शामिल होने का मन बन चुके थे। "मां मुझे मर्चेंट नेवी में नहीं जाना, मैं आर्मी ज्वाइन करना चाहता हूं" चंडीगढ़ में पढ़ते वक्त शहीद कैप्टेन विक्रम बत्रा ने मर्चेंट नेवी में जाने के लिए परीक्षा दी। परिणाम आया तो वह परीक्षा पास के चुके थे। कुछ ही दिनों में उनका नियुक्ति पत्र भी आ गया। जाने की सारी तैयारियां हो चुकी थीं। पर उनके मन में कुछ और ही चल रह था। इस बीच एक दिन वह मां की गोद में सिर रखकर बोले, मां मुझे मर्चेंट नेवी में नहीं जाना। मैं आर्मी ज्वाइन करना चाहता हूँ। इसके बाद वही हुआ जो वह चाहते थे। 18 महीने की नौकरी के बाद ही जंग विक्रम बत्रा की 13 JAK रायफल्स में 6 दिसम्बर 1997 को लेफ्टिनेंट के पोस्ट पर जॉइनिंग हुई थी। महज 18 महीने की नौकरी के बाद 1999 में उन्हें कारगिल की लड़ाई में जाना पड़ा। वह बहादुरी से लड़े और सबसे पहले उन्होंने हम्प व राकी नाब पर भारत का झंड़ा फहराया। युद्ध के बीच में ही उन्हें कैप्टन बना दिया गया। जब कहा, 'ये दिल मांगे मोर' 20 जून 1999 को कैप्टन बत्रा को कारगिल की प्वाइंट 5140 को दुश्मनों से मुक्त करवाने का ज़िम्मा दिया गया। युद्ध रणनीति के लिहाज से ये चोटी भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी। कैप्टेन बत्रा ने इस चोटी को मुक्त करवाने के लिए अभियान छेड़ा और कई घंटों की गोलीबारी के बाद आखिरकार वह अपने मिशन में कामयाब हो गए। इस जीत के बाद जब उनकी प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने जवाब दिया, 'ये दिल मांगे मोर,' बस इसी पल से ये पंक्तियाँ अमर हो गई। पाक ने दिया कोडनेम शेरशाह कारगिल वॉर में कैप्टन विक्रम बत्रा दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुके थे। ऐसे में पाकिस्तान की ओर से उनके लिए एक कोडनेम रखा गया और यह कोडनेम कुछ और नहीं बल्कि उनका निकनेम शेरशाह था। इस बात का खुलासा खुद कैप्टन बत्रा ने युद्ध के दौरान ही दिए गए एक इंटरव्यू में दी थी। साथी को बचाते हुए शहीद हुए शेरशाह प्वाइंट 5140 पर कब्जे के बाद कैप्टेन विक्रम बत्रा अगले प्वांइट 4875 को जीतने के लिए चल दिए। ये चोटी समुद्री तट से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर है और इस पर कब्जे के लिए 80 डिग्री की चढ़ाई पर चढ़ना था। पहला ऑपरेशन द्रास में हुआ था। कैप्टेन विक्रम बत्रा अपने साथियों के साथ पत्थरों का कवर ले कर दुश्मन पर फ़ायर कर रहे थे, तभी उनके एक साथी को गोली लगी और वो उनके सामने ही गिर गया। वो सिपाही खुले में पड़ा हुआ था। कैप्टेन विक्रम बत्रा और उनके एक साथी चट्टानों के पीछे बैठे थे। हालाँकि उस घायल सिपाही के बचने के आसार बेहद कम थे लेकिन कैप्टेन विक्रम बत्रा ने फैसला लिया की वे उस घायल सिपाही को रेस्क्यू करेंगे। जैसे ही उनके साथी चट्टान के बाहर कदम रखने वाले थे, विक्रम ने उन्हें कॉलर से पकड़ कर कहा, "आपके तो परिवार और बच्चे हैं। मेरी अभी शादी नहीं हुई है। सिर की तरफ़ से मैं उठाउंगा। आप पैर की तरफ़ से पकड़िएगा।' ये कह कर विक्रम आगे चले गए और जैसे ही वो उनको उठा रहे थे, उनको गोली लगी और वो वहीं गिर गए और शहीद हो गए। मरणोपरांत मिला परमवीर चक्र कैप्टेन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र दिया गया। 26 जनवरी, 2000 को उनके पिता गिरधारीलाल बत्रा ने हज़ारों लोगों के सामने उस समय के राष्ट्रपति के आर नाराणयन से वो सम्मान हासिल किया।
जिला दण्डाधिकारी सोलन के.सी चमन ने कोविड-१९ के खतरे के दृष्टिगत जिला की अंतरराज्यीय सीमाओं पर अन्य राज्यों से आने वाले प्रदेश के निवासियों के समुचित प्रबंधन एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के निर्देशों की अनुपालना के लिए जिला के परवाणू नाका तथा क्वारेनटाइन केन्द्रों पर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा सेवाएं प्रदान करने के सम्बन्ध में आदेश जारी किए हैं। यह आदेश आपदा प्रबन्धन अधिनियम-२००५ की धारा ३० के अन्तर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए गए हैं। ०६ जुलाई से १२ जुलाई २०२० तक परवाणू नाके पर प्रातःकालीन ड्यूटी में सोलन होम्योपेथिक चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल की श्वेता भास्कर एवं मंगखानलयान सांयकालीन ड्यूटी में महर्षि मार्कण्डेश्वर चिकित्सा महाविद्यालय कुम्हारहट्टी के तिलक राज एवं सोलन होम्योपेथिक चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के पुनियो नाबिंग, रात्रि सेवा में एम.एन. डीएवी दन्त महाविद्यालय के पवन कुमार एवं सोलन होम्योपेथिक चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के शुभम दीक्षित सेवाएं प्रदान करेंगे। इसी अवधि में जिला के टीटीआर नाके पर प्रातःकालीन डयूटी में सोलन होम्योपेथिक चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के अमित कौशल एवं लता ठाकुर, सांयकालीन ड्यूटी में एम.एन. डीएवी दन्त महाविद्यालय के विनोद डोगरा एवं देवेन्द्र कुमार तथा रात्रि समय में एम.एन. डीएवी दन्त महाविद्यालय के रंजीत सिंह एवं राजेश कुमार सेवाएं प्रदान करेंगे। यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं।
On Thursday a meeting of The Group of Minister for COVID-19 was held. The agenda was to review the actions taken and preparedness of States/UT's for containment and management of coronavirus. The Union Minister of Health and Family Welfare, Dr Harsh Vardhan chaired the high level review meeting. The status of COVID-19 was presented to the group of ministers. The actions taken for prevention and management of COVID-19 in India were presented. The group of ministers discuss elaborately on the various measures and precautions which may be considered in the interest of citizens of India. According to the latest updates by the Health Ministry the total number of cases in India rose to 5734 on Thursday morning, with 166 reported deaths. Reports show it to be a slower increase compared to previous 48 hours. Cases in India rose 23 percent in last two days to 5274 whereas it was 39 percent to 4281 previously. So far, Maharashtra Tamil Nadu and Telangana have seen the highest increase in COVID-19 cases. Maharashtra has the highest number of cases at 875, while Tamilnadu has second most highest number of active cases at 664. It is closely followed by Delhi with 546 cases. Telangana has 385 cases, while Uttar Pradesh on the fifth place has 314 active cases. These top five states together account for a total 59 % of active cases nationally. Himachal Pradesh recorded one positive case of coronavirus in last 24 hours. With this, the total number of COVID-19 cases in state rose to 28. While the total number active cases in the hill state is at 21.
The Corona virus which has caused awe in the world has also knocked in Himachal. So far untouched by the Corona virus, Himachal has received two positive cases on Friday. Both are residents of Kangra. They had been admitted to Dr. Rajendra Prasad Medical College Tanda. The sample investigation report of both has come positive. Chief Minister Jairam Thakur and Deputy Commissioner, Kangra Rakesh Prajapati have confirmed that the Women have returned from Dubai and the men from Singapore lately. The samples of both have now been sent to a lab in Pune for examination. According to the information, the 63-year-old victim woman returned from Dubai on 19 March, while the 32-year-old victim returned from Singapore on 18 March. CMO Kangra Dr. Gurdarshan Gupta said that both the patients were admitted to the isolation ward set up at Tanda Medical College late in the evening. Initial investigations have found both reports of corona virus positive. Now the samples of both have been sent to a lab in Pune for examination. People have been stirred up in Himachal for the first time with two cases. Now the health department is trying to find out how many people have come in contact with the two of them . They will also be brought under surveillance. The family of both has also been placed on observation. A young boy who has come from Malaysia Via Ship to Mumbai and then to Solan on Thursday, is admitted in isolation ward at Solan Hospital. Have sent his samples to Shimla. At the same time, two Nepali people of Rampur are admitted in isolation ward at DDU Shimla. People from other countries and Corona affected 85 people have arrived in Himachal. Their number was 748 on Thursday, which has now risen to 823. Of these, 283 people have completed their 28-day monitoring period. They have been allowed to meet people. Samples of 10 suspects have come negative. Reports of three are yet to come. 100 people have left Himachal, while 431 people are still on surveillance Chief Medical Officer Kangra Dr. Gurdarshan Gupta said that earlier people from only 19 countries identified were being monitored, but now local or foreign tourists from any country are being kept under surveillance. The suspect is being advised to stay in the hospital while the normal person is in home isolation. Prime Minister Narendra Modi on Friday held a video conference with Chief Ministers of all states across the country, including Himachal Pradesh, in the context of corona virus infection. Chief Minister Jairam Thakur gave information about Himachal's preparations and steps taken, while also expressing grief over two positive cases in the state. The Union Health Ministry suggested Himachal authorities to take more stringent measures. The Chief Minister, while holding a video conference with all the Deputy Commissioners of the state, asked them to ensure that the Janata curfew will be successful on March 22 at the call of the Prime Minister. He also gave instructions to stop black marketing. The CM said that it is difficult to interfere in weddings but appealed that people shorten the event and postpone the Dham.
After the COVID-19 outbreak in the world, it has been declared as the public health emergency of international concern. Today we are sitting near the tips of an iceberg, it is certain that the spread of infectious diseases will be much faster than ever before. thanks to the government's commitment and people’s devotion, the new cases have started to decline in China. Still the virus has managed to spread across the borders, the governments and people are taking extraordinary measures to limit the further transmission of the virus and to reduce the number of infected people around the globe. WHO has declared the COVID-19 outbreak an international health emergency not because China has responded poorly but due to strained, fragile and choked health systems of many developing countries. insufficient public health infrastructure, frail health monitoring systems weak laboratory networking and poor health information management make developing countries highly prone to disease outbreaks . as of today more than 57 countries worldwide have reported cases of COVID-19. China is defeating the COVID-19 for three reasons: strong government commitment and intervention, efficient health services and innovative diagnostic platforms which are lacking in developing countries. Chinese government took stringent measures including closing down the Wuhan city and adjacent areas and putting the 51 billion people under quarantine. The pathogen was identified within three days, virus detection kits were developed to diagnose patients, to cap it all the Chinese government is mounting all-out efforts to stop the outbreaks. But the countries like Italy and France are not able to fight against the virus as efficiently as China, and it turned out to be disastrous for these states. In less than three weeks, the coronavirus has overloaded the health care all over northern Italy. If not even hospitals of the developing countries with the worlds best health care risk becoming triage wards, then the countries like India, Pakistan Sri Lanka which are still developing and even failed to avail the basic personal protective equipments (PPE) such as masks and gloves, as these countries have limited indigenous production and rely on import and are lacking technical expertise and advanced biomedical facilities, especially biosafety level-3 and 4 laboratories, which are essential for novel pathogen detection are still preventing against the COVID-19. India which is a densely populated country has managed to prevent itself successfully from COVID-19 so far. The Indian government is coming forward to fight against COVID-19 with stringent measures including visa restrictions and other travel restrictions on a global level. Indian government has banned traveling from the European Union (Austria, Belgium, Bulgaria, Croatia, Cyprus, Czech, Republic, Denmark, Italy, France, Spain, Sweden), Turkey and United Kingdom. All existing visas issued to nationals of any country except those issued to diplomates, official passports holders those in UN / International organizations, those on employment, and who had not entered India yet, stand suspended w.e.f. 1200GMT on March 13,2020 till April 15,2020. On a local level governments have taken measures to empower the citizens with the right information and taking precautions as per the advisories being issued by the ministry of health & family welfare. All the schools,colleges and cinema halls are shut in most of the Indian states till March 31st. The government also ordered disinfecting in all the public places, including government, private offices and shopping malls compulsory. Steps are being taken for sanitization of public transport vehicles and terminals. Government is also planning for displaying public health messages on public transport vehicles, bus stops, etc. Not only the government but the people of India are actively supporting the fight against coronavirus. They have become more conscious about their hygiene and cleanliness. They are washing hands more frequently with soap and water, wearing masks when they are outdoors, using alcohol-based hand sanitizers, staying at home and avoiding not so important public gatherings and so on and so far. People are trying to clean up the places around them which is not seen usually on Indian streets. People are themselves spreading awareness amongst each other about the do’s and don’ts and supporting the fight against COVID-19 in their own ways. Further individuals and companies are also coming up with innovative solutions and developed technologies, bioinformatics, datasets, apps for diagnosis, etc that can be leveraged for strengthening the fight against the corona. COVID-19 has definitely made a change in people’s hygiene habits. COVID-19 is leaning towards a good chance in the society. If people stay habitual to these habits of hygiene and cleanliness then such diseases can be prevented in the future.












































