The Central Board of Direct taxes has extended the deadline for filing income tax return for FY2018-19 by individuals. The last date to file ITR is extended to August 31, 2019 from July 31, 2019. Late ITR Filling Fee: If the ITR is not filed by an individual before August 31, then the individual would have to pay a late filing fee of Rs 5,000, if filed by December 31. But If the ITR is filed between January 1 and March 31, then late filing fees of Rs 10,000 will be levied.
Finally the Karnataka drama ends and the 14-month-old Congress-JD(S) government led by HD Kumaraswamy has lost the trust vote in Karnataka assembly. The BJP won 105 votes to the Congress-Janata Dal Secular's 99 in the trust vote that took place after a dragging debate that featured several speakers and was described as an attempt to stall a vote the coalition was certain to lose. In the 225-member Karnataka Assembly, 20 were not present in the House for the floor test. BJP leader BS Yeddyurappa called it a 'victory of democracy’. After floor test BS Yeddyurappa Set To Be Chief Minister For Fourth Time
श्री नैना देवी मंदिर महिशपीठ नाम से भी है प्रसिद्ध हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में मां नैना देवी का भव्य और सुन्दर मंदिर स्थित है। श्री नैना देवी मंदिर महिशपीठ नाम से भी प्रसिद्ध है क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार यहाँ पर माँ ने महिषासुर का वध किया था। किंवदंतियों के अनुसार, महिषासुर एक शक्तिशाली राक्षस था जिसे श्री ब्रह्मा द्वारा अमरता का वरदान प्राप्त था, लेकिन उस पर शर्त यह थी कि वह एक अविवाहित महिला द्वारा ही परास्त हो सकता था। इस वरदान के कारण, महिषासुर ने पृथ्वी और देवताओं पर आतंक मचाना शुरू कर दिया। राक्षस के साथ सामना करने के लिए सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों को संयुक्त किया और एक देवी को बनाया जो उसे हरा सके। देवी को सभी देवताओं द्वारा अलग अलग प्रकार के हथियारों की भेंट प्राप्त हुई। महिषासुर देवी की असीम सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गया और उसने शादी का प्रस्ताव देवी के समक्ष रखा। देवी ने उसे कहा कि अगर वह उसे हरा देगा तो वह उससे शादी कर लेगी। पर लड़ाई के दौरान देवी ने दानव को परास्त कर उसका वध किया। यहाँ गिरे थे माता सती के नयन : नैना देवी मंदिर शक्ति पीठ मंदिरों मे से एक है। पूरे भारतवर्ष मे कुल 51 शक्तिपीठ है, जिनमें से एक नैना देवी हैं। इन सभी शक्ति पीठों की उत्पत्ति कथा एक ही है। यह सभी मंदिर शिव और शक्ति से जुड़े हुऐ है। धार्मिक ग्रंधो के अनुसार इन सभी स्थलो पर देवी के अंग गिरे थे। शिव के ससुर राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया जिसमें उन्होंने शिव और सती को आमंत्रित नही किया क्योंकि वह शिव को अपने बराबर का नहीं समझते थे। यह बात सती को काफी बुरी लगी और वह बिना बुलाए यज्ञ में पहुंच गई। यज्ञ स्थल पर शिव का काफी अपमान किया गया जिसे सती सहन न कर सकी और वह हवन कुण्ड में कुद गयीं। जब भगवान शंकर को यह बात पता चली तो वह आये और सती के शरीर को हवन कुण्ड से निकाल कर तांडव करने लगे। इस कारण सारे ब्रह्माण्ड में हाहाकार मच गया। पूरे ब्रह्माण्ड को इस संकट से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागो में बांट दिया जो अंग जहां पर गिरा वह शक्ति पीठ बन गया। मान्यता है कि नैना देवी में माता सती के नयन गिरे थे। ये कथा भी हैं प्रचलित: मंदिर से संबंधित एक अन्य कहानी नैना नाम के गुज्जर लड़के की है। एक बार वह अपने मवेशियों को चराने गया और देखा कि एक सफेद गाय अपने थनों से एक पत्थर पर दूध बरसा रही है।इसके पश्चात एक रात जब वह सो रहा था, उसने देवी माँ को सपने मे यह कहते हुए देखा कि वह पत्थर उनकी पिंडी है। नैना ने पूरी स्थिति और उसके सपने के बारे में राजा बीर चंद को बताया। इसके बाद उसी स्थान पर श्री नयना देवी नाम के मंदिर का निर्माण करवाया गया। गुरु गोबिंद सिंह ने लिया था आशीर्वाद : मंदिर से जुडी एक और कहानी सिख गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ जुडी हुई है।जब उन्होंने मुगलों के खिलाफ अपनी सैन्य अभियान 1756 में छेड़ दिया, वह श्री नैना देवी गये और देवी का आशीर्वाद लेने के लिए एक महायज्ञ किया। आशीर्वाद मिलने के बाद, उन्होंने सफलतापूर्वक मुगलों को हरा दिया। जाने नैना देवी मंदिर के बारे में: नैना देवी 51 शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि यहीं सती की आंखें गिरी थीं। यह माँ शक्ति का एक सिद्ध पीठ है जो शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियो पर समुद्र तल से 11000 मीटर की ऊंचाई पर है। नैना देवी हिंदूओं के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यह स्थान NH-21 से जुड़ा हुआ है। श्रावण अष्टमी, चैत्र नवरात्र और आश्विन नवरात्र के दौरान यहां श्रद्धालुओं की अपार भीड़ जुटती है। मंदिर में एक पीपल का पेड़ भी भक्तिभाव से पूजा जाता है। यह भी कई शताब्दी पुराना है। मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 21 पर स्थित है। यहां से नजदीकी हवाई अड्डा चंडीगढ़ है। आनंदपुर साहिब और कीरतपुर साहिब से यहां के लिए टैक्सियां किराए पर मिल जाती हैं। मंदिर के मुख्य द्वार के दाईं ओर भगवान गणेश और हनुमान की प्रतिमा है। मंदिर के गर्भगृह में तीन मुख्य मूर्तियां हैं। दाईं ओर माता काली, बीच में नैना देवी और बाईं ओर भगवान गणेश विराजमान हैं। बेस कैंप से चोटी के मंदिर तक की दूरी डेढ़ घंटे में आराम से पूरी की जा सकती है। त्योहारों और मेलों के दौरान भवन से वापस आने और जाने के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए गए हैं, ताकि दर्शन सुविधाजनक तरीके से किया जा सके।
सोलन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कुमारहट्टी में कार्यशाला का आयोजन सोलन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कुमारहट्टी में 'आधुनिक जीवनशैली के रोग' विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। ये कार्यशाला आयुर्वेदिक विभाग जिला सोलन के माध्यम से आयोजित की गई। कार्यशाला में कॉलेज प्रधानाचार्य, अध्यापकों चिकित्सकों एवं प्रशिक्षु चिकित्सकों ने हिस्सा लिया। आधुनिक जीवन शैली से हो रहा सेहत को नुक्सान जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ राजेंद्र शर्मा ने बताया कि किस प्रकार आधुनिक जीवन शैली हमारी सेहत को नुक्सान पहुंचा रही है। उन्होंने कहा पुराने समय में लोगों कि दिनचर्या व खानपान अच्छा होता था, इसलिए लोगों की सेहत भी अच्छी होती थी। पर आधुनिकता की अंधी दौड़ में मनुष्य बीमारी से ग्रस्त रहता है। उन्होंने कहा कि विकृत जीवन शैली के चलते खासतौर से मानसिक बीमारियां बढ़ रही है। डॉ अरविन्द गुप्ता ने दी योग अपनाने की सलाह इस मौके पर डॉ अरविन्द गुप्ता व डॉ मुंजेश ने भी जानकारी दी कि किस प्रकार योग अपनाकर हम अपनी जीवन शैली में परिवर्तन कर सकते है और रोग से दूर रह सकते है।कॉलेज प्रिंसिपल डॉ एनपी सिंह ने कॉलेज ने 2 से 5 अगस्त तक योग सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है।
डीएवी अंबुजा विद्या निकेतन दाड़लाघाट में 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए एक्स टेम्पोट प्रतियोगिता का आयोजन प्रधानाचार्य मुकेश ठाकुर की अगुवाई में करवाया गया।इस प्रतियोगिता में बच्चों से बिना पूर्व अभ्यास के किसी भी विषय पर पूछा जाता है, प्रतियोगिता में लगभग 50 विद्यार्थियों से विभिन्न विषयों पर प्रश्न पूछे गए।कार्यक्रम का संचालन प्राध्यापक सुरेंद्र शर्मा द्वारा किया गया।इस प्रतियोगिता में 11वीं कक्षा से करण शर्मा प्रथम व 12वीं कक्षा से विनित कुमार दूसरे स्थान पर तथा नवमी कक्षा से ज्योति ठाकुर तीसरे स्थान पर रही।स्कूल प्रबंधन समिति के चेयरमैन अनुपम अग्रवाल ने प्रतिभागियों को बधाई दी तथा उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।अंत में प्रधानाचार्य मुकेश ठाकुर ने विजेताओं को बधाई देते हुए अपने संबोधन में कहा कि इस तरह के आयोजनों से विद्यार्थियों का मानसिक विकास तो होता ही है साथ ही उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।
पुलिस थाना दाड़लाघाट के तहत दो साधुओं के बीच लड़ाई का मामला दर्ज हुआ है, जिसमें एक साधू ने दूसरे साधू को बुरी तरह जाहख्मी कर दिया। मिली जानकारी के अनुसार कराड़ाघाट के स्थानीय मन्दिर में काफी समय से रह रहे साधुओं में मंगलवार सुबह किसी बात पर लड़ाई हो गयी। यह लड़ाई इतनी बढ़ गई कि एक साधु ने दूसरे पर जानलेवा हमला कर दिया। चोटिल साधु को अर्की अस्पताल लाया गया जहाँ से घायल साधु को आईजीएमसी शिमला के लिए रेफर किया गया।मारपीट के बाद आरोपी बाबा फरार हो गया है।मामले की पुष्टि करते हुए डीएसपी दाड़लाघाट पूर्ण चंद ठुकराल ने बताया कि कराडाघाट मंदिर में रहने वाले साधु अर्जुन दास गुजरात के रहने वाले हैं और वह लगभग पांच-छह महीने से कराडाघाट के मंदिर में रह रहे थे। अर्जुनदास ऊपर किसी अज्ञात साधु द्वारा हमला किया गया जिसमें वह बुरी तरह से घायल हो गया।पूर्ण चंद ने बताया कि हमला करने वाले व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है व मामले की छानबीन की जा रही है।
Women are involved at every stage of Solan - Kaithlighat four lane construction Women Empowerment is always top priority for Arief Engineers : Mallick Women Engineers are contributing a significant role in four-lane construction work of the 22.91 kilometre stretch of the National Highway from Solan to Kaithlighat. This work was awarded to Arief Engineers in 598 crores, and it was initiated on November 9, 2018 by the company. In last nine months company has delivered quite satisfactory inspite so many hurdles. The General Manager of Arief Engineers, Amit Mallick is taking care of this project, but the contribution of women is no less. "Our women engineers are involved at every level of construction work in this jumbo project," says Mallick. He further added, “ not only civil engineers but in other departments also, women are playing a vast role.” Five women are deployed in key positions at Kandaghat Site The project office of Arief Engineers is located at Kandaghat. Presently, Arief Engineers has deployed five women in key positions at site office, including three core civil engineers. All these women are from different parts of the country, and they are exception to the myth that women are rare in civil engineering field. It is not at all easy for any civil engineer to work in mountains, but these women are delivering surfeit expectations. Rajendra, Kalpana Gupta and Jyoti Bhatia are the civil engineers who are breaking the barriers and making their contribution at every step of construction, right from planning to the on site execution. Whereas, Disha Sharma is taking care of human resource management and Ekta Sharma is responsible for accounts. Women has significant role to play at every site of Arief Engineers Despite the increased interest in civil engineering among women, there are still a number of challenges that are contributing to the continued gender inequality. One barrier that is often pointed to is the lack of female role models in the field. Because the number of women in the field is low, there are also few female leaders in civil engineering, which can make it difficult for new generations of female engineers to find mentors whom they feel they can relate to. But Arief Engineers is providing the right atmoshphere to young women engineers, so they may learn, grow and contribute the optimum in nation building. General Manager Amit Mallick said “ Kandaghat site is not the exception, at every site of Arief Engineers the role of women is no less."
Chandra Shekhar Azad was born on July 23, 1906, in Bhavra, Madhya Pradesh. Azad was a daring freedom fighter and a fearless revolutionary. In his early age he was the part of non cooperation movement but after suspension of the non-cooperation movement by Gandhi Ji in 1922, Azad became more aggressive. He joined Ram Prasad Bismil who had formed the Hindustan Republican Association (HRA), a revolutionary organisation. Today is the 113th birth aniversary of Indian Freedom Fighter Chandrashekhar Azad. Chandra Shekhar Azad was popularly known as Azad. After the massacre of the Jallianwala Bagh which took place in 1919 , he decided to join the Non-Cooperation movement led by Mahatma Gandhi in 1920. Azad was just 15 years old when he was arrested for the first time for joining Gandhi's Non-Cooperation Movement. When Azad was produced before a judge, he gave his name as 'Azad', father's name as 'Swatantrata' (independence) and residence as 'Jail'. Azad was the chief strategist of the Hindustan Socialist Republican Association (HSRA). He executed Kakori Train robbery in 1925 and the killing of the assistant superintendent Saunders in 1928. Azad had made a pledge that the police will never capture him alive. After the death of Lala Lajpat Rai, Bhagat Singh also joined Azad to fight against British. On February 27, 1931, betrayed by one of the associates, he was besieged by the British police in Alfred Park, Allahabad. He fought valiantly but seeing no other way he shot himself with last bullet left and fulfilled his resolve to die a 'free man'.
शिमला से लगभग 110 कि.मी. दूर, शिमला-रोहड़ू मार्ग पर पब्बर नदी के दाहिने किनारे धान के खेतों के बीच स्थित माता हाटकोटी का मंदिर लाखों भक्तों केलिए आस्था का केंद्र हैं। मां हाटकोटी के मंदिर में एक गर्भगृह है जिसमें मां की विशाल मूर्ति विद्यमान है यह मूर्ति महिषासुर मर्दिनी की है। इतनी विशाल प्रतिमा हिमाचल में ही नहीं बल्कि भारत के प्रसिद्ध देवी मंदिरों में भी देखने को नहीं मिलती। मात की ये प्रतिमा किस धातु की है इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। लोकगाथा के अनुसार एक लोकगाथा के अनुसार इस देवी के संबंध में मान्यता है कि बहुत वर्षो पहले एक ब्राह्माण परिवार में दो सगी बहनें थीं। उन्होंने अल्प आयु में ही सन्यास ले लिया और घर से भ्रमण के लिए निकल पड़ी। उन्होंने संकल्प लिया कि वे गांव-गांव जाकर लोगों के दुख दर्द सुनेंगी और उसके निवारण के लिए उपाय बताएंगी। एक बहन हाटकोटी गांव पहुंची जहां मंदिर स्थित है,उसने यहां एक खेत में आसन लगाकर ईश्वरीय ध्यान किया और ध्यान करते हुए वह लुप्त हो गई। जिस स्थान पर वह बैठी थी वहां एक पत्थर की प्रतिमा निकल पड़ी। इस आलौकिक चमत्कार से लोगों की उस कन्या के प्रति श्रद्धा बढ़ी और उन्होंने इस घटना की पूरी जानकारी तत्कालीन जुब्बबल रियासत के राजा को दी। जब राजा ने इस घटना को सुना तो वह तत्काल पैदल चलकर यहां पहुंचा। राजा ने यहां पर मंदिर बनाने का निश्चय ले लिया। लोगों ने उस कन्या को देवी रूप माना और गांव के नाम से इसे 'हाटेश्वरी देवी' कहा जाने लगा। इसलिए विशेष हैं मंदिर यह मंदिर समुद्रतल से 1370 मीटर की ऊंचाई पर पब्बर नदी के किनारे समतल स्थान पर स्थित है। कहा जाता है मंदिर के साथ लगते सुनपुर के टीले पर कभी विराट नगरी थी, जहां पर पांडवों ने अपने गुप्त वास के कई वर्ष व्यतीत किए। यह स्थान हाटकोटी के नाम से भी प्रसिद्ध है। माता हाटेश्वरी का मूल स्थान ऊपर पहाड़ों में घने जंगल के मध्य खरशाली नामक जगह पर है। मन्दिर के बिल्कुल बांयी ओर बड़े-छोटे पत्थरों को तराश कर, छोटे-छोटे पांच कलात्मक मन्दिर बनाए गये है। इन मंदिरों का निर्माण पाण्डवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया है । यहां के स्थायी पुजारी ही गर्भगृह में जाकर मां की पूजा कर सकते हैं। मंदिर के बाहर प्रवेश द्वार के बाई ओर एक ताम्र कलश लोहे की जंजीर से बंधा है जिसे स्थानीय भाषा में चरू कहा जाता है। इनमें यज्ञ के दौरान ब्रह्मा भोज के लिए बनाया गया हलवा रखा जाता है। यह मंदिर शिखराकार नागर शैली में बना हुआ था बाद में एक श्रद्धालु ने इसकी मरम्मत कर इसे पहाड़ी शैली के रूप में परिवर्तित कर दिया। मंदिर में महिषासुर र्मदिनी की दो मीटर ऊंची कांस्य की प्रतिमा है। इसके साथ ही शिव मंदिर है। मंदिर द्वार को कलात्मक पत्थरों से सुसज्जित किया गया है। छत लकड़ी से र्निमित है, जिस पर देवी देवताओं की अनुकृतियों बनाई गई हैं। मंदिर लकड़ी और पत्थर से निर्मित कलात्मक शिल्पकारी का अद्भुत नमूना है l मंदिर के गर्भगृह में लक्ष्मी, विष्णु, दुर्गा, गणेश आदि की प्रतिमाएं हैं। इसके अतिरिक्त यहां मंदिर के प्रांगण में देवताओं की छोटी-छोटी मूर्तियां हैं।बताया जाता है कि इनका निर्माण पांडवों ने करवाया था। मंदिर की ओर जाती सड़क के दोनों ओर सेब के बगीचे है, और खूब घने देवदार के जंगल हैंl मंदिर को नवरात्रों के दौरान खूब सजाया जाता है।नवरात्रों में यहाँ विशेष पूजा का आयोजन होता हैं ।
हिमाचल प्रदेश के ज़िला मंडी के रामनगर में वेश्यावृत्ति का धंधा चलाने वाली एक महिला को पुलिस ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। महिला पुलिस थाना में आरोपित के खिलाफ वेश्यावृत्ति का मुकदमा दर्ज कर लिया है। बता दें कि पुलिस प्रशासन को सूचना मिली थी कि रामनगर में कवाटर में रहने वाली एक महिला वेश्यावृत्ति में संलिप्त है। तभी पुलिस ने पैसे देकर नकली ग्राहक भेजा और मामले का फंडाफोड़ किया। पुलिस अधीक्षक गुरदेव शर्मा ने बताया कि पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर लिया है, मामले की जांच चल रही है।
VC hold meeting with UHF teachers’ association to discuss grievances Dr Parvinder Kaushal, Vice-Chancellor of Dr YS Parmar University of Horticulture and Forestry (UHF), Nauni today held a meeting with the UHF Teachers’ Association (UHFTA). The objective of the meeting was to discuss the ways to improve the teaching and learning in the university and address the grievances of the faculty. Speaking at the occasion Dr Kaushal congratulated the teachers of the university for their efforts in the progress of the farming community and the university. He said their hard work was evident from the 12th rank achieved by the university in the national ranking of the agricultural universities. The association was represented by its President Dr KD Sharma, Vice-President Dr Ramesh Bhardwaj, Counsellor Dr Amit Vikram, Treasurer Dr Naveen Chand Sharma and Secretary Dr Subhash Sharma. The association congratulated Dr Kaushal on his appointment as Vice-Chancellor of the university. During the meeting, the association raised issues regarding teaching and research and the grievances of the teaching fraternity of the university. The association members also shared several suggestions on the occasion. Dr Kaushal thanked the association for their initiative and suggestions for improving the teaching and learning atmosphere of the university. He said that the university will address the issues raised by them so that the university can progress in academic, research and extension activities. Dr Kaushal sought the support of the association in taking the university to greater heights and competing with global universities.
बैठक में डॉ कर्नल धनीराम शांडिल रहे विशेष रूप से उपस्थित सोलन निर्वाचन क्षेत्र की कांग्रेस की बैठक सोमवार को ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष सरदार सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में सोलन विश्राम गृह में संम्पन हुई । इस बैठक में स्थानीय विधायक व् पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ कर्नल धनीराम शांडिल विशेष रूप से उपस्थित थे। सभी वक्ताओं ने पार्टी मजबूती को लेकर विस्तृत चर्चा की। इस बैठक में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित , पूर्व मंत्री पंडित शिव कुमार , और प्रदेश कांग्रेस के सचिव महेश शर्मा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। बैठक में सर्वसहमति से प्रस्ताव पारित किया गया कि जब तक देश में बैलट पेपर से चुनाव न करवाए जाए चुनावों का पूर्णतय बहिष्कार होना चाहिए। मजबूत लोकतंत्र के लिए बैलट पेपर से चुनाव अतिआवश्यक है। शांडिल ने कहा कांग्रेस द्वारा किए विकास कार्यों को जन-जन तक पहुँचाना ज़रूरी स्थानीय विधायक व् पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ कर्नल धनीराम शांडिल ने अभी हाल में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार को लेकर कहा कि कार्यकर्ताओं को मनोबल कम नहीं करना चाहिए और नए सीरे से पार्टी में जान भरने के कड़ी मेहनत करनी चाहिए। सभी नेताओं ,कार्यकर्ताओं को जन-जन तक कांग्रेस की विचारधारा , इतिहास और कांग्रेस द्वारा किए विकास कार्यों को बताना होगा। बैठक में कांग्रेस पदाधिकारी भी उपस्थित इस बैठक में जिला कांग्रेस अध्यक्ष शिव कुमार , प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल ठाकुर , बी डी सी चेयरमैन सविता शांडिल , सिटी कोंग्रस अध्यक्ष अंकुश सूद , मोहन मेहता , संजय भंडारी , अरुण शर्मा , मुकेश शर्मा , चतर सिंह रघुवंशी , मनोज कुमार ,हितेश शर्मा , श्याम लाल , सुरिंदर ठाकुर , केशव कान्त , लक्ष्मी शर्मा, कर्म चंद , केशव कान्त , हेम राज , जमना दास , वैद , विशाल , राजकुमार , हिरेन्दर ठाकुर, लीला दत्त , भूपिंदर कश्यप , देविंदर ठाकुर , वीरेंदर कुमार , जोगिन्दर सिंह , आदि बहुत से पदाधिकारी उपस्थित थे।
सावन माह के शुभारंभ पर आदर्श महिला मंडल बागा व इंदिरा गांधी महिला कल्याण समिति ने अपने इष्टदेव सत श्री देव बाडू बाड़ा जी के चरणो में अपना शीश नवाया और उनको हलवे का भोग लगाकर उनका आशीर्वाद लिया। इस मौके पर बागा की अध्यक्ष सुखदेई चौहान व सभी महिला सदस्य उपस्थित रहीं। सभी महिलाओं ने सावन महीने के शुभारंभ पर एक दूसरे को बधाई दी और मांगल पंचायत व अपने गांव बागा की रक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना की। सभी महिला सदस्य ने मांगल व बागा में उज्जवल भविष्य की मंगल कामना करते हुए भोलेनाथ जी को नमन किया। इस पावन महीने में प्रत्येक महिला सज-धज कर रहती है,नित्यप्रति देवी-देवताओं और भगवान शिव की पूजा करते हैं। आदर्श महिला मंडल बागा की प्रधान सुखदेई चौहान ने सभी महिलाएं सदस्यों को सावन माह के शुभारंभ की शुभकामना व बधाई दी।इस मौके पर आदर्श महिला मंडल बागा की प्रधान सुखदेई चौहान, महासचिव मखना चौहान, सचिव सरला चौहान, कोषाध्यक्ष सुमित्रा चौहान, सलाहकार लीला देवी चौहान, निशा चौहान, कौशल्या देवी चौहान, सत्या चौहान, सपना चौहान विशेष रुप से उपस्थित रही।
संस्कृत भारती अर्की द्वारा नियमित मासिक मेलन के अंतर्गत धुंधन मठ में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें उपस्थित संस्कृत अनुरागियों द्वारा संस्कृत सप्ताह 12 अगस्त से 18 अगस्त तक विभिन्न विद्यालयों एवं बातल गांव में संचालित संस्कार केंद्र में मनाने का निर्णय लिया गया। संस्कृत जन-जन की भाषा बन सके इसके लिए संस्कृत भारती सतत प्रयासरत है। आज के युग में संस्कारों का शिक्षा के साथ होना अत्यंत आवश्यक है,जो कि संस्कृत ग्रंथो में प्रदत ज्ञान से संभव है। संस्कृत के प्रचार व प्रसार हेतु संगोष्ठी में जनसंपर्क अभियान की योजना भी बनाई गई। अर्की संस्कृत भारती के अध्यक्ष मस्तराम शास्त्री ने धुंधन मठ के महात्माओं द्वारा संस्कृत प्रचार के लिए संस्कृत भारती के प्रयासों की सराहना की। इस दौरान संगोष्ठी में मस्त राम शास्त्री,कमल गौतम,कमलनयन,रितु शर्मा,विवेक शील,भारत भूषण पाठक,किशोरी शास्त्री,मदनलाल, गोपालपुरी उपस्थित रहे।
12 पंचायतों को शामिल करने की आवश्यकता, सिर्फ सपरून ने दी सहमति सोलन को नगर निगम बनाने के लिए शहर की समीपवर्ती 12 पंचायतों को शहरी परिसीमन में शामिल किया जाना आवश्यक हैं। दरअसल, बिना इन पंचायतों के विलय के 50 हज़ार जनसँख्या का मापदंड पूरा नहीं होता। इनमें से कुछ पंचायतों का आंशिक विलय होना हैं तो कुछ का पूरा। नगर निगम के लिए अब तक आश्वासन तो खूब मिले, लेकिन जिन पंचायतों को शहर में मिलाया जाना हैं उन्हें कभी भी एक मंच पर लाकर चर्चा नहीं की गई। जानकारी के अनुसार 2018 में नगर परिषद् ने ऐसी 8 पंचायतों को नोटिस जारी किये थे, किन्तु कुछ नहीं हुआ। नगर परिषद् अध्यक्ष देवेंद्र ठाकुर के अनुसार हालहीं में लोकसभा चुनाव की आचार सहिंता लगने से पूर्व कुछ पंचायतों को नोटिस ज़ारी किये गए हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल किसी पंचायत से कोई जवाब नहीं मिला हैं। हालांकि मिली जानकारी अनुसार इनमें से एक पंचायत (सपरून ग्राम पंचायत ) ने ग्राम सभा में इस हेतु प्रस्ताव पारित किया हैं। इसके अतिरक्त किसी भी पंचायत की ग्राम सभा में इस हेतु प्रस्ताव पारित होने की कोई जानकारी नहीं हैं। फ्लोटिंग आबादी कहीं अधिक 2011 सेंसेस के अनुसार शहर की आबादी करीब 39200 हैं। किन्तु इसमें कोई संशय नहीं हैं कि शहर की फ्लोटिंग आबादी 70 हज़ार से भी अधिक हैं। शहर में करीब 20 छात्र रहते हैं, जो आसपास के शिक्षण संस्थानों में शिक्षा ले रहे हैं। लोग भी चाहते हैं शामिल होना विलय की जाने वाली पंचायतों को एक मंच पर लाकर कभी चर्चा नहीं की गई। कई पंचायतों के लोग भी नगर निगम में शामिल होना चाहते हैं, किन्तु उनसे कभी भी संवाद स्थापित करने का प्रयास नहीं किया गया। ग्राम पंचायत सपरून ने किया प्रस्ताव पास अधिकांश ग्राम पंचायतों की ग्राम सभा में इस हेतु प्रस्ताव नहीं लाया गया। सिर्फ ग्राम पंचायत सपरून में इस हेतु 7 जुलाई को प्रस्ताव लाया गया था, जिसमें पंचायत के आबादी बहुल क्षेत्र को शहरी परिसीमन में शामिल करने पर सहमति बनी थी। वित्तीय लाभ पर नहीं स्पष्टता विलय होने वाली पंचायतों को क्या लाभ दिए जाएंगे और उनके वित्तीय लाभ कब तक और किस प्रारूप में ज़ारी रहेंगे, इस बार में कोई फार्मूला नहीं सुझाया गया।
लोगों की समस्याओं को सुनकर मौके पर किया समाधान ग्राम पंचायत हनुमान बड़ोग में ग्राम सभा का आयोजन किया गया। ग्राम सभा की अध्यक्षता पंचायत प्रधान कृष्ण सिंह पंवर ने की। सभा में पंचायत समिति कुनिहार के अध्यक्ष प्रेम कुमार भी उपस्थित रहे। सर्वप्रथम बैठक में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की मृत्यु पर उनकी आत्मा की शांति के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया। उसके बाद बीपीएल परिवारों की सूची की समीक्षा की गई और लोगों की समस्याओं को सुनकर उनका समाधान किया गया। ग्राम सभा की बैठक में गत वर्ष के आय-व्यय का लेखा-जोखा भी प्रस्तुत किया गया। ग्राम सभा में 175 सदस्यों ने भाग लिया। अध्यक्ष ने उपस्थित सभी लोगों का आभार प्रकट किया और अपील की कि पंचायत के विकास कार्यों में सभी बढ़-चढ़कर सहयोग दें। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत अपने गांव को साफ सुथरा रखने में सहयोग करें तथा कूड़ा कचरा उचित स्थान पर एकत्रित कर उसका निष्पादन करें। उन्होंने कहा कि अपने समीप पानी के स्रोतों की सफाई भी अति आवश्यक है ताकि वर्षा ऋतु में हम बीमारियों से बचे रहें। उपस्थित लोगों ने पंचायत द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। सभा में पंचायत के उपप्रधान अशोक कुमार, वार्ड पंच नजरों राम,अमरावती,इंदिरा, रीता देवी,बृजमोहन शर्मा,गीता देवी,तकनीकी सहायक कुलदीप कुमार,जीआरएस बदन ठाकुर,पंचायत सचिव खेमराज,रमेश कुमार,बाबू राम,आचार्य,बालक राम, अशोक शर्मा,पूर्व उपप्रधान रतन लाल शर्मा,पूर्व प्रधान सोमादेवी उपस्थित रहे।
गुरुकुल इंटरनेशनल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में मनाया जा रहा है सड़क सुरक्षा सप्ताह गुरुकुल इंटरनेशनल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में सड़क सुरक्षा सप्ताह (22-7-19 से 27-7-19 तक) मनाया जा रहा है। इसमें छात्रों को सड़क पर चलते समय सावधानी बरतना, हेलमेट पहनना, सीट बेल्ट का प्रयोग करना, ड्राइविंग लाइसेंस का होना और सभी यातायात नियमों से अवगत करवाया जाएगा। सोमवार को नृत्य और संगीत विभाग द्वारा सड़क सुरक्षा विषय पर नृत्य, गीत,और कविता की बहुत सुंदर प्रस्तुतियां दी गई। भाषण द्वारा भी सड़क सुरक्षा के नियमों पर प्रकाश डाला गया। विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती गुरप्रीत माथुर ने कहा कि अगर देश का हर नागरिक यातायात के नियमों का पालन करें तो सड़क दुर्घटना से अनमोल जीवन को बचाया जा सकता है। उन्होंने सभी छात्रों से कहा कि अपने परिवार, आसपास के लोगों व सगे संबंधियों को भी इस विषय में जानकारी दें ताकि भविष्य में होने वाली दुर्घटना से बचा जा सके।
आरोपी ने शादी का झांसा देकर बनाए शारीरिक सम्बन्ध राजधानी शिमला की एक 20 वर्षीय युवती के साथ ऑस्ट्रेलिया में दुष्कर्म का मामला सामने आया है। शादी का झांसा देकर आरोपी ने युवती के साथ शारीरिक संबंध बनाए और बाद में शादी करने से मुकर गया। ऑस्ट्रेलिया से शिमला लौटने पर युवती ने शिमला के सदर थाने में दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया है। क्या है पूरा मामला पुलिस को दी शिकायत में पीड़िता ने बताया कि कुछ दिन पहले वह ऑस्ट्रेलिया गई थी और वहां विक्रम सिंह नामक शख्स से उसकी मुलाकात हुई। वहीं दोनों में दोस्ती हो गई। पीड़िता के मुताबिक विक्रम सिंह ने दोस्ती का फायदा उठाकर उससे शादी का प्रस्ताव रखा। विक्रम सिंह ने शादी का झांसा देकर युवती के साथ शारीरिक संबंध बनाए। जब दोनों शिमला वापस आए तो यहां भी उसके साथ वह दुष्कर्म करता रहा लेकिन अब शादी से इंकार कर रहा है। पीड़िता का यह भी कहना है कि विक्रम सिंह ने उसे जान से मारने की धमकी भी दी है। डीएसपी प्रमोद शुक्ला ने बताया कि पीड़िता की शिकायत पर आरोपी के विरुद्ध केस दर्ज कर आगामी कार्यवाही अमल में लाई जा रही है।
बिजली खपत पर रहेगी निगरानी अब आप जल्द ही मोबाइल फ़ोन के ज़रिये अपने घर और कार्यालय में हो रही बिजली की खपत में नज़र रख सकेंगे। इसके लिए हिमाचल सरकार सभी पुराने मीटरों को बदल कर स्मार्टबिजली मीटर लगाने जा रही है। राज्य बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक जे पी कालटा ने बताया कि स्मार्ट मीटर लगाने का काम जल्द शुरू होगा। एक मोबाइल एप्लीकशन करनी होगी डाउनलोड स्मार्ट बिजली मीटर लगने के बाद उपभोक्ताओं को एक मोबाइल ऐप्प अपने फ़ोन पर डाउनलोड करनी होगी। इसकी मदद से उपभोक्ता किसी भी समय यह जान सकेंगे कि उन्होंने कितनी बिजली इस्तेमाल की। इस मीटर को उपभोक्ता प्री-पेड मीटर के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकेंगे। प्री-पेड मीटर मोबाइल फ़ोन की तरह ही इस्तेमाल होंगे। इसके अलावाउपभोक्ताओं को बिल जमा करवाने का विकल्प भी मिलेगा। अब रीडिंग लेने के लिए उपभोक्ताओं के घर नहीं जायेंगे बिजली बोर्ड कर्मचारी स्मार्ट बिजली मीटर लगने के बाद बिजली बोर्ड कर्मचारियों को उपभोक्ता के घर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इस मीटर से ऑनलाइन रीडिंग ले ली जाएगी। लो वोल्टेज, बिजली बंद होने और बिजली चोरी होने की भी कण्ट्रोल रूम में जानकारी पहुंचेगी। बिल जमा न करने पर कंट्रोल रूम से ही कनेक्शन काट लिया जाएगा। मीटर लगाने के लिए उपभोक्ताओं को भी चुकाना होगा शुल्क एक स्मार्ट बिजली मीटर 2800 से 3000 रूपए में पडेगा। इसके लिए केंद्र करीब 1200 रूपए प्रति मीटर सब्सिडी देगा। शेष खर्च राज्य बिजली बोर्ड और उपभोक्ताओं को उठाना पडेगा। पुराने बिजली मीटरों की राशि उपभोक्ताओं के शेयर में एडजेस्ट करने की भी योजना है। 2022 तक लगेंगें प्रदेश में 24 लाख स्मार्ट बिजली मीटर पहले चरण में शिमला और धर्मशाला दोनों शहरों में इस साल 1.35 लाख मीटर बदले जायेंगें। इसके बाद पुरे प्रदेश में साल 2021-22 तक 24 लाख स्मार्ट बिजली मीटर लगाने का लक्ष्य है।
भगवान शिव को प्रिय सावन माह शुरू हो गया है। इस बार सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं। आज , 22 जुलाई को पहला सोमवार है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन के महीने में शिवलिंग का पूजन-अभिषेक करने से सभी देवी-देवताओं के अभिषेक का फल उसी क्षण प्राप्त हो जाता है। सावन के महिने में की जाने वाली पूजा एक तरह की प्रकृति की ही पूजा मानी जाती है, क्योंकि भगवान भोलेनाथ को प्रकृति का रूप कहा गया है। इसी कारण यह महिना काफी श्रेष्ठ फल देने वाला महिना कहा जाता है। जिसमें लोग भगवान को अपनी श्रृद्धा भक्ति के भाव को समर्पित करने के लिए व्रत रखते हैं। इस बार सावन मास में कुल चार सोमवार पड़ेंगे:- 22 जुलाई, 2019 — पहला सावन सोमवार व्रत 29 जुलाई, 2019 — दूसरा सावन सोमवार व्रत 05 अगस्त, 2019 — तीसरा सावन सोमवार व्रत 12 अगस्त, 2019 — चौथा सावन सोमवार व्रत मंगला गौरी का भी रखा जाता है व्रत:- सावन माह में भोले बाबा की उपासना करने पर भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती हैं। बहुत से लोग सावन के पहले सोमवार से ही 16 सोमवार व्रत की शुरुआत करते हैं। सावन की एक बात और खास है कि इस महीने में मंगलवार का व्रत भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती के लिए किया जाता है। श्रावण के महीने में किए जाने वाले मंगलवार व्रत को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। ऐसे करें पूजा :- सोमवार को सुबह स्नान करके एक तांबे के लोटे में अक्षत, दूध, पुष्प, बिल्व पत्र आदि डालें। इसके बाद शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग का अभिषेक करें। इस दौरान ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करें। संभव हो, तो मंदिर परिसर में ही शिव चालीसा और रुद्राष्टक का पाठ करें। शिव पूजन में बेलपत्र प्रयोग करना जरूरी:- भगवान शिव की पूजा के समय बेलपत्र का होना सबसे जरूरी माना जाता है। इसका प्रयोग करने से तो भगवान अपने भक्त की मनोकामना बिना कहे ही पूरी कर देते है। बेलपत्र के बारे में कहा जाता है कि बेल के पेड को जो इंसान पानी या गंगाजल से सींचता है, वह समस्त लोकों का सुख भोगकर, शिवलोक में प्रस्थान करता है। ये भी हैं लाभ :- अगर कुंडली में आयु या स्वास्थ्य बाधा हो या मानसिक स्थितियों की समस्या हो तब भी सावन के सोमवार का व्रत श्रेष्ठ परिणाम देता है - सोमवार व्रत का संकल्प सावन में लेना सबसे उत्तम होता है , इसके अलावा इसको अन्य महीनों में भी किया जा सकता है-इसमें मुख्य रूप से शिव लिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है।
An Indian-origin stand-up comedian died on stage due to high level of anxiety while performing his act in front of a packed audience in Dubai. According to information Manjunath Naidu, 36, suffered a cardiac arrest while performing his routine on stage on Friday. Audience thought it was part of the act. They took it as a joke as he was talking about anxiety and then collapsed and passed away.
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष और 3 बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं श्रीमती शीला दीक्षित के निधन पर जिला कांग्रेस ने शौक जताया है। रविवार को सोलन के विधायक एवं पूर्व मंत्री डॉ कर्नल धनी राम शांडिल की अध्यक्षता में सोलन विश्राम गृह में शीला दीक्षित को भावपूर्ण श्रद्धाजंलि अर्पित की गई और ईश्वर से उनकी पवित्र आत्मा को शांति और परिजनों को इस असहनीय दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की। शांडिल ने कहा देश की राजधानी दिल्ली को विकास के चरम पर ले जाने के लिए उनको सदैव याद किया जाएगा।इस अवसर पर जिला अध्यक्ष शिव कुमार ठाकुर, सोलन ब्लॉक अध्यक्ष सरदार सिंह ठाकुर,सावित्री सांख्यान, कुलराकेश पंत, जगमोहन मल्होत्रा, अरूण शर्मा, सुरिंदर सेठी,पुनीत शर्मा,मुकेश शर्मा, विनोद कुमार, वेद प्रकाश, प्रमोद शर्मा, जतिन सोनी, श्याम लाल, मुनीश भारद्वाज, हरि मोहन शर्मा, अजय कंवर,जितेंद्र कुमार , संजय शर्मा आदि मौजूद थे।
राष्ट्रीय उच्च मार्ग 205 शिमला मंडी राजमार्ग पर बथालंग के समीप एक जीप गहरी खाई में जा गिरी जिसमें सवार एक व्यक्ति रूकुमदीन की मौके पर ही मृत्यु हो गई तथा चालक सलीम मोहम्मद घायल हो गया। दोनों व्यक्ति यूपी के बताए जा रहे हैं। पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार यू पी 19 डी 5069 यूटीलीटी शिमला से सुंदरनगर की ओर जा रही थी कि अचानक बथालंग में एक ढाबे के समीप करीब ढाई सौ फीट गहरी खाई में जा गिरी। पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया तथा घायल को तुरंत उपचार के लिए अर्की भेज दिया। स्थानीय निवासी तथा पूर्व बीडीसी सदस्य नरेश शर्मा ने बताया कि पुलिस को सूचना देने के पश्चात स्थानीय लोगों की मदद से घायल व्यक्ति को मुख्य मार्ग तक लाया गया। मामले की पुष्टि करते हुए एस एच ओ अर्की कर्म सिंह ने बताया कि चालक के खिलाफ मुकदमा दे दिया है तथा आगामी कार्यवाही शुरू कर दी गई है ।
वन मंडल कुनिहार द्वारा ग्राम पंचायत देवरा कांगु गांव में 70 वां वन महोत्सव मनाया गया।इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व विधायक गोविंद राम तथा विशेष अतिथि प्रदेश भाजपा सचिव रतन सिंह पाल रहे। कार्यक्रम में देवरा पंचायत के काफ़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। उपप्रधान अमर सिंह ठाकुर ने मुख्य अतिथि व अन्य अतिथियों का स्वागत किया। वन मंडल अधिकारी सतीश नेगी ने अतिथियों तथा अन्य सभी लोगों का स्वागत किया औऱ उन्होंने बताया कि इस मंडल द्वारा 20 तारीख से 24 तारीख तक 104 हेक्टेयर में 80 हजार पौधों का रोपण किया जाएगा। देवरा क्षेत्र के 6 हेक्टेयर में 18 सौ पौधों को रोपित किया जाएग । रतन सिंह पाल ने लोगों को संबोधित करते हुए लोगों से पौधारोपण में सहयोग करने को कहा और कहा कि वृक्षों को लगाने से पर्यावरण तथा जल संरक्षण हो सकता है। गोविंदाराम शर्मा ने लोगों तथा विभाग के सफल अयोजन के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने लोगों से अधिक से अधिक पौधे लगाने तथा उनकी देखभाल करने का आवाहन किया ।इस अवसर पर मुख्य अतिथि के साथ जिला मीडिया प्रभारी इंद्र पाल शर्मा ,नंदलाल पाल ,जगदीश शुक्ला ,नरेंद्र, देवरा की प्रधान अंजना ठाकुर, उपप्रधान अमर सिंह ठाकुर, बीडीसी सदस्य राकेश कुमार,वार्ड सदस्य सीता ठाकुर,संतोष देवी,चेतन ठाकुर, संजीव सूद ,आरओ शंकर लाल, गोपाल शांडिल सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
डी ए वी अम्बुजा विद्या निकेतन दाड़लाघाट में प्रधानाचार्य मुकेश ठाकुर ने तीन दिवसीय कथक नृत्य कार्यशाला का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। इस कार्यशाला में हिमाचल प्रदेश के प्रथम पुरुष कथक नृत्य स्नातकोत्तर दिनेश गुप्ता पांचवी से बाहरवी कक्षा तक के विद्यार्थियों को कत्थक नृत्य का प्रशिक्षण देंगे। प्रथम दिन उन्होंने कृष्ण वंदना के साथ नृत्य का आगाज किया तथा बच्चों को कथक नृत्य का इतिहास तत्काल तथा तिहाई व नृत्य के व्यायाम सिखाएं। स्कूल के प्रधानाचार्य मुकेश ठाकुर ने कहा कि कथक नृत्य बच्चों को स्वस्थ संपन्न और बुद्धि को प्रखर बनाता है। प्रधानाचार्य मुकेश ठाकुर ने बताया कि जैसे कि विदित है "कथा काहे सो कथक कहावे" इस नृत्य को सीखने से बच्चों में रचनात्मक क्रियाएं पनपती हैं। उन्होंने बच्चों को बताया कि जिस तरह योग आत्मा से परमात्मा का मिलन है,उसी तरह नृत्य भी मन के उदभावों को व्यक्त कर आत्मा की शुद्धि करता है।
प्रदेश के बागवानों को बाहर की मंडियों में लूट से बचाने और उन्हें प्रदेश में ही बेहतर सुविधाएं देने के उद्देश्य से परवाणू में स्थापित सेब टर्मिनल मंडी खास्तालहाल है। प्रदेश सरकार को करोड़ों का राजस्व देने वाली इस मंडी में मूलभूत सुविधाएँ भी नहीं हैं। विडम्बना हैं कि 90 के दशक में स्थापित हुई इस मंडी में हर सीजन के साथ व्यापार में तो वृद्धि हुई है लेकिन सुविधाओं के मामले में यह मंडी अभी भी तीन दशक पहले की व्यवस्था पर चल रही है। इसका खामियाजा यहां आकर व्यापार करने वाले बागवानों, आढ़तियों, व्यापारियों और मेहनतकश मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है। परवाणू से मंडी में शनिवार को भी 4000 सेब की पेटियां महाराष्ट्र, केरल, एमपी, व कर्नाटक सहित अन्य राज्यों में भेजी गई हैं। व्यापारियों का कहना हैं कि मंडी में मूलभूत सुविधाएँ तक उपलब्ध नहीं है जिससे आढ़तियों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शौचालयों और स्नानागार तक की सुविधा नहीं मंडी में शौचालयों और स्नानागार तक की सुविधा भी नहीं है। इसके चलते यहां रोजाना हजारों की तादाद में आने वाले लोगों को मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं। सेब सीजन के दौरान लोडिंग अनलोडिंग के लिए आने वाले लगभग 300 मजदूरों के लिए शौचालयों और नहाने तक की सुविधा भी नहीं है। फलस्वरूप मजदूर बाहर में शौच करके स्वच्छता अभियान की धज्ज्यिां उड़ाते हैं। गेस्ट हाउस की दरकार परवाणू सेब मंडी में यूपी, बिहार, झारखंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र आदि से व्यापारी बड़ी तादाद में आते हैं लेकिन इनके रहने के लिए न तो कोई गेस्ट हाउस है और न ही कोई सराय तथा किसान भवन। बारिश में फंस जाते हैं ट्रक मंडी में ट्रक खड़े करने की जगह कच्ची होने से बारिश के दौरान बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और मिट्टी में अक्सर ट्रकों के पहिये धंस जाते हैं। सड़क बदहाल कालका-शिमला रोड से मंडी को जाती सड़क की हालत भी खस्ताहाल है। पिछले सीजन के दौरान भी यहां सेब से लदे कई ट्रक पलट गए थे। लेकिन इस सीजन के दौरान भी हालत जस के तस हैं।
• Over 1000 farmers from HP, Uttarakhand and J&K A one-day state-level training programme on ‘Prakritik Kheti Khushal Kisan’ was held at Village Baagi Gwas in Rohru on Saturday. Dr Parvinder Kaushal, Vice-Chancellor of Dr YS Parmar University of Horticulture and Forestry (UHF), Nauni was the Chief Guest on the occasion. The training was organized by the Department of Horticulture in association with Singh Apple Orchards, Baagi. The natural farming team of UHF Nauni provided technical support to the training. Over 1000 farmers from Himachal, Uttarakhand and Jammu and Kashmir, scientists from the main campus of the University and Krishi Vigyan Kendra (KVK) Rohru and officers from the horticulture department took part in the event. Pitching for more and more farmers to take up natural farming, Dr Kaushal said that the farming model suits the environment of the state and the farmers can benefit from increased income due to low input cost while the consumers will easily get healthy foodstuff. Calling for people’s participation in making Himachal a role model in natural farming, Dr Kaushal said, “We have to make natural farming a mass movement because the excessive use of chemicals has reduced the fertility of the soil. The way we produce our food need to be changed. Besides productivity, we also need to look at the quality of the food that we produce.” said Dr Kaushal. He added that the university would establish a dedicated task force and protocol for the propagation and promotion of Subhash Palekar Natural Farming at the main campus, research stations and the KVKs of the university. Dr Kaushal said that over 600 natural farming demonstration models will be established in all the districts of the state through the KVKs and research stations of the university. Moreover, experts from the university’s main campus at Nauni will carry out regular training of farmers and master trainers. Fifty farmers, five from each block, will be chosen to visit natural farming models in other states. Progressive farmers in natural farming will also be honoured by the university and made ambassadors of natural farming in the state. Earlier, Dr JN Sharma, UHF Director Research said that it was very encouraging to see youngsters taking a keen interest in agricultural activities and leading a change in this direction. Dr Rajeshwar Chandel, Executive Director of the natural farming programme of the Himachal Government said that around 24 per cent people in the hill states were not practising agriculture and moving towards the plains as they were not getting the right value for their produce. He added that natural farming was an excellent solution, which can help to realize the goal of doubling farmers’ income. Jagat Singh ‘Jangli’, green ambassador of Uttarakhand government urged everyone to preserve the nature and the biodiversity of the region and called for greater attention towards the forest wealth. Jitender Singh and his brother Joginder Singh, apple growers from Baagi shared their experiences of working on natural farming for the past two years. They also talked about the marketing of natural produce. Progressive farmers from the area were also honoured on the occasion.
शीला दीक्षित कांग्रेस के सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक थी। उनके ससुर उमा शंकर दीक्षित इंदिरा सरकार में देश के गृह मंत्री रहे थे। शीला ने अपने ससुर की राजनैतिक विरासत को आगे बढ़ाया। वे राजीव गाँधी सरकार में मंत्री रही और तीन बार दिल्ली की सीएम बनी। उनका निधन कांग्रेस के लिए एक बड़ी क्षति हैं। आईये जानते हैं शीला दीक्षित के बारे में :- शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ। शीला दीक्षित की शादी स्वतंत्रता सेनानी और देश के पूर्व गृह मंत्री उमा शंकर दीक्षित के बेटे से हुई थी। शीला दीक्षित ने राजनिति के गुर अपने ससुर उमाशंकर दीक्षित से ही सीखे थे। शीला के पति विनोद दीक्षित IAS थे। उनकी और विनोद की मुलाकात उस वक्त हुई थी जब वह दिल्ली यूनिवर्सिटी से प्राचीन इतिहास की पढ़ाई कर रही थी। उनके 1 बेटा और बेटी हैं, बेटे संदीप दीक्षित सांसद रह चुके हैं। शीला दीक्षित ने अपना पहला चुनाव 1984 में लड़ा था। तब वे कन्नौज सीट से जीतकर संसद पहुंची थी। राजीव गांधी की कैबिनेट में उन्हें संसदीय कार्य मंत्री के रूप में जगह मिली। वे प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री भी बनीं। 1998 में उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। वे लगातर तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रही। वह 3 दिसंबर, 1998 से 4 दिसंबर, 2013 की मुख्यमंत्री बनी रहीं, जो एक रिकॉर्ड है। उनके समय किए गए दिल्ली के विकास के कामों को आज भी लोग याद करते हैं। दिल्ली में कई सारे काम उनके समय ही शुरू किए गए थे जो अब पूरे हो रहे हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में शीला कांग्रेस के टिकट पर पूर्वी दिल्ली से चुनाव मैदान में उतरीं, पर चुनाव हार गईं।
Delhi Congress President and Ex Chief Minister Sheela Dixit is no more. The three time Delhi Chief Minister, was admitted in Escorts Hospital Delhi after major heart attack. She was 81 years old.
Central Government has appointed six new Governors in the states of Madhya Pradesh, Uttar Pradesh, West Bengal, Bihar, Nagaland and Tripura.The announcement was made in a statement released by the Rashtrapati Bhavan. -Former Janata Dal MP Jagdeep Dhankhar appointed as new governor of West Bengal. -Madhya Pradesh Governor and Ex Chief Minister of Gujrat, Anandiben Patel has been shifted to Uttar Pradesh in place of Ram Naik. -Bihar Governor Lal ji Tandon i the new governor of Madhya Pradesh. -Phagu Chauhan will fill replace Tandon as Bihar governor. -Ramesh Bais has been appointed as the governor of Tripura. -Former interlocutor on Naga talks RN Ravi has been appointed as Nagaland governor.
देश-विदेश से लाखों लोग पहुँचते हैं दर्शन करने लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बाबा बालक नाथ जी का मंदिर हमीरपुर जिले चकमोह गाँव के शिखर पर स्थित है। मंदिर में पहाड़ी के बीच एक प्राकॄतिक गुफा है। ऐसी मान्यता है,कि यही स्थान बाबा बालक नाथ का आवास स्थान था। मंदिर में बाबा बालक नाथ की एक मूर्ति भी स्थित है। भक्तगण बाबाजी की वेदी में “ रोट” चढाते हैं, जिसे आटे और चीनी/गुड को घी में मिलाकर बनाया जाता है। यहाँ पर बाबाजी को बकरा भी चढ़ाया जाता है, जो कि उनके प्रेम का प्रतीक है। आप सोच रहे होंगे कि यहाँ पर बकरे की बलि चढ़ाई जाती हैं, पर ऐसा नहीं हैं। बाबा बालक नाथ मंदिर में बकरों का पालन पोषण करा जाता है। मंदिर से करीब छहः किलोमीटर आगे एक स्थान “शाहतलाई” स्थित है। ऐसी मान्यता है, कि इसी जगह बाबाजी ध्यान किया करते थे।बाबा बालक नाथ मंदिर बिलासपुर से 55 किलोमीटर और हमीरपुर से 46 किलोमीटर की दुरी पर है। महिलाएं नहीं जाती मंदिर में:- बाबा बालक नाथ की गुफा के भीतर महिलाएं नहीं जाती है, लेकिन महिलाओं के दर्शन के लिए गुफा के बिलकुल सामने एक ऊँचा चबूतरा बनाया गया है, जहाँ से महिलाएँ उनके दूर से दर्शन कर सकती हैं। बाबा बालक नाथ ने सारी उम्र ब्रह्मचर्य का पालन किया और इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनकी महिला भक्त गर्भगुफा में प्रवेश नहीं करती जो कि प्राकृतिक गुफा में स्थित है जहाँ पर बाबाजी तपस्या करते हुए अंतर्ध्यान हो गए थे।हालांकि कुछ समय पूर्व एक महिला ने अपनी पुत्रियों के साथ मंदिर में जाकर ये परंपरा तोड़ दी थी, किन्तु इसके अतिरिक्त कोई भी महिला मंदिर के भीतर नहीं जाती। सभी युगों में हुआ जन्म:- मान्यता है, कि बाबा बालक नाथ का जन्म सभी युगों में हुआ हैं। सत्य युग,त्रेता युग,द्वापर युग और वर्तमान में कल युग और हर एक युग में उनको अलग-अलग नाम से जाना गया जैसे सत युग में स्कन्द , त्रेता युग में कौल और द्वापर युग में बाबा महाकौल के नाम से जाने गये। अपने हर अवतार में उन्होंने गरीबों एवं निस्सहायों की सहायता करके उनके दुख दर्द और तकलीफों का नाश किया। हर एक जन्म में यह शिव के बड़े भक्त कहलाए। कलयुग में गुजरात के काठियाबाद में लिए जन्म:- कहा जाता हैं कलयुग में बाबा बालकनाथ ने गुजरात के काठियाबाद में देव के नाम से जन्म लिया। उनकी माता का नाम लक्ष्मी और पिता का नाम वैष्णो वैश था। बचपन से ही बाबाजी आध्यात्म में लीन रहते थे। यह देखकर उनके माता पिता ने उनका विवाह करने का निश्चय किया, परन्तु बाबाजी उनके प्रस्ताव को अस्विकार करके और घर परिवार को छोड़ कर परम सिद्धी की राह पर निकल पड़े। इसी दौरान एक दिन जूनागढ़ की गिरनार पहाडी में उनका सामना स्वामी दत्तात्रेय से हुआ और यहीं पर बाबाजी ने स्वामी दत्तात्रेय से सिद्ध की बुनियादी शिक्षा ग्रहण करी और सिद्ध बने। तभी से उन्हें बाबा बालकनाथ कहा जाने लगा। इसलिए पड़ा बाबा बालक नाथ नाम:- पौराणिक कथा के अनुसार रत्नो नामका एक महिला ने बाबा बालक नाथ को अपनी गायों की रखवाली के लिए रखा था। इसके बदले में रत्नो बाबाजी को रोटी और लस्सी खाने को देती थी। ऐसी मान्यता है कि बाबा अपनी तपस्या में इतने लीन रहते थे कि रत्नो द्वारा दी गयी रोटी और लस्सी खाना याद ही नहीं रहता था। एक बार जब रत्नो बाबाजी की आलोचना कर रही थी कि वह गायों का ठीक से ख्याल नहीं रखते जबकि रत्नो बाबाजी के खाने पीने का खूब ध्यान रखतीं हैं। रत्नो का इतना ही कहना था कि बाबाजी ने पेड़ के तने से रोटी और ज़मीन से लस्सी को उत्त्पन्न कर दिया। बाबा के चमत्कार से गाँव के लोग भी उसे अब साधारण बालक नहीं समझते थे। एक दिन इसी गाँव के तालाब के पास जब वह बालक बैठा था तो कुछ साधू वहां से गुजरे। उसमे एक महात्मा सिद्ध था। उस बालक और उस महात्मा में काफी समय धर्म के सन्दर्भ में बहस हुई। इस पर महात्मा ने उस बालक की गहराई को जानने के लिए अपनी गुटकी हवा में उछाल दी और बालक को उसे वापिस लाने को कहा। बालक ने तत्काल उसे वापिस बुला दिया, जबकि वह महात्मा उसे वापिस लाने में असमर्थ रहा। इसके बाद वे दोनों उस तालाब में लुप्त हो गये। लोगों ने जब सुना कि बालक एक साधू के साथ तालाब में डूब गया तो उन्होंने उसे बहुत तालाश किया लेकिन वह नही मिला। एक दिन गाँव में लगभग 3 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर कुछ लोगों ने उन दोनों को एक साथ देखा। यहाँ एक गुफा थी। पहले तो लोगों को विश्वास नही हुआ लेकिन अब रात्री में कई बार उस गुफा में ज्योति भी दिखने लगी। लोग यहाँ एकत्रित हो गये। इसी के बाद लोगों ने उस बालक को इश्वर का अवतार मान कर इसे गुफा में पूजना आरंभ कर दिया और इस स्थान का नाम बाबा बालक नाथ पड़ गया। लोगों ने उसे साधारण बालक नहीं समझा था इसलिए बाबा शब्द प्रयुक्त हुआ जिस से वह बाबा बालक बन गया। वह महत्मा जिस के साथ वह अदृश्य हुए थे, उसके लिए नाथ शब्द का प्रयोग किया गया। इस से यह स्थान बाबा बालक नाथ के नाम से प्रसिद्ध हो गया ।
बरसात के मौसम में भी शहर में पेयजल आपूर्ति ठप है। ऐसा पहली बार नहीं है बल्कि सालों से ऐसा होता चला आ रहा है। दरअसल बरसात शुरू होते ही पेयजल स्तोत्रों में गाद आना शुरू हो जाती है जिससे पानी की लिफ्टिंग नहीं हो पाती। इसके चलते आईपीएच पर्याप्त पानी मुहैया नहीं करवा पाता। हालांकि एलम का इस्तेमाल कर विभाग कुछ हद तक पानी लिफ्ट करने क प्रयास करता है लेकिन गाद अधिक होने की स्थिति में ये पुरानी तकनीक कारगार सिद्ध नहीं हो पाती। इस वर्ष भी ऐसा ही हुआ है, दोनों मुख्य पेयजल योजनाओं, अश्वनी व गिरी में गाद के चलते लिफ्टिंग नहीं हो पा रही। आइये जानते है किस तरह शहर में पेयजल आपूर्ति होती है और इस समस्या क स्थायी हल क्या हैं। शहर को पेयजल आपूर्ति देने के लिए दो मुख्य योजनाएं हैं, अश्वनी पेयजल योजना और गिरी योजना। इन योजनों से आईपीएच विभाग पानी लिफ्ट करता हैं और वार्ड दस में बने मुख्य पेयजल टैंकों तक पहुंचाता हैं। पहले पानी को योजना के समीप बने टैंक में पहुंचाया जाता हैं, जहाँ से ट्रीटमेंट के बाद पानी लिफ्ट कर वार्ड दस के टैंक तक पहुँचता हैं। बरसात के मौसम में जब गाद आती हैं तो वाटर ट्रीटमेंट नहीं हो पाता और पानी वार्ड दस के मुख्य टैंकों तक लिफ्ट नहीं हो पाता। वार्ड दस में बने टैंकों से शहर में पेयजल वितरण का ज़िम्मा नगर परिषद् का हैं। परक्युलेशन वेल हैं समाधान: अश्वनी पेयजल योजना में काफी समय से परक्युलेशन वेल बनाने की योजना हैं। करीब 15 करोड़ की ये योजना अब तक सिरे नहीं चढ़ पाई हैं। यदि परक्युलेशन वेल बन जाता हैं तो गाद की समस्या से निजात मिल सकता हैं।आईपीएच विभाग ने करीब एक वर्ष पहले इस हेतु सरकार को योजना भेजी थी लेकिन अब तक इसे मंजूरी नहीं मिली हैं।एक्सईएन आईपीएच सोलन ई सुमित सूद काफी वक्त से इस योजना के लिए प्रयासरत हैं। उनका मानना हैं कि बहुत जल्द इसका शिलान्यास होगा और शायद अगली बरसात में शहर को पेयजल किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा। धारों की धार टैंक ठीक होने से मिलेगी राहत: धारों की धार में वर्ष 2006 में 38 लाख लीटर क्षमता का एक स्टरगे टैंक बनाया गया था। ये वाटर टैंक लेकज़ हैं जिसके चलते इसका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा। यदि इसे दुरुस्त कर दिया जाए तो किल्लत के समय शहर को कुछ राहत मिल सकती हैं। हालांकि आईपीएच एक्सईएन की पहल पर इसे अमेरिकी तकनीक से ठीक किये जाने को स्वीकृति मिली हैं। यदि ये टैंक ठीक होता हैं तो शहर को कुछ राहत जरूर मिलेगी। लीकेज बड़ी समस्या: अनुमान के अनुसार करीब तीस प्रतिशत पेयजल लीकेज के चलते व्यर्थ बहता हैं। नगर परिषद् को इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की सख्त आवश्यकता हैं।काफी समय से नप पेयजल पाइप लाइन बदलने की बात कह रही है लेकिन कुछ वार्डों को छोड़ कर इस दिशा में पर्याप्त कार्य नहीं हुआ है। वैकल्पिक योजना का अभाव : क्षेत्र में गिरि व अवश्वनी दो बड़ी पेयजल योजनाएं हैं। गिरि पेयजल योजना से शहर सहित कसौली विस क्षेत्र के करीब 40 गांव के लिए पेयजल की सप्लाई की जाती है। वहीं अश्वनी योजना से शहर के कुछ हिस्से सहित लगभग 8 गावों में पेयजल आपूर्ति की जाती है। शहर में सुचारू पेयजल आपूर्ति हेतु एक नई योजना की सख्त आवश्यकता है गिरी पेयजल योजना सिर्फ सोलन शहर के लिए शुरू की गई थी ,लेकिन वर्तमान में अनेक गांव भी इस योजना से जोड़ दिए गए है। ऐसे में इस योजना पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है।सम्बंधित विभाग व सरकार को दूरदृष्टि दिखा कोई वैकल्पिक योजना तैयार करने की जरुरत है।
As expected, Punjab Chief Minister Captain Amrinder Singh has accepted Navjot Singh Sidhu's resignation. The same has been forwarded to the Governor of Punjab Vijayender Pal Singh Badnore for approval. Navjot Singh Sidhu had resigned from the state Cabinet few days back after his portfolio reshuffled. Sidhu had sent his resignation as Punjab Cabinet minister to the chief minister's residence on Monday, after he claimed having sent the same to Congress president on June 10. He made his resignation public on Sunday. Now chief minister has accept his resignation.
Making a significant improvement, the Dr YS Parmar University of Horticulture and Forestry (UHF), Nauni has been ranked at 12th position in the ranking of agricultural universities and research institutes conducted by the Indian Council of Agricultural Research (ICAR). The rankings were released earlier this week at the ICAR Foundation Day held at New Delhi, which was attended by UHF Vice Chancellor Dr Parvinder Kaushal. This year the university has improved 26 places in the list. Now in its third year, the ICAR ranking was initiated in 2016 to improve the standard of higher agricultural education in the country. In all, 60 agricultural universities of India featured in the ranking this year. The universities were judged on parameters like student and faculty profile, publications and citations, research, technologies commercialized etc. In 2016, UHF was placed at 51st position, which it improved to 38 in 2017. This year the university improved 26 places to bag 12th position in this ranking. The university has been continuously ranked among the top universities in the country. For the past three years, UHF has been the highest-ranked university in Himachal Pradesh in the Union Ministry of Human Resource Development’s NIRF rankings. This year, the university had achieved 80th position in the top 100 universities in the country and was the only one from the state to find a place in this list. The University has performed quite well on various parameters including the performance of students in ICAR NET, JRF, SRF and other state and national level competitive examinations. The excellent placement of students in public and private enterprises, quality publications, technology transfer initiatives, implementation of ICAR Deans' committee recommendations, timely release of grants from the state government and internal revenue generation were areas, which helped the university to register this big jump in rankings. The National Dairy Research Institute (NDRI), Karnal, and the Indian Agricultural Research Institute (IARI), New Delhi, have been ranked at first and second places respectively in this rankings. GB Pant University of Agriculture and Technology, Pantnagar and Haryana Agriculture University, Hisar have bagged the third and fourth positions respectively. Panjab Agriculture University, Ludhiana and Guru Angad Dev Veterinary and Animal Sciences University, Ludhiana are at seventh and eighth positions respectively. Speaking at the occasion, Dr Parvinder Kaushal congratulated the students, faculty and the staff of the university on the achievement and lauded their efforts for the betterment of the university and the agriculture community. Dr Kaushal said that in order to compete with global universities, UHF would strengthen students’ placement and career development, and linkages with world class institutions. He added that the university will continue to strive in the areas of academic, research and extension education and work towards realizing the goal of doubling farmers’ income.
सीबीएसई के निर्देशानुसार गुरुकुल इंटरनेशनल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हब्ज ऑफ लर्निंग समूह के स्कूलों के छात्रों के लिए चित्रकला गतिविधि आयोजित की गई। इस समूह के अंतर्गत सीबीएसई द्वारा बी एल सेंट्रल पब्लिक स्कूल शामती को नेतृत्व सौंपा गया है। सभी प्रधानाचार्य ने पिछली बैठक में यह निर्णय लिया था कि शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ने वाले बच्चों को उनकी चित्रकला के लिए सराहा जाए। आज की बैठक की अध्यक्षता स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती गुरप्रीत माथुर ने की। बैठक में सभी स्कूलों से आए प्रधानाचार्यों, उपप्रधानाचार्यों एवं अध्यापकों ने अपने - अपने स्कूल में होने वाली गतिविधियों को साझा किया। बैठक के दौरान उनके साथ आए छात्रों ने जल बचाओ और पर्यावरण सुरक्षा पर चित्र बनाए। सभी छात्रों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया तथा विभिन्न स्कूल से आए शिक्षक वर्ग को एक-एक पौधा गमले सहित भेंट किया गया। सक्षम गोयल, हिम्मत सिंह, शेखर, वेदांश,अनिरुद्ध, सानिध्य, सार्थक भारद्वाज, केसंग नेगी, जोया, दीपिका,अभिनव विराज ने चित्रकला गतिविधि में भाग लिया।
सोलन ज़िले के सभी 5 विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूचियों में शामिल दिव्यांग मतदाताओं की सूची को अपडेट किया जाएगा। आज जिला मुख्यालय पर एक्सेसिबल चुनाव पर गठित जिला स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए एसडीएम सोलन रोहित राठौर जिनके पास अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार भी है, ने कहा कि इस कार्य को एक अभियान के तौर पर पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसका मकसद मौजूदा मतदाता सूचियों में जो गैप है उसे दूर करके दिव्यांगों की मतदाता सूची को अपडेट और शुद्ध करना है ताकि आगामी चुनावों के दौरान दिव्यांग मतदाताओं की सही और अपडेटेड सूची उपलब्ध हो और उसी के अनुरूप दिव्यांग मतदाताओं को जरूरी सहूलियतें उपलब्ध करवाई जा सकें। उन्होंने यह भी कहा कि युक्तिकरण के जरिए उन मतदान केंद्रों को स्थानांतरित भी किया जा सकता है जो किसी भी सूरत में दिव्यांग मतदाताओं के लिए सुविधाजनक नहीं हो सकते हैं। एसडीएम ने इस अभियान में गैर सरकारी संस्थाओं से भी सहयोग की अपील की। उन्होंने चुनावी पाठशाला की गतिविधियों को भी ज़िले के शिक्षण संस्थानों में निरंतर जारी रखने के लिए कहा। बैठक में नायब तहसीलदार निर्वाचन महेंद्र ठाकुर के अलावा कमेटी से जुड़े अन्य विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे।
नगर पंचायत अर्की में बेसहारा गौबंश की बढ़ती हुई संख्या से जहां स्थानीय निवासियों की परेशानी बढ़ती जा रही हैं तो वहीं दूसरी ओर इनके द्वारा आए दिन किसी न किसी व्यक्ति को घायल किए जाने का सिलसिला भी जारी है। बता दें लाखों की राशि से बनी गौशाला होने के बाद भी इस प्रकार के खतरनाक पशु खुला घूमते हुये लोगो को घायल कर रहे हैं जो नगर पंचायत अर्की की लचर कार्यप्रणाली को दर्शाता है। एक मामले के अनुसार एक सांड द्धारा वार्ड नं 2 निवासी एक 70 वर्षीय बुजुर्ग जीत राम को सुबह सुबह ही घायल कर दिया गया । उन्हें तुरंत निजी वाहन में अस्पताल लाया गया जहां जीत राम की कमर व बाजू मे लगभग 10 टांके लगे। गनीमत रही कि वहीं पास में खड़े एक युवक ने सांड को भगा दिया अन्यथा इस सांड द्धारा उक्त बुजुर्ग को टक्कर मार कर सड़क के नीचे फेंक दिया जाता जिससे कोई भी अनहोनी हो सकती थी। अर्की में घूम रहे बेसहारा सांडों का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। यदि कोई बच्चा,महिला या बुजुर्ग इनके लपेटे में आ जाए तो ये उस पर झपट पड़ते हैं। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष भी इनमें से एक सांड द्धारा एक महिला व एक स्कूली छात्र को गंभीर रूप से घायल कर दिया गया था। अर्की विकास मंच के अध्यक्ष राकेश भारद्धाज, उपाध्यक्ष तुलसी ठाकुर,सचिव योगेश वर्मा, प्रभा भारद्धाज, गगन चतुर्वेदी, केके भारद्धाज, हितेश गुप्ता तथा कई स्थानीय लोगों ने प्रशासन व नगर पंचायत से मांग की है कि इन बेसहारा पशुओं को अर्की में बनाई गई गौशाला में तुरंत भेजा जाए ताकि महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों को इनके आतंक से मुक्ति मिल सके।
जिला पंचायत कार्यालय सोलन में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें जिला राष्ट्रीय उच्च मार्ग के साथ लगती पंचायतों के प्रधान उपप्रधान एवं वार्ड सदस्यों ने भाग लिया।दाड़लाघाट पंचायत के प्रधान सुरेंद्र शुक्ला ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह कार्यशाला हिमाचल प्रदेश के संयुक्त निदेशक ज्ञानचंद सागर की अध्यक्षता में आयोजित की गई।उन्होंने उपस्थित सभी सदस्यों को जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय उच्च मार्ग के साथ सभी पंचायतों को चाहिए कि वे ठोस व तरल कचरे का अलग अलग पंचायत स्तर पर निष्पादन करें।कार्यशाला में कांगड़ा जिला के आईमा पंचायत से प्रधान डॉ गौरव संजीव राणा ने अपने विचार सांझा करते हुए बताया कि इस कार्य को लोगों की सहभागिता से पूर्ण किया जा सकता है।उनकी पंचायत लोगों की सहभागिता के कारण ठोस व तरल कचरे को अलग अलग निष्पादित कर रही है और पंचायत ने स्वच्छ वातावरण बनाकर मिसाल प्रस्तुत की है।आईमा पंचायत के प्रधान ने जोर देकर कहा कि जब तक लोगों की सहभागिता सुनिश्चित नहीं की जाएगी,तब तक इस कार्य में सफलता नहीं मिल सकती।इस कार्यशाला में कुनिहार खंड विकास अधिकारी विवेक पाल,धर्मपुर खंड विकास अधिकारी रवि बैंस,कंडाघाट के खंड विकास अधिकारी रणवीर चौहान तथा दाड़लाघाट के उपप्रधान लेखराज चंदेल,वार्ड मेंबर नरेंद्र चौधरी,पलानिया,दसेरन,कोटली और कुनिहार के प्रधानों उपप्रधानों ने भी अपने विचार सांझा किए।
पुलिस थाना दाड़लाघाट में धोखे से चैक के माध्यम से तीन लाख रुपए निकालने का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार चंडी बैंक में एक व्यक्ति के द्वारा चेक पर जाली हस्ताक्षर कर तीन लाख हड़प करने की शिकायत अर्की न्यायालय में दी गई है। अब उक्त शिकायत की जांच का जिम्मा पुलिस को सौंपा गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इसमें शिकायतकर्ता संतोष ने बताया कि उसका चंडी बैंक से तीन लाख रुपये का लोन स्वीकृत हुआ था। इसमें उक्त राशि को बैंक से जाली हस्ताक्षर कर निकाल लिया गया है। जानकारी के अनुसार संतोष कुमार पुत्र गोविंद राम निवासी गांव बंबीरा डॉ मांगू तहसील अर्की जिला सोलन का शिकायत पत्र धारा 156 (3) दंड प्रक्रिया संहिता न्यायालय अर्की से थाना में प्राप्त हुआ। इसमें शिकायत कर्ता ने प्रतिवादी पक्ष को आरोपित किया है कि आरोपी कुछ साल पूर्व जोगिंद्रा बैंक चंडी में बतौर प्रबंधक कार्य कर रहा था। पीड़ित ने उपरोक्त बैंक से तीन लाख का लोन स्वीकृत करने के लिए अपने दस्तावेज दिए थे। पीड़ित के कुछ खाली चेकों पर हस्ताक्षर करवाए थे।इसमें कहा था कि इसको लोन किश्तों पर जारी होगी। पीड़ित अपने लोन के बारे में पूछता रहा लेकिन आरोपी उसको झूठे प्रलोभन देता रहा। जब पीड़ित ने बैंक जाकर पता किया तो दिनांक 24 फरवरी 2019 को इसके नाम से तीन लाख रुपये चेक संख्या 0897500 से चंडी बैंक से निकाले गए हैं। जिन दस्तावेजों के आधार पर यह राशि निकाली गई हैं,वे सभी गलत और उनमें किए हस्ताक्षर उसके नहीं है। बहरहाल पुलिस अब मामले की जांच कर रही है। मामले की पुष्टि डीएसपी दाड़लाघाट पूर्ण चंद ठुकराल ने की है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने मामला दर्ज करके छानबीन शुरू कर दी है।
देवधरा हिमाचल प्रदेश के कने-कोने में देवता विराजमान है। हिमाचल प्रदेश के हर हिस्से में अलग-अलग धार्मिक स्थल व मंदिर स्थित हैं। हर मंदिर का अपना एक रहस्य है और हर मंदिर के साथ जुडी है लोगों की अटूट आस्था और विश्वास। पर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा ज़िला हैं जहां लोग राक्षसी की पूजा करते हैं। जी हाँ आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको हिडिम्बा देवी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। हिडिम्बा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के ज़िला मनाली में स्थित है। इसे ढुंगरी मंदिर (Dhungiri Temple) के नाम से भी जाना जाता है। हिडिम्बा देवी मंदिर में हिडिम्बा देवी के पदचिह्नों की पूजा की जाती है।इस मन्दिर का निर्माण 1553 ईस्वी में महाराज बहादुर सिंह ने कराया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार हिडिम्बा एक राक्षसी थी जो अपने भाई हिडिम्ब के साथ इस क्षेत्र में रहती थी। उसने कसम खाई थी कि जो कोई उसके भाई हिडिम्ब को लड़ाई में हरा देगा, वह उसी के साथ अपना विवाह करेगी। उस दौरान जब पांडव वनवास काट रहे थे, तब पांडवों के दूसरे भाई भीम ने हिडिम्ब की यातनाओं और अत्याचारों से ग्रामीणों को बचाने के लिए उसे मार डाला और इस तरह महाबली भीम के साथ हिडिम्बा का विवाह हो गया। भीम और हिडिम्बा का एक पुत्र घटोत्कच हुआ, जो कुरुक्षेत्र युद्ध में पांडवों के लिए लड़ते हुए मारा गया था। कहा जाता है कि भीम ने हिडिम्ब को मनाली के इसी स्थान पर मारा था। देवी हिडिम्बा को समर्पित यह मंदिर हडिम्बा मंदिर के नाम से जाना जाता है। विशेषताएं:- हिडिम्बा मंदिर पांडवों के दूसरे भाई भीम की पत्नी हिडिम्बा को समर्पित है। मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। कुल्लू राजघराने के ही राजा बहादुर सिंह ने हिडिम्बा देवी की मूर्ति के पास मंदिर बनवाया था। मंदिर की दीवारों पर सैकड़ों जानवरों के सींग लटके हुए हैं। हिडिम्बा देवी मंदिर 40 मीटर ऊंचे शंकु के आकार का है और मंदिर की दीवारें पत्थरों की बनी हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार और दीवारों पर सुंदर नक्काशी की गई है। इस मंदिर का निर्माण पगोडा शैली (Pagoda Style) में कराया गया है यह मंदिर लकड़ी से बनाया गया है और इसमें चार छतें हैं। मंदिर में देवी की मूर्ति नहीं है लेकिन उनके पदचिन्ह पर एक विशाल पत्थर रखा हुआ है, जिसे देवी का विग्रह रूप मानकर पूजा की जाती है। कहा जाता है कि राजा ने इस मंदिर को बनवाने के बाद मंदिर बनाने वाले कारीगरों के सीधे हाथों को काट दिया ताकि वह कहीं और ऐसा मंदिर न बना सकें। हिडिम्बा देवी के जन्मदिन के मौके पर ढूंगरी मेले का आयोजन किया जाता है। लोक कथाओं के अनुसार, हिडिम्बा एक राक्षसी थी, जिसके भाई हिडम्ब का राज मनाली के आसपास के पूरे इलाके में था। हिडिम्बा ने महाभारत काल में पांचों पांडवों में सबसे बलशाली भीम से शादी की थी। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए तीनों मार्ग यानी हवाई, ट्रेन और सड़क माध्यमों से मनाली आने की सुविधा उपलब्ध है। मंदिर से लगभग सत्तर मीटर की दूरी पर देवी हिडिम्बा के पुत्र घटोत्कच को समर्पित एक मंदिर है। यह मंदिर पूरे हफ्ते खुला रहता है और किसी भी दिन बंद नहीं होता है। हिडिम्बा देवी मंदिर में प्रवेश के लिए किसी तरह की फीस नहीं लगती है। मंदिर सुबह आठ बजे खुलता है और शाम को छह बजे तक बंद हो जाता है। हर साल श्रावण के महीने में राजा बहादुर सिंह की याद में एक उत्सव मनाया जाता हैै। स्थानीय लोगों ने इस मेले का नाम रखा है- बहादुर सिंह रे जातर दिया हैै। मंदिर में दशहरा महोत्सव का आयोजन होता है जिसमें दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगती है। श्रावण मास में धान की रोपाई पूरा होने के बाद सरोहनी मेले का आयोजन किया जाता हैै। सर्दियो में यहां काफी बर्फबारी होती है। मन्दिर सुबह आठ बजे से शाम छह बजे तक खुला रहता है।
पाइनग्रोव स्कूल सुबाथू में अन्तर सदनीय हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें चिनार, देवदार, ओक और टीक सदनों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। कनिष्ठ वर्ग के छात्रों के लिए 'जीवन में हास्य के मायने बदल रहे हैं' विषय रखा गया। छात्रों ने विषय पर पक्ष और विपक्ष पर अपने विचार रखे। वहीँ वरिष्ठ वर्ग में 'हमारे समाज में आरक्षण न्याय का दोह है' विषय निर्धारित किया गया। छात्रों ने इस विषय के पक्ष और विपक्ष में अपने तर्क दिए। कनिष्ठ वर्ग में टीक सदन की कृतिका प्रथम व ओक सदन की तान्या दूसरे स्थान पर रही। जबकि वरिष्ठ वर्ग में चिनार सदन की निशिता कुमार पहले और देवदार सदन के सूरज दूसरे स्थान पर रहे। प्रतियोगिता का ओवरआल खिताब टीक सदन के नाम रहा। जबकि ओक सदन दूसरे व देवदार सदन तीसरे स्थान पर रहे।कार्यक्रम के अंत में हेड टीचर देवेंद्र कुमार वर्मा ने सभी प्रतिभागियों की सराहना की और विजयी छात्रों को पुरुस्कृत किया। उन्होंने जानकारी दी कि स्कूल में नियमित तौर पर इस तरह के आयोजन होते रहते हैं।
गोपाल दास नीरज को फर्स्ट वर्डिक्ट का नमन मदन हिमाचली के शब्दों में ... "सांसों की डोर के आखिरी पड़ाव तक बेहतहरीन नगमे लिखने के ख्वाहिशमंद मशहूर गीतकार पद्मभूषण कवि गोपालदास सक्सेना 'नीरज' की वीरवार को पहली पुण्यतिथि हैं। उनकी प्रथम पुण्यतिथि मैँ उनके चरणों मे विनम्र श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ। मैं खुद को बेहद खुशनसीब समझता हूँ कि मुझे उनके साथ मंच पर बैठने का सौभाग्य प्राप्त हैं। दरअसल, वर्ष 1992 में अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग ( इलाहाबाद) में आयोजित हुआ था। मैं भी इसमें शरीक होने इलाहाबाद गया था।उस साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता स्वयं गोपाल दास नीरज जी कर रहे थे। उनके साथ मंच साँझा करने का सुअवसर मिलना, मेरे लिए स्वर्ग मिलने से काम नहीं था। आज भी वो कवि सम्मलेन एक स्मरणीय समारोह के रुप में मेरे मानस पटल पर अँकित है। नीरज दबँग साहित्यकार तो थे ही, उनकी साहित्कारों के स्वाभिमान के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं। उस समारोह का हर पल, नीरज द्वारा कहा गया हर शब्द अब भी मेरे मन-मष्तिष्क में जीवंत हैं, मानो कल की ही बात हो। मुझे याद हैं तब अपने सम्बोधन मे इन्होंने कहा था कि साहित्यकार निर्भीक होकर रचना धर्मिता निभाएं। केवल मात्र साहित्यकार ही ऐसा व्यक्तित्व का धनी है जो समाज का सही चित्रण कर सकता है तथा परिवेश में फैली विषमताओं को तह से उकेर कर समाज के सामने प्रस्तुत कर सकता हैं। इसलिए साहित्यकार अपने स्वाभिमान को किसी के आगे गिरवी न रखें और कालजयी रचनाओं का सृजन करें।"
विद्युत उपमंडल दाड़लाघाट के अंतर्गत कंधर,बागा,हवानी कोल,पडियार, बैरल,स्कोर व कंधर अनुभाग तक के क्षेत्रों मे 19 जुलाई व 20 जुलाई को विद्युत आपूर्ति बाधित रहेगी।यह जानकारी देते हुए सहायक अभियंता दाड़लाघाट ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि अनुभाग कंधर में एचटी लाइन के आवश्यक रख रखाव व मुरम्मत हेतु प्रात 9:00 बजे से सांय 5:00 बजे तक विद्युत आपूर्ति बाधित रहेगी।उन्होंने सभी संबंधित लोगों से असुविधा हेतु सहयोग की अपील की है।
सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के सम्बन्ध में आम लोगों को जागरूक करने के लिए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सौजन्य से सोलन जिला के नालागढ़ विकास खंड की ग्राम मानपुरा तथा रडियाली में नुक्कड़ नाटक, गीत संगीत तथा लोग नृत्य के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया। इस अवसर पर सांस्कृतिक दल के कलाकार हेमंत, दिग्विजय, गगन, राजेंद्र, चतर, गोपाल, शीला कलसी, नीवा देवी, रोशनी ने देखो आया सूचना का अधिकार, मिटाने भ्रष्टाचार समूहगान के माध्यम से आरटीआई अधिनियम की जानकारी प्रदान की। कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक ‘टिपरू राम’ के माध्यम से बताया कि सूचना का अधिकारी क्या है व इसके माध्यम से किसी भी विभाग की कार्यप्रणाली पर संदेह होने पर सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त की जा सकती है। हिम सांस्कृतिक दल ममलीग के प्रभारी हेमंत ने लोगों को सूचना का अधिकार अधिनियम की जानकारी इस दौरान विस्तारपूर्वक दी। उन्होंने जनता को कार्यक्रम के माध्यम से बताया कि प्रत्येक कार्यालय में सूचना के अधिकार के विषय में सूचना पटट पर धारा-4 की जानकारी दर्शाना जरूरी होगा। ताकि इच्छुक लोगों को स्वतः ही इसके संबंध में जानकारी हासिल कर सकें। सरकारी कार्यालय के सूचना पटट पर जन सूचना अधिकारी का नाम, पदनाम, दूरभाष नम्बर भी अकिंत होगा। सूचना की जानकारी वांछित व्यक्ति को 30 दिनों के भीतर देनी होगी। इसके लिए यह जरूरी है कि सूचना को जनता के समक्ष रखने एवं जनता को प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया जाए, जो एक कानून द्वारा ही सम्भव है। कलाकारों ने गीत संगीत के माध्यम से सूचना का अधिकार अधिनियम के विभिन्न पहलुओं की भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने लोगों को बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम लागू होने से जहां सरकारी कार्यों में पारदर्शिता आई है, वहीं भ्रष्टाचार पर भी विराम लगा है। इस अवसर पर ग्राम पंचायत रडयाली की प्रधान इंदु ठाकुर वैद्य, बीडीसी सदस्य कमलेश चैधरी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता साधना, पंचायत सचिव नीरज भंडारी, ग्राम पंचायत मानपुरा के प्रधान कुलदीप कौर, उपप्रधान रघुवीर सिंह, पंचायत सचिव मीना कुमारी उपस्थित थे।
सोलन जिला में कनिष्ठ बुनियादी अध्यापक (जेबीटी) के भूतपूर्व सैनिकों के आश्रित उम्मीदवारों के लिए बैचवाईज तथा टैट मेरिट के आधार 25 पद भरे जाने हैं। यह जानकारी उपपिदेशक प्रारंभिक शिक्षा श्रवण कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि उक्त पदों के लिए सोलन जिला के विभिन्न रोजगार कार्यालयों से 22 उम्मीदवारों के नाम प्राप्त हुए हैं। इन उम्मीदवारों की काउसिलिंग 24 जुलाई, 2019 को जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान सोलन में की जाएगी। उन्होंने बताया कि प्राप्त हुए नामों की सूची कार्यालय की वैबसाईट www.ddeesolan.तक पर उपलब्ध है। उम्मीदवारों को अलग से काउसिलिंग पत्र नहीं भेजे जाएंगे। काउसिलिंग के दौरान अभ्यर्थी द्वारा भरा जाने वाला बायोडाटा फार्म भी वैबइसाईट पर उपलब्ध है। उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा ने बताया कि जो अभ्यर्थी निर्धारित तिथि व समय पर उपस्थित नहीं होंगे उनकी उम्मीदवारी भविष्य के लिए मान्य नहीं होगी तथा इस संबंध में कोई भी प्रतिवेदन या दावेदारी स्वीकृत नहीं होगी। यदि किसी पात्र उम्मीदवार का नाम रोजगार कार्यालय से छूट गया हो तो उम्मीदवार निर्धारित तिथि पर उपस्थिति दर्ज करवा सकता है। उम्मीदवार को अपने साथ 10वीं, जमा दो, जेबीटी प्रमाण पत्र, टैट प्रमाण पत्र, अनुसूचित जाति/जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र, हिमाचली प्रमाण पत्र, नवीनतम पासपोर्ट आकार फोटो, रोजगार कार्यालय में पंजीकरण का पत्र, सैनिकों के आश्रित का प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र जो किसी सक्षम अधिकारी से जारी किया गया हो, साथ लाना होगा। उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिए कार्यालय के दूरभाष नंबर 01792-230440 पर संपर्क किया जा सकता है।
पूजा- पाठ के बहाने तांत्रिक गुरु-चेले द्वारा एक महिला के साथ बलात्कार का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार बेटे की बीमारी से परेशान महिला तांत्रिक के पास पहुंची थी। तांत्रिक ने महिला से रविवार को श्मशान घाट में पूजा करवाने को कहा,उसके लिए पीड़िता को वहीं रुकने के लिए कहा गया। शाम के वक्त पूजा के बहाने महिला को गाड़ी में बिठा कर एक कमरे में ले गए। यहां कमरे में महिला से दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ शिव कुमार ने कहा कि आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि महिला को नरक में ले जाकर दुष्कर्म किया गया गौरतलब है कि गिरफ्तार तांत्रिकों में से एक साथी के खिलाफ पहले भी दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ था। आरोपियों की पहचान तांत्रिक ज्ञान प्रकाश व चेले ज्ञानचंद के रूप में हुई है। इस घटना के बाद पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि लोग तांत्रिक के झांसे में न आए।
भारत एक धार्मिक देश है और यहां पर ऐसे मंदिर हैं जहां जो भी चढ़ावा आता है उसे तिजोरियों में बंद करके रखा जाता है। पर क्या आपने ऐसा मंदिर देखा है जहां अरबों का चढ़ावा सामने खुले में ही पड़ा रहता है। इसेआप अपनी आँखों से देख तो सकते हैं मगर उसे छू नहीं सकते।जी हाँ ये वो खजाना है जिसे सरकार तक नहीं छू पाई। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे ही रहस्मयी मंदिर की, जो हज़ारों भक्तों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है। हिमाचल प्रदेश के मंडी से लगभग 68 किलोमीटर दूर रोहांडा में स्थित है कमरुनाग मंदिर। यह मंदिर कमरूनाग देवता को समर्पित है। मंदिर के पास ही एक झील है, जिसे कमरुनाग झील के नाम से जाना जाता है। इसी झील में अरबों का खजाना दबा पड़ा है। दरअसल मान्यता है कि भक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए इस झील में सोने-चांदी के गहने और पैसे चढ़ाते हैं।भक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए ऐसा करते हैं और ऐसा हजारों साल पहले से ही होता आ रहा है। इसलिए झील पर आप अरबों - खरबों के खजाने की चमक दूर से ही देख सकते हैं। झील के खजाने पर लोगों की बुरी नज़र नहीं रहती क्योंकि इसकी रक्षा नाग करता है। एक मान्यता ये भी है कि इस पूरे पहाड़ पर और इस झील के आस-पास नाग रूपी छोटे-छोटे पौधे लगे हुए हैं, जो कि दिन ढलते ही इच्छाधारी नाग के रूप में आ जाते हैं। अगर कोई भी इस झील में इस खजाने को हाथ लगाने की कोशिश करता है, तो यही इच्छाधारी नाग इस खजाने की रक्षा करते हैं। ये हैं इतिहास:- पौराणिक कथा के अनुसार इस मंदिर का इतिहास महाभारत से जुड़ा हुआ है। दरअसल महाभारत के सबसे महान योद्धा ‘बर्बरीक’ जब युद्ध में लड़ने के लिए आए तो भगवान श्री कृष्ण जान चुके थे कि वह सिर्फ कमज़ोर पक्ष की तरफ से ही लड़ेंगे, तो रास्ते में भगवान श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण का भेष बनाकर उन्हें रोक लिया। उन्हें मालूम था कि बर्बरीक अगर कौरवों की तरफ से लड़े तो पांडवों की हार तय है। भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी धनुष विद्या की परीक्षा ली। इस दौरान बर्बरीक ने एक ही तीर से पीपल के सारे पत्ते बींध डाले। एक पत्ता श्रीकृष्ण ने अपने पांव के नीचे दबा रखा था लेकिन वह भी बींध चुका था। ब्राह्मण बने भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से वरदान के रूप में उनका शीश मांग लिया। बर्बरीक ने अपना शीश उन्हें दे दिया लेकिन बदले में वचन मांगा कि जब तक महाभारत युद्ध खत्म नहीं होता उनके शीश में प्राण रहे और वह पूरा युद्ध देख सके। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें वचन दिया कि ऐसा ही होगा। युद्ध खत्म होने के बाद भगवान श्रीकृष्ण पांडवों को उनके पास लाए और उनकी पूजा अर्चना की तथा उन्हें वरदान दिया युगों युगों तक तुम्हारी महिमा जारी रहेगी तथा लोग तुम्हें देवता के रूप में पूजा करेंगे। इसके बाद पांडवों ने उन्हें अपना कुलदेवता मानकर पूजा की। माना जाता है कि कमरूनागघाटी में स्थापित मूर्ति भी पांडवों ने आकर स्थापित की थी। युद्ध के बाद इस झील का निर्माण भीम द्वारा किया गया। इसलिए विशेष है कमरुनाग मंदिर :- कमरुनाग झील मंडी जिले से 9 हजार फीट ऊपर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर ऊंचे पहाड़ों और घने जंगलों से होकर गुज़रना पड़ता है। कमरुनाग मंदिर के समीप स्थित है कमरुनाग झील जिसके अंदर अरबों का खजाना है। भगवान कमरुनाग को सोने-चांदी व पैसे चढ़ाने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। झील के खजाने पर नहीं लोगों की बुरी नज़र नहीं पड़ती क्योंकि इसकी रक्षा नाग करता है। बरसात के दिनों में कमरूनाग मंदिर में गहरी धुंध होती है। कमरुनाग मंदिर में ठंड के दिनों में जाना काफी कष्टकारी होता है। इस वक्त पूरा इलाका बर्फ की मोटी चादर से ढक जाता है। कमरूनाग को बड़ा देव और बारिश का देवता भी कहा जाता है। मंदिर को जाने वाली खड़ी चढ़ाई वाले रास्तों पर पेयजल की व्यवस्था नहीं है। ऐतिहासिक कमरूनाग झील की हर चार साल के बाद एक बार मंदिर कमेटी की ओर से सफाई की जाती है। हर साल जून महीने में 14 और 15 जून को बाबा कमरुनाग भक्तों को दर्शन देते हैं। कमरुनाग में लोहड़ी पर भव्य पूजा का आयोजन किया जाता है। कमरुनाग मंदिर के पहाड़ों पर नाग की तरह दिखने वाले कई पेड़ हैं। किसी भी सरकार ने नहीं ली सुध:- इस मंदिर का आकार काफी छोटा है। यहां हर साल आने वाले भक्तों की तादाद बढ़ती ही जाती है। विडम्बना की बात यह है कि महाभारत कालीन कमरूनाग मंदिर को सहेजने में प्रदेश की अब तक की सरकारों की ओर से कोई ईमानदार प्रयास नहीं हुए हैं। यही कारण है कि कमरूनाग के मंदिर तक पहुँचने के लिए उपयुक्त सड़क तो दूर की बात, पैदल चलने वालों के लिए मुकम्मल रास्ते तक नहीं बनाए गए हैं।
भारत सरकार के उपक्रम एलआईसी द्वारा गृहणियों,पूर्व सैनिकों व सेवानिवृत कर्मचारियों व बेरोजगार युवाओं के लिए 23 जुलाई 2019,को स्वरोजगार में स्थापित करने के लिए एक विशेष बैच शुरू करने का निर्णय लिया है। इसके लिए वितीय वर्ष 2019-20 में 23 जुलाई 2019 को एलआईसी कार्यालय अर्की में 11 बजे से 1 बजे तक रोजगार मेले का आयोजन किया जा रहा है। एलआईसी के विकास अधिकारी विनोद शर्मा ने बताया कि रोजगार मेले में विशेष बैच के लिए पात्र व्यक्तियों का चयन किया जाएगा। रोजगार मेले में 18 से 70 वर्ष तक के व्यक्ति भाग ले सकते है। इच्छुक अभ्यर्थियों को अपने साथ दसवीं तथा उच्चतम योग्यता प्रमाण पत्रों की दो-दो फोटोस्टेट कॉपियां,2 पासपोर्ट साईज फोटोग्राफस,रू. 1050/-नगद (पंजीकरण फीस) तथा आधार कार्ड व पेन कार्ड की दो-दो फोटो प्रतियां साथ लानी होगी। एल.आई.सी. अभिकर्ता (एजेंट) एक बहुत ही उज्जवल कैरियर है।अभिकर्ता का मुख्य कार्य सभी योग्य व्यक्तियों को बीमा पेंशन एवं वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध करवाना है।इस संबध में अधिक जानकारी के लिए 9805641047 मोबाइल नो. पर विकास अधिकारी विनोद शर्मा से सम्पर्क कर सकते है।
महज 12 वर्ष की उम्र में ब्रह्मांड के रहस्यों पर किताब लिख सबको अचंभित करने वाले ओजस की किताब 'क्लीयरिंग दी कौस्मिक मैसेज' का विमोचन हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने किया हैं। जो जानकारियां इंटरनेट पर भी आसानी से उपलब्ध नहीं हैं, उन्हें ओजस ने इस किताब में शामिल किया है।10 हजार शब्दों और 19 चैप्टर वाली क्लीयरिंग दी कौस्मिक मैसेज किताब को ओजस ने कंप्यूटर पर टाइप किया हैं, जिसे व्हाइट फॉल्कन पब्लिशर्स ने प्रकाशित किया है। इस किताब के लिए देश-विदेश से ऑनलाइन ऑर्डर भी आ रहे हैं। ओजस ने बताया कि उसने पहले थियोरी लिखने का सोचा। इसके लिए उसने खगोल शास्त्र से जुड़े रहस्यों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया, जिसे बाद में किताब का रूप दे दिया। ओजस ने बताया कि इस किताब में बच्चों को खगोल से संबंधित लॉजिक मिलेंगे। ओजस के अनुसार उसकी किताब को सोलन ही नहीं बल्कि पंजाब, आयरलैंड व अन्य राज्यों से भी ऑर्डर आए हैं। ओजस अपनी थियोरी और स्मार्ट फोन के डिजाइन को पैटेंट करवाना चाहता है, जिसके लिए वह विवो कंपनी से संपर्क में हैं। ओजस फिलहाल सैनिक स्कूल सुजानपुर में शिक्षा ले रहा है। माता-पिता को हैं गर्व ओजस की माता सरिता शर्मा और पिता रामानंद शर्मा ने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व हैं। आज जब ज्यादातर छात्र मोबाइल से घिरे रहते हैं, ऐसे दौर में उनके बेटे ने ऐसे विषय पर किताब लिखी है, जो काफी मुश्किल है। उन्होंने कहा कि वह पहले तो अपने बेटे के इस हुनर पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जब बेटे के जोर देने पर वह पब्लिशर के पास गए, तब उन्हें विश्वास हुआ।
The Supreme Court fixed the next hearing of Ayodhya Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land title case on August 2. The court will pass further orders on August 2, the next date of hearing. Meanwhile, the mediation process will continue till July 31. The Supreme court will hear the case in an open court on August 2. Earlier on July 11, the Supreme Court had asked the three-member mediation panel to submit its status report by July 18. The mediation panel comprise former Supreme Court judge FMI Kalifulla, spiritual guru and founder of Art of Living foundation Sri Sri Ravishankar and senior advocate Sriram Panchu, a renowned mediator. They were tasked to find an amicable solution to the Ayodhya Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land title dispute.