The Supreme Court fixed the next hearing of Ayodhya Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land title case on August 2. The court will pass further orders on August 2, the next date of hearing. Meanwhile, the mediation process will continue till July 31. The Supreme court will hear the case in an open court on August 2. Earlier on July 11, the Supreme Court had asked the three-member mediation panel to submit its status report by July 18. The mediation panel comprise former Supreme Court judge FMI Kalifulla, spiritual guru and founder of Art of Living foundation Sri Sri Ravishankar and senior advocate Sriram Panchu, a renowned mediator. They were tasked to find an amicable solution to the Ayodhya Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land title dispute.
दाड़लाघाट पंचायत के अंतर्गत भारतीय जनता पार्टी का सदस्यता अभियान जोरों पर है।बूथ नंबर 28,29,30,31 व 32 में 375 नए रिकार्ड सदस्य बनाए गए। यह जानकारी 31/50 के प्रभारी जगदीश शुक्ला ने देते हुए बताया कि यह सदस्यता अभियान 10 अगस्त 2019 तक चलेगा।बूथ नंबर 29/50 बूथ पालक बंटु शुक्ला,वसंत सिंह ठाकुर ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की योजनाओं से प्रभावित होकर भारी संख्या में लोग इस अभियान में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने अपने बूथ पर घर - घर जाकर नए सदस्यों को भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता अभियान से जोड़ा। जिला अन्य पिछड़ा वर्ग के अध्यक्ष नरेंद्र चौधरी व भाजयुमो के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य राकेश गौतम ने इन बूथों पर सक्रिय रूप से सदस्यता अभियान चलाने वाले प्रभारियों को गांव - गांव जाकर अधिक से अधिक लोगों को इस अभियान में जोड़ने का आह्वान किया।बालकराम शर्मा,नरेश गौतम,पवन गौतम,जगदीश शर्मा, ओम प्रकाश शर्मा,मुनीष शुक्ला,श्याम चौधरी इत्यादि इस अभियान में शामिल रहे।
बाल विकास परियोजना सोलन में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा सहायिका के रिक्त पद को भरने के लिए साक्षात्कार 20 अगस्त, 2019 को प्रातः 11 बजे बाल विकास परियोजना अधिकारी कार्यालय के सभागार में आयोजित किए जाएंगे। यह जानकारी एक विभागीय प्रवक्ता ने दी। उन्होंने कहा कि इन पदों पर सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित मानदेय देय होगा। इच्छुक अभ्यर्थी 19 अगस्त 2019 को सांय 5 बजे तक बाल विकास परियोजना अधिकारी कार्यालय सोलन के कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन पदों के लिए वही महिला उम्मीदवार पात्र हैं जो सम्बन्धित आंगनवाड़ी केन्द्र के लाभान्वित क्षेत्र में प्रथम जनवरी 2019 को सामान्य रूप से रह रहे परिवार से सम्बन्ध रखती हो। उम्मीदवार की आयु 21 से 45 वर्ष के मध्य होनी चाहिए। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के लिए उम्मीदवार की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता दस जमा दो, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के लिए दसवीं तथा आंगनवाड़ी सहायिका के लिए आठवीं पास होनी चाहिए। सहायिका पद के लिए आठवीं पास शैक्षणिक योग्यता के उम्मीदवार उपलब्ध न होने की स्थिति में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता पांचवी पास मान्य होगी। उन्होंने कहा कि इन पदों के लिए उम्मीदवार के परिवार की वार्षिक आय 35 हजार रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। इस संबंध में उम्मीदवार को तहसीलदार अथवा नायब तहसीलदार द्वारा जारी तथा प्रतिहस्ताक्षरित प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। उन्होंने कहा कि आवेदक को आवेदन पत्र के साथ आयु, शैक्षणिक योग्यता, जाति, अपंगता, अनुभव, हिमाचली, परिवार रजिस्टर की नकल व अन्य योग्यता प्रमाणपत्रों की प्रमाणित प्रतियां साक्षात्कार के समय या इससे पूर्व जमा करवाने होंगे। उम्मीदवारों को पंचायत सचिव अथवा तहसीलदार से प्रतिहस्ताक्षरित स्थाई निवासी का प्रमाण पत्र लाना भी अनिवार्य है। आय प्रमाण पत्र तहसीलदार अथवा नायब तहसीलदार या इनसे अधिकर स्तर के अधिकारी प्रतिहस्ताक्षरित होना चाहिए। उम्मीदवारों को साक्षात्कार के दिन इन सभी प्रमाणपत्रों की मूल प्रतियां अपने साथ लाना अनिवार्य है। इच्छुक पात्र महिला उम्मीदवार इन पदों के लिए समस्त प्रमाण पत्रों की सत्यापित छाया प्रतियों सहित बाल विकास परियोजना अधिकारी सोलन के कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए इच्छुक उम्मीदवार नजदीक के आंगनवाड़ी केन्द्र अथवा बाल विकास परियोजना अधिकारी धर्मपुर के कार्यालय दूरभाष नम्बर 01792-221640 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड सोलन से प्राप्त जानकारी के अनुसार 19 जुलाई को कोठों स्थित 11 केवी जटोली फीडर का आवश्यक मुरम्मत व रखरखाव कार्य किया जाना है।यह जानकारी विद्युत बोर्ड के एक प्रवक्ता ने दी। उन्होंने बताया कि इसके दृष्टिगत इसके अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों जटोली, कोठों, मझगांव, कुंडला तथा इसके आसपस के क्षेत्रों की विद्युत आपूर्ति दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक बाधित की जाएगी। उन्होंने इस दौरान लोगों से सहयोग की अपील की है।
कुमारहट्टी नाहन मार्ग पर भवन गिरने से हादसे में मृतक सूबेदार राजेन बहादुर का धर्मपुर में पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार के मौके पर उनके पार्थिव शरीर पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर से सहायक आयुक्त उपायुक्त भानु गुप्ता ने पुष्प चक्र अर्पित करके श्रद्धांजलि दी। इसी दौरान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ राजीव सैजल भी मौजूद रहे और उन्होंने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए। स्वर्गीय सूबेदार राजेन बहादुर मूल रूप से नेपाल के रहने वाले थे। अंतिम संस्कार में सेना के अलावा स्थानीय लोग और प्रशासन के लोग भी शामिल रहे।
पहाड़ों की रानी शिमला में स्थित कालबाड़ी मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र हैं। ये मंदिर माँ ‘देवी श्यामला’ को समर्पित है। श्यामला देवी को देवी काली का ही अवतार माना जाता है। कहा जाता हैं शिमला का नाम पहले श्यामला ही था जो माँ श्यामला के नाम से ही व्युत्पन्न है।पर धीरे- धीरे बोल चाल की भाषा में श्यामला का नाम शिमला हो गया। शिमला के माल रोड से कुछ ही दूरी पर स्थित कालीबाड़ी मंदिरका निर्माण सन् 1823 में हुआ था। मंदिर में देवी की लकड़ी की एक मूर्ति प्रतिस्थापित है। दीवाली, नवरात्री और दुर्गापूजा जैसे हिंदू त्योहारों के अवसर पर बहुत से भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। मां की मूर्ति के ऊपर चांदी का छतर व समीप ही फन फैलाए नाग देवता की कलात्मक मूर्ति देखकर भक्तजन आत्म विभोर हो जाते हैं। मंदिर के आसपास बैठे पंडित निरंतर माता का मंत्रोच्चारण करते रहते हैं जिससे यहाँ का माहौल हरदम भक्तिमय रहता हैं। कहा जाता हैं कि ब्रिटिश काल में बने इस मंदिर के स्थान पर पहले एक गुफा हुआ करती थी। शिमला कालीबाड़ी मंदिर का निर्माण राम चरण ब्राह्मण ने करवाया, जो एक बंगाली परिवार से सम्बन्ध रखते थे। कालीबाड़ी मंदिर में काली माता की मूर्ति के साथ एक तरफ श्यामला माता की शिला है और दूसरी तरफ चंडी माता की शिला है। इस मंदिर में माता की पत्थर की मूर्ति लगी है। इस मूर्ति में लगे पत्थरों को जयपुर से मंगवाया गया है। मंदिर निर्माण के बाद वर्ष 1885 में शिमला कालीबाड़ी प्रबंधन कमेटी का गठन हुआ। उसके बाद 1903 में कालीबाड़ी मंदिर ट्रस्ट बना, जो इस मंदिर को चला रहा है। जाने काली बाड़ी मंदिर के बारे में:- कालीबाड़ी मंदिर माल रोड से कुछ ही दूरी पर स्थित हैं। मंदिर परिसर में भक्तों की सुविधा के लिए कैंटीन व आवास गृह उपलब्ध हैं। मंदिर में भगवान् शिव का मंदिर भी स्थित हैं, जहाँ शिवरात्रि के दौरान बहुत भीड़ होती हैं। मंदिर परिसर में जानवरों, चमड़ों से बनी वस्तुओं का प्रवेश वर्जित हैं। मौसम के अनुसार मंदिर के खुलने व बंद होने का समय बदल जाता है जो सुचना बोर्ड पर लिख दिया जाता है। मंदिर में नवरात्रों के दौरान अष्टमी व नवमी को भंडारे का आयोजन होता हैं। दुर्गा पूजा के दौरान मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन होता हैं।
उपमंडल मुख्यालय के उपमंडल अधिकारी कार्यालय के सभागार में एक बैठक का आयोजन किया गया । जिसकी अध्यक्षता उपमंडल अधिकारी नागरिक विकास शुक्ला ने की । बैठक में करीब 30 पंचायतों के प्रधान मौजूद रहे तथा मौजूद सभी प्रधानों से न्याय पंचायत का गठन करने के बारे में चर्चा की गई । शुक्ला ने कहा कि लोगों में आपसी झगड़ा, घरेलू हिंसा तथा अन्य बातों को लेकर अक्सर झगड़ा होता रहता है । इसके न्याय के लिए वह उपमंडल अधिकारी कार्यालय पहुंचते हैं तथा इसमें लोगों का काफी समय बर्बाद होता है । यदि पंचायत स्तर पर ही इनका निपटारा किया जाए तो लोगों के लिए काफी राहत मिलेगी । उन्होंने कहा कि 1952 1968 तथा 1994 पंचायती राज एक्ट के अनुसार पंचायतों को कई मामले निपटाने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि पंचायत में तीन व्यक्तियों (पंचायत प्रधान उपप्रधान तथा वार्ड सदस्य) का एक बेंच होगा जोकि किसी मामले को लेकर निर्णय करेगा । इसके पश्चात यदि प्रार्थी को निर्णय से संतुष्टि न हो तो वह उपमंडल अधिकारी कार्यालय जा सकता है, परंतु उससे पहले पंचायत के निर्णायक मंडल द्वारा दिए गए निर्णय को भी देखा जाएगा । उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता की शिकायत का निवारण करने में संबंधित वार्ड सदस्य शामिल नहीं होगा । पंचायत निर्णायक मंडल में अन्य अर्थात पंचायत के लोगों को भी शामिल कर सकता है इसमें पंचायत प्रधान उपप्रधान तथा वार्ड सदस्य का होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि पंचायत द्वारा समन जारी करने के बाद व्यक्ति नहीं पहुंचता है तो तीन शमनों के बाद निर्णायक मंडल का निर्णय माननीय होगा । उन्होंने यह भी कहा कि समन की फीस जुर्माने के तौर पर ₹100 तक वसूली जा सकती है ।उन्होंने बताया कि यदि प्रार्थी चाहे तो वह अपना पक्ष रखने के लिए अधिवक्ता को भी ले जा सकता है । उन्होंने बताया कि जल्द ही न्याय व्यवस्था को चलाने के लिए एक प्रशिक्षण शिविर लगाया जाएगा जिसमें सभी पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा । इस अवसर पर तहसीलदार संतराम शर्मा, नायब तहसीलदार मोहन लाल शर्मा, सीडीपीओ विनोद गौतम, खंड विकास अधिकारी कार्यालय की ओर से अरविंद कुमार, परमिंदर ठाकुर सहित अन्य मौजूद रहे ।
चिन्मय विद्यालय नौणी में विद्यार्थी परिषद का गठन किया गया। कार्यक्रम में विद्यालय के प्रधानाचार्य शुभोजीत घोष ने बतौर मुख्यातिथि शिरकतर की। कार्यक्रम के शुरुआत में विद्यालय के बच्चों ने सुरीले गीतों की प्रस्तुति दे कर माहौल को सुरमयी बना दिया । इसके बाद विद्यालय के चारों सदनों की टुकड़ियों ने मार्च पास्ट किया। उसके बाद परिषद के सदस्यों को चुनकर उन्हें बैच दिए गए व शपथ दिलाई गई। इस परिषद में हैड ब्वॉय आर्यन चौहान ,वाईस हेड ब्वाय ललित शाक्य,हेड गर्ल अर्चना नेगी, वाईस हेड गर्ल तमन्ना ठाकुर, हॉस्टल हेड ब्वाय उमेश खन्ना, वाईस हॉस्टल हैड बॉय नमन, हॉस्टल हेड गर्ल चांदनी, वाईस हेड गर्ल श्रेया, सांस्कृतिक सचिव समीर व मनीषा मेहता, खेल सचिव आयुष कँवर, विदयालय अनुशासन प्रभारी आर्यन प्रसाद व मेदिनी तथा वाईस अनुशासन प्रभारी ह्रदय तथा मेस प्रभारी के रूप में आशीष सीरू व नंदिता को चुना गया। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानचार्य शुभोजीत घोष ने चयनित विद्यार्थी परिषद के सभी छात्रों को बधाई दी और कहा कि ऐसे कार्य से बच्चे के कार्य करने की क्षमता का पता चलता है व उनके लिए विकास का नया मार्ग भी खुलता है। इस अवसर पर विद्यालय के सभी बच्चे व अध्यापक भी मौजूद थे।
पर्यावरण उत्थान से टीबी अन्मूलन’ निक्षय पोषण योजना के अन्तर्गत राजकीय वरिष्ठ कन्या माध्यमिक पाठशाला सोलन में ‘टीबी अन्मूलन व पर्यावरण संरक्षण’ पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। स्कूल के प्रिंसिपल डॉ अनिता कौशल ने शिविर का शुभारम्भ करते हुए जिला टीबी केन्द्र अधिकारी डॉ अजय सिंह का परिचय स्कूल के इको क्लब,एन.सी.सी., एन.एस.एस. की छात्राओं से करवाया। इस शिविर में लगभग 200 विद्यार्थी प्रतिभागी रहे। इस अवसर पर डॉ अजय सिंह ने क्षय रोग (टीबी) के लक्षणों पर मंथन किया और विद्यार्थियों को अपने-अपने कार्यक्षेत्र में टीबी बीमारी की पहचान कैसे करें, व इसके इलाज के अनेकों पहलू क्या हैं पर क्रमबद्ध तरीके से सजग किया। अब आगामी समय में स्कूल में विभिन्न पंचायतों की छात्राएं अपने-अपने रिहायशी इलाके में, टीबी की रोकथाम के लिए प्रचार और प्रयास करेंगी। यह विद्यार्थी जो इको क्लब, एन.सी.सी व एन.एस.एस. के तहत अनेकों सामाजिक कार्य करते हैं, अब टीबी योद्धा के रुप में राज्य को वर्ष 2021 तक टीबी मुक्त बनाने में अपनी भूमिका निभाएंगें। डॉ सिंह ने बताया कि इसके तहत टीबी के मरीज को प्रतिमाह इलाज के लिए दौरान 500 रु. की धनराशि दी जाती है। डॉ सिंह, जो की एक पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट है ने बताया कि इस योजना का मूल आधार, टीबी के इलाज के दौरान, अच्छी खुराक का सेवन करने से है। डॉ सिंह ने बताया कि हर वर्ष हिमाचल प्रदेश में टीबी से कई लोगों की मृत्यु होती है और लगभग 550 बिगड़े हुई टीबी के मामले प्रदेश में मौजूद है। टीबी अन्मूलन में स्वच्छ पर्यावरण की अहम भूमिका होती है। टीबी के मरीज के घर व कार्यक्षेत्र में हमेशा स्वच्छ हवा के चलन का प्रावधान होना चाहिए और बड़े आकार के रोशनदान अनिवार्य हैं। आसपास कूड़ा नहीं जलाना चाहिए और घरों में खाना बनाने हेतु चुल्हे में लकड़ी के ईंधन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। नौणी विवि के पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सतीष भारद्वाज ने अपने संदेश में स्कूल की छात्राओं व इको क्लब इन्चार्ज हिताषी शर्मा से अनुरोध किया कि विश्वविद्यालय की मदद से स्कूल व विभिन्न पंचायतों में ऐसे पौधे लगवाएं जो हवा को शुद्ध बनाते हैं। विभाग ने गत एक वर्ष से कुछ ऐसे पौधों की पहचान कर जिला के कुछ क्षेत्रों व टीबी मरीजों के घरों में भी लगवाएं हैं
-Late DC Mehta was a farmer with Midas Touch -First Tomato Harvesting to The City of Red Gold He was a farmer with Midas touch. He was a visionary and due to his dedication & struggle , today Solan is known as the City of Red Gold. We are talking about late Devi Chand Mehta, the man who first started harvesting tomato in Solan. (the man who introduced commercial production of tomato to Solan.) It was the year 1942 when Saproon valley of Solan witnessed first harvesting of tomato by Late D.C. Mehta. According to the information available, Mehta had sown the Kolkatta based Stuns and Sons Company seeds in his fields. The packets of tomato seed are still lying safe in his home. Influenced by DC Mehta, in the year 1943-44, the other farmers of the valley also started planting and harvesting tomato. However, at that time it was not at all easy for them to carry the crop to the market. During that time the farmers used to transport the tomato crop to Delhi in locked tins via train. Interesting thing is that the tin had two keys the one of which was with the farmer and another with the aadti (reseller). In 1945 the farmers started to dispatch their produce packaged in Sunlight soap cartons and boxes used to pack oranges. This mechanism of tomato trading continued for around one decade. DC Mehta was well aware of marketing and distribution as well. He established tomato collection centres in Saproon, Kandaghat, Occhghat, Kaalaghat and Naarag. He used to collect tomatoes from these centres in his Willys Jeep to be further transported to Calcutta (now Kolkatta), Bombay (now Mumbai ) and Delhi agriculture markets. In 1956, DC Mehta took another initiative and established a manufacturing unit of pine boxes. After this farmers started using pine boxes to supply the huge quantity of produce. Gradually the tomato production in Solan is raising the par with every passing year. Tomato has undoubtedly electrified the economy of Solan. According to the information, in 1992-93, the tomato was grown on only 1200-hectare area in Solan. In 2004, farmers produced 92,220 MT of tomato on 2,500 hectares of land in Solan. However, in 2018, they produced 1,25,400 MT on 4,200 hectares. It is disappointing that the government has failed to set up a cold storage and food processing unit for tomato farmers in Solan. Sometimes due to over production or low demand, the prices of table tomato fell as low as Rs 5 per kg . At such times the farmers are forced to destroy tomato on roadsides or fields during the peak season, as they don’t have any other option.
उसकी हर अदा, हर डायलॉग पर लड़कियों की धड़कने तेज हो जाती थी। दीवानगी का आलम ये था कि लड़कियां उन्हें अपने खून से लिखकर खत भेजा करती थी।लुभावनी मुस्कान, चंचल शरारतें और चमकदार चेहरे वाले राजेश खन्ना की बात ही कुछ ओर थीं। ऐसी दीवानगी न कभी किसी के लिए थी और न शायद कभी हो। एक के बाद एक 15 सुपरहिट फ़िल्में देकर राजेश खन्ना फर्श से अर्श पर पहुंचे। स्टारडम ऐसा था कि उनके फैन कई घंटो तक उनकी एक झलक के लिए खड़े रहते थे। कहते हैं जब राजेश खन्ना ने शादी की तो उनकी कई फैंस ने खुदखुशी तक करने का प्रयास किया।हालांकि शौहरत के नशे में राजेश खन्ना के कदम लड़खड़ायें भी और जिस तेजी से राजेश खन्ना अर्श पर पहुंचे थे, उसी रफ़्तार से वापस फर्श पर भी आ गए। पर आज भी राजेश खन्ना लाखों-करोड़ों लोगों के दिलों पर राज करते हैं ।18 जुलाई को राजेश खन्ना की सातवीं पुण्यतथी हैं। पेश हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक पहलु:- दो साल में 15 सुपरहिट और बन गए बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1942 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। उनका असली नाम जतिन खन्ना था।राजेश खन्ना ने कुल 180 फिल्मों में काम किया, जिसमें 163 फीचर फिल्में थीं। उन्होंने 22 फिल्मों में दोहरी भूमिका निभाई। साल 1969-71 के अंदर उन्होंने 15 सोलो हिट फिल्में दीं, जो आज भी रिकॉर्ड है। अमिताभ की उड़ाई थी खिल्ली राजेश खन्ना फिल्म सेट पर लेट पहुंचे के लिए भी जाने जाते हैं। जबकि अभिताभ सेट पर समय से पहुंचने के लिए जाने जाते थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने ये कहकर अमिताभ की खिल्ली उड़ाई थी कि वह मानते हैं कि क्लर्क समयनिष्ठ होते हैं और वह कोई क्लर्क नहीं बल्कि कलाकार हैं। बाद में वही अमिताभ बॉलीवुड के अगले सुपरस्टार बने।हालांकि फिल्म ‘आनंद' के सेट पर लेट पहुँचने के कारण उन्हें फिल्म के डायरेक्टर से माफी भी मांगनी पड़ी थी। जब राजेश खन्ना को लगा वे भगवान के बगल में बैठे हैं 'आनंद' की सफलता के बाद राकेश खन्ना ने एक इंटरव्यू में कहा था कि सफलता के बाद उन्हें ऐसा लगा जैसे वे भगवान के बगल में हैं। बंगलुरु में फिल्म का प्रीमियर था और करीब दस मील तक सड़क पर लोगों के सिर के सिवा और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। पूर्व प्रेमिका के घर के नीचे से निकली राजेश खन्ना की बारात राजेश खन्ना और अंजू महेंदू्र के प्रेम के किस्से बॉलीवुड की गलियों में अक्सर चर्चाओं का विषय रहे हैं। अंजू और राजेश बचपन के साथी थे, एक साथ पढ़े और दोनों की दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई और दोनों ने लिव इन में रहना शुरू कर दिया। रिलेशनशिप के शुरुआती दौर में राजेश अंजू का खूब ख्याल रखते थे। राजेश के करियर के लिए अंजू ने अपने सपनों को भी दरकिनार कर दिया था। धीरे-धीरे राजेश को सफलता मिलनी शुरू हुई तो उन्होंने अंजू से उनका करियर छोड़ देने के लिए कहा। अंजू ने राजेश के एक कहने पर अपना करियर छोड़ दिया, लेकिन कुछ समय बाद दोनों के रिश्ते में दारार आने लगी। अक्सर दोनों के बीच विचारों में मतभेद के चलते लड़ाई हो जाती थी।आखिरकार अंजू, राजेश को छोड़कर चली गई। कहा ये भी जाता हैं कि अंजू को सबक सिखाने के लिए ही राजेश ने डिंपल कपाडि़या से शादी करने का फैसला किया। राजेश खन्ना ने अपनी बारात को अंजू के घर के नीचे से निकलवाया था। आत्महत्या के बारे में सोचने लगे थे राजेश खन्ना पत्रकार यासिर उस्मान ने एक किताब लिखी है- 'राजेश खन्ना: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज फर्स्ट सुपरस्टार।' इस किताब में यासिर ने लिखा हैं कि असफलता का असर राजेश खन्ना और डिंपल के रिश्तों पर भी पड़ने लगा था।यासिर के अनुसार राजेश खन्ना ने खुद माना था कि वे उन दिनों आत्महत्या के बारे में सोचते रहते थे। रास नहीं आई राजनीति राजेश खन्ना ने राजनीती में भी भाग्य आजमाया। राजेश खन्ना दिल्ली लोकसभा सीट से पांच वर्ष 1991-96 तक कांग्रेस पार्टी के सांसद रहे।पर राजनीति उन्हें रास नहीं आई, बाद में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया था।
चौपाल की सड़कें जानलेवा साबित हो रही हैं यहां आए दिन सड़कों पर मौत नाच रही है। शायद ही कोई ऐसा दिन जाता है जब ऊपरी शिमला में सड़क हादसे नहीं होते हैं।शिमला में बीती रात को उपमंडल चौपाल के अंतर्गत ग्राम पंचायत ननहार में एक आल्टो कार (HP-08-2060) दुर्घटनाग्रस्त हो गई। जानकारी के अनुसार कार में सवार दो व्यक्तियों में से एक की मौके पर ही मौत हो गई जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल है। मृतक की पहचान सूरज 15 साल निवासी चौपाल के रूप में हुई है। सूरज दसवीं कक्षा में पड़ता था। इस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल योगेश चंद पुत्र रती राम ग्राम ठलोग को गहरी चोटें आई हैं उसे आईजीएमसी भर्ती करवाया गया है।चौपाल के लोगों का कहना है कि पानी पुल से सैंज तक कि सड़क हज़ारों लोगों की जान ले चुकी है। इस सड़क के तीखे मोड़ कभी भी वाहन चालकों को मौत की नींद सुला देते है। सड़क के किनारे कोई पेराफीट नहीं है जिसकी वजह से भी चौपाल की सड़कें जानलेवा साबित हो रही हैं।
हमारे देश में ऐसे कई देवी-देवताओं के मंदिर हैं जिनके पीछे अद्भुत और रोचक रहस्य छुपे हुए हैं। आदिकाल के मंदिरों और देवी-देवताओं से सम्बंधित कई बातें आज के वैज्ञानिक युग में हमें रहस्यमय लगती हैं, पर आस्था के आगे विज्ञान कहाँ ठहरता हैं। ऐसा ही एक मंदिर जिला मंडी में है जहां माता की शक्ति के आगे कभी भी मंदिर में छत नहीं लग पाई। बारिश हो, आंधी हो, या तूफान हो, ये मां खुले आसमान के नीचे रहना ही पसंद करती हैं। हम बात कर रहे हैं शिकारी देवी मंदिर के बारे में। हिमाचल के मंडी में 2850 मीटर की ऊंचाई पर बना यह शिकारी माता का मंदिर जंजैहली से लगभग 18 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर अध्भुत चमत्कारों के लिए विख्यात है। सर्दियों के दौरान इस स्थान पर चारों तरफ बर्फ की चादर होती हैं, लेकिन मंदिर परिसर बर्फ से अछूता रहता हैं। हैरत की बात ये हैं कि इस मंदिर पर कोई छत नहीं है। मंदिर से जुड़ी हैं कई पौराणिक कथाएं पौराणिक कथाओं के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि ने यहां सालों तक तपस्या की थी। उन्हीं की तपस्या से खुश होकर माता दुर्गा अपने शक्ति के रूप में इस स्थान पर स्थापित हुई।एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार जब पांडव अपना वनवास काट रहे थे तो वो इस क्षेत्र में आये और कुछ समय यहाँ पर रहे।एक दिन अर्जुन एवं अन्य भाईयों ने एक सुंदर मृग देखा तो उन्होंने उसका शिकार करना चाहा, मगर वो मृग उनके हाथ नहीं आया। सारे पांडव उस मृग की चर्चा करने लगे कि वो मृग कहीं मायावी तो नहीं। तभी आकाशवाणी हुई कि मैं इस पर्वत पर वास करने वाली शक्ति हूँ और मैनें पहले भी तुम्हें जुआ खेलते समय सावधान किया था, पर तुम नहीं माने। इसलिए आज वनवास भोग रहे हो। इस पर पांडवो ने उनसे क्षमा प्रार्थना की तो देवी ने उन्हें बताया कि मैं इसी पर्वत पर नवदुर्गा के रूप में विराजमान हूँ और यदि तुम मेरी प्रतिमा को यहाँ स्थापना करोगे तो तुम अपना राज्य पुन हासिल कर सकोगे। इस दौरान उन्होंने माता की पत्थर की मूर्ति तो स्थापित कर दी मगर पूरा मंदिर नहीं बना पाए। चूंकि माता मायावी मृग के शिकार के रूप में मिली थी इसलिये माता का नाम शिकारी देवी कहा गया। एक अन्य मान्यता यह भी है कि इस वन क्षेत्र में शिकारी वन्य जीवों का शिकार करने आते थे। शिकार करने से पहले शिकारी इस मंदिर में सफलता की प्रार्थना करते थे और उनकी प्रार्थना सफल भी हो जाती था।इसी के बाद इस मंदिर का नाम शिकारी देवी पड़ गया। रोचक पहलु :- हिमाचल के मंडी ज़िले की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है माता शिकारी देवी का यह चमत्कारी मंदिर। हर साल यहाँ बर्फ तो खूब गिरती है मगर माता की पिंडियों पर कभी नहीं टिकती बर्फ। माता मंदिर में छत नहीं करती सहन, खुले आसमान के नीचे रहना चाहती है विराजमान। मंदिर तक पहुंचने का रास्ता बेहद ही सुंदर हैं, चारों तरफ दिखती है हरियाली ही हरियाली । सर्वोच्च शिखर होने के नाते इसे मंडी का क्राउन कहा जाता है। विशाल हरे चरागाह, मनोरंजक सूर्योदय और सूर्यास्त, बर्फ सीमाओं के मनोरम दृश्य प्रकृति प्रेमियों को अपनी और आकर्षित करते हैं। माता का दर्शन करने हर साल पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु। करीब तीन माह बंद रहते हैं कपाट माता शिकारी देवी मंदिर हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है। शिकारी देवी मंदिर परिसर में चौसठ योगनियों का वास है जो सर्व शक्तिमान है। मंडी जनपद में शिकारी देवी को सबसे शक्तिशाली माना जाता है।देवी के दरबार में प्रदेश ही नहीं अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु देवी के दरबार में शीश नवाने दूर-दूर से पहुंचते हैं।बर्फबारी में माता शिकारी देवी में कड़ाके की ठंड पड़ने से देवी के मंदिर के कपाट करीब तीन माह के लिए बंद हो जाते हैं। बर्फबारी में माता के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं और पर्यटकों पर प्रशासन प्रतिबंध लगाता है। मगर, माता के अनेक भक्त बर्फबारी में भी देवी से आशीर्वाद लेने के लिए पहुंच जाते हैं।
Aims to create self- employment in Fruit, Vegetables, Mushroom or beekeeping The Dr YS Parmar University of Horticulture and Forestry (UHF), Nauni has invited applications for its one-year Vocational Training Course on Horticulture Management (Self-Employment) for the session 2019-20. The objective of the training programme is to train the youth from agriculture background to become self-employed in the production of fruits, vegetables, mushroom and beekeeping. The training course will be run at the university’s Regional Horticulture Research and Training Stations and the Krishi Vigyan Kendras of the University from September 11. The total seats in the programme are 130, which will offered at seven stations of the university. The Regional Horticulture Research and Training Stations at Jachh in Kangra, Bajaura in Kullu, Sharbo in Kinnaur, Mashobra in Shimla and College of Horticulture and Forestry, Neri in Hamirpur will offer 20 seats each. The Regional Horticulture Research and Training Station at Dhaulakuan in Sirmaur and Krishi Vigyan Kendra in Chamba will be offering 15 seats each in this programme. Candidates between the age of 17 to 30 years belonging to agriculture background and possessing minimum qualification of Class 10 are eligible to apply for this programme. Interested candidates can submit their application on a simple paper to the respective Associate Directors/ Coordinators on or before August 8. The interviews will be conducted on August 19 at the office of the Associate Directors or Coordinator. The candidates will have to submit an affidavit saying that they will be taking up this as a vocation. Candidates will have to bring all the essential certificates along with photocopies including any category certificates (if applicable) at the time of the interview. No stipend will be paid during the course.
संस्कृत महाविद्यालय के सभागार में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी के सौजन्य से साहित्य संगीत संगम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अकादमी तथा ज़िला की अन्य संस्थाओं द्वारा प्रख्यात संस्कृतज्ञ केशव शर्मा तथा प्रख्यात संगीतज्ञ लोक गायक डॉक्टर किशन लाल सैगल को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आचार्य केशव शर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरु पूर्णिमा का पर्व हिंदू धर्म के लिए विशेष महत्व रखता है। गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं है। डॉक्टर सैगल ने अपने संबोधन में कहा कि कोई कितने भी ग्रंथ पढ़ ले, उसे तब तक सच्चा ज्ञान नहीं मिलता जब तक उसे सच्चे गुरु का सानिध्य न मिले । कार्यक्रम के दौरान डॉ कृष्ण लाल सैगल ने जहां खूबसूरत सिरमौरी नाटियां प्रस्तुत की वहीं उनके शिष्यों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर प्रधान आचार्य संस्कृत महाविद्यालय उत्तम चौहान,जिला भाषा अधिकारी कुसुम संघाईक, अनुसंधान अधिकारी गिरिजा शर्मा, देवराज शर्मा, आचार्य प्रेम राज गौतम, कुमार सिंह सिसोदिया, मदन हिमाचली गणमान्य लोग उपस्थित रहे ।
राजनैतिक इच्छाशक्ति नगर निगम की राह में आती रही है आड़े सोलन के साथ अन्याय कर धर्मशाला को दिया गया नगर निगम का दर्जा आखिर सोलन को कब मिलेगा नगर निगम का दर्जा ! इसमें कोई संशय नहीं है कि सोलन प्रदेश के सबसे तेज विकसित हो रहे शहरों में शुमार है। शहर के विकास को नियोजित तरीके से रफ़्तार देने के लिए नगर परिषद् को नगर निगम में तब्दील किये जाना अत्यंत आवश्यक है। ये काम कई वर्ष पूर्व हो जाना चाहिए था लेकिन राजनैतिक इच्छाशक्ति नगर निगम की राह में आड़े आती रही है। वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में सोलन के साथ अन्याय कर धर्मशाला को नगर निगम का दर्जा दे दिया गया। सोलन के तत्कालीन विधायक और मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल शायद सोलन के हक़ की बात जोरशोर से नहीं रख सकें, जबकि धर्मशाला के लिए तब मंत्री रहे सुधीर शर्मा ने कोई कसर नहीं छोड़ी। भाजपा तो यही आरोप लगाती रही है। खेर इस बात को करीब चार वर्ष बीत चुके है और प्रदेश में भाजपा की सरकार बने भी डेढ़ वर्ष से अधिक का समय हो गया हैं, पर सोलन वासियों को अब तक नगर निगम नहीं मिला। नगर निगम सोलन का हक़ हैं, सोलन की जनता की इस सोच का हम सम्मान करते हैं और यही कारण हैं कि फर्स्ट वर्डिक्ट ने 'नगर निगम सोलन का हक़' नाम से ख़बरों की एक विशेष श्रंखला शुरू करने का निर्णय लिया हैं। मकसद हैं नगर निगम बनाने की दिशा में अब तक हुए कार्य से आपको अवगत करवाना और आपकी आवाज़ को हुकूमत तक पहुँचाना। जाने क्या हैं नगर निगम के मापदंड.... नगर निगम बनाने हेतु दो मुख्य मापदंड है। पहला स्थानीय निकाय की वार्षिक आय का दो करोड़ से अधिक होनी चाहिए, जो सोलन नगर परिषद् आसानी से पूरा करती है। नगर निगम बनाने के लिए शहर की आबादी 50 हज़ार होनी चाहिए। नियम के अनुसार इसके लिए सेंसेस के आंकड़े लिए जाते हैं। 2011 सेन्सस के अनुसार सोलन की आबादी ( शहरी परिसीमन ) 39256 है। आसपास की 12 पंचायतों का विलय करके 11208 की आबादी और जुटाई जा सकती है। इनमें कुछ पंचायतें पूर्ण रूप से शामिल की जानी है, जबकि कुछ का आंशिक विलय किया जाना है। यदि ऐसा किया जाए तो आबादी का मापदंड आसानी से पूरा होता हैं। यदि धर्मशाला की बात करें तो वहां की आबादी सिर्फ 22 हज़ार के करीब थी, किन्तु समीपवर्ती क्षेत्रों को शहरी परिसीमन में मिलाकर 50 हज़ार आबादी का मापदंड पूरा किया गया था। सोलन की राह धर्मशाला के मुकाबले काफी आसान हैं, कमी हैं तो सिर्फ राजनैतिक इच्छाशक्ति की। अब तक क्या हुआ :- जिन पंचायतों को शहर में मिलाया जाना हैं उन्हें कभी भी एक मंच पर लाकर चर्चा नहीं की गई। किसी भी पंचायत की ग्राम सभा में इस हेतु कभी कोई प्रस्ताव पारित नहीं हुआ। जानकारी के अनुसार 2018 में नगर परिषद् ने ऐसी 8 पंचायतों को नोटिस जारी किये थे, किन्तु कुछ नहीं हुआ। नगर परिषद् अध्यक्ष देवेंद्र ठाकुर ने जानकारी दी कि हालहीं में लोकसभा चुनाव की आचार सहिंता लगने से पूर्व कुछ पंचायतों को नोटिस ज़ारी किये गए हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल किसी पंचायत से कोई जवाब नहीं मिला हैं।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय घनागुघाट में प्रधानाचार्य रूपराम शर्मा की अध्यक्षता में मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया।मॉक ड्रिल फायर विभाग अर्की की ओर से भूपेंद्र सिंह ठाकुर व उनकी पांच सदस्यीय टीम ने इमरजेंसी मेथड ऑफ रिसोर्स फायर फाइटिंग,क्लासिफिकेशन ऑफ फायर,फायर एक्सटिंगईशेर,एलपीजी सिलेंडर,रेस्क्यू फ्रॉम हाइट्स की पूरी जानकारी दी।इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में पूर्व कमाडेंट ओर राष्ट्पति अवार्ड से सम्मानित मनोहर लाल शर्मा भी उपस्थित रहे।इस मॉक ड्रिल में विद्यालय के विद्यार्थियों ने भी भाग लिया व विद्यालय के समस्त अध्यापक भी उपस्थित रहे।
A four-storey building on Tuesday collapsed in the Dongri area of Mumbai. According to early reports, 40 people are feared trapped under the debris. Till now 12 people declared dead in the incident. NDRF is taking care of rescue operation. Similar accident took place in Solan on Sunday in which 14 people were killed including 13 Army personnel.
वर्ष 2003 में आज ही के दिन भारतीय हॉकी टीम सोलन में थी। दरअसल, भारतीय हॉकी टीम को विशेष ट्रेनिंग सेशन के लिए सोलन शहर के नजदीक स्थित बड़ोग में भेजा गया था। तब धनराज पिल्लै टीम के कप्तान थे और उस टीम में गगन अजित सिंह , जुगराज सिंह जैसे धुरंधर शामिल थे। टीम करीब एक सप्ताह प्रैक्टिस के लिए सोलन में रुकी थी। इसी दौरान 16 जुलाई का दिन आया। ये दिन टीम के लिए ख़ास था क्यों कि 16 जुलाई टीम के कप्तान धनराज का जन्मदिन था। दिनभर प्रैक्टिस में पसीना बहाने के बाद देर शाम शहर के नजदीक स्थित एक रिसोर्ट में धनराज के जन्मदिन का जश्न मनाया गया। उनके जन्मदिन के लिए विशेष तौर पर एक दस किलो का केक तैयार करवाया गया। इस केक का डिज़ाइन एक हॉकी मैदान का था जिसमें बकायदा गोल पोस्ट भी लगे थे और केक के एक कोन में बनाया गया था तिरंगा। वो धनराज का 35 वां जन्मदिन था, इसलिए केक को 35 गुलाबों से सजाया गया था। वो केक सोलन शहर के ही एक बेकर द्वारा तैयार किया गया था जिसे देख धनराज बेहद खुश हुए थे।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र को हिमाचल प्रदेश का गवर्नर नियुक्त किया है। 78 वर्षीय कलराज मिश्र बीजेपी के उन चंद नेताओं में शुमार हैं, जो जनसंघ के दौर से पार्टी की विचारधारा से जुड़े रहे है।आइये जानते है कलराज मिश्र के राजनैतिक सफर के बारे में :- मात्र 14 वर्ष की उम्र में कलराज मिश्र संघ के विचारों से प्रभावित होकर आरएसएस से जुड़ गए । मिश्र वर्ष 1963 में आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक बने। वर्ष 1968 में वे जनसंघ में संगठन मंत्री नियुक्त हुए। मिश्र जेपी आंदेलन से जुड़े और आंदोलन के संयोजक भी रहे। आपातकाल में वे 19 माह जेल में रहे। वे उन कुछ चेहरों में शामिल थे जो सीधे तौर पर इंदिरा सरकार के निशाने पर थे। 1977 में मिश्र जनता पार्टी से जुड़े। वर्ष 1978 में पहली बार राज्यसभा सांसद बने। इसके बाद वर्ष 2001 में भी वे राज्यसभा सांसद बने। 1980 में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त हुए। 1980 में भाजपा के उत्तर प्रदेश महामंत्री व 1991 में उत्तर प्रदेश अध्यक्ष बने। कलराज मिश्र राम मंदिर आंदोलन से भी जुड़े रहे हैं। 1997 में वे उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बने। 1999 में एक बार फिर उन्हें उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाया गया। एक वक्त ऐसा भी आया जब समर्थकों द्वारा उन्हें उत्तर प्रदेश में भाजपा के सीएम फेस के तौर पर देखा जाने लगा। 2010 में बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष घोषित किए गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने देवरिया से चुनाव लड़ा और जीतकर मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। उन्हें सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया था। 2017 में 75 वर्ष की आयु पूरी होने पर कलराज मिश्र से मंत्री पद ले लिया गया था। 2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने नहीं लड़ा।
If there is anyone in India other than Major Dhyanchand who deserves to be called as The Magician with Hockey Stick, he is Dhanraj Pillay. Pillay was the world class player of his time and former captain of the national hockey team. India won many tournaments under his captaincy, and he has made ample contributions to Indian hockey. Today, Dhanraj Pillay turned 51. Lets know interesting facts about Dhanraj Pillay:- Dhanraj Pillay served India for about 15 years. He debuted his international hockey in 1989 in Allwyn Asia Cup Pillay played over 330 international matches for India. However, The Indian Hockey Federation didn't keep an official record of his goals. According to Federation he scored around 170 goals in his career. Dhanraj Pillay played for India in four Olympics, four World Cups, four Champion Trophies and four Asian Games Pillay was the highest goal scorer of the Bangokok Asian Games of 1998. Dhanraj Pillay was honoured with Rajiv Gandhi Khel Ratna award in the year 1999-2000. Dhanraj Pillay was awarded the Padma Shri, the fourth highest civilian award, in the year 2000. Journalist, Sundeep Misra, wrote a biography on Pillay titled, 'Forgive Me Amma' Under his captaincy, India won 1998 Asian Games and 2003 Asia Cup.
Highlights:- 42 people were trapped. 14 Killed in the incident including 13 Army Personnels. 28 rescued safe or injured. Chief Minister Jayram Thakur ordered enquiry. SDM, Solan to submit report in 15 days. NDRF, Army, Homeguards, Police and local organisations helped in rescue. 20 k Immediate relief to family of dead, 10 k to seriously injured and 5 k to other injured. 4 Lakh compensation to be provided to family of dead by state government.
बाल विकास परियोजना अर्की की ओर से ग्राम पंचायत देवरा के आंगनबाड़ी केंद्र मंज्याट में गोद भराई पोषण अभियान के तहत एक कार्यक्रम आयोजित किया । इस कार्यक्रम में विभाग की ओर से वृत पर्यवेक्षिका तारा देवी पंवर ने अपनी उपस्थिति दर्ज की । इस मौके पर काजल व हिना की गोद भराई की रस्म पहाड़ी गीतों के साथ पूर्ण की गई । तारा देवी पंवर ने उपस्थित महिलाओं को विभाग द्वारा चलाई जा रही महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में विस्तार पूर्वक जानकरी दी । उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं को खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए,वहीं जब बच्चा पैदा हो जाये तो उसे 6 माह तक केवल माँ का ही स्तनपान करवाना चाहिए । इस मौके पर वार्ड सदस्य सन्तोष देवी,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कविता, सहायिका मंजू,महिला मंडल मंज्याट की प्रधान उषा ठाकुर,कांता देवी,प्रेमलता व रीता सहित अन्य महिलाये मौजूद रही ।
हनुमान जी के पद चिह्न देखने यहां पर लोग दूर- दूर से आते हैं। प्रकृति की गोद में बसे इस स्थान पर लोगों को बेहद सुकून मिलता हैं। मान्यता हैं कि जो भी भक्त यहाँ सच्चे मन से आते हैं, उन्हें हनुमान जी खाली हाथ नहीं भेजते। शिमला मुख्य शहर से 7 कि.मी और रिज से दो कि.मी की दूरी पर स्थित जाखू हिल्स शिमला की सबसे ऊंची चोटी है और यहीं विराजमान हैं भगवान हनुमान। जाखू मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति देश की सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक है जो 33 मीटर (108 फीट) ऊंची है। इस मूर्ति के सामने आस-पास लगे बड़े-बड़े पेड़ भी बौने लगते हैं। ये स्थान बजरंबली के भक्तों में लिए बेहद ख़ास हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब श्री राम और रावण के बीच हुए युद्ध में लक्ष्मण शक्ति लगने से घायल हो गए थे, तो उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय पर्वत पर गए थे। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी जब संजीवनी लेने जा रहे थे तो वो कुछ देर के लिए इस स्थान पर रुक गए थे, जहां पर अब जाखू मंदिर है। ऐसा भी माना जाता है कि औषधीय पौधे (संजीवनी) को लेने जब हनुमान जी जा रहे थे तो इस स्थान पर उन्हें ऋषि ‘याकू’ मिले थे। हनुमान संजीवनी पौधे के बारे में जानकारी लेने के लिए यहां उतरे थे। हनुमान द्रोणागिरी पर्वत पर आगे बढ़े और उन्होंने वापसी के समय ऋषि याकू से मिलने का वादा दिया था लेकिन समय की कमी के कारण और दानव कालनेमि के साथ उनके टकराव के कारण हनुमान उस पहाड़ी पर नहीं जा पाए। इसके बाद ऋषि याकू ने हनुमान जी के सम्मान में जाखू मंदिर का निर्माण किया था। पौराणिक कथा के अनुसार इस मंदिर को हनुमान जी के पैरों के निशान के पास बनाया गया है। इस मंदिर के आस-पास घूमने वाले बंदरों को हनुमान जी का वंशज कहा जाता है। माना जाता हैं कि जाखू मंदिर का निर्माण रामायण काल में हुआ था। इसलिए ख़ास हैं जाखू मंदिर :- भगवान हनुमान को समर्पित जाखू मंदिर 'रिज' के निकट स्थित है। घने देवदार के पेड़ों के बीच हनुमान की मूर्ति लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। जाखू मंदिर में हनुमान जी की एक विशाल प्रतिमा हैं जिसकी ऊँचाई 108 फीट हैं। ये मूर्ति दूर से दिखाई देती हैं। जाखू मंदिर में दर्शन सुबह 5 से दिन के 12 बजे तक और फिर शाम को 4 से रात के 9 बजे तक होते है। जाखू मंदिर के दर्शन करने के लिए आप को लगभग एक से दो घंटा लग सकता है। मंदिर तक गाड़ी या पदयात्रा कर के भी पहुंचा जा सकता है। रोपवे यात्रा के दौरान आस-पास के दृश्य अपनी सुंदरता से आपको हैरान कर देंगे। जाखू मंदिर में दशहरे (विजयदशमी) का त्योहार बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। यात्रा के दौरान बंदरों से सावधान रहे और उनके सामने खाने की कोई भी चीज अपने हाथ में न लें। बंदरों को दूर रखने के लिए अपने हाथ में छड़ी लेकर चलें। मंदिर परिसर से बाहर निकलने से पहले घंटी बजाना अच्छा माना जाता है। पहाड़ी पर राज्य सरकार द्वारा विभिन्न ट्रैकिंग और पर्वतारोहण गतिविधियाँ भी आयोजित की जाती है। जाखू मंदिर में स्थित भगवान हनुमान की मूर्ति से बच्चन परिवार का भी खास कनेक्शन हैं। अमिताभ बच्चन की पुत्री श्वेता नंदा के ससुर ने इस मूर्ति का निर्माण करवाया था। सोलन में हैं सबसे ऊँची हनुमान जी की मूर्ति वर्तमान में जाखू स्थित भगवान हनुमान की मूर्ति हिमाचल प्रदेश में हनुमान जी की सबसे ऊँची मूर्ति हैं। पर अब सोलन के सुल्तानपुर स्थित मानव भारती विवि में दुनिया की सबसे ऊँची बजरंबली की मूर्ति बनकर तैयार हैं। ये मूर्ति 156 फ़ीट ऊँची हैं और जल्द इसका अनावरण होने जा रहा हैं।
अम्बुजा सीमेंट फाउंडेशन निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान दाड़लाघाट में विश्व युवा कौशल दिवस मनाया गया।इस मौके पर संस्थान के प्रशिक्षणार्थियों द्वारा विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई।अम्बुजा सीमेंट निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित विश्व युवा कौशल दिवस का शुभारंभ एडवाइजरी कमेटी के सदस्य अमरदेव अंगिरस ने किया।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित कौशल विकास योजना युवाओं को रोजगार दिलाने में सहायक सिद्ध हो रही है।संस्थान के प्रधानाचार्य राजेश शर्मा ने कहा कि कौशल विकास योजना के माध्यम से युवा रोजगार पाकर देश को तरक्की की राह में आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।उन्होंने ने कहा कि युवा विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वयं का रोजगार पा रहे हैं।इस मौके पर लगाई गई प्रदर्शनी में संस्थान के प्रशिक्षणार्थियों ने स्वयं द्वारा तैयार किए गए टूल्स,उपकरण आदि प्रदर्शित किए।प्रधानाचार्य ने कौशल विकास मिशन के तहत प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रशिक्षणार्थियों को इनाम भी प्रदान किए।कार्यक्रम में एडवाइजरी कमेटी के सदस्य मनशा राम,एसीएफ के कार्यक्रम प्रबंधक भूपेंद्र गांधी,दाड़लाघाट पंचायत के पूर्व उप प्रधान राजेश गुप्ता,पुलिस थाना दाड़लाघाट से यातायात प्रभारी कमला वर्मा,संस्थान के नंद लाल,दलीप कुमार,संदीप अरोड़ा सहित सारा स्टाफ व स्थानीय लोग मौजूद थे।एसीएफ के कार्यक्रम प्रबंधक भूपेंद्र गांधी ने कहा कि आज के दौर में तकनीकी ज्ञान बेहद आवश्यक है।इस अवसर पर विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया और जितने वालों को पुरस्कृत किया गया।
Himachal Pradesh Governor Acharya Devvrat is now Gujarat's new Governor. Veteran BJP leader Kalraj Mishra will take over charge as HP's new Governor. President Ram Nath Kovind made the changes and announced that both appointments will take effect from the dates they assume charge of their respective offices. Acharya Devvrat is serving as Governor of HP since August of 2015.
Chief Minister Jairam Thakur said that as many as three companies of NDRF were rushed to the spot to ensure immediate rescue operation. The state government provided state helicopter to airlift the NDRF team with latest equipments from Suni. During his visit to the spot at Kumarhatti, CM clarified that there was no negligence in moving NDRF to the accident site. A Hotel building collapsed on Sunday evening in which about 42 persons including 30 defence personnel and 12 civilians were trapped. 13 defence personnel lost their lives in the incident while 17 sustained injuries whereas one civilian also lost life while 11 got injured. The Chief Minister while monitoring the rescue operation being jointly conducted by the NDRF, State Police and district administration, directed the administration to provide all possible help to the NDRF personnel for ensuring that the operation was carried out smoothly. Jai Ram Thakur also visited Maharishi Markandeshwar Medical College at Kumarhatti and Civil Hospital Dharampur to enquire about the health of injured.Jai Ram Thakur said that government has ordered Magistrial enquiry of the mishap and has also registered a FIR against the owner of the building.
Rescue efforts to bring out survivors from under the rubble went on all of Sunday night and into Monday morning. Till now six Army personnel and one civilian reported dead in this tragic incident. 28 people rescued till Monday morning including 17 Army Personnel and 11 civilians. As per the information seven Army personnel are still feared trapped Search and rescue operation is expected to be completed by Monday afternoon. FIR has been lodged against building owner.The building was constructed in 2009. Army started the rescue, later it was taken over by National Disasnse Force (NDRF). Building collapsed around 4 PM on Sunday afternoon and NDRF reached around 7 PM. There was a Mock Drill on July 12 , still NDRF took about three hours to reach the collapse venue. It a a big question on state's preparedness to counter such tragic situations. Army rescued more than 20 people before arrival of NDRF otherwise casualties may have been much more.
Adoption of natural farming can substantially increase the farmers' incomes and help to realize the goal of doubling farmers income. Natural Farming expert Subhash Palekar expressed these views at the meeting with Dr Parvinder Kaushal, Vice Chancellor of Dr YS Parmar University of Horticulture and Forestry (UHF), Nauni. The meeting focused on promoting the natural farming technique in Himachal so that the farmers of the state can reap rich dividends through minimal input cost. Subhash Palekar, a native of Maharashtra, has been advocating his natural farming model with no external inputs of any sort for around 20 years. He worked extensively on this area in the tribal belt of Maharashtra. This model was rechristened as ‘Subhash Palekar Natural Farming’ last year. The model has found favour in several states including Himachal where thousands of farmers have been trained in this farming model under the state government’s ‘Prakritik Kheti-Khushhal Kisan’ programme. During the meeting, which took place at Solan on Saturday evening, Padam Shree awardee Subhash Palekar said that farmers must get the right prices for their produce and natural products can help to fetch handsome return. He exhorted that the adoption of natural farming will lead to the easy availability of natural and healthy food to consumers and will reduce the overdependence on the use of chemicals in agricultural activities thereby reducing the input cost. He added that loan waiver was not feasible and is leading to dependence and instead efforts should be made towards sustainable loan liberation. The farming model recently received a major boost when Finance Minister Nirmala Sitharaman in this year’s Budget speech mentioned the method as one of the innovative models through which farmers’ income could be doubled by the year 2022. The Food and Agricultural Organization of the United Nations has also recognized this farming model and has dedicated a chapter on it in its profiles on Agroecology. Palekar said that natural farming was also environmental friendly while both chemical and organic farming besides being expensive also release greenhouse gases on large scale causing environmental pollution. He said that industrialization, chemical and organic farming were the major contributors to global warming. He shared examples of farmers from Himachal who had benefitted from switching over to natural farming. Subhash, an apple orchardist from Rohru had nearly tripled his apple production since switching over to natural farming two years back. Tapeshwar Mahantan from Jubbal has also experienced similar results in his orchards. Over 100 vegetable growers from Basantpur have been engaged in natural farming through the government-sponsored programme. Dr Kaushal assured him that the University will make efforts to promote the natural farming system among the farmers of the state by establishing model points at the Krishi Vigyan Kendras located in various location in the state for systematic propagation of natural farming practices. Besides the university has already established a natural farming experimental block and fruit block at the university campus.
अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन द्वारा 26 जून से चलाए जा रहे समर कैंप का आज समापन हुआ।यह समापन समारोह शिव मंदिर दाड़लाघाट में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बीडीसी पूर्व वाइस चेयरमैन जगदीश ठाकुर और उपप्रधान लेखराज चंदेल एवं अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन से कार्यक्रम प्रबंधक भूपेंद्र गांधी रहे। इसके अतिरिक्त रिसोर्स पर्सन ललित गौतम,सुनील,नेहा शर्मा,अनीता और कार्यक्रम की को ऑर्डिनेटर आरती सोनी मौजूद रहे।इस कार्यक्रम में डेढ़ सौ से ज्यादा बच्चे और उनके अभिभावक मौजूद रहे।इस कार्यक्रम में बच्चों द्वारा विभिन्न गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया,जिसमें मुख्य तौर पर सेल्फ डिफेंस,कराटे,आर्ट ऑफ लिविंग,सरस्वती वंदना,स्वागत गीत, पंजाबी नृत्य,राजस्थानी फोक डांस नाटी के साथ-साथ कई अन्य मनमोहक प्रस्तुतियां दी।कार्यक्रम के अंत में बच्चों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।मुख्य अतिथि जगदीश ठाकुर द्वारा कार्यक्रम की सराहना की गई।उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों की व्यस्तता हेतु इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में भी होते रहने चाहिए।
भक्त की जान संकट में थी और उसने महादेव का आह्वान किया। तभी एक चमत्कार हुआ और भक्त की जान बच गई। आज भी भक्तों को अपने भोलेनाथ पर पूरा भरोसा हैं और भोलेनाथ भी यहां श्रद्धा से आने वाले भक्तों की समस्त मुरादें पूरी करते हैं। हम बात कर रहे हैं चूड़धार की। चूड़धार, हिमचाल प्रदेश के जिला सिरमौर की सबसे ऊँची चोटी हैं और इस चोटी पर विराजमान हैं देवों के देव महादेव। चारों ओर अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य और एक तरह से जड़ी-बूटियों का बिछा गलीचा, जो शांति चूड़धार में हैं वो शायद कहीं ओर नहीं। यहाँ आकर एहसास होता हैं कि सत्य ही शिव हैं और शिव ही सूंदर हैं। चूड़धार से जुड़ी एक कथा प्रचलित हैं कि एक बार चुरु नामक एक शिवभक्त यहां अपने पुत्र के साथ आया था। तभी अचानक बड़े बड़े पत्थरों के बीच से एक विशालकाय सांप बाहर आ गया और उसने चुरु और उसके पुत्र पर हमला कर दिया। दोनों ने बचने की कोशिश की किन्तु सांप से पीछा नहीं छोड़ा। प्राण संकट में देख चूरू ने अपने आराध्य भगवान भोलेनाथ का आह्वान किया, और तभी एक चमत्कार हुआ। भोलेनाथ की कृपा से एक विशालकाय पत्थर का एक हिस्सा सांप पर जा गिरा जिससे वह वहीं मर गया और चूरू और उसके पुत्र की जान बच गई।कहते हैं उसके बाद से ही इस स्थान का नाम चूड़धार पड़ा। दिन- ब- दिन लोगों की श्रद्घा इस मंदिर के लिए बढ़ती गई और यहां के लिए धार्मिक यात्राएं शुरू हो गई। चूड़धार को श्री शिरगुल महाराज का स्थान माना जाता है। यहां शिरगुल महाराज का मंदिर भी स्थित है। शिरगुल महाराज सिरमौर व चौपाल के देवता है। शिरगुल देवता भगवान शिव के अंशावतार हैं। चूड़धार शिखर शिरगुल देवता की तपोस्थली रही है। यहां पर पवित्र जल के दो कुंड भी हैं। कहते हैं कि इस पवित्र जल के दो लोटे सिर पर डाल लिए जाए तो सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। एक कथा और प्रचलित हैं जिसके अनुसार कहते हैं कि प्राचीन काल में यहां पर चूड़िया नामक राक्षस रहता था, जिसने शिवजी की तपस्या करके अजेय शक्ति प्राप्त कर ली थी। इसलिए इस चोटी का नाम चूड़ी चांदनी और बाद में धीरे-धीरे चूड़धार हो गया। ऐसी मान्यता है कि शिरगुल देवता ने चूड़ शिखर को दानवों से मुक्त कराया था। जाने चूड़धार के बारे में :- चूड़धार पर्वत तक पहुंचने के दो रास्ते हैं।मुख्य रास्ता नौराधार से होकर जाता है तथा यहां से चूड़धार 14 किलोमीटर है। दूसरा रास्ता सराहन चौपाल से होकर गुजरता है। यहां से चूड़धार 6 किलोमीटर है। भोलेनाथ के दर्शन के लिए हर साल हजारों सैलानी यहां पहुंचते हैं। हर साल गर्मियों के दिनों में चूड़धार की यात्रा शुरू होती है। बरसात और सर्दियों में यहां जमकर बर्फबारी होती है जिससे यह चोटी बर्फ से ढक जाती है। खूबसूरत वादियों से होकर गुजरने वाली यह यात्रा सदियों से चली आ रही है। यह भी माना जाता है कि इसी चोटी के साथ लगते क्षेत्र में हनुमान जी को संजीवनी बूटी मिली थी। चूड़धार पर्वत हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित है। चूड़धार पर्वत समुद्र तल से 11965 फीट(3647 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है । यह पर्वत सिरमौर जिले और बाहय हिमालय की सबसे ऊंची चोटी है। यह चोटी ट्रेकिंग के नजरिए से बेहद उपयुक्त है। सिरमौर ,चौपाल ,शिमला, सोलन उत्तराखंड के कुछ सीमावर्ती इलाकों के लोग इस पर्वत में धार्मिक आस्था रखते हैं। एक बहुत बड़ी चट्टान को चूरु का पत्थर भी कहा जाता है जिससे धार्मिक आस्था जुड़ी है। ब्रिटिश काल में भारत के सर्वेक्षक जनरल रहे जॉन केय की पुस्तक, द ग्रेट आर्क में भी चूड़धार पर्वत का उल्लेख किया गया है। इसमें इसे ‘द चूर‘ कहा गया है। आदि शंकरायचार्य ने की थी शिव आराधना चूड़धार में विशालकाय शिव प्रतिमा हैं, माना जाता यहाँ पर कभी प्राकृतिक शिव लिंग होता था। ऐसा भी कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने शिव की आराधना के लिए इसकी स्थापना की थी। बाद में यहां लोग जब सिक्का डालते थे, तो लंबे समय तक उसकी आवाज सुनाई देती थी।
जो भी सच्चे मन से संकट मोचन मंदिर में आता है, बजरंबली उसके कष्ट हर लेते है संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा। खूबसूरत वादियों के लिए मशहूर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में संकट मोचन हनुमान जी भी विराजमान है।अगर आप निरंतर किसी परेशानी से गुजर रहे हैं, तो संकट मोचन की शरण में चले आईये। मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से संकट मोचन के मंदिर में आता है, बजरंबली उसके कष्ट हर लेते है। संकट मोचन के मंदिर में भक्तों को बेहद सुकून और शांति मिलती है, यही कारण है कि दूर- दूर से लोग नियमित तौर पर यहाँ आते है। नीम करौली बाबा की इच्छानुसार हुई स्थापना बीती सदी में पचास के दशक की बात है, जब संत नीब करौरी बाबा (जिन्हें नीम करौली बाबा के नाम से भी जाना जाता है) तारादेवी नाम की इस पहाड़ी पर आकर एक कुटिया में दस-बारह दिन तक रहे थे। कहा जाता है कि इस जगह पर योग-ध्यान करते हुए वे लीन हो गए और उन्हें लगा कि इस स्थान पर भगवान हनुमान जी के एक मंदिर का निर्माण होना चाहिए। बाबा ने अपनी इच्छा अपने अनुयायियों को बताई और आखिरकार सन 1962 में हिमाचल के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर राजा बजरंग बहादुर सिंह (भद्री रियासत के राजा) और अन्य भक्तों ने इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवाया। 21 जून, 1966 मंगलवार को इस मंदिर में विधिवत प्राण प्रतिष्ठा हुई और धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता व मान्यता फैलती चली गई। जाने संकट मोचन मंदिर के बारे में :- हनुमान मंदिर के साथ यहां राम-सीता-लक्ष्मण, गणपति और शंकर जी का भी मंदिर है। मंदिर परिसर में नवग्रह का भी है मंदिर। रोजाना बड़ी तादाद में स्थानीय लोगों के साथ लगभग सभी पर्यटक यहाँ दर्शन करने आते हैं। हनुमान जी का मंदिर होने के कारण हर मंगलवार और शनिवार को यहां ज्यादा भीड़ होती है। मंदिर में हर रविवार को भंडारे का आयोजन किया जाता हैं। मंदिर परिसर में बाबा नीब करौरी जी का भी है एक छोटा-सा मंदिर हैं। मान्यता हैं कि यहां आकर सच्चे मन से प्रार्थना करने पर बड़े-बड़े संकट भी टल जाते हैं। शिमला से यहां टैक्सी के अलावा स्थानीय बस से भी आया-जाया जा सकता है। मंदिर परिसर में नई गाड़ियों की पूजा भी होती हैं। मंदिर में शादियों के लिए भी विशेष प्रावधान हैं। इसलिए लगाते हैं हनुमान जी को सिंदूर तुलसीदास रामायण के अनुसार एक दिन भगवान हनुमान जी ने माता सीता को मांग में सिंदूर लगाते हुए देखा। हनुमानजी ने आश्चर्यपूर्वक पूछा- माता! आपने यह सिंदूर मस्तक पर क्यों लगाया है? इस पर सीता जी ने ब्रह्मचारी हनुमान को उत्तर दिया, पुत्र! इसके लगाने से मेरे स्वामी की दीर्घायु होती है और वह मुझ पर प्रसन्न रहते हैं। ये सुनकर बजरंबली प्रसन्न हुए और उन्होंने सोचा कि जब उंगली भर सिंदूर लगाने से श्री राम की आयु में वृद्धि होती है तो फिर क्यों न सारे शरीर पर इसे पोतकर अपने स्वामी को अजर-अमर कर दूं। इसी तात्पर्य से हनुमान जी सारे शरीर में सिंदूर पोतकर राजसभा में पहुंचे तो भगवान उन्हें देखकर हंसे और बहुत प्रसन्न भी हुए। इस अध्याय के बाद हनुमान जी की इस उदात्त स्वामी-भक्ति के स्मरण में उनके शरीर पर सिंदूर चढ़ाया जाने लगा।
यूनिस्को विश्व धरोहर कालका-शिमला हेरिटेज ट्रैक पर धर्मपुर स्टेशन पर एक ट्रेन का इंजन फेल हो गया। जानकारी के अनुसार शनिवार दोपहर करीब 1:55 बजे शिमला जा रही हिमालयन क्वीन (ट्रैन नंबर 52455 ) के इंजन का पावर फेल हो गया, जिसके बाद कालका से दूसरा इंजन मंगवाना पड़ा। इस प्रक्रिया में करीब चार घंटे का समय लग गया, जिसके बाद शाम 5:55 पर ट्रेन शिमला के लिए रवाना हो सकी है।हालांकि गाड़ी स्टेशन पर होने के चलते दूसरी गाडि़यों की आवाजाही प्रभावित नहीं हुई। ट्रेन में सफर कर रहे करीब 200 लोगों को इससे परेशानी झेलनी पड़ी। मुसाफिरों में ज्यादातर पर्यटक थे, जो वीकेंड मानाने शिमला जा रहे थे।परेशान पर्यटकों ने कुछ देर के लिए स्टेशन पर हंगामा भी किया है लेकिन रेलवे पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हो गया। कालका-शिमला रेलवे लाइन के ट्रैफिक इंस्पेक्टर केवल प्रकाश ने जानकारी दी कि इंजन में कुछ खराबी के कारण हिमालयन क्वीन ट्रैन नंबर 52455 कुछ समय के लिए खड़ी रही है। कालका से दूसरा इंजन मंगवाने के बाद ट्रेन को शिमला के लिए रवाना किया गया।
Project comprises of 170 steel bridges including Himachal’s First Steel Arch Bridge Till now, Arief Engineers has managed to avoid long traffic jams The four-lane work of the 22.91 kilometre stretch of the National Highway from Solan to Kaithlighat seems on track. This work was awarded to Arief Engineers for 598 crores, who has the reputation of delivering quality work. The work was started on November 9, 2018, and the target is to complete this work within 910 days. In these nine months, the company has delivered quite satisfactorily and unlike Parwanoo-Solan patch, the company managed to avoid long traffic jams and hurdles, in spite of the cutting work going on. Arief Engineers believes that steel is the future and the same is reflected on Solan to Kaithlighat four-lane project. Out of total 22.91 km stretch, 1.610 km area has to be covered by the construction of steel bridges, including Himachal’s first Steel Arch Bridge. While moving from Chambaghat to Kaithlighat, the first steel bridge is proposed at initiation point, i.e., at Chambaghat only. Here one-kilometre long ROB (Railway Over Bridge) is proposed. Approx. ten thousand tons of steel has to be used in constructing this bridge. Next steel bridge is proposed near Mohan Meakin which is 152 meters long. After moving a few kilometres from here, another bridge of 170 metres is proposed near Shivalaya. Here the First Steel Arch bridge of Himachal Pradesh is going to be built. According to Amit Mallick, General Manager at Airef Engineers “This bridge would be a state of the art bridge, not only in Himachal Pradesh but in whole India.” Next steel bridge in proposed to be built near Kandaghat Petrol Pump. It would be a 390-metre long bridge to be built parallel to the existing road. From 240 metres away from the end point of this bridge towards Shimla, 500 meters long tunnel will start. As claimed by the Arief Engineers, 50 meter trench of this tunnel has been already completed. Next major proposed bridges are 40-meter long steel bridge at Kuarag, 20-metre long bridge near Waknaghat and Railway Over Bridge at Kaithlighat. “Overall 170 small steel bridges are going to be constructed between Solan to Kaithlighat,” Amit Mallick shared. The Experience of Mallick is working out… The General Manager of Arief Engineers, Amit Mallick is a highly experienced civil engineer. He contributed in building India’s two prominent steel bridges, 4.93 kilometre long steel bridge on River Brahmaputra in Assam and 4.50 kilometre steel bridge on River Ganga in Patna. The ongoing smooth construction shows that his experience is benefitting the four-lane work of Chambaghat to Kaithlighat patch of Kalka-Shimla NH. In conversation with First Verdict, Mallick shared that till now about 100 crores have been spent on the construction. He said, “The steel is the future of construction, not concrete.” According to him “The cost of constructing steel bridges is about 30 percent more than concrete but the life is also much more than concrete construction.”
सोलन जिला के कठनी में 25वें वार्षिक योग साधना शिविर के शुभारंभ समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि परमात्मा की बनाई व्यवस्था में सकारात्मक सहयोग ही उसकी अराधना है।उन्होंने कहा कि जीवन में उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि मनुष्य का आहार, विचार और विहार शुद्ध हो तभी मनुष्य सभी लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि यम और नियम के पालन से व्यक्ति क्रमिक विकास कर जीवन की ऊंचाईयां प्राप्त कर सकता है। राज्यपाल ने कहा कि आज पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से ग्रस्त है जिससे विश्व में कभी अकाल तो कभी अति वर्षा की घटनाएं आम होने लगी हैं और प्रकृति में विनाश की स्थिति उत्पन्न हुई है। राज्यपाल ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए काफी हद तक रसायनों पर आधारित कृषि व्यवस्था भी है। रसायनों और कीटनाशकों के अन्धाधुन्ध उपयोग ने प्रकृति के मूल स्वरूप को नष्ट कर दिया है जिससे पूरे विश्व के अस्तित्व को खतरा हो गया है। उन्होंने कहा कि आहार की शुद्धि के लिए आवश्यक है कि पूरे विश्व में कृषि व्यवस्था प्राकृतिक तौर पर हो। उन्होंने कहा कि मनुष्य के सर्वांगीण विकास का एक मात्र विकल्प प्राकृतिक खेती ही है। इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डाॅ. राजीव सैजल ने कहा कि जीवन और आचरण में सरल होना ही योग है और सरल व्यक्ति जीवन में आसानी से उच्च लक्ष्य तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि यम-नियम के एक ही निर्देश को यदि व्यक्ति साध ले तो निश्चित तौर पर लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती एक मौन क्रांति की तरह फैल रही है जिसका प्रदेश के किसानों को लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से किसानों की आय दोगुनी भी होगी और आम व्यक्ति का स्वास्थ्य भी अच्छा होगा। इस अवसर पर स्वामी योगतीर्थ ने कहा कि मन के रूपांतरण तथा अंतःकरण के बदलाव के लिए योग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बचपन से ही बच्चे को योग के सम्बन्ध में जानकारी दी जानी चाहिए। जब विज्ञान के लोग एक हो सकते हैं तो धर्म से जुड़े लोग भी जन कल्याण के लिए एक हो सकते हैं।इस अवर पर डाॅ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. परविंदर कौशल तथा शूलिनी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी के खोसला ने भी अपने विचार रखे।इस अवसर पर अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी सोलन विवेक चंदेल, एसडीएम रोहित राठौर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग से सम्बंधित सांस्कृतिक दल प्रदेश के विभिन्न जिलों में 15 जुलाई से सूचना का अधिकार अधिनियम के बारे में आम लोगों जागरूक करेंगे। सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि इस कड़ी में सोलन जिला के कुनिहार तथा नालागढ़ विकास खंड की चार-चार पंचायतों में 15 से 19 जुलाई तक नुक्कड़ नाट्कों तथा गीत संगीत के माध्यम से आम लोगों को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के विभिन्न प्रावधानों की जानकारी प्रदान की जाएगी।
प्रदेश में मानसून ने अभी दस्तक ही दी है कि प्रदेश के कई ज़िलों में लगातार हो रही झमाझम बारिश ने तांडव मचा दिया है। जिला सोलन में तबाही का मंजर शुरू हो गया है। बीती रात से जारी भारी बारिश के चलते पर्यटन नगरी चायल को जाने वाला मार्ग साधू पुल के नजदीक से अवरुद्ध हो गया है। मलबा आने से लगभग कई घंटों तक चायल मार्ग पर दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारे देखने को मिली । तेज़ बारिश के कारण मलबा लोगों के घरों के अलावा होटलों में भी घुस गया।उधर, भारी बारिश व् फोरलेन निर्माण कंपनी के द्वारा की गई कटिंग के चलते कालका-शिमला हाईवे स्थित सोलन बाईपास के पास एक घर को खतरा पैदा हो गया है। फोरलेन निर्माण की कटिंग से लगातार भूस्खलन जारी है।
राजधानी शिमला में पिता और बेटी के रिश्ते को शर्मसार कर देने वाला एक मामला सामने आया है, जहां कलयुगी पिता ने अपनी नाबालिग बेटी को ही हवस का शिकार बना डाला। मूल रूप से जिला सिरमौर के शिलाई से ताल्लुक रखने वाली पीड़िता शिमला में अपने परिवार संग किराए के मकान में रहती थी।16 साल की पीड़िता शिमला के एक स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ रही थी। जानकारी के अनुसार घटना शिमला के सदर थाना इलाके की है। शुक्रवार को कमरे में अपनी बेटी को अकेला पाकर आरोपी ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता ने मां को अपनी आपबीती बताई। इसके बाद शुक्रवार देर रात सदर थाने में पीड़िता की शिकायत पर शिमला पुलिस ने दुराचार के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। शिकायत पर आईपीसी की धारा-376 के तहत केस दर्ज किया है। साथ ही पोक्सो एक्ट भी लगाया गया है। अहम बात यह है कि शिमला पुलिस के अधिकारी इस पूरे मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को गुजरात के अहमदाबाद में रोड शो किया। ये रोड शो राज्य में निवेश आमंत्रित करने हेतु था। प्रदेश सरकार ने गुजरात के कई बड़े औद्योगिक घरानों के साथ 880 करोड़ रुपये के एमओयू हस्ताक्षरित किए हैं। ये कंपनियां करेगी हिमाचल में निवेश:- सेंटौर एनर्जी 360 करोड़ रुपये अल्ट्राकैब इंडिया 110 करोड़ गुजरात अंबुजा एक्सपोर्ट लिमिटेड 100 करोड़, ईएसएसएसीटी प्रोजेक्ट (क्रिएटिव च्वाइस ग्रुप) 100 करोड़, इसेक्ट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट 100 करोड़ जेजे पीवी सोलर प्राइवेट लिमिटेड 40 करोड़ मैसर्ज चंद्रेश केबल्स 40 करोड़ ईशान नेटसोल प्राइवेट लिमिटेड 20 करोड़ रुपये ब्लू रे एविएशन 10 करोड़ कचरे से ऊर्जा परिवर्तित करेगी एबिलॉन क्लीन गुजरात स्थित एबिलॉन क्लीन एनर्जी के प्रबंध निदेशक आदित्य हांडा ने हिमाचल प्रदेश में पीपीपी मोड पर कचरे को ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए इकाई स्थापित करने की इच्छा जताई। अंबुजा एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मनीष गुप्ता ने खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने, ईएसएसएसीटी के सह-संस्थापक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुमंत काचरू ने थैरेपी तैयार कर वैलनेस केंद्र खोलने में रुचि दिखाई। चंद्रेश केबल्स लिमिटेड के प्रतिनिधि अभिवंदन सी लोधा और आरके जैन ने केबल निर्माण इकाई स्थापित करने की इच्छा व्यक्त की।
State Bank of India, the country’s largest bank has waived charges on immediate payment services and real -time gross settlement (RTGS) transactions through internet and mobile banking. It is applicable with effect from July 1, 2019. This is not all, the bank has also decided not to charge any fee on fund transfer through mobile phones using immediate payment service (IMPS) w.e.f August 1, 2019. With a market share of around 25 percent, SBI is the India’s largest bank. At the end of FY 2018-19, the SBI has customers using internet banking were more than six crore customers and those who were availing mobile banking facility were around 1.41 crores. The bank’s decision to abolish charges on using internet and mobile banking will benefit million of customers. The bank has taken this decision after receiving guidelines from RBI to promote digital transactions.
State Bank of India, the country’s largest bank has waived charges on immediate payment services and real -time gross settlement (RTGS) transactions through internet and mobile banking. It is applicable with effect from July 1, 2019. This is not all, the bank has also decided not to charge any fee on fund transfer through mobile phones using immediate payment service (IMPS) w.e.f August 1, 2019. With a market share of around 25 percent, SBI is the India’s largest bank. At the end of FY 2018-19, the SBI customers using internet banking were more than six crore, and those who were availing mobile banking facility were around 1.41 crores. The bank’s decision to abolish charges on using internet and mobile banking will benefit million's of customers. The bank has taken this decision after receiving guidelines from RBI to promote digital transactions.
जो भी भक्त यहाँ सच्चे मन से आता है, वो खाली हाथ वापस नहीं जाता। हर साल यहां लाखों लोग मां का आर्शीवाद लेने पहुंचते हैं और माँ सबकी मनोकामनाएं पूरी करती है। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 11 किलोमीटर दूर खूबसूरत पहाड़ की चोटी पर स्थित माँ तारा देवी मंदिर माता रानी के अद्भुत चमत्कारों के लिए मशूहर है। प्रकृति की गोद में स्थित लगभग 250 वर्ष पुराना त्रिगुणात्मक शक्तिपीठ धाम तारादेवी मंदिर पुरे भारत वर्ष के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर के साथ करीब दो किलोमीटर नीचे जंगल में शिवबावड़ी भी है। मान्यता है कि इस बावड़ी में पैसे अर्पण करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। तारादेवी मंदिर के निर्माण की कहानी बड़ी भी बेहद रोचक है। इस मंदिर का निर्माण जुन्गा क्योंथल नरेश राजा भूपेंद्र सेन ने करवाया था। भूपेंद्र सेन सेन वंश के सबसे ताकतवार राजाओं में से एक थे। कहा जाता है कि एक बार राजा भूपेंद्र सेन शिकार के लिए तारादेवी के घने जंगलों में चले गए। इसी दौरान उन्हें मां तारा और भगवान हनुमान के दर्शन हुए। मां तारा ने इच्छा जताई कि वह इस स्थल में बसना चाहती हैं, ताकि भक्त यहां आकर आसानी से उनके दर्शन कर सके। राजा ने भी हामी भर दी। इसके बाद राजा ने अपनी आधी से ज्यादा जमीन मंदिर निर्माण के लिए सौंप दी और यहां मंदिर निर्माण का काम शुरू हो गया। कुछ समय बाद जब मां का मंदिर तैयार हुआ तो राजा ने लकड़ी की मूर्ति के स्वरूप में यहां माता को स्थापित कर दिया। कहते हैं भूपेंद्र सेन के बाद मां ने उनके वशंज बलबीर सेन को भी दर्शन दिए। सेन ने यहां अष्टधातु की मूर्ति स्थापित की और मंदिर का निर्माण आगे बढ़ाया। इसलिए विशेष है माँ तारा देवी का मंदिर:- माँ तारा देवी जुन्गा क्योंथल नरेश की कुलदेवी है। मंदिर में माँ तारा देवी की अष्टधातु की मूर्ति विराजमान है। कहा जाता है कि 250 साल पहले मां तारा की प्रतिमा को पश्चिम बंगाल से लाया गया था। राजा भूपेंद्र सेन ने अपनी जमीन का एक बड़ा हिस्सा मंदिर बनवाने के लिए दान किया था। कुछ समय बाद मंदिर का काम पूरा हो गया और लकड़ी की बनी मां की मूर्त यहां स्थापित कर दी गई। राजा भूपेंद्र सेन के बाद राज बलबीर सेन को भी मां ने दर्शन दिए जिसके बाद सेन ने अष्टधातु की मूर्त यहां स्थापित की और मंदिर का निर्माण किया। जुन्गा का राज परिवार हर साल नवरात्र उत्सव के अष्टमी के दिन यहां पूजा करने आते हैं उस समय मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। यहां गांव में जब भी कोई फसल या अन्य चीजें तैयार होती है तो सबसे पहले मां के चरणों में समर्पित की जाती है। चोटी पर बने इस मंदिर के एक ओर घने जंगल है जबकि दूसरी ओर सड़कें। यह मंदिर अब बस सेवा से भी जुड़ गया है। इस मंदिर में लोग श्रद्धा भाव से मंदिर में भंडारे करवाते हैं। अगर किसी श्रद्धालु को मंदिर में भंडारा करवाना है तो लंबा इंतजार करना पड़ता है।भंडारे के दिन की डेट अलॉट होने के एक दिन पहले लोगों को यहां राशन छा़ेड़ना होता है। मंदिर प्रबंधक का कहना है कि जो भी भक्त यहां भंडारा देना चाहते हैं वह मंदिर कार्यालय समय में सुबह दस बजे से पांच बजे आकर बुकिंग कर सकता है। देवी दुर्गा के 108 नाम 1. सती : अग्नि में जल कर भी जीवित होने वाली 2. साध्वी : आशावादी 3. भवप्रीता : भगवान् शिव पर प्रीति रखने वाली 4. भवानी : ब्रह्मांड की निवास 5. भवमोचनी : संसार बंधनों से मुक्त करने वाली 6. आर्या : देवी 7. दुर्गा : अपराजेय 8. जया : विजयी 9. आद्य : शुरूआत की वास्तविकता 10. त्रिनेत्र : तीन आँखों वाली 11. शूलधारिणी : शूल धारण करने वाली 12. पिनाकधारिणी : शिव का त्रिशूल धारण करने वाली 13. चित्रा : सुरम्य, सुंदर 14. चण्डघण्टा : प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली, घंटे की आवाज निकालने वाली 15. महातपा : भारी तपस्या करने वाली 16. मन : मनन- शक्ति 17. बुद्धि : सर्वज्ञाता 18. अहंकारा : अभिमान करने वाली 19. चित्तरूपा : वह जो सोच की अवस्था में है 20. चिता : मृत्युशय्या 21. चिति : चेतना 22. सर्वमन्त्रमयी : सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली 23. सत्ता : सत्-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है 24. सत्यानन्दस्वरूपिणी : अनन्त आनंद का रूप 25. अनन्ता : जिनके स्वरूप का कहीं अन्त नहीं 26. भाविनी : सबको उत्पन्न करने वाली, खूबसूरत औरत 27. भाव्या : भावना एवं ध्यान करने योग्य 28. भव्या : कल्याणरूपा, भव्यता के साथ 29. अभव्या : जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं 30. सदागति : हमेशा गति में, मोक्ष दान 31. शाम्भवी : शिवप्रिया, शंभू की पत्नी 32. देवमाता : देवगण की माता 33. चिन्ता : चिन्ता 34. रत्नप्रिया : गहने से प्यार 35. सर्वविद्या : ज्ञान का निवास 36. दक्षकन्या : दक्ष की बेटी 37. दक्षयज्ञविनाशिनी : दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली 38. अपर्णा : तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली 39. अनेकवर्णा : अनेक रंगों वाली 40. पाटला : लाल रंग वाली 41. पाटलावती : गुलाब के फूल या लाल परिधान या फूल धारण करने वाली 42. पट्टाम्बरपरीधाना : रेशमी वस्त्र पहनने वाली 43. कलामंजीरारंजिनी : पायल को धारण करके प्रसन्न रहने वाली 44. अमेय : जिसकी कोई सीमा नहीं 45. विक्रमा : असीम पराक्रमी 46. क्रूरा : दैत्यों के प्रति कठोर 47. सुन्दरी : सुंदर रूप वाली 48. सुरसुन्दरी : अत्यंत सुंदर 49. वनदुर्गा : जंगलों की देवी 50. मातंगी : मतंगा की देवी 51. मातंगमुनिपूजिता : बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय 52. ब्राह्मी : भगवान ब्रह्मा की शक्ति 53. माहेश्वरी : प्रभु शिव की शक्ति 54. इंद्री : इन्द्र की शक्ति 55. कौमारी : किशोरी 56. वैष्णवी : अजेय 57. चामुण्डा : चंड और मुंड का नाश करने वाली 58. वाराही : वराह पर सवार होने वाली 59. लक्ष्मी : सौभाग्य की देवी 60. पुरुषाकृति : वह जो पुरुष धारण कर ले 61. विमिलौत्त्कार्शिनी : आनन्द प्रदान करने वाली 62. ज्ञाना : ज्ञान से भरी हुई 63. क्रिया : हर कार्य में होने वाली 64. नित्या : अनन्त 65. बुद्धिदा : ज्ञान देने वाली 66. बहुला : विभिन्न रूपों वाली 67. बहुलप्रेमा : सर्व प्रिय 68. सर्ववाहनवाहना : सभी वाहन पर विराजमान होने वाली 69. निशुम्भशुम्भहननी : शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली 70. महिषासुरमर्दिनि : महिषासुर का वध करने वाली 71. मधुकैटभहंत्री : मधु व कैटभ का नाश करने वाली 72. चण्डमुण्ड विनाशिनि : चंड और मुंड का नाश करने वाली 73. सर्वासुरविनाशा : सभी राक्षसों का नाश करने वाली 74. सर्वदानवघातिनी : संहार के लिए शक्ति रखने वाली 75. सर्वशास्त्रमयी : सभी सिद्धांतों में निपुण 76. सत्या : सच्चाई 77. सर्वास्त्रधारिणी : सभी हथियारों धारण करने वाली 78. अनेकशस्त्रहस्ता : हाथों में कई हथियार धारण करने वाली 79. अनेकास्त्रधारिणी : अनेक हथियारों को धारण करने वाली 80. कुमारी : सुंदर किशोरी 81. एककन्या : कन्या 82. कैशोरी : जवान लड़की 83. युवती : नारी 84. यति : तपस्वी 85. अप्रौढा : जो कभी पुराना ना हो 86. प्रौढा : जो पुराना है 87. वृद्धमाता : शिथिल 88. बलप्रदा : शक्ति देने वाली 89. महोदरी : ब्रह्मांड को संभालने वाली 90. मुक्तकेशी : खुले बाल वाली 91. घोररूपा : एक भयंकर दृष्टिकोण वाली 92. महाबला : अपार शक्ति वाली 93. अग्निज्वाला : मार्मिक आग की तरह 94. रौद्रमुखी : विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा 95. कालरात्रि : काले रंग वाली 96. तपस्विनी : तपस्या में लगे हुए 97. नारायणी : भगवान नारायण की विनाशकारी रूप 98. भद्रकाली : काली का भयंकर रूप 99. विष्णुमाया : भगवान विष्णु का जादू 100. जलोदरी : ब्रह्मांड में निवास करने वाली 101. शिवदूती : भगवान शिव की राजदूत 102. करली : हिंसक 103. अनन्ता : विनाश रहित 104. परमेश्वरी : प्रथम देवी 105. कात्यायनी : ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय 106. सावित्री : सूर्य की बेटी 107. प्रत्यक्षा : वास्तविक 108. ब्रह्मवादिनी : वर्तमान में हर जगह वास करने वाली
ये वो दौर था जब पहलवानी जगत में हंगेरियन मूल के ऑस्ट्रेलिआई पहलवान किंग कोंग का डंका बजता था। करीब 201 किलोग्राम वजनी किंग कोंग को हराना किसी करिश्मे से कम नहीं था, पर देखते ही देखते करीना कपूर के दादा ने किंग कोंग को उठाकर रिंग से बाहर फेंक दिया। यहां हम शो मेन राज कपूर की बात नहीं कर रहे, हम बात कर रहे हैं फिल्म जब वी मेट में करीना के दादा बने दारा सिंह की। रुस्तम ए हिन्द दारा सिंह रन्धावा का जन्म 19 नवम्बर 1928 को अमृतसर (पंजाब) के गांव धरमूचक में हुआ था। 500 से ज्यादा फाइट लड़ी, कभी नहीं हारे दारा सिंह ने अपनी जिंदगी में 500 से ज्यादा फाइट लड़ी जिसमें वह एक भी मुकाबला नहीं हारे। उन्होंने 29 मई 1968 को फ्री स्टाइल कुश्ती के वर्ल्ड चैंपियन का खिताब जीता था। साथ ही चैंपियन ऑफ मलेशिया, नेशनल रेस्लिंग चैंपियन, रुस्तम-ए-हिंद और रुस्तम-ए-पंजाब जैसे कई अन्य खिताब भी उन्होंने अपने नाम किये। 4 लाख प्रति फिल्म थी फीस कुश्ती के बाद दारा सिंह ने बॉलीवुड में भी किस्मत आजमाई और उन्हें खूब शौहरत और सफलता भी मिली। उन्होंने फिल्मों में एक्टर, निर्देशक, निर्माता के तौर पर काम किया और दर्शकों के दिलों पर छाए रहे। दारा सिंह ने 148 फिल्मों में काम किया। दारा सिंह 60 के दशक में हर फिल्म के लिए 4 लाख रुपये लेते थे, जो बड़े बड़े अभिनेताओं को भी नहीं मिलती थी। 'फौलाद', 'मर्द','मेरा नाम जोकर','कल हो ना हो' और 'जब वी मेट' जैसी फिल्में काफी पसंद की जाती है। वर्ष 1970 में दारा सिंह ने पहली बार पंजाबी फिल्म 'नानक दुखिया सब संसार' को प्रोड्यूस किया। पर दारा का सर्वश्रेष्ठ आना तो अभी बाकी था। हनुमान के किरदार ने कर दिया अमर 1980 के दशक में रामानंद सागर ने रामायण बनाने का निर्णय लिया और हनुमान जी के रोल के लिए भला दारा सिंह से बेहतर कौन हो सकता था। दारा सिंह ने 60 साल की उम्र में 'रामायण' में 'हनुमान' के किरदार को बखूबी निभाया। उस दौर में आलम ये था कि उन्हें देखकर लोग जय श्री राम के नारे लगाना शुरू कर देते थे और आशीर्वाद लेने के लिए उनके चरणों में गिर जाते थे। उनमें लोगों को साक्षात पवन पुत्र हनुमान दिखते थे। रामानंद सागर की रामायण में निभाए गए बजरंबली हुनुमान के किरदार ने दारा सिंह को सदा के लिए अमर कर दिया। 12 जुलाई 2012 को जबरदस्त कद काठी, फिल्मों में एक्टिंग के मास्टर और टेलीविजन इंडस्ट्री में हनुमान, दारा सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
Sincere efforts will be made to utilize modern aids of teaching and learning and make education more career-oriented so that the students become more employable. These were the views expressed by Dr Parvinder Kaushal, Vice Chancellor of Dr YS Parmar University of Horticulture and Forestry, Nauni during an interaction with the university students. Dr Kaushal urged the students to improve the quality of their research publications and advised them to work on writing quality publications in top journals during their postgraduate studies. He said that these publications will not only help them in their career but also act as a morale booster for conducting bigger and better research. Assuring the students of developing a proper mechanism to look into the areas of improvement by incorporating suggestions, Dr Kaushal said that the university would look towards imparting more career-oriented education so that they can benefit from these at the time of applying for jobs. He said linking students’ research problems with research projects so that they get a chance to gain valuable work experience during their studies, will also be looked into. Dr Kaushal added that opportunities to visit the best laboratories in the country in the concerned field will also be provided to the students so that they can see the working of the best institutions in the country and incorporate it in their own working. During the interaction, the students shared their grievances and gave suggestions on improving the overall learning environment. Smart classrooms and interactive boards, focus on improving classroom teaching, and strengthening the internet facilities, library timings were other areas that were discussed.
उसकी अदाकारी का असर कुछ ऐसा था कि आज भी लोग अपने बच्चों का नाम प्राण नहीं रखते। हम बात कर रहे है बॉलीवुड के सबसे बड़े खलनायक प्राण सिकंद की। आज प्राण साहब की पुण्यतिथि है। 1940 से 1980 के दशक तक प्राण की बॉलीवुड में तूती बोलती थी। जब प्राण पर्दे पर आते थे तो लोग उन्हें गालियां देने लगते। यूँ तो बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक खलनायक हुए, लेकिन प्राण जैसा न कभी कोई था और न शायद कभी हो । पुरानी दिल्ली, ब्रिटिश भारत में 12 फरवरी 1920 को प्राण एक मिडिल क्लास परिवार में जन्म हुआ । जब 19 के हुए तो हीरो बनने लाहौर चले गये। 1940 में उन्हें फिल्म 'यमला जट' में काम करने का अवसर मिला और प्राण हीरो बन गए । लाहौर में करीब 22 पंजाबी फिल्मों में काम करने के बाद जब 1947 में भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ और प्राण वापस हिंदुस्तान लौट आये। फिर संघर्ष का दौर शुरू हुआ, लेकिन प्राण हालत से हारने वाले नहीं थे। एक साल स्ट्रगल करने के बाद उन्हें फिल्म 'बांबे टॉकीज' मिली और प्राण का भारतीय सिनेमा में रोमांचक सफर शुरू हुआ। खलनायक बने और ऐसे बने कि लोग उनसे नफरत करने लगे, दरअसल यही प्राण की असली कामयाबी थी। एक दौर ऐसा भी आया कि बगैर प्राण के कोई बड़ी बॉलीवुड फिल्म बनती ही नहीं थी। कहा तो ये भी जाता है कि उस दौर के कई अभिनेता इसलिए फिल्म छोड़ देते थे क्यूंकि उसमे प्राण होते थे । प्राण ने सिर्फ खलनायक के किरदार कर ही अपनी प्रतिभा नहीं मनवाई, बल्कि कई ऐसे पॉजिटिव किरदार भी निभाए जो कालजयी बन गए । चाहे फिल्म 'जंजीर' में पठान शेर खान का किरदार हो, या 'अमर अखबर एंथनी','उपकार', 'विक्टोरिया 203', 'सनम बेवफा', 'डॉन', 'दोस्ताना' जैसी फिल्मों में उनके द्वारा निभाए गए किरदार, प्राण ने हमेशा अमिट छाप छोड़ी । वर्ष 2013 तक अपने फिल्मी करियर में और भी कई अवार्ड बटोर चुके प्राण ने 93 की उम्र में आखिरी सांस ली । पर प्राण आज भी अपने चाह्वानो के दिलों में राज करते है ।
परिजनों ने डांटा तो छात्रा ने फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला की समाप्त स्टूडेंट्स एग्जाम रिज़ल्ट सही न आने की वजह से खुदखुशी कर लेते हैं और इस बार ऐसा ही मामला जिला सोलन के चंबाघाट में पेश आया है।झारखण्ड की रहने वाली 16 वर्षीय छात्रा ने फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर ली। परिजनों के अनुसार छात्रा नौवीं कक्षा में पढ़ती थी। उसका इस बार 9वीं कक्षा का रिजल्ट ठीक नहीं आया, जिस वजह से वह परेशान रहती थी।घटना बीती रात की बताई जा रही है, जब युवती अपने परिजनों को बिना बताए घर से बाहर निकल गई। जैसे ही मां-बाप को इस बात इसका पता चला वह लड़की को ढूंढने लग गए। काफी देर ढूंढने के बाद उन्हें बेटी नहीं मिली। सुबह परिजनो को बेटी का शव घर के समीप पेड़ से लटका हुआ मिला।परिजनों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है।
Her name is the synonym for courage, her name is the synonym for determination, her name is the synonym for fearlessness and her name is the synonym for nerve. She actually need no introduction, she is Malala. The youngest ever Nobel Peace Prize receiver and Girl’s Education Activist. In words of Malala “I tell my story not because it is unique, but because it is the story of many girls.” Today is her birthday and today is the day of hope for ton many girls like Malala, today is Malala Day. First Verdict salutes Malala for her contribution in attracting the attention of world on situation of girl’s education, particularly in Pakistan and Taliban dominant areas. The Journey of Malala 1997 - Malala Yousafzai was born in Mingora, Pakistan on July 12, 1997. 2008 - Taliban took over Swat Valley and Malala had to left her school after Taliban threat. 2008 -Malala Yousafzai was only 11 years old when she blogged for the BBC about living in Pakistan and girl eduction n Pakistan. 2012 - Malala publicly spoke out about girl’s right to Education. As a result she was shot in head by Taliban Gunman, but fortunately survived. 2013- Malala was nominated for the Nobel Prize in 2013 but did not win; she was renominated in March 2014. 2013 - On 12 July 2013, Yousafzai's 16th birthday, she spoke at the UN to call for worldwide access to education. The UN dubbed the event "Malala Day." 2013 -On October 10, 2013, in acknowledgement of her work, the European Parliament awarded Yousafzai the Sakharov Prize for Freedom of Thought 2014 -In October 2014,Malala Yousafzai became the youngest recipient of the Nobel Peace Prize. She was awarded the Nobel along with Indian children's rights activist Kailash Satyarthi. 2017- In April 2017, United Nations Secretary-General Antonio Guterres appointed Yousafzai as a U.N. Messenger of Peace to promote girls education. 2017- Yousafzai was also given honorary Canadian citizenship in April 2017. She is the sixth person and the youngest in the country’s history to receive the honor.
यहाँ भगवान भोलेनाथ सिर्फ सिगरेट का कश ही नहीं लगाते बल्कि सिगरेट के धुएं को हवा में भी उड़ाते हैं। ये सुनने में भले ही अजीब लगे मगर महादेव के भक्त तो यही मानते है। हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन की अर्की तहसील में स्थित लुटरू महादेव मंदिर की। पहाड़ियों पर प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां दर्शन के लिए आनेवाले सभी भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग को सिगरेट अर्पित करते हैं। शिवलिंग पर सिगरेट अर्पित करने के बाद उसे कोई सुलगाता नहीं है बल्कि वो खुद-ब-खुद सुलगती है।बाकायदा सिगरेट से धुआं भी निकालता हैं, मानो स्वयं भोले बाबा सिगरेट के कश लगा रहे हो। हालांकि कुछ लोग इसमें विज्ञान तलाश इसे अंधविश्वास भी करार देते हैं, किन्तु भोले के भक्तों के लिए तो ये शिव की महिमा हैं। आखिर भक्त और भगवान को विश्वास ही तो जोड़ता हैं। लुटरू महादेव मंदिर का निर्माण सन 1621 में करवाया गया था। कहा जाता हैं कि बाघल रियासत के तत्कालीन राजा को भोलेनाथ ने सपने में दर्शन देकर मंदिर निर्माण का आदेश दिया था। एक मान्यता ये भी हैं कि स्वयं भगवान शिव कभी इस गुफा में रहे थे। आग्रेय चट्टानों से निर्मित इस गुफा की लम्बाई पूर्व से पश्चिम की तरफ लगभग 25 फ़ीट तथा उत्तर से दक्षिण की ओर 42 फ़ीट है। गुफा की ऊंचाई तल से 6 फ़ीट से 30 फ़ीट तक है।गुफा के अंदर मध्य भाग में 8 इंच लम्बी प्राचीन प्राकृतिक शिव की पिंडी विधमान है। इसलिए विशेष हैं लुटरू महादेव मंदिर:- लुटरू महादेव मंदिर में सदियों से शिवलिंग को सिगरेट पिलाई जा रही है। भक्त इसे चमत्कार मानते हैं, तो कुछ लोग इसे विज्ञान करार देते हैं, पर यहाँ सच में ऐसा होता आ रहा हैं। लुटरू महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग भी अपने आप में बेहद अनोखा है। शिवलिंग पर जगह- जगह गड्ढे बने हैं और इन्हीं गड्ढों में लोग सिगरेट को फंसा देते हैं। लुटरू महादेव गुफा की छत में परतदार चट्टानों के रूप में भिन्न भिन्न लंबाइयों के छोटे छोटे गाय के थनो के अकार के शिवलिंग हैं। मान्यता के अनुसार इनसे कभी दूध की धारा बहती थी। शिवलिंग के ठीक ऊपर एक गुफा पर छोटा सा गाय के थन के जैसा एक शिवलिंग बना है ,जहाँ से पानी की एक-एक बूँद ठीक शिवलिंग के ऊपर गिरती रहती है। लुटरू गुफा को भगवान परशुराम की कर्मस्थली भी कहा जाता हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार सहस्त्र बाहु का वध करने के बाद भगवान परशुराम ने यहाँ भगवान शिव की आराधना की थी। पंजाब के चमकौर साहिब के शिवमंदिर के महात्मा शीलनाथ भी करीब चार दशक पूर्व लुटरू महदेव में आराधना करते थे। शिवलिंग पर जलते हुए सिगरेट के अद्भुत नज़ारे को देखने के बाद लोग इसे कैमरे में कैद करने से खुद को नहीं रोक पाते है और ऐसा करने पर कोई पाबंदी भी नहीं हैं। वर्ष 1982 में केरल राज्य में जन्मे महात्मा सन्मोगानन्द सरस्वती जी महाराज लुटरू महादेव मंदिर में पधारे। उनकी समाधि भी यही बनी हुई है। गुफा के नीचे दूर- दराज से आने वाले भक्तों के लिए धर्मशाला भी बनाई गई हैं । शिव की लीला शिव ही जानें भोलेनाथ शिवशंकर की लीला तो वे स्वयं ही जानते हैं किन्तु लुटरू महादेव मंदिर में शिवलिंग का सिगरेट पीना किसी अचम्भे से कम नहीं हैं। यदि वैज्ञानिक कारण भी हैं तो ऐसा सिर्फ शिवलिंग पर सिगरेट चढाने से ही क्यों होता हैं। न भक्तों की आस्था पर कोई प्रश्न हैं और न ही शिव की महिमा पर। अब ऐसा क्यों होता हैं और कैसे होता हैं, ये तो स्वयं शिव ही जाने।
The first counselling for self-financed seats in Undergraduate programmes of Dr YS Parmar University of Horticulture and Forestry (UHF), Nauni was held on Thursday at the university campus. Students from all over the country including Himachal, Haryana, Punjab, Jammu and Kashmir and North-eastern states appeared for the counselling.Over 350 students from all over the country who have secured 74 percent and above in the class 12 examination in English, Physics, Chemistry and Biology/ Maths appeared for seeking admission to B Sc (Hons) Horticulture, B Sc (Hons) Forestry and B Tech Biotechnology programmes run by the University at its four Constituent Colleges. The counselling was held at the Dr LS Negi Auditorium of the university where the committee verified all the documents of the students along with taking their preference of course and college. The seat allotment list will be put up on the university website on July 12 after 5 pm.Every year thousands of students from all over the country apply to seek admission in the horticulture, forestry and biotechnology programmes of the university. While the seats in the self-financed scheme are open to applicants from other states, the normal seats are reserved for students from Himachal Pradesh.
प्राकृतिक आपदा आने का कोई निर्धारित समय नहीं होता। इससे निपटने के लिए सभी विभागों को तत्पर रहते हुए आवश्यक मशीनरी व श्रम शक्ति सहित हमेशा तैयार रहना चाहिए। इसे ध्यान में रखते हुए आज सोलन में मेगा मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। भूकंप के काल्पनिक परिदृश्य के मुताबिक आज सुबह सोलन में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप पर आधारित मेगा मॉक ड्रिल के तहत भूकंप के झटके महसूस होने के बाद जिला आपदा प्रबंधन आथॉरिटी (डीडीएमए) की टीम ठोडो ग्राउंड स्थित जिला आपदा ऑपरेशन सेंटर पहुंची और भूकंप से हुए नुकसान का शुरुआती आकलन लेने के बाद राहत एवं बचाव दलों को घटना स्थल के लिए रवाना किया। मॉक ड्रिल में सोलन के विवान्ता मॉल, साईं संजीवनी अस्पताल , डिग्री कॉलेज, हाऊसिंग बोर्ड कालोनी और नगर परिषद कार्यालय भवन को भूकंप के चलते काफी प्रभावित माना गया था। मेडिकल टीमों को भूकंप से अत्यधिक प्रभावित जगहों पर भेज दिया गया था। गंभीर घायलों को अस्पताल जबकि हल्की चोट वालों को फर्स्ट एड के बाद स्टेजिंग एरिया में स्थापित मेडिकल शिविर में लाया गया। मॉक ड्रिल के तहत ठोडो ग्राउंड में मेडिकल और राहत शिविर की स्थापना की गई थी ताकि प्रभावितों को अस्थाई तौर पर ठहरने और खाने पीने की सुविधाएं मिल सकें।